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RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
तभी अंकल ने कहा - बेटा , पहले थोडा ठंडा लो फिर काम करना |
मैंने कहा - मेरा काम ख़त्म हो गया है -बाकी लिखना है वो वरुण कर लेगा , अभी मै जाता हूँ -मेरा क्लास शुरू होने वाला है |
जैसे ही मै घर से बाहर निकला मैंने एक लम्बी सांस ली ......आनंद और डर...फिर आनंद...फिर डर ...का दौड़ ख़त्म हुआ | क्लास जाने का मन हो ही नहीं रहा था इसलिए थोडा रेस्ट करने लौज की तरफ चल पडा |लौज से पहले ही चाय की दूकान पर वरुण दिखाई पडा | उसे देखते ही मै गालियाँ निकलता हुआ उसकी तरफ लपका ..साले बहनचोद ...तू थोडा रुक नहीं सकता था ...साले मरवा दिया न ....बहन के लौड़े ....मादरचोद ....गांड में दम नहीं था तो क्यूँ करता है ..भडवे .....पता है न तेरी माँ ने कितना पकाया है मुझे .....रुक ही नहीं रही थी साली .....मन कर रहा था वहीँ पटककर पेल दूँ साली को .....( वो तो सपने में भी नहीं सोंच सकता था कि उसकी धर्मपरायण , रुढ़िवादी और सख्त विचारों वाली माँ की चूत की गहराई को अपने लम्बे और मोटे लंड से नाप के आ रहा हूँ )
चूँकि वरुण पहले से ही डरा हुआ था , इसलिए गालियाँ सुनकर भी मेरे पास आकर बोला- सॉरी यार ...
मै गुस्से में आता हुए बोला - मादरचोद ...अगर आगे से ऐसा हुआ तो मै तेरी माँ का लेक्चर नहीं सुनूंगा ....सीधा पटककर तुम्हारे बदले तुम्हारी माँ की गांड मारुंगा..वो भी सूखा...फिर मत बोलना |
वो धीरे से बोला - अब ऐसा नहीं होगा , मैं अपने घर की चाभी की डुप्लीकेट चाभी अभी अभी बनबा के लाया हूँ ..एक तुम रखो , मुझे चाभी देते हुए बोला | हालाकि मै उसके घर की चाभी रखना नहीं चाहता था ..फिर ना जाने क्या सोंचकर ...शायद वरुण की अनुपस्थिति में उसकी माँ को चोदने ये मददगार होगी ...इसलिए अपने पास रख लि
अगले दिन मै कॉलेज न जाकर सीधे वरुण के घर १०:३० बजे पहुंचा | जैसे ही आंटी ने दरवाजा खोला तो वो चौंकी - फिर मै अन्दर घुस गया और दरवाजा बंद करते हुए बोला- अंकल को मै बैंक में देख के आया हूँ और वरुण भी कालेज पहुँच गया है , मैंने मोबाइल से पूछ लिया है ..अपने मोबाइल पर आंटी को वरुण का नंबर दिखाने के बहाने आंटी के पीछे पहुचकर अपना मोबाइल आगे ले जाकर दिखाया और पीछे से आंटी के चुतरों से चिपक गया |
मेरे दोनों हाथ आंटी के बगलों से निकलकर मोबाइल को पकडे था और मेरे बाजुओं का शिकंजा माउन्ट एवरेस्ट के शिखरों पर कसने का असंभव प्रयास कर रहा था , जो प्रद्वंदिता में और तनकर उठ खड़े हो रहै थे | और जैसे ही आंटी ने नंबर देखने के लिए मोबइल पकड़ा मेरे आजाद हाथ किला फतह करने शिखरों पर फिसलने लगा | जहां एक तरफ पर्वत शिखर की चुभन मेरे उँगलियों पर एकुप्रेस्सर देकर मेरे छोटे नबाब को जगाकर उसे नीचे के गोल गुम्बदों के बीच घुसने के किये उकसा रही थी ,वहीँ दूसरी तरफ आंटी की साँसों को भारी कर उन्हें लेटने पर मजबूर कर रही थी |
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RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
आंटी गहरी साँसे लेती हुई बोली - मुझे पता था की तुम जरूर आओगे पर इतनी जल्दी आओगे इसका अनुमान नहीं था |
मैंने पूछा- कैसे आंटी ? आपको कैसे पता था की मै जरूर आउंगा |
आंटी बोली - क्यूँ ? आग लगा के नहीं गए थे ....फिर भी पुछते हो ?
मै तब तक अपने बाएं हाथ को शिखरों से मुक्त करके आंटी की नाईटी के अन्दर घुसाकर चिकने पुष्ट - स्तंभों पर फिरा रहा था , …..आह क्या आनंद आ रहा था ..आंटी ने अन्तः वस्त्र -आवरण भी नहीं पहना था |तभी मेरी हथेली पर टप - टप करके पानी की दो बुँदे गिरी |
आंटीजी ! आग से तो यहाँ गर्मी होनी चाहिए थी पर यहाँ तो बरसात हो रही है ....ये कहते हुए मैंने अपनी दो उँगलियाँ जल के गुफा स्त्रोत में घुसा दिया...
आंटी उछ्ल पड़ी- आह ..मार.... दिया ....रे |
अब मै आंटी को भींचते हुए उनके बेडरूम में ले जाकर पटका और उनके ऊपर चढ़ गया |मेरा भी बुरा हाल था , आंटी को चोदने की कल्पना करते हुए सबेरे से दो बार मुठ मार चुका था | अतएब मैंने देर करना मुनासिब नहीं समझा और फटा -फट आंटी की नाइटी को चूचियों के ऊपर उठाकर उनको पूरा नंगा कर दिया |फटाफट मैंने अपने सारे कपडे उतारे और आंटी के ऊपर चढ़ कर उनकी झनझनाती बुर में अपना लौडा दनदनाने लगा और चुचिओं को बारी बारी चुभलाने लगा ...आंटी सिसकने लगी ...और जब मै कभी हौले से दांत से काटता तो उनकी कराहट तेज हो जाती | मै चोदे जा रहा था और वो अस्फुट शब्दों में सिसक रही थी .....आँ.........ऊं.........इस्स.............फिर वो झड़ने लगी ,
काफी समय बाद एक औरत की बुर की भरपूर ठुकाई करके मेरा लंड भी निहाल हो चुका था ....इसलिए मै भी आंटी के साथ ही झड़ने लगा |फिर निढाल होकर आंटी के बगल में लेट गया |
आंटी उठकर नंगी ही बाथरूम को चली गयी और जब लौटी तो नाइटी उठकर पहनने लगी तो मै उछलकर खड़ा हो गया और उनके हाथो से नाइटी खीचकर फेंकते हुए बोला- आंटीजी ! ये क्या कर रही है..अभी तो हमारे पास डेढ़ घंटे बचे है | फिर मैंने आंटी को बांहों में भरकर उनके होटों को चूसने लगा और फिर से उनको गद्देदार बिस्तर पर पटका और फिर बेदर्दी से बुर को मुठ्ठियों में भींचकर मसलने लगा ..
.आउच .....क्या करते हो , अभी अभी तो चोदा है तुमने ....आंटी ने पूछा |
आंटीजी अभी और चोदुंगा | मै फिर आंटी के बगल में लेट गया और उनकी चुन्चियों को सहलाने लगा...
तभी आंटी बड़े नरम और भावुक स्वर में बोली - देखो राजन ! तुम्हे जब भी सेक्स की जरुरत हो तो मेरे पास आ जाना , पर प्लीज .... मेरे बच्चे को हाथ मत लगाना....वरुण मेरा इकलौता बेटा है ...मै चाहती हूँ की वो ठीक हो जाए ...इसलिए तुम्हे मैंने समर्पण किया है ...
.मै थोड़ी देर सोंचता रहा की अब मै इनको कैसे समझाऊं , फिर शांत स्वर में बोला - आंटी मेरे छोड देने मात्र से वो सुधरने वाला नहीं है ...मै नहीं होउंगा ,कोई और होगा ....मै तो सबसे आखरी हूँ मेरे पहले भी ...
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RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
(आंटी ने मेरे मुह पे हाथ रख दिया )
फिर बोली - तो कैसे ? कैसे मै उसे ठीक करूँ
मै बोला - देखिये , आप कल मुझे बार बार बीमार कह रही थी ,इसलिए मैंने नेट पर कल रात ' होमोसेक्सुअलिटी ' के बारे में सर्च किया तो पाया कि इससे निजात पाने का एक ही तरीका है ....
क्या ...कौन सा तरीका ...आंटी आशापूर्ण निगाहों से मेरी तरफ देखती हुई बोली |
मै अब भूमिका बांधते हुए बोला - अगर पुरुष समलैंगिक संबंधो में एक ही व्यक्ति बार बार या हमेशा स्त्री रोल निभाता है जैसे कि आपका बेटा ..वरुण, तो उसके लिए इससे बाहर आना बहुत कठिन होता है क्योकि वह अपनी पुरुषोचित व्यवहार (मर्दानगी ) भूलने लगता है ....|
आंटी, जिनका चेहरा अभी अभी आशापूर्ण था ...वह क्रमशः मलीन होने लगा और फिर रुआंसी होकर बोली - क्या कोई तरीका नहीं है ?
वही तो मै बता रहा था - मै बोला - अगर किसी तरह से वह विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षित हो जाए और जो मजा उसे समलैंगिक संबंधो से मिलता है वही अगर किसी लड़की से मिलने लगे तो सुधर सकता है |
तो जाओ उसे लेकर....उसे स्त्री सानिध्य दिलाओ, चाहै जितना पैसा खर्च हो जाये ....बस बिमारियों का ख्याल रखना ' कोठों ' पर जाने से पहले ...कंडोम जरुर लगवाना .....आंटी उत्तेजना में बोली |
मै धीरे से बोला - आंटीजी ! रंडीखानो में तो वो जाते है जिनकी मर्दानगी पहले ही उबाल खा रही हो , वो भी वहां जाकर ठन्डे हो जाते है .......जो पहले से ही ठंडा हो , वो क्या उबाल खायेगा | उसमे पुरुषोचित एग्रेसन तब आयेगा जब बह खुद से किसी को पटा के चोदेगा......क्योकि जब वह किसी को पटायेगा तो उसे ' जीतने का एहसास ' होगा और उसकी मर्दानगी उबाल खाएगी |
आंटी मेरी बुध्धिमतापूर्ण बातों को सुनकर अवाक रह गयी ...फिर बोली - अगर मै कोई लड़की उसे दिला दूँ तो वो सुधर तो जाएगा न ?
मैंने कहा - दिलाने से कुछ नहीं होगा , उसे हासिल करना होगा ...............लेकिन लड़कियों में तो उसे इंटरेस्ट है ही नहीं .अलबत्ता उसे औरतों में थोड़ी बहुत दिलचस्पी है ...विशेषरूप से बड़ी उम्र की औरतों में ...जिसकी बड़ी-बड़ी गांड हो ..मोटे-मोटे चूचे हों और भोसड़ा सरीखा फैली हुई बुर हो .....यूँ कहिये , बिल्कुल आपकी तरह |
आंटी उछलकर बैठती हुई बोली - ये क्या कह रहै हो .....मै उसकी माँ हूँ ..वो मेरा बेटा है ....मै उसके साथ कैसे ....नहीं ......नही....बिल्कुल नहीं ........
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RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मैंने आंटी की मुलाएम जाँघों को सहलाते हुए कहा - अगर वो आपका बेटा है तो मै भी आपके बेटे सरीखा हूँ ....जब मै आपको चोद सकता हूँ तो वरुण क्यों नहीं .....? फिर भी सोंच लीजिये जिस बेटे को बचाने के लिए बेटे के दोस्त से अपनी ये मखमली चूत ( तब तक मैंने अपनी बीच की ऊँगली उनके बुर में पेल दिया ) मरवा ली , वही बेटा अगर आपकी चूत चोदकर ठीक हो सकता है तो क्यों नहीं ......
तुम समझते क्यों नहीं ......आंटी खींजे स्वर में बोली - शायद वह भी तैयार न हो ....उसकी बात मै नहीं जानती , मै खुद ही उसके बारे में कल्पना नहीं कर सकती ....ना ...ना .....हमारा समाज इसकी इजाजत ही नहीं देता |
मै सब समझता हूँ आंटी ......मै उनको पुचकारते हुए बोला - जहाँ तक समाज का सवाल है ..उसे मारीये गोली ....इकलौता बच्चा आपका वर्वाद हो रहा है , समाज को क्या पड़ी है ....और उसे बताने कौन जाएगा ....मै ?......वरुण ?.........या आप ?
और हाँ ! जहां तक आपकी मानसिक असमंजस की स्थिति है मै उसमे आपकी सहायता कर सकता हूँ |
आंटी उत्सुकता से पूछी - वो कैसे ?
मै प्यार से बोला- मै जब भी आपकी चूत बजा रहा होऊं तो आप ये कल्पना करना की वरुण आपको चोद रहा है .....सिर्फ सोंचना ही नहीं है बोलना भी है .....इसी तरह जब आप बोल-बोल के बार -बार चुदाएंगी तभी आप मानसिक रूप से तैयार हो पाएंगी ....देखिये आपको अपना बेटा बचाना है ... फिर इसके बाद उसे seduce (रिझाना ) भी है ,वैसे आपकी बड़ी-बड़ी चुन्चियों का वह पहले से ही दीवाना है .....ललचाइये उसे ....
फिर भी .....आंटी हल्का विरोध सी करती हुई बोली --फिर भी अपने ऊपर उसकी कल्पना नहीं कर सकती |
मैंने कहा - फिर आँखे बंद करके मुझे वरुण समझिये |
अरे नहीं ......आंटी ने प्रतिवाद किया - जब भी आँख खोलूंगी तुम्हे ही तो देखूंगी ...फिर कल्पना कैसे होगी |
अब मुझे लगा की आंटी अब लाइन पर आ रही है , मैंने बोला - वो मुझ पर छोड दीजिये ......
फिर मैंने कुर्सी पर रखी उनकी चुन्नी उठाकर आंटी के पीछे जाकर उनके आँखों पर पट्टी की तरह बाँध दिया ..
चुन्नी बिल्कुल काली पट्टी की तरह काम कर रही थी | मैंने फिर आंटी को लिटा दिया और गौर से उनके पुरे शारीर को निहारने लगा | क्या मस्त लग रही थी ...हलकी झांटो से भरी बुर को मै नजदीक से देखने लगा ......तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैंने अपना मोबाइल उठाकर उसे साइलेंट मोड पर करके फटाफट आंटी के तीन-चार स्नैप्स ले लिया ...फिर बुर को ज़ूम करके दो फोटो निकाली | तभी मेरे शैतानी दिमाग में एक और आइडिया सुझा ....अब मै आंटी को चुदाई करते हुए उनकी विडियो बनाना चाहता था ....लेकिन उसमे एक रिस्क था ...मै अपनी आवाज उसने नहीं रखना चाहता था | इसलिए मैंने आंटी को बोला - आंटीजी ! मै धीरे धीरे फुसफुसा कर बोलूँगा .
.वो बोली - क्यों ?
मै बोला - जब मै धीरे धीरे सेक्सी और husky voice में बोलूंगा तो आपको और सेक्स चढ़ेगा और आपको अपने बेटे के बारे में imagine करने में सुविधा होगी |
आंटी बोली - ठीक है ...
अब मेरा पूरा प्लॉट तैयार था | मोबाइल को विडियो मोड पर रखकर अपने पीछे टेबल पर सेट कर दिया , वहां से मेरी पीठ विडियो में आ रही थी ,पर आंटी का पूरा चेहरा ..पूरा जिस्म विडियो में कैद हो रहा था फिर धीरे से फुसफुसाया - मम्मी ! मै आपका दूध पिउं ?....
हाँ बेटा! पी ले ...इसी दूध को पीकर तू बड़ा हुआ है .....लेकिन अब तेरे दांत निकल आये है ....काटना नहीं ...
मै अब आंटी की दोनों चुचियों को पकरकर सहलाने लगा और बारी-बारी से दोनों चूचको को चुभलाने लगा ज्यों-ज्यों मै चूचको को चुभला रहा था , त्यों - त्यों वो अग्रिम प्रत्याशा में कड़ी होती जा रही थी | आंटी उतेजना में गहरी साँसे लेनी शुरू कर दी ....बीच -बीच में अपनी छाती उछालकर अपने अप्रतिम आनंद की अभिव्यक्ति कर रही थी लगभग ५ मिनट तक मै चूसता रहा ...मेरा मुह दुखने लगा तो मै आंटी के गालों की तरफ चढ़ा |
मम्मी ! केवल दांत ही नहीं......मेरे शारीर में अब कांटे भी निकल आयें है ...ये पकड़ो .....अपना लौड़ा आंटी के हांथो में पकडाते हुए उनके कान में फुसफुसाया ........और आंटी के कान के लबों पर अपना जीभ फिराया .....
आँ......आउच..( जब मैंने कान के लबों को दांतों से काटा , फिर अपना जीभ उनके गालों पर फिर फिराने लगा )
आ ...ह .......इ स्स...................आंटी हलके - हलके सिसिया रही रही थी
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RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
फिर मै आंटी के गालों को चाटने लगा ....बीच-बीच में गालों पर हल्के दांत भी गडाने लगा ..मुझे बहुत मजा आ रहा था ...आंटी भी मेरे लंड को सहलाकर .....मसलकर( जब मै दांतों से गालों को काटता तो वो लंड को मुठ्ठी में पकड़कर मसलने लगती ) मूसल बना रही थी | अब मैंने आंटी के होंटों को अपने होंटों से दबाकर चूसने लगा और अपने दोनों हांथो से उनकी बड़ी बड़ी चुन्चियों को मसलने लगा ....
आ...ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...........आंटी मेरे मुंह से अपना मुंह हटाते हुए सिसकी ..........बेटा ! इतनी बेदर्दी से मेरी चूचियां मत दबाओ....आखिर , मै तुम्हारी माँ हूँ .......
मै फुसफुसाया - तू माँ नहीं एक नंबर की चुदक्कड़ रंडी है .....अपने बेटे का लंड मसल रही है ......तेरी बुर चुदने के लिए तडफड़ा रही रही है .......बोल चुदेगी अपने बेटे से ....
अचानक पता नहीं क्या हुआ ...आंटी उतेजना में जोर जोर से बोलने लगी - हाँ , वरुण बेटा हाँ ! .....आज चोद ले अपनी माँ को जी भरके .......मै तेरे लंड के लिए तड़प रही हूँ ......घुसा दे अपने मुसल को मेरी बुर में ......देख यही से तो तू आया है ....(आंटी ने मेरा लंड छोड़कर अपनी बुर को अपने हांथो से छितराकर दिखाने लगी )
मै भी उठकर बैठ गया और आंटी की छितराई बुर को देखने लगा | आह ...मजा आ गया ......बुर के अन्दर की बिल्कुल सफ़ेद मांस दिख रहा था जिसमे से रिसकर मदनरस बाहर आ रहा था .... मैंने अपना मोबाइल उठाया और बुर का क्लोजअप शॉट लेने लगा , फिर मैंने ऑडियो पर ऊँगली रखकर (अपना आवाज छिपाते हुए ) आंटी से कहा - मम्मी ! जरा अपनी बुर को उँगलियों से चोदो , मुझे तुम्हे मास्टरवेट करते हुए देखना है ....
उईईइ....(आंटी ने बुर में अपनी दो उँगलियाँ डाली )........बदमाश कही के ! घोड़े जैसा लंड रखकर भी अपनी माँ को उन्ग्लीचोदन के लिए कह रहा है ...........आ...ह...ह.........इ...स्स.....स्स.........अब ....बर्दास्त.... नहीं ....हो रहा है .......पेल दे ....आ..ह....बेटा ...अपनी ...माँ को क्यों तडपा रहा है .....बस....अब चोद ....मुझे ..
मै फटाफट इतने अच्छे दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर रहा था , अब लेकिन मेरे लिए भी रुकना मुश्किल हो रहा था | ऑडियो पर ऊँगली रखते मै फिर बोला- मम्मी! तू तो मस्त चुदासी है ...अपने बेटे के लंड खाने के लिए मरी जा रही है ....अब देख मै कैसे फाड़ता हूँ तेरी बुर ......चाहै तू जितना चिल्ला .....बिना फाड़े नहीं मानूंगा ......ले संभाल अपने बेटे का गदहलंड .....
मैंने आंटी के जांघो को पकड़कर अपने कंधे पर डाला और उनके ऊपर झुककर अपना मूसल उनके ओखल में एक ही झटके में धांस दिया .....४० साल की फटी बुर मेरे प्रथम प्रहार से और फटती हुई बिलबिला उठी......
मार.... दिया..... रे ........हाय रे........ मेरे.... जालिम......चोदू.......आ......ह्ह्ह्ह्ह,,,,,,,,,फ..ट....गयी...मेरी.............................अपनी....माँ....को....इतनी.....बेदर्दी.....से...ना..............चो..द...........इ....स्स.................मै गयी.....इ..इ...इ.....ई........| ये क्या...... आंटी तो दो तीन झटको में ही झड़ने लगी , मै सबेरे से तीन बार झड चूका था मै इतनी जल्दी तो कभी नहीं आ सकता था .......
इसलिए मै लगातार चोदे जा रहा था ....लगभग १० मिनट तक मै दनादन चोदता रहा.........आंटी के बुर से पानी नहीं झड़ना बह रहा था .....पूरा कमरा फच-फच ...घच-घच...की आवाज से गूंज रहा था .....इस दौरान आंटी का शारीर कई बार तना और रिलैक्स हुआ |
मै एक हाथ से आंटी की चुदते हुए एक्सप्रेशन की विडियो बना रहा था , फिर विडियो बंद कर मैंने आंटी के आँखों की पट्टी को खोल दिया |
आंटी बार-बार छोड़ दे बेटा ....छोड़ दे बेटा ....अब मत चोद.....मेरे में अब जान नहीं है ....मेरी बुर भी चनचना रही है ( शायद मेरे लंड ने बुर का कोई कोना छिल दिया था )........|
मै अब भी झड़ा तो नहीं था ,लेकिन एक ही आसन में चोदते-चोदते थोडा थक गया था | मैंने आसन बदलने के लिए लंड को बाहर निकाला तो आंटी जान में जान आई , वो तुरंत छिटककर बिस्तर के किनारे बैठ गयी |
मै बिस्तर के नीचे खडा हो गया .....मेरा लंड अब भी फुफकार रहा था ......
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