Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 03:07 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं: एक रास्ता है नाज़िया….एक रास्ता है…

नाज़िया ने चोंक कर मेरी तरफ देखा…”क्या…..” नाज़िया ने मुझसे अलग होते हुए कहा…. “ नज़ीबा का निकाह मुझसे करवा दो….फिर तो दुनिया वालो के मूह को ताला लग जाएगा…” 

नाज़िया: समीर……(नाज़िया ने मुझे पर चिल्लाते हुए कहा….) ये तुम क्या कह रहे हो… तुमने ये सोच भी कैसे लिया…..

मैं: इसके सिवाय और कोई रास्ता नही है नाज़िया…. देखो दुनिया वालो का मूह भी बंद हो जाएगा..और तुम हमेशा मेरे करीब भी रहोगी….

नाज़िया: नही समीर ये ग़लत है….ऐसा तुमने सोच भी कैसे लिया….

मैं: आख़िर इसमे हर्ज ही क्या है….क्या तुम मुझसे प्यार नही करती….

नाज़िया: नही समीर ऐसा करके मैं अपनी बेटी को धोखा नही देना चाहती… ऐसा तो कोई भी माँ अपनी बेटी के साथ करने के बारे मे सोच भी नही सकती….अगर नज़ीबा को पता चला तो सोचो मेरे क्या इमेज रह जाएगी उसके सामने…मैं तो उसके सामने सर उठाने के लायक भी नही रहूंगी…

मैं: और अगर नज़ीबा खुद इस बात को आक्सेप्ट कर ले तो,

नाज़िया: तुम पागल तो नही हो गये समीर…..जो मूह मे आ रहा है बके जा रहे हो..

मैं: नही मे पागल नही हूँ नाज़िया….तुम….

नाज़िया: बस समीर अब मैं और कुछ नही सुनना चाहती…तुम हो ही क्या….तुम्हारी हैसियत ही क्या है….तुम्हारे अब्बू के बिना….जो तुम नज़ीबा से निकाह करने के बारे मे सोच रहे हो…आज अगर तुम्हारे अब्बू तुम्हे घर से बाहर निकाल दें तो तुम्हारे पास रहने की छत भी नही है…..और ना ही कोई आमदनी का ज़रिया कि, तुम दो वक़्त के रोटी खा सको….देखो समीर कल मैं इस्लामाबाद जा रही हूँ… अम्मी की तबीयत बहुत खराब है….ये सब भूल कर अपनी स्टडी पर ध्यान दो…आज से हमारे रास्ते अलग-2 होते है…

इतने मे बाहर डोर बेल बजी….मैने बाहर जाकर गेट खोला तो देखा अब्बू घर आ चुके थे….उसके बाद कोई और बात नही हुई….मैं बहुत परेशान हो चुका था…और उदास भी….अगले दिन नाज़िया इस्लामाबाद चली गयी…वो 10 बाद वापिस आई….नाज़िया के भाई अपनी अम्मी को साथ यही ले आए थे….अब नाज़िया की अम्मी नीलम के घर पर रह रही थी…क्योंकि नाज़िया की अम्मी की तबीयत ठीक नही हो रही थी….और उसकी अम्मी थी भी काफ़ी उमर्दराज…वो 75 से ऊपेर की हो चुकी थी….नाज़िया ने अब्बू से बात करके कुछ वक़्त माँगा लिया था….कि वो अभी दूसरी शादी का जिकर ना करे… उनकी अम्मी शायद ये सदमा बर्दास्त ना कर पाए….इसलिए अब्बू ने भी दूसरी शादी करने का फ़ैसला कुछ अरसे के लिए छोड़ दिया था….

वक़्त ऐसे ही कट रहा है…2 मंथ ऐसे बीत गये….मेरे फाइनल एग्ज़ॅम हो चुके थे. और मैं रिज़ल्ट का वेट कर रहा था…फिर रिज़ल्ट भी आ गया….और मैं पास हो गया,….उससे कुछ दिन बाद नाज़िया की अम्मी चल बसी…उनकी मौत हो गयी…नाज़िया और नज़ीबा दोनो बेहद उदास थी….इस दौरान जो एक अच्छी खबर आई वो ये थी कि सबीना की वजह से मुझे बॅंक में वो जॉब मिल गयी थी…जिसका वादा सबीना ने मुझसे किया था…नाज़िया की अम्मी के मौत के बाद अब्बू ने दुनिया दारी रखने के लिए 2 मंथ और वेट करने का फैंसला किया….इस दौरान मेरी ट्रनिंग शुरू हो चुकी थी…. नज़ीबा भी 10थ के एग्ज़ॅम मे पास हो गयी थी….

पर उसने कॉलेज जाय्न नही किया था….क्योंकि नाज़िया को अभी खुद को मालूम नही था कि, वो इसी सिटी मे अपने पुराने घर पर रहेगी या फिर इस्लामबाद मे…फिर वो यहाँ रहेगी वही कॉलेज मे नज़ीबा का ऐडमशन करवाना था….नाज़िया ने इस्लामबाद मे ट्रान्स्फर करवाने के लिए अप्लिकेशन दे रखी थी….नाज़िया की अम्मी की मौत के एक महीने बाद नाज़िया और अब्बू ने डाइवोर्स ले लिया था….पर ये बात अभी बाहर वालो से जाहिर नही की थी…फिर एक दिन नाज़िया की अप्लिकेशन मंज़ूर हो गयी और नाज़िया का ट्रान्स्फर इस्लामाबाद की बजाय….लाहोर मे हो गया….नाज़िया की अम्मी अपनी सारी ज़मीज़ जायदाद नज़ीबा के नाम कर गयी थी….

नाज़िया ने इस्लामाबाद वाला और हमारा सिटी वाला अपना घर बेच के लाहोर मे एक दो मंज़िला घर खरीद लिया था..और बाकी के पैसे नज़ीबा के नाम जमा करवा दिए थे…और नज़ीबा का वही अड्मिसन करवा दिया था….अब्बू ने जब मेरी सामने अपना दूसरा निकाह करने की ख्वाहिश रखी तो, मैने उनसे कहा कि, मुझे कोई ऐतराज़ तो नही है….पर मैं अब कुछ वक़्त के लिए अकेला रहना चाहता हूँ….आप निकाह कर लें मुझे कोई प्राब्लम नही है…

मेरी ट्रंनिंग भी पूरी हो चुकी थी….मैने भी सबीना से कह कर अपनी ट्रान्स्फर लाहोर मे करवा ली थी….फिर आख़िरकार वो दिन आ ही गया….जब मैं घर से पहली बार अपने दम पर बाहर जा रहा था….अपनी जिंदगी की नयी शुरुआत करने…मुझे नही पता था कि, जिस रास्ते पर मैं चल पड़ा हूँ….वो रास्ता मुझे मेरी मंज़िल तक ले भी जाएगा या नही….उस दिन मैने सुबह-2 अपना समान दो बड़े बॅग्स मे पॅक किया और अब्बू से इज़ाज़त लेकर घर से निकला तो, देखा कि, फ़ैज़ बाहर कार लेकर खड़ा था… फ़ैज़ मुझसे गले मिला और उसने मेरे हाथो से बॅग पकड़ कर कार मे रखे….और फिर मैं फ़ैज़ के साथ कार मे बैठ कर सिटी तक आया….

फ़ैज़ भी मेरे ऐसे जाने से काफ़ी दुखी था….और साथ ही खुश भी था कि, आख़िर मैं अपने पैरो पर खड़ा हो गया हूँ….बस स्टॅंड पर पहुँच कर मैने इस्लामाबाद के लिए बस पकड़ी…उस दिन मैं शाम को इस्लामाबाद पहुँचा…उस वक़्त मेरे पास वहाँ रहने के लिए कोई अरेंज्मेंट नही था….मेरे पास सिर्फ़ पहले मंथ की सॅलरी थी… पहली रात मैने होटेल मे रूम लेकर गुज़ारी….और अगली सुबह मैं जब तैयार होकर होटेल बॅंक के लिए निकला तो, आप इसे मेरी किस्मेत ही समझिए कि, अभी मैं बॅंक के एंट्री पॉइंट पर पहुँचा ही था कि, मेरा आमना सामना नाज़िया से हुआ…मुझे देखते ही उसका रंग एक दम से उड़ गया….

मुझे भी समझ मे नही आया कि, मैं कैसे रिएक्ट कारू….इससे पहले कि मैं कुछ बोलता तो, नाज़िया ने बड़ी ही सख़्त अंदाज़ में मुझसे कहा…”समीर अब तुम यहाँ क्या लेने आए हो…प्लीज़ चले जाओ यहाँ से…मैं तुम्हे भूल चुकी हूँ..प्लीज़ ऐसे मेरे सामने आकर मुझे मेरा बीता हुआ कल याद ना दिलाओ….” और फिर वो बिना कुछ बोले अंदर चली गयी….उसके जाने के बाद मैं अंदर गया और सीधा ब्रांच मॅनेजर को रिपोर्ट किया…और अपना जाय्निंग लेटर दिया….

उसके ब्रांच मॅनेजर ने मुझे सारे स्टाफ से मिलवाया…जिसमे नाज़िया भी शामिल थी.. और जब उसे ये बात पता चली कि, मुझे बॅंक मे जॉब मिल गयी है….तो, नाज़िया के फेस एक्सप्रेशन चेंज हो गये….मुझे नही पता कि वो खुश थी…या फिर शॉक्ड हो गयी थी….मैं अपने काम मे बिज़ी हो गया….इस दौरान दोपहर तक कोई ख़ास बात ना हुई….दोपहर तक बाकी के सारे स्टाफ से अच्छी तरह इंट्रो भी हो गयी थी…. लंच टाइम मे जब लोग खाना खाने लगे तो, सभी लोगो ने मुझसे खाने के लिए पूछा. पर मैने उन्हे थॅंक्स कह कर मना कर दिया….

नाज़िया बाकी स्टाफ के साथ लंच करते हुए बड़े गोरे से मेरी तरफ देख रही थी…. मुझे अच्छी तरह याद है कि उसने लंच भी ठीक से नही किया था….लंच के बाद सभी स्टाफ के लोग बाहर चाइ पीने के लिए चले गये….मैं अपने डेस्क पर बैठा हुआ था…. कि नाज़िया मेरे पास आई….”कोंग्रथस समीर….” नाज़िया ने मेरे पास आकर चेर पर बैठते हुए कहा….

मैं: थॅंक्स….

नाज़िया: खाना क्यों नही लाए साथ…

मैं: मैने सुबह नाश्ता ज़्यादा कर लिया था….इसलिए अब खाना खाने का मूड नही है

नाज़िया: कहाँ रुके हो….

मैं: फिलहाल तो होटेल मे रूम लिया है….मैं कल शाम को ही यहाँ पहुँचा था…

नाज़िया: ये तो प्राब्लम है…कोई रेंट पर घर या पोर्षन देख लो….

मैं: हां देख लूँगा…तुम्हे मेरे लिए परेशान होने की ज़रूरत नही है….

मैने दूसरी तरफ फेस कर लिया….नाज़िया कुछ देर वहाँ खामोश बैठी रही और फिर उठ कर चली गयी….शाम को मैने बॅंक के स्टाफ के सारे लोगो से कह दिया कि, मुझे कोई रूम या कोई पूरा पोर्षन रेंट पर दिलवा दें…. इसी तरह 3-4 दिन गुजर गये…पर मुझे ना तो कही घर रेंट पर मिल रहा था और ना ही सिंगल रूम मिल रहा था….होटेल मे रहना बहुत महँगा पड़ रहा था….5 दिन जब बॅंक बंद होने के बाद मैं बॅंक से बाहर निकला तो, मुझे बॅंक की पीयान फराह ने मुझे आवाज़ दी…. फराह की आगे 40 साल के करीब थी….उसके शोहार की मौत कई साल पहले हो चुकी थी….उसके 1 बेटा और 2 बेटियाँ थी……दोनो बेटियों का निकाह हो चुका था….

फराह दिखने मे कुछ ख़ास ना थी…..फराह की आवाज़ सुन कर जब मैं रुका तो, वो मेरे पास आई और फिर कुछ देर सोचने के बाद बोली…”आपको रूम मिला या नही…”

मैं: नही अभी तक नही मिला तुम्हारी नज़र मे कोई है तो बताओ…

फराह: जी है तो सही….पर….

मैं: पर क्या….

फराह: जी वो रूम तो मेरे घर पर है…..पर….

मैं: क्या अगर आपके घर मे रूम खाली है तो, आपने मुझे पहले क्यों नही बताया….

फराह: जी वो दरअसल मुझे बात करने मे झिझक हो रही थी….

मैं: कैसी झिझक….

फराह: दरअसल मेरा घर ज़्यादा बड़ा नही है….और मुझे पता नही कि आपको पसंद आएगा या नही….शायद वो आपके रहने लायक जगह हो ही ना….

मैं: इसमे कॉन सी झिझकने वाली बात है….मैं एक बार देख लेता हूँ…अगर पसंद आ गया तो, फिर वहाँ शिफ्ट हो जाउन्गा….वैसे भी कितने दिन होटेल मे रहूँगा…

फराह: तो कब देखोगे....

मैं: आज ही दिखा दो…नही तो मुझे होटेल के रूम का कल का रेंट भी देना पड़ेगा.

फराह: जी दुरस्त है….आप चलिए मेरे साथ….

मैं वहाँ से फराह के साथ उसके घर आ गया….उसका घर बड़े ही अजीब से मोहल्ले मे था….ऐसा लग रहा था…..जैसे मैं किसी ग़रीबो की बस्ती मे आ गया हूँ…खैर थोड़ी देर बाद फराह एक घर के सामने रुकी…और गेट को खटखटाया तो थोड़ी देर बाद एक औरत ने गेट खोला….जैसे ही हम दोनो अंदर दाखिल हुए, तो फराह ने उस औरत की तरफ देखते हुए कहा….”जी ये मेरी देवरानी है….यारा….” उस औरत ने मुझे हल्की सी स्माइल के साथ देखा और सलाम किया…मैने वही खड़े-2 एक ही पल मे पूरे घर का जायज़ा ले लिया….

घर मे पीछे की तरफ दो रूम थे …और साथ किचन और बरामदा था….आगे गेट के पास एक तरफ बाथरूम और टाय्लेट था…और दूसरी तरफ एक छोटा सा रूम था,…” आइए आप पहले रूम देख लें….” फराह ने मेरी तरफ देखते हुए कहा…और फिर मुझे गेट वाले रूम के अंदर ले गयी….”यारा तुम चाइ बना कर ले आओ….” फराह ने रूम के अंदर जाते हुए कहा…..रूम की हालत काफ़ी खराब थी….मुझे नही पता था कि, मैं यहाँ रह भी पाउन्गा या नही…मैं अभी दिल मे यही सोच रहा था कि, मैं यहा पर कैसे रहूँगा…….पर शायद फराह ने मेरी सोच को पढ़ लिया था…

फराह: मुझे पता है कि, ये रूम आपके रहने के लायक नही है….पर जब तक आपको कोई और रूम नही मिल जाता…आप यहाँ रह सकते हो….अगर आप चाहो तो,……

मैने भी दिल ही दिल मे सोचा….कि फराह ठीक कह रही है….उस महँगे होटेल मे रोज के 600 रुपये देकर रहने से बेहतर तो यही रहना ठीक है…जब कोई ढंग का पोर्षन या रूम मिल जाएगा….तब यहाँ से शिफ्ट कर जाउन्गा….फराह उसके बाद मुझे अपने रूम मे ले गयी….और मुझे चेर पर बैठने के लिए कहा….मैं चेर पर बैठ गया… फराह किचन मे चली गयी…पता नही क्यों पर मुझे वहाँ बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था…खैर चाइ पीकर मैने वहाँ से इज़ाज़त ली और वहाँ से होटेल मे आ गया….अभी मैं कुछ डिसाइड नही कर पा रहा था कि क्या करूँ…
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03-08-2019, 03:07 PM,
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अगली सुबह जब मैं बॅंक पहुँचा तो, मेरे साथ काम करने वाले एक आदमी ने मुझे पूछा….”यार मैने तुम्हे कल फराह के साथ उसके घर की तरफ जाते हुए देखा…. कही मेरा वेहम तो नही है….”

मैं: हां मैं गया था उसके साथ….वो उसके घर पर रूम खाली है….

आदमी: क्या…तुम उसके घर पर रहोगे….(उस आदमी ने चोन्कते हुए मुझसे कहा…)

मैं: क्यों क्या हुआ….इसमे इतना शॉक्ड होने वाली क्या बात है…यार होटेल मे कितने दिनो तक रहूँगा….

आदमी: चोन्कने वाली बात है इसी लिए कह रहा हूँ……मेरी बात मानो वहाँ रहने से अच्छा तो यही है कि तुम कुछ दिन तंगी काट कर उसी होटेल मे ठहर जाओ….

मैं: क्यों पर आख़िर बात क्या है….

आदमी: यार वो औरत ठीक नही है…समझा करो…

मैं: ठीक नही है मैं समझा नही ….

आदमी: यार उसका कॅरक्टर ठीक नही है…..वो खुद तो बदनाम है ही तुम्हे भी बदनाम कर देगी….

मैं: अच्छा यार मुझे पता नही था….

आदमी: तुम नये हो समीर….इसलिए मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं तुम्हे इस बात से आगाह करवा दूं…..तुम वहाँ उसके घर पर मत जाना….

मैं: ठीक है….पर….

आदमी: समीर तुम दो तीन दिन और सबर कर लो….मैने अपनी बीवी को भी कह दिया है कि, कोई अच्छा सा पोर्षन मोहल्ले मे ढूँढ दे….

मैं: थॅंक्स….

आदमी: इसमे थॅंक्स की क्या बात है….

खैर उसके बाद मुझसे एक फीमेल क्लर्क ने भी बात की और उसने भी मुझे फराह के घर ना जाने के सलाह दी…..उस दिन और कोई ख़ास बात ना हुई…उस दिन जब बॅंक बंद होने की बाद मैं बॅंक से बाहर निकला तो फराह ने मेरे पास आकर मुझसे कहा… “तो फिर क्या सोचा आपने…..? “

मैं: जी वो अभी तक कुछ सोचा नही है….मैं आपको कल तक बता दूँगा,….

फराह: जी….

फराह के जाने के बाद जैसे मैं बस स्टॅंड की तरफ जाने लगा तो, मुझे नाज़िया ने पीछे से पुकारा…..मैं नाज़िया की आवाज़ सुन कर रुक गया…वो मेरे पास आई और मेरी तरफ देखते हुए बोली….”वो फराह क्या कह रही थी तुमसे…”

मैं: वो उसके घर में एक रूम खाली है….सोच रहा हूँ वही रूम रेंट पर ले लूँ…

नाज़िया: नही समीर तुम उसके घर पर नही जाओगे….

मैं: तुम कोन होती हो मुझे रोकने वाली…

नाज़िया: मुझे पता है मैं तुम्हे किसी हक़ से वहाँ जाने से रोक नही सकती…पर एक इंसान होने की हैसियत से ये मेरा फ़र्ज़ है कि, मैं तुम्हे आगाह कर दूं कि, वो सही औरत नही है…तुम्हे बदनाम कर देगी वो….

मैं: देखो तुम अपने काम से काम रखो….मुझे पता है कि सही क्या है और ग़लत क्या है…अगर मैं उसका रूम रेंट पर ना भी लूँ तो जाऊ कहाँ…तुम्हे पता है होटेल का एक दिन का रेंट 600 रुपये है…कब तक होटेल मैं रहूँगा…..

नाज़िया: समीर कहीं और रूम देख लो….इतना बड़ा सहर है…पर तुमने वहाँ नही जाना….

मैं: अच्छा फिर मुझे अपने घर पर रहने क्यों नही दे देती….

नाज़िया: नही समीर ये पासिबल नही है….

मैं: ठीक है जाओ फिर आपना काम करो….और मुझे अपना काम करने दो….

नाज़िया: (जैसे मैं जाने के लिए मुड़ा तो नाज़िया ने फिर से मुझे पुकारा…) समीर रूको तो सही….

मैं: हां बोलो….

नाज़िया: अच्छा ठीक है….तुम मुझे कल सुबह तक का वक़्त दो….मैं करती हूँ कुछ….

मैं: ठीक है….

उसके बाद मैं वहाँ से निकल कर होटेल मे आ गया….वो रात भी ऐसे ही कट गयी…. अगले दिन जब बॅंक बंद हुआ तो, नाज़िया मेरे पास आई…”समीर तुम घर आ सकते हो… मैने ऊपेर वाली मंज़िल पर एक रूम सॉफ कर दिया है…तुम अपना समान लेकर आ जाओ….” उसके बाद नाज़िया ने मुझे अपने घर का अड्रेस दिया और चली गयी….

नाज़िया की बात सुन कर मैं इतना खुश हुआ था कि, मैं उसको लफ़्ज़ों मे बयान नही कर सकता…नाज़िया के जाने के बाद मैं होटेल मे गया और वहाँ से अपने बॅग्स लेकर बिल पे किया और रिक्क्षा लेकर नाज़िया के घर पहुँच गया….मैं रिक्शे से नीचे उतरा उसको पैसे दिए और फिर अपने बॅग्स उठा कर मैने डोर बेल बजाई तो, थोड़ी देर बाद नाज़िया ने गेट खोला….”अंदर आ जाओ समीर….” नाज़िया ने मेरे अंदर आने के बाद गेट बंद किया….और मुझे सीधा ऊपेर ले गये…मेरी नज़रें नज़ीबा को तलाश कर रही थी….पर वो मुझे नीचे नज़र नही आई…ऊपेर पहुँचने के बाद नाज़िया मुझे एक रूम मे ले गये….और मुझे रूम दिखाते हुए बोली….

नाज़िया: समीर ये है तुम्हारा रूम….

मैने बॅग नीचे रखा और नाज़िया की तरफ देखते हुए बोला…”ठीक है रेंट कितना लोगि…” नाज़िया ने मेरी तरफ खा जाने वाली नज़रों से देखा…और फिर कुछ देर सोचने के बाद बोली….” समीर मैं तुम्हे यहा रहने के लिए इस लिए नही राज़ी हुई कि मुझे चन्द पैसो का लालच है…”

मैं: तो फिर किस लिए रहने दे रही हो….

नाज़िया: समीर जहाँ तुम जाना चाह रहे थे…वो जगह ठीक नही है….ये बाथरूम है…
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03-08-2019, 03:07 PM,
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नाज़िया ने रूम के अटॅच बाथरूम का डोर खोलते हुए कहा….और मुझे बेड पर बैठने को कहा…”बैठो मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है…”

मैं: हां बोलो….

नाज़िया: देखो समीर अगर तुम यहाँ रहना चाहते हो….तुम्हे कुछ बातो का ध्यान रखना होगा…..

मैं: हां बोलो….

नाज़िया: देखो समीर ये रूम तुम्हारा है….और मुझे यकीन है कि, तुम इस रूम की हद तक ही रहोगे….अब हमारे बीच कोई रिश्ता नही है…अच्छे इंसान की तरह अपनी जॉब पर ध्यान दो….और हां नज़ीबा से दूर रहना….इसमे तुम्हारा और हमारा दोनो का फ़ायदा है….

मैं: ठीक है जैसे तुम कहो….

नाज़िया: तुम मेरे लिए सिर्फ़ एक किरायदार हो…उससे ज़्यादा कुछ नही….

मैं: अच्छा तो फिर किराया भी बता दो….

नाज़िया: ठीक है….अगर तुम यही चाहते हो तो 2000 रुपये महीना दे देना….

मैं: ठीक है….

नाज़िया: तुम्हे चाइ नाश्ता ऊपेर ही मिल जायगा….नीचे आने की ज़रूरत नही…

मैं: उसकी ज़रूरत नही….वो मैं बाहर से कर लिया करूँगा….

नाज़िया: जैसे तुम्हारी मरजी….(नाज़िया ने बड़े रूड लहजे मैं कहा और नीचे चली गयी…मैं चुप चाप वही बैठा रहा….)

फिर उठ कर अपना समान सेट किया….दोस्तो दिन इसी तरह गुजरने लगे…. सुबह उठ कर तैयार होकर बॅंक जाना…रास्ते मैं नाश्ता करना….और फिर बाहर रात को होटेल मे खाना खा कर वापिस आना…ऊपेर जाने के लिए सीडया गेट के पास ही थी…नीचे घर के अंदर जाने की इज़ाज़त मुझे नही थी….नाज़िया ने मुझे बेहद सख्ती से मना किया था…नाज़िया मुझसे रूड लहजे मे बात करती थी….1 मंत से ऊपेर हो चुका था…और पर अभी तक मैने नज़ीबा की शकल भी नही देखी थी….पता नही क्यों पर नज़ीबा ने भी मुझसे मिलने मे कोई दिलचस्पी नही दिखाई थी….

सिर्फ़ दो तीन दफ़ा उसकी आवाज़ ज़रूर सुनी थी…जब वो अपनी अम्मी को पुकार रही होती… जब उसकी आवाज़ सुनता तो दिल करता कि दौड़ कर नीचे जाऊ….और उसे अपनी बाहों मे ले लूँ…पर नाज़िया को किए हुए वादे को याद करके मन मार कर बैठ जाता…मैं जुलाइ मे इस्लामाबाद आया था….और मुझे यहा आए हुए 5 मंथ हो चुके थे….धीरे-2 नाज़िया के लहजे मे भी नरमी आने लगी थी…वो कभी कभार मेरा हाल चाल पूछ लिया करती थी….मैं भी उसी रूड अंदाज़ मे उसे जवाब दे देता था…ऊपेर से मैं यही जाहिर करने की कॉसिश करता था कि, अब मुझे भी उनकी कोई परवाह नही है…पर अंदर ही अंदर से मैं हमेशा नाज़िया और नज़ीबा से बात करने को तरसता था….

इन 5 महीने मे मैने एक बार भी नाज़िया के सामने ये जाहिर नही होने दिया कि, मैं उससे बात करना चाहता हूँ….बॅंक मे भी जब नाज़िया किसी बहाने से मुझसे बात करती तो, मैं उसको ज़्यादा लिफ्ट नही देता….और साइड मे हो जाता…नाज़िया भी इस बात को नोट कर रही थी….उसकी शकल सूरत देख कर मुझे अहसास हो जाता था कि, वो भी अंदर ही अंदर घुट रही है….दिन ऐसे ही कट रहे थी….दिसंबर का मंत आ चुका था… उस दिन मुझे याद है 20 दिसंबर का दिन था…जिस दिन मेरी जिंदगी मे एक और बड़ा हादसा हुआ… उस दिन सुबह-2 नाज़िया ऊपेर आई….उस वक़्त मैं बाथरूम से नहा कर बाहर निकल रहा था…और मैने कमर पर टवल पर लपेट रखा था….

जैसे ही मैं बाथरूम से निकल कर रूम मे आया तो, नाज़िया रूम मे दाखिल हुई… और मुझे उस हालत में देख कर बाहर जाते हुए बोली…..”सॉरी वो मैं…” 

मैं: रूको एक मिनिट…(मैने अपने कपड़े पहने और नाज़िया को आवाज़ दी….) आ जाओ..

नाज़िया: (रूम के अंदर आकर….) समीर हम कुछ दिनो के लिए भाई के घर जा रहे है…नीचे के रूम मैने लॉक कर दिए है…ये बाहर के मैन गेट की चाबी है… नाज़िया ने मेरी तरफ की बढ़ाते हुए कहा…

.”वहाँ टेबल पर रख दो….” मैने नाज़िया की तरफ देखे बिना ही कहा….नाज़िया ने चाबियाँ टेबल पर रखी और खड़ी हो गयी… और फिर कुछ सोचने लगी….मैने नाज़िया की तरफ देखा तो, नाज़िया ने नज़रें झुका कर कहा..”समीर अपना ख़याल रखना…..” मैं नाज़िया की बात सुन कर चुप रहा….और नाज़िया मूह लटका कर नीचे चली गयी…सुबह 10 बजे नाज़िया और नज़ीबा दोनो चली गयी…बॅंक भी 3 दिनो के लिए बंद था…नाज़िया के जाने के कुछ देर बाद बॅंक मे काम करने वाले एक लड़के का फोन आया…जो मेरा दोस्त बन चुका था….वो मेरा ही हमउमर था…

उसने मुझसे पूछा कि, यार आज फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाते है…प्रोग्राम फोन पर ही सेट हो गया….वो बाइक लेकर घर पर ही आ गया….मैं उसे अपने रूम मे ऊपेर ले आया…और उसे कुछ देर बैठने को कहा….मैं अभी तैयार नही हुआ था… मेरे कपड़े भी प्रेस नही थे…मैने जैसे ही कपड़े प्रेस करने के लिए प्रेस के तार को सॉकेट मे लगाया तो, मुझे करेंट का जबरदस्त झटका लगा….प्रेस के वाइयर क्रॅक हो गये थे….जिसकी वजह से मुझे शॉक लगा था,….मैं पीछे उछल कर टेबल पर पसलियों के बल पर गिरा….और बेहोश हो गया….

उसके बाद मुझे कुछ याद नही जब आँख खुली तो मैं हॉस्पिटल मे था….मेरी पसलयों मे गहरी चोट आई थी….पर खुदा का शुकर था कि, पसलियां टूटी नही थी… मेरे दोस्त ने मुझसे मेरे घर का नंबर माँगा कि, वो मेरे घर इत्तिला कर दे…पर मैने उसे मना कर दिया…फिर जब वो नाज़िया को फोन करने लगा तो मैने उसे सख्ती से मना कर दिया….खैर मैं 2 दिन हॉस्पिटल में रहा….और फिर 3 दिन बाद मुझे हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी…मेरा हाथ भी जल गया था…पसलियों मे अभी भी सूजन थी… पर मैं पहले से बेहतर हो चुका था….

मुझे चलने फिरने मे दिक्कत होती थी…तीसरे दिन शाम को नाज़िया घर वापिस आ गयी…. वो अकेली घर आई थी….नज़ीबा की छुट्टियां चल रही थी…शायद वो इसी लिए नीलम के घर रुक गयी थी….अगले दिन मैं रिक्शा करके बॅंक पुहुंचा तो, वहाँ मुझे मुस्किल से चलते हुए देख कर नाज़िया को शक हो गया….नाज़िया ने मुझसे पूछा भी….पर मैने उसे मना कर दिया कि कुछ नही हुआ सिर्फ़ नस खिच गयी है… दो दिन और बीत गये…अब दर्द भी ख़तम हो चुका था…हाथ भी ठीक हो गया था….उस दिन जब रात को मैं होटेल से खाना खा कर घर आया तो, नाज़िया ने गेट खोला….

जैसे ही मैं ऊपेर जाने लगा तो, नाज़िया ने गेट की कुण्डी बंद की और मुझे आवाज़ दी ….”समीर रूको….” पर मैने नाज़िया की बात को अनसुना कर दिया और सीधा ऊपेर अपने रूम मे आ गया…और अपने कपड़े चेंज करने लगा……कपड़े उतार कर मैं अभी अपना पाजामा और टीशर्ट अलमारी से निकालने ही लगा था कि, मुझे पीछे से कदमो की आहट सुनाई दी…उस वक़्त मैं सिर्फ़ अंडरवेर मे था….

जैसे ही मैने मूड कर पीछे देखा तो, एक दम से चोंक गया…नाज़िया की आँखो में नमी थी….और उसने मुझे देखते ही फुट-2 कर रोना शुरू कर दिया…और अगले ही पल भागते हुए मेरे पास आई….और मुझे अपने गले से लगा लिया…” तुम बहुत बुरे हो समीर…..आख़िर तुम चाहते क्या हो….क्यों बार -2 मुझे दुख देते हो…बताओ मेरा कसूर क्या है….” नाज़िया लगातार रोए जा रही थी… और चुप होने का नाम नही ले रही थी….मैने नाज़िया को अपने आप से अलग किया…और अपने आप को थोड़ा टफ करते हुए बोला…”क्या हुआ…..?”

नाज़िया: मुझे आज बॅंक में पता चला कि तुम्हे करेंट लगा था….( नाज़िया ने रोते हुए कहा….)

मैं: हां लगा था पर तुमको इससे क्या….तुम क्यों रो रही हो….मैं तो तुमहरे लिए सिर्फ़ किराए दार हूँ….और वैसे भी मैं ठीक हूँ….

मेरी बात सुन कर नाज़िया और रोने लगी….और रोते हुए आगे बढ़ी….और मेरी चेस्ट पर मुक्के मारते हुए बोली…..”क्या कहा तुमने मैं तुम्हारी कुछ नही लगती…. तुम्हे पता है जब से मुझे पता चला है मैं कितनी परेशान हूँ…..मुझे ऐसे दुख दे कर तुम्हे आख़िर मिलता क्या है…”

मैं: ठीक है अगर मैं तुम्हे दुख देता हूँ…..तो मैं कल से तुम्हारी जिंदगी से हमेशा के लिए दूर चला जाउन्गा….

नाज़िया: ठीक है चले जाना….पर मेरा मरा हुआ मूह देख कर जाओगे तुम….

नाज़िया रोते हुए रूम से बाहर चली गयी….और नीचे चली गई…उसके बाहर जाते ही मुझे अहसास हुआ कि, नाज़िया कहीं खुद को कुछ कर ना ले….ये ख़याल जेहन मे आते ही मैं फॉरन वैसे ही अंडरवेर मे नीचे की तरफ भागा…जब नीचे पहुँचा तो, देखा नाज़िया किचन के अंदर जा रही थी…मैं तेज़ी से किचन की तरफ गया….और किचन मे पहुँच कर जो मैने देखा उसे देख कर मेरे होश ही उड़ गये… नाज़िया ने एक हाथ में चाकू पकड़ा हुआ था….और वो दूसरे हाथ की नस काटने वाली थी… मैने लपक कर उसका हाथ पकड़ा और उसके हाथ से चाकू छीनने लगा…

नाज़िया: अह्ह्ह्ह छोड़ो मुझे….अब क्या लैनी आए हो….जाओ यहाँ से…..

मैने नाज़िया के हाथ से चाकू छीन कर एक तरफ फेंका और एक ज़ोर दार थप्पड़ उसके गाल पे दे मारा….मैने थप्पड़ इतने ज़ोर से मारा था कि, नाज़िया पीछे दीवार से जा टकराई….”पागल हो गयी हो क्या…?” मैने नाज़िया के करीब जाते हुए कहा….

“तुम जाओ यहाँ से मुझे तुमसे कोई बात नही करनी…मैं तुम्हारी कुछ नही लगती ना…फिर मेरी फिकर क्यों कर रहे हो..जाओ यहाँ से….” नाज़िया सुबकते हुए किचन से बाहर निकल कर अपने रूम मे चली गयी…
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मैं कुछ पलों के लिए वही खड़ा रहा…..और फिर जब नाज़िया के रूम में गया तो, वो बेड पर करवट के बल लेटी हुई रो रही थी…उसकी पीठ मेरी तरफ थी…मैं बेड पर चढ़ा और उसके करीब जाकर उसके कंधे को पकड़ कर उसे अपनी तरफ घुमाना चाहा…पर नाज़िया मेरी तरफ नही घूमी….”सुनो नाज़िया आइ आम सॉरी…..मुझे तुम पर हाथ नही उठाना चाहिए था…प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो…..” 

मेरी बात सुन कर नाज़िया मेरी तरफ घूमी और रुआंसी आवाज़ मैं बोली…”अब क्यों सॉरी बोल रहे हो….तुम्हे तो सख़्त बनाने का शौक है ना तो, सख़्त बनो….ऐसी नरमी वाली बातें तुम्हारे मूह को सूट नही करती…जाओ अब तुमसे मुझे कोई ताल्लुक नही रखना….” नाज़िया ने फिर से करवट बदल कर मेरी तरफ पीठ कर ली…

“देखो नाज़िया वो ग़लती से मेरा हाथ उठ गया था….सॉरी प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो… “और हां कोई बेदर्द इंसान नही हूँ…मुझे भी बहुत दर्द होता था….बहुत दुख होता था.. जब तुम मुझसे बेगानों जैसे पेश आती थी….मैं ही जानता हूँ कि, मैने ये 6 माह कैसे काटे है….मैं तुमसे बात करने के लिए तरसता था..पर तुम ही मुझसे बात नही करना चाहती थी…”

मैने फिर से नाज़िया के कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ घुमाना चाहा….पर नाज़िया ना घूमी….”तुम जाओ….तुम तो जा रहे थे ना यहाँ से….तो फिर जाते क्यों नही…” नाज़िया ने सूबकते हुए कहा…”

ठीक है चला जाता हूँ…..पर मुझसे वादा करो तुम आपने साथ कोई भी ऐसी वैसी हरक़त नही करोगी….”

नाज़िया: मैं जियूं या मरू तुम्हे उससे क्या….तुम जाओ यहाँ से….

मैने इस बार नाज़िया के कंधे को पकड़ कर ज़ोर से अपनी तरफ खेंचा और उसकी आँखो में देखते हुए बोला…”अब तुमने कोई ऐसी वैसी हरक़त की तो, मैने तुम्हारा मूह भी तोड़ देना है….” मैने अपना हाथ मारने वाले अंदाज़ में उठाते हुए कहा…”हां मारो मुझे रुक क्यों गये….


.” मैने शर्मिंदा सा होकर हाथ नीचे कर लिया…”मेरा मतलब वो नही था…मैं तुम पर हाथ नही उठाना चाहता…मैं तो बस यही चाहता हूँ कि, तुम जैसे रहना चाहती हो वैसे रहो….पर तुम अपने आप को कुछ नही करोगी…मुझे बताओ मैं क्या करूँ….”

नाज़िया: अगर मुझ पर हाथ ही उठाना था….तो पहले क्यों नही उठाया…जब तुम्हे लगता था कि, मैं तुम्हारे साथ बेगानों जैसे पेश आ रही हूँ…उस वक़्त क्यों नही मुझे थप्पड़ मार कर मुझे पर हक़ जमाया कि, तुम को मेरी बड़ी फिकर है…कि तुम मुझसे प्यार करते हो….और मैं नखरे ना करूँ….उस वक़्त क्यों नही मुझे मारा….

मैं: तुमने खुद ही तो मना किया था….तुम्हे याद नही कितनी शरते रख कर तुमने मुझे यहाँ रहने की इज़ाज़त दी थी….

नाज़िया एक दम से उठ कर घुटनो के बल बैठ गयी….अब हम एक दूसरे की तरफ फेस किए हुए सामने बैठे हुए थे….”हां मैने कहा था….पर उसके बाद मुझे पता है कि मैने कैसे घुट-2 कर ये दिन निकाले है…खुद स्ट्रिक्ट होकर खुद ही तुमसे कैसे कह देती कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ….” नाज़िया तड़पते हुए मुझसे लिपट गयी…. “ओह्ह्ह्ह समीररररर तुम्हे अंदाज़ा भी नही है कि मैं तुम्हे कितना प्यार करती हूँ… अगर मुझे तुमसे प्यार ना होता तो क्या मैं तुम्हे यहाँ रहने देती…खुद सोच कर देखो…”

मैं: मुझे नही पता था…पर तुमने मुझे बहुत तड़पाया है….

नाज़िया थोड़ा पीछे हुई और मेरे फेस को अपने हाथो में लेकर मेरी आँखो मे देखते हुए बोली….” अगर मैने तुम्हे इतना दुख दिया है तो, मुझे जो चाहे सज़ा दे दो…पर आइन्दा से मुझे छोड़ कर जाने वाली बात फिर से ना करना…” नाज़िया की आँखो मे मेरे लिए जो मुहब्बत थी वो सॉफ झलक रही थी….मैने अपने दोनो हाथो से नाज़िया की कमर को पकड़ कर अपनी तरफ पुश किया तो, नाज़िया खुद ही मेरे करीब हो गयी…..अब उसकी गरम साँसे भी मुझे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी….इससे पहले कि मैं उसे किस करता बाहर डोर बेल बजी….नाज़िया चोंक कर पीछे हो गयी….और फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कराते हुए बोली….

नाज़िया: लगता है दूध वाला है…

नाज़िया उठ कर अपना दुपट्टा लिया और फिर किचन से बर्तन लेकर बाहर चली गयी… मुझे गेट खुलने और फिर बंद होने की आवाज़ आई….मैं काफ़ी देर वही बैठा रहा…आखर कार मैं उठ कर जब रूम से बाहर आया तो, देखा कि, नाज़िया गॅस पर दूध गरम कर रही थी…..जैसे ही मैं किचन मे दाखिल हुआ तो, नाज़िया ने फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा और होंटो पर स्माइल लाते हुए शोखी से बोली…”आज सारा दिन ऐसे ही रहने का इरादा है….” मैने गोर किया तो, मुझे अंदाज़ा हुआ कि, मैं अभी तक अंडरवेर मे घूम रहा हूँ…

मैं नाज़िया के पीछे से जाकर उसके साथ लग कर खड़ा हो गया….और फिर अपने बाज़ुओं को उसकी बगलों मे से गुजारते हुए उसके दोनो मम्मों को कमीज़ के ऊपेर से पकड़ कर दबाते हुए बोला…”क्यों तुम्हे मेरे ऐसे घूमने से ऐतराज़ है क्या….” नाज़िया ने सिसकते हुए फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा….और मुस्कराते हुए काँपती आवाज़ मे बोली….”आहह ऐतराज़ तो नही है…आपका अपना घर है….आप जैसे चाहे घूम सकते है…मैं तो इस लिए अहह धीरे समीर…..इस लिए कह रही थी कि, सर्दी बहुत है… ठंड नही लग रही आपको…” मैने नाज़िया के कंधे पर अपनी चिन रखी और उसके गालो पर होंटो को रगड़ते हुए बोला…”तुम हो ना मुझे गरम करने के लिए…बोलो ना मुझे गरम रखोगी ना…..” 

नाज़िया: सीईईईईईईई उंह आपके लिए कुछ भी करूँगी समीर…..कुछ भी…

नाज़िया की बाते सुन कर मेरा फुल हार्ड हो चुका था….और उसकी शलवार के ऊपेर उसकी बुन्द की लाइन मे दबा हुआ था….जैसे ही मैं अपने लंड को हल्का सा आगे पुश करके उसकी बुन्द की लाइन मे रगड़ता तो, नाज़िया के दम से मस्ती मे सिसकत उठती… “अह्ह्ह्ह समीर……आपका वो ग़लत जगह एंटेरी करने की कोशिस कर रहा है….” नाज़िया ने अपने दोनो हाथो को मेरे हाथो पर रख कर अपने मम्मों को और ज़ोर से दबवाना शुरू कर दिया…

.”क्या मेरा वो क्या….और कहाँ ग़लत जा रहा है…”

नाज़िया: सीईइ आपका लंड ग़लत सूराख मे जाने की कॉसिश कर रहा है…

मैं: बेचारा जाएगा कैसे….तुम्हारा सूराख और मेरा लंड दोनो तो कपड़ों मे क़ैद है….

नाज़िया: सीईईईईई ओह समीरररर तो आपको रोका किसने ने है….आज़ाद कर दो दोनो को..

नाज़िया की बात सुनते ही मैने थोड़ा सा पीछे होकर अपने लंड को अंडरवेर नीचे करके बाहर निकाल लिया….और नाज़िया की कमीज़ को ऊपेर उठा कर शलवार के ऊपेर से उसकी बुन्द पर अपने लंड को रगड़ते हुए बोला….”लो मैने तो अपने लंड को आज़ाद कर दिया…

.” मेरी बात सुनते ही नाज़िया ने अपनी शालवर का नाडा खोल कर जैसे ही शलवार को छोड़ा….उसकी शलवार ढीली होकर उसके पैरो मे आ गिरी…फिर उसने अपने पैरो की मदद से शलवार को निकाल कर साइड मे फेंक दिया…नाज़िया की मोटी और गोल मटोल बुन्द को नंगा देख कर मेरा लंड साँप की तरफ फूंकारने लगा…

मैने नाज़िया की बुन्द की दरार में ऊपेर नीचे करते हुए रगड़ना शुरू कर दिया…

अपनी बूँद के सूराख पर लंड की रगड़ महसूस करते ही नाज़िया एक दम से सिसक उठी….उसकी आँखे मस्ती मे बंद होने लगी…मैने झुक कर नाज़िया की बुन्द को पूरा फेला दिया….और अपने मूह को उसकी फुद्दि के पास लेजाते हुए, उसकी फुद्दि के लिप्स को अपने होंटो में लेकर ज़ोर से चूसा….”ओह्ह्ह्ह समीरररर ओह्ह बहुत मज़ा आ रहा है…..येस्स्स येस्स सक मी वेट फक्किंग कंट…ओह्ह्ह आह ओह्ह्ह ओह्ह. समीर हां ऐसे ही चाटो…..लिक्क मी लिक्क मी लिक्क मी हार्डर ओह्ह्ह्ह समीर……दट’स सो वंडरफुल….” नाज़िया ने सिसकते हुए अपने दोनो हाथो को पीछे की और लाते हुए अपनी बुन्द को पकड़ कर दोनो तरफ फेला लिया….

उसकी बुन्द दोनो तरफ से मेरे गालो के साथ सट गयी…मैं पागलो की तरह नाज़िया की फुद्दि के क्लिट को अपने होंटो मे लेकर चूस रहा था…कभी अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर उसके क्लिट पर रगड़ना चालू कर देता….नाज़िया एक बार फिर से मदहोश हो चुकी थी…मैने नाज़िया की फुद्दि से अपने मूह को हटाया और उठ कर अपने लंड की कॅप को नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर सेट करते हुए एक जोरदार धक्का मारा….मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि के सूराख को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा…. “सीईईई ओह खुदा समीर….उम्ह्ह म्म्म्म ह….” नाज़िया ने सिसकते हुए फिर से गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा. मैने एक दो बार अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि अंदर बाहर किया और फिर अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि से बाहर निकल कर उसकी बुन्द के सूराख पर अपने लंड के कॅप को टिका दिया…

नाज़िया मेरे लंड के कॅप की गरमी को अपने बुन्द के सूराख पर महसूस करते ही सिसक उठी…उसकी कमर ने एक जोरदार झटका खाया…”ओह्ह्ह्ह समीर, तुम्हारा लंड बहुत गरम महसूस हो रहा है….” नाज़िया ने एक हाथ सेल्फ़ पर रख लिया और दूसरे हाथ से अपनी बुन्द को फेला कर रखा….नाज़िया की फुद्दि मे दो टीन शॉट लगाने के बाद मेरा लंड उसकी फुद्दि से निकल रहे कामरस से एक दम गीला होकर चिकना हो चुका था. मैने अपने लंड की कॅप को धीरे-2 नाज़िया की बुन्द के सूराख पर दबाना शुरू किया…. 
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जैसे ही मेरे लंड का कॅप नाज़िया की बुन्द के सूराख को फेलाता हुआ थोड़ा सा अंदर घुस्सा….नाज़िया ने अपना दूसरा हाथ भी बुन्द से हटा कर बेड पर रख लिया…. उसके गले से हल्की सी घुर्राने की आवाज़ आई….जैसे वो दर्द को सहन करने की कॉसिश कर रही हो….”अहह हाईए समीर……” नाज़िया को दर्द हो रहा है…ये सोच कर मैने अपने लंड को उसकी बुन्द के सूराख से हटा लिया और फिर से उसकी फुद्दि के सूराख पर सेट करते हुए जैसे ही पुश करने लगा…तो नाज़िया एक दम से सिसकते हुए बोली…. “क्या हुआ समीर…

मैं नाज़िया के बात सुन कर रुक गया….”क्या हुआ कुछ भी तो नही…” मैने नाज़िया की फुद्दि के अंदर अपने लंड के कॅप को घुसाते हुए कहा…

.”फिर आपने उसे वहाँ से हटाया क्यों….” मुझे नाज़िया की बात समझ मे नही आई…
.”क्या मुझे समझ मे नही आया…” 
नाज़िया ने सिसकते हुए अपना एक हाथ पीछे लेजा कर मेरे लंड को पकड़ा और मेरे लंड की कॅप को अपनी फुद्दि से बाहर निकाल कर अपनी बुन्द के सूराख पर सेट करते हुए बोली…” अब यहाँ नही डालना……”

मैं: नही तुम्हे दर्द हो रहा था ना….”

नाज़िया: सीईइ नही समीर दर्द तो हो रहा था….पर इतना नही कि तुम्हारे लिए सहन भी ना कर सकूँ….

मैं: नही नाज़िया मुझे कोई ऐसी ज़रूरत भी नही है कि, मुझे तुम्हारी बुन्द मारनी ही मारनी है….

नाज़िया मेरी बात कर सुन कर शरमाते हुए बोली….”छी बड़े गंदे हो तुम….” मैं नाज़िया की बात सुन कर मुस्कुराता हुआ बोला….”चलो रहने दो तुम्हे तकलीफ़ होगी….”

नाज़िया: नही समीर आज तुमने अपना लंड वही डालना है….मेरी परवाह ना करना…

मैं: पर क्यों….

नाज़िया: मैने कह दिया ना….मुझे पता है तुम्हे मेरी वो बहुत पसंद है….

मैं: क्या….किसकी बात कर रही हो….

नाज़िया: मेरी बुन्द की ….अब हो गयी तसल्ली….

मैं: नही यार क्यों ज़िद्द कर रही हो….तुमसे बर्दास्त नही होगा….

नाज़िया: मैं कर लूँगी बर्दास्त….और वैसे भी मैं लानत भेजती हूँ अपनी हर चीज़ पर जो तुम्हारे काम ना आ सके….

मैने नाज़िया की बुन्द के सूराख पर अपने लंड को रगड़ते हुए उसे अपनी बाहों मे भर लिया..और उसके फेस को पीछे की तरफ घुमा कर उसके होंटो को अपने होंटो में लेकर चूसने लगा….”सच कह रही हो….” मैने अपने होंटो को नाज़िया के होंटो से अलग करके हवस से भरी उसकी नज़रों मे झाँका तो, नाज़िया ने अपनी आधी खुली आँखो से मुझे देखते हुए हाँ में सर हिला दिया…”समीर मेरे पूरे जिस्म पर सिर्फ़ तुम्हारा हक़ है..ये नाज़िया पूरी की पूरी तुम्हारी है…जैसे तुम चाहो मेरे जिस्म के यूज़ कर सकते हो…जैसे मर्ज़ी वर्त लो समीर….जो मरज़ी करो…मैं आज के बाद तुम्हे कभी भी नही रोकूंगी…प्लीज़ समीर अब करो भी….नही तो आह,,,,,”

मैने नाज़िया के गालो पर अपने होंटो को रगड़ते हुए कहा…

.”नही तो क्या….? “ नाज़िया ने फिर से फेस पीछे घुमा कर मेरी तरफ देखा….और सरगोशी से भरी आवाज़ मैं बोली….”नही तो मुझे अपनी बुन्द से नफ़रत हो जाएगी….कि यी कंजरी तुम्हे खुश नही कर पाई….” 

मैने थोड़ा और दबाव डाला तो, नाज़िया की फुद्दि के कामरस से लिसलिसा हो चुका मेरे लंड का कॅप उसकी बुन्द के सूराख को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा….नाज़िया की बुन्द का सूराख बहुत टाइट था….उसकी बुन्द की दीवारे मेरे लंड की कॅप के चारो तरफ कसी हुई महसूस हो रही थी…

मैने अपने लंड को थोड़ा सा और उसकी बुन्द के सूराख में दबाया तो, उसकी बुन्द की दीवारे मेरे लंड पर और ज़यादा कस गयी…जब मेरा एक चोथाई लंड उसकी बुन्द के सूराख में घुस गया…तो मैने उतावला पन दिखाते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा. मेरा लंड उसकी बुन्द के सूराख की गहराइयों में उतरता चला गया….पर इस धक्के से नाज़िया का पूरा बदन दर्द से अकड़ गया…”ओह उफफफफ्फ़ समीर…..” नाज़िया ने दर्द से सिसकते हुए पीछे गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा…और दर्द के मारे अपने होंटो को दाँतों में दबा लिया….मैने अपने लंड को फिर से कॅप तक उसकी बुन्द से बाहर निकाला और इस बार एक ही बार में फिर से उसकी बुन्द मे अपने लंड को डाल दिया…..

“लो अब खुश हो….दर्द लेकर….” मैने अपने लंड को जड तक नाज़िया की बुन्द मे उतार कर उसकी बुन्द पर एक जोरदार थप्पड़ झाड़ते हुए कहा…और अपने लंड को नाज़िया की बुन्द के सूराख के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…”ओह्ह समीरररर मेरे शोना….” नाज़िया ने तेज साँसे लेते हुए सिसकते हुए कहा… ओह्ह्ह समीर तुम मुझे बहुत अच्छा फील करवा रहे हो..….देखो ना यहाँ तक मुझे मेरेर बुन्द के सूराख मे फँसा हुआ तुम्हारा लंड भी बहुत लज़्जत दे रहा है….ओह्ह्ह बेबी ओह्ह्ह खुदा येस मारो मेरी बुन्द… ओह्ह्ह समीर येस्स फक मी आस…फक इट फक इट…फक इट……” मैने नाज़िया की सिसकारियों को सुनकर जोश मे आते हुए अपने धक्कों की रफतार को और बढ़ा दिया…मेरा लंड अब बिना किसी रोकटोक के नाज़िया की बूँद के सूराख में अंदर बाहर हो रहा था….

मैं अपने लंड को कॅप तक नाज़िया की बुन्द से बाहर निकाल-2 कर एक ही बार मे पूरा अंदर डाल रहा था…नाज़िया ने भी घुरते हुए पीछे की तरफ अपने बुन्द को पुश करना शुरू कर दिया…”ओह्ह्ह फक इट्स सो अमेज़िंग समीर फक माइ आस हार्डर फक माइ आस….ओह्ह्ह समीर अपनी इस रांडी की बुन्द को फाड़ दो…ओह्ह्ह और ज़ोर से चोदो मुझे….अह्ह्ह्ह ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह ओह समीर…..” नाज़िया भी मानो अब फुल फॉर्म में आ चुकी थी….मैने नाज़िया की कमर को दोनो हाथो से पकड़ कर ताबडतोड धक्के लगाने शुरू कर दिए….

नाज़िया: ओह्ह्ह समीर येस्स्स फक मी फक युवर कॉक हंग्री होर….आइ आम युवर होर.. मेक मी कम….फिल माइ आस वित युवर हॉट वाइट कम….प्लीज़ फक मी हार्डर हार्डर ओह समीर….

मैने अपने लंड को नाज़िया की बुन्द से बाहर निकाला और उसे उसके बालो से पकड़ कर खेंचते हुए बेड से नीचे करवट के बल लेटा दिया….और खुद उसके पीछे करवट के बल लेटते हुए अपने लंड की कॅप को उसकी बुन्द के सूराख पर रख कर पूरी ताक़त से आगे की तरफ पुश किया…लंड का कॅप नाज़िया की बुन्द के सूराख को फेलाता हुआ फिर से अंदर जा घुसा…मैने अपने एक हाथ से नाज़िया की बुन्द को पकड़ कर फेलाते हुए धीरे-2 अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….”ओह्ह्ह्ह समीररर आज के बाद रोज मेरी ऐसे ही लिया करना….बोलो रोज मुझसे प्यार करोगे ना…बोलो…समीर…”

नाज़िया ने सिसकते हुए अपनी बुन्द को पीछे की तरफ धकेलते हुए कहा…तो मैने भी नाज़िया के बालो को पकड़ कर खेंचते हुए और तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया… “क्या रोज तुम्हारी बुन्द मारा करूँ….”

नाज़िया: अहह हाआअँ समीरररर जो मरज़ी ले लिए करना.….मैं तुम्हारे लिए सब करूँगी….

अब किचन मे बिना कपड़ों के खड़े-2 सर्दी लगने लगी थी…मैने अपने लंड को नाज़िया की बुन्द से बाहर निकाला और नाज़िया को हाथ पकड़ कर उसे रूम मे ले गया…और उसे बेड पर धकेल दिया. और खुद बेड पर चढ़ते हुए उसकी बुन्द पर ज़ोर दार थप्पड़ मारते हुए बोला….”चल कोढ़ी हो जा….” नाज़िया ने अपनी दोनो कोहानियों को बेड की पुष्ट के ऊपेर रखते हुए घुटनो के बल हो गयी….मैने नाज़िया के पीछे आते हुए अपने लंड के कॅप को बुन्द के सूराख पर रख कर अभी हल्का सा ही दबाया था कि, मेरे लंड का कॅप नाज़िया की बुन्द के सूराख को फेलाता हुआ आसानी से अंदर जा घुसा….उसकी बुन्द का सूराख नरम पड़ चुका था….

और अब नाज़िया को भी मेरे लंड को अपनी बुन्द के सूराख में लेकर मज़ा आने लगा था….मैं नाज़िया की मस्ती भरी सिसकारियों को सुन कर पूरे जोश मे आ चुका था. और तेज़ी से अपने लंड को नाज़िया की बुन्द के सूराख के अंदर बाहर करने लगा….”ओह्ह्ह्ह हाआँ समीरररर आईसीई ही और ज़ोर ज़ोर से घस्से मारो मेरी बुन्द में…अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह हाआँ फाड़ दूं समीर…. फक मी फक मी लाइक आ बिच..”

नाज़िया सिसकते हुए धीरे-2 बेड पर लेट गयी….उसका पूरा बदन तेज़ी से काँपने लगा था… मैने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर जैसे ही नाज़िया की फुद्दि के लिप्स को छुआ तो, मेरी हैरत को कोई ठिकाना नही रहा…नाज़िया की फुद्दि उसके कामरस से लबलबा रही थी. उसकी फुद्दि इस क़दर पानी बहा रहा था कि, नीचे की बेड शीट भी गीली हो चुकी थी..

ये देख तो, मेरे सर पर पागलपन का भूत सवार हो गया….मैने अपने लंड को नाज़िया की बुन्द के आख़िरी कोने तक अंदर घुसाना शुरू कर दिया…और फिर घुरते हुए नाज़िया की बुन्द को अपने माल से भर दिया…..उस रात नाज़िया की एक बार और बुन्द और फुद्दि बजाने के बाद मे सोया….रात बहुत गहरी नींद आई….कोई खबर नही थी…..कि कहाँ पर सोए है…
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03-08-2019, 03:08 PM,
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अगली सुबह मेरे आँख तब खुली जब मुझे अपने लंड के कॅप पर कोई नरम और गीली चीज़ महसूस हुई… मैने हल्की से आँखे खोल कर देखा तो, नाज़िया सिर्फ़ ब्रा पहने मेरे लंड के ऊपेर झुकी हुई थी….और मेरे लंड का मोटा कॅप उसके गरम रसीले मूह के अंदर था…

वो बड़े प्यार से मेरे लंड के चुप्पे लगा रही थी….मैं वैसे ही आँखे बंद किए हुए लेता हुआ मज़े लेता रहा….मेरा लंड एक दम तना हुआ था…..थोड़ी देर लंड चूसने के बाद नाज़िया ने अपने मूह से मेरे लंड को बाहर निकाला और मेरे बगल में लेट गयी….”समीर!....समीर उठो भी समीर….” नाज़िया ने मेरी चेस्ट पर अपनी उंगलयों को घूमाते हुए मेरे कान के पास धीरे से कहा…

.”ह्म्‍म्म्म” मैने नाज़िया के तरफ करवट बदलते हुए कहा…और अगले ही पल नाज़िया के ऊपेर आते हुए मैने नाज़िया की गर्दन पर अपने होंटो को लगा दिया….मेरे दहकते होंटो को अपने गर्दन पर महसूस करते ही नाज़िया एक दम से सिसक उठी….

उसकी आँखे मस्ती मैं बंद होती चली गयी…मैने अपने दाँतों को हलका सा नाज़िया की गर्दन पर गढ़ा दिया…

तो नाज़िया ने सिसकते हुए अपनी बाहों को मेरी कमर पर कस लिया…”ओह समीर….हां काट खाओ मुझे…..चूसो मुझे चाटो मुझे…..मेरे पूरा बदन तुम्हारा है….हर जगह अपनी मोहर लगा दो….खा जाओ मुझे…." 

मैने नाज़िया के गर्दन को चूस्ते हुए धीरे-2 नीचे आना शुरू किया…और ब्रा के ऊपेर से उसके मम्मों को हथेलयों में भर कर ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया… मैं नीचे आते हुए उसके बदन के हर हिस्से को पागलो की तरह चूम रहा था…और नाज़िया आँखे बंद किए मस्ती मे सिसक रही थी..वो कभी अपने बालो को खेंचने लगती 

तो, कभी ब्रा के ऊपेर से अपने मम्मो को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर दबाने लगती…. उसकी सिसकारियाँ पूरे रूम मे गूँज रही थी….मैने धीरे-2 नीचे आते हुए उसकी जाँघो को पकड़ कर फेला दिया…और अपने एक हाथ से उसकी फुद्दि के लिप्स को फेला कर उसके सूराख को देखने लगा….ये देख मैं एक दम से हैरान रह गया कि, उसकी फुद्दि कितना पानी छोड़ रही है….मैने अपनी एक उंगली को जैसे ही उसकी फुद्दि के सूराख पर रख कर हल्का सा दबाया तो, मेरी उंगली उसकी फुद्दि में फिसलती हुई अंदर घुसती चली गयी…और नाज़िया एक दम से तड़पते हुए सिसक उठी….”ओह उंह सीईईईईईईईईईईई समीर….” नाज़िया ने सिसकते हुए मेरे सर को कस के पकड़ लिया और मेरे बालो मे अपनी उंगलियों को घुमाने लगी…

.”तुम्हारी फुद्दि तो भूत गीली है…..” मैने अपनी उंगली को उसकी फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए कहा….

नाज़िया: समीर…, उंह ये तो हर उस वक़्त गीली रहती है…जब तुम मेरे पास होते हो….मेरी ये फुद्दि तुम्हारे लिए ही अपना प्यार बरसा रही है….

नाज़िया ने सिसकते हुए अपनी रानो को और फेला लिया….और मेरे सर से अपने दोनो हाथो को हटा कर अपनी फुद्दि के लिप्स को फेलाते हुए मुझे फुद्दि के अंदर का नज़ारा दिखाते हुए बोली….”देखो समीर मेरी फुद्दि तुमसे कितना प्यार करती है….ये सब तुम्हारे लिए है….तुम्हारे लिए है मेरी फुद्दि अपनी मोहबत के बादल बरसा रही है…..”नाज़िया की फुद्दि का क्लिट ऐसे लग रहा था…जैसे वो सूजा हुआ हो….उसकी फुद्दि का क्लिट एक दम फूल चुका था….जिसे देख मैं अपने आप को रोक नही पाया….और अपने सर को झुकाते हुए उसकी फुद्दि के क्लिट को अपने होंटो के बीच में दबा कर जैसे ही ज़ोर से चूसा…नाज़िया ने सिसकते हुए अपनी फुद्दि के लिप्स से हाथ हटा कर मेरे सर को फिर से कस्के पकड़ लिया.

नाज़िया: ओह येस्स ईट मी ईट माइ पुसी….सक मी सक माइ पुसी समीर….

नाज़िया की कमर बुरी तरह झटके खाने लगी….मैने नाज़िया की फुद्दि के क्लिट को अपने मूह से बाहर निकाला और उसकी फुद्दि मे अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए बोला….

मैं: जो हुकम मेडम…..

नाज़िया: ओह्ह्ह समीर मैं तुम पर हुकम नही चला रही मेरी जान….मैं तो तुमसे प्यार की भीख माँग रही हूँ…

मैने फिर से नाज़िया की क्लिट को अपने होंटो में दबा-2 कर चूसना शुरू कर दिया…. “ओह्ह्ह समीर ओह्ह्ह हाआँ चूसो अह्ह्ह्ह मेरी फुद्दि को आहह हां काटो वहाँ पर.. ओह अहह उंह समीर….” नाज़िया ने ज़ोर ज़ोर से सिसकते हुए कहा…तो मैने नाज़िया के सूजे हुए क्लिट पर अपने दाँतों को हल्का सा दबाना शुरू कर दिया…” ओह्ह्ह्ह येस्स्स्स दट’स इट ओह इट सो फक्किंग गुड…..सीईईई उम्ह्ह्ह्ह समीर…..” मैने नाज़िया की फुद्दि से मूह हटाया और उसकी रानो के बीच घुटनो के बल बैठाते हुए अपने लंड की कॅप को उसकी फुद्दि के सूराख पर रख कर नाज़िया की आँखो मे देखा…तो नाज़िया ने फिर से अपने दोनो हाथो से अपने फुद्दि के लिप्स को फेला लिया….”ओह्ह येस्स फक मी समीर…..फक मी…..”

मैने अपने नाज़िया के रानो को पकड़ते हुए एक ज़ोर धक्का मारा तो, मेरा आधे से ज़यादा लंड नाज़िया की फुद्दि की दीवारो को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा…नाज़िया की फुद्दि की दीवारो की रगड़ को अपने लंड पर महसूस करके मेरे बदन मे भी सिहरन दौड़ गयी….”ओह उंह सीईईईईईईईई समीर…..तुम्हारा लंड बहुत मोटा है…हां चोदो मुझे अपने मोटे लंड से…..” मैने नाज़िया की बाते सुनते हुए एक और जोरदार धक्का मारा…नाज़िया की फुद्दि से निकल रहे पानी से सना हुआ मेरा लंड उसकी फुद्दि की गहराइयों मे उतरता हुआ उसके बसूराख़नी से जा टकाया….नाज़िया के होंटो पर वासना से भरी मुस्कान फेल गयी….

नाज़िया ने सिसकते हुए अपनी ब्रा की कप्स को अपने मम्मों से नीचे खेंच कर अपने मम्मों को बाहर निकाल लिया..और खुद ही अपने मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए दबाने लगी…..मैने धीरे-2 अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए उसके मम्मों के ऊपेर झुकना शुरू किया तो, नाज़िया ने अपनी अध खुली मस्ती से भरी आँखो से मुझे देखते हुए अपने हाथो को अपने मम्मों से हटा लिया….”" तुम्हारे मम्मे बहुत खूबसूरत है नाज़िया…..” मैने अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए कहा…..

नाज़िया: प्लीज़ चूसो ना इन्हे….

मैने नाज़िया के लेफ्ट निपल को झुक कर अपने मूह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया... जैसे ही नाज़िया को अपने तने हुए निपल्स पर मेरी गरम ज़ुबान का अहसास हुआ, नाज़िया ने बुरी तरहा मचलते हुए अपनी दोनो बाहों को मेरे सर पर कस लिया…और मेरे सर को अपने मम्मे पर दबाने लगी….”हां चूसो समीर..प्लीज़ और ज़ोर से चूसो….” नाज़िया ने नीचे से अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उछालते हुए कहा…अब मैने धक्के लगाने बंद कर दिए थे, और नाज़िया खुद अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उछालते हुए मेरे लंड को अपनी फुद्दि के अंदर बाहर करवा रही थी…..

मैं: (नाज़िया के मम्मे को मूह से निकलते हुए….) मेरा मन तो इन्हे काट खाने का हो रहा है…(मैने नाज़िया के दोनो मम्मों के निपल्स को अपनी उंगलियों लेकर मसलते हुए कहा…तो नाज़िया और ज़्यादा मस्ती में सिसकने लगी…..और मैने नाज़िया के लेफ्ट मम्मे को मूह में भरते हुए उसके निपल को अपने दाँतों से हल्का हल्का खेंचना शुरू कर दिया….)

“हाआँ काट लो समीर…काटो इन कन्जरो को…सीईइ हाई चबा जाओ इन्हे..… सक देम… लिक्क देम… च्यू देम! ऊऊऊओ, यस! खुदा, आइ लोवे तट! आइ लव इट व्हेन यू सक्ड माइ टिट्स! आइ लव इट… लव टू हॅव माइ टिटीस सक्ड आंड लीक्ड….." मैं कभी नाज़िया के निपल्स को चूस्ता तो, कभी अपने दाँतों को नाज़िया के मम्मों के निपल्स पर गढ़ा देता…नाज़िया के मूह से हल्के दर्द और मस्ती भरी सिसकारियाँ निकल कर पूरे रूम मैं गूंजने लगी थी….नीचे नाज़िया अपनी बुन्द को और तेज़ी से ऊपेर की तरफ उछाल कर मेरे लंड को अपनी फुद्दि की गहराइयों मे ले रही थी….

"ओह्ह्ह्ह, शिट… लिक्क माइ टिट्स! सक माइ निपल्स! ओह, डू एनितिंग यू वान्ट… एनी फक्किंग थिंग यू वान्ट विद मी….ओह्ह्ह्ह समीररर्ररर प्लीज़ फक मी हार्ड….फक मी हार्ड…..” मैने नाज़िया के मम्मों को काफ़ी देर तक चूसा…और फिर अपनी कमर को तेज़ी से हिलाते हुए अपने लंड को और तेज़ी से उसकी फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया… “ओह्ह्ह्ह सामीएर बहुत मज़ा आ रहा है….हां ऐसे ही और ज़ोर से मेरे चुस्से को मारो..…कंट…फक मी हार्ड समीर…ओह्ह्ह फक मी हार्डर… मोर प्लीज़ समीर…..” 

मैं अब पूरी रफतार से नाज़िया की फुद्दि मैं अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था… नाज़िया के बदन मे धीरे-2 कसाव आने लगा था…वो अपने होंटो को अपने दाँतों में भींचे हुए आँखे बंद करके मस्ती मे लेटी हुई थी….मानो जैसे उसके अंदर ही अंदर कोई जवाला मुखी दहक रहा हो..और कभी भी फटने को हो….फिर एक दम से नाज़िया ने अपना मूह खोला और गहरी साँस लेते हुए सिसकते हुए चिल्लाई….” ओह्ह्ह्ह समीर ओह ये लो समीर ओह्ह्ह मेरी फुद्दि आए…..देखो समीर मेरी फुद्दि बजने वाली है….अहह और ज़ोर से चोदो मुझे और ज़ोर से….आह देखो मेरी फुद्दि अब रोने लगी है….देखो मेरी फुद्दि कैसे अपने यार लंड से मिल कर आँसू बहा रही है….अह्ह्ह्ह फाड़ दो मेरी फुद्दि ओह्ह्ह्ह कर दो मेरी फुद्दि को ठंडा….”

नाज़िया बुरी तरह काँपते हुए फारिघ् होने लगी….पर मेरे लंड ने अभी तक पानी नही छोड़ा था….नाज़िया का पूरा बदन झटके खा रहा था…उसकी कमर बुरी तरह झटके पे झटके खाने लगी….और मेरा लंड उसकी फुद्दि से बाहर आ गया….थोड़ी देर बाद नाज़िया ने अपनी मदहोशी से भरी आँखो से मेरे लंड की ओर देखा तो, उसे अहसास हुआ कि, मेरे लंड ने अभी तक पानी नही छोड़ा है….वो एक दम से उठी और दोनो घुटनो के बल बैठते हुए आगे की तरफ झुक कर डॉगी स्टाइल मे आ गयी….

मैने नाज़िया के पीछे आते हुए अपने लंड के कॅप को नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर रख और एक जोरदार धक्का मारा…इस बार मेरा लंड एक दम से फिसलता हुआ नाज़िया की फुद्दि की गहराइयों में समा गया…मैने बिना रुके नाज़िया की फुद्दि मे अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….नाज़िया ने पीछे की ओर फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा और फिर एक दम से चिल्लाते हुए सिसकने लगी….”ओह्ह्ह्ह फक समीर…..ओह्ह्ह्ह समीर मुझे यकीन नही हो रहा अह्ह्ह्ह या खुदाया …..ओह्ह्ह समीर मेरी फुद्दि आहह फिर से ओह बहुत मज़ा आ रहा है समीर तुम्हारा लंड लेकर….ओह्ह्ह्ह समीर मेरीई फुद्दि फिर से आहह पानी छोड़ रही है…..फक मी….”

इस बार नाज़िया की फुद्दि के साथ मेरे लंड ने भी उसकी फुद्दि की दीवारो को अपने गाढ़े पानी से सारॉबार कर दिया…नाज़िया के चेहरे पर संतुष्टी भरी मुस्कान फेली हुई थी… हम दोनो करीब 15 मिनिट तक बेड पर लेटे सुस्ताते रहे…
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03-08-2019, 03:08 PM,
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जब होश आया तो टाइम का अहसास हुआ…..हम दोनो एक साथ ही बेड से नंगे उठे और बाथरूम में घुस गये….और एक साथ नहा कर बाहर आए…..नहाने के बाद नाज़िया ने नाश्ता तैयार किया और हम बॅंक आ गये….शाम को बॅंक बंद होने के वक़्त जब हम घर जा रहे थे….तब नाज़िया को किसी की कॉल आई….जब उसने अपना मोबाइल निकाल कर देखा तो, ये उसके भाई की कॉल थी….नाज़िया ने कॉल रिसीव की और बात की….बात करने के बाद मैने नोट किया कि नाज़िया के फेस पर जो थोड़ी देर पहले स्माइल थी…वो गायब थी…

मैं: क्या हुआ नाज़िया सब ख़ैरियत तो है….

नाज़िया: हां सब ख़ैरियत है….वो भैया आए है…नज़ीबा को छोड़ने….

मैं: क्या नज़ीबा को छोड़ने…..

नाज़िया: हां वो मैं भूल ही गयी थी…परसो से उसका कॉलेज खुल जाना है….

मैं: तो इसमे परेशान होने वाली क्या बात है….

नाज़िया: नही परेशान होने वाली कोई बात नही है…पर….

मैं: पर किया….?

नाज़िया ने मेरी तरफ बड़े ही सीरियस अंदाज़ में देखा और कुछ सोचने के बाद बोली…” समीर मुझसे वादा करो….कि तुम नज़ीबा की मौजूदगी में कुछ भी ऐसा नही करोगे…..जिससे मेरा सर उसके सामने नीचा हो….?”

मैने नाज़िया की बात को गोर से सुना और फिर उससे वादा किया…..”तुम बेफिकर रहो…उसकी माजूदगी मे हम वैसे ही रहेंगे…..जैसे कल से पहले रहते थे…..” ऐसे ही हम बातें करते-2 घर के करीब पहुँच गये….”समीर तुम थोड़ी देर बाद आना…बाहर भाई साहब भी होंगे उनको नही पता कि तुम हमारे साथ रहते हो….”

मैं: क्या….पर कही नज़ीबा ने उनको ना बता दिया हो…?

नाज़िया: नही वो नही बताएगी….मैने उसे गाओं जाने से पहले से मना कर दिया था…. कि इस बारे मे कोई बात नही करनी….

मैं: पर मैं फिर घर कैसे आउन्गा….

नाज़िया: मैं गेट की कुण्डी नही लगाउन्गी तुम सीधा बाहर से ही ऊपेर चले जाना….

मैं: ठीक है….


मैं वही से वापिस मूड गया…और बाहर होटेल में खाना खा कर वापिस आया और सीधा ऊपर ही चला गया…उसके बाद और कोई खास बात नही हुई…अगले दिन सुबह नाज़िया का भाई चला गया….नाज़िया और नज़ीबा सुबह एक साथ ही घर से निकलती थी.. नाज़िया नज़ीबा को कॉलेज छोड़ कर बॅंक जाती थी….और मैं नाज़िया और नज़ीबा से पहले ही घर से निकलता था….अब हमारी यही रूटीन हो गयी थी…सुबह नाज़िया और नज़ीबा एक साथ जाते और जब नाज़िया और मैं घर पहुँचते तो नज़ीबा वहाँ पहले से माजूद होती….

15 दिन ऐसे ही निकल गये….और कोई ख़ास बात ना हुई….नाज़िया के साथ कुछ करना तो दूर मैं घर पर उससे बात भी नही कर सकता था…नाज़िया भी बेचैन रहने लगी थी….एक रात मैं अपने रूम में सो रहा था कि, मुझे डोर पर नॉक सुनाई दी… मैने उठ कर लाइट ऑन की और घड़ी की तरफ देखा तो, रात का 1 बज रहा था… मैने जल्दी डोर खोला तो देखा नाज़िया डोर पर खड़ी थी…

.”क्या हुआ नाज़िया सब ख़ैरियत तो है..तुम इस वक़्त यहाँ….?” 

इससे पहले कि मैं कुछ और कह पाता….नाज़िया ने मेरे मूह पर हाथ रखा और मुझे पुश करते हुए अंदर ले आई….और मुझे अंदर दीवार के साथ मेरी पीठ लगा कर मेरे मूह से अपना हाथ हटाया…..”कुछ भी ख़ैरियत नही है….समीर…..”

मैने हैरत से नाज़िया की तरफ देखा और उसे धीरे से कहा….”आख़िर हुआ क्या है…”

मेरी बात सुनते ही नाज़िया ने मेरे पाजामे के ऊपेर से मेरे लंड पर हाथ रखते हुए उसे दबाते हुए कहा….”समीर मेरी फुद्दि में आग लगी हुई है….मैं मर जाउन्गी….अब मुझसे और रहा नही जाता समीर…” मेरा लंड उस वक़्त एक दम ढीला था….और मैं उस वक़्त सेक्स के लिए बिल्कुल भी तैयार नही था….
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03-08-2019, 03:08 PM,
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नाज़िया ने मेरे लंड को दो तीन बार दबाया…और फिर नीचे पैरो के बल बैठते हुए मेरे पाजामे को पकड़ कर मेरी रानो तक नीचे कर दिया…जैसे ही मेरा सिकुडा हुआ लंड बाहर आया…नाज़िया ने मेरे लंड को अपने मुँह मे पूरा का पूरा ले लिया…. और इतना ज़बरदस्त चुप्पा लगाया कि, मेरे लंड के नसों मे मुझे खून का दौरा एक दम से तेज होता हुआ महसूस हुआ….जैसे ही मेरे लंड मे हल्की सी जान आई..नाज़िया ने मेरे लंड के कॅप को छोड़ कर बाकी के लंड को मुँह से बाहर निकाला और लंड के कॅप को इस तरह चूसने लगी….जैसे कोई बच्चा पाइप से कोल्ड्रींक को चूसने के लिए सीप करता है….

मैं उसे लफ़ज़ो मैं बयान नही कर सकता….उस वक़्त मुझे किस क़दर लज़्जत और मज़े का अहसास हो रहा था…नाज़िया ने मेरे लंड को एक मिनिट ही चूसा था…कि मेरा लंड एक दम सख़्त खड़ा हो गया….जैसे ही मेरे लंड खड़ा हुआ, नाज़िया ने मेरे लंड को मुँह से बाहर निकाला और एक हाथ से लंड को ऊपेर की तरफ उठाते हुए थोड़ा सा और झुक कर मेरे टट्टों पर अपनी ज़ुबान को फेरते हुए रगड़ने लगी…उसकी गरम ज़ुबान का अहसास पाते ही मेरे लंड ने ऐसा झटका खाया कि, मुझे ऐसा लगा कि, मेरा लंड पत्थर का बन गया हो….नाज़िया एक दम से खड़ी हो गयी….और अपनी शलवार के नाडे को पकड़ कर खोलते हुए, मुझसे बोली….”समीर चारपाई पर लेट जाओ…” मैं चारपाई पर लेट गया.. मेरी टांगे नीचे लटक रही थी..

और नाज़िया मेरे सामने खड़ी अपनी शलवार का नाडा खोल रही थी….” हाई खासमा नू खानी….” नाज़िया ने अपनी शलवार के नाडे को खोलने की जद्दो जेहद करते हुए कहा.. 

उसके लंड को फुद्दि मे लेने की बेकरारी को देख कर मेरा लंड और हार्ड होता जा रहा था….”क्या हुआ….?” मैने अपने लंड को हिलाते हुए कहा..

,,तो नाज़िया ऐसी बोली…जैसे लंड के लिए तड़पते हुए उसने अभी रोना शुरू कर देना है…. “नाडा नही खुल रहा…. समीर….” नाज़िया की हालत बहुत बुरी हो रही थी…..और फिर जब नाज़िया से बर्दास्त ना हुआ तो, नाज़िया ने वो किया…..जिसके बारे मे मैने कभी सोचा भी नही था… कि कोई औरत लंड लेने के लिए कितनी बेकरार हो सकती है… नाज़िया ने अपनी शलवार को फुद्दि वाली जगह से दोनो हाथो से पकड़ा और अपनी शलवार के सिलाई को दोनो हाथो से पकड़ कर अलग -2 खेंचा….

और मेरे देखते ही देखते उसके शलवार नीचे से चर्र की आवाज़ करते हुए फॅट गयी…जैसे ही नाज़िया की शलवार की सिलाई उधड़ी तो, नाज़िया पहले एक पैर को मेरी लेफ्ट रान के पास चारपाई के पावे के पास रखा और फिर दूसरे पैर को राइट रान के पास पावे पर रख कर मेरे ऊपेर आ गयी…नाज़िया अब चारपाई के पाओ पर पैरो के बल ऐसी बैठी हुई थी….जैसे कोई औरत मूतते हुए बैठती है….नाज़िया ने बैठते ही मेरे लंड को पकड़ा और लंड के कॅप के अपनी फटी हुई शलवार के अंदर करके, अपनी फुद्दि के लिप्स के दर्मियान जैसे ही रगड़ा….नाज़िया एक दम से सिसक उठी…. “हाईए ठंड पे गयी कूसे च….” और फिर नाज़िया ने लंड को फुद्दि के सूराख पर सेट करते हुए धीरे-2 नीचे की तरफ अपनी फुद्दि को दबाना शुरू कर दिया….

मेरे लंड का कॅप नाज़िया की गीली फुद्दि को खोलता हुआ जैसे, - 2 अंदर उतर रहा था… वैसी -2 नाज़िया की आँखे मस्ती मे बंद होती जा रही थी…और उसके होंटो पर मुस्कान फेलति जा रही थी…जैसे ही मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी फुद्दि की गहराइयों मे समाया…तो नाज़िया ने अपनी वासना से भरी आँखो को खोल कर मेरी तरफ देखा….और सिसकते हुए बोली… ”सीईईईईईई ओह्ह्ह्ह समीररर अब जाकर कही सकून मिला है…” और साथ ही नाज़िया ने मेरी चेस्ट पर हाथ रखते हुए, तेज़ी से अपनी बुन्द को ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया….”सीईईई हाईए समीररर आप बड़े बेरहम हो….आपको मेरी आँखो मे नज़र नही आता मैं कितना तड़प रही हूँ….”

मैं: तो मैं क्या करता….नज़ीबा हर वक़्त घर पर होती है…..

नाज़िया: नही समीर अह्ह्ह्ह मुझे लगता है अब आपका दिल मुझसे भर गया है…. 

मैं: नही नाज़िया ऐसी कोई बात नही है….

नाज़िया: तो फिर आपको पता ही है कि नज़ीबा दूसरे रूम मे सोती है…फिर इतने दिन आई क्यों नही….सीईईई अहह समीर…..

मैं: तुमने ही तो मना किया था….

नाज़िया: हां किया था…. जिस मुँह से किया था….उसी मुँह से कैसे कहती कि, अब आकर मेरे कूसे की आग बुझा दो…आपको समझना चाहिए….

मैं: तो तुम पहले आ जाती…अब भी तो आई हो…

नाज़िया: हां आई हूँ…जब फुद्दि की आग बर्दास्त से बाहर हो गयी….तब आई हूँ…. समीर कुछ करो ना…

मैं: क्या करूँ….

नाज़िया: मैं तुम्हारे लंड के बिना नही रह सकती…..(नाज़िया ने और तेज़ी से मेरे लंड के ऊपेर अपनी फुद्दि को मारते हुए कहा…)

मैं: तुम ही बताओ क्या करूँ…..

नाज़िया: कुछ भी करो….पर मुझे तुम्हारा लंड रोज चाहिए…..रोज…

मैं: फिर ऐसा करो…मेरा निकाह नज़ीबा से करवा दो….

नाज़िया मेरी बात सुन कर एक दम से रुक गयी….मेरा लंड उसकी फुद्दि में पूरा घुसा हुआ था…”समीर प्लीज़ फिर से वही बात ना दुहराओ….ये पासिबल नही है….” नाज़िया ने फिर से ऊपेर नीचे होना शुरू कर दिया…

.”वाह अपनी फुद्दि मे लंड चाहिए… और मेरे बारे में तुम कुछ सोचती भी नही…” 

नाज़िया: नही समीरररर मैं नज़ीबा को धोखा नही देना चाहती….

मैं: तो क्या मैं सारी उम्र कुँवारा बैठा रहूं….

नाज़िया: मैने कब मना किया है….तुम कुंवारे रहना….

मैं: फिर जब मेरी शादी हो जाएगी तुम क्या करोगी….

नाज़िया: तो क्या तुम शादी के बाद मुझे भूल जाओगे…

मैं: और क्या…अगर मैं शादी के बाद भी तुम्हारे साथ ये सब करता रहा तो, ये सब उस के साथ धोखा नही होगा…जिसके साथ मेरा निकाह होगा….

नाज़िया: पर समीर नज़ीबा मेरी बेटी है….मेरा खून है….उसके साथ मैं ये ना इंसाफी नही कर सकती….

मैं: अच्छा वो तुम्हारा खून है तो क्या मैने किसी अनाथ लड़की के साथ शादी करनी है…वो किसी का खून नही होगी..वो किसी की बेटी नही होगी…
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03-08-2019, 03:08 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
नाज़िया: ओह्ह समीर तुम ही बताओ मैं क्या करूँ….अब मुझसे और रहा नही जाता… (नाज़िया एक दम से मेरे ऊपेर से खड़ी हो गयी….)

मैं: क्या हुआ….

नाज़िया: जाओ समीर आपने तो मेरा मूड ही ऑफ कर दिया…ये बात बाद मे भी तो कर सकते थे…..नाज़िया ने चारपाई पर लेटते हुए कहा….

”तुम्हारा मूड अभी ठीक कर देता हूँ…” मैने नाज़िया के ऊपेर आते हुए कहा…और फिर नाज़िया की टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठाते हुए अपने लंड को उसकी फुद्दि के सूराख पर सेट करके एक जोरदार धक्का मारा…

.”हाईए मर गयी…..) नाज़िया ने सिसकते हुए मेरे कंधो को कस्के पकड़ लिया…… “हुनूहूनहूँ….समीर…..कोई रास्ता निकालो ना….” नाज़िया ने मेरी आँखो में देखते हुए कहा…

“रास्ता तुम्हारे सामने है…पर तुम उस पर चलने से डर रही हो…” 

नाज़िया ने मेरी आँखो मैं देखते हुए कहा…”क्या समीर…”

मैं: मेरा निकाह नज़ीबा से करवा दो…..

नाज़िया: पर समीर…..

मैं: पर क्या…..

नाज़िया: मैने कहा ना…मैं अपनी ही बेटी को धोखा नही दे सकती….

मैं: तुम्हे किसने कहा कि तुम नज़ीबा को धोखा दो…

नाज़िया: तो ये धोखा ही हुआ ना…

मैं: नही हम नज़ीबा से कुछ नही छुपाएँगे….

नाज़िया: समीर तुम पागल तो नही हो गये….नज़ीबा किया सोचेगे मेरे बारे मैं.. . मैं तो उसके सामने आँख उठाने के काबिल भी नही रहूंगी….

मैं: कुछ नही होगा….

नाज़िया: ऐसा कुछ नही होगा…तुम्हे नही पता समीर….मैने तो मर जाना है…अगर उसको पता चला तो,

मैं: और अगर नज़ीबा खुद ये सब जान कर तैयार हो जाए तो,

नाज़िया: समीर तुम बच्चों जैसी बात क्यों कर रहे हो….नही ऐसा नही होता….

मैं: वो तुम सब मुझ पर छोड़ दो…

नाज़िया: नही समीर तुम ऐसी वैसी कोई भी हरक़त नही करोगे….

मैं: तुम मुझ पर भरोसा करके तो देखो…सिर्फ़ एक बार….मेरी जान सिर्फ़ एक बार… अगर तुम मुझे मुहब्बत करती हो तो, सिर्फ़ एक बार मुझे कॉसिश तो करने दो….

नाज़िया: पर समीर….

मैं: पर वर कुछ नही…तुम मुझसे प्यार भी करती हो या नही….या सिर्फ़ मेरे लंड से ही प्यार है….

मेरी बात सुनते ही, नाज़िया ने मेरी आँखो मे हैरत से देखा और कुछ सोचने के बाद बोली…”समीर देख लेना कही मेरा छोटा सा घर ना टूट जाए….मैं सच कहती हूँ अगर कुछ हुआ तो उसके ज़िमेदार तुम होगे….और मैने ख़ुदकुशी कर लेनी है…” नाज़िया ने रुआंसी आवाज़ मे कहा…

.”ऐसी नोबत नही आएगी…मुझ पर यकीन करो….” मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि से बातों-2 में कब बाहर आ गया था…पता नही चला…और फिर जैसे ही मैने अपने लंड को दोबारा उसकी फुद्दि मे डालना चाहा तो, नाज़िया मना करने लगी….”नही समीर रहने दो….अब मेरा बिल्कुल भी मूड नही है….”

मैं: रूको तो सही..मैं तुम्हारा मूड बनाता हूँ..

नाज़िया: समीर मैने कहा ना हटो पीछे मेरा सच मे मूड नही है….

पर मैने नाज़िया के बात को अन सुना करते हुए, अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर रख कर फिर से धक्का मारा…मेरा लंड जैसे ही नाज़िया की फुद्दि में गया… मैने शॉट लगाने शुरू कर दिए….नाज़िया चुप चाप बेजान इंसान की तरह लेटी हुई थी….”अब क्या हुआ….?” मैने नाज़िया को चुप देख कर पूछा
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03-08-2019, 03:08 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
…”समीर जो करना है जल्दी कर लो…मुझे नीचे जाना है….” 

मैं: क्यों अब तुम्हारा दिल नही कर रहा….

नाज़िया: नही….(नाज़िया ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा….)

मैं: मुझे पता है अब तुम्हारा मूड उसी दिन बनना है….जिस दिन नज़ीबा ने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर तुम्हारी फुद्दि में डालना है…..

नाज़िया: समीर ये क्या बेहुदगी है…..

मैं: सच कह रहा हूँ….जिस दिन नज़ीबा मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर तुम्हारी फुद्दि में डालेगी…उस दिन ही अब तुम्हारी फुद्दि ने पानी छोड़ना है…

नाज़िया: समीर प्लीज़ ऐसी बातें ना करो….

मैं: चलो मेरा लंड ना सही….पर जब वो तुम्हारी फुद्दि के लिप्स खोल कर मेरा लंड तुम्हारी फुद्दि में डलवायेगी तब तो, तुम्हारी फुद्दि पानी छोड़ेगी ना….

नाज़िया: समीर प्लीज़ ऐसी बातें तो ना करो….

मैं: मैं ऐसी बातें इस लिए कर रहा हूँ…कि आगे यही सब कुछ होना…सोचो जब मैं तुम्हारे फुद्दि में घस्से मार रहा हुंगा तब नज़ीबा तुम्हारे एक मम्मे को चूस रही होगी….और मैं तुम्हारे दूसरे मम्मे को….

नाज़िया: सीईईईई ओह समीर…..प्लीज़ चुप हो जाओ….ओह्ह्ह सीईईईईई समीर…मुझे इतना गंदा ना बनाओ…

मैं:इसमे गंदे होने वाली बात कॉन सी है…सोचो कर देखो….जब तुम्हारी फुद्दि में मेरा लंड होगा…तो नज़ीबा की फुद्दि कैसे तुम्हे चुदते हुए देख कर पानी छोड़ेगी….कैसे तुम्हे मुझसे फुद्दि मरवाते हुए देख कर जब वो गरम हो जाएगी… तो वो तुम्हारे होंटो को चुसेगी…और तुम नज़ीबा के होंटो को चुसोगी…..

नाज़िया: ओह समीईईईईररर….मैने पागल हो जाना है….अहह ओह….

मैं झुक कर नाज़िया के होंटो के करीब अपने होंटो को ले गया….और उसके होंटो के साथ अपने होंटो को हलका सा टच करते हुए बोला..”बताओ तुम नज़ीबा के होंटो को कैसी चुसोगी…..” जैसे ही मैने नाज़िया के होंटो को अपने होंटो में लेकर सक करना शुरू किया तो, नाज़िया को पता नही कैसा दौरा पड़ा…वो मेरे होंटो पर टूट पड़ी.. और पागलो की तरह मेरे होंटो को चूस्ते हुए अपनी बुन्द को फुल स्पीड से ऊपेर की तरफ उछालते हुए अपनी फुद्दि को मेरे लंड पर पटकने लगी….उसकी सिसकारियाँ उसके मुँह मे ही घुट कर रह गयी…..उसके जोश और फुद्दि की गरमी के आगे मैं ज़्यादा देर ना टिक पाया…और अगले ही पल मैने उसकी फुद्दि में अपना माल गिराना शुरू कर दिया… नाज़िया का जिस्म भी ऐसे कांपा….जैसे उसने करेंट की नंगी तारों को छू लिया हो….नाज़िया भी बहाल होकर मुझ पर गिर पड़ी…
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