Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:41 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
राजेश कवि के होंठों पे अपने होंठ रख देता है...और कवि उसकी बाँहों में पिघलने लगती है...

कवि के जिस्म में कामउर्जा का संचार होने लगा ....रति अपने रूप में आने लगी ....कवि ने राजेश की पीठ को सहलाना शुरू कर दिया......

दोनो की ज़ुबान एक दूसरे से मिलने लगी और एक दूसरे का पीछा करते हुए एक दूसरे के मुँह में घुस्स जाती और और ज़ुबान की चुसाई शुरू हो जाती ....

कवि बेल की तरहा राजेश से लिपटने लगी......और राजेश उसे उठा अंदर बेड रूम में ले गया...दोनो के होंठ चिपके ही रहे ....

उधर सोनल और रूबी घर पहुँच चुके थे.....दोनो फ्रेश हुई और कपड़े बदले....रूबी ने कॉफी तयार की और सोनल अपने प्रॉजेक्ट पे लग गयी...रूबी उसके पास ही बैठी रही...करीब घंटे बाद सोनल फ्री हुई ...तो उसने रूबी की और नज़र डाली ...जो सर झुकाए उदास बैठी थी....

सोनल...आज खाना बाहर से ही मंगवा लेते हैं...

रूबी..जैसी आपकी मर्ज़ी..

सोनल..क्या खाएगी...

रूबी ...कुछ भी मंगवालो..

सोनल..मुझ से नाराज़ है क्या...

रूबी ...नही तो ..मैं क्यूँ नाराज़ होने लगी.....

सोनल...फिर तू इतना उदास क्यूँ है ...क्या बात है...

रूबी...जाने दो...आप नही समझोगी.....

सोनल ने रूबी को अपनी तरफ खींच लिया और उसकी गर्दन में अपनी बाँहें डाल बोली...बता क्या बात है .....

रूबी......भाभी बनने के बाद आप बदल गयी हो...मेरी वो दीदी कहीं खो गयी है...जो मेरी खुशी का बहुत ख़याल रखती थी....

सोनल ने रूबी को खुद से चिपका लिया ...नही पगली मैं तेरी वही सोनल हूँ...जो पहले भी तुझ से प्यार करती थी और आज भी करती है...

रूबी...तो फिर आप मेरे दिल की बात क्यूँ नही समझती.....क्यूँ मुझे मेरे प्यार से नही मिल्वाती........मत करो मेरे साथ ऐसा...मैं मर जाउन्गि......

रूबी सोनल से लिपटी रोने लगी...

सोनल रूबी के सर को सहलाते हुए.....मत रो गुड़िया....क्यूँ ऐसे ख्वाब देख रही है जो पूरे नही हो सकते...तू एक बीवी से बोल रही है..मेरे साथ अपने पति को शेयर कर लो....कोई नही कर पाएगी...

रूबी...क्यूँ नही कर पाएगी...बड़ी भाभी ने अपने पति को आपके साथ शेयर किया या नही...तू फिर आप दोनो मेरे साथ क्यूँ नही कर सकती..सागर पापा कहते थे..प्यार बाँटने से बढ़ता है...अप तो प्यार को अपने लॉकर में बंद कर के रखना चाहती हो...

सोनल....की आँखों के सामने सागर की तस्वीर आ गयी ..जो मुस्कुरा रही थी....जैसे कह रही हो..ये भी तो मेरी बेटी है...क्या इसकी खुशी पूरी नही होगी...क्या मेरी ये बेटी यूँ ही तड़पति रहेगी...

रूबी....अगर सागर पापा होते...तो हक़ से उनसे कुछ भी माँग लेती ..पर अब वो ही नही रहे..कोई नही रहा मेरा..बस सहानुभूति दिखाई जाती है...बहुत कोशिश करी....अपने दिल से सुनील को निकाल दूं...विमल से शादी भी इसीलिए कर रही थी कि सुनील से दूर चली जाउ...जिंदगी भर कोई मेरे बदन को नोचता रहता ...ये सज़ा भी भुगत लेती...पर इस दिल का क्या करूँ...सुनील के नाम से ही धड़कता है..क्या करूँ...

रूबी भाग के अपने कमरे में चली गयी और बिस्तर पे गिर रोने लगी.....सोनल वहीं खड़ी एक अंतर्द्वंद में फस गयी....

सोनल को यूँ लग रहा था जैसे रूबी ने बारूद में आग लगा दी हो.....चारों तरफ अब बॉम्ब ही बॉम्ब फटेंगे और उनकी चपेट में तीन लोग आएँगे ..वो खुद..सुमन और खांस कर सुनील....

नही...सुनील को कोई दर्द मैं नही दे सकती....नही दे सकती...मैं बहुत प्यार करती हूँ उस से ..कैसे उसे दर्द दे पाउन्गि...ओह गॉड किस तरहा रूबी को समझाऊ ....सुनील कोई आम लड़का नही है...ऐसा लड़का पूरी कायनात में शायद एक बार ही जनम लेता है.......बहुत तड़प चुका है ..बहुत दर्द झेला है उसने ..जब पहले सुमन को अपनाया एर एक बार दर्द के सागर में डुबकियाँ लगाई ..जब उसने मुझे अपनाया...

क्यूँ सब सुनील के पीछे पड़े हैं...दुनिया में और लड़कों की कमी है क्या...रूबी को अच्छे से अच्छा लड़का मिल जाएगा...

दिल से एक आवाज़ ..आई ..तुझे भी तो अच्छे से अच्छा लड़का मिल सकता था...लाइन लगी हुई थी तेरे लिए...फिर क्यूँ तड़पति थी सुनील के लिए...किस तरहा आग लग गयी थी तुझे जब पहली बार सुमन और सुनील के बदले रिश्ते के बारे में पता चला....सोच रूबी पे क्या गुजर रही होगी...वो सब तो तू झेल चुकी है...क्या तुझे उसके दर्द का अहसास नही होता.....क्या तुझे उसके अंदर एक सोनल तड़पति हुई नही दिखती...

सोनल....नही नही ये नही हो सकता...मैं अपने सुनील को किसी के साथ नही बाँट सकती...वो मेरा है बस मेरा.......

दिमाग़.....अच्छा वो बस तेरा है...तेरा तो वो कभी था ही नही...अगर सुमन उसे मजबूर ना करती.....

सोनल......वो वो तो पापा ने मजबूर किया उसे तभी सुमन उसकी जिंदगी में पहले आई...

दिमाग़...तो फिर ये क्यूँ भूल रही है...उसी सुमन ने मजबूर किया सुनील को तुझे अपनाने के लिए

सोनल...तो इसमे मेरी क्या ग़लती....अगर पापा उसे मजबूर ना करते ..तो आज वो सिर्फ़ मेरा होता..

दिमाग़....कॉन से ख्वाबों की दुनिया में जीती है तू......वो मर जाता पर कभी तेरा नही होता...

सोनल..एक दिन वो मेरे प्यार को ज़रूर समझता...एक दिन वो मुझे ज़रूर अपनाता

दिमाग़...हां सारी उम्र निकल जाती ...फिर क्या फ़ायदा होता...तड़पति रहती तू सारी जिंदगी

सोनल...बंद करो ये बकवास..

दिमाग़...अच्छा अब ये बकवास लगने लगी तुझे..ख़ुदग़र्ज़ ...देख उसे ...वो तेरी ही बहन है...तेरे सागर पापा की लाडली बेटी ...ऐसे ही तड़पने देगी तू उसे...क्या सोच रहा होगा सागर...क्या हाल कर के रख दिया उसकी बेटी का..

सोनल ...अपने कानो पे दोनो हाथ रख चिल्लाती है...चुप करो.....कुछ नही होगा रूबी को..उसे बहुत अच्छा लड़का मिलेगा...सारी जिंदगी ऐश करेगी वो..

दिमाग़....यूँ कान बंद करने से मेरी आवाज़ को नही रोक सकती हो...मैं तो तुम्हारे अंदर ही हूँ...मैं ही तो हूँ तुम्हारी असली आवाज़ ...हाहाहा

सोनल...नही नही..मैं अपने सुनील पे दर्द का साया भी नही पड़ने दूँगी

दिमाग़......और अपनी बहन को तड़प तड़प के मरने देगी...निकली ना ख़ुदग़र्ज़...

सोनल....अगर अपने प्यार को दर्द के साए से दूर रखना ख़ुदग़रजी है तो हूँ मैं ख़ुदग़र्ज़.......

दिमाग़...दर्द का साया...कहाँ से आया ये दर्द का साया...कॉन कहता है तेरे प्यार पे दर्द का साया आएगा...रूबी तो तेरी तरहा अपनी जान से ज़्यादा सुनील से प्यार करती है...फिर वो जिंदगी में और प्यार बिखेरेगी..या उसे दर्द देगी...तू तो अभी प्यार का ही मतलब नही जानती...बात करती है दर्द के साए की....

सोनल...तुम क्या जानो..मेरा सुनील कितनी मर्यादा वाला शक्स है...दो बीवियाँ हैं उसकी ..तीसरी कभी नही करेगा...और ये तो भूल ही जाओ कि अपनी दूसरी बहन को बीवी बनाएगा...ये बात तो वो सपने में भी नही सोच सकता...अगर उसे इस बात की भनक भी पड़ी तो उसे कितना दर्द होगा मैं जानती हूँ....

दिमाग़...पहले उसके सामने रूबी के दिल को बयान तो करो फिर देखना क्या होता है......

सोनल...नही नही मैं ऐसा नही कर सकती...

दिमाग़ ...तो फिर भूल जाओ रूबी नाम की तुम्हारी कोई बहन है...भूल जाओ सागर की उस बेटी को जिसपे वो जान छिड़कता था ...भूल जाओ उस बेटी को...जिसकी सुरक्षा ना कर पाने के सदमे से उसकी जान चली गयी...वो तो चला गया..अब जाने दो रूबी को भी सागर के पास..

सोनल...ओह गॉड...पापा..बताओ ना क्या करूँ..क्या करूँ पापा ...दोनो मुझे प्यारे हैं...कोई तो रास्ता दिखाओ पापा..

दिल...क्या हुआ ...यहीं तो हूँ मैं तेरे दिल में........मैं तुझे छोड़ के कभी जा सकता हूँ क्या...

सोनल...वो रूबी....

दिल...सुनील को बस इतना कहना...मैने क्या कहा था सेव रूबी......वो समझ जाएगा...तू मत परेशान हो..तुझे तो अभी बहुत बड़ा काम करना है...

सोनल...क्या क्या करना है मुझे.....

दिल.... परेशान मत हो..जब वक़्त आएगा...तुझे पता चल जाएगा..तुझे क्या करना है......तुझे एक इतिहास की रचना करनी है...और उसके लिए तुझे अच्छी सेहत चाहिए..खुश रहा कर..अच्छा खाया पिया कर .....

सोनल..बताओ तो सही ऐसा क्या करना है मुझे...

दिल...वो वक़्त आने दे...तुझे पता चल जाएगा...कहा ना परेशान मत हो..

सोनल दिल और दिमाग़ में उलझ गयी ...पता ही ना चला कितना वक़्त गुजर गया...और डोर बेल बज उठी...जिसने सोनल का ध्यान तोड़ा..
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सवी....सुनेल तू यहीं बैठ ...एक घंटे तक झाँकना भी नही कि अंदर क्या हो रहा है...और तू चल मेरे साथ..

सुनेल बस सवी को देखता रह गया बिल्कुल कन्फ्यूज़्ड चेहरे के साथ...मिनी के चेहरे पे मुस्कान आ गयी .....पर चेहरा झुकाए ही रखा और कनखियों से सुनेल को देखती रही...

सवी मिनी को अपने कमरे में ले गयी और एक अलमारी खोली...उसके अंदर उसने रूबी के लिए बहुत समान खरीद के रखा हुआ था जो उसकी शादी पे काम आना था...

कमरे से समर की सारी याद मिटा दी गयी थी...और बेड के पास बिस्तर पे सुनील की फोटो रखी हुई थी...

मिनी ...माँ ये ...

सवी ...चुप रह ये तेरे मतलब की बात नही......ना कुरेद मेरे दर्द को..

मिनी चुप रह गयी...लेकिन वो ये समझ गयी थी कि सवी के दिल में सुनील बसा हुआ है......माफ़ करना सुनील..मैने तुम्हें क्या क्या नही कहा..कैसे कैसे तुम्हारे सामने आई ..और ये बिल्कुल भी ना समझ पाई की तुम सुनेल के जुड़वा हो..काश हर लड़की को सुनील जैसा ही पति मिले...आए..मेरा सुनेल भी कुछ कम नही...
...अपने मन में खुद से ही बात कर रही थी.

सवी ने मिनी को एक डाइमंड का हार निकाल के दिया और कुछ साड़ी निकाल के दी..एक दो बहुत अच्छी लिंगेरिएस और एक चोली लेनहगा चुनरी के साथ मोतियों से जड़ा हुआ ...जो दुल्हन के लिए काम आता है.

उसे देख मिनी का तो बुरा हाल हो गया...उई माँ ..सासू जी तो आज मेरी सुहागरात की प्लॅनिंग कर रही हैं..

मिनी अपने ख़याल से बाहर निकली ही नही थी कि सवी ने फोन कर एक ब्यूटीशियन और एक फ्लोरिस्ट को बुला लिया.

कुछ ही देर में ब्यूटीशियन और फ्लोरिस्ट आ जाते हैं और अपने काम में लग जाते हैं...करीब डेढ़ घंटे बाद दोनो चले जाते हैं.

सुनेल का कमरा सज गया था ...बिस्तर सुहाग्सेज बना हुआ था...और सवी के कमरे में मिनी ने दुल्हन का रूप ले लिया था.
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01-12-2019, 02:41 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
अभी उन दो लोगो को गये कुछ वक़्त ही बीता था कि फिर से बेल बजती है...सुनेल दरवाजा खोलता है और एकदम बिजली सी चमकती है...दो लोग एक साथ सुनेल पे वार करते हैं...एक लोहे की रोड सुनेल के सर पे पड़ती है और उसी वक़्त एक चाकू उसके पेट में घोंप दिया जाया है......

सुनेल की दर्द भरी चीखे गूँजती है और वो लहरा के गिर जाता है......

जब तक उसकी चीख सुन सवी और मिनी बाहर आती...हमलावर नो दो ग्यारह हो चुके थे...सुनेल दरवाजे पे गिरा बेहोश था...और उसके जिस्म के चारों तरफ खून फैल रहा था...उसकी ये हालत देख मिनी चीख मार बेहोश हो जाती है...सवी जो फटी आँखों से सब देख रही थी...मिनी के गिरते ही उसे होश आता है...चिल्ला के पड़ोसियों को बुलाती है और मिनी को उनके हवाले कर बिजली की तेज़ी से एक पड़ोसी को साथ ले पास के हॉस्पिटल की तरफ रवाना हो जाती है...

सवी को हॉस्पिटल वाले जानते थे तो देरी ना करते हुए सुनेल को सीधा ऑपरेशन थियेटर में ले जाया जाता है ...

सवी हारी सी पिटी सी वहीं बाहर बैठी उपरवाले से दुआ माँग रही थी..

4 घंटे तक ऑपरेशन चला........

ऑपरेशन सफल हुआ था..पर सब कुछ ..इस बात पे निर्भर था कि सुनेल को कब होश आता है.......

रात भर सवी वहीं उसके सिरहाने आइसीयू में बैठी रही.

आइसीयू में बैठी सवी को ये नही पता चला कि पड़ोसी मिनी को भी हॉस्पिटल ले आए हैं...और वो एक दूसरे आइसीयू में अड्मिट हो चुकी है...एक पड़ोसी रात भर वहीं रुका रहा....

सुबह हो गयी....सुनेल को होश नही आया ....वो कोमा में चला गया था.....

मिनी को इतना गहरा सदमा पहुँचा था कि सुबह तक वो भी होश में नही आई थी...

सुनेल के कोमा में जाने की बात सुन..सवी ..बिल्कुल टूट गयी थी और इस वक़्त उसे ज़रूरत थी सुनील की...जो मिल्लों दूर था....

थकी हारी निराश जब सवी आइसीयू से बाहर निकली तो उसकी मुलाकात पड़ोसी से हुई...मिनी की हालत का पता चलते ही वो और भी टूट गयी और वहीं ज़मीन पे गिर बिलख बिलख के रोने लगी...

उसके पड़ोसी और डॉक्टर्स ने बड़ी मुश्किल से उसे संभाला और उसे नींद का इंजेक्षन लगा एक रूम में अड्मिट कर दिया.

मिनी को पहले होश आता है...वो उस सदमे से बाहर निकल चुकी थी...डॉक्तॉस से सुनेल के बारे में पूछती है ....और जब उसे पता चलता है कि वो कोमा में चला गया है...अपने हाथों में लगी मेंहदी को देख .....क्यूँ की इतनी जल्दी माँ....इस मेंहदी की कसम ...इसका रंग फीका नही पड़ने दूँगी ...जब तक मेरा सुनेल वापस नही आता सही सलामत.....

खुद को संभालती है...अब एक बहू ने अपना फ़र्ज़ निभाना था...अपने दर्द को अपने अंदर रख..उसे अपनी सास को संभालना था और अपने पति को उकसाना था कि वो लॉट आए.....लेकिन ...लेकिन ये हुआ क्यूँ...वो डर गयी...घबरा गयी....सुनेल की यादश्त एक आक्सिडेंट की वजह से गयी थी...और कल उसपर ये जानलेवा हमला...यानी कोई तो दुश्मन है सुनेल का...पर कॉन....

सुनील से कुछ कह नही सकती थी...क्यूंकी सवी उसे बता चुकी थी अपनी कसम के बारे में...

अब सहारे के दो रास्ते थे उसके पास ....अपने घरवालों को फोन कर बुलाती....या फिर.....विजय अंकल....

घरवालों का कोई ज़ोर नही था मुंबई में...विजय अंकल एक बिज़्नेस टिकून थे...उसे यही रास्ता सही नज़र आया...किसी भी तरहा ...विजय अंकल से बात करना और उनकी मदद लेना...लेकिन उन तक पहुँचू कैसे...

सोचते सोचते ..उसे ख़याल आया कि एक बार राजेश ने अपना नंबर दिया था...

राजेश तो हनिमून पे है...उफ्फ क्या करूँ......लेकिन जब सुनेल के उपर मंडराते ख़तरे के बारे में सोचा तो राजेश को फोन कर दिया...

राजेश ने उस से बहुत पूछा क्या प्राब्लम है इतनी घबराई हुई क्यूँ है...मिनी कुछ ना बोली...बस विजय का नंबर ले लिया कि बहुत ज़रूरी बात करनी है...

हैरान परेशान राजेश नंबर एसएमएस कर देता है....

और मिनी विजय को फोन कर देती है..

आधे घंटे में विजय और आरती दोनो वहाँ हॉस्पिटल में थे...

आरती सवी के पास जा कर बैठ जाती है और उसके होश में आने का इंतेज़ार करती है...

विजय सुनेल की कंडीशन के बारे में पता करता है और फिर मिनी के पास बैठ उस से सारी कहानी सुनता है...

विजय एक दम हरकत में आ जाता है...

आधे घंटे के अंदर ही सुनेल के लिए पोलीस प्रोटेक्षन आ जाती है

विजय अपने दोस्त डीटेक्टिव को भी बुला लेता है...और उसे उस अटॅकर को खोजने और ख़तम करने में लगा देता है...

सवी को होश आता है और अपने पास आरती को देख हैरान हो जाती है...

आरती उसे कुछ भी बोलने से मना करती है और बस आराम करने को कहती है....सवी नही मानती और उठ के कमरे से बाहर आ...मिनी को ढूंडती है...और उस कमरे में चली जाती है...

विजय फोन पे किसी से बात कर रहा था...

सवी की नज़रें मिनी से मिलती हैं...सवी की आँखों में गुस्सा था..उसे विजय की माजूदगी पसंद नही थी...अपनी लड़ाई..अपनी प्रॉब्लम्स वो खुद अकेले सॉल्व करना चाहती थी


विजय फोन पे बात करता हुआ ...सवी के चेहरे को पढ़ लेता है...जब तक विजय का फोन ख़तम होता....आरती भी वहाँ पहुँच जाती है...

विजय....सवी ..ये गुस्सा दिखाने का समय नही है.....उसके लिए तुम्हें अब बहुत मोके मिलेंगे...क्या चाहती हो..बेचारी बहू अकेली...सारी मुसीबतें झेले...बस अब मुँह मत खोलना...मुझ से जो नाराज़ गी है...दिल खोलके बाद में जितनी मर्ज़ी गालियाँ देलेना.........आरती अभी इसी वक़्त इन दोनो को घर ले जाओ..मैं यहाँ सब संभाल लूँगा...

मिनी की हालत देख सवी चुप कर गयी और आरती के साथ दोनो माँ और बहू चले गये..

विजय फिर फोन पे लग गया...जाने किन किन लोगों से बात कर रहा था...

आरती और बाकी अभी हॉस्पिटल की पार्किंग तक पहुँचे थे...

सवी....आरती जी...आप लोगो के साथ का बहुत शुक्रिया ...अब हम अपने घर जाएँगे...सुनेल अभी कोमा में है...जब उसे होश आएगा...तब मुझे खबर मिल जाएगी...बहुत बहुत शुक्रिया आपका .......आरती कुछ बोल ही ना पाई और सवी टॅक्सी ले मिनी को साथ ले अपने घर चली गयी..


भारी कदमो से ...आरती वापस विजय के पास चली गयी ..जो उसे यूँ आया देख हैरान नही हुआ...जानता था...सवी कुछ ऐसा ही करेगी..

जब से कवि उसकी बहू बन के आई थी..तब से विजय को यूँ लगता था..जैसे उसे सब कुछ मिल गया हो..एक भरा पूरा परिवार ..जिसकी कमी उसे हमेशा खलती रही...सुनील में उसे वो बेटा दिखता था..जो शायद उसका होता..अगर आरती किसी बच्चे को दुबारा जनम दे पाती ....राजेश को उसने दिल से अपना माना था..अपना पूरा प्यार उसपर लूटाया था..पर दिल में एक कसक बाकी रह गयी थी..जो हर इंसान में रहती है...मेरा अपना..चाहे वो कुछ भी कर ले ..ये कसक कभी नही मिटती......नज़ाने क्यूँ जब से वो सुनील से मिला था ..उसका वो ख्वाब ..जो अधूरा था..वो उसे पूरा होता हुआ लगा...

शायद कुछ लोगो की शक्सियत ही ऐसी होती है...जो दूसरे के दिल में अपनी एक खांस जगह बना लेती हैं...सुनील भी कुछ ऐसा ही था....चाहे उसमे सागर का खून नही था..पर सुमन का असर बहुत था......तभी तो समर का कोई भी गुण उसमे जाग नही पाया....

आइसीयू में पड़े कोमा में जिंदगी से जूझते हुए सुनेल को देख ...उसके सामने सुनील का ही रूप था..और उसके अंदर गुस्से की वो आग उभर रही थी..जिससे वो खुद भी अंजान था...और ऐसी हालत में सवी की जिद्द ..कि वो सब कुछ खुद कर लेगी उसे और भी चोट पहुँचा रही थी......उसने डॉक्टर्स से फिर बात करी और दनदनाता हुआ...सवी के घर की तरफ निकल पड़ा....

विजय जब सवी के घर पहुँचा तो ...महॉल ऐसा था जैसे मातम हो रहा हो...पूरे घर में बस एक दो लाइट्स ही जल रही थी.......मिनी ने ही दरवाजा खोला था और सम्मान के साथ विजय को हॉल में बिठाया और लाइट्स जला दी...फिर विजय को पानी दे कर वो अंदर चली गयी सवी को बुलाने....

सवी को जब मिनी ने बताया की विजय आया है ...वो बहुत हैरान हुई फिर भी मिलने आगयि ...

सवी...विजय जी आप...कैसे आना हुआ...कुछ ज़रूरी था तो फोन ही कर देते ..इतना कष्ट करने की क्या ज़रूरत थी...

विजय......शम्धन जी...जिसने सुनेल पे अटॅक किया है वो कोई छोटा मोटा इंसान नही पेशेवर कातिल है..और आप लोग तब तक सुरक्षित नही हो...जब तक वो पकड़ा नही जाता...पोलीस और मेरे आदमी लगे हुए हैं..पर तब तक...मैं आपको यहाँ अकेले नही रहने दूँगा.....

सवी कुछ बोलने लगी....विजय ने बोलने ही नही दिया

विजय....दो रास्ते हैं...या तो मैं सुनील को यहाँ बुलाऊ..ताकि वो आप लोगो का ध्यान रख सके...या फिर आप मेरे साथ चलिए .......और मैं कुछ नही सुनूँगा...

कविता जब से हमारे साथ जुड़ी है...आप लोगो की सुरक्षा भी मेरी ज़िम्मेदारी है....अब पिछली बातों को कुरेद कर कुछ हासिल नही होनेवाला ...इसलिए प्लीज़ ज़िद मत कीजिए और अभी इसी वक्त मेरे साथ चलिए...

सवी नही चाहती थी कि सुनील को अभी सुनेल के बारे में पता चले...उसे उस वक़्त का इंतेज़ार था जब सुनेल बिल्कुल ठीक हो जाता ......बात विजय ठीक कर रहा था...अपने ईगो के चक्कर में वो मिनी को भी ख़तरे में डाल रही थी...इसलिए ना चाहते हुए भी वो विजय के साथ चलने को तयार हो गयी...

सवी ने मिनी को दोनो के कपड़े पॅक करने को कहा और फिर दोनो विजय के साथ चल दी......बीच में सब एक बार हॉस्पिटल का चक्कर लगा सुनेल को भी देखने गये..

सवी के आने पे आरती बहुत खुश हुई......उस से गले मिली और दोनो को एक एक कमरा दे दिया ...मिनी ने दोनो के कपड़े कमरे में रखे वॉर्डओब में सेट किए ...और आरती के बार बार मना करने पर भी ..किचन में डिन्नर तयार करने का भार अपने उपर ले लिया..

आरती सवी के साथ उसके कमरे में बैठ गयी...दोनो सुनेल के बारे में बातें करने लगी...आरती सवी के और भी करीब होना चाहती थी ..ताकि वो सवी को फिर से विजय की जिंदगी में ले आए...पर अभी ऐसी कोई बात करना मुनासिब नही था...जब तक सुनेल ठीक नही होता...

वहाँ देल्ही में....सोनल अपने साथ लड़ रही थी कि डोर्र बेल बज गयी थी...उसने दरवाजा खोला तो रेस्टोरेंट से डेलिवरी बॉय आया हुआ था इनका ऑर्डर ले कर...सोनल ने उस से समान लिया और किचन में रख दिया..

फिर वो रूबी को बुलाने चली गयी ...जो बिस्तर पे लेती आँसू बहा रही थी...

सोनल ने मुश्किल से रूबी को खाना खिलाया और फिर उसके कमरे में उसके साथ ही बिस्तर पे लेट गयी...
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01-12-2019, 02:41 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
रूबी की आँखों में बसे दर्द और उदासी को देख सोनल खुद को ना रोक पाई ...उसे रात की वो बात याद आई जब रूबी ने उस से कुछ माँगा था और वो घबरा गयी थी....

रूबी के चेहरे पे हाथ फेरते हुए सोनल ने अपने होंठ आगे बढ़ा उसके होंठो को चूम लिया .......जाने क्यूँ रूबी को सोनल के होंठों का अहसास अपने होंठों पे पास कुछ सकुन मिला और उसके होंठ खुल गये ...जैसे कह रहे हों...आज तो मुझे सुनील की होंठों की मिठास चखा दो...

रूबी के सोनल के होंठ को धीरे धीरे चूसना शुरू कर दिया और सोनल भी उसके होंठ को चूसने लगी........दोनो इतना धीरे एक दूसरे के होंठ चूस रही थी कि यूँ लग रहा था जैसे चाट रही हों...

होंठों के ज़रिए रूबी की रूह...सोनल की रूह तक एक पैगाम पहुँचने की कोशिश कर रही थी...ताकि बाद में जब सुनील और सोनल की रूह करीब हों तो सुनील को रूबी की रूह का पैगाम मिल जाए..होंठों का ये मिलन वासना से परे था...एक रूह दूसरी रूह को पहचान रही थी..अपने दर्द का अहसास दिला रही थी...जिस्म तो बस एक माध्यम था उस दर्द के अहसास को जठानेका...

सोनल की रूह भी उस दर्द को महसूस कर बहुत धीरे से रूबी के होंठों का रस पन कर रही ताकि उसे दर्द ना हो....और अंदर बसे दर्द पे कुछ प्यार का मरहम लग जाए...

शायद सुमन प्रेग्नेंट हो गयी थी ..क्यूंकी सोनल जिस तरहा रूबी को प्यार कर रही थी..उससे यूँ लग रहा था जैसे उसकी रूह तक ये पैगाम पहुँच गया है कि उसे माँ बुलानेवाला जल्दी आनेवाला है ...और ये पैगाम सोनल के अंदर छुपे मातृत्व को बाहर निकाल रहा था....सोनल के लिए रूबी इस वक़्त एक बच्ची बन गयी थी..जिसे सोनल एक माँ की तरहा प्यार कर उसके दर्द को सोख रही थी...आख़िर भाभी माँ समान ही तो होती है...

सोनल ने धीरे धीरे रूबी के गालों पे छोटे छोटे बोसे अंकित करने शुरू कर दिए..जैसे कह रही हो..तेरी रूह का पैगाम तेरे मोहसिन तक पहुँच जाएगा...आगे उस उपरवाले की मर्ज़ी....

रूबी को यूँ महसूस हो रहा था जैसे धीरे धीरे उसकी तड़प कम हो रही हो...एक आश्वासन उसे मिल रहा था...तेरी रूह का दर्द बस अब कुछ दिन का मेहमान है...

रूबी के गालों को चूमने के बाद सोनल ने फिर अपने होंठ रूबी के होंठों से सटा दिए और रूबी सोनल से लिपटती चली गयी ...जैसे एक कली एक फूल के साए में खुद को महफूज़ समझती है....धीरे धीरे रूबी की आँखें बंद हो गयी और वो सपनो की दुनिया में चली गयी...

सोनल की रूह को इतना सकुन मिला कि उसकी भी आँखें बंद हो गयी..

वहाँ सुनील की बाँहों में सुमन..को अपने अंदर एक बदलाव महसूस होने लगा था.....हालाँकि इस बात की पुष्टि होने में अभी देर थी कि वो सच में प्रेग्नेंट हो गयी है...पर उसकी रूह ये महसूस कर रही थी...कि एक तीसरी रूह का आगमन हो चुका है.......और इस बदलाव को सुनील ने भी महसूस किया था...उसे पापा कह कर बुलानेवाला ..जल्द ही दुनिया में आनेवाला है..

बिस्तर पे लेटे दोनो सोने की कोशिश कर रहे थे क्यूंकी जिस्मों के मिलन के बाद दोनो थक चुके थे..पर कुछ ऐसा था जो उन्हें सोने नही दे रहा था...वो था एक पैगाम...जो सोनल की रूह से आ रहा था..पर उस पैगाम को दोनो अभी समझ नही पा रहे थे..

सुनील और सुमन वापस आ गये ....कविता इनके साथ आई ..हफ्ते बाद राजेश ने आना था.......

रात को कविता रूबी के साथ रही हमेशा की तरहा...और उसने रूबी की आँखों में उदासी देखी...पहले तो वो यही समझी की शादी टूट जाने की वजह से रूबी उदास है...पर जब उसने रूबी को सुनील की तस्वीर को अजीब सी नज़रों से देखते हुए पाया तो उसके दिमाग़ को खटका लगा....

कवि ......और सुना कैसा चल रहा है ..तू इतनी उदास क्यूँ है......

रूबी...कुछ नही यार बस ऐसे ही...तू सुना अपने किस्से हनिमून के..

कवि ...क्या घूमे फिरे और क्या...जगह तो तूने भी देखी ही है..

रूबी ...अच्छा जी बस घूमे फिरे ...जीजू ने कुछ नही किया...

कवि...क्यूँ जीजू ने क्या करना था..घूमाते रहे....मुझे..

रूबी ..हां हां बाँहों में भर के खूब घुमाया होगा......डीटेल में बता ना....

कवि ..चल हाउ बेशर्म...जब तेरी शादी होगी सब पता चल जाएगा...

रूबी...अच्छे ये तो बता कितनी बार किस किया होगा जीजू ने...

कवि...अब मैं कोई ये सब गिन रही थी क्या...

रूबी ..उम्म्म यानी बहुत बार किस किया..कहाँ कहाँ.....

कवि मारूँगी चुप कर ....तू ये बता भाई की फोटो को यूँ क्यूँ घूर रही थी...

रूबी ने सर झुका लिया आँखें नम हो गयी..कुछ नही बस ऐसे ही..सुनील बहुत अच्छा है ना..

कवि ने ये बात नोट कर ली कि रूबी भाई का नाम ले रही है..भाई नही बोल रही..

कवि...सच सच बता क्या माजरा है..मुझे तो कुछ और की बू आ रही है..

रूबी..कुछ नही ना ..क्यूँ मुझे तंग कर रही है..

कवि ...देख बहन अगर दिल की बात सॉफ सॉफ बोल देगी तो हो सकता है तेरी कुछ मदद कर सकूँ..बता ना...

रूबी...तू कुछ नही कर सकती...कोई कुछ नही कर सकता..मेरी किस्मत ही ऐसी है

कवि...तू भाई से प्यार करती है क्या...

रूबी की आँखों से आँसू टपक पड़े ...कवि को समझने के लिए इतना ही काफ़ी था......

कवि......जितना मैं भाई को समझी हूँ...वो इस रास्ते पे दो बार चल चुका है..मेरे ख़याल से उसमे अब और हिम्मत नही होगी इस रास्ते पे फिर से एक बार चलने की...वो टूट जाएगा......मत कर ऐसा ..ना खुद को तडपा और ना ही भाई का इम्तिहान ले.

रूबी...मैं किसी को कहाँ कुछ कह रही हूँ..मैं तो बस अपनी किस्मत को रो रही हूँ...

प्यार का दर्द कवि अच्छी तरहा समझती थी...उसकी अपनी शादी भी तो भाई से ही हुई ..माना कोख जाया नही था..पर था तो भाई...कितना तड़पति थी....जब सच्चाई पता चलने के बाद वो एक साल दूर रही..

रूबी को तो और भी ज़्यादा दर्द होगा..क्यूंकी उसका प्यार उसकी नज़रों के सामने रहता है..पर वो उससे कुछ कह नही सकती....अपने प्यार की शिद्दत का अहसास नही दिला सकती....ओ उपरवाले अब तू ही कुछ कर सकता है.......मदद कर मेरी बहन की बहुत दुख झेल चुकी है वो...दिला दे उसे उसका प्यार

कवि ...रो मत कोशिश करती हूँ..भाई तेरे प्यार की गहराई को पहचान सके...होगा तो वही जो होना होगा...

रूबी...नही नही तू भाई से कुछ नही कहेगी ...मेरी किस्मत में जो लिखा है वही होगा...लेखी का लिखा कॉन बदल सका है आज तक......मत कर खुद को परेशान...तुझे मेरी कसम..

कवि..मेरी बहन तड़पति रहे और मैं बैठ के देखती रहूं..ये तो हो नही सकता...सोचने दे मुझे ..कोई ना कोई रास्ता तो ज़रूर निकलेगा....प्यार का दर्द कभी जाया नही जाता...एक दिन वो अपना रंग ज़रूर दिखाता है......तुझे तेरा प्यार एक दिन ज़रूर मिलेगा...

काफ़ी देर तक दोनो बातें करती रही ...फिर राजेश का फोन आ गया...अब रूबी के सामने कैसे बात करती ...उसके चेहरे की लाली को देख रूबी समझ गयी और कमरे से बाहर चली गयी ....किचन में कॉफी बनाने...नीद पता नही आती है या नही...

छुट्टियों में बहुत टाइम निकल गया था और रूबी की शादी के किस्से ने भी वक़्त लिया था..इसलिए सुनील आते ही पढ़ने में लग गया था …अपने कमरे में….शायद वो रात भर आज पढ़ता ही…सुमन और सोनल …सुमन के कमरे में थी…

सोनल…मैं उनको कॉफी दे कर आती हूँ…

सुमन बिस्तर पे लेटी रही…उसके दिमाग़ में बस आनेवाला बच्चा ही घूमता रहता था…जाने क्या क्या सोचती रहती थी उसके बारे में.

सोनल जब कमरे से बाहर निकली उसी वक़्त रूबी भी कमरे से बाहर निकली थी …रूबी किचन में पहले पहुँच गयी थी …और कॉफी रखने जा रही थी कि पीछे से सोनल बोली…कॉफी बना रही है तो एक कप और बना दे…

रूबी ..बिना मुड़े …ओके…और गॅस पे पानी उबलने रख देती है..

कॉफी तयार होते ही …सोनल एक कप ले सुनील के कमरे में चली गयी और रूबी हॉल में जा कर बैठ गयी…

सुनील को कॉफी दे कर सोनल भी रूबी के पास आ कर बैठ गयी …

सोनल..क्या हुआ नींद नही आ रही है क्या..

रूबी ..नही बस ऐसे ही कवि को जीजू का फोन आया था तो मैं बाहर निकल आई..

सोनल रूबी के सर पे प्यार से हाथ फेरती हुई बोली…मन को शांत रख और पढ़ाई पे ध्यान दे …सब ठीक हो जाएगा …

अब सोनल ठीक हो जाने से क्या कहना चाहती थी…ये रूबी को समझ नही आया वो सवालिया नज़रों से सोनल को देखने लगी…..

सोनल उसके करीब आई और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले कल रात की तरहा उसके होंठ चूसने लगी….रूबी सोनल के साथ लिपट गयी…कुछ ड्रेर बाद सोनल ने उसको छोड़ा…जा सो जा अब…उसका फोन अब तक तो ख़तम हो चुका होगा…

यहाँ सोनल रूबी के होंठ चूस रही थी ..उधर सूमी और सुनील दोनो को बेचैनी होने लगी…

सुनील ने सर को झटका और कॉफी पीते हुए पढ़ने में मशगूल हो गया….सोनल सुमन के पास जा कर लेट गयी..

रूबी जब कमरे में पहुँची तो कवि का फोन ख़तम हो चुका था…रूबी चुप चाप उसके बराबर में लेट गयी ..और सोनल की चुंबन में सुनील के होंठों को महसूस करने लगी..

वहाँ कमरे में सोनल सुमन से चिपक गयी और उसके पेट पे हाथ फेरने लगी…

दीदी ..कब सुना रही हो अच्छी खबर …

सुमन…लगता तो यही है कि जल्दी ही अच्छी खबर मिलेगी ..मुझे महसूस होता है कि मैं मा बननेवाली हूँ..पर जब तक अगले पीरियड मिस नही होते और टेस्ट पॉज़िटिव नही आता ..तब तक गॅरेंटी के साथ तो कह नही सकते…

सोनल…मेरा दिल कहता है आप प्रेग्नेंट हो चुकी हो…सोनल अपने होंठ सुमन के होंठों पे रख देती है…सुमन को एक दम रूबी के होंठों का अहसास मिल जाता है…वो सवालिया नज़रों से सोनल को देखती है..
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01-12-2019, 02:41 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल…अपने होंठ अलग करती है…रूबी बहुत उदास और परेशान रहने लगी है ..इसीलिए ..उसके होंठ चूम उसे तसल्ली देने की कोशिश करी थी..

सुमन..मैं कल ही सिमिरन से बात करती हूँ..

सोनल..नही ऐसा मत करना…मुझे नही लगता अब रूबी किसी के साथ भी शादी करेगी…उसके दिल में बस सुनील रहता है…और वो जगह कोई और नही ले सकता….दीदी जानती हो ..उसके अंदर मुझे वो सोनल दिखाई देती है जो पहले सुनील के लिए तड़पति थी..जिसके प्यार को सुनील ठुकरा देता था…आज रूबी की भी वही हालत है…मेरी तो समझ में नही आ रहा क्या किया जाए…

सुमन…तू जानती है ना उनकी क्या हालत हुई थी मेरे और तेरे टाइम पर…क्यूँ फिर…

सोनल ..यही तो समझ नही आ रहा…मैं दोनो को बहुत प्यार करती हूँ..इसलिए दोनो को दुखी नही देख सकती…ज़रा सोचो…रूबी …सागर पापा की निशानी है..कितनी चिंता करते थे वो उसकी…अगर उसे कुछ हो गया तो उस वादे का क्या होगा…जब पापा ने सुनील को मेसेज भेजा था सेव रूबी…वो इस तरहा तड़पति रहेगी तो कहीं उसे कुछ हो ना जाए…..अगर वो सुखी नही रहेगी तो क्या पापा की आत्मा को शांति मिलेगी..

सुमन...इसका मतलब तू उनको शेयर करने का फ़ैसला ले चुकी है..

सोनल...नही दीदी ऐसा नही है..मैं बस उसकी तड़प नही सहन कर पा रही हूँ.. ..कॉन बीवी अपने पति को शेयर करती है..हम दोनो की बात और थी...करना तो आप भी नही चाहती थी..पर आपके अंदर जो माँ थी ...वो टूट गयी और मुझे अपना लिया ....ज़रा सोचो रूबी आपके सागर की बेटी है ..यानी आप उसकी माँ ही तो हुई चाहे वो आपकी कोख से नही जन्मी ...उफ़फ्फ़ मेरी तो कुछ समझ नही आ रहा....

सुमन...मैं रूबी को समझाने की कोशिश करूँगी....सुनील को मैं दर्द के सागर में नही धकेल सकती ..और उसे फिर से बाँटना तो मेरी कल्पना से परे है...वैसे भी वो बिल्कुल नही मानेगा ...अगर ऐसी कोई कोशिश भी करी गयी तो.. तू ज़्यादा मत सोच इस बारे में.....मैं देखती हूँ क्या करना है.


सोनल एक बार और सुनील को कॉफी दे कर आई ...तब तक सुमन सो चुकी थी...सोनल उसके पास लेट गयी और सुनील के आने का इंतेज़ार करने लगी...सोनल की आँखों के सामने बार बार रूबी का उदास चेहरा घूम जाता और वो खुद को बहुत असहाय समझती ...काश किसी तरहा वो रूबी के होंठों पे मुस्कान ला सकती ....बिना सुनील को कोई तकलीफ़ दिए...

कहते हैं की जब मश्तिस्क में अशांति होती है तो साइट वक़्त अवचेतन मष्टिशक सक्रिय हो जाता है और इंसान उस सक्रियता को स्वपन समझने लगता है...कुछ ऐसा ही सुमन के साथ हो रहा था..

सागर का चेहरा उसकी नज़रों के सामने था ...और दर्द से विकृत था....जैसे कह रहा था...मैने तुम्हें सुनील दे दिया...तुम्हारी खुशी के लिए ...पर तुमने मेरी रूबी को तड़पने के लिए छोड़ दिया.......क्या यही प्यार था तुम्हारा मुझ से......देखो उस फूल सी बच्ची को..जहाँ गुलाब की कलियाँ उसके चेहरे पे होनी चाहिए वहाँ बबूल के काँटे दिख रहे हैं...कैसे बर्दाश्त कर लेती हो तुम उसका तड़पना.....सोनल की तड़प तुम समझ गयी ..क्यूंकी ..वो तुम्हारा अपना खून थी...रूबी की तड़प तुम क्यूँ नही समझ पाती...एक माँ हो कर ये भेदभाव क्यूँ....

मैं एक बीवी हूँ अब...मेरे कल का भरोसा नही ..लंबे समय तक सुनील के साथ नही रह पाउन्गि...इसीलिए सुनील को मजबूर किया सोनल को अपनाने के लिए...दोनो की जोड़ी भी तो बहुत अच्छी है.......

हां अच्छी जोड़ी है ...और इस जोड़ी में अगर रूबी का प्यार जुड़ जाए तो और भी अच्छी हो जाएगी..भूल गयी क्या...प्यार बाटने से और भी बढ़ता है...उसकी मिठास और बढ़ जाती है..उसकी महक रूह तक को सकुन पहुँचाती है...

उफ्फ तुम्हें कैसे समझाऊ.....

सुमन का चेहरा सोते हुए बार बार दर्द की लहरों को दिखा रहा था...सोनल की नज़रें सुमन के चेहरे पे ही थी...उसने देखा की सुमन का जिस्म पसीना पसीना हुआ जा रहा है...यानी सुमन कोई बुरा सपना देख रही है...उसने सुमन को हिलाते हुए पुकारा...

दीदी...दीदी क्या हुआ..कोई बुरा सपना देख रही हो क्या.,

आन आन आन..हड़बड़ाते हुए सुमन उठी 

सोनल...क्या हुआ दीदी..कैसा सपना देख रही थी...

सुमन..पता नही ..क्या था...उफ्फ ना जाने ये सपने क्यूँ आते हैं.. उन्हें कॉफी दे दी थी ?

सोनल..हां दे आई थी.....देखती हूँ जा कर उन्हें कुछ और तो नही चाहिए..

सोनल चली गयी और सुमन अपने सपने के बारे में सोचने लगी...सागर जो कह रहा था...वो ..वो उफ़फ्फ़ नही...

एक बार फिर सुमन के अंदर रहती माँ और बीवी में जंग शुरू हो गयी....

माँ ....देख मेरी दूसरी बच्ची कितना तड़प रही है..क्या गुनाह किया था उसने ..जो उसे समर के घर जैसा वातावरण मिला....

बीवी...तो इसमे मेरा क्या कसूर...बाँट तो लियाएक बार अपने पति को..तुम क्या जानो कितना दर्द होता है जब अपने पति को बाँटना पड़ता है..

माँ...दर्द..हुहम...मुझ से बेहतर दर्द को और कॉन समझ सकता है.......9 महीने तक एक रूह का पालन पोषण अपने उदर में करना..फिर अशहनिया दर्द को सहते हुए उसे जनम देना...फिर शुरू होती है असली दर्द की दास्तान..उसे पालने और पोसने में..उसकी हर इच्छा को पूरा करने में..अपनी इच्छा को घोंट उसके सुख को प्राथमिकता देने में.....जब तक वो खुद विवाह के बंधन में ना बाँध जाए ..ये दर्द और वत्सल्या का मिश्रण ही तो हर औरत की असल दास्तान है.......बीवी है तो क्या..है तो तू औरत ही...तू कैसे भूल सकती है..मैं तेरे अंदर ही तो रहती हूँ..

बीवी..हाँ हाँ हूँ मैं औरत ...जो अपने पति को बहुत प्यार करती है...नही देख सकती मैं अपने पति को फिर से दर्द सहते हुए ..बिखरते हुए..बड़ी मुश्किल से संभाला था मैने उसे सोनल के वक़्त..

माँ...जब से तू दुबारा बीवी बनी है तू भूल गयी के माँ क्या होती है..लगता है तू सागर को भी भूल गयी ...जिसने तुझे तेरा ये नया पति दिया..कभी सोचा तूने..वो तुझ से कितना प्यार करता था..अपने जाने के बाद तेरे पहाड़ से जीवेन में खुशियाँ लाने के लिए उसने क्या नही किया..अपने बेटे को हुकुम दे डाला तेरा दूसरा पति बनने को....कैसे भूल सकती है तू उसे..कैसे इतनी ख़ुदग़र्ज़ हो सकती है तू..

बीवी...नही नही मैं ख़ुदग़र्ज़ नही ...मैं तो प्यार का समुंदर हूँ.......जिसमे सोनल और सुनील दोनो गोते लगाते हैं..

माँ..मैं भी यही चाहती हूँ..उस समुंदर में रूबी को भी गोते लगाने दे...देख तुझे कितना सकुन मिलेगा....

बीवी...लेकिन सुनील...वो तो नही से पाएगा ना.....तूने ही तो संस्कार दिए उसे ...तेरे ही तो संस्कारों के पीछे अपनी जान देता है....कैसे जाएगा वो तेरे खिलाफ.

आँखों से नींद उड़ चुकी थी...

रात को जब सोनल फिर सुनील को कॉफी देने गयी ...तो उसने सोनल में कुछ बदलाव देखा..जैसे अंदर ही अंदर वो अपने आप से लड़ रही हो..

उसने सोनल को खींच अपनी गोद में बिठा लिया......'क्या बात है जान जबसे तुम वापस आई हो..कुछ परेशान सी दिख रही हो....मुझे लगता है रूबी के बारे में सोच कर परेशान हो....कोई बात हुई क्या उस से..'

सोनल....नही ऐसा कुछ नही ..तुम अपनी पढ़ाई पे ध्यान दो..

सुनील...तुम सोचती हो मुझ से कुछ छुपा पाओगि..तुम्हारा चेहरा तुम्हारा अईयना है ...सॉफ पता चल रहा है तुम किसी बात से परेशान हो.

सोनल...सुनील की आँखों में देखती है....हां हूँ..रूबी को लेकर ..दुख होता है उसे देख..जो भी हो रहा है ठीक नही हो रहा...उसकी क्या ग़लती है जो इतना सब उसे भुगतना पड़ रहा है ...कभी कभी तो अब ऐसा लगता है जैसे हम मतलबी बन गये हैं.....हम भूल गये जो पापा ने सिखाया था..प्यार बाटने से और बढ़ता है कम नही होता.....खैर छोड़ो अभी ..तुम बस अपनी पढ़ाई पे ध्यान दो ...मैं जा के दीदी को देखती हूँ..

सोनल सुमन के पास चली गयी ..लेकिन सुनील को कुछ सोचने पे मजबूर कर गयी..

सोनल जब कमरे में पहुँची तो देखा सुमन जाग रही थी ..उसकी आँखें नम थी...

सोनल उसके करीब जा कर लेट गयी ....'क्या सोच रही हो..'

सुमन..कुछ नही ..एक ठंडी सांस लेते हुए

सोनल...देखो अभी कुछ ज़्यादा मत सोचो..सब ठीक होगा ..हर काम का एक वक़्त होता है..जब सही वक़्त आता है ...सारे काम अपने आप ठीक हो जाते हैं...आप बस खुश रहा करो...वरना मेरा नन्हा मुन्ना उदास हो जाएगा......सुमन के पेट पे हाथ फेरते हुए बोली...

सुमन...बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लगी..

सोनल...सब आपसे ही तो सीखा है........आप बस मेरे नन्हे मुन्ने का ख़याल रखो बाकी सब मुँह पे छोड़ दो..अब आप कोई काम भी नही करोगी..बस बिस्तर पे आराम करोगी..

सुमन...अरे तू तो ऐसे बोल रही है जैसे पाँचवा महीना लग गया हो..

सोनल.....मुझे मेरा गोलू गोलमटोल ..तंदुरुस्त चाहिए और वो तब होगा जब आप अच्छा खाओ..पियोगी...आराम करोगी और सुबह मॉर्निंग वॉक पे जाया करोगी ..रात को टाइम से सो जाया करोगी..

सुमन...ओए होए देखो तो...मेरी सास बन रही है..

सोनल...सास मैं कैसे बन सकती हूँ...वो तो आप हो ......आप मेरी सौतेन भी हो और मेरी सास भी .....ऐसी सास जो माँ से भी ज़्यादा प्यार करती है.....

सुमन....ना जी मैं सौतेन ही अच्छी...सास तो तब बनूँगी ...जब मेरा आनेवाला बच्चा बड़ा होगा और उसकी शादी होगी.....

दोनो की ये चुहलबाजी तब तक चलती रही जब तक सुनील नही आ गया और तीनो फिर सो गये...

लेकिन सुमन ने आँखें तो बंद कर रखी थी ...पर चाह कर भी सो नही पा रही थी...उसका पूरा वजूद एक जंग लड़ रहा था...रात सरक्ति जा रही थी...जाने कब उसे नींद आख़िर में आ ही गयी ..जब दिमाग़ पूरी तरहा थक चुका था.

दूसरे कमरे में रूबी बिस्तर पे लेटी करवटें बदल रही थी...कवि सो चुकी थी...

रूबी ने ये रात आँखों ही आँखों में गुज़ार दी...
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01-12-2019, 02:41 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुबह जब सब उठे ..तो रूबी की लाल आँखें बता रही थी कि वो रात भर सोई नही है. नाश्ते की टेबल पे सब बैठे हुए थे....

सुनील..क्या बात है रूबी ...कुछ परेशान हो क्या..सब ठीक हो जाएगा..मैं हूँ ना.

रूबी ..यही तो बात है ..आप हो कर भी तो नही हो ..(मन में सोचा पर बोली कुछ और) ......कुछ नही बस नींद नही आई ..

सुमन उसके चेहरे की तरफ ही देख रही थी..एक टीस सी उठ रही थी अंदर ....वो जंग जो रात को चल रही थी उसके अंदर वो फिर सर उठाने लगी..जिसे उसने बड़ी मुश्किल से दबाया ...वरना सुनील उसके मन के भाव पढ़ लेता.

सभी कॉलेज चले गये...पीछे रह गयी सुमन ....एक बार फिर से ....अपने आप से जंग लड़ने को..

सबके जाने के बाद सुमन हॉल में बैठ गयी और टीवी में चॅनेल्स इधर से उधर करने लगी ..पर उसे कुछ भी अच्छा नही लग रहा था...

अपने लिए कॉफी बना फिर अख़बार ले कर बैठ गयी ..पर ये भी रास नही आया...

अमूमन यही होता है..जब वक़्त काटे नही कटता और दिमाग़ उलझनों से भर जाता है तो इंसान ...अपने पुराने खुशी के पल फिर से जीने को ललचाने लगता है और आल्बम निकाल ..तस्वीरों को देख उन पलों को याद करने लगता है जो दिल--दिमाग़ को सकुन देते हैं...सुमन ने भी ऐसा ही किया...पर यही उसकी सबसे बड़ी ग़लती साबित हुई ..या फिर ये एक ज़रिया बन गया ...उसे अपने द्वन्द से पार पाने का और एक निर्णय लेने का....

आल्बम में सबसे पहली थी उसकी शादी की तस्वीर जिसमे वो और सागर थे...वो सुनेहरी पल जब एक लड़की का गठबंधन होता है ..जब उसकी जिंदगी किसी और की अमानत बन जाती है..जब दिल में ख्वाहिशें जाग उठती है..जब प्रेम की कोपलें फूटने लगती हैं..

ले किन ये क्या...वो फोटो देख खुश होने की जगह सुमन उदास हो गयी ...क्यूंकी सागर आज उसके साथ नही था..उसकी जगह सुनील ले चुका था....कुछ भी हो कोई भी औरत चाहे दूसरी शादी कर ले..अपने पहले पति को नही भुला सकती ..वक़्त के साथ यादें धीमी हो जाती हैं..पर दिल के किसी कोने में एक टीस हमेशा उठती रहती है..खांस कर तब ..जब वो पति बहुत प्यार करनेवाला होता है...

सुमन ने झट से आल्बम का पन्ना पलटा और सामने थी फोटो ..उसकी और सोनल की ..जब सोनल बहुत छोटी थी..सोनल की शरारते उसका बचपन सुमन की आँखों के सामने लहराने लगा ..और उसके होंठों पे मुस्कान आ गयी..

अगला पन्ना पलटा तो उसकी गोद में सुनील था...वो प्यारा सा अहसास पुत्रवती होने का दिल को लुभाने लगा ..

लेकिन आगे एक भूकंप था जिस से बचने के लिए उसने ये आल्बम उठाई थी..

छोटी सी रूबी भागती हुई उसकी तरफ लपकी थी..जब सागर ने ये फोटो खींची थी...

'मासी मासी मासी..' अपनी तोतली ज़ुबान से बोलती हुई सुमन के आँचल में सिमट गयी थी...

उस वक़्त सागर ने कहा था...सूमी जब भी मेरा ये रूप तुम्हारे साए तले हो ..देखना इस मासूम के चेहरे पे कभी कोई शिकन ना आए....

सागर का वो रूप आज उसके साए तले ही तो था..जो अंदर ही अंदर सिसक रहा था तड़प रहा था..और सुमन को उसकी वो तड़प नज़र आते हुए भी नज़र नही आ रही थी...

शायद इसलिए ..कि अब वो मासी की जगह भाभी बन गयी थी....मासी ..जो माँ जैसी होती है..तभी तो उसे मासी कहते हैं....

रिश्ते जब बदलते हैं तो उनकी अपेक्षाए भी बदल जाती है..पर पुराने रिश्तों की कसक बरकरार रहती है..वो दब ज़रूर जाती है..पर उसका वजूद नही ख़तम होता..

माँ और बीवी की लड़ाई अभी ख़तम नही हुई थी ..कि मासी और भाभी आपस में लड़ने लगी...एक इंसान..रूप अनेक..हर रूप की मर्यादा अलग ..अब किस मर्यादा का पालन करे..एक की करे तो दूसरे को चोट पहुँचती है...और दर्द उसी सीने में होता है..जिसकी मर्यादा का मान रखा..

एक औरत 4 रूप किसकी सुने ..एक की सुनती है तो बाकी 3 नाराज़ होती हैं...माँ और मासी को मिला एक गुट कर दो तब भी बीवी और भाभी खिलाफ रहती हैं...ये अंतर्द्वंद वही समझ सकता है...जो इस से गुजरा हो.....

हर पल सुमन के चेहरे का रंग बदलता..हर पल एक नयी पीड़ा का अहसास उभरता...दिल और दिमाग़ दोनो 4 टुकड़ों में बँट गये..हर टुकड़ा अपना ही फरमान दे रहा था...और बेचारा मन इन टुकड़ों को झेल ना पाने की वजह से अपना वजूद खोता चला जा रहा था..

कमरे के बीचों बीच खड़ी सुमन को चारों तरफ से आवाज़ें आ रही थी..उसका ही एक हिस्सा उसे अपनी तरफ बुला रहा था.अब ..एक जिस्म और एक रूह ..इन 4 पाटों के बीच पिसती चली जा रही थी..

कुछ देर यूँ ही चलता रहता तो ना जाने क्या हो जाता ..पर रुक की आवाज़ रूह तक पहुँच गयी थी...सुनील ने सोनल को फोन कर उसे जल्दी घर जाने को कहा ..क्यूंकी वो खुद नही निकल सकता था पर सोनल निकल सकती थी..

घर की बेल बजी ..और सुमन की तंद्रा टूटी...उसने दरवाजा खोला तो सामने सोनल खड़ी थी...सुमन लहराती हुई सोनल पे गिर पड़ी और बेहोश हो गयी..

सोनल ने उसे मुश्किल से संभाला और अंदर हॉल पे एक सोफे पे लिटा दिया....भाग के पानी लाई और उसके चेहरे पे छिड़कने लगी..

सोनल अभी सुमन के चेहरे पे पानी छिड़क रही थी..दरवाजा खुला ही रह गया था ...और तभी घर में रूबी और कवि घुस्सी ...शायद आज इनकी जल्दी छुट्टी हो गयी थी ..या फिर कोई और वजह थी जो जल्दी आ गयी थी..

दोनो लपक के सुमन के पास पहुँची .....भाभी क्या हुआ....दोनो ने एक साथ सवाल छोड़ दिया सोनल पर...

सोनल कोई जवाब देती के सुमन की आँख खुल गयी...

सुमन..अरे तुम सब..ऐसे क्यूँ देख रहे हो..बस यूँ ही चक्कर आ गया था....सोनल बड़ी गहरी नज़रों से सुमन को देख रही थी...

सुमन...जाओ तुम लोग फ्रेश हो जाओ ..मैं तुम लोगो के लिए स्नॅक्स ...

सोनल...चुप चाप अंदर जा कर बिस्तर पे लेट जाओ...वरना बाँध दूँगी बिस्तर से ....कोई काम नही करना...हम है ना काम करने के लिए.

सुमन मुस्कुरा उठी और अंदर चली गयी...

कवि भी अपने कमरे में चली गयी और सोनल किचन में घुस गयी..

रूबी ...सुमन के पीछे रूम में गयी और उसके पास बैठ गयी..

रूबी ...मासी आप क्यूँ मेरे लिए इतना परेशान हो रही हो..पहले मुझे अपने पैरों पे तो खड़ा होने दो..उसके बाद देखेंगे किस्मत में क्या लिखा है..

सुमन ने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसकी आँखें नम हो गयी ...आज बहुत दिनो बाद रूबी ने सुमन को भाभी नही मासी कहा था....

रूबी को नही मालूम था ...और वैसे तो अभी किसी को भी नही मालूम था कि दो आत्माओं ने एक तीसरी आत्मा के साथ आलिंगन कर लिया है ..जो सुमन के उदर से दुनिया का रास्ता देखेगी ..ये आत्मा किस की थी ..ये अभी कोई नही जानता था.....लेकिन कुदरत कुछ और ही खेल खेलनेवाली थी......

रूबी की बात से सुमन को वक़्त मिल जाता है ..अच्छी तरहा सोचने और समझने के लिए ...अभी कोर्स पूरा होने में समय था...रूबी की नज़रें उदास तो थी ..पर उनमें ख़ालीपन नही था जो जिंदगी से हताश लोगो की आँखों में आ जाता है...

वक़्त गुज़रता है और सुमन अपने पीरियड्स मिस कर देती है..और टेस्ट पॉज़िटिव निकलता है...सुमन प्रेग्नेंट हो चुकी थी..कवि राजेश के पास उसके फ्लॅट में जा चुकी थी ...
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01-12-2019, 02:41 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
लेकिन मुंबई में ..कुछ और हो रहा था...सुनेल की साँसे और धड़कन कभी कभी रुक जाया करती थी लेकिन मिनी जो हर पल उसके साथ रहती थी उसका हाथ थामे दोनो के गुज़रे हुए बीते पलों के बारे में उसे सुनाती रहती थी...वो शायद कुदरत के खेल में सबसे बड़ी बाधा बन रही थी...प्यार लड़ रहा था मौत से.....

सुनेल बेजान हो जाता और फिर उसमे उसी पल जान लॉट आती ..

शायद सुनेल की आत्मा कोई दूसरा घर तलाश कर रही थी.. अब ये क्या खेल चल रहा था..ये तो वक़्त ही बताएगा....

12 हफ्ते हो गये ...सुमन को प्रेग्नेंट हुए ...घर में खुशी का महॉल रहता था...यही वक़्त था जब उस अजन्मे बच्चे के जिस्म में आत्मा ने वास लेना शुरू करना था और उसके दिल ने धड़कना शुरू करना था........

यहाँ बच्चे ने धड़कना शुरू किया ....उधर सुनेल के दिल की धड़कन बंद हो गयी...

उसकी आत्मा ने अपना नया घर ढूंड लिया था...वही कोख ..जिस से वो एक बार पहले भी जनम ले चुकी थी..

यहाँ सुनेल के दिल की धड़कन रुकती है...मिनी चिल्लाके डॉक्टर्स को बुलाती है...जो सुनेल पे जुट जाते हैं...डॉक्टर्स मिनी को बाहर जाने को कहते हैं ..पर वो नही मानती सुनेल का हाथ पकड़े वहीं रहती है उसके चेहरे की तरफ देख बार बार चिल्लाती है...तुम नही जा सकते मुझे छोड़ कर ...और सुनेल की आत्मा जो खुद एक जंग लड़ रही थी ...वो मिनी के प्यार के आगे हार जाती है...

सुमन सीडी से नीचे उतर रही थी कि उसका पैर फिसल जाता है...एक चीख मार वो सीडीयों से नीचे लुढ़कती है.........यहाँ उसके बच्चे के दिल की धड़कन बंद होती है ...उधर सुनेल के दिल ने फिर से धड़कना शुरू कर दिया था.....

सनडे का दिन था सभी घर पे थे...सुमन को फटाफट हॉस्पिटल ले जाया गया..पर कुदरत अपना खेल खेल चुकी थी...सुमन का बच्चा बच नही सका था....ये सदमा सब पे भारी पड़ा ..पर सब से ज़्यादा सुमन पर ..जो होश आने के बाद बस रोती ही जा रही थी...उसे नींद का इंजेक्षन दे कर सुलाना पड़ा...

वहाँ जब सुनेल के दिल की धड़कन दुबारा शुरू हुई तो उसने मिनी के हाथ को कस के पकड़ लिया ...ये एक इशारा था कुदरत का..कि वो कभी भी कोमा से बाहर निकल सकता था..

वक़्त गुज़रता है...सुमन थोड़ा संभालती है ..और उसे संभालने में सोनल दिन रात लगी रहती थी.......सुमन डिसचार्ज हो कर घर आ जाती है..........लेकिन वो जैसे पत्थर की बन चुकी थी ..कोई प्रति क्रिया नही करती थी...बैठे बैठे उसके आँसू टपकने लगते थे...अपने उस बच्चे को याद कर जो जनम नही ले पाया..

सुनील/सोनल/रूबी ...उसे खुश रखने की हर संभव कोशिश करते थे ...लेकिन सुमन अपने दर्द से बाहर नही निकल पा रही थी...और इसका कारण था कि वो दुबारा माँ नही बन सकती थी...उसका गर्भांशय कमजोर हो गया था उस आक्सिडेंट के बाद.....क्यूंकी अगर वो प्रेग्नेंट होती दुबारा तो उसका यूटरस झेल नही पाता और अबॉर्षन हो जाता...

सुमन की माँ बनने की इच्छा ...और उसकी आज की दशा उसे अंदर ही अंदर तोड़ रही थी......

वक़्त गुज़रता है....सोनल की एमडी हो जाती है...सुनील और रूबी भी एमबीबीएस पूरी कर लेते हैं....

एक दिन.....सुनील और सोनल...सुमन को हँसने की कोशिश कर रहे थे....

सोनल...दीदी आपके लिए एक खुश खबरी है...आप फिर से माँ बन सकती हो....

सुनील हैरानी से सोनल की तरफ देखता है ...ये पागल तो नही हो गयी क्यूँ झूठ बोल रही है सुमन से..

सुमन भी उसकी बात सुन चॉक जाती है.....सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देखती है...

सोनल ..सच दीदी ....आप फिर से माँ बनोगी ...बस फरक इतना होगा...आपका बच्चा मेरे पेट में पलेगा ....हां दीदी ..आपका यूटरस कमजोर है तो क्या...मेरा तो सही सलामत है...वो बच्चा हम सब का बच्चा है अगर तुम्हारे पेट की जगह कुछ महीने मेरे पेट में गुज़ार लेगा तो कॉन सी बड़ी बात है...मैं भी तो उसकी माँ ही हूँ...

सुनील और सुमन की आँखों में खुशी के आँसू आ जाते हैं........तीनो की रूह ..इस से बेहतर एक दूसरे के लिए क्या करती ....ये था असली मिलन ..इन तीन आत्माओं का...

दो आत्माओं के मिलन को तीसरी आत्मा जनम देगी ...और ये तीन कभी एक दूसरे से जुदा नही हो पाएँगे...

सुमन के चेहरे की खुशी लॉट आती है...और तयारि शुरू हो जाती है...सुमन ...और सुनील...के बच्चे को सोनल के गर्भ में स्थापित करने की...पर सोनल...एक और बात करवा लेती है...सुमन के साथ साथ वो अपने बच्चे को भी जनम देना चाहती थी...तो लिहाज़ा....सोनल...और सुनील के एग और स्पर्म का मिलन लॅबोरेटरी में करवाया जाता है और ...दो ...बच्चों को एक साथ सोनल के गर्भ में स्थापित कर दिया जाता है...यानी सोनल दो जुड़वा को जनम देगी...एक की बाइयोलॉजिकल मदर वो खुद होगी और एक की सुमन......पिता तो दोनो का सुनील ही था..

दोनो बच्चे सोनल के गर्भ में पलने लगे ....और सबको इंतेज़ार था उनके जनम लेने का......घर की खुशियाँ लॉट आई थी....

एमबीबीएस पूरी होते ही कवि ..राजेश के साथ वापस मुंबई चली गयी थी...उसे सुमन के साथ हुए हादसे के बारे में कुछ नही पता था ना ही उसे बताया गया था...

जिस दिन....सोनल के गर्भ में दो बच्चों की स्थापना हुई ...उसी दिन...सुनेल ने अपनी आँखें खोली थी...और सबसे पहला अल्फ़ाज़ जो उसके मुँह से निकला था ...वो था ...सुनील....

सुनेल के मुँह से जब सुनील ..निकला तो पास बैठी ..मिनी की आँखें फटी रह गयी...ये तो कभी सुनील से मिले नही फिर सुनील का नाम इनकी ज़ुबान पे कैसे....उस वक़्त मिनी अकेली थी हॉस्पिटल में सुनेल के साथ ....उसने फट से सबको फोन कर बुला डाला...

विजय आरती ....राजेश कवि...सवी सब दौड़े चले आए....

सुनेल इतना कमजोर हो चुका था कि उससे बोला नही जा रहा था...मुश्किल से इतना बोला...सुनील को बचा लो....

विजय...घबराने की ज़रूरत नही बेटा...वो अटॅकर पकड़ा जा चुका है..उपरवाले का शुक्र है तुम कोमा से बाहर आ गये...बस अब जल्दी ठीक हो जाओ...

सुनेल में इतनी हिम्मत नही थी कि जवाब दे पता ..बस एक हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पे आ गयी ..जैसे उसकी रूह को सकुन मिल गया और वो नींद में चला गया....

विजय ...मिनी ..ये तेरा प्यार ही है जो इसे वापस ले आया.....प्राउड ऑफ यू बेटा...गॉड ब्लेस्स यू...( विजय की आँखें नम हो चुकी थी)

कवि ...भाभी ...कल तक मैं आपके बारे में कुछ और सोचती थी...आज मुझे गर्व है कि आप मेरी भाभी हो...

सवी....बेटी ...अब वो ठीक हो जाएगा...चल कुछ पल आराम कर ले ....कितने दिन हो गये तू ढंग से सोई भी नही ...एक पल का भी आराम नही किया....

मिनी......आराम...जब ये हॉस्पिटल से बाहर निकलेंगे तो बस तब आराम ही आराम ....

राजेश......भाभी मेरा कोई हक़ तो नही ...पर आज आपकी नही सुनूँगा ......आप घर जाइए आज आराम कर लीजिए ..मैं और कवि ...सुनेल भाई के पास रहेंगे...

राजेश ने जिस तरहा कहा ...मिनी उसकी बात टाल ना सकी और सबके साथ वापस चली गयी ..उसके दिल को सकुन मिल चुका था..उसका सुनेल जल्दी ही ठीक हो जाएगा

उधर जैसे ही सोनल के गर्भ में दोनो भ्रून्ड सही तरीके से स्थापित हो गये ....यानी वो वाक़ई में समय आने पर दो बच्चों को जनम देगी ...तो सुमन ...ने इंड्यूस्ड लॅक्टेशन का सहारा लिया .....यानी वो दवाइना लेनी शुरू की जिससे उसके अंदर दूध पैदा हो ...इस कार्य में महीने लग जाते हैं........और जब तक बच्चे जनम लेते ....सुमन इस काबिल हो जाती कि उसके मम्मो में से दूध निकलने लगे .....ऐसा उसने दो कारणों से किया था...एक तो वो बच्चे को अपना दूध पिलाना चाहती थी ....ताकि ...उसके अंदर ये भाव ना आए कि बच्चे को उसने जनम नही दिया ..उदर की उस पीड़ा से नही गुज़री .....जो आम तोर पे हर औरत गुजरती है...कम से कम ..बच्चे को अपना दूध पिला कर वो मातृत्व को अच्छी तरहा भोग सकती थी....
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01-12-2019, 02:41 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
दूसरा कारण था ...सोनल पे ज़्यादा ज़ोर ना पड़े ..दो बच्चों को दूध पिलाने का......वक़्त बेवक़्त.......अब ये तो शायद विधि ने पहले से ही तय कर रखा था...कि ये तीन...बस तीन जिस्म और 1 जान ही बन के रहेंगे...लेकिन इनकी जिंदगी में एक उथल पुथल और होगी ...इस बात से ये अंजान थे ...क्यूंकी ..वक़्त के गर्भ में क्या है...ये तो अच्छे से अच्छा पंडित भी सही नही बता पाता..

इतना कुछ हो रहा था कि कोई इस बात पे ध्यान नही दे पा रहा था कि रूबी ...सोनल का साया बन चुकी थी .....उसके अरमान ...उसके सीने में ही दफ़न थे और दफ़न ही रह रहे थे...वो हर संभव काम कर रही थी ताकि सोनल सिर्फ़ बिस्तर पे लेटी रह सके उसे कुछ ना करना पड़े और सुमन पे भी घर के काम का ज़ोर ना पड़े....

एक बार सुनील ने उस से उसकी शादी की बात छेड़ी ...तो बड़ी आसानी से रूबी ...ने एमडी के बाद कुछ करने का कह दिया और सुनील चुप रह गया...


लेकिन एक दिन........

जैसे जैसे सोनल के उदर में बच्चे अपना आकर लेते जा रहे थे वैसे वैसे सुनेल के जिस्म में ताक़त आती जा रही थी...शायद ये एक वादा था एक बेटे की रूह का अपनी माँ की रूह से ..माफ़ करना माँ ...तुझे पीड़ा देनी पड़ी ..देख मेरा भाई कैसे धीरे धीरे बड़ा हो रहा है......आ रहा हूँ माँ ...जब तक वो आएगा तेरी गोद में मैं भी आ जाउन्गा...ना तेरा कसूर था..ना मेरा..वक़्त ने हमे जुदा कर दिया...वक़्त ही हमे मिलाएगा....आ रहा हूँ माँ ....

सुमन अभी तक नही समझ पाई थी ..कि वो इस सरोगसी के बाद इतनी खुश क्यूँ है 
क्यूँ उसे बार बार ये एहसास होता था कि उसका बेटा तड़प रहा है उसकी गोद में आने के लिए ...जिसने 9 महीने बाद आना था ...वो तो अभी लात मारना भी शुरू नही किया था ....और सुमन ..ये नही समझ पा रही थी ....कि वो सुनेल है जो तड़प रहा था ...अपनी माँ से मिलने को...तरस रहा था उस गोद को जिससे वो बरसों दूर रहा...तरस रहा था उस भाई से गले लगने को ...जिसके लिए अपनी जान पे खेल गया था वो..

माना आज सुनील और सुमन का रिश्ता बदल चुका था....वो माँ बेटे की दुनिया छोड़ पत्नी और पति की दुनिया में चले गये थे.....पर इस का मतलब ये तो ना था कि जो बेटा ...अपनी माँ से ..बिना किसी कसूर के बरसों दूर रहा...जो माँ अपने बेटे ..को जो जिंदा है मरा हुआ समझती रही ..वो कैसे एक दूसरे से दूर रह पाएँगे..जब सुनेल जान चुका था कि उसकी असली माँ कों है...हॉस्पिटल में अपना इलाज़ करता हुआ वो हर पल उस पल का इंतेज़ार कर रहा था कि कब ..कब वो इस हालत में पहुँचेगा ...कि जा कर अपनी माँ से बोले..माँ देख मैं मरा नही था..मैं जिंदा हूँ...तेरा वो जुड़वा बेटा जिंदा है माँ.. एक बार गले से लगा ले ...अपनी ममता की चादर एक बार मेरे सर पे डाल दे ..मुझे और कुछ नही चाहिए ..बस इतना ही काफ़ी होगा मेरे जीने के लिए ..मुझे वो सब कुछ मिल जाएगा..जो मैने खोया ...

उसकी आँखों में बसे इस दर्द को सब समझ रहे थे ..पर सभी असमर्थ थे ....किसी में हिम्मत नही थी ..कि जा कर सुमन से बोलें...देख तेरा बेटा बेटा मरा नही था...चाहे सवी ..एक प्रायश्चित करना चाहती थी ..माँ-बेटे को मिला कर ...पर हिम्मत तो उसमें भी नही थी..उस कहर को झेलने की ..जो सुमन के मुँह से निकलता ...सच जानने के बाद..

इस कहर को बस एक ही इंसान रोक सकता था..और वो था सुनेल...जिसकी प्यासी नज़रों के सामने ..एक माँ अपने आप पिघल जाती...

सुनेल आइसीयू से रूम में शिफ्ट हो चुका था ...महीनो से जो बिस्तर का दास बन के रह गया था ..उसकी हड्डियाँ तक जाम हो गयी थी...और धीरे धीरे घड़ी की चलती हुई सुई से भी धीरे उसमे सुधार हो रहा था....वो अपनी खोई हुई ताक़त, अपने टूटे हुए आत्मबल को प्राप्त कर रहा था...पर दिन में सेकड़ों बार उसके मुँह से या तो सुनील निकलता ..या फिर माँ....सवी भी उस तड़प को नही मिटा पा रही थी ....और मिनी उसकी तड़प से तड़पति रहती......

कितनी बार मिनी ने कोशिश करी ...सुनेल को वो सुनहरे पल याद दिलाए ..जो कभी दोनो ने साथ बिताए थे ..उसके मन की दशा को मोड़ने की ..लेकिन जो तड़प एक बेटे के.दिल-ओ-दिमाग़ में छाई हुई थी ..अपनी माँ से मिलने की ...उस तड़प का वो कोई इलाज़ नही कर पा रही थी...कितनी ही बार उसने सवी और विजय को आँखों में अर्चना भरे देखा...बहुत हो गया...अब तो माँ और बेटे को मिला दो..मुझ से नही देखी जाती इनकी तड़प....क्यूँ देर कर रहे हो..क्या पंडित से महुरत निकलवाना है......आँखें नाम पड़ जाती ...पर उसे बस यही जवाब मिलता ...कि अभी सही समय नही आया.....कब आएगा वो सही समय ...कब..कब..कब...उसकी आत्मा की चीख..उसकी पुकार ..अनसुनी रह जाती ...

शायद सबको ये खबर मिल चुकी थी ...कि सोनल प्रेग्नेंट है...और ऐसे हालत में...इस तरहा का झटका शायद वो बर्दाश्त ना कर पाए ...शायद उन आनेवाले बच्चों पे कोई असर ना पड़ जाए ..इसलिए दिल पे पत्थर रख सब इंतेज़ार कर रहे थे ..उस घड़ी का...जब सुनेल भी बिल्कुल ठीक हो जाए ...और घर के नये चिराग भी घर को रोशन करने और जगमगाने के लिए अपना पदार्पण कर लें......

सब के जीवन में रह गया था बस एक ही भाव..इंतेज़ार ..इंतेज़ार....इंतेज़ार

कोई कहता है प्यार का दर्द मीठा होता है, तो कोई कहता है कि ये नासूर होता है, कोई कहता है प्यार जीवन को महका देता है तो कोई कहता है ..प्यार का मतलब ही कुर्बानी होता है ....

आज तक.....रूबी को ये समझ नही आ रहा था कि प्यार का कॉन सा अर्थ उसके जीवन पे लागू हो गया ....वो प्यार करता है बहुत करता है...पर वो प्यार बिल्कुल भी नही करता ...तराजू के दो पलडो में बैठा प्यार ...अपना ही उपहास उड़ते हुए देख रहा था रूबी की आँखों में..क्यूँ कि प्यार का जो अर्थ वो चाहती थी ..वो उसे नही मिल रहा था...और जो प्यार उसके जीवन का नासूर बन गया था..वही प्यार एक दूसरा रंग ले कर उसके पास आ रहा था....वो भाई.बहन का प्यार ....जो अपना रंग बदल बैठा था ...

आज वही प्यार सुनील की आँखों में देख उसे वो दिन याद आ जाते ...जब इस प्यार ने करवट ले ली थी .....और रमण के साथ उसका जिस्मानी रिश्ता बन गया था ...ये प्यार रूप बदल चुका था ..प्रेमियों का प्यार ..पर ये प्यार स्थाई नही रह पाया .......एक टीस उठ जाती ..जो पूरे बदन में दर्द की लहरें छोड़ जाती ...

सारा दिन रूबी सोनल की देखभाल करती ..सुमन को काम ही नही करने देती ......इन दोनो में सुनील की जान थी ..और सुनील उसकी जान था...फिर किस तरहा वो अपनी जान को ज़रा सी भी तकलीफ़ होने देती......पल पल सोनल और सुमन की सोच ..रूबी के लिए बदलती जा रही थी..लेकिन इस बदलाव को दिल के किसी कोने में सख्ती से बंद कर रखा था..कहीं इसकी भनक सुनील को ना पड़ जाए ...चाह के भी उस कोने की तरफ नही जाती थी ...कहीं सुनील...उनके अंदर आते हुए इस बदलाव को महसूस ना कर ले....डर लगता था दोनो को ....क्यूंकी जानती थी...सुनील ये बदलाव सह नही पाएगा.....

पर जिंदगी कहाँ रुकती है ..वो तो बदलाव चाहती है..अब ये बदलाव अच्छा हो या बुरा ..जिंदगी ये नही सोचती ...एक दिन तो ये बदलाव सामने आएगा ही ..जिंदगी भी शायद उस पल का इंतेज़ार कर रही थी.

सवी, मिनी और सुनेल अपने मकान पे आ चुके थे ...विजय और राजेश बीच बीच में खबर लेते रहते ...पर सवी हमेशा विजय को अवाय्ड करने की कोशिश करती ...

पलक का इलाज़ हो रहा था और उसमें धीरे धीरे सुधार आने लगा था ..पर मंज़िल अभी बहुत दूर थी...

विमल दो पाटों में फसा हुआ था ...एक तरफ उसका प्यार था ...जिसे वो पा ना सका...और दूसरी तरफ उसकी बहन थी...सब कुछ होने के बाद भी उसकी और राजेश की दोस्ती में कोई फरक नही आया था...

कवि ने मुंबई में ही एमडी की अड्मिशन ले ली थी ...कवि आगे ना पढ़ कर घर को देखना चाहती थी..पर राजेश नही माना और कवि को समझा कर राज़ी करा ही लिया कि वो मुंबई से ही एमडी करे और पूरी तरहा से एक अच्छे डॉक्टर का फ़र्ज़ निभाए..

सुनेल के करियर का सत्यानाश हो चुका था......विजय और राजेश ने मिनी को ढाँढस दिया था कि सुनेल जब ठीक हो जाएगा ...उसे वो अपने बिज़्नेस में लगा लेंगे ...मिनी को सुनेल के कैरियर की चिंता करने की ज़रूरत नही ...पर सुनेल ने कुछ और सोच रखा था...वो अपने भी और माँ की तरहा डॉक्टर ही बनना चाहता था...लेकिन जब तक वो अपने पैरों पर खड़ा हो पहले की तरहा अपनी हिम्मत और आत्म विश्वास को वापस नही पा लेता वो असमर्थ था कुछ भी करने से ...

मिनी के द्वारा उसने लंडन में अपने कॉलेज सारी मेडिकल रिपोर्ट्स भिजवा दी थी ..ताकि उसे अपना कोर्स पूरा करने की इज़ाज़त मिल जाए ..ऑन मेडिकल ग्राउंड्स .....जिसके लिए उसका खुद भी वहाँ जा कर प्रिन्सिपल से बात करना ज़रूरी था..

इस दौरान..मिनी ने यूके एंबसी बात कर ..उसका पासपोर्ट दुबारा बनवा लिया था..और विजय ने बाकी सारी फॉरमॅलिटीस पूरी करवा ली थी ताकि वो आराम से इंडिया में रह सके जब तक वो ठीक नही होता...

वक़्त गुज़रता है ..एक महीने बाद सुनेल बिल्कुल ठीक हो जाता है ...सोनल की डेलिवरी में अभी काफ़ी वक़्त था ...सुनेल वापस लंडन जाने का फ़ैसला करता है ..इस वादे के साथ कि वो सोनल की डेलिवरी वाले दिन वापस आएगा अपनी माँ से मिलने ...

सवी अकेले रह जाती ....आरती चाहती थी ...कि वो उनके साथ रहे ..पर सवी मना कर देती है..सुनेल के ज़िद करने पे सवी मान जाती है..वापस सुमन के पास जाने के लिए ..आख़िर उसकी बेटी रूबी भी तो वहाँ थी ..और कोई नही ..रूबी का तो सहारा होगा ही.

तो यही तय होता है...सवी सुमन के पास जाती है और सुनेल मिनी को साथ ले लंडन के लिए निकल पड़ता है ....

लंडन पहुँच कर सुनेल और मिनी एक दिन आराम करते हैं ...और अगले दिन सुनेल ..अपने कॉलेज जा प्रिन्सिपल से बात करता है..सारी पोज़िशन एक्सप्लेन करता है ..कैसे कब आक्सिडेंट हुआ..सारे मेडिकल प्रूफ के साथ ..और कॉलेज की कमिट मेडिकल ग्राउंड्स की बिना पर उसे अपना कोर्स पूरा करने की इज़ाज़त दे देती है..

ये दिन मिनी के लिए बहुत खुशी का था......इस सारे काम के बाद सुनेल होटेल छोड़ कॉलेज के नज़दीक 1 रूम का एक स्टूडियो अपार्टमेंट किराए पे लेलेता है.....

विजय ने बहुत ज़ोर दिया था कि वो खर्चे की परवाह मत करे ....उसे जितना जब चाहिए होगा मिलता रहेगा...सुनेल नही मान रहा था ..क्यूंकी सवी ने उसका सारा खर्चा उठाने के लिए कहा था...पर राजेश और कवि के ज़ोर देने पे सुनेल इस शर्त के साथ मान गया ..कि वो सब एक उधार होगा..जिसे सुनेल डॉक्टर बनने के बाद किष्तों में चुका देगा.

सुनेल के पास इस वक़्त 5000 पौंड थे ..जिसमे से 1000 तो कॉलेज में चले गये कुछ अपार्टमेंट के डेपॉज़िट में चले गये.......मिनी ने किचन के लिए कुछ ज़रूरी बर्तन खरीदे और किचन के लिए जो समान ज़रूरी था वो खरीदा. दोनो पैसे को बचाने के लिए बाहर नही खाना चाहते थे..किचन की सारी ज़िम्मेवारी मिनी ने उठा ली थी.

दिन भर की भाग दौड़ के बाद शाम को दोनो कमरे में बैठे थे......

मिनी दोनो के लिए कॉफी बना लाई थी और दोनो चुस्कियाँ ले रहे थे गरगरम कॉफी की...

मिनी ...ऐसे क्या देख रहे हो....

सुनेल..कुछ नही बस सोच रहा था..मैने तुमको कितने दुख दिए ....

मिनी ..कोई दुख नही दिया आपने..वो तो होनी थी ..उसे कोन रोक सकता था.....कॉन जानता था कि आपको ..अपने कड़वे सच का पता चलेगा..फिर आप माँ से मिलने आओगे..और आपको भाई की जान ख़तरे में दिखेगी...फिर जो भी हुआ ...उसमे आपका क्या कसूर...वो उपरवाला हमे दूर रखना चाहता था..अपना खेल खेलना चाहता था..उसने खेल लिया..लेकिन हमे मिला भी तो दिया.....अब पुरानी बातें छोड़ो और अपनी पढ़ाई पे ध्यान दो...आपको भाई की तरहा , माँ की तरहा एक अच्छा डॉक्टर बनना है....बस अब आप जीत जाइए...
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01-12-2019, 02:42 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनेल प्यार भरी नज़रों से उसे देखता रहा फिर अपने किताबें ले कर बैठ गया ...और मिनी किचन में चली गयी रात का खाना बनाने....

दोनो खाना खाने बैठ गये....

मिनी.....सुनेल आपने एक बार भी नही पूछा कि मेरी शादी रमण से कैसे हुई ...और आप फिर भी मुझे अपनाने पे तयार हो गये जब कि मैं एक विधवा बन चुकी थी...

सुनेल..कुछ पल उसकी नज़रों में देखता रहा ..जहाँ प्यार के सागर एक साथ एक दर्द भी छुपा हुआ था...

सुनेल...क्या ये ज़रूरी है कि पिछले जख़्मो को कुरेदा जाए......ना मैं सुनील को बचाने के लिए पागलपन करता ..ना मुझ पर अटॅक होता..ना मैं कोमा में जाता...ना तुम अकेली पड़ती ...ना तुम्हें ये लगता कि मैं तुम्हें भूल गया हूँ.....ये होनी का खेल था..ये होना था..ये हो गया..अब क्या गिला शिकवा ..देखो आज हम दोनो एक साथ हैं..ये भी तो उस होनी ने ही करवाया है ..ना मैं उस दिन गाता ..ना तुम मेरी आवाज़ के पीछे आती और ना ही हम दुबारा मिलते ....मिलना बिछड़ना ..ये वो उपरवाला तय करता है...उसे मज़ा आता है ...अपनी ही बनाई हुई कायनात के साथ खेलने में.......तो फिर हम क्यूँ ये सोचने बैठ जाएँ कि ये हुआ..वो हुआ....आज को जियो..आज तुम और मैं दोनो एक साथ हैं..बस यही सब कुछ है ...

मिनी खाने की प्लेट छोड़ सुनेल से लिपट गयी..उसकी नम आँखें बता रही थी आज वो कितनी खुश है.
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01-12-2019, 02:42 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
घर के दरवाजे की बेल बजी - शाम का वक़्त था - रूबी गयी दरवाजा खोलने और खोलते ही देखा तो सामने सवी खड़ी थी. आज कितने दिनो के बाद दोनो माँ बेटी एक दूसरे के सामने थी .......रूबी को कुछ पल तो समझ ही ना आया कि क्या करे, क्या कहे, पर एक बेटी चाहे कितनी भी नाराज़ क्यूँ ना हो वो अपने से दूर कैसे रह पाती - रूबी लपक के सवी के गले लग गयी और दोनो माँ बेटी फफक के रोने लगी.

रूबी : क्यूँ माँ क्यूँ? क्या मैं ...मैं...

सवी : बस कर मेरी जान, कुछ फ़र्ज़ बड़ी बड़ी कुर्बनियाँ ले डालते हैं, माफ़ कर देना अपनी इस माँ को.

दोनो माँ बेटी एक दूसरे से ऐसे चिपटि थी जैसे अब कभी अलग ना होंगी.

दोनो का क्रन्दन इतने ज़ोर से हो रहा था कि सूमी हाल में आ गयी और उसके कदम वहीं जम गये. 

जिंदगी के कुछ गुज़रे पल आँखों के सामने फिर से लहराने लगे, कभी इन आँखों में एक बहन का प्यार छलकने लगता, कभी उन आँखों में एक कड़वाहट आ जाती और और वही बहन एक दुश्मन नज़र आने लगती, इस उथल पुथल में फसि सूमी अपने सर को झटकती है और दोनो माँ बेटी को वहीं छोड़ अपने कमरे में चली जाती है जहाँ सोनल अपने उभरे हुए पेट को लिए बिस्तर पे आराम कर रही थी.

रूबी सवी को अपने कमरे में ले गयी उसके सामान को एक जगह सेट किया फिर आराम करने का बोल किचन में चली गयी और सवी के लिए कॉफी बना लाई. थोड़ी ही देर बाद सोनल की दवाइयों का वक़्त था, रूबी ने ये ज़िम्मेदारी अपने सर ले रखी थी और वो खुद सोनल को अपने हाथों से दवाइयाँ खिलाती थी. सोनल को दवाइयाँ दे कर रूबी किचन मे चली गयी और सोनल की मनपसंद डिश बना के ले आई जिसे सूमी ने अपने हाथों से सोनल को खिलाया.

रूबी के कमरे में बिस्तर पे लेटी सवी सोच रही थी अभी तक ना वो सूमी से मिलने गयी और ना ही सूमी उससे मिलने आई. क्या दीवारें इतनी बड़ी हो चुकी हैं?

सोनल को खिलाने के बाद सूमी वहीं सोनल के पास लेट गयी और उसकी नज़रों के सामने माँ बेटी का वो क्रन्दन मिलन लहराने लगा.

जिस कारण से सवी घर छोड़ के गयी थी वो फिर उसके सामने आ गया और दिमाग़ में हथोडे बजने लगे. इतना वक़्त दूर रहने के बाद सवी का यूँ इस तरहा आना बिना कोई इत्तिला दिए कहीं फिर से वो सब ...नही नही ऐसा नही हो सकता . पल पल सूमी परेशान होती जा रही थी हालाँकि उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी लेकिन वो परेशानी सोनल को छूने लग गयी थी ...जिसे नही मालूम था कि सवी आ गयी है पर उसका दिल उसे कह रहा था कि सूमी किसी बात को लेकर परेशान है.

वहाँ दूसरे कमरे में लेटी सवी सोच रही थी जिंदगी उसे कहाँ से कहाँ ले गयी और कहाँ कहाँ नही पटका. कभी सोचा नही था कि विजय से दुबारा मुलाकात होगी हुई भी तो कैसे एक समधी के रूप में, जो नफ़रत सालों से दिल में चिंगारी से शोलों का रूप ले चुकी थी उन्हीं शोलों पे उसे पानी डालना पड़ा अपने आँसुओं से क्यूंकी कवि की जिंदगी का सवाल खड़ा हो गया था. बार बार एक ही सवाल कोंध रहा था दिमाग़ में - मेरा कसूर क्या था? 

क्या प्यार पाने का हक़ सिर्फ़ सूमी का ही है ..क्या मुझे कोई हक़ नही...माना ये जिंदगी बहुत रंग बदलती है ....माना इस जिंदगी में बहुत इम्तिहान देने पड़ते हैं....आँखों के आगे सुनील और सुनेल दोनो के चेहरे लहराने लगे. जो ख्याल सुनील के लिए जन्मे थे वो उसके दूसरे रूप को सामने पा नही जनम ले पाए ...उस दूसरे रूप को देख बस एक ममता की ही लहर जनम लेती थी ...लेकिन सुनील के लिए क्यूँ प्यार की कोंप्लें फिर से सर उठाने लगती थी.

क्या सूमी को सुनील मिला इसलिए ...या सुनील था ही ऐसा की कोई भी उसपे दिल-ओ-जान न्योछावर कर दे. अपने दिल में उठती हुई टीस को उसने कुचल डाला क्यूंकी आज उसने अपनी कोख जाई की आँखों में बसे वीराने पन को देख लिया था उसके दर्द को महसूस कर लिया था. जिंदगी में बस अब दो ही मक़सद रह गये थे सही वक़्त पे सुनेल और सुमन का मिलन करवाना - एक बेटे को उसकी असली माँ से मिलवाना और रूबी की जिंदगी से काँटों को निकाल फेंकना. औलाद के आगे हर माँ अपनी निजी खुशी भूल जाती है और आज यही एक फ़ैसला सवी ले चुकी थी.. चाहे खुद की जिंदगी मात्र एक खंडहर ही क्यूँ ना बनी रह जाए अपने ये दो फ़र्ज़ अब वो हर कीमत पे पूरा करना चाहती थी.

सवी और सूमी दोनो ही अपने ख़यालों की दुनिया में डूबी हुई थी और रोज की तरहा सही वक़्त पे सुनील घर पहुँच गया. घर में घुसते ही उसे कुछ अजीब सा लगा.

सुनील एक दम ठीक समय पे घर लोटा करता था, और हमेशा सूमी ही उसके लिए दरवाजा खोलती थी.

घर के अंदर घुसते ही सुनील हॉल में सोफे पे बैठ गया कुछ ज़्यादा ही थका हुआ लग रहा था सूमी भी उसके पास बैठ गयी और इतने में रूबी उसके लिए कॉफी ले आई. 'थॅंक्स गुड्डिया' रूबी के हाथ से कॉफी का कप लेते हुए बोला वो.

सूमी : सुनो सवी आई है.

सुनील के होंठों तक कॉफी का कप जाता हुआ रुक गया और वो सूमी को देखने लगा. पहले कितना कहा साथ चलो तो नही आई अब यूँ अचानक. कहीं कोई बात तो नही हुई उसके साथ. सुनील ने कॉफी का कप टेबल पे रख दिया. 'कहाँ है'

रूबी : माँ मेरे कमरे में है.

सुनील : थकि हुई होगी सफ़र से , आराम करने दो, रात को खाने पे मिलेंगे. 

सुनील कॉफी का कप ले सोनल के पास चला गया और रूबी अपनी माँ सवी के पास. सूमी हॉल में ही बैठी रही. पता नही क्यूँ उसे अपनी शांत चलती हुई जिंदगी में फिर से कुछ उथल पुथल होने का आभास लग रहा था.

कमरे में घुस सुनील ने कॉफी का कप साइड में रख दिया और सोनल के पास बैठ गया.

सोनल के माथे और उसके होंठों को चूमने के बाद सुनील अपने चेहरे को उसके पेट पे रख चूमते हुए बोला 'पापा आ गया' तभी दोनो बच्चों ने सोनल के पेट में जैसे खलबली मचा दी और और दोनो की लात अंदर चली.
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01-12-2019, 02:42 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
'ऊुउऊच्च देखो कितना तंग करते हैं आपके बच्चे'

'पापा से मिलने को बेकरार हैं'

'अच्छा जी अब आप कॉफी पी लीजिए ठंडी हो रही है'

'ह्म्म अच्छा सुनो सवी आई हुई है'

'अरे कहाँ है मुझसे मिलने क्यूँ नही आई'

'यार थक गयी होगी लंबा सफ़र है आराम कर रही होगी, डिन्नर पे मिल लेंगे'

'ह्म्म तभी कहूँ दीदी आज कुछ ज़्यादा ही परेशान क्यूँ लगने लगी थी'

'कुछ नही ये वक़्ती दौर होता है पुरानी बातें सोचने लगी होगी...अभी मूड ठीक करता हूँ उसका'

सुनील उठ के बाहर चला गया और हाल में सूमी को गहरी सोच में डूबा हुआ पाया'

'क्या सोच रही है मेरी जान' सुनील उसकी गोद में सर रख के लेट गया.

सूमी के हाथ अपने आप उसके बालों से खेलने लगे ' कुछ भी तो नही'

'दाई से पेट का दर्द नही छुप्ता और मियाँ से बीवी की उदासी - चलो'

सुनील सूमी को लगभग खींचते हुए अंदर कमरे में ले गया.

कमरे में पहुँचते ही सुनील ने सूमी को अपनी बाँहों में कस लिया और उसकी गर्दन पे बोसे बरसाते हुए बोला ' ये क्या हो जाता है तुम दोनो को, कभी उसे कोई दौरा चढ़ जाता है और कभी तुम्हें'

'आदमी हो ना औरत के दिल की बात आसानी से नही समझ सकते'

'मुझ पे भरोसा नही रहा क्या'

'तुम पे तो जान से भी ज़्यादा भरोसा है...पर सब तुम्हें ही पाना चाहते हैं'

'यार तुम जानती हो ऐसा कुछ नही होने वाला फिर क्यूँ बे मतलब ....'

'अब तुम्हें कैसे समझाऊ एक औरत अपने बहुत से किरदारों के साथ खुद ही झुझती रहती है कभी उसके अंदर की माँ का पलड़ा भारी हो जाता है, कभी एक बीवी का, और कभी वो बस एक औरत की तरहा निष्पक्ष हो कर सोचने लगती है -- तुमने मुझे और सोनल को इतना प्यार दिया जिंदगी की सारी तमन्ना पूरी कर दी लेकिन एक बार उधर देखो क्या मिला सवी को और रूबी को अपने हो तो हैं ना, कितनी दूर चली गयी थी सवी ताकि तुमसे दूर रह सके और रूबी ..किसी और से शादी करने के तयार हो गयी थी ताकि तुमसे दूर हो जाए. सवी की बात अभी छोड़ो पर रूबी ..वो बेचारी अपनी आँखों में एक वीरानापन लिए कितनी सेवा कर रही है सोनल की बिल्कुल कोख जाई बहन की तरहा लेकिन कभी उसके मुँह से ये नही निकल वो क्या चाहती है ...इस तरहा तो....'

'बस मैं और कुछ नही सुनना चाहता' सुनील के दिमाग़ में हथौड़े बजने लगे जिस दर्द का उसने बड़ी मुश्किल से सामना किया था उसे अपनाया था अपनी नस नस में जहर घोला था...आज सूमी उसे फिर वही दर्द एक अजगर की तरहा फुंफ़कार्ते हुए दिखा रही थी..फिर से उस अजगर के मुँह में जाने के लिए कह रही थी.

वो हाल में जा कर बैठ गया. उसने पीना लग भग बंद कर दिया था लेकिन आज फिर वो बॉटल लेकर बैठ गया. सूमी जानती थी कि अगर अब उसे कुछ कहा तो वो और बिखर जाएगा वो चुप हो गयी और उसके पास जा कर बैठ गयी.

'अगर तुमसे अपने दिल की बात ना करूँ तो किससे करूँ'

'प्लीज़ इस वक़्त कुछ मत बोलो' सुनील उसकी गोद में सर छुपा के बैठ गया.

सूमी और सुनील दोनो ही नही जानते थे कि कब्से कोई इन्दोनो की बातें सुन रहा था - हां वो और कोई नही सवी थी- जो एक तरफ इस बात को लेकर खुश हो रही थी कि सूमी ने रूबी के बारे में सोचना शुरू कर दिया है और कहीं ना कहीं उसके दिल ने रूबी के प्यार की गहराई को पहचान लिया है पर सुनील वो वहीं का वहीं था उसके दिल के दरवाजे अब बंद हो चुके थे उस दिल में बस लो ही लोग रह सकते थे सोनल और सूमी किसी तीसरे का उस दिल में कोई स्थान नही था.

ये ख़याल आते ही उसकी आँखें नम हो गयी उसने और उसकी बेटी दोनो ने प्यार किया भी तो उससे जो उनके प्यार को पहचानने से इनकार कर रहा था. वाह री नियती किसी की झोली में खुशियाँ ही खुशियाँ और किसी को गम ही गम.

भारी कदमों से वो अंदर हाल में घुस गयी और सूमी के पास जा बैठी. दोनो बहनो की नज़रें मिली और नज़रों ने नज़रों से बहुत कुछ कहा वही गिले शिकवे एक दूसरे के साथ.
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