Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:31 PM,
#81
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--76

गतान्क से आगे.................

“भैया मैं ये बात नही मानूँगी.”

“थप्पड़ लगेगा एक गाल पर. जो कहा है वो करो. समान पॅक करो अपना. सुबह निकल रही हो तुम देल्ही. कॉलेज में छुट्टी के लिए मैं बोल दूँगा. मैं कोई बात नही सुनूँगा तुम्हारी.”

पिंकी पाँव पटक कर अपने कमरे में चली गयी और अंदर से कुण्डी लगा ली. रोहित उसके रूम के बाहर आ कर बोला, “सुबह मुझे कोई बहाना नही चाहिए. तुम सुबह 7 बजे निकल रही हो देल्ही. कार बुक करवा रहा हूँ मैं. सो जाओ और जल्दी उठ जाना.”

रोहित आ गया अपने रूम में और छोटी सी भूल पढ़ने बैठ गया. “आज ख़तम कर दूँगा मैं ये कहानी. सबने मेरे से पहले पढ़ ली.. ….. आज ख़तम करके रहूँगा.”

12 बजे बैठा था रोहित और 3 बजे तक पढ़ता रहा. पढ़ते वक्त उसकी आँखे नम थी. शायद कहानी ही कुछ ऐसी थी. पढ़ने के बाद चुपचाप सो गया.

सुबह 6 बजे उठ गया रोहित. 7 बजे जैसे तैसे पिंकी को देल्ही रवाना किया. बिल्कुल नही जाना चाहती थी पिंकी कही भी. मगर रोहित के आगे उसकी एक नही चली.

सुबह 11 बजे रोहित समशान घाट में था. पद्‍मिनी के पेरेंट्स का अंतिम शंसकार हो रहा था.

रोहित चुपचाप खड़ा हो गया पद्‍मिनी के पास. कुछ बोल नही पाया. हेमंत (गब्बर) भी पास में ही खड़ा था. राज शर्मा कुछ दूरी पर खड़ा था. पद्‍मिनी को परेशान नही करना चाहता था वो. इसलिए उस से दूर ही रहा. मोहित को भी बुला लिया था राज शर्मा ने फोन करके. वो भी राज शर्मा के पास ही खड़ा था.

अपने पेरेंट्स की चिता को देखते हुए पद्‍मिनी की आँखे टपक रही थी. पद्‍मिनी की नज़र मोहित पर गयी तो वो आई उसके पास और बोली, “देखो तुम्हारे उस दिन के खेल ने क्या कहर ढा दिया मेरी जिंदगी में. सब तुम्हारे कारण हुआ है. चले जाओ तुम यहाँ से. तुम्हे यहाँ किसने बुलाया है.”

मोहित ने कुछ नही कहा. वो चुपचाप नज़रे झुकाए खड़ा रहा.

“मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी.” पद्‍मिनी फूट फूट कर रोने लगी. पद्‍मिनी की चाची ने उसे रोते देखा तो उसे गले से लगा लिया. “बस पद्‍मिनी बस.”

बहुत ही दुख भरा माहॉल था वहाँ. जलती हुई चिता के साथ साथ कयि सारी ख़ुसीया, सपने, उम्मीदे भी जल रही थी. अपने किसी करीबी की मृत्यु इंसान के अस्तितव को हिला देती है. कुछ ऐसा ही हो रहा था पद्‍मिनी के साथ. वक्त लगेगा उसे फिर से संभलने में. बहुत वक्त लगेगा.

पद्‍मिनी की हालत ना राज शर्मा देख पा रहा था और ना ही रोहित. दोनो बस उसे तड़प्ते हुए देख ही सकते थे. अजीब स्तिथि थी जिंदगी की ये.

शालिनी भी थी वहाँ. वो भी चुपचाप खड़ी थी. रोहित उसके पास गया और बोला, “मेडम आज मुझे छुट्टी चाहिए. मेरा मन बहुत उदास है. कुछ भी करने का मन नही है.”

“ठीक है जाओ….मगर कल और ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी तुम्हे.” शालिनी ने कहा.

“थॅंक यू मेडम.” रोहित ने कहा

हेमंत और उसके पेरेंट्स बड़ी मुस्किल से ले गये पद्‍मिनी को शमशान से. वो वहाँ से जाने को तैयार ही नही थी. घर आकर उसने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया. राज शर्मा हमेशा की तरह अपनी जीप में बैठ गया.

………………………………………………………………………………

रोहित जब घर पहुँचा तो उसे रीमा का फोन आया, “कैसे हो रोहित.”

“ठीक हूँ मैं तुम कैसी हो.”

“मैं भी ठीक हूँ. मिस कर रही हूँ तुम्हे.”

“मेरे घर आ सकती हो.”

“क्यों नही आ सकती…तुम बुलाओ तो सही.”

“आ जाओ फिर.”

“मैं कॉलेज में हूँ. बस अभी 20 मिनिट में आती हूँ तुम्हारे पास.”

“हां आ जाओ. आइ आम वेटिंग फॉर यू.”

रीमा पहुँच गयी घर 20 मिनिट में.

“ये सर पे क्या हुआ… …” रीमा हैरान रह गयी.

रोहित ने सरिता के घर की घटना सुनाई रीमा को.

“ऑम्ग क्या वो साइको था सरिता के घर में.”

“कुछ कह नही सकते अभी….मैने अपनी छ्होटी बहन को देल्ही भेज दिया है. पेरेंट्स तो पहले से ही वही हैं. मैं नही चाहता की उन्हे कुछ नुकसान पहुँचे. तुम भी कुछ दिन दूर रहना मुझसे. मैं नही चाहता की तुम्हे कुछ नुकसान पहुँचे.”

“मैं तुमसे दूर नही रह सकती. अपने बॉय फ्रेंड से भी ब्रेकप कर लिया मैने तुम्हारे लिए. तुम्हारी अडिक्षन हो गयी है मुझे.”

“ऐसा क्या हो गया रीमा”

“तुम खुद से पूछो.”

“पता है मैने छोटी सी भूल पूरी पढ़ ली रात”

“वाउ..थ्ट्स रियली ग्रेट….अब अपने व्यूस बताओ.”

“बेडरूम में चलते हैं आराम से लेट कर बात करेंगे.”

“हां बिल्कुल…वैसे आज घर पर कैसे हो?”

“यार शंसान से आया हूँ अभी. पद्‍मिनी को देख कर दिल व्यथित हो गया. कुछ करने का मन नही था. छुट्टी ले ली मैने एक दिन की.”

“अच्छा किया रोहित. कभी-कभी छुट्टी भी लेनी चाहिए.”

रीमा और रोहित बेडरूम में आ गये और एक दूसरे के सामने लेट गये.

“हां तो जानेमन अब बताओ कैसी लगी छोटी सी भूल. मैं जान-ना चाहती हूँ की मेरी फेवोवरिट स्टोरी के बारे में तुम्हारे क्या विचार हैं.”

“वाहियात स्टोरी थी पूछो मत.”

“क्या ऐसा कैसे कह सकते हो तुम.”

“और नही तो क्या… ऐसी कोई बात नही थी उसमे जो कि वो हिन्दी सेक्सी कहानियाँ पर हिट हुई.”

“मुझे तो बहुत अच्छी लगी थी खैर जाने दो …” रीमा का चेहरा उतर गया.

“रीमा मज़ाक कर रहा हूँ.. …छोटी सी भूल मेरी भी फेवोवरिट बन गयी है.”

“हद करते हो तुम भी ….”

“अच्छा सुनो मैं अपना रिव्यू देता हूँ.”

“हां बोलो मैं सुन रही हूँ.”

“छोटी सी भूल एक ऐसी कहानी है जो हमें जिंदगी का मतलब सिखाती है. ये कहानी हमारी अन्तेर आत्मा को झकज़ोर देती है. जीवन के काई पहलुओं को उजागर करती है ये कहानी. अगर आप एक नारी को समझना चाहते हैं तो ये कहानी पढ़ें. अगर आप ये जान-ना चाहते हैं कि ब्लात्कार का नारी के अस्तिताव पर कितना गहरा घाव होता है तो छोटी सी भूल ज़रूर पढ़ें. बहुत ही अच्छे से समझाया है एक औरत की भावनाओ को छोटी सी भूल ने.

ऋतु के जैसा कॅरक्टर किसी कहानी में नही देखा मैने. वो भटकती है जिंदगी में. बिल्लू की हवस का शिकार हो जाती है. बहुत गिर जाती है अपनी जिंदगी में. मगर उसके चरित्र की एक बात हमएसा उसके प्रति प्रेम जगाए रखती है. वो बात है उसका ये अहसास की वो ग़लत कर रही है, पाप कर रही है. कितने लोग हैं दुनिया में जिन्हे ये अहसास भी होता है की वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. हम कभी अपनी ग़लती स्वीकार नही करते. मगर ऋतु हमेशा स्वीकार करती है. ये उसके चरित्र की सुंदरता को दर्शाता है.

ये कहानी दिखती है की किस तरह बदले की आग किसी की जिंदगी बर्बाद कर सकती है. बिल्लू की बहन का रेप हुआ. ऋतु के हज़्बेंड ने किया रेप कुछ लोगो के साथ मिल कर. बिल्लू ने बदले की आग में ऋतु को सिड्यूस किया और उसके चरित्र को छलनी छलनी कर दिया. ये सब बातें बहुत ही एरॉटिक रूप में दिखाई गयी हैं कहानी में. ज़रूरी भी था. कहानी ही कुछ ऐसी थी. सेक्स इस कहानी का अटूट हिस्सा लगता है. क्योंकि बिल्लू सेक्स का ही सहारा लेता है संजय से बदला लेने के लिए. ऋतु को बहुत ही बुरी तरह सिड्यूस किया जाता है और उसे बर्बाद कर दिया जाता है.

ऋतु और बिल्लू दोनो को बहुत गिरते हुए दिखाया गया कहानी में. मगर कहानी कुछ और ही रूप लेती है बाद में. जतिन ने दिखाया है की जो इंसान गिरता है उसकी ही उपर उठने की भी संभावना होती है. बहुत गिरे ऋतु और बिल्लू दोनो और बाद में इतना उठे की शायद हम लोग उतना उठने की सोच भी ना पाए.

प्यार हुआ उन दोनो के बीच और ऐसा प्यार हुआ की आप रो पड़ेंगे देख कर. खूब रोया मैं रात को. इतनी सुंदर प्रेम कहानी मैने अपनी जिंदगी में नही पढ़ी.

पेज नो 79 से 89 तक प्यार का तूफान चलता है कहानी में जिसमें की आप उलझ जाते हैं और आप ना चाहते हुए भी आँसू बहाने लगते हैं. ऐसा तूफान सिर्फ़ जतिन भाई ही क्रियेट कर सकते हैं. अभी तक निकल नही पाया मैं उस तूफान से और सच पूछो तो निकलना चाहता भी नही. पता नही कितनी बार पढ़ुंगा मैं पेज 79 से 89 तक. पर ये जानता हूँ की हर बार एक बार और पढ़ने की इतचा होगी. क्या किसी रीडर के साथ कोई और कर सकता है ऐसा जतिन भाई के अलावा. कोई भी नही.

प्यार की जो उँचाई दिखाई गयी है बिल्लू और ऋतु के बीच उसे बहुत कम लोग समझेंगे. क्योंकि बहुत से लोग प्यार को समझते ही कहा हैं. ऐसी उँचाई हर कोई नही पा सकता अपनी जिंदगी में.

छोटी सी भूल एरॉटिक ब्लास्ट से शुरू हो कर प्यार के तूफान पर ख़तम होती है. इस एक लाइन में ही मेरा पूरा रिव्यू छुपा है. जो इस लाइन की गहराई को समझ लेगा वो पूरी कहानी को समझ लेगा.

आख़िर में यही कहूँगा की प्यार का संदेश है छोटी सी भूल. ये संदेश हमें कुछ इस तरह से सुनाया है जतिन भाई ने की आँखे बहने लगती है सुनते हुए. इंटरनेट पर इस कहानी से ज़्यादा सुन्दर कहानी नही मिलेगी. जतिन भाई की खुद की स्टोरीस भी शायद इस कहानी का मुक़ाबला नही कर सकती. उन सभी लोगो को छोटी सी भूल पढ़नी चाहिए जो प्यार को समझना चाहते है, जिंदगी को समझना चाहते हैं और डूब जाना चाहते हैं एक प्यारी सी दुनिया में. और क्या कहूँ…दिस ईज़ आ मस्ट रेड”

रोहित जब अपनी बात करके हटा तो उसने देखा की रीमा की आँखे नम हैं.

“अरे क्या हुआ तुम्हे?” रोहित ने पूछा.

“तुम्हारे रिव्यू ने फिर से रुला दिया. पूरी कहानी आँखो में घूम गयी.”

“मेरे दिल में जो था इस कहानी के लिए कह दिया.”

“बहुत अच्छा रिव्यू दिया है. एक बार फिर से पढ़ूंगी घर जा कर. कहानी को नये रूप में सामने रखा है तुमने.”

“ह्म्म.. आज पहली बार घर आई हो कुछ लोगि.”

“तुम पास रहो बस मेरे…और कुछ नही चाहिए.” रीमा ये बोल कर चिपक गयी रोहित से.

“क्या तुमने सच में छ्चोड़ दिया अपने बॉय फ्रेंड को मेरे लिए.”

“झूठ नही बोलती हूँ मैं.”

“ऐसा क्यों किया तुमने पर”

“मुझे नही पता … तुम्हारा साथ अच्छा लगता है बस”

“रेल बनवाने की आदत पड़ गयी क्या.”

“आज मेरी डेट्स आई हुई हैं. सेक्स के लिए नही आई हूँ यहाँ. तुम्हारे साथ के लिए आई हूँ”

“सॉरी रीमा मज़ाक कर रहा था.. ….”

“आइ लव यू रोहित.”

“क्या … क्या कहा तुमने.”

“आइ लव यू”

“रीमा हटो यार मज़ाक मत करो. मैं कुछ लाता हूँ तुम्हारे लिए.”

क्रमशः........................
Reply
01-01-2019, 12:32 PM,
#82
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--77

गतान्क से आगे.................

रीमा ने रोहित की आँखो में देखा और बोली, “आइ लव यू, क्या मज़ाक में कहता है कोई किसी को.”

रोहित रीमा को अपने से अलग कर देता है, “रीमा दिस ईज़ टू मच. दोस्त हैं हम. दोस्त ही रहेंगे. तुम्हे पता है मैं किस से प्यार करता हूँ फिर भी.”

“हां पर वो तुमसे बात तक नही करती. क्यों पीछे पड़े हो उसके. क्या पता वो किसी और को चाहती हो.”

“रीमा प्लीज़ ये सब बोलने की ज़रूरत नही है तुम्हे. अगर तुम सच में प्यार करती हो मुझे तो धन्यवाद है तुम्हारा. मगर मैं झूठ नही बोलूँगा. मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई अहसास नही है. तुम्हे धोका नही दे सकता. मैं तुम्हे दोस्त के रूप में देखता हूँ और कुछ नही.”

रीमा की आँखे टपकने लगी ये सुन कर. रोहित ने ये देख कर उसे बाहों में भर लिया और बोला, “पागल हो गयी हो तुम क्या. रो क्यों रही हो. मैने तुम्हे सच बोल दिया रीमा. झुत बोलने से फ़ायडा क्या है. कभी तुमसे प्यार हुआ तो ज़रूर कहूँगा. अभी वो अहसास नही है तो कैसे कह दूं.”

“कोई बात नही रोहित. चलो छोड़ो. लाओ कुछ खाने के लिए भूक लगी है मुझे. वैसे सच ही कहा था तुमने, बिल्लू और ऋतु के जैसा प्यार हर किसी को नसीब नही हो सकता. काश मेरी छोटी सी भूल भी प्यार में बदल जाती. मेरी तुम्हारी गाड़ी तो सेक्स पर ही रुक गयी है. एक दूसरे के शरीर से खेले और बाइ-बाइ करके चलते बने.”

“अब कैसे सम्झाउ तुम्हे.”

“कुछ समझाने की ज़रूरत नही है. चलो कुछ खाने को ले आओ. भूक लग रही है मुझे.”

“यार खाना तो बनाना पड़ेगा. ऐसा करता हूँ बाहर से मॅंगा देता हूँ.”

“नही…बाहर से क्यों मँगाओगे. मैं बना देती हूँ.”

रीमा ने प्यार से स्वदिस्त खाना बनाया.

“वाह यार बहुत अच्छा खाना बनाती हो तुम तो. मज़ा आ गया.”

रोहित मुझे कॉलेज जाना होगा. एक असाइनमेंट सब्मिट करनी थी शाम तक. वो सब्मिट करके घर चली जाउन्गि.”

“ठीक है मैं तुम्हे छोड़ दूँगा. अभी तो 2 ही बजे हैं.”

“बस अभी छ्चोड़ दो तो अतचा है. असाइनमेंट लिखनी भी तो है अभी. लाइब्ररी में बैठ कर लिख लूँगी.”

“ओके…जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”

रोहित रीमा को कॉलेज छ्चोड़ कर घर वापिस आ जाता है और बेड पर लेट जाता है. उसके दिमाग़ में रीमा की कही बाते ही घूम रही थी. जब वो उसे कॉलेज छोड़ने गया था तो रीमा रास्ते भर चुप रही थी. रोहित की जीप से उतर कर उसने रोहित को एक दर्द भारी मुस्कान से बाइ किया था.

“ओह रीमा मुझे वक्त दो. झुत नही बोल सकता था तुमसे. तुम आतची लड़की हो. सुंदर हो. काश तुमसे ही प्यार हो जाए मुझे. प्यार भी अजीब चीज़ है. जहा ढूँढते हैं वहाँ नही मिलता. जहा पाने की तम्मन्ना भी नही होती वहाँ मिल जाता है. सोचूँगा रीमा तुम्हारे बारे में. थोडा सा वक्त दो मुझे.”

सोचते-सोचते रोहित की आँख लग गयी. बहुत गहरी नींद शो गया वो. शाम के 8 बजे उसे डोर बेल ने जगा दिया.

रोहित ने घड़ी में टाइम देखा, “ऑम्ग 8 बाज गये. इतनी देर तक शोता रहा मैं. कौन है इस वक्त.”

रोहित ने दरवाजा खोला तो उसे दरवाजे पर एक लिफ़ाफ़ा पड़ा हुआ मिला. रोहित ने दायें बायें देखा पर उसे कोई दिखाई नही दिया.

रोहित ने लिफ़ाफ़ा खोला उसने जो देखा उसे देख कर उसके पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी. रीमा की फोटो थी उसमें. रीमा के शरीर पर एक भी कपड़ा नही था और उसे बेड पर बाँध रखा था. एक चिट्ठी भी थी लिफाफे में. उसमें लिखा था.

“हेलो मिस्टर पांडे,

मिलने का वक्त आ गया है. आपके किसी करीबी को ढूँढ रहा था मैं. इस लड़की को आप कॉलेज छ्चोड़ कर गये और मैं इसे उठा लाया. ऐसा कीजिए आप उसी खंदार में आ जाइए चुपचाप जहा आपको निसा और रामू की खूबसूरत डेड बॉडीस मिली थी. कोई चालाकी दिखाई तो रीमा का जो हाल करूँगा वो तो तुम जानते ही हो. और घबराना मत. मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने जा रहे हो तुम. तुम्हे फकर होगा कि तुम मेरे हाथो मारे गये. जल्दी आइए आपके लिए एक गेम तैयार है. तुम्हारे घर से बस आधे घंटे का रास्ता है. तुरंत पहुँच जाओ वरना अंजाम तुम जानते ही हो.”

रोहित के पास कुछ भी सोचने का वक्त नही था. उसे हर हाल में टाइम से खंदार पहुँचना था. उसने सोचा भी नही था की साइको रीमा को उठा लेगा उसे अपने जाल में फँसाने के लिए. रोहित ने मोबाइल निकाला एएसपी साहिबा को फोन करने के लिए. मगर तभी उसका फोन बज उठा.

“हेलो” रोहित ने कहा.

“किसे फोन कर रहे हो मिस्टर रोहित पांडे. आप से ऐसी उम्मीद नही की थी मैने. आपकी हर हरकत पर नज़र है मेरी.”

रोहित ने चारो तरफ देखा नज़रे दौड़ा कर पर कोई दिखाई नही दिया. “ज़रूर कोई कॅमरा लगा रखा है कामीने ने.” रोहित ने सोचा.

“क्या सोच रहे हो मिस्टर पांडे. लगता है रीमा कि कोई चिंता नही तुम्हे. ये मोबाइल एक तरफ फेंक दो और बिना किसी चालाकी के खंदार आ जाओ. ”

“ओके आ रहा हूँ. मेरी जीप की चाबी अंदर पड़ी है. वो तो उठा सकता हूँ ना.”

“हां उठा लो. मगर कोई चालाकी मत करना. तुम्हारे हर मूव पर नज़र है मेरी”

रोहित घर के अंदर गया और थोड़ी देर में बाहर आ गया. मगर बाहर आते ही उसने देखा कि मिनी रिपोर्टर माइक लिए खड़ी है.

“इनस्पेक्टर रोहित पांडे जी क्या आप बता सकते हैं कि ये साइको कौन हो सकता है.” मिनी ने पूछा.

“देखिए मैं इस वक्त बहुत जल्दी में हूँ. प्लीज़ अभी कुछ मत पूछिए.” रोहित अपनी जीप की तरफ बढ़ा.

“देखिए लोगो को साइको के बारे में जान-ने का पूरा हक़ है ताकि वो सतर्क रह सकें..” मिनी ने कहा.

रोहित ने आगे बढ़ कर मिनी को गले लगा लिया और बोला, “तुम्हारी जेब में एक चिट्ठी डाल रहा हूँ. एएसपी साहिबा से कॉंटॅक्ट करना. यहाँ मत पढ़ना.”

मिनी को कुछ समझ नही आया. रोहित फ़ौरन जीप ले कर निकल गया वहाँ से.

“क्यों किया उसने ऐसा …. कुछ गड़बड़ है. चिट्ठी कही और जा कर पढ़ती हूँ.” मिनी ने मन ही मन कहा.

………………………………………………………………………

रोहित फुल स्पीड से 20 मिनिट में ही पहुँच गया खंदार पर. बड़ी सावधानी से उतरा वो जीप से. हाथ में गन तान कर खंदार में घुस गया. कोई हलचल, कोई आवाज़ नही हो रही थी वहाँ. बिल्कुल सुनसान पड़ा था वो खंदार.

रोहित पूरी सतर्कता से आगे बढ़ रहा था. खंदार के हर कोने में ध्यान से देख रहा था. जब वो उसी टूटे हुए कमरे में पहुँचा जिसमे की निसा और रामू की लाश मिली थी तो उसके होश उड़ गये.

“रीमा!” रोहित चिल्लाया.

रीमा नही थी वो. कोई और थी. पीठ में खंजर गाड़ कर उसे दीवार के सहारे खड़ा कर रखा था. उसकी पीठ थी रोहित की तरफ. पहली नज़र में वो उसे रीमा ही लगी.

रोहित भाग कर आया उसके पास. उसने उस लड़की के कंधे पर हाथ रखा ही था कि उसके गले पर कोई नुकीली चीज़ आ कर गढ़ गयी. उसने तुरंत पीछे मूड कर देखा तो पाया कि एक नकाब पोश बिल्कुल उसके पीछे खड़ा है. ज़्यादा कुछ नही देख पाया वो. कुछ ही देर में वो बेहोश हो गया.

………………………………………………………………………………

मिनी ने रोहित के घर से थोड़ा दूर जाकर पढ़ी वो चिट्ठी. “ऑम्ग…साइको ने इनस्पेक्टर की गर्ल फ्रेंड को किडनॅप कर लिया …..और इनस्पेक्टर को बुलाया है खंदार में.”

मिनी के पास एएसपी साहिबा का नंबर नही था. वो तुरंर कॅमरमन को साथ लेकर थाने पहुँची और शालिनी को वो चिट्ठी दिखाई.

“ओह नो….” शालिनी ने तुरंत बेल बजाई.

एक कॉन्स्टेबल अंदर आया.

“चौहान को भेजो जल्दी अंदर…और सभी को इक्कथा होने के लिए बोलो. हमें एक ऑपरेशन पे निकलना है.”

“जी मेडम”

चौहान अंदर आया तो शालिनी ने उसे वो चिट्ठी दिखाई.

“ये रीमा कौन है…मेडम.” चौहान ने पूछा.

“ये सोचने का वक्त नही है…जल्दी से ऑपरेशन की तैयारी करो. 2 मिनिट में निकलना है हमें.”

चौहान ने कुछ ध्यान नही दिया शालिनी की बात पर और अपनी बहन रीमा को फोन मिलाया. मगर फोन स्विच्ड ऑफ मिला.

“कही ये मेरी बहन रीमा तो नही….रोहित का उस से क्या लेना देना… …”

“ये सब बाद में सोचेंगे बेवकूफ़. जल्दी से ऑपरेशन के लिए रेडी करो सबको. ये साइको बचके नही जाना चाहिए आज.” शालिनी ने दृढ़ता से कहा. “थॅंक यू मिनी. प्लीज़ अभी कुछ मत दिखना टीवी पर. और हमारे साथ भी मत आना. बहुत ख़तरा है वहाँ.”

“ख़तरा माल लेना ही हमारी जॉब है मेडम. डॉन’ट वरी अबौट मी.”

“ओक आस यू विस”

5 मिनिट बाद शालिनी पोलीस की बहुत बड़ी पार्टी ले कर निकल पड़ी खंदार की ओर.

मगर जब वो वहाँ पहुँचे तो वहाँ उन्हे बस एक लड़की की लाश मिली. जिसकी पीठ में खंजर गढ़ा था.

“ओह शूकर है ये मेरी बहन नही है.” चौहान लड़की के चेहरे को देख कर बोला.

“मगर रोहित कहा है?” शालिनी ने कहा.

“डर कर भाग गया होगा वो मेडम” चौहान ने कहा.

“पागल हो गये हो क्या तुम. बिना सोचे समझे कुछ भी बोले जा रहे हो. अच्छे से हर तरफ देखो.” शालिनी ने चौहान को डाँट दिया.

खंदार में कर तरफ देखा गया. खंदार के पीछे जो जंगल था वहाँ भी हर तरफ देखा गया. मगर रोहित का कुछ पता नही चला.

“ऐसा करो पूरा जंगल छान मारो. लगता है हमें आने में देरी हो गयी. कुछ अनहोनी की आशंका हो रही है मुझे.” शालिनी ने कहा.

पूरा जंगल भी छान लिया पोलीस ने मगर उन्हे रोहित का कुछ शुराग नही मिला. मगर फिर भी पोलीस की तलाश जारी रही.

“खंदार में बुलाया उसने रोहित को. खंदार बिल्कुल जंगल के पास है. इस जंगल में ही गड़बड़ लगती है. पर कुछ मिल क्यों नही रहा.” शालिनी प्रेशान हो रही थी.

…………………………………………………………………………….

.

रोहित की जब आँख खुली तो उसने खुद को एक बंद कमरे में पाया. तुरंत उसकी नज़र कमरे में बिछे बेड पर गयी. रीमा निर्वस्त्र पड़ी थी उसके उपर. उसके हाथ पाँव बँधे हुए थे. बिस्तर पर ही उसके कपड़े भी पड़े थे.

“रीमा!” रोहित चिल्लाया.

“रोहित प्लीज़ मुझे बचा लो. मैं मरना नही चाहती.” रीमा रोते हुए बोली.

रोहित तुरंत उठ कर रीमा के पास आया और उसके हाथ पाँव खोल दिए.

“रीमा तुम बिल्कुल चिंता मत करो…मैं हूँ ना”

“ये वही कमरा लग रहा है जो कि हमने उस ड्व्ड में देखा था.”

“हां वही है ये. बिल्कुल वही है.” रोहित ने कहा.

“बहुत खूब मिस्टर पांडे…तुमने तो मेरे कहे बिना ही गेम शुरू कर दी. मैं भी तुम्हे यही बोलना चाहता था कि रीमा के हाथ पाँव खोलो पहले.” कमरे में आवाज़ गूँज उठी. आवाज़ एक छोटे से स्पीकर से आ रही थी जो कि दीवार पर टंगा था.

“तुम चाहते क्या हो?” रोहित ने कहा.

“बहुत ही सिंपल सी गेम है. हाथ तुमने खोल ही दिए हैं रीमा के. अब इसकी गर्दन काट कर उस डब्बे में रख दो जो कि बिस्तर के पास रखा है.”

क्रमशः..............................
Reply
01-01-2019, 12:32 PM,
#83
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--78

गतान्क से आगे.................

रोहित का चेहरा गुस्से से लाल हो गया, “अच्छा क्यों ना तुम्हारी गर्दन काट कर रख दूं इस डब्बे में. अगर हिम्मत है तो आ जाओ यहाँ. खंदार में भी तुमने एक नपुंसक की तरह पीछे से वार किया. सच बता है ना तू नमार्द?”

“मिस्टर पांडे समझ सकता हूँ मैं. तुम्हारी गर्ल फ्रेंड को उठा लाया मैं. तुम गुस्से में हो. पर मैं एक आर्टिस्ट हूँ. शांति से काम करता हूँ. वैसे तुम्हारे पास इसका सर काटने के अलावा कोई चारा नही है. टीवी ऑन करके देखो समझ जाओगे….हाहहाहा”

रोहित ने टीवी ऑन किया तो उसके होश उड़ गये. “पिंकी!... कमिने तुझे मैं जिंदा नही छ्चोड़ूँगा.”

रोहित ने देखा कि पिंकी एक बंद कमरे में खड़ी है. उसके साथ एक आदमी भी खड़ा है.

“तुम्हारी बहन के साथ जो आदमी बंद है उस कमरे में वो रेपिस्ट है. कयि रेप कर चुका है. तुम तो इसे जानते ही होंगे. पोलीस इनस्पेक्टर हो तुम तो.”

रोहित उस आदमी को देखते ही पहचान गया. उसके उपर रेप के 2 केस चल रहे थे पर सज़ा नही मिल पाई थी.

“ये आदमी रेप करेगा तुम्हारी बहन का. अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी बहन रेप से बच जाए तो तुरंत काट डालो गला रीमा का. अगर ऐसा नही किया तो 5 मिनिट के बाद ये आदमी टूट पड़ेगा तुम्हारी बहन पिंकी पर. चाय्स तुम्हारी है. तुम्हे बहन की इज़्ज़त प्यारी है या अपनी गर्ल फ्रेंड की जान.”

“कमिने इसे तू गेम कहता है. साले तू इंसान है या जानवर. आजा यहाँ और आमने सामने बात कर. तेरा ये गेम खेलने का शॉंक ना भुला दिया तो मेरा नाम भी रोहित नही.”

“हाहहाहा…मज़ा आएगा. इंट्रेस्टिंग. एक मिनिट बर्बाद कर दिया तुमने. कुछ करो वरना बहन की लुट-ती हुई इज़्ज़त देखोगे.”

रोहित और रीमा दोनो ही गहरे शॉक में थे. दोनो कुछ भी नही बोल पाए. 5 मिनिट बीत गये तो उस आदमी ने पिंकी को दबोच लिया.

“कामीने छ्चोड़ उसे….”रोहित चिल्लाया.

मगर उस कमरे तक रोहित की आवाज़ कहा पहुँच सकती थी. साइको ने उस आदमी को कहा था, “अगर रेप नही कर पाए इस लड़की का तो तुम्हारी लाश जाएगी यहाँ से बाहर.” और पिंकी को उसने कहा, “अगर तुमने रेप होने दिया तो तुम्हे काट डालूँगा.”

जैसा कि उसने निसा के साथ किया था, वैसा ही वो पिंकी के साथ कर रहा था.

रीमा ने रोहित के कंधे पर हाथ रखा और बोली, “काट दो मेरा सर रोहित और रुकवा दो ये ब्लात्कार. बलात्कार मौत से भी ज़्यादा भयानक होता है.”

“चुप रहो तुम. ऐसा कुछ नही करूँगा मैं.” अचानक रोहित की नज़र रूम में लगे कॅमरा पर गयी. कॅमरा दीवार पर बहुत उपर लगा हुआ था. रोहित ने टेबल से टीवी को उठाया और उसे नीचे रख दिया.

टेबल पर चढ़ कर उसने कॅमरा को उतार लिया और पाँव के नीचे रख कर कुचल दिया.

साइको ये देख कर तिलमिला उठा और तुरंत उस कमरे की तरफ बढ़ा जिसमे रोहित और रीमा थे. उसके एक हाथ में बहुत बड़ा चाकू था और एक हाथ में बंदूक थी.

रोहित ने कॅमरा तोड़ने के बाद कमरे में जल रहे बल्ब को भी फोड़ दिया. “रीमा तुम कपड़े पहन लो और इस बेड के नीचे छुप जाओ. आता ही होगा वो साइको. पागल हो गया होगा वो ये देख कर कि मैने कॅमरा तोड़ दिया.”

रीमा फ़ौरन कपड़े पहन कर बेड के नीचे छुप गयी. टीवी पर पिंकी उस आदमी से संघर्ष कर रही थी. रोहित ने टीवी भी बंद कर दिया.

कमरे के दरवाजे के बाहर आहट हुई तो रोहित तुरंत दरवाजे के साथ दीवार से चिपक गया. अगर दरवाजा खुलता तो वो दरवाजे के पीछे रहता. कमरे में बिल्कुल अंधेरा हो गया.

दरवाजा खुला तो बाहर से कुछ रोशनी आई. बाहर भी एक बल्ब जल रहा था. साइको जैसे ही अंदर आया रोहित ने उसे दबोच लिया. मगर साइको ने तुरंत छुड़ा लुया खुद को और रोहित के पेट पर चाकू से वार किया. चाकू हल्का सा चीर कर निकल गया रोहित के पेट को.

साइको ने फाइयर किया रोहित पर मगर रोहित ने नीचे झुक कर उसकी टाँग पकड़ कर कुछ इस तरह से खींची कि वो धदाम से गिर गया फार्स पर. बहुत तेज आवाज़ हुई उसके गिरने से. सर भी टकराया था साइको का फर्श से.

रीमा बेड के नीचे से निकल आई और रोहित उसका हाथ पकड़ कर फ़ौरन कमरे से बाहर आ गया. साइको ने फाइयर किया रोहित पर मगर गोली दरवाजे पर लगी. रोहित ने बाहर आते ही दरवाजा बंद कर दिया था. कुण्डी लगा दी बाहर से रोहित ने ताकि साइको निकल ना सके.

“रोहित कैसे निकलेंगे यहाँ से.”

“चिंता मत करो…पिंकी को ढूँढते हैं पहले”

वो दोनो बात कर ही रहे थे कि उन्हे पिंकी की चींख सुनाई दी.

रोहित तुरंत दौड़ा उस कमरे की तरफ जिसमे की पिंकी बंद थी. क्योंकि उस कमरे से पिंकी के चीखने चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी इसलिए वो कमरा ढूँढने में ज़्यादा दिक्कत नही हुई.

वो कमरा बाहर से बंद था. ताला लगा था उस पर. चाबी कमरे के बाहर पड़े टेबल पर ही पड़ी थी. एक बड़ा सा चाकू भी पड़ा था टेबल पर. रोहित ने ताला खोला और चाकू उठा लिया.

रोहित अंदर आया तो देखा कि वो आदमी पिंकी को मार रहा है, “खोल टांगे साली…खोल टांगे.”

रोहित ने एक हाथ से उसकी टाँग पकड़ी और खींच लिया उसे पिंकी के उपर से. फिर बिना सोचे समझे चाकू गाढ दिया उसके सीने में.

“रेप करना तेरी हॉबी है क्यों … आज तेरा खेल ख़तम” रोहित ने कहा.

“रोहित चलो जल्दी…यहाँ से निकलते हैं.” रीमा ने कहा.

पिंकी ने फ़ौरन अपने कपड़े पहन लिए.

तुम दोनो इसी कमरे में रूको. कुण्डी लगा लो अंदर से. मैं उस साइको का काम तमाम करके आता हूँ.

“रोहित उसके पास गन है…प्लीज़ अभी निकलते हैं यहाँ से.”

“नही रीमा, आज उसे मार कर ही जाउन्गा यहाँ से. नही बचेगा अब वो”

रोहित हाथ में चाकू लेकर उस कमरे की तरफ बढ़ा जिसमे उसने साइको को बंद किया था. उसने दरवाजा खोला तो दंग रह गया. वहाँ कोई नही था.

“ऐसा कैसे हो सकता है…कहा गया वो कमीना साइको. कमरा तो बाहर से बंद था.” रोहित ने वक्त गँवाना ठीक नही समझा. उसके साथ 2 जवान लड़किया थी.

उसने फ़ौरन उस कमरे का दरवाजा बंद किया और वापिस रीमा और पिंकी के पास आ गया. उसने दरवाजा खड़काया, “जल्दी खोलो हमें निकलना होगा यहाँ से तुरंत.”

रीमा ने दरवाजा खोला और बोली, “क्या हुआ?”

“वो कमीना साइको कमरे में नही है…चलो जल्दी निकलते हैं यहाँ से.”

तभी उन्हे कदमो की आहट सुनाई दी.

“कौन है वहाँ अपने हाथ उपर करो”

“अरे ये तो एएसपी साहिबा की आवाज़ है” रोहित ने कहा.

“मेडम मैं हूँ रोहित….” रोहित चिल्लाया.

शालिनी के साथ पूरी पोलीस घुस आई थी वहाँ.

“तुम ठीक तो हो ना रोहित?” शालिनी ने पूछा.

“हां मैं ठीक हूँ पर वो साइको हाथ से निकल गया आज फिर … पोलीस को आस पास चारो तरफ फैला दीजिए…वो ज़रूर कही आस पास ही होगा.” रोहित ने कहा.

चौहान थोड़ा पीछे था इसलिए अपनी बहन को नही पहचान पाया. जब वो वहाँ पहुँचा तो हैरान रह गया. रीमा तुम.. …तुम यहाँ क्या कर रही हो .”

रीमा की तो साँस अटक गयी. कुछ भी नही बोल पाई.

“सर रीमा को साइको उठा लाया था…इसलिए ये यहाँ है.” रोहित ने बात को संभालने की कोशिस की.

“तुम कैसे जानते हो रीमा को .. … …”

“ट्रेन में मुलाक़ात हुई थी इनसे. आप घबराए मत हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त हैं.” रोहित ने मुस्कुराते हुए कहा.

“ये वक्त है क्या ये सब बाते करने का.” शालिनी ने दोनो को डाँट दिया.

“सॉरी मेडम” रोहित ने कहा.

चौहान बस दाँत भींच कर रह गया. उसने रीमा को गुस्से से घूर कर देखा. रीमा ने डर के मारे नज़रे झुका ली.

“चौहान तुम एक पार्टी लेकर तुरंत जंगल को कवर करो. ये साइको यही कही होना चाहिए.”

“जी मेडम” चौहान ने कहा और रोहित को घूरता हुआ वहाँ से चला गया. उसकी आँखो से आग बरस रही थी.

“मेडम मैने साइको को कमरे में बंद कर दिया था. मगर अब वो वहाँ नही है. चलिए उसी कमरे को ठीक से देखते हैं.”

“हां बिल्कुल” शालिनी ने 2 कॉन्स्टेबल रीमा और पिंकी के साथ छ्चोड़ दिए और रोहित के साथ उस कमरे की तरफ चल दी जिसमे की रोहित ने साइको को बंद किया था. साथ में 4 गन्मन भी थे.

वो दरवाजे की कुण्डी खोल कर अंदर घुसे तो उन्हे कमरा खाली मिला.

“ऐसा कैसे हो सकता है, वो बंद कमरे से गायब कैसे हो गया. ज़रूर कोई ख़ुफ़िया रास्ता या शुरंग है यहाँ.” शालिनी ने कहा.

“सही कहा मेडम मुझे भी यही लगता है.” रोहित ने कहा.

“ये बेड एक तरफ सरकाओ” शालिनी ने कॉन्स्टेबल्स को कहा.

बेड एक तरफ सरकाया गया तो उन्हे एक ख़ुफ़िया रास्ता मिला. “हटाओ ये पत्थर” शालिनी ने कहा.

पत्थर हटाया गया तो उनका शक यकीन में बदल गया, “ये कोई शुरंग लगती है. तहखाना भी हो सकता है.”

“मेडम आप मुझे अपनी पिस्टल दीजिए. मैं जा कर देखता हूँ.”

शालिनी ने अपनी पिस्टल रोहित को दे दी और वो उतर गया उस छोटी सी खिड़की में एक टॉर्च ले कर. अंदर झाँक कर वो बोला, “मेडम ये तो बहुत बड़ी शुरंग लगती है.” रोहित ने कहा.

रोहित के पीछे पीछे काफ़ी पोलीस वाले अंदर घुस गये. शालिनी भी अंदर घुस गयी. वो आगे बढ़ते गये शुरंग में पर उन्हे साइको का कोई शुराग नही मिला. वो जंगल के बीचो-बीच घनी झाड़ियों में जाकर बाहर निकले.

“बहुत शातिर दिमाग़ है ये साइको. क्या ठिकाना बना रखा है. जंगल में ये घर कब और किसने बनाए होंगे वो भी अंडरग्राउंड.”

“क्या जहा से हम आए है क्या वो जगह अंडरग्राउंड है.” रोहित ने कहा.

“हां…बहुत मुस्किल से मिली वो हमें. घनी झाड़ियों में एक छोटी सी गुफा में एक छोटा सा दरवाजा था जहा से हम सब वहाँ पहुँचे.”

“मतलब कि हमारा शक सही था. हम सही सोच रहे थे कि जंगल में कुछ गड़बड़ है.”

“हां पर वो साइको तो निकल गया ना हाथ से फिर से.” शालिनी ने कहा.

“मुझसे ही ग़लती हो गयी. पर मैं क्या करता. मेरा पूरा ध्यान पिंकी और रीमा को शूरक्षित रखने पर था.”

शालिनी ने गहरी साँस ली और बोली, “लीव इट.”

वहाँ हर तरफ तलास की गयी मगर साइको का कुछ पता नही चला. रोहित और शालिनी शुरंग के ज़रिए वापिस उसी कमरे में पहुँच गये. उस जगह को अच्छे से देखा गया. पर वहाँ ऐसा कोई शुराग नही मिला जिस से उन्हे साइको को ढूँढने में मदद मिले. उस जगह को शील बंद कर दिया गया. जंगल को पूरी तरह छाना गया पर वहाँ भी साइको का कुछ पता नही चला.

“वो भाग गया होगा पोलीस को देख कर.” रोहित ने कहा.

“हां यही लगता है.” शालिनी ने कहा.

………………………………………………………………………………
Reply
01-01-2019, 12:32 PM,
#84
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--79

गतान्क से आगे.................

चौहान रीमा को लेकर घर पहुँचा. रात के 2 बज गये थे. रास्ते भर उसने रीमा से कोई बात नही की.

घर आ कर उसने रीमा के मूह पर ज़ोर से थप्पड़ मारा, “बता क्या रिश्ता है तेरा उस रोहित पांडे से. कैसे जानता है वो तुझे.”

“हम अच्छे दोस्त हैं, भैया.” रीमा गिड़गिडाई.

“कब बने दोस्त तुम दोनो.”

“कुछ दिन पहले ट्रेन में मिला था वो मुझसे जब मैं बुवा के घर से आ रही थी.”

“अच्छा इतनी जल्दी वो फ्रेंड भी बन गया तेरा. इतनी आज़ादी दे रखी है मैने तुझे और तू फ़ायडा उठा रही है.”

रीमा कुछ नही बोल पाई.

“चल दफ़ा हो जा मेरी नज़रो के सामने से. जल्दी तेरी शादी करके तुझे यहाँ से दफ़ा कर दूँगा. अगले हफ्ते तुझे देखने आ रहे हैं लड़के वाले.”

“भैया अभी तो मैं पढ़ रही हूँ.”

“हां देख रहा हूँ कि कितना पढ़ रही है. चल जा अपने कमरे में. एक ,दो महीने के अंदर ही शादी करवा दूँगा तुम्हारी.”

रीमा सुबक्ते हुए अपने कमरे में आ गयी और गिर गयी बिस्तर पर. दिल घबरा रहा था उसका शादी के नाम से.

…………………………………………………………………………

रोहित भी पिंकी के साथ लेकर घर की तरफ चल दिया.

रास्ते में पिंकी ने रोहित को बताया कि कैसे साइको उसे जंगल में ले गया था.

“सुबह सुबह सड़क सुन्शान थी. अचानक हमारी कार के आगे उसने अपनी कार लगा दी और हमें रुकने पर मजबूर कर दिया. नकाब पहन रखा था उसने. ड्राइवर को गोली मार दी उसने और मुझे कुछ सूँघा कर वहाँ जंगल ले गया.”

“इसीलिए मैं तुझे यहाँ से दूर भेज रहा था. कोई बात नही जो हुआ सो हुआ. मैं कल खुद छ्चोड़ कर आउन्गा देल्ही. अब अकेला नही भेजूँगा तुझे. ” रोहित ने कहा.

अगले दिन सुबह 8 बजे रोहित पिंकी को लेकर देल्ही चल दिया. आने, जाने की टॅक्सी बुक कर ली थी उसने.

………………………………………………………………………

पद्‍मिनी के चाचा चाची सुबह सेवेरे ही निकल दिए देल्ही के लिए. पद्‍मिनी के चाचा का देल्ही में किड्नी का ऑपरेशन होना था जिसके लिए उन्हे वहाँ पहुँचना ज़रूरी था. गब्बर को भी उनके साथ ही जाना था. क्रिटिकल सिचुयेशन थी, ऑपरेशन में डेले नही कर सकते थे. वो बोल रहे थे पद्‍मिनी को भी साथ चलने के लिए और उनके साथ ही रहने के लिए. मगर उसने मना कर दिया, “मैं इस घर को छ्चोड़ कर नही जाउन्गि. मम्मी पापा की यादें हैं यहाँ. और वैसे भी भागने से फ़ायडा क्या है. मौत अगर लिखी है तो कही भी आ सकती है.”

सुबह 8 बजे निकले थे वो लोग और पद्‍मिनी उन्हे सी ऑफ करने बाहर तक आई थी. उन्हे सी ऑफ करने के बाद जैसे ही पद्‍मिनी वापिस मूडी घर में जाने के लिए राज शर्मा ने पद्‍मिनी को आवाज़ दी, “पद्‍मिनी जी!”

पद्‍मिनी रुक गयी और पीछे मूड कर देखा. राज शर्मा उसकी तरफ बढ़ रहा था. राज शर्मा उसके पास पहुँच कर बोला, “कैसी हैं आप अब?”

“जिंदा हूँ”

“समझ नही आता कि क्या करूँ आपके लिए.”

“तुम्हे कुछ करने की ज़रूरत नही है.” पद्‍मिनी ने कहा और अपने घर में घुस कर कुण्डी लगा ली और दरवाजे पर खड़ी हो कर सुबकने लगी, “तुमने कौन सा कसर छ्चोड़ी है मुझे परेशान करने की.”

राज शर्मा खड़ा रहा चुपचाप. कर भी क्या सकता था. “मैं भी पागल हूँ. जब पता है कि वो मेरी बात से परेशान ही होती हैं फिर क्यों…और परेशान करता हूँ उन्हे.” राज शर्मा वापिस जीप में आकर बैठ गया चुपचाप.

………………………………………………………………………………

….

सुबह 9 बजे ही तैयार हो गया मोहित आज. पूजा के साथ घूमने जो जा रहा था वो.

“कहाँ मिलना है, इस बारे में तो बात ही नही हुई पूजा से. सीधा घर चला जाउ क्या उसे लेने.” मोहित ने सोचा.

“नही..नही..कही नगमा कोई पंगा ना कर दे. शायद पूजा वही बस स्टॉप पर ही मिलेगी.”

जैसा की मोहित ने सोचा था, पूजा उसे बस स्टॉप पर ही मिली.

मोहित को बाइक पर आते देख उसके होंटो पर मुस्कान बिखर गयी. पर अगले ही पल वो उदास भी हो गयी.

मोहित ने उसके सामने बाइक रोकी और बोला, “क्या हुआ पहले मुस्कुराइ और फिर चेहरा लटका लिया.कोई प्राब्लम है क्या पूजा.”

“हां वो पिता जी की तबीयत खराब है कल शाम से. दीदी अकेली परेशान हो रही है. ऐसे में घूमने कैसे जाउ तुम्हारे साथ.”

“ओह…इसमे परेशान होने की कौन सी बात है पूजा. घूमने फिर कभी चलेंगे. तुम घर जाओ और पिता जी की सेवा करो.”

“कॉलेज में एक इंपॉर्टेंट लेक्चर है वो अटेंड करके आ जाउन्गि.”

“गुड, आओ बैठ जाओ, छ्चोड़ देता हूँ तुम्हे कॉलेज मैं.” मोहित ने कहा.

“नही मैं चली जाउन्गि…तुम ड्यूटी के लिए लेट हो जाओगे.”

“हो जाने दो लेट. तुम्हे कॉलेज छ्चोड़े बिना कही नही जाउन्गा. बैठ जाओ प्लीज़ और आज फिर अपना सर रख लेना मेरे कंधे पर. बहुत अतचा लगा था कल जब तुमने सर रखा था मेरे कंधे पर. बहुत रोमॅंटिक फील हो रहा था मुझे.”

“अच्छा…वो तो यू ही रख दिया था मैने, सर में दर्द हो रहा था कल.”

“अच्छा बैठो तो”

पूजा बैठ गयी और जैसे ही मोहित बाइक ले कर आगे बढ़ा पूजा ने सर टिका दिया उसके कंधे पर.

“सर में दर्द हो रहा है ?” मोहित ने पूछा.

“हां, तुम्हे कैसे पता.”

“क्योंकि जैसा कल फील हो रहा था मुझे वैसा ही आज भी फील हो रहा है. हटाना मत सर अपना कॉलेज तक”

“मोहित, तुम्हे बुरा तो नही लगा ना कि मैं आज भी नही चल रही तुम्हारे साथ.”

“पागल हो क्या बुरा क्यों लगेगा. वैसे मेरा मन भी कल से खराब है. कल शमसान गया था पद्‍मिनी के पेरेंट्स के अंतिम संस्कार पर. कल से मन बहुत खराब हो रहा है. बहुत बुरी तरह से कतल किया साइको ने उनका.”

“आख़िर ये साइको पकड़ा क्यों नही जा रहा मोहित.”

“बहुत चालाक है ये साइको पूजा. मगर पकड़ा जाएगा एक ना एक दिन वो. कब तक बचेगा. ”

“हां वो तो है.

बातो बातो में कॉलेज आ गया. मोहित ने बाइक रोक दी गेट के बाहर और पूजा उतर गयी बाइक से.

“पूजा हमेशा ख्याल रखना अपना. सुनसान जगह पर कभी मत जाना. हमेशा ग्रूप में रहना. मेरे लिए अपना ख्याल रखना.”

“तुम्हारे लिए क्यों.”

“क्योंकि मेरी जिंदगी हो तुम.”

“हटो जाओ तुम.” पूजा शर्मा गयी.

“अरे सच कह रहा हूँ. तुम सच में मेरी जिंदगी हो. तुम्हारे बिना नही जी सकता मैं.”

“अच्छा…जाओ लेट हो जाओगे. मेरे भी लेक्चर का टाइम होने वाला है.”

“ओह हां तुम निकलो. बाइ. टेक केर.”

पूजा कॉलेज के अंदर चली गयी और मोहित अपने ऑफीस की तरफ चल दिया.

जब वो ऑफीस पहुँचा तो उसके कमरे के बाहर एक खुब्शुरत लेडी बैठी थी कुर्सी पर.

“आप का परिचाय.”

“मेरा नाम दीपिका है. मुझे आपके बॉस ने आपसे मिलने को कहा है. मैं गौरव मेहरा की बीवी हूँ.”

“ओह हां याद आया. प्लीज़ कम इन.” मोहित ने कहा.

मोहित कमरे में घुस गया. पीछे पीछे दीपिका भी आ गयी.

मोहित के बैठते ही वो उसके सामने बैठ गयी. दीपिका ने जीन्स और टॉप पहना हुआ था. टॉप कुछ इस तरह का था कि उसके बूब्स को वो बहुत अच्छे से बाहर की हवा दे रहा था . ना चाहते हुए भी मोहित की निगाह चली गयी उसके बूब्स पर. बस निपल्स छुपे हुए थे अंदर वरना तो सब कुछ बाहर ही था .

“ठर्कि लगती है ये एक नंबर की. जानबूझ कर दिखा रही है अपना समान. सुबह सुबह इसे ही आना था ऑफीस.”

“आपके बॉस ने आपको बता ही दिया होगा सब कुछ.” दीपिका ने कहा.

“जी हां बता दिया है. तो आपको लगता है कि आपके पति के किसी लड़की के साथ नज़ायज़ संबंध हैं और आपको सबूत चाहिए ताकि आप तलाक़ के लिए कोर्ट में जा सकें. ईज़ दट राइट.”

“यस आब्सोल्यूट्ली.”

“ठीक है आज से ही काम शुरू हो जाएगा.”

“टोटल कितनी पेमेंट करनी होगी मुझे.”

“उसके बारे में आप बॉस से बात कर लीजिए. मैं वो मॅटर्स हॅंडल नही करता.” मोहित ने कहा.

“थॅंक यू वेरी मच. मुझे जल्द से जल्द कुछ सबूत चाहिए. मैं उस वहशी के साथ नही रह सकती. आप मेरे कपड़े देख रहे हैं. बहुत रिवीलिंग हैं ना.”

मोहित के समझ में नही आया कि वो क्या कहना चाहती है. “क्या मतलब ..”

“मेरा पति मुझे रिवीलिंग कपड़े पहनाता है. उसे अच्छा लगता है जब दुनिया मुझे ऐसे कपड़ो में देखती है. ये टॉप जो आप देख रहे हैं कल ही लाकर दिया उन्होने. उनकी चाय्स के अनुसार कपड़े पहन-ने होते हैं मुझे.”

“ओह..वेरी बॅड.”

“आपको ये सब बताया क्योंकि आप मेरी छाती को देख रहे थे और शायद मुझे ग़लत समझ रहे थे. मेरे पास कोई भी चारा नही होता है ये कपड़े पहन-ने के सिवा. मुझे उनसे तलाक़ चाहिए और बिना सबूत के तलाक़ मिलेगा नही. उनके काई औरतो से संबंध हैं लेकिन अधिकतर वो कामिनी के साथ रहते हैं. आप इन्वेस्टिगेशन करेंगे तो सब जान जाएँगे. मैं चलती हूँ.” दीपिका उठ कर चली गयी.

मोहित तो देखता ही रह गया उसे. बहुत ही अजीब सा कुछ कहा था उसने. “क्या ऐसा हो सकता है शायद हो भी सकता है. एक से बढ़कर एक नमूने हैं दुनिया में.”

मोहित अपने सीक्रेट इंत्रुएमेंट्स लेकर निकल पड़ा. एक तो बड़ा कॅमरा था उसके पास जो कि विज़िबल था. एक सीक्रेट कॅमरा उसकी पेन में भी था जो कि किसी को दिखता नही था .

मोहित ने इंक्वाइरी की तो पता चला की दीपिका सही कह रही थी. गौरव मेहरा अमीर था और खूब पैसे वाला था. बहुत सारे शॉंक पाल रखे थे उसने. उसका ज़्यादा तर कामिनी से ही मिलना जुलना रहता था. मोहित ने कामिनी का अड्रेस पता किया और पहुँच गया उसके घर. वो एक बड़े से फ्लॅट में अकेली रहती थी. फ्लॅट उसे गौरव मेहरा ने ही लेकर दिया था. मोहित उसके घर पहुँचा. दरवाजे पर कान लगा कर देखा तो पाया कि अंदर से कुछ आवाज़े आ रही हैं. आवाज़े कुछ इस तरह की थी जिस तरह कि काम-क्रीड़ा के वक्त निकलती हैं

लॉक खोलने में तो मोहित माहिर था ही. खोल कर घुस गया चुपचाप अंदर.

“आअहह चूस ये लंड. अच्छे से चूस.”

मोहित उस बेडरूम की तरफ बढ़ा जहा से आवाज़ आ रही थी. कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला था. क्योंकि मैं दरवाजा बंद था इसलिए बेडरूम का दरवाजा बंद करना भूल गये थे शायद वो लोग.

मोहित ने झाँक कर देखा तो दंग रह गया. अंदर कामिनी के साथ गौरव मेहरा नही बल्कि उसका छोटा भाई संजीव मेहरा था. दीपिका मोहित को परिवार के लोगो की फोटो दे गयी थी इसलिए उसने संजीव को पहचान लिया था.

“भैया की रखैल को चोदने का मज़ा ही कुछ और है.” संजीव ने कहा.

क्रमशः..............................
Reply
01-01-2019, 12:32 PM,
#85
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--80

गतान्क से आगे.................

मोहित वहाँ से जाने ही वाला था कि उसे कुछ हलचल सुनाई दी अपने पीछे. उसने मूड कर देखा तो पाया कि एक लड़की बिल्कुल नंगी उसकी तरफ बढ़ रही है.

उसने इसारो में पूछा, “कौन हो तुम.”

मोहित थोड़ा घबरा गया फिर उस लड़की के पास आया और बोला, “कामिनी जी से मिलने आया था पर वो अभी बिज़ी है. बाद में आउन्गा.”

“मैं तो बिज़ी नही हूँ. मुझे बता दीजिए.”

“आप कौन हैं.”

“मेरा नाम कुमकुम है.” उस लड़की ने कहा और मोहित का लिंग पकड़ लिया.

“देखिए मैं इस काम के लिए नही आया था.”

“कोई बात नही आ गये हैं तो ये काम भी हो जाए.”

“जी नही माफ़ कीजिए.” मोहित उसे झटका दे कर वहाँ से बाहर आ गया.

“उफ्फ क्या मुसीबत है. इन्वेस्टिगेशन करनी कितनी मुस्किल होती है .” मोहित वहाँ से झटपट निकल लिया.

कुमकुम उस बेडरूम में घुस गयी जिसमे कामिनी और कुमकुम थे.

“कुमकुम तू कहाँ घूम रही है. चल कामिनी के साथ मिल कर तू भी सक कर.”

“तुम्हारे भैया को पता चल गया ना तो हमारा खून सक कर लेंगे वो.” कुमकुम ने मुस्कुराते हुए कहा.

“भैया तो अपनी दुनिया में खोए रहते हैं आजकल. उन्हे कुछ पता नही चलेगा.”

कुमकुम पास आ गयी और कामिनी के पास बैठ कर वो संजीव की बॉल्स को सक करने लगी. कामिनी उसके लिंग को चूस रही थी और कुमकुम उसकी बॉल्स को.

“आअहह गुड डबल धमाका” संजीव ने कहा

कुछ देर तक वो यू ही सक करते रहे.

“पहले कौन डलवाएगा.” संजीव ने पूछा.

“हम दोनो तैयार हैं. तुम ही तैय करो किसके अंदर डालना है.” कामिनी ने हंसते हुए कहा.

संजीव ने कामिनी को बिस्तर पर पटका और चढ़ गया उसके उपर. एक झटके में उसने पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया.

“आअहह” कामिनी कराह उठी.

“तुम भी पास में लेट जाओ. एक साथ दोनो की लूँगा” संजीव ने कहा.

कुमकुम लेट गयी कामिनी के बाजू में. कुछ देर संजीव कामिनी के अंदर धक्के मारता रहा. फिर उसने अचानक लंड निकाला बाहर और कुमकुम के उपर चढ़ गया और उसकी चूत में लंड घुसा दिया.

“आअहह एस…ऊओह संजीव.” कुमकुम कराह उठी.

संजीव का एक हाथ कामिनी के उनहारो को मसल रहा था और एक हाथ कुमकुम के उभारो को मसल रहा था. पर कुमकुम की चूत में लंड पूरी रफ़्तार से घूम रहा था.

कुछ देर कुमकुम की चूत का आनंद लेने के बाद संजीव वापिस कामिनी पर चढ़ गया और पूरी रफ़्तार से फक्किंग करने लगा. जल्दी ही वो ढेर हो गया कामिनी के उपर. कामिनी भी बह गयी उसके साथ ही.

“मेरा क्या होगा अब. तुम दोनो का तो ऑर्गॅज़म हो गया. मेरे ऑर्गॅज़म का क्या.”

“बस अभी थोड़ी देर में तैयार हो जाउन्गा.”

मोहित भाग कर अपनी बाइक स्टार्ट करने लगा तो उसने देखा कि फ्लॅट के बाहर एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आकर रुकी है. उसमे से गौरव मेहरा निकला और सीधा कामिनी के फ्लॅट की तरफ बढ़ा.

“कुछ गड़बड़ होने वाली है इस फ्लॅट में आज.” मोहित ने मन ही मन सोचा.

गौरव मेहरा के पास मास्टर की थी फ्लॅट की. लॉक खोल कर सीधा बेडरूम में आ गया. जब वो वहाँ पहुँचा तो संजीव के साथ कामिनी और कुमकुम आँखे मिचे पड़ी थी.

“बहुत बढ़िया.” गौरव मेहरा ने कहा.

“गौरव …” कामिनी और कुमकुम दोनो ने एक साथ कहा.

गौरव ने बंदूक तान दी कामिनी की तरफ.

“गौरव प्लीज़..मेरी बात……”

आगे कुछ नही बोल पाई कामिनी क्योंकि गोली उसके सर में लगी सीधी. गजब का निशाना था गौरव का.

“भैया प्लीज़…” संजीव गिड़गिदाया.

गौरव ने कामिनी को शूट करने के बाद कुमकुम पर बंदूक तान दी.

“नही गौरव मेरी बात….”

गोली उसके भी सर के आर-पार हो गयी.

“चल निकल यहाँ से वरना तुझे भी मार डालूँगा.” गौरव ने कहा.

संविव ने फ़ौरन कपड़े पहने और चुपचाप वहाँ से निकल गया. गौरव भी फ्लॅट को लॉक करके वहाँ से निकल गया.

मोहित संजीव और गौरव के जाने के बाद चुपचाप फ्लॅट में घुसा. जब वो बेडरूम में पहुँचा तो दंग रह गया.

“ओह माइ गॉड… दोनो को मार दिया उसने. अपने भाई को क्यों नही मारा.” मोहित ने कहा.

मोहित ने ज़्यादा देर वहाँ रुकना ठीक नही समझा और फ़ौरन वहाँ से निकल गया. उसने ये बात फ़ौरन रोहित को फोन करके बताई.

“दोनो लड़कियों को गोली मार दी उसने. ब्लॅक स्कॉर्पियो भी है उसके पास.”

“ह्म्म मुझे पता है कि ब्लॅक स्कॉर्पियो है उसके पास. मैं अभी देल्ही पहुँचा हूँ. अपनी बहन को यहाँ छ्चोड़ने आया था. आ कर देखता हूँ कि क्या माजरा है.”

रोहित देल्ही से लौट-ते ही उस फ्लॅट पर गया. मगर उसे वहाँ कोई लाश नही मिली. मोहित भी उसके साथ ही था.

“सर मैने अपनी आँखो से देखी थी दोनो लड़कियों की लाश”

“इसका मतलब गायब कर दी उसने डेड बॉडीस. इस घटना के बाद ये गौरव मेहरा प्राइम सस्पेक्ट बन गया है.”

“बिल्कुल सर. और उसके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो भी है.” मोहित ने रोहित को दीपिका की कही बाते भी बता दी.

“ये सब सुन के तो ये गौरव मेहरा ही साइको लगता है.”

रोहित को कतल का कोई नामो निशान तक नही मिला था उस फ्लॅट में.

"मोहित, तुम्हारे पास गौरव मेहरा और उसके भाई की फोटो है ना?"

"जी हां हैं."

"एक-एक कॉपी मुझे दे दो. पद्‍मिनी से सिनाक्त करवा लेता हूँ. ये दोनो भाई किसी साइको से कम नही हैं."

मोहित ने स्नॅप्स रोहित को दे दी.

"गौरव मेहरा से बाद में मिलूँगा पहले ये स्नॅप्स पद्‍मिनी को दिखा कर आता हूँ."

"आज़ यू विस" मोहित ने कहा.

रोहित वो स्नॅप्स ले कर सीधा पद्‍मिनी के घर पहुँच गया. उसने वो स्नॅप्स राज शर्मा को थमा दी और बोला,"ये स्नॅप्स पद्‍मिनी को दिखाओ और पूछो कि क्या इनमे से कोई साइको है."

"सर वो अभी बहुत परेशान है. किसी से कोई भी बात नही करना चाहती वो."

"मैं समझ रहा हूँ पर हम हाथ पर हाथ रख कर नही बैठ सकते. पद्‍मिनी से रिक्वेस्ट करो वो मान जाएगी. उसे बस ये स्नॅप्स देख कर हां या ना में ही तो जवाब देना है. जाओ ट्राइ करो जा कर."

राज शर्मा स्नॅप्स ले कर घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उस वक्त रात के 10 बज रहे थे. राज शर्मा को डर लग रहा था दरवाजा खड़काते हुए. मगर उसने खड़का ही दिया.

"क्या है अब?" पद्‍मिनी ने पूछा

"रोहित सर कुछ स्नॅप्स लाए हैं. देख लीजिए हो सकता है इनमे से कोई साइको हो." राज शर्मा ने स्नॅप्स पद्‍मिनी की तरफ बढ़ाते हुए कहा.

पद्‍मिनी ने स्नॅप्स पकड़ ली और गौर से देखने लगी. कुछ कन्फ्यूज़्ड सी हो गयी वो गौरव मेहरा की स्नॅप्स देखते हुए. रोहित दूर से पद्‍मिनी के रिक्षन को अब्ज़र्व कर रहा था. पद्‍मिनी को कन्फ्यूज़्ड अवस्था में देख कर वो तुरंत पद्‍मिनी के पास आया और बोला, क्या हुआ पद्‍मिनी, क्या यही साइको है"

"मैं ठीक से कुछ नही कह सकती. मुझे लगता है अब मैं उसका चेहरा भूल चुकी हूँ."

"क्या ... ...ऐसा कैसे हो सकता है."

"मुझे जो लग रहा है मैने बोल दिया. वैसे भी डरी हुई थी मैं उस वक्त. उसका चेहरा मुझे हल्का हल्का याद रहा. मगर अब सब धुंधला धुंधला हो गया है."

"ओह नो पद्‍मिनी ...अगर ऐसा है तो हमारा काम और भी मुस्किल हो जाएगा." रोहित ने कहा.

"मेरा दिमाग़ मेरे बस में नही है. सब खो गया है...बिखर गया है. अब इंतेज़ार है तो बस इस बात का कि वो साइको मुझे भी मार दे आकर ताकि मुझे इस जिंदगी से छुटकारा मिले." ये कह कर दरवाजा पटक दिया उसने.

रोहित और राज शर्मा एक दूसरे को देखते रह गये.

"अब क्या होगा सर"

"पद्‍मिनी ट्रौमा में है. ऐसे में मेमोरी लॉस हो जाना स्वाभाविक है. वैसे भी एक झलक ही तो देखी थी उसने साइको की. कोई बात नही. अब कुछ और सोचना होगा."

वो दोनो बाते कर ही रहे थे कि एक कार रुकी घर के बाहर. उसमे से एक व्यक्ति निकला और घर की तरफ बढ़ा.

मगर गन्मन ने उसे पीछे ही रोक लिया. रोहित और राज शर्मा उसके पास आ गये. रोहित ने पूछा, "किस से मिलना है आपको."

"मुझे पद्‍मिनी से मिलना है."

"क्यों मिलना है?"

"शी ईज़ माइ वाइफ. आपको बताने की ज़रूरत नही है कि क्यों मिलना है."

“क्या …” राज शर्मा और रोहित एक साथ बोले.

राज शर्मा और रोहित दोनो ही शॉक्ड हो गये पद्‍मिनी के हज़्बेंड को देख कर.

वो देखते रहे और वो घर की तरफ बढ़ गया.

“एक मिनिट…तुम्हारे पास क्या सबूत है की तुम पद्‍मिनिन के पति हो.” रोहित ने पूछा.

“पद्‍मिनी बता देगी अभी. उस से मिल तो लेने दो.”

“ह्म्म ठीक है…आओ.” रोहित ने कहा.

सुरेश रोहित और राज शर्मा के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ा.

क्रमशः........................
Reply
01-01-2019, 12:32 PM,
#86
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--81

गतान्क से आगे.................

रोहित ने बेल बजाई.

“अब क्या है. मुझे परेशान क्यों…..” पद्‍मिनी बोलते बोलते रुक गयी.

“कैसी हो पद्‍मिनी.” सुरेश ने कहा.

पद्‍मिनी ने कोई जवाब नही दिया.

“पद्‍मिनी क्या ये तुम्हारा पति है.” रोहित ने पद्‍मिनी से पूछा.

“पति नही है…पति था. चले जाओ यहाँ से. मुझे तुमसे कोई बात नही करनी है.” पद्‍मिनी ने दरवाजा वापिस बंद कर दिया.

“पद्‍मिनी रूको.” सुरेश चिल्लाया और दरवाजा पीटने लगा.

“बहुत खूब. पद्‍मिनी के पेरेंट्स के बाद अब सारी जायदाद पद्‍मिनी की है. सब कुछ तुम्हे मिल सकता है, है ना. वाह. हेमंत सही कहता था. तुम सच में राइडर हो. तुम्हारी हर बात में एक राइडर छुपा होता है.”

“बकवास मत करो…मैं अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ. हमारे बीच मतभेद हैं, पर हम वो मिल जुल कर सुलझा लेंगे.”

“सुलझा लेना मगर अभी यहाँ से दफ़ा हो जाओ. पद्‍मिनी की सुरक्षा के लिए पोलीस लगी हुई है यहाँ. यहाँ कोई तमासा नही चाहता मैं. वो अभी तुमसे बात नही करना चाहती. बाद में ट्राइ करना मिस्टर राइडर.”

“मेरा नाम सुरेश है. मैं कोई राइडर नही हूँ .”

“ पता है मुझे. पर क़ानूनी भासा में आपने जो हरकत की यहाँ आकर उस से आपको राइडर ही कहा जाएगा. पद्‍मिनी के प्रति अचानक ये प्यार एक राइडर लिए हुए है. पद्‍मिनी की दौलत मिल रही है आपको…इस प्यार के नाटक के बदले…हर्ज़ ही क्या हैं क्यों ..”

“मैं तुम्हारी बकवास सुन-ने नही आया हूँ यहाँ. मिल लूँगा मैं बाद में पद्‍मिनी से. ये मेरे और उसके बीच की बात है तुम अपनी टाँग बीच में मत अड़ाओ.”

“सर ठीक कह रहे हैं मिस्टर राइडर, चले जाओ यहाँ से वरना तुम्हे साइको समझ कर एनकाउंटर कर देंगे तुम्हारा.” राज शर्मा ने कहा.

“देख लूँगा तुम दोनो को मैं.” सुरेश पाँव पटक कर चला गया.

“राज शर्मा तुम यहाँ पूरा ध्यान रखना. जब तक साइको पकड़ा नही जाता हमें पद्‍मिनी की सुरक्षा में कोई कमी नही रखनी.”

रोहित चल दिया वहाँ से थाने की तरफ अपनी जीप ले कर.

“ये पिंकी का फोन क्यों नही मिल रहा.” रोहित ने कहा.

रोहित ने एक बार फिर से ट्राइ किया. इस बार फोन मिल गया.

“हेलो पिंकी…कैसी हो तुम.”

“ठीक हूँ भैया.”

“देखो…देल्ही में माहॉल ठीक नही है आजकल. ज़्यादा इधर-उधर मत घूमना. घर पर ही रहना.”

“जी भैया मैं घर पर ही रहूंगी. आप अपना ख्याल रखना.”

पिंकी को फोन करने के बाद रोहित ने रीमा को फोन मिलाया.

“हाई जानेमन कैसी हो. अब तुम्हारे भैया को पता चल गया है. अब कैसे रेल बनाउन्गा मैं तुम्हारी… .”

फोन के दूसरी तरफ रीमा नही चौहान था. ये सुनते ही पागल हो गया वो

“साले कामीने…कुत्ते…रख फोन. आ रहा हूँ अभी थाने मैं. आज तुझे जिंदा नही छ्चोड़ूँगा. …”

रोहित के तो हाथ से फोन ही छूट गया. बात ही कुछ ऐसी थी

“अब थाने जाना ठीक नही होगा. प्राइवेट बाते सुन ली कमिने ने. चल कर इस गौरव मेहरा की खबर लेता हूँ.”

रोहित गौरव मेहरा के घर की तरफ चल दिया.

गौरव मेहरा के घर पहुँच कर उसने बेल बजाई.

एक नौकर ने दरवाजा खोला.

“यस?”

“गौरव मेहरा है घर पे.”

“जी हां हैं है.”

“बुलाओ उसे. कहो कि इनस्पेक्टर रोहित आया है. कुछ पूछताछ करनी है उस से.” रोहित ने कहा.

“आपने अपायंटमेंट ली है क्या.”

“क्या बकवास कर रहे हो. मैं इनस्पेक्टर हूँ. उस से मिलने के लिए मुझे अपायंटमेंट की कोई ज़रूरत नही है. उस से कहो की चुपचाप आ जाए मुझसे मिलने वरना घसीट कर ले जाउन्गा उसे यहाँ से.”

नौकर चला गया वहाँ से. कुछ देर बाद गौरव मेहरा आया. उसके चेहरे पर गुस्सा था.

“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बिना मेरी इज़ाज़त के यहाँ तक आने की.”

“ज़्यादा बकवास मत कर. ये बता कि कामिनी और कुमकुम कहाँ हैं.”

“कौन कामिनी और कौन कुमकुम…मैं इन्हे नही जानता.”

“अच्छा…जब थाने में ले जा कर गान्ड पे डंडे मारूँगा ना तो सब याद आ जाएगा तुझे.”

गौरव मेहरा ने तुरंत पिस्टल तान दी रोहित पर और फाइयर किया उसके सर पर. लेकिन रोहित पहले से तैयार था इस बात के लिए. झुक गया नीचे फ़ौरन और दबोच लिया गौरव मेहरा को और पिस्टल रख दी उसके सर पर.

“बाकी की बाते तो होती रहेंगी. फिलहाल तुझे पोलीस वाले पर गोली चलाने के जुर्म में गिरफ्तार करता हूँ मैं.”

रोहित गौरव मेहरा को गिरफ्तार करके थाने ले आया.

"इनस्पेक्टर बहुत बड़ी भूल कर रहे हो तुम. तुम्हे बर्बाद कर दूँगा मैं."

"अपनी चिंता कर तू, मेरी चिंता छ्चोड़ दे. और हां तैयार करले अपनी गान्ड को. डंडा ले कर आ रहा हूँ मैं. मार-मार कर लाल कर दूँगा."

"तुझे ऐसी मौत दूँगा कि तू याद रखेगा."

"याद तो तू रखेगा मुझे...चल अंदर." रोहित ने गौरव मेहरा को सलाखों के पीछे धकैल दिया और ताला लगा दिया.

"20 मिनिट हैं तुम्हारे पास. याद कर्लो कि कामिनी और कुमकुम कौन हैं और उन्हे मार कर कहाँ गायब किया है तुमने. 20 मिनिट में याद नही कर पाए अगर तो फिर मुझे मत बोलना बाद में कि क्यों डंडे मार रहे हो गान्ड पे." रोहित ये बोल कर चला गया वहाँ से.

गौरव मेहरा दाँत भींच कर रह गया.

रोहित अपने कॅबिन कें आ गया. जैसी ही वो कुर्सी पर बैठा भोलू भागता हुआ कॅबिन में आया.

"सर अभी-अभी चौहान सिर आए थे. आपको पूछ रहे थे. बहुत गुस्से में लग रहे थे वो."

"ह्म्म...अब तो नही हैं ना वो यहाँ."

"नही तभी चले गये थे."

"गुड...छोड़ो चौहान को चौहान को देख लेंगे बाद में. तुम फिलहाल अपने रेकॉर्ड्स में चेक करो. इस गौरव मेहरा का ज़रूर कोई पोलीस रेकॉर्ड होगा."

"जी सर अभी चेक करता हूँ."

भोलू ये बोल कर वहाँ से निकला ही था कि एक लेडी कमरे में घुस गयी.

"क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आपने गौरव मेहरा को क्यों गिरफ्तार किया है."

"हू आर यू, बाइ दा वे" रोहित ने पूछा.

"मैं स्वेता गुप्ता हूँ, गौरव की वकील."

"खून किए हैं उसने, वो भी 2. ये वजह काफ़ी है उसे गिरफ्तार करने की."

"शो मी अरेस्ट वॉरेंट" स्वेता गुप्ता ने कहा.

"उसने मुझ पर फाइयर किया. इसलिए उठा लाया उसे मैं यहाँ."

"ये इल्लीगल डिटेन्षन है इनस्पेक्टर."

"लीगल ओर इल्लीगल वो बाद में देखेंगे. आप यहाँ से जायें अभी."

तभी रोहित का फोन बज उठा. फोन शालिनी का था.

"यस मेडम?" रोहित ने कहा.

"रोहित, क्या तुमने गौरव मेहरा को गिरफ्तार किया है?"

"जी हां मेडम."

"क्यों अरेस्ट वॉरेंट के बिना तुम कैसे गिरफ्तार कर सकते हो उसे."

"मेडम, उसने मुझ पर फाइयर किया."

"ओह"

"इसलिए मुझे उसे उसी वक्त गिरफ्तार करना पड़ा."

"फिलहाल उसे छ्चोड़ दो. चीफ मिनिस्टर का फोन आया था मुझे अभी अभी. दुबारा पकड़ लेना उसे...मगर पूरे प्रोसीजर से."

"ठीक है मेडम, जैसा आप कहें." रोहित ने कहा.

फोन रखने के बाद रोहित ने भोलू को आवाज़ दी.

"जी सर."

"छ्चोड़ दो गौरव मेहरा को फिलहाल."

"ओके सर."

"स्वेता जी अब तो खुश हैं ना आप. पर उम्मीद है कि जल्द मुलाक़ात होगी. घसीट कर लाउन्गा मैं गौरव मेहरा को उसके घर से. वो भी वॉरेंट के साथ."

"तब की तब देखेंगे." स्वेता ने कहा.

भोलू, गौरव मेहरा को ले आया.

"क्या हुआ मिस्टर पांडे निकल गयी सारी हेकड़ी" गौरव मेहरा ने कहा.

"हाहहाहा... हेकड़ी तो तेरी निकली है बेटा...मुझे सबूत मिल जाने दे...घसीट कर लाउन्गा तुझे वापिस यही" रोहित ने कहा.

"चलो स्वेता..." गौरव ने कहा.

गौरव स्वेता को लेकर बाहर आ गया.

"सारा मूड खराब कर दिया साले ने. तुझे अब मेरा मूड ठीक करना होगा." गौरव ने कहा.

"सर मुझे एक केस के सिलसिले में देल्ही निकलना है तुरंत."

ये सुनते ही गौरव ने बाल पकड़ लिए स्वेता के और बोला, "बहाना बनाती है साली. तुझे कहा था ना कि जब मेरा मन होगा तुझे देनी पड़ेगी."

"आअहह....सॉरी सर...प्लीज़ बॉल छ्चोड़ दीजिए आअहह" स्वेता कराह उठी.

“चल बैठ जल्दी अपनी कार में. तेरे साथ ही चलूँगा मैं और खुद ड्राइव करूँगा. तेरी कार में भी राइड करूँगा और तुझे भी राइड करूँगा, साली कुतिया.”

स्वेता चुपचाप अपनी कार में बैठ गयी. गौरव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और कार स्टार्ट कर दी.

“तूने आने में इतनी देर क्यों की. तुझे पता है ना मुझे लापरवाही बिल्कुल पसंद नही है.”

“सर जैसे ही मेडम ने फोन किया मैं थाने आ गयी.”

“वो साली तो चाहती ही है कि मैं जैल चला जाउ. मुझसे छुटकारा चाहती है वो. पर मुझसे छुटकारा आसान नही. ये तो तुम भी समझ ही गयी होगी अब.” गौरव ने कहा.

“सर कहा ले जा रहे हैं आप मुझे.”

“अपने घर”

“पर घर पर तो मेडम हैं …”

“तो रहने दो. आज उसके सामने ही लूँगा तेरी. देखता हूँ कैसे रिक्ट करती है.”

गौरव स्वेता को अपने घर ले आया.

क्रमशः........................
Reply
01-01-2019, 12:32 PM,
#87
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--82

गतान्क से आगे.................

गौरव को देखते ही दीपिका उसके पास आई और बोली, “सब ठीक तो है ना.”

“नाटक बंद कर और जल्दी से बेडरूम में आजा.” गौरव ने कहा.

गौरव स्वेता का हाथ पकड़ कर बेडरूम की तरफ चल दिया. दीपिका हैरानी में देखती रही. स्वेता और दीपिका की नज़रे टकराई. दीपिका समझ गयी कि गौरव उसे ज़बरदस्ती लाया है वहाँ. दीपिका भी गौरव के पीछे पीछे बेडरूम में आ गयी.

“आप क्या करना चाहते हैं.” दीपिका ने पूछा.

“चुपचाप सोफे पर बैठ जा और कुछ सीख स्वेता से. बहुत अच्छे से देती है चूत ये. तू भी कुछ सीख ले.”

स्वेता चुपचाप खड़ी थी.

“स्वेता सोच क्या रही है. चल निकाल मेरा लंड बाहर और चूसना शुरू कर. मेरी बीवी को सकिंग नही आती. सिखा दे इसे कि सकिंग कैसे की जाती है.” गौरव ने कहा.

“सर इनके सामने मैं कैसे……” स्वेता गिड़गिडाई.

दीपिका वहाँ से जाने लगी तो गौरव ने उसे दबोच लिया और बोला, “स्वेता की चुदाई देखे बिना तू कही नही जाएगी. ”

गौरव ने दीपिका को ज़बरदस्ती वही बिठा दिया, “अगर तू यहाँ से हिली तो तुझे गोली मार दूँगा मैं.”

गौरव ने स्वेता को आवाज़ दी, “इधर आ साली. यही इसकी नज़रो के बिल्कुल सामने सक कर.”

स्वेता नज़रे झुका कर चुपचाप गौरव के पास आ गयी.

“जल्दी से लंड निकाल मेरा बाहर और दिखा इसे कि लंड कैसे चूसा जाता है.” गौरव ने कहा.

स्वेता चुपचाप गौरव के सामने बैठ गयी और उसकी पॅंट की ज़िप खोल कर गौरव के लिंग को बाहर निकाल लिया.

“गुड अब अपने स्टाइल से इसे चूसना शुरू करो.” गौरव ने कहा.

स्वेता ने मूह खोल कर गौरव के लंड को मूह में घुसा लिया और धीरे धीरे चूसने लगी.

“दीपिका देखो किस तरह से चूस रही है ये. इस तरह से चूसना चाहिए तुम्हे लंड को.” गौरव ने कहा.

गौरव ने स्वेता के बाल पकड़ लिए और उसके मूह में धक्के मारने लगा. स्वेता की हालत पतली हो गयी.

कुछ देर तक गौरव यू ही उसके मूह में धक्के मारता रहा. दीपिका ने तो अपनी आँखे बंद कर ली थी.

अचानक गौरव ने अपने लिंग को स्वेता के मूह से निकाल लिया और बोला, “चल अब दीपिका के घुटनो पर हाथ रख कर झुक जा. मेरी बीवी तुझे सपोर्ट देगी और मैं पीछे से तेरी चूत मारूँगा…हाहाहा.”

दीपिका और स्वेता की नज़रे टकराई. बहुत से सवाल थे दोनो की आँखो में. जिनका जवाब दोनो में से किसी के पास नही था.

गौरव ने स्वेता की सलवार का नाडा खोल कर उसे अपने आगे झुका दिया. स्वेता को ना चाहते हुए भी दीपिका के घुटनो पर हाथ रखना पड़ा. एक झटके में लंड डाल दिया गौरव ने स्वेता की चूत में.

“आअहह….सर मेडम के सामने मैं एंजाय नही कर पाउन्गि.” स्वेता ने कराहते हुए कहा.

“ये चुदाई तेरे लिए नही बल्कि मेडम को दिखाने के लिए ही है…हाहहाहा.”

गौरव ने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिया स्वेता के अंदर. शिसकियाँ गूंजने लगी बेडरूम में स्वेता की. गौरव के तेज तेज धक्को के कारण स्वेता के हाथ बार बार दीपिका के घुटनो से हट जाते थे. मगर वो बार बार वापिस घुटनो पर हाथ रख देती थी. दीपिका आँखे बंद किए बैठी थी.

“दीपिका आँखे बंद क्यों कर रखी है. देख कैसे चुदवा रही है ये रंडी…तुझे भी ऐसे ही चुदवाना चाहिए. हाहहाहा”

स्वेता की शिसकियाँ और तेज होती जा रही थी. वो अपने चरम के नज़दीक थी.

“सर…आआहह प्लीज़ रुक जाओ….आअहह.”

“वेरी गुड स्वेता. दीपिका को समझाओ ये सब. कितना मज़ा कर रही हो तुम. इतना मज़ा ये क्यों नही कर सकती.”

गौरव भी झाड़ गया स्वेता के अंदर. उसने फ़ौरन स्वेता की चूत से लंड निकाल लिया और उसे ज़ोर से धक्का दिया एक तरफ, “चल दफ़ा हो जा यहाँ से रंडी कही की. तुझे शरम नही आती हज़्बेंड वाइफ के बीच आकर अपनी चूत मरवाते हुए. जा जहाँ जाना है तुझे. देल्ही जा रही थी ना तू. जा जाकर देल्ही में गान्ड मरवा अपनी. साली रंडी.”

स्वेता ने अपने कपड़े ठीक किए और चुपचाप वहाँ से निकल गयी.

“सन ऑफ आ बिच…” स्वेता ने घर से निकलते हुए कहा.

……………………………………………………………………….

रोहित अपने कॅबिन में ही बैठा था. भोलू अंदर आया तो उसने पूछा, “कुछ पता चला क्या?”

“हां सर 2006 में एक एफआइआर दर्ज हुई थी गौरव मेहरा के खिलाफ. एक शॉपकीपेर ने कंप्लेंट की थी कि गौरव मेहरा ने उसके भाई को उसके ही सामने क्रिकेट बेट से इतना मारा कि वो मर गया. बात सिर्फ़ इतनी थी कि वो कह रहा था कि इंडिया जीतेगा और गौरव मेहरा बेट लगा रहा था कि पाकिस्तान जीतेगा. उन दिनो कोई सीरीस चल रही थी.”

“कोई हैरानी नही हुई मुझे. जैसा उसका बिहेवियर है वो कुछ भी कर सकता है.”

“पर सर बाद में उस केस का कुछ नही बना. गौरव मेहरा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नही मिले. और हां सर उस वक्त सब इनस्पेक्टर विजय ज़्यादा ही इंटेरेस्ट ले रहे थे इस केस में.”

“क्या विजय जानता था गौरव को?”

“शायद. मुझे अब याद आ रहा है कि विजय सर ने गौरव के लिए उस वक्त के एएसपी से काफ़ी रिक्वेस्ट की थी. शायद एएसपी साहिब को मोटी रकम भी दी गयी थी केस को रफ़ा दफ़ा करने के लिए.

“उस वक्त तो चौहान भी था ना यहाँ.”

“जी हां वो भी थे. वही तो केस को हॅंडल कर रहे थे.”

“तुम्हे क्या लगता है, क्या चौहान भी गौरव और विजय के साथ मिला हुआ था उस वक्त.” रोहित ने भोलू से पूछा.

“मुझे नही लगता सर कि वो मिले हुए थे. क्योंकि अगर ऐसा होता तो उन्हे एएसपी साहिब की सिफारिस लगाने की ज़रूरत ना पड़ती. हां शायद उन पर दबाव बनाया गया और दबाव में आकर उन्होने कोई आक्षन नही लिया.” भोलू ने कहा.

“ह्म्म…ठीक है तुम जाओ” रोहित ने कहा.

भोलू के जाने के बाद रोहित गहरी सोच में डूब गया.

अगली सुबह रोहित को शालिनी से खूब डाँट पड़ रही थी.

“ये क्या नॉनसेन्स है रोहित. तुम क्या किसी के भी घर में घुस कर उसे थाने उठा लाओगे. इन्ही बातों से पोलीस की छवि खराब होती है.”

“मेडम मुझे शक था कि गौरव ही साइको है. इसलिए उसके घर गया था पूछताछ करने.मगर उसने फाइयर किया मेरे उपर. और मेडम उसने दो लड़कियों का खून करके उनकी डेड बॉडीस कही गायब कर दी हैं. और सस्पेक्ट तो वो था ही पहले से. ब्लॅक स्कॉर्पियो में जो घूमता है वो.”

“वो सब ठीक है, मगर क़ानून नाम की भी कोई चीज़ होती है. हमें लॉ आंड प्रोसीजर को ध्यान में रखते हुए ही अपनी ड्यूटी करनी है.”

“फिर तो 1000 साल वेट कीजिएगा मेडम. फिर भी शायद ही हाथ आए वो साइको.”

“शट उप. मैं कुछ नही सुन-ना चाहती.”

“सॉरी मेडम.”

“यू कॅन गो नाउ.” शालिनी ने कहा.

रोहित मूह लटका कर बाहर आ गया. “अब मेडम को कैसे सम्झाउ कि क्रिमिनल्स को पकड़ने के लिए उनके ही तरीके आज-माने पड़ते हैं.”

रोहित जंगल में साइको की अंडरग्राउंड कन्स्ट्रक्षन की इंक्वाइरी पे निकल दिया. मगर उसे कोई जानकारी नही मिली. वो एस्टेट ऑफीस गया, ड्म ऑफीस गया मगर कोई सुराग नही मिला उस कन्स्ट्रक्षन के बारे में.

“अजीब बात है, जंगल में अंडरग्राउंड कन्स्ट्रक्षन किसने की, कब की, कही भी कोई रेकॉर्ड नही है इसका. साइको ने बहुत सोच समझ कर अपना ठिकाना बनाया था. अगर मान लिया जाए कि गौरव मेहरा ही साइको है तो मुझे उसके आस पास के लोगो से ही इंक्वाइरी करनी चाहिए. सबसे पहले उसकी बीवी से मिलता हूँ. मोहित से उसका नंबर लेता हूँ.”

रोहित मोहित से दीपिका का नंबर ले कर उसे फोन करता है. वो मिलने के लिए तैयार हो जाती है.

“कल मैं मोहित के ऑफीस जा रही हूँ. सुबह 11 बजे आप वही मिल सकते हैं मुझे” दीपिका ने कहा.”

“ओके थॅंक यू दीपिका जी.” रोहित ने कहा.

“गौरव मेहरा पर पूरी तरह फोकस करने से पहले, ब्लॅक स्कॉर्पियो के बाकी 2 ओनर्स की भी जाँच पड़ताल कर लूँ. दीपिका से कल ही मुलाक़ात होगी, तब तक ये काम निपटा लेता हूँ. केस इतना पेचीदा है कि जल्दबाज़ी में गौरव मेहरा को साइको मान-ना भूल होगी. हालाँकि सबसे बड़ा सस्पेक्ट अभी वही है.”

रोहित पहले देवेंदर सिंग (आर्मी कर्नल) के घर पहुँचता है. उसके घर के बाहर ही एक ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी थी. रोहित उसे बड़े गौर से देखता है.

“ह्म्म…कही इसी कार में तो नही घूमते हो तुम मिस्टर साइको” रोहित ने मन ही मन सोचा.

रोहित कार को अच्छी तरह से देखने के बाद घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उसने डोर बेल बजाई तो एक बुजुर्ग ने दरवाजा खोला.

“क्या मैं कर्नल देवेंदर सिंग से मिल सकता हूँ.” रोहित ने कहा.

“साहब तो मुंबई गये हुए हैं.”

“कब तक लौटेंगे वो.”

“कुछ कह नही सकता, उनका आने जाने का कोई टाइम फिक्स नही होता.”

“ह्म्म आप कौन हैं.”

“मैं इस घर का नौकर हूँ.”

“क्या एक गिलास पानी मिलेगा काका.”

“हां हां बिल्कुल आओ अंदर आओ…मैं अभी लाता हूँ पानी.”

रोहित अंदर आया तो उसने देवार पर एक पैंटिंग लगी देखी. पैंटिंग बहुत ही अजीब थी. उसमें एक घोड़े की पीठ पर आदमी का कटा हुआ सर रखा था. आस पास घाना जंगल था.

“ये कैसी अजीब सी पैटिंग है. ऐसी पैटिंग किसने बनाई. और कर्नल ने इसे अपने ड्रॉयिंग रूम में लगा रखा है. कुछ बहुत ही अजीब सा महसूस हो रहा है इस पैंटिंग को देख कर.”

“ये लीजिए पानी”

रोहित ने पानी पिया और बोला, “ये कैसी अजीब सी पैंटिंग है काका.”

“पता नही कहा से ले आए साहिब इसे. हो सकता है कि उन्होने खुद बनाई हो. मुझे भी ये यहाँ तंगी अजीब सी लगती है.”

“क्या वो पैटिंग का शॉंक रखते हैं.”

“हां पैंटिंग बनाते भी हैं और खरीद खरीद कर इकट्ठा भी करते रहते हैं. पर इस पैंटिंग का मुझे नही पता कि उन्होने ये खरीदी है या खुद बनाई है.”

“क्या ऐसी अजीब सी पैटिंग और भी हैं या फिर ये एक ही है.”

“ऐसी अजीब पैंटिंग और तो कोई नही देखी मैने.”

“ह्म्म…वैसे कैसा स्वाभाव है आपके साहिब का”

“अच्छा स्वाभाव है. सभी से बहुतब शालीनता से पेश आते हैं.”

“अच्छा काका…मैं बाद में मिलूँगा उनसे. फिर किसी दिन आउन्गा.”

रोहित निकल आया वहाँ से बाहर.

“साइको खुद को आर्टिस्ट बोलता है. कर्नल पैटिंग का शॉंक रखते हैं. बहुत ही अजीबो ग़रीब पैटिंग टाँग रखी है उन्होने घर में. क्या कर्नल को सस्पेक्ट माना जा सकता है. काका के अनुसार उनका स्वाभाव अच्छा है. क्या साइको ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसकी समाज में इज़्ज़त हो. मेरे ख्याल से बिल्कुल हो सकता है. अगर ऐसा ना होता तो वो अब नकाब लगा कर नही घूमता. विजय चिल्ला चिल्ला कर खुद को साइको बता रहा था. मगर वो सिर्फ़ कॉपी कॅट था. गौरव मेहरा भी खुद को साइको साबित करने पे तुला हुआ है. साइको जैसा शातिर दिमाग़ ऐसा कभी नही करेगा. फिर भी अभी किसी नतीज़े पर नही पहुँच सकते. गौरव के साथ साथ अब कर्नल पर भी कड़ी नज़र रखनी होगी मुझे. फिलहाल सिमरन से भी मिल आता हूँ. उसके पास भी तो ब्लॅक स्कॉर्पियो है.” रोहित ने मन ही मन सोचा.

क्रमशः........................
Reply
01-01-2019, 12:33 PM,
#88
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--83

गतान्क से आगे.................

रोहित अपनी जीप में बैठा और सिमरन के घर की तरफ चल दिया. घर जा कर पता चला कि वो बॅंक में है. इcइcइ में ब्रांच मॅनेजर थी वो. रोहित इcइcइ बॅंक पहुँच गया.

जब वो सिमरन के ऑफीस में घुसा तो बोला, “अरे तुम”

“व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. आओ-आओ बैठो” सिमरन ने कहा.

सिमरन और रोहित एक दूसरे को जानते थे. देल्ही में एक मॅरेज रिसेप्षन के दौरान मुलाक़ात हुई थी उन दोनो की. रोहित ने उस दिन थोड़ा-थोड़ा फ्लर्ट भी किया था उस दिन सिमरन से… …. फँस ही गयी थी सिमरन जाल में मगर पता नही कहाँ से उसका भाई आ गया अच्छानक और सारा मामला बिगड़ गया …

“मुझे नही पता था कि आप देहरादून में हो.”

“8 महीने पहले ही आई हूँ यहाँ. आप क्या पोलीस में हैं.”

“जी हां ये वर्दी किसी नाटक में भाग लेने के लिए नही पहनी मैने ……”

“अरे हां याद आया आपने बताया था कि आप पोलीस में हैं. कहिए कैसे आना हुआ यहाँ.”

“चलिए पहले काम की बात करते हैं. बाकी बाते तो अब होती ही रहेंगी …”

“बाकी बाते मतलब … …”

“वो सब बाद में. पहले ये बतायें कि क्या आपके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है.”

“हां है…क्यों?”

“आपको पता ही होगा कि शहर में साइको का आतंक है.”

“हां बिल्कुल पता है. मैं खुद शाम ढलते के बाद कभी घर से बाहर नही जाती. ऑफीस से घर भी जल्दी चली जाती हूँ. पर इस सबका मेरी ब्लॅक स्कॉर्पियो से क्या लेना देना.”

“दरअसल साइको ब्लॅक स्कॉर्पियो में ही घूमता है.”

“तो क्या मैं तुम्हें साइको नज़र आती हूँ …”

“अरे नही सिमरन, कैसी बात करती हो. मुझे पता लगा था कि एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आप के पास भी है. मुझे नही पता था कि आप वही ब्यूटिफुल सिमरन हैं जिन्हे मैं देल्ही में मिला था.”

“अच्छा.”

“जी हां…आइ मिस्ड यू आ लॉट. आपने अपना नंबर भी नही दिया था वरना आप से बात चीत होती रहती”

“अच्छा नंबर दे कर क्या मैं आपके फ्लर्ट को बढ़ावा देती.”

“फूल भंवरे को बढ़ावा नही देगा तो कैसे चलेगा. हम तो आपके दीवाने हो गये थे आपको देखते ही.”

“हम बाद में मिलें. अभी मैं थोड़ा बिज़ी हूँ. लिख लो मेरा नंबर अब.”

“लिखने की ज़रूरत नही है, आप बोल दीजिए नंबर…दिल की गहराई में उतर जाएगा वो.”

“अच्छा.” सिमरन शर्मा गयी ये सुन कर.

“आप बिल्कुल नही बदली. आज भी वैसे ही शर्मा रही हैं.”

“प्लीज़…ऐसी बातें ना करें अभी. बॅंक के काम में मन उलझा हुआ है अभी.”

सिमरन ने अपना नंबर बता दिया रोहित को. रोहित ने उसे दिल में छाप लिया

सिमरन से मिलने के बाद रोहित सीधा थाने पहुँचा. वो शालिनी से मिल कर केस को डिसकस करना चाहता था.

“मेडम कुछ नयी बाते सामने आईं हैं, सोचा आप से डिसकस कर लूँ.”

“हां बोलो…क्या बात है?”

“मेडम एक उलझन पैदा हो गयी है. मैं आज कर्नल देवेंदर सिंग के यहाँ गया था. उनके ड्रॉयिंग रूम में एक बहूत ही अजीब पैंटिंग देखी मैने.” रोहित ने डीटेल में पूरी बात बताई.

“ह्म्म…एक और ओनर था ना ब्लॅक स्कॉर्पियो का, क्या नाम था उसका ..”

“हां मेडम सिमरन नाम है उसका, उस से भी मिल आया हूँ मैं. उस पर शक का कोई कारण नही है. वैसे भी हमारा सस्पेक्ट एक मेल है और सिमरन फीमेल है. और मैं उसे जानता भी हूँ.”

“ह्म्म…तुम गौरव और देवेंदर दोनो पर कड़ी नज़र रखो…साइको इन दोनो में से ही एक होना चाहिए.”

“जी मेडम”

रोहित जैसे ही शालिनी के कमरे से बाहर निकला उसे चौहान दिखाई दिया. रोहित को देखते ही वो आग बाबूला हो गया, “साले कब से ढूँढ रहा हूँ तुझे मैं. आज तेरी खैर नही.”

चौहान आग बरसाता हुआ रोहित की तरफ बढ़ा. रोहित के कुछ समझ नही आया कि वो अब क्या करे. भागने का रास्ता भी नही था . शूकर है तभी एएसपी साहिबा बाहर आ गयीं.

“रोहित तुम मेरे साथ चलो, एसपी साहिब ने बुलाया है. वैसे मैं अकेली ही जा रही थी मगर अभी-अभी वहाँ से फोन आया है कि एसपी साहिब तुमसे भी मिलना चाहते हैं.”

रोहित ने शालिनी के आने से राहत की साँस ली. वो चौहान के कहर से बच गया था.

“जाओ बेटा आज तुम्हारी खैर नही. खूब खाल उधेड़ेंगे आज एसपी साहिब तुम्हारी.” चौहान ने धीरे से रोहित को कहा.

रोहित ने चौहान को कुछ भी कहना ठीक नही समझा. वो चुपचाप शालिनी के साथ चल दिया.

जैसी की उम्मीद थी शालिनी और रोहित को खूब डाँट पड़ी.

“जंगल में अंडरगाउंड कन्स्ट्रक्षन बहुत बड़ा शुराग है पर तुम दोनो कुछ नही कर पा रहे. अरे पता करो उसके बारे में. ऐसे ही चलता रहा तो मेरी नौकरी चली जाएगी. रोज डाँट मुझे सुन-नी पड़ती है. कितना वक्त और चाहिए तुम्हे इस हराम्खोर साइको को पकड़ने के लिए.”

“सर हमें कुछ इंपॉर्टेंट क्लू मिलें हैं. हमें उम्मीद है कि हम जल्द साइको को पकड़ लेंगे.”

“दट ईज़ गुड न्यूज़. बट आइ निड सम्तिंग इन रियल डियर. जिंदा या मुर्दा चाहिए मुझे वो साइको. अपनी पूरी ताक़त लगा दो. जल्दी से मुझे कुछ रिज़ल्ट दो.”

एसपी साहिब के रूम से निकल कर शालिनी ने कहा, “ गौरव और देवेंदर पर 24 घंटे निगरानी रखो. हमें कुछ ना कुछ हाथ ज़रूर लगेगा.”

“जी मेडम आप चिंता ना करें. आइ विल टेक केर ऑफ एवेरितिंग.”

एएसपी साहिबा अपनी जीप में बैठ कर अपने घर चली गयी. रोहित ने गौरव और कर्नल देवेंदर सिंग की निगरानी के लिए 2-2 कॉन्स्टेबल्स लगा दिए और उनके हिदायत दे दी कि पल-पल की खबर वो उसे देते रहें.

रोहित शहर के राउंड पर निकल पड़ा. काफ़ी देर तक वो यहाँ वहाँ घूमता रहा. अचानक उसे रीमा का ख्याल आया. उसने अपना मोबाइल निकाला जेब से और रीमा का नंबर डाइयल किया. मगर डाइयल करते ही तुरंत काट दिया, “उफ्फ फोन तो उस कामीने चौहान के पास. लगता है रीमा पर पाबंदियाँ लगा दी हैं चौहान ने. लगता है ये अफेर यही ख़तम हो गया है. अचानक ही हम मिले और अचानक ही बिछड़ गये. टेक केर रीमा. हम चाहे मिले ना मिले पर हमारी दोस्ती बनी रहेगी.”

अचानक रोहित को सिमरन का ख़याल आया. “अरे सिमरन को फोन करता हूँ. उसके साथ भी तो कुछ संभावनायें हैं ..”

रोहित ने सिमरन को फोन मिलाया.

“हाई सिमरन…सो गयी क्या?”

“हू ईज़ तीस?”

“अरे मैं रोहित बोल रहा हूँ.”

“ओह तुम. सॉरी तुम्हारा नंबर नही था ना मोबाइल में इसलिए तुम्हे पहचान नही पाई.”

“कोई बात नही सिमरन जी. अब तो पहचान लिया ना. कहा हैं आप इस वक्त.”

“मैं अपने घर पर हूँ.”

“अकेली हैं क्या …”

“क्यों .. …”सिमरन ने पूछा.

“अगर आप अकेली हैं तो हम आपके पास आ जाते हैं आपका मन बहलाने के लिए.”

“अच्छा…”

“जी हां…बोलिए क्या कहती हैं आप. बड़े दिनो बाद मिलें हैं हम आज. क्यों ना आज के दिन को यादगार बना दे हम.”

“यादगार कैसे बनाएँगे वो भी बता दीजिए.”

“आप मिलिए तो सही…हमारी मुलाक़ात खुद-ब-खुद यादगार बन जाएगी.”

सिमरन मुस्कुरा कर बोली, “आप कहाँ हैं इस वक्त?”

“मैं शहर का राउंड ले रहा हूँ. आप कहेंगी तो तुरंत आपके पास आ जाउन्गा.”

“क्यों आ जाएँगे, साइको को नही पकड़ना क्या आपको.”

“पकड़ना है बिल्कुल पकड़ना है. दिन रात इसी चक्कर में रहता हूँ. आज रात आपको पकड़ लेता हूँ, साइको को बाद में देख लूँगा.”

“ह्म्म…मुझे पकड़ कर क्या कीजिएगा. जैल में तो नही डाल देंगे कही.”

“हाहाहा, जैल में नही आपको पकड़ कर अपने दिल में डालने का इरादा है. आ जाउ क्या आपको अपने दिल में डालने के लिए.”

“ह्म्म आ जाओ…”

“अपना अड्रेस दे दीजिए. मैं अभी तुरंत आ जाउन्गा आपके पास.”

सिमरन ने अपना अड्रेस दे दिया रोहित को. रोहित बिना वक्त गवाए कोई 20 मिनिट में पहुँच गया सिमरन के घर.

रोहित ने सिमरन के घर पहुँच कर गौर किया की उसके घर के बाहर ब्लॅक स्कॉर्पियो नही है. “हो सकता है कि उसने गॅरेज में खड़ी की हो स्कॉर्पियो.”

रोहित ने कन्फ्यूज़्ड माइंड से सिमरन के घर की बेल बजाई. सिमरन ने दरवाजा खोला.

“हाई सिमरन…एक बात बताओ, तुम्हारी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहाँ खड़ी करती हो तुम.”

“छ्चोड़ो भी…यहाँ इन्वेस्टिगेशन करने आए हो या फिर…..”

“पोलीस वाला हूँ ना कोई ना कोई सवाल घूमता रहता है दिमाग़ में. बताओ ना, कहा खड़ी करती हो अपनी कार तुम.”

“हद करते हो. आते ही सवाल जवाब शुरू. पहले अंदर तो आओ.”

ना जाने क्यों रोहित का माथा कुछ ठनक रहा था. “बड़ी जल्दी मान गयी वैसे सिमरन. इतनी जल्दी मुझे घर इन्वाइट कर लेगी, सोचा नही था मैने. अपनी स्कॉर्पियो के बारे में भी कुछ नही बता रही. कही कुछ गड़बड़ तो नही.”

“आओ ना रोहित सोच क्या रहे हो?”

“नही कुछ नही…अच्छा लगा मुझे जो कि आपने मुझे इन्वाइट किया अपने घर.”

“फिर झीजक क्यों रहे हैं. आइए ना.” सिमरन ने कहा.

सिमरन रोहित को अंदर इन्वाइट कर रही थी मगर, रोहित के मान में काई सवाल घूम रहे थे. वो सोच रहा था कि आख़िर सिमरन साफ-साफ ये क्यों नही बता रही कि उसकी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहाँ हैं. क्योंकि हर सवाल का जवाब उसे सिमरन से ही मिलना था इसलिए वो मुस्कुराता हुआ सिमरन के घर में घुस गया.

“क्या लेंगे आप चाय या कॉफफी या कुछ ठंडा.”

“फिलहाल हो सके तो अंगूर खिला दीजिए. आपके टॉप से बाहर निकले जा रहे हैं ये. क्या कीजिएगा इन्हे संभाल कर, दे दीजिए हमें हम संभाल लेंगे इन्हे.”

“बहुत बेशरम हैं आप…ऐसा कहता है क्या कोई. …”

“अब आप पूछ रही थी कि क्या लूँगा तो अपनी चाय्स बता दी.”

“घर में घुसते ही क्या आपको बस अंगूर नज़र आए.” सिमरन ने पूछा.

क्रमशः........................
Reply
01-01-2019, 12:33 PM,
#89
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--84

गतान्क से आगे.................

“नज़र तो बहुत कुछ आया मगर अंगूर कुछ इस तरह ज़ोर मार रहें हैं आपके टॉप के पीछे से कि देखता ही रह गया. दे आर वेरी शार्प, कही फाड़ ना दें आपके टॉप को.”

“अच्छा.”

“जी हां, वैसे आप बहुत अच्छी लग रही हैं.”

“फ्लर्ट में तो माहिर हैं आप. बैठिए आप मैं चाय लाती हूँ. कुछ तो लेना ही पड़ेगा आपको.”

रोहित ने आगे बढ़ कर सिमरन का हाथ पकड़ लिया और इस से पहले की वो कुछ समझ पाती उसके होंटो को अपने होंटो में जाकड़ लिया.

“उम्म्म्म… छोड़िए.” सिमरन ने कहा.

“चाय क्यों ला रही हैं. मैं बहुत कुछ लेने वाला हूँ आप चिंता ना करें. …”

“वैसे चाय के बाद मैं ज़्यादा एग्ज़ाइटेड फील करती हूँ…सोच लीजिए.”

“उफ्फ अगर ऐसा है तो चाय मुझे भी दीजिए…वैसे चाय में कुछ मिलाती तो नही हैं आप .. …”

“नही बस सिंपल चाय लेती हूँ मैं.”

“कूल, ले आइए चाय, आइ आम वेटिंग.”

रोहित सोफे पर बैठ गया. सिमरन किचन में चली गयी.

कुछ देर बाद सिमरन चाय ले कर आई. एक कप उसने रोहित को दे दिया और एक कप खुद लेकर रोहित के सामने दूसरे सोफे पर बैठ गयी.

रोहित को ना जाने क्यों सिमरन पर कुछ शक हो रहा था. वो सोफे से उठा और बोला, “आइए अपने कप एक्सचेंज कर लेते हैं, इस से प्यार बढ़ता है.”

रोहित को लग रहा था कि अगर उसने उसके कप में कुछ मिलाया होगा तो वो कप एक्सचेंज करने से मना कर देगी. मगर सिमरन ने चुपचाप मुस्कुराते हुए कप एक्सचेंज कर लिए.

“ह्म्म अच्छी चाय बनाई है आपने. देखने वाली बात अब ये है की आप कितनी एग्ज़ाइट होती हैं चाय पे कर. शायद मुझे एग्ज़ाइट्मेंट में एक ब्लो जॉब मिल जाए.”

“हाहाहा…इतनी भी एग्ज़ाइट नही होती हूँ मैं की किसी का डिक मूह में ले लूँ.”

“वैसे इतना एग्ज़ाइट करने के लिए क्या करना होगा मुझे, आइ वॉंट टू प्लेस माइ डिक बेटवीन युवर ब्यूटिफुल लिप्स.” रोहित ने हंसते हुए कहा.

“तुम कुछ नही कर सकते, आइ डॉन’ट लाइक सकिंग. …” सिमरन भी हंसते हुए बोली.

रोहित सिमरन के पास आया और उसे उसका हाथ पकड़ कर सोफे से उठा लिया और बोला, “आपको क्या पसंद है और क्या नही वो सब हम बाद में देखेंगे, मुझे अपने अंगूर दे दीजिए फिलहाल …”

“अंगूर खट्टे हुए तो ?”

“इतनी सुंदर बगिया के अंगूर खट्टे हो ही नही सकते.” रोहित ने कहा और सिमरन के टॉप को उतारने लगा.

“वैसे चख कर देख लेता हूँ अभी ..”

“बड़े उतावले हो रहे हैं आप. रुकिये थोड़ी देर. थोड़ा बात चीत तो कर लें.”

“बात चीत भी होती रहेगी और काम भी होता रहेगा …” रोहित ने कहा और एक झटके में सिमरन का टॉप उतार कर सोफे पर फेंक दिया.

“अरे ये अंगूर तो बिना ब्रा के ही टॉप के पीछे छुपे थे. तभी कहु क्यों टक्कर मार रहे हैं टॉप में. यू हॅव गॉट ब्यूटिफुल बूब्स सिमरन.”

“अच्छा”

“हां, बहुत सुंदर हैं…लेट मी सक देम नाउ.” रोहित ने सिमरन के बायें बूब्स को थाम लिया और उसके निपल्स को चूसने लगा.

“आअहह….इतनी जल्दी सब शुरू हो जाएगा मैने सोचा नही था.”

“आपने मुझे घर बुला लिया अपने तो जल्दी तो मुझे करनी ही थी हहहे.”

“यू आर डर्टी कॉप.”

“आइ नो, बट आइ आम हार्मलेस…”

“आअहह दाँत मार दिए और बोलते हो हार्मलेस …”

“सॉरी…सॉरी…सॉरी हड़बड़ी में गड़बड़ी हो गयी.” रोहित ने हंसते हुए कहा.

“निकालो अपना पेनिस बाहर मैं भी दाँत मारूँगी.”

“विल यू सक इट पर तुम तो लाइक नही करती ना.” रोहित ने कहा.

“सक नही करूँगी बल्कि दाँत मारूँगी…निकालो बाहर.”

“ओके बाइ दा वे माइ डिक लाइक्स अड्वेंचर, देखते हैं कि क्या करोगी तुम.” रोहित ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर खींच लिया.

“ह्म्म… नाइस डिक…नाउ आइ विल गिव दा सेम ट्रीटमेंट टू युवर डिक विच यू हॅव गिवन टू मी निपल्स. आर यू रेडी.”

“ऑल्वेज़ रेडी फॉर यू, कम ऑन सक इट हार्ड आंड नाइस.” रोहित ने कहा.

सिमरन रोहित के सामने घुटनो के बल बैठ गयी और उसके लिंग को अपने होंटो के बीच दबा लिया.

“आआहह वेरी गुड, प्लीज़ कंटिन्यू….” रोहित ने कहा. मगर अगले ही पल रोहित कराह उठा, “आउच.”

“क्या हुआ रोहित.” सिमरन ने पूछा.

“यार तुमने सच में दाँत मार दिए, ये सच में अड्वेंचर हो गया. अब आपके मूह में लंड रखना ख़तरे से खाली नही…आपकी चूत ही ठीक रहेगी लंड रखने के लिए.”

“ग़लती से लग गये दाँत. सॉरी…मैने इंटेन्षनली नही किया.”

“इट्स ओके…बट आइ कॅन’ट टेक दा रिस्क…प्लीज़ आपकी चूत को सामने लायें और हमें सुखद परवेश परदान करें.”

रोहित ने सिमरन को अपनी गोदी में उठा लिया और बोला, “चलिए आपके बेडरूम में चलते हैं. अगर यही ड्रॉयिंग रूम में ही ठुकवानी है तो वो भी बोल दीजिए.”

“नही मेरा मखमली बिस्तर मुझे अच्छा लगता है. फील फ्री टू टेक मी देर.”

रोहित सिमरन को उसके बेडरूम में ले आया और तुरंत उसके सारे कपड़े उतार दिए. खुद के कपड़े उतार कर वो सिमरन के उपर चढ़ गया और बोला, “पहली बार संभोग में उतर रहे हैं हम दोनो. मेरे लंड को किस पोज़िशन में परवेश देना पसंद करेंगी आप.”

“ह्म्म…आइ ऑल्वेज़ प्रिफर मिशनरी पोज़िशन. रेस्ट अप्ट यू.”

“अब आपको जो पसंद है उसी पोज़िशन में परवेश करेंगे. टांगे खोल कर मेरी कमर पर काश लीजिए आपको एक लंबे सफ़र पे ले जा रहा हूँ मैं ..”

“अच्छा…”

“जी हां बिल्कुल.”

रोहित ने सिमरन की टांगे खोल कर उसकी योनि पर अपना लिंग टिका दिया और ज़्यादा वक्त ना गवाते हुए एक धक्के में अपने लिंग को तकरीबन आधा सिमरन की योनि में सरका दिया. सिमरन कराह उठी, “ऊओह यस…”

“वाउ व्हाट आ स्मूद पुसी यू हॅव. वेरी नाइस. लीजिए अब पूरा जाकड़ लीजिए मेरे लंड को.” रोहित ने खुद को पूरा धकैल दिया सिमरन की योनि में. इस दौरान सिमरन ने बिस्तर की चादर को पूरे ज़ोर से मुथि में भींच रखा था.

“उफ़फ्फ़ आपने जान निकाल दी मेरी.”

“इतनी जल्दी जान निकल गयी, अभी जब आपकी रेल बनेगी तब क्या होगा …”

“रेल बनेगी मतलब… … क्या मतलब है तुम्हारा.”

“कुछ नही घबराए नही मज़ाक कर रहे हैं हम. अब अगर आपकी इज़ाज़त हो तो हम आपकी थुकायी कर लें.”

“कीजिए ना हमने रोका है क्या, वैसे रेल का मतलब क्या था …”

रोहित ने बिना कुछ कहे सिमरन की योनि को अपने लिंग से रगड़ना शुरू कर दिया और बोला, “रेल का मतलब भी पता चल जाएगा, ज़रा धर्य रखें.”

कुछ ही मिंटो में सिमरन की शिसकियाँ गूँज रही थी कमरे में. वो अपने दोनो पाँव पटक रही थी बिस्तर पर.

“उउउहह रोहित प्लीज़ रुकना मत आआहह”

ये सुनते ही रोहित रुक गया और सिमरन की योनि से अपना लिंग निकाल लिया और बोला, “अब एक सवाल है.”

“व्हाट मज़ाक मत करो, जल्दी वापिस डालो, मेरा ऑर्गॅज़म रोक दिया तुमने …” सिमरन ने निराशा भरे शब्दो में कहा.

“डाल दूँगा वापिस पहले विवेक भाई की तरह कुछ सवाल पूछ लूँ …”

“ये क्या मज़ाक है रोहित, प्लीज़ डाल दो ना.” सिमरन गिड़गिडाई.

“पहले ये बताओ कि तुम्हारी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहाँ है.”

“यार तुम यहाँ अपनी इन्वेस्टिगेशन पे आए हो या फिर मुझसे मिलने ….”

“ड्यूटी सबसे पहले है, बाकी काम बाद में. आपने भी तो आज दिन में मुझे अपने ऑफीस से चले जाने को बोल दिया था. मुझे अपने सवालो के जवाब चाहिए, अगर जवाब नही मिलेगा तो आपकी चूत प्यासी रह जाएगी.”

“ये तो हद हो गयी. किसी ने मेरे साथ ऐसा नही किया.”

“बताओ ना मुझे कि कहाँ है तुम्हारी कार. क्यों झीजक रही हो. जल्दी से बताओ, आइ विल फक यू ईवन हार्डर आफ्टर दट.”

“कार मेरे बॉय फ्रेंड के पास है. वो देल्ही ले गया है ड्राइव करके. कल शाम तक लौट आएगा. तुम्हे अपने बॉय फ्रेंड के बारे में बताना नही चाहती थी इसलिए झीजक रही थी.”

“ह्म्म… क्या नाम है तुम्हारे बॉय फ्रेंड का.”

“उस से तुम्हे क्या मतलब? तुम मुझसे मतलब रखो.”

“मतलब है मुझे. शहर में साइको ने आतंक मचा रखा है और वो ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूमता है. क्या अक्सर तुम्हारी कार तुम्हारे बॉय फ्रेंड के पास होती है.”

“हां होती तो है…तुम्हे क्या लेना देना, हटो मेरे उपर से आइ डॉन’ट वॉंट युवर डिक अनीमोर.”

मगर रोहित ने तुरंत अपने लिंग को सिमरन की योनि में डाल दिया.

“आअहह… अब क्यों डाला तुमने.”

“काफ़ी सवालो के जवाब मिल गये इसलिए. प्लीज़ बताओ ना कि कौन है तुम्हारा बॉय फ्रेंड.”

“संजय नाम है उसका…”

“ह्म्म…लव अफेर चल रहा है क्या तुम्हारा उसके साथ.”

“पागल हो क्या, ही ईज़ मॅरीड ओर अगर लव अफेर चल रहा होता तो तुम अपना ये ब्लॅकमेलिंग डिक डाल कर नही पड़े होते मेरे अंदर. ही ईज़ जस्ट टाइम पास.”

“टाइम पास फ्रेंड…वाह मान गया आपको ….” रोहित हँसने लगा.

“हँसो मत और अब अपना काम करो.”

“बस एक और सवाल.” रोहित ने कहा.

“अब क्या है…लगता है तुम्हारा संभोग का मूड नही है.”

“बस संजय का अड्रेस दे दीजिए मुझे.”

“क्या उसका अड्रेस क्यों दू तुम्हे. तुम उस पर शक मत करो. वो बहुत शरीफ बंदा है.”

“शरीफ बंदे की ही तलाश है मुझे. मुझे लगता है साइको कोई शरीफ बंदा ही है जिस पर कि हमारी नज़र नही गयी अब तक. वैसे ये अंदाज़ा ही है.”

“यार तुम साइको को पाकड़ो जाकर मेरा क्यों मूड खराब कर रहे हो. कब से अंदर डाल कर पड़े हो, एक धक्का भी नही मारा तुमने. दे दूँगी अड्रेस…पहले ये काम फीनिस करो.”

“धन्यवाद आपका, ये लीजिए अब आपकी रेल बनेगी.” रोहित ने कहा और बिस्तर पर तूफान मचा दिया.

वो इतनी ज़ोर से धक्के मार रहा था कि बेड भी आवाज़ करने लगा.

“आअहह एस… प्लीज़ कंटिन्यू….अब मत रुकना.”

“हाहहाहा…..वैसे एक सवाल बाकी है अभी …”

“क्या नहियीईई प्लीज़ मेरा ऑर्गॅज़म हो जाने दो. मैं बहुत नज़दीक हूँ. प्लीज़…कंटिन्यू आआहह.”

“जस्ट जोकिंग सिमरन, एंजाय युवर ऑर्गॅज़म.”

क्रमशः........................
Reply
01-01-2019, 12:33 PM,
#90
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--85

गतान्क से आगे.................

“थॅंक्स रोहित. आआहह यू आर टू गुड. ईच थ्रस्ट ऑफ युवर्ज़ ईज़ वेरी-वेरी पॉवेरफ़ुल्ल. आइ आम फाइलिंग युवर थ्रस्ट ऑल ओवर माइ बॉडी. प्लीज़ रुकना मत अब.”

वैसे रोहित अब रुकने के मूड में नही था. सभी सवालो के जवाब उसे मिल गये थे. उसके धक्को की तेज़ी बढ़ती जा रही थी.

अचानक सिमरन बहुत ज़ोर से चिल्लाई, “ओह्ह्ह नूऊ…. यस आआहह..प्लीज़ रुक जाओ…आहह.”

सिमरन ने आख़िरकार अपना ऑर्गॅज़म पा लिया था

मगर रोहित ने अपनी मूव्मेंट जारी रखी. उसका ऑर्गॅज़म अभी बाकी था. वो लगा हुआ था तेज तेज धक्के मारने में. वो बस पहुँचने ही वाला था अपने चरम पर की अचानक उसका मोबाइल बज उठा.

“उफ्फ कौन है इस वक्त.”

“तुम लगे रहो, बाद में देखना, अपना काम भी तो पूरा करो, आइ वॉंट युवर हॉट वॉटर इनसाइड मी.”

“पानी की नदी बहा दूँगा, पहले देख लूँ कि किसका मेसेज आया है.”

रोहित ने बिस्तर पर पड़ी अपनी पंत को हाथ बढ़ा कर अपनी तरफ खींच लिया. और पॅंट की जेब से अपने मोबाइल को निकाल कर मेसेज रेड करने लगा. मेसेज पढ़ते ही उसके होश उड़ गये.

मेसेज कुछ इस प्रकार था.

“मिस्टर रोहित पांडे. मेरे ठिकाने से ही बच कर निकल गये तुम. वेरी नाइस. तुम्हारी ए एस पी साहिबा भी पूरी पोलीस फोर्स ले कर पहुँच गयी थी जंगल में. वो ना आती तो तुम्हारा वो हाल करता कि दुबारा जनम नही लेते धरती पर. तुम्हारी ए एस पी साहिबा मेरे कब्ज़े में है. बहुत ही बुरी मौत दूँगा ए एस पी साहिबा को मैं. कुछ कर सकते हो तो कर लो. तडपा तडपा कर मारूँगा उसे मैं.”

रोहित तुरंत सिमरन के उपर से हट गया.

“क्या हुआ…डॉन’ट यू वॉंट युवर ऑर्गॅज़म.”

“ऑर्गॅज़म से भी ज़्यादा कीमती चीज़ दाँव पर लगी है सिमरन. मुझे तुरंत जाना होगा.”

रोहित ने फ़ौरन अपने कपड़े पहन लिए और बोला, “मुझे संजय का अड्रेस दो जल्दी.”

“आख़िर बात क्या है बताओ तो.”

“प्लीज़ गिव मी दा डॅम अड्रेस. बाते करने का वक्त नही है.”

सिमरन ने रोहित को संजय का अड्रेस दे दिया. रोहित तुरंत वो अड्रेस ले कर सिमरन के घर से निकल गया. उसके चेहरे पर बहुत ज़्यादा गुस्सा था.

सिमरन के घर से निकलते ही रोहित ने ए एस पी साहिबा को फोन मिलाया. वो कन्फर्म करना चाहता था कि साइको सच बोल रहा है या झूठ. मगर फोन साइको ने उठाया.

“हेलो मिस्टर पांडे, अब जब ए एस पी साहिबा मेरे कब्ज़े में हैं तो फोन भी तो मेरे पास ही होगा. कैसे बेवकूफ़ पोलीस वाले हो तुम. चलो कोई बात नही. मैं खुद तुम्हे फोन करने वाला था. सोच रहा हूँ क्यों ए एस पी साहिबा की खूबसूरती को बेकार किया जाए. वो भी पद्‍मिनी से कम सुंदर नही है. उफ्फ क्या गुस्सा है इसकी आँखो में. बेचारी छटपटा रही है. बहुत ही सुंदर लग रही है. अभी डर नही है इसकी आँखो में. डर भी आएगा. डर में ये और ज़्यादा सुंदर लगेगी. ए एस पी साहिबा को भी एक आर्टिस्टिक मौत मिलनी चाहिए. शी डिज़र्व्स आ ब्यूटिफुल डेत.”

“ब्यूटिफुल डेत तो तुम्हे मैं दूँगा, नपुंसक साइको.” रोहित चिल्लाया.

“हाहहाहा, देखते हैं आज की कौन नपुंसक है. चलो तुम्हे मोका देता हूँ ए एस पी साहिबा को बचाने का. हालाँकि वो मेरे हाथो हर हाल में मरेगी. अभी इसी वक्त मसूरी की तरफमोड़ लो अपनी गाड़ी. पाहाड़ों में चित्रकारी करने का मन है इस बार. तुम्हे मेरी ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी मिलेगी सड़क किनारे. बस तुम चलते जाना. जहा ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी मिले वही रुक जाना. आगे मैं संभाल लूँगा.कोई होशियारी मार करना वरना तुम जानते ही हो कि मैं क्या कर सकता हूँ. वेटिंग फॉर यू मिस्टर पांडे. किसी को भी फोन करने की कोशिस मत करना. जीप में कॅमरा है तुम्हारी. देख रहा हूँ तुम्हे मैं. अब चुपचाप मसूरी की हसीन वादियों की तरफ आ जाओ. वैसे तुम्हारे पास चाय्स है ना आने की, वो तुम्हारी लगती भी क्या है. नही आओगे तो अगले 15 मिनिट में ए एस पी साहिबा मेरी आर्ट का हिस्सा बन जाएगी. अगर आओगे तो ए एस पी साहिबा के साथ तुम भी सामिल हो जाओगे मेरी आर्ट में. चाय्स तुम्हारी है, बताओ मैं वेट करूँ तुम्हारा या फिर बना दूं शालिनी की आर्ट इसी वक्त.”

“मैं आ रहा हूँ साले, नामार्द साइको. तेरी बुजदिली जाहिर होती है इन हर्कतो से. सच बता तू अपने बाप की औलाद नही है ना. शायद किसी पड़ोसी की मेहरबानी का नतीज़ा हो तुम. “

“तुम्हे मारने में बहुत मज़ा आएगा मिस्टर रोहित पांडे. जल्दी आ जाओ अब देर मत करो. मेरा चाकू प्यासा है. और इस फोन की कोई ज़रूरत नही है तुम्हे अब. फेंक दो इसे एक तरफ. बंदूक का भी क्या करोगे तुम, उसे भी एक तरफ फेंक दो.” साइको ने फोन काट दिया ये बोल कर

“मेरी जीप में कॅमरा कब लगा गया ये कमीना …बहुत शातिर है ये.” रोहित ने फोन और बंदूक फेंक दिए एक तरफ और जीप में बैठ कर मसूरी की तरफ चल दिया.

रात के 12 बाज रहे थे. सदके सुनशान थी. हर तरफ खौफनाक सन्नाटा था. रोहित पूरी तेज़ी से मसूरी की तरफ बढ़े जा रहा था. कोई 40 मिनिट चलने के बाद उसे एक ब्लॅक स्कॉर्पियो देखाई दी सड़क पर खड़ी हुई. उसने अपनी जीप उसके पीछे रोक दी.

“बहुत बढ़िया कार पे नंबर प्लेट ही नही है. वाह भाई वाह. मान गये साइको जी आपको” रोहित ने मन ही मन कहा.

रोहित चुपचाप जीप से निकल कर बाहर आया.

“आओ मिस्टर रोहित पांडे, बड़ी जल्दी आ गये तुम. मान-ना पड़ेगा हिम्मत बहुत है तुम में.” साइको ने कहा. वो एक पेड़ के सहारे खड़ा था और उसके चेहरे पर काला नकाब था.

“तुम्हारी तरह नपुंसक नही हूँ.”

“हाहहाहा रस्सी जल गयी पर बल नही गये. अपनी बंदूक निकाल कर अपनी जीप में रख दो और चुपचाप मेरे साथ चलो.”

“एक बात पूछूँ, तुम ये सब क्यों करते हो.”

“आर्टिस्ट को अपना हुनर देखने के लिए किसी कारण की ज़रूरत नही होती. आओ आपको अंधेरे जंगल में ले चलते हैं.”

“यहा नया ठिकाना बना लिया क्या तुमने.”

“जल्दी चलो वरना ए एस पी साहिबा गहरी खाई में गिर जाएगी.”

“अब कौन सी गेम खेल रहे हो तुम.”

“चलो चुपचाप, सब पता चल जाएगा.”

रोहित चुपचाप साइको के आगे चल दिया.

“अपना चेहरा तो देखा देते एक बार. इतना डरते क्यों हो तुम.”

“मिस्टर पांडे मैं किसी से नही डरता हूँ, आर्टिस्ट हूँ मैं. खुद को गुमनाम रखना चाहता हूँ.”

“अपने डर को छुपाने की कोशिस कर रहे हो तुम. गुमनाम रहना तो एक बहाना है.”

“चुप कर बहुत हो गयी तेरी बड़बड़, अब एक शब्द भी बोला तो भेजा उड़ा दूँगा तेरा.”

“हाहहाहा, तू मुझे ऐसे नही मारेगा मुझे पता है. अपने प्लान के मुताबिक मारेगा. देखता हूँ मेरे लिए तेरे जैसे हिजड़े ने क्या प्लान बना रखा है.”

“दिमाग़ कराब मत कर. प्लान के बिना भी मार सकता हूँ तुझे मैं.”

“वो पता है मुझे. तभी तो तुझे साइको कहते हैं लोग.”

“साइको मत बोलो मुझे, मैं एक आर्टिस्ट हूँ, कितनी बार बताना पड़ेगा.”

“तुम ले जा कहाँ रहे हो मुझे.”

“चलते रहो चुपचाप बस कुछ ही देर में पहुँचने वाले हैं.”

कुछ देर बाद साइको बोला, “लो पहुँच गये”

“हर तरफ अंधेरा है. ए एस पी साहिबा कहा हैं.” रोहित ने पूछा.

साइको ने अपनी जेब से एक टॉर्च निकाली और रोशनी को एक पेड़ की ओर किया.

रोहित की आँखे फटी की फटी रह गयी पेड़ की तरफ देख कर.

शालिनी के दोनो हाथ रस्सी से बँधे हुए थे और वो पेड़ के एक लंबे तने के सहारे लटकी हुई थी. उसके मुँह में कुछ ठूंस रखा था साइको ने जिसके कारण वो कुछ भी नही बोल पा रही थी. शूकर था कि उसके शरीर पर कपड़े थे. वो जीन्स और टॉप पहने हुए थी.

“अब तुम जाओ और उसे बचा लो. हाथ खोल कर उसे ज़मीन पर गिरा देना. सिंपल सी गेम है. ज़्यादा पेचिदगी नही है. जाओ चढ़ जाओ पेड़ पर.” साइको ने कहा.

“गेम सिंपल नही हो सकती ये. कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ है …” रोहित ने सोचा.

“क्या सोच रहे हो. जाओ और उसकी मदद करो. एक मिनिट की भी देरी की तो उसे भी गोलियो से भुन दूँगा और तुम्हे भी.” साइको चिल्लाया.

रोहित मन में दुविधा लिए पेड़ की तरफ बढ़ने लगा. रोहित ने पीछे मूड कर देखा तो पाया की साइको पैंटिंग करने की तैयारी में है. लाइट का इंतज़ाम कर रखा था साइको ने अपनी पैंटिंग के लिए. मगर शालिनी के सिर्फ़ चेहरे पर ही टॉर्च की रोशनी पड़ रही थी. बाकी आस-पास का कुछ भी नही देखाई दे रहा था.

रोहित मन में दुविधा लिए धीरे-धीरे पेड़ की तरफ बढ़ा.

“कोई ख़तरनाक गेम है जो की समझ नही आ रही मुझे.” रोहित के मन में ढेर सारे सवाल थे.

साइको चुपचाप कॅन्वस पर पैंटिंग करने में लग गया. उस पर पेड़ से टगी शालिनी तो ऑलरेडी पेंटेड थे, अब वो उस टहनी पर जिस पर की शालिनी लटकी थी एक आकृति बना रहा था. जो कि शायद रोहित की थी.

“दिस विल बी मास्टरपीस क्रियेशन. ए एस पी साहिबा और रोहित पांडे पेड़ के मायाजाल में उलझे हुए बड़े सुंदर लगेंगे हिहिहीही.” साइको धीरे से मुस्कुरआया.

रोहित बहुत ज़्यादा कन्फ्यूषन में था. उसे साइको की गेम समझ नही आ रही थी."आख़िर क्या चाहता है ये कमीना साइको. इसके जैसा शातिर और कमीना इतनी आसान गेम नही खेल सकता. कुछ तो है ख़तरनाक इस गेम में जो कि मुझे समझ नही आ रहा." रोहित पेड़ पर चढ़ते हुए सोच रहा था.

"आप बिल्कुल चिंता मत करो मेडम, मेरे होते हुए आपको कुछ नही होगा. हां मर गया तो कुछ कह नही सकता, पता नही कैसी गेम है ये इस कामीने की."

शालिनी रोहित की बात सुनते ही उसकी तरफ देखते हुए छटपटाने लगी. उसके मुँह में कुछ ठूंस रखा था साइको ने. मगर वो चटपटाते हुए मुँह से बिना शब्दो के घुटन भरी आवाज़ कर रही थी. मानो इशारो में कुछ कह रही हो. रोहित समझ तो कुछ नही पाया मगर उसे इतना अहसास ज़रूर हो गया कि ए एस पी साहिबा कुछ कह रही हैं.

"मिस्टर रोहित पांडे बहुत ढीले पोलीस वाले हो तुम. जल्दी करो, देखो कैसे छटपटा रही हैं ए एस पी साहिबा. बहुत देर से टगी हैं ये इस पेड़ से. जल्दी से रस्सी खोल दो और इन्हे ज़मीन पर गिरा दो. धूल चटा दो इन्हे ज़मीन की. और हां तुम्हारे पास इनको उपर खींचने की ऑप्षन नही है. इन्हे उपर खींचा तो तुरंत गोलियों से भुन दूँगा तुम दोनो को. गेम जैसे मैं कहता हूँ वैसे ही खेलो तुम दोनो का कुछ नही बिगड़ेगा." साइको ने तेज आवाज़ में कहा.

ये सुनते ही रोहित का माथा ठनका, "कही ये कमीना मेरे हाथो मेडम को मरवाना तो नही चाहता. कही ज़मीन पर कुछ ऐसा तो नही है जिस पर गिरते ही मेडम की मौत हो जाए और साइको की घिनोनी आर्ट पूरी हो जाए." रोहित ने बड़े गौर से नीचे देखा. अंधेरा इतना ज़्यादा था कि उसे कुछ दिखाई नही दिया.

"क्या सोच रहे हो मिस्टर पांडे, कितना वक्त लगा रहे हो तुम. एक मिनिट की भी देरी की अब तो भून दूँगा तुम दोनो को." साइको चिल्लाया.

"हे भगवान कैसे गिरा दू अंधेरे में मेडम को. नीचे कुछ नज़र नही आ रहा कि क्या है. ये कैसी परीक्षा में डाल दिया मुझे. मेरे कारण मेडम को कुछ हुआ तो खुद को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा."

साइको बंदूक लेकर आगे बढ़ा, "5 तक गिनूंगा मैं, 5 तक इसे नीचे नही गिराया तो भेजा उड़ा दूँगा इसका. और इसे मारने के बाद तुम्हे भी टपका दूँगा."

साइको ने गिनती शुरू कर दी. रोहित ने रस्सी खोलनी शुरू कर दी. उसके हाथ काँप रहे थे रस्सी खोलते हुए. जैसे तैसे उसने रस्सी खोल दी मगर रस्सी को हाथ में थामे रहा.

"मुझे पता था तुम इसे नीचे नही गिराओगे. यही मेरी गेम थी हाहहाहा." साइको क्रूरता से हँसने लगा.

रोहित ये सुन कर हैरान रह गया. "साले तू चाहता क्या है. सॉफ-सॉफ बता ना." शालिनी के कारण रोहित कोई गंदी गाली नही दे पाया साइको को.

"हाहहहाहा अभी पता चल जाएगा थोड़ी देर रुक तो सही." साइको ने कहा.

साइको ने एक एलेक्ट्रिक लकड़ी काटने की मशीन उठाई और उस तने पर रख दी जिस पर रोहित चढ़ा था.

"धन्यवाद तुम दोनो का मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने के लिए. गो टू हेल नाउ हाहहहाहा."

रोहित के तो कुछ समझ नही आया कि हो क्या रहा है.

"बाइ दा वे, ये पेड़ खाई के बिल्कुल किनारे पर है. इन पहाड़ियों की सबसे गहरी खाई है ये. जाओ इस खाई का आनंद लो हाहहहाहा."

क्रमशः........................
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,498,594 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,076 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,230,441 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 930,759 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,651,973 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,079,058 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,948,710 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,047,774 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,028,822 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,620 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)