Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
12-15-2018, 01:10 AM,
#71
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
मैं बाथरूम के अंदर गया और दरवाजे की ओट मे खड़ा होकर अपने जेब से खून की डिब्बी निकाली और उसे रूई पर डालकर मैने रूई को अच्छी तरह से खून मे भिगोया और अपने दाहिने हाथ मे खून से सनी रूई को रखकर उसपर पट्टी बाँध दिया....अब मुझे इंतज़ार था कि कब नौशाद बाथरूम मे आए और मैं उसके सर पर लोहे की ये बॉल सीधे फेक कर मारू...लेकिन उसी वक़्त मेरे दिमाग़ मे ख़यालात कौंधा कि...कही इतने भारी वजन के बॉल से नौशाद की मौत ना हो जाए.....

मैने उस लोहे की बॉल को अपने दोनो हाथो से उछाला तभी अचानक मुझे बॅस्केटबॉल की याद आ गयी और मैने सामने वाली दीवार पर खून से एक गोला बनाया और खून से बने उस गोले के अंदर बॉल को फेकने लगा...मेरा निशाना अब भी पहले की तरह अचूक था ये जानकार मुझे थोड़ा प्राउड फील हुआ...नौशाद का इंतज़ार करते हुए जब मैं बॉल को खून से बने उस गोले पर निशाना साध रहा था तो मुझे वो दिन याद आ रहा था ,जब मुझे दीपिका मॅम ने बुरी तरह उन गुन्डो के बीच फँसा दिया था...मुझे वो पल याद आ रहा था जब नौशाद को मैने कॉल किया था और उसने मुझे "चूतिया" कहकर फोन रख दिया था.....उस निशान के अंदर बॉल को बार-बार डालते हुए मैं अमर सर के बारे मे भी सोच रहा था, जो एक समय नौशाद के खास दोस्तो मे से थे लेकिन जब से मैने उन्हे ये बताया था कि उस दिन मेरी जो हालत हुई उसका ज़िम्मेदार नौशाद है तो उनका चेहरा तमतमा उठा था और उन्होने मुझसे कहा कि "वो अभिच हॉस्टिल जाकर उस साले ,एमसी नौशाद को ज़िंदा दफ़ना देंगे...."

उनके उस दिन के अंग्री यंग मॅन रूप को देखकर मैं डर गया था ,क्यूंकी अमर सर विदाउट एनी प्लान ,नौशाद पर अटॅक कर देते और बाद मे फस जाते...जो मैं नही चाहता था....उन्हे उस दिन रोकने की एक और वजह ये भी थी मैं नौशाद को अपने हाथो से लाल करना चाहता था....
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जब भी कोई दोस्त,दोस्ती...फ्रेंड ,फ्रेंडशिप के बारे मे बात करता है तो मेरी सोच अरुण,सौरभ,सुलभ से शुरू होकर इन्ही तीनो पर ख़तम हो जाती है और जब भी कोई अपने दोस्त की बात मेरे सामने करता है तो मैं उनके उस दोस्त को अपने दोस्तो से कंपेर करता हूँ, मुझे ऐसा लगता है जैसे कि उसके दोस्त भी अरुण,सुलभ और सौरभ की तरह होंगे...इसीलिए जब मुझे नौशाद और अमर सिर की दोस्ती के बारे मे पता चला तो मैं कुच्छ देर के लिए थोड़ा मुश्किल मे पड़ गया था कि कही अमर ,नौशाद का साथ ना दे...लेकिन हक़ीक़त मेरी शंका के विपरीत थी....उस दिन हॉस्पिटल मे जब मेरे एक हाथ से प्लास्टर उतारा गया था और अमर सर मुझसे मिलने आए थे तो उन्होने कहा था कि "अरमान...नौशाद बहुत सेल्फिश है मौका पड़ने पर वो मुझे भी इस्तेमाल करके कॉंडम की तरह फेक सकता है...इसलिए मैं तेरे साथ हूँ...."
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"ये साले सौरभ और सुलभ ने नौशाद को इधर नही भेजा...कुत्तो कर क्या रहे हो...भूल तो नही गये..."खुद से बाते करते हुए मैने अपने चेहरे से स्कार्फ उतारा और नौशाद का इंतज़ार करने लगा और आख़िरकार वो वक़्त भी आ गया ,जब नौशाद सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए बाथरूम मे घुसा....वो एक गाना गुनगुनाते हुए सिगरेट पी रहा था....बाथरूम के अंदर आकर नौशाद एक तरफ अपने पैंट की ज़िप खोल कर खड़ा हो गया

"हाउ आर यू, नौशाद सर..."पट्टी का आख़िरी सिरा बाँधते हुए मैं बोला....

नौशाद ने पीछे मुड़कर मुझे देखा और मुझे देखते ही साले की पेशाब रुक गयी ,अपना मुँह फाड़कर वो मुझे देखने लगा....वो कभी मुझे देखता ,तो कभी मेरे दाहिने हाथ मे खून से सनी पट्टी को और बाद मे उसने बाथरूम के गेट की तरफ देखा...जो नौशाद के अंदर घुसने के तुरंत बाद ही बाहर से बंद हो चुका था...बाथरूम के दरवाजे के साथ-साथ ही उस फ्लोर मे जितने रूम थे उनके गेट को भी सौरभ और सुलभ ने बाहर से लॉक कर दिया था...ताकि जब बाथरूम मे धूम-धड़ाका हो तो कोई भी अपने रूम से निकल कर मुझे डिस्टर्ब ना करे....
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" दरवाजा बाहर से बंद है एमसी...अब उधर क्या देख रहा है..."बॉल को ज़मीन पर पटक कर मैने पीछे दीवार के सहारे टिकाए हुए हॉकी स्टिक पर अपना हाथ जमाया लेकिन अपना हाथ पीछे ही रखा ताकि नौशाद को मालूम ना चले कि मेरे पास हॉकी स्टिक है...
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"तू अरमान है ना..."अपनी आँखे मलते हुए नौशाद ने मुझसे पुछा...

"क्यूँ, गान्ड फट गयी ना नाम सुन कर..."

"बीसी...अरमान ही है तू, तू यहाँ क्या कर रहा है..."

"तेरी ***** चोदने आया हूँ...जा बुला कर ला..."

नौशाद का आधा होश दारू ने उड़ा रखा था और उसका आधा होश मेरी इस गाली ने उड़ा दिया....वो ये भूल गया कि जब मैं यहाँ आया हूँ तो कुच्छ तो सोचकर ही आया होऊँगा..

नौशाद मेरी गाली से एक दम तमतमा गया और मेरी तरफ दौड़ा और तभिच मैने अपने हाथो मे रखे हॉकी स्टिक को पकड़ा और अपनी तरफ आते हुए नौशाद के थोबडे पर धौंस दिया...जिसके बाद वो लड़खड़ा कर एक किनारे गिर पड़ा...लेकिन उस बीसी मे दम था,वो मुझे मारने के लिए तुरंत उसी वक़्त उठ खड़ा हुआ और मैं अबकी बार उसे हॉकी स्टिक से ठोकता उसके पहले ही उसने अपना सर झुकाया और दोनो हाथो से मेरी कमर को पकड़ कर मुझे दीवार की तरफ धक्का दे दिया जिसकी वजह से मेरा सर दीवार से टकरा गया....

"रुक लवडे अभी तुझे बताता हूँ..."नौशाद को गाली बकते हुए मैं दीवार से हटा ही था कि नौशाद ने फिर से अपना सर झुकाया और दोनो हाथो से मुझे दीवार पर एक और बार ज़ोर से धकेला ,जिसके कारण मेरा सर और पीठ एक बार फिर दीवार से बुरी तरह टकराया....

"बीसी...ये तो ववे खेल रहा है "
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मैने जल्दी ही खुद को संभाल लिया और एक दम सीधे खड़ा हुआ...नौशाद ने इस बार भी वही पैतरा आजमाना चाहा लेकिन अबकी बार मैने साले के सर के बाल को ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी पूरी ताक़त से उखाड़ने लगा...मैने सोचा था कि अबकी बार नौशाद कामयाब नही होगा लेकिन उस साले के अंदर शराब पीने के बाद भी बहुत दम था उसने पहले मेरे दाहिने हाथ मे खून से सनी पट्टी को ये सोचकर ज़ोर से दबाया कि ,वहाँ सच मे कोई घाव है और उसके ज़ोर से दबाने के कारण मैं दर्द से कराहते हुए उसके सर के बाल छोड़ दूँगा...लेकिन हक़ीक़त तो ये थी कि ना तो मेरे दाहिने हाथ मे कोई घाव था और ना ही मैने उसका बाल छोड़ा...बल्कि और भी तेज़ी से उसके सर के बाल खींचने लगा...नौशाद ज़ोर से चिल्लाया और आख़िर मे जब उसके सर के एक तिहाई बाल मेरे हाथ मे आ गये तो उसने एक बार फिर ववे का पैतरा अपनाया मुझे दीवार पर ज़ोर से धकेला...

"साला तूने मुझे समझ क्या रखा है..."उसके सर को पकड़ कर मैने उसका सर दीवार से दे मारा और नीचे पड़ी हॉकी स्टिक उठाकर पूरी ताक़त से उसके पीठ पर मारना शुरू कर दिया....अब नौशाद ढीला पड़ने लगा था, उसका शरीर पस्त होने लगा और वो वही लेट गया....

"बोला था एमसी कि अपनी गान्ड संभाल कर रख वरना ऐसी गान्ड मारूँगा कि मुँह से सब कुच्छ करना पड़ेगा..."

नौशाद कुच्छ नही बोला और अपनी आँखे बंद कर ली ,जिसके बाद मैने उसके बॉडी के हर उस अंग को तोड़ा जो मेरा टूटा था....हॉकी स्टिक से मारते-मारते जब मैं थक गया तो बेहोश हो चुके नौशाद को मैने दीवार के सहारे टिकाया और लोहे की उस बॉल को उठाकर कर उससे थोड़ी दूर जाकर खड़ा हो गया....

"अपने सर को बॅस्केटबॉल कोर्ट मे लगा रिंग समझ और ये लोहे की भारी भरकम बॉल जो मेरे हाथ मे है ,उसे बॅस्केटबॉल समझ..."बेहोश हो चुके नौशाद को देखकर मैने कहा...और उसके सर को निशाना बनाकर लोहे की बॉल उच्छाल दी...बॉल सीधे उसके सर से टकराई और खट्ट की आवाज़ हुई...जिसके बाद उसके सर से खून बहने लगा....

मुझे उसे अब छोड़ देना चाहिए था ,लेकिन मुझे अब मज़ा आने लगा था...मैने कयि बार ऐसे ही उसके सर को लोहे की बॉल से फोड़ा और आख़िरी मे उसके फेस पर दे मारी...बॉल सीधे जाकर उसके नाक के नीचे लगी.एक बार फिर वही जानी पहचानी आवाज़ हुई और वही जाना पहचाना लाल रंग उसके मुँह और नाक से निकला....

"बीसी ...अब जाकर हॉस्पिटल मे तीन महीने तू भी उसी तरह सडेगा..जैसे मैं सड़ा था...तू भी अब इस सेमेस्टर का एग्ज़ॅम नही दे पाएगा,जैसे कि मैं नही दे पाया था...."नौशाद को बुरी तरह पीटने के बाद भी जब मेरी हसरत पूरी नही हुई तो मैने उसके सर के बाकी बचे बाल को पकड़ कर वही घसीटना शुरू कर दिया और बाथरूम की खिड़की खोलकर नौशाद को वहाँ से नीचे फेक दिया....
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12-15-2018, 01:10 AM,
#72
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
नौशाद को मारने के बाद मैं सीधे हॉस्पिटल पहुचा,जहाँ अरुण मामला संभाले हुए था....

"आ गया लवडे,कहाँ मार रहा था..."मुझे देखते ही अरुण ने पुछा...

"मरने नही मार कर आ रहा हूँ,नौशाद को और साइड चल...आराम करने दे..."हॉस्पिटल की ड्रेस पहनकर मैने तीन-चार ग्लास पानी पिया और बिस्तर पर गिर पड़ा.....

बिस्तर पर लेटे-लेटे मैं सोच रहा था कि उस रंडी का क्या हाल होगा जब उसके कान मे नौशाद की ठुकाई की खबर पड़ेगी....साली जहाँ होगी वही मेरा नाम सुनकर मूत देगी, बीसी कुतिया,...छिनार.

मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था और मैं ,नौशाद को ठोक कर आ रहा हूँ,ये सुनकर अरुण का दिमाग़ भी बस लेटने वाला था...वो इस समय हद से ज़्यादा शॉक्ड था...

"मैने सोचा था कि,तेरा सिगरेट,दारू पीने का मन हो रहा होगा और तू ये सब हॉस्पिटल के अंदर पी नही सकता इसलिए मुझे यहाँ की रखवाली सौंप कर बाहर चला गया है...लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि तू मुझे चोदु बनाकर लड़ने गया था...."गुस्सा होते हुए अरुण बोला

" मैने यदि तुझे बताया होता कि मैं कहाँ जा रहा हूँ तो तू यक़ीनन मुझे नही जाने देता...इसलिए तुझे चोदु बनाना पड़ा..."वापस बिस्तर पर बैठते हुए मैने कहा"साले तू खुश नही है क्या..."

"खुशी....माइ लंड..."

उसके बाद अरुण वहाँ एक पल भी नही रुका और मुझे बुरा-भला बोलकर वहाँ से चला गया....

मेरा वो काम हो चुका था,जो मैं हॉस्पिटल मे रहकर करना चाहता था और मैं अब जल्द से जल्द यहाँ से निकलने के फिराक़ मे था, इसलिए जब शाम को सोते वक़्त एक नर्स राउंड पर आई तो मैने तुरंत लाइट जला दी....

"तुम सोए नही अभी तक..."

"तू भी तो नही सोई है अभी तक जानेमन...आजा प्यार करते है..."ऐसा मैं बोलना चाहता था...लेकिन बोल नही पाया 

"लाइट बंद करो और सो जाओ..."अंदर आते हुए नर्स ने कहा और मेरे बिस्तर के सिरहाने के पास जो डेस्क रखी हुई थी,उसके उपर ये देखने लगी कि मैने दवाई ले ली है या नही....

"मैं यहाँ से हॉस्टिल कब जाउन्गा..."

"जब ढंग से चलने लगोगे तब..."

"चल तो मैं कब से रहा हूँ, अब बोलो तो दौड़ कर दिखाऊ..."नर्स को बैठने का इशारा करते हुए मैं बोला...

"अभी कुच्छ करने की ज़रूरत नही है, अभी फिलहाल सो जाओ...कल सुबह डॉक्टर को दिखाना...."खड़े-खड़े ही उस नर्स ने मुझसे कहा...

वो शायद समझ गयी थी कि मुझे नींद नही आ रही है और मैं उससे टाइम पास करने के मूड मे हूँ...

"ओके आंटी "

ये सुनकर रूम से बाहर जाते उसके कदम जहाँ थे वही रुक गये और मुझे घूरते हुए उसने कहा"क्या बोला... "

"कुच्छ नही..."मैने फटाक से बल्ब का स्विच ऑफ किया और चादर तानकर लेट गया....
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यदि मेरी याददाश्त सही है ,जो कि हमेशा ही सही रहती है,तो जिस दिन मैने नौशाद को मारा था उसके चार दिन बाद हॉस्पिटल से मुझे डिसचार्ज कर दिया गया और मैं खुशी-खुशी हॉस्टिल पहुचा...हॉस्टिल मे मेरा स्वागत बड़े जोरो-शॉरो से हुआ . जिस दिन मैं हॉस्पिटल से डिसचार्ज होकर हॉस्टिल पहुचा था...उस दिन ,रात को हॉस्टिल मे बहुत बड़ा केक काटा गया था...हॉस्टिल के लौन्डे मुझे देखकर ऐसे खुश हो रहे थे ,जैसे कि कोई योद्धा ,जंग जीत कर आया हो और जब पार्टी ख़तम हुई तो मेरे करीबी मुझे एक-एक करके ये बताने लगे कि पिछले 3 महीनो मे हॉस्टिल मे क्या-क्या हुआ है...कुच्छ मुझे ये बता रहे थे कि हॉस्टिल के हर कमरे मे नये पंखे लगे है और खिड़किया सुधारवा दी गयी है तो कुच्छ मुझे ये बता रहे थे कि कैसे फलाना लौन्डे ने अपने बर्तडे के दिन उन्हे भरपेट दारू पिलाई थी...
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"यदि मेरा अनुमान सही है तो ये रूम नौशाद का ही है ना..."अपने रूम की तरफ जाते हुए जब मैं नौशाद के रूम के पास पहुँचा तो वहाँ रुक कर हॉस्टिल के लड़को से पुछा"इसके रूम मे ताला क्यूँ लगा है..."

"अरे अरमान भैया....बीसी को पता नही किसने मारकर हॉस्टिल के पीछे जंगल मे फेक दिया था...किस्मत थी साले की जो बच गया "राजश्री पांडे जो मेरे पीछे खड़ा था वो आगे आते हुए बोला"उसके बाद से नौशाद के रूम पार्ट्नर्स की फॅट गयी और उन्होने हॉस्टिल छोड़ दिया...उन सबका कहना है कि हॉस्टिल के लड़को ने मिलकर नौशाद को मारा था...."

"सब साले गे है,"बोलते हुए मैं अपने रूम की तरफ बढ़ गया,जहाँ अमर सर,पहले से मौज़ूद थे....मुझे इतने सारे लौन्डो के साथ देखकर उन्होने मुझे इशारा किया कि वो मुझसे अकेले मे बात करना चाहते है...

"ठीक है भाई लोग...अब आप सभी यहाँ से खिसकिये और जिस लड़की को भी चोदने का दिल करता है, उसे अपने ख्वाबो मे चोदो और मूठ मारो....गुड नाइट,स्वीट ड्रीम...लव यू ऑल..."उनके जाने के बाद मैं अमर भाई की तरफ घूमा"हां बोलो..."

"एक बुरी खबर है...या फिर कहे तो दो बुरी खबर है..."

"अब क्या हुआ..."

"पहली बुरी खबर ये कि नौशाद को होश आ चुका है और दूसरी बुरी खबर ये कि उसने पोलीस को तेरे खिलाफ बयान दिया है...."

"आप टेन्षन मत लो, मैं संभाल लूँगा...."

"यह !मैं जानता हूँ कि तू सब संभाल लेगा...चल बाइ, गुड नाइट..."

"गुड नाइट..."
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अमर के जाने के बाद मैने रूम अंदर से बंद कर लिया,क्यूंकी मैं नही चाहता था कि अब ,जब मैं खुद को पोलीस से बचाने के बारे मे सोच रहा हूँ तो कोई नमूना आकर मुझे डिस्टरब कर दे....

अमर के जाने के बाद मैने बहुत सोचा...आधे घंटे तक लगभग मैं यही सोचता रहा कि अब आगे क्या करना है और आधे घंटे बाद मुझे मालूम चला कि इस केस मे कुच्छ सोचने की ज़रूरत ही नही है...जो हुआ सारी दुनिया के सामने हुआ...मतलब की सबको पता है कि जब नौशाद की हॉस्टिल मे ठुकाई हुई तो मैं हॉस्पिटल मे अड्मिट था...

जब मैं नौशाद वाली झंझट से अलग हुआ तो मेरा ध्यान मेरे रूम मे रहने वाले मेरे दोनो खास दोस्तो पर गया,जो आज यहाँ नही थे....सौरभ और अरुण ,भू से मिलने उसके कॉलेज गये थे और उन दोनो का प्लान कुच्छ दिनो तक वही रुकने का था यानी कि अब मैं दो-तीन दिन अकेले इस रूम मे रहने वाला था....अचानक मुझे याद आया कि कल मुझे कॉलेज भी जाना है और कॉलेज के मेरे सारे अस्त्र-शस्त्र का कोई आता-पता नही था....

"मेरा बॅग....आल्मिराह मे होगा..."सोचते हुए मैने आल्मिराह खोली तो मुझे मेरा बॅग मिला...

आज कॉलेज मे आए हुए मुझे लगभग 2 साल होने वाले थे और आज ये पहला मौका था जब मैं कॉलेज जाने के एक दिन पहले अपना बॅग भर रहा था...लेकिन बॅग भरते वक़्त मुझे ध्यान आया कि मेरे पास तो 4थ सेमिस्टर. का कोई मेटीरियल ही नही है ,अब कल कॉलेज मे जाकर लवडा हिलाउन्गा क्या बाथरूम जाकर मैने टवल पानी से भीगोया और वापस आकर पानी मे भीगे टवल से अपने कॉलेज को मस्त चमका कर,एक पेन और एक कॉपी डाल दी.....
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"बीसी, इस सेमिस्टर. मे 12 पेपर देने है...मतलब की पढ़ना पड़ेगा..."मैने खुद से कहा और खिड़की खोलकर एक सिगरेट जलाई....

चाहे हालत कितने भी बुरे रहे हो, भले ही उसके दिल मे मेरे लिए कितना भी कड़वापन क्यूँ ना भरा हो...लेकिन उसके लिए दिल कल भी धड़कता था और आज भी धड़क रहा है....मुझे अब भी याद है कि जब मैं कोमा से वापस होश मे आया था तो एश के बारे मे सोचने लगा था....

मैं उस समय ये सोच रहा था कि शायद मेरी ये हालत देखकर एश मुझसे मिलने आएगी, जब मुझे होश आया तो मुझसे मिलने के लिए,मेरा हाल चाल जानने के लिए तक़रीबन मेरे सभी जान-पहचान वाले आए...सिवाय दो को छोड़ कर. एक सीडार था तो दूसरी एश...सीडार तो बहुत दूर जा चुका था ,इसलिए उससे मिलने की मुझे कोई उम्मीद नही थी..लेकिन एश का इंतज़ार मैं हर दिन करता था इस उम्मीद के साथ की शायद आज वो दिन है,जब वो भूरी आँखो वालो लड़की ,अपना गाल फुलाए मुझसे मिलने आएगी,दो चार बाते करेगी...लेकिन वो दिन कभी नही आया. एश मुझसे मिलने हॉस्पिटल मे नही आई. दिल थोड़ा उदास तो हुआ लेकिन फिर मैने खुद को ये कहकर राज़ी कर लिया कि,शायद उसे खबर ही नही होगी कि मुझे होश आ गया है....लेकिन मैं ये जानता था कि सच ये नही है क्यूंकी जहाँ मेरे होश मे आने की खबर पूरे कॉलेज को थी,वहाँ ये खबर एश के कानो तक ना पहुँचे ये हो ही नही सकता था....
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"अरमान भैया...दरवाजा खोलो.."

इस आवाज़ ने मेरा ध्यान तोड़ा .कोई मेरे रूम के दरवाजे को ज़ोर से पीट रहा था....

"तेरी माँ का आल्फा,बीटा ,गम्मा...कौन है बे..."

"अरमान भैया मैं हूँ , राजश्री पांडे..."

"राजश्री पांडे..."मैने टाइम देखा,रात के 2 बज रहे थे"इसे तो हॉस्टिल मे होना चाहिए था,ये यहाँ क्या कर रहा है...."

"वॉर्डन से लड़ाई हो गयी अरमान भैया..."लड़खड़ाते हुए राजश्री पांडे अंदर आया और पीछे मुड़कर किसी और को भी अंदर आने के लिए कहा.,जिसके बाद 5-6 लड़के एक साथ मेरे रूम के अंदर आ गये....

"निकलो सब,ये अपुन के सोने का टाइम है..."जबर्जस्ति गुस्सा होते हुए मैने कहा...

"क्या भैया, इतनी जल्दी सोकर क्या करोगे,अभी तो रात के 2 ही बजे है..."बोलते हुए वो मेरे बिस्तर पर पहले बैठा और फिर लेट गया...

"पहली बात तो ये कि..."उसे पकड़ कर ज़मीन मे फेंकते हुए मैं बोला"पहले पूरा लफडा बताओ और दूसरी बात ये कि मेरे बिस्तर को किसी ने टच भी किया तो चोद दूँगा...साला आज ही नयी चादर डाली है..."
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"बीसी, पॉवर दिखा रहा था वो वॉर्डन.."राजश्री पांडे बोला"साला होशियारी चोद रहा था अपुन के सामने, बोल रहा था कि यदि हॉस्टिल मे रहना है तो रात को सही टाइम पे आओ ,वरना मत आओ.."

"फिर...? "

"फिर क्या, मेरा मुंडा सटक गया और साले को बहुत मारा और भाग कर सीधे इधर आएला हूँ ,आपके पास..."

"इधर क्या अब मुझसे लड़ने आया है,चल भाग यहाँ से..."घूरते हुए मैने कहा

"क्या अरमान भाई...मैने सोचा था कि आज रात आपके हॉस्टिल मे रुकुंगा और सुबह निकल लूँगा...."
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पहले मैने सोचा कि उन सबको लात मार के भगा दूं,लेकिन फिर ख़याल आया कि ,अपने ही लौन्डे है..लड़ाई झगड़े मे साथ देते रहते है,इसलिए इनकी मदद करना तो मेरा फ़र्ज़ बनता है

"एक शर्त पर मैं तुम सबको यहाँ रुकने के लिए कहूँगा...आक्च्युयली एक नही दो शर्त पर...मतलब कि तीन शर्त पर..."

"अरे आप हुक़ुम करो..आपके लिए तो जान भी हाज़िर है ,यहाँ तक कि मेरे जेब मे पड़ी राजश्री के 10 पॅकेट आपको दे दूं...बस माँग मत लेना "

"ना तो मुझे तेरी राजश्री चाहिए और ना ही तेरी जान....मेरी पहली शर्त ये है तुम मे से कोई भी बिस्तर पर नही सोएगा..."

"क़बूल है..."वो सब एक साथ चिल्लाए

"मेरी सिगरेट कोई नही पिएगा..."

"क़बूल है..."वो सब एक बार फिर एक साथ चिल्लाए...

"और कोई मूठ नही मारेगा ,वरना लंड काट के मुँह मे दे दूँगा..."

"अरे आप टेन्षन नक्को करो, मुझे आपकी सब शर्त मंज़ूर है..."ज़मीन से खड़ा होकर राजश्री पांडे मेरे पास आया और मेरे कंधे पर हाथ रखकर अपना सीना ठोकते हुए बोला"देखो अरमान भाई..मैं एक किसान का बेटा हूँ, इसलिए ज़मीन मे सोने मे मुझे कोई दिक्कत नही होगी और मेरे पास ऑलरेडी सिगरेट की दो-दो पॅकेट है...एक आप भी रख लो..."बोलते हुए उसने सिगरेट की एक पॅकेट निकाली और मेरे जेब मे डाल दी...

"थॅंक्स और तीसरी शर्त याद है ना..."

"बिल्कुल याद है, आप फ़िकरा मत करो अरमान भाई...हम लोगो ने इतनी दारू चढ़ा रखी है कि मूठ मारना तो दूर की बात है,यदि इस वक़्त दीपिका मॅम अपना दूध मेरे हाथ मे थमा दे तो मैं उसे ना दबा पाऊ..."उसके बाद राजश्री पांडे ने मेरे गाल को चूमा और गुड नाइट बोलकर वही ज़मीन पर अपने दोस्तो के साथ पलट हो गया....
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"साला गे..."मेरे गाल पर जिस जगह राजश्री पांडे ने किस किया था उसे सॉफ करते हुए मैने कहा"ये लौंडा भी दीपिका पे फिदा है....और तभी मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ मे कुच्छ आया...कुच्छ ऐसा जिससे ,मैं दीपिका का सारा गुरूर तोड़कर उसकी चूत मे डाल सकता था..."

दिमाग़ मे तुरंत एक सूनामी की लहर उठी और फिर शांत हो गयी. अभी-अभी मेरे अंदर आए सूनामी ने मुझे आने वाले दिनो मे क्या करना है,कैसे करना है...इसके सारे फॅक्ट्स समझा दिए थे. लेकिन मैं इस समय एक बार फिर खुद से जूझ रहा था और मेरे सामने एक बार फिर वही सवाल था कि...क्या मुझे ये करना चाहिए ? 
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एक लड़की की खूबसूरती उसे तभी तक बचा सकती है जब तक उसकी वो खूबसूरती किसी के आँख मे खटक ना जाए क्यूंकी यदि ग़लती से भी उस लड़की की खूबसूरती नफ़रत मे बदल गयी तो फिर उसका खूबसूरत जिस्म भी बदसूरत शरीर लगने लगता है और ऐसा ही इस वक़्त मेरे साथ हो रहा था....चाहे पूरा जमाना दीपिका मॅम के लिए पागल हो लेकिन अब वो मेरे लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ एक बदसूरत सी घमंडी लड़की थी...जिससे मुझे बदला लेना था....मुझे अब उसकी ना ही वो छातियाँ आकरसीत लगती और ना ही उसका मॉडेल फिगर. दीपिका माँ अब मेरी आँखो मे खटक रही थी और उसका नामे जहाँ मे आते ही मैं गुस्से से तड़प उठता था...दिल करता था की अभी उस म्सी का बाल पकाडू और घसीट-घसीट कर उसकी जान ले लूँ....

जब मेरे दिल और दिमाग़ ने दीपिका मॅम से बदला लेने वाले मेरे आइडिया पर अपनी मुँहार लगा दी तो मुझे एक और लड़की का ख़याल आया...और ये लड़की जो अभी मेरे ख़यालो मे आई थी वो कोई और नही बल्कि वही लड़की थी जो अक्सर मेरे ख्वाबो मे भी मुझे दर्शन देती थी...बस फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि मेरे ख्वाब मे वो मेरे लिए आती थी लेकिन हक़ीक़त मे वो किसी और के लिए आती थी...फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि ख्वाब मे मैं जिस जुस्तजु के साथ उसके करीब होता था ,हक़ीक़त मे मैं इसके बिल्कुल उलट उसी जुस्तजु के साथ उससे बहुत दूर हो रहा था....


ऐसा नही है कि मैने उसे कभी भूलने की कोशिश नही की लेकिन जब भी ऐसा करने की सोची तभी दिल से आवाज़ आई कि एक बार कोशिश करने मे क्या जाता है...?
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कभी-कभी जब वो सपने मे आती और मेरे करीब बैठी रहती तो दिल करता कि मेरी कभी आँख ही ना खुले .कयि बार जब मैं सपना देख रहा होता था तो मुझे ना जाने कहाँ से मालूम चल जाता था कि ये हक़ीक़त नही बल्कि हक़ीक़त के दुनिया की एक झूठी परच्छाई है,जिसका हक़ीक़त की बाहरी दुनिया मे कोई वज़ूद नही है.....लेकिन फिर भी मैं दिल को समझाने मे नाकाम ही रहा.
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उस दिन मैं पूरी रात नही सोया, खिड़की के पास बिस्तर खिसककर सिगरेट के धुए से सारी रात अपने सीने को जलाता रहा..क्यूंकी उस वक़्त मेरे अंदर हज़ारो सवालो ने एक साथ दस्तक दे दी थी ,जिसका जवाब मैं ढूँढ रहा था....मैने एक और सिगरेट जलाई और फिर सोचने लगा एमटीएल भाई के बारे मे....
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ऐसा नही है कि इतने दिन बीत जाने के बाद मैं सीडार को भूल चुका हूँ...उसकी मौत की खबर अब भी मेरे कानो मे गूँजती है और जब भी ये खबर मेरे कानो मे गूँजती है तो सारी दुनिया को एक तरफ करके,सारे साइंटिस्ट्स के थियरीस ,प्रिन्सिपल्स की माँ-बहन एक करके मैं खुद को उसी जगह पाता हूँ जहाँ मुझे हॉस्पिटल मे ये खबर पता चली थी....सीडार भाई कयि सारे सवाल अपने पीछे छोड़ गये थे जिसका जवाब शायद मुझे कभी नही मिलने वाला था...लेकिन एक चीज़ जो मैने करने की ठानी थी वो ये कि सीडार के उस हॉस्टिल का रुतबा मैं कायम रखूँगा ,जिसमे उसने अपनी ज़िंदगी के सबसे अहम चार साल बिताए थे...ऐसा सोचना भले ही किसी को पागलपन लगे लेकिन मुझे इससे कोई फ़र्क नही पड़ता....इस वक़्त दिल कर रहा था कि सीडार भाई कहीं से...कही से भी बस एक बार लौट कर आ जाए ताकि मैं उनसे गले मिल सकूँ....दिल कर रहा था कि एक बार फिर मैं कोई ग़लती करूँ और सीडार मुझे डाँटदे और फिर कंधे मे हाथ रखकर समझाए कि"अरमान, ऐसा मत कर..." 

लेकिन अब ये हो नही सकता था...क्यूंकी अब ना तो एमटीएल भाई कभी वापस आने वाले थे और ना ही उनको लेकर मेरे अरमान कभी पूरे होने वाले थे....
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रात से सुबह हुई ,लेकिन मैं पिछले कयि घंटो की तरह अब भी उसी खिड़की के पास बैठा अपने अतीत के कुच्छ पन्ने पलट रहा था और अपने ज़िंदगी के उन पॅलो को याद कर रहा था,जो अब कभी आने वाले नही थे.....सीडार को इस वक़्त याद करने की एक वजह शायद ये भी थी कि मुझे खिड़की से हॉस्टिल के बाहर रखी वो चेयर दिख रही थी...जिसपर बैठकर मैं सीडार से अक्सर बात किया करता था....
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"क्या सोच रेले हो अरमान भाई..."

"हुउऊउन्ण..."मैं जैसे झटके से होश मे आया...

"इतना चौक क्यूँ गये...मैं तो कल रात ही इधर आया था..."आँखे मलते हुए राजश्री पांडे बोला...

"कुच्छ नही,सीडार के बारे मे सोच रहा था...."

अबकी बार राजश्री पांडे कुच्छ नही बोला और अपने दोस्तो को उठाकर रूम से बाहर करने लगा....

"पांडे....सुन"जब वो वहाँ से जाने लगा तो मैने उसे आवाज़ दी"उस लड़के को जिसका चक्कर दीपिका मॅम के साथ चल रहा है ,उसे बोलना कि शाम को कॉलेज ख़तम होने के बाद मुझसे मिले..."

"बिल्कुल...मैं खुद उसे इधर लेके आउन्गा...."
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राजश्री पांडे और उसके दोस्तो के वहाँ से जाने के बाद मैं कुच्छ देर यूँ ही खुद से उलझता रहा और जब कॉलेज जाने का टाइम हुआ तो बढ़िया तैयार होकर हॉस्टिल से बाहर निकला....हॉस्टिल से कॉलेज जाते समय मुझे ऐसा लगा कि आज सूरज की रोशनी कुच्छ ज़्यादा ही है.आज कॉलेज की बिल्डिंग मुझे मेरे किसी बिच्छड़े हुए आशियाने की तरह लग रहा था,जहाँ मैं जल्द से जल्द पहुचना चाहता था और जैसे ही मैने कॉलेज के बौंड्री मे एंट्री मारी,सबकी नज़ारे मुझ पर आ टिकी...सभी स्टूडेंट्स अपने साथी स्टूडेंट्स से मेरे बारे मे खुसुर-फुसुर करने लगे...कुच्छ मेरे बॉडी को भी देख रहे थे ,कुच्छ मेरे शरीर पर ज़ख़्म के निशान ढूँढ रहे थे....उन सबको को इग्नोर मारते हुए मैं सीधे ,चुप-चाप कॉलेज मे घुसा और वहाँ की हालत भी बाहर की तरह ही थी...मतलब की सब मुझे देखते और फिर आपस मे बात करते...जब मैं कॉरिडर मे चलते हुए आगे बढ़ रहा था तो मेरे आयेज जो स्टूडेंट्स थे वो मुझे देखते ही साइड होते जा रहे थे...मुझे पहले से ही अंदाज़ा था कि मेरे कॉलेज आने पर कुच्छ-कुच्छ ऐसा ही महॉल होगा...

आज ना जाने कितने दिनो बाद मैं राइट टाइम पर कॉलेज पहुचा था.मैने क्लास मे बॅग रखा तो मुझे चाहने वालो ने मेरा हाल-चाल पुछा और कुच्छ लड़के अपना रोला जमाने के लिए मुझे अपने साथ क्लास से बाहर आने के लिए कहा.
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"अरमान...वो देख एश ,गौतम और उसकी वो बहन...जिसके चक्कर मे इतना बड़ा लफडा हुआ था..."एक लौन्डे ने मुझे इशारा करते हुए धीरे से कहा...

ये सुनकर मैं शुरू मे घबरा गया और सोचा कि तुरंत वहाँ से क्लास के अंदर चला जाउ...मेरे दिल ने,जो कि एश से बहुत प्यार करता था..उसने कहा कि मुझे अभी ही गौतम से उस दिन के लिए माफी माँग लेनी चाहिए ताकि एश मुझसे फिर से बात करने लगे, मैने ऐसा करने के लिए सोचा भी लेकिन तभी मेरे अहंकार ने मुझे ऐसा करने से सॉफ मना कर दिया...
"सही है...यदि मैने गौतम से माफी माँगी तो थूक कर चाटने वाली बात हो जाएगी और जब मैने दीपिका मॅम की गुलाबी चूत नही चाटी तो फिर ये क्यूँ करो...ब्लॅक होल मे जाए एश और मेरे हाथ से मार खाने वाला उसका बाय्फ्रेंड..."उनको अपनी तरफ आता हुआ देख मैने गॉगल्स निकाला और पहन कर वहाँ की दीवार से एक हाथ टीकाया....

गौतम की हालत देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो आज ही कॉलेज मे आया है या फिर पिछले दो-तीन दिन से ही कॉलेज आ रहा होगा....वो एक पैर से लंगड़ा रहा था और एश के सहारे चल रहा था...

"अब ये बीसी गौतम मुझे यहाँ देखकर फिर से लफडा करेगा...क्या मुझे अभी क्लास के अंदर चले जाना चाहिए...."मैने खुद से पुछा लेकिन जवाब एक बार फिर मेरे अहंकार ने दिया"यदि तू गौतम को देखकर क्लास के अंदर गया तो ये सारे लौन्डे यही समझेंगे कि तेरी गौतम को देखकर फॅट गयी है और फिर इज़्ज़त डाउन हो जाएगी सोच ले..."
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आख़िरकार मैने वही दीवार पर एक हाथ टिका कर खड़े रहने का फ़ैसला किया और च्विन्गम मुँह मे ना होते हुए भी बड़े ताव से ऐसे मुँह चला रहा था जैसे 5-6 चिनगम मेरे मुँह मे एक साथ हो...
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"सुन बे..."जब वो तीनो मेरे सामने आए तो मैने दूसरी तरफ खड़े अपने क्लास के एक लड़के से तेज़ आवाज़ मे कहा"उस लड़के को होश आ गया क्या ,जिसे मैने कल रात सर पर रोड से मारा था या अभी भी कोमा मे है...."

पता नही मुझे अचानक क्या हुआ,जो मैं ये सब गौतम के मुँह पर बोल गया,क्यूंकी अंदर से तो मेरी भी बुरी तरह से फटी हुई थी...मेरी बात सुनकर गौतम एक पल के लिए जहाँ था वही रुक गया लेकिन अगले ही पल वो वहाँ से आगे बढ़ने लगा....मैने जिस लड़के को बलि का बकरा बनाकर आवाज़ दिया था वो अपना मुँह फाडे मुझे देख रहा था कि ये मैने उससे क्या कह दिया....जब गौतम ,एश और दिव्या के साथ आगे बढ़ गया तो एक बार फिर मैने जले पर नमक छिड़का और बलि का बकरा एक बार फिर से उसी लड़के को बनाया

"ओये उसकी उस आइटम का क्या हुआ, जिसका बाप बेदम रहीस है और जो कार से एक और आइटम के साथ आती है...."

"क्या बोल रहा है भाई,मरवाएगा क्या..."उस बलि के बकरे ने रोनी सी सूरत बनाई लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था,अबकी बार मैने गौतम के ज़ख़्म पर सीधे नमक की एक बोरी डालते हुए बोला

"यदि वो लड़का,जिसके सर पर मैने रोड मारी थी,वो तुझे दिखे तो उससे बोलना कि मेरे सामने औकात मे रहे वरना एक बार फिर से ठोकुन्गा..."

गौतम इस बार भी चुप रहा लेकिन उसे सहारा देने वाली एसा पीछे पलट कर अपने मन मे मुझे गालियाँ देने लगी और मैं आँखो मे काला चश्मा लगाए उसको देखकर मुस्कुराता रहा जिससे वो और जल-भुन गयी...जिस लड़के को मैने तीन बार बलि का बकरा बनाया था वो इस समय वहाँ से भाग चुका था.
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मुझे आज थोड़ा गौतम के बर्ताव पर ताज्जुब हुआ क्यूंकी वो आज मेरे मुँह से इतनी सारी बाते सुनकर भी चुप चाप रहा था....लेकिन कब तक ? क्यूंकी इतना तो मैं जानता था कि ना तो वो मेरे सामने झुकेगा और मेरे झुकने का तो सवाल ही पैदा नही होता....इसलिए मैने उसी वक़्त आँखो मे काला चश्मा लगाए ये अंदाज़ा लगा लिया था कि हम दोनो यदि कभी भूले से भी एक-दूसरे के आमने सामने आए तो अंजाम बहुत ही बुरा होगा,क्यूंकी अबकी बार गौतम का गुंडा बाप सीधे मेरी जान लेगा लेकिन मैं इतना चोदु नही जो पिछली बार की तरह गौतम के बाप के चंगुल मे फँस जाउन्गा....कुल-मिलकर जो भी होने वाला था बहुत बुरा होने वाला था.
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"अरमान तुम..."

"हां मैं, "विभा को देखकर मैने कहा...

"हाउ आर यू,..."

"एक दम झक्कास और तू..."

"फाइन...और ज़रा ढंग से पेश आओ ,ये कॉलेज है इसलिए गॉगल्स उतारो और चिनगम थूक कर क्लास के अंदर आओ..."
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आज बहुत दिन बाद कॉलेज आया था इसलिए क्लास मे आज थोड़ा शांत था...मेरी शांत रहने की एक और वजह शायद ये भी थी कि आज मेरे खास दोस्तो मे से कोई भी कॉलेज मे नही था...इसलिए यदि मैं बक्चोदि करता भी तो किससे करता...मैने अपने आस-पास बैठे लड़को से कयि बार बात करने की कोशिश भी की लेकिन मैं जिससे भी बात करता वो मेरी बात को सुनकर अनसुना कर देता और बोलता कि उसे क्लास से बाहर निकाल दिया जाएगा......

"साले कितने बोरिंग हो बीसी तुम लोग..."जब रिसेस हुआ तो अंगड़ाई मारते हुए मैं बोला"इससे अच्छा तो मैं लास्ट बेंच पर अकेले ही बैठू...."
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रिसेस के बाद फिर क्लास चालू हुई और अब मैं लास्ट बेंच पर अकेला बैठा हुआ था...मैने बहुत प्रयास किया कि मुझे नींद ना आए लेकिन टीचर्स के लेक्चर्स मुझे किसी लॉरी की तरह लग रहे थे और रिसेस के बाद दूसरे पीरियड मे ही मेरी आँखे भारी होने लगी....मैने सामने डेस्क पर अपना बॅग रखा और फिर बाग पर सर रखकर सो गया....
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"उठो,क्लास मे ताला लगाना है..."किसी ने मुझे ज़ोर से हिलाते हुए कहा...

"क्लास के बाकी लोग कहाँ गये..."आँखे मलते हुए मैने पीयान से पुछा...

इस समय पूरी क्लास मे मेरे और उस पीयान के सिवा कोई और नही था,इसलिए मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ 

"छुट्टी हो गयी है,सब अपने घर को निकल गये अब तुम भी इधर से निकलो ,मुझे ताला लगाना है..."

"ये कैसे हो गया..."तुरंत खड़े होकर मैने अपना बॅग टांगा और बड़बड़ाते हुए क्लास से बाहर आया...

"बीसी, सालो ने मुझे जगाया तक नही और टीचर्स कैसे झन्डू थे जो उन्होने मुझे कुच्छ कहा तक नही...ज़रूर सालो की फॅट गयी होगी कि कही मुझे जगाने पर मैं उन्हे ना पेल दूं. "

टाइम देखने के लिए मैने अपने जेब से मोबाइल निकलना चाहा तो मोबाइल मेरे जेब से गायब था , तब मुझे याद आया कि मोबाइल तो मेरे डेस्क पर ही छूट गया है....

"सुनो भैया, क्लास दोबारा खोलना तो ,मेरा मोबाइल अंदर छूट गया है..."

उस पीयान को आवाज़ देकर मैने कहा लेकिन वो पीयान अपनी पीठ मेरी तरफ किए बाहर कॉरिडर मे झाड़ू लगा रहा था....उसके बाल अचानक से बहुत लंबे हो गये और वो पीयान मेरी तरफ झाड़ू लेकर घूमा तो मेरा दिल जैसे एक पल के लिए रुक ही गया...क्यूंकी उस पीयान की शकल आतिन्द्र की शकल मे बदल चुकी थी....

"बीसी, मैं फिर से सपना देख रहा हूँ..."मैने कहना चाहा लेकिन पता नही क्यूँ आवाज़ गले से बाहर ही नही निकली...

मैने तुरंत वहाँ से भागने का सोचा लेकिन आतिन्द्र को वहाँ देखकर पैर ज़मीन मे ऐसे चिपक गये कि वहाँ से भागना तो दूर एक कदम आगे-पीछे भी नही हो रहे थे और इधर आतिन्द्र अपने लंबे बालो की लटो को पीछे करते हुए एक डरावनी मुस्कान के साथ मेरे तरफ बढ़ रहा था.

मैं जानता था कि आतिन्द्र का भूत सिर्फ़ मेरे दिमाग़ मे है और हक़ीक़त से इसका कोई वास्ता नही है...लेकिन एक सच ये भी था कि आतिन्द्र को सपने मे देखकर मेरी सिट्टी-पिटी गुम हो जाती थी...साला कभी कुच्छ समझ ही नही आता था कि मैं क्या करूँ ? कैसे मेरे दिमाग़ मे बैठे आतिन्द्र से पीछा छुड़ाऊ...इस वक़्त सपना भले ही मेरा था लेकिन राज़ आतिन्द्र कर रहा था.....
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12-15-2018, 01:11 AM,
#73
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
आज कल हमारे देश मे बहुत सारे धरम गुरु है...कुच्छ फ़र्ज़ी है तो कुच्छ धर्म की आड़ मे अपना काला धंधा चलाते है....इसलिए इनके पास जाकर अपनी प्राब्लम बताना मतलब एक दूसरी प्राब्लम मे फँसना है...मैं जब अकेले रहता हूँ तो अपने दिमाग़ मे बैठे आतिन्द्र को दूर करने के लिए बहुत सोचता हूँ और कुछ नये प्लान बनाता हूँ...लेकिन पता नही क्यूँ आतिन्द्र को देखते ही जैसे मुझे कुच्छ याद ही नही आता. उस वक़्त मुझे ऐसा लगता है जैसे इस पूरी दुनिया मे मेरे सिवा सिर्फ़ और सिर्फ़ वो ही है...मेरे सपने के आस-पास का द्रिश्य आज भी ठीक वैसा ही था जैसे कि हरदम होता था, यानी कि आस-पास हम दोनो के आलवा कोई तीसरा नही था ,जिसे मैं मदद के लिए पुकार सकूँ....


मैने कयि बार सोचा कि किसी बाबा,पंडित के पास जाकर अपनी प्राब्लम उन्हे बताऊ कि मुझे मेरा मरा हुआ दोस्त सपने मे मुझे बहुत परेशान करता है लेकिन फिर मैने अपना विचार बदल दिया और इन फ़र्ज़ी बाबाओं से मदद लेने की बजाय गूगल महाराज के दरबार मे शरण ली....मैने गूगल की साइट पर जाकर सर्च किया कि एक बुरे सपने से कैसे बचा जा सकता है. मेरे सर्च करने के बाद अपनी आदत अनुसार गूगल महाराज ने हज़ारो तरीके मुझे बताए और मेरा 3-4 घंटे का समय खाया...लेकिन सिर्फ़ एक काम की बात मुझे उस 3-4 घंटे मे समझ आई और वो काम की बात ये थी कि "उस बुरे सपने से निकलने की जल्द से जल्द कोशिश करो..."
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गूगल महाराज ने मुझे ये भी बताया कि मैं जो सपने मे करूँगा उसका थोड़ा- बहुत एफेक्ट मेरे वास्तविक जीवन पर भी पड़ेगा.....
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"अरमान...अरमान..."आतिन्द्र सीधे कूदकर मेरे उपर चढ़ गया और अपनी डरावनी हँसी से मेरे कान मे दर्द पैदा करने लगा....

मैने आस-पास कुच्छ जुगाड़ देखा, जिससे कि मैं सपने से बाहर आ जाउ और तभिच मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ ने पहली बार आतिन्द्र के सामने अपनी बत्ती जलाई और मैने अपना सर पास की दीवार मे ज़ोर से दे मारा.....
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इधर मैने अपना सर दीवार पर मारा और उधर दूसरी तरफ मेरी नींद डेस्क मे मेरे सर टकराने से खुली...

"आहह..."अपने सर को सहलाते हुए मैने क्लास की तरफ देखा .

"क्या हुआ अरमान...."विभा अपनी हँसी दबाते हुए बोली"अपना सर डेस्क पर क्यूँ पटक रहे हो..."

"अभी-अभी मैने सपने मे भूत देखा और सपने से बाहर आने के लिए अपना सर ज़ोर से दीवार पर दे मारा..." 

"अच्छा...भूत ने और क्या-क्या किया..."

"बस इतना ही किया, आगे मैने कुच्छ करने ही नही दिया उसे..."
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विभा ने और भी तरह-तरह के सवाल पुच्छे और उसके हर सवाल पर मैने एक दम सही जवाब दिया ,लेकिन वो और पूरी क्लास हंस रही थी...सबको लग रहा था कि मैं कॉमेडी कर रहा है...

"कमाल है यार, साला सच बोलो...तब भी किसी को यकीन नही होता "
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"रुक...रुक...रुक...एक इंपॉर्टेंट कॉल है..."वरुण बोला और अपना मोबाइल लेकर वहाँ से उठ गया...

वरुण के जाने के बाद अरुण अपनी आँखे बड़ी किए हुए और मुँह फाडे हुए मुझे देख रहा था....
"तुझे क्या हुआ..."

"सच मे वो लौंडा तेरे सपने मे आता है या तू मिर्च मसाले लगाकर कहानी को इंटरेस्टिंग बनाने की कोशिश कर रहा है..."

"कहानी को इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए मेरे पास और भी कयि फ़ॉर्मूले है चोदु...क्या तुझे यकीन नही हो रहा "अरुण का कॉलर पकड़ते हुए मैं बोला...

"मुझे याद आ गया और ये यकीन भी हो गया कि तू सच बॉलिंग...क्यूंकी जब मैं और सौरभ, भू से मिलने के बाद अपने कॉलेज पहुँचे थे तो किसी ने मुझसे कहा था कि तू एक दिन चलती क्लास के बीच मे अपना सर फोड़ रहा था...."
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"ओके..ओके मैं कर दूँगा...काम हो जाएगा..."फोन पर किसी से बात करते हुए वरुण वापस मेरे सामने बैठा"वो सब तो सही है लेकिन एक बात समझ मे नही आई कि ,गौतम को तो तूने सर पर रोड मारी थी,फिर वो लंगड़ा कर कैसे चल रहा था..."

"अपना चेहरा ज़रा करीब लाना..."

"क्यूँ..."

"चुम्मा लूँगा अबे चोदु ,उस वक़्त ,जब हॉस्टिल मे मेरी गौतम से लड़ाई हुई थी तो, वहाँ हमलोग लुडो और साँप-सीढ़ी का गेम नही खेल रहे थे...लड़ाई कर रहे थे और कौन कब किसकी बजा के निकल जाए ,इसकी हवा तक नही लगती...किसी ने पेल दिया होगा गौतम के पैर मे..."

"ह्म....ये हो सकता है.."

"ये हो सकता है...नही ये हुआ है "

" फिर तूने दीपिका को कैसे चोदा , आइ मीन उससे अपना बदला कैसे लिया...और वो लड़का कौन था जिसने पत्थर के उपर से कूदकर तेरी ठुकाई स्टार्ट की थी..."

"दीपिका को मैने बहुत अच्छे से चोदा और वो लड़का वही था,जिसने फर्स्ट एअर मे मेरी रॅगिंग ली थी..."

"क्या "चौुक्ते हुए वरुण ने अपने सर पर अपना हाथ फिराया"मैने गेस किया था कि वो लड़का वरुण होगा...."

"उस रात अंधेरे मे उस लौन्डे को देखकर मुझे उसकी शकल कुच्छ जानी-पहचानी सी लगी थी...और मैने भी यही मान लिया था कि वो लड़का यक़ीनन वरुण ही है...लेकिन मेरा ये कन्फ्यूषन अमर सर ने डोर कर दिया...जब वो हॉस्पिटल मे मुझसे मिलने आए थे तो उन्होने मुझे बताया था कि उन गुन्डो मे वो लड़का भी शामिल था जिसने फर्स्ट एअर मे मेरी रॅगिंग ली थी. तब मुझे तुरंत समझ मे आ गया था कि मुझपर सबसे पहले अटॅक करने वाला वरुण नही था "

"फिर एक सवाल यहाँ ये भी पैदा होता है कि अमर को ये इन्फर्मेशन किसने दी..."बोलते-बोलते वरुण अचानक चुप हो गया और थोड़ी देर बाद उसने डरते हुए कहा"दिल पे मत लेना ,लेकिन मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है कि तेरी पिटाई मे अमर का भी हाथ था..."
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वरुण के ऐसा कहने पर मैं मुस्कुराए बिना नही रह सका...

"आक्च्युयली यहाँ मॅटर थोड़ा और कन्फ्यूज़ करने वाला है...अमर सर ने मुझे हॉस्पिटल मे ये भी बताया था कि सीडार को सब मालूम चल गया था...जैसे कि नौशाद ने मेरा कॉल डिसकनेक्ट कर दिया ,दीपिका ने मुझे फसाया और मेरी रॅगिंग लेने वाला सीनियर गुन्डो के उस ग्रूप मे शामिल था..."

"एक मिनिट...सर थोड़ा घूम रहा और मेरी फट भी रही है..."अरुण की तरफ इशारा करते हुए वरुण ने थोड़ी दूर रखी टेबल पर से पानी की बोतल लाने के लिए कहा....

"अब मैं जो भी बोलने वाला हूँ, उस दिल पे ना लेकर सीधे मुँह मे लेना..."

"बक.."

"सीडार कैसे मरा,एक बार फिर से बताएगा क्या ? प्लीज़ "

वरुण के इस सवाल ने मुझे कुच्छ देर के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया...मुझे समझ नही आ रहा था कि कहाँ से शुरुआत करूँ और फिर मैने कहा..

"तुझे क्या लगता है कि मैने सीडार के बारे मे खोज-बीन नही की...वरुण ,वो 22 साल का लड़का जो उस दिन मरा था, वो मेरे लिए कोई आम नही था,जिसके बारे मे दुनिया कुच्छ भी बोले और मैं बिना किसी सबूत के सब कुच्छ मानता चला जाउ..मैने बहुत खोज बीन की ,बहुत हाथ-पैर चलाए...एनटीपीसी मे काम करने वाले उसके दोस्तो से पुछा यहाँ तक कि मैने पोलीस स्टेशन के भी कई चक्कर लगाए,लेकिन रिज़ल्ट पहले जैसा ही था...सारी कड़िया इसी बात की तरफ इशारा कर रही थी कि सीडार की मौत एक हादसा था ना कि मर्डर....."

"ओके...जब तूने सब कुच्छ पता किया था तब मैं कुच्छ नही बोल सकता,लेकिन फिर भी मुझे ना जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है कि सीडार के साथ कुच्छ ऐसा हुआ होगा जो किसी को नही मालूम..."

"शुरू-शुरू मे मुझे भी यही लगता था..मैं घंटो अकेला हॉस्टिल की बाहर वाली कुर्सिया पर बैठकर इस बारे मे सोचता था ,लेकिन इससे कुच्छ भी हासिल नही हुआ...क्यूंकी सारी कड़िया हर बार घूम करके इसी पॉइंट पर अपनी मुन्हर लगा देती थी कि सीडार के साथ हादसा हुआ था ना कि मर्डर....."

"ठीक है ,चल छोड़...फिलहाल तो तू ये बता कि दीपिका से तूने अपना बदला कैसे लिया...मेरे ख़याल से तूने उसे लिटा-लिटा कर,रगड़-रगड़ कर...आगे-पीछे ,उपर-नीचे ...हर जगह चोदा होगा....मैं बहुत एग्ज़ाइटेड हूँ उस हॉट मोमेंट को सुनने के लिए "
"उसके लिए फिर से अतीत के समुंदर मे डुबकी मारनी पड़ेगी..."

"हां तो मार ना डुबकी..3 घंटे है मेरे पास.."घड़ी मे टाइम देखते हुए वरुण बोला...
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सौरभ और अरुण को वापस आने मे तीन से चार दिन का समय लग गया और ये तीन से चार दिन मेरे लिए बहुत बोरिंग साबित हुए...साला बिल्कुल मज़ा ही नही आ रहा था इन दोनो के बिना...कॉलेज मे तो फिर भी सुलभ के रहने के कारण थोड़ा बहुत मन लग जाता था लेकिन हॉस्टिल मे आने के बाद साला पूरा टाइम मुझे काटने को दौड़ता....

जब ये दोनो भू से मिलकर वापस आए तो जान मे जान आई .सौरभ और अरुण के वापस आने के बाद फिर से अपनी वही पुरानी ज़िंदगी शुरू हो गयी. हमलोग दिन भर कॉलेज मे टीचर्स को परेशान करते और कॉलेज से आने के बाद किसी जूनियर को पकड़ कर उससे सिगरेट मँगवाते और फ्री मे पीते , हमारे इस काम मे हमारा जूनियर राजश्री पांडे हमारी बहुत हेल्प करता था, वो खुद हमे आकर उन लड़को के नाम बता जाता जिनके पास बहुत पैसे थे और वो थोड़े फट्टू टाइप के थे...बदले मे राजश्री पांडे को हमलोग कुच्छ सिगरेट पॅकेट से निकाल कर दे देते थे....

दिन ऐसे ही बीत रहे थे कि एक दिन कॉलेज जाते वक़्त कॉलेज के बाहर मुझे दीपिका मॅम दिखी जो अपनी कार से उतर रही थी...मेरी जानकारी मे ये बात आ चुकी थी कि दीपिका मॅम ने एक नयी कार खरीदी है, जिसके बाद मुझे ये समझने मे बिल्कुल भी देर नही लगी की दीपिका के पास ये कार गौतम के बाप की मेहरबानी से आई है मतलब कि ये कार दीपिका मॅम के उस काम का मेहताना था जिसके बदौलत मैं 3 महीने तक हॉस्पिटल मे अड्मिट था...

वैसे तो दीपिका माँ को देखते ही मेरा शरीर का आधा खून जल उठा लेकिन फिर मैने जबर्जस्ति अपने होंठो पर एक मुस्कान बिखेरते हुए उसकी तरफ बढ़ा....

"उसके पास क्यूँ जा रहा है, अभी ये सही वक़्त नही है..."मुझे दीपिका की तरफ जाते देख अरुण ने मुझे रोक कर कहा...

"अब क्या मैं शुभ महूरत निकल वाउन्गा उस रंडी से बात करने के लिए...आजा टाइम पास करके आते है..."

"तू फिर लफडा करेगा यार "

"तीन महीने पहले जो हुआ ,उससे तो छोटा ही लफडा होगा और वैसे भी उस कुतिया को इसका अहसास होना चाहिए कि मैं फॉर्म मे आ चुका हूँ और उसकी *** चोदने के लिए बिल्कुल तैयार हूँ..."

"तू जा मैं तुझे डाइरेक्ट क्लास मे मिलता हूँ..."बोलते हुए अरुण कॉलेज के गेट की तरफ बढ़ने लगा तो मैने पीछे से उसका कॉलर पकड़ा और बोला..

"तू किधर खिसक रहा है बे..."

"जाने दे यार..."

"अबे समझा कर,जब किसी के सामने उसका मज़ाक उड़ाउंगा तो उसकी और भी ज़्यादा जलेगी..चल अब..."

अरुण को जबर्जस्ति खीचते हुए मैं पार्किंग की तरफ बढ़ा,जहाँ दीपिका मॅम अपना कार लॉक कर रही थी...

"और सुन बाकलोल...वहाँ उस म्सी के सामने चुप-चाप मत रहना,मतलब कि जब भी मैं उसकी छिलाइ करूँ तो ज़ोर से हँसना...समझा"

जवाब मे अरुण ने अपनी गर्दन हां मे हिलाई और शांति से मेरे साथ पार्किंग की तरफ बढ़ा.दीपिका मॅम कार को लॉक कर चुकी थी और पार्किंग से निकल ही रही थी कि मैने अरुण के साथ वहाँ पीछे से एंट्री मारी...
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12-15-2018, 01:11 AM,
#74
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"ओये दीपिका सुन..."दीपिका मॅम के ठीक पीछे पहूचकर मैने उसे ज़ोर से आवाज़ दी ,जिसके कारण वो शुरू मे थोड़ा डर गयी और पीछे पलटी...पार्किंग मे इस वक़्त हम तीनो के सिवा और भी कुच्छ लोग थे,लेकिन वो हमसे दूर थे इसलिए उन्हे मेरी आवाज़ सुनाई नही दी....पहले-पहल तो दीपिका मॅम मुझे देखते ही कहीं खो गयी लेकिन बाद मे अपने होंठो पर स्माइल लाते हुए मेरी तरफ बढ़ी....

"तू,मुझे डाइरेक्ट नाम से बुला रहा है...डू यू थिंग कि मैं इसकी शिकायत होड़ और प्रिन्सिपल सर से नही करूँगी...हुह "

"पहली बात तो ये कि तू इसकी शिकायत चाहे होड़ से कर या फिर प्रिन्सिपल से...तू चाहे तो इसकी शिकायत अपने बाप से भी कर दे,मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता और दूसरी बात ये हुह,पुह ,मुँह मेरे सामने मत कर...वरना यही एक मुक्का तेरे दूध मे दे मारूँगा...साली रंडी.."

मैने कहा और जैसा कि प्लान था अरुण ने जोरदार ठहाका लगाया...मेरी इस हरकत पर दीपिका एक बार फिर कुच्छ देर के लिए कहीं खो गयी , वो शायद उस वक़्त ये सोच रही थी कि मुझे क्या जवाब दे,जिससे कि मैं चुप हो जाउ...जिससे कि मेरी बेज़्जती हो जाए...लेकिन हर कोई अरमान नही होता जो एक सेकेंड्स मे डाइलॉग सोच कर सामने वाले के उपर ज़ोर से फेक कर मार दे 

"रहने दे, तुझसे नही होगा...तू बस डिफरेंट वेराइटी के लंड अपने मुँह मे ले सकती है...चल ये बता कि इस कार के बदले तूने गौतम के बाप का लवडा भी लिया है या फिर तूने मेरे साथ जो दोगलाई की उसी से तेरा काम हो गया..."

"शट अप ! गेट लॉस्ट फ्रॉम हियर..."अपने दाँत चबाते हुए दीपिका मॅम ने बड़ी धीमी आवाज़ मे कहा...ताकि वहाँ आस-पास वालो को ये मालूम ना चले कि मैं उसका एक्सटर्नल तरीके से रेप कर रहा हूँ....वैसे तो ये काम मेरा था कि जब मैं उसका एक्सटर्नल तरीके से रेप करूँ तो किसी को इसकी भनक ना लगे ,लेकिन अब जब वो मेरा काम खुद कर रही थी तो मुझे अब किसी भी बात की परवाह नही थी...

"पहली बात तो ये कि तेरे मुँह से स्पर्म की बदबू आ रही है ,पक्का तूने किसी का लवडा मुँह मे सुबह-सुबह लिया है और ब्रश नही किया....और दूसरी बात ये कि ये पार्किंग तेरे बाप की नही है जो मैं तेरे बोलने से चला जाउ...."

मैने कहा जिसके बाद हमारे प्लान के मुताबिक़ अरुण ने फिर से अपने दाँत दिखा दिए....

"दोबारा मार खाएगा तब सुधरेगा तू...रुक जा शाम तक..."बोलकर दीपिका पलटी और वहाँ से जाने लगी...

"एक मिनिट रुक जा जानेमन..."दौड़कर मैं दीपिका के सामने गया और बोला"पहली बात तो ये कि गौतम के बाप को कैसे हॅंडल करना है मुझे मालूम है...कल ही एस.पी. से बात हुई है मेरी और आज कॉलेज के बाद मैं उन्ही के घर मे शिफ्ट होने वाला हूँ...जहाँ गौतम का बाप मेरे लंड का एक बाल भी नही उखाड़ सकता और दूसरी बात ये कि तू मुझे शाम तक मे अपना जलवा दिखाएगी ना...तो तू दिखा,तुझे जो करना है तू कर..चाहे तो नंगी होकर नाच ले या फिर अपने गान्ड मे बम्बू घुसा ले क्यूंकी तुझसे अपना बदला लेने के लिए मैं आज शाम तक का इंतज़ार नही करूँगा,बल्कि अभी ही कुच्छ पीरियड्स के बाद मैं तुझे इस कदर कॉलेज मे नंगा करूँगा कि लोग तुझपर मुतेन्गे भी नही....आज तेरा इस कॉलेज मे आख़िरी दिन है...अरुण,प्लान याद है ना कि हमे क्या करना है..."

"अरे साला बिल्कुल याद है, मेरी उन लोगो से बात हो चुकी है..."अरुण ने भी मेरे हां मे हां मिलाया ,जिसके बाद दीपिका की और भी फॅट गयी .
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"अरमान ,वैसे प्लान क्या है...मुझे तो कुच्छ भी नही बताया तूने..."पार्किंग मे दीपिका की गान्ड फाड़ने के बाद जब हम दोनो कॉलेज के अंदर दाखिल हुए तो अरुण ने पुछा...

"आक्च्युयली,कोई प्लान ही नही है,वो तो मैने दीपिका रंडी को ऐसे ही डराने के लिए कह दिया था... "

"बोसे ड्के, लवडा मैं तो पार्किंग मे तेरी बड़ी-बड़ी बाते सुनकर भारी खुश था...पर तू तो साला मुझे चोदु बना गया.."

"तुझे चोदु क्या बनाना ,वो तो तू ऑलरेडी है "अरुण की शकल देखकर मैने हँसते हुए कहा"देख, ये मुझे मालूम है कि मैं आज उसका कुच्छ नही करने वाला ,ये तुझे मालूम है कि मेरे पास अभी फिलहाल कोई प्लान नही है...लेकिन ये बात उस रंडी को नही मालूम..."

"इससे क्या होगा..."

"इससे ये होगा मेरे गे पार्ट्नर कि"अरुण के कंधे पर हाथ रखते हुए मैने कहा"उसकी आज पूरे दिन फटेगी कि अब कुच्छ होने वाला है...उसके दिल और दिमाग़ मे एक डर बैठा रहेगा ,जिसके बाद वो अपनी गान्ड सहलाती हुई बेचैन रहेगी..."

"ओह...अब समझा.."

"चल बोल पापा,इसी बात पे.

"तू रुक क्यूँ गया, आगे बता ना.."

"भूख लगी है, जाओ तुम दोनो वरुण और अरुण मेरे लिए खाना बनाकर लाओ..."पेट पकड़ कर लेटते हुए मैने कहा और वरुण को पुकारा..
"हां बोल.."
"यार वरुण ! अपुन सोच रेला है कि जब निशा मेरे साथ रहेगी तब वो क्या मस्त धाँसू खाना बनाएगी...तेरी तरह नही कि कभी खाना जल गया, कभी चावल गीला हो गया..."

"तू उसकी बढ़ाई कर रहा है या मेरी बुराई..."

"दोनो... "बोलते हुए मैने एक बार फिर अपना पेट सहलाया ,जो भूख से तड़प रहा था .

अरुण और वरुण खाना बनाने मे बिज़ी थे और मैं अरुण का मोबाइल उठाकर निशा का नंबर ट्राइ कर रहा था...मैं अभी तक तीन बार निशा को कॉल कर चुका था ,लेकिन निशा ने एक बार भी फोन नही उठाया....

"लगता है ससुर जी उसके आस-पास है..."मोबाइल को बिस्तर पर दूर फेक कर मैं बोला कि तभी मोबाइल बाज उठा....स्क्रीन पर नंबर देखा तो मेरा नाम लिखा हुआ था, यानी कि कॉल निशा की थी.

"बहुत जल्दी रिप्लाइ कर दिया..."

"वो..वो गेम खेल रही थी मोबाइल पे और जब तुमने कॉल किया तो सोचा कि ये वाला स्टेज पहले ख़त्म कर लूँ..फिर तुमसे बात करती हूँ"

"तो कर लिया स्टेज ख़त्म..."

"नो...गेम ओवर हो गया "

"लॉल..."हँसते हुए मैने कहा"एक बात बता, तू खाना बना लेती है ना..."

"उम्म्म...ना"

"क्या तुझे खाना बनाना नही आता..."जबर्जस्त तरीके से मैं चौका और एक दम से खड़ा हो गया..

"किसी ने कभी सिखाया ही नही..."

"तो सीख ले, वरना बहुत मारूँगा "

"तुम मज़ाक कर रहे हो ,राइट"

"रॉंग, मैं एक दम से सीरीयस हूँ...."
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"ले बे ठूंस ले..."एक प्लेट मेरे हाथ मे पकड़ाते हुए वरुण बोला"जब तक मेरे साथ है खाना खा ले,बाद मे तो तुझे खुद से ही बना कर खाना पड़ेगा..."

"निशा, मैं बाद मे कॉल करता हूँ...तब तक तू गेम खेल "
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निशा से बात करने के बाद मैने अपना पेट भरा और जब पेट भर गया तो मैं बोला...
"साले कितना बेकार खाना बनाते हो बे,शरम करो लवडो ,"

"देख बेटा, ऐसा है कि ज़्यादा बोलेगा तो रात का खाना तुझे ही बनाना पड़ेगा...."

"मैं तो मज़ाक कर रहा था... "जब रात के खाना बनाने की तलवार मुझ पर अटकी तो मैने तुरंत जवाब दिया .

अरुण और वरुण ,जब खाना खा चुके तो मैने अपनी याददाश्त को वही से प्ले किया जहाँ पर कुच्छ देर पहले फ्यूज किया था 
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उस दिन पार्किंग मे दीपिका मॅम को मैने जो धमकी दी थी ,उसका उसपर बहुत गहरा असर हुआ. मेरी धमकी इतनी असरदार थी कि उसी दिन शाम को जब हम लोग हॉस्टिल मे बैठकर कैरम खेल रहे थे तो विभा ने मुझे कॉल किया. विभा की कॉल देखकर सबसे पहले मेरे शरीर के मैं पॉइंट ने रिएक्ट किया और फिर बाद मे मेरे हाथ ने....
"लवडा गद्दारी कोई नही करेगा मैं अभी आया..."

मैने कैरम का गेम छोड़ा और रूम से बाहर आकर विभा की कॉल रिसीव किया....

"अरमान, मैं विभा..."

"विभा, मैं अरमान..."

"अरमान, तुम मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो..."

"काम क्या है ये बोल, अभी अपुन भारी बिज़ी है..."

"वो मुझे कहना था कि तुम...मैं तुमसे कहना चाहती हूँ कि...आक्च्युयली मुझे बहुत इंपॉर्टेंट बात करनी है,आइ होप कि तुम बुरा नही मनोगे..."

"आइ होप कि मैं बुरा ना मानु..."

"वो मुझे दीपिका ने कॉल करने को कहा था, वो अपने किए पर बहुत शर्मिंदा है और उसने कहा है कि यदि तुम सब कुच्छ भूल जाओ तो तुम दोनो के बीच पहले वाला रीलेशन हो जाएगा "इतना बोलकर विभा चुप हो गयी और मैं उसके कुच्छ और कहने का इंतज़ार करने लगा "आंड ऐज आ टीचर , मैं तुम्हे सलाह देती हूँ कि तुम्हे दीपिका मॅम की बात मान लेनी चाहिए...क्यूंकी फालतू मे लड़ने का कोई फ़ायदा नही है..."

मैं कुच्छ देर के लिए चुप रहा और फिर बोला"ओके..."

"क्या.."

"ठीक है ,मुझे मंजूर है...लेकिन.."

"थॅंक्स..."विभा बीच मे बोली

"लेकिन मेरी एक शर्त है और वो शर्त ये है कि तुझे मेरे साथ सेक्स करना पड़ेगा और एलेक्ट्रिकल ब्रांच मे जो नयी मॅम आई है ,उसे भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए उसे राज़ी करना पड़ेगा..."

"व्हाट...तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है ,क्या..."

"दिमाग़ तो बहुत पहले से खराब है और उस दीपिका रंडी को बोल देना कि वो अपनी चूत का लालच देकर मुझसे बच नही सकती..उससे ये भी कहना कि मैं जब चाहू उसकी जैसी माल पटा सकता हूँ लेकिन वो मेरे जैसा लौंडा नही पटा सकती,ईवन उसका प्रेज़ेंट टाइम मे जो बाय्फ्रेंड है ,वो आकर मुझे सर...सर कहते रहता है...."

"माइंड युवर लॅंग्वेज..."

"माइंड युवर बिज़्नेस...चल फोन रख,वरना तेरी भी बेज़्जती कर दूँगा..."
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उसके बाद विभा ने मुझे कभी कॉल नही किया.एग्ज़ॅम नज़दीक होने कारण कॉलेज मे प्रेपरेशन लीव लग गया...जिसके कारण अब हमारा सारा दिन हॉस्टिल मे बीत रहा था...ऐसे ही एक दिन ,सुबह-सुबह जब मैं गहरी नींद मे था तो किसी ने रूम का दरवाजा बहुत ज़ोर से पीटा...

"कौन है बे बीसी..."सौरभ ने गुस्से मे कहा और तकिये से अपना कान ढक लिया

"भाग जा वरना ,जहाँ छेद दिखेगा वही चोदुन्गा..."अरुण ने भी गुस्से मे कहा और तकिये से अपने कान को ढक लिया...

"भाग जा वरना एक बार लंड फेक कर मारूँगा तो सारा खानदान चुद जाएगा..."मैने भी तकिये से कान को ढकते हुए कहा...

"अरे मैं हूँ, राजश्री पांडे..."

"अरे ये तो भाई है ,अपना.." सौरभ बोला..

"अरे ये तो यार है अपना..."अरुण भी सुर मे सुर मिलाते हुए बोला

"अरे ये तो प्यार है अपना,.."दरवाजा खोलते हुए मैने कहा"क्यूँ बे लोडू, पहले नाम बता देता तो क्या होता...और तू साले इतनी सुबह कर क्या रहा है...."

"आपको वो टॉप मोस्ट ब्रेकिंग न्यूज़ पता चली या नही..."

"कौन सी ब्रेकिंग न्यूज़..."आँख मलते हुए और उबाई लेते हुए मैने पुछा...

"दीपिका मॅम को प्रिन्सिपल ने लाइफ टाइम के लिए कॉलेज से निकाल दिया और साथ ही उसे कॉलेज मे मिस्बेअहविन्ग का सर्टिफिकेट भी थमा दिया..."

"हो गया ,अब चल निकल यहाँ से..."

"क्या अरमान भाई..मैने सोचा था कि आप बहुत खुश होंगे..."

"दिल पे मत ले, अब चल जा यहाँ से..."
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राजश्री पांडे को भगाने के बाद मैने दरवाजे को उपर से,नीचे से और बीच से बंद करके पीछे मुड़ा तो देखा कि अरुण और सौरभ अपने पूरे शरीर को चादर से लपेटे हुए मुझे देख रहे थे और साथ मे मुझे घूर भी रहे थे....

"सॉरी यार ! मैने तुम लोगो को मेरे इस प्लान के बारे मे नही बताया था...लेकिन प्लान सक्सेस्फुल हो गया,इसलिए आज पार्टी."

बरसो पहले एक महान व्यक्ति ने ये कहा था कि यदि सारी दुनिया बदले की आग मे आँख के बदले आँख लेने लगे तो एक दिन ऐसा आएगा जब पूरी दुनिया अंधी हो जाएगी...मुझे उस महान व्यक्ति का नाम तो नही मालूम(यहाँ तक कि ये भी नही मालूम की वो मेल थे या फीमेल ) ,लेकिन उनके द्वारा कही गयी वो चन्द पंक्तिया मुझे हमेशा के लिए याद हो गयी थी.फिर भी मैने दीपिका से अपना बदला लिया यानी कि आँख के बदले आँख और यदि अपने बॉलीवुड स्टाइल मे कहे तो खून के बदले खून : 

मैं उस महान व्यक्ति का विरोध नही कर रहा लेकिन कभी - कभी हमारे सामने ऐसी सिचुयेशन आ जाती है ,जब हमे भगत सिंग बनना पड़ता है. 
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"ये तूने किया है क्या, मुझे माँ कसम यकीन नही हो रहा..."

"मुझे भी यकीन नही हो रहा..."

अरुण और सौरभ अभी तक अपने शरीर मे चादर लपेटे हुए बिस्तर पर बैठे थे .

"मैं धीरे-धीरे करके एक्सप्लेन करता हूँ..."उनकी तरफ बढ़ते हुए मैं बोला...

"वो तो तुझे करना ही पड़ेगा, लेकिन पहले ये फॅन बंद कर...साला ठंड के मारे गान्ड फटी जा रही है...."

मैने फॅन बंद किया और वापस उन दोनो की तरफ जाते हुए पुछा"तो कहाँ से शुरू करू..."

"कहाँ से शुरू करू का क्या मतलब बे...सारी बाते वही से शुरू कर जहाँ से तूने इसकी शुरुआत की थी...."

"एक मिनिट..."अपने दिमाग़ को प्रेज़ेंट से पास्ट मे ले जाते हुए मैने वापस प्रेज़ेंट मे लाया और पास मे रखी चेयर को खींच कर उसपर बैठते हुए बोलना शुरू किया"दीपिका मॅम को प्रिन्सिपल ने कॉलेज से इसलिए निकाला क्यूंकी आज सुबह-सुबह ही उसने दीपिका का सेक्स वीडियो कॉलेज के एक लड़के के साथ देखा है...इसकी शुरुआत तब हुई थी जब तू और सौरभ, भू से मिलने उसके कॉलेज गये थे.उस दिन, रात को नशे मे होने के कारण राजश्री पांडे और उसके दोस्तो की उनके वॉर्डन से लड़ाई हो गयी थी ,जिसके बाद वो सब भाग कर मेरे रूम मे रात बिताने आए थे..उनसे बातो ही बातो मे मुझे ये मालूम चला कि उनमे से एक वो लड़का भी है जो दीपिका मॅम का करेंट टाइम मे बाय्फ्रेंड है.बस तभी मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ मे एक सूनामी आई ,ऐसी सूनामी जो दीपिका मॅम को बहा कर ले जाने वाली थी...मैने उसी पल ये सोचा कि यदि इन दोनो की चुदाई का सीन किसी तरह प्रिन्सिपल की आँखो तक पहुचा दिया जाए,तो दीपिका मॅम की जबर्जस्त बेज़्जती भी होगी और साथ ही साथ उसे ज़िंदगी भर के लिए कॉलेज निकाला घोसित कर दिया जाएगा....जब पूरा प्लान तैयार हुआ तो मैने इसपर तुरंत काम चालू कर दिया और अगले ही दिन उस लड़के से मिला जिसे दीपिका ने फँसा रखा था. शुरू मे तो उसने मेरी बात मानने से इनकार कर दिया और तब मुझे उसे धमकाना पड़ा...जैसे कि मैं उसका वही हाल करूँगा..जो मैने वरुण और गौतम का किया था...मैने उस लड़के से कहा कि यदि वो मेरी बात नही मानेगा तो मैं उसके बाप को कॉल करके उसके और दीपिका मॅम के रीलेशन के बारे मे सब-कुच्छ बता दूँगा..मेरी धमकिया सुनकर वो साला एक पल मे रो पड़ा, पता नही दीपिका ने कैसे फट्टू को अपना बाय्फ्रेंड बनाया था उस दिन मैने उससे ये भी कहा कि यदि वो मेरा साथ देता है तो आज के बाद वो मेरा खास दोस्त कहलाएगा और मैं चुदाई के वीडियो मे उसका फेस नही दिखाउन्गा....मैने उसे और भी कयि धमकिया और लालच दिए ,आख़िरकार जब वो मान गया तो मैने उससे इन्फर्मेशन ली कि दीपिका मॅम उसके साथ कब और कहाँ सेक्स करती है, जवाब मे मुझे पता चला कि हर सॅटर्डे को जब कॉलेज की जल्दी छुट्टी होती है तो वो और दीपिका कंप्यूटर लॅब मे अपना प्रोग्राम शुरू करते है. 
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ये इन्फर्मेशन मेरे लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित होने वाली थी ,क्यूंकी दीपिका अपने रूम मे चाहे बराक ओबामा से सेक्स करे, वो उसका पर्सनल मॅटर था,लेकिन कॉलेज के अंदर कॉलेज के ही स्टूडेंट से चुदाई करवाना ,ये एक तरह से इल्लीगल भी था और कॉलेज की रेप्युटेशन को गिराना भी इसमे शामिल था . मैने बहुत जगह हाथ-पैर मारकर...कहीं से एक छोटा सा कॅमरा का जुगाड़ किया और कंप्यूटर लॅब मे उसी लड़के के हाथो उस जगह सेट करवाया ,जहाँ से उन दोनो का खेल उस कॅमरा मे आसानी से रेकॉर्ड हो जाए....और फिर एक दिन मौका देखकर दीपिका ने फर्स्ट एअर के साथ मिलकर उधर कंप्यूटर लॅब मे चुदाई मचाई और इधर मेरा काम पूरा हो गया..."

"कब से था वो वीडियो तेरे पास..."सौरभ ने पुछा

"यही पिछले कुच्छ 10-12 दिन पहले वो वीडियो मेरे हाथ आ गया था..."

"तो क्या अभी तक शुभ महूरत का इंतज़ार कर रहा था..."

"अबे चूतियो, फर्स्ट एअर के उस लड़के के फेस की एडिटिंग करवानी थी ,इसलिए टाइम लग गया..."

"बोले तो एक दम सॉलिड प्लान था भाऊ, ला जल्दी से फ़ेसबुक मे अपलोड करके उस रंडी की *** चोदते है "एग्ज़ाइटेड होते हुए अरुण ने कहा...

"नही यार, पता नही क्यूँ लेकिन ऐसा करने के लिए मेरे लेफ्ट साइड ने मुझे रोक दिया...वरना मुझे यदि फ़ेसबुक मे ये वीडियो अपलोड करना होता तो मैं कब का कर चुका होता ,ईवन हज़ारो पॉर्न साइट्स मे अपलोड करके उसे बदनाम कर सकता था...लेकिन मेरा मक़सद ये नही था. "
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"वो सब तो ठीक है कक्के,लेकिन तू ये बता कि तुझे हम दोनो पर भरोशा नही है क्या...जो कभी भी कोई बात हमे नही बताता, साले हम तेरे दोस्त है लेकिन तेरे कारनामे की खबर हमे सबसे आख़िरी मे मालूम चलती है और वो भी दूसरो के मुँह से..."बिस्तर से नीचे आते हुए अरुण ने सौरभ से कहा"सौरभ, वो हॉकी स्टिक निकाल तो,अभी साले को तीन महीने के लिए फिर से कोमा मे भेजता हूँ..."

"मुझे मालूम है अरुण, तू मज़ाक कर रहा है.तू मुझे मार नही सकता..."

"मुझे तो ऐसा नही लगता "कहते हुए अरुण ने एक जोरदार मुक्का मेरे पेट मे मारा....

"अबे,इतनी ज़ोर से मारेगा क्या..."

"यदि इतना ही दर्द हो रहा है तो ये बता कि तू हमे सारी बात पहले क्यूँ नही बताता...लवडे "इसी के साथ दूसरा मुक्का मेरी पीठ पर पड़ा...

"वो क्या है कि... किसी महान पुरुष ने कहा है कि ,जब आप खुद कोई राज़ की बात अपने अंदर नही रख पाए ,तो फिर आप दूसरो से कैसे एक्सपेक्ट कर सकते हो कि वो ये बात किसी और को ना बताए..."

"कोई फ़ायदा नही होने वाला बेटा,आज तो तू कोमा मे जाकर रहेगा..."

"एक और बात ऐसी है जो तुम लोग को मैं सबसे पहले बताने जा रहा हूँ...अब तो छोड़"

"अच्छा ,चल बता.."

"वो फर्स्ट एअर मे जिस सीनियर ने मेरी रॅगिंग ली थी ना, उसका भी खेल आज ख़त्म होने वाला है..."

"वो कैसे..."अरुण और सौरभ एक साथ बोल पड़े"जल्दी से बता..."

"आज दोपहर मे वो कुच्छ काम से सिटी जाएगा,जहाँ उसकी किसी से बहस होगी और फिर वो बहस लड़ाई मे तब्दील हो जाएगी...जिसके बाद उस सीनियर की जोरदार पेलाइ होगी . मेरे ख़याल से अब ये बताने की कोई ज़रूरत नही कि जो लोग उस म्सी को मारेंगे वो मेरे आदमी होंगे

"अरमान सर, आइ हॅव आ क्वेस्चन..."बीच मे ब्रेक लगाते हुए वरुण ने कहा"तूने वीडियो प्रिन्सिपल को कैसे दिखाया.क्यूंकी प्रिन्सिपल तेरा कोई दोस्त तो है नही जो तू उसके कंधे पर हाथ रखकर दीपिका मॅम की चुदाई का वीडियो प्ले कर देगा... "

"याद है मैने एक बार कहा था कि सरकारी कॉलेज के टीचर्स को सर भले ना कहो...लेकिन पीयान को सर कहना ही पड़ता है..."

"इसका मतलब तूने पीयान की मदद से वो वीडियो..."

"यस..."बीच मे ही वरुण को रोक कर मैने कहा"और तू ये बार-बार डिस्टरब मत किया कर बे,फ्लो बिगड़ जाता है..."

"ओकाययी...अब कुच्छ नही बोलूँगा."
Reply
12-15-2018, 01:11 AM,
#75
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
फौर्त सेमेस्टर के एंड तक वो सारी आग बुझ चुकी थी जिसकी शुरुआत थर्ड सेमेस्टर से हुई थी. मैने अपने सारे दुश्मनो से अपना बदला ले लिया था,चाहे वो गौतम हो या फिर नौशाद...चाहे वो दीपिका हो या फिर फर्स्ट एअर मे मेरी रॅगिंग लेने वाला वो सीनियर जो आज हॉस्पिटल मे पड़ा हुआ था. मुझे ये जानकार उस दिन बहुत सुकून मिला जब मुझे ये इन्फर्मेशन मिली कि नौशाद और वो सीनियर 4थ सेमिस्टर. का एग्ज़ॅम नही दे पाएँगे और फाइनली हमारे कॉलेज को दीपिका मॅम से छुटकारा मिल ही गया. मेरे ख़याल से दीपिका मॅम को कॉलेज से निकलवाने के कारण जहाँ एक तरफ मेरा बदला पूरा हुआ वही दूसरी तरफ मैने कयि सारे लड़को को बिगड़ने से बचा लिया था.(मुझे तो नोबल प्राइज़ मिलना चाहिए ).दीपिका मॅम कॉलेज से भले चली गयी थी लेकिन इतना तो श्योर था कि उनका नाम इस कॉलेज मे अमर हो चुका था क्यूंकी कॉलेज के लड़के अब उसके नाम पर डिफरेंट वेराइटी के जोक बनाने वाले थे और जब लड़के इंजिनियर हो तो जोक और भी ज़्यादा गहरा और ख़तरनाक हो जाता है 

गौतम के बाप के गुन्डो ने मुझे बहुत धोया ,मैं इससे इनकार नही करता....लेकिन मैने गौतम को बुरी तरह धोया ,इसको भी कोई इनकार नही कर सकता. इसलिए मन ही मन मे मैने ये मान लिया कि इसमे भी जीत मेरी ही हुई है.मुझसे बुरी तरह मार खाने के बाद गौतम मे अचानक से बहुत बड़ा बदलाव आ गया था. अक्सर कॉलेज मे जब हम ना चाहते हुए भी एक-दूसरे के सामने आ जाते तो वो चुप-चाप वहाँ से निकल लेता था, अब उसका रोल कॉलेज मे सिर्फ़ बॅस्केटबॉल की वजह था.गौतम एक हॅंडसम लौंडा था इसे मैं मानता हूँ लेकिन कॉलेज की बहुत सी लड़किया उसके पीछे सिर्फ़ उसका बॅस्केटबॉल का गेम देखकर पड़ी थी और लड़कियो मे उसका क्रेज़ आज भी वही था जो पहले के दिनो मे हुआ करता था लेकिन एक सवाल यहाँ भी पैदा होता है कि आख़िर कब तक...क्यूंकी जिस भी दिन मैं बॅस्केटबॉल कोर्ट मे दोबारा कदम रखूँगा उस दिन मेरे ख़याल से उसका वो रोल भी ख़तम हो जाएगा और फिर कॉलेज की आधी लड़किया मेरे पीछे पागल होगी. लेकिन मेरा ऐसा कुच्छ भी करने का कोई मूड नही था ,जिसकी दो वजह थी...पहली वजह ये कि मैं खुद अब बॅस्केटबॉल नही खेलना चाहता था और दूसरी वजह ये कि अब मैं इस लड़ाई-झगड़े से तंग आ चुका था...मैं नही चाहता था कि बॅस्केटबॉल के गेम से गौतम की धाक ख़तम करके मैं एक नये विवाद को जानम दूं,जिससे एक बार फिर वही सब कुच्छ हो...जो पिछले कुच्छ महीने मे हुआ था.
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वैसे एक हिसाब से देखा जाए तो कॉलेज का ये साल मेरे लिए बहुत अच्छा भी रहा क्यूंकी मैने कॉलेज के उन बड़े से बड़े लौन्डो को पेला,जो शेर बने फिरते थे और उन सबको मारने के बाद कॉलेज मे अब सिर्फ़ एक शेर ही बचा था और वो मैं था .मेरी कॉलेज मे एंट्री होते ही लड़के ऐसे बिहेव करते जैसे मैं कोई सूपर हीरो हूँ और अभी-अभी दुनिया को बचा कर आ रहा हूँ...अब मेरे आस-पास अक्सर बहुत से लड़को का झुंड रहने लगा था. सारे लड़के अक्सर मुझसे पुछते रहते कि मैने कैसे सबको पेला और मैं मिर्च मसाले लगाकर उन सबको अपने बहादुरी के किस्से ऐसे सुनाता कि वो लोग मेरे फॅन बन जाते थे.

कॉलेज मे मेरी पॉप्युलॅरिटी का ग्रॅफ एक दम मॅग्ज़िमम लेवेल पर जा पहुचा था,जिसका अंदाज़ा मैने फ़ेसबुक से लगाया. जब मैने पहले क़ी तरह वापस फ़ेसबुक पर आक्टिव हुआ और अपनी आइडी लोग इन की तो गेट वेल सून के ना जाने कितने मेससेजस, कितने कॉमेंट मेरी प्रोफाइल पर थे. और कॉलेज के कयि सारे लड़को की फ्रेंड रिक्वेस्ट भी पेंडिंग मे थी. मैं जब भी कोई स्टेटस या फोटो फ़ेसबुक मे चिपकाता तो उनपर 100-150 लाइक तो आम सी बात हो गयी थी और कॉमेंट्स की तो पुछो ही मत 
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मुझे एक नुकसान भी मेरी इन हरकतों की वजह से उठाना पड़ा और वो नुकसान ये था कि कॉलेज की लगभग सभी लड़कियो ने मुझे अनफ्रेंड कर दिया था.... ये नुकसान उठाने वाला मैं अकेला नही था . सौरभ और अरुण को भी कॉलेज की लगभग सारी आइटम्स ने अनफ्रेंड कर दिया था ,जिसका रीज़न सिर्फ़ इतना सा था कि मैं उन दोनो का खास दोस्त था....

मुझपर कॉलेज की लड़कियो की इस हरकत का कोई खास असर तो नही पड़ा लेकिन सौरभ और अरुण की तो जैसे ज़िंदगी भर की फ़ेसबुक मे कमाई हुई लड़किया लूट गयी थी.बेचारे इन्ही लड़कियो की वजह से वो दोनो ना जाने कितने दिन फ़ेसबुक मे ब्लॉक रहे थे 
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यदि इस साल किसी चीज़ ने मेरा दिल दुखाया तो वो था मेरा एग्ज़ॅम ना दे पाना...क्यूंकी सेमेस्टर मे 6 पेपर ही बड़े मुश्किल से क्लियर होते थे और अब फोर्त सेमेस्टर मे मुझपर डाइरेक्ट 12 पेपर का लोड आ गया था, जो कि बहुत ही ज़्यादा मेरा दिल दुखा रहा था. दूसरी चीज़ जिसने मेरा दिल दुखाया था ,वो थी एश का मुझसे बात ना करना....ना जाने उस भूरी आँख वाली लड़की मे ऐसा क्या था कि इतने सारे झमेले होने के बावजूद,इतने सारे टेन्षन होने के बावजूद...उसकी तस्वीर आज भी दिल और दिमाग़ मे एक दम क्लियर थी. जब भी मैं अकेले होता ,जैसे कि रात को सोते समय, थोड़ी-बहुत पढ़ाई करते समय और बाथरूम मे नहाते समय उसकी याद आ ही जाती थी. लेकिन अभी कुच्छ दिनो पहले जब मैने फ़ेसबुक पर लोग इन किया तो पाया कि उसने मुझे ब्लॉक करके रखा हुआ है...यानी कि बात करने का आख़िरी रास्ता भी क्लोस्ड !
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तीसरी चीज़ जो मेरा दिल दुखाती है ,वो है सीडार की मौत....ये एक ऐसी घटना थी,जिसका असर सबसे ज़्यादा हुआ था.मुझे अभी भी कभी-कभी लगता कि सीडार की मौत एक झूठ है, धोखा है...ज़िंदगी का छलावा है...अक्सर उसकी कही हुई बाते मेरे कानो मे गूंजने लगती और तब मुझे लगता कि जैसे मैने अपने इस चार साल के सफ़र के एक बहुत ही अहम ,एक बहुत ही खास हमसफ़र को खो दिया था.....
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एग्ज़ॅम ख़त्म हुए और मेरे सारे पेपर अनएक्सपेक्टेड गये, क्यूंकी जहाँ मैने एक तरफ उम्मीद लगा रखी थी कि मेरे हज़ारो बॅक लगेंगे वही दूसरी तरफ मैं दस पेपर मे श्योर था कि ये तो क्लियर ही होंगे...बाकी के दो पेपर मे 50-50 का चान्स था...लेकिन फिर भी एक उम्मीद थी कि मैं इस बार फुल एसी के साथ निकलूंगा और सबकी फाड़ दूँगा...एग्ज़ॅम के बाद मेरे मन मे एक विचार आया कि यदि मैं अभी भी पढ़ना शुरू कर दूं तो मैं क्लास मे टॉप मार सकता हूँ...

थर्ड एअर शुरू होने से पहले मैने बहुत सारे प्लान बनाए...जैसे कि रोज सुबह 6 बजे उठना ,फिर पढ़ाई करना ,फिर नहा धोकर कॉलेज जाना,शाम को 5 बजे कॉलेज से आने के बाद दो घंटे आराम करना ,फिर 3-4 घंटे पढ़ाई करना और आख़िर मे बाक़ायदा मूठ मारकर सोना....मैने सोचा कि अब नो फाइट,नो पंगा...मैने तय किया कि अब मैं भी एक नॉर्मल स्टूडेंट की लाइफ जीऊँगा मतलब कि खूब दिल लगाकर पढ़ुंगा और एग्ज़ॅम मे अच्छे मार्क्स लाकर घरवालो को खुश करूँगा...
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ये सब करने के लिए सबसे पहला काम जो मुझे करना था वो था अपने टीचर्स की रेस्पेक्ट करना और क्लास मे एक भी बक्चोदि ना करके एक दम सिन्सियर रहना..क्यूंकी मेरा ऐसा मानना है कोई भी स्टूडेंट अपने टीचर से तभी कुच्छ सीख सकता है,जब वो उस टीचर की रेस्पेक्ट करे...इसलिए मेरा काम ये था कि किसी भी टीचर को कोई भी गाली नही बकुँगा...फिर चाहे वो विभा डार्लिंग ही क्यूँ ना हो...


दूसरा काम जो मुझे करना था वो ये कि मैं पढ़ने वाले लड़को के साथ रहूं इसलिए मैं भी वो करू जो 3 ईडियट्स मे राजू रस्तोगी ने किया था...यानी कि अपना रूम बदल कर किसी चतुर जैसे लड़के के रूम मे शिफ्ट हो जाए...लेकिन मेरे हॉस्टिल मे ना तो कोई चतुर जैसा था और ना ही मैं राजू रस्तोगी था ,इसलिए इस प्लान को मैने तुरंत अपने माइंड से डेलीट मार दिया...

तीसरा काम जो मुझे करना था वो ये कि हर नॉर्मल स्टूडेंट की तरह फाडू तरीके से डिसिप्लिन मे रहना..बोले तो ड्रेस एक दम सॉफ हो और चप्पू किस्म की हो....लेकिन दूसरे प्लान की तरह इसमे भी दिक्कते थी...पहली दिक्कत ये कि मैं कोई चप्पू ड्रेस नही पहनने वाला था और दूसरी दिक्कत ये कि अब साला कौन रोज-रोज अपनी कॉलेज ड्रेस धोए,इसलिए मैने इस प्लान को भी माइंड से डेलीट किया और सोचा कि बाद मे सोचेंगे,जब कॉलेज शुरू हो जाएगा फिलहाल अभी जो छुट्टी मिली है उसको एंजाय करते है और घर का बढ़िया खाना खाते है 

लंबी छुट्टी और ट्रैनिंग के बाद आख़िरकार कॉलेज शुरू हो ही गया और हॉस्टिल मे आकर जो सबसे पहला ख़याल मेरे दिमाग़ मे आना चाहिए था ,वो पढ़ाई के बारे मे होना चाहिए था. लेकिन मेरे दिमाग़ मे जो ख़याल आया वो पढ़ाई के बारे मे ना होकर मेरी सीनियारिटी के बारे मे था. मैं अब थर्ड एअर मे आ चुका था यानी कि प्री-फाइनल एअर और नॉर्मली कॉलेज के न्यू स्टूडेंट्स थर्ड एअर और फाइनल एअर के लड़को से बहुत डरते है.इसलिए कॉलेज के हॉस्टिल मे अंदर घुसते ही मैने अपना सीना चौड़ा किया और अपने रूम मे गया....

जब मुझे कोई फर्स्ट एअर और सेकेंड एअर मे नही रोक पाया तो थर्ड एअर मे कोई क्या रोकेगा...ये सोचते हुए मैं दूसरे दिन कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था.

"यार ,अरमान...अब तो हम लोग थर्ड एअर मे आ गये है,बोले तो अब एक दम फाडू मस्ती करेंगे क्यूंकी अब हमे रोकने से टीचर्स की भी गान्ड फटेगी..."मुझे आईने के सामने से हटाते हुए अरुण बोला

"यो...बेटा अरुण ,आज कॉलेज का पहला दिन है..इसलिए मेरे पैर छुकर मेरा आशीर्वाद ले ले..पूरा साल अच्छा जाएगा..."

"तू अब सुबह-सुबह मत खा और ला कंघी दे..."
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12-15-2018, 01:12 AM,
#76
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"कंघी......उम्म्म..."याद करते हुए मैं बोला"साला कोई आया था रूम मे कंघी माँगने,फिर मैने उसे दिया..."

अभी मैं याद ही कर रहा था कि कंघी किसके पास है,तभी अरुण ने तेज़ आवाज़ मे मुझे टोका...

"तो जा लेकर आ...मना किया था ना किसी को कंघी देने से..."

"देख..वो क्या है कि मैं दानवीर कर्ण की तरह हूँ,इसलिए सुबह-सुबह मुझसे यदि कोई मेरी जान भी माँग ले तो मैं मना नही कर सकता.उसने तो फिर भी एक कंघी माँगी थी..."

"बेटा यदि ,दानवीर बनने का इतना ही शौक है तो अपनी चीज़े दान किया कर,वरना मुँह मे लवडा पेल दूँगा और क्या कहा तूने...कि सुबह-सुबह तुझसे कोई भी आकर कुच्छ भी माँगे तो तू उसे मना नही करता..."

"यो बेबी यो..."

"तो फिर दानवीर जी, आप मुझे अपना लंड काटकर दीजिए..."

"बालक अब तेरी मुराद पूरी नही हो सकती,क्यूंकी मैने सुबह ही किसी को कंघी दान मे दे दी है...तुम कल आना बच्चा.."

"सौरभ...बम्बू देना तो ज़रा... इस दानवीर को प्रणाम करने का मन कर रहा है..."
.
अरुण के हाथ मे हॉकी स्टिक आते ही एक हाथ से अपना बॅग उठाकर मैं वहाँ से भागा और मेरे पीछे अरुण भी भागा...पहले मैं सीढ़ियो से नीचे उतरकर खड़ा हो गया और ये सोचा कि शायद अरुण वापस रूम की तरफ चला गया है...लेकिन हाथ मे गदा लिए अरुण सीढ़ियो से नीचे उतरा और यमराज की स्टाइल मे अपने दाँत दिखाते हुए बोला
"हा...हा..हा..अब कहाँ जाएगा दानवीर.."

"दुनिया बहुत बड़ी है बेबी..."बोलते हुए मैं हॉस्टिल के दूसरे छोर की तरफ भागा,जहाँ से उपर जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई थी....मैं कयि बार सीढ़ियो से उपर चढ़ा और नीचे उतरा लेकिन मेरी परेशानी ज़रा सी भी कम नही हुई क्यूंकी अरुण अब भी अपने हाथ मे वो बम्बू लिए मुझे दौड़ा रहा...
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"ये साला,एक कंघी के लिए रो रहा है, धत्त तेरी की..."भागते हुए मैं चिल्लाया"अबे कुत्ते, क्यूँ मार रिया है आज शाम को 10 कंघी लाकर तेरे मुँह पर फेकुंगा...और वैसे भी तेरी वो पीली कंघी एक दम बकवास थी."

"तू तो आज बचेगा नही,अरमान...आज या तो तू शहीद होगा या मैं..."

"ये लवडा ऐसे नही मानेगा..इसे इसकी वो पीली कलर वाली कंघी लाकर देनी ही पड़ेगी..."सीढ़ियो से नीचे उतरते हुए मैने सोचना शुरू किया"सबसे पहले जो लौंडा कंघी ले गया था ,वो मेरे रूम से दो रूम छोड़ कर रहता है...लेकिन उसने तो कंघी लाकर वापस कर दी थी...उसके बाद नीचे फ्लोर वाला लौंडा आया और कंघी लेकर गया और...और साले ने अभी तक कंघी वापस नही लौटाया,उसकी माँ की..."

सीढ़ियो से उपर चढ़ते हुए मैं उस लड़के के रूम की तरफ भागा, जिसके रूम मे अरुण की वो पीली कंघी थी..दौड़ते हुए मैं सीधे उस लड़के के रूम मे घुसा और मेरे पीछे अरुण भी रूम के अंदर आया.

"बोसे ड्के..जब समान लाते हो तो वापस भी कर दिया करो..."हान्फते हुए मैने उस लड़के को देखकर कहा,जो मेरे रूम से कंघी लेकर आया था.

मुझे देखकर उस लड़के के चेहरे के रंग अचानक बदल गये और उसने अपनी गीली टवल मुझे देखते हुए बिस्तर पर फेक दी...उसकी इस हरक़त से मैं समझ गया कि साले का कंघी लौटने का कोई विचार नही है और कंघी को छिपाने के लिए उसने अभी-अभी बिस्तर पर अपनी टवल फेकि है. 

"साले कंघी चोर..कल्लू, तू साले जितना बाहर से काला कोयला है उतना ही अंदर से भी है...ला कंघी दे."

"मैने तो तेरी कंघी वापस कर दी थी,अरमान...याद कर"वो कल्लू झूठ बोलते हुए उस टवल के उपर बैठ गया ,जिसके नीचे अरुण की कंघी थी.

"अरुण,तेरे जूते का साइज़ क्या है.."मैने पुछा.

"क्यूँ..."

"अबे डाइलॉग मारना है.."

"तू पहले मुझे मेरी कंघी लाकर दे...वरना डाइलॉग तो मैं तुझ पर मारूँगा.."

"भाड़ मे जा..उसने अपने गान्ड के नीचे कंघी छिपा रखी है.तू उस साले कल्लू की गान्ड मारकर अपनी कंघी ले ले...मैं चला कॉलेज."वहाँ से बाहर निकलते हुए मैं बड़बड़ाया"बीसी अब तक तो ये लोग पेन,कॉपी ,तेल और साबुन चुराते थे ,अब सालो ने कंघी चोरी करना भी शुरू कर दिया "
.
बाथरूम मे जाकर मैने अपना चेहरा धोया और अरुण को गालियाँ बकते हुए सौरभ के साथ कॉलेज के लिए निकल पड़ा...
दुनिया मे यदि आप बुरे काम करोगे तो उस बुरे काम मे साथ देने के लिए सब तुरंत राज़ी हो जाएँगे लेकिन यदि आप उस बुरे काम की जगह एक अच्छा काम करने निकलोगे तो कोई साथ नही देगा उपर से दस लोग आकर टोकेंगे...ऐसा ही कुच्छ मेरे साथ इन दीनो हो रहा था.दो दिन पहले ही मैं हॉलिडे मनाकर हॉस्टिल आया था और आते ही मैने सौरभ,अरुण से कहा कि इस साल नो मस्ती,नो पंगा ओन्ली पढ़ाई....मैने इतना क्या कहा,वो दोनो साले मुझे ऐसे देखने लगे..जैसे मैने उनका खाना छीन्कर खा लिया हो.उसी दिन से या फिर कहे की उसी पल से वो दोनो मुझे चिढ़ाने लगे और अपनी हरसंभव कोशिश करने मे जुट गये जिससे मेरे सर से पढ़ाई करने का भूत उतर जाए...लेकिन मैने उन दोनो की एक ना सुनी और आज पहली बार हर सब्जेक्ट के लिए एक रफ कॉपी ना लेजा कर हर सब्जेक्ट के लिए अलग-अलग कॉपी ले जा रहा था ,वो भी बाक़ायदा कवर चढ़ा कर. 
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इस साल भी कयि टीचर्स ने हमारा साथ छोड़ा,जिसमे दंमो रानी, आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते के जन्मदाता-श्री कुर्रे सर भी शामिल थे और सच बताऊ तो इन दोनो के जाने से मैं बेहद खुश था. लेकिन एक बॉम्ब अब भी मौज़ूद था और वो बॉम्ब थी हमारी सीसी की टीचर विभा...

मैने आज सारी क्लास मे मन लगाकर पढ़ाई की,.जो-जो टीचर्स ने बोर्ड मे लिखाया उसे बाक़ायदा अच्छे तरीके से कॉपी मे उतारा.यहाँ तक की मैने लॅब के लिए भी प्रॅक्टिकल फाइल और पेजस खरीद लिए थे,बोले तो अपुन पढ़ने के फुल मूड मे था.
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"अरमान...रोल नंबर. 11"

"प्रेज़ेंट मॅम..."हाथ खड़ा करके मैने अपनी उपस्तिथि विभा मॅम के खाते मे दर्ज कराई....

जब सबने अपनी उपस्तिति दर्ज करवा दी तो विभा अपनी जगह से उठी और 5-5 का ग्रूप बनाने को बोलकर आगे चली गयी....
"अब एक-एक करके हर ग्रूप आएगा और टर्बाइन्ज़ के मॉडेल देखेगा..."विभा मॅम ने कहा,जिसके बाद एक-एक ग्रूप बारी-बारी से जाता और टर्बाइन्ज़ के मॉडेल देखकर आता.जब सबने टर्बाइन देख लिया तो विभा ने सबको जो भी आज समझा है उसे लिखने के लिए कहा. मैने मन लगाकर समझा था इसलिए भका-भक लिखना शुरू कर दिया और नोन-स्टॉप 5 मिनिट तक लिखता रहा. 

"स्टॉप राइटिंग..."बोलते हुए विभा ने सबके पेन को विराम दिया और फिर एक-एक को बुलाकर पर्सनली बत्ती देने लगी...मेरा रोल नंबर. थोड़ा पीछे था इसलिए मैं अरुण के पास गया.

"कुच्छ लिखा बे लवडे या अभी तक हिला रहा है..."

"माँ कसम यार,कुच्छ समझ ही नही आया.साली सॉलिड तरीके से इज़्ज़त को टर्बाइन मे घुमा-घुमा कर चोदेगि..."घबराते हुए अरुण बोला"कुच्छ सोच ना बे "

"एक काम कर, ये ले मेरा कॉपी तू दिखा देना और सामने वाले पेज पर जो मेरा नाम लिखा है,उसे फाड़ देना..."कुच्छ सोचते हुए मैने अपनी कॉपी अरुण के हाथ मे थमा दी.

"और तू..."

"प्यार करती है विभा मॅम मुझसे,मुझे कुच्छ नही कहेगी.तू मेरी चिंता छोड़..."

"थॅंक्स यार, आइ लव यू."

" ऐसा क्या,फिर मुँह मे लेना एक बार"

मैं अपने वॉलेट मे हमेशा एक-दो बॅंड-एड रखता ही था ,क्यूंकी क्या पता कब ज़रूरत पड़ जाए. अभी विभा मॅम रोल नंबर. 8 वाले को बत्ती दे रही थी कि मैने दो बॅंड-एड वॉलेट मे से निकाल कर लेफ्ट हॅंड मे चिपकाया और जब मेरी बारी आई तो मैं खाली हाथ विभा मॅम की तरफ बढ़ा....

"खाली हाथ क्यूँ आए, तुम्हारी कॉपी कहाँ है..."

"मॅम मैं लिख नही सकता,हाथ मे बहुत गहरा ज़ख़्म है..."लेफ्ट हॅंड विभा माँ को दिखाते हुए मैने कहा"यदि ज़रा सी भी हरकत करू तो बहुत दर्द होता है..."

विभा मॅम मेरी इस चालाकी पर पहले मुस्कुराइ और फिर चेयर मे पीछे की तरफ होकर बोली"तुम्हे बहाना बनाना बहुत आता है ,मुझे पक्का मालूम है कि तुम्हारे हाथ मे कुच्छ नही हुआ है...राइट "

"नही..नही, सच मे मेरे लेफ्ट हॅंड मे दर्द हो रहा है और यदि यकीन ना हो तो बॅंड-एड खोलकर दिखाऊ..."

"रहने दो...इसकी कोई ज़रूरत नही."

"तो फिर मैं जाउ..."

"एक शर्त पर..."चेयर पर सीधे होते हुए विभा बोली"तुम्हे दीपिका का वीडियो कहाँ से मिला..."

"दीपिका मॅम के बारे मे सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ, वो मेरे बेहद करीब थी और आप किस वीडियो की बात कर रही है..."

"देखो अरमान...मैं जानती हूँ कि वो वीडियो तुम्ही ने प्रिन्सिपल के हाथो तक पहुँचाया था और मैं क्या,सारा कॉलेज ये जानता है..."
"मुझे नही पता कि ये अफवाह किसने फैलाई है और आप तो मेरा नेचर जानती ही हो कि ना तो मैं कभी झूठ बोलता हूँ और ना ही कोई बात किसी से छुपाता हूँ...आक्च्युयली मैं एक खुली किताब की तरह हूँ जिसे कोई भी पन्ने पलट-पलट कर पढ़ सकता है ."

"ह्म..."

"मैं ये कहना चाहता हूँ कि यदि मैने वैसा कुच्छ किया होता तो मैं सीना ठोक कर बोलता कि मैने किया है...."

"ठीक है तुम जाओ, "मुझे जाने के लिए कहकर विभा ने अगले रोल नंबर वाले को बुलाया,जो कि अरुण ही था..
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"क्या बोली वो आइटम तेरे से..."जब अरुण विभा मॅम के पास से आया तो मैने उसके आते ही पुछा.

"कुच्छ खास नही,बस मेरी बढ़ाई कर रही थी थोड़ा..."

"यानी कि मेरी बढ़ाई...अब बोल कि क्या हुआ उधर"
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12-15-2018, 01:12 AM,
#77
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"अबे कहा ना कुच्छ खास नही,उसने बस इतना कहा कि अरुण, तुम्हारी राइटिंग सुपर्ब है...ध्यान से पढ़ाई करोगे तो अच्छे मार्क्स स्कोर कर सकते हो..."अपना बॅग टाँगकर अरुण बोला"चल ,हॉस्टिल चलते है...विभा से मैने पर्मिशन ले ली है..."
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हॉस्टिल की तरफ जाते वक़्त मुझे विभा के द्वारा कही गयी वो बात याद आ रही थी ,जो उसने अरुण से कहा था और तभी मुझे मेरा प्लान नंबर. #1 याद आया "रेस्पेक्ट युवर टीचर्स." 

अब विभा पहले जैसी भी रही हो लेकिन टीचर बनने के बाद वो पूरी तरह से सुधर चुकी थी.मेरी वजह से वरुण के साथ जो उसका ब्रेक अप हुआ, वो तब से आज तक सिंगल ही है...क्यूंकी यदि उसका कोई नया मजनू होता तो कहीं ना कहीं से मुझे खबर मिल ही जाती और वैसे भी मुझे किसी के पर्सनल लाइफ से क्या लेना देना था.विभा चाहे बाहर जिससे भी चुदवाये, चाहे तो वो बिकनी पहनकर घूमे...वो उसकी लाइफ थी.इसलिए फिलहाल तो मैने मन ही मन मे ये तय किया कि मैं अब उसको बे-मतलब की गालियाँ नही बकुँगा.....

ये सोचते हुए मैं अरुण के साथ हॉस्टिल की तरफ बढ़ रहा था.सौरभ दूसरे ग्रूप मे था,इसलिए कॉलेज से एक साथ आना कभी-कभार ही हो पाता था. 

"अरमान ,तुझे वरुण के बारे मे मालूम चला या नही..."कॉलेज से बाहर निकलते ही अरुण अचानक रुक गया

"क्यूँ मर गया क्या वो..."मैने पुछा..

"नही बे, वो उसको 7 साल हो गये थे ना तो उसे कॉलेज से निकल दिया गया है...अब वो कॉलेज नही आ सकता और इस साल उसका लास्ट चान्स है यदि वो इस साल भी पेपर क्लियर नही कर पाया तो उसपर एनएफटी लग जाएगा बोले तो नोट फॉर टेक्निकल..."

"ऐसा भी होता है क्या..."

"बिल्कुल होता है, अब कॉलेज वाले ज़िंदगी भर तो उसको यहाँ रखेंगे नही..ज़रा सोच उसकी क्या धाँसू बेज़्जती होने वाली है..."

"होने दे,अपने को क्या..."
.
थोड़ी देर बाद हम दोनो हॉस्टिल के बाहर पहुच गये और मैं इस साल के लिए नये-नये प्लॅन्स और स्ट्रॅटजी बनाने मे बिज़ी था कि अरुण की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी...

"क्यूँ बे साले ,कल्लू...कंघी चोर बोसे ड्के...इधर आ"अरुण ने हॉस्टिल से बाहर निकलते हुए उस कंघी चोर कल्लू को अपने पास आने के लिए कहा और जब वो हमारे पास आ गया तो अरुण फिर से शुरू हो गया"एक तो साले झान्ट के जैसी शकल है तेरी और उसपर तू कंघी चोरी करता है लवडे..वो भी अपने इन मुड़े-मुड़े बालो के लिए,जो मेरे झान्ट से भी ज़्यादा मुड़े हुए है...."

"तेरे से तो हॅंडसम ही दिखता हूँ..."झुझलाते हुए कल्लू ने कहा...

"लवडा दिखता है मेरा तू. बेटा यदि मेरे लंड और तेरी शकल को एक साथ देखा जाए तो मेरा लंड ही खूबसूरत दिखेगा....चल निकल यहाँ से,कंघी चोर..."

उस कल्लू को शायद ये डर था कि कही हम दोनो उसे पेल ना दे क्यूंकी लास्ट एअर हमने जो कारनामा किया...उसे देखते हुए ये तो हमारे बाए हाथ खेल था.इसलिए कल्लू चुप-चाप जिस काम के लिए निकला था उसी काम को करने के लिए वहाँ से आगे बढ़ गया....

"सुन बे..."अबकी बार मैने उसे आवाज़ दी"आते समय सिगरेट का एक डिब्बा लेते आना वरना चोद-चोद कर गोरा कर दूँगा..."
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हम दोनो का रौब देखते हुए कल्लू ने हां मे अपना सर हिलाया और वहाँ से हमारे पास से आगे बढ़ गया...लेकिन तभी मुझे मेरा प्लान नंबर. 2 याद आ गया. मैने कल्लू को वापस बुलाया और उसे सॉरी कहकर सिगरेट लाने के मना कर दिया.मेरी इस हरकत पर जहाँ उस कल्लू की खुशी का ठिकाना नही था वही दूसरी तरफ मेरा खास दोस्त मुझे बेधड़क सुनाए जा रहा था और बार-बार मुझसे यही पुच्छ रहा था कि "जब फ्री मे सिगरेट मिल रही थी तो मैने मना क्यूँ कर दिया...."

"समझा कर,कभी कभार नेक काम भी कर लेना चाहिए...."

"तू बेटा,अब मुझसे तब तक बात मत करना,जब तक तू मेरे लिए सिगरेट का पॅकेट नही ले आता..."अपने पैर पटकते हुए अरुण वहाँ से अकेले हॉस्टिल के अंदर घुस गया....
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मैने कल्लू को सिगरेट लाने के लिए मना इसलिए किया था क्यूंकी मुझे अचानक मेरा प्लान नंबर. #2 याद आ गया था ,जिसके अनुसार"क्विट स्मोकिंग आस अर्ली ऐज पासिबल..."

अब सिगरेट और दारू की लत तो एक दम से तो छूट नही सकती इसलिए मैने डिसाइड किया कि...धीरे-धीरे करके स्मोकिंग भी छोड़ दूँगा और दारू भी....
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वहाँ से मैं बिना हॉस्टिल गये ,दुकान की तरफ बढ़ा और सिगरेट की एक पॅकेट लेकर ही हॉस्टिल मे आया...रूम मे पहुचा तो देखा कि वहाँ तो पूरी मंडली जमा हुई है और सब भाई लोग किसी टॉपिक पे वाद-विवाद कर रहे थे...

"ले बे थाम..."अरुण के मुँह पर सिगरेट का पॅकेट फैंकते हुए मैने पुछा"और ये महाभारत क्यूँ छेड़ रखा है..."

"अरमान भाई ,आप पहले ये बताओ कि विभा आपको कैसी लगती है..."उस मंडली मे अपना राजश्री भी शामिल था और जब उसने मुझसे ये पुछा की विभा मुझे कैसी लगती है तो मैं फ़ौरन समझ गया कि इनके वाद-विवाद का टॉपिक विभा ही है...

"माल लगती है ,क्यूँ "

"अरे माल तो वो सबको लगती है अरमान भाई...मेरे पुछने का मतलब था कि उसका नेचर किस तरह का है..."

"ह्म...ठीक-ठाक तो है,बस स्टूडेंट्स पर वर्क लोड ज़्यादा दे देती है कभी-कभी..."

"अरे अरमान भाई ,आप अभी भी नही समझे..."

"अबे तो तू ही बता दे कि सही आन्सर क्या है और लवडे तुझे कोई काम धाम नही रहता क्या जो जब देखो मेरे ही रूम मे घुसे रहता है..."

"मुझे तो विभा मॅम रंडी लगती है...अरमान भाई..."राजश्री ने अपने दाँत दिखाए ,जो राजश्री खाने के कारण लाल हो गये थे.
.
प्लान नंबर #1 -रेस्पेक्ट युवर टीचर्स....

मेरे कान मे जैसे ही ये आवाज़ गूँजी और मैने तुरंत ना मे सर हिलाकर उन सबको फ़ौरन वहाँ से जाने के लिए कहा....

"अपुन अभिच चला जाएगा...लेकिन पहले सौरभ भाई ये बताएँगे कि कौन जीता...."बोलते हुए राजश्री पांडे ने अपना रुख़ सौरभ की तरफ किया....

"तमाम सबूतों और गवाहॉ को मद्देनज़र रखते हुए ये अदालत इस नतीजे पर पहुचि है कि राजश्री के साथ ज़्यादा लड़को का समर्थन होने कारण विभा को रंडी और राजश्री और अरुण को ये अदालत विजेता घोसित करती है...जो लौन्डे इस डिबेट मे हार गये है उन्हे ये अदालत अभी तुरंत यहाँ से खिसकने का हुक़ुम देती है."
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"विभा रंडी नही है बे,तुम लोग ना किसी के बारे मे भी कुच्छ भी बोलते रहते हो..."सबके जाने के बाद मैने अरुण से कहा..

"तू जब से घर होकर आया है,तब से मैं अब्ज़र्व कर रहा हूँ की तेरा रंग बदलता जा रहा है.."

"अबे अरुण ,अब यदि तू अपनी गर्लफ्रेंड को पटा कर ठोकेगा तो क्या तुझे सब रन्डवा कहेंगे...तो फिर तुम लोग विभा को रंडी क्यूँ बोल रहे हो,उसने तो सिर्फ़ वरुण का ही लिया है...इसमे वो रंडी कहाँ से हो गयी..."

मेरे मुँह से ये सब सुनकर सौरभ और अरुण बुरी तरह चौक गये ,उन्हे यकीन ही नही हो रहा था कि मेरे जैसा लौंडा विभा को रेस्पेक्ट दे रहा है....

"वो सब तो ठीक है...लेकिन क्या तू मुझे ये बताएगा कि तू आज उसकी साइड क्यूँ ले रहा है..."

अरुण के इस सवाल ने मुझे सोचने के लिए मज़बूर कर दिया ,मैं विभा की साइड क्यूँ ले रहा हूँ...क्यूंकी मेरे प्लान नंबर. #1 के मुताबिक़ मुझे सिर्फ़ क्लास मे टीचर्स को रेस्पेक्ट देना था...फिर विभा का मामला आते ही मैं इतना उत्तेजित कैसे हो गया ?

"तुम दोनो चुप रहोगे बे, मैं अभी पढ़ाई कर रहा हूँ..."

रात को 7 बजे जब पढ़ने लिखने का मूड हुआ तो मैं बुक खोलकर बैठ गया और अभी 7 से 8 बज चुके थे...लेकिन अभी तक एक घंटे मे मैं सिर्फ़ एक पॅरग्रॅफ पढ़ पाया था,जिसका कारण ये था कि अरुण और सौरभ कॉलेज की अपनी बहूदी बाते कर रहे थे...शुरू मे अरुण उसे बताने लगा कि आज लॅब मे क्या हुआ और जब वो चुप हुआ तो सौरभ शुरू हो गया....उन दोनो की जब लॅब की बाते ख़त्म हुई तो आज खाने मे क्या मिलेगा इसपर दोनो बहस करने लगे.....

"लवडो, भागो यहाँ से.."गुस्से से किताब बंद करते हुए मैं उठ खड़ा हुआ...

"अबे अरमान, तू भी क्या अभी से किताब खोलकर पढ़ने बैठ गया ,असली इंजिनीयर्स तो रात को 12 बजे के बाद पढ़ाई करते है और वैसे भी पढ़ने लिखने से किसका भला हुआ है...." ठंडे लहजे मे सौरभ ने कहा ,जिसका अरुण ने भी समर्थन देते हुए कहा"तू बेटा, किसी तांत्रिक के पास जाकर झाड़-फूक करा...तुझे पक्का किसी किताबी कीड़े की नज़र लग गयी है...इसीलिए तू आजकल सरिफो वाली हरकते करने लगा है..."

"सोच ले अरुण...क्यूंकी यदि आज मैने नही पढ़ा तो कल की लॅब मे तुझे कौन आन्सर बताएगा और कुच्छ लड़के तो ये भी बोल रहे थे कि कल शायद होड़ सर भी मौज़ूद होंगे वहाँ लॅब मे..."

"सच... "

"तुझे तो पता ही है की मैं कभी झूठ नही बोलता "
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12-15-2018, 01:12 AM,
#78
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
अरुण अपना सर खुजाते हुए कुच्छ देर तक किसी सोच मे डूबा रहा और फिर वो भी फाइल पकड़ कर लिखने बैठ गया बोले तो अब मैं और अरुण एक दम शांत थे. 

"मारो सालो...अभी तो मस्ती के दिन है...जब ये दिन निकल जाएँगे तब रोते रहोगे कि काश...काश वो एक दिन फिर से आ जाए,जब दोबारा से वही थर्ड क्लास की लाइफ जीने का मज़ा लिया जा सके..."तेज तर्रार तेवर मे हम दोनो को बोलते हुए सौरभ वहाँ से बाहर निकल गया और मैं और अरुण एक दूसरे का मुँह तकने लगे....

"भाड़ मे जाए..."बोलते हुए मैने वापस से सीसी की बुक खोली और दूसरे पेराग्राफ से रीडिंग शुरू की....

"गान्ड मराए ..."बोलते हुए अरुण भी फाइल कंप्लीट करने मे बिज़ी हो गया....
.
मैं जानता था कि यदि सौरभ और अरुण मे से किसी एक को अपनी तरफ करना हो तो सबसे पहले अरुण पर जाल फेकना चाहिए क्यूंकी अरुण थोड़ा भोला किसम का था और यदि उसे किसी चीज़ के लिए डरा दिया जाए तो वो थोड़ा-थोड़ा डरने भी लगता था...जैसा कि मैने अभी कुच्छ देर पहले होड़ का डर उसके दिल मे बिठा दिया,जिसकी वजह से वो इस समय फाइल कंप्लीट कर रहा था. आक्च्युयली मुझे पहले से ही मालूम था कि सौरभ और अरुण ,मेरी स्टडी मे काँटे की तरह चुभेंगे


इसलिए मैने पहले से ही तय कर रखा था कि अरुण को किसी तरह से मनाकर अपने साइड मे करना है और इसीलिए मैने आज सीसी की लॅब मे अरुण को अपनी कॉपी थमा दिया था...जिससे वो बाद मे मेरा साथ दे. सीसी की लॅब के बाद अरुण को थोड़ा-थोड़ा यकीन हो चला था कि क्लास मे या फिर लॅब मे ,उससे जब भी कोई सवाल पुछा जाएगा तो मैं उसे उस सवाल का जवाब देकर उसकी इन्सल्ट होने से बचा लूँगा...लेकिन उन सवालो के जवाब देने के लिए मुझे पेलम-पेल पढ़ाई करनी थी...जो कि मैं इस वक़्त मन लगाकर कर रहा था.....
.
"अबे ये लवडी पढ़ा रही है या रेप कर रही है...साला 12 घंटे फुल नींद लेकर आया हूँ,लेकिन इसको देखकर ऐसा फील हो रहा है कि यही पर सो जाउ...फला इतनी नींद तो मुझे तब भी नही आई होगी जब बचपन मे मेरी माँ मुझे लोरिया सुनाकर सुलाती थी...."विभा मॅम की क्लास मे कहर धाते हुए अरुण ने कहा और अपना कहर जारी रखते हुए वो बोला"अरमान ,एक काम करते है...मैं ना इसकी आवाज़ को रेकॉर्ड कर लेता हूँ और रात को जब नींद नही आएगी तो हेडफोन फँसाकर इसका लेक्चर सुनेंगे...मैं गारंटी देता हूँ इसकी आवाज़ सुनने के बाद सॉलिड नींद आएगी..."

"चुप कर गान्डु,वो तुझे ही देख रही है..."

"इसको मेरा लंड चाहिए इसीलिए सारा पीरियड भर मुझे लाइन देती रहती है ,कुतिया,साली..."

"ऐसा मत बोल बे,थोड़ा सा तो रेस्पेक्ट दे...टीचर है वो अपुन की..."

"अरे लंड मेरा...इससे अच्छा तो मैं पढ़ा लूँगा और बीसी ये रिसेस क्यूँ नही हो रहा आज"
.
अरुण की खुन्नस देखकर मैं समझ गया कि उसे इस समय समझाना बेकार है इसलिए मैं अरुण से थोड़ा खिसक कर बैठ गया,ताकि विभा मॅम जब हमारी तरफ नज़र मारे तो उसे ये ना लगे कि अरुण के साथ मैं भी बात कर रहा हूँ....

"अरमान तूने वरुण के बारे मे सुना क्या..."जमहाई मारते हुए अरुण मेरी तरफ खिसका"उसपर एनएफटी लग गया है ,एनएफटी बोले तो..."

"नोट फॉर टेक्निकल...आइ नो, तूने ही कल बताया था...अब जहाँ से खिसका है वापस वही पहुच जा..."अरुण से थोड़ी दूरी और बनाते हुए मैने कहा....

क्लास ख़त्म होने मे या फिर कहे कि रिसेस होने मे जब थोड़ा समय बाकी था तो विभा मॅम ने अरुण को खड़ा किया और लास्ट क्वेस्चन का आन्सर पुछा....

"56.68 केएन..."धीरे से मैने कहा और फिर अरुण ने यही आन्सर ज़ोर से कहा....जिसके बाद सारे स्टूडेंट्स का मुँह फटा का फटा रह गया...खुद विभा मॅम कुच्छ देर के लिए शॉक्ड हो गयी थी.....
.
आख़िरकार वो वक़्त आ ही गया,जब रिसेस की घंटी बजी और मेरे खास दोस्त अरुण के जान मे जान आई...

"अच्छा हुआ,जो क्लास छूट गयी,मेरी तो भूख के मारे गान्ड ही फट गयी है...चल कुच्छ चरकर आते है हॉस्टिल से."

"भूख तो अपुन को भी लगी है..चल"

अभी हम दोनो हॉस्टिल जाने के लिए क्लास से निकले ही थे कि स्टूडेंट्स की भारी भीड़ देखकर हम दोनो रुक गये...उस भीड़ मे बहुत से स्टूडेंट्स ने किसी को घेर रखा था और अपना नाम, अपनी ब्रांच के साथ चिल्ला-चिल्ला कर बता रहे थे....

"तू रुक,मैं देख कर आता हूँ..."बोलते हुए अरुण कुच्छ देर के लिए उस भीड़ मे शामिल हो गया...

अरुण जब वापस लौटा तो उसका चेहरा एक दम खुशी के मारे ऐसे खिला हुआ था जैसे की कॉलेज की किसी लड़की ने उसे अपनी चुदाई करने का ऑफर दे दिया हो 

"क्या हुआ बे,इतना काहे खुश है..."

"लौन्डे लोग पिक्निक प्लान बना रहे है..."

"साले गेज़ कही के..."

"अबे लौंडिया भी जाएँगी उस पिक्निक मे...सोच साला कितना मज़ा आएगा. तू देखना अरमान 10-12 माल तो मैं यूँ चुटकी बजाकर पटा लूँगा...."

"क्या कहा तूने ,लड़किया भी जाएँगी "

"यस तू बोले तो अभिच अपना,तेरा,सौरभ और सुलभ का नाम एंट्री करवा दूं क्या..."

"हां...जा जल्दी जाके एंट्री करवा..."अरुण को धक्का देते हुए मैने कहा...लेकिन फिर अचानक मुझे मेरे थर्ड प्लान की याद आई .

"प्लान नो. #3-स्टे अवे फ्रॉम गर्ल्स...."

जिसका सॉफ मतलब था कि मुझे पिक्निक मे नही जाना चाहिए 

जिनके घर तूफान मे तबाह हो जाते है और जब वो दोबारा अपना घर बासाते है तो मेरे ख़याल से उनके दिल और दिमाग़ मे उस तूफान का डर बैठा रहता है कि कही एक बार फिर से कोई तूफान आकर उनके घर को बर्बाद ना कर दे...ये डर उनके जेहन मे ज़िंदगी भर के लिए बैठ जाता है की कही फिर से कोई आँधी और तूफान ना आ जाए...

और ऐसा ही कुच्छ-कुच्छ इस समय मुझे लग रहा था. मैं निशा के साथ एक पार्क मे बैठा हुआ था और यही सोच रहा था कि 8त सेमेस्टर की कहानी किस्मत दोबारा ना दोहरा दे. दोबारा अपना घर बसाने वाले की तरह मेरे दिल मे उस तूफान का डर था,जो 8थ सेमेस्टर मे आया था.
.
"अरमान...तुमने अभी तक बताया नही कि मैं कैसी लग रही हूँ..."अपने उंगलियो से मेरे हाथ को सहलाते हुए निशा पुछि

"एक दम धाँसू..."बोलकर मैं चुप हो गया...

मुझे चुप देखकर निशा एक बार फिर मुझे अजीब नज़रों से देखने लगी.

"क्या हुआ ? तुम मुझसे बात क्यूँ नही कर रहे और ये एक-एक लाइन बोलकर खो कहाँ जाते हो..."निशा बोली. वो अब भी मेरे हाथ को सहला रही थी.

"अंकल जी की तबीयत कैसी है अब...."निशा ने जब मेरा हाथ सहलाते हुए अपना नाख़ून गढ़ाया तो मैं अपने ख़यालात से बाहर आया.

"ये तुम लगातार तीसरी बार पुच्छ रहे हो कि ,डॅड की तबीयत कैसी है...सो बोरिंग "

"अच्छा..."निशा की तरफ अपना चेहरा करते हुए मैने कहा"यदि ऐसा है तो फिर कुच्छ इंट्रेस्टिंग करे..."

"नो...नो...नो"

"यस...यस...यस "

"अरे वो सब करने के लिए ये सही जगह नही है..."मुझे दूर धकेलते हुए निशा बोली"एक बात पुच्छू..."

"क्या..."

"पहले प्रॉमिस करो कि बुरा नही मनोगे...."

"ओये...ये पकाऊ लड़कियो वाली हरकत मत कर मतलब कि जो पुच्छना है पुच्छ और वैसे भी बुरा वो मानता है जिसके पास ......."बोलते हुए मैं बीच मे ही रुक गया
.
"वो तुम्हारे मोबाइल मे एक वीडियो है,जिसमे तुम एक लड़की से अजीब सी लॅंग्वेज मे कुच्छ कह रहे हो और फिर वो लड़की ,जो तुमने कहा है,उसे रिपीट करती है लेकिन वो बार-बार ग़लत बोलती है जिसके बाद तुम अपना सर पकड़ लेते हो और फिर एक कागज मे उसे क्या बोलना है ,वो लिखकर देते हो...."

"वो...वो कुच्छ नही है,वो तो बस ऐसे ही कॉलेज की एक फ्रेंड थी...जिसे मैं तीन अलग-अलग लॅंग्वेज मे सॉरी बोल रहा था...."बड़ी आसानी से बिना एक पल हिचकिचाए मैने,निशा से तुरंत झूठ बोल दिया...क्यूंकी सच बताने पर वो और भी बहुत कुच्छ पूछती या फिर कहे कि सब कुच्छ पूछती....

"अरमान...."

"यस..."निशा के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे अपने पास लाते हुए मैने कहा...

"अरमान , मुझे मालूम है कि तुम उस लड़की को सॉरी नही बल्कि आइ लव यू बोल रहे थे...."

इतना बोलकर निशा चुप हो गयी और मेरी तरफ मासूम सी नज़रों से देखने लगी और मैं उसकी मासूम सी आँखो मे देखते हुए एक नया बहाना ढूँढ रहा था और फिर मुस्कुराते हुए मैने कहा....

"ऐसा कुच्छ भी नही है,आक्च्युयली उस दिन मैने अपने एक दोस्त से शर्त लगाई थी कि मुझे उस वीडियो वाली लड़की को आइ लव यू बोलना है और वो लड़की मेरे आइ लव यू बोलने पर बिल्कुल भी नाराज़ ना हो....इसलिए मैने तीन अलग-अलग लॅंग्वेज मे उसे आइ लव यू बोला जिसकी भनक उस लड़की को नही लगी और मैं शर्त जीत गया.."

"ओह ! टू फन्नी...गुड ट्रिक टू से आइ लव यू तो सम्वन...मुझे भी तुम वो तीन लाइन्स बोलो और फिर मैं उन्ही तीन लाइन्स को रिपीट करूँगी..."

"क्या बात है बड़े ही रोमॅंटिक मूड मे लग रही है "

"अरे तुम बोलो ना..."
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12-15-2018, 01:12 AM,
#79
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
मैं कुच्छ देर चुप रहकर उन तीन लाइन्स को याद करने लगा और जब मेरे ध्यान मे वो तीनो लाइन्स आ गयी तो मैने कहा जिसके बाद निशा ने उन्ही तीन लाइन्स को रिपीट किया...आख़िरी लाइन बोलते हुए निशा इतनी ज़्यादा खुश हो गयी कि उसने मुझे गले लगा लिया और मैं....मेरा क्या ,मैं तो हमेशा ही इन सब कामो के लिए तैयार रहता हूँ 
.
निशा को कसकर पकड़े हुए मेरा दिमाग़ एक बार फिर घुमा और मैं फिर से कुच्छ सोचने लगा बिना इसकी परवाह किए कि निशा मुझसे कुच्छ कह रही है...और पहले कि तरह इस बार भी मैं होश मे तब आया जब निशा ने अपना नाख़ून मेरे पीठ पर गढ़ाया....

"तुम उस वीडियो वाली लड़की से प्यार करते थे ना..."मुझसे दूर होते हुए निशा ने मेरी आँखो मे देखा....

पहले की तरह वो अब भी एक दम मासूम सी लग रही थी और पहले की तरह मैं फिर से उसकी आँखो मे आँखे गढ़ाए कोई बहाना ढूँढ रहा था....

"इट'स ओके, मुझे कोई प्राब्लम नही...वैसे उस लड़की का नाम क्या था..."

"एश..."बिना एक पल गवाए मैने कहा..

"वो तुम्हारे लायक नही लगती ,बिल्कुल भी नही....उसकी शकल देख कर कोई भी बता सकता है कि वो एक जिद्दी और घमंडी लड़की है,अच्छा ही हुआ जो वो अब तुम्हारे साथ नही है..."

निशा का एश के बारे मे ऐसा कहने पर मैं समझ गया कि वो एश से जल रही है और इसीलिए उसने कुच्छ देर पहले तीन अलग-अलग लॅंग्वेज मे मुझसे ठीक उसी तरह 'आइ लव यू' कहलवाया...जैसा कि एक जमाने मे मैने एश से कहा था...निशा की इस जलने वाली हरकत पर मैं दिल ही दिल मे मुस्कुराया और बोला...

"निशा एक बात बता, तुझे मालूम कैसे चला कि मैने एश को सॉरी नही बल्कि 'आइ लव यू' कहा था..."

"गूगल मे सर्च किया और रिज़ल्ट सामने आ गया...बहुत इंटेलिजेंट हूँ ना मैं..."

"ह्म्म..."कहते हुए मैने निशा को पकड़ा और पार्क मे जैसे दूसरे कपल कर रहे थे ,वैसा ही मैने भी किया और निशा के होंठो को अपने होंठो मे ले लिया....
.
कभी-कभी ज़िंदगी मे किसी एक के लिए अहमियत इतनी ज़्यादा हो जाती है कि दुनिया भर के सारे नियम,क़ायदे-क़ानून एक तरफ और वो एक तरफ....वो इंसान वही करता है जो उसका दिल कहता है...इस समय मैं निशा को किस कर रहा था ,लेकिन मेरा दिमाग़ एक बार फिर से अतीत मे जा पहुचा.जहाँ मैने शुरू-शुरू मे अपने प्लान के अकॉरडिंग चलते हुए पिक्निक पर जाने से मना कर दिया था,लेकिन जैसे ही मुझे पता चला कि एश उस पिक्निक मे जा रही है तो मेरे ही द्वारा बनाए गये मेरे ही सारे क़ायदे-क़ानून मुझे ग़लत लगने लगे और मैने पिक्निक मे जाने के लिए हामी भर दी.....

.
पता नही मैं पिक्निक पर जाने के लिए कैसे मान गया,जबकि मुझे मालूम था कि मेरे ऐसा करने पर मेरे तीनो प्लान ,जिनका पालन करना मेरे लिए उस वक़्त बेहद ज़रूरी था,वो बेकार हो जाएँगे...लेकिन फिर भी मैं गया और अपने होंठो मे मुस्कान और दिल मे नये-नये अरमान लेकर गया....
.
"आज तुम थोड़ा अजीब बर्ताव कर रहे हो..."मेरे कान के पास निशा ने धीरे से कहा"कोई प्राब्लम है क्या..."
निशा की आवाज़ सुनकर मैं जैसे अपनी बीती दुनिया से वापस आया 
"नही...कोई प्राब्लम नही है,एवेरीथिंग ईज़ ओके..."

"तुम्हे देखकर तो ऐसा नही लगता..."

"दिमाग़ का इलाज करवा,आज तू कुच्छ ज़्यादा ही सोच रही है और अब चल रात होने वाली है...कहीं ऐसा ना हो कि अंकल जी हम दोनो को रास लीला करते हुए देख ले और मेरी खटिया खड़ी कर दे..."

"डॅड हमे नही देख पाएँगे..."एक दम से बहुत ज़्यादा खुश होते हुए वो बोली"उनकी तबीयत अब भी थोड़ी डाउन है..."

"कमाल है यार, तू अपने ही डॅड की तबीयत खराब होने पर खुश हो रही है..."

ये बात मैने निशा को कुच्छ ऐसे कहा जैसे कि मैं उसे धिक्कार रहा हूँ, जैसे की उसने बहुत ही बड़ा गुनाह कर दिया हो...और मेरे ऐसे आक्षन पर उसका रिक्षन कुच्छ यूँ था....

सबसे पहले उसकी आँखे टाइट हुई,गाल गुस्से के कारण लाल हो गये और माथे पर सलवटें पड़ गयी...

"मेरे कहने का मतलब वो नही था...जो मतलब तुमने निकाला..तुम ऐसा कैसे कह सकते हो.."

"देख अब जो बोल दिया ,सो बोल दिया...तू आक्सेप्ट कर ले कि तू ससुरजी की तबीयत खराब होने से बहुत ज़्यादा खुश है..."निशा को और जलाने के लिए मैने कहा और खड़ा हुआ...

"अरमान,मैं बोल रही हूँ ना कि मेरा वैसा मतलब नही था...मैं तो सिर्फ़ तुम्हे ये बताना चाह रही थी कि डॅड हम दोनो को नही देख सकते..."बोलते हुए निशा भी ताव मे खड़ी हो गयी

"अरे मान ले ना अपनी ग़लती,मैं थोड़े ही तेरे बाप को बताने जाउन्गा..."

"क्या...तुमने मेरे डॅड को बाप कहा..तुम ऐसा कैसे कह सकते हो, ही ईज़ माइ फादर..."

"मैने ऐसा कब कहा...तेरे कान बज रहे है...डॉक्टर के पास जाकर अपने दिमाग़ के साथ-साथ अपने कान का भी चेक अप करवा लेना...."

"आइ हेट यू..."दूसरी तरफ घूम कर वो बोली...

"खा माँ कसम कि यू हेट मी... "

"मैं आज के बाद तुमसे कभी बात नही करूँगी..."

"ऐसा क्या...फिर ,वापस कर मेरा मोबाइल...ख़ामखा मेरा दस हज़ार के मोबाइल को बोर करेगी..."निशा की तरफ हाथ बढ़ाते हुए मैने कहा...

"लो...आइ हेट यू..."मेरे हाथ मे मेरा मोबाइल देकर निशा वहाँ से जाने लगी....
.
शुरू मे लगा कि अपना मोबाइल सीधे जेब मे डालकर यहाँ से चलता बनू,लेकिन फिर जैसे दिल ही नही माना कि निशा बिना मोबाइल के रहे...

घमंड और अहम तो मुझमे कूट-कूट कर भरा था,लेकिन उस एक पल मे ना जाने मुझे क्या हुआ की मैं पार्क से बाहर जाते हुए निशा की तरफ लपका और उसके ठीक सामने जा खड़ा हुआ...लड़कियो की बात-बात पर रूठ जाने की यही अदा तो साली दिल चीर देती है 

"किधर जा रेली है ,आइटम...चलती क्या कोने मे ..."

"हटो मेरे सामने से..."दूसरी तरफ देखते हुए निशा ने कहा...उसका गुस्सा अब भी उसकी नाक पर फुल जोश के साथ सवार था...

"मज़ाक कर रहा था यार,तू भी ना हर छोटी से छोटी बात को दिल पे ले लेती है..."उसकी हाथ मे मोबाइल रखते हुए मैने सॉरी कहा...

"इट'स ओके..."हल्के गुस्से के साथ वो बोली....
.
जिस पार्क मे मैं और निशा कुच्छ देर पहले बैठकर बाते कर रहे थे,वो पार्क हमारी कॉलोनी के अंदर ही बना हुआ था. वरुण के किसी काम पर जाने के बाद मैने निशा को कॉल किया तो पता चला कि वो एक दम फ्री है मतलब कि उसके डॅड की तबीयत खराब होने की वजह से वो बिस्तर पर पड़े है,इसलिए वो अपनी माँ से कोई ना कोई बहाना मारकर मुझसे मिलने आ सकती है...जिसके बाद हम दोनो आधे घंटे के अंदर ही पार्क मे पहुच गये थे.
.
"वरुण अभी तक नही आया..."रूम के अंदर आते ही मैने अरुण से पुछा, जो कि वरुण के लॅपटॉप मे कोई मूवी देख रहा था....
"पता नही..."

"तू जाकर खाना बना..."कहते हुए मैने उसकी आँखो के सामने से लॅपटॉप को हटाया और बोला"साले,कुच्छ काम-धाम नही है क्या...जो इतने दिन बीत जाने के बावजूद यही पड़ा है..."

"दो-तीन दिन और रुक जा लवडे,फिर मैं खुद यहाँ से चला जाउन्गा..."

"जल्दी से जा बे,फालतू मे हमारा खर्चा बढ़ा रहा है.."
.
खर्चा शब्द सुनते ही अरुण एक झटके मे उठा और सीधे मेरे उपर कूद पड़ा,लेकिन तभी हमारे रिपोर्टर साहब ने एंट्री मारी....

"अरमान...एक लड़का तेरा अड्रेस पुच्छ रहा था..."

"मेरा अड्रेस..."अरुण को दूर फैंकते हुए मैने वरुण की तरफ अपना रुख़ किया"कौन था वो ? "

"पता नही...कॉलोनी के बाहर एक ने मेरी कार रुकवाई और पुछा कि अरमान कहाँ रहता है..."

"और फिर..."

"फिर क्या,मैने उसे उल्टा सीधा अड्रेस बता दिया क्यूंकी मुझे लगा कि इससे तेरी प्राइवसी को ख़तरा है..."

"अबे उल्लू...इस पूरी कॉलोनी मे मैं क्या अकेला ही अरमान हूँ...ये भी तो हो सकता है कि वो किसी दूसरे अरमान के बारे मे पुच्छ रहा हो..."

"पता नही...बाकी तू समझ...मुझे जो करना था,वो मैने कर दिया"सोफे पर गिरते हुए वरुण ने मुझसे कहा"अरमान फिर पिक्निक मे क्या हुआ ,मेरा मतलब कि वहाँ कोई धमाल किया या ऐसे ही लंड पकड़ कर वापस आ गये...."

"पिक्निक..."मुस्कुराते हुए मैने कहा"पिक्निक का नाम तो बस कॉलेज स्टाफ के लोगो और स्टूडेंट्स के पेरेंट्स को दिखाने के लिए दिया गया था..असलियत तो कुच्छ और थी"

"क्या कॉलेज के टीचर्स भी साथ थे..."

"अबे स्कूल समझ रखा है क्या,जो टीचर्स साथ रहेंगे..."

जो दिन पिक्निक के लिए तय हुआ था, वो दिन आते-आते तक कॉलेज के लौन्डो का प्लान पिक्निक से बदल कर 2-3 दिन के कॅंप की शकल ले चुका था जिससे बहुत से स्टूडेंट ने अपना नाम वापस ले लिया. क्यूंकी जो स्टूडेंट्स हॉस्टिल मे रहते थे उन्हे तो कोई प्राब्लम नही थी,लेकिन जो स्टूडेंट्स लोकल थे ,उनमे से अधिकतर के माँ-बाप ऑर केर्टेकर ने उन्हे 2-3 दिन घर से बाहर रहने की अनुमति नही दी और इस पर हमारे कॉलेज के प्रिन्सिपल ने फाइनल एअर के स्टूडेंट्स पर बॅन लगाकर चार-चाँद लगा दिए...जिसका नतीजा ये हुआ कि जहाँ पहले 4 बस बुक करने का प्लान था वहाँ कॅंप के लिए रवाना होने वाले दिन तक आते-आते बस की संख्या चार से कम होकर सिर्फ़ दो रह गयी....इतना सब कुच्छ होने के बावजूद मुझे कोई फ़र्क नही पड़ा,क्यूंकी मेरे साथ मेरे सारे दोस्त जा रहे थे. जिस दिन हमे कॅंप के लिए रवाना होना था, उसके एक दिन पहले हमारे प्रिन्सिपल ने एक और धमाका किया,जिसकी खबर मेरे खास दोस्तो मे शुमार सुलभ ने दी....सुलभ पिछले दो दिन से अपने रूम ना जाकर हमारे हॉस्टिल मे ही पड़ा था,जिसकी वजह से कयि बार मेरी और अरुण की वॉर्डन से बहस भी हो चुकी थी.सुलभ ने एक रात पहले बताया कि प्रिन्सिपल ने हमारे साथ गर्ल्स और बाय्स हॉस्टिल के वॉरडन्स को जाने के लिए कहा है....
.
"इस बीसी ,प्रिन्सिपल ने सारे इंटेन्षन पर मूत दिया...अब ये चोदु वॉर्डन हमारे साथ कॅंप पर जाकर क्या करेंगे....."सिगरेट के पॅकेट से आख़िरी सिगरेट निकाल कर अरुण ने पॅकेट ज़ोर से रूम के बाहर फैंकते हुए कहा.

"करेंगे क्या साले....बस दिन भर हमे इन्स्ट्रक्षन देते रहेंगे कि ,ये मत करो,वो मत करो...."अपने बॅग मे अपना समान भरते हुए सौरभ बोला"मेरा वश चले तो सालो का वही मर्डर कर दूं.."

"मुझे तो इसकी फिक्र हो रही है कि ये वॉरडन्स ,हमे दारू नही पीने देंगे "उदास सा चेहरा बनाते हुए मैने भी अपना बॅग आल्मिराह के उपर से निकाला और पॅकिंग करने लगा....
.
"एक और बुरी खबर है या फिर कहे तो सबसे बुरी खबर है..."सुलभ ने फिर कहा,जिसके बाद हम तीनो वो दूसरी बुरी खबर सुनने के लिए उसका मुँह तकने लगे.

"बोसे ड्के,दूसरी बुरी खबर बताएगा या फिर कोर्ट का नोटीस भेजू तब बकेगा..."जब कुच्छ देर तक सुलभ बिना कुच्छ बोले हम तीनो को ही देखते रहा तो मैं चिल्लाया...

"प्रिन्सिपल ने इन्स्ट्रक्षन दिया है कि लड़के और लड़किया अलग-अलग बस मे बैठेंगे...."

"दाई चोद दूँगा उस टकले की...."अरुण गुस्से से तनटनाते हुए भड़क उठा...

दिल तो मेरा भी किया कि अपने कॉलेज के प्रिन्सिपल को दिल खोलकर गालियाँ दूं ,लेकिन जब मैं ये सूभ काम करने के लिए मुँह खोल ही रहा था कि मेरा दिमाग़ मुझपर चिल्लाया"रेस्पेक्ट युवर टीचर्स..."

"अबे नही अरुण ,ऐसा नही बोलते...प्रिन्सिपल है अपना वो टकलू..और भूल मत कि गौतम वाले केस को दबाने मे उसने हम लोगो की कितनी हेल्प की थी....."ना चाहते हुए भी मैने अपने प्रिन्सिपल को इज़्ज़त देते हुए कहा....

मेरी बात मे दम था जिसका अहसास मुझे तब हुआ ,जब मेरे तीनो दोस्त मेरी बात सुनकर चुप हो गये और अपने समान की पॅकिंग करने मे लग गये....
.
Reply
12-15-2018, 01:12 AM,
#80
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"अरमान ,तेरा बॅग खाली है क्या..."

मैं आवाज़ की तरफ पलटा तो देखा कि अरुण अपने हाथ मे एक जीन्स को मोड़ कर खड़ा था.

"क्यूँ क्या हुआ..."

"ले मेरा ये जीन्स अपने बॅग मे डाल ले..."

मुझे अपना जीन्स देने के बाद ,अरुण ,सौरभ के पास गया और उससे भी वही सवाल पुछा,जो कुच्छ देर पहले उसने मुझसे पुछा था....जब सवाल सेम था तो आन्सर भी सेम ही होगा और ऐसा ही हुआ .

"बेटा मेरे बॅग मे जगह तो इतनी खाली है कि ,तुझे भी भर दूँगा...काम बोल"

"ले मेरा एक जीन्स और दो शर्ट रख ले...वो क्या है कि मेरा बॅग थोड़ा सा फटा हुआ है और मैं नही चाहता कि मेरी बेज़्जती हो जाए..."अपनी बकवास जारी रखते हुए अरुण बोला"तू खुद सोच बे, तुझे उस समय अच्छा लगेगा क्या...जब कॉलेज की लड़किया मुझे देख कर ये कहेंगी कि....अवववव, कॉलेज के सबसे डॅशिंग,स्मार्ट लड़के का बॅग फटा हुआ है.अववव...अवववव...."
.
"सब समान भर लिया अब चलो 2-3 वर्ल्डकप लेकर आते है...."पॅकिंग करने के बाद अंगड़ाई लेते हुए मैने एक लंबी जमहाई मारी...

"इतनी जल्दी क्या है बे...आराम से चलेंगे..वर्ल्डकप लेने"

" सब काम भले ही छूट जाए,लेकिन ये काम नही छूटना चाहिए...चल जल्दी "

"वर्ल्डकप "अपना दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए सुलभ ने पहले मेरी तरफ देखा और फिर जब उसे समझ आ गया कि मैं किस वर्ल्ड कप की बात कर रहा हूँ तो वो बोला"अबे ,दारू पियोगे तो पेला जाओगे...प्रिन्सिपल सस्पेंड कर देगा..."

"आइ लव दारू मोर दॅन माइ इंजिनियरिंग अब अपना मुँह बंद कर"
.
दूसरे दिन जब हम लोग हॉस्टिल से अपना-अपना बॅग लटकाए बाहर निकले तो राजश्री पांडे हमे हॉस्टिल के बाहर ही मिल गया...राजश्री को हॉस्टिल के बाहर देखते ही मैं समझ गया कि वो यहाँ इस वक़्त क्यूँ आया है....

"अरमान भाई,सौरभ भाई,अरुण भाई ,सुलभ भाई...अपुन को आप लोगो के साथ रहना है..."उसने कहा और सिगरेट का एक पॅकेट रिश्वत के तौर पर मेरे तरफ बढ़ा दी...

सिगरेट की एक फुल पॅकेट देखते ही मेरा दिल किया कि अभी अपना बॅग नीचे फेकू और सारे के सारे सिगरेट पी लूँ ,क्यूंकी पिछले एक दो दिनो से मैने सिगरेट को छुआ तक नही था...सिगरेट का पॅकेट लेने के लिए मैने अपना हाथ आगे बढ़ाया ही था कि मेरा 1400 ग्राम का ब्रेन मुझपर चिल्लाया"क्विट स्मोकिंग ऐज अर्ली ऐज पासिबल..." और फिर मैने राजश्री पांडे के हाथ से सिगरेट का पॅकेट लेकर अरुण को सौंप दिया.....

"ये क्या अरमान भाई,आप मुझसे नाराज़ हो क्या..."मेरी इस हरकत पर चौुक्ते हुए राजश्री पांडे ने पुछा...

जवाब मे मैं आगे बढ़ा और उसके कंधे पर एक हाथ रखकर अपना बॅग उसे पकड़ाया और बोला"नही रे पगले...तुझसे कैसी नाराज़गी ,तू तो भाई है अपना...वो तो आजकल मेरे ही दिन खराब चल रहे है...."
.
कॉलेज के ठीक सामने दो बस खड़ी थी, उसमे से एक बस के अंदर मैं और मेरी छोटी सी मंडली घुसी...हमने पहले से ही डिसाइड कर रखा था कि हम लोग किस सीट नंबर पर बैठेंगे.लेकिन जब बस के अंदर पहुँचे तो हमारी सीट पर वो कल्लू कंघी चोर एक हाथ मे चना लिए बैठा हुआ था...

"ओये चल सरक इधर से..."उसको देखकर मैने कहा और वो कल्लू अपना मुँह चलाते हुए खिड़की की तरफ खिसक गया...

"साले कंघी चोर, तुझे मैने खिड़की की तरफ सरकने के लिए नही कहा...मैने तुझे कहा कि सीट पूरी खाली कर..."

"तो फिर मैं कहाँ बैठू..."चने के एक और फेंक मुँह मे डालकर चबाते हुए वो बोला...

"साले मुझे देखकर,तुझे डर नही लगता क्या...बोला ना उठ यहाँ से..."

"तू कोई भूत है क्या, जो तुझसे डरूँ..."

"तेरी माँ की..."बोलते हुए मैने कल्लू को पकड़ा और खिचकर सीधे बाहर फेका"कंघी चोर,साला...मुझे ज़ुबान लड़ाता है..."

उस कल्लू कंघी चोर को बाहर फेकने के बाद मैं खिड़की की तरफ बैठा और कान मे हेडफोन फँसा कर अपनी आँखे बंद कर ली...

मैं बहुत कोशिश कर रहा था कि मुझे सिगरेट का ख़याल ना आए ,लेकिन जब से मैने अपनी आँखे बंद की थी...तब से मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ सिगरेट का वो पॅकेट नज़र आता...जो आज मुझे राजश्री पांडे ने दिया था और मैने अरुण को....
.
"अरमान भैया,थोड़ा साइड हटना तो..."मुझे साइड करके राजश्री पांडे ने अपना सर खिड़की से बाहर निकाला और गुटखे की पीक बाहर थूक कर एक दो लौन्डो को गालियाँ बाकी और वापस अपनी जगह पर ढंग से बैठ गया.....

"लवडे यदि एक और बार तूने मुझे साइड होने के लिए कहा तो बहुत पेलुँगा...."

"सॉरी ,अरमान भाई..."बोलते हुए राजश्री पांडे ने अबकी बार राजश्री अंदर ही निगल लिया....

आँखे बंद करके फिर से मैने कोशिश कि...कि सिगरेट का ख़याल मुझे ना आए लेकिन सिगरेट पीने की तलब ब समय के साथ लगातार बढ़ती ही जा रही थी और जब मुझसे कंट्रोल नही हुआ तो मैने बाहर जाकर चुप-चाप सिगरेट पीने की सोची....

"किधर जा रहा है बे..."

अरुण के इस सवाल पर मैने अपनी फिफ्थ फिंगर(पिंकी) उठा दी और बस से बाहर आकर सीधे हॉस्टिल की तरफ भगा....हॉस्टिल मे मैने दो सिगरेट सुलगाई और जब मन को ठंडक पहुचि तो हॉस्टिल से ठंडा पानी पीकर वापस कॉलेज की तरफ बढ़ा लेकिन मैं बस के करीब पहुचता उससे पहले ही मेरे सामने ब्लॅक कलर की एक लॅंड रोवर कार रुकी.

"एक दिन साला मेरे पास भी ऐसिच कार होगी..."उस चमचमाती हुई कार को देखकर मैने मन मे कहा....

उस ब्लॅक कलर की कार को देखकर मुझे ये अंदाज़ा तो हो गया था कि उसके अंदर बैठा हुआ शक्स करोड़पति है...लेकिन मुझे जोरदार झटका तब लगा,जब उस कार के अंदर से एश एक आदमी के साथ निकली....

"ओह तेरी...ससुर जी " 

एश के साथ जो आदमी था उसकी उम्र मेरे हिसाब से 45-50 के बीच रही होगी,इसलिए मैने अंदाज़ा लगा मारा कि हो ना हो ये रहीस बंदा एश के पॅपा जी है बोले तो अपुन के ससुर जी
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