Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:22 PM,
#61
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 56

गतान्क से आगे...........

शालिनी अपने कमरे में फोन पर बात कर रही थी. वो बहुत परेशान लग रही थी. फोन रख कर उसने बेल बजाई.

"जी मेडम"

"इनस्पेक्टर चौहान को बुलाओ जल्दी." शालिनी ने कहा.

"जी मेडम"

चौहान भागा भागा आता है.

"यस मेडम. आपने बुलाया."

"हमारे यहाँ से जो एंपी हैं उनकी बेटी निसा को अगवा कर लिया है साइको ने और डिमॅंड की है कि पद्‍मिनी को उसे सोन्प दिया जाए वरना वो मार डालेगा निसा को."

"उफ्फ नाक में दम कर रखा है इस साइको ने." चौहान ने कहा.

"हम अपना काम ठीक से नही करेंगे तो यही होगा. कल जंगल में एक घंटे में पहुँची पोलीस. निक्कममे हो तुम सब लोग."

"सॉरी मेडम पर सब को इक्कथा करने में वक्त भी तो लगता है."

"मैं कुछ नही सुन-ना चाहती. जाओ ये पता करो कि फोन कहाँ से किया उस साइको ने एंपी के घर. कुछ करो वरना हम सबकी नौकरी ख़तरे में है."

"आप फिकर ना करें मेडम, मैं पूरी कोशिस करूँगा. मुझे इज़ाज़त दीजिए." चौहान ने कहा.

"ठीक है जाओ और कुछ रिज़ल्ट्स लाओ." शालिनी ने कहा.

चौहान के जाने के बाद शालिनी सर पकड़ कर बैठ गयी. "मेरे यही होना था ये सब."

..............................

...................................

"निसा...मेरी प्यारी निसा...उठ जाओ कब से इंतजार कर रहा हूँ तुम्हारा. उठो ना." साइको निसा के पास बैठा बोल रहा था.

निसा को बहुत गहरा सदमा लगा था और वो अभी भी बेहोश ही थी. साइको बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था कि वो उठ जाए.

साइको ने निसा की नंगी टाँगो पर हाथ रखा और बोला, "उठो निसा और मुझे तुम्हारी आँखो में ख़ौफ़ दिखाओ. बहुत हसीन ख़ौफ़ है तुम्हारा. जब मैने लाइट जलाई थी तो बहुत सुंदर ख़ौफ़ था तुम्हारे चेहरे पे. ऐसा सुंदर ख़ौफ़ बहुत कम देखा है मैने. उठो और मुझे दीदार करने दो तुम्हारे ख़ौफ़ का."

जैसी कि ये खौफनाक बाते सुन ली निसा ने और उसकी आँख खुल गयी. लेकिन साइको को पास खड़े देख उसकी टांगे थर थर काँपने लगी. बहुत ज़्यादा डरी हुई थी वो.

"उठ गयी मेरी प्यारी निसा...गुड. अब मज़ा आएगा."

"मुझे छोड़ दो प्लीज़. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है." निसा रो पड़ी.

"मेरा कोई कुछ बिगाड़ भी नही सकता. अगर इस हिसाब से चलूँगा तो किस को कातूंगा मैं. बात को समझने की कोशिस करो."

निसा ने गौर किया कि वो उस जगह नही है जहाँ उसकी आँख खुली थी. वहाँ तो कमरे में कोई बेड नही था. लेकिन अब वो बेड पर पड़ी थी और साइको उसके पास खड़ा था. कमरा उस पहले वाले कमरे से कुछ मिलता जुलता ही था.

"क्या देख रही है चारो तरफ. चल एक गेम खेलते हैं. ये चाकू देख कितना तीखा है. अब मेरा लंड भी देख वो भी तीखा है." साइको अपनी ज़िप खोलने लगा.

साइको ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर खींच लिया. लिंग पूरी तरह तना हुआ था.

"देख इस लंड को. अब तुझे हाथ रख कर ये बताना है कि तू अपनी चूत में ये चाकू लेगी या फिर ये लंड लेगी. हाथ रख कर बोलना भी है. चाकू पर हाथ रखोगी तो चाकू बोलना, लंड पे हाथ रखोगी तो लंड बोलना"

"तुम ऐसा क्यों कर रहे हो मेरे साथ. प्लीज़ मुझे जाने दो." निसा फूट फूट कर रोने लगी."

"आर्टिस्ट हूँ मैं आर्टिस्ट. कत्ल करना भी एक आर्ट है. बहुत आर्टिस्टिक तरीके से मारता हूँ मैं लोगो को. मरने वालो को फकर होना चाहिए की वो मेरी आर्ट का हिस्सा हैं. देखा ना तुमने कितने हसीन तरीके से मारा था मैने उस आदमी को. क्या पोज़ बना था कसम से. उसका लंड तेरी चूत में था. तू उसके नीचे थी. मैने पीछे से आकर उसकी गर्दन काट दी. लंड तो घुसा दिया था उसने तेरी चूत में पर एक भी धक्का नही लगा पाया बेचारा. रेप करना ग़लत बात है. यही सिखाया मैने उस आर्टिस्टिक कतल में. सबको सीख मिलेगी इस से. अब तुम बताओ कि क्या लेना चाहोगी तुम चूत में, लंड या चाकू. जल्दी बताओ वरना मैं खुद डिसाइड कर लूँगा. और मेरा डिसिशन तुम्हे अच्छा नही लगेगा."

निसा करती भी तो क्या करती. उसने रोते हुए साइको के लिंग पर हाथ रख दिया.

"बोलेगा कौन, तेरा बाप बोलेगा क्या?"

"लंड" निसा रोते हुए बोली.

"तेरे जैसी बेशरम लड़की नही देखी मैने आज तक. पहले तो अपनी कुँवारी चूत में उस आदमी का ले लिया अब मेरा लेना चाहती है. तू तो एक ही दिन में रंडी बन गयी. तेरी चूत में चाकू ही जाएगा समझ ले. तेरे जैसी बेशरम लड़की की चूत में लंड नही डालूँगा मैं. तेरी चूत में जब चाकू जाएगा तो कुछ अलग ही आर्ट बनेगी हे...हे...हे. लेकिन अभी इंतजार करना होगा. तेरे बदले में पद्‍मिनी को माँगा है मैने. इस साली पद्‍मिनी ने देख लिया था मुझे. लेकिन तब से मैं होशियार हूँ. नकाब पहन के रखता हूँ मैं अब. मेरे जैसे आर्टिस्ट गुमनाम ही रहे तो ज़्यादा अच्छा है. क्यों सही कह रहा हूँ ना मैं."

"जब ये पद्‍मिनी तुम्हे मिल जाएगी तो तुम मुझे छोड़ दोगे ना." निसा ने शूबक्ते हुए पूछा.

"मेरी ओरिजिनल गेम मैं किसी से डिसकस नही करता. उस आदमी को ये पता था कि वो रेप करेगा तो बच जाएगा. लेकिन मेरी गेम ये थी के जैसे ही वो तेरी चूत में लंड डालेगा मैं उसकी गर्दन काट दूँगा. बहुत बारीकी का काम है ये आर्ट. हर किसी के बस्कि नही है. एक बार बस पद्‍मिनी मिल जाए. तुम्हारे साथ क्या होगा सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ....हे...हे...हे." साइको बहुत ही भयानक तरीके से हँसने लगा.

"अगर तुम्हारा मन है तो कर लो प्लीज़ पर मुझे मत मारो. मैं मरना नही चाहती." निसा ने कहा. उसके चेहरे पर डर सॉफ दिखाई दे रहा था.

"यही तो वो ख़ौफ़ है जो कि खुब्शुरत है. मज़ा आ गया यार. अति सुंदर."

.....................................................................

शालिनी बहुत परेशान हालत में थी. उसे बार-बार फोन आ रहे थे उपर से. उसकी तो जान पर बन आई थी. बहुत ज़्यादा पोलिटिकल प्रेशर था शालिनी पर. सीनियर ऑफीसर भी खूब डाँट रहे थे. उस पर यही दबाव बनाया जा रहा था कि पद्‍मिनी को चुपचाप उसे सोन्प दिया जाए और एंपी की बेटी को बचा लिया जाए. वविप की बेटी की जिंदगी ज़्यादा कीमती थी एक आम सहरी के मुक़ाबले.

शालिनी ने राज शर्मा को फोन लगाया.

"जी मेडम बोलिए."

"कैसा चल रहा है वहाँ राज शर्मा."

"सब ठीक है मेडम. मैं ऑफीस के बाहर बैठा हूँ. मेरी नज़र है ऑफीस पर."

"ऑफीस पर नज़र रख कर क्या करोगे बेवकूफ़. पद्‍मिनी के पास रहो. उस पर नज़र होनी चाहिए तुम्हारी. बात बहुत सीरीयस होती जा रही है."

"क्या बात है मेडम आप इतनी परेशान क्यों लग रही है."

"परेशानी की बात ही है." शालिनी राज शर्मा को सारी बात बताती है.

"ओह गॉड. इस साइको की तो हिम्मत बढ़ती ही जा रही है."

"जब पोलीस कुछ कर ही नही पाती उसका तो यही होगा. तुम बहुत सतर्क रहो."

"मेडम क्या हम पद्‍मिनी जी को उस बेरहम साइको को सोन्प देंगे."

शालिनी कुछ नही बोली. उसके पास कोई जवाब ही नही था.

"अगर ऐसा हुआ मेडम तो मैं तो ये नौकरी छोड़ दूँगा अभी. नही चाहिए ऐसी नौकरी मुझे." राज शर्मा भावुक हो गया.

"पागलो जैसी बाते मत करो. ये वक्त है ऐसी बाते करने का. अभी कुछ डिसाइड नही किया मैने. और एक बात सुन लो. इस्तीफ़ा दे दूँगी मैं भी अगर उस साइको के आगे झुकना पड़ा तो. तुम सतर्क रहो वहाँ. ये साइको बहुत ख़तरनाक खेल, खेल रहा है"

"मैं सतर्क हूँ मेडम आप चिंता ना करो."

जैसे ही राज शर्मा ने फोन रखा उसे ऑफीस के गेट से पद्‍मिनी आती दिखाई दी. राज शर्मा की आँखे ही चिपक गयी उस पर. एक तक देखे जा रहा था उसको. देखते देखते उसकी आँखे छलक गयी, "मैं आपको कुछ नही होने दूँगा पद्‍मिनी जी. कुछ नही होने दूँगा."

पद्‍मिनी अपनी कार से कुछ लेने आई थी. कुछ ज़रूरी काग़ज़ पड़े थे कार में. वो काग़ज़ ले कर जब वापिस ऑफीस की तरफ मूडी तो उसने राज शर्मा को अपनी तरफ घूरते देखा. बस फिर क्या था शोले उतर आए आँखो में. तुरंत आई आग बाबूला हो कर राज शर्मा के पास. राज शर्मा की तो हालत पतली हो गयी उसे अपनी ओर आते देख.

"समझते क्या हो तुम खुद को. क्यों घूर रहे थे मुझे. तुम्हे यहाँ मेरी शूरक्षा के लिया रखा गया है. मुझे घूर्ने के लिए नही. तुम्हारी शिकायत कर दूँगी मैं तुम्हारी मेडम से."

राज शर्मा कुछ बोल ही नही पाया. वो वैसे भी भावुक हो रहा था उस वक्त पद्‍मिनी के लिए. पद्‍मिनी की फटकार ऐसी लग रही थी जैसे की कोई फूल बरसा रहा हो उस पर. बस देखता रहा वो पद्‍मिनी को.

"बहुत बेशरम हो तुम तो. अभी भी देखे जा रहे हो मुझे." पद्‍मिनी ने गुस्से में कहा.

राज शर्मा को होश आया, "ओह सॉरी पद्‍मिनी जी. आप मुझे ग़लत समझ रही हैं."

"ग़लत नही मैं तुम्हे बिल्कुल सही समझ रही हूँ. इस तरह टकटकी लगा कर मुझे घूर्ने का मतलब क्या है."

"ए एस पी साहिबा ने कहा था कि आप पर नज़र रखूं. सॉरी आपको बुरा लगा तो."

"आगे से ऐसा किया तो खैर नही तुम्हारी." पद्‍मिनी ने कहा और चली गयी.

"वो डाँट रहे थे हमको हम समझ नही पाए

हमें लगा वो हमको प्यार दे रहे हैं." खुद-ब-खुद राज शर्मा के होंठो पर ये बोल आ गये.

राज शर्मा पद्‍मिनी को जाते हुए देख रहा था. उसकी हिरनी जैसी चाल राज शर्मा के दिल पर सितम ढा रही थी.

"काश कह पाता आपको अपने दिल की बात. पर जो बात मुमकिन नही उसे कहने से भी क्या फ़ायडा. भगवान आपको सही सलामत रखे पद्‍मिनी जी. मेरी उमर भी लग जाए आपको. आप सब से यूनीक हो, अलग हो. आपकी बराबरी कोई नही कर सकता. गॉड ब्लेस्स यू."

4 दिन का वक्त दिया था साइको ने पद्‍मिनी को सौंपने के लिए. पोलीस महकमे में अफ़रा तफ़री मची हुई थी. बहुत कोशिस की गयी साइको को ट्रेस करने की लेकिन कुछ हाँसिल नही हुआ. शालिनी सबसे ज़्यादा प्रेशर में थी. प्रेशर की बात ही थी. उसे हाइर अतॉरिटीस से तरह तरह की बाते सुन-नी पड़ रही थी.

राज शर्मा पद्‍मिनी को लेकर बहुत चिंतित था. सारा दिन वो पूरी सतर्कता से ऑफीस के बाहर बैठा रहा. शाम के वक्त वो पद्‍मिनी के साथ उसके घर आ गया. 24 घंटे साथ जो रहना था उसे पद्‍मिनी के.

"पद्‍मिनी जी आप किसी बात की चिंता मत करना. मैं हूँ ना यहाँ हर वक्त."

"तुम हो तभी तो चिंता है..." पद्‍मिनी धीरे से बड़बड़ाई.

"कुछ कहा आपने?"

"कुछ नही...." पद्‍मिनी कह कर घर में घुस्स गयी. राज शर्मा अपनी जीप में बाहर बैठ गया. चारो कॉन्स्टेबल्स को उसने सतर्क रहने के लिए बोल दिया.

.............................................................

रात के 10 बज रहे थे और एक ट्रेन देहरादून की तरफ बढ़ रही थी. सुबह 7 बजे तक ही पहुँच पाएगी ट्रेन देहरादून.

एक हसीन सी लड़की कोई 21 साल की अपनी सीट पर बैठ कर नॉवेल पढ़ रही थी. नॉवेल का नाम था 'दा टाइम मशीन'. अकेली थी वो एसी-2 के उस बर्त में. खोई थी नॉवेल में पूरी तरह. अचानक ट्रेन रुकी और मामला बिगड़ गया. ढेर सारा सामान लेकर आ गया एक लड़का. कोई 25-26 साल का था दिखने में.

"उफ्फ इतना सारा समान कहा अड्जस्ट होगा. एक बेग मैं छोड़ सकता था. ट्रेन चल पड़ी और वो लड़का समान अड्जस्ट करने में लग गया. बहुत तूफान मचा रखा था उसने बर्त में.

"एक्सक्यूस मी. यहाँ कोई और भी है. यू आर डिसटरबिंग मी."

"आप पे तो सबसे पहले नज़र गयी थी. सॉरी समान ज़्यादा था. हो गया अड्जस्ट अब. प्लीज़ कंटिन्यू वित युवर नॉवेल. बाइ दा वे आइ आम रोहित. रोहित पांडे. देहरादून जा रहा हूँ. क्या आप भी वही जा रही हैं."

"जी हां. अब डिस्टर्ब मत करना. आइ आम रीडिंग."

"ऑफ कोर्स" रोहित हंस दिया. "ह्म्म टाइम मशीन पढ़ रही हैं आप. गुड. एच.जी वेल्स का ये नॉवेल पीछले साल पढ़ा था मैने. बहुत इंट्रेस्टिंग है."

लड़की ने रोहित की बातो का कोई जवाब नही दिया और नॉवेल पढ़ने में व्यस्त हो गयी. "स्टुपिड" उसने मन ही मन कहा.

"शूकर है भाई मोबाइल है. मैं भी छोटी सी भूल पढ़ता हूँ बैठ कर. आप भी पढ़िए हम भी पढ़ते हैं. रोहित बोल कर लड़की के सामने वाली सीट पर बैठ गया.

लड़की ने उत्शुकता से उसकी और देखा और बोली, "आप छोटी सी भूल पढ़ रहे हैं. किस बारे में है ये?"

"जी हां. ये एक लड़की की कहानी है जो की छोटी सी भूल करके फँस जाती है. सिंपल सी स्टोरी है कोई ऐसी वैसी बात नही है इसमे. कॉलेज की एक लड़की एग्ज़ॅम मे ग़लती करके पछताती है. नकल करते पकड़ी जाती है." रोहित झूठी कहानियाँ सुना देता है. अब कैसे बताए कि वो एरॉटिक स्टोरी पढ़ रहा है.

क्रमशः.........................
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01-01-2019, 12:23 PM,
#62
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 57

गतान्क से आगे...........

"मैने पढ़ी है ये स्टोरी."

"क्या फिर तो आप सब जानती हैं."

"जी बिल्कुल आपको झीजकने की ज़रूरत नही है. एक खुब्शुरत कहानी पढ़ रहें हैं आप."

"लो जी एक और रेकमेंडेशन मिल गयी. एफ.जे. बडी, जावेद भाई, और मनीस भाई के साथ आपका नाम भी जुड़ गया."

"मैं कुछ समझी नही."

"इन लोगो ने जतिन भाई की ये स्टोरी मुझे रेकमेंड की थी और मैं बस इसी में उलझा हुआ हूँ."

"फिर तो वो इंट्रेस्टिंग लोग हैं."

"कोई इंट्रेस्टिंग नही हैं. दूर रहना आप इन लोगो से. इनका कोई भरोसा नही."

"चलिए आप पढ़िए. मुझे भी पढ़ने दीजिए."

"आपका नाम जान सकता हूँ?"

"रीमा." लड़की ने जवाब दिया.

"ऑम्ग कही आप रीमा थे गोल्डन गर्ल तो नही... " रोहित ने कहा.

"जी नही... वैसे कौन है ये?"

"आपने ये स्टोरी राज शर्मा के ब्लॉग पर नही पढ़ी."

"नही मेरी एक सहेली ने ये मुझे मैल की थी."

"तभी...पढ़ती तो पहले ही चॅप्टर में जान जाती उस रीमा को."

"आप पढ़िए. मैं अपना नॉवेल पढ़ना चाहती हूँ." रीमा ने कहा.

"मैने अभी पहला चॅप्टर फीनिस किया है. कुछ डिसकस करें इस बारे में. आपको क्या लगता है क्या ऋतु ग़लत है. और बिल्लू के बारे में क्या कहना है आपका."

"आप पढ़ लीजिए आराम से. मैं अपना नॉवेल पढ़ना चाहती हूँ."

"वैसे उस दोपहर क्या सीन बना था. बिल्लू ने बड़ी चालाकी से ऋतु को एमोशनल करके उसकी ले ली"

रीमा की तो साँसे अटक गयी ये सुन के, "एक्सक्यूस मी मैं सब पढ़ चुकी हूँ. आप आगे पढ़िए ना. पहले ही चॅप्टर पे अटके रहोगे क्या."

"ओह हां अब आगे ही बढ़ना है. क्या कभी आपके सामने ऐसी स्तिथि आई जैसी की ऋतु के सामने आई थी."

"क्या करेंगे जान कर. मैं अपनी पर्सनल लाइफ डिसकस नही करना चाहती. प्लीज़ अपनी कहानी पढ़िए और मुझे मेरी पढ़ने डीजजिए."

"ओके...ओके फाइन वित मी."

रोहित पढ़ने में खो गया. अब इतनी जबरदस्त एरॉटिका पढ़ेगा तो भड़केगा तो है ही. पढ़ते पढ़ते उसका हाथ अपने लिंग पर पहुँच गया और उसे सहलाने लगा.

रीमा की नज़र भी चली गयी रोहित पर और उसकी पॅंट में बने तंबू पर. वो देख कर हल्का सा मुस्कुरा दी.

रोहित ने देख लिया उसे हंसते हुए और तुरंत अपना हाथ हटा लिया अपने लिंग से.

"ओह सॉरी...ध्यान ही नही रहा की आप बैठी हैं सामने."

"कोई बात नही होता है ऐसा."

"तो क्या बाहर निकाल कर आराम से पढ़ लू"

"क्या मतलब?"

"कुछ नही मैं ये कह रहा था कि मुझे विस्वास नही हुआ कि आपने ये कहानी पढ़ी."

"पूरी पढ़ लेंगे तो विस्वास हो जाएगा. ये मेरी फेवोवरिट स्टोरी है."

"फिर कुछ डिसकस क्यों नही करती आप. क्या पता ऋतु और बिल्लू की तरह हम भी....."

"सोचिए भी मत ऐसा तो. मेरे भैया पोलीस में हैं. अंदर करवा दूँगी."

"सॉरी सॉरी मैं तो मज़ाक कर रहा था. पर आप मेरी हालत देख कर मुस्कुरा क्यों रही थी. अब ऐसी स्टोरी पढ़ुंगा तो लंड तो खड़ा होगा ही."

"व्हाट ऐसी बाते कैसे कर सकते हो तुम."

"छोड़िए भी ये तमासा आपने क्या इस स्टोरी में लंड शब्द को नही पढ़ा."

"पढ़ा है पर मैं आपसे क्यों सुनू ये सब."

"पढ़ लीजिए आप अपनी कहानी. मेरी हालत पर हँसना मत दुबारा. वरना आपके हाथ में पकड़ा दूँगा निकाल कर."

"अच्छा ऐसे मसलूंगी कि दुबारा नही पकड़ाओगे किसी को."

"ये चॅलेंज है क्या? मुझे चॅलेंज बहुत अच्छा लगता है."

"कुछ भी समझ लो." रीमा मुस्कुरा कर बोली.

"पता नही क्या मतलब है इसकी बात का. कही सच में ना कीमा निकाल दे मेरे बेचारे लंड का." रोहित सोच में पड़ गया.

रीमा अपने नॉवेल में खो गयी. रोहित भी वापिस अपनी कहानी पढ़ने में व्यस्त हो गया.

पर रीमा बार बार रोहित की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी.

"क्या करू यार ये तो हंस रही है देख कर. पकड़ा दू क्या इसके हाथ में. क्या करू." रोहित सोच रहा था.

"कौन सा सीन चल रहा है." रीमा ने पूछा.

"क्या करेंगी जान कर. कुछ डिसकस करना है नही आपको. रहने दीजिए."

"वैसे ही पूछ रही थी. कीप रीडिंग."

"लगता है ये लड़की दिखावा कर रही है. मरी जा रही है डिसकस करने के लिए पर करना नही चाहती. कुछ करना पड़ेगा इसका."

रोहित उठा और बेट से बाहर जाने लगा.

"क्या हुआ..." रीमा ने पूछा.

"कुछ नही...मुझे आपके सामने नही बैठा. कही और जा कर पढ़ता हूँ कहानी. आप तो हँसे जा रही हैं. क्या लंड खड़ा नही होगा ऐसी कहानी पढ़ कर. क्या आपकी गीली नही हुई थी पढ़ते वक्त."

"जैसी आपकी मर्ज़ी...सॉरी अगर मैने आपको डिस्टर्ब किया तो."

रोहित, रीमा के पास बैठ गया और बोला, "सॉरी की बात नही है. आप हमें यू देख कर तडपा रही हैं. हम बहक गये तो संभाल नही पाएँगे खुद को."

"अब नही देखूँगी. पढ़ लीजिए आप बैठ कर."

"क्या हम दोनो साथ में पढ़े"

रीमा मुस्कुराइ और बोली, "मुझे क्या पागल समझ रखा है. मैं छोटी सी भूल नही करूगी."

रोहित ने रीमा का हाथ पकड़ लिया और बोला, भूल तो हो चुकी है आपसे मेरी तरफ हंस कर. अब ऋतु की तरह आपको भी भुगतना पड़ेगा."

"यहाँ झाड़िया नही हैं."

"सादे 11 बज रहे हैं. बर्त में हम अकेले हैं. परदा लगा लेते हैं. वही माहॉल बन जाएगा."

"उफ्फ आप तो बहुत बड़े फ्लर्ट निकले."

"ईमानदारी रखता हूँ. जिंदगी में. लड़की की मर्ज़ी के बिना कुछ नही करता. इज़ात करता हूँ पूरी वोमेन की."

"कोई आ गया तो. यहाँ 2 सीट्स खाली हैं. कोई तो आएगा इस बर्त में."

"जब आएगा तब धखेंगे अभी तो हम एक दूसरे में खो सकते हैं."

"क्या आप मॅरीड हैं."

"बस 26 का हूँ अभी. अभी मेरे हँसने खेलने के दिन है. शादी नही करना चाहता अभी. क्या आप मॅरीड हैं."

" मैं 20 की हूँ. क्या शादी शुदा लगती हूँ तुम्हे.?"

"नही नही वैसे ही पूछ रहा था. क्या आप कुँवारी हैं."

"उस से कुछ फरक पड़ेगा क्या."

"कुछ फरक नही पड़ेगा लेकिन किसी कुँवारी कन्या को मैं हवस के जंजाल में नही फँसा सकता. एक बार लंड ले लिया तो आदत पड़ जाती है. बिगड़ जाते हैं लोग."

"जैसे आप बिगड़े हुए हैं."

"हाँ बिल्कुल. हम तो बिगड़ ही चुके हैं. किसी और को क्यों बिगाड़े. वैसे आप कुँवारी भी होंगी तो भी चोदने वाला नही आपको. भड़का दिया है आपके हुसन ने मुझे."

"मेरा बॉय फ्रेंड है"

"ओके थ्ट्स मीन आप पहले ले चुकी हैं...गुड. नाउ इट्स माइ टर्न "

"पर यहाँ ख़तरा है."

"ख़तरे को मारिए गोली वो मैं संभाल लूँगा. आप ये लंड पकडीए बस." रोहित ने रीमा का हाथ अपने तंबू पर टिका दिया.

"उफ्फ ये तो भारी भरकम लग रहा है."

"ऐसा कुछ नही है दारिये मत ... निकाल देता हूँ आपके लिए. ये नॉवेल एक तरफ रख दीजिए अब. कुछ बहुत इंपॉर्टेंट करने जा रहे हैं हम."

रीमा ने नॉवेल एक तरफ रख दिया. रोहित ने अपनी पॅंट की ज़िप खोली और लंड को बाहर निकाल लिया और उसे रीमा के हाथ में थमा दिया.

"ऑम्ग ये तो सच में बहुत बड़ा है."

"मज़ाक मत कीजिए आप. ऐसा कुछ नही है. प्यार कीजिए इसे दरिये मत. मूह में लेती हैं तो थोड़ा चूस भी सकती हैं."

"आप ध्यान रखो चारो तरफ. आइ डोंट सक. बट दिस मॅग्निफिसेंट डिक डिज़र्व्स आ ब्लो जॉब."

"धन्य हो गया मैं तो ये सुन कर. प्लीज़ फील फ्री टू सक इट दा वे यू लाइक."

रीमा बैठे बैठे ही रोहित के लंड पर झुक गयी और उसे मूह में ले लिया.

"वाउ...सिंप्ली ग्रेट. अच्छी एंट्री दी है मूह में मेरे लंड को...आहह" रोहित कराह उठा.

बर्थ का परदा लगा हुआ था और रीमा रोहित का लंड इतमीनान से चूस रही थी.

"अच्छा चूस लेती हैं आप. अब ज़रा ओरिजिनल गेम हो जाए. उतार दीजिए ये जीन्स."

"जीन्स नही उतारुँगी मैं. कोई अचानक आ गया तो. "

"थोड़ा सरकाना तो पड़ेगा ही. या वो भी नही करेंगी..."

रीमा मुस्कुराइ और अपनी जीन्स के बटन खोलने लगी. वो जीन्स सरका कर लेट गयी और रोहित उसके उपर आ गया.

"उफ्फ ट्रेन में सेक्स करना बहुत मुस्किल काम है." रोहित ने किसी तरह रीमा की टांगे उपर करके उसकी चूत पर लंड रख दिया. उसे रीमा की जीन्स परेशान कर रही थी.

"आआआअहह लगता है ये नही जाएगा."

"जाएगा तो ये ज़रूर ये जीन्स परेशान कर रही है. आप ऐसा कीजिए घूम कर डॉगी स्टाइल में आ जाओ. जीन्स के साथ वही पोज़िशन ठीक रहेगी."

"ठीक है..." रीमा घूम गयी सीट पर रोहित के आयेज और झुक कर डॉगी स्टाइल में आ गयी.

रोहित के सामने अब रीमा की सुंदर गान्ड और चूत थी. उसने गान्ड को पकड़ा और रीमा की चूत में आधा लंड घुसा दिया.

"म्‍म्म्ममममम न्‍न्‍ननणणन् इट्स पेनिंग."

"आवाज़ धीरे रखिए कोई सुन लेगा." रोहित ने कहा और एक झटके में पूरा लंड रीमा की चूत में उतार दिया.

"आआहह... मैं चिल्ला भी नही सकती..जान निकाल दी आपने मेरी."

"थोड़ा धैर्य रखें रीमा जी अभी आपको अद्वित्य आनंद भी देंगे" रोहित ने चूत में लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.

"ऊओह....एस आअहह."

"कृपया करके ऊओह आअहह कम करें हम ट्रेन में हैं. आस पास लोग सो रहे हैं."

"क्या करू आपने हालत ही ऐसी कर दी है आअहह."

एक ट्रेन की हलचल उपर से रोहित के झटके लंड चूत में बहुत अच्छे तरीके से घूम रहा था.

रीमा तो कयि बार झाड़ चुकी थी.

"अब रुक भी जाइए. या फिर देहरादून जा कर ही रुकेंगे. आपने तो रेल बना दी मेरी आअहह."

"चलिए आपने कहा हम रुक गये.....आआआहह ऊओ" और रोहित ने अपने वीर्य से रीमा की चूत को भर दिया.

"दिस वाज़ फर्स्ट फक ऑफ माइ लाइफ इन ट्रेन." रोहित ने कहा.

"मेरी पहली और आखरी अब ऐसी भूल नही करूगी. छोटी सी भूल ने मुझे ही फँसा दिया."

रोहित ने लंड बाहर निकाला और रीमा फ़ौरन जीन्स उपर चढ़ा कर सीट पर लेट गयी.

रोहित भी उसके उपर चढ़ गया और उसके होंठो को चूम कर बोला, "आइ विल ऑल्वेज़ रिमेंबर यू. अच्छा तुम्हारे भैया का क्या नाम है."

"रंजीत चौहान....क्यों? " रीमा ने जवाब दिया.

"कुछ नही वैसे ही पूछ रहा था...एक बार और खेल सकते हैं हम ये गेम आप चाहें तो."

"एक बार में ही जान निकाल दी मेरी. दुबारा की गुंजायस नही है अब."

"ओके नो प्राब्लम....कूल"

क्रमशः........................

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01-01-2019, 12:23 PM,
#63
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 58

गतान्क से आगे...........

ट्रेन ठीक 7 बजे पहुँच गयी देहरादून. रोहित और रीमा ने ख़ुसी ख़ुसी एक दूसरे को बाइ किया और अपने अपने रास्ते निकल पड़े.

ठीक 10 बजे रोहित थाने में था.

"आ गये आप?" चौहान ने कहा

"जी हां आ गये."

"ए एस पी साहिबा आपका इंतजार कर रही हैं. संभाल कर रहना कयामत है कयामत. मेरी तो जान झूठी आपके आने से. अब साइको का केस आप संभालेंगे."

"कोई बात नही साइको को भी देख लेंगे. मैं ए एस पी साहिबा से मिल कर आता हूँ."

इनस्पेक्टर रोहित पांडे शालिनी के कॅबिन की तरफ चल दिया.

"अब पता चलेगा इसे की पोलीस की नौकरी क्या होती है...रोहित पांडे हा." चौहान बड़बड़ाया.

रोहित घुस गया आ स प साहिबा के कॅबिन में. शालिनी फोन पर व्यस्त थी. रोहित चुपचाप अंदर आ कर उनकी टेबल के सामने खड़ा हो गया. शालिनी ने फोन पटका और बोली, "यस हू आर यू."

"आइ आम रोहित मेडम. रोहित पांडे..."

"ओह हां...आज ही आ गये तुम."

"अब जब आपने मेरा सस्पेन्षन कॅन्सल करवा दिया तो देर क्यू करता आने में."

"गुड...बैठो, मैने तुम्हारा सर्विस रेकॉर्ड देखा. मैं तुम्हे एक इंपॉर्टेंट केस देना चाहती हूँ. हॅंडल कर पाओगे."

"बेशक मेडम आप हुकुम कीजिए, मेरा सेस्पेन्षन अच्छा काम करने के कारण ही हुआ था. पॉलिटीशियन के बेटे को रेप के केस में अंदर डाल दिया था मैने. सज़ा भी दिलवाता उसे. पर मुझे अवॉर्ड तो क्या मिलता उल्टा सस्पेन्षन ऑर्डर मिल गया. पुणे चला गया था मैं तो अपने चाचा जी के पास.."

"बस बस ज़्यादा कहानियाँ मत सूनाओ. मैं जानती हूँ सब तभी तुम्हे वापिस लिया गया है महकमे में."

"बहुत कड़क है भाई ये तो." रोहित ने सोचा.

"साइको किल्लर का केस अब से तुम हॅंडल करोगे. और मुझे रिज़ल्ट्स चाहिए. बहुत दबाव है उपर से."

"आइ विल डू मी बेस्ट मेडम. आपको निरास नही करूगा." रोहित ने कहा.

"जाओ जाकर चौहान से सारा केस रेकॉर्ड ले लो. उस साइको ने एंपी की बेटी को अगवा कर रखा है और बदले में पद्‍मिनी को माँग रहा है. हुमैन एंपी की बेटी को भी शूरक्षित छुड़ाना है और पद्‍मिनी को भी उसे नही सोंपना. अब तुम देखो तुम क्या कर सकते हो. मुझे जल्द से जल्द वो साइको सलाखो के पीछे चाहिए."

"मुझे उम्मीद है की आपको निरास नही कारूगा."

"तुम्हारे पास ऑप्षन भी नही है. अगर कुछ नही कर पाए तो मैं तुम फिर से सस्पेंड हो जाओगे. ईज़ दट क्लियर.

"सभी कुछ क्लियर हो गया अब तो."

"गुड, नाउ गो आंड डू युवर ड्यूटी. और मुझे शकल तभी दिखाना जब कुछ कर लो. ईज़ दट क्लियर."

"सभी कुछ क्लियर है मेडम." रोहित का गला सुख गया बोलते-बोलते.

"फाइन, यू कॅन गो नाउ."

रोहित बाहर आया तो उसके माथे पे पसीने थे.

"बाप रे बाप...सही कहता था वो कमीना चौहान ये तो सच में कयामत है...उफ्फ हालत खराब कर दी. "

रोहित सीधा चौहान के कमरे की तरफ चल दिया.

"गुड मॉर्निंग सर."

"गुड मॉर्निंग भोलू...कैसे हो?"

"ठीक हूँ सर. अच्छा लगा आपको वापिस देख कर." भोलू ने कहा.

रोहित चौहान के कमरे में घुसा तो वो चाय पी रहा था.

"बैठे रहते हैं आप यहाँ...चाय पीते रहते है. तभी तो मुजरिम खुले आम घूम रहे हैं." रोहित ने कहा.

"ज़्यादा बकवास तो करो मत. तुम अभी नये नये हो पोलीस में. देखता हूँ क्या करोगे. ज़्यादा ही दम है तो पाकड़ो इस साइको को जिसने बाहर में आतंक मचा रखा है."

"केस रेकॉर्ड्स तो दे दो सारा उसके बिना क्या घंटा पाकडूँगा मैं."

"देता हूँ...पहले चाय तो पी लू...मेरे साथ ज़्यादा पंगा मत लिया कर...बड़ी मुस्किल से बहाल हुआ है नौकरी पे. फिर से सस्पेंड हो सकते हो. तुम्हे पता नही मैं कौन हूँ."

"इसको अगर पता चल गया कि मैने इसकी बहन की ली है तो बीफ़र जाएगा ये." रोहित ने मन में सोचा और हँसने लगा.

"क्या हुआ हंस क्यों रहे हो?" चौहान ने पूछा.

"कुछ नही आप मुझे रेकॉर्ड्स दे दो. वक्त कम है मेरे पास. कुछ नही किया तो फिर से सस्पेंड हो जाउन्गा."

"वो तो तुम्हे होना ही है." चौहान ने उठते हुए कहा.

चौहान ने सारा रेकॉर्ड रोहित को सोन्प दिया और रोहित ने बड़ी बारीकी से सब कुछ पड़ा.

"ह्म्म....एक बात है...इस साइको का कोई पॅटर्न नही है जिसे समझ कर हम कुछ अनॅलिसिस कर सकें. या फिर पॅटर्न है...जो समझ नही आ रहा. ये केके कौन हो सकता है. इतना मुस्किल केस और इतना कम वक्त. रोहित बेटा तेरी सस्पेन्षन तो फिर से पक्की है."

रोहित सब कुछ पढ़ कर अपने कॅबिन से बाहर निकला तो उसने देखा की शालिनी चेहरे पर शिकन सी लिए अपने कॅबिन से निकल रही हैं.

रोहित की हिम्मत नही हुई शालिनी के पास जाने की. शालिनी उसके आगे से निकली तो बोली, "स्टडी किया तुमने केस?"

"हां मेडम कर लिया."

"चलो एसपी साहिब ने बुलाया है मुझे. तुम भी साथ चलो."

"जैसी आपकी मर्ज़ी मेडम." रोहित ने कहा. "डाँट पड़ेगी शायद ए एस पी साहिबा को. क्योंकि वो कमीना डाँट-ने के लिए ही बुलाता है. बहुत डांटा था एक बार बुला के मुझे साले ने."

"मेडम क्या आप मिली हैं एसपी साहिब से पहले."

"हां मिली हूँ...जब यहाँ जाय्न किया था तभी मिली थी. आज उन्होने पहली बार बुलाया है."

"बुरा ना माने तो एक बात कहूँ." रोहित ने कहा.

"अपना मूह बंद रखो...मुझे ज़्यादा बकवास सुन-ना अच्छा नही लगता."

रोहित की तो बोलती बंद हो गयी. एसपी साहिब के यहाँ पहुँच कर शालिनी ने कहा, "तुम यही रूको मैं मिल कर आती हूँ. कोई भी ज़रूरत हुई तो तुम्हे बुला लूँगी."

"ठीक है मेडम मैं यही खड़ा हूँ."

शालिनी अंदर घुस गयी. वो काफ़ी तनाव में थी.

"आओ...आओ ए एस पी साहिबा, क्या हुआ साइको के केस का. एंपी की बेटी का कुछ पता चला. कुछ कर भी रही हो या हाथ पे हाथ धार के बैठी हो."

"सर हम पूरी कोशिस कर रहे हैं."

"क्या कोशिस कर रही हो तुम. 24 घंटे से ज़्यादा हो गये एंपी की बेटी को अगवा हुए. कुछ नही किया तुमने अब तक. सारी डाँट तो मुझे खानी पड़ रही है."

"सर आइ आम ट्राइयिंग माइ बेस्ट."

"बुलशिट....अगर बेस्ट ट्राइ किया होता तो कोई रिज़ल्ट होता तुम्हारे पास.पोलीस में आने की बजाए मोडीलिंग करनी चाहिए थी तुम्हे. आ गयी यहाँ अपनी गान्ड मरवाने के लिए पोलीस में. जाओ दफ़ा हो जाओ और कुछ करो वरना बर्खास्त कर दूँगा तुम्हे."

शालिनी को इस तरह की फटकार का अंदाज़ा नही था. वो कुछ भी नही बोल पाई.

"मुझे वो साइको जींदा या मुर्दा चाहिए. निसा और पद्‍मिनी दोनो को कुछ नही होना चाहिए...जाओ अब यहाँ से खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो."

"थॅंक यू सर." शालिनी कुछ और नही बोल पाई और चुपचाप बाहर आ गयी.

जब वो बाहर आई तो उसकी आँखे नम थी.

रोहित शालिनी को देखते ही समझ गया कि खूब डाँट पड़ी है उन्हे. उसने कुछ नही पूछा शालिनी से. डर भी तो था उसे कही वो उस पर ना भड़क जाए.

..............................

...............................

लंच ब्रेक में पद्‍मिनी अपनी एक कोलीग के साथ थोड़ा बाहर टहलने आई तो राज शर्मा की तो आँखे खिल गयी. पहुच गया टहलता टहलता उसके पास.

"पद्‍मिनी जी ज़्यादा दूर मत जाना. यही आस पास ही रहना." राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी ने कोई जवाब नही दिया पर उसकी कोलीग बोली, "तो ये हैं तुम्हारी शूरक्षा के लिए तुम्हारे साथ."

"हां यही है. वैसे इन्होने मूत दिया था एक बार मेरे सामने...डर के मारे. पता नही कैसी शूरक्षा करेंगे."

पद्‍मिनी के साथ जो थी वो तो लोटपोट हो गयी

राज शर्मा का चेहरा उतर गया वो समझ ही नही पाया कि क्या करे फिर भी वो बोला, "थोड़ी प्राब्लम है मुझे. वो अचानक डर गया था मैं उस दिन. बचपन में भी हुआ था एक दो बार ऐसा. इलाज़ भी करवाया मैने. सब ठीक हो गया था. पर उस दिन फिर से ऐसा हो गया."

"पद्‍मिनी तुम भी कितनी खराब हो. इनकी मादिकाल प्राब्लम है और तुम मज़ाक बना रही हो इनका."

राज शर्मा की बाते सुन कर पद्‍मिनी भी सकपका गयी थी. उसे अहसास हुआ कि उसने क्यों अपनी कोलीग के सामने ऐसा बोल दिया. उसने अपनी कोलीग से कहा, "तुम जाओ मैं अभी आती हूँ."

"क्या बात है. लाते मत हो जाना वरना बॉस से डाँट पड़ेगी."

"हां मैं बस आ ही रही हूँ." पद्‍मिनी ने कहा.

वो चली गयी तो पद्‍मिनी बोली, सॉरी राज शर्मा पता नही क्यों मैने ऐसा बोल दिया. ई आम रियली सॉरी. मैने सुना तो था इस बारे में की ऐसा होता है. पर आज यकीन हुआ कि डर के कारण ऐसा हो सकता है."

"कोई बात नही पद्‍मिनी जी. बहुत सालो बाद हुआ था ऐसा. कोई बात नही मेरे कारण किसी के चेहरे पे हँसी आ गयी. बहुत बड़ी बात है ये. आप जाओ..... लेट हो जाओगे."

"आगे से मैं मन में सोच कर भी नही हँसूगी. आइ आम रियली सॉरी."

"आप हँसिए ना दिक्कत क्या है. मेरे कारण आपके चेहरे पे मुस्कान आ जाए तो मेरे लिए बहुत बड़ी बात होगी."

"बस-बस अब फ्लर्ट शुरू मत करो. चलती हूँ मैं." पद्‍मिनी कह कर ऑफीस की तरफ मूड गयी.

दोनो को ही ज़रा भी खबर नही थी कि दूर से दो खुन्कार आँखे लगातार उन्हे देख रही हैं.

"देखता हूँ कब तक बचोगी तुम. तुम्हारे लिए तो ऐसा आर्टिस्टिक प्लान है मेरा कि तुम्हे फकर होगा कि तुम मेरे हाथो मारी गयी...हे....हे...हे" साइको हँसने लगा.

शालिनी और रोहित थाने वापिस आ गये. शालिनी बिना कुछ कहे अपने कॅबिन की तरफ चली गयी. रोहित ने कुछ भी कहना ठीक नही समझा क्योंकि ए एस पी साहिबा सारा गुस्सा उस पर निकाल सकती थी.

शालिनी ने थोड़ी देर बाद खुद ही रोहित को अपने पास बुला लिया.

"कहिए मेडम क्या हूकम है?" रोहित ने कहा.

"केस फाइल पढ़के तुम्हे क्या लगता है" शालिनी ने पूछा.

"देखिए मेडम अभी तक तो मुझे बस 2 बाते ही काम की लगी हैं. एक विटनेस है पद्‍मिनी जिसने साइको को देखा है. जितने भी क्रिमिनल्स की फोटोस हमारे पास हैं वो सभी पद्‍मिनी को दिखानी होंगी. शायद ये साइको कोई पुराना मुजरिम हो. दूसरी बात काम की है उस आदमी का नाम जो उस रात सुरिंदर से मिलने आया था. लेकिन वो नाम अधूरा है. केके का कुछ भी मतलब हो सकता है. मैं कल पद्‍मिनी से मिलूँगा. उसे सभी क्रिमिनल्स की फोटोस देखाउन्गा. हो सकता है उनमे से ही हो कोई साइको. इसी बहाने पद्‍मिनी से मुलाकात भी हो जाएगी."

"क्या तुम जानते हो पद्‍मिनी को."

"जी हां. कॉलेज में पढ़ते थे हम साथ."

"इस चौहान ने कोई काम ढंग का नही किया. क्रिमिनल्स की फोटोस तो बहुत पहले दिखानी चाहिए थी पद्‍मिनी को."

"एक बात और है मेडम. ज़्यादा तर मर्डर जंगल के आस पास हुए हैं. ज़रूर कुछ गड़बड़ है जंगल में."

"ओह हां राज शर्मा भी यही कह रहा था."

"कौन राज शर्मा मेडम?"

"सब इनस्पेक्टर है वो. अभी थोड़े दिन पहले ही जाय्न किया है उसने. मैने उसे 24 घंटे पद्‍मिनी की प्रोटेक्षन की ड्यूटी पर लगा दिया है."

"ये काम किसी नौसिखिए को नही देना चाहिए था मेडम."

"मेरी जड्ज्मेंट पर सवाल मत करना कभी. ईज़ दट क्लियर."

"जी मेडम सब कुछ क्लियर है"

"देखो एक बात ध्यान से सुनो. एक बात और है जो तुम्हे फाइल में नही मिलेगी." शालिनी ने जंगल की घटना सुनाई.

"उस साइको ने जो गोली चलाई थी मुझ पर वो पोलीस महकमे की है. मुझे यहाँ किसी पर विस्वास नही है. इसलिए राज शर्मा को पद्‍मिनी की शूरक्षा पर लगाया है. और इसी लिए तुम्हारा सस्पेन्षन कॅन्सल करवा कर तुम्हे ये केस सोन्पा है. अब समझे कुछ. बिना सोचे समझे कुछ मत बोला करो." शालिनी ने कहा.

"सॉरी मेडम" रोहित का चेहरा लटक गया.

"इट्स ओके...पर आगे से ध्यान रखना. मेरे सामने सोच समझ कर बोलना."

"ध्यान रखूँगा मेडम."

"ये पद्‍मिनी को फोटोस दिखाने वाला आइडिया अच्छा है. यही काम करो पहले" शालिनी ने कहा.

"बिल्कुल मेडम. पर ये काम कल ही हो पाएगा. सभी क्रिमिनल्स की फोटोस उपलब्ध नही है आज."

"तब तक फील्ड एंक्वाइरी करो. किसी को कुछ तो पता होगा साइको के बारे में."

"वही करने जा रहा हूँ मेडम. आप इज़ाज़्त् दे तो मैं चलु."

"येस ऑफ कोर्स...गुड लक."

रोहित कमरे से बाहर आ गया. "भोलू जीप लग्वाओ मेरी हमें फील्ड में निकलना है."

क्रमशः.........................
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01-01-2019, 12:26 PM,
#64
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 59

गतान्क से आगे...........

रोहित जीप में बैठ कर चल पड़ा. "कल्लू जुर्म की दुनिया की सारी जानकारी रखता है. उसी से मिलता हूँ जाकर."

कुछ ही देर बाद रोहित कल्लू के घर के बाहर खड़ा था. उसने घर का दरवाजा खड़काया.

"कौन है? बाद में आना अभी टाइम नही है." अंदर से आवाज़ आई.

रोहित भड़क गया उसने दरवाजे पर ज़ोर से लात मारी और दरवाजा खुल गया. रोहित अंदर आया तो दंग रह गया.

कल्लू एक महिला के उपर चढ़ा हुआ था. वो चूत में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था.

"अबे रुक...मुझे ज़रूरी बात करनी है तुझसे."

"अभी नही रुक सकता. अभी तो शुरूर आया है चुदाई का. ठोक लेने दो सर"

"कितना वक्त लगाएगा तू..मेरे पास टाइम नही है." रोहित ने कहा.

"मेरी चम्मक छल्लो तू बता कितनी देर चुद्वायेगि तू."

"जब तक तुम्हारा मन करे आआहह."

"देखा सर थोड़ी देर रुकना पड़ेगा आपको. रोज रोज इस तरह नही देती ये चूत. आज दे रही है तो मुझे टोटल मस्ती कर लेने दो."

रोहित ने पिस्टल निकाली और कल्लू के सर पर रख दी. "तेरी मस्ती पूरी होने तक का वक्त नही है मेरे पास. रुक जा वरना गोली मार दूँगा."

कल्लू ने उस महिला की चूत से लंड निकाल लिया. वो महिला अपने कपड़े पहन कर वहाँ से चली गयी. "सर आप भी ना हमेशा घोड़े पर सवार हो कर आते हो. लीजिए रुक गया. क्या बात है बोलिए."

"साइको किल्लर जिसने बाहर में आतंक मचा रखा है...क्या कुछ जानते हो उसके बारे में." रोहित ने पूछा.

"मुझे कुछ नही पता सर उसके बारे में. बल्कि किसी को कुछ नही पता. मैं तो खुद डरा रहता हूँ उस से.मैं कभी रात को बाहर नही घूमता अब. 9 बजने से पहले ही घर आ जाता हूँ. सॉरी मैं इस बारे में आपकी कोई मदद नही कर सकता. मुजरिमो की दुनिया में उसका कोई निसान नही है""

"ह्म्म....चल ठीक है कोई बात नही." रोहित ने कहा और 500 का नोट थमा दिया कल्लू को. "ये दरवाजा ठीक करवा लेना."

रोहित जीप में बैठ कर चल दिया.

"लगता है ये साइको एक ऐसा व्यक्ति है जिसकी कि समाज में इज़्ज़त है. वो पद्‍मिनी को इसलिए माँग रहा है क्योंकि उसे डर है कि कही वो बेनकाब ना हो जाए. शायद वो सारे आम हमारे सामने घूमता हो रोज पर हम उसे पहचान नही पाते क्योंकि हमे ज़रा भी अंदाज़ा नही रहता कि वो कातिल हो सकता है. मिस्टर साइको तुम्हे छोड़ूँगा नही मैं. देखता हूँ कब तक बचोगे.""

..............................

...............................................

शाम हो चुकी है और पद्‍मिनी ऑफीस से निकल रही है. राज शर्मा आस यूषुयल ख़ुसी से झूम उठता है. फ़ौरन आ जाता है वो पद्‍मिनी के पास.

"हो गयी छूटी आपकी." राज शर्मा ने पूछा.

"राज शर्मा तुम अपनी ड्यूटी पर ध्यान रखो. मुझसे फालतू की बाते मत किया करो"

"आप मुझसे खफा-खफा क्यूँ रहती है. प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही" आख़िर ज़ज्बात में बह कर राज शर्मा के मूह से निकल ही गयी दिल की बात. वो खुद पछताया बोल कर क्योंकि पद्‍मिनी की आँखे ये सुनते ही गुस्से से लाल हो गयी. थप्पड़ जड़ दिया उसने राज शर्मा के गाल पर.

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये बोलने की...दफ़ा हो जाओ यहाँ से. नही चाहिए मुझे कोई प्रोटेक्षन."

"सॉरी पद्‍मिनी जी ग़लती हो गयी. मूह से निकल गया यू ही. कहना नही चाहता था आपसे कुछ भी. पर पता नही क्यों ये सब बोल दिया मैने." राज शर्मा गिड़गिडया.

"तुम्हारा मूत अपने आप निकल जाता है. मूह से भी कुछ भी निकल जाता है. तुम आख़िर हो क्या."

बेचारा राज शर्मा करे भी तो क्या करे. कुछ भी नही बोल पाया पद्‍मिनी को. बस सर झुकाए खड़ा रहा. पद्‍मिनी को ज़रा भी अहसास नही हुआ कि वो सच में उसे प्यार करता है. वो तो अपने सपने के कारण राज शर्मा से चिड़ी हुई थी और कुछ भी करके उस बद्शुरत सपने को टालना चाहती थी. इसी बोखलाहट में थप्पड़ जड़ दिया था उसने राज शर्मा के मूह पर.

"चुप क्यों खड़े हो बोलते क्यों नही कुछ" पद्‍मिनी ने कहा.

"क्या कहु आपसे. गुनहगार हू आपका. चलिए आप लेट हो रही हैं...सॉरी मैं आगे से ऐसा नही बोलूँगा."

"तुम्हारे बस में कुछ है भी. तुम्हारा तो सब कुछ अपने आप निकल जाता है." पद्‍मिनी ने कहा और अपनी कार में बैठ गयी.

राज शर्मा भी अपनी जीप में बैठ कर उसके पीछे चल दिया. घर पहुँच कर पद्‍मिनी सीधा घर में घुस गयी. वो राज शर्मा से कोई बात नही करना चाहती थी.

...........................................................

घने जंगल का द्रिस्य है. चारो तरफ खौफनाक सन्नाटा है. पद्‍मिनी और राज शर्मा घबराए खड़े हैं.घबराए भी क्यों ना उनके सामने साइको खड़ा है उनकी तरफ बंदूक ताने.

"तुम दोनो डिसाइड कर्लो पहले कौन मरना चाहता है." साइको ने कहा.

"हमने डिसाइड कर लिया. पहले तुम मरोगे." राज शर्मा ने पाँव से मिट्टी उछाल दी साइको की तरफ और उस पर टूट पड़ा. साइको के हाथ से पिस्टल छूट कर दूर गिर गयी. उसका चाकू भी ज़मीन पर गिर गया. मगर साइको पिस्टल के बिना भी बलशाली था. वो राज शर्मा पर भारी पड़ रहा था. किसी तरह राज शर्मा के हाथ चाकू आ गया और उसने चाकू साइको के पेट में गाढ दिया. साइको ढेर हो गया ज़मीन पर. राज शर्मा को लगा साइको का काम ख़तम. वो पद्‍मिनी की तरफ बढ़ा. लेकिन तभी साइको बोला, "पहले पद्‍मिनी ही मरेगी...बचा सको तो बचा लो."

राज शर्मा ने तुरंत पीछे मूड कर देखा. साइको के हाथ में पिस्टल थी और उसने पद्‍मिनी को निशाना बना रखा था. वक्त रहते राज शर्मा पद्‍मिनी और गोली के बीच आ गया और राज शर्मा ज़मीन पर ढेर हो गया. गोली बिल्कुल दिल के पास लगी थी.

पद्‍मिनी भाग कर आई राज शर्मा के पास और फूट फूट कर रोने लगी. "ऐसा क्यों किया तुमने. मुझे मर जाने देते."

"प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही" राज शर्मा ने कहा और उसने दम तौड दिया.

"राज शर्मा!" और पद्‍मिनी चिल्ला कर फ़ौरन उठ गयी गहरी नींद से. सपना था ही कुछ ऐसा. उसने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली, "प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही...राज शर्मा ने यही कहा था शाम को. उफ्फ क्या हो रहा है मेरे साथ. इतने अजीब सपने क्यों आते हैं मुझे. ओह..राज शर्मा मुझे क्यों परेशान कर रहे हो."

पद्‍मिनी सपने के बाद बहुत बेचैन हो गयी थी. उसने घड़ी की तरफ देखा तो पाया कि रात के 2 बज रहे हैं. वो उठी और पानी पिया.

पानी पीने के बाद पद्‍मिनी खिड़की में आई और परदा हटा कर बाहर देखा. उसे अपने घर के बाहर सिर्फ़ राज शर्मा दिखाई दिया. वो जीप का बाहरा लेकर खड़ा था. राज शर्मा ने पद्‍मिनी को खिड़की से झाँकते हुए देख लिया. वो तुरंत जीप का सहारा छोड़ कर सीधा खड़ा हो गया...जैसे कि कुछ कहना चाहता हो.

पद्‍मिनी ने फ़ौरन परदा छोड़ दिया और वापिस आ कर बिस्तर पर गिर गयी. बहुत कोशिस की उसने दिमाग़ को डाइवर्ट करने की मगर बार बार उसके दिमाग़ में राज शर्मा के यही बोल गूँज रहे थे, "प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही."

निसा अचानक उठती है और खुद को कमरे में अकेला पाती है. वो पाती है कि उसके शरीर पर अब एक भी कपड़ा नही है. उसे याद आता है कि साइको ने उसे कुछ खाने को दिया था. खाते ही वो गहरी नींद सो गयी थी. उसका सर घूम रहा था.वो दीवार घड़ी की और देखती है. घड़ी 2 बजा रही थी.

"ये दिन के 2 बजे हैं या रात के 2" निसा सोचती है. मगर उसके पास जान-ने का कोई चारा नही है. उस कमरे में कोई खिड़की नही है. एक दरवाजा है जो कि बंद है. वो चारो तरफ ध्यान से देखती है. उसे एक टाय्लेट दिखाई देता है. वो उठती है और काँपते हुए टाय्लेट

की तरफ बढ़ती है. टाय्लेट में कोई दरवाजा नही है. वो अंदर झाँक कर देखती है तो पाती है कि टाय्लेट में भी कोई खिड़की नही है.

"ये कैसा कमरा है. कोई खिड़की नही है इसमे. और वो साइको कहाँ है?"

निसा टाय्लेट से दरवाजे की तरफ बढ़ती है. वो दरवाजे पर कान लगा कर देखती है. उसे बस सन्नाटा सुनाई देता है.

"कोई भी आवाज़ नही आ रही कही से...आख़िर मैं कहा हूँ. क्या ये कमरा देहरादून में ही है या कही और. डेडी प्लीज़ कुझ कीजिए मैं मरना नही चाहती." निसा फूट फूट कर रोने लगती है.

तभी निसा को दरवाजे पर कुछ हलचल सुनाई देती है और वो फ़ौरन भाग कर बिस्तर पर आकर लेट जाती है और अपनी आँखे बंद कर लेती है. उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगता है.

दरवाजा खुलता है और धदाम की आवाज़ होती है. निसा उत्शुकता में आँखे खोल कर देखती है. "रामू काका!"

रामू निसा के घर का नौकर था. कोई 45-46 साल की उमर का था. निसा ने रामू को देखते ही अपने उभारो पर हाथ रख लिए. मगर उसकी योनि को छुपाने के लिए कुछ नही बचा था.

"मेम्साब! आअहह" रामू कराहते हुए बोला. उसके सर से खून निकल रहा था.

साइको ने रामू को कमरे में पटका था. जिस से धदाम की आवाज़ हुई थी

"अब तुम क्या करना चाहते हो?" निसा रोते हुए बोली.

"जब तक पद्‍मिनी को मुझे नही सौंपा जाता क्यों ना एक-आध गेम हो जाए." साइको ने कहा

"अब कौन सी गेम खेलना चाहते हो...प्लीज़ मुझे जाने दो" निसा रोने लगी

"वाउ क्या ख़ौफ़ है तुम्हारी आँखो में. सच में मज़ा आ गया. अब और मज़ा आएगा."

"मुझे यहाँ क्यों लाए हो भाई." रामू ने पूछा.

"डरो मत तुम. बल्कि गर्व करो कि तुम मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने जा रहे हो."

रामू को कुछ समझ नही आया.

"खेल बहुत सिंपल है. ये चाकू देखो" साइको ने हाथ में पकड़े चाकू को हिलाया.

रामू बड़ी हैरानी से सब सुन रहा था. उसके रोंगटे खड़े हो रखे थे.

"तुम्हारे पास तीन ऑप्षन्स है. पहली ऑप्षन ये है कि ये चाकू लो और अपना पेट चीर लो. तुम्हारी मेम्साब को जाने दूँगा मैं अगर ऐसा करोगे तो."

रामू ने निसा की ओर देखा. उसकी रूह काँप उठी थी ये सब सुन कर.

"दूसरी ऑप्षन है कि तुम ये चाकू लो और निसा का पेट चीर डालो. उसका पेट चीरने के बाद तुम यहाँ से जा सकते हो. तुम्हे कुछ नही कारूगा."

रामू की तो आँखे फटी की फटी रह गयी.

"तीसरा ऑप्षन भी है. तुम अपनी मेम्साब की चूत में लंड डाल दो. मगर लंड उसकी मर्ज़ी से डालना. रेप की इज़ाज़त नही है तुम्हे. आधा घंटा है तुम्हारे पास इन तीनो में से एक काम करने का. कुछ भी नही किया तो तुम्हे काट डालूँगा. लो पाकड़ो ये चाकू." साइको ने चाकू रामू को दे दिया और खुद कुर्सी पर हाथ में पिस्टल ले कर बैठ गया.

रामू असमांजस में था कि क्या करे. खुद का पेट वो चीर नही सकता था. तीसरा काम भी वो नही कर सकता था. बस एक ही ऑप्षन बचा था कि वो काट डाले निसा को.

"दूसरी ऑप्षन ही ठीक है रामू. चीर दे पेट मेम्साब का. उनके मरने से तुम जिंदा रह सकते हो तो क्या दिक्कत है." वो काँपते हुए हाथ में चाकू लिए निसा की तरफ बढ़ता है.

"माफ़ करना मेम्साब और कोई चारा नही है. आप आँखे बंद कर लो"

"नमक हराम, अपना पेट क्यों नही चीर लेते. दिखा दी अपनी औकात तुमने." निसा चिल्लाई.

"मुझे भी जीने का हक़ है. आपके मरने से मैं जींदा रह सकता हूँ तो क्या दिक्कत है." रामू चाकू हवा में लहराता है. निसा काँप उठती है.

"रूको...तीसरी ऑप्षन भी तो है." निसा रोते हुए कहती है.

रामू का हाथ हवा में ही रुक जाता है. "तो क्या आप डलवा लेंगी?"

"हां आ जाओ" निसा फूट फूट कर रोने लगती है.

साइको तालिया पीटने लगता है. "वाह भाई वाह, क्या बात है. ये तो पूरी बेशर्मी पर उतर आई है. कितनी प्यास है इसकी चूत में लंड के लिए. अपने नौकर का लेने के लिए भी तैयार हो गयी है. ऐसी बदचलन रंडी मैने आज तक नही देखी. निसा जी हॅट्स ऑफ टू यू. कीप इट अप. जल्दी करो 5 मिनिट बर्बाद कर चुके हो तुम रामू. आधा घंटा है सिर्फ़ तुम्हारे पास."

रामू की तो आँखे ही चमक उठी थी ये सुनके. उसके लिंग में तुरंत हरकत होने लगी थी. उसने चाकू एक तरफ रखा और चढ़ गया बिस्तर पर.

"कहीं और मत छूना मुझे." निसा ने कहा

"ये करने को मिल रहा है, यही बहुत बड़ी बात है" रामू ने कहा और अपनी पॅंट उतार दी. फुर्ती से उसने अंडरवेर भी उतार दिया. बहुत बेचैन हो रहा था.

निसा ने अपनी आँखे बंद कर ली. टाइम बीत-ता जा रहा था. रामू ने तुरत अपने लिंग पर थूक लगाया और टिका दिया निसा की योनि पर.

एक ही धक्के में रामू ने पूरा लिंग निसा की योनि में उतार दिया. "आआआहह....नूऊओ" निसा कराह उठी.

निसा सोच रही थी कि अब साइको रामू का गला काट देगा और ये गंदा काम जल्दी ख़तम हो जाएगा. इसीलिए तो वो इसके लिए तैयार भी हुई थी.

पर वो चोंक गयी. रामू ने मज़े से धक्के लगाने शुरू कर दिए और ऐसा कुछ नही हुआ जैसा वो सोच रही थी. उसने साइको की तरफ देखा. वो कुर्सी पर बैठा था. उसके चेहरे पर नकाब था. इसलिए वो उसके चेहरे के भाव नही देख पाई. पर वो समझ गयी कि वो पूरे द्रिस्य का आनंद ले रहा था.

पहली बार निसा की योनि में लिंग अंदर बाहर घूम रहा था. मगर वो कुछ भी फील नही कर पा रही थी. उसकी आँखे टपक रही थी. रामू तो लगा हुआ था अपने काम में. उसे तो जैसे जन्नत मिल गयी थी.तूफान मचा दिया था उसने बिस्तर पर. भरपूर मज़ा ले रहा था वो निसा का. रुका नही एक भी बार. निसा की आँखो के आँसू भी नही दीखे उसे. लगा रहा बस. अपने चरम पर पहुँच कर गिर गया वो निसा के उपर और बोला, "माफ़ करना मुझे मेम्साब. कोई और चारा नही था."

मगर तभी छींख गूँज उठी रामू की कमरे में. साइको ने उसकी गर्दन के पीछे सर के बिल्कुल नीचे चाकू घुसा दिया. बड़ी बेरहमी से उसने वो चाकू नीचे की ओर खींचा और रामू की पीठ चीर डाली. चारो तरफ खून ही खून फैल गया. बिस्तर लाल हो गया. साइको ने रामू को टाँग पकड़ कर निसा के उपर से खींचा और ज़मीन पर पटक दिया.

"क्या सीन बना है. क्यों री रंडी. मिल गया तेरी चूत को पानी. अब तो खुस है तू. मैं चाहता था कि वो तुझे काट डाले. मगर नही. तुझे तो लंड चाहिए था उसका. भुज गयी प्यास तेरी अब. अपनी चूत में लंड ले ले कर लोगो को मरवा रही है. तेरे जैसी रंडी नही डेक्खी दुनिया में. बस बहुत हो गया तेरा ये गंदा खेल. नही चलने दूँगा मैं ये सब. साइको ने निसा के बाल पकड़े और उसे घसीट कर रामू की लास पर पटक दिया. इसके साथ तू भी मरेगी अब. मुझे रंडी बिल्कुल पसंद नही." साइको की बातो में बहुत कठोरता थी

और फिर कमरे में दरिंदगी का वो खेल हुआ जिसे देख कर किसी की भी रूह काँप जाए. बड़ी बेरहमी से काट डाला था साइको ने निसा को. दम तौड दिया था उसने बहुत जल्दी. मगर साइको का चाकू नही थमा. वार पर वार करता रहा वो.

"मेरी ग़मे खराब करती है साली. मैं क्या यहाँ पॉर्न देखने बैठा था जो कि लंड ले लिया तूने मज़े से. साली रंडी..........." पता नही और क्या क्या बकवास करता रहा वो.

कमरे में बहुत ही दर्दनाक और खौफनाक द्रिस्य हुआ था. जिसका पूरा वर्णन बहुत ही मुस्किल है.

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01-01-2019, 12:27 PM,
#65
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 60

गतान्क से आगे...........

रोहित भोलू के साथ बाहर का चक्कर लगा रहा है.

"सर ये साइको बिना मतलब क्यों मारता फिरता है लोगो को." भोलू ने कहा.

"क्योंकि वो साइको है. पागल हो गया है साला...एक बार मिल जाए मुझे. सारा साइको पाना निकाल दूँगा साले का."

अचानक उनकी जीप के आगे से एक बाइक निकलती है.

"ये कौन घूम रहा है बाइक पर इतनी रात को." रोहित जीप की स्पीड बढ़ा कर बाइक के आगे आ जाता है और बाइक सवार को रुकने पर मजबूर कर देता है.

"ये तो मोहित है?" भोलू कहता है.

"कौन मोहित?"

"मेरे घर के पास ही रहता है सर."

"तुम इतनी रात को कहा घूम रहे हो. किसी का खून करके तो नही आ रहे" रोहित ने पूछा.

"मैं अपनी ड्यूटी से आ रहा हूँ. घर जा रहा हूँ." मोहित ने कहा.

"क्या काम करते हो?" रोहित ने पूछा.

"प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ."

"थ्ट्स इंट्रेस्टिंग. साइको का डर नही तुम्हे."

"2 बार सामना हो चुका है उस से. अब दर नही लगता उस से. मुझे मिला दुबारा तो बचेगा नही इस बार वो." मोहित ने कहा.

"पढ़ी है मैने केस फाइल. तुमने उसे घायल किया था."

"हां पेट चीर दिया था मैने उसका." मोहित ने कहा.

"फिर तो उसके पेट पे निसान होना चाहिए. मेरा ध्यान नही गया था इस बात पर. ये बहुत इंपॉर्टेंट क्लू है."

"क्या मैं जा सकता हूँ अब." मोहित ने कहा.

"हां बिल्कुल. क्या तुमने रास्ते में कुछ अजीब देखा. जैसे कि कोई व्यक्ति घूमता हुआ."

"मैने एक ब्लॅक स्कॉर्पियो देखी खड़ी हुई मंदिर के बाहर. मंदिर से एक आदमी निकला और स्कॉर्पियो में बैठ कर चला गया. मैं शकल नही देख पाया उसकी. मुझे ये अजीब सा लगा कुछ." मोहित ने कहा.

"कौन से मंदिर की बात कर रहे हो तुम." रोहित ने पूछा.

"बहुत पुराना सा मंदिर है भोले नाथ का. मैं वहाँ कभी गया नही." मोहित ने कहा

"बस स्टॅंड के सामने जो है उसकी बात तो नही कर रहे कही." रोहित ने कहा.

"हां हां वही मंदिर."

"वो मंदिर नही खंदार है मेरे भाई...मतलब ज़रूर कुछ गड़बड़ है. भालू चलो जल्दी" रोहित ने कहा.

"क्या मैं भी चल सकता हूँ आपके साथ?" मोहित ने कहा.

"आ जाओ...कोई दिक्कत की बात नही है." रोहित ने कहा.

मोहित ने बाइक वही सड़क के किनारे खड़ी कर दी और जीप में बैठ गया.

रोहित ने पूरी स्पीड से जीप सड़क पर दौड़ा दी.

रोहित कुछ ही देर में मोहित और भोलू के साथ उस पुराने मंदिर में पहुँच गया. उसने जीप पार्क की मंदिर के सामने और अपनी पिस्टल निकाल ली. पिस्टल हाथ में ताने वो खंदर में घुस्स गया.

खंदर में काई अलग अलग टूटे हुए कमरे थे जिनकी दीवारे तो थी मगर छत नही थी. रोहित ने एक एक करके सभी तरफ देखा.

“भोलू टॉर्च देना मुझे.” रोहित को शायद कुछ दिखा एक टूटे कमरे में.

भोलू ने टॉर्च रोहित को पकड़ा दी. रोहित ने जब टॉर्च जला कर कमरे की तरफ की तो सभी के होश उड़ गये.

“हे भगवान .” तीनो के मूह से यही निकलता है.

रोहित तुरंत ए एस पी साहिबा को फोन मिलाता है. रात के सादे तीन हो रहे थे. शालिनी गहरी नींद में सोई थी.

“उफ्फ किसका फोन है इस वक्त.” शालिनी ने फोन की तरफ हाथ बढ़ाया.

“सॉरी मेडम आपको इस वक्त डिस्टर्ब कर रहा हूँ.”

“क्या बात है, रोहित?” शालिनी ने पूछा.

“आप तुरंत यहाँ आ जाइए. बहुत भयानक मंज़र क्रियेट किया है साइको ने.” रोहित उसे वो सब बताता है जो कि उसने देखा.

शालिनी तुरंत तैयार हो कर खंदार की तरफ निकल देती है. उसके साथ चार कॉन्स्टेबल्स भी होते हैं. कुछ ही देर में शालिनी वहाँ पहुँच जाती है.

जब शालिनी अपनी आँखो से सब देखती है तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. साइको ने निसा का सर काट कर रामू के सर पर लगा रखा था और रामू का सर काट कर निसा के सर पर लगा रखा था. दोनो लाशो को उसने दीवार के साहारे खड़ा कर रखा था. दीवार पर लिखा था “दो पापी, निसा और रामू आपके सामने हैं. दे आर प्राउड विक्टिम ऑफ माइ आर्टिस्टिक मर्डर.”

“जीसस…दिस साइको ईज़ शिज़ोफ्रेनिक” शालिनी कहती है.

“मेडम, जब मैं इसे पाकडूँगा तो थाने नही लाउन्गा. इसका एनकाउंटर कारूगा मैं.” रोहित ने कहा.

“क्या बकवास कर रहे हो. मेरे सामने ऐसी बात मत करना कभी. हमें जो भी करना है क़ानून के दायरे में करना है.” शालिनी भड़क गयी रोहित की बात सुन कर.

“कौन सा क़ानून मेडम, इसी क़ानून का सहारा ले कर छ्छूट जाते हैं ऐसे लोग. वो पॉलिटीशियन का लड़का जिसे मैने रेप के केस में अंदर किया था आज आज़ाद घूम रहा है. जिसका रेप हुआ था उसने स्यूयिसाइड कर ली है. क्या इंसाफ़ दिया हमने उस बेचारी को. उसे मैं जैल में डालने की बजाए गोली मार देता तो कुछ तो इंसाफ़ मिलता उस बेचारी को.”

“शट अप आइ से, सब तुम्हारी तरह सोचेंगे तो लॉ आंड ऑर्डर की धज़ियाँ उड़ जाएँगी. मेरे सामने ऐसी बाते कभी मत करना.”

“नही कारूगा पर आप खुद सोच कर देखो. क्या ऐसा घिनोना काम कोई इंसान कर सकता है. वो इंसान नही है मेडम. उस पर क़ानून लागू नही होता. जानवर है वो, हैवान है. ऐसे जानवरो को गोली मारनी चाहिए सीधा सर में. मोका नही देना चाहिए कोई भी.”

“तुम जज्बाती हो रहे हो…बाद में बात करेंगे.” शालिनी ने बात को ख़तम करना सही समझा.

“पोस्ट मॉर्टेम के लिए भेज दो दोनो बॉडीस को” शालिनी ने कहा.

“क्या तुमने उस ब्लॅक स्कॉर्पियो का नंबर नोट किया मोहित.” रोहित ने मोहित से पूछा.

“नही, मैने इस बात पर गौर ही नही किया कि ऐसा हो सकता है.” मोहित ने कहा.

“बाहर में जिस-जिस के नाम भी ब्लॅक स्कॉर्पियो है उनका पता करो. ये बहुत इंपॉर्टेंट क्लू है हमारे लिए” शालिनी ने कहा.

“जी मेडम. मैं भी यही सोच रहा था.” रोहित ने कहा.

“टॉर्च दो मुझे.” शालिनी ने कहा.

रोहित ने टॉर्च शालिनी को पकड़ा दी.

शालिनी ने बहुत बारीकी से बॉडीस को एग्ज़ॅमिन किया. “खून उसने कही और किया और बॉडीस यहाँ ला कर सज़ा दी. वो तो पद्‍मिनी को माँग रहा था निसा के बदले में. अभी उसकी दी हुई मोहलत भी पूरी नही हुई थी. आख़िर ये साइको चाहता क्या है.” शालिनी ने कहा.

“पागल है वो मेडम. और पागलो को समझा नही जा सकता.” रोहित ने कहा.

“चलो फिलहाल इन बॉडीस को पोस्ट मॉर्टेम के लिए भेज दो. और हां ध्यान रखना ये न्यूज़ मीडीया में लीक ना हो जाए. सनसनी फैल जाएगी बाहर में. लोग वैसे ही बहुत डरे हुए हैं.”

“मैं ध्यान रखूँगा मेडम?” रोहित ने कहा.

“एक काम करो सभी पोलीस कॉंटरों रूम को अलर्ट कर दो इस ब्लॅक स्कॉर्पियो के बारे में.” शालिनी ने कहा.

“ऑलरेडी कर दिया है. अब खुद भी एक राउंड पर निकल रहा हूँ.”

“गुड. कीप इट अप” शालिनी ने कहा.

पोलीस डिपार्टमेंट ने तो न्यूज़ दबा कर रखी मगर सुबह सवेरे हर चॅनेल पर एक वीडियो दिखाई जा रही थी. ये वीडियो साइको ने बनाई थी. उसने कमेरे का फोकस बोडेयस पर कर रखा था और बोल रहा था, “पद्‍मिनी देखो कितना खुब्शुरत कटाल किया है मैने. मैं एक आर्टिस्ट हूँ. तुम मुझसे डरो मत और मुझे एक मोका दो. सच कहता हूँ तुम्हे फकर होगा की तुम मेरे हाथो मारी गयी. एक खूबशुरआत मौत दूँगा तुम्हे मैं. मेरे हाथो मरने के बाद सीधा स्वर्ग जाओगी. तुम बेवजह डर कर भाग गयी उस दिन. तुम बहुत सुंदर हो पद्‍मिनी. तुम्हारे जैसा इस बाहर में कोई नही. तुम्हारे जैसी खुब्शुरत लड़की को खुब्शुरत मौत ही मिलनी चाहिए. और ये काम मैं बखूबी कर सकता हूँ. इन दोनो का खून मैने तुम्हारे कारण किया है. जब तक तुम मेरे पास नही आओगी. ऐसे नज़ारे बाहर वासियों को मिलते रहेंगे. सभी की भलाई इसी में है की तुम मेरे पास आ जाओ और एक खुब्शुरत मौत को स्वीकार करो. ये मत सचना पद्‍मिनी कि अगर तुम नही आओगी मेरे पास तो बच जाओगी. मरना तो तुम्हे है ही. यू कॅन रन बट यू कॅन नेवेर हाइड. तुम्हे तो मैं एक खुब्शुरत मौत दे कर रहूँगा चाहे कुछ हो जाए. आज तक तुम्हारे जैसी सुंदर लड़की को नही मारा. ये इच्छा भी पूरी हो कर रहेगी…हे…हे…हे.”

टीवी पर बार बार ये वीडियो दिखाई जा रही थी.

“ये न्यूज़ वाले भी ना. अपना फ़ायडा देखते हैं बस. मुजरिमो का काम आसान कर देते हैं ये मीडीया वाले. बार बार दिखा रहे हैं ये विसडेव. सनसनी फैलाने में पूरा साथ दे रहे हैं साइको का.” रोहित ने कहा.

“निकल गयी हवा सारी बेटा. अब तुम्हे लग रहा होगा की तुम सस्पेंड ही अच्छे थे, है ना मिस्टर रोहित पांडे.” चौहान ने रोहित का मज़ाक उड़ाया.

“जितने दिन ये केस आपके पास रहा, उतने दिन मेरे पास होता तो ये नौबत ही नही आती. वैसे आप थे कहा रात. ए एस पी साहिबा तो पहुँच गयी वहाँ पर आप नही आए. थे कहाँ आप.”

“मैं कही भी रहूं, तुमसे मतलब. अपना काम करो हा.” चौहान मूह सिकोड कर चला जाता है.

“मुझे तो इस चौहान पर भी शक है. कोई एंक्वाइरी ठीक से नही की इसने. ए एस पी साहिबा कह भी रही थी कि पोलीस महकमे की गोली चली थी उन पर. इस चौहान पर नज़र रखनी पड़ेगी मुझे.” रोहित ने खुद से कहा.

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जब टीवी पर पद्‍मिनी ने न्यूज़ देखी तो उसके पाँव के नीचे से तो ज़मीन ही निकल गयी. रोंगटे खड़े हो गये उसके न्यूज़ सुन कर. साइको के एक एक बोल ने उसकी रूह को काँपने पर मजबूर कर दिया.

“बेटा कही मत जा तू थोड़े दिन. बस यही घर पर ही रहो.” पद्‍मिनी की मम्मी ने कहा.

“हां बेटा तुम्हारी मम्मी ठीक कह रही है. जब तक ये वाहसी दरिन्दा पकड़ा नही जाता तुम घर पर ही रहो. रोज ऑफीस आने जाने में तुम्हारी जान को ख़तरा रहेगा.” पद्‍मिनी के दादी ने कहा.

राज शर्मा सुबह जब दिन निकलने लगा था तो हवलदारो को चोकस करके जीप में ही शो गया था. 24 घंटे की ड्यूटी थी. थोड़ी नींद भी ज़रूरी थी.पर सादे 9 बजे वो बिल्कुल तैयार था पद्‍मिनी के साथ ऑफीस जाने के लिए. वो इंतजार करता रहा. 10 बज गये तो उसने घर की बेल बजाई. पद्‍मिनी के दादी ने दरवाजा खोला.

“क्या पद्‍मिनी जी आज ऑफीस नही जाएँगी” राज शर्मा ने कहा.

“नही बेटा अब वो ऑफीस नही जाएगी. मैं अपनी बेटी को खोना नही चाहता.” पद्‍मिनी के पिता की आँखे नम हो गयी.

“क्या बात है आप परेशान क्यों लग रहे हैं.” राज शर्मा ने पूछा.

“तुम्हे नही पता कुछ भी? ओह हां तुम तो बाहर बैठे रहते हो. आओ टीवी पर न्यूज़ देखो, सब समझ जाओगे.”

राज शर्मा अंदर आ गया. सोफे पर टीवी के सामने पद्‍मिनी अपनी मम्मी के कंधे पर सर रख कर बैठी थी. राज शर्मा ने जब टीवी पर न्यूज़ देखी तो उसके होश उड़ गये. खंदार का पूरा द्रिस्य दिखाया जा रहा था. लेकिन जब साइको ने पद्‍मिनी के बारे में बोलना शुरू किया तो राज शर्मा आग बाबूला हो गया.

“ये कमीना ऐसा सोच भी कैसे सकता है. मैं उसका खून पी जाउन्गा.” राज शर्मा चिल्लाया.

पद्‍मिनी, पद्‍मिनी के दादी और मम्मी तीनो हैरान रह गये राज शर्मा के रिक्षन पर.

“मेरे होते हुए आपको कुछ नही होगा पद्‍मिनी जी. आप तक पहुँचने से पहले उसे मुझसे टकराना होगा. जब तक मैं जींदा हूँ वो अपने इरादो में कामयाब नही हो सकता.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी की ओर देखते हुए कहा.

अनायास ही पद्‍मिनी को रात का सपना याद आ गया जिसमे उसने राज शर्मा को मरते देखा था अपने लिए. कुछ कहना चाहती थी राज शर्मा को पर कुछ बोल नही पाई. शायद अपने मम्मी, पापा की उपस्थिति के कारण चुप रही. मगर उसने एक बार बहुत प्यार से देखा राज शर्मा की तरफ और गहरी साँस ले कर अपनी आँखे बंद कर ली.

राज शर्मा ने पद्‍मिनी की आँखे पढ़ने की कोशिस तो की मगर वो कुछ समझ नही पाया. “क्या था इन म्रिग्नय्नि सी आँखो में जो मैं समझ नही पाया. आँखो की भाषा क्यों नही सीखी मैने.” राज शर्मा सोच में पड़ गया.

“मुझे नींद आ रही है. मैं सोने जा रही हूँ. रात भर ठीक से शो नही पाई” पद्‍मिनी ने कहा और उठ कर वहाँ से चल दी.

“आपकी इज़ाज़त हो तो, क्या मैं पद्‍मिनी जी से अकेले में कुछ बात कर सकता हूँ.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी के डेडी से पूछा.

“यही रोक लेते उसे, अब तो वो चली गयी.” पद्‍मिनी के दादी ने कहा.

“बहुत इंपॉर्टेंट बात है प्लीज़.” राज शर्मा ने फिर रिक्वेस्ट की.

“ओके चले जाओ, अभी तो वो अपने कमरे में पहुँची भी नही होगी.”

पद्‍मिनी का कमरा फर्स्ट फ्लोर पर था. और वो सीढ़िया चढ़ रही थी. राज शर्मा दौड़-ता हुआ आया और बोला, “आप बिल्कुल चिंता ना करो, मैं हूँ ना.”

“थॅंकआइयू, मैं खुद को संभाल सकती हूँ. तुम अपना ख्याल रखना राज शर्मा.” पद्‍मिनी सीढ़ियाँ चढ़ कर अपने कमरे में आ गयी और अपना दरवाजा बंद कर लिया.

राज शर्मा भी आ तो गया सीढ़ियाँ चढ़ कर उपर. पर दरवाजा खड़काने की हिम्मत नही जुटा पाया. आ गया वापिस अपना सा मूह लेकर. “अपना ख्याल रखने को क्यों कहा पद्‍मिनी जी ने मुझे. क्या उन्हे मेरी चिंता है. नही…नही शायद उन्होने ऐसे ही कह दिया होगा. वो मेरी फिकर क्यों करेंगी. मैं भी बिल्कुल पागल हूँ. छोड़ दे प्यार के सपने और अपनी पुरानी जिंदगी में वापिस लौट जा. प्यार व्यार अपनी किस्मत में नही है.”

राज शर्मा घर से बाहर आ गया. उसने सभी कॉन्स्टेबल्स को हिदायत दी की हर वक्त बिल्कुल सतर्क रहें.

“मैने किसी को भी लापरवाही करते देखा तो देख लेना, मुझसे बुरा कोई नही होगा.” राज शर्मा ने कहा.

राज शर्मा वापिस घर के बाहर खड़ी अपनी जीप में बैठ गया. “अब इस साइको ने हद कर दी है. पद्‍मिनी जी के बारे में ऐसी बाते बोली. जींदा नही छोड़ूँगा कामीने को, बस मिल जाए एक बार वो मुझे.”

मगर बार-बार राज शर्मा की आँखो के सामने वो द्रिस्य घूम रहा था जब पद्‍मिनी बड़े प्यार से उसे देख रही थी. “कुछ तो था उन मृज्नेयनी सी आँखो में. काश समझ पाता मैं.”

रोहित थाने से निकल ही रहा था कि सामने से ए एस पी साहिबा आ गयी.

क्रमशः.........................
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01-01-2019, 12:27 PM,
#66
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 61

गतान्क से आगे...........

"क्या चल रहा है रोहित, कोई नयी डेवेलपमेंट?" शालिनी ने कहा.

"साइको ने अपनी करतूत की वीडियो सर्क्युलेट कर दी है मीडीया में और मीडीया वाले पागलो की तरह उसे दिखा रहे हैं." रोहित ने कहा.

"हां पता चला मुझे सब कुछ. अब कहा जा रहे थे तुम?"

"मेडम, पद्‍मिनी को फोटोस दिखाने जा रहा हूँ."

"गुड, उसकी सुरक्षा अरेंजमेंट भी चेक कर लेना. और सुरक्षा की ज़रूरत हो तो दी जा सकती है."

"बिल्कुल मेडम, मैं देख लूँगा."

"ओके...गुड लक" शालिनी कह कर अपने कॅबिन की तरफ चल दी.

रोहित अपनी जीप में बैठ कर पद्‍मिनी के घर की तरफ चल दिया.

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.........................................

राज शर्मा बैठा था जीप में चुपचाप. पर उसके दिमाग़ में एक तूफान चल रहा था.

"ये अब मेरी पर्सनल बॅटल है. साइको की हिम्मत कैसे हुई पद्‍मिनी जी के बारे में ऐसा बोलने की. गोली मार दूँगा साले को मिल जाए एक बार मुझे वो. देखा जाएगा बाद में जो होगा. नही छोड़ूँगा उसे मैं जींदा. उसे नही पता की पद्‍मिनी जी के बारे में इतनी घिनोनी बाते करके उसने अपनी जान आफ़त में डाल ली है."

तभी पद्‍मिनी की खिड़की का परदा खुलता है. राज शर्मा तो देख ही रहा था बार-बार खिड़की की तरफ. जैसे ही उसे पद्‍मिनी दिखी आ गया फ़ौरन जीप से बाहर. पद्‍मिनी ने फिर बहुत प्यार से देखा राज शर्मा को. राज शर्मा तो बस देखता ही रह गया पद्‍मिनी को. वक्त जैसे थम सा गया था.

तभी एक जीप आकर रुकी पद्‍मिनी के घर के बाहर और रोहित उसमे से उतर गया.

"रोहित!" पद्‍मिनी ने कहा और परदा गिरा दिया.

राज शर्मा के दिल पे तो जैसे साँप लेट गया. बहुत प्यार से देख रही थी पद्‍मिनी राज शर्मा को. ये जीप बीच में ना आती तो शायद वो समझ जाता इस बार की क्या है पद्‍मिनी की म्रिग्नय्नि आँखो में.

"तो तुम हो राज शर्मा ?" रोहित ने पूछा.

"जी हां बिल्कुल."

"आइ आम इनस्पेक्टर रोहित पांडे."

"ओह...गुड मॉर्निंग सर. सॉरी आपको पहचान नही पाया. भोलू ने बातया था कि अब साइको वाला केस आप हॅंडल कर रहे हैं."

"इट्स ओके. यहाँ सब कैसा चल रहा है."

"ठीक चल रहा है सर"

"देखो वो साइको हाथ धो कर पड़ा है पद्‍मिनी के पीछे. तुम्हे बहुत ज़्यादा सतर्क रहना होगा. मैं 2 गन्मन लगा रहा हूँ यहाँ तुम्हारे साथ. कीप एवेरितिंग अंडर कंट्रोल."

"राइट सीर."

रोहित पद्‍मिनी के घर की बेल बजाता है. उसके डेडी दरवाजा खोलते हैं.

"जी कहिए."

"आइ आम इनस्पेक्टर रोहित पांडे. मुझे पद्‍मिनी से मिलना है"

"वो अपने कमरे में सो रही है."

"देखिए मेरा उनसे मिलना बहुत ज़रूरी है. प्लीज़ बुला दीजिए उन्हे."

"ठीक है, बैठो आप मैं बुला कर लाता हूँ पद्‍मिनी को"

जब पद्‍मिनी के डेडी ने पद्‍मिनी को बताया कि उस से कोई रोहित पांडे मिलने आया है तो उसने माना कर दिया मिलने से. "मेरे सर में दर्द है पापा. मैं किसी से नही मिलना चाहती."

पद्‍मिनी के दादी ने ये बात आकर रोहित को बता दी.

"लगता है अब तक नाराज़ है मुझसे." रोहित ने मन ही मन सोचा.

"आप बाद में आ जाना."

"बहुत अर्जेंट था. क्रिमिनल्स की फोटोस लाया था उन्हे दिखाने के लिए. क्या पता इन्ही में से हो वो साइको."

ये बात सुनते ही पद्‍मिनी के डेडी दुबारा गये पद्‍मिनी के पास और उसे किसी तरह ले आए अपने साथ.

पद्‍मिनी को देखते ही रोहित खड़ा हो गया. दोनो की आँखे टकराई पर कुछ कहा नही एक दूसरे को.

"ये फोटोस हैं क्रिमिनल्स की. इन्हे ध्यान से देखिए...हो सकता है साइको इन्ही में से कोई हो."

पद्‍मिनी ने फाइल पकड़ी और बैठ गयी सोफे पे. एक एक फोटो को वो गौर से देखने लगी. जब पद्‍मिनी के डेडी वहाँ से हटे तो रोहित ने कहा, "कैसी हो पद्‍मिनी"

"इनमे से कोई नही है." पद्‍मिनी ने कहा और फाइल टेबल पर रख दी. उसने रोहित की बात का कोई जवाब नही दिया.

"इतने दिनो बाद मिली हो, क्या बात भी नही करोगी." रोहित ने कहा.

पद्‍मिनी कुछ नही बोली और चुपचाप वहाँ से उठ कर चली गयी.

रोहित ने फाइल उठाई और घर से बाहर आ गया. "बिल्कुल नही बदली पद्‍मिनी. आज भी वैसी ही है. वही गुस्सा, वही अदा. सब कुछ वही है. आँखो की गहराई भी वही है. शूकर है उसने मेरी तरफ देखा तो. लगता है कभी माफ़ नही करेगी मुझे. ऐसी हसीना की नाराज़गी से तो मौत अच्छी"

रोहित राज शर्मा के पास आया और बोला, "अपने पास जो भी फोटोस थे क्रिमिनल्स के उनमे से कोई नही है साइको."

"सर अभी मैं एक बात सोच रहा था, बुरा ना माने तो बोलूं"

"बेझीजक कुछ भी बोलो यार. चौहान की तरह पागल नही हूँ मैं."

"ए एस पी साहिबा पर पोलीस महकमे की गोली चली थी. अगर अस्यूम करके चलें कि साइको एक पोलीस वाला है तो पीछले दिनो की कुछ बाते गौर की मैने"

"हां हां बोलते जाओ." रोहित ने कहा.

"एक पोलीस वाले पर शक है मुझे. वो है सब इनस्पेक्टर विजय."

"ऐसा कैसे कह सकते हो तुम. मैं जानता हूँ उसे. अच्छा बंदा है वो तो"

"देखिए सर जब मेरे दोस्त मोहित ने साइको का पेट चीर दिया था तभी से विजय छुट्टी पर चला गया. फोन किया उसने बस की मैं मुंबई शादी में जा रहा हूँ. पूरे 2 हफ्ते बाद लौटा वो ड्यूटी पर. फिर जब ए एस पी साहिबा पर गोली चली थी, तब भी वो गायब था. ये कुछ बाते हैं जो दर्साति हैं कि कुछ गड़बड़ है."

"मान-ना पड़ेगा दिमाग़ तेज चलता है तुम्हारा. यू विल बी वेरी सक्सेस्फुल इन पोलीस डेप्ट. मैं गौर कारूगा इस बात पर. आज ही खबर लेता हूँ विजय की."

"थॅंक यू सर. ये मेरा गेस है. मैं ग़लत भी हो सकता हूँ."

"इन्वेस्टिगेशन में गेस के सहारे ही आगे बढ़ना पड़ता है. जो गेस नही कर सकता वो इन्वेस्टिगेशन भी नही कर सकता. ख़ुसी हुई मुझे तुमसे मिल कर. मैं चलता हूँ अब. बी अलर्ट हियर ऑल दा टाइम."

रोहित अपनी जीप में बैठ कर वापिस चला गया.

"सर जो भी हो. ग़लत वक्त पर आए आप. पता नही कब हटेगा परदा ये अब. रोज रोज कहा पद्‍मिनी जी हमारी तरफ ऐसे देखती हैं. पता नही क्या बात है. "

मोहित भी टीवी पर साइको द्वारा बनाई गयी वीडियो देख कर परेशान हो गया.

"एक तो ये कमीना इतने वहान्सि तरीके से खून कर रहा है. उपर से ऐसी वीडियो बना कर मीडीया में भेज रहा है. बहुत भयानक खेल, खेल रहा है ये प्यचओ. काश मैं इसे उसी दिन मार डालता."

मोहित तैयार हो कर अपनी ड्यूटी के लिए निकल दिया. सुबह के 11 बज रहे थे. वो थोड़ा लेट हो गया था.

"लेट हो गया यार इस साइको के चक्कर में. जल्दी निकलता हूँ."

मोहित बाइक ले कर अपने ऑफीस की तरफ निकल देता है. रास्ते में कुछ ही दूरी पर एक बस स्टॉप पर उसे पूजा खड़ी दिखाई देती है. उसकी तो आँखे चमक जाती हैं पूजा को देख कर. रोक देता है बाइक पूजा के सामने. "कॉलेज जा रही हो? मैं भी उसी तरफ जा रहा हूँ. आओ बैठ जाओ छ्चोड़ दूँगा तुम्हे कॉलेज तक."

"अपना रास्ता देखो मिस्टर मोहित. पागल नही हूँ मैं जो कि तुम्हारे साथ जाउन्गि" पूजा ने कहा.

"तुम हसिनाओ की यही दिक्कत है. कभी प्यार की कदर नही करती. इतना कठोर दिल कहा से आया तुम्हारे पास. इतनी सुंदर हो कर इतनी कठोर बाते सोभा नही देती तुम्हे. हुसान को प्यार की ज़रूरत हमेशा रहती है. प्यार मिले तो उसे ठुकराना नही चाहिए. आ जाओ बैठ जाओ. कुछ बिगड़ नही जाएगा तुम्हारा मेरे साथ चलने से."

"गेट लॉस्ट, मुझे एक कदम भी नही चलना तुम्हारे साथ" पूजा ने गुस्से में कहा.

"आना पड़ेगा तुम्हे मेरी ही बाहों में एक दिन, देख लेना एक दिन तुम भी मेरे प्यार में तड़पोगी"

"ऐसा दिन आने से पहले मैं मर जाउन्गि. चले जाओ यहाँ से. मुझे परेशान मत करो."

"अच्छा एक ज़रूरी बात है, ध्यान से सुनो. साइको किल्लर और भी ज़्यादा दरिंदगी पर उतर आया है. बे केर्फुल ऑल दा टाइम. मुझे तुम्हारी चिंता रहती है."

"हे...हे...हे...मेरी चिंता. मैं सब समझ रही हूँ. तुम्हे मेरी नही अपनी चिंता है. अगर मैं मर गयी तो तुम किसके साथ हवस की प्यास बुझाओगे. मेरी चिंता मत करो मिस्टर मोहित. अपनी चिंता किया करो. तुम्हारा तो 2 बार सामना हो चुका है साइको से.तुम्हे मेरा शरीर चाहिए और कुछ नही."

"तुम तो देखने भी नही आई एक भी बार मुझे. हॉस्पियाल में जब भी कुछ आहट होती थी तो मैं इस उम्मीद में आँखे खोल कर देखता था कि कही तुम तो नही. पर तुम तो बड़ी निर्दयी निकली. एक बार भी नही आई तुम."

"क्यों आउ मैं तुम्हे देखने. क्या लगते हो तुम मेरे?"

"आशिक़ हूँ तुम्हारा. तुम मानो या ना मानो कुछ तो रिश्ता बनता ही है"

"तुम जाते हो कि नही या पोलीस को बुलाउ." पूजा ने गुस्से में कहा.

"जा रहा हूँ यार, मैं तो वैसे ही लेट हो रहा हूँ." मोहित ने कहा.

मोहित ने अपनी बाइक स्टार्ट कर दी और अपना सा मूह लेकर निकल गया आगे.

"अफ यार ये नही पटेगी. " मोहित ने कहा.

मोहित के जाने के बाद पूजा ने राहत की साँस ली. "ये बस कब आएगी. आधा घंटा हो गया खड़े हुए यहाँ." पूजा अकेली ही खड़ी थी बस स्टॉप पर और कोई नही था.

पूजा अंजान थी इस बात से कि एक नयी मुसीबत उसकी ओर बढ़ रही थी जिसका उसे अंदाज़ा भी नही था.

सब इनस्पेक्टर विजय पोलीस की जीप में उधर से गुजर रहा था. उसने पूजा को पहचान लिया, "अरे ये तो वही एस्कॉर्ट है जो उस दिन उस बंदे के साथ होटेल में थी. 50,000 वाली एस्कॉर्ट. टॉप क्लास रंडी."

विजय ने जीप पूजा के आगे रोक दी. "नाम भूल गया मैं तुम्हारा पर काम नही भुला. कौन से होटेल जा रही हो. रेट अभी भी 50,000 है या बढ़ा दिया. तेरे लिए 50,000 बहुत कम है वैसे. मुझे क्या मुझे तो फ्री में लेनी है तेरी. चल बैठ जा जीप में. बहुत दिन से ड्यू है तुम्हारी ठुकाई मेरे हाथो."

पूजा के चेहरे का तो रंग उड़ गया ये सब सुन कर. उसके पाँव काँपने लगे. उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे. वो भाग जाना चाहती थी वहाँ से पर उसके कदम ही नही हीले.

"सोच क्या रही है बैठ जल्दी. चल अपने घर ले चलता हूँ तुझे. खूब अच्छे से लूँगा तेरी."

"सर वो मेरा पहली और आखरी बार था. मुझे ब्लॅकमेल करके एस्कॉर्ट बन-ने पर मजबूर किया गया था."

"हर रंडी पकड़े जाने पे ऐसी ही कहानी सुनाती है. चुपचाप बैठ जा वरना प्रॉस्टिट्यूशन के केस में जैल में डाल दूँगा"

"सर प्लीज़." पूजा गिड़गिडाई

"अगर एक मिनिट के अंदर नही बैठी तो बाल पकड़ कर घसीट कर ले जाउन्गा" विजय कठोरता से बोला

पूजा बहुत डर गयी. डर स्वाभाविक भी था. वो काँपते कदमो से जीप में बैठ गयी. उसके पास इसके अलावा कोई चारा भी नही था.

विजय पूजा को लेकर चल पड़ा अपने घर की तरफ. "बीवी मायके गयी है मेरी. शाम तक लौटेगी. तब तक तू मेरे साथ मेरे घर पर रहेगी. छुट्टी ले लूँगा मैं ड्यूटी से. खूब चोदुन्गा तुझे सारा दिन."

पूजा कुछ नही बोल पाई बस दो आँसू टपक गये उसकी आँखो से.

विजय पूजा को अपने घर ले आया.

"सारे कपड़े उतार दे जल्दी से. मैं भी तो देखूं जो माल 50,000 में बिकता है वो कैसा दीखता है."

"आप समझते क्यों नही मैं एस्कॉर्ट नही हूँ. उस दिन ज़बरदस्ती भेजा गया था मुझे होटेल में."

विजय पर तो मानो कुछ असर ही नही हुआ. उसने पूजा को बाहों में भर लिया और उसके नितंबो को मसल्ने लगा. "क्या फरक पड़ता है. धंधा तो तूने किया ना. एक बार या सौ बार. धंधा तो धंधा है."

पूजा कुछ नही बोल पाई. खड़ी रही चुपचाप और पीसती रही विजय की बाहों में. बड़ी बेरहमी से मसल रहा था विजय पूजा के नितंबो को.

"मान-ना पड़ेगा. एक दम मखमली गान्ड है तेरी. 50,000 तो केवल इसी के दे देते होंगे लोग तुझे. क्यों सच कह रहा हूँ ना मैं."

पूजा ने कुछ भी कहना सही नही समझा. वो कुछ कह भी नही सकती थी. बस आँखे बंद किए चुपचाप अपने शरीर से खिलवाड़ होते देखती रही.

विजय ने उसके सारे कपड़े निकाल दिए और पटक दिया उसे बिस्तर पर. वो खुद भी नंगा हो कर पूजा के उपर आ गया. पूजा तो एक जींदा लाश की तरह हो गयी. विजय ने उसकी टांगे अपने कंधे पर रखी और समा गया उसके अंदर.

जब विजय पूजा के अंदर समाया तो उसकी आँखे छलक गयी और उसने मन ही मन सोचा,"प्यार किया था मैने. सच्चा प्यार. क्या ग़लती थी मेरी मेरे भगवान जो प्यार में मुझे इतना बड़ा धोका मिला. प्यार ने मुझे वेश्या बना दिया. नही जी पाउन्गि अब मैं. पहले चौहान और परवीन ने एक साथ मेरी इज़्ज़त की धज़िया उड़ाई. अब ये उड़ा रहा है. प्यार ऐसे दिन दिखाएगा सोचा नही था मैने. बस ये आखरी बार है. ये सब सहने के लिए मैं जींदा नही रहूंगी अब."

विजय तो पागलो की तरह अपने काम में लीन था. तूफान मच्चा रखा था उसने पूजा की योनि के अंदर. मगर पूजा कुछ भी महसूस नही कर रही थी. बहुत व्यथीत थी आज. चौहान और परवीन के साथ तो वो फिर भी संभोग के आनंद में खो गयी थी. जिसका उसे बाद में अफ़सोस भी रहा. मगर आज वो कुछ भी महसूस नही कर रही थी. शायद ये बात उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी कि उसकी जिंदगी कहा से कहा पहुँच गयी. चौहान और परवीन के साथ तो वो अंजाने में ही खो गयी थी, बहक गयी थी...मगर आज ऐसा कुछ नही हो रहा था. आँसू पे आँसू टपक रहे थे उसकी आँखो से.

क्रमशः.........................
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01-01-2019, 12:27 PM,
#67
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 62

गतान्क से आगे...........

मगर कब तक बचती वो लिंग के घर्सन से. देर से ही सही कमरे में उसकी शिसकियाँ गूंजने लगी. ये बात और थी कि उसकी शिसकियों में आनंद के साथ साथ शरम और ग्लानि भी मौजूद थी. पूजा की शिसकियाँ उसकी व्यतीत मनोस्थिति को बखूबी दर्साति थी. मगर विजय को तो लग रहा था कि वो आनंद के सागर में गोते लगा रही है.

आनंद था योनि में लिंग के घर्षण का. शरम और ग्लानि थी इस बात की, की उसकी योनि में घर्षण करने वाला उसका प्रेमी नही था बल्कि वो इंसान था जो की उसे वैश्या समझता था और वैश्या के ही नाते उस पर चढ़ा हुआ था.

"अब कुछ नही बचा...सब ख़तम हो गया...आआहह"

"क्या कहा तूने, मुझे डिस्टर्ब मत कर आराम से फक्किंग करने दे"

पूजा ने कुछ नही कहा. हां उसकी 2 अहसासो में डूबी शिसकिया बरकरार रही.

तीन बार सहना पड़ा उसे विजय की हवस को. 6 बजे फ्री किया विजय ने पूजा को. विजय ने पूजा को अपने घर से थोड़ी दूर एक मार्केट में छ्चोड़ दिया. "अगले हफ्ते मेरे 2 दोस्त आ रहें हैं देल्ही से. मिल कर एंजाय करेंगे तेरे साथ."

पूजा ने कुछ नही कहा और मुरझाया चेहरा ले कर लड़खड़ाते कदमो से चल पड़ी. घर नही जाना चाहती थी वो अब. मर जाना चाहती थी कही जाकर. एक कार ने तो उसे उड़ा ही दिया होता. शूकर है वक्त पर ब्रेक लग गयी. "पागल हो गयी हो तुम. मरना है तो कही और जा कर मरो." कार वाला चिल्लाया. सड़क पार कर रही थी पूजा बिना सोचे समझे. ध्यान ही नही था उसका कार पर. वो तो बस चले जा रही थी. शायद वो कही जा कर मार ही जाती. पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.

मोहित गुजर रहा था वहाँ से. उसने पूजा को ऐसी हालत में गुमशुम भटकते देख लिया.

"पूजा कहाँ जा रही हो. देख कर भी नही चल रही. ठीक तो हो."

"ओह मोहित...बहुत अच्छे वक्त पे आए तुम, देखो मेरा तमासा तुम भी."

"क्या बोल रही हो. चलो बैठो तुम्हे घर छ्चोड़ देता हूँ."

"नही घर नही जाउन्गि आज. तुम जाओ."

मोहित को पूजा का ऐसा बर्ताव बहुत अजीब लग रहा था.

"बात क्या है पूजा, कुछ बदली बदली सी लग रही हो."

"हे...हे...बदली बदली और मैं. जिंदगी है चलता है सब. मैं घर नही जाउन्गि."

"बैठो तो सही...जहा कहोगी वहाँ ले चलूँगा." मोहित ने कहा.

"ओह हां एक काम करते हैं, तुम्हारे घर चलें." पूजा ने कहा.

"चलो चलने में कोई बुराई नही है...आओ." मोहित ने कहा.

"लेकिन मैं अपने घर नही जाउन्गि पहले ही बता देती हूँ."

"बैठो तो सही...फिर देखते है." मोहित ने कहा.

"नही जाना है मुझे घर जान लो तुम." पूजा बोलते हुए बैठ गयी मोहित की बाइक पर.

पूजा कुछ नही बोली बाद में. मोहित ने भी कुछ नही कहा. ले आया मोहित पूजा को अपने घर.

"कुण्डी लगा दो मोहित." पूजा ने कहा.

मोहित तो कुछ भी नही समझ पा रहा था. कुण्डी लगा कर वो पूजा के पास आया जो की बिस्तर के पास खड़ी थी. पूजा ने मोहित की आँखो में देखा और अपना टॉप उतार दिया.

"ये क्या कर रही हो."

"अपने आशिक़ को तोहफा देना चाहती हूँ." पूजा ने कहा और अपनी ब्रा उतार कर फेंक दी. अब उसके उभार मोहित की नज़रो के सामने थे.

"तुम ये सब क्यों कर रही हो पूजा."

पूजा कुछ नही बोली और झट से अपनी जीन्स और पॅंटी भी उतार दी. अब वो मोहित के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी. मोहित तो देखता ही रह गया उसके नागन शरीर को. इतनी सुंदर बॉडी आज तक नही देखी थी उसने.

"पूजा मेरी कुछ समझ में नही आ रहा. क्यों कर रही हो तुम ये सब. तुम बहुत अजीब बिहेव कर रही हो."

पूजा मोहित से लिपट गयी और बोली, "जल्दी से प्यास भुजा लो अपनी. फिर कभी नही मिलूंगी तुम्हे."

मोहित तो अजीब उलझन में फँस गया था. ना चाहते हुए भी उसका लिंग उत्तेजित हो गया था. पूजा को वो अपनी योनि पर महसूस हुआ. वो बैठ गयी मोहित के आगे और मोहित की ज़िप खोल कर उसके लिंग को बाहर निकाल लिया.

"ये सच में बड़ा है मोहित. रियली इट्स आ नाइस डिक."

मोहित तो भड़क ही उठा और पूजा को गोदी में उठाया और लेटा दिया बिस्तर पर. इतना उत्तेजित हो रहा था वो कि तुरंत समा जाना चाहता था पूजा के अंदर.

उसने अपने लिंग को पकड़ा और दो उंगलियों से पूजा की योनि की पंखुड़ियों को फैला कर उस पर लिंग टिकाने लगा. मगर तभी उसकी नज़र योनि के आस पास सफेद सी चीज़ पर गयी. उसने गौर से देखा तो उसे समझते देर नही लगी की वो वीर्य की बूंदे थी जो की शूख गयी थी.

मोहित ने पूजा के चेहरे पे हाथ रखा और बोला, "पूजा बताओगि कि क्या हुआ है तुम्हारे साथ."

"क्या फरक पड़ता है उस से. तुम्हारे पास टाइम कम है. अपनी प्यास बुझा लो जल्दी से. बाद में मोका नही मिलेगा तुम्हे."

"तुम यकीन करो या ना करो प्यार करता हूँ तुम्हे मैं. प्लीज़ बताओ क्या हुआ तुम्हारे साथ. कौन था वो बताओ मैं उसे जींदा नही छोड़ूँगा."

"हे...हे...हे...प्यार का नाम मत लो. प्यार ने तो मुझे रंडी बना दिया. जिसका मन होता है चढ़ जाता है मुझ पे. किसी का कसूर नही है. सब प्यार का ही दोष है. आओ ना तुम भी चढ़ जाओ भरपूर मज़ा दूँगी तुम्हे."

सुना नही गया मोहित से ये सब और उसने थप्पड़ जड़ दिया पूजा के गाल पर, "कपड़े पहनो अपने और घर जाओ अपने. मेरा प्यार ऐसा नही है जैसा तुम समझ रही हो."

मोहित बिस्तर से उतर गया. पूजा फूट -फूट कर रोने लगी. वो उठी और अपने कपड़े पहन लिए.

"मैं तुम्हे घर छोड़ आता हूँ"

"नही चली जाउन्गि खुद ही." पूजा सूबक रही थी. सुबक्ते सुबक्ते निकल गयी घर से. मोहित पीछे पीछे गया उसके ये देखने की वो घर ही जा रही है या कही और.

पूजा अपने घर आ कर बिस्तर पर गिर गयी और फूट फूट कर रोने लगी.

नगमा ने तुरंत आकर पूछा, "क्या बात है पूजा...रो क्यों रही हो"

"मुझे अकेला छ्चोड़ दो दीदी...प्लीज़." पूजा रोते हुए बोली.

मोहित भी वापिस आकर बिस्तर पर सर पकड़ कर बैठ गया. बहुत दुखी था पूजा के लिए. प्यार जो करता था उसे.

परेशान था मोहित. बहुत ही परेशान. इतना परेशान कि उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे और क्या ना करे. कुछ करना चाहता था वो पूजा के लिए. सोच रहा था वो बार बार कि क्या किया जाए. इसी उधेड़बुन में वो उठा और अपने कमरे का ताला लगा कर पूजा के घर की तरफ चल दिया. जब वो पूजा के घर पहुँचा तो घर का दरवाजा बंद था. उसने दरवाजा खड़काया. नगमा ने दरवाजा खोला.

"मोहित तुम! यहाँ कैसे?" नगमा ने पूछा.

"पूजा से बात करनी है मुझे, क्या मैं मिल सकता हूँ उस से"

"पूजा से बात! पूजा से तुम्हे क्या लेना देना?" नगमा हैरानी में पड़ गयी.

"मैं बहुत परेशान हूँ पहले ही, और परेशान मत करो. प्लीज़ मुझे पूजा से मिलने दो."

"तो क्या जिसे तुम प्यार करते हो वो पूजा है?" नगमा ने पूछा.

"हां"

नगमा ने गर्दन पकड़ ली मोहित की और बोली, "क्या किया तुमने मेरी बहन के साथ. जब से आई है वो रो रही है."

"काश वो मेरे कारण रो रही होती. बात कुछ और ही है. प्लीज़ मुझे मिलने दो उस से वरना मैं मर जाउन्गा." मोहित ने भावुक हो कर कहा.

"ठीक है...ठीक है, आ जाओ अंदर." नगमा ने कहा.

मोहित अंदर आ गया. नगमा उसे पूजा के पास ले आई. पूजा पेट के बाल हाथो में चेहरा छुपाए लेटी हुई थी.

"नगमा मैं अकेले में बात करना चाहता हूँ. प्लीज़ थोड़ी देर के लिए....." मोहित ने कहा.

नगमा बिना कुछ कहे वहाँ से चली गयी.

मोहित पूजा के पास बैठ गया और उसके सर पर हाथ रख कर बोला," पूजा आइ लव यू. बात करना चाहता हूँ तुमसे कुछ."

"मोहित प्लीज़ चले जाओ. मैं बात करने की हालत में नही हूँ." पूजा सुबक्ते हुए बोली.

मोहित वहाँ से उठ कर पूजा के पैरो पर सर रख कर बैठ गया और बोला, "मुझसे कोई भूल हुई हो तो मुझे माफ़ कर दो. हां शुरू शुरू में मैने तुम्हे बस एक शरीर समझा. पाना चाहता था तुम्हे. मगर कब प्यार की भावना जाग गयी मुझे भी नही पता. शायद हवस शामिल है इस प्यार में मेरे. माफी चाहता हूँ उसके लिए. तुम मुझे बदले में प्यार बेशक मत दो. लायक भी नही हूँ तुम्हारे प्यार के मैं. मगर प्लीज़ एक बार बता दो कि क्या हुआ तुम्हारे साथ और किसने किया. मैं बहुत बेचैन हूँ पूजा. जब तक नही बताओगि मैं तड़प्ता रहूँगा. प्लीज़ बताओ मुझे कौन है इन आँसुओ का कारण."

"क्यों जान-ना चाहते हो तुम. क्या करोगे जान कर. कुछ बदल नही जाएगा तुम्हे बता कर. प्लीज़ मुझे अकेला छोड़ दो."

"मैं मर जाउन्गा पूजा. नही देख सकता हूँ तुम्हे ऐसी हालत में. जब तक बताओगि नही जाउन्गा नही मैं यहाँ से."

पूजा उठ कर बैठ गयी और अपने पाँव सिकोड कर घुटनो पर सर टिका कर बोली, "कौन हो तुम मेरे जिसे सब बताउ मैं."

"प्यार करता हूँ तुम्हे मैं. इतना रिश्ता काफ़ी होना चाहिए."

"ठीक है सुनो फिर..............

कविता ने मिलाया था मुझे विक्की से. बहुत प्यार से देखता था मेरी तरफ वो. अच्छा दोस्त बन गया मेरा वो. धीरे धीरे मैं उसे चाहने लगी. मुझे नही पता था कि उसका मुझसे मिलना, दोस्ती और फिर प्यार सब एक साजिस का हिस्सा था. ये बात मुझे अब समझ आई. काश पहले समझ जाती. खूब प्यार का नाटक किया विक्की ने मेरे साथ. प्यार में पागल हो कर सब कुछ न्योछावर कर दिया मैने विक्की पर. पर मुझे क्या पता था की मेरे प्यार की वीडियो बनाई जा रही है. बहुत धक्का लगा दिल को मेरे. फिर ब्लॅकमेलिंग का गंदा खेल शुरू हुआ. मुझसे कहा गया कि तुम एक एस्कॉर्ट बन जाओ वरना ये वीडियो इंटरनेट पर डाल देंगे. बहुत विचलित रही मैं इन बातो के कारण. प्यार में ऐसा होगा सोचा नही था मैने. बहुत रेज़िस्ट किया मैने पर एक दिन मुझे एस्कॉर्ट बन कर जाना ही पड़ा............

..............................

.................................फार्म हाउस पर मेरी इज़्ज़त की वो धज्जिया उड़ाई चौहान और परवीन ने कि मैं कुछ कह नही सकती. दुख की बात ये है कि थोड़ा थोड़ा तो मैने भी एंजाय किया. यही मेरी चिंता का कारण है. बीखर गया है चरित्र मेरा. शायद मैं सच में वैश्या बन गयी हूँ."

"प्लीज़ ऐसा मत कहो. आज क्या हुआ वो बताओ."

"आज जब तुम गये तो एक पोलीस वाला आ गया वहाँ. उसने मुझे पहचान लिया. ज़बरदस्ती घर ले गया मुझे वो और.......................बस कह नही पाउन्गि."

"क्या नाम है उसका?" मोहित ने पूछा.

"उसका नाम नही पता बस इतना पता है कि वो पोलीस वाला है."

"कोई और पहचान उसकी."

"क्या करोगे जान कर?"

"वैसे ही पूछ रहा हूँ, क्या कुछ और बता सकती हो उसके बारे में."

"और तो कुछ नही पता. ओह हां पेट पर अजीब सा निसान था उसके."

"कैसा निसान?" मोहित का माता ठनका.

"लंबा सा निसान था. ज़्यादा गौर नही दिया मैने. क्या करना उस से तुम्हे... छोड़ो."

"घर की लोकेशन बता सकती हो."

पूजा ने विजय के घर में घुसते वक्त हाउस नंबर देखा था. उसने मोहित को लेकेशन और हाउस नंबर बता दिया.

"वो तो बबलू के साथ वाला घर है. इसका मतलब विजय सरिता का हज़्बेंड है." मोहित ने सोचा.

"थॅंक यू पूजा तुमने मुझे इतना कुछ बताया. आराम करो तुम अब." मोहित ने कहा.

"तुम ये सब क्यों जान-ना चाहते थे."

"ताकि तुम्हारा मन हल्का हो जाए बता कर. आराम करो तुम अब. मैं चलता हूँ." मोहित जल्दी में लग रहा था.

पूजा बैठी रही घुटनो पर सर टिकाए. मोहित ने उसके सर पर हाथ रखा और बोला, "सब ठीक हो जाएगा तुम चिंता मत करो." मोहित आ गया बाहर.

मोहित जैसे ही उस कमरे से बाहर निकला उसने नगमा को वहाँ खड़े पाया. नगमा की आँखो में आँसू थे. उसने पूजा की सारी बाते सुन ली थी. मोहित ने नगमा को गले लगाया और बोला, "न्याय होगा पूजा के साथ." और बाहर आ गया.

..............................................................

विक्की ने एक नयी लड़की फँसाई थी और उसे बर्बाद करने की तैयारी में था. धोके से उसे नासीली चीज़ खिला कर उसके साथ अपना मूह काला करने की तैयारी में था. कॅमरा सेट कर रखा था उसने. कपड़े उतार कर नंगा कर रखा था उसे और उसके अंगो से खेल रहा था.

"नशा अच्छा शॉर्टकट है हे....हे...हे. ऐसे कभी नही मानती ये." विक्की लड़की के उभारो को चूस रहा था और लड़की नशे की हालत में शिसकियाँ भर रही थी. कॅमरा में सब कुछ रेकॉर्ड हो रहा था.

"ले चूस ये लंड साली और अच्छा पोज़ दे....हे...हे...हे."

लड़की नशे की हालत में कुछ नही समझ पा रही थी. मूह खोला उसने और विक्की के लिंग को मूह में ले लिया. बहुत देर तक सक करवाया विक्की ने. फिर उसने उसकी टांगे फैलाई और समा गया लड़की में.

"आआअहह."

"जबरदस्त एस्कॉर्ट बनेगी तू. क्या एंट्री दी है मेरे लंड को."

और नशे में लड़की का बलात्कार जारी रहा.........

विक्की बेख़बर था कि उसके घर में एक नकाब पोश घुस्स गया है. वो अपने पाप में लिप्त था. नकाब पोश उसके पास आ कर खड़ा हो गया और उसे खबर भी नही हुई. नकाब पोश ने खींच लिया उसे लड़की के उपर से और ज़मीन पर पटक दिया.

"बेटा ये सब ठीक नही है." नकाब पोश ने कहा.

"क...कौन हो तुम और यहाँ क्या कर रहे हो?" विक्की घबरा गया.

"नाम में क्या रखा है, काम देखो मेरा." और टूट पड़ा नकाब पॉश विक्की पर. इतने वार हुए चाकू के कि कमरे का पूरा फार्स लाल हो गया. लड़की नशे में थी. उसे तो पता ही नही चला कि क्या हुआ.

.........................................................

परवीन फार्म हाउस पर था. 2 कॉल गर्ल्स बुला रखी थी उसने. बैठा हुआ था सोफे पर और दोनो लड़कियाँ उसका लिंग चूस रही थी.

"एक से बढ़ कर एक हो तुम दोनो क्या बात है. पहले क्यों नही मिली मुझे. कॉलेज गर्ल्स मुझे बहुत पसंद है. अब मिलते रहना."

"आप जेब ढीली करते रहना हम मिलते रहेंगे." एक लड़की ने कहा.

"पैसो की चिंता मत करो. मुझे खुस रखो बस. सब कुछ लूटा दूँगा तुम दोनो पर. चलो अब ऐसी पोज़िशन बनाओ कि मैं दोनो की एक साथ ले सकूँ."

एक लड़की पीठ के बाल बिस्तर पर लेट गयी. दूसरी भी उसके उपर पीठ के बल लेट गयी. दोनो लड़कियों की योनि एक दूसरे के उपर थी.

"वाह क्या पोज़िशन लगाई है"

परवीन ने पहले नीचे वाली की चूत में लंड डाल दिया.

"आआहह...यस."

बस 2 धक्के मार के उसने लंड बाहर खींच लिया और उपर वाली चूत में लंड डाल दिया.

"आआहह...वाउ यू आर फॅंटॅस्टिक." परवीन ने कहा.

इस तरह एक साथ परवीन 2 लड़कियों से मज़े ले रहा था. उसे अंदाज़ा भी नही था की एक नकाब पोश फार्म हाउस में घुस्स आया है और उसकी तरफ बढ़ रहा है.

"अब तुम दोनो की गान्ड भी एक साथ मारूँगा."

पहले परवीन ने उपर वाली लड़की की गान्ड में लंड डाल दिया और चार-पाँच धक्के लगा कर नीचे वाली लड़की की गान्ड में लंड घुसा दिया.
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01-01-2019, 12:27 PM,
#68
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 63

गतान्क से आगे...........

"वाह भाई वाह एक साथ दोनो का मज़ा. बहुत खूब."

परवीन चोंक गया और पीछे मूड कर देखा. एक नकाब पोश खड़ा था पीछे.

"कौन हो तुम? ये नकाब उतार कर बात करो." परवीन ने नीचे वाली लड़की की गान्ड से लंड बाहर खींच लिया.

"मेरे नाम, और पहचान में क्या रखा है. तुम मेरा काम देखो." नकाब पोश ने एक तेज धार चाकू निकाल लिया.

परवीन के तो होश उड़ गये. लड़कियाँ भी डर गयी. उन्होने फटाफट कपड़े पहने और रफू चक्कर हो गयी वहाँ से.

"क्या चाहते हो तुम मुझसे." परवीन डरता हुआ बोला.

"मुझे कुछ नही चाहिए. इस चाकू से बात करो. ये तुम्हारे खून का प्यासा है."

परवीन ये सुनते ही भागा मगर जल्द ही नकाब पोश ने उसे दबोच लिया. और फिर चाकू की बोछार हो गयी परवीन पर. खून की नादिया बह गयी वहाँ. तड़प-तड़प कर दम तौड दिया परवीन ने.

..............................

...............................

रोहित विक्की के घर से फार्म हाउस पहुँचा.

"यहाँ भी खून की नादिया बह रही है. सर क्या ये दोनो खून साइको ने ही किए हैं." भोलू ने पूछा.

"और कौन कर सकता है. इतनी दरिंदगी सिर्फ़ वही कर सकता है" रोहित ने कहा.

"हां सर, दरिन्दा है ये साइको, इंसान नही है" भोलू ने कहा.

"इस लाश को भी पोस्ट मॉर्टेम के लिए भेज दो." रोहित ने भोलू से कहा.

"जी सर."

रोहित फार्म हाउस से सीधा थाने पहुँचता है और ए एस पी साहिबा से मिलता है. वो शालिनी को क्राइम सीन की डीटेल्स बताता है.

“क्या ये साइको का ही काम है?” शालिनी ने पूछा.

“प्रीमा फेसी तो यही लगता है. दोनो लोगो के शरीर पर बड़ी बेरहमी से वार हुए हैं चाकू के. बाकी पोस्ट-मॉर्टेम में पता चलेगा.”

“एसपी साहिब आ रहे हैं आज यहाँ, और हमारे पास फिर से कुछ भी दिखाने को नही है. तुम भी ये केस हॅंडल नही कर पा रहे हो.”

“सॉरी तो से मेडम, पर मुझे दिन ही कितने हुए हैं अभी. मुझे थोडा वक्त और दीजिए.” रोहित ने कहा.

“वक्त ही नही है हमारे पास. एसपी साहिब आएँगे तो बताओ क्या बोलूं मैं उन्हे.”

तभी शालिनी के कमरे में पीयान आया, “मेडम एसपी साहिब आए हैं.”

शालिनी फ़ौरन खड़ी हुई और कॅबिन से बाहर आई. रोहित भी उसी के साथ बाहर आ गया.

“ह्म्म, ए एस पी साहिबा क्या चल रहा है. पूरे शहर को मरवा देंगी क्या आप. कब पकड़ा जाएगा ये साइको.” एसपी ने कहा.

“हम पूरी कोशिस कर रहें हैं सर.”

“कोशिस कर रहें हैं. कैसी कोशिस है ये जिसका कोई नतीजा नही निकलता. एंपी की बेटी भी मार डाली उस दरिंदे ने. सारी डाँट मुझे खानी पड़ती है. कोई आल्टर्नेटिव नही है वरना तुम्हे उठा कर बाहर फेंक देता.” एसपी ने बड़े कठोर शब्दो में कहा.

शालिनी चुपचाप खड़ी रही. अहसास था उसे भी कि एसपी साहिब पर भी दबाव है वरना वो ऐसी बाते नही करते. उसने कुछ भी कहना सही नही समझा.

“मैं बस यही कहने आया था कि डू वॉटेवर यू कॅन. मुझे जल्द से जल्द वो साइको सलाखो के पीछे चाहिए.” एसपी ने कहा और चला गया.

शालिनी ने राहत की साँस ली और वापिस अपने कॅबिन में आ गयी. रोहित भी उसके पीछे-पीछे कॅबिन में आ गया.

“सुना तुमने रोहित. अब जाओ और कुछ करो. वरना एसपी साहिब मुझे बाहर फेंके या ना फेंके मैं तुम्हे ज़रूर फेंक दूँगी बाहर.” शालिनी ने कठोर शब्दो में कहा.

रोहित गहरी साँस लेकर बाहर आ गया. उसके माथे पर पसीने थे.

“कुछ भी हो बात घूम फिर कर मेरे सर पर ही आनी है. ये केस मैं जो हॅंडल कर रहा हूँ. उफ्फ मेडम जब डाँट-ती हैं तो जान निकाल देती हैं. कुछ करना होगा अब. ये स्कॉर्पियो कार के बारे में पता करता हूँ. ”

रोहित निकल पड़ा ब्लॅक स्कॉर्पियो कार की जाँच पड़ताल में. उसने एजेन्सी से सभी ओनर्स की लिस्ट निकलवाई. बाहर में ब्लॅक स्कॉर्पियो केवल 4 लोगो के पास थी. एक स्कॉर्पियो का ओनर था गुआराव मेहरा, वो एक बिज़्नेसमॅन था और बाहर में उसका काफ़ी नाम था. एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आर्मी के कर्नल देवेंदर के पास थी. एक ब्लॅक स्कॉर्पियो एक लेडी के नाम थी, नाम था सिमरन. वो इcइcइ बॅंक में काम करती थी. सबसे ख़ास बात ये थी की एक ब्लॅक स्कॉर्पियो सब-इनपेक्टोर विजय के नाम भी थी.

“ विजय के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो राज शर्मा का शक सही है शायद. इस विजय पर नज़र रखनी पड़ेगी.” रोहित ने सोचा और एजेन्सी से वापिस थाने की तरफ चल दिया.

……………………………………………………………………………………………………………………

पद्‍मिनी की तबीयत खराब हो गयी थी अचानक. बहुत तेज टेंप्रेचर था. पड़ी हुई थी बिस्तर पर. डॉक्टर को बुलाया गया था घर पर ही. क्योंकि पद्‍मिनी के डेडी पद्‍मिनी को डॉक्टर के पास नही ले जाना चाहते थे. उन्हे साइको का डर जो था.

पद्‍मिनी के दर्शन मुस्किल हो गये राज शर्मा के लिए. आखरी बार तब ही देखा था उसने पद्‍मिनी को जब इनस्पेक्टर रोहित पांडे ने आकर अपनी टाँग अड़ा दी थी . देखता रहता था बार-बार खिड़की की तरफ पर हमेशा निराशा ही हाथ लगती थी. राज शर्मा ने काई बार सोचा की जाकर तबीयत पूछ आए मगर उसकी हिम्मत नही हुई. उसे डर था की कही पद्‍मिनी बुरा मान जाए. इसलिए नही गया पूछने कुछ भी.

पद्‍मिनी मेडिसिन ले कर लेती हुई थी. खोई हुई थी किन्ही ख़यालो में. रोहित से बड़े दिनो बाद मिली थी वो इसलिए कॉलेज के दिन याद आ गये थे उसे. बार बार सोच रही थी उन दिनो को पद्‍मिनी.

“तुम अपनी शकल ना ही दिखाते मुझे तो अच्छा था. मैं तुमसे बात क्यों करूगी. दुबारा सामने मत आना मेरे. दगाबाज हो तुम.” पद्‍मिनी ने रोहित के लिए कहा.

……………………………………………………

रोहित एजेन्सी से ब्लॅक स्कॉर्पियो के ओनर्स की लिस्ट ले कर थाने की तरफ बढ़ रहा था. वो कॉलेज के सामने से निकला तो अचानक एक लड़की पर नज़र पड़ी उसकी.

“ये तो रीमा है, मिलता हूँ इस से. ट्रेन की मुलाकात के बाद बात ही नही हुई इस से.” रोहित ने सोचा.

रोहित ने जीप रोक दी कॉलेज के बाहर और रीमा को आवाज़ दी. वो अकेली ही निकल रही थी कॉलेज से. रोहित को देख कर चोंक गयी. रोहित के पास आई और बोली, “तुम पोलीस की जीप में क्या कर रहे हो.”

“तुम्हारे निक्कम्मे भैया की तरह मैं भी पोलीस वाला हूँ.”

“मेरे भैया को निकम्मा मत कहो. दिन रात ड्यूटी करते हैं वो.”

“वो तो है चलो छोड़ो…और बताओ कैसी हो. ट्रेन की उस मुलाकात के बाद तो आपने याद ही नही किया मुझे.”

“ठीक हूँ मैं. वक्त ही नही मिला. वैसे भी आपने कौन सा नंबर या पता दिया था अपना जो याद करती.”

“ऐसा है क्या, ठीक है आज अपना अड्रेस और नंबर दे देता हूँ. पर मेरे घर पर जगह नही रहती. मेरे पेरेंट्स साथ रहते हैं. एक छोटी बहन भी है ज्योति. वहाँ काम-क्रीड़ा नही की जा सकती.”

“भैया अक्सर बाहर रहते हैं मेरे. घर पर अकेली ही रहती हूँ अक्सर. आज भी अकेली हूँ. भैया देल्ही गये हुए हैं. अभी घर ही जा रही हूँ.”

“यार अभी कैसे मुमकिन होगा…मैं इस साइको के केस में उलझा हुआ हूँ.”

“पहले छोटी सी भूल में उलझे हुए थे अब साइको के केस में उलझ गये.”

“क्या करू अपनी लाइफ ही कुछ ऐसी है. पढ़ रहा हूँ छोटी सी भूल भी धीरे-धीरे टाइम की कमी रहती है.”

“मैं चलूं फिर. आपके पास तो वक्त ही नही है.” रीमा ने कहा.

रोहित ने रीमा की तरफ देखा. रीमा के होंठो पर एक सेडक्टिव मुस्कान थी.

“ऐसे मत देखिए मेरी नौकरी दिक्कत में पड़ जाएगी. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ मैं.”

“मैने तो कुछ नही कहा आपसे. जनाब आप चलिए…हमें देर हो रही है.” रीमा ने मुस्कुराते हुए कहा.

“उफ्फ आप नही मानेंगी…लगता है फिर से रेल बनानी पड़ेगी आपकी. आओ बैठो आपके घर चलते हैं.” रोहित ने कहा.

“ना बाबा ना, मुझे अपनी रेल नही बनवानी है. मैं तो मज़ाक कर रही थी. मुझे कही नही जाना आपके साथ.” रीमा ने शरारती अंदाज़ में कहा.

“उफ्फ क्या अदा है आपकी. देखिए अब तो रेल बनके रहेगी आपकी. आप अब हमसे बच नही सकती. एक बार लंड हरकत में आ जाए हमारा तो हम पीछे नही हट-ते. आपने लंड खड़ा कर दिया हमारा. अब ये आपकी रेल बना कर ही बैठेगा.”

“कैसी बात करते हैं आप आपको शरम नही आती.” रीमा शर्मा कर बोली.

“उफ्फ शरमाती भी हैं आप तो. गुड…मज़ा आएगा अब. चलो बैठो जल्दी. काम-क्रीड़ा का ऐसा रूप दिखाउन्गा आपको आज कि सब कुछ भूल जाओगी.”

“आपके इरादे नेक नही लगते, आपके साथ नही जाउन्गि मैं.” रीमा ने कहा.

“अब बैठिए भी. हम तड़प रहें है और आप समझ नही रही.”

रीमा मुस्कुराते हुए जीप में बैठ जाती है. “वैसे मुझे आपसे डर लग रहा है…मगर फिर भी चल रही हूँ आपके साथ. ज़्यादा परेशान मत करना मुझे.”

“रीमा जी परेशानी में ही तो मज़ा आता है. कैसी बात करती हैं आप भी. जो परेशानी मैं दूँगा आपको वो आप जिंदगी भर याद रखेंगी.” रोहित ने रीमा की तरफ देख कर कहा.

रीमा कुछ नही बोली. बस अपने निचले होन्ट को दांतो तले दबा कर हल्का सा मुस्कुरा दी.

“उफ्फ आज तो आप शितम ढा रही हैं. रेल में कहाँ छुपा रखी थी ये जालिम अदायें आपने. मेरे लंड में तूफान खड़ा कर दिया आपने.” रोहित ने फिर से रीमा की तरफ देख कर कहा.

“सामने देख कर चलिए कही आक्सिडेंट ना हो जाए.” रीमा ने कहा.

“आक्सिडेंट तो हो ही चुका है आपके साथ. बस अब जान जानी बाकी है. घर पहुँच कर इन जालिम अदाओं से वो भी निकाल देना. उफ्फ यू आर टू हॉट”

“रहने दीजिए हर लड़की को यही बोलते होंगे आप.”

“जिसमे जो दिखता है वही बोलता हूँ मैं. आपमे जो दिखा बोल दिया. आपका घर कब आएगा?”

“बस पहुँच गये हम. अगले वाली गली से अंदर मोड़ लीजिए.”

घर में पहुँचते ही रोहित ने रीमा को बाहों में भर लिया.

“रुकिये चाय पानी तो पी लीजिए, पहली बार घर आए हैं हमारे.”

“आपके हुश्न का रस पीना है मुझे. चाय पानी मज़ा खराब करेगा.”

“आप तो बहुत बेचैन हो रहे हैं.”

“क्या आप नही हैं?”

“बिल्कुल भी नही…मुझे तो ऐसा कुछ नही हो रहा.”

“अच्छा अभी आपकी चूत में उंगली डाल कर देखता हूँ. सब क्लियर हो जाएगा. खोलिए नाडा अपना.”

“पागल नही हूँ मैं जो एक दम से नाडा खोल दूँगी अपना. क्या समझते हैं आप खुद को.” रीमा मुस्कुराते हुए बोली.

“उफ्फ अब कब तक बिजली गिराएँगी आप. चलिए आपके बेड रूम में चलते हैं.”

रोहित ने रीमा को अपनी गोदी में उठा लिया और बोला, “कहा है बेडरूम आपका. आज आपके खुद के बेडरूम में रेल बनाता हूँ आपकी.”

“ढूँढ लीजिए खुद ही. मैं आपका साथ क्यों दूं आपके मकसद में.”

“क्योंकि आपको भी अपनी रेल बनवानी है इसलिए.”

“मुझे कोई रेल नही बनवानी छोड़िए मुझे.”

रोहित ने रीमा का कमरा ढूँढ ही लिया. और उसे लाकर बिस्तर पर लेटा दिया और टूट पड़ा उस पर. उसने रीमा के होंठो को जाकड़ लिया होंठो में और दोनो के बीच बहुत ही गहरी किस हुई. किस करते करते ही रोहित ने अपने दोनो हाथ नीचे बढ़ाए और रीमा का नाडा खोल दिया. नाडा खुलते ही उसने पनटी में हाथ डाल कर रीमा की चूत में उंगली डाल दी.

“मुझसे भी ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो तुम तो. इतनी गीली चूत नही देखी मैने आज तक. अफ मज़ा आएगा आज बहुत.” रोहित ने कहा और रीमा के सारे कपड़े उतारने लगा.

जब रीमा पूरी तरह निर्वस्त्र हो गयी तो रोहित तो देखता ही रह गया, “रेल में नही देख पाया था ये मदहोश जवानी आपकी. आपका शरीर तो बहुत सुंदर है. कमर का कटाव उफ्फ…जालिम है जालिम. इन उभारो का तो क्या कहना. मॅग्निफिसेंट टिट्स इनडीड. तोड़ा सा घूमिएे आपकी गान्ड भी देखना चाहता हूँ मैं.”

“रहने दीजिए मुझे शरम आती है. आप ज़्यादा मत बोलिए.”

“इन्ही अदाओ पे तो मर मिटा हूँ मैं. घूमिएे ना. क्या मुझे आपकी सुंदर गान्ड के दर्शन नही करवाएँगी.” रोहित ने कहा.

रीमा घूम गयी रोहित के सामने. “अफ जैसा सोचा था उस से कही ज़्यादा कामुक गान्ड है आपकी.” रोहित ने कहा.

“आप इतना मत बोलिए. मुझे शरम आती है.” रीमा ने अपना चेहरा छुपा लिया हाथो में.

रोहित ने दोनो हाथो से रीमा की गान्ड को थाम लिया और उसे सहलाने लगा, “नाइस आंड सॉफ्ट आस चीक्स.”

रोहित ने अपने कपड़े भी उतार दिया फटाफट और चढ़ गया रीमा के उपर. उसने रीमा की गान्ड पर लंड रगड़ना शुरू कर दिया.

“क्या कर रहे हैं आप.”

“आग लगाने की कोशिस कर रहा हूँ इस गान्ड में. ये गरम हो जाएगी तो चोदा जा सकता है इसे भी.”

“नही ऐसा नही होगा कुछ भी. मैने आज तक अनल नही किया है. और करने का इरादा नही है.”

“क्या बात करती है आप भी. इतनी सुंदर गान्ड को आप लंड के सुख से दूर रखेंगी. ऐसा जुलम मत कीजिए इस बेचारी मासूम सी गान्ड पर.”

“आप कैसी बाते कर रहे हैं हटिए.”

मगर हटने की बजाए रोहित ने आगे बढ़ कर रीमा की आस चीक्स को चूमना शुरू कर दिया. रीमा सिहर उठी.

“आअहह…..मत कीजिए ऐसा.”

“क्यों कुछ-कुछ होता है क्या?”

“हां”

“दट मीन्स दिस आस डिज़र्व्स आ डिक इनसाइड. ट्रस्ट मी यू विल लाइक इट. चलिए आज आपकी गान्ड को भी काम-क्रीड़ा का आनंद दे दिया जाए.”

क्रमशः.........................
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01-01-2019, 12:28 PM,
#69
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 64

गतान्क से आगे...........

रोहित ने थूक लगा लिया अपने लंड पर और उसे अच्छे से चिकना कर लिया.

“मैने सुना है की बहुत पेनफुल होता है अनल सेक्स.”

“होता होगा दूसरो के लिए आपके लिए नही होगा ट्रस्ट मी.” रोहित ने कहा और गान्ड को चोडा करके लंड टिका दिया रीमा के छेद पर.

“मज़ा आएगा आपको. डिफरेंट मज़ा.” रोहित ने कहा और खुद को धकैल दिया रीमा के अंदर.

“ऊऊओह….नूऊऊऊऊ पुल इट आउट…पुल इट आउट….नो”

“एंट्री में हिप्रोब्लम है थोड़ी सी. ज़रा रुकिये सब ठीक हो जाएगा…खि…खि..खि.”

“मेरी जान निकल रही है और आपको हँसी आ रही है. आआहह”

रोहित ने एक और धक्का मारा और लंड थोड़ा सा और उतर गया गान्ड में. रीमा फिर से कराह उठी, “ऊऊहह…नो मुझे नही लगता इस काम में कुछ मज़ा है. इसे निकाल कर सही जगह डालिए. ये अच्छा नही लग रहा मुझे.”

“अच्छा भी लगेगा थोड़ा सबर तो कीजिए” रोहित ने एक और धक्का मारा. पर इस बार बहुत ज़ोर का धक्का था. तेज धक्के के कारण इस बार पूरा का पूरा लंड रीमा की गान्ड में उतर गया.

“रीमा दा गोल्डन गिर बना दूँगा आज आपको.” रोहित ने कहा.

“मुझे रीमा ही रहने दो…आआहह.” रीमा कराहते हुए बोली.

“अब देखिए नज़ारे अनल सेक्स के. उफ्फ क्या गान्ड है आपकी.”

रोहित अब तैयार था अनल सेक्स के लिए. रीमा का दर्द भी कम हो गया था. धीरे धीरे शुरू हुआ शिल्षिला गान्ड में लंड के घर्षण का और रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती गयी. पहले पहले तो रीमा शांत पड़ी रही रोहित के नीचे. मगर जल्दी ही लंड के घर्षण उसे बहकाने लगे और कमरे में उसकी शिसकियाँ गूंजने लगी.

“आअहह रोहित…फास्टर.” रीमा ने मदहोशी में कहा.

“आने लगा स्वाद आपको अब. गुड.”

“फास्टर रोहित…प्लीज़.”

“बिल्कुल रीमा जी फिकर ना करें आप. तूफान आएगा अब संभालिएगा आप.”

रोहित इतने जोरो से धक्के लगाने लगा रीमा कि गान्ड में कि पूरा का पूरा बेड हिलने लगा. रीमा अपनी टांगे इधर उधर पटक रही थी. बहुत ही उत्तेजना में थे दोनो. रोहित लगा रहा रीमा की गान्ड में तूफान मचाने में मगर अब रीमा की हालत पतली होने लगी थी.

“बस…बस…बस रोहित और नही सह पाउन्गि…बस रुक जाओ”

“कैसी बात करती है आप…अभी तो आपकी रेल बनेगी…ज़रा रुकिये ना…खि…खि…खि.”

“रेल बन चुकी है रोहित….अब और बर्दास्त नही कर सकती प्लीज़ रुक जाओ आआअहह.”

“मज़ा नही आ रहा आपको”

“नही कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा है. बर्दास्त के बाहर है सब प्लीज़ रुक जाओ…आअहह.”

रुकने वाला कहा था रोहित. उसे तो पूरी रेल बनानी थी रीमा की. रीमा आनंद के सागर में गोते लगा रही थी. पर थक गयी थी अब गोते लगाते लगाते. और उस से अब लंड का घर्षण बर्दास्त भी नही हो रहा था.

“रुक भी जाइए अब. मार डालेंगे क्या हमें.”

“अफ क्या बात है…लीजिए ये तूफान थमने ही वाला है.”

रोहित ने और ज़्यादा स्पीड बढ़ा दी. रीमा की तो सांसो ने जैसे काम ही करना बंद कर दिया. अचानक ज़ोर-ज़ोर से हांपते हुए रोहित रीमा के उपर ढेर हो गया. भर दिया उसने रीमा की गान्ड को अपने वीर्य से.

“उफ्फ क्यों लाई तुम्हे मैं साथ. फिर से छोटी सी भूल हो गयी मुझसे.”

“कोई भूल नही हुई है आपसे. बिल्लू की तरह आपके साथ कोई मक्कारी नही कर रहा हूँ मैं. ये एक सुंदर संभोग था.” रोहित ने बोलते हुए लंड बाहर खींच लिया रीमा की गान्ड से और उसे घुमा कर उस से लिपट गया. दोनो के होन्ट खुद-ब-खुद मिल गये और एक डीप किस में खो गये दोनो.

जब होन्ट हटे तो रीमा ने पूछा, “तुमने कभी किसी से प्यार किया है.”

“क्यों पूछ रही हो”

“तुम मुझे ऐसे किस कर रहे थे जैसे की प्यार करते हो मुझसे.”

“पता नही क्या मतलब होता है प्यार का. हमारे बीच एक खुब्शुरत संभोग हुआ है. उसके बाद एक प्यारा सा चुंबन नॅचुरल है. कुछ भी कह सकती हो इसे. हम दोनो ने एक अच्छा वक्त बीताया साथ. दो इंसान आपस में जुड़े. बेसक सेक्स के लिए ही जुड़े, फिर भी दो लोग जुड़े तो. हां शायद, दो पल का ही सही प्यार तो शामिल है ही इस संबंध में. ज़्यादा कुछ नही कह सकता. मूरख और अग्यानि हूँ मैं प्यार के मामले में वरना पद्‍मिनी को नही खोता.”

“पद्‍मिनी? कौन पद्‍मिनी… …”

“कॉलेज में थे हम दोनो साथ में.”

“बताओ ना उसके बारे में मैं सुन-ना चाहती हूँ.”

“नही रहने दो. मेरे जखम ही हरे होंगे.”

“बताओ ना प्लीज़. बताओगे तो एक बार फिर से अपनी रेल बनाने का मोका दूँगी तुम्हे.”

“अच्छा ऐसी बात है तो सुनो फिर……………..

पद्‍मिनी एक ऐसी हसीना है जिसे देख कर किसी का भी दिल बहक सकता है. कॉलेज में कौन सा ऐसा लड़का था जो की उसके उपर मरता नही था. मगर पद्‍मिनी जितनी सुंदर थी उसका चरित्र भी उतना ही सुंदर था. कभी किसी को मोका नही दिया उसने. किसी की तरफ नही देखती थी. बस अपने काम से काम रखती थी. पद्‍मिनी के चाहने वालो में मैं भी शामिल था. रोज देखता था उसे चुप-चुप कर. मगर उसे पता नही चलने देता था.

पद्‍मिनी का एक कज़िन ब्रदर भी उसी कॉलेज में पढ़ता था. उसका नाम हेमंत था. वैसे हम लोग उसे गब्बर कह कर बुलाते थे. उसके पापा पोलीस में थे. अक्सर अपने पापा की खाली बंदूक से खेलता रहता था वो. पर इस कारण एक अजीब आदत बन गयी थी उसकी. बात बात पर गोली मारने की बात करता था. कोई भी बात हो, उसे गोली मारने की बात तो करनी ही है. एक बार चाय गिर गयी मुझसे उसके उपर. तुरंत बोला, रोहित तुझे गोली मार दूँगा मैं.”

दिमाग़ खिसका हुआ था गब्बर का. पर पद्‍मिनी का भाई था इसलिए बर्दास्त करते थे उसे हम. वही तो रास्ता था पद्‍मिनी तक पहुँचने का. पद्‍मिनी अक्सर गब्बर के साथ आती थी बाइक पर बैठ कर. मैं गब्बर को ही बोलने के बहाने पद्‍मिनी से भी कुछ बात कर लेता था.

पद्‍मिनी तो कुछ भी बोलो, ही…हेलो से ज़्यादा कुछ बोलती ही नही थी. मैने भी ठान ली कि पद्‍मिनी को पटा कर रहूँगा.

ये बात बताई मैने फ.ज.बडी को, जावेद को और मनीस को. तीनो लौटपोट हो गये मेरी बात सुन कर

“तुम और पद्‍मिनी को पटाओगे. भूल जाओ बेटा और पढ़ाई पर ध्यान दो. गब्बर को पता चला तो गोली मार देगा तुम्हे.” जावेद भाई ने कहा.

फ.ज.बडी ने तो मुझे गले लगा लिया पता नही क्यों. उन्हे गले लगाने की बहुत आदत है. गले लगा कर बोले, “रोहित भाई…रहने दो…फ्री फंड में मारे जाओगे. पद्‍मिनी ने किसका दिल नही तोड़ा जो तुम बचोगे…वो लड़की प्यार-व्यार में इंटेरेस्ट नही रखती”

पर मैं कहा मान-ने वाला था मैने कहा, “नही मैं पटा कर रहूँगा पद्‍मिनी को चाहे कुछ हो जाए.”

“तुम नही पता सकते समझ लो ये बात. हम शर्त लगा सकते हैं तुमसे.”

“बेट लगाते हो मुझे चॅलेंज करते हो. अब तो मैं ये काम कर के रहूँगा.” मैं कह कर चल दिया वहाँ से.

पास ही विवेक भी सब सुन रहा था. हंसते हुए बोला, “पहले गब्बर से निपटना पड़ेगा तुम्हे…गोली मार देगा वो तुम्हे…ध्यान रखना.”

“क्या विवेक भाई आप भी शुरू हो गये. वैसे मैं गब्बर को ही सीधी बना कर बढ़ुंगा आगे. बेचारे को पता भी नही चलेगा ” मैने कहा

रोज गब्बर को मैं चारा डालने लगा. ताकि अच्छी दोस्ती बन जाए. काई बार उसे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया. मैने किसी तरह से उसे राज़ी किया की तुम रोज सुबह मेरे साथ कॉलेज जाया करोगे. वो बोला की पद्‍मिनी साथ होती है. मैने कहा तो रहने दो. उसके रहने से क्या फरक पड़ता है. हम कौन सा अश्लील बाते करते जाएँगे.

खैर किसी तरह शील्षिला शुरू हुआ. रोज हितक्श और पद्‍मिनी के साथ जाने लगा मैं कॉलेज. एक बार मैने गब्बर का टाइयर पंक्चर कर दिया कॉलेज में. पद्‍मिनी को जल्दी घर जाना था कुछ काम था उसे. मुझे पता थी ये बात. गब्बर तो आग बाबूला हो गया, “किसने किया टाइयर पंक्चर मेरा मैं उसे गोली मार दूँगा.”

मैने कहा शांति रखो गब्बर भाई. मैं छ्चोड़ आता हूँ पद्‍मिनी को. पद्‍मिनी ये सुनते ही बोली, “नही…नही…मैं ऑटो लेकर चली जवँगी.”

“कैसी बात करती है आप. हमारे होते हुए ऑटो पर क्यों जाएँगी आप.” मैने कहा.

बड़ी मुस्किल से मानी पद्‍मिनी पर बैठ ही गयी मेरे पीछे मेरी बाइक पर. पूछो मत मैं तो ख़ुसी से पागल हो गया. फ.ज.बडी, जावेद, और मनीस ने जब ये देखा तो बड़े परेशान हो गये. बेट हारने की चिंता सताने लगी उन्हे. मुझे क्या था मैं पद्‍मिनी को लेकर आगे बढ़ गया. जानबूझ कर एक जगह अचानक ब्रेक लगाया मैने और टकरा गया पद्‍मिनी का जिस्म मेरे जिस्म से. मेरे बदन में तो आग लग गयी.

“पद्‍मिनी ऐसे नज़दीक मत आओ. मुझे कुछ-कुछ होता है.” मैने कहा

“मुझे शॉंक नही है तुम्हारे नज़दीक आने का. ध्यान से चलाओ तुम”

वाह क्या गुस्सा था उसकी बात में. ऐसा लग रहा था जैसे कि फूल बरसा रही हो.

क्रमशः........................
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01-01-2019, 12:28 PM,
#70
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 65

गतान्क से आगे...........

पद्‍मिनी को बिके पर बैठा कर ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत मिल गयी मुझे. कुछ ही दूर चले थे की दो गुंडे पीछे पड़ गये हमारे. वो दोनो बाइक्स पर थे. एक हमारे दाईं तरफ था ओर एक बाईं तरफ. गुंडे वैसे मैने ही बुलाए थे पद्‍मिनी को इंप्रेस करने के लिए

वो कामीने अपनी आदत से मजबूर छेड़ने लगे पद्‍मिनी को. जितना मैने कहा था उस से कुछ ज़्यादा ही बोल रहे थे. इस से पहले मैं कुछ कहता पद्‍मिनी बोली, “रोहित बिके रोको इन्हे अभी बताती हूँ मैं. हे मिस्टर रूको ज़रा.”

ये काम तो मुझे करना था पर पद्‍मिनी करने लगी. खेल बिगड़ता दीख रहा था. खैर पद्‍मिनी की बात कैसे टालता मैं. रोक दी बाइक मैने.उन दोनो गुणडो को तो रुकना ही था प्लान के मुताबिक.

पद्‍मिनी ने तो अपनी सैंडल निकाल ली और एक के सर पर दे मारी. मैं क्या कहता. वो गुंडा चिल्लाया गुस्से में और अनाप सनाप बकने लगा. लोग इक्कथा हो गये वहाँ. खूब मारा लोगो ने उन दोनो गुणडो को. मुझे तो कुछ भी करने का मोका नही मिला . सारा प्लान धारसाई हो गया.

छोड़ दिया चुपचाप पद्‍मिनी को घर. थॅंक्स तक नही किया उसने. चली गयी चुपचाप अंदर. कुछ भी वैसा नही हुआ जैसा मैने सोचा था. पद्‍मिनी को पटाना बहुत मुस्किल काम था.

बताया मैने ये वाक़या फ.ज.बडी, जावेद, मनीस और विवेक भाई को. खूब हँसे सब मिल कर पता नही क्यों बताया इन लोगो को मैने. शायद दोस्ती के कारण. पर उन्हे तो हँसने से मतलब था.

खैर अभी कुछ बिगड़ा नही था. रोज सुबह बाइक ले कर मैं गब्बर और पद्‍मिनी के साथ चलता था. अपनी बाइक मैं गब्बर की बाइक से थोड़ा पीछे रखता था जान-बुझ कर ताकि पद्‍मिनी पर लाइन मार सकूँ. पर वो ना लाइन देती थी ना लेती थी. यही उसकी सबसे बेकार बात थी. पता नही अपना हुसन किसके लिए बचा कर रखना चाहती थी. खैर इन बातों के कारण ही मन में इज़्ज़त भी थी मेरे उसके लिए. ऐसी लड़कियाँ कम ही होती हैं दुनिया में.

खैर एक और पासा फेंका मैने. इस बार मैने गुणडो से कहा कि गब्बर को रास्ते में रोक कर खूब पीटना शुरू कर देना. मैं बीच में पड़ कर उसे बचा लूँगा और पद्‍मिनी की आँखो में हीरो बन जाउन्गा.

पर रीमा इस बार भी पासा उल्टा ही पड़ा. वो गुंडे तो क्या पीट-ते गब्बर को. गब्बर ने इतनी रेल बनाई उनकी कि गुंडा पाना भूल गये वो दोनो. माफी माँग कर गये गब्बर से. जाते जाते गब्बर ने उन्हे कहा, “दुबारा मेरे सामने आए तो गोली मार दूँगा.”

गुंडे तो घबरा गये और सर पर पाँव रख कर भागे. मैने निक्कम्मे गुंडे चूस कर लिए थे

ये प्लान तो फैल हो गया अब कुछ नया सोचना था. दुबारा गुणडो का उसे नही कर सकता था. शक हो जाता मुझ पर. पद्‍मिनी बिल्कुल भी नही देखती थी मेरी तरफ. समझ में नही आता था कि क्या करू.

एक दिन मैने पद्‍मिनी को कॉलेज की लाइब्ररी में एक बुक पढ़ते देखा. बुक का टाइटल था ‘पवर ऑफ नाउ’ ईकार्ट टोल ने लिखी थी किताब ये. मैने 1-2 दिन नोट किया की पद्‍मिनी रोज ये किताब पढ़ रही है. फिर क्या था पद्‍मिनी को इंपरेससे करने के लिए एक कॉपी मैने भी इश्यू करवा ली. पूरी रात उल्लू की तरह जाग कर पढ़ता रहा किताब. सर के उपर से निकल गया सब कुछ. अगले दिन मैं कॉलेज नही गया. सारा दिन लगा कर पूरी किताब ख़तम कर दी मैने. कुछ कुछ समझ में आने लगा मेरे. अब मैं पद्‍मिनी से डिस्कशन के लिए तैयार था

अगले दिन गब्बर और पद्‍मिनी के साथ कॉलेज जाते वक्त मैं बोला, “यार क्या किताब लिखी है एकखर टोल ने. पवर ऑफ नाउ पढ़ी है क्या तुमने गब्बर भाई.”

गब्बर इरिटेट सा हो गया, “मैं वक्त बेकार नही करता अपना बेकार की बातों में.”

“नही भैया पवर ऑफ नाउ बहुत अच्छी किताब है. सभी को पढ़नी चाहिए.” पद्‍मिनी ने कहा.

बस ऐसा ही मोका तो चाहिए था मुझे, “मैं कल कॉलेज भी नही आया क्योंकि वो किताब पूरी पढ़नी थी मुझे. मैने पूरी पढ़ ली वो एक दिन में”

“बहुत बेकार रीडर हो तुम. एकखार्त टोल ने खुद कहा है की आराम से पढ़ो हर एक पॅरग्रॅफ और तुमने एक दिन में पूरी किताब पढ़ ली. तुम्हारे तो सर के उपर से निकल गयी होगी वो.”

मैं चारो खाने चित्त. समझ में नही आया कि क्या बोलूं. खैर किताब मैने पढ़ी बहुत ध्यान से थी. कुछ बाते याद थी उसकी मैं बोला, “आज में, इस पल में जीने के लिए बोला है लेखक ने. सिंपल सी बात है. पास्ट और फ्यूचर को भुला कर आज में जीना चाहिए इंसान को. किताब सर के उपर से ज़रूर निकल गयी मगर लेखक की बात दिल की गहराई से समझ गया मैं.”

पद्‍मिनी तो देखती ही रह गयी मुझे. पहली बार देखा उसने मुझे. उसके चेहरे पर आश्चर्या के भाव थे. मैं तो खो ही गया उन म्रिग्नय्नि सी आँखो में. मेरा ध्यान ही नही रहा सड़क पर. बस देखता रहा उसे. वैसे बस कुछ सेकेंड की ही बात थी ये. पर ध्यान भटकने से मैं एक कार से टकरा गया. बहुत बुरी तरह गिरा सड़क पर. हाथ पाँव चिल गये मेरे. सर से भी खून बहने लगा. पर मुझे कोई परवाह नही थी. मैं बस पद्‍मिनी को देखता रहा फिर भी. वो आई गब्बर के साथ मुझे उठाने. “कहाँ देख रहे थे. ध्यान सड़क पर रखा करो.” पद्‍मिनी ने कहा.

“आपको पता तो है कहा देख रहा था. कैसे ध्यान जाएगा सड़क पर.”

गब्बर तो सर खुजाने लगा अपना . उसे कुछ समझ नही आया. ये बात तो सिर्फ़ मैं और पद्‍मिनी जानते थे कि मैं कहा देख रहा था. उसकी म्रिग्नय्नि आँखो में ही तो डूब गया था.

मरहम पट्टी करवाई एक क्लिनिक जा कर. गब्बर और पद्‍मिनी भी साथ ही थे. पद्‍मिनी के चेहरे पर मेरे लिए चिंता नज़र आ रही थी. मैं मन ही मन खुस हो रहा था.

“तुम घर जाओ रोहित अब. छुट्टी ले लो 4-5 दिन की.” गब्बर ने कहा.

“नही-नही मैं छुट्टी नही लूँगा. बहुत नाज़ुक वक्त है ये.”

“नाज़ुक वक्त…कैसा नाज़ुक वक्त.” पद्‍मिनी ने हैरानी में पूछा.

“मैं पवर ऑफ नाउ पढ़ कर हटा हूँ. सभी को कॉलेज में उसके बारे में बताउन्गा.”

“मेरे से बात मत करना उसके बारे में. मैं सिर्फ़ गन की पवर पर विस्वास रखता हूँ.” गब्बर ने कहा.

कुछ अजीब नही लगा ये सुन के मुझे. गब्बर का दिमाग़ सच में सरका हुआ था. खैर गया मैं कॉलेज किसी तरह. कॉलेज पहुँच कर मैने पद्‍मिनी से कहा, “पद्‍मिनी पवर ऑफ नाउ के बारे में कुछ बात करें.”

“हां-हां बिल्कुल. मुझे वो किताब बहुत अच्छी लगी.” पद्‍मिनी ने कहा.

“तुम लोग पवर ऑफ नाउ की बाते करो…मेरे पास फालतू वक्त नही है. मैं गिल्ली डंडा खेलने जा रहा हूँ.” गब्बर ने कहा

“गिल्ली डंडा इस उमर में. कुछ और खेलो भाई.” मैं तो हैरान ही रह गया.

“ज़्यादा मत बोलो गोली मार दूँगा तुम्हे.” गब्बर चिल्लाया

मैं किसी बहस में नही पड़ना चाहता था. वैसे भी मेरे लिए तो ये अच्छा ही था. गब्बर गिल्ली डंडा खेले और मैं पद्‍मिनी पर लाइन मारु इस से अच्छा और क्या हो सकता था

गब्बर के जाने के बाद हम दोनो कॅंटीन में आ गये. मेरे दोस्त लोगो के शीने पर तो साँप लेट गया पद्‍मिनी को मेरे साथ देख कर . फ.ज.बडी, जावेद, मनीस और विवेक भाई दूर खड़े जल रहे थे मुझसे. खैर मुझे क्या था. मुझे बेट भी जीतनी थी और पद्‍मिनी का दिल भी जितना था

पवर ऑफ नाउ के बारे में खूब बाते की हमने.पद्‍मिनी इंप्रेस्ड नज़र आ रही थी.

“तुमने इतनी जल्दी पढ़ कर ये सब समझ भी लिया. इट्स अमेज़िंग.”

“मैं जब पढ़ता हूँ तो ऐसे ही पढ़ता हूँ. बिल्कुल रवि भाई की तरह.”

“ह्म्म, अच्छी बुक है. मैने आधी पढ़ी है अभी.” पद्‍मिनी ने कहा.

इस तरह बातो का शील्षिला शुरू हुआ. पद्‍मिनी और मैं अच्छे दोस्त बन गये. मैं पद्‍मिनी को इंप्रेस करने के लिए पहले से किताब के बारे में कोई अच्छी बात सोच कर रखता था. और वो बड़े प्यार से सुनती थी मेरी बातो को. अब उसकी नज़रे मुझे ढूँढ-ती रहती थी कॉलेज में पता नही क्यों . जब मैं उसके सामने आता था तो चेहरा खील उठ-ता था उसका. बड़े प्यार से देखती थी और बड़े प्यार से हल्का मुस्कुराती थी. बहुत प्यारा अहसास होता था वो मेरे लिए. प्यार हो गया था मुझे उस से. सच्चा प्यार. पर कहने की हिम्मत नही होती थी.

पहले मेरा प्लान उसे प्यार के झाँसे में फँसा कर किसी तरह बिस्तर तक ले जाने का था. मगर उसके चेहरे की मासूमियत और आँखो की सच्चाई देख कर कभी मन नही हुआ उसके बारे में ऐसा सोचने का. शायद प्यार नज़रिया बदल देता है इंसान का. ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ भी. एक अनकहा सा प्यार हो गया था हमें. ना मैं कुछ बोलता था और ना ही पद्‍मिनी कुछ बोलती थी.

‘पवर ऑफ नाउ’ पढ़ ली थी पद्‍मिनी ने. पर हम रोज डिस्कशन करते रहते थे. उस से बाते करते करते मैं उस किताब की गहराई को समझ पाया. मैने दुबारा इश्यू करवाई किताब और इस बार सच्चे मन से पढ़ी. एक हफ़्ता लगाया इस बार मैने ‘पवर ऑफ नाउ’ पर.

और फिर जो बाते हुई हमारे बीच पूछो मत. घंटो बैठे रहते थे हम साथ और खो जाते थे. ऐसा लगता था मुझे कि प्यार करने लगी है पद्‍मिनी मुझे. बड़े प्यार से देखती थी वो मुझे बीच बीच में बाते करते हुए. यही लगता था मुझे जैसे की कह रही हो ‘आइ लव यू रोहित’.

मैं कहना चाहता था अब उसे अपने दिल की बात. पर कैसे कहु समझ नही पा रहा था. उसका रिक्षन क्या होगा यही सोच कर परेशान था. आँखो में दीखता था उसकी प्यार मुझे. लगता था प्यार करती है मुझे. पर ये मैं यकीन से नही कह सकता था.

एक दिन कॅंटीन में चाय पीते वक्त मैने कहा, “पद्‍मिनी कुछ कहना चाहता हूँ तुमसे. समझ नही आ रहा कि कैसे कहूँ.”

पद्‍मिनी के चेहरे पर मुस्कान बिखर गयी. ऐसा लगा मुझे जैसे की वो समझ गयी कि मैं क्या कहना चाहता हूँ. मेरी आँखो में झाँक कर बोली, “बोल दो जो बोलना है. मैं सुन रही हूँ.”

मैने देखा बहुत प्यार से उसकी तरफ पर कुछ बोल नही पाया. पता नही क्या हो गया मुझे.

“बोलो ना रोहित. क्या बात है. वैसे तो बहुत बोलते हो तुम.” पद्‍मिनी ने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं अब बोलने ही वाला था कि गब्बर आ गया वहाँ, “चलो पद्‍मिनी चलते हैं.”

बहुत गुस्सा आया मुझे गब्बर पर, पर मैने कुछ नही कहा

शूकर है पद्‍मिनी नही उठी वहाँ से. उसने गब्बर से कहा, “भैया आ रही हूँ अभी, बस थोड़ी देर रूको.”

दिल को राहत मिली मेरे. पर गब्बर नही माना. आ गया वही और बैठ गया एक चेर ले कर हमारे पास. इतना गुस्सा आया की पूछो मत. पर क्या कर सकता था मैं. पद्‍मिनी के चेहरे पर भी गुस्सा दिखा मुझे गब्बर की इस हरकत पर. वो उठ खड़ी हुई और बोली, “चलो भैया. रोहित बाद में बताना ये बात ओके.”

“कौन सी बात बता रहा था ये. मुझे भी बता दो” गब्बर ने कहा.

“चलो भी अब. अभी तो तूफान मचा रहे थे. बाइ रोहित कल मिलते हैं.”

दुखी मन से बाइ की मैने पद्‍मिनी को. कामीने गब्बर ने सारा खेल बिगाड़ दिया. बड़ी मुस्किल से तो दिल की बात होंठो तक आई थी. कमीना कहीं का .

क्रमशः.............
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