Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 03:03 PM,
#41
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
अब पूरे बारह दिन हो चुके थे, जब से मैने मूठ नही मारी थी. डॉली दीदी को देख के मूठ मारने का आइडिया कुछ समझ में नही आ रहा था, खुद पर कंट्रोल करने की सारे कोशिशें नाकाम होती नज़र आ रही थी, रात होते होते अब मूठ मारने के सिवा और कुछ ऑप्षन नज़र नही आ रहा था,

मैं दीदी के रूम पर पहुँचा और डोर नॉक कर के अपने सिर अंदर घुसाते हुए कहा, है दीदी. दीदी ने सवालिया नज़रों से मुझे देखा और स्माइल करते हुए बोली, ओके राज, बस थोड़ी देर में,

मैं अपने कमरे में आकर अपने बेड पर बैठ गया, मेरे दिमाग़ में तरह तरह के विचार आ रहे थे, और लंड फूँकार मार रहा था. मैं अपने और डॉली दीदी के भाई बेहन के रिश्ते के बारे में सोचने लगा. बचपन से अब तक के हमारे भाई बेहन के रिश्ते की कई सारी तस्वीरें मेरे जेहन में घूम रही थी, मैं कैसे अपनी सग़ी बड़ी बेहन को एक लड़की की तरह देख कर, अपने लंड को उनके सामने हिलाकर कैसे मूठ मार सकता हूँ?

तभी मेरे डोर पर दीदी ने नॉक किया आंड अंदर घुस कर उसे बंद कर दिया, मेरी तरफ देखकर दीदी ने स्माइल किया. दीदी ने निकर और टी-शर्ट पहन रखी थी. टी-शर्ट का गला बड़ा होने के कारण उसमे से उनकी चूंचियों के बीच की दरार कुछ दिखाई पड़ रही थी.

दीदी ने पूछा, तो राज कैसे शुरू करें? कुछ देर के लिए हमारे बीच खामोशी छा गयी, और फिर एक दूसरे की ओर देखकर हम हँसने लगे.

राज: हे भगवान, मुझे नही लगता ये सब मैं दीदी के सामने कर पाउन्गा

दीदी ने स्माइल करते हुए कहा, राज क्यों ना तुम ये सब चादर ओढ़ कर करो, जिस से मैं नही देख पाउन्गी कि तुम क्या कर रहे हो. 

मैने तुरंत अपने कपड़े उतारे और अपने को चादर से ओढ़ लिया. हम एक दूसरे को देखकर स्माइल करने लगे.

दीदी: राज, अब शुरू करने के लिए मैं क्या करूँ?

राज (अपना गला सॉफ करते हुए): अब मैं क्या बताऊं, दीदी जो तुम्हे ठीक लगे. आज ज़्यादा टाइम नही लगेगा (मैं सच कह रहा था क्यूँ कि मेरा लंड एक दम लक्कड़ की तरह खड़ा हो चुका था)

मेरे शरीर में खून तेज़ी से दौड़ने लगा, जब मैने देखा दीदी ने अपने चेहरे पर आए हुए बाल एक तरफ किए, कातिल नज़रों से मेरी तरफ देखा और अपनी टी शर्ट में से एक हाथ बाहर निकाला, फिर दूसरा, जैसे ही दीदी ने टी-शर्ट को अपने गले से बाहर निकाला उनकी दोनो चूंचियाँ, वाइट ब्रा में क़ैद नज़र आ गयी. दीदी के गोरे गोरे बदन और सफेद ब्रा में बंद चूंचियों को देख कर मैं ज़ोर ज़ोर से मूठ मारने लगा. तभी दीदी मेरे सामने झुक गयी, जिस से उनकी चूंचियाँ ब्रा में से निकलने को बेकरार हो उठी, दीदी के क्लीवेज का व्यू जबरदस्त था.

दीदी ने झुकते हुए पूछा कैसा लगा राज? तभी मैने अपना पानी छोड़ दिया और मूँह से आहह आहह की आवाज़ों के साथ मेरे लंड से पानी की जबरदस्त फवारे निकलने लगे, मैं परम सुख पर पहुँच चुका था.

मूठ मारने में ऐसा आनंद आज से पहले कभी नही आया था, मुझे खुशी थी कि मैने चादर ओढ़ रखी थी और दीदी कुछ नही देख पाई. कुछ देर बाद जब तक लंड से आख़िरी बूँद नही निकल गयी मेरा शरीर अब धीरे धीरे शांत होने लगा और मैं अब सब कुछ सॉफ सॉफ देख पा रहा था, मैने देखा दीदी मेरी तरफ देख कर स्माइल कर रही है.

दीदी काफ़ी खुश थी, उन्होने फ्लोर पर पड़ी अपनी टी शर्ट उठाई, और पहन ली, और डोर की तरफ चल दी. जाते जाते दीदी बोली अब सब कुछ सफाई कर लेना, और बता देना जब भी तुम्हे मेरी ज़रूरत हो. मैं दीदी को जाते देखता रहा, फिर जल्दी से सफाई कर के, अपने बेड पर थक कर सो गया. 

अगले दिन सुबह जब उठा तो सोचने लगा कि अब क्या होगा? लेकिन मेरा सोचना ग़लत था. सब कुछ नॉर्मल था, मम्मी पापा अपने अपने ऑफीस जाने की तय्यारी कर रहे थे, मैने और डॉली दीदी ने एक साथ डाइनिंग टेबल पर बैठ के ब्रेकफास्ट किया, एक दूसरे की तरफ देखकर हम दोनो कई बार स्माइल कर रहे थे, फिर हम दोनो अपने अपने कॉलेज चले गये. शाम को सभी का मूड काफ़ी अच्छा था. मैने और दीदी ने डिसाइड किया कि हम एक डीवीडी पर मूवी देखेंगे.

3 दिन के बाद मेरा लंड फिर मूठ मारने के लिए मचलने लगा. हालाँकि मैने लंड के बार बार खड़े होने को इग्नोर करने की काफ़ी कोशिश की. लेकिन जिस तरफ से ध्यान हटाने की कोशिश करो बार बार ध्यान उसी तरफ जाता है.

रात में जब मम्मी पापा सोने चले गये, मैं और दीदी टीवी देख रहे थे. दीदी मेरे बगल वाले सोफे पर बैठी थी. मैने दीदी की तरफ देखा, उन्होने स्माइल कर दिया.

मेरी तरफ देखते हुए दीदी ने कहा, मैने सोचा था हर 4-5 दिन बाद होगा फिर? उन्होने मुझे छेड़ते हुए कहा फिर स्माइल कर के बोला ओके अभी थोड़ी देर में तुम्हारे रूम में आती हूँ.

करीब एक घंटे बाद दीदी मेरे रूम में आ गयी, डोर बंद कर के मेरे बेड के पास आते हुए उन्होने पूछा कुछ सजेस्ट करोगे राज?

मैने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा और बोला, दीदी आप को जो अच्छा लगे


मैने अपने आप को चादर से पिछली बार की तरह ओढ़ रखा था, अपने लंड को मैं चादर के अंदर हिलाने लगा. दीदी थोड़ी शरमा गयी, और फ्लोर की तरफ देखते हुए वो अपने निकर/ शॉर्ट के बटन खोलने लगी. दीदी मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी. धीरे धीरे दीदी ने अपना शॉर्ट नीचे कर दिया. अब डॉली दीदी मेरे सामने पिंक कलर की पैंटी में खड़ी थी.

मैने सोचा था कि शायद दीदी अपना शॉर्ट पूरा नही उतारेगी, लेकिन दीदी ने शॉर्ट पूरा उतार दिया था. दीदी मेरी तरफ पीठ कर के खड़ी थी, उन्होने अपने टाँगें थोड़ी फैला ली और घूम कर मेरी तरफ देखा.


दीदी ने वैसी ही पैंटी पहन रखी थी जैसी जनरली इंडिया में सब लड़कियाँ पहनती हैं, पैंटी ने दीदी के हिप्स को पूरा कवर कर रखा था, लेकिन थोड़ी सी हिप्स के क्रॅक के बीच फँसी हुई थी. दीदी की गान्ड का क्या मस्त नज़ारा था, दीदी की गान्ड पैंटी में देख कर मेरा लंड फूँकार मारने लगा.
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03-31-2019, 03:03 PM,
#42
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी ने फिर से स्माइल किया और अपनी टी-शर्ट थोड़ी उपर उठा दी. दीदी की गोरी गोरी पीठ देख कर मेरा दिल मचलने लगा. दीदी मेरे को चादर के अंदर मूठ मारते हुए देख रही थी. दीदी का चेहरा भी थोड़ा सुर्ख होने लगा था. दीदी ने मेरी तरफ देखा और पूछा, राज और कुछ?

मेरे जवाब देने से पहले, दीदी ने अपनी टी-शर्ट पूरी उतार दी और अपनी पैटी को थोड़ा नीचे कर दिया , जिस से जहाँ से गान्ड के बीच की दरार शुरू होती है वो थोड़ी थोड़ी दिखाई देने लगी.

मैं परम सुख के करीब पहुँच चुका था, मैं पानी की धार छोड़ने लगा. दीदी देख रही थी कि कैसे मेरे मूठ मारने के कारण चादर हिल रही थी. जैसे ही मैं फारिग हुआ मैने ज़ोर की साँस ली. दीदी ने अपना शॉर्ट उठा कर पहन लिया. इस से पहले कि मैं कुछ सोचता या कहता, दीदी मेरे पास आई और मेरे गाल पर एक प्यारी सी पप्पी ले ली, फिर डोर की तरफ चल दी. मैने चादर उठा कर फैंक दी, मेरा वीर्य मेरे पेट पर लगा था, उसी वीर्य से सनी हुई अवस्था में, खुश हो कर सो गया

अगला वीक काफ़ी आराम से गुजरा, मुझे मूठ मारने की ऐसी कोई तीव्र इच्छा नही हुई. लेकिन 7-8 दिन बाद मैं अपने रूम के डोर पर नॉक सुन के सर्प्राइज़ हो गया, डॉली दीदी मेरे रूम में अपने आप आ गयी, दीदी ने ब्लू शॉर्ट्स और पिंक टी-शर्ट पहन रखी थी.

दीदी: और राज क्या हाल हैं? अब तो काफ़ी दिन हो गये

राज: हां दीदी, सब ठीक है, क्या आप को अभी भी डाउट है कि मैं लॅपटॉप यूज़ कर रहा हूँ?

दीदी: नही ऐसा नही है, मुझे तुम पर भरोसा है, लेकिन मैं कन्फर्म करने आई थी कि तुम्हारा आज मूड है या नही (ऐसा कहते हुए दीदी थोड़ा शरमा गयी)

राज: दीदी मैं एक लड़का हूँ, और मूड में तुरंत आ जाता हूँ

दीदी ने झटके के साथ अपने बाल पीछे किए और बोली तो फिर करना चाहोगे?

राज: हां दीदी क्यूँ नही. लगता है अब आप को भी उतना ही मज़ा आने लगा है जितना मुझे

दीदी: (शरमा कर स्माइल करते हुए) हां, लगता तो है, लास्ट टाइम मैं भी थोड़ी गरम हो गयी थी

राज: किस चीज़ से?

दीदी: ये देख कर कि मेरा छोटा भाई मुझे देख कर एग्ज़ाइटेड हो रहा है, और तुम्हारे फेस पर जो भाव आते हैं जब तुम फाइनली अपना पानी निकालते हो तब मुझे बहुत अच्छा लगता है, अच्छा प्लीज़ आज एक काम करो मेरे लिए

राज: हां दीदी, प्लीज़ बताओ ना

दीदी: आज प्लीज़ चादर मत ओढना, अपना बॉक्सर पहन के ही कर लो

राज: हां दीदी क्यूँ नही

मुझे थोड़ा अजीब लगा, मैने चादर उठा कर फेंक दी, अब मैं टी-शर्ट और बॉक्सर में बेड पर बैठा था

डॉली दीदी अब थोड़ा रिलॅक्स लग रही थी, दीदी ने मेरे बॉक्सर्स पर एक नज़र डाली और पूछा रेडी? मैने हां में सिर हिलाया. दीदी ज़ोर से घूम गयी, जिस से उनके बाल भी हवा में लहरा गये. दीदी ने सिर घुमा के देखा, और बोली, “मैं वही से शुरू करती हूँ जो तुम्हे अच्छा लगता है.”ऐसा कहते हुए दीदी ने अपना शॉर्ट्स नीचे करना शुरू कर दिया, दीदी आज ब्राउन कलर की हल्की सी पैंटी पहने हुए थी, जो कि काफ़ी टाइट थी. जैसे ही दीदी अपना शॉर्ट नीचे करने के लिए झुकी उनकी गदराई गान्ड का नज़ारा देख के मैं मदमस्त हो गया. दीदी की पैंटी आज चूतदों के क्रेक में कुछ ज़्यादा ही घुसी हुई थी, जिस से उनकी गोल गोल मस्त गान्ड कुछ ज़्यादा दिखाई पड़ रही थी. दीदी सीधी खड़ी हो गयी और सिर घूमाकर मुझे देखा. दीदी को भी आज थोड़ा पसीना आ रहा था.

दीदी की नज़र मेरे बॉक्सर पर थी. मैने पूछा शुरू करूँ दीदी? 

दीदी ने हां में सिर हिला दिया, वो कुछ नर्वस हो गयी, जब उन्होने देखा कि मैं अपना लंड बॉक्सर के अंदर हाथ में पकड़ के हिला रहा हूँ. मैं अब ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को आगे पीछे करने लगा. मुझे मालूम था कि दीदी मुझे देख रही है, लेकिन मैने इग्नोर करते हुए दीदी की मस्त गान्ड पर अपनी नजरें जमा दी. दीदी के चूतड़ क्या चिकने मस्त और मुलायम थे, उनको छूने और दबाने की कल्पना से ही मेरा लंड हिलोरें लेने लगा. मेरे लंड ने वीर्य से पहले चुदाई के लिए चिकना करने वाली प्रेकुं की कुछ बूँदें छोड़ दी थी. मैने दीदी के फेस की तरफ देखा. 

दीदी: थोड़ा और देखोगे

मैने बस स्माइल किया, दीदी ने भी स्माइल किया और अपनी पैंटी को नीचे करना शुरू कर दिया. दीदी ने अपनी पैंटी को इतना नीचे कर दिया कि अब उनके चूतड़ सॉफ नज़र आ रहे थे.

दीदी ने पूछा कैसा लगा?

राज: जबरदस्त दीदी

दीदी ने थोड़ी सी अपनी गान्ड आगे पीछे की, जैसे कि वो किसी गाने पर डॅन्स कर रही हो. अब दीदी ने अपनी पैंटी इतनी नीची कर दी कि उनके चूतदों के बीच का क्रॅक सॉफ नज़र आ रहा था. मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी. मेरी दीदी अपनी मस्त गान्ड के मुझे दर्शन करवा रही थी. दीदी अपनी गान्ड को आगे पीछे हिला रही थी. जब दीदी गान्ड को आगे पीछे करती तो दीदी की गान्ड कभी टाइट और कभी रिलॅक्स हो जाती.?

दीदी: अच्छा लग रहा है

मैने बस एक लंबी सी साँस छोड़ी. दीदी का चेहरा एक दम गुलाबी हो गया था और उनकी स्किन एक दम चमक रही थी.

राज: दीदी अब देखना चाहो तो देख लो, मैं तय्यार हूँ

दीदी ने घूम कर मेरे बॉक्सर की तरफ देखा, मैं अपने लंड को बॉक्सर के अंदर ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था, मेरी नज़र दीदी की गदराई गान्ड पर टिकी थी. मैं भी अपनी गान्ड को हर झटके के साथ आगे पीछे कर रहा था. दीदी सर्प्राइज़ हो कर अपने छोटे भाई को मूठ मारते हुए देख रही थी.

मैं अब तेज़ी से मुठिया रहा था, लेकिन पानी निकलने का नाम ही नही ले रहा था. मैने कहा सॉरी दीदी, लगता है आप देख रही हो इसलिए थोड़ा नर्वस हूँ.

दीदी ने हां में सिर हिलाया, और एक हाथ से पैंटी की एलास्टिक बॅंड को पकड़ के उपर किया और दूसरे से नीचे, और पूछा ये कैसा है?
जब तक मैं कुछ कहता मेरे लंड ने पानी की बौछार कर दी, बॉक्सर मेरे पानी के फवारों से पूरा गीला हो चुका था, मैं अपना पानी लगातार झटकों के साथ छोड़े जा रहा था. इतना ढेर सारा पानी और वीर्य निकला की बॉक्सर भी आगे से कुछ सफेद हो गया. दीदी गौर से ये सब देख रही थी. मैं लंबी लंबी साँसें ले रहा था और मेरा पूरा शरीर इस परम सुख का आनंद ले रहा था. जब मैं कुछ नॉर्मल हुआ तो देखा कि पानी की कुछ बूँदें बॉक्सर में से निकल कर मेरी जांघों पर आ चुकी हैं.
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03-31-2019, 03:03 PM,
#43
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने दीदी की तरफ देखा जो मुझे देखकर थोड़ा नर्वस नज़र आई, लेकिन फिर भी स्माइल किया, अभी भी दीदी ने मेरे दर्शन के लिए अपनी गान्ड फैला रखी थी. दीदी का चेहरा सुर्ख हो चुका था. दीदी ने अपनी पैंटी उपर की और अपना शॉर्ट्स पहन लिया. दीदी मेरे पास आ गयी, मुझे मालूम था कि दीदी को मेरे वीर्य और गीले बॉक्सर्स की गंध आ रही होगी. दीदी जैसे ही मेरे गाल पर पप्पी लेने के लिए झुकी, उनके चेहरे की गर्माहट का मुझे अंदाज़ा हो गया. दीदी घूमी और स्माइल कर के मेरे रूम से चली गयी. मैं दीदी को जाते हुए देखता रहा..... मुझे बॉक्सर के अंदर ज़्यादा पानी छोड़ने के कारण बहुत गीला गीला अजीब सा लग रहा था.....
अगले दिन मेरी डॉली दीदी से कोई मुलाक़ात नही हुई क्योंकि मुझे अपने दोस्त के घर जाना था. लेकिन उसके अगले दिन जब मैं और दीदी ब्रेकफास्ट कर रहे थे, तब तक मम्मी पापा ऑफीस जा चुके थे, दीदी ने मेरी तरफ देखा और शरमा कर स्माइल किया.


दीदी : सॉरी राज, उस दिन कुछ ज़्यादा ही हो गया

राज: ठीक है दीदी, क्या आपको अच्छा नही लगा

दीदी: हां थोड़ा सा, मैं कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गयी थी, और मैने कुछ ज़्यादा ही कर दिया

मैने अपना एक हाथ दीदी के हाथ के उपर रखा, और बोला, दीदी, मैं आपकी रेस्पेक्ट करता हूँ, मुझे मालूम है आप मेरी मदद मेरा पॉर्न अडिक्षन दूर करने के लिए कर रही हो, मैने भी कितने दिनों से लॅपटॉप को हाथ भी नही लगाया है, अगर आप मेरी हेल्प नही करोगी तो भी मैं अपनी कोशिश जारी रखूँगा.

दीदी (स्माइल के साथ): लेकिन तुमको मेरी मदद अच्छी लग रही है ना

राज (हंसते हुए): हां दीदी एक दम मस्त

मैने अपने हाथ से दीदी का हाथ दबा दिया, फिर ब्रेकफास्ट ख़तम करके हम अपने अपने कॉलेज चले गये, जाने से पहले दीदी ने मेरे गाल पर छोटा सा किस किया, दीदी के उस किस के सहारे पूरा दिन अच्छा गुजरा, क्लास में भी मन नही लगा, उस रात नींद भी नही आई.

दो दिनों के बाद मेरा लंड फिर से टाइट होने लगा था, और मुझे दीदी की हेल्प की ज़रूरत महसूस होने लगी. लॅपटॉप के सामने बैठ, पॉर्न वीडियोस देखते हुए मूठ मारने का जबरदस्त माँ करने लगा. लेकिन मुझे दीदी को नाराज़ करने का कोई इरादा नही था. दीदी को देख के मूठ मारने का मज़ा उन घटिया पॉर्न वीडियोस को देखने से लाखों गुना ज़्यादा था.

उस शाम मैने फिर से दीदी के रूम का डोर नॉक किया, दीदी अंदर डेस्कटॉप पर कुछ काम कर रही थी, वो मुझे देख के काफ़ी खुश हुई, जब मैने इशारा किया तो दीदी ने स्माइल कर दिया, मुझे लगा जैसे दीदी मेरा ही इंतेजार कर रही थी.

दीदी: राज, आज मेरे रूम में ही कर लें? तुम चाहो तो यहाँ बैठ सकते हो

मैं दीदी के बेड पर बैठ गया, दीदी ने शरारती लहजे में कहा, आज क्या अपनी जीन्स गंदी करने का इरादा है?

मैने तुरंत कहा ओह नो. मुझे विश्वास नही था कि दीदी इतनी जल्दी तय्यार हो जाएगी. मुझे दीदी के सामने अपनी जीन्स उतारने में थोड़ी शरम आई, मैं अब बॉक्सर्स और टी-शर्ट में अपनी प्यारी दीदी के सामने खड़ा था.

मेरा लंड अपने आप खड़ा हो चुका था, मेरी दीदी मेरे बॉक्सर में बने टेंट को देखकर स्माइल करे बिना ना रह सकी, मैं भी थोड़ा शरमा गया

दीदी थोड़ी देर वैसे ही बैठी रही, और फिर एक दम से बेड पर खड़ी हो गयी, और अपनी गान्ड को हिला हिला के हल्के हल्के डॅन्स करने लगी, जब हमारी आँखें मिलती तो दीदी अपनी गान्ड को थोड़ा ज्याद ही हिला देती. दीदी ने आज भी शॉर्ट और टी-शर्ट ही पहन रखी थी, बालों का पोनी टेल बना रखा था.

मैं दीदी को गौर से देखने लगा, दीदी डॅन्स करने के साथ साथ अपनी टी-शर्ट को भी उपर करती जा रही थी, दीदी अब अपने घुटनों पर बेड पर बैठ गयी थी लेकिन डॅन्स स्टाइल में उसका हिलना जारी था. दीदी ने अपनी टी-शर्ट को थोड़ा और उपर किया. दीदी का क्या गोरा गोरा पेट था, मैं देख के मस्त हो गया, दीदी का अपनी कमर हिलाना जारी था. दीदी टी-शर्ट को उपर उठा के अपनू चूंचियों के बीच तक ले गयी, अब मुझे दीदी का पूरा पेट दिखाई दे रहा था, चूंचियों के नीचे से शॉर्ट्स तक. 

मुझे अब पता चला था कि दीदी ने आज टी–शर्ट के अंदर ब्रा नही पहन रखी है

दीदी: कैसा लग रहा है राज?

मैने स्माइल के साथ कहा, वाकई में मस्त दीदी

तो तुम को मज़ा आ रहा है क्यों? दीदी ने अपनी ट शर्ट को थोड़ा और उपर करते हुए कहा. मैने हां में सिर हिला दिया. मेरी नज़र दीदी की टी-शर्ट के निचले हिस्से पर गढ़ी थी जहाँ से थोड़ी थोड़ी चूंचियाँ दिखाई दे रही थी. अब दीदी ने टी-शर्ट को थोड़ा और उपर कर दिया, अब दीदी की चूंचियों की गोलाइयाँ सॉफ नज़र आ रही थी. मेरे हाथ काँप रहे थे, मैं बॉक्सर के अंदर अपने लंड को एक हाथ से हिलाने लगा.

सॉरी, राज, लगता है तुम को पूरा नज़ारा नही मिल रहा है, दीदी ने कहा, और दीदी ने अपने बड़े गले वाली टी-शर्ट को दोनो बाहों से नीचे खीच दिया, अब दीदी का क्लीवेज बहुत ज़्यादा दिखाई दे रहा था. दीदी ने मटकना जारी रखा, वो अपनी गान्ड भी हिला रही थी. दीदी ने टी-शर्ट का निचला हिस्सा अपने एक हाथ से पकड़ रखा था. दूसरे हाथ से दीदी ने अपने शॉर्ट का आगे का हिस्सा नीचे करना शुरू कर दिया. अब दीदी के शरीर का ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सा मेरी नज़रों के सामने था. दीदी के गोरे गोरे जिस्म को देखते हुए मैने मूठ मारना जारी रखा.

दीदी अपनी गान्ड को हिलाते हुए मुझे मादक नज़रों से देख रही थी. दीदी अपने हाथों से अपनी चूंचियों को गोल गोल सहला रही तो,और उनको साइड से दबा भी रही थी. दीदी का एक हाथ जो शॉर्ट को पकड़े था वो भी हिल रहा था, कभी मुझे ज़्यादा देखने को मिल जाता कभी कम. अब मैने अपने लंड को कस के पकड़ लिया. मुझे अब दीदी के देखने की कोई परवाह नही थी. 

दीदी की हल्की हल्की झान्टे अब शॉर्ट में से दिखाई दे रही थी. दीदी की झान्टे देख के मेरे मूठ मारने की स्पीड बढ़ गयी, मैं अब लंड के सुपाडे को सहलाने लगा. तभी दीदी ने टी-शर्ट को थोड़ा उपर किया तो उनकी एक चून्चि काफ़ी कुछ दिखाई देने लगी. मेरे लंड से प्री कम की चिकनाई अब निकलने लगी थी, उसे मैं सुपाडे पर फैला के लंड को सहलाने लगा. मेरा बॉक्सर आज सिल्क का था, इस वजह से और ज़्यादा मज़ा रहा था.
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03-31-2019, 03:03 PM,
#44
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी ने अपनी एक उंगली अपने शॉर्ट के अंदर घुसा दी, सामने से जहाँ से हल्की हल्की झान्टे दिखाई दे रही थी, दीदी ने उसे अंदर तक घुसा दिया. दीदी का वो हाथ जिस से उन्होने टी-शर्ट पकड़ रखी थी वो हिल रहा था, धीरे धीरे वो अपनी चूंचियों को सहला रही थी. मैने मूठ मारना जारी रखा. दीदी का शरीर चमक रहा था, शायद पसीने के कारण. दीदी अपनी उंगली से चूत के दाने को सहला रही ही, जिस की कल्पना मैं शॉर्ट के हिलने डुलने से अच्छी तरह कर पा रहा था.

दीदी ने मेरी तरफ देखा, उनके गाल गुलाबी हो रहे हे, हमारी आँखे मिली. मैं उस वक़्त स्खलित नही होना चाहता था, लेकिन मुझ से कंट्रोल नही हुआ और मेरे लंड ने ढेर सारा वीर्य पिचकारियाँ मार मार के उंड़ेल दिया. जैसे ही मेरे वीर्य की आख़िरी बूँद निकल रही थी, दीदी ने ज़ोर की आवाज़ निकाली आआआआअहह और दीदी का चेहरा एक दम सुर्ख हो गया. मैं अभी भी अपने लंड को सहला रहा था, दीदी भी अपनी चूत सहला रही थी. दोनों के पानी छोड़ने के बाद की एक दूसरे की चिकनाई युक्त सहलाने की आवाज़ें हम क्लियर्ली सुन सकते थे. हम एक दूसरे को आँख मिला कर तब तक देखते रहे जब तक दीदी ने एक लंबी साँस ले कर जोरदार पानी नही छोड़ दिया और एक लंबी साँस ली, दीदी ने अपने लिप्स पर जीभ फिराई और अपनी आँखें बंद कर ली.

दीदी ने टी शर्ट को नीचे कर दिया और अपना हाथ शॉर्ट्स में से बाहर निकाल लिया. दीदी कुछ सेकेंड्स के लिए बेड पर ही बैठी रही. फिर हम दोनो ने के दूसरे की तरफ देख के स्माइल किया. रूम में अब एक दम शांति थी, लेकिन इसमे प्यार की मादक खुश्बू आ रही थी.

दीदी, मैने बोलने की कोशिश की, लेकिन आगे कुछ ना बोल पाया, दीदी मेरे को देख के मुस्कुरा दी

गीले बॉक्सर में मुझे बहुत अनकंफर्टबल लग रहा था, मैं जैसे ही उठने लगा, दीदी ने मुझे रोक लिया. 

दीदी: मुझे तुम्हारा ये गीला बॉक्सर देखकर बहुत खुशी हो रही है क्योंकि ये मेरी वजह से हुआ है.

फिर दीदी ने एक शरारती मुस्कुराहट से मुझे देखा. मैने अपने सारे कपड़े उठाए और दीदी की तरफ देखा, जिस तरह दीदी मुझे देख रही ही उस से लगता था कि वो नही चाहती कि मैं वहाँ से जाऊं.

राज: दीदी मैं चेंज कर लूँ, बस एक मिनिट में लौट के आता हूँ

दीदी ने हां में सिर हिला दिया. मैं थोड़ी देर में चेंज कर के फिर से दीदी के रूम में आ गया. हम काफ़ी देर बैठ के बातें करते रहे, ऐसा लग रहा था हमे एक दूसरे की कंपनी की ज़रूरत है. मैं आधी रात के बाद अपने रूम में जा के सो गया.....
....................

घड़ी का अलार्म लगातार बजे जा रहा था, मानो वो चाहता हो कि मुझे अब तक उठ जाना चाहिए था. मैने स्नऊज़ का बटन दबाया, और एक करवट ली.

सूरज की रोशनी खिड़की के ब्लाइंड्स में से थोड़ी सी कमरे में आ रही थी. कुछ मिनिट के बाद मेरी आँखों ने रोशनी के साथ अड्जस्ट किया और मैने अपने रूम में चारों तरफ देखा. जमहाई मारते हुए मुझे एहसास हुआ कि मेरा लंड खड़ा हुआ है, मानो ये बताने के लिए कि लड़का होने का क्या मतलब है. मैने एक अंगड़ाई ली और ओधी हुई चादर को हटा के बैठ गया.

मुझे बहुत अच्छी नींद आई थी और मैं बहुत फ्रेश फील कर रहा था. कुछ हफ्तों पहले की ही तो बात है कि मैं कैसे सेक्स के लिए फ्रस्टरेटेड हुआ करता था, मेरे दिमाग़ में बस सेक्स ही घुमा करता था. जब छोटा था तो मॅगज़ीन्स में ब्रा और पैंटी के एड देखना, पहली सॉफ्टकोर मॅगज़ीन दफ़ा 302 पढ़ना, फिर इंटरनेट पर देसीबाबा की हार्ड पॉर्न तस्वीरें देखना, लगता है इस सब से मुझे पॉर्न का अडिक्षन हो गया था. मुझे याद है जब मैने पहली बार डेबोनाइर मॅगज़ीन में एक पूरी नंगी लड़की की तस्वीर देखी थी. ये बहुत पुरानी बात है, जब एक दोस्त ने किसी विदेशी पॉर्न मॅगज़ीन में छपी एक गोरी विदेशी लड़की जो नहा रही थी उसकी फोटो दिखाई थी, उसके गुलाबी होठ थे, छोटी छोटी चूंचियाँ जिन पर पिंक निपल्स थे और हल्की हल्की ब्राउन झान्टे, जो इतनी बड़ी नहीं थी कि उसकी दोनो जांघों के बीच जा रही चूत की दरार को छुपा सके.

मैं अब पूरी तरह उठ चुका था और सब कुछ अच्छे से इमॅजिन कर पा रहा था कि मैं कैसे इतना ज़्यादा सेक्स के लिए फ्रस्टरेटेड हुआ करता था. सारी तस्वीरे और गंदी चीज़े जो मैं अपने जेहन में उंड़ेल रहा था उस की वजह से मेरे दिल और दिमाग़ इन चीज़ों के आदि हो चुके थे. मेरा पॉर्न देखना और मूठ मारना मेरी आदत में शुमार हो चुका था, इसका अंदाज़ा मुझे जब लगा जब मेरे शरीर ने कहा कि ये सब बहुत हो चुका. असलियत ये थी कि मैं इन सब चीज़ों में खो चुका था. पॉर्न देख के एग्ज़ाइट होना और फिर मूठ मारना.... शायद मैं ऐसा नही करना चाहता था. लेकिन ये सब मैं अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए करता था. मुझे अपने आप पर शरम आती थी कि मेरा कोई करीबी नही है, जिस के साथ मैं सब कुछ शेर कर सकूँ, मैं अपने आप को दुनिया से छुपाने की कोशिश करता. मैं ये सब लगातार करता चला आ रहा था, लेकिन इस सब से मुझे आत्म ग्लानि होती थी.

बस दो हफ्ते पहले की ही तो बात है, मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी, जब दीदी ने मुझे लॅपटॉप पर पॉर्न देखते हुए पकड़ा था. मेरी तो फट ही गयी थी, कितनी बेहूदा बात थी कि मेरी दीदी जो मुझे अपना प्यारा छोटा भाई समझती थी उनको मेरे व्यक्तित्व के इस चेहरे का पता चला था. मैं कितना बेचैन हो उठा था, लेकिन ये मेरे सुधरने की शुरुआत थी, मानो मर्ज का इलाज शुरू हुआ हो. मेरी बेहद खूबसूरत डॉली दीदी ने मुझे माफ़ कर दिया था और मेरी बाकी सब दुनिया से छुपी हुई अलग दुनिया में आकर मेरा हाथ पकड़कर अपनी उस दुनिया के ओर ले चली थी जहाँ मेरे लिए सिर्फ़ प्यार और दुलार था.

जब दीदी को असलियत मालूम पड़ी और मेरे लिए जो कुछ उन्होने करने का फ़ैसला लिया तो मुझे उतना ही सर्प्राइज़ हुआ था जितना कि जब दीदी ने मुझे पॉर्न देखते हुए पकड़ा था. किसी भी नज़रिए से ये ठीक नही था कि मैं पॉर्न अडिक्षन दूर करने के लिए अपनी सग़ी बड़ी बेहन को देख के मूठ मारू. हमारे भाई बेहन के रिश्ते में ये एक बहुत बड़ा बदलाव था. हम दोनो के बीच जो नज़दीकियाँ आ रही थी, वो भाई बेहन के रिश्ते में कुछ अजीब थी.

दीवार पर टॅंगी उस फोटो को देखकर मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी जो कि हमारी गोआ की फॅमिली ट्रिप के दौरान खींची गयी थी, इसमे मैं किसी बीच पर लहरों के बीच चहल कदमी करने के दौरान दीदी के मूँह पर पानी उछाल रहा हूँ.

मैने एक जमहाई ली और बेड से उतर के खड़ा हो गया, फिर सोचने लगा कि आज क्या करना है, तभी मेरे दिमाग़ में कुछ तुरंत कौंधा और मैने अपना मोबाइल फोन उठा के देखा कि आज तो सनडे है, मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया कि मैने अलार्म लगाया ही क्यूँ था, आज सनडे को इतनी जल्दी उठने की क्या ज़रूरत थी? मैं फिर से बेड पर लेट गया.

कुछ मिनिट बाद किसी ने डोर नॉक किया, मैने कहा हां......, मैने देखा डॉली दीदी अंदर झाँक रही है.


दीदी ने धीरे से कहा गुड मॉर्निंग, मैने तुम्हारा अलार्म सुन लिया था, क्या अलार्म ऑफ करना भूल गये थे? मैने हां में सिर हिलाया. दीदी अब कमरे के अंदर आ चुकी थी, अभी भी उन्होने कल रात वाले, छोटी सी टी- शर्ट और कॉटन शॉर्ट्स पहन रखे थे. दीदी ने पूछा क्या उठने का इरादा नही है? 

इस से पहले कि मैं कुछ बोलता, दीदी हंसते हुए मेरे बेड पर आ गयी और मुझे गुद गुदि कर के हँसाने लगी, मैं दीदी की गिरफ़्त से निकलने की कोशिश करने लगा, मुझे डर था कि कहीं दीदी मेरा खड़ा हुआ लंड ना महसूस कर लें. मैने दीदी से कहा, दीदी प्लीज़ हटो ना, लेकिन शायद तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी और दीदी के फेस से पता चल रहा था कि उन्होने मेरे खड़े लंड को महसूस कर लिया है.
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03-31-2019, 03:04 PM,
#45
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी हँसी और मेरी कमर के उपर से दूर होते हुए उन्होने अपने चेहरा अपने हथेलियों से छुपा लिया और बोली, सॉरी राज, लगी तो नही

नही दीदी.... मैं तो बस... मैं आगे कुछ बोल नही पाया, मेरा दिमाग़ शायद अभी भी सो रहा था..

तो फिर ठीक है... अगर लगी नही तो... दीदी ने चिढ़ाया और मेरे उपर बैठ गयी.

दीदी मेरे लंड के उपर टाँगें चौड़ी कर के बैठी थी, 

मैने कहा दीदी...

दीदी बस हां कहकर चुप हो गयी, मैने देखा दीदी मेरे को देख कर स्माइल कर रही ही, दीदी के स्माइल करने से मैने कुछ रिलॅक्स फील किया

राज: मम्मी और पापा कहाँ हैं?

दीदी: दोनो शॉपिंग करने बिग बाज़ार गये हैं, वहाँ कोई सेल चल रही है

मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था, हालाँकि दीदी और मेरे बीच में चादर थी, लेकिन वो मेरे खड़े लंड को महसूस कर पा रही थी. ना तो दीदी ने मेरे उपर से हटने की और ना मैने उनको हटाने की कोई चेष्टा की, दीदी वैसे ही मेरे उपर बैठी रही.

दीदी: आज कितना अच्छा मौसम है, कितनी अच्छी हवाल चल रही है, सब कुछ सुंदर लग रहा है

दीदी ने थोड़ा झुक कर विंडो के ब्लाइंड्स को टर्न कर के खोल दिया, अब हम दोनो बाहर का सब कुछ देख पा रहे थे

दीदी: अच्छा लग रहा है ना

राज: हां, तुमको भी मज़ा आ रहा है ना दीदी

दीदी ने अपने होठ तो दातों से बाइट करते हुए कहा, लगता है तुम अभी पूरी तरह से जागे नही हो, तुमको उठाना ही पड़ेगा, ऐसा कहते हुए दीदी ने अपना कुछ और वजन मेरे उपर डाल दिया

मैने दीदी के नीचे से निकलने का असफल प्रयास किया

दीदी ने स्माइल किया, और मेरे चेहरे को देखते हुए अपनी गान्ड को गोल गोल मेरे लंड के उपर घुमाने लगी. इस सब से मैं बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गया. क्या मस्त नज़ारा था मेरी सुंदर बड़ी बेहन मेरे लंड के उपर अपनी गान्ड घिस रही थी, सूरज की रोशनी रूम में आ रही थी और मैं लेट कर इन सब चीज़ों का आनंद ले रहा था

राज: हे राम

दीदी ने मेरे लंड को दबाना जारी रखा और वो मेरे लंड के उपर अपने आप को चादर के उपर से घिस रही थी, वो एक बारगी रुक गयी, मैने दीदी के चेहरे पर कुछ उत्सुकता देखी

दीदी: राज, तुम्हे अच्छा लग रहा है ना? मुझे पूछ लेना चाहिए था

राज: आअहह दीदी मुझे नही मालूम, थोड़ी देर और दीदी ...मैं बस झड़ने ही वाला हूँ...

दीदी ने हां में गर्दन हिलाई, और बोली बस थोड़ी देर, तो फिर मुझे करते रहना चाहिए. दीदी ने मुझे जीभ निकाल के चिढ़ाया और मेरे उपर थोड़ा और वजन डालकर घिसने लगी. मेरे मूँह से आहह... ऊहह की आवाज़ें निकल रही थी. कुछ सेकेंड्स के बाद मैने दीदी की जांघों को दोनो तरफ से पकड़ा और उनको अपने उपर खींचा, मेरा पानी निकल चुका था, मेरा बॉक्सर और चादर दोनो गीले हो गये थे, कुछ वीर्य की बूँदें मेरी जांघों पर बह रही थी...

दीदी ने खुशी से आहह की आवाज़ निकाली और मेरे उपर से उतर के मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगी

कुछ देर बाद गाड़ी की आवाज़ सुन के हम समझ गये कि मम्मी पाप आ चुके हैं, दीदी तुरंत मेरे कमरे से भाग गयी. मैं भी तुरंत उठकर अपने आप को और अपने बेड को सॉफ करने लगा. हालाँकि मैने डोर बंद कर लिया था, लेकिन अपने गीले शॉर्ट में बैठने का कोई मतलब नही था

जल्दी से नहाने के बाद मैं नीचे पहुँचा तो देखा दीदी वहाँ पर पहले से से ही थी और मम्मी से बात कर रही थी, वो मुझ से ऐसे मिली जैसे आज सुबह हम दोनो पहली बार मिल रहे हो.

आज का दिन कुछ अलग ही था.

मेरे और दीदी के बीच जो कुछ भी चल रहा था, उसकी वजह से हमारे बीच काफ़ी नज़दीकियाँ आ गयी थी, हम दोनो एक दूसरे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा टाइम स्पेंड करने लगे, दोनो एक साथ घूमते, और हम गहरे दोस्तों की तरह हो गये थे. हम दोनो बचपन से काफ़ी करीब थे लेकिन इस सब के शुरू होने के बाद हमको पता चला कि हम दोनो एक दूसरे से कितना कुछ सीख सकते हैं और मज़े कर सकते हैं. उस हफ्ते दीदी ने एक बार कहा कि शायद हम एक दूसरे को कितना अच्छी तरह समझने लगे हैं. मैने भी दीदी के साथ अपनी सहमति जताई. जब आप किसी के साथ बहुत दिनों तक रहो तो हम कई बार कुछ ऐसा भी सोच लेते हैं जो कि असलियत में सच नही होता. हम एक दूसरे की ग़लत फ़हमियों को दूर कर चुके थे.

उसके अगले हफ्ते, हमारे संहझौते के मुताबिक, मुझे जब मूठ मारने का बहुत मन किया तो पॉर्न देखने की जगह मैं दीदी के पास गया, और पूछा, दीदी क्या आज रात मेरे कमरे में आओगी? दीदी आसानी से तय्यार हो गयी. मैं अपने रूम में आया, अपने सारे कपड़े उतारे और सिर्फ़ बॉक्सर में अपने बेड पर बैठकर मॅगज़ीन पढ़ने लगा. उस दिन बहुत गर्मी थी मेरे रूम का एसी भी ठीक से काम नही कर रहा था मैं टी-शर्ट उतार के सिर्फ़ बॉक्सर में बैठा हुआ था.

थोड़ी देर बाद, दीदी ने मेरे डोर पर नॉक किया, और दीदी मेरे रूम में अंदर आ गयी. आज दीदी ने वाइट कलर का गाउन पहना हुआ था, जिसमे सामने की तरफ बटन थे, दीदी ने अपने बालों का पोनीटेल बना रखा था. मैने अपनी मॅगज़ीन नीचे रखी और दीदी की तरफ देख कर मुस्कुराया, मैं बेड पर तकिये के सहारे बैठ गया.

दीदी (डोर लॉक करते हुए): राज, मैं तुम्हे आज एक सर्प्राइज़ दूँगी

राज: दीदी, सच में? 

दीदी ने हां में सिर हिलाया और एक कुटिल मुस्कान से मेरी तरफ देखा. दीदी अपने गाउन के बटन खोलने लगी, सारे बटन खोलने के बाद उसको दोनो हाथों से पकड़ के मेरे सामने खोल दिया और ज़मीन पर गिरा दिया, अंदर दीदी ने विल्टी कलर की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी. ये नज़ारा देख के मैने एक गहरी साँस ली. क्या मस्त बदन था दीदी का, एक दम किसी मूर्ति की माकिफ़, एक दम पर्फेक्ट फिगर था, जैसे किसी शिल्पकार ने बिना किसी ग़लती किए कोई मूरत बनाई हो, दीदी की स्किन बिल्कुल गोरी और स्मूद थी. मैने जी भर के ये नज़ारा देखा, दीदी के गोरे गोरे लंबे लंबे पैर, उनकी मांसल जांघे, दीदी की पर्फेक्ट नेवेल, उनके मस्त उभार ली हुई ब्रा में क़ैद चूंचियाँ और सुरहिदार गर्दन. जो मैने देखा उसका वर्णन करना शायद मुश्किल है.

दीदी एक पोज़ बना के खड़ी हो गयी और मुझसे पूछा, कैसा लगा?

मेरे मूँह से कोई आवाज़ नही निकल रही थी, मैं हैरान होकर केवल अपनी गर्दन हिला पाया. दीदी ने अपने हाथ उठाए और उनको अपनी ब्रा के उपर फिराते हुए नीचे पेट को सहलाते हुए नीचे तक ले गयी और फिर उपर तक ले आई. दीदी अपने हाथों के अंगूठे अपनी ब्रा स्ट्रॅप्स में डाल के मेरे सामने पोज़ देती हुई खड़ी हो गयी.

मैं ये ब्रा भी उतार दूँगी राज जब तुम अपना हाथ अपने बॉक्सर के अंदर डालोगे, लेकिन मैं तुम्हे सब कुछ दिखाउन्गी नही, ओके?
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03-31-2019, 03:04 PM,
#46
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं दीदी के चेहरे की तरफ देख के बोला, जैसा तुम चाहो दीदी और तुरंत अपना हाथ बॉक्सर के अंदर डाल दिया, और अपने लंड को हिलाने लगा. डॉली दीदी थोड़ा हँसी और अपने हाथ पीछे ले जाके अपनी ब्रा के हुक को खोला. एक हाथ से दीदी ने अपनी चूंचियाँ छुपा ली और दूसरे हाथ से ब्रा को अपनी बाहों से निकाल के मेरी तरफ पर फेंक दिया. मैं हंसा और ब्रा जो कि मेरी टाँग पर गिरी थी उसे वहीं पड़ा रहने दिया, और अपनी खूबसूरत दीदी को निहारने लगा जो कि मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में खड़ी थी, अपनी चूंचियाँ दीदी ने अपने एक हाथ से छुपा रखी थी जिस से मैं सब कुछ ना देख पाऊँ.

दीदी भी थोड़ा नर्वस थी, लेकिन ऐसा लग नही रहा था, दीदी ने मस्ती में अपनी गान्ड और कंधे हिला हिला के डॅन्स करना शुरू कर दिया. डॉली दीदी का लगभग नग्न शरीर देखकर मेरा हाथ बॉक्सर के अंदर लंड के उपर चल रहा था. दीदी बला की खूबसूरत लग रही थी, उनके पोनीटेल में बँधे बाल, उनके ब्रा में से निकलने को बेचैन चुचियाँ, दीदी के मस्त गोल गोल हिप्स मुझे मस्त कर रहे थे. दीदी मेरे पास आकर झुक गयी जिस की वजह से उनकी चूंचियाँ ब्रा में से और ज़्यादा बाहर निकल आई और उनका क्लीवेज देख कर मेरा लंड उफान मारने लगा. दीदी ने अपने दोनो हाथों से अब अपनी दोनो चूंचियों को पकड़ लिया और गान्ड हिला हिला के डॅन्स करने लगी.

दीदी अब घूम गयी और उनकी पीठ मेरे सामने थी, दीदी ने अपने हाथ अपनी चूंचियों पर से हटा लिए और अपने बालों में अपनी उंगलियाँ फिराने लगी, और फिर अपने कंधे के उपर से अपना सिर घूमाकर मेरी तरफ देखा, दीदी थोड़ा सा घूम भी गयी, जिसकी वजह से मुझे उनके एक गोरे गोरे, मुलायम मम्मों को साइड से देखने का मौका मिल गया.

दीदी: कैसा चल रहा है राज? (बड़ी मासूमियत के साथ दीदी ने पूछा)

मैने दीदी के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा, दीदी, आप लाजवाब हो

दीदी को शायद मेरा जवाब पसंद आया, और सो थोड़ा सा हंस दी. दीदी अपने बाल ठीक करने के बहाने हिलने डुलने लगी जिस से मुझे उनकी मस्त चूंचियों को साइड से और ज़्यादा देखने का मौका मिल सके.

मैं और ज़्यादा देखने के लिए बेकरार था, लेकिन जितना देखा था उतना देख के ही मेरा लंड अपना लावा उगलने को तय्यार था. मैं अपने लंड को और ज़्यादा घिसने लगा, क्योंकि दीदी दूसरी तरफ देख रही थी इसलिए मैने बॉक्सर की एलास्टिक को दूसरे हाथ से और ज़्यादा उपर कर दिया जिस से मूठ मारने में आसानी हो. दीदी के मस्त बदन का रस्पान करते हुए मैने अपने प्रेकुं को अपनी आंगालियों से सुपाडे के उपर फैला दिया.

जैसे ही दीदी ने अपने हाथ अपनी चूंचियों को पकड़ने के लिए बढ़ाए, ये सोच और देख के मुझ से बर्दाश्त नही हुआ और मेरे लंड ने ढेर सारे वीर्य की पिचकारी चला दी, जो कि मेरे पेट और छाती पर आकर गिरी.

जब दीदी मेरी तरफ घूमी और देख कर स्माइल किया तब तक मैं अपने बॉक्सर को ठीक कर चुका था, दीदी ने मेरे पेट और छाती पर पड़ी वीर्य की पिचकारियों को देखा तो अनायास ही दीदी के मूँह से निकल गया... हे भगवान.... लेकिन अब मैं बेशरम हो चुका था और मुझे इस बात का कोई फरक नही पड़ा.

दीदी ने अब उस को इग्नोर करते हुए मुझ से अपनी ब्रा माँगी, मैने नीचे से उठा कर दीदी की तरफ ब्रा बढ़ाई और फिर वापस दीदी से दूर अपनी तरफ खींच ली, दीदी ने अपने दोनो होंठ दांतो से दबाए और मेरी तरफ बढ़कर ब्रा के उपर झपट्टा मारने का प्रयास किया, लेकिन मैने तुरंत दीदी की ब्रा बेड की चादर के नीचे छुपा ली, और उसके उपर अपनी टाँगें रख दी. 

दीदी धीरे से फुसफुसा, राज मेरी ब्रा दो

मैने दीदी की तरफ कुटिल मुस्कान के साथ देखा, लेकिन ब्रा नही दी. दीदी मेरे पास आकर बेड की चादर के नीचे से ब्रा निकालने का प्रयास करने लगी, लेकिन मैं उसको अपने टाँगों से दबाए रहा, जब दीदी ने बहुत ट्राइ किया तो मैने चादर को एक दम टाँगों को उठा लिया, एक दम हटाने के कारण दीदी मेरे उपर आ गिरी, मैं दीदी के गुदगुदी करने लगा.

दीदी हंसते हुए तुरंत संभली और मुझे धक्का दिया, इस बीच वो भूल चुकी थी कि वो मेरे सामने टॉपलेस है. कुछ सेकेंड के लिए, जैसे ही दीदी के हाथ अपनी चूंचियों के उपर से हटे, मैने उनके मस्त मम्मों का दीदार कर लिया, दीदी तुरंत संभली और अपनी खुली चूंचियों को अपने हाथों से ढक लिया, दीदी के गाल सुर्ख लाल हो गये थे.

मुझे हंसते हुए देखकर, दीदी ने मुझे एक हाथ से धक्का दिया, लेकिन मैं इस के तय्यार था, मैने तुरंत दीदी को कमर से पकड़ कर बेड पर लिटा दिया, और दीदी के उपर आ गया. कुछ सेकेंड्स को लगा जैसे हम एक बचपन वाले भाई बेहन की प्यार भरी लड़ाई लड़ रहे हैं, मैने दीदी की दोनो बाहों को दोनो तरफ उपर कर के पकड़ के लिटा रखा था. हम ने लड़ना बंद किया, हमारी साँसें अब भी ज़ोर ज़ोर से चल रही थी, और हम हंस रहे थे, लेकिन ये खेल जल्दी ही ख़तम हो गया जब हम दोनो को एहसास हुआ कि दीदी केवल पैंटी पहने मेरे नीचे नग्न लेटी हुई है, मेरी नंगी छाती उसकी चूंचियों को दबा रही थी और मेरा लंड बॉक्सर के अंदर से दीदी की पैंटी के उपर से दबाव डाल रहा था.

हम ने एक दूसरे की आँखों में आँखें डाल के देखा, कुछ सेकेंड मुस्कुराए और फिर मैने दीदी की बाहों को छोड़ दिया, और उठने लगा. दीदी ने मुझे रोका, और बोली, नही राज, अभी नही. मेरी पीठ को अपनी बाहों से जकड के अपने उपर लिटा कर झप्पी मारने लगी. मैने तुरंत दीदी की बात की अनुपालना की और दीदी के नीचे अपनी बाहें घुसा के, दीदी को अपने गले से ज़ोर से चिपका लिया, दीदी को अपने साथ, इतने करीब, इस अवस्था में पाकर ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत मिल गयी हो. 

आख़िर में हम एक दूसरे से अलग हुए, मैं दीदी के उपर से हट गया, और दूसरी तरफ देखने लगा, जिस से दीदी अपनी ब्रा उठा सके, जब दीदी ये सब कर रही थी मैं उनकी हल्की हल्की हँसने की आवाज़ सुन पा रहा था.

मैं बोला ह्म्म्म्म

दीदी बोली राज, मुझे तुमने पूरा गीला कर दिया है अपने उस से. मुझे देखने को इशारा किया, मैने देखा दीदी सच कह रही है, दीदी की छाती, पेट सब कुछ मेरे वीर्य से सने हुए थे. दीदी की पैंटी पर भी गीला निशान था. दीदी ने अपना वाइट गाउन पहना और हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए. दीदी मेरे रूम से नहाने के लिए बाथरूम में चली गयी. मैं अपने बेड पर लेट कर आज हुई सारी घटनाओं की मूवी एक बार फिर से अपने दिमाग़ में चलाने लगा....

अगली सुबह कल सनडे की सुबह से बिल्कुल अलग थी, मेरे दिमाग़ में बस ये ही ख़याल आ रहे थे कि मैं और दीदी कितना ज़्यादा फिज़िकल होते जा रहे हैं. मैं शायद घबरा गया था, और कल रात अपनी गोलियों में से वीर्य की आख़िरी बूँद तक निकाल लेने के बाद, जो कुछ हम दोनो कर रहे थे, उस बात को सही ठहराना बड़ा मुश्किल हो रहा था.

मैने अपने आप से कसम खाई की अब मैं दीदी को मेरे साथ ये सब नही करने दूँगा, लेकिन मुझ में इतनी हिम्मत नही थी कि दीदी को ये बात बोल सकूँ, फिर मैने एक कागज के टुकड़े पर एक नोट बनाया उसमे लिखकर कल रात के लिए दीदी से माफी माँगी और लिखा कि आगे ऐसा हमें कुछ नही करना चाहिए, हम इस बारे में कभी और बात करेंगे.
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03-31-2019, 03:04 PM,
#47
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
2-3 दिनों तक डॉली दीदी से मैं दूर दूर ही रहा, और हम जब भी मिलते मैं कुछ नही बोलता. दीदी कन्फ्यूज़ हो गयी थी, वो मुझ से बात करना चाहती थी, लेकिन मैं उस को ऐसा कोई मौका ही नही दे रहा था, मैं ज़्यादातर घर से बाहर ही रहता, जिस से मैं इस सब से दूर रह सकूँ.

.....................

मेरे पापा के बिज़्नेस पार्ट्नर की बेटी का नाम तान्या था, वो भी मेरे साथ मेरे ही कॉलेज में पढ़ती थी. टान्या के डार्क ब्राउन बाल और नीली आँखें थी, उसका फिगर पर्फेक्ट था और मादक मुस्कुराहट थी. वो मेरी अच्छी दोस्त थी, लेकिन वो एक चालू लड़की थी और उसे लड़कों के साथ फ्लर्ट करने में बहुत मज़ा आता था.

पिछले कुछ दिनों से टान्या मेरे में कुछ ज़्यादा ही दिलचस्पी ले रही थी, जब भी वो मेरे साथ बात करती तो उसके हाव भाव थोड़े अलग हो जाते, वो मुझ से चिपक के खड़ी होती, अपने कंधे मेरे कंधों से टच करती, इस सब से मुझे कुछ कुछ हो रहा था. लेकिन जैसे ही टान्या के बारे में सोचना शुरू करता, डॉली दीदी के विचार मेरे दिमाग़ में आने लगते. यहाँ टान्या जैसी खूब्बसूरत लड़की मेरे पास थी और एक मैं था जो अपनी दीदी के पास रहना चाहता था. 


लेकिन पाँचवे दिन, शाम दोस्तों के साथ बिता कर, थक कर जब मैं वापस लौटा तो देखा मम्मी पापा अब भी जागे हुए हैं और टीवी देख रहे हैं. थोड़ी देर उनके साथ आस्था चॅनेल देख के मैं बोर हो गया और अपने रूम में चला गया. कुछ देर टेक्स्टबुक से पढ़ाई की, फिर अपना ईमेल चेक किया. काफ़ी देर बाद मेरी उंगलियाँ उन पॉर्न वेब साइट का अड्रेस टाइप करने को लालायित हो उठी जो मैं अक्सर देखा करता था. मैं ऐसा नही करना चाहता था लेकिन कमरे में अकेले लॅपटॉप के सामने बैठ के इस में कुछ बुराई भी नज़र नही आ रही थी.

मैने सनडे को मिले चरम सुख को याद किया, जो मुझे अच्छा लगा. लेकिन यदि दीदी के साथ सही ढंग से रहना है तो पॉर्न साइट्स देखने के सिवा कोई और विकल्प भी नज़र नही आ रहा था. मैं पॉर्न वेबसाइट का अड्रेस टाइप करने लगा.... फिर रुका... मैने अपने ज़ोर से धड़के हुए दिल को महसूस किया और देखा कि मेरे हाथ काँप रहे हैं.

मैने अपना लंड खड़ा करने के लिए कुछ लिंगेरिए और स्विमवेर किस साइट्स भी ब्राउज़ की , और कुछ खूबसूरत मॉडेल्स की फोटोस भी देखी, लेकिन कुछ अच्छा नही लगा. ये सब भी मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था, और आज से पहले मुझे इन सब चीज़ों से इतनी परेशानी भी नही हुई थी, मैं कुर्सी पर पीठ टिका के बैठ गया और अपनी आँखें बंद कर ली. कुछ देर बाद मैने आँखें खोली और अपने आप को अपनी फॅवुरेट पॉर्न साइट्स देखते हुए इमॅजिन किया, मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा, मैने अपने सिर को ज़ोर से हिलाया, और जब तक मैं कुछ और करता मैने लॅपटॉप को पवर स्विच दबा कर ऑफ कर दिया.

मैने ज़ोर की साँस ली, और शांत होने का प्रयास किया, ये सब मेरे साथ क्या हो रहा था, मैं अपनी दीदी को नाराज़ नही करना चाहता था. दीदी ने मेरे लिए इतना कुछ किया, अब मैं उनका दिल नही दुखाना चाहता था.

आत्म ग्लानि से भरा हुआ, परेशान और कन्फ्यूज़ होकर मैने अपने सिर टेबल पर रख दिया.

15 मिनिट बाद मुझे डोर पर नॉक की आवाज़ सुनाई दी, मैं फिर दोराहे पर खड़ा था, मुझे मालूम था कि ये डॉली दीदी ही है. मुझे ये भी पता था मैं इस तरह उस के बिना नही रह पाउन्गा. मैने एक फ़ैसला लेते हुए कहा, दीदी अंदर आ जाओ... दीदी अंदर आ गयी...

दीदी ने धीरे से पूछा, हे राज, क्या कर रहे थे, पहले लॅपटॉप और फिर मेरी तरफ देखा....

दीदी (धीरे से बोली): पता नही मुझे आज ऐसा क्यूँ लग रहा था कि तुम परेशान हो

राज (अपनी आइब्रोज चढ़ाते हुए): हां आप शायद सही कह रही हो

दीदी: सब ठीक तो है ना?

मैने हां में सिर हिलाया और लॅपटॉप की तरफ इशारे करते हुए कहा देखो ये बंद है

दीदी ने कुछ कदम आगे बढ़ाए और अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया. मैने दीदी की आँखों में देखा. दीदी को प्राउड और थॅंकफुल फील हो रहा था, दीदी बोली, लेकिन तुमने कुछ नही किया, थॅंक्स राज. दीदी थोड़ा नीचे झुकी और मेरे माथे पर अपने होंठ रख कर एक छोटा सा किस ले लिया. दोबारा दीदी ने कहा, थॅंक यू और पीछे होकर खड़ी हो गयी.

अगले कुछ मिनिट्स के लिए हम दोनो के बीच शांति रही. मैं दीदी के बालों को अपनी बाहों पर महसूस कर पा रहा था, और दीदी के किस के बाद एक अलग ही दुनिया में खो गया था;

इन हसीन लम्हों के बीच अपनी परेशानी बताने का कोई मतलब नही था.
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03-31-2019, 03:05 PM,
#48
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो, मैने इतने दिनों से आप से बात नही की

दीदी ने अपने कंधे उचकाए, वो थोड़ा नाराज़ दिखी, फिर बोली, हां शुरुआत में तो मुझे बहुत गुस्सा आया, लेकिन मुझे लगता है मैं सब कुछ समझ रही हूँ

राज: दीदी, क्या हम को ये सब करना चाहिए?

दीदी कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन उन्होने अपने शब्दों को अपने मूँह में ही रोक लिया, अपने होठों को दबाते हुए दीदी ने एक गहरी साँस ली

दीदी: मुझे लगता है हम को इस बारे में बात कर लेनी चाहिए. तुम को कहीं डर तो नही लगता कि ये........ दीदी ने आगे कुछ नही बोला

मुझे पता था दीदी आगे क्या बोलना चाह रही है. लेकिन वो बोलना शायद जायज़ नही था, कुछ ऐसा जिसे हम दोनो एक दूसरे के सामने बोलना नही चाह रहे थे

राज: हां दीदी, मेरा मतलब ऐसा कुछ?

दीदी ने फिर से अपने कंधे उचकाए और मेरी तरफ देखा 

दीदी (थोड़ा फुसफुसाते हुए): लेकिन मुझे लगता है कि हम ऐसा कुछ ज़्यादा ग़लत नही कर रहे, जहाँ तक मेरा सवाल है, मुझे लगता है कि हम सिर्फ़ थोड़ी सी मस्ती कर रहे हैं. और अगर हम एक सीमा के अंदर ये सब कुछ करें तो इसमे मुझे कोई बुराई नज़र नही आती, और आख़िर ये सब हम दोनो सहमति से कर रहे हैं

मैने भी अपने कंधे उँचका दिए

थोड़ी देर बाद ये सब कुछ अटपटा सा लगने लगा, मैने दीदी से पूछा, क्या आपको विश्वास होता है कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं?

दीदी (थोड़ा सहरमाते हुए): नही राज, नही होता

फिर से कुछ देर हमारे बीच खामोशी रही, फिर मैं बोला, दीदी, अगर हम दोनो को इस से कोई प्राब्लम नही है, और हम को ये सब करके अच्छा लगता है, तो फिर सब ठीक है

दीदी (अपनी आँखों को चढ़ाते हुए): क्या सब ठीक है?

राज (धीरे से) : नही शायद मैं कुछ ग़लत बोल गया

दीदी ने मेरी तरफ एक प्यार भरी स्माइल के साथ देखा, और मेरे सामने अपने घुटनों पर बैठ गयी, और मुझसे पूछा, आज रात क्या मूड है?

मैने दीदी की चमकती हुई आँखो की तरफ देखा और बोला, हां दीदी आज आपकी सख़्त ज़रूरत है

दीदी थोड़ा मुस्कुराइ, मैने दीदी के गुलाबी गालों को छूने से पहले दो बार सोचा और फिर अपने हाथों से दीदी के गालों को सहला दिया

दीदी: तो क्या चाहते हो? क्या मैं अपने कपड़े पहने रहूं?

राज (थोड़ा ज़ोर से): नही बिल्कुल नही

दीदी ने अपना निचला होंठ अपने दाँतों से काटते हुए, अपने हाथों से अपनी टी-शर्ट को अपने गले से निकाल के दूर फेंक दिया, दीदी ने आज क्रीम कलर की लेस वाली ब्रा पहनी थी. दीदी ने अपने बाल ठीक किए और मेरी तरफ देखा.

दीदी: तुम अपनी जीन्स उतारोगे या फिर?

मैने गुर्राते हुए अपनी जीन्स को बटन खोला और फिर ज़िप खोलने के बाद, दोनों टाँगों से खीच कर जीन्स को अपने से दूर कर दिया और कुर्सी पर बॉक्सर पहन के बैठ गया. दीदी थोड़ा मुस्कुराइ, फिर अपने घुटनो के बल मेरे सामने बैठ गयी. मैने अपना एक हाथ अपनी जांघों पर फिराया और फिर बॉक्सर के उपर से अपने लंड के उपर रख दिया. दीदी ने देखा और फिर से स्माइल किया, अब मैने अपने हाथ से अपने बॉक्सर के उपर से ही लंड को मसलना शुरू कर दिया और उसे आगे पीछे करने लगा, मैने दीदी के खूबसूरत शरीर की तरफ देखा और दीदी की मस्त चुचियों में खो गया.



जब दीदी ने मुझे अपनी ब्रा के तरफ देखते हुए देखा तो प्यार में हल्के से गुर्राई और फिर स्माइल कर दिया. मैं भी स्माइल कर बिना नही रह पाया. दीदी ने अपनी ब्रा के स्ट्रॅप्स को अपने कंधे से नीचे कर दिया अपनी बाहों को उनमे से निकाल लिया, ये सब करने की वजह से ब्रा के कप्स भी थोड़ा नीचे खिसक गये. मैने अपनी गर्दन हिलाई और दीदी के मस्त चुचों की गोलाईयों को देख के मस्त हो गया. इस गजब नज़ारे को देख के मैं लगातार बॉक्सर के उपर से ही अपने लंड को सहलाए जा रहा था. दीदी ने मेरी जांघों के बीच देखा और मुझे लंड सहलाते हुए देखने लगी. दीदी थोड़ा मुस्कुराते हुए थोड़ा सा और मेरी दोनो टाँगों के बीच आ गयी. दीदी की बाहें मेरी जांघों को छू रही थी, और दीदी की चूंचियों बस इतनी दूर कि अगर चाहूं तो उनको अब मैं अपनी हथेलियों में भर लूँ.

मैं दीदी की तरफ देख के मुस्कुराया और बॉक्सर के उपर से अपने लंड को आगे पीछे सहलाना जारी रखा, फिर मैने अपना हाथ बॉक्सर के अंदर डाल दिया, और अपने हाथ में लेके लंड को हिलाने लगा. मैने इस चीज़ की सावधानी बरती कि मेरा लंड बॉक्सर, के अंदर ही रहे, हालाँकि जिस तरह दीदी मेरी जांघों के बीच देख रही थी, वो भी मेरे लंड का दीदार करने को बेताब थी. मैने अपनी आँखें दीदी की चूंचियों के उपर घुमाई, और सोचा काश कितना अच्छा होता अगर दीदी ने ये ब्रा ना पहनी होती. लेकिन जो कुछ मैं देख पा रहा वो भी कुछ कम ना था, मैं उसी में आनंद लेने लगा.

दीदी: राज क्या तुमको मुझे ब्रा में देखना अच्छा लगता है?

राज (थोड़ा गुस्से में): दीदी, क्या तुमको मुझे मूठ मारते देखना अच्छा लगता है?

दीदी: मुझे लगता है तुम अपनी दीदी को और ज़्यादा नंगी देखना चाहते हो

राज (हंसते हुए) : हां दीदी, हे भगवान.... 

दीदी ने ज़्यादा कुछ ना कहते हुए, अपने दोनो हाथ पीछ ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोल दिया, फिर एक हाथ से अपनी चूंचियों को छुपाते हुए ब्रा को पूरी तरह उतार दिया. दीदी अपनी छातियाँ दिखाने के लिए थोड़ा सा पीछे हुई.

मेरे मूँह से शब्द नही निकल रहे थे, मेरी सग़ी बड़ी बेहन ने मेरे सामने अपनी ब्रा उतारी थी ओए मेरे पैरों के बीच अपने मम्मों को अपने हाथ से छुपाए मेरे सामने घुटनों पर बैठी थी. मैं अगर कुछ बोलना भी चाहता तो मेरे पास शब्द नही थे. मैं दीदी के मस्त फिगर का दीदार कर के, दीदी के गोरे गोरे बदन के नशे में डूबने लगा.

दीदी: आज गुदगुदी करने की गुस्ताख़ी मत करना

राज (हंसते हुए): ह्म

मैं अपना हाथ बॉक्सर में से निकालने लगा, दीदी ने गौर से मेरी इस हरकत को देखा और थोड़ा डर गयी कि कहीं मैं फिर से गुदगुदी ना करने लगू.

दीदी: राज, मान जाओ, उस दिन के तरह नही प्लीज़

मैं दीदी की तरफ देख के बस प्यार में थोड़ा सा गुर्राया

दीदी अब स्माइल करने लगी लेकिन सो मुझे ऐसे देख रही थी मानो मुझे सावधान कर रही हो.

छोटा भाई होने के कारण दीदी की गुदगुदी करने में कोई बुराई नही थी, लेकिन जब खुद का लंड खड़ा हो तो ये अच्छा नही लगता. मैने दीदी की बाहों में नीचे से अपने हाथ डाल के, उनके आर्म्पाइट्स पर ले गया. दीदी हंस कर मुझे दूर हटाने का प्रयास करने लगी, इस बीच मुझे दीदी के निपल्स देखने का मौका मिल गया, दीदी थोड़ा हिली और कसमसाई, दीदी अपने हाथों से अपने छाती को ढके मुझसे दूर होने का प्रयास करने लगी. तभी दीदी ने अपने आप को मेरे उपर गिरा दिया, दीदी की छाती मेरी जांघों के बीच मुझे दबा रही थी, दीदी ने अपने हाथ बढ़ाकर मुझे मेरी आर्म्पाइट्स में गुदगुदी करनी शुरू कर दी. 
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03-31-2019, 03:05 PM,
#49
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
हम एक दूसरे को गुदगुदी करने से रोकने का प्रयास करते हुए अठखेलिया कर हँसने लगे, अब मैने दीदी का एक हाथ अपने एक हाथ से पकड़ लिया और दीदी ने मेरा एक हाथ अपने हाथ से पकड़ लिया, जिस से हम एक दूसरे को गुदगुदी ना कर पायें. हम दोनो एक गहरी साँस ली और हँसने लगे, और खुशी से एक दूसरे की तरफ देखा. ज़ोर ज़ोर से साँसे लेते हुए हम हंस रहे थे, लेकिन तभी हम को एहसास हुआ कि हम किस अवस्था में हैं, दीदी की छातियाँ मेरे लंड को दबा रही थी. हम एक दूसरे की तरफ देख कर स्माइल करने लगे, लेकिन अब इस स्माइल की वजह कुछ और ही थी.

दीदी (थोड़ा हिम्मत करते हुए): राज, अगर तुम चाहो तो कुछ आगे बढ़ सकते हो..

राज (थोड़ा घबराते हुए) : सही में दीदी

दीदी ने हां में सिर हिलाया, और अपने होंठ को दाँत से काटती हुए कातिल अंदाज में बोली, प्लीज़...

मैने दीदी के बाँह को छोड़ दिया और दीदी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया. दीदी ने भी मेरा हाथ छोड़ दिया और अपनी बाहें मेरी पीठ के पीछे कर मुझे बाहों में ले लिया. मैने अपने को थोड़ा उपर उठाते हुए अपने लंड का दबाव दीदी के उपर बनाया. थोड़ा उपर उठकर दीदी ने मुझे अपनी बाहों मे और ठीक से लेते हुए, अपना सिर मेरे पेट पर रख दिया. मैने अपने लंड को एक उपर की तरफ उछाल मारा, जिस से वो दीदी की छातियों के बीच आ गया. दीदी की चूंचियों का एहसास निराला था, दीदी की दोनो चूंचियाँ बहुत मुलायम मुलायम थी.

मैं थोड़ा पीछे हुआ फिर उपर की तरफ धक्का लगाया. हम दोनो के शरीर पसीने से भीग हुए थे, दीदी ने मुझ को कस के पकड़ा हुआ था. मैने फिर से एक झटका मारा, हर झटके के साथ मेरा बॉक्सर थोड़ा थोड़ा नीचे होता जा रहा था. मैने इस बात की कोई परवाह नही की और हल्के हल्के झटके मारता रहा. मुझे लग रहा था कि मेरे लंड का सुपाड़ा बॉक्सर से बाहर निकलने लगा है, और दीदी के शरीर को हर झटके के साथ छू रहा है. मेरे लंड के शिश्न पर आई प्रेकुं की बूँदें और दीदी के पसीने ने सब कुछ चिकना कर दिया था. मैने दीदी के शरीर पर एक और घिस्सा मारा. दीदी अब ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी वो बहुत गरम हो चुकी थी, और पसीने से तर बतर. जिस तरह हम एक दूसरे से चिपके हुए थे उस की वजह से दीदी के बाल हम दोनों के शरीर से चिपकने लगे थे. दीदी की गरम गरम साँसों को मैं अपनी छाती पर महसूस कर रहा था. दीदी ने अपने होठों से मेरे को छाती पर किस किया, फिर एक बार और. जैसे ही मैने अपना लंड से दीदी की दोनो चूंचियों के बीच से घिस्सा मारा, दीदी ने भूकि आँखों से मुझे देखा और मेरी छाती पर किस करने लगी, दीदी के मूँह से हल्की हल्की आहह ऊओ की आवाज़ निकल रही थी.

मैने दीदी के सिर पर हाथ फिराया और उनके बालों के बीच अपनी उंगलियाँ घुमाने लगा. मैने दीदी को कराहते हुए सुना, ये अविश्वसनीय था.

मुझे लग रहा था कि अब मेरा पानी छूटने ही वाला है... अंदर से लावा मानो निकलने को तयार हो चुका था... लेकिन मैं रोक रहा था... मैं रोके रहा... दीदी फिर से थोड़ा कराही... बस अब निकलने ही वाला था... मैने दीदी को ज़ोर से पकड़ लिया.. मैने दीदी को सिर से अपनी जांघों की तरफ खींच लिया... दीदी फिर से कराही और धीरे से बोली... मेरे उपर ही निकाल दो राज...

एक दम मेरे वीर्य की पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी और हम दोनो के उपर पानी की बौछार होने लगी, मेरे वीर्य ने दोनो को भिगो दिया. मेरा लंड वीर्य की धार पे धार छोड़े जा रहा था और दीदी आहह करते हुए अपनी छाती को मेरे लंड के उपर नीचे कर सहला रही थी, मैं दीदी को कस के पकड़े हुए था और हर पिचकारी के साथ गुर्रा रहा था. मेरे लंड ने मेरी छाती और दीदी की गर्दन के उपर अपनी बौछारें मारी थी, वो पानी अब बहकर मेरे पैरों के बीच से और दीदी के पेट के उपर से नीचे की तरफ बह रहा था. मेरे वीर्य की धार ने हम दोनो को भरपूर गीला कर दिया था, हम दोनो अब हाँफ रहे थे...

दीदी अब भी हाँफ रही थी, और थोड़ा काँप भी रही थी. बिना कुछ बोले, दीदी ने मेरी छाती पर किसी भूकि शेरनी की तरह किस करना शुरू कर दिया, मैने महसूस किया कि दीदी ने मेरी गीली छाती को किस करते हुए अपनी दोनो चूंचियाँ को अपने दोनो हाथों से पकड़ लिया है और उनको मसल रही है, वो किस करते हुए नीचे आ रही थी. जैसे ही दीदी की ठोडी ने मेरे बॉक्सर में से निकले सुपाडे को छुआ, दीदी ने तुरंत अपना चेहरा पीछे कर लिया और ज़ोर की साँस ली, और एक बार फिर से मेरी छाती पर किस कर लिया.

दीदी ने अपनी नज़रें उठा के मेरी तरफ देखा, मैं तो बस दीदी के मस्त शरीर के नज़ारे का दीवाना हो चुका था, दीदी के सारे बाल गीले हो गये थे, दीदी ने अपने दोनो हाथों से वीर्य से सनी अपनी दोनो चूंचियाँ पकड़ रखी थी, दीदी का माथा चमक रहा था...

हम दोनो एक दूसरे को देख के मुस्कुराए. ये मुस्कुराहट शायद कह रही थी हम को यहाँ पर रुक जाना चाहिए, लेकिन हमारा मन नही भरा था. मैने अपने बॉक्सर के एलास्टिक को उपर की तरफ खींचा, जिस से मैं अपने आप को ठीक से ढक सकूँ, और दीदी ने अपनी ज़मीन पर गिरी ब्रा उठा ली. मैने टेबल पर रखे टिश्यू बॉक्स से कुछ टिश्यूस निकाले और दीदी को दे दिए, दीदी ने दूसरी तरफ घूम के अपने आप को पोंच्छा, फिर अपनी ब्रा और टी-शर्ट पहन ली.

मैं जाकर अपने बेड पर बैठ गया, दीदी भी कुछ सेकेंड्स के लिए वहाँ बेड पर बैठी. हम दोनो के बीच खामोशी थी, शायद हम इस कॅरीबी का मज़ा ले रहे थे. आख़िर में दीदी उठी, और आगे बढ़कर मेरे को एक झप्पी दी. पीछे घूमकर एक स्माइल पास करते हुए दीदी मेरे रूम से बाहर चली गयी, और डोर को बंद कर दिया.

जिस तरह से दीदी मेरी शारीरिक ज़रूरतों का ध्यान रख रही थी, उस की वजह से मैं अब खुश रहने लगा था, कुछ दिन पहले मैं जिस डिप्रेशन से गुजर रहा था, वो अब नही था, जिस तरह से हम दोनो की बात चीत हुई थी उस से मुझे लगा कि दीदी को ऐसा नही लग रहा कि मैं उनका नाजायज़ फ़ायदा उठा रहा हूँ. 

हालाँकि मेरी इच्छाओं की कोई सीमा नही थी. टान्या को कॉलेज में देख के मेरा लंड खड़ा हो जाता था, और कॉलेज से घर आने का मन ही नही करता था, जिस तरह वो मेरे जोक्स पर स्माइल करती थी और क्या बड़े बड़े मस्त मम्मे थे, ये सोच के कॉलेज से किसी तरह घर आते ही मूठ मारने का मन करता था. कल वो मस्त काली जीन्स पहन के आई थी और उस दिन वो बड़े गले वाली टाइट पिंक टी- शर्ट. मैं अपनी पूरी कोशिश कर रहा था कि उसका दीवाना ना हो जाऊं, और उसके साथ क्लास प्रॉजेक्ट्स में उसके ज़्यादा से ज़्यादा करीब रहकर ही खुश था, जिस से उस के बारे मैं ज़्यादा ना सोचूँ और डॉली दीदी के प्रति मेरे विचार कहीं बदल ना जायें. मैं दीदी की बहुत इज़्ज़त करता था, और उनके विश्वास को धोका देना मेरे लिए संभव नही था.

ये सब आसान नही था, लेकिन मैं कोशिश कर रहा था.

पिछला वीक डॉली दीदी के साथ अच्छा बीता, हमारी अपनी अपनी लाइफ में जो कुछ भी चल रहा था, हम एक दूसरे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताने का प्रयास करते, हम इस साथ का मज़ा ले रहे थे. एक दिन हम ने एक दम मूवी देखने का प्लान बनाया और मूवी देखने चले गये, हम दोनो ने एक साथ कोई मूवी थियेटर में पिछले कई सालो से नही देखी थी. बहुत अच्छा लग रहा हा कि घर में कोई तो है जो तुम्हारी देखभाल करता है. हम एक दूसरे का पहले से बहुत ज़्यादा ध्यान रखने लगे थे. केवल शारीरिक ही नही हम मानसिक तौर पर भी एक दूसरे के काफ़ी करीब आ चुके थे.

शनिवार की शाम को, मैने चाहा था कि दीदी मेरे पास हों जिस से मैं मूठ मार सकूँ, लेकिन मैने दीदी के साथ टीवी पर मूवी देखना बेहतर समझा. जब मूवी ख़तम हुई तब तक दीदी सो चुकी थी, मैं दीदी को गोद में उठाकर उनके रूम तक ले गया. रूम तक ले जाते टाइम मेरी गोद में दीदी जाग गयी, रूम में दीदी ने मेरे सामने अपनी पॅंट उतार के अपना पाजामा पहना और मेरे को दूसरी तरफ देखने को कहा. जब दीदी बेड पर लेट गयी तो मैने दीदी को चादर ऊढाई और दीदी के माथे पर एक चुम्मि ली, और रूम से बाहर आ गया. 




सनडे की शाम को मुझे फिर से दीदी की ज़रूरत महसूस होने लगी. जैसे ही मम्मी पापा सोने अपने बेड रूम में गये, मैने दीदी से पूछा की दीदी बुरा तो नही मानोगी. हम दोनो टीवी देख रहे थे, लेकिन टीवी पर कुछ भी मजेदार नही आ रहा था, हम दोनो सिर्फ़ एक दूसरे के साथ रहने के लिए एक ही सोफे पर बैठे थे.

दीदी तुरंत तय्यार हो गयी और टीवी बंद कर दिया.

दीदी: तो फिर आज कैसे मारने का मूड है राज?

राज: आप हर बार मुझसे ये ही पूछती हो, और मुझे इस बारे कुछ भी कहना अच्छा नही लगता

दीदी : मुझसे कभी समझ में नही आता, कहाँ से शुरू करूँ, कुछ तो बोलो

राज: अगर आप चाहो तो आप अपने सारे कपड़े उतार दो, ये ठीक रहेगा, मैं ऐसा बोल के मुस्कुराया

दीदी ने अपनी भंवे उपर के मुझे देखा और हँसने लगी, मुझे यकीन है कि तुमको ये अच्छा लगेगा, थोड़ा रुक के दीदी आगे बोली, ऐसे देखना हर आदमी को अच्छा लगता है

मैं थोड़ा रुका, मैं ऐसा कुछ एक्सपेक्ट नही कर रहा था, मैने दीदी से पूछा. सच में दीदी? मैं तो मज़ाक कर रहा था

दीदी (चिढ़ाते हुए): हां, मुझे ऐसा लगता है, मैं ऐसा इसलिए कह रही हूँ, क्यों कि जिस तरह से तुम मुझे देखते हो... मैं ऐसा करूँगी तो तुम्हारा फेस कैसा होगा, ये मैं देखना चाहूँगी

वाह... क्या मस्त बातें चल रही थी

राज : देखा मैने मैने क्या मस्त आइडिया दिया है... (मज़ाक में)

दीदी (मुस्कुराइ, फिर कुछ सोचा): अगर तुम चाहो तो एक काम करते हैं.... मैं तुम्हे आज कुछ ऐसा दिखाउन्गी लेकिन उसके लिए तुमको मेरे रूम में आना पड़ेगा

मैं तुरंत तय्यार हो गया
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03-31-2019, 03:05 PM,
#50
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी सोफे से उठी, मैं दीदी के पीछे पीछे उनके रूम में चला गया, और दीदी रूम को थोड़ा ठीक करने लगी. दीदी ने मुझे बेड पर बैठने का इशारा किया और खड़े होकर मुझे कपड़े उतारते हुए देखती रही. थोड़ा शरमाते हुए मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए और दीदी के सामने सिर्फ़ बॉक्सर में बैठ गया.

डॉली दीदी ने अपने बाल सही किए और मुझे रिझाने वाली आँखों से देखा. दीदी ने टी-शर्ट पहने हुए ही अपने ब्रा के एक स्ट्रॅप को अपने कंधे से नीचे किया, फिर दूसरा. ये देख के मेरा लंड खड़ा होने लगा, और मैने लंड को बॉक्सर के अंदर अड्जस्ट किया और उसके खड़े होने के लिए जगह बनाई.

दीदी (पलक झपकाते हुए): तो मज़ा आ रहा है?

मैने हां में सिर हिलाया और अपनी साँसें रोक के बैठ गया

दीदी मुस्कुराइ और सहज नारी सुलभ लज्जा के साथ धीरे धीरे अपनी टी-शर्ट उतारने लगी. क्योंकि अब नीचे ब्रा नही थी इसलिए, इसलिए मुझे और ज़्यादा दिखाई दे रहा था. दीदी के कंधे अब नग्न थे, और उनके मम्मों का उपरी भाग दिखाई दे रहा था, करीब 1-2 इंच जहाँ से चूंचियाँ उठनी शुरू होती हैं. दीदी ने जैसे ही टी-शर्ट अपने गले से निकाली, दीदी का क्लीवेज अब और ज़्यादा सॉफ दिखाई देने लगा, क्या मस्त गोरी गोरी स्किन थी दीदी की. 

दीदी की ब्रा का उपरी भाग बस निपल्स से एक इंच ही दूर था.

दीदी थोड़ा रुकी और मेरी तरफ देखा. मैं अपने लंड पर बॉक्सर के अंदर हाथ चलाना शुरू कर चुका था, हालाँकि मुझे याद नही था कि ये कब अपने आप शुरू हो गया था. मैने दीदी की तरफ देखा और बस मूँह से निकला.... वॉववव....

मेरी साँसें रुक गयी थी, और मेरे दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था

दीदी ने अपनी ब्रा को पीछे हुक से खोला और दूर फेंक दिया

अब मेरे सामने बस कुछ फुट दूर, मेरी सग़ी बड़ी बेहन, अपनी टी-शर्ट और ब्रा उतार के खड़ी थी. दीदी के मम्मे किसी आँसू की बूँद की तरह लटके हुए लग रहे थे, दीदी उनको थोड़ा थोड़ा हिला रही थी. किसी गुलाब की कली तरह निपल्स एक दम खड़े होकर मानो मेरी तरफ देख रहे थे. क्या मस्त बॉडी थी दीदी की. मुझे दीदी की चूंचियों को निहारते हुए अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था. दीदी मुझे देख के मुस्कुरा रही थी और उनके मम्मे मेरे सामने नंगे थे. ये दीदी ने आज क्या गजब की चीज़ की थी.

मैं अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था, तभी दीदी ने कहा... ठीक है... और खुशी से मुझे देखा...दीदी को मालूम था कि मैं क्या सोच रहा हूँ. मैने बस अपने सिर हिलाया या और कुछ नही बोल पाया.

मैं बॉक्सर के अंदर हाथ डाल के मूठ मार रहा था और दीदी के निपल्स को घूर रहा था. दीदी ने स्माइल किया और अपने दोनो हाथ छत की तरफ उपर उठा दिए और थोड़ा पीछे की तरफ अपनी कमर झुकाई मानो एक अंगड़ाई ली हो, इस के कारण दीदी की छाती और ज़्यादा उभर के सामने निकल आई और मुझे ये नज़ारे देखने का फ़ायदा हो गया. मैं अपने आप पर कंट्रोल किए हुए था, मुठियाते हुए हर झटके के साथ ऐसा लग रहा थे जैसे कि ये आख़िरी हो. दीदी ने अंगड़ाई ख़तम की और अपने पेट के उपर हाथ फिराने के बाद अपने दोनो हाथों से अपनी दोनो चूंचियाँ हल्के से पकड़ ली. मैं बस झड़ने ही वाला था, मैं जो ज़ोर से अपने लंड को हिलाने लगा.

तभी मेरे लंड ने शिश्न से ढेर सारा पानी उगल दिया, कुछ ने तो मेरे बॉक्सर को गीला कर दिया और कुछ फ्लोर पर गिरा हुआ दिखाई दे रहा था. दीदी को जब इस सब का एहसास हुआ तो उनके मुँह से निकल गया ओह्ह्ह. मेरे को कुछ नही समझ आ रहा था, मैं अपने लंड को ढंग बॉक्सर के अंदर करने का प्रयास करने लगा लेकिन नाकामयाब रहा और मेरे और ज़्यादा पानी ने मेरे हाथ और बॉक्सर को गीला कर दिया, जब मैने लंड को ठीक से अंदर किया तो मेरा माल बॉक्सर के अंदर जमा होना शुरू हुआ. 

दीदी: मज़ा आ गया

मैं हाँफ रहा था, और मेरे को थोड़ी शरम भी आ रही थी. दीदी अभी भी अपने नंगे मम्मे दिखाती हुई मेरे सामने खड़ी थी, और खुशी से मुस्कुरा रही थी. मैं उनको घूर नही रहा था लेकिन दीदी को इस सब में मज़ा आ रहा था.

दीदी: पहली बार किसी लड़के ने मुझे टॉपलेस देखा है, कैसा लगा?

राज: मस्त दीदी मज़ा आ गया

दीदी (इशारा करते हुए): टिश्यूस वहाँ रखे हैं

मैने उठ के कुछ टिश्यू लिए, तब तक दीदी मेरे पास आ गयी ये देख मैं रुक गया. दीदी ने फ्लोर पर मेरे वीर्य के पानी के धब्बे देखे. मुझे दीदी को इतना करीब पाकर नर्वसनेस होने लगी. 

राज: फ्लोर गंदा करने के लिए सॉरी दीदी

दीदी मुड़कुराइ और एक कदम और आगे बढ़ आई, और बोली कोई बात नही राज, लेकिन अब तुम्हे वो करना होगा जो मैं कहूँगी.

मेरे दिमाग़ में एक दम हज़ारों आइडिया आना शुरू हो गये कि दीदी क्या कहेगी, लेकिन मैने सिर्फ़ ह्म किया

मेरी आँखों में आँखे डाल के दीदी ने पूछा क्या मुझे एक झप्पी दोगे?

मैं तुरंत तय्यार हो गया.

दीदी जो कि टॉपलेस थी, मेरे और पास आई और मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी. मुझे दीदी के चुचे अपनी छाती से छूए हुए महसूस हुए, इस अंतरंगता के बीच मैं हमारे करीब करीब नंगे शरीरों को लिपटे महसूस करने लगा. मेरे शरीर को गर्माहट का एहसास हो रहा था. दीदी ने अपना चेहरा मेरी गर्दन से चिपका रखा था और थोड़ा थोड़ा शायद कराह भी रही थी, मुझे दीदी ने प्यार से पकड़ रखा था. मैं अपने हाथ दीदी की नंगी पीठ पर ले गया और दीदी की स्मूद स्किन को महसूस करने लगा.

हमारी ये झप्पी कुछ ज़्यादा ही लंबी चल रही थी और हम एक दूसरे को गले लगाए हुए थे.

दीदी ने मेरी गर्दन पर एक लंबी साँस छोड़ी, मैं अपने सिर को दीदी के सिर के पास ले गया. दीदी के हाथ धीरे धीरे मेरी पीठ को सहला रहे थे और मेरे हाथ दीदी की पीठ को. दीदी को एनकरेज करने के लिए मैं दीदी के सिर को सूंघने लगा, दीदी के होठों को मैं अपनी गर्दन पर महसूस कर रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे वो किस कर रही हो. मैं अपने दोनो हाथ दीदी के साइड में ले गया, और दीदी की पंसलियों को महसूस किया, और फिर अपने हाथ उपर लाने लगा. जब मेरे अंगूठों ने दीदी के मम्मों को साइड से छुआ तो दीदी ने एक गहरी साँस ली, और मेरी गर्दन को अपने खुले हुए मूँह के लिप्स से छू लिया. मैं अपने अंगूठों को अंदर की तरफ लाने लगा, दीदी की चूंचियों की गोलाई के साथ साथ. दीदी ने मुझ पर अपनी पकड़ थोड़ी ढीली की, जिस से दीदी के मम्मे जो मेरी छाती से ज़ोर से चिपके हुए थे वो अब आराम से मुझे छू रहे थे. मैं अपने अंगूठों को दीदी की गोलाईयों के साथ साथ वहाँ पर ले आया जहाँ दीदी की चुचियों का उभार मेरी छाती को छू रहा था.

दीदी ने अपना पेट मुझसे दूर करते हुए, मेरी गर्दन को एक बार फिर ज़ोर से सूँघा, और अपने होठों को मेरी गर्दन पर फिराया. इस के कारण दीदी के मम्मों का प्रेशर मेरी छाती पर और हल्का हो गया, और मुझे अपने अंगूठों को और ज़्यादा आगे लाने में आसानी हो गयी, अब मुझे लगने लगा कि शायद मैं दीदी के निपल्स को छू रहा हूँ. कुछ देर हम दोनो रुके, फिर मालूम नही कौन पहले शुरू हुआ, दीदी मुझे किसी भूकि शेरनी की तरह मेरी गर्दन पर किस करने लगी और मेरे अंगूठे दीदी के निपल्स के उपर सरकने लगे. इस के बाद हमारा अपने उपर कंट्रोल ख़तम हो चुका था, मैं अपने हाथ दीदी की चूंचियों पर फिराने लगा और उनको थोड़ा थोड़ा मसल्ने लगा, दीदी अब ज़ोर से कराहने लगी थी, दीदी मेरी गर्दन पर अब भी किस कर रही थी और मेरे सिर और गर्दन को अपने हाथों से पकड़े हुए थी.
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