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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
शिल्पा अपना हाथ वहाँ से हटाने ही वाली थी के ठाकुर ने उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया। ठाकुर का लण्ड शिल्पा के नरम हाथ के पड़ते ही खुशी में उछलने लगा। ठाकुर शिल्पा के हाथ को अपने लण्ड पर आगेपीछे करने लगा। शिल्पा की हालत बिगड़ती ही जा रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उसकी चूत के पास आग लग चुकी थी और उसके सारे बदन में चींटियां रेंग रही थी। शिल्पा अब खुद अपना हाथ ठाकुर के लण्ड पर आगे-पीछे करने लगी।
ठाकुर ने शिल्पा के हाथ को छोड़ दिया, और अपना हाथ फिर से उसकी जाँघ पर रखकर ऊपर ले जाते हुए शिल्पा के नंगे पेट तक ले आया। एक मर्दाना हाथ अपने नंगे पेट पर महसूस करके शिल्पा के मुँह से आअह्ह्ह... की एक सिसकी निकल गई और उसका हाथ अब ठाकुर के लण्ड पर जोर से ऊपर-नीचे होने लगा। ठाकुर अपने हाथ से उसके पेट को सहलाते हुए उसकी नाभि को भी सहलाने लगा। शिल्पा को अपने जिम में अजीब किस्म की गुदगुदी और मजे का मिला-जुला अहसास हो रहा था।
ठाकुर ने अपने हाथ को ऊपर करते हुए शिल्पा की चूचियों के नीचे अपना हाथ रगड़ने लगा। शिल्पा की सहन शक्ति खतम हो रही थी, उसका पूरा बदन टूट रहा था। शिल्पा चाह रही थी की ठाकुर उसके पूरे जिश्म को अपनी बाहों में लेकर जोर से दबाए। ठाकुर ने अपने हाथ को थोड़ी देर तक चूचियों के नीचे सहलाने के बाद अपना हाथ ऊपर करते हुए साड़ी के ऊपर से ही शिल्पा की चूचियों को पकड़ लिया। आह्ह... करते हुए शिल्पा ने ठाकुर के लण्ड को छोड़ते हुए उसके गले से जा लगी। ठाकुर ने शिल्पा की चूचियों को छोड़कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और बहुत जोर से उसकी चूचियों को अपने सीने में दबाने लगा। शिल्पा की साँसें बहुत तेज चल रही थी और उसका सारा बदन काँप रहा था।
ठाकुर ने कुछ देर तक उसे अपनी बाहों में ही रहने दिया और फिर उसके सिर को पकड़कर अपने मुँह के सामने कर दिया और उसकी आँखों में देखने लगा। शिल्पा भी ठाकुर की आँखों में देखने लगी। आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी। ठाकुर की नजर शिल्पा के गुलाबी होंठों पर पड़ी। शिल्पा के होंठों पर हल्के लाल रंग की सुर्सी लगी हुई थी। दिल ही दिल में वो कहने लगा- “वाह भगवान् तुमने इस लड़की के क्या रसीले होंठ बनाए हैं...” और अपने होंठों को आगे लेजाकर शिल्पा के गुलाबी होंठों पर रख दिया।
ठाकुर के होंठ अपने होंठों पर पड़ते ही शिल्पा का पूरा जिश्म काँपने लगा और उसकी चूत में एक आग का लावा निकलते महसूस हुआ। शिल्पा ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपना हाथ से ठाकुर के पीठ को सहलाने लगी। शिल्पा झड़ते हए बहत जोर से हॉफ रही थी।
ठाकुर शिल्पा के पूरे होंठों को चूसने और चाटने लगा। शिल्पा की चूत से निकलता हुआ पानी उसकी जिंदगी का पहला तजुर्बा था, इसलिए उसका पूरा जिम मजे से काँप रहा था और वो मजे से हवा में उड़ रही थी। उसे कोई होश नहीं था की ठाकुर उसके होंठों को कैसे चाट रहा है। ठाकुर शिल्पा के होंठों को ऐसे चाट रहा है जैसे किसी प्यासे को पानी मिल गया हो। शिल्पा के होंठों पर लगी हुई सुर्वी ठाकुर के चूमने और चाटने से शिल्पा के गालों पर लग चुकी थी।
कुछ देर बाद जब शिल्पा ने आँखें खोली तो उसे होश आया की वो बहक चुकी है। शिल्पा ने ठाकुर से दूर हटने की कोशिश की, मगर ठाकुर की मजबूत बाहों से अपने आपको ना छुड़ा सकी। उसकी साँसें बहुत जोर से ऊपरनीचे हो रही थी और ठाकुर उसके होंठों को चूसते हुए अपने हाथों से उसकी चूचियों को भी मसल रहा था।
शिल्पा के कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसे इतना मजा आ रहा था की उसने अपने आपको ठाकुर के हवाले कर दिया और छटपटाना बंद कर दिया। शिल्पा का विरोध खतम होते ही ठाकुर ने शिल्पा को बेड से उठाते हुए उसकी साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया। शिल्पा के बदन से साड़ी के हटते ही उसका गोरा यौवन सिर्फ ब्लाउज़ और पैंटी में ठाकुर के सामने आ गया। शिल्पा के कमसिन जवान गोरे बदन को देखकर ठाकुर का लण्ड बहुत जोर से ऊपर-नीचे उछलने लगा।
शिल्पा ठाकुर के सामने सिर्फ ब्लाउज़ और पैंटी में खड़ी बहुत जोर से हाँफ रही थी, और उसके हाँफने से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थी। ठाकुर ने बेड से उठते हुए शिल्पा को अपनी गोद में उठाते हुए बेड पर लेजाकर लेटा दिया। ठाकुर ने शिल्पा को बेड पर सीधा लेटा दिया और खुद अपने अंडरवेर को अपने पैर से निकालते हुए उसके ऊपर चढ़ गया। ठाकुर के ऊपर चढ़ते ही शिल्पा के मुँह से अपनी चूचियों को उसके नंगे बालों वाले सीने से टकराते ही “आहहह..” की सिसकी निकल पड़ी।
ठाकुर ने अपने होंठ शिल्पा के सुख लगे हुए गालों पर रख दिए और उसके गालों पर लगी हुई सुर्ची चाटने लगा। ठाकुर का लण्ड शिल्पा के पैंटी से टकरा रहा था, जिस वजह से शिल्पा के मुँह से कामुक सिसकियां निकल रही थी। ठाकुर उसके गालों को चाटते हुए उसके होंठों पर आ गया और शिल्पा के नीचे वाले होंठ को पूरा अपने मुँह में भरकर चाटने लगा। ठाकुर उसके नीचे वाले होंठ को चाटने के बाद अपनी जीभ निकालकर शिल्पा के मुँह में डालने लगा मगर शिल्पा के मुँह बंद था। ठाकुर ने अपने सीने को शिल्पा की चूचियों पर रगड़ना शुरू कर दिया।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
ठाकुर ने धक्का देते हुए शिल्पा को बेड पर गिरा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ते हुए उसकी चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगा। ठाकुर शिल्पा की चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए अपना मुँह खोलकर शिल्पा की चूचियों के हल्के नासी दाने को चूसने लगा।
शिल्पा अपनी चूचियों को ठाकुर के मुँह में जाते ही फिर से गरम होने लगी। उसके पूरे शरीर में फिर से सिहरन होने लगी।
ठाकुर जैसे-जैसे उसकी चूची के दाने को चूसता उसे अपनी पूरे शरीर में अजीब किस्म की सनसनाहट होने लगती।
ठाकुर अब शिल्पा की दोनों चूचियों के दाने को एक-एक करके अपने मुँह में लेकर चाट रहा था और शिल्पा के मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी। ठाकुर शिल्पा की चूची के दाने को चूसते हुए उसकी एक चूची को पूरा अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से उसे चूसने लगा। शिल्पा के मुँह से जोर की “आअहह्ह...” निकल गई।
ठाकुर उसकी चूची को कुछ देर तक यूँ ही चूसता रहा। ठाकुर का खड़ा लण्ड शिल्पा की नंगी चूत पर ठोकरें मार रहा था और उत्तेजना के मारे उसके मुँह से बहुत जोर की आहे निकल रही थी। ठाकुर ने शिल्पा के ऊपर से उठते हुए उसकी टाँगों के नीचे दो तकिये रख दिए। ठाकुर ने शिल्पा की टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए उसके पेट पर रख दी जिस वजह से उसकी चूत उठकर बहुत ऊपर हो गई और थोड़ा सा खुल गई। ठाकुर अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
ठाकुर का लण्ड अपनी चूत के छेद पर लगाते ही शिल्पा उछल पड़ी और उसके मुँह से जोर की “आअह्ह्ह... इस्स्स्स..” की सिसकियां निकलने लगी और उसकी चूत से पानी निकलकर ठाकुर के लण्ड को गीला करने लगा।
ठाकुर ने अपने लण्ड को यूँ ही उसकी गीली चूत पर रगड़ते हुए कहा- “शिल्पा मैं तुम्हारी मर्जी के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। हम तुमसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहते। अगर तुम आगे बढ़ना चाहो तो ठीक है। वरना हम आगे कुछ नहीं करेंगे...”
शिल्पा ठाकुर की बात सुनकर हैरान रह गई। उसे उस वक़्त कुछ नहीं सूझ रहा था, वो अजीब कशमकश में थी। एक तरफ उसकी इज्जत तो दूसरी तरफ उसके जिम की आग थी। मगर उस वक़्त वो अपने मुँह से कुछ बोल ना सकी।
ठाकुर ने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए उसे शिल्पा की चूत के होंठों के बीच रख दिया और शिल्पा से कहने लगा- “बोलो तुम क्या कहती हो? मैं सारी उमर के लिए तुम्हारा गुनहगार नहीं बन सकता..” और अपने हाथ से शिल्पा की चूत के छोटे दाने को रगड़ने लगा।
शिल्पा के दिमाग पर उसके जिम की आग उस वक़्त कुछ ज्यादा चढ़ गई थी। उसने कहा- “ठाकुर साहब मैं अपने आपको तुम्हारे हवाले करती हूँ। मेरे जिश्म की सारी हसरत पूरी कर दो...”
ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर बहुत खुश होते हुए बोला- “पहली बार में थोड़ी तकलीफ होती है, थोड़ा सबर रखना। मैं तुम्हारे जिश्म की सारी हसरतें पूरी कर दूंगा..."
ठाकुर ने अपने हाथों से शिल्पा की चूत के पतले होंठों को आपस में से अलग करते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत के लाल छेद में सेट कर दिया और शिल्पा की टाँगों को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपने पूरे शरीर का दबाव शिल्पा की चूत पर डाल दिया।
ऊहह... आअहह...” शिल्पा के मुँह से चीख निकल गई।
ठाकुर के लण्ड का सुपाड़ा शिल्पा की चूत को फैलाता हुआ अंदर घुस गया। ठाकुर ने शिल्पा की तरफ देखते हुए कहा- “थोड़ा बर्दाश्त कर लो, फिर देखो कितना मजा आता है?”
ठाकुर की बात सुनकर शिल्पा ने कहा- “आप मेरे चीखने की परवाह मत करें और अपना यह इंडा पूरा मेरी चूत में घुसा दें, चाहे हमारी चूत फट क्यों ना जाए."
ठाकुर ने शिल्पा की आँखों में देखते हुए कहा- “पगली तुम्हारी चूत में हमारी जान अटकी है, हम भला इसे ऐसे कैसे फाड़ सकते हैं?” यह कहते हुए ठाकुर ने शिल्पा की टाँगों को जोर से पकड़ते हुए अपने चूतड़ों को थोड़ा पीछे करते हुए एक जोर का धक्का मार दिया।
शिल्पा चीखी- “ऊईए माँ आह्ह्ह.. मर गई.. ठाकुर आपने तो हमारी छोटी चूत तो सच में फाड़ दी..” ठाकुर का लण्ड शिल्पा की चूत की झिल्ली को तोड़ता हुआ आधा अंदर घुस चुका था। और शिल्पा किसी मछली की तरह छटपटा रही थी। ठाकुर ने शिल्पा को बहुत जोर से पकड़ रखा था इसलिए वो ठाकुर की पकड़ से ना छूट सकी। शिल्पा की आँखों से आँसू निकल रहे थे और उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने उसकी चूत में चाकू घुसेड़ दिया हो। उसे अपनी चूत में बहुत जोर की जलन और दर्द हो रहा था।
ठाकुर नीचे झुकते हुए शिल्पा की एक चूची को अपने मुँह में लेते हुए अपने हाथ से उसकी दूसरी चूची को सहलाने लगा। शिल्पा को कुछ ही देर में कुछ अच्छा लगने लगा और उसकी चूत का दर्द कम होने लगा। शिल्पा को अपनी चूची ठाकुर के मुँह में बहुत अच्छी लग रही थी। वो फिर से गरम होने लगी। उसकी चूत से दर्द गायब हो चुका था। अब उसे अपनी चूत में एक मीठा-मीठा मजा महसूस हो रहा था, इसलिए वो अपने चूतड़ ठाकुर के लण्ड पर उछालने लगी।
ठाकुर समझ गया की शिल्पा का दर्द खतम हो चुका है इसलिए वो सीधा होते हुए शिल्पा से कहने लगा- “अगर बहुत दर्द हो रहा हो तो मैं निकाल दें...”
शिल्पा अपने चूतड़ों को ऊपर उछालते हुए सिसकते हुए बोली- “नहीं ठाकुर साहब, दर्द नहीं हो रहा है आप उसे अंदर-बाहर करिए ना...”
ठाकुर ने अंजान बनते हुए कहा- “किसमें अंदर-बाहर करूं?”
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
शिल्पा को अपनी चूत में बहुत जोर की गुदगुदी हो रही थी। वो चाहती थी की ठाकुर उसकी चूत में अपना लण्ड अंदर-बाहर करे। ठाकुर का सवाल सुनकर उसने जल्दी से कहा- “आप अपना वो इंडा अंदर-बाहर करें ना हमें अपनी चूत में बहुत गुदगुदी हो रही है...”
ठाकुर ने अपने लण्ड को बाहर खींचते हुए फिर से एक हल्का धक्का लगाते हुए शिल्पा की चूत को चोदते हुए कहा- “इसे डंडा नहीं लण्ड बोलते हैं। तुम्हें मेरा लण्ड अपनी चूत में लेना है...”
शिल्पा- “आअह्ह्ह... हाँ हमें आपका लण्ड अपनी चूत में चाहिये.." शिल्पा को अपनी चूत में ठाकुर के लण्ड की रगड़ पागल बना रही थी।
ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर उसकी चूत में अपना आधा लण्ड बहुत जोर से अंदर-बाहर करते हुए कहने लगाशिल्पा तुम्हें मजा आ रहा है?”
शिल्पा भी अपने चूतड़ों को जोर से ठाकुर के लण्ड पर उछालती हुई बोली- “हाँ ठाकुर साहब, हमें बहुत मजा आ रहा है। हमें नहीं पता था की इस खेल में इतना मजा आता है, हम आपकी गुलाम बन गई हैं। आप हमें डेली ऐसे ही मजा देते रहना...”
ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर उसकी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाने लगा, शिल्पा की साँसें उखड़ने लगी, और वो जोर से हाँफते हुए मजे से हवा में उड़ने लगी। अचानक उसका बदन अकड़ने लगा और उसकी चूत बहुत जोर के झटके खाते हुए ठाकुर के लण्ड पर पानी बहाने लगी- “आहहह... ईष्टह्ह..” शिल्पा के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकालने लगी और वो अपनी आँखें बंद करके झड़ने का मजा लेने लगी।
ठाकुर शिल्पा को झड़ता हुआ देखकर अपनी पूरी ताकत के साथ उसे चोदने लगा और शिल्पा की चूत में अपना लण्ड अंदर-बाहर करते हुए थोड़ा-थोड़ा करके और अंदर डालने लगा। शिल्पा ने जब आँखें खोली तो ठाकुर का लण्ड केवल दो इंच बाहर था। ठाकुर ने शिल्पा की टाँगों को पकड़ते हुए बहुत जोर के दो-तीन धक्के मारकर अपना पूरा लण्ड शिल्पा की चूत में घुसा दिया।
“ओई आह्ह...” करके शिल्पा फिर से छटपटाने लगी।
ठाकुर शिल्पा के ऊपर झुकते हुए उसकी चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए अपने होंठों से उसके होंठ चूसने लगा और नीचे से अपने लण्ड से उसकी चूत भी चोदने लगा। शिल्पा इस हमले से फिर से गरम होने लगी और अपना दर्द भुलाकर ठाकुर का साथ देते हुए उसके होंठ चूसते हुए अपने चूतड़ उसके लण्ड पर उछालने लगी।
ठाकुर ने बहुत तेजी के साथ उसकी चूत में धक्के लगाते हुए अपनी जीभ को शिल्पा के मुँह में डाल दिया। शिल्पा ने ठाकुर की जीभ को चाटते हुए अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया। ठाकुर बहुत उत्तेजित हो गया था वो कुछ देर तक शिल्पा की जीभ को चाटने के बाद उसके ऊपर से उठते हुए बहुत जोर के धक्के लगाते हुए हाँफने लगा। ठाकुर शिल्पा के झड़ते ही बहुत जोर से हाँफते हुए उसकी चूत को अपने वीर्य से भरने लगा।
शिल्पा ठाकुर का वीर्य अपनी चूत में पड़ते ही बहुत जोर से- “आह्ह्ह... इस्स्स्स... ऊह्ह..” चिल्लाते हुए झड़ने लगी। शिल्पा झड़ते हुए हवा में उड़ रही थी। उसकी चूत से जाने कितनी देर तक पानी निकलता रहा, और ठाकुर भी जाने कितनी देर तक उसकी चूत में झड़ता रहा। फिर दोनों निढाल होकर एक दूसरे के ऊपर लेट गये। ठाकुर थोड़ी देर तक शिल्पा के ऊपर निढाल पड़ा रहा।
कुछ देर बाद शिल्पा ने आँखें खोली तो ठाकुर ने प्यार से उसके होंठों को चूम लिया। शिल्पा ने ठाकुर को अपने ऊपर से हटाते हुए बेड पर लेटा दिया और खुद बेड पर बैठकर अपनी आँखों पर अपने हाथ रखते हुए रोने लगी।
ठाकुर शिल्पा को रोता हुआ देखकर बेड से उठते हुए उसके हाथों को उसकी आँखों से दूर कर दिया। शिल्पा की मोटी-मोटी आँखों से आँसू निकालकर उसके गालों से होते हुए नीचे बेड पर गिर रहे थे। ठाकुर ने शिल्पा से कहातुम क्यों रो रही हो...”
शिल्पा ने ऐसे ही रोते हुए कहा- “हमसे गलती हो गई। हमारे साथ अब शादी कौन करेगा? हमने अपनी इज्जत आपके हवाले कर दी...”
ठाकुर ने अपने हाथों से शिल्पा की मोटी आँखों से बहते हुए आँसू को साफ करते हुए कहा- “पगली तुमसे किसने कहा की तुम्हारे साथ कोई शादी नहीं करेगा, मैं किसी को भी नहीं बताऊँगा की हामारे बीच क्या हुआ है? और अगर तुमसे किसी ने शादी नहीं की तो क्या हुआ तुम सारी जिंदगी हमारे साथ रहना। हम तुमको सारी जिंदगी ऐसे ही प्यार करते रहेंगे..."
शिल्पा ने ठाकुर की बात सुनकर उसके गले से लगाते हुए कहा- “सच में आप सारी उमर हमें ऐसे ही प्यार करते रहेंगे?”
ठाकुर ने शिल्पा को अपनी बाहों में जोर से दबाते हुए कहा- “हाँ हम आपसे सारी उमर ऐसे ही प्यार करते रहेंगे...”
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
शिल्पा जब दरवाजा बंद करके वापस आई तो ठाकुर ने उसे गोद में उठाते हुए बेड पर बिठा दिया। और उसके सारे कपड़े उतारकर उसे जमकर चोदा। आज शिल्पा तीन बार झड़ी थी। वैसे वो ठाकुर की चुदाई में दो बार झड़ती थी। ठाकुर का वीर्य अपनी चूत में छोड़ते ही वो शिल्पा के ऊपर ढेर हो गया।
शिल्पा ने कुछ देर के बाद ठाकुर से कहा- “आज तो आप बहुत उत्तेजित थे, मुझे तीन बार बहा दिया..”
ठाकुर ने शिल्पा की एक चूची को हाथों से सहलाते हुए कहा- “हाँ शिल्पा, आज मैं बहुत उत्तेजित था। मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी यही है की हमारे बेटों की शादी हो जाए और उन दोनों नालायकों ने अपने लिए छोरियां पसंद कर ली हैं...” ।
शिल्पा ने ठाकुर की बाहों से अपने आपको छुड़ाते हुए कपड़े पहनकर जाते हुए कहा- “आप कुछ देर आराम कर लो, शाम को आपको अपनी दोनों बहुओं को भी देखना है..” यह कहते हुए शिल्पा वहाँ से चली गई।
* * * * * * * * * *धन्नो और मौसी का लेस्बियन
मैं मौसी के घर सोई हुई थी की अचानक मुझे नींद में किसी का हाथ अपनी चूची पर महसूस हुआ, पहले मैंने वहम समझकर ध्यान नहीं दिया। मगर कुछ देर बाद मुझे अपनी कच्छी पर कुछ महसूस हुआ। मैंने अपनी आँखें खोलकर देखा तो मौसी मेरी खटिया पर बैठी हुई थी और मेरी साड़ी को थोड़ा ऊपर किए हुए अपने हाथ से मेरी चूत को कच्छी के ऊपर से ही सहला रही थी। मौसी का मेरी तरफ ध्यान नहीं था।
मैं भी देखना चाहती थी की वो आगे क्या करने वाली है? इसलिए मैं चुपचाप पड़ी रही। मौसी ने अपने हाथ से मेरी कच्छी को सहलाते हुए अपना मुँह मेरी गोरी जांघों पर रख दिया और अपनी जीभ निकालकर मेरी जांघों को चाटने लगी। मौसी की जीभ अपनी जांघों पर पड़ते ही मेरे पूरे जिम में बिजली का करेंट दौड़ गया। मौसी अपनी जीभ से मेरी जांघों को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी।
मुझे मौसी के ऐसा करने से बहुत मजा आ रहा था। मेरा पूरा शरीर गर्म हो चुका था, मेरी चूत से पानी टपकना शुरू हो गया था। मौसी ने अचानक मेरे चूतड़ों को थोड़ा ऊपर करते हुए मेरी कच्छी को थोड़ा सा नीचे सरका दिया। मेरी गुलाबी चूत मौसी के सामने थी और उत्तेजना में मेरी साँसें अटकने लगी, और मेरी चूत से बहुत जोर से पानी निकलने लगा। मौसी ने मेरी चूत को गौर से देखते हुए अपना मुँह नीचे ले जाते हुए उसे एक चुंबन दे दिया। मेरे मुँह से एक आहह... की सिसकी निकल गई।
मौसी ने हँसते हुए कहा- “मुझे पता है की तुम जाग रही हो, मजे लो, क्यों शर्माती हो?”
मौसी की बात सुनकर मैं शर्म से पानी-पानी हो गई। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या करूं? मौसी ने अपनी जीभ निकाली और मेरी चूत से निकलता हुआ पानी चाटने लगी। मैं बहुत गरम हो चुकी थी। इसलिए मैं मौसी को रोक नहीं पाई।
मौसी की जीभ से मेरे मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकलने लगी। मौसी मेरी चूत को चूसते हुए अपने एक हाथ से मेरी चूत के दाने को सहलाने लगी। मौसी ने अचानक अपने दोनों हाथों से मेरी चूत के होंठों को खोलते हुए अपनी जीभ कड़ी करते हुए मेरी चूत में डाल दी, मेरे मुँह से जोर की आअह्ह्ह... निकल गई।
मौसी की जीभ बहुत कड़ी और लंबी थी। वो अपनी जीभ से मुझे किसी मर्द के लण्ड की तरह चोद रही थी। मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा, मेरे पूरे शरीर से पशीना निकल रहा था। मौसी अपनी जीभ मेरी चूत में बहुत जोर से अंदर-बाहर करते हुए अपने एक हाथ से मेरी चूत के दाने को भी मसलने लगी। मौसी की इस हरकत से मेरा। जिश्म बहुत जोर से काँपने लगा और मेरी चूत झटके खाने लगी।
ऊह्ह... आअह्ह्ह... इस्स्स्स ...” करते हुए मेरी चूत से पानी की नदियां बहने लगी, और मैंने अपने हाथों से मौसी के सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया।
मौसी मेरी चूत से निकलता हुआ पानी गटकने लगी। कुछ देर तक मैं अपनी आँखें बंद करके हाँफते हुए झड़ती रही और जब मेरा झड़ना बंद हुआ तो मैंने मौसी के सिर को छोड़ दिया और अपनी आँखें खोलकर मौसी को देखने लगी। मौसी का पूरा चेहरा मेरी चूत के पानी से भीगा हुआ था।
मौसी ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो तुम तो बहुत नमकीन हो...”
मौसी की बात सुनकर मुझे अहसास हुआ की मैंने बहुत गलत कर दिया। मगर अब क्या हो सकता था? मौसी अपना चेहरा अपनी साड़ी से पोंछते हुए मेरे पास आ गई और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मौसी मेरे होंठों को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई मर्द चूसता है।
मेरे पूरे शरीर में फिर से सिहरन होने लगी। मैंने मौसी को धक्का देकर अपने आपसे दूर कर दिया और उसे डाँटते हुए कहा- “क्या कर रही हो आप?” और अपनी कच्छी को ऊपर करते हुए अपनी साड़ी को ठीक कर लिया।
मौसी मुझसे अलग होते हुए कहने लगी- “वाह बन्नो, जब तक चूत का पानी नहीं निकला था तो चुपचाप मजे ले रही थी और चूत का पानी निकलते ही बोलने लगी...”
मैं मौसी की बात सुनकर शर्म से पानी-पानी हो गई। मैंने मौसी से कहा- “मौसी मुझे यह सब पसंद नहीं है.”
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
* * * * * * * * * *धन्नो और करुणा
हम दोनों 5:00 बजे तक तैयार हो गई और मौसी से इजाजत लेकर ठाकुर के घर जाने लगी। करुणा ने लाल रंग की साड़ी और मैंने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी। हम दोनों ने इतना मेकअप किया था और सजी सवॅरी थी की रास्ते में सभी लोग हमारी तरफ देख रहे थे। ठाकुर के घर के बारे में हमें मौसी ने बताया की वो यहाँ से थोड़ा दूर था, मगर इतना भी नहीं की हम पैदल ना जा सकें।
हम मौसी के बताए हुए रास्ते से जा रही थीं, अब हम एक सुनसान जगह से गुजर रही थीं। वहाँ पर किसी आदमी का नाम-ओ-निशान नहीं था, और वहाँ पर एक खंडहर की तरह दिखने वाला एक घर बना हुआ था। उस जगह से गुजरते हुए हमें कुछ अजीब किस्म की आवाजें सुनाई दी। मैंने करुणा के बाजू में हाथ डालते हुए उसे रोक लिया।
करुणा ने कहा- “क्या हुआ दीदी?”
मैंने उसे कहा- “तुम्हें कोई आवाजें सुनाई दे रही हैं...”
करुणा- “कुछ आवाजें आ तो रही हैं मगर हमारा क्या लेना देना? चलो चलते हैं...”
मैंने करुणा से कहा- “नहीं एक मिनट ठहरो। मुझे यह आवाजें किसी लड़की की लगती हैं। इस सुनसान जगह पर लड़की क्या कर रही है? हमें देखना चाहिये की कहीं वो लड़की किसी मुशीबत में तो नहीं है?"
करुणा ने कहा- “दीदी तुम भी ना... चलो देख लो कौन है वहाँ?”
हम चलते हुए उस घर के दरवाजे तक पहुँच गये, दरवाजे को हाथ लगाते ही वो अपने आप खुल गया। हम सामने का नजारा देखकर काँप गये। वहाँ पर एक लड़की नंगी नीचे जमीन पर लेटे हुए एक आदमी के लण्ड पर कूद रही थी और वहाँ पर 3 लोग और खड़े थे जिनमें से कोई उस लड़की की चूचियां दबा रहा था तो कोई किसी और चीज से छेड़-छाड़ कर रहा था।
मेरा सिर चकराने लगा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उस घर का दरवाजा बहुत पुराना था हमारे दरवाजा खोलने से बहुत जोर की आवाज हुई थी और वो लोग हमें देखकर मुश्कुराने लगे।
उन लोगों में से एक ने कहा- “वहाँ पर क्यों खड़ी हो? जब यहाँ आ ही गई हो तो आओ हमारे साथ मजे लूटो...”
उनमें से दूसरे आदमी ने कहा- “यार माल तो बहुत अच्छा है। बहुत गोरी हैं साली, लगता है किसी दूसरे गाँव से आई हैं, इनकी गोरी चूचियां चूसकर मजा आ जाएगा..”
करुणा ने मुझे बाजू से पकड़ते हुए कहा- “दीदी चलो भागो...”
उन लोगों की बातें सुनकर मेरा सिर चकरा रहा था। मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। करुणा मुझे घसीटते हुए बाहर ले गई।
अंदर से आवाज आई- “अरे पकड़ो, इतना मस्त माल यूँ ही जाने दे रहे हो?”
करुणा ने वो आवाज सुनते ही मुझसे कहा- “भागो दीदी, वरना वो हमें पकड़ लेंगे...”
करुणा की बात सुनकर मुझे भी होश आया और हम दोनों साथ में भागने लगी। हम कुछ देर तक बिना रुके भागती रहीं। भागते-भागते हम अब उस सुनसान जगह से निकल चुकी थीं, और हम ठाकुर की हवेली के नजदीक पहुँच चुके थे। वहाँ पर कुछ दुकानें भी थी और लोगों का आना जाना भी था। हमने पीछे देखा तो हमारे पीछ पड़े हुये वो दो आदमी हमें घूर रहे थे, मगर लोगों की वजह से वो वहाँ से चले गये। हम दोनों बहुत जोर से हाँफ रही थी। उन आदमियों के जाने के बाद हमारी जान में जान आई। हमने वहाँ पर एक दुकान से पानी का एक-एक ग्लास पिया और फिर ठाकुर की हवेली में जाने लगी।
करुणा ने कहा- “दीदी आज तुमने तो फँसा ही दिया था, शुकर है हम वहाँ से भाग निकले...”
मैंने करुणा से कहा- “मुझे क्या पता था की गाँव में भी यह सब होता है?”
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
* * * * * * * * * *धन्नो और करुणा
ठाकुर की हवेली में हम ठाकुर की हवेली के गेट तक पहुँच गये थे। वहाँ पर एक चौकीदार खड़ा था। हमें देखकर उसने हमें सलाम करते हुए कहा- “मेमसाहब, आप हमारे साथ चलिए। साहब आपका ही इंतजार कर रहे थे...”
मैंने हैरान होते उससे कहा- “आपको कैसे पता की वो हमारा इंतजार कर रहे हैं?”
चौकीदार ने कहा- “मेमसाहब, साहब ने हमें बताया था की उनसे मिलने शहर की दो लड़कियां आ रही हैं, और इस गाँव में शहर जितनी गोरी और खूबसूरत लड़कियां तो हैं नहीं। इसलिए आप दोनों को देखते ही हम पहचान गये...”
हम दोनों उनके साथ चलने लगी, ठाकुर की हवेली बहुत शानदार बनी हुई थी। गेट के अंदर दाखिल होते ही एक बहुत बड़ा पार्क बना हुआ था, जिसमें ढेर सारे पौधे और पेड़ लगे हुए थे और अंदर दाखिल होते ही हमारी आँखें फटी की फटी रहो गई।
एक बहुत बड़ा हाल बना हुआ था जिसके चारों तरफ कमरे बने हुए थे, और दो तरफ से खूबसूरत सीढ़ियां बनी हुई थी जो ऊपर की तरफ जा रही थी। उस हाल में एक बड़ी टेबल और उसके चारों तरफ कुर्सियां रखी हुई थीं, जिनपर ठाकुर और उनके दोनों बेटे बैठे थे। हमने पहले कभी ठाकुर को देखा नहीं था, मगर मनीष और रवी के साथ बैठा होने के कारण हम समझ गये की वो ठाकुर है। हमने अंदर आते हुए अपने साड़ी के पल्लू अपने सिर पर रख लिए थे।
हमें देखकर वहाँ पर बैठे हुए तीनों बाप और बेटे उठकर हमारा स्वागत किये। मनीष ने ठाकुर से हमारा और उनका हमसे परिचय कराया। हम दोनों ने जाकर ठाकुर के पैरों को छुआ।
ठाकुर ने हमें आशीर्वाद देते हुए अपने पैरों से उठा लिया और खुश होते हुए कहा- “बेटी तुम दोनों शहर में रहकर भी बड़ों की इज्जत करना नहीं भूली। हमें तुम दोनों से मिलकर बहुत खुशी हुई.."
हम सब आकर कुर्सियों पर बैठ गये।
ठाकुर ने हमसे पूछा- “बेटी तुम दोनों कितना पढ़ी हुई हो?”
मैंने जवाब देते हुए कहा- “जी मैंने बी.ए. पास कर लिया है और करुणा ने इंटर तक...”
ठाकुर ने कहा- “बहुत खूब...”
कुछ देर तक हम बातें करते रहे। अचानक एक लड़की चाय और कुछ बिस्कुट लेकर आ गई और उन्हें टेबल पर रखते हुए हमें प्रणाम किया। हमने भी उसके प्रणाम का जवाब दिया।
ठाकुर ने उसका परिचय हमसे कराते हुए कहा- “यह शिल्पा है हमारे घर का काम करती है। मगर हमारी पत्नी के मरने के बाद सारा घर इसी ने संभाला हुआ है, इसलिए हमने कभी इसे अपनी नौकरानी नहीं समझा बल्की इसी घर का एक मेंबर समझा है...”
शिल्पा चाय कपों में भरने लगी और एक-एक करके सभी के सामने चाय के कप रख दिए। शिल्पा ने फिर बिस्कुट भी ऐसे ही सभी के सामने प्लेटों में रख दिए और खुश होकर वहाँ से चली गई। हम सबने चाय खतम की।
फिर कुछ देर तक बातें करने के बाद ठाकुर ने कहा- “बेटी तुम दोनों से एक बात करनी है...”
ठाकुर ने मनीष और रवी को वहाँ से जाने के लिए कहा। वो दोनों वहाँ से चले गये। मेरा और करुणा का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था की ठाकुर क्या कहना चाहता है?
ठाकुर ने कहा- “बेटी मैं जो बात कहने वाला हूँ, उसका जवाब दिमाग से सोच समझकर देना। तुम पर कोई जबरदस्ती नहीं है। हमारे दोनों नालायक बेटों को तुम दोनों पसंद आ गई हो। मनीष को करुणा और रवी को तुम, मगर मैं तुम्हारी आँटी के पास रिश्ता ले जाने से पहले तुमसे पूछना चाहता हूँ की तुम्हारी क्या मर्जी है?”
मैं ठाकुर की बात सुनकर सकते में आ गई। करुणा तो मनीष को पसंद करती है, मगर रवी क्या मेरे लिए सही रहेगा? मगर मेरा दिमाग कह रहा था की इससे अच्छा रिश्ता तुम्हारे लिए और कोई नहीं हो सकता। मैंने अपना सिर झुकाए हुए ही ठाकुर से कहा- “मैं इस रिश्ते के लिए तैयार हूँ और करुणा तो वैसे भी मनीष को चाहती है...”
ठाकुर ने खुश होते हुए कहा- “बेटी तुम दोनों ने मुझे आज जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी दी है..” और उठकर मनीष और रवी को बुला लिया।
ठाकुर ने मनीष और रवी के आते ही उन दोनों को गले से लगाते हुए कहा- “बेटा आज मैं बहुत खुश हूँ... यह दोनों तुमसे शादी करने के लिए राजी हैं। तुम दोनों इनके साथ जाकर अपने कमरे में बातें करो, मैं तब तक मिठाई मँगवाकर सारे गाँव में सबको भिजवाता हूँ..”
ठाकुर के जाते ही मनीष ने करुणा से कहा- “आओ मैं तुम्हें अपना कमरा दिखाता हूँ..” और वो दोनों साथ में चले गये।
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08-05-2019, 01:03 PM,
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
* * * * * * * * * *धन्नो और रवि
कमरे में रवी ने मेरे पास आते हुए कहा- “छोरी तुम क्यों इतना शर्मा रही हो? अब तो तुम मेरी बीवी बनने वाली हो। चलो तुम्हें अपना कमरा दिखाता हूँ..”
रवी की बात सुनकर मैं चुपचाप रवी के साथ उसके कमरे में जाने लगी। कमरे में पहुँचते ही मैं हैरान रह गई। रवी का कमरा बहुत बड़ा और खूबसूरत बना हुआ था। उस कमरे में एक बहुत बड़ा बेड, कुर्सियां, टीवी, एसी और दूसरी सभी चीजें मौजूद थी। रवी कमरे में आते ही बेड पर बैठ गया, मैं वहाँ पर पड़ी हुई कुर्सी पर बैठ गई। कुर्सी पर बहुत बढ़िया फोम रखा हुआ था। फोम पर बैठते ही मुझे ऐसे महसूस हुआ जैसे मैं हवा में झूल रही हूँ।
रवी मुझे कुर्सी पर बैठते हुए देखकर उठते हुए कहने लगा- “अरे छोरी तुम वहाँ क्यों बैठ गई? आओ ना बेड पर बहुत जगह है, वहाँ पर बैठते हैं...”
मैंने शर्माते हुए कहा- “नहीं मैं यही ठीक हूँ...”
रवी ने कहा- “अच्छा हमसे शर्मा रही हो..” और खुद भी मेरे साथ मेरी कुर्सी के साथ पड़ी हुई दूसरी कुर्सी पर बैठ गया। रवी वहाँ बैठते हुए मुझसे बातें करने लगा।
अचानक बातें करते हुए रवी ने अपना हाथ बढ़ाकर मेरे हाथ पर रख दिया और मेरे हाथ को सहलाने लगा। रवी का हाथ अपने हाथ पर महसूस करते ही मेरे सारे शरीर में करेंट दौड़ने लगा, और मेरे शरीर से पशीना निकलने लगा। रवी मेरे शरीर से पशीना बहते हुए देखकर उठते हुए दरवाजा बंद कर लिया, और एसी का रिमोट उठाकर उसकी स्पीड बढ़ा दी। रवी वापस आते हुए मेरे साथ बैठ गया और कहने लगा- “आज बहुत गर्मी है..." और फिर से मुझसे बातें करने लगा।
रवी ने फिर से बातें करते हुए मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे सहलाने लगा। रवी ने अचानक बातें करते हुए अपना हाथ मेरे हाथ से उठाते हुए मेरी जाँघ पर रख दिया, और मुझसे पूछने लगा- “धन्नो तुम्हारे कालेज में तुम्हारा कोई दोस्त है?”
रवी का हाथ मेरी जाँघ पर पड़ते ही मेरे शरीर में फिर से सिहरन दौड़ने लगी और मैंने अपना थूक गटकते हुए रवी से कहा- “कालेज में मेरी बहुत सारी लड़कियां दोस्त थी और लड़कों में सिर्फ रोहन जीजू से ही मैं बात करती थी..."
रवी मेरी बात सुनकर खुश होते हुए अपने हाथ से मेरी जाँघ को सहलाते हुए कहने लगा- “धन्नो तुम्हें देखकर ही मैं तुमसे प्यार करने लगा था, और मुझे पता था की तुम बहुत शरीफ लड़की हो..” कहकर रवी अपने हाथ से । मेरी जाँघ को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा। मुझे अपने जिम में गुदगुदी हो रही थी इसलिए मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया। रवी ने अपना हाथ सीधा करते हुए अपनी उंगलियां मेरे हाथ की उंगलियों में फँसाते हुए मेरा हाथ अपने मुँह की तरफ ले जाते हुए उसे चूम लिया।
रवी ने मेरा हाथ चूमते हुए कहा- “धन्नो तुम्हारा हाथ तो बहुत नरम है, बिल्कुल फोम की तरह...”
मैंने शर्माते हुए अपना हाथ रवी के हाथ से छुड़ाते हुए कुर्सी से उठकर दूर खड़ी हो गई। रवी भी अपनी कुर्सी से उठते हुए मेरे पीछे खड़ा हो गया और कहने लगा- “क्या हुआ धन्नो तुम इतना शर्मा क्यों रही हो?"
रवी मेरे बिल्कुल पीछे खड़ा था। मेरी साँसें बहुत जोर-जोर से चल रही थी। अचानक रवी मेरे पीछे सटकर खड़ा हो गया और अपने हाथों को आगे बढ़ाते हुए मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया। मैंने रवी से अपने आपको छुड़ाने की बहुत कोशिश की, मगर रवी ने मुझे अपनी बाहों में कसकर पकड़ रखा था। रवी अपने दोनों हाथ मेरे नंगे पेट पर रखे हुए था और वो मुझे बहुत जोर से पकड़े हुए था। इसलिए मैं बिल्कुल हिल भी नहीं पा रही थी।
रवी ने मुझे ऐसे पकड़े हुए ही अपना मुँह मेरे कंधे पर रख दिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा। मुझे अपने चूतड़ों पर रवी की पैंट के ऊपर से ही उसका लण्ड महसूस हो रहा था। मैंने रवी से अपने आपको बहुत छुड़ाने की कोशिश की, मगर मैं उसके मजबूत बाहों की कैद से ना छूट सकी, और आखीरकार हार मानकर अपने आपको ढीला छोड़ दिया।
रवी ने मुझे ढीला देखकर अपने हाथ की पकड़ को ढीला करते हुए मेरे नंगे पेट को सहलाते हुए मेरे कंधे को चूमने लगा। मेरी साँसें बहुत जोर-जोर से ऊपर-नीचे हो रही थी। रवी ने अचानक अपने हाथ ऊपर करते हुए मेरी साड़ी के ऊपर से ही मेरी चूचियों को पकड़ लिया। रवी का हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही मैं उत्तेजना के मारे जल्दी से रवी के हाथों को पकड़ते हुए अपनी चूचियों से दूर किया और सीधा होते हुए रवी को कसकर अपनी बाहों में भर लिया।
रवी भी अपने हाथों को मेरी पीठ पर रखते हुए अपने बाहों में भर लिया और अपना मुँह फिर से मेरे कंधे पर रख दिया, और उसे आगे से बेतहाशा चूमने लगा। रवी के सख़्त सीने में अपनी चूचियों के दबते ही मेरी चूत से उत्तेजना के मारे पानी बहने लगा। मेरा पूरा शरीर तप चुका था, मेरे होंठ खुश्क हो चुके थे और मैं चाहती थी की रवी आगे बढ़कर मेरे होंठों को चूम ले।
मगर रवी तो मेरे कंधे को ही चूम रहा था। मैं अपने हाथों से रवी की पीठ को सहलाते हुए अपना चेहरा ऊपर करते हुए इधर-उधर पटकने लगी, जिस वजह से रवी के होंठ मेरे पूरे कंधे पर चुंबनों की बरसात करने लगे। अचानक मैं अपने कंधे को नीचे करने लगी। रवी ने अपना चेहरा मेरे कंधे से हटा लिया और मैं अपना सिर नीचे किए ही अपने होंठों पर जीभ को फिराते हुए जोर-जोर से साँसें लेने लगी।
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