Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
01-10-2019, 01:35 PM,
#91
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
कुछ देर के बाद इमरान वापस कमरे में आया और राफिया के माथे पर एक प्यार भरी पप्पी की, अंजलि भी वैसे ही अपने मम्मे लहराती बेड पर आकर लेट गई, इमरान ने पास पड़े बैग में से एक शर्ट और ट्राउजर निकालकर पहना और राफिया को बोला बेबी अंजलि के कुछ रिश्तेदार गोवा में हैं और किसी मुश्किल में हैं, आप प्लीज़ अपने मोबाइल से अपने पापा को फोन करो और मेरी बात करवा दो शायद वह अंजलि के परिजनों को इस मुश्किल से निकाल सकें। और मुझे कुछ देर के लिए आपकी कार और फोन लेकर बाहर जाना होगा और उन्हें किसी सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना होगा। राफिया ने कहा कि मगर अंजलि तो कह रही थी कि वह यहाँ अकेली है और उसके पापा बाहर हैं ??? इससे पहले इमरान कुछ बोलता अंजलि ने राफिया को कहा कि वह मेरे दूर के रिश्तेदार हैं और इस समय बहुत मुश्किल में हैं। सामान्य परिस्थितियों में हमारा मिलना जुलना नहीं होता मगर आज वह बहुत मजबूर होकर मुझसे मदद मांग रहे हैं। मगर मामला ऐसा है कि मैं उनकी मदद नहीं कर सकती तुम्हारे पापा ही इस समस्या का हल निकाल सकते हैं। अंजलि की बात पूरी होने पर इमरान ने राफिया को उसका मोबाइल थमा दिया और अपने पापा कर्नल इरफ़ान को फोन लगाने को कहा

राफिया ने अपने पापा को फोन किया, जैसे ही कर्नल इरफ़ान ने फोन पर हैलो कहा, कर्नल इरफ़ान ने कुछ परेशान स्वर में पूछा कि बताओ बेटा खैरियत तो है ना ?? कर्नल इरफ़ान जानता था कि राफिया बेवजह उसे तंग नहीं करती, कोई ज़रूरी बात हो तभी फोन करती है, खासकर जब वह अपने दोस्तों के साथ हो। राफिया ने अपने पापा को कहा पापा ये इमरान आप से कुछ बात करना चाहता है उसे कुछ मदद चाहिए आपकी ... यह कह कर राफिया ने फोन इमरान को पकड़ा दिया और इमरान नमस्ते सर कह कर कमरे से बाहर निकल गया। उसके बाद जो कुछ इमरान ने फोन पर कर्नल इरफ़ान को कहा, वह कर्नल इरफ़ान पांव तले से जमीन निकालने के लिए पर्याप्त था

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अमजद के लिए मौत को गले लगाना कोई मुश्किल काम नहीं था, वह बहुत बार मौत के मुंह से बच कर वापस आया था मगर अगली बार वो पहले से ज्यादा मुश्किल और घातक मिशन खुशी से करने के लिए तैयार हो जाता था। लेकिन हर बार वह अपनी जान जोखिम में डाल कर निडर होकर लड़ता था, लेकिन आज पहली बार उसे अपनी मौत का बैठकर इंतजार करना पड़ रहा था जहां वह न तो दुश्मन पर हमला करने की स्थिति में था और न ही अपने बचाव का कोई उपाय कर सकता था, अगर वह कुछ कर सकता था तो वह था सिर्फ मौत का इंतजार। और यही इंतजार उसके लिए भयानक था। अगर कर्नल इरफ़ान उसकी कनपटी पर पिस्टल रख कर उसको कह देता कि मेजर राज का पता बता दो नहीं तो मौत को गले लगा लो तो शायद अमजद खुद ही गोली चला लेता मगर मेजर राज का पता नही बताता, मगर इस तरह असहाय बैठ कर मौत का इंतजार करना बहुत यातनादायक था। कभी वह काशफ के बारे में सोचता तो कभी सरमद के बार में, वह नहीं जानता था कि काशफ ज़िंदा है या फिर कर्नल इरफ़ान ने उसे शहीद कर दिया ??? और सरमद के बारे में भी उसे पता नहीं था कि वह गिरफ्तार हो चुका है या फिर उसने अपने बचाव का कोई उपाय किया है ?? 

समीरा अमजद को अपनी जान से ज्यादा प्यारी थी, उसने समीरा को अपनी छोटी बहन की तरह पाला था, और वो ऐसे किसी भी मिशन में समीरा को जोड़ते हुए घबराता था, मगर समीरा के अलावा वह किसी और पर भरोसा नहीं कर सकता था इसीलिए मजबूरन वह समीरा को अपने साथ रखता। लेकिन इस समय वह समीरा से बेफिक्र था क्योंकि वह जानता था कि मेजर राज के साथ समीरा को कोई खतरा नहीं, मेजर राज समीरा की रक्षा कर सकता था, लेकिन सरमद की ओर से वह खासा चिंतित था। कर्नल इरफ़ान कमरे से गए खासी देर हो चुकी थी, शायद पूरा दिन बीत चुका था मगर अमजद को इस बात का राज नहीं था, वह तो बस एक अंधेरे कमरे में कैद था जहां बाहर होने वाले मामलों की उसको पता नहीं था। कुर्सी पर बैठे बैठे अमजद को अब तकलीफ होने लगी थी, ना जाने कब से वह इसी कुर्सी पर बंधा हुआ था और तो और पिछले काफी घंटों से न तो अमजद को पानी पीना नसीब हुआ था और न ही खाने को कुछ मिला था। परेशानी के कारण उसका गला सूख रहा था मगर उसको यहाँ पानी देने वाला कोई नहीं था। 

अमजद ने 2, 3 बार चिल्लाकर पानी भी मांगा मगर उत्तर में उसको ना तो कोई आहट सुनाई दी और न ही कोई उसे पानी पिलाने आया। आज अमजद को महसूस हो रहा था कि मौत का इंतजार करना मौत को गले लगाने से कितना मुश्किल काम था। अब काशफ और सरमद के बारे में ही सोच रहा था कि उसको कमरे से बाहर कुछ कदमों की आवाज सुनाई दी। अब अमजद के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई वह समझ गया था कि शहादत का समय अब आ रहा है। इतनी देर से जो वह यातनादायक प्रतीक्षा कर रहा था वह इंतजार खत्म होने को है, कर्नल इरफ़ान की पिस्टल से अब एक गोली चलेगी और अमजद के सीने से पार हो जाएगी, और वह एक सैनिक को बचाने की खातिर अपनी जान की बलि देकर शहादत के रुतबे पर आसीन हो जाएगा। इस सोच ने अमजद के अंदर एक अजीब सी हिम्मत पैदा कर दी थी। अब कर्नल इरफ़ान उसके शरीर के टुकड़े कर डालता तब भी वो उससे कुछ उगलवा नहीं सकता था। 

क़दमों की आवाज़ अब खासी करीब आ चुकी थी। कमरे के भीतर ज़ीरो का एक बल्ब जल गया था जिससे कमरे में कुछ प्रकाश पैदा हुआ था, तो कमरे का दरवाजा खुला और रस्सियों में जकड़ा व्यक्ति औंधे मुंह अंदर आ गिरा ... उससे पीछे एक और व्यक्ति था वह भी रस्सियों से बंधा हुआ था और एक आदमी उसे बालों से पकड़कर खींचता हुआ अमजद के पास ले आया था। रस्सियों में जकड़ा यह व्यक्ति अमजद के पास आया तो अमजद ने उसको पहचान लिया था। ये सरमद था जिसके चेहरे पर इस समय अनगिनत घाव थे और उसकी आंखें सूजी हुई थीं मगर आश्चर्यजनक रूप से उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी। अमजद को देखकर उसने बहुत मुश्किल से बोलना शुरू किया और महज इतना ही कहा: कुछ नहीं उगलवा सका यह कुत्ता मेरे मुंह से। 

सरमद के मुंह से यह बात सुनकर अमजद के चेहरे पर भी एक विजयी मुस्कान आ गई थी। वह आगे बढ़कर सरमद को गले लगाना चाहता था मगर अफसोस कि अपनी कुर्सी से उठने के लायक नहीं था वह अब अमजद ने नीचे गिरे हुए व्यक्ति को देखा जो अब तक औंधे मुंह पड़ा था अमजद ने ध्यान से उसको देखा तो उसे भी पहचान लिया, यह काशफ था, मगर उसकी हालत बहुत बुरी थी। कर्नल इरफ़ान ने उस उत्पीड़न के पहाड़ तोड़ दिए थे, अमजद की नजर जब काशफ के पैर पर पड़ी तो उसके होश फाख्ता हो गए, उसकी टांग पर बहुत ज्यादा खून जमा हुआ था और अब भी थोड़ा सा खून उसकी टांग से रिस रहा था । उसके साथ कर्नल इरफ़ान खड़ा था जिसके चेहरे पर दुख और गुस्से के स्पष्ट संकेत देखे जा सकते थे। उसको शायद अपनी विफलता का गुस्सा था कि इन तीनों में से किसी से भी वह ये नहीं उगलवा सका था कि आखिर मेजर राज और समीरा इस समय कहाँ है? 

कर्नल इरफ़ान के साथ 2 लोग और थे मगर इस बार वह हंटर वाली हसीना कर्नल के साथ नहीं थी कमरे की रोशनी अब कर्नल इरफ़ान के कहने पर ऑन कर दी गई थीं। रोशनी ऑन होने के बाद अमजद ने अब फिर काशफ देखा तो पता चला कि आखिर काशफ के साथ हुआ क्या है। उसकी टांग में ड्रिल मशीन के माध्यम से छेद किया गया था। उसने अपना दाहिना पैर फ़ोल्ड कर रखा था जबकि बाएं पैर को वह धीरे धीरे जमीन पर मार रहा था। मगर उसका बाकी पूरा शरीर स्तब्ध था, उसका चेहरा नीला हो रहा था और उसके कपड़े फटे हुए थे। काशफ की यह हालत देखकर अमजद की आँखों में खून उतर आया था। उसका बस नहीं चल रहा था कि वह अब अपनी जगह से उठे और कर्नल इरफ़ान के टकड़ टुकड़े कर डाले ...... मगर अफसोस कि वह इस समय कुछ नहीं कर सकता था। कर्नल इरफ़ान के साथ आए बाकी दो लोगों ने अब काशफ को जमीन से उठाया और अमजद के साथ एक और कुर्सी पर बिठा दिया जबकि सरमद अब तक खड़ा था मगर वह रस्सियों में जकड़ा हुआ था वह अपनी मर्जी से ज़्यादा हरकत नहीं कर सकता था सिवाय छोटे छोटे कदमों के साथ धीरे धीरे चलना। इसलिए कर्नल इरफ़ान को उससे कोई खास खतरा महसूस नहीं हो रहा था। 

कर्नल इरफ़ान ने अभी अमजद से कहा और बोला ये अपने दोस्त की हालत देख रहे हो ??? मुझे सब कुछ सच सच बता दो कि मेजर राज इस समय कहाँ है अन्यथा। । । । । । । । इससे पहले कि कर्नल इरफ़ान का वाक्य पूरा होता अमजद ने एक जोरदार व्यंग्य का ठहाका लगाया तो कर्नल इरफ़ान कुछ गुस्से और कुछ आश्चर्य मिश्रित प्रतिक्रिया के साथ उसे देखने लगा। अमजद बोला कर्नल किस को डरा रहे हो? मेरे दोस्त की हालत तुम्हारे सामने है, जब वह तुम्हारा बर्बर अत्याचार सहन कर गया और तुम उससे कुछ न उगलवा सके तो तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुम्हारे अत्याचार को सहन नहीं कर पाउन्गा और तुम्हें कुछ बताऊँगा ....


अमजद की बात सुनकर उसके साथ खड़े सरमद ने भी एक ठहाका लगाया और कुर्सी पर बैठे काशफ ने भी अपनी धीमी और पीड़ा से भरपूर आवाज में एक व्यंग्य का ठहाका लगाया। तीनों को ठहाके लगाते देखकर कर्नल इरफ़ान को अपना अपमान महसूस हो रहा था . वह सोच भी नहीं सकता था कि काशफ को इस हालत में देखने के बाद अमजद में हिम्मत बाकी रहेगी, उसका विचार था कि अमजद सब कुछ उगल देगा काशफ की यह हालत देखकर। मगर यहां तो मामला ही उलट था, वह तीनों तो एक दूसरे को देखकर खुश हो गए थे और उनमें पहले सा साहस आ चुका था, और तो और काशफ जिसके पैर में कर्नल इरफ़ान छेद कर चुका था और उसमें बोलने तक की हिम्मत नहीं थी उसका चेहरा नीला हो रहा था और उसके शरीर से खून निचोड़ लिया गया था वह भी व्यंग्य के ठहाके लगा रहा था।
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01-10-2019, 01:35 PM,
#92
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दोस्तो ये सिर्फ़ पुराने वाकये को याद करना था

अब आगे .................


अमजद हैरानगी के साथ कर्नल इरफ़ान चेहरे के बदलते रंग देख रहा था और उसके चेहरे से नज़र आने वाली परेशानी अमजद के लिए ख़ुशख़बरी की प्रतीक थी। अमजद समझ गया था कि मेजर राज कोई न कोई ऐसा काम कर गया है जिससे कर्नल इरफ़ान को गहरी चोट लगी होगी, उसको इस बात से कोई उद्देश्य नहीं था कि वह यहां से जिंदा निकल सकता है या नहीं, इसको बस इस बात की खुशी थी कि मेजर राज ने कर्नल इरफ़ान के लिए कोई बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है जिसकी वजह से वह परेशान है और अमजद के लिए यही काफी था कि शहीद होने से पहले वह कर्नल इरफ़ान को इस तरह परेशान देख रहा था। कर्नल ने जैसे ही कॉल अटेंड की और राफिया से पूछा कि क्या बात है तो उसने कर्नल को बताया कि इमरान ने आपसे कोई बात करनी है उसे मदद चाहिए, और इमरान यानी मेजर राज राफिया से फोन लेकर कमरे से बाहर निकल गया था। मेजर राज ने फोन पर हैलो कहते ही बड़े अजीब तरीके में कर्नल इरफ़ान को ससुर जी कह कर संबोधित किया और उसका हाल पूछा जिस पर कर्नल इरफ़ान को काफी गुस्सा आया क्योंकि कर्नल इरफ़ान के पास अब तक इमरान की स्थिति महज एक साधारण से लड़के की थी जिसने राफिया की जान बचाई और अब भी वह एक अंगरक्षक के रूप में राफिया के साथ मुर्री में मौजूद था

कर्नल इरफ़ान ने थोड़े कर्कश स्वर में इमरान को कहा कि बोलो क्या बात है कैसी मदद चाहिए? तो आगे से मेजर राज अपने विशिष्ट स्वर में बोला कि कर्नल साहब आपके पास इस समय जो मेरे साथी हैं अमजद, काशफ और सरमद, उनकी रिहाई के संबंध में आपकी मदद की जरूरत थी .... इमरान के मुंह से इन लोगों का ज़िक्र सुनते ही कर्नल इरफ़ान का मस्तिष्क सुन्न होने लगा, एक पल को तो वो समझ ही नहीं सका था कि इमरान ऐसी बात क्यों कर रहा है और उसे कैसे पता अमजद और उसके साथियों के बारे में, लेकिन साथ ही कर्नल इरफ़ान के मन में एक झमाका सा हुआ कि कहीं यह व्यक्ति जिसने राफिया को अपना नाम इमरान बताया है मेजर राज का कोई साथी न हो, या फिर ऐसा भी मुमकिन है कि यह खुद मेजर राज ही हो। इससे पहले कि कर्नल इरफ़ान कुछ बोलता मेजर राज कर्कश स्वर में बोला, सुनो कर्नल, तुम्हारी इकलौती बेटी इस समय मेरे साथ है और हम दोनों एक ही बेड पर सोए हैं, और उसको मुझ पर पूरा भरोसा है, अगर 10 मिनट के भीतर आप ने मेरे साथियों को न छोड़ा तो फिर कभी तुम अपनी बेटी की शक्ल नहीं देख पाओगे। और हाँ .... सुनो, मेरा नाम इमरान नहीं, मेजर राज है। और मैं अब तुम्हारी बेटी राफिया को अपने साथ लेकर जा रहा हूँ, अगर तुमने राफिया के मोबाइल के माध्यम से मेरा पीछा करने की कोशिश की या मेरे साथियों को रिहा करने के बाद उनका पीछा करने की कोशिश की तो अपनी बेटी की मौत के जिम्मेदार तुम खुद होगे। और यह मत समझना कि अपनी निष्क्रिय आईएसआई के एजेंट को हमारे पीछे लगा कर तुम हमें पकड़ सकते हो, हमारे साथी तुम्हारी और तुम्हारी टीम की निगरानी कर रहे हैं, अब चुपचाप मेरे साथियों को छोड़ दो और उन्हें कश्मीर तक जाने का रास्ता भी प्रदान करो, कश्मीर पहुंचने तक अगर उन पर कोई आंच आई तो मुसीबत तुम्हारी बेटी पर टूट पड़ेगी, जब वह खैरियत से कश्मीर पहुंच जाएंगे तो तुम अपनी बेटी को सही सलामत देख सकोगे। तब तक के लिए बाय बाय

मेजर राज ने यह कह कर फोन बंद कर दिया और कर्नल इरफ़ान क्रोध और बेचारगी की मिलीजुली स्थिति में केवल इतना ही कह सका नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते .... लेकिन मेजर राज फोन बंद कर चुका था और कर्नल इरफ़ान अब कभी बंद फोन की तरफ देखता तो कभी सामने बैठे अमजद को देखता उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे। काफी देर तक वह इसी दुविधा में रहा, अमजद के चेहरे पर मुस्कान थी वह यह तो नहीं जानता था कि फोन पर किसने बात की और क्या बात की, लेकिन कर्नल इरफ़ान की परेशानी उसके लिए राहत का सामान तैयार कर रही थी। इससे पहले कि कर्नल इरफ़ान कुछ बोलता उसे फोन पर फिर से एक बेल बजी। यह मैसेज टोन थी, कर्नल इरफ़ान ने तुरंत मैसेज पढ़ा तो राफिया के नंबर से राज का मैसेज था जिसमें लिखा था कर्नल इरफ़ान 5 मिनट हो गए आपने मेरे साथियों को अभी तक रिहा नहीं किया, तुम्हारे पास 5 मिनट और हैं उसके बाद तुम्हारी बेटी के साथ में क्या होगा यह आप अच्छी तरह समझ सकते हो। यह मैसेज पढ़ते ही कर्नल इरफ़ान के पैरों तले से जमीन निकल गई थी। वह तुरंत होश में आ चुका था और उसने अपने अधीनस्थों को आदेश किए कि तुरंत उन्हे खोला जाए और यहां से जाने दिया जाए।कर्नल इरफ़ान का आदेश सुनकर उसके सहायक बिजली की सी तेजी से तीनों को खोलने लगे और कुछ ही देर बाद अमजद अपने दोनों साथियों को साथ लिए लड़खड़ाते हुए जेल से बाहर निकल चुका था

बाहर निकल कर अमजद ने एक टैक्सी ली और पहले अपने डॉक्टर दोस्त के यहाँ गया, और सभी तरफ देखता रहा कि कहीं उसका पीछा तो नहीं हो रहा ??? मगर ऐसे कोई आसार उसको नजर नहीं आए, फिर भी एहतियात के रूप में वह अपने डॉक्टर दोस्त के पास जाने से पहले 2 बार टैक्सी का रूट चेंज किया और वहां जाकर अमजद ने अपनी और अपने दोस्तों की प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था कराई और उसके बाद कुछ जरूरी सामान साथ लेकर कश्मीर की ओर निकल गया। उसके पास मेजर राज का कोई नंबर नहीं था जिस पर वो संपर्क कर सकता , न ही मेजर राज के पास अमजद से संपर्क के लिए कोई ज़रिया नहीं था। मगर मेजर राज ने विभिन्न समूहों और संगठनों को अमजद को ट्रेस आउट करने का कार्य दे दिया था जिन्होंने कुछ ही देर में अमजद को ट्रेस कर लिया था और उस तक मेजर राज का संदेश पहुंचा दिया था कि आज़ादकश्मीर जाकर कुछ दिन आराम करे, फिर अगर जरूरत पड़ी तो मेजर राज उसे भारत बुलाएगा, और अगर ऐसी जरूरत महसूस नहीं हुई तो वह समीरा को राजी-खुशी से आज़ादकश्मीर वापस पहुंचा देगा। आज़ादकश्मीर जाते हुए भी अमजद ने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि कोई उसका पीछा तो नहीं कर रहा है, उसने बार बार अपना रास्ता भी बदला, कभी पहाड़ी क्षेत्रों से पैदल सफर तय किया तो कभी खच्चरों पर एक घाटी को पार किया। । कभी ट्रेन के एक से दूसरे पड़ाव तक तो कभी किसी बस से एक शहर से दूसरे शहर तक की यात्रा। ग़रज़ पूरे 1 दिन का सफर तय करने के बाद अमजद वापस आज़ादकश्मीर पहुंच चुका था जहां अब उसे अपने और अपने दोस्तों के इलाज की व्यवस्था करना था क्योंकि वह न केवल बुरी तरह घायल थे बल्कि इस यात्रा ने उन्हें और भी निढाल कर दिया था। और उन्हें उम्मीद थी कि मेजर राज जल्द ही उन्हें इंडिया एक महत्वपूर्ण मिशन के लिए बुलाएगा, इसलिए जल्द से जल्द फिर से पूरी तरह से ठीक होना बहुत जरूरी था

अमजद और उसके साथियों को छोड़ने के बाद कर्नल इरफ़ान अपना सा मुंह लेकर काफी देर तक उसी जेल में बैठा रहा। उसके लिए अमजद को फिर गिरफ्तार करवाना कोई समस्या नहीं थी और वह अपनी सेना का उपयोग करके राज को भी ट्रेस कर सकता था, लेकिन राफिया में उसकी जान थी वह अपनी इकलौती बेटी के जीवन को खतरे में नहीं डाल सकता था, इसलिए न तो अमजद और उसके साथियों का पीछा किया और न ही मेजर राज का पता लगाने की कोशिश की। उसके अधीनस्थ उसको इस तरह बेबसी से बैठा देखकर एक दूसरे का मुँह देख रहे थे और मन ही मन में अपनी विफलता और इंडिया एक इकलौते एजेंट की सफलता पर दाद दे रहे थे जिसने उनके देश में उन्हें बेबस कर दिया था। 

मगर फिर अचानक कर्नल इरफ़ान को कैप्टन फ़ैयाज़ का विचार आया। उसने अपने नंबर से केप्टन फ़ैयाज़ का नंबर डायल किया, काफी देर तक फोन बजने के बावजूद किसी ने फोन नहीं उठाया तो उसने फिर से फोन मिलाया, लेकिन दूसरी बार भी फोन बजता रहा और किसी ने फोन नहीं उठाया। फिर कर्नल इरफ़ान ने कैप्टन फ़ैयाज़ की पत्नी को फोन किया, कुछ घंटी के बाद फोन पर कैप्टन फ़ैयाज़ की पत्नी की आवाज सुनाई दी तो कर्नल इरफ़ान ने तुरन्त उससे फ़ैयाज़ के बारे में पूछा, लेकिन वह भी कैप्टन फ़ैयाज़ से अनजान थी, उसने बताया कि कैप्टन फ़ैयाज़ ने कल से कोई फोन नहीं किया और न ही वह फोन उठा रहा है। 

कर्नल इरफ़ान समझ गया था कि कैप्टन फ़ैयाज़ या तो अगले जहां जा चुका है या फिर घोर संकट में है और मेजर राज की कैद में है। कैप्टन फ़ैयाज़ से जब किसी प्रकार का कोई संपर्क न हो सका तो कर्नल इरफ़ान ने इंडिया के एक प्रांत के मुख्यमंत्री अकबर लोकाटी को कॉल की, लेकिन उसका नंबर भी आउट ऑफ सेवा था। फिर कर्नल इरफ़ान ने खुद मुर्री जाने का फैसला किया। उसका विचार था कि मेजर राज अब मुर्री से जा चुका होगा, लेकिन जहां वह और उसकी बेटी रुके थे वहाँ से हो सकता है कोई सुराग मिल सके और वैसे भी हाथ पर हाथ रखकर बैठना कर्नल इरफ़ान की पॉलिसी में शामिल नहीं था। वह अपनी बेटी की जान खतरे में नहीं डालना चाहता था इसलिए उसने अब तक मेजर राज को मुर्री में पकड़ने के आदेश नहीं दिए थे, लेकिन वह यह पता लगाने की कोशिस कर चुका था कि मेजर राज मुर्री से कहाँ की ओर यात्रा कर रहा था, राफिया के मोबाइल से लगातार वह पता कर रहा था कि उसकी वर्तमान लोकेशन क्या है। मेजर राज मुर्री से निकल चुका था इसलिए मुर्री जाने में कोई हर्ज वाली बात नहीं थी यही सोचकर कर्नल इरफ़ान ने एक विशेष विमान से मुर्री जाने की तैयारी पकड़ी और कुछ ही घंटों के बाद कर्नल इरफ़ान मुर्री के बीच पर मौजूद था जहां इस समय रात का समय था, लेकिन रात के इस अंधेरे में भी मुर्री शहर जाग रहा था और बीच में लोगों की भीड़ मौजूद थी

कर्नल इरफ़ान रास्ते में ही पता लगा चुका था कि राफिया ने किस हट स्टे किया था। कुछ देर की कोशिश के बाद वह हट को ढूंढने में सफल हो गया था और सीधा वहाँ चला गया। दरवाजे पर बैठे सुरक्षा गारड़ ने कर्नल को रोकने की कोशिश की तो कर्नल इरफ़ान ने पहले उसे एक थप्पड़ रसीद किया और उसके बाद अपना नाम बता कर अंदर घुस आया और सुरक्षा गार्ड दिल ही दिल में कर्नल को गालियां बकता बेचारगी की छवि बना कर वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गया। कर्नल इरफ़ान अंदर गया तो कमरे की हालत देख कर लग रहा था कि कुछ देर पहले तक यहां कोई मौजूद था। एक मेज पर 2 गिलास पड़े थे जिनमें कोई पेय पदार्थ था जो पीने वाले ने आधा गिलास में ही छोड़ दिया था, एक साइड पर कुछ कपड़े पड़े थे जिन्हें देखकर लग रहा था कि यह समुद्र तट से वापस आकर उतार कर रखे गए हैं उनमें ब्रा और पैन्टी भी मौजूद थी और एक मर्दाना शॉर्ट भी थी। कर्नल इरफ़ान इंतिहाई ध्यान के साथ कमरे की समीक्षा कर रहा था कि शायद कोई काम की चीज़ हो और उसके साथ ही वह किसी चीज को हाथ भी नहीं लगा रहा था ताकि किसी विशेष टीम को बुलवाकर फिंगर प्रिंट्स भी लिए जा सकें। पूरे कमरे में सन्नाटा था, कर्नल इरफ़ान पूरे कमरे की समीक्षा के बाद सामने मौजूद बाथरूम की ओर बढ़ा, जिसका दरवाजा आधा खुला हुआ था। दरवाजा धीरे धीरे खोलकर कर्नल इरफ़ान अंदर दाखिल हुआ तो फर्श गीला था और उस पर पानी भरा था। एक कोने में एक ब्रा और पैन्टी भी मौजूद थी। यह देखकर कर्नल इरफ़ान को विश्वास हो गया था कि मेजर राज उसकी बेटी राफिया की चूत मार चुका था, मगर अब वो किस हाल में होगी यह सोच सोच कर कर्नल इरफ़ान परेशान हो रहा था


कर्नल इरफ़ान बाथरूम से निकला और मुख्य कक्ष के साथ मौजूद दूसरे कमरे की ओर बढ़ने लगा, कमरे के दरवाजे पर पहुंचकर कर्नल ने धीरे से दरवाजा खोला और बहुत ही सावधानी के साथ अंदर झांकने लगा। कमरे की समीक्षा करते हुए कर्नल इरफ़ान टकटकी लगाए कमरे में मौजूद अलमारी से होते हुए बेड तक गया और बेड पर नज़र पड़ते ही कर्नल इरफ़ान को एक शॉक लगा। सामने बेड पर कोई और नहीं बल्कि उसकी बेटी राफिया लेटी हुई थी, उसकी आँखें बंद थीं, बदन पर एक शर्ट थी और नीचे स्कर्ट पहना हुआ था। कर्नल इरफ़ान भागकर उसके पास पहुंचा और उसका चेहरा पकड़ कर उसे हिलाने लगा, उसे एक झटका लगा था कि शायद उसकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही, मेजर राज उसकी बेटी को एक गहरी नींद सुला कर यहां से निकल चुका है। मगर एक, दो आवाजों से राफिया की आंख खुल गई जो मेजर राज और समीरा के जाने के बाद थकान से चूर गहरी नींद में सो रही थी . अपने सामने पापा को देखकर राफिया ने खुशी से एक चीख मारी और पापा से लिपट गई, कर्नल इरफ़ान भी निहाल होकर अपनी बेटी को प्यार करने लगा। अपनी इकलौती बेटी को सही सलामत अपने सामने देखकर उसकी जान में जान आ गई थी। उसने काँपती हुई आवाज़ में राफिया से पूछा बेटा, तुम ठीक तो हो ना?

राफिया ने चहकते हुए कहा पापा मैं तो ठीक हूँ मगर आप अचानक ऐसे कैसे आ गए ??? आप तो इंडियन एजेंट को पकड़ने के लिए मिशन पर थे, मिशन छोड़कर बेटी की याद कैसे आ गई आपको ?? राफिया की आवाज में खुशी तो थी

मगर कर्नल इरफ़ान हैरान था कि उसके चेहरे पर परेशानी के आसार क्यों नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि राफिया को अभी तक इमरान की असलियत नहीं पता हो ??? कर्नल इरफ़ान ने हैरानी के साथ राफिया से पूछा बेटा क्या तुम्हें मेजर राज के बारे में नहीं पता ??? 

राफिया ने हैरान होते हुए कहा पापा मुझे कैसे मालूम होगा उसके बारे में, उसको तो आप पकड़ने में लगे हुए हैं और उसकी वजह से अपनी बेटी की भी याद नहीं आती आपको ??? 

कर्नल इरफ़ान समझ गया था कि उसको अब तक इमरान की असलियत नहीं पता। मगर क्या वाकई उसने राफिया को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया ?? कर्नल इरफ़ान ने यही बेहतर समझा कि राफिया को इमरान की असलियत के बारे में नहीं कहा जा सकता है कहीं ऐसा न हो कि उस पर इस बात का बुरा प्रभाव पड़े . क्योंकि इतना तो कर्नल इरफ़ान समझ गया था कि राफिया इमरान से बहुत ज्यादा ही अटैच हो गई थी और उसके साथ शारीरिक संबंध तक स्थापित कर चुकी थी, ऐसे में अराज के बाद इमरान की बेवफाई राफिया को दुख देने का कारण बन सकती थी। अब की बार कर्नल इरफ़ान ने इमरान के बारे में पूछा कि वह कहाँ है ??? 

राफिया ने हैरान होते हुए कहा पापा क्या हो गया है आपको ??? आप की उसकी बात हुई थी, अंजलि के कोई दूर के रिश्तेदार मुश्किल में थे और आप से पूछ कर ही तो वह उनकी मदद को गया है। और अब तक वापस नहीं आया। अब कर्नल इरफ़ान को विश्वास हो गया था कि इमरान ने उसकी बेटी को कुछ भी पता नहीं लगने दिया और वह बहुत कौशल के साथ पिता बेटी को अंधेरे में रखकर यहां से जा चुका है
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01-10-2019, 01:35 PM,
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RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
राफिया कुछ देर तक अपने पापा के साथ बैठ कर बातें करती रही, कर्नल इरफ़ान को राफिया की बातों से पता चल गया था कि वह इमरान को बहुत चाहने लग गई है, और उसे अपनाना चाहती है, राफिया ने खुद भी कर्नल को बताया कि वह बहुत होनहार युवा है, उसको बस आपकी मदद की जरूरत है, आप उसे सेना में भर्ती करवा लें और अपने साथ रखें, वह बहुत आगे जाएगा, खासकर कंप्यूटर में वह बहुत माहिर है ... इससे पहले कि राफिया कर्नल को लैपटॉप का पासवर्ड तोड़ने की खबर सुनाती उसको इमरान की कही हुई बात याद आ गई कि यह बात कर्नल इरफ़ान को ना बताए, वो खुद ही अपना कौशल दिखा देंगे अन्यथा कर्नल इरफ़ान गुस्से में उसे सजा भी दिलवा सकता है। यही सोचकर राफिया चुप हो गई और इससे आगे कुछ नही बोली कि वह कंप्यूटर क्षेत्र में बहुत माहिर है। कर्नल ने राफिया से कप्तान फ़ैयाज़ के बारे में भी पूछा तो राफिया ने उसके बारे मे अन्भिग्यता जाहिर की और कहा कि उससे बस कल रात ही बात हुई थी उसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं

कर्नल इरफ़ान समझ गया कि कैप्टन फ़ैयाज़ ने मेजर राज को पकड़ने की कोशिश की होगी और मेजर ने उसको ठिकाने लगा दिया होगा। मगर इस दौरान समीरा का उल्लेख कहीं नहीं आया, उसको समीरा का सौभाग्य ही समझ लीजिये कि राफिया ने कहीं भी अंजलि का उल्लेख नहीं किया और न ही कर्नल इरफ़ान के मन में यह बात आई कि वह मेजर राज की साथी समीरा के बारे में कुछ पूछे, उसके मन में अब सिर्फ यही बात थी कि उसकी बेटी सही सलामत है उसके लिए यही काफी है। बातों बातों में कर्नल इरफ़ान ने राफिया को बताया कि इमरान की वापसी अब 2 दिन तक तो नहीं होगी, तो चलो तुम मेरे साथ वापस लाहौर, जिस पर राफिया राजी हो गई मगर अपने पापा से फोन लेकर अपने नंबर पर फोन करने लगी क्योंकि उसका फोन मेजर राज के पास था। लेकिन नंबर ऑफ जा रहा था, राफिया ने 2, 3 बार कोशिश की मगर नंबर नहीं मिला तो उसने निराश होकर फोन वापस अपने पापा को दे दिया, और कुछ ही देर के बाद दोनों बाप बेटी वापस लाहौर रवाना हो रहे थे। 

कर्नल इरफ़ान के मन में एक तरह से मेजर राज के लिए गुस्सा नरम हो गया था कि उसने राफिया को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया और कोई तकलीफ नहीं दी। यह तो वह नहीं जानता था कि मेजर राज ने उसकी बेटी की चूत और गाण्ड का क्या हश्र किया था मगर चूत और गाण्ड के अलावा मेजर राज ने किसी भी तरह से राफिया को चोट नहीं दी। इसीलिए कर्नल के मन में अब मेजर राज को पकड़ने का विचार नहीं था बल्कि वह अपने ही मिशन पर विचार कर रहा था कि उसे आगे क्या करना है। अगली सुबह कर्नल इरफ़ान और राफिया वापस अपने घर में मौजूद थे। वापस घर पहुंचकर कर्नल इरफ़ान कुछ देर सुस्ताने के लिए लेट गया था क्योंकि काफी दिनों से उसकी नींद पूरी नहीं हुई थी, मेजर राज को पकड़ने के चक्कर में वह दिन-रात एक कर बैठा था मगर अंत में पता लगा कि मेजर राज उसकी बेटी बैंड बजाता रहा है और उसकी बेटी की टाइट चूत और गाण्ड के मजे लेता रहा और कर्नल इरफ़ान उसे पागलों की तरह ढूंढ ढूंढ कर अपनी गाण्ड में दर्द करवा बैठा था। 

दोपहर को जब कर्नल इरफ़ान सो कर उठा तो अब उसका मन काफी फ्रेश था और अब फिर से वो मेजर राज के बारे में सोचने लगा। उसने अपने घर को भी अच्छी तरह से चेक किया खासकर राफिया का कक्ष वो राफिया की ज़ुबानी जान चुका था इमरान ने एक रात उसी के कमरे में बताई थी। बहुत बारीकी से तलाशी लेने के बावजूद भी कर्नल इरफ़ान को कोई खास चीज नहीं मिली जिससे मेजर राज के बारे में कुछ पता लग सके कि उसका आगे का प्लान क्या होगा। अब कर्नल इरफ़ान मेजर राज के बारे में काफी गुस्से में था, रात जो नर्मी उसके दिल में पैदा हुई थी वह अब खत्म हो गई थी, अब उसे इस का एहसास नहीं था कि मेजर राज ने उसकी बेटी को कोई चोट नहीं दी थी अब अगर उसके मन में कुछ था तो वह यह कि मेजर राज ने एक मामूली मेजर होने के बावजूद कर्नल इरफ़ान जैसे वरिष्ठ अधिकारी की रातों की नींद हराम कर दी और उसकी बेटी के बारे में गलत बयानी करके उसे चोट पहुंचाई। अब फिर से वो मेजर राज के खून का प्यासा हो गया था। लेकिन अब की बार कर्नल इरफ़ान ने जो सोचा था वह खतरनाक था। अब कर्नल इरफ़ान मेजर राज को ढूंढने की बजाय वापस इंडिया जाकर अपने मिशन को निचले भाग पूरा तक पहुंचाने की ठान चुका था, यही एक तरीका था मेजर राज से अपने अपमान का बदला लेने का। उसका देश दो हिस्सों में बँटे इससे बेहतर बदला हो ही नहीं सकता था। 

यह सोच कर कर्नल इरफ़ान ने अपनी तैयारी की, अपनी टीम को अपने अगले प्लान के बारे में आगाह किया, राफिया की सुरक्षा की विशेष व्यवस्था करने के लिए घर पर सभी सुरक्षा गार्ड को चेंज कर दिया गया ताकि अगर उनमें कोई मेजर राज का जासूस ना हो तो नए सुरक्षा गार्डस को घर पर तैनात किया गया, उसके साथ बहुत उच्च प्रशिक्षित लड़ाकू सैनिकों को पूरी कॉलोनी में फैला दिया गया जो आने वाले किसी भी खतरे से निपटने की क्षमता रखते थे ताकि अगर मेजर राज या उसका कोई साथी राफिया को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करे तो ये लड़ाकू युवा उसका सफाया कर सकें। उसके साथ साथ कर्नल इरफ़ान ने अपनी एक विशेष टीम को मुर्री से लाहौर जाने वाले रास्ते पर मेजर राज की खोज के लिए भेज दिया , जहां तक राफिया के मोबाइल के माध्यम से मेजर राज का पता लग सकता था लगाया गया, लेकिन जहां मेजर राज ने मोबाइल बंद किया उसके आगे वह कहाँ गया, इस बात का किसी को कोई पता नहीं था। कर्नल इरफ़ान ने लाहौर में भी विरोधी टेरीरीस्ट टीमों को चौकन्ना कर दिया था ताकि अगर मेजर राज लाहौर में कोई आतंकवादी कार्यवाही करना चाहे तो उसे मुंह की खानी पड़े

यह सभी कदम उठाने के साथ साथ कर्नल इरफ़ान ने अपनी टीम को इंडिया जाने की तैयारी करने के आदेश भी दे दिए थे। लेकिन अब की बार वह समुद्री रास्ते की बजाय जमीनी रास्ते से जाने की तैयारी में था, ताकि जल्द से जल्द इंडिया जाकर वह बड़ा काम कर सके जिसकी हल्की सी भनक समीरा को पड़ चुकी थी और वह उसके बारे में मेजर राज को भी सूचित कर चुकी थी। कर्नल इरफ़ान ने राफिया को भी अपने इस फैसले से अवगत करा दिया था कि वह इंडिया जा रहा है और उसके जाने के बाद राफिया अपना विशेष ध्यान रखे। पाकिस्तान में सभी जरूरी काम निपटाने के बाद अगले दिन कर्नल इरफ़ान अपने कुछ साथियों के साथ सिख श्रद्धालुओं को लाने वाली ट्रेन से इंडिया की ओर रवाना हो गया था जबकि राफिया जो अब तक नहीं जानती थी कि उसका नया प्रेमी इमरान वास्तव में उसके पापा को तिगनी का नाच नचा रहा है और वही मेजर राज है, जिसका वो इंतजार कर रही थी और बार बार अपने नंबर पर कॉल कर रही थी जो लगातार ऑफ जा रहा था। पाकिस्तान की सीक्रेट सर्विस भी पिछले 24 घंटे से मेजर राज को खोजने की कोशिश कर रही थीं मगर अब तक उन्हें कोई पर्याप्त सफलता नहीं मिली थी

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मेजर राज ने जब कर्नल इरफ़ान से फोन पर बात कर ली तो वह वापस कमरे में आया जहां समीरा यानी अंजलि और राफिया दोनों अब तक बिना कपड़ों के ही बेड पर लेटी हुई थीं। इमरान ने पहले अलमारी से अपना एक ट्राउजर निकालकर पहना और फिर ऊपर से शर्ट पहनने के बाद आगे बढ़कर राफिया को प्यार किया और बोला तुम चिंता मत करो मैं जल्द ही वापस आ जाउन्गा उसके बाद वह अंजलि की तरफ बढ़ा और उसके होंठों को चूस कर उसकी प्रशंसा की कि तुम्हें चोदने में बहुत मज़ा आया, अगली बार अगर वो कभी मिले तो तुम्हारी चूत के साथ साथ तुम्हारी गाण्ड की भी चुदाई करूंगा। यह सुनकर अंजलि मुस्कुराई और बोली नहीं मैं कभी गाण्ड नहीं मरवाउन्गी और जो आपने आज राफिया की गाण्ड का हश्र किया है वह देखकर तो मैं कभी भी गाण्ड नहीं मरवाउन्गी, लेकिन तुम्हारा लंड बहुत तगड़ा है तुम बस मेरे उन रिश्तेदारों की मदद कर दो, मैं खुद तुम से एक बार और निश्चित रूप चुदवाउन्गी यह सुनकर इमरान ने एक बार फिर अंजलि के होंठों को चूसा और बाहर निकल गया। 

इमरान के जाने के बाद अंजलि कुछ देर राफिया के साथ ही बेड पर लेटी रही, फिर उसने राफिया को देखा और बोली- अब मुझे चलना चाहिए। लोकाटी मेरा इंतज़ार कर रहा होगा। राफिया जो अपनी चूत और गांड से बेहद परेशान थी उसने भी कहा, हां ठीक है तुम जाओ में इमरान का वेट करूंगी इधर ही। अब अंजलि ने राफिया को कहा कि वह तो यहाँ ब्रा और पैन्टी पहन कर ही आई थी और उन्हें भी बाथरूम में उतार दिया, अब साफ नहीं हैं वह।अगर तुम्हें बुरा न लगे तो मुझे अपनी कोई शर्ट और पैंट देदो जो पहन कर यहाँ से जा सकूँ। यह सुनकर राफिया ने अलमारी की ओर इशारा किया और बोली यहाँ देख लो जो तुम्हें फिट आता हो पहन लो . अंजलि ने अलमारी खोली और वहां से एक ढीली शर्ट उठाकर पहन ली। यह सफेद रंग की शर्ट थी और उसके साथ ही एक शॉर्ट निक्कर जो काले रंग का था वह भी पहन लिया। शर्ट के नीचे अंजलि ने ब्रा नहीं पहना था जिसकी वजह से उसके निपल्स का तनाव नजर आ रहा था मगर उसे इस बात की चिंता नहीं थी। कपड़े पहनने के बाद अंजलि राफिया को मिली और एक अच्छा बाय किस कर कमरे से निकल गई

कमरे से निकल कर अंजलि सीधे अपने होटल गई जहां कल रात वह लोकाटी के लंड पर सवारी करती रही थी। होटल पहुँच कर उसने एक बार वही अलमारी खोलकर देखा जिसमें मेजर राज ने कैप्टन फ़ैयाज़ को बांध कर बंद कर दिया था, कप्तान फ़ैयाज़ अब तक बेहोशी की हालत में था, समीरा को लगा कि कहीं वह मर न गया हो, इस ने पल्स चेक की तो वह चल रही थी। यानी कैप्टन केवल बेहोश था मरा नहीं था। उसकी तसल्ली कर समीरा ने फिर से अलमारी को बंद कर दिया और अपने आवश्यक कपड़े निकाल कर अपना बैग तैयार किया। बैग तैयार करने के बाद अंजलि ने फ्रिज से कुछ फल निकाल कर खाए और जूस पिया। मेजर राज से धुँआधार चुदाई करवाने के बाद समीरा थोड़ी थकावट महसूस हो रही थी और उसका शरीर भूख की वजह से हल्का हल्का कांप रहा था। मगर फ्रूट खाने से समीरा को काफी सुधार महसूस हो रहा था और रस पीने से भी समीरा अब काफी बेहतर महसूस कर रही थी। मगर उसके शरीर पर अब तक राफिया की ही शर्ट थी जो उसको काफी फिट आई थी और इसमें न केवल समीरा के मम्मे बहुत टाइट और बड़े दिख रहे थे बल्कि उसके निप्पल भी तने हुए थे और शर्ट के ऊपर से दिख रहे थे। अब समीरा ने अपनी एक छोटी शाल निकाली और अपने कंधों पर डाल आगे से अपना तना हुआ सीना उस शाल से ढक लिया और फिर अपना सामान उठाकर लोकाटी कमरे में चली गई जो उसके कमरे के साथ ही था। लोकाटी के कमरे के बाहर 2 गार्ड खड़े थे, यह वही गार्ड थे जिन्हें कल रात कैप्टन फ़ैयाज़ ने ठुकाई कर बेहोश कर दिया था, मगर उनके गार्ड ने लोकाटी को इस घटना के बारे में कुछ नहीं बताया था क्योंकि इस तरह उनकी नौकरी जा सकती थी।न ही लोकाटी को इस बारे में कुछ पता था क्योंकि सुबह जब वह सो कर उठा तब तक उसके गार्ड फिर से चाक चौबंद कमरे के बाहर खड़े थे। 
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01-10-2019, 01:35 PM,
#94
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
समीरा को देख गार्ड ने अंदर जाने का रास्ता दिया तो समीरा सीधा कमरे में चली गई जहां लोकाटी किसी व्यक्ति के साथ फोन पर बात कर रहा था। समीरा को आता देखकर लोकाटी के चेहरे पर खुशी का काफी प्रभाव देखा जा सकता है। समीरा सीधी लोकाटी के पास गई और उसकी एक टांग पर इस तरह बैठ गयी कि समीरा के दोनों नितंबों लोकाटी की थाई पर थे और उसने अपना एक हाथ फैलाकर लोकाटी की गर्दन में डाल लिया था और हौले से उसके कान के साथ अपने मखमली होठों से एक किस कर ली थी।

लोकाटी ने भी अपना एक हाथ फैलाकर समीरा की पतली कमर के चारों ओर लपेट लिया था। कुछ और बातें करने के बाद लोकाटी ने फोन बंद कर दिया और समीरा को अपनी बाँहों में लेकर अपने सीने से लगा कर उसके होठों को चूसने लगा। समीरा भी लोकाटी का भरपूर साथ दे रही थी। कुछ देर होंठ चूसने के बाद लोकाटी ने समीरा को अपनी गोद से उतार दिया और बोला अंजलि बेबी, पहले ही बहुत देर हो गई है, चलो अब चलें हमारे फ़्लाईट का समय हो रहा है। तुम्हारी यह इच्छा अब मैं इंडिया जाकर ही पूरी करूंगा। अंजलि ने भी एक स्माइल पास की और बोली चलो डार्लिंग, मैं तो बिल्कुल तैयार हूँ। मगर नीचे रिसेप्शन पर मेरे रूम का बिल लेने वाले रहते हैं। यह सुनते ही लोकाटी ने रिसेप्शन पर कॉल की और उन्हें बताया कि मिस अंजली जिस कमरे में ठहरी थीं उसका बिल लोकाटी के क्रेडिट कार्ड से चार्ज कर लें। 

फिर लोकाटी ने अंजलि को चलने का इशारा किया और कमरे से बाहर निकल गया। अंजलि भी लोकाटी के पीछे पीछे कमरे से निकल गई, कमरे से निकलते ही एक गार्ड ने अंजलि के हाथ से उसका माल पकड़ लिया और अंजलि लोकाटी के साथ उसके हाथ में हाथ डाले चलने लगी। जबकि लोकाटी का समान उसके गार्ड और दूसरा दल पीछे ला रहे थे। होटल से निकले तो होटल के बाहर ही एक काले रंग की मर्सिडीज तैयार खड़ी थी, लोकाटी उस मर्सिडीज की ओर बढ़ने लगा। जैसे ही कार के पास पहुंचा चालक ने तुरंत लोकाटी के लिए दरवाजा खोला जबकि अंजलि कार के पीछे से होती हुई घूमकर दूसरी ओर वाले दरवाजे की तरफ गई और इतनी देर में ड्राइवर भागता हुआ उसकी ओर गया और उसके लिए भी दरवाजा खोला। अंजलि कार में बैठ गई। कार में बैठते ही लोकाटी का एक हाथ अंजलि की थाईज़ पर था और कार अब फर्राटे भर्ती हवाई अड्डे की ओर रवाना हो चुकी थी। 

लोकाटी हौले हौले अपना हाथ अंजलि की थाईज़ पर मसल कर अपनी ठरकी पूरी कर रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी जवान और सेक्सी लड़की यूं उसके साथ जाने के लिए राजी हो गई, मगर फिर उसने मन ही मन सोचा कि पाकिस्तान में लड़कियों के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं। इंडिया में परिवारों की समस्या है, मगर पाकिस्तान में तो लड़कियों को स्वतंत्रता ही महफूज नही है और अंजलि तो एक बड़े बाप की बेटी थी उसके लिए यह फैसला कोई बड़ी बात नहीं थी। लोकाटी अपनी किस्मत पर रश्क करते हुए मन ही मन में अंजलि की चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था। कुछ देर बाद जब एयरपोर्ट निकट आ गया तो लोकाटी ने समीरा को कहा कि इंडिया का माहौल थोड़ा अलग है, अगर आप शॉर्ट निक्कर की जगह कुछ और पहनें तो बेहतर रहेगा क्योंकि वहां पर पर्दा प्रथा है। और लोकाटी की होने वाली पत्नी अगर इन कपड़ों में इंडिया जाएगी तो उसकी नाक कट जाएगी। अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा चिंता मत करो जान, मैं एयरपोर्ट पर चेंज कर लूँगी। एयरपोर्ट पर उतर कर अंजलि अपने बैग से एक सलवार कमीज और अपना ब्रा निकालकर बाथरूम चली गई और वहाँ अपने कपड़े बदल लिए। वापसी पर लोकाटी ने अंजलि को एक नकली पासपोर्ट थमाया जो दिखने में बिल्कुल असली था। लोकाटी ने कहा अव्वल तो तुम मेरे साथ जा रही हो कोई तुम्हारा पासपोर्ट चेक नहीं करेगा, लेकिन अगर कोई करे भी सही तो यह अपने बैग में डाल लो जरूरत पड़ने पर दिखा देना। अंजलि ने ठीक है कह कर पासपोर्ट अपने बैग में डाल लिया और आश्चर्यजनक रूप से किसी ने भी अंजली से या किसी और व्यक्ति से वीजा या पासपोर्ट नहीं मांगा। यह काम शायद लोकाटी पहले ही करवा चुका था क्युशन से सभी तैयारी पहले से पूर्ण थी ताकि वीआईपी हस्तियों को इंतजार परेशान न करना पड़े। कुछ ही देर बाद अंजलि लोकाटी के साथ एक छोटे यात्री विमान पर सवार थी जिसमें मुश्किल से 25 लोग सवार होंगे और इन 25 में से भी 10 तो लोकाटी के लोग थे। अंजलि और लोकाटी एक साथ सीट पर बैठे थे, लोकाटी के हाथ यहाँ भी अंजलि की थाईज़ की मालिश कर रहे थे जबकि अंजलि इस बात से बेखबर आसमान की बुलंदियों से नीचे दिखने वाली जमीन का नज़ारा कर रही थी और मन ही मन में अमजद और दूसरे साथियों की खैरियत की दुआ कर रही थी और आने वाले हालात में मेजर राज की सुरक्षा और इंडिया मे उनके देश के दुश्मन धोखेबाज से मुक्ति की प्रार्थना कर रही थी
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अंजलि और राफिया को गुड बाय कह कर मेजर राज हट से निकला और सीधे एक पीसीओ पर जाकर अपने कुछ साथियों को कॉल किया जिनका करीबी रिश्ता था रॉ से। उन्हें फोन करके मेजर राज ने उन्हें हिदायत दी की कि अमजद और उसके साथियों के बारे में पता करें कि कर्नल इरफ़ान ने उन्हें छोड़ा है या नहीं, और वह खुद मेजर राज से संपर्क करने की कोशिश ना करें वो खुद ही संपर्क कर लेगा । मेजर राज के पास राफिया का सेल मौजूद था लेकिन वह इसका इस्तेमाल करके अपने साथियों को मुसीबत में नहीं फंसाना चाहता था इसलिए उसने राफिया के मोबाइल से कॉल नहीं की। राफिया का मोबाइल पास रखने का सिर्फ यही मकसद था कि कर्नल इरफ़ान अगर राफिया के मोबाइल को ट्रैक करे तो वह यही समझे कि मेजर राज उसकी बेटी को लेकर मुर्री से निकल चुका है। ताकि मुर्री में कर्नल इरफ़ान सुरक्षा न लगा दे अपनी बेटी को ढूंढने के लिए और समीरा को मौका मिल सके कि वह आराम के साथ लोकाटी के साथ इंडिया रवाना हो सके। राफिया की कार भी मेजर राज के उपयोग में थी वह मुर्री से लाहौर की ओर कूच कर रहा था क्योंकि उसका अगला लक्ष्य वो बीग्रेड की हीरोइन थी। इससे मिलकर मेजर राज जानना चाहता था कि आखिर इंडिया के खिलाफ कौन सी साजिश हो रही है जिसमें लॉलीवुड की हसीनाएँ भी शामिल हैं।
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01-10-2019, 01:36 PM,
#95
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
करीब 3 घंटे की यात्रा के बाद मेजर राज ने राफिया की कार एक छोटे से गांव में छोड़ दिया था और राफिया का मोबाइल बंद करके उसकी सिम निकालकर उसको भी कार में ही फेंक दिया और खुद एक ग्रामीण का रूप धारण कर लाहौर की ओर रवाना हो चुका था। राफिया की कार छोड़ने के बाद मेजर राज ने कुछ सफ़र एक लोकल बस में तय किया जहां से फिर उसको उसके कुछ साथी मिल गए जो अपनी कार में मेजर राज को लाहौर तक लेकर गए। लाहौर पहुंचने से पहले ही मेजर राज को मालूम हो चुका था कि कर्नल इरफ़ान ने उसको पकड़ने के लिए लाहौर पुलिस को हाई अलर्ट कर दिया था, इसलिए वह लाहौर में प्रवेश करने से पहले ग्रामीण के हुलिए को छोड़कर एक सैनिक का रूप अपना चुका था। सैन्य वर्दी मेजर राज को उसके साथियों ने प्रदान कर दी थी और मेजर राज जानता था कि पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं कि वह एक आर्मी ऑफिसर को रोककर उससे पूछताछ कर सकें। यही कारण था कि मेजर राज बहुत ही आसानी से लाहौर शहर में प्रवेश कर गया था। मेजर राज ने रात के पिछले पहर लाहौर में प्रवेश किया तो उसने एक छोटे होटल में रूम लेकर वहां रात बिताई। इस दौरान मेजर राज ने किसी भी साथी से संपर्क करने की कोशिश नहीं की और न ही कर्नल इरफ़ान के बारे में जानने की कोशिश की कि वह इस समय कहाँ है और क्या कर रहा है। आराम से अपनी नींद पूरी करने के बाद अगले दिन मेजर राज ने फिर से अपने साथियों को कॉन्टेक्ट किया जिनके माध्यम से यह पता लगा कि आज रात लाहौर के एक प्रसिद्ध होटल, होटल कामरान में लॉलीवुड के सितारे जलवागर होंगे। जहां लॉलीवुड के नामी हीरो और हीरोइन का एक छोटा सा शो होगा जिसमें लाहौर पुलिस को श्रद्धांजलि दी जाएगी। ये शो लाहौर पुलिस के मनोबल को बढ़ाने के लिए था। इसी शो में साना जावेद भी अपने हुस्न के जलवे दिखाने आ रही थी



मेजर राज ने निश्चय कर लिया था कि वह इस शो में भाग लेगा और साना जावेद से मिलने की भरपूर कोशिश करेगा . पहले मेजर राज ने एक पाकिस्तानी सेना अधिकारी को अपने साथियों की मदद से काबू किया और उसका हुलिया अपनाकर उसका आईडी कार्ड और पहचान खुद अपना ली। फिर मेजर राज ने अंडरवर्ल्ड के कुछ लोगों से संपर्क किया और उन्हें अपना परिचय कैप्टन फ़िरोज़ के नाम से दिया और उन्हें बताया कि वह होटल कामरान में होने वाले आज के शो में भाग लेना चाहता है तो उसे वहाँ का एक पास चाहिए। और यह भागीदारी उसकी निजी स्थिति में होगी इसलिए वह सेना का प्रभाव उपयोग नहीं करना चाहता।



इसलिए किसी को भी इस बात की भनक नहीं पड़नी चाहिए कि कैप्टन फ़िरोज़ इस शो में भाग ले रहा है। पाकिस्तान में लॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में अंडरवर्ल्ड का प्रभाव कुछ ज़्यादा ही है पाकिस्तान की सरकार फिल्म उद्योग को नियंत्रित नहीं कर सकती बल्कि वहां के अंडरवर्ल्ड के लोग लॉलीवुड के हीरो और तितलियों को अपने इशारों पर नचाते हैं। यही कारण था कि मेजर राज ने अंडरवर्ल्ड के कुछ लोगों की सहायता प्राप्त की और इस शो का पास हासिल कर लिया। नाम वर अंडरवर्ल्ड गैंग से संबंध रखने या उनसे मदद लेने का सबसे बड़ा फायदा ही यह होता है कि वो लोग आपका बड़े से बड़ा अवैध काम भी कर देते हैं और रहस्य भी कभी प्रकट नहीं करते। यह सामान्य बात थी कि सेना और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अंडरवर्ल्ड की मदद से लॉलीवुड की तितलियों को अपने बिस्तर का साथी बनाते थे इसी बात का फायदा मेजर राज को हुआ और उसे बा आसान एक पास मिला जिसके माध्यम से वो होटल कामरान में होने वाले शो में भाग ले सकता था। 



रात 9 बजे मेजर राज पेंट शर्ट पहने मगर साथ में कैप्टन फ़िरोज़ का आर्मी टेग लगाए और साथ एक पिस्टल लिए कामरान होटल के सामने पहुंच चुका था जहां आने जाने वालों से न केवल पास चेक किए जा रहे थे बल्कि उनकी तलाशी भी ली जा रही थी। मेजर राज फ़िरोज़ के रूप में सुरक्षाकर्मियों के पास पहुंचा तो एक व्यक्ति उसकी तलाशी लेने के लिए आगे बढ़ा, मेजर राज ने अपना पास दिखाने के बाद जेब में हाथ डाल कर सेना का बैज निकालकर दिखाया तो सुरक्षा गार्ड सलयूट मार साइड मे हो गया और बिना तलाशी लिए फ़िरोज़ को अंदर जाने दिया। होटल के अंदर पहुंचा तो रिसेप्शन पर मौजूद एक सुंदर अंग्रेज लड़की ने कैप्टन फ़िरोज़ का स्वागत किया, लड़की ने गहरे गले वाली शर्ट पहन रखी थी जिसका ऊपर वाला बटन खुला था और लड़की के गोरे गोरे मम्मे निमंत्रण दे रहे थे। लड़की ने कैप्टन फ़िरोज़ को वेलकम कहने के बाद फिर से पास देखने की इच्छा जताई तो कैप्टन ने पास दिखाने की बजाय अपना नाम बताया, नाम सुनते ही वह लड़की एकदम चौकन्ना हो गई और दूसरे आने वाले मेहमानों को छोड़कर कैप्टन फ़िरोज़ को लेकर बड़े हॉल की तरफ बढ़ने लगी। लड़की ने कैप्टन को आगे चलने का इशारा किया और बोली सर में आपको आपकी सेट तक छोड़ आती हूँ। अंग्रेज लड़की के मुंह से उर्दू सुनकर कैप्टन फ़िरोज़ हैरान हुआ, मगर फिर खुशी व्यक्त करते हुए लड़की को आगे चलने का इशारा किया और कहा लेडीज़ फर्स्ट .



लड़की एक स्माइल पास करती हुई गलियारे से होती हुई आगे बढ़ने लगी। मेजर राज भी लड़की के पीछे पीछे उसकी बल खाती ब्लाउज और हर कदम पर बाहर निकलती गाण्ड को देख कर उसके पीछे चल रहा था। कुछ दूर जाकर लड़की ने एक बड़े हॉल कक्ष खोला और थोड़ा झुककर हाथ के इशारे से कैप्टन फ़िरोज़ को अंदर जाने का इशारा किया। कैप्टन ने उसके सुंदर मम्मों पर एक गहरी नजर डाली और थैंक यू बोलकर हॉल नुमा कमरे में प्रवेश हो गया। यह एक बहुत बड़ा हॉल था जिसमे कमोबेश 100 छोटे गोल मेज लगे हुए थे, हर टेबल के साथ 4, 4 कुर्सियों पड़ी थीं।कॉफी टेबल खाली थे, अभी मेहमानों के आने का सिलसिला जारी था। मेजर राज गहरी नज़रों से अंदर मौजूद मेहमानों की समीक्षा करने लगा। हर तरफ से सेंट की खुशबू आ रही थी, जब भी मेजर राज के पास से कोई गुज़रता तो एक नई ही खुशबू उसकी सांसों को महका देती। हर तरफ रंगीन कपड़े पहने फिल्मी सितारे दिखाई दे रहे थे। उनमें से कुछ को तो मेजर राज जानता था जब कि कुछ चेहरे उसके लिए नए थे। मगर उनके कपड़ों से मालूम हो रहा था कि वह भी फिल्म इंडस्ट्री से ही ताल्लुक रखते हैं। 



कैप्टन फ़िरोज़ यानी कि मेजर राज कुछ आगे बढ़ा और साना जावेद को ढूंढने की कोशिश करने लगा, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आई।कैप्टन के एक हाथ में सिगार था, और सिर पर एक टोपी ले रखी थी जिससे वह किसी पुरानी हिंदी फिल्म का हीरो लग रहा था। अभी कैप्टन इधर उधर देख ही रहा था कि उसके कानों में एक मधुर आवाज ने अपना रस घोल दिया, हैलो सर, आप किसी को देख रहे हैं ??? 



कैप्टन ने मुड़ कर देखा तो एक युवा लड़की भड़कीले चमकते कपड़े पहने उसके सामने खड़ी थी। लड़की को देखकर कैप्टन ने उसका ऊपर से नीचे तक एक्सरे किया, बिना आस्तीनों के गहरे गले वाली कमीज पहने यह लड़की अपने कमोबेश 36 आकार के मम्मों को मेजर के सामने लिए खड़ी मुस्कुरा रही थी। कैप्टन ने उसकी ओर मुस्कुरा कर देखा और अपना हाथ निकालकर हैलो बोला। लड़की ने भी अपना नरम और नाजुक हाथ मेजर के हाथ में देकर हैलो कहा तो राज ने अपना परिचय केप्टन फ़िरोज़ के रूप मे करवाया। कैप्टन का नाम सुनकर लड़की ने इंपरेस होने वाले अंदाज में एक स्माइल पास की और थोड़ा झुककर कैप्टन का स्वागत किया। कैप्टन फ़िरोज़ ने कहा, मैं तो किसी हसीन चेहरे को ढूंढ रहा था, आपको देखकर लगता है कि मेरी खोज खत्म हो गई है।कैप्टन के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर लड़की खिलखिला कर हंसी और बोली यह तो आपकी जर्रा नवाज़ी है वरना हम इसके लायक कहाँ। कैप्टन ने लड़की का हाथ छोड़ा और बोला- अब तुम बताओ कि हम आपको किस नाम से संबोधित कर सकते हैं ??



लड़की इठलाते हुए बोली वैसे तो मेरा नाम अमीना शेख है, मगर प्यार से लोग मुझे हँसी बुलाते हैं। यह सुनकर कैप्टन फ़िरोज़ ने कहा, लेकिन हम तो आपको प्यार से हनी बुलाएंगे। यह सुनकर अमीना खिलखिला कर हंस पड़ी। और उसकी क्लीवेज़ पहले से भी अधिक स्पष्ट हो गई। अमीना पंजाबी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री थी जो अपने बचपन में रोशन के साथ भी बाल कलाकार के तौर पर काम कर चुकी थी, लेकिन कैप्टन फ़िरोज़ यानी राज ने न कभी उसकी कोई फिल्म देखी थी और न ही उसका नाम सुना था। मगर ऐसी स्थिति में ये कह देना कि मैं आपको नहीं जानता उचित नहीं लगता, इसलिए राज ने स्थिति को बड़े अच्छे तरीके से हैंडल किया और बोला हनी जी अपनी फिल्मों में जितनी सेक्सी लगती हैं उससे कहीं अधिक तो आप वास्तविक जीवन में सेक्सी हैं । प्रशंसा सुनना लड़कियों की कमजोरी होती है, और अमीना भी अपनी तारीफ सुन कर खुश हो गई थी। अब वह कैप्टन फ़िरोज़ से चिपक चिपक कर खड़ी हो रही थी और कैप्टन भी उसके शरीर की नजाकत और खूबसूरती से मजे ले रहा था



कुछ देर अधिक इधर उधर की बातें करने के बाद अमीना को फिल्मों के ही एक नायक ने फोन किया और अपने पास बुलाया तो अमीना ने कैप्टन फ़िरोज़ की जान छोड़ी और फिर मिलने का कह कर वहां से चली गई। अमीना के जाने के बाद मेजर राज फिर से साना जावेद को ढूंढ़ने लगा, इस बीच उसको वहां पर पाकिस्तानी फिल्मों के प्रसिद्ध नायक मोहम्मद अली भी मिले और कैप्टन फ़िरोज़ ने उनके साथ सरसरी चर्चा की। इसी तरह लॉलीवुड के कुछ नामचीन अभिनेताओं से भी कैप्टन फ़िरोज़ यानी मेजर राज की मुलाकात हुई मगर मेजर राज को तो तलाश थी साना जावेद की। जो न केवल उसके मिशन के लिए बहुत जरूरी थी बल्कि उसकी सर्वाधिक पसंदीदा हीरोइन भी थी। राज ने साना जावेद की सभी फिल्में देख रखी थीं और वह उसके शरीर के उभारों से काफी प्रभावित था। खासकर साना जावेद के ब्रा में छिपे हुए बड़े बड़े मम्मे उसे हमेशा मुठ मारने पर मजबूर कर देते थे। लेकिन अफसोस कि मेजर राज को अभी तक साना जावेद की एक झलक तक दिखलाई नहीं दी थी लेकिन वहां मौजूद बाकी अभिनेत्रियों के छोटे कपड़ों से झलकते उनके सेक्सी और गर्म शरीर देखकर राज को अपनी पैंट में हलचल महसूस हो रही थी। प्रत्येक हीरोइन को देखकर लगता था कि इसके मम्मे सबसे बड़े होंगे और उसकी क्लीवेज़ सबसे सेक्सी है, लेकिन जैसे ही वह अगली अभिनेत्री को देखता तो उसे लगता असली मम्मे तो इसके हैं पहले वाले तो कुछ भी नहीं थे। किसी के मम्मे तो किसी की गांड, एक से बढ़कर एक अहसास मिल रहा था मेजर राज को और उसकी पेंट में मौजूद लोड़ा उसे बेचैन किए जा रहा था



फिर अचानक राज की नज़र एक कोने में मौजूद टेबल पर पड़ी जहां एक इंतिहाई सुंदर और सेक्सी अभिनेत्री बैठी थी, और मेजर राज उसे जानता भी था। मगर आश्चर्यजनक रूप से वह बिल्कुल अकेली बैठी थी और उसके साथ न तो कोई अभिनेता था और न ही कोई अभिनेत्री। ऐसी महफ़िल में इतनी सेक्सी लड़की का अकेले बैठना वास्तव में आश्चर्य की बात थी। मेजर राज के कदम स्वतः ही उसकी तरफ बढ़ने लगे, उसके पास जाकर राज ने बेहद विनम्र स्वर में कहा अगर आप बुरा न मानें तो क्या मैं कुछ देर आपके साथ बैठ सकता हूँ? 





उस लड़की एक दम चौंक कर कैप्टन की तरफ देखा, इससे पहले कि वह कुछ कहती मेजर राज ने उसके सामने अपना हाथ बढ़ाया और अपना परिचय करवाते हुए अपना नाम केप्टन फ़िरोज़ बताया।कैप्टन का नाम सुनकर लड़की के चेहरे पर मुस्कान आई और वह बोली यस व्हाई नॉट। प्लीज़ बैठिए . 


मेजर अब उसके साथ वाली कुर्सी पर बैठ गया और दिल ही दिल में उसके सेक्सी बदन की तारीफ करने लगा। ये अश्लील फिल्म उद्योग की प्रसिद्ध अभिनेत्री ऐनी जाफ़री थी। पाकिस्तानी मूल की अभिनेत्री कनाडा की रहने वाली थी और अश्लील फिल्मों में उल्लेखनीय स्थान रखती थी। हाल ही में उसने पाकिस्तानी फिल्मों में काम करना शुरू किया था और उसकी लॉलीवुड की पहली फिल्म हाल ही में रिलीज हुई थी। उसकी फिल्म तो अच्छा बिजनेस कर रही थी मगर लॉलीवुड में उसे विशेष मान्यता नहीं मिली थी। केवल साथी अभिनेत्रियों का ऐनी जाफ़री को विरोध का सामना पड़ा था क्योंकि उनका मानना था कि अश्लील फिल्म उद्योग से आने वाली अभिनेत्री को लॉलीवुड में जगह नही मिलनी चाहिए, जबकि ऐनी जाफ़री और उसके कुछ चाहने वालों का मानना था कि अगर कोई अभिनेत्री अतीत में गंदी फिल्मों में काम करती रही है और अब यह काम छोड़ चुकी है तो लॉलीवुड में उसको जगह मिलनी चाहिए ताकि वो अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सके। यही वजह थी कि ऐनी जाफ़री इस समय हॉल में अकेली बैठी थी। कुछ अभिनेता उससे जरूर मिलना चाहते थे क्योंकि उन्हें मालूम था कि ऐनी जाफ़री अश्लील स्टार है तो ऐसी लड़की जो फिल्मों में सबके सामने चुदवाने में शर्म महसूस नहीं करती वह ज़रूर उनके बिस्तर को भी खूब गर्म कर सकती है, लेकिन अपनी साथी अभिनेत्रियों की नाराजगी के डर से अभी तक किसी ने ऐनी जाफ़री के पास जाने की हिम्मत नहीं थी। सरसरी बातचीत तो सब कर लेते थे मगर नियमित कंपनी देने के लिए ऐनी जाफ़री के पास कोई नहीं था। 
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01-10-2019, 01:36 PM,
#96
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
मेजर राज ऐनी जाफ़री के पास बैठ कर बहुत खुशी महसूस कर रहा था। कुछ देर दोनों इधर उधर की बातें करते रहे, मेजर राज ने अपना परिचय करवाने के अलावा अपने बारे में और अपनी उपलब्धियों के बारे में ऐनी जाफ़री को बहुत कुछ बताया। जाहिर सी बात है मेजर राज ने जो कुछ कहा वह झूठ पर आधारित था, क्योंकि वह तो वास्तव में इंडियन आर्मी का मेजर राज था, जबकि यहाँ वह पाकिस्तानी सेना के कैप्टन के रूप में ऐनी जाफ़री के सामने बैठा था। मगर ऐनी जाफ़री इन झूठे कारनामों से भी काफी प्रभावित हो गई थी। वैसे भी कोई और तो उसको कंपनी नहीं दे रहा था, ऐसे में एक कैप्टन की कंपनी मिल जाना बड़ी बात थी, ऐनी जाफ़री ने भी सुन रखा था कि लॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में सफल होना है तो आपका अंडरवर्ल्ड का साथ या फिर सेना में अच्छा संबंध होना चाहिए। यही सोच कर ऐनी जाफ़री मेजर राज से बिना हिचक बातचीत कर रही थी

बातें करते करते मेजर राज ने ऐनी जाफ़री को कहा, ऐनी जाफ़री जी आप मेरी पसंदीदा हीरोइन हैं ... मैंने आपकी सब फिल्में देख रखी हैं ... मेजर राज की बात सुनकर ऐनी जाफ़री हैरान हुई और बोली लेकिन मेरी तो अभी तक केवल एक ही फिल्म रिलीज हुई है ... अब की बार मेजर राज थोड़ा संकोच और शर्मा कर बोला, नहीं वास्तव में आप समझी नहीं, वूऊऊओ । । आपकी दूसरी फिल्मों की बात कर रहा हूँ .. यह कहते हुए मेजर राज की नजरें ऐनी जाफ़री के 38 आकार के मम्मों पर थी जो उसकी गहरे गले वाली कमीज फाड़ कर बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे। ऐनी जाफ़री भी समझ गई, मगर बिना हिचके उसने एक ठहाका लगाया और बोली अच्छा, तो वह फिल्म भी देख रखी हैं। और किस किस की फिल्में देखते हैं आप ??? 

मेजर राज बोला अजी और तो किसी की भी फिल्म मिल जाए देख ही लेता हूँ, मगर आपकी फिल्म तो ज़रूर देखता हूँ। अब की बार ऐनी जाफ़री ने इठलाते हुए पूछा कि आखिर मेरी फिल्में ही क्यों ??? मुझसे भी सुंदर लड़कियाँ इन फिल्मों में काम करती हैं उनकी फिल्में क्यों नहीं इस तरह देखते जिस तरह मेरी हर फिल्म देखते हो ??? 

इस पर मेजर राज बोला, ऐनी जाफ़री जी एक तो आप अपने ही देश की हो, देसी सौंदर्य की बात ही कुछ और होती है, दूसरी फिल्म में जिस तरह आप सेक्स से भरपूर आवाज निकालती है, वह कोई और नहीं निकालती . आपकी फिल्म देखकर लगता है जैसे वास्तव में आप हमारे सामने ही बिना कपड़ों के सेक्स कर रही हैं। अब की बार ऐनी जाफ़री ने कहा .. वैल ..... मगर फिर भी कोई तो और हीरोइन होगी अश्लील फिल्मों की जो आपको पसंद होगी ?? ऐनी जाफ़री की बात सुनकर राज ने एक गहरी सांस ली और बोला, अगर किसी दूसरी हीरोइन के बारे में जानना चाहती हैं तो मुझे टोरी ब्लैक बहुत पसंद है। ऐनी जाफ़री ने पूछा क्यों वह पसंद है ??? 

मेजर राज ने कहा कि एक तो उसने दूसरी अश्लील सितारों की तरह अपने बूब्स बड़े नहीं करवाए, उसके बूब्स थोड़े छोटे हैं मगर प्राकृतिक हैं। दूसरी बात उसने अपने आपको बहुत फिट रखा है और तीसरी बात वो भी सेक्स को ठीक उसी तरह एंजाय करती है जैसे आप। यह सुनकर ऐनी जाफ़री खिलखिला कर हंस पड़ी। और बोली अच्छा आपको टोरी ब्लैक का सबसे अच्छा सेक्स सीन कौन सा लगा ?? 

राज ने फिर से जवाब दिया टोरी ब्लैक मूवी आई वाना बैंग योर सिस्टर में टोरी ब्लैक बहुत उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। ऐनी जाफ़री ने पूछा और मेरी फिल्म ??? इस पर मेजर राज थोड़ा मुस्कुराया और बोला आपने अमेरीका में आप रीबियका के साथ जो समलैंगिक सेक्स किया उसको देखकर तो मैं बहुत बार बाथरूम में। । । इससे पहले कि मेजर राज अपनी बात पूरी करता ऐनी जाफ़री ने उसे टोक दिया बस बस बस .... मैं समझ गई ... यह कह कर वह हंसी और एक शरमाती हुई बोली, कप्तान साहब आप शादीशुदा हैं ??? 

यह सवाल सुनकर कैप्टन ने एक ठंडी आह भरी और बोला अभी तो मुझ गरीब के लिए एक लड़की ने भी हाँ नहीं भरी ... शायद कोई मिल जल्द ही .. यह सुनकर सुन ऐनी एक बार फिर से खिलखिला कर हंसी और बोली अच्छा तो ये कारण है कि आप मेरी फिल्में देख देख कर ही गुजारा करते हैं और वो भी बाथरूम में। । । । । । बात पूरी किए बिना ही ऐनी फिर खिलखिला कर हंसने लगी, लेकिन अब की बार मेजर राज थोड़ा अकड़ कर बैठ गया और बोला नहीं जी अब ऐसी कोई बात नहीं, वह तो आपका प्यार है कि मैं आपकी फिल्में देखता हूँ, वरना बिस्तर गर्म करने के लिए लड़कियों की कमी नहीं है। आपको तो पता ही है पाकिस्तान में सेना अधिकारी के लिए तो लड़कियाँ मरी जाती हैं, और सेना अधिकारी से हर लड़की ही दोस्ती करना चाहती है। तो मेरी भी कुछ लड़कियां हैं जो दोस्त भी हैं, और पत्नी की कमी महसूस नहीं होने देतीं। उनके साथ अच्छा समय गुजरता है।


यह सुनकर ऐनी जाफ़री ने कहा वाह, फिर तो खूब मस्त जिंदगी गुजर रही है आपकी। अब मेजर राज ऐनी जाफ़री के और करीब हो गया और बोला ऐनी जाफ़री जी आप बुरा न माने तो एक रहस्य की बात पूछूँ ?? 

ऐनी जाफ़री ने कहा, हां पूछो .. 

मेजर राज बोला ऐनी जाफ़री जी आप की ज्यादातर फिल्में समलैंगिक ही हैं जिन्हें आप किसी दूसरी लड़की के साथ सेक्स करती हैं, या फिर अगर कोई आदमी साथ हो तो उसका डिक तुम सक करती हो मुंह में लेकर। मगर आपकी बहुत ही कम फिल्में हैं जिनमे आपने किसी पुरुष के साथ पूर्ण सेक्स किया हो। ऐसा क्यों? यह सुनकर ऐनी जाफ़री ने कहा कि ऐसी बात नहीं, मेरी ऐसी कई फिल्में हैं, लेकिन इंटरनेट पर ऐसी बहुत कम फिल्में उपलब्ध हैं, ज्यादातर वे हैं जो समलैंगिक सेक्स पर हैं, जिनमें कोई व्यक्ति मुझे चोद ..... .... ओह सॉरी ... मेरा मतलब है जिसमें कोई आदमी मेरे साथ सेक्स कर रहा हो ऐसी फिल्में इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन अगर आप चाहें तो मैं आपको अपनी वो फिल्में भी दे सकती हूं। 

ये सुनकर मेजर राज ने एक ठहाका लगाया और बोला जब तक आप से मिले नहीं थे तब तक तो फिल्मों से काम चल जाता था। लेकिन आज जब मिल ही लिया तो फिल्म की बजाय आपको ही बजाएँगे ....... । यह कह कर मेजर राज ने एक शातिर मुस्कान से ऐनी को देखा और अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया। ऐनी जाफ़री भी कैप्टन का मतलब समझ गई थी। वह भी मुस्कुरा दी मगर उसने इस बात का जवाब देना उचित नहीं समझा। 

उसके बाद कुछ देर और मेजर राज ऐनी जाफ़री के साथ बातें करता रहा जिसमें उसकी नई आने वाली उर्दू फिल्म चर्चा का विषय रही। इस दौरान कैप्टन की नजरें लगातार साना जावेद को तलाश करती रहीं, लेकिन वो अब तक नजर नहीं आई थी। फिर मेजर राज ने ऐनी जाफ़री से फिर से अश्लील फिल्मों और सेक्स के बारे में बात करना शुरू कर दिया, क्योंकि मेजर राज का लंड ऐनी जाफ़री को अपने सामने देखकर बैठने का नाम नहीं ले रहा था। और जब ऐनी जाफ़री को भी सेक्स पर बात करने से कोई हिचक नहीं थी तो ऐसे में कोई भी आदमी भला कैसे ऐनी जाफ़री के साथ किसी और विषय पर बात कर सकता था। अब की बार मेजर राज ने ऐनी जाफ़री से पूछा कि जिन लोगों के साथ आपने अश्लील फिल्मों में काम किया है, और जिन्होने आप फक किया, क्या वह फिल्म के अलावा भी आपके साथ फकिंग करते हैं या महज फिल्म सीमा तक ही होता है ?? 

मेजर राज के इस सवाल पर ऐनी हल्का सा मुस्कुराई और बोली मान लीजिए आप मेरे साथ फिल्म में काम कर रहे हैं और फिल्म की शूटिंग के दौरान आपने कैमरामैन, निर्देशक और अन्य स्टाफ के सामने मुझे फक किया, तो क्या आप बिना कैमरे के भी मुझे फक करना पसंद करेंगे ??? 

इस पर मेजर राज ने तुरंत कहा जी बिल्कुल, भला दूसरे लोगों के सामने फक करने का क्या मजा है, जिसमे बार बार ब्रेक भी लगे, निर्देशक के कहने पर स्थिति भी चेंज करनी पड़े, अपनी कोई इच्छा ही न हो, अगर कैमरा के सामने मैं आपकी लूँगा, तो कैमरे के बिना तो मैं आपकी दबा कर मारूँगा।

कैप्टन के इस बोल्ड जवाब पर ऐनी जाफ़री खिलखिला कर हंसी और बोली बस बाकी जो अश्लील सितारे मेरे साथ काम करते हैं और फिल्म में मुझे फक करते हैं, वे भी फिल्म के अलावा मेरी दबा कर मारते हैं। यह कह कर ऐनी जाफ़री एक बार फिर खिलखिला कर हंस पड़ी। 

फिर मेजर राज ने ऐनी से पूछा फिल्म के हीरो के अलावा जो लोग चारों ओर खड़े होते हैं, उनका दिल नहीं करता उस समय सेक्स करने को ??? इस पर ऐनी जाफ़री ने कहा कि वह पहले से ही किसी ना किसी की ले चुके होते हैं, और जो हीरोइन का फक सीन होता है उसको पहले तो निर्देशक खुद नीचे लिटा कर उसकी लेता है तब हीरो को मौका मिलता है कैमरा के सामने उसकी लेने का। इसके अलावा कभी कभी कैमरामैन भी फरमाइश कर देता है तो उसको भी देनी पड़ती है। यह सब तो चलता ही रहता है वहाँ पर। एक लड़की को एक ही दिन में 4 से 5 लोग तो ज़रूर फक करते हैं।

फिर मेजर राज एक मुस्कुराता हुआ बोला कभी किसी आर्मी वाले को भी दी है आपने या बस फिल्म निर्देशकों और हीरो को ही देती रही हैं आज तक ??? 

अब की बार ऐनी जाफ़री थोड़ी सी आगे झुकी अपनी कोहनी टेबल पर रख कर अपना चेहरा अपने हाथों में रखा और बोली आज तक तो नहीं, लेकिन लगता है कि आज तो देनी ही पड़ेगी आर्मी ऑफिसर को भी। यह कह कर ऐनी जाफ़री ने अपनी एक टांग दूसरे पैर के ऊपर रखी और पैर हल्का सा घुमा कर इस स्थिति में ले आई कि उसके जूते की एड़ी सीधी मेजर राज के दोनों पैरों के बीच मौजूद हथियार पर जाकर लगी। ऐनी जाफ़री की इस अचानक हरकत से मेजर राज एकदम अपनी कुर्सी पर हिल कर रह गया, लेकिन उसके बाद फिर से आराम से बैठ गया और ऐनी जाफ़री की गहरे गले वाली शर्ट से झांकते मम्मों पर नजरें जमा कर बोला फिर क्या कार्यक्रम है ??? 

कैप्टन की बात सुनकर ऐनी जाफ़री अपनी जगह से खड़ी हुई और मेजर राज की तरफ हाथ बढ़ाकर बोली चलें ... ऐनी जाफ़री की इस अचानक ऑफर से मेजर राज हडबड़ा उठा था, उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि ऐनी जाफ़री यूं एकदम से तैयार हो जाएगी और उसे अपनी चूत देने की पेशकश कर देगी। मगर अब जब कि लड़की खुद ऑफर कर रही थी तो उसको मना करना भला कहां की मर्दानगी थी। मेजर राज ने ऐनी जाफ़री का हाथ थामा और उसके साथ चल दिया। ऐनी जाफ़री बड़े हॉल से निकल कर एक गलियारे से होती हुई सामने लगी लिफ्ट की ओर बढ़ रही थी। उसके शरीर से आने वाली महक मेजर राज को पागल कर रही थी। ऐनी जाफ़री ने अपना एक हाथ मेजर राज के बाजू में डाला हुआ था और उसके साथ लिफ्ट से बढ़ रही थी। राज कभी तो सामने लिफ्ट की तरफ देखता तो कभी उसकी नजरें ऐनी के सीने पर चली जातीं, जहां दोनों मम्मों के मिलान में गहरी क्लीवेज़ निमंत्रण दे रही थी। राज मन ही मन सोच रहा था कि इसके मम्मों के बीच अगर उसका लंड हो और दोनों मम्मों को मिला कर उनकी खूब चुदाई की जाए तो कैसा मज़ा आएगा

लिफ्ट के सामने पहुंचकर ऐनी जाफ़री ने लिफ्ट को ऊपर बुलाया और कुछ ही देर के बाद लिफ्ट का दरवाजा खुला तो अंदर से माया अली और फराद ख़ान निकले। माया अली ने तो ऐनी को देखते ही गुस्सा व्यक्त किया और तुरंत ही सामने देखने लगी, जबकि फराद ख़ान की नज़रों ने ऐनी का एक आकर्षक मुस्कान के साथ स्वागत किया और फिर उसके सीने का निरीक्षण करते हुए माया अली के साथ ही आगे चल निकला । मेजर राज ने माया अली की भी काफी फिल्में देख रखी थीं और आज मेजर राज को वास्तव एहसास हुआ कि माया अली बहुत लंबी लड़की है, वह करीब करीब मेजर राज के बराबर ही थी लंबाई में। 

अब ऐनी जाफ़री और मेजर राज लिफ्ट में मौजूद थे और ऐनी ने ऊपर वाली मंजिल का बटन दबाया तो राज ने कहा कि होटल में कोई कमरा रिजर्व है क्या ??? तो ऐनी एकदम से हंसी और बोली नहीं, हम यहाँ मेहमान के रूप में रहने नहीं आए, बस समारोह के लिए हॉल की बुकिंग है उसके अलावा कोई कमरा बुक नहीं। तो मेजर राज ने कहा फिर हम कहां जा रहे हैं 

ऐनी जाफ़री मुस्कुराई और बोली लगता है आप कभी पहले ऐसी किसी महफिल में शरीक नहीं हुए, अन्यथा आपको पता होता कि यहां क्या कुछ होता है। मेजर राज अब थोड़ा संकोच के साथ बोला नहीं मैं वास्तव पहले ऐसी किसी पार्टी या समारोह में नहीं आया। ऐनी जाफ़री ने कहा बस फिर जहां जा रही हूँ तुम भी वहीं चलो मेरे साथ तुम्हें लग जाएगा पता। इतने में लिफ्ट फिर से रुक गई और लिफ्ट का दरवाजा खुल गया तो ऐनी जाफ़री एक गलियारे में से गुजरने लगी, मेजर राज भी उसके साथ था। नीचे की मंजिल की तुलना मे यहां भीड़ ना के बराबर थी, गलियारे के दोनों साइड में कमरे थेमगर सब बंद पड़े थे, या तो उन में कोई था नहीं या फिर यह उनके बाहर निकलने का समय नहीं था। 
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01-10-2019, 01:36 PM,
#97
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
गेलरी समाप्त हुई तो ऐनी जाफ़री दाईं ओर मुड़ गई और थोड़ी दूर जाकर मेजर राज को रुकने का इशारा किया और खुद थोड़ा आगे जाकर बाईं ओर एक दरवाजे में प्रवेश कर गई कुछ ही सेकंड के बाद ऐनी जाफ़री फिर से दरवाजे से बाहर निकली और मेजर राज को अंदर आने का इशारा किया। मेजर तुरंत उसकी तरफ बढ़ा, लेकिन अंदर जाने से पहले कैप्टन ने जब कमरे का नंबर नोट करने के लिए ऊपर की ओर देखा तो उसे यह देखकर शॉक लगा कि वह कमरा नहीं बल्कि महिलाओं का बाथरूम था . इससे पहले कि राज कुछ सोचता, ऐनी जाफ़री ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अंदर खींच लिया। अंदर लाइन में आमने सामने करीब 15 से 16 छोटे दरवाजे थे, ऐनी जाफ़री मेजर राज को खींचती एक दरवाजे के पास जाकर रुकी और दरवाजा खोलकर राज को भी अंदर ले गई और तुरंत दरवाजा बंद कर दिया। अंदर एक कमोड लगा हुआ था। ऐनी जाफ़री दीवार के साथ लग कर खड़ी हो गई और दरवाजा बंद करते ही राज को कॉलर से पकड़ कर अपने पास खींच कर अपने सीने से लगा लिया और अपने होंठ राज के होंठों पर रख कर उन्हें चूसने लगी

मेजर राज के लिए यह सब कुछ बहुत आश्चर्यजनक और अचानक हुआ था वह कुछ भी समझ नहीं पाया था, उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इस हालत मे लेडीज़ बाथरूम में, वो भी जो जनता के लिए हों उसमे किसी लड़की की चूत मारेगा। लेकिन अब ऐसी बातें सोचने का समय नहीं था, अब राज के हाथ भी ऐनी के कमरे के पीछे जा चुके थे और वह ऐनी जाफ़री की नग्न कमर कसकर पकड़ कर उसे अपने और भी करीब कर लिया था और उसके रसीले होंठ चूसने में व्यस्त हो गया था। ऐनी जाफ़री को राज की पेंट में से एक मोटी चीज़ की अपनी चूत पर चुभन महसूस हो रही थी जिससे ऐनी जैसी अनुभवी लड़की समझ लग गई थी कि आज उसे एक तगड़ा लंड चोदने वाला है। मेजर राज अब बहुत देर ऐनी जाफ़री के रसीले होंठों से रस चूसने के मूड में था मगर ऐनी ऐसे स्थानों पर चुदाई की विशेषज्ञ थी, वह जानती थी कि ऐसी जगह पर सेक्स करने के लिए चूमा चाटी की बजाय सीधे लंड योनी का मिलान करके बढ़ना चाहिए और कम से कम समय में अधिक से अधिक लंड का मज़ा ले लेना चाहिए। इसीलिए थोड़ी देर के बाद ही ऐनी जाफ़री ने राज को अपने से दूर किया और राज के सामने बैठ गई और बैठते ही उसने अपना हाथ राज के लंड पर रखा और एक बार नज़रें उठाकर राज की ओर प्रशंसा की दृष्टि से देखकर उसकी बेल्ट खोलने के बाद पेंट की जिप भी खोल दी और फिर पेंट का हुक खोल कर अपना हाथ मेजर राज के अंडर वीयर में डाल कर उसका मोटा और तगड़ा लंड निकाल लिया। ऐनी जाफ़री ने कुछ पल के लिए मेजर राज के लंड को पकड़कर उसको टोपी से लेकर जड़ तक देखा और फिर अपना मुंह खोलकर लंड की टोपी पर रखा और अपने होंठों को टोपी के आसपास गोल गोल घुमाने लगी। 

वैसे तो ऐनी जाफ़री ने ऐसे लंबे लंड भी देख रखे थे मगर जब से वह पाकिस्तान आई थी तब से यहाँ कोई इतना लंबा लंड चुदाई को नहीं मिला था इसलिए वह खुश थी कि आज काफी समय बाद कोई तगड़ा लंड उसकी चुदाई करेगा । कुछ देर तक टोपी पर ज़ुबान फेरने के बाद अब ऐनी जाफ़री राज के लंड की चुसाइ लगा कर उसे गीला कर रही थी। और मेजर राज को आज सही मायने में चुसाइ लगवाने का मज़ा आ रहा था। आज एक पेशेवर रंडी उसके लंड की चुसाइ करने में व्यस्त थी इसीलिए राज का मन कर रहा था कि वह देर तक उसके लंड को चूसती रहे मगर कुछ ही देर के बाद ऐनी जाफ़री ने राज के लंड को मुंह से निकाल कर उसके आंडों को हाथ में पकड़ा और फिर उन्हें मुट्ठी में बंद करके थोड़ा आंडों को मुट्ठी से बाहर निकाल कर उन्हें अपनी जीभ से चूसने लगी। राज के लिए यह एक नया अनुभव था और उसे बहुत अच्छा लग रहा था। मेजर राज मुंह ऊपर करके लम्बे सांस ले रहा था और ऐनी की ज़ुबान का मज़ा अपने आंडों पर महसूस कर रहा था कि अचानक उसे सिसकियों की आवाजें आने लगीं। 

राज ने मुंह नीचे करके ऐनी जाफ़री को देखा मगर वह तो उसके आँड चूसने में व्यस्त थी। राज ने इधर उधर नज़रें दौड़ाई तो उसने देखा कि साथ वाले किसी बाथरूम से यह किसी लड़की की सिसकियों की आवाजें हैं। राज समझ गया कि साथ वाले बाथरूम में भी यही काम जारी है, मगर उसको इससे क्या, उसके आँड तो उस समय पाकिस्तान की सबसे बड़ी रंडी अपने मुँह में लेकर चूस रही थी तो उसका ध्यान फिर से अपने आंडों की ओर चला गया। कुछ देर आँड चूसने के बाद ऐनी जाफ़री ने एक बार फिर राज के लंड अपने मुंह में डाला और उस पर खूब जोरदार ढंग से चूसने लगी 

फिर ऐनी जाफ़री अपनी जगह से खड़ी हुई और अपनी एक टांग उठा कर साथ लगे कमोड पर रख दी और अपना लिबास जो मुश्किल से उसकी थाईज़ तक था उसे ऊपर उठा कर अपने चूतड़ों से भी ऊपर ले गई बल्कि अपनी नाभि तक ऊपर उठा दिया। नीचे से ऐनी जाफ़री ने लाल रंग की सुंदर पैन्टी पहन रखी थी। ऐनी जाफ़री ने अपनी पैन्टी का फ्रंट हिस्सा साइड पर करके अपनी योनी नग्न कर दी। राज की नजरें जैसे ही ऐनी जाफ़री की गुलाबी योनी पर पड़ी वह तुरंत उसे चाटने के लिए नीचे झुकने लगा मगर ऐनी जाफ़री ने उसे पकड़ कर झुकने से मना किया और धीमी आवाज़ में बोली अभी समय नहीं है तुम बस अंदर डालो। यह कह कर ऐनी जाफ़री ने राज का तगड़ा लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसे खींच कर अपनी योनी के पास कर लिया। मेजर राज का लंड अब ऐनी जाफ़री की योनी से टकरा रहा था. राज ने इधर उधर देखा और बोला चीख मत मारना मैं अंदर डालने वाला हूँ। ऐनी जाफ़री ने एक मामूली ठहाका लगाया और बोली तुम चिंता मत करो मेरी चीखें निकालना तुम्हारे बस की बात नहीं, तुम बस अंदर डालो और शुरू हो जाओ .

मेजर राज को भी अपनी मूर्खता का एहसास था, भला जो रंडी दिन में 3, 4 लंड अपनी योनी मे पहले सेट करवाती हो उसकी एक लंड से कैसे चीखें निकलेंगी। यह सोच कर राज ने अपने लंड की टोपी ऐनी जाफ़री के योनी छेद पर रखी जहां हल्के हल्के बाल थे। टोपी रखते ही राज को अंदाज़ा हो गया था कि ऐनी जाफ़री की योनी न केवल गर्मी से दहक रही है बल्कि वह गीली भी खूब है। राज ने योनी के छेद पर टोपी रखकर एक जोरदार धक्का लगाया तो राज का 8 इंच का लोड़ा ऐनी जाफ़री की योनी की दीवारों को चीरता हुआ उसकी गहराई तक उतर गया, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से ऐनी जाफ़री की एक भी चीख नहीं निकली बल्कि उसकी आंखों में एक अजीब सा नशा था और होठों पर मुस्कान थी। राज ने यह देखकर बिना रुके ऐनी जाफ़री की योनी में अपने लंड से धक्के लगाने शुरू कर दिए, ऐनी जाफ़री का पैर जो कमोड पर था अब राज ने उसको अपने हाथ पर रख लिया था, ऐनी जाफ़री ने ऊँची एड़ी वाली जूती पहन रखी थी जिसकी वजह से उसकी योनी राज के लंड के बिल्कुल निशाने पर थी और उसको चोदने के लिए मुड़ना नहीं पड़ रहा था वरना आमतौर पर पुरुष को महिला की चुदाई अगर खड़े होकर करनी पड़े तो उसको थोड़ा झुकना पड़ता है जिसकी वजह से चुदाई करने में मुश्किल होती है। मगर यहां लंड और योनी बिल्कुल परफेक्ट स्थिति में थे कि दोनों में से किसी को भी झुकना नहीं पड़ा और लंड और योनी का बा आसानी मिलान हो गया था। 

कुछ देर तक राज ऐनी जाफ़री की योनी में धक्के लगाता रहा और धपधुप की हल्की हल्की आह आह ह ह ह ...उफफफ्फ़ एफ। एफ। एफ। एफ की सिसकियां लेती रही, उसके साथ राज ऐनी जाफ़री के रसीले होठों से उनका रस भी चूसता रहा, मगर फिर राज को ऐनी के 38 आकार के पहाड़ जैसे नरम नरम मम्मों का विचार आया तो राज ने ऐनी की गहरे गले वाली कमीज में अपना हाथ डाला और उसका एक मम्मा पकड़ कर कमीज से बाहर निकाल लिया। कमीज की बजाय शर्ट कहना ज्यादा उचित होगा। मम्मा बाहर निकाला तो उस पर मौजूद एक मोटा सा खड़ा निपल देखकर मेजर राज की राल टपकने लगी उसने तुरंत ही ऐनी के मोटे मम्मे को अपने हाथ में पकड़ लिया और अपना चेहरा नीचे करके ऐनी के खड़े हुए निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगा। उसके साथ साथ नीचे से धक्के लगाने की प्रक्रिया को भी राज ने जारी रखा। 

इस समय लेडीज़ बाथरूम में 2 महिलाओं की चुदाई रही थी, एक तो ऐनी जाफ़री थी जिसकी चिकनी योनी में कैप्टन फ़िरोज़ यानि मेजर राज का 8 इंच शक्तिशाली लंड था जबकि दूसरी ओर कौन लड़की थी और उसकी चूत में किसका लंड उसको सिसकियाँ लेने पर मजबूर कर रहा था इस बात का अब तक पता नहीं चल सका था। राज का ध्यान ऐनी जाफ़री को चोदने के साथ कभी-कभी दूसरी लड़की पर भी जाता कि आखिर पता तो लगे है कौन ?? मगर उसकी सिसकियों और हल्की चीखों से इस बात का अनुमान लगाना संभव नहीं था। कुछ देर बाद राज ने ऐनी जाफ़री का दूसरा मम्मा भी उसकी शर्ट से बाहर निकाल लिया और अब एक हाथ से ऐनी जाफ़री का पैर उठाए उसके मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और बाईं मम्मे का निपल्स अपनी उंगलियों में लेकर उसको मसलने लगा। मेजर राज की इस हरकत ने ऐनी जाफ़री की सिसकियों को थोड़ा बढ़ा दिया था, राज का लंड ऐनी जाफ़री के अनुमान से कुछ ज्यादा ही मोटा था यही वजह थी कि उसको काफी दिन के बाद चुदाई का कुछ मज़ा आ रहा था। 

थोड़ी देर तक इसी स्थिति में ऐनी जाफ़री को चोदने के बाद राज ने ऐनी का पैर वापस नीचे रखा और फिर उसकी योनी से अपना लंड बाहर निकाल लिया। फिर उसने ऐनी का पैर खोला और अपने दोनों हाथ उसकी टांगों के बीच ले जा कर ऐनी जाफ़री को अपनी गोद में ऊपर उठा लिया, ऐनी जाफ़री की कमर बाथरूम की कमजोर दीवार के साथ लग गई और राज ने अपने एक हाथ से अपना लोड़ा पकड़ कर ऐनी जाफ़री की योनी के ऊपर फिट करके ऐनी का वजन वापस नीचे डाला तो सारा लंड शरप की आवाज के साथ ऐनी जाफ़री की चूत में घुसता चला गया, अब राज ने जोरदार धक्के लगाना शुरू किया तो ऐनी के वजन से बाथरूम की कमजोर दीवार हिलने लगी। यह देखकर राज ने ऐनी की चूत में धक्के रोके और उसे उठा कर दूसरी ओर बाथरूम की एक दीवार के साथ ले गया, जो गत्ता नहीं बल्कि ईंट पत्थर से बनी हुई थी ऐनी की कमर दीवार के साथ लगाकर राज ने फिर से ऐनी की चूत में खुदाई शुरू की, अब की बार ऐनी के दोनों मम्मे राज के मुंह के बिल्कुल सामने थे और वो बहुत ही बेसब्री से उन्हें चूस रहा था, अब मेजर राज के धक्कों की गति पहले की तुलना में बहुत अधिक थी और ऐनी जाफ़री की सिसकियाँ भी अब की बार पहले की तुलना में बहुत तेज थीं। 

ओह हु हु ..... फक मी बेबी, कम ऑन, फक मी हार्ड .... आह ह ह ह ह ह फक मी हारडर। । । । .. आह ह ह ह ह बेबी .. । । यस।यस .. । यस। । फक मी लाइक विच । । । आह ह ह ह ह, उफ़ एफ एफ एफ एफ एफ एफ। आह ह ह आह ह ह आह ह ह आह ह ह, ओह माई गॉड, यू आर रियल गुड इन फकिंग बेबी, यू हैव स्ट्रॉंग डिक बेबी। फक मी लाइक ए बिच ... आह आह आह। । ऐनी जाफ़री की आवाज अब निश्चितही बराबर वाले बाथरूम में चुदाई करवाती लड़की के कानों तक भी जा रही थीं तभी उसने भी अब अपनी सिसकियों में वृद्धि कर दी थी और अपनी चुदाई करने वाले पुरुष के लंड की बढ़ाई शुरू कर दी थीं


ऐनी जाफ़री की सिसकियों और सेक्सी आवाजों ने राज को सातवें आसमान तक पहुंचा दिया था। अब वह बहुत जल्दी और बेरहमी से ऐनी जाफ़री की चुदाई कर रहा था जिससे अब वास्तव में ऐनी जाफ़री की चीखें निकलना शुरू हो गईं थीं मगर वह अद्भुत कौशल से अपनी चीखों पर काबू पा रही थी ताकि आवाज कम से कम बाथरूम से बाहर न जाए। मगर कुछ ही देर में ऐनी जाफ़री को लगा कि उसकी चूत की दीवारों में बाढ़ आने वाली है, उसने अपनी चूत को सख्ती से दबा लिया और राज के लंड के लिए रास्ता तंग कर दिया, लेकिन राज के शक्तिशाली लंड के लिए यह बाधा पर्याप्त नहीं थी वह बदस्तूर पहले वाली तेजी केसाथ ही ऐनी की चूत की दीवारों को चीरता हुआ उसकी चूत की गहराई में जाकर वापस आता और फिर एक जोरदार धक्के के परिणामस्वरूप ऐनी चूत में उतर जाता। 

कम चलायें बेबी, आईएम कमिंग .... आह ह ह ह फ़ासटर, मोर फास्ट, ,,, हारडर बेबी, आईएम कमिंग ... डांट स्टॉप, कीप फकिंग बेबी, आह आह आह आह ह ह ह और इसके साथ ही ऐनी जाफ़री की चीखें नियंत्रण से बाहर होने लगी और उसने 2, 3 जोरदार चीखों और फिर सिसकियों के साथ अपनी चूत का पानी छोड़ दिया। ऐनी जाफ़री की चूत से बहता पानी राज की पैंट पर गिरा और ऐनी जाफ़री को आराम मिल गया। कुछ झटकों के बाद ऐनी जाफ़री अपने आप को काफी हल्का महसूस कर रही थी। कनाडा से लौटने के बाद काफी समय बाद उसको कोई तगड़ा लंड मिला था जो इतनी जल्दी उसकी चूत का पानी निकलवा दे। वरना ज्यादातर लोड़े तो मात्र 3 मिनट ही उसकी चूत में धक्के लगा पाते थे और फिर ऐनी का पानी निकलवाए बिना ही ऐनी की चूत में थक कर उलटी कर देते थे। 

ऐनी जाफ़री का सारा पानी निकल गया तो मेजर राज ने ऐनी जाफ़री को अपनी गोद से उतारा, ऐनी जाफ़री शक्तिहीन सी आगे बढ़ी और राज के होंठ चूसने लगी, उसको कैप्टन पर प्यार आ रहा था जिसने बहुत अच्छे तरीके से उसकी चुदाई की थी और ऐनी जाफ़री जैसी पेशेवर रंडी की भी चीखें निकलवा दी थीं। थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे के होंठ चूसते रहे और दूसरी ओर से आने वाली आवाजों को सुनते रहे जिनमें अब कुछ तेजी आ चुकी थी। फिर राज ने ऐनी जाफ़री का मुंह दूसरी तरफ कर के उसकी पीठ अपनी ओर कर ली और उसे झुकने के लिए कहा तो ऐनी कमोड की टंकी का सहारा लेकर झुक गई और अपनी 34 आकार भरी हुई गाण्ड बाहर निकाल दी। राज ने ऐनी के 2 पहाड़ जैसे चूतड़ देखे तो उसका दिल खुश हो गया, उसने ऐनी के चूतड़ों को खोल कर उसकी गाण्ड का छेद देखा जो आम लड़कियों की गांड की तुलना में काफी बड़ा था, राज ने उस पर अपना थूक फेंककर अपनी उंगली से गांड को गीला किया तो ऐनी समझ गई कि अब राज का शक्तिशाली लंड उसकी गाण्ड में जाकर अपना जादू दिखाएगा, ऐनी जाफ़री गाण्ड मरवाने की भी विशेषज्ञ थी इसलिए उसने कोई आपत्ति नहीं की और राज को गाण्ड चिकनी करने की अनुमति दे दी। 

कुछ देर तक गाण्ड को चिकना करने के बाद राज ने अपने लंड की टोपी पर भी थूक फेंक कर उस पर अपने हाथ से थूक मसल दिया और फिर अपने लंड की टोपी ऐनी की गाण्ड के छेद पर रख कर एक जोरदार धक्का लगाया तो राज का आधा लंड ऐनी की चिकनी गाण्ड में जा चुका था। ऐनी जाफ़री ने एक जोरदार चीख भी मारी जिससे पूरा बाथरूम गूंज गया, लेकिन इससे पहले कि ऐनी जाफ़री संभलती राज ने एक बार लंड को बाहर निकाला और केवल अपने लंड की टोपी को ऐनी की गांड के हॉल में रहने दिया, फिर एक और जोरदार धक्का लगाया तो मेजर राज का पूरा लंड ऐनी की गाण्ड में उतर चुका था और ऐनी की गाण्ड फट चुकी थी। ऐनी जाफ़री ने इस बार भी एक चीख मारी, क्योंकि लड़की चाहे कितनी बड़ी रंडी क्यों न, गाण्ड मरवाते हुए उसकी चीखें निकलती ही हैं।

ऐनी जाफ़री की इन चीखों का राज पर कोई असर नही पड़ा और अपने घोड़े जैसे लंड को ऐनी की गाण्ड में दौड़ाने लग गया। राज लगातार ऐनी की गाण्ड में अपने 8 इंच लोहे जैसे लोड़े से खुदाई जारी किए हुए था और हर धक्के के साथ ऐनी जाफ़री केचूतड़ राज की जांघों से टकरा कर धुप्प धुप्प की आवाज पैदा कर रहे थे। अब बाथरूम आह ह ह आह ह ह आह ह ह आह ह ह धुप्प धुप्प आह ह ह ह आह ह ह ह आह ह ह ह धुप्प धुप्प धुप्प उफ़ एफ एफ एफ एफ आह ह ह आ हुह हु हु हु हु धुप्प धुप्प की आवाजों से गूंज रहा था। 

ऐनी जाफ़री ने मुंह पीछे कर राज को एक हवाई पप्पी दे डाली, वह पहले चूत मरवा कर खुश थी और अब गाण्ड मरवाने का भी उसे खूब मज़ा आ रहा था। उसका एक हाथ उसकी चूत पर था और वह अपनी चूत को बराबर मसल रही थी ताकि वह दूसरी बार भी अपनी चूत का पानी निकाल सके।ऐनी जाफ़री की सिसकियों और हल्की चीखों का शोर लगातार बढ़ रहा था, और जब उसकी चीखों से पूरा लेडीज़ बाथरूम गूंजने लगा तो साथ वाले बाथरूम से एक कर्कश आवाज़ आई, ओ ऐनी जाफ़री की बच्ची चुप कर नहीं चुदवा सकती क्या? आवाज बंद कर अपनी। ..... ...

यह आवाज सुनकर राज कान एकदम खड़े हो गए, उसे यह आवाज कहीं सुनी हुई लग रही थी। इससे पहले राज कुछ समझता कि यह किसकी आवाज है, ऐनी जाफ़री गाण्ड चुदवाते चुदवाते ही बोली, तुझे क्या तकलीफ है साना ??? खुद भी एंजाय कर और मुझे भी करने दे। ज़्यादा उंगली न कर। आह आह आह ह ह ह ह ह ह .... दूसरी ओर से आवाज़ आई तुझे तो वैसे ही चीखें मारने का शौक है। ऐनी जाफ़री बोली आज इतने दिन के बाद आह ह ह ह इतना जबरदस्त हथियार मिला है मज़ा आ गया है, तू भी ट्राई कर उसको फिर बता चीखें शौक से निकलती हैं या मजे से निकलती हैं। आह ह ह ह ह आह ह ह ह .... फक मी बेबी हारडर, यू आर गुड ... आह ह ह ह ह ... यस बेबी, फक मी ..... 
Reply
01-10-2019, 01:36 PM,
#98
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
राज अब तक समझ नहीं पाया था कि यह किसकी आवाज है, लेकिन ऐनी जाफ़री ने जब साना कह कर उसे संबोधित किया तो उसे लगा कि शायद यह साना जावेद की बात कर रही है। राज ने धीरे से ऐनी जाफ़री से पूछ ही लिया कि ये कौन है जो बोल रही है ??? तो ऐनी जाफ़री ने बताया कि साना जावेद है, यह सुनना था कि राज के लंड में एक नई जान आई। उसकी पसंदीदा हीरोइन उसके साथ वाले बाथरूम में चुदवा रही थी, साथ ही दूसरी तरफ से साना जावेद की चीखों में भी मामूली वृद्धि हुई और फिर एक लम्बी सिसकी के साथ साना जावेद की चूत ने पानी छोड़ दिया। फिर साना जावेद की आवाज़ आई, क्या यार, सारी साड़ी खराब कर दी मेरी। चलो तुम जाओ अब, मैं साड़ी ठीक कर के आती हूँ। उसके बाद आगे चुप्पी छा गई, बस बाथरूम का दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज आई मगर इस ओर राज का लंड अब तूफानी गति से ऐनी की गाण्ड में चुदाई कर रहा था और ऐनी जाफ़री ने चीखें मार मार कर सारा बाथरूम सिर पर उठा रखा था। हक़ीकत में यह था कि ऐनी जाफ़री को चीख़ें मारने का शौक था, वह किसी से भी चुदवाती तो उसको खुश करने के लिए खुद ही चीखें मारती और सेक्सी आवाजें निकालती, लेकिन यह भी एक हक़ीकत ही थी कि आज ऐनी जाफ़री मेजर राज को खुश करने के लिए नहीं चीख रही थी बल्कि राज का 8 इंच लंबा और मोटा लोड़ा जिस गति से उसकी चुदाई कर रहा था, मजे की तीव्रता से ऐनी जाफ़री की चीखें स्वतः ही निकल रही थीं। इन चीखों के दौरान एक बार फिर ऐनी जाफ़री की आवाज़ आई अबे रंडी की बच्ची चुप हो जा मगर इस बार ऐनी जाफ़री ने कोई जवाब नहीं दिया। [Image: images?q=tbn:ANd9GcTyaISfHxBPzy6fZ2rkKam...7MzAJ7zZpg]

लेकिन राज को अब ऐसा लग रहा था कि उसके सामने ऐनी जाफ़री नहीं बल्कि उसकी प्यारी और सेक्सी हीरोइन साना जावेद है जिसको वह सपनों में कई बार चोद चुका था, और अब राज आंखें बंद किए ऐनी की गाण्ड की जगह साना की छोटी मगर सेक्सी गाण्ड की कल्पना कर धक्के पर धक्का मार रहा था। उसे यही लग रहा था अब वह वास्तव में साना जावेद की चुदाई कर रहा है यही कारण था कि उसके धक्कों की गति इस हद तक पहुंच चुकी थी कि ऐनी जाफ़री को भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। उसको लग रहा था कि उसकी चूत फिर से पानी छोड़ने वाली है, और यही हुआ कुछ ही देर बाद ऐनी जाफ़री ने एक बार फिर सिसकियाँ मार मार कर अपनी चूत का सारा पानी निकाल दिया। जैसे ही ऐनी की चूत ने पानी छोड़ा राज जो पूरी गति के साथ ऐनी जाफ़री की गाण्ड मार रहा था वह बोला कि मेरा भी निकलने वाला है तो ऐनी जाफ़री ने कहा अंदर मत छोडना निकलने लगे तो लंड बाहर निकाल लेना। यह सुनते ही राज ने लंड बाहर निकाल लिया क्योंकि उसका पानी बस अभी निकलने ही वाला था, जैसे ही राज ने लंड बाहर निकाला उसने अपना लंड पकड़ कर मुठ मारनी शुरू कर दी और ऐनी जो कि गाण्ड राज की ओर किए झुकी खड़ी थी तुरंत सीधी हो गई और राज की ओर मुंह करके कमोड पर बैठ गई। 
[Image: images?q=tbn:ANd9GcTzcJg69tzBCWFMnMyelxv...QuuABlwFw7]
उसने राज के हाथ से उसका लंड पकड़ लिया और खुद उसकी मुठ मारने लगी, ऐनी जाफ़री किसी भी लंड की पानी निकासी की विशेषज्ञ थी और, उसके हाथों में जादू था, वह महज 4, 5 ही झटके मारे होंगे कि राज के लंड ने वीर्य छोड़ दिया, इस दौरान ऐनी जाफ़री ने राज के लंड को अपने मुँह के बिल्कुल सामने कर मुंह खोल लिया था, जैसे ही राज के लंड से वीर्य की धार निकली, वह सीधी ऐनी जाफ़री के गले तक पहुँच गई मगर उसने अपना मुंह बंद नहीं किया , नहीं तो तीसरी और फिर चौथी धार भी सीधी उसके मुंह में ना गई होती जिससे ऐनी का मुंह भर चुका था मगर राज का लंड अभी और धारें मारने के मूड में था। अब ऐनी जाफ़री ने अपना मुंह बंद करके राज के लंड का रुख अपने मम्मों की ओर कर लिया था। कुछ वीर्य ऐनी जाफ़री के मम्मों पर गिरी। और फिर राज के लंड से वीर्य निकलना बंद हो गया .

साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. 
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, 
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ 
(¨`·.·´¨) Always 
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rajsharmaSuper memberPosts: 8728Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: वतन तेरे हम लाडले

Post by rajsharma » 22 Aug 2017 10:19
ऐनी जाफ़री ने अपने मुंह में मौजूद वीर्य पी लिया था और अब उसका मुँह खाली था, कुछ वीर्य उसके होठों पर और कुछ ज़ुबान पर जमी हुआ था, अपने मम्मों से वीर्य उंगली से लगाकर ऐनी उसको भी चाट रही थी। फिर ऐनी जाफ़री ने मेजर राज को बाहर निकलने का इशारा किया तो राज शर्मा अपने लंड को बाथरूम में पड़े टिशू पेपर से साफ करके वापस अंडर वेअर में डाल पेंट सही करके बाहर निकल गया, जहां सामने ही वाश बेशन के साथ साना जावेद अपनी साड़ी ठीक कर रही थी। उसको देखते ही राज की तो जैसे बोलती बंद हो गई। साना जावेद ने हमेशा की तरह साड़ी के नीचे सिर्फ एक ब्रा पहन रखा था, उसकी पूरी कमर नंगी थी, और सामने शीशे साना जावेद का सुंदर क्लीवेज़ दिख रहा था जिसको मेजर राज शर्मा देख रहा था। इतनी देर में ऐनी जाफ़री भी बाथरूम से निकल चुकी थी। बाहर निकल कर वह भी सीधी वॉश बेसिन पर गई और अपना हाथ गीला कर अपने सीने से वीर्य साफ किया और अपनी शर्ट फिर से सही कर ली

साना जावेद ने ऐनी जाफ़री को देखा और गुस्से से बोली चुप कर के तेरे से कोई काम नहीं होता ??? 

इस पर ऐनी जाफ़री ने मुस्कुरा कर साना को देखा और राज की ओर इशारा करते हुए बोली, एक राउंड लगाकर तो देख उसके साथ, फिर मुझे बता कि चुप कर के कोई काम होता है या नहीं। साना जावेद ने हिकारत भरी नज़रों से राज शर्मा की तरफ देखा और फिर उसकी नजरें राज की पेंट की तरफ गई जहां अब कुछ नहीं था, ऐनी जाफ़री की गाण्ड और चूत की शानदार चुदाई के बाद राजक लंड बैठ चुका था। साना जावेद ने कहा क्यों लगाऊ दूसरों के साथ राउंड जब मेरे पास फवाद जैसा मस्त आदमी है। इस पर ऐनी जाफ़री ने ठहाका लगाया और बोली तुझे शायद फवाद ने नहीं बताया होगा कि वह मेरे साथ भी कई बार राउंड लगा चुका है, मगर मैं तुझे बता रही हूँ कि फवाद वास्तव में दबंग है और दबा के मारता है, मगर इस केप्टन की तो बात ही कुछ और है, तू फवाद को भूल जाएगी। 

इसके बाद साना जावेद बिना कोई बात किए बाहर चली गई और ऐनी जाफ़री राज को देख कर मुस्कुराने लगी और बोली शानदार हथियार है तुम्हारे पास। आज पहली बार किसी सेना के अधिकारी को दी है और मज़ा आ गया है। इतने में बाहर से क़दमों की आवाज़ आई और कुछ ही देर में अर्मीना ख़ान अंदर आई, मगर ऐनी जावेद और मेजर राज को देखकर थोड़ी घबरा गई और वापस जाने लगी तो ऐनी जाफ़री ने कहा अर्मीना आजा यार, हम फ्री हो गए हैं और वापस जा रहे हैं, तू आराम से अपने प्रेमी के साथ मज़े करना। यह सुनकर अर्मीना निगाहें नीचे कर मुस्कुराई और बाहर खड़े हमज़ा अब्बासी को अंदर आने का इशारा किया, हमज़ा अब्बासी भी पंज़ाई फिल्मों का प्रसिद्ध नायक था, वह काफी बूढ़ा हो चुका था मगर आज भी जवान लड़कियों की चूतों को खूब शांति देता था, अर्मीना ख़ान उसे लेकर सीधी बाथरूम में घुस गई जबकि ऐनी जाफ़री और राज वापस नीचे मंजिल पर मौजूद बड़े हॉल में चले गए जहां साना के डांस की अनाउसमेंट हो रही थी। 

साना जावेद ने उसी साड़ी में एक मशहूर हिन्दी गाने पर जबरदस्त डांस किया और वापस एक टेबल पर फवाद ख़ान के पास जाकर बैठ गई। जबकि हाल में शो अपने चरम पर था, एक के बाद एक शानदार नायक और हीरोइन मंच पर आ रहे थे, कुछ तो परफॉर्म कर रहे थे जबकि कुछ चुटकुले सुनाने या पुरस्कार प्राप्त करने आए थे। कुछ ही देर के बाद ऐनी जाफ़री को भी मंच पर बुलाया गया तो वह मंच पर चली गई और इस मौके का फायदा उठाकर कैप्टन राज शर्मा अपनी सीट से उठा और सीधा साना जावेद की ओर जाने लगा। साना जावेद ने राज शर्मा को अपनी ओर आता देखा तो नागवारी से दूसरी ओर देखने लगी। राज साना और फवाद ख़ान के बीच आकर खड़ा हो गया, फवाद ने भी उसको हैरत से देखा कि यह कौन है जो ऐसे हम दोनों के बीच आ गया। कैप्टन ने साना जावेद को देखा और खुशी के साथ अपना हाथ आगे बढ़ाकर हैलो मेडम कहा। मगर साना मेडम को न जाने किस बात का गुस्सा था उसने राज शर्मा को कोई लिफ्ट नहीं करवाई। इस पर फवाद ख़ान ने राज का बढ़ा हुआ हाथ थामा और उसको जोर से दबा कर मगर चेहरे पर कोई भाव लाए बिना बोला, चलो बेटा मेडम आपसे मिलना नहीं चाहती। उत्तर में अब मेजर राज ने जोर लगाया तो फवाद के चेहरे पर एक रंग आया और एक गया उसकी चीख तो नहीं निकली मगर वह जो अपने आप को सबसे शक्तिशाली युवा समझता था आने वाले व्यक्ति की शक्ति देखकर हैरान रह गया था, इससे पहले कि वह कुछ बोलता मेजर राज शर्मा ने फवाद ख़ान से थोड़ा झुक कर कहा मेडम तो मुझे जरूर मिलेंगी, बल्कि आपको छोड़कर मेरे पास आएगी और ये कह कर मेजर ने फवाद ख़ान का हाथ छोड़ा और फिर से साना जावेद की ओर मुड़ा और उसके पास होकर थोड़ा झुका और उसके कान में कहा मेडम मेरा नाम कैप्टन फ़िरोज़ है और मुझे कर्नल इरफ़ान ने भेजा है। आप से निश्चित रूप से काम है, तुम मेरे साथ आओ। 

यह कह कर राज बाहर की ओर निकला और साना के चेहरे पर एक रंग आया और एक गया, वह हैरान होकर कैप्टन को देखने लगी, फिर फवाद ख़ान की ओर देखकर बोली, सॉरी डार्लिंग आई हैव टू गो .... बाय। और तुरान कैप्टन फ़िरोज़ के पीछे हॉल से बाहर निकल गई। हॉल से बाहर निकलकर उसने दाँये बाँये देखा तो कैप्टन फ़ीरोज़ बाईं ओर गलियारे में खड़ा साना का इंतजार कर रहा था। साना तेज तेज चलने के साथ केप्टन फ़ीरोज़ तक पहुंची और बोली, कौन हो तुम ??? मैं तुम्हें नहीं जानती और न ही कर्नल ने तुम्हारे बारे में मुझे कुछ बताया है। 

कैप्टन फ़ीरोज़ ने कहा मेडम इस तरह की बात यहाँ नहीं दीवारों के भी कान होते हैं। किसी सुरक्षित स्थान पर चलकर बात करते हैं। यह सुनकर साना जावेद बोली चलो फिर ऊपर वाली मंजिल में एक कमरे की चाबी मेरे पास है वहाँ चलते हैं। यह कह कर साना उसी लिफ्ट के माध्यम से राज को लेकर ऊपर वाली मंजिल पर चली गई जिस लिफ्ट में ऐनी जाफ़री गई थी। कुछ ही देर बाद साना जावेद कमरे के दरवाजे के की होल में अपनी ब्रा से एक चाबी निकाल कर घुमाने लगी।

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लोकाटी ने रास्ते में ही यह अंजलि को यह भी बता दिया था कि उसके नाम की उसकी सेकेट्री है, क्योंकि ऐसे में एक जैसे दो नाम जाएँगे जिससे परेशानी होगी, तो उसे अपना नाम बदलना होगा, और फिर उसने खुद ही अंजलि को नया नाम दे दिया । अंजलि का नया नाम मारिया रखा गया। अंजलि को भी इस बात पर कोई आपत्ति नहीं थी। रात लोकाटी का जहां कश्मीर में उतरा जहां से लोकाटी और मारिया एक लैंड क्रूजर में बैठकर लोकाटी के घर चले गए, यह कोई महल नुमा घर था, लोकाटी का यह वैभव देखकर मारिया की आँखें खुली की खुली रह गईं थीं। हर तरफ बंदूक धारी, बड़े बड़े वाहनों की लाईनें और इतना बड़ा महल नुमा घर, अंजलि को अंदाज़ा हो गया था कि जब ऐसे शासक केवल अपनी सुरक्षा और अपनी महिमागान करने में लगे होंगे तो भला वहां की जनता कैसे समृद्ध हो सकती है। एक गलियारे से होकर सामने एक हॉल नुमा कमरे आया जिसमें 2 मध्यम आयु के लोग बैठे थे, उनकी आकृति करीब काफी मिलती थीं लोकाटी को देखते ही दोनों भागते हुए लोकाटी की ओर आए और दोनों ने बारी बारी थोड़ा झुककर लोकाटी को सलाम किया, और उसके हाथ चूमे और फिर एक साइड पर होकर मोदबाना शैली में खड़े गए। यह दोनों लोकाटी के पुत्र थे। एक का नाम फैजल जब कि दूसरे का नाम फग़ान था। लोकाटी ने दोनों की खैरियत की पूछने के बाद उनके साथ मारिया परिचय करवाया कि यह हमारी मेहमान हैं, कुछ दिन हमारे साथ ही रहेंगी। और जल्द ही हमारी शादी हो जाएगी। लोकाटी ने विशेष रूप से यह बात बताई थी ताकि उसके बेटे कहीं मारिया पर बुरी नजर न रखनी शुरू कर दें

अब दोनों लड़के जा चुके थे जबकि लोकाटी मारिया को लेकर अपने कमरे में चला गया था, जहां पर 2 महिलाएँ बैठी लोकाटी का इंतजार कर रही थी। मारिया लोकाटी के पीछे अंदर गई। दोनों महिलाएँ लोकाटी को देखकर तुरंत उसकी ओर भागी आईं और उसका हाथ पकड़ कर चूमा और फिर एक साइड पर खड़ी हो गईं। ये दोनों महिलाएँ जिनकी उम्र लगभग 30 के आसपास होगी लोकाटी की रात की रमणीय करने के लिए थीं। लोकाटी अक्सर उनकी चूत से अपने लंड को शांत करता था। और वह आज भी इसी इंतजार में थी, उन्हें विशेष रूप से तैयार करवाया गया था और कहा गया था कि आज अकबर लोकाटी साहब तशरीफ़ ला रहे हैं तो उनकी राहत के खिलौने के रूप में दोनों महिलाओं को विशेष रूप से तैयार किया जाएं। मगर जब उनकी नज़र लोकाटी के पीछे खड़ी युवा मारिया पर पड़ी तो उन दोनों ने भी थोड़ा आश्चर्य से फटी हुई आँखों से उसे देखा, और जब लोकाटी ने उन दोनों महिलाओं को कमरे से बाहर जाने को कहा और मारिया से मुखातिब होते हुए बोला आओ डार्लिंग, इसे अपना ही कमरा समझो। दूसरी तरफ दोनों महिलाएँ चुप करके कमरे से निकल गईं, वो लोकाटी की पत्नियाँ तो थीं नहीं, बस उसके खेलने का समान थीं, इसलिए उन्हें यह बात कोई ऐसी बुरी भी नहीं लगी थी, और एक तरह से वह खुश भी थीं कि लोकाटी के बूढ़े लंड की बजाय आज वह लोकाटी के बेटों के जवान लंड पर सवारी करेंगी . उनमें से एक महिला एक के पास चली गई जबकि दूसरी कृमि के पास चली गई। वे दोनों भी अचानक सरपराईज़ पर हैरान थे। दोनों ने अपनी-अपनी पत्नियों को सोने के लिए कहा और दूसरी आने वाली औरत को अलग कमरे में ले गए जहां वो रात भर उनके शरीरों से आराम पा सकें।

दोनों महिलाओं के कमरे से जाते ही लोकाटी ने मारिया के शरीर पर प्यार करना शुरू कर दिया और उसको बेड पर लिटा कर खुद उसके ऊपर लेट गया और एक हाथ से मारिया के खूबसूरत गोल 36 आकार के मम्मे दबाने शुरू कर दिए, जबकि दूसरा हाथ मारिया की गर्दन के नीचे रख कर उसके होंठों को चूसने लग गया। मारिया कुछ देर तक चुपचाप उसके चुंबन का जवाब देती रही वह जानती थी कि लोकाटी काफी देर से उसको चोदने के लिए बेताब है, लेकिन मारिया का बिल्कुल भी मन नहीं था फिर से लोकाटी जैसे व्यक्ति के लंड के नीचे आने का। उसने कुछ देर तक लोकाटी को अपना मम्मा भी दबाने दिया और होंठ भी चूसने दिए, मगर फिर अपने चेहरे पर नागवार भाव लाते हुए उसने लोकाटी से कहा, जानू में आज बहुत थक गई हूँ और नींद भी आ रही है, अगर तुम्हें बुरा न लगे तो यह सब हम कल मिलकर करें ??? लोकाटी ने आज तक किसी औरत की इच्छा की चिंता नहीं की थी उसका जब दिल चाहता था औरत को चोद देता था बिना यह विचार किए कि उसका मूड है या नहीं, मगर आज पहली बार मारिया जैसी हसीन और जवान लड़की की बात उसने मान ली थी और मारिया के एक बार कहने पर वह साइड में हो गया था। कुछ ही देर बाद लोकाटी मारिया के साथ लेटा खर्राटे ले रहा था जबकि मारिया भी काफी देर से सोने की एक्टिंग कर रही थी।

जब मारिया को लगा कि लोकाटी अब गहरी नींद सो रहा है वह लोकाटी का हाथ अपने ऊपर से हटा कर बेड से उतर गई और कमरे में इधर उधर टहलने लगी। वह सोच रही थी कि आखिर मैं यहाँ क्या कर सकती हूँ और कैसे मेजर राज की मदद कर सकती हूँ और इंडिया को बड़ी तबाही से बचा सकती हूँ। काफी देर सोचने के बाद भी उसकी समझ में कुछ नहीं आया तो उसने लोकाटी के कमरे की तलाशी लेना शुरू कर दी। मारिया ने इधर उधर कमरे में नज़र दौड़ाई तो एक तरफ कुछ अलमारियाँ मौजूद थीं, मारिया ने वह अलमारी खोली, कुछ में लोकाटी के कपड़े पड़े थे तो कुछ अलमारियों में लड़कियों के अंडर गारमेंट्स आदि और सेक्सी नाइटी पड़ी थीं। लोकाटी रात लड़कियों के साथ मजे करते हुए उन्हें नाईटीज़ और सेक्सी कपड़ों में से अपनी पसंद की नाइटी पहनने के लिए देता था। 

एक कोठरी में मारिया ने तलाशी ली तो उसमें एक छोटी अलमारी पड़ी थी। मारिया ने सोचा कि हो न हो उस अलमारी में निश्चित रूप से कोई महत्वपूर्ण चीज़ होगी। मारिया ने तुरंत अलमारी खोलने की कोशिश की जोकि बंद थी अब मारिया ने उसकी चाबी के लिए इधर उधर हाथ मारने शुरू किए मगर कहीं से उसकी चाबी नहीं मिली। फिर मारिया ने साइड टेबल के दराज बहुत सावधानी के साथ खोले तो उनमें से एक दराज में से मारिया को कुछ चाबियाँ मिल गईं, वो बड़ी सावधानी के साथ चाबी उठाकर वापस गुप्त अलमारी के पास आई जो एक और कोठरी के अंदर बनी हुई थी। बारी बारी मारिया उसमें चाबी लगाने लगी तो अचानक एक चाबी इसमें लग गई। मारिया ने वह चाबी घुमाई तो वह बिना आवाज पैदा किए घूम गई और फिर बहुत ही सावधानी के साथ मारिया ने वह अलमारी भी खोल ली। अलमारी में मारिया को एक खाकी रंग का लिफाफा मिला, लिफाफा देखकर अब मारिया दिल धक धक करने लगा था। मारिया ने मुड़ कर एक बार सोए हुए लोकाटी को देखा जिसका मुंह दूसरी तरफ था और उसके ख़र्राटों से कक्ष गूंज रहा था। फिर मारिया फिर से लिफाफे लिए मुड़ी और वह लिफाफा उठाकर फर्श पर बैठ गई। मारिया ने डरते डरते वह लिफाफा खोला कि शायद इसमें उसे कोई काम की चीज मिल जाएगी। मगर मारिया को तब बहुत अफसोस हुआ जब इस लिफाफे में से जमीन के कुछ कागजात निकले जो किसी अनजान व्यक्ति ने अपनी कुछ अच्छी जमीन लोकाटी नाम की थी। इसके अलावा और कोई काम की चीज इस लिफाफे से बरामद नहीं हुई। मारिया ने निराशा का शिकार होकर वह लिफाफा वापस रखकर अलमारी को उसी तरह वापस बंद कर दिया और चाबी भी वापस उसी दराज में रख कर वह दराज भी सावधानी के साथ बंद कर दिया। उसके बाद मारिया ने और कुछ स्थानों की तलाशी ली मगर मारिया को कोई ऐसी चीज नहीं मिली जो उसके किसी काम आ सके।

निराश होकर मारिया फिर से लोकाटी के साथ जा कर लेट गई और न जाने कब उसकी आंख लगी। दिन के 12 बजे मारिया की आंख खुली तो वह कमरे में अकेली ही लेटी थी। लोकाटी शायद कमरे से निकल चुका था। कुछ देर मारिया यूं ही उठ कर बेड पर बैठी रही फिर उठकर बाथरूम चली गई और फ्रेश होकर वापस निकली तो सामने 2 महिलाएं खाना लगा रही थीं। मारिया को बाथरूम से निकलता देखकर दोनों अत्यंत सम्मान के साथ आगे बढ़ी और बारी बारी मारिया का हाथ पकड़कर चूमा। मारिया को यह सब अजीब लगा और उसने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की मगर यह तो यहां की परंपरा थी। इसलिए इन महिलाओं ने मारिया को वैसे ही इज़्ज़त दी जैसे इस क्षेत्र की परंपराओं के अनुसार दी जाती थी। फिर उन्होंने मारिया को नाश्ते का बताया कि उसका नाश्ता तैयार है। नाश्ते की मेज पर न जाने क्या कुछ मौजूद था मगर मारिया ने इसमें से महज 2 ब्रेड के पीस एक हाफ फ्राई अंडा खाया और एक जूस का गिलास पी कर बाहर चली गई। दोनों औरतें मारिया के पीछे पीछे चलने लगी।मारिया उसी बड़े हाल की ओर बढ़ने लगी तो उन महिलाओं ने मारिया को वहां जाने से मना किया मगर मारिया ने उनकी एक न सुनी और उस हाल में चली गई, मारिया के सिर पर न तो दुपट्टा था और न ही गले में। ऊपर से उसने कमीज भी फिटिंग वाली पहन रखी थी जिसमें उसके सीने के उभार बहुत स्पष्ट नज़र आ रहे थे। हॉल में लोकाटी एक कुर्सी पर बैठा था, उसके दाँये और बाएं उसके पुत्र फैजल और फग़ान बैठे थे जबकि सामने कुछ और लोग मौजूद थे जो शायद घाटी के विभिन्न क्षेत्रों के एमपी एमएलए आदि थे।
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01-10-2019, 01:37 PM,
#99
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
मारिया को देखते ही सभी पुरुषों ने अपनी नज़रें झुका लीं मगर उसके सम्मान में खड़े भी हो गए वे जानते थे कि जिस ओर से मारिया आई है वह लोकाटी कक्ष है, और उन तक यह बात पहुंच चुकी थी कि लोकाटी साहब ने एक जवान लड़की से शादी कर ली है। इसलिए वे समझ गए थे कि यह लोकाटी की नई नवेली दुल्हन है जो अनजाने में इस ओर निकल आई है। मारिया पर नज़र पड़ते ही लोकाटी ने क्रोध भरी दृष्टि से मारिया को देखा और बिना कुछ बोले सिर्फ हाथ के इशारे से मारिया को वापस जाने को कहा। मारिया समझ गई थी कि कुछ गड़बड़ है और लोकाटी की नजरें भी ऐसी थीं जैसे वह अभी मारिया को जान से मार देगा, इसलिए मारिया चुपचाप वापस आ गई। वे दोनों महिलाएं भी डरते डरते वापस मारिया के पास पहुंच गई। मारिया ने कमरे में जाकर उनसे पूछा कि यह कौन लोग थे तो उन्होंने काँपती आवाज के साथ मारिया को बताया कि वह प्रांतीय विधानसभा के सदस्य हैं और अपने-अपने क्षेत्रों के प्रधान भी हैं लोकाटी साहब पाकिस्तान से लौटे हैं वह उनका स्वागत करने के लिए मिलने आए हैं। फिर एक महिला ने काँपती हुई आवाज़ में कहा कि बीबी जी, अब हमारी खैर नहीं लोकाटी साहब तो हमें जान से ही मार देंगे। हमें बचा लो किसी तरह। मारिया ने हैरान होकर पूछा क्यों ऐसी क्या बात हुई कि वे तुम्हें मार देंगे ???

महिला ने कहा बीबीजी यहाँ पर्दे का बहुत सख्त प्रतिबंध है, और आप इस स्थिति में गैर मर्दों के सामने चली गईं साहिब जी इस अपमान को सहन नहीं कर सकते वे हमें इस बात पर ...... इससे पहले कि वह स्त्री बात पूरी करती एक विस्फोट से दरवाजा खुला और लोकाटी ने बेहद गुस्से में अंदर प्रवेश किया, अंदर आते ही उसने एक औरत को गर्दन से पकड़ लिया और उसको जोर से दीवार दे मारा। वह स्त्री लड़खड़ाती हुई दीवार से जा लगी और माँफी मांगने लगी, जबकि दूसरी औरत भी भयभीत लोकाटी के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई, फिर लोकाटी उस औरत को एक गंदा सी गाली दी और बोला तुझे पता नहीं हमारे रीति-रिवाजों का? ? ये तो नई है इसको रीति रिवाजों का पता नही तुम लोगों को तो पता है आप मेरी इज्जत को गैर मर्दों के सामने ला खड़ा किया तुम्हारे पूरे परिवार को आग लगा दूंगा। यह कह कर लोकाटी ने अपने एक बेटे को अंदर बुलाया जो शायद बाहर ही खड़ा था। फैजल अंदर दाखिल हुआ तो उसकी नजरें भी झुकी हुई थीं, वो भी शायद मारिया को अपने पिता की पत्नी और उसकी छोटी माँ ही समझ रहा था और इसी तरह सम्मान कर रहा था हालांकि वह खुद उम्र में मारिया से कम से कम भी 20 साल बड़ा था।

फैजल अंदर आया तो लोकाटी ने उसको आज्ञा दी कि इन दोनों महिलाओं के पुरुषों और बच्चों को बीच बाजार लटका कर आग लगा दी जाए। इन्होने हमारे सम्मान को गैर मर्दों के सामने ला खड़ा किया। यह आदेश सुनकर मारिया के पैरों तले जमीन निकल गई थी। इससे पहले कि फैजल लोकाटी को कोई जवाब देता, मारिया ने फैजल को गरजदार आवाज़ में कहा कि तुम अभी बाहर खड़े रहो फिर जब तुम्हारे बाबा बुलाएं तो अंदर आना। यह सुनकर लोकाटी ने मारिया को भी खा जाने वाली नजरों से देखा मगर मारिया ने उसकी नज़रों की परवाह किए बिना फैजल को फिर से बाहर जाने का इशारा किया तो इस बार वो आराम से बाहर चला गया। फिर मारिया ने उन दोनों महिलाओं को भी बाहर जाने के लिए कहा तो वह भी अपनी जान बचाकर बाहर चली गईं मगर लोकाटी अंदर खड़ा गुस्से से हान्फता रहा था और मारिया को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था। जब सब लोग चले गए तो मारिया बड़ी नजाकत से चलती लोकाटी की तरफ गई और उसके कंधे पर सिर रख कर बोली सॉरी डार्लिंग, मेरी वजह से तुम्हें आज इतना गुस्सा आ गया, मगर विश्वास करो इसमें उन दोनों की कोई गलती नहीं वह तो मुझे रोक रही थीं मगर जब मेरी आँख खुली और तुम नहीं थे कमरे में तो मैं परेशान हो गई थी, और तुम्हें ढूंढ़ने के लिए बिना कुछ सोचे समझे बाहर आ गई। मेरा तुमसे वादा है कि आगे से ऐसा नहीं होगा, लेकिन आप प्लीज़ इन 2 महिलाओं को माफ कर दो, मैं नहीं चाहती कि यहां के लोग मुझसे नफरत करने लग जाएं। मैं जानती हूँ वो तुम्हारे सामने आंख तक नहीं उठा सकते मगर मेरे आते ही किसी की मेरी वजह से जान ली जाएगी तो लोग भी मुझसे नफरत करेंगे और मुझे खुद को भी अपने आप से नफरत होने लगेगी

एक बार, बस एक बार उन्हें माफ कर दो, फिर तुम्हें कभी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा। अगर आपने उन्हें मेरी वजह से सजा दी, तो मैं समझूँगी कि मैं हूँ ही मनहूस। इतना कहना था कि लोकाटी का दिल पिघल गया। वो कहते हैं ना कि महिला में अगर नजाकत हो तो वह पुरुष से बड़े से बड़ा काम करवा लेती है, और यहाँ तो नजाकत के साथ हुश्न भी था और जवान शरीर भी, और फिर मर्द भी लोकाटी जैसा बूढ़ा जवान शरीर भूखा और ठरकी आदमी, मारिया की जरा सी एक्टिंग से उसका दिल पिघल गया जो कभी लोगों की गर्दनें काट कर भी नहीं पिघला था।लोकाटी ने कहा ठीक है जान, बस तुम्हारे कहने पर मैं आज उन्हें माफ कर रहा हूँ, लेकिन एक शर्त पर .... मारिया खुश होते हुए बोली मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है। इस पर लोकाटी ने कहा कि आज रात तुम मुझे मना नहीं करोगी, आज रात में अपनी जान को खूब जी भर मजे करूँगा . 

मारिया थोड़ी शर्माने की एक्टिंग करते हुए बोली- आप भी न,,,,, ठीक है मुझे मंजूर है आपकी शर्त लेकिन उस पर मेरी भी एक शर्त होगी। लोकाटी ने खुश होते हुए कहा वह क्या ??? 

तो मारिया बोली आज रात सेक्स मेरी इच्छा के अनुसार होगा जैसे मैं कहूँगी वैसे ही आप करेंगे। लोकाटी चहकती हुई आवाज़ मे बोला मुझे मंजूर है। इस पर मारिया खुशी से लोकाटी से लिपट गई और अपने तने हुए मम्मों का स्पर्श लोकाटी के सीने पर महसूस करवाते हुए उसकी एक पप्पी ले कर बाहर का दरवाजा खोल दिया जहां फैजल सिर झुकाए खड़ा था और उसके पीछे दोनों महिलाएं भी थीं। मारिया बाहर निकलकर फैजल के पास गई जो दरवाजे से थोड़ा हट कर खड़ा था। मारिया ने फैजल को आवाज दी तो वह बोला जी बीबीजी, 

मारिया उसके मुंह से अपने लिए जी बीबीजी सुनकर काफी हैरान हुई और फिर अपनी हँसी रोकते हुए बोली मुझे देखो। फैजल ने डरते डरते नजरें ऊपर की तो मारिया उसे गर्म नज़रों से देखने लगी। फैजल यह देखकर थोड़ा नर्वस हो गया और मारिया को बेचारगी की नज़रों से देखने लगा, क्योंकि फैजल के पास मारिया चाहे उसकी बेटियों के बराबर हो मगर रिश्ते में अब वह उसकी छोटी माँ थी और उनकी परंपराओं के अनुसार माँ का सम्मान इसी तरह होता था। मारिया ने फैजल को मुस्कुराते हुए देखा और थोड़ी धृष्टता से बोली मेरी लोकाटी जी से बात हो गई है, आप इन महिलाओं को कुछ नहीं कहोगे और न उनके घर वालों से बात करोगे। फैजल यह सुनकर हैरान होकर मारिया को देखने लगा क्योंकि आज तक लोकाटी ने कभी अपना फैसला नहीं बदला था। और आज पहली बार किसी को मारने का आदेश दिया लोकाटी ने तो उनको थोड़ी ही देर में माफ कर दिया। फैजल के लिए निश्चित रूप से यह आश्चर्यजनक बात थी मगर वह केवल जी बीबीजी ही कह सका। यह सुनते ही दोनों औरतें भागती हुई आई और मारिया के पांव में बैठ कर उसके पैर पकड़ कर अपने सिर उसके पांव में रखकर उसका धन्यवाद करने लगीं। ये मारिया के लिए काफी अप्रत्याशित था। वह एकदम पीछे हुई और नीचे बैठकर उन स्त्रियों को कंधे से पकड़ कर अपने साथ खड़ा किया और धीरे से बोली- अब तुम लोग जाओ, बाद में बात करते हैं तुम्हारे साहब मेरा इंतजार कर रहे हैं अंदर। यह सुनकर वह औरतें मारिया का धन्यवाद करती हुईं वहां से चली गईं जबकि फैजल वैसे ही खड़ा रहा

मारिया ने फैजल को देखा और बोली अब तुम्हारा भी वापस जाने का इरादा है या लोकाटी और मेरे साथ कमरे में ही रुकने का इरादा है। यह कह कर मारिया हंस पड़ी जबकि फैजल लज्जित होकर बिना कुछ कहे वापस चला गया और मारिया भी अंदर कमरे में चली गई जहां लोकाटी अपने कपड़े बदल चुका था। मारिया ने लोकाटी से पूछा कि कहां की तैयारी है तो उसने कहा काफी दिन बाद वापस आया हूँ तो अपने क्षेत्र का एक चक्कर लगाने जा रहा हूँ, तुम चिंता मत करो जल्दी वापस आ जाउन्गा . मारिया ने कहा लेकिन ऐसे तो मैं ऊब जाउन्गी अकेले। यह सुनकर लोकाटी ने कहा बोर क्यों होगी, तुम अपनी दोनों बहुओं मिलो उनसे गपशप लगाओ। यह सुनकर मारिया और भी हैरान हुई कि उसकी तो अभी शादी नहीं हुई तो उसकी बहू कहां से आ गई, लेकिन फिर वह समझ गई कि लोकाटी फैजल और फग़ान की पत्नियों की बात कर रहा है। यह कह कर लोकाटी कक्ष से जाने लगा तो मारिया ने कहा सुनो तो ..... लोकाटी मारिया की बात सुनकर रुक गया और बोला आप ऐसा करें फैजल को भी इधर ही छोड़ जाएं ताकि मुझे कोई काम हो तो मैं उसे कह सकूँ, और वह मुझे ये हवेली भी दिखा देंगे ... लोकाटी यह सुनकर हंसा और बोला, हाँ हाँ यह हवेली तुम अपनी ही समझो महारानी, मैं फैजल को कह देता हूँ वह उधर ही रुक जाएगा

यह कह कर लोकाटी कमरे से निकल गया और मारिया कुछ देर के बाद फिर से कमरे से बाहर निकली, इस बार कमरे के बाहर एक और औरत खड़ी थी जो मारिया के पीछे पीछे चलती जा रही थी। मारिया ने इससे फैजल के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह अपने कमरे में हैं इस समय। मारिया ने उसे कहा कि वह उसे फैजल के कमरे तक ले जाए। वह औरत मारिया के आगे चलने लगी और विभिन्न रास्तों से होती हुई वह फैजल के कमरे तक चली गई और कमरे के बाहर जा कर रुक गई। मारिया ने एक बार उसे फिर पूछा कि फैजल कक्ष यही है तो उसने हां में सिर हिलाया। मारिया ने दरवाज़े पर हल्का सा दबाव डाला तो वह आराम से खुलता चला गया और मारिया बिना हिचक अंदर चली गई। अंदर गई तो सामने एक बेड पड़ा था जिस पर फैजल लेटा हुआ सुस्ता रहा था, उसके शरीर पर एक सलवार थी और एक बनियान। कमीज उसने नहीं पहन रखी थी। जबकि उसके साथ ही कुर्सी पर शीशे के सामने एक अधेड़ उम्र की औरत थी जो शायद फैजल की पत्नी थी, उसने शीशे में मारिया को यूं कमरे में आते देखा तो एकदम खड़ी हो गई और गुस्से से बोली कौन हो तुम और तुम्हारी मजाल कैसे हुई हमारे कमरे में आने की ???
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01-10-2019, 01:37 PM,
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
उसकी गरजदार आवाज सुनकर फैजल की भी आंख खुल गई उसने अपनी आंखों से हाथ हटाया और तुरंत उठ कर बैठ गया, जब उसकी नज़र मारिया पर पड़ी तो वह एकदम बेड से उतर गया और बोला अरे बीबीजी आप ... यह कह कर वह खुद हाथ बांधकर सिर झुकाकर खड़ा हो गया जबकि इसी हालत में खड़े खड़े उसने अपनी पत्नी को संबोधित किया, ज़लीखा माफी मांग बीबीजी से अपनी गुस्ताखी की। तेरी हिम्मत कैसे हुई बीबी जी के सामने जोर से बात करने की, ज़लीखा अब आश्चर्य भरी नज़रों से कभी मारिया और कभी फैजल को देख रही थी, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि यह कौन औरत है जिसके सामने फैजल यूं सम्मान के साथ खड़ा है और उसकी क्लास लेने के बजाय उल्टा अपनी पत्नी को ही माफी मांगने का कह रहा है। इससे पहले कि ज़लीखा कुछ बोलती, मारिया खुद ही बोल पड़ी, अरे नहीं नहीं, माफी तो मुझे मांगनी चाहिए जो इस प्रकार बिना बताए कमरे में आ गई हूँ वह आगे बढ़ी और ज़लीखा को अपने गले से लगा कर उसके सिर पर हाथ रख दिया। मारिया अपनी इस हरकत पर खुद भी हैरान थी कि वह अपने से दोगुनी उम्र की महिला के सिर पर प्यार दे रही थी, शायद इस हवेली की परंपराओं का प्रभाव मारिया पर भी हो गया था और वह भी अपने आप को इस हवेली की मालकिन और लोकाटी के बाद सबसे सम्मानित व्यक्ति समझने लगी थी।

इस दौरान फैजल ने बेड पर पड़ी अपनी कमीज भी पहन ली थी मगर वह अब तक नजरें झुकाए खड़ा था उसने अब अपनी पत्नी ज़लीखा को भी बता दिया था कि यह कोई साधारण महिला नहीं बल्कि बाबा साईं की नई पत्नी हैं, यह सुनते ही ज़लीखा भी सम्मान में मारिया के सामने हाथ बांध कर खड़ी हो गई थी और उसने अपनी गुस्ताख़ी की माफी भी मांग ली थी मगर मारिया ने उसे बड़े प्यार से कहा अरे नहीं कोई बात नहीं। यह कह कर मारिया फैजल की तरफ गई और इसके साथ ही बेड पर बैठ गई तो फैजल साइड पर होकर खड़ा हो गया, 

मारिया ने ज़लीखा को भी अपने पास बुला लिया और बातें करने लगी, जबकि फैजल को मारिया ने बता दिया था कि अब वह हवेली देखना चाहती है तो कृपया उसे हवेली दिखाए . फैजल ने शालीनता से जवाब दिया जी बाबा साईं मुझे यह आदेश देकर ही गए हैं। आप चिंता न करें आपको सारी हवेली दिखा दूंगा। फिर मारिया ने ज़लीखा से उसके बच्चों के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसकी केवल एक ही बेटी है और उसकी उम्र 15 साल है और इस समय वह हवेली में मौजूद स्कूल गई हुई है, जहां विशेष रूप से शिक्षक आकर हवेली की लड़कियों को शिक्षा देते थे। फिर मारिया ने कुछ देर ज़लीखा से इधर उधर की बातें कीं और फिर फैजल को कहा कि चलो तुम मुझे हवेली दिखाओ अब। फैजल ने कहा चलें बीबीजी में आपको हवेली दिखाता हूँ। मारिया ज़लीखा से मिली और कमरे से निकल गई जबकि फैजल उसके पीछे पीछे चलने लगा। अलग रास्तों से होता हुआ फैजल उसी बड़े हाल में आ गया जहां कुछ देर पहले लोकाटी विधानसभा के सदस्यों से मिल रहा था। 

फैजल ने मारिया को बताया कि यह हमारा अतिथि ग्रह है , जो भी अतिथि आते हैं वे इसी कमरे में बैठते हैं, जबकि इसके साथ ही एक महिलाओं का भी अतिथिग्रह हैं, महिलाएँ लोकाटी साहब से अलग कमरे में मिलती हैं। फैजल बार बार मारिया को बीबीजी कह कर बुला रहा था जो मारिया को अजीब लग रहा था, मारिया ने फैजल को अब की बार टोक दिया और कहा तुम मुझे बीबीजी नहीं कहोगे बल्कि मारिया कह कर ही बुलाओ, मेरा नाम मारिया है। यह सुनकर फैजल ने कहा नहीं बीबीजी ऐसा कैसे हो सकता है। मारिया ने कहा मैं कह रही हूँ न, तुम मेरा इतनी ही आदर करते हो तो मेरी बात भी मानो, मेरी अभी इतनी उम्र नहीं कि तुम मुझे बीबीजी कहो, बाकी लोगों के सामने तुम बेशक में मुझे बीबीजी कह लो मगर अकेले में मुझे मारिया कह कर ही बुलाओ करो .

अब फैजल ने झिझकते हुए कहा जी ठीक है मारिया जी .... मारिया हंसी और बोली, मारिया जी नहीं, सिर्फ मारिया ...... अब फैजल ने ने फिर कहा जी ठीक है ... मा मा ...... मा क्षार ...... मारी अबकी बार हंसी और फैजल का हाथ पकड़ कर बोली चलो मुझे बाकी हवेली भी दिखाओ, और मेरे साथ ऐसा न फिरो जैसे मैं तुम्हारी मालकिन हूँ, तुम और मैं समझो दोस्त हैं

अब की बार फैजल हकला कर बोला, नहीं मारिया ... ऐसा नहीं हो सकता आप हमारे बाबा साईं का सम्मान हो।तो मारिया ने कहा तो क्या हुआ ??? में कौन सा तुम्हें कह रही हूँ कि तुम मुझ पर बुरी नजर रखो, बस दोस्ती का ही तो कह रही हूँ, ताकि मैं अच्छे से इस हवेली को घूम कर देख सकूँ। अब मारिया ने फैजल की बात नहीं सुनी और उसके हाथ में हाथ डाल कर उसके साथ चलने लगी। फैजल भी चुपचाप ऐसे ही चलने लगा, मगर उसका शरीर कांप रहा था, शायद वह डरा हुआ था बहुत अधिक। मारिया ने यह महसूस किया तो उससे पूछा अरे तुम तो इस हवेली के वारिस हो, तुम क्यों डर रहे हो ??? 

फैजल अब डरते हुए बोला बारया बीबी आप बाबा साईं का सम्मान हो, अगर किसी ने आपको और मुझे इस तरह देख लिया तो आपकी भी गर्दन उतार दी जाएगी और मुझे भी जीवित नहीं छोड़ा जाएगा। यह सुनते ही मारिया फैजल से थोड़ा दूर हो गई। वह भी डर गई थी, और वैसे भी यह अंदाजा हो गया था कि यहां का माहौल कुछ ज्यादा ही अलग है

अब मारिया फैजल से कुछ दूरी रखे उसके साथ हवेली के विभिन्न हिस्से देख रही थी। यह बहुत बड़ी हवेली थी और पूरी हवेली देखते देखते मारिया को एक घंटा हो चुका था मगर अब तक हवेली खत्म नहीं हुई थी। , अब मारिया और फैजल हवेली की इमारत से बाहर विभिन्न उद्यान देख रहे थे कुछ में सिर्फ फूल दार पौधे थे तो कुछ में फलदार पेड़ भी थे। यहां मारिया फिर फैजल के करीब हो गई थी क्योंकि यहां दूर-दूर तक कोई बंदा नहीं था, मगर फैजल फिर भी घबरा रहा था और मारिया की निकटता से थोड़ा हिचकिचा रहा था। इस दौरान मारिया ने प्रसन्नता से उसकी पत्नी के बारे में बातचीत की और उसके बच्चों के बारे में भी पूछा कि आखिर ऐसा क्यों कि उसकी एक ही बेटी, ज़्यादा बच्चे क्यों नहीं? विशेष रूप से ऐसे बड़े लोगों को तो अपने उत्तराधिकारी की बहुत चिंता रहती है। तो फैजल ने उसको बताया कि ज़लीखा उसकी तीसरी पत्नी है। इससे पहले एक पत्नी से तो औलाद हुई ही नहीं और दूसरी पत्नी से 2 बार संतान हुई मगर वह दुर्भाग्य से एक महीने से अधिक जिंदा नहीं रह सके। फिर तीसरी शादी ज़लीखा से हुई तो उसकी एक बेटी हुई जिसका नाम जन्नत रखा गया और उसके बाद ज़लीखा 2 बार गर्भवती हुई मगर दोनों बार बच्चा पेट में ही बर्बाद हो गया। यह सुनकर मारिया को बहुत दुख हुआ और उसने फैजल को सांत्वना दी

उद्यान से निकलकर जब मारिया वापस हवेली की ओर जाने लगी तो वहाँ कुछ महिलाओं की भीड़ थी, दूर से ही महिलाओं को देखकर फैजल मारिया से कुछ दूर हो गया था और मारिया को भी सतर्क होने का कह दिया था।महिलाओं के पास पहुंचकर फैजल ने गरजदार आवाज़ में पूछा कि वह क्यों आई हैं यहाँ ??? तो उनके साथ खड़े एक व्यक्ति ने अपना सिर झुकाए हुए कहा फैजल साईं इस घोट की औरतें हैं, उनको पता लगा है कि वड्डे साईं जी की बीबी जी आई हैं तो यह उनका दर्शन करने के लिए आई हैं। उस व्यक्ति ने एक पल के लिए भी अपनी आंखें ऊपर नहीं उठाई . जबकि उसके साथ जो औरतें मौजूद थीं उन्होंने भी अपने सिर पर चादरें ओढ़ रखी थीं और घूँघट निकाल रखे थे। इस पर फैजल ने मारिया को देखा और पूछा कि क्या आप उनसे मिलना चाहती हैं ?? तो मारिया ने कहा, हां क्यों नहीं। तो फैजल ने महिलाओं को संबोधित कर कहा कि एक एक औरत आकर बीबीजी मिल ले और जल्दी जल्दी निकलें यहाँ से यह कह कर फैजल भी एक साइड पर जाकर खड़ा हो गया और दूसरे व्यक्ति से बातें करने लगा, जबकि वे औरतें लाइन बनाकर एक एक करके मारिया के पास आती, उसका हाथ पकड़ कर चूमती और उसको देखकर सदके वारी जातीं और उसकी खूबसूरती की प्रशंसा और बड़े साईं जी और बीबी की जोड़ी सही सलामत रहने की प्रार्थना देकर आगे निकल जातीं। जब 6, 7 औरतें ऐसे ही मिलकर गईं तो एक औरत कुछ अजीब ढंग से आगे बढ़ी और मारिया की ओर आते हुए उसने हल्की सी गर्दन घुमा कर फैजल और दूसरे व्यक्ति को देखा और फिर लाइन से हटकर कुछ इस तरह आगे बढ़ी कि उसकी पीठ अब फैजल की ओर थी आगे आते ही उसने अपना घूँघट हल्का सा ऊपर उठाया और मारिया का हाथ चूमने की बजाय अपनी कमीज के गले में हाथ डाल कर अपनी ब्रा से एक कागज का छोटा सा लिफाफा निकाल कर बोली समीरा अपना ख्याल रखना, यह जगह बहुत खतरनाक है। उस महिला के मुंह से अपना नाम सुनकर मारिया एकदम हैरान रह गई, यहां तो सब उसको मारिया के नाम से ही जानते थे तो आखिर यह कौन थी जो उसको समीरा कह कर बुला रही थी। उसने अब मारिया को अपना चेहरा दिखाया और बोली में मेजर मिनी हूँ, और मुझे मेजर राज ने विशेष रूप से तुम्हें संदेश देने के लिए भेजा है, कि उस स्त्री ने अपना हाथ मारिया की कमीज में डाल कर वह लिफाफा उसके ब्रा में फंसा दिया और उसके बाद फिर से अपना घूँघट गिराकर जल्दी जल्दी तेज तेज कदमों से बाहर जाने वाली महिलाओं के पीछे चलदी
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