Kamukta Story बदला
08-16-2018, 01:39 PM,
#21
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे..
वो शत्रुजीत के दाए कंधे के उपर सर रखे उसकी गर्दन मे मुँह छिपाये पड़ी
थी.उसने अपना मुँह उपर उठाया & अपने प्रेमी के होंठो को चूमा & फिर उसके
सीने पे सर रख के लेट गयी.शत्रुजीत का सिकुदा लंड अभी भी उसकी चूत मे
पड़ा था & उसे वो बहुत भला लग रहा था.

उसने अपनी गर्दन घुमाई & उसकी नज़र खुले आल्बम पे गयी जहा से वीरेन सहाय
की तस्वीर झाँक रही थी.तस्वीर शायद किसी बीच पे ली गयी थी जहा की वीरेन
बस 1 स्विम्मिंग ट्रंक पहने खड़ा था जोकि बहुत फूला हुआ लग रहा था.उसके
सीने पे भी घने बॉल थे जैसे की कामिनी को पसंद थे.कामिनी को वो निहायत
बदतमीज़ इंसान लगा था मगर इसमे तो कोई शक़ नही था की वो 1 खूबसूरत मर्द
था.

इंसान का पाने दिल पे तो कोई इकतियार होता नही & वो पता नही कैसे-2 ख़याल
पैदा कर हमे उलझाता रहता है.कामिनी के दिल मे भी उस तस्वीर को देख के ऐसा
ही कुच्छ ख़याल आया....उसके दिल ने उस से पूचछा की वीरेन सहाय बिस्तर मे
कैसा होगा?..उन ट्रंक्स के पीछे छिपा उसका लंड कैसा होगा?..& वो..-

उसने अपना सर झटका..वो क्या सोचे जा रही थी..उसे थोड़ी शर्म आई & थोड़ी
हँसी भी....वो क्या चुदाई की इतनी दीवानी हो गयी है?..मगर ख़याल बुरा नही
था....अगर मौका मिले तो वीरेन सहाय उसे निराश नही करेगा..ऐसे जिस्म का
मालिक बिस्तर मे कमज़ोर हो ही नही सकता..लो!1 बार फिर वो उन्ही ख़यालो मे
खोई रही थी..उसने सर झटका & फिर उठ के थोड़ा उचक के शत्रुजीत को देखने
लगी.उसके ख़यालो से उसे हँसी आ गयी,"क्या हुआ?कौन सी ऐसी मज़ेदार बात है
जो इतनी हँसी आ रही है?",शत्रुजीत ने उसके बालो को उसके चेहरे से हटाया.

"कुच्छ नही.",वो 1 बार फिर उसके होंठो पे झुक गयी तो शत्रुजीत ने भी फिर
से उसे अपनी बाहो के घेरे मे ले लिया & दोनो 1 बार फिर से अपना मस्ती भरा
खेल खेलने मे लग गये.

"आअंह...आनन्न...आन्न्न्न्ह्ह...आआन्न्न्न्न....!",सुरेन जी देविका के
उपर सवार तेज़ी से धक्के लगा रहे थे.40 मिनिट पहले जो खेल उन्होने शुरू
किया था,वो अब अंजाम के करीब था मगर आज उन्हे थोड़ी बेचैनी महसूस हो रही
थी.उन्होने दवा तो खा ली थी फिर क्यू ऐसा हो रहा था.

देविका उनके नीचे उनसे लिपटी हुई बस झड़ने ही वाली थी.सुरेन जी ने भी उसे
जल्दी से उसकी मंज़िल तक पहुचने की गरज से धक्के और तेज़ कर
दिए,"..हाआआआआन्न......!",उनकी पीठ मे अपने नाख़ून धँसाती देविका बिस्तर
से कुच्छ उठ सी गयी.उसके झाड़ते ही सुरेन जी ने भी अपना पानी उसके अंदर
छ्चोड़ दिया.झाड़ते ही उन्हे भी उस अनोखे मज़े का एहसास हुआ जो इंसान
केवल झड़ने के वक़्त महसूस करता है मगर आज उस मज़े पे बेचैनी की हल्की सी
छाया पड़ गयी थी.

बीवी के जिस्म से उतर के वो बिस्तर पे लेट गये,उन्हे ये बात परेशान कर
रही थी..कही उनकी तबीयत ज़्यादा तो नही बिगड़ रही थी?

"क्या सोच रहे हैं?",उनके चेहरे पे प्यार से हाथ फेरती देविका उन्हे उनकी
सोच से बाहर लाई.

"ह्म्म...कुच्छ नही.."उन्होने अपनी बाई बाँह उसके बदन पे लपेट ली.

"सच?..फिर से मन ही मन चिंतित तो नही हो रहे?",देविका ने पति के बालो मे
उंगलिया फिराई.

"नही भाई.",सुरेन जी ने झूठा जवाब देके उसे आगोश मे भर उसका माथा चूम लिया.

"सुनिए,1 बात करनी थी आपसे?"

"तो बोलो ना.",वो देविका के चेहरे से उसकी लाते किनारे कर रहे थे.

"हमे प्रसून के बारे मे कुच्छ सोचना पड़ेगा..",सुरेन जी के चेहरे पे
चिंता की लकीरें खींच गयी,"..मैने कुच्छ सोचा भी है."

"क्या?"

"क्यू ना हम उसकी शादी कर दें."

"क्या?!!..पागल हो गयी हो देविका!",सुरेन जी उठ बैठे.

"देखो,ऐसे परेशान मत हो....मैने काफ़ी सोचा है....",देविका उठा बैठी &
अपनी दाई बाँह उनकी पीठ पे से ले जाते हुए उनके दाए कंधे पे रख दी & बाए
से उनका चेहरा थाम अपनी ओर घुमाया.

"हमने ये तो पहले ही सोचा है की अपनी सारी दौलत 1 ट्रस्ट बनके उसके नाम
कर देंगे.उस ट्रस्ट की ज़िम्मेदारी होगी प्रसून की देखभाल & अगर इसमे
ज़रा भी कोताही हुई तो बात सीधे अदालत तक जाएगी..वो सब तो ठीक है मगर
हमारे बाद कोई तो ऐसा होना चाहिए ना जो उसे अपनो जैसा प्यार दे.."

सुरेन जी ने समझाने की कोशिश करते हुए देविका की आँखो मे झाँका....बात तो
ये ठीक थी....क़ानूनी देखभाल अपनी जगह मगर किसी भी इंसान का अपनो के
प्यार के बिना तो गुज़ारा मुश्किल है.

"..इसलिए शादी की बात सोची....अभी तो नौकर-चाकर भी उसे काफ़ी मानते हैं
मगर कल का क्या पता..फिर ये नौकर चाकर थोड़ा यही रहेंगे इस बात की भी कोई
गॅरेंटी नही है."
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08-16-2018, 01:40 PM,
#22
RE: Kamukta Story बदला
"..लेकिन देविका,कौन देगा हमारे लड़के को अपनी लड़की?",देविका ने उन्हे
फिर से लिटा दिया & उनके सर को सहलाने लगी,वो उनके बाई तरफ करवट ले लेट
गयी & अपनी दाई कोहनी पे उचक के उस हाथ पे माथे को टीका दिया.ऐसा करने से
उसकी मस्त छातिया उसके पति के चेहरे के बिल्कुल करीब हो गयी थी.और कोई
दिन होता तो सुरेन जी फिर से उनसे खेलना शुरू कर देते मगर आज उनकी तबीयत
ने उन्हे मजबूर कर दिया था.

"कोई तो होगा ऐसा..उसे ढुंडेना हमारा काम है.कोई भी हो बस लड़की शरीफ हो
& हमारे बेटे का ख़याल रखे."

"इस काम को शुरू कैसे करें?"

"देखो,शाम लाल जी तो यहा है नही फिर भी उनसे इस बारे मे राई ले सकते हैं."

"हां,ये बात तो ठीक है."

"तो उनसे बात की जा सकती है..& तो कोई ऐसा नज़र नही आता जिसपे इस बारे मे
भरोसा किया जा सके."

"ह्म्म...चलो उनसे बात करूँगा.",सुरेन जी ने आँखे बंद कर ली तो देविका
उनका सर सहलाने लगी,थोड़ी ही देर मे वो खर्राटे भर रहे थे मगर देविका की
आँखो से नींद गायब थी.वो काफ़ी देर तक प्रसून के बारे मे सोचती रही फिर
उसे प्यास लगी तो उसने देखा की साइड-टेबल पे रखी बॉटल खाली है.

वो बिस्तर से उठी & अपने जिस्म पे अपनी गहरे नीले रंग की नेग्लिजी डाली
जो की बस उसकी गंद के नीचे तक आती थी & अपने कमरे से निकल नीचे किचन मे
चली गयी.वाहा जाके फ्रिड्ज से बॉटल निकल के पानी पिया & फिर बॉटल वापस रख
जैसे ही फ्रिड्ज बंद किया की किसी ने उसे पीछे से जाकड़
लिया,"हा...-".उसके हलक से निकलती चीख को 1 मज़बूत हाथ ने मुँह दबा के
बंद किया.

ये शिवा था,उसने अपना हाथ देविका के मुँह से हटाया,"पागल हो गये हो
क्या?....कोई देख लेगा त-..",देविका बात पूरी करती इस से पहले ही शिवा ने
उसके होंठो को चूम लिया.देविका ने उसे परे धकेला,"..पागल मत बनो....सुरेन
या प्रसून आ गये तो ग़ज़ब हो जाएगा!"

शिवा तो जैसे कुच्छ सुन ही नही रहा था.उसने देविका को बाहो मे भर लिया &
उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा.देविका कसमसाते हुए उसकी पकड़ से निकलने
की कोशिश करने लगी मगर उस हटते-काटते मर्द की मज़बूत बाहो से निकलने का
उसे कोई मौका नही मिला.देविका को बहुत घबराहट हो रही थी मगर शिवा उसकी
बात समझ ही नही रहा था.नेग्लिजी के नीचे देविका ने कुच्छ भी नही पहना था
& यू शिवा के सीने से लगे होने की वजह से उसकी छातिया उसके गले से
बिल्कुल छलक आई थी..यहा तक की बाई छाती का तो गुलाबी निपल भी दिख रहा था.

शिवा ने उस निपल को मुँह मे भर के चूस्ते हुए नीचे से हाथ घुसके उसकी
नंगी गंद को दबाया तो भी देविका को डर लगता ही रहा.उसने 1 बार पूरी ताक़त
से शिवा को परेढाकेला & वाहा से तेज़ी से जाने लगी की शिवा ने उसकी बाँह
पकड़ के खींचा & उसे किचन मे रखे टेबल पे झुका दिया.अब देविका खड़ी तो थी
मगर उसका कमर से उपर का पूरा हिस्सा टेबल पे था & उसकी गंद शिवा की तरफ
थी.उसने उठने की कोशिश की मगर शिवा ने अपने दाए हाथ से उसकी पीठ को दबाके
उसे वैसे ही रखा.

शिवा केवल शॉर्ट्स मे था,उसने दाए हाथ से देविका को दबाए हुए बाए से अपनी
शॉर्ट्स उतारी & पीछे से अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया,"..एयाया-..",1
बार फिर देविका के हलक से निकलती चीख को उसने उसकी पीठ पे झुकते हुए अपने
दाए हाथ को आगे ले जाके उसके मुँह को दबा के रोक दिया.शिवा झुक के उसकी
पीठ से सॅट गया & अपना बाया हाथ उसकी चूचियो से लगा दिया,"..आअहह...कितना
तड़प्ता हू तुम्हारे लिए...तुम भी तो नही
आ..ती...मे..रे..पास्स....आआअहह...!",शिवा उसकी चूचिया मसलते हुए धक्के
लगा रह था.

देविका की चूत अभी भी थोड़ी गीली थी मगर इतनी नही की उसे दर्द ना महसूस
हो.उसे तकलीफ़ हो रही थी & उसे शिवा पे बहुत तेज़ गुस्सा भी आ रहा था मगर
वो जानती थी की अभी वो बेबस है जब तक शिवा फारिग नही होता उसे ये सहना ही
पड़ेगा.थोड़े धक्को के बाद शिवा उसकी पीठ से उठ के सीधा खड़ा हो गया &
दाए हाथ से उसकी कमर को थाम कर बाए से उसकी गोरी,नंगी पीठ सहलाते हुए उसे
चोदने लगा.देविका की चौड़ी गंद उसकी जाँघो से दबी हुई थी & हर धक्के पे
दोनो के जिस्मो के टकराने से होने वाली ठप-2 की आवाज़ से देविका को डर लग
रहा था की कही उसका पति या बेटा जाग ना जाएँ.

शिवा ने देविका के बाल पकड़ के उसे खींच के खड़ा कर दिया,फिर उसकी चूचियो
के नीचे अपनी बाई बाँह लगा के उसे थाम लिया & दाए से उसके पेट को थाम वो
धक्के लगाने लगा.सर को आगे झुका के उसने उसके होंठ चूमने की कोशिश की तो
देविका ने मुँह फेर अपनी नाराज़गी जताई.उसके दिल मे तो नाराज़गी भरी थी
मगर उसकी चूत का कुच्छ और ही हाल था.शिवा के लंड की रगड़ से वो अब पूरी
गीली हो गयी थी & लगातार पानी छ्चोड़े जा रही थी.उसकी इस हरकत की आवाज़
देविका के दिलोदिमाग ने भी सुनी & वो भी अब मदहोश होने लगे थे.शिवा बहुत
तेज़ी से धक्के लगा रहा था & ना चाहते हुए भी देविका उसकी चुदाई से पागल
हो रही थी.
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08-16-2018, 01:40 PM,
#23
RE: Kamukta Story बदला
शिवा के बाहो की जाकड़ और मज़बूत हो गयी & वो पागलो की तरह उसके बालो को
चूमने लगा.देविका को भी अब ना गुस्से का ख़याल था ना डर का!ख़याल था तो
सिर्फ़ बदन की भूख का.उसकी चूत अब बिल्कुल पागल हो गयी थी.तभी शिवा ने
उसके पेट पे रखा हाथ नीचे सरका के उसके दाने को छेड़ दिया & उसी वक़्त
देविका झाड़ गयी.उसके मुँह से आह निकल जाती अगर शिवा अपने होंठो से उसके
मुँह को बंद ना करता.देविका का जिस्म अकड़ सा गया था & उसकी चूत से पानी
निकले चला जा रहा था.तभी उसे चूत के अंदर कुच्छ गरम सा महसूस हुआ,वो समझ
गयी की उसका प्रेमी भी झाड़ गया है.

शिवा ने अपना लंड खींच कर चूत से निकाला तो देविका उस से अलग हो अपनी
नेग्लिजी ठीक करने लगी.उसके गले से उसकी दोनो चूचिया बाहर निकल आई
थी,उसने उन्हे अंदर किया & वाहा से जाने लगी की शिवा ने उसका हाथ पकड़
लिया,"कहा जा रही हो?",वो धीमी आवाज़ मे बोला.

देविका घूमी & उसने 1 करारा तमाचा शिवा के गाल पे लगा दिया,उसकी आँखो से
अंगारे बरस रहे था.शिवा का दूसरा हाथ अपने गाल पे चला गया.उसने उसे
सहलाया & फिर अपना दूसरा गाल देविका के आगे कर दिया.देविका ने 1 और झापड़
रसीद किया तो शिवा ने फिर से अपना पहला गाल उसकी तरफ किया.देविका ने फिर
1 और थप्पड़ लगाया & फिर उसे गले से लगाके उसके चेहरे को चूमने लगी,उसकी
आँखो मे अब गुस्से के शोले नही बल्कि आँसुओं की बारिश थी,"क्यू करते हो
ऐसे?",वो उसे सीने से लगाए बेतहाशा चूमे जा रही थी,"..कही कोई देख लेगा
तो फिर जो भी थोड़ी बहुत खुशी हमारे हिस्से मे है वो भी नही रहेगी."

शिवा उसे थामे खड़ा था,"मैं पागल हू तुम्हारे लिए,देविका..तुम समझ नही
सकती तुम मेरे लिए क्या हो?"

"सब समझती हू.क्या तुम मेरे कुच्छ नही?..मगर हम इस तरह से पागलपन तो नही
कर सकते,शिवा.",उसने अपने प्रेमी को समझाया.

"हूँ.सॉरी.",शिवा ने उसे गले से लगा लिया.देविका प्यार से उसके बदन पे
हाथ फेर रही थी.शिवा पूरा नंगा था & उसकी नेग्लिजी भी उसके जिस्म की
गर्मी को उसके मादक बदन तक पहुँचने से रोक नही पा रही थी.देविका पे अपने
प्रेमी के बदन की खुमारी छाने लगी थी मगर उसने दिल पे काबू रखा,"चलो,जाके
सो जाओ."

शिवा ने अपनी शॉर्ट्स उठा के उसे थमायी & फिर उसे गोद मे उठा लिया &
सीढ़ियो पे चढ़ने लगा.देविका ने अपनी बाहे उसके गले मे डाल दी & उसके
होंठ चूम लिए,"प्लीज़,शिवा.."

"घबराओ मत.",शिवा ने उसके कमरे के पास पहुँच के उसे उतारा & फिर दरवाज़े
को खोल के अंदर झाँका,सुरेन जी के खर्रातो की आवाज़ कमरे मे भरी हुई
थी,"गुड नाइट."

"श..शिवा..",देविका उसके सीने से लग गयी.उसका दिल तो कर रहा था की अपने
प्रेमी के साथ उसके बिस्तर मे घुस जाए & उसकी मज़बूत बहो मे अपने बदन को
क़ैद करा उस से जी भर के प्यार करे मगर ये संभव नही था.दोनो थोड़ी देर तक
1 दूसरे को चूमते रहे,फिर शिवा ने अपनी शॉर्ट्स ली & अपने कमरे मे चला
गया & देविका वापस अपने पति के पास.

"मॅ'म,मैं जाती हू,6 बजे तक वापस आ जाऊंगी.",रजनी ने अपना बॅग उठाया &
रविवार की छुट्टी मनाने के लिए निकल पड़ी.

"ओके,रजनी.",देविका ने उसे विदा किया.आज वो सवेरे से परेशान थी.आज वीरेन
आने वाला था....इतने सालो बाद अचानक क्यू लौट आया है वो..आख़िर क्या
चाहिए उसे?इसी उधेड़बुन मे वो नहाने चली गयी...कितना काम था..प्रसून को
भी तैय्यार करना था फिर खाने की तैय्यारि करवानी थी नौकरो से..वीरेन उनके
साथ ही खाने वाला था..देविका ने कपड़े उतारे & बाथटब मे बैठ गयी..अब जो
होना होगा सो तो होगा ही..बेकार मे परेशान होने से क्या फ़ायदा....उसने
शवर गेल की बॉटल उठाई & अपने हाथो मे ले अपने बदन पे मलने लगी.

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क्रमशः.......
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08-16-2018, 01:40 PM,
#24
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...

"हेलो,भैया."

"अरे..आ गया वीरेन..कैसा है?",सुरेन सहाय ने अपने भाई को गले से लगा
लिया,"..इस बार कितने दीनो बाद आया है & उसके बाद भी यहा ना आके पंचमहल
मे क्या कर रहा था?",दोनो भाई ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठ गये,"ज़रा
मेमसाहब को बुला लाओ.",सुरेन जी ने 1 नौकर से कहा.

"हां तो बता की अभी तक पंचमहल मे क्या कर रहा था?"

"बस कुच्छ पुरानी यादे ताज़ा कर रहा था.",वीरेन ने ड्रॉयिंग रूम मे घुसती
देविका को देखते हुए ये बात कही.देविका ने ऐसे दिखाया मानो उसने उसकी बात
सुनी ही नही,"हेलो.",वो दूसरे सोफे पे बैठ गयी.

"हेलो."

दोनो भाई 1 दूसरे से बाते करने लगे,"..ममा...ये देखिए....मैने क्या बनाया
है!,प्रसून हाथ मे 1 अपनी बनाई ड्रॉयिंग लिए घुसा मगर वीरेन को देख के
सकपका गया.

"हेलो,प्रसून..",वीरेन के चेहरे पे पहली बार इतनी बड़ी मुस्कुराहट आई
थी,"..ज़रा मुझे भी तो दिखाओ क्या बनाया है?"

प्रसून ने अपनी मा की तरफ देखा मानो पुच्छ रहा हो कि क्या इस आदमी के पास
जाना चाहिए.देविका ने मुस्कुरा के उसे पास जाने का इशारा किया तो प्रसून
वीरेन के पास चला गया,"वाह..तुम तो बहुत अच्छी ड्रॉयिंग करते
हो,प्रसून...और भी कुच्छ बनाया है तुमने?"

तारीफ सुन के प्रसून के दिल से इस अजनबी से सारी झझक निकल
गयी,"हां-2,अंकल दिखाऊँ आपको?"

"अंकल नही बेटा,चाचा बोलो.",सुरेन जी ने बेटे से कहा.

"चाचा?"

"हां,बेटा ये तुम्हारे चाचा हैं."

"अच्छा!फिर इतने दिन से मुझसे क्यू नही मिले?"

"ले दे जवाब.मेरी बात तो टाल रहा था इस से निपट अब?"

"सॉरी,बेटा.बहुत काम था..मगर अब मिलता रहूँगा तुमसे..ठीक है?"

"हां..मैं अभी अपनी ड्रॉयिंग बुक लेके आता हू."

"1 मिनिट रूको,बेटा..ये लो",वीरेन ने अपने साथ लाया 1 बड़ा सा बॅग खोला
तो प्रसून खुशी से उच्छल पड़ा,"अंदर खिलोने,पैंटिंग बुक्स,कोलोरिंग सेट &
ना जाने क्या-2 था,"थॅंक्स,चाचा.",प्रसून वही कालीन पे बैठ गया & बॅग से
चीज़े निकालने लगा.

वीरेन भी भतीजे को खुश देख कर खुश था.देविका ने सुरेन जी को देखा & आँखो
से इशारा किया.सुरेन जी ने हां मे सर हिलाया & अपने छ्होटे भाई से
मुखातिब हुए,"वीरेन.."

"हां,भाय्या."

"भाई,तुमसे 1 बहुत ज़रूरी बात करनी है."

"मैं ज़रा नाश्ते का इंतेज़ाम करती हू.",देविका उठ के हॉल से बाहर निकल गयी.

"बोलो भाय्या."

"वीरेन..देख भाई..मुझे ग़लत मत समझना मगर बात ज़रूरी आयी..देखो पिताजी ने
कोई वसीयत तो बनाई नही था....मगर फिर भी इस सारी जयदाद का आधा हिस्सा तो
तुम्हारा ही है...मैं कह रहा था कि अगर तुम चाहो तो बँटवारा-.."

"भाय्या!",वीरेन की आवाज़ तेज़ थी & तल्ख़ भी.देविका ये सुन हॉल के बाहर
पर्दे की ओट मे हो गयी,"..तुम ये सोच रहे हो की मैं यहा जयदाद के लिए आया
हू?"

"भाई मुझे ग़लत मत समझ.."

"तो फिर क्या समझू?!..वाहा ऊब गया था मैं....दिल किया की अब अपने घर जाके
रहू..& यहा तुम हो की..!"

"भाई..",वीरेन जी भाई के पास आए & उसके कंधे पे हाथ रखा,"..भाई ये ज़रूरी
भी तो है..ये तो तेरा हक़ है."

"भाय्या,मुझे 1 पैसा नही चाहिए..सच.."

"लेकिन वीरेन.."

"भाय्या अब 1 बार और इस बारे मे कहा तो मैं चला जाऊँगा!",वीरेन उठ खड़ा हुआ.

"चुप-चाप से बैठ!",सुरेन जी ने उसे बिताया,"..मैं बड़ा हू या तू?"

"तो अब तुम इस बारे मे नही बोलॉगे बल्कि मैं ही तुम्हे लिख के दूँगा कि
मुझे कुच्छ नही चाहिए."

"अच्छा अब चुप हो बकवास मत कर."

"लेकिन भाय्या..",वीरेन ने ज़मीन पे बैठे 1 पैंटिंग बुक मे रंग भरते
प्रसून के सर पे हाथ फेरा,"..हमारे बाद इस सबका के होगा..कुच्छ सोचा है?"

"हां भाई,मैने तो सोचा था कि सब कुच्छ दान कर इसके नाम कुच्छ पैसो का
ट्रस्ट बना दूँगा जिस से इसकी देखभाल होती रहे."

"ख़याल तो अच्छा है."

"हां,मगर तुझसे 1 वादा चाहिए भाई."

"क्या?"

"अगर मेरी मौत हो जाती है तो तुम देविका & प्रसून को अकेला नही छ्चोड़ोगे?"

"इस बात के लिए तुम्हे मुझसे वादा चाहिए भाय्या...भरोसा नही अपने भाई
पे?..तुम फ़िक्र मत करो भाय्या...प्रसून मेरी भी ज़िम्मेदारी है."

"तूने मेरा बोझ हल्का कर दिया भाई.",सुरेन जी ने भाई का हाथ थाम लिया.
........................
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08-16-2018, 01:40 PM,
#25
RE: Kamukta Story बदला
रजनी की साँसे बहुत तेज़ हो गयी थी.इंदर ने उसे पीछे से पकड़ा हुआ था &
उसके गले को चूम रहा था.एस्टेट से निकलने के बाद रजनी जब हलदन पहुन्ची तो
दोनो ने पहले थोड़ी खरीदार की फिर 1 रेस्टोरेंट मे खाना खाया & फिर इंदर
के घर आ गये.

थोड़ी देर तक दोनो बाते करते रहे मगर दोनो ही के दिल मे आग लगी हुई थी &
थोड़ी ही देर बाद इंदर ने पहल की तो रजनी ने भी कोई ऐतराज़ नही
जताया....& क्यू जताती?वो तो आज मन बनके आई त क अगर उसके प्रेमी ने आज उस
से उसकी सबसे कीमती चीज़-उसका कुँवारापन माँगा तो वो मना नही करेगी.

"हाआ.....!",रजनी की साँस अटक सी गयी,इंदर ने कब उसके गले को चूमते हुए
उसकी कमीज़ को उठाके उसके पेट पे अपना दाया हाथ रख दिया था उसे पता भी ना
चला था.उसका दाया हाथ अपनेआप इंदर की दाई कलाई पे कस गया मगर इंदर हौले-2
उसका पेट सहलाता ही रहा.

रजनी की अजीब सी हालत थी,उसे डर लग रहा था मगर साथ ही बहुत रोमांच भी हो
रहा था.इंदर के हाथो का एहसास उसके बदन मे सनसनी फैला रहा था.उसका दिल 1
तरफ तो कहता था की ये हाथ इसी तरह उसके जिस्म के उपर फिरता रहे तो तभी
दूसरे ही पल उसकी धड़कने इतनी तेज़ हो जाती की वो उसे इंदर को रोकने के
लिए कहने लगा,"..इंदर......"

"ह्म्म....",रजनी ने अपना सर पीछे उसके कंधे से टीकाया हुआ था & इंदर ने
अपने तपते होंठ उसके होंठो पे रख दिए.अब तो रजनी के उपर खुमारी च्छा
गयी.हमेशा ऐसे ही होता था....ना जाने क्या जादू हा इंदर के लबो मे की वो
सब कुच्छ भूल जाती थी.अभी भी वो भूल गयी की वो इंदर को रोकने वाली थी बस
केवल ये याद रहा की इंदर की ज़ुबान उसकी शर्मीली ज़ुबान को भी बहका रही
है & वो भी अब उसी शिद्दत से उसके होंठो को चूमते हुए उस से ज़ुबान लड़ा
रही है.

इंदर की कलाई को पकड़ा उसका हाथ अब उसे सहला रहा था & उसका दूसरा हाथ
अपने प्रेमी के सर पे उसके बालो मे था.ऐसा तो था नही की रजनी आज पहली बार
इंदर की बाहो मे उसे चूम रही थी मगर ना जाने आज क्या बात थी की आज उसके
बदन मे जो एहसास हो रहा था ऐसा उसने पहले कभी भी महसूस नही किया था.इंदर
की हर्कतो से वो हमेशा ही गरम हो जाती थी & घर जाके उसे अपनी गीली पॅंटी
बदलनी भी पड़ती थी मगर आज जो खुमारी उसके उपर च्छाई थी ऐसी पहले कभी नही
छाई थी.

चूमते हुए इंदर ने उसे घुमा लिया & उसकी कमर को अपनी बाहो मे क़ैद करते
हुए वैसे ही चूमता रहा.अब उसका बाया हाथ भी दाए के साथ उसकी कमीज़ के
अंदर घुस उसकी कमर को सहला रहा था,"..उउंम्म...",रजनी ने किस तोड़ सांस
लेते हुए अपना सर बाई ओर घुमाया तो इंदर ने अपने होंठ उसकी गर्दन से लगा
दिए.

इंदर उसे कद मे बस 2-3 इंच ही लंबा था & उसके सख़्त लंड को रजनी अपने पेट
पे महसूस कर रही थी.उसके दिल की धड़कने और भी तेज़ हो गयी....क्या वो
इंदर को खुश कर पाएगी?....उसका मामूली सा रूप क्या इंदर की उम्मीदो पे
खरा उतरेगा?..इन सवालो ने उसके ज़हक़न मे हलचल मचा
दी,"प्लीज़.....इंदर..नही..."

"क्यू?",इंदर के हाथ कमर से उपर पीठ पे घूम रहे थे,"..मैं पसंद नही
तुम्हे या फिर मुझ पे भरोसा नही है?",इंदर की आँखो की तपिश रजनी ने अपने
दिल के आख़िरी कोने तक महसूस की,"बोलो ना?"

"वो बात नही है..",रजनी उन निगाहो को झेल नही पाई & फिर से गर्दन बाई ओर घुमा ली.

"फिर क्या बात है?",इंदर ने बाया हाथ उसकी कमीज़ से निकाल के उसके चेहरे
को अपनी ओर घुमाया & अपना हाथ उसके बाए गाल पे रखे रहा ताकि वो दोबारा उस
से नज़रे ना फेर सके,"जब तक नही बोलॉगी मैं ऐसे ही खड़ा रहूँगा चाहे सारी
उम्र बीत जाए."

इंदर की बातो मे सच्चे प्यार की ईमानदारी & भरोसे की झलक थी.रजनी का दिल
भर आया....कितना प्यार करता है ये शख्स मुझसे?....उसका दिल किया की उसे
बाहो मे भर उसके चेहरे पे किससे की झड़ी लगा उसके उपर प्यार की बारिश कर
दे....सौंप दे अपना बदन उसे...ये उसी की तो अमानत है लेकिन फिर से वो
सवाल उसके सामने खड़ा हो गया...क्या वो सच मे इस इंसान के लायक है?

"इंदर...."

"बोलो रजनी...प्लीज़ जो भी दिल मे है कह डालो.मैं तुमसे किसी तरह की दूरी
अब बर्दाश्त नही कर सकता!"

"इंदर....मैं तुम्हारे लायक नही हू.",रजनी ने आँखे बंद कर जल्दी से बोला.

"ये फ़ैसला करने वाली तुम कौन होती हो?!",इंदर ने उसे झकझोरा,"..& मैं हू
तुम्हारे लायक?"

"तुम...तुम तो हर लड़की का सपना हो इंदर.."

"..& मेरा सपना तुम हो..",इंदर ने उसके चेहरे के बहुत करीब आ गया,"..तुम
कितनी बेकार की बाते सोचती हो!..कितनी बड़ी पागल हो..",इंदर ने उसके होंठ
चूम लिए,"..तुमने मेरा प्यार कबूला है..इस कारण मैं खुद को दुनिया का
सबसे खुशकिस्म इंसान समझता हू & तुम हो की.."

"तुम्हारे जैसी प्यारी,खूबसूरत & इतनी नेक्दिल लड़की से मैं आजतक नही
मिला,रजनी..",इंदर की आँखो मे थोड़ा पानी आ गया था & रजनी का भरा दिल भी
उसकी आँखो से छलक पड़ा....वो जानती थी की इंदर उसे चाहा है मगर इस कदर..!

"ओह्ह..इंदर..",रजनी की आँखो से खुशी के आँसू बहने लगे.इंदर ने इस बार
उसे बाहो मे भरा & अपने बिस्तर पे बिठा दिया.दोनो अगल-बगल बैठ के 1 दूसरे
की बाहो मे खोने लगे..अब दोनो के दिल मे कोई शुबहा नही था..था तो बस
प्यार.
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08-16-2018, 01:40 PM,
#26
RE: Kamukta Story बदला
इंदर ने चूमते हुए रजनी को लिटा दिया,उसके बाया हाथ रजनी की पीठ के नीचे
उसे थामे दबा पड़ा था & दाया उसकी कमीज़ को उपर उठा रहा था.अब रजनी भी
उसे नही रोक रही थी.उसे हैरानी भी हुई कि वो पहली बार इस तरह से किसी
मर्द के साथ थी & उसे अब ज़रा भी शर्म नही आ रही थी.इंदर उसके नुमाया हो
चुके पेट को सहला रहा था.

इंदर ने अपना सर उसके चेहरे से उठाया & उसके पेट को देखा,अब रजनी को शर्म
महसूस हुई & उसका दिल किया की अपने बदन को ढँक ले मगर तब तक इंदर उसके
पेट पे झुक चुका था,"..हययाया...!",रजनी की आह निकल गयी,इंदर उसके पेट को
चूम रहा था.उसने उसके बाल पकड़ के उसे वाहा से हाने की कोशिश की मगर इंदर
की ज़ुबान तो अब उसकी नाभि मे उतर चुकी थी.बेचैन हो रजनी बिस्तर से उठती
हुई इंदर के बाल खींचने लगी मगर उसके बदन मे मस्ती भरने लगी थी.उसकी चूत
मे 1 अजब सा एहसास हो रहा था जोकि ना की उसे केवल तकलीफ़ दे रहा था बल्कि
बहुत सा मज़ा भी.

वो करवट लेने की कोशिश कर रही थी मगर इंदर उसे मज़बूत से बिस्तर पे दबाए
उसकी नाभि चाट रहा था.उसने अपनी टाँगे घुटनो से मोड़ के अपनी जंघे भींच
ली...उसका दिल कर रहा था कि अपनी चूत को दबाके किसी तरह उसे शांत करे मगर
इंदर था की उसे छ्चोड़ ही नही रहा था.तभी उसका दिल जैसे भर आया & चूत से
पानी बड़े ज़ोरो से बहने लगा.उसका बदन अकड़ गया & उसके गले से सिसकिया
निकालने लगी.इस से बेपरवाह अभी भी उसके पेट को चूमे जा रहा था.रजनी को अब
उसके छुने से मानो तकलीफ़ हो रही थी & उसने सुबक्ते हुए उसे परे धकेला &
बाई करवट पे हो अपना चेहरा बिस्तर मे च्छूपा के सुबकने लगी . इंदर उसके
पीछे आ प्यार से उसके सर पे चुपचाप हाथ फेरता रहा.

"रजनी..",कुछ पलो बाद जब इंदर ने देखा की वो शांत हो गयी है तो उसने उसके
बाल उसके चेहरे से हटा के उसके कान मे फुसफुसाया.रजनी वेस ही चुपचाप पड़ी
रही....कितना मज़ा आया था उसे इतना की उसे दर्द होने लगा था...ये सब
एहसास उसके लिए बिल्कुल नये थे. इंदर ने उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया तो
रजनी ने पूरी करवट ले ली & उसके चेहरे को अपने हाथो मे भर लिया,"क्या
हुआ,रजनी?तुम ठीक तो हो?",इंदर की आँखो मे चिंता झलक रही थी.

"हां..",रजनी ने उसके चेहरे को अपने चेरे के उपर झुका लिया.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः..........
Reply
08-16-2018, 01:40 PM,
#27
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...

"वीरेन..",सुरेन सहाय,देविका & वीरेन खाने की मेज़ पे बैठे थे.प्रसून
पहले ही खा चुका था

"हाँ,भाय्या.",वीरेन ने चम्चे से चावल का 1 नीवाला अपने मुँह मे डाला.

"..मैने & देविका ने प्रसून के बारे मे कुच्छ सोचा है."

"क्या?",वीरेन ने 1 नज़र अपनी भाभी पे डाली तो देविका सर झुका के खाने लगी.

"अगर हम प्रसून की शादी करा दें तो कैसा रहेगा?"

"क्या?!",वीरेन का चमचा मुँह की ओर ले जा रहा हाथ बीच मे ही रुक
गया,"..मगर भाय्या ये कैसे संभव है."

"तुम ही बताओ भाई हमारे बाद भी उसकी देख-भाल के लिए को तो चाहिए ना!"

"आप ट्रस्ट तो बना ही रहे हैं."

"लेकिन क्या ट्रस्ट उसे इंसान का प्यार दे सकता है?",ये देविका की आवाज़ थी.

"इस बात की क्या गॅरेंटी है की उसकी पत्नी उसे सच्चा प्यार देगी & उसकी
दौलत के लालच मे उस से शादी नही करेगी?",वीरेन ने देविका को देखा.

"हम ट्रस्ट की बात & उस ट्रस्ट को चलाने के तरीके के बारे मे सब उस लड़की
& उसके परिवार को बता देंगे.ये सॉफ कर दिया जाएगा की प्रसून की पत्नी को
1 खास रकम हर महने दी जाएगी मगर ट्रस्ट के काम मे उसका कोई दखल नही होगा
& अगर खुदा ना ख़ास्ते प्रसून की मौत हो जाती है तो सभी कुछ ट्रस्ट के
पास रहेगा जोकि उसे समाज सेवा के लिए दान कर देगा.",देविका ने अपने देवर
को जवाब दिया

"लेकिन.."

"लेकिन क्या भाई?"

"भाय्या,मान लो कोई लड़की आपको मिल भी जाती है जोकि ज़रूरतमंद है.प्रसून
से शादी करके उसकी परेशानिया दूर हो जाएँगी मगर क्या 1 लड़क को केवल पैसे
की ज़रूरत होती है.भाय्या,इंसान की पैसे & खाने-पीने के अलावा भी 1
ज़रूरत होती है-जिस्म की.अगर कभी उस लड़की ने इसके लिए कोई ऐसा-वैसा कदम
उठा लिया तो?"

"वो सब मैं संभाल लूँगी.",देविका ने बोला तो वीरेन चुप हो गया.

"फिर तो कोई परेशानी की बात ही नही है.",उसने चमचा उठाया & खाना खाने
लगा.देविका ने उसकी बात मे छिपा व्यनग्य समझ लिया था.उसे गुस्सा तो बहुत
आया मगर वो खामोशी से खाना खाती रही.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"आआहह...आहह....",रजनी इंदर के बिस्तर पे पूरी नंगी पड़ी हुई थी & वो
उसकी कमर के पास घुटनो पे बैठा उसकी बाई टांग हवा मे उठा के उसकी
अन्द्रुनि जाँघ को चूमे जा रहा था.रजनी की झांतो भरी गीली चूत उसके चेरे
से बस कुच्छ ही दूरी पे थी मगर वो उसने उसे अभी तक च्छुआ भी नही था.रजनी
की 32 साइज़ की छातिया जोश मे थोड़ी और बड़ी हो गयी थी & उनके काले
निपल्स किशमिश के दानो की तरह दिख रहे थे.

इंदर उसकी दाई तरफ उसकी ओर अपने पैर कर लेट गया & उसकी जंघे फैला के उसकी
झांतो भरी चूत को चूम लिया,"..ऊहह...",रजनी छटपटा के उस से अलग होते हुए
जंघे बंद करने की कोशिश करने लगी तो इंदर ने मज़बूती से उसकी जाँघो को
थाम के और फैला दिया फिर 1 हाथ से उसकी झांतो को अलग किया & उसकी चूत की
दरार को चूम लिया,"..आअनह..!"

इंदर ने अपनी टाँगे उसके बदन के दोनो ओर रखी & अंडरवेर मे क़ैद अपने लंड
को उसकी चूचियो पे दबाते हुए उसकी चूत चाटने मे जुट गया.रजनी का तो जोश
से बुरा हाल था,वो बेचैनी से अपनी कमर हिलाते हुए इंदर की जाँघो को नोचती
हुई झाडे जा रही थी.इंदर काफ़ी देर तक उसकी चूत चाटता रहा,रजनी की चूचियो
पे दबा उसका लंड अब रजनी के दिल मे हुलचूल मचा रहा था.वो जानती थी की
उसका कुँवारापन अब बस कुच्छ ही पॅलो का मेहमान है.
Reply
08-16-2018, 01:41 PM,
#28
RE: Kamukta Story बदला
इंदर उसके उपर से उठा & खड़ा होके अपना अंडरवेर निकाल दिया.रजनी ने चोर
निगाहो से उसके लंड को देखा & अपने निचले होंठ को दन्तो तले दबा
लिया.काली झांतो से घिरा उसका लंड बहुत बड़ा लग रहा था.उसके दिल ज़ोरो से
धड़कने लगा.इंदर बिस्तर पे आया & उसके उपर लेट के उसे चूमने लगा.जवाब मे
वो भी उसे बाहो मे भर चूमने लगी.उसका लंड अब सीधा उसकी चूत पे दबा हुआ था
& उसके दिल मे मस्ती भर रही थी.

इंदर उठा & उसकी फैली टाँगो कोअपनी टांगे फैला के और फैलाया फिर अपना
दाया हाथ नीचे ले जाके लंड उसकी चूत पे जमाया & 1 धक्का दिया मगर लंड
फिसल गया & अंदर नही घुसा.रजनी की आनच्छुई चूत बहुत ज़्यादा कसी हुई
थी.इंदर घुटनो पे बैठ गया & फिर बाए हाथ की उंगलियो से उसने चूत को
फैलाया & 1 बार फिर लंड पकड़ के अंदर घुसाने की गरज से धक्का
मारा,"..आअहह...!"

इस बार लंड इंच अंदर घुसा गया.इंदर फ़ौरन दर्द से छटपटाती रजनी के उपर
लेट गया & उसके चेहरे को चूमने लगा.चूमते हुए उसने धीरे 1-1 इंच करके लंड
को अंदर धँसना शुरू किया.रजनी को बहुत दर्द हो रहा था & उसकी आँखे भिच
गयी थी & चेहरे पे दर्द की लकीरें भी खिंच गयी थी.

इंदर उसे दिलासा देता हुआ अपना 8 इंच लंबा लंड 6 इंच तक घुसा चुका था.अब
उसने घुसना रोक के रजनी को चूमने सहलाने पे ध्यान लगाया.उसे प्यार से
पुच्कार्ते हुए वो उसकी चूचियो को हल्के-2 दबाता हुआ उसके चेहरे को चूम
रहा था,"बस अभी सारा दर्द दूर हो जाएगा,रजनी...थोड़ा सब्र रखो."

थोड़ी ही देर मे रजनी 1 बार फिर से उसकी किस लेने लगी थी .इंदर समझ गया
की अब उसकी तकलीफ़ मिट गयी है.वो थोड़ा सा उठा & उसने हल्के-2 धक्के
लगाने शुरू कर दिए,"..उउगगघह....हहुउऊन्न्नह...!",रजनी की आहे भी धक्को
के साथ शुरू हो गयी.अभी भी इंदर ने लंड पूरा अंदर नही घुसाया था.थोड़ी ही
देर मे रजनी ने अपनी टांगे उठा ली & अपने तलवे इंदर की जाँघो के पिच्छले
हिस्से पे जमा दिए.इंदर समझ गया की उसकी प्रेमिका अब मस्त हो गई है.अब
उसने धक्को की रफ़्तार बढ़ाई.

"हाआऐययईईईईई....!",ऐसा करने से उसका बचा-खुचा लंड भी अंदर घुसा गया था &
रजनी की चीख निकल गयी थी मगर इस बार इंदर रुका नही & वैसे ही धक्के लगाता
रहा. थोड़ी देर की तकलीफ़ के बाद रजनी भी फिर से मस्तियो मे खोने
लगी.इंदर का चेहरा तमतमा गया था.बहुत देर से उसने अपने को रोका हुआ था.अब
रजनी की चूत का कसाव,उसके चेहरे पे च्छाई मस्ती उसे बेकाबू कर रही थी.वो
झुक के उसकी चूचिया चूस्ते हुए बहुत ज़ोर के धक्के लगाने लगा.

रजनी पहली बार चुद रही थी & इंदर के मज़बूत लंड के क़ायल धक्के वो
ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर पाई.तभी उसकी चूत मे खलबली मचा गयी &
उसका दिल किया की अपनी जाँघो मे उसे भींच इंदर के लंड को अपने और अंदर ले
ले.उसने उसकी कमर पे अपनी टाँगे कस्के उसकी पीठ पे अपनी बाहो का कसाव भी
बढ़ा दिया & बिस्तर से उठाए हुए इंदर को बेतहाशा चूमने लगी.वो ज़िंदगी मे
पहली बार 1 मर्द के लंड से झाड़ रही थी.ठीक उसी वक़्त उसकी चूत मे उसे
कुच्छ गर्म सा महसूस हुआ.रजनी ने पहली बार 1 मर्द का पानी अपने अंदर लिया
था.

झाड़ा हुआ इंदर उसकी गर्दन मे मुँह छिपाये हाँफ रहा था & रजनी उसके सर को
बड़े प्यार से सहला रही थी.उसके चेहरे पे मुस्कान थी-असीम संतोष & खुशी
की मुस्कान.

इंदर ने रजनी की चूत से अपना सिकुदा लंड बाहर खींचा तो देखा की उसपे दोनो
के मिले-जुले पानी के अलावा थोड़ा खून भी लगा हुआ था,"मैने तुम्हे बहुत
तकलीफ़ पहुचाई ना?",उसने रजनी के चेहरे पे प्यार से हाथ फेरा.

"बिल्कुल भी नही.",रजनी उठी & अपने प्रेमी को चूम लिया,"..अभी आती
हू.",वो बिस्तर से उतरी & बाथरूम चली गयी.जब वो बाथरूम से बाहर आई तो
देखा की इंदर बिस्तर पे लेटा तौलिए से अपना लंड पोंच्छ रहा है.

बिस्तर के करीब पहुँचते ही इंदर ने उसे फिर से अपने आगोश मे खींच
लिया,"आज यही रुक जाओ?",दोनो करवट से लेटे हुए थे & इंदर की बाई बाँह के
घेरे मे रजनी की पीठ थी & दाए मे उसकी कमर.

"पागल हो!मेरी नौकरी च्छुड़वावगे!"

"तो छ्चोड़ दो ना & यहा मेरे साथ रहो..",इंदर ने उसके बदन को अपने जिस्म
से बिल्कुल सटा लिया,"..मैं तुम्हे अपनी बीवी बनाना चाहता हू."

रजनी की आँखे फिर से भर आई....उपरवाले ने 1 ही दिन मे उसे कितनी खुशिया
नवाज़ने का फ़ैसला किया था!
Reply
08-16-2018, 01:41 PM,
#29
RE: Kamukta Story बदला
"क्या हुआ?"

"कुच्छ नही...यह खुशी के आँसू है मगर इंदर मेरा नौकरी छ्चोड़ना ग़लत होगा."

"मगर क्यू?"

"इंदर,हम दोनो की मिली-जुली आमदनी से हम जितने आराम से रह सकते हैं वो
तुम्हारे अकेले की आमदनी से तो संभव नही है ना>"

"ये तो है..",इंदर के माथे पे भी परेशानी की लकीरे उभर आई,"..मगर तुम
वाहा एस्टेट मे रहोगी & मैं यहा,मैं तो मर ही जाऊँगा!",इंदर की आवाज़ मे
बेचैनी भरी हुई थी.रजनी ने झट से उसके मुँह पे हाथ रखा,"..ऐसी मनहूस
बातें ना करो."

"तो बताओ ना क्या करू?",अब रजनी भी सोच मे पड़ गयी थी.उसने इंदर को सीधा
लिटाया & उसके सीने पे सर रख दिया....उसे उसके सपनो को सच करने वाला
शहज़ादा मिल गया था मगर ज़िंदगी की कड़वी सचाईयाँ अब दोनो के बीच रुकावट
खड़ी कर रही थी.तभी उसके दिमाग़ मे बिजली कौंधी.

"1 रास्ता है इंदर..",वो उसके सीने से उठ गयी,"..हमारे एस्टेट मे मॅनेजर
की जगह खाली है."

"तो वो मुझे कैसे मिलेगी?"

"और लोग भी अर्ज़ी देंगे.सहाय जी मुझे ही क्यू रखेंगे?"

"क्यूकी तुम काबिल हो & मैने उन्हे तुम्हारे बारे मे बताया है."

"मतलब?...तुम उन्हे हमारे बारे मे बतओगि.."

"नही!..पागल हो क्या?!अभी अपने बारे मे बताउन्गी तो उनका ध्यान कभी भी तुम्हारी
काबिलियत पे नही जाएगा केवल मेरी सिफारिश पे रहेगा."

"फिर कैसे करोगी?"

"वो तुम मुझपे छ्चोड़ दो.बस ये समझो की तुम्हे नौकरी मिल गयी..",उसने
वापस अपना सर उसके सीने पे रखा,"..फिर कुच्छ दीनो का इंतेज़ार & फिर हम
शादी कर लेंगे."

"ओह्ह...रजनी..आइ लव यू!",इंदर ने करवट लेते हुए रजनी को पलटा के अपने
नीचे कर लिया & उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा,रजनी गुदगुदी होने से
हँसने लगी.इंदर का लंड उसकी चूत पे दबा हुआ था & उसे ये एहसास बहुत भला
लग रहा था.

इंदर भी उसके जिस्म के एहसास & उसके बदन से आ रही खुश्बू से फिर से गरम
हो गया था & उसका लंड फिर से जागने लगा था.इंदर ने रजनी का हाथ पकड़ के
नीचे ले जाके अपना लंड उसे थमा दिया तो उसने शर्मा के हाथ पीछे खींच लिया
मगर इंदर ने दोबारा हाथ लंड पे रखा & वही दबाए रखा जब तक की रजनी ने उसे
अपनी मुट्ठी मे कस ना लिया.

रजनी की आँखे शर्म से बंद हो गयी थी,"रजनी..",इंदर के इसरार पे रजनी ने
आँखे खोली तो इंदर ने उसे नीचे देखने को कहा.रजनी के होंठो पे शर्म भरी
हँसी फैल गयी मगर इंदर ने मनुहार करके उसे लंड हिलाते हुए देखने पे राज़ी
कर ही लिया.

रजनी के लिए ये सब बिल्कुल नया & मस्ती भरा एहसास था.इंदर के तने लंड के
एहसास ने उसे भी गरम कर दिया था.थोड़ी ही देर बाद उसने खुद ही इंदर के
लंड के नीचे लटक रहे उसकेआंदो को सहलाया तो इंदर समझ गया की रजनी पूरी
तरह से अब उसके प्यार मे पागल हो चुकी है.उसके चेहरे पे जीत की मुस्कान
फैल गयी.उसने उसे सीधा किया & उसकी टाँगे फैला के 1 बार फिर उसकी चूत मे
अपना लंड घुसा उसकी चुदाई मे लग गया.
दोस्तो अब तक की कहानी के बारे मे अपनी राय ज़रूर देआपका दोस्त राज शर्मा
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः.........
Reply
08-16-2018, 01:41 PM,
#30
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
"अच्छा भैया अब चलता हू.तुम मेरा यहा का कॉटेज सॉफ करवा देना,पंचमहल वाले
बंगले की चाभी तुमने दे ही दी है....उसे मैं सॉफ करवा दूँगा.",वीरेन शाम
को अपने भाई-भाभी से विदा ले रहा था.

"ठीक है,भाई.वैसे कल मुझे पंचमहल आना है."

"कोई काम है क्या?",दोनो भाई वीरेन की टॅक्सी की ओर बढ़ रहे थे.

"हां,वो हमारे वकील थे ना मिश्रा जी वो तो रहे नही.."

"ओह्ह.."

"हां,बस कुछ ही दिन पहले देहांत हुआ.उनके एषिस्टेंट्स मे वो बात नही
है.इधर 1 नये वकील का बहुत नाम सुना है उसी से मिलना है कल."

"अच्छा,कौन है वो?",वीरेन टॅक्सी की पिच्छली सीट पे बैठा तो ड्राइवर ने
कार स्टार्ट कर दी.

"कामिनी शरण."

"ओह.",वीरेन की टॅक्सी वाहा से निकल गयी.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"उम्म....अब छ्चोड़ो ना...",इंदर रजनी की चूचिया चूसे जा रहा था,"..हाई
राम!..",रजनी ने उसे परे धकेला & लगभग कूदते हुए बिस्तर से
उतरी,"..तुम्हारे चक्कर मे देखो तो कितनी देर हो गयी....प्रसून भाय्या के
शाम के नाश्ते का वक़्त हो गया & वो मेरा इंतेज़ार करते होंगे.",उसने
जल्दी से अपनी पॅंटी को उपर चढ़ाया.

"ये प्रसून सचमुच 1 बच्चे की तरह ही है?"

"हां."

"और तुम्हारे सर की तबीयत कैसी है आजकल?"

"ठीक है."

"अच्छा.",रजनी ने अपनी सलवार पहन ली थी & अब कुर्ते को गले मे डाल रही
थी.इंदर उसके पास आया & उसकी पीठ पे लगे ज़िप को उपर कर दिया.रजनी ने
उसके चेहरे को चूम लिया,"मैं फोन करूँगी."

"नही.."

"क्यू?",रजनी के माथे पे शिकन पड़ गयी.

"मैं करूँगा.तुम्हे पैसे बर्बाद करने की कोई ज़रूरत नही.",रजनी ने उसे
अपने गले से लगा लिया,"आइ लव यू,इंदर...आइ लव यू.",उसकी आवाज़ से उसकी
चाहत की शिद्दत सॉफ झलक रही थी.इंदर के चेहरे पे 1 मुस्कान फैल गयी-कुटिल
मुस्कान....आख़िर चिड़िया पूरी तरह से जाल मे फँस गयी थी & उसका काम
थोड़ा और आसान हो गया था.

रजनी के जाते ही उसने सिगरेट सुलगाई & नंगा ही बिस्तर पे अढ़लेटा सा बैठ
गया.सुरेन सहाय के पीछे वो पिच्छले 5 महीने से लगा हुआ था.जब वो पहली बार
जब बीमार पड़ा था तभी उसने हॉस्पिटल से उसकी पूरी मेडिकल रिपोर्ट & उसे
दी गयी दवाओ का नुस्ख़ा निकलवा लिया था.इस काम मे उसे कितने पापद बेलने
पड़े थे ये वही जानता था.अगर उस वक़्त ये चिड़िया उसके पास होती तब उसे
वो मशक्कत नही करनी पड़ती.

वो रजनी के अलावा सुरेन सहाय के और भी घरेलू नौकरो पे नज़र रखे था मगर
इत्तेफ़ाक़ से रजनी का मोबाइल रेस्टोरेंट मे च्छुटा & उसे उसके करीब आने
का मौका मिल गया.रजनी उसे एस्टेट के बारे मे कुच्छ ना कुच्छ बताती रहती
थी मगर आज से पहले उसने कोई काम की बात नही की थी.उसका मक़सद था एस्टेट
मे घुसना....बस 1 बार वो वाहा घुस जाए फिर तो....उसने सिगरेट बुझा के
अश्-ट्रे मे डाल दी.

अगर ऐसा हो गया तो उसे नक़ाब पहन के बंगंग्लो की दीवार फंड के चोरो की
तरह अंदर घुसने की ज़रूरत नही रहेगी,फिर तो वो दवा की डिबिया क्यू बदलेगा
सीधा सुरेन सहाय को दोज़ख़् का रास्ता दिखाएगा.बस ऐसा हो जाए.....फिर तो
सुरेन सहाय तुम्हे तुम्हारे किए की सज़ा ज़रूर मिलेगी.......सब्र...सब्र
रखो इंदर.....उसने अलमारी खोली & अपना हीपफलास्क निकाला & 2 घूँट
भरे.शराब ने उसके बेचैन हो रहे मन को शांत किया & वो ठंडे दिमाग़ से आगे
के बारे मे सोचने लगा.

सुरेन सहाय बस थोड़ी ही देर मे रोज़ की तरह अपनी सवेरे की चाइ पीने लॉन
मे आने वाले थे.जब से उन्होने नये मॅनेजर की तलाश शुरू की थी तब से रोज़
सवेरे चाइ के साथ वो मॅनेजर की पोस्ट के लिए भेजी गयी अर्ज़िया भी पढ़ते
थे.रजनी का काम तो घर मे रहता था मगर इधर रोज़ सवेरे चाइ के साथ अर्ज़ियो
की फाइल को उनके सामने रखने की ज़िम्मेदारी भी उसी की थी.
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