Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:30 PM,
#91
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मार्केट जाना तो एक बहाना था क्यूंकी माँ के साथ मैं एकदम प्रेमी जोड़ो की तरह ही घूमना फिरना चाहता था रोड क्रॉस करते वक़्त उसने कस कर मेरी बाँह में अपने हाथ को फँसाया...हम एकदुसरे से चिपके हुए रोड क्रॉस करते बाइक पे भी सवार माँ मुझसे लिपटके बैठी होती...फिर उसकी मनपसंद चीज़ें खाने पीने के बाद हम मार्केट आए वहाँ महेंगे कान के सेट्स लिए और मैने माँ को अपनी पसंद की दो साड़ी दिलाई...फिर हम घर लौट आए

आजकल सॅंपल्स में कॉसमेटिक का सामान भी घर ले आता था अगर मैं चाहता तो उसे रख भी सकता था अपने पास इसलिए मैने माँ को लिपस्टिक और उनकी साइज़ की अनगिनत ब्रा ऐसी दिलवाई थी जो उन्हें पूरी फिट आती मैं खुद उनके टू पीस वाली ब्रा में आयने के वक़्त उन्हें देखके मुआयना करता था माँ शरमाती नही थी मुझसे उसने ईवेन जो साड़ी दिलाई थी एक काला ब्लाउस और गुलाबी साड़ी और एक लाल साड़ी वित मॅचिंग ब्लाउस जिन्हें पहनी वो पूरी सेक्सी लग रही थी उनकी नाभि के नीचे से उनके स्ट्रेच मार्क्स दिख जाते जिन्हें वो पल्लू से छुपा रही थी उन्हें इसलिए साड़ी पहनने की आदत नही थी...मैने कहा कोई बात नही बाहर ना पहने पर घर में यही पहना करे मुझे अच्छा लगेगा माँ मेरी ज़िद्द मान गयी और उस रात वो मेरी गुलाबी वाली दिलाई साड़ी पहनी

उफ्फ क्या कहेर ढा रही थी उनका फिगर काफ़ी उभर गया था....मुझे उनके नाभि के बीच स्ट्रेच मार्क्स और उनके बगलो के बाल काफ़ी पसंद थे क्यूंकी देसी औरतो की वो निशानी होती है मेरी ऐसी फॅंटेसी को जब माँ ने जाना तो वो लजा गई मुझसे...उस रात माँ वो साड़ी पहने ही मेरे साथ सो गयी मैं उनके गुदाज़ पेट पे हाथ रखके उसे अपने बदन से लिपटाए सो गया....

होमटाउन आए 1 माँस होने को था....इतने 30 दिनो के अंदर मेरे और मेरी माँ अंजुम के बीच के रिश्तो की दरार फ़ासले जैसे ना के बराबर होने लगे थे....साथ ही साथ जो दूरिया और जो फंसाद रुकावटें जो हमारे संबंध बनने के बीच आड़े आ रही थी...उसे मैने होमटाउन आके जरह से उखाड़ फैका...ना यहाँ माँ की कोई सहेली थी...ना यहाँ मेरा कोई दोस्त था और जो अवैध नाजायज़ संबंध बनाए भी थे वो माँ के मेरे संग आ जाने के बाद उनका वजूद ही मिट चुका था...अब सिर्फ़ मैं था और मेरी माँ...और मुझे मेरी अंजुम से कोई भी दूर नही कर सकता था कोई भी नही

अगली सुबह सनडे पड़ गया इसलिए जी भरके आज सो रहा था...सुबह के 10 बज चुके थे और माँ अकेले अकेले काम सारा निपटाए घर का झाड़ू पोंच्छा लगाए और कपड़े धोने के साथ गुसलखाने की ऑर नहाने चली गयी....उसने मुझे दो मर्तबा बार उठाया भी पर मैं गहरी नींद में सो रहा था...मेरी मेहनत और थकान दोनो देख माँ ने मेरे चेहरे को प्यार से सहलाया और नहाने चली गयी..लेकिन उसके सहलाने से ही मेरे बदन सिहर उठा इसलिए मैं जाग चुका था...अचानक मुझे कुछ सूझा और मैने शरारत के लहज़े में अपना पाजामा उतार फैका और अपने उपर एक झिल्ली सी चादर डालके आँखे मूंद ली...सोने का नाटक करीबन माँ के कमरे में आ जाने तक कर रहा था

इतने में मेरी सोच अनुसार माँ भीगे बदन अपने खुले गीले बालों को झाड़ते हुए कमरे में प्रवेश की वो अपने बालों को समैट रही थी उसके बाज़ू उठाने से मैने अधखुली निगाहो से झाँका तो पाया माँ की दोनो बगलो में बाल थे उन्होने अब तक बगल के बाल सॉफ नही किए थे जो काफ़ी लंबे लंबे हो चुके थे वोई देखके ही मेरा लंड तनाव में आ गया...एक तो उन्होने छाती के उपर से होते हुए घुटनो के उपर तक सफेद तौलिया बाँध रखा था और उनका बदन एकदम पानी से भीगा हुआ था

मैं उनके हिलते नितंबो के उभार को नोटीस करने लगा...वो जब चल रही थी तो उसके हिलते चूतड़ मेरे लंड में सनसनी दौड़ा रहे थे...उनके चुतड़ों के उभार पहले से कितने ज़्यादा लग रहे थे....माँ गुनगुनाते हुए अपने बाल सुखाते हुए उन्हें बिखेरने लगी...मैने मुआयना किया कि शायद उन्हें यही लगा हो कि मैं तो जल्दी उठने नही वाला इसलिए नंगे बदन तौलिया ही लपेटे वो चेंज करने मेरे सामने अपने बेटे के सामने अलमारी को खोल कपड़े निकालने लगी उनके एक हाथ में ब्रा का फीता लटका हुआ था और उसी के साथ उनकी गुलाबी सी छोटी सी पैंटी...मेरा बस चले तो उन्हें अंडरगार्मेंट्स कभी पहनने ही ना दूं...

माँ ने एक बार मेरी तरफ देखा मैं झट से सोने की आक्टिंग करने लगा ऐसा लग रहा था जैसे मैं कितनी गहरी नींद में हूँ...वो वापिस से अपने कपड़े निकालने को झुकी तो उसका तौलिया जो घुटनो तक था पीछे उठ गया....मैने हल्का सा झाँका तो लगा जैसे दो टाँगो की भैंस झुकी हुई हो..ख़ास कुछ निगाह नही पड़ा बस उसकी मोटी मोटी जांघों का दीदार हुआ...

फिर उसने खड़े होके कपड़े बिस्तर पे रखके और अपने बाल समेटते हुए अपनी ब्रा को सीधा करने लगी...उसने एक बार फिर मेरी तरफ देखा मैं बहुत मुस्किल से खुद पे क़ाबू कर पा रहा था....अचानक वो ब्रा पलट ही रही थी इतने में उसके तौलिए का गाँठ खुल गया...वो एकदम से हल्की सी चीखी "उूउउइइ".....उनकी आवाज़ सुन मैने हल्का सा आँख खोला तो मैं दंग रह गया

उफ्फ वो एकदम मदरजात मेरे सामने नंगी खड़ी हुई थी..उसकी टाँगों के बीच काफ़ी झान्टे उगी हुई थी...उसके मोटे मोटे नितंब की गोलाइयाँ और पेट के निचले भाग से लेके झान्टो के अंदर तक बहुत ज़्यादा स्ट्रेच मार्क्स हो रखे थे जिससे तालपेट का चमड़ा सिकुडा हुआ था...वो एकदम से झट से झुक गयी तो उसके पेट की तोंद और गहरी नाभि मेरी आँखो से ओझल हुई और उसके झुकने से उसके मोटे ब्राउन निपल्स जो उसके 35इंच की चुचियो के साथ झूल रहे थे काफ़ी मस्त लग रहे थे....वो झुकके जैसे तैसे तौलिया उठाने की कोशिश में पलट गयी जिससे मुझे उसके मोटी मोटी गान्ड के बीच की दरार सॉफ नज़र आई उफ्फ उसके गान्ड का सिकुडे छेद के आसपास थोड़े बहुत झान्ट उगे हुए थे...

वो एकदम से तौलिया उठाए अपनी छातियो के साथ साथ अपनी टाँगों के बीच की झान्टेदर चूत को छुपाते हुए मेरी तरफ शरमाई निगाहो से देखने लगी...वो तो गनीमत थी कि मैने उसके नंगे जिस्म को देखके एक पल में ही आँख कस कर बंद कर ली थी वरना मैं पकड़ा जाता...

अंजुम लज्जा से सेहेम उठी....वो खैर मनाने लगी कि उसका बेटा अब भी सो रहा था जैसे ही उसने अभी आँख पलटी ही थी कि उसे अपने बेटे की आधी चादर में ढके जिस्म में कुछ हरकत सी लगी ये हरकत उसकी टाँगों के बीच के बनते उभार से उसे लग रही थी...जो टाँगों के बीच से उठता एकदम तंबू बन गया था....उसका खड़ा लंड माँ को आभास कराने के लिए सॉफ था कि उसका बेटा या तो जगा हुआ है या सेक्सी सपने देख रहा है

अंजुम ने एक एक पाँव आगे बढ़ा कर अपने बेटे को धरने के चक्कर में उसकी चादर एक ही झटके में उसके जिस्म से अलग कर दी तो उसकी आँख फटी की फटी रह गयी...ये उसका कोई तीसरा बार था जो उसने अपने बेटे को नंगा पाया था उसकी टाँगों के बीच उसका लंड एकदम तोप की तरह खड़ा एकदम सख़्त मोटा और लंबा था...अंजुम थूक घोटने लगी उसने एक बार हड़बड़ा के आदम को जगाना चाहा लेकिन उसके क्या मन में आया? उसने चादर वैसे ही बेटे के उपर ऊढा दी और लगभग कपड़ा लिए कमरे से बाहर निकल गयी....आदम ने आँख खोला और करीब मुस्कुरा उठा...उसकी ये शरारत में उसे काफ़ी मज़ा आया था

जब सोके उठा था तो करीब 12 बज गया था...उसे बड़ा गुस्सा आया अपने उपर वो पहले मूतने गया अपने लंड को मुठियाए पेशाब की धार छोड़ी और वापिस कमरे से होते हुए रसोईघर में आया जहाँ उसकी माँ रोटिया बना रही थी...माँ ने बेटे को जगा देख मुस्कुराया....

अंजुम : उफ्फ उठ गये महाराज जी अब लीजिए लेट सवेर नाश्ता कीजिए

आदम : अर्रे माँ छुट्टी तो मिलती है ना इसलिए जी भरके आराम करता हूँ

अंजुम : बेटा इसलिए कहती हूँ रात को जल्दी सो जाया कर आज सनडे है तो क्या हुआ? इंसान को आलस्पन मार देता है

आदम : अच्छा दे

अंजुम ने बेटे की तरफ चोरी निगाहो से देखा और उसे एक सेक्सी लहज़े में मुस्कुराए ताना मारी

अंजुम : तू अंदर कुछ पहना कर ?

आदम : क्या माँ?

अंजुम : तू जब सोता है तो सिर्फ़ पाजामा पहनके सोता है अंदर कुछ भी नही पहनता इतने कच्छे पड़े है तेरे पास क्यूँ नही पहनता?

आदम : हाहाहा बस माँ ऐसे ही मैने सुना है लिंग को भी हवा लगनी चाहिए वो भी तो शरीर का एक अंग है

अंजुम : आए हाए बड़ी तुझे अपने नुन्नु की चिंता होने लगी

आदम : हां माँ

मैने हल्का रज़ामंद होते हुए आँख मारी तो माँ शरमा गयी .

."चल हट बहुत बिगड़ गया है तू चल अब मुझे खाना बना लेने दे जा जल्दी से नहा ले कपड़े धो दिए तेरे और हां सुन पाजामा अपना टब में डाल देना सर्फ डालके"..
Reply
12-09-2019, 01:31 PM,
#92
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
माँ की बात सुन मैं उठ खड़ा हुआ मैने नोटीस किया माँ अब भी मेरी टाँगों के बीच के उभार का जायेज़ा ले रही थी मेरे अंडकोष झूल रहे थे जो बार बार पाजामे पे अपना उभार दर्शा रहे थे..माँ का चेहरा एकदम लाल लग रहा था...

आदम : अच्छा माँ तुझे कैसे मालूम कि मैं बिना कच्छे के सोता हूँ

अंजुम : चल हट कम्बख़्त जा नहा ले

आदम : अर्रे बता ना माँ (मैने नज़ाकत भरे लहज़े में ज़िद्द की)

अंजुम : बहुत कमीना हो गया है तू हाए बेशरम कुछ लिहाज़ तो कर माँ का

आदम : बता ना

अंजुम : ठीक है तो सुन आज जब मैं नहा कर अंदर आई तो मुझे लगा कि तू गहरी नींद में है जब मैने तेरी चादर हटाई तो अचानक से मेरी नज़र तेरे तानव में उठे लिंग पे पड़ी

माँ की इस बात को सुन मुझे जैसे करेंट लगा मैं अपने होंठो पे ज़ुबान फेरने लगा....माँ जैसे शरमा गयी फिर मुझे लगभग भगाने लगी...जब मैं नहाने घुसा तो अपने भीगे बदन पे साबुन मलते हुए लंड को एकदम उत्तेजित पाया जो माँ के सेक्सी बदन को नोटीस करने से ही खड़ा था...उपर से आज मैं इतनी ठरक महसूस कर रहा था..मैं उत्तेजना के चरम सुख पे था इसलिए 1 मिनट की मूठ मारी मेंने मेरे लौडे ने सफेद गाढ़ा वीर्य छोड़ा..मैने पूरे बदन को सॉफ किया नाहया फारिग होके बाहर आया

माँ और मैं फिर व्यस्त हो गये....माँ खाना बनाने में जुटी हुई थी तो मैं एजेंट को कॉल करके नये माल के आने की खबर जानने में लगा हुआ था....एजेंट ने बताया कि माल आ चुका है अगर हो सके तो मैं मार्केट आ जाए ताकि मामलो का जायेज़ा और इनस्पेक्षन दोनो कर ले...मैने शाम का टाइम लिया और पानी पीने रसोईघर के अंदर आया तो पाया माँ के चुतड़ों की गोलाइयाँ पाजामे के बाहर से काफ़ी उभरी हुई दिख रही थी पसीने पसीने होने से कपड़ा माँ के चूतड़ से चिपक गये थे और उसके नितंबो के बीच कुछ धँस से गये थे मैने ग्लास रखा

और माँ के पास आते हुए उसे काम में व्यस्त पाया वो अपनी ज़ुल्फो को हटाए माथे को पोंछ रही थी.....दोनो गॅस में चूल्हा चढ़ा हुआ था...मैने हल्के से उसके दाए नितंब को पाजामे के उपर से ही उस पर हाथ रखा और उसे हल्का सा दबाया..माँ सिहर उठी उसके हड़बड़ाने से पहले मैने उसे पीछे से अपने बदन से चिपका लिया और उसके पसीनेदर गले को चूमा और उसके गाल पर मैं अपना चेहरा उसके चेहरे से रगड़ने लगा माँ मेरे सर को धकेलने लगी

अंजुम : अर्रे ये क्या बेहुद्गि है आदम? उफ्फ बहुत ज़्यादा नही हो रहा (माँ ने हल्का सा विरोध किया)

आदम : क्यूँ मेरा छूना तुझे अच्छा नही लगता?

अंजुम : हमारे बीच कुछ तय हुआ था ना तू भूल गया

आदम : मैने तुझसे वादा किया था कि मैं तुझे हर सुख और आराम दूँगा

अंजुम : अच्छा जी तो तू अब मेरे दिए हुए वायदे का फ़ायदा उठा रहा है....तूने ही मुझसे कहा था जब तक मैं ना कहूँ तू मुझे छुएगा भी नही

आदम को ख्याल आया तो उसे अपनी ग़लती का अहसास हुआ...लेकिन उसने माँ के जंपर के अंदर हाथ डाला और उसके गुदाज़ पेट पे अपने दोनो हाथ कस लिए "ह्म भुला तो नही हूँ पर तुझसे दूर नही हो पा रहा अब जब तक घर में रहूँगा तुझसे अलग नही हो पाउन्गा"...........माँ मुस्कुराइ वो चाकू से नींबू काट रही थी

अंजुम : लगता है जेठ जी से बात करनी ही पड़ेगी ताकि तुझे सनडे की भी छुट्टी ना मिले

आदम : क्यूँ ? मेरे साथ वक़्त गुज़ारने में तुझे अच्छा नही लगता

अंजुम ने प्यार से मेरे चेहरे और बालों पे हाथ फेरा फिर उसने मेरे गाल को चूमा....उसके इशारे भरे मुस्कुराए लहज़े को समझा तो माना कि वो मज़ाक था...माँ ने इस बीच मुझे अपने से दूर धकेला और फिर थाली देते हुए बोली जाओ खाना लगाओ मैं हार मानते हुए मुस्कुराए उसकी नरम कलाईयों को छूते हुए थाली लिए अंदर चला आया

हम माँ-बेटे ने एक साथ लंच किया...उसके बाद माँ को थोड़ी सुस्ती होने लगी तो वो बेड पे बैठके टीवी देखने लगी...मुझे तय्यार होता देख उसने सवाल किया मैने कहा कि मैं आता हूँ एजेंट से मिलके....माँ ने कहा कि अच्छे से जाना और जल्दी घर आ जाना

मैं मेन मार्केट के लिए निकल गया...वहाँ एजेंट से मुलाक़ात की फिर उसके साथ उसके घर पहुचा वहाँ उसने मुझे नये नये आए माल दिखाए....उन्हें सेलेक्ट करना और डिसट्रिब्यूट करने का मेरा काम था....जो जो चीज़ो की डिपार्ट्मेनल स्टोर को रिक्वाइयर थी उतना सामान मैने चूज किया...अचानक एक नया माल हाथ लगा....वो कोई झिल्लिडर बिकिनी थी जिसके फिते काफ़ी पतले डोरी जैसे थे काफ़ी सेक्सी पीसस थे वो...एजेंट मुस्कुराया उसने कहा कि यह यहाँ यक़ीनन सेल होगी क्यूंकी यहाँ ठरकीयो की कमी नही हम दोनो मज़ाक कर रहे थे...

मैने वो सॅंपल एक अपने पास रख लिया और बाकी मामलो बताए वक़्त पे डिपार्ट्मेनल स्टोर पहुचने के लिए मुहय्या कराया...काम काज से निपटते हुए जब मैं बाइक से घर आ रहा था तो एक बार केमिस्ट शॉप पर रुका वहाँ मैने एक दवाई मेडिकल शॉप वाले को देने के लिए कहा...उसने मुझे सुडोल कॅप्सुल का एक डिब्बा दे दिया...मैने माँ के स्तनों को नोटीस किया था सोचा कि इस बार माँ को ये कॅप्सुल खिलाके देखता हूँ ताकि मेरी माँ और भी सेक्सी लगे...माँ अगर ऐतराज़ करती तो मैं ज़िद्द पे आमादा हो जाता यही सोचके मैं घर लौटा

मैने माँ को तोहफे में वो सॅंपल वाली बिकिनी दी...जिसे देखके वो शरमाने लगी..."हाए अल्लाह ये तू मेरे लिए लाया है".....

.."हां माँ मेरा दिल है कि तू यह पहने".......

."छी तौबा मेरी उमर नही ये सब पहनने की क्या अज़ीब चीज़े तू लाता है"........

"तू पहनके दिखना ब्रा और पैंटी भी तो फिट आती है तुझे ये भी आएगी तू पहनके दिखा ना"......माँ बहुत झिझक रही थी क्यूंकी उसका साइज़ काफ़ी छोटा था पर मेरी ज़िद के आड़े उन्हें मानना पड़ा

जब मैं बेडरूम में बैठा टीवी देख रहा था तो इतने में दरवाजे के खुलने की आहट हुई..मैं एकटक माँ की तरफ देखते ही हक्का बक्का मुँह खोले खड़ा रह गया ...एक तो माँ के बाल खुले हुए थे और ब्यूटी पार्लर हाल ही में उसे भेजा था इसलिए फेशियल की वजह से उसका चेहरा चमक रहा था...उसने आइब्रो भी बनाए हुए थे

उसने मेरी दी हुई बिकिनी पहनी हुई थी जो उसकी कंधो से लेके पीछे पीठ पे एक गाँठ बनके फसि हुई थी वो फिते नीचे जाते हुए माँ की दोनो चुचियो के कटाव के साथ साथ सिर्फ़ माँ के निपल्स को ही छुपा रहे थे नीचे टाँगों के बीच पैंटी जैसी वो लाइनाये वो तो माँ की झान्टेदार चूत को छुपा ही ना सकी बस उसने चूत की दरार से लेके पीछे दोनो नितंबो को ऐसे छुपाया हुआ था कि माँ के गोल गोल नितंब उससे एकदम चिपके खुद को दर्शा रहे थे...पैंटी की डोरी महेज़ एक धागा था जो पैंटी को दोनो टाँगों के बीच जोड़ा हुआ था जो दोनो कमर में फँसा हुआ था....माँ की गोल गहरी नाभि और उसके नीचे नाभि से शुरू होते मैं स्ट्रेच मार्क्स को घूर रहा था उफ्फ वो उस बिकिनी में काफ़ी सेक्सी लग रही थी माँ का चेहरा एकदम गुलाबी सुर्ख था

आदम : उफ्फ माँ बगलो को भी उठाओ

अंजुम ने अपने बगलो उठाया और दोनो में उगे हुए अपने काख के बाल दिखाए उफ्फ उनकी बाँह उठाने से ही मैं जैसे फर्श पे गिरते गिरते बेहोश होते बचा...वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी मैं उन्हें पलटा और उनकी पीठ पे हल्की रोयेदार बाल पे अपना हाथ फेरा फिर उनकी कमर की निकली दोनो तोंद पे हाथ फेरा और उनके नितंबो के बीच की दरार में फासी पैंटी की सिलवटों को देखने लगा...ब्रा की हुक तो महेज़ एक धागा ही थी सामने पलटने के बाद मैं बड़े गौर से माँ की छातियो को घूर्रने लगा वो बिकिनी मुस्किल से ही माँ की चुचियो को छुपा रही थी माँ शरम से एक दम पानी पानी हो रही थी लेकिन बेटे की ज़िद्द के आगे वो चुपचाप खड़ी बस लजा रही थी..
Reply
12-09-2019, 01:31 PM,
#93
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम : अब हो गया देखना अब तो उतार लेने दे

आदम : दिल तो कर रहा है आपकी तस्वीरें उतार लूँ

अंजुम : हट पागल ये भला कोई ड्रेस है तू बहुत गंदा हो गया है और क्या क्या करवाएगा अपनी माँ से सच में तू तो तेरे बाप से भी ज़्यादा ठरकी है अर्रे कुछ तो मान रख कमीने अपनी माँ का

अंजुम को ये सब करते हुए शरम बहुत महसूस हो रही थी दिल ही दिल में उत्सुकता सी थी...

बेटे ने माँ के हाथ में सुडोल कॅप्सुल दिया माँ आँखे फाडे उसे देख रही थी...

"इसे दूध के साथ खाने के बाद लेना बोला है 2 महीने के अंदर फरक पड़ने लगेगा"......

.आदम की बात सुन माँ ने लजा कर सर झुका लिया

अंजुम : अफ ये मैं नही ले सकती मत ज़िद कर

आदम : अर्रे माँ मैं तुझे सबसे अलग देखना चाह रहा हूँ इतनी जवान है तू और खुद को हर्वक़्त बस बुढ़िया कहती है उफ्फ इस वक़्त कोई पराया मर्द तुझे देख ले तो उसका तो

अंजुम : उसका तो क्या?

आदम : छोड़ो ना

अंजुम : देख छुपा मत

आदम : अच्छा तो सुनो कोई पराया मर्द तुम्हें ऐसे देख ले तो अपने उपर से अपना आपा खो बैठे तेरा मुरीद हो जाए

अंजुम : हाए अल्लाह हावव ये कोई बात हुई

आदम : हाहाहा तुझे कुछ नही पता?

मैने माँ के दोनो चेहरे को अपने हाथो में लेते हुए उनकी ज़ुल्फो को बालों के साथ पीछे समेटा....वो मेरी आँखो में बड़ी बड़ी निगाहो से झाँक रही थी...हम दोनो कुछ पल के लिए एकदम चुपचाप थे मज़ाक मस्ती अब गंभीरता का रूप दोनो के बीच ले चुकी थी
आदम : सच कहूँ तो तुझमें मुझे वो सब दिखता है जो हसरतें मैं अपने दिल में काई सालो से लिए दबाए हूँ

अंजुम : जैसे क्या?

आदम : क्या फायेदा? तेरी रज़ामंदी तो नही

अंजुम : भला कहने में क्या रज़ामंदी नही?

आदम : तूने मुझे खुद को छूने से मना किया है ना

अंजुम : प..पर

अंजुम सच में अपनी बातों से फस चुकी थी उसने तो खुद ही आदम को मना कर रखा था कि उसे ना छुए...वो बार बार नज़र पलट रही थी....नही ये ठीक नही वो तेरा बेटा है...उसके दिल में किसी ने आवाज़ दी...तो किसी ने पलभर में कहा कि मत सुन इसकी ये शरम हया मर्यादा तुझे सिर्फ़ बर्बाद कर देगी तेरी ज़िंदगी को नष्ट कर चुकी और कितना इसे हावी अपने उपर होने देगी.....माँ कशमकश के घेरे में बिकिनी पहने खड़ी थी और बेटा उसके करीब आए उसके दोनो चेहरो को हाथो में लिए उसकी ज़ुल्फो को समेटते कानो के पीछे किए उसकी तरफ एक टक देख रहा था जैसे अब भी रज़ामंदी की इज़ाज़त चाह रहा हो

माँ के होंठ काँपे...वो अपने बेटे के निगाहो में निगाह डाले एकटक खड़ी बुत बनी सी थी...अचानक बेटा उसके चेहरे के पास अपना चेहरा लाया और उसके होंठ पलभर में अपने होंठो में ले लिए और उसे लगभग बारी बारी से उपरी निचली होंठ को चूसने लगा...माँ काँप उठी बेटा अपने ज़ज़्बातो को काबू ना कर सका उसका दिल बहुत दिनो से मचल रहा था...माँ उसके पीठ पे हाथ रखके उसे सहला रही थी...बेटे को अहसास हुआ कि माँ उसके होंठो को मुँह में लेके चुस्स रही है उसके होंठो की हरकत का अहसास से आदम का लंड एकदम पाइंट फाडे तनाव में आ गया

दोनो एकदुसरे को लगभग स्मूच कर रहे थे...और तभी एकदम से माँ ने बेटे को धकेल दिया उसके आँखो में आँसू उबल उठे...बेटा हाँफटा हुआ माँ की तरफ हैरत से देखने लगा उसे अपने होंठो पे माँ के गरम होंठो को चूसने से अब भी एक मीठी सी जलन अपने होंठो पे हो रही थी....

आदम माँ के पास आया माँ चुपचाप खड़ी खुद की साँसों को काबू करने में संयम पा रही थी..इतने में बेटे ने माँ को दरवाजे से सटा लिया....माँ एकदम कांपति निगाहो से उसे देख रही थी उसकी आँखो में एक रोमांच सा था उसे पता था कि ये अहसास शुरू शुरू में थोड़ा अज़ीब था पर इसमें मज़ा दुगना आनेवाला था....अंजुम हार गयी उसने अपने दिल की उस आवाज़ को दबा दिया....अपने हया शरम लाज को उसने पलभर में छोड़ दिया अब उसका खुद पे कोई बस नही था....बेटा अब तक उसके गाल को चूमे जा रहा था उसने बेटे के सर के बालों पे हाथ फेरा

आदम माँ के कंधे पे हाथ रखके उसे अपने साथ बिस्तर के पास ले आया दोनो पलंग पे बैठ गये...माँ किसी दुल्हन की तरह शरमा रही थी...."अब तक मुझे तेरी इजाज़त नही मिली".....आदम ये कह कर मुस्कुराया...

माँ उसे एकटक देखने लगी..."क्या एक माँ अपने बेटे को ऐसे किस करती है इतना कुछ हो गया और तुझे इजाज़त चाहिए"......

माँ के सवालात से बेटा हंस पड़ा...इतने में माँ भी हंस पड़ी

अंजुम : अब तुझे और किस चीज़ की इजाज़त चाहिए..इतना कुछ हो गया क्या एक साधारण माँ-बेटे ऐसी हरकते करते है....जब तुझे मुझपे पूरा हक़ है तो फिर पहल कैसा मैं खुश हूँ कि तूने अब तक अपनी माँ को वासना भरी निगाहो से नही छुआ बल्कि उस छूने के पीछे तेरी मुहब्बत थी...मैं समझ चुकी हूँ कि क्यूँ सोफीया जैसी औरत अपने बेटे से ऐसे समबंध बनाई..जो सुख जो खुशी उसे एक मर्द से चाहिए था बस उसे उसके बेटे ने पूरी कर दी..तो बता अब तुझे मेरी किस पहेल का इंतजार है मैं सम्पूर्न तेरी हूँ

आदम : बस मुझे तुझसे यही सुनना था मेरी दिल को जो हसरत है उसे मैं तेरे लवजों से सुनना चाहता था कि यही कि तू सम्पूर्न मेरी हो चुकी....और मुझे दुनिया की कोई परवाह नही कोई नही

आदम ने धीरे धीरे अपने हाथ आगे बढ़ाए पर वो झिझक रहा था जैसे कुँवारा हो उसने काँपते हुए अपनी माँ के ब्रा पे हाथ रखा और उसकी चुचि को ब्रा सहित हल्का सा सहलाते हुए दबाया माँ ने आँखे मूंद ली वो लेट गयी जैसे सबकुछ उसने अपने बेटे पे छोड़ दिया हो...

आदम को अहसास हुआ कि उसने ना जाने कितनी औरतो को चोदा था? पर अपनी माँ को स्पर्श करते ही जैसे अपने उपर से उसका काबू हट सा गया था वो इतना झिझक रहा था हो भी क्यूँ ना? संबंध के बीच माँ-बेटे का रिश्ता जो आ रहा था

माँ जैसे उसे आमंत्रित कर रही थी माँ की गुलाबी निगाहो को देखते हुए बेटा धीरे धीरे उसके बदन से लिपटता चला गया उसने पाया कि माँ ने कोई विरोध नही किया....आदम ने कब अपने पॅंट की बेल्ट सहित अपने पॅंट को अंडरवेर के साथ फर्श पे उछाल फैंका मालूम ही ना चला...बस फर्श पे दोनो के कपड़े बिखरते हुए गिरने लगे....

बाहर मौसम अंगड़ाई ले रहा था काले बदल गरजते हुए एकदुसरे से पुरज़ोर टकरा रहे थे बिजलिया कड़क रही थी बारिश का पानी सब जगह को भिगो रहा था बड़े बड़े पेड़ घर के बाहर लहरा रहे थे....और दो जिस्म भीतर कामवासना की आग में जल रहे थे
Reply
12-09-2019, 01:31 PM,
#94
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
उफ्फ वो रात जो उन माँ-बेटों को अपनी ठंड से और एकदुसरे से लिपटा रही थी पसीने पसीने हो रहे थे कमरे में जैसे उमस भरी गर्मी थी बेटे के बदन का पसीना माँ के बदन पे गिर रहा था....माँ ने कस कर चादर पकड़ ली थी अपने हाथो....उसकी एक कलाई पे बेटे का हाथ आगे बढ़ते हुए उसकी उंगलियो में अपनी उंगली फसाते हुए उसके हाथो को अपने हाथो में जकड लिया....ऐसा लग रहा था जैसे दो आत्माओ का मिलन हो रहा था क्यूंकी उस तूफ़ानी रात में ना जाने कितने रिश्तो पे बिजली गिरी थी? जैसे भूचाल आ गया था..पलंग के उपर दोनो अपनी कामवासना में डूबे एक अलग ही संबंध को जनम देने में व्यस्त थे....

ऊफ्फ इस रात की सुबह ना हो....जैसे ये वक़्त थम जाए...ये सिलसिला यूही चलता जाए....दिल के हाथो बेसवरा मैं....बस यूही मन में बुदबुदाता गया....

माँ मेरे नीचे लेटी मदरजात नंगी अपनी टाँगों को मेरी जाँघो से रगड़ रही थी...ऐसा लग रहा था जैसे उसके अंदर की उत्तेजना मैने भड़का दी थी..और अब इस जलती चिंगारी में बस आग भड़काने की सी देर थी...मैने माँ की दोनो टाँगों को चूमा....पलंग के नीचे माँ को पहनी बिकिनी पड़ी हुई तो उससे दो हाथ दूर मेरा पॅंट जिसके बीच बेल्ट भी फसि पड़ी थी वैसी गिरी पड़ी थी....कच्छा पॅंट के भीतर उतारने के वक़्त रह गया था...

माँ की दोनो टाँगों को चूमते हुए मैने नोटीस किया कि माँ ने तो मेरी दी हुई उस दिन की पायल अब भी पहनी है....तभी सोचु कि बीच में खनकता वो शोर कहाँ से आ रहा था?.....मैने माँ की दोनो टाँगों को फैला लिया और उनकी चूत जो झान्टो से भरी थी उस पर हाथ मलता हुआ उसे मुट्ठी में लेके दबाने लगा...दो-तीन बार दबाने से ही माँ शिथिल पड़ गयी...मैने हाथ उठाके देखा तो पाया उंगली के बीच और पूरे हाथ में माँ की चूत से निकला चिपचिपा पानी लगा हुआ था...मेरे महेज़ हाथ रखने से ही वो गरमा गयी थी या हमारी चूमा चाटी से ही उत्तेजित होके..

इसी कशमकश में माँ ने मेरी टाँगों के बीच अपना हाथ रखा मुझे अहसास होते ही मैं माँ की तरफ देखने लगा माँ मुझे एकदम गौर से देख रही थी....

"देख कितना उत्तेजित है यह?".......मैने माँ के हाथ को अपने लिंग को सहलाते मुठियाते पाया...माँ ने सिर्फ़ मुस्कुराया उसने मेरे लंड को हाथो में लिए खीचते हुए जैसे अपनी योनि के पास लाई

मैने उसकी कलाई को कस कर पकड़ा..."अभी नही पहले कुछ और?"......मैने माँ को आँख मारी....माँ समझ ना सकी कि मेरा क्या तात्पर्य था?....मेरे चेहरे को नीचे जाते देखते हुए वो हैरत में पड़ी उसे आभास होते ही उसने मेरे माथे पे अपना हाथ रखा और मुझे दूर करने लगी अपनी टाँगों के बीच से...मैने उसकी कलाई को पकड़ा और उसके चुचि पे हाथ रख दिया माँ चुपचाप हो गयी....जल्द ही उसे अहसास हुआ अपनी चूत पे बेटे के गरम मुँह का...वो कसमसाने लगी...आहें भरते हुए उसने अपने दोनो हाथ बेटे की पीठ को सहलाने से रोक दिए

बेटे ने फुरती से अपनी जीब माँ की योनि के भीतर प्रवेश की और उसे प्यासे शेर की तरह चाटने लगा...अब बेटे ने अपना पूरा मुँह माँ की चूत में रख दिया और उसे लगभग कुरेदने लगा..उसके होंठ और ज़ुबान की गुदगुदी से ही माँ की चूत में जलन सी होने लगी....बेटा जीब से गीली चूत की दरार को चाटते हुए...दाई बाई की सूजी फूली हुई चूत के होंठो को भी मुँह लेके खींच रहा था उसे चूस रहा था...माँ ने मारे उत्तेजना में टाँग एकदम फैला ली उसने कस कर चादर को पकड़ लिया..बेटे ने इस बार माँ की उभरी चूत के दाने को मुँह में भर लिया..तो जैसे माँ तड़प उठी.....ये रोमांच ये मज़ा उसे किसी मर्द ने नही दिया था अगर ज़िक्र भी हुआ था तो उसने सिर्फ़ इसे अंग्रेज़ो की गंदगी मानी थी...

पर आज अपने बेटे के दिए मुख मैथुन से ही अंजुम को बड़ा ही मज़ा मिल रहा था...वो अब आहें भरने लगी बड़े ज़ोर से...उसका बदन ऐंठ रहा था....इस बीच उसे अहसास हुआ कि कब चूत को चाटते आदम उठ बैठा और उसने झुकके अपनी लंबी दो उंगली माँ की चूत के गहराई में डाल दी...माँ को अपने भीतर उंगली का अहसास हुआ...बेटा माँ की चूत में उंगली कर रहा था....ताकि माँ को पूरा मज़ा मिल सके इस बीच वो माँ के दाने पे मुँह लगाए उसे चूस देता या फिर फूली चूत के बीच की फांकों में अपनी ज़बान लगाने लगता...माँ का गला सुख गया उसके आँख लगभग बुझने सी लगी...

अंजुम : उफ़फ्फ़ अहहह उम्म्म आहह इसस्शह अल्लहह सहन नही हो पा रहा आहह स्स्स आहह हंसस अहहह

माँ को सिसकते आहें भरते देख आदम ने अपने अंगूठे को भी माँ की चूत में घुसा दिया...इससे अब तीन उंगली माँ की चूत के अंदर बाहर आराम से हो रही थी...पर चूत के होंठ उसे अपने अंदर लेने को जैसे राज़ी नही थे...हो भी क्यूँ ना अब तक उसकी माँ अपने पति से कितनी बार ही चुदि थी यही कोई दस साल पहले और इतने सालो तक तो उसकी चूत की पर्त का टाइट होना तो तय ही था क्यूंकी उसे फिर किसी ने खोला जो नही था..

आदम ने चूत से उंगली बाहर निकाल ली और इस बार माँ की चूत को मुट्ठी में लेके दबोच लिया...उसने बड़े कस कर माँ की चूत को पकड़े रखा...अंजुम उठ बैठी और उसने बेटे के हाथ को कस कर अपनी चूत के द्वार से हटाना चाहा पर उसे अहसास हुआ कि उसके अंदर अब और सहने की ताक़त नही वो वैसे ही नंगी अपने बेटे के गले लग गयी उसके सख़्त निप्प्ल्स और छातिया बेटे के सीने से दब गयी..."आहह उउंम्म".....माँ कराहते हुए काँपते टूटे पत्ते की तरह वापिस बिस्तर पे ढेर हो गयी उसका बदन पसीना पसीना हो चुका था

आदम ने चूत की तरफ देखा जो पानी छोड़ रही थी...उसने फिंगरिंग जारी रखी वो काफ़ी सटीक और गहराई से माँ की चूत में उंगली करता रहा...माँ की आवाज़ में फिर कपकपाहट उठ गयी और चरम सीमा पे वो फिर्र चीखने लगी..पूरा कमरा माँ की आवाज़ से गूँज़ उठा तो बेटे ने उसी पल उंगली चूत से निकाली और फूली चूत को अपने मुट्ठी में कस लिया....माँ का चेहरा लाल हो गया और वो हाफने लगी...जैसे अब उसमें जान ही ना हो...बाहर कड़कड़ाती बिजली का शोर और तूफान की हो हो करती हवा सुनाई दे रही थी

लाइट तो कबकि जा चुकी थी दोनो अंधेरे में वैसे ही दिन दुनिया से बेख़बर परे हुए थे जब आदम को तक़लीफ़ ज़्यादा लगी तो उसने उठके थोड़ा सा ब्रेक लिया माँ वैसे ही नंगी लेटी बेटे को कमरे से बाहर जाते देख रही थी...कुछ ही देर में बेटा लिविंग रूम से दो मोमबत्ती मांचीस से जला कर लेके आया...एक उसने टेबल के उपर रखी सामने और दूसरी पलंग के पास वाले मेज़ पे...अब कमरा कही हद तक रोशन हो चुका था....दोनो को एकदुसरे के बदन नग्न अवस्था में देख सकते थे साथ ही साथ आदम ने मच्छरों के प्रकोप से बचने के लिए पलंग के चारो तरफ मच्छरदानी लगा दी...माँ अंदर नंगी लेटी जैसे बेटे के इंतजार में थी..बेटा नंगे पाओ बिस्तर पे चढ़े मच्छरदानी को ठीक से लगा कर माँ के उपर फिर सवार हुआ माँ को अपनी चूत के ठीक उपर बेटे का झूलता लंड दिखाई दिया
Reply
12-09-2019, 01:31 PM,
#95
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
आदम ने माँ की जांघों को फिर चूमना शुरू किया और उसकी टाँगों पे रोए दार बालों पे अपनी ज़बान से गुदगुदी करने लगा...माँ हंस पड़ी...उसे मज़ा आ रहा था...अब तक दोनो के बीच कोई वार्तालाप नही हुआ था....आदम ने चूमते चूमते फिर तालपेट के उपर चूमना शुरू किया स्ट्रेच मार्क्स से सिक्युडा माँ की नाभि के नीचे का हिस्सा जैसे कोई बंजर ज़मीन हो..लेकिन ये तबाही भरे निशान उसके पैदा होने से थे..आदम ने तालपेट के उपर चूमते हुए आके माँ की नाभि में ज़बान डाली दी...उसमे जीब चलाने लगा...तो माँ मारे उत्तेजना के पगला सी गयी..

फिर आदम ने दोनो चुचियो को हाथो में लेके दबाना शुरू किया...फिर एक एक करके दोनो के मोटे निपल्स को अपने मुँह में भी लेके चूसना शुरू किया.."वाहह काश इसमें दूध होता?"......उसने बड़बड़ाते हुए कहा तो माँ सुनके शरमा गई....आदम ने माँ की दोनो चुचियो को भरपूर तरीके से चूसा....एक को चूस कर वो मुँह से निकाल देता और दूसरा मुँह में भर लेता...वो दोनो को करीब मालिश के तरीक़ो से मसलता हुआ उन्हें दो हाथो से दबोचता हुआ खूब दबाए जा रहा था....माँ एक बार फिर बेटे के कुल्हो के उपर अपनी टांगे लपेट चुकी थी...

आदम के मोटे लंड का अहसास उसे अपनी चूत के मुंहाने पे लगा...इस बीच आदम ने माँ के चेहरे को सहलाते हुए उसे किस करना शुरू किया..तो माँ ने जैसे बिना आपत्ति के उसके होंठो को अपने मुँह में भर लिया....दोनो माँ-बेटे एकदुसरे को लंबा स्मूच कर रहे थे...एक दूसरे को पागलो की तरह किस कर रहे थे....एकदुसरे के मुँह के भीतर ज़ुबान डाल रहे थे....ज़ुबान से ज़ुबान लगा रहे थे...तो ज़ुबान को चूस भी रहे थे....अंजुम को अहसास हुआ कि बेटे ने उसके मुँह में अपना गरम थूक डाल दिया है...तो अंजुम उसे घोटते हुए आदम के होंठो का रस्पान करने लगी...दोनो एकदुसरे के होंठो काफ़ी देर तक चूस्ते रहे उसके बाद आदम सीधा लेट गया माँ के खुले बाल उसके चेहरे से होके गुज़रे...माँ उठ बैठी उसने बेटे के लंड को अपने हाथो में लिए मसला...और एक बार बेटे की तरफ देखा

आदम : माँ अब आप की बारी है अपने बेटे को खुश करने की भूल जाओ सबकुछ बस मुझे प्यार कर लेने दो खुद से ना परवाह करो रिश्तो की ना गैरो का...सिर्फ़ और सिर्फ़ ख्याल करो कि हमारे बीच जो कुछ हो रहा है वो ज़रूरी है...इस आखरी फ़ासले को भी दूर कर लो

माँ ने मुस्कुराते हुए बेटे की बात सुनी तो बेटे ने माँ की पीठ को सहलाते हुए थोड़ा उठके माँ के बालों को समेटते हुए उसकी ज़ुल्फो को चेहरे से भी हटा कर अपने हाथो में समेटते हुए जकड लिया.....उसने माँ के सर पे हल्का दबाव दिया....माँ धीरे धीरे बेटे के लंड के पास अपना चेहरा लाई....फिर दूसरे हाथ से आदम ने माँ के होंठो पे अपने लंड को फिराया

आदम : मुँह में हां ले ले (धीरे धीरे आदम ने माँ को इन्स्ट्रक्षन देते हुए कहा)

माँ ने घप्प से बेटे के लंड को मुँह में ले लिया....उसने अपनी आँखे मूंद ली...उसने महसूस किया कि बेटे का लंड कितना मोटा और लंबा है? "म्म्म्मम"......माँ के मुँह से स्वर निकला माँ उसे बड़े चाव से मुँह में लिए चूसने लगी...इस मुख मैथुन के अहसास से आदम गरमा गया...वो स्थिर हो गया...बस माँ के बालों को सेमेट हुए जकड़ा था उसने माँ की पीठ पर...

माँ उसकी तरफ देखते हुए उसके लंड को चूस रही थी....माँ के मुँह की गर्मी के अहसास से ही बेटा पागल होता जा रहा था...जब माँ ने लंड को बाहर मुँह से निकाला तो उसके गरम थूक से लंड एकदम गीला था....माँ ने फिर लंड को मुठियाया...और उसने काफ़ी अच्छे से लंड को आगे पीछे हिलाया...शादी शुदा औरत थी उसे पता था कि मर्द को किन किन चीज़ो से लुफ्त उठाने का मन करता है?....और ये तो उसका बेटा था जिसकी हर चीज़ से और रग रग से वाक़िफ़ थी

अंजुम ने बहुत देर तक लंड को हिलाया और उसे मुँह में लेके चुसा...आदम को उसके मुँह की भीतरी गर्मी के साथ साथ उसके लंड पे दाँत घिसने का भी अहसास हो रहा था "ओह्ह्ह मामा इस्सह आहह उहह".........आहें भरता आदम सोचने लगा कि सच में माँ को पाने के उसकी तपस्या उसकी प्रतीक्षा पूरी हो गयी थी आज रात...माँ उसके लंड को चुसते हुए उसे अपने हाथो में थामे उसके निचले अंडकोषो पे अपनी ज़ुबान लगाने लगी पर उसकी गंध पाके उसे थोड़ा अज़ीब लगा....

बेटे ने उसके चेहरे को अपने लंड पे दबा दिया...और लगभग उसके चेहरे पे अपना लॉडा रगड़ने लगा...जब उसने माँ का चेहरा हटाया तो पाया वो हाँफ रही थी...अंजुम को अपने चेहरे पे बेटे का निकलता गीला प्री-कम का अहसास हुआ...बेटे ने निकलते अपने प्री-कम की बूँदो को उंगली में लेके चाट लिया तो माँ उसे हैरत से देखने लगी...उसने फिर माँ को अपना लंड चूसने कहा...पर माँ को शरम सी आई

आदम : कर ना रे क्यूँ तडपा रही है? प्लस्सस

अंजुम : अच्छा ठहर (माँ ने फिर झुक कर बेटे के लंड को मुँह में घप्प से लिया और उसे 2-3 बार चुसा फिर उसे मुँह से निकाला फिर दो-तीन बार मुँह में लिए चूसा ये प्रक्रिया उसने कुछ देर दौहराई)

आदम ने उठके माँ के गाल को पहले किस किया फिर उसके इर्द गिर्द चेहरे के हर हिस्से को चूमा....फिर उसने माँ के होंठो में उसकी चूत का निकला वीर्य जो अब सूख चुका था उसका स्वाद चखने के लिए उसके मुँह के भीतर उंगली डाली....माँ उंगली को चुसते हुए बेटे की तरफ नशीली आँखो से देख रही थी...

आदम ने माँ के होंठ फिर मुँह में भर लिए...माँ ने अपने दोनो बाजुओं को बेटे के कंधे से लिपटा लिया...दोनो एकदुसरे को किस करते रहे..फिर आदम ने हान्फ्ते हुए माँ की बाजों को उठाया और उसके काले काले बालों से भारी बगलो को उठाया उसके काले काले बालों पे अपनी ज़ुबान लगाई और उसके पसीने से भरी हेयरी बगलो को चाटने लगा

उफ्फ उसकी भीनी भीनी गंध जैसे आदम को पागल कर रही थी...देसी औरत का स्वाद ही जुदा है...वो अपनी माँ की दोनो बगलो को चाट्ता रहा फिर उसने माँ की गर्दन गले को चूमते हुए उसके बाजुओं को सहलाया....माँ आहिस्ता आहिस्ता लेट गयी...आदम को याद आया कि सारे सामानो में उसका एक बॉक्स था जिसे वो बड़े अहेतियात से रखा हुआ था...उसने उस बॉक्स में से एक कॉंडम निकाला उसे फाडा और माँ के सामने अपने लंड पे चढ़ाने लगा.....माँ ने पूछ ही लिया कि तू कॉंडम कब लाया? तो बेटा सवाल सुनके मुस्कुराया और कहा कि उसे पता था कि कैसे ऐसे मोड़ आने पे इसकी ज़रूरत पड़ेगी?...

अंजुम : हाहाहा तूने कभी इसे यूज़ किया है?

आदम : नही माँ पहली बार लिया है तू ही लगा दे (क्या कहता माँ को कि चुदाई में कितना वो प्रोफेशनल है? उसने कितनो की चुदाई की और दो औरतो को पेट से भी कर दिया माँ कुछ नही जानती थी इसलिए उसने अंजान बनके नही में सर हिला दिया)
Reply
12-09-2019, 01:31 PM,
#96
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम ने कॉंडम उसके खड़े लौडे को लेते लेते सहलाते हुए अच्छे से....कॉंडम को फाड़ के उसे निकालके उसे सुपाडे के उपर लगाके उसे धीरे धीरे पूरे लंड पे चढ़ाने लगी...थोड़ी ही देर में लार्ज साइज़ का कॉंडम बेटे के लंड पे अंजुम ने पूरा अच्छी तरह से चढ़ा दिया

अंजुम : अच्छा किया जो निरोधक ले लिया अब देर ना कर

माँ के निरोधक लगाने के वक़्त उनके हाथो के सपर्श से ही लॉडा झटके खा रहा था अब उनकी बातों ने उत्साह मेरे मन में और बढ़ा दिया था....मैं झट से पलंग पे आया माँ की दोनो टाँगों को फैलाया...थूक हाथो में लिए चूत पे अच्छी तरह मला और उसे गीला किया...उसकी झान्टेदार चूत के मुंहाने को अंगूठे से कुरेदने लगा..जिससे माँ ने अपनी गान्ड ढीली छोड़ दी...मैने आगे बढ़के निरोधक चढ़े अपने लंड को फुरती से चूत के मुँह के पास लाया हल्के हल्के से घुसाने की नाकाम कोशिशें की...

और कुछ ही पल में मेरे दबाव देने से लंड अंदर प्रवेश होने लगा साथ ही साथ माँ के चेहरे का हाल बदलने लगा वो जैसे दर्द को पी रही थी..मेरा लंड साँप की भाती धीरे माँ की चूत की दरारों में घुसता चला गया...और कुछ ही क्षण मे माँ की चूत ने मेरे लंड को आधे से ज़्यादा अपने भीतर ले लिया...अंजुम ने मेरी कमर के दोनो हिस्सो को कस कर हाथो से जकड लिया उसके नाख़ून मुझे गढ़ रहे थे...उसकी दोनो टाँगों को मैने अपने कुल्हो पे लिपटा महसूस किया...और एक करारा धक्का मारा भीतर बच्चेदानी को मेरा लंड छूता महसूस करने लगा....मैं अब लंड अंदर बाहर करने लगा...

"आहह आहह उहह ईयी आहह".......माँ को अब दर्द शुरू होने लगा था....वैद्य जी की दवाई का असर अब भी था..इसकी इतनी कड़ी मालिश की थी की लंड की सख्ती और मोटाई दोनो बनी हुई थी और वो इतना ज़्यादा तगड़ा और लंबा मूसल जैसा था की माँ के लिए पहला अनुभव था वो कोई चूड़ी छुदाई औरत नही एक घरेलू औरत थी जिसने सिर्फ़ मेरे पिता का ही लंड अपने अंदर लिया था....जिस छेद को मैं फाड़ रहा था कल उसी से ही मैं निकला था..

"आहह अयीई आहह बॅस करर आहह अल्लाह दर्द हो रहा है"......माँ पसीने पसीने दर्द की आहों में लिपटी मेरी पीठ और कमर पे नाख़ून गढ़ा रही थी

आदम : बस हो गया अंजुम बस हो गया (मैं पहली बार अपनी माँ का नाम ले रहा था क्यूंकी उत्तेजना में मैं सबकुछ भूल जाना चाहता था माँ से पूरा मज़ा लेना चाहता था अब हमारे बीच माँ-बेटे का रिश्ता ख़तम हो चुका था)

आदम : आहह बस हो गया इस्श ह आहह

अंजुम : आहह नहियिइ ससस्स ज़ोर से मत कर आहह

माँ कराहती रही और मैं धक्के पेलता रहा...और उसी वक़्त 15-20 धक्को में ही मेरा गाढ़ा वीर्य निकलने लगा....मैं झड़ने लगा...मेरी रफ़्तार बहुत तेज़ हो गयी माँ की चूत चोदते हुए मेरे अंडकोष उसके निचले भाग से टकरा रहे थे...ठप ठप्प की आवाज़ आ रही थी हम दोनो की सिसकिया अगर कोई बाहर होता तो सुन लेता लेकिन इतनी तूफ़ानी बारिश से भरी भयंकर रात में कौन बाहर सुन सकता था?

जब मैं स्खलन से फारिग हुआ तो हन्फते हुए माँ पे ढेर हो गया हम दोनो की उखड़ती साँसें चल रही थी....दोनो एकदम थक के चूर हो चुके थे....मैने माँ के छातियो को फिर दबाना शुरू किया और माँ के चेहरे को चूमता रहा...माँ बदहवास आँखो में आँसू लिए जैसे छत की ओर देख रही थी और मैं उसके चेहरे की ओर

जब सुबह 4 बजे नींद खुली तो मुझे अहसास हुआ कि मेरे हाथो से क्या हो गया है? मुझे मज़ा तो बहुत आया ऐसा लगा कि इतने दिनो बाद संतुष्टि का आनंद आया हो...पर एक बार माँ की हालत का जायेज़ा लेना चाहता था वो सो रही थी और उसकी टांगे खुली हुई थी...जब गौर किया तो पाया चूत के पास चादर पे कुछ खून के धब्बे लगे हुए थे...मैने माँ की चूत पे अपना हाथ लगाया...मैने एक उंगली अंदर की तो माँ सिसकी जब उसे बाहर किया तो खून रस में घुला हुआ था...शायद ये हमारी सुहागरात की निशानी थी जैसे आज मैने उसका कुँवारापन पूरी तरीके से छीन लिया था....अब माँ सिर्फ़ मेरी थी सिर्फ़ मेरी...

हम दोनो अंगली सुबह उठे माँ टांगे खोल खोल कर चल रही थी उसे चला नही जा रहा था तो मैने उसे पकड़ कर बिठा दिया....गरम पानी किया उसे फिर थोड़ा गुनगुना करके उसमें कपड़ा निचोड़के माँ की चूत सॉफ की और उसकी भीतर तक कपड़ा डालके सॉफ किया...तो माँ बीच बीच में हल्का सी आहह निकाल देती....माँ मेरी तरफ देख रही थी

अंजुम : अब बस भी कर हो गया इतना तो कोई मर्द अपनी औरत के लिए नही करता अब मिल गयी तुझे तस्सली

आदम : अच्छा जी जो कल रात हम दोनो के बीच हुआ क्या उसका तुझे गिल्ट है? या अफ़सोस या मज़बूरी थी तेरी जो तूने मेरे साथ संबंध आए

अंजुम : हाए अल्लाह क्या अब तुझे मुझपे ऐतबार है? अगर मज़बूरी होती तो मुहब्बत नही वासना और हवस झलकती

आदम : तो फिर तू संतुष्ट हुई

माँ ने कुछ नही कहा....बस यह कहा भला माँ कभी बेशर्मो की तरह ऐसा पहल कर सकती है क्या? कि वो बेटे से चुदके संतुष्ट हुई कि नही मैं मुस्कुरा उठा कि चलो हमारे बीच के ये फ़ासले दूर हो गये....उस दिन मैने छुट्टी कर ली थी और ऑफीस गया ही नही माँ को चलने फिरने में कुछ देर तक़लीफ़ हुई फिर उसने पाया कि अब हमे गृहस्थी पे भी तो ध्यान देना है वो घरेलू काम काज के लिए उठ खड़ी हुई उसने कपड़े पहने और नहाने के बाद खाना बनाने में जुट गयी मैं भी उस वक़्त तक फारिग होके उसके बनाए नाश्ते को खाकर उठ खड़ा हुआ

माँ और मैने इकहट्टे लंच किया फिर हम पलंग पे आके बैठे...माँ ने चादर हटा दी...माँ ने बताया कि पास ही में रहती एक काकी ने उन्हें घाट दिखाया था जहाँ लोग बड़े बड़े कपड़ों को धोते है...वहाँ नदी के पानी में आसानी से कपड़े धुल जाते है माँ ने कहा कि मैं भी वहाँ जाउन्गी तो मैने आपत्ति की तो माँ ने कहा कि यहाँ से बस कुछ देर चलना है आगे रास्ते पे ही तो पड़ता है....लेकिन मैने माँ से कहा कि ये चादर किसी और दिन धो लेना...फिलहाल तो हमे एकदुसरे के साथ वक़्त बिताना चाहिए माँ मुस्कुरा पड़ी...और फिर मेरे सीने से लग गयी...

दोपहर को कुछ राशन लेने मुझे अकेले निकलना पड़ा माँ को आराम कर लेने दिया कल रात पूरा सोई नही थी वो...बाहर बहुत कीचड़ हो गया था कल रात भारी बरसात हुई थी अहसास ही ना हुआ कि इतनी तबाही लाएगी...रास्ते के पास पेड़ गिरा हुआ था जो काफ़ी पुराना था उसे पार करते हुए मैं दुकान पहुचा...वहाँ दुकान से मैने बॉडी आयिल खरीद ली सोचा मालिश तो आती है माँ की आज अच्छे से मालिश किए देता हूँ ताकि उसका दर्द चला जाए...

घर जैसे ही पहुचा पाया माँ पोंचा लगा रही थी घुटनो के बल बैठी....मुझे उसकी नाइटी में से ही कुल्हो का उभार दिख रहा था मेरी निगाह उसके चूतड़ पे ही अटकी सी थी कि वो पीछे मूडी और मेरे आने की मौज़ूदगी पाकर मुस्कुराइ . माँ ने कहा अर्रे आ गया तू उफ्फ चल जल्दी हाथ मुँह धो ले और चादर बाल्टी में पड़ी है मेरे साथ चलके पहले उसे निचोड़ दे...मैने पाया माँ काफ़ी थकि हुई सी लग रही थी हो भी क्यूँ ना ? कल रात उसकी दनादन चुदाई जो की थी इसलिए उसकी चाल बदल गयी थी चलना फिरना भी कम कर रही थी...काफ़ी थकि सी हुई थी और उपर से उठते ही फिर वोई काम काज करने लगी थी...

आदम : अफ हो माँ अभी तुझे प्रॉपर आराम करना चाहिए तो तू काम करे में जुट गयी ये कहाँ की बात हुई? अब तो मुझे तेरी सेवा करनी चाहिए तू पोछा छोड़ और फारिग हो जा फिर साथ में खाना खाएँगे

अंजुम : अर्रे मैं जानती हूँ तू मेरी कितनी परवाह करता है? पर गृहस्थी को भी तो संभालना है और मैं घर की एकमात्र औरत हूँ मैं नही करूँगी और कौन करेगा?

आदम : अर्रे मेरी छम्मक छल्लो तुझे काम काज से कब रोका है पर तू पिताजी के नही मेरे राज में है तो इसलिए फिलहाल तूने कल वैसे ही मेरी इतनी सेवा की और वो तेरा पहली बार था इतने सालो बाद तो आराम तो एक दिन कर कम से कम घर के काम काज की चिंता छोड़

अंजुम : इतना भी आराम मत दे मुझे वरना तेरी आदत पर जाएगी

आदम : मैं तो चाहता हूँ कि तुझे मेरी लत लगे ताकि तू मेरे बिना जी ना पाए

अंजुम : तेरे बिना भला कैसे जियूंगी मैं मर जाउन्गी और तू मुझसे यह कहता है अब तो तेरे बगैर मेरी ज़िंदगी का कोई वजूद नही अब तो तेरा पूरा मुझपे अधिकार भी बन चुका है
Reply
12-09-2019, 01:32 PM,
#97
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
माँ की सेक्सी सेक्सी बातों को सुन मैं अपना आपा खो बैठा था...मैने भी कहा हां अधिकार तो मेरा संपूर्ण तुझपे है अब तू चाह कर भी मुझसे दूर नही जा सकती माइ सेक्सी डार्लिंग......माँ शरमाई तो मैने उसे खीचके उठाया और उसकी कमर पे अपने हाथ लपेट लिए माँ ने कहा चल अब बस भी कर तू मुझे लगता है कुछ करने ना देगा लेकिन अब तुझे मेरे मुताबिक चलना होगा तू अपना काम धंधा संभाल और मुझे घर का काम काज और हां अब कोई बहाना नही महीने की तनख़्वा मेरे हाथ में लाके देगा....इतना कह कर माँ हंस पड़ी तो मैने भी कमर पे हाथ की पकड़ कस ली और उसे अपने से चिपकते हुए कहा अर्रे तू तो मेरी घरवाली है तेरा पूरा अधिकार भी मुँह पे बनता है तू बस कह कर तो देख नोटो की गॅडी तुझपे बर्साउन्गा तुझे नहला दूँगा जेवर पैसा ऐशो आराम की हर चीज़ का तुझे भो दूँगा जो तेरा पति तुझे दे ना सका वो मैं दूँगा......माँ शरम से लाल हो गयी

अंजुम : तू बस मुझे दो रोटी और तंन ढकने के लिए कपड़ा और सर छुपाने के लिए छत भी देगा तो मेरे लिए बहुत है कोई भी औरत बस यही तो चाहती उसके बेटे की खुशी ही उसकी खुशी है मुझे ये ऐशो आराम की चीज़ नही बस तेरा साथ चाहिए और तेरा सुख

माँ भावुक हो गयी मैने उसके आँखो के आँसू पोछे....और कहा बस इसी लिए तो मैं तुझ इतना प्यार करता हूँ मुझे नही परवाह लड़कियो की बस जैसे मेरी इच्छा अब जाके तृप्त हुई है खैर ये सब छोड़ बहुत रो लिया तूने अब तेरे सुख लेने के दिन हैं...

माँ मुस्कुराइ


आदम : अच्छा अब भी दर्द है (मैने कल रात की चुदाई के बाद उनकी चूत का हाल जाना सुबह तो सिकाई कर ही दी थी तो माँ ने सिर्फ़ सर हां में हिलाया)

अंजुम : ज़्यादा नही है हल्का दर्द है तेरा वो काफ़ी मोटा है इसलिए दर्द हुआ

आदम : हाहाहा वो तो बस मेरे हाथो की मालिश और वैद्य जी की दवाई का कमाल है

अंजुम : वैद्य जी कौन वैद्य जी?

आदम : हाहाहा अभी जाने दे वो बात वो किस्सा तुझे बाद में बताउन्गा फिलहाल ये राशन ले तेरी बताई सारी चीज़ें ले आया हूँ तू चादर छोड़ मैं उसे निचोड़ दूँगा बाकी खाना लगा भूक लगी है

अंजुम मुस्कुराइ राशन का सामान लेते हुए मेरे हाथ से रसोईघर चली गयी मैं जब गुसलखाने में आया तो बाल्टी में भरे पानी मे चादर को पाया उसे पानी से निकालके झाड़ा और देखने लगा कि उस पर माँ की चूत से निकले खून का हल्का दाग लगा हुआ था..मैं मुस्कुराया क्यूंकी कल उस चादर के उपर ही हमने अपनी पहली सुहागरात मनाई थी....माँ ने दाग को रगड़ रगड़ कर निकालके सॉफ करने का खूब प्रयास किया था...

नहा धोके फारिग होके मैने निचोड़ी चादर को बाहर लॉन में सुखाने को फैलाक़े टाँग दिया...अंदर आया तो माँ खाना परोस रही थी...मैने एक ही थाली मे दोनो का खाना डालने को कहा फिर माँ को अपनी जाँघ पे काफ़ी उनकी ना नुकुर के बाद बिठाया उफ्फ मेरा लंड प्यज़ामे के अंदर से ही खड़ा होके उनकी नाइटी के कपड़े में कुल्हो के बीच की दरार के मुंहाने में दब गया...माँ शरमाते हुए मुझे अपने हाथो से खिलाने लगी और मैं भी उसे खिलाने लगा झुँटन से तो हम घिन नही मानते थे आपस में
Reply
12-09-2019, 01:32 PM,
#98
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
खाने से फारिग होके माँ झूठे बर्तन धोने चली गयी फिर फारिग होके गुसलखाने मूतने चली गयी पेशाब करने के बाद जैसे ही बिस्तर पे आके मेरे साथ लेटी तो मैने तेल की डिब्बी निकाली और उसकी मालिश की इच्छा जताई माँ पहले तो मना करने लगी फिर मान गयी...मैने माँ को नंगा होने कहा तो उसने शरमाते हुए अपनी नाइटी खोली तो

मेरा लंड एकदम सख़्त हो गया उसने अंदर कोई कपड़े नही पहने थे वो एकदम नंगी हो गयी मैने उसे पेट के बल लिटाया और मुट्ठी में तेल लेके दोनो हाथ में रगड़ते हुए उसकी पीठ की मालिश शुरू कर दी पीठ से होते हुए फिर नितंबों के बीच की उसकी नितंबो की गोलाइयाँ काफ़ी उभरी और मोटी हो गई थी

मैने माँ के नितंबों की मालिश की फिर उसकी कमर को अच्छे से हाथो से मला फिर हाथ में थोड़ा तेल लिया और टाँगों आर्मपार्ट्स और पिंदलियो की मांलीश की माँ को जब पूरा पीछे तेल लगा दिया तो उसे उठाया और उसकी चुचियो पे तेल मलने लगा उसके निपल्स एकदम सख़्त थे वो आँखे मुन्दे हुए थी...

आदम ने दोनो चुचियो की मालिश करते हुए कहा कि वो इन्हें और भी बड़ा कर देगा तो माँ खिलखिला कर हंस पड़ी..बेटे ने एक चुचि पे दोनो हाथो से मुट्ठी के लिए उसे काफ़ी मसला और दूसरी चुचि की भी वैसी ही मांलीश की...फिर उसे सीधा लिटाया और उसकी झान्टेदार चूत पे हाथो ए मालिश करने लगा उसे मुट्ठी में मसल्ते उसे अहसास हुआ कि माँ की चूत उसके मालिश से एकदम गीली हो चुकी थी

उसने माँ को तड़पाना चाहा .....और उसकी नाभि पे उंगली तेल से गीली की फिर पेट की तोंद को दबाए अच्छे से पेट की फिर छातियो की मालिश की मालिश पूर हो गयी तो बेटे ने फिर उसे उल्टा लिटाया और उसकी गान्ड की फांको को हाथो में दबोचते हुए चढ़ाई करने लगा फैलाने से उसे छेद दिखा...उसने जीब छेद पे लगाई और उसे अपनी नुकीले ज़ुबान से चाटने लगा माँ अपनी गान्ड के छेद पे बेटे की ज़ुबान पाकर उत्तेजित हो गयी वो सिसकने लगी...पर बेटा ज़ुबान से हौले हौले माँ की गुदाज़ गान्ड के छेद को चाट्ता गया जब तक वो थूक से पूरी गीली ना हो गयी फिर उसने गान्ड पर से हाथ हटाए फिर दुबारा उसे दबोचा मसला और उस पर कस कर दो-तीन थप्पड़ मारे माँ के नितंब हिल गये नितंबो पे मारी हर थापि से माँ के.स्वर में आआह निकली उसने पलटके बेटे की तरफ तीखी नज़रो से देखा तो पाया कि बेटा उसे फिर चोदने की इच्छा लिए उसे गुलाबी आँखो से देख रहा है

माँ पेट के बल लेटी हुई थी और उसका पूरा बदन तेल की मांलीश करने से तरबतर गीला और चमक रहा था....मेरे खड़े 8 इंच के लंड को देख उसकी आँखे बड़ी बड़ी सी हो गयी.....मैं मुस्कुरा रहा था उसे प्यार भरी निगाहो से नंगा खड़ा आमंत्रित कर रहा था...वो कभी मुझे तो कभी मेरे टेढ़ी मुद्रा में अकडे लंड को घूर्र रही थी...

"चल आज एक राउंड और हो जाए".......मैने चुप्पी तोड़ते हुए कहा

"अब अपनी औरत से ही इज़ाज़त माँग रहा है? .....माँ ने मुस्कुराहट भरे लहज़े में कहा

"अर्रे इजाज़त तो दोनो की होनी ही चाहिए ना".........मैने नज़ाकत भरे लव्ज़ में कहा

"अर्रे रिश्तो में इज़ाज़त का क्या वजूद?....अपना तो बना ही चुका अब किसलिए पूछ रहा है सबकुछ तो मेरा तेरा ही है रे".......माँ ने प्यार भरी मुस्कान देते हुए बोला

तो मैं बिना कहे माँ के पास आया और उसके तेल से गीले बदन पे हाथ फेरते हुए उसकी विशाल नितंबो की गोलाईयों को हाथो में लेके नापने लगा...फिर उसे मसल्ते हुए माँ को एग्ज़ाइटेड करने लगा....माँ जैसे चरम सुख का आनंद ले रही थी उसने एक मीठी सी पर हल्की सी सिसकी लेते हुए आँखे मूंद ली....

मैं पलंग पे चढ़ा और उसके गीले चिकने नितंबो के बीच अपना मोटा लंड घिसने लगा....गान्ड की फाकों में मेरे लंड की हौले हौले रगड़ा रगड़ी से ही माँ उत्तेजित होने लगी....मैने हाथ ले जाते हुए नीचे उसके गुदाज़ पेट पे हाथ रखते हुए उसे सहारा देके कुतिया की मुद्रा में झुकाया फिर उसने घुटने खुद ही मोड़ लिए और सर लगभग अपना तकिये पे दाई ओर करवट लिए मेरी तरफ एक निगाह डाली...

उसके कुतिया मुद्रा में आने से ही उसके भारी गोल गोल नितंब उभरके मेरे सामने प्रस्तुत हो गये....मैने दोनो नितंबो को अपने हाथो में लिए फैलाया और उसकी बीच में अपना मुँह डालने लगा...मैं फिर उसके छेद को अपनी ज़ुबान से छेड़ने लगा...उफ्फ क्या नमकीन पसीनेदार स्वाद था उपर से उसमें से गंध आ रही थी....मुझसे सवर नही हो पा रहा था...जो बदन की मालिश का तेल लाया था जिससे माँ की पूरे बदन की मांलीश की थी उसी बॉटल को उठाए मैने उसमें से 2-3 बूँद माँ की गान्ड के छेद में डाल दिया...फिर एक अंगुल करके उसे अंदर तक लगा दिया...ताकि माँ का छेद एकदम चिकना और गीला हो जाए

अंगुली करने से माँ का गुदा द्वार पूरा खुल सा गया था....मैने अपने लंड पे थूक डाला अपने लंड को चिकना किया....आज बिना निरोधक चढ़ाए माँ की चुदाई करने का मन था....माँ के दोनो तरफ टांगे रखके उस पर सवार हो गया फिर धीरे धीरे झुकते हुए अपना लंड उनके गान्ड की दरार में घिस्सने लगा...माँ ने कस कर चादर पकड़ ली दोनो हाथो से...

मैने थोड़ा सा पुश किया तो सुपाडा छेद के भीतर प्रवेश कर गया...कुछ और थोड़ा सा गया था कि माँ को फिर तेज़ जलन सी होने लगी....माँ का मुँह तकिये पे था इसलिए उनकी घुट्त्ती दर्द भरी आवाज़ आने लगी उसके हाथ एकाएक अपने गुदा द्वार के पास आए और मेरे लंड को अपनी गान्ड की दरारों से निकालने की कोशिशें करने लगे....लेकिन मैने माँ की कलाई कस कर पकड़ी आज उस पर रहम नही कर सकता था...क्यूंकी शुरुआती दर्द तो हर औरत को झेलना ही पड़ता है अगर बीच में रोक दिया तो सारा मज़ा खराब पर माँ को मज़ा भी देना था मैं उसकी आँखो में आँसू नही देख सकता था इसलिए मैं वैसी ही मुद्रा में माँ के उपर खड़ा कुछ देर सुस्टाते हुए गान्ड में लंड फँसे रहने ही दिया....

कुछ क्षण बाद माँ ने जब आवाज़ निकालना बंद किया तो मैने दोनो नितंबो को और भी कस कर चौड़ा किया और अपने लंड पे दबाव देते हुए अंदर डालने लगा ज्यो ज्यो मैं माँ के भीतर अपना लंड घुसाता गया माँ की चीख भी तेज़ होती गयी दर्द में जैसे उसका गला फटने को हुआ वो रोने लगी...मैने कस कर एक और करारा धक्का मारा तो लंड पूरा अंदर तक फँस गया....अब मेरा पूरा 8 इंच का लंड माँ की गान्ड की दरारों को फाड़ कर उसके छेद में पूरा का पूरा अंदर तक घुस चुका था...माँ गान्ड को ढीली छोड़ रही थी और कभी सिकुड रही थी...वो सर इधर उधर मारने लगी जैसे चूत चुदाई से भी उसे ज़्यादा दर्द हुआ था..

आदम : ओह्ह्ह माँ गान्ड ढीली ही छोड़ ना तेरी गान्ड की भीतरी सख़्त दीवार मेरे लंड को दबोच चुकी है मेरा लंड छिल जाअएगा सस्स

अंजुम : बेटा तू निकाल ले निकाल ले ना बड़ा दर्द कर रहा है आहह (माँ छटपटाते हुए रोनी सूरत में कहे जा रही थी)

आदम : माँ थोड़ा सह ले उसके बाद तुझे मज़ा आएगा

अंजुम : नही तू बस निकाल दे दर्द बर्दाश्त से बाहर है

आदम : शुरू शुरू में होता है फिर धीरे धीरे आदत पड़ जाती है एक दो बार तेरी गान्ड में डालूँगा तो अपनेआप दर्द छू मंतर हो जाएगा तुझे फिर मज़ा आएगा खुद कुल्हो को उछाल उछाल के चुदवाएगी
Reply
12-09-2019, 01:32 PM,
#99
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम को मैं शांत करने लगा मैं उसके चेहरे के पसीने को पोंछते हुए उसके माथे पे हाथ फैरने लगा उसके बालों को सहलाने लगा वैसी ही मुद्रा में कुछ देर रुका रहा पर लंड बाहर नही निकाला...इन सब हालातों के बीच मेरा लंड धीरे धीरे छोटा होने लगा तो मैने फिर से कुल्हो में ताक़त भरते हुए माँ की टाइट गान्ड को चोदना शुरू किया...इस बार थोड़ा आहिस्ते से अंदर बाहर कर रहा था पर करारे धक्के 3-4 धक्को के बाद गहराई तक मारता तो माँ के मुँह से आअहह का स्वर फुट पड़ता और उनका पूरा बदन काँप जाता उनके नितंब भी हिल जाते...

समय बहुत बर्बाद किया माँ को चुप करने समझाने और गान्ड मरवाने तक के लिए...ऐसा लग रहा था जैसे किसी कुँवारी बीवी की चुदाई कर रहा हूँ..उफ्फ इतना मज़ा तो किसी औरत को चोदते वक़्त भी नही आया था....खुशी थी कि माँ पूरी अब मेरी हो चुकी थी..

मैने माँ के पेट को सहलाते हुए नीचे से माँ की कमर पे ज़बरदस्त हाथो की पकड़ बिठाई रखी ताकि माँ मेरी पकड़ से छुट ना जाए...वो हांफें जा रही थी और मेरे लंड की रगड़ाई को अपनी गान्ड के भीतर अंदर बाहर महसूस करते हुए चुद रही थी..."ओह्ह ओह्ह हॅम आहह उःम्म्म आहह"........उस आवाज़ में दर्द और मज़ा दोनो बराबर था...उफ्फ माँ का यूँ कॉपरेट करना किसी आग्यकारी बीवी की तरह मुझे बहुत भाया और मेरी हसरतों का सैलाब लंड की अकड़न के साथ लावा बनके फुट पड़ा और माँ की गान्ड में फारिग होता चला गया...

माँ को अपनी गान्ड के भीतर गरम गरम बेटे के वीर्य का अहसास होने लगा..वो इस चुदाई से बहुत थक चुकी थी....वो काँपते हुए बिस्तर पे ढेर हो गयी मेरी पकड़ की ढीली होते ही...और फिर मैं भी उस पर ढेर हो गया...जब धीरे धीरे अपने गीले वीर्य से भरे लंड को गान्ड की दरारों से बाहर खींचा तो छेद मेरा गाढ़ा वीर्य उगलने लगा...माँ की गान्ड का छेद एकदम ओ शेप में एकदम खुल सा गया था उफ्फ ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसमें ड्रिल मशीन घुसा दी हो माँ का पूरा बदन काँप रहा था...

कुछ देर सुसताने के बाद उठा पेशाब किया अंदर आया फिर गरम पानी किया उसे गुनगुना होने दिया....फिर उसमें कपड़ा डालके उस गीले कपड़े से माँ की गान्ड के छेद को सॉफ करने लगा हल्का सा माँ का खून निकल गया था...माँ की गान्ड को बिल्कुल सॉफ करने के बाद मैने उसकी गान्ड पे एक हल्का सा चुंबन लिया फिर फारिग होके उसके बगल में आके लेट गया...वो कस कर मुझसे लिपट गयी....शाम को जब नींद खुली थी तो बेहद नाराज़ थी मैने उसे बहुत मनाया पर ना मानी बहरहाल उसे अपने साथ ले गया और उसकी पसंद की एक महेंगी बनारसी साड़ी खरीदके दी....वो इस साड़ी के लिए ना जाने कितने सालो से . थी....

उसकी चाल थोड़ी धीमी थी वो टाँग खोल खोल कर चल रही थी इसलिए मैने मार्केट से लेके घाट तक के लिए ऑटो ले लिया था..ताकि उसे कोई दिक्कत ना हो...हम घर आ गये आज बाहर से रात का खाना ले आए थे मिलके दोनो माँ-बेटों ने खाया फिर माँ ने मेरे सामने ही अपने कपड़े पहने फिर आयने की तरफ बार बार खुद को निहारा वाक़ई उस बनारसी साड़ी में माँ कहर ढा रही थी...ऐसा लगा अभी उसे अपने आगोश में भर लूँ पर काबू पाना था अपनी ज़ज़्बातो पे...

उसने एक बार मेरी तरफ देखा तो मैने पाया कि उसके दिल की जैसे खुशी उसके चेहरे में सिमटी हुई सी थी उसने पास आके मेरे चेहरे को चूमा....और माँ मेरे सीने से लग लग गयी....हम दोनो फिर प्यार भरी बातें करने लग गये

आदम : मैने कहा था ना तुझे कि मैं दुनिया की तुझे सारी खुशिया दूँगा बस अब तुझे ऐसे ही खुश रहना है

अंजुम : मैं बहुत खुश हूँ सोची थी कि तेरे साथ कैसे यहाँ बंगाल में अड्जस्ट करूँगी पर तूने तो मुझे इतनी खुशी दी की अब दिल्ली जाने का भी मेरा कोई मन नही कर रहा

आदम : हाहाहा अब तुझे मैं जाने भी नही दूँगा अब तुझे मेरी बनके रहना है सिर्फ़ मेरी (उसने मेरे कंधे पे अपने दोनो बाज़ू रखे वो साड़ी पहनी थी और मेरी गोदी में बैठी हुई थी)

अंजुम : लेकिन वाक़ई तू मुझे संतुष्ट करता है आदम तूने मुझे फिज़िकली और फाइनेन्शली वो खुशिया दी है जो मैने कभी अपनी ज़िंदगी में कभी उम्मीद भी नही की

आदम : हाहाहा एक बेटे का धरम होता है कि वो अपनी माँ को खुश रखे और माँ का हक़ पराई औरतो से पहले बीवी से पहले यहाँ तक बहनों से भी पहले अपने बेटे पे होता है और मैं तो तेरा मर्द हूँ अब इसलिए क्यों इतना सोचा

अंजुम : अच्छा बाबा अब ये कहो कि आप मुझसे क्या चाहते है?

आदम : मेरी फरमाइश तो तू पूरी कर ही देती है अब मैं तुझसे क्या और क्यूँ चाहूं

अंजुम : फिर भी

आदम : ह्म सोचने दो आजसे तू अपने आर्म्पाइट्स के बाल सॉफ नही करेगी मैं चाहता हूँ कि तू साड़ी के अंदर कोई ब्रा पैंटी ना पहने अगर पहने भी तो तब जब मैं तेरे साथ रोमॅन्स करूँ तू घर से बाहर कही नही जाएगी और अगर जाएगी तो मुझे कह कर ऐसे बिल्कुल नही और हफ्ते में तुझे जो कुछ ब्यूटी पार्लर से करना है करना समझी मुझे तू एकदम मस्त आइटम दिखनी चाहिए

अंजुम : अजी और कोई फरमाइश जहांपनाह?

आदम : बस इतना ही

अंजुम : हाहाहा लेकिन बगलो के बाल से तुझे क्या है?

आदम : तेरे बगलो में जब पसीना आता है तो मुझे अच्छा लगता है मुझे उसमे नाक डालके सूंघने का दिल करता है और ये सब निशानिया देसी औरतो की होती है तभी तो मज़ा आता है और मुझे ये पुरानी अदायें ही भाती है मेरी नयी बोतल पुरानी शराब

अंजुम : हाए अल्लाह तू मुझे शराब कह रहा है छी छी कैसी गंदी बात कहता है हाहहाहा (माँ लगभग शरमाते हुए मुँह पे हाथ रखके हंस पड़ी)
Reply
12-09-2019, 01:32 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मैने उसकी ज़ुल्फो पे अपनी उंगली फिराई तो वो सिहर गयी मैने उसके गाल को हल्के से चूमा फिर उसकी साड़ी को एक झटके में उसके बदन से खींच लिया तो वो हिल गयी मैने धीरे धीरे उसे खड़ा खारके उसे लगभग राउंड घुमाते हुए उसकी साड़ी उसके पेटिकोट की गाँठ खोलते हुए अलग कर दी...माँ अब ब्लाउस और पेटिकोट में थी......माँ जानती थी मेरी हसरतों की आग फिर सुलगने लगी है और अब मैं उसे बकशने वाला नही...

मैने उसे पलटा और उसकी पीठ पे फसि ब्लाउस की डोरियो को खोल दिया फिर हुक भी....फिर पेट पे हाथ ले जाते हुए नाभि को सहलाते हुए पेटिकोट का नाडा भी खोल कर पेटीकोट को कमर तक उठा दिया और उसे लगभग गोदी में उठा लिया वो हड़बड़ा सी उठी...मैने उसे पलंग पे जाके लेटा दिया उसकी गोरी गोरी टाँगों को चूमा फिर मुँह नाभि के पास आते हुए उस पर हल्के से दाँत गढ़ाए माँ चीख उठी उसने हल्की सी मेरे चेहरे पे चपत लगाई फिर नज़ाकत से मेरी ओर देखने लगी...

मैने उसे उल्टा लिटाया और उसकी पीठ को चूमता रहा...पेटिकोट अब तक जो कमर पे थी वो पेट तक आके इकट्ठी हो गयी थी लपेटे लपेटे एक टाँग माँ ने टाँग पे चढ़ाया मैने उसकी टाँगों के बीच अपना मूसल जैसा लंड फिराया और उसकी झान्टेदार पानी छोड़ती चूत में एक ही बार में घुसा दिया तो माँ बदहवास मेरे बदन पे ढेर हो गयी...जैसे वो सुध बुध खो बैठी सिसकते हुए बस अधखुली आँखो से चुदाई का अहसास पा रही थी...मैने उसे अपनी बाहों में समेट लिया और उसकी गर्दन और गाल को चूमने लगा...

उसके बाद बिस्तर जैसे हमारी चुदाई से चर्चर आवाज़ निकलने लगी पूरा बिस्तर हिल रहा था....और मैं माँ की चुदाई करने में मशगूल हो गया....मैने उस रात माँ की गान्ड को फिर एक बार चोदा था....ऐसे 2-3 दिन माँ की गान्ड मारने से माँ को हल्का दर्द उठा फिर उसे मेरा लंड खाने में आदत सी पड़ गयी...इस बार एजेंट ने मामलों में ल्यूब की डिब्बी और कयि ब्रॅंडेड कॉनडम्स के सॅंपल्स लाए थे उनमें से कुछ मैने रख लिया था सोचा था माँ को प्युरे सुरक्षा से निरोध चढ़ा कर ही चोदुन्गा क्यूंकी माँ को बिना निरोधक के चुदवाने से ऐतराज़ था....हम माँ-बेटे अपनी ज़िंदगी ऐसे ही काट रहे थे

मैने मोरतुज़ा काका के कारोबार को छोड़ दिया कारण उनकी वजह से मुझे अपनी माँ के साथ समय बिताने का वक़्त तक नही मिलता था और वो अपने दामाद की मुझसे जी हुजूरी कराने में लगे रहने लगे माँ ने मुझे समझाया कि हर कोई फ़ायदा तो उठाता ही है तू कुछ और कोशिश कर...मैने एजेंट को अपने साथ में कर रखा था और जल्द ही मैं एक डिपार्ट्मेनल स्टोर में ऐज आ पर्चेस ऑफीसर की नौकरी पा गया....हम उतने अमीर तो नही हुए लेकिन हमारे पास कोई पैसो की कमी नही थी ज़रूरत की हर चीज़ थी हामरे पास हम माँ-बेटे अपने ज़िंदगी को ऐसे ही काट रहे थे....माँ अब मुझसे इजाज़त नही मांगती अब हम यहाँ बहुत महीनो से है तो माँ घाट में कपड़े धोने काकी के साथ तो कभी टाउन में सब्ज़ी की खरीदारी खुद करने निकल जाती है....

एक दिन ऑफीस की छुट्टी थी और माँ को घाट पे कपड़े धोने ले जाना चाहता है चूँकि आज काकी जो कि हमारी पड़ोसन जिसके साथ माँ बातें करती थी और उसी के साथ घाट जाती थी वो बीमार थी इसलिए माँ ने फ़ैसला किया कि वो खुद जाएगी पर मैं घर में था और शाम होने को था घाट पूरा सुनसान हो जाता था इस वक़्त इसलिए उसे संकोच हो रहा था अकेले जाने को लेकिन डर की कोई बात नही थी क्यूंकी आस पास कोई नही होता था....मैने माँ का कारण जाना तो माँ के साथ खुद ही कपड़ों से भरा टब लिए उनके साथ घाट की ओर चलने लगा

माँ आगे थी और मैं पीछे तो मुझे उसकी गोल गोल हिलते चूतड़ नाइटी के बाहर से दिख रहे थे...वो आज लेट हो गयी थी नहाई भी नही थी उसने सोचा था कि शाम को कपड़े धोके घर लौट आएगी पर आज मौसम का मिज़ाज भी कुछ ठीक नही लग रहा था लेकिन फिर भी माँ के गंदे कपड़े बहुत मज़ूद थे इसलिए उसे जाना पड़ा...मैं उसके पीछे था और उसके हिलते चूतड़ और उसकी गोलाईयों के उभार को नोटीस करने लगा मुझे अहसास हुआ माँ ने अंदर कोई कपड़ा नही पहना मैने माँ से जब इशारो में ही सवाल किया कि माँ तूने आज अंदर कुछ नही पहना तो उसने बस पलटके कहा अब जब तूने मुझे मना किया है तो मैं काहे को पहनु और घाट कौन सा टाउन में है आस पड़ोस तो औरतें है..और उन्हें क्या फरक पड़ता है? यहाँ तो पल्लू भी किए औरत नंगी चुचियाँ लेके घूमती है

मैं मुस्कुराया और हल्के से माँ के चूतड़ पे छपत लगाई चारो तरफ देखते हुए तो माँ ने मुझे आँख दिखाई फिर मुस्कुराइ मैं माँ के पीछे चले ही जा रहा था और उसकी हिलते नितंबो के उभार को नाइटी के बाहर से ही घूर्र रहा था....और माँ आगे आगे उसे सब मालूम था पर उसे भला क्यूँ आपत्ति होती मर्द जो था उसका...

रास्ते भर माँ को घुरते हुए मैं उसके साथ कुछ ही देर में घाट पहुचा...पीछे मूड के देखने पे घर सबका दूरी पे था मुझे मालूम नही था कि घाट हमारे घर से इतने नज़दीक भी हो सकता है....घाट की सीडिया कुल 40-50 के लगभग थी जो सीधे नीचे की ओर जाते हुए पानी की आती किनारों पे ख़तम हो रही थी फिर बीच में दाई और बाई ओर जाती एक बड़ी सी तालाब जैसी नदी थी....उस पार बड़े बड़े पेड थे सुना था उस साइड जंगल पड़ जाता था...और उसके थोड़े आगे नॅशनल हाइवे...मैने पाया कि शाम का वक़्त था और कोई वहाँ मज़ूद था भी नही दाई और बाई ओर कच्ची सड़क थी जो ना जाने किस ओर जा रही थी....पर वहाँ कोई आस पास घर नही था जिस रास्ते से हम आए थे बस वोई चार पाँच घर काफ़ी दूरी पे दिख रहे थे...

माँ ने मुझे आवाज़ लगाई तो वो धीरे धीरे सीडियो पे उतरते हुए काफ़ी नीचे जा चुकी थी...मैं उसके पीछे उतरा...जल्द ही हम दोनो पानी जहाँ से शुरू होता है वहाँ पे बैठ गये माँ तो टब से निकाले बड़े बड़े कपड़ों को एक साइड रखके उसे तालाब के पानी में डुबो डुबॉके निकाल रही थी...वो घुटनो के बल संडास करने की मुद्रा में बैठ गयी थी....उसने अपनी टांगे इतनी खोल ली कि उसके नाइटी के अंदर टाँगों के बीच की झलक मैं आराम से देख सकता था मैं सीडी पे बैठा था...मुँह धोने के बहाने सर जैसे ही नीचे झुकाया...

तो माँ की नाइटी के भीतर उसकी टांगे फैली होने से झाका..उफ्फ झान्टेदार फूली हुई चूत दिखी...जब मैं उपर उठा तो माँ को मुस्कुराता पाया मेरी चोरी पकड़ी गयी थी ..

अंजुम : तू इसलिए मेरे साथ आया है क्या? कम से कम यहाँ तो बाज़ आजा

आदम : तू ही तो बोली कोई आस पास नही है...

अंजुम : तो इसका मतलब तू मुझे अकेला पाके फायेदा उठाएगा

आदम : हा हा हा मैं ऐसा तो नही

अंजुम : क्या भरोसा तेरा? अच्छा चल छोड़ तू मुझे काम कर लेने दे

आदम : मैं तेरी मदद करूँ ?

अंजुम : नही रहने दे तू खामोखाः थक जाएगा

आदम : काम करने में कैसी थकान? तेरे काम से ज़्यादा थकावट तो इस काम में नही होगी

माँ शरमा गयी उसने मेरी तरफ तीखी निगाहो से देखा...फिर कपड़े, कपड़े धोने वाले बल्ले से पीटने लगी...मैं माँ को काम में मलिन देख मैं भी उसके नाइटी पहने जिस्म को ताड़ने लगा...एक बात तो तय थी माँ यहाँ की देहातन औरतो की तरह बाल खुले रखा करती थी कोई आँचल नही करती थी....मुझे अच्छा लगता था...खैर मैने सोचा कि मैं भी नहा धो लूँ तो अपने कपड़े उतारने लगा तो माँ ने मेरी ओर देखते हुए ज़ोर से कहा "अर्रे पागल सारे कपड़े क्यूँ उतार रहा है? कम से कम कच्छा तो उतार मत"........माँ की बातों को सुन मैं एक पल के लिए ठिठक गया पाजामा उतारते हुए उसकी तरफ मुस्कुराया..उसे अहसास हुआ मेरे कच्छे के उभार का...वो चुपचाप कपड़े धोते हुए मुझे देख रही थी...

अंजुम : ज़्यादा आगे तक मत जाना पानी गहरा है और तू ठहरा शहरी लौंडा डूब जाएगा (माँ ने फिर मुझे टोका)

आदम : हाहाहा तू है ना तैरके निकाल लेना मुझे

अंजुम : देख ऐसी जगहो पे मुझे मज़ाक मस्ती पसंद नही यहाँ की औरतें तो डेली नहाती है वो तो पेशेवर तैराक है मैं थोड़ी मैं तो बिहार से हूँ हालाँकि वहाँ पे भी गंगा नदी है पर कभी तैरि नही हूँ

आदम : तू फिकर मत कर बस घुटनो तक पानी में जाउन्गा

अंजुम : अच्छा संभाल के
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,551,368 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,031 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,253,812 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 948,067 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,683,109 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,105,276 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,993,041 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,194,202 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,083,017 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,781 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 9 Guest(s)