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RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
गतान्क से आगे.....................
मेरे जांघे चूत सब अभी के वीर्ये और मेरे पेशाब से सनी हुई थी…मेने मुँह बनाते हुए अभी को कहा
मे: देखे ना बाबू जी आप ने क्या कर दिया….
और मे उठ कर नल को चला कर अपने चूत और जाँघो को सॉफ करने लगी…अभी मेरे पीछे खड़ा अपने लंड को हाथ मे थामें मूत रहा था…मे अपने आप को सॉफ करके बाहर आ गयी….थोड़ी देर बाद अभी भी अपने आप के बदन को सॉफ करके मेरी बगल मे आकर लेट गया….
मे: बाबू जी आज तो आप ने हद कर दी…
अभी: क्यों क्या हुआ….
मे: ऐसे भी कोई करता है….
अभी: क्यों नही करते…इससे चुदाई का मज़ा और बढ़ जाता है…
मे: पर मुझे तो मज़ा नही आया (जान बुझ कर अभी को चिड़ाते हुए)
अभी: तो फिर से तेरी भोसड़ी की ठुकाई करूँ…
मे: नही अभी नही….पहले ये बताओ कमला के बाद आप ने किस की चूत को चोदा…
अभी: किसी को बताओगि तो नही…..
मे: नही बताउन्गि…बताओ ना….
अभी: बता तो रहा हूँ ज़रा सबर करो…..
अभी ये तब की बात है…जब मे 12थ के एग्ज़ॅम देने के बाद अपने एंट्रेन्स एग्ज़ॅम के तैयारी कर रहा था…मेरे एंट्रेन्स एग्ज़ॅम का सेंटर अमृतसर मे आया था…मुझे वहाँ एग्ज़ॅम देने जाना था…मेरे तीन एग्ज़ॅम होने थे…इसलिए मुझे वहाँ 5 दिन रुकना था… और वहाँ पर मेरे मामा जी रहते थे.
पापा ने मोहन मामा जी से फोन पर बात करके बता दिया था…और मोहन मामा ने पापा से कहा…कि अभी हमारे घर पर रुक सकता हैं… मोहन मामा जी मेरे सगे मामा नही थे. वो मेरी मा के कज़िन थे. दूर की रिस्तेदारी मे. इसलिए मे पहली बार उनके घर जा रहा था. बस एक दो बार सिर्फ़ मोहन मामा जी को ही फॅमिली फंक्षन्स मे देखा था. ना तो उनकी वाइफ को मेने देखा था. और ना ही बच्चो को
दो दिन बाद मेरा पहला एग्ज़ॅम था…मे दोपहर को ट्रेन से अमृतसर पहुच गया…मोहन मामा बेसिकली कलकत्ता से थे..जब मे अमृतसर पहुचा…तो वो मुझे लेने स्टेशन पर आए हुए थे…मे उनको पहले भी देख चुका था…इसलिए उन्हे पहचानने मे कोई दिक्कत नही हुई…
मेने सबसे पहले उन्हे विश किया…और हम स्टेशन से बाहर आ गये…और मामा के स्कूटर पर उनके घर आ गये…मामा ने डोर बेल बजाई…थोड़ी देर बाद उनकी पत्नी (मामी) नीलम ने डोर खोला…नीलम बिल्कुल टिपिकल बिंगाली औरत की तरहा थी…बड़ी-2 आँखें पतली कमर लंबे बाल. उसने येल्लो कलर के प्रिंटेड सारी पहनी हुई थी…नीलम तब 30 साल की थी…और दो बच्चो की मा थी…
मोहन: बेटा ये मेरी वाइफ है नीलम…अंदर आओ मे तुम्हें अपने बच्चो से मिलाता हूँ…
मे: नमस्ते मामी…
नीलम: नमस्ते…
मे मामा के साथ अंदर आ गया…उनके एक बेटा था…जो १२ का साल था…और एक बेटी जो१५साल की थी…दोनो स्कूल मे पढ़ते थे..
मामा: ये मेरा बेटा रवि और ये मेरे बेटी हेमा है…
मे: आप के बच्चे बहुत ही क्यूट हैं…
मोहन: नीलम ऊपेर वाला रूम सॉफ कर दिया ना…
नीलम: जी कर दिया है….
मोहन: आओ भी मेरे साथ आओ..तुम्हें तुम्हारा रूम दिखा दूं…
मे मामा के साथ ऊपेर आ गया…मामा ने रूम खोला, और हम दोनो रूम के अंदर आ गये…मामा ने मेरा बॅग बेड के पास रख दिया….
मामा: देखो बैठा ठीक है…किसी और चीज़ की ज़रूरत तो नही…
मेने रूम को देखा…रूम मे एक सिंगल बेड लगा हुआ था…और एक स्टडी टेबल भी था…रूम के साथ ही अटॅच्ड बाथरूम भी था…
मे: बिल्कुल पर्फेक्ट मामा…और किसी चीज़ की ज़रूरत नही…
मामा: तो ठीक है…चेंज करके फ्रेश हो जाओ…मे नीचे जाकर नीलम को खाना लगाने के लिए बोल देता हूँ…नीचे आकर खाना खा लेना…अब मे ऑफीस जा रहा हूँ.. रात को मिलेंगे
मे: ठीक है मामा जी…
और मामा के बाहर जाने के बाद मेने अपने बॅग्स से अपने लिए टीशर्ट और शॉर्ट निकाला..और बाथरूम मे घुस्स गया…और कपड़े उतार कर हाथ मुँह धोने लगा…मे कपड़े चेंज करके नीचे आ गया…
नीचे नीलम डिन्निंग टेबल पर खाना लगा रही थी…मुझे देखते ही बोली..
नीलम आओ बैठो … मे खाना ही परोस रही थी…
मे चेर पर बैठ गया…और खाना खाने लगा…इतने मे मामा का लड़का रवि मेरे पास आ गया…
रवि: भैया चलो वीडियो गेम खेलते हैं…मेरे पास बहुत सी हैं…
नीलम: (रवि को डाँटते हुए) क्या वीडियो गेम चलो जाकर होमवर्क करो…पहले भैया को खाना तो खाने दो…
मे: (रवि को उदास होते देख) क्यों डाँट रहे हैं आप.. आख़िर बच्चे हैं…
नीलम: नही ऐसी कोई बात नही…पहले आप खाना तो खा लो..
मे: ये आप मुझे आप -2 कह कर क्यों बात कर रही हैं…मे तो आप से बहुत छोटा हूँ…मेरा नाम अभी है, और आप मुझे अभी ही बुलाओ..
नीलम: ठीक है अभी…अब तो खाना शुरू करो…
मे खाना खाने लगा…खाना खाने के बाद मे थोड़ी देर तक रवि के साथ वीडियो गेम खेलने लगा…रवि मुझ से थोड़े ही टाइम मे बहुत ही गुलमिल गया था…नीलम अपने घर के काम मे लगी हुई थी…थोड़ी देर बाद मे ऊपेर रूम मे आ गया..और बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गयी…मुझे पता ही नही चला…शाम के 6 बजे. नीलम मामी मुझे ऊपेर उठाने आई…जब मे उठा तो मुझे अपनी हालत का अंदाज़ा हुआ…मेरा लंड मेरे शॉर्ट मे एक दम तन कर तंबू बनाए हुए था…मे झेंप गया,और अपने सर को झुका लिया…मेने तिरछी नज़रों से नीलम मामी की ओर देखा…उसके होंटो पर हल्की सी मुस्कान थी…
नीलम: नीचे आ जाओ, चाइ बन गयी है,
मे: जी अभी आता हूँ….
मे बाथरूम मे घुस्स गया, और पेशाब करने लगा…पेशाब करने के बाद मेरा लंड सुस्त पढ़ गया…और मे हाथ धो कर नीचे आकर सोफे पर बैठ गया…नीलम मामी ट्रे मे कुछ स्नॅक्स और चाइ लेकर आई,और मेरे सामने टेबल पर रख दी…वो मुझसे नज़रें नही मिला रही थी…वो मूड कर वापिस जाने लगी..
मे: आप भी तो चाइ लो…
नीलम: जी मे चाइ नही पीती…
और नीलम वापिस किचन मे चली गयी…मेने चाइ पी, और फिर से रवि के साथ वीडियो गेम खेलने लगा…मेरा अच्छा टाइम पास हो रहा था…रात को 9 बजे मोहन मामा घर पर आ गये.हम सब साथ बैठ कर खाना खाने लगे..
मामा: (खाना खाते हुए) नीलम तुम रोज सुबह अभी को 5 बजे उठा देना…ताकि वो सुबह उठ कर पढ़ाई कर सकें…और हां अगर किसी चीज़ के ज़रूरत हो तो बता देना..
नीलम: जी ठीक है….
मामा: और अभी तुम सुनो…तुम्हारा दिल तो लग गया यहाँ पर…
मे: जी मामा रवि के साथ कैसे टाइम पास हो गया…पता ही नही चला…
मामा: वो तो ठीक है…परसों तुम्हारा पहला एग्ज़ॅम है…अब एग्ज़ॅम की तैयारी शुरू कर देना…
मे: जी ठीक है मामा….
हम सब ने खाना खा लिया था…मे हाल मे बैठा टीवी देख रहा था…तभी मोहन मामा भी हाल मे आ गये..नीलम मामी किचन मे बर्तन सॉफ कर रही थी…
मोहन मामा मेरे पास आकर बैठ गये…वो एक बुक पढ़ रहे थी…उसका टाइटल था ब्रह्मचर्य…मे मामा के हाथ मे ऐसी बुक देख कर थोडा सा हैरान रह गया.. मे मामा के बारे मे बता दूं कि, उन्होने सीए किया था…वो अपने ऑफीस जाने से पहले रोज सुबह 5 से 9 बजे तक एक अकाउंट्स अक्द्ड़ेमी मे अकाउंट्स स्टूडेंट को कोचैंग भी देते थे…
मे सोफे पर बैठा मूवी देख रहा था…तभी नीलम मामी किचन से निकल कर अपने रूम मे गयी…और मामी ने मामा को रूम से आवाज़ दी…मामा बुक को सोफे पर रख कर रूम मे चले गये…मे उस बुक को देखने से अपने आप को रोक ना सका…और बुक उठा कर पढ़ने लगा…
उसमे ब्रह्मचर्य के बारे मे बताया गया था…उस बुक मे सेक्स को आदमी की सबसे बड़ी कमज़ोरी बताया गया था…तभी मुझे मामा के आने की आहट हुई..मेने जल्दी से बुक वापिस रख दी..और टीवी देखने लगा…
कुछ देर बैठने के बाद मुझे नींद आने लगी…और मे उठ कर अपने रूम मे आकर सो गया…
और मे उठ कर अपने रूम मे आकर सो गया…मामा ने मुझे ऊपेर जाने से पहले कहा था…कि ऊपेर जाकर 5 बजे का आलराम सेट कर लूँ…ताकि मे सुबह उठ कर पढ़ सकूँ…
पर मेने अलार्म नही लगाया..,.और ऐसे ही लेट गया…और मुझे नींद आ गयी…सुबह के 5 बजे मुझे नीलम मामी ने मेरे कंधे से हिला कर उठाया…
नीलम: उठो 5 बज गये हैं…उठ कर थोड़ा सा पढ़ लो…
मे अपनी आँखें माल्ता हुआ खड़ा हुआ…और बाथरूम मे घुस्स गया…मे जब फ्रेश हो कर बाहर आया, तो जो मेने देखा उसे देख कर मे एक दम से हैरान रह गया…नीलम मामी सामने मेरे बेड पर लेटी हुई थी…उसकी पीठ मेरी तरफ थी…उसकी बॉडी को देख मे पागल सा हो गया…उसकी वो पतली कमर ने मुझ पर नज़ाने के जादू सा कर दिया था..जो मे अपने होश को खो बैठा…
पीछे से उसकी गोरी नागिन सी बाल खाती हुई कमर को देख मेरा लंड एक दम से तन गया.. वो शायद नींद ना पूरी होने के कारण बेड पर लेटी सो गयी थी… मे एक बात और बता दूँ कि, मामा के सुबह 5 बजे कोचैंग सेंटर जाने से पहले नीलम मामी 4:30 बजे उठ कर उनके लिए चाइ बनाती थी…
ऐसे मे किसी की नींद कैसे पूरी हो सकती है…इसलिए वो यहीं सो गयी…शायदा कल रात से बहुत थक गई होंगी…मे ये सोच कर बेड पर आकर बैठ गया…और पीछे नीलम मामी के गदराए हुए मस्त बदन को देखने लगा
क्या मस्त और सेक्सी बदन था नीलम मामी का… 36 साइज़ की कसी हुई चुचिया…नीचे गतेला और स्लिम पेट और नागिन सी बाल खाती कमर उफ़फ्फ़ कूल्हे तो पूछो ही मत क्या गोल मटोल चूतड़ थे…मे अपने आपे से बाहर हो गया…नीलम को देख कर मेरा लंड एक दम से तन कर, मेरे शॉर्ट मे झटके खाने लगा…मेने विंडो से बाहर देखा…
बाहर अभी भी अंधेरा था…अब मेरे दिमाग़ मे वासना का तूफान उठ चुका था…मेने जल्दी से लाइट ऑफ की,और बेड के दूसरे साइड पर लेट गया…बेड सिंगल था. इसलिए मेरे और नीलम मामी के बीच सिर्फ़ 7-8 इंच का फासला था…
नीलम मामी के इतना करीब लेटे होने कारण…मेरा लंड मेरे अंडरवेर मे हलचल मचाए हुए था…अब मुझसे रहा नही जा रहा था…मे मामी के करीब खिसक गया..मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा…मे डर रहा था..कि कही मामी जाग ना जाए… पर वासना के नशे मे आकर मे आगे खिसक गया…और नीलम मामी से एक दम सॅट गया…मेरा तना हुआ लंड अब नीलम मामी की सारी के ऊपेर से उसके चुतड़ों पर रगड़ खा रहा था…मे काफ़ी देर ऐसे ही लेटा रहा…जैसे मे नींद मे हूँ….
जब थोड़ी देर तक मामी नही हिली…तो मे हिम्मत करके और करीब खिसक गया…और मेरा लंड नीलम मामी की गांद से और सॅट गया…नीलम मामी ने सारी पहनी हुई थी..जिसके कारण मेरा लंड उनके चुतड़ों की दर्रार मे नही जा पा रहा था..पर वैसे ही लेटा-2 अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से पकड़ कर नीलम मामी के गदराए हुए चुतड़ों पर रगड़ने लगा…
मे साथ मे मामी के ऊपेर नज़र जमाए हुए था…पर वो बिल्कुल शांत लेटी हुई थी..अब मेरा लंड बिकुल अकड़ चुका था…और मे झड़ने के बिकुल करीब था… मेने अपना एक हाथ नीलम मामी की चिकनी और मखमल जैसे गोरी कमर पर रख दिया…
इस बार नीलम मामी थोड़ा सा हिली..और फिर से शांत पड़ गयी…पर उसके हिलने से मेरा लंड नीलम की सारी को दबाता हुआ उसकी गांद की दर्रार मे थोड़ा सा धँस गया था.. मुझे ऐसे लगा. जैसे वो जान बुझ कर रही हैं…पर मे श्योर नही था… इसलिए मे वैसे ही लेटा रहा…
क्रमशः.................
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RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
गतान्क से आगे.....................
सुबह के 6 बज चुके थे…मे अभी भी जागा हुआ था…अचानक नीलम मामी करवट लेकर सीधी हो गयी…और फिर उठ कर बैठ गयी…मे अपनी आँखों को बंद किए हुए था… पर थोड़ा सा आँख खोल कर देख रहा था…मे उसके फेस के रिक्षन को नोट करना चाहता था पर. उसके फेस पर तो कोई भी भाव नही थे…
नीलम मामी ने मेरे हाथ को अपने हाथ से हटा कर नीचे रख दिया…और उठ कर चली गयी…मामी की जाते ही मे भी उठ गया…और पढ़ने लगा…
मे 8 बजे तक पढ़ता रहा…तभी रवि रूम मे आया…
रवि: अभी भैया.. पापा नीचे बुला रहे हैं…
मुझे पता ही नही चला कि मोहन मामा कब घर पर आ गये…रवि और हेमा दोनो स्कूल जाने के लिए तैयार थे…जैसे ही मे नीचे आया..
मामा: बेटा मे अब बच्चो को स्कूल छोड़ कर ऑफीस जा रहा हूँ…तुम नाश्ता करके एक बार अपने एग्ज़ॅम सेंटर को देख आओ…ताकि एग्ज़ॅम के दिन ढूँढना ना पड़े…
और मोहन मामा बच्चो को लेकर चले गये…मे डिन्निंग टेबल पर बैठ गया…नीलम चाइ और नाश्ता प्लेट मे लगाने लगी…मे नीलम की आँखों को पढ़ने के कॉसिश कर रहा था…पर पूरा टाइम मेरी नज़रें उससे नही मिली…नाश्ते के बाद मे बाहर आ गया…और जिस कॉलेज मे मेरा एग्ज़ॅम होना था…उसे ढूँढने निकल पड़ा…जब मुझे एग्ज़ॅमिंटेशन सेंटर मिल गया…तो मे घर वापिस आ गया...मे थोड़ी देर हाल मे बैठ नीलम को घर का काम करते हुए देखता रहा…पर वो अपने काम मे व्यस्त थी…हां बीच-2 मे एक दो बार उसने ये ज़रूर पुछा कि भूक तो नही लगी…
मुझे सारा कुछ मिट्टी मे मिलता नज़र आ रहा था…आख़िर कार मेने अपने मन को समझा लिया..था कि वो सुबह शायद ज़्यादा थॅकी हुई थी..इसलिए उन्होने ने सोने से पहले ये नही देखा कि वो कहाँ सो रही हैं…
मे उठ कर अपने रूम मे आ गया…और पढ़ने लगा…दोपहर के 3 बज रहे थे..मे काफ़ी देर तक पढ़ता रहा, फिर मुझे नीचे से बच्चो का शोर सुनाई दिया.. मेने सोच चलो रवि आ गया है…नीचे जाकर उसके साथ वीडियो गेम खेलता हूँ. मे नीचे आकर बैठ गया. रवि और नेहा के साथ नीलम ने मुझे भी खाना दिया…खाना खने के बाद मे रवि के साथ गेम खेलने लगा…
पर मेरा ध्यान बार-2 नीलम मामी की तरफ जा रहा था…जो सोफे पर बैठी एक मॅगज़ीन पढ़ रही थी…पर अब मे कर भी क्या सकता था…मे अपने आप को रवि के साथ बिज़ी रखने की कॉसिश कर रहा था
खैर जैसे तैसे रात हुई…अगले दिन मेरा पहला एग्ज़ॅम था…इसलिए मे खाना खाने के बाद सीधा ऊपेर आ गया, और पढ़ने लगा… मे रात के 12 बजे तक पढ़ता रहा. फिर मुझे नींद आने लगी…और मे बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गये.मुझे पता नही चला…पर उस दिन सोने से पहले मे 5 बजे का अलार्म सेट कर दिया था…पर मे सुबह अलार्म बजने से पहले ही उठ गया था…
जैसे ही मे उठा…मेरे दिमाग़ मे एक प्लान आया…मेने जल्दी से उठ कर अलार्म ऑफ किया और.अपना शॉर्ट्स और टीशर्ट उतार कर रख दी…मे अब सिर्फ़ अंडरवेर मे था…और मे बेड पर लेट गया. मुझे नीचे से कुछ आवाज़ आ रही थी..शायद मोहन मामा जा रहे थे.
मे अपने दिल की धड़कनो संभालते हुए इंतजार करने लगा…थोड़ी देर बाद मुझे ऊपेर चढ़ते कदमों की आवाज़ आई.मेने आँखों को हल्का सा बंद कर लिया…मे पीठ के बल लेटा हुआ था…और मेरा तना हुआ लंड मेरे अंडरवेर को आगे से ऊपेर उठाए हुए था..
तभी मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी…रूम मे 0 वाट का बल्ब जल रहा था…मे नीलम मामी को देख रहा था…वो अंदर आई और बेड के किनारे आकर खड़ी हो गयी…
उसने मुझे एक बाद देखा..मेरा फेस पर देखते हुए उसने मुझे आवाज़ लगाई…अभी अभी उठ जाओ 5 बज गये हैं…पर मे जान बुझ कर गहरी नींद मे सोने आक्टिंग करता रहा.
नीलम मामी ने मुझे दो बार और आवाज़ लगाई…पर मे टस से मस नही हुआ, और वैसे लेटा रहा…फिर वो थोड़ा सा झुक कर मुझे अपने हाथ से हिलाने लगी…पर मे ऐसे ही लेटा रहा,मुझे उठता ना देख, वो बेड के किनारे बैठ गयी…
और एक जम्हाई के साथ अंगड़ाई लेते हुए मेरी तरफ देखने लगी…
नीलम: अभी उठो ना.. देख कितना टाइम हो गया है….
पर मे जानबूझ कर थोड़ा सा कसमसा के फिर से वैसे ही लेट गया…नीलम ने मेरी ओर देखा…और फिर से जमहाई ली…उसे देख कर ऐसा लग रहा है था, कि उसे बहुत नींद आ रही थी..
फिर वो हुआ जिसकी मुझे ज़रा भी उम्मीद नही थी…वो मेरी तरफ पीठ करके लेट गयी. मेरी दिल की धड़कन बढ़ गयी…लाखों सवाल मेरे मन मे उठने लगे… क्या वो जान बुझ कर ऐसे मेरे साथ लेटी है, अगर उसे नींद आ रही थी, तो वो नीचे जाकर भी सो सकती थी..शायद वो जान बुझ कर ही सोई है…नही -2 हो सकता है..वो ज़्यादा थॅकी हुई हों…मे करीब 5 मिनट तक यही सब सोचता रहा….
आख़िर मे मेने फैंसला कर लिया…चाहे वो जो भी सोच कर यहाँ लेटी हो…पर मे ऐसा मोको हाथ से नही जाने दूँगा…मी अपने आँखें खोल कर गोर से देखा…मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ..नीलम मामी आज सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकॉट मे थी..
मेरा तो लंड एक ही पल मे खड़ा हो कर झटके खाने लगा…पीछे उसकी मस्त चिकने गोरे बदन को देख कर मुझसे रहा नही गया…और मे उसकी तरफ खिसक कर उससे सॅट गया…और धीरे -2 अपने और नीलम मामी के बीच के गॅप को कम करने लगा…और कुछ ही देर मे मैं नीलम मामी के बदन से पीछे से चिपक गया…इस बार मेरा तना हुआ लंड उसकी गांद की दर्रार मे धँस गया…
मामी थोड़ा सा कसमासाई…और अपने चुतड़ों को पीछे मेरे लंड पर दबा दिया…मेरा लंड नीलम मामी के पेटिकॉट को उसकी गांद की दर्रार मे आगे सरकता हुआ…उसके चुतड़ों की दर्रार मे धँस गया…पर वो ये सब ऐसे कर रही थी…जैसे वो बहुत ही गहरी नींद मे हो…इसलिए मे कुछ भी खुल कर नही कर सकता था…
मे धीरे-2 अपनी कमर को हिला कर अपने लंड को उसकी गांद के दर्रार मे रगड़ने लगा.. वो बिना हीले दुले वैसे ही पड़ी हुई थी….नीलम मामी अब तेज़ी से साँसें ले रही थी. पर मे बिल्कुल सपस्ट नही था, कि वो जाग रही हैं…या सोई हुई हैं…
पर तब एक मेरे ऊपेर वासना के नशे का असर होने लगा था…मेने धड़केते दिल के साथ अपना एक हाथ उसकी नंगे पेट पर रख दिया…और कुछ देर लेटे रहने के बाद भी जब कोई हरकत ना हुई…तो मे धीरे-2 अपने हाथ को मामी की चुचियो की तरफ बढ़ाने लगा… और कुछ ही मिनिट मे मेरा हाथ मामी के ब्लाउस के ऊपेर उनकी चुचियो पर था..
जैसे ही मेरा हाथ नीलम मामी के ब्लाउस के ऊपेर से उनकी चुचियो पर पड़ा… मे मस्ती मे एक दम पागल सा हो गया…उनकी नरम और गुदाज चुचिया उनके तेज़ी से साँस लेने के कारण ऊपेर नीचे हो रही थी… मे उनके नाक से साँस लेने के आवाज़ को भी सॉफ-2 सुन पा रहा था…
फिर मे कोई 5 मिनट तक ऐसे ही अपना हाथ उनकी चुचि पर रखें अपने लंड को उनकी चुतड़ों के दर्रार मे आगे पीछे करता हुआ रगड़ता रहा…फिर मेने हिम्मत करके धीरे-2 नीलम मामी की चुचि को अपने हाथ से सहलाना चालू कर दिया…
मे अपना सर उठा कर नीलम मामी के फेस और आँखों पर नज़र जमाए हुए था…ताकि अगर वो उठ भी जाए तो, मे अपना हाथ पीछे खींच लूँ…पर मेरे अंदर वासना का तूफान बढ़ता ही जा रहा था…
और फिर मेने अपना आपा खो कर धीरे-2 नीलम मामी के चुचि को मसलना शुरू कर दिया…वो एक पल के लिए थोड़ा सा कसमासाई…और उनके मुँह से उंह की हलकी से आवाज़ निकल गयी…पर वो ऐसे निकली जैसे वो नींद मे हो….
मे एक पल के लिए उनकी आवाज़ सुन कर अपने हाथ को वहीं रखे हुए थम गया… और जब थोड़े से इंतजार के बाद उनकी तरफ से कोई रिक्षन नही हुआ…तो मे फिर से अपने हाथ से धीरे-2 नीलम मामी की मस्त चुचि को मसलने लगा…अब मेरे हाथ का दबाव उसकी चुचि पर बढ़ता जा रहा था….
मेरा तना हुआ लंड अब और ज़्यादा अकड़ चुका था…मेने अपने हाथ को नीलम मामी के चुचि से हटा कर, उनकी जाँघ पर रख दिया…और धीरे धीरे जाँघ को सहलाते हुए,नीचे आने लगा…जब मेरा हाथ उनके घुटने तक पहुचा…मेने मामी के पेटिकॉट को धीरे-2 ऊपेर उठाना चालू कर दिया…
मेरे हाथ पैर उतेजना के मारे काँप रहे थे…मे मामी के फेस की ओर सर उठा कर देखते हुए…मामी के पेटिकॉट को ऊपेर उठाने लगा…जैसे-2 उनका पेटिकॉट ऊपेर उठ रहा था,मेरे दिल की धड़कन और तेज होने लगी…धीरे-2 मेने उनके पेटिकॉट को उनकी जाँघो तक उठा दिया…और फिर एक बार मामी के फेस की ओर देखा… उनकी आँखें अब भी बंद थी…पर उनके फेस पर अजीब से भाव थे…मेने उनकी जाँघो को धीरे-2 सहलाना चालू कर दिया...
फिर मे थोड़ी देर के लिए रुका…और अपने लंड को पीछे करके, उनके पेटिकॉट को और ऊपेर उठाना चालू कर दिया…उनका पेटिकॉट अब उनकी जाँघो की जड़ो तक ऊपेर हो चुका था…और उनकी वाइट कलर के पॅंटी को देख मे और पागल हो गया…
मेने अपना सारा कुछ ताक पर रखते हुए…अपने शॉर्ट को नीचे सरका कर अपने तने हुए लंड को बाहर निकाल लिया…और उनकी पॅंटी के ऊपेर से अपने लंड को उनके चुतड़ों की दर्रार मे रगड़ने लगा…मे अब पूरी तरहा मस्त हो चुका था…
मेरा दिल कर रहा था, कि मे अभी मामी की पॅंटी को निकाल कर अपना लंड उनकी गांद के छेद मे पेल दूं…और खूब कस कस के मामी को चोदु… पर मेरी हिम्मत नही पड़ रही थी… और मामी भी कुछ सिग्नल नही दे रही थी…अब मेरे लंड की नसें फूलने लगी थी…
मेरा लंड अब अपना पानी छोड़ने वाला था…मे मामी के बदन से एक दम चिपक गया…मेरे लंड का सुपाड़ा मामी की पॅंटी को उनकी दरार मे पेलता हुआ…उसकी गांद के छेद मे पॅंटी के ऊपेर से सॅट गया….
इसबार फिर मामी के मुँह से उंह की आवाज़ निकल गयी…मेने अपने हाथ को आगे लेजा कर उनकी चुचि पर ब्लाउस के ऊपेर से रख दिया…और अपनी कमर को धीरे-2 हिलाने लगा.. अचानक मुझे अपने बदन का सारा खून अपने लंड की नसों मे इकट्ठा होता महसूस होने लगा….और मेरे लंड से वीर्ये की बोचार होने लगी…मेरा पूरा बदन काँप गया…
जब मुझे होश आया…तो मेरी डर के मारे गांद फटने लगी…मे जल्दी से पीछे हो गया…और बेड से उठ कर एक कपड़े को उठा कर बेड पर आ गया, और पहले अपने लंड और बेड पर गिरे वीर्ये को सॉफ किया…फिर मामी के जाँघो को बढ़े ध्यान से सॉफ किया.. मामी की पॅंटी तो मेने सॉफ कर दी..पर मेरे वीर्ये से कुछ गीली हो गयी थी…मेने हल्के हाथ से मामी के पेटिकॉट को नीचे कर दिया…और बेड पर लेट गया…
करीब 10 मिनट बाद नीचे से रवि की आवाज़ आई… ममा ममा कहाँ हो आप…. मे अपनी आँखें बंद किए लेटा हुआ था…और थोड़ी सी आँखें खोल कर नीलम मामी को देख रहा था…नीलम मामी बेड पर उठ कर बैठ गयी…मामी ने एक बार मेरी तरफ देखा.. उनके फेस पर कोई एक्सप्रेशन नही था…जिससे मुझे पता चल सकें कि.. वो सोई हुई थी..
या जाग रही थी….
फिर मामी उठ कर खड़ी हो गयी,और अपने कपड़े ठीक करके बाहर चली गयी…मेने राहत के साँस ली… उस दिन मेरा पहला एग्ज़ॅम था, और मामी के जाते ही, मे उठ कर खड़ा हो गया, और बाथरूम मे घुस गया….
जब मे फ्रेश होकर नीचे आया, तो मोहन मामा वापिस आ चुके थे…रवि और हेमा स्कूल जाने के लिए तैयार थे…और डिन्निंग टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे…
मामा: (मुझे देखते हुए) अर्रे आओ अभी…बैठो नाश्ता कर लो… नीलम अभी का नाश्ता भी ले आओ…
मे मामा के सामने वाली चेर पर बैठ गया….इतने मे नीलम मामी भी मेरा नाश्ता प्लेट मे डाल कर ले आई…
मामा: और सूनाओ अभी…एग्ज़ॅम के लिए तैयार हो ना…
मे: जी हां मामा…
मामा: गुड अब अच्छे से एग्ज़ॅम लिखना…
मे: जी मामा….
मामा और बच्चो ने नाश्ता कर लिया था…मेरा अभी बाकी था…मामा और बच्चे नाश्ते के बाद स्कूल के लिए निकल गये….
जब मेरा नाश्ता ख़तम हुआ, तो नीलम मेरी खाली प्लेट उठाने आई…मेने मामी की आँखों मे झाँकने की कॉसिश की…कहीं तो कोई हिंट मिल जाए..पर वो मेरी तरफ एक बार देख कर बोली और कुछ चाहिए….और मुझे उनकी आँखों मे कोई हिंट नही मिला…वो मुझसे ऐसे पेश आ रही थी, जैसे कुछ हुआ ही ना हो…
मे अपने सर को झटकते हुए खड़ा हुआ, और अपने एग्ज़ॅम के तैयारी कर घर से एग्ज़ॅमिनेशन सेंटर की तरफ निकल पड़ा…मेरा एग्ज़ॅम अच्छे से हो गया… मे 12 बजे तक एग्ज़ॅम दे कर फ्री हो गया…और जल्दी से घर की तरफ चल पड़ा…
क्योंकि मुझे मालूम था, कि नीलम मामी इस समय घर पर अकेली होगी…शायद उनसे कुछ बात ही बन जाए…आधे घंटे मे घर के बाहर खड़ा था…मेने डोर बेल बजी. थोड़ी देर बाद नीलम मामी ने गेट खोला…
नीलम: (मुझे देखा कर) आ गये कैसा हुआ एग्ज़ॅम
मे: (घर के अंदर आते हुए)जी बहुत अच्छा हुआ…
नीलम: तुम बैठो मे तुम्हारे लिए चाइ बनाती हूँ….
मे: नही मामी चाइ रहने दो…बस एक ग्लास पानी दे दो…
नीलम किचन मे चली गयी…और एक ग्लास पानी ले आई…मेने पानी पाया,और नीलम की आँखों मे झाँकते हुए, पानी का ग्लास नीलम मामी को पकड़ा दिया…
पर नीलम मामी ने मेरी तरफ देखा तो सही…पर मे जो उनकी आँखों मे ढूँढ रहा था…वो मुझे नही मिला…मे उदास सा होकर सोफे पर बैठ गया…नीलम मामी ग्लास रख कर वापिस आ गयी. उनके हाथ मे सब्जी थी…जिसे वो मेरे सामने सोफे पर बैठ कर काटने लगी…
हम दोनो इधर उधर के बातें करते रहें…पर मेरी ज़रा भी हिम्मत नही हुई, कि मे उनसे सुबह की बात कर सकूँ…मे हार कर ऊपेर आ गया…और बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गयी…मुझे पता नही चला…
दोपहर के 3 बजे रवि ने मुझे ऊपेर आकर उठाया…मे उठ कर बैठ गया…
अभी: भैया मम्मी नीचे खाने के लिए बुला रही हैं….
मे उठ कर रवि के साथ नीचे आ गया…और नीचे आकर खाना खाने लगा…खाना खाने के बाद मे रवि के साथ वीडियो गेम खेलने लगा…नीलम मामी कल की तराहा सोफे पर बैठ कर मॅगज़ीन पढ़ रही थी…
मे बार-2 नीलम मामी को देख रहा था…ताकि मेरी नज़रों से उनके नज़र मिले.. शायद कुछ बात बन जाए…पर कोई फ़ायदा नही..मे अपने ध्यान को वीडियो गेम पर लगाने लगा…
वीडियो गेम खेलते -2 करीब आधे घंटे के बाद मेने फिर से नीलम मामी की तरफ देखा…पर इसबार मेरे दिल मे कुछ हलचल से हुई…नीलम मामी मेरी तरफ देख रही थी. पर जैसे ही मेने उनकी तरफ देखा. वो मॅगज़ीन मे देखने लगी…
मेरे दिमाग़ के घोड़े एक बार फिर से दौड़ने लगी…हां-2 वो मेरे तरफ देख रही थी…पर इसमे ऐसे किया खास बात है…हो सकता है उनका ध्यान ऐसे ही मुझ पर पड़ गया हो. जाने फिर वो मुझे नही रवि को देख रही हो…
ये सब बातें सोच-2 कर दिमाग़ का कबाड़ा बन चुका था….आख़िर मे उठ कर ऊपेर अपने रूम मे आ गया…और अगले दिन के एग्ज़ॅम के तैयारी करने लगा…और काफ़ी देर तक पढ़ता रहा…शाम कब ढल गयी..मुझे पता नही चला…
रात के 9 बजे मुझे नीचे से मोहन मामा की आवाज़ आई…मे रूम से बाहर आकर नीचे देखने लगा..
मामा: (मुझे देखते हुए) अभी बेटा नीचे आकर खाना खा लो…फिर बाद मे पढ़ लेना…
क्रमशः.................
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11-15-2018, 12:22 PM,
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RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
गतान्क से आगे.....................
मे नीचे आ गया…बच्चे सो चुके थे…मे मामा मामी के साथ खाना खाने लगा..और बीच-2 मे चोर नज़रों से नीलम मामी की कातिल जवानी को देख रहा था…आज नीलम मामी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी…उन्होने ने महरूण कलर के सारी पहनी हुई थी…
मामा: (खाना खाते हुए) और बातों अभी आज का एग्ज़ॅम कैसा रहा…
मे: जी बहुत अच्छा था…
मामा: अब कल के एग्ज़ॅम के तैयारी कर ली….
मे: जी मामा…
मामा: अब जल्दी सो जाना…ज़यादा देर तक ना पढ़ना…कल सुबह मे 4 बजे की ट्रेन से लुधियाना जा रहा हूँ…तुम सुबह जल्दी उठ कर पढ़ लेना...हां और हो सके तो बच्चो को बाहर रोड तक आगे कर आना…वहाँ से उनकी स्कूल बस आती है….उन्हे वहाँ से बस मे बैठा देना…
मे: जी ज़रूर मे बैठा आउन्गा….
मामा: ठीक है नीलम कल सुबह अभी को जल्दी उठ देना..
मामी: जी ठीक है
मे मामी के तरफ देखने लगा….ये सोच कर सुबह उठाने की बात को लेकर शायद उनके चेहरे पर कुछ भाव आ जाएँ. पर वैसे कुछ भी नही हुआ…वो चुप-2 खाना खाती रही…
खन्ना खाने के बाद मे उठ कर जाने लगा…तो अचानक मुझे याद आया कि, मेरे रूम के बाथरूम मे हेर ओयल ख़तम हो गया था…
मे: मामा वो ऊपेर हेर आयिल ख़तम हो गया है…
मामा: कोई बात नही…हमारे बेड रूम के बाथरूम मे दो बॉटल पड़ी हैं…वहाँ से ले लो…
मे मामा के रूम मे आ गया…और बाथरूम मे घुस गया…जैसे ही मे बाथरूम मे पहुचा…तो वहाँ सबसे पहले मेरी नज़र वाइट कलर की पॅंटी पर पड़ी.मेने उसे उठा कर देखा तो, पता चला कि ये वोही पॅंटी है. जो सुबह मामी ने पहनी हुई थी…उसपर मेरे कम के दाग अभी भी पड़े हुए थे….
दाग काफ़ी बड़ा था…जो आसानी से दिख जाए…मुझे ये अहसास हो गया, कि मामी चाहे सो ही रही हों…पर उन्होने ने इस दाग को ज़रूर देखा होगा…अगर वो चुदाना चाहती है. तो कम से कम कोई हिंट तो दे..
फिर मेने पॅंटी को वहीं रख दिया…और आयिल की बॉटल को लेकर ऊपेर आ गया….मेने जल्दी से सुबह 3:30 बजे का अलार्म लगा दिया…और फिर कुछ देर पढ़ने के बाद सो गया..
सुबह 3:30 पर अलार्म बजा…मेने जल्दी से उठ कर अलार्म बंद किया…और अपने टीशर्ट और शॉर्ट्स उतार कर सिर्फ़ अंडरवेर मे लेट गया…और इंतजार करने लगा…4 बजे के करीब मुझे नीचे से कुछ आवाज़ सुनाई दी…
मेने अंदाज़ा लगाया. कि मामा अब जा रहे हैं…मेरे दिल की धड़कन एक बार फिर से बढ़ गयी…अब मामी ऊपेर आने वाली थी…क्या वो आज ऊपेर आएगी…कहीं कल उन्होने ने अपनी पॅंटी देखी होगी..तो शायद वो ना आए…अगर आज वो ऊपेर नही आई तो इसका मतलब वो सच मे कल सो रही थी…
15 मिनट के इंतजार के बाद. मुझे ऊपेर आते हुए कदमों की आवाज़ आई…मे अपने दिल को साधे लेट गया…और कुछ ही पलों मे मेरे रूम का डोर धीरे से खुला…और वो हसीना मेरे रूम मे आ गयी…अब मे अपने दिल के धदकनो को थामे उसकी पहली हरकत का इंतजार करने लगा….
रूम मे 0 वाट का बल्ब जल रहा था…नीलम मामी ने सारी उतारी हुई थी…पर रात वाला महरूण कलर का ब्लाउस और पेटिकॉट पहना हुआ था…नीलम मामी ने एक बार मेरी तरफ देखा…फिर मेरे तने हुए लंड को जो कि अंडरवेर को आगे से फैलाए हुए था… फिर उन्होने जल्दी से मेरे फेस की ओर देखते हुए आवाज़ दी…अभी उठो….
पर मे नही उठा…उन्होने ने फिर से आवाज़ दी…पर मे वैसे ही लेटा रहा…नीलम मामी कल के तराहा बेड पर बैठ गयी…और मुझे मेरे कंधे पर हाथ रख कर हिलाने लगी.. पर मे टस से मस नही हुआ, और वैसे ही लेटा रहा…पर इस बार उन्होने मुझे ज़ोर से हिलाया…अब सोने का नाटक करना बेकार था…
मे आँखों को मलते हुए उठ कर बैठ गया….
मे: जी मामी….
मामी: (सुस्त आवाज़ मे) चलो उठ जाओ…और थोड़ी देर पढ़ लो…
मे उठ कर बाथरूम मे चला गया…और पेशाब करने लगा…मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था…और मन मे यही दुआ कर रहा था…कि मामी आज भी बेड पर लेट जाए…
मे जब पेशाब करके बाहर आया…तो मेरा लंड खुशी के मारे कुलाँचे भरने लगा… सामने वो दिल कश हसीना मेरे बेड पर लेटी हुई थी…उसकी पीठ आज भी मेरी तरफ थी…मेने गॉर से देखा…मामी का पेटिकॉट उनके घुटनो तक ऊपेर चढ़ा हुआ था.. जैसे आज वो उसे जान बुझ कर ऊपेर उठ कर लेटी हुई हों…
मे बिना एक पल के देरी किए बेड पर आ कर उनकी बगल मे लेट गया…और धीरे-2 उनकी तरफ खिसकने लगा…जब मे मामी के बिल्कुल सॅट गया…तो मेरा लंड एक दम अकड़ गया.. और मेरे अंडरवेर को ऊपेर उठा दिया…मुझे लंड को अंडरवेर मे रखने मे दिक्कत होने लगी…
मेने तोड़ा सा पीछे हो कर अपने लंड को अंडरवेर से बाहर निकाल लिया…और मामी के पीछे से सॅट गया…मेरा लंड उनके महरूण कलर के पेटीकोत को उनकी गांद के दर्रार मे धकेलटा हुआ उनकी गांद के छेद पर जा लगा….
मामी थोड़ा सा कसमासाई, और पीछे की तरफ अपनी गांद को थोड़ा सा दबा दिया…जैसे वो नींद मे ये सब कर रही हो…मेने मामी के पेटिकॉट को धीरे-2 ऊपेर करना चालू कर दिया…जो पहले से उनके घुटनो तक उठा हुआ था…
मे बढ़े ध्यान से मामी के पेटीकोटे को ऊपेर उठाता रहा…और जब उनका पेटिकॉट उनके चुतड़ों तक ऊपेर उठ गया…मेने अपने लंड को पीछे करके मामी के पेटीकोत को ऊपेर उठा दिया…वाउ सामने का नज़ारा देख मेरे लंड की नसें फूलने लगी…
आज मामी ने रेड कलर के नाइलॉन वशेप पॅंटी पहनी हुई थी…जैसे आज पूरी तैयारी के साथ आई हो…मे अपने आप पर काबू ना रख सका… रेड कलर की नेट वाली वी शेप पॅंटी मामी के भारी-2 गॉट मटोल सुडल चुतड़ों को नाम मात्र ही ढक पा रही थी…अब मे एक दम पागल हो चुका था…
मे पिछले दो तीन दिनो से चूत के लिए तड़प रहा था…इसलिए मुझसे रहा नही गया… और बिना किसी बात की परवाह किए बेगैर मे अपने लंड को हाथ मे पकड़ कर उनकी गांद के नीचे से उनकी चूत पर लगा दिया…
मे तो मानो जैसे स्वर्ग मे उड़ रहा था…इस बार मामी फिर से थोड़ा सा हिली पर फिर से शांत पड़ गयी…मे धीरे-2 अपने लंड को मामी की पॅंटी के ऊपेर उनकी चूत की फांकों पर रगड़ने लगा….
पर मामी के जांघे आपस मे सटी हुई थी…जिससे मेरा लंड गांद के नीचे से थोड़ा ही आगे जा पा रहा था…मे अपने लंड को धीरे-2 रगड़ता हुआ आगे पीछे करने लगा.. पर हर बार मामी की जाँघ के कारण आधे रास्ते मे रुक जाता…
मामी की रेड पॅंटी मे मुझे अपने लंड पर कुछ-2 गीला सा महसूस हुआ…ओह्ह्ह्ह ये तो मामी की चूत गीली हो चुकी थी…क्या वो जाग रही हैं….हां शायद वो कुछ बोले बिना ही मज़ा लेना चाहती हैं…
मे अपने लंड को पीछे उनकी चूत पर पॅंटी को ऊपेर से रगड़ते हुए…और आगे करने के कॉसिश करने लगा…फिर वो हुआ जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था…
मामी ने अपनी ऊपेर वाली जाँघ को हल्का सा ऊपेर कर लिया…जैसे ही मामी की जाँघ ऊपेर हुई…मेरा तना हुआ लंड मामी की दोनो जाँघो के बीच मे से उनकी चूत की फांकों के बिल्कुल बीचो-बीच सॅट गया….
मेरे पूरे बदन मे वासना की लहर दौड़ गयी…दिल उतेजना के मारे तेज़ी से धड़कने लगा…मामी ने फिर धीरे-2 अपनी ऊपेर वाली जाँघ को नीचे वाली जाँघ पर वैसे ही रख दिया…मेरा तना हुआ लंड मामी के धकति हुई जाँघो और चूत मे सटा हुआ था..
मत पूछो मुझे आज तक इतना मज़ा कभी नही आया…अब मेरा हॉंसला बढ़ चुका था…पर मे फिर भी थोड़ा सा डर रहा था…मे ये सोच लिया…जैसे नीलम मामी को पसंद हैं…मे भी बिना कुछ बोले ही उनको सारी दुनाया का प्यार आज दे दूँगा..
मेने थोड़ी देर लेटने के बाद…अपना हाथ आगे लेजा कर उनके ब्लाउस के ऊपेर से उनकी चुचि पर रख दिया…ओह्ह्ह्ह क्या नरम और कसी हुई चुचिया हैं मामी की…मे धीरे-2 मामी के चुचि को ऊपेर से मसलने लगा…जैसे-2 मे मामी की चुचि को मसल रहा था…
वैसे -2 मामी अपने चुतड़ों को पीछे की और हल्के-2 दबा रही थी…ताकि मुझे पता ना चले..पर मे तो पहले से ही सब महसूस कर रहा था…मामी का ब्लाउस बहुत ही डीप नेक वाला था…पीछे मामी के ब्लाउस के ऊपेर का हिस्सा काफ़ी खुला था….
मेने अपने कांप रहे होंटो को, उनके ब्लाउस के ऊपेर के खुले हिस्से पर लगा दिया… जैसे ही मेरे होन्ट उनके नंगी पीठ पर पड़े…वो एक दम से सीईईई कर उठी…आवाज़ बहुत धीमी थी…पर मुझे सुनाई दे गयी….मे मामी की पीठ पर अपने होंटो को रगड़ने लगा…मामी बिल्कुल मुझसे सॅट गयी…
नीलम मामी की साँसें और तेज़ी से चलने लगी…मेरा हाथ उनके ब्लाउस के ऊपेर से उनकी चुचि को सहला रहा था…मामी की तेज होती साँसों से उनकी चुचिया तेज़ी से ऊपेर नीचे हो रही थी…जो मे अपने हाथ से अच्छी तराहा से महसूस कर रहा था…
अब मेरी बर्दास्त से बाहर हो चला था…मेने अपने होंटो को मामी के बदन पर रगड़ते हुए…उनकी नेक पर आ गया…और पीछे से उनकी नेक को चूमने लगा…मे मामी के फेस से उठ रही गरमी को सॉफ महसूस कर रहा था..उनके नाक से साँस लेने तक की आवाज़ भी मे सॉफ-2 सुन पा रहा था….
मेने मामी की चुचि से अपना हाथ हटा कर, उनके कंधे के नीचे बाजू पर रख दिया…
और अपनी कमर के नीचले हिस्से को पीछे कर अपने लंड को उनकी जाँघो के बीच मे से खींच लिया…और थोड़ा सा पीछे हो कर उनके बाजू को पकड़ कर अपनी तरफ करने लगा…
थोड़ी ही देर मे मामी ने धीरे-2 मेरी तरफ करवट बदल ली…अब मामी पीठ के बल लेटी थी…तेज़ी से चल रही साँसों से उनकी 36 साइज़ के तनी हुई चुचियाँ ऊपेर नीचे हो रही थी, और मे अपनी वासना से भरी नज़रों से देख रहा था…
मे मामी के ऊपेर झुक गया…मेरा कमर का नीचे का हिस्सा बेड पर था…और बाकी का हिस्सा मामी के ऊपेर था…पर मेने उन पर वजन नही डाला था…मामी अभी भी अपनी आँखें बंद किए हुए थी…उनके होन्ट कांप रहे थी…आँखों की पलकें हिल रही थी…और उनकी पतली कमर उत्तेजना के मारे कांप रही थी…
मेने अपना एक हाथ मामी के ब्लाउस के ऊपेर रख दिया…और उनके ब्लाउस के बटन खोलने लगा…जैसे-2 उनके ब्लाउस के बटन खुल रहे थे…मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी…एक करके ब्लाउस के सारे बटन खुल गये...
मेने अपनी उत्तेजना के मारे कांप रहे हाथों से उनके ब्लाउस के कप्स को पकड़ कर साइड मे कर दिया…वॉववववव सामने क्या नज़ारा था…मामी ने मॅचिंग रेड ब्रा पहनी हुई थी…नेट ब्रा मे उनकी चुचियो के ब्राउन कलर के निपल सॉफ दिख रहे थे…
मेने ब्रा के ऊपेर से मामी की एक चुचि पर हाथ रख दिया…वाहह मामी के चुचि मेरे हाथ मे समा नही रही थी…मे धीरे-2 मामी की चुचियो को सहलाने लगा…
मेने मामी के फेस की तरफ देखा..उनके होन्ट और मुँह थोड़ा सा खुल गया…शायद वो साँस लेने मे दिक्कत महसूस कर रही थी..
मामी ने अपनी चिन को ऊपेर की तरफ उठाया हुआ था…उनकी खूबसूरत गर्दन और चिन का निचला हिस्सा पागल कर देने वाला था…मामी का मंगल सूत्र उनकी चुचियो के बीच मे ब्रा के ऊपेर पड़ा हुआ था
मेने अपने होंटो को मामी के नेक पर रख दिया…और नेक को चूमने लगा…मेरे होंट मामी की नेक के हर हिस्से को चूम रहे थे…मेने मामी के हाथों की तरफ देखा…मामी अपने हाथों से अपने कमर के पास बेड शीट को कस्के पकड़े हुई थी… मे मामी की नेक को किस करता हुआ नीचे आने लगा…और उनकी बूब्स के ऊपेरी हिस्से को अपने होंटो से चूमने लगा…
अब मे हिम्मत करके उनके ऊपेर आ गया…मामी ने अपने टाँगों को घुटनो से मोड़ा हुआ था…जिससे उनका पेटिकॉट सरक कर उनकी जाँघो की जड़ो तक आ गया था…और उनकी रेड कलर के वशेप की पॅंटी सॉफ दिख रही थी…उनकी गोरी चिकनी जांघे एक दम सॉफ थी…ऐसे लग रहा था…जैसे उन्होने कल ही वॅक्सिंग करी हो…
जैसे ही मे नीलम मामी के ऊपेर आया… तो मामी ने अपनी जाँघो को फैला लिया… मे नीलम मामी की टाँगों के बीच मे घुटनो के बल हो गया…और अपने दोनो हाथों से नीलम मामी की छोटी सी रेड कलर के ब्रा मे क़ैद तनी हुई,गुदाज चुचियो को हाथ मे ले लिया….
मेरा लंड मामी की रेड कलर की वशेप पॅंटी की एक तरफ से उनकी फांकों के नज़दीक रगड़ खा रहा था….मामी का फेस एक दम लाल हो चुका था…और वो अपने सर को ऊपेर की तरफ उठाए हुए, अपने होंटो और मुँह को थोड़ा सा खोल कर ठीक से साँस लेने के कॉसिश कर रही थी….
मेने मामी की चुचियो को दोनो हाथों मे लेकर धीरे-2 मसलना चालू कर दिया… उनकी मुलायम चुचियो को मसल कर मे और गरम हुआ जा रहा था…पर अब वक़्त आ गया था…जब मे अपने आप को रोक ना सका…
और मामी के ब्रा के कप्स को नीचे से पकड़ कर ऊपेर उठाने के कॉसिश करने लगा.. पर ब्रा बेहद टाइट थी… और ब्रा के हुक्स मामी की पीठ पर थी…और मामी पीठ के बल लेटी हुई थी… अब मेरा दिल मामी की नेट की ब्रा मे दिख रहे ब्राउन कलर के आधे इंच के निपल्स को मुँह मे लेकर चूसने को कर रहा था…
मेने मामी की पीठ के दोनो साइड से अपने हाथों को मामी के पीठ के नीचे ले जाने की कॉसिश करने लगा…पर मामी की पीठ नीचे बिस्तर से सटी हुई थी…और मे अपने हाथों को नीचे ब्रा के हुक्स के पास नही ले जा रहा था…
पर फिर वो हुआ जिससे मेरा लंड और झटके खाने लगा…मामी ने अपनी आँखों को बंद किए हुए अपनी पीठ को थोड़ा सा ऊपेर उठा दिया…मेरी ख़ुसी का कोई ठिकाना नही था…मेने जल्दी से अपने हाथों को मामी की पीठ के पीछे लेजा कर मामी के ब्रा के हुक्स को खोल दिया, और अपने हाथों को आगे लेजा कर मामी के ब्रा के कप्स को ऊपेर उठा दिया….
मेरा तो जैसे गला ही सूख गया…एक दम पूर्ण रूप से विकिसित मामी के 36 साइज़ के एक दम कसी हुई गुदाज चुचियाँ मेरी आँखों के सामने थी…चुचियो के निपल तन कर एक दम कड़े हो चुके थे…ब्राउन कलर के निपल को देख कर मे एक दम पागल हो गया….
मामी के वेल शेप्ड बूब्स को देख कर मे एक दम से पागल हो गया…और मामी की दोनो चुचियो को अपने हाथों मे पकड़ कर मसलने लगा…जिससे मामी की चुचियो के निपल और नुकीले हो कर बाहर की तरफ आ गये….
मेने मामी की चुचियो के एक निपल को मुँह मे ले लिया…और धीरे-2 चूसने लगा…मामी ने अपने हाथों से बेड शीट को कस के पकड़ लिया…और उनके मुँह से एक हल्की सी आह निकल गयी..
अब मे किसी भी बात पर ध्यान दिए बिना. मामी की चुचि के निपल को चूस रहा था…मामी का बदन मस्ती मे गरम हो कर कांप रहा था…मे मामी की चुचि को ज़ोर-2 से चूसने लगा….मामी के मुँह से आ सीयी के बहुत ही धीमी आवाज़ निकल रही थी…और वो अपने होंटो को अपने दाँतों मे भींचे हुए अपने आवाज़ को दबाए हुए थी
मे अपने एक हाथ से मामी की दूसरी चुचि को धीरे-2 मसल रहा था..मामी के निपल और कड़े हो कर तन चुके थे…मे मामी की दूसरी चुचि के निपल को अपने हाथ की उंगलियो मे लेकर मसलने लगा, और मामी और ज़्यादा कसमसाने लगी…
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RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
मामी के बाल बिखर चुके थे…और मे मामी की चुचि को लगतार किसी बच्चे की तरहा चूसे जा रहा था…मेने करीब 5 मिनट तक मामी की एक चुचि को चूस-2 कर लाल कर दिया था…मेने मामी की चुचि को मुँह से निकाल कर, मामी की दूसरी चुचि को मुँह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया…
और पहले वाली चुचि को अपने हाथ मे लेकर मसलने लगा…मामी के आँखें अभी भी बंद थी…वो शायद अपनी आँखें खोल कर मेरा सामना नही करना चाहती थी.. मे भी मामी को बिना कुछ बोले, मामी की चुचि को चूस रहा था…करीब 15 तक मामी के दोनो चुचियो को चूसने और मसलने के बाद मे धीरे-2 अपने होंटो को मामी के बदन पर रगड़ता हुआ, नीचे आने लगा….
मे मामी की चुचियो को अपने मुँह से निकाल कर, मामी के बदन को चूमता हुआ, नीचे की ओर आने लगा…मेरे होन्ट मामी के बदन के हर इंच को रगड़ रहे थे, और मे मामी के बदन पर अपनी जीभ फेर कर चाट रहा था…
मे अपनी आँखों को ऊपेर करके, मामी के फेस को देख रहा था…उनके फेस पर पसीना आ चुका था…होन्ट थरथरा रहे थी….और बालों की लते माथे और फेस पर बिखरी हुई थी… और वो तेज़ी से साँस ले रही थी…
मे मामी के बदन को अपने होंटो और जीभ से चूमता हुआ, मामी की नाभि पर आ गया…और अपनी जीभ निकाल कर मामी की नाभि के चारों तरफ गोल-2 घुमा कर चाटने लगा.मामी बुरी तराहा कसमसा गयी…और अपने हाथों को एक झटके मे ऊपेर करके तकिये को दोनो साइड से अपने हाथों मे कस कर पकड़ लिया….
मामी के पेट मे कंपन के कारण हल्की -2 लहरे उठ रही थी…मामी का पेट की हल्की चर्बी कंपन के कारण थरथरा रही थी….और वो अपने होंटो को दाँतों मे दबाए हल्की आवाज़ मे उंह उंघ कर रही थी….
मे अपनी जीभ निकाल कर मामी की नाभि मे डाल कर चाटने लगा…मामी एक दम से मस्त हो गयी…उनकी कमर झटके खाने लगी….उनका पेटिकॉट सरक कर उनकी कमर पर आ चुका था…और वशेप पॅंटी चूत के छेद की जगह से एक दम गीली हो चुकी थी…
मे मामी की नाभि को 5 मिनट तक चाटता रहा…और फिर नाभि को छोड़ कर नीचे की तरफ आने लगा…जैसे-2 मे नीचे की ओर आ रहा था…मामी के साँस लेने की आवाज़ और तेज होती जा रही थी…
मे मामी के बदन के हर एक इंच को चूमता हुआ, मामी की पॅंटी के ऊपेर आ गया…और मामी की पॅंटी के ऊपेर अपने होंटो को रगड़ने लगा…मामी मेरी इस हरकत से और कसमसाने लगी….
मे मामी की चूत को मामी की पॅंटी के ऊपेर से चाटने लगा…मामी की जांघे मेरे सर पर कसने लगी…जब मुझे थोड़ी दिक्कत होने लगी…मेने मामी की जाँघो को दोनो हाथों से पकड़ कर फैला दिया….और घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठ दिया… और मामी की चूत के छेद के ठीक ऊपेर पॅंटी के ऊपेर से चाटने लगा….
मामी की जाँघो को ऊपेर करने के बाद, मेने अपने हाथों को मामी की टाँगों से हटा दिया…और मामी की पॅंटी के ऊपेर लाकर, मामी की पॅंटी को चाटते हुए, उनकी चूत को धीरे-2 मसलने लगा….मामी के पैर फिर से धीरे-2 नीचे की ओर आने लगे…
मे समझ गया था, कि मामी से बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा है…मे सीधा होकर उनकी जाँघो के बीच घुटनो के बल बैठ गया….और उनकी पॅंटी को दोनो हाथों से पकड़ कर नीचे सरकाने लगा….
इस बार मामी ने बिना कोई देर किए….अपने चुतड़ों को थोड़ा सा ऊपेर उठा दिया…मेरे होंटो पर मुस्कान फेल गयी…आज मुझे हसीन चूत जो मिलने वाली थी…मेने पॅंटी को धीरे-2 नीचे सरकाना चालू कर दिया…जैसे-2 मामी की चूत मेरी आँखों के सामने आ रही थी…वैसे-2 मेरा लंड हवा मे झटके खा रहा था…
मेने पॅंटी को मामी की टाँगों से निकाल कर बेड के एक साइड मे रख दिया…और मामी की जाँघो को पूरी तरहा फैला कर ऊपेर कर दिया…जैसे ही मामी की घुटनो से मूडी हुई टाँगें ऊपेर हुई…मामी के फूली हुई चूत, जो मामी की चूत के गाढ़े पानी से लबालब थी… मेरी आँखों के सामने थी…
मामी की चूत की फाँकें आपस मे सटी हुई थी…और वासना के कारण थोड़ी खुल और बंद हो रही थी…मेने मामी घुटनो से पकड़ कर मामी की टाँगों को और ऊपेर करके फैला दिया…जिससे मामी की चूत की फाँकें थोड़ा सा फेल गयी…और उनकी चूत का गुलाबी छेद जो उनके काम रस से भीगा हुआ था, मुझे थोड़ा-2 दिखाई देने लगा….
मे नीचे झुक गया…और उनकी चूत की फांकों को दोनो हाथों की उंगलयों से फैला दिया…मामी की चूत का गुलाबी छेद उनके काम रस से भीगा हुआ था…और उसमे उतेजना के मारे संकुचन हो रहा था…
मेने बिना टाइम वेस्ट किए, मामी की चूत के पानी से लबलबा रहे छेद पर, अपने मुँह को रख दिया…और अपनी जीभ निकाल कर मामी की चूत के छेद को चाटने लगा… मामी बुरी तरहा छटपटाने लगी…मामी की कमर नीचे से झटके खाने लगी…और उन्होने तकिये को कस कर दोनो हाथों से पकड़ लिया….
मे अपनी आँखों को ऊपेर करके मामी को देखने लगा…मामी अपने होंटो को दाँतों मे दबाए हुए…अपने सर को इधर से उधर पटक रही थी…और मामी के मुँह से सीईइ अहह सीयी अहह के धीमी-2 आवाज़ आ रही थी…
मे मामी की चूत की फांकों को फैला कर उनकी चूत के गुलाबी छेद को जीभ से अंदर तक चाट रहा था….बीच-2 मे में मामी की चूत की फांकों को अपने होंटो मे भींच कर खींच देता…मामी और कसमसाने लग जाती….करीब 5 मिनट चूत को चाटने के बाद…मेने मामी के क्लिट जो उतेजना के मारे काफ़ी फूल चुका था…उसे मुँह मे ले लिया…
जैसे ही मेने मामी के क्लिट को मुँह मे लिया…मामी की कमर झटके खाने लगी… और वो और ज़ोर से अपने सर को इधर से उधर पटकने लगी…पर अभी तक उनके मुँह से सिसकारियो के एलवा एक शब्द नही निकला था….
मे मामी की चूत के क्लिट को पागलों के तरहा चूस रहा था…मे मामी के क्लिट को मुँह मे भर कर अपनी जीभ से कुरेदने लग जाता…मामी पूरी तराहा गरम हो कर सीयी अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह करते हुए, अपनी गांद को हिला रही थी…मामी की चूत उनके काम रस से भीग चुकी थी….
मेने मामी की चूत पर से अपना मुँह हटा लिया…और सीधा होकर घुटनो के बल बैठ कर उनकी टाँगों को घुटनो से मोड़ कर उनकी जाँघो को फैला दिया…. और अपने लंड के सुपाडे को मामी की चूत पर लगा दिया….
जैसे ही मेरे लंड का सुपाड़ा उनकी दहकती चूत के छेद पर लगा…मामी के बदन ने एक झटका खाया…और उनके होंटो पर एक हल्की से मुस्कान फेल गयी…जिससे सॉफ पता चल रहा था, कि वो चुदाई के इस खेल का पूरा मज्जा ले रही हैं….
मामी की चूत उनके कामरस से एक दम भीगी हुई थी…इसलिए जैसे ही मेने हल्का सा झटका दिया…मेरे लंड का सुपाड़ा सरकता हुआ,उनकी चूत के छेद मे समा गया…मामी ने दो बच्चो को जनम दिया हुआ था…इसलिए उनकी चूत बहुत ज़्यादा टाइट नही थी…पर लग रहा था, कि वो काफ़ी दिनो से चुदी नही है….
दो बच्चो को जनम देने के बावजूद भी उनकी चूत की दीवारें मुझे अपने लंड पर कसी हुई महसूस हो रही थी….और उनकी चूत की दीवारें मेरे लंड के सुपाडे को कस और छोड़ रही थी….मे अपने लंड के सुपाडे पर मामी के चूत के दीवारों के संकुचन को सॉफ-2 महसूस कर पा रहा था…
मामी की चूत एक दम गरम और गीली हो चुकी थी…मे बिना कोई देर किए, एक और झटका मारा…मेरा आधा लंड मामी की चूत मे समा गया…और मामी के मुँह से एक और दबी हुई आहह निकल गयी…
जैसे ही मेरा आधा लंड मामी की चूत मे घुस्सा…मे मामी के ऊपेर झुक गया…मामी के तने हुए एक निपल को मुँह मे लेकर चूसने लगा…और दूसरा हाथ नीचे लेजा कर मामी के क्लिट को अपने हाथ के उंगुठे से मसलने लगा. जैसे-2 मे मामी की चूत के क्लिट को अपने उंगुठे से रगड़ रहा था…वैसे-2 मामी अपनी कमर को नीचे से हिला रही थी…
मामी की चुचियो को मे पागलों की तरहा चूस रहा था…फिर थोड़ी देर बाद मेने नीचे से हाथ हटा लिया…और अपने दोनो हाथों से मामी के चुचियो को चूस्ते हुए मसलने लगा…
अब मामी बहुत गरम हो चुकी थी…उसकी साँसे बहुत तेज़ी से चल रही थी…मामी ने नीचे अपनी चूत को धीरे-2 ऊपेर मेरे लंड पर दाबना चालू कर दिया…मामी की गीली चूत मे मेरा लंड उनकी चूत के दीवारों को फेलता हुआ अंदर घुसने लगा…और कुछ ही पलों मे मेरा पूरा का पूरा लंड मामी की चूत मे समा गया…और उनकी बच्चेदानी से जाकर सॅट गया….
मेने मामी के फेस की तरफ देखा…मामी की आँखें अभी भी बंद थी…साँसें तेज़ी से चल रही थी…और वो अपने होंटो को दाँतों मे दबाए हुए थी…
मे: मामी आप की चूत बहुत गरम और टाइट है…देखों ना मेरा लंड कैसे आपके काम रस से भीगा हुआ है…
पर ये बात सुनते ही, मामी ने अपने होंटो को दाँतों से निकाल लिया….और मेरी बात को सुनते ही उनके होंटो पर एक कातिल से मुस्कान आ गयी…पर ना तो उन्होने अपनी आँखों को खोला और ना ही वो कुछ बोली….शायद वो बोलना ही नही चाहती थी….
मे अपने लंड को धीरे-2 अंदर बाहर करने लगा…लंड मामी की चूत से बह रहे काम रस से चिकना हो कर धीरे-2 अंदर बाहर हो रहा था…मामी ने एक बार फिर से अपने होंटो को दाँतों से काटना शुरू कर दिया था….
मे मामी की चुचियो को चूस्ते हुए अपने लंड को बाहर निकाल कर अंदर पेल रहा था… लंड फतच-2 की आवाज़ से अंदर बाहर हो रहा था…मामी ने अपने टाँगों को घुटनो से मोड़ कर मेरी कमर के ऊपेर रख लिया था… ताकि वो मेरे लंड को अपनी चूत की गहराईयो मे महसूस कर सकें….
मे: अहह मामी आपकी चूत सच मे बहुत टाइट हैई….मेरे लंड को अपने अंदर लेकर मसल रही हैं….
मे मामी के फेस की तरफ देखते हुए…अपने लंड को उनकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था…पर मामी बिना कुछ बोले अपनी आँखों को बंद किए लेटी रही…मे मामी को बुलवाना चाहता था….चाहे एक वर्ड ही सही….
मे सीधा हो कर घुटनो के बल बैठ गया….और मामी की टाँगों को घुटनो से पकड़ कर धीरे-2 अपने लंड को उनकी चूत से बाहर निकालने लगा…मेरे लंड का सुपाड़ा मामी की गीली और गरम चूत के दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ बाहर आने लगा….
जैसे ही मेरा लंड सुपाडे तक मामी की चूत से बाहर निकाला…मेने एक गहरी साँस ली... और अपनी पूरी ताक़त लगाकर एक जोरदार धक्का मारा…लंड का सुपाड़ा पूरी तेज़ी से मामी की चूत की दीवारों को फैलाता हुआ. अंदर घुस्स गया…धक्का इतना ज़बरदस्त था, कि मामी के मुँह से अहह की हल्की से चीख निकल गयी…
अब मेने ये मान लिया था…कि मे चाहे जितनी भी कॉसिश करूँ…मामी नही बोले गी.. मे वापिस मामी के ऊपेर झुक गया, और मामी की चुचियो को चूस्ते हुए अपने लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा…
लंड फतच-2 की आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा…मेरे हर धक्के के साथ मामी के मुँह से हल्की से उंघ के आवाज़ निकल जाती…और कभी आह सीईइ के आवाज़ सुन जाती…. लंड अब आसानी से मामी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था…
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