Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 02:58 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैने जल्दी से किचिन में गयी और पानी ला कर दिया..कुछ घूँट पीने के बाद अम्मी फिर से रोने लगी...मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि अब में क्या करूँ….मैने फिर से कहा….कि में अब्बू को बुला लाती हूँ….पर अम्मी ने मना कर दिया…कि उन्होने फिर से झगड़ा शुरू कर देना है…मुझे और कुछ तो सूझा नही तो मेरे मूह से निकला

"अम्मी में आपकी मदद करूँ….? क्या मैं आपका दूध पीकर देखूं…"

अम्मी ने मुझे हसरत भरी नज़रों से देखा…..में फर्श पर अम्मी की बगल में बैठ गयी..अम्मी ने मेरा सिर अपनी गोद में रखा और कमीज़ को अपने मम्मो पर से उठा से उठाया तो, मैं अम्मी की ब्रा देख कर हैरान हो गयी...ऐसा नही था कि मैने पहले कभी अम्मी को ब्रा में नही देखा था..मगर दूध उतरने के बाद और वो भी इतनी करीब से नही देखा था...अम्मी की ब्रा फटने की कगार पे थी..अम्मी ने ब्रा को दोनो हाथो से पकड़ कर जैसे ही ऊपेर किया… कि अम्मी का एक मम्मा फुट के बाहर आ गया...दूध भर जाने से मम्मे और भी बड़े लग रहे थे..मम्मो के निपल हल्के भूरे और हल्के गुलाबी थे..अम्मी ने अपने मम्मे को मेरे मूह की तरफ किया...

मैने धीरे से निप्पेल को अपने मूह में लिया और हल्के हल्के निप्पल को चूसने लगी..शुरुआत में मम्मो से दूध बूँद बूँद कर निकल रहा था..मगर मेरे होंठो की गर्मी से दूध और तेज़ी से बाहर आने लगा..जैसे जैसे अम्मी को राहत मिलने लगी मम्मो में से दूध की धार और तेज़ हो गयी..दूध बहुत मीठा था...पहले तो में बस निपल को चूस्ति रही....अचानक अम्मी ने अपने मम्मो को मेरे मूह की तरफ दबाया जिससे निपल के साथ साथ मम्मो का कुछ हिस्सा भी मेरे मूह में भर गया...ऐसा होते ही अम्मी की साँसों की रफ़्तार बढ़ने लगी और उन्हो ने अपनी आँखे भी बंद कर ली... कुछ ही मिनटों में मैने एक मम्मे का का सारा दूध पी लिया...

"मुझे लगता है कि इसमे अब और दूध नही है"मैने कहा

"अब इसका दूध पी लो"अम्मी ने होंठो पर हल्की सी स्माइल लाते हुए अपने दूसरे मम्मे को भी ब्रा से बाहर निकाल दिया…मैने दूसरे मम्मे को मूह में लिया और निपल चूसने लगी...अम्मी हल्के हाथों से मेरे बालों में उंगलियाँ फेरने लगी..मैने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी...ऐसा करते ही अम्मी ने भी मम्मों को मेरे मूह पे थोड़ा और दबाया..कुछ देर बाद उस मम्मे का भी दूध मैने चूस डाला और मम्मे को अपने मूह से निकाल दिया...मैने अम्मी की तरफ देखा..वो मुस्कुरा रही थी और पुरस्कून भी लग रही थी..अम्मी के मम्मे का गीला निपल अभी भी मेरे होंठो को छू रहा था मगर अम्मी ने मुझे हटाया नही...अम्मी धीरे से झुकी और मेरे गालों का बोसा लिया...

"तुमने मुझे बचा लिया है..में अब बेहतर महसूस कर रही हूँ...थॅंक्स"अम्मी ने कहा

"ये तो मेरा फ़र्ज़ था"मैने मुस्कुराते हुए कहा और खड़ी हो गयी...

"ठीक है साना...रात बहुत हो गयी है..अब तुम जाओ और सो जाओ...कल स्कूल भी जाना है...और में भी चेंज कर लेती हूँ...तुमने तो मुझे मिल्क बाथ दे दिया"अम्मी ने हँसते हुए कहा

"ओके अम्मी गुड नाइट" ये कह के में अम्मी के बेडरूम से बाहर आ गयी...और अपने रूम में आई और डोर को अंदर से लॉक करके बेड पर लेट गयी….जैसे ही मैं बेड पर लेटी तो मेरे जेहन में स्कूल मे हुए एक दिन का वाक़या घूम गया…. उस दिन स्कूल में जब रिसेस चल रही थी….तो मेरे बाय्फ्रेंड ने मुझे ऊपेर वाली मंज़िल की क्लास रूम में रोक लिया….क्लास रूम एक दम खाली था… उस दिन उसने जब पहली बार मेरे मम्मो को छुआ और चूसा था…..तब मुझे जन्नत का मज़ा आया था….वो दिन उस रात मेरी आँखो के सामने घूम रहा था….अचानक मुझे ख़याल आया कि, क्या अम्मी को भी ऐसा ही मज़ा आया होगा…..जैसा उस दिन मुझे आया था….यही सब सोचते-2 कब मेरा हाथ मेरी फुद्दि पर पहुँच गया मुझे पता नही चला….

बेड पर लेटे-2 मैने शलवार के ऊपेर से अपनी फुद्दि को दबाना शुरू कर दिया… मेरी साँसे तेज होने लगी थे….धीरे-2 मैने अपनी फुद्दि पर और तेज़ी से हाथ फेरना शुरू कर दिया…और फिर तकरीबन 5 मिनिट बाद मेरी फुद्दि ने पानी छोड़ दिया… मैं बेड से उठी और डोर खोल कर बाथरूम में चली गयी….और फ्रेश होकर जब वापिस आ रही थी तो, तब मेरी नज़र अम्मी के रूम पर पड़ी….अंदर लाइट ऑन थी….मेरे दिल में आया कि अंदर देखु कि अम्मी इस वक़्त क्या कर रही है….कही उन्हे फिर से तकलीफ़ तो नही हो रही….

गर्मियों के दिन थे इसीलिए अम्मी अक्सर विंडोस को खोल कर सोती थे….मैं दबे पाँव बिना आवाज़ किए विंडो के पास गयी तो, मेरी नज़र अम्मी पर पड़ी….पर जिस हाल में वो बेड पर लेटी हुई थी…उसे देख कर में एक दम से चोंक गयी…. अम्मी ने अपनी कमीज़ को ऊपेर उठा के अपने मम्मो को बाहर निकाल रखा था...उनकी शलवार उनकी राणो तक नीचे उतरी हुई थे….उन्होने एक हाथ से अपने लेफ्ट मम्मे को पकड़ा हुआ था….और दूसरा हाथ उनकी फुद्दि पर था…जिसे वो गोल -2 घुमा कर अपनी फुद्दि पर रगड़ रही थी….और दूसरे हाथ से मजीद अपने मम्मे को दबाए जा रही थे….मुझे समझते देर नही लगी कि, अम्मी भी हॉट हो चुकी थे… उनकी आँखे बंद थी….और वो लंबी -2 साँसे ले रही थी….बीच-2 में उनकी बुन्द बेड से ऊपेर उठ कर झटके खाती…तो उनके मुँह से आह निकल जाती….मैं काफ़ी देर तक वही खड़ी रही…और फिर जब अम्मी ठंडी हुई तो, मैं अपने रूम में आकर बेड पर लेट गयी…..
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03-08-2019, 02:58 PM,
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वो सारी रात आँखो में ही कट गयी…..अगली सुबह मैं उठी तैयार हुई और अब्बू मुझे स्कूल छोड़ आए…और फिर आते वक़्त भाई साथ ले आए…..उस दिन रात तक कोई ख़ास बात नही हुई….रोज की तरह अब्बू रात को शराब पीकर आए और खाना खा कर ऊपेर सोने के लिए चले गये….भाई थोड़ी देर तक टीवी देखता रहा और फिर वो भी ऊपेर चला गया….मैं अपने बेड रूम में आकर लेट गयी….

तकरीबन आधे घंटे के बाद मेरे बेडरूम का दरवाज़ा खुला और बाहर से आती रोशनी में मुझे अम्मी आती हुई दिखाई दी.. अम्मी मेरे बेड की तरफ आई और किनारे पे आ कर बैठ गयी...में सोने की आक्टिंग करती रही...अम्मी ने प्यार से मेरे बाल सहलाते हुए मुझे आवाज़ दी...पहली दो आवाज़ अनसुनी कर के में आँखे मलते हुए उठी...

"अरे अम्मी आप..?....आराम से बैठ जाओ"मैने उठते हुए अम्मी को सही से बेड पे बैठने को कहा..

"अम्मी: सॉरी साना तुम्हे सोते हुए उठा दिया...तुम तो जानते ही हो कि.."अम्मी ने कहा..

"सॉरी किस लिए अम्मी…..कहिए क्या बात है….आप इस वक़्त……?” मैने अम्मी की आँखो में देखते हुए कहा तो, अम्मी ने मेरी तरफ थोड़ा परेशान होते हुए देखा और फिर सरगोशी से बोली…” साना वो आज में डॉक्टर के पास गयी थे….डॉक्टेर ने मेडिसिन दी है….और बोला है कि 7-8 दिन तक दूध आना बंद हो जाएगा….पर आज भी मुझे मेरे चैस्ट में भारीपन महसूस हो रहा है….क्या तुम आज भी….?” अम्मी ने थोड़ा सा शर्मिंदा होते हुए कहा….उनके फेस की रेडनीस से पता चल रहा था कि, वो कितनी शरम महसूस कर रही थे….”

मैं: ठीक है चलिए अम्मी…..(मैने बेड से उठते हुए कहा….)

अम्मी: रूको साना यहीं पे ठीक है...में यहीं तुम्हारे बेड पे अपनी साइड पे लेट जाती हूँ…..(अम्मी ने मेरी आँखो में देखते हुए पूछा….तो मैने हां में सर हिला दिया…अम्मी बेड से उठी और डोर को अंदर से बंद करके लॉक कर दिया…और बेड पर मेरी तरफ करवट करके लेट गयी….मैं भी अम्मी की तरफ फेस करके करवट के बल लेट गयी….और मैने अपने मूह माँ की कमीज़ के पास ले गया...अम्मी ने उस दिन नाइटी पहनी हुई थी….और ये देखते ही मुझे झटका सा लगा....क्यूंकी में जानती था को नीचे से ऊपेर उठाए बिना अम्मी मुझे दूध नही पिला सकती थी...में इंतेज़ार करने लगा….अम्मी ने बड़ी मुश्किल से धीरे-2 अपनी रानो से नाइटी को पकड़ कर ऊपेर उठाना शुरू किया….आख़िर अम्मी ने धीरे-2 अपनी पूरी मॅक्सी ऊपेर कर दी…नीचे से अम्मी बिकुल नंगी हो चुकी थी….

ये सोचते ही मुझे मेरी फुद्दि में अजीब सी सरसराहट महसूस हुई….क्योंकि अम्मी बिल्कुल मेरे साथ लेटी हुई थे…और रूम 0 वॉट का बल्ब जल रहा था….इसलिए मुझे अम्मी की कमर से नीचे वाला हिस्सा नज़र नही आ रहा था…पर मेरी हवस तब तक सातवें आसमान पे पहुँच चुकी थे…. जब मैने देखा अम्मी ने मॅक्सी के नीचे ब्रा भी नही पहन रखी थी...अम्मी के दोनो मम्मे बिल्कुल सॉफ मेरी आँखों के सामने थे…..

अम्मी ने मेरा सिर पकड़ के मुझे अपने मम्मे की तरफ़ा खींचा...अम्मी के निचले मम्मे से दूध निकलना शुरू हो गया था...मैने तुरंत उसे अपने मूह में ले कर चूसना शुरू कर दिया......तभी अम्मी का दूसरा मम्मे जो मेरे गाल पे था..उसमे भी दूध रिसना शुरू हो गया...अम्मी ने एक छोटा टवल लिया और मेरे गाल से दूध पोछा और फिर वो टवल मेरे गाल और उपर वाले मम्मे के बीच में रख दिया..ना भी रखती तो मुझे तो मज़ा ही आ रहा था...अम्मी धीरे धीरे मेरे बाल सहलाने लगी...थोड़ी देर में अम्मी की हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे...पीठ पर अम्मी के हाथों का लामाश मुझे बहुत अछा लग रहा था...कमरे में एकदम शांति थी...अगर कोई आवाज़ आ रही थी तो मेरे मम्मे चूसने की ,अम्मी की तेज़ होती साँसों की…..पहले वाले मम्मे से दूध ख़तम करके मैने दूसरे मम्मे सुर निपल मूह में भर लिया...अम्मी ने जो टवल रखा था उसे हटा दिया..क्यूंकी अब उसकी ज़रूरत नही थी...मेरा निचला गाल अम्मी के निचले मम्मे पे था...

मम्मे से दूध ख़तम हो गया...लेकिन ना तो मैने मम्मे और निपल को चूसना छोड़ा..और ना ही अम्मी ने मुझे हटने को कहा.. अभी थोड़ी ही देर हुई थी कि, अम्मी ने मेरे सर को अपने मम्मे में दबाना शुरू किया...मैने भी जितना मूह में आया अम्मी मम्मे और निपल भर लिए...फिर धीरे धीरे निपल पे जीभ फिराने लगी...तभी अम्मी ने वो किया…जिसका मुझे अंदाज़ा भी नही था….अम्मी ने अपनी नीचे वाली रान को मेरी दोनो रानों के बीच में पुश करना शुरू कर दिया… में तो पहले से ये सब करके गरम हो चुकी थे….मैने अपनी दोनो रानों को ढीला छोड़ दिया तो, अम्मी ने अपने नीचे वाली रान को घुटने से फोल्ड करके मेरी दोनो रानों के बीच में घुसा दिया….अब मंज़र कुछ ऐसा था कि, में और अम्मी दोनो एक दूसरे की तरफ फेस करके करवट के बल लेटे हुए थे…..

और अम्मी की नीचे वाली रान जो उन्होने ने घुटने से मोड़ कर मेरी रानों के दरमियान रखी हुई थे…उसका घुटना सीधा मेरी फुद्दि पर रगड़ा खा रहा था… फिर कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद अम्मी ने मेरे ऊपेर वाली रान पर हाथ रखा और धीरे-2 पुश करते हुए अपनी दोनो रानों के दरमियान ले गये…अब मंज़र ये था क़ी, अम्मी के नीचे वाली टाँग का घुटना मेरी फुद्दि पर रगड़ खा रहा था और मेरे ऊपेर वाली रान का घुटना अम्मी की रानों के दरमियान उनकी फुद्दि पर दबा हुआ था….इस दौरान मैं और अम्मी बेहद गरम हो चुके थे….मुझे अम्मी की नंगी फुद्दि से उठती गरमी अपने घुटने पर महसूस हो रही थी…हम दोनो को कोई खबर नही थी….कि हम दोनो किस हद तक आगे बढ़ चुके है……और फिर हम दोनो अपनी-2 फुद्दियाँ एक दूसरे की रानों पर रगड़ती रही…..
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03-08-2019, 02:58 PM,
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साना की बातें सुन कर मेरा लंड फिर से शलवार में खड़ा होने लगा था…” फिर क्या हुआ….?” मैने हसरत भरी नज़रों से साना की तरफ देखते हुए कहा….”फिर क्या होना था समीर….फिर तुम खुद समझ दार हो…फिर तो जैसे मुझे और अम्मी को इस सब की आदत सी पड़ गयी…मैं जवान हो रही थी….तो अम्मी भी ढलती जवानी की आग में दहक रही थी….तब से अम्मी और मेरे बीच कोई बात छुपी नही रहती….अब समझे में तुम्हे ये सब किस लिए कह रही थी….”

मैं: यार मुझे तो अब भी यकीन नही हो रहा कि, तुमने जो कुछ अभी मुझे बताया है वो सच है…

साना: अब तुम यकीन करो या ना करो….पर सच तो यही है…समीर हालत ही कुछ ऐसे हो गयी थी….

मैं: साना यार तुमने तो मुझे फिर से गरम कर दिया….

साना: अच्छा बड़ी जल्दी गरम हो गये हो….अभी सबर करो…अम्मी आने वाली होगी….

मैं: साना प्लीज़ मेरा एक काम करोगे….

साना: हां बोलो….

मैं साना के पास गया…और धीरे से उसके कान में कुछ कहा तो, साना मेरी तरफ देख कर शरारती अंदाज़ में मुस्कुराने लगी…”ठीक है अम्मी को आने दो… उनको बता दूँगी तुम्हारी फरमाइश…..” साना मुस्कुराते हुए खड़ी हुई और नीचे चली गये… मैं वही बेड पर लेट गया….और फिर मुझे पता नही कब मेरी आँख लग गयी….जब आँख खुली तो दोपहर के 3 बज रहे थे….मैं बेड से उठा और बाथरूम में गया और फ्रेश होकर नीचे आया तो, पता चला कि, साना का हज़्बेंड आया हुआ था…वो भी नजीबा का हालचाल पूछने आया था….बातों-2 से पता चला कि, आज शाम की ट्रेन से ही उसे वापिस जाना था…नजीबा उस वक़्त खाना खा कर सो रही थे….

मुझे देख कर नीलम किचिन में चाइ बानने के लिए चली गयी…..साना ने ही मेरा तार्रुफ अपने शोहार से करवाया….उसका शोहार दिखने में खुस्गवार किस्म का इंसान था….और वो इस्लामाबाद में ही रेलवे में सरकारी जॉब कर रहा था…उसकी फॅमिली वही थी….खैर मैं साना और उसके हज़्बेंड के साथ बातों में मसगूल हो गया… थोड़ी देर बाद नीलम चाइ बना कर ले आई….और हम बातें करते हुए चाइ पीने लगे…चाइ पीने के बाद साना के हज़्बेंड ने नीलम से इज़ाज़त ली….और जाने लगा तो, नीलम ने मुझे कहा कि, मैं उसे सिटी स्टेशन पर छोड़ आउ….मैने बाइक निकाली और साना के हज़्बेंड को स्टेशन पर छोड़ने के लिए चला गया…मुझे आने जाने में एक घंटा लग गया…

जब में वापिस पहुँचा तो, नजीबा अभी भी सोई हुई थी…मुझे उसकी फिकर होने लगी थी….सोचा एक बार देखु कही उसकी तबीयत तो खराब नही…मैं उसके रूम में गया….उस वक़्त वो बेड पर लेटी हुई थी….उसके बालो की लटे उसके माथे पर आ रही थी….नजीबा उस वक़्त बड़ी प्यारी लग रही थे…मैं धीरे-2 उसके पास बेड पर बैठा तो, नजीबा एक दम से उठ गयी….और मुझे देख कर स्माइल करते हुए बोली…. “बाहर साना के हज़्बेंड आए हुए है…आप मिले उनसे….” मैने भी मुस्कुरा कर हां में सर हिला दिया….” तुम्हारी तबीयत कैसी है….” मैने नजीबा के माथे पर हाथ रख कर पूछा….”मुझे क्या होना है…..में ठीक हूँ….” नजीबा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने दोनो हाथो में लेकर कहा…..

मैं: ऐसे ही पूछ रहा हूँ….आज सारा दिन सोती रही हो नही इसीलिए…..?

नजीबा: वो रात को देर से नींद आई थी….

मैं: अच्छा….तुम रेस्ट करो….में बाद में आता हूँ….

मैं जैसे ही उठ कर बाहर जाने लगा तो, नजीबा ने मेरा हाथ नही छोड़ा….और मुझे वापिस बेड पर बैठने का इशारा किया….मैं बेड पर बैठ गया….नजीबा उठ कर बैठ गयी….”मामी और साना कहाँ है…” नजीबा ने मुस्कुराते हुए कहा…

..”वो बाहर बैठक वाले रूम में है….क्यों….” 

नजीबा ने ना में सर हिलाते हुए कहा… “कुछ नही ऐसे ही…” और फिर अपने दोनो हाथो को मेरे गालो पर रखा और मेरी आँखो में देखते हुए बोली….”ख़ान साहब अब का दिल नही करता मुझे प्यार करने को….” नजीबा के आँखो में अजीब सी खुमारी छाई हुई थी….”

मैं: नही ऐसी बात तो नही है….

नजीबा: फिर किस मी…..

मैने एक बार विंडो से बाहर की तरफ देखा और फिर धीरे-2 नजीबा के होंठो की तरफ अपने होंठो को बढ़ाना शुरू किया….और फिर जैसे ही मैने नजीबा के होंठो को अपने होंठो में लेकर सक करना शुरू किया….तो नजीबा एक दम से जोश में आ गयी….और पागलो की तरह मेरे होंठो पर टूट पड़ी….हम दोनो बड़े जोशो ख़रोश के साथ एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे…फिर नजीबा ने अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग किया और सर झुका कर शरमाने लगी….मैने प्यार से उसके गाल पर हाथ फेरा तो, नजीबा ने सर उठा कर मेरी आँखो में देखा….”अब खुश….” मैने नजीबा के गाल पर हाथ फिराते हुए कहा तो, नजीबा ने हाँ में सर हिला दिया.,….
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03-08-2019, 02:59 PM,
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जैसे ही मैं उठ कर बाहर आने लगा तो, नजीबा ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया… मैने नजीबा की तरफ फेस करके देखा….

.”बैठें….” नजीबा ने बेड के तरफ इशारा करते हुए कहा….

.मैं फिर से बेड पर बैठ गया….”क्या हुआ….?” मैने नजीबा के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा

…तो नजीबा ने अजीब से फेस बना कर मेरी तरफ देखा और फिर थोड़ा झिझकते हुए बोली….”आप को कुछ बताना था….?” नजीबा ने डोर की तरफ देखते हुए कहा….जैसे वो ध्यान रख रही हो कि, कोई अंदर ना आजाए….या फिर कोई हमारी बात ना सुन ले…..

मैं: हां बोलो क्या बताना है….?

नजीबा: (नजीबा बात करने में झिझक रही थे….और थोड़ी परेशान भी लग रही थे….) वो दरअसल बात ये है कि…..(नजीबा फिर से बोलते-2 चुप हो गयी…..)

मैं: क्या बात है नजीबा परेशान क्यों हो….मुझे बताओ…

नजीबा: वो दरअसल आज सुबह कुछ अजीब सा देखा…

मैं: क्या अजीब देखा तुमने…..

नजीबा: वो आज सुबह जब आप ऊपेर थे….और मामी तैयार हो रही थे….तब मैं बाहर सोफे पर बैठी हुई चाइ पी रही थे…साना किचिन में थी…

मैं: फिर….

नजीबा: साना मामी को चाइ देने के लिए रूम में गयी….उस वक़्त रूम की विंडो खुली हुई थे….साना को इस बात का पता नही था…जब साना चाइ देने के लिए रूम में गयी तो, उस वक़्त मामी ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर अपने बालो में कंघा फेर रही थी….

मैं: तो क्या हुआ….?

नजीबा: सुनो तो सही आप…..?

मैं: हां हां बोलो….

नजीबा: जब साना रूम में गयी उस वक़्त मामी ने कमीज़ नही पहनी हुई थी…

नजीबा फिर से बोलते-2 चुप हो गयी….ये सब बोलते हुए उसका फेस एक दम रेड हो चुका था….मेरे दिल की धड़कने भी बढ़ चुकी थी…क्योंकि थोड़ी देर पहले साना मुझे अपने और अपनी अम्मी के बारे में जो कुछ बता चुकी थी….उससे मुझे अंदाज़ा हो गया था कि, साना ने ज़रूर सुबह अपनी मामी के साथ कुछ ऐसा क्या होगा…. जो एक बेटी अपनी अम्मी के साथ नही कर सकती..और नजीबा ने वो सब देख लिया होगा…

“ तो क्या हुआ यार साना भी लड़की है…वो उसकी अम्मी है….अगर उसने अपनी अम्मी को बिना कमीज़ के देख लिया तो क्या हो गया…..?”

नजीबा: बात सिर्फ़ ये नही है….?

मैं: तो फिर क्या है…..?

नजीबा: जब साना अंदर गयी तो, मामी ने ब्रा पहनी हुई थी….और वो ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थी….साना ने चाइ का कप टेबल पर रखा और फिर अपनी अम्मी के पीछे खड़े होकर उसने…..(नजीबा का फेस एक दम सुर्ख हो गया था…और वो फिर से चुप हो गयी….शरम के मारे उसने नज़रें झुका लीं….)

मैं: फिर…..

नजीबा: फिर उसने पीछे से अपनी अम्मी के बूब्स को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया..

मैं: क्या….(मैने ऐसे रिएक्ट किया जैसे ये सब सुन कर में बहुत ज़्यादा शॉक्ड हो गया हूँ…..)

नजीबा: हां….

मैं: तो क्या उसके अम्मी ने डांटा नही उसे…..

नजीबा ने ना में गर्दन हिला दी…वो अभी भी सर को झुकाए शरमाये जा रही थे…”अच्छा डांटा नही तो, कम से कम मना तो किया होगा….? “ मेरी बात सुन कर नजीबा ने फिर से ना में गर्दन हिलाई…..”कमाल है…तो क्या वो अपने मम्मे दबवाती रही साना से….” मेरे मुँह से मम्मे वर्ड सुन कर नजीबा ने चोंक कर मेरी तरफ देखा और फिर से नज़रें झुका ली…..”फिर…..” मैने नजीबा के हाथ को अपने हाथो में लेकर दबाते हुए कहा…

..”फिर साना थोड़ी देर बाद बाहर आ गयी…” नजीबा ने लरज़ती आवाज़ में कहा….और फिर से अपने सर को झुका लिया…

.”तुम छोड़ो तुम इन बातों पर ध्यान ना दो….ये उनकी फॅमिली का मामला है..हम क्यों बीच में कुछ बोले..तुम चुप रहना….”

मैने वहाँ से उठते हुए कहा…और बाहर जाने लगा…”समीर….” नजीबा ने मुझे पीछे से आवाज़ दी…

तो मैने पलट कर नजीबा की तरफ देखा….”हां बोलो….” मैं नजीबा के चैहरे को देख रहा था…जो उस वक़्त ऐसा लग रहा था… जैसे उसके गालो में खून उतर आया हो…

.”क्या ये सब पासिबल है….एक बेटी और माँ के बीच… ये तो गुनाह है ना…” नजीबा ने मुझे नज़रें चुराते हुए कहा….

“पता नही नजीबा आज कल के जमाने में कुछ भी हो सकता है….इंसान अपने जिस्म के आग बुझाने के लिए कुछ भी कर सकता है….और मेरे ख़याल से इसमे शायद कुछ ग़लत भी नही है….वैसे आज मैने भी कुछ अजीब देखा है….”
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03-08-2019, 02:59 PM,
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मेरी बात सुनते ही नजीबा के कान खड़े हो गये….”क्या….?” नजीबा ने कांपती आवाज़ में कहा….मैं फिर से नजीबा के पास बैठ गया…”मैने आज साना के शोहर को अपनी सास के साथ यानी साना की अम्मी के साथ देखा….वो साना की अम्मी को अपनी जॅफी डाल कर खड़ा था….और वो साना की अम्मी के जिस्म पर हाथ फेर रहा था….” 

मेरी बात सुनते ही नजीबा को झटका सा लगा….उसका पूरा जिस्म एक दम से काँप गया…”क्या…? “ नजीबा मेरी बात सुन कर हैरत भरी नज़रों से मेरी तरफ देख रही थे…

“मुझे तो लगता है कि, इन तीनो के बीच में कुछ चल रहा है….” मैने नजीबा के हाथ को पकड़ते हुए कहा

…”क्या….?” नजीबा की आवाज़ बोलते-2 लरज रही थी…. 

“यही कि साना को पता है कि या फिर तीनो को सब पता है….जब साना के शोहर ने साना की अम्मी को बाहों में लिया हुआ था…तब साना की अम्मी बोल रही थी कि, अगर समीर घर पर नही होता तो, कितना अच्छा होता…इसका मतलब समझी….?”

नजीबा ने ना में गर्दन हिला दी…

.”मतलब ये कि साना की अम्मी मुझसे ख़तरा महसूस कर रही है…अपनी बेटी से नही…इसका मतलब या तो साना को सब पता है…या फिर उसे ये खोफ़ भी नही कि….उसकी बेटी उसके बारे में क्या सोचेंगे अगर उसने देख लिया तो…..मैं ये सब झूठी बातें अपने मन से बना कर नजीबा को सुना रहा था….और उसके चैहरे की रंगत को पल-2 बदलते हुए देख रहा था…नजीबा को तो जैसे यकीन ही नही हो रहा था…

.”ज़रूर साना को पता होगा…?” नजीबा ने कुछ सोचते हुए कहा….”अच्छा अभी साना का हज़्बेंड कहाँ है….? “

इसका मतलब था कि, नजीबा को अभी तक पता नही चला था कि, साना का हज़्बेंड वापिस जा चुका है….”वो वो तो बाहर बैठक में बैठा है….अपनी सास और बीवी के साथ… अच्छा तुम आराम करो…मैं आज गाओं वापिस जा रहा हूँ….कल सुबह वापिस आ जाउन्गा…” मैने वहाँ से उठते हुए कहा

….”क्यों…..?” नजीबा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा…

“ऐसे ही अब मैं नही चाहता कि, में उनकी मोज मस्ती के बीच में आउ समझी” मैने नजीबा को आँख मारते हुए कहा और वहाँ से बाहर आ गया….सीढ़ियों के सामने ही बैठक वाले रूम का डोर था….अंदर साना और नीलम बैठी हुई कुछ बातें कर रही थे….साना की नज़र मुझ पर पड़ी….तो मैने साना को बाहर आने का इशारा किया…..

नीलम की नज़र भी मुझ पर पड़ी….पर उसने अपनी नज़रें मुझे देख कर झुका ली… शायद साना नीलम को सुबह हुए वाक़ये के बारे में सब कुछ बता चुकी थे… साना मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइ और फिर उसने धीरे-2 से नीलम को कुछ कहा….तो नीलम सर झुका कर शरमाते हुए मुस्कुराने लगी….साना उठ कर बाहर आ गयी… “हां जी जीजा जी कहिए….” साना ने मुस्कुराते हुए कहा…

.”तुमने बात की अपनी अम्मी से….” मैने साना को आँख मारते हुए कहा…

.”हां कर ली…शाम को तैयार रहना…” साना ने भी मुस्कुराते हुए कहा…

.”अच्छा सुनो….मैने नजीबा को कहा है कि, आज में अपने गाओं वापिस जा रहा हूँ…और आज वही रहूँगा….और उसे ये पता नही है कि तुम्हारा शोहार वापिस जा चुका है….अब कल सुबह तक उसे पता नही चलना चाहिए कि, तुम्हारा हज़्बेंड जा चुका है…कहना है कि ऊपेर वाले रूम में रेस्ट कर रहे है….”

साना: क्यों….?

मैं: समझा करो…रात को तुम और नीलम बहाना बना लेना कि, तुम लोगों तुम्हारे शोहर के साथ ही सोना है….इस लिए नजीबा को शक भी नही होगा….कि अंदर में तुम दोनो के साथ हूँ….

साना: ठीक है कोई और फरमाइश हो तो वो भी बता दें…..

मैं: बस सिर्फ़ इतना ही कर लेना…

साना: ठीक है जैसा हुकम जनाब….

में गेट की तरफ बढ़ा और गेट खोल कर अपनी बाइक बाहर निकालने लगा तो, साना मेरे पास आ गयी….”अब कहाँ जा रहे हो…..?” साना ने मुस्कुराते हुए कहा…”

ऐसे ही घूमने जा रहा हूँ….नजीबा को भी यकीन हो जाएगा कि, में गाँव चला गया हूँ…..” 

साना ने मुस्कुराते हुए कहा….”ठीक है जल्दी वापिस आ जाना…..”

मैं: आ जाउन्गा…तुम ये गेट लॉक मत करना….मैने बाइक बिना स्टार्ट करके अंदर करनी है…अगर बाइक की आवाज़ नजीबा को आ गयी तो, उसे पता चल जाएगा कि में वापिस आ गया हूँ….

साना: ठीक है….

मैने अपनी बाइक निकाली और मेन रोड की तरफ बाइक दौड़ा दी….अभी मैं मेन रोड से थोड़ा ही दूर था और सोच रहा था कि, अब कहाँ जाउ…पहले सोचा एक बार घर का चक्कर लगा लेता हूँ….पर फिर मन बदला और सोचा क्यों ना सबीना के बंग्लॉ की तरफ जाउ….हो सकता है कोई मलूमात हो जाए….यही सोच कर मैने बाइक मेन रोड से राइट की तरफ मोड़ ली….तकरीबन 15 मिनिट बाद ही, मैं उसी अड्डे के मोड़ पर था….जिस तरफ वो बड़ी सी कोठी थे….मैने वही ब्रेक लगाए…और सोचने लगा कि, क्या अहमद आज इधर आया होगा कि, नही….शाम के 6 बज चुके थे….और अहमद ने मुझे बताया था कि, वो रात को यही कोठी में ही सोता है….में अभी वहाँ खड़ा सोच ही रहा था कि, मुझे अहमद रोड की तरफ आता हुआ नज़र आया…..

जैसे ही वो रोड के पास आया तो, उसने भी मुझे देख लिया और मुस्कुरा कर मेरे पास आया और सलाम दुआ के बाद बोला….”क्या बात है शाह जी इधर कैसे…”

मैने मुस्कुराते हुए अहमद की तरफ देखा और बोलने ही वाला था कि अहमद खुद ही बोल पड़ा….”ओह्ह अच्छा तो आप यहाँ खुसक गला तर करने आए है…”

मैं: हां अहमद सही कहा तुमने….चलो फिर अंदर चलते है….

मैने शराब के ठीके की तरफ इशारा करते हुए कहा…तो अहमद मुस्कुराते हुए बोला… “नही शाह जी आज यहाँ नही बैठना….”

मैं: तो फिर कहाँ बैठना है…..

अहमद: मैने घर पर चिकन बनाया है…..आप रूको में शराब की बॉटल ले कर आया…
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ये कह कर अहमद ठेके की तरफ जाने लगा तो, मैने अहमद को रोका और अपने जेब से पैसे निकाल कर अहमद को देते हुए बोला….जाओ वही ले आओ जो उस दिन पी थी… अहमद ने पैसे लेने से इनकार किया पर मैने उसे पैसे दे दिए….वो दौड़ता हुआ सड़क पार करके ठेके पर चला गया…और शराब की बॉटल ले आया…मैने उसे बाइक के पीछे बैठने के लिए कहा तो अहमद जल्दी से बाइक पर बैठ गया…मैने बाइक टर्न की और थोड़ी देर में ही मैने वो बाइक उसी कोठी के सामने जाकर रोक दी…..

अहमद जल्दी से नीचे उतरा और उसने गेट का लॉक खोला….”लो शाह जी आप बाइक भी अंदर ही कर दो….” मैने बाइक अंदर की और स्टॅंड पर लगा कर जब मुड़ा तो, अहमद गेट की कुण्डी लगा रहा था…कुण्डी लगाने के बाद अहमद मुड़ा और मुस्कुराता हुए हॉल रूम के मेन डोर की तरफ बढ़ा और फिर उसने उसका लॉक खोला और हम अंदर दाखिल हुए… अंदर हॉल में अहमद ने मुझे सोफे पर बैठने को कहा…और बॉटल को सामने टेबल पर रख कर किचिन की तरफ चला गया…

थोड़ी देर बाद अहमद सारा समान पानी सोडा सब कुछ ले आया…उसने दो पेग बनाए… और फिर हम दोनो ने अपने आप ग्लास उठाए हुए चियर्स करने के बाद मैने पेग के सीप लेने शुरू कर दिए…पर अहमद ने अभी तक ग्लास को मुँह नही लगाया….वो थोड़ा परेशान सा लग रहा था

…”क्या अहमद परेशान हो….?” मैने अहमद की तरफ देखते हुए पूछा तो,

वो ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए बोला…”शाह जी एक बात करनी थे आप से”

मैं: हां बोलो….

अहमद: शाह जी उस दिन जब आप मिले थे तो मैं नशे में पता नही क्या क्या बोल गया था…प्लीज़ शाह जी में बहुत ग़रीब आदमी हूँ….मैने उस दिन जो कुछ भी आप को बताया था…..उसका जिकर आप किसी से नही करना…नही तो, मैं कही का नही रहूँगा….मेरी दरखास्त है आपसे…..

मैं: यार भूल जाओ…कि तुमने कुछ कहा था और मैने सुना था…मैने तुम्हे उस दिन ही कहा था कि, हम पीने वाले एक दूसरे के राज़ को राज़ रखते है…कहा था कि नही कहा था….

अहमद: जी शाह जी….

मैं: तो फिर फिकर ना करो….और अपना पेग ख़तम करो….तुम्हारा ये राज़ राज़ ही रहेगा….

अहमद: जी शुक्रिया शाह जी…..आज तो आपने इस ग़रीब का दिल ही जीत लिया… अगर कभी भी आपको मेरी ज़रूरत पड़े तो, मुझे याद करना….

मैं: यार एक काम तो है…अगर तुम कर सको तो,

अहमद: आप हुकम करो शाह जी….मैं आपनी जान भी दे दूँगा….

मैं: यार वो मेरी एक दोस्त है….मुझे उससे अकेले में मिलना है…पर यार कोई ढंग की जगह ही नही मिल रही…तुम समझ रहे हो ना क्यों अकेले में मिलना है….

अहमद : (मुस्कुराते हुए) जी समझ गया….और आप भी ये समझ लेने कि आप का काम हो गया….

मैं: वो कैसे….?

अहमद: शाह जी ये इतनी बड़ी कोठी किस काम .…मालकिन और वो अंकल तो जुम्मे से एक रात पहले और जुम्मे वाली दिन रात यहाँ आते है…बाकी पूरे हफ्ते यहाँ कोई नही होता दिन में…रात को भी मैं ही यहाँ आकर सोता हूँ….आप अपनी माशूक को यहाँ ले आना….

मैं: यार पर प्राब्लम ये है कि वो दिन में ही आ सकती है….और दिन में तुम यहाँ होगे नही…और यहाँ लॉक लगा होगा….

अहमद: आप रुकिये एक मिनिट….

अहमद ने अपना पेग खैंचा और उठ कर अंदर चला गया….थोड़ी देर बाद वो मुस्कुराते हुए वापिस आया….और चाबी का एक गुच्छा मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा.. ये लो शाह जी….जब आप का काम हो जाए तो, मुझे वापिस कर देना….इस घर के सभी लॉक्स की तीन-2 चाबी बनवाई थी मालकिन ने….एक आप रख लें…और जब भी टाइम मिले तो आ जाना….

मैं: यार अगर तुम्हारी मालकिन को पता चला कि, एक चाबी का सेट गायब है तो,

अहमद: शाह जी उन्होने कभी चाबी माँगी नही….अगर मांगती भी है तो, दो सेट है और मेरे पास….हां सिर्फ़ जुम्मे से एक दिन पहले और जुम्मे वाले दिन यहाँ नही आइयेगा..

मैं: समझ गया…..

उसके बाद में अहमद के साथ इधर उधर की बातें करता रहा….और एक पेग और लगा कर वहाँ से निकल कर वापिस नीलम के घर की तरफ चल पड़ा…और अहमद को जुम्मे वाले दिन फिर से ठेके पर मिलने का कहा….और कहा कि उस दिन में तुम्हे मेरी मदद करने के लिए बढ़िया सी पार्टी दूँगा….अहमद भी खुशी-2 मान गया….जब में नीलम के घर पर पहुँचा तो अंधेरा हो चुका था…मैने बाइक बाहर ही बंद कर दी… और धीरे से गेट खोल कर बाइक अंदर की और सीढ़ियों के पीछे लगा दी….ताकि नजीबा अगर बाहर भी आए तो, उसकी नज़र मुझ पर ना पड़े….जैसे ही में बाइक स्टॅंड लगा कर ऊपेर जाने के लिए मुड़ा तो, साना बैठक के तरफ आई…और मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोली…” आ गये जनाब….”
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मैं मुस्कुराता हुआ ऊपेर आ गया….और ऊपेर आकर बेड पर लेट गया…..जैसे तैसे वक़्त कटने लगा….अब तो 1 जन्वरी को कॉलेज खुलने वाले थे…इसलिए कोई फिकर ना थी….लेटे-2 किसी तरह 8 बजे….तो मुझे कदमो की आहट सुन कर मैने रूम के डोर की तरफ देखा….नीलम डोर पर खड़ी मुझे अजीब सी नज़रों से देख रही थी… नीलम को देख कर मैं बेड से उतर कर खड़ा हो गया…”समीर नीचे आकर खाना खा लो…..” और फिर नीलम मूड कर जैसे ही नीचे जाने लगी….

तो मैने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खेंचा….”अहह समीर….छोड़ो मुझे….” मैने नीलम को ज़बरदस्ती अपनी बाज़ुओं में भर लिया…और शलवार के ऊपेर से उसके बूंद के दोनो पार्ट्स को दबाते हुए, बोला….”क्या हुआ नाराज़ हो मुझसे……” 

नीलम: सीईइ समीर छोड़ो मुझे….नाराज़ ना हूँ तो क्या करूँ….तुमने साना को क्या कहा….तुम बहुत बेशरम हो…..

मैं: अब इसमे मैं क्या कर सकता था…..उसने तुम्हे और मुझे ऊपेर देख लिया था… तो क्या करता…और ये सब उसने शुरू किया था….

नीलम: तो ये डिमॅंड उसने तो नही रखी होगी…

मैं: अच्छा ठीक है….अगर तुम्हे अच्छा नही लगता तो रहने दो….

नीलम: अच्छा अब ज़यादा बातें ना बनाओ और नीचे आकर खाना खा लो…

मैं: मुझे यही खाना ला दो…मैं खाना खा कर नीचे आता हूँ….

नीलम: ठीक है…

मई: और हां सुनो ये स्टडी लॅंप नीचे अपने रूम में ले जाओ….

नीलम: वो किस लिए….

मैं: यार जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो….

नीलम: ठीक है जनाब……

नीलम स्टडी लॅंप उठा कर नीचे चली गयी….फिर थोड़ी देर बाद नीलम खाना लेकर ऊपेर आ गयी….मैने ऊपेर ही खाना खाया और फिर जब नीचे पहुँचा तो, नीचे के सभी लाइट्स ऑफ थी….नीचे सिर्फ़ नीलम वाले रूम की लाइट ऑन थी…मैं नीलम के रूम मे दाखिल हुआ तो, देखा नीलम ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी अपने खुले हुए बालो को सवार रही थी….और साना बेड पर करवट के बल लेटी हुई थी….मुझे देखते ही साना ने स्माइल के साथ मेरी तरफ देखा….और फिर उठ कर बेड से नीचे उतरी और फॉरन ही उसने दूर को अंदर से लॉक कर दिया….

डोर लॉक करने के बाद साना ने स्टडी लॅंप ऑन कर दिया….और ट्यूब लाइट ऑफ कर दी… साना वही सब कर रही थी….जैसा उसे मैने सामंजस्य था…पर नीलम को मेरे मकसद के बारे में पता नही था….नीलम नही जानती थी कि, ये सारा खेल मे इस लिए प्लान कर रहा न कि, नजीबा अपनी मामी और साना को एक साथ चुदते हुए देखे.. और नजीबा ये समझे कि साना का हज़्बेंड साना और उसकी अम्मी को एक साथ चोद रहा है… स्टडी लॅंप नीचे लाने के पीछे भी मेरा यही मकसद था…

जिन लोगो ने कभी स्टडी लॅंप यूज़ किया हो….उन्हे पता ही होगा कि, स्टडी लॅंप के बल्ब के रोशनी नीचे के तरफ फैलती है…और जो चीज़ स्टडी लॅंप के बल्ब के लेवेल से ऊपेर हो….वो चीज़ अंधेरे कमरे में दिखाई नही दे सकती…उसकी वजह बल्ब के ऊपेर लगा कवर होता है….जो बल्ब की रोशनी को ऊपेर के तरफ जाने नही देता…और बल्ब की रोशनी का सारा फोकस टेबल पर होता है….इस लिए अगर रूम मैं दूसरी कोई लाइट ऑन ना हो तो, उस बल्ब के लेवल से ऊपेर कुछ दिखाई नही दे सकता….

स्टडी लॅंप बेड के पुस्त के पास एक छोटे से टेबल पर रखा हुआ था….टॅबेल बेड जितना ही उँचा था….मैं बेड पर चढ़ा और बेड के पुस्त से टेक लगा कर बैठ गया…साना डोर के पास ही खड़ी थी…”ठीक है साना…..?” मैने साना से पूछा…. तो उसने हां कहा और बेड पर चढ़ कर मेरे पास आई, और मेरे थाइ पर अपना हाथ रख कर धीरे-2 सहलाने लगी….मैने साना के तरफ देखा तो, उसके होंटो पर शरारती मुस्कान फेली हुई थी…साना धीरे-2 मेरी थाइ को सहलाते हुए मेरे लंड पर पहुँच गये…और मेरे लंड को पेंट के ऊपेर से धीरे-2 सहलाने लगी…नीलम ड्रेसिंग टेबल के पास खड़ी हम दोनो की तरफ देख रही थी….मैने नीलम की तरफ देखा और मुस्कराते हुए कहा….”तुम क्यों वहाँ खड़ी हो….आओ….” पर नीलम वही खड़ी शर्मा रही थी…..

अभी मैं बेड से उठने ही लगा था कि, नीलम ने मुझे धक्का देकर फिर से बेड पर बैठा दिया....और बेड पर चढ़ कर मेरे जाँघो की दोनो तरफ अपने घुटनो को टिकाते हुए अपनी बड़ी से बाहर की तरफ निकली हुई बूंद को मेरे पेंट के ऊपेर से लंड पर टिकाते हुए मेरी गोद में बैठ गयी.....साना मेरी बगल मे बैठी हुई ये सब देख कर मुस्करा रही थी.....मेरा लंड नीलम की सलवार के ऊपेर से उसके बड़े-2 बुन्द के पार्ट्स के लाइन में धंसा हुआ था....नीलम अपनी बुन्द को धीरे-2 आगे पीछे करते हुए कपड़ों से ऊपेर मेरे लंड पर अपनी बूँद को रगड़ने लगी.....नीलम ने अपने होंटो को मेरे होंटो पर झुकाते हुए होंटो से होंटो को लगा दिया...

और पागलो की तरह मेरे होंटो को चूसने लगी...मैने कनखियों से साना की तरफ देखा, जो हम दोनो की तरफ देख कर अपनी सलवार के ऊपेर से अपनी फुद्दि को दबाते हुए अपने होंटो को दाँतों से काट रही थी....फिर नीलम ने अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग किया....और साना की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए सीधी होकर बैठ गयी....नीलम ने मेरी आँखो में देखते हुए, अपनी कमीज़ को दोनो तरफ से पकड़ते हुए एक ही झटके मे अपने बदन से अलग कर दिया....और फिर कमीज़ को बेड पर फेंकते हुए, अपनी सलवार के नाडे को पकड़ कर खेंचते हुए खोल दिया....कुछ ही पलों में नीलम की सलवार भी उसके बदन से अलग हो चुकी थी.....मैं नीलम को एक तक घुरे जा रहा था....

अचानक ही मैने फेस घुमा कर साना की तरफ देखा, तो मैं साना को देख कर और दंग रह गया था....साना बेड पर बिल्कुल नंगी बैठी हुई थी. उसने कब अपने कपड़े उतारे मुझे पता तक नही चला....और जब मैने नीलम की तरफ देखा, तो उसके पिंक कलर की ब्रा और पैंटी भी उसके बदन से अलग हो चुकी थी. नीलम और साना दोनो मेरे सामने बैठ गये....दोनो ने एक बार एक दूसरे की तरफ मुस्करा कर देखा, और मेरी तरफ देखते हुए दोनो ने मेरी पेंट को खोलना शुरू कर दिया....कुछ ही पलों मैं दोनो ने मेरी पेंट और अंडरवेर को निकाल कर मेरे बदन से अलग कर दिया....

पेंट उतरने के बाद नीलम ने मेरी टीशर्ट भी उतार फेंकी, अब हम तीनो बिल्कुल नंगे हो चुके थे…नीलम ने बेड पर बैठते हुए मेरे लंड को मुट्ठी में भर कर हिलाते हुए अपने मुँह खोल कर मेरे लंड के मोटे कॅप को मुँह में भर लिया…और तेज़ी से सर हिलाते हुए अपने होंटो में मेरे लंड की कॅप को दबाते हुए चूसने लगी….साना ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और फिर अपना हाथ मेरी चेस्ट पर फेरते हुए थोड़ा सा नीचे की तरफ खिस्काई और झुक कर मेरे बॉल्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी….”सीईईईईईईई ओह….” मैने सिसकते हुए नीलम के बालो को पकड़ लिया…दो-2 गरम औरतें मेरे लंड और बॉल्स को अपने होंटो में दबा-2 कर चूस रही थी….

तभी नीलम ने एक दम से मेरे लंड को मुँह से बाहर निकाला….और साना की बूँद पर थप्पड़ मारते हुए बोली…..”तुझे बड़ी आग लगी है….खा जाएगी क्या बेचारे के टटटे हाहाहा….”

नीलम की बात सुन कर साना ने मेरे बॉल्स को चाटना बंद किया और बुरा सा मुँह बनाते हुए बोली….”मुझे तो जो आग लगाई है सो लगी है…पर तुम्हारी बूढ़ी कूसी को अभी भी चैन नही है….अपनी बात करो….”साना ने मेरे लंड को पकड़ कर नीलम का हाथ मेरे लंड से हटा दिया….”आह अम्मी ये तो बहुत तगड़ा घोड़ा होता जा रहा है……..” साना ने मेरे लंड को देखते हुए धीरे से कहा……

नीलम : हां सच यार साले ऐसे घोड़े की तो सवारी करने मे मज़ा है…..आज तो हम दोनो की किस्मत खुल गयी समझ ली…..

ये कहते हुए नीलम ने हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को अपने हाथ मे पकड़ लिया. और लंड को हिलाते हुए, मेरे लंड की कॅप के ऊपेर थूक दिया और थूक को लंड की कॅप पर मलने लगी, तो मेरे लंड का कॅप लाल टमाटर की तरह चमकने लगा…..जिसे देख कर दोनो की फुद्दि कुलबुलाने लगी…..साना ने भी लंड को पकड़ते हुए लंड की कॅप पर अपने अंगूठे से रगड़ा तो मैं एक दम से सिसक उठा…..”क्या हुआ …..?” साना ने मुझे इस तरह सिसकते हुए देख कर कहा…..”आहह बहुत ठंडा है तुम्हारा हाथ…” मैने साना की ओर देखते हुए कहा…..
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03-08-2019, 02:59 PM,
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साना : थोड़ा सा इंतजार करो….अभी देखना अब तुम्हारे इस लंड को कितनी गरमी मिलने वाली है….

ये कहते हुए साना मेरी जाँघो के पास मुँह करके पैट के बल लेट गयी…..दूसरी तरफ ठीक वैसे ही नीलम भी, लेट गयी……नीलम ने साना की आँखो मे देखते हुए मेरे लंड पर झुकाना शुरू कर दिया…..और अपने होंटो को मेरे लंड के मोटे कॅप पर लगा दिया….मैं एक दम मस्ती से सिसक उठा…. मैने नीलम के खुले हुए बालों को कस्के पकड़ लिया….नीलम ने इस बात का बुरा नही माना. और अपने होंटो को मेरे लंड की कॅप के चारो तरफ कस्ति चली गयी….

थोड़ी ही देर मे मैने की लंड का कॅप नीलम के मुँह मे था, और वो उसे अपने होंटो से दबा-2 कर चूसने लगी…..दूसरी तरफ लेटी साना ने भी देर नही की, और अपनी जीभ और होंटो से मेरे लंड के नीचले हिस्सो को चाटने लगी…..मेरे लंड को अब दोहरी मार पड़ रही थी….मेरा लंड एक दम अकड़ गया था….मैने ने अपने दूसरे हाथ से साना के खुले हुए बालो को पकड़ लिया….दोनो औरतें मेरे लंड पर कुतियों की तरह टूट पड़ी….

नीलम तो मेरे लंड को चूसने मे मगन थी…..और साना कभी मेरे लंड पर लंबी पर अपनी जीभ फिराती, तो कभी मेरे बॉल्स को पकड़ कर मुँह में भर कर चूसने लगती….और फिर दोनो मेरे लंड को नीचे से चूस्ते हुए ऊपेर कॅप तक आती, और दोनो एक दूसरे के होंटो को चूसने लगती.....


मैं आँखें बंद किए हुए जन्नत सा मज़ा ले रहा था…..साना और नीलम जिस जोशीले अंदाज़ मे मेरे लंड को चूस चाट रही थी……देखने से लग रहा था…..जैसे सामने किसी पॉर्न मूवी का सेसन चल रहा हो…..थोड़ी ही देर मे मेरा लंड दोनो के थूक से सन गया….जैसे ही नीलम ने मेरे लंड को मुँह से बाहर निकाला, साना ने उसे अपने मुँह मे भर लिया…….पक-2 गलप -2 जैसी आवाज़ें पूरे रूम मे गूंजने लगी…. “साना यार बहुत मज़ा आ रहा है…..ऐसे जवान लंड के चुप्पे लगाने का स्वाद ही कुछ और है…..”

साना: (मेरे लंड को मुँह से बाहर निकाल कर अपने हाथ से हिलाते हुए) हां सच अम्मी मैने भी इस जैसा दूसरे लंड को कभी नही चूसा, मज़ा आ गया यार…..दिल करता है रोज इस लंड के चुप्पे लगाऊ…..(ये कहते हुए उसने फिर से मेरे लंड को मुँह मे भर लिया….और चूसना शुरू कर दिया….)

नीलम का बेड रूम चुदाई की आवाज़ों से भर गया था…..”बोल पहले तू इस लंड की सवारी करेगे “ साना ने मेरे लंड मुँह से बाहर निकाल कर अपने हाथ से हिलाते हुए कहा….तो नीलम बिना कुछ बोले उठ कर बैठ गये…..और दोनो मेरी बगलो में लेट कर मेरे ऊपेर झुक गयी……दोनो के बड़े-2 गुदाज मम्मे मेरे चेहरे के ऊपेर झूलने लगी….एक साथ दो -2 औरतो के गुदाज मम्मों को देख कर मेरी आँखों मे चमक आ गयी…..साना ने निप्पल कुछ ज़्यादा ही लंबे और मोटे थे….देख कर ऐसा लग रहा था…..जैसे चीख-2 कर कह रहे हो….आओ हमे मुँह मे भर कर निचोड़ लो…..मैने भी एक पल के देर ना की, और 

मैने साना की निपल को मुँह मे भर लिया….साना मेरे ऊपेर और झुक गयी…..और अपने मम्मे को और ज़्यादा मेरे मुँह मे दबाने लगी….मैने भी उसके मम्मे और निपल को अपने होंटो मे दबा-2 कर चूसना शुरू कर दिया….”अहह हाआँ चूस्सो समीर अहह बहुत अच्छा लग रहा है……” और उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाकर मेरे लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया….दूसरी तरफ लेटी, नीलम मेरे बॉल्स के साथ खेलने लगी…..मैने ने कभी सोचा ना था कि, ये दोनो औरतें मुझे आज इतना मज़ा देंगे……साना के मम्मे को थोड़ी देर चूसने के बाद मैने मम्मे को मुँह से बाहर निकाला, और नीलम की तरफ देखा…

नीलम ने अपने एक मम्मे को हाथ मे पकड़ कर अपने निपल को और नोकदार बनाते हुए, उसे मेरे मुँह से लगा दिया….मैने भी मुँह खोल नीलम के मम्मेको मुँह में भर लिया……और चूसना शुरू कर दिया…..नीलम की मस्ती में आँखे बंद होने लगी….उसका हाथ मेरे चौड़े सीने पर तेज़ी से घुमाने लगा….दूसरी तरफ लेटी, साना उठ कर मेरे ऊपेर आ गयी….और अपने घुटनो को मेरी कमर के दोनो तरफ रख कर बैठते हुए मेरे लंड को हाथ से पकड़ लिया…..और अपनी फुद्दि के लिप्स पर जैसे ही उसने मेरे लंड की कॅप को रगड़ा, तो वो एक दम से सिसक उठी….”आह लंड तो बहुत गरम है ….” साना की आवाज़ सुन कर नीलम ने भी अपने मम्मे को मेरे मुँह से बाहर निकाला…..और साना को धक्का देकर मेरे ऊपेर से नीचे बेड पर गिरा दिया…”क्या हुआ धक्का क्यों मार रही हो….”

नीलम: पहले ये लंड मेरे अंदर जाएगा….बाद में तेरे….

ये कहते हुए नीलम घुटनो और कोहानियों के बल बेड पर डॉगी स्टाइल मे आ गयी….और अपना एक हाथ पीछे लाते हुए अपनी बूँद को फेला कर अपनी फुद्दि का सूराख मुझे दिखाते हुए बोली…”चल आजा मेरे शेर कर ले अपनी घोड़ी की सवारी…..” 

साना: हां समीर पहले इसका भोसड़ा फाड़ दे……इसके भोसड़े मे कब से खुजली मची हुई है…

मैं नीलम के पीछे आकर घुटनो के बल बैठ गया….और अपने लंड की कॅप को नीलम की फुद्दि के सूराख पर टिकाते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा, तो नीलम दर्द से चीख उठी……”आह धीरे ओह्ह्ह्ह तेरा लौडा तो मेरी फुद्दि ही फाड़ देगा…..हाई मर् गयी मैं….” पीछे खड़ी साना ये सब देख कर मुस्कुराते हुए नीलम की बूँद के पास आकर झुक गयी…..और दोनो हाथो से नीलम की बुन्द को फेलाते हुए, मेरी तरफ देख कर मुस्कराते हुए बोली…..चलो रूको ना अब…घुसा दे पूरा अपनी इस गस्ति नीलम की फुददी में…….साना ने नीलम की बुन्द सहलाते हुए कहा…..”

नीलम: आह साना कुछ तो शरम कर…..या सारी शरम इस्लामाबाद में बेच कर खा गये है…..अपनी अम्मी से कोई ऐसे बात करता है….

साना: क्या है अम्मी आज रात के लिए हम दोनो माँ बेटी नही है….जब मेरे सामने इसका लंड ले सकती हो….तो फिर कैसी शरम….वैसे भी दो दिन बाद मैने चले जाना है…समीर तुम क्यों रुक गये….तुम मारते रहो इसकी….

मैं अब नॉर्मल स्पीड से नीलम की फुद्दि के सूराख मे अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था….थोड़ी देर बाद नीलम को भी मज़ा आने लगा….और उसने भी अपनी बुन्द को पीछे की तरफ धकेलना शुरू कर दिया….”अहह ओह हइई समीर और तेज .मैं भी देखू कि कितनी अकड़ है तुम्हारे लंड में” आह अहह…….मैने अब पूरी ताक़त के साथ अपना मोटा लंड नीलम की फुद्दि के सूराख मे अंदर तक घुसा रहा था…..और नीलम भी पीछे की तरफ अपनी बुन्द को पीछे की तरफ मेरे लंड पर दबाने लगी…..

मैने एक दम से अपने लंड को पूरा बाहर निकाला. तो साना ने नीलम की बूंद के ऊपेर झुक कर उसकी बुन्द के दोनो पार्ट्स को फेला कर उसकी फुद्दि को देखने लगी….नीलम तो शरम से बेड के गढ्ढे में घुसी जा रही थी…”सीईईई साना कुछ तो शरम कर कन्जरिये….” साना ने नीलम की बात का कोई जवाब ना दिया…और मुस्करा कर मेरी तरफ देखते हुए उसने अपने हाथो की उंगलियों से नीलम की फुद्दि के लिप्स खोल कर मुझे आँख मार कर इशारा किया…और अगले ही पल मैने फिर से अपने लंड को एक ही बार मे नीलम की फुद्दि की गहराइयों मे उतार कर चोदना शुरू कर दिया… ”सीईईईई समीर ओह्ह्ह्ह तूने तो जन्नत ही दिखा दी….”नीलम ने सिसकते हुए सर पीछे की तरफ घुमा कर देखा….

“ जब इतने जवान लंड से चुदवाओगी तो मज़ा तो आएगा ही हहा…” साना ने हंसते हुए नीलम की बूँद पर थप्पड़ मारते हुए कहा….नीलम ने बुरा सा मुँह बनाते हुए मेरी तरफ देखा, और फिर मेरी आँखो में झाँकते हुए बोली….”समीर तुम भी इस कंजरी के साथ मिल गये हो….ये तुम्हारे सामने मेरी बेज़्जती कर रही है…और तुम चुप चाप सुन रहे हो…. 

मैं: तो आप ही बोलो क्या करूँ….

नीलम: समीर आह समीरररर तेरा लंड एक दम सूखा है….बहुत जलन हो रही है….(नीलम ने मुझे आँख मारते हुए कहा….तो मैं नीलम का इशारा समझ गया….)

मैने साना की तरफ देखा, जो अपने सर को नीलम की बुन्द पर झुकाए हुए नीलम की बुन्द को फेला-2 कर उसकी फुद्दि में अंदर बाहर हो रहे लंड को देख रही थी….मैने एक दम से साना के सर को पकड़ कर उसके सर को नीलम की बुन्द पर दबा दिया….और अपना लंड नीलम की बुन्द के सूराख से बाहर निकलते हुए साना के मुँह में डाल दिया….”ओह्ह्ह्ह उंह समीर……” 

साना ने अपने चेहरे को पीछे की तरफ करना चाहा…पर मैने साना के सर को पकड़ कर नीलम की बुन्द पर और दबा दिया…और साना के मुँह में अपने आधे से लंड को डाल कर अंदर बाहर करने लगा….साना के मुँह से घू -2 की आवाज़ आने लगी…थोड़ी देर बाद मैने जब साना के मुँह से अपने लंड को बाहर निकाला तो, मेरा लंड साना के थूक से एक दम गीला होकर चमक रहा था…मैने लंड के कॅप को नीलम की फुद्दि के सूराख पर टिकाते हुए ज़ोर दार धक्का मारा तो, इस बार मेरा लंड नीलम की फुद्दि के सूराख में फिसलता हुआ अंदर जा घुसा…..मैने पूरे जोश और ताक़त से अपने लंड को नीलम की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….

मेरे आगे घोड़ी बनी नीलम भी पुरजोश अंदाज़ में अपनी बुन्द को पीछे की तरफ पुश कर रही थी….मैने लंड को अंदर बाहर करते हुए नीलम के खुले हुए बालो को पकड़ कर पीछे की तरफ खेंचते हुए और तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….साना हैरत भरी नज़रों से मुझे देख रही थी….साना भी बहुत ज़यादा गरम हो चुकी थी….वो सीधी होकर घुटनो के बल बैठ गयी…और उसने मेरी टीशर्ट को पकड़ कर ऊपेर करते हुए मेरे निपल को अपने होंटो में लेकर काटना शुरू कर दिया….साना एक हाथ से नीचे अपनी फुद्दि को दबा रही थी….मैं भी एक दम गरम हो चुका था,….नीलम की आहों पुकार भी भी पूरे जोश पर थी… और चन्द ही सेकेंड्स में नीलम के जिस्म ने कांपना शुरू कर दिया….

उसका असर मुझ पर कुछ इस क़दर हुआ कि, मेरे लंड ने भी नीलम की फुद्दि में ही आग उगलनि शुरू कर दी…और मैं अपने लंड को नीलम की फुद्दि की गहराइयों मे दबा कर लंबी लंबी साँस लेने लगा….
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03-08-2019, 02:59 PM,
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जैसे ही मेरा लंड थोड़ा सा ढीला होकर नीलम की फुद्दि से बाहर आया….मैने साना की तरफ देखा और फिर डोर की तरफ इशारा किया….साना मेरी बात समझ कर जल्दी से खड़ी हुई और फॉरन ही बेड से नीचे उतर कर डोर के आगे परदा कर दिया….रूम के अंदर सिर्फ़ एक ज़रिए से देखा जा सकता था….और वो था रूम के डोर का के होल…. अब उसके आगे भी परदा था….मुझे यकीन था कि, अब तक जो भी इस रूम मे हुआ था… वो सब नजीबा ने ज़रूर देखा होगा…..और मैं दिल ही दिल मे ये दुआ भी कर रहा था कि, नजीबा ने मेरे फेस को ना देखा हो….

जैसे ही मेरा लंड नीलम की फुद्दि से बाहर आया….नीलम आगे की तरफ पेट के बल लेट गयी….साना ने बेड पर चढ़ कर फॉरन ही मेरे ढीले हो रहे लंड को मुट्ठी में लेकर दबाना शुरू कर दिया….”ये क्या समीर….ये तो ढीला पड़ने लगा है…”

साना मेरे लंड को ऐसे हिला रही थी….जैसे मूठ मार रही हो….” तो क्या हुआ थोड़ी देर बाद फिर से खड़ा हो जाएगा….” मैने भी साना के मॅमन को अपने दोनो हाथो में लेकर दबाते हुए कहा….”मुझे पता है इसने कैसे खड़ा होना है….” साना मेरे लंड को दबाते हुए मेरे सामने आई….और पेट के बल बल लेट गयी….

साना ने मेरे लंड को हिलाते हुए, अपने होंटो मे लंड की कॅप को लेकर चूसना शुरू कर दिया…..साना अब बेहद गरम हो चुकी थी….और पूरे जोश मे आकर मेरे लंड को तेज़ी से सर हिलाते हुए चूस रही थी….और मैं अपने दोनो हाथो को नीचे करके साना के मम्मों को मसल रहा था….साना कभी मेरे लंड के कॅप को चुस्ती तो कभी अपनी जीभ से मेरे लंड के चारो और चटाना शुरू कर देती..तो कभी लंड को मेरे पेट के साथ लगा कर मेरे बॉल्स को मुँह मे भर कर चूसने लगती.

मैं आज से पहले इतना हार्ड कभी नही हुआ था…मैं इतना मस्त हो चुका था कि, मैने साना के बालो को खोल कर उन्हे कस्के पकड़ हुआ था….और जब साना मेरे लंड को मुँह मे लेती, तो मैं अपनी कमर हिला कर उसके मुँह को ही चोदना शुरू कर देता.

जब वो लंड को चुस्ती तो, अपने हाथों से मेरे बॉल्स को सहलाने लग जाती….साना के होन्ट मेरे लंड के कॅप पर एक दम कसे हुए रगड़ खा रहे थी….मैने साना साना के सर को पकड़ खेंचा और अपना लंड साना के मुँह से बाहर निकला और उसे बेड पर पीछे की ओर धक्का दिया….जैसे ही मैं साना की टाँगो के दरमियाँ आया….साना ने अपनी टाँगो को घुटनो से मोड़ा फिर ऊपेर उठाया और फिर दोनो तरफ खोल लिया….आ

साना ने मेरी तरफ देखा और मुस्कराते हुए बोली....."समीर अब और सबर नही होता..." और फिर खुद ही अपने हाथो को नीचे लाकर साना ने अपनी फुद्दि के लिप्स को खोला .... “ये देखो समीर कैसी गीली हो रही है….” साना ने अपनी फडी का सूराख दिखाते हुए कहा…मैने जैसे ही अपने हाथ की दो उंगलियों को साना की फुद्दि के सूराख पर दबाया तो……

मेरी दोनो उंगलियाँ फिसलते हुए साना की फुद्दि मे घुस गयी...."ओह्ह्ह समीर उंह सीईईईईईईईईईई" साना ने सिसकते हुए, अपने दोनो मम्मों पर अपने हाथ रखते हुए, उन्होने मसलना शुरू कर दिया.....मैं घुटनो बल बैठा और साना की फुद्दि में अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करने लगा....और साथ ही झुक कर साना की क्लिट पर अपनी जीभ से रगड़ने लगा. अपनी फुद्दि के फूले हुए दाने पर मेरी जीभ महसूस करते ही, साना का जिस्म एक दम से अकड़ गया.....

और साना ने अपने दोनो हाथों को नीचे लेजाते हुए, मेरे बालो को कस के पकड़ कर सिसकना शुरू कर दिया....."उंह सीईईई ओह समीरर वहाँ पर ना अहह हइईए मेरीए फुद्दि ओह आग लगा दी तूने समीर उंह सीईइ अहह अहह मम्मी....." साना की कमर ऊपेर की तरफ झटके खाने लगी....साना ने मेरे सर से अपने दोनो को हटाया और मेरे कंधो को पकड़ते हुए, मुझे अपने ऊपेर की तरफ खेंचा.... और मेरा तना हुआ लंड साना की फुद्दि के दो इंच ऊपेर झटके खा रहा था....साना अब लंबी-2 साँसे भरते हुए मेरी ओर देख रही थी...और अगले ही पल साना ने मेरे लंड को पकड़ कर लंड की कॅप को अपनी फुद्दि के सूराख पर रगड़ते हुए सेट किया....और फिर से मेरी आँखो में देखने लगी.......

मैने भी साना के ऊपेर झुकते हुए अपने दोनो घुटनो को बेड के किनारे पर टीकाया, और अपनी कमर को आगे की तरफ झटका दिया...."अहह समीर..." जैसे ही मेरे लंड का कॅप साना की फुद्दि के टाइट सूराख में घुसा तो, साना सिसकते हुए मुझसे लिपट गयी....मैने बिना टाइम जाया किए एक और ज़ोर दार धक्का मारा...मेरे लंड का कॅप साना की फुद्दि के सूराख को बुरी तरह फेलाता हुआ और अंदर घुसने लगा....

साना मेरे इस हमले से बुरी तरह मचल उठी....साना की फुद्दि की दीवारे मेरे लंड को कस और छोड़ रही थी...साना ने मेरी कमर पर अपनी टाँगो को कसते हुए, अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उठाया तो मेरा लंड साना की गीली फुद्दि मे फिसलता हुआ पूरा का पूरा जा घुसा....."उंह समीर सीईईईईईईईई हाईए, तुम्हारा सच मे बहुत लंबा है.....इतना मोटा कि मुझे अपनी फुद्दि एक दम टाइट फील हो रही है......"

साना ने अपनी फुद्दि की मासपेशयों को मेरे लंड के चारो ओर कसते हुए कहा...और फिर मदहोशी की हालत मे पागलों की तरह मेरे पूरे फेस पर किस करने लगी....."उंह उंह आ समीरर ओह करो ना....." साना ने अपनी बूँद को ऊपेर की ओर उठाते हुए, अपनी हालत जाहिर की....मैने साना के मम्मों को मसलते हुए उसके लेफ्ट निपल को मुँह मे भर कर सक करने लगा....जैसे ही मैने साना के निपल को मुँह मे लेकर सक करना शुरू किया...साना एक दम से मचल उठी.....

साना ने तेज़ी से अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उछालते हुए सिसकारियाँ भरना शुरू कर दिया......"उंह ओह समीर नही प्लीज़ ओह्ह्ह्ह उंह हाई मेरी फुद्दि अहह ह अहह सीईईईईईईईई उंह उंह समीर नही ओह.........समीर समीर मेरी फुद्दि पानी छोड़ देगी...."

साना एक दम मस्त होकर तेज़ी से अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उछालते हुए मेरे लंड को अपनी फुद्दि मे लेने लगी थी....और मैं साना के सबसे सेन्सिटिव हिस्से यानी कि उसके बाहर की तरफ निकले हुए निपल्स को पूरे जोशो ख़रोश से चूस रहा था....साना को यूँ चुदाई के लिए तड़पटा देख कर मैने भी जोश मे आकर अपने लंड को बाहर निकाल-2 कर अंदर की ओर घस्से लगाने शुरू कर दिए....जैसे ही मेरे लंड का कॅप साना की फुद्दि की दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर घुसता साना एक दम से मस्त हो जाती. और अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उठाते हुए अपनी फुद्दि को मेरे लंड पर दबा देती....

साना: हाईए समीररररर मुझी पहले पता होता कि तेरा ये लंड मुझे इतना सुख देगा तो मैं शाम को ही तुमसे चुदवा लेती.....हाए समीर तुम्हारा लंड तो मेरे धुनि तक जा रहा है.....हाआँ ऐसे ही पूरा डाल दे मेरी फुद्दि मे....अह्ह्ह्ह समीर प्लीज़ फक मी हार्डर.....उंह समीर मैं तो तुम्हे बच्चा ही समझ रही थी....

मैं: अह्ह्ह्ह साना तुम फिकर ना करो.....आज तुम्हारे इस सूखे हुए कुँए से मैं पानी बाहर निकाल दूँगा.....

साना: उंह हाईए समीर तुम मेरी फुद्दि से पानी निकालोगे. जब से तेरे लंड को देखा है तब से मेरी फुद्दि रिसनी शुरू हो गयी थी.....तुम्हे नही पता समीर शाम से मैं 3 बार पैंटी बदल चुकी हूँ....

मैं: (साना की बात सुन कर और जोश मे आकर लंबे-2 शॉट लगाते हुए) तो इस लिए तुमने कच्छि नही पहनी है.....

साना: (शरमाते हुए) हाँ...समीर मेरी इस फुद्दि ने मेरे बुरी हालत कर रखी है शाम से....
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03-08-2019, 03:00 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैने साना की टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठाते हुए, अपने कंधो पर रख लिया. और अपने दोनो हाथों को उसके सर के पास बेड पर टिकाते हुए आगे की तरफ झुक कर अपने लंड को और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा...

साना: ओह्ह्ह समीर हाआन्ं आईसीए चोद मुझीए अह्ह्ह्ह बहुत मज़ा आ रहा है.....पूरा अंदर जा रहा है तेरा लंड......

"हइई समीर ओह हाईए मेरी फुद्दि अहह ले समीर ईए तो आ अभी से ही...उंह हाईए समीर देख तेरे लंड ने निकाल दिया मेरे कुँए से पानी....." साना का जिस्म एक दम से अकड़ने लगा....और वो अपनी बुन्द को और तेज़ी से ऊपेर की ओर उछालने लगी.....मैने भी भी पूरे जोश मे आकर दबादब धक्के मारते हुए साना की फुद्दि की गहराइयों मे अपने लंड को धकेलना शुरू कर दिया.....नीलम हमारी तरफ देख कर लगतार अपनी फुद्दि को मसले जा रही थी…..

और अगले ही पल मेरे लंड की नसें भी फूलने लगी....और मेरे लंड से लावे की बोछार होने लगी....मैं एक दम थक चुका था….मैने अपने लंड को साना की फुद्दि से बाहर निकाला और बेड पर लेट गया….साना ने हम दोनो के ऊपेर रज़ाई की और वो भी मेरे साथ ही लेट गयी……लेटे -2 कब आँख लग गयी पता नही चला… अगले दिन सुबह 5 बजे ही नीलम ने मुझे उठा दिया…. मैने और साना ने उठ कर कपड़े पहने और फिर मैं ऊपेर रूम मे जाकर सो गया….जब आँख खुली तो 10 बज रहे थे….साना ने मुझे बताया कि, उसने नजीबा को बता दिया है…..कि मैं घर वापिस आ चुका हूँ… क्योंकि मुझे सुबह-2 उसके हज़्बेंड को स्टेशन छोड़ने जाना था…

मैं उठ कर फ्रेश हुआ और जब मैं नीचे आया तो, नजीबा नाश्ता कर रही थी… उसने मुझे देख कर स्माइल की और फिर मैने भी नाश्ता किया….आज साना के अब्बू वापिस आने वाले थे….और मेरा यहाँ आज आखरी दिन था….नाश्ते के बाद मैने अपना समान पॅक किया और गाओं वापिस आ गया….घर को खोला और फिर खुद ही सॉफ सफाई की क्योंकि घर में काफ़ी दिनो से सफाई नही हुई थी….सफाई करते-2 दोपहर हो गयी….


मैं अकेला घर पर बोर हो रहा था…और भूक भी लगने लगी थी…दोपहर के 1 बजे मैं अब्बू की बाइक लेकर घर को लॉक करके सिटी की तरफ चल पड़ा….सोचा कि थोड़ा घूम फिर कर टाइम पास कर लूँगा और फिर वहाँ किसी ढाबे से खाना भी खा लूँगा….मैं सिटी पहुँचा और एक ढाबे पर खाना खा के जैसे ही ढाबे से बाहर आया….तो मेरी नज़र अहमद पर पड़ी….जो एक मेडिकल स्टोर पर खड़ा था… मैने बाइक को ढाबे के सामने ही खड़ा रहने दिया और रोड क्रॉस करके जैसे ही उस मेडिकल की दुकान पर पहुँचा तो, मैने देखा कि, आज़म कॉंडम का पॅकेट ले रहा था….जैसे ही अहमद कॉंडम लेकर मुड़ा तो मुझे देख कर चोन्कते हुए बोला… 

अहमद: अर्रे ख़ान साहब आप यहाँ….? (अहमद ने जल्दी से कॉंडम का पॅकेट अपनी जेब मे छुपा लिया था….)

मैं: हां यार वो कुछ समान लेने आया था…तुम पर नज़र पड़ी तो सोचा तुम्हारा हाल चाल पूछ लेता हूँ….और सूनाओ कैसे हो….

अहमद: मैं ठीक हूँ…..

मैं: और आज़म….

अहमद: आज़म शाह जी तो, अपने नानके गये है…छुट्टियाँ है ना….

मैं: ओह्ह्ह अच्छा ठीक है….अच्छा किया तुमने बता दिया….नही तो आज़म से मिलने जाने वाला था….

अहमद: और सुनाओ आप लेकर अपनी गर्लफ्रेंड को कोठी पर…..

मैं: नही यार अभी टाइम सेट नही हुआ…..

अहमद: कोई बात नही….जब सेट्टिंग हो जाए तो, चले जाना….कीस तो है ही आपके पास…. वैसे ख़याल रखना कि आप फ्राइडे को वहाँ ना जाएँ……मैं भी आज अपने घर जा रहा हूँ….

मैं: चल ठीक है….वैसे वापिस कब आओगे…

अहमद: 6-7 दिन बाद….

मैं: चल ठीक है मैं चलता हूँ…..

मैं वहाँ से वापिस ढाबे के सामने आया और अपनी बाइक स्टार्ट करके सोचने लगा कि, आज़म घर पर नही है….और ये कह रहा है कि, ये घर जा रहा है….तो फिर कॉंडम किस लिए खरीद रहा है….

मैने पलट कर मेडिकल स्टोर की तरफ देखा तो, अहमद वहाँ नही था….मैने जल्दी से बाइक स्टार्ट की और आज़म के घर की तरफ चल पड़ा….जैसे ही मैं उस गली में पहुँचा यहाँ आज़म का घर था…मैने देखा कि, अहमद तेज़ी से चलता हुआ घर के अंदर दाखिल हुआ है…मैने बाइक को आज़म के घर के बाहर रोका…और ये चेक करने के लिए गेट खुला है या लॉक है…..मैने गेट को हलका सा पुश ही किया था कि गेट अंदर के तरफ खुल गया….गेट खुलने से हलकी सी आवाज़ भी हुई…पर शुक्र था किसी ने सुनी नही…मैने धीरे से गेट बंद किया और जैसे ही मैं हॉल रूम के डोर पर पहुँचा तो, सामने का नज़ारा देख मेरे पाँव वही जम गये…..

अहमद ने अपनी शलवार घुटनो तक नीचे उतारी हुई थी….और सबीना उसके ढीले से लंड को पकड़ कर दबा कर मूठ मार रही थी…”जल्दी कर कन्जरा….इसको जल्दी खड़ा कर….” सबीना ने अहमद के लंड को हिलाते हुए कहा….”मालकिन आज ज़रूरी है क्या मेरी बस निकल जानी है….?” अहमद ने कॉंडम का पॅकेट खोल कर एक कॉंडम बाहर निकालते हुए कहा….. मुझे ये सब देख कर बहुत बुरा लग रहा था…सबीना मेरे अब्बू को धोखा दे रही थी….और वो अब्बू की पीठ के पीछे एक नौकर के साथ ये सब कुछ कर रही थी…. मुझे पता था कि, कल को अगर इसकी शादी अब्बू के साथ हो गयी तो, हमारी लाइफ बर्बाद कर देगी….मैने अपना मोबाइल निकाला और वीडियो रिकोडिंग ऑन कर दी…और उनकी वीडियो बनाने लगा….

सबीना: मुझे तो लगता है इसने अब खड़ा नही होना….चल तू मेरी चाट कर फुद्दि की आग को ठंडा कर दे….तेरे अंकल से भी तो कुछ होता नही है…और तूने भी 7 दिनो बाद आना है…

सबीना जल्दी से सोफे से खड़ी हुई और उसने अपनी शलवार के जबरन में हाथ डाल कर अपनी इलास्टिक वाली शलवार को खोल कर सोफे पर रख दिया…और खुद सोफे पर बैठ कर अपनी टाँगो को चौड़ा कर ऊपेर उठा लिया…अहमद जल्दी से उसकी टाँगो के दरमियाँ आया और नीचे बिछे कालीन पर बैठ कर उसकी फुद्दि के लिप्स को चाटने लगा….”सीईईईई अहह स्वाद आ गया……हां चाट कुत्ते….चाट मेरी फुद्दि को खा जा मेरी फुद्दि आहह ओह तुझे भी अभी घर जाना था…रुक जा अहमद देख आज़म भी घर पर नही है….आहह सीईईईईईईई हइई….सबीना पागलो की तरह अहमद के सर को अपने दोनो हाथो से पकड़ कर अपनी फुद्दि को उसके होंटो पर रगड़ रही थी….”अहह अहमाद्द्द मेरी बुन्द चाट कुत्ते,……मेरी बुन्द के सूराख पर अपनी जीभ रगड़….” 

सबीना ने अपने दोनो हाथो को टाँगो के साइड से नीचे से लेजा कर अपनी बुन्द के पार्ट्स को फेला कर अपनी बुन्द का सूराख अहमद को दिखाते हुए कहा…अहमद ने एक पल भी देर नही की…और एक फर्मदार बच्चे की तरफ अपनी जीभ को उसकी बुन्द के सुराख पर रगड़ने लगा….”सीईईईईईईई हइई अहमद….उंगली डाल मेरी बुन्द के सूराख में और मेरी फुद्दि के दाने को चुस्स….” सबीना ने एक हाथ से अहमद के सर के बालों पकड़ा और उसके होंटो को फिर से अपनी फुद्दि पर लगा दिया….अहमद ने अपने एक उंगली सबीना की गान्ड के सूराख पर धीरे-2 दबाते हुए अंदर करनी शुरू कर दी….”हाईए अहमद हाआँ अब अंदर बाहर कर….तेरे अंकल ने तो अब मेरी बुन्द भी मारना छोड़ दिया…उनका लंड भी अब इतना सख़्त खड़ा नही होता…और ऊपेर से तेरा तो कभी मेरी बुन्द में गया ही नही….अहह हां चाट मेरी फुद्दि….हाई….”

मेरे लिए जितना बहुत था…मैं उतनी रेकॉर्डिंग कर चुका था….मैने वीडियो सेव की और धीरे से आज़म के घर से बाहर आ गया….मुझे पता था कि, आज अहमद थोड़ी देर बाद चला जाएगा…अब मुझे अगला स्टेप उसके बाद ही उठाना था….
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