Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
11-02-2018, 11:32 AM,
#31
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
कुछ देर मैं उसके उपर ही लेटा रहा फिर जब वासना का तूफान शांत हुआ तो मैं उसकी बगल मे आ गया और उसके होटो की पप्पी लेकर उसका शुक्रिया अदा किया तो वो मेरे सीने से सट गयी हालाँकि मैं एक बार और उसको चोदना चाहता था पर उसने मना कर दिया तो फिर बस सोना ही रह गया था सुबह हुई अब मुझे वापिस गाँव आना था तो कुछ देर और राइचंद जी से गुफ्त गु हुवी और करीब दस बजे मैं वहाँ से गाँव के लिए चल पड़ा



पर तभी मुझे याद आया कि मुझे बॅंक मॅनेजर से मिलना है तो मैं बॅंक हो लिया असल मे मुझे मेरे कुछ खातो का पिछले समय की ट्रॅन्सॅक्षन डीटेल्स चाहिए थी तो बॅंक मे बड़ी ही देर लग गयी कुछ पैसे भी निकल वा लिए थे अब काफ़ी डेटा था तो मॅनेजर ने कहा सर टाइम लग रहा है आप एक काम करो अभी आप घर जाओ मैं 1-2 दिन मे पोस्ट से डीटेल्स भिजवा देता हू तो फिर बस घर ही जाना था



फिर मैं बॅंक से निकला तो तीन बज रहे थे मैं गाँव के लिए निकला तो फिर मुझे कुछ याद आया तो मैने फोन निकाला और एक नंबर डाइयल किया तो उसने मुझे मिलने के लिए बुला लिया असल मे ये वो आदमी था जो कुछ हथियारो की व्यवस्था करने वाला था अब ये काम बेहद ज़रूरी था तो उस से फिर डील होने लगी उसने कहा कि वो एक हफ्ते बाद सब काम कर्देगा तो कुछ पैसे अड्वान्स देकर मैं गाँव की ओर हो ही लिया



शाम हो रही थी मुझे जल्दी से जल्दी घर पहुच ना चाहिए था गाँव से थोड़ी ही दूर पर जब मैं था तो एक आदमी ने हाथ के इशारे से कार को रुकवाया तो मैने गाड़ी रोक दी वो बोला बाबूजी मेरे पैर मे चोट लगी है क्या आप मुझे गाँव तक छोड़ देंगे तो मैने कहा हाँ आजो उसके पास एक बॅग भी था तो मैने सोचा कि मैं ही उठा कर रख देता हू मैने गाड़ी का गेट खोला और बाहर आ गया पर ये तो साला गजब ही हो गया



मेरे बाहर आते ही झाड़ियों से कुछ 7-8 लोग और बाहर निकल आए और मुझे घेर लिया मैने कहा लुटेरे हो लूटने आए हो तो उनमे से एक बोला ना ठाकुर साहब ना ना धन ना चाहिए हमको आपका तो मैने कहा फिर क्या चाहते हो तो वो बोला हमारे मालिक ने कहा है कि ज़रा ठाकुर साहब की थोड़ी सी खातिरदारी करके आओ तो आ गये मैने कहा तो ठीक है फिर अपने मालिक का पता बताओ आज का डिन्नर उधर ही करता हूँ मैं



मैं अंदर ही अंदर समझ गया था की आज बेटा कलदाई आ गयी है आज तो गया तू काम से मैने फुर्ती करते हुवे जेब से पिस्टल निकाल ली तभी किसी का लात मेरे हाथ पर पड़ा और पिस्टल गिर गयी मैं कुछ समझपाता उस से पहले ही दना दन वार होना शुरू हो गया मुझ पर कुछ रियेक्शन करने का टाइम ही ना मिला बस फिर मेरी चीख ही गूंजने लगी उस वीराने मे



मैं तो प्रतिरोध भी ना कर पाया था पता नही कब मेरे होश गुम होते चले गये जब मेरी आँख खुली तो मैं हॉस्पिटल मे था आँखे खुलते ही मैने महॉल देखा फिर मैने आवाज़ लगाई तो नर्स दौड़ते हुए आई और बोली अरे आप आराम से रूको ज़रा फिर उसने मुझे बैठने मे मदद करी और डॉक्टर को बुलाने चली गयी तब तक नंदू अंदर आ चुका था



उसने पानी भरी आँखो से मेरी ओर देखा और रोने लगा मैने कहा पगले कुछ नही हुआ मुझे बस कुछ चोट है ठीक हो जाएँगी फिर देखा तो लक्ष्मी भी अंदर आ गयी और मेरे पास स्टूल पर बैठ गयी और मेरा हाथ पकड़ कर पूछा कि ठीक हो मैने कहा जी ठीक हू तो पता चला कि आज 4 दिन बाद होश आया है डॉक्टर ने आकर कुछ इंजेक्षन दिए



फिर पता चला कि कोई हड्डी तो नही टूटी पर कुछ पसलियो मे चोट है और गुम चोट तो पूरे शरीर मे ही थी तबीयत से मारा था सालो ने मुझे पोलीस ने आकर बयान लिया तो मैने झूट बोलते हुए कहा कि सर मुझे कुछ याद नही है शायद कुछ चोर-लुटेरे थे तो इनस्पेक्टर ने कहा कि ठाकुर साहब चोर नही थे वो लोग गाड़ी से हमे 12 लाख रुपये मिले है अगर चोर होते तो ले जाते पर सिर्फ़ आप पर हमला पहले हवेली मे कोसीश और अब ये कुछ तो है जो आप बता नही रहे है मैने कहा मुझे कुछ भी नही पता है और वैसे भी ये पोलीस का काम है आप तहकीकात शुरू कीजिए



इनस्पेक्टर ने बड़ी घहरी नज़रो से देखा मुझे और फिर कहा कि कुछ याद आए तो इत्तिला दीजिए फिर चला गया लक्ष्मी बोली मुझे तो पक्का यकीन है कि नाहरगढ़ वालो न ही हमला करवाया है मैने कहा ऐसा क्यो लगता है तुम्हे जबकि मुझे भी यही लग रहा था मैने पूछा क़ी मुझे यहाँ तक किसने पहुचेया तो पता चला कि नंदू उसका बहनोई और उसकी बहन गाँव आ रहे थे



तो रास्ते मे उन्हे मेरी कार दिखी उसके पास ही मैं बेसूध पड़ा था उसका जीजा किसी सेठ का ड्राइवर था वो ही हॉस्पिटल लाया कार को फिर गाँव सूचना दी गयी मैने उन सबका धन्यवाद किया 5-6 दिन बाद हॉस्पिटल से छुट्टी हो गयी तो मैं हवेली आ गया हवेली की सुरक्षा कड़ी हो गयी थी अब गाँव के लोग भी थोड़ा सा दुखी थे मेरे उपर हुवे हमले को लेकर



बस दिन गुजर रहे थे लक्ष्मी एक दो दिन मे चक्कर लगा जाया करती थी , चंदा तो थी ही हम पर पुष्पा पूरे दिल ओ जान से मेरी तीमार दारी मे जुटी हुई थी अब वो 24 घंटे ही हवेली मे रहा करती थी कुछ ज़रूरी हो तो ही घर जाती थी वहाँ उसकी सास तो थी ही संभालने को धीरे धीरे मेरी हालत मे भी सुधार होने लगा था एक दोपहर पुष्पा ने मुझे दवाई पकडाई और बोली मालिक आपको क्या लगता है कॉन ऐसी हरकत कर सकता है



मैने कहा कोई भी हो सकता है , मेरे मामा भी हो सकते है वो बोली अरे एक मिनिट मे अभी आई मैने कहा कहाँ जा रही हो बताओ तो सही पर वो बाहर दौड़ पड़ी पाँच मिनिट बाद वो आई तो उसके हाथ मे एक लिफ़ाफ़ा था उसने कहा कि मालिक जिस दिन आप सहर गये थे उस दिन नाहरगढ़ से दो लोग आए थे और ये देकर गये थे फिर आप पे हमले की खबर आई तो फिर दिमाग़ से निकल गया



मैने कहा तू बैठ ज़रा , तो पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी मैने वो एन्वेलप खोला तो उसमे एक रजिस्ट्री थी जिसमे नाहर गढ़ की फॅमिली ने मेरी वाली ज़मीन जो कई सालो से दबाई हुई थी वो मुझे वापिस दे दी थी मैने 3-4 बार वो रेजिस्ट्री पढ़ी अब साला ये क्या हो गया ये तो बात ही घूम गयी मैने कहा पुष्पा टेबल पे रखी डायरी मे से वकील साहब को फोन लगाओ और उन्हे कल यहाँ बुलाओ



फिर मैने उसको सारी बात बताई तो वो बोली मालिक कही कोई खेल ना खेल रहे हो वो लोग मैने कहा हो सकता है पर ज़मीन तो वापिस करदी उन्होने अगले दिन वकील आया तो मैने राइचंद जी को भी गाड़ी से इधर ही बुलवा लिया फिर विचार विमर्श होता रहा मैने कहा अब उनका धन्यवाद तो करना ही चाहिए वैसे भी अब मैं काफ़ी हद तक ठीक हो गया हू



मुझे अब रिश्तेदारो से मिल ही लेना चाहिए तो राइचंद जी घबरा गये और बोले आप वहाँ नही जाएँगे बस तो मैने उनका मन रखने को बोल दिया ठीक है नही जाउन्गा पर मैने अपना इरादा कर ही लिया था वकील बोला मैं कल ही जाकर वो ज़मीन अपने क़ब्ज़ मे ले लेता हू मैने कहा ठीक है



फिर मैं और राइचंद जी अनुमान लगाते रहे कि आख़िर हमला किसने करवाया क्योंकि वो घात लगा कर किया गया वार था तो किसी को तो पता था ही कि मैं आ रहा हू साला कॉन हो सकता है अगले कुछ दिनो मे हवेली के लोगो को हथियार भी मिल गये थे खेतो का काम लक्ष्मी देख रही थी तो चिंता नही थी हफ्ते भर बाद की बात है उस दिन सुबह से ही बड़ी बारिश हो रही थी



तो रात तक सिलसिला चलता रहा , पर रात को बारिश तूफ़ानी हो गयी थी रात के खाने के बाद मैं किताब पढ़ रहा था तो पुष्पा दूध लेकर आई मैने पूछा बाहर लोगो का खाना हो गया तो वो बोली हाँ मलिक रात वाले लोग घर से ही खाकर आते है मोसम ठंडा सा है तो मैं बस उनको चाइ पकड़ा कर ही आई हू आज पुष्पा काली साड़ी मे बड़ी ही गजब लग रही थी



मेरे दिल पर तो कटार ही चल गयी थी उसके उस रूप को देख कर मैने कहा पुष्पा मुझे तुमसे आज एक बात करनी है वो बोली जी कहिए मैने कहा ज़रा इधर तो आओ तो वो बेड के पास आकर खड़ी हो गयी मैने कहा मेरे पास बैठो तो वो सकुचाने लगी पर मैने उसको अपने पास बिठा लिया और उसका हाथ पकड़ कर बोला कि पुष्पा मैने कई दिन पहले तुमसे एक सवाल किया था उसका जवाब नही मिला मुझे अभी तक



उसका सुन्दर मुखड़ा लाल हो गया पर वो चुप ही रही मैने कहा तुम्हे तो पता ही है मैं तुमको दिल से अपना मानता हू क्या तुम मुझे दोस्त होने का हक़ भी नही दे सकती हो तो वो बोली मालिक ऐसी बात नही है पर ……. …….. मैने कहा पर क्या तो वो बोली हवेली मे इतने लोग होते है बात खुल गयी तो मेरा क्या होगा मैं उसकी हथेली को दबाते हुए कहा कि क्या तुम्हे भरोसा नही मुझ पर



वो बोली आप कैसी बात करते है , मैने उसे सीधा आमंत्रण देते हुवे कहा कि ठीक है मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हू सारा काम निपटा कर आओगी ना तो वो उठी और दरवाजे की तरफ चल पड़ी और वहाँ पहुच कर जब उसने मुझे स्माइल दी तो मैं तो मर ही गया ……
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11-02-2018, 11:32 AM,
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
बाहर मोसम भी आज रोद्र रूप मे था घनघोर बरसात हो रही थी फिर बिजली भी चली गयी मैं उठा और रोशनी की फिर खिड़कियो के पर्दे लगा दिए ताकि कुछ बाहर का शोर कम हो जाए मैने लालटेन ली और बाहर का हाल देखने जा निकला गेट पे जाके देखा कि वो लोग जो वहाँ कमरा बनाया था उधर बैठे थे मैने कहा आप आराम से रहना बारिश मे ना भीगना तो वो बोले मालिक आप चिंता ना करो और आराम कीजिए तो मैं फिर से अपने कमरे मे आ गया



तो देखा कि पुष्पा सोफे पर बैठी है मैने गेट बंद किया और उसके पास जाकर बैठ गया और उसके हाथ को अपने हाथ मे ले लिया वो बोली मालिक , मैने कहा क्या हुआ वो कहने लगी कुछ होता है मुझे मैं बस हँस दिया उसकी टाँग से मेरी टाँग रगड़ खाने लगी थी मैं आज पूरी रात उसको भोगना चाहता था मैने उसकी ठोडी को अपने हाथ से उठा कर उसके चेहरे को उपर की ओर किया और बिना कुछ कहे अपने होंठो से उसके होंठो को मिला लिया



पुष्पा उसी समय मेरी बाहों ने पिघल गयी मलाईदर होंठो को चूसने मे मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था ऐसा लगा कि जैसे ताज़ा ताज़ा मलाई हो वो दस पंद्रह मिनिट तक बस उसके अधरो का रास्पान ही करता रहा मैं फिर वो अलग हुई मैने उसे खड़ा किया और अपने से चिपका लिया और साड़ी के उपर से ही उसकी गदराई गान्ड को सहलाने लगा एक बार फिर से मैं उसको किस करने लगा था



फिर मैने उस से कहा कि पुष्पा बिल्कुल भी शरमाओ ना, वरना मैं तुम्हे प्यार कैसे कर पाउन्गा मैने उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ा और साड़ी को खोलने लगा वो सिर्फ़ ब्लाउज पेटिकोट मे थी वो शरम के मारे अपना मूह मेरे सीने मे छुपाने लगी और मैने मोके का फ़ायदा उठाकर उसके पेटिकोट का नाडा भी खोल दिया जैसे ही पेटिकोट उसके पैरो मे गिरा मैं तो पगला ही गया नीचे से वो पूरी नंगी हो गयी थी



गाँवो की औरते वैसे भी ब्रा-पेंटी इतनी कहाँ पहना करती है मैं कुछ देर उसके चुतड़ों से खेलता रहा फिर उसके ब्लाउज को भी उतार दिया और उसको बेड पर पटक दिया उसने एक चादर अपने उपर ओढ़ ली मैने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और चादर मे घुस गया और उसके उपर आ गया फिर एक लंबा सा किस किया और उसके हाथ मे अपना लंड दे दिया

तो उसने अपना हाथ पीछे खीच लिया तो मैने कहा पकडो ना इसे तो फिर उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और तभी उसके मूह से निकल गया ये तो बहुत ही लंबा और मोटा है मैने कहा लखन का ऐसा नही है क्या तो वो बोली नही वो तो इस से काफ़ी छोटा है पर तभी उसे अपनी बात का अहसास हुआ तो वो शर्मा गयी मैने कहा पुष्पा तुम खुश तो हो ना तो वो शरमाते हुवे बोली हाँ मालिक



मैं उसके निचले होठ को अपने दाँतों से काटने लगा तो वो मेरे लंड को मसल्ने लगी पुष्पा लक्ष्मी से भी बहुत ज़्यादा हॉट और जबरदस्त पीस थी काफ़ी देर तक बस चूमना चाटना ही लगा रहा बाहर बारिश से जो ठंड हो गयी थी तो मज़ा और भी बढ़ गया था फिर मैं अपना हाथ उसकी योनि पर ले गया गहरे बालो से धकि हुवी गुलाबी चूत मैं तो देख कर खुश हो गया



उसकी झान्टो पर मैं अपनी उंगलिया फिराने लगा तो वो अपनी जाँघो को कसने लगी आख़िर फिर मैने अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी तो वो सिसकते हुवे बोली आहह मालिक आराम से दर्द होता है मैने कहा यार अब इस उमर मे कहाँ दर्द होगा अब तो मज़ा लेने की उमर है ज़रा अपनी टाँगे थोड़ी सी फैला तो उसने पाँवो को चौड़ा कर दिया मैं आहिस्ता आहिस्ता से चूत मे उंगली रगड़ने लगा



पुष्पा भी आहिस्ता आहिस्ता से इस आग मे जलने लगी थी अब तन की प्यास जब भड़के तो फिर बस भड़क ही जाती है चूत मे उंगली करते करते मैने पुष्पा को किस भी करना शुरू कर दिया उसने अपना मूह खोला तो मैं उसकी जीभ को चूसने लगा उसके तन बदन मे तरंग दौड़ गयी और उसने भी अब मेरे लंड पर अपना हाथ चलाना शुरू कर दिया तो मैं भी मस्त होने लगा



काफ़ी देर की चूमा चाटी के बाद अब मैं उठा और उसकी टाँगो को बेड के किनारे पर फैलाते हुवे अपने चेहरे को उसकी योनि पर झुका लिया तो वो बोली छी मालिक क्या कर रहे हो गंदी जगह पर कोई मूह रखता है क्या तो मैने कहा लखन तेरी चूत को चाट ता नही है क्या , वो बोली जी मैने तो आज तक अपनी चूत नही चटवाई है मैने कहा फिर आज तू देख और मैने अपने होठ उसकी गरमा गरम चूत पर रख दिए



जैसे ही मैने अपनी लॅप लपाती हुवी जीभ उसकी नमकीन योनि पर फेरी उसके जिस्म मे तो भूचाल ही आ गया पुष्पा एक अंजाने से अहसास मे डूबती चली गयी थी उसकी टाँगे अपने आप चौड़ी होती चली गयी मीठा सा टेस्ट था उसकी रस से भरी चूत रूपी कटोरी का पुष्पा की सिसकारिया बाहर बरसती बारिस की टिप टिप मे डूबती चली गयी थोड़ी देर चूत को चाटने के बाद



मैने उसके दाने को अपने होटो मे दबा लिया तो बस अब उसके मूह से आहे ही फुट रही थी अपनी मांसल जाँघो को बेड पर पटकते हुवे वो मुझे अपनी चूत का रस पिलाए जा रही थी मैं भी उसे अच्छे से उत्तेजित करना चाहता था ताकि वो लाज शरम सब भूल जाए तो मैं दाने को चूस्ते चूस्ते चूत मे उंगली करने लगा तो पुष्पा का फिर खुद पे किसी भी तरह का काबू ना रहा



10-12 मिनिट तक टूट के मैं उसकी योनि को पीता रहा और फिर आख़िर उसका बदन ऐंठ गया और उसने अपने रस की नदी मेरे मूह मे छोड़ दी मैं चतकारे लेते हुवे उसकी चूत से रिस्ति छोटी से छोटी बूँद को भी पी गया फिर मैं उठा पुष्पा अपनी आँखे बंद किए बेड पर पड़ी थी मैं उसकी बगल मे लेट गया और उसको पूछा मज़ा आया वो बोली ज़िंदगी मे आज पहली बार चूत चटवाई है बड़ा ही मज़ा आया सुकून सा मिला है मुझे



मैं उसके बदन को सहलाने लगा तो थोड़ी देर मे ही वो फिर से गरम हो गयी तो मैने उसकी योनि पर अपने बेकाबू लंड को रखा और रगड़ने लगा और फिर एक धक्का लगाते हुए सुपाडे को अंदर पहुचा दिया पुष्पा दर्द से चीख पड़ी और बोली रुकिये ज़रा बहुत दर्द हो गया है ज़रा आराम से मैने कहा दर्द, वो बोली दो-ढाई साल बाद आज चुद रही हू



तो दर्द तो होगा ही ना मैने कहा बस एक मिनिट की बात है और एक तेज धक्का और लगा दिया अब आधा लंड उसकी बेहद ही तंग चूत मे घुसने लगा उसकी चूत का छेद लंड के हिसाब से फैल गया था वो जैसे तड़पने ही लगी तो मैने उसके होटो को अपने होटो से चिपका लिया और थोड़ा थोड़ा करके लंड को चूत मे डालने लगा कुछ देर की कोशिश के बाद आख़िर पूरा लंड अंदर हो ही गया



मेरा पूरा वजन उस पर पड़ गया था मैं लेटे लेटे उसके रसीले होटो का मदिरा पान करता रहा फिर करीब 5 बाद मैने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी थी अब तक उसकी चूत भी फैलकर लंड के साइज़ की हो गयी थी मैने अब उसके होठ छोड़े और कहा करूँ तो वो बोली धीरे धीरे करो और दर्द भरी आवाज़ निकालने लगी मैं उसकी गुलाबी चूचिको सहलाते हुवे



हल्के हल्के धक्को के साथ पुष्पा को चोदना शुरू किया मैं बोला तेरी चूत बहुत ही टाइट है लगता है जैसे कुँवारी कन्या हो तो वो शर्मा गयी और बोली कई सालो से चुदि नही हू तो टाइट हो गया है कुछ देर मे उसको भी मज़ा आने लगा वो मेरी पीठ को सहलाने लगी और फिर खुद ही मेरी गर्दन पर अपने दाँतों से काटने लगी बेड के नरम गद्दो पर हमारी मस्त चुदाई चालू हो गयी थी



ऐसी करारी चूत की क्या बताऊ बस भोग ता ही रहूं मैं उसको बाहर घनघोर बरसात और अंदर बेड पर वासना का तूफान लक्ष्मी तो पुष्पा के आगे कुछ भी नही थी पुष्पा तो खरा सोना निकली थी कोई बता ही नही सकती थी कि उसका बेटा 9थ मे पढ़ता होगा मैने उसकी दोनो टाँगे उपर कर दी और फिर उसकी लेने लगा पुषपा की सिसकारियाँ छत से टकराने लगी थी मैं खुद उसके जिस्म की गर्मी मे पिघलता जा रहा था




लंड पूरा उसकी चूत से रिस्ते काम रस मे गीला हो गया था और पच पुच करते हुवे चूत के अंदर बाहर हो रहा था पर जल्दी ही उसके बोझ से मैं थकने लगा तो मैं उसे बेड से उठा कर सोफे पर ले आया और उसको घोड़ी बना दिया सोफे पर उसकी बड़ी गान्ड और भी फूल गई तो मैं उसके कुल्हो को चूमने लगा और वो अपनी गान्ड को हिलाने लगी



अब चुदती चूत से अचानक से लंड बाहर निकाल लो तो कोई भी औरत अधीर हो गी ही पुष्पा बोली मालिक अब आप रुक क्यो गये जल्दी से डालो ना अंदर तो मैने उसकी बलखाती हुवी कमर को थामा और अपने नटखट लंड को चूत मे डाल दिया पुष्पा इस प्रहार से आगे की ओर को झुक गयी और फिर अपनी गान्ड को पीछे करते हुए चुदाई का लुत्फ़ उठाने लगी मैं तो खुद मस्ती के सागर मे डूबा पड़ा था



8-10 मिनिट तक मज़े से घोड़ी बनाके चोदने के बाद मैने उसे वही सोफे पर लिटा दिया और उसके उपर आकर चोदने लगा पुष्पा ने अपनी टाँगे मेरी कमर पर लपेट दी और आँखे बंद करके चुदाई का मज़ा ले ने लगी मैं अब पूरी ताक़त से उसको चोद रहा था बस अब आहे ही सुनाई दे रही थी और फिर कुछ देर बाद पुष्पा मुझसे किसी बच्चे की तरह चिपक गयी



और उसकी चूत की पंखुड़िया मेरे लंड पर दबाव डालने लगी उसका बदन झटके खाते हुवे झड़ने लगा पुष्पा फिर से अपने चरम की ओर अग्रसर हो गयी थी पर मैं अभी भी लगा हुवा था जब उसे थोड़ा होश आया तो वो बोली मालिक आप अपना पानी अंदर मत गिराना वो कह ही रही थी की मैने अपना लंड फॉरन छूट से बाहर खीचा और उसके पेट पर अपना गरम पानी गिरा दिया और उसकी बगल मे पड़ गया




कुछ देर बाद मैं उठा और अपनी निक्कर से उसके पेट को सॉफ किया पास रखे जग से पानी पिया और उसको भी गिलास भर के दिया फिर उसके पास लेट गया पुष्पा मेरे सीने पर अपना हाथ फिराते हुए बोली मालिक आज तो आपने मुझे ऐसा सुख दिया है जो ब्याह के पंद्रह साल मे कभी ना मिला और मेरे होंठो पर एक किस कर दिया



मैं उसकी चूची को सहलाते हुवे बोला पर तुम ऐसा क्यो कह रही थी कि दो ढाई साल बाद चुद रही हू तो वो बोली मालिक ये एक ऐसी बात है जो मैने किसी से नही बताई पर आपको बता ती हू कि दरअसल ढिल्लू के बापू एक बार काम पर थे तो लेंटार गिर गया था तो उनकी टाँगो पर काफ़ी चोट लगी थी तब से ही उनकी पॉरश शक्ति चली गई है तो फिर मैने भी अपनी इच्छा को मार लिया था



फिर आप आ गये और आज तो बस आपने मुझे अपनी गुलाम ही बना लिया है कसम मे मैं तो आपकी हो गई हू आज से मैने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा तो वो मेरे सीने से लग गयी मैने कहा तूने लंड चूसा है तो बोली ना जी पर आज आपका ज़रूर चुसुन्गि तो फिर वो उठी और मेरे लंड को अपने मूह मे ले लिया और अपनी जीभ को गोल गोल करके लंड पर फिराने लगी तो वो भी फिर से अपने रंग मे आने लगा 8-10 मिनिट तक वो अच्छे से लंड को चुस्ती रही



पूरा लंड उसके थूक से सना हुआ था उसने अब अपनी टाँगे फैलाई और बोली मालिक आ जाइए अपनी दासी को फिर से मज़ा दीजिए और मैं फिर से उसको चोदने लगा हम दोनो एक दूसरे की जीभ को पूरी मस्ती से जीभ को चूसे जा रहे थे कसम से ऐसी चुदाई करके मैं तो बड़ा ही खुश हो गया था अब मेरे हर धक्के का जवाब वो अपनी गान्ड को उचका उचका के दे रही थी ये चुदाई तो और भी लंबी हो गई थी उसका मादक जिस्म पल पल मेरे हार्मोंस को और भी आक्टिव करते जा रहा था



मैं दीवानों की तरह उसके गालो होटो गर्दन को चूमे जा रहा था पुशा के नाख़ून मेरी पीठ गर्दन मे धन्से जा रहे थे बड़ा ही मस्त आलम था उस कमरे के अंदर पता नही कितनी देर तक हम एक जिस्म हुए रहे पर हर शुरआत की तरह अंत भी होना ही था इस चुदाई का तो आख़िर मैने उसकी चूत को अपने पानी से भर दिया और फिर पता नही कब नींद ने हम दोनो को अपने आगोश मे ले लिया
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11-02-2018, 11:32 AM,
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RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
अगली सुबह जब मैं उठा तो देखा कि बारिश रुक गयी थी पर पुष्पा नही थी पूछने पर पता चला कि वो घर गयी थी मैं बाहर आया तो देखा कि चंदा बरामदे मे पोछा लगा रही थी उसने साड़ी को जाँघो तक किया हुआ था तो ठोस जांघे जैसे निमंत्रण दे रही हो और फिर उसके ब्लाउज से बाहर को झाँकते आधे उभारों का तो कहना ही क्या सुबह सुबह ही मेरे लंड मे फिर से तनाव आने लगा



तो मैं उसको इग्नोर करते हुए बाथरूम मे घुस गया नहा कर आया तो वकील साहब आए थे उन्होने बताया कि ज़मीन पर क़ब्ज़ा ले लिया गया है बिना किसी परेशानी के पर वहाँ पर कई एकड़ मे अफ़ीम खड़ी है उसका क्या करना है मैने कहा या तो उसको उन्ही को दे दो या फिर जला दो मैं नही चाहता कि किसी को उसकी लत लगे फिर उसने बताया कि शहर मे भी एक मॅरेज हॉल है जो सालो से बंद पड़ा है कई पार्टी है उसको खरीदने को तैयार



और अच्छा ख़ासा पैसा भी मिल जाएगा अगर आप कहे तो मैं बात करू मैने कहा हाँ ठीक है आप देख लेना फिर कुछ हो तो मुझे बता देना बाप दादा इतना कुछ छोड़ गये थे कि मुझसे सम्भल ही नही रहा था मैं नाहरगढ़ जाना चाहता था एक बार पर राइचंद जी के दबाव की वजह से जा नही पा रहा था लंच ख़तम किया ही था कि थाने से इनस्पेक्टर साहब आ गये



मैने आने का सबब पूछा तो उन्होने बताया कि ठाकुर साहब बात दरअसल ये है कि कुछ दिनो मे बलदेव का मेला लगेगा तो दोनो गाँवो के लोग मेला देखने आएँगे मैने कहा फिर उसमे क्या है जो रीत है उसे चलने दो वो बोला आप पहले मेरी बात सुने ज़रा , बात ये है कि पुराने जमाने मे रीत चली आ रही है कि ठाकूरो की तरफ से देवता को बलि दी जाती है



बरसो से आपके पुरखे ये परंपरा निभा रहे थे फिर जब हवेली मे वो घटना हुवी तो उसके बाद से विजय स्वरूप नाहरगढ़ के ठाकूरो ने बलि देना शुरू कर दिया मैने कहा तो फिर मैं क्या करूँ वो बोला आप समझ नही रहे है अब हालत पहले जैसे नही है अब आप आ गये है तो आपका अधिकार है वो पर उधर से वो लोग भी ज़िद करेंगे तो कही शांति-व्यवस्था बिगड़ ना जाए



मैने कहा आप की ज़िमेदारी है सुरक्षा की आप अपना काम कीजिए वो बोला क्यो मज़ाक करते है ठाकुर साहब अब आप लोगो के सामने हमारी क्या चलती है बस आपसे गुज़ारिश है कि मामले को बिगड़ने ना देना मैने कहा ठीक है देखता हू क्या कर सकता हू इनस्पेक्टर के जाने के बाद मैं सोचने लगा मुझे मोका मिल गया था अपने रिश्तेदारो से आमना सामना करने का



मैने लक्ष्मी को तुरंत बुलावा भेजा और कुछ देर बाद वो मेरे साथ थी मैने कहा मेला लगने वाला है तो हमारी तरफ से देवता को कुछ भेंट चढ़ाई जाए वो सुकचाते हुवे बोली देव तो आख़िर तुम्हे पता चल ही गया पर हम ऐसा नही कर सकते अगर तुम वहाँ जाओगे तो तुम्हे दुश्मनो की चुनोती स्वीकार करनी पड़ेगी और अभी तुम पूरी तरह से ठीक नही हुए हो



मैने कहा तुम ज़ख़्मो की चिंता ना करो और वैसे भी ज़ख़्म तो क्षत्रियो का गहना होता है तुम आज शाम ही गाँव मे मुनादी करवा दो कि इस बार देवता को बलि ठाकुर देवराज सिंग चढ़ाएँगे लक्ष्मी बोली सोच लो देव ये बात मज़ाक की नही है बल्कि प्रतिष्ठा की है अगर तुम कामयाब ना हुए तो अर्जुनगढ़ का सर झुक जाएगा मैने कहा जो होगा देख लेंगे



फिर मैने गाँव से सुनार को बुलवाया और कहा कि देवता को सोने का छात्र चढ़ाएँगे इंतज़ाम करो , और हलवाई को महा प्रसाद बनाने का हुकम दिया अब मुझे इंतज़ार था बस मेले के दिन का जो अभी थोड़ा दूर था शाम को मैं नदी किनारे बैठा था तो दिल्लू आया बोला हुकुम आप इस बार बलि चढ़ाने वाले है मैने कहा हाँ तो वो बोला ये बड़ा अच्छा किया आपने वरना हर बार हमे शर्मिंदा होना पड़ता है उनके सामने मैने कहा इस बार नही होगा तू




तो वो मुस्कुराया और मेरे ही बैठ गया वो बोला आप रोज यहाँ आते है मैने कहा नही जब मैं उदास होता हू तभी इधर आता हू उस से बाते करते अंधेरा सा होने लगा था तो फिर वो बोला मैं अब चलता हू घर पर मैं उधर ही बैठा रहा सच तो था कि मुझे ये अकेला पन काट ता था कभी कभी तो मन मे आता था कि सब कुछ बेच कर मैं वापिस लंदन चला जाउ पर अब तो जीना भी यही और मरना भी यही पर



फिर मैं भी हवेली आ गया , डिन्नर मे अभी देर थी तो मैं उपर की तरफ चला गया आज मैने एक और कमरे को खोल दिया और समान को देखने लगा तो मुझे एक अलमारी मे गहनो के कई बॉक्स मिले सोने चाँदी हीरे हर तरह की ज्वेल्लरी थी उसमे मैने फिर उनको साइड मे रख दिया और वहाँ दीवारों टन्गी तलवारो को देखने लगा



कुछ अब वक़्त की रेत के असर से जंग खा गयी थी और कुछ ऐसी थी जैसे बस आज ही खरीदी गयी हो एक तो बड़ी ही सुन्दर थी चाँदी की मूठ वाली मैने उसे मेज पर रख दिया फिर एक अलमारी मे कुछ तस्वीरे निकली जो अब बस नाम की ही रह गयी थी मैं उन्हे देखने लगा पर कुछ समझ नही आया क्योंकि वो काफ़ी पुरानी थी पर थी तो मेरे अपनो की ही



फिर दरवाजे पर दस्तक हुवी तो मैने देखा कि पुष्पा थी वो बोली मालिक भोजन तैयार हो गया है आप को बुलाने आई थी मैने कहा ज़रा इधर आओ और उसको वो गहने दिखाते हुवे कहा कि जो भी तुम्हे पसंद आए रख लो कुछ लम्हो के लिए तो वो गहनों को देख कर मंत्रमुग्ध हो गयी पर फिर बॉक्स को वापिस रखते हुवे बोली नही मालिक मुझे कुछ नही चाहिए



मैने उसे बार बार कहा पर उसने नही लिए तो फिर हम नीचे आ गये डिन्नर के बाद वो बोली मालिक दूध ले लीजिए मैने कहा बैठो ज़रा और उस से बाते करने लगा मैने पुष्पा से पूछा कि मुनीम जी और उनके परिवार के बारे मे बता कुछ तो वो बोली मैं क्या बताऊ मैने कहा जैसे कि गाव के लोगो के प्रति उनका व्यवहार कैसा है , जब मैं नही था तो हवेली वो ही तो संभालते थे ना बस इसी लिए पूछ रहा हू



वो बताने लगी कि मुनीम जी तो भले मानस है पर लक्ष्मी बड़ी ही तेज औरत है , हरदम बस रोब झाड़ती रहती है और कई औरतो से उसका लड़ाई झगड़ा चलता ही रहता है तो गाँव के कम लोग ही उसके मूह लगते है कभी किसी ने मुनीम जी से सूद पर रुपया ले लिया और टाइम पर ना दे सका तो फिर बस लक्ष्मी के ड्रामे देखो ना जाने कितने ग़रीबो की ज़मीन दबा कर बैठी है



और बेटी के बारे मे तो आप जानते ही है मैने कहा हाँ तो वो बोली पर एक बात और है जो आपको नही पता मैने कहा क्या बता ओ ज़रा तो वो बोली मुनीम जी का एक बेटा भी है जो बाहर कहीं पर पढ़ाई करता है सुना है कि वकील का कोर्स कर रहा है मैने कहा यार पर उन्होने तो कभी बताया नही इस बारे मे , पुष्पा बोली मालिक लक्ष्मी बड़ी ही घाग औरत है मैं तो बस इतना ही कहूँगी कि आप उसे ज़्यादा मूह ना लगा ना जब से मुनीम जी खाट मे पड़े है लक्ष्मी के तो सुर ही बदल गये है




मैने कहा ठीक है मैं ध्यान रखूँगा पर अभी तू मेरा ध्यान रख और उसको अपनी गोद मे उठा लिया तो वो बोली मालिक वैसे तो मेरी हसियत नही है कि मैं आपको मना कर सकूँ पर मैं चाहती हू कि मेले के बाद जब आप विजयी होकर आए तो मैं आप के साथ सोऊ मैने कहा ठीक है तेरी फरमाइश है तो पूरी करनी ही पड़ेगी तो फिर वो रसोई मे चली गयी और मैं सोचने लगा कि कही मेरे मामा लोग कोई साजिश तो नही बुन रहे मेरे खिलाफ

पर जो भी था अब इंतज़ार था मेले के दिन का मैने सब कुछ उपर वाले के हाथ मे छोड़ दिया पर हक़ तो मेरा ही था ना बलि देने का मैं कुछ उलझ सा गया था अपने ही सवालो के घेरे मे पर ऐसा कोई था नही जो मुझे मेरे सवालो के जवाब दे सके तो बस यही सब सोचते सोचते मैं सो गया
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11-02-2018, 11:33 AM,
#34
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
दो दिन बस उधेड़बुन मे ही निकल गये और आख़िर वो दिन आ ही गया मेरी तरफ से सब तैयारी पक्की थी मेले वाले दिन मैने तड़के महादेव मंदिर मे पूजा की और महादेव जी से आशीर्वाद लिया आज तो जैसे सारा गाँव ही आरती मे उमड़ आया था हालाँकि मुझे अंदर ही अंदर घबराहट हो रही थी पर शायद ठाकूरो का खून मेरी नसों मे उबलने लगा था



मैने आज कुर्ता और धोती पहनी थी जिसमे बड़ा ही तेजस्वी लग रहा था ऐसा लक्ष्मी ने मुझे बताया था तो फिर मैं चल पड़ा वन्देव के मेले मे अब सुबह सुबह ही थी तो इतनी भीड़ भी नही थी पर मंदिर के कपाट खुले हुवे थे मैं मंदिर के अंदर गया और पुजारी को अपना परिचय दिया और अपने आने का उद्देश्य बताया तो वो कुछ सकुचाते हुए से बोले कि ठाकुर साहब नाहरगढ़ के लोग अब इस परंपरा को निभा रहे है



मैने कहा पर हक़ तो मेरा है ना तो फिर वो कुछ नही बोले मैने कहा आप बलि की तैयारी करवाईए अब पुजारी की कहाँ इतनी हिम्मत कि वो मुझे मना कर सके तो आख़िर मंदिर मे तूत्नि बज ही गयी ये संकेत था कि देवता के लिए बलि की तैयारिया शुरू हो गयी है आस पास के सारे इलाक़े मे इसी बात को लेकर बड़ा ही कौतूहल था तो धीरे धीरे पूरा प्रांगण ही भीड़ से भरता चला गया




ये बात मुझे भी महसूस हुई कि मेले मे लोगो का ध्यान ना होकर बस इसी बात मे था कि बलि कॉन चढ़ाएगा लक्ष्मी मेरे पास आई और बोली कि देव ना जाने क्यो मेरा मन बड़ा ही घबरा रहा है कल रात से मैने कहा तुम ऐसे ही टेन्षन ले रही हो सब ठीक ही होगा मैं और लक्ष्मी बाते कर ही रहे थे कि तभी एक सेव्ड सफ़ारी गाड़ी मंदिर की सीढ़ियो पर आकर रुकी



और एक मेरी ही उमर का नोजवान बड़े ही गुस्से मे उतरा और चीखते हुए बोला कि कॉन है देव ठाकुर जो यहाँ आया है अपना शीश दान करने मैने लक्ष्मी को पीछे किया और तेज तेज कदमो से सीढ़िया उतरने लगा और उसके सामने जाकर खड़ा हो गया मैने कहा मैं ही हूँ देव, और तू जो भी है तमीज़ से ठाकुर साहब बोल तो उसने अपनी बंदूक मेरे सीने से सटा दी और बोला तू मुझे तमीज़ सिखाएगा जानता भी है कि मैं कॉन हू



मैने शांत स्वर मे कहा बंदूक को हटा ले अगर तुझे चलानी होती तो आते ही सीधा फाइयर कर देता और वैसे भी ये देख कि तेरे सामने कॉन खड़ा है तो वो झुंझलाते हुवे बोला कि म मैं नाहरगढ़ का युवराज हू मैने कहा अच्छा तो तू है अफ़ीम की खेती वाला मेरा फार्महाउस तो चुपचाप वापिस कर गया था जा आज देवता का दिन है चला जा कहीं ऐसा ना हो कि देव के हाथो कुछ ग़लत हो जाए



तभी वो हंसता हुवा बोला तकदीर वाला हूँ जो कि अर्जुनगढ़ के आख़िरी ठाकुर का खून बहाने का सोभाग्य मुझेही मिलेगा आज तू देखना ये आसमान भी रुदन करेगा और मरने से पहले तू ज़रूर ये महसूस करेगा की कैसे मेरे खानदान ने तेरे घरवालो को तडपा तडपा कर के मारा था आज फिर से इतिहास दोहरा या जाएगा वो चीखते हुवे बोला कि गाँव वालो
आज अर्जुन गढ़ का आख़िरी ठाकुर भी हलाल हो जाएगा क्या किसी ने इसे नही बताया था कि कैसे इसके चाचा का सर काट कर हम ने दरवाजे पर टांक दिया था मैं ही बचा हुआ था पर आज इसको मारकर मैं भी अपना पराक्रम साबित कर दूँगा उसकी बाते सुनकर मेरे जिस्म का अंग अंग गुस्से से फड़कने लगा था , क्रोध की ज्वाला से मैं जलने लगा था



मैने एक मुक्का उसके मूह पर दे मारा तो वो पीछे की ओर फीक गया और ठीक उसी पल मैं उसकी छाती पर सवार हो गया और उसके चेहरे पर मुक्को की बरसात कर दी मेरी आँखो मे जैसे खून सा उतर आया था पर उस टाइम वो झड़प कुछ ही देर मे ख़तम हो गयी क्योंकि थानेदार साहब ने हम को अलग कर दिया पोलीस हमारे बीच आ गयी थी मैने कहा कसम है महादेव जी की बलि तो मैं ही चढ़ाउंगा और कोई रोक सके तो रोक ले ये ठाकुर देव की ज़बान है अगर नाहरगढ़ मे किसी माँ ने कोई सूरमा पैदा किया है तो आए देव की तलवार आज बरसो की प्यास को बुझाएगी क्रोध से मेरा अंग अंग कांप रहा था थानेदार मुझे समझाते हुए बोला ठाकुर साहब मेरी विनती है आप बात को ना बढ़ाइए इतनी फोर्स भी नही है और फिर लड़ाई का काला माथा आप जाने दीजिए ,मैने कहा ना जी ना अब तो जो होगा वो होकर ही रहेगा ये साला इतिहास को दोहराएगा ये हवेली की शान मे गुस्ताख़ी करेगा मुझे पता ही नही था कि गुस्से मे मैं क्या क्या बोल रहा था


तभी कुछ और गाडिया आकर रुकी तो मेरा ध्यान उधर ही चला गया तो मैने देखा कि गाड़ी से एक पुरुष और महिला उतरी तो लक्ष्मी मेरे पास दौड़ते हुए आई और बोली देव तुम्हारे मामा और मामी जी है बेशक दुश्मन है पर तुम पहली बार मिल रहे हो तो थोड़ा जज्बातो पर काबू रखना



मामा मामी के चेहरे तेज से चमक रहे थे वो सीढ़िया चढ़ते हुए मेरी ही ओर आ रहे थे थानेदार ने उनको सलाम ठोका और बोला वो ठाकुर साहब वो वो ………… ………….. …….. तो उन्होने अपना हाथ उठा कर उसे चुप करवा दिया और सीधा मुझसे मुखातिब होते हुए बोले देव…….. आँखे ही तरस गयी थी तुम्हारी एक झलक देखने को और उन्होने अपना हाथ मेरे सर पे रख दिया तो मैने लक्ष्मी की तरफ देखा उसने मुझे शांत रहने को इशारा किया मामा बोले देव बिल्कुल ही अपने पिता की तरह दिखते हो बस आँखे तुम्हारी माँ जैसी है, पता तो लग गया था कि तुम आ गये हो, कब से इच्छा थी कि तुम्हे देखें पर आ ही नही सके पर मैं शांत खड़ा रहा तभी पुजारी ने आकर कहा कि बलि का समय हो गया है



मैने कहा चलिए पुजारी जी, और मैं दो कदम ही बढ़ा था कि पीछे से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर रोक लिया , मैं मुड़ा तो मामा जी ने कहा कि रूको देव बलि चढ़ाने का हक़ तुम्हारा नही है बल्कि तुम्हारे भाई का है और अपने बेटे को बुला लिया मैने उनका हाथ अपने कंधे से हटाया और उनकी आँखो मे देखते हुवे बोला कि मामा जी बलि तो मैं ही चढ़ाउंगा बाकी आप जाने



मामा बोले बच्चे ज़िद नही करते जाओ लौट जाओ मैने कहा देव को बात दोहराने की आदत नही है बलि तो आज ठाकुर वीरभान का बेटा ही चढ़ाएगा किसी मे दम है तो रोक ले तो उन्होने कहा तो फिर ठीक है आज फ़ैसला हो ही जाएगा दोनो घरानो के युवराज इधर ही है तो फिर हो ही जाए मुक़ाबला ज़रा हम भी तो देखे की हवेली के अंतिम चिराग मे कितनी लौ बाकी है
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11-02-2018, 11:33 AM,
#35
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
ना जाने क्यो उसकी बात मुझे चुभ सी गयी, मैने कहा ममाजी अब भी समय है कदम पीछे हटा लो वरना फिर मुझे दोष ना देना तो वो बोले कल के लोंडे हो और फिर तुम्हे पता ही क्या है , मैने कहा तो फिर ठीक है हो ने दो जो होता है तो ये तय हो गया कि मल्लयुध मे जो जीतेगा वो ही बलि चढ़ाने का अधिकार पाएगा पुजारी ने हम दोनो योधाओ का तिलक किया



और फिर शुरू हो गया मुक़ाबला जो किसी एक के रक़्त से ही ठंडा होना था मामा की उपहास उड़ाती नज़रे मेरे दिल मे घाव करती चली गयी और मेरा गुस्सा बढ़ने लगा मुकाबला बराबर का सा ही था ताक़त मे वो मेरे जैसा ही था पर बस मैं उस से लंबाई मे कुछ ज़्यादा था कभी वो प्रहार करे कभी मैं मेरा ज़रा सा ध्यान भटका और उसने ऐसा प्रहार किया मेरे पेट मे कि बस मैं तो बुरी तरह से तड़प कर ही रह गया आँखो के आगे तारे नाच गये और मैं ज़मीन पर गिर पड़ा तो उसने कई लात मेरी कॉल मे लगा दी मैं दर्द से दोहरा होता चला गया उसने मुझे खड़ा किया और दना दन 4-5 मुक्के नाक पर जड़ दिए तो नाक फट गयी और खून का फव्वारा बह चला नाहरगढ़ के लोग जय जय कर करने लगे जब थोड़ा सा दर्द कम हुआ तो मैं उसके प्रहारो को रोकने लगा




अब मेरी बारी थी तो मैं उसे पीटने लगा उसके कान को फाड़ दिया मैने तो वो भी चीत्कार करने लगा मैने उसकी छाती मे लात मारी तो वो दूर जा गिरा और तड़पने लगा मेरी नाक से बहता खून मेरे गुस्से को और भी भड़का रहा था तो मेरा दिमाग़ बुरी तरह से खराब हो गया मैने उसको फिर लात और घूँसो से धर लिया और उसकी फुटबॉल बना दी मैने मामा जी के चेहरे पर घबराहट के भाव देखे अब बारी थी अर्जुनगढ़ के लोगो की जयकारा लगाने की


मेरे मन मे आई कि चल छोड़ अब साले को कहीं मर ना जाए पता नही उस एक पल को कैसे मेरे मन मे दया आ गयी और ठीक उसी पल उस कमीने ने धोखा करते हुए मेरी आँखो मे धूल गिरा दी तो मैं रेत आँखो मे जाते ही तड़प उठा कुछ देर के लिए मैं तो जैसे अँधा ही हो गया उसी पल का लाभ उठाते हुवे उसने तलवार ले ली और फिर मेरी पीठ पर वार कर दिया


मेरे गले से एक तेज चीख उबल पड़ी और मेरी पीठ पर एक लंबा घाव होता चला गया एक तो आँखो से कुछ दिख नही रहा था और दूसरी तरफ उसके पास पूरा मोका था अगला वार मेरे पाँव पर हुवा और मैं धरती पर गिर पड़ा लगा कि जैसे टाँग तो कट ही गयी मेरी फिर कुछ लाते और पड़ी मुझ पर तो मेरी घिग्गी बँध गयी वो अट्टहास करता हुआ बोला देखो गाँव वालो ये है ठाकूरो का वारिस दो पल मे ही ढेर हो गया ये लेगा बदला अपने परिवार का ये आया है देखो इसे



उसने अपना पाँव मेरी छाती पर रख दिया और मुझे मसल्ते हुवे बोला देव ठाकुर बड़ा दंभ भर रहे थे तुम बड़ी गाथा गा रहे थे तुम क्या हुआ निकल गयी सारी हेकड़ी तू तो शेर की खाल मे बकरी निकला रे कुछ तो जख़्मो का दर्द और कुछ आँखो मे तेज जलन हो रही थी मैने कहा हे महादेव जी लाज रखना मेरी अब तो आप ही मदद करो मालिक


उसने फिर से मुझ पर वार किया तो लगा कि जैसे किसी ने छाती मे मिर्च भर दी हो मैं बुरी तरह से दर्द से बिलबियाने लगा उसने कुछ मुक्के लात और बरसाए मुझ पर और फिर मुझे उठा कर फेक दिया और बस यही पर देवता की कृपा हो गयी मुझ पर जब उसने मुझे फेका तो मैं पशुओ के लिए बनाई गयी पानी की खेली मे जा गिरा और आँखो का कचरा पानी ने सॉफ कर दिया



मैं महादेव जी कि जय बोलता हुवा पानी से बाहर आया बदन तो जैसे दर्द से बिखर ही रहा था पर मैं उस दर्द को पी ही गया उसकी कही हर एक बात मेरे प्रतिशोध की अग्नि को धधका रही थी जैसे ही उसने अबकी बार तलवार लहराई मैने उसका हाथ पकड़ लिया और दूसरे हाथ से एक घूँसा उसकी पसलियो मे जड़ दिया तलवार उसके हाथ से छूट गयी तो मैने उठा ली



अगले ही पल मैने उसकी कलाई पर वार किया तो खून की धारा बह निकली मैने रुदन किया और उसको उठा कर पटक दिया और उसके उपर टूट पड़ा मैने कहा धनंजय उठ आज तू देखे गा कि नरक की यातना कैसी होती है आज तू साक्षात मृत्युदेव को अपनी आँखो से देखे गा मैं उसकी छाती पर चढ़ गया और बस मारता ही रहा उसको मारता ही रहा उसकी छाती को फाड़ दिया मैने रक्त उसके पूरे जिस्म से बह रहा था पर प्राण अभी बाकी थे उसके



रक्त तो मेरे ज़ख़्मो से भी काफ़ी बह रहा था पर अब मुझे किसी भी जख्म की कोई परवाह नही थी मैने उसकी टाँग पकड़ी और उसे घसीट ते हुए मंदिर की सीढ़िया चढ़ने लगा और मैं मंदिर मे आ ही गया अब मैने तलवार उठाई और भयनकर रुदन करते हुवे बोला धनंजय आँखे खोल देख देव ठाकुर आज तेरे सर की बलि चढ़ाएगा देख कमिने उठ मैने उसको लात मारी और कहा साले उठ , उठता क्यो नही आँखे खोल मैं बस उसका सर काटने ही वाला था कि



मेरी मामी भागते हुए आई और मेरे पैरो मे गिर गयी और रोते हुवे बोली देव, बेटे रुक जाओ , भगवान के लिए रुक जाओ इसे बख्स दो भाई है ये तुम्हारा मैं तुमसे माफी मांगती हू एक माँ तुमसे अपने बेटे के प्राणो की भीख मांगती है , उसने अपना आँचल मेरे पाँवो मे फैला दिया पता नही मुझे क्या हुआ मैने कहा ले जाओ इसे और आगे से कह देना इस से कि अपनी हद मे रहे



देव का नाहरगढ़ पर ये एहसान है वातावरण मे एक अलग सा ही डर सा छा गया था मैने चिल्लाते हुवे पुजारी से कहा कि आओ और बलि दने की रस्म को पूरा कर्वाओ तो उसने तुरंत ही मंत्रोचारण शुरू कर दिया और मैने बलि चढ़ा दी 
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11-02-2018, 11:33 AM,
#36
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
पर हालत मेरी भी कुछ ज़्यादा अच्छी नही थी तो बस फिर लक्ष्मी ने मुझे संभाला और हवेली ले आई डॉक्टर पहले ही आ चुका था उसने घाव को सॉफ किया और कुछ घाव पर टाँके लगाए और कुछ पर दवाई लगा कर पट्टी बाँध दी वो बोला शूकर है ठाकुर साहब ज़ख़्म ज़्यादा गहरे नही है पर पाँव मे जो घाव लगा है उसका विशेष तोर पर ध्यान रखना और अभी कुछ दिन आराम ही करे आप तो बेहतर रहेगा



डॉक्टर के जाने के बाद लक्ष्मी बोली देव, जो भी हुआ अच्छा नही हुआ अब हमे और भी चोकस रहना होगा आज तुमने बरसो से दबी चिंगारी को हवा दे दी है भगवान ही जाने अब क्या होगा मैं तुम्हारी सुरक्षा को और भी चोकस करवा देती हू आज से ही कम से कम 20-30 लोग तो हमेशा ही तुम्हारी सुरक्षा मे रहेंगे मैने कहा फिलहाल इसकी ज़रूरत नही है तुम बस मेरा एक काम करो



थोड़ी देर मेरे साथ यू ही रहो मुझे दर्द हो रहा है तुम साथ रहोगी तो आराम रहेगा तो लक्ष्मी बोली देव अभी मुझे जाना होगा मुनीम जी सुबह से ही अकेले है और तुम तो जानते ही हो कि आजकल उनकी तबीयत भी ठीक नही रहती है पर मैं जल्दी ही वापिस आ जाउन्गी मैने कहा ठीक है लक्ष्मी के जाते ही थोड़ी देर बाद पुष्पा हल्दी वाला दूध ले आई बोली मालिक इसे पी लीजिए आराम मिलेगा



मैं दूध पीने लगा वो वही पर बैठ गयी और बोली हुकुम मेरा तो दिल ही निकल आया था आज जब आप की पीठ पर तलवार का वार हुआ था मैने कहा छोटी सी चोट है ठीक हो जाएगी वो बोली मालिक पूरी पीठ इतनी गहरी चिर गयी है और आप कह रहे है कि छोटी सी है बड़े ही जीवट वाले है आप
मैं हल्का सा मुस्कुरा दिया पर उस मुस्कान मे भी दर्द था जिसे मैं छुपा ना सका



मैने कहा पुष्पा , जब बिन माँगे उन लोगो ने मेरी ज़मीन वापिस कर दी तो फिर बलि को लेकर ऐसा क्यो हुआ इस घटना से मैं उलझ सा गया हू तो पुष्पा बोली मालिक मैने भी एक बात पर गोर किया कि मंदिर मे आपके छोटे मामा और उनका परिवार ही था पर बड़े वाले ठाकुर नही दिख रहे थे , मैने कहा उनसे बड़े भी हैं क्या वो बोले हम उनका नाम राजेंदर है



मैने कहा हो सकता है कि कुछ गड़बड़ हो पर इन सवालो के जवाब आख़िर है कहाँ वो बोली मालिक अब मैं क्या जानू मैने कहा पुष्पा तू कुछ दिन इधर ही ठहर जाएगी क्या तो वो बोली ये भी कोई कहने की बात है क्या जब तक आप की सेहत सुधर नही जाती मैं इधर ही हू आपकी सेवा मे दिन रात तो दोस्तो 6-7 दिन गुजर गये इलाज जारी था पर उस दोपहर कुछ अलग ही हो गया



मैं खाना खा कर आराम ही कर रहा था कि पुष्पा भागते हुए आई और बोली कि हुकुम ज़रा बाहर आइए मैने कहा क्या हुआ क्यो परेशान कर रही हो तो पुष्पा हान्फते हुवे बोली कि मालिक वो वो आपके बड़े मामा और मामी आए है मैने कहा पर वो यहाँ क्यो आए है तो वो बोली मालिक गाड़ी गेट पर ही रुकी है कहो तो वापिस कर दूं मैने कहा अरे ना रे , घर पे आया दुश्मन भी मेहमान होता है



तो उनको आदर से मेहमान खाने मे बिठाया जाए और अच्छे से उनके लिए जलपान की व्यवस्था की जाए अब वो खुद चल कर आए है तो मेहमान नवाज़ी तो बनती ही है और बाहर से बाबा को बुला लाओ ताकि वो मुझे मेहमान खाने तक ले चले तो वो सर हिलाते हुवे बाहर चली गयी और फिर बाबा की सहायता से मैं भी मेहमान खाने मे आ गया मामा राजेंदर बड़े ही ओजस्वी थे गर्व जैसे साक्षात झलक रहा था उनके मुख से और वैसा ही तेज मामी जी का था



मैने हाथ जोड़ कर उनको प्रणाम किया और सोफे पर बैठ गया उनसे ये पहली मुलाकात थी तो मैं थोड़ा सा नर्वस सा हो रहा था मामी उठी और प्यार से मेरे सर पर हाथ फेर कर बोली देव अब तबीयत कैसी है तुम्हारी मैने कहा जी ज़ख़्म ताज़ा है तो बस दर्द ही होता रहता है पर उम्मीद है जल्दी ही भर जाएँगे तभी उनका ड्राइवर और हमारे दो आदमी कई सारी मिठाइयो के डब्बे और उपहार ले आए
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11-02-2018, 11:33 AM,
#37
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
मामा बोले देव ये कुछ भेंट है तुम्हारे लिए मैने कहा अरे इसकी क्या ज़रूरत थी तो वो बोले अब बहन के घर आए है तो खाली हाथ कैसे आ सकता था तभी पुष्पा नाश्ता लेकर आ गयी तो मैने उन्हे नाश्ता करने को कहा सच बताऊ तो पहली नज़र मे बड़े ही सज्जन से लगे मुझे तो फिर नाश्ते के बाद फिर से बातों का सिलसिला शुरू हो गया वो बोले



सूचना तो कई दिन पहले ही मिल गयी थी कि तुम विलायत से वापिस आ गये हो पर फ़ुर्सत ही ना मिली कुछ कामो मे इतना उलझे पड़े थे कि बस चाहकर भी तुमसे मिलने आ ही ना सके पर आज तुम्हारी मामी का भी मन था तो हम खुद को रोक ना सके बिल्कुल तुम्हारे पिता से ही लगते हो तुम मैने पूछा धनंजय कैसा है तो वो बोले ठीक है अब हालत मे सुधार है पर 2-3 महीने तो हस्पताल मे लग ही जाएँगे



मैने कहा माफी चाहता हू उसकी हालत का ज़िम्मेदार मैं ही पर क्या करू हालात ही कुछ ऐसे हो गये थे , तो वो बोले जो हुआ सो हुआ उस दिन हमें अर्जेंट बाहर जाना पड़ा वरना ऐसा कुछ होता ही नही मामा जी बोले देव हमे पता चला था कि पहले भी तुम पर हमला हुआ था हम ने अपनी तरफ से भी खोज करवाई थी पर कुछ हाथ ना लगा मैने कहा जाने दीजिए वो बात अब पुरानी हो गयी



और वैसे भी छोटी मोटी बाते तो चलती ही रहती है तो वो बोले बेटा अब तुम्हे पुरानी बातों का तो सब पता चल ही गया होगा तो मैं बस इतना ही कहना चाहूँगा कि अतीत के बारे मे हम जितना सोचेंगे वो उतना ही हमें दुख देगा और फिर तुम या हम कोई भी चाहकर अतीत को नही बदल सकता है ना झुटला सकता है बस उसे भूलने की कोशिश ही कर सकते है



और फिर तुम तो हमारी बहन की एक्लोति निशानी हो तो अगर तुम्हारी इजाज़त हो तो कभी कभी आ जाया करेंगे तुमसे बात करने को तो हमारा पाप भी कुछ कम हो जाएगा बल्कि हम तो ये भी कहेंगे कि हमारा घर भी तो तुम्हारा ही है जब भी दिल करे आ जाना सदा इंतज़ार रहे गा तुम्हारा मैं मुस्कुरा दिया मैने बाहर से एक आदमी को बुलवाया



और कहा कि पुष्पा से जाकर कहो कि महमानों के लिए उच्च स्तर के पकवान और लज़ीज़ भोजन तैयार किया जाए तो वो लोग मना करने लगे तो मैने कहा आज पहली बार हवेली मे मेरे रहते मेहमान आए है आपको भोजन तो करके ही जाना पड़ेगा तो फिर वो मेरा आग्रह टाल ना सके तो इसी तरह उन लोगो से बाते करते हुवे ना जाने का सांझ ढाल गयी पता ही नही चला







जाते जाते मामा ने मुझसे वादा लिया कि जल्दी ही मैं भी नाहरगढ़ आऊ तो मैने भी हाँ कह ही दी वापिस आकर मैं लेट सा गया काफ़ी देर सोफे पर बैठने के कारण कुछ दर्द सा होने लगा था पुष्पा बोली हुकुम जो मिठाइया वो लोग लाए थे उनको बाहर फिकवा दूं क्या मैने कहा किसलिए तो वो कहने लगी क्या पता जहर मिला दिया हो उन लोगो का आप बिल्कुल भरोसा ना करे



मैने कहा अरे पगली ऐसा कुछ नही होता तू इतनी फिकर ना किया कर वो बोली मालिक अगर आप की इजाज़त हो तो थोड़ी देर ढिल्लू के बापू से मिल आऊ कई दिन हो गये है मैने कहा चली जाना पूछने की बात क्या है इसमे जब भी तेरा दिल करे चली जाया कर तो वो मुस्कुराती हुई चली गयी मुझे भी भूक तो थी नही तो मैं भी फिर बस सो गया
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11-02-2018, 11:33 AM,
#38
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
अगली सुबह मैं नाश्ता कर ही रहा था कि गोरी आ गयी मिलने मैने कहा क्या बात है तुम तो भूल ही गयी हो तो उसने बताया कि उसकी अर्ध वार्षिक परीक्षाएँ थी पर अब वो फ्री है मैने कहा आओ तो नाश्ता कर लो वो बोली मैं घर से खा कर आई हूँ माँ ने ये कुछ घी भेजा है तुम्हारे लिए मैने कहा पुष्पा को दे आ तो गोरी रसोई मे चली गयी मैने भी ऑलमोस्ट अपना नाश्ता ख़तम कर ही लिया था



फिर मैं और गोरी दोनो बगीचे मे आ गये ठंड थी तो आज मैने सोचा कि गोरी से बाते भी कर लूँगा और धूप भी सेंक लूँगा गोरी बोली मेले वाले दिन क्या ज़रूरत थी इतना खून ख़राबा करने की अब पड़े हो कितनी चोट लगी है मैने कहा चोट तो लगी है पर तुझे एक पल भी याद ना आई तूने तो पराया ही कर दिया है रे
गोरी,- अरे बताया तो सही ना कि मैं पढ़ाई को लेकर व्यास थी और फिर माँ तो बताती ही रहती है घर पर


देव- ज़्यादा बाते ना बना माँ को भी तो कितने दिन हो चले है आई ही नही इधर
तो वो बोली देव क्या बताऊ पिताजी की तबीयत तो तुम जानते ही हो ना जाने किसकी है हमारी खुशियो को लग गयी है



देव – गोरी, तू चिंता ना कर सब ठीक हो जाएगा

गोरी- चलो वो सब छोड़ो और बताओ कि अब तबीयत कैसी है



देव- ठीक ही है बस चलने फिरने मे

कभी कभी तकलीफ़ होती है बाकी कुछ ज़ख़्म भर गये है , कुछ भर जाएँगे
हम बात कर ही रहे थे कि पुष्पा आई और बोली- हुकुम दवाई लगाने का समय हो गया है तो गोरी बोली तुम जाओ मैं लगा दूँगी दवाई तो पुष्पा ने गहरी नज़रो से उसको देखा और फिर चली गयी और मैं और गोरी वापिस कमरे मे आ गये

गोरी- बताओ कहाँ लगानी है दवाई


देव-पीठ पर और पैरो पर और थोड़ा सा जाँघ के उपर वाले हिस्से पर भी
तो गोरी ने मेरी टी-शर्ट निकाली और बोली चलो अब सीधे बैठ जाओ मैं लगाती हूँ दवाई तो मैं सीधा होकर बैठ गया गोरी अपने नरम नाज़ुक हाथो से मेरी पीठ पर दवाई मलने लगी तो लगा कि आज कुछ ज़्यादा ही सुकून सा मिल रहा है मैने कहा यार तेरे हाथो मे तो बड़ा ही जादू सा है



तो वो बोली क्या कुछ भी बोलते रहते हो पीठ पर दवाई लगाने के बाद उसने कहा निक्कर उतारो गे तभी तो मैं दवाई लगा पाउन्गी तो मैने निक्कर उतार दी अब मैं खाली अंडर वेअर मे ही था और उपर से गोरी की नाज़ुक उंगलियो का मादक स्पर्श जब वो जाँघ पर दवाई लगा रही थी तो उसका हाथ बार बार लंड से छू रहा था तो वो धीरे धीरे करेंट मे आने लगा था



गोरी अपनी आँखो मे शरारती मुस्कान लाते हुए कहने लगी खाट मे पड़े हो पर हरकते वही है तुम्हारी मैने कहा अब तुम हो ही इतनी प्यारी और फिर मिली भी कितने दिनो बाद हो तो फिर अब हाल तो बुरा होना ही है वो कच्छे के उपर से ही मेरे लंड को पकड़ ते हुवे बोली लगता है इसे भी इलाज की ज़रूरत है मैने कहा है तो सही पर करेगा कॉन



ये सुनकर गोरी दरवाजे तक गयी और उसको बंद करके मेरे घुटनो के नीचे फर्श पर बैठ गयी और कच्छे को भी उतार दिया और मेरे खड़े लंड को सहलाते हुवे बोली देव ये तो बड़ा ख़ूँख़ार लग रहा है मैने कहा तुम्हे देखकर ही हो रहा है वो धीरे धीरे से मेरी मुट्ठी मारने लगी मैने अपनी आँखे बंद कर ली गोरी उफ़ फफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़



कुछ देर बाद मुझे लंड पर गीला गीला सा लगा तो मैने आँखे खोल कर देखा तो गोरी लंड को अपनी जीभ से चाट रही थी उसने अपनी आँखे मेरी तरफ की और आँख मार दी मैने उसके सर को दबा दिया तो लंड उसके गले मे अड़ गया गोरी के थूक से मेरी जांघे भी गीली होने लगी थी अब वो भी जवान थी और शायद कच्ची कली थी तो उसकी भी सेक्स की इच्छा भड़कने लगी थी



अब वो पूरी तरह से मेरे लंड पर झुक गयी थी बार बार उसे मूह मे लेती और निकाल देती मेरे बदन मे एक मज़े की तरंग दौड़ रही थी पूरी रफ़्तार से 10-15 मिनिट तक मज़े से वो मेरा लंड चूस्ति रही फिर मेरे लंड से सफेद द्रव्य की धार निकली और उसके गले से टकराई तो उसने घबरा कर लंड को मूह से बाहर निकाल दिया पर लंड से जो पिचकारी फुट पड़ी थी



तो उसकी नाक , और गले को भिगोति चली गयी गोरी खाँसते हुए बोली बड़े ही कमिने हो तुम सारा मूह खराब कर दिया और पास रखे तोलिये से अपना मूह सॉफ करने लगी फिर उसने कुल्ला किया और बोली आइन्दा से मूह मे नही लूँगी मैने कहा यार तू इतनी ज़ोर से चूस रही थी कि फिर कंट्रोल हुआ ही नही कुछ पल बाद गोरी अपनी सलवार का नाडा खोलते हुवे बोली



देव इधर मेरी ये भी नीचे से बहुत ही गीली हो गयी है और इसमे लग रहा है कि जैसे चींटिया काट रही हों इधर भी कुछ करो ना मैने कहा एक काम कर तू बेड पर लेट जा उसने अपनी सलवार और पैंटी उतारी और झट से बिस्तर पर चढ़ गयी और मैं भी उपर आ गया मैने कहा ज़रा टाँगे तो फैलाओ तो उसने अपनी सुडोल जंघे विपरीत दिशाओ मे फैला दी जिस से मुझे थोड़ी जगह मिल गयी



और फिर मैने भी उसकी रस से भीगी हुवी रोयेन्दार बालो वाली गुलाबी चूत पर अपने होठ रख दिए तो लगा कि जैसे समुन्दर का ढेर सारा खारा नमक किसी ने मेरे मूह मे भर दिया हो और गोरी का तो हाल उस एक चुंबन से ऐसा हो गया कि क्या कहूँ , गोरी की आँखे उस मस्ती मे डूबती चली गयी और चाहकर भी वो आपनी आह को अपने होटो मे ना दबा पाई और उसकी सिसकारी फुट पड़ी आहह आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उूुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़



देव ये क्या कर दिया तुमने तो मैने कस्के उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियो को अपने होटो मे भर लिया तो जैसे काम रस फुट पड़ा उन मे से गोरी की टाँगे अपने आप ही उपर को उठती चली गयी और वो मस्त मस्त आहे भरने लगी गोरी बोली उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये तुम्हारी गरम जीभ का स्पर्श मेरी जान ही लिए जा रहा है देव रुक जाओ मैं पिघल रही हू



पर मैं अब उसकी कुछ नही सुन ने वाला था , गोरी अपने हाथो से अपने उभारों को दबाने लगी थी और अपनी निप्पल्स को उंगलियो से सहलाते हुए बेड पर पैर पटक रही थी और मैने अब अपने हाथो से चूत की पंखुड़ियो को थोड़ा सा फैलाया और फिर अंदर के हिस्से को चाटने लगा जहा मैं मज़े से उसकी अन्छुइ चूत का रस पिए जा रहा था और वो भी उस सुख को प्राप्त कर रही थी



कामदेव का बान गोरी के दिल को चीर गया था कामुकता उसकी नस नस मे भर गयी थी और मैं , मैं मेरी क्या हालत बयान करू अगर मैं ठीक होता तो मैं अब तक तो उसकी चूत मे लंड डाल चुका होता पा अभी तो बस चूत को ही पी सकता था पल पल उसकी चूत और भी रस बहाती जा रही थी



उसकी चूत से बहता काम रस अब उसकी गान्ड तक आ गया था गोरी किसी नागिन की तरह झूम रही थी और ऐसे ही आख़िर वो पल आ ही गया जब सारे जहाँ की मस्ती उसकी नसों से बाहर छलक उठी और गोरी बिस्तर पर पस्त होकर पड़ गयी और अपनी भागती हुवी सांसो को थामने की कोशिश करने लगी उसकी चूत से निकले पानी की बूँद बूँद को मैने सॉफ कर दिया 
क्रमशः...........................................
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11-02-2018, 11:33 AM,
#39
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
कुछ देर हम दोनो यू ही बेड पर पड़े रहे फिर उठ कर कपड़े पहने गोरी बोली देव क्या मैं सच मे तुम्हे अच्छी लगती हूँ मैने कहा हाँ तुम बहुत पसंद हो मुझे तो वो शर्मा गयी फिर उसने कहा देव, अब मैं चलती हूँ देर हो रही है मैने कहा फिर कब आओगी तो वो बोली जल्दी ही आउन्गि उसके जाने के बाद पता नही कब मेरी आँख लग गयी जब मैं उठा तो दिन ढल चुका था



मैं अपनी बैंत का सहारा लेते हुए बाहर आया पता नही क्यो आज मेरा मूड हो रहा था कि कहीं बाहर घूम आउ मैने कार का गेट खोला और उसे स्टॅट करने लगा तो हमारा दरबान आया और बोला मालिक आपकी तबीयत भी ठीक नही है इस हालत मे बाहर जाना उचित नही है और महॉल भी ठीक नही है कही कुछ हो गया तो, मैने कहा तुम चिंता ना करो मैं बस पास तक ही जा रहा हू



जल्दी ही आ जाउन्गा तो वो बोला ठीक है पर आपकी सुरक्षा के लिए दो चार आदमी साथ ले जाइए पर मैने मना कर दिया और कार लेकर चल पड़ा पर मुझे भी नही पता था कि जाना कहाँ है कच्चे रास्ते पर इधर उधर कार दौड़ी चली जा रही थी इस एरिया मे मैं पहली बार आया था आगे रास्ता भी थोड़ा सा संकरा था और झाड़िया भी बहुत ही ज़्यादा थी अजीब सी जगह थी ये



तो मैं उतरा और पैदल पैदल ही आगे को बढ़ने लगा थोड़ी दूर जाने पर मुझे पानी बहने की आवाज़ सुनाई देने लगी पर कोई नदी या नाला दिख नही रहा था और फिर जैसे ही उन कॅटिली झाड़ियो को पार करके मैं कुछ आगे बढ़ा तो बस मैं देखता ही रह गया ये तो एक बगीचा सा था छोटा सा था पर बेहद ही सुंदर था चारो तरफ तरहा तरहा के फूल खिले हुए थे कुछ पक्षी चहचाहा रहे थे



इतना सुंदर नज़ारा मैने तो अपने जीवन मे पहली बार देखा था मंत्रमुग्ध सा मैं थोड़ा सा और आगे बढ़ा तो देखा कि एक तरफ पेड़ो के नीचे दो चार बेंच भी लगी हुई थी तो मैं उधर ही चला गया अब पानी बहने की आवाज़ और भी प्रबल हो गयी थी तो मेरे पाँव अपने आप ही उस ओर बढ़ने लगे कुछ दूर आगे जाने पर मैने देखा कि नदी से कटकर एक पानी का सोता बनाया गया है इधर



गला सा भी सूखने लगा था तो मैं सोते से पानी पीने लगा, पानी पी ही रहा था कि पीछे से एक आवाज़ आई कॉन हो तुम? तो मैं उठा और पीछे देखा , और क्या देखा कि कोई मेरी ही हमउमर लड़की खड़ी है और उसका तेज इतना था कि उसके रूप की ज्योति से वो सारा क्षेत्र ही जगमग करने लगा , इतनी सुंदर कि लिखने लगूँ उसके रूप के बारे मे तो फिर ये शब्द ही कम पड़ जाए



रूप ऐसा जैसे किसी ने मलाई वाले दूध मे चुटकी भर केसर छिड़क दिया गया हो गोरे रंग पर गुलाबी रंगत लगा कि जैसे सख्शियत स्वर्ग से कोई देवी उतर आई हो और उसके गुलाबी अधरो पर जो वो छोटा सा तिल था बस अब मैं क्या कहूँ , कानो मे सोने के बूंदे गले मे रेशमी माला की डोरी और उस लाल घाघरा चोली मे क्या खूब लग रही थी मैं तो उसके उस रूप की आँधी में कहीं खोता ही चला गया



जब उसे लगा कि मैं एकटक उसे ही देखे जा रहा हू तो उसने चुटकी बजाते हुवे मेरा ध्यान भंग किया और बोली कॉन हो तुम और इधर कैसे आए मैने जवाब देते हुवे कहा कि जी मैं तो मुसाफिर हू रास्ता भटक कर इस ओर आ निकला तो ये बगीचा दिख गया बड़ा ही सुंदर है मेरा तो मन ही मोह लिया इसने कुछ प्यास भी लग गयी थी तो फिर इधर पानी पीने आ गया तो वो लड़की अपने खुले बालो पर हाथ फिराते हुवे बोली क्या तुम्हे पता नही कि ये किसकी मिल्कियत है मैने कहा जी अब मैं तो ठहरा मुसाफिर मैं क्या जानू तो वो बोली ये मेरा बाग है आज तो इधर आ गये हो आगे से मत आना उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये अंदाज उस रूप दीवानी का मैने कहा जी ऐसा क्यो तो वो तुनक कर बोली कह दिया ना कि हमें अपनी मिल्कियत मे किसी अंजान का दखल पसंद नही



क्या तेवर है हुजूर के , मैने कहा जैसी आपकी मर्ज़ी मालकिन साहिबा पर थोड़ी से भूख भी लग आई है तो आप आग्या दें तो दो चार फल खा लूँ तो वो बोली हाँ ठीक है पर इधर वापिस ना आना तो मैं एक पेड़ के पास गया और कुछ फल तोड़ने की कोशिश करने लगा उसके रूप की कशिश मे मैं अपने शरीर की हालत को भी भूल ही गया था




भूल गया था कि पैर के जखम अभी ताज़ा ही है तो मैं जैसे ही उछला तो चोटिल पाँव पर पूरा ज़ोर आ गया और मैं धडाम से गिर पड़ा तो जखम का टांका खुल गया तो दर्द की एक लहर मेरे बदन मे रेंग गयी कोहनी पर भी लग गयी थी मैं जैसे तैसे करके उठा और अपने आप को संभाल ही रहा था कि तभी बदक़िस्मती से गीली ज़मीन पर मेरा पैर फिसल गया और एक बड़े पत्थर से जा टकराया और चाहकर भी मैं अपनी चीख को ना रोक पाया
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11-02-2018, 11:33 AM,
#40
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
जखम खुलते ही खून की एक धार बह निकली और मैं वही पड़ा पड़ा कराहने लगा तो वो ही लड़की मेरी कराह सुनकर दौड़ते हुवे मेरे पास आई और बोली ये चोट कैसे लगी तुम्हे मैने कहा लंबी कहानी है बाद मे बताउन्गा पहले आप ज़रा मुझे खड़ा होने मे मदद कर दीजिए तो उसने मुझे सहारा दिया और बेंच पर बिठा दिया और बोली काफ़ी खून बह रहा है तुम्हारा तो


मैने दर्द भरी आवाज़ मे कहा कि बहुत दर्द हो रहा है तो वो कहने लगी दो मिनिट रूको मैं कुछ करती हू तो उसने मेरे जखम को सॉफ किया और फिर मेरी शर्ट की आस्तीन को फाड़ कर पट्टी सी बाँध दी और बोली कि जल्दी से किसी डॉक्टर को दिखा लेना मैने कहा ठीक है जी पर मेरी हालत ऐसी थी कि मुझसे खड़ा ही नही हुआ जा रहा था बहुत ही तेज दर्द हो रहा था



मैने कहा ज़रा सुनिए आप मेरी थोड़ी सी मदद और कर दीजिए उधर पास मे ही मेरी गाड़ी है आप मुझे प्लीज़ उधर तक छोड़ दीजिए तो वो बोली चलो ठीक है और फिर मुझे सहारा देते हुए वहाँ तक ले आई और मेरी शानदार कार को देखते हुए बोली इतनी महँगी कार तो मैने झूठ बोलते हुए कहा कि जी मेरे मालिक की है और फिर जैसे तैसे करके जल्दी से कार मे बैठ गया



उसके माथे पर उलझन की डोर मैने सॉफ देख ली थी और मेरा खुद ही बुरा हाल था तो घायल पैर की वजह से कार ड्राइव करने मे भी बड़ी ही मुश्किल हो रही थी पर आख़िर कार मैं हवेली के गेट तक पहुच ही गया, कार सीधी मैने अंदर लाकर रोकी और गेट खोलते ही नीचे गिर गया…

हवेली के करमचारी मुझे उठा कर अंदर ले गये और तुरंत ही डॉक्टर को बुलवाया गया उसने जल्दी से ड्रेसिंग की और पट्टी बाँधते हुवे बोला ठाकुर साहब आप को मना किया था कि ज़ख़्म ताजे है तो आप बस आराम ही करना पर आप बात मानते ही नही है देखो अब और भी नुकसान हो गया है अभी तो आपको बिल्कुल भी बिस्तर से नही उठना हैं , मैने कहा डॉक्टर, वो मेरा पाँव फिसल गया था तो बस फिर लग ही गयी लगी हुई जगहा पर

डॉक्टर बोला , पर वर कुछ नही

.......... डॉक्टर साहब 

आप बस अभी आराम ही करेंगे और ये कुछ दवाइयाँ दिए जा रहा हूँ टाइम से खानी है इनके असर से दर्द कुछ कम हो जाएगा पर आप अपनी सेहत का ख़याल रखे तो बेहतर होगा फिर कुछ देर बाद डॉक्टर चला गया उसके जाते ही पुष्पा बोली मालिक आख़िर आप बात क्यो नही मानते है मैने कहा यार अब पता थोड़ी ना था कि चोट लग जाएगी तो वो पूछने लगी कि पर आप कहा गये थे तो मेरा ध्यान उस रूप दीवानी की तरफ चला गया

पल भर के लिए मेरी आँखे मूंद गयी और उसका वो चंद्रमा सा चमकता हुवा चेहरा मेरी आँखो के सामने आ गया तो मैं उस कशिश मे जैसे खोने सा लगा था तभी पुष्पा की आवाज़ से मैं वापिस ख़यालो से बाहर निकल कर वास्तविकता मे आया तो वो बोली कहाँ खो गये आप मैने कहा कुछ नही बस थोड़ी सी थकान हो रही है तो उसने कहा आप आराम करे मैं आती हू थोड़ी देर मे

पर वो बेचारी कहाँ जानती थी कि देव को अब कहाँ नींद आनी थी ज्यो ही वो आँखे बंद करता उसके सामने वो ही खूबसूरत चेहरा आने लगता था अब देव का हाल बुरा हुआ रात आधी से ज़्यादा बीत गयी थी पर वो बिस्तर पर पड़ा हुवा टेबल लॅंप का स्विच ऑन ऑफ करे उसकी आँखो से ख्वाब कहीं दूर उड़ चले थे मॅन बस करे कि उड़ चलूं और पहुच जाउ उस बाग़ीचे मे जहाँ उस सुंदरी के दर्शन किए थे

आँखो आँखो मे रात कट गयी सुबह जब नोकर जगाने आया तो उसने देखा कि देव तो जगा ही हुआ है तो वो वापिस चला गया इधर देव तो जैसे किसी शराब की बॉटल में डूब गया हो ऐसा हाल हुआ उसका खोया खोया सा लग रहा था वो जब पुष्पा ने उसको नाश्ता परोसा तो भी उसका ध्यान कही ओर ही था तो पुष्पा बोली मालिक नाश्ता कर लीजिए , लगता है आपको पसंद नही आया मैं कुछ और बना कर लाती हू, 

देव- अरे नही ऐसी बात नही है

बस मेरा मन नही कर रहा है बात करते करते ही देव बिस्तर से उठने लगा तो पुष्पा टोकते हुए बोली मालिक आप उठ क्यो रहे है आपकी तबीयत फिर से बिगड़ जाएगी आप लेटे ही रहे पर उसने कोई ध्यान नही दिया और अपनी बेंत का सहारा लेकर बेड से नीचे उतर गया पर उतरते ही उसके पैर से साथ नही दिया और वो कराहते हुवे बिस्तर पर फिर से बैठ गया 

पुष्पा- दर्द हुआ मालिक , आप से पहले ही कहा था कि मत उठिए

तो हार कर फिर से बिस्तर ही पकड़ना पड़ा पर मन जो था वो भटक रहा था एक अजनबी की ओर तो फिर कुछ याद ना रहा दवाई के असर से जल्दी ही नींद आ गयी फिर बस ऐसा ही चलता रहा 10-15 दिन बस ऐसे ही कट गये हालत मे भी काफ़ी सुधार सा हो गया था पर अभी भी बस बिस्तर पर ही पड़ा रहता था लक्ष्मी लगभग हर दोपहर मे आ ही जाया करती थी तो उस से बाते करके थोड़ा सा टाइम कट जाया करता था और फिर पुष्पा भी तो थी

पर फिर उस दोपहर कुछ ऐसा हो गया की उस तकलीफ़ मे भी मुझे हवेली से बाहर निकलना ही पड़ा आख़िर ठाकुर देव तड़प ही गये उस घटना से हुआ दरअसल ये था कि कुछ काम से गोरी अपनी सहेलियो के साथ शहर गयी थी तो जब वो जा रही थी तो रास्ते मे कुछ लड़को ने गोरी से बदतमीज़ी की और उसकी चुन्नि खीच ली थी गोरी ने रोते हुए सारी बात मुझे बताई

तो बस मैं तड़प कर ही रह गया मैने तुरंत ही बंदूक उठाई और अपने सारे दर्द को भूल कर चलते हुवे मैं बाहर आया और नंदू से कहा कि कार निकाल जल्दी से आज ये पहली बार थी जब मेरा स्वर गुस्से से भरा हुवा था तो नंदू ने बिना कुछ कहे तुरंत ही कार दरवाजे पर लगा दी मैने कहा गाड़ी को सहर के रास्ते पर ले पुष्पा मुझे टोकना चाहती थी पर गुस्से से दहक्ती हुई मेरी आँखो को देख कर वो चुप कर गयी

सहर से कुछ किलोमेटेर दूर मुझे गोरी और उसकी सहेलिया मिल गयी , गोरी दौड़कर मेरे सीने से लग गयी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी मैने कहा बस चुप हो जा मैं आ गया हू तू ये बता वो किस गाँव के थे तो उसने बता दिया मैने नंदू से पूछा की सुबह सहर जाने वाली बस वापिस कब तक आती है तो पता चला कि 3 साढ़े तीन तक वापिस आती है मैने कहा गाड़ी को रोड पर लगा दे नंदू

तीन बजने मे थोड़ी देर थी तो मुझे इंतज़ार ही करना था किसकी इतनी हिम्मत हो गयी जो गोरी की तरफ आँख उठा कर देखे, मेरी गोरी की इज़्ज़त को शर्मसार करे मुझे खुद पर भी गुस्सा आ रहा था कि ठाकुर देव बस अब नाम का ही ठाकुर रह गया क्या जो उसके होते हुवे गोरी को ये अपमान का घूँट पीना पड़ा गोरी के अपमान की आह मेरे सीने मे क्रोध की ज्वाला बनकर धधकने लगी थी

मैं गुस्से से पागल हो रहा था तभी मुझे दूर से बस आती दिखी तो मेरे नथुने फड़कने लगे चूँकि मेरी कार सड़क के बीचो बीच खड़ी थी तो बस ड्राइवर को बस मजबूरी मे रोकनी पड़ी, वो चिल्लाता हुवा बोला बाप का रोड समझा है क्या हटा कार यहाँ से तो मैने कहा साले चुप करके खड़ा होज़ा वरना अगले पल तेरी ज़ुबान हलक से खीच लूँगा तो वो सहम गया
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