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RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
राज एक दम उस से अलग हो गया..क्यूंकी वो कुछ ही पलों में झड जाती और फिर से उसे गरम करने में वक़्त लगता...
जो अब राज महसूस कर रहा था कि उसके पास नही है...
वो अपने लंड में होते हुए तनाव को अब से नही पा रहा था......
राज जब कवि से अलग हुआ तो कवि को तेज झटका लगा...वो जल बिन मछली की तरहा तड़प के रह गयी...
उसकी आँखों में याचना थी..प्लीज़ कुछ देर और ...में झड़ने वाली हूँ......
राज फटाफट बिस्तर से उठा और ड्रेसिंग टेबल पे जा एक क्रीम की डब्बी उठा लाया और उसे कवि की चूत पे लगाने लगा .....
कवि की आँखें बंद हो गयी ...एक डर उसके दिल में समा गया...
इतना लंबा मोटा लंड कैसे जाएगा उसकी चूत में...उफ़फ्फ़ कितना दर्द होगा ....
एक तरफ उसका जिस्म चाहता था कि बस अब और देर नही........और दूसरी तरफ उसका दिमाग़ उसे डरा रहा था...
पसीना पसीना हो गयी वो...हलक सूखने लगा........
राज ने जब अपने लंड पे क्रीम लगा उसकी चूत से रगड़ा .....अहह डरते हुए भी सिसक पड़ी वो...
बिस्तर को कस के मुठियों में भींच लिया.......
राज ने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को खोला और अपने लंड को सेट कर उसकी कमर को कस्के पकड़ा और उसपे झुक गया ......
'कवि....पहले थोड़ा दर्द होगा....से लोगि ना....'
कवि चुप रही बस सर हिल्ला के हां कर दी....दिल तेज़ी से धड़कने लगा ....साँसों की रफ़्तार और भी तेज हो गयी.....
राज ने ज़ोर का एक धक्का लगाया और कवि की कमसिन चूत को खोलता हुआ उसके लंड का सुपाडा अंदर घुस्स गया....
आआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ना चाहते हुए भी ज़ोर से चीखी
कवि और उसका बदन ऐसा तडपा जैसे किसी ने चाकू उसकी चूत में घुसा दिया हो.....
राज....बस मेरी जान...बस थोड़ी देर और...से लो....(और कवि के होंठ चूसने लग गया)
कवि के दर्द के अहसास को कम करने के लिए ....राज उसके निपल चूसने लग गया.....
थोड़ी देर में ही कवि की सिसकियाँ निकलने लगी और
राज ने फिर एक्टेज झटका मार कर अपना आधा लंड उसकी चूत में घुसा डाला ....
....कवि की सील टूट गयी और राज को अपने लंड पे गरम गरम बोछार का अहसास हुआ.......
म्म्म्मईमममम्मूऊऊुुुुुुउउम्म्म्ममममममय्ययययययययययययययययययी
कवि ज़ोर से चीखी और रोने लगी.........
'बस जानू बस....तुम तो डॉक्टर बनने वाली हो...पहली बार कुछ तो दर्द होता ही है...'
'बस ...प्लीज़...बहुत दर्द हो रहा है..........'
'अब नही होगा...होगया जो होना था......'
राज उसके आँसू चाहते हुए उसके होंठों को पीने लगा और उसके निपल मसल्ने लगा........
धीरे धीरे कवि नॉर्मल होने लगी ...दर्द का अहसास अब भी था पर उतना नही ........
राज काफ़ी देर तक उसके होंठ चूस्ता रहा और निपल मसलता रहा...
कवि के जिस्म में फिर से उत्तेजना का संचार होने लगा और उसकी कमर ने हिल कर अपने आप राज को संकेत दे डाला.......
राज ने उसके होंठों को चूसना जारी रखा और धीरे धीरे अपना लंड जितना घुसा था उसे अंदर बाहर करने लगा....
आह सी उफ़ ...आह उफ़फ्फ़ उम्म्म ओह्ह्ह्ह कवि धीरे धीरे सिसक रही थी ...
और उसकी सिसकियों से पता चल रहा था कि अब भी उसे दर्द हो रहा है
पर इस दर्द में एक लज़्ज़त के अहसास का भी पुट था.....
राज ने उसके निपल को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और उसके दूसरे मम्मे को ज़ोर से मसल्ने लगा....
चूत में लंड की हरकत और निपल पे राज के गरम होंठों का अहसास कवि को तेज़ी से चर्म की तरफ ले जाने लगा ....
कवि की कमर की थिरकन भी बढ़ती चली गयी...
राज धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ाने लगा ........कवि के हाथ राज की पीठ पे घूमने लगे ..उसे सहलाने काग़े........
अहह उफफफ्फ़ उम्म्म्मम कवि की सिसकियाँ ज़ोर पकड़ने लगी...उसके जिस्म में उठती हुई तरंगे ...
उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित करने लगी.
राज के धक्कों की स्पीड और बढ़ी....और कवि भी बहकते हुए उसका साथ देने लगी ...
जिस्मो के टकराव की ध्वनि कमरे में फैलने लगी.....
तभी राज ने ज़ोर का धक्का लगा अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुस्सा डाला...
कवि को जो मज़ा मिल रहा था वो गायब हो गया और उसकी जगह दर्द की तेज लहर उसके जिस्म में फैलती चली गयी....
आआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उसकी चीख इतने ज़ोर के निकली ...
कि शायद समुद्र की लहरें भी डर के शांत हो गयी..
कवि के नाख़ून राज की पीठ में धंसते चले गये..
उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे.......
'ऊओह माआअ माअर डाला आपने...'
'बस हो गया मेरी जान...हो गया...'
'झूठे पहले भी ये कहा था...हाई कितना दर्द देते हो...'
'ये जिंदगा का आखरी दर्द है मेरी जान ..इसके बाद बस मज़े ही मज़े हैं'
'है मेरी तो जान निकाल दी आपने...सच बहुत दर्द हो रहा है'
'इस दर्द का भी अपना मज़ा होता है'
'झूठे कहीं के ...मेरी जान पे बन गयी ...ये मज़े की बात करते हैं' अपनी मुस्कुराहट
को छुपाने के लिए कवि ने चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया....
राज ने फिर अपने जिस्म को हरकत देनी शुरू कर दी....कवि भी भी धीरे धीरे सिसकती हुई उसका साथ देने लगी ....
और कुछ ही पलों में दोनो खो चुके थे अपने जिस्मो में उठती हुई आनंद की लहरों को भोगने में...
कवि की चूत लगातार रस बहा कर राज के लंड को भिगोने लगी और राज का लंड उसकी सन्करि चूत में आराम से फिसलने लगा
अफ उम्म्म उफफफ्फ़ आहह अहह सी सी उफ़फ्फ़
कवि की सिसकियाँ अब ज़ोर से निकलने लगी......
उसकी चूत से अब फॅक फॅक की आवाज़ें आने लगी जो महॉल को और भी कामुक बना रही थी...
राज अपनी स्पीड पकड़ने लगा और कवि उसका साथ देती चली गयी.....
जब लज़्ज़त का अहसास बढ़ जाता है तब दर्द का अहसास गायब हो जाता है....
यही हुआ कवि के साथ....मज़े की दुनियाँ में खोती हुई वो खुल के राज के साथ ताल से ताल मिलाती चली गयी
राज का चर्म तो अभी दूर था..लेकिन कवि अपनी चुदाई के पहले चर्म की तरफ तेज़ी से बढ़ रही थी...उसने अपनी गान्ड ज़ोर ज़ोर से उछालनी शुरू कर दी और उसकी हालत को समझते हुए राज ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी..
अहह र्र्र्र्ररराआआआआआअजजजज्ज्जीईईईसस्स्स्स्स्स्स्स्शह
राज का पूरा नाम चिल्लाते हुए वो अपनी चूत के सारे बाँध खोल बैठी...
जिस्म कमान की तरहा उठता चला गया ..जो राज को भी साथ उठता चला गया....
उसके उपर वजन ज़्यादा ना पड़े ..इसलिए राज ने अपना वजन अपने हाथों पे ले लिया और अपनी हरकत रोक...
कवि को उसके ऑर्गॅज़म का सुख भोगने दिया.......
कवि के जिस्म का कंपन बंद हुआ और वो धम्म से बिस्तर पे गिर पड़ी........
राज ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर नही निकलने दिया...
कवि जब शांत हुई तो राज ने फिर उसकी चुदाई शुरू कर दी...
थोड़ी देर में कवि फिर गरम हो गयी और राज का साथ देने लगी..
अब राज से रुकना मुमकिन नही था..वो मशीन की तरहा कवि को चोदने लगा
आह आह आह आह उफ़फ्फ़ उफ़फ्फ़ ओह उम्म्म्म
कवि की सिसकियाँ फिर से कमरे में गूंजने लगी
जिस्मो के टकराने की स्पीड भी बढ़ती चली गयी और 10 मिनट की भयंकर चुदाई
के बाद दोनो साथ साथ झडे और हान्फते हुए एक दूसरे से चिपक गये.....
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RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सूमी ने सुनील को तब तक खुद से अलग नही होने दिया ...जब तक सुनील का लंड मुरझा के खुद उसकी चूत से बाहर ना निकल गया...सुनील तेज साँसे लेता हुआ सूमी की बगल में लेट गया और सूमी ने अपनी जांघे भींच ली ...ताकि सुनील का वीर्य उसकी चूत के अंदर ही रहे...
सोनल ने सूमी की गान्ड के नीचे तकिया रख दिया...
सूमी के चेहरे की मुस्कान आज देखने वाली थी.......
उसका दिल कर रहा था के सुनील से लिपट जाए...पर हिल्ली नही काफ़ी देर तक....वैसे भी उसकी हालत बूरी थी
..क्यूंकी कमर में तेज दर्द उठ रहा था...
सोनल ने सूमी को दर्द की दवाई दी और सुनील के पास जा उसके साथ चिपक गयी.
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राज जब कवि के जिस्म से अलग हुआ तो कवि की आह निकल गयी...आनंद की लहरों का असर धीरे धीरे कम हो रहा था और दर्द का अहसास बढ़ता जा रहा था....कवि ने उठने की कोशिश करी बाथरूम जाने के लिए तो उसकी चीख निकल गयी...उससे उठा ना गया क्यूंकी कमर में तेज दर्द की लहर दौड़ गयी...राज ने जब उसकी ये हालत देखी और बिस्तर की हालत देखी जो खून से सन चुका था..तो वो भी कुछ घबरा सा गया था.....उसने कवि को गोद में उठाया और बाथरूम ले गया...
बाथ टब गरम पानी का भर उसने कवि को धीरे से बाथ टब में लिटा दिया और भाग के बाहर
आ कर दो पेन किलर्स ली और बाथरूम में ही जा के कवि को खिला दी...
कवि...प्लीज़ अब तो बाहर जाओ...
राज..क्यूँ ..अपनी बीवी के पास ही तो हूँ..
कवि..उफ्फ ये मर्द लोग..जाओ ना मुझे शरम आ रही है....
राज...अब कैसी शरम..सब कुछ तो देख लिया...
कवि ...जाओ ना प्लीज़ ...(वो रुवान्सी सी हो गयी..)
राज...अच्छा बाबा जाता हूँ...राज ने फटाफट शवर से अपना लंड धो के सॉफ किया और बाहर निकल आया..
उसके जाने के बाद कवि मुस्कुराने लगी ...
राज ने बाहर आ बिस्तर की चद्दर बदली अपनी शॉर्ट पहनी और अपने लिए
वाइन डाल कर बाहर जा ठंडी हवा का मज़ा लेने लगा
कवि करीब एक घंटा बाथ टब में गरम पानी से अपने बदन की सिकाई करती रही...फिर जब हालत बेहतर हो गयी
तो बाथ टवल लपेट बाहर आई तो देखा रात करीब करीब गुजर चुकी थी...पो फटनेवाली थी....
वो दरवाजे पे अंगड़ाई लेती हुई राज को देखने लगी जो मस्ती में वाइन पीता हुआ बाहर टहल रहा था......
उसका ध्यान अपनी तरफ करने के लिए उसने अपने पैर हिलाए और पायल की रुनझुन गूँज गयी सन्नाटे में
और अपनी आँखें बंद कर राज के करीब आने का इंतेज़ार करने लगी
राज ने उसकी तरफ देखा तो देखता ही रह गया.....
कवि के चेहरे पे गिरती पानी की बूँदें उसके हुस्न को और भी निखार रही थी...
हुस्न की इस तापिश में राज जलने लगा ...उसके कदम कवि की तरफ बढ़ चले.....
कवि को अपनी बाँहों में समेट उसने कवि के होंठों से अपने होंठ चिपका दिए
दोनो एक दूसरे में खो गये.......कुछ देर बाद राज कवि को उठा वहीं पूल के किनारे पड़े बेड पे ले गया
धीरे से उसने कवि को बेड पे लिटा दिया...और उसका टवल बदन से अलग कर दिया
कवि ने अपनी बाँहें फैला दी...'लव मी'
कवि की चूत पहले ही बहुत गीली हो चुकी थी....
राज उसमे समाता चला गया....खुले गनन के नीचे ...ठंडी हवा की कोख में.
दोनो के बदन एक दूसरे में खो गये..
राज ने जब अपना लंड उसकी चूत में घुसाया तो कवि को दर्द तो हुआ पर इस बार वो सह गयी
दोनो एक दूसरे में खो गये...
कवि के होंठों को चूस्ते हुए राज अपना लंड अंदर बाहर करने लगा
कवि ने अभी अपनी टाँगें उसकी कमर पे लपेट ली
दोनो को कोई जल्दी नही थी और धीरे धीरे इस चुदाई का मज़ा ले रहे थे....
काफ़ी देर बाद दोनो एक साथ झडे और एक दूसरे से चिपके रहे......
जब साँसे संभली..तब दोनो अलग हुए और अंदर जा कर सो गये.
करीब 11 बजे दोनो की नींद खुली तो पहले कवि बाथरूम में घुसी फ्रेश होने और नहाने
जब कवि बाहर आई तब राज बाथरूम में घुस गया.....
कवि फटाफट तयार हुई और अपने और राज के लिए कॉफी बना ली...
राज टवल में ही बाहर आया और दोनो कॉफी का मज़ा लेने लगे...
कवि के चेहरे पे वही नूर था जो एक दुल्हन के चेहरे पे सुहागरात के बाद होता है....
असल में तो कल रात ही उसकी असली सुहागरात थी.
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RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
दोनो के होंठ थोड़ी देर बाद अलग हुए...दोनो ही हाँफ रहे थे........विजय ने आरती के कपड़े उतार दिए और आरती भी पीछे नही रही उसने भी विजय के कपड़े उतार डाले....आरती ने विजय को बेड पे धक्का दे गिरा दिया और उसके लंड पे धावा बोल उसे चूसने लग गयी
आरती विजय के लंड को गले तक ले जा रही थी और धीरे धीरे होंठों का दबाव डालते हुए जीब से चाटते हुए बाहर निकालती फिर कुछ देर तेज़ी अपने मुँह के अंदर बाहर कर अपना मुँह चुदवाती और फिर अपने गले तक ले जाती ....विजय को भी बहुत मस्ती चढ़ गयी थी.....उसने आरती को अपने उपर खीच लिया और इस तरहा घुमाया कि दोनो 69 पोज़ में आ गये.....
अब आरती उसका लंड चूस रही थी और विजय उसकी चूत चाटने लग गया.....
आरती ज़्यादा देर तक ना टिक सकी और जल्दी ही उसकी चूत ने विजय के मुँह में अपना रस उगलना शुरू कर दिया.....उसके साथ हमेशा ही ऐसा होता था....विजय की जीब जब उसकी चूत में अपने करतब दिखाती....आरती ज़्यादा देर तक नही टिक पाती......
वैसे भी इनके पास वक़्त कम था ...क्यूंकी रूबी और मिनी के पास भी जाना था.....
आरती जब झड गयी तो विजय ने उसे पीठ के बल लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया....
आरती की जाँघो के बीच आ विजय ने अपना लंड उसकी चूत पे सेट किया और एक ही झटके में पूरा अंदर घुसा डाला.
आआआहह आराम से
आरती की बिस्तर की रोड को पीछे से पकड़ना पड़ गया...क्यूंकी विजय ने तेज तेज झटके लगाने शुरू कर दिए.
अहह उफफफफफफ्फ़ उम्म्म्ममम ऊऊऊम्म्म्ममाआअ
आरती की सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगी और विजय सतसट अपना लंड उसकी कट के अंदर बाहर करने लगा......
दस मिनिट की धुआँधार चुदाई के बाद विजय और आरती एक साथ झडे ...और एक दूसरे से चिपक अपनी साँसे संभालने में लगे रहे.....
दोनो फिर नहाए तयार हुए....विजय रेस्टोरेंट चला गया और आरती रूबी और मिनी के कमरे की तरफ बढ़ गयी.....उन्हें बुलाने के लिए
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सुबह जब सूमी की आँख खुली तो देखा सुनील और सोनल एक साथ चिपके हुए सो रहे हैं.....सूमी को रात की चुदाई याद आई और वो मुस्कुराती हुई बाथरूम चली गयी....
.फ्रेश हो कर बाहर आई और दोनो के जिस्म पे एक चद्दर डाल वो लिविंग रूम में जा कर कॉफी बनाने लगी
.उसने सिर्फ़ एक बाथटावल से खुद को आधा ढका हुआ था..
.टवल से उसके आधे मम्मे बाहर झाँक रहे थे और टवल मुश्किल से उसकी गंद तक आ रहा था......
कॉफी बना वो अपने लिए एक कप में डाल बाहर जा के पूल के पास बैठ गयी ....
ठंडी ठंडी हवा....दूर तक फैला समुद्रा सूमी के मन को मोह रहे थे....
.काफ़ी देर वो बाहर बैठी मौसम की ताज़गी का लुफ्त लेती रही और फिर अंदर चली गयी .......
.सुनील अब भी गहरी नींद में था पर सोनल उस से दूर हो चुकी थी और बिस्तर पे हिल रही थी...जैसे अभी जागने वाली हो.........
सूमी सोनल के साथ लेट गयी और उसका जिस्म सहलाते हुए उसे उठाने लगी..........
सोनल ने सूमी का टवल खींच फेंका ...और उसे अपने उपर खींच लिया....दोनो एक दूसरे की नज़रों में देखने लगी......
सूमी ने सोनल की आँखों की भंशा पढ़ ली और दोनो के होंठ आपस में मिल गये.....
सूमी सोनल के बदन को सहलाते हुए कभी उसके होंठ चूमती तो कभी उसके गालों को चूमते हुए उसके होंठों पे फिर वापस आ जाती...
अहह उफफफफ्फ़ उम्म्म्मम ......दोनो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी .......
सूमी ने फिर सोनल के मम्मो पे हमला कर दिया....
आआआअहह सोनल इतनी ज़ोर से सिसकी के सुनील की नींद खुल गयी और उसकी नज़र जब दोनो पे पड़ी तो बस देखता ही रह गया.......
सूमी ने अपनी पोज़िशन इस तरहा बदली कि दोनो एक दूसरे के निपल चूसने लग गयी.....
अपनी दोनो बीवियों को एक दूसरे से प्यार करते देख ....सुनील के अंदर भी कामग्नी की ज्वाला सर उठाने लगी....
.उसका लंड सख़्त होता चला गया .......और वो दोनो से चिपक उनके जिस्म को सहलाने लगा.....
सूमी ने सोनल को छोड़ा और अपनी दोनो जांघे फैला कर वो सुनील के उपर आ गयी...उसके लंड को पकड़ अपनी चूत पे सेट किया और बैठती चली गयी.....
अहह अहह सूमी ज़ोर से सिसकी जब सुनील का मोटा लंड उसकी चूत को फैलाता हुआ उसके अंदर घुसने लगा.......
सुनील ने नीचे से ज़ोर का धक्का लगाया और फकक्चह सूमी के अंदर उसका पूरा लंड घुस्स गया....
आाआईयईईईईईईईईईईईईईईीजज़ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्जाआआाालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीइीईईईईईईईईईईईइइम्म्म्मममममममममम
सूमी ज़ोर से चीखी ...और सुनील पे लूड़क गयी.....
सूमी जब इस झतले से संभली तो उठ कर अपनी गान्ड उपर नीचे कर सुनील के लंड को अपनी चूत से बाहर करती फिर अंदर लेलेति
.......सुनील ने सोनल को भी अपने उपर खींच लिया
सोनल ने अपनी चूत सुनील के मुँह से सटा दी...जिसे वो चाटने लग गया और अपनी जीब बीच में घुसा उसे जीब से चोदने लग गया....
सूमी और सोनल दोनो आमने सामने थी और एक दूसरे के होंठ चूस्ति तो काबी एक दूसरे के निपल चूस्ति...
सूमी जब एक बार झड गयी ...तो सोनल और सूमी ने अपनी जगह बदल ली ........
चुदाई का ये खेल इसी तरहा चलता रहा .....जब सुनील झड़ने के करीब पहुँचा ....
तो सूमी उसके लंड पे चढ़ गयी और उसका वीर्य अपनी चूत में समेट लिया....
तीनो ही निढाल हो कर बिस्तर पे पड़े रहे.....फिर तीनो एक साथ नहाए .......
.और सोनल ने फिर तीनो के लिए कॉफी तयार की.....सूमी ने ब्रेकफास्ट का ऑर्डर दे दिया...
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RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
जब ये लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे .......तभी विजय का फोन आया सुनील के मोबाइल पे........
सुनील....जी अंकल सुनाए कैसे याद किया
विजय...बेटा चार दिन बाद तुम सब यहाँ आ जाना
सुनील...कोई खांस काम
विजय...हां बेटा बहुत ही खांस बात है....रूबी मान गयी है विमल से शादी करने के लिए
सुनील.....ककक्क्क्यय्य्ाआअ ...(वो हैरानी से चीख ही पड़ा)
विजय.....हां बेटा ...सही है ये...मैने करण और उसकी फॅमिली को भी बुला लिया है...4 दिन दिन अपना हॉलिडे मनाओ और फिर यहाँ आ जाना....
सुनील....जी अच्छा...
सुनील फिर दोनो को विजय से हुई बात के बारे में बताता है....दोनो बहुत हैरान होती हैं
रूबी का ये फ़ैसला और वो भी यूँ अचानक ...किसी को भी समझ में नही आ रहा था....
सुनील.....सूमी मेरे ख़याल से हमे रूबी से बात करनी चाहिए.....कल तक तो वो शादी के नाम से बिदक्ति थी..आज ये अचानक.....
सूमी......मैने तो इसीलिए सिमरन को मना कर दिया था...जब वो अपने बेटे जयंत का प्रपोज़ल ले कर आई थी...
सुनील....जयंत!!!!!!! ये तो वही है शायद जो कमल का खांस दोस्त हुआ करता था....
सोनल....हां वही है.....
सूमी....ओह! पर अब मसला ये है कि मैं सिमिरन को क्या बोलूँगी ....जब रूबी की शादी की खबर फैलेगी.....
सुनील....हम लोग कल पहले रूबी से जा कर मिलते हैं...सारी बात करते हैं...क्या था उसके दिल में जब उसने हां करी...फिर कोई फ़ैसला लेंगे...
सूमी/सोनल....हां ये ठीक रहेगा...पहले हम लोग उससे बात तो कर लें.......
सूमी...ध्यान से सब करना...अब रिश्तेदारी का मामला है .......विमल कवि के हज़्बेंड का खांस दोस्त है....अब रूबी ने जब हां कर दी है ...तो पीछे नही हट पाएँगे...
सुनील...पहले बात तो करें उसके साथ फिर देखते हैं....
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कमरे में बैठी ...आँखों में आँसू लिए .....वो अपने ही दिल की बात रेडियो पे सुन रही थी .........
रुला के गया सपना मेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा
वही हैं ग़मे दिल, वही हैं चंदा तारे
वही हम बेसहारे
वही हैं ग़मे दिल, वही हैं चंदा तारे
वही हम बेसहारे
आधी रात वही हैं, और हर बात वही हैं
फिर भी ना आया लुटेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा
कैसी यह जिंदगी, कि सांसो से हम उबे
के दिल डूबा, हम डूबे
कैसी यह जिंदगी, के सांसो से हम उबे
के दिल डूबा, हम डूबे
एक दुखिया बेचारी, इस जीवन से हारी
उस पर यह गम का अंधेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा.
और एक शख्स उसे देख रहा था ...दरवाजे की ओट में खड़ा ......तन्हाई का दर्द वो हमेशा उसकी आँखों में देखता था ......काई बार पूछने की कोशिश करी पर हिम्मत ना जुटा पाया ......
वो चुप चाप खड़ा ये दर्द भरा गीत सुनता रहा ...उसके दिल में एक हुक सी उठी ...उसके कदम आगे बड़े....तभी उस औरत का मोबाइल बजने लगा....
'हेलो' वो औरत बोली......कॉल रिसीव करते हुए
----दूसरी तरफ से कुछ कहा गया.....
'क्याआआअ?'
-----दूसरी तरफ से फिर कुछ कहा गया.......
'नही...मैं नही आ सकती.......चाह के भी नही आ सकती'
......दूसरी तरफ से फिर कुछ कहा गया......
'कोशिश करूँगी.....पर पक्का नही...' और कॉल काट दी...
बहुत सोच में पड़ गयी वो इस कॉल के बाद........
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RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
वो शक्स उसके सामने आ कर बैठ गया ....और गौर से उसके चेहरे को देखने लगा ...जहाँ उसे गहरी चिंता की रेखाएँ दिख रही थी.....
वो औरत......मुझे शायद 3-4 दिन के लिए जाना पड़े ......तुम्हारे खाने पीने का इंतेज़ाम करती जाउन्गि ........अपना ध्यान रखना
वो शक्स कुछ कहना चाहता था ....पर चुप ही रहा और गहरी सोच में डूब गया........और खड़े हो कमरे की दूसरी खिड़की पे जा के बाहर दूर तक फैले समुद्र को देखने लगा ....कितने राज छुपे होते हैं इसके गर्भ में .....जिनका कभी पता नही चलता .....उसकी अपनी जिंदगी भी तो एक राज ही बन के रह गयी थी......कितनी कोशिश करता था वो ...पर खुद अपने राज़ ही नही पहचान पा रहा था.......उपर से शांत बिल्कुल उस समुद्र की तरहा ...पर अंदर कयि तूफान करवट ले रहे थे....जो ना जाने कब किसी सूनामी में तब्दील हो जाएँगे ....और उसे इंतेज़ार था ऐसी ही किसी सूनामी का.......ना जाने कब तक उसे इंतेज़ार करना पड़ेगा....आँखों से दो कतरे आँसू टपक पड़े ...पर अब तो इन आँसुओं की एहमियत भी ख़तम हो चुकी थी....
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ये बात तो तय हो गयी थी की रूबी से मिलना है...पर सुनील ये नही चाहता था कि इस बात का विजय को पता चले और वो कहीं कुछ ग़लत ना समझ बैठे.....अब सबसे पहले जो काम करना था वो ये था कि रूबी और मिनी अपने अगले दिन घूमने का प्रोग्राम कॅन्सल करती...ताकि ये लोग आराम से रूबी से बात कर सकते....
सूमी....सुनील तुम विजय को बता दो कि हम आज रूबी से बात करेंगे ...वो बुरा नही मानेगा ....ट्रस्ट मी
सुनील.....ह्म्म्म, ठीक है ......मैं कॉल कर दूँगा
सोनल....मैं रूबी को कॉल कर दूँगी
सुनील...विजय को कॉल करता है ...
सुनील...अंकल हम आज रूबी से मिलने आ रहे हैं...तो प्लीज़ आप कोई प्रोग्राम इनके साथ मत बनाना
विजय ....यार मैने तो स्नोर्केलिंग कन्फर्म कर रखी है......
सुनील...दोपहर तक तो फ्री हो ही जाओगे...हम शाम को मिल लेंगे
विजय....हां ये ठीक रहेगा .......बेटा एक बात बोलूं.....
सुनील...जी कहिए
विजय ...उसके दिमाग़ में बहुत इनसेक्यूरिटी है ....ज़्यादा मत कुरेदना.....उसे सिर्फ़ तीन लोग ही हॅंडल कर सकते हैं इस वक़्त ....सुमन जी ....मैं या आरती ...और मेरे ख़याल से मैं ही उसे ठीक ढंग से हॅंडल कर पाउन्गा......एक बात और मैने अपने दोस्त करण को पूरी फॅमिली के साथ बुला लिया है...दोपहर के बाद किसी भी वक़्त आ जाएगा ....तब उनसे बात करूँगा ....रूबी की इनसेक्यूरिटी को ले कर ....
सुनील...क्या ये ठीक रहेगा ....
विजय....बेटे वो मेरा दोस्त है...मुझे हॅंडल करने दो.....
सुनील...ठीक है अंकल जैसा आप कहें...डॅड मुझे रूबी की ज़िम्मेदारी सोन्प गये थे तो...
विजय.......तेरी बहन है तू उसकी चिंता नही करेगा तो और कॉन......पगले मैं बस ये कहना चाहता था कि उसे ज़्यादा मत कुरेदना...बहुत ही भावुक लड़की है वो
सुनील....जी समझ गया....
विजय...उस से मिल के तुम वापस चले जाना ....और अपनी छुट्टी का पूरा मज़ा लो...बाकी सब मुझ पे छोड़ दो....
सुनील ...जी
दोनो की कॉल ख़तम हो गयी......सुनील ने मोबाइल स्पीकर पे रखा था ताकि सोनल और सूमी भी सब सुन सकें.....
सूमी.....मैं सोच रही हूँ ...सिमिरन और जयंत को बुला लूँ ......
सोनल....नही ये ठीक नही रहेगा ...आप ये क्यूँ भूलती हो ...जयंत उस कमल का खांस दोस्त था जिसने रूबी पे अटेंप्ट किया था...क्यूँ रूबी को फिर से ......उन दिनो की याद दिलाना चाहती हो
सुनील....सोनल ठीक कह रही है यार ....तुम क्यूँ अपनी दोस्ती को ले कर इतना टेन्स हो रही हो......
सूमी......कमल कीचड़ में ही खिलता है ....हमे नही मालूम अभी ..कि क्यूँ रूबी अचानक शादी के लिए हां कर बैठी ......मैं नही चाहती कि वो अपनी जिंदगी का फ़ैसला इतनी जल्दी बिना सोचे समझे ले ....कुछ तो हुआ है ...जो इस तरहा
सोनल....सीधी सी बात है......अगर ध्यान से सोचो ....तो सब समझ में आ जाएगा
सुनील...तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि उसके और मिनी के बीच कुछ हुआ ..जिसकी वजह से वो फट से शादी के लिए तयार हो गयी.....
सोनल...मुझे तो यही लगता है......बाकी जब चलेंगे तो पता चल ही जाएगा
सूमी.......मैं कल सिमिरन को फोन कर रूबी के फ़ैसले के बारे में बता दूँगी...ताकि वो आस लगा के ना बैठी रहे..
सुनील....चलो रेडी हो जाओ ...चलते हैं ........सोनल तुम रूबी को फोन कर दो ...कि हम आ रहे हैं..कमरे में ही रहे...
सुनील फटाफट रेडी होता है...सूमी भी तयार होने लगती है....
सोनल पहले रूबी को कॉल करती है और फिर तयार होती है..
तीनो रूबी से मिलने निकल पड़ते हैं
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ये वही रात थी जब रूबी ने विजय के सामने भी हां कर दी थी ...वापस कमरे में आने के बाद वो विजय की बातों को सोचने लगी थी ....क्या वाक़्य में बड़े लोगो में इतनी शक्ति ...इतनी सूझ भूज होती है ..जो जिंदगी के कड़वे सच को आसानी से किसी को समझा सकते हैं
आज विजय में उसे अपना सागर अंकल (ये तो बाद में पता चला था कि सागर ही उसका पिता था) नज़र आने लगा...उसे यूँ लग रहा था जैसे सागर ने दूसरा रूप ले लिया है उसकी जिंदगी में वापस आने के लिए..उसे वो प्यार देने जिसे वो कभी दिया करता था...उसकी हर चिंता हर समस्या का समाधान करने जैसे वो पहले किया करता था......दिल ने कयि बार ये सवाल उठाया था कि जो फ़ैसला उसने लिया ...कहीं वो जिस्म की भूख के आगे झुक कर जल्दबाज़ी में तो नही ले लिया था....जितना वो सोचती ...उतना ही उसे अपना फ़ैसला ठीक लगता .....सारी जिंदगी विजय जैसे अंकल का हाथ सर पे होना...कवि जैसी बहन का बिल्कुल पास होना और तो और राजेश जैसा जीजा जो बिल्कुल सुनील की तरहा था .......इतना सब किस लड़की को मिलता है ....उसे तो अपने नसीब खुलते नज़र आने लगे थे......
सोचते सोचते नज़रों के आगे विमल का अक्स उभरने लगा ....
विमल बिल्कुल उसे राजेश की तरहा लग रहा था...वही खिचाव था चेहरे पे जो किसी भी लड़की को मोहित कर लेता...गथीला बदन ...चौड़ी चाहती...आँखों में शरारत ...किस तरह नोतंकी कर रहा था...कवि के सामने .....सोचते सोचते रूबी के होंठों पे मुस्कान आ गयी ...शायद उसका दिल विमल को कबूल कर चुका था...
बस एक डर था ...क्या विमल सच जानने के बाद उसे अपनाएगा या फिर.....क्या वो खुद इतनी हिम्मत कर पाएगी कि विमल को खुल के अपने अतीत के बारे में बता सके..
सिहर के रह जाती जब भी वो इस बारे में सोचती....फिर उसे विजय की बात याद आई ..कि सब कुछ उनपर छोड़ दिया जाए...वो अपने हिसाब से उसके अतीत को विमल के सामने लाएँगे ....क्या ये ठीक रहेगा...
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