Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 03:01 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
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मैने वेटर को बिल दिया….और हम दोनो बाहर आ गये….”शाह जी आज तो सच में बहुत ज़यादा हो गयी….” अहमद ने लड़खड़ा कर चलते हुए कहा…तो मैने उसे सहारा देकर रोड क्रॉस करवाई और फिर हम दोनो उस कोठी की तरफ चल पड़े… वहाँ पहुँच कर मैने धीरे से गेट खोल और फिर अंदर दाखिल होकर गेट बंद किया और कोठी के हॉल के मेन डोर पर पहुँचे तो, अहमद ने मुझे अपनी जेब से डोर की चाबी निकाल कर दी….क्योंकि अहमद इतने ज़यादा नशे मे था कि, वो चाबी भी नही लगा सकता था…मैने धीरे डोर खोला और हम दोनो अंदर दाखिल हुए….मैने अहमद को दीवार के साथ खड़ा किया और डोर को लॉक किया…

.”अब कहाँ जाना है…?” मैने अहमद को सरगोशी से भरी आवाज़ में कहा…तो अहमद ने सीढ़ियों की तरफ देख कर इशारा किया….मैं अहमद को सहारा देकर ऊपेर ले आया….”वो उस रूम में चलिए शाह जी..” अहमद ने धीरे से कहा…तो मैं उस रूम के पास पहुँचा और रूम खोल कर हम दोनो अंदर दाखिल हुए….मैने लाइट ऑन की और रूम का जायज़ा लिया…अंदर एक चारपाई पड़ी हुई थी….

जिस पर बिस्तर बिछा हुआ था…मैने अहमद को चारपाई पर बैठाया और धीरे से बोला.. “तुम कहाँ सोते हो….?” तो अहमद ने नशे में चूर आँखो से मुझे देखा और मुस्कुराते हुए बोला…”आप यहाँ सो जाओ….मेरा रूम वो वाला है….” अहमद ने डोर से बाहर एक रूम की तरफ इशारा करते हुए कहा….” अच्छा तो क्या तुम्हारी मालकिन ऊपेर उस रूम में आती है तुम्हारे पास….”

मेरी बात सुन कर अहमद ने मुस्कुराते हुए हां में सर हिलाया और चारपाई पर लेट गया….उसकी आँखे नशे में बंद होती जा रही थी….मुझे पता था कि, अब वो जल्द ही सो जाएगा…..मैने अहमद के ऊपेर रज़ाई डाल डी….और गर्माहट मिलते ही थोड़ी देर में अहमद को गहरी नींद आ गयी….

तभी मुझे सीढ़ियों से किसी के ऊपेर चढ़ने की आवाज़ आई….तो मैने जल्दी से लाइट ऑफ की और रूम से बाहर आकर उस रूम को बाहर से लॉक कर दिया….अब ऊपेर हॉल में बेहद अंधेरा था…मैं वहाँ लगे हुए एक टेबल के पीछे छुप कर बैठ गया…और फिर मुझे अंधेरे मे एक साया सीढ़ियों से ऊपेर आता नज़र आया….सबीना ऊपेर आ चुकी थी…और ये वही वक़्त था….जब मुझे अपनी जिंदगी का सबसे बेखोप फैंसला लेना था…सबीना अंधेरे में बढ़ती हुई उसी रूम की तरफ जाने लगी….जिस तरफ अहमद ने इशारा किया था….मैने चेहरे पर रुमाल बाँधा…

और फिर जैसे ही सबीना उस रूम मे दाखिल हुई…मैं तेज़ी से टेबल से पीछे से निकल कर उस रूम में पहुँचा….इससे पहले कि सबीना को कुछ समझ आता.. मैने पीछे से उसे अपने बाज़ुओं में पकड़ लिया…और एक हाथ उसके मूह पर रख दिया… “मूह से आवाज़ बाहर नही आनी चाहिए…नही तो अंज़ाम बहुत बुरा होगा….” मैने धीरे से सरगोशी में सबीना के कान के पास अपने होंटो को लेजाकर कहा…और दूसरे हाथ से उसके नाइट गाउन के ऊपेर से उसके लेफ्ट मम्मे को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा…जो उसने उस वक़्त पहना हुआ था…

मेरी बात सुन कर सबीना ने मुझे हैरत से भरी नज़रों से देखा….और लड़खड़ाती हुई ज़ुबान में बोली…”आख़िर तुम हो कॉन….?” अब उसके चेहरे के हाव भाव बदल चुके थे…अब उसे इस बात की परवाह नही थी कि, मैं उसके मम्मों को बेदर्दी मसल रहा हूँ…अब वो इस सोच में डूबी हुई हैरानी और खोफ़ज़दा नज़रों से मेरी तरफ देख रही थी…और ये सोचने की कॉसिश कर रही थी कि, आख़िर मैं हूँ कॉन….मैने उसकी इस हालत का फ़ायदा उठाते हुए उसके मम्मे को दबाते हुए अपने रुमाल को चेहरे से हटा लिया….जैसे ही मैने अपने रुमाल को उतारा तो, मेरे चेहरे को देखते ही उसके चेहरे का रंग और उड़ गया…..

सबीना: समीर तुम….

मैं: हां मैं….तुमने क्या सोचा था कि, तुम अब्बू और मुझे बेवकूफ़ बनाती रहोगे और हम बनता रहेंगे…..

सबीना: ये क्या बदतमीज़ी है….छोड़ो मुझे….और तुम ये सब क्या कह रहे हो…अहमद कहाँ है….और तुम तुम यहाँ कैसे आए….

मैं: चुप साली सब बताता हूँ….पहले ये देख…..

मैने सबीना को छोड़ कर अपने जेब से अपना मोबाइल निकाला और वही वीडियो प्ले करके उसको दिखाए…जो उस दिन मैने उसके घर में बनाए थे…वीडियो देखते ही सबीना का रंग पीला जर्द पड़ गया….”अब बोल ये सब क्या है…तू अब्बू को धोखा दे रही है…और साली तुम उनसे निकाह करने के खवाब देख रही हो…अपने नौकर के साथ ये सब करते हुए तुम्हे शरम नही आती……

सबीना: लिसन समीर आइ आम वेरी सॉरी….मैने तुम्हारे अब्बू के साथ जो कुछ भी किया…मैं उसके लिए माफी मांगती हूँ….पर प्लीज़ समीर ये बात अपने अब्बू को ना बताना…मैं कही की नही रहूंगी….

मैं: मेरे हिसाब से ग़लती की सज़ा मिलती है….माफी नही….सबीना जी….(मैने रूम की लाइट ऑन करते हुए कहा…रूम की लाइट ऑन होते ही पूरे रूम में रोशनी फेल गयी..

मैने सबीना को कंधो से पकड़ घुमा कर दीवार से लगा दिया….”आख़िर तुम चाहते क्या हो…...”सबीना ने हैरत और खोफ़ज़दा नज़रों से मुझे देखते हुए कहा….तो मैने उसके नाइट गाउन के रिब्बन को खोलना शुरू कर दिया…जिसको पेट पर बाँधा जाता है….और जैसे ही मैने उसके गाउन के रिब्बन को खोला तो, उसके नाइट गाउन के दोनो तरफ के पल्ले उसके मम्मों से हट गये….और उसके 38 साइज़ के बड़े-2 मम्मे बाहर मेरी नज़रों के सामने आ गये….”रुक जाओ समीर अहह तुम आह क्या कर रहे हो….मैं कहती हूँ अभी भी वक़्त है छोड़ दो प्लीज़ जाने दो समीर…..कही तुम्हारे अब्बू ऊपेर ना आ जाएँ…” सबीना ने अपने आप को मुझसे छुड़ाने की कॉसिश करते हुए कहा….
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03-08-2019, 03:01 PM,
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मैं: चुप कर साली रांड़….उस नौकर की लुल्ली को फुद्दि में लेकर अपने जिस्म की आग को ठंडा करने की कॉसिश करती हो….एक बार मेरा लंड लेकर देख लो….सच कहता हूँ… रोज मुझसे चुदवाने के लिए भीख माँगो गी….

सबीना मेरे सामने दीवार के साथ लगी खड़ी थी…..उसके बड़े-2 मम्मे तेज साँस लेने से ऊपेर नीचे हो रहे थे…..जो उसके गाउन के फ्रंट साइड से खुले होने के कारण अब बेपर्दा हो चुके थे….मैने सबीना की तरफ देखते हुए अपने पाजामे और अंडर वेअर के इलास्टिक को पकड़ कर अपनी रानों तक नीचे सरका दिया…. जैसे ही मेरा लंड बाहर आया तो, सबीना की आँखे खुली की खुली रह गये….शायद सबीना अपनी लाइफ में पहली बार इतना बड़ा लंड देख रही थी….उसके फेस पर हैरत से भरे एक्सप्रेशन सॉफ नज़र आ रहे थे….मैने अपने लंड को पकड़ कर दो चार बार हिलाया और उसकी तरफ देखते हुए बोला…”क्यों कैसा है….?”

और फिर जैसे ही मैं सबीना की तरफ बढ़ा….तो उसने खोफ़ज़ादा अंदाज़ में काँपती हुई आवाज़ में बोला….”नही समीर ये ठीक नही है…तुम्हारे अब्बू और मैं शादी करने वाले है…प्लीज़ ऐसा ना करो…” सबीना ने नज़रें नीचे करते हुए कहा….”ओह्ह कमऑन आंटी इसमे क्या बुरी बात है…..नौकर का ले सकती हो तो, मेरा क्यों नही…..”

ये कहते हुए जैसे ही मैं सबीना के पास पहुँचा…..तो सबीना ने घबरा कर मेरी तरफ पीठ कर ली….अब मंज़र ये था कि सबीना के फ्रंट साइड दीवार से लगी हुई थी….मैने सबीना को पीछे से कमर से पकड़ते हुए अपने लंड को पकड़ कर उसकी बुन्द की लाइन में धंसा दिया…उस वक़्त मैं खुद इतने जोश मे था कि, मुझे पता नही चला कि, मेरे लंड का कॅप उसकी फुद्दि के सूराख पर जा टिका….जैसे ही सबीना ने मेरे लंड की गरम कॅप को अपनी फुद्दि के सूराख पर महसूस किया…तो उसका बदन एक दम से थरथरा गया….”ना ना नही समीर अहह ओह सीईईईईईईई ओह अम्मी……” इससे पहले कि सबीना मुझे कुछ कह पाती…. मैने एक ज़ोर दार धक्का मार कर अपने आधे से ज़यादा लंड को उसकी फुद्दि के सूराख में घुसा दिया…..

सबीना: ओह्ह्ह्ह शिट अहह रुक जाओ समीर……ओह्ह्ह ये बहुत मोटा है…..

मैं: चुप कर अब क्या पूरा मोहल्ला इकट्ठा करेगी…..

मैने बिना रुके उसके बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खेंचते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….कुछ ही शॉट्स लगाने के बाद मैने महसूस किया कि सबीना की फुद्दि जो पहले एक दम खुसक थी….अब गीली होनी शुरू हो गयी थी…..मैने उसकी कमर से अपने हाथो को हटा कर आगे लेजाते हुए उसके बड़े-2 मम्मों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया….

“कैसा लग रहा है….अह्ह्ह्ह देख अब तो तेरी फुद्दि ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया….सच सच बताना आंटी……उस नौकर के साथ कभी इतना मज़ा आया था…”मैने सबीना के मम्मों को खेंचते हुए अपने लंड को और तेज़ी से सबीना की फुद्दि में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…

.”अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह समीर धीरे-2 नही समीर ये ये ठीक नही है…अगर तुम्हारे अब्बू को पता चला तो मैं कही की नही रहूंगी…..” सबीना ने सिसकते हुए कहा….. 

“घबराओ नही आंटी जी…..अब्बू को पता नही चलेगा….ये हमारा सीक्रेट है….और आपकी और अहमद वाली बात भी सीक्रेट ही रहेगी……” मैने अपने लंड को सबीना की फुद्दि की गहराइयों में उतार कर शॉट लगाने बंद करके कहा….

“ पर समीर कही अहमद ना देख ले…..अगर उसे पता चला तो प्राब्लम हो जाएगी….प्लीज़ हट जाओ….कही वो ही तुम्हारे अब्बू को ना बता दे…”सबीना ने गहरी साँसे लेते हुए कहा…

.”उसे पता नही चलेगा…वो तो दूसरे रूम में शराब पेकर सो रहा है…पूरी बॉटल पिलाई है….सुबह से पहले नही उठेगा…और उसके रूम की बाहर से कुण्डी लगा दी है….” अब तक मैं वैसे ही अपना लंड उसकी फुद्दि में डाले खड़ा था……”

समीर तुम तुम क्या…….” सबीना बोलते-2 चुप हो गयी….

मैं: मैं क्या….?

सबीना: तुम क्या फारिघ् हो गये हो…..

मैं: नही तो क्यों…

मुझे अहसास हुआ कि, मैं वैसे ही उसकी फुद्दि मे लंड डाले बिना हरक़त के खड़ा हूँ…सबीना की बात सुनते ही मैने फिर से जबरदस्त शॉट लगाने शुरू कर दिए…

.”ओह्ह्ह्ह समीर प्लीज़ ओह फक…ओह्ह्ह इट्स फील्स सो गुड….” उसने सिसकते हुए कहा…तो मैने अपने लंड को और तेज़ी से उसकी फुद्दि के सूराख के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…. “ओह्ह्ह्ह शिट समीर धीरे उफफफ्फ़ धीरे समीर…इट्स हर्ट ओह्ह्ह्ह उंघह….” 

मैं: क्या ज़यादा दर्द हो रहा है…..?

सबीना: नही अहह सीईईईईईईईई ओह समीर मज़ा भी बहुत आ रहा है…

सबीना: ओह्ह्ह्ह समीर ओह्ह्ह समीर यहाँ कोई देख लेगा…प्लीज़ डोर तो बंद कर दो..

मैं: अब यहाँ किसने आना है…..जो देख लेगा….

मैने उसके बालो को पकड़ कर पीछे की तरफ और ज़यादा ज़ोर से खेंचा और पूरी ताक़त से और तेज़ी से अपने लंड को बाहर निकाल-2 कर अंदर घुसाने लगा……”ओह्ह्ह गॉड समीर….अहह ओह्ह्ह्ह समीर….हाई आह धीरे समीर…...”

मैं: चल साली शुरू हो जा….अपनी बूँद हिला आगे पीछे करके….

मैने एक और थप्पड़ उसकी बुन्द पर जड़ते हुए कहा…

.”अहह सीईईई हाां करती हूँ…..” सबीना ने सिसकते हुए धीरे-2 अपनी बुन्द को आगे पीछे करना शुरू कर दिया…मेरा लंड उसकी फुद्दि की दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होने लगा…सबीना की फुद्दि जिस कदर पानी छोड़ रही थी….उसे देख कर लग रहा था कि, जैसे मैं किसी 21-22 साल की जवानी से भरपूर लड़की को चोद रहा हूँ….कुछ ही पलों में मेरा लंड उसकी फुद्दि से निकल रहे पानी से सन गया…और फिसलता हुआ अंदर बाहर होने लगा था….मैने सबीना के बालो को छोड़ कर फिर से सबीना की बुन्द को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया….”और तेज…” मैने ज़ोर से सबीना की बुन्द को मसलते हुए कहा…..तो सबीना ने अपनी बुन्द को और तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया…..
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03-08-2019, 03:02 PM,
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मैं: क्यों मज़ा आ रहा है ना…..मेरा लंड अपनी फुद्दि में लेकर….?

मैने सबीना की बुन्द को मसलते हुए कहा….पर सबीना ने कोई जवाब ना दिया….और अपनी बुन्द को आगे पीछे करती रही….मैने एक और थप्पड़ उसकी बुन्द पर झाड़ते हुए कहा….”बोल साली मज़ा आ रहा है ना….?” इस पर सबीना नही में सर हिलाने लगी….मैने एक और थप्पड़ उसकी दूसरी साइड वाले चूतड़ पर झाड़ दिया….”झूठ बोलती है साली….बोल मज़ा आ रहा है तुझे….देख तेरी फुद्दि कैसे मेरे लंड पर पानी छोड़ रही है….देख मेरा पूरा लंड तेरी फुद्दि के पानी से गीला हो गया है...तुझे मज़ा आ रहा है… तू झूट बोल रही है बोल….” 

सबीना: सीईइ अहह ना नही समीर ओह…..

सबीना ने सिसकते हुए नही कहा तो, मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा….और उसकी बुन्द को दोनो तरफ फेला कर मसलते हुए उसकी बुन्द के सूराख के में अपनी उंगली से कुरेदना शुरू कर दिया….”तुम चाहे जितना मर्ज़ी छुपा लो…पर तुम्हारी फुद्दि मेरे लंड पर पानी बहा-2 कर बता रही है कि, तुम्हे मेरा लंड अपनी फुद्दि में कितना अच्छा लग रहा है….” सबीना की स्पीड धीरे-2 अब बढ़ती जा रही थी….जब मेरे लंड का कॅप उसकी फुद्दि की गहराइयों से जाकर टकराता तो, सबीना मस्ती मे सिसक उठी…..”अह्ह्ह्ह समीररर प्लीज़ ऐसी बातें मत करो…” 

मैं: क्यों शरम आ रही है…..साली लंड लेकर क्या शरमाना….

अचानक से सबीना की स्पीड और तेज हो गयी….उसका बदन अकडने लगा…”ओह्ह समीर ओह्ह्ह गॉड उंह सीईईईईई ओह समीर…..आह हां मज़ा आ रहा है….ओह्ह्ह समीर इतना सुख आज तक नही मिला…..अहह उंह अहह”

सबीना का पूरा बदन थरथरा उठा…उसकी जांघे बुरी तरह से कँपने लगी…,..और फारिघ् हुई वो मेरे ऊपेर लूड़क गयी…. मेरा लंड अभी भी उसकी फुद्दि में घायल नाग की तरह फूँकार रहा था…सबीना की फुद्दि से फारिघ् होते हुए पानी की नदी बह निकली…..सबीना बुरी तरह काँपते हुए नीचे पैरों के बल बैठ गयी…मेरा लंड उसकी फुद्दि से बाहर आ चुका था…जैसे ही वो दीवार के साथ पीठ टिका कर नीचे बैठी….मैने अपने लंड को उसके चेहरे के ठीक ऊपेर करते हुए अपने लंड को तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया…. 


सबीना अपनी आँखे बंद किए हुए बुरी तरह हाँफ रही थी….और कुछ ही पलों में मेरे लंड से गाढ़े सफेद पानी की बोछार निकल कर उसके चेहरे पर गिरने लगी…अपने चेहरे पर मेरे लंड से निकले मेरे पानी को महसूस करते ही, उसका पूरा बदन एक बार फिर से थरथरा गया…..
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03-08-2019, 03:02 PM,
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मैने अपना पाजामा और अंडरवेर ऊपेर किया तो, सबीना एक दम से खड़ी हो गयी… और अपना गाउन ठीक करते हुए बोली…”समीर अब तुम जाओ यहाँ से….कही ये ना हो कि तुम्हारे अब्बू तुम्हे यहाँ देख लें और कोई मसला हो जाए…” सबीना थोड़ा घबराई हुई आवाज़ में बोली….

मैं: अब्बू कैसे देख लेंगे….तुम तो उन्हे शराब के नशे और नींद की गोली देकर ऊपेर अहमद से चुदने आती हो…..

सबीना: हां पर वो आज तुम्हारे अब्बू ने शराब नही पी….पता नही क्यों पर कह रहे थी कि उनका मूड नही है…..मैं अहमद को ऊपेर यही बताने आई थे….प्लीज़ अब तुम जाओ यहाँ से…..

मैं: पर अब मैं इस वक़्त कहाँ जाऊ….अब तो कोई बस भी नही मिलेगी….

सबीना: अच्छा अच्छा ठीक है तुम एक काम करो…..यही सो जाओ….और अंदर से कुण्डी लगा लेना…सुबह जल्दी यहाँ से चले जाना…कही तुम्हारे अब्बू ने देख लिया तो बहुत बड़ा मसला हो जाना है…

मैं: ठीक है….

सबीना: मैं नीचे जाती हूँ….कही तुम्हारे अब्बू उठ गये तो, मसला हो जाना है…

उसके बाद सबीना नीचे चली गयी….सबीना के जाने के बाद मैने रूम को अंदर से लॉक किया और बेड पर लेट गया…फिर नींद भी आ गयी….मोबाइल पर अलार्म पहले से ही सेट कर लिया था….इसलिए सुबह जल्दी उठने में कोई मसला नही हुआ….और उठ कर में उसी रूम मे गया….जहाँ अहमद सो रहा था….मैने अहमद को उठाया…तो अहमद आँखे मालता हुआ उठ कर बैठ गया… “कितन टाइम हुआ शाह जी….”

मैं: 5 बजे गये है….मुझे अब यहाँ से निकल जाना चाहिए….

अहमद: हां ठीक है शाह जी…..

उसके बाद मैं वहाँ से निकल कर रोड की तरफ चल पड़ा….अहमद मुझे बाहर तक छोड़ गया था…और वहाँ से किसी तरह एक गाड़ी पकड़ी जो सुबह-2 सब्जी मंडी जा रही थी.. उनसे लिफ्ट लेकर किसी तरह अपने गाँव पहुँचा….और घर पहुँच कर मैने डोर बेल बजाई थोड़ी देर बाद नाज़िया ने गेट खोला तो, मुझे सुबह-2 देख कर चोंक गयी…. “समीर इतनी सुबह-2 सब ख़ैरियत तो है….”

मैं: हां सब ठीक है….

उसके बाद मैं अपने रूम मे आ गया….और फिर से आँख लग गयी….फिर आँख 9 बजे तब खुली जब नाज़िया ने मुझे आकर उठाया और कहा कि नाश्ता कर लो…आज नाज़िया की बॅंक से छुट्टी थी….मैने उठ कर नाश्ता किया और फिर ऊपेर छत पर चला गया….आज ऊपेर धूप बहुत अच्छी लगी हुई थी…..मैं छत पर इधर उधर टहलने लागा…. अभी थोड़ा ही टाइम हुआ था कि, मुझे सीढ़ियों से किसी के ऊपेर आने की आवाज़ आई… मैने घूम कर सीढ़ियों की तरफ देखा तो, नाज़िया बेड के गद्दे उठा कर ऊपेर लाई थी….”समीर प्लीज़ स्टोर रूम से तरपाल लाकर नीचे बिछा दो….मुझे गद्दों को धूप लगवानी है….” 

नाज़िया की बात सुन कर मैं स्टोर रूम मे गया…..और तरपाल लेकर बाहर आया…फिर मैने तरपाल को छत के बीचो बीच बिछा दिया….तो नाज़िया उस पर गद्दा डाल कर दूसरा गद्दा लेने नीचे चली गयी….मैं फिर से छत पर टहलने लगा…छत पर टहलते -2 मेरी नज़र उस गद्दे पर पड़ी….तो सुस्ती ने घेर लेया….मैं गद्दे के पास गया और चप्पल उतार कर गद्दे पर आँखे बंद करके लेट गया….थोड़ी देर बाद नाज़िया दूसरा गद्दा भी ले आई….और उसे भी तरपाल पर साथ मे डाल दिया….मैने आँखे खोल कर नाज़िया की तरफ देखा तो, वो झुक कर गद्दे को सेट कर रही थी….
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03-08-2019, 03:03 PM,
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उस वक़्त उसने महरूण कलर की सलवार कमीज़ पहनी हुई थी…..और दुपट्टा नही लिया था….झुकने की वजह से उसके मम्मे कमीज़ के गले से बाहर की तरफ आने के लिए मचल रहे थे…उसके दूध जैसे मम्मे जो उस वक़्त उसकी ब्लॅक कलर की ब्रा मे कसे हुए थे….देख कर मेरा लंड मेरे पाजामे में हलचल करने लगा था.. “समीर यहाँ से उठो….मुझे गद्दों को झाड़ना है…” नाज़िया ने गद्दे को सेट करने के बाद स्टोर रूम की तरफ जाते हुए कहा…पर मैं वैसे ही लेटा रहा….थोड़ी देर बाद जब नाज़िया रूम से बाहर आई…तो उसके हाथ मे एक मोटा सा डंडा था…. वो डंडा लेकर गद्दो की तरफ बढ़ी तो, मैने उसकी तरफ हाथ करके कहा… “रूको-2 मुझे मत मारना…उठ रहा हूँ…..” 

नाज़िया मेरी बात सुन कर क़हक़हे से हँस पड़ी….और गद्दों के ऊपेर चढ़ कर मेरे पास आती हुई बोली…..”ये तुम्हे मारने के लिए नही लाई हूँ…इससे गद्दों की धूल झाड़नी है…..हाहाहा…..” नाज़िया लगातार हँसे जा रही थी….

”अच्छा जी बड़ी हँसी आ रही है….जाओ मैं भी नही उठता अब….” मैने आँखे बंद करते हुए कहा…तो नाज़िया अपनी हँसी पर कंट्रोल करती हुई बोली…

.”समीर प्लीज़ उठो ना….मुझे गद्दे झाड़ने दो….” मैने आँखे खोल कर नाज़िया की तरफ देखा तो, नाज़िया ने एक हाथ अपनी कमर पर रखा हुआ था…और दूसरे हाथ में डंडा पकड़ा हुआ था….”तुमने सुना नही मैने क्या कहा…जाओ मैं नही उठता…”

नाज़िया: समीर अब उठ भी जाओ…..मुझे काम करने दो….वरना मैने सच मे तुम्हारी डंडे से पिटाई कर देनी है….

नाज़िया की बात सुन कर मैने फिर से आँखे बंद कर ली…नाज़िया ने डंडे को नीचे गद्दे पर फेंका और मेरे करीब आकर मुझ पर झुक गयी…फिर उसने मेरा बाज़ू पकड़ा और मुझे खेंच कर उठाने की कॉसिश करने लगी…नाज़िया ने मुझे मेरी कलाई से पकड़ा हुआ था…जैसे ही मुझे उठाने के लिए नाज़िया ने खेंचना शुरू किया…तो मैने नाज़िया का हाथ पकड़ कर उसे खेंच कर अपने ऊपेर गिरा लिया….नाज़िया को इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नही था….जैसे ही नाज़िया मेरे ऊपेर गिरी तो, मैने उसकी पीठ पर अपनी बाज़ुओं को कस लिया…..

“अह्ह्ह्ह समीर….ये क्या कर रहे…..छोड़ो जल्दी कोई देख लेगा….” नाज़िया ने मेरी बगलो की साइड से हाथ गद्दे पर रख कर उठने की कॉसिश करते हुए कहा…पर मैने नाज़िया को मजबूती से अपने बाजुओं की ग्रिफ्त मे लिया हुआ था….”छोड़ो समीर कोई देख लेगा….” नाज़िया ने मुझसे अलग होने की जद्दो जेहद करते हुए कहा….”यहाँ पर किसी की नज़र नही पड़ती…..” मैने नाज़िया के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा….जो उस वक़्त नाज़िया के ज़ोर लगाने और तेज धूप की वजह से एक दम लाल सूराख हो रहा था… “समीर हट जाओ….मैने तुमसे उस दिन क्या कहा था….”

मैं: मुझे सब याद है….पर मैं कुछ ग़लत तो नही कर रहा हूँ….

मैने अपना एक हाथ नाज़िया की कमर से हटा कर उसके सर के पीछे लेजाते हुए कहा….और उसके सर को पकड़ कर उसके होंटो को अपने होंटो की तरफ झुकाने लगा….ज़ोर लगांने की वजह से नाज़िया की साँसे बहुत तेज चल रही थी…..उसके मम्मे मेरे सीने पर दबे हुए थे….एक नरम सा अहसास और उस अहसास की लेज़्जत मेरे जेहन के हर कोने में घुसती जा रही थी….उसकी गरम और महकती हुई सांसो को अपने फेस पर महसूस करके एक अजीब सा नशा मुझ पर चढ़ता जा रहा था….

.”नही समीर….ये ठीक नही है…?” नाज़िया ने थोड़ी उखड़ी और थोड़ी घबराई हुई आवाज़ में कहा…..घबराई हुई ऐसी कि जैसे नाज़िया को खुद का फिर से बहक जाने का डर हो…
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03-08-2019, 03:03 PM,
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नाज़िया की जदोजेहद ख़तम हो चुकी थी….अब वो सिर्फ़ अपने होंटो को मेरे होंटो से दूर रखने की कॉसिश कर रही थी….और फिर जैसे ही मैने उसके होंटो को अपने होंटो के करीब किया…नाज़िया ने अपना फेस एक दम से घुमा लिया…और मेरे होन्ट उसके सुर्ख हो रहे गालो पर जा लगी….पर मैं भी कहाँ बाज़ आने वाला था…मैने जितना हो सकता था….उतना मूह खोला और उसके लेफ्ट साइड के गाल को अपने होंटो में भर कर चूसना शुरू कर दिया….नाज़िया एक दम से तड़प उठी….”सीईईई आआईई अह्ह्ह्ह समीर….” नाज़िया ने एक बार फिर अपनी हथेलयों को गद्दों पर जमा कर ऊपेर उठाने के लिए ताक़त लगाई….पर मैं पहले से ही इसके लिए तैयार था….नतीजतन नाज़िया एक इंच भी ऊपेर ना हो सकी…..

और फिर नाज़िया ने एक गहरी साँस लेकर कसमसाते हुए हथियार डाल दिए….और रुआंसी सी आवाज़ मे बोली…”समीर प्लीज़ हट जाओ ना…

.नाज़िया के मम्मों और पूरे जिस्म को अपने साथ फील करके मेरा लंड एक दम हार्ड हो चुका था…..जो नाज़िया की रानों के नीचे दबा हुआ था….मैने नाज़िया के सर से हाथ हटा कर फिर से दोनो हाथों को नाज़िया की कमर पर कस दिया….और नाज़िया को अपने बाहों में लिए हुए एक दम से पलट गया….इससे पहले कि नाज़िया को कुछ समझ आता….नाज़िया मेरे नीचे आ चुकी थी…

नाज़िया की टांगे एक दम सीधी थी…मैने उसके ऊपेर लेटे-2 अपनी टाँगो को उसकी टाँगो के दर्मियान करना शुरू कर दिया….

और थोड़ी सी जदोजेहद के बाद मैं अपनी टाँगो को उसकी टाँगो के दर्मियान करने मे कामयाब हो गया…..जिसका नतीजा ये हुआ कि, नाज़िया की टांगे मजीद खुल चुकी थी.. और मेरी कमर से नीचे का हिस्सा उसकी रानों के दर्मियान आ चुका था….और मेरा लंड उसकी शलवार के ऊपेर से उसकी फुद्दि पर दब गया….लोहे के रोड की तरह सख़्त लंड को शलवार के ऊपेर से महसूस करके नाज़िया एक दम से सिसक उठती…..”सीईईई अहहाः हहानन्न समीर प्लीज़ छोड़ दो ना…” नाज़िया ने फिर से रुआंसी सी आवाज़ मे ऐसे कहा.. जैसे ये उसकी आख़िरी कॉसिश हो…और अब वो मेरे आगे हथियार डालने वाली हो…उसके गाल कान एक दम लाल सूर्ख हो चुके थे….मैने नाज़िया की बगलो से बाज़ुओं को डाल कर उसे अपने साथ लगाया हुआ था….

नाज़िया एक आँखे मस्ती मे बंद हो चुकी थी…मैने उसका फ़ायदा उठाते हुए नाज़िया के होंटो को अपने होंटो मे लेकर चूसना शुरू कर दिया….फिर कुछ लम्हों बाद जब नाज़िया ने कोई रेस्पॉन्स ना दिया तो, मैने अपने होंटो को नाज़िया के होंटो से अलग कर दिया…पर उसके ऊपेर ऐसे ही लिटाए हुए कपड़ों समैत अपने लंड को उसकी फुद्दि पर रगड़ता रहा….जब मैं शलवार के ऊपेर से उसकी फुद्दि पर अपने लंड को रगड़ता तो, नाज़िया एक दम से सिसकते हुए तड़प उठती….उसने अपने दोनो हाथो से मेरे कंधो को मजबूती से पकड़ रखा था….”सीईईईईई समीर…….अहह….” नाज़िया ने सिसकते हुए मेरे कंधो से अपने हाथो को हटा कर मेरी कमीज़ के कॉलर को पकड़ते हुए कहा… और मस्ती और मदहोशी से भरी आँखो को थोड़ा सा खोल कर मेरी तरफ देखने लगी…

उसकी आँखे ऐसी लग रही थी…..जैसे उसने बहुत ज़यादा नशा कर लिया हो….कुछ लम्हो तक मुझे देखने के बाद नाज़िया ने अपनी आँखे बंद की और फिर धीरे-2 मेरी कमीज़ के कॉलर को पकड़ कर मेरे होंटो को अपने होंटो पर खुद ही झुकाने लगी…और फिर जैसे ही हम दोनो के होंटो का मिलन हुआ था….नाज़िया ने अपने होंटो को खोल कर मेरे होंटो को हल्का सा चूमा और फिर अपने होंटो को अलग कर लिया…मैने नाज़िया को अपनी बाज़ुओं में लिए हुए एक बार फिर पलटा….और खुद पीठ के बल लेटे हुए नाज़िया को अपने ऊपेर ले आया….अब मंज़र ये था कि, नाज़िया मेरे ऊपेर लेटी हुई थी…. उसके दोनो घुटने मेरी रानों के दोनो तरफ गद्दों पर थी….और उसकी फुद्दि ठीक मेरे फुल हार्ड लंड के ऊपेर दबी हुई थी….

इस बार जैसे ही मैने नाज़िया के सर के पीछे एक हाथ रख कर उसके होंटो को अपने होंटो पर झुकाना शुरू किया तो, नाज़िया ने बिना किसी जद्दो जेहद के अपने होंटो को मेरे होंटो से लगा दिया…इस वक़्त तक मैं बेहद गरम हो चुका था… मैने पागलो की तरह नाज़िया के होंटो को चूसना शुरू कर दिया….और इस बार नाज़िया ने मेरा पूरा साथ देते हुए अपने होंटो को खोल कर ढीला छोड़ दिया….मैं नाज़िया के होंटो को चूस्ते हुए लगतार उसके पूरे जिस्म पर हाथ फेर रहा था….और नाज़िया भी इतनी गरम हो चुकी थी….कि वो खुद ही गैरमामूली तरीके से अपनी कमर को हिला कर शलवार के ऊपेर से अपनी फुद्दि को मेरे लंड पर रगड़ रही थी….
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03-08-2019, 03:03 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैने नाज़िया के होंटो को चूस्ते हुए नाज़िया को फिर से अपने बाज़ुओं में लिया और उसे बाज़ुओं मे लिए हुए उठ कर बैठ गया….जिसकी वजह से हम दोनो के होंटो अलग हो गये… मैने नाज़िया की रानों को दोनो तरफ से पकड़ा जो उस उस वक़्त बैठने की वजह से फोल्ड हो गयी थी….और रानों को पकड़ कर मैने उसकी टाँगो को अपनी कमर के पीछे कर दिया….अब नाज़िया मेरी गोद मे बैठी हुई थी….और उसकी टाँगे मेरी कमर के इर्द गिर्द लिपटी हुई थी….नाज़िया ने आँखे खोल कर हैरत से मेरी तरफ देखा…जैसे पूछ रही हो…ये क्या कर रहे हो…पर हम दोनो मे से कोई भी बोल नही रहा था…मेरा लंड अभी भी नाज़िया की फुद्दि के नीचे दबा हुआ था…

नाज़िया के हाथ एक बार फिर से मेरे कंधो पर थे….मैने नाज़िया की आँखो मे देखते हुए उसकी कमर पर हाथ रखते हुए धीरे-2 अपने हाथो को उसकी बुन्द पर ले गया…..और फिर जैसे ही मैने उसकी बुन्द के दोनो पार्ट्स को अपनी हथेलियों मे लेकर दबाया तो, नाज़िया ने सिसकते हुए मेरी तरफ देखा…उसके हाथो की पकड़ मेरे कंधो पर और ज़यादा कस गयी….”सीईईईईईईईईईईईई समीर……ओह…..” नाज़िया ने मस्ती के आगोश मे जाते हुए सिसकी ली….और इस बार नाज़िया ने खुद ही अपने एक हाथ को मेरे सर के पीछे रखा और दूसरे हाथ को मेरे गाल पर रखा…..और फिर पागलो की तरह मेरे होंटो पर टूट पड़ी….

हम दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के होंटो को चूसने लगे…नाज़िया एक हाथ से लगतार मेरे गाल को सहला रही थी….और दूसरे हाथ की उंगलियों को मेरे बालो में घुमा रही थी…और मैं अपने दोनो हाथो से नाज़िया की बुन्द के दोनो पार्ट्स को अलग -2 करके फेलाते हुए ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था…और उसकी बुन्द को अपने लंड की तरफ पुश कर रहा था…जिससे उसकी फुद्दि मेरे लंड पर लगतार रगड़ खा रही थी…नाज़िया का फेस उस वक़्त ऐसा लग रहा था….जैसे उसमे खून उतर आया हो….”ओह्ह्ह्ह सामीएर सीईईई अहह समीरररर….” नाज़िया ने तड़पते हुए आपने होंटो को मेरे होंटो से अलग किया… और फिर मेरे सर को अपने बाज़ुओं पर कसते हुए मेरे फेस को अपनी कमीज़ के गले के ऊपेर से अपने मम्मों पर लगा दिया…
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मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था….मैने अपने होंटो को नाज़िया की कमीज़ के गले से बाहर आ रहे मम्मों पर लगाते हुए पागलों की तरह चूमना शुरू कर दिया…और नाज़िया की बुन्द को दबाते हुए मजीद अपने लंड पर दबाए जा रहा था.. मैने नाज़िया की नेक और कमीज़ के ऊपेर वाले खुले हिस्से को चूमते हुए अपना एक हाथ उसकी बुन्द से हटा कर नाज़िया की कमीज़ के गले को पकड़ कर नीचे की तरफ पुश करते हुए, उसके मम्मों को और बाहर निकालने की कॉसिश करने लगा…और लगातार उसके हर इंच पर अपने होंटो को फेर रहा था….”सीईईई ओह्ह्ह समीर……” नाज़िया ने सिसकते हुए मेरे सर को पकड़ कर पीछे किया और फिर उसने एक दम से अपनी कमीज़ को पकड़ कर ऊपेर उठाया…..जब उसकी कमीज़ उसकी ब्रा तक ऊपेर उठी तो उसके साथ मैने अपने ब्रा के कप्स को पकड़ कर भी ऊपेर खेंच दिया….

नाज़िया के 36 साइज़ के मम्मे उसके ब्लॅक कलर के ब्रा से उछल कर जैसे ही बाहर आए… मैने सर झुका कर नाज़िया के लेफ्ट मम्मे को जितना हो सकता था…उतना मूह मैं लेकर सक करना शुरू कर दिया….जिस वेहशिपन के साथ मैने नाज़िया के मम्मों को चूसना शुरू किया…नाज़िया का पूरा बदन थरथरा गया…..उसने अपने बाज़ुओं को फिर से मेरे सर पर कस लिया और मजीद मुझे अपने मम्मों पर दबाने लगी…मैं भी इस स्मोक का पूरा पूरा फ़ायदा उठाना चाहता था….मैं जितना हो सकता था….उतना मूह खोल कर नाज़िया के मम्मे को मूह में लेकर चूस रहा था….नाज़िया अब पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी….और अब उसकी हरक़तों में भी हवस सॉफ झलकने लगी थी….नाज़िया सीईईई आह सीईइ करते हुए अपनी कमर को अब और तेज़ी से हिलाते हुए शलवार के ऊपेर से अपनी फुद्दि को मेरे लंड पर रगड़ रही थी….

“ओह्ह समीर सीईईईईईईईईईईईईईई अहह समीर मैं पागल हो जाउन्गा समीर ओह हाईए…..” क्योंकि नाज़िया मेरी गोद मे बैठी हुई थी….उसकी वजह से मुझे सर को झुका कर उसके मम्मों को चूसने में दिक्कत हो रही थी….शायद नाज़िया ने भी इस बात को नोट कर लिया था….नाज़िया ने सिसकते हुए एक हाथ से अपने राइट मम्मे को नीचे से पकड़ा और अपने एक इंच के सख़्त मोटे भूरे निपल को मेरे होंटो पर लगा दिया….और फिर जैसे ही मैने नाज़िया के मम्मे को मूह में लेकर सक करना शुरू किया….

तो नाज़िया ने अपने सर को पीछे के तरफ गिराते हुए, अपने जिस्म को आकड़ा लिया….” अहह ओह समीर हां खा जाओ मुझे अहह समीर प्लीज़ मेरे अंदर समा जाओ हमेशा हमेशा के लिए….” नाज़िया ने और ज़ोर से शलवार के ऊपेर से अपनी फुद्दि को मेरे लंड पर दबाते हुए कहा….नाज़िया की बात सुन कर मैने नाज़िया के मम्मे को मूह से बाहर निकाला….और उसके एक दम लाल सुराख हो चुके फेस की तरफ देखते हुए कहा…” मैं तो सिर्फ़ एक ही तरीके से तुम्हें समा सकता हूँ….” मैने नाज़िया के फेस को पकड़ कर उसके आँखो में आँखे डाल कर कहा तो,

नाज़िया ने अपनी मदहोशी और वासना से भरी आखो को खोला और अजीब से अंदाज़ मैं मुझे देखने लगी….और फिर कुछ लम्हो बाद नाज़िया ने अपने बाज़ुओं को मेरे कंधे से हटाया और नज़रें नीचे करके धीरे-2 मेरी गोद से खड़ी हो गयी…उसके कमीज़ जो उसके गले मे इकट्ठी हो चुकी थी….उसके उठने की वजह से उसके मम्मों तक नीचे आ गयी थी….जिसे नाज़िया ने जल्दी से नीचे कर लिया…मैं अपने आप को दिल ही दिल में कोसने लगा की, ये मैने क्या कह दिया…अच्छा भला एंजाय कर रहा था…मुझे लग रहा था…जैसे वो खुस्गवार पल अब ख़तम हो चुके थे….नाज़िया के चेहरे पर बड़े ही सीरीयस भाव थे….मैं अभी भी नीचे वैसे ही बैठा हुआ था….

नाज़िया ने खड़े होकर एक बार चारो तरफ का जायज़ा लिया….मैने सोचा चलो अब मोज मस्ती ख़तम….पर मैने महॉल को साजगार बनाने के लिए पास मे पड़ा वही डंडा उठा कर नाज़िया की तरफ बढ़ते हुए कहा…”ये लो अब चाहे जितना दिल करे मेरी पिटाई कर लो….” पर नाज़िया के फेस एक्सप्रेशन नही बदले…उसने डंडा पकड़ा और फिर से गद्दे पर फेंक दिया…मुझे समझ में नही आ रहा था कि, आख़िर नाज़िया के दिल में क्या है…फिर वो हुआ जिसके बारे मैं मैने सोचा भी नही था… नाज़िया ने अपने दोनो हाथो को अपनी कमीज़ के पल्ले के नीचे से डालते हुए अपनी सलवार का नाडा खोलना शुरू कर दिया….”समीर बाहर निकालो उसे….?” नाज़ी ने सामने देखते हुए कहा… और अपनी शलवार का नाडा खोलने लगी…मुझे इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नही थी.. और मुझे समझ मैं नही आया कि, मैं कैसे रिएक्ट करूँ…और अचानक ही मेरे मूह से निकला…”क्या…?” 

नाज़िया तब तक अपनी शलवार का नाडा खोल चुकी थी….जैसे ही उसके शलवार उसके कमर पर ढीली हुई तो, नाज़िया ने अपनी शलवार के जबरन को छोड़ दिया…और फिर मेरे देखते ही देखते उसकी शलवार सरकती हुई उसके पैरो में आ गिरी…”अपना डंडा बाहर निकालो…” नाज़िया ने अपना एक पैर उठा कर उसे शलवार से बाहर निकाला और फिर वैसे ही दूसरा….नाज़िया की शलवार उसके जिस्म से अलग हो चुकी थी….नाज़िया आगे बढ़ी और मेरी रानो के दोनो तरफ पैर करके खड़ी हो गयी…मैने जल्दी से अपनी पाजामे और अंडरवेर को पकड़ कर खेंचा और उसे अपने घुटनो तक नीचे उतार दिया… जैसे ही मेरे लंड ने हवा में बाहर आकर झटका खाया तो नाज़िया ने नीचे पैरो के बल बैठते हुए एक हाथ नीचे करके मेरे लंड को पकड़ लिया…और मेरे लंड की कॅप को अपनी फुद्दि के लिप्स के बीच रगड़ते हुए फुद्दि के सूराख पर सेट करते हुए सिसक उठी….
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03-08-2019, 03:03 PM,
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“सीईईईईईईई ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह” जब लंड का गरम कॅप नाज़िया की दहकती हुई फुद्दि के सूराख पर लगा तो, नाज़िया उस लज़्जत को बर्दास्त नही कर पाई…..और उसने अपने नीचे वाले होन्ट को दांतो के बीच लेकर काटना शुरू कर दिया…..और जैसे ही मेरे लंड का कॅप नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर सेट हुआ, नाज़िया ने सिसकते हुए अपनी फुद्दि को मेरे लंड पर दबाना शुरू कर दिया….नाज़िया की चिकनी हो चुकी फुद्दि को मेरे लंड का कॅप फेलाता हुआ जैसे जैसे अंदर घुस रहा था….वैसे-2 नाज़िया का जिस्म मस्ती मे अकड़ता जा रहा था…..और फिर जब मेरा पूरा लंड अंदर नाज़िया की फुद्दि में घुस गया…तो नाज़िया ने अपने होंटो को दांतो से आज़ाद करके गहरी साँस ली और एक दम सिसक उठी…….”सीईईईईईईईई उंह ओह समीरर……” नाज़िया ने सिसकते हुए एक हाथ मेरे गाल पर लगाया…और अपनी मदहोशी से भरी आँखो को खोल कर मेरी तरफ देखते हुए प्यार से मेरे गाल पर हाथ फेरते हुए बोली….

नाज़िया: सीईईईईईई समीर…..मैं तुम पर कभी हाथ नही उठा सकती….ओह मेरी जान हो तुम…मेरी जान….

नाज़िया ने सिसकते हुए एक बार मेरे होंटो को हल्का सा चूमा….और फिर खामोश होकर नीचे देखने लगी…मेरा लंड अब उसकी फुद्दि में पूरी गहराई तक उतरा हुआ था… 

जब थोड़ी देर तक नाज़िया ने कोई हरक़त ना की तो, मैने अपने दोनो हाथो को उसकी बुन्द पर लेजा कर उसकी बुन्द दबाते हुए सरगोशी से उसके कान में कहा….”क्या हुआ…..?” 

नाज़िया ने अभी नज़रें झुका रखी थी….नाज़िया ने ना मे सर हिलाया और फिर मेरी शर्ट को दोनो तरफ से पकड़ कर ऊपेर उठाना शुरू कर दिया….मैने भी अपने दोनो हाथ ऊपेर कर दिए….नाज़िया ने मेरी टी शर्ट को उतार कर गद्दे पर फेंक दिया…और मेरे कंधो पर हाथ रख कर मुझे पीछे की तरफ पुश करते हुए मुझे पीठ के बल लिटा दिया…जिसकी वजह से वो खुद भी मेरे ऊपेर झुक गयी…..

उसके खुले हुए बाल उसके फेस के दोनो तरफ से मेरे फेस के दोनो तरफ गिर गये…उसके बालो से छन कर आती हुई सूरज की रोशनी में उसका फेस और ज़यादा सुराख लग रहा था…मैने एक साइड से उसके बालो को साइड पर करते हुए उसके गाल पर हाथ रखा..और उसके गाल सहलाते हुए फिर से पूछा….”क्या हुआ….?” पर इस बार नाज़िया ने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया…और जकदम से मेरी चेस्ट पर झुक कर मेरे लेफ्ट निपल को होंटो मैं लेकर कुछ पालों तक चूमा और फिर उसे अपने दांतो में लेकर उस पर अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगी….

उस वक़्त मुझे ऐसा लग रहा था…..जैसे मुझे अचानक से बहुत ज़यादा नशा हो गया… मज़े की वादियों मे गुम होने लगा था…मेरी आँखे मस्ती में बंद होने लगी थी…मैं नाज़िया के दाँतों और ज़ुबान को अपने निपल पर महसूस करके एक दम से सिसक उठा…..”सीईईई नाज़िया…..” 

नाज़ा ने मेरे निपल से अपना मूह हटा लिया….और हल्का सा हंसते हुए सीधी हो गयी….मुझे ऐसा लग रहा था….जैसे नाज़िया की फुद्दि में फँसा हुआ लंड किसी भी वक्त फॅट जाएगा…नाज़िया को इस तरह हंसता हुआ देख मुझसे रहा ना गया…मैने नाज़िया की बुन्द के दोनो पार्ट्स को पकड़ कर थोड़ा सा ऊपेर उठाया…. जिससे मेरा लंड कॅप तक उसकी फुद्दि से बाहर आ गया….और फिर एक के बाद एक 5-6 ऐसे घस्से लगाए….कि नाज़िया के फेस के एक्सप्रेशन एक दम से बदल गये….
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03-08-2019, 03:03 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
थोड़ी देर पहले जो नाज़िया हंस रही थी….अब वो चुदाई की मदहोशी में चूर हो चुकी थी….एक बार फिर से उसके फेस पर सेक्सी एक्सप्रेशन आ चुके थे….जिसे देख मैं और जोश में आ गया….और अपने लंड को कॅप तक बाहर निकाल-2 कर नाज़िया की फुद्दि मे शॉट लगाने लगा… ”शाइयीईयी अहह समीररर…ओह्ह्ह धीरे समीर ओह्ह्ह्ह…” नाज़िया की आँखे एक बार फिर से मस्ती में बंद हो चुकी थी….

”क्यों क्या अच्छा नही लग रहा….” मैने अपनी स्पीड को कम करते हुए कहा....

”बहुत मज़ा आ रहा है समीर…” नाज़िया ने सिसकते हुए कहा…और फिर मेरे ऊपेर झुक कर अपने होंटो को मेरे होंटो से लगा दिया…जैसे ही मैने नाज़िया के होंटो को चूसना शुरू किया तो इस बार नाज़िया ने अपनी बुन्द को खुद ही ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया….

धीरे-2 नाज़िया के रफतार बढ़ती जा रही थी…मेरा लंड एक रिदम के साथ नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर हो रहा था…जो नाज़िया की फुद्दि से निकल रहे पानी से एक दम गीला होकर चिकना हो चुका था…नाज़िया मस्ती मे सिसकारियाँ भर रही थी….वो कभी मेरे होंटो को छोड़ कर गालो को चूमने लगती तो, कभी मेरे गर्दन पर अपने होंटो को रगड़ने लगती…

.”अहह नाज़िया कैसा लग रहा है…मेरी जान….” मैने भी नीचे धीरे-2 अपनी कमर को ऊपेर की तरफ पुश करते हुए कहा….

”ओह्ह्ह्ह समीर मैं बता नही सकती मुझे कितना मज़ा आ रहा है सीईईईईईई ओह्ह्ह्ह समीर मैं पागल हो जाउन्गी….”

नाज़िया ओह्ह्ह्ह समीर तुम्हारा लंड जब अंदर जाता है….तो ऐसा लगता है….जैसे मेरी फुद्दि तुम्हारे लंड के टोपे को चूम रही हो…..सच में बहुत मज़ा आ रहा है…..समीर सीईईईई उंह तुम्हे कैसा लग रहा है…..? नाज़िया ने धीरे-2 अपनी बुन्द को ऊपेर नीचे करते हुए कहा…
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