Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:33 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
राज ने कवि के गाउन के पट खोल दिए और उसे उसके जिस्म से अलग कर दिया....अब कवि पूरी तरहा नंगी थी बिस्तर पे और मारे शर्म के उसका बुरा हाल हो रहा था...
.हालाँक वो राज से आज काफ़ी खुल चुकी थी पर बिस्तर पे यूँ नग्न होना उसके लिए इतना आसान भी नही था...चाहे दिल चीख चीख के कह रहा था....आज तो मिलन की बेला है फिर ये शरमाना क्यूँ ....
लेकिन वो लड़की क्या जो लाज का गहना उतार दे कितनी भी वो अपने पति के साथ खुल जाए .....
पर शर्म अपनी जगह थोड़ी तो कायम रहती ही है.....
कवि के जिस्म से गाउन अलग करने के बाद राज ने अपना अंडरवेर भी उतार डाला ....
और कवि के साथ लेट गया....कवि के दिल की धड़कन और भी तेज हो गयी जब उसे
राज के नगन जिस्म का अहसास अपने जिस्म के साथ चिपकता हुआ मिला ......
कवि की शर्म-ओ-हया की दीवार को तोड़ने के लिए राज ने उसकी बाँह को सहलाते हुए 
उसके हाथ को अपनी तरफ खींचा और उसकी हथेली को अपने लंड पे रख दिया ....

कांप के रह गयी कवि ...जब उसकी उंगलियों ने राज के मोटे लंबे लंड को छुआ..
.उसने अपना हाथ हटाने की कोशिश करी पर राज ने उसे हटाने नही दिया.....
गरम गरम लोहे की रोड की तरहा.राज का लंड छू कर कवि की सांस उपार नीचे होनी लगी..गला सूखने लगा .....

'अह्ह्ह्ह ...माआआआ' कवि ज़ोर से सिसक पड़ी 

कवि के नर्म हाथों का अहसास पा राज भी सिसक उठा....
आज तक वो लड़कियों से दूर रहा था....आज पहली बार किसी लड़के हाथों का स्पर्श अपने लंड पे पा वो अंजाने अहसास को भोग रहा था...
उसे तो यूँ लगने लगा था की उसका लंड अभी फट जाएगा........
कवि को भी अपने हाथ में उसका लंड और भी फूलता हुआ लगा और अंजाने में ही उसने सख्ती से उसके लंड को भींच लिया......

'ओह्ह्ह्ह' राज फिर सिसका और कवि पे झुक उसके होंठों को चूसने लग गया....
कवि अपने होंठ चुस्वाती हुई ...उसके लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी .....
इंसान को चाहे सेक्स के बारे में ना पता हो कहीं ना पड़ा हो ...किसी ने ना बताया हो ...
ये ज़ज्बात कुदरती होती हैं...जो इंसान को अपने आप हरकत करने पे मजबूर कर देते हैं.....
और कवि तो वैसे भी एमबीबीएस कर रही थी...उसे सब मालूम ही था...पर पहली बार किसी लंड को छूना....
और खुद बा खुद उसे सहलाने लग ना ..ये अहसास भी कवि के लिए अंजाना था...

कवि के होंठों को चूस्ते हुए राज उसके निपल से खेलने लगा ...
और कभी एक निपल को मसलता तो कभी दूसरे को....

कवि के अंदर कामग्नी बढ़ती जा रही थी....होंठों से और निपल से जो तरंगे उठ उठ के उसकी चूत की तरफ बढ़ती...
वो उसे बहाल करती जा रही थी....कवि ने अपनी जाँघो को कस के भींच लिया और आपस में रगड़ने लगी....

एह हाथ से वो राज की पीठ सहला रही थी और दूसरे से राज के लंड को सहला रही थी........
राज भी भी उसके निपल को ज़ोर से भींचता अपनी उंगलियों में ...चीख पड़ती वो पर उसकी चीख होंठों में दबी रह जाती....
.और नतिजन वो राज के लंड को ज़ोर से भींच डालती ...सिसक पड़ता राज और उसकी पकड़ निपल पे अपने आप ढीली पड़ जाती...

काफ़ी देर तक कवि के होंठों को चूसने और निपल से खेलने के बाद राज अलग हुआ और उसकी टाँगों के बीच आ कर बैठ गया.....
कवि की टाँगें अपने आप फैलती चली गयी ....वो पल अब नज़दीक था जब राज उसके अंदर सामने वाला था.....

इससे पहले राज कोई हरकत करता अपना लंड उसकी चूत में घुसाने की...
वो सम्भल गया क्यूंकी ऐसे कवि को बहुत दर्द होता....
अपने आप को रोक कर वो कवि की टाँगों को और फैला उसकी चूत पे झुक गया और उसे चाटने लगा......

अहह उफफफफफफफ्फ़ राज की गरम ज़ुबान का अहसास अपनी चूत पे पा कवि ज़ोर से सिसकी ...........

क्या कर रहे हो राज.....ओह माआअ अहह कवि फिर सिसकी ..
जब राज ने उसकी चूत को उंगलियों से फैलाते हुए अपनी जीब उसकी चूत में डाल दी......ज़ोर का झटका लगा था .....
कवि को....उसकी चूत ने ज़ोर से कुलबुलाना शुरू कर दिया था......ये लज़्ज़त ये अहसास ...
उसे दूर कहीं लेता जा रहा था...जहाँ उसका ज़ोर अपने जिस्म पर से ख़तम होता चला जा रहा था.....
.रह गयी थी तो बस एक कामना ...दो जिस्मो के मिलन की ताकि उनकी रूह का एक दूसरे से एककार हो जाए....
.कवि उस मंज़िल की तरफ अब तेज़ी से बढ़ना चाहती थी...
पर राज की तरफ से होता ये खिलवाड़ उसे अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी ...
अपने मुँह से कह नही पा रही थी ...कि आओ अब देर मत करो ...
समा जाओ मुझ में और भुजा दो वो प्यास जो तुमने जगा दी है......

उसकी चूत को अपनी ज़ुबान से लपलपाते हुए जब राज ने अपनी एक उंगल उसकी चूत में डाल दी तो तड़प गयी कवि...
दर्द की तेज लहर उसकी चूत से उठी........उूुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईई 

पर ये दर्द धीरे धीरे ख़तम होने लगा और लज़्ज़त का अहसास फिर से भड़कने लगा ....

राज ने अप्नी उंगली की हरकत तेज कर दी और उसकी चूत को चाटते हुए अपनी उंगल अंदर बाहर करने लगा .....

उफफफफफफफ्फ़ हहाऐईयईईई अहह

कवि ज़ोर से सिसकी और अपना सर बिस्तर पे पटाकने लगी .........दोनो हाथों से उसने बिस्तर को जाकड़ लिया 
......और कमरे में उसकी सिसकियों का संगीत गूंजने लगा....

राज चाहता था के कवि भी उसका लंड चूज़ ...पर अभी शायद ये बहुत जल्द हो जाता
...अभी उसे कवि को अपने इतने करीब करना था ....
की उसके दिल-ओ-दिमाग़ से शर्म की सभी दीवारें ढह जाएँ...
और वो खुल के उसके साथ सेक्स का आनंद ले........

राज ने उसकी चूत के एक एक लब को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया ..
कभी एक लब को अपने होंठों में दबा लेता तो कभी दूसरे को.....

कवि खुद को रोक ना पाई ....और उसकी कमर में थिरकन आ गयी...
वो अपनी चूत उठा उठा के राज के मुँह पे मारने लगी ...
जिसमे धीरे धीरे तेज़ी आने लगी...राज की उंगली भी तेज़ी से अंदर बाहर हो रही थी.....
.और कवि की चूत लगातार रस बहती जा रही थी ...जिसे राज पीता जा रहा था.........
जब कवि की कमर और भी तेज़ी से हिलने लगी.....
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01-12-2019, 02:34 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
राज एक दम उस से अलग हो गया..क्यूंकी वो कुछ ही पलों में झड जाती और फिर से उसे गरम करने में वक़्त लगता...
जो अब राज महसूस कर रहा था कि उसके पास नही है...
वो अपने लंड में होते हुए तनाव को अब से नही पा रहा था......

राज जब कवि से अलग हुआ तो कवि को तेज झटका लगा...वो जल बिन मछली की तरहा तड़प के रह गयी...
उसकी आँखों में याचना थी..प्लीज़ कुछ देर और ...में झड़ने वाली हूँ......

राज फटाफट बिस्तर से उठा और ड्रेसिंग टेबल पे जा एक क्रीम की डब्बी उठा लाया और उसे कवि की चूत पे लगाने लगा .....
कवि की आँखें बंद हो गयी ...एक डर उसके दिल में समा गया...
इतना लंबा मोटा लंड कैसे जाएगा उसकी चूत में...उफ़फ्फ़ कितना दर्द होगा ....
एक तरफ उसका जिस्म चाहता था कि बस अब और देर नही........और दूसरी तरफ उसका दिमाग़ उसे डरा रहा था...
पसीना पसीना हो गयी वो...हलक सूखने लगा........

राज ने जब अपने लंड पे क्रीम लगा उसकी चूत से रगड़ा .....अहह डरते हुए भी सिसक पड़ी वो...
बिस्तर को कस के मुठियों में भींच लिया.......

राज ने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को खोला और अपने लंड को सेट कर उसकी कमर को कस्के पकड़ा और उसपे झुक गया ......

'कवि....पहले थोड़ा दर्द होगा....से लोगि ना....'

कवि चुप रही बस सर हिल्ला के हां कर दी....दिल तेज़ी से धड़कने लगा ....साँसों की रफ़्तार और भी तेज हो गयी.....

राज ने ज़ोर का एक धक्का लगाया और कवि की कमसिन चूत को खोलता हुआ उसके लंड का सुपाडा अंदर घुस्स गया....


आआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ना चाहते हुए भी ज़ोर से चीखी 
कवि और उसका बदन ऐसा तडपा जैसे किसी ने चाकू उसकी चूत में घुसा दिया हो.....

राज....बस मेरी जान...बस थोड़ी देर और...से लो....(और कवि के होंठ चूसने लग गया)

कवि के दर्द के अहसास को कम करने के लिए ....राज उसके निपल चूसने लग गया.....
थोड़ी देर में ही कवि की सिसकियाँ निकलने लगी और 
राज ने फिर एक्टेज झटका मार कर अपना आधा लंड उसकी चूत में घुसा डाला ....
....कवि की सील टूट गयी और राज को अपने लंड पे गरम गरम बोछार का अहसास हुआ.......

म्म्म्मईमममम्मूऊऊुुुुुुउउम्म्म्ममममममय्ययययययययययययययययययी 
कवि ज़ोर से चीखी और रोने लगी.........

'बस जानू बस....तुम तो डॉक्टर बनने वाली हो...पहली बार कुछ तो दर्द होता ही है...'

'बस ...प्लीज़...बहुत दर्द हो रहा है..........'

'अब नही होगा...होगया जो होना था......' 
राज उसके आँसू चाहते हुए उसके होंठों को पीने लगा और उसके निपल मसल्ने लगा........

धीरे धीरे कवि नॉर्मल होने लगी ...दर्द का अहसास अब भी था पर उतना नही ........

राज काफ़ी देर तक उसके होंठ चूस्ता रहा और निपल मसलता रहा...
कवि के जिस्म में फिर से उत्तेजना का संचार होने लगा और उसकी कमर ने हिल कर अपने आप राज को संकेत दे डाला.......

राज ने उसके होंठों को चूसना जारी रखा और धीरे धीरे अपना लंड जितना घुसा था उसे अंदर बाहर करने लगा....

आह सी उफ़ ...आह उफ़फ्फ़ उम्म्म ओह्ह्ह्ह कवि धीरे धीरे सिसक रही थी ...
और उसकी सिसकियों से पता चल रहा था कि अब भी उसे दर्द हो रहा है
पर इस दर्द में एक लज़्ज़त के अहसास का भी पुट था.....

राज ने उसके निपल को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और उसके दूसरे मम्मे को ज़ोर से मसल्ने लगा....

चूत में लंड की हरकत और निपल पे राज के गरम होंठों का अहसास कवि को तेज़ी से चर्म की तरफ ले जाने लगा ....

कवि की कमर की थिरकन भी बढ़ती चली गयी...

राज धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ाने लगा ........कवि के हाथ राज की पीठ पे घूमने लगे ..उसे सहलाने काग़े........

अहह उफफफ्फ़ उम्म्म्मम कवि की सिसकियाँ ज़ोर पकड़ने लगी...उसके जिस्म में उठती हुई तरंगे ...
उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित करने लगी.

राज के धक्कों की स्पीड और बढ़ी....और कवि भी बहकते हुए उसका साथ देने लगी ...
जिस्मो के टकराव की ध्वनि कमरे में फैलने लगी.....

तभी राज ने ज़ोर का धक्का लगा अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुस्सा डाला...
कवि को जो मज़ा मिल रहा था वो गायब हो गया और उसकी जगह दर्द की तेज लहर उसके जिस्म में फैलती चली गयी....

आआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उसकी चीख इतने ज़ोर के निकली ...
कि शायद समुद्र की लहरें भी डर के शांत हो गयी..

कवि के नाख़ून राज की पीठ में धंसते चले गये..
उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे.......

'ऊओह माआअ माअर डाला आपने...'

'बस हो गया मेरी जान...हो गया...'

'झूठे पहले भी ये कहा था...हाई कितना दर्द देते हो...'

'ये जिंदगा का आखरी दर्द है मेरी जान ..इसके बाद बस मज़े ही मज़े हैं'

'है मेरी तो जान निकाल दी आपने...सच बहुत दर्द हो रहा है'

'इस दर्द का भी अपना मज़ा होता है'

'झूठे कहीं के ...मेरी जान पे बन गयी ...ये मज़े की बात करते हैं' अपनी मुस्कुराहट
को छुपाने के लिए कवि ने चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया....

राज ने फिर अपने जिस्म को हरकत देनी शुरू कर दी....कवि भी भी धीरे धीरे सिसकती हुई उसका साथ देने लगी ....

और कुछ ही पलों में दोनो खो चुके थे अपने जिस्मो में उठती हुई आनंद की लहरों को भोगने में...

कवि की चूत लगातार रस बहा कर राज के लंड को भिगोने लगी और राज का लंड उसकी सन्करि चूत में आराम से फिसलने लगा

अफ उम्म्म उफफफ्फ़ आहह अहह सी सी उफ़फ्फ़

कवि की सिसकियाँ अब ज़ोर से निकलने लगी......

उसकी चूत से अब फॅक फॅक की आवाज़ें आने लगी जो महॉल को और भी कामुक बना रही थी...

राज अपनी स्पीड पकड़ने लगा और कवि उसका साथ देती चली गयी.....

जब लज़्ज़त का अहसास बढ़ जाता है तब दर्द का अहसास गायब हो जाता है....
यही हुआ कवि के साथ....मज़े की दुनियाँ में खोती हुई वो खुल के राज के साथ ताल से ताल मिलाती चली गयी 

राज का चर्म तो अभी दूर था..लेकिन कवि अपनी चुदाई के पहले चर्म की तरफ तेज़ी से बढ़ रही थी...उसने अपनी गान्ड ज़ोर ज़ोर से उछालनी शुरू कर दी और उसकी हालत को समझते हुए राज ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी..

अहह र्र्र्र्ररराआआआआआअजजजज्ज्जीईईईसस्स्स्स्स्स्स्स्शह

राज का पूरा नाम चिल्लाते हुए वो अपनी चूत के सारे बाँध खोल बैठी...
जिस्म कमान की तरहा उठता चला गया ..जो राज को भी साथ उठता चला गया....
उसके उपर वजन ज़्यादा ना पड़े ..इसलिए राज ने अपना वजन अपने हाथों पे ले लिया और अपनी हरकत रोक...
कवि को उसके ऑर्गॅज़म का सुख भोगने दिया.......

कवि के जिस्म का कंपन बंद हुआ और वो धम्म से बिस्तर पे गिर पड़ी........
राज ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर नही निकलने दिया...

कवि जब शांत हुई तो राज ने फिर उसकी चुदाई शुरू कर दी...
थोड़ी देर में कवि फिर गरम हो गयी और राज का साथ देने लगी..

अब राज से रुकना मुमकिन नही था..वो मशीन की तरहा कवि को चोदने लगा

आह आह आह आह उफ़फ्फ़ उफ़फ्फ़ ओह उम्म्म्म

कवि की सिसकियाँ फिर से कमरे में गूंजने लगी

जिस्मो के टकराने की स्पीड भी बढ़ती चली गयी और 10 मिनट की भयंकर चुदाई 
के बाद दोनो साथ साथ झडे और हान्फते हुए एक दूसरे से चिपक गये.....
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01-12-2019, 02:34 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
जब सांस उखड़ने लगी तो सोनल और सुनील अलग हुए और अपने आप को संभालने लगे .....सुनील ने कमरे में पड़ी वाइन की बॉटल उठाई और एक ही पेग तयार किया ---जिसे पहले उसने सूमी को पीने को कहा फिर सोनल को और फिर एक घूँट खुद भरा 

सोनल.....जानू आज की रात दीदी के नाम ही रखो ना ......आपके बीज पर दीदी का अधिकार है अब ...जब तक वो गर्भवती नही हो जाती....

सुनील...मेरे प्यार पर मेरी दोनो बीवियों का बराबर अधिकार है ....आज के बाद ऐसी बातें मत करना ......इतना कह उसने सुमन को भी अपनी तरफ खींचा अब उसकी एक जाँघ पे सोनल थी और एक जाँघ पे सुमन......दोनो के जिस्म को सहलाते हुए वो दोनो के कपड़े उतारने लगा ......इस बीच वो कभी सोनल को चूमता तो कभी सुमन को.......

सुमन का मन आज बहुत पुलकित था...उसकी इच्छा जो पूरी होनेवाली थी ......एक बार फिर से माँ बनने की...और इस बार बच्चे का पिता उसका अपना बेटा होगा .....जो उसकी कोख से निकला था आज उसकी कोख को फिर से आबाद करनेवाला था....ये ख़याल ही उसे बहुत रोमांचित कर रहा था..... 

सूमी.....सुनील...तुम नही जानते आज मैं कितनी खुश हूँ....मैं फिर से माँ बनूँगी...मेरा नन्हा मुन्ना मेरी गोद में खेलेगा....जिसे मैं अपना दूध पिला के बड़ा करूँगी....और वक़्त का खेल भी देखो...उसका पिता ....वही होगा ...जिसे मैने जनम दिया था....मैं कब से तरस रही हूँ उस पल के लिए ....जब मेरी कोख में तुम्हारा अंश आएगा......आओ सुनील समा जाओ मुझ में....

सुनील.....हां ....जिंदगी के कुछ सच कितने कड़वे और कितने हँसीन होते हैं.....किसने सोचा था ..कि बड़ा हो कर मैं अपनी ही माँ और बहन का पति बनूंगा...मेरी ही माँ मेरे बच्चे को जनम देने के लिए उतावली होगी .....

सूमी ...तुम्हारी माँ नही...तुम्हारी बीवी तुम्हारे बच्चे को जनम देना चाहती है..और ये उसका हक़ भी है ......आज बातें कम और प्यार ज़्यादा मेरी जान ...आज सारी रात हम दोनो को प्यार करो ...खूब प्यार करो..इतना की हमारी नस नस में वो प्यार लहू बन के दौड़ता रहे...

सुनील ने...सूमी के होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उसके मम्मे को सहलाना शुरू कर दिया...दूसरे हाथ से वो सोनल के मम्मे को सहलाने लगा....

सोनल....अहह सुनील...पहले दीदी को खूब प्यार करो ...फिर मेरी बारी आएगी .....आज मैं वो खुश नसीब बनना चाहती हूँ....जो ये मंज़र देखेगी...मेरे आने वाले भाई..मेरे आने वाले बच्चे की बुनियाद कैसे रखी गयी ......( इतना कह वो सुनील की गोद से उठ गयी और सुनील के हाथ को सूमी के दूसरे मम्मे पे रख दिया ......और बिस्तर पे लेट दोनो को बड़े प्यार से देखने लगी.....)

सुनील ने सुमन को बिस्तर पे लिटा दिया और उसके होंठों को चूस्ते हुए उसके मम्मो को मसल्ने लगा .......

सोनल......हां सुनील ...चूस्लो आज सुमन को अच्छी तरहा ....और डाल दो उसकी चूत में अपना वीर्य ...देखो कैसे कुलबुला रही है तुम्हारा लंड लेने के लिए....दबाओ इसके माममे...मसल डालो इन्हें...कुछ दिनो बाद इनमें फिर से दूध आएगा...हाई कितना हँसीन पल होगा वो जब एक तरफ हमारा बच्चा दीदी का दूध पीएगा और दूसरी तरफ हम भी पीएँगे.....एक बार फिर से माँ हमे दूध पिलाएगी......हाई कितनी बेसब्री से उस दिन का इंतेज़ार कर रही हम....

सोनल के बोल...सुम्मी और सुनील को उकसा रहे थे...दोनो के चुंबन की शिद्दत बढ़ गयी .....ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे के होंठ चूसने लगे और सुनील के हाथों का दबाव सूमी के उरोजो पे बढ़ता चला गया...यहाँ तक के सूमी के उरोजो पे सुनील की उंगलियों के निशान बनने लगे ....

अहह सूमी चीखने लगी पर उसकी चीख उसके गले में ही दब के रह जाती......सूमी ने सुनील को कस के अपने साथ भींच लिया....
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01-12-2019, 02:34 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सूमी के होंठों की मदिरा को अच्छी तरहा पीने के बाद सुनील ........उसके निपल को चूसने लगा.....होंठों के आज़ाद होते ही .....सूमी की सिसकियाँ फूटने लगी ....

अहह उफफफफफफ्फ़ उम्म्म्मम हाइईईईईईईई ऊऊहह म्म्म्मा आअ

'आज निकाल दो दूध मेरे मम्मो से ....निकाल दो...पी लो ....उफफफ्फ़ '



दोनो को एक दूसरे में डूबे हुए देख सोनल का दिल मचलने लगा ...पर उसने खुद पे काबू रखा ...उसकी नज़रों में पल पल प्यास बढ़ती जा रही थी....लेकिन आज वो दिल से चाहती थी ...कि दोनो के बीच ना आए..उन्हें खुल के एक दूसरे से प्यार करने दे और आज ही वो खुश नसीब दिन हो ..जब सूमी के उदर में आनेवाले बच्चे की नीव रखी जाए ....मन ही मन वो दुआएँ माँगने लगी..

सुनील ...सूमी के दोनो उरोजो की निचोड़ रहा था मसल रहा था चूस रहा था और कभी कभी दाँत भी गढ़ा देता था.....लगातार सूमी के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी....उसकी चूत भी बहुत गीली हो चुकी थी...उसकी चूत में हज़ारों चिंतियाँ एक साथ रेंगने लगी थी ...तड़प्ते हुए वो अपनी एडियाँ रगड़ रही थी ......नही रहा गया उस से और बोल पड़ी....

'सुनील...बस अब समा जाओ मुझ में...अब नही रहा जाता....मेरी कोख इंतेज़ार कर रही है तुम्हारे बीज की ...मेरी चूत तड़प रही है तुम्हारे लंड के लिए....अब छोड़ डालो मुझे...बना दो अपने बच्चे की माँ .......आओ ना ...प्लीज़......'

सुनील ने उसके मम्मे छोड़े और उसकी नज़रों में देखने लगा .....उन आँखों में बस प्यार ही प्यार था...पर उस प्यार का रूप बदल चुका था ...पहले उन आँखों में एक बेटे के लिए प्यार होता था ...जिसकी चमक अलग थी...आज उन आँखों में एक पति के लिए प्यार था ...जो बहुत ही आलोकिक था ....आज वो प्यार अपनी गुहार लगा रहा था ...वो प्यार आज एक बार फिर मातृत्व को महसूस करना चाहता था...वो प्यार आज अपने पति को अपने अंदर समेटना चाहता था...वो प्यार आज दो रूहों को उनके असली मिलन की तरफ ले जाना चाहता था.....जब दो रूहें मिल के...दो बदन के ज़रिए ...एक तीसरी रूह को दुनिया का रास्ता दिखती हैं......वो होती है असल प्रेम...असल मिलन की पहचान..जिसके बाद ...वक़्त की कोई भी मार दोनो को जुदा नही कर सकती...उनका प्रेम ता जीवन साँसे लेता है..हंसता है..पनपता है .......ये बदन रहे ना रहे वो प्यार हमेशा रहता है.......और आगे आने वाली नस्लों में उस प्यार की लो हमेशा जगमगाता रहता है.......

सुनील....सुमन की टाँगों के बीच आ गया .....सुमन ने उसके स्वागत के लिए अपनी टाँगें फैला दी.......और अपने बाँहें फैला उसे अपने अंदर सामने की इल्तीज़ा करने लगी......

सुनील ने अपने लंड को उसकी चूत के लबों पे घिसना शुरू कर दिया .....अहह सिसक पड़ी सूमी 

तभी सोनल को याद आया कि जो हरकत उसने आज करी है...इस तरहा तो सूमी को बहुत दर्द होगा .....उसने फट से ड्रेसिंग टेबल से क्रीम उठाई और सुनील के पास जा उसके लंड पे लगने लगी ........और साथ ही कुछ क्रीम उसने सूमी की चूत में घुसा दी........सुनील हैरानी से उसकी इस हरकत के बारे में सोच रहा था कि आज इस सब की क्या ज़रूरत पड़ गयी ....और जैसे ही उसने सूमी की चूत में लंड घुसाने की कोशिश करी उसे सारा माजरा समझ में आ गया.....सूमी की चूत में आज तयार होते हुए ....सोनल ने अस्ट्रिंजेंट लगा दिया था जिसकी वजह से उसकी चूत बिल्कुल एक कुँवारी की तरहा टाइट हो चुकी थी....सुनील का लंड अंदर नही घुस पाया और फिसल के रह गया........

अब सुनील को ज़ोर लगाना ही था....और सूमी की हालत आज बिगड़नी ही थी.......

सुनील ने सूमी की कमर को पकड़ ज़ोर का धक्का लगाया और उसका लंड सूमी की चूत की दीवारों को फैलता हुआ थोड़ा अंदर घुस गया.....

'अहह' सुनील खुद सिसक पड़ा जब सूमी की चूत ने कस के उसके लंड को जाकड़ लिया और सूमी की तो चीख निकल गयी 

आाआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइइम्म्म्ममममममममाआआआआआआआआआआ

सुनील सूमी पे झुक गया और उसके होंठों चूसने लग गया.......सूमी तड़प रही थी दर्द से और उसकी आँखों से आँसू बह निकले थे .......

कुछ देर बाद जब सूमी संभली ......तो सुनील पूछ ही बैठा...'अब क्या ज़रूरत थी ...ये सब करने की'

'तुम नही समझोगे...इस दर्द में औरत को बहुत मज़ा मिलता है......और एक बात का हमेशा अफ़सोस रहता है...मेरी सील तुम नही तोड़ पाए ...तुम्हें तो मैं अच्छी तरहा चुदि हुई मिली ....एक नही दो लोगो से ....इसलिए अपनी चूत टाइट करती रहती हूँ...ताकि कम से कम तुम्हें एक टाइट चूत को चोदने का मज़ा दे सकूँ...'

'बेवकूफ़ हो तुम...प्यार में ये सब नही देखा जाता ...'

'प्यार में ही तो देखा जाता है...अब बातें नही ....डालो मेरे अंदर अपना लंड......चोदो मुझे आज खूब अच्छी तरहा...'

सुनील ने बार बार दर्द देने की जगह ......एक ही जोरदार झटका मारा और अपना पूरा लंड अंदर घुस्सा डाला......

'उूुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई'

सूमी ज़ोर से चिल्लाई ...पर दर्द के साथ उसके चेहरे पे खुशी का अभी अहसास था.....

सुनील....उसके आँसू चाटने लगा .....'क्यूँ मुझे दोषी बनाती हो.....क्यूँ मेरे लिए इतना दर्द सहती हो'

सूमी.....तुम से बहुत प्यार करती हूँ...अपनी जान से भी ज़्यादा ....मुझे एक सकून मिलता है..जब तुम मुझे ये दर्द देते हो.....मेरी रूह आनंदित हो जाती है......मेरा प्यार और भी मजबूत हो जाता है.......तुम्हारा लंड जब दर्द देता हुआ मेरी चूत में घुसता है ....तो मुझे मेरी जवानी दुबारा से जागती हुई महसूस होती है.......लव मे डार्लिंग...जस्ट लव मी.....भर दो आज मुझे अपने प्यार के रस से ...मसल डालो आज मुझे....चटका दो आज मेरी हर एक नस......भोगो मुझे...प्यार करो मुझे

सूमी के होंठों को चूमते हुए सुनील ने धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.....

'अहह' मेरी जान....चोदो मुझे ....इसी तरहा ...मेरी चूत को महसूस करने दो ....तुम्हारे लंड की ताक़त को...रगड़ दो मेरी चूत की दीवारें.....उफफफफफ्फ़ ...उम्म्म्मम 



सुनील धीरे धीरे सूमी को चोद रहा था.....पास लेटी सोनल दोनो का ये प्यार देख रही थी...उसके चेहरे पे बहुत खुशी थी ....

यस यस यस ....उफफफफ्फ़ उम्म्म्म फक मी....फक मी डियर....टेक मी.......उम्म्म तुम्हारा लंड है कितना मोटा लंबा है....मेरी चूत में कहाँ तक घुस्स रहा है....चोदो मुझे जान चोदो मुझे......लो मज़ा अपनी बीवी को चोदने का.....'

सूमी सिसकती हुई बड़बड़ा रही थी...और धीरे धीरे सुनील की स्पीड भी बढ़ती जा रही थी.......सूमी ने अपनी टाँगें उठा ली...ताकि उसकी गान्ड थोड़ी उपर हो जाए और और सुनील का लंड और भी अंदर तक घुस्से 



सुनील जब लंड बाहर निकालता तो सूमी अपनी एडियों से ज़ोर डाल उसे फिर अपनी चूत में धकेल्ति........सुनील के धक्के अब तेज होने लग गये और सूमी उसका पूरा साथ दे रही थी......जितनी तेज़ी से सुनील अपना लंड अंदर बाहर करता उतनी ही तेज़ी से सूमी अपनी गान्ड उछालती....

'और तेज...और तेज मेरा होनेवाला है ....अहह मेरे साथ ही झड़ना....भर देना मुझे अपने रस से...फास्टर ...फास्टर ...यस'

सूमी ज़ोर ज़ोर से सिकियाँ लेती हुई सुनील का जोश बढ़ाती जा रही थी.....

फॅक फॅक फॅक ...ठप ठप ठप...पूरे कमरे में इनके मिलन का संगीत गूँज रहा था ...जो सोनल को भी गरम करता जा रहा था.

अहह आहह गगगगगगगगाआआयययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

चर्म का ये अहसास इतना भयंकर था कि सूमी के नाख़ून सुनील की पीठ पे धंसते चले गये और उसे अच्छी तरहा खरॉच डाला....इतना कि उसकी पीठ से खून तक निकलने लगा .....पर इस दर्द का मज़ा कुछ और था....



आआआहह सुनील चीखा और तेज़ी से अपने लंड को सूमी की चूत में घुसा अपनी पिचकारियाँ उसकी चूत में छोड़ने लगा.....

हन्फ्ते हुए दोनो पसीने से लथपथ एक दूसरे से चिपक गये .....
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01-12-2019, 02:34 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सूमी ने सुनील को तब तक खुद से अलग नही होने दिया ...जब तक सुनील का लंड मुरझा के खुद उसकी चूत से बाहर ना निकल गया...सुनील तेज साँसे लेता हुआ सूमी की बगल में लेट गया और सूमी ने अपनी जांघे भींच ली ...ताकि सुनील का वीर्य उसकी चूत के अंदर ही रहे...

सोनल ने सूमी की गान्ड के नीचे तकिया रख दिया...

सूमी के चेहरे की मुस्कान आज देखने वाली थी.......

उसका दिल कर रहा था के सुनील से लिपट जाए...पर हिल्ली नही काफ़ी देर तक....वैसे भी उसकी हालत बूरी थी
..क्यूंकी कमर में तेज दर्द उठ रहा था...

सोनल ने सूमी को दर्द की दवाई दी और सुनील के पास जा उसके साथ चिपक गयी.

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राज जब कवि के जिस्म से अलग हुआ तो कवि की आह निकल गयी...आनंद की लहरों का असर धीरे धीरे कम हो रहा था और दर्द का अहसास बढ़ता जा रहा था....कवि ने उठने की कोशिश करी बाथरूम जाने के लिए तो उसकी चीख निकल गयी...उससे उठा ना गया क्यूंकी कमर में तेज दर्द की लहर दौड़ गयी...राज ने जब उसकी ये हालत देखी और बिस्तर की हालत देखी जो खून से सन चुका था..तो वो भी कुछ घबरा सा गया था.....उसने कवि को गोद में उठाया और बाथरूम ले गया...

बाथ टब गरम पानी का भर उसने कवि को धीरे से बाथ टब में लिटा दिया और भाग के बाहर 
आ कर दो पेन किलर्स ली और बाथरूम में ही जा के कवि को खिला दी...

कवि...प्लीज़ अब तो बाहर जाओ...

राज..क्यूँ ..अपनी बीवी के पास ही तो हूँ..

कवि..उफ्फ ये मर्द लोग..जाओ ना मुझे शरम आ रही है....

राज...अब कैसी शरम..सब कुछ तो देख लिया...

कवि ...जाओ ना प्लीज़ ...(वो रुवान्सी सी हो गयी..)

राज...अच्छा बाबा जाता हूँ...राज ने फटाफट शवर से अपना लंड धो के सॉफ किया और बाहर निकल आया..

उसके जाने के बाद कवि मुस्कुराने लगी ...

राज ने बाहर आ बिस्तर की चद्दर बदली अपनी शॉर्ट पहनी और अपने लिए 
वाइन डाल कर बाहर जा ठंडी हवा का मज़ा लेने लगा

कवि करीब एक घंटा बाथ टब में गरम पानी से अपने बदन की सिकाई करती रही...फिर जब हालत बेहतर हो गयी 
तो बाथ टवल लपेट बाहर आई तो देखा रात करीब करीब गुजर चुकी थी...पो फटनेवाली थी....

वो दरवाजे पे अंगड़ाई लेती हुई राज को देखने लगी जो मस्ती में वाइन पीता हुआ बाहर टहल रहा था......

उसका ध्यान अपनी तरफ करने के लिए उसने अपने पैर हिलाए और पायल की रुनझुन गूँज गयी सन्नाटे में 
और अपनी आँखें बंद कर राज के करीब आने का इंतेज़ार करने लगी

राज ने उसकी तरफ देखा तो देखता ही रह गया.....

कवि के चेहरे पे गिरती पानी की बूँदें उसके हुस्न को और भी निखार रही थी...

हुस्न की इस तापिश में राज जलने लगा ...उसके कदम कवि की तरफ बढ़ चले.....

कवि को अपनी बाँहों में समेट उसने कवि के होंठों से अपने होंठ चिपका दिए

दोनो एक दूसरे में खो गये.......कुछ देर बाद राज कवि को उठा वहीं पूल के किनारे पड़े बेड पे ले गया

धीरे से उसने कवि को बेड पे लिटा दिया...और उसका टवल बदन से अलग कर दिया

कवि ने अपनी बाँहें फैला दी...'लव मी'

कवि की चूत पहले ही बहुत गीली हो चुकी थी....

राज उसमे समाता चला गया....खुले गनन के नीचे ...ठंडी हवा की कोख में.

दोनो के बदन एक दूसरे में खो गये..

राज ने जब अपना लंड उसकी चूत में घुसाया तो कवि को दर्द तो हुआ पर इस बार वो सह गयी



दोनो एक दूसरे में खो गये...

कवि के होंठों को चूस्ते हुए राज अपना लंड अंदर बाहर करने लगा

कवि ने अभी अपनी टाँगें उसकी कमर पे लपेट ली

दोनो को कोई जल्दी नही थी और धीरे धीरे इस चुदाई का मज़ा ले रहे थे....

काफ़ी देर बाद दोनो एक साथ झडे और एक दूसरे से चिपके रहे......

जब साँसे संभली..तब दोनो अलग हुए और अंदर जा कर सो गये.

करीब 11 बजे दोनो की नींद खुली तो पहले कवि बाथरूम में घुसी फ्रेश होने और नहाने

जब कवि बाहर आई तब राज बाथरूम में घुस गया.....

कवि फटाफट तयार हुई और अपने और राज के लिए कॉफी बना ली...

राज टवल में ही बाहर आया और दोनो कॉफी का मज़ा लेने लगे...

कवि के चेहरे पे वही नूर था जो एक दुल्हन के चेहरे पे सुहागरात के बाद होता है....

असल में तो कल रात ही उसकी असली सुहागरात थी.

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01-12-2019, 02:34 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
कुछ देर बाद सोनल उठी..बाथरूम जा कर एक तोलिया गरम पानी में भिगो कर लाई और सूमी की चूत सॉफ की ..उसे कुछ देर सिकाई दी और फिर उसी तोलिये से सुनील का लंड सॉफ किया .....सूमी फिर सो गयी और सोनल सुनील के पास लेट गयी...सुनील और सोनल ने एक दूसरे की तरफ मुँह कर लिया .....सोनल सुनील के साथ चिपक गयी.....और उसकी छाती पे चेहरा रगड़ने लगी

सुनील ने भी उसे अपनी बाँहों में समेट लिया....

सोनल.....हाई मुझे दो साल इंतेज़ार करना पड़ेगा...पहले मैं सोचती थी ...3 साल हम खूब मस्ती करेंगे....पर अब मेरा भी दिल करने लगा है...

सुनील...ये कॉन सा दौरा चढ़ गया तुझे ...भूल जा अभी 2 साल बात भी मत करना इस बारे में...

सोनल...क्या किस्मत है हमारी ...एक दूसरे के इतने पास होते हुए भी जाने कितने बंधन हमे रोक के रखते हैं..

सुनील...बस दो साल की तो बात है यार यूँ ही गुजर जाएँगे ...पता भी नही चलेगा...और हम और हमारी क्रिकेट टीम...

सोनल....कयय्य्ाआ पागल हो गये हो.....मुझे क्या बच्चा पैदा करने की मशीन बनाना है ...

सुनील...क्यूँ!! घबरा क्यूँ रही हो....

सोनल...एक पल जाए ढंग से तो गनीमत है ...कॉन सी दुनिया में जी रहे हो.....प्लीज़ ऐसा मज़ाक नही...

सुनील...ज़रा सोच के देखो...जब तक हमरी टीम तयार होगी..तब तक इपल् की भी 11 टीम तो हो जाएँगी...और हम हर टीम से खेलेंगे..

सोनल.....तोबा तोबा क्या भयानक इरादे हैं...बस ...मॅग्ज़िमम दो ..एक मुन्ना और एक मुन्नी उसके बाद फुल स्टॉप....

सुनील...हाई मेरा ये ख्वाब अधूरा ही रह जाएगा.

सोनल...क्या हो गया है तुमको...

सुनील...एक ख्वाब देखा है मेरी जान...सोचो अगर ये पूरा हो गया तो...

सोनल बिदक के उठ के बैठ गयी.. 'तुम वाक़्य में सीरीयस हो क्या'

सुनील...तुम्हें क्या लगता है....(बहुत ही सीरीयस मुद्रा बना के)

सोनल ...कि आँख से अनु टपक पड़े.....तुम्हारे लिए ये भी मंजूर ...पर पालेंगे कैसे ...एक काम करते हैं
आधी टीम दीदी पैदा करेगी और आधी मैं....

सुनील...यानी तुम तयार हो..सूमी को तो मैं मना लूँगा.......

सोनल...तुम्हारे लिए तो जान भी दे दूं...6 बच्चे पैदा करना कॉन सा.....(वाक़्य में उसकी शकल रोनी हो गयी थी)

सुनील.....उसकी शकल देख खिलखिला के हंस पड़ा ....और उसे खींच अपनी बाँहों में समेट लिया.....अले अले अले मेरी जान रोने क्यूँ लगी...मैं तो मज़ाक कर रहा था....

सोनल ने सुनील की छाती पे मुक्के बरसाने शुरू कर दिए...मज़ाक ...मज़ाक..ये ये मज़ाक था......
मेरे दिल-ओ-दिमाग़ के चिथड़े उड़ा दिए....और कहते हैं..ये मज़ाक था......मज़ाक था.,..

सुनील...अरे बस बस लगती है यार ....

सोनल...और जो मेरे लगी वो...

सुनील...तो उसका इलाज कर देते हैं...

सोनल...हां करो इलाज...सच बड़ी ज़ोर से लगी है....

सुनील ..अपने चेहरे को उसके चेहरे के पास ले गया......करूँ इलाज़

सोनल...करो ना ....उसकी सांस तेज होती चली गयी..दिल की धड़कन बढ़ गयी...

और सुनील के होंठ उसके होंठों से चिपक गये...

दोनो एक दूसरे के चुंबन में खो गये...ज़ुबाने एक दूसरे से मिलने लगी

कभी सुनील उसकी ज़ुबान चूस्ता तो कभी सोनल उसकी..

जब साँस उखड़ी तो दोनो अलग हुए कुछ देर के लिए और फिर एक दूसरे से चिपक गये..

सुनील ने जम के सोनल की चुदाई करी ...तब कहीं जा कर दोनो तक के सोए.

आरती रूबी और मिनी को ले कर जब डिन्नर टेबल पे पहुँची जहाँ विजय इनका इंतजार कर रहा था तो पहली ही नज़र में विजय ने रूबी के गले में आरती का हार देख लिया और समझ गया कि रूबी की तरफ से हां हो चुकी है ....उसने उसी वक़्त अपने दोस्त करण को फोन कर डाला ....इशारे से सबको बैठने को कहा और फोन पे बात शुरू की ....

विजय ....हेलो करण तू अपनी फॅमिली को ले कर कल यहाँ मालदीव पहुँच ......और हां बहू के स्वागत की पूरी तैयारी के साथ आना ...उस गधे को अभी कुछ मत बताना

कारण....मैं कुछ समझा नही .....

विजय ...तू घोन्चु का घोन्चु रहेगा ---मैं अपनी बेटी रूबी के बारे में बोल रहा हूँ..जिसके नाम की माला विमल 24 घंटे जप्ता रहता है....

विजय मोबाइल बंद करता है और चेहरे पे मुस्कान लिए सब को देखता है...

आरती .....मैने अभी कुछ कहा भी नही और आपने करण भाई को बुला भी लिया...

विजय....बेगम नज़रें चाहिए होती हैं .....रूबी के गले में तुम्हारे हार ने सब बयान कर दिया था....

रूबी कुछ सीरीयस सी थी.....जिसे विजय नोट कर लेता है ...पर अभी कुछ नही बोलता ...और सीधा पहले खाने का ऑर्डर देता है.


खाने के बाद .....

विजय........रूबी बेटी कुछ प्राब्लम है क्या ...देख रहा हूँ...तुम खुश होने की जगह कुछ सीरीयस हो......

रूबी ...जी कुछ भी तो नही....

विजय....अगर तुम अपने माजी के बारे में सोच रही हो....तो निश्चिंत रहो .....

रूबी/मिनी......हैरानी से...जीिइईईईईई

विजय ....हां बेटी मुझे सब कुछ पता है .....तुम्हें किसी बात की चिंता करने की ज़रूरत नही ....तुम्हारा ये पापा है ना .......

रूबी......पर पापा......

विजय....कहा ना तुम्हें कुछ भी सोचने की ज़रूरत नही..क्या हुआ था क्यूँ हुआ था ...वो सब दफ़न कर दो ...और आनेवाली नयी जिंदगी का दिल खोल के स्वागत करो .....विमल को कब क्या समझाना है कैसे समझाना है ये मुझ पर छोड़ दो....

आरती .....चले जी ...रात बहुत हो गयी है ....अब सोने चलते हैं.....

विजय....मैं तो अपनी बेटी से बातें करूँगा...तुम्हें नींद आ रही है तो तुम जा के सो जाओ.....

रूबी.....नही आंटी ठीक कह रही है ...अब हमे चलना चाहिए ....बहुत देर हो चुकी है ...आप लोग भी आराम कीजिए

आरती......झूठा गुस्सा दिखाते हुए ....मारूँगी एक ...ये पापा बन गये और मैं आंटी की आंटी रह गयी........

रूबी ...जी वो...ग़लती से ...

विजय .....आवाज़ में दर्द था......बेटी मेरे लिए तुम सब ऐसे ही हो जैसे कवि मेरी बेटी बन चुकी है .......अब इस बाप का इम्तिहान लोगि क्या ...कि वो अपनी किस बेटी से कितना प्यार करता है...

रूबी ...रुआंसी हो गयी.......नही पापा डर सा लगता है.....अगर सागर अंकल के बाद .....सुनील भाई ने नही संभाला होता तो मैं...मैं..मैं...

विजय ...बक बक बंद कर सागर तेरा असली पिता है......अंकल कह के उनकी आत्मा को दुख मत दे.....इधर आ मेरे पास 

रूबी जा के विजय के सीने से लग जाती है ...और रो पड़ती है.......
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01-12-2019, 02:35 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
विजय/आरती ...बस बेटी ..तेरे दुख के दिन ख़तम ...अब हमारी ज़िम्मेदारी है अपनी बेटी को हर हाल में खुश रखना.....तुझे तो गर्व होना चाहिए ...सुनील जैसा भाई मिला तुझे...बहुत किस्मत वालियों को ऐसा भाई मिलता है....

दोनो रूबी को चुप करते हैं और फिर कुछ देर बाद सब अपने कमरों की तरफ चले जाते हैं सोने के लिए


राज कवि को चुटकले सुना सुना कर उसे हँसाता जा रहा था....कि उसका मोबाइल बजने लगा ....कवि टेबल से उसका मोबाइल उठा के लाई ...'पापा का फोन है'
'अरे तो पिक कर्लेति ना...'
राज ने कॉल रिसीव करी...'जी पापा'
वहाँ से कुछ बोला गया...'क्या पापा आप भी...लो अपनी बेटी से बात करो पहले' 
राज ने मोबाइल कवि को पकड़ा दिया.....

कवि...जी पापा 
विजय ने उधर से कुछ कहा....कवि का चेहरा शर्म से लाल हो गया .....
कवि...नही पापा बिकुल भी तंग नही करते
तभी राज ने उसे खींच अपनी गोद में बिठा लिया ....ओउउच
कवि ..नही नही वो बस पैर थोड़ा फिसल गया था
****
कवि....जी देती हूँ उनको.....(और कवि ने राज को मोबाइल पकड़ा दिया)
राज.....हां पापा हो गयी तसल्ली ...आपकी बहू को बिल्कुल भी तंग नही करता 
***
राज...अरे ये क्या मतलब ....वो आपकी बेटी तो मैं...अब बेटे से दामाद बन गया
विजय ...हां तुम लोगो ने अपना रिश्ता बदल लिया तो मैने भी...राजेश बेटा वो सारी जिंदगी बाप के प्यार को तर्सि है
और रिश्तों को कोई भी नाम दे दो...बस आपस में प्यार होना चाहिए...मैं उसे एक ससुर की तरहा नही ..एक बाप की तरहा वही प्यार देना चाहता हूँ....

राज....आप मुझे जो भी बोलो ...बेटा बोलो..दामाद बोलो...रहोगे आप मेरे पापा
विजय....अच्छा मैने फोन इसलिए किया था ...कि तेरे उस गधे दोस्त की नाक में नकेल पड़नेवाली है...तुम दोनो 4 दिन बाद यहीं आ जाना...
राज...विमल की शादी ....किस से !!!!!!
विजय ...मेरी दूसरी बेटी रूबी से....
राज ....वाउ.....दट'स ग्रेट न्यूज़ ...( उसने कवि को गोद में उठा लिया और झूमने लगा)

राज ने कवि को नीचे उतारा और अपनी बाँहों में भर उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए...कवि राज के साथ लिपटती चली गयी

कवि ने अपने होंठों को कुछ देर बाद राज से अलग किया और हाँफती हुई बोली .....अरे आप तो जब देखो शुरू हो जाते हो...पापा ने ऐसा क्या बोला कि इतने खुश हुए...

राज...जान...रूबी मान गयी है विमल से शादी करने के लिए...पापा ने कहा है ...4 दिन बाद हम लोग वहीं चले जाएँ..शायद पापा ने विमल को भी बुलवालिया होगा...

कवि....सच!!! रूबी मान गयी...वाह ...मज़ा आएगा...वो हमारे पास होगी ना ...आपके दोस्त कितनी दूर रहते हैं आपके घर से...

राज...बस 10 मिनट की दूरी है..जब चाहे अपनी बहन से मिल लेना.

वाउ!!!!!!!!!! कवि राज के गले से लग झूल गयी और अपनी नशीली नज़रों से उसे देखने लगी...

कवि ने खुद राज के चेहरे को अपने हाथों में थामा और आज उसने पहल कर ही डाली अपने होंठ आगे बढ़ा राज के होंठों से चिपका दिए

दोनो एक दूसरे को चूमने लगे एक दूसरे के चेहरे को चाटने लगे.....साथ साथ दोनो के कपड़े उतरते चले गये....और एक दूसरे को चूमते हुए वो बेड पे पहुँच गये....

कवि को सांस लेने में प्राब्लम होने लगी थी ...उसने अपना चेहरा राज से अलग किया और हाँफती हुई बेड पे गिर पड़ी........उसकी आँखें में नशा छा चुका था.....और बड़ी प्यार भरी नज़रों से राज को देख रही थी...जैसे कह रही हो...आओ और मुझे भोग लो.......डाल दो अपना लंड मेरी चूत में...मिटा दो मेरी चूत की खुजली.......

राज उसके उपर झुकता चला गया और उसके निपल चूसने लग गया.....

अहह राज चूस लो.....उफफफ्फ़ माआआ बहुत तंग करते हैं ये....निचोड़ लो मुझे....

कवि अब खुलती जा रही थी....

राज कुछ देर उसके दोनो निपल चूस्ता रहा ......

अहह अहह ओह्ह्ह्ह उफफफफफफ्फ़

कवि की सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगी .........

ऑश राज में जल रही हूँ....टेक मे नाउ .....डू इट...प्लीज़ .....अहह कवि बिस्तर पे बाल खाने लगी....

राज ने भी उसकी बात मान ली और उसके निपल छोड़ अपना लंड उसकी चूत में घुसा डाला....

आआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कवि ज़ोर से चीखी और राज से लिपट गयी .....राज धीरे धीरे उसे चोदने लगा....

दोनो को कोई जल्दी नही थी.....दो जिस्म और दो रूहों का मिलन हो रहा था.....


15 मिनट की चुदाई में कवि दो बार झड गयी और अंत में दोनो एक साथ झड़े........

फिर दोनो एक साथ नहाए और अपने लिए नाश्ता मंगवा लिया

विजय ....आरती क्या हमे आज ही सुनील को बुलाना चाहिए

आरती...देखो जी ...अभी तो बस बता दो..पर बुलाना मत...
कुछ दिन तो उसे भी सकुन से जीने दो....पिछला पूरा साल उसका कैसा गुजरा होगा ....ये सोच के भी दिल तड़प उठता है
और हां.....राजेश को भी अभी मत बुलाना...

विजय...ह्म्म बात तो तुम्हारी सही है पर ....सुनील के बिना हम आगे भी तो नही बाद सकते

आरती...इतनी जल्दी भी क्या है....आने दो विमल को.....दोनो को एक दूसरे से बात करने दो..
थोड़ा आपस में एक दूसरे को समझने दो.....3-4 दिन गुजरने दो फिर बुला लेंगे

विजय...हां ऐसा करते हैं राजेश और सुनील दोनो को 4 दिन बाद ही बुलाते हैं...पर बता आज देते हैं

आरती.....जी ये ठीक रहेगा ......आज करण आ रहा है तो कहीं जा तो नही सकते ....ऐसा करते हैं आज रूबी और मिनी को यहीं स्नोर्केलिंग ही करवा दो ...दोपहर तक का टाइम निकल जाएगा ...फिर लंच के बाद तो करण आ ही जाएगा

विजय...वाह..जानेमन क्या आइडिया दिया है ......(विजय आरती को खींच लेता है अपनी गोद में)

आरती ...उफ़फ्फ़ ये क्या...अब तो सबर करो ..बच्चे बड़े हो चुके हैं शादी हो चुकी है ..और आपको...

विजय...बीवी से प्यार करने में कैसा डर और कैसी उमर...

विजय आरती के चेहरे को अपने हाथों में ले उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है ......दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लग जाते हैं और आरती विजय की बाँहों में पिघलती चली जाती है
आरती के होंठों को चूस्ते हुए विजय उसके मम्मे सहलाने लगा तो आरती के जिस्म में आग भड़कने लगी..........
दोनो पागलों की तरहा एक दूसरे के होंठ चूसने लग गये ......
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01-12-2019, 02:35 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
दोनो के होंठ थोड़ी देर बाद अलग हुए...दोनो ही हाँफ रहे थे........विजय ने आरती के कपड़े उतार दिए और आरती भी पीछे नही रही उसने भी विजय के कपड़े उतार डाले....आरती ने विजय को बेड पे धक्का दे गिरा दिया और उसके लंड पे धावा बोल उसे चूसने लग गयी

आरती विजय के लंड को गले तक ले जा रही थी और धीरे धीरे होंठों का दबाव डालते हुए जीब से चाटते हुए बाहर निकालती फिर कुछ देर तेज़ी अपने मुँह के अंदर बाहर कर अपना मुँह चुदवाती और फिर अपने गले तक ले जाती ....विजय को भी बहुत मस्ती चढ़ गयी थी.....उसने आरती को अपने उपर खीच लिया और इस तरहा घुमाया कि दोनो 69 पोज़ में आ गये.....

अब आरती उसका लंड चूस रही थी और विजय उसकी चूत चाटने लग गया.....

आरती ज़्यादा देर तक ना टिक सकी और जल्दी ही उसकी चूत ने विजय के मुँह में अपना रस उगलना शुरू कर दिया.....उसके साथ हमेशा ही ऐसा होता था....विजय की जीब जब उसकी चूत में अपने करतब दिखाती....आरती ज़्यादा देर तक नही टिक पाती......

वैसे भी इनके पास वक़्त कम था ...क्यूंकी रूबी और मिनी के पास भी जाना था.....

आरती जब झड गयी तो विजय ने उसे पीठ के बल लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया....

आरती की जाँघो के बीच आ विजय ने अपना लंड उसकी चूत पे सेट किया और एक ही झटके में पूरा अंदर घुसा डाला.

आआआहह आराम से 

आरती की बिस्तर की रोड को पीछे से पकड़ना पड़ गया...क्यूंकी विजय ने तेज तेज झटके लगाने शुरू कर दिए.



अहह उफफफफफफ्फ़ उम्म्म्ममम ऊऊऊम्म्म्ममाआअ

आरती की सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगी और विजय सतसट अपना लंड उसकी कट के अंदर बाहर करने लगा......

दस मिनिट की धुआँधार चुदाई के बाद विजय और आरती एक साथ झडे ...और एक दूसरे से चिपक अपनी साँसे संभालने में लगे रहे.....

दोनो फिर नहाए तयार हुए....विजय रेस्टोरेंट चला गया और आरती रूबी और मिनी के कमरे की तरफ बढ़ गयी.....उन्हें बुलाने के लिए

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सुबह जब सूमी की आँख खुली तो देखा सुनील और सोनल एक साथ चिपके हुए सो रहे हैं.....सूमी को रात की चुदाई याद आई और वो मुस्कुराती हुई बाथरूम चली गयी....
.फ्रेश हो कर बाहर आई और दोनो के जिस्म पे एक चद्दर डाल वो लिविंग रूम में जा कर कॉफी बनाने लगी
.उसने सिर्फ़ एक बाथटावल से खुद को आधा ढका हुआ था..
.टवल से उसके आधे मम्मे बाहर झाँक रहे थे और टवल मुश्किल से उसकी गंद तक आ रहा था......
कॉफी बना वो अपने लिए एक कप में डाल बाहर जा के पूल के पास बैठ गयी ....
ठंडी ठंडी हवा....दूर तक फैला समुद्रा सूमी के मन को मोह रहे थे....
.काफ़ी देर वो बाहर बैठी मौसम की ताज़गी का लुफ्त लेती रही और फिर अंदर चली गयी .......
.सुनील अब भी गहरी नींद में था पर सोनल उस से दूर हो चुकी थी और बिस्तर पे हिल रही थी...जैसे अभी जागने वाली हो.........

सूमी सोनल के साथ लेट गयी और उसका जिस्म सहलाते हुए उसे उठाने लगी..........

सोनल ने सूमी का टवल खींच फेंका ...और उसे अपने उपर खींच लिया....दोनो एक दूसरे की नज़रों में देखने लगी......

सूमी ने सोनल की आँखों की भंशा पढ़ ली और दोनो के होंठ आपस में मिल गये.....

सूमी सोनल के बदन को सहलाते हुए कभी उसके होंठ चूमती तो कभी उसके गालों को चूमते हुए उसके होंठों पे फिर वापस आ जाती...


अहह उफफफफ्फ़ उम्म्म्मम ......दोनो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी .......

सूमी ने फिर सोनल के मम्मो पे हमला कर दिया....

आआआअहह सोनल इतनी ज़ोर से सिसकी के सुनील की नींद खुल गयी और उसकी नज़र जब दोनो पे पड़ी तो बस देखता ही रह गया.......

सूमी ने अपनी पोज़िशन इस तरहा बदली कि दोनो एक दूसरे के निपल चूसने लग गयी.....

अपनी दोनो बीवियों को एक दूसरे से प्यार करते देख ....सुनील के अंदर भी कामग्नी की ज्वाला सर उठाने लगी....
.उसका लंड सख़्त होता चला गया .......और वो दोनो से चिपक उनके जिस्म को सहलाने लगा.....

सूमी ने सोनल को छोड़ा और अपनी दोनो जांघे फैला कर वो सुनील के उपर आ गयी...उसके लंड को पकड़ अपनी चूत पे सेट किया और बैठती चली गयी.....

अहह अहह सूमी ज़ोर से सिसकी जब सुनील का मोटा लंड उसकी चूत को फैलाता हुआ उसके अंदर घुसने लगा.......

सुनील ने नीचे से ज़ोर का धक्का लगाया और फकक्चह सूमी के अंदर उसका पूरा लंड घुस्स गया....

आाआईयईईईईईईईईईईईईईईीजज़ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्जाआआाालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीइीईईईईईईईईईईईइइम्म्म्मममममममममम

सूमी ज़ोर से चीखी ...और सुनील पे लूड़क गयी.....

सूमी जब इस झतले से संभली तो उठ कर अपनी गान्ड उपर नीचे कर सुनील के लंड को अपनी चूत से बाहर करती फिर अंदर लेलेति
.......सुनील ने सोनल को भी अपने उपर खींच लिया 

सोनल ने अपनी चूत सुनील के मुँह से सटा दी...जिसे वो चाटने लग गया और अपनी जीब बीच में घुसा उसे जीब से चोदने लग गया....

सूमी और सोनल दोनो आमने सामने थी और एक दूसरे के होंठ चूस्ति तो काबी एक दूसरे के निपल चूस्ति...

सूमी जब एक बार झड गयी ...तो सोनल और सूमी ने अपनी जगह बदल ली ........

चुदाई का ये खेल इसी तरहा चलता रहा .....जब सुनील झड़ने के करीब पहुँचा ....
तो सूमी उसके लंड पे चढ़ गयी और उसका वीर्य अपनी चूत में समेट लिया....

तीनो ही निढाल हो कर बिस्तर पे पड़े रहे.....फिर तीनो एक साथ नहाए .......
.और सोनल ने फिर तीनो के लिए कॉफी तयार की.....सूमी ने ब्रेकफास्ट का ऑर्डर दे दिया...
Reply
01-12-2019, 02:37 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
जब ये लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे .......तभी विजय का फोन आया सुनील के मोबाइल पे........

सुनील....जी अंकल सुनाए कैसे याद किया

विजय...बेटा चार दिन बाद तुम सब यहाँ आ जाना

सुनील...कोई खांस काम

विजय...हां बेटा बहुत ही खांस बात है....रूबी मान गयी है विमल से शादी करने के लिए

सुनील.....ककक्क्क्यय्य्ाआअ ...(वो हैरानी से चीख ही पड़ा)

विजय.....हां बेटा ...सही है ये...मैने करण और उसकी फॅमिली को भी बुला लिया है...4 दिन दिन अपना हॉलिडे मनाओ और फिर यहाँ आ जाना....

सुनील....जी अच्छा...

सुनील फिर दोनो को विजय से हुई बात के बारे में बताता है....दोनो बहुत हैरान होती हैं

रूबी का ये फ़ैसला और वो भी यूँ अचानक ...किसी को भी समझ में नही आ रहा था....

सुनील.....सूमी मेरे ख़याल से हमे रूबी से बात करनी चाहिए.....कल तक तो वो शादी के नाम से बिदक्ति थी..आज ये अचानक.....

सूमी......मैने तो इसीलिए सिमरन को मना कर दिया था...जब वो अपने बेटे जयंत का प्रपोज़ल ले कर आई थी...

सुनील....जयंत!!!!!!! ये तो वही है शायद जो कमल का खांस दोस्त हुआ करता था....

सोनल....हां वही है.....

सूमी....ओह! पर अब मसला ये है कि मैं सिमिरन को क्या बोलूँगी ....जब रूबी की शादी की खबर फैलेगी.....


सुनील....हम लोग कल पहले रूबी से जा कर मिलते हैं...सारी बात करते हैं...क्या था उसके दिल में जब उसने हां करी...फिर कोई फ़ैसला लेंगे...


सूमी/सोनल....हां ये ठीक रहेगा...पहले हम लोग उससे बात तो कर लें.......

सूमी...ध्यान से सब करना...अब रिश्तेदारी का मामला है .......विमल कवि के हज़्बेंड का खांस दोस्त है....अब रूबी ने जब हां कर दी है ...तो पीछे नही हट पाएँगे...

सुनील...पहले बात तो करें उसके साथ फिर देखते हैं....
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कमरे में बैठी ...आँखों में आँसू लिए .....वो अपने ही दिल की बात रेडियो पे सुन रही थी .........


रुला के गया सपना मेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा

वही हैं ग़मे दिल, वही हैं चंदा तारे
वही हम बेसहारे
वही हैं ग़मे दिल, वही हैं चंदा तारे
वही हम बेसहारे
आधी रात वही हैं, और हर बात वही हैं
फिर भी ना आया लुटेरा

रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा

कैसी यह जिंदगी, कि सांसो से हम उबे
के दिल डूबा, हम डूबे
कैसी यह जिंदगी, के सांसो से हम उबे
के दिल डूबा, हम डूबे
एक दुखिया बेचारी, इस जीवन से हारी
उस पर यह गम का अंधेरा

रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा.


और एक शख्स उसे देख रहा था ...दरवाजे की ओट में खड़ा ......तन्हाई का दर्द वो हमेशा उसकी आँखों में देखता था ......काई बार पूछने की कोशिश करी पर हिम्मत ना जुटा पाया ......

वो चुप चाप खड़ा ये दर्द भरा गीत सुनता रहा ...उसके दिल में एक हुक सी उठी ...उसके कदम आगे बड़े....तभी उस औरत का मोबाइल बजने लगा....

'हेलो' वो औरत बोली......कॉल रिसीव करते हुए
----दूसरी तरफ से कुछ कहा गया.....
'क्याआआअ?'
-----दूसरी तरफ से फिर कुछ कहा गया.......
'नही...मैं नही आ सकती.......चाह के भी नही आ सकती'
......दूसरी तरफ से फिर कुछ कहा गया......
'कोशिश करूँगी.....पर पक्का नही...' और कॉल काट दी...

बहुत सोच में पड़ गयी वो इस कॉल के बाद........
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01-12-2019, 02:37 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
वो शक्स उसके सामने आ कर बैठ गया ....और गौर से उसके चेहरे को देखने लगा ...जहाँ उसे गहरी चिंता की रेखाएँ दिख रही थी.....

वो औरत......मुझे शायद 3-4 दिन के लिए जाना पड़े ......तुम्हारे खाने पीने का इंतेज़ाम करती जाउन्गि ........अपना ध्यान रखना

वो शक्स कुछ कहना चाहता था ....पर चुप ही रहा और गहरी सोच में डूब गया........और खड़े हो कमरे की दूसरी खिड़की पे जा के बाहर दूर तक फैले समुद्र को देखने लगा ....कितने राज छुपे होते हैं इसके गर्भ में .....जिनका कभी पता नही चलता .....उसकी अपनी जिंदगी भी तो एक राज ही बन के रह गयी थी......कितनी कोशिश करता था वो ...पर खुद अपने राज़ ही नही पहचान पा रहा था.......उपर से शांत बिल्कुल उस समुद्र की तरहा ...पर अंदर कयि तूफान करवट ले रहे थे....जो ना जाने कब किसी सूनामी में तब्दील हो जाएँगे ....और उसे इंतेज़ार था ऐसी ही किसी सूनामी का.......ना जाने कब तक उसे इंतेज़ार करना पड़ेगा....आँखों से दो कतरे आँसू टपक पड़े ...पर अब तो इन आँसुओं की एहमियत भी ख़तम हो चुकी थी....
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ये बात तो तय हो गयी थी की रूबी से मिलना है...पर सुनील ये नही चाहता था कि इस बात का विजय को पता चले और वो कहीं कुछ ग़लत ना समझ बैठे.....अब सबसे पहले जो काम करना था वो ये था कि रूबी और मिनी अपने अगले दिन घूमने का प्रोग्राम कॅन्सल करती...ताकि ये लोग आराम से रूबी से बात कर सकते....

सूमी....सुनील तुम विजय को बता दो कि हम आज रूबी से बात करेंगे ...वो बुरा नही मानेगा ....ट्रस्ट मी

सुनील.....ह्म्म्म, ठीक है ......मैं कॉल कर दूँगा

सोनल....मैं रूबी को कॉल कर दूँगी

सुनील...विजय को कॉल करता है ...

सुनील...अंकल हम आज रूबी से मिलने आ रहे हैं...तो प्लीज़ आप कोई प्रोग्राम इनके साथ मत बनाना

विजय ....यार मैने तो स्नोर्केलिंग कन्फर्म कर रखी है......

सुनील...दोपहर तक तो फ्री हो ही जाओगे...हम शाम को मिल लेंगे 

विजय....हां ये ठीक रहेगा .......बेटा एक बात बोलूं.....

सुनील...जी कहिए 

विजय ...उसके दिमाग़ में बहुत इनसेक्यूरिटी है ....ज़्यादा मत कुरेदना.....उसे सिर्फ़ तीन लोग ही हॅंडल कर सकते हैं इस वक़्त ....सुमन जी ....मैं या आरती ...और मेरे ख़याल से मैं ही उसे ठीक ढंग से हॅंडल कर पाउन्गा......एक बात और मैने अपने दोस्त करण को पूरी फॅमिली के साथ बुला लिया है...दोपहर के बाद किसी भी वक़्त आ जाएगा ....तब उनसे बात करूँगा ....रूबी की इनसेक्यूरिटी को ले कर ....

सुनील...क्या ये ठीक रहेगा ....

विजय....बेटे वो मेरा दोस्त है...मुझे हॅंडल करने दो.....


सुनील...ठीक है अंकल जैसा आप कहें...डॅड मुझे रूबी की ज़िम्मेदारी सोन्प गये थे तो...

विजय.......तेरी बहन है तू उसकी चिंता नही करेगा तो और कॉन......पगले मैं बस ये कहना चाहता था कि उसे ज़्यादा मत कुरेदना...बहुत ही भावुक लड़की है वो 

सुनील....जी समझ गया....

विजय...उस से मिल के तुम वापस चले जाना ....और अपनी छुट्टी का पूरा मज़ा लो...बाकी सब मुझ पे छोड़ दो....


सुनील ...जी 


दोनो की कॉल ख़तम हो गयी......सुनील ने मोबाइल स्पीकर पे रखा था ताकि सोनल और सूमी भी सब सुन सकें.....

सूमी.....मैं सोच रही हूँ ...सिमिरन और जयंत को बुला लूँ ......

सोनल....नही ये ठीक नही रहेगा ...आप ये क्यूँ भूलती हो ...जयंत उस कमल का खांस दोस्त था जिसने रूबी पे अटेंप्ट किया था...क्यूँ रूबी को फिर से ......उन दिनो की याद दिलाना चाहती हो

सुनील....सोनल ठीक कह रही है यार ....तुम क्यूँ अपनी दोस्ती को ले कर इतना टेन्स हो रही हो......

सूमी......कमल कीचड़ में ही खिलता है ....हमे नही मालूम अभी ..कि क्यूँ रूबी अचानक शादी के लिए हां कर बैठी ......मैं नही चाहती कि वो अपनी जिंदगी का फ़ैसला इतनी जल्दी बिना सोचे समझे ले ....कुछ तो हुआ है ...जो इस तरहा

सोनल....सीधी सी बात है......अगर ध्यान से सोचो ....तो सब समझ में आ जाएगा

सुनील...तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि उसके और मिनी के बीच कुछ हुआ ..जिसकी वजह से वो फट से शादी के लिए तयार हो गयी.....

सोनल...मुझे तो यही लगता है......बाकी जब चलेंगे तो पता चल ही जाएगा

सूमी.......मैं कल सिमिरन को फोन कर रूबी के फ़ैसले के बारे में बता दूँगी...ताकि वो आस लगा के ना बैठी रहे..

सुनील....चलो रेडी हो जाओ ...चलते हैं ........सोनल तुम रूबी को फोन कर दो ...कि हम आ रहे हैं..कमरे में ही रहे...

सुनील फटाफट रेडी होता है...सूमी भी तयार होने लगती है....

सोनल पहले रूबी को कॉल करती है और फिर तयार होती है..

तीनो रूबी से मिलने निकल पड़ते हैं
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ये वही रात थी जब रूबी ने विजय के सामने भी हां कर दी थी ...वापस कमरे में आने के बाद वो विजय की बातों को सोचने लगी थी ....क्या वाक़्य में बड़े लोगो में इतनी शक्ति ...इतनी सूझ भूज होती है ..जो जिंदगी के कड़वे सच को आसानी से किसी को समझा सकते हैं 

आज विजय में उसे अपना सागर अंकल (ये तो बाद में पता चला था कि सागर ही उसका पिता था) नज़र आने लगा...उसे यूँ लग रहा था जैसे सागर ने दूसरा रूप ले लिया है उसकी जिंदगी में वापस आने के लिए..उसे वो प्यार देने जिसे वो कभी दिया करता था...उसकी हर चिंता हर समस्या का समाधान करने जैसे वो पहले किया करता था......दिल ने कयि बार ये सवाल उठाया था कि जो फ़ैसला उसने लिया ...कहीं वो जिस्म की भूख के आगे झुक कर जल्दबाज़ी में तो नही ले लिया था....जितना वो सोचती ...उतना ही उसे अपना फ़ैसला ठीक लगता .....सारी जिंदगी विजय जैसे अंकल का हाथ सर पे होना...कवि जैसी बहन का बिल्कुल पास होना और तो और राजेश जैसा जीजा जो बिल्कुल सुनील की तरहा था .......इतना सब किस लड़की को मिलता है ....उसे तो अपने नसीब खुलते नज़र आने लगे थे......

सोचते सोचते नज़रों के आगे विमल का अक्स उभरने लगा ....

विमल बिल्कुल उसे राजेश की तरहा लग रहा था...वही खिचाव था चेहरे पे जो किसी भी लड़की को मोहित कर लेता...गथीला बदन ...चौड़ी चाहती...आँखों में शरारत ...किस तरह नोतंकी कर रहा था...कवि के सामने .....सोचते सोचते रूबी के होंठों पे मुस्कान आ गयी ...शायद उसका दिल विमल को कबूल कर चुका था...

बस एक डर था ...क्या विमल सच जानने के बाद उसे अपनाएगा या फिर.....क्या वो खुद इतनी हिम्मत कर पाएगी कि विमल को खुल के अपने अतीत के बारे में बता सके..

सिहर के रह जाती जब भी वो इस बारे में सोचती....फिर उसे विजय की बात याद आई ..कि सब कुछ उनपर छोड़ दिया जाए...वो अपने हिसाब से उसके अतीत को विमल के सामने लाएँगे ....क्या ये ठीक रहेगा...
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