Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
12-15-2018, 01:13 AM,
#81
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
. एश अपने डॅड के साथ सीधे कॉलेज के अंदर गयी तो मैने भी उनका पीछा किया और उन दोनो को प्रिन्सिपल के ऑफीस मे जाता देख समझ गया कि अंदर क्या बाते हो रही होगी...मेरे ख़याल से एश का बाप अंदर प्रिन्सिपल से एश के बारे मे बात कर रहा होगा कि उसकी नाज़ुक सी लौंडिया...ओह सॉरी मेरा मतलब है कि उसकी नाज़ुक सी बेटी को इस कॅंप मे कुच्छ नही होना चाहिए...वगेरह-वगेरह.
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एश अपने डॅड के साथ 10-15 मिनिट तक प्रिन्सिपल के ऑफीस मे रही और जब वो दोनो प्रिन्सिपल ऑफीस से निकले तो मैं भी उधर से काट लिया और उनकी कार से थोड़ी दूर जाकर खड़ा हो गया....

"ओके डॅडी, अब आप जाइए.."ससुर जी के गले लगकर एश बोली...

"ठीक है बेटा, अब तुम भी अपने फ्रेंड्स के साथ जाओ और अपना ख़याल रखना..."

दोनो बाप-बेटी का हगिंग-हगिंग का खेल ख़त्म होने के बाद ,एश के पॅपा जी वहाँ से चलते बने...लेकिन मैं अब भी वही खड़ा था...एश के बाप के जाने के बाद एक और महँगी कार सेम तो सेम प्लेस पर आकर रुकी,जिसमे से दिव्या और उसका बाप निकला....एक बार फिर से वही सेम टू सेम ड्रामा हुआ,जो कुच्छ देर पहले हुआ था बोले तो दिव्या अपने बाप के साथ प्रिन्सिपल के पास गयी और फिर सबके सामने उसने और उसके बाप ने एक-दूसरे को हग किया....
"साले कितने बोरिंग लोग है "
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मैं पता नही वहाँ क्यूँ खड़ा था,जबकि वहाँ तेज धूप थी और पसीने से मेरे कपड़े भीग रहे थे...लेकिन मैं था कि वही खड़ा था,बस खड़ा था....पता नही ये एसा का जादू था या फिर मेरे दिल की बेबसी जो मुझे कुच्छ सूझ ही नही रहा था. और एक पल को मुझे ना जाने कैसे पता चल गया कि एश अब मेरी तरफ पलटी मारेगी लेकिन वो मेरी तरफ मुड़ती उससे पहले ही मैं लेफ्ट साइड मे 90 डिग्री पर घूम गया और अपना मोबाइल निकाल कर किसी से बात करने का झूठा नाटक करने लगा. 
गॉगल्स पहनने के कयि फ़ायदे है लेकिन सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि आप गॉगल्स पहनकर किसी भी लड़की की तरफ अपना चेहरा किए बिना तिरछि नज़र से उसे देख सकते है और उस लड़की को पता भी नही चलता. उस वक़्त मेरी आँखो मे एक काला धाँसू चश्मा था और मैं अपनी आँखे तिरछि किए हुए एश को देख रहा था....


एश शांत होकर बहुत देर तक मुझे देखती रही और फिर दिव्या के साथ बस के अंदर चली गयी...एश दूसरी बस मे बैठी थी और उसके वहाँ से जाने के बाद मैं भी अपने बस की तरफ बढ़ा ये सोचते हुए कि"एक समय कैसे मैं उसे बहुत परेशान करता था और हर बार वो पहले गुस्सा होती और फिर एक मस्त स्माइल पास करती थी...लेकिन वो सब कुच्छ जैसे कि मेरा उसको हर दिन परेशान करना...उसका मुझपर गुस्सा होना और फिर मुझे देखकर उसकी प्यारी सी मुस्कान...अब ये सब बीते जमाने की बात हो चुकी थी. हम दोनो अक्सर जब भी एक-दूसरे के आमने-सामने आते तो ऐसे बिहेव करते जैसे हम दोनो एक-दूसरो को जानते तक नही और आज भी ऐसा ही हुआ था.


वो तो मुझसे बात करने से रही और इधर मेरे घमंड ने मुझे कोई पहल करने से रोक रखा था,मैं यही चाहता था कि शुरुआत वो करे...जो मुझे इस जनम मे मुश्किल ही लग रहा था.

यही सब सोचते हुए मैं बस के अंदर गया और अपने दोस्तो को आवाज़ दी...

"सब चलो बे,दूसरी वाली बस मे बैठेंगे..."

"लेकिन वो तो लड़कियो की बस है...प्रिन्सिपल का ऑर्डर भूल गया क्या..."

"उस टकले की माँ की आँख, तुम सब चलो मेरे साथ..."मैने कहा और इसी के साथ मेरा पहला रूल"रेस्पेक्ट युवर टीचर्स(X)" की माँ-बहन हुई

मैने कभी सपने मे भी या फिर कहे कि ग्रूप डिस्कशन की बोरिंग क्लास मे भी नही सोचा था कि जिन प्लॅन्स को बनाने के लिए मैने अपना सर खपाया था ,उन प्लॅन्स को एक दिन मैं ही अर्थी पर लेटा दूँगा...वो भी एक साथ.

मेरे अब तक के तीनो प्लॅन्स ,जो कि मुझे एक अच्छा स्टूडेंट और एग्ज़ॅम मे मेरे अच्छे मार्क्स ला सकते है,उन्हे मैं पिछले आधे घंटे के अंदर तोड़ चुका था.

हॉस्टिल जाकर मैने दो सिगरेट पिए इससे मेरा 'प्लान नो. 2-क्विट स्मोकिंग' तुरंत अर्थि पर लेट गया . कुच्छ देर पहले मैने प्रिन्सिपल को गाली बाकी जिससे मेरे 'प्लान नंबर. 1 -रेस्पेक्ट युवर टीचर्स' की धज्जिया उड़ी और अब लड़कियो वाली बस मे जाकर मैं अपने प्लान नंबर.3'स्टे अवे फ्रॉम गर्ल्स' को तोड़ने जा रहा था. मेरा ऐसा बिहेवियर किसी भी लिहाज से सही नही था सिवाय इसके कि मैं खुद अपने प्लान तोड़ रहा था ना कि कोई दूसरा.....
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"प्रिन्सिपल चोदेगा हम सबको ,यदि उसे पता चल गया कि हम लोग उसके ऑर्डर को फॉलो नही मान रहे है तो..."

"टेन्षन मत ले बेबी.प्रिन्सिपल भी एक जमाने मे जवान लौंडा रहा होगा इसलिए वो हमारी भावनाओ को समझ जाएगा और वैसे भी उसे कौन बताने जा रहा है कि लड़कियो वाली बस मे मुझ जैसा एक हॅंडसम लड़का था...."अरुण की बकवास को बीच मे ही रोक कर मैने कहा"उस बस मे दिव्या भी है ,सोच ले..."

"अरे गान्ड मराए दिव्या,.उस साली के चक्कर मे इतना बड़ा कांड हो गया और तू चाहता है कि मैं उसके बारे मे सोचु...कभी नही,बिल्कुल नही. "

"बात तो तेरी सही है और जब तुझे उससे कोई मोह-माया नही है तो फिर तुझे उस वक़्त बिल्कुल भी बुरा नही लगेगा,जब मैं उसे गाली बकुँगा..."

"बुरा वो मानता है जिसके पास बुर होता है और मेरे पास लंड है..."

"ओके..तो मैं ये कहना चाहता हूँ कि वो साली दिव्या ,एक नंबर. 1 की बक्चोद है...हॉस्पिटल से वापस आने के बाद शुरू-शुरू मे सोचा कि उसे भी दीपिका और नौशाद की तरह लपेटे मे ले लूँ...लेकिन फिर एक लौंडिया है,सोचकर जाने दिया और लौन्डो को देखकर जैसे वो अपना मुँह फाड़ती है ना ,उससे तो मुझे यही लगता है कि पक्का उसने आज तक कम से कम 10 लंड तो ज़रूर लिया होगा,एक तू ही चोदु था जो किस के चक्कर मे पकड़ा गया.जब पकड़ना ही था तो दिव्या को चोदते वक़्त पकड़ता...मुझे तो ये भी लगता है कि वो तेरे ज़रिए मुझपर डोरे डाल रही थी क्यूंकी मैं तुझसे ज़्यादा स्मार्ट और हॅंडसम हूँ..."

"अबे तू दिव्या की बुराई कर रहा है या मेरी..."

"दिव्या की...तू तो भाई है मेरा ,वैसे तो मैं तुझे इनडाइरेक्ट्ली चोदु कहना चाहता था,लेकिन देख मैने कहा क्या...नही कहा ना. वैसे तो मैं इनडाइरेक्ट्ली तुझे बदसूरत भी कहना चाहता था ,लेकिन देख मैने ऐसा कुच्छ भी कहा क्या...नही कहा ना. अरे पगले तू भाई है मेरा "

"ह्म बेटा, इनडाइरेक्ट्ली बोल-बोल कर डाइरेक्ट्ली मुझे चोदु और बदसूरत बोल रहा है...लवडे के बाल... "

"चल आजा ,अब लड़कियो वाले बस मे चलते है..."

बस से अपनी छोटी सी मंडली के साथ उतर कर मैं दूसरे वाली बस की तरफ चल पड़ा.

"अबे, उस बस मे एसा के साथ पक्का गौतम होगा....कही कुच्छ लफडा ना हो जाए..."लड़कियो वाली बस की तरफ मेरे कदम से कदम मिलकर चलते हुए अरुण ने कहा...

"अबे बक्चोद, भूल गया क्या...प्रिन्सिपल ने फाइनल एअर वालो को कॅंप पर जाने के लिए मना कर रखा है..."

"प्रिन्सिपल के कहने से क्या होता है.क्यूंकी यदि गौतम एश के साथ जाना चाहे तो वो अपने बाप की पॉवर का यूज़ करके बड़ी आसानी से जा सकता है और जहाँ तक मेरा मानना है उसके हिसाब से गौतम अपने बाप की पहुच का इस्तेमाल करके ,एश के साथ ज़रूर इस पिक्निक कम कॅंप मे जाएगा..."

"चल इसी बात पर लगाता है क्या हज़ार-हज़ार की शर्त..."मैने कहा...

बेट का अमाउंट मैने हज़ार रुपये इसलिए रखा क्यूंकी मुझे मालूम था कि ये शर्त मैं ही जीतने वाला हूँ क्यूंकी मुझे पहले से ही इस शर्त का नतीजा मालूम था.

"हज़ार रुपये क्या तेरे पॅपा मुझे देंगे...शर्त लगानी है तो 100-100 की लगा,वरना गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन के गान्ड मे जा..."

"चल ठीक है...100 डन."मैने अपना हाथ अरुण की तरफ बढ़ाया

"मेरी तरफ से भी डन..."मेरे हाथ मे अपना हाथ देते हुए अरुण ने कहा...

और जब शर्त को दोनो तरफ से हरी झंडी मिल गयी तो मैने और अरुण ने 100-100 निकाल कर सौरभ के हाथ मे दे दिए क्यूंकी हम दोनो ही जानते थे कि यदि शर्त के पैसे हमारे पास रहे तो जितने वाले को इनाम के तौर पर सिवाय बाबाजी के घंटा के आलवा और कुच्छ नही मिलेगा...
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जिस बस मे हमारे कॉलेज की लड़किया बैठी थी ,उसके अंदर घुसकर मैने अरुण को दिखाया कि एश कैसे दिव्या के साथ बैठी है और इसी के साथ मैं अरुण से 100 जीत गया 

हमारी मंडली के उस बस मे आने से सभी लड़कियो का मुँह 3 इंच फट गया.सभी आइटम हैरान थी,परेशान थी कि मैं और मेरे दोस्त कैसे उनके बस मे आ टपके...शुरू की लगभग आधी सीट लड़कियो से भर चुकी थी लेकिन पीछे तरफ की सीट अब भी खाली थी,इसलिए बिना किसी लड़की की तरफ देखे हम लोग सीधे पीछे की तरफ बढ़ गये....

"अरमान भाई, वो आपका वॉर्डन पीछे गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन के साथ बैठा है...मैं क्या बोलता हूँ ,अपन सब अभिच इस बस से खिसक लेते है वरना भारी बेज़्जती करेंगे वो दोनो..."पीछे की तरफ बढ़ते हुए राजश्री पांडे ने मेरे कान मे कानाफुसी की ,जिसके बाद मेरी नज़र पीछे की सीट पर बैठे हमारे वॉरडन्स पर गयी...

"तुम लोग बैठो ,मैं उसे चोदु बनाकर आता हूँ..."धीरे से बोलते हुए मैं उन्दोनो की तरफ गया....

मुझे बस मे देखकर उन्दोनो का भी पहले वही हाल हुआ, जो की कुच्छ देर पहले लड़किया का हुआ था..बोले तो उन दोनो का भी मुँह 3 इंच खुल गया था...मुझे अपने सामने देखते ही जहाँ गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन किसी सोच मे डूब गयी वही हमारे हॉस्टिल के वॉर्डन की आँख मे ज्वालामुखी तैर रहा था,जो कभी भी फट सकता था.....

"सर.."अपने हॉस्टिल के वॉर्डन की तरफ मुखातिब होते हुए मैं बोला"वो हमारे बस की सभी सीट फुल हो गयी है...इसलिए हम लोग इस बस मे आ गये ,लेकिन यदि आप कहे तो हमलोग अभी इस बस से उतर जाएँगे और पहली वाली बस मे खड़े-खड़े ही चले जाएँगे "

"कोई बात नही बेटा, तुम लोग कोई बाहरी आवारा लड़के थोड़े ही हो...तुम लोग आराम से बैठो...बस इसका ख़याल रखना की यहाँ लड़किया भी बैठी हुई है."

गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन से ये सुनकर मेरा रोम-रोम खुशी से झूम उठा और दिल किया कि अभिच उस वॉर्डन को एक 'वरदान' माँगने के लिए कह दूं लेकिन फिर ख़याल आया कि वो 'वरदान' तो पूरा होगा नही तो ऐसे बोलने का क्या फ़ायदा....
गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन से हमे जैसे ही हरी झंडी मिली,हमारा वॉर्डन कुच्छ कहने के मूड मे था , उसके आँखो की चाल और फेस का रिक्षन देखकर मैं समझ गया कि वो पक्का हमारी बुराई गर्ल्स हॉस्टिल के वॉर्डन से करेगा लेकिन वो कुच्छ बोलता उसके पहले ही मैं बोल उठा...
"थॅंक यू सर, थॅंक यू मॅम..."
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12-15-2018, 01:13 AM,
#82
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"ओके बेटा, अब आप सब बैठ जाओ...ताकि किसी को कोई प्राब्लम ना हो..."

"वन्स अगेन ,थॅंक यू मॅम..."(चूस ले,बन गयी ना चोदु)
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जब हमे उस बस मे बैठने की पर्मिशन मिल गयी तो हम सब ने अपनी पसींदिदा सीट पर अपना डेरा जमा लिया...मैं अपनी पसंद के अनुसार खिड़की की तरफ बैठा था और राजश्री पांडे मेरे बगल मे था...अरुण और सुलभ दूसरी सीट पर बैठे थे लेकिन सौरभ अकेले पीछे वाली रो मे अपनी टांगे पसार कर बैठा था. हमारी सीट थ्री सीटर थी ,जिसके कारण एक सीट अब भी खाली थी....
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"सर,मे आइ कम इन..."

ये आवाज़ जैसे ही मेरे कानो मे पड़ी तो सबसे पहले जो ख़याल मेरे मन मे आया ,वो ये था कि"ये कौन चूतिया है,जो बस के अंदर आने के लिए पर्मिशन माँग रहा है और जब मैने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि 5-6 लौन्डे बस के पीछे वाले दरवाजे के पास खड़े होकर बस के अंदर आने के लिए हमारे वॉरडन्स से पर्मिशन माँग रहे थे....जिसमे हमारे हॉस्टिल का वो कल्लू,कंघी चोर भी शामिल था....
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"क्या हुआ बेटा, आप लोग यहाँ क्यूँ आए हो..."ममता भरी आवाज़ मे गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन ने उन लड़को से पुछा"कोई प्राब्लम है क्या..."

"मॅम...वो वाली बस पूरी फुल है ,इसलिए हम लोग यहाँ आ गये..."

"कोई बात नही,आप लोग अंदर आकर बैठ जाइए...लेकिन इस बात का ख़याल रखना कि यहाँ लड़किया बैठी हुई है..."

इसके बाद उन सबने बारी-बारी से वॉर्डन को 'थॅंक यू' कहा और अंदर आ गये.इसे मेरा बॅड लक कहे या फिर कुच्छ और...कि कंघी चोर मेरे ही सीट पर आकर बैठ गया मतलब कि राजश्री पांडे की बगल मे....अब वो कंघी चोर ना तो मुझे पसंद था और ना ही राजश्री पांडे को, सो हम दोनो ही उसे वहाँ से हटाने की तरक़ीब ढूँढने लगे.....


"चल बे ,तू खिसक यहाँ से..."राजश्री का एक पाउच मुँह मे डालते हुए पांडे जी ने अजीब सी आवाज़ मे कहा...

"चुप कर,तेरा सीनियर हूँ मैं...ज़्यादा बोलेगा तो हॉस्टिल के लड़को को बोलकर तेरी पिटाई करवा दूँगा..."अपने छोटे से बॅग को अपनी गोदी मे रखकर वो बोला...

"सच "राजश्री पांडे को सीट से सटकर उस कल्लू की तरफ मैने अपना चेहरा किया...

"अरमान तू शायद मेरी पॉवर को नही जानता..."

"तू म्सी भाग यहाँ से,वरना तेरे गान्ड मे डंडा डालकर 1000 आर.पी.एम. की स्पीड से घुमाउन्गा..."

गुस्से से तमतमाते मेरे चेहरे को देखकर वो कल्लू डर गया और तुरंत अपना बॅग उठाकर पीछे की सीट पर जा पहुचा.
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जब दोनो बस के छूटने का टाइम हुआ तो हमारे हॉस्टिल का वॉर्डन ,दूसरे बस मे चला गया और बस चल पड़ी...मैने अपने कानो पर हेडफोन फँसाया और आँखे बंद कर ली. इस बीच बस मे किसके बीच क्या हुआ,मैं नही जानता और जब किसी ने मेरा नाम लिया था तो मैने अपनी आँखे खोली और देखते ही दंग रह गया कि सुलभ लड़कियो के बीच बैठा मुझे आवाज़ दे रहा था.

"इस साले की लौन्डियो से दोस्ती कब हुई और ये मुझे क्यूँ बुला रहा है...पक्का कोई लड़की मुझपर फिदा हो गयी होगी और मुझे प्रपोज़ करने के लिए बुला रही है "अपने बाल को हाथो से ठीक करते हुए मैने सोचा

जब मैं अपनी जगह पर खड़ा हुआ तो आगे की तरफ बैठी हुई लड़कियो ने मेरी तरफ देखा और तभी ना जाने कहा से मेरे अंदर अहंकार की एक लहर दौड़ आई...

"सॉरी, मेरे पास बेकार की बातो के लिए टाइम नही है..."बोलकर मैं तुरंत बैठ गया...

सुलभ मेरा खास दोस्त था और उसे ऐसा जवाब देने के बाद मुझे खुद भी अच्छा नही लग रहा था लेकिन जब इसकी शुरुआत मैने कर ही दी थी तो फिर पीछे हटना मुझे मंज़ूर नही था...इसलिए सुलभ के द्वारा एक-दो बार और मेरे नाम पुकारे जाने पर भी मैं अपनी जगह से एक इंच भी नही हिला....

जिस तरह सुलभ मेरा खास दोस्त था उसी तरह मैं भी उसका खास दोस्त था और मुझे पूरा यकीन था कि मेरा ऐसा बिहेवियर उसे भी पसंद नही आया होगा....मेरे ख़याल से उसने इसकी कभी कल्पना तक नही की होगी कि मैं उसकी बात को ऐसे टालुन्गा क्यूंकी यदि उसे मेरे इस रवैये की ज़रा सी भी भनक होती तो वो मुझे कभी नही बुलाता....मेरा ये रवैया वहाँ बस मे मौजूद जहाँ सभी लड़कियो को पसंद नही आया था वही मेरे बाकी के दोस्तो की शकल भी काफ़ी खफा-खफा सी थी. 

"अरमान ,आना यार...एक मिनिट का काम है..."सुलभ ने तीसरी बार मुझे बुलाया ,लेकिन नतीजा पहले के जैसा ही रहा. मैं इस बार भी अपनी जगह से एक इंच भी नही हिला.

"अरमान...आना "

"राजश्री ,तू जा और सुलभ से मालूम करके आ कि क्या मॅटर है..."सुलभ की बुझी हुई शकल को देखकर मैने अपने बगल मे बैठे राजश्री पांडे से कहा.
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हमारे पांडे जी तो जैसे कब से इसी मौके की तालश मे थे की कब उन्हे लड़कियो के बीच मे जाने का मौका मिले और जब ये मौका उसे मेरे ज़रिए मिल रहा था तो भला वो कैसे पीछे हटने वाला था. मेरी तरह उसने भी अपने बालो पर अपनी उंगलिया फिराई और फिर मुझे साइड करके चलती हुई बस की खिड़की के बाहर गर्दन निकालकर अपना राजश्री से भरा मुँह खाली किया...बस स्पीड मे चल रही थी ,इसलिए पांडे जी ढंग से अपना काम नही कर पाए जिसकी वजह से गुटखे का कुच्छ अंश उनके गालो और होंठो पर अपनी छाप छोड़ गये था, जिसे वो अपने हाथ से सॉफ करते हुए बोला...

"थॅंक यू, अरमान भाई...मैं अभी जाकर ,सुलभ भाई से सब कुच्छ मालूम करके आता हूँ..."

"तेरी तो..."बोलते हुए मैने उसका सर पकड़ा और खिड़की पर दे मारा"तुझे पहले ही बोला था ना कि ये गुटखा,खैनि का प्रदर्शन मेरे सामने मत किया कर...अब जा यहाँ से..."

अपना सर सहलाते हुए राजश्री पांडे , सुलभ की तरफ बढ़ा लेकिन उस बेचारे की किस्मत ही झंड थी. एक तो सुलभ मेरे वहाँ ना जाने पर पहले से ही गुस्साया हुआ था ,उपर से जब राजश्री पांडे ने ,उसकी प्राब्लम पुछि तो सुलभ उसपर फॅट पड़ा और अपने दाँत चबाते हुए तेज लॅफ्ज़ो मे पांडे जी को वहाँ से भगा दिया...अब हमारे पांडे जी क्या करते, वो चुप चाप मायूस होकर वापस लौटे और मेरे बगल मे बैठ गये....
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इसके बाद कुच्छ देर तक और कुच्छ नही हुआ लेकिन मेरे अंदर एक उफान था कि आख़िर सुलभ मुझे बुला क्यूँ रहा था,कही एश ने तो उसे ,मुझे बुलाने के लिए नही कहा....

"धत्त तेरी की,मैने कितनी बड़ी ग़लती कर दी , सुलभ यार ! एक और बार मुझे बुला ,अबकी बार मैं उड़ कर आउन्गा..."

"अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गयी खेत..."पांडे जी की बगल मे जो सीट खाली थी ,उसपर बैठते हुए अरुण बोला.

"तुझे कैसे पता चला बे "अरुण को देखकर मैने आश्चर्या से कहा.

"क्या...कैसे पता चला ? "

"यही कि,सुलभ के बुलाने पर मैं उसके पास उस वक़्त नही गया ,लेकिन मुझे अब उसका अफ़सोस हो रहा है..."

"बेटा सिक्स्त सेन्स मेरा भी कभी-कभी काम कर जाता है...वैसे मैं यहाँ तेरा दुख-दर्द बाटने नही आया हूँ,बल्कि तुझे ये बताने आया हूँ कि मेरे 100 वापस कर दे,वरना वॉर्डन को मैं ये बता दूँगा कि तू उससे झूठ बोलकर इस बस मे बैठा है..."

"चल जा बे और यदि तू उसे ये बताएगा भी तो मेरे साथ-साथ तुझे भी यहाँ से दूसरी बस मे जाना पड़ेगा..."

"मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता ,क्यूंकी दिव्या मेरे लिए कभी कोई खास लड़की नही थी...मैं तो बस उसके बड़े-बड़े दूध दबाना चाहता था,पर लगता है मेरे ये अरमान अब कभी पूरा नही होने वाला..."

"मुझे मालूम है कि तू ऐसा कुच्छ भी नही करेगा,जिससे मेरी बेज़्जती हो..."

"मेरे 100 देगा या नही..."

"नही..."

"ठीक है फिर..."बोलते हुए अरुण खड़ा हुआ और वॉर्डन की तरफ देखकर बोला"मॅम, आपको कुच्छ बताना है..."

"ये ले पकड़ अपने 100 ,लेकिन याद रखना कि ये 100 तो मैं तुझसे लेकर ही रहूँगा..."धीरे से कहते हुए मैने 100 तुरंत अरुण के हाथ मे पकड़ा दिए.....

"हां बेटा बोलो,कोई दिक्कत है क्या..."गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन ने हमेशा की तरह एक मीठी आवाज़ मे कहा...

"कुच्छ नही मॅम, मैं तो बस ये कहना चाहता था कि आप बहुत अच्छी है..."

जवाब मे वॉर्डन मुस्कुरा दी और अरुण ने 100 का नोट अपने जेब मे डाल लिया.
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अरुण को 100 का नोट देने के बाद भी मैं उस 100 के नोट के बारे मे ना सोचकर ,एश के बीच जाने का जो सुनहरा मौका मैने गवाँ दिया था,उसपर दिल ही दिल मे अफ़सोस जाहिर कर रहा था....

"और उड़ हवा मे, बेटा तेरा ये घमंड किसी दिन तुझे चोद कर ही दम लेगा,अब भी वक़्त है सुधर जा...."मैने खुद से कहा"कितना शानदार अवसर मिला था लड़कियों के बीच इंप्रेशन जमाने का ,लेकिन...."

"अरमान...."सुलभ ने एक और बार मेरा नाम पुकारा और खुद को गाली देना बंद करके मैं तुरंत अपनी जगह से खड़ा हो गया...

"एक मिनिट,इधर आना तो..."

"ओके, आइ अम कमिंग..."बोलते हुए मैं राजश्री के उपर से कुदा और लड़कियो की तरफ जाने लगा...

"अरमान भाई,मैं भी चलूं क्या..."पांडे जी ने अपने दिल के अरमानो को ज़ाहिर करते हुए मुझसे पुछा...

"तू क्या करेगा बे वहाँ जाकर,सिर्फ़ मेरी बेज़्जती ही कराएगा...तू एक काम कर, राजश्री का एक पाउच निकाल और खा के मस्त हो जा...मैं अभी आया"
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सुलभ के बुलाने पर मैं गया तो बड़ी खुशी के साथ था, लेकिन मेरे वहाँ पहुचते ही सभी लड़कियो के चेहरे का रंग ऐसे फीका पड़ गया,जैसे मैने उन सबकी सहेलियो को चोदा लेकिन उन्हे छुआ तक नही . और जब मैं सुलभ के पास पहुचा तो जो लड़किया अभी तक सुलभ की तरफ देखकर बड़े ध्यान से उसकी बाते सुन रही थी,वो अब मुझे ,उसके बगल मे खड़ा पाकर...दूसरी तरफ देखने लगी थी जिससे मेरे शरीर का आधा खून जल उठा और मैने तुरंत अपने वॉलेट से हज़ार का नोट निकाल कर सुलभ को थमाते हुए बोला...

"ले बे ,ये हज़ार रुपये रख और जब बस आगे कहीं रुकेगी तो इन सबको खाना खिला देना.."

"मतलब ? मैं कुच्छ समझा नही..."

"इन सबकी शकल देख, ऐसा लग रहा है कि ना जाने कितने जनम से भूखी है..."

मेरा ऐसा कहना था कि सभी लड़किया जहाँ कुच्छ देर पहले अपना मुँह दूसरी तरफ किए हुए बैठी थी ,अब वही लड़किया 440 वॉल्ट के बिजली के झटके खाकर मेरी तरफ गुस्से से देख रही थी...सिर्फ़ देख रही थी,बोल कुच्छ नही रही थी.
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"तूने मुझे यहाँ क्या इसीलिए बुलाया ताकि मैं इन सबके खाने के लिए कुच्छ पैसे डोनेट कर सकूँ या फिर कोई और बात है..."उन लड़कियो को एक और बार 440 वॉल्ट का झटका देते हुए मैने कहा और जवाब मे इस बार भी वो सब आइटम लोग मुझे सिर्फ़ देखती ही रही...

"तू भी ना यार ,हर टाइम मज़ाक करता रहता है..."एक लड़की की तरफ इशारा करते हुए सुलभ ने कहा"इसे तो जानता ही होगा,ये है मेघा...अपनी ही क्लासमेट है..."

"तीन साल ये हमारे साथ ,हमारी ही क्लास मे पढ़ रही है और तू मुझे यहाँ इसका नाम बता रहा है..."

"अबे नही , आक्च्युयली जब मैं इन सबसे बात कर रहा था तो ,ये बात उठी कि इस साल बेस्ट प्लेयर का अवॉर्ड किसे मिलेगा...और उसी वक़्त बॅस्केटबॉल के बारे मे चर्चा होने लगी..."

"तो..."

"तो फिर मेघा ने अचानक ही मुझसे ये पुछा की बॅस्केटबॉल का नंबर.1 प्लेयर कौन है...."

"अब समझा..."मैं बीच मे ही बोल उठा"तो तूने यहाँ मुझे सिर्फ़ ये पुछने के लिए बुलाया है कि ,बॅस्केटबॉल का नंबर.1 प्लेयर कौन है..."

"यस...यस.."अबकी बार मेघा ने कहा..

"डू गूगल, यू विल फाइंड युवर आन्सर..."सुलभ की तरफ देखते हुए मैने कहा"माना कि लड़कियो के पास दिमाग़ नही होता,लेकिन तुझे तो मैं एक होशियार लड़का समझता था..."

"क्य्ाआअ...हमारे पास दिमाग़ नही है..."5-6 लड़किया एक साथ मुझपर झल्लाई और उन सबको इग्नोर मारते हुए मैं अपनी सीट की तरफ बढ़ गया. अभी मैं अपनी सीट की तरफ जा ही रहा था कि दिव्या की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी...
"माइ ब्रदर, गौतम ईज़ दा नंबर. 1 प्लेयर ऑफ दा बॅस्केटबॉल गेम ! "

ये सुनते ही मेरा बाकी बचा-कूचा खून भी गुस्से से जल उठा और दिल किया कि अभी जाकर दिव्या को एक तमाचा जड़ डू...लेकिन मैने ऐसा नही किया.
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12-15-2018, 01:13 AM,
#83
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
मैं शांति से पीछे पलटा और शांति से सुलभ के पास गया...

"मैने कहा था ना कि,लड़कियो के पास दिमाग़ नही होता..."

"तो फिर तुम ही बता दो कि बॅस्केटबॉल का बेस्ट प्लेयर कौन है..."एक बार फिर मेघा ने अपना सवाल दोहराया...

"पूरे वर्ल्ड मे माइकल जॉर्डन और इस कॉलेज मे मेरे बराबर कोई प्लेयर नही है..."

"ओ..हेलो एक्सक्यूस मी..."तमतमते हुए दिव्या खड़ी हुई"इस कॉलेज का बेस्ट प्लेयर मेरा भाई है ,तुम नही..."

"ये कौन है..."सुलभ की तरफ देखते हुए मैने पुछा...

इस समय दिव्या पर मुझे गुस्सा तो इतना आ रहा था कि बस का दरवाजा खोलकर उसे बाहर फेक दूं...लेकिन मैं फिर भी शांत रहा और सुलभ की हालत इस समय 'काटो तो खून नही' वाली थी...उसकी समझ मे बिल्कुल भी नही आ रहा था कि वो किसे शांत कराए,मुझे या दिव्या को....

"तुम मुझे नही जानते, याद करो लास्ट एअर मे तुमने मुझे फ़ेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा था और मैने तुम्हारी फ्रेंड रिक्वेस्ट दो दिन बाद आक्सेप्ट की थी..."

"सॉरी, रॉंग नंबर...आइ हेवन'ट एनी फ़ेसबुक आइडी...."

मेरे ऐसा कहने पर दिव्या को कुच्छ नही सूझा कि वो मुझे आगे क्या कहे,इसलिए गुस्से से तमतमाते अपने चेहरे को लेकर वो चुप चाप अपनी जगह पर बैठ गयी. दिव्या ,एश के ठीक साइड मे बैठी थी और जब दिव्या अपनी जगह पर बैठ गयी तो एश ने बहुत ही धीमे लफ़ज़ो मे कहा कि मैं झूठ बोल रहा हूँ....एश के ये लफ्ज़ किसी और को तो सुनाई नही दिए ,लेकिन लीप रीडिंग के कारण मैने तुरंत समझ गया कि एश ने दिव्या से अभी-अभी क्या कहा है.....

"ओये सुन ,फ़ेसबुक गर्ल..."दिव्या की तरफ देखकर मैं पूरे शान से बोला"अपने बगल वाली को बोल दे कि ,मेरे बारे मे उसे जो कुच्छ भी कहना है वो ,खुलकर कहे..."

"तुम मानो या ना मानो अरमान, लेकिन मेरा भाई ही इस कॉलेज का बेस्ट प्लेयर है..."

"ख्वाबो की दुनिया से बाहर आओ बेबी और सच को देखो...सब कुच्छ अपने आप समझ आ जाएगा..."मैने कहा...

वहाँ दूसरो के लिए टाइम पास करने का एक अच्छा-ख़ासा महॉल बन रहा था कि तभी वॉर्डन ,जो कि सबसे पीछे अपने कान मे इयरफोन फसाए हुए थी, वो बोली"बाय्स आंड गर्ल्स...हम अब बस पहुचने वाले है..."

वॉर्डन की बात सुनकर सबका ध्यान हमारे इस बेस्ट प्लेयर की लड़ाई से हटा और सब अपने-अपने बॅग्स उतरने मे लग गये कि तभी मुझे वो आवाज़ सुनाई दी,जिसे मैं पिछले काई महीनो से सुनना चाहता था...तभी मुझसे उस लड़की ने बात की,जिससे मैं बात करने के लिए तड़प रहा था. उसकी आवाज़ सुनते ही दिल जैसे खुशी के मारे झूम उठा, बिना इसकी परवाह किए कि वो मुझे बोल क्या रही है....

"यदि ऐसा ही है तो कॅंप ख़त्म होने के बाद गौतम और तुम्हारा एक मॅच हो जाए,जिससे सबको पता चल जाएगा कि बेस्ट कौन है..."

एश ने ये लफ्ज़ कहे ही इस तरह थे कि अब सबकी नज़ारे मुझ पर टिकी थी , वहाँ मौजूद लगभग सभी लोग पहले जल्दी से जल्दी बस से नीचे उतरना चाहते थे लेकिन जब एश ने मेरे सामने ,गौतम के साथ मॅच खेलने का चॅलेंज रखा तो ,जैसे सब के सब वही जाम गये...कोई भी बस से नीचे नही उतर रहा था,जबकि गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन कबकि नीचे उतर चुकी थी....

उस वक़्त सभी मेरे जवाब के लिए हद से ज़्यादा उत्सुक थे ,सभी चाहते थे कि मैं एश का चॅलेंज आक्सेप्ट करूँ और उसे हां बोल दूं...मैने सुलभ की तरफ देखा तो वो भी इशारे से मुझे ,एश का चॅलेंज आक्सेप्ट करने को कह रहा था...लेकिन सवाल यहाँ ये नही था कि दूसरे क्या चाहते है ,बल्कि सवाल यहाँ ये था कि मैं ,क्या चाहता हूँ और मैं इस बकवास से दूर जाना चाहता था.....
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बस से नीचे उतर चुकी वॉर्डन ने सभी को नीचे आने के लिए आवाज़ लगाई तो जैसे सबको होश आया कि बस रुक चुकी है और उन्हे नीचे उतरना है....

"मेरे ख़याल से तुम सबको नीचे जाना चाहिए..."मैने कहा.

मेरे ऐसा कहने से सब समझ गये थे कि मैने गौतम के साथ बॅस्केटबॉल खेलने का चॅलेंज रिजेक्ट कर दिया था और मैने जब आगे कुच्छ नही कहा तो एक तरफ जहाँ दिव्या बहुत खुश हुई वही दूसरी तरफ मेरे दोस्त बहुत उदास हुए, उनके चेहरे का सारा रंग एक पल मे छु-मंतर हो चुका था.... 
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"क्या हुआ तुमने कुच्छ जवाब नही दिया..."मैं बस से उतर कर आगे बढ़ ही रहा था कि एश की आवाज़ ने मेरे आगे बढ़ते हुए कदमो को रोक लिया . मैं पीछे पलटा तो एश बोली"सब तुम्हारे जवाब का इंतज़ार कर रहे है..."

मैं पहले से ही ये जानता था कि यदि हम दोनो मे फिर कभी बात होगी तो उसकी शुरुआत एश ही करेगी लेकिन मैं ये नही जानता था कि वो शुरुआत ,मुझे नीचा दिखाने के लिए होगी....मेरे दोस्त ,जो इस समय मेरे अगल-बगल,आयेज-पीछे खड़े थे ,वो सब मुझे धीरे-धीरे गालियाँ देकर बोल रहे थे कि मैं गौतम के साथ मॅच खेलने के लिए हां कह दूं..कुच्छ ने तो मेरे पैर पर ज़ोर से लात भी मारी.
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"तेरी आवाज़ मेरे कानो पर नही पड़ रही,जो बोलना है चिल्ला कर बोल..."मैने कहा.

"मैं ये कह रही थी कि तुमने कुच्छ कहा नही "मेरे पास आते हुए एश बोली और मुझसे थोड़ी दूरी बनाकर खड़ी हो गयी...

"किस बारे मे.."मैं भी उसकी तरफ बढ़ते हुए बोला...

"ओह कमोन,इतना बनो भी मत...सीधे-सीधे हां या ना मे जवाब क्यूँ नही देते कि तुम गौतम के साथ बॅस्केटबॉल का मॅच खेलोगे या नही..."

"और यदि मैं तुम्हारे बाय्फ्रेंड के साथ खेलना पसंद ना करूँ तो,दरअसल बात ये है कि मुझे उसकी शकल पसंद नही है..."

"सॉफ-सॉफ बोलो की तुम डर गये मेरे भाई से...हां"दिव्या चीखते-चिल्लाते हुए एश के साइड मे खड़ी हो गयी....

"पहली बात तो ये कि तू चुहिया की तरह चेटर-चेटर करना बंद कर,वरना चूहे मारने वाली दवा खिला कर तेरी जान ले लूँगा"अपना गला फाड़ कर मैं भी चिल्लाया "और दूसरी बात ये कि...डरते तो हम अपने बाप से भी नही ,नाम है शाहेंशाह..."

इसके बाद दिव्या की जो ज़ुबान पर ताला लगा ,वो फिर नही खुला और जब वो चुप हो गयी तो मैं भी अपने दोस्तो के पास जाने लगा.

"तुम शायद डर रहे हो कि कही उस दिन की तरह तुम फिर ना हार जाओ..."एश ने फिर कहा.

माँ कसम खाकर कहता हूँ कि यदि वो लड़की एश के सिवा कोई और होती तो उसे सीधे माँ-बहन की गाली देता, लेकिन वो एश थी इसलिए मैने उसे कुच्छ नही कहा क्यूंकी मेरे अंदर से ,मेरे दिल से मुझे इजाज़त नही मिली कि मैं एश को कुच्छ बुरा-भला कहूँ....मैं एक बार फिर से पीछे मुड़ा और एश की तरफ जाकर बड़े ही शांत भाव से बोला...
"कभी-कभी एक हार बहुत कुच्छ सिखा देती है जो सौ जीत भी नही सिखा पाती और मेरा लेवेल थोड़ा उँचा है इसलिए मैं गली मे चलते हर किसी के साथ मॅच नही खेलता...मैं मॅच उसी के साथ खेलता हूँ,जिससे मुझे कुच्छ सीखने को मिले,चाहे मैं हार ही क्यूँ ना जाउ...और एक बात बताऊ तुम्हारे बाय्फ्रेंड ,गौतम के अंदर एक भी ऐसी काबिलियत मुझे नही दिखती जो मेरे काम आ सके..."अपने शर्ट मे फँसे गॉगल्स को अपनी आँखो मे चढ़ाते हुए मैने कहा"इसलिए भाड़ मे जाओ तुम और तुम्हारा गौतम..."
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"क्या सॉलिड डाइलॉग मारा है बीड़ू..मूँहाअ..."

"चल साले दूर हट,गे कही का..."अरुण के पेट मे एक पंच मारते हुए मैने कहा"और तू ये बता कि वो लवडा सुलभ किधर है..."

"वो देख आगे..."आगे की तरफ इशारा करते हुए अरुण बोला"अपनी फॅंटेसी के साथ भाई बिज़ी है..."

"कौन मेघा..."

"यस, फर्स्ट एअर का प्यार है उसका बोले तो लेफ्ट साइड वाला..."

"सच"कहते हुए मैं जहाँ था वही रुक गया ,क्यूंकी सुलभ किसी पर दिल से फिदा है ये मुझे आज पता चला रहा था...

"अब क्या खून से लिखकर दूं..."

"फिर मुझे क्यूँ नही पता चला आज तक..."

"बेटा ,कभी दोस्तो के लिए टाइम निकालेगा तब ना कुच्छ पता चलेगा...मुझे तो पिछले साल से ही मालूम था,सौरभ ने बताया था मुझे..."

"तभी मैं सोचु की लौंडा बस मे लड़कियो से इतना घुल-मिल कैसे रहा है...."

"अब चल,वरना यहाँ जंगल मे पीछे छूट जाएँगे..."
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जिस जगह हम कॅंप के लिए आए थे वो एक जंगली एरिया था,साथ मे पहाड़ी भी...हमारे दोनो वॉर्डन के साथ दो लोग और थे जिन्हे मैने पहली बार देखा था...शायद वो इसी इलाक़े के थे,जिन्हे हमारी मदद के लिए हीरे किया गया था. जिस जगह हम लोग घूमने आए थे वहाँ एक नदी भी बहती थी,जिसके पानी को सरकार. ने बाँधा हुआ था ,जिसके ज़रिए उस जंगल से लगे शहर मे वॉटर की सप्लाइ होती थी,दूसरे शब्दो मे कहे तो वो रिवर, वहाँ के आस-पास रहने वाले लोगो को जीवन देने वाली नदी थी.नदी के आस-पास का नज़ारा भी काफ़ी बढ़िया था जिसकी वजह से अक्सर उस जंगल से लगे शहर के लोग वहाँ घूमने आया करते थे, एक तरह से वो कपल्स के लिए लवर पॉइंट भी था. जिसका अंदाज़ा मुझे तब हुआ जब मैने वहाँ कोने-कोने मे काई लड़को को लड़कियो के साथ बैठे हुए देखा.

"बहुत मज़ा आने वाला है यहाँ तो..."मैने दिल ही दिल मे कहा...

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उस नदी के बहाव को रोकने के लिए जो तरीका अपनाया गया था,वो कुच्छ-कुच्छ किसी डॅम से मिलता था,इसलिए उस इलाक़े के लोग उस जगह को डॅम भी कहते थे.डॅम के अंदर जाने के लिए टिकेट लगता था और जब हम लोग डॅम के अंदर घुसे तो मुझे वहाँ कुच्छ कॉफी हाउस भी दिखे, जहाँ भारी मात्रा मे लड़के-लड़कियो का प्रेमी जोड़ा मौज़ूद था....

"इधर तो सच मे बहुत मज़ा आने वाला है..."कॉफी हाउस के अंदर जब मैने प्रेमी जोड़ो को देखा तो मैने एक बार फिर खुद से कहा....
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यूँ तो वहाँ दिन भर मे हज़ार लोग घूमने आते थे जो कुच्छ घंटे बिताने के बाद वहाँ से चले जाते थे, लेकिन हमारे कॉलेज का ग्रूप 3 दिन तक वहाँ रुकने वाला था और ऐसा करने वाले हम लोग अकेले नही थे...वहाँ हमारे कॉलेज के अलावा भी काई दूसरे कॉलेज के स्टूडेंट्स आए थे जिनके कॅंप मुझे दिखाई दिए. 

"चल बे ,दूसरे कॉलेज की लड़कियो को ताड़ कर आते है..."अपने कॅंप के अंदर समान रखने के बाद मैने अपने दोस्तो से कहा...

"नही बे, लफडा हो जाएगा..."सुलभ ने कहा.

"तू लवडे चुप रह और जाके अपनी आइटम के साथ रह...मैं तो इन चूतियो से पुच्छ रहा हूँ..."

सुलभ की तरह अरुण,सौरभ ,राजश्री पांडे और मेरे माइनिंग ब्रांच का दोस्त नवीन भी उलझन मे फँसे थे कि उन्हे दूसरे कॉलेज की लड़कियो को छेड़ना चाहिए या नही. शायद उनके अंदर ये डर बैठ चुका था कि कही दूसरे कॉलेज के लड़को से कोई पंगा ना हो जाए. उन सबको गहरी सोच मे डूबा हुआ देख मैं बोला...

"किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि...तो थिंक टू लोंग अबाउट डूयिंग आ थिंग ऑफन बिकम्स इट्स अनडूयिंग..."गॉगल अपने आँख मे चढ़ाते हुए मैने कहा"अब चलो,दूसरे कॉलेज की लड़किया मेरा इंतज़ार कर रही होगी "

पता नही क्यूँ पर जब मैने दूसरे कॉलेज की लड़कियो को छेड़ने के लिए कहा तो ,मेरे दोस्तो ने अपने हाथ खड़े कर दिए, वो मेरे साथ आने को तैयार ही नही थे और उनके बिना मैं जाना नही चाहता था...उनके बिना मैं इसलिए नही जाना था कि मुझे उन सबसे बेहद लगाव था बल्कि इसलिए ताकि जब बाइ चान्स यदि दूसरे कॉलेज के लड़को से मेरा लफडा हो तो मैं अकेला होने की वजह से कहीं पिट ना जाउ...इसलिए चाहे मुझे जो भी करना पड़े,उन्हे अपने साथ लेकर तो जाना ही था.

"सब कॅंप से बाहर निकलो ,बाहर वॉर्डन सबको कुछ इन्स्ट्रक्षन देने वाले है..."एक लड़का भागता हुआ हमारे कॅंप के अंदर घुसा और वॉर्डन सबको बाहर बुला रहे है,ये बोलकर वापस भाग गया.....

हम लोग बाहर आए और उस तरफ बढ़ने लगे,जहाँ सब इकट्ठे हो रहे थे.

वहाँ कॅंप लगाने के लिए अलग ही सुविधा थी और जो जगह कॅंप लगाने के दिया जाता था...वो एक उँची जगह पर था,जहाँ से दम और उसके आस-पास का नज़ारा बहुत ही सुंदर दिखता था.हमारे कॉलेज के कॅंप के पास ही दूसरे कॉलेज के कॅंप भी लगे थे.

"सब आ गये या अब भी कोई बचा है..."हमारे वॉर्डन ने ताव देते हुए कहा"आज अब शाम हो चुकी है तो कोई भी नीचे घूमने नही जाएगा."

"बाप का राज है क्या,जो कोई घूमने नही जाएगा..."मैने मन ही मन मे कहा....

"मैं ,हमारे दोनो गाइडेन्स के साथ सबसे आगे वाले कॅंप मे रहूँगा ,जिसके बाद कुच्छ लड़के फिर बीच मे लड़कियो का कॅंप होगा और आख़िरी मे फिर लड़के रहेंगे, ईज़ तट क्लियर..."

"क्लियर सर..."सब एक साथ ज़ोर से चीखे.

"सभी लड़किया अपने कॅंप मे जाएँगी और लड़के मेरे साथ यही रुकेंगे, हमे आज रात के लिए कुच्छ इंतज़ाम वगेरह करने है...."

लड़कियो को उनके कॅंप मे भेज दिया गया, गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन लड़कियो के ही किसी कॅंप मे उनके साथ थी. जब सारी लड़किया वहाँ से रफ़ा-दफ़ा हो गयी तो हमारे वॉर्डन ने हम सबको अपने पास बुलाया...
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"देखो बाय्स, वो सामने जो कॅंप दिख रहे है ना, वो एक बेहद ही बेकार कॉलेज के है ,इसलिए वहाँ के लड़के भी बड़े लोफर और बेकार है...तुम सब बस इस बात का ध्यान रखना कि उनसे किसी तरह का झगड़ा मोल मत लेना....समझे सब."

"यस सर..."

"और सुनो, दूसरे कॉलेज की लड़कियो से कोई बात करने नही जाएगा, ये मेरा ऑर्डर है...क्यूंकी मैं नही चाहता कि कोई झमेला खड़ा हो.हम लोग यहाँ तीन दिन शांति से रहेंगे और फिर चले जाएँगे...ईज़ दट क्लियर..."

"यस सर..."

"क्या पका रहा है यार, "अपने अगल-बगल खड़े लौन्डो से मैने कहा"मेरा दिल कर रहा है कि साले के मुँह पे जूता फेक के मारू...."
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हम सबको दुनिया भर का ज्ञान देने के बाद हमारे वॉर्डन ने उन दो लोगो से सबका परिचय कराया,जो हमे इन तीन दिनो मे यहाँ के वातावरण को समझने मे हमारी मदद करने वाले थे. वॉर्डन ने 10-10 लड़को का ग्रूप बनाने के लिए कहा और बोला कि उन 20 लड़को को गाइडेन्स के साथ बाहर जाकर कुच्छ समान लाना है....

"सर, मैं जाउन्गा..."मैने अपना हाथ सबसे पहले खड़ा करते हुए कहा.

"अरमान...तुम और तुम्हारी मंडली कही नही जाएगी..तुम लोग सीधे अपने कॅंप पर जाओ और यदि मुझे तुम लोग बाहर दिखे तो यही से नीचे फेक दूँगा...."

"तेरी *** की चूत...तेरी *** का भोसड़ा, हाथ लगा के देख तो साले...लंड काटकर मुँह मे दे दूँगा ,म्सी,बीसी."साइलेंट मोड मे मैने ये शुभ वचन अपने वॉर्डन को कहे और अपने कॅंप की तरफ बढ़ गया.
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"वो साला,कल का लौंडा...हमे सिखा रहा है कि हमे क्या करना चाहिए,उसकी तो मैं...."कॅंप के अंदर आने के बाद मैने अपना जीन्स उतारा और बॅग से दूसरा जीन्स निकाल कर पहनते हुए बोला"उसकी *** की चूत, तुम लोग फिक्र मत करो...हम लोग नीचे घूमने ज़रूर जाएँगे..."

"वो सब तो ठीक है ,लेकिन तू ये कपड़े क्यूँ बदल रहा है..."एक तरफ लेटे-लेटे अरुण ने पुछा...

"अबे उल्लू,नीचे इतनी सारी राजकुमारियां है तो अपना भी फ़र्ज़ बनता है ना कि राजकुमार की तरह दिखे...सौरभ,तू वो पर्फ्यूम निकाल अपने बॅग से."

"किधर जा रहा है..."चौुक्ते हुए अरुण तुरंत खड़ा हो गया और अपने दाँत चबाते हुए मुझसे कहा"भूल गया क्या ,वॉर्डन ने क्या वॉर्निंग दी है..."

"अबे डरता तो मैं ओसामा-बिन-लादेन से नही ,तो फिर उस वॉर्डन की क्या औकात...जो मुझे रोक ले...तुम लोग बस जल्दी से तैयार हो जाओ,बाकी मैं संभाल लूँगा"

"क्या संभाल लेगा बे..."मुझे पकड़ कर नीचे धक्का देते हुए सौरभ बोला"कोई कही नही जाने वाला और ना ही तू कहीं जाएगा..."

"अब ये मत बोल देना कि ,यदि तुझे यहाँ से बाहर जाना है तो मेरी लाश पर से जाना होगा "
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मैने सबको बहुत मनाया नीचे जाने के लिए लेकिन सबमे वॉर्डन का दर इस कदर बैठा हुआ था की कोई मेरी बात सुनने तक को तैयार नही था, मैं जिसे भी मेरे साथ चलने को कहता ,वो अपने कान पर अपने दोनो हाथ रखकर कहता कि"मुझे कुच्छ सुनाई नही दे रहा है..."

"अबे कुत्तो,डरो मत...मैं ये सब पहले भी कर चुका हूँ..."

"कब ,कहा...कैसे.."

"स्कूल मे किया था ,वो भी एक बार नही बल्कि...1 ,2,3,4 और राउंड फिगर मे लेकर बोले तो टोटल 5 बार..."

"कोई ,कही नही जाएगा...वरना मैं वॉर्डन को बोल दूँगा "सौरभ ने ब्रह्मस्त्रा चलाते हुए कहा...जिसके बाद मेरे बाकी के दोस्त और भी डर गये.

मैं कुच्छ देर तक वही उल्लू की तरह खड़ा होकर उन सबको देखता रहा ,कुच्छ सोचता रहा और फिर अरुण के पास जाकर बोला...

"सोच अरुण, जब तू अपनी वो ब्लू कलर की शर्ट और ब्लॅक कलर की जीन्स पहनकर बाहर निकलेगा तो सारी लड़किया अपने कपड़े फाड़ लेगी और कहेंगे कि ,वाउ...आज तक उन्होने तुझ जैसा हॉट लौंडा नही देखा, सोच ज़रा कि तुझे उस वक़्त कितना मज़ा आएगा..."

"सच... : "

"और नही तो क्या..."अरुण को चोदु बनाते हुए मैने कहा"इतना ही नही ,वो तेरे पीछे-पीछे दौड़ेंगी और फिर तुझे लेटा-लेटा कर...लेटा-लेटा कर..."

"मैं तैयार हूँ...." ख़याली पुलाव पकाते हुए अरुण ने मेरे साथ जाने के लिए हां कहा तो मैं सौरभ की तरफ बढ़ा....

"सौरभ ,सोच...जब एक दम फ़िल्मो के माफिक हॉट लड़किया...तुझे देखते ही तेरे पास आएगी और सीधे तेरे लंड पर अपना हाथ रखकर ,तेरा सर अपने दोनो दूध के बीच मे घुसा देंगी तो सोच तुझे उस वक़्त कितना मज़ा आएगा..."

"बहुत मज़ा आएगा ,मैं एक मिनट. मे तैयार होता हूँ..."

इसके बाद मैं राजश्री पांडे की तरफ बढ़ा...

"पांडे जी, उस लम्हे के बारे मे सोचो ,जब तुम्हे एक तुम्हारी टाइप की राजश्री खाने वाली लड़की मिलेगी...तू भी राजश्री चबा रहा होगा,वो भी राजश्री चबा रही होगी...तुम दोनो एक दूसरे के करीब आओगे और करीब...और करीब...."

"आआहह...आगे बोलो अरमान भाई"

"फिर तुम दोनो एक दूसरे को राजश्री का एक-एक पाउच देकर अपने प्यार का इज़हार करोगे और फिर वो राजश्री चबाते हुए तेरे पैंट की ज़िप खोलेगी..."

"आआहह...आगे बोलो अरमान भाई."

"और फिर तेरे लंड पर और फेस पर राजश्री थूक कर भाग जाएगी... "

"क्या अरमान भाई ,केएलपीडी कर दिया."
Reply
12-15-2018, 01:13 AM,
#84
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
अरुण,सौरभ,नवीन और राजश्री पांडे तो मेरे साथ आने के लिए तैयार हो गये थे,लेकिन सुलभ अब भी नाटक कर रहा था.

"तू चलेगा हमारे साथ..."

"मैं नही जाउन्गा..."

"तुझसे पुछ थोड़ी ही रहा हूँ ,मैं तो तुझे बता रहा हूँ कि तू चलेगा हमारे साथ "

जैसे-तैसे करके हम सबने सुलभ को भी राज़ी कर लिया और जब सब तैयार हो गये तो मैने उन सबको वहाँ कुच्छ देर रुकने के लिए कहा....

"अब क्या हुआ,जल्दी चल...मुझसे कंट्रोल नही हो रहा..."

"रुक जा, वो वॉर्डन एक बार हमे देखने ज़रूर आएगा कि हम कॅंप पर मौजूद है या नही...एक बार वो हमे यहाँ देख ले फिर कोई बात नही..."

"तब तक तो साली रात हो जाएगी,फिर लड़किया मेरा खूबसूरत चेहरा कैसे देखेगी "मायूस होते हुए अरुण एक तरफ बैठ गया.
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जैसा कि मेरा अनुमान था वॉर्डन हमारे कॅंप मे आया ,लेकिन आधे घंटे बाद और जैसे ही वॉर्डन हमे देख कर वापस अपने कॅंप मे घुसा तो हम 6 लोग ,तुरंत उस पहाड़ी से नीचे उतर कर डॅम के किनारे पर पहुँचे....उस पहाड़ी से नीचे उतरने मे हम सबके पसीने छूट गये थे और हाँफने भी लगे थे.

"गान्ड फॅट गयी बे,नीचे उतरने मे...अब बस कोई लड़की ब्लो जॉब दे दे तो मज़ा आ जाए..."हान्फते हुए सौरभ बोला.

सौरभ के बाद बारी-बारी से सबने अपनी डिज़ाइर जाहिर की, कुच्छ ने कहा कि उसे स्मूच करना है तो किसी ने कहा वो लड़की की छातियों को मसलना चाहता है...किसी ने कहा कि वो लड़की को झाड़ी के पीछे लेटा कर ठोकना चाहता है तो किसी ने कहा कि डॅम मे कूदकर 'अंडर वॉटर रोमॅन्स' करेगा...पर इन गधो को कौन बताए कि ऐसा आज तो क्या,आने वाले तीन दिनो मे भी ये नही कर सकते....

नदी के उपर एक लंबा-चौड़ा पुल बना हुआ था, जिसके दोनो तरफ थोड़ी-थोड़ी दूर पर बैठने के लिए लोहे की चेर्स फिट किए गये थे और इस वक़्त ,शाम के समय पुल पर बैठने की जो जगह थी वो हाउसफूल थी...मतलब की हर एक जगह पर प्रेमी जोड़ो ने कब्जा कर रखा था. 

उन सबको बैठने की सभी जगह पर कब्जा करते देख मेरा रोम-रोम गुस्से से भड़क उठा और मेरे दिमाग़ मे एक खुरापाति आइडिया आया....
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वैसे किसी महान पुरुष ने कहा है कि ' दूसरो के साथ कभी भी ऐसा व्यवहार मत करो,जो तुम्हे खुद खुद के साथ पसंद ना हो...' लेकिन ये वक़्त उस महान पुरुष की बोरिंग बातों को मानने का नही था इसलिए मैने सबको अपने करीब बुलाया और बोला
"मेरे प्यारे भाइयो और भाइयो...चलो थोड़ा मौज-मस्ती करते है..."

इसके बाद मैने सबको क्या-क्या करना है ये बताया और जब सबने इसपर अपनी सहमति दे दी तो हम सब एक साथ आगे बढ़े .

"रेडी दोस्तो..."पुल पर आगे बढ़ते-बढ़ते जब हम लोग एक कपल के पास पहुँचे तो मैने अपने दोस्तो से कहा"सुलभ तू आगे जा और सौरभ तू अपना मोबाइल निकाल ले..."

जब हमने सब ताम-झाम कर लिए तो सुलभ एक प्रेमी जोड़े के सामने जाकर खड़ा हो गया, जो आपस मे एक-दूसरे का हाथ थामे हुए शांति से बैठ कर बात कर रहे थे....
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"ये देखो, ये है हमारे महान भारत के युवा..जो यहाँ पब्लिक प्लेस मे अश्लीलता फैला रहे है."एक दम सीरीयस होते हुए सुलभ बोला, 

सुलभ के मुँह से ऐसी धार्मिक बाते सुनकर वो प्रेमी जोड़े ऐसे चौके जैसे उनके माँ-बाप ने उन्हे रोमॅन्स करते हुए देख लिया हो...उनकी तो पूरी तरह से बॅंड बज चुकी थी. 

"ऐसे लोग...ऐसे ही लोग है ,जो हमारी संस्कृति को धूमिल करते है..."उसके बाद उन दोनो की तरफ देखकर सुलभ बोला"तुम्हे पता है हमे आज़ादी किस तरह मिली,कितनो का खून बहा...हमे आज़ादी मिली इसका मतलब ये नही तुम लोग कही भी बैठकर ,कुच्छ भी करोगे...सालो कुच्छ तो शरम करो..."बोलते हुए सुलभ ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा...जिसके बाद वो लड़का जो अपनी माल के साथ वहाँ बैठा हुआ था,वो ताव मे सुलभ को मारने के लिए खड़ा हो गया...लेकिन जब हम सब सुलभ के पीछे खड़े हो गये तो वो लड़का शांत बैठ गया....
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"सौरभ अब तेरी बारी..."आगे बढ़ते हुए मैने कहा और सौरभ को छोड़ कर हम सब वही रुक गये....आगे जाकर सौरभ ठीक एक कपल के सामने रुक गया और उनमे शामिल लड़के का कंधा थपथपा कर बोला...
"भाई,एक नंबर लिखना तो..."

"चल निकल यहाँ से..."वो लड़का बोला...

"लिख लेना ना यार..."मासूम सी शक्ल बनाते हुए सौरभ ने विनती की तो लड़की का दिल पिघल गया और उसने अपने बाय्फ्रेंड को इशारे से कहा कि वो सौरभ की बात मान ले...

"चल बोल..."उस लड़के ने अपना मोबाइल निकाल कर कहा

"थॅंक्स यार, वो आक्च्युयली मैने मेरे दोस्त हीरालाल से हीरालाल का नंबर माँगा था और इस वक़्त मेरे पास कोई कागज ,पेन नही है तो..."

"अब बकेगा भी."

"हां चल लिख...99"
"99.."
"99..."
"9999..."नंबर लिखने के साथ-साथ ही वो लड़का धीमी आवाज़ मे नंबर रिपीट भी कर रहा था.
"फिर 99..."
"999999"
"चार बार फिर 9"
"चार बार फिर 9,....9999999999"लिखने के बाद जब उस लड़के ने सौरभ के बताए नंबर पर गौर किया तो उसका भेजा ठनका और वो गुस्से से खड़ा हो गया"बीसी, चोदु समझ रखा है "

"नीचे बैठ बोसे ड्के..."एक तमाचा उसके गाल पर जड़ते हुए सौरभ ने कहा और उसी वक़्त हम सबने वहाँ अपनी एंट्री मारी...जिसके बाद वो लड़का पहले वाले लड़के की तरह चुप-चाप बैठ गया और हम लोग आगे बढ़ गये ,अपने नये शिकार की तालश मे....
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"राजश्री अब जा ,तेरी बारी..."

एक बार फिर हम लोग रुक गये और जिसे शिकार करना था,उसे आगे भेज दिया...राजश्री आगे जाकर एक कपल के पास रुक गया...

"कोई दिक्कत है क्या..."जिस कपल के सामने अपने पांडे जी खड़े थे, उसमे से लड़के ने आँखे बड़ी करके भारी आवाज़ मे पुछा...

जिसके जवाब ने अपने पांडे जी ने सबसे पहले राजश्री का पाउच फाडा और मुँह मे डालकर राजश्री के दानो को चबाते हुए बोले"यहाँ राजश्री का रेट क्या चल रहा है..."

"ओये भिखारी जाता है यहाँ से या दूं दो हाथ..."

"सुन बे लोडू, लड़की के साथ है तो ज़्यादा उचक मत,वरना गुटखे की पीक सीधे तेरे मुँह पर मारूँगा...सॉरी बोल"

"तू ऐसे नही मानेगा..."बोलते हुए वो लड़का हुआ ही था कि अरुण दौड़कर वहाँ पहुचा और उस लौन्डे को एक हाथ जमा दिया...

"तेरी माँ की ...."वो लड़का ज़ोर से चिल्लाया

"चुप चाप बैठ म्सी.."एक झापड़ राजश्री ने तन कर उस लड़के से कहा..

वो लड़का थोड़ा फटतू किसम का था,इसलिए जब उसे दो थप्पड़ पड़े तो उसने रोना शुरू कर दिया, जिसके बाद हम सबने उसे सॉरी कहा और आगे बढ़ गये....
.
"अब मेरी बारी..."वहाँ से बहुत आगे आकर मैने कहा.

मेरी नज़र एक ऐसे कपल पर पड़ी थी जो कि आपस मे एक दम से घुले-मिले हुए थे..बोले तो दोनो स्मूचिंग कर रहे थे . मैने एक लंबी साँस ली और उनके पास जाकर लड़के के सर के बाल को पकड़ कर उसका सर ज़ोर से कयि राउंड घुमा दिया...

"साले तेरा पता चल ही गया ना, तू ही है वो...जो मेरी बहन के साथ इश्क़ फरमाता है, बकल..."बोलते हुए मैने एक बार फिर उस लड़के के बालो को पकड़ा और खीचते हुए कयि राउंड घुमा दिया....

अब तक हम लोगो ने जितने भी कपल्स को परेशान किया था ,उनमे से सबने ने हमारे साथ बहस की थी...लेकिन ये लड़का कुच्छ नही बोल रहा था उल्टा मुझे सॉरी बोल रहा था.लड़के की ये हालत देख कर मैने उसे एक-दो मुक्का और मारा और लौंडिया की तरफ देखकर कहा"बहना तू आज घर चल...तेरी खबर तो मैं अच्छे से लूँगा..."बोलते हुए मैं वापस पीछे पलटा और अपने दोस्तो की तरफ आने लगा...

हँसी तो मुझे इस वक़्त इतनी आ रही थी कि अपना पेट पकड़ कर हँसने का मन कर रहा था, लेकिन मैने खुद पर कंट्रोल करके रखा हुआ था.

वो लड़का जहाँ डर के मारे शांत बैठा था वही उसकी आइटम इस कन्फ्यूषन मे थी कि "उसका ये भाई कहाँ से पैदा हो गया..."
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"जानू, तुम ठीक तो हो ना..."उस लड़की ने अपने लूटे-पिटे बाय्फ्रेंड से कहा"ये मेरा भाई नही है..."

"क्या..."दुनिया भर की नफ़रत लिए वो लड़का एक दम से खड़ा हुआ,लेकिन हम लोग तो वहाँ से कब के खिसक चुके थे.
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पुल से नीचे उतर कर हम लोग एक जगह खड़े हुए और अपना पेट पकड़ कर हँसने लगे....राजश्री पांडे की हँसी इतनी भयंकर थी कि उससे ज़मीन मे खड़ा नही हुआ जा रहा था, वो बार -बार हँसते हुए गिरने लगता...

"क्या मारा है उन सालो को,साले सात जनम तक याद रखेंगे..."

"अब सब चुप हो जाओ...वो देखो दूसरे कॉलेज की लड़कियो का ग्रूप आ रहा है..."राजश्री के पिछवाड़े मे एक लात मारते हुए मैने कहा....

"पहले मैं इस पर ट्राइ करूँगा..."

"नही पहले मैं..."

"अबे तू तो चोदु दिखता है, पहले मैं..."

"नही पहले मैं..."

उन सबकी भीनभीनाहट से जब मैं तंग आ गया तो मैने ज़ोर से चीखकर उन सबको पहले शांत कराया और फिर बोला"ये मक्खियो की तरह ,क्यूँ भीनभीना रहे हो बे और ये क्या लगा रखा है...पहले मैं ,पहले मैं...ये कोई फिल्म है क्या जो हीरो के दोस्त किसी हॉट लड़की पर शुरू-शुरू मे डोरे डालेंगे और फिर थप्पड़ खाकर वापस आएँगे..."बोलकर मैं थोड़ी देर के लिए रुका और अपने कॉलर ,शर्ट और पैंट को ठीक करने के बाद बोला"ये रियल लाइफ है,इसलिए डाइरेक्ट हीरो ,अपनी हेरोयिन से फ्लर्ट करेगा...सुलभ गॉगल देना तो मेरा."

"गर्ल्स वित ब्यूटी डॉन'ट हॅव दा ब्रेन..."

ऐसा मेरा मानना था ,लेकिन उन कॅंप के तीन दिनो मे मैं एक ऐसी लड़की से मिला जिसने उपर लिखी गयी लिखावट और मुझे एक झटके मे ग़लत साबित कर दिया.

मैं आज तक ये मानते आया था कि इस पूरी दुनिया मे मुझ जैसा मैं अकेला ही हूँ, इसलिए उस समय अट्मॉस्फियर मे रोमांच के पार्टिकल अपने आप घुल मिल गये,जब मैने अपने जैसे ही दूसरे को देखा. ये रोमांच तब और बढ़ गया जब मुझे मालूम चला कि वो दूसरे कॉलेज की है लेकिन ये रोमांच सबसे ज़्यादा उसके एक लड़की होने पर बढ़ा था.उन दिनो मैं एक ऐसी लड़की से मिला जिसने काई बार मुझे पीछे छोड़ दिया और मैं ये सोचने पर मजबूर हो गया कि एक लड़की के पास इतना दिमाग़ कैसे आ गया,जो मेरे 1400 ग्राम के ब्रेन का मुक़ाबला कर सके....
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राजश्री के हाथ से मैने अपना गॉगल लिया और आँखो मे सजाकर उन लड़कियो की तरफ बढ़ा ,जो हमारी तरफ ही आ रही थी. वो तीन थी लेकिन देखने लायक सिर्फ़ एक ही थी,जो कि बाकी दो लड़कियो के बीच मे चल रही थी....उनकी तरफ आगे बढ़ते हुए मैने गौर किया की वो तीनो लड़किया अपने ही आप मे मस्त थी, उन्हे आस-पास की बिल्कुल भी परवाह नही थी कि उनके आस-पास क्या हो रहा है, वो तो हँसते हुए, एक दूसरे का मज़ाक बनाते हुए बस आगे बढ़ रही थी....
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"ये तो दूसरे कॉलेज की लगती है..."अंदाज़ा लगते हुए मैने सोचा"साला एक इनका वॉर्डन है जो इन सबको अभी तक घूमने की पर्मिशन दे रहा है और एक साला अपना वॉर्डन है जो खुद को हिट्लर की औलाद समझता है...."

उन लड़कियो की तरफ आगे बढ़ते हुए मैं सोचने लगा कि उनसे मैं क्या बात करूँगा और तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरे पीछे कोई है...मैने पीछे मुड़कर देखा तो मेरे दोस्त भी धीमी-धीमी चाल मे आगे बढ़ रहे थे.
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12-15-2018, 01:14 AM,
#85
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"तुम लोग दफ़ा हो जाओ, वरना वॉर्डन से चुदवा दूँगा...."

"तू साले अपना मुँह बंद रख अरमान,नही तो लवडा फेक कर मारूँगा...बोसे ड्के,चोदु समझ रखा है क्या..."अरुण मेरे पास आया और मेरी आँखो मे आँखे डालकर बोला.

"क्या तुझे मुझसे डर नही लगता..."

"नही.."

"फिर ठीक है, तुम सब भी उसपर ट्राइ करना...लेकिन पहले मुझे जाने दो..."

"ह्म..अब आया ना लाइन पर..जा पहले तू ट्राइ मारकर आ ,हम लोग पीछे जाते है..."
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"अच्छा हुआ गये साले...कुत्ते कही के."उन सबको पीछे जाता हुआ देख मैं बड़बड़ाया और आगे से आ रही तीन लड़कियो के ठीक सामने जागार उनका रास्ता रोक लिया....
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"एनी प्राब्लम..."बीच वाली ने मुझे देखकर कहा.

" दिस टाइम, देयर आर ओन्ली थ्री प्रॉब्लम्स.."अंग्री यंग मॅन का रूप धारण करते हुए मैं आंजेलीना(बीच वाली) के लेफ्ट साइड मे खड़ी लड़की को देखकर कहा"फर्स्ट प्राब्लम ईज़ यू"फिर आंजेलीना के राइट साइड मे खड़ी लड़की को देखकर कहा"सेकेंड ईज़ यू"और सबसे आख़िरी मे मैने आंजेलीना की तरफ देखा और गॉगल के अंदर से ही उसकी आँखो मे आँखे डालकर बोला"आंड थर्ड ईज़ यू..."

"आंड हू आर यू..."आंजेलीना थोड़ा झल्लाते हुए बोली.

"मैं अरमान और मैं इस जगह का मॅनेजर हूँ,बोले तो इस जगह का अरेंज्मेंट मैं ही देखता हूँ..."

"तो, इसका मतलब ये नही कि..."

"इस समय मतलब ना तो इसका है और ना ही उसका..."आंजेलीना को बात को बीच मे ही काटकर मैने कहा"मतलब इसका है कि अभी मतलब किसका है , आइ होप कि तुम लोगो को सब समझ आ गया होगा "

"तो हम लोग आगे जाए..."मेरे इतने भारी भरकम डाइलॉग को पूरी तरह से इग्नोर करते हुए आंजेलीना बोली.

"तुम लोग आगे नही जा सकते..."

"क्यूँ...आगे कोई धमाका होने वाला है क्या..."

"धमाका तो नही होने वाला,लेकिन यदि तुम आगे जाओगी तो बहुत बड़े-बड़े धमाके होंगे..."थोड़ा सा मुस्कुराते हुए मैने कहा..."आक्च्युयली ,हमारे रूल्स के अनुसार कॅमपिंग के लिए आए कॉलेज के स्टूडेंट्स को शाम के 6 बजे के बाद डॅम के आस-पास भटकने की कोई अनुमति नही है, इसलिए बेहतर यही होगा कि तुम लोग वापस अपने कॅंप मे जाओ..."
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मेरी धमकी सुनकर आंजेलीना के अगल-बगल खड़ी लड़कियो ने तुरंत अपना सड़ा सा मुँह बना लिया और मुझे समझते देर नही लगी कि वो दोनो अंदर ही अंदर मुझे गालियाँ दे रही थी.आंजेलीना इस वक़्त शांत खड़ी होकर कुच्छ सोच रही थी .
"तुम्हारा नाम क्या है..."उसकी सोच मे रुकावट डालते हुए मैने उससे पुछा...
"आंजेलीना..."
"जौली "उसका आगे का नाम जानकार पीछे का नाम मैने अपने से फिट कर दिया....

"जौली नही सिल्वा...आंजेलीना सिल्वा "इसके बाद उसने अपने कॉलेज का नाम बताया जिसके बाद मुझे मालूम चला कि वो उस समय म्बबस की पढ़ाई कर रही थी...उसकी खूबसूरती का तो मैं उसे देखते ही कायल हो गया था और अब जब मुझे पता चला कि वो म्बबस की स्टूडेंट है तो उसका लेवेल मेरे लिए थोड़ा और बढ़ गया....
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"तुम्हारा नाम अरमान है क्या...."आंजेलीना ने अपनी फिंगर मुझ पर पॉइंट आउट करते हुए कहा.

"ओह तेरी "उसके मुँह से अपना करेक्ट नाम सुनकर एक पल के लिए मेरे मुँह के साथ-साथ मेरा सब कुच्छ फट गया....

मेरी हालत इस वक़्त ऐसी थी जैसे कि किसी ने मुझे बगल मे बह रही नदी मे डुबो-डुबो कर खूब पिटा हो....मैने अपना गॉगल उतारा ,जो मेरे हाथ से फिसल कर ज़मीन पर गिर गया. मैं आंजेलीना को बहुत देर तक देखता रहा और उसे पहचानने की कोशिश करने लगा..

"नही..इसको तो आज से पहले कही नही देखा...फिर ये अपुन का नाम कैसे जानती है..."

बहुत सोचने के बाद भी जब मुझे कही से आंजेलीना के बारे मे कोई क्लू नही मिला तो मैने आंजेलीना से ही पुछा कि उसे मेरा नाम कैसे मालूम चला....
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"मेरी बात सुनकर तुम्हे थोड़ा अजीब लगेगा...शायद ये भी हो कि तुम्हे मुझपर यकीन ना आए..."

" ये पज़्ज़ील-पज़्ज़ील का गेम खेलना बंद करो और सब कुच्छ बताओ..."

"सबसे पहले मैं तुम्हे ये बताना चाहूँगी कि तुम मॅनेजर बिल्कुल नही दिखते और ना ही तुम किसी मॅनेजर के उम्र के हो और दूसरी बात ये कि मैं ऑलरेडी उस शक्स को जानती हूँ ,जो यहाँ सभी अरेंज्मेंट की देख रेख करता है "आंजेलीना ने मुझ पर पहला बॉम्ब फोड़ा और फिर आगे बोली"जब हम तीनो अपने कॅंप से आ रहे थे तो सामने दूसरे कॉलेज का ग्रूप,जो कि अभी कुच्छ देर पहले ही यहाँ आया है,उनके कॅंप के बाहर अच्छी ख़ासी भीड़ थी...हम तीनो उस भीड़ से थोड़ी दूर ,कुच्छ देर के लिए खड़े रहे जिससे हमे ये मालूम चला कि कुच्छ लड़के अपने कॅंप से मिस्सिंग है और तभी तुम्हारे केर्टेकर ने एक नाम गुस्से से लिया'अरमान, उसकी तो मैं आज जान ले लूँगा...' "

"थॅंक्स फॉर दा इन्फर्मेशन...लेकिन मैं अभी तक ये नही समझा कि ,मैं ही अरमान हूँ,तुम्हे ये कैसे मालूम हुआ..."

मेरे इस सवाल पर वो थोड़ा मुस्कुराइ और बोली"हम लोग यहाँ दो दिन पहले से है,इसलिए हमे मालूम है कि कौन किस वक़्त कहाँ होता है और जिस जगह तुम खड़े हो या फिर ये कहे कि जिस जगह हम चारो और तुम्हारे पीछे तुम्हारे दोस्त खड़े है, वहाँ दिन के समय भी कोई नही आता सिवाय उन स्टूडेंट्स के जिनके कॅंप उपर लगे हुए है...तो फिर भला रात मे कौन आएगा....मेरे कॉलेज के तो तुम हो नही तो बचा दूसरा कॉलेज और उनके इस वक़्त कॅंप से मिस्सिंग लड़को का ग्रूप...सो अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही हुआ ,दूसरे शब्दो मे कहे तो मैने अंधेरे मे दिए की रोशनी मे एक तीर चलाया जो एक दम सही निशाने पर जाकर लगा..."

"क्या कयामत है यार,साली ने तो भेजा घुमा कर रख दिया..."लूटा-पिटा सा मैं आंजेलीना को देखता रहा ,सिर्फ़ देखता रहा क्यूंकी कहने के लिए मेरे पास इस समय कुच्छ नही था.
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"मैं समझ सकती हूँ तुम्हारी हालत.."अपने होंठो पर हल्की सी स्माइल लाते हुए वो बोली"अक्सर मेरे फॅक्ट्स सुनकर लोगो का सर चकरा जाता है,.."

"मुझे यकीन हो गया,क्यूंकी अक्सर मैं भी ऐसा ही कुच्छ एक्सपेरिमेंट करता रहता हूँ..."

"सर दर्द की दवाई खा लेना,वरना ब्रेन डॅमेज हो सकता है..."मेरा मज़ाक उड़ाते हुए वो वहाँ से आगे जाने लगी और बोली"गुडबाइ मॅनेजर..."

"तू बाद मे मिल मुझे,फिर तुझे मैं अपने 1400 ग्राम के ब्रेन की पॉवर दिखाता हूँ, साली को....."बोलते हुए मैं बीच मे रुक गया...

पता नही क्यूँ पर मेरा दिल नही किया कि मैं उस लड़की को गाली दूं...
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12-15-2018, 01:14 AM,
#86
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
उन तीनो के वहाँ से आगे बढ़ने के बाद मैने अपने दोस्तो को पुकारा,लेकिन सालो के कान मे तो जैसे किसी ने लंड डाल दिया था,उनमे से किसी ने भी मुझे कोई रेस्पोन्स नही दिया...

"अबे कुत्तो, जल्दी चलो...वरना वॉर्डन हमे ठोक-ठोक कर बहाल कर देगा..."

"क्या..."वो सब एक साथ चीखे और दौड़ते हुए मेरे पास आए....
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"क्या बात की तूने उस फुलझड़ी से,.."

"कुच्छ नही..."

"अरे कुच्छ तो किया होगा..."उपर पहाड़ी पर चढ़ते हुए सौरभ ने मुझे धक्का देकर पुछा...

"कहा ना कुच्छ नही किया मैने..."

"तो फिर उसने कुच्छ किया होगा, क्यूँ अरमान भाई..."सौरभ की नकल करते हुए राजश्री पांडे ने भी मुझे धक्का दिया, जिससे मैं उपर चढ़ते हुए गिरने से बाल-बाल बचा...

एक तो वैसे भी आंजेलीना ने पूरे दिमाग़ के अंजर-पंजर ढीले कर दिए थे उपर से अब ये...

"वो छोड़ के गयी है मुझको...."बोलते हुए मैने एक जोरदार मुक्का राजश्री पांडे की पीठ मे जड़ दिया

कॅंप के नज़दीक आने तक हम सबकी दिल की धड़कने बढ़ चुकी थी क्यूंकी हम सब जानते थे कि अब हमारा वॉर्डन सबके सामने हमारी इज़्ज़त उतारेगा..लेकिन जब हम लोग अपने कॅंप्स के नज़दीक गये तो वहाँ कोई भीड़-भाड़ नही थी, वहाँ का नज़ारा पहले जैसे ही था...मतलब कि सभी लड़के अपने कॅंप मे और वॉर्डन ,उन दो गाइडेन्स के साथ अपने कॅंप मे.....

"लगता है कि अब सबके सामने हमारी बेज़्जती नही होगी...चियर्स लवडो..."

"तुझे कैसे पता..."

"क्यूंकी अब हम सब चुप चाप वॉर्डन के कॅंप मे जाएँगे और सॉरी बोल देंगे...जिसके बाद वो हमे उन दो गाइडेन्स के सामने गाली बकेगा और फिर वॉर्निंग देकर छोड़ देगा..."

"तुझे कैसे पता कि सब कुच्छ ऐसा ही होगा..."अरुण ने पुछा...

"मुझे ये सब इसलिए पता है,क्यूंकी..."अरुण के कंधे पर हाथ रखकर मैं बोला"क्यूंकी मैं ये सब स्कूल के दिनो मे भी कर चुका हूँ....वो भी एक बार नही कयि बार."

"मेरे पास एक प्लान है..."सौरभ ने मेरा हाथ अरुण के कंधे से हटाया और हम दोनो के बीच मे घुसकर बोला"यदि ऐसा ही है तो फिर सबको वॉर्डन के कॅंप मे सॉरी बोलने के लिए जाने की ज़रूरत नही..."

"आगे बोल..."

"बोले तो ,तू और राजश्री पांडे चले जाओ..."

"एडा समझ रखा है..."सौरभ को पीछे धकेल कर मैने कहा...

"सही तो बोल रहा है ,सौरभ..."अरुण बोला"तुम दोनो जाकर वॉर्डन को सॉरी बोलना और हमारे हिस्से की गाली खाकर आ जाना,फालतू मे सब गाली खाएँगे"

"तो फिर...तू और राजश्री चल दे या सौरभ को भेज दे.. "अरुण को भी पीछे धकेलते हुए मैने कहा....

"अबे तूने ही तो अभी कहा कि तू ये सब पहले भी कर चुका है,वो भी एक बार नही बल्कि बार-बार...इसलिए तुझे भेज रहे है क्यूंकी तू एक्सपीरियेन्स वाला आदमी है..."मेरे करीब आते हुए सुलभ ने कहा ,लेकिन मैं जब उन सबकी बात मानने से मना कर दिया तो अरुण पीछे से मेरे कान मे फुसफुसाया....

"यदि कोई प्राब्लम हो तो राजश्री को फँसा देना...इसीलिए तो उसे तेरे साथ भेज रहे है..."

"बदले मे मुझे क्या मिलेगा..."

"हम सबकी ढेर सारी दुआ और बहुत सारा प्यार..."

"गान्ड मे डाल ले अपना प्यार...मैं ये सब एक ही शर्त पर करूँगा..."चालाकी भरी मुस्कान के साथ मैने कहा"तू मुझे वो 100 वापस कर,जो बस मे तूने मुझसे वापस ले लिए थे...."

"चल बे, तुझे मैं 100 क्या 100 पैसे भी नही दूँगा..."

"फिर मैं भी नही जा रहा वॉर्डन के पास..."अरुण का रुबाब देखकर मैने भी अपने हाथ खड़े कर दिए.
.
मेरे ज़िद ने अरुण,सौरभ और सुलभ को गहरी चिंता मे डाल दिया था....क्यूंकी एक तरफ अरुण 100 देने मे आना-कानी कर रहा था तो वही दूसरी तरफ सब ये चाहते थे कि मैं ही वॉर्डन के पास जाउ...5 मिनिट तक उन तीनो मे कुच्छ डिस्कशन हुआ...जिसके बाद अरुण ने अपने पर्स से सौ की एक हरी पत्ती मुझे थमा दी.

जब ये मसला ठिकाने लगा तो अब राजश्री पांडे ने रोना शुरू कर दिया कि वो मेरे साथ वॉर्डन के पास नही जाएगा लेकिन उसे मनाने मे मुझे बहुत ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़ी...मैने उसे ,उसका सीनियर होने के नाते बहुत सारी धमकिया दी...जिसके बाद ना चाहते हुए भी पांडे जी को हमारी बात माननी पड़ी.उसके बाद वहाँ से अरुण, सुलभ,सौरभ अपने कॅंप की तरफ गये और राजश्री पांडे मेरे साथ वॉर्डन के कॅंप की तरफ....
.
"सर ,मे आइ कम इन..."

"आओ अरमान...अभी मैं तुम्हारे ही बारे मे सोच रहा था..."

वॉर्डन की अनुमति मिलने के बाद हम दोनो अंदर घुसे. वॉर्डन के साथ इस वक़्त तीन लोग थे.दो को तो मैं जानता था ,जो हमारे गाइडेन्स थे..लेकिन तीसरे वाले को मैं पहली बार देख रहा था, खैर ये वक़्त इस समय उस तीसरे वाले के बारे मे ना सोचकर अपने बारे मे सोचने का था लेकिन मैं अंदर आकर वॉर्डन को सॉरी बोलता या अपनी फेंक स्टोरी उन्हे सुनाता कि हम लोग बाहर क्यूँ गये थे...इसके पहले ही वॉर्डन बोल पड़ा....

"अरमान,ये है मेरे बचपन का दोस्त बलराम...तुम यकीन नही करोगे कि हम लोग 12थ तक एक साथ ही पढ़ते थे.."चाय का प्याला सामने ज़मीन पर रखने के बाद ,कुच्छ सोचते हुए वॉर्डन ने कहा"18 साल बाद हम दोनो आज फिर मिले वो भी बड़े अजीब तरीके से और आज मैं बहुत खुश हूँ..."

"लवडा बहुत खुश नज़र आ रहा है, यही बढ़िया मौका है कि इसके सामने अपनी ग़लती स्वीकार कर लूँ..."मैने मन मे सोचा...
.
"अरमान ,आज मेरे दोस्त बलराम ने एक बड़ा ही बढ़िया सुझाव दिया है...बलराम जो कि हमारे साइड मे लगे दूसरे कॉलेज के कॅंप का केर्टेकर है...उसने कहा है कि एक रात दोनो कॉलेज मिलकर ग्रूप डिस्कशन का प्रोग्राम रखते है..."

"ग्रूप डिस्कशन नही , डिबेट..."बलराम बीच मे बोला"और टॉपिक रहेगा इंजिनीयर्स वी/एस डॉक्टर्स..."

"बढ़िया आइडिया है..."मुझे उनके उस डिबेट कॉंपिटेशन मे कोई इंटेरेस्ट नही था,लेकिन फिर भी मैने इंटेरेस्ट के साथ कहा.

"तुम यहाँ क्यूँ आए थे, कुच्छ काम था क्या..."वॉर्डन ने मुझसे पुछा..जिसके बाद मैं थोड़ा चौका...

मैं कुच्छ देर और वहाँ रहा और इधर-उधर की बाते करते हुए वॉर्डन से वो सब जानने लगा कि मेरे कॅंप से गायब होने के बाद यहाँ क्या-क्या हुआ था..लेकिन मेरा सर उस वक़्त जोरो से घूमा जब मुझे बातो ही बातो मे ये पता चला कि वॉर्डन पिछले एक घंटे से म्बबस कॉलेज के केर्टेकर के साथ बैठा गप्पे लड़ा रहा था और फिर जब वॉर्डन ने मुझे, मेरी उस करतूत के लिए कुच्छ नही कहा तो कुच्छ-कुच्छ बाते मेरे दिमाग़ मे घुसना शुरू हो गयी...जैसे कि वॉर्डन को ये मालूम तक नही था कि मैं कुच्छ देर पहले अपने दोस्तो के साथ यहाँ से नीचे डॅम की तरफ गया था....
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मैं ,राजश्री पांडे के साथ तुरंत वहाँ से निकला और कुच्छ लड़को के कॅंप मे जाकर पुछा कि क्या उन सबकी ,वॉर्डन के साथ मीटिंग हुई थी या किसी को भी हमारे कॅंप से गायब होने की खबर थी और जो जवाब उन लड़को ने दिया उसे सुनकर मैं डबल शॉक्ड हुआ...उन लड़को ने मुझसे कहा कि...ना तो कोई मीटिंग हुई थी और ना ही किसी को पता था कि मैं यहाँ से गायब था.....
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"अरमान भाई..क्या हुआ..."

"कुच्छ नही ,एक तो साला पहले से ही सपने मे आकर दिमाग़ को चोदता था और अब ये दूसरी रियल मे दिमाग़ को चोद रही है...साले दोनो के दोनो भूत है,उपर से नेटवर्क प्राब्लम की वजह से गूगल महाराज भी मेरे साथ नही है..."
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वो लड़की ,जो अपने दो दोस्तो के साथ मुझे पहाड़ी के नीचे मिली थी...उसने मुझे कहा था की मेरे कॉलेज वाले मुझे ढूँढ रहे है और वहाँ से गुज़रते वक़्त उसने मेरा नाम,मेरे वॉर्डन के मुँह से सुना और फिर घनघोर अंधेरे मे एक दिए की रोशनी मे उसने अंधेरे मे तीर चलाया था ,जो कि एक दम फिट बैठा....लेकिन यहाँ आकर मुझे मालूम चला कि उसकी कोई भी बात सच नही थी.ना तो किसी को मेरे गायब होने की खबर थी और ना ही उसने मेरा नाम हमारे वॉर्डन के मुँह से सुना था, तो अब मेरे सामने सवाल ये था कि 'फिर उसे मेरा नाम कैसे मालूम चला, साली कोई भूत तो नही थी...'
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यही सब सोचते हुए मैं अपने कॅंप के अंदर घुसा.रास्ते मे मैने राजश्री पांडे को समझा दिया था कि यदि सुलभ,सौरभ और अरुण मे से कोई ये पुच्छे कि 'वॉर्डन ने क्या कहा' तो उसे बोलना है 'वॉर्डन ने बहुत गाली बकी '

राजश्री को ऐसा बोलने के लिए मैने इसलिए कहा ,क्यूंकी मुझे डर था कि कही अरुण मुझसे अपने 100 वापस ना ले ले...
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कॅंप के अंदर आकर मैं अपनी जगह लेट गया.इस वक़्त मेरे दिमाग़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ आंजेलीना ही छाइ हुई थी...मुझे अब भी समझ नही आ रहा था कि उसने मेरा नाम कैसे जाना और तभी मैने फ्लश बॅक मे जाने का सोचा....


फ्लेसबॅक
"आंड हू आर यू..."आंजेलीना थोड़ा झल्लाते हुए बोली.

"मैं अरमान और मैं इस जगह का मॅनेजर हूँ,बोले तो इस जगह का अरेंज्मेंट मैं ही देखता हूँ..."
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"ओह तेरी...उसे तो मैने पहले ही अपना नाम बता दिया था ,वो साली म्बबस की लौंडिया झूठी-झूठी कहानी बनाकर मुझे दो-दो बार चोद दी...कमाल है यार, कैसे-कैसे लोग मौजूद है इस दुनिया मे."
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'आंजेलीना को मेरा नाम कैसे मालूम चला' इसकी गुत्थी सुलझाने के बाद मैं आराम से लेटा .लेकिन एक बेचैनी मेरे अंदर घर कर चुकी थी कि एक लड़की ने....एक लड़की ने मुझे एडा बना दिया ,वो भी इतने जबर्जस्त तरीके से,जिसकी मैं कल्पना तक नही कर सकता और तभी मुझे एक जोरदार झटका तब लगा जब मुझे ये मालूम चला कि मैने अपना गॉगल कहीं खो दिया है...

"बीसी, दिन ही खराब है ,2000 का नुकसान पहले ही दिन हो गया...कितनी मुश्किल से पैसे बचा-बचा कर मैने गॉगल खरीदा था...आंजेलीना, तू अबकी बार मिल मुझसे "

आंजेलीना से पहली ही मुलाक़ात मे मेरा बहुत बड़ा नुकसान हो गया था लेकिन मैं बेचैन इसलिए नही था कि आज मेरे गॉगल गुम गये थे बल्कि मैं बेचैन इसलिए था कि एक लड़की ने मुझे बेवकूफ़ बनाया वो भी एक खूबसूरत लड़की ने....
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उसी दिन रात के करीब 9 बजे जब मैं सिगरेट पीने कॅंप से चुपके-चुपके निकला तो देखा की सामने वाले कॉलेज के कॅंप पर कोई तेज़ आवाज़ मे चिल्ला रहा था...मैं आवाज़ की तरफ गया तो पाया कि लगभग एक 40-42 साल की एक औरत कुच्छ लड़कियो पर चिल्ला रही थी...मैं उनके कॅंप के थोड़ा और करीब गया तो देखा कि वो औरत जिन लड़कियो पर चिल्ला रही थी वो कोई और नही बल्कि वही तीनो लड़किया थी..जो मुझे नीचे डॅम के पास मिली थी ,बोले तो खूबसूरत आंजेलीना और उसकी बदसूरत दोनो सहेलिया....
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आंजेलीना को डाँट खाते देख मेरे दिल को थोड़ा सुकून मिला.

"और डाँट, बाल पकड़ कर 360 डिग्री पर घूमा...बहुत होशियार समझती है खुद को..."मैने दिल ही दिल मे कहा और फिर अपने कॅंप की तरफ वापस आने के लिए पीछे पलटा तो उस औरत के कुच्छ शब्द मेरे कान मे पड़े,जिसे सुनकर मैं पीछे पलटा...

"आंजेलीना,चींकी और पिंकी...दो दिन मे ये दूसरी बार है,जब तुम तीनो,हमारे मना करने के बावजूद...भाग कर घूमने गये, हम हर बार तुम तीनो की हरकतों को अवाय्ड नही कर सकते...क्यूंकी इससे बाकी के स्टूडेंट्स पर बुरा एफेक्ट पड़ता है...ये आख़िरी वॉर्निंग है तुम तीनो को..."उस 40-42 साल की औरत ने अपना गला फाड़-फाड़ कर कहा....

"इसकी तो ये भी मेरी तरह भाग कर घूमने गयी थी...आज कल के स्टूडेंट्स मे सरिफि बची ही नही है सिवाय मेरे... "
हमारे घोन्चु वॉर्डन ने शुरू मे हम सबसे कहा था कि सामने जो दूसरे कॉलेज का कॅंप है..उनके कॉलेज का लेवेल बहुत गिरा हुआ है और वहाँ के स्टूडेंट्स एक दम डिफॉल्टर है....बाद मे मुझे मालूम चला कि वॉर्डन ने हमे उनसे दूर रहने के लिए ऐसा कहा था, ताकि कोई लफडा ना हो...लेकिन अब लगभग हम सभी जान चुके थे की सामने जिस कॉलेज का कॅंप लगा है उसमे म्बबस के स्टूडेंट्स है और मेरे ख़याल से किसी को ये बताने की ज़रूरत नही कि म्बबस की वॅल्यू क्या होती है .
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12-15-2018, 01:14 AM,
#87
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"यार अरमान ,वो साले म्बबस के स्टूडेंट्स है..मैने सोचा था कि जब भी उनसे मुलाक़ात होगी तो अपना कॉलर उँचा और सीना चौड़ा करके चलूँगा...लेकिन अब तो..."

"जानेमन, घोड़ो के झुंड मे गधो को शामिल करने से ,वो घोड़ा नही बन जाता और इससे क्या फ़र्क पड़ता है कि वो म्बबस के स्टूडेंट्स है या 12थ फैल ..."मैने कहा,जबकि मैं जानता था कि फ़र्क तो पड़ता है .

"तो आगे का क्या प्लान है, अरमान भाई...मैं तो बोलता हूँ कि कल फिर नदी के उपर बने पुल मे जाते है और लौन्डो को पेलते है..."

"तू यहाँ ,यही करने आया है क्या...बेटा किस्मत हर बार साथ नही देती.यदि कोई कपल ग्रूप मे आया हो तो फिर चुद जाएँगे..."

"तो फिलहाल अभी क्या करे...भारी बोर हो रहा हूँ "

"फिलहाल तो वर्ल्ड कप निकालो....समय गुजर जाएगा..."
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'प्लॅटिनम' के एक बूंफ़ेर को रात भर मे मैने,अरुण और राजश्री पांडे ने ख़त्म कर दिया था....सुलभ और नवीन दारू पीते नही थे और सौरभ ने कहा कि आज शनिवार है इसलिए वो आज नही पिएगा .

दूसरे दिन सबसे पहले मेरी आँख खुली और आँख खुलते ही मेरी नज़र सबसे पहले मेरे हाथ मे बँधी घड़ी पर गयी और बाद मे दारू के उस बूंफ़ेर पर,जिसे कल रात हम तीन लोगो ने खाली किया था.इस वक़्त 9 बज रहे थे और दारू की बोतल मे कुच्छ दारू अब भी बाकी थी....

"साला कल रात को लगता है ,इन दोनो ने अपना आख़िरी पेग नही लिया...वरना हिसाब से तो आज बोतल को खाली होना चाहिए थी...."प्लॅटिनम की बोतल की तरफ बढ़ते हुए मैं बड़बड़ाया और बोतल को उठाकर सोचने लगा कि इसका क्या किया जाए...बाहर फेक दूं या फिर पी लूँ....

"नही साला कहीं चढ़ गयी तो फिर मैं सबकी दाई चोद दूँगा..."सोचते हुए मैने प्लॅटिनम के ढक्कन को खोला और जैसे ही बचे हुए दारू को गिराने वाला था ,मेरे मन मे ख़याल आया कि"पी ही लेता हूँ,इतने से मेरा क्या होगा...ज़मीन पर गिराने से तो अच्छा है की अपने पेट मे गिरा लूँ..."

इसके बाद मैने बिना कुच्छ सोचे बोतल मे थोड़ा पानी डाला और कुच्छ देर बोतल को हिलाने के बाद बोतल के मुँह को अपने मुँह से लगाया और खेल ख़त्म 

मेरे सारे दोस्त अभी तक खर्राटे ले रहे थे,इसलिए मैने वहाँ बिखरी हुई सारी अवैध चीज़ो जैसे कि सिगरेट के पॅकेट, डिस्पोज़ेबल ग्लास और वर्ल्ड कप को एक बड़ी सी पोलिथीन मे भरकर कॅंप से बाहर निकला .

"इधर तो कोई खराब जगह दिख ही नही रही...ये सब कचरा कहाँ फेकू..."मैने सोचा..और फिर ख़याल आया कि चुप चाप जाकर दूसरे कॉलेज के जो कॅंप है ,वहाँ रख देता हूँ ,इससे तो हम लोग दूर-डोर तक नही फसेंगे और मैने ऐसा ही किया...मैं चुप-चाप दूसरे कॉलेज के कॅंप के पास गया और पॉलिथीन वहाँ छोड़ कर वापस आ गया.
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सुबह के 10 बजे सभी स्टूडेंट्स बाहर जमा हुए. हम सब नीचे खड़े थे और हमारा वॉर्डन एक बड़े से पत्थर के उपर वाइट किट पहले खड़ा था.

"सब लोग यहाँ से नीचे जाएँगे और पुल की तरफ ना जाकर राइट साइड मे जाएँगे...राइट साइड मे हम लोगो के लिए बहुत सारी आक्टिविटीस है, जैसे कि राप्पेल्लिंग ,फिशिंग....जिसको जो करना है वो...वो करेगा और शाम के 4 बजे तक वापस यहाँ आना है."पत्थर से नीचे कूदकर वॉर्डन ने आगे कहा"और खबरदार जो कोई यहाँ से नीचे जाने के बाद पुल की तरफ या कॉफी हाउस की तरफ गया तो....यदि मैने किसी को ऐसा करते हुए पकड़ लिया तो आज रात का खाना उसी से बनवाउंगा...अंडरस्टॅंड..."
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"ये साला हमारा वॉर्डन ,खुद को समझता क्या है...बीसी हमलोग कोई बच्चे है क्या जो हर वक़्त ये बताता रहता है कि ये मत करो,वो मत करो....अरमान तू देखना यदि मेरा दिमाग़ खराब हुआ ना तो साले को इसी नदी मे डुबो-डुबो कर मार दूँगा..."पहाड़ी से नीचे उतरते वक़्त अरुण ने कहा....

मैने अरुण को कोई जवाब नही दिया,क्यूंकी इस समय मेरा पूरा ध्यान पहाड़ी से नीचे उतरने मे था...मेरे ऐसा करने की वजह ये थी कि सुबह जो मैने दो पेग मारे थे,उसका हल्का-हल्का असर होने लगा था और मुझे ये डर था कि यदि मैने यहाँ बक्चोदि की तो पहले सीधे नीचे और फिर सीधे उपर पहुचूँगा.....

"तू इतना शांत क्यूँ है बे..."नीचे उतरते वक़्त अरुण ने मुझे पीछे से धक्का दिया.

"बक्चोद है क्या...जो धक्का दे रहा है, यदि गिर जाता तो..."

"तू लोंड़िया है क्या ,जो इतनी से मामूली झटके को नही सह पाएगा..."

"देख ,तू अभी शांति से मुझे नीचे उतरने दे...एक तो वैसे भी सर गोल-गोल घूम रहा है और उपर से तू और तेरी बकवास..."
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"तो बताओ ,क्या प्लान है राइट चले या लेफ्ट...." जब हम लोग नीचे आ गये तो सौरभ बोला"मेरा ख़याल है कि लेफ्ट चलते है...राइट मे बाबाजी का घंटा बस मिलेगा लेकिन लेफ्ट मे इस शहर की कुडिया देखेगी..."
"पर वॉर्डन का क्या..."
"वॉर्डन ,चोदु है साला...कुच्छ भी बोलते रहता है..."
"मेरी तबीयत कुच्छ ठीक नही है ,राइट चलते है..."मैने कहा.
"क्या हुआ.."
"कुच्छ नही, "
"तो फिर लेफ्ट चलते है ना..."
"राइट मे जुगाड़ है...लेफ्ट मे कुच्छ नही है"
"तुझे कैसे पता..."
"अब लवडा ,तुम लोग को हर एक चीज़ बताऊ क्या...चलना है तो चलो वरना..."झल्लाते हुए मैं बोला.
"कंट्रोल यार, तू इतना भड़क क्यूँ रहा है...चल लेफ्ट साइड ही चलते है."अरुण ने मुझे बीच मे टोक कर कहा और हम लोग लेफ्ट साइड बढ़े....
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"साला दारू फिर रियेक्शन कर गयी, ज़मीन पर गिरा देता तो अच्छा रहता..."चलते हुए मैं बड़बड़ाया"आधा एक घंटा ,जल्दी से बीत जाए तो मैं होश मे आउ..."
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राइट साइड चलते रहने के बाद हमने देखा कि नदी के किनारे-किनारे बहुत ही बढ़िया जगह वहाँ थी, जहाँ फिशिंग ,राप्पेल्लिंग करने का इंतज़ाम किया गया था.

"ये साले मछलि मार, अब ये हम लोगो से मछलि की हत्या करवाएँगे..."

"चूतियापा बंद कर...मछलि पकड़ने के बाद उसे वापस पानी मे छोड़ भी देना है..."बोलते हुए मैं रुका और किनारे मे रखे एक पत्थर के उपर थोड़ी देर के लिए बैठ गया....

"थोड़ी देर रूको यही...फिर आगे चलते है..."

"तू पक्का किसी का मुँह मे लेकर आया है...कल रात तक तो ठीक था,अब आज तुझे ये अचानक क्या हो गया..."
"कुच्छ नही ,प्यास लग रही है..."

"सॉरी, मुझे इस वक़्त पेशाब नही लगी है...वरना तुझे नमक वाला गरम पानी पिलाता..."

"क्यूँ दिमाग़ चाट रहा है बे..."दाँत चबाते हुए मैने अरुण से कहा.

इसके बाद कुच्छ देर तक वो सब वही खड़े रहे और मैं पत्थर पर बैठकर ना जाने क्या-क्या सोचने लगा....तभी मुझे ख़याल आया कि मेरे साथ इस कॅंप मे एश भी आई है, मुझे कुच्छ प्लान बनाने चाहिए जिससे कि हम दोनो एक-दूसरे के करीब आ सके. 

ऐसी सिचुयेशन मे यदि मुझे एश दिख जाती तो कसम से सारा मूड सही हो जाता लेकिन मुझे एश नही बल्कि आंजेलीना दिखी,वो भी सामने से आती हुई....कल रात जिस तरह से उसने मुझे उल्लू बनाया था उसके बाद तो मैं उसके बारे मे सोचकर ही नर्वस होने लगा था और मैं चाहता था कि वो चुप चाप मेरे बगल से निकल जाए. क्यूंकी इस वक़्त मैं अपने फुल फॉर्म मे नही था .लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा.

"ओ..मिस्टर. मॅनेजर...क्या हाल है..."

आंजेलीना का मुझे इस तरह से बोलने पर जहाँ एक तरफ मैं चौका वही दूसरी तरफ मेरे दोस्त मुझसे ज़्यादा चौके, और साले मुझे देखकर ऐसे मुस्कुराने लगे जैसे कि आंजेलीना मेरी माल हो.....

"क्या हुआ, आज कुच्छ नही बोलना क्या..."आंजेलीना ने आगे कहा और उसकी कल वाली दोनो सहेलिया हँसने लगी.
मन तो मेरा नही कर रहा था कि मैं आंजेलीना के पास जाकर उससे बात करूँ, लेकिन एक घमंड की लहर आई और दोस्तो के बीच अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए मैं उठा....

"तुम्हे पहचाना नही...अपना इंट्रोडक्षन दोगि क्या...वो क्या है कि मैं राह चलते सबको याद नही रखता"आंजेलीना की तरफ बढ़ते हुए मैने कहा...

"पहले अपने पॅंट की ज़िप तो बंद कर लो ,मॅनेजर...फिर मेरा इंट्रो लेना..."हँसते हुए वो बोली.

मेरे पॅंट की ज़िप खुली है ,ये सुनकर मेरा एक हाथ तुरंत नीचे गया लेकिन बाद मे पता चला कि आंजेलीना ने इस बार भी मुझे उल्लू बना दिया है क्यूंकी मेरा ज़िप पहले से ही बंद था. 

"होश मे रहा करो इंजिनियर बाबू ,वरना जहाँ काम करोगे,वहाँ का कबाड़ा कर दोगे..."एक फिर उसकी हँसी गूँजी और वो अपने दोनो सहेलियो चींकी ,पिंकी के साथ मेरा मज़ाक उड़ाते हुए आगे बढ़ गयी...
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आंजेलीना के ऐसे बर्ताव पर मेरे सभी दोस्तो का मुँह 3 इंच फट गया था.उन्हे यकीन नही हो रहा था कि कोई मुझे चुना लगा गया....

"क्या बे, ये लोंड़िया तो तुझे चोद के चली गयी...साले लौन्डो का नाम बदनाम कर दिया तूने,आज के बाद बात मत करना मुझसे..."

"वो तो मेरी तबीयत खराब थी...वरना तू तो जानता ही है मुझे...टेन्षन मत ले, अगली बार जब मिलेगी तो मैं सूद-समेत उसकी लूँगा..."अपनी खराब तबीयत का एक्सक्यूस देते हुए मैने मन मे सोचा"सिल्वा, तू अबकी बार मिल मुझे...तब मैं तुझे दिखाता हूँ कि अरमान क्या आफ़त है"

"तू कुच्छ भी बोल अरमान लेकिन तूने आज दिल दुखा गया....बोले तो मैं फैल होने के बाद इतना उदास नही होता हूँ,जितना कि आज हुआ हूँ...."

"जा मूठ मार के आ,सब कुच्छ नॉर्मल हो जाएगा..."

अरुण को जैसे ही मैने मूठ मारने के लिए कहा तो उसकी नज़र दूर जाती आंजेलीना के बॅक साइड पर पड़ी और बस उसकी नज़र आंजेलीना पर जम गयी.....

"यार अरमान, लड़की कैसी भी हो लेकिन माल दुधारू है....कुच्छ दिन इसी को सोच कर 61-62 करूँगा... "

"साला,शुरू हो गया..."अरुण की गर्दन दूर जाती आंजेलीना से हटा कर मैं दूसरे साइड किया और बोला"चल मछलि पकड़ते है..."
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जिस जगह फिशिंग करने का इंतज़ाम किया गया था,वहाँ हमारे कॉलेज के भी बहुत से स्टूडेंट्स थे और साथ ही साथ म्बबस कॉलेज के भी बहुत स्टूडेंट्स थे....कुच्छ वहाँ नदी के किनारे रेत पर बैठे हुए थे तो कुच्छ मछलि पकड़ रहे थे....

"सबसे पहले मैं मछलि पाकडूँगा...."राजश्री पांडे ने अपना हाथ खड़ा किया और जहाँ फिशिंग करने का समान रखा था,उधर भागा.....

पांडे जी ने फिशिंग रोड उठाया और हुक मे बैट डालकर रोड को नदी मे डुबो दिया....

"साला कोई मछलि ही नही फँस रही है"कुच्छ देर बाद फिशिंग रूड को उपर करके पांडे जी ने नया बैट हुक मे फसाया और वापस रोड को नदी मे डुबोया...लेकिन पांडे जी की किस्मत इस बार भी झंड निकली और 10 मिनिट तक, गरम रेत मे अपना गान्ड सेकने के बावजूद जब उनकी पकड़ मे एक छोटी सी भी मछलि नही आई तो,वो रोड को एक तरफ फेकते हुए जहाँ हम खड़े थे,उधर आया....

"साले चोदु बनाते है, एक तो इनका मछलि पकड़ने का एक्विपमेंट खराब है और उपर से इस नदी मे एक भी मछलि नही है...बीसी कही के..."

इतने मे ही जहाँ कुच्छ देर पहले राजश्री पांडे बैठ कर फिशिंग कर रहा था, उससे थोड़ी दूर पर बैठे दूसरे कॉलेज के एक लौन्डे ने एक बड़ी मछलि फसाई और उसे अपने दोस्तो को बड़े शान से दिखाने लगा....

"हे,ड्यूड...मैने बहुत बड़ी फिश पकड़ी है...इधर देखो..."दूसरे कॉलेज के उस लड़के ने हवा मे ही मछलि को लटका कर बोला....

"अबे चोदु,पहले हुक को रिमूव कर वरना ,उसका राम राम सत्य हो जाएगा और फिर बाद मे ड्यूड,चूत करते रहना..."बिना कुच्छ सोचे समझे मैने कहा....

दूसरे कॉलेज के उस लड़के को नसीहत देते वक़्त मुझे एक बार सोच लेना चाहिए था कि वो लड़का मेरे कॉलेज का नही है और जैसे मेरे दोस्त वहाँ पास थे,वैसे ही उसके भी कुच्छ दोस्त वहाँ पास थे...यदि मैने दारू नही पी होती तो यक़ीनन मैं उस लड़को को एक शब्द नही बोलता, लेकिन दारू का नशा चढ़ा होने के कारण मेरी ज़ुबान जैसे स्लिप हो गयी थी,..खैर जो बोल दिया सो बोल दिया....
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"तूने मुझसे कुच्छ कहा क्या..."तुरंत फिशिंग रोड को एक किनारे करते हुए उसने मुझसे पुछा....

"नही,मैं तुझे क्यूँ कुच्छ बोलूँगा....मैं तो इसे समझा रहा था..."राजश्री के सर के बाल पकड़ कर मैने धीरे से खींचा और बोला"चोदु, मछलि को पकड़ने के बाद पानी मे वापस छोड़ना होता है...यदि तूने ऐसा नही किया तो तुझे एक निर्दोष और मासूम फिश की हत्या करने के जुर्म मे धारा 302 के तहत फाँसी की सज़ा मिलेगी...."

मैने राजश्री पांडे को भले ही बीच मे ला दिया था ,लेकिन वो लड़का इतना तो समझ ही चुका था कि मैने राजश्री पांडे को नही बल्कि उसे ही गाली बाकी थी और अब बात पलट रहा हूँ.....उसको यूँ मुझसे बात करता देख उसके जो भी दोस्त थे ,वो उधर उसके पास आने लगे....

"इसने मुझे बेमतलब का गाली दिया , जबकि मैने इसे कुच्छ बोला तक नही..."उस लड़के ने अपने दोस्तो से कहा....

"देखो यार, इसे ग़लतफहमी हुई है...मैं तो इसे जानता तक नही फिर भला मैं इसे गाली क्यूँ दूँगा...मुझे क्या पागल कुत्ते ने काटा है..."मैने एक दम प्यार से कहा...

"मैं बोल रहा हूँ ना ,इसने मुझे गाली दी,"

"नही दी भाई ,तू फालतू मे ऐसा सोच रहा है..."
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12-15-2018, 01:14 AM,
#88
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
अब तक वहाँ का महॉल गरमाने लगा था, उस लड़के के साथ धीरे-धीरे करके उसके कॉलेज के सभी लड़के खड़े हो गये और इधर हम सिर्फ़ 6 थे....मैने सामने नज़र दौड़ाई तो वहाँ मेरे कॉलेज के भी कुच्छ लड़के इधर-उधर घूम रहे थे....जो वहाँ भीड़ देखकर उधर ही आने लगे थे.....

"हो गया ना पंगा...ये साले 30-40 लौन्डे तो होंगे ही और हमलोग सिर्फ़ 6..."कांपति हुई आवाज़ के साथ नवीन ने कहा...

"चिंता मत कर और सामने देख 15-20 अपने कॉलेज के लड़के इधर ही आ रहे है..."धीरे से बोलते हुए मैने एक बार फिर दूसरे कॉलेज वालो को समझाया कि बात को क्यूँ बढ़ा रहे हो....
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मेरे साथ यदि ऐसा हुआ होता तो मुझे नही पता कि मैं क्या करता..मतलब की यदि किसी अंजान लड़के ने मुझे गाली दी होती तो मुझे नही पता कि मैं बात को जाने देता या फिर मुझे गाली देने वाले को पकड़ कर मारता....खैर यहाँ वो गाली खाने वाला विक्टिम मैं नही था,इसलिए इस वक़्त इस बारे मे सोचने का कोई फ़ायदा नही था.

अब तक मेरे कॉलेज के सभी लड़के वहाँ पहुच चुके थे और जो बाकी फट्टू किसम के थे,वो दोनो ग्रूप से थोड़ी दूर खड़े तमाशा देख रहे थे....

"चल सॉरी बोल ,बीसी"हमारी तरफ आते हुए उनके ग्रूप मे से एक लड़का बोला...

"सॉरी तो मैने आज तक उसे नही बोला,जिससे मैं प्यार करता हूँ...फिर तुम चूतियो की क्या औकात जो मुझसे 'सॉरी' वर्ड का 'स' भी बुलवा लो...."बीसी की गाली सुनकर मेरा भेजा खिसक गया और दारू का पूरा नशा एक पल मे उतर गया,मैने आगे कहा"हां,मैने उसे चोदु बोला...क्यूंकी वो रियल मे चोदु है...असल मे तुम सब चोदु हो ,जो इंजिनियरिंग के लौन्डो से भिड़ने आ रहे हो...तैयार हो जाओ बे."

"मारो सालो को..."उनके ग्रूप मे से कोई चिल्लाया और उन सबने अपना-अपना बेल्ट उतार लिया....
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वेल, ये कंडीशन मेरे अंडर थी..क्यूंकी कयि साल पहले ही मैने ये सोच कर रखा था कि....यदि कभी ग्रूप मे लड़ाई हुई और लड़ाई को टालना हो तो क्या करना चाहिए....जितने लौन्डे उनके पास थे,उतने ही लगभग हमारे पास थे और सभी नॉर्मल थे.लेकिन उनकी सबसे बड़ी कमज़ोरी ये थी कि उनके पास मुझ जैसा कोई नही था...जो अपनी अकल का ज़रा सा भी इस्तेमाल करे.....

"अरुण, निकाल चाकू और जो भी सामने दिखे बीसी को फाड़ देना....सौरभ तू कट्टा निकाल और इनकी *** चोद देना..."मैं अपना पूरा दम लगाकर चीखा और जैसे ही मेरी चीख उन सबके कानो मे पड़ी तो हमारी तरफ उनके बढ़ते हुए कदम रुक गये और मैं समझ गया कि मेरे प्लान का फर्स्ट स्टेप काम कर चुका है....
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"अरे बोसे ड्के के ,देख क्या रहा है...चला गोली बीसीओ पर...आज हर एक की गान्ड मे 200 सेंटिमेटेर का सरिया डालना..."अपने प्लान का दूसरा स्टेप अप्लाइ करते हुए मैं पहली बार से भी ज़्यादा चीखा...जिसका नतीज़ा ये हुआ कि उन सबकी आँखो मे चाकू ,कट्टे का ख़ौफ्फ भर गया और वो सब उल्टे कदम भागने लगे ,इसी के साथ मेरे प्लान का थर्ड आंड लास्ट स्टेप उन लोगो ने खुद अप्लाइ कर दिया..... बोले तो प्लान सूपर डूपर हिट 
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"भाग गये लवडे...सालो ने पूरी दारू उतार दी..."उन सबको भागते हुए देख मैने अपने कॉलेज के सभी लड़को को 'थॅंक्स' कहा और सबको उधर से जाने के लिए कहा......

अभी कुच्छ देर पहले जो धमाका हुआ था, उसके कयि आइविटनेस्स थे...जैसे कि मेरे कॉलेज के लड़के और लड़किया...दूसरे कॉलेज के लड़के और लड़किया.मेरे कॉलेज की लड़कियो को तो मेरे कारनामो के बारे मे पता था लेकिन दूसरे कॉलेज की लड़कियो के लिए मैं बिल्कुल नया था,इसलिए वो सब इस समय मुझे अपनी आँखे फाड़-फाड़ कर देख रही थी....

"क्या...ऐसे क्या देख रही है, चल निकल यहाँ से..."एक लड़की को चमकाते हुए मैने कहा, जो मुझे आँख दिखा रही थी....

"और तू क्या आँख दिखा रहा है बे, बीसी यही ज़िंदा दफ़ना दूँगा, भाग म्सी.."दूसरे कॉलेज के एक लड़के को अरुण ने चमकाया...जो उस लड़की की तरह हमे घूर रहा था.
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12-15-2018, 01:14 AM,
#89
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
जब मैं और अरुण इतनी भारी-भारी छोड़ रहे थे तो भला हमारे पांडे जी इन सबमे कैसे पीछे रहते.हमारे पांडे जी एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपनी पॅंट वही उतार दी और दूसरे कॉलेज के कुच्छ लड़के(जो लड़ाई मे शामिल नही थे) जो अभी तक वहाँ खड़े थे, उन्हे संबोधित करते हुए बोले"चुसेगा क्या...काट ले इधर से,वरना लंड सीधे मुँह मे पेल दूँगा...."
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"चलो बे सब पापा बोलो मुझे..."पुल की तरफ चलते हुए मैने कहा.

वहाँ जब लड़ाई हुई तो हम लोग फिशिंग वाली जगह से आगे नही बढ़े और पुल की तरफ आ गये. पहले जहाँ हमारा प्लान राप्पेल्लिंग करने का था वही अब प्लान बदलकर कॉफी हाउस मे जाकर शहर की टकटक आइटम देखने का बन गया था...मुझे पहले से ही किसी लफडे का अंदेशा था इसलिए मैं लगभग 15 लड़को को लेकर कॉफी हाउस की तरफ बढ़ रहा था, इस शर्त पर की उन सबका बिल मैं दूँगा. पर असल मे ऐसा कुच्छ नही होने वाला था ,मतलब कि मैं किसी का बिल नही देने वाला था , मैं तो बस उन सबको चोदु बनाकर अपने साथ ला रहा था.....

"मज़ा आ गया अरमान भाई,उन एमबीबीएस वाले लौन्डो की गान्ड फाड़ दी हमने..."

"वो सब तो ठीक है लेकिन तू यार,हर जगह नन्गराइ मत किया कर...जहाँ देखो पॅंट खोलके खड़ा हो जाता है..."

"ठीक है,आप बोलते हो तो आगे से ऐसा नही करूँगा....लेकिन अभी क्या करे..."पुल मे चढ़ते हुए पांडे जी ने कहा"आज भी इन प्रेमी जोड़ो को परेशान करे या रहने दे..."

"आज रहने दे बे..."मैने कहा...

मैने ऐसा इसलिए नही कहा क्यूंकी मेरा ऐसा करने का मन नही था बल्कि इसलिए क्यूंकी मैने अभी-अभी आंजेलीना को उसकी दो सहेलियो चिन्कि और पिंकी के साथ कॉफी हाउस की तरफ जाते हुए देखा था.

"अरुण, चल अब उस आंजेलीना की भी लेते है, साली बहुत उचक रही है दो दिन से..."
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पी.एस.मेडिकल फील्ड वाले अपडेट को दिल पे मत लेना

मैने हमेशा से एक सपना देखा था कि जब मैं कॉलेज मे पहुचूँगा तो मैं भी एक लड़की पटाउंगा , दिन-रात मोबाइल मे डे-नाइट पॅक डाला-डाला कर उससे बाते करूँगा. ना खाने की फिक्र रहेगी और ना ही सोने की खबर. 

वहाँ दम के उपर बने पुल पर कपल्स को देखकर मुझे याद आया कि मैने भी बचपन से एक ऐसा सपना देखा था कि जिसमे मेरे साथ एक खूबसूरत लड़की होगी और मैं इसी तरह उसके साथ किसी ऐसी ही जगह पर बात कर रहा होऊँगा. लेकिन कॉलेज के तीसरे साल मे भी मेरा ये सपना अब तक अधूरा ही था,इसकी वजह चाहे जो हो ,लेकिन मेरे वो अरमान आज भी मेरे दिल मे क़ैद थे,वो अरमान आज भी मेरे दिल मे ज़िंदा थे.

ऐसा नही है कि मैं आज तक किसी लड़की के दिल मे जगह नही बना पाया ,इसलिए मेरा ये सपना अब तक अधूरा था बल्कि इसलिए क्यूंकी मैं उसके दिल मे जगह नही बना पाया ,जिसे मैं चाहता था. जिसे मैं चाहता था कि वो मेरे साथ ऐसे ही किसी पुल पर बैठकर मुझसे बात करे और जब हम दोनो बाते करके थक जाए तो मैं उसकी गोद मे सर रख कर लेटा रहूं और उसका सर नीचे अपनी तरफ झुका कर एक प्यारी सी किस.....
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मैं कल भी इस जगह आया था और आज भी यहाँ था.लेकिन कल मुझे ऐसा कुच्छ भी फील इसलिए नही हुआ क्यूंकी कल मेरे सामने एश नही थी ,जबकि अभी वो मेरे आँख के ठीक सामने थी....बोले तो थोड़ी दूरी मे.

एश को सामने से आता देख पहले मेरे पैर रुके और फिर मेरे रुक जाने के कारण मेरे दोस्त भी रुक गये....सामने से एश ,दिव्या और उनका पूरा ग्रूप आ रहा था.

"तू जानता है अरुण ,मैं हमेशा से यही चाहता था कि...."एश पर अपनी नज़रें टिका कर मैं अरुण से बोला

"रहने दे....रहने दे,मुझे मालूम है अब तू अपनी और उस बिल्ली की 'थे अमेज़िंग लव स्टोरी' के कुच्छ सीन बयान करके मुझे बोर करेगा..."

"देख बे,क्या मस्त नज़ारा है...नीचे पानी, उपर आसमान और सामने एश....बस कमी है तो इसकी की अभी दिन नही रात होनी चाहिए थी."

"मैं दिव्या से बात करूँ..."अरुण ने मुझे रोक कर पुछा...

"नही...ये लड़की ठीक नही है"

"तो फिर मैं बात करता हूँ इससे ,फिर आज रात को ही इसे छोड़ दूँगा...."

"एक बार ना बोलने मे समझ नही आता क्या...."मैने थोड़ी उँची आवाज़ मे कहा...

"मैं इससे क्यूँ ना बात करूँ..."अरुण भी चीखा...

"क्यूंकी यही लड़की उन सबकी वजह थी ,जो कुच्छ महीने पहले हुआ....यदि ये लड़की ना होती तो मैं तीन महीने कोमा मे नही रहता...."

"भूल जा बीती बातो को..."

"सॉरी मैं नही भूल सकता,क्यूंकी जो ग़लती तुम दोनो ने की थी उसका खामियाज़ा तुम दोनो को छोड़ कर बाकी सबको भुगतना पड़ा....तुम दोनो तो बच गये लेकिन बाकी सब नही बचे..."

"ये क्या बोल रहा है..."

"मैं सच बोल रहा हूँ और एक सच तुझे और बताऊ , तू यकीन नही करेगा..."अरुण की तरफ अपना फेस करके मैं बोला"दिव्या जितनी बेवकूफ़ दिखती है उतना ही वो लोमड़ी के माफिक चालक भी है. उसने तेरा प्रपोज़ल ,जो मैने मेस्सेज के ज़रिए भेजा था ,वो उसने गौतम के कहने पर आक्सेप्ट किया....तेरा दिव्या के करीब जाना, दिव्या और गौतम की फुल प्लॅनिंग थी...."

बोलते हुए मैं रुका और अरुण की शकल पर ध्यान दिया तो पाया कि उसके शकल पर तो 12 बजे है....मैने जो कुच्छ भी अरुण को बताया उसपर यकीन करना मुश्किल तो था,लेकिन ये सच था और ये सच मैने इसी मौके के लिए बचा रखा था.....
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"क्यूँ शॉक लगा ना मेरे लाल ! "

"तू पक्का सच बोल रहा है ना या मुझे चोदु बना रहा है...यदि तेरी कही गयी बाते सच है तो फिर उस हरामजादी को मैं अभी पुल से नीचे फेक दूँगा...." गुस्से से काँपते हुए अरुण बोला...

"अभी कंट्रोल कर...बाद मे तुझे सब समझाता हूँ और अब समझ आया कि मैं क्यूँ बोल रहा था इस लौंडिया से दूर रहने को..."
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याद है मैने एक बार कहा था कि एक लड़की की खूबसूरती उसे तभी तक बचा सकती है,जब तक वो लड़की सामने वाले को पसंद हो क्यूंकी जिस दिन भी उस लड़की के लिए उस सामने वाले शक्स के अंदर नफ़रत पैदा हुई तो फिर सारी खूबसूरती गयी तेल लेने.....और इसी थियरी को अरुण इस वक़्त प्रूव कर रहा था...जब पुल मे दिव्या और अरुण आमने-सामने हुए तो अरुण ने उसकी तरफ देखा तक नही ,जबकि पहले वो अक्सर दिव्या के सीने और पिछवाड़े को तकता रहता था.अरुण ने दिव्या को ऐसे इग्नोर मारा जैसे सामने वाला इंसान कोई इंसान नही बल्कि एक बदबूदार जानवर हो और इसी के साथ अपुन ने एक ही तीर से दो निशाने लगाए....मेरा पहला निशाना था अरुण को दिव्या के बारे मे सच बताना ,जिसके लिए मैं ना जाने कब से मौका देख रहा था और मेरा दूसरा निशाना था अरुण के अंदर दिव्या के लिए बे-इंतेहा नफ़रत पैदा करना...जो की मेरे इस सच ने पैदा कर दी थी. 

"कितना स्मार्ट हूँ मैं "पुल पर आगे बढ़ते हुए मैने खुद से कहा....

"खा दारू कसम की तू सच बोल रहा है और यदि तूने झूठी कसम खाई तो आज के बाद तुझे दारू की एक बूँद भी नसीब नही होगी "

"तू तो जानता ही है कि मैं कभी झूठ नही बोलता .लेकिन यदि फिर भी तुझे यकीन ना हो रहा हो तो दारू की कसम ,मैने कुच्छ देर पहले जो कहा ,वो सब 99.99 % सच था...."

"बाकी का 0.01% कहा है..."

"वो यदि मेरी संभावनाए ग़लता हुई तब के लिए....खैर तू फ़िकरा मत कर"

"कसम से यार,मुझे तो अब भी यकीन नही हो रहा की दिव्या ऐसा करेगी...."

पुल पर आगे बढ़ते हुए मैं और अरुण बाकियो से थोड़ा आगे चल रहे थे,जिससे हम दोनो के बीच जो बात-चीत हो रही थी ,वो हम दोनो तक ही सीमित थी.हमने पुल पार किया और पुल के दूसरी तरफ बने कॉफी हाउस की तरफ बढ़ने लगे.....
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"तुझे कैसे पता चला कि वो सब दिव्या और गौतम की मिली भगत थी ,क्यूंकी दिव्या की हरकतों से ऐसा लगता नही कि वो इतना भयंकर कांड सोच सकती है...."

"दिव्या तो सिर्फ़ एक ज़रिया थी, थर्ड सेमेस्टर के खूनी कांड की....असली गेम तो गौतम खेल रहा था,जो मैं तुझे कभी और बताउन्गा....."कॉफी हाउस के अंदर आंजेलीना को एक टेबल पर बैठा हुआ देख मैने अरुण से कहा"और एक बात बताऊ..."

"क्या..."
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12-15-2018, 01:15 AM,
#90
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"यही की गौतम मेरे जितना होशियार नही है ,ये अलग बात है कि वो खुद को आइनस्टाइन या न्यूटन की औलाद समझता है....अब तू सबको लेकर उस किनारे वाली टेबल पर बैठना...."

"क्यूँ तू कहाँ जा रहा है...याद है ना सबका बिल तुझे ही भरना है..."

"वो देख सामने ,एमबीबीएस वाली छम्मक छल्लो बैठी है...ज़रा उससे मिलकर आता हूँ..."मैने उस टेबल की तरफ आँखो से इशारा करते हुए कहा,जिस पर आंजेलीना अपने दोनो सहेलिया चीखी और पिंकी के साथ बैठी हुई थी....

"ठीक है मैं सबको लेकर दूसरी तरफ जाता हूँ और आंजेलीना से कहना कि वो यदि चाहे तो मेरी गर्ल फ्रेंड बन सकती है,मुझे कोई ऐतराज़ नही "
.
अरुण और बाकी सबको कॉफी हाउस के दूसरे तरफ भेजकर मैने खुद का हुलिया सही किया और आंजेलीना की तरफ बढ़ा...जिस टेबल पर वो तीनो बैठी थी उसपर दो चेयर अब भी खाली थी और मेरे ख़याल से वो खाली ही रहने वाली थी क्यूंकी आंजेलीना को कल शाम से मैने सिर्फ़ दो लोगो के साथ देखा था जो उस समय वहाँ मौजूद थे...इसलिए मैं उनसे बिना पुछे कि'क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ', मैने एक चेर खींची और उसपर बैठ गया...आंजेलीना के ठीक सामने बैठने के बाद मैने एक वेटर को इशारा किया....

"एक कॉफी लाना..."

"किस तरह की कॉफी लेना आप पसंद करेंगे ,सर..."बड़े ही सहूलियत से उस वेटर ने मुझसे पुछा..

"पहली बात तो ये कि अपना ये घीसा-पिटा डाइलॉग बंद करो,बोले तो मुझे सर और इन तीनो ग़रीब लड़कियो को मेडम कहने की कोई ज़रूरत नही..."

"सच...."रिलॅक्स होते हुए वो वेटर तुरंत खड़ा हुआ और बोला"साला बहुत दिन से अपने जैसा कोई नही मिला था....पक्का तू इंजिनियरिंग स्टूडेंट होगा और ये बीच वाली तेरी आइटम होगी"

"नही यार,ऐसा कुच्छ भी नही है..."उन तीनो के चेहरे से जब मैने रंग उड़ते हुए देखा तो उस वेटर से ज़रा कड़क कर कहा"जा एक कप कॉफी ले आ..."

"कौन सी वाली लाउ..."

"कोई सी भी ले आ, कौन सा मुझे मालूम चलने वाला है कि मैं कौन सी कॉफी पी रहा हूँ, अपने को तो सब कुच्छ एक बराबर ही लगता है..."

"एक नही...चार लाना..."वेटर के पीछे मुड़ने से पहले ही आंजेलीना ने अपना ऑर्डर दे मारा"और बिल मेरे इस बाय्फ्रेंड के खाते मे एड कर लेना..."

"अपने को मालूम है, कॉलेज के दिनो मे मुझे भी इसी तरह लड़कियो ने लूटा है..."
.
"तुमने ऐसा क्यूँ कहा कि मैं तुम्हारा बॉय फ्रेंड हूँ..."एक प्रोफेशनल स्माइल मारते हुए मैने दिव्या से पुछा और कॉफी हाउस का मेनू कार्ड देखने लगा....

"तेरी तो...एक कप कॉफी 60 की ,मतलब कि 4 कप कॉफी के 240 ,बीसी ये कॉफी है या लड़कियो का दूध,जो इतना महँगा मिल रहा है..."मेनू कार्ड को देखते ही मेरी आँख फटी की फटी रह गयी और जो ख़याल मेरे मन मे सबसे पहले आया वो ये कि मेरे जेब मे कितने पैसे है....

"1000 , पर मैं अपने हज़ार रुपये इन पर खर्च नही कर सकता..."मेनू कार्ड को देखते हुए मैने कुच्छ सोचा और फिर मुस्कुरा कर आंजेलीना से बोला...

"तो तुम एमबीबीएस की स्टूडेंट हो, पर इसका मतलब ये नही कि तुम किसी भी खूबसूरत और काबिल नौजवान को ऐसे पब्लिक प्लेस पर अपना बाय्फ्रेंड बना लो ,वो भी सिर्फ़ इसलिए ताकि वो तुम्हारे कॉफी का बिल पे कर सके..."

"मैने तुम्हे अपना बॉय फ्रेंड इसलिए नही कहा ताकि तुम मेरा बिल भरो बल्कि इसलिए क्यूंकी तुम यही चाहते थे...."

"कल शाम के वक़्त तुम कॅंप से भाग कर कहाँ गयी थी..."कॉफी का कप ख़त्म करने के बाद मैने पुछा...

"पास मे एक नाइट क्लब है,वही...."

"एक क्लब और यहाँ...इस जंगल मे..."

"बाहर निकल कर देखो इंजिनियर,बहुत कुच्छ है..."

"चलो मैं मान भी लेता हूँ कि यहाँ एक नाइट क्लब है पर गाड़ी यहाँ अटकती है कि ये कैसा क्लब है जो शाम के 5-6 बजे ही खुल जाता है..."

"वो तो तुम्हे क्लब के मालिक से पुच्छना चाहिए...मुझे कैसे पता होगा..."

"ये भी सही है...."
.
मैं कुच्छ देर तक शांत ही रहा और इस दौरान आंजेलीना और उसकी सहेलियो ने बहुत कुच्छ ऑर्डर किया...

"लगता है हज़ार रुपये भी कम पड़ेंगे बिल देने मे, लगता है इन भुक्कडो ने जनमो जनम से कुच्छ नही ठूँसा..."

"तो शुरू करो अपना प्रोग्राम..."सब कुच्छ खाने पीने के बाद आंजेलीना बोली"अब ये मत बोलना कि कैसा प्रोग्राम ,क्यूंकी मुझे मालूम है कि तुम यहाँ मुझे नीचा दिखाने के लिए आए हो..."

"ये तुमसे किसने कहा.. "आंजेलीना की बात सुनकर मैं चौका ,क्यूंकी अभी तक तो मैने उसके सामने ऐसा कुच्छ भी नही किया था,जिसकी वजह से उसे मुझपर शक़ हो....

"एक लड़का, जिससे कल रात मेरी मुलाक़ात हुई और आज वो बिना जान-पहचान के 1500 का बिल भर रहा है ,इसका क्या मतलब हुआ..."

आंजेलीना के इस सवाल पर मैं कुच्छ देर तक सोचता रहा कि उसे क्या जवाब दूं ,जिससे मामला ना बिगड़े और जब मुझे सब समझ मे आया कि मुझे क्या कहना चाहिए तो मैं बोला....
.
"मैं बहुत ही रहीस घराने से हूँ इसलिए ये हज़ार,दो हज़ार मेरे लिए कोई मायने नही लगते..."अपने दोस्तो की तरफ इशारा करते हुए मैने कहा"उन लोगो को देख रही हो,जो जानवरो की तरह खा -पी रहे है...उनमे से मैं कुच्छ के नाम नही जानता,लेकिन फिर भी उनका बिल मैं ही पे करूँगा...."
.
"तू तो बड़ा सॉलिड अमीर लगता है यार...हाई मैं चींकी"आंजेलीना के लेफ्ट साइड वाली लड़की ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया...

"और मैं पिंकी..."आंजेलीना के राइट साइड मे बैठी हुई लड़की ने भी अपना हाथ मेरी तरफ किया...

"और मैं अरमान..."दोनो का हाथ ,अपने दोनो हाथो से थाम कर मैं बोला.
.
"मैं अभी आती हूँ..."आंजेलीना अपनी जगह से उठी और चींकी ,पिंकी के साथ वॉशरूम की तरफ बढ़ गयी....

"ओये...बिल ला,जल्दी से..."बोलते हुए मैने उसी वेटर को बिल लाने के लिए कहा, जिससे मैने यहाँ आते ही बात की थी.
मेरे कहने पर उस वेटर ने दोनो टेबल का बिल ,मेरे हाथ मे सौंप दिया .

"5640 ...बीसी,तुम लोगो का बाप भरेगा ये बिल...सालो बाहर मिलो, एक-एक को चोदता हूँ." बिल को टेबल पर रखते हुए मैने उस वेटर से कहा"वो तीनो लड़की ,जो वॉशरूम की तरफ गयी है...उनसे बिल के पैसे ले लेना और कहना कि मैं उनका बाहर अपनी कार मे इंतज़ार कर रहा हूँ..."

"क्या सच मे वो तीनो बिल देंगी..."

"और नही तो क्या और मैं उन लड़को मे से हूँ जो लड़कियो के पीछे तेरी तरह चोदु बनकर अपनी जेब खाली नही करते,थोड़ा दिमाग़ का यूज करते है...चल बाइ."
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