Kamukta Story बदला
08-16-2018, 01:41 PM,
#31
RE: Kamukta Story बदला
हर शाम को दफ़्तर से सहाय जी का सेक्रेटरी वो फाइल भेजता था & रजनी हर
सुबह उसे चाइ के साथ उन्हे देती थी.इसी बात ने रजनी के दिमाग़ मे इंदर को
एस्टेट मॅनेजर की जगह दिलवाने की 1 तरकीब लाई थी.

इस वक़्त रजनी के हाथ मे वही फाइल थी.उसने उसे खोला & सारी अर्ज़िया
पढ़ने लगी.6 अर्ज़िया थी जिसमे से 2 उसे ऐसी लगी जोकि सहाय जी को पसंद आ
सकती थी.उसने उन दोनो अर्ज़ियो को निकाला & इंदर की अर्ज़ी & उसका
बियो-डाटा लगा दिया.कल उसके घर से निकलने के बाद उसे ध्यान आया की उसने
इंदर से ये चीज़े तो ली ही नही.उसने उसे फोन करके सारे काग़ज़ात मंगाए &
फिर वापस एस्टेट आ गयी.

वो दोनो अर्ज़िया हटाते हुए रजनी का दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था,उसे लग
रहा था कि वो कोई ग़लत काम कर रही है.....मगर क्या वो दोनो लोग जिनकी
अर्ज़िया उसने अभी फाड़ के कूड़ेदान मे डाली थी इंदर से ज़्यादा अच्छे
थे..नही बिल्कुल नही!इंदर उनसे काबिलियत मे किसी भी तरह कम नही था...फिर
इसमे ग़लत क्या था?इंदर के प्यार मे पागल रजनी ने अपना सर झटक के ट्रॉली
पे चाइ का समान & वो फाइल रखी जिसमे सबसे उपर इंदर की अर्ज़ी थी & किचन
से बाहर निकल गयी.

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"उम्म्म.....!",अपने कमरे की खिड़की पे खड़ी देविका नीचे लॉन मे चाइ पीते
अपने पति को देख रही थी.पीछे से शिवा उसकी चूचिया उसके गाउन के उपर से
दबाता हुआ उसके गले पे चूम रहा था.सहाय जी ठीक सवेरे 7 बजे लॉन मे चाइ
पीने के लिए बैठते थे & 1 घंटे तक चाइ के साथ अख़बार पढ़ते थे & कुच्छ
काम जैसे की अर्ज़िया देखना वग़ैरह करते थे.

देविका 8 बजे उठती थी & प्रसून भी लगभग उसी वक़्त जागता था.घर के बाकी
नौकर 8.30 तक काम करने आते थे.सवेरे 6.30 से 8.30 तक केवल रजनी होती
थी.इस वजह से दोनो प्रेमियो को सवेरे मिलने का अच्छा मौका मिल जाता था.

शिवा ने देविका को घुमाया & उसे बाहो मे भर लिया,वो आज भी केवल शॉर्ट्स
मे था.उसके बालो भरे चौड़े सीने से जैसे ही देविका की चूचिया दबी देविका
की चूत मस्त हो गयी.उसने उसके सीने पे बेचैनी से हाथ फिराते हुए चूमना
शुरू कर दिया.शिवा उसके गाउन को उपर खींच रहा था & थोड़ी ही देर मे पॅंटी
मे ढँकी देविका की गंद की मस्त फांके उसके बड़े-2 हाथो मे मसली जा रही
थी.

शिवा के निपल को अपनी जीभ से छेड़ते हुए देविका ने अपनी गर्दन हल्के से
दाई ओर घुमा के खिड़की से बाहर देखा,अख़बार मे मगन सुरेन जी की पीठ उसकी
ओर थी.1 अजीब सा रोमांच भर गया देविका के दिल मे....उसका पति बस कुच्छ ही
फ़ासले पे था & अगर गर्दन घुमा के उपर गौर से देखता तो बहुत मुमकिन था की
अपनी प्यारी बीवी की बेवफ़ाई उसे नज़र आ जाती.

इस ख़याल ने देविका के बदन की आग को और भड़का दिया & उसने शिवा के निपल
को हल्के से काट लिया,"आअहह..",शिवा करहा & अपने दाए हाथ को उसकी गंद से
खींच उसके बाल पकड़ के उसका सर पीछे झुका दिया.देविका ऐसे देखा रही थी
मानो कह रही हो की चाहे कुच्छ भी कर लो मैं ये गुस्ताख हरकत ज़रूर
दोहरौंगी!

शिवा उसके बाल थामे हुए उसके रसीले होंठ चूमने लगा & बाए हाथ की उंगलियो
को उसकी पॅंटी मे नीचे से घुसा के उसकी गीली हो रही चूत को कुरेदने
लगा,"..उउंम्म...".होंठ शिवा के होंठो से सिले होने की वजह से देविका बस
इतना ही कराह पाई.उसने भी अपना दाया हाथ नीचे ले जाके शॉर्ट्स मे तड़प
रहे उसके तने लंड को दबोच लिया.

शिवा की उंगलिया उसकी चूत मे अंदर-बाहर हो उसकी आग को और भड़का रही थी &
वो भी उसके तगड़े लंड को हिलाकर उसके जोश मे इज़ाफ़ा कर रही थी.बहुत दिन
हो गये थे उसे अपने प्रेमी के शानदार लंड का स्वाद चखे हुए.ये ख़याल आते
ही डेविका शिवा को चूमना छ्चोड़ उसके गथिले बदन को चूमते हुए नीचे होने
लगी.शिवा उसका इरादा समझ गया & जैसे ही वो उसके सीने पे पहुँची उसने अपने
हाथो से उसके ढीले-ढले गाउन के स्ट्रॅप्स को उसके कंधो से नीचे खींच
दिया.

देविका ने भी बदन को हिलाते हुए गाउन को नीचे फर्श पे गिर जाने दिया & वो
जल्दी से नीचे अपने पंजो पे बैठ गयी & शिवा के लंड को मुँह मे भर
लिया,"..आअहह....!",अपनी प्रेमिका की कामुक हरकत से बहाल हो शिवा ने उसके
सर को थाम कर अपनी आँखे बंद कर अपना सर मज़े मे पीछे झुका लिया.

देविका ने लंड को उठा के उपर की तरफ शिवा के निचले पेट पे दबाया & उसकी
जड़ को जहा पे लंड & आंडो की चमड़ी मिलती थी,जीभ से छेड़ने लगी.शिवा मज़े
से पागल हो गया.देविका ने जीभ की नोक को नीचे की ओर दोनो आंडो के बीच
चलाया & फिर 1 अंडे को मुँह मे भर के इतनी ज़ोर से चूसा की शिवा को लगा
की वो अभी ही झाड़ जाएगा.

बड़ी मुश्किल से उसने अपने उपर काबू रखा & झुक के नीचे देखा तो पाया की
देविका की चाहत & मस्ती से भरी आँखे भी उसे ही देख रही हैं.देविका ने उस
से नज़र मिलाए हुए ही पहले उसके दूसरे अंडे को चूसा & फिर लंड को नीचे कर
अपने मुँह मे भर लिया.
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08-16-2018, 01:41 PM,
#32
RE: Kamukta Story बदला
लंड को जड़ से थामे मुँह मे भर जब उसने उसके मत्थे पे अपनी जीभ चलाई तो
शिवा पागल हो गया & उसने देविका के सर को और कस के पकड़ लिया & अपनी कमर
हिलाके उसके मुँह को चोदने लगा.देविका ने भी सहारे के लिए उसकी मज़बूत
गंद को थाम लिया & उसके धक्के सहने लगी.

उसकी जीभ बदस्तूर शिवा के लंड पे चल रही थी & ऐसा करते हुए जब उसने उसकी
गंद की छेद मे अपनी 1 उंगली घुआस दी तो शिवा कराह उठा,"..आहह...",उसने
फ़ौरन लंड को अपनी प्रेमिका के मुँह से बाहर खींचा & उसकी चूचियो को दबा
उसे पीछे धकेला,देविका बिस्तर पे गिर पड़ी.

शिवा की शॉर्ट्स उसकी गंद के नीचे उसकी जाँघो को गिर्द फँसी पड़ी थी.उसने
पीछे मूड के खिड़की से बाहर 1 नज़र कुच्छ काग़ज़ात देखते अपने बॉस पे
डाली & फिर शॉर्ट्स से अपनी खंभे जैसी टाँगे निकालने लगा.देविका ने भी
लेटे-2 अपनी गंद को उपर उठाया & 1 ही झटके मे अपनी पॅंटी को अपने जिस्म
से जुदा कर दिया.

शिवा ने शॉर्ट्स निकाल के जब देविका की ओर देखा तो पाया की अपने घुटने
मोड & अपनी टाँगे फैलाए देविका बाए हाथ की उंगलियो से अपने चूत के दाने
को सहला रही है & दाए से अपनी मोटी चूचियो को दबा रही है.शिवा ने उसके
घुटनो के नीचे हाथ लगाके टाँगो को और फैलाया & उसके उपर लेटते हुए अपना
लंड उसकी चूत मे घुसाने लगा,"..ऊओवव्व....!"

उसके उपर लेटते ही देविका ने उसे अपनी बाहो & टाँगो मे क़ैद कर लिया &
ज़ोर-2 से आहे भरने लगी.शिवा बस उसे चूमते हुए धक्के लगाए जा रहा
था,"..हाअ...आनन्न...शी...वाअ....और...ज़ो..र्ररर....से....ऊऊव्व्व......",देविका
ने अपने नाख़ून शिवा की गंद मे धंसा दिए तो उसके धक्के और तेज़ हो
गये.उसने अपने हाथ देविका के कंधो के नीचे लगा रखे थे मानो उसे अपने से
ऐसे सटा लेना चाहता हो की हवा भी उनके बीच ना रहे.कमरे मे उसके मोटे लंड
की देविका की गीली चूत की चुदाई से हो रही फ़च-2 की नशीली आवाज़ गूँज रही
थी.

"ओह्ह..देवी..का...आआहह...",देविका ने फिर से उसकी गंद के छेद मे उंगली
घुसा दी थी.शिवा ने बेचैन होके धक्के और तेज़ कर दिया & सर थोड़ा नीचे कर
देविका के दाए निपल को दाँत से काट लिया,"..अयेयीयियी...जुंग...ली
कहीं....के......ऑश...माआन्न्न्न...!",शिवा ने उसके हाथो को अपनी गंद से
हटा अपने गर्दन के गिर्द लगाया & फिर अपने घुटने बिस्तर पे जमा खुद से
चिपटि देविका की गंद की फांको को थाम उसे उठा लिया था & अब फर्श पे खड़ा
था.उसने खड़े हुए ही देविका को हवा मे झुलाते हुए कुच्छ धक्के लगाए फिर
उसे घुमा के उसी खिड़की की चौड़ी सिल पे बिठा दिया जिस से नीचे लॉन नज़र
आता था.

देविका पकड़े जाने के डर से च्चटपताई मगर शिवा ने उसे मज़बूती से थाम
उसके होंठो को अपने लबो की गिरफ़्त मे लिया & बहुत तेज़ी से उसे चोदने
लगा.इस तरह से चुदने मे देविका की चूत का दाना लगातार शिवा के लंड से
रगड़ रहा था & उसकी खुमारी हर पल बढ़ती जा रही थी.अगर उस वक़्त सुरेन जी
अपनी गर्दन घुमा लेते तो अपनी बीवी की जिस गंद पे वो फिदा थे उसे अपने
मुलाज़िम के हाथो मे भींचा देख लेते मगर खुदा दोनो प्रेमियो पे मेहेर बान
था & सुरेन जी मॅनेजर की पोस्ट के लिए आई अर्ज़िया पढ़ने मे मगन थे.

देविका को बहुत मज़ा आ रहा था,शिवा हर बार इस तरह की कोई बहुत ही
बेवकुफ़ाना मगर उतनी ही रोमांचक हरकत कर उसे बिल्कुल मदहोश कर देता
था.उसने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किया & अपनी टाँगो को उसकी गंद पे
ऐसे कस लिया की दोनो आएडिया 1 दूसरे को क्रॉस कर रही थी.उसने अपना सर
उसके बाए कंधे पे टीकाया & उसके कान मे अपनी जीभ फिराने लगी,"...बस
झ..आड़ने..ही..वाली...हू..मे..री..जेया....न्‍न्‍णणन्..आई..से...ही...चोद...ते..रहो...उउम्म्म्मम.....!",वो
फुसफुसाई.

शिवा लगातार अपने मालिक को देख रहा था,वो देविका को बेइंतहा चाहता था मगर
इस वक़्त उसे उसके पति को देखते हुए उसे चोदने मे कुच्छ और ही मज़ा आ रहा
था.उसने उसकी गंद को और ज़ोर से दबाया & इतने क़ातिल धक्के लगाए की
देविका का पानी निकल गया & वो उसकी पीठ पे अपने नखुनो के निशान छ्चोड़ती
& उसके बाए कंधे पे अपने दन्तो से काटती झाड़ गयी.शिवा का बदन भी झटके खा
रहा था & उसका गढ़ा पानी देविका की चूत मे भर रहा था.

कुच्छ देर बाद उसने देविका को खिड़की से उठाया & फिर बिस्तर पे उसे
लिए-दिए लेट गया,"..तुम बिल्कुल पागल हो,शिवा.",देविका उसके चेहरे पे
प्यार भरे किस छ्चोड़ रही थी.

"तुम्ही ने बनाया है जानेमन.",शिवा ने उसके गुलाबी होंठ चूम लिए.

"अच्छा अब जाओ,8 बज गये.",शिवा अपना लंड उसकी चूत से खींचते हुए उठा &
अपने शॉर्ट्स पहन वाहा से निकल गया.देविका वैसे ही पड़ी रही.शिवा से
चुदने से वो पूरी तरह से सुकून से भर जाती थी,इस वक़्त भी उसके चेहरे पे
सुकून भरी मुस्कान थी.उसने इंटरकम उठाया,"रजनी?"

"गुड मॉर्निंग,मॅ'म."

"मॉर्निंग,रजनी.आज नाश्ते मे पराठे बना लो आलू-गोभी की सब्ज़ी के साथ."

"ओके,मॅ'म.आपकी चाइ ले आऊँ?"

"15 मिनिट बाद ले आना.ओके....& सुनो,रजनी...साहब के पराठे घी मे नही
बनाना उनके लिए जो खास कुकिंग आयिल आता है उसी मे बनाना."

"डॉन'ट वरी,मॅ'म."
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08-16-2018, 01:41 PM,
#33
RE: Kamukta Story बदला
सच मे रजनी के होते उसे घर की कोई फ़िक्र नही थी मगर उसे क्या पता था की
इसी बेचारी रजनी ने अपने भोलेपन मे अपने प्यार के हाथो मजबूर हो उसके
दुश्मन को घर मे आने का रास्ता दिखा दिया है & आने वाले दिन उसका कितना
बड़ा इम्तिहान लेने वाले थे.रजनी की तरकीब काम कर गयी थी,लॉन मे बैठे
सहाय जी इंदर की अर्ज़ी & बियो-डाटा से काफ़ी प्रभावित हुए थे & उन्होने
सोच लिया था कि अगर उसने इंटरव्यू मे अच्छे जवाब दिए तो वो उसे ही अपना
मॅनेजर बना लेंगे.

"ह्म्म....मिस्टर.सहाय,बात थोड़ी उलझी हुई है..",कामिनी अपनी हाइ-बॅक
लेदर चेर पे थोड़ा पीछे झुकी.उसके सामने सुरेन सहाय & देविका डेस्क की
दूसरी तरफ बैठे थे & अभी-2 उन्होने उसे अपने परिवार के बारे मे सारी बाते
बताई थी,"..आपके पिताजी ने कोई वसीयत की नही तो आप & आपके छ्होटे भाई
वीरेन सहाय दोनो सारी जयदाद के बराबर के हिस्सेदार होते हैं.."

"..आपका कहना है कि वीरेन जी अपना हिस्सा नही माँग रहे ना ही उन्हे
कारोबार मे कोई दिलचस्पी है मगर क़ानून तो जज़्बातो से नही चलता ना!"

"इसीलिए तो हम आपके पास आए हैं कामिनी जी..",देविका ने सामने रखे कोल्ड
ड्रिंक के ग्लास को उठा लिया,"..ये उलझी बाते आपको ही सुलझानी हैं."

"ओके,देविका जी..",कामिनी मुस्कुराइ,"..अच्छा..चलिए सारी बातो को ऐसे
देखते हैं..",कामिनी ने 1 पॅड उठा के उसपे लिखना शुरू किया,"..सुरेन
जी,देविका जी मैं जो भी कह रही हू उसका आप बुरा मत मानीएगा,1 वकील के तौर
पे मुझे ऐसी बाते करनी ही पड़ेगी....पहली सूरत पे गौर करते हैं मान लीजिए
सुरेन जी की मौत हो जाती है....फिर जयदाद का क्या होता है?..",देविका के
चेहरे पे पति की मौत की बात से परच्छाई सी आई मगर उसने खुद को संभाला.

"..आधी जयदाद वीरेन जी की & आधी देविका जी की हो जाती है मगर वीरेन जी को
कारोबार मे कोई दिलचस्पी नही है..देविका जी क्या आप कारोबार चल्एंगी?"

"बिल्कुल.",देविका की आवाज़ विश्वास से भरी हुई थी.

"ठीक है,फिर आप कारोबार चलाएंगी मगर तब भी आपके बाद बँटवारा होना ज़रूरी
है ताकि प्रसून के लिए ट्रस्ट आराम से बन सके.अब दूसरी सूरत की वीरेन जी
की मौत पहले होती है तब तो बहुत आसान है अगर वो कोई वसीयत नही करते हैं
तो सब कुच्छ देविका जी का & फिर प्रसून का.."

"..अब तीसरी सूरत अगर आप दोनो की मौत हो जाती है फिर सब कुच्छ वीरेन जी
का होता है & प्रसून भी उन्ही की ज़िम्मेदारी होगा अगर उनसे इस बात का
करार किया जाए तो..",कामिनी ने लिखना छ्चोड़ा,"..तीनो सुरतो मे सबसे
ज़रूरी बात है की वीरेन जी ये बात लिख के दें की उन्हे जयदाद का हिस्सा
नही चाहिए..ऐसे मे सुरेन जी,आपको अपने भाई को हर महीने 1 रकम देनी होगी
जोकि आपदोनो मिलके तय कर लें.."

"..और तीसरी सूरत के मामले मे भी आपको उनसे ये लिखवाना होगा कि वो प्रसून
की देखभाल करेंगे & अगर कारोबार मे उनकी दिलचस्पी नही है तो उसे बेच के
सारे पैसे जमा करके उसमे से उनके हिस्से की रकम या फिर अगर उन्हे अपना
हिस्सा नही चाहिए तो कुच्छ कम ही सही मगर कुच्छ पैसे उन्हे मिलने के बाद
बाकी पैसो से प्रसून के लिए ट्रस्ट बनाया जाए."

मिया बीवी ने 1 दूसरे की ओर देखा,"आपकी बाते तो बिल्कुल ठीक लगती
हैं,कामिनी जी..",सुरेन जी ने अपना खाली ग्लास डेस्क पे रख दिया,"..आप
काम शुरू कीजिए."

"ज़रूर,सहाय जी.आप अपने भाई को लेके मेरे पास आ जाएँ.हम लोग सारे सवालो
पे फिर से गौर करेंगे & फिर सभी कुच्छ क़ानूनी तौर पे पक्का कर
लेंगे.",कामिनी ने कुर्सी के हत्थो पे कोहनिया टिकाते हुए अपने हाथो की
उंगलिया आपस मे जोड़ ली,"..आप जब भी चाहें,वीरेन जी के साथ मुझ से मिल
लीजिए.बाहर बैठी मेरी सेक्रेटरी रश्मि आपको अपायंटमेंट लेने का तरीका बता
देगी."

क्रमशः.......
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08-16-2018, 01:42 PM,
#34
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...

काम ख़त्म हो गया था मगर फिर भी दोनो पति-पत्नी उठ नही रहे थे.कामिनी को
लगा कि उनके दिल मे अभी भी कोई उलझन है,"मिस्टर.सहाय,कोई और बात है
क्या?बेहिचक कहिए.देखिए,मन मे अगर कोई शुबहा है तो उसे अभी दूर कर लेना
बेहतर होगा."

"कामिनी जी...वो..",सुरेन जी हिचकिचा रहे थे तो देविका ने बात की कमान
थामी,"कामिनी जी,आपको हमारे बेटे के बारे मे तो पता ही है.मैने सोचा की
ट्रस्ट तो ठीक है मगर इंसान को किसी अपने के प्यार की भी तो ज़रूरत होती
है..अगर मैं उसकी शादी करा दू तो?"

"क्या?!",कामिनी हैरत से थोडा आगे हो बैठ गयी,"देविका जी!बुरा मत
माने,मगर कौन करेगा उस से शादी?"

"सवाल ये नही है की कौन करेगा..सवाल ये है की शादी के बाद भी मेरे बेटे
के हितो की हिफ़ाज़त कैसे हो."

"देखिए,कामिनी जी.मैं समझती हू मेरी बात आपको अटपटी लगी है मगर जैसे अभी
आपने सारी बाते समझाई वैसे ही 1 और रास्ता बताएँ."

"हां,देविका जी.बोलिए.",ये औरत ना केवल समझदार थी बल्कि बहुत हौसले वाली
थी.कामिनी ने मन ही मन उसकी तारीफ की.

"फ़र्ज़ कीजिए कि ना हम दोनो हैं & ना ही वीरेन है & मेरा बेटा शादीशुदा
है.अब ऐसे मे मेरे बेटे की बीवी की नियत अगर खराब हो जाए तो उस से उसे
बचाने का क्या रास्ता है?"

"प्री-नप्षियल अग्रीमेंट.",दोनो ने उसे सवालिया निगाहो से देखा.

"आपने अख़बारो मे पढ़ा होगा या फिर टीवी पे देखा होगा,विदेश के नामचीं
लोग जिनके पास बहुत दौलत होती है मगर जिनकी शादिया हर साल के फॅशन के साथ
बदल जाती हैं वो ऐसे समझौते करते हैं.."

"..इन समझौतो मे ये लिखा होता है कि दोनो अलग होने के वक़्त 1 दूसरे से
क्या माँग सकते हैं & कितना माँग सकते हैं..यहा तक की पालतू
कुत्ते-बिल्लियो का भी हिसाब किया जाता है!",कामिनी की बात से दोनो को
हँसी आ गयी & माहौल थोड़ा हल्का हो गया.

"..मैं तो कहूँगी की आप अपनी बहू से शादी के पहले ये समझौता कीजिए की अगर
वो आपके बेटे को छ्चोड़ती है तो उसे 1 खास रकम मिलती है & अगर बेटे की
मौत मे ज़रा भी गड़बड़ का अंदेशा हुआ तो उसे जब तक जाँच नही हो जाती तब
तक 1 भी धेला नही मिलेगा."

देविका & सुरेन जी के चेहरो पे राहत के भाव आ गये,"थॅंक यू,कामिनी
जी,थॅंक यू!",सुरेन जी कुर्सी से खड़े हो गये,"..आपकी बातो ने हुमारे
सारे सवालो के जवाब दे दिए हैं..मैं कुच्छ ही दिन मे आप से मिलके सब
कुच्छ पक्का करता हू.",देविका भी खड़ी हो गयी थी.

"आपकी फीस..",देविका अपना पर्स खोल रही थी.

"बाहर रश्मि को दे दीजिएगा."

"अच्छा,कामिनी जी नमस्ते!",दोनो ने उस से विदा ली & उसके कॅबिन से बाहर निकल गये.

रात के 10 बजे रजनी अपना काम ख़त्म कर अपने क्वॉर्टर को लौट रही थी.सहाय
परिवार के बंगल से कोई 500मीटर की दूरी पे उनके घरेलू नौकरो के सर्वेंट
क्वॉर्टर्स बने हुए थे.ये क्वॉर्टर्स दोमंज़िल की दो कमरो की 4 छ्होटी
इमारतें थी & रजनी इसमे से सबसे आख़िरी इमारत के निचले क्वॉर्टर मे रहती
थी.

घर का दरवाज़ा खोल रजनी अंदर दाखिल हुई & किचन मे जा सवेरे बनाई हुई
सब्ज़ी को चूल्‍हे पे गरम होने के लिए चढ़ा दिया & फिर तौलिया उठा
गुसलखाने मे घुस गयी.यू तो सभी नौकर घर मे भी खा सकते थे मगर फिर भी
कभी-कभार रजनी अपना खाना खुद बना लेती थी....आख़िर रसोई मे चूल्हा जले
तभी तो घर घर जैसा लगता है & फिर कुच्छ ही दिन मे जब इंदर उसका पति बन
जाएगा तब तो उसके लिए उसे रोज़ उसके लिए तो खाना बनाना पड़ेगा ही!

इस ख़याल से उसके चेहरे पे खुशी की चमक आ गयी.शवर बंद कर अपने गीले बदन
को तौलिए से सुखा उसने उसे लपेटा & बाहर आ गयी.रसोई मे जा उसने देखा की
सब्ज़ी गरम हो गयी थी,उसने चूल्हा बंद किया & खाना तश्तरी मे निकाल अपने
कमरे मे आ गयी.नहाने से वो तरोताज़ा महसूस कर रही थी & उसकी भूख & बढ़
गयी थी.

वो वैसे ही सिर्फ़ तौलिए मे अपने बिस्तर पे बैठ गयी & खाना खाने लगी.खाते
हुए उसने सोचा कि खाना ख़त्म कर वो इंदर को फोन करेगी.खाना ख़त्म कर वो
कमरे मे आई & अपनी नाइटी निकालने के इरादे से अपनी अलमारी खोली की तभी
उसका मोबाइल बज उठा,"हेलो."

"क्या कर रही हो,जान?"

"कुच्छ नही.",इंदर की आवाज़ सुनते ही रजनी के होंठो पे मुस्कान फैल गयी &
वो बिस्तर पे लेट गयी.
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08-16-2018, 01:42 PM,
#35
RE: Kamukta Story बदला
"अच्छा.मैने तो सोचा था कि कहोगी की तुम्हारे फोन का इंतेज़ार कर रही हू."

"अब खुद को इतना भी मत समझो!",रजनी ने शरारत से कहा.

"हा..हा..!",इंदर हंसा,"..थॅंक्स,रजनी."

"किस लिए इंदर?"

"तुम्हारे सर ने मुझे कल ही इंटरव्यू के लिए बुलाया है."

"क्या?!",रजनी खुशी से चीखी & उठ बैठी.

"आख़िर तुमने ये सब किया कैसे जान?"

"तुम आम खाओ ना पेड़ क्यू गिनते हो!",रजनी ने अपने प्रेमी से फिर शरारत की.

"बताओ ना..प्लीज़!",इंदर बच्चो की तरह मचला तो थोड़ी देर उसे और तड़पाने
के बाद रजनी ने उसे सब कुच्छ बता दिया.

"मान गये उस्ताद.जी तो करता है तुम्हे चूम लू!"

"अच्छा-2,फिर से वोही बातें!"

"अब तुम से ये बातें ना करू तो किस से करू?!....चलो बताओ क्या पहना है?"

"नही बताऊंगी.क्या करोगे?!",अभी कोई हमेशा शांत रहने वाली रजनी को ऐसे
चुहल करते देखता तो बिल्कुल यकीन नही करता.

"वो तो अगली मुलाकात मे पता चलेगा की क्या करूँगा!",इंदर की बात सुनते ही
रजनी को वो दोपहर याद आई जब इंदर ने उसके कुंवारेपन को ख़त्म कर उसे फूल
बनाया था & उसका हाथ तौलिए के नीचे से उसकी चूत पे चला गया,"..पहले तो
तुम्हारी प्यारी चूत को तब तक चाटूँगा जब तक की तुम मुझे खुद उठा कर अपने
उपर ना खींच लो & बोलो की इंदर,चोद मुझे!"

"धात..!",रजनी ने उसे प्यार से झिड़का मगर उसका हाथ अपनी चूत के दाने को
रगड़ता रहा,"..मैं ऐसी गंदी बाते कभी नही करूँगी."

"ये गंदी बाते हैं,जानेमन!करते वक़्त तो तुम्हे गंदी नही लगती.चलो सोचो
कि अभी मैं तुम्हारे पास हू & तुम्हारे नशीले बदन को सहला रहा हू,तुमने
भी मेरा लंड अपने हाथो मे थामा हुआ है & उसे हिला रही हो.मैं तुम्हारी
चूचिया चूस रहा हू & साथ ही उंगली से तुम्हारी चूत मार रहा हू.तुम भी जोश
मे पागल हो रही हो & अपनी टाँगे फैला के मुझे उपर खींच लेती हो & कहती
हो-.."

"ओह्ह...इंदर..प्लेआसीए......आहह.....मत पागल करो मुझे....ऊहह...!"

"तुम अपनी चूत से खेल रही हो ना रजनी?"

"हां,इंदर...आअनह...!"

"मैं भी अपना लंड हिला रहा हू,जानेमन.सोचो की मैने तुम्हारी चूत मे उसे
घुसा दिया है &..",इंदर चुप हो गया.

"..इंदर?..इंदर..?..ओह्ह्ह..इंदर बोलते रहो प्लीज़ी...!"

"क्या बोलू रजनी?बताओ तो ज़रा.",इंदर ने उसे छेड़ा.

"ओह्ह..इंदर..प्लीज़..क्यू सताते हो?",रजनी ने तौलिए की गाँठ खोल दी थी &
अपने बाए हाथ से फोन कान पे लगाए अपने दाए हाथ से अपनी चूत के दाने को
रगडे जा रही थी.

"जब तक तुम बतओगि नही मैं नही बोलूँगा."

"ओह्ह..इंदर...",रजनी को अभी भी झिझक हो रही थी मगर उसका जिस्म उसे पागल
कर रहा था,"..बताओ ना इंदर कि तुम..तुम कैसे..कैसे मुझे चोद रहे
हो.",उसने जल्दि से कहा.

"ये हुई ना बात!सोचो,की मैं तुम्हार उपर सवार हू & हम दोनो किस्सिंग कर
रहे हैं.मेरा लंड तुम्हारी चूत मे पूरा घुसा हुआ है & हम दोनो की झांते
आपस मे उलझ गयी हैं...",इंदर अपनी प्रेमिका की आहें अपने फोन से सुन रहा
था,"..मेरे धक्के महसूस कर रही हो,रजनी?"

"हां..इनडर हाँ..",रजनी को इंदर के साथ की गयी चुदाई याद आ रही
थी,"..ऊहह...और ज़ोर से चोदो इंदर और ज़ोर से!"

"ये लो रजनी...ये लो..मेरा लंड पूरा बाहर निकलता है & फिर मैं उसे 1 झटके
मे वापस पूरा अंदर घुसेड देता हू."

"ऊव्व....मैं तुम्हारी पीठ नोच रही हू इंदर मेरी टाँगे तुम्हारी कमर पे
हैं..मैं तुम्हारी गंद नोच रही हू इंदर...आहह...रुकना
मत...ऊओवव्वव...!",& रजनी झाड़ गयी.उसे इस नये खेल मे बड़ा मज़ा आया था
मगर जो बात असल चुदाई मे थी वो & किसी चीज़ मे कहा!उसे अपने प्रेमी पे
बहुत प्यार आया मगर साथ ही दिल मे ये तमन्ना भी उठी की वो जल्द से जल्द
अब हुमेशा के लिए उसकी हो जाए ताकि हर रात वो उसकी बाहो मे गुज़रे.

थोड़ी और बात करने के बाद इंदर ने फोन बंद कर दिया.उसके होंठो पे जीत की
मुस्कान थी.ये लड़की अब पूरी तरह से उसकी कठपुतली थी & इसी कठपुतली के
सहारे कल वो सहाय एस्टेट मे पहली बार कदम रखेगा & फिर....

उस ख़याल से 1 बार फिर उसका तन गुस्से से जलने लगा.उसना हाथ बढ़ा के मेज़
से अपना फ़्लास्क उठाया & अपने मुँह से लगाया.शराब का 1 बड़ा घूँट भरते
ही उसे गले मे जलन महसूस हुई मगर ये जलन उस गुस्से की जलन के आगे कुच्छ
भी नही थी.3-4 घूँट के बाद उसे थोड़ा सुकून पहुँचा & वो कल सुरेन सहाय से
होने वाली पहली मुलाकात के बारे मे सोचने लगा.

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क्रमशः.........
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08-16-2018, 01:42 PM,
#36
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...

"मिस्टर.इंदर धमीजा,आप हलदन ग्लास मे पिच्छले 1 साल से मॅनेजर हैं,उस से
पहले भी आपने 1 आइरन फाउंड्री & फिर 1 और ग्लास फॅक्टरी.सभी जगह आपने
काफ़ी अच्छा काम किया है मगर आपको हमारे जैसे बिज़्नेस का कोई तजुर्बा
नही है,फिर क्या आपको यहा काम करने मे कोई तकलीफ़ नही होगी?",सुरेन जी ने
सारे सवाल कर लिए थे & अब उनका ये आख़िरी सवाल था.

"सर,ये सही है की सभी बिज़्नेसस की अपनी कुच्छ अलग ज़रूरते & ख़ासियत
होती हैं जिन्हे समझना ज़रूरी होता है मगर 2 चीज़े जो हर बिज़्नेस को
चलाने के काम आती हैं वो है मेहनत & लगन.मैं मानता हू की मेरे पास आपके
बिज़्नेस का तजुर्बा नही मगर मैं मेहनती हू & पूरी लगन से काम करता
हू,अगर आप मुझे अपने साथ काम करने का मौका देते हैं तो मैं आपको निराश
नही करूँगा.".नपे-तुले लॅफ्ज़ो मे कही गयी बात ने सहाय जी का मन खुश कर
दिया था मगर उन्होने अपने चेहरे पे अपने दिल की बात नही आने दी.

"मिस्टर.धमीजा,आपको 3 दीनो के अंदर हमारे फ़ैसले के बारे मे इत्तिला कर
दी जाएगी.इस दट फाइन विथ यू?"

"ये सर.थॅंक टू.",इंदर खड़ा हुआ & शहाय जी के दफ़्तर से बाहर निकल
गया.उसके निकलते ही सुरेन जी ने इंटरकम से दूसरे कॅबिन मे बैठे शिवा को
तलब किया.

"आपने बुलाया,सर?"

"शिवा,ये आदमी जो अभी-2 बाहर गया है मुझे मॅनेजर की पोस्ट के लिए पसंद आ
गया है मगर मैं चाहता हू कि तुम ज़रा इसके बारे मे थोड़ी छान-बीन कर
लो..ये रहा इसका बीओ-डेटा."

"ओके,सर.",शिवा ने बीओ-डाटा लिया & फ़ौरन वाहा से निकल गया.

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इंदर अपनी बाइक से आया था & एस्टेट से निकल उसने देखा की शिवा 1 जीप मे
उसका पीचछा कर रहा था.वो मन ही मन मुस्कुराया..ये लोग सोचते थे कि वो
उसके बारे मे पता लगाएँगे & उसे कुच्छ भी ना पता चलेगा!..हुंग..!वो पता
नही कितने दीनो से ये सब प्लान कर रहा था,सहाय एस्टेट के बारे मे वो
जितना जान गया था उतना तो शायद सुरेन सहाय को भी नही पता होगा!..आओ शिवा
आओ..मेरे पीछे आओ...करो मेरे बारे मे छान-बीन...तुम्हारा मालिक और
इंप्रेस होगा मुझ से & खुद मुझे अपने बुलाएगा एस्टेट के अंदर ताकि मैं
उसे नेस्तोनाबूद कर साकु!

उसके दिल मे 1 बार फिर से वोही आग भड़की & उसे शराब की तलब लगी मगर नही
अभी नही.आज उसे अपनी इच्छा-शक्ति से ही अपने उपर काबू रखना था.वो अब
दूसरी सीधी चढ़ने वाला था & यहा फिसल कर वो अपनी महीनो की मेहनत पे पानी
नही फेर सकता था.उसने आँखे बंद कर 1 बार उस इंसान का चेहरा याद किया
जिसके लिए वो ये सब कर रहा था & फिर पैरो से टॉप गियर लगा बाइक की स्पीड
बढ़ाई & फ़र्राटे से आगे बढ़ गया.

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आज 3 केसस की सुनवाई थी & उन्हे निपटाने के बाद कामिनी 9 बजे तक अगले दिन
के केसस की तैय्यारि अपने असिस्टेंट मुकुल के साथ करती रही थी.काम ख़त्म
होने के बाद इस वक़्त वो क्लब की छत पे बैठी खाने का ऑर्डर दे रही थी जब
वीरेन सहाय उसकी मेज़ के पास आ खड़ा हुआ,"हेलो."

"हेलो.",कामिनी ने ठण्डेपन से कहा.

"मैं यहा बैठ सकता हू?"

"शुवर.",कामिनी का दिल तो नही था की वो यहा बैठे मगर क्या करती तमीज़ का
तक़ाज़ा था!अभी तो उसे खुद पे हैरत भी हो रही थी की षत्रुजीत सिंग से
चुदाने के वक़्त उसे इस इंसान से चुदने का ख़याल आया भी कैसे था.

"देखिए,कामिनी जी मुझे घुमा-फिरा के बात करना तो आता नही.मुझे आपसे 2
बाते करनी हैं,पहली ये की मेरे बड़े भाई सुरेन सहाय आपसे कुच्छ दिन पहले
मिले थे.."

"जी."

"..तो आपने उनसे कहा की वो 1 बार मेरे साथ आपसे मिले."

"हां,कहा था."

"देखिए,मेरा सच मे एस्टेट & पैसो मे कोई इंटेरेस्ट नही है मगर मेरी भाभी
ने 1 बात जो आपसे कही उसमे मुझे उस बारे मे आपसे बात करनी है.",कामिनी
समझ गयी थी कि वो प्रसून के बारे मे बात कर रह था मगर उसने ऐसा कहा नही.

"कौन सी बात,मिस्टर.सहाय?"

"मेरे भतीजे प्रसून की शादी की बात.पता नही कहा से भाभी को ये फितूर सूझा
है!आप ही बताए क्या ये उस बेचारे की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ नही
होगा?",पहली बार कामिनी ने हमेशा शांत से रहने वाले वीरेन को थोडा
उत्तेजित देखा.

"देखिए,देविका जी प्रसून की मा हैं & हम उन्हे उसके लिए कोई फ़ैसला लेने
से रोक तो सकते नही हैं मगर मैने उन्हे 1 उपाय सुझाया है."

"कैसा उपाय?"

"ये तो आपको अपने भाई-भाभी से ही पुच्छना पड़ेगा.वो मेरे क्लाइंट्स हैं &
मैं उनसे की गयी कोई भी बात बाहर नही कह सकती."

"ओके.कामिनी जी,मुझे यकीन है की आपने कोई बढ़िया तरकीब ही उन्हे सुझाई
होगी.",वीरेन ने दूसरी ओर गर्दन घुमाई,"..प्रसून पे कोई आँच आए ये मैं
बर्दाश्त नही कर सकता.",कामिनी ने उसे गौर से देखा..क्या ये केवल 1 शख्स
का अपने भतीजे के प्रति लगाव से पैदा हुई चिंता थी या फिर कुच्छ और?

"अच्छा,कामिनी जी 1 बात बताइए..",वीरेन ने अपनी बाहे बाँध के मेज़ पे
टिकाई & आगे झुक गया,"..अगर खुदा ना ख़स्ते मेरे भाई नही रहते हैं तो
क्या मैं प्रसून का गार्डियन बन सकता हू?"

"आप प्रसून के गार्डियन तभी बन सकते हैं जब आपके भाई-भाभी दोनो इस दुनिया
मे ना रहें या फिर वो खुद आपको उसे उसकी ज़िम्मेदारी सौंप दें."

हुन्न..",वीरेन पीछे हो फिर से अपनी कुर्सी की पीठ से टिक के बैठ
गया,अपने हाथ जोड़े अपनी नाक पे टिकाए ना जाने वो क्या सोच रहा था.

"मिस्टर.सहाय.",कामिनी की आवाज़ से वो अपने ख़यालो से बाहर आया.

"जी..आइ'एम सॉरी..मैं ज़रा कुच्छ सोच रहा था."

"आप मुझसे 2 बाते करने आए थे.वो दूसरी बात कौन सी है?"

"हां..",वीरेन के चेहरे पे मुस्कान फैल गयी.कामिनी ने गौर किया की
मुस्कुराता वीरेन बहुत खूबसूरत लगता था & 1 बार फिर से उसके दिल मे वही
शत्रुजीत के साथ बिताई रात वाली बात आ गयी,"..आप जानती हैं कि मैं 1
पेंटर हू."

"जी.ये बात कौन नही जानता."

"तो क्या आप मुझे आपकी तस्वीर बनाने का मौका देंगी?"

"जी?!",कामिनी की काली-2 आँखे हैरत से फैल गयी.

"जी.",वीरेन के चेहरे पे अभी भी मुस्कान थी,"..मेरी आपसे गुज़ारिशा है
कामिनी जी की आप हां कर दें.ये समझिए की आपका ये एहसान होगा मेरे उपर."

"मैं...मगर....",कामिनी गहरे आश्चर्या मे थी.उसे उम्मीद नही थी की जिस
इंसान को वो बदतमीज़ & खाड़ुस समझती थी वोही उसकी तस्वीर बनाने को
कहेगा,"..मैं अभी क्या कहु मेरी कुच्छ समझ नही आ रहा."

"आप जितना वक़्त चाहे लें,कामिनी जी..",वीरेन उठ खड़ा हुआ,"..मैं तो यही
उम्मीद करता हू की आप ही कहेंगी.अच्छा,आप इजाज़त दीजिए."

"वीरेन जी..",कामिनी की आवाज़ से जाता हुआ वीरेन घुमा,"..आप मेरी ही
तस्वीर क्यू बनाना चाहते हैं?"

वीरेन के चेहरे पे फिर से वही दिलकश मुस्कान खेल उठी,"खुद को आईने मे देख
लीजिए,जवाब खुद बा खुद मिल जाएगा.",& वो वाहा से चला गया.

वेटर मेज़ पे कामिनी का खाना लगा रहा था मगर उसकी भूख तो वीरेन की बातो
से गायब हो गयी थी.किस अदा से उसने उसकीखूबसूरती की तारीफ कर दी
थी!..लेकिन वो क्या करे..क्या हां कर दे..या नही?....फिर उसे प्रसून के
बारे मे उसकी कही बाते याद आ गयी & वो और गहरी सोच मे पड़ गयी..वीरेन
क्या 1 कलाकार की हैसियत से उसकी तस्वीर बनाने की बात कर रहा था या फिर
उसका मक़सद कुच्छ और था..जैसे की अपने भाई-भाभी की वकील के करीब आना ताकि
वो उनकी बाते जान सके..लेकिन वो तो कहता है की उसे पैसो से कोई मतलब
नही...पर वो झूठ भी तो बोल सकता है..

"मॅ'म.",वेटर ने बोला तो उसकी सोच का सिलसिला टूटा,"..आइ होप एवेर्य्थिन्ग'स फाइन?"

"यस.थॅंक्स.",कामिनी ने खाना शुरू कर दिया.इस सहाय परिवार के बारे मे वो
बाद मे सोचेगी.आज के लिए दिमाग़ की इतनी कसरत काफ़ी थी.
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08-16-2018, 01:42 PM,
#37
RE: Kamukta Story बदला
सुरेन सहाय अपने बिस्तर पे टाँगे फैलाए नंगे बैठे थे & देविका उनकी दाई
तरफ उनकी टाँगो से सॅट के लेटी उनके सोए लंड को अपनी ज़ुबान से जगा रही
थी,"देविका..",सुरेन जी ने साइड-टेबल से वही नारंगी रंग की डिबिया उठा के
1 गोली अपने मुँह मे डाली.

"ह्म्म...",देविका ने लंड को मज़बूती से पकड़ के उसके सूपदे को चूसा.

"तुम्हारे दिमाग़ मे प्रसून की शादी का ख़याल आख़िर आया कैसे",उन्होने
उसके बॉल सहलाए.

"बस ऐसे ही.",देविका अब उनकी टाँगो को और फैला उनके बीच लेट के लंड से खेल रही थी.

"तुम्हे पूरा यकीन है की ये बात ठीक होगी?"

"हां,आप क्यू पुच्छ रहे हैं?",देविका ने 1 पल को लंड मुँह से निकाला &
फिर वापस चूसने लगी.उसकी बड़ी-2 आँखे उपर हो अपने पति की ओर ही देख रही
थी.

"सबकी बातो से मुझे भी लगता है की पता नही ये ठीक होगा की
नही....ओह्ह्ह...!",देविका ने उनके अंडे पकड़ के खींचते हुए लंड के छेद
पे पानी जीभ चला दी थी & सुरेन जी अब पूरे जोश मे आ गये थे.देविका ने लंड
मुँह से निकाला & उठा के उनके दोनो तरफ अपने घुटने टीका के उनकी गोद मे
बैठ गयी.उसके जिस्म पे बस 1 लाल रंग का ब्रा था जिसके गले मे से उसकी
मस्ती के कारण और भी बड़ी हो गयी छातियो का क्लीवेज चमक रहा था.

"कामिनी शरण ने तो सब समझा दिया है ना..",देविका अपने घुटनो पे खड़ी हुई
& अपना दाया हाथ पीछे ले जाते हुए उनके खड़े लंड को पकड़ा & अपनी चूत के
नीचे लगा उसपे बैठने लगी.2 रातो से उसके पति ने उसे नही चोदा था &
पिच्छले 2 दीनो से शिवा को भी सवेरे-2 एस्टेट के राउंड पे निकलना था सो
वो भी सवेरे उसकी चुदाई नही कर पाया था.इस वजह से कामिनी बहुत प्यासी थी
& इस वक़्त उसे चुदाई के अलावा कुच्छ और नही सूझ रहा था.

"..आप बिल्कुल मत घबराईए.सब ठीक होगा.",देविका को अपनी गंद पे सुरेन जी
की झांते गुदगुदी करती महसूस हुई तो वो समझ गयी की लंड जड तक उसकी चूत मे
घुस चुका था.वो आगे झुकी & अपने पति को चूम लिया.सुरेन जी का दिल बहुत
ज़ोरो से धड़क रहा था....ये दवा बिल्कुल काम नही कर रही क्या?..इस ख़याल
ने उन्हे थोड़ा & परेशान कर दिया.

देविका ने पति को परेशान देखा तो समझा की बेटे की चिंता अभी भी उन्हे सता
रही है.उसने अपने ब्रा का बाया कप नीचे किया & अपनी चूची निकाल अपने पति
के मुँह मे भर दी & और उच्छल-2 कर उनसे चुदने लगी.सुरेन जी का दिल उन्हे
परेशान कर रहा था मगर जैसे ही देविका के गुलाबी,कड़े निपल का स्वाद
उन्होने चखा उनके दिल मे भी अपनी बीवी के जिस्म के साथ खेलने की चाह उनकी
बीमारी के उपर हावी हो गयी.

उन्होने उसकी बाई छाती चूस्ते हुए उसकी गंद को मसला & फिर दूसरा कप भी
नीचे किया.देविका अपने पति की हर्कतो से ये देख खुश हुई की उसने उनका
ध्यान उनकी परेशानियो से हटा दिया है.उसने उनके सर को अपने सीने पे और
दबा लिया & कमर हिला-2 के अपनी मंज़िल की ओर बढ़ने लगी.

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क्रमशः.......
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08-16-2018, 01:43 PM,
#38
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
कामिनी अपने बिस्तर पे लेटी वीरेन सहाय से हुई मुलाकात के बारे मे सोच
रही थी.वो उस इंसान को समझ नही पा रही थी.कभी वो उसे बिल्कुल अच्छा लगता
तो कभी उसे उसपे शक़ होता!आख़िर वो थी ही ऐसे पेशे मे.जो भी हो 1 बात तो
पक्की थी की वीरेन 1 बहुत खूबसूरत मर्द था मगर केवल इस बिना पे तो वो
उसकी बात नही मान सकती थी.उसने सोच लिया की अगर अगली बार उसने इस बारे मे
उस से पुच्छा तो वो मना कर देगी.

षत्रुजीत सिंग शहर से बाहर था,वो अपना बिज़्नेस और बढ़ा रहा था & कामिनी
भी अपने केसस मे बिज़ी रहती थी.इस वजह से इधर उनकी मुलाक़ते थोड़ी कम हो
गयी थी मगर जब भी दोनो मिलते इतने दीनो की दूरी की पूरी कसर निकाल
लेते.आज की रात कामिनी को उसकी कमी बहुत खाल रही थी,चंद्रा साहब से मिलना
भी इधर नही हो सका था.उसकी चूत बहुत बेचैन हो गयी थी.कामिनी ने अपना दाया
हाथ उसपे रखा & उसे शांत करने की कोशिश करने लगी.उसके दिल मे 1 बार ख़याल
आया की क्यू ना वो फिर से किसी से शादी कर ले मगर अगले ही पल उसने उस
ख़याल को ज़हन से निकाल फेंका..वो ये ग़लती दोबारा नही करेगी.उसे ये
तन्हाई की रात मंज़ूर थी मगर अब शादी कर किसी पे भरोसा करना & उसे फिर
तोड़ना या टूटते देखना उसे मंज़ूर नही था. ( दोस्तो ये कहानी आप राज
शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )

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"सर,मैने इंदर धमीजा के बारे मे सब पता कर लिया है.उसने बीओ-डाटा मे जो
भी लिखा है वो सब सही है.",शिवा सुरेन जी के ऑफीस चेंबर मे खड़ा था.

"ओके.",सुरेन जी खड़े हो खिड़की से बाहर देख रहे थे,"..यानी उसे हम
एस्टेट मॅनेजर बना सकते हैं?"

"मुझे तो आदमी ठीक लगता है."

"ठीक है.उसे खबर भिजवा देते हैं.",तभी उनका मोबाइल बजा,"हेलो...हा
वीरेन.ठीक है,मैं भी उस वक़्त तक वाहा पहुँच जाऊँगा.",उन्होने फोन बंद
किया.

"शिवा,मैं ज़रा पंचमहल जा रहा हू..",उन्होने अपनी कलाई पे बँधी घड़ी को
देखा,11 बज रहे थे,".शाम तक वापस आ जाऊँगा.सेक्रेटरी को उस इंदर धमीजा को
फोन करने के लिए कह देता हू..",उन्होने अपना मोबाइल अपनी जेब मे
डाला,"..परसो सवेरे 10 बजे उसे यहा बुलाता हू.तुम भी उस रोज़ फ्री
रहना,मैं चाहता हू की उस से बात करते वक़्त तुम भी वाहा मौजूद रहो."

"ओके,सर.",शिवा उन्हे उनकी कार तक छ्चोड़ने आया जहा देविका भी खड़ी
थी.कार के जाने के बाद दोनो ने 1 दूसरे को देखा मगर जल्दी से नज़रे घुमा
ली.वाहा और भी लोग खड़े थे.शिवा अपने कॅबिन मे आके बैठ गया.उसका इंटरकम
बजा & देविका ने उसे सुरेन जी के कॅबिन मे बुलाया.प्रेमिका को अपनी बाहो
मे भर उसे प्यार करने के ख़याल से शिवा की आँखे चमक उठी.

मुस्कुराता हुआ वो जैसे ही कॅबिन मे दाखिल हुआ,उसका चेहरा उतर गया,वाहा 1
और शख्स भी मौजूद था.देविका से उसके चेहरे के भाव छुपे ना रह सके.1 पल को
उसे हँसी भी आई अपने आशिक़ के उपर मगर अगले ही पल उसके दिल मे भी टीस
उठी....कितने करीब थे दोनो मगर फिर भी कितने दूर!

"ये मिस्टर.कुमार हैं,ये हमे अपनी कंपनी के सेक्यूरिटी सिस्टम्स & बाकी
प्रॉडक्ट्स के बारे मे बताना चाहते हैं..& ये हैं मिस्टर.शिवा हमारे
सेक्यूरिटी इंचार्ज..आप इन्हे बताएँ अपने प्रॉडक्ट्स के बारे मे.",वो
सेल्स रेप्रेज़ेंटेटिव ब्रोशौर्स निकाल के शिवा को दिखाने लगा.शिवा उसकी
बाते तो सुन रहा था मगर उसका ध्यान अपनी प्रेमिका पे भी था....आज हरी
सारी मे वो कितनी खूबसूरत लग रही थी!..यही हाल देविका का भी था..वो भी
चोरी से शिवा को निहार रही थी..उसका दिल,उसका जिस्म उसके लिए तड़प रहा था
मगर वो क्या कर सकती थी.

"थॅंक्स,सर.मैं आपसे फिर मिलता हू.",वो आदमी वाहा से चला गया तो दोनो
प्रेमियो ने 1 बार फिर 1 दूसरे को हसरत भरी निगाहो से देखा मगर इस वक़्त
दफ़्तर मे सभी लोग मौजूद थे & ऐसे मे कॅबिन बंद कर 1 दूसरे मे डूबना लोगो
को बाते बनाने का मौका देना होता.शिवा उठा & चुपचाप अपने कॅबिन मे चला
आया.अपनी कुर्सी पे बैठ उसने अपनी आँखे बंद कर ली & यादो मे खो गया. (
दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )

देविका उसे शुरू से ही बड़ी अच्छी लगती थी.शिवा ने उसके जैसी खूबसूरत औरत
आज तक नही देखी थी मगर वो था तो उसके पति का नौकर.उसने अपनी जगह कभी भी
नही भूली थी मगर वो अपनी नज़रो का क्या करता.देविका उसके सामने आती तो वो
उसे जी भर के देखे बिना नही रह पता था.देविका ने उसे कभी-कभार ऐसा करते
हुए पकड़ा भी था मगर उसे कभी बुरा नही लगा था.

सुरेन जी को उसपे बहुत भरोसा था & 1 दिन उन्होने उसे उसके कॉटेज से उठा
के अपने घर की निचली मंज़िल पे 2 कमरे दे दिए.शिवा उनकी बहुत इज़्ज़त
करता था.उन्होने उसे अपने घर मे जगह दी फिर भी वो अपनी मर्यादा नही भुला
था.उसका ओहदा 1 मॅनेजर के बराबर का था मगर फिर भी वो घर मे काम करने वाले
बाकी नौकरो की तरह पीछे के दरवाज़े से ही आता-जाता था & उन्ही के साथ
किचन मे खाना ख़ाता था.

सुरेन जी के साथ रहते हुए उसे उनके बारे मे लगभग सभी कुच्छ मालूम हो गया
था & वो उनकी अयाशियो के बारे मे भी जान गया था लेकिन ये सारे राज़ 1
सच्चे वफ़ादार की तरह उसने अपने दिल मे दफ़न कर लिए थे.

घर मे रहते हुए उसने महसूस किया था कि देविका भी उसे देखती थी मगर उसे
लगा की उसका दिल-जोकि उस हसीना को प्यार करता-उसे ये ग़लतफहमी हो रही है
मगर 5 साल पहले की उस तूफ़ानी रात सारी ग़लतफहमिया दूर हो गयी.
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08-16-2018, 01:43 PM,
#39
RE: Kamukta Story बदला
सुरेन जी शहर गये हुए थे & रात के 11 बज रहे थे.शिवा खाना खा के अपने
कमरे मे आके कपड़े बदल रहा था कि दरवाज़े पे दस्तक हुई.बिजली की चमक &
बादलो की गरज के बीच उसने दरवाज़ा खोला तो सामने देविका को खड़ा
पाया,"मे'म..आप?..मुझे बुला लिया होता?"

"मुझे तुमसे कुच्छ पुच्छना है.",देविका ने उसके कमरे के अंदर कदम रखा.

"हाँ-2,पुछिये.",शिवा को हैरत हो रही थी.

"मेरे पति जब भी शहर जाते हैं तो क्या केवल काम करते हैं?"

"मैं समझा नही."

"ठीक है.मैं सॉफ-2 पुछ्ति हू.वो वाहा किसी लड़की से भी मिलते हैं?"

"मुझे नही पता.",शिवा घूम के उसकी ओर पीठ कर खड़ा हो गया.

"तुम्हे पता है!",देविका चीखी * उसे घुमा कर अपनी ओर किया,"..मुझे सच
बताओ मेरे पति क्या किसी लड़की के चक्कर मे हैं?",देविका ने उसकी शर्ट का
कॉलर खिचा.

"मुझे नही पता.",शिवा ने उसके हाथ अपनी कमीज़ से हटाने चाहे मगर देविका
ने ऐसा नही होने दिया.

"शिवा,तुम्हे बताना ही होगा.",देविका का सारी का पल्लू उसके सीने से
ढालाक गया & उसके ब्लाउस मे क़ैद बड़ी-2 छातियाँ जोकि गुस्से के मारे
उपर-नीचे हो रही थी उसके सामने आ गयी.

"प्लीज़,मे'म.मैं सच कहता हू मुझे कुच्छ नही पता.",शिवा उसकी पकड़ से
छूटने की कोशिश करने लगा मगर देविका तो जैसे गुस्से मे पागल थी.

"झूठे!तू भी उनके साथ मिला हुआ है ना!क्या वो तुझे भी रंगरेलिया मनाने
देते हैं अपनी उस वेश्या के साथ?",शिवा अब तक सब सुन रहा था मगर अपने
बारे मे ये बकवास उसे बर्दाश्त नही हुई.

"शूट अप!तब से बकवास कर रही हैं आप!जाइए यहा से मुझे कुच्छ नही
पता."देविका ने उसका कॉलर अब भी नही छ्चोड़ा.वो चिल्लाने लगी,"मैं नही
जाऊंगी..बताओ मुझे..बताओ...",गुस्से मे शिवा ने उसकी छातिया दबा उसे
धक्का दिया.

त़ड़क्ककक...!,देविका के करारे चाटे की आवाज़ बिजली की कड़क से भी तेज़
थी.अब शिवा को भी गुस्सा आ गया,उसने आगे बढ़ के देविका के बाल पकड़ लिए &
सर पीछे झुका दिया,"..अपने पति से क्यू नही पूछती जो मुझे परेशान कर रही
हो!"

तड़क्ककक....!,जवाब मे देविका ने 1 और तमाचा जड़ दिया उसे.अब शिवा गुस्से
मे पागल हो गया.उसने दोनो हाथो से देविका के बॉल पकड़ उसके सर को झुकाया
& उसके होंठो को चूमने लगा.देविका ने उसे परे धकेला & तड़क्ककक.....तीसरा
चांटा भी जड़ दिया.शिवा ने उसके बाल फिर पकड़े & फिर से चूमने लगा.देविका
ने उसे फिर धकेला फिर 1 थप्पड़ लगाया.

शिवा ने उसे पानी बाहो मे भींच लिया & उसकी आँखो मे आँखे डाल दी.देविका
की गुस्से से भरी आँखे ऐसी लग रही थी मानो उसे जला के रख देंगी.उसने फिर
से उसके बाल पकड़े तो इस बार देविका ने भी उसके बाल पकड़ लिए & जैसे ही
वो उसके होंठो पे झुका & चूमने लगा उसने उसके होंठ को काट
लिया,"..आहह..!"

शिवा के होन्ट से खून निकल आया था, ( दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के
ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )उसने उसे अपनी ओर खींचा & पागलो की
तरह चूमने लगा देविका उसके बदन पे कभी मुक्के बरसाती तो कभी नोचती मगर
शिवा उसे वैसे ही चूमता रहा.देविका ने उसे ज़ोर का धक्का दिया & अपने से
अलग कर दिया.

शिवा संभला & फिर उसे देखने लगा.देविका की सारी अस्त-व्यस्त थी & गुस्से
से उसका चेहरा तमतमाया हुआ था & साँसे तेज़ चल रही थी.दोनो 1 दूसरे को
देखे जा रहे थे.शिवा उसकी काली आँखो मे जैसे डूब रहा था.उसे पता ही ना
चला & उसके कदम अपनेआप देविका की ओर बढ़ने लगे.

वो उसके बिल्कुल करीब आ गया,दोनो अभी भी 1 दूसरे से नज़रे मिलाए खड़े
थे.शिवा को कुच्छ होश नही था,उसका सर नीचे देविका की ओर झुका तो देविका
ने अपने बाए हाथ से उसकी गर्दन पकड़ नीचे झुकाई & उसके होंठो को चूमने
लगी.

अब तो बाहर का तूफान जैसे कमरे के अंदर भी आ गया.दोनो 1 दूसरे को पकड़े
पागलो की तरह चूम रहे थे.शिवा उसे झुका उसकी गर्दन को चूमने लगता तो
देविका उसे वापस उठा उसके होंठ चूमने लगती.उस रात दोनो ने 1 दूसरे के
कपड़े उतारे नही बल्कि 1 दूसरे के जिस्म से फाड़ के अलग किए.

देविका का नंगा जिस्म जब शिवा ने पहली बार देखा तो उसकी सांस गले मे ही
रह गयी थी.उसने जैसा सोचा था देविका उस से भी कही ज़्यादा खूबसूरत
थी.उसका सपना सच हो रहा था मगर उसे देविका को छुतेहुए डर लग रहा था की
कही वो मैली ना हो जाए.

देविका ने उसे रुका देखा अपने उपर खींचा तो जैसे उसके दिल से सारे शुबहे
मिट गये.उसने उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूचियो को अपने बड़े-2 हाथो तले
जम के रौंदा.देविका की ज़िंदगी मे ये पहला मौका था जब वो ऐसे मज़बूत
जिस्म वाले मर्द के साथ हुमबईस्तर हो रही थी.( दोस्तो ये कहानी आप राज
शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )

शिवा के सख़्त हाथो के नीचे उसकी चूचिया & भी बड़ी हो गयी निपल्स इतने
कड़े की उसे उनमे दर्द सा महसूस हुआ.उसने उसे अपने सीने पे झुकाया तो
शिवा की आतुर जीभ ने उसकी चूचियो को अपने रंग से रंगना शुरू कर दिया.जब
उसने उसके बाए निपल को मुँह मे हर के कोई 1 मिनिट तक लगातार चूसा तो
देविका की चूत मे पानी छ्चोड़ दिया.

शिवा ने उसकी गोरी चूचियो को जम के मसला & चूसा,इन्होने उसे बहुत तडपया
था आजतक आज उसकी बारी थी.देविका के गोल,मुलायम पेट के नीचे उसकी गीली,कसी
चूत देख वो खुद को रोक नही पाया & झुक के उसने अपनी जीभ उस पे फिरा
दी.देविका की आहो मे अब और भी मस्ती आ गयी थी.
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08-16-2018, 01:43 PM,
#40
RE: Kamukta Story बदला
उसकी भारी जाँघो को उठाके जब उसने अपने कंधो पे रखा & उसकी चूत मे अपनी
जीभ तबीयत से फिराई तो देविका के जिस्म मे बिजलिया दौड़ने लगी.शिवा को
याद था की उस रात देविका उसकी जीभ से कोई 2 बार झड़ी थी.वो तो और भी
चाटना चाहता था मगर उसकी प्रेमिका ने ही उसे खींच के उठाया था & अपने
हाथो से उसका लंड पकड़ के अपनी चूत का रास्ता दिखाया था.

शिवा को तो जैसे जन्नत मिल गयी थी!देविका की कसी चूत मे अपना लंड जड तक
धंसा के जब उसने चुदाई शुरू की तो उसकी मस्ती का ठिकाना ही नही
रहा.देविका भी 1 बहुत मस्त औरत थी,उसके नीचे दबे हुए जब उसने उसे अपनी
टाँगो मे क़ैद कर उसकी पीठ को अपने नखुनो से छल्नि कर दिया तो शिवा की भी
आहे निकल पड़ी थी.

कोई 15 मिनिट तक चोदने के बाद वो उसके साथ-2 फारिग हुआ था.झड़ने के बाद
भी वो उसके उपर से उतरा नही,"..मैं तुम्हे बहुत चाहता हू,देविका..बहुत
चाहता हू...जब से यहा आया बस तुम ही तुम मेरे ख़यालो मे च्छाई रहती
थी..",देविका ने उसके लबो को अपने लबो से सील दिया.ठीक ही तो किया उसने
अब कुच्छ कहने की क्या ज़रूरत थी!

जब देविका ने उसके होंठ छ्चोड़े तो वो देविका की आँखो मे झाँकने लगा &
तभी उसे वाहा पानी भरता दिखाई दिया.देविका की रुलाई छूट गयी & उसने उसे
धकेल कर अपने उपर से उतारा & करवट ले तकिये मे मुँह च्छूपा सुबकने
लगी.शिवा ने उसके बॉल सहलाते हुए उसके सर को चूमा & उसे पीछे से अपनी
बाँहो मे भर लिया,"प्लीज़..देविका चुप हो जाओ..प्लीज़!",थोड़ी देर बाद जब
उसकी रुलाई थमी तो उसने सर घुमाया.

आसुओं से लाल उसकी आँखो ने शिवा को दुखी कर दिया,"मैं तुम्हारा गुनेहगार
हू-..",1 छ्होटे से हाथ ने उसके होंठो पे आ उसकी बात बीच मे ही काट दी.(
दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )

"नही..ऐसा नही है..अगर कोई गुनेहगार है तो वो है तुम्हारे बॉस.",बॉस का
नाम सुन शिवा को थोड़ा बुरा लगा,आख़िर उसकी प्रेमिका थी तो उनकी बीवी &
क्या उसके साथ रिश्ता जोड़ के वो उन्हे धोखा नही दे रहा था.उस रात दोनो
प्रेमी 1 दूसरे को दिलासा देते रहे की वो ग़लत नही हैं बस हालात के मारे
हैं.सवेरे तक शिवा ने उस हुसनपरी को 2 बार और चोदा था & उनके दिल मे बस
खुशी ही खुशी थी गम था तो बस 1 की पास होके भी उन्हे दूर रहना था.

उसी रात देविका को भी अपने पति की आय्याश फ़ितरत के बारे मे सही तौर पे
पता चला था मगर उसे अब उस बात की कोई खास परवाह नही थी.उसने उस से उस बात
का बदला ले लिया था उसके नौकर के साथ सोके. 

क्रमशः............
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