Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 09:18 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
मैं झट से उनकी गोद से उठी और कमरे से बाहर चली गई. पीछे से उन्होने आंटी को खींच के गोद मे बिठा लिया और उनके मज़े लेने लगे. आंटी की चूची दबाने लगे ब्लाउस के उपर से. आंटी ने उनके हाथ पे थप्पड़ मारा और गाली दी. बाबूजी फिर किसी ढीढ़ बच्चे की तरह मुस्कुराए. " अर्रे सम्धन जी क्यों इतना टेन्षन लेती हो.......फंक्षन तो हो ही जाएगा......आप चिंता ना करो....मुझे तो चिंता ये है कि फक-शन कैसा होगा..?? हे हे हे ....और तुम्हारी टेन्षन कल रात को निकलवा दूँगा. कल कम्मो भी डाइरेक्ट वहीं पहुँच जाएगी.....कर दी टेन्षन दूर....अब अपने रसीले होंठ से एक चूमा दे दो इस चूत के भूत पे...मेरा जुगाड़ तो तुमने भगा दिया..अब इस्पे रहम करो और थोड़े चूसे लगा दो....'' बाबूजी ने धोती मे से खड़ा लंड निकाल के आंटी के हाथ मे थमा दिया.

''छोड़िए जी....सम्धन हूँ...बीवी नही....अपनी मर्ज़ी से चूज़ लूँगी...आप ने कह दिया और मैने मान लिया.....उउन्न्नह...जाइए...और हां कम्मो को याद करने की फ़ुर्सत नही है अभी मुझे. निगोडी छिनाल....आपने एक बार काम क्या दे दिया उसे बस वो तो गायब ही हो गई. कोई नही....देख लूँगी साली को. आने दो उसे नंगी चूत लेके...जब तक मेरे से चूत चटवाने की भीख नही माँगेनी तब तक मैं भी उसे नही देखने वाली. जाए जहाँ मर्ज़ी हो उसकी.....लंड ले या चूत ....कोई मतलब नही......और हां एक बार और कह देती हूँ. सबको बता देना. कल सुबह 4 बजे सबने उठना है और रेडी होना है. 5.30 बजे यहाँ से निकल लेंगे. एक बार जो स्नान करके स्वच्छ हो गया तो जब तक फंक्षन ख़तम नही होता ना तो कुच्छ खाएगा ना ही किसी तरीके के शारीरिक मज़े मे पड़ेगा. बच्चों का नामकरण हो जाए और पंडित जी चले जाएँ. फिर खाना और फिर जो चाहे करना. ख़ास तौर से आप तीनो लड़को को कह देना. वहाँ वो छिनाल किरण भी होगी जिसका भोग तीनो ने साथ लगाया था. जब तक फंक्षन ख़तम नही होता तब तक नो फक-शन. चलिए अब छोड़िए मुझे. और आप भी जल्दी से रेडी होइए. हलवाई के यहाँ से पूरे 30किलो मिठाई आएगी. रखवा लीजिएगा और हिसाब कर दीजिएगा. मैं 2 घंटे मे आती हूँ.'' और आंटी ने अपना हाथ छुड़ाया और बाबूजी को अपने लहराते लंड के साथ छोड़ के चली गई.

2 घंटे उनके साथ तरह तरह का समान खरीदा. ये सब के दौरान उन्होने सब प्रोग्राम मुझे बता दिया. आजकल मैं उनकी ख़ास हो गई थी. काम के मामले मे सिर्फ़. काम रस के मामले मे तो वो निगोडी कम्मो ही थी. पर मुझे भी शिकायत नही थी. बाकिओं से फ़ुर्सत ही नही मिलती थी कि इनको भी झेलूँ. पर एक बात है....कम्मो का जादू आंटी पे और आंटी का जादू कम्मो पे देख के कभी कभी जलन सी होती थी. दोनो को देख के ऐसा लगता था कभी कभी की साली दोनो प्रेमिकाए ना होके पति पत्नी हो. कभी कम्मो पति जैसे बिहेव करती थी तो कभी आंटी. पूरे दिन मे 3 - 4 बार एक दूसरे से संभोग करती थी. कई बार शाम को जब कम्मो और मैं अपने घर को निकलती थी तो आंटी का उदास चेहरा देख के कम्मो वापिस लौटने को होती थी. 2 - 3 बार तो मुझसे झूठे मेसेज अपने घर दिलवा के रात रुक गई. समझ नही आता था कि ऐसा क्या नशा हो गया है दोनो को एक दूसरे का. और इस बीच 2 दिन पहले बाबूजी ने कम्मो को कोई काम बताया और तब से वो गायब हो गई. आंटी तब से झल्लाई पड़ी हैं. हर बात पे चिल्ला देती हैं. संजय भैया से भी उनका गुज़ारा नही हो रहा. कल मिन्नी भाभी को कहते सुना कि संजय भैया शॉट लगा रहे थे कि आंटी ने रोना शुरू कर दिया. पुच्छा तो कुच्छ बोली नही. बस चुदाई बंद करके सोने चली गई. खैर संजय भैया भी खड़ा लंड लिए तो सोने से रहे. उन्होने खुंदक मे आके पहले राखी भाभी की ली और फिर मिन्नी भाभी की. तब जाके सोए.

शाम के 4 बजे घर पहुँचे तो देखा सब चाइ पी रहे हैं. हलवाई के यहाँ से मिठाई और रात का खाना भी आया हुआ था. आंटी ने जाते ही लेक्चर देना शुरू किया तो बाबूजी ने बड़ी संजीदगी से उन्हे जवाब दिया की सब तैयारी हो गई और सबके बॅग भी पॅक हैं. सुबह बस नहा धो के पंडितजी को लेके निकलना है. उनकी बात सुन के आंटी चुप हो गई. फिर वो थोड़ा तमतमाती हुई अपने कमरे मे चली गई. थोड़ी देर माहौल गंभीर रहा और फिर सखी भाभी ने अपने चुलबुले अंदाज़ मे मज़ाक करना शुरू कर दिया. मुझे किचन मे लगा कि अभी थोड़ी देर मे सब नॉर्मल हो जाएगा और फिरसे सब रति क्रिया मे बिज़ी हो जाएँगे. पर शाम को 8 बज गए और ऐसा कुच्छ नही हुआ. 8 बजे सबने खाना खाया और बाबूजी ने इस बीच कई सारे फोन किए. जिन जिन को न्योता दिया था या काम बताया था सबको उन्होने फोन किया. जो मेरी समझ मे आया उसके हिसाब से गेस्ट लिस्ट कुच्छ ऐसी थी.

- कंचन बुआ और उनके पति.
- कंचन बुआ की लड़की शोभा और उसका पति और उसका परिवार.
- मिन्नी भाभी और राखी भाभी के घरवाले.
- बाबूजी के दोस्त राकेश और उनकी पत्नी.
- कम्मो को उन्होने डाइरेक्ट आने को कह दिया. 

इसके अलावा भी उन्होने 1 - 2 फोन किए पर पता नही किसको और क्यों. मैं दिन भर की थकि हुई खाना खाते ही सो गई. मेरे पिछे से सब कब सोने गए पता ही नही चला. सुबह 4 बजे आंटी किचन मे आई और मुझे जगाया. अगले 15 मिनट मे घर मे खलबली मच गई. सब तरफ से सभी लोग फटाफट रेडी होने मे लग गए. ठीक 5.15 बजे सब समान गाड़ीओ मे रख दिया और सुजीत भैया आंटी और राखी भाभी और बच्चे को लेके पंडितजी को लेने चले गए. थोड़ी देर के बाद हम सब भी वहाँ से निकल पड़े. सुबह के 8 बजे थे जब हम सब रिज़ॉर्ट पहुँचे. पंडित जी पहले से पहुँचे हुए थे और तैयारी कर रह थे. एक मंडप बना हुआ था और उसे थोड़ी दूर ही एक 4 हट्स का कॉंप्लेक्स हम सब लोगों के लिए था. कुल मिला के 8 कमरे थे. हमने समान फटाफट से जमाया और फिर अपने अपने काम मे लग गए. रिज़ॉर्ट के 3 आदमी हमारी मदद मे लगे हुए थे. करीब 9 बजे तक सभी महान आ गए. कुल मिला के करीब 40 - 45 लोग हो गए थे. 9.30 पे पंडितजी ने मुहूरत के हिसाब से पूजा शुरू की और 11 बजे तक हवन ख़तम हो गया. बच्चों के नामकरण बाबूजी ने किए और फिर सबने गिफ्ट्स और पेस दिए. इसके बाद खाना शुरू हुआ और करीब 3 बजे तक अच्छे तरीके से सबको रिटर्न गिफ्ट वागरह देके सब फारिग हो गए.

कंचन बुआ की उमर करीब 46 - 47 की होगी पर दिखने मे वो करीब 40 की लगती थी. कद करीब 5 फ्ट 3 इंच और शरीर थोड़ा भरा हुआ है. उनके कूल्हे काफ़ी अच्छे और सुडोल हैं. चूची शायद 38ब या सी की होंगी और कमर भी 34 - 35 के आस पास. कुल मिला के अपनी उमर के हिसाब से अच्छी अट्रॅक्टिव महिला हैं. बालों मे हल्की सफेदी आ चुकी है पर चेहरे से बुढ़ापा नही लगता.

अवतार फूफा जी एक टिपिकल बॅंक अधिकारी हैं. गंजे और अधेड़ उमर के. करीब 50 साल के हैं. पर एक चीज़ उनकी अच्छी है वो है उनकी हाइट. करीब 6 फ्ट के हैं. पेट थोड़ा बाहर है पर फिर भी पतले लगते हैं. उनको देख के सॉफ पता चलता है कि उन्होने सारी ज़िंदगी पेन पेपर घिसा है. नरम नरम हाथ और लंबी उंगलियाँ. हां उनके चेहरे पे हमेशा मुस्कुराहट रहती है.

शोभा दीदी करीब 23 साल की है. दिखने मे बुआ जैसी है पर कद काठी फूफा जी की है. करीब 5 फ्ट 8 इंच की हाइट है और 36ब - 32 - 38 का फिगर. उनकी फिगर के बारे मे मैं इसलिए श्योर हूँ क्योंकि एक बार मिन्नी भाभी ने मुझे बताया था. शोभा दीदी काफ़ी गोरी है और जब चलती हैं तो दोनो कूल्हे अपने आप मटकते हैं.
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09-03-2018, 09:18 PM,
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प्रकाश जीजू 5 फ्ट 10 इंच के पतले और छरहरे बदन के मालिक हैं. इनका अपना काम है पर ये फिटनेस पे काफ़ी ध्यान रखते हैं. रोज सुबह 5 - 6 किमी की दौड़ लगाते हैं और फिर घर पे कसरत करते हैं. शोभा दीदी प्यार से इन्हे "मेरा घोड़ा " कहती हैं. अब इसके पिछे क्या वजह ये तो मुझे नही पता. पर जीजाजी बहुत सुलझे हुए इंसान हैं. हां एक बात और.......इनकी उमर 32 यियर्ज़ के आस पास की है. यानी ये दीदी से करीब 9 साल बड़े हैं. जितनी जानकारी मुझे है ये दीदी के पड़ोस मे कभी रहा करते थे और दीदी जब 8 साल की थी तब से इनसे प्यार करती थी. पर सबको ये बात नही बताई गई. बुआजी ने ये बात सबको बताई है कि जीजाजी की मौसी उनकी अच्छी सहेली थी और उन्होने ही शोभा का रिश्ता माँगा और बुआ और फूफा को कन्विन्स किया.

राज जो कि जीजाजी का कज़िन है देल्ही मे रहता है और जीजाजी को माल सप्लाइ करता है. राज अभी कुँवारा है और करीब 27 - 28 साल का है. माल देने वो जीजाजी के यहाँ आया तो उन्होने उसे भी फंक्षन के लिए साथ ले लिया. राज की कद काठी आवरेज है. दिखने मे भी आवरेज है. पर है पैसे वाला. 

बाबूजी के दोस्त राकेश करीब 45 - 50 के बीच के हैं. सुना है पहले पोलीस मे थे पर जल्दी रिटाइयर्मेंट ले ली. आजकल उपर का कमाया हुआ पैसा उड़ा रहे हैं. दोनो पति पत्नी जगह जगह घूमने जाते हैं. हाइट करीब 5 फ्ट 7 इंच है पर बॉडी स्ट्रॉंग है. घनी मुच्छें रखते हैं और चेहरे से खूब रौब झलकता है.

कविता आंटी एक नॉर्मल हस्मुख मिज़ाज की महिला हैं. कद 5 फ्ट 2 इंच. स्लिम आंड ट्रिम टाइप. फिगर के नाम पे शायद 34ब - 30 - 34 होंगी. पर अपने को संज़ार के रखती हैं और मेकप किसी हेरोयिन की तरह करती हैं. रंग ना ज़ियादा गोरा है ना ही सांवला. 

रमेश जो की हमारे गाँव का है उसे कम्मो अपने साथ लाई थी. रमेश की अभी कुच्छ महीने पहले शादी हुई थी. ये कम्मो का सबसे प्यारा भतीजा बना हुआ था आज की तारीख मे जो कि अपनी मूह बोली चाची की चूचियाँ और चूत गरम करता था. कद काठी मे मजबूत करीब 5 फ्ट 11 इंच का नौजवान और दिखने मे भोला. मैने इसको कभी पहले इतने करीब से नही देखा था. पूरे फंक्षन मे वो इधर उधर भागता रहा और जब सब रेस्ट करने चले गए तो वो मेरे और कम्मो के साथ हट्स के बगल मे बने बगीचे मे आके सो गया. 

हम सब इतने थके हुए थे कि झट से सबको नींद आ गई. घर की सभी लॅडीस एक हट मे अड्जस्ट हुई और मर्द एक हट मे. एक हट मे कंचन बुआ और शोभा दीदी अपने अपने पति के साथ. आख़िरी वाली मे राकेश अंकल, उनकी वाइफ कविता और जीजू का कज़िन राज. 

शाम को करीब 5.30 बजे मेरी नींद खुली और मैने झट से रमेश और कम्मो को उठाया. अभी तक हम लोगों ने अपना समान कहीं अड्जस्ट नही किया था. शाम की चाइ का समय हो चला था और हमें कुच्छ पता नही था कि हमें आगे क्या करना है. बस इतना पता था कि आज की रात सभी यहीं रुकने वाले थे और कल वापिस जाना था. इतने मे मिन्नी भाभी अपने कमरे से बाहर आई और उन्होने कम्मो को कहा कि रमेश को भेज के सबके लिए रिज़ॉर्ट के किचन से चाइ ले आए. चाइ का ऑर्डर उन्होने पहले ही दे दिया था. रमेश को रास्ता बताया और वो अपने काम पे चला गया. मिन्नी भाभी मुझे और कम्मो को साथ ले गई और अपने कमरे मे हमारा समान रखवा दिया. मेरी और कम्मो की ज़िम्मेवारी बच्चों को देखने की थी. पर ये कोई बड़ा काम नही था. बच्चों का सोने का समय आजकल रात का हुआ पड़ा था. दिन मे खूब किल्कारियाँ मारते और रात को अच्छे से सोते. 

कुच्छ ही देर मे बाबूजी बाहर गार्डेन मे चले आए. ये जगह कुच्छ ऐसे थी कि जैसे किसी ने इसे घर की तरह बनाया हो. चारों हट्स एक एक दीवार से आपस मे जुड़ती थी और 2 हट्स के बीच से एक क्लोस्ड कॉरिडर मेन गेट तक जाता था. अगर मेन गेट बंद कर दो तो पूरी प्राइवसी थी. बीच मे एक बड़ा सा बगीचा था जिसके किनारो पे पेड़ लगे थे. सभी हट्स के आस पास बाँस की बनी हुई दीवारे थी जिससे की हर एक हट को अपनी प्राइवसी मिलती थी. मेन गेट से बगीचा करीब 20 - 25 फ्ट की दूरी पे पड़ता था. ऐसा लगता था कि किसी ने 3 - 4 फॅमिलीस के रहने के लिए जगह बनाई थी क्योंकि हर एक हट के साथ एक किचन भी था.

बाबूजी ने अपनी कुर्सी वहाँ लगाई और चाइ का वेट करने लगे. कोई 15 मीं मे धीरे धीरे सभी लोग बाहर आ गए. कुच्छ तो घास पे बैठ गए और कुच्छ चेर्स ले आए. इतने मे 2 वेटर के साथ रमेश सबके लिए चाइ पकोडे भी ले आया. चाइ की चुसकीओं के बीच तय हुआ कि शाम को इसी बगीचे मे दारू पार्टी और डिन्नर होगा. सबको 8 बजे का टाइम दे दिया गया. हँसी मज़ाक और आपस मे बाते करते बाज हुए 7 बज गए. मिन्नी भाभी ने वेटर्स को 8.30 बजे डिन्नर लाने को कह दिया. अंधेरा हो चला था इसलिए सबने अपने अपने आँगन की लाइट्स ऑन कर दी जिससे कि बगीचे मे काफ़ी रोशनी हो गई.

करीब 7 बजे सभी अपने अपने कमरे मे नहाने चले गए. 1 - 1.30 घंटे मे सभी नहा धो के और कॅषुयल ड्रेसस मे बाहर आ गए थे. होटेल के वेटर्स खाने और ड्रिंक्स का समान ले आए थे और मैं, कम्मो और रमेश वो सब अड्जस्ट करने मे बिज़ी थे. मिन्नी भाभी और रखी भाभी हम लोगों को समझा रही थी. सरला आंटी और कविता आंटी ने बच्चों को संभाला हुआ था. तीनो भाई और जीजू और उनके कज़िन एक जगह बैठे बातें कर रहे थे. बाबूजी और उनके दोस्त और फूफा जी एक तरफ थे तो सखी भाभी और शोभा दीदी आपस मे लगे हुए थे. बुआजी बस अकेले बैठे सुस्ता रही थी.



बाबूज ने ताली बजा के सबका ध्यान अपनी तरफ किया. कम्मो रमेश और मुझे छोड़ के सब उनको देखने लगे. बाबूजी ने सबसे पहले सबको खाना खाने का निर्देश दिया. खाने मे सिर्फ़ एक दाल एक सब्जी और चावल और रोटी थे. बाबूजी के कहे अनुसार सबने खाना खाना शुरू किया और आधे घंटे मे सब निपट गए. मैं, कम्मो और रमेश चूँकि सबको खाना सर्व कर रहे थे इसलिए हमने अपना खाना अलग रख दिया. करीब 9 बजे होटेल के वेटर आए और सब समान लेके चले गए. बाबूजी के कहने पे रमेश ने मेन गेट पे ताला लगा दिया और हम तीनो खाना खाने कमरे मे चले गए. मिन्नी भाभी के कहे अनुसार मैं और कम्मो लॅडीस के रूम और रमेश जेंट्स के रूम में अड्जस्ट हुए थे.
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09-03-2018, 09:18 PM,
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हम लोगों ने खाना खाया ही था कि अचानक बुआजी, आंटी और कविता आंटी बच्चों को लेके कमरे मे दाखिल हुई. रमेश ने झटपट खाना ख़तम किया और अपने कमरे मे सोने चला गया. बाहर दारू का ज़ोर चल रहा था. खाना खाने के बाद सब थोड़ी थोड़ी दारू पीने मे मगन थे. तीनो लॅडीस ने एक एक बच्चा अपनी अपनी गोद मे लिया हुआ था और इधेर उधर की बातें चल रही थी. मैं और कम्मो भी सोने की तैयारी करने लगे. किचन मे जगह बनाई और ज़मीन पे सोने के इंतज़ाम करके तीनो लॅडीस का जाने का इंतेज़ार करने लगे. थोड़ी देर मे बच्चे सो गए और उन्हे हमे सौंप के तीनो बाहर चली गई.

मुझे ज़ोरों की नींद आ रही थी सो मैने कम्मो से कहा कि वो बच्चों को देखे और मैं सोने जाती हूँ. कम्मो ने अनमने ढंग से हां कही और बच्चों को देखने लगी.

अब आगे की कहानी सखी भाभी की ज़ुबानी बतानी पड़ेगी. क्योंकि ये हिस्सा मैने नही देखा. ये उन्होने मुझे बताया.

सभी लोग अपना अपना पेग लिए बैठे थे. बाबूजी के सामने हम तीनो बहुएँ पीती थी ये तो सबको पता है. पर आज हम तीनो को बाकी सबके सामने पीनी पड़ेगी ये हमे नही पता था. बाबूजी, फूफा जी और राकेश अंकल बैठे पीते हुए कुच्छ बातें कर रहे थे. गार्डेन के दूसरी तरफ राजू भैया, सुजीत भैया, संजय, प्रकाश जीजू और उनके कज़िन राज बैठे थे.

बाबूजी के ग्रूप के करीब हम तीनो देवरानी जेठानी और शोभा दीदी बैठे थे. हमारे बीच में हल्का मज़ाक चल रहा था. तीनो बुज़ुर्ग लॅडीस कमरे मे थी बच्चों के साथ. सिचुयेशन कुच्छ ऐसी थी कि मेरी पीठ के जस्ट पिछे फूफा जी बैठे हुए थे और उनके ऑपोसिट बाबूजी और राकेश अंकल. हम लॅडीस की बातें चल रही थी कि अचानक मुझे राकेश अंकल की बात कानो मे पड़ी.

राकेश अंकल - राजपाल (बाबूजी) तुझे याद है आज से 3 साल पहले जब तू मेरे घर आया था ? तुझे बिम्ला याद है ?

राजपाल (बाबूजी) - कौन बिम्ला? वो तेरे घर की नौकरानी.....? हां याद है....वही ना....उसी की बात कर रहा है ?

राकेश अंकल - हां वही वही......दरअसल तूने एक दिन मुझे फोन पे कुच्छ बातें कही थी .....मुझे लगा कि तूने अपनी नौकरानी पटा रखी है और उसकी सेवा करता है....हे हे...तो मुझे भी बिम्ला याद आ गई......दरअसल मैने भी उसकी काफ़ी सेवा की.....हे हे...हे ....

बाबूजी - अबे साले वो तो मैं उसी दिन समझ गया था जब आया था........साली 30 साल की औरत ....जवानी मे अपने बूढ़े मालिक के आस पास घूमती फ़िरेगी तो इसका मतलब तो सॉफ है ना.....हे हे हे ....

अंकल - हां यार.......सही पकड़ा तूने.....वैसे एक बात बोलूं....अगर तूने थोड़ी हिम्मत दिखाई होती या फिर तू एक रात और रुकता तो ....बिम्ला........उफफफ्फ़....मैं तो कई बार तू बन के उसकी सेवा करता था.......समझा रहा है ना.....

फूफा जी - अर्रे राकेश जी......इतनी बड़ी छिनाल थी क्या.....अभी भी है क्या आपके यहाँ.....बोलो तो मैं आ जाउ.....सेवा कर दूँगा....

राकेश अंकल - अर्रे नही अब वो वापिस चली गई ...पर एक और है.....करीब करीब उसी के जैसी ...पर अभी तक सेवा का मौका नही दिया उसने.....दे देगी......जाएगी कहाँ.....पर सच मे बिम्ला का कोई जवाब नही था.....काश राजपाल रुक जाता....सच मे भाई दोनो एक साथ करते.....मज़ा दुगुना हो जाता.....

बाबूजी - अवतार जी आप तो हमारे जीजा हो और घर की सब बातें जानते हो.....अब इस चूतिए को सब बातें तो नही पता....आप ही बताओ कि अगर मैं उस दिन रुकता तो आपके यहाँ सरला जी से कैसे मिलता और फिर संजय और सखी की शादी कैसे होती....हैं ?? ये सब बातें मैं इसे उन हालत मे कैसे समझाता...? और देख राकेश एक बात और बता दूं......जितनी नौकरानियाँ तूने रखी हैं उसे जीयादा मैने रखी हैं......और तेरी 10 बिम्ला भी मेरी वालीओं का कुच्छ मुकाबला नही कर सकती...समझा....

राकेश अंकल - अबे साले समझ गया कि तुझे संजय और सखी का रिश्ता करवाना था. और ये भी समझा गया कि ये दो नौकरानियाँ तू लाया है यहाँ इनको तूने अच्छे से रगड़ा है...... पर कहाँ कम्मो और कहाँ बिम्ला.....वो तो जन्नत थी जन्न्नत......हाअए.....सोच के ही खड़ा हो गया

बाबूजी - अबे जा जा....तूने कम्मो और मुन्नी को अभी देखा नही है बच्चू.......वो क्या हैं ये सिर्फ़ मैं जानता हूँ और ...मेरा परि..........खैर....तू उन्हे चखेगा तो सब बिम्ला शिमला भूल जाएगा.....

(बाबूजी आज पहली बार मेरे एक्सपीरियेन्स से दारू पीके बहके थे और कुच्छ ग़लत बोल बैठे थे...मैं तो समझ गई पर क्या राकेश अंकल समझे या नही ये नही पता)

राकेश अंकल - अच्छाअ.....तो साले कम्मो और मुन्नी को मेरे 8 इंच के नीचे लगवा फिर बता दूँगा कि कौन कितने पानी मे है.....और तूने क्या कहा परिवार.....उनको पता है क्या साले......तेरे मुन्नी और कम्मो का....हरामी उन सबसे तो छुपा के रखा कर ...तेरे बच्चे हैं.......

फूफा जी - अर्रे राकेश जी.....अच्छा एक मिनट साले साहब एक मिनट...मुझे समझाने दीजिए.....राकेश जी आप कितने साल से राजपाल को जानते हैं ? मेरे हिसाब से करीब 35 साल से जब से आप लोग 10 साल के थे. अब आप लोग जब से अलग हुए तब से कितना कुच्छ बदल गया. आपने शादी की और इन्होने नही...आपने एक सेक्सी औरत का सुख भोगा लीगली पत्नी बना के तो इनको वो मिला ही नही. अब जब बच्चे छोटे थे तब से इन्हे घर की नौकरानिओ के साथ कुच्छ ना कुच्छ करने का मौका मिलता रहा है......और बच्चों को भी बचपन से ऐसे मौके मिलते रहे.......और एक बात...सभी लड़को की सील इन्होने ही तुड्वाई थी.........और वो भी नौकरानिओ के हाथों.............तो अब क़ी कोई भी बात पे आप कोई जड्ज्मेंट पास मत करो.

बाबूजी - देख राकेश...छोड़ इन सब बातों को....एक बात सुन और एक शरत लगा ले मेरे से. कम्मो और मुन्नी दोनो मे से एक ले ले.....फिर अपने आप बताना कि कौन बेटर है बिम्ला से.....और सुन साले....तेरे और बिम्ला का पता तेरे बच्चों को भी था पर अगर भाभी को ऐतराज नही था तो उन्हे भी नही हुआ.

सखी की ज़ुबानी कंटिन्यूड

राकेश अंकल, बाबूजी और फूफा जी की बातें सुन के मेरा दिमाग़ घूम गया. साथ ही मेरी टाँगों के बीच खलबली मचने लगी. मेरा ध्यान अब मेरे आस पास की बातों पे नही था. मेरा पूरा ध्यान अब मर्दों की बातों पे लगा हुआ था. 

राकेश अंकल - अर्रे अवतार जी आप ये क्या कह रहे हो...आपको कैसे पता कि मेरे और बिम्ला के बारे मे मेरी बीवी और बच्चों को पता था...? ये बात आपको किसने कही ? मुझे तो हमेशा से शक था कि उन लोगों को पता है पर सच मे कभी यकीन नही हुआ..... अब जब आपने ये बातें कही हैं तो ये भी बता दो कि आपको कैसे पता ?

राकेश अंकल पूरे बौखलाए हुए थे और हैरान थे...बाबूजी चुप थे और अवतार फूफा जी थोड़े से हंस दिए.

अवतार फूफा - अर्रे छोड़िए ये सब...किन बातों मे फँस गए...आप तो अपनी चाय्स बताइए....कम्मो या मुन्नी ? किसकी सेवा करेंगे ?

राकेश अंकल - अर्रे नही नही पहले ये बात क्लियर कीजिए फिर बताउन्गा....अर्रे राजपाल तुम्ही कहो इन्हे यार...मेरी जान अटकी पड़ी है....
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09-03-2018, 09:19 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
अवतार फूफा - अच्छा अच्छा बताता हूँ. दरअसल आज शाम को सब चाइ पीने बैठे थे तो हमारी पत्निओ के बीच मे बातें हुई थी. तो आपकी बात चली...और कंचन ने भाभी जी से कहा कि आप अभी भी इस उमर मे फिट और स्मार्ट लगते हो. उसपे भाभिजी ने कहा कि आप साथ साथ रंगीले भी हो. बस वहाँ से बात चली तो कंचन को पता चला कि आपका और आपकी नौकरानियो का काफ़ी चक्कर चलता रहा है. आपकी पत्नी और बच्चों को जब भी आपके गाओं जाके रहना होता था तब उन्हे पता रहता था कि पिछे से आप फुल अयाशी करोगे. ये सब बातें कंचन ने मुझे यहाँ आने से पहले कही. दरअसल कंचन को आपके बारे मे जितना आज से पहले पता था उसके मुकाबले आप और भी ज़ियादा बढ़ चढ़ के निकले तो शायद ....वो आपसे जीयादा इंप्रेस्ड थी......इसलिए उसने भाभिजी से ये सब बातें निकलवाई.

अवतार फूफा जी की बातें सुन के राकेश अंकल चुप हो गए. बाबूजी भी चुप बैठे थे. मेरा ध्यान उनकी तरफ लगा देख के शायद राखी भाभी समझ गई और उन्होने मुझे टाँग पे छेड़ा. मैं उनकी तरफ देखा और मुस्कुराइ. तभी कमरे से कंचन बुआ, मा और कविता आंटी आ गए. मा और कंचन बुआ को देखते ही मेरी आँखें जोरों से खुल गई.....और साथ ही साथ बाकी सब की भी. दोनो ने अपनी साड़ी उतार के नाइट गाउन पहेन लिए थे. मा ने काले रंग का झीनी सी नाइटी पहनी थी और बुआ ने एक फ्लॉरल प्रिंट वाला गाउन. मा की नाइटी सिल्क की थी और बुआ का गाउन उनके घुटने से थोड़ा नीचे आके ख़तम हो गया था.

उनको देख के शोभा दीदी के मूह से एक आह निकली और उन्होने अपने मूह पे हाथ रख दिया. दूसरी तरफ शोभा दीदी के पति प्रकाश जीजू ने एक हल्की सी सीटी मार दी. मा और बुआ जी उनकी तरफ देख के मुस्कुराइ और मा ने प्रकाश जीजू की तरफ थप्पड़ का इशारा किया. इस्पे उन्होने मुस्कुराते हुए अपना गाल एक तरफ से दिखाया. तीनो कुर्सियाँ लेके हमारे बीच आ गए और मेरा ध्यान बाबूजी और उनके दोस्तों से हट गया.

कविता आंटी - अर्रे कंचन देख ले तेरे जमाई को....कैसे हमारी जैसी बूढ़ी औरतों पे लाइन मारता है.....देखा कैसे सीटियाँ मार रहा है....शोभा तूने ठीक से संभाला नही है अपने पति को.

शोभा दीदी - अर्रे आंटी मैं क्या करूँ.....ये तो शुरू से ही ऐसे हैं...आपको पता है हमारे बीच उमर का गॅप है.....सो ये उस हिसाब से हमेशा से ही बड़ी औरतों के चक्कर मे रहते हैं. हमारे यहाँ और मेरे ससुराल मे ऐसी कोई 40 - 50 साल वाली नही है जो इनके हाथों से ना छिड़ी हो....सबको बातों से या हाथों से छेड़ते रहते हैं.... इसलिए मैने भी शादी के बाद जल्दी ही अपना मन बना लिया था कि मैं इन्हे रोकूंगी नही और अपने मज़े लूँगी.......

कविता आंटी - आआहए हाए....क्या लड़की है तू.....पति को खुले सांड़ की तरह छोड़ दिया और खुद भी मज़े लेती है......कंचन क्या लड़की पैदा की है तूने.....शरम ही नही है इसे....

कंचन - अरी कविता इसमे क्या है.....करने दे ना ......देख तूने भी तो जवानी मे मज़े लए होंगे........तुझे भी तो पति के अलावा और मर्द पसंद आए होंगे....इसे भी हैं....और मेरा दामाद तो हीरा है हीरा....कभी भी किसी के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती नही करता ...जो मान जाए बस उसी के साथ शरारत करता है.....और फिर सब मर्द ऐसे होते हैं और सभी औरते भी...बस फरक इतना है कि मर्द कह लेते हैं हम कहती नही.

सरला - हां ये बात तो है...मर्द कह लेते हैं और कर भी लेते हैं....हम कहती नही और करती भी नही.

मा की ये बात सुन के हम तीनो बहुओं की हँसी छूट गई. शोभा दीदी और कविता आंटी हमे आँखें फाड़ के देखने लगी और मा ने मूह बनाया. कंचन बुआ मंद मंद मुस्कुरा रही थी. इन सबके बीच मैने नोटीस किया कि सभी मर्द अब धीरे धीरे बातें कर रहे थे और बार बार चोरी छुपे या खुल के हमारे ग्रूप की तरफ देख रहे थे.

इतने मे राकेश अंकल उठ के हमारी तरफ आए और कविता आंटी के नज़दीक खड़े हुए. हम सब और सभी मर्द उनकी तरफ देखने लगे. अंकल ने पी थी पर उन्हे जीयादा चढ़ि नही थी. हालाँकि उनकी आँखें लाल थी पर कदम सही से पड़ रहे थे और बातें भी सॉफ सॉफ कह रहे थे. उन्होने कविता आंटी को रूम में चलने को कहा. कहा कि कुच्छ बात करनी है.

सरला - आअए हाए क्या बात है राकेश जी.....बड़ी जल्दी में हो.....इतना क्या ज़रूरी काम है .....कविता को इतने दिन बाद मौका मिला है आपसे दूर रहने का....एंजाय करने दो इसे. हां बहुत ज़ियादा ज़रूरी है तो मैं चलूं...मुझसे बात कर लेना......हे हे..हे हे...(मा को भी थोड़ी सी चढ़ गई थी)

राकेश अंकल - अर्रे सरला जी ऐसा कुच्छ नही है......और हां अगर आपको ज़रूरी बात करनी है तो मैं रेडी हूँ....पर पहले कविता से कर लूँ फिर आपका नंबर........(राकेश अंकल थोड़े से सीरीयस थे पर मा के साथ पोलाइट रहने की कोशिश कर रहे थे)

कविता आंटी - राकेश अभी रहने दो ना.....(आंटी को शायद लगा कि अंकल चुदाई के मूड में हैं).....थोड़ी देर मे वैसे भी जाना ही है.......हे हे...तब बात कर लेंगे.......क्यों जान....? (आंटी ने आँख मारते हुए अंकल के हाथ को पकड़ा)

राकेश अंकल - नही अभी बात करनी है....ज़रूरी है....जल्दी आ जाओ......मैं रूम में जा रहा हूँ.... और अंकल मूड के रूम की तरफ जाने लगे.

कविता आंटी को पता नही क्या हुआ पर वो थोड़ा खिज गई. उन्होने सबकी तरफ देखा तो मा ने मूह बनाया. कविता आंटी से रहा नही गया और उन्होने वहीं बैठे बैठे अंकल को आवाज़ दी. पर अंकल नही रुके. तब आंटी ने खिज के कहा कि वो नही आ रही और अपनी दारू का ग्लास उठा के एक घूँट में खाली कर दिया. आंटी ने भी 3 पेग के करीब ले लिए थे और वो एक घूँट मे करीब आधा ग्लास पी गई थी. उन्होने मिन्नी भाभी को एक और पेग के लिए कहा और जैसे ही भाभी ने पेग बनाया उन्होने उसे भी एक शॉट मे खाली कर दिया.

हम सब हैरानी से उन्हे देख रहे थे. फिर मैने थोड़ा मूड के देखा तो राकेश अंकल भी खड़े हुए उन्हे देख रहे थे. दोनो की हरकत से सॉफ था कि दोनो में गुस्सा उबल रहा है.

राकेश अंकल - ये सब क्या है कविता. मैने कहा तुमसे बात करनी है...और तुम ये सब नखरे दिखा रही हो.....क्या बात है.

कविता आंटी - कुच्छ नही राकेश...छोड़ दो मुझे....तुम जाओ और रिलॅक्स करो....

राकेश अंकल - नही अब बताना पड़ेगा....मैंसे सिर्फ़ तुमसे बात करनी थी....सिर्फ़ इतना कहा तो क्या ग़लती की...

कविता आंटी - राकेश ग़लती नही की....सिर्फ़ ये कहा कि अभी बात करनी है....मैं हमेशा तुम्हारी बात सुनती आई हूँ....जब चाहो तुम अपनी मर्ज़ी से मुझे चलाते हो...और अपनी मर्ज़ी करते हो.....बस आज नही...

राकेश अंकल - बात ज़रूरी थी इसीलिए कहा था...

कविता आंटी - तो ठीक है जो कहना है यही कह दो....बात को ज़ियादा मत खीँचो......

राकेश अंकल - नही यहाँ नही कह सकता....अकेले में...

कविता आंटी - तो ठीक है फिर रहने दो....यही कहो तो ठीक वरना आगे भी कहने की ज़रूरत नही.

राकेश अंकल चुप हो गए और सबको देखने लगे. सभी सीरीयस थे. आंटी अपने ग्लास से खेल रही थी. उन्हे चढ़ गई थी. राकेश अंकल ने सबको देखा और फिर जैसे उनके सब्र का बाँध टूट गया.

राकेश अंकल - कविता ...कविता ...एक बात बताओ क्या तुम्हे और बच्चों को बिम्ला और मेरे बारे में पता था...? बताओ मुझे....बहुत इंपॉर्टेंट है....ये बात मेरे लए.....

कविता आंटी को जैसे एक ज़ोर का झटका लगा. उन्हे लगा था कि अंकल शायद चुदाई के मूड में हैं और इसलिए ...पर यहाँ तो बात कुच्छ और ही निकली.

कविता आंटी - व्हाट क्या क्या ...क्या कहा तुमने.....तुम मुझसे ये क्या पुच्छ रहे हो...आइ मीन तुम पुच्छ रहे हो कि मुझे और बच्चों को तुम्हारे और बिम्ला के बारे में पता था कि नही......यही ना...बोलो.....यस पता था ....सबको पता था....सुन लिया .....मिल गई शांति.......

आंटी पूरे गुस्से में थी और थोड़ा चिल्ला रही थी और साथ ही साथ उनके आंसूओ बहने लगे. दारू और गुस्से का असर था....सब चुप थे कोई भी हिल नही रहा था....जैसे कोई बॉम्ब गिरा हो.....

राकेश अंकल - पता था तो बताया क्यों नही....पुछा क्यों नही....मुझसे लड़ाई क्यों नही की......क्या इतना ही प्यार बचा था.....हमारे बीच...क्या इतना ही भरोसा रह गया था हमारे बीच......
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09-03-2018, 09:19 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
कविता आंटी उन्हे खुले मूह से देख रही थी. हम सभी कन्फ्यूज़्ड थे. ये सब अचानक हो रहा था और अंकल का ये सब कहना बड़ा अजीब सा लग रहा था....ये सब क्या था कुच्छ समझ नही आया. आंटी अंकल को देख रही थी और अंकल उन्हे. इतने में अंकल एक घुटने के बल बैठ गए. उन्होने आंटी का हाथ पकड़ा और दूसरे हाथ से उनके गाल पोन्छे.

राकेश अंकल - कविता देखो देखो मेरी तरफ.....मैं मानता हूँ कि मैं एक आयाश किस्म का आदमी हूँ. लड़कियाँ औरतें मेरी कमज़ोरी हैं....तुम अच्छे से जानती हो कि मैने हमेशा एक आवारा की तरह हर औरत को देखा है. पर अगर तुम्हे याद हो तो बेटी की शादी तक मैने कभी कोई ग़लत हरकत नही की. उसके बाद तुमने मेरी तरफ देखना छोड़ दिया. तुम्हे लगने लगा कि तुम अब दादी नानी वाली केटेगरी मे आ गई हो. और मैं अकेला पड़ गया.....बस तभी ये सब हुआ. और हां मैं शक करता था कि तुम्हे और बच्चों को पता है पर तुमने कभी कुच्छ कहा नही और पुछा नही तो मैने भी बात नही कही. पर मेरे मन में एक सवाल रहता था कि तुम पूछती क्यों नही.........आज जब अवतार जी ने ये सब बातें छेड़ी तो मुझे लगा कि जैसे तुम्हे मेरे से प्यार नही था....कि तुम मुझसे पूछती मुझे ताना देती या लड़ाई करती.........मैने सिर्फ़ तुमसे और तुमसे प्यार किया है....बाकी सब जो भी किया वो वासना थी और कुच्छ नही....एक टेंपोररी रिलीफ......मज़ा कह सकती हो.....

अंकल की ये सब बातें सुन के आंटी थोड़ा और रोने लगी. अंकल ने उन्हे अपने कंधे से लगा लिया. बाकी सब बड़े गौर से ये सब देख रहे थे. कोई कुच्छ नही बोला. सब अपनी दारू भी भूल चुके थे. आंटी रोते रोते अंकल से लिपट गई. तब अंकल ने उन्हे उठा के अपने गले से लगा लिया. आंटी के रोते चेहरे को उपर उठा के उनके आँसू पोन्छने लगे. शायद आंटी पूरी बात समझ चुकी थी. अंकल के कंधो पे हाथ रखे रखे वो उन्हे देखती रही. फिर अंकल ने नीचे झुक के उन्हे किस किया. किस हल्का था ...उसका जवाब आंटी ने भी वैसे ही दिया...पर इसके बाद जो हुआ वो काफ़ी रोमॅंटिक और सेक्सी था. अंकल ने आंटी को पकड़ के ज़ोर से किस करना शुरू कर दिया. देखते देखते दोनो एक दूसरे में खो गए और शायद आदत से मजबूर अंकल का हाथ आंटी के मम्मो पे चला गया और उनके निपल को छेड़ने लगा. किस करते करते आंटी के मूह से सिसकारियाँ निकलने लगी और शायद वो भी आदत से मजबूर थी...और उन्होने साड़ी के नीचे से अपनी एक टाँग मोड के उठा दी और अंकल की थाइ से रगड़ने लगी.

ये सब देख के अचानक से सब ठीक हो गया और संजय ने एक ज़ोर की सीटी मारी और फिर सबने ज़ोर से तालियाँ बजानी शुरू कर दी. पता नही कैसे सब को ये सीन देख के बहुत अच्छा सा लगा और सभी मर्द उठ के अपने अपने पार्ट्नर के पास पहुँच गए. बाबूजी, मा और राज को छोड़ के सभी अपने अपने पार्ट्नर के साथ किस्सिंग करने लगे. राज और मा एक दूसरे के नज़दीक खड़े थे. अचानक से मा को क्या हुआ पता नही और उन्होने राज को खींच के किस करना शुरू कर दिया. राज एक दम हक्का बक्का रह गया. बाकी सभी अपने अपने किस मे मशगूल थे पर मेरी नज़र मा पे पड़ चुकी थी. राज कुच्छ सेकेंड तक तो भोचक्का था पर फिर उसने भी अपने जोहर दिखाते हुए मा को पूरा साथ देना शुरू कर दिया. अचानक से मा का हाथ राज की पॅंट के उपर चलने लगा और एक सिसकी के साथ उसका हाथ मा के मम्मे निचोड़ने लगा. बाबूजी जो कि ये सब थोड़ी दूर खड़े देख रहे थे हल्का सा लड़खड़ाते हुए दोनो के नज़दीक पहुँचे और मा के पिछे से उनकी गर्दन पे किस करने लगे. राज के लिए ये दूसरा झटका था.

सभी अपने अपने पार्ट्नर के साथ किस्सिंग और स्मूछिंग मे लगे हुए थे और बीच मे शोभा दीदी और जीजू का किस टूटा. जीजू का चेहरा मा की तरफ था और वो फटी आँखों से मा को देखने लगे. उनको उस तरफ देखता देख शोभा दीदी भी देखने लगी. मा की नज़र उनपे पड़ी तो उन्होने राज को किस करते हुए आँख मार दी. मा के एक मम्मे पे बाबूजी का हाथ था और दूसरे पे राज का. राज का चेहरा पकड़े हुए मा उसे किस कर रही थी और गान्ड पिछे धकेल के बाबूजी के उभार पे रगड़ रही थी. शोभा दीदी को मा की मस्तिओ के बारे में पता था तो उन्हे इतना सर्प्राइज़ नही हुआ जितना कि जीजू को हुआ था. दीदी ने मस्ती मे आते हुए जीजू के हाथ अपनी गान्ड पे रख दिए और उनके लंड को पॅंट के उपर से दबाने लगी. इतने मे बाकी सब भी धीरे धीरे बाबूजी, राज और मा की तिकड़ी को देखने मे लग गए.

मा का मूह राज के थूक से भरा हुआ था. बाबूजी उनकी पीठ पे किस करते हुए उनकी नाइटी को खोल रहे थे. नाइटी के बाहर का हिस्सा उतर के ज़मीन पे पड़ा हुआ था. अब मा के बदन पे सिर्फ़ अंदर वाला नूडल स्ट्रॅप वाला हिस्सा था जो कि उनकी थाइस तक कवर किए हुआ था. मा का एक नूडल स्ट्रॅप नीचे उतर चुका था और उनका एक मम्मा बाहर था जिसे अब राज बड़े मज़े से चूस रहा था. बाबूजी ने मा का चेहरा पकड़ा हुआ था और उनकी उंगलियाँ और हथेली मा के चेहरे पे रेंग रहे थे. इतने मे मैने बाकी सबको देखा. सब बड़े ध्यान से तीनो की तरफ देख रहे थे. ऑलमोस्ट सभी आदमी अपने अपने पार्ट्नर के मम्मे दबाने में बिज़ी थे और औरतों के हाथ पॅंट्स के उपर से लंड सहलाने मे. इतने मे राजू भैया ने मिन्नी भाभी को कुर्सी पे बिठा दिया और अपनी पॅंट की ज़िप खोल के रोड बाहर निकाल दिया.
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09-03-2018, 09:19 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
मा को देखते हुए वो मिन्नी भाभी से अपनी रोड चुसवाने लगे. मिन्नी भाभी भी उनका लंड मूह मे रख के हल्के हल्के चूस्ते हुए मा की तरफ देख रही थी. ना जाने कब कैसे ये माहौल इतना सेक्सी हो गया......कैसे सब के सब सेक्स की तरफ बढ़ गए....पता ही नही चला. हमारे परिवार में तो बडो के साथ सब चलता था पर यहाँ तो और भी लोग थे. ये सब सोचते हुए मेरी चूत गीली हो गई और मैने साड़ी उठा के अपनी पैंटी निकाल दी और संजय को कुर्सी पे बिठा के उसका चेहरा अपनी टाँगों के बीच दबा लिया. पर संजय का ध्यान इस बार अपनी सास की नई करतूत पे टिका था. बार बार वो उन्हे देख रहा था. मेरी आग बढ़ चुकी थी और मुझे एक सख़्त मूसल की ज़रूरत थी. इसी के चलते मैने संजय की उंगली अपनी चूत में दाखिल करवाई. 

बाबूजी अब तक मा के साथ चुंबन में लग चुके थे और राज को तो जैसे खिलोना मिल गया था. मा का दूसरा निपल भी बाहर था और कड़े निपल को चूस्ते हुए राज अपनी पॅंट उतार रहा था. मेरा ध्यान उसके कछे में बने उभार पे गया और मेरी चूत हल्के हल्के फड़कने लगी. शायद संजय को महसूस हुआ और उसने मेरी तरफ देखा और फिर राज की तरफ. अब तक राज अपना कच्छा उतार चुका था और मा के मुलायम हाथ उसपे चल रहे थे. राज का साइज़ करीब करीब 7 से 8 इंच था पर मज़ेदार बात उसके लंड के नीचे लटकते हुए टट्टों मे थी. उसके लंड और टट्टों पे कोई बाल नही थे और उनका साइज़ बहुत बड़ा था. उसका लंड उसके टट्टों के मुक़ाबले छोटा प्रतीत हो रहा था. चिकू के जैसे लटके हुए टटटे यक़ीनन जूस से भरे हुए थे और मेरी जीभ अपने आप ही बाहर को आ गई.

संजय ने मेरी तरफ देखा और फिर नज़र बाकी सबपे दौड़ाई. शोभा दीदी करीब करीब नंगी हो चुकी थी. उनके बदन पे सिर्फ़ आधी खुली ब्रा थी और पैरों मे सॅंडल और उनका पेटिकोट उनकी कमर पे था. पैंटी जीजू के चेहरे पे रगड़ खा रही थी. राकेश अंकल अपना 8 इंच का लोड्‍ा आंटी से चुस्वा रहे थे. कंचन बुआ को कुर्सी पे बेंड करवा के फूफा उनकी गान्ड और चूत मे उंगली कर रहे थे. बुआ पूरी नंगी थी और उनके मोटे थन हवा में झूल रहे थे. फूफा जी का लंड उनके हाथ मे था. फूफा जी का भी शानदार 8 - 9 इंच का लोड्‍ा था जिसे देख के मेरे मूह में पानी आ गया. सुजीत भैया राखी भाभी के कपड़े उतारने में लगे हुए थे. उधर मिन्नी भाभी अपने कपड़े उतार रही थी और संजय भैया नीचे से नंगे बैठे हुए अपना लंड सहला रहे थे.

अभी तक जीजू और राकेश अंकल के लोड्‍े देखने को नही मिले थे. मुझसे रहा नही गया और मैने संजय को छोड़ के जीजू के पास गई और उनकी पॅंट खोलने लगी. शोभा दीदी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए मुझे किस करने लगी. उन्हे तो कंचन बुआ ने हमारी फॅमिली के बारे में सब बताया हुआ था. जीजू हमें किस करते हुए देखते हुए अपनी पॅंट से पैर बाहर निकालने लगे और फिर उन्होने भी हमारे साथ अपना मूह भिड़ा दिया. हम तीनो की जीभें आपस में मिल रही थी और मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी.

इतने में ज़ोर से तालिओं की आवाज़ सुनाई दी. बाबूजी मा से अलग होके एक कुर्सी पे खड़े हो गए थे.

'' एक मिनट ...एक मिनट सब मेरी बात सुनो........अर्रे ऐसे कुत्तों की तरह एक दूरे को मत काटो.......रूको थोड़ा.....सम्धन जी...........आप भी रुकिये...ओये राज छोड़ सरला को.....बाद में चूसना इसके मम्मे......सम्धन जी ...अब जब ये समा बन ही गया है तो मेरे हिसाब से समय आ गया है अपनी बहुओं से किए हुए वादों को पूरा करने का........इससे बढ़िया मौका आज के बाद नही मिलेगा............नए लंड भी मौजूद हैं और नई चूते भी............तो प्लीज़ अभी 2 मिनट के लिए सभी अलग हो जाओ और अपने अपने कपड़े उतार के कमरो में छोड़ के आओ....तब तक मैं सम्धन जी के साथ प्लॅनिंग कर लूँ.......मिलते हैं 2 मिनट की ब्रेक के बाद...'' बाबूजी का ये कड़क आदेश सुन के हम सब ग्रोन करते हुए अपने अपने पार्ट्नर्स से अलग हुए. पर मैने मिन्नी और राखी भाभी की तरफ देख के दोनो को आँख मार दी......

बाबूजी की बात सुनते ही हम सब अपने अपने कमरे की तरफ जल्दी जल्दी बढ़ गए. हमारे कमरे में घुसते ही दोनो भाभियाँ और मैं एक दम मदरजात नंगी हो गई. राखी भाभी मेरी बहती हुई चूत देख के मेरे करीब आई और मुझे किस करने लगी. मिन्नी भाभी हमें देख के हँसने लगी. कम्मो और मुन्नी दोनो किचन मे बेसूध सोई पड़ी थी. इतने मे मिन्नी भाभी भी आ गई मेरे नज़दीक और मेरी चूत में घिसाई करने लगी. इतने मे मा कमरे में दाखिल हुई.
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09-03-2018, 09:19 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
मा - अर्रे तुम तीनो छिनाल यहाँ कर रही हो......चूते रगड़ना छोड़ो और नए लंड की तैयारी करो. आज तुम तीनो की चूतो को नए लोड्‍े मिलेंगे. मान गए समधी जी को....साले का दिमाग़ शैतान का है....क्या कॉंबिनेशन्स बनाए हैं साले ने....

मा ये सब कहते हुए अपनी चूत को नॅपकिन से सॉफ कर रही थी. अपने कपड़े साइड पे रख के वो फटाफट कमरे से बाहर चली गई. इतने मे मैने अपना हेरस्टाइल बनाना शुरू कर दिया. फिर मैने हाइ हील की सॅंडल पहनी और मेकप किया. मिन्नी भाभी और राखी भाभी ने भी मेकप किया. मिन्नी भाभी ने अपनी चूत पे भी लिपस्टिक लगा ली जिसे देख के हम दोनो हंस दी. जैसे ही हम लोग बाहर आए सामने से शोभा दीदी और जीजू नंगे बाहर आते हुए नज़र आए. दीदी ने जीजू का लंड पकड़ा हुआ था और उन्हे देख के मुस्कुराते हुए चल रही थी. दीदी की चूत पे बढ़िया सा ट्राइंगल बना हुआ था. हमें नज़दीक आते हुए देख के जीजू रुक गए. दीदी जो कि उनका लंड थामे चल रही थी वो नही रुकी. नतीजा ये हुआ कि उनके हाथ से ज़ोर से जीजू का खड़ा लंड खिंच गया और छूट गया. जीजू की हल्की सी चीख निकल गई और हम तीनो उनको देखने लगे. उन्होने लंड का उपर का हिस्सा पकड़ा हुआ था और उसे मसाज कर रहे थे.

हम तीनो की नज़रे उनके लंड पे पड़ी तो हमारी तीनो की आँखे चुन्धिया गई. जीजू का लंड भी संजय की तरह 11 इंच का था पर सुजीत भैया की तरह मोटा भी था. अगर पूरी महफ़िल में देखा जाए तो सबसे कद्दावर लंड उनका ही था. हमारे रिक्षन देख के वो मुस्कुराने लगे. तभी दूसरे कमरे से राज, अवतार फूफा जी भी बाहर निकले. फूफा जी को नंगा देख के जितनी हमे उत्तेजना हुई उतनी ही उनके सामने नंगे खड़े होने में शरम भी आ रही थी. फूफा जी ने जीजू को आँख मारी और आगे बढ़ गए. राज वही खड़ा हो गया और हम तीनो को देखने लगा. उसके झूलते टट्टों को देख के मेरे मूह मे फिर पानी आ गया और मेरी जीभ होंठों पे चलने लगी. फिर हम सभी वहाँ पहुँचे जहाँ बाकी सब मौजूद थे. बाबूजी भी पूरे नंगे बैठे अपनी ड्रिंक ले रहे थे. फूफा जी अपने लिए ड्रिंक बनाने लगे. कविता आंटी पूरी नंगी अपनी टाँगों पे टांगे रखे बाबूजी से हंस के बातें कर रही थी. फिर मेरी नज़र राकेश अंकल के हथियार पे पड़ी. उनका लंड भी करीब 9 इंच का था और केले के जैसा था. उनकी चमड़ी आगे से पूरी खींची हुई थी और पिंक टोपा सॉफ दिख रहा था. अंकल बुआ के बगल में बैठे उनके मम्मे देख रहे थे और बातें कर रहे थे. बुआ भी खुल के उन्हे अपने स्तन दिखा रही थी.

इतने में हम तीनो के पति भी बाहर आ गए और बारी बारी बुआ के पास गए. तीनो ने बुआ को गाल पे किस दी और उनके मम्मे छेड़े. बुआ ने भी उनके लंड सहलाए और हमारी तरफ देख के मुस्कुरा दी.

बुआ - अररी तुम लोग ऐसे क्या देख रही हो. इन्हे 15 साल की उमर तक अपने हाथों से नहलाया है तो देख रही थी कि बचपन की लुल्लियाँ कितनी बड़े लंड बन गई हैं. अगर पहले दिखते तो शायद अब तक इन्हे भी अपने अंदर लिया होता पर कोई नही आज ले लूँगी....घबराओ नही आज से पहले कभी इनमे से किसी ने मेरे साथ कुच्छ नही किया.

उनकी बात सुन के हम तीनो हंस दी और एक एक कुर्सी पे बैठ गई. हम तीनो को बहुत शरम आ रही थी पर शोभा दीदी एक दम बिंदास थी. बाद मे पता चला कि अक्सर उन्होने बुआ और फूफा जी को सेक्स करते हुए देखा था और साथ ही वो खुद भी एक बार घर में ओपन्ली जीजा से करवा रही थी तब फूफा जी ने उन्हे देखा था. तब से शोभा दीदी ने सब शरम छोड़ दी थी. जीजू तो वैसे भी बुआ के चूचों से अक्सर खेलते थे पर कभी चुदाई नही की सो उन्हे आज अपनी सास की चूत को देख के अच्छा लग रहा था.

इतने में बाबूजी ने सबसे कहा कि सब खड़े हो जाएँ. फिर उन्होने कहा कि जिस जिस का नाम पुकारूँगा वो एक तरफ हो जाएँ. सबसे पहले उन्होने राकेश अंकल और बुआ के नाम लिए. फिर राज को एक तरफ खड़ा होने को कहा. फिर जीजू और फूफा जी का. फिर उन्होने मुझे राज के नज़दीक खड़ा होने को कहा. फिर मिन्नी भाभी को जीजू और फूफा जी के पास भेज दिया. उसके बाद उन्होने राखी भाभी को राकेश अंकल और बुआ के पास जाने को कहा.

- मैं और राज
- बुआ, राखी भाभी और राकेश अंकल
- मिन्नी भाभी, फूफा जी और जीजू

अब बचे तीनो भाई, कविता आंटी और शोभा दीदी और बाबूजी. तब बाबूजी ने शोभा दीदी को तीनो भाईओं के साथ जाने को कहा और कविता आंटी को अपने पास बुला लिया.

बाबूजी - हां तो अब एक के बाद एक मेरी तीनो बहुएँ और उनके साथी यहाँ बीच में आएँगे और एक साथ सेक्स करेंगे. बाकी सब अपने अपने साथियो के साथ बैठ के देखेंगे. पहला राउंड ख़तम होने के बाद जो जिसके साथ चाहे जैसे चाहे करे.
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09-03-2018, 09:19 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
सखी की ज़ुबानी ...कॉन्टिन्यू

सरला - अर्रे वाह समधी जी ये सही है सबकी जोड़ियाँ बना दी पर मुझे अकेला छोड़ दिया. ये तो ग़लत है ...अब मैं क्या करूँ ...मेरी टाँगों के बीच भी तो खुजली है.

बाबूजी - अर्रे सम्धन जी क्यों चिंता करती हो....आप सबके साथ करो..या जिसके भी साथ करना चाहो करो .....देखो मैन मुद्दा तो बहुओं की इच्छाएँ पूरा करने का था....सो वो होने वाली हैं....

मिन्नी भाभी - कहाँ बाबूजी....मैने तो 3 नए लंड माँगे थे पर यहाँ तो सिर्फ़ 2 ही मिले हैं और वो भी ससुर जमाई.......ये दोनो एक साथ करेंगे तो एक ही घर की बात हुई ना.....2 अलग होते हुए भी एक से ही हुए.....मेरा मतलब स्टाइल तो एक सा ही होगा....मैं तो रह गई.....कम से कम एक नया और तो दिलवाओ...

मिन्नी भाभी की बात सुन के मा को एक आइडिया आया और वो अपने कमरे की तरफ गई. कोई 5 मिनट बाद वो वापिस आ गई. आते ही उन्होने मिन्नी भाभी की चुम्मि ली और उनसे कुच्छ कान मे कहा. जब तक वो गई और वापिस आई तब तक सभी लोगों के बीच छेड़ छाड़ शुरू हो चुकी थी. राज मेरे चूचे चूसने में व्यस्त था. राखी भाभी बुआजी की चूत में उंगली करते हुए राकेश अंकल के लोड्‍े से खेल रही थी. राकेश अंकल बुआ से बातें करते हुए उन्हे चूम रहे थे. 

बाबूजी का लंड कविता आंटी के मूह की शोभा बड़ा रहा था. राकेश अंकल अपनी बीवी को बड़े गौर से देख रहे थे. उनको देखते हुए देख के आंटी ने बाबूजी के लंड के ज़बरदस्त चुप्पे लिए. उधर शोभा दीदी को तीनो भाइयों ने घेर लिया था और बारी बारी तीनो उनसे मूह भिड़ा रहे थे. एक बात तो माननी पड़ेगी कि शोभा दीदी के मादक जिस्म से एक बहुत सेक्सीनेस झलक रही थी. जिस तरह से वो हंस हंस के मुस्कुरा के तीनो भाईओं से मूह भिड़ा रही थी वैसे लगता था कि जैसे कई बार कई लोगों के साथ वो कर चुकी हों. बाद मे जीजाजी ने बताया कि दीदी उनके छोटे भाई और जीजाजी के साथ 3 सम करती रहती हैं.

उधर मिन्नी भाभी को दोनो जमाई ससुर ने अच्छे से घेर लिया था. जीजाजी नई चूत के दर्शन पाते ही जैसे पागल से हो गए थे और भाभी की चूत में जीभ अटकाए पड़े थे. फूफा जी अपने लंड से भाभी के मूह की मालिश कर रहे थे.......हां सही कह रही हूँ वो भाभी के मूह से मालिश करवा नही रहे थे बल्कि मालिश कर रहे थे.....भाभी के मूह को पकड़ के उनके खुले मूह में वो गान्ड घुमा घुमा के और अलग अलग आंगल से उनके मूह को चोद रहे थे.

राखी भाभी की पोज़िशन अब बदल गई थी और उन्होने बुआ की ढीली चूत को अपने मूह में ले लिया था. राकेश अंकल ने भी अपना लंड उनके मूह के पास रखा हुआ था. बुआ और अंकल किस्सिंग में बिज़ी थे. इतने में मा मेरे नज़दीक आई और मेरे हाथ से राज का लंड ले लिया. राज को मेरे चूचे से हटा के उन्होने राज के साथ चूमा चॅटी की. फिर हम दोनो को पकड़ के सबके बीच ले आई.

सरला - एक मिनट .....सब थोड़ा रुकिये.....अभी मैं पहले यहाँ आप सबके बीच सबसे पहले सखी और राज का मिलन करवाउंगी....फिर राखी की शुरूरात करवाउंगी और लास्ट मे मिन्नी की. तब तक बाकी सब रुके रहे. सिर्फ़ रगड़ा रगडी और चुम्मा चॅटी करना.....कोई छेद में नही डालेगा.......इन तीनो की शुरू हो जाए फिर आप सब फ्री हो.......देखना है तो देखो....करना है तो करो.......मुझे ये करवा के फ्री करो ताकि मैं भी अपना इंतज़ाम करूँ......हे हे हे......

राज मा की बात सुन के बहुत एग्ज़ाइटेड हो रहा था और उसने सबके सामने आगे बाद के मा को पिछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन पे किस करते हुए उन्हे सेक्सी बुलाया. सब हंस पड़े. हँसने से हिलते हुए लंड और चूचे देख के मेरी चूत में तो आग लग गई और मैं भी राज के पिछे आके उसे लिपट गई. मैने हाथ बड़ा के उसका लंड टाइट्ली भींच दिया. ऐसा होते ही वो चिहुनक पड़ा और उसका खड़ा लंड मा की गान्ड में घुसने को हुआ. मा ने मूड के उसके गाल पे एक चपत लगाई और हंसते हुए उसको चूम लिया.

सरला - प्रकाश (जीजू) देख तेरा डॉज़ी कितना गरम है हम दोनो मा बेटी के लिए........बहुत शरारती है.........अब इसको छेद दिलवा ही देती हूँ....चल सखी कुर्सी के सहारे पीठ करके खड़ी हो जा.......राज को पिछे से डालने दे.
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09-03-2018, 09:19 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
ये कहते हुए मा ने मुझे बेंड करवा दिया और राज का लंड पकड़ के मेरी गीली चूत पे रखवा दिया. राज ने उन्हे थॅंक यू कहा और किस किया और हल्के हल्के मेरे में घुसने लगा. सच कहूँ आज इतने दिन बाद एक नया लोड्‍ा मिल के मज़ा आ गया. राज ने मेरी गर्दन के पिछे किस करते हुए मेरे चूचे पकड़ लिए और हल्के हल्के धक्के मारने लगा. मेरे मूह से सिसकियाँ निकल गई. मा हम दोनो को कुच्छ पल देखती रही और फिर सबको देखा. सब हमारी तरफ देख रहे थे और गरम हो रहे थे. इतने में राज ने मा को एक बार फिर पकड़ा और बहुत ज़ोर का चुम्मा लिया. मा चिन्हुन्कि तो सबने हंसते हुए ताली बजा दी.

अब मा ने राज की गान्ड पे ताबड तोड़ 5 - 6 ज़ोर की चपत मारी और फिर वो राखी भाभी की तरफ बढ़ी. मैने राज का लंड पूरा अंदर डलवा के उसे रुकने को कहा. मुझे बाकी दोनो भाभियों की भी सिचुयेशन देखनी थी. राखी भाभी का मूह बुआ के जूस से गीला था. मा ने जाके उनके चेहरे को चाटा और किस किया. फिर उन्होने बुआ को कुर्सी पे बैठने को कहा. बुआ की मोटी गान्ड को कुर्सी पे अड्जस्ट करवा के उन्होने भाभी को ज़मीन पे लिटवाया और उनके मूह के उपर बुआ की चूत अड्जस्ट करवाई. फिर उन्होने राकेश अंकल के लंड के चुप्पे लिए और उनसे कहा की हमारी बहू बेटिओं को आज जम के चोदिएगा और कहते हुए उनका लोड्‍ा भाभी के छेद पे सेट करवाया. अंकल ने हंसते हुए लंड को अंदर ठेला और भाभी के चूचे चूमे और फिर उन्होने भी मा को थॅंक्स कहा. जब उनका लंड सेट हुआ तो मा मिन्नी भाभी की ओर चल दी.

मिन्नी भाभी दोनो जमाई ससुर के लंड रगड रही थी. तीनो घास पे बैठे हुए थे. मा ने पहले फूफा जी के मूह पे और फिर जीजू के मूह पे खड़े खड़े अपनी चूत लगवाई और फिर भाभी के मूह पे. फिर भाभी और मा ने पहले जीजू के साथ किस्सिंग की और फिर फूफा जी के साथ. इधर ये सब देख के राज मेरी चूत में हल्के धक्के लगाने लगा था तो मैने उसकी गान्ड पे चपत मार के उसे रुकने को कहा. शायद भाभी अभी भी तीसरे लंड की खावहिश में मा से कुच्छ कह रही थी.

ये सब होते हुए किसी का ध्यान हमारे कमरो की तरफ नही था. पता नही कब और कहाँ से कम्मो और रमेश पूरे नंगे मा के नज़दीक पहुँच गए. उनको वहाँ देख के बाकी सबने आवाज़ें सीटियाँ और चिहुनकें निकालनी शुरू कर दी. कम्मो के मूह से सॉफ पता चल रहा था की वो लंड चूस के आई है. उसके नज़दीक आते ही फूफा जी ने उसे पकड़ के अपने उपर गिरा दिया और उसने मोटे चूचे दबाते हुए उसे जीभ भिड़ा दी.

सरला - अर्रे अर्रे अवतार जी आप भी ना.....ये मेरा माल है.....इसे तो मेरे लिए छोड़िए...ये ले मिन्नी तेरा तीसरा लंड....अब सेट हो जा. ये कहते हुए मा ने जीजू को नीचे लिटा दिया और उनके लंड को अपने थूक से गीला किया. फिर भाभी को खींच के उनके लंड पे बिठा दिया. जीजू का लंड सेट होते ही उन्होने कम्मो की गान्ड पे थप्पड़ मारा और उसे फूफा जी से अलग किया. फिर फूफा जी को खड़ा किया और उनके लंड पे थूका. उनके साथ कम्मो ने भी फूफा जी के लंड के चुप्पे लिए और फिर उसने ढेर सारा थूक अपने हाथ पे डाला और भाभी की गान्ड पे लगा दिया. कम्मो ने अपनी 2 उंगलिया उनकी गान्ड में पेल के थोड़ा ढीला किया और फिर फूफा जी ने अपना लंड उनकी गीली गान्ड के छेद पे लगाया. मिन्नी भाभी ने अड्जस्ट होते हुए फूफा जी का लोड्‍ा अंदर लिया और एक गहरी साँस ली. अब नीचे से जमाई और पिछे से ससुर उनको चोदने को तैयार थे. इतने में बिना कुच्छ कहे रमेश ने अपना लंड भाभी के मूह पे लगा दिया.

सरला - हां तो अब मैने सब सेट कर दिया है .....अब सब शुरू हो जाओ......मेरा काम ख़तम....चल कम्मो आ जा और मेरी चूत चाट ...साली शाम से भीगी है....चल छिनाल जल्दी कर नीचे लेट.....उम्म्म्ममममममम....वाााआआहह मज़ाआ आ गया............

थोरी देर में ही फ़चक फ़चक के साथ सब की चुदाई शुरू हो गई.......
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09-03-2018, 09:20 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
मैं मुन्नी एक बार फिर आ गई आप सबको लुभाने के लिए....उस रात का किस्सा अब आगे मेरी ज़ुबान से.


कम्मो उठ के गई तो मुझे लगा शायद मूतने गई होगी. कुच्छ देर इंतेज़ार पे जब वो नही आई तो मैं भी उठ गई और टाय्लेट मे जाके देखा पर वहाँ नही थी. फिर ऐसे ही अचानक मेरी नज़र बाहर की तरफ गई. खिड़की थोड़ी खुली थी. बच्चे सब गहरी नींद में थे. बाहर से हँसने की आवाज़ आ रही थी. जो देखा वो देख के मेरी नींद उड़ गई और रोंगटे खड़े हो गए. आंटी सखी के बगल में खड़ी थी और जीजू के दोस्त के साथ मूह भिड़ा रही थी. तीनो नंगे थे और ....बाकी सब भी नंगे थे. मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई और अपने आप ही मेरा हाथ मेरी सलवार के उपर चला गया.

पता नही मुझे क्या हुआ और उन सबको देखते हुए मेरे भी कपड़े उतरने लगे. जब तक आंटी ने राखी भाभी की चूत मे अंकल का लोड्‍ा डलवाया मुझे दूसरी तरफ से कम्मो और रमेश नंगे आते हुए दिखाई दिए. कम्मो ने रमेश का लंड थामा हुआ था और उसे कुच्छ कह रही थी. दोनो चलते हुए मिन्नी भाभी की तरफ बढ़ गए. फूफा जी ने कम्मो को पकड़ लिया और उसे नोचने लगे. साली क्या मस्त होके उनसे चिपक गई और उनकी जाँघ पे अपनी चूत रगड़ने लगी. मेरे देखते देखते ससुर, जमाई और रमेश तीनो ने लोड्‍े मिन्नी भाभी में फिट कर दिए.

अब मेरे सब्र का बाँध टूट चुका था और मेरी चूत फड़कने लगी. वहीं खड़े खड़े मेरा पानी छूट गया. फिर मैने अपने कपड़े समेटे और कम्मो को मन ही मन में गालियाँ देते हुए बाहर चली गई. मुझे अभी थोड़ी संतुष्टि मिली हुई थी और मैं अभी सबको देखना चाहती थी. इसलिए सबसे सेफ मुझे बाबूजी के पास जाना लगा. बाबूजी और कविता आंटी एक दूसरे को रगड़ने में लगे हुए थे. अभी तक उन्होने कोई चुदाई शुरू नही की थी. मैं इठलाती हुई बाबूजी के पास पहुँची तो उन्होने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और मेरे से ज़ुबान लड़ाने लगे. आंटी बड़े गौर से उन्हे देखते हुए मुस्कुरा रही थी. 

बाबूजी - क्या हुआ भाभी ऐसे क्यों मुस्कुरा रही हो ?

कविता आंटी - मुस्कुरा रही हूँ क्योंकि तुम दोनो दोस्त एक जैसे हो...साले दोनो नौकरानियो के मूह लगते हो.....वो भी हरामी ऐसे ही करता था और तुम भी ऐसे ही हो.....

बाबूजी - पर भाभी मैं थोड़ा अलग हूँ ...मैं भाभियों के मूह भी लगता हूँ और बहुओं के, सम्धनो के, बेहेन्चोद भी हूँ और शायद आज अपनी भांजी के मूह भी लग जाउ....हे हे हे....आपका पति अभी बहुत पिछे है इन सबमे.....हा हा ....उउम्म्म्म मुन्नी एक काम कर....नीचे बैठ जा और आराम से मेरा लोड्‍ा चूस्ति रह. अभी निकालना नही है.....पहले तेरी आंटी को यहाँ का नज़ारा अच्छे से देखने दे और गरम होने दे फिर पेलुँगा इनके अंदर...... आज थोड़ा मज़े लेके आराम से करेंगे....क्यों भाभी क्या कहती हो....बहुओं को देख लें पहले....?

बाबूजी की बात सुनके मैं उनके बदन से रगड़ती हुई उनकी टाँगों के बीच बैठ गई और हल्के हाथों से और दाँतों से और होठों से और मूह से और जीभ से उनके लंड की सेवा करने लगी. यहाँ मैं ये सब करने में मगन हुई और उधर बाबूजी और कविता आंटी आपस में बातें करने लगे. दोनो जैसे मुझे रन्निंग कॉमेंटरी सुना रहे थे.

कविता आंटी - भाई साब वैसे मानना पड़ेगा आपकी तीनो बहुएँ अच्छी चुदास हैं. मेरी बहू इतनी चुदास नही है. पर शायद इसलिए भी क्योंकि मेरे बेटे के अलावा शायद अभी उसे कोई नए लोड्‍े नही मिले. 

बाबूजी - कोई बात नही भाभी अगली बार उसको भी बुला लेना. और हां भाभी चुदास तो ये हैं. इनकी सेलेक्षन भी यही देख के की थी. वो कहानी फिर कभी अकेले में सुनाउन्गा.

बाबूजी - अर्रे वाह ये क्या नज़ारा है ?? देखिए ना भाभी........वाह मज़ा आ गया देख के......शोभा को देखो कैसे तीनो भाईओं के लोड्‍े संभाल रही है.....अर्रे तू भी देख मुन्नी और सीख .....आरररगज्गघ मेरा भी मन कर रहा है इसके मम्मे चूस लूँ.......भाभी सच में मेरी भांजी भी कसा हुआ माल है.....देखो कैसे संजय के लंड से खेल रही है और राजू को मूह में भरा हुआ है. सच कहूँ भाभी मेरे घर की चुदासी बहू बेटिओं को देख के मुझे बड़ा मज़ा आता है. कई कई बार तो ये सब पूरा पूरा दिन मेरे लंड को नीचे ही नही होने देती. और उपर से मेरी सम्धन और ये दोनो छिनाले जो घर का काम देखती हैं. मेरा तो मन करता है कि पूरा पूरा दिन इन सब की चूते बजाता रहूं.

कविता आंटी - वाकई में भाई साब आप बहुत लकी हैं. इतनी सारी मस्त चूते और इतने बड़े तगड़े लंड देख के मुझे आपसे जलन हो रही है. और सबसे बड़ी बात ये है कि सब अपनी मर्ज़ी से इस सामूहिक संभोग में शामिल हैं. मेरी एक दो सहेलिया कहती थी कि ऐसे में मज़ा आता है पर मैं कभी शामिल नही हुई पर आज ये सब देख के मेरी चूत से तो रस बहना रुक ही नही रहा. मुन्नी ज़रा मेरी चूत भी चाट दे .....थोड़ा आराम मिल जाएगा. तब तक मैं भाई साब का लंड चूस लेती हूँ.
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