06-24-2017, 11:12 AM,
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RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
त्रिकाल के भूके आदमी किसी जोंक की तरह काजल के नंगे जिस्म से चिपके हुए थे. त्रिकाल को काजल कुवारि चाहिए थी अगली अमावस्या तक, पर अभी अपने आदमियो की काम वासना शांत करने के लिए त्रिकाल ने उन्हे काजल की गदराई मोटी फूली हुई गान्ड मारने की अनुमति दे दी थी.
इधर रत्ना त्रिकाल का बिस्तर गरम कर रही थी वही उसकी बेटी पर चार पाँच आदमी चढ़ कर उसकी गान्ड मार रहे थे. काजल ज़ोरो से चिल्ला रही थी और रत्ना उसकी गान्ड फट ते हुए देख रही थी लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई ना था.
ना जाने त्रिकाल के आदमी क्या खाते थे कि सुबह से अनगिनत बार वो काजल की गान्ड मार चुके थे लेकिन अभी भी उनके तगड़े लंड खड़े थे. काजल की गान्ड इतने लंड लेने से बुरी तरह फट चुकी थी. उसके गान्ड का छेद इतना चौड़ा हो गया था कि गान्ड से टट्टी अपने आप बाहर निकलने लगती थी. अपने कॉलेज मे एक बहुत ही खूबसूरत लड़की मानी जाने वाली काजल आज इन घटिया जानवरो से गान्ड मरवा रही थी. उसे अपने पर ही तरस आ रहा था. उसके भाइयो के आने मे देरी से उसकी हिम्मत भी टूटी जा रही थी. अब उसे उसकी मौत तय दिख रही थी.
तभी त्रिकाल ज़ोर से हुंकार भरा और उसके लंड से एक कटोरे भर वीर्य रत्ना की चूत मे गिरने लगा. रत्ना के भोस्डे का छेद इतना बड़ा हो गया था कि पूरे कटोरे भर वीर्य को भी अपने अंदर समा ले.
त्रिकाल ने रत्ना की भोस्डे से लंड खीचा और उसे वापस काल कोठरी मे बंद करवाने का आदेश दे दिया. तभी अचानक बाहर से त्रिकाल का एक दूत आया जो उसके लिए बाहरी दुनिया की खबर लाता था.
“मलिक वो दोनो लड़के....रामपुरा तक पहुचने की कोशिश कर रहे है...और अगर हम ने उनको नही रोका तो वो त्रिशूल पाने मे कामयाब हो सकते है..”
इसे सुनकर त्रिकाल बौखला गया, “नेह्हियियी....ऐसा नही हो सकता....त्रिकाल को कोई नही मार सकता....बहुत जल्दी त्रिकाल अमर हो जाएगा...फिर यह त्रिशूल भी मुझे नही मार पाएगा....हा..हा.हा.”
काजल के ऐसा सुनते ही उसके दिल मे एक उम्मीद जाग गयी कि आख़िर उसके भाइयो ने हार नही मानी है और वो त्रिकाल को मारने आ रहे है.
“मेरे लिए क्या आदेश है मालिक....” उस आदमी ने कहा.
“जाओ जाकर उन दोनो लड़को पर नज़र रखो....मैं कुछ ऐसा करूँगा कि वो दोनो अपना लक्ष्य भूल जाएँगे और तब तक मुझे समय मिल जाएगा अगली अमावस्या तक का....” एक रहस्यमयी मुस्कान हंसते हुए त्रिकाल ने उस आदमी को वहाँ से भेज दिया.
वो वापस तन्त्र साधना पर बैठ गया और घंटो तक तन्त्र मंतरा करता रहा. करीब 6-7 घंटो की तन्त्र साधना के बाद उसने मन्त्र फूक कर अग्नि कुंड मे डाला जिससे एक छोटा सा विस्फोट हुआ और पूरी गुफा मे गहरा धुन्ध फैल गया.
ढुन्ध छांट ते ही सामने एक कुरूप बुढ़िया नज़र आई . इतनी देर से काजल वही पर बँधी पड़ी थी. उसने जब उस बुढ़िया को देखा तो वो समझ गयी कि वो एक चुड़ैल है.
“मुझे कैसे याद किया मालिक...” उस चुड़ैल ने कहा.
“मोहिनी एक ज़रूरी काम करना है...” त्रिकाल गंभीर होते हुए बोला.
“आप एक क्या सौ कहो...मैं करने को तय्यार हू...”
“ठीक है....अपना रूप किसी अप्सरा का धर और मेरे बताए हुए दो लड़को को अपनी काम वासना मे फसा ले....ध्यान रखना वो कभी रामपुरा तक ना पहुच पाए और उन्हे अपने हुस्न मे तब तक फसा के रख जब तक अगली अमावस्या नही आ जाती ताकि मैं इस लड़की की बलि देकर अमर हो जाउ...हा.हा.हा.”
“आपका हुकुम सर आँखो पर मालिक...पर मुझे इसके बदले क्या मिलेगा...” चुड़ैल हंसते हुए बोली.
“बोल तुझे क्या चाहिए....” त्रिकाल गुर्राया.
“मालिक आपको वो पुराने दिन याद है जब आप मेरे साथ संभोग किया करते थे....” चुड़ैल ने याद दिलाया.
“हाँ मुझे याद है...मैने सबसे पहले तेरे साथ संभोग किया था...”
“तो आज इस कार्य के लिए मैं आपसे वो संभोग वापस माँग रही हू...आपके हलब्बी लंड से मेरी चूत चोद दो एक बार...और अपना प्रसाद मेरी चूत मे डाल दो..” बुढ़िया चुड़ैल हंसते हुए बोली.
त्रिकाल मुस्कुराया और चुड़ैल को ज़मीन पर लिटा के अपना भीमकाय लंड उसके फटे भोसड़े मे पेल दिया. काजल को यह सब देख कर उल्टी आ रही थी. करीब घंटे भर चली चुदाई के बाद त्रिकाल ने अपना लंड चुड़ैल की चूत मे खाली कर दिया.
“अब जा और अपना काम कर...” त्रिकाल ने लंड को चुड़ैल की चूत से निकालते हुए बोला.
त्रिकाल का सारा वीर्य अपनी चूत मे समेटे हुए चुड़ैल खड़ी हुई और त्रिकाल का शुक्रिया अदा कर के वहाँ से चली गयी.
वहाँ से दूर राजस्थान मे करण और अर्जुन दोनो रामपुरा गाँव को तलाश करने मे जुटे थे. कुछ लोगो से उन्हे पता चला कि जब से वहाँ गाँव मे अकाल पड़ा है तब से वो उस गाँव को श्रापित मान लिए जिसके बाद सबने वो गाँव खाली कर दिया, और आज यह हालत हो गयी है की सिर्फ़ बड़े बुज़ुर्गो को ही वो गाँव का पता मालूम है.
तभी काले जादू से वो चुड़ैल राजस्थान पहुच गयी और रात मे पैदल चल रहे करण अर्जुन के पास पहुच गयी. उसने काले जादू से अपना रूप बदल कर एक सुंदर सी कामुक अबला नारी बन गयी.
“साहब आपको कही ले चलूं ...” एक घोड़ागाड़ी (तांगा) चलाते हुई सफेद साड़ी मे वो चुड़ैल बड़ी कामुक लग रही थी.
करण और अर्जुन ने उसे पलट कर देखा और करण बोला, “जी हमे रामपुरा चलना है...”
यह सुनते ही चुड़ैल एक रहस्यमयी तरीके से मुस्कुराने लगी. और बोली, “आप बैठिए साहब...मैं आपको रामपुरा तक पहुचा दूँगी..” चुड़ैल की बात सुनकर दोनो चौंक गये. पूरे शहर मे उन्हे रामपुरा का पता कोई नही बता पाया और अब ढलती रात मे एक तान्गे वाली उन्हे रामपुरा पहुचाने की बात कर रही है.
खैर वो दोनो अपना समान टांगा पर रख कर चुड़ैल के आजू बाजू बैठ गये. अर्जुन को चुड़ैल की जिस्म से आती पसीने की गंध पागल बना रही थी, यही हाल करण का भी था.
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06-24-2017, 11:13 AM,
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RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
करण के पास कुछ भी कहने को नही था. उसे खुद सब कुछ गोल मोल लग रहा था. उसे समझ मे नही आ रहा था कि रात उसके साथ क्या हुआ, आज वो सुबह अपने आप होटेल के रूम तक कैसे पहुच गया और निशा यहाँ जयपुर तक कैसे आ गयी.
निशा अपने आँसू पोछते हुए करण के शर्ट का कॉलर पकड़ते हुए बोली,” एक बात बताओ करण , कि मेरे प्यार मे क्या कमी रह गयी थी जो तुमने मुझे आज इतना बड़ा धोका दिया....उस रंडी के जिस्म मे ऐसी क्या बात थी जो तुम्हे अपनी बीवी के जिस्म को छोड़ कर उसके पास चले गये...”
करण कुछ बोल ना सका. उसने अपनी गर्दन नीचे झुका ली. करण की खामोशी को निशा की नज़रो मे उसे और ज़्यादा गिरा दिया.
“मैं सब कुछ सह सकती थी....पर अपने पति को किसी और औरत के साथ नही देख सकती....क्या नही किया मैने तुम्हारे लिए....तुम्हारे लिए अपना जिस्म सौंप दिया तुम्हे....अपना करियर अपने माँ बाप सब कुछ छोड़ कर तुम्हारे पास आ गयी...और बदले मे मुझे मिला क्या...यह धोका...तुमने सिर्फ़ मेरे जिस्म को अपनी वासना शांत करने मे इस्तामाल किया है.”
करण का सर शर्म से झुका रहा.
निशा की आँखे फिर भर आई, वो करण को कॉलर से पकड़ कर झंझोरते हुए बोली, “क्यू....आख़िर क्यू किया ऐसा तुमने करण....बोलो तुम्हे कैसा लगेगा जब मैं किसी गैर मर्द के साथ उसका बिस्तर गरम करू..”
करण निशा के मूह से ऐसी बातें सुनकर अंदर से टूट गया. उसकी आँखे रो पड़ी और वो वही निशा के कदमो मे गिर गया, "निशा मुझे माफ़ कर दो.."
निशा एक पत्थर की मूरत बन खड़ी थी. “करण....मुझे तुमसे तलाक़ चाहिए....” निशा अपने आँसू पोछते हुए बोली.
तलाक़ शब्द करण के कानो मे गूँज उठा. उसका घर बनने से पहले ही बिखर चुका था. जिसे उसने अपनी जान से भी ज़्यादा चाहा आज वो खुद उसे अलग होने की बात कर रही थी. करण को लगा मानो उसका आधा अंश उसे टूट कर अलग हो गया हो.
उसने निशा से कुछ ना कहा और अपने कमरे की तरफ लौट चला. निशा ने भी उसे पलट कर एक बार भी नही देखा और वहाँ से चली गयी.
करण एक लूटे हुए इंसान की तरह वापस कमरे मे आया तो मोहिनी इस बार अर्जुन के लौडे पर कूद कूद कर उसका लॉडा अपनी चूत मे ले रही थी. करण को बहुत गुस्सा आया उसने मोहिनी का हाथ पकड़ कर खीचते हुए कहा, “साली तुझे रंडीबाजी करने के लिए हम ही मिले थे क्या....देख तूने मेरा घर उजाड़ दिया...मेरी नयी नयी शादी हुई थी...तूने सब बर्बाद कर दिया...”
“मैने क्या किया साहब...मैं तो एक ग़रीब विधवा हू....कल रात आप दोनो भाइयो ने ही ज़बरदस्ती मेरा बलात्कार किया था....क्या आप भूल गये...” मोहिनी मासूम बनते हुए बोली.
“क्या बलात्कार...???” करण ने अपने मन मे सोचा. मोहिनी की चुचियो से निकाले दूध पीने के बाद दोनो की यादश्त कमज़ोर हो गयी थी.
“आप कहो तो मैं चुप चाप पोलीस मे जाकर आप दोनो के खिलाफ रपट लिखवा देती हू....”
“नही ऐसा मत करना....हम पता नही यहा क्यू आए थे हमे कुछ याद नही आ रहा....तुम्हे जो चाहिए वो बोलो मैं तुम्हे दूँगा पर पोलीस मे कंप्लेंट मत लिखवाना...” दूध के असर से दोनो रामपुरा जाना ही भूल गये थे.
“ठीक है अगर मुझे यह देदो तो मैं रपट नही लिख्वाउन्गि...” मोहिनी करण के लौडे को ज़िप से बाहर निकालते हुए बोली.
करण ने एक ज़ोरदार थप्पड़ मोहिनी के गालो पर रसीद दिया. “जा चली जा यहाँ से....और दोबारा कभी इधर मत आना...”
मोहिनी को इससे कोई फ़र्क नही पड़ा. उसका काम तो हो गया था. उसकी चुचियो का दूध पीकर करण और अर्जुन दोनो अपनी बहन काजल के बारे मे भूल गये थे.
“जाती हू साहब...मारते क्यू हो...अगर मेरी चूत से मान भर गया हो बोल दो दूसरी की इंतज़ाम करवा दूँगी...” और आँख मारते हुए वो कमरे से निकल गयी.
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