Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
10-30-2019, 12:39 PM,
#61
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मेने मुन्ना को देखा उसकी आँखों में वासना के लाल लाल डोरे साफ दिख रहै थे,असल में अनिल ने उसे ये कहा था की वो अपनी बीबी को उस से चुदवाना चाहता हें लेकिन उसकी बीबी तेयार नहीं होगी इसलिए वो कमर दर्द दूर करने के बहाने उसे भेजेगा\यानि हम तीनो जानते थे की होगा क्या लेकिन तीनो अपना नाटक कर रहै थे \

मुन्ने ने मुझे दीवान पर लेटने को कहा में पेट के बक लेट गयी, मुन्ना ने मेरी कमर पर हाथ रख दिया और होले होले उसे दबाने लगा मेरी तो जान ही निकल गयी में तो चाहती थी ये भाडू कमर क्या दबा रहा हें ये तो मेरी गांड सहलाये जेसे मुन्ना ने मेरे दिल की बात भाप ली उसके हाथ अब मेरी कमर से हट गए और वो मेरे चुत्डो को दबाने लगा ,हाय पहली बार कोई मर्द मेरे चुत्डो को दबा रहा था में तो उतेजना में मरी जा रही थी \

मेने सोचा इसे तो काफी समय ख़राब हो जायेगा ,मेने अनिल से कहा मुझे तुम्हारा सामने शर्म आ रही हें में अंदर बेडरूम में जाकर अपनी कमर दबवा लेती हूँ अनिल तो नशे में था उसने हाँ भर दी में मुन्ना को लेकर बेडरूम में चली गयी और अंदर जाकर कुण्डी लगा ली \में अंदर जाते ही मुन्ना से चिपट गयी मुन्ना मेरी भावना समझ गया उसने मुझे बांहों में भर लिया और मुझे चूमने लगा उसके होठ मेरे होठो पर थे उसके हाथ मेरी गांड सहला रहै थे उसका लंड कपड़ो में ही खड़ा होकर मेरी चूत का दरवाजा खटखटा रहा था\

कुछ देर हम दोनों एक दूसरे को देखते रहै, फिर मैंने अपने होंट उसके होंटों से मिला दिए और चूसने लगी । करीब दस मिनट तक उसने भी मेरा साथ दिया। चूसते-चूसते उसका एक हाथमेरी चूचियों को और दूसरा हाथमेरी गांड को सहलाने लगा।उसका लंड पैंट के अंदर तूफान मचा रहा था, ऐसा लग रहा था कि पैंट फाड़ कर बाहर निकल आएगा।

मैं कुछ देर उसके बदन की खुशबू लेती हुआ वहीं पड़ी रही ....

उसने कहा- मेरे बदन में सिहरन दौड़ रही है ! प्लीज़ कुछ करो ...

फ़िर उसने मेरे टॉप को निकाल दिया। मैं बहुत ही प्यार से अपने कपड़े उतरवा रही थी और वो मुझे चूमे जा रहा था ..

अब मेरे बदन पर सिर्फ़ ब्रा-पैंटी ही थी ....
उसने मेरे बदन पर मेरी निगाह डाली तो देखता ही रह गया ..गुलाबी बदन चमक रहा था !में इतनी सेक्सी लग रही थी वो कि उसे ख़ुद पर कंट्रोल पाना मुश्किल था, लण्ड बेहद तन गया था और दर्द कर रहा था। मगर अभी कुछ करना, बना बनाया खेल बिगाड़ना सा लगता था ....

तो वो फ़िर सेमुझे चुम्बनों से नहलाने लगा। स्तनों से अब थोड़ा नीचे आया, मेरे समतल पेट को चूमा और अब मेरी नाभि की ओर बढ़ा।

अपनी जीभ को घुमाया मेरी नाभि में और चाटना शुरू किया ! हौले-हौले नाभि के आस पास जीभ को गोल गोल घुमाते हुए उसे चाट रहा था ...उसके बदन में गर्मी बढ़ रही थी ....वो दबे मुँह सिसकियाँ ले रही था और उसका काला सा बदन मचल रहा था। मगर अब भीमें चुपचाप मजे ले रही थी कोई हरकत नहीं कर रही थी ....

वो चूमते हुए धीरे धीरे नाभि के नीचे पहुँचा और अब उसका मुँह मेरी पैंटी के ऊपर था ...पैंटी से ही उसने चूत को चूमा और मुँह को दबाया मेरी चूत पर और तब मैंने देखा कि उसका बदन तेजी से मचल रहा है ....

उसने धीरे से मेरी पैंटी को नीचे सरकाया ...वाह क्या गुलाबी चूत थी मेरी ... बिल्कुल साफ़ सुथरी और थोड़ी सी नम ! ऐसा लगता था मानो गुलाब की पंखुड़ियों से बनी हुई है मेरी चूत जो उसकी काली सी चिकनी जांघों के बीच सोई पड़ी थी, आज जाग गई है ...

उसने चूत की ऊपर की किनारी से चूमना शुरू किया और गोल गोल मुँह को घुमाते हुए मेरी चूत को चूमने लगा ...बहुत ही मीठी खुशबू मेरी चूत से आ रही थी और वो पागल हुए जा रहा था ...मेरी चूत के बीच के हिस्से मेंवो चूम रहा था ...चूत गीली हो गई थी और फ़ूल गई थी ...बीच का रास्ता खुलता हुआ नजर आ रहा था और उसमें से चूत की गहराई झलक रही थी ...
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10-30-2019, 12:39 PM,
#62
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मैंने अपना कंट्रोल खोते हुए दोनों हाथों से चूत को फैला दी और उसने चूत में जीभ घुसेड़ दी और चाटने लगा और चाटते हुए मेरी गांड को सहलाने लगा। उसी वक्त मैंने उसके लण्ड पर उसके हाथ को महसूस किया और वो जोर जोर से चूत चाटने लगा, जीभ को पूरा चूत में घुसेड़ दिया और हिलाने लगा।

उसका लण्ड पैन्ट से बाहर आ चुका था और अब उसके हाथों में खेल रहा था। अब मुझे कोई परेशानी नहीं थी,में पूरी तरह बेताब और तैयार थी चुदाने को !

मैं अब धीरे से ६९ की पोसिशन में आ गयी और उसके लण्ड को अपने मुँह के पास कर दिया ... लण्ड को इतना करीब देख के मुझसे भी रहा नहीं गया और चूत को चटाती रही और लण्ड को अपने मुँह में ले लिया ...ऐसे चाट रही थी मानों जन्मों की प्यासी हो और खा जाने वाली हो लण्ड को ! ....अब मैं अपनी पूरी रवानी में थी उसका लण्ड मेरे मुँह में चुदाई कर रहा था और वो मेरी चूत को जीभ से चाट रहा था ....उसने जीभ के साथ अपनी एक ऊँगली मेरी चूत में घुसेड़ दी और चुदाई करता रहा। साथ साथ एक ऊँगली मेरी गांड में भी घुसेड़ दी।

वो मस्ती से गांड मार रहा था, चूत चोद रहा था और लण्ड चुसवा रहा था ...मानो वो जन्नत की सैर कर रहा था ....मेरेको चोदने की उसे कोई जल्दी नहीं थी . बहुत तेज रफ्तार से गांड और चूत की चुदाई हो रही थी और में भी लण्ड को टट्टों से टिप तक चाट रही थी। कभी एकदम से लण्ड को मुँह में ले के आगे पीछे कर देती थी ....ऐसे ही कुछ पल गुजरे और हम दोनों झड़ गए .....

अब मैं उसकी बगल में आगयी और उसके साथ ही लेट गयी । चँद मिनटों में मैंने उसके हाथ को अपने बदन को सहलाता पाया और मैं भी उसके बदन को सहलाने लगी ..मैं बहुत ही प्यार से उसके बदन को सहला रहा थी । अपने पाँव मैंने उसके पाँव पर जमा दिए थे .... हम प्यार में डूबे जा रहै थे !


तभी उसने कहा- अब मैं सिर्फ़तुम्हारा हूँ जान ! जी भर के मेरे साथ जितना प्यार करना है करो !! आई लव यू रानी ....!!!

उसने मेरे बदन को जोर से सहलाना शुरू किया और मेरी ब्रा को अब निकाल दिया मेरे मशरूम से बदन परमेरे स्तन क़यामत ढा रहै थे।वो धीरे धीरेउन्हें सहलाने लगा, गोल गोल मालिश करते हुए मेरे स्तनों को मसल रहा था।

अब उसके अनछुए होठों पर अपने गरम होठों को रख दिया और चूमने लगी ,वो मेरे स्तन मसल रहा था और होठों का रस पी रहा था,में भी मस्ती से साथ निभा रही थी !

हम दोनों अब होठों से होठों का रस पी रहै थे औरमेरे स्तनों को निचोड़ रहा था वो ! वोमेरी गाण्ड को सहला रही था । वो मेरे बूब्स और होठों पर टूट पड़ा था। धीरे धीरे बूब्स पर जोर बढ़ता गया उसका और अबउसने मेरे चूचुकों को भी चुसना शुरू किया- चूचुकों पर जीभ घुमा रहा थामेरे बूब्सउसके हाथो में मचल रहै थे और वो मेरे चूचुकों के आगे पीछे गोल गोल जीभ घुमाते हुए बूब्स चाट रहा था। ....उसी दौरान उसका लण्ड मेरी चूत पर रगड़ रहा था ...मेरी चूत का गीलापन उसके लौड़े पर महसूस हो रहा था, लौड़ा मस्त हुए जा रहा था ... बूब्स गोरे से लाल होने चले थे ....

उसका लंड बहुत सख्त होते जा रहा था. मैंने ज़िन्दगी में पहली बार किसी मर्द का इतना सख्त लंड पकड़ा था.
क्या मर्द था ! कभी ऐसा आनंद नहीं लिया था मैंने ! वो मुझे 69 में करके मेरी चूत
चाटने लगा। मेरे दाने को चबाने लगा। मैं पागलों जैसे उसका लण्ड चूसने में मस्त थी।
वो जब अपनी ज़ुबान तेज़ करता तो मैं भी लण्ड उतनी तेज़ी से चुसती। थोड़ी देर में मुझे
लगा मेरी चूत से कुछ निकलने वाला है. मै मचलने लगी. उसका सर मेरी चूत पर दबाया.. वो शायद समझ गया. वो जल्दी से उठा और उसने मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया और मेरी टांगों के बीच में बैठ अपना लण्ड मेरे दाने पे रगड़ने लगा। मुझसे जवानी की आग सही नहीं गई, मेरे मुंह से निकल गया- मुन्ना .. अब सहन नहीं हो रहा.. मै मर जाउंगी.. अंदर डालोगे या बाहर ही छुटने का इरादा है !

उसने कहा रानी.. पहली बार है.. फिर भी इतनी बेताबी.. ले.. और उसने झटका मारा, आधा लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। मेरी चूत का पर्दा उस झटके से फट गया और मेरी चीखें निकल गई। उसने मेरी दोनों बाहें पकड़ कर अपने होंठों से मेरे होंठ दबा लिए। मेरी तो जैसे दर्द से जान ही निकल गयी..

मैं चीखती रही- मर गई !अहह !निकाल कमीने ! फट गई मां ! मैं चुद गई री ईईईईईईईई... बाहर निकालो.. बस.. अब नहीं..

लेकिन वो नहीं माना .. मेरी चुन्चियो को चूसने लगा मुझे चूमने लगा और हलके हलके धक्के लगाने लगा.. धीरे धीरे उसका लंड फिसलते हुए अन्दर जा रहा था.. उसने मेरे पैर और ऊपर उठा दिए. मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था... अब लंड आसानी से अन्दर बाहर होने लगा. वो पूरा लंड बाहर खिंच कर अन्दर करते हुए मुझे चोदने लगा.
फ़िर लण्ड अंदर-बाहर आसानी से होने लगा, मानो मैं स्वर्ग में पहुँच गई।
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10-30-2019, 12:40 PM,
#63
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
चोद मुन्ना ! चोद दे आज मुझे ! तेरी रखैल बन जाऊंगी ! कायल हो गई तेरी मर्दानगी पे ! कभी किस से चूत नहीं मरवाई मेरे दिलबर ! आशिक़ फाड़ दे ! अब करता ही जा ! ज़ोर ज़ोर से ! हाए दैया रे ! दैया मसल डाल मुझे ! फाड़ डाल मेरी ! अपना बीज आज मेरे अंदर बो दे !

उसने लण्ड निकाल लिया और मुझे कहा- कुतिया ! कमीनी ! हरामजादी ! चल हो जा घुटनो पे ! बन जा कुत्ती ! और वो पीछे से आकर मेरी चूत मारने लगा, घोड़ी बना के लेने लगा, साथ साथ में उसने अपनी उंगली मेरी पोली पोली गाण्ड के छेद में डाल दी। मुझे दोहरा मजा दिया उसने एकदम से चूत से उसने लण्ड खींचा और मेरी गाण्ड में पेल दिया।
हाए साले यह क्या किया? इसको तो बहुत चुदवाया है ! तू चूत मार मेरी, प्यास बुझा मेरी !

थोड़ी देर मारने दे कमीनी

फिर उसने निकाल लिया अपना लण्ड मेरी गाण्ड से। मुझे खड़ा करके कहा- अपने हाथ दीवार से लगा ले और उसने पीछे अपना लंड मेरी चूत में लगा कर जोर से दबाया.. कासी चूत ने उसका लंड फच्च के घुसा उसके बाद उसने बेदर्दी से पीछे से चूत मारी। मै चिल्ला रही थी.. ओह..आह.. हाई.. मर गयी.. बोहोत मोटा है..

हाए ! गई !गई !

वो बोला- आह ! मैं झड़ने वाला हूँ !

मैंने कहा- ले चल बिस्तर पे ! मेरे उपर लेट जा ! ताकि जब झड़ जायें तो तुझे अपनी बाहों में भींच लूँगी।

उसने मुझे सीधा लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा।
ओईईईईईईई माआआअ क्या नज़ारा है ! हाए सईयाँ दीवाने ! मैं झड़ने वाली हूँ ! आह !

वो बोला- हाँ ले साली ले !

मैं झड़ गई और आधे मिनट बाद उसके लण्ड ने शावर की तरह अपना सा माल मेरे पेट में डाल दिया, जब उसका पानी निकलने लगा तब इतना मजा आया चुदाई से भी ज्यादा !

मैंने आँखें बंद कर के उसको जकड़ लिया- निकाल दे सारा माल !

एक एक बूंद उसने निकाल लिया और मेरे मुंह में अपना लण्ड डाल कर बोला- साफ कर दे अपने होंठों से ! ज़ुबान से !मेने जी भर कर उसके वीर्य को पि लिया \मेने कहा मुन्ना अब इस चूत की प्यास तेरे लोडे बगेर नहीं बुझेगी \इतने में बहार से अनिल की आवाज आई क्या कर रहै हो तुम दोनों अब बहार निकलो मेने मुन्ना से कहा एसा नहीं ही की इस भाडू को होश आ गया हो ,उसने कहा इतनी जल्दी नहीं आएगा \मुन्ना ने कहा आओ एक बार फिर से चुदाई करते हें\
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10-30-2019, 12:40 PM,
#64
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
" उसके ये कहते ही मैंने भी उसके गले में बाहें डाल दी और बोली- आप भी असली मर्द हो। आपकी यह चौड़ी छाती, घने बाल, मर्दानगी की कायल तो मैं हो गई आपकी !मुझे भी असली मर्द से चुदवाने की चाह है. आज से मै आपकी हो गयी. .. उसका लंड मैंने जितने लंड लिए उनसे दुगुना लम्बा और मोटा था. करीब आठ इंच लम्बा और तीन इंच के करीब मोटा. .. काला सा था.. लेकिन लंड का सुपाड़ा बोहोत मोटा और गहरे लाल रंग का था. उसके छेद से कुछ लिसलिसा निकल रहा था. मेरी चूत भी काफी गीली होने लगी थी. उसने मेरे जिस्म के हर हिस्से को चूमा और जीभ से गीला किया... उसने मेरे चूतड फैलाकर अपनी जीभ मेरी गांड से चूत तक फेरा... मै तो जैसे जन्नत की सैर कर रही थी. सामने उसका हल्बी लंड.. मै बंद कमरे में उसके हाथो में मचल रही थी.. काफी देर तक ऐसे ही चाटने के बाद उसने मुझे बेड पर लेटने को कहा. मै नंगी थी. लेकिन बेशर्मी से चल कर बेड पर सीढ़ी लेट गयी..

मेरे दोनों टांगो को फैला कर वो मेरी दोनों टांगों के बीच बैठ कर अपनी ज़ुबान से मेरी चूत चाटने लगा। जब वो मेरे दाने को चबाता, कसम से आग मच जाती ! अहह उह !!! मेरी चूत गीली हुयी जा रही थी और वो चपर चपर जीभ से चाट रहा था. होंठो में मेरे चूत के दाने को लेकर चुस्त तो मै तड़प उठती.. और थोड़ी देर में.. मै खुद को रोक नहीं सकी.. और आ..आ..आह.. मुंह हटाओ... मेरा छुटने वाला है.. उफ़.. गयी..ई..ई...ई.. और मेरा पानी निकल गया..

मैंने उसको धकेलते हुए पीछे किया और जल्दी से उसका लंड पकड़ लिया और घुटनो के बल बैठ कर चूसने लगी।मेरे मुंह में उसका लंड नहीं आ रहा था.. उसने मेरे बाल पकड़ कर सर को दबाया और सुपाड़ा मेरे मुंह में घुसा दिया.. मै उसे ही चूसने लगी.. उसका हाथ मेरे कमर से मेरी गांड और फिर मेरी चूत पर पहुँच गया...

वो बोला- हाय जान ! रानी ! राण्ड ! माँ की लौड़ी ! चूस !

वो अपने पैर से नीचे मेरी गाण्ड के छेद में अंगूठा डालने की कोशिश करने लगा। मुझे भी फिर से मजा आने लगा था.. अंगूठा चूत के दाने पर रगड़ने से चूत फिर से गरम होने लगी थी... उसने मुझे अब सीधा लिटाया मेरे दोनों पैर ऊपर सर तक उठाये और फिर.. लंड का सुपाड़ा मेरे चूत पर ऊपर नीचे इस तरह रगड़ रहा था की मेरी चूत लंड खाने के लिए बेचैन होने लगी.. मै समझ रही थी की मेरी चूत के हिसाब से उसका लंड काफी मोटा है.. और मेरा छेद बहुत छोटा.. फिर भी ना जाने क्यों मै खुद को रोक नहीं पा रही थी.. मैंने कहा मुन्ना .जी.. बहोत धीरे से डालना.. आपका बहुत मोटा है.. मुझे दर्द होगा.. लेकिन शायद उसने सुना ही नहीं ..फिर दारू में टल्ली उसने मुझे सीधा लिटाते हुए अपना मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में धकेल दिया। मै तो चिल्ला उठी.. मर गयी..ई..ई...ई...ई.. बहुत मो..टा.. है.. और उसे धकेल रही थी.. लेकिन उसने मुझे बहुत कस के पकड़ा हुआ था. उसने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए.. और चूसने लगा.. हाथो से मेरी चून्चियों को मरोड़ रहा था.. मै दर्द से मरी जा रही थी..

और तभी उसने दूसरा धक्का लगा दिया और पूरा लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ मेरी बच्चेदानी से टकराया.. मेरी आँखों से आंसू निकल पड़े.. मैंने कहा
आह.. धीरे ये क्या कर दिया..आ..आ.. मर गई मै.. छोड़ दो मुझे.. बहुत दर्द हो रहा है.. !

बोला- कमीनी ! चुप साली रंडी ! और फिर तो जैसे उस पर जूनून छा गया .. पूरा लंड बाहर तक खींच कर उसने अन्दर पेलना शुरू कर दिया.. थोड़ी देर में मेरा दर्द कम हुआ और मुझे भी मजा आने लगा.. मैंने भी अब अपनी गांड हिला कर उसका साथ देना शुरू कर दिया..
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10-30-2019, 12:40 PM,
#65
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मैं ज़ोर ज़ोर से चुदने लगी। जब जब उसका लंड मेरी बच्चेदानी से रग़ड़ ख़ाता, मानो स्वर्ग बिस्तर पे आ गया लगता था।
अब मैं खुद नीचे से बोली- हाए मेरे ख़सम ! फाड़ डाल ! छोड़ना मत !
और मैं गाण्ड उठा उठा के चुदने लगी। उसने मुझे घोड़ी बना लिया और पेलने लगा। मैं झड़ गई लेकिन वो थमा नहीं। करीब २५ मिनट यूँ ऐसे ही गैर मर्द की बाहों में झूलती हुई जो चुदी।
उसने अपना गरम गरम पानी जब मेरी बच्चेदानी के पास में छोड़ा, मैं पागल हो गई। कितना लावा निकालता था उसका लंड !

मॉम की चुदाई की कहानी सुन कर में तो सन्न रह गया,में मॉम के बूब्स जोर से मसलता हुआ बोला,मुझे भी आप ऎसे ही सुख दीजिये न,में भी आपकी ऐसी ही मस्त चुदाई करना चाहता हु। मॉम ने मेरा लौड़ा जोर से पकड़ा और उसे हिलाते हुए कहा चिंता मत कर बेटे जब मौका मिलेगा में तुझे तेरी बीबी बनकर चुदाई का सुख दूंगी। और वो मौका मुझे जल्दी ही मिल गया डैड रचना को लेकर मेडिकल की कोचिंग करवाने के लिए कोटा ३-४ दिन के लिए चले गए अब घर पर मॉम और अकेले रह गए,मेने मॉम से कहा की क्या रात वो मेरी बीबी बनकर चुदना पसंद करेंगी मॉम ने सहमति में अपना सर हिलाया और कहा की में कंही घूम कर आ जाऊ तब तक वो अपनी चुदाई की तैयारी करती है वो मेरे से लिपट ग यी मेरी आग और भड़क गयी ,मेने तो अब सोच लिया की किसी भी तरह मॉम की मुझको चुदाई करनी है|

आज तो दिन भर मॉम रात कि तैयारी में ही लगी रही. सबसे पहले अपनी चूत को चका चक बनाया और फिर पूरे शरीर पर उबटन लगवाकर, गुलाबजल मिले गर्म पानी से स्नान किया. आजउ न्होंने अपनी शादी वाला जोड़ा पहना था. गले में मंगलसूत्र, हाथों में लाल रंग कि चूड़ियाँ, बालों में गज़रा और आँखों में कज़रा. पांवों में पायल और कानो में सोने की छोटी छोटी बालियाँ . उन्होंने हाथों में मेंहंदी लगाई और पावों में महावर.वो तो आज पूरी दुल्हन की तरह सजी थी जैसे कि मेरी सुहागरात हो. पूरे कमरे में गुलाब कि भीनी भीनी खुशबू और पलंग पर नयी चद्दर, गुलाब की पंखुडियां पूरे बेड पर बिछी हुई और 4-5 तकिये. साइड टेबल पर एक कटोरी में शहद और गुलाबजल, 5-6 तरह की क्रीम, तेल, वैसलीन, पाउडर आदि सब संभाल कर रख दिया था. एक थर्मोस में केशर, बादाम और शिलाजीत मिला गर्म दूध रख लिया था. आज तो पूरी रात हमें मस्ती करनी थी. और आज ही क्यों अब तो अगले 4 दिनों तक . |




और फिर वो लम्हा आ ही गया जिसके लिए मैं पिछले 2 महीनो से बेकरार था . मेने चूडीदार पायजामा और सिल्क का कुरता पहना . मॉम तो मेरे से इस कदर लिपट गयी जैसे कोई सदियों की प्यासी कोई विरहन अपने बिछुडे प्रेमी से मिलती है. मैंने उन्हें अपनी बाहों में भर लिया और अपने जलते हुए होंठ उसके थरथराते हुए होंठों पर रख दिए. मैं तो उन्हें बेतहासा चूमते ही चली गया . वो तो बस ऊँ…उन्नन.. आआं.. ही करता रह गयी . अचानक मैंने उसके गालों पर अपने दांत गडा दिए तो उनकी चींख निकलते निकलते बची. उन्होंने भी मुझे जोर से अपनी बाहों में कस लिया. यही तो मैं चाहता था . कि वो आज की रात मेरे साथ किसी तरह की कोई नरमी ना बरते. बस वो मेरे जलते बदन को पीस ही डाले और मेरा पोर पोर इस कदर रगडे कि मैं अगले दो दिन बिस्तर से उठ ही ना पाऊं.


3-4 मिनिट तक तो हम इसी तरह चिपके खड़े रहै. हमें तो बाद में ख़याल आया कि हमने कितनी बड़ी बेवकूफी की है ? जोश जोश में दरवाजा ही बंद करना भूल गए. है भगवान् तेरा लाख लाख शुक्र है किसी ने देखा नहीं.


मैंने झट से दरवाजा बंद कर लिया और फिर दौड़ कर मॉम से लिपट गया . मेने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया. उन्होंने मेरे गले में अपनी दोनों बाहें डाल दीं और मेरे सीने से अपना सिर लगा दिया. उनके उरोज उसके सीने से लग गए थे. उनके दिल की धड़कन तो किसी रेल के इंजन की तरह धक् धक् कर रही थी. उनके होंठ काँप रहै थे और उनकी तेज और गर्म साँसे तो मैं अपने सिर और चहरे पर आसानी से महसूस कर रही था . पर उस समय इन साँसों की किसे परवाह थी. में उन्हें गोद में उठाये ही चोबारे में ले आया. हलकी दूधिया रोशनी, गुलाब और इत्र की मादक और भीनी भीनी महक और मॉम के गुदाज़ बदन की खुश्बूमुझे मदहोश करने के लिए काफी थी. जब में ये सब लिख रहा था तब मॉम साथ बैठी थी उन्होंने कहा की आगे की कहानी में मेरे शब्दों में बया करती हु /
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10-30-2019, 12:40 PM,
#66
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
जैसे ही हम लोग चोबारे में पहुंचे उसने मुझे धीरे से नीचे खडा कर दिया . उसने मेरा सिर अपने दोनों हाथों के बीच में पकड़ लिया और थोडा झुक कर मेरे दोनों होंठों को अपने मुंह में भर लिया. आह … उसके गर्म होंठो का रसीला अहसास तो मुझे जैसे अन्दर तक भिगो गया. मैंने धीरे से अपनी जीभ उसके मुंह में दाल दी. वो तो उसे किसी रसीली कुल्फी की तरह चूसने लगा. मेरी आँखें बंद थी. उसने फिर अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद ही मेल गयी. कोई 10 मिनिट तक तो मैं और वो आपस में गुंथे इसी तरह एक दूजे को चूसते चूमते रहै. मेरीचूत तो पानी छोड़ छोड़ कर बावली ही हुए जा रही थी. मैं जानती हूँ उसका लंड भी उसके पाजामे में अपना सिर धुन रहा होगा पर मैंने अभी उसे छुआ नहीं था. उसके हाथ जरूर मेरी पीठ और नितम्बों पर रेंग रहै थे. कभी कभी वो मेरे उरोजों को भी दबा देता था. मैं उस से इस तरह चिपकी थी कि वो चाह कर भी मेरी चूत को तो छू भी नहीं सकता था. ऐसा नहीं था कि हम केवल मुंह और होंठ ही चूस रहै थे वो तो मेरे गाल, माथा, नासिका, गला, पलकों और कानो की लोब भी चूमता जा रहा था. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं कोई सदियों की तड़फती विरहन हूँ और बस आज का ये लम्हा ही मुझे मिला है अपनी प्यास बुझाने को. मैं भी उसके होंठ गाल और नाक को चूमती जा रही थी. आप शायद सोच रही होंगी ये नाक भला कोई चूमने की चीज है ? ओह.. आप की जानकारी के लिए बता दूं जब कोई मर्द किसी लड़की या औरत को देखता है तो सबसे पहले उसकी नज़र उसके बूब्स पर पड़ती है और वो उन्हें चूसना और दबाना चाहता है. उसके बाद उसकी नज़र उसके होंठो पर पड़ती है. उसके होंठो को देखकर वो यही अंदाजा लगाता है कि उसके नीचे के होंठ भी ऐसे ही होंगे. इसी तरह जब भी कोई लड़की या औरत किसी लडके या आदमी को प्रेम की नज़र से देखती है तो सबसे पहले उसकी नाक पर ही नज़र पड़ती है. एक और बात बताऊँ आदमी की नाक उसके अंगूठे के बराबर होती है और शायद आप मुश्किल से यकीन करें लगभग हर आदमी के लंड की लम्बाई उसके अंगूठे की लम्बाई की 3 गुना होती है. नाक और अंगूठा चूसने और चूमने का यही मतलब है कि उसके अचतेन या अंतर्मन में कहीं ना कहीं ये इच्छा है कि वो उसके लंड को चूमना और चूसना चाहती है. नहीं तो भला लडकियां बचपन में अंगूठा इतने प्यार से क्यों चूसती हैं ?

ओह.. मैं भी क्या उलूल जुलूल बातें ले बैठी. कोई 10 मिनिट की चूमा चाटी के बाद हम अपने होंठ पोंछते हुए अलग हुए तो मैंने देखा कि उसकालंड तो ऐसे खड़ा था जैसे पाजामे को फाड़ कर बाहर निकल आएगा. मैं तो उसे देखने के लिए कब से तरस रही थी. और देखना ही क्या मैं तो सबसे पहले उसकी मलाई पीना चाहती थी. वो मेरे सामने खड़ा था. मैं झट से नीचे बैठ गयी और उसके पाजामे का नाडा एक ही झटके में खोल दिया. उसने अंडरवियर तो पहना ही नहीं था. है भगवान् लगभग 7 इंच लम्बा और 1½ इंच मोटा गोरे रंग का लंड मेरी नीम आँखों के सामने था. मैंने आज तक इतना बड़ा और गोरा लंड तस्सली से नहीं देखा था. सुपाडा तो लाल टमाटर की तरह था बिलकुल सुर्ख आगे से थोडा पतला और उस पर एक छोटा सा काला तिल. मैं जानती हूँ ऐसे लंड और सुपाडे गांड मारने के लिए बहुत ही अच्छे होते हैं. पर गांडबाज़ी की बात अभी नहीं. मैं तो हैरान हुए उसे देखती ही रह गई. इतने में उसके लंड ने एक जोर का ठुमका लगाया तब मैं अपने खयालों से लौटी.

मैंने झट से उसकी गर्दन पकड़ ली जैसे कोई बिल्ली किसी मुर्गे की गर्दन पकड़ लेती है. लोहै की सलाख की तरह एक दम सक़्त 120 डिग्री पर खड़ा लंड किसी भी औरत को अपना सब कुछ न्योछावर कर देने को मजबूर कर दे. मेरी मुट्ठी के बीच में फसे उसके लंड ने 2-3 ठुमके लगाए पर मैं उसे कहाँ छोड़ने वाली थी. मैंने तड़ से उसका एक चुम्मा ले लिया. उस पर आया प्री कम मेरे होंठों से लग गया. आह.. क्या खट्टा, नमकीन और लेसदार सा स्वाद था. मैं तो निहाल ही हो गयी. उसने मेरा सिर पकड़ लिया और अपनी ओर खींचने लगा. मैं उसकी मनसा अच्छी तरह जानती थी. मैंने साइड टेबल पर पड़ी कटोरी से शहद और गुलाबजल का मिश्रण अपनी अंगुली से लगाकर उसके सुपाडे पर लगा दिया और फिर उसे अपने होंठों में दबा लिया. उसने इतने जोर का ठुमका लगाया की एक बार तो वो मेरे मुंह से ही फिसल गया. मैंने झट से उसे फिर दबोचा और लगभग आधे लंड को एक ही झटके में अपने मुंह में ले लिया. जैसे ही मैंने उसकी पहली चुस्की ली अमित के मुंह से एक हलकी सी सीत्कार निकल गयी. ओईई….मॉम …. आं…. मेरी बुलबुल…. हाय………
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10-30-2019, 12:40 PM,
#67
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मेरी मुंह की लार, शहद और उसके प्री कम का मिलाजुला स्वाद तो मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती. मुझे तो बरसों के बाद जैसे ये तोहफा मिला था. वैसे तो मेरे पति का लंड 3 इंच का है पर शुरू शुरू में उसकी भी खूब मलाई निकलती थी. पर अब तो उसके पल्ले कुछ नहीं रह गया है. पिछले 2-3 सालों से तो मैं इस मलाई के लिए तरस ही गई थी. ऐसा नहीं है कि मैं केवल लंड ही चूसे जा रही थी. मैंने उसकी दोनों गोलियों को एक हाथ से पकड़ रखा था. थी भी कितनी बड़ी जैसे कोई दो लिच्चियाँ हों. दूसरे हाथ से मैंने उसके लंड को जड़ से पकड़ रखा था. अमित ने मेरा सिर पकड़ कर एक धक्का मेरे मुंह में लगा दिया तो उसका लंड 5 इंच तक मेरे मुंह के अन्दर चला गया और मुझे खांसी आ गई. मैंने लंड बाहर निकाल दिया. मेरे थूक से लिपडा उसका लंड दूधिया रोशनी में ऐसे चमक रहा था जैसे कोई मोटा और लम्बा खीरा चाँद की रोशनी में चमक रहा हो. मैंने अपने हाथ उसके लंड पर ऊपर नीचे करने चालु रखे. कुछ दम लेने के बाद मैंने उस पर फिर अपनी जीभ फिराई तो उसके लंड ने ठुमके लगाते हुए प्री कम के कई तुपके फिर छोड़ दिए. मुझे लंड चूसते हुए कोई 10 मिनिट तो जरूर हो गए थे. अमित मेरा सिर पकडे था. वो धक्के लगाना चाहता था पर डर रहा था कि कहीं मुझे फिर खांसी ना आ जाए और मैं बुरा ना मान जाऊं.

मेरी चूत का तो बुरा हाल था. कोई और समय होता तो मैं एक हाथ की अंगुली उसमें जरूर करती रहती पर इस समय तो लंड चूसने की लज्जत के सिवा मुझे किसी चीज का होश ही नहीं था. मैंने उसकी गोलियों को फिर पकड़ लिया और अपने मुंह में भर लिया. एक हाथ से मैंने उसका लंड पकडे हुए ऊपर नीचे करना जारी रखा. लंड इतनी जोर से अकडा की एक बार तो मुझे लगा कि मेरे हाथ से ही छूट जाएगा. उसका तो बुरा हाल था. उसकी साँसे तेज चल रही थी और और वो पता नहीं सित्कार के साथ साथ क्या क्या बडबडाता जा रहा था. मैं जानती थी वो अब झड़ने के करीब पहुँच गया है. मैंने उसकी गोलियों को छोड़ कर फिर लंड मुंह में ले लिया. अबकी बार मैंने उसे चूसा नहीं बस उस पर अपने जीभ ही फिराती रही. पूरी गोलाई में कभी अपने होंठों को सिकोड़ कर ऊपर से नीचे और कभी नीचे से ऊपर. उसने मेरा सिर जोर से दबा लिया और थोडा सा धक्का लगाने लगा. मैं जानती थी उसकी मंजिल आ गयी है. मैंने उसके लंड को जड़ से पकड़ लिया और कोई 3-4 इंच मुंह में लेकर दूसरे हाथ से उसकी गोलियों को कस कर पकड़ लिया और एक लम्बी चुस्की लगाईं तो उसकी एक जोर की चींख सी निकल गई. मैंने उसका सुपाडा अपने दांतों से हौले से दबाया तो वो थोडा सा पीछे हुआ और उसके साथ ही पिछले 15-20 मिनिट से कुबुलाते लावे की पहली पिचकारी मेरे मुंह और ब्लाउज पर गिर गयी. मैंने झट से उसका लंड अपने मुंह में भर लिया और फिर उसकी पता नहीं कितनी पिचकारियाँ मेरे मुंह में निकलती ही चली गयी. आह.. इस गाढ़ी मलाई के लिए तो मैं कब की तरस रही थी. मैं तो उसे गटागट पीती चली गई.

अमित बडबडा रहा था “आह.. मेरी मॉम मेरी रानी मेरी बुलबुल मेरी मैना …. आः तुमने तो मुझे … आह … निहाल ही कर दिया … ओईईई …..” और उसके साथ ही उसने बची हुयी 2-3 पिचकारियाँ और छोड़ दी. मैं तो उसकी अंतिम बूँद तक निचोड़ लेना चाहती थी. अब तो मैंने इस अमृत की एक भी बूँद इधर उधर नहीं जाने दी. कोई 4-5 चम्मच गाढ़ी मलाई पीकर मैं तो जैसे निहाल ही हो गयी. जब उसकालंड कुछ सिकुड़ने लगा तो मैंने उसे आजाद कर दिया और अपने होंठों पर जीभ फिरते हुए उठ खड़ी हुयी.
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10-30-2019, 12:40 PM,
#68
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
अमित ने मेरे होंठ चूम लिए. मैंने भी अपने होंठों से लगी उस मलाई की बूंदे उसके मुंह में दाल दी. उसे भी इस गाढ़ी मलाई का कुछ स्वाद तो मिल ही गया. फिर मैंने उसे परे कर दिया. मैंने उसकी आँखों में झाँका. अब वो इतना भी लोल नहीं रह गया था की मेरी चमकती आँखों की भाषा न पढ़ पाता. मैं तो उस से पूछना चाहती थी क्यों ? कैसा लगा ?

शायद उसे मेरी मनसा का अंदाजा हो गया था. उसने कहा “मेरी रानी मज़ा आ गया ”
“ओह.. मुझेअपनी रानी कहो ना ?”
“ओह.. मेरी रानी थैंक्यू ” और एक बार उसने मुझे फिर अपनी बाहों में भर कर चूम लिया.
“ओह.. ठहरो..”
“क्या हुआ ?”
मैंने उसकी ओर अपनी आँखें तरेरी “ओह.. देखो तुमने ये क्या किया ?”
“क क्... क्या ?”
“अपनी मलाई मेरे कपडो में भी डाल दी. तुम भी एक नंबर के लोल हो. कभी किसी को ऐसे नहीं चुसवाया ?”
“ओह … सॉरी ”
मैंने साइड टेबल पर पड़ा थर्मोस उठाया और उसमे रखा गर्म दूध एक गिलास में डाल कर अनिल की ओर बढा दिया “चलो अब ये गरमा गरम दूध पी लो ”
“इससे क्या होगा ?” उसने मेरी ओर हैरत से देखा
“इससे तुम्हारा लोडा फिर से गंगाराम बोलने लगेगा ”
“ओह..” उसकी हंसी निकल गयी “क्या तुम नहीं लोगी ?”
“मेरी चूत तो पहले से ही पीहू पीहू कर रही है मुझे इसकी जरुरत नहीं है ?” और मैंने उसकी नाक पकड़ कर दबाते हुए उसकी ओर आँख मार दी. वो तो बेचारा शर्मा ही गया.

“चलो तुम फटा फट दूध पीओ मैं अभी आती हूँ ” मैंने शहद वाली कटोरी और तौलिया उठाया और बाथरूम में घुस गयी. सबसे पहले मैंने शीशे में अपनी शक्ल देखी. मेरी आँखे कुछ लाल सी लग रही थी. होंठ कुछ सूजे हुए और गाल एक दम लाल. आज पहली बार मुझे अपनी सुहागरात याद आ गयी. मैं अपने आप को शीशे में देख कर शर्मा गयी. मैंने बड़ी अदा से अपने कपडे उतारे . अब मैं शीशे के सामने केवल काली पैंटी और ब्रा में खड़ी थी. काली ब्रा और पैंटी में मेरा बदन ऐसे लग रहा था जैसे खजुराहो की मूर्ती हो. शायद आप यकीन नहीं करंगी मेरी संगेमरमर सी मखमली जांघें और काली पैंटी में फसी पाँव रोटी की तरह फूली हुयी चूत के निकलते शैलाब से पूरी पैंटी ही गीली हो गयी थी. मैंने पैंटी उतार दी. आईइला ……… शीशे में अपनी चूत… अरे नहीं बुर … अरे ना बाबा मेरी चूत तो इस समय अपने पूरे शबाब पर थी. जैसे कोई छोटी सी चिडिया अपने पंख सिकोड़ गर्दन अन्दर दबाये चुप चाप बैठी हो. दोनों बाहरी होंठ तो किसी संतरे की फांकों की मानिंद लग रहै थे.? मैंने दोनों हाथों से उनको चोडा किया. आईईला … एक दम गुलाब की सी पंखुडियां तितली के पंखों की मानिंद खुल गयी. मदन मणि तो किसमिस के दाने जीतनी बड़ी एक दम सुर्ख. मैंने अपनी तर्जनी अंगुली हौले से चूत के छेद में डाल दी जो कि कामरस से सराबोर उस छेद में बिना किसी रुकावट के जड़ तक अन्दर चली गयी. मैंने उसे बाहर निकाला और अपने मुंह में डाल लिया. हाईई.. क्या खट्टा, मीठा, नमकीन, नारियल पानी जैसा लेसदार स्वाद था. मैंने एक चटखारा लिया. या अल्लाह ……
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10-30-2019, 12:41 PM,
#69
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मैंने अब अपनी ब्रा भी उतार दी. दोनों परिंदे जैसे कब से आज़ादी की राह देख रहै थे. 1½ इंच का गहरे कत्थई रंग का एरोला और उनके निप्पल्स तो एक दम गुलाबी थे बिलकुल तने हुए. मैंने एक निप्पल को थोडा सा ऊपर उठाया और उस पर अपनी जीभ लगा दी. इन मोटे मोटे और गोल उरोजों को देख कर तो कोई जन्नत में जाने का रास्ता ही भूल जाए.

अब मैंने अपनी चूत को पानी से धोया. मुझे थोडा पेशाब आ रहा था पर मैंने जानकर अभी नहीं किया.




अब मैंने अपनी चूत की फांकों और पंखुडियों पर गुलाबजल और शहद लगाया. थोडा सा शहद अपने उरोजों के निप्पल्स पर और अपने होंठों पर भी लगाया. और फिर रेशमी टी शेप वाली पैडेड पैंटी और डोरी वाली ब्रा पहन ली. आप तो शायद जानती होंगी ये जो ब्रा और पैंटी होती हैं इनमे हुक्स की जगह डोरी होती है. पैंटी को दोनों तरफ डोरी से बाँधा जाता है. बस आगे कोई 2 इंच की पट्टी सी होती है जिसमे चूत की फांके ही ढकी जा सकती है. अक्सर ऐसी ब्रा पैंटी फ़िल्मी हीरोइने पहनती हैं. एक ही झटके में डोरी खींचो और ब्रा पैंटी किसी मरी हुई चिडिया की तरह फर्श पर. कोई झंझट परशानी नहीं.

आप सोच रही होंगी ओफो … क्या फजूल बातें कर रही हूँ. बाहर अमित बेचारा मेरा इंतज़ार कर रहा होगा. हाँ आप ठीक सोच रही हैं पर मेरे देरी करने का एक कारण है ? आशिक़ को थोडा तरसाना भी चाहिए ना ? और आशिक अगर आपका बेटा हो तो कहना ही क्या अरे मैं तो मज़ाक कर रही थी. असल में मैं उसे चुदाई के लिए तैयार होने के लिए कुछ समय देना चाहती थी.


कोई 10 मिनिट के बाद मैं जब बाथरूम से निकली तो वो बेड पर अपनेलोडे को हाथ में लिए बैठा था. वाह.. देखा केसर, बादाम और शिलाजीत मिले दूध का कमाल. मैं अपने कुल्हे मटकाते हुए बड़े नाज़-ओ-अंदाज़ से धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी. वो तो बस मुंह बाए मेरी ओर देखता ही रह गया. फिर एक झटके में उसने मुझे बाहों में दबोच लिया और तडातड कई चुम्बन मेरे गालों और मुंह पर ले लिए. इस आपाधापी में मैं बेड पर गिर पड़ी और वो मेरे ऊपर आ गया. ओह … उसके बदन के भार से मेरी छाती और मेरे उरोज तो जैसे दब ही गए. मैं भी तो यही चाहती थी कि कोई मुझे कस कर दबोच ले. उसकी बेशब्री (अधीरता) तो देखने लायक थी. वो तो कपडो के ऊपर से ही धक्के लगाने लगा. कोई और होता तो मेरे इस गदराये बदन का स्पर्श पाते ही उसका पानी निकल जाता. पर मैंने तो पूरी तैयारी और योजना से सारा काम किया था ना ?

“ओह क्या करते हो पहले कपडे तो निकालो ?” मैंने उसे परे हटाते हुए कहा.
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10-30-2019, 12:41 PM,
#70
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
“ओह … हाँ ” और उसने अपना कुरता और पाजामा निकाल फैंका. अब वो मेरे सामने बिलकुल मादरजात नंगा खडा था. उसने मेरी भी नाइटी की डोरी खोल दी. अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में ही रह गयी. मैंने शर्म के मारे अपनीचूत वाली जगह पर हाथ रख लिया. आप शायद हैरान हो रही होंगी. भला अबचूत पर हाथ रखने की क्या जरुरत रह गई थी ? . मैं भी तो यही चाहती थी कि आज की रात ये मेरा गुलाम बन कर जैसा मैं चाहूँ वैसा ही करे. मेरी मिन्नतें करे और फिर जब मैं उसे मौका दूं तो वो बिना रहम किये मेरे सारे कस बल निकाल दे.

उसने फिर मुझे बाहों में भर लिया. मेरी आँखें रोमांच और उत्तेजना से अपने आप बंद हो गयी. पता नहीं कितनी देर वो मुझे चूमता ही रहा. कभी गालों पर कभी होंठों पर कभी ब्रा के ऊपर से उरोजों पर और कभी कानों की लोब को. मैं तो बस मस्त हुयी उसकी बाहों में समाई आँखें बंद किये सपनीली और रोमांच की जादुई दुनियां में डूबी हुयी पड़ी ही रह गयी. मुझे तो पता ही नहीं चला कब उसने मेरी ब्रा और पैंटी की डोरी खींच दी. मुझे तो होश तब आया जब उसने मेरे एक उरोज की घुंडी को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसा और फिर थोडा सा दांतों से दबाया.

“ऊईई ….. माआ……” मेरी तो एक सित्कार ही निकल गयी. अब उसने दूसरे उरोज को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. उसका एक हाथ अब मेरीचूत को टटोल रहा था. मैंने अपनी जांघें जोर से कस ली ताकि वो अपनी अंगुली मेरी चूत में न डाल पाए.

. मैं चाहती थी कि वो पहले मुझे चूमे चाटे और मेरे शरीर के सारे अंगों को सहलाए और उन्हें प्यार करे. उसे भी तो पता चलना चाहिए कि औरत के पास लुटाने के लिए केवल चूत ही नहीं होती और भी बहुत कुछ होता है. उसने भी मेरीचूत को ऊपर ही ऊपर से सहलाया. वो मेरे उरोजों की घाटियों को चूमता हुआ मेरी गहरी नाभि चूमने लगा. उसके छेद में अपनी जुबान ही डाल दी. उईई … मा …. ये अमित तो मुझे पागल ही कर देगा. धीरे धीरे उसकी जीभ नीचे सरकने लगी. जब उसने मेरे पेडू (चूत और नाभि के बीच का थोडा सा उभरा हिस्सा) पर जीभ फिराई तो मेरे ना चाहते हुए भी मेरी दोनों जांघें अपने आप चौडी होती चली गयी. मेरी चूत पर जब उसकी गर्म साँसें और जीभ ने पहला स्पर्श किया तो रोमांच और उत्तेजना के कारण मेरी तो किलकारी ही निकल गयी. मैंने उसका सिर जोर से अपने हाथों में पकड़ कर अपनी चूत की ओर दबाना चाहा . उसने कोई जल्दी नहीं दिखाई.

“ओह मेरेबेटे जल्दी करो ना मेरीचूत को चूसो जल्दी ” मैंने अपने नितम्ब ऊँचे करके उसके सिर को जोर से अपनी चूत पर लगा ही दिया. उसने एक चुम्बन उस पर ले लिया. मैं जानती हूँ मेरी चूत से निकलती मादक महक ने उसको भी एक अनोखी ठंडक से सराबोर कर दिया होगा. उसने मेरीचूत की मोटी मोटी फांकोंचौडा कर दिया. मैं जानती हूँ वो जरूर मेरीचूत और उस हरामजादी रचना की चूत की तुलना कर रहा होगा. मेरी चूत के अंदरूनी गुलाबी और चट्ट लाल रंगत को देख कर तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी होंगी. उसके मुंह से एक एक निकला “वाह … क़यामत है …” और झट से उसने अपने होंठ मेरी बरसों की तरसती चूत पर रख दिए. उसके होंठों का गर्म अहसास मुझे अन्दर शीतल करता चला गया. अभी तो उसने मेरी मदनमणि के दाने को अपनी जीभ की नोक से छुआ ही था की मेरी चूत ने काम रस की 2-3 बूंदे छोड़ ही दी. इतनी जल्दी तो मैं आज से पहले कभी नहीं झडी थी. ये तो पूरा कामदेव है.

अब उसने अपनी जीभ धीरे से मदनमणि के नीचे मुत्र छेद पर फिराई और फिर नीचे स्वर्ग गुफा के द्वार पर. ओह.. मैं तो जैसे निहाल ही हो गयी. उत्तेजना में मैंने अपने दोनों पैर ऊपर उठा लिए और उसकी गर्दन के गिर्द कस लिए. मैं तो चाहती थी कि मेरीचूत को पूरा का पूरा मुंह में लेकर एक जोर की चुस्की ले पर ये साला अनिल तो मुझे पागल ही कर देगा. उसने फिर अपनी जीभ एक बार नीचे से ऊपर और फिर ऊपर से नीचे तक फिराई. मैं जानती हूँ मेरीचूत की फांकों पर लगे शहद और कामरस का मिलाजुला मिश्रण वो मजे से चाट रहा है पर मेरीचूत में तो जैसे आग ही लगी थी. मैं हैरान थी कि वो उसे पूरा मुंह में क्यों नहीं ले रहा है. ये तो मुझे उसने बाद में बताया था कि वो मुझे पूरी तरह उत्तेजित करके आगे बढ़ाना चाहता था.
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