Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:37 PM,
#81
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मुझे शुनाई दिया, अरे संजय क्या हुवा, भाबी को ? मुझे अभी-अभी पता चला, वो यहा क्लिनिक में है

संजय ने कहा, बस पूछ मत यार, मुझे खुद कुछ समझ नही आ रहा, मेरा दीमाग घूम रहा है.

मैं आवाज़ से समझ चुकी थी कि दूसरी आवाज़ संजय के दोस्त विवेक की है. वो संजय का बहुत अछा दोस्त था.

विवेक बोला, बता तो सही आख़िर हुवा क्या है ?

संजय ने कहा, मुझे लगता है, ऋतु का रेप हुवा है और वो भी मेरे घर के पीछे और मैने खुद अपनी आँखो से ये सब देख भी लिया. मैं गहरे शॉक में हूँ.

विवेक ने कहा, क्या ? तूने पोलीस में रिपोर्ट की.

संजय ने कहा, उसकी कोई ज़रूरत नही है, मैं उन लोगो को बर्बाद कर दूँगा. एक को तो मैने गोली भी मार दी थी, मुझे यकीन है वो मर चुका होगा.

विवेक ने हैरानी भरे शब्दो में कहा, क्या ? कितने लोग थे वाहा ?

संजय ने कहा, तीन

विवेक बोला, हे भगवान, वैसे तुम वाहा कैसे पहुँच गये.

संजय ने कहा, मुझे एक फोन आया था कि अपने घर आ कर अपनी बर्बादी देखो. और जब में घर पहुँचा तो मुझे एक एसएमएस आया कि अपने किचन की खिड़की खोल कर देखो कि तुम्हारी बीवी किस हाल में है.

विवेक बोला, फिर क्या देखा तूने ?

संजय ने कहा, मैने देखा कि ऋतु छटपटा रही थी और वो कमीना बिल्लू उशके साथ…………………..

विवेक बोला, बिल्लू ! कौन बिल्लू ?

आगे मुझे कुछ शुनाई नही दिया, श्याद संजय ने धीरे से कुछ कहा था.

पर अचानक संजय के मूह से बिल्लू का नाम सुन कर मैं हैरान रह गयी थी, मुझे समझ नही आ रहा था कि संजय बिल्लू को कैसे जानते है ?

मैं ये सोच ही रही थी कि तभी, विवेक बोल पड़ा, तो फिर तुमने क्या किया,

संजय ने कहा, मैने तुरंत अपने बेडरूम की अलमारी से पिस्टल निकाली और उस कामीने को गोली मार दी, पर तभी उशके एक साथी ने एक पठार उठा कर मारा और मेरी पिस्टल खिड़की से बाहर ज़मीन पर गिर गयी, और इतने में उशके साथी उशे ले कर भाग गये. ऋतु तभी बेहोश हो गयी थी. पर मुझे यकीन है वो बिल्लू नही बचेगा, गोली बिल्कुल दिल के पास लगी है.

विवेक ने पूछा, फिर क्या हुवा ?

संजय ने कहा, फिर मैं ऋतु को वाहा से उठा कर बेहोशी की हालत में ही, यहा ले आया.

विवेक ने कहा, मुझे लगता है तुझे पोलीस में रिपोर्ट तो करनी ही चाहिए.

संजय ने कहा, तू समझा कर यार, तू तो जानता ही है, ये बात इतनी सीधी नही है. रिपोर्ट की कोई ज़रूरत नही है, पोलीस से काम लेना मुझे आता है. अब तक बाकी के दो लोगो का एनकाउंटर हो चुका होगा.

विवेक ने पूछा, पर यार भाबी वाहा कैसे पहुँच गयी, किसी पड़ोसी ने क्या चीन्खने चील्लने की आवाज़ नही सुनी ?

संजय बोले, पता नही यार, ये सब तो ऋतु ही बता पाएगी. एक बार उसे होश आ जाए तो इस बारे में बात करेंगे, अभी तो वो भी शॉक में होगी.

विवेक ने कहा, मुझे शक है कि तुझे वाहा बिल्लू ने ही बुलाया होगा.

संजय ने कहा, तुझे शक है, मुझे तो पूरा यकीन है कि ये सब उसने जानबूझ कर किया है. पर अब कोई चिंता की बात नही, उसका खेल ख़तम हो चुका है.

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आख़िर बात क्या है, ऐसा लग रहा था जैसे की संजय और विवेक बिल्लू को आछे से जानते है.

ऐसा क्यो था मैं समझ नही पा रही थी ?

पर उनकी बाते सुन कर मेरी दुविधा दूर होती नज़र आ रही थी. मैं सोच रही थी कि अगर में ये सब रेप बता दू तो संजय से नज़रे मिला सकती हूँ, संजय भी तो ऐसा ही सोच रहे थे.

एक तरह से मुझे अपनी छोटी सी भूल को सुधारने का मोका मिल रहा था, और मैं अपने परिवार को भी बचा सकती थी.

पर फिर मुझे ख्याल आया कि मैं संजय को तो झूठ बोल दूँगी पर अपनी आत्मा को क्या जवाब दूँगी. सच क्या है वो तो मैं जानती थी, और इस सच को झुटला कर मेरे लिए अब एक पल भी जीना मुश्किल था.
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11-13-2018, 12:37 PM,
#82
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
संजय ने विवेक से कहा, चलो मेरे कॅबिन में चलते है, अभी ऋतु बेहोश है, उसे आराम करने देते है.

पर मुझ से रहा नही गया और मैने संजय को आवाज़ लगाई, संजय !!

संजय दौड़ कर मेरे पास आ गये.

विवेक अभी तक वही था.

मैने धीरे से कहा, मैं तुमसे अकेले में बात करना चाहती हूँ.

विवेक मेरी बात समझ गया और कमरे से बाहर चला गया.

संजय ने रूम का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.

मैने संजय की आँखो में देख कर कहा, मुझे माफ़ कर दो !!

संजय ने कहा, किस बात के लिए, इस में तुम्हारी क्या ग़लती ?

मेरी आँखो में फिर से आँसू उतर आए और मैने धीरे से कहा, ग़लती मेरी ही है संजय, मैं खुद इस सब के लिए ज़िम्मेदार हूँ.

संजय ने मेरे सर पर हाथ रखा और प्यार से बोले ये क्या कह रही हो ? ये घटना तो किसी के साथ भी हो सकती है, तुम अपने आप को दोष मत दो.

एक पल को मुझे फिर लगा कि मैं बड़े आराम से झूठ बोल कर बच सकती हूँ, क्योंकि जैसा मैने अभी सुना था, वो सभी कामीने मारे जा चुके है, अब कोई ये बात साबित नही कर सकता था कि मैं खुद इस गुनाह में शामिल थी.

पर अगले ही पल मुझे किसी की कही एक बात याद आ गयी

“दा ट्रूथ विल सेट यू फ्री, बट फर्स्ट इट विल मेक यू मिज़रबल”

और मैने मन ही मन ठान लिया कि मेरे साथ चाहे कुछ भी हो मैं संजय को सब कुछ, सच-सच बता दूँगी.

ये सोचने के बाद मैने धीरे से कहा, संजय मैं तुम्हे सच बताना चाहती हूँ.

अब संजय के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे.

मैने हकलाते हुवे कहा, मैं…खुद… बिल्लू…… से….. मिलने घर के पीछे गयी थी.

इतना सुनते ही संजय आग बाबूला हो उठे और गुस्से में बोले, क्या मतलब ? तुम खुद वाहा तीन लोगो के साथ…….. छी……… आइ कॅंट बिलीव दिस !!

मेरी आँखो में फिर से आँसू भर आए.

मैने रोते हुवे कहा, मैं बिल्लू के बहकावे में आ गयी थी, उन दो लोगो के बारे में मुझे नही पता वो कब वाहा आ गये.

संजय ने ये सुनते ही मेरा गला दबा दिया.

मेरा दम घुटने लगा.

मैने खुद को छुड़ाने की कोई कोशिश नही की क्योंकि मैं सब कुछ सहने के लिए तैयार थी.

वो बोले, साली कुतिया, तो ये सब तेरा किया धरा है, मैं ये सोच भी नही सकता था, क्या कुछ नही दिया मैने तुझे, और तू……….. ?

उनका शीकंज़ा मेरे गले पर कसता चला गया

वो बोले, अब पता चला ये चूत चटवाने के ख्याल तुझे कहा से आते थे, वो कुत्ता ज़रूर तेरी चाटता होगा, है ना.

मेरी साँसे घुटने लगी, ऐसा लग रहा था कि मैं अब मरने ही वाली हूँ, और सच पूछो तो मैं इस के लिए तैयार थी. पर तभी चिंटू का चेहरा दीमाग में घूम गया, मैं सोचने लगी कि मेरे बाद चिंटू का क्या होगा.

अचानक किसी ने रूम का दरवाजा खड़काया.

और संजय ने मेरी गर्दन छोड़ दी और बोले मैं तेरे गंदे खून से अपने हाथ नही रंगना चाहता.

ये कह कर संजय गुस्से में दरवाजे की ओर बढ़ गये.

जैसे ही उन्होने दरवाजा खोला, मैने देखा कि मेरे पापा वाहा खड़े थे.

मैने अपने पापा को देखते ही आँखे बंद कर ली.

मेरे पापा ने मुझे जीवन में हमेशा अछी सीक्षा दी थी और वो मेरे आदर्श थे, उन्हे वाहा देख कर मैं फिर से और ज़्यादा परेशान हो उठी.

मैं समझ नही पा रही थी कि मैने संजय को तो ये सब बता दिया पर अपने पापा को क्या कहूँगी.

अब मैं यही दुआ कर रही थी कि हे भगवान मुझे इस दुनिया से उठा लो.

मुझे दूर से ही पापा की आवाज़ आई, उन्होने संजय से पूछा, कैसी है ऋतु ?

संजय ने गुस्से में कहा, आप खुद देख लीजिए ?

मैं चुपचाप आँखे बंद किए पड़ी रही ?

पापा मेरे पास आए और मेरे सर पर हाथ रख कर बोले, बेटा कैसी है तू, मैं आ गया हूँ, घबराने की कोई बात नही है.

वो ऐसा पल था जब वक्त जैसे रुक गया था. पापा को देख कर मेरी आँखो में आंशु भर आए.

मैने बड़ी मुश्किल से भारी मन से कहा, पापा, मैं कुछ नही बता सकती, प्लीज़ अभी कुछ मत पूछो.

पापा, बोले, ठीक है बेटा, तुम किसी बात की चिंता मत करो, मैं आ गया हूँ ना. तुम अभी आराम करो, कुछ खाने को लाउ क्या ?

मैने कहा, नही अभी कुछ नही चाहिए.

पापा ने कहा, मैं ज़रा संजय से मिल कर आता हूँ, उस से तो ठीक से बात ही नही हुई, पता नही क्यो वो थोड़ा परेशान लग रहा था.

ये कह कर पापा कमरे से बाहर चले गये.
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11-13-2018, 12:37 PM,
#83
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं अब यही सोच रही थी कि संजय सच जान-ने के बाद क्या करेंगे. मैं ये आछे से जानती थी कि वो मुझे कभी माफ़ नही कर पाएँगे.क्योंकि जब मैं खुद ही अपने से नफ़रत करने लगी थी तो वो कैसे मुझे माफ़ कर सकते थे ??

पर इतना ज़रूर था कि मैं संजय को सब कुछ बता कर खुद को हल्का महसूष कर रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे मेरे सर से कोई बोझ हट गया हो.

पर सच अगर कड़वा होता है तो उशके परिणाम

उस-से भी ज़्यादा भयानक होते है. इश्लीए मैं अंदर ही अंदर खुद को किसी भी हालात का सामना करने के लिए तैयार कर रही थी.

मैं जानती थी कि अगर संजय मुझे डाइवोर्स देंगे तो अपनी जगह सही होंगे, अगर मैं उनकी जगह होती तो शायद मैं भी ऐसा ही करती, पर फिर भी मुझे हल्की सी उम्मीद थी कि शायद संजय मुझे माफ़ कर दे.

अचानक मुझे ख्याल आया कि काश में बहुत पहले संजय को सब कुछ बता देती तो ये दिन मेरी जींदगी में कभी ना आता.

और तभी मुझे ध्यान आया कि बिल्लू भी तो मुझे संजय को सब कुछ बताने के लिए बोल रहा था, आख़िर उसका इस सब के पीछे क्या मकसद था ?

और संजय और विवेक की बातो के अनुशार तो शायद बिल्लू ने ही संजय को वाहा बुलाया था, पर क्यो ? मुझे कुछ समझ नही आ रहा था !!

फिर मैं संजय और विवेक की बाते सोचने लगी. मैं समझ तो कुछ नही पा रही थी पर इतना ज़रूर सोच रही थी कि आख़िर संजय और विवेक बिल्लू को कैसे जानते है !!

मैं इन विचारो में खोई थी कि अचानक मुझे तेज कदमो की आहट शुनाई दी. मैने आँखे खोल कर देखा तो पाया कि संजय मेरी तरफ आ रहे थे.

मेरे पास आ कर वो बोले, चलो उठो, और दफ़ा हो जाओ यहा से, मैं एक पल भी तुम्हे यहा बर्दास्त नही कर सकता.

संजय ने ज़ोर से झटका दे कर ग्लूकोस की पाइप मेरे हाथ से निकाल दी, मैं दर्द से कराह कर रह गयी.

मैने गिड़गिदाते हुवे कहा, प्लीज़ क्या तुम मुझे एक मोका नही दे सकते ??

संजय बोले, दे तो रहा हूँ तुम्हे मोका मैं, तुम्हे जींदा छोड़ रहा हूँ, जाओ कही और जा कर अपना मूह काला करो, मैं अब तुम्हारे साथ नही रह सकता. इतना बड़ा धोक्का, वो भी मेरे साथ, मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगा. उस दिन शर्मा अंकल ने जिसे देखा था वो बिल्लू ही था, है ना ??

मैने गर्दन हां के इशारे में हिला दी.

वो चील्ला कर बोले, यू बिच !!!

और ये कह कर उन्होने मेरे मूह पर ज़ोर से थप्पड़ रसीद कर दिया. मेरा पूरा शरीर झन्ना उठा.

तभी पापा भी अंदर आ गये, शायद वो कमरे के बाहर खड़े हुवे सब कुछ सुन रहे थे.

पापा को देख कर संजय थोड़ा शांत हो गये.

पापा ने कहा, बेटा संजय, ये वक्त ऐसी बाते करने का नही है, ऋतु को अभी आराम करने दो. घर चल कर बात करेंगे.

संजय बोले, सब कुछ जान-ने के बाद भी आप ऐसा कह रहे है, और इसे हुवा क्या है जो इसे आराम की ज़रूरत है, विश्वास तो मेरा टूटा है !!

मैने देखा कि पापा ने बड़े गुस्से में संजय की और देखा और संजय अचानक चुप हो गये.

पापा मेरे पास आए और बोले, बेटा, मुझे संजय की बात पर यकीन नही है, चलो हम अपने घर चलते है.

ये सुन कर मैं फुट-फुट कर रोने लगी और पापा से कहा, “पापा प्लीज़ आप यहा से चले जाओ और मुझे मेरे हाल पर छ्चोड़ दो, सारा कसूर मेरा है” !!
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11-13-2018, 12:37 PM,
#84
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
पापा ने कहा, बेटा , तुम अपना कसूर मान रही हो ये क्या कम बड़ी बात है, कितने लोग है इस दुनिया में जो सच कहने की हिम्मत रखते है, मुझे गर्व है तुम पर. चलो अपने घर चलते है, मुझे नही लगता कि इस वक्त तुम्हे यहा रहना चाहिए. मुझे तुम पर पूरा यकीन है, तुम ग़लत हो ही नही सकती, ज़रूर इस बेरहम जमाने ने तुम्हारे साथ कोई भयानक खेल खेला है.

तभी संजय बोले, हां हां ग़लत तो सिर्फ़ मैं हूँ, और ये कह कर वो वाहा से रूम का दरवाजा पटक कर बाहर चले गये.

मैने पापा को बहुत समझाया कि मुझे मेरे हाल पर छ्चोड़ दो, मैं खुद अपनी जींदगी संभाल लूँगी, पर पापा ने मेरी एक नही सुनी और मुझे और चिंटू को अपने साथ घर ले आए.

हर कोई अपने घर आ कर खुस होता है पर मैं ऐसे हालात में घर आ कर बिल्कुल खुस नही थी.

मम्मी और सोनू ( मेरा छोटा भाई ) ने मुझ से कुछ नही पूछा, शायद पापा ने उन्हे समझा दिया था. मेरे लिए तो ये अछा ही था. वैसे भी मैं किसी को कुछ भी बताने या समझाने की हालत में नही थी.

चिंटू अपने नाना, नानी के घर कयि दीनो बाद आया था इश्लीए काफ़ी खुस था. सारा दिन वो घर में उछल कूद करता फिरता था. वो इस बात से बिल्कुल अंजान था कि उशके मा बाप की जींदगी, एक तूफान में फँसी है.

ऐसा लगता ही नही था कि मैं अपने उसी घर में आई हूँ, जहाँ बचपन से लेकर जवानी तक मैने बहुत सारे हसीन लम्हे गुज़ारे थे. मैं हर वक्त अपने कमरे में पड़ी रहती थी.

कुछ दिन यू ही बीत गये. पर मेरे मन को कोई शांति नही मिली. संजय ने कोई फोन नही किया और ना ही मेरा फोन उठाया.

एक दिन सुबह सुबह दीप्ति मिलने आ गयी, मुझे उसे देख कर बहुत ख़ुसी हुई.

मैने पूछा, तुम्हे कैसे पता चला कि मैं यहा घर पर हूँ.

वो बोली, आंटी ने कल फोन किया था कि तू यहा आई हुई है, इश्लीए मिलने आ गयी.

मैं समझ गयी कि मम्मी मेरे लिए परेशान है, शायद इश्लीए उन्होने दीप्ति को फोन किया होगा कि वो मुझ से मिलने आएगी तो मुझे अछा लगेगा. और मुझे वाकाई दीप्ति का आना बहुत अछा लगा.

बुरे वक्त में अगर कोई हल्का सा दामन थाम ले तो मुश्किल से मुश्किल रास्ता आसान हो जाता है. मुझे भी किसी ऐसे सहारे की ज़रूरत थी. वो दीप्ति ही थी जिससे में अपनी आप बीती खुल कर शुना सकती थी. वो कॉलेज के दिनो से मेरी बेस्ट फ्रेंड रही थी.

थोड़ा हाल चाल पूछने के बाद, दीप्ति ने पूछा, यार तू कुछ खोई खोई सी लग रही है, आंटी भी कल फोन पर कह रही थी कि तुम आजकल गुम-सूम सी रहती हो, आख़िर बात क्या है.

मैने गहरी साँस ले कर कहा, दीप्ति जीश ऋतु को तुम जानती थी वो अब मर चुकी है.

दीप्ति हैरानी भरे शब्दो में बोली, ये क्या कह रही है, दीमाग तो ठीक है तेरा ?

मैने कहा, दीमाग ठीक होता तो मैं इस वक्त यहा नही होती.

दीप्ति बोली, अरे तुम अपने मायके में ही तो हो, इसमें यहा, वाहा का क्या मतलब !!

मैने कहा, दीप्ति, संजय ने मुझे घर से निकाल दिया है.

दीप्ति बोली, क्या ?? ये कब कैसे !! क्यों ??

मैने कहा, क्योंकि मैने उन्हे धोका दिया है, इसलिए.

दीप्ति बोली, ये क्या बोल रही है तू, मुझे कुछ समझ नही आ रहा.

मैने कहा, तुम्हे अजीब लगेगा, पर मेरे किचन की खिड़की ने मुझे बर्बाद कर दिया.

दीप्ति बोली वो कैसे ?

मैने गहरी साँस ले कर कहा, एक दिन मैं यू ही ताजी हवा लेने के लिए किचन की खिड़की में आई थी कि अचानक एक लड़का मुझे पेसाब करता हुवा दीखा गया………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………………………………………………………… मैने बिना रुके दीप्ति को सारी बात बता दी.

दीप्ति बोली, यार मुझे बिल्कुल विश्वास नही हो रहा कि तुम्हारे साथ इतना कुछ हो गया, वाकाई में सारी ग़लती तुम्हारी ही है. उस कामीने अशोक ने तुझे फँसा ही लिया.

मैने कहा, हां मैं जानती हूँ कि ग़लती मेरी ही है तभी तो खुद पर शर्मिंदा हूँ. लगता है मैं अब कभी जींदगी में मुस्कुरा नही पाउन्गि.

दीप्ति बोली, ऐसा कुछ नही है, वक्त हर ज़ख़्म भर देता है, मुझे देख मैं भी तो अपनी जींदगी में खुस हूँ, वरना जींदगी ने कौन से झटके नही दिए

मैने पूछा, तुम्हे क्या हुवा है ?

दीप्ति बोली, रहने दे यार फिर कभी, तू खुद अभी परेशान है.

मैने कहा, दर्द बाँटने से कम होता है, मैं खुद तुम्हे सब कुछ बता कर, खुद को हल्का महसूस कर रही हूँ.

वो बोली, मेरी कहानी तेरे जैसी ट्रॅजिक तो नही है पर फिर भी मैं बहुत परेशान हूँ आजकल.

मैने कहा, बताओ तो सही क्या बात है.
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11-13-2018, 12:37 PM,
#85
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
दीप्ति बोली, तुझे कोई पाँच महीने पहले मैने बताया था ना कि मेरी सगाई पक्की हो गयी है.

मैने कहा, हां, हां, और मैने कहा था कि देर आए दुरुस्त आए, क्या नाम था तुम्हारे फियान्से का ?

दीप्ति बोली, महेश

मैने कहा, अरे हां महेश, तो क्या परेशानी है ?

दीप्ति बोली, अरे यार वो सगाई होते ही बार बार फोन करने लगा

मैने पूछा, तो इस में बुराई क्या है, आज कल तो फोन आम बात है.

दीप्ति बोली, सुन तो सही यार,

मैने कहा, ठीक है, बताओ मैं सुन रही हूँ.

दीप्ति के शब्दो में :----

पहले पहले जब महेश का फोन आया तो मुझे सब कुछ नॉर्मल लगा, वो दिन में कोई एक या दो बार ही फोन करता था. अक्सर यही पूछता था कि कैसी हो दीप्ति, आज काम ज़यादा है क्या ?

पर अचानक, वो दिन हो या रात, बार बार फोन करने लगा,

अब तुम्हे तो पता ही है ऋतु, मैं असिस्टेंट मॅनेजर की जॉब पर हूँ और मुझे हर वक्त ऑफीस में कुछ ना कुछ काम होता है, और वो किसी भी वक्त फोन खड़का देता था.

चलो यहा तक भी ठीक था, धीरे धीरे वो मुझ से अश्लील बाते करने लगा. जैसे की एक बार मैं ऑफीस में ज़रूरी प्रॉजेक्ट रिपोर्ट बना रही थी कि अचानक महेश का फोन आ गया.

मैने कहा, मैं अभी बिज़ी हूँ, क्या हम थोड़ी देर में बात करें.

वो बोला, शादी के बाद कभी अगर मुझे फक करने की इच्छा हुई तो क्या तब भी यही कहोगी की बाद में फक करेंगे.

आइ जस्ट कुड नोट से ए सिंगल वर्ड, आइ नेवेर एवर इन माइ लाइफ हर्ड सम्तिंग लाइक दिस.

मैने कहा, महेश ये क्या मज़ाक है, मुझे ऐसी बाते बिल्कुल पसंद नही.

वो बोला, मेरी जान शादी के बाद क्या तुम मेरे साथ रामायण का पाठ करोगी ?

मैने फोन काट दिया और फोन को स्विच ऑफ कर दिया. मैं दुबारा उष्की बकवास नही सुन-ना चाहती थी.

अपना सारा काम ख़तम कर के ही मैने फोन ऑन किया.

फोन ऑन करते ही महेश का फोन आ गया.

वो बोला, सॉरी तुम तो बुरा मान गयी, मैं तो मज़ाक कर रहा था.

मैने कहा, मज़ाक ?

वो बोला, हां मज़ाक.

मैने कहा, पर मुझे ऐसा मज़ाक बिल्कुल पसंद नही है.

वो हंसते हुवे बोला, कही तुम लेज़्बीयन तो नही हो ?

मैने पूछा, क्या मतलब ?

वो बोला, कुछ नही दीप्ति, बस यू ही मज़ाक कर रहा हूँ, तुम तो बात बात पर परेशान हो जाती हो. तुम्हे नही लगता कि हमें अब खुल कर बाते करनी चाहिए

मैने कहा, महेश, मुझे बहुत काम होता है, तुम समझते क्यो नही ?

वो बोला, चलो ठीक है, जब तुम फ्री हुवा करो तो मुझे मिस कॉल कर दिया करो, मैं खुद फोन कर लूँगा.

मैने कहा, प्लीज़ बुरा मत मानो, मुझे थोड़ा वक्त दो.

क्रमशः...................
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11-13-2018, 12:38 PM,
#86
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
गतांक से आगे .........................

वो बोला, ठीक है, तुम चिंता मत करो मैं तो यू ही हँसी मज़ाक कर लेता हूँ.

उस दिन के बाद कुछ दीनो तक उसने मुझे परेशान नही किया.

पर एक दिन अचानक वो मेरे ऑफीस आ गया. लंच टाइम था, मैं अपने कॅबिन में थी और कुछ ज़रूरी पेपर वर्क कर रही थी.

वो सीधा मेरे कॅबिन में घुस्स गया, और बोला, सोचा आज खुद चल कर देख लूँ कि कितनी बिज़ी है मेरी होने वाली पत्नी ? तुम तो लंच ब्रेक में भी काम कर रही हो !!

मैं महेश को वाहा देख कर चोंक गयी थी.

मैं फॉरन अपनी शीट से उठ गयी.

वो मेरे सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया.

वो बोला, तुम्हे कहीं बुरा तो नही लग रहा कि मैं बिना बताए आ गया ?

मैने कहा, नही, नही, कोई बात नही.

उसने कहा, फिर ठीक है. पर एक बात है, आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो, मन कर रहा है कि अभी तुम्हारे साथ शादी कर के तुम्हे हनिमून पर ले जाउ.

मैं शर्मा कर रह गयी. पर मैं हैरान थी कि अभी मेरे और महेश के बीच कोई गहरा रिस्ता नही बना है, सिर्फ़ एंगेज्मेंट ही तो हुई है, अभी तो एक दूसरे को आछे से जानते भी नही है, फिर भी वो मुझ से ऐसी बाते करने लगा है.

थोड़ी देर वो यू ही यहा वाहा की बाते करता रहा.

सडन्ली ही सेड, कॅन यू डू वन थिंग फॉर मी ?

आइ सेड, व्हाट ?

ही सेड, कॅन यू शो मी युवर बूब्स ? (क्या तुम मुझे अपने बूब्स दिखा सकती हो)

मैने कहा, वॉट ? हाउ कॅन यू आस्क सच थिंग ? यू आर अगेन डिसटरबिंग मी.

वो बोला, अरे इसमें डिस्टर्ब होने की क्या ज़रूरत है, तुम मेरी होने वाली पत्नी हो, हनिमून पर भी तो धीखाओगि

मैने पूछा, तुम्हारे पास ऐसी बातो के अलावा, कोई और बात नही होती क्या ?

वो बोला, बाते तो बहुत है, पर जब सामने तुम्हारे जैसी हाशीना हो तो ऐसी बाते अपने आप हो जाती है.

मैने कहा, लंच टाइम ओवर होने वाला है, मुझे शायद एक मीटिंग में जाना पड़े.

मैं उसे किसी तरह से वाहा से भेजना चाहती थी

वो बोला, ठीक है तुम बस मुझे अपने बूब्स दिखा दो, हनिमून से पहले मैं उन्हे देख कर ही काम चला लूँगा.

मैने कहा, प्लीज़ महेश कैसी बाते करते हो ?

वो गिड़गिदा कर बोला, प्लीज़ दिखा दो ना, मैं तुम्हारा फियान्से हूँ, कोई गैर नही हूँ.

मैने कहा, वो तो ठीक है, पर तुम्हे पता होना चाहुए कि मैं अभी ऑफीस में हूँ, यहा मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ.

वो बोला, बस एक मिनूट की बात है,

ये कह कर वो अपनी शीट से उठ कर मेरे पास आ गया और बोला, तुम्हे अपनी शर्ट के बटन खोलने में शरम आ रही है तो लाओ मैं खुद खोल कर देख लेता हूँ.

मैने कहा, नही ये क्या कर रहे हो तुम ?, समझते क्यो नही हो,

ये कह कर मैं अपनी शीट से उठ कर कॅबिन की खिड़की के पास आ गयी.

वो बोला, ठीक है, तुम अगर अपने होने वाले पति को अभी कुछ नही दिखाना चाहती तो कोई बात नही, पर मैं तुम्हे कुछ दिखाना चाहता हूँ, मेरी तरफ मूड कर देखो.
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11-13-2018, 12:38 PM,
#87
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
जैसे ही मैं मूडी, तो पाया की वो बिल्कुल मेरे पीछे खड़ा था.

मैने पूछा, क्या दिखाना चाहते हो ?

वो मुस्कुराते हुवे बोला, ध्यान से देखो तुम्हे दिख जाएगा.

मैं कुछ कुछ समझ गयी थी, मैने नज़रे झुका कर देखा तो हैरान रह गयी.

महेश ने अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर अपने पेनिस को बाहर निकाल रखा था और वो किसी डंडे की तरह तना हुवा था.

मैने कहा, महेश ये सब क्या है, तुम इतने उतावले क्यो हो, क्या हम ये सब शादी के बाद नही कर सकते ?

वो बोला, कर सकते का तो सवाल ही नही, करेंगे ही कहो, आइ विल फक यू लाइक एनितिंग

आइ सेड, ओह गॉड, यू आर टू मच. यू मस्ट लीव नाउ, आइ हॅव तो प्रिपेर फॉर मीटिंग.

ही सेड, ओके आइ विल गो, बट फर्स्ट, योउ हॅव टू टेक माइ पेनिस इन युवर माउथ.

आइ सेड, वॉट ???? आर यू क्रेज़ी ओर सम्तिंग, फर्गेट ऑल दिस नॉनसेन्स, आंड गेट दा हेल आउट ऑफ हियर. आइ थिंक आइ विल रीकन्सिडर अबाउट अवर मॅरेज प्लान. आइ मे नोट मॅरी यू, इफ़ यू बिहेव लाइक दिस.

ही सेड, ओह नो यार, यू आर टेकिंग इट इन रॉंग सेन्स. मैं तो बस यू ही पूछ रहा था, अगर तुमने सक नही करना तो कोई बात नही.

ये सुन कर मैं थोड़ी शांत हुई.

मैने कहा, ठीक है पर तुम्हे समझना चाहिए. मुझे थोड़ा वक्त दो, पहले हम एक दूसरे को जान तो ले.

वो बोला, मैं सब समझता हूँ, पर क्या करूँ तुम्हे देख कर बहक जाता हूँ, तुम अगर जल्दी शादी के लिए मान जाती तो आज मैं तुम्हारी आछे से ले रहा होता, पर तुम्हे तो अपने करियर की पड़ी है.

मैने कहा, अगर ऐसा है तो किसी और से शादी कर लो, मैने तुम्हे मजबूर नही किया है. तुम किसी भी वक्त ये सगाई तोड़ कर किसी और को अपना जीवन साथी चुन सकते हो.

वो बोला, कैसी बात करती हो, अगर बीवी बनाना है तो बस तुम्हे, मैं तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा.

मैं थोड़ा भावुक हो गयी और बोली, थॅंकआइयू महेश, प्लीज़ मुझे वक्त दो, अभी तो हम एक दूसरे को आछे से जानते भी नही है, फिर मैं कैसे ये सब………………..

वो बोला, मैं जानता हूँ, पर क्या करूँ, मैं तुम्हारा दीवाना बन गया हूँ, इंतेज़ार करना मुश्किल हो रहा है.

आइ सेड, आइ अंडरस्टॅंड महेश, बट……………….

वो बोला, समझती हो पर कुछ करती नही हो. तुम्हे नही लगता कि तुम्हे मेरे लिए कुछ करना चाहिए.

मैने कहा, मैं क्या कर सकती, समझा करो.

वो बोला, मैं तुम्हारा इंतेज़ार करने के लिए तैयार हूँ, बदले में तुम, कम से कम एक ब्लोवजोब तो दे ही सकती हो.

मैं गहरी चिंता में डूब गयी.

वो बोला, क्या सोच रही हो, प्लीज़ एक बार मूह में ले लो ना.

मैने कहा, पर तुम्हे पता होना चाहिए कि इस वक्त हम कहा है ?

वो बोला, बस एक मिनूट की बात है, जस्ट टेक इट इन युवर माउथ आंड लेट मी एंजाय फॉर ए मोमेंट

मैने कहा, पर

वो बीच में ही बोल पड़ा, पर पर कुछ नही, शादी के बाद भी तो करोगी.

मैने कहा, हां पर यहा कैसे कर सकते है ?

वो बोला, ठीक है फिर तुम्हारे ऑफीस के बाहर मेरी कार खड़ी है, कही और चलते है.

मैने कहा, महेश मुझे इंपॉर्टेंट मीटिंग में भी जाना है.

वो बोला, मीटिंग मुझ से ज़्यादा इंपॉर्टेंट है क्या, कोई बहाना बना दो.

आइ वाज़ वेरी कन्फ्यूज़्ड, व्हाट टू डू ?

ही सेड, कम ऑन यार डॉन’ट बी सो रूड टू मी.

मैने कहा, इट्स वेरी इंपॉर्टेंट महेश, इश् मीटिंग में मेरा जाना बहुत ज़रूरी है. फिर कभी देखेंगे.

वो बोला, तो फिलहाल, मेरे लंड को थोड़ा सा मूह में ले लो, बस एक मिनूट के लिए. मैं तड़प रहा हूँ, प्लीज़…. !!

मैं कुछ समझ नही पा रही थी कि क्या करूँ, मैं वापस अपनी शीट पर आ कर बैठ गयी.
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11-13-2018, 12:38 PM,
#88
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
वो भी मेरे पीछे पीछे आ गया और मेरी शीट के बाईं और खड़ा हो गया.

वो बोला, प्लीज़ दीप्ति, ले लो ना थोड़ा सा मूह में.

मैने कहा, ठीक है पर तुम वादा करो कि इशके बाद शादी तक तुम मुझे परेशान नही करोगे.

वो बोला, ठीक है, नही करूँगा, अब ले लो ना !!

मैं थोड़ा उसकी ओर घूम गयी, उसका पेनिस बिल्कुल मेरे मूह के सामने था.

उसने झट से अपना पेनिस मेरे मूह से सटा दिया.

मैने कहा, रूको तो सही, मैं कर तो रही हूँ.

ही सेड, ओके, सॉरी !! आइ अम गेटिंग क्रेज़ी टुडे.

मैने अपना मूह खोला और उशके पेनिस के उपर के हिस्से को अपने होंटो में दबा लिया.

वो बोला, आआअहह मज़ा आ रहा है, क्या छुवन है तुम्हारे होंटो की, फीलिंग वेरी सॉफ्ट-सॉफ्ट अराउंड माइ डिक

उसने मेरा सर पकड़ लिया और अपने पेनिस को मेरे मूह में पुश करते हुवे बोला, थोड़ा और अंदर लो ना.

मैने उशके पेनिस से मूह हटा कर कहा, देखो मुझे जितना आता है मैं कर रही हूँ, मुझे प्लीज़ इन्स्ट्रक्षन्स मत दो.

वो बोला, तुम बहुत अछा चूस रही हो, मैं तो बस ये चाहता था कि मेरे लंड का हर हिस्सा तुम्हारे प्रेम रस में डूब जाए. चलो जैसे तुम्हे करना है करो, मुझे तो मज़े से मतलब है.

ये कह कर उसने फिर से मेरे मूह पर अपना पेनिस सटा दिया.

मैने मूह खोला और उशके पेनिस को कोई एक इंच मूह में ले कर चूसने लगी.

उसने फिर से मेरा सर पकड़ लिया और फिर से अपने पेनिस को मेरे मूह में और अंदर धकेलने लगा.

उसने थोड़ा ज़ोर लगा कर कोई चार इंच मेरे मूह में सरका दिया.

मेरे लिए साँस लेना मुश्किल हो रहा था. पर वो हल्की हल्की आहें भर रहा था और कह रहा था, आअहह…. दीप्ति….. यू गिव वेरी गुड हेड, मज़ा आ रहा है….…… प्लीज़ कीप सकिंग माइ कॉक…… आआहह

मेरा मूह दुखने लगा था, पर उसने मेरे सर को थाम रखा था. मैं हट तो सकती थी पर ये सोच कर नही हट रही थी कि, चलो शादी से पहले महेश को थोडा सकुन मिलेगा.

वो बोला, वाउ….. ग्रेट……… काश आज तुम्हारी पुसी भी मिल जाती तो मज़ा आ जाता, चलो ना कहीं चलते है और आराम से मज़े करते है.

मैने उशके पेनिस को मूह से निकाल कर कहा, महेश आज मैं नही जा सकती, वैसे भी अब सब कुछ शादी के बाद, ये सिर्फ़ ट्रेलर है.

वो हंसते हुवे बोला, ट्रेलर इतना सेक्सी है तो पूरी पिक्चर कैसी होगी ? सच खूब मज़ा आएगा तुम्हारी चूत मारने में.

मैने शर्मा कर नज़रे झुका ली.

वो बोला, चूस ना, मज़ा आ रहा है, अभी रुक मत. मेरे लंड पर तुम्हारे होंटो की छुवन बहुत प्यारी लग रही है.

मैने उशके पेनिस को हाथ में लिया और उसे फिर से चूसने लगी.

वो बोला, तुम तो लंड चूसने में एक्सपर्ट लग रही हो.

मैने उशके पेनिस से मूह हटाया और कहा, मैं कोई एक्सपर्ट नही हूँ, मैं तो बस तुम्हे खुस करने के लिए यू ही कुछ कुछ कर रही हूँ.

वो बोला, मुझे पता है, मैं तो बस तुम्हारी तारीफ़ कर रहा हूँ. प्लीज़ एक बार पूरा अंदर लो ना.

मैने कहा, पागल हो क्या, इतना बड़ा पूरा मूह में कैसे आएगा.

वो बोला आएगा, मैं डाल कर दिखाउ.

ये कह कर उसने मेरा मूह पकड़ा और और अपना लगभग पूरा पेनिस मेरे मूह में डाल दिया.

मेरी साँसे उखाड़ गयी और मेरी आँखो में पानी उतर आया. मेरे छोटे से मूह में उसका पूरा पेनिस संभालना मुश्किल हो रहा था.

पर वो मज़े से मेरे सर को थामे, मेरे मूह में पेनिस डाल कर खड़ा था और हल्की हल्की सिसकियाँ भर रहा था.

अचानक मुझे अपने कॅबिन के बाहर किसी के कदमो की आहट शुनाई दी.

मैं फॉरन महेश के पेनिस को छोड़ कर अपनी शीट से उठ गयी.

मैने कहा, इसे जल्दी अंदर करो, लुंक्क ब्रेक ख़तम हो चुका है, लोग वापस आ रहें है.

महेश ने तुरंत, अपने पेनिस को अंदर कर लिया और बोला, चलो फिर कभी ट्राइ करेंगे, तुम बहुत अछा सक करती हो, पर सच बताओ, कहीं से सीखा है क्या ?

मैने कहा, ये क्या बकवास है, ई जस्ट ट्राइड टू मेक यू हॅपी.

ही सेड, ओके ओके यार, जस्ट जोकिंग, डॉन’ट टेक एवेरितिंग सीरियस्ली.

मैने कहा, अब तुम जाओ, मुझे मीटिंग के लिए जाना है, उसकी कुछ तैयारी भी करनी है.

वो बोला, ठीक है, मैं जा रहा हूँ, पर मैं फिर कभी एक कंप्लीट ब्लोवजोब ज़रूर कर्वाउन्गा, यू आर वेरी गुड सकर.

ये कह कर वो चला गया. महेश के जाते ही मैने चैन की साँस ली और वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गयी.

…………………………………………….............

...................................................................................

मैने दीप्ति से कहा, ये तो कोई ट्रॅजिडी नही है, शादी से पहले फियान्से के साथ थोड़ा बहुत तो चलता है.

दीप्ति बोली, अभी आगे तो सुन तुझे पता चलेगा कि ये ट्रॅजिडी थी कि नही.

मेरा आगे सुन-ने का बिल्कुल मन नही था, क्योंकि मैं सेक्स के कारण ही तो मुशिबत में फँसी थी. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई एरॉटिक टेल सुन रही हूँ. पर क्योंकि दीप्ति कह रही थी कि कोई ट्रॅजिडी है इश्लीए मैने कहा ठीक है शुनाओ.

मैने ये भी सोचा कि दीप्ति ने भी तो मेरी पूरी बात सुनी थी इसलिए अब मुझे भी उसकी पूरी बात सुन-नि चाहिए.

क्रमशः............................
Reply
11-13-2018, 12:38 PM,
#89
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
गतांक से आगे .........................

मैने दीप्ति से कहा, प्लीज़ थोड़ा ब्रीफ्ली शुनाओ मुझ से शुना नही जा रहा, मुझे बार बार अपनी कहानी याद आती है.

वो बोली, तभी मैं कह रही थी कि फिर कभी बात करेंगे.

मैने कहा, नही नही ऐसी कोई बात नही है, बस तेरी बाते सुन कर मेरा ध्यान बिल्लू पर जा रहा है, वो कमीना भी ऐसी ही हरकते करता था.

वो बोली, हां ठीक कह रही हो, तभी तो तुम्हारी कहानी सुन कर मैं आज फिर परेशान हो गयी.

मैने पूछा तो फिर क्या हुवा,

दीप्ति के शब्दो में :----

महेश के जाने के बाद में कुर्सी पर बैठी ही थी कि मुझे अपने कॅबिन की खिड़की पर किसी के होने का आभास हुवा.

मुझे ऐसा लगा मानो कोई खिड़की से झाँक रहा हो,

सबसे पहला ख्याल मुझे यही आया कि कहीं किसी ने मुझे ये सब करते देख तो नही लिया.

पर फिर मेरा ध्यान इस बात पर गया कि मेरी खिड़की पर तो किसी का होना नामुमकिन है, फिर वाहा कोई कैसे पहुँच गया

मेरे कॅबिन की खिड़की जहा खुलती थी, वाहा का रास्ता बंद था, इसलये मैं बिना किसी चिंता के अक्सर खिड़की खुली रखती थी.

मैं फॉरन अपनी शीट से उठी और दौड़ कर अपने कॅबिन का दरवाजा खोला.

बाहर सेक्यूरिटी गार्ड घूम रहा था, वो थोड़ा परेशान दिख रहा था.

मैने पूछा, क्या बात है ?

वो बोला, मेडम कोई अजनबी थोड़ी देर पहले ऑफीस में घुस्सा था, पता नही वो कहा गया ?

मैने पूछा, क्या ? तुम क्या कर रहे थे ??

वो बोला, मेडम मैं थोड़ा बीड़ी लेने चला गया था.

मैने कहा, मुझे लगता है, मेरे कॅबिन के पिछली तरफ, बाहर बाल्कनी में कोई है.

वो बोला, पर वाहा का रास्ता तो बंद है.

मैने कहा, मैने अभी किसी को वाहा देखा है ?

वो बोला, अभी चेक करता हूँ मेडम जी, आप चिंता मत करो.

अचानक एक आदमी हमारी और आता हुवा दिखाई दिया, वो उसी रास्ते से आ रहा था, जहा से मेरे कॅबिन के पीछे का रास्ता था.

सेक्यूरिटी गार्ड बोला, यही है वो मेडम जी, मैं अभी इसे पकड़ता हूँ.

गार्ड ने उस से पूछा, कौन हो तुम और यहा क्या कर रहे हो ?

वो बोला, पीछे हट मैं तेरे जैसे छोटे लोगो से मूह नही लगता.

तभी मैं भी उन दोनो के पास पहुँच गयी.

मैने उस आदमी से पूछा, हे मिस्टर, तुम यहा क्या कर रहे हो ? बताते क्यो नही.

वो बोला, मेडम मैं यहा अपने दोस्त से मिलने आया था.

मैने पूछा, क्या नाम है तुम्हारे दोस्त का.

वो थोड़ा सोच में पड़ गया और बोला, शायद मैं ग़लत अड्रेस पर आ गया, सॉरी मैं चलता हूँ.

मैने सेक्यूरिटी गार्ड को कहा, पोलीस को बुलाओ ?

वो बोला, मेडम, मेरी बात सुनो आप मुझे ग़लत समझ रहे हो.

मैने पूछा, क्या तुम बाहर मेरे कॅबिन की खिड़की पर थे ?

वो बोला, हां मेडम मैं था.

मेरी रागो में खून दौड़ उठा, मैने उसके गाल पर एक ज़ोर दार थप्पड़ रसीद कर दिया.

वो गिड़गिदा कर बोला, मेडम मेरी पूरी बात तो शुणिए.

मैने गार्ड से कहा, पोलीस को बुलाओ जल्दी.

इस से पहले की हम कुछ कर पाते वो मुझे और गार्ड को एक तरफ धकेल कर वाहा से भाग गया.

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आख़िर हो क्या रहा है.
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11-13-2018, 12:38 PM,
#90
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
पोलीस आई और अपनी खाना पूर्ति कर के चली गयी. उस आदमी का कुछ पता नही चला.

कोई एक हफ्ते बाद मुझे एक लेटर आया, उस पर किसी भेजने वाले का नाम नही था.

मैने उसे खोल कर देखा तो पाया कि उस में एक सीडी है, और एक कागज का टुकड़ा है.

उस कागज पर लिखा था,

बहुत शॉंक है ना थप्पड़ मारने का तुम्हे, मैं तुम्हे बताता हूँ कि थप्पड़ कैसे मारा जाता है. कल शाम को ठीक 6 बजे मुझे होटेल सूर्या के बाहर मिलो. तुम नही आई तो तुम्हारी करतूत का म्म्स बना कर नेट पर डाल दूँगा, और टाइटल दूँगा, “असिस्टेंट मॅनेजर, दीप्ति, अपने कॅबिन में लंड चूस्ति हुई”.

ये पढ़ कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये.

मैने तुरंत काँपते हाथो से सीडी को कंप्यूटर में डाला और सीडी को प्ले कर दिया.

उस में वो पूरा सीन था जब मैं अपनी कुर्सी पर बैठी हुई महेश को सक कर रही थी.

एक पल को मेरा सर घूम गया कि ये क्या हो रहा है. मेरा अंग, अंग किसी अंजान डर से काँप रहा था

मैं बहुत डर गयी थी कि अब क्या करूँ. उस आदमी ने मुझे अगले दिन शाम के 6 बजे बुलाया था. पता नही वो मुझ से क्या चाहता था ?

मैने दीप्ति को वही टोक दिया, रूको, कहीं तुमने मेरे जैसी ग़लती तो नही की ?

दीप्ति बोली, ग़लती ? ह्म्म… पहले तुम पूरी बात सुन लो फिर बताना कि मैं कहा ग़लत थी और कहा सही. मेरे लिए ये डिसाइड करना मुश्किल है, पर शायद तुम पूरी बात सुन कर मुझे कुछ बता पाओ. और , हां, ये सब बाते डिसकस करने का मतलब भी तभी है जब हम अपनी जींदगी से कुछ सीख पाएँ ताकि हम आगे कोई ग़लती ना करें.

मैने गहरी साँस ले कर कहा, आगे अगर कुछ बचा ही ना हो तो सीखने का भी क्या फ़ायडा ?

वो बोली, तू कैसी बात करती है ? अपनी कहानी क्या मैं तुम्हे यू ही शुना रही हूँ ? मैं तुम्हे ये बताना चाहती हूँ कि देखो मेरी जींदगी में भी क्या कुछ नही हुवा ? पर मैने हार नही मानी और आज भी हर हालात का सामना करने के लिए तैयार हूँ. हर दिन एक नया दिन होता है ऋतु और जींदगी का सफ़र चलता रहता है, आइ कॅन से ओन्ली वन थिंग, “नो बॉडी कॅन गो बॅक आंड स्टार्ट ए न्यू बिगिनिंग, बट एनिवन कॅन स्टार्ट टुडे आंड मेक ए न्यू एंडिंग”. सब कुछ तुम्हारे हाथ में है कि अब तुम क्या करोगी.

मैने कहा, ह्म्म…. शायद तुम ठीक कह रही हो, अछा आगे बताओ क्या हुवा ?

दीप्ति के शब्दो में :-------

तुझे तो पता ही है, ऐसे में डर लगना नॅचुरल है. मेरे हाथ पाँव काँप रहे थे, समझ नही आ रहा था की ये सब क्या हो रहा है ?

मैं यही सोच रही थी कि पता नही ये आदमी कौन है, और मुझ से क्या चाहता है ? क्या वो यहा सिर्फ़ मेरी वीडियो बनाने आया था ? कहीं इस सब में महेश का तो हाथ नही ?

महेश पर शक जाना लाज़मी था, आख़िर जिस दिन वो आया था, उसी दिन तो ये घटना हुई थी.

मैने तुरंत महेश को फोन किया, पर बार बार ट्राइ करने के बाद भी उसका नंबर नही मिला. उसका फोन स्विच्ड ऑफ आ रहा था.

अचानक मेरे मोबाइल पर एक फोन आया, नंबर मेरे कॉंटॅक्ट लिस्ट में नही था,

मैने कहा, हेलो

फोन से आवाज़ आई, हेलो दीप्ति मेडम, पहचाना मुझे ?

मैने पूछा, नही, कौन हो तुम ?

वो बोला, वही जिसने आपकी रंगरलियाँ रेकॉर्ड की थी.

मैने कहा, तुम… आख़िर तुम मुझ से क्या चाहते हो, और ये नंबर तुम्हे किस ने दिया ?

वो बोला, वो सब छोड़ो और मेरी बात ध्यान से सुनो, तुम्हे अभी मुझ से मिलने आना होगा.

मैने कहा, क्या ?

वो बोला, हां अभी आना होगा, कल मैं कहीं बिज़ी रहूँगा.

मैने उस से फिर पूछा, आख़िर तुम मुझ से चाहते क्या हो.

वो बोला, ये सब मिल कर बताउन्गा, तुम जल्दी सूर्या होटेल के बाहर पहुँचो मैं तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हूँ, अगर तुमने कोई चालाकी की या फिर, ना आने की हिम्मत की तो मैं तुरंत तुम्हारी करतूत दुनिया के सामने ले आउन्गा.
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