Kamukta Story बदला
08-16-2018, 01:32 PM,
#1
Lightbulb  Kamukta Story बदला
बदला पार्ट--1

हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी बदला लेकर
आपके लिए हाजिर हूँ 
"आइए-2,सहाय साहब....बैठिए!",केसवानी ने अपनी कुर्सी से उठ के सुरेन सहाय
का स्वागत किया.

"नमस्ते केसवानी जी!क्या हाल है?",दोनो ने हाथ मिलाया & फिर सुरेन जी
उसके डेस्क के सामने रखी 1 कुर्सी पे बैठ गये.उनके साथ 1 और शख्स आया था
जोकि हाथ मे 1 लेदर बॅग पकड़े उनके पीछे ही खड़ा रहा.

"बस आपकी दुआ है."

"ये लीजिए..आपकी पेमेंट.",सहाय जी ने हाथ पीछे किया तो उस शख्स ने बॅग मे
से 1 स्चेक बुक & 1 नोटो की गद्दी निकाल के उन्हे थमा दी,"....70%स्चेक &
बाकी कॅश.",सहाय जी ने स्चेक काट के कॅश के साथ केसवानी को थमा दिया.

"अरे....सहाय साहब आपने इसके लिए इतनी तकलीफ़ क्यू की?अपने किसी आदमी को
ही भेज दिया होता...",केसवानी ने नोटो & स्चेक को अपने डेस्क की दराज़ के
हवाले किया.

"आप तो जानते ही हैं,केसवानी जी की शाम लाल जी ने जबसे हमारा मॅनेजर का
काम छ्चोड़ा है,हमे ही सब देखना पड़ रहा है."

"जी,वो तो है.अब शाम लाल जी जैसा दूसरा आदमी मिलना भी तो मुश्किल है."

"बिल्कुल सही फरमाया आपने..",1 नौकर शरबत के ग्लास रख गया तो सहाय जी ने
उसे उठा कर 1 घूँट भरा,"..लेकिन वो भी क्या करते....पता है केसवानी साहब
वो हमारे साथ तब से थे जब मैं कॉलेज मे पढ़ाई करता था.बिज़्नेस के सारे
काम..ये पेमेंट्स लेना या देना सब वही संभालते थे..मुझे तो कभी लगा ही
नही था की वो हमे छ्चोड़ के जाएँगे मगर वो भी क्या करते?बेटा वाहा
बॅंगलुर मे बस गया अब चाहता था की मा-बाप उसी के साथ रहें..ऐसे मे कौन
इंसान नौकरी के चक्कर मे पड़ा रहेगा.",उन्होने 1 और घूँट भरा,"..बड़े
किस्मत वाले हैं शाम लाल जी..जवान बेटे ने उनकी ज़िम्मेदारी अब अपने कंधे
ले ली है.",उनके चेहरे पे जैसे 1 परच्छाई सी आके गुज़र गयी.

"अच्छा..अब इजाज़त दीजिए,केस्वनी जी.",सहाय जी उठ खड़े हुए & अपने उस
आदमी के साथ वाहा से निकल गये.

"सारा काम निपट गया,शिवा.",अपनी मर्सिडीस की पिच्छली सीट पे बैठ के
उन्होने ड्राइवर को चलने का इशारा किया.

"हां,सर."

"तो तुम जाके अपने भाई & उसके परिवार से मिल आओ..",उन्होने अपनी घड़ी को
देखा,"..अभी 4 बज रहे हैं..9 बजे तक आ जाना,फिर हम घर के लिए निकल
जाएँगे.",कार पंचमहल की सड़को पे दौड़ रही थी.

"ठीक है,सर.",शिवा सहाय जी का बॉडीगार्ड था.ऐसा नही था कि सहाय जी को कोई
जान का ख़तरा था मगर वो 1 पक्के बिज़्नेसमॅन जानते थे कि 1 व्यापारी को
रुपये पैसो के मामले मे एहतियात बरतनी ही चाहिए.

शिवा कोई 10 साल पहले उनके पास काम के लिए आया था लेकिन शिवा के बारे मे
जानने से पहले हम थोड़ा सहाय जी के बारे मे जान लेते हैं.सुरेन सहाय
रायबहादुर मथुरा सहाय के पोते & कैलाश सहाय के बेटे थे.सहाय ख़ानदान का
अगर कोई सबसे बड़ा गुण था तो वो था समय के साथ चलना & वक़्त की ज़रूरतो
के मुताबिक खुद को ढाल लेना.

मथुरा सहाय को अंग्रेज़ो ने रायबहादुर के खिताब से नवाज़ा था.पंचमहल से
आवंतिपुर जाने वाले हाइवे पे पंचमहल से कोई 50 किमी की दूरी पे 1 कस्बा
पड़ता है हलदन.इस कस्बे के आते ही अगर आप हाइवे से बाई तरफ निकल रही सड़क
पे चले जाएँ तो सहाय एस्टेट मे दाखिल हो जाएँगे.

मथुरा जी के पास थोड़ी सी ज़मीन थी जिसे उन्होने अंग्रेज़ो को खुश करके
बहुत बढ़ा लिया था.उनके बाद जब कैलाश जी ने उनकी जगह ली तो उन्होने नये-2
आज़ाद हुए मुल्क की सरकार को खुश करके सहाय एस्टेट की नीव रखी.इस वक़्त
कयि एकर्स मे फैली इस संपत्ति के बस दो वारिस थे सुरेन जी & उनका छ्होटा
भाई वीरेन सहाय जिसे कभी भी खानदानी बिज़्नेस मे कोई दिलचस्पी नही रही तो
1 तरह से अभी इस पूरी मिल्कियत के अकेले मालिक सुरेन जी ही थे.

सुरेन जी ने भी अपने पूर्वाजो के नक्शे कदम पे चलते हुए बिज़्नेस को नयी
बुलंदियो तक पहुँचाया.एस्टेट की ज़मीनो पे गेहू & हरी सब्ज़ियो के
खेत,पोल्ट्री फार्म,डेरी & 1 घोड़ो का स्टड फार्म था.पूरे पंचमहल &
आवंतिपुर के बाज़ारो मे सब्ज़ी,गेहू & पोल्ट्री प्रॉडक्ट्स-अंडे & मीट के
सबसे बड़े सुप्पलायर्स थे सहाय जी.अब तो उन्होने 1 आटा मिल भी खोल ली थी
& अपने गेहू को पिसवा कर उसकी पॅकिंग कर बाज़ारो मे बेच रहे थे.

यू तो हमारे मुल्क मे जुआ 1 जुर्म है मगर 1 जुआ है जोकि लगभग हर बड़े शहर
मे खेल जाता है & उसे क़ानून की मंज़ूरी भी मिली हुई है,वो है घुड़
दौड़.इन दौड़ो मे रईसो के घोड़े दौड़ते हैं.अब कुच्छ तो खुद इन घोड़ो को
पालते हैं मगर ये घोड़े आते कहा से हैं-स्टड फार्म्स से.सहाय फार्म्स
मुल्क के नामी गिरामी लोगो को घोड़े मुहैय्या कराता था.

सुरेन जी को बिज़्नेस मे बहुत मन लगता था & उसे वो हरदम आगे बढाने के
नयी-2 तरकीबे सोचते रहते थे.इसी वजह से उनका धंधा बड़ी तेज़ी से फल-फूल
रहा था.उनके बरसो पुराने मॅनेजर शाम लाल के जाने से उन्हे इधर 1 महीने से
थोड़ी परेशानी उतनी पड़ रही थी & इसे दूर करने के लिए वो 1 नये मॅनेजर की
तलाश मे जुटे हुए थे.
Reply
08-16-2018, 01:32 PM,
#2
RE: Kamukta Story बदला
अब शिवा के बारे मे भी जान लेते हैं.सुरेन जी को खुद के अलावा बस 3 और
लोगो पे भरोसा था-1 तो शाम लाल जी,दूसरी उनकी बीवी & तीसरा शिवा.कोई 10
साल पहले की बात है जब शिवा उनके पास आया.सुरेन जी की एस्टेट कोई 3-4
बड़े गाओं के बराबर थी.इतनी बड़ी प्रॉपर्टी की केवक़ल देखभाल ही नही
हिफ़ाज़त भी ज़रूरी थी.देखभाल के लिए तो दुनिया भर के लोग थे मगर
हिफ़ाज़त के लिए सुरेन जी को 1 बहुत ही भरोसेमंद & ज़िम्मेदार आदमी की
तलाश थी.

अभी तक तो वो बस कुच्छ चौकीदारो के भरोसे ही थे.पूरी एस्टेट के चारो तरफ
बाँस & लकड़ी की बल्लियो की 1 5 1/2 फिट ऊँची बाड थी मगर ये बस एस्टेट की
सीमा बताने का काम करती थी,चोरो को रोकने का नही.इधर चोरिया कुच्छ
ज़्यादा बढ़ गयी थी,कभी कोई बकरी उठा ले जाता तो कभी सब्ज़िया उखाड़
लेता.सुरेन जी जानते थे की यही छ्होटी-मोटी चोरिया आगे जाके किसी बड़े
नुकसान का भी सबब बन सकती हैं.24 घंटे एस्टेट की निगरानी करना पोलीस के
बस का भी नही था,इसके लिए तो उन्हे खुद ही कुच्छ करना था.

शिवा जब उनके पास आया वो 30 बरस का था & उसने फौज मे 5 साल बिताए थे.उसका
इंटरव्यू लेते हुए सुरेन जी ने उस से एस्टेट की सेक्यूरिटी की बाबत ही
सारे सवाल पुच्छे & उसके जवाबो ने उन्हे काफ़ी प्रभावित किया.उनकी
तजुर्बेदार आँखो ने उसपे दाँव लगाने की ठान ली & उसे एस्टेट सेक्यूरिटी
इंचार्ज बना दिया.शिवा ने भी उन्हे निराश नही किया & 2 महीनो के अंदर ही
उसने 50 गार्ड्स की टीम तैय्यार कर ली & अपने फौज के तजुर्बे का इस्तेमाल
करके एस्टेट की पूरी सेक्यूरिटी का पक्का बंदोबस्त कर दिया.

शिवा 1 6'4" का सलीके से कटे बालो & पतली मूच्छो वाला तगड़ा मर्द था.उसकी
सबसे बड़ी ख़ासियत थी की वो अपने काम से काम रखता था & बहुत कम बोलता
था.सुरेन जी तो उसकी वफ़ादारी के कायल थे & 3 साल बीतते-2 उन्होने उसे
एस्टेट के 1 घर से उठा के अपने बंगले मे रख लिया.उस बंगले मे जहा की
सिर्फ़ वो अपनी बीवी & बेटे के साथ रहते थे.जब भी वो कही जाते शिवा साए
की तरह उनके साथ होता.साल मे बस 2 बार-होली & दीवाली,पे 2 दीनो के लिए वो
पंचमहल मे रह रहे अपने बड़े भाई के पास जाता लेकिन इस बार शाम लाल जी की
वजह से उसे 1 और मौका मिल गया था उनसे मिलने का.

रास्ते मे शिवा कार से उतर गया & कार सहाय साहब के शहर के बंगले की ओर
बढ़ी चली.शिवा ने 1 टॅक्सी पकड़ी & अपने भाई के घर की ओर चला गया.ठीक उसी
वक़्त 1 मारुति स्विफ्ट उनकी कार के पीछे लग गयी.मर्सिडीस उनके बंगले मे
दाखिल हो गयी तो वो स्विफ्ट कुच्छ दूरी पे रुक गयी & उसे चलाने वाला
ड्राइवर अपनी नज़र बंगल के गेट पे गड़ाए बैठा रहा.

थोड़ी अर बाद 1 टॅक्सी गेट पे रुकी & उसमे से 1 जवान लड़की उतरी & गेट पे
खड़े गार्ड से कुच्छ कहा.उसे देखते ही उस आदमी ने स्विफ्ट आगे बधाई &
बंगल के सामने से होता हुआ बंगले के बगल की गली मे घुस गया.उसने कार
बंगले की दीवार से लगाई & फुर्ती के साथ बाहर उतरा.उसने अपने चेहरे पे 1
काला नक़ाब पहना हुआ था जिसमे से बस उसकी आँखे नज़र आ रही थी.उसने आस-पास
देखा,गली हमेशा की तरह सुनसान थी.उसने 1 महीने पहले से रोज़ यहा का
जायज़ा लिया था & पूरी प्लॅनिंग करने के बाद ही यहा आया था.

उसने पैरो मे रब्बर सोल वाले जूते पहने थे & हाथो मे दस्ताने.वो कार की
छत पे चढ़ गया & फिर वाहा से बंगले की दीवार पे & अगले ही पल वो बंगले की
लॉन की घास पे था.थोड़ी ही देर मे वो बंगले मे दाखिल हो चुका था.

"हां?",बंगले के बेडरूम मे आके सुरेन जी ने अपने कपड़े उतारना शुरू किया
ही था की तभी इंटरकम बजा,"..हां,मैने ही बुलाया था उसे उपर मेरे कमरे मे
भिजवा दो.",सहाय साहब की उम्र 50 बरस की थी & उनका कद था 5'10",उम्र के
साथ उनकी तोंद थोड़ी निकल आई थी,सामने से उड़ चुके सफेद बालो को उन्होने
खीज़ाब से ढँक लिया.आमतौर पे इस उम्र मे इंसान थोड़ा सयम से जीने की
कोशिश करता है मगर सुरेन जी के साथ ऐसा नही था.उन्हे जवानी मे जो
शराब,शबाब & कबाब का शौक लगा था वो अभी तक वैसे ही बरकरार था.इस शौक ने
उनकी सेहत को नुकसान भी पहुँचाया था,उनका दिल अब पहले जैसा मज़बूत नही
रहा था.

मामले की नज़ाकत समझते हुए उन्होने शराब & कबाब को तो काफ़ी हद तक कम कर
दिया मगर शबाब के साथ उन्होने कोई कमी नही की.जब से वो जवान हुए थे,यहा
तक की शादी के बाद भी वो हर महीने कम से कम 1 बार अपनी एस्टेट से बाहर
किसी शहर का चक्कर ज़रूर लगाते & अपने इस शौक को पूरा करते.

आज भी उनके इसी शौक को पूरा करने वो कल्लगिर्ल यहा आई थी,"हेलो,सर!",उस
खूबसूरत लड़की ने कमरे मे कदम रखा तो सर हिला के उसकी हेलो का जवाब देते
हुए सुरेन जी ने उसे सर से पाँव तक निहारा.लड़की ने बहुत कसी हुई सफेद
रंग की पतलून पहनी थी & उसके उपर पीले रंग का वैसे ही कसा हुआ टॉप.ये कसा
लिबास उसके जिस्म की गोलाईयो को और उभार रहा था.सुरेन जी ने सारे कपड़े
उतार दिए थे & बस अंडरवेर मे थे,"..आप तो पहले से ही तैय्यार
हैं,सर.",लड़की मुस्कुराइ & अपने कपड़े उतारने लगी.

सुरेन जी बिस्तर के हेडबोर्ड से टेक लगाके बैठ गये & उसे नंगी होते देखने
लगे.लड़की अपने पेशे मे माहिर थी.बड़ी अदा से वो अपने जिस्म को नुमाया कर
रही थी & जब तक उसने अपनी पतली सी पॅंटी को अपनी कमर से नीचे सरकया तब तक
सुरेन जी का अंडरवेर 1 तंबू की शक्ल इकतियार कर चुका था.

लड़की गोरी थी & उसकी चूचे & गंद काफ़ी बड़े & भरे-2 थे.अपने हाथो से
अपनी चूचियो को दबाते हुए उनके काले निपल्स को मसल कर कड़ा करते हुए वो
मुस्कुराते हुए अपने ग्राहक की ओर बढ़ने लगी.तभी सुरेन जी को कुच्छ याद
आया,"सुनो..वो मेरे कोट की जेब मे 1 दवा की डिबिया है,ज़रा निकाल कर
लाओ.",पास की कुर्सी पे पड़े अपने कपड़ो की ओर उन्होने इशारा किया.

नारंगी रंग की छ्होटी सी डिबिया उनके हवाले कर लड़की उनके सामने बैठ गयी
& उनकी छाती के बालो पे हाथ फिराते हुए उनके सीने को चूमने लगी.सुरेन जी
ने डिबिया मे से 1 गोली निकाली & खा ली & फिर डिबिया को पलंग के बगल मे
रखे साइड-टेबल पे रख दिया.लड़की के सर को अपने सीने से उठा के उन्होने
उसके होंठो पे अपने होठ कस दिए & उनके हाथ उसकी नंगी पीठ & कमर पे घूमने
लगे.लड़की थोड़ा आगे हो उनसे बिल्कुल चिपक गयी & अपनी चूचिया उनके सीने
पे दबा दी.सुरेन जी उसकी गंद दबाते हुए उसकी गर्दन चूमने लगे.लड़की आहे
भर मस्त होने का नाटक करने लगी.
Reply
08-16-2018, 01:33 PM,
#3
RE: Kamukta Story बदला
सहाय साहब जानते थे कि वो नाटक कर रही है मगर उन्हे इस से कुच्छ
लेना-देना नही था,उन्हे तो बस अपने मज़े से मतलब था.उन्होने लड़की की
गर्दन से सर उठाया & उसके सर को फिर से अपने सीने पे दबा दिया,वो उनका
इशारा समझ गयी.उनके सीने को चूमते हुए वो नीचे जाने लगी & थोड़ी ही देर
बाद उसके लाल लिपस्टिक से रंगे होंठ उनके 6 इंच लंबे लंड पे कसे हुए
थे.सुरेन जी उसके सर को अपने लंड पे दबाते हुए उसकी ज़ुबान का पूरा
लुत्फ़ उठा रहे थे.लड़की ने अपनी कलाकारी दिखना शुरू कर दिया,उनके लंड को
मज़बूती से जकड़े वो कभी उसे मुँह मे भर चुस्ती तो कभी बाहर निकाल कर बस
उसपे जीभ फिराने लगती.

सुरेन जी ने मस्ती मे आँखे बंद कर ली.ठीक उसी वक़्त वो नक़ाबपोश उनके
कमरे की बाल्कनी पे कूद के आया,रब्बर के जूतो ने ना के बराबर आवाज़ की
थी.उसने देखा की कमरे का शीशे का दरवाज़ा बंद है.उसने पिच्छले 1 महीने मे
इस घर का चप्पा-2 देख लिया था & इस दरवाज़े को बाहर से खोलने की तरकीब भी
निकाल ली थी.उसने दोनो दरवाज़ो के हॅंडल पकड़ के पानी तरफ मज़बूती से
खींचा,ऐसा करने से अंदर से लगी च्षिटकॅनी ढीली हो गयी & दरवाज़े के उपर
की चौखट मे लगे उसके छेद से नीचे सरक गयी.उसने दरवाज़े को बस 1 इंच खोला
तो अंदर से आ रही आहो की आवाज़े ने उसे अंदर का हाल बयान कर दिया.

उसने बड़ी सावधानी से हल्के से दरवाज़े को खोल अंदर सर घुसाया,उस शीशे के
दरवाज़े के दाई तरफ की दीवार से सटे ही पलंग & उसके दोनो तरफ साइड-टेबल्स
लगे थे.उसने सर घुसा के दाए घुमाया तो उसे वो कल्लगिर्ल बिस्तर पे पीठ के
बल लेटी दिखाई दी & उसकी टाँगो के बीचे मुँह घुसाए उसकी चूत चाटने मे
मशगूल सुरेन जी. कल्लगिर्ल अब सच मे मस्ती मे पागल हो गयी थी.सुरेन जी की
जीभ उसके दाने को चाट रही थी & उनकी उंगली लगातार उसकी चूत के अंदर-बाहर
हो रही थी.

नक़ाबपोश ने सर पीछे खींचा मगर तभी उसकी नज़र साइड-टेबल पे पड़ी दवा की
डिबिया पे पड़ी..इसी के लिए तो वो यहा आया था..कब से वो सुरेन जी के पीछे
बस इस छ्होटी सी डिबिया के लिए ही पड़ा था.उसने हाथ बढ़ा के डिबिया को
उठाना चाहा मगर ठीक उसी वक़्त सुरेन जी ने लड़की की चूत से सर उठाया &
उसके उपर आ गये & उसके होंठो को चूमने लगे.नक़ाबपोश बिजली की तेज़ी से
पीछे हो गया.मंज़िल के इतना करीब आके वो अब ग़लती नही कर सकता था..उसका
पूरा प्लान तो बस सब्र पे ही टीका था.आज के काम के बाद भी उसे बहुत सब्र
से काम लेना था.उसने अपनी पॅंट की जेब मे हाथ डाला & 1 हिप फ़्लास्क
निकाला..बाकी लोगो को शराब बेक़ाबू कर देती है मगर उसे..उसे तो यही काबू
मे रखती थी..वो वही बाल्कनी पे बैठ गया & जल्दी से 2-3 घूँट भरे,फिर आँखे
बंद की & अपना ध्यान अंदर से आ रही आवाज़ो पे लगा दिया.

कल्लगिर्ल ने अपने उपर सवार सुरेन जी की किस का जवाब देते हुए अपना हाथ
नीचे ले जाके उनके लंड को अपनी चूत का रास्ता दिखाया.उसके कंधो को थामे
उसे चूमते हुए सुरेन जी ने फ़ौरन धक्के लगाने शुरू कर दिए.हर धक्के पे
लड़की की आहें और तेज़ हो जाती.उसने अपनी टाँगे उनके कमर पे कस दी थी &
उन्हे बाहो मे भरे नीचे से कमर हिला रही थी.सुरेन जी थोड़ी देर तक वैसे
ही उसे चोद्ते रहे,"..अब तुम मेरे उपर आ जाओ.",वो उसके दाए कान मे
फुसफुसाए.

लड़की ने फ़ौरन उनके कंधे पकड़ के करवट लेते हुए उन्हे अपने नीचे किया &
फिर उनकी छाती पे अपनी चूचियो को दबाए हुए उन्हे चूमते हुए अपनी कमर
हिलाने लगी.सुरेन जी ने उसकी चौड़ी गंद को अपने हाथो मे कस लिए & उसे
मसल्ने लगे,"..ऊऊओवव्वव....!",लड़की उठ के बैठ गयी & उनके सीने पे अपनी
हथेलिया जमा के तेज़ी से अपनी कमर हिलाने लगी.सुरेन जी ने उसकी चूचियो को
पकड़ के उसके निपल्स को मसल दिया,"...आअननह....!",लड़की ने उनकी कलाई
पकड़ के नीचे की तो उन्होने उसकी बाहो को थाम लिया & नीचे खींचा.1 बार
फिर लड़की उनके सीने से चिपकी कमर हिला रही थी मगर इस बार सुरेन जी ने
अपने घुटने मोड & उसकी कमर को अपनी बाहो मे जकड़ा & नीचे से बड़ी तेज़ी
से कमर उचकते हुए उसके धक्को के जवाब मे बड़े क़ातिल धक्के लगाने
लगे,"..आअहह...ऊओ....आआअननह....ऊउउई....!",लड़की की आहे अब बहुत तेज़ हो
गयी थी,सुरेन जी समझ गये कि वो झाड़ रही थी.

उन्होने उसे बाहो मे जकड़े हुए धक्के लगाना रोका & 1 बार फिर करवट ले उसे
अपने नीचे कर लिया,फिर अपनी कोहनियो पे अपना वज़न रख कर थोडा उपर हो उसकी
चूचियो को मसलते हुए ज़ोर-2 से धक्के लगाने लगे.लड़की दोबारा झड़ने लगी &
इस बार उसके झाड़ते ही सुरेन जी ने भी अपना सारा पानी उसकी चूत मे छ्चोड़
दिया.

नक़ाबपोश बाहर बैठा अंदर की आवाज़ो पे कान लगाए था.शाम ढल चुकी थी & अब
बत्तिया जलने लगी थी.उसने गौर किया की अंदर से अब आवाज़े आना बंद हो गयी
थी यानी की चुदाई ख़त्म हो चुकी थी.वो खड़ा हुआ & दरवाज़े पे कान
लगाया,"..बाथरूम किधर है,सर.",लड़की की आवाज़ उसके कान मे पड़ी.

"उधर..",फिर लड़की के बिस्तर से उतर के बाथरूम मे जाने की आवाज़ आई.फिर
उसे बाथरूम मे पानी गिरने की आवाज़ आई & फिर लड़की
चीखी,"..ऊओवव..!",नक़ाबपोश ने फ़ौरन दरवाज़ा खोला अंदर सर घुसाया,"..आपने
तो मुझे डरा ही दिया!",सुरेन जी लड़की के पीछे-2 बाथरूम मे चले गये थे &
अब अंदर से दोनो की अठखेलियो की आवाज़े आ रही थी.

नक़ाबपोश कमरे मे दाखिल हुआ & वो डिबिया उठा ली,फिर अपनी जेब से बिल्कुल
वैसी ही 1 दूसरी डिबिया निकाल.उसने दोनो डिबिया को खोल के देखा,फिर अपनी
वाली डिबिया मे से कुच्छ गोलिया निकाल के अपनी जेब मे डाल दोनो मे गोलियो
की मात्रा बराबर की & फिर उसे सुरेन जी की डिबिया की जगह रख दिया & उनकी
डिबिया को अपनी जेब मे रख जिस रास्ते आया था उसी रास्ते चला गया.

थोड़ी ही देर बाद उसकी स्विफ्ट वाहा से निकल चुकी थी.उसका काम हो गया था
बस अब उसे बैठ के इंतेज़ार करना था.सुरेन जी ने लड़की को पैसे देके विदा
किया & तैय्यार होने लगे.कुच्छ ही देर मे शिवा भी आ जाता & फिर दोनो को
वापस एस्टेट लौटना था.उन्होने कोट के बटन बंद किए & कमरे से बाहर निकल
गये की तभी उन्हे कुच्छ याद आया,वो वापस कमरे मे आए & सी-टेबल से अपनी
दवा की वो डिबिया उठा ली & अपनी जेब मे रख ली.उनका कमज़ोर दिल उनकी
अययाशी मे अड़चन ना बने इसके लिए डॉक्टर ने उन्हे ये दवा दी थी.उसने कहा
था कि जब भी उन्हे किसी भी एग्ज़ाइट्मेंट का अंदेशा हो तो वो 1 गोली खा
लें,इस से उनका दिल संभला रहेगा.ये दवा ना होती तो वो शायद ही जिस्मानी
रिश्तो का लुत्फ़ इस कदर उठा पाते.

उन्होने मन ही मन डॉक्टर को दुआ दी & नीचे खाने की मेज़ की ओर चले गये.

आड्वोकेट संतोष चंद्रा के बंगले के अंदर ड्राइवर ने कार रोकी तो कामिनी
नीचे उतरी.शाम के ढलते सूरज मे लाल सारी & मॅचिंग स्लीवेलेस्स ब्लाउस मे
कामिनी का गोरा रंग जैसे और चमक उठा था.
Reply
08-16-2018, 01:33 PM,
#4
RE: Kamukta Story बदला
गेट पे खड़े गार्ड ने उसे हसरत भरी निगाह से देखा मगर जैसे ही कामिनी ने
उसकी तरफ नज़रे की उसने अपनी निगाहे झुका ली.उन भरोसे & हौसले से भरी
आँखो से नज़र मिलाने की हिम्मत सभी मे नही होती थी.

"आओ,आज वक़्त मिला है तुम्हे!",मिसेज़.चंद्रा ने पाई छुट्टी कामिनी को
उपर बिठाया,"अजी सुनते हो!देखो कौन आया है!",उन्होने चंद्रा साहब को
आवाज़ दी.

"अरे कामिनी..तो तुम्हे फ़ुर्सत मिल ही गयी!",तीनो ड्रॉयिंग रूम के सोफॉ
पे बैठ गये.

"लगता है,आप दोनो ने आज मुझे शर्मिंदा करने की सोची हुई है....मैं क्या
करती आंटी,इतना काम ही था इधर..आप तो जानती ही हैं उन दोनो केसस के चलते
मैं और केसस पे धान नही देपा रही थी.सब निपटा के पहली फ़ुर्सत मे सीधा आप
ही के पास आई हू.",कामिनी ने 1 गहरी निगाह अपने गुरु चंद्रा साहब पे
डाली.

कामिनी शत्ृजीत सिंग & करण मेहरा के केसस के बारे मे बात कर रही थी जिसे
उसने कुच्छ ही दिन पहले सुलझाया था.अपने पति विकास से तलाक़ के बाद उसने
तय कर लिया था कि वो अब अपनी ज़िंदगी भरपूर जिएगी & उसका पूरा मज़ा
उठाएगी.शत्रुजीत & करण दोनो ही उसके प्रेमी थे जोकि 1 बहुत बड़ी साज़िश
के शिकार हुए थे.कामिनी ने दोनो को मुसीबत से निकाला था.इसके बाद करण तो
अपने पिता के पास लंदन चला गया मगर शत्रुजीत से कामिनी की मुलाक़ातें
लगातार होती रही थी लेकिन कुच्छ दीनो बाद दोनो को रिश्ते मे 1 ठहराव सा
आता महसूस होने लगा था & नतीजा ये था की अब दोनो की मुलाक़ातें भी कम ही
गयी थी.

तलाक़ के बाद कामिनी ने अपने गुरु को भी उनके दिल मे अपने लिए छुपे चाहत
के एहसासो का खुल के इज़हार करने के लिए उकसाया था & पिच्छले कुच्छ महीनो
से दोनो उनकी बीवी & बाकी दुनिया की नज़रो से छुपा के जम के 1 दूसरे की
चाहत का मज़ा उठा रहे थे.

"..मैं नही आ पाई तो आप तो आ सकते थे!",बात तो उसने मिसेज़.चंद्रा से कही
थी मगर उसका इशारा चंद्रा साहब की ओर था.वो बड़े हल्के से मुस्कुराए.बातो
का रुख़ दूसरी ओर मुड़ा की तभी फोन बजा & मिसेज़.चंद्रा उसे उठाने के लिए
चली गई.

कामिनी अपनी सेहत & अपने रूप का पूरा ख़याल रखती थी.उसका भरा-2 जिस्म
बिल्कुल कसा हुआ था & इस वक़्त भी स्लीवेलेस्स ब्लाउस से झाँकति उसकी
मांसल,गोरी बाहें बिल्कुल पुष्ट नज़र आ रही थी.कामिनी ने जो ब्लाउस पहना
था वो पीछे से 1 गाँठ से बँधा था यानी की उसमे हुक्स या बटन नही थे.पीछे
से गाँठ खोलने से ही ब्लाउस खुलता.इस ब्लाउस मे उसकी पीठ का बड़ा हिस्सा
नज़र आ रहा था.

जब चंद्रा साहब ने ड्रॉयिंग रूम मे कदम रखा था तब कामिनी की पीठ उनकी ओर
थी & उनका ध्यान तुरंत अपनी शिष्या की पीठ & पतली कमर पे गया था & तभी
उनके लंड मे हरकत शुरू हो गयी थी.कामिनी बड़े सोफे पे बैठी थी & उसके दाए
तरफ के सिंगल-सीटर छ्होटे सोफे पे उसके गुरु.उनके पीछे थोडा हट के
डाइनिंग टेबल लगा था & उसके बाद की दीवार से लगे शेल्फ पे फोन रखा था
जिसपे मिसेज़.चंद्रा किसी से बात कर रही थी.

"ब्रा पहना है तुमने?"

"क्या?!",कामिनी चौंक पड़ी मगर फिर शोखी से मुस्कुराते हुए उसने उनकी
आँखो मे आँखे डाल दी,"आपको क्या लगता है?"

"ह्म्म....हो सकता है पहना हो..वैसे तुम्हे ज़रूरत तो है नही."

"अच्छा?"

"हां.तुम्हार जैसी कसी चूचिया जिसकी हो उसे सहारे की क्या ज़रूरत!"

कामिनी को हँसी आ गयी,कुच्छ ही दूर पे मिसेज़.चंद्रा खड़ी थी & उनकी
मौजूदगी मे ऐसी बाते करने मे उसे अजीब सा मज़ा मिल रहा था.उसे याद आया कि
जब वो पिच्छली बार यहा आई थी तो घर के दूसरे हिस्से मे बने चंद्रा साहब
के ऑफीस मे बंद होके उन्होने कितनी मस्ती की थी & मिसेज़.चंद्रा बेचारी
यही सोचती रही की दोनो काम के सिलसिले मे बात कर रहे हैं.

"अच्छा बताओ किस रंग का है?",चंद्रा साहब अपने पाँव के अंगूठे से उसके
सॅंडल मे से झाँकते पैर को सहला रहे थे.

"क्या?",कामिनी पे हल्की-2 मस्ती च्छा रही थी.उसने 1 नज़र मिसेज़.चंद्रा
पे डाली,वो अभी भी फोन पे लगी हुई थी & अपने पैरो को सॅंडल्ज़ से निकाल
लिया ताकि उसके गुरु आसानी से उसके पैरो को सहला सके.

"तुम्हारे ब्रा & पॅंटी?"

"लाल.",उनका दाया पैर कामिनी के दाए पैर से उपर उसकी पिंडली को सहला रहा था.

"क्या नज़ारा होगा वो भी जब तुम्हारा गोरा बदन केवल इन 2 लिबासो मे ढँका
नज़र आएगा!"

कामिनी ने फ़ौरन अपना पाँव पीछे खींच लिया,मिसेज़.चंद्रा फोन रख वापस
उनके पास आ रही थी.

"ये मिसेज़.पूरी भी छ्चोड़ती ही नही..हां अब तुम सूनाओ कामिनी,इतने
ख़तरनाक केस क्यू लेती हो?"

"क्या करती आंटी दोनो पहले से क्लाइंट्स थे मेरे.अब बीचे मे तो नही
छ्चोड़ सकती थी ना.",कामिनी ने पैर वापस सॅंडल्ज़ मे डाल लिए थे.

"हां भाई ये तो है."

"मालकिन,माली आया है.",गार्ड इत्तिला देने वाहा आया.

"ओफ्फो!इसे भी अभी आना था.आपलोग बाते करिए मैं अभी आई.",मिसेज़.चंद्रा उठ
के लॉन मे चली गयी.कामिनी जिस बड़े सोफे पे बैठी थी उसके पीछे 1 बहुत
बड़ी खिड़की थी जिसमे शीशा लगा हुआ था & उस से लॉन सॉफ दिखता था.कामिनी
घूम कर उसके बाहर देखने लगी,मिसेज़.चंद्रा माली से काम करवा रही थी.

"हा!",कामिनी चौंक पड़ी,उसे पता ही नही चला कि कब चंद्रा साहब उसके पीछे
आके बैठ गये & उसे बाहो मे भर लिया.

"क्या करते हैं?!कही आंटी ने देख लिया या फिर कोई नौकर आ गया तो?",कामिनी
उन्हे परे धकेलने लगी.

"आंटी को अभी कम से कम आधा घंटा लगेगा & इस वक़्त घर मे कोई नौकर है
नही.",चंद्रा साहब ने पीछे से उसकी कमर को घेर उसके पेट को सहलाते हुए
उसके दाए कान को काट लिया.
Reply
08-16-2018, 01:33 PM,
#5
RE: Kamukta Story बदला
"ऊव्व!..पागल मत बानिए..कही आंटी ने बाहर से देख लिया तो.",कामिनी कसमसाई.

"इस शीशे से बाहर से अंदर नही दिखता.",चंद्रा साहब ने अपनी पकड़ मज़बूत
कर दी & उसकी गर्दन चूमने लगे.कामिनी भी अब मस्त होने लगी थी मगर उसकी
नज़र बाहर खड़ी मिसेज़.चंद्रा पे ही थी.चंद्रा साहब ने अपना दाया हाथ
उसके पेट से हटा के उसके चेहरे को पकड़ अपनी ओर घूमके उसके होंठो को चूम
लिया,"घबराओ मत..बस इस लम्हे का लुत्फ़ उठाओ."

कामिनी ने खुद को उनके हवाले कर दिया & उनकी जीभ से अपनी जीभ लड़ा
दी.दोनो जानते थे की वक़्त कम था मगर फिर भी दोनो इस मौके का भरपूर फयडा
उठना चाहते थे.कामिनी का आँचल उसके सीने से ढालाक गया था & उसका बड़ा सा
क्लीवेज उसके धड़कते दिल की बेचैनी की गवाही उपर-नीचे होके दे रहा था.उसे
चूमते हुए चंद्रा साहब उसकी चूचियो को ब्लाउस के उपर से ही दबा रहे
थे.कामिनी भी थोड़ा पीछे हो अपनी भारी-2 गंद से उनके लंड को मसल रही
थी.उसके हाथ उनके चेहरे & बालो मे घूम रहे थे.

चंद्रा साहब ने उसके होंठो को आज़ाद किया & उसे घुमा कर उसकी पीठ पे हाथ
फेरते हुए चूमने लगे.कामिनी ने सोफे के पीछे खिड़की की सिल पे अपने हाथ
रख के उनपे अपना चेहरा टीका दिया & बाहर अपने गुरु की बीवी को देखते हुए
उनके पति की कामुक हर्कतो का मज़ा उठाने लगी.चंद्रा साहब उसकी पीठ चूमते
हुए नीचे आ गये थे & अब उसकी कमर की बगलो को दबाते हुए वाहा पे चूम रहे
थे.थोड़ी देर चूमने के बाद उन्होने उसकी टाँगो को पकड़ कर उपर सोफे पे कर
दिया.

क्रमशः.......
Reply
08-16-2018, 01:33 PM,
#6
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...........
अब कामिनी अपने घुटनो पर बैठी खिड़की की सिल पे वैसे ही हाथो पे चेहरे को
रखे बाहर देख रही थी & उस बड़े से सोफे पे चंद्रा साहब भी अपना पाजामा
उतार कर उसके पीछे वैसे ही घुटनो पे आ बैठे थे.सारी मे कसी गंद पे लंड
मुहसूस होते ही कामिनी ने पीछे मुड़ना चाहा मगर चंद्रा साहब ने उसे ऐसा
नही करने दिया & 1 बार फिर उसकी कमर को पकड़ के उसके गालो को चूमने
लगे.उनके हाथ कमर से नीचे फिसल कर उसकी सारी को उपर खींचने लगे.कामिनी ने
भी अपने घुटने थोड़ा सा उठाके इस काम मे उनकी मदद की.

सारी कमर तक उठा के उन्होने अपने हाथ अंदर घुसा के उसकी मखमली जंघे
सहलाते हुए उसकी गर्दन के नीचे चूमना शुरू किया तो कामिनी भी अपने हाथ
पीछे ले जाके उनके सर & उनके बदन पे हाथ फेरने लगी.चंद्रा साहब ने गर्दन
से नीचे आ उसकी पीठ पे चूमते हुए अपना दाया हाथ उसकी दाई जाँघ से हटाया &
उसके ब्लाउस की गाँठ खींच दी,"..हा..!..",कामिनी ने आह भरी,"..जल्दी
कीजिए,सर..कही आंटी ना आ जाएँ."

ब्लाउस की गाँठ खुलते ही सामने लाल रंग की ब्रा पतली सी पट्टी उसकी पीठ
पे दिखाई दी,ब्रा मे बस 1 हुक था.चंद्रा साहब ने उसे खोल ब्रा को ढीला
किया & उसके कप्स को उपर कर उसकी चूचियो को मसलना शुरू कर
दिया,"..ऊओवव....ऊओ...!",कामिनी आहे भरने लगी,चंद्रा साहब वैसे ही उसकी
चूचिओ मसल्ते हुए उसे चूमते रहे.उनके हाथो का मज़ा लेते हुए कामिनी ने
बाहर निगाह डाली.माली काफ़ी काम निपटा चुका था,"..आअननह..जल्दी
करिए...प्लेअसस्सीए...!"

"चंद्रा साहब फ़ौरन झुके & उसकी पॅंटी निकाल दी.पॅंटी उतरवाने के लिए
कामिनी थोड़ा उठी & फिर पहले की ही तरह घुटनो पे बैठ गयी.उसने सोचा की अब
चंद्रा साहब उसे चोदेन्गे मगर नही चंदर साहब ने उसे फिर हैरान कर
दिया,"..आआआआअहह....!",उन्होने झुक के पीछे से कामिनी की चूत मे अपना
मुँह घुसा दिया था & उसे चाटने लगे थे.कोई 3-4 मिनिट तक उनकी लपलपाति जीभ
उसकी चूत की गहराइयो मे उतरी रही & फिर उसके दाने को छेड़ती रही.कामिनी
बहाल हो गयी थी & उसकी चूत से पानी रिसे जा रहा था,"..अब और मत
तडपा...इए...ऊओवव्व....अब आ जा...इए....नाआ..!",उसने तड़प के सर घुमाया &
दाए हाथ से अपनी चूत चाटते चंद्रा साहब के बाल पकड़ के खींचा.

अपनी शिष्या की बात मानते हुए चंद्रा साहब फ़ौरन उसके पीछे घुटनो के बल
सोफे पे आ गये & उसकी गीली चूत मे अपना 7 इंच का लंड घुसा दिया.कामिनी की
36 इंच की चौड़ी कसी गंद को दबोचते हुए उन्होने गहरे धक्के लगाने शुरू कर
दिए,चंद्रा साहब उसके हुस्न के दीवाने थे मगर उसकी गंद के लिए उनके दिल
मे कुच्छ खास ही जगह थी.कामिनी भी ये बात जानती थी & जब वो उसकी गंद से
खेलते तो उसकी मस्ती भी दुगुनी हो जाती.लंड अंदर जाते ही उसकी चूत मे
पटाखे छूटने लगे थे.ये शिद्दत..ये गर्मी..उसे अब शत्रुजित के साथ महसूस
नही होती थी..उसे हैरत भी हो रही थी की 1 बूढ़े इंसान के साथ उसे ऐसी
खुमारी का एहसास होता था.

उसे चंद्रा साहब पे बहुत प्यार आया & सिल को पकड़े हुए उसना अपना सर उठा
के पीछे कर होंठ गोल कर उन्हे चूमने का इशारा किया.चंद्रा साहब उसकी इस
अदा पे और जोश मे आ गये,उन्होने 1 नज़र अपनी बीवी पे डाली..उसका काम बस
पूरा ही हो गया था..वो आगे झुके & कामिनी की मस्त 38द साइज़ की छातियो को
मसलते हुए उसकी पीठ से बुल्कुल सॅट उसके घूमे हुए चेहरे पे किस्सस कीझड़ी
लगा दी.कामिनी भी मस्ती मे आहे भरती हुई कमर हिलाते हुए बाए हाथ से सहारे
के लिए सिल को पकड़े दाए हाथ को पीछे ले जाके उनके बालो को पकड़ कर उनके
होंठो को अपने गुलाबी होंठो से सटा लिया.चंद्रा साहब बहुत तेज़ धक्के लगा
रहे थे,उनकी 1 निगाह अपनी बीवी पे थी & दूसरी अपनी शिष्या के मदहोश चेहरे
पे.

तभी उन्होने देखा की माली अपने औज़ार & खाद वग़ैरह समेट रहा है.उन्होने
उसकी चूचियो को ज़ोर से दबाया & अपने लंड को पूरी तरह से बाहर खींच कर
फिर से अंदर पेला.कामिनी के होंठ तो चंद्रा साहब के होंठो से सिले हुए थे
मगर फिर भी उसके गले से ऊन आँह की आवाज़े आ रही थी..उसकी मस्ती भी अब
उसके सर पे सवार हो गयी थी..और फिर वो मक़ाम आ गया जिसका दोनो प्रेमियो
को बेसब्री से इंतेज़ार था..कामिनी की चूत अपनेआप सिकुड़ने फैलने लगी &
उसने सोफे की बॅक को कस के भींच लिया.उसकी चूत की हर्कतो ने कमाल दिखाया
& चंद्रा साहब का बदन भी झटके खाने लगा.अपनी प्रेमिका के झाड़ते ही
उन्होने भी अपना पानी उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया था.

माली जा रहा था & मिसेज़.चंद्रा वापस अंदर आ रही थी.चंद्रा साहब ने हौले
से लंड बाहर खींचा,अपना पाजामा पहना & सहारा देके कामिनी को सोफे से उतार
के खड़ा किया & उसके चेहरे को चूम लिया.जवाब मे कामिनी ने भी उनके होंठो
को चूमा & अपने कपड़े संभालती बाथरूम की ओर चली गयी.उसके जाते ही
मिसेज़.चंद्रा ड्रॉयिंग रूम मे दाखिल हुई & तभी चंद्रा साहब की निगाह
सोफे के पास फर्श पे पड़ी कामिनी की गीली,लाल पॅंटी पे पड़ी.उन्होने उसे
फ़ौरन उठा के अपने कुर्ते की जेब के हवाले किया..वो बाल-2 बचे थे!
Reply
08-16-2018, 01:33 PM,
#7
RE: Kamukta Story बदला
"कामिनी कहा गयी?"

"बाथरूम गयी है."

"अच्छा.",मिसेज़.चंद्रा किचन मे चली गयी तो चंद्रा साहब ने जेब से पॅंटी
को निकाल के सूंघ के चूमा & मुस्कुरा के उसे वापस जेब मे रख लिया.

कामिनी बाथरूम से वापस आई तो उसके चेहरे पे हल्की घबराहट थी मगर जैसे ही
उसने सोफे पे बैठे चंद्रा साहब को मुस्कुराते देखा तो वो सब समझ गयी.

"ये बताओ की खाने मे क्या खाओगि?"

"ये आप बताएँगी,आंटी!"

"मैं?"

"जी!हम तीनो आज बाहर खाएँगे."

"अरे बेवजह परेशान..-"

"..-परेशानी!आंटी,रेस्टोरेंट मे कौन से मुझे खाना बनाना पड़ेगा?!चलिए
जल्दी से तैय्यार हो जाइए."

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"बहुत तारीफ सुनी थी इस जगह की आज देख ही लिया जाए !",कामिनी चंद्रा साहब
& उनकी बीवी के साथ लिफ्ट से बाहर निकल कर रेस्टोरेंट की ओर जा रही थी कि
तभी 1 शख्स उस से टकराता हुआ चला गया.

"अरे..!",कामिनी लड़खड़ाई,वो शख्स उसपे बिना कोई ध्यान दिए लिफ्ट मे चला
गया था,"..बड़ा बदतमीज़ आदमी है..1 तो टकराया उपर से माफी भी नही
माँगी..हुंग!",कामिनी बुदबुदाई.

तीनो रेस्टोरेंट की टेबल पे बैठ के मेनू देख रहे थे.थोड़ी देर बाद जब
वेटर ऑर्डर लेके चला गया तो चंद्रा साहब अपनी बीवी से मुखातिब हुए,"जो
आदमी इस से टकराया था तुमने उसकी शक्ल देखी?"

"नही.कौन था?"

"वीरेन सहाय."

"वो सहाय एस्टेट वाले सुरेन सहाय का छ्होटा भाई?"

"हां."

"मगर वो तो बाहर चला गया था ना?"

"हूँ.हो सकता है किसी काम से आया हो."

"मुझे भी तो कुच्छ बताइए.",कामिनी की जिग्यासा जाग चुकी थी.

"यही बताएँगे.इन्होने तो पहचान भी लिया..मुझे तो इतने साल हो गये देखे
हुए..सामने बैठ के बात कर लेता तब भी पहचान नही पाती.",वेटर फ्रेश लाइम
के 3 ग्लास उनके टेबल पे रख रहा था.

"सुरेन सहाय के बारे मे तो तुम जानती ही होगी."

"हां."

"ये उसी का छ्होटा भाई था..",चंद्रा साहब ने 1 घूँट भरा,"..बढ़िया
है..",ड्रिंक की तारीफ के बाद उन्होने बात आगे बधाई,"..इसे खानदानी
बिज़्नेस मे ज़रा भी दिलचस्पी नही थी,पैंटिंग का शौक था..आर्ट कॉलेज मे
पढ़ाई के बाद पॅरिस चला गया था..मा-बाप जब तक ज़िंदा थे हर साल 1 चक्कर
ज़रूर लगाता था मगर उनकी मौत के बाद तो शायद आज पहली दफ़ा मैने इसे इस
शहर मे देखा है."

"तो ये तो उस एस्टेट का आधा मालिक है सर?"

"हां.कैलाश सहाय ने कोई वसीयत नही छ्चोड़ी थी,उनकी मौत के बाद सुरेन जी
ने अपने भाई से पुचछा की क्या वो बँटवारा चाहता है मगर उसने मना कर
दिया..बोला की आप ही ये सब संभालें..",चंद्रा सहाब ने अपना ग्लास खाली कर
दिया.

"मगर सर,उस बिज़्नेस के सालने मुनाफ़े का आधा हक़दार तो ये भी है?"

"हां,मगर मुझे पता नही की सुरेन जी ने इसके साथ क्या समझौता किया हुआ
है..कैलाश जी मेरे गुरु मिश्रा सर के मुवक्किल थे..इसी वजह से मैं ये सब
जानता हू..अब का पता नही."

"अच्छा सर,फ़र्ज़ कीजिए वीरेन सहाय आज अपने बड़े भाई से आधा हिस्सा माँगे
तो क्या होगा?"

"सुरेन सहाय का दिल तो खून के आँसू रोने लगेगा!उसने इस धंधे को अकेले इस
मक़ाम तक पहुचाया है,उपर से वो पक्का बिज़्नेसमॅन है..चाहता है की दूसरो
की जेब खाली होती रहे मगर अपनी भरी रहे!अब इस वक़्त उस से कोई हिस्सा
माँगे तो उसे गुस्सा & दुख तो होगा ही."

"अच्छा-2 अब ये बाते छ्चोड़ो..",वेटर के खाना लेके आते ही मिसेज़.चंद्रा
ने उनसे कहा तो तीनो खाना खाने मे मशगूल हो गये.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

रात के 11 बजे सुरेन जी अपनी एस्टेट पहुँचे.एस्टेट के मैन गेट से कोई 2
किमी की दूरी पे उनका आलीशान बांग्ला था जिसकी पहली मंज़िल पे उनका,उनके
बेटे का & शिवा का कमरा था.पहली मंज़िल की सीढ़िया चढ़ते ही शिवा & वो
अपने-2 कमरे मे दाखिल हो गये.अंदर घुसते ही सुरेन जी को बाथरूम मे पानी
गिरने की आवाज़ आई..उनकी बीवी देविका नहा रही था.सुरेन जी ने भी अपना कोट
उतार के किनारे रखा.

"अरे..आ गये आप!",गुलाबी रंग के बातरोब मे लिपटी देविका बाथरूम से बाहर आ
गयी थी,"अभी-2 आए क्या?",उसने अपने गीले बालो से तौलिए को अलग कर किनारे
रखा & उनके पास आ गयी.सुरेन जी शर्ट के बटन खोल रहे थे,देविका ने उनके
हाथो को बटन से अलग किया & खुद ये काम करने लगी,"सब ठीक रहा ना?",उसने
अपने पति की आँखो मे देखा.

"हूँ.",देविका ने शर्ट उतार कर किनार रखी तो सुरेन जी ने उसे बाहो मे भर लिया.

"ओफ्फो!क्या कर रहे हैं?..आप भी ना!..हा..हा..!",देविका खिलखिला
उठी,सुरेन जी के उसकी गर्दन चूमने से उसे गुदगुदी हो रही थी.सुरेन जी ने
उसके गाउन की डोरी को खोला कर अपने हाथ अंदर घुसा के उसकी नंगी कमर को
बाहो मे भर उसे अपने सीने से लगा लिया.देविका की आँखो मे भी अबखुमारी
छाने लगी थी,अपने पति के गले मे बाँहे डाल उसने अपना चेहरा उनके बालो भरे
सीने मे च्छूपा लिया.

"खाना खाया आपने?",अपने चेहरे को उनके सीने मे हल्के-2 रगड़ते हुए उसने
अपने नाख़ून उनकी पीठ पे चलाए.

"हां.",सुरेन जी थोडा पीछे हुए & रोब को देविका के कंधो से नीचे सरका
दिया.उसने नीचे कुच्छ नही पहना था & अब उसका गोरा जिस्म उसके पति की आँखो
के सामने अपने पूरे शबाब मे नुमाया था.सुरेन जी थोड़ा पीछे हुए & अपनी
बीवी के हुस्न को निहारा.देविका का कद कोई 5'5" था & इस वक़्त उसकी उम्र
45 बरस थी मगर कुद्रत की उसपे ऐसी मेहेरबानी थी की वो अपनी उम्र से 10
बरस छ्होटी लगती थी.भरा-2 बदन अभी भी जवान से जवान मर्द को अपनी ओर
खींचने मे नाकाम नही रहता था.वो हमेशा सारी ही पहनती थी & उस लिबास मे
उसकी 38 इंच की चौड़ी गंद बहुत मस्तानी लगती थी.
Reply
08-16-2018, 01:34 PM,
#8
RE: Kamukta Story बदला
सुरेन जी ने उसके पीछे जाके उसकी गंद को हौले से सहलाया..इस उम्र मे भी
कैसी कसी हुई थी!उन्होने सैकड़ो वेश्याओ को चोदा था मगर अपनी बीवी जैसी
पूर्कशिष हुस्न की मल्लिका उन्होने आज तक नही देखी थी.देविका के चेहरे पे
खुमारी की लाली बिखर गयी थी,"..पहले नहा तो लीजिए..",उसने अपना सर पीछे
खड़े अपने पति के सीने से टीका दिया & अपने हाथ पीछे ले जाके उसके बदन के
बगल मे सहलाने लगी.

"हूँ..",सुरेन जी ने उसकी 30 इंच की कमर को बाहो के घेरे मे भर उसके
चेहरे को चूम लिया,"..मैं कितना ख़ुसनसीब हू,देविका..की मुझे तुम
मिली!",उन्होने उसकी 38 साइज़ की चूचियो को अपने हाथो मे तौला..उम्र के
साथ गंद की तरह इनमे भी ज़रा भी ढीलापन नही आया था & ये गुलाबी
निपल्स..अफ!सुरेन जी ने उन्हे उंगलियो मे पकड़ के मसला,"..आहह..!",देविका
अब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी.

सुरेन जी ने शाम को ही कल्लगिर्ल के साथ रंगरेलियाँ मनाई थी & वो अभी
उतने बेचैन नही हुए थे,उनके दिल मे ख़याल आया की पहले नहा ही लिया जाए
फिर आराम से बीवी के जिस्म का लुत्फ़ उठाएँगे,"..अभी नहा के आता हू..सोना
मत.",उन्होने उसे चूमा & बाथरूम मे घुस गये.

देविका थोड़ी मायूस हुई & जाके अपने ड्रससिंग टेबल के स्टूल पे बैठ
गयी.देविका ने अपना बेडरूम विक्टोरियन स्टाइल मे डेकरेट करवाया था & सारा
फर्निचर इंग्लेंड से आया था,देखने से लगता था मानो पुराने ज़माने के किसी
अँग्रेज़ रानी के कमरे मे आ गये हो.

गद्देदार स्टूल पे नंगे ही बैठ के कंघी उठा के अपने बालो मे फिराने लगी
तभी सामने के आईने मे 1 अक्स उभरा जिसे देखते ही देविका के चेहरे पे डर
फैल गया,वो पीछे घूमी ही थी की वो इंसान उसे अपनी बाहो मे भरते हुए उसके
पीछे स्टूल पे उस से सॅट के बैठ गया,"शिवा..अभी
नही..प्लीज़..जाओ!",देविका ने उसे परे धकेला पर शिवा मानने वाला कहा
था,वो तो पूरी तैय्यारि के साथ आया था.

वो ऐसे बैठा था की उसकी दोनो जंघे देविका की दोनो जाँघो के दोनो तरफ उनसे
सटी थी & वो बाए हाथ से उसकी चूचियो को दबाता हुआ अपना दाया हाथ उसकी
बिना बालो की चिकनी चूत के उपर फिरा रहा था,"..ऊहह..",धीमी आवाज़ मे
देविका करही,"..वो बाथरूम मे हैं..कही बाहर ना आ जाए..",देविका फुसफुसाई
तो शिवा ने उसे अपने होंठो से चूम के चुप करा दिया,उसकी उंगली देविका के
दाने पे गोल-2 घूम रही थी.सुरेन जी की हरकटो से वो पहले ही मस्त हो चुकी
थी & अब शिवा ने तो उसे बिल्कुल बेचैन कर दिया.उसे पकड़े जाने का डर भी
था पर साथ ही दिल मे अजीब सा एहसास था-उत्साह,डर & उमंग का मिला जुला
एहसास.

शिवा केवल 1 ट्रॅक पॅंट पहने आया था & उसके पॅंट के अंदर क़ैद उसका लंड
देविका की नंगी गंद मे चुभ रहा था.देविका ने अपना बदन उसकी बाहो मे ढीला
छ्चोड़ दिया था & उसकी किस का मज़ा उठाते हुए उसने अपना दाया हाथ पीछे ले
जाके उसके लंड को दबोच लिया.सुरेन जी को नहाने मे कम से कम आधा घंटा लगता
था,दोनो इस बात से वाकिफ़ थे मगर फिर भी ख़तरा मोल लेने मे कोई समझदारी
तो थी नही.

क्रमशः........
Reply
08-16-2018, 01:34 PM,
#9
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे.....
शिवा खड़ा हुआ & तुरत अपनी पॅंट निकाली,फिर देविका को खड़ा किया तो
देविका अपने आप ड्रेसिंग टेबल पकड़ के झुक गयी.उसने 1 बार हाथ पीछे ले
जाके शिवा के 8 इंच के तगड़े लंड को मसला मगर शिवा ने उसका हाथ हटा के
वापस ड्रेसिंग टेबल पे रख दिया.शिवा ने अपने दाए हाथ की 2 उंगलिया उसकी
चूत मे घुसा के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.चूत तो पहले से ही गीली थी
अब तो उसमे से पानी की मोटी धार बहने लगी.देविका अपने दांतो से अपना
निचला होठ काट रही थी..उसने कैसे अपनी आहो को अपने गले मे रोका हुआ था ये
वो ही जानती थी..शिवा उसे हर बार ऐसे ही मस्ती मे पागल कर देता
था,"..ऊहह..",बहुत रोकने पर भी हल्की सी आह निकल ही गयी-शिवा ने अपने
तपते होंठ जो रख दिए थे उसकी गुलाबी चूत पे.

वो ड्रेसिंग टेबल पे सर झुकाए अपनी दाई बाँह मे अपना मुँह च्छुपाए बेचैनी
से अपनी कमर हिल रही थी जब शिवा ने अपना लंड उसकी चूत मे दाखिल करा
दिया,"..आहह..",देविका कराही & उसने अपना सर उठा के शीशे मे अपने प्रेमी
की ओर नशीली निगाहो से देखा.

"क्या हुआ देविका?",बाथरूम से सुरेन जी की आवाज़ आई.

"कुच्छ नही,ज़रा पलंग से पैर टकरा गया था.",देविका पे अब खुमारी पूरी तरह
से हावी थी,उसने अपने प्रेमी को शीशे मे देख चूमने का इशारा करते हुए
अपने पति को जवाब दिया.

"चोट तो नही आई?"

"थोड़ी बहुत.",देविका शिवा की चुदाई का भरपूर मज़ा ले रही थी.यू तो वो
झड़ने का नाम तब तक नही लेता था जब तक की वो झाड़-2 के बहाल नही हो जाती
थी मगर इस समय मामला ज़रा नाज़ुक था.शिवा का लंबा,मोटा लंड उसकी चूत की
दीवारो को बुरी तरह रगड़ रहा था & वो अपने बाए हाथ से उसके दाने
को.देविका भी पागलो की तरह कमर हिला रही थी.

शिवा ने देखा की उसके मालिक की बीवी अब झड़ने ही वाली है,वो फ़ौरन उसकी
पीठ पे झुका & बाए हाथ से उसका सर घुमा के उसके होंठो पे अपने होठ कस
दिए,उसी वक़्त देविका भी झाड़ गयी & अगर शिवा ने उसके होंठो को अपने
होंठो से बंद नही किया होता तो वो ज़रूर चीख उठती.शिवा भी उसकी चूचिया
मसल्ते हुए उसकी चूत मे अपना पानी छ्चोड़ रहा था.

झड़ने के बाद शिवा स्टूल पे बैठ गया & खींच कर देविका को भी बिठा लिया &
उसे चूमने लगा,"..ऑश शिवा...आइ लव यू."

"आइ लव यू टू,देविका.",दोनो के चेहरो पे संतोष का भाव था.थोड़ी देर तक
दोनो वैसे ही बैठे 1 दूसरे को चूमते हुए अपने-2 प्यार का इज़हार करते रहे
फिर शिवा ने अपनी पॅंट पहनी & कमरे से बाहर चला गया.उसके जाते ही देविका
ने देखा की शिवा का पानी उसकी चूत से बह रहा है.ड्रेसिंग टेबल से 1
नॅपकिन उठा के उसने उसे पोंच्छा & फिर बिस्तर पे लेट गयी.

उसने गर्दन घुमा के बाथरूम के दरवाज़े की ओर देखा,सुरेन जी अभी भी नहा
रहे थे.शिवा से चुद के उसे बहुत सुकून मिलता था.कोई 5 साल पहले जज़्बातो
मे बह के कब दोनो 1 दूसरे के इतने करीब आ गये उन्हे पता भी नही चला
था.ऐसा नही था की वो अपने पति को नही चाहती थी..चाहती थी.वो उसके बेटे का
पिता था..ये सारा ऐशो-आराम उसी की बदौलत था..वो भी उसे बहुत चाहता था मगर
कुच्छ कमी थी जिसे शिवा पूरा करता था.

देविका सुरेन जी की बेवफ़ाइयो के बारे मे जानती थी.वो समझते थे कि उनकी
भोली बीवी को कुच्छ भी नही पता मगर वो उनकी बीवी थी, आख़िर उस से ये बात
कैसे छुप सकती थी कि वो उसके अलावा भी और औरतो के साथ सोते हैं.शिवा उस
से बहुत प्यार करता था & वो भी उसकी ओर शुरू से ही खींचती रही थी.1 दिन
दोनो ने सारे बंधन तोड़ दिए & अपना 1 अलग रिश्ता बना लिया जिसके बारे मे
सिर्फ़ वही दोनो जानते थे.सुरेन जी हमेशा उसे खुश रखने की कोशिश करते
थे,बिस्तर मे भी वो उसकी खुशी का पूरा ख़याल रखते थे मगर शिवा के साथ
चुदाई करके देविका को पता चला की वो अभी तक किस खुशी से महरूम थी.शिवा ने
उसे उस जन्नत की सैर कराई थी जिसके बारे मे उसे पता भी नही था की उस
जन्नत का वजूद भी है!

सुरेन जी नहा के बाथरूम से बाहर निकले तो सामने का नज़ारा देख के उनका
मुँह खुला का खुला रह गया,बिस्तर पे लेटी उनकी खूबसूरत बीवी अपने दाए हाथ
से अपनी चूत सहला रही थी.ख़यालो मे डूबी देविका का हाथ कब अपनी चूत पे
चला गया था उसे पता ही नही चला था.जब उसने अपने पति को खुद की ओर ऐसे
देखता पाया तो उसे होश आया & उसके होंठो पे मुस्कान खिल गयी.

सुरेन जी ने अपनी कमर पे बँधे तौलिया को हटाया & अपनी बीवी के दाई तरफ
अपने बाई कोहनी पे उचक के लेट गये & उसकी चूचियो से खेलने
लगे,"..उउउम्म्म्म.....!",देविका ने मज़े मे आँखे बंद कर ली,शिवा से
चुदने पे वो झड़ी तो ज़रूर थी मगर उसका दिल अभी भरा नही था.उसके पति के
हाथो का कसाव भी धीरे-2 बढ़ रहा था & उसके निपल्स 1 बार फिर से कड़े हो
गये थे.

सुरेन जी उसकी बाई छाती को मसल्ते हुए उसकी दाई पे झुक गये & उसके गुलाबी
निपल पे अपनी जीभ फेरी..आख़िर क्या ज़रूरत थी उन्हे बाज़ारु औरतो के पास
जाने की जब उनकी बीवी इस कदर हसीन & मस्त थी?..जब भी वो उसके जिस्म के
साथ खेलते ये सवाल ज़रूर उनके ज़हन मे कौंधता.उन्हे खुद पे शर्म भी आती
थी मगर वो उन औरतो का भी अपना अलग ही 1 मज़ा था & ये अब उनकी ज़िंदगी का
1 अटूट हिस्सा था.

उन्होने दिमाग़ से ये बातें निकाली & पूरी तरह से देविका की खूबसूरती का
रस पीने मे जुट गये.देविका अब मस्ती मे तेज़ आहे भर रही थी..शिवा चोदने
मे माहिर था & उसके साथ वो पूरी तरह से तृप्त होती थी मगर उसके पति जैसा
चूचिया चूसना शायद ही उसे कभी आएगा.."..श...सुरेन....",देविका ने सुरेन
जी के बाल पकड़ उन्हे अपने सीने पे दबाते हुए थोड़ा दाए तरफ घूमते हुए
उन्हे बाहो मे भर लिया.
Reply
08-16-2018, 01:34 PM,
#10
RE: Kamukta Story बदला
सुरेन जी ने भी उसकी पीठ को अपनी दाई बाँह मे घेर लिया & उसके सीने से
नीचे उतरने लगे.उनकी मंज़िल थी उसकी गुलाबी चूत जोकि बेअसबरी से उनका
इंतेज़ार कर रही थी.जब देविका की टाँगे फैला के उसकी गंद के नीचे हाथ लगा
उसे हवा मे उठा उन्होने बिजली की तेज़ी से अपनी जीभ उसकी चूत मे चलाई तो
कमरा देविका की गरम,बेसब्र आहो से गूँज उठा.

थोड़ी ही देर मे देविका कमर उचकती हुई झाड़ गयी,ठीक उसी वक़्त सुरेन जी
ने उसके दोनो तरफ बिस्तर पे अपने हाथ जमाए & अपना लंड उसकी चूत मे उतार
दिया.देविका उनकी कमर थाम उनके धक्के झेलने लगी.अपने हाथो पे अपने बदन को
टिकाए सुरेन जी अपनी बीवी को चोद रहे थे,"..ऊओह....इधर आओ ना...",देविका
ने उनके गले मे बाहे डाल उन्हे नीचे खींचा तो वो अपनी बीवी के उपर लेट
गये.

उनकी बालो भरी छाती ने उसकी चूचियो को पीस दिया & वो उसे चूमते हुए धक्के
लगाने लगे.देविका ने उन्हे बाहो मे भर लिया & नीचे से अपनी कमर उचकाने
लगी.देविका की चूत मे वैसा ढीलापन नही आया था जो आमतौर पे उसकी उम्र की
औरत मे आ जाना चाहिए थे & सुरेन जी के लंड को पूरा मज़ा मिल रहा था.

अब वो भी उसके साथ आहे भर रहे थे.बरसो से दोनो साथ-2 ये खेल खेलते आ रहे
थे & तजुर्बे से दोनो समझ गये थे कि अब दोनो की मंज़िल करीब है.देविका ने
अपनी टाँगे उनकी कमर पे चढ़ा दी & उन की पीठ मे अपने नाख़ून गाड़ा
दिए,उसे पता था की ऐसा करने से सुरेन जी फ़ौरन मस्ती की कगार पे पहुँच
जाएँगे.उसी वक़्त सुरेन जी ने भी अपनी बीवी की गंद के नीचे हाथ लगाके उसे
भींचते हुए उसकी फांको को बाहर की ओर खींचने लगे,देविका उनकी इस हरकत से
हमेशा पागल हो जाती थी.

दोनो को अपने-2 हमसफर की कारस्तानियो के आगे घुटने टेकने पड़े & नतीजा ये
हुआ की आहे भरते हुए दोनो 1 दूसरे से चिपते,1 दूसरे की बाहो मे क़ैद झाड़
गये.झाड़ते ही सुरेन जी देविका के उपर से उतर के बिस्तर पे लेट
गये,देविका भी अपनी दाई करवट पे होते हुए उनकी बाई बाँह के घेरे मे उनके
पहलू मे लेट गयी & उनके सीने के बालो मे उंगलिया फिराने लगी.काफ़ी देर तक
चुप्पी च्छाई रही फिर देविका ने ही खामोशी तोड़ी,"क्या बात है?आज इतने
चुप-2 क्यू हैं?",वो उनके पहलू मे थोड़ा उचक के उनके चेहरे को देखते हुए
उसे अपने मुलायम हाथो से सहलाने लगी.

"नही कोई बात नही है.",सुरेन जी ने उसके चेहरे सहलाते हाथ को सहलाया मगर
नज़र दूसरी तरफ कर ली.

"कोई बात तो है?",देविका ने उनके चेहरे को अपनी तरफ घुमा के उनकी आँखो मे झाँका.

"शाम लाल जी कितने खुसकिस्मत हैं,देविका.उनका बेटा उनकी ज़िम्मेदारी
संभाल रहा है..मैं तो.."

"फिर वही बात..डॉक्टर ने कहा है ना की आपको ज़्यादा नही सोचना
है.सुरेन,प्रसून की ये हालत क्या मेरी & आपकी बनाई हुई है?..नही
ना?....पता नही क्यू भगवान ने हमारे बच्चे के साथ ही ऐसा किया..मगर उसके
चलते हम हरदम मायूस रहे ये भी तो सही नही."

"तुम ठीक कहती हो लेकिन अब मैं थकने लगा हू..बूढ़ा हो गया हू.."

"अच्छा जी....थोड़ी देर पहले क्या कोई बूढ़ा मुझे पागल कर रहा
था..",देविका की शरारत भरी बात सुनके सुरेन जी के होंठो पे भी मुस्कान आ
गयी,"..पूरा बदन टूट रहा है मेरा सिर्फ़ आपकी वजह से!",उसने उनके निपल पे
चूटी काट ली.

"मैं संजीदा हू..-"

"मैं जानती हू..",देविका ने उनके होंठो पे अपनी उंगलिया रख उन्हे चुप
कराया,"..शाम लाल जी के जाने की वजह से आप परेशान हैं..इतने दीनो से वो
आपके साथ थे...मगर आपको घबराने की ज़रूरत नही है..जब तक नया मॅनेजर नही
मिलता मैं आपकी मदद करूँगी.आप सारी चिंता अपने मन से भगाइए & बस खुश रहा
कीजिए."

"तुम?"

"हां,क्यू?मेरी काबिलियत पे शक़ है आपको?"

"नही-2,देविका!..मगर घर & कारोबार..दोनो.."

"आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे की दफ़्तर मीलो डोर है फिर आपने हमेशा
कारोबार की भी सारी बातें मुझ से बांटी हैं..सुरेन,आपकी पत्नी हू..आपका
बोझ बाँटना तो मेरा फ़र्ज़ है..चलिए अब आँखे बंद कीजिए & सोइए..कल से
आपका बोझ मैं हल्का करूँगी.",उसने अपने हाथो से उनकी पलके मूंदी & खुद भी
उनके सीने पे सर रख के आँखे बंद कर ली.

सुरेन जी का ऑफीस उनके बंगल के अहाते मे ही बना हुआ था & देविका काफ़ी
समझदार भी थी,उन्हे अपनी बीवी की बातो से बड़ा सहारा मिला था.उनके दिल मे
उसके लिए काफ़ी प्यार उमड़ आया & बाहो का घेरा उसके गिर्द कसते हुए नींद
के आगोश मे चले गये.देविका ने पति की बाहो की मज़बूती मे उनके दिल के
एहसास को महसूस कर लिया.बहुत ज़रूरी था की वो इस वक़्त उनके साथ रहे,इतने
सालो की कड़ी मेहनत के बाद कामयाबी का ये मक़ाम हासिल हुआ था की दुनिया
सहाय नाम का लोहा मानती थी & उसने भी तो बड़े जतन से ये सब हासिल किया
था..ऐसे कैसे इस सब पे वो आँच आने देती.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,474,596 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 541,508 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,221,519 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 923,507 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,638,782 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,068,227 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,929,917 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,987,596 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,005,346 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,396 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)