Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:39 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सवी उठ के चली गयी...वो जानती थी...ना सुनेल सोया होगा और ना ही मिनी.....

उसके जाने के बाद...

विजय रूबी से.....पगली बड़ों के बारे में इतनी जल्दी धारणाएँ नही बनाते......तेरी माँ तो वो हीरा है जो जिंदगी की तपिश में पक कर और भी चमकने लगी है....

वहाँ आरती सोच रही थी...उसकी वजह से सवी को क्या क्या नही भुगतना पड़ा.

कुछ पल शांति रही....

विजय....बेटी अब तो तुझे शादी से कोई इतराज नही ना...तेरी माँ की कोई ग़लती नही...और हां अभी सुनेल के बारे में किसी को कुछ मत बोलना...उसे ठीक हो जाने दो...फिर ये खुशख़बरी मैं खुद सुनील और सुमन को दूँगा....बहुत कुछ बदल चुका है...सुनेल जब ठीक होगा तो उसे बहुत कुछ समझाना पड़ेगा....

रूबी...जी अंकल....

विजय...अब भी अंकल...अब तो पापा बोल दे...

रूबी ...पापा ...और विजय के सीने से लग रोने लगी...

विजय...बस बेटी ..तेरा ये पापा है ना...और फिर तेरे पास तो सुनील है...तू क्यूँ रोती है...

आरती.....बेटी अब कुछ देर सो जाओ.....दिन हो ही चुका है...और आज का दिन बहुत बिज़ी रहेगा.....अपने पापा की बात याद रखना....सुनील और अपनी दोनो भाभियों से अभी सुनेल के बारे में कुछ मत बोलना...

रूबी ...जी मोम...

आरती ...उसके माथे को चूमते हुए...अच्छा हम चलते हैं ...3-4 घंटे आराम से सो जाओ...फिर आएँगे...

इतना कह दोनो चले जाते हैं...दिल और दिमाग़ में तुफ्फान लिए हुए.....

रूबी बिस्तर पे लेट गयी और सोचने लगी ...कितना अपमान किया उसने अपनी माँ का....आँखों से आँसू टपकने लगे ...इस वक़्त वो बड़ी शिद्दत से सवी को याद कर रही थी..ताकि उसके पैर छू उससे माफी माँग सके...और ये भी अच्छी तरहा जानती थी....कुछ घाव बच्चे ऐसे दे देते हैं..कि माँ बाप माफ़ तो कर देते हैं पर उनका दर्द सारी उम्र वो सहते रहते हैं...ऐसा ही तो घाव उसने सवी को दे दिया था....

कमरे से निकल जब सवी सुनेल ( अब यही नाम इस्तेमाल होगा) के कमरे तक पहुँची ....तो दरवाजा खुला था...दोनो एक एक कुर्सी पे बैठे हुए थे...सुनेल ड्रिंक्स ले रहा था और मिनी....रोते हुए उसे हर बात याद दिलाने की कोशिश कर रही थी.....

सवी...मिनी.....

मिनी ने तड़प के सवी की तरफ देखा.....माँ इन्हें कुछ याद क्यूँ नही आ रहा...

सुनेल....प्लीज़ मुझे अकेला छोड़ दो ...मेरा दिमाग़ फट जाएगा...

सवी...कुछ नही होगा बेटा...अब ये तुम्हें तंग नही करेगी...बस तुम्हारी मदद ही करेगी...बहुत हो गया...ये ड्रिंक छोड़ो...कुछ देर सो जाओ...आज तुम दोनो को मुंबई जाना है...

मिनी...यूँ यकायक अगर यहाँ से गायब हुई तो सुनील....वो तो पागलों की तरहा ढूँडने लग जाएगा....ये सोचते हुए...पर माँ...

सवी वो सब मैं देख लूँगी...ये पकड़ ...चाबियाँ घर की...ये अड्रेस है.....तेरा समान मैं यहाँ भिजवा दूँगी.......साथ में तुम लोगो की टिकेट्स भी...

जब मुंबई पहुँच जाना तो मुझे फोन करना...अब दोनो चुप चाप थोड़ी देर के लिए सो जाओ.....

सवी के जाने के बाद...

मिनी..सुनेल...सॉरी...बहुत तंग किया तुम्हें...अब कुछ देर सो जाओ...चलो मैं तुम्हारा सर दबा देती हूँ..नींद आ जाएगी...

सुनेल कुछ पल उसे देखता रहा और फिर बिस्तर पे लेट गया...मिनी उसके पास बैठ उसका सर दबाने लगी....और सुनेल को ज़्यादा देर ना लगी सोने में....उसके सोने के बाद ...मिनी भी उसी बिस्तर पे उसके पास लेट गयी.....उसके चेहरे को देखते हुए ..उस उपरवाले से दुआ करने लगी...की सुनेल को सब याद आ जाए...

आरती और विजय जब अपने कमरे में पहुँचे …पो फट चुकी थी…जो कुछ सवी से सुन के आए थे उसके बाद नींद किसे आनी थी..फिर भी दोनो कुछ देर आराम करने बिस्तर पे लेट गये…

विजय जहाँ सुमन के दर्द के बारे में सोच रहा था…वहीं आरती सविता के दर्द के बारे में सोच रही थी….अगर विजय उसे नही अपनाता तो आज सविता कितनी खुश होती…ये दुख भरे दिन..ये जलालत जो उसने तमाम उम्र भोगी….ऐसा नही होता…..आज वो कितनी खुश होती…..आरती को खुद पे ग्लानि हो रही थी….

आरती …विजय आज कुछ मांगू तो दोगे…..

विजय….कुछ ऐसा मत माँग लेना …जो मैं ना दे सकूँ…वो समझ गया था आरती क्या माँगनेवाली है…

आरती…..भाभी ने बहुत दुख झेले हैं..उन्हें उनकी खुशियाँ लोटा दो……

विजय….किस तरहा…हम सब कुछ करेंगे..ताकि सवी की जिंदगी में फिर से बाहर आ जाए…एक माँ के लिए उसकी बेटी का हँसी खुशी सेट्ल होना सब से बड़ी बात होती है…मैं रूबी को कभी कोई दुख नही पहुँचने दूँगा….

आरती ..वो तो मैं जानती हूँ..मैं सवी के बारे में…

विजय…आरती (* कुछ ज़ोर से) …कभी भूल के भी ऐसी वाहियात बात मत सोचना….

आरती…मैं ये नही कह रही कि जाओ और आज ही उसे अपनी बाँहों में समेट लो…..लेकिन मेरी बात पे सोचना ज़रूर…..मुझे खुद के वजूद से ग्लानि होती है…जब भी उसकी दुखी जिंदगी के बारे में सोचती हूँ…
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01-12-2019, 02:39 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
विजय…उसको छोड़ो ये…सोचो …सुमन पे क्या बीतती होगी…जब भी वो अपने जुड़वा बेटे के बारे में सोचती होगी…मुझे हर हाल में सुनेल का सही इलाज़ करवा उसे ठीक करना है और सुमन की गोद में उसे वापस डालना है……याद करो वो दिन जब तुम्हारे अबॉर्षन की बात पे तुम कैसे तड़प गयी थी….उसके साथ तो धोखा हुआ है वो भी इतना बड़ा…उसके बेटे को उसे जुदा कर दिया गया…और ये बोल दिया कि वो मरा हुआ पैदा हुआ….काश वो समर आज जिंदा होता तो उसे चीर फाड़ के रख देता…काश उस वक़्त मैं उसके पीछे पड़ गया होता…तो इतनी ज़िंदगियों के साथ नही खेल पाता वो…

आरती ..मैं सुमन का दुख भी समझती हूँ…पर ज़रा सोचो…सागर के बाद आज उसके पास सुनील है…वो सुनील की बीवी बन चुकी है ..खुश है उसके साथ…सवी को क्या मिला..वीरानापन..तन्हाई…और आगे इतनी बड़ी जिंदगी पड़ी है…वो तिल तिल कर रोज मार रही है…उसे बचा लो…ये हम दोनो का फ़र्ज़ है उसे ..एक नयी जिंदगी देना……आज जो वो है..उसकी वजह भी तो हम हैं…ये प्रायश्चित तो हमे करना ही पड़ेगा…

विजय…ये सब इतना आसान नही…जिस समाज में हम …

आरती…तुम कब्से समझ की परवाह करने लगे…अगर इतना ही समाज से डरते थे ..तो मुझे अपनी बीवी कैसे बना लिया…क्या अब हम समाज से छुप के कहीं जी रहे हैं…

विजय….आरती तुम भावनाओं में बहक रही हो अभी…सो जाओ थोड़ी देर….आज रूबी की सगाई है…बहुत काम करना है…

आरती मन ही मन ठान लेती है…वो सविता को वापस विजय की जिंदगी में ला के रहेगी…चाहे कुछ भी करना पड़े….सोचते सोचते उसकी आँख लग जाती है….

सुबह के 5 बज चुके थे और मिनी ने सुनेल को उठा दिया…दोनो ने हल्क फूलका नाश्ता किया…तयार हुए और एरपोर्ट की तरफ निकल पड़े…

जैसे जैसे सुनेल एरपोर्ट की तरफ बढ़ रहा था…वैसे वैसे उसका मानसिक बंधन सुनील के साथ कमजोर होता जा रहा था…

जैसे ही सुनेल की फ्लाइट उड़ी…सुनील को महसूस हुआ कि उसका जुड़वा भाई फिर उस से बहुत दूर जा चुका है..अब उस तक पहुँचने का बस एक तरीका था और वो थी सवी…..वही बता सकती है समर ने क्या क्या गुल खिलाए थे……सुनील को सवी पे गुस्सा आने लगा….इतने साल …इतने साल तक उसने ये बात छुपा के रखी…और तो और समर की मोत के बाद भी नही बताया…बहुत दावे करती थी कि मुझे प्यार करती है..क्या इसे प्यार कहते हैं…च्िी

सुनील अब बस रूबी की सगाई ठीक से होने तक का इंतेज़ार कर रहा था…..उसे क्या मालूम था कि विजय भी इस खेल में कूद चुका है……हालाँकि विजय कुछ ग़लत नही चाहता था…पर सुनील की तड़प को बढ़ाने का एक कारण ज़रूर बनता जा रहा था…

सुमन सोचते सोचते अपने मरे जुड़वा बेटे को भूल…अपने आनेवाले बेटे की कल्पना में खो गयी थी…कैसा होगा वो…किसके उपर जाएगा….क्या वो सुनील की कॉपी होगा….या मेरी…या हम दोनो का मिला जुला रूप होगा….हम दोनो के प्यार की एक पहचान होगा….
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सवी रूबी के कमरे में आई ...मिनी का समान पॅक किया और हाउस कीपिंग को बुला कर वो समान मिनी के पास भिजवा दिया......

रूबी बस चुप चाप काटर दृष्टि से अपनी माँ को देख रही थी....

समान भिजवाने के बाद ...सवी एक ठंडी सांस ले कर ...वहाँ बिस्तर पे ढह सी गयी...

सब कुछ इतनी जल्दी इतनी तेज़ी से हो रहा था कि उसे एक पल भी नही मिल रहा था कि शांति से कुछ सोच सके....

मिनी और सुनेल की मुलाकात कब हुई....ये सोचते सोचते दिमाग़ में बॉम्ब सा फुट गया....रमण कहाँ है...मिनी और रमण की शादी हो चुकी है और मिनी पागलों की तरहा सुनेल के पीछे पड़ी है...ये क्या माजरा है...उसके मुँह से निकल गया....रमण.....????

सवी की नज़रें रूबी की तरफ उठ गयी….

सवी…रूबी रमण नही आया यहाँ……और मिनी अकेली चली आई सबके साथ…क्या दोनो में झगड़ा हुआ….

रूबी ….क्या जवाब दूं….कुछ पल सोचा और फिर….मम्मी ना तो रमण इस दुनिया में रहा और ना ही समर डॅड. रमण के जाने के बाद मिनी कहीं नही गयी वो हम लोगो के साथ ही रहती है…

सवी के लिए समर जीता या मरता कुछ फरक नही पड़ता था …पर रमण आख़िर उसका बेटा था…जो बस ग़लत रास्ते पे चला गया था…और उसकी उस हालत के ज़िम्मेवार वो खुद और समर ही तो थे….सवी की आँखों से आँसू टपक पड़े….

रूबी…मम्मी उसका साथ बस इतना ही था…अब अपने दिल को मत दुखाओ..आपके पास सुनील जैसा बेटा भी तो है…

तड़प के रह गयी सवी…सुनील को वो किसी और नज़र से देख ही नही पा रही थी..इसीलिए तो देल्ही छोड़ कोचीन चली गयी..

रूबी…ओह लगता है आप अब भी सुनील से प्यार करती हो….बदल लो मम्मी खुद को वरना और कितने दुख झेलोगी……वो मर जाएगा…अपने और दोनो भाभियों के बीच किसी को नही आने देगा …..और फिर राजेश भी तो आपका बेटा है…विजय पापा का बेटा…विमल भी तो आपका बेटा ही बनेगा…इतनी मृगतृष्णा भी अच्छी नही होती मम्मी…जिंदगी में कुछ सकुन चाहिए तो खुद को बदलना पड़ता है..जैसे मैने खुद को बदला..
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01-12-2019, 02:39 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सवी …एक ठंडी सांस ले कर …बेटी मैं जिंदगी के उस पड़ाव पे पहुँच चुकी हूँ…जहाँ पहुँच कर ..कुछ बदला नही जा सकता…कुछ घाव ऐसे होते हैं जो सारी जिंदगी रिस्ते रहते हैं..उनका कोई इलाज़ नही होता…वक़्त और किस्मेत उनका इलाज़ होने ही नही देते…खैर तू मेरी छोड़…अभी मुझे ….सुनेल पे ध्यान देना है…उसे ठीक करवाना है …फिर उसे सुमन की गोद में डाल अपना प्रायश्चित भी पूरा करना है…..तेरे आगे तो पूरी जिंदगी पड़ी है….सुनील और विजय ने तेरे लिए विमल को पसंद किया है तो ठीक ही किया होगा…..अब कुछ देर सो जा बेटी …दिन चढ़ने में देर नही ….और आज का दिन बहुत बिज़ी रहेगा……आज मेरी गुड़िया …एक बंधन में बँध जाएगी…एक माँ को बहुत सकुन मिलेगा….

सवी…रूबी के माथे को चूमती है और उसके साथ लेट जाती है……पर नींद किसे आनी थी…

रूबी...मम्मी एक बात बोलूं....

सवी...ह्म्म

रूबी...मम्मी आप और विजय पापा प्यार करते थे ना...तो क्यूँ ना...

सवी...ये क्या बकवास सोचने लग गयी है तू...एक बात ध्यान में रखना अब वो मेरे संबंधी हैं...उनके बेटे के साथ कवि की शादी हुई है...

रूबी...पर माँ राजेश कॉन सा उनका अपना खून है...उनका तो कोई बेटा नही...वो तो आरती और समर....

सवी...चुप कर बदतमीज़ ...रिश्ते ऐसे नही बदल जाते...अपना खून दे कर बड़ा किया होगा विजय ने राजेश को.....खैर वैसे भी हमारा रास्ते सालों पहले अलग हो चुके थे.....

रूबी...पर मम्मी एक बार सोचो तो सही.....

सवी ....जो इंसान मुझे मजधार में छोड़ गया क्यूंकी तब उसके लिए कुछ और ज़रूरी था...वो इंसान ...क्या फिर ऐसा नही करेगा..इस बात की क्या गॅरेंटी ...और मेरे दिल में अब विजय के लिए कोई जगह नही ...वो बस एक अच्छा समधी है और कुछ नही और कुछ नही..सो जा अब और ये फ़िज़ूल की बातें अपने दिमाग़ से निकाल दे....

सोना खैर किसने था.....10 बजे तक वहाँ होटेल में सभी पहुँच गये ....राजेश और कविता....सुनील/सुमन और सोनल....

सुनील वगेरह सीधा रूबी के कमरे पे ही गये.......सवी और रूबी तभी तयार हुई थी...

दोनो बहनो का आमना सामना हुआ और दोनो एक दूसरे के गले मिली....सवी जिन नज़रों से सुनील को देख रही थी ...वो सुनील को अच्छी ना लगी और उसने मुँह दूसरी तरफ कर लिया.....

सवी ...सुमन से .....दीदी मेरी एक बात मनोगी......

सुमन......बोल ना ...बस कुछ ऐसा ना माँग लेना जो मेरे बस में ना हो...

सवी...मैं चाहती हूँ...रूबी का कन्यादान आप और सुनील करें.....

सभी...क्क्क्यययययाआआआआआ

सवी...हां दीदी सागर की रूह तो तुम दोनो में ही बस्ती है......मैं चाहती हूँ कि सागर की आत्मा को शांति मिले जब तुम दोनो रूबी का कन्या दान करो...मैं तो बस ऐसे ही .......जाने कैसे बीच में आ गयी........बस यही कहने आई थी मैं...मैं जा रही हूँ...अब शायद ही कभी मुलाकात हो...हां मिनी को मैं अपने साथ ले जा रही हूँ...शायद मेरे अकेलेपन का कोई साथी कुछ पलों के लिए मिल जाए......

सुमन...कुछ बोलनेवाली थी.....

सवी...नही दीदी..बस मैं कुछ नही सुनूँगी........मैं जा रही हूँ अब....

रूबी...मम्मी....

सवी...पगली.....तेरी असली पहचान तो ये दोनो ही हैं...मेरा आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ रहेगा...भगवान करे दुनिया का हर सुख तुझे मिले और तू फूले फले....

रूबी के माथे को चूम सवी अपना बाग उठा वहाँ से निकल गयी......

सुनील तो बस देखता ही रह गया कि ये हुआ सुमन उसे आवाज़ें देती रही पर सवी एक पल ना रुकी .....सीधा एरपोर्ट और वहाँ से मुंबई.......

जब तक सवी मुंबई पहुँचती ....मिनी और सुनेल विजय के घर पहुँच चुके थे....और सफ़र की थकान उतार रहे थे....

रास्ते भर सवी सोचती आई .....विजय के घर पहुँच सवी ने फिर दोनो की पॅकिंग करा डाली और विजय के घर की चाभी पड़ोसी को दे कर ...वो अपने पुराने घर चली गयी...जो वीरान पड़ा था...वही घर जो कभी उसने और समर ने मिल के बनाया था....

जाने से पहले एक चिट्ठी छोड़ गयी थी विजय के नाम....मेरी बेटी का ख़याल रखना और मुझे कभी ढूँडने की कोशिश ना करना..

सुनील/सुमन और सोनल तीनो ही हक्के बक्के रह गये...सवी ऐसा कुछ करेगी इसकी बिल्कुल उम्मीद नही थी......

रूबी तो बस रोती जा रही थी...कुछ भी हो एक लड़की जिसकी शादी होनेवाली हो..उसकी माँ ऐसे चली जाए ..ये वो कैसे बर्दाश्त कर पाएगी....

सोनल का ध्यान रूबी पे गया और वो उसे चुप करने लगी....पर रूबी थी के रोती जा रही थी..

सुनील और सुमन तो सकते की हालत में थे ....कवि के वक़्त सवी नही आई ...ये बात हाज़ाम हो जाती थी क्यूंकी कवि सिर्फ़ समर की बेटी थी...पर रूबी....रूबी को तो उसने जनम दिया था...कैसी माँ थी वो ...जो रूबी को यूँ आ कर भी छोड़ गयी...और जो उसका फ़र्ज़ था ...जो उसका सोभाग्य था...कन्यादान करना...उस सोभाग्य को वो सुनील और सुमन की झोली में डाल गयी.....क्यूँ किया उसने ऐसा .....ये बात दोनो को समझ नही आ रही थी....अगर ऐसा ही करना था तो आने की भी क्या ज़रूरत थी...ये बात तो वो फोन पे भी बोल सकती थी...

अभी ये लोग सदमे से बाहर नही निकले थे कि विजय और आरती आ गये.....और रूबी की हालत देख उन्हें कुछ ग़लत की आशंका होने लगी...दिल घबराने लगा.....

आरती और विजय ...एक साथ...क्या हुआ बेटी तुम रो क्यूँ रही हो.....

रूबी...मम्मी चली गयी मुझे छोड़ के....

विजय से ज़्यादा झटका आरती को लगा...उसने तो क्या क्या नही सोच लिया था और सब उल्टा पुल्टा हो रहा था....

विजय ....तुम्हारी सुमन मम्मी हैं ना....बस रोते नही ....कोई वजह होगी...जो यूँ जाना पड़ा उन्हें...

आरती ....रूबी के माथे को चूम...बस बेटी बस...रोते नही ...वो उपरवाला जो करता है अच्छे के लिए करता है...

विजय....सुनील बेटा...तुम लोग जल्दी तयार हो जाओ ...अभी तो सीधा यहीं आए होगे तो नाश्ता भी नही किया होगा...रेस्टोरेंट में सब वेट कर रहे हैं वहीं आ जाओ..शाम का प्रोग्राम भी डिसकस और फाइनल कर लेंगे.

कुछ देर बाद सभी रेस्टोरेंट में होते हैं...कविता हर एक से गले मिलती है खास कर रूबी से और टेबल पे वो रूबी के साथ ही बैठी...एक बात जो कविता को खल रही थी ...वो थी...जिन नज़रों से पलक राजेश को देख रही थी..पर कविता ने अपने दिल के भाव को अपने चेहरे पे नही आने दिया...

सुनील/सुमन/सोनल सबका परिचय विजय कारण के परिवार से करवाता है...सुमन और विमल की माँ और आरती एक साथ बैठती हैं और आपस में बातें करती हैं...विजय/कारण और सुनील एक साथ बैठते हैं...रब/कविता और पालक एक साथ होते हैं और राजेश के साथ विमल होता है...नाश्ते के दोरान सबकी आपस में बातें होती रही बस पलक खामोश रही कोई कुछ पूछता तो जवाब दे देती..

विमल ने केयी बार पलक को आँखों ही आँखों में इशारा किया की खुद को सुधारे ...थोड़ा सबसे घुले मिले...पर पलक पे कोई असर नही पड़ा.

नाश्ता ख़तम होने तक शाम का टाइम डिसाइड हो चुका था...सगाई का और अगले दिन शाम को शादी का..

नाश्ते के बाद सब अलग हो गये...विजय और सुनील होटेल वालों के साथ लग गये शाम का अरेंज्मेंट्स देखने और प्लॅनिंग करने...

सुमन और सोनल ने रूबी की शॉपिंग चेक करी ...उन्हें कुछ कमियाँ लगी और वो फट से उसे ले शॉपिंग के लिए निकल पड़ी ..साथ में कविता भी थी क्यूंकी वो ये लम्हे रूबी के साथ गुज़ारना चाहती थी ....राजेश को वो बता के आई थी ..उसे कोई आपत्ति नही थी इसमे ...वो विमल के साथ मस्त हो गया था...
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01-12-2019, 02:39 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
पलक अपने कमरे में अकेली थी...वो राजेश की तस्वीर हाथों में लिए उसे घूर रही थी......तुमने मेरे प्यार को ठुकराया...ये अच्छा नही किया....अगर तुम मेरे नही हो सकते तो किसी के भी नही हो सकते..मिटा दूँगी सबको ..जो भी हमारे बीच आएगा...याद रखना ये बात ....उसकी आँखों में खून उतर आया था.....

और एक घायल शेरनी की तरहा कमरे में टहल रही थी.....

साथ वाले कमरे से राजेश और विमल के हँसने क़हक़हे लगाने की आवाज़ आ रही थी...जिसे सुन पालक और भी आग में जलने लगी........उसने कुछ सोच लिया था कि उसे क्या करना है....आज वो कुछ करने जा रही थी......उसके चेहरे पे मासूमियत लोटने लगी और होंठों पे एक कातिलाना मुस्कान आ गयी..

कवि रूबी आदि के साथ शॉपिंग में तो लगी हुई थी लेकिन उसके दिमाग़ में पलक घूम रही थी.....उसकी वो नज़रें....उसे किसी बुरे का अंदेशा दे रही थी.....लेकिन वो विमल की बहन है ...क्या भाई की शादी में वो कुछ उत्पात करेगी......हां कर सकती है...जिसका प्यार कबूल ना किया किया हो...ईर्षा और जलन के मारे कुछ लड़कियाँ बहुत कुछ कर जाती हैं.....यही तो साइकॉलजी में उसने पड़ा था....और उसे कुछ ऐसा ही आभास मिल रहा था पलक से ....क्यूंकी राजेश उसे बता चुका था...पलक बड़ी हो कर भी बच्चों की तरह हरकत करती है...वो उसे सिर्फ़ एक बहन मानता है ...पर पलक ने अपने मोम डॅड के द्वारा एक दिन रिश्ता तक भिजवा दिया था ....जो राजेश को बुरी तरहा हिला के रख गया था...उसने और विमल ने बहुत कोशिश करी थी पलक को समझाने की...पर धाक के तीन पात...वो समझने को ही तयार नही थी....

राजेश की बातें और पलक की नज़रें......आज ज़रूर कुछ होगा ...यही सोच वो अंदर ही अंदर घबरा रही थी...पर चेहरे पे कोई भाव नही आने दे रही थी...

सही वक़्त पे ये लोग शॉपिंग कर वापस पहुँच गये.....कवि का दिमाग़ कहीं और था...

कवि...सुमन से ...मोम ...मैं थोड़ी देर ....

सुमन..प्यार से उसके गाल पे चपत लगती है...जा ना पूछने की क्या ज़रूरत है....

रूबी आँखें मटका के कवि को देखती है.....और कवि एक धोल उसकी पीठ पे लगा भाग निकलती है......राजेश....पलक...विमल के कमरे साथ साथ थे....

कविता चली गयी ..बाकी सब इधर उधर कमरे में पड़ गये ...कुछ आराम करने....सुनील अभी तक वापस नही आया था....और रूबी के दिमाग़ में एक जंग चल रही थी ...मायके को देखे या होनेवाले ससुराल को ......

किसने लड़ाई करी थी समर से उसके लिए ...सुनील.....
कॉन उसका हमेशा साथ देता आया...सुनील और उसके सागर पापा....

विजय तो अभी जिंदगी में आया ...क्यूंकी वो कवि का ससुर है...माना वो सागर जैसा लगता है...पर.....क्या सच सुनील से छुपाना चाहिए...मों कैसे पल्ला झाड़ चली गयी.......और मोम के लिए तो विजय बस एक संबंधी है....

क्या करूँ क्या ना करूँ....रूबी सोच नही पा रही थी.......सुनील को बताऊ या ना बताऊ...विजय पापा ने मना किया है....अभी नही बताना...वक़्त आने पे वो खुद बताएँगे....मोम कहती है ...जो इंसान मझधार में छोड़ गया उसपे कैसा विश्वास....उफ़फ्फ़ ....क्या करूँ...

सगाई का वक़्त नज़दीक आता जा रहा था ....रूबी कोई फ़ैसला नही कर पाती....उसका चेहरा पसीना पसीना हो जाता है.........

उधर कवि जब राज से मिलने जा रही थी तो वो पलक के कमरे में झाँकती है .....और जो देखती है....उसे देख उसकी अंतरात्मा तक कांप जाती है.......वो वहाँ से हट सीधा .....सुमन को फोन करती है....दोनो में कुछ देर बात होती है.......और सुमन का फोन सुनील को जाता है और वो फटाफट ...होटेल से निकल किसी बड़े केमिस्ट की शॉप पे जाता है.......लेकिन एक समस्या खड़ी हो जाती है...जो सुनील ने लेना था..वो बिना प्रिस्क्रिप्षन के नही मिल सकता था....

कोई और होता तो सुनील परवाह नही करता...पर सुमन ने ख़ास बोला था ...कि सगाई की पार्टी से पहले चाहिए........अब कैसे...करूँ ये......एक अंजाने प्रदेश में....

इंसान चाहे कितना भी अच्छा क्यूँ ना हो..उसके अंदर एक जानवर भी छुपा हुआ होता है.....ना चाहते हुए भी सुनील ने अपने अंदर छुपे उस जानवर को जगा दिया और केमिस्ट की शॉप के पास एक लेडी डॉक्टर का क्लिनिक था...वो वहाँ चला गया ...एक मरीज बन कर.....और जब वो अंदर गया तो वो डॉक्टर खाली थी...यानी कोई और पेशेंट नही था...उस डॉक्टर को देख तो मुर्दा भी कबाड़ से निकल आए और दुआ माँगे बस एक रात इसके साथ बिता दे उपरवाले...फिर कभी कुछ नही माँगूंगा...सुनील की जिंदगी में तो वैसे भी दो अप्सरएँ थी..पर यहाँ उसका मक़सद कुछ और था.....उसे उस डॉक्टर से आंटी-आफ्रोडीज़िक की प्रिस्क्रिप्षन लिखवानी थी.....

डॉक्टर...कहिए क्या प्राब्लम है आपको...

सुनील...भूल गया किस लिए आया था...पर अब बहुत बड़ी प्राब्लम हो गयी...

डॉक्टर.....मतलब

सुनील...आपको अब मुझे बचाना पड़ेगा

डॉक्टर...किस से क्या कहना चाहते हो..

सुनील...पहले तो मुझे आपको ....उफ्फ ...डॉक्टर देखो मेरे जिस्म में गर्मी बढ़ती जा रही है...आपको देख के एक आग लग गयी है....मुझे जल्दी से कोई आंटी-आफ्रोडीज़िक लिख दो...वरना इस उत्तेजना में कहीं आपका रेप ना कर दूं...और आपका रेप कर दिया तो मेरी बीवी मेरा कॅस्टेयरएशन कर देगी...दो प्यार करनेवालों की जिंदगी को आपने दाव पे लगा दिया है..
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01-12-2019, 02:40 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
डॉक्टर उसे ऐसे देखने लगी जैसे कोई पागलख़ाने से छूट के आया हो...

सुनील...सोच क्या रही हो डॉक्टर.....कहीं मेरी ये बीमारी बढ़ गयी ..तो ...आप तो गयी....देखो मेरी साँसे कितनी तेज होती जा रही हैं...आपके हुस्न का नशा चढ़ता ही जा रहा है.....अब मेरे कुर्सी से उठने से पहले ...लिख डालो कोई फास्ट आक्टिंग आंटी-आफ्रोडीज़िक ......जल्दी करो वक़्त बहुत कम है...

डॉक्टर ...हकलाती हुई...लिखती हूँ....लिखती हूँ....और वो लिख देती है..

सुनील...थॅंक्स डार्लिंग ..यू सेव्ड टू लिव्स...टुडे..बाइ दा वे ..आइ आम आ मेड स्टूडेंट....सॉरी टू हॅव बॉदर्ड यू हॅड नो अदर ऑप्षन...
और सुनील भाग लिया वहाँ से ...केमिस्ट शॉप से दवाई ली और सीधा सुमन के पास.

सुमन ने कवि को फोन किया...कवि ने सुमन को वो दवाई अपने पास हर वक़्त रखने की रिक्वेस्ट करी .,..बाकी बाद में कह के फोन काट दिया....

इस वक़्त कवि ....गलियारे में टहल रही थी और सोच रही थी कैसे वो राजेश को सावधान करे......कुछ सोच वो अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी जहाँ इस वक़्त राजेश और विमल गप्पे मार रहे थे...

कवि को देख ...राजेश....फ्री हो गयी ....

कवि...नही पर आपसे बहुत ज़रूरी बात करनी है.......

विमल...मैं चलता हूँ....

कवि...नही तुम बैठो.......

राजेश...कवि के चेहरे को देखते हुए...क्या बात है...तुम इतना परेशान क्यूँ लग रही हो......इधर आओ मेरे पास

कवि राजेश के पास जा के बैठ गयी.....

विमल...भाभी क्या हुआ ...कुछ तो बोलो...

फिर कवि ने बोलना शुरू किया.........जैसे जैसे वो बोलती गयी ...विमल को गुस्सा चढ़ता गया...और राजेश ...हैरान होता हुआ उसकी बात सुनता रहा

अपनी पूरी बात ख़तम करने के बाद .....

कवि ...विमल...तुम इस शादी के लिए मना कर दो....

विमल...भाभी ..ये..ये..

राजेश....तुम पागल तो नही हो गयी...

कवि...आप ही बताओ क्या होना चाहिए ...क्या शादी के बाद रूबी की जिंदगी को 24 घंटे ख़तरा नही रहेगा पलक से....सब जानते हुए भी उसे मोत के मुँह में जाने दूं...मैं जा रही हूँ मम्मी को सब बताने....

राजेश...नही कवि..यहीं बैठी रहो..इस तरहा दो परिवारों की इज़्ज़त दाव पे लग जाएगी...पलक का कोई ना कोई इलाज़ निकाल लेंगे ...कुछ नही होगा रूबी को...

विमल...भाभी आप रूबी की चिंता मत करो मैं हूँ ना...

कवि......विमल भैया...आँखो देखी मक्खी निगलने को कह रहे हो.....ठीक है..पर अगर रूबी को कुछ हुआ....तो....आप नही जानते सुनील भाई क्या क्या कर डालेंगे..

राजेश...तू उसकी चिंता मत कर ..जा उसे तयार करने में मम्मी की मदद कर..

कवि...एक बात याद रखना...पलक के हाथों कुछ नही पियोगे या खाओगे आज ...कम से कम...और हां...अगर जिस्म में गर्मी बढ़ने लगे और उत्तेजना महसूस होने लगे तो सीधा सुमन मम्मी के पास जाओगे...मैने उनके पास आनिटोड रखवा दी है...

राजेश...बीवी हो तो ऐसी...

कवि..यहाँ जान पे बनी हुई है आपको मस्ती सूझ रही है..मैं जा रही हूँ रूबी के पास....

कवि चली गयी और उसके जाने के बाद..

राजेश...यार ये पलक को क्या हो रहा है...उसे समझ क्यूँ नही आता मैं उसका भाई हूँ कोई प्रेमी नही.....लगता है अब डॅड से बात करनी पड़ेगी..पानी सर से उपर उठता जा रहा है..

विमल...मोम से बात करूँगा ...पहले आज का दिन..ठीक टाक निकल जाए..पता नही क्या करनेवाली है वो...अभी कुछ कहा तो कहीं कुछ और ही उल्टा सीधा ना कर डाले..

राजेश...ह्म्म...चल चलते हैं..डॅड की हेल्प करता हूँ..तू जा के रेडी हो जा...

इधर कवि ..रूबी के पास पहुँचती है...जिसे ब्यूटीशियन..सोनल की देख रेख में तयार कर रही थी...

सुनील...सुमन से पूछ रहा था वो दवाई क्यूँ मँगवाई ....इससे पहले सुमन कुछ बोलती...कवि वहाँ पहुँच गयी...और उसने पलक के बारे में सुमन और सुनील को सब बता डाला...

कवि की बात सुन सुमन और सुनील दोनो सोच में पड़ गये...

उधर अपने कमरे में टहलती पलक अपने प्लान के बारे में सोच रही थी...

ये आफ्रोडीज़िक मैं विमल की सॉफ्ट ड्रिंक में डाल दूँगी..जिससे वो एग्ज़ाइट हो जाएगा और...वहीं रूबी के साथ कुछ बदतमीज़ी कर डालेगा...

हाहहाहा...फिर फटेगा बॉम्ब...रूबी और विमल की सगाई खलास....और सबसे ज़्यादा चोट पहुँचेगी..मेरी दुश्मन..कविता को....

देख कविता ये पलक क्या क्या रंग बिखेरती है तेरी जिंदगी में...


ना...ना...मैं तो प्यारी सी ननंद हूँ अपनी कविता भाभी की...ही ही.ही ही..

शीशे के सामने तरहा तरहा के मुँह बनाने लगी और अपनी ही बातों पे हँसती ..कभी कुछ गंभीर मुद्रा बनाती..कभी एक दम मासूम सी बन जाती...

सुमन और सुनील कमरे से बाहर चले गये बाल्कनी में और बैठ के बातें करने लगे....

सुमन....ये शादी नही हो सकती...मैं जान भुज के रूबी को ख़तरे में नही डालूंगी....

सुनील....पालक छोटी है उसे समझाया जा सकता है.....

सुमन...नही वो लड़की पागल है उसे पूरा इलाज़ चाहिए किसी साइकेट्रिस्ट से...और ऐसे हालत में रूबी की शादी उस घर में नही हो सकती...ये मेरा आखरी फ़ैसला है...तुम अभी विजय को बुलाओ ...और सब रोक दो...

सुनील...विजय को मोबाइल पे फोन कर अर्जेंट्ली आने को कहता है..उस वक़्त उसके साथ राजेश खड़ा था...वो सब समझ जाता है ...और इस से पहले विजय...सुनील के पास जाता...राजेश विजय को सब बता देता है जो कवि ने उसे बताया था...ये सुन...विजय सोच में पड़ जाता है...बात अब बहुत सीरीयस हो चुकी थी...

विजय...सुनील को कॉल करता है....बेटा मुझे राजेश ने सब बता दिया है...मैं करण को साथ ले कर थोड़ी देर में आता हूँ...

इसके बाद विजय करण को वहाँ बुलाता है और दोनो हॉल के एक कोने में बैठ बातें करते हैं...जैसे जैसे विजय करण को सब बताता है...करण सीरीयस होता चला जाता है....एक तरफ बेटी और दूसरी तरफ आनेवाली बहू.......करण अकेले कुछ फ़ैसला नही कर पाता और विमल की माँ को बुला लेता है....

विजय...करण...और करण की वाइफ ...इस मसले पे चर्चा करते हैं...और फिर...सुनील के पास चल पड़ते हैं...

सुनील....विजय से ...अंकल आप घर के ही हो......आप खुद सोच सकते हो..ऐसे हालत में मैं रूबी की शादी विमल से नही कर सकता...हम सबने बहुत सोचा है इस मामले पर और जान भूज के कोई भी अपनी बेटी को कुएँ में नही धकेल्ता...

विजय ...कुछ जवाब नही दे पता...

कारण...बेटा मैं समझता हूँ...तुम क्या सोच रहे हो..पलक अभी एक बच्ची है...सम्भल जाएगी...

सुमन...नही भाई साहब...आप ग़लत सोच रहे हैं..जितना जल्दी हो सके पलक का इलज़ा करवाइए..कहीं देर ना हो जाए...और ये सगाई तो किसी कीमत पे नही हो सकती...वो तो उपरवाले का करम है जो कवि ने पलक को देख लिया..वरना मेरी बेटी तो जीतेज़ी मर जाती...प्लीज़ हमे माफ़ कीजिए....

विजय और करण के पास कोई जवाब नही था....वो लोग वहाँ से चले जाते हैं...विजय सारे अरेंज्मेंट्स कॅन्सल कर देता है.........उसी दिन रात को करण अपनी फॅमिली के साथ वापस चला जाता है....

रूबी को ये सुन बहुत झटका लगता है...
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01-12-2019, 02:40 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
राजेश कुछ पल तो कवि से नाराज़ हुआ था...पर उसकी बात भी समझता था..कॉन अपनी बहन को मुसीबत में डालेगी....और उसका मन कवि के लिए सॉफ ही रहता है...


सबका मूड ऑफ हो चुका था......

सुनील सबका दिल बहलाने ....बाहर डिन्नर का प्रोग्राम बनता है...बीच पे बने एक सी फुड रेस्टोरेंट पे सब को ले जाता है....महॉल गमगीन ही रहता है...क्यूंकी रूबी का उदास चेहरा ....किसी को भी अच्छा नही लग रहा था...

रात को सोनल रूबी के साथ रुकती है.....और सुनील और सुमन दूसरे कमरे में........


विजय का दिमाग़ अब शादी की झंझटों से फ्री हो चुका था...वो अब सुनेल के बारे में सोच रहा था...अपने घर कॉल करता है ...तो उसे झटका लगता है...सवी सुनेल और मिनी को लेकर कहीं और जा चुकी थी....

विजय एक ठंडी साँस ले कर रह जाता है...सवी ने ऐसा क्यूँ किया वो अच्छी तरहा समझता था...कुछ गुनाह ऐसे हो जाते हैं जिनकी कोई माफी नही होती....सवी उसे कभी माफ़ नही कर पाएगी...ये बात वो अच्छी तरहा समझता था....और उसके पास कोई रास्ता नही था...बस सारी जिंदगी इस गुनाह के बोझ तले दबे रहना ...एक को जीवन देने के लिए उसने दूसरे का जीवन तबाह कर डाला था....और ऐसे गुनाह का तो कोई प्रायश्चित भी नही होता......

सुमन कपड़े बदल सुनील के पास जा के बैठ गयी ...वो गहरी सोच में डूबा हुआ था...

सोफे के पास ही मिनी फ्रिड्ज रखा हुआ था...सुमन ने उसे खोला कुछ ढंग का नही दिखा तो फोन कर एक वोड्का की बॉटल मंगवाली....

सुमन...क्यूँ इतना मूड खराब कर के बैठे हुए हो...ये सब तो जिंदगी का हिस्सा है...

सुनील..एक ठंडी सांस छोड़ते हुए...जानता हूँ..पर रूबी क्या सोच रही होगी ...

सुमन....संभाल लेंगे उसे ..कुछ वक़्त तो लगेगा ही ....पर तुम ज़्यादा परेशान मत हो...सुनो.....क्या सिमिरन से बात करूँ...अच्छा हुआ जो अभी उसे फोन नही किया था......

सुनील.....एक बार पहले रूबी से ज़रूर पूछना...उसके बाद ही कोई कदम उठाना....

ये लोग बात कर रहे थे...वेटर सुमन का ऑर्डर ले आया.........दिमाग़ दोनो का ही काफ़ी परेशान था इस हादसे से ...सुमन ने दो ड्रिंक्स बनाए और दोनो ने चियर्स किया फिर एक एक सीप ले ग्लास टेबल पे रख दिया...सूमी सुनील के करीब सट के बैठ गयी ......और उसकी गर्दन पे अपने होंठ रगड़ने लगी.. 

अचानक सुमन को जैसे कुछ याद आया...वो सुनील से दूर हो उठ गयी ...ग्लास उठा 2-3 तगड़े घूँट मारे ......मैं अभी आई ...एक बार उन दोनो को देख आउ.....

सुनील हल्के हल्के सीप लेता हुआ ड्रिंक कर रहा था कि अंदर सोनल को आते देख हैरान हो गया...

सोनल आते ही उसकी गोद में बैठ गयी.....दीदी अभी आ रही है थोड़ी देर में...सोनल ने सुमन का छोड़ा हुआ ग्लास उठाया एक घूँट में खाली कर दिया और अपने होंठ सुनील की तरफ बड़ा दिए...

सोनल ...लव मी डार्लिंग ....

सुनील ने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया और दोनो के होंठ जुड़ गये...

अपने होंठों की मदिरा सुनील को पिलाते हुए...सोनल ने अपनी नाइटी खोल डाली और सुनील के हाथ खींच अपने मम्मो पे रख दिए...

सोनल...पति जी ...आपकी बीवी तरस रही है...खूब प्यार करो मुझे......काश वक़्त जल्दी निकले और मैं भी माँ बन सकूँ....

सुनील...जंगली शेरनी ...भूल जा अभी माँ बनना......और ज़ोर से सोनल के निपल मसल दिए.

अहह मसल डालो...बहुत तंग करते हैं....

सुनील ने उसके होंठों को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और सोनल की सिसकियाँ मुँह तक आके रुक जाती....रूबी ने पहले ही उसे गरम कर दिया था...वो सुनील की शर्ट के बटन खोलने लगी....

दोनो के होंठ जब अलग हुए तो सोनल बहुत ही गरम हो चुकी थी....

'टेक मी डार्लिंग....कॅन'ट वेट एनी मोर'

सुनील कुछ हैरान हुआ...सोनल इतनी जल्दी कैसे गरम हो गयी......पर सोनल ने उसे कुछ सोचने का मौका नही दिया...उठ के सुनील के कपड़े खोलने लगी ...उसे नंगा कर ...उसके लंड को सहलाने लगी और वहीं सोफे पे लेट गयी ...अपनी टाँगें उठा के...

'आओ जल्दी प्लीज़ नही रहा जा रहा'

'क्या हुआ आज मेरी जंगली शेरनी को....'

'आओ ना ...क्यूँ तरसा रहे हो......'

सुनील उसपे चढ़ गया और फट से अपना लंड उसकी चूत में घुसा डाला.


अहह उफफफफफफफफफफफ्फ़ तुम जब मेरे अंदर समाते हो तू मुझे जन्नत मिल जाती है..

उम्म्म्म एस फक मे...डीपर ....अंदर और अंदर....अहह

आज क्या बात है जान

तुम बस चोदो मुझे....फाड़ दो आज मेरी चूत......अहह और तेज.......और तेज....

सुनील उसकी इच्छा रखते हुए तेज़ी से चोदने लग गया....

मशीन बन गया था वो जिसका लंड पिस्टन की तरहा सोनल की चूत के अंदर बाहर हो रहा था....

अहह हा ओह सी उफ़फ्फ़ 

सुनील से चुदते हुए सोनल को रूबी के गरम होंठों का अहसास अपने निपल्स पे महसूस होने लगा.....

उफफफफफफफफ्फ़ ये मैं क्या सोचने लगी......अहह 

चोदो और ज़ोर से चोदो

जो मन में आया बड़बड़ाती रही और अपनी चुदाई का मज़ा लेती रही....

कुछ देर बाद.....दोनो एक साथ झडे.......और यही वक़्त था जब सुमन अंदर आई...दोनो को देख मुस्कुरा उठी और अपनी नाइटी वहीं उतार के फेंक वो अंदर बेड रूम में चली गयी....

सुनील हांफता हुआ सोनल पे गिर पड़ा था और सोनल झड़ती हुई जोंक की तरहा उसके साथ चिपक गयी थी....

दोनो के जिस्म पसीने से तरबतर हो चुके थे ....साँसे धोकनी की तरहा चल रही थी.....
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01-12-2019, 02:40 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
कुछ देर लगी दोनो को अपने आनंद की दुनिया से वापस आने में और जब सुनील ने अपना लंड सोनल की चूत से निकाला ...तो पक..की आवाज़ हुई ..जैसे किसी बॉटल का कॉर्क खोला गया हो...

सोनल की नज़र......सुमन की नाइटी पे पड़ गयी...

'जान ..दीदी अंदर आपका इंतेज़ार कर रही है' सुनील के होंठ चूमते हुए बोली....

दोनो एक साथ वहीं लिविंग रूम के बाथ रूम में घुस गये...

कुछ देर बाद दोनो बाहर निकले और यूँ ही नंगे बेड रूम में चले गये...जहाँ सुमन....सुनील का इंतेज़ार कर रही थी...

दोनो सुमन की अगल बगल में लेट गये....सोनल थक चुकी थी...वो पीठ कर सोने लगी...

सुमन ...सुनील के साथ चिपक गयी....

सुमन...ड्रिंक लोगे क्या...

सुनील..तुम्हारा दिल है तो ले आओ...

सुमन ड्रिंक लाने चली गयी....

सोनल और रूबी

रूबी और सोनल...दोनो ने अपने कपड़े बदले और बिस्तर पे लेट गयी....

सोनल...रूबी इस हादसे से परेशान मत होना...वो तो अच्छा हुआ कि कवि ने सब टाइम रहते पकड़लिया...वरना पलक तो तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर देती....

रूबी...जब किस्मत ही खराब हो तो कोई क्या कर सकता है....

सोनल..नही रे..हम सब हैं ना तेरे साथ........

रूबी ...भाभी आज कुछ माँगूँ तो दोगि......

सोनल...क्या...

रूबी सोनल के करीब हुई और उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए.....(आह्ह्ह्ह यही होंठ सुनील रोज चूस्ता होगा..इन होंठों में सुनील के होंठों की मिठास मिल गयी होगी.....)

रूबी की इस हरकत से सोनल को झटका लगा उसने रूबी को खुद से अलग किया....रूबी ये..क्या हरकत है...

रूबी...भाभी प्लीज़ थोड़ी देर के लिए..नही तो मैं मर जाउन्गि....

सोनल परेशान हो गयी...और रूबी ने फिर सोनल के होंठों पे अपने होंठ रख दिए और धीरे धीरे चूसने लगी....

सोनल ने सुमन के साथ लेज़्बीयन किया था..पर किसी और के साथ कभी कुछ करना उसने ख्वाब में भी नही सोचा था......सोनल के दिमाग़ में बॉम्ब फटने लगे ...रूबी की इस हरकत पे....वो कुछ ढंग से नही सोच पा रही थी......एक बेजान जिस्म की तरहा सोनल बिस्तर पे पड़ी रही और रूबे उसके होंठ चूसने में लगी रही...

सोनल सोच रही थी कि रूबी कुछ देर में हट जाएगी...पर रूबी धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी ...उसने सोनल के दोनो मम्मो पर नाइटी के उपर से हाथ फेरना शुरू कर दिया और उसके होंठ चूसने में भी तेज़ी आने लगी.....

सोनल बेजान सी पड़ी रही..वो रूबी का कोई साथ नही दे रही थी........सोनल इस खेल को अब रोकने का सोच रही थी कि रूबी ने उसकी नाइटी की डोरी खोल दी.....

सोनल ने अंदर कुछ नही पहना हुआ था ....रूबी ने फट से सोनल के निपल को चूसना शुरू कर दिया....सोनल के निपल उसके सबसे ज़्यादा संवेदनशील अंग थे....उसकी मुँह से अहह निकल पड़ी और रूबी ज़ोर ज़ोर से सोनल के निपल को चूस्ते हुए दूसरे को मसालने लगी.........

सोनल का जिस्म उसका साथ छोड़ने लगा...और उसके अंदर उत्तेजना का संचार होने लगा....दिल किया अभी उठ के सुनील के पास चली जाए...पर सुनील ने सख्ती से कहा था कि आज की रात रूबी को अकेले नही छोड़ना है....सोनल के हाथ...रूबी के सर पे फिरने लगे और बदन में लचक आने लगी...

सोनल....अहह उफफफ्फ़ क्यूँ तंग कर रही है....उूउउइईईईईईई चीख पड़ी सोनल जब रूबी ने मस्ती में उसके निपल को काट लिया.......

रूबी ....निपल चूस्ते हुए....आपको तो रोज भाई का साथ मिलता है...कभी मेरे बारे में सोचा मेरा क्या हाल होता होगा........

सोनल...जल्दी तेरी शादी हो जाएगी .....

रूबी ...तब तक मुझे ऐसे ही प्यार करने देना और मुझे प्यार करना.....

सोनल...घबरा गयी.......नही नही ये नही हो सकता..........और वो रूबी से अलग हो अपनी नाइटी ठीक करने लगी...

इससे पहले रूबी कुछ बोलती...रूम की बेल बज गयी.......

सोनल ने फट से दरवाजा खोला...सामने सुमन खड़ी थी....सोनल ने राहत की सांस ली.........

सोनल की आँखों में तैरते नशे को देख सुमन को समझने में देर ना लगी कि क्या हो रहा होगा......रूबी एक अपराधी की तरहा सर झुकाए बैठी थी और उसकी आँखें नम थी...

सुमन...तू जा सुनील के पास मैं आती हूँ थोड़ी देर में.......

सोनल फट से कमरे से निकली और और सुनील के पास चली गयी....

सुमन ने दरवाजा बंद किया और रूबी के पास बैठ गयी........और उसके सर पे प्यार से हाथ फेरने लगी......

सुमन...भूल जा इस किस्से को..कभी कभी जिंदगी में ऐसा भी हो जाता है..ये सोच कवि तुझ से कितना प्यार करती है....सही वक़्त पे तुझे एक कुएँ में गिरने से बचा लिया...

रूबी सुमन से लिपट गयी.......बड़ी भाभी मुझे बचा लो...कहीं मैं गिर ना जाउ....

सुमन ...नेउसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया और उसकी नज़रों में देखने लगी..जहाँ उसे एक अन्भुजि प्यास नज़र आई...

सुमन ने कुछ पल सोचा और और अपने होंठ आगे बड़ा रूबी के होंठों पे अपने होंठ रख दिए.....

रूबी बेल की तरहा सुमन से लिपटती चली गयी...

कुछ देर बाद सुमन ने अपने होंठ रूबी से अलग किए...

सुमन......रूबी जयंत मेरी खांस सहेली का बेटा है...तेरे ही कॉलेज में है तुझ से सीनियर है..तू कहे तो उससे बात चलाऊ......सिमिरन आई थी मेरे पास प्रपोज़ल ले कर..पर तू उस वक़्त शादी से बिदक्ति थी..इस लिए मैने उसे रोक दिया था..कि पहले तेरा कोर्स पूरा हो जाए फिर बात करेंगे...

रूबी ...सुमन को देखने लगी.......वो कमल का खांस दोस्त था..पता नही कैसा निकलेगा...और अब मुझे डर लगता है.....प्लीज़ मुझे भी अपना लो ना.....आप जैसे रखोगे वैसे रहूंगी..कभी अफ तक नही करूँगी...
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01-12-2019, 02:40 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन...तू क्यूँ ग़लत धारणाएँ पाल के बैठी है......ये जानते हुए भी कि सुनील तुझ में सिर्फ़ एक बहन को देखता है अपने सागर पापा की बेटी ......जान देता है वो तुझ पे...पर एक भाई की तरहा...ये ख़याल अपने दिमाग़ से निकाल दे..क्यूँ खुद को तकलीफ़ देती रहती है.......

रूबी...उसकी ये अच्छाई ही तो मुझे उसके पास खींचती है......वो मेरे रोम रोम में बस चुका है......बहुत मुश्किल है मेरे लिए....ये शादी भी इसलिए कर रही थी कि सुनील से दूर हो जाउन्गि ...तो शायद उसे भूल पाउ..पर लगता है मुझे मोम की तरहा जीवन भर तड़पना ही पड़ेगा...

सुमन ने रूबी को अपने पास खींच लिया...अपनी सोच बदल मेरी जान...बदल उसे...तू नही जानती सुनील के लिए मुझे और सोनल को अपनाना आसान नही था...वो मर जाएगा....अगर उसे ये महसूस हुआ कि तू भी...नही झेल पाएगा वो...अपने उपर और उसके उपर तरस खा गुड़िया.....मेरा वादा है तुझ से ...तुझे एक बहुत प्यार करने वाला राजकुमार मिलेगा..जो तेरी खुशी के लिए कुछ भी कर डालेगा.....

सुमन ने फिर रूबी के होंठों को चूमना शुरू कर दिया.....रूबी ने सुमन के हाथ अपने मम्मो पे रख दिए.........

सुमन ने उसके मम्मो को मसलना शुरू कर दिया...........

रूबी ने ज़ोर से सुमन के होंठों को चूसना शुरू कर दिया.......

सुमन के लिए ये मुश्किल था पर रूबी को संभालने का उसे और कोई तरीका अभी नज़र नही आ रहा था.......इसलिए सुमन रूबी से अलग हुई और उसकी नाइटी खोल डाली..... सोनल के बाद आज सुमन के सामने उसकी भांजी नंगी खड़ी थी अपनी आँखों में प्यास लिए...... सुमन ने रूबी को बिस्तर पे लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गयी...ये खेल वो एक तरफ़ा ही रखना चाहती थी...बस रूबी को ऑर्गॅज़म दिला वो वापस सुनील के पास जाना चाहती थी..

सुमन ने ..रूबी के निपल चूसने शुरू कर दिए और उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया...

रूबी....अहह उफफफफ्फ़ ....चूस लो भाभी निचोड़ लो मुझे .

सुमन रूबी के मम्मो को ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी और साथ ही उसकी चूत में अपनी उंगलियाँ चला रही थी...

रूबी...अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उफफफफ्फ़ भाभी अहह 

रूबी के दोनो उरोज़ को अच्छी तरहा चूसने के बाद सुमन ने उसकी चूत पे हमला किया अपनी ज़ुबान से..

रूबी ...उम्म्म्ममममममम भाभी बस ऐसे ही सारी जिंदगी मुझे प्यार करो...और कभी कुछ नही माँगूंगी.......अहह 

सुमन तेज़ी से रूबी की चूत चूस और चाट रही थी....

रूबी....आाआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबभहाआआआआब्ब्ब्बबबीईईईईईईईईई

एक तेज चीख के साथ रूबी झड गयी.....उसका बदन मचलने लगा....

सुमन उस से दूर हो उसे देखने लगी....

रूबी जब शांत हुई ....तो सुमन...अब सो जा बेटी ......कल मिलते हैं.....

रूबी की आँखों में धन्यवाद था...उसकी आँखें धीरे धीरे बंद होने लगी और सुमन दरवाजा खोल उसे बंद कर सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी....

सुमन ड्रिंक्स लेने चली गयी थी ......पीठ करे हुए लेटी सोनल ......को नींद नही आ रही थी.......वो रूबी को ले कर परेशान हो रही थी....आज उसने रूबी के अंदर खुद को देख लिया था...वही आग...वही प्यार ...जो उसके अंदर था...जब सुनील उसे ठुकरा रहा था...वही आग और वही प्यार ...उसे रूबी की आँखों में दिखा था....

रूबी का सुनील से दूर जाने का फ़ैसला....दुनिया भर की बातें कर विमल से शादी के लिए तयार होना....जिसे वो पहले ठुकरा चुकी थी......

ये सब सोनल को परेशान कर रहा था....आख़िर रूबी उसके पापा की ही बेटी थी.......

क्या हम सब ठीक कर रहे हैं रूबी के साथ.......पापा ...ये किस चक्रव्यूह में फस रहे हैं हम....सोनल सागर को याद कर रही थी.......कोई रास्ता दिखाओ पापा....वरना....सब ख़तम ना हो जाए.....

सुमन...ड्रिंक तयार कर रही थी...पर अभी तक उसने अपना मुँह नही धोया था......उसके होंठों के आस पास अभी भी रूबी की चूत का रस चिपका हुआ था.....

बिस्तेर पे लेटे हुए सुनील ने सोनल को देखना शुरू कर दिया....आज सोनल के निपल चूस्ते हुए उसे कुछ और ही महक मिली थी.....उसके निपल गीले थे...क्या सोनल और रूबी .......ऑम्ग ....यही हुआ होगा वरना सोनल के निपल गीले क्यूँ थे......कहीं सोनल...नही नही ऐसा नही हो सकता........

सुनील को रूबी के थूक की मिठास जो उसने सोनल के निपल चूस्ते हुए महसूस करी थी वो याद आने लगी........ओह गॉड....ये क्या हो रहा है...वो अपना सर झटकता है....और उसी वक़्त सुमन ड्रिंक्स ले कर आती है.......

सुनील उसके हाथ से दोनो ग्लास साइड टेबल पर रखता है और उसके होंठो को अपने होंठों के क़ब्ज़े में ले लेता है....फिर एक झटका लगता है उसे....रूबी की चूत से निकला रस जो सुमन के होंठों पे लगा हुआ था वो सुनील के मुँह में घुलने लगा.....

वो फट से अपने होंठ ...सुमन से अलग करता है और उसको देखता है...

सुमन...सुनील की नज़रों को समझ गयी ...'कुछ काम ना चाहते हुए भी करने पड़ते हैं......मैं मुँह धो के आती हूँ......'

सुनील उसे जाने नही देता और दबोच के उसके होंठ पागलों की तरहा चूसने लग जाता है.........

सुमन के होंठों पे छाई मुस्कान सुनील के होंठों तले दब जाती है .....पर दिल....और दिमाग़ में एक लड़ाई चल रही थी....

एक लड़ाई सुनील के अंदर भी शुरू हो जाती है.....उसे अपनी दोनो बीवियाँ थोड़ी बदलती हुई नज़र आने लगी थी.......क्या ये दोनो रूबी को कबूल कर रही हैं...कितनी आसानी से सूमी ने कह दिया...कुछ काम ना चाहते हुए भी करने पड़ते हैं.......पर मैं तो नही कर पाउन्गा....आज पहली बार ...किसी और लड़की का स्वाद मुझे अपनी बीवियों से मिला.......क्यूँ हो रहा है ऐसा......ओह गॉड कहीं ये दोनो मुझे फिर से उसी जगह पे तो नही ले जा रही.....जहाँ सिर्फ़ दर्द और दर्द के सिवा कुछ नही.......

अपने दिमाग़ में उमड़ते हुए ख़यालों को झटक सुनील सुमन के अंदर ही खो जाता है......धीरे धीरे उसे वही मिठास सूमी के होंठों से मिलने लगती है जो हमेशा मिला करती थी .....और उसके सुमन को चूमने और चूसने की शिद्दत और भी बढ़ जाती है....साइड टेबल पे पड़े वोड्का के ग्लास जैसे दोनो को ताक रहे थे...अरे हमारी इतनी बेइज़ती...लोग हमे पीने को तरसते हैं और तुम हमे तरसा रहे हो.....

सुमन अपनी ज़ुबान सुनील के मुँह में डाल देती है और अंदर घुमाने लगती है...जैसे उसके मुँह को बता रही हो...ये मेरा इलाक़ा है.....यहाँ जो भी आएगा...मेरी मर्ज़ी से आएगा..

सुनील भी अपनी ज़ुबान से सुमन की ज़ुबान से खेलने लगता है...दोनो की ज़ुबाने एक दूसरे सी लिपतीटी और डोर होती....

ये खेल यूँ ही चलता रहा जब तक दोनो की सांस नही फूलने लगी और मजबूर होकर हन्फ्ते हुए दोनो को अलग होना ही पड़ा अपनी साँसों को संभालने के लिए.....

सुमन के दिमाग़ में एक जंग चल रही थी ...रूबी को ले कर.....उसने वोड्का का ग्लास उठाया और एक सीप ले कर सुनील के होंठों से लगा दिया.....सुनील ने भी एक सीप लिया और फिर से अपने होंठ सुमन के होंठों से जोड़ दिए ....एक दूसरे के होंठों को चूस्ते हुए दोनो बीच बीच में वोड्का का सीप लेते रहे जब तक दोनो ग्लास खाली नही हो गये......

सुमन रूबी के साथ खेले हुए खेल से काफ़ी गरम थी..पर उसने खुद को रोक के रखा हुआ था...और धीरे धीरे सुनील को अपने जिस्म का मज़ा दे रही थी...कोई जल्दी नही थी उसे....

रूबी का ख़याल सुमन के दिमाग़ से निकलता चला गया और उसकी जगह उस बच्चे ने ले ली जिसका उसने ख्वाब देखा था.....उसके हाथ सुनील के जिस्म को सहलाने लगे और सुनील ने उसके निपल को चूसना शुरू कर दिया...

ओह उम्म्म्म चूसो मुझे ....अह्ह्ह्ह भर दो इन में दूध....अहह.....ओह सुनील...मेरी जान....

सुमन खो गयी थी किसी और दुनिया में जहाँ सिर्फ़ वो और उसका सुनील था इस वक़्त....जहाँ उसकी आत्मा सुनील की आत्मा से मिल रही थी...एक नयी आत्मा के सृजन की तैयारी में...
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01-12-2019, 02:40 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
शायद आज की रात ही वो रात थी...जब सुमन के गर्भाशय ने एक नये जीव को अपने अंदर स्थान देना था........जब दोनो के बीज एक दूसरे में समा कर एक नया रूप धारण करने वाले थे.....


सुमन...सिसकती हुई सुनील को पुकारती है.........सुनील....तुम प्यार करते वक़्त कुछ बोलते क्यूँ नही....

सुनील..उसके निपल को मुँह से निकल जवाब देता है....जब भी मैं तुमसे और सोनल से प्यार करता हूँ...मैं मैं कहाँ रहता हूँ...मैं तो खो जाता हूँ.....मेरा वजूद तुम दोनो में समा जाता है...बात तो मेरी रूह तुम दोनो की रूह से करती है...ये जिस्म तो बस एक मध्यम बन के रह जाता है

सुमन....ओह गॉड....काश तुमने पहले जनम लिया होता...काश तुम ही मेरे पहले और आखरी शोहर होते.....

सुनील....अगर ऐसा होता तो जिंदगी को जिंदगी क्यूँ कहते......वो उपर बैठा मदारी...अपने ही खेल खेलता है......मज़ा आता है उसे अपनी रचना के साथ खिलवाड़ करने में.....

सुमन...अब आ जाओ........समा जाओ...मुझ में...हमारा बच्चा इंतेज़ार कर रहा है......अपना अस्तित्व पाने के लिए.......उसकी रूह तड़प रही है...मेरे अंदर साँस लेने के लिए

सुनील...सुमन की आँखों में देखता है...जहाँ एक वत्सल्य इंतेज़ार कर रहा होता है...अपने उदर में एक नये जीव की स्थापना करने के लिए...

सुनील का लंड जैसे ही सुमन की चूत को छूता है....

अहह सुनील.....सिसक पड़ती है वो.......

सुनील अपने लंड को धीरे धीरे सुमन की चूत में डालने लगता है और सुमन एक बेल की तरहा उसके साथ लिपट जाती है...जो लज़्ज़त ..जो अहसास सुमन आज महसूस कर रही थी...वो उसे पहले कभी महसूस नही हुई थी...

जिंदगी अपना एक चक्कर पूरा करने जा रही थी....जिस उदर से एक रूह ने अपना आकार पाया था...आज वही रूह...उसी उदर में...एक और रूह को आकर देने जा रही थी....

पता नही सबके साथ ऐसा होता है या नही ...पर सुमन के साथ ऐसा हो रहा था और सुनील...खो चुका था...भूल चुका था खुद को.....वो बस इस वक़्त उस रूह के अधीन था...जो सुमन की रूह से कब का मिल चुकी थी....जिस्मो का मिलन तो बस एक बहाना होता है.......एक रास्ता होता है.....दो रूहों के मिलन का......आज वो मिलन पूरा होने जा रहा था......क्यूंकी आज वो एक नयी रूह को अपने जीवन में स्थान देने जा रही थी....

दोनो के जिस्म का मिलन चलता रहा ...कमरे में जिस्मो से निकली सिसकियाँ गूँजती रही ....और आख़िर वो पल आ ही गया....जब सुनील के स्पर्म ने सुमन के एग से मिलन कर लिया.......जिसका पता उन्हें कुछ दिन बाद ही लगना था........पर दोनो की रूह इस बात को जान चुकी थी.....और प्रसांता से भरपूर थी....जो सुमन के चेहरे से इस वक़्त झलक रही थी........

दोनो धीरे धीरे नींद की आगोश में चले गये...

यहाँ सब रूबी को ले कर अलग अलग सोच रहे थे और उधर.....

मिनी......सुनेल चलो तुम्हें वो जगह दिखाती हूँ...जहाँ पहली बार मिले.

सवी......हां बेटी ले जा इसे ...शायद तेरा प्यार ही इसे वापस ले आए....

मिनी ...सुनेल को अपने साथ उस रेस्टोरेंट पे लेगयि.....देखो सुनेल..मैं यहाँ बैठी थी अपनी सहेलियों के साथ और तुम वहाँ बैठे थे अपने दोस्तों के साथ जब पहली बार हमने एक दूसरे को देखा था.....याद करो सुनेल....वो मंज़र ...वो लम्हा...हम बस एक दूसरे को देखते ही रहे थे...हमारी नज़रें एक दूसरे को छोड़ ही नही रही थी.....याद करो जान...

सुनेल अपना सर पकड़ वहीं रेस्टोरेंट की कुर्सी पे बैठ गया.....

मिनी...कोई बात नही जानू...धीरे धीरे सब यादा जाएगा...मत ज़ोर डालो दिमाग़ पे.........

फिर मिनी कॉफी मँगवाती है....दोनो चुप चाप कॉफी पी कर वहाँ से निकल पड़ते हैं........

मिनी कार ड्राइव करती हुई जुहू बीच जा पहुँची और सुनेल को बीच के एक निर्जन स्थान पे ले गयी.....

मिनी सुनेल से सट्ते हुए....यही वो जगह है..जहाँ तुम मुझे ले कर आने लगे थे ....और यहाँ आ कर तुम बहुत शैतान बन जाया करते थे.........बोलते बोलते मिनी का चेहरा लाल सुर्ख हो गया...वो दिन उसके सामने आने लगे ...जब सुनेल मिनी को यहाँ लाता था कितनी देर दोनो यहाँ बैठे रहते थे और यहीं पहली बार सुनेल ने मिनी को किस किया था...

मिनी सुनेल को आस भरी नज़रों से देखने लगी.....

मिनी के होंठ थर थराने लगे....हरी साड़ी में इस वक़्त वो किसी अप्सरा से कम नही दिख रही थी........मिनी बिल्कुल से सुनेल से सट के खड़ी हो गयी.....और उसकी छाती पे अपना सर रख दिया....

मिनी के इस तरहा करीब आने से सुनेल हिल सा गया........उसका जिस्म गरम होने लगा ...और ना चाहते हुए भी उसने मिनी को अपनी बाँहों में बाँध लिया...

मिनी....ओह सुनेल....बहुत तडपी हूँ तुम्हारे बिना......बहुत तडपी हूँ......

मिनी ने अपना सर उँचा कर अपने होंठ आगे बढ़ा दिए........

सुनेल उसकी आँखों में देखने लगा जहाँ पूरा समर्पण और प्यार का सागर लहरा रहा था....

समुद्र में उफ्फान आ गया और सुनेल के होंठ आगे बढ़ गये और मिनी के होंठों को छू गये...

दोनो खुद को भूल गये ...ये भी भूल गये कि वो कहाँ हैं और दोनो का स्मूच गहरा होता चला गया

काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने में लगे रहे.....शायद बरसों की प्यास आज भुजाने में लगे हुए थे......वक़्त की सुई अपनी चल पे चलती जा रही थी...सूरज अपना आज का सफ़र समाप्त करने जा जा रहा था...आसमान पे लालिमा फैलती जा रही थी........तब कहीं जा के दोनो एक दूसरे से अलग हुए और मिनी ने शरमा के नज़रें झुका ली....दोनो फिर धीरे धीरे चलते हुए पार्किंग की तरफ बढ़ने लगे....

अभी दोनो कार में बैठे नही थे कि एक मोटरसाइकल वहाँ आ के रुकी और उसपे बैठे आदमी ने जब अपनी हेल्मेट उतारी तो उसकी नज़र सुनेल पे पड़ी जो कार में बैठने जा रहा था...उस आदमी की आँखें फैलती चली गयी ...उसने फिर से हेल्मेट पहन लिया ...

जैसे ही मिनी की कार आगे बढ़ी ...वो आदमी एक दूरी बना उनकी कार का पीछा करने लग गया...

वो आदमी तब तक इनका पीछा करता रहा जब तक ये घर नही पहुँच गये.......

मिनी जब कार से उतरी तो बेहद शरमा रही थी........

दोनो घर में घुसे और मिनी अपने बेडरूम में भाग गयी ...सवी हालमें बैठी टीवी देख रही थी...उसके सामने काफ़ी सारी आलबम्स पड़ी थी...

सुनेल सवी के पास जा कर बैठ गया...

सवी...अरे चेंज तो कर...सारे कपड़ों पे रेत लगी हुई है...मैं तुम दोनो के लिए कॉफी बनाती हूँ...

सुनेल सर खुजाता हुआ अपने बेडरूम में चला गया और अटॅच्ड बाथरूम में घुस्स गया...
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सुबह जब रूबी की नींद खुली तो खुद को बहुत तरो ताज़ा महसूस कर रही थी......बाथरूम में घुस गयी नहाने और रात को सुमन ने जिस तरहा उसके बदन को प्यार किया था...वो सब उसकी आँखों के सामने आने लगा...बदन में गर्मी बढ़ने लगी......लेकिन फिर जब सुमन की बात याद आई सुनील को भूलने की बस उसकी बहन बनी रहने की..तो सारी खुशी गायब हो गयी ...चाह कर भी सुनील को अपने दिल से नही निकाल पा रही थी...

नहा के बाहर निकली और कपड़े पहन लिए...

दूसरे कमरे में सुमन बाथटब में नहाती हुई...रात के सुनहरी पल याद कर रही थी........जीवन को एक नया मायना मिलने वाला था....उसके ख़यालों में बस आनेवाला बच्चा ज़्यादा रहने लगा था

नहाते नहाते सुमन अपनी चूत सहलाने लगी और सुनील के लंड को याद कर मुस्कुराने लगी........

सुमन टाइम लगा रही थी नहाने में....जब तक वो बाहर निकली....सुनील और सोनल दूसरे बाथरूम में नहा कर तयार हो चुके थे.....

आज सुमन के चेहरे की चमक देखने वाली थी....सुनील से रहा नही गया और उसने सुमन को खींच उसके होंठों को पीना शुरू कर दिया...

दोनो को देख सोनल भी गरम होने लगी थी...पर अभी वक़्त नही था....रूबी किसी टाइम आ सकती थी और आज राजेश और कवि से भी मिलना था...उनका आगे का प्रोग्राम डिसकस करने...कवि उनके साथ जा रही थी ..या फिर वापस देल्ही आ रही थी...

सुमन सुनील से अलग हुई और तयार होने लगी....

जब तक सुमन तयार हुई रूबी आ चुकी थी...

फिर सभी रेस्टोरेंट चले गये ...जहाँ विजय, राजेश, आरती और कवि इनका इंतेज़ार कर रहे थे...
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01-12-2019, 02:40 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
ब्रेकफास्ट करते हुए ये डिसाइड हो गया कि कवि वापस देल्ही ही जाएगी और कुछ दिनो में राजेश आ जाएगा..फिर ये देल्ही वाले फ्लॅट में शिफ्ट हो जाएँगे....

रूबी के बारे में सोच कवि थोड़ा उदास थी...

विजय और आरती उसी दिन वापस चले गये.....राजेश और कवि रुक गये अभी कुछ दिन और मस्ती करने के लिए....

सोनल को एक ज़रूरी प्रेज़ेंटेशन देनी थी ...कॉलेज में इसलिए वो रूबी को साथ ले वापस चली गयी....सुनील और सुमन कुछ दिन के लिए और रुक गये..इनका प्रोग्राम अब राजेश और कवि के साथ हो गया वापसी का...

सोनल जाते जाते...सुमन के कान में बोल गयी ...दीदी प्रेग्नेंट हो कर ही आना फिर जशन मनाएँगे...

कवि को ऑक्वर्ड महसूस ना हो .......सुनील और सुमन की माजूदगी उसी होटेल में होने से...इसीलिए सुनील ने होटल बदल लिया क्यूंकी वो भी सुमन के साथ अकेले में वक़्त गुज़ारना चाहता था...

उधर मिनी नहाने के बाद कमरे से बाहर आने में कतरा रही थी..उसे बहुत शर्म आ रही थी..कैसे नज़रें मिलाएगी वो सुनेल से ..कहीं वो उसे ग़लत ना समझ बैठे.....

उसकी कॉफी ले कर सवी कमरे में आ गयी .....

सवी....क्या हुआ बाहर क्यूँ नही आई....

मिनी कुछ नही बोली बस चेहरा झुकाए बैठी रही.

सवी...शरमाने की ज़रूरत नही ...जो पहले नही हुआ वो अब होगा...मैं तेरी शादी करवाउन्गी..सुनेल से.....बस उसकी यादश्त वापस आ जाए...

मिनी.......उपरवाले ने चाहा तो वो जल्द अपनी यादश्त वापस पा लेंगे...

सवी उसके साथ ही बैठ कॉफी पी रही थी...आज उसने सुनेल को काफ़ी खुश देखा था...

सवी...तू अगर चाहे तो सुनेल के कमरे में शिफ्ट हो सकती है..

मिनी...क्या कह रही हो माँ...शादी के बिना...मैं कैसे...

सवी...जब तुम पहले ही एक दूसरे के हो चुके थे जो होनी ने अपनी करामात दिखा तुम्हें अलग कर दिया ....तो वही होनी आज फिर तुमको करीब ले आई है...शायद तेरे और भी करीब जाने से सुनेल पे कुछ ज़्यादा असर पड़े...रही बात तुम दोनो की शादी की..तो उसकी ज़िम्मेदारी मेरी है...

मिनी...पर माँ अगर इनकी जिंदगी में कोई और निकली तो.......जिसका पता इनके ठीक होने के बाद चला तो तो मैं तो कहीं की नही रहूंगी...

सवी....कुदरत पे भरोसा रख...अगर ऐसा कुछ हुआ होता..तो वो तुम दोनो को फिर से नही मिलाती...और मैं तुझे वचन देती हूँ...चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए...तू इस घर की बहू थी और बहू ही रहेगी...चल मेरे साथ....

सवी मिनी को खींच बाहर हॉल में ले आई...जहाँ सुनेल बैठा कॉफी पी रहा था...

सवी ...सुनेल बेटा क्या तुझे मिनी पसंद है ....शादी करेगा मेरी बेटी से...

सुनेल......मिनी बहुत अच्छी है...मैं क्या कोई भी तयार हो जाएगा इससे शादी करने के लिए...पर ...जब मैं खुद को ही नही जानता ...मैं ये ज़िम्मेदारी कैसे उठा पाउन्गा..कल..कहीं...

सवी...तेरा दिल क्या कहता है......

सुनेल ....सवी को देखने लगा...मिनी वहीं सर झुकाए खड़ी रही...

सुनेल....माँ अगर मिनी को कोई इतराज़ नही ..तो मुझे तो खुशी होगी...

सवी ...वहाँ टेबल पे पड़े चाकू को उठा सुनेल के अंगूठे में चुबा देती है...खून निकलने लगता है...

सवी..भर दे इसकी माँग फिर अपने खून से...ताकि ये बंधन जन्मों तक सलामत रहे...

मिनी हैरानी से सवी को देखने लगी..उसकी आँखें नम हो चुकी थी..

सुनेल उठ के मिनी के पास आ गया......उसके चेहरे को उठा उसकी आँखों में झाँकने लगा ....जिनमें एक तड़प थी...एक आस थी....और सुनेल उसकी माँग अपने खून से भर देता है...मिनी की रुलाई निकल पड़ती है...

सवी उसे अपनी बाँहों में भर लेती है...ना बेटी अब रोना नही ...बस खुशियों के दिन ज़्यादा दूर नही...

आरती और विजय घर पहुँच गये थे ....आरती विजय को दिखा नही रही थी पर अंदर से वो बहुत परेशान थी...सवी का घर में ना रहना उसे और भी चोट पहुँचा गया था.....

विजय ने उसके लिए अपने प्यार की कुर्बानी दे डाली..ये वो जानती थी....काश उस वक़्त उसका अबॉर्षन हो पाता...तो आज विजय अपने प्यार के साथ होता...

रिश्ते कैसे बदलते हैं ...वो इस बात से भी हैरान थी....उसका भाई उसका पति बन गया ...और उसके भाई का प्यार आज उसकी सम्धन बन गयी थी....

कैसे मिलाऊ इन दोनो को आरती अब हर वक़्त बस यही बात सोचती रहती थी...सवी कहाँ गयी होगी....पहले तो सुनेल की ज़िम्मेदारी थी उसपे...अब मिनी भी उसकी ज़िम्मेदारी बन चुकी थी...अकेली नितांत असहाय कैसे झेल रही होगी सब.

सोचते सोचते उसका दिमाग़ पलक की तरफ घूम गया......और उसने करण की वाइफ को फोन लगा दिया...

आरती....भाभी पलक का क्या कर रही हो...किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाया या नही...

******

आरती...क्या...आप लोग पागल तो नही हो गये......लगता है विजय को ही करण से बात करनी पड़ेगी......क्यूँ इतनी अच्छी लड़की की जिंदगी बर्बाद करने पे तुले हो..

*******

आरती ...हां वो शाम तक आ जाएँगे ....तब फोन करवाउन्गी...

इसके बाद आरती फोन रख देती है...

विजय ऑफीस में बैठा सोच रहा था कि कैसे वो सवी की मदद करे.......मदद तो बाद की बात है पहले उसे ढूंडना पड़ेगा....

विजय एक प्राइवेट डीटेक्टिव को बुलाता है....सारी बात उसे समझाता है और एक पुरानी फोटो जो उसके पास सवी की थी...वो उसे देदेता है...और ज़ोर शोर से सवी को ढूँडने के लिए बोलता है.....तभी उसे याद आता है कि राजेश की शादी की फोटोस में मिनी की फोटोस भी हैं...वो मिनी की फोटो भी निकाल के डीटेक्टिव को देदेता है.....अगर मिनी का पता चल गया तो सवी का अपनेआप चल जाएगा...

यहाँ मालदीव में.........

राजेश और कविता एक वॉटर बंगलो मे बैठे ...टीवी के चॅनेल सर्फ कर रहे थे......

कविता....आप पलक से अब दूर रहना.....

राजेश...भाई कभी बहन से दूर रहता है क्या

कविता..पर वो आपको भाई कहाँ समझती है.....अगर मैने उसकी वो हरकत ना देखी होती तो पता नही क्या बवाल मच जाता

राजेश....वो बेवकूफ़ है...समझ जाएगी वक़्त के साथ

कविता...हैरानी से उसकी तरफ देखती है ...और गुस्से में उठ के बाहर चली जाती है...

राजेश...अरे नाराज़ क्यूँ हो रही हो...

उठ के उसके पीछे जाता है...

राजेश कविता के पीछे जा उसके साथ चिपक जाता है...

कविता बिदक के अलग हो जाती है......

कविता...जब तक मेरा कोर्स पूरा नही होता...आप देल्ही मत आना ...पहले अपनी बहन को संभाल लो...

राजेश ....अरे क्यूँ नाराज़..

कविता...नही मैं नाराज़ नही हो रही ...जो होना चाहिए वो बोल रही हूँ........

राजेश....तुम क्यूँ उस बेवकूफ़ को इतना सीरीयस ले रही हो...

कविता...बेवकूफ़...वो बेवकूफ़ नही हज़ार लोमदियों का दिमाग़ रखती है...........मैं आज ही वापस जा रही हूँ....जब पलक का मसला हमेशा के लिए सॉल्व हो जाए तब बुला लेना...तब तक मेरा कोर्स भी पूरा हो जाएगा...पैर पटकती हुई अंदर चली गयी और अपनी पॅकिंग करने लगी...

राजेश को गुस्सा तो बहुत चढ़ा ...पर चुप रहा ....वो दिल से पलक को बहन मानता था ....और कविता का इस तरहा से रिएक्ट करना उसे खल रहा था...

कविता ने सुनील को फोन कर दिया.....भाई मैं आज ही वापस जाना चाहती हूँ.......मेरी टिकेट पे आज की डेट चेंज करवा दो...

सुनील उसकी इस बात से बोखला सा गया....क्या झगड़ा हो गया इसका अब राजेश से...

सुनील....****

कविता ...नही भाई कोई झगड़ा नही हुआ ....अभी ये पहले पलक को संभालेंगे ...फिर मुझे लेने आएँगे ....अगर इनकी मर्ज़ी हुई तो......मैं एरपोर्ट के लिए रवाना हो रही हूँ...

सुनील बोलता रह गया...पर कविता फोन काट चुकी थी....होटेल की रिसेप्षन पे फोन कर अपने लिए एरपोर्ट जाने का इंतेज़ाम कर लिया...

राजेश ...कवि क्या है ये सब.....

कविता......कुछ नही ...अभी आपकी बहन को आपकी ज़्यादा ज़रूरत है....

तभी सुनील का फोन आता है राजेश के मोबाइल पर....

दोनो में कुछ देर बात होती है और राजेश कवि का बॅग अंदर पटक उसे अपनी बाँहों में भींच लेता है.....'बीवियों को इतना गुस्सा नही करना चाहिए...जान निकल जाती है आदमियों की...जो तुम चाहती हो वही होगा...पर उसके इलाज़ में तो विमल की मदद कर सकते हैं ना...'

कविता...आप डॉक्टर हो...जितना उसके सामने जाओगे उतना उसका बुखार वैसे का वैसा रहेगा...ये काम मम्मी पापा का है उन्हें करने दो...

ओके ओके ओके ....अब मुँह तो मीठा कर दो...इतनी देर से डाँट लगाती रही हो...
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