Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:38 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--96

गतान्क से आगे.................

“सॉरी पद्‍मिनी जी. मैं आपको डिस्टर्ब नही करना चाहता था. इसलिए फोन नही किया आपको. लेकिन ये जान कर बहुत अछा लग रहा है कि आप मुझे ढूंड रही थी. वैसे क्यों ढूंड रही थी आप मुझे…टेल…टेल.” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.

“कुछ बनाया था ख़ास आज नाश्ते में. तुम्हे चखाना चाहती थी. और कोई बात नही थी. ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नही है.”

“फिर तो अच्छा ही हुआ कि मैं यहाँ नही था. पता नही क्या बनाया था आपने. खा कर बेहोश हो जाता तो.”

“कभी खाया भी है तुमने मेरे हाथ का कुछ जो ऐसा बोल रहे हो. बहुत अच्छा खाना बनाती हूँ मैं.”

“ऐसे कैसे यकीन कर लूँ मैं. मैने तो यही सुना था कि हसिनाओं को खाना…वाना बनाना नही आता. बस अपनी अदाओं से घायल करना आता है.”

“अभी बना कर दूं कुछ तो क्या यकीन करोगे?”

“इस वक्त…इतनी रात को आप मेरे लिए कुछ बनाएँगी. कितना प्यार करने लगी हैं आप मुझे. मेरे आँखे अब सच में नम हो गयी हैं.” राज शर्मा ने झूठ मूठ आँखे मलते हुए कहा.

“जाओ चुपचाप बैठ जाओ अपनी जीप में जाकर…कुछ नही बना रही हूँ मैं. हद होती है मज़ाक की भी. मुझे नही पता था कि तुम इतना मज़ाक करते हो.”

“अरे मज़ाक का बुरा मान गयी आप. मज़ाक का कोई बुरा मानता है क्या?”

“क्या कहते थे तुम मुझे, प्यार करते हैं हम आपसे…कोई मज़ाक नही. अब ऐसा लग रहा है कि मज़ाक वाला पार्ट ही सही है इसमे बाकी सब झूठ है.”

“आपसे थोड़ा सा हँसी मज़ाक करके दिल खुश हो गया आज. क्या ये खुशी छीन लेंगी आप मुझसे. आपको अगर इतना बुरा लगा तो नही करूँगा मज़ाक आजसे कभी.”

“ऐसी बात नही है राज शर्मा… सॉरी… आक्च्युयली मैं सच में अच्छा खाना बनाती हूँ. सब तारीफ़ करते हैं मेरे हाथ के खाने की. इसलिए तुम्हारा मज़ाक बुरा लग गया मुझे.”

“चलिए फिर…तारीफ़ करने वालो में मैं भी शामिल होना चाहता हूँ.” राज शर्मा ने कहा.

“तुम यही रूको मैं बना कर लाती हूँ.” पद्‍मिनी ने कहा.

“क्या मैं आपके साथ किचन में नही आ सकता. देखना चाहता हूँ आपको बनाते हुए.”

पद्‍मिनी ने थोड़ी देर सोचा और फिर बोली, “आ जाओ”

“इतना सोचा क्यों आपने मुझे अंदर बुलाते हुए. मैं क्या आपको खा जाउन्गा.”

“कुछ नही…तुम नही समझोगे.” अब अपना सपना कैसे सुनाए पद्‍मिनी राज शर्मा को

पद्‍मिनी किचन में गयी और सबसे पहले गॅस ऑन किया. “ओह नो…”

“क्या हुआ?”

“गॅस ख़तम हो गयी…दूसरा सिलिंडर भी नही है.”

“चलिए परेशान होने की कोई ज़रूरत नही है…हम बैठ कर बाते करते हैं.”

“हां पर मेरा मन था कुछ बनाने का. भूक भी लग रही है. उफ्फ ये गॅस भी आज ही ख़तम होनी थी.” पद्‍मिनी ने बड़ी मासूमियत से कहा.

राज शर्मा तो देखता ही रह गया पद्‍मिनी को. गजब की मासूमियत थी पद्‍मिनी के चेहरे पर. ऐसा लग रहा था जैसे की किसी बच्चे का खिलोना टूट गया हो और वो रोने वाला हो.

“पद्‍मिनी जी छोड़िए ना…चलिए प्यार भरी बाते करते हैं. अब आपसे प्यार का रिस्ता जुड़ गया है…खाना पीना तो होता ही रहेगा.” राज शर्मा ने कहा.

“हां अब यही कर सकते हैं.”

पद्‍मिनी किचॅन के बाहर दीवार के सहारे खड़ी थी. राज शर्मा उसके सामने खड़ा था. राज शर्मा चुपके-चुपके पद्‍मिनी के गुलाबी होंटो को देखे जा रहा था.

“क्या देख रहे हो तुम घूर-घूर कर बार बार.”

“क…क…कुछ नही. क्या आपको देख नही सकता मैं. बहुत प्यारी लग रही हैं आप.”

पद्‍मिनी ना चाहते हुए भी शर्मा गयी.

“अरे आप तो शरमाती भी बहुत अच्छा हैं.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी की आँखो में देखते हुए कहा.

पद्‍मिनी ने अपनी नज़रे झुका ली. कोई जवाब नही दिया राज शर्मा को.

“यही मोका है राज शर्मा…बढ़ आगे और जाकड़ ले इन गुलाबी पंखुड़ियों को अपने होंटो में. पद्‍मिनी जी अच्छे मूड में लग रही हैं. इस से अच्छा मोका नही मिलेगा पप्पी करने का.” राज शर्मा दृढ़ता से पद्‍मिनी की तरफ बढ़ा और बिल्कुल करीब आ गया पद्‍मिनी के.

इस से पहले की पद्‍मिनी कुछ समझ पाती राज शर्मा ने अपने होन्ट टिका दिए पद्‍मिनी के होंटो पर और दोनो हाथो से पद्‍मिनी के सर को कुछ इस कदर पकड़ लिया की पद्‍मिनी अपने होन्ट उसके होंटो से जुदा ना कर पाए. पद्‍मिनी ने पूरी कोशिस की राज शर्मा को हटाने की पर अपना राज शर्मा कहाँ रुकने वाला था. अपना प्यार मजबूत करना था उसे इसलिए पद्‍मिनी के गुलाबी होंटो को पूरी शिदत से चूस्ता रहा अपने होंटो में दबा कर. पद्‍मिनी बस कू..कू करती रही…मुँह से बोलती भी तो कैसे बोलती कुछ. पूरे 2 मिनिट बाद हटा राज शर्मा और बोला, “गुलाब की पंखुड़ियों से भी मुलायम होन्ट हैं आपके. कैसी लगी हमारी पहली किस.”

पद्‍मिनी ने कुछ कहने की बजाए थप्पड़ जड़ दिया राज शर्मा को, “ऐसी लगी ये बेहूदा किस. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ज़बरदस्ती किस करने की. क्या यही प्यार है तुम्हारा. ये किसी रेप से कम नही था. मेरे पास मत आना आज के बाद तुम.”

“मेरा प्यार क्या रेप लगता है आपको. किस प्यार की ज़रूरत होती है. नही तो प्यार मजबूत कैसे होगा. हम इज़हार कैसे करेंगे प्यार का अगर किस नही करेंगे तो. क्या आप मुझे किस नही करना चाहती थी.”

“दूर हो जाओ तुम मेरी नज़रो से. एक तो ग़लत काम करते हो उपर से उसे जस्टिफाइ भी करते हो. हर चीज़ का एक तरीका होता है. ये नही कि ज़बरदस्ती पकड़ कर जो मन में आए कर लो.”

“ओह सो सॉरी पद्‍मिनी जी. मुझे इस बात का अहसास ही नही हुआ. मैं किसी के बहकावे में आ गया था और ये सब कर बैठा.”

“किसने बहकाया तुम्हे.”

“गुरु ने कहा था कि किस करने से प्यार मजबूत होगा इसलिए जल्द से जल्द एक किस कर लो.”

“वो कहेगा कुवें में कूद जाओ तो क्या कूद जाओगे.”

“सॉरी आगे से किसी की बातों में नही आउन्गा. मगर एक बात कहना चाहूँगा.”

“क्या?”

“मैं आपके होन्ट देख कर बहक गया था. कोई मुझे ना भी भड़काता तो भी मैं ये गुस्ताख़ी कर ही देता. थप्पड़ पड़ा आपका. अहसास भी हुआ कि ग़लत किया कुछ. मगर जो अहसास मैने पाया है आपके गुलाबी होंटो को चूमने का वो इतना अनमोल है कि आप मेरी गर्दन भी काट दें अब तो गम नही होगा क्योंकि कुछ बहुत ही ज़्यादा अनमोल पा चुका हूँ मैं अब. चलता हूँ मैं बाहर. हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा. गॉड ब्लेस्स यू.” राज शर्मा मूड कर चल दिया.

“रूको…”

“जी कहिए.”

“क्या बस किस ही करनी थी मुझे. क्या बात नही करेंगे हम अब.”

“ऑम्ग…क्या आपने मुझे माफ़ कर दिया. विस्वास नही होता. ऐसा मत कीजिए. मैं बहुत बदमाश हूँ…फिर से जाकड़ कर पप्पी ले सकता हूँ आपकी.”

“राज शर्मा तुम्हे प्यार करती हूँ मैं. तुम इतने उतावले क्यों हो रहे हो किस के लिए. हमे पहले एक दूसरे को समझना चाहिए. एक बुनियाद बनानी चाहिए रिस्ते की. ये बातें बहुत बाद में आनी चाहिए.”

“कितनी प्यारी बात कही आपने. जिन होंटो से ये बात कही उन्हे चूमने का मन कर रहा है. अब आप ही बतायें क्या करूँ.”

“एक थप्पड़ और खाओगे मुझसे”

“मंजूर है हर जुल्मो-शितम आपका, बस होंतों को होंटो से टकराने दीजिए.” राज शर्मा ने कहा और पद्‍मिनी की तरफ बढ़ा.

पद्‍मिनी ने वाकाई एक थप्पड़ और जड़ दिया राज शर्मा के मुँह पर. मगर राज शर्मा नही रुका और पद्‍मिनी को पकड़ कर फिर से उसके होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच में. इस बार और भी ज़्यादा गहराई से चुंबन लिया राज शर्मा ने पद्‍मिनी का. पूरे 5 मिनिट चूस्ता रहा वो पद्‍मिनी के होंटो को.

5 मिनिट बाद पद्‍मिनी के होंटो को आज़ाद करके राज शर्मा बोला, “मुझे नही पता कि आपको कैसा लगा. मगर मैने जन्नत पा ली इन पलों में. और हां आपके होन्ट पूरा सहयोग दे रहे थे वरना चुंबन मुमकिन नही था. धन्यवाद आपका.”

“रूको मैने कोई सहयोग नही किया तुम्हे.”

“जानता हूँ…मैने आपके होंटो को कहा…आपको नही. आपके होन्ट मेरे हैं अब. आप चाह कर भी उन्हे मुझसे दूर नही रख सकती. गुड नाइट.”

“तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी मैं इस सब के लिए. आइ हेट यू.”

राज शर्मा मुस्कुराता हुआ बाहर आ गया, “नफ़रत झूठी है आपकी. आपके होन्ट तो इतना प्यार दे रहे थे कि पूछो मत. इट वाज़ मोस्ट ब्यूटिफुल किस ऑफ माइ लाइफ. आइ कॅन डाइ फॉर इट.”

पद्‍मिनी ठगी सी राज शर्मा को बाहर जाते हुए देख रही थी. राज शर्मा के जाने के बाद पद्‍मिनी ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया.

“बदतमीज़ कही का. मुझे नही पता था कि ये ऐसा करेगा मेरे साथ. क्यों प्यार कर बैठी हूँ मैं इस से. इसे तो भले बुरे की समझ ही नही है. प्यार में ज़बरदस्ती किस करता है क्या कोई. ग़लती कर ली थी मैने इसे घर में बुला कर. आगे से इसे कभी अंदर नही घुसने दूँगी.” पद्‍मिनी दरवाजे के सहारे खड़े हो कर सब सोच रही थी.

अचानक पद्‍मिनी को कुछ ख़याल आया और वो वहाँ से चल दी अपने कमरे की तरफ. अपने कमरे में लगे दर्पण के आगे खड़ी हो कर उसने खुद को बड़े गौर से देखा. अंजाने में ही उसका दायां हाथ खुद-ब-खुद उसके होंटो तक पहुँच गया. उसने अपने होंटो पर उंगलियाँ फिराई और धीरे से बोली, “तुम क्यों उसके साथ मिल गये थे.”

पद्‍मिनी को अपने अंदर से जो जवाब आया उस पर वो विस्वास नही कर पाई. “किस ऐसी भी हो सकती है, कभी सोचा नही था.”

“छी ये सब मैं क्या सोच रही हूँ. ये राज शर्मा अपने जैसा ही बनाने पर तुला है मुझे. पर मैं क्या करूँ प्यार कर बैठी हूँ इस पागल से दूर भी नही रह सकती उस से. वो सुबह बिना बताए चला गया था तो कितनी बेचैन रही थी मैं. ऐसा क्यों होता है प्यार में?” पर पद्‍मिनी के पास अपने स्वाल का कोई जवाब नही था.

“मुझे हाथ नही उठाना चाहिए था राज शर्मा पर. बुरा लगा होगा उसे. पर मैं क्या करती…अचानक जाकड़ लिया उसने मुझे. मुझे सोचने समझने का मोका तक नही दिया.पहली बार मैने किसी को थप्पड़ मारा है. जिसे मारना चाहिए था उसे तो आज तक नही मार पाई और जो मुझे इतना प्यार करता है उस पर हाथ उठा दिया. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”

पद्‍मिनी खिड़की के पास आई और पर्दे को हल्का सा हटा कर देखा. राज शर्मा अपनी जीप में आँखे बंद किए बैठा था. “कही नाराज़ तो नही हो गया राज शर्मा मुझसे.” पद्‍मिनी ने मन ही मन सोचा.

राज शर्मा के शरीर में हलचल हुई तो पद्‍मिनी ने फ़ौरन परदा गिरा दिया और दिल पर हाथ रख कर बोली, “कही देख तो नही लिया उसने मुझे. नही…नही..वो नींद में है शायद. अब मुझे भी सो जाना चाहिए.”

लेकिन खिड़के से हटने से पहले पद्‍मिनी ने एक बार फिर परदा हटा कर देखा. राज शर्मा वैसे ही आँखे बंद किए पड़ा था. “शुकर है नही देखा इसने मुझे…नही तो मज़ाक उड़ाता सुबह मेरा.” पद्‍मिनी मुस्कुराते हुए सोच रही थी.

पद्‍मिनी अपने बिस्तर पर आकर गिर गयी और आँखे बंद करके धीरे से बोली,“ सॉरी राज शर्मा…मुझे तुम्हे थप्पड़ नही मारना चाहिए था. प्लीज़ मुझसे नाराज़ मत होना. तुम्हारे शिवा कोई नही है मेरा अब.”

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रोहित शालिनी के रूम पर पहुँचा तो देखा की अंदर से एक नर्स निकल रही है. रोहित ने उस नर्स को रोका और पूछा, “मेडम जाग रही हैं या सो रही हैं.”

“अभी-अभी इंजेक्षन दे कर आई हूँ उन्हे. वो जाग रही हैं.”

रोहित का चेहरा चमक उठा ये सुन कर. वो घुस गया कमरे में. शालिनी आँखे मीचे पड़ी थी.

“मेडम सब ठीक है ना. कोई तकलीफ़ तो नही है.” रोहित ने धीरे से कहा.

“रोहित तुम! तुम यहाँ क्या कर रहे हो. आराम करने को कहा था ना मैने.”

“आराम ही कर रहा था मैं कमरे में की अचानक” रोहित ने पूरी बात बताई ए एस पी साहिबा को.

“ओह…फिर भी दूसरे पोलीस वाले भी हैं यहा.”

“मेडम क्या चौहान को आपने कही भेजा है.”

“नही मैने तो कही नही भेजा.” शालिनी ने कहा.

“ओह…शायद किसी काम से गये होंगे?” रोहित ने कहा.

“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.

“जी मेडम बोलिए.”

“कुछ नही…जाओ सो जाओ.” शालिनी ने गहरी साँस लेकर कहा.

“क्या बात है बोलिए ना?”

“नही रहने दो…कोई बात नही है.”

“क्या आप नाराज़ हैं मुझसे.”

“नही रोहित”

“फिर बोलिए ना क्या बात है.”

“किसी ने मुझे ऐसे नही डांटा कभी जैसे तुमने डांटा था वहाँ जंगल में.”

“सॉरी मेडम, जो सज़ा देनी है दे दीजिए. चाहे तो सस्पेंड कर दीजिए तुरंत, बुरा नही मानूँगा बिल्कुल भी.”

“नही मेरा वो मतलब नही था.”

“फिर आप अब मुझे डाँट कर दिल की भादास निकाल लीजिए.”

“नही वो भी नही करना चाहती”

“फिर क्या करना चाहती हैं आप.”

“कुछ नही..तुम सो जाओ जाकर. मुझे अब नींद आ रही है.”

रोहित सर खुजाता हुआ बाहर आ गया

“मेडम कैसी बहकी बहकी बाते कर रही हैं. पता नही क्या चक्कर है …कही वही चक्कर तो नही जो कि मैं सोच रहा था. ”

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क्रमशः........................
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बात एक रात की--97

गतान्क से आगे.................

बिस्तर पर पड़ते ही पद्‍मिनी गहरी नींद में समा गयी थी. सुबह उसकी आँख डोर बेल से खुली. पद्‍मिनी ने टाइम देखा, सुबह के 8 बज रहे थे.

“कौन है इस वक्त?” पद्‍मिनी ने सोचा और खिड़की के पास आ कर बाहर झाँक कर देखा. राज शर्मा जीप में नही था.

“राज शर्मा ही है शायद.”

पद्‍मिनी दर्पण के सामने आई और हाथ से अपने बॉल संवार कर, आँखे पोंछ कर कमरे से निकल गयी.

पद्‍मिनी ने दरवाजा खोला.

“लीजिए सिलिंडर.” राज शर्मा कह कर चल दिया.

“नाराज़ हो मुझसे?”

“आप खुद सोचिए. अपनी प्रेमिका का चुंबन लिया था मैने…कोई गुनाह नही कर दिया था जो कि थप्पड़ पे थप्पड़ जड़ दिए आपने. बहुत बुरा लगा मुझे. आप प्यार नही मज़ाक करती हैं मुझसे.”

“ऐसा नही है…बहुत प्यार करती हूँ तुमसे मैं. मुझे अपनी ग़लती का अहसास है.” पद्‍मिनी ने मासूमियत से कहा.

राज शर्मा तो देखता ही रह गया पद्‍मिनी को. पद्‍मिनी की आँखो में उभर आए प्यार में खो गया था वो.

“कुछ इस तरह से कहा है आपने ये सब की थप्पड़ का नामो निसान भूल गया हूँ. अब तक कहाँ छुपा रखा था ये प्यार आपने. शीतम ढा रही हैं आप मुझ पर अब.”

पद्‍मिनी शरमाये बिना ना रह सकी. वो हल्की सी नज़रे झुका कर बोली, “तो तुमने मुझे माफ़ कर दिया.”

“आपसे नाराज़ हो कर कहा जाउन्गा मैं. आप यकीन करें या ना करें मगर आप मेरी जींदगी बन गयी हैं.”

“राज शर्मा सच-सच बताना तुम्हारा मकसद क्या है इस प्यार में.?”

“मकसद एक ही है…आपसे शादी करना चाहता हूँ. जींदगी भर आपके साथ रहना चाहता हूँ.”

“क्या तुम्हे पता है कि मैं तुमसे उमर में बड़ी हूँ. कोई 3 या 4 साल बड़ी हूँ तुमसे मैं.”

“उस से कुछ फरक नही पड़ता पद्‍मिनी जी.”

“ये जी क्यों लगाते हो मेरे नाम के पीछे हर बार तुम. क्या मुझे सिर्फ़ पद्‍मिनी नही कह सकते.”

“ठीक है पद्‍मिनी जी…ओह सॉरी पद्‍मिनी…आज से ही जी को दूर फेंक दिया जाएगा. चलिए मैं ये सिलिंडर अंदर रख देता हूँ.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी सोच में पड़ गयी.

“इतनी सुबह-सुबह कहाँ से लाए सिलिंडर तुम.”

“अपने घर से लाया हूँ. वहाँ बेकार ही पड़ा था.”

“रहने दो मैं ले जाउन्गि.”

“कैसी बात करती हैं आप. आप क्यों ले जाएँगी इसे उठा कर मेरे होते हुए. हटिए एक तरफ.”

राज शर्मा सिलिंडर ले कर अंदर आ गया और उसे किचन में ले जाकर चूल्‍हे से कनेक्ट कर दिया.

पद्‍मिनी किचन के दरवाजे पर खड़ी सब देखती रही. जब राज शर्मा सब काम करके मुड़ा तो पद्‍मिनी ने पूछा, “क्या खाओगे तुम.”

“अगर थप्पड़ नही पड़ेंगे तो एक चीज़ खाना चाहूँगा.”

“नहियीईईई….क्या तुम्हारा मन नही भरा.” पद्‍मिनी दो कदम पीछे हट गयी.

“कैसी बात करती हैं आप. राज शर्मा से प्यार किया है आपने. मेरा मन आप जैसी हसीना के लिए कभी नही भरेगा.”

“मैने अभी कोल्गेट भी नही किया है?” पद्‍मिनी ने टालने की कोशिस की.

“कोई बात नही…मैने एक बार कही पढ़ा था कि किस मुँह में मौजूद बॅक्टीरिया का ख़ात्मा करती है.”

“झूठ बोल रहे हो?”

“नही सच बोल रहा हूँ मैं.”

पद्‍मिनी राज शर्मा से बचने के लिए अपने कमरे की तरफ भागी.

“अरे रुकिये कहाँ भाग रही हैं आप. मुझसे आपको कोई नही बचा सकता.”

राज शर्मा भी पद्‍मिनी के पीछे भागा. आधी सीढ़ियाँ चढ़ चुकी थी पद्‍मिनी. मगर राज शर्मा ने हाथ पकड़ लिया भाग कर. पद्‍मिनी ने मूड कर राज शर्मा से हाथ छुड़ाने के लिए झटका दिया. राज शर्मा का पाँव फिसल गया और वो लूड़क गया सीढ़ियों से.

“राज शर्मा!” पद्‍मिनी भाग कर आई राज शर्मा के पास. माथे से हल्का सा खून बह रहा था राज शर्मा के.

“सो सॉरी राज शर्मा…ज़्यादा तो नही लगी.”

राज शर्मा ने जवाब देने की बजाए पद्‍मिनी को पकड़ लिया

“राज शर्मा प्लीज़.... छोड़ो मेरा हाथ…तुम तो पागल हो गये हो.” पद्‍मिनी गिड़गिडाई

राज शर्मा पद्‍मिनी का हाथ पकड़े हुए खड़ा हुआ और उसे दीवार से सटा दिया.

“अब भागो कहा भागोगी. बहुत सताया है आपने मुझे. बहुत नाटक झेलें हैं आपके. अब आपसे गिन-गिन कर बदले लूँगा.”

“तो तुम मुझसे बदला ले रहे हो.”

“हां ऐसा बदला जिसमे प्यार ही प्यार है.”

“उफ्फ तुम पागल हो गये हो. कहाँ फँस गयी मैं इस पागल के साथ.”

राज शर्मा ने पद्‍मिनी को बाहों में जाकड़ लिया और अपने होन्ट पद्‍मिनी के दहक्ते अंगारों पर टिका दिए. पद्‍मिनी चाहती तो अपने होन्ट हटा सकती थी. मगर वो बुत बनी खड़ी रही. शुरू के कुछ पलों में तो बस राज शर्मा चूम रहा था प्दमीनी को. मगर कुछ ही देर बाद पद्‍मिनी भी राज शर्मा के होंटो को तरह तरह से अपने होंटो में जाकड़ रही थी. 5 मिनिट तक पागलों की तरह चूमते रहे वो एक दूसरे को. वो दोनो चुंबन के शुरूर में खो कर प्यार रूपी समुंदर में गोते लगा रहे थे.

अचानक पद्‍मिनी को अजीब सी चुभन महसूस हुई अपनी योनि के करीब. पद्‍मिनी ने राज शर्मा को खुद से दूर धकैल दिया.

“क्या हुआ?”

पद्‍मिनी ने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली, “जैसे तुम्हे कुछ नही पता.”

राज शर्मा ने नज़रे झुका कर अपनी पॅंट पर बने उभार को देखा और बोला, “ओह सॉरी…ये मेरे बस में नही है. ये तंबू इसने खुद खड़ा किया है.”

“तुम जाओ अब. मुझे फ्रेश होना है.” पद्‍मिनी गुस्से में कहा

“ओह हां ऑफ कोर्स. शूकर है थप्पड़ नही पड़ा आज... हिहिहीही.” राज शर्मा हंसते हुए चल दिया वहाँ से.

“हे भगवान किस पागल के प्यार में फँस गयी मैं.” पद्‍मिनी ने सोचा.

राज शर्मा के जाने के बाद पद्‍मिनी ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया और खुद से बोली, “अब इसे दुबारा अंदर नही आने दूँगी. ये तो पागल है पूरा. क्या ऐसा करता है कोई…जैसा ये करता है.”

पद्‍मिनी ने अपने दिल पर हाथ रखा. वो अभी भी ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. “पर मुझे क्या हो जाता है…क्यों उसका साथ देती हूँ मैं. क्या उसके हाथो का खिलोना बन गयी हूँ मैं. नही…ऐसा नही होने दूँगी मैं……”

पद्‍मिनी जितना राज शर्मा से प्यार करती थी. उतना ही अपने चरित्र के लिए प्रोटेक्टिव भी थी. अजीब सी सिचुयेशन थी पद्‍मिनी के सामने.

राज शर्मा बाहर आकर जीप में बैठ गया था और चुंबन के शुरूर में खो गया था. “सच में प्यार बहुत सुंदर होता है. ऐसी किस किसी से नही मिली. पद्‍मिनी के होन्ट मेरे होंटो पर हरकत तो कर रहे थे परंतु एक झीजक सी बरकरार थी. मगर उसके होंटो की हर हरकत चिल्ला-चिल्ला कर यही कह रही थी कि ‘मैं तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ राज शर्मा’. वैसे वो मानेगी नही ये बात पर मैं जान गया हूँ. शी ईज़ रियली अमेज़िंग. धन्य हो गया हूँ आपसे प्यार करके पद्‍मिनी जी…” राज शर्मा सोचते हुए मुस्कुरा रहा था.

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मोहित सुबह होते ही पूजा के घर से निकल गया था. जाते-जाते वो पूजा को बोल गया था कि आज सारा दिन बिज़ी रहेगा क्योंकि काफ़ी काम है. दरअसल उसे इन्वेस्टिगेशन पर दिलो-जान से जुटना था. पहले मोहित घर गया और नहा धो कर अपना जासूसी का समान ले कर निकल पड़ा अपने काम पर.

“सबसे पहले इस कर्नल की ही इंक्वाइरी करता हूँ. यही सबसे बड़ा सस्पेक्ट है.” मोहित ने कहा.

मोहित, कर्नल के घर के बिल्कुल सामने बने घर पर पहुँचा. वाहा एक बुजुर्ग से बात की उसने जो की अपनी बीवी के साथ अकेला रहता था.उसे यही पता चला कि कर्नल बहुत अच्छा इंसान है. बहुत अच्छा नेचर है उसका. बहुत अच्छे से शालीनता से बात करता है. लेकिन एक अजीब बात पता चली मोहित को बातो बातो में. वो ये थी कि कर्नल अब उस घर में नही रहता है. बुजुर्ग के अनुसार वो घर शायद कर्नल ने किसी को किराए पर दे दिया था.

“किसको किराए पर दिया था क्या बता सकते हैं?”

“पता नही कौन है वो. कभी शकल नही देखी उसकी. आँखे भी कमजोर हो चली हैं. ठीक से दीखता भी कहाँ है. हां पर इतना पक्का है कि इस घर में अब कोई और रह रहा था. कभी उस से मुलाक़ात नही हुई.”

“एक नौकर भी रहता था यहा…उसके बारे में कुछ जानते हैं.”

“नौकर भी तो अभी देखा मैने. कर्नल ने किसी नौकर को नही रख रखा था घर पर. वो ज़्यादा तर काम खुद ही करते थे अपना. वैसे बेटा तुमने बताया नही कि तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो.”

“ आपको पता ही होगा कि ये घर पोलीस ने सील कर दिया है. मैं एक प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ बस ये जान-ना चाहता हूँ कि यहण क्या हो रहा था ऐसा कि ये घर सील हो गया. क्या कुछ बता सकते हैं.”

“एक बात नोट की मैने. जो कोई भी यहण रहता था उन्हे कर्नल की ही तरह पैंटिंग का भी शौक था. कुछ दिन पहले ग़लती से पैंटिंग के समान की डेलिवरी देने यहा हमारे घर आ गया था कोई. मैने उसे कर्नल के घर भेजा था.”

“ह्म्म…कुछ और बता सकते हैं आप.”

“जितना पता था बता दिया बेटा. और मुझे कुछ नही पता.”

“ह्म्म मेरा नंबर रख लीजिए. कुछ याद आए तो बता दीजिएगा फोन करके.” मोहित कह कर चल दिया.

मोहित ने आस-पाडोश में कुछ और लोगो से भी बात की. लेकिन किसी को कुछ ज़्यादा जानकारी नही थी. सबको यही पता था कि कर्नल ही रहते हैं वाहा. किसी और के रहने की किसी को खबर नही थी.

“बड़ी बड़ी कोठी हैं यहाँ. सब लोग अपने कामो में मगन रहते हैं शायद. सुनसान सी सड़के हैं यहा. उस बुजुर्ग के पास खाली वक्त है और घर भी कॉलोनेक के घर के सामने है इसलिए गौर कर लिया होगा. वैसे भी जो कोई भी उस घर में आया था…कुछ दिन पहले ही आया था. ये सब बाते अभी तुरंत रोहित को बताता हूँ.”

मोहित ने रोहित को फोन मिलाया.

“हेलो मोहित…हाउ आर यू?”

“सर कुछ बहुत इंपॉर्टेंट पता चला है”

“हां बोलो?’’

“अभी-अभी मैने कर्नल के घर के सामने रहने वाले एक बुजुर्ग से बात की.” मोहित ने रोहित को पूरी बात बता दी.

“जीसस…ये तो मामला और ज़्यादा उलझ गया. अब ये कैसे पता चलेगा कि कौन रह रहा था उस घर में. कर्नल का तो कुछ आता पता नही है.”

“सर एक डाउट हो रहा है. हो सकता है कर्नल को मार कर उसके घर और गाड़ी पर कब्जा कर लिया हो साइको ने. सोचा होगा कि अच्छा ठिकाना रहेगा. कर्नल का घर एक सेफ प्लेस माना जा सकता है. और मुझे ये भी लग रहा है कि हो सकता है कि जो कोई भी यहाँ रह रहा था वो कर्नल को अच्छे से जानता था और यारी दोस्ती में उन्होने ये घर उसे दे दिया हो.”

“इन बातों का जवाब तो कर्नल ही दे सकता है. मगर उसका कुछ आता-पता नही है. देल्ही और मुंबई में कर्नल के रिलेटिव्स थे. मैने वहाँ की लोकल पोलीस से कॉंटॅक्ट करके एंक्वाइरी के लिए कहा है. शायद कुछ पता चल जाए कर्नल के बारे में. ”

“ओके जैसे ही कुछ पता चले मुझे भी बता देना सर. मैं फिलहाल संजय की खबर लेने जा रहा हूँ.”

“ओके ऑल दा बेस्ट. बहुत अच्छा काम कर रहे हो. बल्कि जो हमें करना चाहिए था वो तुम कर रहे हो. दरअसल सोचने समझने का टाइम ही नही दिया इस साइको ने पीछले कुछ दिन. तुम लगे रहो. और कुछ पता चले तो तुरंत बताना.”

रोहित उस वक्त एसपी साहिब के कमरे के बाहर खड़ा था उनसे मिलने के लिए. फोन रख कर वो कमरे में घुस गया.

“कैसे हैं सर आप.”

“मैं ठीक हूँ. ए एस पी साहिबा कैसी हैं.”

“वो भी ठीक हैं सर. 2 दिन बाद छुट्टी कर देंगे. सर क्या बता सकते हैं कि कैसे हुआ ये सब.”

हां मैं बाथरूम से नहा कर निकल रहा था कि अचानक मुझे पीछे से जाकड़ कर मेरे मुँह पर कुछ रख दिया उसने. मैने साँस रोक ली और उसे दूर धकैल दिया. उसके पास चाकू था…मैं खाली हाथ क्योंकि नहा कर निकल रहा था. कयि वार किए हराम्खोर ने पेट पर. छोड़ूँगा नही हरामी को बस मिल जाए एक बार.”

“शूकर है सर कि ज़्यादा नुकसान नही हुआ. शायद वो आपको बेहोश करके कहीं ले जाने वाला था. वो ऐसा ही करता है. अपने ठीकने पर ले जाकर आर्टिस्टिक मर्डर करता है.”

“बस-बस मुझे हॉरर स्टोरी मत सुनाओ. बिल्कुल पसंद नही मुझे डरावनी बातें.”

“सॉरी सर.”

“मुझे भी शायद 2-3 दिन में छुट्टी मिल जाएगी.” एसपी ने कहा.

रोहित एसपी से मिलने के बाद शालिनी से मिलने पहुँचा. वो शालिनी के कमरे में घुसा तो देखा कि वहाँ चौहान खड़ा था.

“आओ रोहित” शालिनी ने कहा.

“कैसी हैं मेडम आप?” रोहित ने पूछा.

“ठीक है मिस्टर चौहान आप जायें और इतमीनान से अपनी बहन की सगाई की तैयारी करें.” शालिनी ने कहा.

“थॅंक यू मेडम” चौहान रोहित को घूरता हुआ कमरे से निकल गया.

“पता नही कैसी हूँ. जब पेट से ये पट्टी हटेगी तभी पता चलेगा की कैसी हूँ. आज हटा कर देखेंगे इसे.”

“सब ठीक रहेगा मेडम…आप चिंता मत करो.”

“चौहान अपनी सिस्टर की सगाई और शादी करने जा रहा है इसी हफ्ते. ये अचानक क्या हो गया इसे?” शालिनी ने पूछा.

रोहित चुप ही रहा. झूठ बोलना नही चाहता था और सच बोलने की हिम्मत नही थी.

क्रमशः........................
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01-01-2019, 12:39 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--98

गतान्क से आगे.................

“खैर तुम सुनाओ…कैसे हो.?” शालिनी ने पूछा.

“ठीक हूँ मेडम. एक नयी डेवेलपमेंट हुई है साइको के केस में.”

“कोई हैरानी नही हुई सुन कर. शुरू से यही तो हो रहा है इस केस में. बताओ क्या डेवेलपमेंट है.”

रोहित ने पूरी बात शालिनी को बता दी.

“ह्म्म…मतलब कर्नल की बजाए हमें अब इस अंजान व्यक्ति को ढूंडना होगा. और ज़्यादा कॉंप्लिकेटेड हो गया मामला तो.”

“जी मेडम…आपकी इजाज़त हो तो मैं भी लग जाउ काम पर.”

“मेरी इजाज़त चाहिए तुम्हे?”

“जी हां.”

“तुम्हारे घाव भर गये सब?”

“भर जाएँगे मेडम. चल फिर तो रहा ही हूँ. कोई दिक्कत नही है. ज़्यादा देर यहा नही बैठ सकता मैं. ये केस सॉल्व करना बहुत ज़रूरी है. पोलीस ऑफिसर्स को हॉस्पिटल पहुँचा दिया उसने. बहुत गंभीर बात है ये. मीडीया में थू-थू हो रही है पोलीस की. जल्द से जल्द कुछ करना होगा.”

“हम बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा. ज़्यादा टेन्षन मत लो मीडीया की. इनका यही काम है.”

“मेडम आप कुछ बदली बदली सी हैं…आप मुझे बहुत कम डाँट रही हैं अब”

“तुम्हे डाँट खानी है क्या?”

“नही वो तो नही खानी?”

“फिर क्यों परेशान हो रहे हो.”

“कुछ नही वैसे ही पूछ रहा था.” रोहित ने हंसते हुए कहा.

“लगता है तुम्हे डाँट खाने की आदत पड़ गयी है” शालिनी ने भी हंसते हुए कहा.

“हां शायद.” रोहित ने कहा.

तभी डॉक्टर दाखिल हुआ कमरे में.

“हाउ आर यू नाउ.” डॉक्टर ने पूछा.

“ये तो आप ही बता सकते हैं.” शालिनी ने कहा.

“हम अभी ये ड्रेसिंग खोल कर देखते हैं. आइ होप दट एवेरितिंग विल बी फाइन.” डॉक्टर ने कहा.

रोहित बाहर आ गया कमरे से. डॉक्टर के जाने के बाद वो अंदर आया.

“क्या कहा डॉक्टर ने मेडम?”

“सब ठीक है. स्टिचस ठीक हैं. 2 दिन में छुट्टी मिल जाएगी.”

“बहुत खुशी हुई ये सुन कर मेडम. डॉक्टर ने अच्छा काम किया है.”

“तुम मुझे ना लाते तो कोई कुछ नही कर पाता.” शालिनी ने रोहित की आँखो में देख कर कहा. फिर से दोनो एक दूसरे की आँखो में डूब गये.

एक अनकहा प्यार पनप रहा था दोनो के बीच. जिसके बारे में कुछ कहने की हिम्मत दोनो ही नही जुटा पा रहे थे. प्यार भी अजीब चीज़ है.

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मोहित संजय की तलाश में जुटा था. उसने संजय के घर के आस पास इंक्वाइरी की. किसी को संजय के बारे में कुछ नही पता था. मोहित इसीसी बॅंक भी गया. वहाँ भी कुछ पता नही चला.

“आख़िर गया कहाँ ये. इसे ज़मीन खा गयी या आसमान निगल गया. सिमरन की कार भी उसी के पास है अभी तक. चल कर उसकी पत्नी से ही बात करता हूँ. उसे ज़रूर कुछ पता होगा.” मोहित ने सोचा.

मोहित, मोनिका से मिलने उसके घर पहुँच गया. लेकिन वाहा चल कर उसने पाया कि मोनिका खुद व्यथित है संजय को लेकर. उसे भी संजय का कुछ आता पता नही था.

मोहित ने रोहित को फोन लगाया, “आप कह रहे थे ना कि आपने कॉन्स्टेबल्स लगा रखे हैं निगरानी के लिए संजय और कर्नल के घर. पर कोई देखाई तो दिया नही.”

“सब सिविल में होंगे. लेकिन अभी किसी ने कोई ख़ास खबर नही दी.”

“ह्म्म…सर ये संजय तो अभी तक गायब है. किसी को उसका कुछ अता पता नही. अब जबकि कर्नल से शक हट सा गया है, पूरा शक संजय पर गहराता जा रहा है. आपको क्या लगता है.”

“यार सच पूछो तो इतनी बार इतना कुछ लग चुका है कि अब कुछ समझ में नही आता कि मुझे क्या लगता है. ऐसा लगता है एक मायाजाल बना रखा है साइको ने हमारे चारो तरफ और हम लोग उसमें फँसते जा रहे हैं. वो हमें कठपुतलियों की तरह नचा रहा है.” रोहित ने कहा.

“हां लगता तो मुझे भी ऐसा ही है.”

“लेकिन मुझे यकीन है की एक दिन ऐसा ज़रूर आएगा जब बाजी हमारे हाथ में होगी और हम एक गेम खेल रहे होंगे साइको के साथ.”

“मैं उस दिन का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा हूँ.” मोहित ने कहा.

………………………………………………………………………………

पद्‍मिनी ने दिन भर दरवाजा भी बंद रखा और अपना फोन भी बंद रखा. वो राज शर्मा को देखने के लिए खिड़की में भी नही आई.

केयी बार मन हुआ उसका की फोन ऑन करके राज शर्मा से बात करे या फिर खिड़की से झाँक कर उसे देखे मगर कुछ सोच कर हर बार रुक जाती, “नही…नही उसे समझना होगा कि मेरे साथ कैसे बिहेव करना है. क्या मैं कोई खिलोना हूँ जिसके साथ जैसे मर्ज़ी खेल लिया और चलते बने. मेरी भावनाओ की कदर करनी चाहिए उसे. प्यार का मतलब ये तो नही है कि कुछ भी कर लो. आज बिल्कुल बात नही करूँगी…चाहे कुछ हो जाए..”

राज शर्मा डोरबेल बजा बजा कर थक गया मगर पद्‍मिनी ने दरवाजा नही खोला. “यार ये अजीब मोहब्बत हो गयी है इनसे. लगता है यहा रोज कोई ना कोई नाटक झेलना पड़ेगा इनका. लगता है बर्बाद करड़ेगी मुझे ये मोहब्बत.”

थक हार कर राज शर्मा वापिस अपनी जीप में जाकर बैठ गया. रात के 12 बज रहे थे तब. बहुत उदास और मायूस नज़र आ रहा था वो. केयी बार बेल बजाई थी उसने मगर पद्‍मिनी ने एक बार भी दरवाजा नही खोला था.

“क्या मैने आज कुछ ज़्यादा कर दिया. लेकिन प्यार में क्या ज़्यादा क्या कम. भावनायें साची हों तो क्या इन बातों से कोई फरक पड़ता है.” राज शर्मा सोच रहा था. सोचते सोचते उसे नींद की झपकीयाँ आ रही थी.

रात के ठीक 1 बजे एक कॉन्स्टेबल भागता हुआ राज शर्मा के पास आया.

“सर…सर…”

राज शर्मा की आँख लग गयी थी. वो फ़ौरन चोंक कर उठ गया, “क्या हुआ?”

“सर घर के पीछे गन्मन और हवलदार मारे पड़े हैं.”

“क्या …”

राज शर्मा ने अपनी पिस्टल निकाली और घर के आगे खड़े गन्मन और कॉन्स्टेबल्स से कहा, “तुम लोग यहाँ से हिलना मत मैं अभी आया.”

राज शर्मा उस कॉन्स्टेबल को लेकर घर के पीछे की तरफ भागा. वहाँ सच में गन्मन और कॉन्स्टेबल्स की लाशे पड़ी थी.

“लगता है साइलेनसर लगा कर सूट किया गया है इन्हे, क्योंकि गोली की ज़रा भी आवाज़ नही आई. बिल्कुल सर में गोली मारी गयी है.”

राज शर्मा ने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और रोहित को फोन मिलाया. मगर फोन नही मिला. मिलता भी कैसे फोन में नेटवर्क ही नही था.

“उफ्फ ये नेटवर्क को भी अभी गायब होना था. तुम्हारे फोन से ट्राइ करना रोहित सर का नंबर.”

“सर मेरे फोन में भी नेटवर्क नही है.”

“मेरी जीप में वाइर्ले पड़ा है उस से ट्राइ करते हैं.” दोनो भाग कर आगे आए.

“तुम ट्राइ करो और सारी सिचुयेशन बता दो.” राज शर्मा कह कर पद्‍मिनी के घर की तरफ बढ़ा.

राज शर्मा ने लगातार घर की बेल बजानी शुरू कर दी.

पद्‍मिनी गहरी नींद से आँखे मलति हुई बिस्तर पर बैठ गयी, “पागल हो गया है क्या ये राज शर्मा. रात के 1 बज रहे हैं. बार-बार बेल क्यों बजा रहा है. पद्‍मिनी खिड़की में आई और उसने जो बाहर देखा उसे देख कर उसकी रूह काँप उठी. जीप से सॅट कर एक नकाब पोश खड़ा था और उसके हाथ में बंदूक थी. जीप में एक लाश सॉफ देखाई दे रही थी.

राज शर्मा को ध्यान भी नही था कि बाकी बचे पोलीस वाले भी सूट कर दिए गये हैं और अब उस पर निसाना लगाया जा रहा है. पद्‍मिनी भाग कर आई नीचे. सीढ़ियों से गिरते-गिरते बची. फ़ौरन दरवाजा खोला और राज शर्मा को अंदर खींच कर कुण्डी लगा ली.

“पद्‍मिनी जी…साइको है यहाँ.”

“हां मैने देखा उसे.” पद्‍मिनी कांपति आवाज़ में बोली.

“कहाँ देखा?”

“तुम्हारे जीप के पीछे छुपा था. खिड़की से देखा मैने. उसने सब को मार दिया.” पद्‍मिनी थर-थर काँप रही थी.

“शायद उसने मोबाइल जॅमर लगा दिया है कही आस-पास. फोन में नेटवर्क नही आ रहा. किसी को बुला भी नही सकते.” राज शर्मा की आवाज़ में भी डर देखाई दे रहा था.

“हे भगवान अब क्या होगा?”

“आप चिंता क्यों करती हैं…मैं हूँ ना. मेरे होते हुए आपको कुछ नही होगा.” राज शर्मा ने दिलासा दिया.

पद्‍मिनी राज शर्मा से चिपक गयी और बोली, “अपनी चिंता नही है मुझे. तुम्हारी चिंता है. मेरे लिए अपनी जींदगी को ख़तरे में मत डालना चाहे कुछ हो जाए.”

“कैसी बहकी-बहकी बातें कर रही हैं आप. आपके लिए तो कुछ भी कर सकता हूँ. मेरा हक़ मत छीनिए मुझसे.” राज शर्मा ने कहा.

“राज शर्मा तुम नही जानते. मैने एक सपना देखा था जिसमे साइको ने तुम्हे गोली मार दी थी.”

“ये साइको मेरा बाल भी बांका नही कर सकता. इसकी तो मैं वाट लगाने वाला हूँ आज.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी का डर कम करने की कोशिस की

अचानक कमरे की लाइट चली गयी.

“अब लाइट को क्या हो गया?”

“बहुत शातिर है. पूरी प्लॅनिंग से काम कर रहा है” राज शर्मा कांपति आवाज़ में बोला.

“राज शर्मा वो घर के आगे है. हम घर के पीछे से यहाँ से निकल कर भाग सकते हैं.”

“भागेंगे नही हम कही भी सुन लीजिए आप. आज इस साइको का खेल ख़तम करना है.”

“तुम पागल हो क्या. सब पोलीस वाले मारे गये. तुम अकेले हो अभी. और वो खुन्कार हत्यारा है. क्या मेरी बात नही मानोगे. प्लीज़ राज शर्मा. मेरे लिए क्या इतना भी नही कर सकते.”

“बस आप ऐसे कहेंगी तो मना नही कर पाउन्गा. चलिए देखते हैं. लेकिन आप को सुरक्षित जगह छोड़ कर मैं वापिस आउन्गा यहाँ.”

“चलो तो सही पहले”

राज शर्मा और पद्‍मिनी घर के पीछे भाग की तरफ बढ़े. मगर जब उन्होने पिछला दरवाजा खोलने की कोशिस की तो उनके होश उड़ गये. पिछला दरवाजा बाहर से बंद था.

“इसे बाहर से किसने बंद कर दिया ” पद्‍मिनी ने आश्चर्य में कहा.

“और कौन करेगा साइको के सिवा.”

“हे भगवान ये क्या हो रहा है?”

पद्‍मिनी और राज शर्मा बुरी तरह से घिर चुके थे. दोनो के ही मन में हज़ारों सवाल घूम रहे थे.

राज शर्मा ने पद्‍मिनी का हाथ पकड़ा और बोला, “चलिए यहाँ से चलते हैं. किसी भी खिड़की या दरवाजे के पास रुकना ख़तरे से खाली नही है.”

क्रमशः..........................
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01-01-2019, 12:53 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--99

गतान्क से आगे.................

“तुम्हे क्या लगता है…क्या वो अंदर आ सकता है”

“उसे जो करना है करने दो. पिस्टल है मेरे पास भी.” राज शर्मा पद्‍मिनी का हाथ पकड़ कर किचन के पास ले आया और बोला, “ये जगह ठीक है. किचन के बाहर रह कर हम हर तरफ नज़र रख सकते हैं. ”

“तुम्हे तो मेरे घर का चप्पा-चप्पा पता है. अंधेरे में भी किचन ढूंड लिया.”

“इस जगह आपने मुझे एक अनमोल किस दी थी. वो किस कभी नही भूल पाउन्गा. ना ही ये जगह भूल पाउन्गा.”

“तुमने ली थी ज़बरदस्ती… मैने दी नही थी… भूल गये इतनी जल्दी” पद्‍मिनी ने राज शर्मा के हाथ से हाथ छुड़ाते हुए कहा.

तभी कुछ आहट हुई और पद्‍मिनी ने तुरंत राज शर्मा का हाथ पकड़ लिया, “ये कैसी आवाज़ थी.”

“शायद साइको घर में घुसने की कोशिस कर रहा है” राज शर्मा ने कहा.

“हे भगवान अब क्या होगा?”

“जो होगा देखा जाएगा…पहले आप ये बतायें कि क्या नाटक है ये. जब मर्ज़ी हुई हाथ पकड़ लिया और जब मर्ज़ी हुई छोड़ दिया.”

पद्‍मिनी ने तुरंत हाथ छोड़ दिया और बोली, “अब नही पाकडूँगी…खुश.”

“ष्ह…ये कैसी आवाज़ है.” राज शर्मा ने कहा

“ये तो घर के उपर से आ रही है.”

“इसका मतलब वो उपर किसी कमरे से घुसने की कोशिस कर रहा है.”

“ऐसा मत कहो…मुझे बहुत डर लग रहा है.”

“डरने की बजाए हमें कुछ करना होगा पद्‍मिनी जी.”

“बताओ क्या करना है…मैं तुम्हारे साथ हूँ.”

“क्यों ना हम सीढ़ियों पर कोई चिकना पदार्थ गिरा दे जिस से कि वो फिसल जाए और सीढ़ियों से लूड़क जाए. सीढ़ियों से गिरेगा तो अकल ठिकाने आ जाएगी उसकी. उसके गिरते ही हम उसे दबोच लेंगे.” राज शर्मा ने कहा.

“ये काम हमें तुरंत करना होगा” पद्‍मिनी ने कहा.

“हां चलो….तुम किचन में ढूंड लोगि ना आयिल अंधेरे में?”

“हां तुम यही रूको मैं आयिल का डिब्बा लाती हूँ.”

पद्‍मिनी ने आयिल का डिब्बा राज शर्मा को दे दिया लाकर और बोला, “आप यही रूको…मैं ये आयिल सीढ़ियों पर गिरा कर आता हूँ.”

“नही मैं तुम्हारे साथ चलूंगी…अकेला नही छोड़ सकती तुम्हे.”

“जब इतना प्यार है आपको मुझसे तो सुबह से क्यों सब बंद करके बैठी थी. दरवाजा भी बंद रखा और फोन भी बंद रखा.”

“बातें बाद में भी हो जाएँगी पहले ये काम कर लेते हैं.” पद्‍मिनी ने कहा.

“क्या करूँ ध्यान आप पर ही रहता है हर वक्त. निकम्मा कर दिया आपके प्यार ने मुझे.” राज शर्मा ने कहा.

दोनो बहुत धीरे धीरे बात कर रहे थे. सीढ़ियाँ चढ़ कर राज शर्मा ने सबसे उपर के स्टेप से आयिल गिराना शुरू किया और आधी सीढ़ियों तक आयिल गिरा दिया.

“इतने से काम बन जाएगा. सीधा नीचे गिरेगा आकर वो. जैसे ही नीचे गिरेगा वो मैं उसे गोली मार दूँगा.”

दोनो आकर वापिस किचन के बाहर बैठ गये.

“लेकिन राज शर्मा कोई आवाज़ नही आ रही अब कही से.” पद्‍मिनी ने कहा.

“वो ज़रूर घर में घुस चुका है…क्या आपके पास कोई टॉर्च है?”

“टॉर्च तो है पर वो मेरे बेडरूम में पड़ी है.” पद्‍मिनी ने कहा.

“आपके बेडरूम में तो अब हम जा ही नही सकते”

“लेकिन बहुत अजीब बात है कोई भी हलचल नही हो रही. बिल्कुल सन्नाटा है. कही वो चला तो नही गया.”

“बहुत शातिर दिमाग़ है वो. हर हरकत सोच समझ कर करता है. वो यही कही है…” राज शर्मा ने कहा.

“राज शर्मा तुम्हे क्या लगता है…क्या हम जींदगी में साथ रह पाएँगे?”

“बिल्कुल रहेंगे साथ और बहुत प्यार से रहेंगे…ऐसा क्यों पूछ रही हैं.”

“अपने सपने से डर लगता है. तुम्हे पता है भगवान ने मुझे ये अजीब सा गिफ्ट दिया है. बचपन से लेकर आज तक मेरे केयी सपने सच हुए हैं. होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है मुझे. जब से सपने में तुम्हे गोली लगते देखा तब से बेचैन हूँ मैं.”

“मतलब आप बहुत पहले से प्यार करती हैं मुझे. मगर अब तक दिल में छुपा रखा था ये प्यार. हसिनाओ की यही दिक्कत होती है, प्रेमी को तडपा तडपा कर मार डालो पहले फिर आइ लव यू बोल दो.”

“ऐसा नही है राज शर्मा…तुमसे प्यार तो हो गया था मगर समझ नही पा रही थी कि कैसे कहूँ. दिल की बात ज़ुबान पर आकर अटक जाती थी.”

“मगर आपकी म्रिग्नय्नि आँखो में मैने हमेशा अपने लिए कुछ देखा. पर समझ नही पाता था कि क्या है. बस अंदाज़ा ही लगाता था कि हो ना हो आपकी आँखो में प्यार है मेरे लिए.”

“हां शायद जो बात ज़ुबान नही कह पा रही थी वो मेरी आँखे कह रही थी.सब अपने आप हो रहा था. मेरे बस में कुछ भी नही था. बस में होता तो शायद तुमसे प्यार ना करती.”

“ऐसा क्यों कह रही हैं आप?”

“मुझे तुम्हारी कुछ बातें बिल्कुल अच्छी नही लगती…फिर भी ना जाने क्यों प्यार हो गया तुमसे.”

“क्या आप अब पछता रही हैं?”

“नही पछता नही रही हूँ बस परेशान हूँ तुम्हारी हरकतों से. क्या तुम शालीनता से पेश नही आ सकते मेरे साथ?”

राज शर्मा, पद्‍मिनी की तरफ सरका और उसे पकड़ कर ज़बरदस्ती फर्श पर लेटा कर उस पर चढ़ गया.

“अगर आप जैसी हसीना से शालीनता से पेश आउन्गा तो आपकी सुंदरता का अपमान होगा वो. मैं ये गुनाह नही कर सकता.”

“क्या कर रहे हो हटो..क्या ये वक्त है ये सब करने का..साइको घूम रहा है यहा हमारी जान के पीछे.” पद्‍मिनी ने राज शर्मा को हटाने की कोशिस की मगर राज शर्मा नही हटा.

“तभी तो ये प्यार करना ज़रूरी है…क्या पता कल हो ना हो…जींदगी का कोई भरोसा नही है.”

पद्‍मिनी अब तक छटपटा रही थी राज शर्मा के नीचे मगर राज शर्मा की ये बात सुनते ही शांत हो गयी और उसके मुँह पर हाथ रख दिया, “ऐसा नही कहते…तुम्हे कुछ नही होगा. मैं बस ये कह रही हूँ कि मैं तुम्हारी हूँ…थोड़ा संयम रखो.”

“यही बातें तो प्यारी लगती हैं आपकी. पर ये मुझे और ज़्यादा भड़का देती हैं. आपसे दूर नही रह सकता अब.”

“हद है ये तो…छोड़ो मुझे. तुम सच में पागल हो.”

“हां आपके प्यार में पागल हिहिहीही.”

तभी धड़ाम की आवाज़ हुई और राज शर्मा फ़ौरन पद्‍मिनी के उपर से हट गया और अपनी पिस्टल उठा ली. पद्‍मिनी भी फ़ौरन उठ गयी.

“ये कैसी आवाज़ थी. क्या वो सीढ़ियों से गिर गया.” पद्‍मिनी ने कहा

“नही ये गिरने की आवाज़ तो नही लगती…क्योंकि ये आवाज़ सीढ़ियों से तो नही आई.”

तभी उन्हे कदमो की आहट सुनाई दी.

“वो उपर है राज शर्मा. वो घर में घुस चुका है.”

“आने दो उसे…सीढ़ियों से गिरेगा तो अकल ठीकने आ जाएगी.” राज शर्मा ने कहा.

उपर से रह रह कर कदमो की आवाज़ आ रही थी. राज शर्मा और पद्‍मिनी सहमे बैठे थे चुपचाप नीचे एक दूसरे के पास. पद्‍मिनी तो काँप उठती थी हर आहट पर. साइको का ख़ौफ़ दोनो पर ही असर देखा रहा था पर.

"राज शर्मा क्या कल की सुबह देख पाएँगे हम?"

"ज़रूर देखेंगे कल की सुबह. सुबह आपकी बिना कोल्गेट वाली पप्पी भी लेनी है. "

" ये वक्त है क्या मज़ाक करने का."

"मैने मज़ाक नही किया."

"हे भगवान यू आर टू मच."

"पद्‍मिनी जी आप परेसान क्यों हो रही हैं."

"जी क्यों लगाते हो बार बार मना किया था ना मैने." पद्‍मिनी ने कहा

"ओह सॉरी पद्‍मिनी...आगे से ऐसा नही होगा."

"पद्‍मिनी मैं ये कहना चाहता था कि आप चिंता मत करो ये साइको हमारा कुछ नही बिगाड़ पाएगा."

"मुझे ये बात समझ में नही आती कि इस साइको को लोगो का खून करने से मिलता क्या है."

"क्या पता क्या मिलता है.आज इसी से पूछ लेते हैं. " राज शर्मा ने कहा.

"ष्ह...सुनो ये पोलीस साइरन की आवाज़ है ना?"

"हां आवाज़ तो वही है...शायद उसने मरने से पहले वाइर्ले से मेसेज भेज दिया था." राज शर्मा ने कहा

"अगर ऐसा है तो ये साइको बचना नही चाहिए आज...बहुत हो गया उसका तमासा." पद्‍मिनी ने कहा.

"लेकिन अजीब बात है...ये साइको उपर ही घूम रहा है बहुत देर से. कर क्या रहा है ये उपर?"

"कही वो सीढ़ियों की बजाए कही और से तो नही आ रहा?"

"और कौन सा रास्ता है...यहा आने का.?"

"कयि खिड़कियाँ हैं नीचे."

"सभी कमरो के दरवाजे चेक करते हैं" राज शर्मा ने कहा.

"हां चलो...वैसे नीचे कोई हलचल तो सुनाई नही दी."

"फिर भी हमे हर कमरे के दरवाजे को लॉक कर देना चाहिए." राज शर्मा कह कर हटा ही था कि घर का मुख्य दरवाजा खड़कने लगा ज़ोर-ज़ोर से.

"पोलीस वाले पहुँच गये शायद." पद्‍मिनी ने कहा.

"आप यही रुकिये मैं देखता हूँ."

"नही मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी." पद्‍मिनी ने कहा.

राज शर्मा दरवाजे के पास आया पद्‍मिनी को लेकर और चिल्ला कर बोला, "हू ईज़ दिस?"

"राज शर्मा मैं हूँ रोहित...ओपन दा डोर." बाहर से आवाज़ आई

राज शर्मा ने दरवाजा खोला, "सर आपको मेसेज मिल गया था?"

"हां पद्‍मिनी कहाँ है...ठीक तो है ना वो?" रोहित ने पूछा.

"हां मैं ठीक हूँ रोहित."

"हमने पूरे घर को घेर लिया है. लाइट भी आ जाएगी थोड़ी देर में." रोहित ने कहा.

"सर लगता है साइको उपर है...बहुत हलचल हो रही थी उपर."

"2 लोग यही रूको...बाकी मेरे साथ आओ." रोहित ने सीढ़ियों की तरफ बढ़ते हुए कहा.

"सर सीढ़ियों से नही जा सकते आप."

"क्यों?"

"सीढ़ियों पर हमने आयिल गिरा रखा था साइको को गिराने के लिए. पर वो उपर से नीचे आया ही नही. पता नही क्या कर रहा है उपर?"

"ह्म्म...कोई और रास्ता देखना होगा." रोहित ने कहा.

रेडीमेड सीधी मंगाई गयी पाडोश से और उसे बाहर पद्‍मिनी के रूम की खिड़की के बाहर लगा दिया गया. घर की लाइट भी ठीक कर दी गयी.

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01-01-2019, 12:53 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--100

गतान्क से आगे.................

"राज शर्मा तुम पद्‍मिनी के साथ ही रहो...नीचे हर तरफ नज़र रखना."

"जी सर." राज शर्मा ने कहा.

रोहित उपर पहुँचा तो हैरान रह गया. पद्‍मिनी के कमरे में बिस्तर पर एक पैंटिंग पड़ी थी. साइको कहीं नही दीख रहा था.

"हर तरफ ध्यान से देखो...वो ज़रूर यही कही होगा." रोहित ने कहा.

रोहित ने पैंटिंग को गौर से देखा. पैंटिंग में घुटनो पर सर टीका कर एक लड़की बैठी थी. उसकी पीठ में खंजर गढ़ा था. लड़की का चेहरा पद्‍मिनी से मिलता जुलता था. लड़की के चारो तरफ हरी हरी घास थी.

"सर यहाँ कोई भी नही है."

"ऐसा कैसे हो सकता है. दुबारा अच्छे से चेक करो."

रोहित ने खुद उपर के फ्लोर को अच्छे से चेक किया पर वहाँ साइको का नामो निसान नही था.

"हमारे आते ही निकल गया क्या वो. इतना डरपोक है तो क्यों करता है ये काम." रोहित ने सोचा.

"राज शर्मा ने कहा कि वो बहुत देर से उपर ही था. क्या कर रहा था वो यहा? क्या वो पद्‍मिनी के लिए नही आया था यहाँ? क्या उसे सिर्फ़ ये पैंटिंग रखनी थी यहाँ? या फिर हो सकता है कि हमारे साइरन की आवाज़ सुन कर भागा हो. साइको का मायाजाल है ये...कुछ भी हो सकता है."

घर के आस-पास हर तरफ देखा गया मगर साइको नही मिला.

“वो पद्‍मिनी के कमरे की खिड़की से दाखिल हुआ था अंदर. खिड़की का दरवाजा टूटा हुआ है.” रोहित ने कहा.

“सर बहुत देर रहा उपर वो…क्या किया होगा उसने उपर इतनी देर?” राज शर्मा ने पूछा

“उपर एक पैंटिंग पड़ी है…लेकिन वो यहाँ आकर तो नही बनाई उसने. कलर फ्रेश तो नही हैं. पता नही क्या किया उसने इतनी देर उपर. शायद दहशत फैलाना चाहता हो पद्‍मिनी के मन में. या फिर वो नीचे आता थोड़ी देर में पर पोलीस के आते ही भाग गया.”

“सर यहाँ जो लोग भी थे मेरे साथ सब मार दिए उसने. बंदूक की गोली की एक आवाज़ तक नही सुनाई दी. सभी को सूट किया उसने छुप कर.” राज शर्मा ने कहा.

“ह्म्‍म्म…बहुत बुरा हुआ…ये पोलीस वालो को मारे जा रहा है और हम कुछ नही कर पा रहे.”

“सर आज बचता नही वो अगर नीचे आता तो. हमने आयिल गिराया था सीढ़ियों पर लेकिन वो हमारे जाल में फँसा ही नही.”

“मैं तुम्हे दूसरे लोग दे देता हूँ…फिलहाल निकलता हूँ. सहर में एक राउंड ले लेता हूँ. कही से तो भागा होगा वो.” रोहित ने कहा.

रोहित 4 कॉन्स्टेबल और 2 गन्मन वही छोड़ कर चला गया. मोबाइल जॅमर का कुछ पता नही चला. वैसे फोन में सिग्नल वापिस आ गया था. शायद साइको अपना जॅमर वापिस ले गया था.

रोहित के जाने के बाद राज शर्मा ने कॉन्स्टेबल्स और गन्मन को तैनात कर दिया. बाहर अच्छे से सभी को सतर्कता का आदेश दे कर राज शर्मा वापिस पद्‍मिनी के पास आया और बोला, “अगर आपकी इज़ाज़त हो तो मैं आपके साथ ही रहना चाहूँगा”

“नही तुम मेरे साथ नही रह सकते. तुम्हारा कोई भरोसा नही है.”

“पर मैं आपको अब अकेला नही छोड़ सकता. पता नही क्या गेम खेल रहा है साइको. मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है.”

“कैसी गड़बड़?”

“देखिए ना उसने सभी को मार दिया था यहा. सिर्फ़ मैं और आप बचे थे. सब कुछ उसके कंट्रोल में था…फिर भी वो बस एक पैंटिंग रख कर चला गया. कुछ अजीब सा लगता है. कोई बहुत ही ख़तरनाक गेम लगती है उसकी जो कि हम समझ नही पा रहे.”

“डराओ मत मुझे.”

“देखिए आप कुछ भी कहें पर मैं आपको अकेले छोड़ने वाला नही हूँ अब. हर वक्त आपके साथ ही रहूँगा…यही अंदर.”

“तुम ये सब जान बुझ कर बोल रहे हो ताकि तुम्हे मेरे साथ छेड़कानी के मोके मिलते रहें हैं ना?”

“आपकी कसम खा कर कहता हूँ ऐसा कुछ नही है. मुझे सच में गड़बड़ लग रही है.”

“ठीक है फिर…मैं मम्मी-डेडी के कमरे में सो जाती हूँ तुम उस कमरे में सो जाओ.”

“नही ये नही चलेगा.”

“तो क्या मुझसे चिपक कर रहोगे तुम”

राज शर्मा ने पद्‍मिनी को बाहों में भर लिया और बोला, “बुराई क्या है आपके साथ रहने में. हम प्यार करते हैं एक दूसरे से.”

“हां पर हमारी शादी नही हुई अभी और तुम पागलपन सवार है. मुझे तुमसे डर लगता है.”

“किस बात का डर?”

“छोड़ो तुम नही समझोगे…”

“ठीक है ऐसा करते हैं आप अपने पेरेंट्स के बेडरूम में सो जाओ मैं चदडार बिछा कर उसके बाहर लेट जाता हूँ. ये तो ठीक रहेगा ना. या फिर इसमे भी कोई दिक्कत है.”

“पर तुम ज़मीन पर कैसे सो पाओगे.”

“आपके लिए कही भी सो जाउन्गा. और वैसे भी मुझे जागना है. दिमाग़ की दही कर दी है इस साइको ने. सब को मार कर घर में घुसा और बिना किसी हंगामे के चुपचाप चला गया. इस पहेली को सुलझाना होगा. मुझे नींद नही आएगी…आप निसचिंत हो कर सो जाओ.”

“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. नींद तो मुझे भी नही आएगी शायद. फिर भी सोने की कोशिस करती हूँ. सर बहुत भारी हो रहा है.”

“हां आप सो जाओ…लेकिन एक गुड नाइट किस तो देती जाओ.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी के होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच.

पद्‍मिनी ने कोई ज़्यादा विरोध नही किया.

“बस अब जाउ…हर वक्त एक ही काम में मन रहता है तुम्हारा.”

“क्या करें ये प्यार मजबूर कर देता है इस सब के लिए.” राज शर्मा ने कहा.

“रहने दो प्यार मैं भी करती हूँ पर तुम तो पागल हो गये हो.”

पद्‍मिनी ने राज शर्मा को एक चदडार और तकिया दे दिया और अपने बेडरूम में जाते वक्त बोली, “यहा नींद ना आए तो उस बेडरूम में सो जाना जाकर.”

“जी बिल्कुल. आपको नींद ना आए तो मेरी बाहों में चली आना मैं लोरी सुना कर सुना दूँगा आपको.”

“पता है मुझे तुम क्या सूनाओगे…गुड नाइट.” पद्‍मिनी बेडरूम में घुस गयी.

राज शर्मा चदडार बीचा कर लेट गया. वो गहरे ख़यालों में खो गया.

“क्या चाहता है ये साइको…हर बार कुछ अलग सा करता है. इस बार क्या गेम है इसकी. पता लगा कर रहूँगा मैं भी चाहे कुछ हो जाए.”

राज शर्मा के मन में उथल पुथल चल रही थी. नींद कोसो दूर थी उसकी आँखो से. उसकी आँखो के सामने सब कुछ हुआ था. इसलिए उसके दिमाग़ का इन सवालों में उलझना लाज़मी था.

“वो सिर्फ़ पैंटिंग रखने के लिए तो यहा नही आया था. इतने पोलीस वालो को मारा उसने. इतना ख़तरा मोल लिया. और जब सिचुयेशन उसके कंट्रोल में थी तो चला गया. इट्स वेरी…वेरी स्ट्रेंज.” राज शर्मा ने सोचा.

नींद पद्‍मिनी की आँखो से भी कोसो दूर थी. साइको का ख़ौफ़ उसके दिलो दिमाग़ को घेरे हुए था.अचानक उसे ख्याल आया, “मुझे कंफर्टबल बिस्तर पर नींद नही आ रही तो राज शर्मा को ज़मीन पर कैसे नींद आ रही होगी.”

कुछ सोच कर वो उठी और बेडरूम का दरवाजा खोल कर बाहर आई, “तुम जाग रहे हो.”

“आपके बिना नींद कैसे आएगी.”

“रहने दो…मैं ये कहने आई थी कि दूसरे बेडरूम से गद्दा ले आओ यहा फर्श पर नींद नही आएगी.”

राज शर्मा उठा और पद्‍मिनी के पास आ कर उसके चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “गद्दे को मारिए गोली और आप आ जाओ यहाँ. सच तो ये है कि हमें एक दूसरे के बिना नींद नही आएगी.” राज शर्मा ने कहा

“ऐसा कुछ नही है…मुझे तो इस साइको ने जगा रखा है. पता नही क्या चाहता है?”

“तो क्या मुझसे दूरी बर्दास्त कर लेती हैं आप.”

“हां बल्कि तुमसे दूरियाँ तो दिल को सुकून देती हैं” पद्‍मिनी ने हंसते हुए कहा.

“अच्छा अगर हमेशा के लिए दूर हो गये आपसे तो सुकून से भर जाएगी जींदगी आपकी.”

पद्‍मिनी ने राज शर्मा के मुँह पर हाथ रखा, “चुप रहो…मज़ाक कर रही थी मैं.”

राज शर्मा ने पद्‍मिनी का हाथ पकड़ा और बोला, “आओ ना साथ लेट कर प्यारी-प्यारी बाते करेंगे. वैसे भी नींद तो आएगी नही हमें क्यों ना साथ रह कर ये पल हसीन बना दें.”

“नही राज शर्मा मुझे नींद आ रही है…जाने दो”

“झूठ…प्यार में साथ रहना चाहिए ना कि अलग-अलग. नींद आएगी तो यही सो जाना”

“राज शर्मा मज़ाक नही है ये कोई…छोड़ो.” पद्‍मिनी ने गुस्से में कहा.

“आप को साथ रहने को बोल रहा हूँ…कोई सुहागरात मनाने को नही बोल रहा. जाओ जाना है तो…मुझे तो नींद नही आ रही.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी का हाथ छोड़ दिया.

राज शर्मा फर्श पर पड़ी चदडार पर आ कर लेट गया पद्‍मिनी खड़ी-खड़ी देखती रही. अजीब सी स्थिति में फँस गयी थी वो. राज शर्मा की नाराज़ भी नही देख सकती थी और उसके पास भी नही जा सकती थी.

“कैसे लेट जाउ इसके पास जाकर…इसका भरोसा तो कोई है नही.” पद्‍मिनी ने सोचा.

राज शर्मा आँखो पर बाजू रख कर पड़ा था. ऐसा लग रहा था जैसे कि बहुत नाराज़ है पद्‍मिनी से. पद्‍मिनी खड़े-खड़े उसे देख रही थी. अजीब कसंकश में थी वो. ना वो राज शर्मा को नाराज़ छोड़ कर वापिस बेडरूम में जा सकती थी और ना राज शर्मा के पास जा कर लेट सकती थी. कुछ सोच कर वो आगे बढ़ी और राज शर्मा के पास आकर बैठ गयी और धीरे से बोली, “नाराज़ हो गये मुझसे?”

राज शर्मा ने कोई जवाब नही दिया. चुपचाप पड़ा रहा.

“बात नही करोगे मुझसे…” पद्‍मिनी ने बड़ी मासूमियत से कहा.

“ओह आप…आप कब आई. मुझे तो नींद आ गयी थी.” राज शर्मा ने कहा.

“नाराज़ हो गये मुझसे?”

राज शर्मा अचानक उठा और पद्‍मिनी को बिस्तर पर लेटा कर चढ़ गया उसके उपर.

“आपसे नाराज़ हो कर कहाँ जाउन्गा. मुझे पता था कि आप ज़रूर आएँगी.”

“मैं बात करने आई हूँ ना कि ये सब करने…हटो.” पद्‍मिनी छटपटाते हुए बोली.

राज शर्मा ने बिना कुछ कहे पद्‍मिनी की गर्दन पर अपने गरम-गरम होन्ट टिका दिए. पद्‍मिनी के शरीर में बीजली की लहर दौड़ गयी. वो बोली, “हट जाओ राज शर्मा…प्लीज़.”

मगर राज शर्मा पद्‍मिनी की गर्दन को यहाँ वहाँ चूमता रहा. पद्‍मिनी छटपटाती रही उसके नीचे.

अचानक वो रुक गया और अपने होन्ट हटा लिए पद्‍मिनी की गर्दन से.

“क्या बात है. आपके हर अंग में कामुक रस है. म्रिग्नय्नि सी आँखें हैं आपकी और म्रिग्नय्नि सी ही गर्दन है. मज़ा आ गया”

“अब हटने का कष्ट करोगे?”

राज शर्मा हँसने लगा और बोला, “बिल्कुल नही…आज थोड़ा आगे बढ़ेंगे प्यार में.”

“क्या मतलब?”

राज शर्मा ने पद्‍मिनी के उभारो को थाम लिया दोनो हाथो से. पद्‍मिनी के पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.

“राज शर्मा…ये क्या कर रहे हो…हटो.” पद्‍मिनी ने राज शर्मा के हाथ दूर झटक दिए.

“छू लेने दीजिए ना…प्यार करते हैं हम आपसे कोई मज़ाक नही.”

“अब तो ये सब मज़ाक ही बन चुका है. तुम मेरे शरीर से खेल रहे हो और कुछ नही. शक होता है मुझे कि ये प्यार है तुम्हारा या हवस.”

“लव ईज़ प्यूरेस्ट फॉर्म ऑफ लस्ट…आइ गेस. जब प्यार हो गया आपको मुझसे तो खुद को बंधनों में क्यों जाकड़ रखा है आपने. आज़ाद कीजिए खुद को और मेरे साथ प्यार के हसीन सफ़र पर चलिए. यकीन दिलाता हूँ आपको कि आप निराश नही होंगी.”

क्रमशः........................
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01-01-2019, 12:54 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--101

गतान्क से आगे.................

राज शर्मा ने फिर से पद्‍मिनी के उभारों को थाम लिया और उन्हे ज़ोर से दबाते हुए बोला, “माफ़ कीजिएगा मुझे पर मैं अपनी प्रेमिका से दूर नही रह सकता. वो भी तब जब वो मुझे बहुत प्यार करती है.”

अपने उभारों पर राज शर्मा के हाथों का कसाव पड़ने से पद्‍मिनी सिहर उठी. उसकी साँसे तेज हो गयी और टांगे काँपने लगी. हिम्मत जुटा कर वो बोली, “राज शर्मा आइ हेट यू.”

“मज़ाक कर रही हैं आप है ना.”

“मज़ाक नही है ये. ये प्यार नफ़रत में बदल जाएगा अगर तुम नही रुके तो.”

राज शर्मा ने पद्‍मिनी के उभारों को छोड़ दिया और पद्‍मिनी के उपर से हट कर उसके बाजू में लेट गया, “आपकी नफ़रत मंजूर नही है. प्यार में दूरी सह लूँगा.”

“मेरी कुछ मर्यादाए हैं. मैं ऐसा सोच भी नही सकती जैसा तुम मेरे साथ कर रहे हो. प्यार हुआ है हमें शादी नही जो कि कुछ भी कर लोगे तुम.”

“मुझे तो शक है कि शादी के बाद भी हम नज़दीक आ पाएँगे या नही. आप कुछ भी नही करने देंगी मुझे.”

राज शर्मा करवट ले कर लेट गया.

“लो अब नाराज़ हो गये. अपने आप शैतानी करते हो और नाराज़ भी खुद ही हो जाते हो. ये बहुत बढ़िया है. ” पद्‍मिनी ने कहा राज शर्मा के नज़दीक आ कर उस से लिपट गयी.

“हट जाओ तुम अब मैं दूर ही रहूँगा तुमसे. मुझे कुछ नही चाहिए तुमसे. ना अब ना शादी के बाद.”

“प्यार करती हूँ तुमसे कोई मज़ाक नही. क्यों हटु मैं. हां मैं इतना आगे नही बढ़ सकती जितना तुम चाहते हो पर दूर मैं भी नही रह सकती तुमसे.”

“हाहहहाहा….ऐसा जोक आज तक नही सुना मैने. मेरे पेट में दर्द हो जाएगा हंसते-हंसते दुबारा मत सुनाना ऐसा जोक.”

“मैं मज़ाक नही कर रही…काश तुम मुझे समझ पाते.” पद्‍मिनी ने भावुक अंदाज में कहा.

राज शर्मा तुरंत पद्‍मिनी की तरफ मुड़ा और देखा कि पद्‍मिनी सूबक रही है.

“अरे इन म्रिग्नय्नि आँखों में ये आँसू क्यों भर लिए. प्यार में छोटी मोटी लड़ाई तो चलती रहती है.”

“चलती होंगी पर मुझसे तुम्हारी नाराज़गी बर्दास्त नही होती. मुझसे नाराज़ मत हुआ करो.” सारी दुनिया की मासूमियत झलक रही थी पद्‍मिनी की इस बात में.

राज शर्मा ने बाहों में भर लिया पद्‍मिनी को और उसके माथे को चूम कर बोला, “बस चुप हो जाओ. मैं भी क्या करूँ मैं ऐसा ही हूँ. कंट्रोल नही होता मुझसे. ग़लत मत समझो मुझे. मेरी हर बात में प्यार है… बस प्यार. और ये प्यार जींदगी भर रहेगा.”

दोनो एक दूसरे की बाहों में खो गये. इस कदर डूब गये एक दूसरे में कि साइको को बिल्कुल भूल ही गये. कब नींद आ गयी दोनो को पता ही नही चला.

सुबह 8 बजे जब दूध वाले ने बेल बजाई तब पद्‍मिनी की आँख खुली. वो पेट के बल पड़ी थी और राज शर्मा उसके उभारों पर हाथ और टाँगो पर टाँग डाले पड़ा था.

पद्‍मिनी ने धीरे से राज शर्मा का हाथ अपने उभारों से हटाया, “बदमाश कही का नींद में भी चैन नही इसे.”

मगर राज शर्मा की आँख खुल गयी और वो बोला, “क्या हुआ?”

“सुबह हो गयी है”

“अरे हम दोनो साथ सो गये थे…मुझे तो विस्वास ही नही हो रहा.”

“दूध वाला है शायद. हटो मुझे जाने दो.”

“ऐसी नींद कभी नही आई जींदगी में. आने वाली जींदगी बहुत हसीन नज़र आ रही है मुझे. थॅंक यू पद्‍मिनी मेरी जींदगी में आने के लिए.”

पद्‍मिनी शर्मा गयी ये सुन कर और बोली, “बस…बस रहने दो प्यार हो चुका है अब. फ्लर्ट की ज़रूरत नही है तुम्हे.”

“आपसे कभी फ्लर्ट नही किया. बस प्यार किया है.”

“तुम सच में पागल हो.”

“आपके प्यार में पागल हहहे.”

पद्‍मिनी उठ कर चली गयी दूध लेने और राज शर्मा आँखे बंद करके वापिस हसीन ख़यालों में खो गया.

…………………………………………………………………….

रोहित रात भर साइको की तलाश में सहर में भटकने के बाद घर चला गया था. घर जा कर बिस्तर पर गिरते ही उसे बहुत गहरी नींद आ गयी थी.

सुबह 10 बजे उठा वो और तैयार हो कर 11 बजे हॉस्पिटल चल दिया. जब वो हॉस्पिटल पहुँचा तो एसपी साहिब को डिसचार्ज किया जा रहा था. मगर शालिनी को अभी 1 दिन और हॉस्पिटल में रहना था. एसपी साहिब को सी ऑफ करने के बाद वो ए एस पी साहिबा से मिलने पहुँचा.

जब रोहित कमरे में घुसा तो देखा कि चौहान शालिनी से बात कर रहा था. शालिनी ने रोहित को देखा मगर इग्नोर करके चौहान से बाते करती रही.

“ओह मिस्टर रोहित पांडे आए हैं. अच्छा मेडम मैं चलता हूँ.” चौहान रोहित की तरफ हंसता हुआ बाहर चला गया.

रोहित दूर खड़ा सब देखता रहा. वही खड़ा-खड़ा बोला, “मेडम कैसी हैं आप.”

“ठीक हूँ…जिंदा हूँ…अभी तुम जाओ बाद में बात करेंगे.” शालिनी ने बेरूख़ी से कहा.

“तो चौहान अपनी गेम खेल गया. तभी हंस रहा था मेरी तरफ. कोई बात नही मेडम…प्यार पहली बार दूर नही हुआ मुझसे. अब तो आदत सी है इन बातों की. खुश रहें आप हमेशा.” रोहित भारी मन से बाहर आ गया. उसकी आँखे नम थी

पूरा दिन किसी काम में मन नही लगा रोहित का. बस अपनी जीप ले कर सहर में यहाँ वहाँ घूमता रहा. दुबारा हॉस्पिटल नही गया वो. शाम को कोई 5 बजे थाने पहुँचा तो चौहान से वहाँ भी सामना हो गया.

“मिस्टर रोहित पांडे कहाँ थे आप. कब से ढूंड रहा हूँ आपको.”

“फोन नंबर है शायद आपके पास मेरा.”

“ वो सब छोड़ो ये बताओ कि तुम सस्पेंड होने के बाद कहाँ चले गये थे.”

“क्यों आपको क्या लेना देना.”

“क्योंकि आपको वापिस वही जाना पड़ेगा आप सस्पेंड हो गये हैं हहेहहे.”

रोहित की आँखे फटी की फटी रह गयी ये सुन कर.

“क्या बकवास कर रहे हो. क्या ए एस पी साहिबा ने आपको नही बताया. आप तो बहुत मिलते जुलते हैं आजकल उनसे.”

रोहित दाँत भींच कर रह गया. मन तो कर रहा था कि मुँह तौड दे चौहान का मगर चुप रहा.

चौहान ने उसे सस्पेन्षन ऑर्डर थमाया और बोला, “ये लो और दफ़ा हो जाओ यहाँ से. और इस बार वापिस आने की सोचना भी मत क्योंकि मैं ऐसा कभी नही होने दूँगा.”

“ग्रेट बस अब यही होना बाकी था. मेडम को पता था इस बारे में पर बताया नही मुझे. सब कुछ कितना अच्छा हो रहा है.”

रोहित अपनी पिस्टल बेल्ट थाने में जमा करवा कर पैदल ही निकल पड़ा थाने से. पीछे से भोलू ने आवाज़ दी, “सर रुकिये मैं आपको अपने स्कूटर से छोड़ देता हूँ.”

“नही रहने दो भोलू. जींदगी सड़को पर ही बीताई है ज़्यादातर धक्के खाते हुए. अच्छी बात है…कुछ पुरानी यादें ताज़ा हो जाएँगी. वैसे मेरी जगह किसको दिया जा रहा है ये साइको का केस.



“सर सिकेन्दर नाम है उनका. पूरा नाम नही पता मुझे. कल सुबह जाय्न कर लेंगे यहा. सुना है कि काफ़ी शिफारिस लगवा रहे थे वो यहाँ आने के लिए. इस केस पर तो ख़ास नज़र थी उनकी.”

“ह्म्म…ओके मैं चलता हूँ.”

रोहित थाने से बाहर आ गया और सोच में पड़ गया, “कल पद्‍मिनी के घर अटॅक किया साइको ने. फिर बस एक पैंटिंग रख कर चला गया. अब मेरा सस्पेन्षन हो गया. ये केस सिकेन्दर को मिल गया. सब कुछ जुड़ा हुआ है या फिर इत्तेफ़ाक है. कही सब कुछ साइको के मायाजाल का हिस्सा तो नही. और ये सिकेन्दर क्यों ज़ोर लगा रहा था यहाँ आने के लिए. ज़रूर कुछ गड़बड़ है. खैर अब मैं क्या कर सकता हूँ. मेडम नाराज़ हो गयी. नौकरी भी चली गयी. जींदगी भी क्या कुछ नही देखती हमें.”

रोहित मुरझाया हुआ चेहरा ले कर आगे बढ़ा जा रहा था. रह-रह कर शालिनी का चेहरा उसकी आँखो के सामने घूम रहा था.

"एक और प्यार मेरे इज़हार करने से पहले ही ख़तम हो गया. पद्‍मिनी ने भी ठुकरा दिया था मेरा प्यार बिना मेरी बात सुने. मेडम ने भी वही किया. लगता है किस्मत में किसी का प्यार है ही नही."

अचानक रोहित का फोन बजा और उसका ध्यान टूटा.

"किसका फोन है?" रोहित ने फोन जेब से निकालते हुए सोचा.

फोन मोहित का था.

"हेलो...हां मोहित हाउ आर यू."

"मैं ठीक हूँ सर. आप सुनाए. राज शर्मा ने मुझे बताया कि साइको ने पद्‍मिनी के घर अटॅक किया कल रात."

"ये राज शर्मा कौन है?" रोहित ने पूछा.

"सर राज को हम राज शर्मा कहते हैं."

"ओह...हां साइको पूरी प्लॅनिंग से आया था मगर बिना कुछ किए चला गया. पोलीस वालो को मार कर घर में घुसा और एक पैंटिंग रख कर चला गया. पद्‍मिनी तक पहुँचने की कोशिस ही नही की उसने. जबकि सब कुछ उसके कंट्रोल में था. मेरी तो कुछ समझ में नही आ रहा. ये एक मायाजाल है जिसमें हम सब उलझ चुके हैं."

"सर मायाजाल ठीक नाम दिया आपने इसे. सब कुछ उलझा हुआ है."

"भाई मेरी नौकरी चली गयी है. मुझे सर मत कहो. अब मैं इनस्पेक्टर नही हूँ. मुझे रोहित कहो..अच्छा लगेगा मुझे."

"नौकरी चली गयी...पर कैसे?"

"सस्पेंड हो गया हूँ मैं."

"पर किस बात के लिए?"

"यहाँ किसी बात की ज़रूरत नही होती. अगर बात पूछने जाएँगे तो कोई भी उल जलूल बात बोल देंगे."

"किसने किया सस्पेंड आपका, क्या ए एस पी साहिबा ने?"

"नही आइजी साहिब ने सस्पेंड किया है. मेडम का कोई रोल नही है इसमें."

"फिर अब आप क्या करोगे."

"घर जा रहा हूँ फिलहाल. आगे का कुछ नही पता."

"रोहित अगर बुरा ना मानो तो मेरे साथ आ जाओ. हम मिलकर कोई ना कोई सुराग ढूंड ही लेंगे साइको का."

"यार क्या कहु तुम्हे. मैं खुद यही सोच रहा था कि तुम्हारे साथ मिल कर इस साइको की खोज जारी रखूँगा. मगर मोहित हमें कुछ हथियारों की ज़रूरत होगी. खाली हाथ साइको के पीछे घूमना ख़तरे से खाली नही. मेरी पिस्टल तो मैने जमा करवा दी है."

"मेरे पास तो देसी कॅटा है एक. वही रखता हूँ साथ."

"उस से बात नही बनेगी. मैं कुछ करता हूँ. पोलीस की नौकरी का एक्सपीरियेन्स कब काम आएगा. मैं तुम्हे 9 बजे अपने घर मिलूँगा. वही आ जाना. बैठ कर आगे का डिसकस करते हैं."

"रोहित हमें ये जान-ना है कि कर्नल के घर में कौन रह रहा था. मुझे लगता है कि सब तार अब उसी घर से जुड़े हैं."

"हां तुम ठीक कह रहे हो. अभी तक कर्नल के रिलेटिव्स के यहाँ से भी कुछ पता नही चला. शायद वहाँ की लोकल पोलीस कोई इंटेरेस्ट नही ले रही."

"कोई बात नही हम खुद भी जा सकते हैं वहाँ पूछताछ करने."

"हां ठीक है...तुम शाम को घर आना बाकी बातें वही होंगी."

रोहित ने फोन काट दिया. जैसे ही उसने फोन जेब में रखा एक कार रुकी उसके सामने आकर. उसमे से मिनी निकली बाहर और बोली, "क्या हुआ इनस्पेक्टर साहिब...आज पैदल कहाँ घूम रहे हैं."

"मैं अब इनस्पेक्टर नही हूँ...मेरा सस्पेन्षन हो गया है."

"क्या? पर क्यों."

"आपने बदनाम जो कर दिया था मीडीया में हमें."

"देखिए पोलीस पर दबाव बना रही थी मैं और कुछ नही. नतिंग पर्सनल अगेन्स्ट यू."

"जानता हूँ...यही तो आपका काम है."

"उस दिन के लिए सॉरी. ज़्यादा तेज तो नही लगी थी आपको."

"कोई बात नही मैं वो सब भूल चुका हूँ. मिनी तुम भी काफ़ी समय से इस केस को फॉलो कर रही हो. क्या एक काम कर सकती हो."

"हां बोलो."

"पोलीस से तो निकल गया हूँ पर इस केस को सॉल्व करके रहूँगा मैं. हम एक टीम बना रहे हैं...क्या तुम शामिल होना चाहोगी. बहुत हेल्प मिलेगी हमें."

"ऑफ कोर्स मैं साथ हूँ तुम्हारे. बताओ क्या करना है."

"आज रात ठीक 9 बजे मेरे घर पहुँच जाना. और तुम्हारे पास अब तक की जो भी जानकारी हो लेती आना."

"ओके आ जाउन्गि मैं ठीक 9 बजे."

मिनी कार में बैठ कर चली गयी.

"मिस्टर साइको बेसक मेरी नौकरी चली गयी मगर तुम्हारी तलाश अभी बाकी है. छोड़ूँगा नही तुम्हे मैं." रोहित ने मन ही मन सोचा.

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01-01-2019, 12:54 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--102

गतान्क से आगे.................

शालिनी हॉस्पिटल के कमरे में उदास पड़ी थी. सुबह उसने रोहित को इग्नोर किया था और ठीक से बात भी नही की थी. लेकिन जबसे उसे रोहित के सस्पेन्षन का पता चला था तब से बार-बार दरवाजे की ओर देखती थी. कुछ भी आहट होती थी तो आँखो में उम्मीद लेकर दरवाजे की ओर देखती थी कि कही रोहित तो नही.

"रोहित बहुत बुरा लग रहा है मुझे. तुम्हे बात किए बिना ही भगा दिया यहा से. पता नही क्या हो गया था मुझे. चौहान ने जो कुछ बताया तुम्हारे और उसकी बहन के बारे में वो सब सुन कर बहुत बुरा लगा. तुमने मुझे कुछ क्यों नही बताया जबकि मैने तुमसे पूछा भी था. अच्छा नही लगा ये सब सुन कर." शालिनी मन ही मन सोच रही थी.

शालिनी ने फोन उठाया और रोहित को फोन मिलाया. मगर नेटवर्क बिज़ी होने के कारण फोन मिल नही पाया. रोहित ने भी शालिनी का फोन ट्राइ किया मगर एक बार भी नंबर नही मिला.अक्सर वक्त पड़ने पर कम्यूनिकेशन नही हो पाता. ऐसा ही कुछ शालिनी और रोहित के साथ हो रहा था.

“कही मेडम ने मेरे नंबर पर डाइवर्ट तो नही लगा दिया.” रोहित ने सोचा.

………………………………………

रात ठीक 9 बजे रोहित के घर साइको को ट्रॅक करने के लिए टीम तैयार हो रही थी. राज शर्मा भी आ गया था वहाँ पद्‍मिनी को लेकर. एक तरह से एक स्पेशल टास्क फोर्स तैयार हो रही थी.

रोहित ने सभी का स्वागत किया घर पर.

“हम यहा एक ख़ास मकसद से इक्कथा हुए हैं. जैसा कि हम जानते हैं कि सहर में साइको ने ख़ौफ़ मचा रखा है. हम सभी का कभी ना कभी सामना हो चुका है साइको से. इसलिए ये हमारी मोरल ड्यूटी बनती है की उसे पकड़ने की हर संभव कोशिस करें.” रोहित ने कहा.

“मेरा कभी सामना नही हुआ साइको से” मिनी ने कहा.

“ओह मुझे लगा रिपोर्टर होने के नाते तुम भी कही ना कही टकरा गयी होहि साइको से. लेकिन एक बात सुन लीजिए. साइको बिना नकाब के रोज हम सभी के सामने घूम रहा है. वो नकाब इसलिए लगाता है अब क्योंकि वो समाज में अपनी इज़्ज़त खोने से डरता है. मिनी तुम शायद साइको से ज़रूर मिली होगी पर तुम्हे ये नही पता कि वो साइको है.”

“ह्म्म इंट्रेस्टिंग.” मिनी ने कहा.

“सर कल रात उसने बहुत अजीब किया पद्‍मिनी के घर पर. उसकी क्या एक्सप्लनेशन है…वो सिर्फ़ पैंटिंग रखने नही आएगा घर पर.?” राज शर्मा ने कहा

“इसी गुत्थी को सुलझाने के लिए हम यहा इकट्ठा हुए हैं. चलिए हम सब मिल कर सोचते हैं कि उसने ऐसा क्यों किया होगा.”

“उसे अपने विक्टिम में ख़ौफ़ फैलाने में मज़ा आता है. हो सकता है वो बस ये काम करने गया हो कल रात पद्‍मिनी के घर.” मिनी ने कहा.

“लेकिन इसके लिए उसने बहुत बड़ा ख़तरा मोल लिया. कारण ज़रूर कोई बड़ा होना चाहिए.” रोहित ने कहा.

“हो सकता है कि वो पोलीस से डर से भाग गया हो?” मोहित ने कहा.

“पर पोलीस बहुत देर से पहुँची थी. वो बहुत देर तक उपर घूमता रहा था.” राज शर्मा ने कहा.

“जो पैंटिंग वो लाया था वो भी कोई फ्रेश पैंटिंग नही थी. इसलिए ये भी नही कह सकते कि वो पैंटिंग बना रहा था उपर.” रोहित ने कहा.

“रोहित तुम सही कह रहे थे. ये ज़रूर कोई मायाजाल है साइको का. उसने ऐसा क्यों किया ये सिर्फ़ वही बता सकता है.” मोहित ने कहा.

“मायाजाल तो है पर मुझे यकीन है कि हम सब मिल कर इसे सुलझा सकते हैं.” रोहित ने कहा.

पद्‍मिनी चुपचाप बैठी सब सुन रही थी. रोहित ने उसकी तरफ देखा और बोला, “पद्‍मिनी तुम भी कुछ बोलो.हम सब यहाँ एक मकसद से इकट्ठा हुए हैं. इस से पहले की साइको हमारी आर्ट बना दे हमें उसकी आर्ट बनानी होगी. ये हम तभी कर पाएँगे जब हम उसे ढूंड लेंगे.”

“रोहित मेरे दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया है. मैने उसे देखा था और देख कर भूल गयी. अगर उसका चेहरा याद होता तो कुछ कर भी पाती…अब क्या करूँ कुछ समझ में नही आता.”

“कोई बात नही पद्‍मिनी…तुम हमारे साथ हो यहा यही बड़ी बात है हमारे लिए. कुछ भी ध्यान आए तो शेर ज़रूर करना.” रोहित ने कहा

“हां शुवर.” पद्‍मिनी ने कहा.

“हमारा प्लान ऑफ आक्षन क्या है?” राज शर्मा ने कहा.

“हमें कर्नल के घर के रहश्य से परदा उठाना है. पता करना है कि वहाँ कौन रह रहा था. ये काम मैं और मोहित करेंगे.” रोहित ने कहा.

“मेरे लिए क्या हुकुम है.” मिनी ने पूछा.

“तुम कुछ भी इन्फर्मेशन नही लाई साइको के बारे में.” रोहित ने कहा.

“जितना तुम्हे पता है उतना ही मुझे पता है. ज़्यादा कुछ मैं भी नही जानती.” मिनी ने कहा.

“लेकिन अब हमें सब कुछ जान-ना है इस बारे में. सभी एक दूसरे का नंबर ले लेते हैं. कोई भी नयी जानकारी मिलेगी किसी को तो तुरंत एक दूसरे से कॉंटॅक्ट करेंगे. और राज शर्मा तुम हर वक्त सतर्क रहना. साइको फिर से आएगा वहाँ.”

“रोहित क्यों ना पद्‍मिनी के घर के आस-पास ही हम भी एक कमरा ले लें. साइको पद्‍मिनी के पीछे है. वो वही आएगा दुबारा. हम वही उसे ट्रॅप कर सकते हैं.”

“हां ठीक कह रहे हो. कल ही ये काम कर देंगे. दिन में हम चाहे कही भी रहें पर रात को पद्‍मिनी के घर के आस-पास रहना ज़रूरी है.” रोहित ने कहा.

बाते करते करते 10:30 हो गये. सभी अपने अपने घर चल दिए. रोहित राज शर्मा और पद्‍मिनी के साथ अपनी कार ले कर चल दिया. उसे हॉस्पिटल जाना था शालिनी से मिलने के लिए. रास्ते में रोहित हॉस्पिटल की तरफ मूड गया और राज शर्मा पद्‍मिनी के घर की तरफ. रोहित चाहता था कि उन्हे घर तक छोड़ कर आए मगर राज शर्मा ने मना कर दिया, “सर मैं संभाल लूँगा. आप चिंता मत करो.”

“साइको ने सबके दिमाग़ हिला कर रखे हुए हैं.” राज शर्मा ने कहा.

“हां…उसे समझना बहुत मुस्किल काम है.”

अचानक राज शर्मा ने एक जगह जीप रोक दी.

“क्या हुआ?”

“यहा से मेरा घर काफ़ी नज़दीक है…क्या चलोगि वहाँ?” राज शर्मा ने कहा

“कही भी चलूंगी मैं तुम्हारे साथ पर मेरे साथ शालीनता से पेश आना.”

“ये पाप ही नही कर सकता मैं बाकी कुछ भी कर सकता हूँ आपके लिए.” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.

“अब क्या करूँ…चलना तो पड़ेगा ही तुम्हारे साथ. चलो जो होगा देखा जाएगा.”

“ये हुई ना बात. प्यार में अड्वेंचर का भी अपना ही मज़ा है.” राज शर्मा ने जीप अपने घर की तरफ मोड़ दी.

कोई 10 मिनिट में ही राज शर्मा अपने घर पहुँच गया.

“घर के नाम पर ये छोटा सा कमरा है मेरे पास. छोटा सा किचन है अंदर ही और एक टाय्लेट है. आपकी तरह महलो में नही रहा कभी.” राज शर्मा ने टाला खोलते हुए कहा.

“बस-बस ताना मत मारो. अकेले व्यक्ति के लिए एक कमरा बहुत होता है.”

“हां पर आपसे शादी करने के बाद नया घर लेना होगा मुझे.” राज शर्मा ने कुण्डी खोलते हुए कहा.

“आईए अंदर और इस घर को अपनी उपस्थिति से महका दीजिए.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी अंदर आई तो हैरान रह गयी, “ऑम्ग ये घर है या कबाड़खाना. सब कुछ बिखरा पड़ा है.”

“कयि दिनो से तो ड्यूटी आपके साथ लगी हुई है. यहा कौन ठीक करेगा आकर सब कुछ. मैं अभी सब ठीक करता हूँ. सारी रात यही बितानी है हमें”

“क्यों क्या अब हम घर नही जाएँगे.”

“क्या ये आपका घर नही.”

“नही वो बात नही है पर.”

“ओह हां ये आपकी हसियत के अनुसार नही है…हैं ना”

“ऐसा नही है राज शर्मा…मेरा वो मतलब नही है. हम एक साथ इस कमरे में कैसे रहेंगे.”

“क्यों कल रात हम एक साथ नही सोए थे क्या छोटे से बिस्तर पर. यहा एक साथ रहने में क्या दिक्कत है. मैं जल्दी से सफाई कर देता हूँ आप बैठिए.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी ने कुछ नही कहा मगर मन ही मन सोचा, “तुमसे इतना प्यार करती हूँ कि तुम्हारी कोई भी बात टाली नही जाती. उसी चीज़ का तुम फ़ायडा उठा रहे हो.”

कुछ देर पद्‍मिनी राज शर्मा को काम करते हुए देखती रही फिर खुद भी उसके साथ लग गयी. कोई 20 मिनिट में दोनो ने कमरे को एक दम चमका दिया.

“पसीने-पसीने हो गयी मैं तो…नहाना पड़ेगा अब.”

“हां नहा लीजिए…यहा पानी की कोई दिक्कत नही है. सारा दिन पानी रहता है.”

“ठीक है फिर मुझे कोई तोलिया दो मैं नहा कर आती हूँ.”

राज शर्मा ने एक तोलिया थमा दिया पद्‍मिनी को और बोला, “वैसे नहाना मुझे भी था. अगर आप इजाज़त दें तो मैं भी आ जाता हूँ आपके साथ. टाइम की बचत हो जाएगी.”

“क्या करोगे टाइम की बचत करके. सारी रात अब हम यही हैं ना. वेट करो यही चुपचाप…बदमाश कही के.” पद्‍मिनी तोलिया ले कर बाथरूम में घुस गयी.

कोई 20 मिनिट बाद वो नहा कर निकली बाहर तो राज शर्मा के होश उड़ गये.

“ऐसे क्या देख रहे हो.”

“पानी की बूँदो में भीगे हुए ये काले-काले बाल एक कामुक रस पैदा कर रहे हैं मेरे सीने में.”

“चुपचाप नहा लो जाकर…मुझे बाल सुखाने दो.”

राज शर्मा दूसरा तोलिया लेकर घुस गया बातरूम में. वो कोई 10 मिनिट में ही नहा कर निकल आया.

जब वो बाहर निकला तो पद्‍मिनी की पीठ थी उसकी तरफ और वो अपने बाल सूखा रही थी. राज शर्मा उसके सुंदर शरीर को उपर से नीचे तक देखने से खुद को रोक नही पाया. पतली कमर का कटाव देखते ही बनता था. राज शर्मा तो बस देखता ही रह गया. उसकी साँसे तेज चलने लगी. जब उसकी नज़र थोड़ा और नीचे गयी तो उसकी सांसो की रफ़्तार और तेज हो गयी. पतली कमर के नीचे थोड़ा बाहर को उभरे हुए नितंब पद्‍मिनी के योवन की सोभा बढ़ा रहे थे.

“उफ्फ मैं पागल ना हो जाउ तो क्या करूँ.” राज शर्मा ने मन ही मन सोचा.

राज शर्मा धीरे से आगे बढ़ा और दोनो हाथो से पद्‍मिनी के नितंबो को थाम लिया.

“आअहह” पद्‍मिनी उछल कर आगे बढ़ गयी. “क्या कर रहे हो…तुमने तो डरा दिया मुझे.” पद्‍मिनी गुस्से में बोली.

“रोक नही पाया खुद को. सॉरी.”

“कुछ भी कर लो पहले और फिर सॉरी बोल दो. ये बहुत अच्छा तरीका है तुम्हारा.” पद्‍मिनी ने कहा.

“हां तरीका तो अच्छा है हिहिहीही….”

“बदमाश हो तुम एक नंबर के.”

“वो तो हूँ” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.

पद्‍मिनी दीवार पर टाँगे छोटे से शीसे के सामने आकर अपने बाल संवारने लगी, “तुम सच में पागल हो.”

राज शर्मा ने पीछे से आकर पद्‍मिनी को दबोच लिया अपनी बाहों में और पद्‍मिनी के गले पर किस करके बोला, “पद्‍मिनी आइ लव यू.”

“आइ लव यू टू राज शर्मा पर.”

“पर क्या?”

“हम दोनो बिल्कुल अलग हैं राज शर्मा. तुम जो चाहते हो मुझसे उसमें मैं तुम्हारा साथ नही दे सकती.”

“क्या चाहता हूँ मैं ज़रा खुल कर बताओ.”

“तुम्हे सब पता है…नाटक मत करो.”

पद्‍मिनी के इतने नज़दीक आकर राज शर्मा का लिंग काले नाग की तरह फूँकारे मारने लगा था. वो अपने भारी भरकम रूप में आ गया था और पद्‍मिनी को अपने नितंबो पर बहुत अच्छे से फील हो रहा था.

“राज शर्मा प्लीज़ हटा लो इसे.”

“क्या हटा लूँ. कुछ समझ में नही आया.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी को और ज़ोर से कश लिया अपनी बाहों में और उसकी गर्दन को चूमने लगा.

क्रमशः........................

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01-01-2019, 12:54 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--103

गतान्क से आगे.................

नितंबो पर लिंग की चुअन से पहले ही पद्‍मिनी के शरीर में अजीब सी तरंगे दौड़ रही थी. गर्दन पर बरस रही किस्सस से उसकी हालत और पतली होती जा रही थी.

“बोलिए ना क्या हटा लूँ. आप नही बताएँगी तो कैसे मदद करूँगा आपकी.”

पद्‍मिनी छटपटाने लगी राज शर्मा की बाहों में मगर राज शर्मा की पकड़ से निकलना आसान नही था.

“क्या मेरा लंड आपकी गांद को परेशान कर रहा है?”

“शट अप! हट जाओ वरना जींदगी भर बात नही करूँगी तुमसे.” पद्‍मिनी चिल्लाई.

राज शर्मा तुरंत हट गया और बिस्तर पर आकर लेट गया आँखे बंद करके.

“हां अब नाराज़ हो जाना ताकि मैं तुम्हे मनाने आउ और तुम्हे फिर से मेरे शरीर से खेलने का मोका मिले.आइ हेट यू. मेरे करीब मत आना अब. तुम बहुत गंदे हो. इतनी गंदी बात नही सुनी कभी मैने.” पद्‍मिनी ने कहा.

“अब आपको कभी कुछ नही कहूँगा…ना ही आपके शरीर से खेलूँगा. सॉरी फॉर एवेरितिंग.” राज शर्मा ने कहा.

राज शर्मा बिस्तर से उठा और ज़मीन पर एक चटाई बिछा कर उस पर तकिया रख कर लेट गया. पद्‍मिनी समझ गयी कि राज शर्मा ने बिस्तर उसके लिए छोड़ दिया है. पद्‍मिनी बिस्तर पर बैठ गयी और घुटनो में सर छुपा कर शूबकने लगी.

“मेरी भावनाओ की ज़रा भी कदर नही करते तुम…प्यार क्या निभाओगे तुम. जब से प्यार हुआ है क्या तुमने कुछ भी जान-ने की कोशिस की मेरे बारे में. क्या पूछा तुमने कभी कि कैसा फील करती हूँ मैं अपने मम्मी पापा के बिना. क्या पूछा तुमने कभी कि क्यों मेरी पहली शादी बिखर गयी. नही तुम्हे मेरे दुख दर्द से कोई लेना देना नही है. बस मेरा शरीर चाहिए तुम्हे और वो भी तुरंत. थोड़ा सा भी वेट नही कर सकते. हवस के पुजारी हो तुम…जिसे औरत के शरीर के सिवा कुछ नही दीखता. क्यों मेरे दिल में झाँकने की कोशिस नही करते तुम.क्यों मेरे शरीर पर ही रुक जाते हो तुम. क्या इसी को प्यार कहते हो तुम. क्या तुम्हे पता भी है किस हाल में हूँ मैं एर कैसे एक-एक दिन जी रही हूँ.मम्मी पापा की मौत के बाद पूरी तरह बिखर चुकी हूँ. तुम्हारे प्यार ने जीवन में एक उम्मीद की किरण सी देखाई थी मगर अब सब ख़तम सा होता दीख रहा है. ये प्यार बस शरीर तक ही रह गया है...इस से आगे नही बढ़ पा रहा है.,” पद्‍मिनी सुबक्ते हुए सोच रही थी.

राज शर्मा पद्‍मिनी के दिल की मनोस्थिति से बेख़बर चुपचाप पड़ा था आँखे बंद किए. “मैं प्यार करता हूँ आपको और आप इसे शरीर से खेलना समझती हैं. पता नही कौन सी दुनिया से हैं आप. ज़रा सी नज़दीकी और छेड़ छाड़ बर्दास्त नही आपको. शादी के बाद भी यही सब चलेगा शायद. ये प्यार मुझे बर्बादी की तरफ ले जा रहा है. आपका योवन मुझे भड़का देता है और मैं आपकी तरफ खींचा चला आता हूँ. बदले में मुझे गालियाँ और तिरस्कार मिलता है आपका. प्यार ये रंग देखायगा सोचा नही था कभी.”

अचानक पद्‍मिनी ने अपने आँसू पोंछे. उसने मन ही मन कुछ फ़ैसला किया था. वो बिस्तर से उठी और कमरे की लाइट बंद कर दी. कुछ देर बाद वो झीजकते हुए राज शर्मा की चटाई के पास आ गयी और उसके पास लेट गयी. राज शर्मा को पता तो चल गया था कि पद्‍मिनी उसके पास लेट गयी है आकर पर फिर भी चुपचाप आँखे बंद किए पड़ा रहा.

“राज शर्मा नाराज़ रहोगे मुझसे?”

“आपका रोज का यही नाटक है. पहले मुझे कुत्ते की तरह खुद से दूर भगा देती हो फिर खुद मेरे पास आ जाती हो.” राज शर्मा ने कहा.

“क्या करूँ तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ. तुमसे दूर नही रह सकती. ना ही तुम्हारी नाराज़गी बर्दास्त कर सकती हूँ.”

“कल भी यही कहा था आपने ये सब मज़ाक है और कुछ नही.” राज शर्मा ने कहा.

“मज़ाक नही है ये सच है. तुमसे बहुत नाराज़ हूँ फिर भी यहा तुम्हारे पास आई हूँ क्योंकि तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.” पद्‍मिनी सुबक्ते हुए बोली.

राज शर्मा मन ही मन मुस्कुरा रहा था ये सब सुन कर. बाहों में भर लेना चाहता था पद्‍मिनी को इस मासूम प्यार के लिए पर पता नही क्यों पद्‍मिनी को थोड़ा और सताने का मूड था उसका. “तो क्या कोई अहसान कर रही हो मुझ पर.” राज शर्मा ने कहा.

“नही अहसान तो खुद पर कर रही हूँ..तुमसे दूर रह कर जी नही सकती ना इसलिए अहसान खुद पर कर रही हूँ. तुम पर अहसान क्यों करूँगी…तुम तो जींदगी हो मेरी.” पद्‍मिनी ने फिर से सुबक्ते हुए कहा.

अब राज शर्मा से रहा नही गया और उसने बाहों में भर लिया पद्‍मिनी को. मगर जैसे ही उसने उसे बाहों में लिया वो हैरान रह गया. वो फ़ौरन पद्‍मिनी से अलग हो गया.

“पद्‍मिनी ये सब क्या है तुम कपड़े उतार कर क्यों आई हो मेरे पास.”

“पता नही क्यों आई हूँ बस आ गयी हूँ किसी तरह. आगे तुम संभाल लो.”

“क्या पागलपन है ये. कहाँ है कपड़े तुम्हारे?”

“ बिस्तर पर पड़े हैं.”

राज शर्मा अंधेरे में बिस्तर की तरफ बढ़ा और वहाँ से कपड़े उठा कर पद्‍मिनी के उपर फेंक दिए, “पहनो जल्दी वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा. तुमने ऐसा करके अपमान किया है मेरे प्यार का. मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगा. तुमने तमाचा मारा है मेरे मुँह पर ये सब करके. यही साबित करना चाहती हो ना कि मैं हवस का पुजारी हूँ और तुम सती सावित्री हो जिसे मैं मजबूर करता हूँ सेक्स के लिए. मान गये आपको. आप तो साइको से भी ज़्यादा ख़तरनाक गेम खेल गयी मेरे साथ. आइ हेट यू. आप ना प्यार के लायक हैं और ना शादी के लायक हैं. अब समझ में आया क्यों आपकी पहली शादी नही चल पाई. आप रिस्ते निभा ही नही सकती.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी ने ये सब सुनते ही फूट-फूट कर रोने लगी. इतनी ज़ोर से रो रही थी वो कि राज शर्मा के कान फॅट रहे थे उसका रोना सुन कर.

“ये क्या तमासा है बंद करो ये नाटक!” राज शर्मा ज़ोर से चिल्लाया.

पद्‍मिनी सुबक्ते हुए उठी और अपने कपड़े पहन कर वापिस वही लेट गयी चटाई पर. राज शर्मा पाँव लटका कर बिस्तर पर बैठ गया.

कमरे में एक दम खामोसी छा गयी. पद्‍मिनी पड़ी-पड़ी सूबक रही थी और राज शर्मा अपना सर पकड़ कर बैठा था.

………………………………………………………………………..

रोहित हॉस्पिटल पहुँच तो गया मगर शालिनी के कमरे की तरफ जाने से डर रहा था. “पता नही बात करेंगी या नही. एक बार मिल कर अपना पक्ष तो रख दूं फिर जो उनकी इच्छा होगी देख लेंगी.”

रोहित दबे पाँव कमरे में दाखिल हुआ. शालिनी आँखे बंद किए पड़ी थी. रोहित ने उन्हे जगाना सही नही समझा और वापिस मूड कर जाने लगा.

“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.

रोहित तुरंत मुड़ा और बोला, “क्या आप जाग रही हैं.”

“तुम मुझे सोने दोगे तब ना सो पाउन्गि. कहा थे सुबह से. फोन भी नही मिल रहा था तुम्हारा.” शालिनी ने कहा.

“मेडम आपने मुझे सुबह यहाँ से जाने को कहा था. दिल में दर्द और आँखो में आँसू लेकर गया था यहाँ से.”

“जो बात तुम्हे मुझे बतानी चाहिए थी वो चौहान ने बताई. बहुत बुरा लगा था मुझे.”

“मेडम रीमा से प्यार नही किया कभी मैने. हां अच्छे दोस्त ज़रूर बन गये थे हम. वो मुझसे शादी करना चाहती है.”

“क्या?” ये बात चौहान ने नही बताई मुझे.

“जी हां मेडम. वो मुझे प्यार करती है. मेरे दिल में प्यार नही जाग पाया उसके लिए मगर फिर भी मैं शादी के लिए तैयार था. मगर चौहान को ये सब मंजूर नही. इसलिए वो ज़बरदस्ती रीमा की शादी कही और कर रहा है वो भी इतनी जल्दी.”

“अगर चौहान राज़ी हो गया तुम्हारी और रीमा की शादी के लिए तो क्या करोगे शादी उस से?”

“मेडम झूठ नही बोलूँगा. अब नही कर सकता शादी रीमा से.”

“क्यों नही कर सकते?”

“आप जानती हैं सब कुछ पूछ क्यों रही हैं.”

“शायद मुझे पता है और शायद नही भी. खैर छोड़ो. दुख हुआ तुम्हारे सस्पेन्षन का सुन कर. मैं ड्यूटी जाय्न करते ही कोशिस करूँगी उसे कॅन्सल करवाने की.”

“सस्पेन्षन की आदत हो चुकी है अब.”

“ह्म्म बी ऑप्टिमिस्टिक रोहित. सब ठीक हो जाएगा.”

“मेडम मैं कुछ मित्रो के साथ मिल कर साइको की तलाश जारी रख रहा हूँ. अभी हमारे पास सबसे बड़ा क्लू कर्नल का घर है. वही से सारे राज खुलने की उम्मीद है. हम उसी पर कॉन्सेंट्रेट करेंगे. संजय तो सस्पेक्ट है ही. मगर उसका अभी कुछ आता पता नही है.”

“वेरी गुड. मेरी कहीं भी ज़रूरत पड़े तो झीजकना मत.मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूँ.”

“थॅंक यू मेडम…मैं चलता हूँ अब. शुकून मिला दिल को आपसे बात करके. सुबह तो भारी मन लेकर गया था यहा से. ऐसा लग रहा था जैसे कि दुनिया ही उजड़ गयी मेरी. गुड नाइट.” रोहित कह कर चल दिया.

“रूको!”

“जी कहिए.”

“कुछ कहना चाहती थी पर चलो छोड़ो. फिर कभी…”

“ऐसा ही होता है अक्सर. हम दिल में छुपाए फिरते हैं वो बात मगर कह नही पाते. और एक दिन ऐसा आता है जब किस्मत कहने का मोका ही नही देती जबकि हम कहने के लिए तैयार रहते हैं. बोल दीजिए मुझे जो बोलना है. हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा आपकी ये बात जो आप कहना चाहती हैं.”

“मैं क्या कहना चाहती हूँ तुम्हे पता भी है?”

“जी हां पता है”

“फिर बोलने की क्या ज़रूरत है. यू कॅन गो नाउ…हहेहहे.” शालिनी ने हंसते हुए कहा.

“एक बार बोल देती तो अच्छा होता. मेरे कान तरस रहे हैं वो सब सुन ने के लिए. प्लीज़.”

“तुम जाते हो कि नही…मेरे पास कुछ नही है कहने को. ईज़ दट क्लियर.”

“जी हां सब कुछ क्लियर है स्प्राइट की तरह.”

“हाहहहाहा…..आआहह” शालिनी खिलखिला कर हंस पड़ी जिस से पेट के झखम में दर्द होने लगा.

“क्या हुआ मेडम?”

“कुछ नही हँसने से पेट का झखम दर्द करने लगा.”

“मेरे उपर हँसने के चक्कर में दर्द मोल ले लिया आपने. शांति रखिए. वैसे बहुत अच्छा लगा आपको हंसते देख कर. भगवान मेरी सारी ख़ुसीया आपको दे दे ताकि आप हमेशा यू ही मुस्कुराती रहें.”

“तुम कुछ भी कर्लो मैं वो बोलने वाली नही हूँ.”

“यही तो मेरी बदक़िस्मती है. खैर जाने दीजिए. गुड नाइट. सो जाओ आप चुपचाप अब. मुझे अभी से इंक्वाइरी शुरू करनी हैं. अब बिल्कुल फ्रेश माइंड से स्टार्ट करूँगा.”

“ऑल दा बेस्ट.” शालिनी ने कहा

रोहित कमरे से बाहर निकला तो शालिनी का डॉक्टर मिल गया उसे.

“डॉक्टर कब तक छुट्टी मिलेगी मेडम को.”

“हम कल दोपहर तक छुट्टी कर देंगे. बाद में बस ड्रेसिंग के लिए आना पड़ेगा. 20 दिन बाद स्टिचस काट देंगे.”

“एसपी साहिब का भी आपने इलाज किया क्या. उनकी तो बड़ी जल्दी छुट्टी हो गयी”

“नही उनका केस तो ड्र अनिल के पास था. बहुत बढ़िया डॉक्टर हैं वो. एसपी साहिब के ख़ास दोस्त भी हैं. मेडम का केस डिफरेंट था. उस लकड़ी ने बहुत गहरा घाव बना दिया था मेडम के पेट में.”

“मगर जो भी हो आपके हॉस्पिटल में अच्छी केर होती है. सभी अच्छे डॉक्टर हैं.”

“जी हां. वी आर प्राउड ऑफ इट.”

अचानक रोहित का फोन बज उठा. फोन अननोन नंबर से था.

“यार कही ये साइको का तो नही?”

रोहित ने फोन उठाया.

“हेलो.”

“हेलो ईज़ दिस इनस्पेक्टर रोहित.”

“जी हां मैं रोहित ही हूँ बोलिए.”

“दोपहर से आपका फोन ट्राइ कर रहा हूँ. मैं देल्ही से बोल रहा हूँ इनस्पेक्टर गणेश.”

“हां बोलिए.”

“देखिए कॉलोनेक की बहन रहती हैं यहाँ. हमने उनसे पूछताछ की है. कर्नल कहाँ है उन्हे भी कुछ नही पता. उनके अनुसार कर्नल का स्वाभाव ऐसा ही है…बिना बताए गायब हो जाता है. देहरादून में जो घर है उसका वो उसने किसी सीसी नाम के आदमी को दिया है शायद.”

“सीसी…पूरा नाम बोलिए ना इस सीसी ने तो परेशान कर रखा है हमें.”

“देखिए कर्नल की बहन को इतना ही पता था. एक महीना पहले कर्नल ने बातो बातो में बोल दिया था उसे कि वो अपना देहरादून वाला घर अपने एक फ्रेंड सीसी को दे रहा है. ज़्यादा बात नही हुई इस बारे में उनकी. यही पता चला यहा, सोचा आपको बता दूं. मीडीया में छाया हुआ है ये साइको का केस. शायद आपको इस से कुछ मदद मिले. ऑल दा बेस्ट” गणेश ने फोन काट दिया.

क्रमशः........................
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01-01-2019, 12:55 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--104

गतान्क से आगे.................

“यार ये तो गोल चक्कर में घूम रहे हैं हम. फिर बात इस सीसी पर आ कर अटक गयी. पर इतना तो क्लियर है अब कि कर्नल के घर में रहने वाला ही साइको है. उसी का नाम सीसी है. सीसी ईज़ साइको. वेरी फन्नी. ना साइको मिल रहा है ना सीसी. दोनो एक ही हैं तो ये तो होना ही था. देखता हूँ कब तक बचोगे मिस्टर सीसी उर्फ साइको. कुछ ना कुछ तो तुम्हारे बारे में पता चल ही रहा है.”

पद्‍मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इस कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राज शर्मा की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आँखो से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिस कर रही थी कि मुँह से कोई आवाज़ ना हो पर रह-रह कर सूबक ही पड़ती थी.

राज शर्मा बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.

“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए ज़िम्मेदार हो.” राज शर्मा ने मन ही मन सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.

प्यार में गुस्सा ज़्यादा देर तक नही टिक सकता. प्यार वो आग है जिसमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छ्होटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मन में गुस्सा ज़्यादा देर तक नही टिक पाता. संभव ही नही है ये बात.

राज शर्मा का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्‍मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैने ये क्या किया? क्या कुछ नही कह दिया मैने पद्‍मिनी को.” राज शर्मा ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्‍मिनी के पास आ कर बैठ गया.

पद्‍मिनी अभी भी सूबक रही थी. राज शर्मा ने पद्‍मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्‍मिनी चुप हो जाओ.”

पद्‍मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राज शर्मा घबरा गया उस यू रोते देख.

“पद्‍मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हे यू रोते देख कर.” राज शर्मा ने भावुक आवाज़ में कहा.

“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”

“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. ”

“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिल्कुल लायक नही हूँ तुम्हारे प्यार के. अच्छा हो कि साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नही जीना चाहती.”

“पद्‍मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”

“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नही समझते. मेरे दर्द और तकलीफ़ का अहसास तक नही तुम्हे. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिल्कुल अकेली जिसे कोई नही समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”

“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहाँ है मेरी बंदूक.” राज शर्मा उठ कर कमरे की आल्मिरा की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.

ये सुनते ही पद्‍मिनी थर-थर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्‍मिनी फ़ौरन उठ खड़ी हुई. राज शर्मा अंधेरे में कहाँ है उसके कुछ नज़र नही आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राज शर्मा पिस्टल निकाल चुका था आल्मिरा से और अपनी कनपटी पर रखने वाला था. पद्‍मिनी बिना वक्त गवाए राज शर्मा की तरफ भागी और बंदूक राज शर्मा के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.

पद्‍मिनी लिपट गयी राज शर्मा से और रोते हुए बोली, “तुम्हे नही खो सकती राज शर्मा…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हे नही खो सकती. मेरा कोई नही है तुम्हारे सिवा.”

“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मार लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नही.”

दोनो एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनो की ही आँखे टपक रही थी.

“राज शर्मा मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है राज शर्मा…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हट जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राज शर्मा. इस सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहा सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के सिवा कुछ और नही है.”

“पद्‍मिनी तुम्हारी कसम खा कर कहता हूँ मेरा प्यार सिर्फ़ शारीरिक नही है. मैं तुम्हारा हर दर्द समझता हूँ.”

“मम्मी-पापा की मौत के बाद घुट-घुट कर जी रही हूँ मैं. बिल्कुल भी मन नही लगता मेरा कही भी. रोज उनकी याद किसी ना किसी बहाने आ ही जाती है. फिर मैं खुद को गुनहगार मानती हूँ. मेरे कारण उन्हे इतनी बुरी मौत मिली. मेरे गम बाँट लिया करो राज शर्मा कभी-कभी…सिर्फ़ तुमसे ही उम्मीद रखती हूँ. तुम भी निराश करोगे तो कहाँ जाउन्गि मैं.”

“तुम्हे मैने पहले भी बताया है कि 7 साल का था जब मेरे पेरेंट्स गुजर गये. खून के आँसू रोया था मैं. मौत का मतलब भी नही जानता था तब. जब मुझे बताया गया उनके बारे में तो यही लगा कि कही घूमने गये हैं. जानता हूँ तुम्हारे गम को और अच्छे से समझता भी हूँ. पर क्या हम इन गामो में ही डूबे रहेंगे. निकलो बाहर पद्‍मिनी.”

“मैने अपने पेरेंट्स को दुख के सिवा कुछ नही दिया. मेरी शादी बिखर जाने से बहुत दुखी थे वो. पर मेरा यकीन करो राज शर्मा मैने कोशिस की थी रिस्ता निभाने की. पर उनकी हर रोज एक नयी डिमांड होती थी. शरम आती थी मुझे रोज-रोज अपने पापा से कुछ माँगते हुए. इतना कुछ लेकर भी उनका पेट नही भरता था. मैं सब कुछ छोड़ कर हमेशा के लिए अपने घर आ गयी. क्या मैने ये ग़लत किया था राज शर्मा. क्या रिस्ते को हर हाल में निभाना चाहिए. पापा बहुत नाराज़ हुए थे मुझसे जब मैं सब कुछ छोड़ कर घर आई थी. काई दिन तक उन्होने बात तक नही की मुझसे. ये सब कुछ तुम्हे बताना चाहती हूँ और भी बहुत कुछ है दिल में जो तुमसे शेर करना चाहती हूँ. अगर तुम नही सुनोगे, मुझे नही समझोगे तो कहाँ जाउन्गि मैं. अपने मन मंदिर में तुम्हे बैठा चुकी हूँ और किस से उम्मीद करूँ.”

“सॉरी पद्‍मिनी…आइ आम रियली सॉरी फॉर दट. मैं सच में बहुत कमीना हूँ. ये बात साबित हो गयी आज.”

पद्‍मिनी ने राज शर्मा के मुँह पर हाथ रख दिया और बोली, “बस खुद को कुछ मत कहो. तुम्हारे खिलाफ एक शब्द भी नही सुन सकती मैं. हां मैं खुद तुम्हे बहुत कुछ बोल देती हूँ गुस्से में. फिर बाद में बहुत पछताती भी हूँ.”

“अच्छा ये बताओ…कपड़े उतार कर क्यों आई थी तुम मेरे पास?”

“मैने सोचा जब तुम्हे मेरा शरीर ही चाहिए तो समर्पित कर देती हूँ खुद को तुम्हारे आगे. सोच रही थी कि शायद उसके बाद हम प्यार में और आगे बढ़ पाएँगे. ये शरीर तुम्हारा ही तो है…तुम्हे देने में हर्ज़ ही क्या है.”

“पद्‍मिनी हम एक दूसरे को अभी समझ नही पाए हैं इसलिए ये बातें हो रही हैं. देखना आगे से कोई भी शिकायत का मोका नही दूँगा तुम्हे. तुम्हारे हर दुख में साथ हूँ मैं पद्‍मिनी. तुम अकेली नही हो. तुमने अपने पेरेंट्स को अब खोया है…मैने तो बचपन में ही खो दिया था. ये दर्द मेरे लिए इतना कामन और नॅचुरल है कि तुम्हारे दर्द को कभी समझ ही नही पाया. यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी. मुझे माफ़ कर दो पद्‍मिनी. आयेज से ऐसा नही होगा. चलो बिस्तर पर लेट कर आराम से बातें करते हैं.”

“राज आइ लव यू सो मच. मुझे उम्मीद थी कि तुम मेरी बात समझोगे. तुम्हारी आँखो में मैने वो इंसान देखा है जो मेरी हर बात समझता है. तुमसे प्यार यू ही नही कर लिया मैने. एक अच्छे इंसान की छवि देखी थी तुम्हारी आँखो में.”

“मैं जितना भी कमीना सही पर बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे. कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हारे लिए. जितना खुश मैं अब हूँ इतना खुश जींदगी में कभी नही रहा. मम्मी पापा की मौत के बाद अब मैं जीना सीख रहा हूँ वरना तो खुद को यहाँ वहाँ घसीट रहा था. तुमने मेरी जींदगी को खूबसूरत बना दिया है पद्‍मिनी इतना खूबसूरत कि मैं पागल हो गया हूँ. इस पागल पन में तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर बैठा…यकीन मानो हर बात में मेरा प्यार ही था.”

“राज शर्मा थोड़ा कन्सर्वेटिव हूँ मैं. कही मेरा ये बिहेवियर तुम्हे मुझसे दूर तो नही कर देगा.”

“पागल हो क्या. तुमसे तो किसी हाल में भी दूर नही जाने वाला. तुम तो मेरी जान हो” राज शर्मा ने पद्‍मिनी को ज़ोर से जाकड़ कर कहा.

“तो थोड़ा कंट्रोल रखोगे ना अब तुम, आटीस्ट जब तक हमारी शादी नही हो जाती.”

“यही पाप मुझसे नही होगा पद्‍मिनी बाकी तुम कुछ भी माँग लो. दीवाना बन गया हूँ तुम्हारा…चाहूं भी तो भी खुद को रोक नही सकता.”

“उफ्फ मतलब बात वही की वही रही…”

“बिल्कुल नही…अब से तुम्हारे दिल की धड़कनो को ध्यान से सुनूँगा. तुम्हारी म्रिग्नय्नि आँखो में ध्यान से देखूँगा. समझने की कोशिस करूँगा अपनी पद्‍मिनी को. चेहरे पर कोई भी शिकन नही आने दूँगा. आँखो में आँसू आएँगे तो मैं उन्हे अमृत समझ कर पी लूँगा. तुम्हारे दुख और तकलीफ़ खुद ब खुद मेरी आत्मा तक पहुँच जाएँगे. सब कुछ करूँगा पर मेरा हक़ नही छोड़ सकता. आख़िर आशिक़ हूँ तुम्हारा तुम्हारे हुस्न से खेलने का हक़ बनता है मेरा…”

“बहुत खूब मेरे दीवाने…तुम तो प्यार की नयी मिसाल कायम करोगे शायद.”

“बिल्कुल करूँगा. तुम साथ दोगि तो मिसाल कायम हो ही जाएगी.” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.

“फिर तो जंग रहेगी तुम्हारे मेरे बीच.” पद्‍मिनी ने भी हंसते हुए कहा.

“जंग तो शुरू से चल रही है हमारे बीच इसमे नया क्या है. लेकिन अब और मज़ा आएगा.”

“चलो छोड़ो मुझे मैं अपने दुश्मन के गले लग कर क्यों रहूं.”

“क्योंकि प्यार करती हैं आप मुझसे कोई मज़ाक नही…जंग में कयि बार दुश्मन भी गले मिलते हैं.”

“तुम सच में पागल हो राज शर्मा.”

“हां तुम्हारे प्यार में पागल हहेहहे…चलो अब सोते हैं.” राज शर्मा पद्‍मिनी को लेकर बिस्तर की तरफ चल दिया.

“मैं भला अपने दुश्मन के साथ क्यों लेतू.”

“अभी जंग में विराम चल रहा है…साथ लेट सकती हो कोई दिक्कत नही है.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लिए राज शर्मा के साथ बिस्तर पर आ गयी. राज शर्मा ने लाइट बंद कर दी और पद्‍मिनी को बाहों में भर लिया.

“कब करोगी मुझसे शादी”

“मैं तो कल कर लूँगी पर डाइवोर्स नही हुआ अभी. वो होते ही कर लेंगे हम शादी.”

“वैसे तुमने बहुत बड़ा जोखिम लिया था कपड़े उतार कर मेरे पास आने का.”

“बहुत भावुक हो गयी थी राज .. सॉरी …दुबारा ऐसा नही होगा. मैं भी कम पागल नही हूँ तुम्हारे लिए. गुस्सा थी तुमसे बहुत ज़्यादा फिर भी तुम्हारे पास आ गयी थी वो भी कपड़े उतार कर.”

“मैं भड़क जाता ना तो पछताती तुम बहुत. आज रात ही काम्सुत्र के सारे आसान आज़मा लेता तुम्हारे उपर फिर तुम्हे पता चलता कि मेरे पास कपड़े उतार कर आने का क्या मतलब होता है.”

“डराओ मत मुझे तुम वरना शादी नही करूँगी तुमसे.”

“मत करना शादी… ये प्यार काफ़ी है मेरे लिए तुम पर हक़ जताने के लिए. तुम्हे मन से पत्नी मान चुका हूँ.”

“अब क्या कहूँ तुम्हे…आइ लव यू. लेकिन अपनी जंग जारी रहेगी…शादी से पहले कुछ नही हहेहहे.”

“एक पप्पी तो दे दो फिलहाल उसमें तो कोई जंग नही है हमारे बीच. कोल्गेट तो कर ही रखा होगा तुमने.”

“हां कोल्गेट तो कर रखा है.” बस इतना ही कहा पद्‍मिनी ने.

राज शर्मा आगे बढ़ा और अपने होंतों को पद्‍मिनी के होंटो पर टिका दिया. पद्‍मिनी ने राज शर्मा के होंटो को अपने होंटो में जकड़ने में ज़रा भी देरी नही की. ये एक ऐसी किस थी जिसमे प्यार के साथ साथ एक अंडरस्टॅंडिंग भी शामिल थी. दोनो एक प्यारी सी जंग के लिए तैयार थे.

…………………………………………………………

अगली सुबह सिकेन्दर रोहित की जगह जाय्न करने से पहले सीधा रोहित के घर पहुँच गया. रोहित ने गरम्जोशी से उसका स्वागत किया.

“ सरकार आपसे इस केस में मार्गदर्शन की आशा रखता हूँ. उम्मीद है कि आप मुझे इस केस के हर पहलू से अवगत करवाएँगे.” शिकेन्दर ने कहा.

“बिल्कुल मैं आपकी हर संभव मदद करूँगा. पहले आप ये बतायें कि इतनी दिलचस्पी क्यों थी आपको यहा आने की और इस केस को लेने की.”

“वो सब छोड़िए सरकार. हर कोई किसी ना किसी काम में दिलचस्पी रखता है. हमें बस साइको को पकड़ने पर ध्यान रखना चाहिए.”

रोहित ने साइको के केस की सभी डीटेल्स सिकेन्दर को बता दी.

“सरकार इसका मतलब बात कर्नल के घर पर आकर अटक गयी है. आपको क्या लगता है ये सीसी कौन हो सकता है.” सिकेन्दर ने पूछा.

“कोई भी हो सकता है. आप भी हो सकते हैं.” रोहित ने मज़ाक में कहा.

“सरकार मुझे तो पैंटिंग के नाम से ही डर लगता है. स्कूल में एक आपल तक ठीक से नही बना पाता था. आपल बनाते बनाते भींडी की तस्वीर बन जाती थी.” सिकेन्दर ने कहा.

“ऐसा क्यों सरकार भींडी बहुत पसंद थी क्या आपको?” रोहित ने चुस्की ली.

“छोड़िए सरकार अब क्या रखा है इन बातों में. चलता हूँ मैं और जाकर जाय्न करता हूँ. जब भी कोई शंका होगी आपसे कॉंटॅक्ट करूँगा.”

“बिल्कुल बेझीजक मुझे कॉल कर लेना.” रोहित ने कहा.

………………………………………………………………

क्रमशः........................
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01-01-2019, 12:55 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--105

गतान्क से आगे.................

सुबह नींद में पद्‍मिनी मीठी-मीठी आहें भर रही थी. उसे होश ही नही था कि जिसे वो सपना समझ रही है वो हक़ीक़त है. पद्‍मिनी पीठ के बल पड़ी थी और राज शर्मा उसकी तरफ करवट लिए उस से चिपक कर पड़ा था. उसका हाथ पद्‍मिनी के उभार पर था और उसे हल्का हल्का मसल रहा था. इसी कारण पद्‍मिनी आहें भर रही थी. राज शर्मा पद्‍मिनी की आहें सुन कर मध्यम-मध्यम मुस्कुरा रहा था. उभार को मसल्ते हुए उसने पद्‍मिनी के कान में कहा, “उठ जाओ पद्‍मिनी जंग शुरू हो चुकी है और लगता है तुम हार रही हो.”

पद्‍मिनी की तुरंत आँख खुल गयी. उसने राज शर्मा के हाथ को अपने उभार से हटाया और उठ कर बैठ गयी. पद्‍मिनी दिल पर हाथ रख कर बोली, “तो ये सपना नही था?”

“क्या सपना नही था पद्‍मिनी हहेहहे…”

“और क्या कुछ किया तुमने मेरे साथ नींद में” पद्‍मिनी ने पूछा.

“कुछ और नही कर पाया बस अभी-अभी आँख खुली थी…आपके सुंदर उभारो से जंग लड़ रहा था.”

पद्‍मिनी का चेहरा लाल हो गया शरम से. अचानक उसका ध्यान दीवार घड़ी पर गया.

“अरे 9 बज गये…हम इतनी देर तक सोते रहे.” पद्‍मिनी ने कहा.

“बहुत लेट सोए थे हम…ये तो होना ही था. चलिए आप फ्रेश हो जाओ मैं आपके लिए नाश्ता बनाता हूँ.”

“तुम नाश्ता बनाओगे…मज़ाक मत करो?”

“जी हां मैं बनाउन्गा और आपसे अच्छा बनाउन्गा”

“नही राज मेरे होते हुए ये सब करने की कोई ज़रूरत नही है तुम्हे.मैं खुद बनाउन्गि…अभी फ्रेश हो कर आती हूँ.”

पद्‍मिनी उठ कर वॉशरूम की तरफ चल दी.

“हे रूको…” राज शर्मा ने पीछे से आवाज़ दी.

“हां बोलो.”

“सॉरी फॉर एवेरितिंग.”

पद्‍मिनी राज शर्मा की तरफ मुस्कुरा दी और वॉशरूम में घुस गयी.

………………………………………………………

एक महीने से सहर में शांति है. साइको ने कोई नयी वारदात नही की है. रोहित और मोहित ने इस दौरान कर्नल को तलासने की खूब कोशिस की. वो दोनो देल्ही और मुंबई भी गये कर्नल के रालटिवेस से मिलने. मगर उन्हे कर्नल के बारे में कुछ पता नही चला. कर्नल के सभी रिलेटिव्स से सीसी के बारे में पूछा गया मगर वो सभी किसी सीसी को नही जानते थे.

एक दिन अचानक मोनिका ने राज शर्मा को फोन करके बताया कि संजय घर लौट आया है. राज शर्मा ने ये बात तुरंत रोहित को बताई. रोहित और मोहित दोनो संजय से मिलने उसके घर गये. संजय ने बताया कि वो सिमरन की कार लेकर देल्ही चला गया था और कुछ दिन वही रहा.

“आप अपनी बीवी को यहा अकेला छोड़ कर देल्ही चले गये…वेरी स्ट्रेंज. एक-दो दिन तो चलता है मगर इतने दिन कैसे आप अपनी बीवी को अकेला छोड़ सकते हैं.” मोहित ने कहा.

“उस से आपको कोई मतलब नही होना चाहिए…ये मेरा पर्सनल मामला है. ” संजय ने कहा.

रोहित और मोहित बिना किसी ठोस जानकारी के घर से बाहर आ गये.

“मेरा सस्पेन्षन नही हुआ होता तो साले के मुँह में बंदूक घुसा कर पूछता कि बता कैसे हुआ ये तेरा पर्सनल मामला.” रोहित ने कहा.

“कोई बात नही अब ये वापिस आ गया है तो इस पर हम कड़ी नज़र रखेंगे.” मोहित ने कहा.

“यार मोहित ये सीसी का फुल फॉर्म क्या हो सकता है.”

“कुत्ते कमिने हो सकता है…काला कव्वा हो सकता है…होने को कुछ भी हो सकता है.”

“यही तो दिक्कत है. साला क्लू मिला भी तो ऐसा कि कुछ समझ में नही आता की क्या करें. ये सीसी सुरिंदर को भी जानता था और कर्नल को भी. तुम्हे क्या लगता है क्या सुरिंदर और कर्नल भी एक दूसरे को जानते थे.” रोहित ने कहा.

“ऐसा कुछ मिला नही जिस से ये कह सकें कि सुरिंदर और कर्नल एक दूसरे को जानते थे.”

“साइको कोई शुराग नही छोड़ता अपने बारे में. उसने सुरिंदर को मार दिया था. मोस्ट प्रॉबब्ली उसने कर्नल को भी मार दिया है वरना वो कही तो मिलना चाहिए था. वो ऐसे कैसे गायब हो सकता है.”

“मुझे भी यही लगता है. साइको ने कर्नल से उसका घर हथिया कर उसे जान से मार दिया होगा. और शायद उसकी लाश को कही गाढ दिया होगा. कोई ऐसे ही बिना मतलब दुनिया से गायब नही हो जाता, कुछ तो कारण ज़रूर रहता है.”

“सही कह रहे हो. अच्छा मोहित मुझे तुरंत घर जाना है. तुकझे बताया था ना आज शादी में जाना है.”

“हां बताया था पर तुझे वाहा इन्वाइट नही किया गया है.”

“यार रीमा के लिए जाना ही पड़ेगा मुझे. प्यार बेसक नही हुआ उस से पर हम अच्छे दोस्त तो बन ही गये थे. सूभकामना देने तो जाना ही चाहिए.”

“बेसक जाओ रोहित. पर चौहान से बच कर रहना.”

“शादी के माहॉल में वो ज़्यादा पंगा नही करेगा और वैसे भी मैं बस रीमा को एक बार देख कर और उसे विस करके वापिस आ जाउन्गा.”

“तुम्हारी मेडम भी होंगी वाहा ज़रा ध्यान रखना कही कोई ग़लत फ़हमी हो जाए.”

“मेडम को पता है सब कुछ.”

“हां पर खुद अपनी आँखो से देखने से दिल पर चोट लगती है. वैसे शादी डेले क्यों हो गयी रीमा की.” मोहित ने कहा.

“लड़के वालो ने थोड़ा वक्त माँगा था शायद. आइ आम नोट शुवर.” रोहित ने कहा.

“ह्म्म ठीक है तुम निकलो मैं भी निकलता हूँ. पूजा को कॉलेज से पिक करना है. हमारा आज बाहर डिन्नर का प्रोग्राम है.” मोहित ने कहा.

मोहित टाइम से पूजा के कॉलेज पहुँच गया. कॉलेज से लड़कियों की भीड़ बाहर आ रही थी. मगर मोहित को पूजा कही नज़र नही आ रही थी.

“कम ऑन जान कहा रह गयी तुम…जल्दी आओ…हमें खूब एंजाय करना है आज.”

मगर कॉलेज के गेट से सभी बाहर आ गये पर पूजा नही आई. वॉचमेन ने गेट बंद कर दिया. मोहित ने वॉचमेन से पूछा, “कोई लड़की अंदर तो नही रह गयी.”

“नही मैं चेक करके आया हूँ. सब जा चुके हैं.”

“ऐसा कैसे हो गया मैं तो बाहर ही खड़ा था.”

मोहित ने नगमा को फोन मिलाया.

“हेलो नगमा…पूजा घर पहुँच गयी क्या?”

“नही वो तो नही आई अब तक…क्यों क्या हुआ सब ठीक तो है.”

“मैं बाद में बात करता हूँ…अभी थोड़ा बिज़ी हूँ.”

मोहित को टेन्षन होने लगी कि पूजा कहा गयी.

“कहाँ गयी होगी मेरी जान. ऐसे तो कभी कही नही जाती. उसे पता भी था कि मैं उसे लेने आउन्गा.”

मोहित सोच में पड़ गया.

तभी अचानक उसे ख्याल आया कि कही पूजा को साइको ने तो किडनॅप नही कर लिया. ये ख्याल आते ही उसकी रूह काँप उठी. पूजा से बहुत प्यार करता था मोहित उसके लिए कोई भी बुरी बात नही सोच सकता था.

मोहित ने रोहित को फोन मिलाया और उसे सारी बात बता दी.

“अगर पूजा को साइको ने किडनॅप किया है तो वो ज़रूर तुझसे कॉंटॅक्ट करेगा. तू ऐसा कर अपने घर जा. हो सकता है वहाँ उसने कोई मेसेज छोड़ा हो तेरे लिए.”

“यार मेरे हाथ पाँव काम नही कर रहे. पूजा को कुछ हो गया तो मैं कही का नही रहूँगा.”

“समझ सकता हूँ मोहित. तुम ऐसा करो अपने घर पहुँचो. मैं भी वही पहुँचता हूँ.” रोहित ने कहा.

मोहित तुरंत बाइक स्टार्ट करके अपने घर की तरफ चल दिया. घर पहुँच कर जैसे ही उसने अपना दरवाजा खोला उसे दरवाजे के पास एक काग़ज़ पड़ा मिला उस पर कुछ लिखा था. मोहित ने उसे उठाया और पढ़ने लगा.

“मिस्टर मोहित, कैसे हो तुम. तुमने मुझे बहुत परेशान किया है. मगर अब मेरी बारी है. कब से तुम्हारे लिए एक प्लान ढूंड रहा था. समझ में नही आ रहा था कि कैसी मौत दी जाए तुम्हे. तुम पर नज़र रखी तो पता चला कि तुम एक लड़की पर फिदा हो. मेरा काम आसान हो गया.पूजा मेरे कब्ज़े में है. बिल्कुल नंगी पड़ी है मेरे सामने. वैसे मैं अपने विक्टिम से सेक्स नही करता पर तुम्हारी पूजा ने तो खड़ा कर दिया मेरा लंड. बला की खूबसूरत है साली. मन कर रहा है इसकी लेने का. ले लूँ क्या हाहहहाहा. मेरे दूसरे लेटर का इंतेज़ार करना. और हां अपने दोस्त रोहित से बोलना कि रीमा की शादी में ज़रूर जाए. वाहा उसके लिए कुछ ख़ास करने वाला हूँ मैं हिहिहीही.”

मोहित की आँखे गुस्से से लाल हो गयी. “तुझे वो मौत दूँगा मैं कि तेरी रूह काँप उठेगी साले कुत्ते कमिने साइको.” मोहित चिल्लाया.

क्रमशः..........................
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