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RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
फ्लॅट से निकल कर वो सड़क पर ऐसे ही चहेल कदमी करने लगी....
दुकाने करीब करीब बंद हो चुकी थी... तभी उसकी निगाह सड़क के
सामने की ओर एक खुले बार पर पड़ी... ना जाने क्या सोच कर
हिचकिचाते हुए उसने बार मे कदम रखा.
बार बहोत बड़ा नही था.... हॉल मे रोशनी काफ़ी कम थी.. टेबल के
उपर लगी हल्की रोशनी के बल्ब जल रहे थे.... कोने मे एक ड्ज
रेकॉर्डर पर गाने बज रहा था.
रोमा एक टेबल पर जाकर बैठ गयी. तभी कहीं अंधेरा से एक 35
साल का मर्द प्रगट हुआ और रोमा को देख मुस्कुराने लगा.
"ज्योति ये लड़की जो भी पीना चाहे इसे लाकर दे दो." उसने टेबल के
पास खड़ी एक वेट्रेस से कहा.
रोमा के मन मे एक बार तो आया कि वो मना कर दे... लेकिन वो आदमी
दीखने मे काफ़ी स्मार्ट और इज़्ज़तदार लग रहा था इसलिए उसने कुछ
कहा नही.
"जी बहोत बहोत शुक्रिया आपका," रोमा ने उससे कहा और वेट्रेस को
एक वोड्का वित लाइम लाने को कह दिया.
"मेरे ख्याल से तुम इसी सहर के कॉलेज मे पढ़ती हो... है ना?"
उसने मुस्कुराते हुए पूछा.
"हां अभी दाखिला लिया है, ज़रूर आप ज्योतिष् विद्या जानते है."
रोमा ने जवाब दिया.
"नही ज्योतिष् तो नही हूँ.... पर हां मुझे ऐसा लगा.... वैसे
मुझे जीत कहते है." उस मर्द ने कहा.
"मुझे रोमा."
वेट्रेस ज्योति ने ड्रिंक लाकर रोमा के टेबल पर रख दी... रोमा
अपना ग्लास उठाकर धीरे धीरे सीप करने लगी.
"अगर आपको बुरा ना लगे तो क्या में आपके साथ बैठ सकता हूँ?"
जीत ने पूछा.
रोमा इस स्तिथि मे नही थी कि उसे मना कर सके, "प्लीस बैठिए
मुझे कोई ऐतराज़ नही है."
"तो, तुम्हारी कॉलेज लाइफ कैसे चल रही है?" जीत ने उसके सामने
की कुर्सी पर बैठते हुए पूछा.
"सच कहूँ तो बहोत मुश्किल हो रही है... नई साथी नई जगह और
साथ ही पढ़ाई भी थोड़ी डिफिकल्ट है... काफ़ी मेहनत करनी पड़ती
है." रोमा ने जवाब दिया.
"वैसे कौन से विषय मे परेशानी होती है तुम्हे?" जीत ने एक बार
फिर पूछा.
"सबसे ज़्यादा तकलीफ़ मॅतमॅटिक्स मे होती है.... अलगेबरा तो मेरी
समझ मे नही आता है." रोमा ने जवाब दिया.
रोमा को जीत से बाते करते हुए अच्छा लग रहा था... आज पहली
बार किसी ने उससे उसकी परेशानियाँ या फिर उसकी पढ़ाई के बारे मे
इतने अप्नत्व से पूछा था.... उसने अपनी ठंडी ड्रिंक से एक घूंठ
लिया और उसकी तरफ देखने लगी.... जीत एक हॅंडसम नौजवान था...
काली आँखें........ काले घने बॉल... चौड़े कंधे... और काफ़ी
हॅंडसम लग रहा था.. रोमा खुश थी कि वो उस के साथ बैठी थी.
"अगर तुम चाहो तो में तुम्हारी मदद कर सकता हूँ... जिस कॉलेज
मे तुम पढ़ रही हो मेने उसी कॉलेज से ग्रॅजुयेशन किया है और बाद
मे मेने Bएड का सर्टिफिकेट भी ले लिया है... में प्राइवेट अकॅडमी
मे पढ़ाता हूँ जो यहाँ से ज़्यादा दूर नही है... मेद्स और हिस्टरी
मेरे खास विषय है... में अकेला रहता हूँ और शाम के वक्त मेरे
पास काफ़ी समय रहता है." जीत ने उसकी आँखों मे आँखे डालते हुए
कहा.
रोमा तो खुशी उछल पड़ी, "क्या सच मे ऐसा हो सकता है?"
"हां अगर तुम चाहो तो," जीत ने उसके खुशी से भरे चेहरे पर
नज़र डालते हुए कहा, "जाने से पहले मेरा फोन नंबर ले लेना.... तुम
किसी भी वक्त मुझे फोन कर सकती हो... तुम्हारी मदद करके मुझे
खुशी होगी."
"आज में बहोत खुश हूँ और में चाहती हूँ कि आप मेरी मदद
करें." रोमा ने जवाब दिया.
राज और रिया दोनो रोमा के दीमाग से इस समय निकल चुके थे... आज
कितने दिनो बाद उसे एक राहत सी महसूस हो रही थी... दोनो बातो
मे खो गये.... वक्त कब बीत गया दोनो को पता ही नही चला.
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RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
"राज पता नही क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि रोमा को हमारा साथ
साथ बाहर जाना अछा नही लगा." रिया ने राज का हाथ पकड़े गाड़ी की
और बढ़ते हुए कहा.
"गाड़ी तुम चलाओगी या में चलूं?" राज ने पूछा.
रिया राज को पकड़ गाड़ी के पास आगाई और ड्राइवर साइड के दरवाज़े पर
उसे हल्का सा धक्का देते हुए अपने होंठ उसके होठों पर रख चूसने
लगी.... उसके होठों को चूसने के बाद वो धीरे से उसके कान मे
फुस्फुसाइ, "मेरी गाड़ी की पीछले सीट काफ़ी चौड़ी है अगर तुम
चाहो तो....."
"फिलहाल मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा."राज ने धीरे से कहा...
उसके ख़यालों मे अब भी रोमा का चेहरा बसा था जहाँ उसके चेहरे
पर जलन की भावना उसे सॉफ दिखाई डी थी.
"राज उस दिन तुम हमारे साथ नही थे..... मेने कसम खा कर कहती
हूँ कि उसने खुद कहा था कि अगर में उस रात वाली हरकत वापस ना
दोहराऊ तो वो तुम्हे मेरे साथ बाँटने के लिए तैयार है...." रिया ने
उसे गालों पर हाथ फिराते हुए कहा, "फिर भी मेने एक महीने तक
इस बात का इंतेज़ार किया कि शायद मुझे तुम्हारे साथ कुछ समय
बिताने का मौका मिल जाए."
"हां तुमने बाद मे बताया था और में खुश हूँ कि तुम्हारे सभी
टेस्ट सही गये.. उस रात की वजह से तुम्हे कोई बीमारी नही हुई."
राज ने उसके होठों को हल्के से चूमते हुए कहा, "वैसे क्या हुआ था
उस रात?.... कितना डर गये थे हम दोनो."
रिया एक गहरी साँस ले कर रह गयी.... उस भयानक रात की काली
परछाईयाँ आज भी उसे नींद मे सताती थी........और दर्द की टीस
उसके पूरे बदन मे दौड़ जाती थी.
"प्लीज़ राज आज की रात उस हादसे की बात मत करो.. वो रात मेरी
जिंदगी की एक भयानक हादसा था जिसे में भुला देना चाहती हूँ"
रिया ने रोते हुए कहा, "आज की रात में तुम्हारे साथ हंसते हुए
गुज़ारना चाहती हूँ... तुम नही जानते एक महीना मेने आज के लिए
इंतेज़ार किया है.. कितनी अकेली थी में गुज़रे एक महीने तक."
"फिर भी में जानना चाहता हूँ कि उस रात तुम्हारे साथ क्या हुआ?
रोमा भी मुझे कुछ बताने को तैयार नही है." राज ने कहा.
राज की ज़िद ने रिया के मन मे दबे गुस्से और झल्लाहट को जैसे हवा
दे दी, "क्या तुम ये चाहते हो कि में तुम्हे बताऊ की में तुमसे
कितना प्यार करती हूँ.... में कितनी अकेली थी तुम्हारे बिना....
मेने अपनी सेहत अपनी जान इस लिए जोखम मे डाली कियों कि में
तुम्हे पा नही सकती थी... में सारी सारी रात बिस्तर पर करवट
बदलते हुए तुम्हारे सपने देखा करती थी और तुम रोमा की बाहों मे
चैन की नींद सोते थे... और क्या करती में... मुझे तुम पर गुस्सा
आ रहा था... मेने सोचा था कि हम दोनो का वक्त साथ साथ अछा
गुज़रेगा लेकिन ऐसा नही हुआ...." रिया ने रोते रोते कहा.
"हां में तुम्हारे मुँह से यही सुनना चाहता था" राज ने मुस्कुराते
हुए कहा.
राज को मुस्कुराते देख रिया का गुस्सा काफूर हो गया और उसके होठों
पर एक मधुर मुस्कान आ गयी, "बड़े हरामी हो तुम?" रिया ने उसके
छाती पर हल्के मुक्के मारते हुए कहा.
"अब चलॉगी या फिर यहीं खड़े रहने का इरादा है" राज ने रिया को
अपने गले लगाते हुए कहा.
रिया ने राज को गाड़ी की चाभी पकड़ी....राज ने ड्राइवर सीट का दरवाज़ा
खोला और अंदर बैठ गयी.. रिया भी दूसरी तरफ से घूम कर आई
और उसके बगल मे बैठ गयी.... राज ने जैसे ही गाड़ी पार्किंग से
बाहर निकाली रिया उससे और चिपक कर बैठ गयी.... उस रात के
ख़याल से अभी भी उसका बदन कांप रहा था और दिल मे हल्का सा डर
समाया हुआ था.
"राज क्यों ना हम आज किसी पब या बार मे जाने की बजाई ड्राइव पर
जाएँ." रिया ने राज से चिपकते हुए कहा.
राज ने उसकी बात मानते हुए गाड़ी सहर के बाहर के रास्ते पर बढ़ा
दी. राज ने महसूस किया कि रिया के शब्दों मे कुछ अजीब सा था...
उसे अफ़सोस होने लगा कि उसने उस रात वाला विषय छेड़ा ही क्यों.
शायद रिया ने राज के मन की बात पढ़ ली थी, "में ठीक हूँ राज
तुम चिंता मत करो.... मुझे तो खुद पर गुस्सा आ रहा है कि उस
रात मेने ऐसा क्यों किया... पर कहते है ना कि प्यार मे लोग पागल
हो जाते है... और अक्सर कुछ पागलों वाली हरकत कर बैठते है..
शायद मेने भी कुछ ऐसा ही किया था.... कितनी बेवकूफ़ हूँ में
मुझे समझ लेना चाहिए था कि में तुम्हे नही पा सकती.... पर
क्या करूँ ये दिल है कि ये बात मानने को तैयार ही नही है."
राज ने कोई जवाब नही दिया उसके दीमाग मे एक तूफान सा उठा हुआ
था... वो रिया को प्यार करता था पर साथ ही वो अपनी प्यारी बेहन
रोमा को भी बहोत प्यार करता था.... साथ ही रोमा की इज़्ज़त भी
बहोत करता था .. कितनी मेहनत कर रही थी वो अपना एक अच्छा
भविश्य बनाने के लिए.... उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो
क्या करे... वो एक ऐसे दो राहे पर खड़ा था कि उसकी कुछ समझ मे
नही आ रहा था.
"राज आगे एक पार्किंग एरिया है और इस समय सुनसान होगा गाड़ी वहाँ ले
लेना" रिया ने राज से कहा.
राज ने रिया के कहे अनुसार गाड़ी पार्किंग एरिया मे रोक दी.. उसने देखा
की जगह वाकई मे सुनसान पड़ी थी.
गाड़ी के रुकते ही रिया राज की तरफ चेहरा किया उसकी गोद मे बैठ
गयी. राज ने उक्सी गर्दन मे हाथ डाला और उसके घने बालों मे अपनी
उंगलियाँ फिराने लगा, "मुझे तुम्हारे ये घने बाल बहोत अच्छे लगते
है."
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RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
रोमा और जीत इस तरह घुल मिल कर बातें कर रहे थे जैसे उनकी
बरसों की पुरानी जान पहचान हो.
"आज तुमसे मिलकर और बात कर के मेरे दिल का बहोत सारा बोझ हल्का
हो गया." रोमा ने जीत से कहा.
जीत और रोमा इसी दरमियाँ हॉल के टेबल से उठ कर कोने मे बने एक
बूथ मे बैठ गये थे.... बाहर संगीत जोरों से बज रहा था.
"ये रही तुम दोनो की ड्रिंक" ज्योति ने टेबल पर ड्रिंक रखते हुए
कहा. "बहुत जल्दी दोस्ती हो गयी तुम दोनो की, ज़रा बच कर रहना इस
शैतान से." ज्योति ने जीत की तरफ इशारा करते हुए रोमा से कहा.
"हाआँ....तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे में रोज़ आकर कॉलेज की
लड़कियों को पाटता रहता हूँ." जीत ने हंसते हुए कहा, "ज्योति और
मेरे बीच इस तरह के मज़ाक चलते रहते है."
ज्योति ने हंसते हुए जीत के सिर पर हल्के से एक चपत
जमाए.. "औरों की तो में नही जानती लेकिन हाआँ... आज से पहले
ऐसी कॉलेज की लड़की तुम्हे नही मिली होगी."
ज्योति की बात सुनकर रोमा के मुँह से जोरों से हँसी छूट गयी..
उसने जल्दी से अपने मुँह पर हाथ रख कर हँसने लगी.... हंसते
हंसते उसका बुरा हाल हो गया.. और आँखों मे आँसू आ गये.
"बहुत दिनो बाद ऐसे खुल कर हँसी हूँ..." रोमा ने कहा.
"हँसना सेहत के लिए वैसे भी अछा होता है," जीत ने कहा, "वैसे
अगर तुम मेरे घर पर ट्यूशन लेने आओगी तो तुम्हारे बॉय फ़्रेंड को
बुरा तो नही लगेगा."
"मेरा कोई बॉय फ़्रेंड नही है," रोमा ने जवाब दिया, "में अपने भाई
और उसकी गर्ल फ़्रेंड के साथ रहती हूँ... और मुझे लगता है की उन
दोनो को कोई फरक नही पड़ेगा अगर में तुमसे ट्यूशन लूँगी तो."
"ये तो बहोत अच्छी बात है."
दो ड्रिंक के बाद रोमा को थोड़ा नशा होने लगा था.... उसका सिर
चकरा रहा था... जीत से मिलकर उसे बहोत अच्छा लगा था और कुछ
देर के लिए वो राज और रिया को अपने दीमाग से निकल चुकी थी.
"चलो बाहर चल कर बैठते है.. यहाँ थोड़ी घुटन सी हो रही
है." जीत ने रोमा की हालत देखते हुए कहा.
दोनो बाहर आकर एक टेबल पर बैठ गये... जीत ने ज्योति से कह कर
अपनी पसंद का गाना लगाने को कह दिया....
"क्या तुम मेरे साथ डॅन्स करना पसंद करोगी?" जीत ने रोमा की तरफ
हाथ बढ़ते हुए कहा.
"पता नही... ज्योति बार बार मुझे तुमसे सावधान रहने को कह रही
है.." रोमा ने हंसते हुए कहा.
"क्या तुम डरती हो मुझसे... तुम्हे लगता है की में तुम्हारे साथ कोई
ग़लत हरकत करूँगा." जीत ने पूछा.
"नही मुझे डर तुमसे नही अपने आपसे है... कि डॅन्स करते वक्त
कहीं मे गिर ना पदू.. मुझे नाचना नही आता." रोमा ने जवाब
दिया.
"ये तो और भी अछी बात है." जीत ने मुस्कुराते हुए कहा, "अब मुझे
पढ़ाई के अलावा तुम्हे और भी कुछ सीखाने का मौका मिल जाएगा."
रोमा को जीत पसंद आ गया था.. वो एक हस्मुख और अछा इंसान था..
उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया.... जीत ने उसका हाथ पकड़ा और उसे
डॅन्स फ्लोर पर ले आया.... जीत ने उसकी कमर मे हाथ डाला और दोनो
गाने की धुन पर नाचने लगे.
"इतना अच्छा तो नाच रही हो." जीत ने कहा.
रोमा ने उसे कस कर पकड़ लिया और अपना सिर उसके बाएँ कंधे पर
टिका दिया.
"तुम ठीक तो हो ना?"
रोमा हल्के से मुस्कुराइ और उसकी पीठ पर हाथ फिराते हुए
बोली, "पहले से कहीं बेहतर... मेरी आज की रात रंगीन बनाने के
लिया शुक्रिया."
जीत ने किसी बुजुर्ग की तरह उसके माथे को चूम लिया, "ये तो मेरी
ख़ुशनसीबी है की मुझे तुम्हारी सहयता करने का मौका मिला."
दोनो इसी तरह एक दूसरे की बाहों मे बाहें डाले थोड़ी देर तक
नाचते रहे.
"चलो में तुम्हे घर छोड़ देता हूँ, रात काफ़ी हो चुकी है." जीत
ने रोमा से कहा.
जीत ने किसी अच्छे इंसान की तरह की होटेल का बिल चुकाया और रोमा
को सहारा देते हुए अपनी गाड़ी तक ले आया.... फिर रोमा को गाड़ी की
अगली सीट पर बिठा कर उसने गाड़ी रोमा के घर की तरफ बढ़ा दी.
रोमा ने उसे अपने मकान के सामने रुकने का इशारा किया तो जीत ने
गाड़ी रोक दी.
"तुम ठीक हो ना?" जीत ने एक बार फिर पूछा.
"हां में बिल्कुल ठीक हूँ.... क्या तुम अंदर आना चाहोगे?" रोमा ने
पूछा.
"नही रात काफ़ी हो चुकी है... अब में चलूँगा... हां अगर कोई
काम हो तो फोन करने मे मत हिचकिचाना... तुम्हारी मदद करके
मुझे खुशी होगी." जीत ने जवाब दिया.
"शुक्रिया आज तुमने मेरी काफ़ी मदद की उसके लिया." कहकर रोमा अपने
फ्लॅट मे चली गयी.
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RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
"जय आऊ..." उसने खुशी मे जय को गले लगा लिया. फिर थोड़ा पीछे
हटकर जय को निहारने लगा... उसका भाई कितना बदल गया था.. चौड़ा
सीना खिला हुआ चेहरा...
"आओ अंदर आओ और आराम से बैठ कर मुझे बताओ क्या हुआ..." रिया ने
उसका हाथ पकड़ उसे सोफे पर बिठाया, "जब से तुम्हारा फोन आया मुझे
कितनी चिंता हो रही है."
जय सोफे पर बैठ गया तो रिया उसके बगल मे बैठ कर अपने हाथ को
उसके कंधे पर रख दिया.... कितने दिनो बाद आज वो अपने भाई से मिल
रही थी.
"रानी मा बनने वाली है" जे ने कहा.
"मुबारक हो! ये तो खुशी की बात है." रिया ने उसे गले लगाते हुए कहा.
पर रिया को लगा कि जय इस बात से खुश नही है और कोई तो बात है
जो उसे खाए जा रही है..
"ऑश अब समझी शायद तुम ये सब इतनी जल्दी नही चाहते थे.. है
ना?" रिया ने कहा.
"हां... कल मेरे और रानी के बीच इस बात को लेकर काफ़ी बहस भी
हुई.. " जय ने जवाब दिया. "समझ मे नही आता क्या करूँ.. जब ज़्यादा
दिन हो जाएँगे तो उसे अपना काम छोड़ना पड़ेगा और में अकेला इतने सारी
ज़िम्मेदारियों को नही निभा पाउन्गा.. घर का खर्चा..गाड़ी वग़ैरह..
समझ मे नही आता में क्या और कैसे करूँ."
रिया ने प्यार से उसके गालों को चूम लिया और अपना सिर उसके कंधे पर
रख दिया.. "पता है जय में कितनी खुश थी तुम्हे लेकर.... काश
मेरे पास इस समस्या का कोई हल या जवाब होता.."
"में तुमसे कोई मदद माँगेने नही आया.. ये तो में भी समझता हूँ
कि इसका हल तो मुझे और रानी को मिलकर ही निकलना है.. " जय ने उसकी
कमर मे हाथ डालते हुए कहा." वो तो बस तुम्हारी याद आ रही थी और
में सोच रहा था कि तुम्हारी जिंदगी कैसे गुज़र रही है."
रिया ने अपना चेहरा उठाया और उसके बालों मे अपना हाथ फिराने लगी..
उसके दिल का दर्द आँसू बन उसके चेहरे पर छलक आया.
"माफ़ करना रिया.. में तुम्हे तकलीफ़ नही देना चाहता था." जय अपनी
बेहन को गले लगाते हुए बोला.
रिया ने अपने आँसू पौन्छे और अपने जज्बातों को हटाते हुए बोली, "कोई
बात नही जय... में भी अपने दिल की बात तुमसे करना चाहती हूँ..
वो क्या है ना रोमा मेरे और राज के बीच आ गयी है..फिर भी हम
दोनो आपस मे समय निकाल ही लेते है.."
"क्या तुम उससे बहोत प्यार करती हो?" जे ने पूछा.
रिया ने अपनी गर्दन हन मे हिला दी.
"जानती हो रिया जब तुमने हमारे साथ तालाब के किनारे आना शुरू किया
में तभी समझ गया था. कि राज तुम्हे पसंद है.. लेकिन ये जज़्बा
इतना बढ़ जाएगा ये मुझे मालूम ना था."
"राज भी मुझसे बहोत प्यार करता है" रिया ने तुरंत कहा, "लेकिन वो
अपनी बेहन को भी उतना ही प्यार करता है... कभी कभी तो मुझे
लगता है कि वो अपनी बेहन के साथ खुश नही है.. इसीलिए में
इंतेज़ार कर रही हूँ उस दिन का जिस दिन वो उसे छोड़ मेरे पास आ जाएगा."
जय मुस्कुराते हुए रिया को देखने लगा... वो बचपन से ही रिया की
बहोत इज़्ज़त करता था और दिल से उसे बहोत प्यार करता था... वो जाने
अंजाने मे भी उसे कोई तकलीफ़ नही पहुँचाना चाहता था.... पर जो हो
सकता है वो तो उसे कहना ही था, "हो सकता है राज रोमा का साथ कभी
ना छोड़े?"
जय की बात सुन रिया की रुलाई फुट पड़ी"में भी ये जानती
हूँ....पर में क्या करू.. में राज के बिना नही रह सकती.. बहोत
प्यार करती हूँ उससे." उसने रोते हुए अपना चेहरा जय के कंधों मे
छुपा लिया....जय उसकी पीठ को सहला उसे सांत्वना देने लगा.
"माफ़ करना रिया,... काश हम अपने गुज़रे हुए कल को वापस ला सकते..
मुझे आज भी वो दिन याद है जब तुम कॉलेज से छुटकर घर आती और
हम सब मिलकर तालाब के किनारे मज़े करते."
"हां सो तो है.. काश वो दिन वापस लौट आते?" रिया ने सोच भरी
आवाज़ मे कहा.
अचानक रिया ने अपने होंठ जय के होठों पर रख दिए.. दोनो के होठ
मिले और दोनो एक दूसरे के होठों को चूसने लगे.
"जय पता है में तुम्हे कितना मिस कर रही थी.. हमेशा तुम्हारी
याद आती रहती थी." रिया ने कहा, "आज बता दो कि तुम मुझे उतना ही
याद करते थे और उतना ही प्यार करते हो जितना पहले करते थे."
रिया की बात सुनकर जय सोच मे पड़ गया.... वो रानी के बारे मे सोचने
लगा.. अगर उसे पता चल गया कि उसका अपनी ही बेहन के साथ रिश्ता
है तो आफ़त खड़ी हो जाएगी... पर रिया के शब्दों की मायूसी और दिल
मे चाहत... वो एक धरम संकट मे फँस चुका था.. उसकी समझ मे
नही आ रहा था कि वो क्या करे क्या कहे.
"प्लीज़ जय में समझ रही हूँ तुम क्या सोच रहे है.. लेकिन आज
मुझे तुम्हारी ज़रूरत है.. में किसी अपने के स्पर्श के लिए तरस
रही हूँ... प्लीज़ मुझे प्यार करो ना." रिया ने लगभग गिड़गिदते
हुए कहा.
"यहाँ हाल मे नही कभी भी कोई भी आ सकता है और में कोई ख़तरा
नही उठा सकता." जय ने जवाब दिया.
"तो फिर मेरे बेडरूम मे चलते है." रिया ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा.
* * * * * * * * *
पता नही क्यों रोमा को घबराहट के मारे माथे पर पसीना आ रहा
था... उसने अपने माथे का पसीना रूमाल से पौंच्छा और जीत के मकान
की घंटी बज़ा दी. उसने नीले रंग की डेनिम की शॉर्ट्स पहन रखी थी
और उस पर एक पीच रंग का टी शर्ट. अपने कपड़ों को ठीक कर वो
दरवाज़ा खुलने का इंतेज़ार करने लगी. जब दरवाज़ा खुला और जीत का
चेहरा नज़र आया तो उसके होठों पर मुस्कान आ गयी.
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