Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
09-17-2018, 02:04 PM,
#71
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
तड़पति जवानी-पार्ट-23

गतान्क से आगे.........

“अरे भाभी आप यहा पर ?” अनिता ने मेरे पास आ कर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.

“कहाँ रह गयी थी तुम ? कितनी देर से तुम्हारा वहाँ उस टेलर की दुकान पर वेट कर रही थी.” मैने चोव्न्क्ते हुए पलट कर अनिता की तरफ देखते हुए कहा ताकि उसको शक़ ना हो कि मैने उसे इस हालत मे देख लिया है. “तुझे पता है मैं कितना घबरा गयी थी तेरे इतनी देर गायब होने से “ मैने थोड़ा झूठा गुस्सा करते हुए कहा.

“सॉरी भाभी !! वो मैं क्या करती वो रिक्शे वाला हमे छ्चोड़ कर कही दूसरी जगह निकल गया था. उसके ही पीछे गयी थी. अगर उसके पीछे ना जाती तो मेरी पायल कभी वापस ना मिलती और घर पर मा तो मुझे कच्चा चबा जाती.” उसने अपने आँखे नीचे झुकाते हुए कहा.

“अच्छा अब ठीक है यहा से जल्दी चलो.. वैसे भी हम काफ़ी लेट हो चुके है घर पर मम्मी हम लोगो के लिए फिकर कर रही होगी.” मैने उसे वहाँ से चलने का इशारा करते हुए कहा.

“भाभी आप ने कपड़े क्या किए ?” अनिता ने मेरा खाली हाथ देख कर मुझसे सवाल किया.

“वो कपड़े मैने अपना नाप उस टेलर को नोट करवा कर बनने के लिए दे दिए है.

“मेरे कपड़े के बारे मे कुछ बोला वो टेलर ?” अनिता ने चलते चलते ही सवाल करते हुए कहा.

“मैने पूछा था पर वो कह रहा था कि अभी बन नही पाए है थोड़ा सा काम बाकी रह गया है आज शाम तक तैयार कर देगा.” मैने बताते हुए कहा.

थोड़ी दूर चलने के बाद ही हमने एक रिक्शा किया और वापस घर के लिए चल दिए…

घर पर आ कर मैं अपने कमरे मे थोड़ा फ्रेश होना चाहती थी पर मम्मी ने मुझे आवाज़ लगा कर वही काम काज मे लगा लिया. इस समय मैं ऐसी हालत मे थी कि मैं फ्रेश होना चाहती थी योनि से निकला हुआ पानी पूरी जाँघो पर बुरी तरह से चिपक रहा था. लेकिन मम्मी ने जो काम बताया था वो काम भी करना ज़रूरी था. इस लिए चुप चाप काम करने लग गयी. घर पर इस समय इतनी गर्मी नही थी लेकिन फिर भी पसीना निकलने की वजह से जाँघो पर लगा हुआ पानी बुरी तरह से चिपक रहा था. जिस से बड़ा अजीब फील हो रहा था. मैं जल्दी जल्दी काम ख़तम करके मौका देख रही थी ताकि टाय्लेट मे जा कर थोड़ा फ्रेश हो सकु.

मैं अपने काम मे बिज़ी थी कि पीछे से मुझे अमित की आवाज़ सुनाई दी. मैने जब पलट कर देखा तो वो मेरी ही तरफ आ रहा था. उसके मेरी तरफ आने से मेरे दिल की धड़कन एक अंजाने डर से तेज होने लग गयी. समझ मे ही नही आ रहा था कि वहाँ रुकु या वहाँ से चली जाउ. मैने अपने मन ही मन मे फ़ैसला कर लिया कि मैं उसकी तरफ कोई ध्यान नही दूँगी. इस लिए उसके पास आने से पहले ही मैने अपना चेहरा वापस घुमा कर जो काम कर रही थी काम पर ध्यान देना शुरू कर दिया. पर दिल मे कही ना कही रात को जो कुछ भी अमित ने छत पर किया था वो सब सोच कर दिल बैठा जा रहा था.

मैं अपने काम मे मगन हो गयी पर काफ़ी देर तक जब मुझे कोई आहट या हरकत नही सुनाई दी तो मैने पीछे पलट कर देख कि वो कहाँ है.. पर वो कही नही दिखा. शायद वो अपने किसी और काम मे बिज़ी हो गया हो. वो मेरे पास नही आया है ये सोच कर मैने मन ही मन एक सुकून की साँस ली. और थोड़ी ही देर मे अपने सब काम निपटा कर मम्मी से बोल कर अपने कमरे मे आ गयी. मुझे इस समय अपने शरीर पर कपड़े बोहोत परेशानी दे रहे थे. पॅंटी और पेटिकोट तो पूरा का पूरा ही खराब हो चुके थे. इस लिए मैने अपने कमरे मे आ कर जल्दी से दरवाजा अंदर से बंद किया और अपनी साडी खोल कर बेड पर फेंक दी और बाथरूम की तरफ जाने लगी फिर सोचा कि ये पेटिकोट और ब्लाउस भी निकाल देती हू घर पर हू तो सलवार पहन लेती हू.
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09-17-2018, 02:04 PM,
#72
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
मैने गाँव मे अपने ससुराल मे ज़रूर थी पर मेरे कपड़े पहनने को लेकर मम्मी पापा को कोई एतराज नही था और ना ही उन्होने मुझे कभी कपड़ो को लेकर कुछ बोला. मैने अलमारी से सलवार सूट निकाला और पेटिकोट उतार कर हाथ मे पकड़ लिया और ब्लाउस को खोल कर उतारने ही वाली थी कि मेरी नज़र सामने ड्रेसिंग टेबल पर गयी तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. अमित मेरे ठीक पीछे खड़ा हुआ था और उसने अपना लिंग हाथ मे निकाल रखा था..

अमित को अपने पीछे देख कर मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी थी कुछ समझ नही आ रहा था. मैं जिस हालत मे थी और वो जो अपने लिंग को बाहर निकाल कर उसे हिला रहा था उस सीन ने तो जैसे मेरे दिमाग़ की सारी नसे कुन्द कर दी थी. समझ मे ही नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही. फिर भी मैने अपने आप को पल भर मे संभालते हुए अपने हाथ मे लगे हुए कपड़ो से अपने शरीर को ढँकने की पूरी कोसिस करने लगी. अपने शरीर को जितना हो सकता था उतना ढक कर मैने उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए उस से कहा कि

“ये क्या बदतमीज़ी है? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहा मेरे कमरे मे बिना मेरी इजाज़त के आने की ?”

वो अपने हाथ से अपने लिंग को हिलाता हुआ मेरी तरफ बढ़ने लगा. उसका इस तरह से मेरी तरफ बढ़ना मुझे अंदर ही अंदर बुरी तरह से घबराहट होने लग गयी.

“वही खड़े रहो.” मैने उसे अपनी तरफ बढ़ते हुए देख कर कहा.

वो एक पल के लिए मेरे गुस्से भरी आवाज़ सुन कर वही रुक गया पर फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बढ़ने लग गया. वो जैसे जैसे मेरी तरफ आता जा रहा था मेरे दिल की धड़कने और भी तेज होती जा रही थी.

“भाभी एक बार दिखा दो अपने सारे कपड़े निकाल कर..”

“तुम यहा से बाहर जाते हो या मैं शोर मचा कर मम्मी और पापा को यहा पर बुलाऊ?” मैने गुस्से से उस पर चिल्लाते हुए कहा.

मेरी बात के जवाब मे मुस्कुरा दिया… “आप की मर्ज़ी है भाभी जी.. मैं तो जब तक यहाँ से नही जाउन्गा जब तक कि आप मुझे फिर से नंगी हो कर नही दिखाते हो..” उसने अपने लिंग पर हाथ चलाना बंद करके इशारे से अपने लिंग की तरफ देखने को बोलने लगा. उसकी इस हरकत से मैं और भी ज़्यादा गुस्से मे आ गई मैं ज़ोर से चीख कर मम्मी पापा को बुलाना चाहती थी पर जैसे ही मैं आवाज़ लगाने को हुई मुझे उसके मोबाइल की याद आ गयी. इस समय मेरी हालत शिकारी के जाल मे फँसे हुए जानवर के जैसी हो गयी थी. जो कहने को तो कुछ भी कर सकता है पर शिकारी के आगे वो सिर्फ़ शिकारी से बचने की दुआ ही माँगता है.

“देखो तुम यहा से चले जाओ. किसी ने हमे यहाँ पर देख लिया तो… प्लीज़ तुम यहा से चले जाओ.” मैने उस से गिड़गिदते हुए रिक्वेस्ट करने लग गयी.

“मैने कहा ना.. जब तक तुम अपने पूरी नंगी हो कर नही दिखओगि मैं यहाँ से नही जाने वाला”

मैं बोहोत अजीब मुश्किल मे फँस गयी थी. शादी का महॉल था और घर मे सभी लोग थे कभी भी कोई भी आ सकता था. और अनिता तो कभी भी आ सकती थी. समझ मे नही आ रहा था कि मैं कैसे उसे कमरे से बाहर भेजू.

“तुम आख़िर मेरे पीछे क्यू पड़े हुए हो. अगर किसी ने देख लिया तो मैं जिंदा नही रहूगी.” पता नही मेरे अंदर उस वक़्त कहा से इतना डर भर गया की मेरी आँखे अपने आप नम हो गयी.

“कुछ नही होगा अभी सब काम मे बिज़ी है कोई नही आएगा. बस तुम एक बार पूरी नंगी हो जाओ ना” उसने मुझे इस तरह से जैसे मैं कोई छ्होटी बच्ची हू समझा रहा हो..

क्या करू क्या ना करू कि स्थिति मे मैं सोच ही रही थी कि दरवाजे के बाहर से आती हुई अनिता और मम्मी जी की आवाज़ सुनाई दी. उन दोनो की आवाज़ सुन कर तो मेरी हालत एक दम खराब हो गयी. दरवाजा बंद था पर फिर भी मेरा दिल बुरी तरह से डर रहा था. मैं मन ही मन दुआ करने लगी कि उन दोनो मैंसे कोई भी इस वक़्त इस तरफ ना आए. उपर वाले को शायद मेरी हालत पर तरस आ गया इस लिए बाहर से आती हुई आवाज़े दूसरी दिशा की तरफ मुड़ती हुई सुनाई देने लगी.. और धीरे धीरे करके आवाज़े आना कम हो गयी. आवाज़ो के कम होते ही मैने चैन की लंबी साँस ली. पर एक मुसीबत इस अमित के रूप मे मेरे सर पर अब भी मौजूद थी जो पता नही कैसे दूर होगी.

“भाभी दिखा दो ना कल रात को ज़रा भी मज़ा नही आया था. अंधेरे मे कुछ भी नही दिखाई दिया.” उसने इस बार अपने चेहरे पर इस तरह के भाव लाते हुए कहा की मुझे ऐसा लगा कि वो मेरी बेज़्जती कर रहा है.

“देखो मैं एक शादी शुदा औरत हू. मेरा पति है मेरे सास ससुर है क्यू मेरी जिंदगी बर्बाद करने पर तुले हुए हो.” मेरी आँखो से अब भी आँसुओ की बूंदे टपक रही थी. “तुम्हारे साथ मैने जो कुछ भी किया वो सब करने के बाद मैं चैन से सो नही पाती हू. हर वक़्त हर समय मुझे अपने पति के साथ किए हुए धोके का एहसास होता रहता है. मेरी पूरी जिंदगी घुटि घुटि सी हो गयी है.”
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09-17-2018, 02:04 PM,
#73
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“भाभी..!!” वो मेरे बिल्कुल नज़दीक आ गया और मेरी आँखो से बहते हुए आँसू को अपने हाथ से सॉफ करते हुए “भाभी आप कुछ मत सोचो कुछ नही हुआ है. आप ने किसी को धोका नही दिया है. बल्कि आप ने तो अपने आप को जो धोका दे रही थी वो सब बंद कर दिया है. और वैसे भी धोका देने की बात जब सामने आती है जब किसी को कुछ पता चले. ना तो मैं किसी को इस बारे मे बताउन्गा और आप किसी को बताओ ये तो सवाल ही पैदा नही होता है. फिर धोका देने की बात कहाँ से आ गयी.”

मैने अपने चेहरे से उसके दोनो हाथ जो मेरे गाल पर बह रहे आँसू को सॉफ कर रहे थे झटक कर दूर कर दिया.”आख़िर तुम चाहते क्या हो ? क्यू मेरी हस्ती खेलती जिंदगी को बर्बाद करने पर तुले हुए हो.मैने अपनी जिंदगी और अपने पति के साथ बोहोत खुश हू”

“मैं क्या चाहता हू…!!! मैं क्या चाहता हू वो तुमको कैसे समझोउ..” कह कर वो एक दम चुप हो गया. उसने ये बात इस तरह से बोली की मुझे कुछ समझ मे ही नही आया कि क्या हुआ वो कहना क्या चाहता है..

“देखो हम दोनो के बीच जो कुछ भी हुआ वो मेरी भूल थी. और मैं वो सब कुछ अब दोबारा नही दोहराना चाहती हू. अगर तुम्हारे दिल मे मेरे लिए ज़रा भी इज़्ज़त या दया है तो प्लीज़ यहाँ से इसी वक़्त चले जाओ” मैने अपने दोनो हाथ लगभग उसके आगे जोड़ते हुए उस से विनती करने लग गयी. मुझे लगा था कि वो मेरी इस रिक्वेस्ट को मान कर चला जाएगा. पर वो वहाँ से हिला तक नही. बल्कि मेरी तराफ़ देख कर मुकुराने लग गया. थोड़ी देर वैसे ही मुस्कुराने के बाद वो मेरे चाहेरे को अपने दोनो हाथो मे लेकर बोला

"ठीक है भाभी जैसा तुम चाहो पर जाने से पहले एक बार मुझे अपने हुस्न का पूरा दीदार करा दो कसम से फिर कभी तुम्हारे पीछे नही आउगा."

उसकी बात सुन कर मैं सोच मे पड़ गयी कि क्या करू क्या ना करू. क्यूकी उसने जिस तरह से अपने दाँत निकालते हुए कहा था. मुझे पता था कि इस से हां करने का मतलब क्या हो सकता है. पर इस समय मैं मजबूर और लाचार थी. एक तो हम दोनो इस हालत मे थे दूसरा घर मे सब लोग माजूद थे कभी भी कोई भी आ सकता था. मरती क्या ना करती अपनी जान छुड़ाने के लिए मैने हां कर दी. “ठीक है पर तुम पहले वादा करो की कुछ भी ग़लत नही करोगे..”

उसने अपना सर हां मे हिला कर कुछ भी ग़लत ना करने की मंज़ूरी दे दी. मेरे हाथ पैर दोबारा से काँप रहे थे. बात उसके आगे कपड़े उतारने की नही थी पर डर इस बात का ज़्यादा था कि अगर कोई आ गया या किसी ने कुछ देख लिया तो क्या होगा. मैने अपने काँपते हुए हाथो से अपने हाथ मे लगे हुए कपड़ो को वही बेड पर रख दिया मेरे शरीर पर इस समय खुला हुआ ब्लाउस और ब्रा पॅंटी थे. वो मज़े से मुझे देख रहा था. मेरा मन तो कर रहा था उसकी उस हँसी को देख कर उसका खून कर दू. पर नही कर सकती थी. मेरे हाथ बुरी तरह से काँप रहे थे और नज़र दरवाजे की तरफ टिकी हुई थी कि कही कोई आ ना जाए.

“क्या हुआ भाभी जल्दी जल्दी उतारो ना.” उसने अपनी बत्तीसी निकाल कर दिखाते हुए कहा.

“मुझसे नही होगा. प्लीज़ तुम चले जाओ. तुमने सब कुछ तो देखा हुआ है अब फिर दोबारा देखने की क्या ज़रूरत है.” मैने लगभग उस से रहम माँगते हुए वाले अंदाज मे कहा.

“कोई नही भाभी आप से नही होगा तो मैं हू ना.. आप का देवर पीनू… ये पीनू किस दिन काम आएगा.” कहते के साथ ही वो अपनी जगह से दोबारा मेरे नज़दीक आ गया और अपने दोनो हाथो से मेरा ब्लाउस पकड़ कर उसे पीछे की तरफ से उतारने लग गया.

मैं उसके अपने ब्लाउस पकड़े जाने से घबरा गयी थी क्यूकी उसका कोई भरोसा नही था वो उन लोगो मे से था जो उंगली पकड़ कर पॉंचा पकड़ने की कोसिस करते है. मैने एक नज़र उसकी तरफ गुस्से से घूर कर देखा पर उसका ध्यान तो मेरे ब्लाउस को उतारने मे लगा हुआ था. “दूर हटो मेरे से” मैने अपने हाथो को झटका दे कर उसको अपने से दूर करते हुए कहा. पर वो बजाय दूर होने के और भी मजबूती के साथ मेरे ब्लाउस को अपने हाथो से पकड़ कर उसे जल्दी से जल्दी मेरे शरीर से अलग करने की कोसिस करने लग गया. और उसकी कोसिस भी जल्दी ही कामयाब हो गयी मेरे शरीर से ब्लाउस भी अलग हो गया. अब मैं उसके सामने सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी मे ही खड़ी हुई थी और वो मेरे पास ही खड़ा हुआ था.

“प्ल्ज़ रहने दो ना कुछ तो रहम खाओ मुझ पर अगर कोई आ गया तो. मुझे बोहोत डर लग रहा है.” मैने फिर से एक आखरी कोसिस करते हुए की शायद मान जाए उसके आगे रहम की भीख माँगी.

“जितनी जल्दी भाभी अपना जलवा दिखओगि मैं वादा करता हू उतनी ही जल्दी यहाँ से चला जाउन्गा.” वो अपने दाँत दिखाता हुआ बोला.

मरती क्या ना करती, इस समय वक़्त और हालत कुछ इस तरह थे कि मुझे उसकी बात मान ने के सिवा दूसरा कोई तरीका नज़र नही आ रहा था अपनी जान छुड़ाने का. मैने अपने दोनो हाथो को अपनी पीठ पर ले जा कर अपनी ब्रा का हुक खोलने लग गयी. डर और शर्म दोनो इस समय मेरे उपर बुरी तरह से हावी थे. मैने अपने हाथ पीछे ले जा कर ब्रा का हुक तो खोल लिया था पर ब्रा को अपनी छाती से अलग करने की हिम्मत नही हो रही थी.
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09-17-2018, 02:04 PM,
#74
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“क्या हुआ, अब हटा भी दो तुम तो ऐसे शर्मा रही हो जैसे पहली बार मेरे सामने अपनी चुचिया दिखा रही हो” कह कर उसने एक हाथ को मेरे नितंब पर ले जा कर उसे बड़ी ज़ोर से दबा दिया. उसके इतनी ज़ोर से नितंब दबाने से मेरे मुँह से चीख निकलते निकलते रह गयी. जिस तरह से वो मेरे शरीर के अंगो के नाम ले कर बोलता था मुझे बड़ी शरम आती थी. चूत, गांद चुचिया भोसड़ी ये सब शब्द मैने कभी यूज़ नही किए और ना ही मनीष ने कभी मुझसे ये सब शब्द बोले. पर जिस तरह से वो मेरे साथ इन शब्दो को लेकर बोलता था मुझे ऐसा लगता था कि मैं किसी बाज़ार मे आ गयी हू.

मैं अपनी सोच मे डरी सहमी सी खड़ी हुई अभी सोच ही रही थी कि उसे अपने हाथ को आगे बढ़ा कर मेरी छाती से मेरी ब्रा को अलग कर दिया. ब्रा के हट ते ही मैने अपनी छाती को अपने दोनो हाथ से छुपाने की कोसिस की लेकिन उसने अपने दोनो हाथो से मेरे हाथो को मेरी छाती से अलग कर दिया. मैं बुरी तरह शरम से मरी जा रही थी कि तभी बाहर से मम्मी के कमरे की तरफ आने की आवाज़ सुनाई देने लगी. मेरी हालत एक दम से बुरी तरह कराब हो गयी थी. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू, अगर मम्मी ने मुझे अमित के साथ कमरे मे देख लिया तो मेरा क्या होगा. क्या सोचेगी वो मेरे बारे मे क्या इज़्ज़त रह जाएगी..

“देखो तुम यहाँ से चले जाओ. मम्मी इधर ही आ रही है. अगर उन्होने तुम्हे यहाँ पर देख लिया तो मेरे लिए बोहोत मुसीबत हो जाएगी.” मैने उस से घबराते हुए कहा.

“ह्म्‍म्म्मम…!!!! चला जाउन्गा पर पहले इसको भी उतारो जल्दी से” उसने अपने एक हाथ को आगे बढ़ा कर मेरी पॅंटी के उपर से मेरी योनि पर फिराते हुए कहा.

उसके हाथ का स्पर्श अपनी योनि पर होते ही मेरे पूरे शरीर मे एक पल के लिए करेंट सा दौड़ गया पर वक़्त की नज़ाकत को ध्यान मे रखते हुए मैने अपने आप को संभाला और अपने दोनो हाथ को अपनी पॅंटी को ले जाकर रख लिए. मेरे दिमाग़ मे बस इस समय यही चल रहा था कि किसी भी अनहोनी के होने से पहले वो यहाँ से चला जाए. इस लिए मैने अपनी पॅंटी को अपने हाथ से एक ही झटके मे उतार दिया मेरी पॅंटी इस समय मेरे दोनो टाँगो के नीचे थी.

क्रमशः................
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09-17-2018, 02:04 PM,
#75
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
तड़पति जवानी-पार्ट-24

गतान्क से आगे.........

“देखो अब तो मैने तुम्हारे कहे अनुसार कर दिया अब प्लीज़ यहाँ से चले जाओ. तुमने जैसा कहा था मैने वैसा ही किया अब प्लीज़ यहाँ से चले जाओ इस से पहले कि मम्मी यहाँ पर आए.” मैने उस से दोनो हाथ जोड़ कर रिक्वेस्ट करते हुए कहा.

“श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह……” उसने मुझे चुप होने का इशारा किया जिसे सुन कर मैं एक दम खामोश हो गयी. “ये क्या लगा हुआ है” मैने उसके हाथ के इशारे की तरफ देखा तो वो मेरी योनि की तरफ इशारा कर रहा था अभी मैं कुछ कहती या समझती इस से पहले ही उसने अपने हाथ को मेरी योनि पर रख कर दिया और उसे सहलाने लग गया.

अभी थोड़ी देर पहले ही अनिता और उस लड़के का सेक्स देख कर मैने जैसे तैसे अपने आप को शांत किया था पर फिर से अपनी नंगी योनि पर अमित के हाथ लगने से ना चाहते हुए भी मेरी योनि अपने आप को नही संभाल सकी और उसने गीला होना शुरू कर दिया. और यही मेरी सबसे बड़ी ग़लती हुई जिस वजह से मैं शरम से ज़मीन मे धँसी जा रही थी.

“बोहोत प्यारी चूत है तेरी भाभी, अपने चाहने वाले को देखते ही कैसे ख़ुसी जाहिर कर रही है” कह कर उसने अपनी उंगली पर मेरी योनि से बहते हुए पानी को ले कर मुझे दिखाते हुए कहा.

“निशा…!!!” बाहर दरवाजे से आती हुई आवाज़ ने तो जैसे मेरे प्राण ही गले मे अटका दिए. बिना कपड़ो के इस हालत मे जहाँ अमित अपने दोनो घुटनो के बल बैठा हुआ मेरी योनि पर हाथ फिरा रहा था. और उसने भी अपनी लिंग को बाहर निकाल रखा था. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि बाहर से आती हुई मम्मी की आवाज़ पर क्या रिक्षन करू.

“बेटी निशा.” बाहर से फिर मम्मी ने आवाज़ लगाई इस बार मैने जैसे ही आवाज़ देने के लिए अपना मुँह खोला था कि अमित ने खड़े हो कर अपना हाथ मेरे मुँह पर रख दिया.

“मौसी भाभी नहा रही है. एक मिनट रूको मैं आता हू.” कह कर उसने मुझे जल्दी से कपड़े ले कर बाथरूम मे जाने को कहा. और खुद दरवाजे की तरफ चल दिया.

मैं बिना कुछ सोचे समझे अपने सारे कपड़े ले कर बाथरूम मे घुस गयी. बाहर उन दोनो मे क्या बात हुई मुझे कुछ नही पता चला. डर के मारे मैने बाथरूम का नल फुल स्पीड पर खोल दिया ताकि ऐसा लगे जैसे बाहर से आती हुई आवाज़ अंदर सुनाई ही नही दे रही है.

“निशा बेटी…” इस बार बाथरूम का दरवाजा खटखटाने की आवाज़ पर मुझे जवाब देना पड़ा.

“कॉन.. कॉन है..” मैने बनने का नाटक करते हुए कहा.

“मैं हू बेटी, नहा कर तैयार हो जा थोड़ी देर बाद हमे पूजा करने के लिए चलना है. और हां मैने तेरे कमरे मे पीनू से कह कर लाइट वगेरह सही करने को कह दिया है. नहा कर जल्दी आ जा फिर पूजा के लिए चलना है”

“जी मम्मी जी मैं अभी 10 मिनट मे नहा कर बाहर आती हू.” मेरे जवाब देने के साथ ही मम्मी वहाँ से चली गयी. मम्मी के वहाँ से जाने के साथ ही मैने एक चैन की साँस ली. पर मेरी समझ मे नही आ रहा था कि आख़िर मम्मी ने पीनू को यहाँ पर देख कर कुछ कहा क्यू नही. कुछ भी हो पर ये अमित है बोहोत बड़ा चालू. मम्मी को ज़रा भी शक़ नही होने दिया कि यहाँ पर क्या चल रहा था.

टकककक… टकककक फिर से दरवाजा ख़टखटाने की आवाज़.. पर कोई आवाज़ नही. मुझे लगा कि कही मम्मी वापस तो नही आ गई. यही सोच कर मैने अपनी छाती पर टवल लप्पेट कर हल्का सा दरवाजा खोल कर बाहर देखा तो अमित खड़ा था.

“अब क्या है ? क्यू मुझे बर्बाद करने के पीछे पड़े हो ?” कह कर मैने दरवाजा बंद करना चाहा पर दरवाजा बंद नही हुआ. उसने दरवाजे मे अपना पैर अड़ा रखा था. उसने दरवाजे को एक धक्का दिया और दरवाजा मुझे पीछे को धकेलते हुए खुल गया.

दरवाजे के खुलते ही वो अपने दाँत फाड़ता हुआ बाथरूम के अंदर घुसा चला आया. बाथरूम मे नल से पानी के गिरने की आवाज़ अब भी बदस्तूर वैसे ही आ रही थी जैसे अभी थोड़ी देर पहले मम्मी के आने का समय हो रहा था. उसके अंदर आते ही मैं बुरी तरह से घबरा गयी. क्यूकी जिस तरह से वो मुस्कुरा रहा था उसकी हँसी उस समय किसी राक्षस से कम नही लग रही थी.

“तुम…. अंदर क्यू आ गये… मैने कहा बाहर जाओ. देखो तुम मेरे सब्र का इम्तहान मत लो. अगर अब तुम यहाँ से नही गये तो मैं शोर मचा कर पूरे घर को यहाँ पर बुला लुगी.” मैने अपनी छाती पर लगे टवल से अपने शरीर को ढकने की नाकाम कोसिस करते हुए कहा.

“तो बुला लो ना डरता कॉन है.. उन्हे भी तो पता चले कि उनकी बहू निशा कितनी खूबसूरत दिखती है.” कह कर उसने अपनी जेब से फ़ोन निकाला और कुछ बटन दबा कर मेरे घर वाली वीडियो मुझे दिखाने लग गया.

मैं मन ही मन अपने आप को गाली देने लग रही थी. काश मैं उस वक़्त ना बहकी होती तो आज ये सब नोबत ना 
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09-17-2018, 02:04 PM,
#76
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
आती. इस सबकी ज़िम्मेदार मैने खुद हू. मेरी आँखो मे डर और गुस्से दोनो के भाव एक साथ देखे जा सकते थे.

“देखो मैं तुमसे फिर से एक बार रिक्वेस्ट करती हू.. मुझे छ्चोड़ दो और यहाँ से चले जाओ.” मैने उस से फिर से रिक्वेस्ट करते हुए कहा.


“छ्चोड़ दो नही भाभी बोलो की चोद दो.. हहहे” वो अपनी बत्तसी दिखाते हुए बोला. “भाभी उस वक़्त कुछ भी देखने को सही से नही मिला था. अब एक बार तस्सल्ली से अपना जलवा दिखा दो.”

“देखो तुम यहाँ से चले जाओ. मम्मी ने मुझे जल्दी से तैयार हो कर आने को . ” मैने उसे समझाते हुए कहा.

“मुझे पता है इसी लिए तो कह रहा हू जल्दी से एक बार अपना जलवा दिखा दो. ताकि मैं अपने लंड को हिला कर पानी निकाल सकु.” कह कर उसने अपने पेंट की ज़िप से अपने लिंग को बाहर निकाल लिया.

मुझे पता था कि इस से बहस बाजी करने से कोई फयडा नही है. इस से बहस बाज़ी करने के चक्कर मे अगर मैं लेट हो गयी तो पता नही मम्मी मेरे बारे मे कुछ उल्टा ना सोचने लगे. यही सोच कर मैने बिना कुछ कहा सुनी करे अपने हाथ से पकड़ा हुआ टवल जो पूरी तरह से तो नही पर काफ़ी हद तक मेरे शरीर को ढक रहा था अपने हाथ से वही फर्श पर गिरा दिया. टवल के ज़मीन पर गिरते ही उसकी आँखे ख़ुसी के मारे चमक उठी.

उसने उपर से नीचे तक मुझे घूर कर देखा. उसकी निगाहे मेरे पूरे शरीर पर किसी आरी की तरह चल रही थी. पूरे शरीर को देखने के बाद उसने मेरे चेहरे की तरफ देखा, उसको अपनी तरफ घूरता हुआ पा कर मैने अपनी निगाह नीचे ज़मीन की तरफ कर ली. मेरी हालत इस समय बच्चो के खेलने वाली गुड़िया के जैसे हो गयी थी. वो उस गुड़िया को जैसा चाहे वैसे यूज़ कर सकता है. पर मैं गुड़िया नही थी मैं इंसान हू और इंसान के अंदर सब भाव होते है. वो मुझे लगातार उपर से नीचे तक घूरे जा रहा था. और अपने लिंग को अपने हाथ से हिला रहा था.

“अब तो तुमने देख लिया अब यहाँ से चले जाओ और मुझे शांति से जीने दो.” मैने अपनी नज़र उठा कर उसकी तरफ देखते हुए कहा.

उसने बिना कुछ कहे सुने अपने हाथ को जो उसके लिंग को हिला रहा था रोक कर मेरे नितंबो पर ला के उन्हे कस के दबा दिया.उसके नितंब पकड़ कर दबाने का तरीका ऐसा था की दर्द के मेरे मुँह से चीख सी निकल गयी. मेरे मुँह से निकली हुई चीख सुन कर वो अपनी बत्तसी फाड़ता हुआ बोला.

“भाभी एक बात तो है. तुम आवाज़ बोहोत बढ़िया निकालती हो. और अभी मैने तुम्हे पूरा कहाँ देखा है”

“अब क्या बाकी रह गया है जो तुमने नही देखा ?” मैने चोव्न्क्ते हुए कहा.

“ये भाभी…” कह कर उसने फिर से अपने हाथ से मेरे नितंब को कस कर मसल दिया. “ये तुम्हारी मतवाली गांद जो . . को पागल कर सकती है.” कह कर उसने मुझे उल्टा घूमने का इशारा किया. इस से पहले कि मैं घूमती उसने अपने दूसरे हाथ को भी मेरे नितंब पर टिका दिया और मुझे घुमा दिया. “ भाभी तुम्हारी इस मतवाली गांद की तारीफ मे तो शब्द ही ख़तम हो जाते है. जब से देखी है तब से आँखो के आगे घूमती रहती है. कितनी सॉफ सुथरी, कितनी गोरी है. और गांद के बाल तो सोने के जैसे चमक मार रहे है” कहते कहते उसने इस बार अपने दोनो हाथ से मेरे नितंबो को मसल दिया.

मैं इस वक़्त उसकी बातो मे कोई दिलचस्पी लेने के मूड मे नही थी. मुझे पता था कि वो मेरी तारीफ कर रहा है. पर इस वक़्त मेरे कानो मे मम्मी जी के कहे शब्द गूँज रहे थे कि बेटी जल्दी तैयार हो कर बाहर आजा पूजा करने जाना है. इस लिए मैने उस से कहा “अब तो देख लिया अब तुम्हारा काम हो गया अब यहा से जाओ और मुझसे दूर रहना.”

“बस भाभी एक मिनट और जी भर के देख लेने दो इस मतवाली गांद को. किस्मत वालो को ही इसे देखने का मौका मिलता है. भाभी थोड़ा झुक जाओ ना ताकि तुम्हारे दोनो तरबूजो के बीच की सरकारी बॅंक का रास्ता दिखाई दे.”

मैं इस समय जल्दी से जल्दी उस से पीछा छुड़ाना चाहती थी. इस लिए उसने जैसे झुकने को कहा मैं वैसे ही झुक गयी.

“थोड़ा और नीचे को भाभी” उसने मेरी पीठ पर अपना हाथ रख कर उसे झुकते हुए कहा. जिस से मेरे दोनो नितंब हवा मे आ गये. “हां अब ठीक है” कह कर वो चुप हो गया.

और जैसे ही मेरी समझ मे आया कि वो क्या करना चाहता है तब तो उसने वो कर दिया. मुझे उसने घोड़ी बना कर मेरे नितंब मे अपना लिंग एक ही झटके मे आधे से ज़्यादा घुसा दिया. इस अचानक हुए हमले से मैं दर्द से बुरी तरह से तिलमिला उठी. मैने अपने दोनो हाथ पीछे ले जाकर उसे अपने से दूर करने की कोसिस की पर उसने मेरे दोनो हाथो को कस कर पकड़ कर एक धक्का और लगाया और उसका पूरा का पूरा लिंग मेरे नितंब मे . चला गया. दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा था. मेरे मुँह से चीख ना निकले इस लिए मैने अपने निचले होंठ को कस कर बंद कर लिया. जिस वजह से दाँत के बीच आ जाने से उसमे से खून निकल आया.

मैं दर्द से छटपटा रही थी. उसे अपने से अलग करना चाहती थी. पर उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी मुझ पर कि मैं चाह कर भी खुद को उस से अलग नही कर पा रही थी. उसने वैसे ही खड़े हुए अपने एक हाथ को जो खाली था उसे मेरे योनि पर घुमाना शुरू कर दिया. मैं उस से अपनी जान छुड़ाना चाहती थी.

“देखो अमित तुम्हे जो कुछ भी करना है मैं अपने आप तुम्हे मौका दे दुगी पर इस वक़्त मुझे छ्चोड़ दो. बाहर मम्मी जी मेरा वेट कर रही है. अगर वो यहाँ आ गयी और मुझे तुम्हारे साथ इस हालत मे देख लिया तो मैं जिंदा नही बचूगी. प्लीज़ मुझे छ्चोड़ दो. मैं तुमसे वादा करती हू कि मैं अपने आप तुम्हे जो भी तुम करना चाहते हो करने दुगी पर इस वक़्त मेरी मजबूरी को समझो.” पता नही उस पर मेरी इस बार की हुई रिक्वेस्ट का क्या असर हुआ कि उसने मुझे छ्चोड़ दिया. उसकी पकड़ से छूटने के बाद मैं बाथरूम से निकल कर ऐसे भागी जैसे बरसो के बाद मैं किसी क़ैद से आज़ाद हुई हू. बाहर आ कर बिना उस तरफ देखे मैने जल्दी से अपने कपड़े अलमारी से निकाले और उन्हे पहन कर तैयार हो कर सीधा बाहर आ गयी.

बाहर आ कर मैने एक राहत की साँस ली. बाहर मैने चारो तरफ देखा कि किसी ने मुझे देखा तो नही है. पर वहाँ कोई नही था. मैं वहाँ से जल्दी से बाहर बैठक वाले कमरे की तरफ आ गयी. जहाँ कयि सारी औरते तैयार हो कर बैठी थी. वहाँ मौजूद सभी औरतो को देख कर मैने सबको नमस्ते और पैर छू कर सम्मान दिया. मैं इधर उधर देखा पर मम्मी जी कही नज़र नही आ रही थी. थोड़ी ही देर मे मम्मी जी भी वहाँ पर आ गयी. वहाँ मौजूद दो तीन बुजुर्ग औरतो ने मुझे पूजा का सामना इकट्ठा करने को कहा. जो मैने जल्दी से अनिता की मदद से साथ मे ले लिया.
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09-17-2018, 02:04 PM,
#77
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
पूजा का सब सामान ले कर हम सब बाहर की तरफ चल दिए. वहाँ पर सुजाता भी थी. वो बोहोत खुश थी पर उसकी नज़ारो से सॉफ पता चल रहा था कि वो इधर उधर किसी को खोज रही है और वॉक ऑन था ये समझने मे ज़रा भी देर नही लगी क्यूकी विकास भी बाहर आ गया था. और सुजाता की निगाहे एक टक सिर्फ़ और सिर्फ़ विकास को ही देखे जा रही थी. घर पर सब काम ख़तम करने के बाद सब लोग मंदिर की तरफ चल दिए. घर पर केवल विकास और अमित ही रह गये थे.

पूजा के बाद सब घर पर आ गये और महिला गीत कार्यक्रम शुरू हो गया. कब रात के 11 बज गये पता ही नही चला. सब औरतो के जाने के बाद हम सबने एक साथ बैठ कर खाना खाया.. खाना ख़तम करके मैं और मनीष अपने कमरे मे जाने ही वाले थे की मम्मी बोली कि “निशा..!! बेटी देखना पीनू ने तुम्हारे कमरे की बिजली सही कर दी या नही.”

“जी मम्मी जी” कह कर मैने कमरे मे लगी लाइट को चेक किया तो सब लाइट सही थी. कल कुछ भी चेक नही किया था. मैने मम्मी जी जो कि हमारे साथ ही कमरे मे आ गयी थी को बोलो “जी मम्मी जी सब लाइट ठीक ठाक है”

“चलो ठीक है बेटा अब तुम दोनो सो जाओ” बोल कर मम्मी जी कमरे से बाहर निकल गयी.

मनीष कमरे मे आ कर बाथरूम मे चले गये फ्रेश होने के लिए और मैने मम्मी जी के जाते ही अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. थकान तो मुझे भी बोहोत लग रही थी और मैं भी फ्रेश होने के लिए मनीष के बाहर आने का इंतजार करने लग गयइ. अपने कपड़े उतार कर मैं ब्लाउज और पेटिकोट मे बैठ गयी. थोड़ी ही देर मे मनीष बाथरूम से टवल निकाल कर बाहर आ गये. मैने अलमारी से रात के लिए उनके कपड़े पहले ही निकाल लिए थे. उन्होने आ कर मेरे हाथ से कपड़े लिए और मेरी तरफ देख कर प्यार से मुस्कुरा दिए. मैने भी अपने कपड़े लिए और बाथरूम मे नहाने के लिए चली गयी.

नहा कर मैं भी बेड पर आ कर लेट गयी. थोड़ी देर हमने घर की बाते करी फिर मनीष ने लेटे हुए ही अपनी एक टाँग को मेरी टाँग पर रख दिया. हम दोनो ही एक दूसरे की तरफ मुँह करके लेटे हुए थे. मनीष ने अपना एक हाथ बढ़ा कर मेरी पीठ पर रख लिया. और मेरी पीठ को सहलाने लग गये. थोड़ी देर यूँ ही सहलाने के बाद उन्होए मुझे खींच कर अपने से चिपका लिया और अपने लबो को मेरे लबो पे टिका दिया. किस करते हुए मनीष का हाथ बराबर मेरी पीठ को सहला रहा था. जैसे ही मनीष का हाथ मेरे नितंब पर आया मुझे लगा की मनीष अब मेरे नितंब को दबाएगे या मसलेगे पर ऐसा कुछ नही हुआ. मैं मन ही मन चाहती थी कि मनीष अपने दोनो हाथ से मेरे नितंबो को खूब कस कस कर बदाए पर उन्होने ऐसा कुछ नही किया.

किस ख़तम होने के बाद मनीष ने अपने कपड़े उतार दिए और मैने अपने.. मनीष ने बिल्कुल इस तरफ से सेक्स किया जैसे वो कोई फ़ॉर्मेलिटी पूरी कर रहे हो. शायद ये थकान की वजह से था. पर मुझे ज़रा भी मज़ा नही आया. मनीष ने सिर्फ़ एक ही बार किया जबकि मैं चाहती थी कि मनीष और करे पर वो अपने कपड़े पहन कर सोने के लिए लेट गये.

दो तीन दिन घर पर सिर्फ़ शादी की तैयारी चलती रही रोज़ रात को घर पर महिला संगीत होता और बेडरूम मे मनीष का फॉरमॅलिटी पूरा करना. आज शादी का दिन था पूरा घर रिश्तेदारो और मेहमानो से भरा पड़ा हुआ था. सब लोग इतने बिज़ी थे कि किसी के पास भी साँस लेने की फ़ुर्सत नही थी. मुझे काफ़ी देर से टाय्लेट आया हुआ था पर घर मे कोई भी जगह ऐसी नही थी जहा मैं टाय्लेट कर सकु. यहाँ तक कि मेरे कमरे के टाय्लेट मे भी घर आई हुई रिश्तेदार गयी थी.

समझ मे नही आ रहा था कि कहाँ टाय्लेट जाया जाए और कहाँ नही. तभी मेरे दिमाग़ मे ख़याल आया कि छत पर कोई नही है छत पर जा कर आराम से टाय्लेट किया जा सकता है. छत पर आ कर मैने चारो तरफ देखा पर कोई ढंग की जगह नही दिखाई दे रही थी. तभी वो स्टोर रूम वाला कमरा जहाँ पर विकास और सुजाता ने सेक्स किया था उसका ख़याल आया. मैं जल्दी से उस कमरे की तरफ चल दी.

क्रमशः................
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09-17-2018, 02:06 PM,
#78
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
तड़पति जवानी-पार्ट-25

गतान्क से आगे.........
छत पर बना ये स्टोर रूम शादी की वजह से ठसा थस भरा हुवा था. घर का सारा बेकार समान यही रखवा दिए गये थे. टूटी हुई कुर्सियाँ, पुरानी आल्मिरा, पुराना बड़े वाला संदूक सब इसी कमरे में पड़े थे. मुझे ठीक तो नही लग रहा था ये सब करना मगर मैं क्या करती पेट दर्द से फटा जा रहा था. मैं दबे पाँव कमरे में घुस्स गयी. मगर जब दरवाजा बंद करने लगी तो मुझे बोहोत आश्चर्या हुआ.

दरवाजा भी स्टोर में रखे समान की तरह पुराना हो चुका था और उसकी कुण्डी टूटी हुई थी. मतलब की दरवाजा झुका तो सकती थी मगर अंदर से मुझे लॉक नही कर सकती थी. मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था कि क्या किया जाए क्यूकी अमित का घर पीछे ही था और वो काफ़ी देर से मुझे ही घूरे जा रहा था. मैने कमरे में चारो तरफ नज़र दौड़ाई. कमरे में पुरानी आल्मिरा थी. उसके साथ संदूक भी रखा था. संदूक को देख कर मुझको ख्याल आया कि इनके पीछे बैठ कर आराम से शुषु किया जा सकता है. ये ख्याल आते ही राहत की एक लहर मेरे तन बदन में दौड़ गयी. मैने चुपके से बाहर झाँक कर देखा. बाहर कोई नही था. मैने उस दरवाजे को पूरा झुका दिया और एक पुराना सा डब्बा उठा लिया जिसमें बैठ कर आराम से टाय्लेट किया जा सके. डिब्बे को लेकर मैं आल्मिरा के पीछे चली आई और अपनी सारी उपर उठाई, पेटिकोट को भी उपर सरकाया और ठीक डब्बे के उपर अपने नितंबो को झुका दिया. फिर मुझे वो राहत की साँस मिली जिसका कि अंदाज़ा भी नही लगाया जा सकता. 
इतनी देर से रोके हुए टाय्लेट को करने मे मैं इतना खो गयी कि मुझे ध्यान ही नही रहा कि कोई कमरे में आ गया है. दरअसल मुझे अपने टाय्लेट की आवाज़ में कुछ सुनाई ही नही दिया और आने वाला वैसे भी दबे पाँव आया था.

“हाए रे क्या मस्त गांद है तेरी. कोन सा साबुन लगाती हो इस पर जो ये ऐसे दूध की तरह चमक रही है.” कमरे मे आई उस आवाज़ को सुन कर तो मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन ही निकल गयी. समझ ही नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू.

“त..त…तुम, तुम यहाँ क्या कर रहे हो.” मैने उस बुड्ढे मुकेश शर्मा को अपनी साडी नीचे करते हुए कहा. ये वही मुकेश शर्मा था जो मेरे गाँव मे आए हुए पहले ही दिन मुझे वासना भरी थर्कि नज़रो से देख रहा था.

“मैं तो हुस्न का दीदार कर रहा हूँ मेरी रानी, पर ये बताओ कि तुम यहाँ क्या कर रही हो. तुम्हारा मूत स्टोर में ही निकलता है क्या.” उस बुड्ढे ने अपने दाँत निकाल कर दिखाते हुए कहा.

मुझसे ये बर्दास्त नही हुआ और मैं अब कोई भी इस तरह का ख़तरा मोल नही लेना चाहती थी जैसा मेरे और अमित के बीच हुआ वो सब मैं दोहराना नही चाहती थी इस लिए मैने आगे बढ़ कर एक तमाचा जड़ दिया मुकेश शर्मा के मूह पर. “तुम समझते क्या हो खुद को. दफ़ा हो जाओ यहाँ से. उमर देखी है अपनी पैर कबार मे लटक रहे है. और यहाँ पर इस तरह की बात कर रहे हो.”

एक पल को तो शर्मा की आँखो के आगे तारे घूम गये. फिर कुछ संभाल कर वो बोला, “जितनी ज़ोर से तूने ये तमाचा मारा है ना, उतनी ही ज़ोर से तेरी गांद ना मारी तो मेरा नाम मुकेश शर्मा नही.”

मेरा मन किया की इसके मुँह पर एक तमाचा और मारु और यही सोच कर मैं उसे कुछ बोलने ही वाली थी कि मुझे स्टोर के बाहर कुछ लोगो की आवाज़ सुनाई दी. बाहर से आती हुई आवाज़ को सुन कर मेरी तो साँस ही अटक गयी.

“लगता है कुछ लोग टहलने के लिए उपर आ गये हैं.” उस बूढ़े शर्मा ने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा.

“श्ह्ह चुप रहो तुम कोई सुन लेगा.” मैने उस बूढ़े से धीरे से कहा. मेरे चेहरे पर चिंता की लकीरे सॉफ देखी जा सकती थी. मैने थोड़ा आगे आकर झाँक कर देखा. दरवाजा बंद था. ऐसे महॉल मे मैं बाहर जाउन्गि तो लोग पता नही क्या समझेंगे. यही सोच कर मैं बुरी तरह से घबरा रही थी पर वो बूढ़ा मुकेश शर्मा तो सीना ताने खड़ा था जैसे कि उसे कोई डर ही ना हो.

“हुम्हे यही रहना होगा कुछ देर, जब तक कि ये लोग ना चले जायें.” मैने उम्मीद भरी नज़रो से उस बुड्ढे की तरफ देखते हुए धीरे से कहा.

“पर मुझे जाना होगा. मुझे पेसाब करना है.” उस बूढ़े ने बाहर की तरफ देखते हुए कहा.

“थोड़ी देर रुक नही सकते तुम. देखते नही बाहर लोग है. किसी ने मुझे यहा देख लिया तो पता नही क्या क्या सोचेंगे मेरे बारे में.” मैने रिक्वेस्ट करते हुए कहा.

“ऐसा क्या ग़लत सोचेंगे, ठीक ही सोचेंगे तुम्हारे बारे में.” बुढहे ने मेरी तरफ देखा और अपनी बत्तीसी निकाल दी.

“क्या मतलब है तुम्हारा?” मैने चोन्क्ते हुए कहा.

“क्या तुमने पीनू से गांद नही मरवाई थी… सच सच बताना क्या उसने तुम्हारी गांद मे अपना लंड नही डाला था.” वो बुड्ढ़ा बोलते हुए थोड़ा सा मेरे नज़दीक आ गया था.

उसके मुँह से ये सब सुन कर मैं एक दम हैरान रह गयी. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि क्या जवाब दू. फिर भी मैने अपनी लड़खड़ती हुई आवाज़ को संभालते हुए कहा कि “ये सब झूठ है.”

“पर मैने पीनू और तुमको यही इस छत पर देखा था जब वो तुम्हारी गांद मार रहा था…”

“ये सब बकवास है तुमने किसी और को देखा होगा.” मैने अपने चेहरे पर गुस्से का भाव लाते हुए कहा ताकि उसकी बात को झूठ साबित कर सकु.

“ हन किसी और को भी देखा था और तुमको भी देखा था पर खेर चलो छ्चोड़ो.. अब मुझे जाने दो. मुझे बहुत तेज मूत आ रहा है.” उस बुड्ढे ने इस तरह से बात को ख़तम करके जैसे वो सच मे मान गया हो कि मैने सही कहा है. और उसकी आँखो को कोई धोका हुआ हो . पर बाहर जाने की बात सुन कर मेरी हालत खराब होने लगी.
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09-17-2018, 02:06 PM,
#79
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
“थोड़ी देर रुक नही सकते तुम.” मैने उस बूढ़े से दबी आवाज़ में कहा.

“ठीक है मैं भी तुम्हारी तरह इस डिब्बे में कर लूँगा. हम दोनो के पेसाब मिल जाएँगे आपस में हिहिहीही.” बूढ़े ने इतनी गंदी हँसी हस्ते हुए कहा कि मन किया कि एक तमाचा और जड़ दू उसके गाल पर…

“नही तुम यहाँ नही करोगे.” मैने उसे मना करते हुए कहा.

“अजीब समश्या है ये. ना तो मुझे जाने देती हो ना ही मुझे यहा करने देती हो. मैं जा रहा हूँ.” बुड्ढे ने चिढ़ते हुए जवाब दिया और दरवाजे की तरफ चल दिया.

“ठीक है कर लो उधर मूह करके.” मैने उसके बाहर की तरफ जाने से घबराते हुए कहा.

“मज़ा आएगा इस डब्बे में पेसाब करके, हिहिहीही.” बूढ़े ने तुरंत वहाँ जाते हुए कहा.

उसने डब्बे को पैर से सरकाया और मेरी तरफ पीठ करके पेसाब करने लगा. वो कुछ इस तरह से पेसाब कर रहा था कि ज़्यादा आवाज़ ना हो. पूरा पेसाब करके वो मेरी तरफ घूम गया. और बोला कि

“मैने मूत लिया है अब तुम भी घूम सकती हो.”

मैं उसके मूतने की वजह से जो उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी, चुपचाप उसकी तरफ घूम गयी.

“इन लोगो को भी अभी आना था.” मैने मन ही मन मे झल्लाहट हुए कहा.

“देखोगी मेरा.” उस बुढहे ने मेरी तरफ देख कर अपनी गंदी हँसी हेस्ट हुए धीरे से कहा.

“क्या मतलब?” मैने हैरान होते हुए कहा..

“मैने कहा मेरा लॉडा देखोगी क्या.” उसने एक दम से गंदी भाषा मे बोलना शुरू कर दिया.

“तुम्हे शरम नही आती ऐसी बाते करते हुवे. मैं तुम्हारी बेटी की उमर की हू और तुम इस तरह बोल रहे हो अब एक शब्द भी और कहा तो फिर से रख दूँगी एक गाल पर.” मैने पूरे गुस्से से उस पर आखे निकाल कर झल्लाते हुए कहा.

“मैं निकाल रहा हूँ अपना, तुझे देखना हो तो देख लेना.” उस बुड्ढे ने दाँत दिखाते हुए कहा.

“मुझे कोई दिलचस्पी नही है, और अब यहाँ पर चुपचाप खड़े रहो.”

उस बूढ़े मुकेश ने अपनी पॅंट उतारनी शुरू कर दी. मेरे तो होश ही उड़ गये. हे भगवान ये अपने कपड़े उतार रहा है. ये मरवाएगा मुझे आज.

“ये क्या कर रहे हो तुम” मैं मूड कर थोड़ा ज़ोर से बोली.

मगर ना चाहते हुवे भी मेरी आँखो के आगे वो आ गया जो मैने बिल्कुल भी नही सोचा था. उस बुड्ढे मुकेश की पॅंट घुटनो तक उतर चुकी थी और उसकी टाँगो के बीच एक विशालकाय घोड़े जैसा लिंग लटक रहा था. हे भगवान ये तो अमित के लिंग से भी बड़ा था. मुझे को तो विस्वास ही नही हो रहा था अपनी आँखो पर.

मुकेश शर्मा के लिंग के नीचे उसके बालों से घिरे आंडे झूल रहे थे.

“य…य…ये क्या है.” मैने उसके लिंग को झूलते हुए देख कर हड़बड़ाते हुए कहा.

“लॉडा है मेरी जान लॉडा.” उस बूढ़े मुकेश ने अपनी गंदी हँसी हस्ते हुए अपने लिंग को हाथ मे हिलाते हुए कहा.

“य…य…ये इतना बड़ा कैसे?” उसके लिंग की लंबाई को देख कर मेरे मुँह से अपने आप ही निकल गया.

“सब भगवान की माया है.” मुकेश ने मुकुराते हुए कहा.

जैसे ही मुझे होश आया कि मैं ये सब क्या बकवास कर रही हू मैं तुरंत दूसरी तरफ मूड गयी और उस बुढहे मुकेश की तरफ पीठ कर ली. बाहर लोगो की आवाज़ें लगातार सुनाई दे रही थी. मैं इस बंद स्टोर में एक घोड़े के साथ फँस गयी थी. ये ऐसा घोड़ा था जो दीखने में और आवाज़ से सुवर लगता था मगर इसका लिंग घोड़े वाला था.

अब मैं अजीब मुसीबत में फँस गयी. ये सुवर तो हाथ धोके पीछे पड़ गया था मेरे. बाहर कुछ लोग बाते कर रहे थे और ये मुआ अपनी पॅंट नीचे करके अपने हथोदे को अपने हाथ में पकड़े खड़ा था. समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ और क्या ना करूँ. धीरे धीरे आधा घंटा करीब हो गया हमें स्टोर में लेकिन लोग थे कि छत से जाने का नाम ही नही ले रहे थे.

अचानक मुझे फिर से जोरो का प्रेशर महसूस हुवा. ओह नो अब क्या करूँ. बाहर कुछ और लोगों की आआवाज़ आने लगी. लग रहा था कि कुछ और लोग आ गये थे छत पर. मैं खुद को कोसने लगी. अंजाने में ही मेरे हाथ मेरे पेट पर चले गये.

मुकेश ने पीछे से कहा “अरे डरो मत इस रूम में कोई नही आएगा. लेकिन अगर तुम्हे यहाँ से बाहर जाते हुए किसी ने भी देख लिया तो तुम्हारे ही लिए मुसीबत हो जाएगी” और ये बोल कर वो ह्सने लगा. वो शायद समझ गया कि मुझे ज़ोर से लगी है. नाउ दा बॉल ईज़ इन हिज़ कोर्ट. आइ आम हेल्पलेस. मैने उसके सामने हाथ जोड़े और कहा प्लीज़ आप इधर मत देखो आंड लेट मी टाय्लेट.

मगर वो हस्ने लगा. और बोला कि “तुम्हे मेरे सामने ही करना होगा.”

“मैं तुम्हारे सामने कैसे कर सकती हूँ, कुछ तो शरम करो. प्लीज़ मूड जाओ उस तरफ.” मैने मुकेश से रिक्वेस्ट करते हुए कहा.

“बदले में क्या मिलेगा ये बताओ पहले. क्या मुझे अपनी चुचियाँ दिखाओगि.” मुकेश ने तुरंत अपनी लार टपकाते हुए कहा.

“पागल मत बनो मैं शादी शुदा हूँ.” मैने फिर से उस बुढहे को आँख दिखाते हुए कहा.

“मैं नही मुड़ुउँगा. या तो मेरी बात मानो या फिर मेरे सामने पेसाब करो. मेरे सामने करोगी तो तुम्हारी चूत दिखेगी मुझे. अगर मैं मूड जाउन्गा तो तुम मुझे चुचियाँ दिखा देना. बोलो क्या दीखाना चाहती हो.” वो मेरे से चूत चुचिया ऐसे बोल रहा था कि जैसे वो मेरे साथ रोज़ ही बोलता हो. उसकी बात सुन कर मेरा गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था.
क्रमशः................
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09-17-2018, 02:06 PM,
#80
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
तड़पति जवानी-पार्ट-26


गतान्क से आगे.........“तुम सच में सुवर हो.” मैने अपने गुस्से को बाहर निकाल कर उसे गाली देते हुए कहा.
“हा...हा...हा वो तो मैं हूँ. बोलो क्या दीखओगि चूत या चुचिया.” उसने फिर से गंदी सी हँसी हस्ते हुए कहा. जैसी उसकी सुवर सी शक्ल थी वैसे ही उसकी हँसी भी थी. जिसे सुन कर मेरा खून खोल रहा था.
“तुम मुड़ो तो सही प्लीज़.” मैने उस से फिर से रिक्वेस्ट करते हुए कहा.
“दीखओगि ना फिर अपनी चूची.” उसने मेरी बात पर तुरंत रिप्लाइ करते हुए कहा.
“हां दीखा दूँगी, अब मुड़ो.” मेरे मूह से ना जाने कैसे हां निकल गया जबकि मेरा उस बुढहे को हां बोलने का कोई इरादा नही था.
वो गंदी सी हँसी हंसते हुवे मूड गया. मैने फ़ौरन डब्बे को अपने नीचे सरकाया और उसमें मूतने लगी. जब मैने कर लिया तो वो मूड गया. मगर तब तक मैं उठ चुकी थी. मैने गौर किया कि उसने अपनी जेब से एक देसी दारू की बॉटल निकाल कर पूरी गटक ली थी.
“दीखाओ अब.” वो नशे में थोड़ा ज़ोर से बोला.
“धीरे बोलो कोई सुन लेगा. नही दिखाउन्गि.” मैने सॉफ इनकार करते हुए कहा.
“नही ऐसा मत कहो मैं मरा जा रहा हूँ इन संतरों को देखने के लिए.” उसने इस बार थोड़ा गिड़गिदने वाली स्टाइल मे कहा.
मैं अजीब मुसीबत में फँस गयी थी.अब मैं बाहर कैसे जाउ.. उपर से यह देहाती अपने कपड़े उतार के खड़ा है…ई नो ही ईज़ नोट इन सेन्सस क्यूंकी वो पीया हुआ है. इसलिए अब मुझे ही समझदारी से काम लेना होगा. मुझे उसे प्यार से बहलाना होगा नही तो मेरी इज़्ज़त ख़तरे में पड़ जाएगी. उसने कही ज़ोर से कुछ बोल दिया तो बाहर खड़े लोग ज़रूर अंदर आ जाएँगे.
मुझे अब इन लोगों के जाने का वेट करना है मगर उसके न्यूड बॉडी को देखके मेरी साँसे फूलने लगी. हालाँकि वो बत्सूरत है फिर भी जिस तरह से वो अपने भीमकाय लिंग को अपने हाथ से सहला रहा था मुझे कुछ मदहोशी सी होने लगी थी. मैने सोचा क्यूँ नही लोगो के जाने तक थोड़ा टाइम पास करलूँ मैं. इस से ये कंट्रोल में भी रहेगा और इसके मन की बात भी पता चल जाएगी मुझे. लेट मी सी क्या है इसके दिमाग़ में. वैसे भी मैं उसे अपने साथ कुछ करने तो नही दूँगी.
मेरे मन में यह भी था कि अगर मैं किसी तरह इसका वीर्य निकालने में कामयाब हो गयी तो शायद यह शांत हो जाएगा, क्यूंकी आदमी के अंदर जोश तबतक रहता है जबतक उसके अंदर वीर्य रहता है. एक बार अगर उसका वीर्य बाहर निकल गया तो फिर उसके आगे कितनी भी सुंदर से सुंदर औरत हो वो कुछ नही कर सकता है.
इस बात का पता मुझे पीछले चार पाँच दिनो मे चल गया था जैसे मनीष करते थे. मेरे पास इस समय और कोई रास्ता नही था इस बूढ़े से अपना पीछा छुड़ाने का सिवाय इसके कि मैं उसे अपनी बातो मे फँसा कर उसका पानी निकलवा दू. इसके लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी था मेरा उसके साथ खुल कर बात करना. इसलिए अब मैं भी उसके साथ बात करने लगी.
“इसे यू ही निकाल कर रखोगे क्या. अंदर कर लो इसे.” मैने उसके भीमकाय लिंग की तरफ देखते हुवे कहा.
“तुम ले लो अंदर मेरी जान मैं तो कब से तैयार खड़ा हूँ.”
“धत्त अपने अंदर की बात नही कर रही मैं. इसे पॅंट में रख लो.”
“दे दो ना प्लीज़ एक बार. तूने पीनू को भी तो दी थी.”
उसका यू गिड़गिडना मुझे अप्रिय लगा. मैने उसे और सताने का प्लान बनाया.
“तुम्हे नही मिलेगा कुछ भी. तुमने तो मुझे यहाँ फँसाया है. जाओ तुम से कत्ति.”
“नही नही ऐसा मत कहो मेरी जान निकल जाएगी. बस एक बार दे दो ना.”
“यहाँ कैसे दूं तुम्हे. देखते नही बाहर लोग खड़े हैं. फिर किसी दिन दूँगी.”
“सच कह रही हो.”
“हां बिल्कुल सच.”
“मेरे लंड पे हाथ रख कर बोलो.”
“पागल हो क्या. मेरा यकीन करो. बाद में देखेंगे.”
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