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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
10-12 मिनिट तक उसके उभारों को चूस चूस कर मैने बिल्कुल ही लाल कर दिया गोरे के गाल गुलाबी हो गये थे अब मैने उसकी सलवार के नडे पर अपना हाथ रखा और उसको खीच दिया गोरी ने ज़रा सा भी विरोध नही किया गुलाबी रंग की कच्छि मे क्या मस्त लग रही थी वो बस मैं तो मर ही मिटा उसके योवन पर मैने अपनी नाक उसकी चूत पर रखी तो बड़ी भीनी भीनी सी खुश्बू आ रही थी
मैं कच्छि के उपर से ही उसको किस करने लगा तो गोरी बेड पर नागिन की तरह मचलने लगी मस्ती उसके रोम रोम मे भरती जा रही थी तभी गोरी बोली देव रुक जाओ ना सुबह का टाइम है पुष्पा आती ही होगी थोड़ी देर मे मैने कहा तू उसकी चिंता ना कर बस मेरा साथ दे तो फिर उसने कुछ नही कहा मैने उसकी कच्छि की एलास्टिक मे अपनी उंगलिया डाली और उसको भी उतार कर फेक दिया
हल्की रोएँदार झान्टो के बीच मे छुपी हुई उसको छोटी सी गुलाबी योनि रस से भरी पड़ी थी तो मैं अपनी उंगली को उसकी चूत की दरार पर फिराने लगा गोरी बड़ी मस्त होकर हल्की हल्की सी सिसकारियाँ भरने लगी थी फिर मैं अपनी उंगली को अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा तो गोरी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली ऐसा ना करो दर्द होता है तो मैने कहा और जब इसमे लंड जाएगा तब ,
तो वो शरमाते हुए बोली धात, बेशर्म हो तुम तो मैने अपने होटो मे उसकी चूत को भर लिया तो गोरी जैसे सीधा आसमान की सैर पर पहुच गयी और बोली उफफफफफफफफफफ्फ़ ओह देवववववववववववववववव ईईए कैसा जादू कर देते हो तुम कितना अच्छा लगता है जब तुम वाहा पर क़िस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स करते ईईईई हूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ ओह आआआआआआआआाआआआआआआआ
उसकी चूत से जैसे उस गरम मजेदार रस का झरना ही बह चला था गोरी ने अपनी आँखो को मस्ती के मारे बंदकर लिया था और मेरे सर को अपनी जाँघो पर भीच ने लगी थी सुडूप सुडूप मैं अपनी जीभ को तिकोना कर के उसकी चूत को चाटे जा रहा था फिर मैं वहाँ से उठा तो गोरी मेरी ओर ऐसे देखने लगी कि जैसे किसी ने भूखी शेरनी के आगे से शिकार छीन लिया हो
मैने उसकी जाँघो को फैलाया और अपने लंड को चूत पर सेट किया ही था कि तभी फोन की घंटी बज उठी तो मेरा मूड भन भना गया मैने गोरी के उपर से हट कर फोन को उठाया और कान से लगा लिया तो दूसरी तरफ थानेदार की आवाज़ जैसे ही मेरे कानो से टकराई कुछ पॅलो के लिए जैसे मैं सुन्न ही हो गया था मैने सोचा नही था कि ऐसी न्यूज़ भी मिलेगी
मैने बस इतना ही कहा कि बस मैं थोड़ी ही देर मे पहुचता हूँ और फटा फट से अपने कपड़े पहन ने लगा तो गोरी बोली क्या हुआ मैने कहा यार एक कांड हो गया है मुझे अभी जाना होगा तो वो अपने कपड़े डालते हुए बोली मैं भी चलती हू मैने कहा नही तू इधर ही रह, जैसे तैसे मैने अपने तन पर कपड़े उलझाए और फिर गाड़ी लेकर सीधा अपने नदी किनारे वाले खेतो को ओर चल पड़ा
वहाँ पहुचने मे करीब बीस पच्चीस मिनिट लग गये मैं जैसे ही तो वहाँ पहुचा तो देखा कि कुछ लोग जमा थे वहाँ पर और पोलीस की गाड़ी भी खड़ी थी मुझे देखते ही इनस्पेक्टर मेरे पास आया और बोला कि ठाकुर साहब मेरे साथ आइए तो मैं उसके पीछेपीछे चल पड़ा और फिर मैने कुछ ऐसा मंज़र देखा की मेरा कलेजा काँप गया लगा कि जैसे ये क्या हो गया
मेरी आँखो के सामने एक लाश थी , चंदा की लाश मैं एक पल मे ही समझ गया था कि मेरे किसी दुश्मन ने ही इसका काम तमाम कर दिया है पर बात सिर्फ़ वो ही नही थी दो खेत आगे एक लाश और थी , और उस लाश को देख कर मैं बहुत ही ज़्यादा अपसेट हो गया था , वो जिसे मैं अपना दोस्त मानता था वो जो मेरे हर काम किया करता था वो लाश नंदू की थी
अब मेरी आँखो से रुलाई फुट पड़ी मैं वही उसकी लाश से लिपट लिपट कर रोने लगा हाई राम!!!!!!!!!!!!!!!!!! ये क्या हो गया मुझे लगा की जैसे मेरे सर पर जैसे क़यामत ही टूट पड़ी थी ये सिर्फ़ दो लाशें ही नही थी बल्कि ठाकुर देव के चेहरे पर एक करारा तमाचा थी , मेरी आँखो मे जैसे खून उतर आया था मैने घोर रुदन करते हुए कहा थानेदार आज रात तक मुझे
इनके कातिल मेरी आँखो के सामने चाहिए वरना मैं सब कुछ तहस नहस कर दूँगा तो इनस्पेक्टर बोला हम कोशिश कर रहे है , वो बोला मैं लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा देता हू तो मैने मना करते हुए कहा नही अब इनकी और मिट्टी खराब नही करनी है ये मेरे जीवन का एक और दुख था परिवार तो पहले ही छोड़ कर चला गया था ले दे कर ये कुछ लोग ही थे और अब चंदा और नंदू का भी कतल हो गया था
कुछ ही देर मे खबर आग की तरह फैल गयी थी और गाँव के कई लोग आ गये थे , मैने अपने हाथो से उन दोनो का अंतिम-संस्कार किया आख़िर मेरे लिए परिवार ही तो थे वो लोग , मैं खुद को बड़ा कोस रहा था उस रात हवेली मे बस घोर अंधेरा छाया हुआ था एक दीपक भी नही जला था , सब लोग गहरे सदमे मे थे और मेरी आँखो मे भी कुछ आँसू थे, और दिल रोए जा रहा था
उस रात चूल्हा नही जला बस दिल जल रहा था सुबह हुई पर कातिलों का कुछ नही पता चला , उफफफफफफ्फ़ कितना बेबस महसूस कर रहा था मुझे लगा कि मैं जैसे एक कीड़ा हू जिसे किसी ने कुचल कर छोड़ दिया हो कितना बेबस था मैं उस कमजोर पल मे बाग मे लखन और बादल दो ही आदमी रहा करते थे तो ना जाने मुझे क्यो उनकी सुरक्षा भी कमजोर लगी तो मैने उधर भी 10-15 आदमी 24 घंटे के लिए छोड़ दिए
और सख़्त आदेश दिया कि किसी भी अनहोनी की आशंका हो तो सीधा गोली चला देना जो होगा देख लेंगे आख़िर अपने हर करम्चारी की रक्षा मेरी ज़िम्मेदारी थी मैने एक पिस्टल पुष्पा को दी और कहा कि इसे हमेशा अपने पास रखना हिफ़ाज़त के लिए सच तो ये था कि उस घटना से मैं अंदर से बुरी तरह हिल गया था खुद को इतना अकेला मैने कभी नही पाया था
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
2-4 दिन गुजर गये थे पर कातिलों का कुछ अता-पता नही चला था पर वो कहते है कि भगवान के घर देर है अंधेर नही उस रात करीब दस बज रहे थे मेरे खेत मे काम करने वाला मजदूर बिरजू भागते हुवे हवेली आया और उसने कुछ ऐसा बताया कि मेरी आँखो मे चमक आ गयी मैने उसी समय बिरजू और अपने दो चार आदमियो को साथ लिया और सुल्तान पुर जो कि करीब 3-4 कोस दूर का गाँव था उधर के दारू के ठेके की ओर चल दिए
वहाँ पहुचते ही मैने बिरजू से इशारा किया तो वो बोला हुकुम जब मैं दारू लेने इधर आया तो वो लोग इधर ही पी रहे थे और चंदा के बारे मे बात कर रहे थे पर अभी वो दिख नही रहे है मैने कहा ठेके वाले को बुलाओ ज़रा तो मैने उससे कहा भाई करीब दो घंटे पहले कुछ अजनबी लोग इधर दारू पी रहे थे वो किधर गये तो वो बोला रे बावले भाई इधर ना जाने कितने अजनबी आते है
मैं किस किस का ध्यान रखू रे, एक तो मेरा दिमाग़ पहले ही भन्नाया हुआ था और उपर से उसने मुझे सीधी तरह से जवाब नही दिया तो मेरी खोपड़ी घूम गयी तो मैने एक गोली सीधा उसके पाँव मे मार दी और बोला अब याद आया कुछ तो ज़मीन पर पड़ा हुवा दर्द से कराहते हुवे बोला माफी दे दो साहब बता ता हू , वो लोग पेशेवर गुंडे है
और आजकल पहाड़ी के काली मंदिर पर डेरा डाले हुए है मैने बिरजू से कहा कि डॉक्टर बुला कर इसकी दवा-दारू करवा देना और फिर मैने गाड़ी काली मंदिर की तरफ घुमा दी मंदिर के पीछे जो जंगली इलाक़ा था उधर ही उन्होने अपना टेंट जैसा कुछ लगा कर अड्डा बनाया हुआ था जाते ही हम लोगो ने उनको धर लिया वो दारू के नशे मे चूर और मैं अपने क्रोध के नशे मे चूर
3-4 तो वही पर मर गये और 2-3 को हम अपने साथ ले आए पर मैं उनको हवेली की बजाय सीधा अपने बाग मे लेकर गया और फिर लखन से कहा कि इन सालो की जब तक मरम्मत कर तब तक कि ये बात करने लायक ना हो जाए तो फिर मेरे आदमियो ने भी दबाकर अपनी भडास निकली , फिर मैने पूछताछ शुरू की , मैने कहा उन माँ बेटों को क्यो मारा
पर वो ठहरे ठीठ तो इतनी आसानी से जवाब नही देने वाले थे तो मैने कहा ज़रा प्लास ले कर आओ और फिर उसकी उंगली के नाख़ून उखाड़ने लगा तो वो दर्द से चीख ने लगा पर मैं नही रुका और उसकी दोनो हाथो की उंगलियो के सारे नाख़ून निकाल दिए लाल लाल खून चारो तरफ बिखरने लगा अब मैं दूसरे आदमी की ओर गया और उसकी उंगली को पकड़ लिया तो वो चीखते हुवे बोला माफ़ करदो मैं सब कुछ बता ता हूँ
आपको जो भी पूछना है मैं सब बता ता हू तो उसने कहा कि हमे सुपारी मिली थी चंदा और उसके बेटे को मारने की मैने कहा नाम बता उस का तो वो बोला वो तो मैं नही जानता क्योंकि सुपारी राका ने ली थी जिसे आपने मार डाला हाँ पर मैं इतना जानता हू कि राका को 1 लाख रुपये किसी औरत ने दिए थे, अब मेरा दिमाग़ घूमा मैं उसे मारते हुए पूछने लगा कि बता साले कॉन थी वो , बता पर वो बार बार चीखते हुए बस इतना ही कहता रहा कि कोई औरत थी कोई औरत थी
जब मुझे लगा कि वास्तव मे इस को कुछ पता नही है तो मैने कहा मार दो दोनो को और लाशों को जनवरो को खिला देना मैने लखन को समझाया कि चोकन्ने रहना और सब लोग साथ ही रहना अकेले ना रहना आकल अपना टाइम कुछ ठीक नही है तो होशियार रहना फिर मैं हवेली आ गया और सोचने लगा कि कॉन औरत हो सकती है वो मैने पुष्पा को बुलाया और कहा कि पुष्पा तू कितनी औरतो को जानती है जो लाख रुपये झटके मे खरच कर सकती है तो वो बोली मालिक लाख रुपये कितनी बड़ी रकम होती है ,हम ग़रीबो के पास कहाँ से आए मैने कहा गाँव मे बता तो वो बोली मालिक, मेरे हिसाब से तो गाँव मे 3-4 औरते ही होंगी जिनके पास इतना रुपया हो सकता है मैने कहा बता ज़रा तो वो बोली एक तो सरपंच की पत्नी, सुना है सरकारी पैसा खूब दबाया है सरपंच ने
मैने कहा और तो वो बोली फिर सुनार जी के पास भी खूब धन है आख़िर धंधा भी ऐसा ही है, हलवाई रामचरण के पास पैसा तो है पर इतना नही होगा कि लाख रुपये जोरू को दे दे पर मालिक … ………. ………… ….. मैने कहा बोल तो सही तो वो बोली मालिक आप को बुरा लग जाएगा मैने कहा अरे तू बोल ना तो पुष्पा बोली मालिक मुनिमाइन के पास भी बड़ी रकम है……
पर मुझे लक्ष्मी पर पूरा भरोसा था ये बात पुप्षपा भी अच्छी तरह से जानती थी पर एक बात जो मुझे भी थोड़ी सी खटक रही थी कि बार बार बुलाने पर भी लक्ष्मी आजकल कोई ना कोई बहाना मार के कट लिया करती थी आख़िर ये सब हो क्या हो रहा था मैं बड़ा ही परेशान हो चला था इस बीच एक महीना और गुजर गया था पर इस बीच कोई भी अप्रिय घटना नही हुई
मेरी सेहत भी काफ़ी हद तक सुधर गयी थी , एक शाम में ऐसे ही बाहर घूमने जाने की सोच रहा था तो मैं अचानक से ही उस छोटे से बगीचे की तरफ हो लिया इस उम्मीद मे कि वो सोख हसीना क्या पता फिर से मिल ही जाए पता नही कुछ तो कसिश थी उसकी उन नशीली आँखो मे , वैसे तो उसने मना किया था कि इधर ना आना पर हम ठहरे हम
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
मैने अब अपनी गाड़ी काफ़ी दूर खड़ी की और पैदल चलते हुवे झाड़ियो को पार करके उधर पहुच गया कुछ भी तो नही बदला था वहाँ पर हर एक चीज़ खिली खिली सी हुई लगता था कि कोई बड़े ही प्यार से उस जगह को आबाद करने मे लगा हुआ था और मुझे भी बड़ा अच्छा लगता था इधर आ कर , मैं उसी बेंच पर बैठ गया और दो पल के लिए अपनी आँखे मूंद ली
कि तभी एक मिशरी सी आवाज़ मेरे कानो मे जैसे घुलती ही चली गयी मैने आँखे खोली तो मेरे ठीक सामने वो ही हसीना खड़ी थी, गोद मे एक खरगोश लिए वो मुझे देखते हुए बोली कि अरे तुमको मैने कहा था ना कि उस दिन, इधर फिर ना आना फिर क्यो चले आए, तुम मुझे जानते नही हो मैं कॉन हू मैने कहा जी आपका बगीचा है ही इतना मनमोहक कि मैं खुद को रोक ही नही पाया इधर आने से
वरना मेरी क्या मज़ाल जो हुजूर की शान मे गुस्ताख़ी कर सकूँ, तो वो बोली क्या तुम्हे अच्छा लगता है इधर आना मैने कहा जी बहुत तो वो बोली ठीक है तो तुम आ सकते हो पर रोज नही कभी कभी और हाँ इधर आओगे तो बगीचे को सँवारने मे मेरी मदद भी करनी होगी मैने कहा जी जैसा आप कहें, तो वो भी मेरे सामने वाली बेंच पर आकर बैठ गयी
और बोली तुम इधर के तो नही लगते हो तुम्हारा रंग रूप कुछ अलग सा है , तो मैने कहा जी उस दिन आपको बताया भी तो था कि मैं एक मुसाफिर हू उसने पूछा –कहाँ रहते हो मैने झूठ बोलते हुए कहा कि जी वो जो दूर पहाड़ियाँ है ना उनके पीछे जो डॅम बन रहा है उधर ही काम करता हू, वो बोली इतनी दूर से इधर आते हो मैने कहा जी अब जी इधर ही लगता है तो आ जाता हू
उसने फिर से पूछा- नाम भी होगा कुछ तूहरा,- जी नंदू, अपने आप ही मेरे मूह से निकल गया वो बोली ये कैसा ग़रीबो सा नाम है तुम्हारा नंदू पुराने जमाने वाला , मैने कहा जी अब जो है वो ही है अगर आप चाहे तो आप किसी और नाम से बुला सकती है तो वो बोली नही मैं भी नंदू ही बुलाउन्गी, मैने कहा अगर आपकी आग्या हो तो मैं एक बात पुछु
वो बोली कहो- मैने कहा जी आपका नाम क्या है तो वो मुस्कुराते हुए बोली क्या करोगे मेरा नाम जानकर, मैने कहा जी करना तो कुछ नही है पर अगर नाम पता होता तो ठीक रहता तो वो बोली मेरा नाम दिव्या है और यही कुछ दूरी पर मेरा घर है तुम देखोगे मैने कहा जी ज़रूर तो उसने कहा फिर मेरे पीछे आओ, तो मैं चुप चाप से उसके पीछे-पीछे चलने लगा
करीब 15 मिनिट तक हम खामोशी से पेड़ो के बीच बने कच्चे रास्ते पर चलते रहे, फिर एक झुर्मुट के पीछे से उसने मुझे कहा देखो ये है मेरा घर तो मैने देखा कि एक बेहद ही विशाल सफेद संगमरमर की चमकती हुई इमारत खड़ी थी जिसे देख कर मेरी आँखे चौंधियाँ गयी मैने कहा तो आप इस महल की मालकिन है , तो वो हँसते हुए बोली नही रे,
मैं तो इधर काम करती हू, नौकरानी का तो मालिक लोगो ने इधर ही एक कमरा रहने को दिया हुआ है और इस बगीचे की जो ज़मीन है ये भी बड़ी मालकिन ने मुझे मेरे काम से खुश होकर दी है ये बताते हुए उसकी आँखे गर्व से चमक रही थी मैने कहा पर आप नौकरानी तो लगती नही हो , मेरा मतलब आप इतनी सुंदर है आपके कपड़े इतने अच्छे
तो वो बोली तो तुम भी कॉन सा ड्राइवर लगते हो , मैने कहा पर मैं तो हूँ ही , तो वो तपाक से बोली तो मैं भी नोकरानी ही हूँ, ये सब गहने और कपड़े तो हमारी मालकिन की बड़ी बेटी की उतरन है उनके बड़े शौक है तो मुझे मिल जाते है ये कपड़े पहन ने को तभी मेरे दिमाग़ मे एक सवाल आया मैने कहा और आपके मालिक का क्या नाम है तो वो बोली ठाकुर राजेंदर
ओह ओह तो इसका मतलब था कि इस समय मैं नाहरगढ़ मे खड़ा था , कच्चे रास्ते की भूल भुलैया मुझे ये कहाँ ले आई थी फिर भी मैने कनफार्म करने के लिए पूछा जी आपके गाँव का नाम क्या था वो मैं भूल गया तो वो बोली नाहरगढ़ मे हो तुम इस समय मैने कहा हाँ याद आया काफ़ी अच्छा गाँव है आपका तो वो सवाल करते हुए बोली-तुम कब गये थे गाँव मे
मेरी चोरी पकड़ी गयी थी मैने किसी तरह बात को संभालते हुवे कहा कि जी जब आप का घर ही इतना सुंदर है तो गाँव भी सुंदर होगा इसी लिए बोल दिया वो थोड़ा सा ब्लश करते हुए बोली वैसे बाते बड़ी अच्छी करते हो तो मैने कहा आप भी तो कितनी अच्छी हो थोड़ा थोड़ा सा अंधेरा होने लगा था तो उसने कहा चलो अब मैं चली काम भी करना होगा
मैने कहा जी अच्छा मैं भी चलता हू, कुछ दूर चला ही था कि उसने आवाज़ दी तो मैं मूड गया उसने कहा वैसे मैं हर मंगल , और शनि को इधर शाम को होती हू और पलट कर तेज तेज कदमो से आगे को बढ़ चली और मैं ना जाने क्यो मुस्कुरा पड़ा और फिर मैं भी अपने आप से बाते करता हुआ कार तक आया और फिर अपने गाँव की ओर चल पड़ा
हवेली आया तो मेरा मूड बड़ा ही खुश खुश सा था पुष्पा रसोई मे थी तो मैं उधर ही चला गया और उसको अपनी बाहों मे भर लिया मैने उसको रसोई की दीवार से सटा दिया और उसके लाल लाल होटो पर किस करने लगा वो बोली छोड़िए ना कोई आ जाएगा मैने कहा किसकी मज़ाल जो मेरे और तुम्हारे बीच मे आए और वैसे भी कई दिन हो गये है तुम्हे प्यार नही किया है वो बोली पहले मुझे रसोई का काम समेट लेने दें फिर मैं आती हू आपके पास
तो मैं उसकी गान्ड पर चिकोटी काट ते हुवे बोला थोड़ा जल्दी कर के आना , वो एक आह भर कर ही रह गयी थी मैं आकर बाल्कनी मे डाली कुर्सी पर बैठ गया और दिव्या के बारे मे सोचने लगा कितनी अच्छी थी वो कितनी सुंदर कुछ तो बात थी उसमे जो मेरा मन बार बार उसकी ओर भागने लगा था ये ठंडी हवा क्या संदेशा लेकर आ रही थी मैं समझ नही पा रहा था
क्रमशः.....................
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
वहाँ पहुचते पहुचते मुझे ऑलमोस्ट अगली सुबह ही हो गयी थी आँखे नींद मे डूब रही थी बदन थक कर चूर हो रहा था पर मुझे अब जल्दी से जल्दी लक्ष्मी के बेटे से मिलना था , तो मैं करीब 11 बजे उसके कॉलेज के विज़िटर्स ऑफीस मे था उन्होने कहा आप थोड़ा इंतज़ार करें हम बुलवा रहे है , जैसे ही मैने लक्ष्मी के बेटे को देखा कुछ ख़ास नही लगा वो मुझे दुबला पतला सा आँखो पर नज़र का चश्मा, मैने उसे अपना परिचय दिया और कहा कि माँ कहाँ है तो वो बोला माँ इधर क्या करने आएँगी
जब भी आता हूँ तो मैं ही गाँव आता हूँ आज तक तो वो कभी आई ही नही इधर नही कभी बापू आए है बस पैसे भेज देते है टाइम टू टाइम मैने कहा पर वो तो कह रही थी कि तुमसे मिलने आ रही हैं पर उसने तो मना कर दिया अब मैं और भी उलझ कर रह गया था आख़िर कुछ तो राज था कुछ तो खिचड़ी बन रही थी पर क्या था वो मुझे पता नही चल रहा था तो मैने फ़ैसला किया कि वापिस हवेली ही चला जाए
हवेली आने के बाद मैं इसी पेशो-पेश मे था रात घिरी आई थी पुष्पा अपने घर जा चुकी थी मैने सोचा कि क्यो ना आज रात हवेली को अच्छे से देखा जाए आख़िर इतने कमरे थे जो अब भी बंद पड़े थे कुछ तो मिलेगा ही कोई तो राज़ है जिसका मुझे पता नही था तो मैने एक एक कमरे को खंगालना शुरू कर दिया दो-चार कमरो मे तो बस कपड़ो गहनो के अलावा कुछ ना मिला कुछ मे किताबें और फालतू की चीज़े पड़ी थी
पर मैं तलाश करता रहा आख़िर मे मुझे एक कमरे मे एक बॉक्स मे एक चाँदी का हार मिला उसे देख कर मुझे लगा कि ऐसा का ऐसा मैने कही तो देखा है पर याद नही आ रहा था काफ़ी याद करने पर भी याद नही आया तो मैने उसे साइड मे रखा और फिर से चीज़ो को तलाशने लगा आख़िर एक कमरे मे मुझे कुल दस्ता वेज मिल गये करीब पाँच साल पुराने थे धूल मे पड़े हुए
कुछ की हालत तो बहुत ही ख़स्ता हो चली थी पर उनसे कुछ इंपॉर्टेंट भी पता चला उसमे हमारे खानदान की संपत्ति का ब्योरा था पर उसमे जो लिखा था वो रकम और मिल्कियत बहुत ज़्यादा थी जबकि वकील और मुनीम ने जो बताई थी वो तो इस से काफ़ी कम थी तो मेरा दिमाग़ घूमा और मैन बात ये थी कि दादाजी तो बीमार ही थे और मैं यहाँ था नही तो आख़िर कितना पैसा खरच हुआ होगा
मैने वो कागज साइड में रखे और फिर से अपने काम मे लग गया एक बात तो पक्का हो गई थी कि दाल पूरी ही काली हो गयी थी सुबह तक मैने काफ़ी कुछ खंगाल मारा था पर उन प्रॉपर्टी के पुराने पेपर्स के अलावा कुछ काम की चीज़ नही मिली थी मैं हवेली से निकल कर सीधा वकील की पास शहर गया और वो कागज वहाँ पर रखते हुए पूछा कि ............
ये पेपर्स तो प्रॉपर्टी के बारे मे कुछ और ही कहते है तो उसके माथे पर परेशानी के बल पड़ गये मैने कहा 5 मिनिट मे सब सच बता वरना फिर तुम जानते ही हो तो वो बोला ठाकुर साहब सच मे आपकी प्रॉपर्टी बहुत ही ज़्यादा है पर लक्ष्मी जी के दबाव मे मुझे ऐसा करना पड़ा मैने कहा और कोन कॉन है उसके साथ तो वो बोला जी मुझे नही पता मुझे तो लक्ष्मी ने ही कहा था और मोटी रकम भी दी थी ऐसा करने के लिए
मैने कहा असली पेपर्स कहाँ है और सबसे इंपॉर्टेंट बात बता कि जब अगर लक्ष्मी को प्रॉपर्टी का ही लालच था तो मुझे यहाँ क्यो बुलाया गया चुप चाप से ही क़ब्ज़ा क्यो नही कर लिया तो वकील घबराई हुई सी आवाज़ मे बोला ठाकुर साहब आपने शायद वसीयत ठीक से नही पढ़ी उसमे ये लिखा था कि अगर किसी कारण से देव प्रॉपर्टी को क्लेम ना कर पाए तो ये सब कुछ सरकार के पास चला जाए और उनकी निगरानी मे एक अनाथालय बना दिया जाए
इस लिए आप को बुलाना यहाँ पर मजूबूरी थी, आपके बिना सारी प्रॉपर्टी लॅप्स हो जाती मैने कहा वकील जो भी बात तेरे मेरे बीच मे हो रही है वो तूने अगर लीक की तो मेरा वादा है कि तेरी लाश कही पड़ी हुई मिलेगी तो वो बोला माफ़ कीजिए देव साहब आगे से मैं पूरी वफ़ादारी करूँगा , शाम को मैं दिव्या से मिलने उसी बगीचे मे चला गया ना जाने क्यो उस से मिलकर बड़ा ही अच्छा लगता था
जब मैं वहाँ पर पहुचा तो वो खरगोशो के साथ खेल रही थी मुझे देख कर बोली मुसाफिर, काफ़ी दिनो मे आए हो इधर मैने कहा जी वो कुछ काम से बाहर जाना हो गया था पर समय मिलते ही इधर आ गया वो बोली अच्छा किया मेरा भी बड़ा मन हो रहा था तुमसे बाते करने का मैने कहा दिव्या जी अगर आप बुरा ना मानें तो एक बात पुछु वो बोली हम कहो क्या बात है
मैने कहा जी वो कल रात कुछ लोगो से मुझे अर्जुनगढ़ और नाहरगढ़ के ठाकूरो की कहानी के बारे मे पता चला पर मुझे यकीन नही हुआ तुम तो इधर महल मे रहती हो तुम्हे तो पता ही होगा तो वो बोली बात पुरानी है मुझे इसके बारे मे कुछ ज़्यादा पता नही है मैने कहा कि वो लोग कह रहे थे कि वसुंधरा देवी को उनकी माँ ने ही जहर दे दिया था
तो दिव्या के चेहरे पर गुस्से से लाली आ गयी पर तुरंत ही उसने अपने आप को संयंत कर लिया और बोली ऐसा कुछ नही हुआ था बल्कि उनकी मौत तो महल मे हुई ही नही थी, मैने कहा तुम्हे कैसे पता तो वो बोली पता है मुझे उसकी एक बात से मेरे अंदर एक हलचल मच गयी थी पर मैने खुद को संभाल लिया था आख़िर दिव्या झूट क्यो बोलेगी
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