Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
06-07-2017, 01:15 PM,
#11
RE: वतन तेरे हम लाडले
कुछ देर के बाद फिर से दरवाजा खुला और वही औरत जो पहले अंदर आई थी अपने हाथ में एक प्लेट लिए अंदर आई। उसने मेजर राज के सामने आकर बड़ी हिकारत से उसके सामने थाली रखी और बोली चल अब खा ले। यह कह कर वह स्त्री चुपचाप वापसी के लिए मुड़ गई। मेजर राज फिर चिल्लाया कि तुम कौन हो ?? और मैं कहाँ हूँ? 

औरत मुड़ी और बोली मैं कौन हूँ तुझे इससे मतलब चुप कर रोटी खा फिर तुझे इधर से शिफ्ट करना है।

मेजर राज ने फिर पूछा इतना तो बता दो मैं कब से हूं इधर ?? 

इस पर महिला बोली कल रात तुझे मालिक बेहोश हालत में लाया था और आज तुझे होश आया है। यह कह कर वह स्त्री वापस चली गई और दरवाजा फिर से बंद हो गया। 

मेजर राज ने पहले तो हिकारत से खाने को देखा जैसे कि कहना चाह रहा हो कि वह दुश्मन का दिया हुआ खाना नहीं खाएगा। मगर फिर खाने पर नज़र पड़ते ही उसको भयंकर भूख महसूस होने लगी और वह चुपचाप थाली की तरफ हाथ बढ़ाने लगा। थाली में पतली दाल और साथ मे कुछ रोटियाँ पड़ी थीं। मेजर राज के दोनों हाथ आपस में मजबूती से बंधे थे। उसने बहुत मुश्किल से रोटी खाई। आश्चर्यजनक रूप से मेजर राज सारा खाना खा गया और प्लेट ऐसी साफ कर दी जैसे धूलि हुई हो। उसको बहुत भूख लगी थी। खाना खाने के बाद मेजर राज ने फिर से कमरे में नज़रें दौड़ाई तो पूरा कमरा खाली था। अंदर अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था। फिर मेजर राज चिल्लाया और पानी मांगने लगा। मगर शायद उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था। 

काफी समय के बाद मेजर राज को फिर से दरवाजे के पास कुछ कदमों की आवाज आई तो उसने फिर से पानी के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद दरवाजा खुला और वही स्त्री हाथ में पानी का जग ले आई। और मेजर राज के सामने रख कर खाने वाली प्लेट उठा कर बाहर चली गई। मेजर राज ने इस बार कुछ नहीं पूछा क्योंकि वह समझ गया था कि इससे कोई जवाब नहीं मिलेगा। इसलिए वह चुपचाप पानी पीने में लग गया। इतना तो उसे यकीन था कि वह कर्नल इरफ़ान की कैद में है। मगर अंदर आने वाला पुरुष कर्नल इरफ़ान हरगिज़ नहीं था। और यह महिला कौन थी मेजर राज उसको भी नहीं जानता था। वह यह भी नहीं जानता था कि वह कब से इस कमरे में कैद है। 

मेजर राज अब आने वाले हालात के बारे में सोचने लगा। वह जानता था कि ये लोग मुझे मारेंगे तो नहीं। क्योंकि दुश्मन हमेशा अपने दुश्मन को जिंदा रखने की ही कोशिश करता है ताकि अधिक से अधिक रहस्य मालूम कर सके। अब मेजर राज ने अनुमान लगाया कि आखिर कर्नल इरफ़ान कौनसी जानकारी लेकर भारत से भागा था ?? और अब वह मेजर राज के साथ क्या करेगा मगर इनमें से किसी भी बात का जवाब नहीं था मेजर के पास। मेजर इन्हीं विचारों में गुम था कि फिर से दरवाजा खुला और एक लंबा चौड़ा आदमी अंदर प्रवेश किया। उसके पीछे 2 आदमी और भी थे जो हाथ में बंदूक लिए खड़े थे। ये तीनों लोग भेषभूषा से ही एक बदमाश गिरोह के गुंडे लग रहे थे। आगे आने वाले व्यक्ति ने मेजर राज के पास खड़े होकर उसको सिर के बालों से पकड़ा और खड़ा होने को कहा। मेजर राज लड़खड़ाते हुए खड़ा हो गया और इस आदमी की आंखों में आंखें डालकर बोला कि तुम कौन हो और मैं यहाँ क्यों हूँ ?? 

मेजर की आंखों में भय का नामोनिशान तक न था। इस व्यक्ति ने मेजर राज के मुंह पर एक जोरदार थप्पड़ मारा जिससे मेजर का मुंह एक पल के लिए सही साइड पर मुड़ गया मगर मेजर ने तुरंत ही वापस उसकी आँखों में आँखें डाली और बोला बताओ मुझे तुम कौन हो और क्या चाहते हो? ? 

अब की बार भी मेजर की आंखों में भय नहीं था। मेजर सीधा खड़ा था उसके पैर भी बंधे थे और हाथ भी। मेजर की बात का जवाब देने के बजाय उस व्यक्ति ने कहा यहाँ मैं तेरी बातों का जवाब देने नहीं आया, जो मैं पूछूँ केवल तू इसका उत्तर दे। वरना यह पीछे जो लोग खड़े हैं यह अपनी बंदूक की सारी गोलियां तेरे शरीर में उतार देंगे ......... अभी उस व्यक्ति की बात पूरी नहीं हुई थी कि मेजर राज ने अपना सिर बहुत जोरदार ढंग से सामने खड़े व्यक्ति की नाक पर दे मारा जिससे वह बलबलाता हुआ पीछे की ओर लड़खड़ाते हुए 4, 5 कदम पीछे हो गया। राज की इस हरकत से पीछे दो खड़े लोगों ने अपनी अपनी बंदूकों के रुख राज के सिर पर किए मगर उनके बॉस ने तुरंत ही हाथ के इशारे से उन्हें मना कर दिया कि गोली नहीं चलाना . 

अब वह गुस्से में राज की ओर देखने लगा तो मेजर राज बोला तेरे इन किराए के कुत्तों से मैं तो क्या मेरे देश का बच्चा भी नहीं डरेगा हिम्मत है तो उन्हें कहो मेरे ऊपर गोली चलाने को वास्तव में राज जो रॉ का लायक एजेंट था वह अच्छी तरह जानता था कि कोई भी सेना कभी भी दूसरी सेना के कैदी को इतनी आसानी से नहीं मारते। क्योंकि उनका उद्देश्य कैदी से ज़्यादा से ज्यादा जानकारी लेना होता है। इसलिए उन्हे कभी गवारा नहीं होता कि हाथ आए कैदी को कुछ जानकारी लिए बिना मार दिया जाय यही कारण था कि मेजर राज बिल्कुल निडर खड़ा था। 

अब की बार अंदर आने वाले व्यक्ति ने पूछा बताओ तुम लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला का पीछा क्यों कर रहे थे? और हमारे जहाज पर क्या करने आए थे ??? उसकी यह बात सुनकर मेजर राज ने एक ठहाका लगाया और बोला ये धोखा किसी और को देना, कर्नल इरफ़ान जैसे कुत्ते को किसी भी रूप में पहचान सकता हूँ। वह लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला नहीं बल्कि कर्नल इरफ़ान था जिसका में पीछा कर रहा था। मेजर की यह बात सुनकर वह व्यक्ति मुस्कुराया और बोला अच्छा तो तुम जानते हो कि वो कर्नल इरफ़ान था। चलो यह तो अच्छी बात है। अब यह भी बता दो कि तुम उनका पीछा क्यों कर रहे थे ??? उसकी यह बात सुनकर राज बोला कि मैं तब तक तुम्हारे किसी सवाल का जवाब नहीं दूंगा जब तक तुम मेरे कुछ सवालों के जवाब नहीं दे देते। दूसरे व्यक्ति ने पूछा कौन से सवाल ?? तो मेजर राज बोला कि मैं इस समय कहाँ हूँ ?? और तुम लोग कौन हो? राज की बात सुनकर वह व्यक्ति बोला तुम इस समय जामनगर में हो और हम कौन हैं यह जानने की तुम्हें कोई जरूरत नहीं। 

यह जवाब सुनकर राज ने अनुमान लगा लिया कि यह पाकिस्तान का तटीय शहर है, अब मेजर राज को विश्वास हो गया था कि वह पाकिस्तान का कैदी बन गया है। मगर उसने बिना परेशान हुए अगला सवाल किया कि मैं कितनी देर बेहोश रहा ?? इस पर वह व्यक्ति बोला हमें 3 दिन पहले बता दिया गया था कि एक भारतीयकुत्ता पकड़ा गया है और कल तुम्हें यहां पहुंचा दिया गया था। तब से तुम इधर ही हो। यह सुनकर मेजर राज हैरान रह गया। 3 दिन पहले उस व्यक्ति को पता लगा था कि मेजर राज कर्नल इरफ़ान के कब्जे में है, उसका मतलब है कि मेजर राज कम से कम 3 दिन से बेहोश पड़ा था। अबकी बार वह व्यक्ति दहाडा कि अब बताओ तुम कर्नल इरफ़ान का पीछा क्यों कर रहे थे ??? 

उसकी बात सुनकर मेजर राज ने बोला जब वह सड़क पर यातायात नियमो का उल्लंघन करते हुए 90 के बजाय 130 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से गाड़ी चलाएगा तो मैं उसका पीछा करूंगा ही ना। मेरी तो ड्यूटी है यह। 

मेजर राज का यह जवाब सुन कर दूसरा व्यक्ति दहाडा क्या मतलब है तुम्हारा? 

मेजर राज ने मुस्कुराते हुए बोला अरे यार में यातायात पुलिस में हूँ मुम्बई में। रात 3 बजे एक होंडा जिसमें तुम्हारा कर्नल इरफ़ान कहीं जा रहा था मैने उसकी कार का पीछा किया क्योंकि वो यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पूरे 130 किमी। । । । । । । । इससे पहले कि मेजर राज की बात पूरी होती एक झन्नाटे दार थप्पड़ मेजर मुँह पर पड़ा जिसने मेजर राज के चारों चिराग रोशन कर दिए थे।



मेजर राज को फिर से उसी व्यक्ति की गुर्राती हुई आवाज़ आई अबे दुष्ट आदमी एक यातायात पुलिस वाले को कैसे पता हो सकता है कि लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला के भेष में कर्नल इरफ़ान जा रहा है ... तू निश्चित रूप से रॉ का कुत्ता है। सच सच बोल नहीं तो तेरी जीभ खींच कर बाहर कर दूँगा में .... 

उस व्यक्ति की यह बात सुनकर मेजर राज ने अपनी जीभ बाहर निकाल दी .... वह व्यक्ति हैरान होकर मेजर को देखने लगा तो मेजर बोला लो ज़ुबान खींच लो जो कुछ उगलवाना है। यह कह कर मेजर राज हंसने लगा और फिर बोला यार कार के शीशे काले थे मुझे तो नहीं पता था अंदर कौन है। मैंने तो पीछा करना शुरू कर दिया था। फिर बंदरगाह के पास मैंने कर्नल इरफ़ान को कुछ हथियार बंद लोगों के साथ बातें करते सुना, वे उसको कर्नल इरफ़ान कह कर ही संबोधित कर रहे थे तो मैं समझ गया कि ये आदमी जो कानून का उल्लंघन कर रहा है यह कर्नल इरफ़ान है। 

मेजर की यह बात खत्म हुई तो वह व्यक्ति मुस्कराने लगा और बोला चूतिया समझ रखा है क्या तूने हमें ?? कुछ भी बोलेगा और हम मान लेंगे ??? 

मेजर राज ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा अच्छा यार न मानो। जो सच है मैंने तुम्हें बता दिया। 

वह व्यक्ति फिर बोला सच सच बता रॉ ने किस मकसद से तुझे भेजा था कर्नल के पीछे ??? 

मेजर राज ने अंजान बनते हुए कहा कौन रॉ ??? फिर खुद ही बोल पड़ा अच्छा अच्छा भारत की खुफिया एजेंसी ... अरे यार वे इतने पागल थोड़ी ही है जो एक यातायात पुलिस के कांस्टेबल को कर्नल के पीछे भेज दें, मैंने बताया ना कि वह ओवर स्पीड । । । । एक और झन्नाटे दार थप्पड़ मेजर राज के चेहरे पर लगा और उसकी बात बीच में ही रह गई। 

अब की बार मेजर राज ने गुस्से से उस व्यक्ति को देखा और उसकी आँखों में आँखें डालते हुए बोला कि थप्पड़ का बदला तो तुमसे ज़रूर लूँगा। एक बार मेरे हाथ तो खोल फिर देख तुझे तेरे भाइयों के सामने कुत्ते की मौत मारूँगा। 
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06-07-2017, 01:15 PM,
#12
RE: वतन तेरे हम लाडले
मेजर राज की यह बात सुनकर वह व्यक्ति जोर से हंसने लगा। और बोला ठीक चल बता कि एक यातायात पुलिसकर्मी ने हमारे आर्मी कैप्टन को एक ही वार में कैसे जान से मार दिया ??? इस पर मेजर राज ने कहा इसमें कौन बड़ी बात है, मेरे हाथ खोल अभी बता देता हूँ कि उसे कैसे मारा था। यह कह कर मेजर राज हंसने लगा और बोला अच्छा तो जो मेरा एक हाथ लगने से मर गया वह तुम्हारा आर्मी कैप्टन था ??? आश्चर्य है यार क्या हिजड़े भर्ती करते हो तुम लोग सेना में .. अब शुक्र करो उनके सामने भारत का यातायात कांस्टेबल था कहीं वास्तव में रॉ का एजेंट आ जाता तो तुम्हारा कर्नल इरफ़ान भी इसी कैप्टन की तरह अगले जहां मे पहुँचता। 

एक और थप्पड़ मेजर राज के चेहरे पर लगा मगर इस बार मेजर राज ने थप्पड़ खाते ही जवाबी हमला किया और फिर अपना सिर उस व्यक्ति की नाक पर दे मारा। वह व्यक्ति अपना संतुलन बनाए नहीं रख सका और जमीन पर जा गिरा। पीछे खड़े गनमैन एक बार फिर अपनी बंदूकों का रुख मेजर राज की ओर कर खड़े हो गए मगर इस बार वे डरे हुए थे और 2, 2 कदम पीछे हट गए थे। उनको देखकर मेजर राज ने ठहाका लगाया और बोला चलाओ गोली चलाओ ...

मगर उन्होने गोली नहीं चलाई और वह व्यक्ति भी अब अपनी जगह पर खड़ा हो गया था। उसकी नाक से अब खून निकल रहा था। उसका एक हाथ अपनी नाक पर था। वह व्यक्ति गुस्से में बोला घी सीधी उंगली से नहीं निकलेगा तो उंगली टेढ़ी भी करनी आती है हमें। आईएसआई के पास तुम जैसे रॉ के कुत्तों को सीधा करने के एक सौ तरीके हैं। अब वही तुम से निपटेंगे। यह कह कर वह व्यक्ति वापस चला गया और कमरे में एक अजीब सी गंध फैल गई। मेजर राज समझ गया था कि यह विशेष गैस छोड़ी गई है मेजर को बेहोश करने के लिए। उसने अपनी सांस रोकने की बिल्कुल कोशिश नहीं की क्योंकि वह जानता था कि वह इतनी देर सांस रोक नहीं सकता कि इस गैस का प्रभाव दूर हो सके तो व्यर्थ में सांस रोकने की कोई जरूरत नहीं। कुछ ही सेकंड में मेजर राज जमीन पर बेहोश पड़ा था। 

इधर......................
मेजर राज के घर से निकलने का रश्मि के सिवा और किसी को मालूम नही हुआ .. अलबत्ता रश्मि राज के कमरे से निकलते ही तुरंत अपने कपड़े पहन कर राज को रोकने के लिए बाहर निकली मगर जैसे ही वह घर के गेट पर पहुंची चौकीदार दरवाजा बंद कर रहा था और दूर मेजर राज की कार की एक रोशनी दिख रही थीं।रश्मि को देखकर चौकीदार बोला नमस्कार बीबीजी .--- में राम सिंग ... आपका चौकीदार ... मेजर साहब अक्सर रात को इसी तरह अचानक चले जाते हैं और अगली सुबह तक वापस आ जाते हैं। आप बेफिक्र होकर अंदर जाएं।रश्मि चौकीदार की बात सुने बिना अंदर आ गई थी। अब वह अपने कमरे में जाने ही लगी थी कि पीछे से आवाज आई बेटा क्या हुआ ?? 

ये राज की माँ की आवाज थी यानी रश्मि की सास। रश्मि ने सास को सामने देखकर उनको नमस्कार किया और कहा कि अचानक राज को कोई फोन कॉल आई और वह बिना कुछ बताए गाड़ी लेकर कहीं चले गए हैं। 

मेजर राज की मां ने आगे बढ़कर अपनी बहू को प्यार किया और कहने लगीं बेटा तुम्हें तो पता ही है वह एक सिपाही है और देश के लिए अपनी जान भी दे सकता है। अक्सर उसको आपातकालीन स्थिति में जब भी बुलाया जाता है वो सब कुछ छोड़ कर अपना कर्तव्य निभाने चला जाता है। बस तुम प्रारथअना करो कि वह खैरियत से वापस आ जाए। उसके बाद राज की मां ने एक बार फिर अपनी नई नवेली दुल्हन का माथा चूमा और वापस अपने कमरे में चली गईं।

रश्मि भी अपने कमरे में जाने ही लगी थी कि उसको कुछ आवाजें सुनाई दीं। ये आवाज़ें रश्मि के साथ वाले कमरे से आ रही थीं। रश्मि ने कान लगाकर सुना तो यह जय की पत्नी डॉली की आवाज़ें थीं। ओय मैं मर गई, प्लीज़ जय धीरे करें। आह .... उफ़ उफ़ उफ़ आह आह आह ..... ऊच। । । मैं मर गई ... आवाज़ें सेक्स से भरपूर थीं और डॉली की इन आवाजों के साथ धुप्प धुप्प की आवाज भी आ रही थीं जिनसे रश्मि समझ गई कि जिस तरह अभी राज रश्मि की चुदाई कर रहा था उसी तरह उसका भाई जय भी अपनी नई नवेली दुल्हन को चोदने में व्यस्त है। 

डॉली की यह आवाज सुनकर रश्मि को एक अजीब सा सॅकून मिला था। वह मुस्कुराती हुई अंदर कमरे में आ गई और दरवाजा बंद करके अपने कान फिर से दीवार के साथ लगा दिए। अब की बार उसको ये आवाज़े और भी स्पष्ट आ रही थीं। धुप्प धुप्प की आवाजों में काफी तेजी आ गई थी और डॉली अभी उफ़ आह ... मज़ा आ गया जानू, और जोर से चोदो मुझे मज़ा आ रहा है, जोर से धक्के मारो .... आह जानू बहुत मज़ा आ रहा है ...... जैसी आवाजें निकाल रही थी। रश्मि समझ गई कि अब डॉली सेक्स को एंजाय कर रही है जिस तरह कुछ देर पहले रश्मि कर रही थी। फिर अचानक ही आवाज आना बंद हो गईं। रश्मि ने कुछ देर इंतजार किया लेकिन अब दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आ रही थी। 

फिर रश्मि वापस अपने बिस्तर पर जाकर लेटने लगी तो उसकी नज़र उस सफेद चादर पर पड़ी जो उसने चुदाई से पहले अपने नीचे बिछाई थी। इस पर लाल रंग के निशान थे। रश्मि इन लाल निशानों को देखते ही अपनी सलवार उतार कर अपनी चूत को देखने लगी। वहाँ अब खून का कोई निशान नहीं था। फिर रश्मि ने वह चादर उठाई और अटैच बाथरूम में ले जा कर एक ड्रॉयर में रख दी और खुद बिस्तर पर आकर लेट गई और राज की सुरक्षा की दुआएं मांगने लगी। दुआ माँगते माँगते न जाने कब उसकी आंख लग गई। 

सुबह 12 बजे के करीब उसकी आंख खुली तो उसको घर में थोड़ी हलचल महसूस हुई। अब वह बिस्तर से उठ कर बैठी ही थी कि उसके कमरे का दरवाजा नॉक हुआ। रश्मि ने तुरन्त उठकर अपना दुपट्टा लिया और कमरे का दरवाजा खोला तो सामने उसकी सास खड़ी थीं। उन्होंने रश्मि को प्यार किया और बोलीं बेटा घर में मेहमान आए हुए हैं तुम तैयार होकर थोड़ी देर मे बाहर आ जाओ यह कह कर वह बाहर चली गईं और रश्मि तैयार होने लगी। 

एक घंटे के बाद रश्मि जब अपने कमरे से निकली तो उसने ब्लैक कलर की साड़ी शोभाये तन कर ( पहन ) रखी थी। ब्लाऊज़ की लंबाई कुछ अधिक न थी, रश्मि की साड़ी का ब्लैक ब्लाऊज़ नाभि यानी बेली बटन से कुछ ऊपर समाप्त हो रहा था। नीचे उसका पेट और कमर का कुछ हिस्सा दिख रहा था और उसके नीचे साड़ी के नीचे वाला हिस्सा था। बारीक पल्लू उसके पेट से होता हुआ सीने के उभारों को छूता हुआ बाएँ कंधे के ऊपर से घूमकर दाएँ हिस्से पर आ रहा था। उसके साथ हल्के रंग का मेकअप रश्मि की सुंदरता को चार चांद लगा रहा था। 

रश्मि बाहर आई तो बारी बारी सभी मेहमानों से मिली। जय की दुल्हन डॉली भी वहीं मौजूद थी वह भी खासी तैयार होकर निकली थी। रश्मि डॉली से गले मिलने के बाद जय से हाथ मिलाकर एक सोफे पर बैठ गई जहां बाकी मेहमान भी बैठे थे। कुछ ने राज के बारे में जानना चाहा तो रश्मि ने उन्हें बताया कि वह कुछ नहीं जानती उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका। वह अपना मोबाइल भी घर छोड़ गए हैं। जबकि कुछ मेहमानों ने रश्मि को तसल्ली दी कि बेटा चिंता नहीं करो वह जल्द ही आ जाएगा। सब अतिथियों से बातों में व्यस्त हो गए तो रश्मि वहाँ से उठी और जय को अपने पीछे आने का इशारा किया। 

बड़ी भाभी का इशारा पाकर जय रश्मि के पीछे चल पड़ा। रश्मि अपने कमरे में जाकर बेड पर बैठ चुकी थी।जय भी कमरे में आया और बोला जी भाभी बताइए क्या बात है? रश्मि रुआंसी सी आकृति बनाकर बोली जय भाई प्लीज़ किसी तरह राज का पता लगाओ वे कहाँ हैं मुझे बहुत चिंता हो रही है उनकी। 

जय ने भाभी के कंधे पर हाथ रखकर हल्का सा दबाया और सांत्वना देते हुए बोला रश्मि भाभी आप चिंता न करें राज भाई बिल्कुल ठीक होंगे। मैंने सुबह ही उनके कार्यालय से पता किया तो वहां से मुझे बताया गया कि उन्हें एक विशेष मिशन पर भेजा गया है जो बहुत जरूरी था। उन्हें बस एक व्यक्ति की मुखबिरी करना है उसके बाद वह वापस आ जाएंगे। यह सुनकर रश्मि बोली कि आज आएंगे ना वह वापस? रात एक निमंत्रण भी है। ???जय बोला कि भाभी आज तो मैं कुछ नहीं कि सकता बस उनके कार्यालय से इतना ही पता लगा है कि वह जल्द आएंगे। आप चिंता न करें बाहर बाकी मेहमानों के साथ आकर बैठ जाएँ आपका दिल लगा रहेगा। 

यह कह कर जय कमरे से निकल गया। कुछ ही देर बाद रश्मि ने भी अपनी आँसुओं से लथपथ आँखें साफ की और मेकअप को एक हल्का सा स्पर्श देकर बाहर मेहमानों के पास जा कर बैठ गई। राज की बहनें कल्पना व पिंकी भी वहीं मौजूद थीं जबकि शाम तक रश्मि की कुछ कॉलेज फ्रेंड्स भी आ चुकी थीं। कॉलेज फ्रेंड्स को लेकर रश्मि अपने कमरे में आ गई। कमरे में आते ही रश्मि की दोस्तों ने रश्मि को घेर लिया और पूछने लगी कि राज भाई के साथ रात कैसी गुज़री? जिस पर रश्मि ने थोड़ा शरमाते हुए और थोड़ा इठलाते हुए उन्हें अपना मुंह दिखाई उपहार भी दिखाया और दबे शब्दों में अपना कुँवारा पन समाप्त होना भी बताया। रश्मि की एक दोस्त जो ज्यादा ही मुँह फट थी वे बोली तुमको भी खाली करवाया राज भाई ने या खुद ही 2 मिनट में समाप्त होकर साइड मे पड़ गए ??इस पर रश्मि ने बड़े घमंड से कहा कि उन्हें वापस तो आने दे तुझे भी वह 5 बार खाली करवा देंगे। इस पर सभी सहेलियाँ खिलखिला कर हंस पड़ी। 
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06-07-2017, 01:15 PM,
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RE: वतन तेरे हम लाडले
यूं ही समय बीतता गया, निमंत्रण और मुँह दिखाई का कार्य भी हो गया, रश्मि ने दुल्हन की बजाय घर की बहू के रूप में आमंत्रण में भाग लिया क्योंकि पति के बिना दुल्हन बनकर मिलाई की दावत में बैठना किसी तरह भी उचित नहीं था जबकि जय और उसकी दुल्हन डॉली ने दूल्हे दुल्हन के रूप मिलाई आमंत्रण अटेंड किया। 

3 दिन बीत चुके थे मगर राज का अभी तक कुछ पता नहीं चला था। कल्पना अपने पति के साथ वापस अपने घर जा चुकी थी जबकि राज की छोटी बहन पिंकी राज की नामौजूदगी की वजह से रश्मि के साथ ही उसके कमरे में सोती थी। रश्मि और पिंकी दोनों रात को राज की सुरक्षा की विशेष भगवान से दुआएं मांगती और उसके बाद बिस्तर पर लेटकर लम्बी लम्बी बातें करतीं। पिंकी अपनी रश्मि भाभी को प्रोत्साहित करती और उसे अपने भाई की बहादुरी के किस्से भी सुनाती। 

रश्मि की शादी को अब पूरे 7 दिन हो चुके थे। मगर अब तक राज का कुछ पता नहीं चला था। रश्मि के घरवाले, रश्मि खुद और राज के घरवाले अब राज को लेकर काफी परेशान थे। क्योंकि राज के कार्यालय से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा था। न ही अभी तक राज ने घर संपर्क किया था करता भी कैसे वह तो कर्नल इरफ़ान की कैद में था जहां से कोई कैदी बचकर नहीं निकल सका था। 

जय को भी अपने भाई की चिंता थी यही कारण था कि उसने अपने हनीमून की योजना को भी कैंसिल कर दिया था जो कि शादी के 3 दिन बाद का था। इस योजना के अनुसार शादी के 3 दिन बाद जय और उसकी पत्नी डॉली और राज और रश्मि ने मिलकर गोआ जाने का प्रोग्राम बनाया था। मगर राज के न होने के कारण यह प्रोग्राम कैंसिल हो गया था।

इस दौरान रश्मि 3 दिन के लिए अपने मायके से भी हो आई थी। दूसरी ओर जय की पत्नी डॉली से अब सब्र नहीं हो रहा था। उसने जय पर जोर डालना शुरू किया कि अब उन्हें हनीमून के लिए जाना चाहिए। पहले पहल तो जय ने उसे डांट दिया मगर फिर अंततः उसे मानना ही पड़ा। तय यह हुआ कि जय, उसकी पत्नी डॉली, रश्मि और जय की बहन पिंकी ये चारों लोग गोआ जाएंगे। जब रश्मि को इस कार्यक्रम का पता चला तो उसने तुरंत ही मना कर दिया कि एक तो वो राज के बिना नहीं जाएगी, दूसरी बात यह जय का हनीमून ट्रिप है तो इसमें वह अपनी पत्नी के साथ ही जाएगा अगर राज होते तो बात और थी मगर यों इस तरह राज के बिना हनीमून यात्रा पर रश्मि के अकेले जाना ठीक नहीं। मगर राज के अभाव से पिंकी को जो अवसर मिला था गोआ की सैर करने का वह उसको बर्बाद नहीं करना चाहती थी इसलिए वह रश्मि की मिन्नतें करने लग गई कि भाभी आप नहीं जाएंगी तो जय भाई मुझे नहीं लेकर जाएंगे। और अगर आप जाएँगी तो साथ में मैं भी जा सकती हूँ। 

रश्मि ने पिंकी को समझाना चाहा कि राज के बिना उसका बिल्कुल दिल नहीं कर रहा वह ऐसे नहीं जा सकती। अगर राज की कोई सुध ही मिल जाती तो शायद वह चली भी जाती। मगर अब नहीं जा सकती पर पिंकी कहां टलने वाली थी। हालांकि पिंकी की उम्र रश्मि से एक साल बड़ी थी मगर रिश्ते में रश्मि न केवल पिंकी बड़ी थी बल्कि जय से भी बड़ी थी। इसलिए पिंकी रश्मि के सामने ऐसे ही जिद कर ने लगी जैसे वह अपने बड़े भाई राज के सामने बच्ची बनकर जिद करती थी। घर में सबसे छोटी होने के कारण पिंकी में बचपना भी काफी था। रश्मि ने पिंकी को यह भी समझाना चाहा कि जय अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर जाना चाहता है हम वहाँ कबाब में हड्डी होंगे तो पिंकी तुरंत बोली कि हम अलग कमरे में रहेंगे वे दोनों अलग कमरे में अब और कोई बहाना नहीं बस आप चलने की तैयारी करें। आखिरकार रश्मि को पिंकी की जिद के आगे हार माननी पड़ी। शादी के 10 दिन बाद जय, डॉली, रश्मि और पिंकी हनीमून यात्रा पर गोआ जा रहे थे।डॉली और पिंकी तो बहुत खुश थे, जबकि रश्मि का बिलकुल भी मन नहीं लग रहा था राज के बिना दूसरी ओर जय भी थोड़ा निराश था अपनी भाभी के सामने उसको एहसास था कि राज के अभाव में उसे अपना हनीमून ट्रिप प्लान नहीं करना चाहिए था मगर क्या करता पत्नी की जिद के सामने उसकी एक नहीं चली। 

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राज की आंख खुली तो अबकी बार वह पहले से अपेक्षाकृत छोटे कमरे में कैद था। और इस बार नाइलोन की रस्सी की बजाय उसके हाथ लोहे की राड से बँधे थे राज एक दीवार के साथ सीधा खड़ा था उसके हाथ सिर से ऊपर दीवार के साथ लगे लोहे के राड मे थे जबकि पांव भी इसी तरह के लोहे की गोल राड के साथ बाँधे गए थे। अब की बार राज अपनी जगह से हिल भी नहीं सकता था। इन राड को देखकर राज ने परेशान होने की बजाय कुछ सुख का सांस लिया। क्योंकि नाईलोन रस्सी से अपने हाथ छुड़ाना उसके लिए संभव नहीं था क्योंकि इस कमरे में ऐसी कोई चीज़ नहीं थी कि जिससे वह अपनी रस्सी काट सकता। जबकि लोहे के इन राड को वह किसी भी लोहे की पतली पिन से आसानी खोल सकता था। अब समस्या केवल ऐसी पिन प्राप्त करने की थी

राज अब कमरे समीक्षा कर ही रहा था कि कमरे की रोशनी ऑनलाइन हुई यह एक पूरी तरह टॉर्चर सेल था जो विभिन्न प्रकार के उपकरणों से लेस्स था इन उपकरणों को राज ने पहले भी देख रखा था क्योंकि वह भी भारत के खुफिया संगठन का एजेंट था। कमरे की रोशनी ऑनलाइन होने के बाद कमरे का दरवाजा खुला जो लोहे की भारी चादर से बना हुआ था और बिना कोड के उसको खोलना संभव नहीं था। दरवाजे से इस बार 2 पुरुष और एक लड़की अंदर आई दोनों पुरुषों को छोड़कर मेजर राज ने लड़की सोनिया का जायजा लेना शुरू कर दिया। यह लड़की थी ही ऐसी कि जो भी एक बार देख ले वह अपनी नज़रें हटाना भूल जाए। 22 वर्षीय सोनिया को आईएसआई ने विशेष रूप से हायर किया था। सोनिया का आकर्षण उसका शरीर और उसके उतार चढ़ाव थे जो किसी भी पुरुष को दीवाना बना सकते थे। सोनिया का उपयोग अक्सर दुश्मन के रहस्य उगलवाने के लिए किया जाता था। सोनिया किसी भी दुश्मन को अपने बिस्तर पर ले जा कर उसे खूब मज़ा देती थी, लेकिन मजे के साथ उसको खूब परेशान भी करती थी और बातों ही बातों में से कई प्रकार के रहस्य उगलवा कर अपने उच्च अधिकारियों तक पहुँचाती थी। 

22 साल की गर्म जवानी में उसके सीने पर 36 आकार के पहाड़ जैसे मम्मे सिर उठाए खड़े थे और 34 आकार के बाहर निकले हुए उसके नितंब किसी भी बेजान लंड में जान डालने के लिए पर्याप्त थे। 30 की कमर के साथ सोनिया एक पटाखा लड़की थी। सोनिया अब तक 3 एसएल, 2 बंगाली और 5 भारतीयसैनिकों को अपने बिस्तर पर ले जा कर उनसे अलग रहस्य उगलवा चुकी थी। और कर्नल इरफ़ान और आईएसआई के अन्य उच्च अधिकारी सोनिया के प्रदर्शन से बहुत खुश थे। सोनिया ने उस समय एक टाइट पैन्ट पहन रखी थी जिसमें उसके मांस से भरे हुए इनपुट और 34 के चूतड़ बहुत सेक्सी लग रहे थे। ऊपर उसने एक छोटी सी शर्ट पहन रखी थी जो सिर्फ उसके 36 आकार के मम्मों को छिपाने का काम कर रही थी। पेट का ज्यादातर हिस्सा नंगा था उसी तरह कमर भी ज्यादातर नंगी ही थी कंधों तक छोटे और हल्के बालों को उसने टट्टू का रूप देकर सिर के पीछे बांध रखा था। 

सोनिया ने जब मेजर राज को यूँ अपनी समीक्षा करते हुए देखा तो उसने एक सेक्सी स्माइल पास की और दिल ही दिल में बोली कि यह भी गया काम से। सोनिया के साथ आए 2 पुरुषों ने मेजर राज को सख़्त और कर्कश स्वर में बोला कि तुम कौन हो और कर्नल इरफ़ान तक कैसे पहुंचे ?? मेजर राज ने सोनिया के मम्मों से नज़रें हटाए बिना जवाब दिया यातायात पुलिस का कांस्टेबल राज हूँ तुम्हारा कर्नल इरफ़ान राज मार्ग पर 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से होंडा चला रहा था इसलिए मैं उसका पीछा करने लगा और जब मुझे पता चला कि यह दुश्मन देश का कर्नल है तो मैंने उसको पकड़ने के लिए उसकी नाव तक उसका पीछा किया। मेजर राज ने एक ही सांस में जवाब दिया। यह जवाब वह तब से सोच बैठा था जब पहले वाले कमरे में उससे पूछताछ शुरू हुई थी। मेजर राज ने जैसे ही जवाब समाप्त किया एक व्यक्ति ने दीवार के साथ लगा हुआ लीवर ऊपर उठा दिया। लीवर ऊपर उठाते ही मेजर राज को अपना शरीर कटता हुआ महसूस होने लगा। उसके हाथ और पैर में सूइयां चुभने लगीं। यह दर्द असहनीय था। मेजर की आंखें लाल हो गईं और रंग फीका पड़ने लगा। 

कुछ देर के बाद इस व्यक्ति ने लीवर वापस नीचे किया तो मेजर राज को एक झटका लगा और फिर धीरे धीरे उसके शरीर को आराम मिलने लगा। अब की बार सोनिया मेजर राज के पास आई और उसके चेहरे पर हाथ फेरने लगी, मेजर राज अपनी सारी तकलीफ भूलकर सोनिया को ऐसे देखने लगा जैसे अब आँखों ही आँखों में उसकी चुदाई कर डालेगा। सोनिया बड़े ही प्यार से बोली देख मेरी जान ये दोनों कमीने बहुत क्रूर हैं। अगर तुम उन्हें सच नहीं बता देंगे तो यह तुम्हारी बोटी-बोटी कर देंगे। इसलिए भलाई इसी में है कि इन लोगों को सच बता दो। यह कह कर सोनिया पीछे गई मगर मेजर राज की नजरें उसके मम्मों से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। शॉर्ट ब्लाऊज़ में उसके बूब्स का उभार बहुत ही सेक्सी लग रहा था। 

अब की बार फिर से एक कर्कश आवाज़ आई सच सच बताओ तुम कौन हो और कर्नल इरफ़ान का पीछा क्यों कर रहे हो? मेजर राज की ज़ुबान फिर चल पड़ी: यातायात पुलिस का कांस्टेबल राज हूँ तुम्हारा कर्नल इरफ़ान राज मार्ग आगरा पर .......... फिर मेजर राज के शरीर में करंट दौड़ गया और उसको अपने हाथ और पैर में वही सुई की चुभन महसूस हुई और उसका रंग पीला हो गया। कुछ देर बाद लीवर नीचे गया तो मेजर की स्थिति कुछ संभली।अब की बार फिर से सोनिया मेजर के पास आई और उसके होंठों पर अपने होंठ रखती हुई बोली बता दे मेरी जान, इन्हे सब कुछ सच सच बता दे। वरना यह तुझे नहीं छोड़ेंगे। सोनिया के चुप होते ही मेजर राज ने अपने होंठों से सोनिया के रसीले होंठ चूस डाले। मेजर ने ऐसी मजेदार पप्पी ली थी कि सोनिया कि एक पल के लिए तो वह भूल ही गई कि वह दुश्मन देश के गुप्त एजेंट के सामने खड़ी है। मेजर राज ने सोनिया के होंठों को छोड़ा और बोला जानेमन तुम्हारी इस गर्म जवानी की कसम खा रहा हूँ सच कह रहा हूँ। अगर उन्हें मेरी बात पर यकीन नहीं आता तो यह बताएँ उन्हें क्या जवाब देना चाहिए। जो यह कहेंगे वही शब्द दोहरा दूंगा। 

इस पर दूसरे व्यक्ति ने बोला मान जा तू रॉ का एजेंट है। मेजर राज ने कहा हां में रॉ का एजेंट हूँ। इस पर दूसरे व्यक्ति ने बोला और तुझे मेजर जनरल सुभाष ने कर्नल इरफ़ान का पीछा करने के लिए भेजा था। राज बोला हां मुझे मेजर जनरल सुभाष ने कर्नल इरफ़ान का पीछा करने भेजा था। पहला व्यक्ति गुर्राया और बोला- अब बता क्यों कर रहा था तू कर्नल इरफ़ान पीछा ??? इस पर मेजर राज बोला तुम ही बताओ न कि मैंने क्या कहना है। जैसा तुम कहोगे वैसे ही में दुहरा दूँगा एक झन्नाटे दार थप्पड़ से मेजर राज का गाल लाल हो गया और वह व्यक्ति फिर से गुर्राया हरामज़ादे .... सच सच बोल तू कौन है और कर्नल इरफ़ान का पीछा क्यों कर रहा था। 

यातायात पुलिस का कांस्टेबल राज हूँ तुम्हारा कर्नल इरफ़ान। । । । । । । । । । । फिर मेजर राज का रंग पीला हो गया। वही करंट उसके शरीर में फिर से छोड़ा गया था। अब की बार मेजर को अपनी जान निकलती हुई महसूस हुई और उसकी आँखें बंद होने लगी। बेहोश होने से पहले जो आखिरी बात मेजर राज की आँखों के सामने थी वह सोनिया के मम्मे थे। 
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06-07-2017, 02:10 PM, (This post was last modified: 06-07-2017, 02:12 PM by sexstories.)
#14
RE: वतन तेरे हम लाडले
रात के 12 बजे जय बाकी लोगों के साथ गोआ पहुंच चुका था। वहां आर्मी कॅंट मे पहुंचते ही जय और डॉली अपने कमरे में चले गए जबकि रश्मि और पिंकी दूसरे रूम में चले गए। मेजर राज की वजह से जय की पहले से ही आर्मी केंट में एक सुंदर रूम की बुकिंग थी। बॉम्बे से हवाई जहाज़ के माध्यम गोआ तक की यात्रा में सब थक गये थे सर्विस बॉय ने सारा सामान जय के कहने के अनुसार उचित कमरों में रख दिया था। थोड़ी देर बाद सर्विस बॉय ने पहले जय और फिर रश्मि का कक्ष खटखटाया और उन्हें खाने के लिए डाइंग टेबल पर आने के लिए कहा। कुछ ही देर में सब लोग खाना खा हो चुके तो थकान के कारण अपने अपने कमरों में चले गए। रश्मि और पिंकी अपने कमरे में गए जबकि डॉली और जय अपने रूम में चले गए।जय के कमरे में एक खिड़की थी जिसके पीछे समुद्र और पेड़ ही पेड़ थे। रात के इस पहर में यह दृश्य खासा भयानक लग रहा था मगर जय जानता था कि सेना के अंडर होने के कारण यह सुरक्षित क्षेत्र है।डॉली ने कमरे में जाते ही उस खिड़की के पर्दे गिरा दिए और शौचालय चली गई। 
[Image: images?q=tbn:ANd9GcQiKBLTMQCm9r7abKvuEFT...EvJXpyaa-B]
जय ने कमरे की रोशनी बंद कीं और एक ज़ीरो वाट का बल्ब जलता रहने दिया। वह बहुत थक चुका था और अब कुछ सोना चाहता था। अपने बूट और कोट उतार कर अब वह कंबल में घुसने ही लगा था कि शौचालय का दरवाजा खुला और डॉली बाहर आई। डॉली पर नज़र पड़ते ही जय अपनी नज़रें हटाना भूल गया था। पिंक कलर की शॉर्ट नाइटी में डॉली इस समय कोई सेक्स क्वीन लग रही थी। गहरे गले वाली नाइटी में डॉली के 38 आकार के बूब्स का उभार बहुत स्पष्ट नजर आ रहा था। कसे हुए सख्त मम्मे आपस में जुड़े हुए थे और उनके बीच बनने वाली क्लीवेज़ लाइन किसी भी आदमी को पागल कर देने के लिए काफी थी। नाइटी मुश्किल से डॉली के 34 आकार के चूतड़ों को घेरे हुए थी। नीचे डॉली ने एक जी स्ट्रिंग पैन्टी पहन रखी थी जिसने सामने से डॉली की चूत को ढक रखा था जबकि पीछे से डॉली के चूतड़ों को कवर के लिए पैन्टी मौजूद नहीं था। पीछे की साइड पर केवल पैन्टी की एक स्ट्रिंग थी जो डॉली के 34 आकार के भरे हुए चूतड़ों की लाइन में गुम हो गई थी। 
[Image: Black-sexy-lace-open-font-b-cup-b-font-l...summer.jpg]
डॉली ने मदहोश नजरों से जय को देखा और एक सेक्सी अंगड़ाई ली जिससे डॉली की शॉर्ट नाइटी और ऊपर उठ गई और उसकी जी स्ट्रिंग पैन्टी स्पष्ट दिखने लगी। इसी तरह डॉली ने मुंह दूसरी तरफ कर लिया तो नाइटी ऊपर उठने की वजह से उसके भरे हुए चूतड़ भी अपना जलवा दिखाने लगे। डॉली को इस हालत में देखते ही जय की पेंट में लंड सिर उठाने लगा और गोवा में नवंबर की ठंड में भी जय के शरीर में आग लगा दी। 

जय बेड से उठा और तुरंत डॉली के पास पहुंचकर उसको अपनी गोद में उठा लिया। गोद में उठाया तो डॉली के 38 आकार के गोल मम्मे जय के चेहरे के सामने आ गए जबकि जय के हाथ डॉली के पैरों के आसपास थे। डॉली ने अपनी टाँगें पीछे की ओर फ़ोल्ड कर ऊपर उठा ली और जय को सिर से पकड़ कर अपने सीने के साथ लगा दिया। डॉली के सीने पर सिर रखते ही जय को लगा जैसे उसने अपना सिर एक नरम और गुदाज़ तकिए पर रख दिया हो। जय ने अपना सिर उठाया और डॉली की क्लीवेज़ लाइन देखने लगा तो उसने अपने गर्म गर्म होंठ डॉली के मम्मों के उभारों पर रख दिए जो नाइटी से बाहर दिख रहे थे। जय दीवाना वार डॉली के मम्मों को प्यार करने लगा। थोड़ी देर बाद जय ने डॉली को बेड पर धक्का दिया और खुद उसके ऊपर गिर कर उसको पागलों की तरह चूमने लगा। जय कभी डॉली के नरम होंठों का रस चूसता तो कभी उसकी गर्दन को दांतों से खाने लगता। कभी उसके मम्मे हाथ में पकड़ कर जोर से दबाता तो कभी डॉली के चूतड़ों का मांस हाथ में लेकर उन्हें जोर से दबाता। 

डॉली की मोटी थाईज़ पर प्यार करते हुए जय उनकी नरमी का दीवाना हुआ जा रहा था। वह बड़े जोश के साथ डॉली की थाईज़ को चूम रहा था और फिर जय के होंठ थाईज़ से होते हुए डॉली की पैन्टी तक पहुंचे, जो अब तक की कार्रवाई के परिणामस्वरूप काफी गीली हो चुकी थी। डॉली की पैन्टी से आने वाली खुशबू ने जय को मदहोश कर दिया था। जय ने अपनी ज़ुबान निकाली और पैन्टी के गीले हिस्से पर रख कर उसको चाटने लगा। डॉली ने अपने दोनों पैर उठाकर जय की गर्दन के आसपास लपेट दिए और उसके सिर के बालों में अपनी उंगलियां फेरने लगी। जैसे-जैसे जय डॉली की पैन्टी पर अपनी जीभ फेर रहा था वैसे-वैसे डॉली की आउच, उम्मह, उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह आह आह। आह आह। । अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्म । । उम उम्म्म .... मज़ा आ गया जान, आह, खा जाओ इन्हे तुम्हारे ही है यह, ऊच जैसी आवाजें बुलंद हो रही थीं। थोड़ी देर के बाद जय ने डॉली की पैन्टी उतार दी। पैन्टी उतारते ही वह डॉली की हल्के गुलाबी रंग की चूत पर टूट पड़ा। डॉली की चूत महज 10 दिन पहले ही पहली बार फटी थी इसीलिए अभी तक उसकी चूत के होंठ आपस में मिले हुए थे। अब जय की ज़ुबान तेजी के साथ चल रही थी। डॉली ने गोवा आने से पहले विशेष रूप से अपनी चूत की सफाई की थी। उसका पहले से कार्यक्रम था कि गोआ जाते ही वहां की ठंड में जय के गरम लंड से अपनी चूत की प्यास बुझानी है। कुछ ही देर के बाद जय की ज़ुबान की रगड़ाई के कारण डॉली की चूत ने पानी छोड़ दिया। 

इस ठंड में भी डॉली की चूत ने कई बार गर्म पानी छोड़ा था जिससे जय का चेहरा भर गया था। उसके बाद डॉली ने पास पड़े बॉक्स से तोलिया निकाल कर जय के चहरे को साफ किया और उसे चूमने लगी। फिर डॉली ने जय की शर्ट को गले से पकड़ा और एक ही झटका मारा , जय की शर्ट खुलती चली गई उसकी शर्ट के बटन टूट चुके थे और डॉली ने बिना इंतजार किए उसकी शर्ट उतारने के बाद उसकी बनियान भी एक ही झटके में उतार दी और उसके सीने पर प्यार करने लगी। वह एक जंगली बिल्ली की तरह जय पर टूट पड़ी थी। जब की शादी के बाद जय उसको 5, 6 बार चोद चुका था मगर ऐसी दीवानगी जय ने अभी तक नहीं देखी थी। जय को डॉली की यह दीवानगी और जंगली पन बहुत अच्छा लग रहा था। डॉली अपने हाथ और उंगलियों को जय की कमर पर फेर रही थी उसके नाखून जय की कमर पर अपने निशान छोड़ रहे थे जिससे जय की दीवानगी भी बढ़ती जा रही थी। फिर डॉली ने जय को बेड पर धक्का दिया और उसकी पेंट की बेल्ट खोलने के बाद ज़िप खोली और उसकी पेंट को घुटनों तक नीचे उतार दिया। 
[Image: 1222.jpg]
वीर्य की निकलने वाली बूंदों की वजह से जय का अंडर वेअर गीला हो चुका था जय की तरह डॉली ने भी अपनी ज़ुबान को जय के गीले अंडर वेअर पर रख दिया और उसके वीर्य की सुगंध का आनंद लेने लगी। कुछ देर तक उसका अंडर वेअर चाटने के बाद अब डॉली ने जय का अंडरवेअर भी उतार दिया और पैन्ट भी उतार दी थी। जय अब पूरी नंगा था और उसका 7 इंच का लंड डॉली के हाथ में था जिसको वह किसी लॉलीपाप की तरह चूसने में व्यस्त थी। जय की टोपी से निकलने वाला पानी डॉली अपनी जीभ से चाट्ती और फिर उस पर थूक का गोला बनाकर गिराती और अपने हाथों से इसे पूरे लंड पर मसल देती। उसके बाद फिर से जय के लंड की टोपी को अपने मुंह में डालती और जय के लंड से फिसलता हुआ डॉली का मुंह आंडो तक चला जाता। डॉली के मुंह की गर्मी जय के लंड को बहुत मज़ा दे रही थी। डॉली बहुत ही मजे के साथ जय की लंड चुसाइ कर रही थी। 
[Image: 4.jpg]
कुछ देर की चुसाइ के बाद जय के लंड की मोटाई थोड़ी बढ़ी और उसकी नसें स्पष्ट होने लगीं। डॉली समझ गई कि उसका लंड वीर्य उगलने वाला है मगर आज तो डॉली अपने आप में नहीं थी उसने बिना इसकी परवाह किए जय के लंड के चौपे लगाना जारी रखे और आखिरकार जय ने अपनी सारी वीर्य डॉली के मुँह में ही निकाल दिया जिसकी आखिरी बूंद तक डॉली ने अपने गले से नीचे उतार ली . जब जय अपना सारा वीर्य निकाल चुका तो डॉली ने अपनी जीभ से उसके लंड पर लगा हुआ वीर्य भी चाट लिया और फिर अपने होंठों पर जीभ फेरकर उसके मजे लेने लगी।

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अब जय का लंड थोड़ा मुरझा गया था। अब जय उठा और डॉली की नाइटी उतार दी। डॉली ने नीचे ब्रा पहनने की जहमत नही उठाई थी उसके 38 आकार के भारी मम्मे जय के हाथों में थे जिन पर वह अपनी ज़ुबान फेर रहा था। डॉली ने जय का एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और दूसरा हाथ मम्मों पर ही रहने दिया, जय अब एक हाथ से उसका एक मम्मा दबा रहा था जबकि दूसरे हाथ से उसकी चूत में उंगली फेर रहा था और डॉली का दाहिना मम्मा जय के मुंह में था जिसका निप्पल जय लगातार चूस रहा था और डॉली आँखे बंद किए आह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हऊच की आवाजें निकाल रही थी। डॉली आज निडर होकर सिसकियाँ ले रही थी और आज की रात सेक्स एंजाय कर रही थी। 
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जब कि डॉली की सिसकियाँ घर में भी रश्मि को सुनाई देती थीं मगर वहाँ डॉली काफी नियंत्रित करती थी मगर कमरा साथ होने के कारण कुछ सिसकियाँ साथ वाले कमरे में भी सुनाई दे रही थीं। मगर आज तो डॉली को किसी बात का होश नहीं था। वो बिना किसी डर के जोर से सिसक रही थी। वह जानती थी कि औरत की सिसकियाँ पुरुष को जोश दिलाती है और वह फिर जमकर चुदाई करता है। और हो भी ऐसा ही रहा था डॉली की सिसकियों की ही वजह से जय का लंड फिर से तन चुका था और चूत में जाने के लिए तैयार था। एक कमरा छोड़ कर दूसरे कमरे में लेटी रश्मि भी डॉली की सिसकियाँ सुन रही थी जबकि पिंकी कमरे में पहुंचते ही सो गई थी। डॉली की सुनाई देने वाली सिसकियाँ रश्मि को तीव्रता से राज की याद दिला रही थीं। राज ने पहली रात में रश्मि को अपने 8 इंच के लंड से जो मज़ा दिया था रश्मि वह मज़ा अभी तक नहीं भूली थी। और डॉली की सिसकियाँ रश्मि की चूत को भी गर्म कर रही थीं। 

यही कारण था कि इधर डॉली की सिसकियाँ जय के लंड खड़ा कर चुकी थीं तो उधर उसकी सिसकियों से रश्मि भी अपनी चूत में उंगली फेर रही थी। रश्मि की चूत आज भी ऐसी ही थी जैसे बिल्कुल कुंवारी चूत होती है। क्योंकि इसमें सिर्फ एक बार ही सुहागरात वाले दिन लंड गया था। 
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जब जय का लंड फिर से चुदाई को तैयार हुआ तो जय ने डॉली के पैर खोलना चाहे ताकि वो उसकी चूत में अपना लंड उतार सके। मगर डॉली ने उसको मना कर दिया और जय को लेटने को कहा। जय लेट गया तो डॉली जय के ऊपर आई और उसके लंड का टोपा अपनी चूत के छेद पर फिट कर एक ही झटके में उसके लंड पर बैठ गई।

[Image: parneetifun3.jpg]जय का लंड डॉली चूत की दीवारों के साथ रगड़ खाता हुआ उसकी चूत की गहराई तक उतर गया और गर्भाशय से जा टकराया जिस पर डॉली ने एक जोरदार सिसकी भरी जिसने रश्मि के कानों में घुस कर उसकी चूत में और ज़्यादा आग लगा दी । उधर डॉली जय के लंड पर घोड़े की तरह सवारी कर रही थी और आवाज़ें निकाल रही थी तो दूसरे कमरे में रश्मि की उंगली अब चूत में पहले से अधिक तेजी के साथ अपना काम कर रही थी। 
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जब डॉली जय के लंड पर उछल उछल कर के थक गई तो जय ने उसे अपने ऊपर लिटा लिया और नीचे से अपना लंड पूरी गति के साथ डॉली की चूत में चलाना शुरू किया। 5 मिनट की चुदाई के बाद डॉली की योनी में बाढ़ आ गई और उसकी चूत का सारा पानी जय के आंडों और थायज़ तक आ गया था। डॉली ने बिना इंतजार किए जय की गोद से उतर कर डॉगी स्टाइल की स्थिति ले लिया और जय को आमंत्रित किया कि वह अब पीछे से आकर डॉली की चुदाई करे। जय ने भी बिना समय बर्बाद किए पीछे से आकर डॉली की चूत पर अपना लंड रखा और एक ही धक्के में पूरा लंड सट से डॉली की चूत में उतार दिया। फिर डॉली की टाइट योनी में जय का 7 इंच का लंड पकडम पकड़ाई खेलने लगा। जैसे ही लंड अंदर की ओर धक्का लगाता चूत पूरी ताकत के साथ उसे पकड़ लेती जिसकी वजह से पूरा लंड एक पल के लिए दब सा जाता तो लंड अपनी ताकत से चूत की पकड़ से निकलता और चूत से बाहर निकल आता केवल लंड का टोपा ही चूत के अंदर रह जाता है, फिर धक्का लगता और फिर से लंड चूत के अंदर जाता और चूत फिर से उसको पूरी ताकत के साथ पकड़ लेती। 
[Image: parneetifun2.jpg]
डॉली का यह रूप जय के लिए बिल्कुल नया था। उसने पहले भी बहुत तेज़ी से डॉली को चोदा था मगर डॉली ने ऐसा दीवाना पन पहले कभी नहीं दिखाया था। पहले डॉली डॉगी स्टाइल में चुदाई करवाते हुए थोड़ी बेचैनी महसूस करती थी मगर आज तो वह खुद अपनी गाण्ड आगे पीछे करके चुदाई का मज़ा उठा रही थी। जय जैसे जैसे डॉली की चूत में धक्के मार रहा था वैसे ही साथ में उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मार मार कर डॉली को और अधिक आनंद दे रहा था डॉली के चूतड़ों से जय की जांघे टकराने पर धुप्प धुप्प की आवाज कमरे के वातावरण को बहुत सेक्सी बना रही थीं। डॉली के 38 आकार के मम्मे हवा में लटके हुए थे जो हर धक्के के साथ आगे हिलते और जब लंड बाहर निकलता तो मम्मे भी वापस पीछे की ओर झूलते जब चूतड़ों पर हाथ मार मार कर डॉली के चूतड़ लाल हो गए तो जय ने आगे झुककर डॉली के मम्मे पकड़ लिये, अब जय के पास ज्यादा गैप नहीं था वह लंड को ज़्यादा बाहर नहीं निकाल पा रहा था। मगर अब उसके धक्के पहले की तुलना में अधिक गति से लग रहे थे, जय का आधा लंड योनी से बाहर निकलता और एक जोरदार धक्के के साथ वापस योनी की गहराई से जाकर टकरा जाता 
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अब डॉली ने अपना अगला हिस्सा ऊपर उठा लिया था। जो कि वह अभी भी एक तरह से डॉगी स्टाइल में ही चुदाई करवा रही थी क्योंकि जय पीछे से ही उसकी चूत में लंड डाले उसको चोद रहा था मगर उसने अपना अगला धड़ उठा लिया था और घुटनों पर खड़ी हो गई थी जबकि उसकी गाण्ड बाहर निकली हुई थी क्योंकि लंड को चूत तक का रास्ता चाहिए था। डॉली की कमर जय के सीने से जुड़ी हुई थी और गाण्ड बाहर निकलकर जय की नाभि के हिस्से से टकराती थी जबकि लंड लगातार डॉली की चूत की खुदाई कर रहा था। इस स्थिति में डॉली की सिसकियाँ चीखों में बदल चुकी थीं जय ने उसे आवाज हल्की रखने को कहा मगर डॉली इस समय अपने आप में नहीं थी उस पर चुदाई का भूत सवार था और वह अपनी हनीमून की पहली रात को यादगार बनाना चाहती थी। वह जय के तूफानी धक्कों को काफी देर से सहन कर रही थी साथ ही अपनी चूत को अपनी उंगली से भी सहला रही थी। थोड़ी देर के बाद एक बार फिर डॉली की चूत ने पानी छोड़ दिया जो फव्वारे के रूप में चादर पर गिरता चला गया। और कुछ बूँदें बेड की दूसरी ओर फर्श पर भी जा गिरी 
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दूसरे कमरे में रश्मि का चेहरा लाल हो रहा था उसको उस समय राज के लंड की कमी महसूस हो रही थी मगर वह सिर्फ अपनी उंगली को ही अपनी चूत में चला रही थी। उसकी चूत अब डॉली की सिसकियाँ सुन सुनकर काफी गीली हो चुकी थी जबकि रश्मि का दूसरा हाथ उसके मम्मों पर था और वह अपना मम्मा जोर से दबा रही थी। 

डॉली तीसरे राउंड के लिए तैयार थी जबकि जय के लंड ने अभी तक पानी नहीं छोड़ा था। डॉली अब बॅड पर लेट गई और खुद ही अपनी टाँगें खोल कर जय को बीच में बैठने के लिए आमंत्रित किया, जय ने डॉली के पैर पकड़कर चौड़े किए और उसके बीच बैठकर अपने लंड की टोपी डॉली की चूत पर रखकर एक ही झटके में लंड उसकी चूत के अंदर प्रवेश करा दिया अब जय का लंड बड़े आराम से डॉली की चूत को चोद रहा था और डॉली अपने मम्मों को अपने हाथों में पकड़ कर उन्हें दबा दबाकर अधिक आनंद महसूस कर रही थी। उसकी आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे और वह जय को प्रशंसा भरी नज़रों से देख रही थी और उसको अधिक से अधिक उकसा रही थी कि वह और अधिक शक्ति के साथ उसकी चूत की चुदाई करे। 

5 मिनट की चुदाई ने डॉली की चूत को लाल कर दिया था अब जय के शक्तिशाली लंड के सामने उसको अपनी चूत हार मानती दिख रही थी और उसकी हिम्मत जवाब दे रही थी, जय के धक्के भी पहले की तुलना में तूफानी होते जा रहे थे और कुछ ही देर बाद वो तीनों एक साथ ही अपना अपना पानी निकालने लगे। डॉली और जय का पानी डॉली की चूत में ही मिल गया जबकि रश्मि की चूत का पानी उसकी सलवार के अन्दर ही बहता रहा। डॉली और रश्मि दोनों ने चूत का पानी निकलते हुए सिसकियाँ ली और जय भी अपना पानी निकालने के बाद डॉली के ऊपर गिर गया। 
[Image: Firework+In.gif]
डॉली अब प्यार से जय को चूम रही थी और उसकी प्रशंसा कर रही थी कि उसने आज बहुत मज़ा दिया। जबकि जय भी डॉली के जंगली पन बहुत खुश था। उसे नहीं मालूम था कि उसकी पत्नी में इतनी आग भरी हुई है वरना वो शादी के तीसरे दिन ही उसे हनीमून पर लाकर खूब चोदता। कुछ देर बाद जय और डॉली एक दूसरे के सीने से लगे सो चुके थे। वे नंगे ही बिना कपड़े पहने सो गए थे। पहले यात्रा की थकान और फिर डॉली के वहशीपन के कारण जबरदस्त चुदाई ने दोनों को खूब थका दिया था। दूसरी ओर रश्मि भी चूत का पानी निकलने के बाद कुछ शांत हुई थी और राज का लंड याद करते करते सो गई। 
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06-07-2017, 02:10 PM,
#15
RE: वतन तेरे हम लाडले
अब की बार मेजर राज की आंख खुली तो हुश्न देवी सोनिया अपने सारे हुश्न के साथ उसके सामने खड़ी थी। अभी भी वह टाइट पैंट में शॉर्ट ब्लाऊज़ के साथ अपने मम्मों का जलवा मेजर राज को दिखा रही थी। राज के होश में आते ही उसका लंड भी होश में आने लगा था क्योंकि सोनिया के मम्मे और उसकी मोटी गाण्ड के सामने कोई लंड सो जाये ऐसा संभव ही नहीं था। सोनिया के हाथ में खाने की थाली थी। उसने अपने हाथ से निवाला तोड़ा और मेजर राज को खिलाने लगी जो उसने बड़े ही प्यार से खाया। इसी तरह सोनिया ने सारा खाना मेजर राज को खिला दिया। भूख की वजह से उसका बुरा हाल था। ऊपर से बिजली के झटकों ने भी उसे निढाल कर दिया था उसे ताकत की ज़रूरत थी जो इस खाने से पूरी हो गई थी। मेजर राज को खाना खिलाने के बाद सोनिया ने काफी सीरियस होते हुए मेजर राज को कहा देखो तुम जो भी हो, जहां से भी आए हो उन को सब सच सच बता दो, अन्यथा यह तुम्हारे साथ बुरा सलूक करेंगे। तुम पहले कैदी हो जो मुझे पसंद आया। तुम्हारी बहादुरी और बेबाकी ने मेरा दिल जीत लिया है। मैंने हर कैदी को उन लोगों के सामने बिलखते और सिसकते देखा है मगर तुम पहले कैदी हो जो लोगों की परवाह किए बिना मेरे सीने पर नजरें जमाए मजे लेता रहा और बिजली के झटके लगने के बाद भी मैंने तुम्हारी आँखों में भय का तिनका तक नहीं देखा। इसलिए इन लोगों को सब कुछ सच सच बता दो इसी में तुम्हारी भलाई है। 

सोनिया की ये बातें सुनकर मेजर राज बोला तुम्हारा नाम क्या है ?? सोनिया ने अपना नाम बताया तो मेजर राज बोला मैंने बहुत सी हसीन लड़कियाँ देखी हैं मगर तुम जैसी तेज तर्रार लड़की मैंने आज तक नहीं देखी। तुम्हारे शरीर के उभार मुझे पागल किए दे रहे हैं। मेजर राज अभी और भी बहुत कुछ कहता मगर सोनिया ने उसकी बात काटी और बोली में तुम से क्या कह रही हूँ और तुम हो कि तुम्हें आशिकी सूझ रही है। सोनिया ने इधर उधर देखा जैसे देखना चाह रही हो कि कोई आस पास है या नहीं ... फिर मेजर राज के कान के पास होकर बोली तुम जानते ही होगे कि अगर तुमने उन को सब कुछ बता दिया जो यह जानना चाहते हैं तो यह तुम्हे जीवित नहीं छोड़ेंगे, और अगर कुछ और दिन तुम उन्हें सच नहीं बताओगे तब भी यह तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। यह हर मामले में तुम्हें मार देंगे। और मेरा इस्तेमाल भी करेंगे तुमसे सच उगलवाने के लिए। 

में अपने हुश्न से पुरुषों को पागल करती हूँ और जब उन्हें मेरी ज़रूरत होती है तो उन्हें तड़पा तड़पा कर में सब जान लेती हूँ। और उसके बाद ये लोग उसे मार देते हैं। मगर तुम मुझे पसंद आए हो, तुम उन्हें सच सच बताओ जो यह पूछते हैं उसके बाद मैं तुमसे वादा करती हूँ कि मैं तुम्हारी यहां से निकलने में मदद करूंगी। राज उसकी यह बात सुनकर हैरान होकर बोला क्या तुम मेरी मदद क्यों करोगी ??? 

सोनिया ने कहा क्योंकि तुम्हारी मर्दानगी मुझे पसंद आ गई है। मैंने कई कड़ियल जवानों को इस जेल में सिसकते और बिलखते देखा है। मगर आप इन सबसे अलग हो निडर और बेबाक। इसलिए मैं नहीं चाहती कि यह तुम्हें कोई नुकसान पहुँचाएँ। 

सोनिया बात सुनकर मेजर राज उसकी आँखों में देखता हुआ बोला अगर आपको लगता है कि पहले वाले सभी कैदियों से अलग हूँ और साहसी और निडर हूँ तो आप को यह भी पता होना चाहिए कि यहां से रिहाई पाने के लिए किसी औरत की और वह भी दुश्मन देश की महिला की मदद नहीं माँगूंगा मैं मर तो जाऊंगा मगर तुम्हारे सामने मदद के लिए हाथ नहीं फैलाउन्गा यह कह कर मेजर राज ने एक बार फिर अपना चेहरा आगे कर सोनिया के होंठों को चूस लिया। सोनिया ने नागवारी से पीछे हटते हुए मेजर राज को एक गाली दी और बाहर चली गई, जबकि पीछे मेजर राज ठहाके लगाने लगा। 

सोनिया के जाने के बाद फिर से वही 2 बदमाश अंदर आए और मेजर राज से सवाल करने लगे और मेजर राज बिना सोचे समझे वह स्टोरी सुनाने लगा यातायात कांस्टेबल राज हूँ तुम्हारा कर्नल इरफ़ान राज मार्ग आगरा ........... .. इन्ही जवाबों की वजह से वो आदमी मेजर राज के शरीर में करंट दौड़ाने लगता। आज फिर यह सवाल जवाब 3 बार हुए मगर मेजर राज का जवाब चेंज नही हुआ। आखिरकार उनमें से एक बदमाश ने गुस्से में आकर पास पड़े लोहे के रॉड को उठाया और मेजर राज के पैरों पर बरसाना शुरू कर दिया। लोहे का रॉड जब मेजर के पैरों पर पड़ता तो मेजर राज की जान निकलने लगती उसको अपनी माँ याद आने लगती और वह चीख़ें मारने लगता। मगर उसने अपना बयान नहीं बदला। 10 मिनट तक मार खाने के बाद भी जब मेजर राज से सवाल पूछा गया तो उसने काँपती हुई आवाज़ और लुढ़के हुए चेहरे के साथ वही कहानी सुनाई यातायात कांस्टेबल राज हूँ तुम्हारा कर्नल इरफ़ान .. .. .. एक बार फिर बिजली के झटके लगे मेजर राज को और वह फिर से बेहोश हो गया। 

मेजर राज को फिर से होश आया तो एक बार फिर सोनिया अपने हुश्नो जमाल के साथ उसके सामने मौजूद थी। जबकि मेजर राज का मार खा खा कर बुरा हाल हो गया था। अब की बार फिर सोनिया ने उस पर तरस खाते हुए कहा देखो जान उनको सब कुछ सच सच बता दो और मुझे यहाँ से लेकर भाग जाओ में अपना शेष जीवन तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूं। मैं यहाँ की हर सुरक्षा प्रणाली से परिचित हूँ मैं तुम्हारी मदद करूंगी यहां से भागने में और फिर अपना पूरा जीवन तुम्हारी बाँहों में बिता दूँगी। सोनिया की आवाज में सच्चाई भी थी और दर्द भी। वह शायद सच में मेजर राज से प्यार करने लगी थी। उसकी आँखों में नमी भी थी।

मेजर राज ने उसकी आँखों में आँखें डाल कर देखा और बोला तुम सच कह रही हो तो मुझे बताओ कि सामने जो दरवाजा है उसको खोलने का कोड क्या है ??? सोनिया ने बिना झिझक वह कोड बता दिया। मेजर राज जानता था कि कोड सही बताया गया है क्योंकि उसने अर्द्ध बेहोश हालत में सोनिया के साथ आने वाले बदमाशों को बाहर जाते देखा था तब उन्होंने दरवाजा खोलने के लिए जो कोड लगाया था मेजर राज ने उसको अपने दिमाग़ मे सेव कर लिया था। और सोनिया ने वास्तव में कोड मेजर राज को बता दिया था। 

अब की बार मेजर राज की आवाज धीमी थी। वह सोनिया को कह रहा था कि मुझे भी आप अच्छी लगी हो, मगर यह तुम्हारी भूल है कि हम दोनों यहाँ से बचकर निकल सकते हैं। मैंने ऐसे जेल देख रखे हैं। मैं इस दरवाजे से निकल भी जाऊँ तो भी यहां से बच निकलना संभव नहीं होगा बाहर अनगिनत सुरक्षाकर्मी होंगे इसके अलावा ऑटो सिस्टम भी होगा जो मुझे मोनीटर कर रहा होगा और उसके साथ साथ यह जो सामने दरवाजे पर कोड लगा हुआ है यह उंगलियों के निशान भी रीड करता है। हमें सही कोड पता भी हो तब भी हम यहाँ से निकल नहीं सकेंगे। इस पर सोनिया ने उसे बताया कि तुम्हारी यह बात तो सही है कि यहाँ प्रणाली स्वचालित है। मगर यहां सुरक्षा के लिए कोई नहीं होता। बस में हूँ और बाहर वह 2 लोग हैं जो तुम से इनवेस्टिगेट करते हैं। इसके अलावा एक लंबी गैलरी है जिसमे पारगमन कैमरे लगे हुए हैं और अंत में मैन गेट है जिस पर 3 जवान मौजूद होते हैं। इसके अलावा पूरी बिल्डिंग में कोई नहीं। लेकिन पारगमन कैमरे की रेंज में जैसे ही कोई अनजान व्यक्ति आएगा तो स्वचालित गलियारे में लेजर बीम एक्टिव हो जाएंगी जो मानव शरीर को दो भागों में विभाजित कर सकती हैं। इससे तुम बचाकर निकल जाओ तो हम आसानी से गेट पर मौजूद गनमैन को काबू कर सकते हैं क्योंकि वो बहुत रिलैक्स बैठे होते हैं आज तक इस कमरे से कोई बच कर भाग नहीं सका इसलिए उन्हें चिंता नहीं होती। ऐसे में उनको काबू करना भी आसान है। और रह गई बात उंगलियों के निशान की तो तुम्हारी बात ठीक है। मगर जब मैं तुम्हारे साथ मौजूद हूँ तो मेरी उंगलियों के निशान से यह लॉक खुलेगा जिसका सबूत तुम्हें अब मिल जाएगा जब मैं बाहर जाउन्गी 

मेजर राज अब सोच में पड़ गया था और बाहर निकलने का उपाय करने लगा। वह सोच रहा था कि सोनिया पर विश्वास करना चाहिए या नहीं ??? कहीं ऐसा तो नहीं कि यह दुश्मन की कोई चाल हो ??? मगर फिर अचानक मेजर राज ने सोनिया को बताया कि मेरा नाम राज है और इंडियन आर्मी में मेजर हूँ। और मुझे कर्नल इरफ़ान को पकड़ने का काम दिया गया था जो असफल रहा। इससे अधिक अब मैं तुम्हें कुछ नहीं बता सकता। मेजर राज की यह बात सुनकर सोनिया ने आगे बढ़कर मेजर राज को गले लगाया और उसे चुंबन करने लगी। वह टूटकर मेजर राज के होंठ चूस रही थी और अपने प्यार का इजहार कर रही थी। मेजर राज भी इसी उत्सुकता के साथ सोनिया के रस भरे होठों से उसका रस चूस रहा था। सोनिया के मम्मे मेजर राज के सीने में धँस गए थे जिन्हें मेजर राज अपने सीने पर सॉफ सॉफ महसूस कर रहा था, उसका बस नहीं चल रहा था कि अभी उसके हाथ जाए और वो सोनिया के मम्मे पकड़ कर उन्हें चूसने लग जाए। 

कुछ देर एक दूसरे के होंठों का रस चूसने के बाद सोनिया पीछे हटी। उसकी आँखों में नशा था और होठों पर मुस्कान थी। उसने मेजर राज को कहा कि बस आप सब बातें भी उन सच सच बता देना। जब आप सब कुछ बता दोगे तो ये लोग खुद तुम्हें यहाँ से निकालेंगे और जैसे ही हम इस बिल्डिंग से निकलेंगे तब हम भागने की योजना बनाएंगे। मेजर राज ने पूछा मगर यह मुझे यहाँ से बाहर निकालेंगे क्यों ?? तो सोनिया ने कहा कि यह तुम्हें फर्जी ऐन्काउन्टर में मारेंगे और मीडिया में दिखाएंगे कि भारत से भेजा गया एक आतंकवादी पाकिस्तानी पुलिस ने मार डाला। इस तरह यह अपनी जान भी छुड़ा लेंगे और पुलिस की भी मीडिया में वाहवाही होगी और वैश्विक स्तर पर यह लोग भारत पर दबाव बढ़ा सकेंगे। 

मेजर राज को सोनिया की एक एक बात में सच्चाई नजर आ रही थी। अब सोनिया ने मेजर राज को आगे का प्लान बताया और यह भी बताया कि वह अपने कुछ साथियों को कहेगी कि जब हम लोग तुम्हें यहाँ से निकालने लगेंगे तो वे हम पर हमला कर दें इस अवसर का लाभ उठाकर हम भाग निकलेंगे। साथ ही सोनिया ने सवालिया नज़रों से मेजर राज को देखा और बोली अगर आपका भी कोई साथी हैं तो मैं उनसे कोन्टीकट कर लूंगी उससे हमारे यहां से निकलने में मदद मिलेगी। इस तरह हमें रहने का ठिकाना भी मिल जाएगा और इन लोगो से भी जान छुड़वा लेंगे। मेजर राज ने सोनिया को कहा कि वह किसी एक फोन की व्यवस्था कर दे तो वह अपने लोगों से संपर्क करके अपनी लोकेशन बता सकता है और बाहर निकलने पर वे मदद को आ जाएंगे। 

मेजर की यह बात सुनकर सोनिया ने वादा किया कि वह किसी न किसी तरह फोन की व्यवस्था कर लेगी। यह कह कर सोनिया दरवाजे की तरफ गई और वही कोड एंट्री किया, दरवाजा खुला और सोनिया बाहर निकल गई। 

मेजर राज अब आने वाले हालात के बारे में सोच रहा था। उसका उद्देश्य कर्नल इरफ़ान को पकड़ना था और उसके लिए यहां से निकलना बहुत जरूरी था। और मेजर राज तय कर चुका था कि यहां से निकलने के लिए वह सोनिया की मदद लेगा। 

सोनिया बाहर निकली तो लंबे गलियारे से होती हुई सीधे हाथ पर बने कंट्रोल रूम में गई और वहां बैठे इन्हीं दो बदमाशो में से एक की गोद में जाकर बैठ गई और उसकी एक लंबी किसकी। इस बदमाश ने भी अपना एक हाथ सोनियाके मम्मे पर रख दिया और बोला बोल मेरी जान कुछ मुंह से फूटा वह भारतीय??? तो सोनिया ने इठलाते हुए कहा दुनिया में ऐसा कोई आदमी नहीं जो सोनिया के हुश्न के आगे झुक ना जाए। इस भडवे का नाम राज है और वह भारतीयआर्मी में मेजर रैंक का ओफीसर है। उसका उद्देश्य कर्नल इरफ़ान को गिरफ्तार करना था शायद ये जान गए हैं कि कर्नल किस मिशन को पूरा होने के लिए भारत गया था। सोनिया की बात सुनकर दोनों बदमाश जोर से हंसने लगे। 

सोनिया ने दूसरे व्यक्ति को संबोधित करते हुए कहा इतना ही नहीं एक और सुसमाचार भी है। इस व्यक्ति ने पूछा वो क्या? तो सोनिया बोली कि उसने एक फोन मांगा है। जिससे वह अपने साथियों को फोन करेगा और एक निश्चित समय बताएगा जिस पर हम लोग इसको लेकर यहाँ से निकलेंगे। और एक निश्चित स्थान पर उसके साथी उसे और मुझे छुड़ाने के लिए हम पर हमला करेंगे। सोनिया की यह बात सुनकर कक्ष फिर इन तीनों की हँसी से गूंजने लगा। उनमें से एक व्यक्ति बोला यानी यह कुत्ता बाकी कुत्तों की भी मौत का कारण बनेगा। यह कह कर उस ने सोनिया को अपना फोन दिया और बोला कल जाकर यह फोन उसे दे देना। हम पता कर लेंगे कि उसने कहां कॉल की है। इस तरह हम उन हिंदुस्तानियों का पूरा नेटवर्क ख़त्म कर देंगे। कक्ष अभी हँसी के बजाय पिचक पिचक की आवाजों से गूंज रहा था। सोनिया एक बदमाश की गोद में बैठी उसके होंठ चूस रही थी जबकि दूसरा बदमाश उसकी गाण्ड ऊपर उठा कर उसकी पैंट नीचे करके उसकी चूत में लंड डाले झटके मारने में व्यस्त था।
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06-07-2017, 02:11 PM,
#16
RE: वतन तेरे हम लाडले
अगले दिन मेजर राज सोनिया का बेताबी से इंतजार कर रहा था। सोनिया तो आई मगर उसके साथ बाकी दो गुंडे थे। उन्होंने मेजर राज से वही सवाल किया तो मेजर ने बिना चूं-चपड़ बता दिया कि वह मेजर राज है और उसका कार्य कर्नल इरफ़ान को पकड़ कर मौत के घाट उतारना था। क्योंकि वह हमारे परमाणु ठिकानों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जान चुका था। इस गोपनीय जानकारी की मदद से कर्नल इरफ़ान हमारे परमाणु ठिकानो पर हमला करवा सकता है और किसी भी देश के द्वारा हमारे ठिकानों परमाणु मिसाइल चला सकता है। जो कि बहुत खतरनाक बात है। इसी तरह मेजर राज ने कुछ और बातें भी बताई जिस पर वे दोनों बदमाश सोनिया के साथ बाहर निकल गए। 

कुछ देर बाद सोनिया कमरे में आई और मेजर राज को पहले की तरह खाना खिलाया। इस दौरान मेजर राज ने सोनिया से आगे का कार्यक्रम जानने की कोशिश की मगर सोनिया ने हाथ के इशारे से बोलने से मना कर दिया और अपने सीने की ओर इशारा करते हुए इसे एक माइक्रो फोन दिखाया। यह इस बात का संकेत था कि सोनिया की निगरानी हो रही है और अंदर हम जो बातें करेंगे वह बाहर सुनी जाएंगी। 

मेजर राज ने तुरंत ही टॉपिक बदल दिया और सोनिया के हुस्न की तारीफ करने लगा। सोनिया ने मेजर राज से बहुत कुछ सवाल पूछे जिनका मेजर राज जवाब देता रहा क्योंकि वह जानता था कि ये बातें बाहर सुनी जा रही हैं इसलिए वह सब कुछ बताता चला गया। मगर इस दौरान उसने अपने और सोनिया के भागने के बारे में कोई बात नही की। खिलाने के बाद सोनिया वहां से चली गई। 

कोई 2 घंटे के बाद कमरे का फिर दरवाजा खुला और सोनिया अंदर आई। वह बहुत गोपनीय तरीके से अंदर आई थी। अंदर आकर उसने मेजर राज को एक बार अपने सीने से लगाया और फिर उसके होठों पर प्यार करने लगी। फिर सोनिया ने अपने शॉर्ट ब्लाऊज़ में हाथ डाला और वहाँ एक छोटा सा एमपी थ्री प्लेयर के बराबर का एक मोबाइल फोन निकाला। यह बहुत छोटा फोन था जो बा में आसानी कहीं छिपाया जा सकता था। सोनिया ने फोन मेजर राज की ओर बढ़ाया तो मेजर राज ने अपने हाथों से इशारा किया जो बंधे थे। 

सोनिया ने यह देखकर कहा कि अच्छा चलो मुझे नंबर बताओ मैं नंबर मिलाती हूँ। मेजर राज ने सोनिया को नंबर बताया और फिर उसको कहा कि मोबाइल फोन राज के कान के साथ लगा दे। सोनिया ने मेजर का बताया हुआ नंबर मिलाया और राज के कान से लगा दिया। इस दौरान मेजर राज ने सोनिया से पूछा कि वह जगह का नाम क्या बताए तो सोनिया ने उसे बताया कि भाटिया सोसायटी से निकलेंगे हम। कुछ देर बाद फोन पर हैलो की आवाज आई तो मेजर राज ने एक कोड वर्ड बोला। अल्फ़ा 43 रेड जोन। एजेंट 35 स्पीकिंग। दुश्मन की कैद में हूँ, कल किसी भी समय मुझे भाटिया सोसायटी से निकाला जाएगा। तुम हमले के लिए तैयार रहना। यह कह कर मेजर राज ने सोनिया को फोन बंद करने को कहा। 

सोनिया ने फोन बंद कर दिया। नियंत्रण कक्ष में बैठे दोनों बदमाश फोन पर होने वाली बातचीत भी सुन चुके थे और उस नंबर से भी परिचित थे जो इस फोन से डायल किया गया। मेजर राज की बात पूरी होने के बाद आगे से महज ठीक है आवाज आई थी और फोन बंद हो गया था। अब दोनों बदमाश इस फोन को ट्रेस करने में व्यस्त हो गए। 

जबकि दूसरी ओर सोनिया कमरे से बाहर जाने लगी तो मेजर राज ने सोनिया को आवाज़ दी। सोनिया ने वापस मुड़ कर देखा तो मेजर राज ने नीचे की ओर इशारा किया। सोनिया देखा कि मेजर राज अपने लंड की ओर इशारा कर रहा था कि उसकी पैंट में तम्बू बना खड़ा था .... सोनिया ने मेजर राज का लंड देखा तो रुक गई और बोली अभी तो भागने का प्लान बनाना है बाद में मैं तुम्हारे पास ही रहूंगी यह काम बाद में करेंगे। मगर मेजर राज बोला जान कितने दिनों से मैं कैद में हूं। न तो कोई लड़की चोदने को मिली और न ही अपनी मुठ मार कर उसे आराम दे सकता हूँ। आज प्लीज़ उसको आराम पहुंचा दो। 

मेजर राज की तड़प देखकर सोनिया मेजर की तरफ बढ़ी और उसकी पेंट मे लंड के ऊपर हाथ फेरने लगी। सोनिया ने जब मेजर राज के लंड पर हाथ फेरा तो उसकी लंबाई से प्रभावित हुई और प्रशंसा भरी नज़रों से राज को देखने लगी। फिर उसने नीचे झुक कर मेजर राज की पेंट की ज़िप खोली और अंदर हाथ डाल कर लंड पकड़ लिया। लंड हाथ में लेने के बाद सोनिया ने उसकी मोटाई और कठोरता को मापना शुरू किया तो उसके मुंह और चूत में पानी आने लगा। उसने तुरंत ही मेजर राज की ज़िप खोलकर उसका लंड बाहर निकाल लिया। 8 इंच लंबा और मोटा लंड देखकर सोनिया की आंखों में नशा सा आ गया। सोनिया का शरीर जितना सेक्सी था उसकी सेक्स की मांग भी उतनी ही अधिक थी। 

सेक्स करते हुए सोनाया जंगली बिल्ली बन जाती थी उसको आगे पीछे कोई होश नहीं रहता था। मेजर राज का 8 इंच लंड देखकर सोनिया की कुछ ऐसी ही स्थिति थी। उसने तुरंत ही मेजर के लंड को अपने मुँह में लिया और उसको चूसने लगी। सोनिया चुसाइ लगाने में माहिर थी। बाहर बैठे दोनों बदमाश खाली समय में सोनिया से चौपा लगवाते रहते थे। मगर उनके लंड इतने बड़े नहीं थे जितना बड़ा राज का लंड था। साथ ही राज के लंड का टोपा भी सोनिया को बहुत पसंद आया था। उसे पता चल गया था कि यह टोपा उसकी योनी को बहुत मज़ा देगा। 

कुछ देर तक सोनिया राज का लंड चूसती रही तो राज ने सोनिया से कहा जॉन अब अपने मम्मे भी दिखा दो। कितने दिनों से तुम्हारे बूब्स का उभार देखकर मेरा लंड सख्त होता रहा है। आज दिखा भी दो मम्मे। यह सुनकर सोनिया अपनी जगह से खड़ी हुई और छलांग लगाकर मेजर राज की गोद में चढ़ गई। उसने अपना शॉर्ट ब्लाऊज़ एक ही झटके में उतारा तो उसके 36 आकार के मम्मे उछलते हुए बाहर आ गए। गोल सुडौल और कसे हुए मम्मे ऐसे उछल रहे थे जैसे उनमे स्प्रिंग लगे हुए हों इन उछलते हुए मम्मों को देख कर राज के मुंह में पानी आ गया और उसने तुरंत ही अपना मुंह सोनिया के मम्मों पर रख दिया। और उन्हें चूसने लगा। 

सोनिया के मम्मे चूसते हुए राज का लंड बिना रुके झटके खा रहा था। अंतिम बार उसने रश्मि को चुदाई की थी हनीमून पर और जब फिर से उसकी चूत में लंड डालने लगा था तो उसको आवश्यक कॉल आ गई थी और वह रश्मि की प्यासी चूत को प्यासा ही छोड़ कर निकल गया था। राज की गोद में चढ़ी हुई सोनिया को भी अपनी गाण्ड पर मेजर राज का लंड महसूस हो रहा था। मगर उस समय वह राज को बड़े प्यार से अपने मम्मे चूसता देख रही थी। मेजर राज ने सोनिया के एक मम्मे का निपल अपने मुँह मे लिया और उसको काटने लगा। राज की इस हरकत से सोनिया के तन बदन में आग लग गई और वह जोर से सिसकियां लेने लगी। राज की प्यास देखकर सोनिया मस्त मज़ा मिल रहा था क्योंकि उसे राज का लंड देखकर अंदाजा हो गया था कि आज काफी दिन के बाद उसकी चूत को कोई तगड़ा लंड चोदेगा। 

कुछ देर सोनिया के 36 आकार के मम्मे चूसने के बाद राज ने सोनिया से अपनी चूत दिखाने की फरमाइश की। सोनिया तुरंत राज की गोद से उतरी और और अपनी पैंट उतार कर उसको अपनी चूत का नज़ारा करवाने लगी। सोनिया की चूत देखकर राज का लंड उसकी चूत की माँग करने लगा मगर राज ने सोनिया को कहा कि अगर वह उसके हाथ खोल दे तो वह आराम के साथ उसकी चूत चाट सकता है। राज की बात सुनकर सोनिया मुस्कुराई और बोली जानेमन अब तुम्हारे हाथ खोलने का जोखिम नहीं ले सकती में।

अगर बाहर इन दोनों को पता लग गया तो वह तो मुझे यहीं मार डालेंगे। लेकिन अगर तुम्हें मेरी चूत चाटनी ही है तो इसे चाटो, यह कह कर स्नेहा ने एक जम्प लगाई और अपना एक पांव राज की नाभि वाली हड्डी पर जमाया और ऊपर उछल कर अपना दूसरा पैर मेजर के सीने तक लाई और घुटना मेजर के कंधे पर रख दिया। और जिन राड के साथ मेजर राज के हाथ बांधे गए थे उन्हीं राड से सहारा लेकर खड़ी हो गई। 

सोनिया के इस तरह उछलने से मेजर राज को अंदाज़ा हो गया था कि सोनिया को लड़ई की प्रॉपर ट्रेनिंग दी गई थी। इस तरह कूद कर अपनी चूत खड़े सख्श के मुंह के सामने ले आना साधारण लड़की के बस की बात नहीं थी। यह वही कर सकती थी जिसको व्यायाम प्रशिक्षण मिला हो। मगर मेजर राज को इससे क्या, उसके सामने तो सोनिया की चूत थी जो चाटने लायक थी। चूत पर हल्के हल्के ब्राउन बाल बता रहे थे कि सोनिया ने 3 दिन पहले ही अपनी चूत की सफाई है। राज ने सोनिया की चूत पर अपना मुँह लगाया और अपनी जीब उसके अंदर सरका दी . सोनिया की चूत को राज की जीब का लुजलुजा सा स्पर्श बड़ा अच्छा लगा और सोनिया अपनी चूत को राज के मुँह पर दबाने लगी राज की जीब जब अपना कमाल दिखाया तो सोनिया हाय हाय कर उठी अब सोनिया की चूत लंड माँग रही थी और सोनिया अब पूरी तरह चुदने के मूड में आ चुकी थी

अब सोनिया ने देर करना उचित नही समझा और वा राज के कंधे से नीचे उतर गई और कुतिया की स्टाइल मे अपनी चूत को राज के लंड पर सटाने लगी मगर सोनिया की योनी सही तरह से मेजर राज के लंड तक नहीं पहुंच रही थी। इसलिए सोनिया का इस तरह खड़े होना मुश्किल था। 

उसका समाधान सोनिया ने यह निकाला कि वो एक बार फिर मेजर राज की गोद में चढ़ गई। उसकी गर्दन में अपने हाथ डाले और अपनी चूत के छेद को मेजर राज के लंड की टोपी पर रखा और एक झटके में लंड के ऊपर बैठ गई। फिर सोनिया ने मेजर राज के लंड ऊपर उछलना शुरू कर दिया। नीचे से मेजर राज भी अपनी गाण्ड हिला हिला कर धक्के लगा रहा था। मगर पैर बंधें होने की वजह से वो सही तरह से चुदाई नही कर पा रहा था। इसके बावजूद मेजर राज के 8 इंच लंबे लंड ने 5 मिनट में ही सोनिया की चूत को एक बार फिर पानी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। 

जब सोनिया की चूत ने पानी छोड़ा तो वह मेजर की गोद से नीचे उतर गई और नशीली नज़रों से मेजर राज को देखने लगी। उसको मेजर राज की चुदाई से बेहद मज़ा आया था। मगर मेजर का लंड अब भी सोनिया की चूत मांग रहा था। अब की बार सोनिया ने अपनी गाण्ड मेजर राज की ओर की और पंजों के बल खड़ी होकर अपनी चूत का छेद मेजर के लंड के ऊपर किया और मेजर ने धक्का मार कर लंड सोनिया की चूत में उतार दिया। 

अब सोनिया पंजो के बल खड़ी थी और पीछे से मेजर राज उसकी चूत में धक्के मार रहा था। अब मेजर राज सोनिया के जी स्पॉट को ढूँढना चाह रहा था। स्त्री का जी स्पॉट उसकी चूत का सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है जिसमे लंड लगने से चूत बहुत जल्दी पानी छोड़ देती है और मज़ा भी दुगुना हो जाता है। कुछ देर के बाद जब मेजर राज ने एक विशेष एंगल से सोनिया की चूत में धक्का मारा तो उसकी सिसकारी निकल गई। मेजर राज ने सिर्फ़ 2 बार इसी एंगल से धक्का मारा तो फिर सोनिया की सिसकारी निकली जिसका मतलब था कि यही जी स्पॉट है। पता चलते ही मेजर राज ने फिर से इस एंगल से धक्का नहीं मारा तो सोनिया चिल्लाई वैसे ही चोदो जैसे अभी धक्के मारे थे मगर मेजर राज ने थोड़ी देर बाद उसी एंगल से 2 धक्के मारने के बाद फिर एंगल चेंज कर लिया। सोनिया फिर से चिल्लाई उसी जगह फिर धक्के मारो तो राज बोला कि उसके पैर बँधे हुए हैं इससे अधिक कुछ नहीं कर सकता। 
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06-07-2017, 02:11 PM,
#17
RE: वतन तेरे हम लाडले
अब की बार सोनिया ने पहले से अधिक चिल्लाते हुए कहा कि प्लीज़ वैसे ही धक्का मारो जैसे अभी मारे थे, लेकिन मेजर राज ने फिर इनकार किया कि उसकी टांग मुड़ जाती है और पैर मे फेक्चर हो जाएगा अगर दोबारा इस एंगल में धक्का मारा। लेकिन सोनिया को कहाँ आराम मिलने वाला था। एक तो पहले ही मेजर राज के लंड ने उसको मजे के अनौखे छोर पर पहुंचा दिया था ऊपर से जी स्पॉट पर लंड घर्षण ने उसको वहशीपन की सीमा तक मज़ा दिया था। जब सोनिया न्र देखा कि अब लंड उसके जी स्पॉट को नहीं छू रहा है तो उसने अपनी चूत से लंड निकाला और सामने पड़ी अपनी पैंट की जेब से एक छोटी सी चाबी निकाली और मेजर राज के पैर खोल दिए . मेजर राज के पैरों खुलते ही उसको अपने पाओं में आराम महसूस हुआ और उसकी टांगों को बहुत आराम मिला। उसने दो तीन बार उछल कर अपनी टांगों को आराम पहुंचाया। तो सोनिया चिल्लाई कि तुम्हारी एक्सरसाइज करने के लिए पैर नहीं खोला अब सही तरह चुदाई करो मेरी और उसी जगह लंड लगना चाहिए जहां पहले लग रहा था। 

मेजर राज ने सोनिया से कहा अगर वह उसके हाथ भी खोल दे तो वह ऐसे चोदेगा सोनिया को कि सोनिया फिर कभी किसी और का लंड नहीं माँगेगी। मगर सोनिया ने मना कर दिया और बोली बस उसी पर धन्यवाद करो। अब जल्दी जल्दी अपना काम पूरा करो यह न हो वे दोनों बदमाश फिर आजाएँ और हमें इस हालत में देखकर हमें मार ही डालें। 

मेजर राज ने प्यार भरे लहजे में कहा कि जब तक मेरी जान में जान है मेरी सोनिया कोई माई का लाल नुकसान नहीं पहुंचा सकता। अब की बार मेजर राज ने अपनी टांगों को थोड़ा फैला लिया इधर सोनिया ने एक बार फिर मेजर की ओर अपनी पीठ और उसका लंड अपनी चूत में डाल दिया। पीछे से मेजर राज ने पहले वाले एंगल पर जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब की बार मेजर राज का लंड लगातार सोनिया के जी स्पॉट पर चोट मार रहा था उसका नतीजा यह हुआ कि कुछ ही झटकों ने सोनाया को पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। इस बार उसकी चूत से बहुत सा पानी निकला 

दूसरी ओर बाहर नियंत्रण कक्ष में दोनों गुंडे अंदर होने वाली चुदाई से बेखबर इस नंबर को ट्रेस करने में सफल हो गए थे जिस पर मेजर राज ने कॉल किया था और अपने भागने की सूचना दी थी। यह मुंबई के एक क्षेत्र का नंबर था जहां कई अंडरवर्ल्ड के ग्रूप थे। उनमें से बहुत से ग्रुप्स पर आरोप था कि इन को पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त है और पाकिस्तान के कहने पर ये लोग भारत में बदमाशी फैलाते हैं। जबकि कुछ गिरोह के बारे में यह राय थी कि भारत के लोकल समूह हैं और आईएसआई अपने लक्ष्य के लिए उन्हें इस्तेमाल करती है। मेजर राज ने जिस नंबर पर कॉल की थी यह भारत का एक प्रसिद्ध अंडरवर्ल्ड गिरोह था जिसकी अध्यक्षता दाऊद इस्माइल करता था। इस समूह के बारे में आम धारणा यह थी कि यह आईएसआई के लिए काम करता है, लेकिन मेजर राज के इस समूह के एजेंट को कॉल करना और उनसे मदद माँगना दोनों गुंडों को आश्चर्यजनक लगा था। इन दोनों ने यह खबर तुरंत कर्नल इरफ़ान तक पहुंचाई और कर्नल इरफ़ान भी गिरोह के विश्वासघात पर गुस्सा होने लगा और जल्दी एक योजना बनाने लगा जिसके अनुसार अगले 1 घंटे में इस गिरोह का जड़ से सफाया करना था।


दूसरी ओर कमरे में मेजर राज का लंड अभी सोनिया की चुदाई में व्यस्त था। अब मेजर राज ने सोनिया को कहा कि एक चेयर उठाकर मेजर के पास रख दे, सोनिया ने ऐसे ही सामने पड़ी एक कुर्सी उठाकर मेजर के पास रख दी, मेजर ने अपनी एक टांग कुर्सी पर रखी और सोनिया को कहा कि वह भी अपनी एक टांग उठा कर सामने आ जाए। सोनिया ने आश्चर्यजनक रूप से अपने पैर बिल्कुल सीधी खड़ी कर लिए और मेजर राज के सीने से टिका दिए यह एक और संकेत था कि सोनिया को विशेष प्रशिक्षण प्राप्त है। अब सोनिया की चूत मेजर राज लंड के सटीक निशाने पर थी। मेजर ने अपना लंड फिर से चूत के अन्दर डाला और अपनी एक टांग चेयर पर रखकर नीचे सोनिया चूत में धक्के मारने लगा। मेजर राज का हर धक्का सोनिया की चूत को अंदर तक हिलाकर रख देता था।


सोनिया दिल ही दिल में अफसोस कर रही थी कि कल इतने शक्तिशाली लंड के मालिक को मौत के घाट उतार दिया जाएगा और वह फिर से इस लंड से चुदाई नहीं करा सकेगी। जबकि राज आने वाले समय में यहां से भागने के बारे में सोच रहा था। सोनिया का बताया हुआ प्लान भी उसके मन में था और इस इमारत की सुरक्षा से संबंधित सोनिया ने जो कुछ कहा था उस पर भी मेजर राज को विश्वास था कि उसने सही बताया है। 5 मिनट की चुदाई ने सोनिया की चूत का बुरा हाल कर दिया था। सोनिया सोचने लगी कि अभी तो उसके हाथ बंधे हैं। अगर उसके हाथ खुले होते तो कई शैलियाँ में चुदाई करने पर बहुत मज़ा आता। कुछ ही देर बाद राज ने अपने अंतिम जोरदार धक्के मारे और उसकी चूत में अपनी गर्मी यानी गर्म वीर्य छोड़ दिया। मेजर के शुक्राणुओ को चूत में महसूस कर सोनिया की चूत ने भी पानी छोड़ दिया। 

अब मेजर राज गहरी गहरी साँसें ले रहा था और सोनिया प्यार भरी नज़रों से देख रहा था। सोनिया की आंखों में भी नशीले लाल डोरे तैर थे और वह मेजर राज के लंड की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकी। फिर सोनिया ने एक बार फिर से मेजर राज के होठों पर एक जोरदार किस किया और उसको बोली चलो अब जल्दी से अपने पैर पहली वाली स्थिति में ले आओ ताकि मैं बंद कर दूं वरना बाहर से वो लोग आ गए तो हमें यहीं मार देंगे और हमारा कल का कार्यक्रम धरे का धरा रह जाएगा। यह कह कर सोनिया ने फिर से वही चाबी उठाई मेजर के पैरों से झुकी तो मेजर ने अचानक एक पांव सोनिया के हाथ ऊपर रख कर उसे जोर से दबा दिया जिससे सोनिया के हाथ से वह चाबी निकल गई। 


वह गुस्से से ऊपर उठी और गुर्राते हुए बोली यह क्या हरकत है ??? क्या तुम्हें अपनी जान प्यारी नहीं ?? 

सोनिया की इस बात पर मेजर राज ने एक फ्लाइंग किस सोनिया की तरफ उछाली और बोला सोरी जॉन, तुम बहुत सुंदर हो और तुम्हारी चूत चोदने के योग्य है, लेकिन मुझे अफसोस है कि यह तुम्हारी अंतिम चुदाई थी। यह कहते ही मेजर राज ने एक छलांग लगाई और अपनी दोनों पैर सोनिया की गर्दन के आसपास लपेट कर जोर से दबा दिए सोनिया इस अचानक हमले के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी मगर मेजर की पकड़ में आते ही उसने भी एक छलांग लगाई और अपना घुटना नीचे मेजर को मारा। सोनिया का घुटना लगने से मेजर की तो जान ही निकल गई क्योंकि यह घुटना मेजर के टट्टों पर लगा था। और किसी भी आदमी की सबसे बड़ी कमजोरी उसके टट्टे होते हैं। 

मेजर को एक बार अपनी जान निकलती हुई महसूस हुई और उसकी पकड़ सोनिया की गर्दन पर कमजोर पड़ने लगी। मगर फिर मेजर को एहसास हुआ कि अगर अब सोनिया उसकी पकड़ से निकल गई तो उसकी जान बचना मुश्किल है तो उसने टट्टों के दर्द भुलाकर एक बार फिर से सोनिया की गर्दन के आसपास अपनी टांगों का शिकंजा मजबूत कर दिया। अब सोनिया ने फिर से अपना घुटना मेजर के टट्टों पर मारना चाहा लेकिन वह इसमें नाकाम रही क्योंकि उसकी गर्दन इस बार बहुत मजबूती से मेजर राज के पैरों के बीच थी और अब इसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह और प्रतिरोध कर सके। 

कुछ ही देर के बाद सोनिया की सुंदर आँखें बाहर निकलने लगीं और वह फटी फटी आँखों से मेजर राज को देख रही थी। मेजर कुछ देर और इसी तरह हवा में सोनिया की गर्दन पैर से दबोचे खड़ा रहा, जब उसे यकीन हो गया कि सोनिया की आखिरी सांस निकल चुकी है तो उसने सोनिया की गर्दन छोड़ी और फिर से जमीन पर आ गया। सोनिया लहराती हुई घूमती हुई ज़मीन पर आ गई थी। मेजर राज ने अंतिम बार सोनिया देखा और फिर उसके ऊपर थूकते हुए बोला तुझे क्या लगा था इतनी आसानी से तेरे काबू में आ जाउन्गा???? फिर मेजर ने अपने पांव की उंगलियों से वह चाबी उठाई जिससे सोनिया ने उसके पैर खोले थे। मेजर राज ने वह चाबी अपने पैर की उंगलियों में फंसाकर अपनी टांग फुल जोर से हवा में उछाली। जिस तरह सोनिया ने अपनी टांग उठाकर मेजर के सीने से लगा दी थी उसी तरह मेजर ने अपनी टांग उठाई तो उसका पांव उसके हाथ के बिल्कुल करीब पहुंच गया था जहां पर मेजर ने पांव की उंगली खोल दी और पैर वापस नीचे ले आया जबकि वह चाबी हवा में उछल गई। कुछ हवा में उछलने के बाद अब चाबी वापस नीचे आने लगी और मेजर राज सिर ऊपर किए चाबी को देखने लगा जो बिल्कुल मेजर राज के हाथ के ऊपर आ रही थी। 

यूं मेजर राज ने वह चाबी पकड़ ली और अपने हाथ मोड़कर चाबी को उंगलियों में फंसाकर अपने हाथ खोल लिए। फिर मेजर ने तुरन्त अपने कपड़े पहने और जमीन पर बिना कपड़े के पड़ी सुंदर सोनिया को अपनी गोद में उठाया और ऐसे ही उसे उठाकर दरवाजे की ओर ले गया। वहां पहुंचकर मेजर ने सोनिया का हाथ पकड़ कर उसकी उंगली से वही कोड मिलाया जिससे सोनिया ने दरवाजा खोला था। कोड पूरा होने पर दरवाजा खुलता चला गया। और सामने एक लंबी गैलरी थी। गलियारे को देखते ही मेजर समझ गया कि सोनिया ने सही कहा था गलियारे में कैमरा है जो ऑटो मैटेक अनजान चेहरे को देखकर ही लेजर ऑन कर देते थे जो मनुष्य को 2 भागों में विभाजित कर सकती थी। मगर मेजर राज रॉ का होनहार एजेंट था। वह जानता था कि इस गलियारे से कैसे निकला जाए कि कैमरा ऑटो मैटेक लेजर चालू न करें। 



कर्नल इरफ़ान को जैसे ही खबर मिली कि मेजर राज ने दाऊद इस्माइल गिरोह को अपनी मदद के लिए बुलाया है और आगे से ठीक भी कहा गया है तो कर्नल इरफ़ान के आश्चर्य की सीमा नहीं रही थी। क्योंकि दाऊद जो एक मामूली गुंडा होता था कर्नल इरफ़ान ने ही उसको एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का डॉन बनाया था और फिर कर्नल इरफ़ान ने दाऊद इस्माइल की भरपूर मदद की थी कि वह मुंबई जैसे शहर में अपना गिरोह चला सके। दाऊद जहां अपने अवैध कार्यों के लिए कर्नल इरफ़ान की मदद लेता था वहीं बॉलीवुड में भी दाऊद भाई का बहुत अच्छा दबदबा था। किसी भी हीरोइन की फिल्म फ्लॉप या स्ट्रॅगल एक्ट्रेस को टॉप हीरोइन बना देने के लिए दाऊद की एक कॉल ही काफ़ी थी। उसके साथ बदले में बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री न केवल दाऊद का बिस्तर गर्म करती थीं बल्कि साथ ही साथ उसके कहने पर किसी भी व्यक्ति के साथ रात बिताना सामान्य बात थी। किसी हीरोइन में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह दाऊद को मना कर सके। 

इन सभी गतिविधियों के अलावा दाऊद कर्नल इरफ़ान के एक इशारे पर भारत में बम विस्फोट कराने का काम भी करता था। हिंदू मुस्लिम दंगे करवाने के लिए भी दाऊद का गिरोह माहिर था। नाम से तो यह व्यक्ति मुसलमान था लेकिन वास्तव में मनुष्य कहलाने के योग्य भी नहीं था। दाऊद के गिरोह को कर्नल इरफ़ान का राइट हैंड कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। यही कारण था कि कर्नल इरफ़ान के लिए यह फोन कॉल किसी धमाके से कम नहीं थी। वह सोच भी नहीं सकता था कि दाऊद का गिरोह रॉ के साथ मिल चुका है और मेजर राज को आज़ाद करवाने के लिए वह पाकिस्तानी सेना पर भी हमला कर सकता है। इस बात ने कर्नल इरफ़ान के तन बदन में आग लगा दी थी। यही कारण था कि यह खबर मिलते ही कर्नल इरफ़ान ने अपने विश्वसनीय 10 किल्लर्स को दाऊद के गिरोह का सफाया करने का आदेश दिया था। 

कर्नल इरफ़ान का यह आदेश मिलते ही उसके लोग पूरे भारत में अपने अपने क्षेत्र के विश्वसनीय लोगों को लेकर इस समूह का सफाया करने निकल पड़े। मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, राज स्थान, दिल्ली, बेंगलुरु, राजपुर, पटना और दूसरे बड़े शहरों में पिछले आधे घंटे में दाऊद भाई के 200 विश्वसनीय लोग कर्नल इरफ़ान के साथियों की गोली का निशाना बन चुके थे। मुंबई में कर्नल इरफ़ान ने खुद दाऊद के बहुत से ठिकानों पर हमला करवाया और उसके गिरोह का सफाया कराता चला गया। अंत में दाऊद की बारी थी जिसको मारने का कार्य कर्नल इरफ़ान ने खुद ज़िम्मा लिया था। क्योंकि इस समय दाउद पाकिस्तान में ही छिपा हुआ था 
( दोस्तो दाउद पाकिस्तान में क्यों छिपा हुआ था ये तो आप जानते ही है कि जुलाई 2006 में दाउद ने मुंबई में बमबिस्फोट कराए थे जिसमें बहुत से लोग मारे गये थे तब से दाउद प्लास्टिक सर्जरी से अपना चेहरा बदल कर पाकिस्तान मे ही छिपा हुआ था जिसकी मदद कर्नल इरफ़ान ने की थी )
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06-07-2017, 02:11 PM,
#18
RE: वतन तेरे हम लाडले
दाऊद भाई इन सब बातों से बेखबर बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ज़रीन खान के शरीर से खेलने में व्यस्त थे। ज़रीन खान जिसे दाऊद भाई के कहने पर ही सलमान खान के साथ प्रसिद्ध फिल्म में कास्ट किया था अपने सेक्सी शरीर की वजह से दाऊद भाई को पसंद आ गई थी। ज़रीन खान के भरे हुए मम्मे 38 आकार के थे और उसकी गाण्ड 36 की थी। दाऊद भाई अपने भव्य सोफे पर पैर फैलाए बैठे थे जबकि ज़रीन खान उसकी टांगों के बीच जमीन पर बैठी थी और दाऊद भाई का 8 इंच का लंड अपने मुंह में लेकर उसकी चुसाइ लगाने में व्यस्त थी। ज़रीन खान की लंड चुसाइ से दाऊद भाई हमेशा ही मजे करते थे। वह आंखें बंद किए ज़रीन खान की चुसाइ का मज़ा ले रहे थे। चुसाइ समाप्त कर ज़रीन खान खड़ी हुई और दाऊद भाई की तरफ अपनी गान्ड की और उनकी गोद में लंड के ऊपर अपनी चूत रखी और बहुत ही आराम के साथ लंड के ऊपर ही बैठ चुकी थी। लंड के ऊपर बैठने के बाद ज़रीन खान ने लंड के ऊपर उछलना शुरू किया और अपने मुंह से अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फक मी माइ बेबी, फक मी हार्ड की आवाज़ें निकालकर दाऊद को जोश दिलाना शुरू किया।


इससे पहले दाऊद को अधिक जोश चढ़ता और वह ज़रीन खान की चूत को जमकर चोदता अचानक कमरे का दरवाजा एक धमाके से खुला और कर्नल इरफ़ान किसी जिन्न की तरह अंदर दाखिल हुआ, दरवाजा खुलते ही दाऊद भाई ने बिजली की सी तेजी से ज़रीन खान को अपने लंड से उतारा और पास पड़ी हुई पिस्टल उठाकर अंदर आने वाले पर फायर करना चाहा। मगर अंदर आने वाला व्यक्ति दाऊद भाई से कहीं अधिक तेज था। इससे पहले दाऊद भाई पिस्टल से गोली चलाता एक शाएँ की आवाज़ आई और कर्नल इरफ़ान की पिस्टल से चली गोली सीधी दाऊद के हाथ पर लगी और उसके हाथ से पिस्टल छूटकर दूर जा गिरी। ज़रीन खान इस अचानक हमले से भयभीत होकर साथ ही पड़े बेड पर लेट गई थी और अपने शरीर को चादर से छिपा लिया था। कर्नल इरफ़ान को अपने सामने देखकर दाऊद हैरान भी हुआ और खुश भी। आश्चर्य इसलिए कि आखिर कर्नल इरफ़ान को ऐसी क्या ज़रूरत आ गई कि यूं कमरे का दरवाजा खोलकर गोली भी चलाई। और खुश इसलिए कि दाऊद समझ रहा था कि यह कर्नल इरफ़ान ने मजाक के रूप में पंप कार्रवाई करके दिखाया है। कर्नल इरफ़ान को सामने देखकर दाऊद भाई अब मुस्कुराने लगा और फिर साथ पड़ी चादर से अपने लंड को ढक कर सोफे से उठा और कर्नल इरफ़ान को वेलकम कहा और उसके निशाने की सराहना करने के साथ ही अपने हाथ से निकलने वाले खून को भी चादर से साफ करने लगा 

लेकिन जल्द ही दाऊद को एहसास हो गया था कि कर्नल इरफ़ान की आँखों में खून उतरा हुआ है ... दाऊद भाई ने कर्नल इरफ़ान से पूछा कि खैर तो है इस सबका क्या मतलब ??? कर्नल इरफ़ान ने गुर्राते हुए कहा मेरे से गद्दारी और देश द्रोह करने वाले को जीने का कोई हक नहीं। दाऊद ने पूछा कौन देश द्रोह और किसने की गद्दारी ?? कर्नल इरफ़ान ने पहले से अधिक गुस्से से कहा रॉ की मदद करने का विश्वासघात और यह देशद्रोह तूने किया है। इससे पहले कि दाऊद कुछ और पूछता, कर्नल इरफ़ान के पिस्टल से गोलियां निकली और दाऊद के सीने को छलनी करती हुई पार हो गई। खून के छींटे पीछे वाली दीवार पर पड़े थे और दाऊद का शव सोफे पर गिर चुका था। मरने के बाद भी दाऊद की आँखों में आश्चर्य के भाव थे जैसे उसे अपनी मौत पर विश्वास न आया हो। 

उसके बाद कर्नल इरफ़ान ने ज़रीन खान को देखा जो डरी और सहमी हुई कभी कर्नल इरफ़ान को देखती तो कभी दाऊद की लाश को। कर्नल इरफ़ान ने ज़रीन खान को कपड़े पहनने को कहा तो वह किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह अपने कपड़े पहनने लगी। ब्रा और पैन्टी पहनने बाद ज़रीन खान ने अपनी शॉर्ट निक्कर और सेक्सी शर्ट पहनी तो कर्नल इरफ़ान उसे अपने साथ आने को कहा। कर्नल इरफ़ान दाऊद के गिरोह को पूरी तरह से खत्म कर चुका था अब वह ज़रीन खान के शरीर से अपने आपको आराम पहुंचाना चाहता था। कुछ ही देर बाद ज़रीन खान एक बार फिर अपने कपड़ों से मुक्त कर्नल इरफ़ान के बेड पर उसके लंड की चुसाइ लगाने में व्यस्त थी। 

आइए इधर मेजर राज क्या कर रहा है ज़रा देख लेते हैं 



इन कैमरों की खास बात यह थी कि यह तब ही लेजर सक्रिय करते थे जब कोई अनजान चेहरा दिखे। मेजर राज ने दरवाजे से कदम आगे बढ़ाने से पहले सोनिया की शर्ट से अपना चेहरा ढक लिया था जबकि सोनिया के शरीर को अपने आगे कर लिया था। मेजर राज ने सोनिया के शव को अपने सामने इस तरह किया कि मानो वह कोई जीवित आदमी हो और चलती जा रही हो। मेजर राज ने सोनिया के पांव के ऊपर पाँव रखा था और उसका चेहरा जिसमें जीवन की कोई रमक शेष न थी ऊपर उठाया हुआ था ताकि कैमरा जब इन दोनों पर पड़े तो वह सोनिया के चेहरे को पहचान ले। और मेजर राज का चेहरा कैमरे की आंख से ओझल रहे और वहां पर चेहरे के बजाय एक शर्ट दिखे। मेजर राज ने सोनिया के शरीर आगे किया जहां से मेजर राज की समझ के अनुसार सुरक्षा वाला हिस्सा स्टार्ट होता था। जैसे ही सोनिया का शरीर इस हिस्से से आगे हुआ सामने लगे दो कैमरे अपना एंगल बदल कर सोनिया की ओर गए। कैमरों से इंफ्रा रेड किरणें निकली और सोनिया के चेहरे पर पड़ी। कैमरा डेटाबेस में सोनिया का चेहरा मौजूद था जो ऑटोमैटिक सिस्टम से तुरंत ही अप्रूव कर दिया गया और अब कैमरे में एक ग्रीन लाइट ब्लिंक कर रही थी। यह संकेत देखकर मेजर राज ने आगे बढ़ना शुरू किया। मेजर राज के शरीर के आगे सोनिया का शरीर था, जो कपड़ों से मुक्त था। 

लंबे गलियारे के अंत में जाकर मेजर राज को अपने दाहिनी ओर के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं। मेजर राज ने इन आवाजों को तुरंत ही पहचान लिया था। यह वही आवाज़ें थीं जो कि मेजर राज से इनवेसटीगेशन कर रही थीं। उन्हें मेजर राज ने अपना नाम और कर्नल इरफ़ान का पीछा करने के बारे में तो सच बता दिया था मगर बाकी जो कुछ बताया था वह झूठ पर आधारित था। मेजर राज ने तुरंत फैसला किया कि उसे न केवल अपने अपमान का बदला लेना है बल्कि उनको अगले जहां पहुंचाकर औरों के जीवन को सुरक्षित बनाना है। मेजर राज ने दीवार के साथ लग कर दरवाजे पर हल्का सा दबाव डाला तो वह खुलता चला गया और अंदर बैठे दोनों गुंडे दरवाजे की तरफ देखने लगे। मगर अंदर कोई नहीं आया तो उन्हें चिंता होने लगी। उन्होंने सोनिया को आवाज देते हुए कहा अब आ भी जाओ जानेमन अंदर क्यों तड़पा रही हो ??? 

मेजर राज ने यह आवाज़ सुनी तो सोनिया का एक पैर अपने हाथ से दरवाजे के आगे कर दिया। सोनिया के नंगे पैर देखकर उनमें से एक गुंडा अपने लंड को हाथ में पकड़े दरवाजे पर आया और जैसे ही बान्छे खिलाए कमरे से बाहर निकल कर सोनिया को पकड़ा तो सोनिया लहराती हुई उसकी बाहों में गिर गई। इससे पहले कि गुंडे को समझ आती कि उसकी बाहों में सोनिया का शव है मेजर राज के हाथ इस गुंडे की गर्दन तक पहुंच चुके थे और एक ही झटके में उसकी जान निकल चुकी थी। 

अंदर बैठा गुंडा जो इंतजार कर रहा था कि कब उसका साथी सेक्सी सोनिया को अपनी बाँहों में उठाए अंदर लाएगा उसने अपने साथी के शव को जमीन पर गिरते देखा और उसके साथ ही उसकी नजर सोनिया के नग्न शरीर पर भी पड़ी जिस पर मौत के आसार स्पष्ट थे। यों इस तरह अपने सामने 2 शव गिरते देख कर उसका हाथ तुरंत अपनी पिस्टल की ओर गया और इससे पहले कि वह गोली चला पाता मेजर राज एक ही छलांग में उसके सिर पर पहुँच चुका था। मेजर राज ने पहला वार उसके हाथ पर किया और उसकी पिस्टल दूर जा गिरी जबकि दूसरा वार मेजर राज ने उसके पेट पर किया। मेजर राज का घूंसा लगते ही वह गुंडा दर्द से दोहरा हो गया। उसके दोहरा होने पर उसकी कमर पर मेजर राज की शक्तिशाली कोहनी लगी जिसकी ताब न लाते हुए वह गुंडा जमीन पर ढह गया। और तड़पने लगा। मेजर राज ने इधर उधर देखा और उसे वही लोहे का रोड नज़र आया जिससे इस गुंडे ने मेजर राज के पैरों पर बेतहाशा वार किए थे। मेजर राज ने तुरंत ही वह रोड उठा लिया और उस गुंडे के पैरों पर बरसाना शुरू कर दिया। 

अच्छी तरह धोने के बाद मेजर राज ने इस गुंडे को भी जीवन की कैद से मुक्त कर दिया और फिर नियंत्रण कक्ष में मौजूद सिस्टम से पूरी बिल्डिंग के कैमरों का दृश्य देखा और सुरक्षा की समीक्षा की। बिल्डिंग में 10 स्थानों पर सुरक्षा गार्ड मौजूद थे जिनके हाथ में आधुनिक किस्म के हथियार था और वह हर तरह के हालात का सामना करने के लिए चाक-चौबंद खड़े थे। मेजर राज ने उनकी पोशीनज़ अपने दिमाग़ मे बिठाई और मेन गेट पर मौजूद सुरक्षा का भी जायजा लिया। कमरे में एक लाल रंग काबटन भी था जिसको दबाने पर सुरक्षा हाई अलर्ट हो जाती तब यहाँ से किसी को भी बख्शा जाना संभव नहीं था। मेजर राज ने कमरे से बाहर निकलने से पहले गलियारे की सुरक्षा प्रणाली को जाम कर दिया और उसके बाद गलियारे में प्रवेश होकर बाहर जाने का दरवाजा खोलकर देखा तो सामने खुला मैदान था जिसमें एक तरफ कुछ झाड़ियां थीं और दूसरी तरफ एक टूटी फूटी सड़क बनी हुई थी। सामने कोई 500 मीटर की दूरी पर एक दीवार और गेट नजर आ रहा था।


मेजर राज ने दरवाजा बंद किया और फिर से बिल्डिंग का नक्शा देखने लगा जोकि इसी कंट्रोल रूम में मौजूद था। इस बिल्डिंग के चारों ओर से इसी तरह के सुनसान क्षेत्र से घिरी हुई थी जबकि चारों ओर एक दीवार थी और बाहर जाने का एक ही रास्ता था जोकि मेजर राज से कोई 500 मीटर दूर था और ज़रूर वहां पर भी सुरक्षा गार्ड मौजूद थे। अब मेजर राज इस कैद से निकलने का प्लान करने लगा। अचानक ही उसके ज़हन में एक जबरदस्त प्लान आया। दोनों गुंडों में से एक गुंडे ने हल्की दाढ़ी रखी हुई थी और डेटाबेस में उसकी तस्वीर भी दाढ़ी के साथ ही थी। मेजर राज भागता हुआ गलियारे से वापस अपने कारावास के कमरे में गया वहाँ बहुत सारा सामान मौजूद था जो कैदियों को यातना पहुँचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। मेजर राज ने इस उपकरण से एक ब्लेड निकाला और वापस कंट्रोल रूम में आ गया, ऑटोमैटिक सुरक्षा मेजर राज पहले से ही जाम कर चुका था इसलिए उसे बाहर गलियारे से गुजर में कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। 

वापस आकर मेजर राज ने इस गुंडे चेहरे के बाल साफ किए और उसके चेहरे पर 2 अलग जगह पर ब्लेड से निशान भी लगा दिया। ब्लेड लगने से खून निकलने लगा जो मेजर राज ने उसके चेहरे पर मल दिया।अब किसी भी कैमरे के लिए इस को पहचानना संभव नहीं था। अब मेजर राज ने नियंत्रण कक्ष की समीक्षा की और वहां से कुछ हथियार उठा कर अपने कपड़ों में छिपा लिए और उसके बाद ऑटोमैटिक सिस्टम टाइमर ऑन कर दिया। 5 मिनट के बाद सुरक्षा प्रणाली को स्वचालित रूप से ऑनलाइन हो जाना था। मेजर राज ने सोनिया और पहले गुंडे का शव कमरे के अंदर कर दिया और दूसरे गुंडे के शव को गलियारे में रख दिया उसके बाद मेजर राज ने गलियारे के बाहर जाने वाला दरवाज़ा खोला और दोनो ओर का जायज़ा लेकर झाड़ियों की ओर दौड़ लगा दी। मेजर राज अपनी पूरी ताकत लगाकर पूरी तेजी के साथ झाड़ियों का सहारा लेता हुआ मेन गेट की ओर भाग रहा था। जब यह दूरी 100 मीटर रह गई तो मेजर राज रुक गया और वापस गलियारे वाले रास्ते से देखने लगा। 

अंदर गलियारे में गुंडे की लाश पड़ी थी जो अब डेटाबेस में मौजूद छवि से काफी अलग थी। 5 मिनट पूरे होने पर सुरक्षा प्रणाली ऑनलाइन हो गई और जैसे ही पारगमन कैमरा चालू हुए तो स्वचालित सुरक्षा प्रणाली इस शव को पहचानने की कोशिश करने लगी मगर कैमरे से मिलने वाली तस्वीर डेटाबेस में मौजूद किसी भी तस्वीर से मैच न हुई तो स्वचालित लेजर ऑनलाइन हो गई और साथ ही पूरी बिल्डिंग जोरदार सायरन से गूंजने लगी। लेजर ने शव के टुकड़े कर दिए थे जबकि सायरन की आवाज सुनकर सभी सुरक्षा अधिकारी अपनी अपनी जगह छोड़ कर उस बिल्डिंग के गलियारे से निकलने वाले दरवाजे के सामने अपनी अपनी स्थिति लेने लगे थे। कोई बिल्डिंग की छत से नीचे उतरा तो कोई बिल्डिंग के बाहर वाली साइड पर मौजूद कमरे से निकला। इसी तरह मेन गेट पर मौजूद 2 सुरक्षा कर्मियों में से एक ने भी भागना शुरू किया और गलियारे के दरवाजे के बाहर अपनी स्थिति संभाल ली। अब मेजर राज ने मेन गेट की तरफ भागना शुरू किया। 

मेन गेट पर मौजूद एकमात्र सुरक्षाकर्मी को झाड़ियों में हलचल महसूस हुई तो वह देखने के लिए आगे बढ़ा।अचानक ही झाड़ियों से मेजर राज ने लंबी छलांग लगाई और इससे पहले कि सुरक्षाकर्मी कुछ समझता मेजर राज के हाथ में मौजूद धारदार चाकू उसकी गर्दन पर था। अब यह अधिकारी कुछ बोल नहीं सकता था।मेजर राज ने उसको तेज शब्दों में कहा जीवन बचाना है तो तुरंत इस गेट को खोल दो नहीं तो 3 गिनती तक तुम अपनी जान से हाथ धो बैठोगे और मेरे हाथ में तेज चाकू तुम्हारी गर्दन काट डालेगा। इसके साथ ही मेजर राज ने गिनती शुरू कर दी। 1। । । । । । । । 2। । । । । । । । । इससे पहले कि मेजर राज 3 कहता इस सुरक्षा अधिकारी ने मेजर राज को गेट खोलने में मदद करने का आश्वासन दिया, मेजर राज अब उसे घसीटता हुआ गेट के पास ले गया तो उसने अपनी जेब से एक चाबी निकाली और गेट मे लगा दी। उसके बाद उसने गेट में लगे सिस्टम पर कोई कोड एंट्री की और फिर चाबी घुमाई तो गेट खुलने लगा।

गेट खुलते ही मेजर राज का हाथ चला और सुरक्षा गार्ड लहराता हुआ जमीन पर आ गिरा मेजर राज ने उसे जान से नहीं मारा था बल्कि उसकी गर्दन पर अपना विशिष्ट वार किया था जिससे वो जल्दी बेहोश हो गया और जमीन पर गिर गया, जबकि मेजर राज गेट से निकलते ही दाईं ओर भागने लगा। अंदर मौजूद बाकी सुरक्षाकर्मी अभी पारगमन का दरवाजा खुलने का इंतजार कर रहे थे। न तो अंदर कोई मौजूद था न ही दरवाजा खुला। और सुरक्षा अधिकारी इंतजार ही करते रह गए। 
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06-07-2017, 02:19 PM,
#19
RE: वतन तेरे हम लाडले
मेजर राज भागते भागते बहुत दूर निकल आया था मगर अभी तक किसी शहर या आबादी के कोई आसार नजर नहीं आए थे। भाग भाग कर मेजर की हालत खराब हो चुकी थी। उसके भ्रम व गुमान में भी नहीं था कि उसे इतना भागना पड़ेगा। दूर दूर तक पानी का भी नामोनिशान नहीं था। बस एक टूटी फूटी सड़क थी और मेजर राज उसके साथ भाग रहा था। काफी देर भागने के बाद जब मेजर राज थक चुका तो उसने चलना शुरू कर दिया था। शाम का अँधेरा हो चुका था और मेजर राज को इस बिल्डिंग से निकले कोई 30 मिनट हो चुके थे। अचानक मेजर राज को दूर कहीं से कार की आवाज आई। मेजर राज ने पीछे मुड़ कर देखा तो सड़क पर एक कार आ रही थी जिसकी हेड लाइट्स ऑनलाइन थीं। गाड़ी को देखते ही मेजर रोड से उतर गया और कुछ ही दूर मौजूद झाड़ियों में छिप गया और वाहन के गुजरने का इंतजार करने लगा। इससे पहले कि गाड़ी वहां से गुजरती मेजर को लगा कि उसके पीछे कोई खड़ा है ... मेजर नेपीछे मुड़ कर देखा तो वहाँ 3 हटे कटे पुरुष खड़े थे जिनके हाथ में राइफल थीं और उनका रुख मेजर राज की ओर था ..... 

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ज़रीन खान कर्नल इरफ़ान के सामने अब डॉगी स्टाइल में झुक गई थी और कर्नल इरफ़ान अपना 9 इंच लंबा लंड ज़रीन खान के पीछे से आकर उसकी चूत पर रख चुका था। कर्नल इरफ़ान के लंड की टोपी ने अभी ज़रीन खान की चूत को छुआ ही था कि ज़रीन खान ने खुद ही पीछे की ओर एक धक्का मारा और आधा लंड अपने अंदर उतार लिया, बाकी का आधा लंड कर्नल इरफ़ान के एक जोरदार धक्के से ज़रीन खान की चूत में उतर चुका था। भरे हुए शरीर की मालिक ज़रीन खान को चोदने की इच्छा कई फिल्मी हीरो करते थे मगर वह हर किसी को अपनी चूत नहीं देती थी। सलमान खान के अलावा केवल अक्षय कुमार ही वह व्यक्ति था जो ज़रीन खान की चूत लेने में सफल हुआ था। 

लेकिन दाऊद नियमित रूप से ज़रीन खान की चूत लेता था। ज़रीन खान जैसी भरे हुए शरीर की लड़कियों दाऊद भाई को ज़्यादा पसंद थीं। मगर वह अब इस दुनिया में नही रहा। कर्नल इरफ़ान पहली बार ज़रीन खान को चोद रहा था और उसको इस चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था। ज़रीन खान भी कर्नल इरफ़ान का 9 इंच लंड पूरी तरह अपने अंदर छिपाए चुदाई का मज़ा ले रही थी और उसका इज़हार वह अपने मुंह से सेक्सी आवाज निकाल कर कर रही थी। ज़रीन खान अपनी चूत से हर आदमी को मज़ा देने की क्षमता रखती थी जैसे ही कर्नल इरफ़ान अपने लंड को चूत के अंदर घुसाता ज़रीन खान अपनी चूत को टाइट कर लेती जिससे लंड अच्छी पकड़ मिलती और कर्नल को मज़ा आता, लंड बाहर निकलने लगता तो ज़रीन अपनी चूत को ढीला छोड़ देती कर्नल का लंड ज़रीन खान की चूत की गहराई तक चोट मार रहा था यही कारण था कि पिछले 10 मिनट में ज़रीन खान की चूत ने 2 बार पानी छोड़ दिया था। और अभी भी चूत में लगने वाले धक्कों ने ज़रीन खान को तीसरी बार पानी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। 


ज़रीन खान की चूत पानी से भरी हुई थी मगर कर्नल इरफ़ान का लंड थकने का नाम नहीं ले रहा था वह वास्तव में दाऊद इस्माइल की गद्दारी का गुस्सा ज़रीन खान की चूत पर निकाल रहा था उसके हर धक्के में दाऊद के विश्वासघात के खिलाफ गुस्सा स्पष्ट था । अब कर्नल इरफ़ान ने लंड ज़रीन खान की चूत से निकाला और और अपनी उंगली पर थूक लगा कर ज़रीन खान की चिकनी गाण्ड में प्रवेश करा दी। ज़रीन खान की गाण्ड भी काफी चिकनी और थोड़ा खुली थी। मगर फिर भी कर्नल उंगली की जाने से ज़रीन खान की एक सिसकी निकली आवोवोच .. ... ... .. उसने पीछे मुड़कर पहले कर्नल को देखा और फिर उसके लंड को देखा तो बोली आराम से गाण्ड मारना कर्नल आपका लंड बहुत लंबा है। 

मगर कर्नल को आज होश नहीं था कुछ भी। उसने अपनी टोपी ज़रीन खान की गाण्ड पर सेट की और एक जोरदार धक्का मारा। ज़रीन खान की एक चीख निकली और उसने अपनी आँखें बंद कर ली। कर्नल का आधे से अधिक लंड ज़रीन खान की नाजुक गांड को चीरता हुआ अन्दर जा चुका था। कर्नल ने थोड़ा लंड और बाहर निकाला और एक और जोरदार धक्का मारा। बाकी लंड भी अब ज़रीन खान की गाण्ड में था। कर्नल ने बिना इंतजार किए फिर से डॉगी स्टाइल में ही ज़रीन खान की गाण्ड बजाना शुरू कर दी। पहले पहल तो ज़रीन खान को काफी तकलीफ हुई लेकिन फिर धीरे धीरे उसको मज़ा आने लगा। वह हल्के हल्के अपनी गाण्ड हिला रही थी जिसकी वजह से कर्नल के धक्के और भी शिद्दत के साथ उसकी गाण्ड को चीरते हुए लंड अंदर पहुँच रहे थे। 

अब कर्नल ने लंड ज़रीन खान की गाण्ड से निकाला और ज़रीन खान को सीधा लेटने को कहा। ज़रीन खान कर्नल के बेड पर सीधा लेट गई और लेटते ही अपनी टाँगें खोल दीं कर्नल ने ज़रीन खान की चूत में अपनी उंगली डाल कर अंदर की चिकनाई का जायज़ा किया तो अब उसकी चूत थोड़ा सूखापन था। कर्नल ने अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया और एक जानदार धक्के में 9 इंच लंड ज़रीन खान की योनी में उतार दिया। और खुद ज़रीन खान के ऊपर झुक कर उसके 38 आकार के बूब्स को दबाने लगा और पीछे से अपनी गाण्ड हिला हिलाकर ज़रीन खान को चोदने लगा। ज़रीन खान भी कर्नल के बालों में हाथ फेर कर उसको प्यार कर रही थी और जबरदस्त चुदाई में सिसकियों के माध्यम से अपनी खुशी और आनंद व्यक्त कर रही थी। कर्नल इरफ़ान ने अब ज़रीन खान के 38 आकार के मम्मे अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिए थे। वह ज़रीन खान के गहरे ब्राउन निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूसता और फिर दांतों में लेकर काटता जिसकी वजह से ज़रीन खान के अंदर की जंगली औरत जाग गई थी और वह अब अपनी गाण्ड उठा उठा कर कर्नल का साथ दे रही थी। साथ ही उसकी आवाज में भी शिद्दत पैदा हो गई थी और उसके हाथ अब कर्नल की कमर पर अपने नाखूनों के निशान डाल रहे थे। कर्नल का लंड भी अब पूरी गति के साथ ज़रीन खान की योनी को चोद रहा था। आखिरकार कर्नल के लंड ने फूलना शुरू किया और सारा वीर्य जब लंड के अंदर जमा हो गया तो कर्नल इरफ़ान के लंड ने झटकों के साथ कतरा कतरा वीर्य ज़रीन खान की चूत में निकालना शुरू कर दिया। गर्म गर्म वीर्य चूत को जैसे ही मिला चूत ने भी अपनी गर्मी दिखाने के लिए गर्म पानी छोड़ दिया। 

अब कर्नल इरफ़ान ज़रीन खान के साइड में लेटा दाऊद के बारे में सोच रहा था, ज़रीन खान को चोदते हुए भी कर्नल का ध्यान दाऊद में ही था। उसके भ्रम व गुमान में भी न था कि दाऊद उसे धोखा देगा। कर्नल अभी इन्हीं सोचों में गुम था उसके गुप्त मोबाइल पर घंटी बजी। कर्नल ने तुरंत मोबाइल उठाया और आने वाली कॉल अटेंड करते हुए गुर्राते हुए बोला कर्नल इरफ़ान स्पीकिंग वाट से दा अपडेट ?? आगे कहा गया सर बुरी खबर है ... कर्नल इरफ़ान ने बेपरवाह होकर कहा बोलो। आगे बोलने वाले व्यक्ति ने बताया कि मेजर राज भाटिया सोसायटी जामनगर जेल से फरार हो चुका है। जेल में उसकी निगरानी में तैनात एजेंट राय और और उसके साथी की लाश गलियारे और कंट्रोल रूम में मिली है, जबकि कैप्टन सोनिया भी मृत हालत में पाई गई है। 

कर्नल इरफ़ान अपने दांत पीसता हुआ बोला और कोई बात ??? आगे बताया गया कि मेजर राज ने दाऊद इस्माइल गिरोह के जिस आदमी से फोन पर बात की थी उसे अपना परिचय एजेंट 35 कह कर करवाया था।जबकि दाऊद गिरोह का एजेंट 35 तभी से रॉ की कैद में है। यह सुनकर कर्नल इरफ़ान ने अपना फोन दीवार पर दे मारा और जोर से गरजा मेजर राज शर्मा, यू फकड विद मी। आई विल किल यू बास्टर्ड .. ... ... .. 

कर्नल इरफ़ान का शरीर गुस्से से कांप रहा था वह मेजर राज की चतुराई पर बहुत हैरान था। जिसने न केवल इस जेल की सुरक्षा को नाकाम कर दिया था जिसको आज तक कोई कैदी नहीं तोड़ सका था बल्कि साथ ही साथ उसने अपनी एक साधारण से फोन कॉल के माध्यम से कर्नल इरफ़ान के राइट हैंड गिरोह दाऊद इस्माइल गिरोह का भी सफाया करवा दिया था। और वह सफाया खुद कर्नल इरफ़ान ने किया था। वह अपनी इस मूर्खता पर अपने आप को कोस रहा था। 

वास्तव में मेजर राज ने सोनिया से जो वास्तव में पाकिस्तान आर्मी में कैप्टन के पद पर थी की बातों पर कभी विश्वास किया ही नहीं था। उसे पूरा विश्वास था कि वह ये सब भारत के गुप्त रहस्य अगलवाने के लिए अपने शरीर का उपयोग कर रही है। जब सोनिया ने मेजर राज को कहा कि तुम अपने साथियों को फोन करो ताकि वह मदद कर सकें, तभी मेजर राज को विश्वास हो गया था कि यह मेरे साथ और लोगों को पकड़वाना चाहती है ताकि मेजर राज को चारे के रूप में इस्तेमाल कर वो अपनी वाह वाह करवा सके। मेजर राज ने तुरंत हामी भर ली थी मगर सोनिया जाने के बाद वह सोचता रहा कि आखिर उन्हें कैसे चकमा दिया जाए ?? तभी मेजर राज के मन में वह आतंकवादी आया जो मुम्बई बम ब्लास्ट में शामिल था और अब से 2 महीने पहले मेजर राज ने ही उसे गिरफ्तार किया था। और जांच के दौरान उसने बताया था कि वह दाऊद इस्माइल के गिरोह के लिए काम करता है और उसका कोड वर्ड एजेंट 35 है। 

यहीं से मेजर राज ने सोचा कि चलो अपनी जान बचे या न बचे मगर इस गिरोह का तो सफाया होना चाहिए ताकि ये लोग ज़्यादा निर्दोष लोगों की जान न ले सकें। इसी सोच के साथ मेजर राज ने एक नंबर पर फोन किया, यह नंबर भी उसे एजेंट 35 से ही मिला था। मेजर जानता था कि जैसे ही उन लोगों को शक होगा कि यह गिरोह भारत की खुफिया एजेंसी के लिए भी काम करता है तो कर्नल इरफ़ान खुद ही इस गिरोह का सफाया करवा देगा। । मगर मेजर राज नहीं जानता था कि यह गिरोह कर्नल इरफ़ान के लिए कितना महत्वपूर्ण था। यूं मेजर राज की इस चाल से भारत का तो फायदा हुआ ही था मगर साथ में कर्नल इरफ़ान पर भी बहुत गहरी चोट की थी। वो खुद अपने ही हाथों से अपना एक शक्तिशाली हाथ काट चुका था।यही वजह थी कि अब वह पागल कुत्ते की तरह मेजर राज को ढूंढ रहा था। 

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Reply
06-07-2017, 02:19 PM,
#20
RE: वतन तेरे हम लाडले
मेजर राज के कपड़ों में कुछ हथियार मौजूद थे जिनसे वह उन का मुकाबला कर सकता था, लेकिन समस्या यह थी कि तीनों सशस्त्र आदमी पूरी तरह से सतर्क खड़े थे और वह मेजर राज की किसी भी चालाकी पर गोली चलाने से गुरेज़ नहीं करते। उनका एक आदमी जो स्वास्थ्य में उनमे सबसे तगड़ा था बल्कि अगर यह कहा जाए कि सबसे मोटा था तो गलत न होगा और हल्की दाढ़ी ये शायद इनका मुखिया था वह गुर्राते हुए बोला कौन हो तुम और क्या नाम है तुम्हारा ??? 

अब मेजर राज यहां यातायात कांस्टेबल राज वाली कहानी नहीं सुना सकता था क्योंकि वह जेल से भागा था और अब किसी को यह बताना कि वह भारतीयहै अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर था। मेजर राज ने तुरंत ही अपने मन में एक कहानी बना ली थी। उसने तुरंत बताया कि उसका नाम वक़ार युसुफ है। 2 महीने पहले उसे एक अंडरवर्ल्ड गिरोह ने 2 करोड़ की राशि के लिए अपहरण कर लिया था लेकिन इस राशि की व्यवस्था नहीं हो सकी तो उन्होंने वक़ार युसुफ यानी मेजर राज को बंदी बना लिया था और आज वह किसी तरह कैद से मुक्त होकर भागा है। 

अब मेजर राज की बात पूरी ही हुई थी कि रोड से आने वाली गाड़ी भी इसी जगह पर रुक गई और कुछ देर बाद रोड से नीचे उतरी और झाड़ियों की ओर आने लगी। अब कार की रोशनी मेजर राज के ऊपर पड़ रही थी।मेजर राज ने पीछे मुड़ कर देखने की कोशिश नहीं की क्योंकि वह जानता था कि उसकी हल्की सी अशांति पर वो बंदूक से गोली चलाने से परहेज नहीं करेंगे। वह मन ही मन सोच रहा था स्वर्ग से गिरा खजूर में अटका।एक जेल से भागा तो मालूम नहीं यह कौन लोग हैं जो उसके रास्ते में आ गए। इतने में मेजर राज को कार का दरवाजा खुलने की आवाज आई। हथियारबंद लोगों में मोटी तोंद वाला उधर बढ़ गया और बोला हां क्या खबर है वहाँ की ??

मेजर राज को अपने पीछे क़दमों की आवाज़ आई जो उसी की ओर आ रहे थे। फिर कोई मेजर राज से कुछ दूरी से गुज़रता हुआ इन्हीं 3 सशस्त्र लोगों के पास आया। 

मेजर राज ने चेहरा ऊपर हल्का सा घुमा कर आने वाले की तरफ देखा तो वह यह देखकर हैरान रह गया कि आने वाला वास्तव में "वाला" नहीं बल्कि "वाली है।" यह एक जवान लड़की थी जिसने लाल रंग की शलवार कमीज़ पहन रखी थी। आंखों पर हल्के ब्राउन रंग का चश्मा था ऊंची एड़ी वाले सैंडल और हाथ में एक छोटे आकार का महिलाओं का बैग पकड़ रखा थाछोटे बाल कंधों से कुछ नीचे कमर को छूने की कोशिश कर रहे थे। पाकिस्तानी कल्चर के अनुसार वह इस सूट मे कयामत खेज लग रही थी 

आने वाली लड़की, जिसकी उम्र लगभग 20 साल होगी और लंबाई 5 फुट 6 इंच के करीब रही होगी हल्का सा मुँह टेढ़ा करके मेजर राज की ओर देखा और बंदूकधारी की बात का जवाब देने की बजाय मेजर राज से मुखातिब होते हुए बोली तुम कहाँ से आए हो ??? 

इससे पहले कि मेजर राज कुछ बोलता सशस्त्र आदमी ने फिर उससे पूछा उसे छोड़ो जिस काम से तुम्हें भेजा था उसका बताओ क्या बना ?? 
तो लड़की बोली एक आश्चर्यजनक खबर है। वह वहां से पलायन हो चुका है, गेट आधा खुला था और गेट पर गनमैन बेहोश पड़ा था, जबकि अंदर काफी दूर कुछ बंदूकधारियों दिखे जो शायद किसी को ढूंढ रहे थे। हो न हो वह वहां से भाग चुका है ....

अब बंदूकधारी ने फिर से मेजर राज की ओर देखा और बोला हाँ तो वक़ारयुसुफ जी, बताना चाहूँगा कि आप कहां के रहने वाले हैं और उस गिरोह के चंगुल से कैसे भागे ??? 

इस पर लड़की ने फिर मेजर को देखा और बंदूकधारी को संबोधित करके बोली ये कहाँ से आया है ??? 

बंदूकधारी ने हाथ के इशारे से बताया कि यह उसी ओर से आया है जहां से तुम आ रही हो ... यह सुनकर उस लड़की के चेहरे पर मुस्कान आई और वह बोली कहीं तुम ही तो मेजर राज तो नहीं हो ??? लड़की के मुंह से अपना नाम सुनकर मेजर राज हैरान रह गया और फिर बोला नहीं मैं किसी मेजर राज को नहीं जानता। मेरा नाम वक़ारयुसुफ है और मैं लाहोर का रहने वाला हूँ। मेरा वहाँ कपड़े का कारोबार है। 

मेजर राज ने अभी जो कहा तो केवल लड़की ही नहीं बल्कि तीन बंदूकधारियों भी मुस्कुरा रहे थे और आश्चर्यजनक रूप से अब उन्होने अपनी बंदूक का रुख भी जमीन की ओर कर दिया था और वह बहुत रिलैक्स खड़े थे। 

मेजर राज ने सोचा अवसर का लाभ उठाना चाहिए, उसने एक ही पल में अपनी जेब में हाथ डाला और उसमें से एक छोटे आकार की पिस्टल निकाली और एक ही छलांग लगा कर लड़की के सिर पर पहुँच गया उसने अपनी पिस्टल लड़की की गर्दन पर रख दी थी और उसके गोरे पेट के आसपास हाथ डाल कर उसको कसकर पकड़ लिया था। मेजर राज चिल्लाया कि तुम सब अपनी-अपनी बंदूक नीचे फेंक दो नहीं तो तुम्हारी यह साथी अपनी जान से जाएगी। यह कह कर मेजर राज ने काउन्टिन्ग शुरू कर दी, 1। । । । । । । 2। । । । । । । मगर यह क्या .... वे तीनों सशस्त्र लोग डरने की बजाय अब भी मेजर राज को देखकर मुस्कुरा रहे थे और लड़की की भी हंसी निकल रही थी। 

मेजर राज फिर चिल्लाया मगर इस बार बंदूकधारी ने मेजर राज को संबोधित किया और बोला मेजर साहब कपड़े का कारोबार करने वाला इस फुर्ती मे कभी हमला नहीं कर सकता। यह कह कर उसने अपनी बंदूक नीचे रखी और मेजर की तरफ हाथ फैलाकर बढ़ने लगा, 

मेजर राज इस स्थिति पर हैरान था, उसने एक बार फिर अपनी पिस्टल लड़की की गर्दन पर रखी और धमकी भरे लहजे में बोला एक कदम भी आगे बढ़ाया तो गोली चला दूंगा।मगर लड़की अब भी मुस्कुरा रही थी। अब वह बंदूकधारी सीधा खड़ा हुआ और मेजर राज को सलयूट किया और बोला सर समीरा को तो छोड़ दें यह आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी, और जहां से आप भागे हैं यह अभी वहीं से होकर आ रही है और हमें आश्चर्य है कि आप कर्नल इरफ़ान की इस जेल से कैसे जीवित और सलामत बच कर निकल आए ... आज तक उसकी जेल से कोई बच कर नहीं निकल सका।

मेजर राज ने इस बार हैरान होकर पूछा तुम कौन हो ?? 

तो इस व्यक्ति ने अपने सिर से पगड़ी उतार दी और बोला सर मेरा नाम अमजद है, यह राणा काशफ, और सरमद है। और लड़की की ओर इशारा करते हुए बोला और यह मेरी बहन समीरा है। हमारा संबंध जमात-उल-अहरर से है। हमें मेजर जनरल सुभाष ने काम दिया था कि उनका एक मेजर कर्नल इरफ़ान की कैद में है उसको वहां से रिहा करवाना है। हमने समीरा को कार पर आगे भेजा था कि वह वहाँ की समीक्षा कर वापस आकर हमें वहां के हालात से अवगत करे, इतने में आप मिल गए, हम समझ तो गए थे कि आप ही मेजर राज होंगे क्योंकि यह बहुत वीरान क्षेत्र है यहां दूर दूर तक कोई आबादी नहीं। और ऐसी जगह पर आपका आना और आपकी यह स्थिति साफ बता रही है कि आप किसी जेल से भागे हैं। 

अपनी बात पूरी करके अमजद कुछ देर चुप हुआ और फिर हैरान खड़े राज को देखा जो यह सोच रहा था कि उनकी बात पर विश्वास करना चाहिए या नहीं, फिर अमजद बोला सर अब तो समीरा को छोड़ दीजिए अब तो हमने अपनी बंदूक भी साइड पर रख दी हैं। 

अब मेजर राज कुछ सोचता हुआ समीरा से पीछे हट गया, लेकिन उसकी उंगली अभी पिस्टल के ट्रिगर पर थी ताकि किसी भी हालत में वो तुरंत अपनी सुरक्षा हेतु गोली चला सके। जैसे ही मेजर राज ने समीरा को छोड़ा अमजद ने शेष 2 लोग राणा काशफ और सरमद से कहा चलो अब जल्दी निकलें इधर से कर्नल इरफ़ान के लोग अब पागल कुत्तों की तरह मेजर को ढूँढेंगे वह किसी भी समय इधर पहुँच सकते हैं। यह कहते ही सब ने अपनी अपनी बंदूक पुनः उठाई और कार की ओर भागे। 

मेजर राज के पास और कोई विकल्प नहीं था वह भी कार की ओर भागा, अमजद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया, जबकि समीरा उसके साथ फ्रंट सीट पर बैठ गई राणा काशफ और सरमद पिछली सीट पर बैठ गए मेजर राज भी उनके साथ बैठ गया और कार फर्राटे भर्ती हुई वहां से निकल गई। 

================================================== ==== 

सुबह होने पर डॉली की आंख खुली तो उसने देखा वह अब तक बना कपड़ों के लेटी थी और उसके पहलू में जय भी बना कपड़ों के सो रहा था। डॉली कंबल से बाहर निकली और अपने कपड़े पहनने लगी। रात होने वाली चुदाई का सोच कर उसकी आंखों में एक मस्ती और होठों पर मुस्कान थी। कपड़े पहनने के बाद उसने जय भी उठने को कहा और खुद शौचालय में घुस गई, जहां गर्म गर्म पानी से स्नान किया और उसके बाद जय से भी स्नान करने को कहा। स्नान करने के बाद डॉली दूसरे कमरे में जाकर पिंकी और रश्मि को जगाने चला गई जो अभी भी सो रही थीं। कमरे का दरवाजा खुला ही था डॉली सीधी अंदर गई और पहले पिंकी और फिर रश्मि को उठाया और तुरंत तैयार होने को कहा और बताया कि आज हम बीच जाएंगे और समुद्र मे भ्रमण भी करेंगे तो जल्दी जल्दी तैयार हो जाना दोनों। यह कह कर वह वापस अपने कमरे में चली गई और तैयार होने लगी। पिंकी भी तुरंत उठी और नहाने घुस गई जबकि रश्मि ऐसे ही बेड पर लेटी रही। 

उसका कहीं भी जाने का कोई मूड नहीं था। राज से दूरी उसको एक पल भी आराम नहीं लेने दे रही थी। ऊपर से इतने दिन बीतने के बावजूद अब तक राज की कोई खबर नहीं आई थी। यही वजह थी कि रश्मि गोआ आकर अपने आप को दोषी मान कर रही थी। एक औरत जिसका पति शादी की रात से ही लापता है वह गोआ की सैर कर रही है यह सोच कर ही रश्मि को महसूस होने लगा कि वह अपने पति से विश्वासघात कर रही है। रश्मि इन्हीं सोचों में गुम थी कि पिंकी तैयार हो गई और रश्मि को देखकर बोली भाभी आप अब तक ऐसे ही बैठी हैं चलने का इरादा नहीं है क्या ?? इस पर रश्मि बोली नहीं यार मेरा मन नहीं कर रहा कहीं भी जाने को। राज की याद आ रही है। भाई का नाम सुनकर एक पल पिंकी भी उदास हुई मगर फिर रश्मि को तसल्ली देते हुए बोली भाभी चिंता मत करो, भाई का तो काम ही है आपको तो पता है वह एक सिपाही हैं और उन्हें अक्सर ऐसे मिशन पर रवाना होना पड़ता है कि कई कई दिन उनकी खबर नहीं आती। आप चिंता न करें और चलने की तैयारी करें। 

इतने में डॉली ने आकर नाश्ता लगने की खबर दी, रश्मि मुंह धोकर पिंकी के साथ नाश्ते की टेबल पर पहुंची तो डॉली और जय फुल तैयारी कर चुके थे और पिंकी भी तैयार थी, इन दोनों ने रश्मि को ऐसी हालत में देखा तो पूछा भाभी आप अब तक तैयार क्यों नहीं हुई ?? रश्मि बोली तुम जाओ मेरा मूड नहीं है। यह सुनकर डॉली ने कारण पूछना चाहा मगर जय ने मना कर दिया और बोला जैसे आपकी मर्ज़ी भाभी लेकिन आप चलेंगी तो हमें खुशी होगी। रश्मि ने जय को देखा मगर बोली कुछ नहीं। उसकी आंखों की उदासी ने सब कुछ कह दिया था और जय समझदार था वह भी समझ गया कि रश्मि राज के बिना अच्छा फेल नहीं कर रही और डॉली और जय को साथ मे देखकर भी हो सकता है उसे राज की कमी महसूस हो। इसीलिए जय ने उस पर दबाव नहीं डाला और नाश्ता समाप्त कर वह डॉली और पिंकी के साथ निकल गया जाते हुए वह रश्मि को ताकीद कर गया कि अपना ध्यान रखे और किसी भी प्रकार की जरूरत हो तो बिना हिचक जय को अपना छोटा भाई समझ कर फोन करे वह तुरंत वापस आ जाएगा। यह सुनकर रश्मि ने प्यार से जय के सिर पर हल्की सी चमाट मारी और बोली नहीं तुम एंजाय करो मैं यहाँ ठीक हूँ और अगर किसी चीज़ ज़रूर हुई भी तो मेजर की पत्नी हूँ यहाँ फुल प्रोटोकॉल लूँगी। यह सुनकर रश्मि और जय दोनों ही हंस पड़े और पिंकी भी उनके साथ हंसने लगी जबकि डॉली के चेहरे पर नाराज़गी के आसार थे। 
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