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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
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.”आहह नाज़िया तुम्हारी फुद्दि सच मे बहुत गरम है….” मैने नाज़िया के बड़े-2 मम्मों को अपनी मुत्ठियों मे भर कर मसलना शुरू कर दिया…नाज़िया के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गयी…उसने मेरी पीठ पर अपनी बाहों को कसते हुए, तेज़ी से अपनी बुन्द को ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया….नाज़िया की फुद्दि के पानी से सना हुआ मेरा लंड आसानी से उसकी फुद्दि के अंदर बाहर हो रहा था….”सीईईईई ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर….” नाज़िया पागलो की तरह मस्ती में सिसकते हुए मेरे गालो और होंटो पर अपने होंटो को रगड़ रही थी….मैं तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था….
नाज़िया एक दम से मेरे ऊपेर से उतर कर नीचे गद्दे पर पीठ के बल लेट गयी…और मेरा बाज़ू को पकड़ कर मुझे अपने ऊपेर खींचते हुए बोली..”अह्ह्ह्ह समीर ऊपेर आओ ना…...” मैं तो नाज़िया से भी कही ज़यादा बेकरार हुआ जा रहा था…मैं नाज़िया की रानो के बीच घुटनो के बल बैठ गया….जैसे ही मैं नाज़िया की रानो के बीच में घुटनों के बल बैठा…
तो उसने मुझको अपनी बाहों में भर कर अपने ऊपेर खेंच लिया. अब मैं नाज़िया के ऊपेर आ चुका था….नाज़िया ने अपनी टाँगो को फेला कर मेरी रानो पर चढ़ा लिया था….हम दोनो की नज़रे आपस मे जा टकराई…और अगले ही पल हम दोनो के होन्ट आपस मे कुश्ती लड़ रहे थे….हम दोनो के मूह से पुतछ-2 की आवाज़े आ रही थी….दोनो एक दूसरे के होंटो को बदस्तूर चूस रहे थे….नाज़िया के बड़े -2 मम्मे मेरी छाती में धँस रहे थे…नाज़िया ने अब अपने होंटो को मेरे हवाले कर दिया था…और मैं उसके दोनो होंटो को बारी-2 अपने होंटो मे दबा -2 कर चूस रहा था…मेरा तना हुआ लंड नाज़िया की फुद्दि पर दस्तक दे रहा था…..
मैने नाज़िया के लेफ्ट मम्मे को मूह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. और राइट मम्मे को अपने एक हाथ से मसलना शुरू कर दिया….”आह सीईइ हाईए समीर….चुस्स्स लो मेरे मम्मों को अहह सीईईई आह आह और ज़ोर से चूसो आहह मेरीए ममयी आह ” नाज़िया ने सिसकते हुए , मेरे सर को अपने मम्मों पर दबाते हुए कहा…. नाज़िया के निपल एक दम कड़क हो चुके थे….और काले अंगूर के दाने जैसे फूल गये थे….मैं कभी नाज़िया के लेफ्ट निपल को अपने मूह में लेकर चूस्ता तो कभी, राइट निपल को……मेरा लंड जो नाज़िया की फुद्दि के लिप्स के बीच रगड़ खा रहा था….अब उसकी नसें फूलने लगी थी….
मैने नाज़िया के मम्मों को छोड़ा और सीधा होकर घुटनो के बल बैठते हुए नाज़िया की टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठाते हुए दोनो तरफ फेला दिया…जिससे नाज़िया की फुद्दि के लिप्स फेल गये …..मैने देखा नाज़िया की फुद्दि के लिप्स उसकी फुद्दि से निकल रहे पानी से एक दम गीले होकर चमक रहे थे….उसकी फुद्दि का सूराख बार-2 खुल कर बंद हो रहा था….”हाई समीर ऐसे मत देखो…” नाज़िया ने मुझ को कंधो से पकड़ कर अपने ऊपेर खेंचते हुए कहा…पर इस बार मैं नाज़िया पर नही झुका और नाज़िया की फुद्दि का लबलबाता हुआ सूराख देखता रहा….नाज़िया ये देख कर शरम से मरी जा रही थी…
मैने नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर अपने लंड के कॅप को टिकाते हुए उसकी आँखो मे देखा….तो नाज़िया लंड की गरम कॅप को अपनी फुद्दि पर भिड़ा हुआ महसूस करके सिसक उठी…..
नाज़िया: (मेरे लंड की कॅप को अपनी फुद्दि के सूराख पर महसूस करते ही मदहोश हो गयी….) आह सीईईईई समीर फाड़ दी मेरीए उंघह फुद्दिईई अह्ह्ह्ह…
मैने अपने लंड की कॅप पूरे ज़ोर से नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर दबाया, तो मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि की दीवारों को फेलाता हुआ अंदर घुसने लगा….लंड की कॅप की रगड़ अपनी फुद्दि की दीवारो पर महसूस करके नाज़िया के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गयी. उसने मेरी पीठ पर अपनी बाहें कस ली.....और अपनी टाँगो को उठा कर मेरी कमर गिर्द लपेट लिया….
नाज़िया: हाई समीर तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है….मार मेरी फुद्दि आहह अह्ह्ह्ह होर ज़ोर नाल आह फाड़ दे अपनी नाज़िया दी फुद्दि आहह सी सीईइ हइई….
मैं भी अब पूरे जोश मे आकर अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करने लगा…नाज़िया भी अपनी टाँगो को पूरा ऊपेर उठा कर अपनी फुद्दि मे मेरा लंड ले रही थी….मेरा लंड अंदर बाहर होते हुए बुरी तरह से नाज़िया की फुद्दि की दीवारो पर रगड़ खाने लगा था…और नाज़िया मस्ती के सागर मे गोते खा रही थी....मैने नाज़िया की फुद्दि में लंड अंदर बाहर करते हुए, लगातार उसके दोनो बड़े-2 मम्मों के निपल्स को अपने हाथों से मसल रहा था…..
नाज़िया: अह्ह्ह्ह सीईईईईई उंघ हाआँ मरोड़ दी अहह औरर्र जोर्र्र से दबाओ इनको आहह मेरे मम्मों को आह मारो और ज़ोर से मारो फुद्दि मे अपना लंड और अह्ह्ह्ह हाईए और जोर्र से मारो अपना लंड मेरी फुद्दि अह्ह्ह्ह मेरी अह्ह्ह्ह फुद्दि मे अह्ह्ह्ह सीईइ उंघह उंघ …..
चुदाई पूरे उफान पर थी…..चुदाई की आवाज़ें महॉल को और गरम बना रही थी….नाज़िया की फुद्दि के पानी से लंड चिकना हो चुका था…और जब मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि की गहराइयों में समाता तो पक-2 की आवाज़ गूँज उठती…और इस आवाज़ को सुन कर नाज़िया एक दम से शरमा जाती… मेरा लंड अब किसी पिस्टन की तरह नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर हो रहा था…
नाज़िया: उंघह उंघ अह्ह्ह्ह सीईईई उंह उंह चोदो मुझे समीर आह देख मेरीई फुद्दीई को तुमने पानी अह्ह्ह्ह आह पानी-2 कर आह दिया.
नाज़िया अब फारिघ् होने के करीब पहुँच चुकी थी…उसने भी अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उछालना शुरू कर दिया…”आह ये लो आहह अहह ले लो मेरी फुद्दि अह्ह्ह्ह आहह लीईए मेरीई फुद्दि का काअमम हो गायाअ आह सीईईईई उंह….”
ये कहते हुए मेरी सर को पकड़ कर अपने होंटो पर मेरे होंटो को लगा दिया…और पूरी रफतार से अपनी बुन्द को ऊपेर की और उछलते हुए, तेज़ी से फारिघ् होने लगी…. मैं भी पूरा जोश के साथ अपना लंड नाज़िया की फुद्दि मे अंदर बाहर करते हुए फारिघ् होने लगा.. हम दोनो के जिस्म ढीले पड़ गयी….नाज़िया ने मुझे अपनी बाहों मे कस लिया…
दोनो पसीने से तरबतर थे….और लंबी-2 साँसे ले रहे थे….मेरा का लंड अभी भी नाज़िया की फुद्दि मे था…और वो अभी भी ढीला नही पड़ा था…जिसे नाज़िया अपनी फुद्दि के अंदर सॉफ महसूस कर पा रही थी.….नाज़िया ने अपनी मदहोश आँखो को खोल कर मेरी ओर देखा मैं अपने चेहरे को उसके मम्मों पर टिकाए हुए लेटा हुआ था….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
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जैसे ही मेरा लंड ढीला होकर नाज़िया की फुद्दि से बाहर आया तो, मैं नाज़िया के ऊपेर से नीचे उतर गद्दे पर पीठ के बल लेट गया,….हम दोनो गहरी और लंबी-2 साँसे लेकर अपनी सांसो को दुरस्त करने के कॉसिश कर रहे थे….थोड़ी देर बाद नाज़िया उठी और अपनी शलवार कमीज़ पकड़ कर पहनने लगी तो, मैने नाज़िया का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खेंचा…”अह्ह्ह्ह छोड़ो समीर…..अब सारा दिन ऐसे ही कपड़ो के बगैर छत पर रखोगे….” नाज़िया ने मुझ से अपना हाथ छुड़वाते हुए कहा….वैसे हमारे घर के चौबारे की दीवारे काफ़ी उँची थी….इस लिए कोई देख नही सकता था… पर फिर इतनी देर तक रिस्क नही लिया जा सकता था…नाज़िया ने अपनी ब्रा के बिना ही शलवार कमीज़ पहन ली….अभी वो उठ कर खड़ी ही हुई थी…कि बाहर डोर बेल बजी…
डोर बेल की आवाज़ सुन कर नाज़िया ने चोन्कते हुए मेरी तरफ देखा….”समीर उठो कपड़ों पहन लो….बाहर कोई आया है….” और फिर खुद को सेट करते हुए नीचे जाने लगी…मैने भी जल्दी-2 अपनी टीशर्ट पहनी और फिर खड़े होकर अपना अंडरवेर और पाजामा पहनने लगा….मुझे गेट के खुलने और फिर बंद होने के आवाज़ आई…. “सलाम आपी….” ये रीदा की आवाज़ थी…..सुमेरा चाची की बेटी और मेरी सेक्स की टीचर…” मैने कपड़े पहने और जब नीचे पहुँचा तो देखा रीदा सहन मे चारपाई पर बैठी हुई थी….और नाज़िया अपने रूम मे थी….मुझे देख कर रीदा ने स्माइल पास की…”सलाम समीर जी….” रीदा ने मुस्कराते हुए कहा…तो मैने भी स्माइल के साथ जवाब दिया…और उसके पास ही चारपाई पर बैठ गया….
रीदा: और सूनाओ….क्या बात है आज कल तो जनाब का दीदार ही नही होता… कॉन सी दुनिया मे रहते हो…..?
रीदा ने नाज़िया के रूम की तरफ नज़र रखते हुए कहा….”मैं तो इसी दुनियाँ में रहता हूँ…आप लोगो का ही पता नही चलता…जब घर के सामने से गुज़रता हूँ तो गेट बंद होता है…” रीदा मेरी बात सुन कर शरमाते हुए मुस्कुराइ और फिर धीरे से बोली….”वो मेरे शोहार आए हुए है अब्रॉड से….तो इस लिए टाइम नही मिलता….”
मैं: ऊहह अच्छा ये तो अच्छा बात है…..इस बार पक्का वापिस आ गये है…या फिर वापिस भी जाना है…
रीदा: हां 3 मंत की छुट्टी लेकर आए है…उनकी बेहन के शादी है…इसीलिए…
मैं: ओह्ह्ह अच्छा..वैसे आज इधर का रास्ता कैसे भूल गये तुम…..
रीदा: वो अम्मी का बॅंक अकाउंट खुलवाना था…इसीलिए नाज़िया आपी को कहा था कि, वो अकाउंट खोलने के फॉर्म ला दें…घर से भर कर कल बॅंक ले चले गये…
इतने मैं नाज़िया भी बाहर आ गयी….उसके हाथ मैं अकाउंट खोलने वाला फॉर्म था. मैं चारपाई से उठ कर खड़ा हो गया….नाज़िया रीदा के पास बैठ गयी…और उसे समझाने लगी कि कहाँ कहाँ क्या क्या भरना है…फॉर्म कैसे फिल करना है... नाज़िया ने रीदा को समझाते हुए मेरी तरफ देखा और फिर हल्का सा शरमाते हुए बोली….”समीर गीजर ऑन कर दिया है….जाकर नहा लो….बहुत गंदे लग रहे हो…..” नाज़िया की बात का मतलब समझ कर मैने मुस्कराते हुए नाज़िया की तरफ देखा और फिर बाथरूम में चला गया….और शवर ऑन करके नहाने लगा…
जब नहा कर बाहर आया तो रीदा जा चुकी थी….और नाज़िया चारपाई पर एक सूट लेकर बैठी हुई थी…जब मैं बाहर आया तो, नाज़िया बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली…”समीर नहा कर खाना बनाती हूँ….तब तक तुम ऊपेर धूप सेक लो…”
नाज़िया बाथरूम मे चली गयी….मैं अपने रूम में आया और कपड़े पहन कर अपना मोबाइल उठाया और ऊपेर आ गया….और ऊपेर फिर से गद्दों पर लेट गया…और मोबाइल पर गेम खेलने लगा… तकरीबन आधे घंटे बाद जब बोर हो गया तो, मैं उठ कर नीचे आया तो देखा नाज़िया किचन में खाना बना रही थी……मैने किचन में जाकर नाज़िया को पीछे से अपने बाजुओं मे लेकर उसके गाल को चूमना शुरू कर दिया….तो नाज़िया ने मचलते हुए कहा…
नाज़िया: समीर हटो भी….मुझे काम करने दो….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
इससे पहले कि मैं कुछ बोलता तो मेरा मोबाइल बजने लगा…मैने नाज़िया को छोड़ा और अपना मोबाइल निकाल कर देखा तो, किसी अननोन नंबर से कॉल आ रही थी…नाज़िया खाना बनाते हुए मेरी तरफ ही देख रही थी…”किसकी कॉल है…?” नाज़िया ने मेरी तरफ देखते हुए कहा…
.”पता नही…” मैने कॉल रिसीव करने से पहले कहा..और फिर जैसे ही मैने कान को फोन लगाया तो दूसरी तरफ से किसी औरत के आवाज़ आई….जो थोड़ी जानीपहचानी थी.,….”हेलो समीर…..”
मैं: जी आप कॉन….?
सबीना: समीर मैं बोल रही हूँ सबीना…..
सबीना का नाम सुनते ही मैने चोंक कर नाज़िया की तरफ देखा जो अभी भी मेरी तरफ देख रही थी…”जी आप की आवाज़ सॉफ नही आ रही….” मैने नाज़िया की तरफ देखा और बोला….”यहाँ नेटवर्क कम आ रहा है…मैं ऊपेर जाकर बात करता हूँ…” और फिर मैं किचन से बाहर आया और ऊपेर जाते हुए फिर से कान को फोन लगा लिया….” हां बोलो किस लिए फोन किया…और तुम्हे मेरा नंबर कहाँ से मिला….?”
सबीना: समीर सुन मुझे तुमसे बड़ी ज़रूरी बात करनी है…
मैं: पहले ये बताओ कि तुम्हे मेरा नंबर कहाँ से मिला….
सबीना: वो तुम्हारे अब्बू के मोबाइल से….कल रात को मैने उनके मोबाइल से देखा था..
मैं: हां बोलो क्या बात है….?
सबीना: पहले ये बताओ कि तुम इस वक़्त हो कहाँ पर….
मैं: घर पर…..
सबीना: तुम्हारे करीब कोई है तो नही…
मैं: नही मैं छत पर हूँ….
सबीना: अच्छा समीर सुनो….कल रात से मैं बहुत ज़्यादा परेशान हूँ बेटा…प्लीज़ वो रिकॉर्डिंग डेलीट कर दो….कही किसी ने देख ली तो, मैने कहीं का नही रहना….
मैं: घबराओ नही….कोई नही देखेगा….
सबीना: मुझे पता है समीर तुम नही दिखाओगे….पर अगर ग़लती से तुम्हारा मोबाइल किसी और के हाथ लग गया तो, मेरी इज़्ज़त खाक मे मिल जाएगी…प्लीज़ उसे डेलीट कर दो….तुम्हे जो चाहिए वो मैं तुम्हे देने को तैयार हूँ….
मैं: अच्छा सोच लो….
सबीना: तुम बोलो तो सही….
मैं: तो सुनो मैने कल तुम्हे एक लेडी से बात करते हुए सुना था…कि तुम उसके बेटे को बॅंक मैं जॉब पर लगवा दोगी….
सबीना: हां वो मेरी बेस्ट फ्रेंड है….
मैं: तो सुनो….अब तुम्हे मुझे उस जॉब पर लगवाना है….अगर तुम वादा करती हो. तो मैं भी वादा करता हूँ कि, जिस दिन तुम मुझे जॉब पर लगवा दोगि…उस दिन मैं वो वीडियो डेलीट कर दूँगा….और हां मैं तुम्हारी और अब्बू की मॅरेज पर ऐतराज़ भी नही करूँगा….
सबीना: क्या तुम सच कह रहे हो….
मैं: हां सच कह रहा हूँ…
सबीना: अच्छा ठीक है…..क्या तुम मुझे अभी आकर मिल सकते हो….मुझे ऐसे यकीन नही आ रहा….
मैं: ठीक है बोलो कहाँ मिलना है….
सबीना: मेरे घर पर आ जाओ…..घर पर कोई भी नही है….
मुझे कुछ गड़बड़ लग रही थी….मैं सोच रहा था कि अब क्या करूँ उसके घर जाउ या ना जाउ……”सुनो देखो मैं तुमसे मिलने आ सकता हूँ…पर मैं वो मेमोरी कार्ड घर पर छोड़ कर आउन्गा…जिसमे वो रेकॉर्डिंग है….अगर तुमने कुछ उल्टा सीधा करने की कॉसिश की तो मुझसे बुरा कोई ना होगा…..”
सबीना: समीर मैं तो खुद ये बात ख़तम कर देना चाहती हूँ….तुम मुझ पर यकीन करो….मैं तुम्हारे साथ कुछ भी नही करूँगी…..
मैं: ठीक है मैं एक घंटे तक आता हूँ…..
सबीना: ठीक है…..
उसके बाद मैने कॉल कट की और नीचे आ गया…नीचे नाज़िया खाना टेबल पर लगा रही थी….मुझे देखते ही उसने स्माइल की और मुझसे बोली….”समीर किसका फोन था…..”
मैं: वो मेरे फ्रेंड का फोन था….उसको मुझसे कोई काम है…मुझे उसके घर जाना है.
नाज़िया: अच्छा ठीक है पहले खाना खा लो…..
मैं खाना खाने लगा…नाज़िया भी सामने बैठ कर खाना खाने लगी….खाना खाने के बाद मैं उठा और अपने रूम मे आ गया….नाज़िया बर्तन उठा कर किचन में रखने लगी….मैने अपने मोबाइल से मेमोरी कार्ड निकाल कर अलमारी के सेफ मे रखा और फिर मोबाइल ऑन करके जब बाहर आया तो, देखा नाज़िया किचन मे बर्तन धो रही थी…मैं बिना कोई आवाज़ किए किचन में दाखिल हुआ, और नाज़िया को पीछे से बाहों मे भर कर उसकी कमीज़ के ऊपेर से उसके मम्मों को दबाते हुए उसके गालो को चूमने लगा….नाज़िया मेरी इस हरक़त से एक दम से चोंक गयी… और मचलते हुए मुझसे अपने आप को छुड़वाने लगी….
“आहह समीर हटो भी मुझे काम करने दो….” नाज़िया ने मेरे हाथो को पकड़ कर अपने मम्मों से हटाने की कॉसिश करते हुए कहा…
.तो मैने भी सोखि मे आकर नाज़िया के मम्मों को छोड़ दिया और उससे अलग होकर बाहर जाते हुए….”ठीक मैं जा रहा हूँ….” मैं किचन से बाहर आया…और गेट की तरफ जाने लगा…गेट पर पहुँच कर मैने जैसे ही गेट को खोलना चाहा तो, नाज़िया ने मुझे पीछे से पुकारा… “ समीर सुनो….” मैने मूड कर पीछे देखा तो, नाज़िया किचन के डोर पर टँगे टवल से हाथ खुसक कर रही थी….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
सबीना: आज़म लाहोर अपने मामा मामी के घर गया हुआ है….अपनी बेहन से मिलने….
मैं: क्या अपनी बेहन से मिलने….?
सबीना: हां तुम्हे पता नही….मेरी एक बेटी भी है…..आज़म से 1 साल बड़ी है… 1स्ट एअर में पढ़ रही है….
मैं सबीना की बात सुन कर बेहद हैरान हो रहा था….बेहन्चोद अब तो भाई के साथ बेहन भी मिलने वाली थी….
मैं: एक बात पूछूँ…..
सबीना: हां बोलो……
मैं: मुझे ये तो पता है कि, आज़म अब्बू का खून है क्या आपकी बेटी भी अब्बू की,
सबीना: (मुस्कराते हुए…) नही वो मेरे हज़्बेंड से हुई थी……नरगिस नाम है उसका…
मैं: तो फिर वो तुम्हारे साथ क्यों नही रहती…..
सबीना: वो पहले साथ ही रहती थी….स्टडी के लिए उसे उसके मामा मामी के घर भेज दिया था….मेरे भाई और भाभी दोनो ही कॉलेज मैं टीचर है…उनकी छोटी बेटी राबिया भी उसी कॉलेज में पढ़ती है….राबिया और आज़म हम अमर है… मेरे भाई की बड़ी बेटी ज़ाकिया भी उसे कॉलेज मे है….वो फाइनल एअर मे है…..
मैं: ओह्ह अच्छा…..
सबीना: पता है समीर…उस रात के बाद मैं हरपल एक ही चीज़ के बारे में सोचती रहती हूँ….
मैं: क्या….?
सबीना: सोचती हूँ कि तुम्हारे अब्बू से शादी करने के बाद मैने जल्द ही नरगिस की शादी कर देनी है…और फिर आज़म की भी….आज़म के लिए तो मैने पहले से ही अपने भाई की छोटी बेटी राबिया को पसंद किया हुआ है….और आज़म भी उसे बहुत पसंद करता है…
मैं: अच्छा फिर…
सबीना: फिर मैं तुम और ये….खूब मोज मस्ती करेंगे…..
सबीना ने मेरे लंड को हिलाते हुए कहा….जो अभी भी उसके हाथ में था….और एक दम सख़्त हो चुका था…..
मैं: अच्छा देखते है….वो तो वक़्त-2 की बात है..
सबीना: देखना समीर…..मैं तुम्हे जिंदगी की हर खुशी दूँगी…
मैं: देखेंगे…
सबीना: ठीक है वैसे तुम्हे कल पता चल ही जाएगा….
तभी बाहर गेट की आवाज़ हुई….अहम्द समोसे लेकर आ गया था….सबीना उठ कर किचन मे चली गयी….अहम्द भी समोसे देने के लिए किचन मे चला गया… तभी मेरा मोबाइल बजने लगा…मैने अपना मोबाइल निकाल कर देखा तो, नाज़िया की कॉल आ रही थी….मैने कॉल रिसीव की तो, नाज़िया ने कहा….”हेलो समीर कहाँ हो…..?”
मैं: तुम्हे बता कर तो आया था कि, दोस्त के घर जा रहा हूँ….
नाज़िया: अच्छा सुनो तुम्हारे अब्बू घर आ गये है…..ज़यादा देर मत करना…टाइम से घर वापिस आ जाना….
मैं: ठीक है….
नाज़िया ने कॉल कट कर दी…थोड़ी देर बाद सबीना चाइ और समोसे लेकर आ गये….मैने और सबीना ने इधर उधर की बाते करते हुए चाइ पी और फिर मैं वहाँ से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा….अभी मैं सबीना के घर से निकल कर सिटी के बस स्टॉप पर ही पहुँचा था कि, वहाँ मुझे सबा खड़ी हुई नज़र आई…मैने बाइक उसके सामने रोकी और उसको सलाम किया….”क्या बात है चाची जी….आप यहाँ…”
सबा: वो शॉपिंग के लिए आई थी…मैने फ़ैज़ को कहा था कि, साथ चले पर वो नही आया…तो बस मैं आ गयी….
मैं: कोई बात नही आओ बैठो मैं भी घर ही जा रहा था….
सबा मुस्कराते हुए मेरे पीछे बैठ गयी….और हम गाओं की तरफ चल पड़े….
सबा: क्या बात है समीर….आज कल कहाँ रहते हो….घर का चक्कर ही नही लगाते..
मैं: वो वैसे ही टाइम ही नही मिलता….
सबा: टाइम नही मिलता कि कही और से मिलने लग गयी है हाहहाहा….
मैं: क्या….
सबा: फुद्दि और क्या हाहाहा….
मैं: नही ऐसी कोई बात नही है….बस टाइम नही मिलता….
हम ऐसे ही बाते करते-2 गाँव के करीब पहुँच गये थे….अभी हम मैन रोड पर ही थे कि, सबा बोली….”समीर ऐसा करो बाइक वही उस भूटिया मकान की तरफ मोड़ लो….”
मैं: क्या…
सबा: क्यों क्या हुआ…..अब मुझसे क्या दिल भर गया है….
मैं: नही ऐसी बात नही है…
सबा: तो फिर चलाओ…..
मैं: पर उस घर की चाबी तो घर पर पड़ी है….तुम्हारे पास है क्या….
सबा: नही….
मैं: तो फिर….
सबा: तुम चलो तो सही….वैसे भी उस तरफ कोई डर के मारे आता ही नही है…
मैने सोचा अब्बू घर पर है नाज़िया के साथ भी कोई चान्स नही बनने वाला तो क्यूँ ना सबा के साथ ही एक राउंड लगा दूं….इसलिए मैने बाइक उस तरफ मोड़ डी…. फिर वहाँ से थोड़ा आगे जाकर बाइक को लेफ्ट मोड़ा…अब हम उसी कच्चे रास्ते पर थे… जो उस मकान की तरफ जाता था….थोड़ी देर बाद हम उस मकान के सामने थे…हम बाइक से नीचे उतरे और मैने बाइक स्टॅंड पर लगाई तो, सबा ने चारो तरफ का जायज़ा लिया…उस मकान के एक साइड मे काफ़ी झाड़ियाँ उगी हुई थी…सबा उस कच्चे रास्ते से नीचे उतर कर उन झाड़ियों के बीच गये….और वहाँ खाली जगह देख कर नीचे घास पर अपनी चद्दर निकाल कर नीचे बिछा दी…जो उसने उस वक़्त ली हुई थी…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं भी सबा के पास पहुँच गया था…मैने अपना मोबाइल निकाल कर टाइम देखा तो, 3:30 बज रहे थे….मुझे ये डर सता रहा था कि, अब्बू घर आ चुके है और कही गुस्सा ही ना हो…. चद्दर बिछाने के बाद सबा ने मुझे उस पर लेटने को कहा...मैं उस पर लेट गया...सबा ने पास मे बैठते हुए, मेरी शलवार को खोल कर अंडरवेर समेत नीचे उतार दिया....और मेरे सेमी एरेक्टेड लंड को पकड़ कर मेरी आँखो मे देखते हुए हिलाने लगी.....
मैं: शाइयीईयी ओह्ह्ह सबा प्लीज़ चूसो ना......
मेरे बात सुन कर सबा मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराइ, और फिर झुक कर मेरे लंड के मोटे कॅप को अपने मूह मे भर लिया, और अपना सर हिलाते हुए लंड को मूह के अंदर बाहर करने लगी....4-5 चुप्पे लगाने के बाद सबा ने मेरे लंड को मूह से बाहर निकाला और मुस्कराते हुए बोली...."समीर इसे देख कर दिल करता है कि इसे खा ही जाउ......." ये कहते हुए सबा ने फिर से मेरे लंड को मूह लेते हुए गॅप पक -2 की आवाज़ करते हुए चूसने लगी...
मेरे लंड के नसें अब पूरी तरह फूल चुकी थी....और मेरा लंड अब लोहे की रोड की तरह तन चुका था....सबा खड़ी हुई, और अपनी शलवार का नाडा खोला और फिर शलवार और पैंटी को उतार कर साइड मे रख दिया.....अगले ही पल सबा मेरे ऊपेर आ चुकी थी....उसने दोनो घुटनो को मेरी कमर के दोनो तरफ टिकाते हुए नीचे बैठ गयी... और फिर एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी फुद्दि के सूराख पर सेट किया और धीरे-2 अपनी फुद्दि को मेरे लंड पर दबाने लगी.....
लंड का कॅप सबा की फुद्दि जो पहले से ही पानी बहा रही थी....फुद्दि को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा....सबा ने अगले ही पल अपनी बुन्द को हवा मे उठाते हुए ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया...."श्िीीई ओह्ह्ह समीर आज कितने दिनो बाद मेरी फुद्दि को ठंड पड़ी है….आह आहह समीर एक दो दिन बाद घर का चक्कर लगा जाया करो..
मैं: (नीचे से सबा की फुद्दि मे अपना लंड अंदर बाहर करते हुए...) अह्ह्ह्ह और वो फ़ैज़ वो घर पर होता है.....
सबा: श्िीीईई ओह तुम्हारा तो सीधा बच्चेदानी पर जाकर ठोकर मारता है....हाईए फुद्दि मे आग लगा देता है....उंह….फ़ैज़ का भी कुछ कर लूँगी.. तुम बस आ जाया करो…..
सबा ने सीधे होते हुए, अपनी कमर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया, और साथ ही अपनी कमीज़ को पकड़ कर ऊपेर करना शुरू कर दिया... और कुछ ही पलों मे सबा के 38 साइज़ के मम्मे भी बाहर आकर मेरे चेहरे पर लटक रहे थे.....
सबा ओह्ह्ह समीर प्लीज़ इन्हे चूसो ना....चूसो ना मेरे मम्मों को ओह हाई समीर मेरी फुद्दि ओह निकाल दे मेरी फुद्दि से पानी ओह्ह्ह्ह.......
मेने सबा के मम्मों को चूस्ते हुए, नीचे से तेज़ी से कमर हिलाते हुए अपने लंड को सबा की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया....सबा ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह श्िीीिओ ओह आह कर रही थी....10 मिनिट की जबरदस्त चुदाई के बाद हम दोनो फारिघ् हो गये.....उसके बाद हम ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए, और घर की तरफ चल पड़े..... जैसे ही हम अपने गाओं के करीब पहुँचे तो, सबा ने मुझे बाइक रोकने के लिए कहा….मैने बाइक रोक दी…सबा बाइक से नीचे उतर गयी…और मुझसे बोली….
“समीर अब तुम चले जाओ….मैं यहाँ से पैदल चली जाती हूँ…..” मैने सबा को कहा कि मैं उसे छोड़ देता हूँ….पर वो नही मानी….मैने बाइक स्टार्ट की और गाओं की तरफ चल पड़ा….अभी मैं गाओं के बाहर ही पहुँचा था कि, मुझे सामने से अब्बू आते हुए नज़र आए…मैने बाइक उनके पास रोक दी….और उनको सलाम किया..अब्बु ने प्यार से सर पर हाथ फेरा और मुझसे बोले…”अच्छा हुआ तुम मुझे यही मिल गये… वो मैं सहर जा रहा था…नही तो बस मैं जाना पड़ता….”
मैं बाइक से नीचे उतरा….और बाइक अब्बू को दे दी…..”अच्छा अब सीधे घर जाओ.. मैं एक घंटे तक आता हूँ….” अब्बू ने बाइक स्टार्ट करते हुए कहा…”जी अब्बू….” और फिर मैं वहाँ से घर की तरफ चल पड़ा…..थोड़ी देर बाद मैं घर के बाहर पहुँच गया…मैने देखा कि, बाहर गेट थोड़ा सा खुला हुआ था….अब्बू घर पर नही थे… मैने नाज़िया को चुपके से पीछे से पकड़ने के बारे में सोचा..और धीरे से गेट खोल कर अंदर दाखिल हुआ….बिना आवाज़ किए मैं नाज़िया के रूम की तरफ बढ़ने लगा…पर जैसे ही मैं नाज़िया के रूम के करीब पहुँचा तो, देखा कि, अंदर सुमेरा चाची बैठी हुई थी….रीदा की अम्मी….
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03-08-2019, 03:04 PM,
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं उठ कर अपने सास ससुर के रूम मे गयी…और हस्सद को अपनी सास से लेकर किचन मे वापिस आ गयी….और नीचे बैठ कर मैने हस्शाद को अपनी गोद मे लिटा लिया….और अपनी कमीज़ ऊपेर उठा कर उसको दूध पिलाते हुए खुद भी खाना खाने लगी….खाना खाते हुए मैने आसिफ़ की तरफ देखा तो, वो बड़े गोर से मेरे मम्मे को देख रहा था…जैसे ही उसकी नज़र मेरे फेस पर पड़ी तो, उसने शरमाते हुए नज़रें झुका ली और खाना खाने लगा…उस वक़्त आसिफ़ बहुत छोटा था… और उसका गोल मटोल सा फेस था…बहुत ही प्यारा लगता था….
“क्या देख रहे हो आसिफ़…..” मैने जब आसिफ़ को इस तरह शरमाते हुए देखा तो मैने उसको तंग करना शुरू कर दिया…. “कुछ नही चाची जी…”
मैं: मुझे पता है तुम क्या देख रहे थे….
पर आसिफ़ ने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया…..और सर नीचे करके खाना ख़ाता रहा…”बोलो तुम मेरे दूध को देख रहे थे ना….” इस बार हस्शाद ने मेरी बात सुन कर चौंक कर मेरी तरफ देखा और खोफ़ज़ादा होकर मेरी तरफ देखते हुए बोला. “न नही मैं तो हस्शाद को देख रहा था…सच मे….” मुझे उसके भोले चेहरे पर बहुत प्यार आ रहा था….और मैं दिल ही दिल मैं खुद को कोस रही थी कि, आख़िर मैने उस भोले से बच्चे को क्यों डरा दिया….
मैं: अर्रे मेरा प्यारा बेटा….मैं तो ये पूछ रही थी कि, कही तुम्हारा दिल तो मेरा दूध पीने का तो नही कर रहा…
मेरी बात सुन कर आसिफ़ ने फिर से चोंक कर मेरी तरफ देखा तो मैने उसकी तरफ देख कर मुस्कराते हुए कहा….”बोलो पीना है…..” मैं तो ऐसे ही आसिफ़ से मज़ाक कर रही थी…पर मुझे नही पता था कि, उसके जेहन मे क्या चल रहा है…उसने बिना कोई बात किए जल्दी जल्दी खाना ख़तम किया और उठ कर अपने दादा दादी के रूम मे चला गया….खाना खाने के बाद और हस्शाद को दूध पिलाने के बाद जब हस्शाद सो गया तो,
मैने हस्शाद को फिर से अपनी सास को पकड़ा दिया….सारे बच्चे अंदर अपने दादा से कहानी सुन रहे थे….मैने घर का काम निपटा लिया….और फिर हस्शाद को लेकर अपने रूम मे आ गयी…तभी मुझे मेरी सास ने आवाज़ दी…मैं ने हस्शाद को बेड पर लिटाया और जब उनके रूम मे गयी तो, मेरी सास ने मुझसे कहा…”बेटा ऐसा करो रीदा को अपने साथ ले जाओ...यहाँ पर जगह कम है….” मेरे सास ससुर के रूम मे दो चारपाई थी….जिसमे एक पर सास और दूसरे पर मेरे ससुर सोते थी…रीदा और आसिफ़ उस वक़्त मेरी सास की चारपाई पर बैठे हुए थे…और बसीर अपने दादा की चारपाई पर अपने दादा के पास लेटा हुआ था….”नही मैने नही जाना….मैने यही सोना है….” रीदा वही सोने के ज़िद्द करने लगी...तीनो बच्चों मे से कोई भी तैयार नही हो रहा था….
आख़िर कार बहुत कहने पर आसिफ़ इस बात से मेरे साथ चलने को राज़ी हो गया … कि मैने उसे कहानी सुनाने का वादा किया था…मैं आसिफ़ को लेकर अपने रूम मे आ गयी…हस्शाद उस वक़्त दीवार की तरफ बेड के किनारे पर सो रहा था….मेने बीच मे लेटते हुए, आसिफ़ को अपने साथ लेटा लिया…मेने अपने दोनो के ऊपेर रज़ाई ओढ़ ली….रूम मे सिर्फ़ एक लालटेन जल रहा था…जिसकी रोशनी बहुत कम थी….पर मैं आसिफ़ के भोले चेहरे को सॉफ देख पा रही थी….
आसिफ़: चाची जी कहानी सूनाओ….
मैं: अच्छा बोलो कॉन सी कहानी सुननी है….
इससे पहले कि आसिफ़ अपनी फरमाइश रखता…..हस्शाद जो दीवार की तरफ सो रहा था.. उस ने उठ कर रोना शुरू कर दिया….”एक मिनिट…..” मैं उठ कर बैठ गयी…..और हस्शाद को उठा कर अपनी गोद मे लेटा लिया और फिर अपनी कमीज़ ऊपेर करके अपने एक मम्मे को बाहर निकाल कर दूध पिलाने लगी….दूध पिलाते हुए मैने आसिफ़ की तरफ देखा तो, वो सर के नीचे हाथ रख कर सर को उठाए हुए मेरी तरफ ही देख रहा था…”बेशर्म क्या देखो रहे हो…..” मैने मुस्कराते हुए आसिफ़ के सर पर हल्की से चपत लगाते हुए कहा…”हस्शाद को देख रहा हूँ….” आसिफ़ ने भी मुस्करा कर जवाब दिया…..
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
हस्शाद को पैदा हुए 1 साल से ऊपेर हो चुका था…पर हस्शाद के जनम के बाद से फ़ारूक़ और मेरे बीच कुछ नही हुआ था….फ़ारूक़ पता नही क्यों मुझसे दूर रहते थे….उस दिन घर का सारा काम मुझे करना पड़ा था….नही तो जेठानी भी साथ मे काम करती थी…मैं बेहद थकि हुई थी…..और मुझे पता था कि, आसिफ़ वेट कर रहा है कि कब मैं उसे कहानी सुनाऊ…पर उस वक़्त मेरा कहानी सुनाने का बिल्कुल भी मूड नही था….”आसिफ़ सो जाओ बेटा….मैं बहुत थक गयी हूँ…..” मैने आसिफ़ के सर पर हाथ फेरते हुए कहा….
आसिफ़: नही पहले मुझे कहानी सूनाओ….
मैं: देखो आसिफ़ रात बहुत हो गयी है….देखो हाशाद भी सो गया है….
आसिफ़: पर मुझे नींद नही आ रही…
मैं: क्यों तुम्हे नींद क्यों नही आ रही….देखो मुझे कितनी नींद आ रही है…और देखो हस्शाद भी तो सो गया है….
आसिफ़: वो तो दूध पीकर सो गया है….
मैं: हाहः अच्छा तो फिर तुम भी मेरा दूध पीकर सो जाओ…
मैने हस्शाद को वापिस दीवार वाली साइड पर लेटा दिया…..और खुद आसिफ़ की तरफ फेस करके करवट के बल लेट गयी….मेरा एक मम्मा अभी भी कमीज़ से बाहर था… जैसे ही मैने अपनी कमीज़ नीचे करना शुरू किया तो, आसिफ़ एक दम से बोल पड़ा… “अच्छा तो मुझे भी दूध पिला कर सुला दो….” मैने चौंक कर आसिफ़ की तरफ देखा तो, वो भी मेरी तरफ देख कर मुस्करा रहा था…मैं तो ऐसे ही आसिफ़ से छेड़खानी कर लिया करती थी….
मैने कभी ख्वाब मे भी नही सोचा था….कि ऐसा कुछ होगा…दरअसल आसिफ़ सारे बच्चों मे सबसे ज़्यादा क्यूट था….उसकी रंगत भी दूध जैसी सफेद थी… और उसके हाथ पैर गाल ऐसे थे जैसे रूई के खिलोने हो…इसीलिए मैं उससे शुरू से ही छेड़खानी करती रहती थी…पर मैं भी पिछले एक साल से तड़प रही थी…कई बार रात को मैं अपने मम्मों को दबाते हुए, अपनी फुद्दि मे उंगली करके अपने आप को ठंडा करने की कॉसिश भी कर चुकी थी….मैने सोचा क्यों ना एक बार इसको अपना दूध पिलाने के बहाने से अपने मम्मे चुस्वा कर देखू…पर मुझे डर भी था कि, आसिफ़ उम्र मे भी छोटा है….कही वो ये बात किसी को बता ना दे…पर फिर कुछ सोचने के बाद मैने आसिफ़ से कहा….
मैं: तुम क्या सच मे दूध पीना चाहते हो…
मेरी बात सुन कर आसिफ़ ने हां मे सर हिला दिया….”अच्छा पहले मुझसे वादा करो कि, तुम ये बात किसी को नही बताओगे कि तुमने मेरे दूध पिया है….” आसिफ़ बड़े गोरे से मेरी बात को सुन रहा था….”ठीक है वादा…” आसिफ़ ने झट से कह दिया…. “अच्छा तो फिर खुदा की कसम खाओ कि तुम किसी को नही बताओगे….” आसिफ़ ने कसम भी खा ली…मैने अपनी तरफ से आसिफ़ को पक्का कर लिया था…”ठीक है अब तुमने कसम खाई है….किसी को बताना नही है…” मैने अपनी कमीज़ को ऊपेर करके अपने मम्मे को बाहर निकालते हुए कहा…”लो पी लो…” जैसे ही मैने अपने मम्मे को पकड़ कर निपल उसके होंटो की तरफ किया…..
और अगले ही पल आसिफ़ ने मेरे निपल को मूह में भर कर सक करना शुरू कर दया….और जैसे ही उसके मूह मे मेरे निपल से दूध जाने लगा तो उसने और कस कस के मेरे निपल को चूसना शुरू कर दिया…..मेने तड़पते हुए उसे अपनी बाहों मे भर लिया…और उसे अपनी बाहों मे लेकर घूमती हुई पीठ के बल लेट गयी…..अब आसिफ़ मेरे ऊपेर था….और मैं उसके नीचे थी….मेने आसिफ़ का हाथ पकड़ कर अपने दूसरे मम्मे पर रखा और उसके हाथ को अपने मम्मे पर दबाते हुए, अपने मम्मे को दबाने लगी….
मैं एक दम मदहोश हो चुकी थी…क्या सही है और क्या ग़लत मेरी समझ से परे थे…..मेने अपने दोनो हाथों को नीचे लेजाते हुए, अपनी शलवार के इलास्टिक को पकड़ शलवार को रानो तक नीचे सरका दिया… फिर मैने अपने घुटनो को मोड़ा और फिर अपनी शावलार को टाँगो के मदद से अपने जिस्म से निकाल दिया..और फिर अपनी टाँगो को खोल कर फेला लिया…..
जैसे ही मेने अपनी टाँगो को फेलाया…आसिफ़ की कमर से नीचे वाला हिस्सा मेरी टाँगो के बीच मे गया….मेने अपने हाथ से उसकी शलवार पर उसके लंड वाली जगह को टटोला और मुझे मिल भी गया…पर उसकी छोटी सी नूनी एक दम सॉफ्ट थी….उसमे कोई एरेक्षन नही था….मैं समझ चुकी थी….कि आसिफ़ अब तक जो भी कर रहा है..वो बच्पने मैं ही कर रहा है…उसके दिमाग़ कोई ऐसे बात नही थी…
पर वो अभी भी मेरे मम्मे को चूस रहा था…मेरे उस मम्मे मे अब तनाव बिकुल ख़तम हो चुका था….मेने उसके फेस को दोनो हाथो से पकड़ और उसके होंटो को दूसरे मम्मे पर लगा दिया….”शाइयीईयी अहह….” मैं एक दम से सिसक उठी….उसने मेरे दूसरे मम्मे को भी चूसना शुरू कर दिया था….अब मेरे बर्दास्त से बाहर होता जा रहा था…मेने अपनी फुद्दि मे अपनी उंगली को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था…
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