Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 03:07 PM,
#61
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
तुमको ये अच्छे लगते हैं, राज? दीदी ने पूछा. मैं बस मुस्कुरा कर रह गया. दीदी अपने दोनो हाथों को अपनी चूंचियों पर ले गयी और उन्हे मेरे सामने सहलाने लगी. काश इनको तुम दबा रहे होते राज? दीदी ने अपनी थोड़ी से नर्वुसनेस को छुपाते हुए कहा.

दीदी, आप सोच भी नही सकती, ये मुझे कितने अच्छे लगते हैं, मैने कहा. मैं देख रहा था कैसे दीदी की उंगलियाँ उन मुलायम मम्मों को हल्का हल्का दबा रही थी और जैसे ही दीदी की उंगली खड़े हुए निपल को छूती, दीदी अंदर अंदर ही अंदर सिसक उठती. यकायक मैने अपने आप को एक बाँह पर संभाला और दूसरे हाथ से अपने खड़े लंड को पकड़ के आगे पीछे करके हिलाने लगा.

दीदी ने नीचे देखा कैसे मैं अपनी हथेली में लंड को पकड़ के, लंड की लंबाई तक उपर नीचे कर रहा हूँ. मैं देख रहा था दीदी अपनी चूंचियों को मसल रही थी, और अब अपने निपल्स की थोड़ा ज़्यादा चुटकी भर रही थी.

दीदी ने पूछा, काश ये हाथ तुम्हारा होता? मैने हां में सिर हिलाया, और कब अपने आप मेरी जीभ मेरे होंठों पर घूम गयी मुझे पता भी नही चला.

मैं भी ऐसा ही चाहती हूँ राज, दीदी ने कहा.

मैने दीदी के चेहरे की तरफ देखा, दीदी अब भी नीचे मेरे को मूठ मारते हुए, मैं क्या कर रहा हूँ ये देख रही थी. दीदी ने अपना एक हाथ चून्चि पर से हटा के नीचे अपनी पसलियों पर फिराते हुए अपने पेट पर ले आई. मैने अपनी पीठ थोड़ा पीछे की जिस से मैं नज़ारा ले सकूँ, मैने देखा दीदी का हाथ अपनी झान्टो पर से रेंगता हुआ अपनी दोनो जाघो के बीच पहुँच गया था. धीरे लेकिन यक़ीनन दीदी की उंगलियाँ नीचे की तरफ जा रही थी, पेट और चूत के बीच, झान्टो से घिरे उस तोड़ा उठान लिए हुए भाग से होती हुई, अब चूत में सरक चुकी थी. हम दोनो किसी और ही दुनिया में खो गये थे, और एक दूसरे को देख रहे थे, मैं अपने लंड पर झटके मार रहा था, दीदी की चूत से बस 6 इंच उपर, जहाँ दीदी की उंगलियाँ दोनो जांघों के बीच कही गायब हो गयी थी. दीदी ने अपने घुटने थोड़े चौड़े किए और हल्का सा काँपी, मैने अपने मूठ मारने की स्पीड को थोड़ा धीमा किया और दीदी के हाथ की कलाई को हिलते हुए देखने लगा, जिस से ये पता चल रहा था कि उंगलियाँ क्या कर रही हैं. मैने उपर की तरफ देखा तो दीदी का एक हाथ अपनी चूंचियों को मसल रहा था, मैने फिर नीचे देखा. 

दीदी अब हाँफने लगी थी. वो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी, और मेरे लंड की तरफ देखते हुए काँप रही थी. दीदी ने अपना निचला होंठ दाँतों से काटा, फिर हल्के से कराही, और अपने हिप्स को थोड़ा घुमा के अपनी चूत और उपर कर दी. दीदी ने अपने टाँगें और चौड़ी कर दी, दीदी ने अपने पैर के पंजे मेरी पिंदलियों पर रख दिए, और अपनी जांघों के बीच मुझे ज़ोर से जकड लिया. दीदी के अपनी चिकनी चूत पर फिसलती उंगलियों की आवाज़ और मेरे लंड के प्रेकुं छोड़ने के कारण आई चिकनाई के मेरे लंड पर फैलने के बाद मूठ मारने के कारण आ रही आवाज़ें हमारे लिए नयी नही थी. कुछ देर बाद दीदी लंबी लंबी साँसें ले रही थी और काँप रही थी, उसी तरह से जैसे कि मैं, दीदी के चेहरे में अपना चेहरा घुसा के हाँफ रहा था. दीदी ने अपना हाथ चूंची से हटा के मेरी गर्दन में डाल दिया, और ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगी और मेरे को ज़ोर से पकड़ के गुर्राते हुए हिलने लगी.

मैने पहले से चेतावनी देते हुए कहा, दीदी मैं बस छूटने ही वाला हूँ !!

दीदी गुर्राई... हे भगवान... निकाल दो राज....फिर दीदी ने अपने हाथ को अपनी चूत से हटा के मेरे कंधे को पकड़ लिया.

दीदी के काँपते हुए पैरों ने मुझे ज़ोर से जकड रखा था, और वो अपनी गान्ड आगे पीछे कर रही थी. कुछ झटकों के बाद मैं झड़ने लगा, लंड ने वीर्य की पिचकारियों से दीदी के पूरे पेट और छाती को गीला कर दिया. दीदी ने करहाते हुए अपनी गान्ड थोड़ी उपर उठाई, और दीदी की चूत का सामने वाले उठे हुए झान्टो से ढके भाग ने मेरी गोलियों को छू गया. मैने बिना हीले अपनी गोलियों को दीदी की चिकनी त्वचा पर थोड़ा और दबा दिया, इस हरकत के बाद मेरे मूँह से भी गुर्राने की आवाज़ निकली और मैं वीर्य की धार पर धार दीदी के उपर छोड़ने लगा.

अब बर्दाश्त करना मेरे बस की बात नही थी, मैने अपने लंड नीचे किया जिस से वो दीदी की झान्टोन के उपर छू सके. दीदी की मेरे वीर्य से सनी स्किन के उपर मैने अपने लंड को दबाया और आगे पीछे करने लगा, दीदी के मूँह से सिसकियाँ निकलने लगी और वो अपनी गान्ड उठाने लगी. मैं अपने लंड को दीदी की चिकनी स्किन के उपर हर जगह घिसने लगा, जिस के कारण मेरे वीर्य का पानी सारी जगह फैल गया, दीदी की झान्टे भी गीली हो गयी. दीदी ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे चेहरे को अपनी तरफ खींचा और एक भूखी शेरनी की तरह मुझे किस करने लगी. मैने भी अपने लंड को हाथ में से छोड़ दिया और दीदी के उपर पूरी तरह लेट गया, मेरा लंड अभी भी दीदी की झान्टोन के त्रिकोण और पेट पर फिसल रहा था. मैने दीदी को अपनी बाहों में भर लिया, जब हम एक दूसरे को गले लगा कर एक दूसरे के शरीर को घिस रहे थे, तब दीदी की चूंचियाँ मेरी छाती से दब्ति हुई महसूस हो रही थी. दीदी ने मुझे अपने पैरों से मुझे ज़ोर से अपनी तरफ जकड रखा था, और मैं अपने लंड को ऐसे उपर नीचे कर रहा था मानो हम सेक्स कर रहे हों, दीदी भी अपनी गान्ड उठा उठा के मेरा साथ दे रही थी. दीदी की जीभ को मैने अपने होंठों पर महसूस किया, और बस कुछ पलों में हम फ्रेंच किस कर रहे थे, अपनी जीभ को दूसरे की जीभ पर बिल्कुल मगन हो कर फिरा कर चूस रहे थे. 

बिल्कुल जन्नत की तरह महसूस हो रहा था, जब तक दोनो का क्लाइमॅक्स ठंडा पड़ता हम वैसे ही एक दूसरे को बाहों में लिए लेटे रहे. ये एक अजीब सी फीलिंग थी, जो कुछ हम दोनो ने अभी अभी किया था. मेरे दिमाग़ में बहुत कुछ चल रहा था, मेरी सग़ी बड़ी बेहन मेरे नीचे, मेरे वीर्य के पानी सनी हुई, नंगी लेटी हुई थी. दीदी को अपनी बाहों में लिए मुझे अब एहसास हुआ कि दीदी की साँसें और हार्ट बीट अब नॉर्मल हो चुकी हैं, तो मुझे किसी चीज़ का पछतावा नही हुआ. और जब दीदी ने मेरी तरफ घूम के मेरी गर्दन पर एक नाज़ुक सा किस किया, तो मुझे यकीन हो गया कि दीदी को भी इस बात का कोई पछतावा नही है.

हम एक दूसरे को अपनी बाहों में लिए ऐसे पूरी तरह नंगे ही लेटे रहे, पसीने से भीगे हुए और वीर्य के पानी से सने हुए. सुबह करीब 5 बजे दीदी उठी, और अपने सुंदर नग्न शरीर पर मेरा एक ब्लंकेट ओढ़ा, अपने कपड़े उठाए और चली गयी, पर जाने से पहले आधी नींद में एक प्यारा सा खुशी से भरा स्माइल दे गयी.

काले घने बाल जो लहरों में नीचे की तरफ आ रहे थे, मानो उगते हुए सूरज की रोशनी में समुंदर में लहरें अंगड़ायाँ ले रही हो.... आँखों में शरारत भरी चमक... कोमल गुलाबी होंठ... जो कि प्यार का रहस्या छुपाए हुए थे...

राज?

उसके हल्के से टच से मानो मेरे शरीर में बिजली का करेंट दौड़ गया...

राज !

मैं अपने ख्यालो में डूबे हुआ था, अपना नाम सुन के होश में आया और तान्या को मेरी तरफ खीजकर देखते हुए पाया.

तान्या: अब तुम्हारा टर्न है राज, आज तुम किस दुनिया में खोए हुए हो?

शरम को छुपाते हुए मुझे अहसास हुआ कि मैं दिन में फिर से आज भी दीदी के सपने देख रहा था, ये आज पहली बार नही हो रहा था. मैं होश में आकर खड़ा हुआ और तान्या के पास से ग़ुजरकर बोलिंग बॉल को रिटर्न से उठाने चल पड़ा. मेरा पहला शॉट बेकार गया. बॉल के रिटर्न होने का वेट करते मैने तान्या की तरफ देखा, वो मुझे घूर रही थी और उसकी आँखों में खुशी नही थी.


मेरे अगले शॉट में और भी कम पिन्स गिरी.

जैसे ही मैं बैठने के लिए लौटा, तो तान्या ने मुझे रोक लिया. तान्या ने पूछा, तुम्हारे साथ प्राब्लम क्या है राज? ऐसा लग रहा है जैसे तुम यहाँ होकर भी यहाँ नही हो.

मैं तुरंत बचाव की मुद्रा में आ गया, और बोला, तान्या, प्लीज़ थोड़ा चुप रहोगी प्लीज़, मैं ठीक हूँ.

शायद मैने ग़लत कहा था. मैने तान्या की आँखों पर परदा डालने की कोशिश की, लेकिन वो परदा अब दीवार को रूप ले रहा था. तान्या बोली, ओके ठीक है, और उठकर बोल करने चली गयी.

अगले आधे घंटे हम दोनो के बीच शांति छाइ रही. बोलिंग का खेल, मानो मस्ती ना होकर एक ऐसा काम हो गया था जिसे हम ज़बरदस्ती कर रहे थे. मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था.
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03-31-2019, 03:07 PM,
#62
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
हालाँकि आज तान्या एक दम सेक्सी मस्त माल लग रही थी, लेकिन उसने हम दोनो के बीच फिज़िकल ना होने की जो दीवार बना रखी थी – एक ऐसी दीवार जो मेरे और दीदी के बीच नही थी. मुझे ये दीवार बिल्कुल पसंद नही थी. मैं तान्या के साथ वो सब करना चाहता था जो मैं दीदी के साथ कर रहा था. ये नाराज़गी अब गुस्से और निराशा में तब्दील होती जा रही थी.

मैं जानता था, मैं ये सब होते हुए देख रहा था. मुझे मालूम था कि मैं ये सब नही चाहता था, जो कुछ भी हो रहा है. मैं उसको अपने आप से दूर कर रहा था.

फाइनली गेम ख़तम हुआ, हम ने शूस वापस किए और मैने पेमेंट कर दिया. तान्या मेरा इंतेजार किए बिना गेट से बाहर चली गयी. जैसे ही हम बाहर निकले, इस से पहले कि मैं कुछ बोलता और तान्या से माफी मागता, तान्या का मोबाइल बज उठा. तान्या एंट्रेन्स गेट के साइड में चली गयी और मैं उस के पास खड़ा हो गया, तान्या ने अपने छोटे से पर्स में से मोबाइल निकाला और बातें करने लगी.


तान्या ने उसको नमस्ते किया, जिस किसी ने भी कॉल किया था, तान्या के चेहरे का रंग एक दम उड़ गया, क्या? तान्या ने पूछा. एक पल को शांत होकर वो सुनती रही. कैसे.... मेरा मतलब है कब? तान्या की आँखों में आँसू आ गये. फोन को कान पर लगाए हुए ही, अपने दूसरे हाथ से अपने गालों पर लुढ़क रहे आँसू को पोन्छा. ओके.... ठीक है...मैं.... फिर मैं आपको कल कॉल करूँ? उसकी आवाज़ भर्रा गयी थी. बाइ.... नमस्ते.... तान्या ने कॉल काट दिया, और नज़रें उपर कर के सितारों और पार्किंग में जल रही पीली हलोजन लाइट्स को देखने लगी.

क्या हुआ तान्या? इस से पहले कि मैं ये बोल भी पाता, तान्या बीच में बोल पड़ी, मुझे जाना होगा, थॅंक्स फॉर टेकिंग मी आउट, तान्या ने बस इतना कहा और अपनी कार की तरफ चल दी. मैं वहाँ पर मूक बन के खड़ा रहा, और देखता रहा, तान्या ने कार स्टार्ट की, लाइट जलाई और ड्राइव कर के चली गयी.

जैसे ही मैने अपनी जेब में हाथ डाला, मुझे याद आया कि आज तो तान्या मुझे अपनी कार में लेकर आई थी.... मेरे पास तो कार थी ही नही.

मैने पूरे घटना क्रम को अपने दिमाग़ में दोहराया, फिर अपना मोबाइल निकाल कर दीदी को डाइयल किया. दीदी ने तीसरी घंटी पर फोन उठाया, उसको बड़ा हास्यास्पद लगा कि मैं बोलिंग अल्ले पर अकेला खड़ा हूँ. दीदी ने मेरी आवाज़ सुन के समझ गयी कि कुछ तो गड़बड़ है, और बोली तुम चिंता मत करो बस मैं कुछ देर में वहाँ पहुँचती हूँ.

मैं पार्किंग की छोटी सी बाउंड्री पर बैठ गया और जो कुछ उस शाम हुआ था उसके बारे में सोचने लगा. तान्या के प्रति अपनी फीलिंग्स के बारे में सोचने लगा – अच्छी भी और खराब भी. मैं समझ तो रहा था कि उस कॉल में क्या बात हुई होगी, लेकिन श्योर नही था. तान्या ने मुझे कुछ भी उस बारे में नही बताया था, इस का मतलब उसकी भावनाओं को मैने बहुत ठेस पहुँचाई थी.

मैं जब इस आत्म चिंतन में डूबा हुआ था, तभी पार्किंग की बाउंड्री के पास जहाँ मैं बैठा था तेज स्पीड में, एक कार आकर रुकी, मैं एकदम ठिठक गया. दीदी मुझे घबराया हुआ देख के कार की विंडो में से ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी.

अच्छा सॉरी राज, अब अंदर आ जाओ, मेरे लिए दीदी ने कार का गेट खोला और मैं कार के अंदर बैठ गया. क्या हुआ भाई? वो तुमको यहाँ अकेला क्यों छोड़ गयी?

दीदी ने कार बॅक की, फिर पार्किंग से बाहर निकाल के सड़क पर ले आई.

राज: उसके मोबाइल पर किसी जान पहचान वाले का कॉल आया था, उनकी बातों से ऐसा लगा कि शायद किसी का आक्सिडेंट हो गया है या ऐसा ही कुछ. मुझे लगता है कि शायद वो भूल गयी कि हम दोनो आज एक ही कार में आए थे.

कुछ देर की शांति के बाद दीदी ने मेरी तरफ नज़र फिराई और पूछा, उः..हा... और क्या हुआ? मैने दीदी की तरफ देखा. दीदी आगे बोली, मुझे लगता है कुछ और भी हुआ है. 

मैने अपने लिप्स को एक दूसरे के दातों के नीचे दबाते हुए कहा, शायद मैं उसको इग्नोर कर रहा था.
दीदी एक पल खामोश रहने के बाद बोली, तुमको पता है तुमने ऐसा क्यों किया? मुझे लगता था कि तुम उसको वाकई में बहुत प्यार करते हो.

मैं अब भी करता हूँ दीदी ! पर पता नही क्यों. मुझे लगता है वो अब भी मुझसे दूरी बना के रखना चाहती है. मैं उस से करीब आकर प्यार करने की उम्मीद नही रखता. लेकिन मेरे को ये बात समझ नही आती कि वो मुझको अपने करीब समझती है या नही, उस तरह से जैसा हम एक दूसरे के साथ करते हैं.


थोड़ी देर के लिए फिर से खामोशी छा गयी.

राज.... मैं ये पूछना तो नही चाहती, लेकिन क्या तुम दिन में भी ये ही सपने देख रहे थे कि हम आज रात क्या करने वाले हैं? कहीं इस वजह से तो तुम उसको इग्नोर नही कर रहे थे?

मैने झिझकते हुए कहा, हां दीदी...

दीदी ने तुरंत कार को सड़क के साइड में रोक लिया, मैं एक पल को चौंक गया- बहुत सारी गाड़ियाँ हम को पास कर के जा रही थी, दीदी ने पार्किंग लाइट्स ऑन कर दी.

दीदी: राज, सच सच बताओ, तुम उसको प्यार करते हो या नही?

यह कोई बहुत कठिन सवाल नही था, मैं तुरंत बोला, हां दीदी, करता हूँ....

कुछ बोलने से पहले डॉली दीदी ने मेरी तरफ देखा, तो फिर तुमको होश में रहना चाहिए, आई समझ में, ओके? तुमने पहले मुझे बताया था कि वो जल्दी से किसी पर विश्वास नही कर पाती. वो उस हादसे से अभी पूरी तरह उबर नही पाई है, और तुमने आज उसके दिल पर गहरी चोट पहुँचाई है. 

दीदी जिस तरह से ज़ोर ज़ोर से मुझसे बोल रही थी, वो मेरे लिए चौंकाने वाला था. जिस ईमानदारी से दीदी ने ये सब कहा था, वो मुझे बुरा लगना चाहिए था, लेकिन मैं दीदी के तान्या के प्रति दया भाव को समझ पा रहा था. 

तो मुझे क्या करना चाहिए? मेरा मतलब, उसने फोन पर बात की और बस बाइ बाइ कर के चली गयी... कितनी बेवकूफी की बात है...

तान्या रहती कहाँ है? दीदी ने पूछा. इस से पहले कि मैं कुछ बताता दीदी ने कार सड़क पर चलानी शुरू कर दी थी.

दीदी: मैं नही चाहती की जो कुछ हम दोनो कर रहे हैं उस की वजह से तुम्हारे और तान्या के बीच कोई गड़बड़ हो. ओके? आया समझ में? मैं सीरियस्ली कह रही हूँ. मैं तुम्हारी बेहन हूँ राज, और हम दोनो प्यार नही कर सकते, ओके? तान्या तुमको उतना नही समझती जितना मैं तुमको समझती हूँ. वो तुम्हारे साथ इतना जल्दी नही खुलेगी, जितना जल्दी तुम चाहते हो.

कुछ दूर जहाँ तान्या के अपार्टमेंट की बिल्डिंग थी, उस मेन सड़क पर दीदी ने कार को मोड़ दिया.

राज: तो मुझे क्या करना चाहिए? अगर इन केस आज हमारी बातचीत होती है, तो उसको बीच में रोक कर, अपनी रिलेशन्षिप के बारे में बात करने को, मैं तो उस से नही कह पाउन्गा. 

दीदी ने एक गहरी साँस ली, और बोली, नही तुम अपनी रिलेशन्षिप के बारे में कोई बात मत करना. लड़कियाँ चाहती हैं कि तुम उनका पीछा करो, उनको बाकी लोगों के गंदी नज़रों से बचाओ. हम लड़कियाँ उम्मीद करती हैं कि जब ज़रूरत हो तब तुम हम को प्रोटेक्ट करोगे. आज रात तुम उसको ज़रूरत से ज़्यादा भाव दो, जिस से उसको लगे कि तुम उसके लिए किसी से भी लड़ने को तय्यार हो.


मैं दीदी को सवाल भरी नज़र से देखने लगा.

दीदी ने मुझे ऐसे देख के पहचान लिया, दीदी के होंठों पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी. दीदी बोली, ओके, जब तुमने कॉल किया था, तब मैं एक रोमॅंटिक नॉवेल पढ़ रही थी. रूको, सच्ची मैं सही कह रही हूँ. आज तान्या के साथ ऐसी बेवकूफी भरी कोई हरकत मत करना, नही तो मैं तुमसे कभी बात नही करूँगी, ऐसा कहकर दीदी मुस्कुरा दी.


हम तान्या के अपार्टमेंट्स पर पहुँच चुके थे, दीदी ने पार्किंग में कार को पार्क कर दिया. एक लंबी साँस लेते हुए मैने कार का दरवाजा खोला, और कार से बाहर निकल आया. एक लास्ट बार दीदी की तरफ एक नज़र घुमाई, दीदी मेरे को एनकरेज करने के लिए मुस्कुरा दी, मैने अपना मोबाइल जेब से निकाला और तान्या का नंबर डाइयल करने लगा.

दो बार कॉल करने के बाद तान्या ने मेरा कॉल रिसीव किया. उसकी आवाज़ से पता चल रहा था कि वो बहुत थकि हुई है, लेकिन उसकी आवाज़ में थोड़ा सा माफी माँगने वाला अंदाज था, उसने छूटते ही कहा, आइ’म सॉरी, मैं भूल गयी थी कि आज हम दोनो एक ही कार से गये थे.

मेरे दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी. मैने कहा, हे, इट’स ओके, तान्या. मुझे मालूम है आज मैने बहुत बेवकूफी भरी हरकतें की, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.

दूसरी तरफ से कोई जवाब नही आया. दीदी कार में बैठी हुई सब देख रही थी.

तान्या (कुछ पल के बाद) : हां, तुम आज ना जाने कैसी हरकतें कर रहे थे, पर चलो ठीक है कम से कम तुमको रीयलाइज़ तो हुआ.


राज: हां सीरियस्ली, आइ’म वेरी सॉरी. मैं... बाहर... मतलब तुम्हारे अपार्टमेंट के बाहर ही खड़ा हूँ. किसी से लिफ्ट माँग के यहाँ तक आया हूँ. मुझे मालूम है वो जो कॉल आया था वो इंपॉर्टेंट था और उस से तुम परेशान हो. मैं इसी वजह से यहाँ आया हूँ. मुझे मालूम है कि तुम मुझसे अभी नाराज़ हो, और ये सही भी है, मैं सब कुछ मानने को तय्यार हूँ, मैं तुम्हारे पास आना चाहता हूँ.
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03-31-2019, 03:07 PM,
#63
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
तान्या (फिर से थोड़ी खामोशी के बाद): तुम यहाँ हो? 

"म्म ह्म."

तान्या ने गहरी साँस लेते हुए कहा, मैं किसी से नही मिलना चाहती.

मैने तान्या पर ज़्यादा ज़ोर नही डालना चाहता था, लेकिन...., मैं किसी तरह आगे बोला, तान्या मैं तुम्हारी वाकई में बहुत केर करता हूँ, सच कह रहा हूँ. मुझे नही पता कि क्या हुआ है, लेकिन एक बात पक्की है कि अगर तुम परेशान हो, तो मैं भी तुम्हारे साथ उतना ही परेशान हूँ.

तान्या ने कुछ भी बोलने से पहले करीब एक मिनिट तक इंतेजार किया. और जब बोली, तो मेरे दिल की धड़कन मानो बंद हो गयी.

तान्या: मैं.... मुझे लगता है मुझे तुम्हारी इस समय ज़रूरत है. मैं अभी तुम से मिलने नीचे आती हूँ.

मेरे को विश्वास ही नही हुआ, बस उसको सुनता ही रह गया. मैने दीदी की तरफ थंब-अप का इशारा किया, दीदी मुस्कुरा दी, और पार्किंग में से अपनी गाड़ी निकाल के ड्राइव कर के चली गयी. कुछ देर बाद तान्या की परछाई एंट्री वाले रास्ते में लगे शीशे पर, जिस पर धूल जमी हुई थी, दिखाई दी. थोड़ा सा दरवाजा खुलने पर वो ठीक से दिखाई दी, तान्या की आँखें सूजी हुई थी और लाल हो रही थी, बाल बिखरे हुए थे, और उसने बॉक्सर्स और टी-शर्ट पहन रखे थे.

आज से पहले वो इतनी खूबसूरत मुझे पहले कभी नही लगी थी.

मैं आगे बढ़कर उसके पास गया, उसकी परेशानी से भरी आँखों में देखा, और हम दोनो ने एक दूसरे को अपनी बाहों में ले लिया. थोड़ी ही देर में उसकी आँखों से निकलते आँसू ने मेरी टी-शर्ट को कंधे पर गीला कर दिया. कुछ पल के बाद, वो मुझे अपने साथ उपर अपने अपार्टमेंट में ले गयी. डोर के पास बुद्धा की बड़ी सी मूर्ति रखी थी, वो मुझे अपने साथ अंदर ले गयी. उसने बताया कि उसके मम्मी और पापा पिछले दो दिनों से गाँव गये हुए हैं क्योंकि तान्या के दादाजी की तबीयत कुछ दिनों से खराब चल रही थी. 

उस रात होने को कुछ नही हुआ, लेकिन बहुत कुछ बदल गया. हम दोनो सोफे के उपर घंटों बैठे रहे, तान्या ने एक हल्का सा गरम चादर ओढ़ रखा था, उसने मुझे बताया कि उसके दादाजी की आज डेत हो गयी है, और वो अपने दादू से कितना प्यार करती थी. वो अपने दादू के साथ बीते हुए पलों की कहानियाँ मुझे सुबह होने तक सुनाती रही, कुछ मज़ाक भरी और कुछ दर्द भरी. जब वो रोती तो मैं उस को संभाल लेता, उसकी पीठ पर हाथ फिराता और उसको संभालने के लिए एनकरेज करता, जो कुछ मैं कर सकता था, वो बेस्ट करने की कोशिश कर रहा था.

नींद के आगोश में जाने से पहले, तान्या ने मेरी आँखों में देखा, और फुसफुसाई, आइ लव यू, थॅंक यू. और अपने काँपते हुए होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया, और इतना जोरदार किस किया, जिसकी मैने कल्पना भी नही की थी. उसके बाद तान्या ने एक गहरी साँस ली, और मुझसे चिपक कर सो गयी.

मेरी नींद पहले खुल गयी, मुझे तुरंत कुछ अलग सा एहसास हुआ, फिर मुझे याद आया कि मैं कहाँ पर हूँ. तान्या अब भी सिंकूड कर मेरे से चिपकी हुई लेटी हुई थी, सोते हुए उसके होंठ खुले हुए थे. मैने धीरे से अपने हाथ उठा के अपनी आँखें मसली और फिर सोफे पर सहारा लेकर बैठ गया, और चारों तरफ देखने लगा.

कल रात बातें करते हुए, मैने तान्या से एक पल को भी नज़र नही हटाई थी, और मैने उसका अपार्टमेंट का कोई समान नही देखा था. एक लड़की को अपनी गोद में लेटा हुआ पाकर मुझे विश्वास नही हो रहा था, एक ऐसी लड़की जिसको एंजिन्स पर वर्क करना अच्छा लगता था, ड्रॅगनफ्लीस और बटरफ्लाइस ( टिड्डे और तितलियाँ) उसको बेहद पसंद थी. शो केस में रखे इनके लोहे के तार, ग्लास ऑर क्ले स्कल्प्चर्स जो फ्रेम किए हुए थे, और शोकेस को सज़ा रहे थे, इस चीज़ का गवाह थे. जो कंबल हम ने ओढ़ रखा था उस पर भी बटरफ्लाइस बनी हुई थी.

तभी मुझे एहसास हुआ कि तान्या की एअर रिंग्स भी छोटे छोटे ड्रॅगनफ्लीस की बनी हुई हैं. मुझे लगा कि मैं कितना बेवकूफ़ हूँ कि मैने अभी तक इस चीज़ पर गौर ही नही किया. 

एक खिड़की से सूरज की किरणों से रोशनी आ रही थी, मैं रूम में रखी बाकी चीज़ों को निहारने लगा, आर्टिफिशियल प्लॅंट्स ऐसे थे, कि यकीन ही ना हो कि ये नकली हैं. मैने दीवार पर टॅंगी किसी पुरुष के चेहरे की फोटो को देखा, पूरे कमरे में बस यह ही एक फोटो थी, मैने अनुमान लगाया जहाँ तक हो ये तान्या के दादाजी की ही होगी.

करीब आधे घंटे बाद, तान्या थोड़ा हिली और फिर अपनी आँखें मसल्ने लगी. उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रख दिया, और एक गहरी साँस लेकर, मुस्कुराइ, उसकी आँखें अभी भी आधी बंद थी. तान्या ने एक छोटी सी जमहाई ली और फिर अंगड़ाई ली, फिर अपना चेहरा उठा कर मेरी तरफ देखा. मैं उस को देख के मुस्कुरा दिया, और तान्या के माथे पर आई बालों की एक लट को देखने लगा, उस लट को हटाने का तान्या ने कोई प्रयास नही किया, बस मेरे को देख के स्माइल करती रही.

मेरे साथ कल रात में स्टे करने के लिए थॅंक्स, तान्या ने खराश भरी आवाज़ से कहा.

राज: माइ प्लेषर. थॅंक यू फॉर लेट्टिंग मी स्टे.

तान्या फिर से मुस्कुराइ और मेरे सीने पर अपना सिर रख दिया.

तान्या: राज, तुम ऐसे पहले व्यक्ति हो जो मेरे अपार्टमेंट में पूरी रात रुका हो.

मैने तान्या के बालों में उंगली फिराते हुए कहा, आइ’म सॉरी लेकिन सिचुयेशन ही कुछ ऐसी थी 

तान्या ने खिड़की की तरफ और फोटो की तरफ देखते हुए कहा, हां... मैं समझ सकती हूँ. उसने एक गहरी साँस ली और बोली हां शायद ये मेरी ज़रूरत थी....

कुछ देर बाद हम दोनो उठ के खड़े हो गये. तान्या ने मेरे पास आकर मुझे एक जोरदार झप्पी दी, और फिर मुझे अपनी तरफ खींचते हुए एक गरम किस करते हुए मुझे जकड लिया. मैने तान्या के कंधों को अपनी बाहों में जकड रखा था, और ऐसा लग रहा था मानो तान्या पिघलती जा रही हो.


तान्या ने मुझे बताया कि बाथरूम किधर है, मैं फ्रेश होकर अपने फेस को वॉश किया, और अपने बालों को थोड़ा गीला कर के उनको जितना हो सके स्टाइलिश बनाने का प्रयास किया. जब मैं बाथरूम से बाहर निकला तो लिविंग एरिया में कोई नही था, मैं अंदाज़े से बेडरूम की तरफ चल दिया.

दरवाजा आधा खुला हुआ था, मैने सोचा कि तान्या शायद अंदर है, मैं रूम के अंदर घुस गया... और फिर ठिठक गया. तान्या मुझे दिखाई दे रही थी, उसका मूँह दूसरी तरफ था, वो अपने बालों का पोनीटेल बनाने में बिज़ी थी, तान्या ने इस वक़्त सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी. मैं चुपचाप खड़े होकर बस तान्या के बालों को उसके नंगे कंधों पर आगे पीछे होते देखता रहा, तान्या की मस्त पीठ , घुमावदार कमर, उसके गोरे गोरे नग्न टाँगें... किसी ने सही कहा है... औरत का शरीर एक जन्नत की तस्वीर है, ये बात एक पुरुष ही समझ सकता है, तान्या को इस रूप में देख के मुझे ऐसा ही लगा. वो मेरी दीदी जैसी दुबली तो नही थी लेकिन उसका माँस सही जगह पर, सही मात्रा में था, वो एक मूरत जैसी लग रही थी, सुंदर कुवर्व्स और लाइन्स... तान्या के शरीर में जो बात थी वो शायद आज तक मैने किसी और लड़की में महसूस नही की थी.
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03-31-2019, 03:08 PM,
#64
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
बहुत देर बाद मुझे एहसास हुआ कि मुझे इस तरह बिना उसकी पर्मिशन के उसे घूर्ना नही चाहिए, मैं फिर से पलट के बाथरूम में चला गया. मैने ठंडे पानी का नल खोल के अपने चेहरे पर कुछ छींटे मारे. कुछ देर बाद तान्या डोरवे में आ गयी, और स्माइल करने लगी... मैं उसे बाथरूम में घुसने देने के लिए साइड में हो गया.

उस सुबह हम दोनो ने कुछ और बातें की, और तान्या ने मुझे कॉलेज तक कार से ड्रॉप करने का ऑफर किया. तान्या के मोबाइल पर उसके बहुत सारे फॅमिली मेंबर्ज़ के कॉल आ रहे थे, मैने वहाँ से निकलने में ही अपनी भलाई समझी. हालाँकि, तान्या की आँखें मुझे जो शुक्रिया कह रही थी, उसके लिए मैं दीदी की सही सलाह का आभारी था. तान्या को ये बात समझ में आना बहुत ज़रूरी था कि वो मैं ही हूँ जो उसकी हिफ़ाज़त कर सकता हूँ और उसे जब ज़रूरत हो मैं उसको प्रोटेक्ट करने के लिए हमेशा तय्यार हूँ. 

मेरी कॉलेज की कार पार्किंग तक ड्रॉप करने तक की ड्राइव में तान्या पूरी तरह खामोश रही, लेकिन ये बहुत ही अंतरंग और ऐसे खामोशी थी जो हम दोनो समझ रहे थे. शब्दों में बयान करने के लिए उन पलों में कुछ नही बचा था. मैने ड्राइव कर रही तान्या का बाँया हाथ पकड़ा, और उसने मेरा... हम दोनो ने एक दूसरे के हाथ को दबा दिया...

कार से निकलने से पहले तान्या ने मुझे अब तक की तीसरी किस दी... ये किस अब तक की सबसे ज़्यादा लंबी और गहरी थी... पहली दोनो किस्सस से कहीं ज़्यादा बेहतर और सच्ची...

जब मैं अपने घर पहुँचा, दीदी मेरे से मिलने को इतना ज़्यादा आतुर थी कि इस से पहले की मम्मी पापा को मालूम चले कि मैं आ गया हूँ, वो दरवाजे से ही खींच कर मुझे अपने बेड रूम में ले गयी.

दीदी ने डोर को बंद करते हुए और बेड पर बैठते हुए पूछा, तो फिर कैसा रहा?

मैं दीदी को वो सब बताने लगा जो कुछ तान्या ने मुझे बताया था- लेकिन ज़्यादा विस्तार में नही. दीदी भी ज़्यादा डीटेल में जानने को उत्सुक नही थी, दीदी समझ गयी कि जो कुछ हमारे बीच बातें हुई थी वो तान्या के लिए प्राइवेट थी. लेकिन वो मेरे पूरी रात के स्टे के बारे में जानने को उत्सुक थी, ख़ास तौर पर हमने कैसे कब और कितना लंबा किस किया. दीदी हमारे किस का डिस्क्रिप्षन सुन के थोड़ा नर्वस हुई, लेकिन वो बहुत खुश थी. 

दीदी (थोड़ा असुरक्षित होते हुए): शायद मुझे ऐसा नही पूछना चाहिए... लेकिन क्या उस को किस करते समय तुम को वैसा ही फील हुआ.... जैसा मेरे को किस करते समय फील होता है?

मैने कुटिल मुस्कान के साथ दीदी की तरफ हाथ बढ़ाया, दीदी जब मैं आपको किस करता हूँ तो मैं बयान नही कर सकता, जो फीलिंग होती है उसको शब्दों में नही कहा जा सकता... वो बस बहुत ....

दीदी के चेहरे पर एक स्वीट स्माइल फैल गयी. दीदी बोली, मुझे मालूम है, मुझे ऐसे कंपेर करने के लिए नही कहना चाहिए, आइ’म सॉरी. 

मैने फिर से कुटिल मुस्कान के साथ कहा, दीदी आपकी अड्वाइस बिल्कुल पर्फेक्ट थी. थॅंक यू, मुझे अपनी बेवकूफी भरी हरकतों से बाहर निकालने के लिए.


दीदी ने खिलखिल्लाते हुए कहा, और बड़ी बेहन किस काम आएगी?

मैं दीदी के रूम से निकल के अपने रूम में आ गया, मैने अपने धुले हुए कपड़े लिए और नहाने के लिए बाथरूम की तरफ चल दिया. रास्ते में पापा ने मुझे पकड़ लिया और मुझे चिढ़ाते हुए पूछा, कल रात किस दोस्त के यहाँ थे जनाब? डॉली बता रही थी किसी दोस्त के यहाँ कंबाइंड स्टडीस कर रहे हो. अगली बार से उस दोस्त का नाम और मोबाइल नंबर जाने से पहले बताने का ध्यान रखना. पापा ने बताया कि वो आज मम्मी के साथ खन्ना अंकल के गाओं जा रहे हैं, जहाँ उनके पिताजी रहते थे और वो कल एक्सपाइर हो गये हैं. हालाँकि ये मुझे पहले से पता था. 

मैने बाथरूम में जाकर अपने धुले हुए कपड़ों को खूँटि पर टांगा, और फिर शवर चला के नहाने लगा, गुनगुने पानी से शरीर को बहुत आराम मिल रहा था, सारी थकान और टेन्षन दूर हो रही थी. मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और पानी जो मेरे चेहरे पर गिर रहा था, वो अपने साथ मेरी सारे विचारों और दुविधाओं को अपने साथ बहा के ले जा रहा था. 

मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी, मैने पानी के नीचे से अपना चेहरा हटाया और फिर सुनने लगा. मैने इग्नोर करते ऊए सोचा शायद टवल या कुछ और गिर गया होगा. जैसे ही मैने अपना चेहरा फिर से पानी के नीचे किया, मुझे फिर से एहसास हुआ कि बाथरूम में मेरे अलावा भी कोई और है.

मुझे विश्वास नही हुआ. मैं थोड़ा रिलॅक्स होना शुरू ही हुआ हा, और अब फिर से मेरे दिमाग़ में हज़ारों सवाल घूमने लगे. अपने दिमाग़ में चल रहे सवालों का जवाब ढूँढने के लिए मैने शवर बंद किया, और घूम के देखा, वहाँ बाथरूम के डोर के पास दीदी खड़ी हुई थी, और वहीं अपनी पॅंट उतारते हुए थोड़ा झुकी हुई थी. दीदी ने मेरी तरफ कातिल मुस्कान के साथ देखा. 

तुमने मुझे सुना नही था क्या? मैं दीदी को कुछ जवाब देने की स्तिथि में नही था, फिर दीदी ने अपनी पॅंट उतारी और फिर पैंटी, फिर अपनी टी-शर्ट को गले में से निकाला और ब्रा का हुक खोल दिया, मैं दीदी को अपना मूँह खोले देखे जा रहा था. दीदी ने मेरे पास आकर पूछा, मैं भी तुम्हारे साथ में ही नहा लूँ?

मैं तुरंत शवर के नीचे से साइड में हो गया, और दीदी को शवर के नीचा आने के लिए जगह बना दी. दीदी गजब की लग रही थी- एक दम नंगी, उनके निपल एक दम हार्ड थे, और हिप्स के उपर पैंटी के एलास्टिक की एक लाल धारी बनी हुई थी. अपने बालों का पोनीटेल बनाते हुए दीदी ने मुझे देख के स्माइल किया. 

दीदी, आप क्या.... मेरा मतलब..., मैं कुछ बोलने की कोशिश करने लगा, और अपने सर्प्राइज़ और कन्फ्यूषन को व्यक्त करने के लिए शब्दों को ढूँढने लगा.

कुटिल मुस्कान के साथ दीदी फुसफुसाई, धीरे बोलो मम्मी पापा सुन ना लें! अभी वो गये नही हैं. दीदी मेरे पास आई, मैं कुछ और पीछे हो गया जिस से दीदी पूरी शवर के नीचे आ जाएँ... ये सब बहुत अजीब लग रहा था. दीदी आगे बोली, मैने सोचा क्यों ना कल रात की कामयाबी के लिए तुम्हे सर्प्राइज़ दिया जाए. 

मैं धीरे से बोला, सब कुछ आप की हेल्प की वजह से ही संभव हो पाया, दीदी. दीदी मेरे और करीब आ गयी, मैने थोड़ी जगह तो दी, लेकिन जान बूझ कर दीदी के पास में ही रहा.
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03-31-2019, 03:08 PM,
#65
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी नीचे देख रही थी. मैने पहले इस पर ध्यान नही दिया, लेकिन दीदी मेरे लंड की तरफ देख रही थी, जो पूरा खड़ा होकर दीदी की तरफ पॉइंट कर रहा था. दीदी ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा, मुझे लगा कि तुम बहुत दिनों से अपने पर काबू रखे हुए हो, और सोचा क्यों ना तुम्हारी थोड़ी हेल्प कर दी जाए. लगता तो ऐसा है, जैसे तुम भी मुझे एक्सपेक्ट कर रहे थे. दीदी ने मेरे बॉडीवाश की बॉटल को अपने हाथ में ले लिया, और हंसते हुआ पूछा, साबुन लगाऊं तुम को?

मैने अपनी आँखें बंद कर ली और हल्की से सिसकी लेते हुआ कहा, दीदी आप मज़ाक तो नही कर रही ना?

फिर से हंसते हुए दीदी ने बॉटल में से थोड़े सा साबुन की ड्रॉप अपने दोनो हाथों के बीच लेकर उसको घिस घिस के झाग बनाने लगी. 

दीदी: साची बोलूं तो मैं यहाँ आई ही इसलिए थी क्योंकि मुझे लगा तुम्हे किसी चीज़ की ज़रूरत है. थोड़ा झिझकते हुए दीदी ने मेरी तरफ देखा, और मेरी आँखों में आँखें डाल दी. फिर साबुन की बॉटल को नीचे रख दिया, और मुझे पीछे घूमने का इशारा किया.

ये बहुत विचित्र और पागलों जैसा लग रहा था, दीदी मेरी गर्दन और कंधों पर हाथ में आए साबुन को लगा रही थी. एक हाथ से मेरे एक कंधे को पकड़कर दूसरे हाथ से मेरे दूसरे कंधे पर साबुन मल रही थी. ऐसा मेरे होश में पहली बार हो रहा था कि कोई दूसरा मेरे को नहलाए, और वो भी कोई अंजान नही, बल्कि मेरी सग़ी बड़ी बेहन. लेकिन दीदी अच्छे से साबुन लगा रही थी. मैं सीधा खड़ा हुआ था, पानी मेरी छाती पर गिर रहा था, दीदी धीरे लेकिन रगड़ रगड़ के मेरी पीठ पर साबुन मल रही थी, दीदी का हाथ अब मेरी गान्ड की गोलाईयों पर से होता हुआ मेरे जांघों पर पहुँच गया था. 

दीदी: अच्छा, अब घूम जाओ

हालाँकि मैने सुन लिया था, लेकिन मानो मेरे शरीर पेरलाइज़ हो गया था. जब मुझे होश आया तब तक घूम चुका था, मुझे कुछ याद नही, कब और कैसे. मेरी पीठ पर पानी गिर रहा था, और साबुन के झाग को धो रहा था, दीदी मेरे सामने नंगी खड़ी थी, दीदी के हाथों पर भी साबुन के झाग लगे हुए थे. दीदी मेरे और पास आई, कुछ ज़्यादा ही पास आ गयी. मैने थोड़ा बॉडीवाश अपने हाथ में लिया और अपनी गर्दन और कंधों पर मल के झाग बनाने लगा, गिरते हुए साबुन के झागों को दीदी मेरी छाती के साइड में और पेट पर मलने लगी.

फिर दीदी मेरे सामने घुटनों पर बैठ गयी.

दीदी ने थोड़ा बॉडीवाश की ड्रॉप हाथ में ली और मेरी जांघों और टट्टों पर मलने लगी, फिर अपने हाथ को दोनो टाँगों के बीच से पीछे की तरफ ले गयी और मेरी गान्ड पर साबुन भरा हाथ फिराने लगी. दीदी ने अपने फ्री लेफ्ट हॅंड को मेरी जाँघ पर रख दिया, और दूसरे राइट हॅंड को दोनो टाँगों के बीच घुसा रखा था, दीदी का चेहरा मेरे खड़े लंड से बस कुछ इंच की दूरी पर था. दीदी अपना हाथ अंदर की तरफ ले गयी, फिर मेरी जांघों के अन्द्रुनि तरफ और फिर उपर करते हुए दीदी ने मेरी बॉल्स को अपने हाथ में हल्के से पकड़ लिया. हल्के से दीदी ने लटक रही टट्टों की थैली को अपनी साबुन से चिकनी हुई उंगलियों से सहलाया, और फिर मेरे फूँकार मार रहे लंड की तरफ देखा, दीदी की इन हरकतों से लंड और ज़्यादा उग्र रूप ले चुका था. दूसरा हाथ भी दीदी मेरे लंड की तरफ ले आई. और फिर यकायक, हल्की सी सिसकी भरते हुए दीदी ने अपना मूँह खोला, अपनी आँखें बंद की, और अपने धधकते हुए होंठों के बीच मेरे नंगे लंड को भर लिया.

दीदी अपने मूँह में मेरे लंड को अंदर ले जाते हुए, अपनी जीभ मेरे सुपाडे पर घिस रही थी.

मेरे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर ले जाते हुए दीदी के होंठ मेरे लंड के बींचो बीच थम गये.

दीदी अब भी मेरे गोलियों से अपने साबुन से चिकने हाथों के साथ खेल रही थी, और मेरे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मूँह में ले जाने का प्रयास कर रही थी, जब तक की मेरा लंड दीदी के टॉन्सिल्स को छूने ना लगा.

शवर से निकलता पानी मेरी पीठ के उपर से बह रहा था, दीदी मेरे सामने बैठकर मेरे लंड को अपने मूँह में ज़्यादा से ज़्यादा अंदर ले जाने का प्रयत्न कर रही थी. साबुन की खुश्बू हवा में थी, और दीदी के पानी से भीगे हुए बाल दीदी की पीठ में लटो का रूप लेकर चिपके हुए थे. मेरे लंड की पूरी लंबाई तक, दीदी अपनी जीभ से मेरे लंड को चाट के, उसका स्वाद ले चुकी थी. अपने होंठों को थोड़ा पीछे करते हुए मेरे लंड को सुपाडे को अपनी जीभ के उपर लाते हुए दीदी उसको ऐसे चूसने लगी जैसे किसी लॉलीपोप को चूस रही हो. मेरे मूँह से गुर्राने की आवाज़ निकलने लगी, दीदी ने अपना चेहरा उठा के मेरी तरफ देखा, और फिर मेरी आँखों के सामने मेरे पूरे लंड को जड़ तक अपने मूँह के अंदर ले गयी.

ये सब मेरे लिए ज़रूरत से ज़्यादा था. मैं अब बहुत मज़े कर चुका था. मैने अपना लंड दीदी के मूँह में से निकाला और दीदी को उपर खींच के, अपने से चिपका के दीदी को जोरदार किस करने लगा. दीदी ने मेरी इस चिपकने का बराबर जवाब दिया, और मुझे दीदी को दीवार पर सटा का पूरा मौका दिया. मैं दीदी को दीवार से सटा के, उसके पूरे शरीर के हर भाग पर, जहाँ मेरा मन करे, हाथ फिराने लगा. मैं दीदी को भूखे शेर की तरह किस करते हुए दीदी की पानी से भीगी चूंचियों को अपने हाथों से दबाने लगा, और दोनो चूंचियों को आटे की तरह गूँथने लगा. मैं दीदी के ज़ोर ज़ोर से साँस लेने के कारण पंसलियों को फूलते और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर होते देख रहा था. मैने अपना एक हाथ नीचे लेजाकर दीदी के एक हिप्स को अपनी हथेली में भर के मसलना शुरू कर दिया, मैं हिप्स की गोलाईयों को ज़्यादा से ज़्यादा अपनी हथेली में भरने का प्रयास करने लगा. दीदी ने अपने हाथों से मेरी पीठ को जकड लिया, और अपने और ज़्यादा जितना करीब हो सके कर लिया, दीदी महसूस कर रही थी कि मेरा हाथ अब उसकी गान्ड की गोलाईयों से फिसल कर आगे आते हुए, झान्टो के ट्राइंगल पर होते हुए अब दीदी की चूत की तरफ बढ़ चुका है. मैं झान्टो की लकीर के साथ साथ अपने हाथ को दीदी की दोनो टाँगों के बीच आगे बढ़ाने लगा, आगे स्किन सॉफ्ट और थोड़ी गीली थी. मैने अपनी उंगलियाँ दीदी की स्वागत कर रही चूत के अंदर घुसा दी, और एक उंगली को हल्का सा मोड़ के चूत के दाने को सहलाने लगा, दीदी ज़ोर ज़ोर से साँसें लेने लगी, और उपर नीचे होते हुए मुझे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगी. मेरा लंड दीदी के पेट के उपर दस्तक मार रहा था. और मैं दीदी की दोनो टाँगों के बीच, दीदी की चूत में ज़्यादा से ज़्यादा अपनी उंगलियों से आग लगाकर, जान बूझ कर अपने लंड को दीदी के पेट के उपर घिस रहा था. 
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03-31-2019, 03:08 PM,
#66
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी अब होश खोती जा रही थी, ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी, और अपनी चूत पर मेरी उंगली की हर हरकत पर मचल उठती. मैने दीदी को ज़ोर से पकड़ा और गर्दन पर किस करने लगा. दीदी ने अपने हाथ से मेरे सिर को कस के पकड़ लिया, और मचलते हुए मेरे बालों और गर्दन पर हाथ फिराने लगी. तभी दीदी का शरीर अकड़ने लगा, दीदी ने अपने उंगलियों के नाख़ून मेरी पीठ और गर्दन में गढ़ाने शुरू कर दिए. दीदी के मूँह से हल्की हल्की आवाज़ें निकलने लगी, फिर ज़ोर से कराहने की आवाज़, दीदी के पैर इस कदर काँपने लगे, यदि मैने संभाला हुआ ना होता तो शायद वो गिर ही जाती. दीदी की गान्ड अपने आप आगे पीछे होने लगी, दीदी ने अपना सिर मेरी गर्दन में घुसा दिया और फिर अह्ह्ह्ह.... की आवाज़ आई. मेरी उंगलियों अब भी दीदी की चूत के साथ अठखेलिया कर रही थी. दीदी का शरीर एक बार फिर से अकड़ गया, और दीदी कयि बार झड गयी. दीदी ने ढेर सारे ओर्गम एक साथ फील किए.

ऐसा लग रहा था मानो दीदी के नाख़ून मेरी स्किन में छेद कर देंगे. दीदी अब थोड़ा शांत हो रही थी, वो अब भी थोड़ा काँप रही थी, लेकिन पहले से कम. मैने जल्दी से संभाल के दीदी के उपर से अपने हाथ हटाए और दीदी को फिर से घुटनों पर बैठा दिया, दीदी ऐसा करने के लिए तुरंत मान गयी. पानी अभी भी मेरी पीठ पर बह रहा था, मैं अपने लंड को दीदी के चेहरे की तरफ पॉइंट कर के मूठ मारने लगा, दूसरे हाथ से मैं दीदी के सिर को पकड़े था. दीदी अब भी तेज तेज साँसें ले रही थी, लेकिन उसकी नज़रें मेरे लंड पर थी, जिसको मैं दीदी के चेहरे के बिल्कुल सामने हिला के, आगे पीछे कर के मूठ मार रहा था.

मुझे लगा अब मैं भी झड़ने वाला हूँ, मैने बिना रोके सारी धार को दीदी के इंतेजार कर रहे चेहरे पर गिरने दिया. पहली पिचकारी दीदी के गाल और होंठों पर गिरी, दीदी ने सर्प्राइज़ होकर तुरंत अपनी आँखों को बंद कर लिया, फिर थोड़ा आगे आकर अपना मूँह खोल दिया, मैं अगली पिचकारी को दीदी के खुले मूँह में, दूर अंदर टॉन्सिल तक मारने से नही रोक पाया. दीदी थोड़ा खाँसी, अगली पिचकारी फिर से दीदी के गाल पर गिरी, लेकिन दीदी ने तुरंत फिर से अपना मूँह खोल दिया, मैने थोड़ा आगे झुक कर अपने लंड का सुपाड़ा दीदी के निचले होंठ पर रख के लंड को आगे पीछे करने लगा, मैने ढेर सारे वीर्य के उछालों को दीदी के मूँह में उंड़ेल दिया. जब मैं झड गया, तो दीदी पीछे की तरफ झुक गयी, और मैं अचंभित रह गया जब मैने देखा दीदी बिना कुछ सोचे, मूँह में भरे मेरे सारे वीर्य को एक घूँट में अंदर सटक गयी. मैं देखता रह गया, दीदी ने अपने चेहरे पर जमा वीर्य को हाथो से पोंच्छा और फिर पानी से धो दिया.

मैं भूल गया कि कब मैने शवर बंद कर के बाथरूम से बाहर निकला. सब कुछ बहुत जल्दी हुआ था, हम दोनो थक गये थे. ऐसा करने में मज़ा तो बहुत आया, एक दूसरे के साथ इस तरह नंगे होकर हम और ज़्यादा करीब आ गये थे. जो कुछ हम दोनो ने अभी किया था उसके बाद मुझे अपने रूम में जाते हुए बहुत खुशी हो रही थी. अपने रूम में आकर मैने एक मॅगज़ीन पढ़ने की कोशिश की, फिर उसे एक तरफ फेंक के छत की तरफ देखने लगा, और मंद मंद मुस्कुराने लगा.....

फ्राइडे को तान्या अपने दादू की उठावनी, तेरहवीं और बाकी रस्मों को अटेंड करने के लिए गाँव चली गयी. मैं और तान्या रोजाना मोबाइल पर बातें करते, और जिस दिन से मैने तान्या के अपार्टमेंट में एक रात गुजारी थी उसके बाद उसकी आवाज़ सुन कर अच्छा लागता था कि वो अब नॉर्मल और ठीक होने लगी है, और कभी कभी मेरे साथ मज़ाक भी कर लेती थी. मैं अपने दिल ही दिल में ये बात जानता था कि ये बस दीदी ही हैं जो मुझे इस सब में मेरी हेल्प कर रही हैं. जब भी मैं दीदी को बुलाता, वो तुरंत चली आती, चाहे वो उस वक़्त मॅगज़ीन या किताब पढ़ रही हो, या फिर कोई और काम कर रही हो. कभी कभी तो मैं बस लेट के दीदी के एसपरियेन्स और गयाँ को बस बेड पर लेट हुए सुनते रहता. दीदी जिस तरह से मेरी हर रूप में हेल्प कर रही थी, उस पर शायद कोई विश्वास ना करे, और इसी वजह से मैं दीदी को और ज़्यादा प्यार करने लगा था. हम दोनो की परवरिश जिस कंफर्टबल माहौल में हुई थी, उसमे ये बिल्कुल अजीब नही लगता था कि मैं दीदी की पीठ को सहला रहा हूँ जब दीदी फोन पर बात कर रही हो या दीदी मेरी पीठ पर हाथ फिराए, जब कभी हम एक साथ लेटे हुए बोर हो रहे हों.

सॅटर्डे की सुबह वो बहुत हसीन थी, जब मम्मी पापा तो शॉपिंग करने के बहाने, दोनो एक साथ थोड़ा टाइम स्पेंड करने गये थे. दीदी और मैने थोड़ा बाहर निकल कर लॉन में घूमने लगा, झूले पर बैठ कर झूले और फिर एक बड़ी सी बॉल के साथ कॅच कॅच खेला. दोपहर में मम्मी पापा वापस आ गये, दीदी जब नहा रही थी, उस टाइम मैं और पापा लंच के बाद टीवी पर एक मूवी देख रहे थे. रात को 8 बजे हम सबने एक साथ डाइनिंग टेबल पर बैठ के डिन्नर किया, फिर थोड़ा और टीवी देखने के बाद मम्मी पापा आज थोड़ा जल्दी ही अपने बेडरूम में सोने के लिए चले गये, हम दोनो सोफे पर बैठ कर उन दोनो को जाते हुए देख के मूँह छुपा के धीरे धीरे हँसने लगे. थोड़ी देर बाद जब मैं शवर लेने चला गया, जब मैं वापस लौटा तब तक दीदी अपने रूम में जा चुकी थी.

मैं केवल तौलिया लपेटे हुए दीदी के रूम में पहुँचा, मेरा वहाँ ज़्यादा देर तक रुकने का इरादा नही था, लेकिन दीदी से इधर उधर की बातें करते करते टाइम का पता ही नही चला. मेरे बाल अब सूख गये थे. जब मैने कहा अचाहा चलता हूँ, टाइम काफ़ी हो गया है, दीदी ने घड़ी की तरफ देखा.

हां, अब हमको सो जाना चाहिए, दीदी ने अंगड़ाई लेते हुए कहा. दीदी ने देखा कि मैं दीदी के शरीर पर किस जगह घूर रहा हूँ, ये देख वो मुस्कुरा गयी. मैं शरमा गया और खिसियाते हुए हँसने लगा.

दीदी: राज, तुम मुझको कपड़े बदलते हुए देखना चाहोगे?

मैं शरमा कर हंसते हुए बोला, हां दीदी, सच में आज आप बहुत सुंदर लग रही हैं.

दीदी मेरा कॉंप्लिमेंट सुन के मुस्कुराइ और बोली, मैं भी तुम्हारे बारे में यह ही सोच रही थी. 

हम दोनो ही थोडा शरमा गये लेकिन जब एक दूसरे की तरफ देखा तो दोनो की आँखों में चमक थी. दीदी निचला होंठ नर्वस्ली दानों से काटते हुए, अपने हाथ से टी-शर्ट को नीचे से पकड़ के उपर उठाया और अपने गले में से उपर कर के निकाल दिया, दीदी ने ब्रा नही पहन रखी थी, दीदी की मस्त चूंचियाँ मेरी आँखों के सामने थी. दीदी ने फिर अपनी पैंट की एलास्टिक में अपनी उंगलियाँ फँसाई और उसे अपने हिप्स और टाँगों से नीचे कर दिया, दीदी अब मेरे सामने सिर्फ़ वाइट पैंटी में खड़ी थी. मैं दीदी के शरीर के हर हिस्से, ख़ासकर उभारों को को आँखें फाड़ फाड़ के देख रहा था, और दीदी को अपने सामने अपनी पैंटी उतारते हुए देख रहा था.


जैसे ही दीदी की पैंटी ज़मीन पर गिरी, मैने तुरंत आगे बढ़ कर दीदी को पकड़ के बेड पर लिटा दिया. हम दोनो हंसते हुए बेड पर गिर पड़े, दीदी के बालों ने हम दोनो के चेहरों को ढक लिया. दीदी ने करवट लेते हुए अपना चेहरे मेरी तरफ किया और अपने बालों को ठीक करते हुए पीछे की तरफ किया. मैं दीदी के पास मज़े से लेटे हुए दीदी की साइड पर हाथ फिराने लगा, और दीदी के शरीर की बनावट और उतार चढ़ाव को महसूस करने लगा. दीदी ने जब मुझे उनकी चूंचियों के दर्शन का आनंद लेते हुए देखा तो फिर से अपना होंठ काटा, मैने थोड़ा डरते हुए अपनी उंगलियाँ दीदी की चूंचियों पर रखी, मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही रहा जब दीदी ने मुझे अपनी चूंचियों पर उंगलियाँ फिराने से नही रोका. मैने धीरे से निपल को छुआ और पिंकिश ब्राउन निपल को टाइट होते हुए देखने लगा. दीदी ने अब की बार अपना होंठ ज़ोर से काटा जब मैने दीदी के निपल को सहलाते हुए अपने अंगूठे और पहली उंगली के बीच लेकर हल्का सा दबाया. दीदी थोड़ा पीछे हुई और अपनू चूंची को मेरे चेहरे के पास ले आई, मैं भी थोड़ा आगे खिसक गया और अपने होंठों को चूंची पर रख दिया. किसी छोटे बच्चे की तरह मैं दीदी के निपल को मूँह में भर भर के चूसने लगा,और अपने हाथों से मम्मों को सहला कर दबाने लगा. दीदी ने सिसकते हुए अपनी आँखें बंद कर ली.

दीदी की चूंची को मैं ज़ोर ज़ोर से किस करने लगा और अपनी जीभ से निपल के साथ खेलने लगा. मेरा लंड खड़ा हो चुका था, मैने चूंची पर से हाथ को हटा कर दीदी की साइड पर फिराते हुए नीचे ले जाने लगा, फिर पेट के उपर ले गया. दीदी ने करवट ली और पीठ के बल सीधी लेट गयी, जिस से मुझे जगह मिल सके. मैने दीदी के पेट के उपर बीच में वहाँ हाथ फिराने लगा जहाँ से पंसलियाँ ख़तम होती हैं और झाटों का खेत शुरू होता है.

दीदी फिर थोड़ा खिसकी और अपने घुटनों को मोड़ लिया, और अपनी टांगे दोनो तरफ फैला दी. मैं इशारा समझ गया, मैने एक हाथ से चूंची को सहलाना और दबाना जारी रखा, और दूसरे हाथ की उंगलियों को दीदी की चूत की हल्की सी गीली फांकों पर फिराने लगा. मैं उंगलियों की टिप से चूत की फांकों के बीच छेद पर भी घिसने लगा. कुछ मिनिट्स के बाद जब दीदी गरम होने लगी तो चूत चिकनी होने लगी और चूत के अंदर वाले लिप्स भी बाहर निकल आए.


दीदी को नंगा देख कर मैं पागल हो गया था, मैने खड़े होकर अपनी टवल खोल के दूर फेंकी और फिर दीदी के पैरों की तरफ मूँह कर के इस प्रकार लेट गया कि मेरा सिर दीदी की झान्टो के पास था. दीदी ये देख खिलखिलाई, फिर अपने पैर थोड़े और चौड़े कर दिया, और मेरे लंड को पकड़ लिया और लंड को छू छू कर देखने और महसूस करने लगी. दीदी की गोरी गोरी टाँगों और जांघों के बीच छुपे खजाने को देखने के लिए मैने सिर झुकाया, और बस दीदी के नग्न शरीर को निहारने लगा. मैं हाथ से धीरे, हल्के से दीदी के कोमल शरीर को छूकर उसकी सॉफ्टनेस को महसूस करने लगा. दीदी की झान्टो के घुंघराले ब्लॅक ब्राउन बालों को निहारने लगा, और उस मादक खुश्बू में डूब गया. दीदी भी मुझे ठीक उसी तरह छू रही थी – और मेरे लंड की बनावट को महसूस कर रही थी, उसकी लंबाई का अपने हाथो में पकड़ कर अंदाज़ा लगा रही थी, और सुपाडे को अंगूठे की टिप से छू के देख रही थी. 

मैने अपनी उंगलियों से दीदी की चूत की फांकों को अलग कर चूत के दोनो होंठों को निहारने लगा. मैने चूत के दोनो होंठों को इतना अलग कर दिया कि अब चूत के उपर उठकर निकला हुआ दाना दिखाई दे रहा था. जैसे ही उस दाने को मैने अपने अंगूठे की टिप से दबाया, और गोल गोल घुमाने लगा, दीदी मस्त होकर मचलने लगी. दीदी ने भी जवाब में अपना अंगूठा मेरे लंड के सुपाडे के बेस, यानी जहाँ से सुपाड़ा गोल गोल शेप लेकर लंड से अलग होकर उठता है, वहाँ पर रख दिया और उस जगह सहलाने लगी. मेरे शरीर में आनंद की लहर सी दौड़ गयी, मैने इस चीज़ पर गौर ही नही किया कि दीदी भी मेरी तरह ही काँप रही है.
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03-31-2019, 03:09 PM,
#67
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं दीदी की चूत और उसके दाने के साथ अब ज़ोर ज़ोर से खेलने लगा और दीदी भी मेरे लंड के साथ वैसा ही कर रही थी, दोनो के मूँह से आनंद भरी कराहें और सिसकियाँ निकल रही थी. मुझे ये देख के विश्वास ही नही हुआ कि दीदी की चूत के लिप्स अब अब और ज़्यादा फूल गये हैं, और नीचे दोनो अब अलग अलग होकर, उन्होने चूत के मूँह को और ज़्यादा खोल दिया है. मानो किसी गुलाब के फूल की पंखुड़ियों पर जमी ओवेयर (ड्यू) की बूँदों की तरह, चूत से निकल रहा चिकना पानी चूत के दोनो होंठों पर जम रहा था, तभी एक बूँद चूत के होंठ पर बहती हुई, फिर जांघों पर से होती हुई बेड पर टपक गयी. 

दीदी के हिप्स और टाँगें अब उपर नीचे होना शुरू हो गयी थी, दीदी की कराहने और सिसकियों की आवाज़ें मैं सुन रहा था. तभी दीदी के कराहने की आवाज़ बंद हो गयी, और मैने अपने लंड को गीला और गरम जगह महसूस किया, दीदी ने मेरे लंड को अपने मूँह मे ले लिया था और उसे प्यार से चूस और चाट रही थी. कुछ ही पलों बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ. दीदी भी बस झड ही रही थी, और काँप कर ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी, और मेरे लंड के सुपाडे को मूँह में भरकर अपने सिर को आगे पीछे कर रही थी. मैने गुर्राने की आवाज़ के साथ, इस से पहले कि मैं संभलता, अपने वीर्य की जोरदार धार दीदी के मूँह के अंदर छोड़ दी. दीदी अब भी मेरे लंड को मूँह में भर के आगे पीछे कर रही थी, और मैं अपना वीर्य उसमें उंड़ेले जा रहा था. दीदी अब होश में थी, और उसका अपनी बॉडी पर कंट्रोल था, दीदी पूरी जान लगा के मेरे लंड से पानी की आख़िरी बूँद को निचोड़ रही थी. 

जब पानी की आख़िरी बूँद तक निकल गयी, तब दीदी ने हल्के से मेरे लंड को अपने मूँह में से निकाला. 

थोड़ी देर हम वैसे ही पस्त होकर वहीं लेटे रहे. दीदी मेरे वीर्य को जब एक भी बार थूकने के लिए नही हिली, तो मैं शरमा गया कि दीदी आज फिर मेरे वीर्य को पी गयी है. आख़िर में मैं उठा और सीधा होकर दीदी के फेस टू फेस होकर लेट गया. दीदी अपनी पीठ के बल सीधी लेट गयी, और मैं साइड से दीदी के पास, दीदी को सहलाता हुआ लेट गया.

हम वैसे ही बहुत देर तक बिना कुछ बोले शांत लेटे रहे.

दीदी: क्या हम ये ठीक कर रहे हैं?

मैं कुछ देर चुप रहने के बाद बोला, दीदी आप कहना क्या चाहती हो?

दीदी (अपनी दोनो आइब्रोज को पास लाकर छत की तरफ देखते हुए): भाई बेहन को ये सब नही करना चाहिए. हम को एक दूसरे के इतने ज़्यादा करीब नही आना चाहिए.

मैने दीदी के पेट पर उंगली फिराते हुए कुछ सोचते हुए कहा, मैने इस बारे में बहुत सोचा है. 

दीदी ने अपना चेहरा मेरे तरफ घुमा लिया, जब मैं ये सब समझा रहा था.


किसी और के साथ जब तक की आप उसको ठीक से जान ना लो, तब तक हम अपना असली चेहरा उसको नही दिखाते. क्योंकि आप उस को अभी ठीक से जानते नही हो, आप वो सब करने का प्रयत्न करते हो, जो उसको अच्छा लगता हो, और उसकी तरह ही आक्टिंग करने लगते हो, जिस से वो आपको पसंद करने लगे. हमेशा नही, लेकिन ज़्यादातर ऐसा ही होता है.

दीदी ने हां में सिर हिलाया, मानो उसके सब समझ में आ गया हो.

मैने आगे बोलते हुए कहा, हम दोनो एक दूसरे को बचपन से जानते हैं. हम एक दूसरे के बारे में सब कुछ जानते हैं, और एक दूसरे को स्वीकार भी करते हैं. हमारे बीच किसी तरह का कोई ढोंग नही है, हम एक दूसरे से कुछ नही छुपाते, जो कुछ असलियत है वो एक दूसरे के सामने है. हद है कि अगर हम दोनो एक दूसरे के करीब आते हैं, तो ये ग़लत समझा जाता है. दुनिया में बाकी लोग अपनी असलियत छुपा कर जब किसी के साथ संबंध बनाते हैं, जब कि दूसरा भी अपनी असलियत छुपा रहा है, उसको जायज़ समझा जाता है. 


दीदी: मेरी क्लास में बहुत सी लड़कियाँ अमीर लड़कों के साथ सब कुछ करवाती हैं, जिनको वो पसंद भी नही करती, बस इसलिए कि उनको कॉलेज में अटेन्षन मिलती रहे और उनको अकेलापन ना महसूस हो.


राज: हां दीदी... चाहे जो भी कारण हो, हम दोनो एक दूसरे के साथ कंफर्टबल हैं, और इस करीबी को पसंद करते हैं. हमारा दिल एक दम सॉफ है. हम दोनो में से कोई भी किसी तरह का ढोंग नही कर रहा. मेरा मतलब है, हम दोनो को मालूम है की एक दिन हमारी शादी हो जाएगी और शादी के बाद हम किसी और के साथ प्यार और ये सब करेंगे, जैसा हम दोनो अभी एक दूसरे के साथ करते हैं.

अब हम दो जिस्म और एक जान हो चुके हैं, जो हमको करीब ला रहा है, एक भाई बेहन की तरह नही, बल्कि एक लड़का और लड़की की तरह. जितना मैं तुम्हे पाना चाहता हूँ, उतना ही तुम भी मुझे पाना चाहती हो, दीदी मैं आपको गहराई तक जानना चाहता हूँ.

कुछ देर हम दोनो शांत रहे, और फिर चाँदनी रात में एक दूसरे को गले लगा लिया.

दीदी का हाथ मेरी छाती से होता हुआ मेरे कंधे पर आ गया, दीदी थोड़ा झुकी और फिर मुझे किस कर लिया.

मैने भी दीदी को बाहों में भरकर किस किया.

दीदी अपनी बाहें मेरे गले में से निकाल के मेरी छाती पर ले आई, और मुझे अपने उपर खींच लिया. संकोच में दीदी अपने दोनो पैरो को कुछ देर जोड़ के लेटे रही, फिर अपनी टाँगें अलग अलग कर के चौड़ा दी, अब मैं पूरी तरह दीदी की उपर आकर, दीदी को पकड़ के किस करने लगा.


हम एक दूसरे के साथ इस अवस्था में पूरी तरह खो चुके थे. हमारे नंगे शरीर एक दूसरे से चिपके हुए थे, हमारे होंठों से होंठ मिले हुए थे, और एक दूसरे के शरीर को हम सहला सहला के फील कर रहे थे. मुझे पता ही नही चला कि इतना समय बीत चुका है जो कि मेरे लंड को दोबारा खड़ा होने के लिए पर्याप्त था, मुझे बिना बताए लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था. जिस तरह से मैं दीदी के उपर था, दीदी के शरीर मेरे नीचे उत्तेजक रूप में हिल डुल रहा था, वो मेरे लंड को खड़ा करने के लिए बहुत था, मेरा लंड खड़ा होकर दीदी की कोमल जगह को छू रहा था. दीदी अपनी गान्ड उठा उठा के लंड को अपनी चूत में घुसाने की कोशिश कर रही थी, मैं भी गान्ड को हिला के, आगे की तरफ दीदी के उपर दबा रहा था. 

मैने दीदी के होंठों पर से अपने होंठ हटाए और नीचे दीदी की गर्दन पर किस करने लगा, और कुछ इंच नीचे आ गया. दीदी मस्ती में कराही जैसे ही मैने दीदी के उपरी कंधों पर होंठ रखे, और अपने हाथों को दीदी के पीछे ले गया. मैने अपनी गान्ड को कयि बार आगे पीछे किया, फिर मुझे लगा कि लंड का सुपाड़ा दीदी की चूत की फांकों के बीच घुस रहा है. 

मेरे लंड के दीदी की चूत पर दस्तक देने के साथ ही दीदी का शरीर अकड़ने लगा, लंड के सुपाडे को दीदी की गरम चूत ने अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया था. 

दीदी: राज, तुम अंदर घुसा रहे हो...

दीदी की गर्दन से अपने होंठों को दूर करते हुए मैं फुसफुसाया, हां मुझे मालूम है दीदी...

दीदी थोड़ा परेशान थी, लेकिन उनका शरीर अब सॉफ्ट हो रहा था

दीदी: मेरी जान.... राज.... क्या कर रहे हो...

मैने एक और ज़ोर से धक्का मारा, दीदी की चूत की झिल्ली मेरे लंड को आगे बढ़ने से रोक रही थी, लेकिन धीरे धीरे चूत खुलती जा रही थी. दीदी फिर से अकड़ने लगी.

मैने फुसफुसा कर कहा, हां दीदी... मुझे मालूम है... दीदी को और टाइट पकड़ते हुए, मैं अपने हिप्स को आगे की तरफ बढ़ाते हुए धकेलने लगा.

दीदी ने हान्फ्ते हुए कहा... राज ये ग़लत है... तभी चूत की झिल्ली फट गयी.

मेरी दीदी की चूत का द्वार अब खुल चुका था, और मेरा लंड उसमे प्रवेश कर चुका था. चूत का गीलापन और दीदी के दिल से निकलती आवाज़ सुन कर मैं आगे बढ़ रहा था. दीदी ने फिर से एक ज़ोर की साँस ली, और मूँह से एक चीख सी निकल गयी, जैसे ही लगा कि दोनो शरीर अब एक हो चुके हैं. मेरा लंड दीदी की चुदने को तय्यार चूत में गोते लगाने लगा, हम एक साथ हिल रहे थे, काँप रहे थे, एक दूसरे को जकड़े हुए थे, किस कर रहे थे और रो रहे थे....

दो शरीर अब एक हो चुके थे, हमारे दिल एक हो चुके थे, एक दम पूरी तरह से.

हम बिल्कुल मन्त्र मुग्ध थे. कभी ना टूटने वाली गाँठ की तरह हमारे शरीर जुड़े हुए थे. चाँदनी में हमारे नंगे शरीर चमक रहे थे, दोनो के मूँह से दबी हुई मीठी कराहने की आवाज़ें निकल रही थी. मैने अपने हाथों में दीदी की चूंचियों को भर लिया. फिर मूँह पास ले जाकर उनको चाट चाट कर मूँह में भरने लगा, फिर दीदी की गर्दन, दीदी के होंठ सब को चूमने और चाटने लगा. दीदी ने अपनी कमर उपर उठा दी, मैं हाथो से दीदी की सारी पंसलियों को महसूस कर रहा था जैसे जैसे दीदी अकड़ रही थी. दीदी अपने नाखूनों को मेरी पीठ में जोरों से दबा रही थी, फिर नीचे लाकर मेरे हिप्स को पकड़ के, अपने और ज़्यादा अंदर घुसाने के लिए अपनी तरफ खींचने लगी.
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03-31-2019, 03:09 PM,
#68
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी अपने पैर फैला के चौड़ा के लेटी थी, हमारी झान्टे एक दूसरे के साथ गीली होकर उलझ गयी थी. हम दोनो की झान्टो के घुंघराले बालों का कलर भी ही एक जैसा ब्लॅक ब्राउन था, मानो ये बता रहा हो कि हम दोनो बेहन भाई हैं. मैने दीदी के गालों पर आँसू देख महसूस किया कि मेरी आँखों से भी आँसू निकल रहे हैं. हम दोनो ने आज वो कर दिया था, जिसकी ना जाने कब से तमन्ना थी.

मदहोशी के साथ एक दूसरे को चूम्ते हुए हम मानो किस को किसी मदिरा की तरह पी रहे थे, हम इस नशे में टल्ली हो चुके थे. भाई- बेहन, भाई- बेहन, भाई- बेहन... एक दूसरे के नशे का पान कर रहे थे... प्यार कर रहे थे....

दीदी के मूँह से निकल रही आवाज़ों को मैं उनके उपर अपने होंठ रख के शांत कर रहा था, लेकिन कुछ देर बाद इस की किसको परवाह थी. अच्छा हुआ मम्मी पापा को हमारी कराहने की, गुर्राने की, और धीरे धीरे रोने की आवाज़ें सुनाई नही दी.

दीदी किसी ठंडी स्प्रिंग की तरह टाइट होने लगी, दीदी की हर मांसपेशी सिकुड़ने लगी, दीदी काँप रही थी, शेक कर रही थी- जब तक कि वो झड नही गयी. दीदी ने एक गहरी साँस ली और अपने शरीर से मेरे को एक जोरदार झटका मारा, दीदी के हिप्स अपने आप आगे पीछे होकर बार बार सिंकूड़ते और फिर खुल जाते, बार बार, बार बार, कयि बार मेरे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अपने अंदर लेने की कोशिश करते. दीदी की चूत की दीवार मेरे लंड को टाइट्ली जकड़े हुए कभी फैल जाती और कभी सिंकूड जाती, चूत ने गरम गरम पानी छोड़ना शुरू कर दिया, जो मेरी स्किन पर बह रहा था. दीदी ने अपना चेहरा मेरी गर्दन में घुसा दिया और धीरे धीरे सिसक कर रोने लगी.


दीदी ने फिर मुझे चौंका दिया, मेरे सिर को अपनी तरफ खींच के दीदी ने मुझे जबरदस्त किस किया, आज तक का सबसे दमदार. दीदी का सारा शरीर मुझे ज़्यादा से ज़्यादा अपने अंदर घुसाने की कोशिश कर रहा था. दीदी के पैर के दोनो पंजे मेरी गान्ड को चारों तरफ से घेर के मेरे लंड को, चूत के ज़्यादा से ज़्यादा अंदर घुसा कर रोके हुए थे. हालाँकि अब हम झटके और धक्के नही मार रहे थे, लेकिन दीदी के शरीर ने अभी भी मुझे जकड रखा था, और मुझे अपने ज़्यादा से ज़्यादा अंदर लेने की कोशिश कर रहा था. मेरी धड़कने बढ़ने लगी... मेरा लंड फूँकार मारने लगा... टट्टों के अंदर मेरी गोलियाँ उपर चढ़ आई, मैने तुरंत अपने आप को पीछे खींच के दूर किया, लंड बस बाहर निकला ही था कि मानो ज्वाला मुखी फट गया हो, लंड से निकलती धार ने दीदी की गीली गरम चूत के होंठों पर वीर्य उंड़ेल दिया. दीदी के पैर अभी भी मुझे लंड को चूत के अंदर घुसाने का इशारे कर रहे थे, लेकिन मुझे मालूम था कि मुझे ऐसा नही करना चाहिए, जैसे ही लंड से वीर्य की आख़िरी बूँद बाहर निकली, मैने दीदी को लंड को अपने अंदर ले जाने दिया – इस बार एक दम फिसल के बिना किसी रुकावट के गीली चूत के अंदर लंड फटाक से घुस गया. 

एक दूसरे को बाहों में लिए, हान्फ्ते हुए, और कड़ी मेहनत के बाद आराम करते हुए, आज के इस दो शरीरों के मिलन के बारे में सोचने लगे.

गहराती हुई रात में, धीरे धीर हम नींद के आगोश में जाने लगे, दोनो शरीर अभी भी चिपके हुए थे. भाई बेहन एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे. भाई बेहन के शरीर दो प्यार करने वालों की तरह एक हो चुके थे...
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तान्या अपने दादाजी के फ्यूनरल जो पास में उनके गाँव में हुआ था, उस के नेक्स्ट डे वापस आ गयी, उसके मम्मी और डॅड दो हफ्तों के बाद सारे क्रिया करम कराकर लौटने वाले थे. तान्या ने मुझे फोन किया और उसके अपार्टमेंट में उस के साथ 2-3 रात सोने के लिए कहा, तान्या की बुआजी 2-3 दिन में उसके साथ रहने के लिए आने वाली थी, जब तक कि उसके मम्मी पापा लौट नही आते. मैं तुरंत तय्यार हो गया, मैने मम्मी पापा को इनफॉर्म किया कि मैं आज रात अपने दोस्त के घर ही रात में रुकुंगा, क्यों कि वो अकेला है और हम कंबाइंड स्टडीस करेंगे. 


मैं जब मम्मी पापा के साथ ये सब बातें कर रहा था, दीदी वहाँ खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी. जब मम्मी पापा वहाँ से चले गये तो दीदी ने मुझ से पूछ के कन्फर्म किया, तान्या के यहाँ जा रहे हो?

मैने बस हां में सिर हिलाया


दीदी: एंजाय आंड हॅव फन, वैसे कल से मैं भी 3 दिनों के लिए अपने क्लासमेट्स के साथ स्टडी टूर पर जा रही हूँ. टेक केर.


मैं रात में खाना खाकर तान्या के घर रात को 10 बजे पहुँच गया, तान्या ने मुझे काफ़ी वॉर्म्ली रिसीव किया, और एक वेलकम किस भी दी. हम दोनो कुछ देर टीवी देखते रहे, कॉलेज की और फ्रेंड्स की बातें करते रहे. अभी मैं तान्या के साथ इतना ज़्यादा फ्रॅंक नही हुआ था कि हम सेक्स या रोमॅंटिक बातें कर सकें. 


रात में करीब 12 बजे तान्या ने मुझे अपना गेस्टरूम दिखाया और मुझसे वहाँ सोने के लिए कहा. मुझे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन मुझे दीदी की सिखाई हुई वो सलाह याद आने लगी, कि लड़की के पीछे पड़े रहो, कभी ना कभी तो ज़रूर देगी. मैं गेस्टरूम में सो गया और तान्या अपने बेड रूम में.


रात में करीब 1:30 बजे मुझे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई दी और मेरी नींद खुल गयी. ठक ... ठक ... ठक ... ठक... मेरे कुछ समझ में नही आया ये कैसी आवाज़ें थी. मैं अब पूरी तरह जाग चुका था, मैं ध्यान लगाकर सुनने लगा, कि कहीं ये आवाज़ हवा की वजह से किसी चीज़ के अपार्टमेंट की दीवार से टकराने की तो नही है, लेकिन नही ये कुछ और ही आवाज़ थी.

ठक...ठक...ठक... ये आवाज़ अब ज़ोर से और अब थोड़ा जल्दी जल्दी होने लगी थी, मैं ठक... ठक.. की स्पीड पर ध्यान लगाने लगा. मैं बेड से उठा, अपनी आँखों को मसला और फिर डोर खोल के बाहर हॉल में आ गया. सारे अपार्टमेंट में बस मैं और तान्या ही थे, मैने फिर ध्यान लगा कर सुना, आवाज़ अब थोड़ी धीमी हो गयी थी, मैं किचन में गया, फ्रिड्ज से पानी की एक बॉटल निकाली और लाइट ऑन कर दी.


कुछ तो था जो मेरी समझ में नही आ रहा था, आवाज़ हालाँकि धीमी तो हो गयी थी... लेकिन फिर से... ठक...ठक...ठक...ठक... तेज हो गयी. ये सब हो क्या रहा था? मैने ज़्यादा अपने दिमाग़ पर ज़ोर ना डालते हुए, लाइट बंद की और अपने गेस्टरूम की तरफ चल दिया.


जब मैं तान्या के रूम के सामने से गुजरा तो आवाज़ उसके रूम के अंदर से आती हुई लगी. मेरे मूँह से निकला बेहनचोद....
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03-31-2019, 03:09 PM,
#69
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने उसके डोर के पास जाकर डोर के नॉब को घुमाकर खोलने की कोशिश की, तो पता चला कि डोर अंदर से लॉक है. रूम के अंदर तेज आवाज़ में योयो हनी सिंग के गाने चल रहे थे, लेकिन वो ठाकठकठकठक... ठाकठक.. की आवाज़ को ढकने के लिए काफ़ी नही था. रूम के बाहर खड़े होकर आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी.


मैने डोर को नॉक किया, लेकिन म्यूज़िक की आवाज़ में तान्या को सुनाई नही दिया. वो ठक... ठक..की आवाज़ अब लाउड और फास्ट हो गयी थी, मैने ज़ोर से आवाज़ लगाई, तान्या... दरवाजा खोलो... 



ठक... ठक.. की आवाज़ थोड़ा धीमी हुई और फिर तेज़ी से और ज़ोर से स्पीड से होने लगी. मैं पागलों की तरह डोर की तरफ देख रहा था. मैने डोर के नॉब को एक हाथ से ज़ोर से घुमाया, और डोर को धक्का मार के हिलाते हुए ज़ोर से चिल्लाया.... तान्या ... दरवाजा खोलो...


एक और ठक की हल्की सी आवाज़ सुनाई दी, और फिर कुछ अजीब सी आवाज़ें, फिर तान्या ने दरवाजा खोला, और मुझे देखकर बोली, क्या हुआ?


यहाँ पर इस समय क्या कर रहे हो?


तान्या थोड़ी अपसेट नज़र आई, फिर बोली, मैं फर्निचर को मूव कर रही थी, लगता है तुम डिस्टर्ब हो गये, आइ’म सॉरी, सो जाओ..., इतना कहकर वो बाथरूम की तरफ चली गयी.


मैं कुछ बोलता उस से पहले तान्या ने डोर बंद किया और बाथरूम में घुस गयी. उसके जाने के बाद मैने तान्या के रूम का डोर खोला और अंदर झाँक के देखा. लास्ट टाइम जब मैं यहाँ आया था, उसके बाद से कोई चेंज तो नज़र नही आ रही था, सभी चीज़ें व्यवस्थित तरीके से रखी हुई थी. मैने सोचा, कुछ तो गड़बड़ है, रूम के अंदर स्मेल भी कुछ अलग ही तरह की आ रही थी, हालाँकि तान्या का रूम एक दम सॉफ सुथरा था.


मैं हताश होकर अपने हाथों और घुटनों पर बैठकर नीचे चारों तरफ देखने लगा. यहाँ से कुछ अलग ही नज़ारा नज़र आ रहा था. मेरे मूँह से निकला ओह...बेहनचोद... तान्या के रूम के कोने में जो लकड़ी की डेस्क रखी थी, उसका एक किनारा तान्या के रूम और गेस्टरूम की कामन दीवार के साथ लगा था. जब मैं उस डेस्क के पास गया तो नीचे कुछ गीला गीला महसूस हुआ, मैने उस पर उंगली घुमा कर अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने की कोशिश की, क्या मादक स्मेल थी. तान्या यहाँ पर क्या कर रही होगी? मैने अपनी नाक फर्श पर रखकर उस गीली जगह को सूंघने की कोशिश की, लंबी साँस लेकर सूंघने की कोशिश की. उस जगह से आ रही स्मेल मादक और नशीली थी, जो मुझे अच्छी लगी.


मैं तान्या की ड्रॉयर्स और आल्मिराह चेक करने लगा, पहली बार में कुछ नही मिला. फिर मैं अगली बार स्लोली और केर्फुली अंदर तक हाथ डाल के चेक करने लगा.


बेहन की चूत.... ढेर सारी पॅंट्स के नीचे एक डिल्डो रखा था... कोई छोटा मोटा नही... बहुत बड़ा डिल्डो... असली लंड से दो गुना मोटा और लंबा. डिल्डो का सुपाड़ा बहुत बड़ा था, और उस को असली फीलिंग देने के लिए नसें (वेन्स) उसके सब तरफ बनी हुई थी. और डिल्डो के बेस में एक बड़ा सा सकशन कप, किसी चीज़ पर फिक्स करने के लिए बना था. मेरे मूँह से फिर निकल गया ओह्ह्ह्ह बेहनचोद...


पता नही क्या सोच के डिल्डो को अपनी नाक के पास लाकर सूंघने लगा. इसमे वैसी की स्मेल आ रही थी जैसी कि उस फर्श की गीली जगह से आ रही थी. मैने सावधानी से डिल्डो वहीं पर रख दिया. फिर मैने डोर लॉक किया और डोर फ्रेम को देखा, मुझे अपनी पुरानी कर्तूते याद आ गयी और उस लॉक को देखते ही मैं समझ गया कि इसको स्टूडेंट आइकार्ड फँसा के खोला जा सकता है, क्योंकि दरवाजा पुराना था और चौखट और डोर के बीच आइकार्ड डालने लायक जगह बची हुई थी.


मैं चुपचाप अपने रूम में आ गया और तान्या के डिल्डो यूज़ करने के बारे में सोचने लगा. मेरे दिमाग़ में चल रहा था, शायद क्योंकि तान्या के कोई भाई नही है इसलिए उसके पास डिल्डो यूज़ करने के सिवाय और कोई चारा भी नही था. उसकी भी शारीरिक ज़रूरतें हैं. मैं कल्पना करने लगा कैसे तान्या डेस्क पर बैठ के डिल्डो को अपनी चूत में लेती होगी, और वो जब ऐसा कर रही होगी तो उसकी बड़ी मोटी सी गान्ड मेरे गेस्टरूम की तरफ रही होगी. ये सोच के मेरा लंड खड़ा हो गया. ज़्यादा गंदे विचार ना लाते हुए ये सोचने लगा कि तान्या कितनी भोली और शर्मीली है, चाहती तो वो मुझे सिड्यूस कर के चुदवा भी सकती थी. लेकिन शायद वो हमारी होने वाली शादी से पहले अपनी इमेज मेरी नज़रों में खराब नही करना चाहती थी.


मैं अपने अगले कदम की प्लॅनिंग बनाते हुए सो गया.


मैं तान्या को रंगे हाथों पकड़ने के लिए इतना ज़्यादा बेचैन था. अगली रात को तान्या के रूम सो कोई आवाज़ नही आई. तीसरी रात, जो कि शायद मेरी तान्या के साथ उसके घर पर आख़िरी होने वाली थी, क्योंकि नेक्स्ट डे तान्या की बुआजी आ रही थी, मैने एक प्लान बनाया.शाम को बाहर से मैं अपने लिए बियर लेकर आया, और डिन्नर करने के बाद ऐसे नाटक करने लगा, मानो बियर पीने के बाद मुझे कितनी तेज नींद आ रही हो. मैं रात को 10 बजे ही गेस्टरूम में सोने चला गया, और गहरी नींद में सोने की नौटंकी करने लगा.


कुछ देर बाद तान्या धीरे से मेरे रूम में आई, और चेक किया कि मैं गहरी नींद में सो गया हूँ या नही. अब मुझे यकीन हो गया कि आज तान्या ज़रूर डिल्डो को अपनी चूत में लेगी, क्यों कि कल से बुआ जी के आने के बाद ऐसा करना थोडा मुश्किल हो जाएगा. 


थोड़ी देर बाद तान्या के रूम से हल्की हल्की 'ठक..ठक' की आवाज़ आने लगी, मैं समझ गया कि तान्या डिल्डो को डेस्क पर फिक्स करके अपनी चूत में डिल्डो घुसा रही है. मैं अपने रूम से निकल कर जब तान्या के रूम के डोर पर पहुँचा तो 'ठक..ठक' की आवाज़ और ज़ोर से सुनाई देने लगी, 'ठक' की आवाज़ के साथ तान्या की हल्की हल्की "उंफ" के साथ कराहने की आवाज़ भी आ रही थी, लग रहा था कि तान्या जब अपनी चूत को नीचे डेस्क पर फिक्स रब्बर के लंड को अंदर ले रही होगी तब ये आवाज़ निकलती होगी. ठक/उंफ की आवाज़ लगातार आ रही थी. आज तान्या खुल के मज़े ले रही थी. लगता था कल रात कुछ ना कर पाने की कमी वो आज पूरी कर रही है.
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03-31-2019, 03:09 PM,
#70
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैने धीरे से डोर नॉब को घुमा के देखा, वो ज़रा भी नही घूमा. संभाल के मैने अपने कॉलेज के आइ-कार्ड को डोर फ्रेम और प्लाइबोर्ड के डोर मे बीच की दरार में घुसा दिया. मेरा लेफ्ट हॅंड डोर की नॉब को घुमा रहा था, और राइट हॅंड से आइ-कार्ड से सही जगह प्रेशर डाल रहा था, कुछ देर ट्राइ करने के बाद डोर एक इंच खुला, मैने ज़ोर लगा के एक इंच और खोल दिया, तान्या की आवाज़ें अब सॉफ सुनाई देने लगी.



सब कुछ जैसा सोचा था वैसे ही हुआ, डोर धीरे से खुला और तान्या मेरी आँखों के सामने थी, तान्या अपना सिर नीचे झुका के पता नही अपने घुटनों को या अपनी चूत में फँसे डिल्डो को देख रही थी. तान्या के मूँह से जैसी आवाज़ें निकल रही थी, उस से सॉफ था कि वो सेक्स के दौरान उसके मूँह से अपने आप मस्त आवाज़ें निकलती है, जिस पर उसका कोई कंट्रोल नही है. ठक/"ऊओ", "म्म्म्ममम", ठक/"ऊफ्फ", "उःम्म्म्म" ठक/"उंफ".


धीरे से मैं तान्या के रूम में दाखिल हुआ, और सावधानी से डोर को बंद कर दिया. तान्या एक दम नंगी थी और उसके 34+ साइज़ के मम्मे लटक के हिल रहे थे. मैने सही समय का इंतेजार करते हुए, जब तान्या चूत में डिल्डो को फँसाकर गान्ड को उछालने लगी, तब मैं बोला, वाह... 


ठक/"ओआफ!", जैसे ही तान्या की चूत में डिल्डो चूत के छेद को चीरता हुआ अंदर घुसा, तान्या ने चेहरे को उपर उठाया, "राज ! व्हाट! ओहगोड! आइ ... ओह ... नो!" तान्या का चेहरा एकदम लाल हो गया, वो वैसे की वैसे चूत में रब्बर के लंड को फँसाए मूर्ति बन गयी, मानो मैने उसे स्टॅच्यू कह दिया हो.


मैं तान्या को उसी वक़्त चोदना चाहता था, लेकिन मैं 2 मिनिट में इस को ख़तम नही करना चाहता था. मैने कहा, तान्या रूको मत, बस मेरे इस को अपने मूँह में लेकर चूस्ति रहो, और उसके उपर अपना काम करती रहो. क्यों ठीक है? ऐसा कहते हुए मैं अपने हाथ से बॉक्सर्स को खोलने लगा, और फिर नीचे कर दिया. जैसे ही बॉक्सर्स को मैने नीचे किया वो एलास्टिक में थोड़ा फँसने के कारण किसी स्प्रिंग की तरह झटका मारके फूँकारता हुआ मेरे पेट पर लगा.


नही, राज, प्लीज़ नही....,तान्या बोली जब मैं उसकी तरफ बढ़ने लगा. मेरे खड़े लंड को देख के जो उसके चेहरे की तरफ पायंटेड था, तान्या ने धीरे से कहा, ओह राज. 


मुझे लगा तान्या मेरे को बॉक्सर्स उतारते हुए देखकर थोड़ा आयेज झुक गयी है, फिर जब उसने मेरे लंड को देखा तो फिर अपनी गान्ड को 2-3 इंच पीछे कर के डिल्डो को फिर से अपने अंदर ले लिया. शायद तान्या को इस चीज़ का एहसास भी ना हुआ हो. तान्या के मूँह से अपने आप शब्द निकलने लगे, "ओह राज! तुम ... तुम्हारा वो ... हाईईइ ... कितना सुंदर है!"



तान्या के सामने घुटनों पर बैठकर मैं बोला, मेरे लंड को चूसो, और अपनी चुदाई जारी रखो. जब मैं ये सब कह रहा था तब तान्या ने आँखे उठाकर मेरी तरफ देखा भी नही.तान्या की नज़रें मेरे लंड पर टिकी हुई थी, जिस तरह से वो तान्या के चेहरे के सामने, मेरी हर साँस के साथ झटके मार मार के फूँकार मार रहा था.


धीरे से तान्या थोड़ा आगे आई और अपना मूँह खोल दिया, तान्या के गुलाबी होंठ मेरे लंड के सुपाडे पर घूमने लगे. तान्या ने डिल्डो पर अपना, उपर नीचे होना बंद कर दिया, और मेरे लंड का बारीकी से निरीक्षण करते हुए अपनी जीभ मेरे सुपाडे पर फिराने लगी. फिर मुझे विश्वास नही हुआ, तान्या ने थोडा और आगे बढ़कर मेरे पूरे लंड को, नीचे जड़ तक अपने मूँह में भर लिया.


मेरे लंड को मेरी आँखों के सामने तान्या के मूँह में गायब होते देख, मेरे मूँह से अपने आप निकल गया... ओःः बेहनचोद... मुझे लगा तान्या डिल्डो का इस्तेमाल चूत में घुसाने के साथ साथ और भी बहुत तरीकों से करती होगी. मुझे विश्वास नही हुआ तान्या इतना आसानी से मेरे इतने लंबे लंड को अपने मूँह में पूरा ले लेगी. मैं जानता था, कि हालाँकि मेरा लंड, इस डिल्डो से तो छोटा है, पर नॉर्मल पॉर्न मूवीस में दिखाए गये नॉर्मल की लंड की तरह 7 इंच का है.



"उम्म्म्ममम," की आवाज़ निकालते हुए तान्या मेरे लंड को अंदर तक ले जाकर चूसने लगी और उस डेस्क पर फिक्स लंड को आधा बाहर निकाल दिया.


मेरे खुद के गुर्राने की आवाज़ "शिट यस," ने तान्या के कराहने की आवाज़ को कवर करने की कोशिश की लेकिन हम दोनो अब एक साथ हारमॉनिक म्यूज़िक बजा रहे थे. तान्या के हाथ काँप रहे थे, जैसे ही वो बार बार पीछे होती और फिर आगे झुकती, अपनी डिल्डो से चुदाई के साथ साथ मेरे लंड की चुसाइ भी चालू थी. तान्या की आँखें अपने होंठों के बीच फँसे मेरे लंड पर टिकी थी, और मुझे ऐसा लग रहा था कि वो अब पूरी तरह से गरम हो चुकी है.
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