11-02-2018, 11:32 AM,
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
अगली सुबह जब मैं उठा तो देखा कि बारिश रुक गयी थी पर पुष्पा नही थी पूछने पर पता चला कि वो घर गयी थी मैं बाहर आया तो देखा कि चंदा बरामदे मे पोछा लगा रही थी उसने साड़ी को जाँघो तक किया हुआ था तो ठोस जांघे जैसे निमंत्रण दे रही हो और फिर उसके ब्लाउज से बाहर को झाँकते आधे उभारों का तो कहना ही क्या सुबह सुबह ही मेरे लंड मे फिर से तनाव आने लगा
तो मैं उसको इग्नोर करते हुए बाथरूम मे घुस गया नहा कर आया तो वकील साहब आए थे उन्होने बताया कि ज़मीन पर क़ब्ज़ा ले लिया गया है बिना किसी परेशानी के पर वहाँ पर कई एकड़ मे अफ़ीम खड़ी है उसका क्या करना है मैने कहा या तो उसको उन्ही को दे दो या फिर जला दो मैं नही चाहता कि किसी को उसकी लत लगे फिर उसने बताया कि शहर मे भी एक मॅरेज हॉल है जो सालो से बंद पड़ा है कई पार्टी है उसको खरीदने को तैयार
और अच्छा ख़ासा पैसा भी मिल जाएगा अगर आप कहे तो मैं बात करू मैने कहा हाँ ठीक है आप देख लेना फिर कुछ हो तो मुझे बता देना बाप दादा इतना कुछ छोड़ गये थे कि मुझसे सम्भल ही नही रहा था मैं नाहरगढ़ जाना चाहता था एक बार पर राइचंद जी के दबाव की वजह से जा नही पा रहा था लंच ख़तम किया ही था कि थाने से इनस्पेक्टर साहब आ गये
मैने आने का सबब पूछा तो उन्होने बताया कि ठाकुर साहब बात दरअसल ये है कि कुछ दिनो मे बलदेव का मेला लगेगा तो दोनो गाँवो के लोग मेला देखने आएँगे मैने कहा फिर उसमे क्या है जो रीत है उसे चलने दो वो बोला आप पहले मेरी बात सुने ज़रा , बात ये है कि पुराने जमाने मे रीत चली आ रही है कि ठाकूरो की तरफ से देवता को बलि दी जाती है
बरसो से आपके पुरखे ये परंपरा निभा रहे थे फिर जब हवेली मे वो घटना हुवी तो उसके बाद से विजय स्वरूप नाहरगढ़ के ठाकूरो ने बलि देना शुरू कर दिया मैने कहा तो फिर मैं क्या करूँ वो बोला आप समझ नही रहे है अब हालत पहले जैसे नही है अब आप आ गये है तो आपका अधिकार है वो पर उधर से वो लोग भी ज़िद करेंगे तो कही शांति-व्यवस्था बिगड़ ना जाए
मैने कहा आप की ज़िमेदारी है सुरक्षा की आप अपना काम कीजिए वो बोला क्यो मज़ाक करते है ठाकुर साहब अब आप लोगो के सामने हमारी क्या चलती है बस आपसे गुज़ारिश है कि मामले को बिगड़ने ना देना मैने कहा ठीक है देखता हू क्या कर सकता हू इनस्पेक्टर के जाने के बाद मैं सोचने लगा मुझे मोका मिल गया था अपने रिश्तेदारो से आमना सामना करने का
मैने लक्ष्मी को तुरंत बुलावा भेजा और कुछ देर बाद वो मेरे साथ थी मैने कहा मेला लगने वाला है तो हमारी तरफ से देवता को कुछ भेंट चढ़ाई जाए वो सुकचाते हुवे बोली देव तो आख़िर तुम्हे पता चल ही गया पर हम ऐसा नही कर सकते अगर तुम वहाँ जाओगे तो तुम्हे दुश्मनो की चुनोती स्वीकार करनी पड़ेगी और अभी तुम पूरी तरह से ठीक नही हुए हो
मैने कहा तुम ज़ख़्मो की चिंता ना करो और वैसे भी ज़ख़्म तो क्षत्रियो का गहना होता है तुम आज शाम ही गाँव मे मुनादी करवा दो कि इस बार देवता को बलि ठाकुर देवराज सिंग चढ़ाएँगे लक्ष्मी बोली सोच लो देव ये बात मज़ाक की नही है बल्कि प्रतिष्ठा की है अगर तुम कामयाब ना हुए तो अर्जुनगढ़ का सर झुक जाएगा मैने कहा जो होगा देख लेंगे
फिर मैने गाँव से सुनार को बुलवाया और कहा कि देवता को सोने का छात्र चढ़ाएँगे इंतज़ाम करो , और हलवाई को महा प्रसाद बनाने का हुकम दिया अब मुझे इंतज़ार था बस मेले के दिन का जो अभी थोड़ा दूर था शाम को मैं नदी किनारे बैठा था तो दिल्लू आया बोला हुकुम आप इस बार बलि चढ़ाने वाले है मैने कहा हाँ तो वो बोला ये बड़ा अच्छा किया आपने वरना हर बार हमे शर्मिंदा होना पड़ता है उनके सामने मैने कहा इस बार नही होगा तू
तो वो मुस्कुराया और मेरे ही बैठ गया वो बोला आप रोज यहाँ आते है मैने कहा नही जब मैं उदास होता हू तभी इधर आता हू उस से बाते करते अंधेरा सा होने लगा था तो फिर वो बोला मैं अब चलता हू घर पर मैं उधर ही बैठा रहा सच तो था कि मुझे ये अकेला पन काट ता था कभी कभी तो मन मे आता था कि सब कुछ बेच कर मैं वापिस लंदन चला जाउ पर अब तो जीना भी यही और मरना भी यही पर
फिर मैं भी हवेली आ गया , डिन्नर मे अभी देर थी तो मैं उपर की तरफ चला गया आज मैने एक और कमरे को खोल दिया और समान को देखने लगा तो मुझे एक अलमारी मे गहनो के कई बॉक्स मिले सोने चाँदी हीरे हर तरह की ज्वेल्लरी थी उसमे मैने फिर उनको साइड मे रख दिया और वहाँ दीवारों टन्गी तलवारो को देखने लगा
कुछ अब वक़्त की रेत के असर से जंग खा गयी थी और कुछ ऐसी थी जैसे बस आज ही खरीदी गयी हो एक तो बड़ी ही सुन्दर थी चाँदी की मूठ वाली मैने उसे मेज पर रख दिया फिर एक अलमारी मे कुछ तस्वीरे निकली जो अब बस नाम की ही रह गयी थी मैं उन्हे देखने लगा पर कुछ समझ नही आया क्योंकि वो काफ़ी पुरानी थी पर थी तो मेरे अपनो की ही
फिर दरवाजे पर दस्तक हुवी तो मैने देखा कि पुष्पा थी वो बोली मालिक भोजन तैयार हो गया है आप को बुलाने आई थी मैने कहा ज़रा इधर आओ और उसको वो गहने दिखाते हुवे कहा कि जो भी तुम्हे पसंद आए रख लो कुछ लम्हो के लिए तो वो गहनों को देख कर मंत्रमुग्ध हो गयी पर फिर बॉक्स को वापिस रखते हुवे बोली नही मालिक मुझे कुछ नही चाहिए
मैने उसे बार बार कहा पर उसने नही लिए तो फिर हम नीचे आ गये डिन्नर के बाद वो बोली मालिक दूध ले लीजिए मैने कहा बैठो ज़रा और उस से बाते करने लगा मैने पुष्पा से पूछा कि मुनीम जी और उनके परिवार के बारे मे बता कुछ तो वो बोली मैं क्या बताऊ मैने कहा जैसे कि गाव के लोगो के प्रति उनका व्यवहार कैसा है , जब मैं नही था तो हवेली वो ही तो संभालते थे ना बस इसी लिए पूछ रहा हू
वो बताने लगी कि मुनीम जी तो भले मानस है पर लक्ष्मी बड़ी ही तेज औरत है , हरदम बस रोब झाड़ती रहती है और कई औरतो से उसका लड़ाई झगड़ा चलता ही रहता है तो गाँव के कम लोग ही उसके मूह लगते है कभी किसी ने मुनीम जी से सूद पर रुपया ले लिया और टाइम पर ना दे सका तो फिर बस लक्ष्मी के ड्रामे देखो ना जाने कितने ग़रीबो की ज़मीन दबा कर बैठी है
और बेटी के बारे मे तो आप जानते ही है मैने कहा हाँ तो वो बोली पर एक बात और है जो आपको नही पता मैने कहा क्या बता ओ ज़रा तो वो बोली मुनीम जी का एक बेटा भी है जो बाहर कहीं पर पढ़ाई करता है सुना है कि वकील का कोर्स कर रहा है मैने कहा यार पर उन्होने तो कभी बताया नही इस बारे मे , पुष्पा बोली मालिक लक्ष्मी बड़ी ही घाग औरत है मैं तो बस इतना ही कहूँगी कि आप उसे ज़्यादा मूह ना लगा ना जब से मुनीम जी खाट मे पड़े है लक्ष्मी के तो सुर ही बदल गये है
मैने कहा ठीक है मैं ध्यान रखूँगा पर अभी तू मेरा ध्यान रख और उसको अपनी गोद मे उठा लिया तो वो बोली मालिक वैसे तो मेरी हसियत नही है कि मैं आपको मना कर सकूँ पर मैं चाहती हू कि मेले के बाद जब आप विजयी होकर आए तो मैं आप के साथ सोऊ मैने कहा ठीक है तेरी फरमाइश है तो पूरी करनी ही पड़ेगी तो फिर वो रसोई मे चली गयी और मैं सोचने लगा कि कही मेरे मामा लोग कोई साजिश तो नही बुन रहे मेरे खिलाफ
पर जो भी था अब इंतज़ार था मेले के दिन का मैने सब कुछ उपर वाले के हाथ मे छोड़ दिया पर हक़ तो मेरा ही था ना बलि देने का मैं कुछ उलझ सा गया था अपने ही सवालो के घेरे मे पर ऐसा कोई था नही जो मुझे मेरे सवालो के जवाब दे सके तो बस यही सब सोचते सोचते मैं सो गया
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
दो दिन बस उधेड़बुन मे ही निकल गये और आख़िर वो दिन आ ही गया मेरी तरफ से सब तैयारी पक्की थी मेले वाले दिन मैने तड़के महादेव मंदिर मे पूजा की और महादेव जी से आशीर्वाद लिया आज तो जैसे सारा गाँव ही आरती मे उमड़ आया था हालाँकि मुझे अंदर ही अंदर घबराहट हो रही थी पर शायद ठाकूरो का खून मेरी नसों मे उबलने लगा था
मैने आज कुर्ता और धोती पहनी थी जिसमे बड़ा ही तेजस्वी लग रहा था ऐसा लक्ष्मी ने मुझे बताया था तो फिर मैं चल पड़ा वन्देव के मेले मे अब सुबह सुबह ही थी तो इतनी भीड़ भी नही थी पर मंदिर के कपाट खुले हुवे थे मैं मंदिर के अंदर गया और पुजारी को अपना परिचय दिया और अपने आने का उद्देश्य बताया तो वो कुछ सकुचाते हुए से बोले कि ठाकुर साहब नाहरगढ़ के लोग अब इस परंपरा को निभा रहे है
मैने कहा पर हक़ तो मेरा है ना तो फिर वो कुछ नही बोले मैने कहा आप बलि की तैयारी करवाईए अब पुजारी की कहाँ इतनी हिम्मत कि वो मुझे मना कर सके तो आख़िर मंदिर मे तूत्नि बज ही गयी ये संकेत था कि देवता के लिए बलि की तैयारिया शुरू हो गयी है आस पास के सारे इलाक़े मे इसी बात को लेकर बड़ा ही कौतूहल था तो धीरे धीरे पूरा प्रांगण ही भीड़ से भरता चला गया
ये बात मुझे भी महसूस हुई कि मेले मे लोगो का ध्यान ना होकर बस इसी बात मे था कि बलि कॉन चढ़ाएगा लक्ष्मी मेरे पास आई और बोली कि देव ना जाने क्यो मेरा मन बड़ा ही घबरा रहा है कल रात से मैने कहा तुम ऐसे ही टेन्षन ले रही हो सब ठीक ही होगा मैं और लक्ष्मी बाते कर ही रहे थे कि तभी एक सेव्ड सफ़ारी गाड़ी मंदिर की सीढ़ियो पर आकर रुकी
और एक मेरी ही उमर का नोजवान बड़े ही गुस्से मे उतरा और चीखते हुए बोला कि कॉन है देव ठाकुर जो यहाँ आया है अपना शीश दान करने मैने लक्ष्मी को पीछे किया और तेज तेज कदमो से सीढ़िया उतरने लगा और उसके सामने जाकर खड़ा हो गया मैने कहा मैं ही हूँ देव, और तू जो भी है तमीज़ से ठाकुर साहब बोल तो उसने अपनी बंदूक मेरे सीने से सटा दी और बोला तू मुझे तमीज़ सिखाएगा जानता भी है कि मैं कॉन हू
मैने शांत स्वर मे कहा बंदूक को हटा ले अगर तुझे चलानी होती तो आते ही सीधा फाइयर कर देता और वैसे भी ये देख कि तेरे सामने कॉन खड़ा है तो वो झुंझलाते हुवे बोला कि म मैं नाहरगढ़ का युवराज हू मैने कहा अच्छा तो तू है अफ़ीम की खेती वाला मेरा फार्महाउस तो चुपचाप वापिस कर गया था जा आज देवता का दिन है चला जा कहीं ऐसा ना हो कि देव के हाथो कुछ ग़लत हो जाए
तभी वो हंसता हुवा बोला तकदीर वाला हूँ जो कि अर्जुनगढ़ के आख़िरी ठाकुर का खून बहाने का सोभाग्य मुझेही मिलेगा आज तू देखना ये आसमान भी रुदन करेगा और मरने से पहले तू ज़रूर ये महसूस करेगा की कैसे मेरे खानदान ने तेरे घरवालो को तडपा तडपा कर के मारा था आज फिर से इतिहास दोहरा या जाएगा वो चीखते हुवे बोला कि गाँव वालो
आज अर्जुन गढ़ का आख़िरी ठाकुर भी हलाल हो जाएगा क्या किसी ने इसे नही बताया था कि कैसे इसके चाचा का सर काट कर हम ने दरवाजे पर टांक दिया था मैं ही बचा हुआ था पर आज इसको मारकर मैं भी अपना पराक्रम साबित कर दूँगा उसकी बाते सुनकर मेरे जिस्म का अंग अंग गुस्से से फड़कने लगा था , क्रोध की ज्वाला से मैं जलने लगा था
मैने एक मुक्का उसके मूह पर दे मारा तो वो पीछे की ओर फीक गया और ठीक उसी पल मैं उसकी छाती पर सवार हो गया और उसके चेहरे पर मुक्को की बरसात कर दी मेरी आँखो मे जैसे खून सा उतर आया था पर उस टाइम वो झड़प कुछ ही देर मे ख़तम हो गयी क्योंकि थानेदार साहब ने हम को अलग कर दिया पोलीस हमारे बीच आ गयी थी मैने कहा कसम है महादेव जी की बलि तो मैं ही चढ़ाउंगा और कोई रोक सके तो रोक ले ये ठाकुर देव की ज़बान है अगर नाहरगढ़ मे किसी माँ ने कोई सूरमा पैदा किया है तो आए देव की तलवार आज बरसो की प्यास को बुझाएगी क्रोध से मेरा अंग अंग कांप रहा था थानेदार मुझे समझाते हुए बोला ठाकुर साहब मेरी विनती है आप बात को ना बढ़ाइए इतनी फोर्स भी नही है और फिर लड़ाई का काला माथा आप जाने दीजिए ,मैने कहा ना जी ना अब तो जो होगा वो होकर ही रहेगा ये साला इतिहास को दोहराएगा ये हवेली की शान मे गुस्ताख़ी करेगा मुझे पता ही नही था कि गुस्से मे मैं क्या क्या बोल रहा था
तभी कुछ और गाडिया आकर रुकी तो मेरा ध्यान उधर ही चला गया तो मैने देखा कि गाड़ी से एक पुरुष और महिला उतरी तो लक्ष्मी मेरे पास दौड़ते हुए आई और बोली देव तुम्हारे मामा और मामी जी है बेशक दुश्मन है पर तुम पहली बार मिल रहे हो तो थोड़ा जज्बातो पर काबू रखना
मामा मामी के चेहरे तेज से चमक रहे थे वो सीढ़िया चढ़ते हुए मेरी ही ओर आ रहे थे थानेदार ने उनको सलाम ठोका और बोला वो ठाकुर साहब वो वो ………… ………….. …….. तो उन्होने अपना हाथ उठा कर उसे चुप करवा दिया और सीधा मुझसे मुखातिब होते हुए बोले देव…….. आँखे ही तरस गयी थी तुम्हारी एक झलक देखने को और उन्होने अपना हाथ मेरे सर पे रख दिया तो मैने लक्ष्मी की तरफ देखा उसने मुझे शांत रहने को इशारा किया मामा बोले देव बिल्कुल ही अपने पिता की तरह दिखते हो बस आँखे तुम्हारी माँ जैसी है, पता तो लग गया था कि तुम आ गये हो, कब से इच्छा थी कि तुम्हे देखें पर आ ही नही सके पर मैं शांत खड़ा रहा तभी पुजारी ने आकर कहा कि बलि का समय हो गया है
मैने कहा चलिए पुजारी जी, और मैं दो कदम ही बढ़ा था कि पीछे से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर रोक लिया , मैं मुड़ा तो मामा जी ने कहा कि रूको देव बलि चढ़ाने का हक़ तुम्हारा नही है बल्कि तुम्हारे भाई का है और अपने बेटे को बुला लिया मैने उनका हाथ अपने कंधे से हटाया और उनकी आँखो मे देखते हुवे बोला कि मामा जी बलि तो मैं ही चढ़ाउंगा बाकी आप जाने
मामा बोले बच्चे ज़िद नही करते जाओ लौट जाओ मैने कहा देव को बात दोहराने की आदत नही है बलि तो आज ठाकुर वीरभान का बेटा ही चढ़ाएगा किसी मे दम है तो रोक ले तो उन्होने कहा तो फिर ठीक है आज फ़ैसला हो ही जाएगा दोनो घरानो के युवराज इधर ही है तो फिर हो ही जाए मुक़ाबला ज़रा हम भी तो देखे की हवेली के अंतिम चिराग मे कितनी लौ बाकी है
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
ना जाने क्यो उसकी बात मुझे चुभ सी गयी, मैने कहा ममाजी अब भी समय है कदम पीछे हटा लो वरना फिर मुझे दोष ना देना तो वो बोले कल के लोंडे हो और फिर तुम्हे पता ही क्या है , मैने कहा तो फिर ठीक है हो ने दो जो होता है तो ये तय हो गया कि मल्लयुध मे जो जीतेगा वो ही बलि चढ़ाने का अधिकार पाएगा पुजारी ने हम दोनो योधाओ का तिलक किया
और फिर शुरू हो गया मुक़ाबला जो किसी एक के रक़्त से ही ठंडा होना था मामा की उपहास उड़ाती नज़रे मेरे दिल मे घाव करती चली गयी और मेरा गुस्सा बढ़ने लगा मुकाबला बराबर का सा ही था ताक़त मे वो मेरे जैसा ही था पर बस मैं उस से लंबाई मे कुछ ज़्यादा था कभी वो प्रहार करे कभी मैं मेरा ज़रा सा ध्यान भटका और उसने ऐसा प्रहार किया मेरे पेट मे कि बस मैं तो बुरी तरह से तड़प कर ही रह गया आँखो के आगे तारे नाच गये और मैं ज़मीन पर गिर पड़ा तो उसने कई लात मेरी कॉल मे लगा दी मैं दर्द से दोहरा होता चला गया उसने मुझे खड़ा किया और दना दन 4-5 मुक्के नाक पर जड़ दिए तो नाक फट गयी और खून का फव्वारा बह चला नाहरगढ़ के लोग जय जय कर करने लगे जब थोड़ा सा दर्द कम हुआ तो मैं उसके प्रहारो को रोकने लगा
अब मेरी बारी थी तो मैं उसे पीटने लगा उसके कान को फाड़ दिया मैने तो वो भी चीत्कार करने लगा मैने उसकी छाती मे लात मारी तो वो दूर जा गिरा और तड़पने लगा मेरी नाक से बहता खून मेरे गुस्से को और भी भड़का रहा था तो मेरा दिमाग़ बुरी तरह से खराब हो गया मैने उसको फिर लात और घूँसो से धर लिया और उसकी फुटबॉल बना दी मैने मामा जी के चेहरे पर घबराहट के भाव देखे अब बारी थी अर्जुनगढ़ के लोगो की जयकारा लगाने की
मेरे मन मे आई कि चल छोड़ अब साले को कहीं मर ना जाए पता नही उस एक पल को कैसे मेरे मन मे दया आ गयी और ठीक उसी पल उस कमीने ने धोखा करते हुए मेरी आँखो मे धूल गिरा दी तो मैं रेत आँखो मे जाते ही तड़प उठा कुछ देर के लिए मैं तो जैसे अँधा ही हो गया उसी पल का लाभ उठाते हुवे उसने तलवार ले ली और फिर मेरी पीठ पर वार कर दिया
मेरे गले से एक तेज चीख उबल पड़ी और मेरी पीठ पर एक लंबा घाव होता चला गया एक तो आँखो से कुछ दिख नही रहा था और दूसरी तरफ उसके पास पूरा मोका था अगला वार मेरे पाँव पर हुवा और मैं धरती पर गिर पड़ा लगा कि जैसे टाँग तो कट ही गयी मेरी फिर कुछ लाते और पड़ी मुझ पर तो मेरी घिग्गी बँध गयी वो अट्टहास करता हुआ बोला देखो गाँव वालो ये है ठाकूरो का वारिस दो पल मे ही ढेर हो गया ये लेगा बदला अपने परिवार का ये आया है देखो इसे
उसने अपना पाँव मेरी छाती पर रख दिया और मुझे मसल्ते हुवे बोला देव ठाकुर बड़ा दंभ भर रहे थे तुम बड़ी गाथा गा रहे थे तुम क्या हुआ निकल गयी सारी हेकड़ी तू तो शेर की खाल मे बकरी निकला रे कुछ तो जख़्मो का दर्द और कुछ आँखो मे तेज जलन हो रही थी मैने कहा हे महादेव जी लाज रखना मेरी अब तो आप ही मदद करो मालिक
उसने फिर से मुझ पर वार किया तो लगा कि जैसे किसी ने छाती मे मिर्च भर दी हो मैं बुरी तरह से दर्द से बिलबियाने लगा उसने कुछ मुक्के लात और बरसाए मुझ पर और फिर मुझे उठा कर फेक दिया और बस यही पर देवता की कृपा हो गयी मुझ पर जब उसने मुझे फेका तो मैं पशुओ के लिए बनाई गयी पानी की खेली मे जा गिरा और आँखो का कचरा पानी ने सॉफ कर दिया
मैं महादेव जी कि जय बोलता हुवा पानी से बाहर आया बदन तो जैसे दर्द से बिखर ही रहा था पर मैं उस दर्द को पी ही गया उसकी कही हर एक बात मेरे प्रतिशोध की अग्नि को धधका रही थी जैसे ही उसने अबकी बार तलवार लहराई मैने उसका हाथ पकड़ लिया और दूसरे हाथ से एक घूँसा उसकी पसलियो मे जड़ दिया तलवार उसके हाथ से छूट गयी तो मैने उठा ली
अगले ही पल मैने उसकी कलाई पर वार किया तो खून की धारा बह निकली मैने रुदन किया और उसको उठा कर पटक दिया और उसके उपर टूट पड़ा मैने कहा धनंजय उठ आज तू देखे गा कि नरक की यातना कैसी होती है आज तू साक्षात मृत्युदेव को अपनी आँखो से देखे गा मैं उसकी छाती पर चढ़ गया और बस मारता ही रहा उसको मारता ही रहा उसकी छाती को फाड़ दिया मैने रक्त उसके पूरे जिस्म से बह रहा था पर प्राण अभी बाकी थे उसके
रक्त तो मेरे ज़ख़्मो से भी काफ़ी बह रहा था पर अब मुझे किसी भी जख्म की कोई परवाह नही थी मैने उसकी टाँग पकड़ी और उसे घसीट ते हुए मंदिर की सीढ़िया चढ़ने लगा और मैं मंदिर मे आ ही गया अब मैने तलवार उठाई और भयनकर रुदन करते हुवे बोला धनंजय आँखे खोल देख देव ठाकुर आज तेरे सर की बलि चढ़ाएगा देख कमिने उठ मैने उसको लात मारी और कहा साले उठ , उठता क्यो नही आँखे खोल मैं बस उसका सर काटने ही वाला था कि
मेरी मामी भागते हुए आई और मेरे पैरो मे गिर गयी और रोते हुवे बोली देव, बेटे रुक जाओ , भगवान के लिए रुक जाओ इसे बख्स दो भाई है ये तुम्हारा मैं तुमसे माफी मांगती हू एक माँ तुमसे अपने बेटे के प्राणो की भीख मांगती है , उसने अपना आँचल मेरे पाँवो मे फैला दिया पता नही मुझे क्या हुआ मैने कहा ले जाओ इसे और आगे से कह देना इस से कि अपनी हद मे रहे
देव का नाहरगढ़ पर ये एहसान है वातावरण मे एक अलग सा ही डर सा छा गया था मैने चिल्लाते हुवे पुजारी से कहा कि आओ और बलि दने की रस्म को पूरा कर्वाओ तो उसने तुरंत ही मंत्रोचारण शुरू कर दिया और मैने बलि चढ़ा दी
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
अगली सुबह मैं नाश्ता कर ही रहा था कि गोरी आ गयी मिलने मैने कहा क्या बात है तुम तो भूल ही गयी हो तो उसने बताया कि उसकी अर्ध वार्षिक परीक्षाएँ थी पर अब वो फ्री है मैने कहा आओ तो नाश्ता कर लो वो बोली मैं घर से खा कर आई हूँ माँ ने ये कुछ घी भेजा है तुम्हारे लिए मैने कहा पुष्पा को दे आ तो गोरी रसोई मे चली गयी मैने भी ऑलमोस्ट अपना नाश्ता ख़तम कर ही लिया था
फिर मैं और गोरी दोनो बगीचे मे आ गये ठंड थी तो आज मैने सोचा कि गोरी से बाते भी कर लूँगा और धूप भी सेंक लूँगा गोरी बोली मेले वाले दिन क्या ज़रूरत थी इतना खून ख़राबा करने की अब पड़े हो कितनी चोट लगी है मैने कहा चोट तो लगी है पर तुझे एक पल भी याद ना आई तूने तो पराया ही कर दिया है रे
गोरी,- अरे बताया तो सही ना कि मैं पढ़ाई को लेकर व्यास थी और फिर माँ तो बताती ही रहती है घर पर
देव- ज़्यादा बाते ना बना माँ को भी तो कितने दिन हो चले है आई ही नही इधर
तो वो बोली देव क्या बताऊ पिताजी की तबीयत तो तुम जानते ही हो ना जाने किसकी है हमारी खुशियो को लग गयी है
देव – गोरी, तू चिंता ना कर सब ठीक हो जाएगा
गोरी- चलो वो सब छोड़ो और बताओ कि अब तबीयत कैसी है
देव- ठीक ही है बस चलने फिरने मे
कभी कभी तकलीफ़ होती है बाकी कुछ ज़ख़्म भर गये है , कुछ भर जाएँगे
हम बात कर ही रहे थे कि पुष्पा आई और बोली- हुकुम दवाई लगाने का समय हो गया है तो गोरी बोली तुम जाओ मैं लगा दूँगी दवाई तो पुष्पा ने गहरी नज़रो से उसको देखा और फिर चली गयी और मैं और गोरी वापिस कमरे मे आ गये
गोरी- बताओ कहाँ लगानी है दवाई
देव-पीठ पर और पैरो पर और थोड़ा सा जाँघ के उपर वाले हिस्से पर भी
तो गोरी ने मेरी टी-शर्ट निकाली और बोली चलो अब सीधे बैठ जाओ मैं लगाती हूँ दवाई तो मैं सीधा होकर बैठ गया गोरी अपने नरम नाज़ुक हाथो से मेरी पीठ पर दवाई मलने लगी तो लगा कि आज कुछ ज़्यादा ही सुकून सा मिल रहा है मैने कहा यार तेरे हाथो मे तो बड़ा ही जादू सा है
तो वो बोली क्या कुछ भी बोलते रहते हो पीठ पर दवाई लगाने के बाद उसने कहा निक्कर उतारो गे तभी तो मैं दवाई लगा पाउन्गी तो मैने निक्कर उतार दी अब मैं खाली अंडर वेअर मे ही था और उपर से गोरी की नाज़ुक उंगलियो का मादक स्पर्श जब वो जाँघ पर दवाई लगा रही थी तो उसका हाथ बार बार लंड से छू रहा था तो वो धीरे धीरे करेंट मे आने लगा था
गोरी अपनी आँखो मे शरारती मुस्कान लाते हुए कहने लगी खाट मे पड़े हो पर हरकते वही है तुम्हारी मैने कहा अब तुम हो ही इतनी प्यारी और फिर मिली भी कितने दिनो बाद हो तो फिर अब हाल तो बुरा होना ही है वो कच्छे के उपर से ही मेरे लंड को पकड़ ते हुवे बोली लगता है इसे भी इलाज की ज़रूरत है मैने कहा है तो सही पर करेगा कॉन
ये सुनकर गोरी दरवाजे तक गयी और उसको बंद करके मेरे घुटनो के नीचे फर्श पर बैठ गयी और कच्छे को भी उतार दिया और मेरे खड़े लंड को सहलाते हुवे बोली देव ये तो बड़ा ख़ूँख़ार लग रहा है मैने कहा तुम्हे देखकर ही हो रहा है वो धीरे धीरे से मेरी मुट्ठी मारने लगी मैने अपनी आँखे बंद कर ली गोरी उफ़ फफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
कुछ देर बाद मुझे लंड पर गीला गीला सा लगा तो मैने आँखे खोल कर देखा तो गोरी लंड को अपनी जीभ से चाट रही थी उसने अपनी आँखे मेरी तरफ की और आँख मार दी मैने उसके सर को दबा दिया तो लंड उसके गले मे अड़ गया गोरी के थूक से मेरी जांघे भी गीली होने लगी थी अब वो भी जवान थी और शायद कच्ची कली थी तो उसकी भी सेक्स की इच्छा भड़कने लगी थी
अब वो पूरी तरह से मेरे लंड पर झुक गयी थी बार बार उसे मूह मे लेती और निकाल देती मेरे बदन मे एक मज़े की तरंग दौड़ रही थी पूरी रफ़्तार से 10-15 मिनिट तक मज़े से वो मेरा लंड चूस्ति रही फिर मेरे लंड से सफेद द्रव्य की धार निकली और उसके गले से टकराई तो उसने घबरा कर लंड को मूह से बाहर निकाल दिया पर लंड से जो पिचकारी फुट पड़ी थी
तो उसकी नाक , और गले को भिगोति चली गयी गोरी खाँसते हुए बोली बड़े ही कमिने हो तुम सारा मूह खराब कर दिया और पास रखे तोलिये से अपना मूह सॉफ करने लगी फिर उसने कुल्ला किया और बोली आइन्दा से मूह मे नही लूँगी मैने कहा यार तू इतनी ज़ोर से चूस रही थी कि फिर कंट्रोल हुआ ही नही कुछ पल बाद गोरी अपनी सलवार का नाडा खोलते हुवे बोली
देव इधर मेरी ये भी नीचे से बहुत ही गीली हो गयी है और इसमे लग रहा है कि जैसे चींटिया काट रही हों इधर भी कुछ करो ना मैने कहा एक काम कर तू बेड पर लेट जा उसने अपनी सलवार और पैंटी उतारी और झट से बिस्तर पर चढ़ गयी और मैं भी उपर आ गया मैने कहा ज़रा टाँगे तो फैलाओ तो उसने अपनी सुडोल जंघे विपरीत दिशाओ मे फैला दी जिस से मुझे थोड़ी जगह मिल गयी
और फिर मैने भी उसकी रस से भीगी हुवी रोयेन्दार बालो वाली गुलाबी चूत पर अपने होठ रख दिए तो लगा कि जैसे समुन्दर का ढेर सारा खारा नमक किसी ने मेरे मूह मे भर दिया हो और गोरी का तो हाल उस एक चुंबन से ऐसा हो गया कि क्या कहूँ , गोरी की आँखे उस मस्ती मे डूबती चली गयी और चाहकर भी वो आपनी आह को अपने होटो मे ना दबा पाई और उसकी सिसकारी फुट पड़ी आहह आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उूुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
देव ये क्या कर दिया तुमने तो मैने कस्के उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियो को अपने होटो मे भर लिया तो जैसे काम रस फुट पड़ा उन मे से गोरी की टाँगे अपने आप ही उपर को उठती चली गयी और वो मस्त मस्त आहे भरने लगी गोरी बोली उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये तुम्हारी गरम जीभ का स्पर्श मेरी जान ही लिए जा रहा है देव रुक जाओ मैं पिघल रही हू
पर मैं अब उसकी कुछ नही सुन ने वाला था , गोरी अपने हाथो से अपने उभारों को दबाने लगी थी और अपनी निप्पल्स को उंगलियो से सहलाते हुए बेड पर पैर पटक रही थी और मैने अब अपने हाथो से चूत की पंखुड़ियो को थोड़ा सा फैलाया और फिर अंदर के हिस्से को चाटने लगा जहा मैं मज़े से उसकी अन्छुइ चूत का रस पिए जा रहा था और वो भी उस सुख को प्राप्त कर रही थी
कामदेव का बान गोरी के दिल को चीर गया था कामुकता उसकी नस नस मे भर गयी थी और मैं , मैं मेरी क्या हालत बयान करू अगर मैं ठीक होता तो मैं अब तक तो उसकी चूत मे लंड डाल चुका होता पा अभी तो बस चूत को ही पी सकता था पल पल उसकी चूत और भी रस बहाती जा रही थी
उसकी चूत से बहता काम रस अब उसकी गान्ड तक आ गया था गोरी किसी नागिन की तरह झूम रही थी और ऐसे ही आख़िर वो पल आ ही गया जब सारे जहाँ की मस्ती उसकी नसों से बाहर छलक उठी और गोरी बिस्तर पर पस्त होकर पड़ गयी और अपनी भागती हुवी सांसो को थामने की कोशिश करने लगी उसकी चूत से निकले पानी की बूँद बूँद को मैने सॉफ कर दिया
क्रमशः...........................................
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11-02-2018, 11:33 AM,
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
कुछ देर हम दोनो यू ही बेड पर पड़े रहे फिर उठ कर कपड़े पहने गोरी बोली देव क्या मैं सच मे तुम्हे अच्छी लगती हूँ मैने कहा हाँ तुम बहुत पसंद हो मुझे तो वो शर्मा गयी फिर उसने कहा देव, अब मैं चलती हूँ देर हो रही है मैने कहा फिर कब आओगी तो वो बोली जल्दी ही आउन्गि उसके जाने के बाद पता नही कब मेरी आँख लग गयी जब मैं उठा तो दिन ढल चुका था
मैं अपनी बैंत का सहारा लेते हुए बाहर आया पता नही क्यो आज मेरा मूड हो रहा था कि कहीं बाहर घूम आउ मैने कार का गेट खोला और उसे स्टॅट करने लगा तो हमारा दरबान आया और बोला मालिक आपकी तबीयत भी ठीक नही है इस हालत मे बाहर जाना उचित नही है और महॉल भी ठीक नही है कही कुछ हो गया तो, मैने कहा तुम चिंता ना करो मैं बस पास तक ही जा रहा हू
जल्दी ही आ जाउन्गा तो वो बोला ठीक है पर आपकी सुरक्षा के लिए दो चार आदमी साथ ले जाइए पर मैने मना कर दिया और कार लेकर चल पड़ा पर मुझे भी नही पता था कि जाना कहाँ है कच्चे रास्ते पर इधर उधर कार दौड़ी चली जा रही थी इस एरिया मे मैं पहली बार आया था आगे रास्ता भी थोड़ा सा संकरा था और झाड़िया भी बहुत ही ज़्यादा थी अजीब सी जगह थी ये
तो मैं उतरा और पैदल पैदल ही आगे को बढ़ने लगा थोड़ी दूर जाने पर मुझे पानी बहने की आवाज़ सुनाई देने लगी पर कोई नदी या नाला दिख नही रहा था और फिर जैसे ही उन कॅटिली झाड़ियो को पार करके मैं कुछ आगे बढ़ा तो बस मैं देखता ही रह गया ये तो एक बगीचा सा था छोटा सा था पर बेहद ही सुंदर था चारो तरफ तरहा तरहा के फूल खिले हुए थे कुछ पक्षी चहचाहा रहे थे
इतना सुंदर नज़ारा मैने तो अपने जीवन मे पहली बार देखा था मंत्रमुग्ध सा मैं थोड़ा सा और आगे बढ़ा तो देखा कि एक तरफ पेड़ो के नीचे दो चार बेंच भी लगी हुई थी तो मैं उधर ही चला गया अब पानी बहने की आवाज़ और भी प्रबल हो गयी थी तो मेरे पाँव अपने आप ही उस ओर बढ़ने लगे कुछ दूर आगे जाने पर मैने देखा कि नदी से कटकर एक पानी का सोता बनाया गया है इधर
गला सा भी सूखने लगा था तो मैं सोते से पानी पीने लगा, पानी पी ही रहा था कि पीछे से एक आवाज़ आई कॉन हो तुम? तो मैं उठा और पीछे देखा , और क्या देखा कि कोई मेरी ही हमउमर लड़की खड़ी है और उसका तेज इतना था कि उसके रूप की ज्योति से वो सारा क्षेत्र ही जगमग करने लगा , इतनी सुंदर कि लिखने लगूँ उसके रूप के बारे मे तो फिर ये शब्द ही कम पड़ जाए
रूप ऐसा जैसे किसी ने मलाई वाले दूध मे चुटकी भर केसर छिड़क दिया गया हो गोरे रंग पर गुलाबी रंगत लगा कि जैसे सख्शियत स्वर्ग से कोई देवी उतर आई हो और उसके गुलाबी अधरो पर जो वो छोटा सा तिल था बस अब मैं क्या कहूँ , कानो मे सोने के बूंदे गले मे रेशमी माला की डोरी और उस लाल घाघरा चोली मे क्या खूब लग रही थी मैं तो उसके उस रूप की आँधी में कहीं खोता ही चला गया
जब उसे लगा कि मैं एकटक उसे ही देखे जा रहा हू तो उसने चुटकी बजाते हुवे मेरा ध्यान भंग किया और बोली कॉन हो तुम और इधर कैसे आए मैने जवाब देते हुवे कहा कि जी मैं तो मुसाफिर हू रास्ता भटक कर इस ओर आ निकला तो ये बगीचा दिख गया बड़ा ही सुंदर है मेरा तो मन ही मोह लिया इसने कुछ प्यास भी लग गयी थी तो फिर इधर पानी पीने आ गया तो वो लड़की अपने खुले बालो पर हाथ फिराते हुवे बोली क्या तुम्हे पता नही कि ये किसकी मिल्कियत है मैने कहा जी अब मैं तो ठहरा मुसाफिर मैं क्या जानू तो वो बोली ये मेरा बाग है आज तो इधर आ गये हो आगे से मत आना उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये अंदाज उस रूप दीवानी का मैने कहा जी ऐसा क्यो तो वो तुनक कर बोली कह दिया ना कि हमें अपनी मिल्कियत मे किसी अंजान का दखल पसंद नही
क्या तेवर है हुजूर के , मैने कहा जैसी आपकी मर्ज़ी मालकिन साहिबा पर थोड़ी से भूख भी लग आई है तो आप आग्या दें तो दो चार फल खा लूँ तो वो बोली हाँ ठीक है पर इधर वापिस ना आना तो मैं एक पेड़ के पास गया और कुछ फल तोड़ने की कोशिश करने लगा उसके रूप की कशिश मे मैं अपने शरीर की हालत को भी भूल ही गया था
भूल गया था कि पैर के जखम अभी ताज़ा ही है तो मैं जैसे ही उछला तो चोटिल पाँव पर पूरा ज़ोर आ गया और मैं धडाम से गिर पड़ा तो जखम का टांका खुल गया तो दर्द की एक लहर मेरे बदन मे रेंग गयी कोहनी पर भी लग गयी थी मैं जैसे तैसे करके उठा और अपने आप को संभाल ही रहा था कि तभी बदक़िस्मती से गीली ज़मीन पर मेरा पैर फिसल गया और एक बड़े पत्थर से जा टकराया और चाहकर भी मैं अपनी चीख को ना रोक पाया
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
जखम खुलते ही खून की एक धार बह निकली और मैं वही पड़ा पड़ा कराहने लगा तो वो ही लड़की मेरी कराह सुनकर दौड़ते हुवे मेरे पास आई और बोली ये चोट कैसे लगी तुम्हे मैने कहा लंबी कहानी है बाद मे बताउन्गा पहले आप ज़रा मुझे खड़ा होने मे मदद कर दीजिए तो उसने मुझे सहारा दिया और बेंच पर बिठा दिया और बोली काफ़ी खून बह रहा है तुम्हारा तो
मैने दर्द भरी आवाज़ मे कहा कि बहुत दर्द हो रहा है तो वो कहने लगी दो मिनिट रूको मैं कुछ करती हू तो उसने मेरे जखम को सॉफ किया और फिर मेरी शर्ट की आस्तीन को फाड़ कर पट्टी सी बाँध दी और बोली कि जल्दी से किसी डॉक्टर को दिखा लेना मैने कहा ठीक है जी पर मेरी हालत ऐसी थी कि मुझसे खड़ा ही नही हुआ जा रहा था बहुत ही तेज दर्द हो रहा था
मैने कहा ज़रा सुनिए आप मेरी थोड़ी सी मदद और कर दीजिए उधर पास मे ही मेरी गाड़ी है आप मुझे प्लीज़ उधर तक छोड़ दीजिए तो वो बोली चलो ठीक है और फिर मुझे सहारा देते हुए वहाँ तक ले आई और मेरी शानदार कार को देखते हुए बोली इतनी महँगी कार तो मैने झूठ बोलते हुए कहा कि जी मेरे मालिक की है और फिर जैसे तैसे करके जल्दी से कार मे बैठ गया
उसके माथे पर उलझन की डोर मैने सॉफ देख ली थी और मेरा खुद ही बुरा हाल था तो घायल पैर की वजह से कार ड्राइव करने मे भी बड़ी ही मुश्किल हो रही थी पर आख़िर कार मैं हवेली के गेट तक पहुच ही गया, कार सीधी मैने अंदर लाकर रोकी और गेट खोलते ही नीचे गिर गया…
हवेली के करमचारी मुझे उठा कर अंदर ले गये और तुरंत ही डॉक्टर को बुलवाया गया उसने जल्दी से ड्रेसिंग की और पट्टी बाँधते हुवे बोला ठाकुर साहब आप को मना किया था कि ज़ख़्म ताजे है तो आप बस आराम ही करना पर आप बात मानते ही नही है देखो अब और भी नुकसान हो गया है अभी तो आपको बिल्कुल भी बिस्तर से नही उठना हैं , मैने कहा डॉक्टर, वो मेरा पाँव फिसल गया था तो बस फिर लग ही गयी लगी हुई जगहा पर
डॉक्टर बोला , पर वर कुछ नही
.......... डॉक्टर साहब
आप बस अभी आराम ही करेंगे और ये कुछ दवाइयाँ दिए जा रहा हूँ टाइम से खानी है इनके असर से दर्द कुछ कम हो जाएगा पर आप अपनी सेहत का ख़याल रखे तो बेहतर होगा फिर कुछ देर बाद डॉक्टर चला गया उसके जाते ही पुष्पा बोली मालिक आख़िर आप बात क्यो नही मानते है मैने कहा यार अब पता थोड़ी ना था कि चोट लग जाएगी तो वो पूछने लगी कि पर आप कहा गये थे तो मेरा ध्यान उस रूप दीवानी की तरफ चला गया
पल भर के लिए मेरी आँखे मूंद गयी और उसका वो चंद्रमा सा चमकता हुवा चेहरा मेरी आँखो के सामने आ गया तो मैं उस कशिश मे जैसे खोने सा लगा था तभी पुष्पा की आवाज़ से मैं वापिस ख़यालो से बाहर निकल कर वास्तविकता मे आया तो वो बोली कहाँ खो गये आप मैने कहा कुछ नही बस थोड़ी सी थकान हो रही है तो उसने कहा आप आराम करे मैं आती हू थोड़ी देर मे
पर वो बेचारी कहाँ जानती थी कि देव को अब कहाँ नींद आनी थी ज्यो ही वो आँखे बंद करता उसके सामने वो ही खूबसूरत चेहरा आने लगता था अब देव का हाल बुरा हुआ रात आधी से ज़्यादा बीत गयी थी पर वो बिस्तर पर पड़ा हुवा टेबल लॅंप का स्विच ऑन ऑफ करे उसकी आँखो से ख्वाब कहीं दूर उड़ चले थे मॅन बस करे कि उड़ चलूं और पहुच जाउ उस बाग़ीचे मे जहाँ उस सुंदरी के दर्शन किए थे
आँखो आँखो मे रात कट गयी सुबह जब नोकर जगाने आया तो उसने देखा कि देव तो जगा ही हुआ है तो वो वापिस चला गया इधर देव तो जैसे किसी शराब की बॉटल में डूब गया हो ऐसा हाल हुआ उसका खोया खोया सा लग रहा था वो जब पुष्पा ने उसको नाश्ता परोसा तो भी उसका ध्यान कही ओर ही था तो पुष्पा बोली मालिक नाश्ता कर लीजिए , लगता है आपको पसंद नही आया मैं कुछ और बना कर लाती हू,
देव- अरे नही ऐसी बात नही है
बस मेरा मन नही कर रहा है बात करते करते ही देव बिस्तर से उठने लगा तो पुष्पा टोकते हुए बोली मालिक आप उठ क्यो रहे है आपकी तबीयत फिर से बिगड़ जाएगी आप लेटे ही रहे पर उसने कोई ध्यान नही दिया और अपनी बेंत का सहारा लेकर बेड से नीचे उतर गया पर उतरते ही उसके पैर से साथ नही दिया और वो कराहते हुवे बिस्तर पर फिर से बैठ गया
पुष्पा- दर्द हुआ मालिक , आप से पहले ही कहा था कि मत उठिए
तो हार कर फिर से बिस्तर ही पकड़ना पड़ा पर मन जो था वो भटक रहा था एक अजनबी की ओर तो फिर कुछ याद ना रहा दवाई के असर से जल्दी ही नींद आ गयी फिर बस ऐसा ही चलता रहा 10-15 दिन बस ऐसे ही कट गये हालत मे भी काफ़ी सुधार सा हो गया था पर अभी भी बस बिस्तर पर ही पड़ा रहता था लक्ष्मी लगभग हर दोपहर मे आ ही जाया करती थी तो उस से बाते करके थोड़ा सा टाइम कट जाया करता था और फिर पुष्पा भी तो थी
पर फिर उस दोपहर कुछ ऐसा हो गया की उस तकलीफ़ मे भी मुझे हवेली से बाहर निकलना ही पड़ा आख़िर ठाकुर देव तड़प ही गये उस घटना से हुआ दरअसल ये था कि कुछ काम से गोरी अपनी सहेलियो के साथ शहर गयी थी तो जब वो जा रही थी तो रास्ते मे कुछ लड़को ने गोरी से बदतमीज़ी की और उसकी चुन्नि खीच ली थी गोरी ने रोते हुए सारी बात मुझे बताई
तो बस मैं तड़प कर ही रह गया मैने तुरंत ही बंदूक उठाई और अपने सारे दर्द को भूल कर चलते हुवे मैं बाहर आया और नंदू से कहा कि कार निकाल जल्दी से आज ये पहली बार थी जब मेरा स्वर गुस्से से भरा हुवा था तो नंदू ने बिना कुछ कहे तुरंत ही कार दरवाजे पर लगा दी मैने कहा गाड़ी को सहर के रास्ते पर ले पुष्पा मुझे टोकना चाहती थी पर गुस्से से दहक्ती हुई मेरी आँखो को देख कर वो चुप कर गयी
सहर से कुछ किलोमेटेर दूर मुझे गोरी और उसकी सहेलिया मिल गयी , गोरी दौड़कर मेरे सीने से लग गयी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी मैने कहा बस चुप हो जा मैं आ गया हू तू ये बता वो किस गाँव के थे तो उसने बता दिया मैने नंदू से पूछा की सुबह सहर जाने वाली बस वापिस कब तक आती है तो पता चला कि 3 साढ़े तीन तक वापिस आती है मैने कहा गाड़ी को रोड पर लगा दे नंदू
तीन बजने मे थोड़ी देर थी तो मुझे इंतज़ार ही करना था किसकी इतनी हिम्मत हो गयी जो गोरी की तरफ आँख उठा कर देखे, मेरी गोरी की इज़्ज़त को शर्मसार करे मुझे खुद पर भी गुस्सा आ रहा था कि ठाकुर देव बस अब नाम का ही ठाकुर रह गया क्या जो उसके होते हुवे गोरी को ये अपमान का घूँट पीना पड़ा गोरी के अपमान की आह मेरे सीने मे क्रोध की ज्वाला बनकर धधकने लगी थी
मैं गुस्से से पागल हो रहा था तभी मुझे दूर से बस आती दिखी तो मेरे नथुने फड़कने लगे चूँकि मेरी कार सड़क के बीचो बीच खड़ी थी तो बस ड्राइवर को बस मजबूरी मे रोकनी पड़ी, वो चिल्लाता हुवा बोला बाप का रोड समझा है क्या हटा कार यहाँ से तो मैने कहा साले चुप करके खड़ा होज़ा वरना अगले पल तेरी ज़ुबान हलक से खीच लूँगा तो वो सहम गया
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