bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:03 AM,
#31
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
आरोही ने आगे जाकर फ्रिज खोला और नीचे झुककर कुछ निकालने लगी..अब अरुण का तो मुँह चलना ही रुक गया..आरोही ने फिर पैंटी नही पहनी थी और झुकने से उसकी चूत की लाइन्स सॉफ सॉफ दिखाई दे रही थी..जितना वो हिलती उतना ज़्यादा धीरे अरुण का मुँह चलता..

"गान्ड..देख...एक मार ना.." दिमाग़ ने अरुण की कहा

"ःऊह्ह्ह्ह...हुहह.कंट्रोल..." अरुण ने गहरी साँस लेकर दूसरी तरफ मुँह घुमा लिया.

तब तक सुप्रिया भी किचन मे आ गयी.

"हः...गेम हॅड आब्वियस्ली बिगन..तू तो गया.." दिमाग़ ने अरुण को चेताया

सुप्रिया ने सुबह के कपड़ो को बदल लिया था लेकिन ये कपड़े..शॉर्ट्स और एक वाइट शर्ट पहने थी जिसके 3 बटन खुले हुए थे और सॉफ पता चल रहा था कि उसने ब्रा नही पहनी है...ओह..गॉड..सुप्रिया अपनी गान्ड को मटकाती हुई अरुण के पास आई और उसके सामने झुककर उसका माथा चूमा और आँख मार दी..अरुण की नज़रें तो उन दो घाटियों पर ही अटकी थी जो शर्ट मे से झलक रही थी...

अरुण सोचने लगा ये निपल तो चूसने की भीख माँग रहे हैं...काश दी अकेले मे मिल जाए तो तुरंत ही इन पर टूट पडू..

"यू...माइ बॉय...सही जा रहे हो..मैं तो कहता हूँ यहीं पर शर्ट फाड़ के टूट पड़ कोई कुछ नही कहेगा..और अगर किस्मत अच्छी हुई तो शायद आज फोरसम भी हो जाए.." दिमाग़ ने कहा

"नो.." अरुण अपने ख़यालो से बाहर आते ही बोला.."आइ कॅन कंट्रोल.."और गहरी गहरी साँसें लेने लगा..

"ना..चोद दे..चोद दे.." दिमाग़ की आवाज़ चिल्लाने लगी

उसने सोचा अब तो यहाँ से जाना ही बेहतर होगा.
अरुण उठा और फ्रिज मे से पानी निकालकर पीने लगा...फिर बाहर आकर सोफे के पास ही जा रहा था कि दरवाजा खुलने की आवाज़ आई. तो उसने आवाज़ की दिशा की तरफ़ ध्यान दिया तो स्नेहा के रूम का दरवाजा खुला था..

"प्लीज़ ढंग के कपड़े हो प्लीज़ भगवान ढंग के कपड़े हों...प्लीज़" अरुण मन मे दुआ करते हुए सोचने लगा.

अरुण ने जब स्नेहा की ओर देखा तो गिरते गिरते बचा..स्नेहा ने टॅंक टॉप पहना था वो भी कुछ ज़्यादा ही डीप नेक का..निपल के इंप्रेशन तो सॉफ सॉफ देखे जा सकते थे..और उपर से बूब्स की जड़ पे वो काला तिल..और नीचे उसने सिर्फ़ पैंटी पहनी हुई थी...जैसे जैसे वो आगे बढ़ रही थी उसके दूध हिलते जा रहे थे..

अरुण को पता था कि स्नेहा ने ऐसे कपड़े उसे परेशान करने के लिए नही पहने हैं. ये तो बस स्नेहा थी. वो लगभग घर मे ऐसे ही कपड़े पहना करती थी.

स्नेहा थोड़ा तेज़ी से चलती हुई आई और अरुण के गाल पर किस किया तो उसके बूब्स अरुण की छाती मे चुभ गये अरुण ने अपनी आँखें बंद कर ली..

"मॉर्निंग, माइ डियर बेबी..उम्म्म" ये कहकर वो किचन मे चली गयी..

अरुण ने बिना सोचे पलटकर देखा और फिर पछताने लगा..पूरे किचन मे सेक्षुयल एनर्जी भरी पड़ी थी...4 4 कामदेवियाँ वहाँ बैठी बातें कर रही थी..

अरुण ने तुरंत ही अपने कमरे मे जाना ठीक समझा और दौड़ के चला गया...

"तू तो हारेगा..बेटे.." दिमाग़ ने अरुण को कहा

अरुण ने जाते टाइम सुप्रिया की आवाज़ सुनी लेकिन कोई रिक्षन नही दिया. आने वाले 14 दिन बहुत भारी होने वाले हैं.

आधा घंटा हुआ था कि आरोही आई उसके कमरे मे...

उसके चेहरे पर गुस्सा सॉफ दिख रहा था..
वो आई और बेड पर टाँगो को क्रॉस करके बैठ गयी.

"हाई." अरुण ने उसकी तरफ ना देखते हुए कहा.. थोड़ा डर भी लग रहा था..

"भाई, तुम आख़िर मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो..?" आरोही गुस्से मे बोली.

"हुआ क्या?" अरुण ने धीरे से पूछा..और वो डर भी रहा था..

"हुआ क्या बहुत कुछ हुआ है....हाउ कॅन यू डू दिस टू मी??" आरोही गुस्से मे थोड़ा तेज बोली..

अब अरुण को थोड़ा हर्ट भी हुआ क्यूकी वो अपनी किसी भी बहेन को तकलीफ़ मे देख नही सकता था और आरोही के लिए तो उसके दिल मे वैसे भी स्पेशल प्लेस था..

अरुण को कुछ समझ मे नही आया तो चुप रहा..

"अब कुछ कहने के लिए भी नही है तुम्हारे पास.." आरोही की शक्ल देख कर लग रहा था कि वो रोने वाली है..

"दी ने बताया, है ना.." अरुण ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा लेकिन आरोही ने हाथ झटक दिया.

"क्या फ़र्क पड़ता है किसने बताया...मैं ये पूछ रही हूँ कि मेरे साथ ही ऐसी पार्षियालिटी क्यू..??" आरोही ने अपना आँख को रगड़ते हुए कहा.

"यार आरू प्लीज़ यार तुम तो मुझे समझो..मेरा इंटेन्षन तुम्हे या किसी को हर्ट करने का नही है..आइ आम जस्ट.." 

"हां सही बात है, सब को प्यार बताते फ़िरो जब आरोही की बारी आती है तो वो ही सब समझे..क्यू क्यूकी मैं तुम्हारी फीलिंग्स समझती हूँ. लेकिन तुम ने अरुण, तुमने कभी मेरी फीलिंग्स समझी.." अब आरोही के हल्के से आसू निकलने लगे..

तो अरुण भी उसके पास बेड पर बैठ कर उसके आसू पोछ डाले..

"प्लीज़ आरू, रोना मत...मैं ये नही कह रहा कि आइ डोंट लव यू..और ये बात तुम अच्छे से जानती हो...मैं जानता हूँ तुम जाने कब्से उस टाइम का इंतजार कर रही हो. व्हेन वी विल बी टुगेदर....और मैं ये भी नही कह रहा कि वो नही होगा..बस अभी 2 वीक्स तक नही.."

"क्यू जब मेरी बारी आई तभी तुम्हे ये कंट्रोल करना था खुद को..सोनिया और सुप्रिया दी के लिए तो कभी ये ख़याल नही आया तुम्हारे दिल मे.." आरोही अभी भी गुस्से मे थी..

"आरोही प्लीज़ ट्राइ टू अंडरस्टॅंड...ओके आइ आम गोयिंग टू टेल यू दा ट्रूथ..." अरुण ने उसका हाथ पकड़ लिया तो इस बार आरोही ने नही छुड़ाया..

"ट्रूथ.??" आरोही भी सर्प्राइज़्ड लग रही थी..

"देखो इसको सुनने के बाद प्लीज़ मुझे पागल मत कहना..देयर'स आ वाय्स इन माइ हेड. मुझे नही पता कि क्या है लेकिन ही ओर शी आइ डोंट नो..मुझसे बात करती है. बात करने का मतलब मुझे हमेशा कुछ सेक्स से रिलेटेड करने को मजबूर करती रहती है..लाइक वो आ सोनिया वाला इन्सिडेंट उस टाइम भी ये सब इसी की कारस्तानी थी..तुम समझ रही हो ना.."

आरोही ने हां मे सिर हिलाया.."थोड़ा थोड़ा..आगे बोलो.."

"तो आज सुबह मैं सोफे पर बैठा तो उसने कहा कि अब मैं प्रेग्नेंट करूँ तुम सबको जिससे तुम सब मेरे साथ हमेशा के लिए रहो..." अरुण इतना कह के आरोही का रियेक्शन देखने लगा..

आरोही का चेहरा कन्फ्यूषन के भाव से भरा हुआ था.."प्रेग्नेंट?? सीरियस्ली..ये सब तुम्हारे दिमाग़ मे रहने वाली आवाज़ बोलती है..?"

"मैं जानता था तुम मेरी बात पर बिलीव नही करोगी..लेकिन ये सच है..तो मैं इतना आगे उसकी बातों मे फँसना नही चाहता तो मैने एक शर्त लगाई.."

आरोही अरुण को ऐसे देख रही थी जैसे कोई एलीयन उसके सामने बैठा हो लेकिन वो बोलता रहा..

"तो शर्त ये है कि मैं 2 वीक्स तक तुम सबके ऐक्शन और इस आवाज़ की जितनी भी बातें होती हैं उनको रेज़िस्ट करूँगा..और खुद को कंट्रोल करूँगा..तो 2 वीक्स तक नो सेक्स,,,वित एनिवन..सोनिया के साथ भी नही.."

आरोही पहले तो उसे देखती रही फिर पेट पकड़कर हँसने लगी और उसके कंधे पर हाथ रख के और ज़ोर से हँसने लगी..

"ये भेजेगी तुझे पागलख़ाने.." दिमाग़ ने फिर चुटकी ली

अरुण असमंजस से उसे देखता रहा...

"हिहिई.हाहह..हाहह...ओके ओके..तो तुमने अपने ही दिमाग़ मे रहने वाली आवाज़ से शर्त लगाई है कि तुम इस घर मे रहने वाली हर लड़की जिनमे से तीन तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती है वो भी कभी भी और कहीं भी उन सबको रेज़िस्ट करोगे...हिहिहहीी...यू आर मॅड..." आरोही हँसे जा रही थी..

"ओके ओके..शांत आरोही..कंट्रोल...हाहाहा.आ..कंट्रोल..ओके सॉरी अब नही हसुन्गी..हाहह.." लेकिन इसके बाद भी वो थोड़ी देर तक हँसती रही..

अरुण भी बिना कुछ बोले उसे देखता रहा...अटलिस्ट वो अब रो तो नही रही थी..

"अच्छा तो तुम 14 दिन तक किसी के साथ सेक्स नही करने वाले..लेकिन ये बताओ अगर तुम शर्त हार गये तो.."

"तो मैं एक दिन के लिए उसका गुलाम बन जाउन्गा वो जो कहेगा मैं करूँगा..कुछ भी.." अरुण धीरे से बोला..

"अच्छा तभी आज सुप्रिया दी इतना ओपन ओपन कपड़े पहने हुई थी...खैर एक बात बताऊ, जैसा तुमने मुझे इस आवाज़ के बारे मे बताया है और अगर उस हिसाब से तुम हार गये तो बहुत पछताने वाले हो.."

"एसस्स, आइ न्यू इट..शी ईज़ माइ पार्ट्नर.." दिमाग़ की आवाज़ ने खुश होते हुए कहा

"अगर.." अरुण ने ज़ोर देकर कहा..

"अच्छा चलो अब मेरी कंडीशन पर आओ, मेरा क्या.."

अरुण ने उसका चेहरा पकड़कर उसके होठों को चूमा फिर कहा...

"आइ'म रियली सॉरी टू से दिस आरू..लेकिन तुम्हे भी 14 दिन तक इंतजार करना पड़ेगा...लेकिन उसके बाद पक्का आइ विल मेक अवर यूनियन स्पेशल. आइ ऑल्सो वान्ट टू डू दिस....प्रॉमिस..आंड आइ लव यू, रियली..आंड आगे से रोना मत, नही तो बहुत मारूँगा.."

आरोही ने भी उसके हाथों पर अपने हाथ रख दिए.."आइ नो भाई, यू लव मे आंड आइ लव यू टू. मुझे बस उस टाइम ये लगा कि तुम पार्षियालिटी कर रहे हो. लेकिन अब मैं तुम्हारी बात समझ गयी हूँ लेकिन.." इतना कह कर वो रुक गयी..

"लेकिन.." अरुण ने डर कर पूछा.

"लेकिन, क्यूकी तुम मुझे 14 दिन तक इतना इंतजार करवाने वाले हो तो मैं तुम्हारी आवाज़ की साइड लूँगी.."

"येस्स्स, सक्सेस्स्स मेरी तरफ 3 हैं तेरी तरफ कोई नही..." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"व्हाट डू यू मीन..??" अरुण ने पूछा..

"मतलब मैं तुम्हारा ये ब्रह्म्चर्य वाला ख़याल ख़त्म करवा के ही रहूंगी.."

"प्लीज़ यार आरू, तुम भी.."

"तुम भी क्या, तुम मुझे इतना तड़पाने वाले हो तो तुम भी तय्यार रहो मिस्टर अरुण..." आरोही ने किसी बच्चे की तरह उसके गाल खींचे और रूम से चली गयी.. डोर पर पहुच कर उसने पीछे देखा और आँख मार दी फिर चली गयी..

"मैं सही मे मरने वाला हूँ" अरुण ने सोचा

"हारने के बाद मरना..एक दिन मेरा गुलाम बन जा फिर हँसते हँसते मर जाना"

उसके बाद वो रूम मे 2 3 घंटे तक रहा. कभी कंप्यूटर चलाता कभी नॉवेल पढ़ता कभी मोबाइल पर लगता लेकिन कुछ फ़ायदा नही हुआ. उसने सोचा ऐसे हर टाइम तो वो रूम मे बंद रह नही सकता.

कुछ तो करना पड़ेगा इन लोगो से ध्यान हटाने के लिए. लेकिन इतनी देर हो गयी ये आवाज़ कहाँ चली गयी. अभी तक तो आवाज़ को दस बाते बोलनी चाहिए थी. शायद सही मौके पर बॉम्ब फोड़ने का इंतजार कर रही होगी. अरुण ने घड़ी की तरफ देखा तो दोपहर हो रही थी..यानी कि ल्यूक टाइम..

तो वो उठा और दरवाजे को हल्के से खोलकर सिर्फ़ सिर को बाहर निकाला और चारो तरफ देखा..उसे डर था कही कोई एक दम से उस पर कूद ना पड़े..पता चले अपनी ही बहन रेप कर डाले..

खैर उपर वाले फ्लोर पर तो कोई नही था और ना ही हॉल मे..तो उसने थोड़ा आगे बढ़ कर नीचे देखा तो आरोही स्नेहा की मदद कर रही थी खाना बनाने मे. दोनो बातें भी कर रही थी लेकिन उसे कोई आइडिया नही था कि किस बारे मे. तो अरुण नीचे आ गया और डाइनिंग टेबल पर बैठ कर मोबाइल चलाने लगा.

आरोही ने आहट सुन किचन से बाहर देखा तो अरुण सॉफ सॉफ दिखाई दिया. "थोड़े मज़े लिए जाए.." आरोही ने मन मे सोचा.

अरुण थोड़ी थोड़ी देर मे किचन की ओर देखता रहता. इधर आरोही ने बोव्ल के अंदर से कोई पेस्ट था उसमे उंगली डुबो दी फिर उसे बाहर निकालकर अपने मुँह मे रख कर चूसा.

"कैसा बना है.." स्नेहा ने आरोही से पूछा..

तो आरोही ने दूसरे हाथ की उंगली को उस पेस्ट मे डुबो दिया फिर वो उंगली स्नेहा के मुँह मे रख दी तो स्नेहा ने पेस्ट मे चूस लिया लेकिन फिर स्नेहा को भी अजीब लगा जब आरोही ने उंगली को बाहर निकालने की जगह अंदर ही रखा और इधर उधर हल्के से हिलाने लगी. इस से थोड़ा सा पेस्ट स्नेहा की चिन से होता हुआ क्लीवेज और साइड मे गिर पड़ा..जिससे उसके टॅंक टॉप गंदा हो गया..

आरोही ने जल्दी से उसके टॅंक टॉप को उसके शरीर से अलग कर दिया.."मैं सुप्रिया दी को दे देती हूँ..वो वैसे भी कपड़े ही धोने जा रही होंगी.." ये कहकर उसने टॅंक टॉप को साइड मे रख दिया. तो स्नेहा ने कुछ नही कहा और वो वैसे ही ब्रा मे पेस्ट को चलाने लगी.

अरुण के लंड ने तो सलामी देना शुरू ही कर दिया था. सामने दो दो कामदेवी जो खड़ी थी. स्नेहा ने ब्लॅक कलर की ब्रा पहनी थी और वो भी सही तरीके से उसके दूधों को ढकने मे असमर्थ थी. निपल्स तो जैसे टॉप को फाड़ देने पर ही उतारू थे.

आरोही ने अरुण के चेहरे को भाव को पढ़ा तो उसे और मज़ा आने लगा. उसने सोचा इसको थोड़ा और आगे ले जाते हैं. तो उसने स्नेहा को अपनी तरफ घुमाया और अपनी उंगली से क्लीवेज पर से उस पेस्ट को उठाया और पेस्ट को सक कर लिया..फिर उसी भीगी उंगली से बचे हुए पेस्ट को हटाया और उसे भी चाट लिया..स्नेहा उसे ये सब करते हुए मना नही कर रही थी..उसे तो समझ मे ही नही आया कि करे तो क्या..

"चोद डाल दोनो को..देख फिर लेज़्बीयन सीन चालू हो रहा है.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को उकसाया
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01-25-2019, 12:03 AM,
#32
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
इधर स्नेहा की आँखें थोड़ी बंद हो गयी जब आरोही की भीगी उंगली उसके दुधो पर पड़ी. हद तो तब हो गयी जब आरोही ने देखा कि स्नेहा की आँखें बंद हैं तो अपनी जीभ से क्लीवेज को चाट लिया. फिर उसके होठों पर किस कर दिया..

"लो दी मैने सॉफ कर दिया आंड बाइ दा वे.. बहुत टेस्टी है..आंड थॅंक यू फॉर मेकिंग इट सो मच टेस्टी.." फिर एक छोटा सा किस दोबारा होठ पर किया और दूर हट गयी..

आरोही ने इसके बाद एक बार अरुण की तरफ देखा और एक नॉटी स्माइल के साथ आँख मार दी..

अरुण से रहा नही गया तो एक बार हाथ आगे बढ़ाकर लंड को दबा दिया..

फिर आरोही ने टॉप को उठाया और वॉशरूम मे चली गयी. लौट कर आई तो एक टीशर्ट थी उसके हाथ मे जो स्नेहा को आरोही ने ही पहनाई. इस बहाने उसके दूधों को 3 4 बार छुआ और ठीक किया.

अरुण तभी पानी पीने आया तो स्नेहा अपने ख़यालो से वापस आई. और एक दम से चारो ओर देखने लगी..उसकी हालत तो ऐसे थी जैसे अभी किसी सपने से जागी हो..उसके चेहरे पर कन्फ्यूषन के भाव और लाली सॉफ सॉफ देखी जा सकती थी.

आरोही ने बड़ी मुश्किल से खुद को हसने से रोका और फिर अरुण की तरफ देख कर कहा.."ओह हाई भाई.." उसने ऐसा जताया जैसे उसने अभी अरुण को देखा था.

अरुण बेचारा थोड़ी तेज़ी से चलता हुआ फ्रिज के पास आया. उसे डर था की स्नेहा कही उसके खड़े लंड को ना देख ले..फिर जल्दी से बॉटल को बाहर लेके चला आया.

बाहर आया तो सोफे पर बैठ गया और टीवी ऑन कर ली. अभी कुछ ही मिनिट हुए थे कि सुप्रिया भी आ गयी और उसके साइड मे बैठ गयी. उसके कपड़े हल्के से गीले थे उपर से नहा कर आई थी तो एक भीनी भीनी खुसबू आ रही थी. सुप्रिया ने जब अरुण की पॅंट की तरफ देखा तो अपने होठों पर जीभ फेरने लगी.

ये कम नही था कि सोनिया भी उछलती कूदती आई और अरुण के लेफ्ट साइड मे चिपक कर बैठ गयी. अरुण अब सोचने लगा कि दो सेक्स अडिक्ट्स मे बीच बैठ गया...और उसे डर लगने लगा कि कही दोनो रेप ना कर डाले. सोनिया पर तो उसे भरोसा था कि वो कुछ ऐसा नही करेगी लेकिन सुप्रिया..उसका कोई भरोसा नही.

सोनिया ने अपना सिर अरुण के कंधे पर रख दिया तो सुप्रिया ने भी दूसरी तरफ से ऐसा ही किया. अरुण को थोड़ी राहत मिली कि चलो अभी तो दोनो ढंग से रहेंगी. ये सोचकर उसका लंड भी थोड़ा शांत होने लगा.

लेकिन ये ख़ुसी चन्द लम्हो की ही थी. पीछे से आरोही आ गयी..वो तो पहले से ही अरुण के पीछे थी लेकिन सही मौके का इंतजार कर रही थी..वो सोफे के सामने आई और दुखी आवाज़ मे बोली.."मेरी लिए जगह नही है.." तो सोनिया और सुप्रिया थोड़ा थोड़ा साइड मे हट गये..लेकिन आरोही..आरोही ने तो अपनी जगह ढूंड ली..वो थी अरुण की गोद..अरुण बेचारा कुछ बोल भी नही पाया तब तक आरोही की ये हरकत देखकर सुप्रिया और सोनिया ने भी अपना सिर उसके कंधे पर दोबारा रख दिया.

आरोही तो आज फुल मूड मे थी...वो धीरे धीरे अपनी गान्ड को हिलाकर अरुण को गर्म करने लगी..उसके चेहरे पर स्माइल और बढ़ गयी जब उसे अपनी चूत पर अरुण के लंड महसूस हुआ..

अरुण की सासें भारी होने लगी लेकिन वो एकटक टीवी को देखता रहा और बिल्कुल सीधा पड़ा रहा..

"अभी घुसेड..अभी.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

अरुण तो ये बात नही सुन रहा था लेकिन उसके लंड ने शायद सुन ली थी..वो तो फुल सबाब मे चढ़ कर गान्ड को चीर्ने की कोसिस कर रहा था..उपर से आरोही ने कोई कमी नही रखी थी वो बिल्कुल धीरे धीरे गान्ड को लंड पर दबा रही थी.

तभी सुप्रिया ने अपना चेहरा उठाकर उसकी गर्दन को होठ खोल कर चाट लिया..और चाटते चाटते कान तक पहुच गयी..

"आइ कॅंट वेट...जब तुम दोबारा हम सब को चोदना स्टार्ट करोगे..उम्म्म" और उसके कान को भी चूसने लगी.

"कम ऑन..यार..इतना कह रही है तो मान जा ना..कोई अपनी बड़ी बहेन की बात को टालता है क्या" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे मनाते हुए कहा

सोनिया उसे परेशान नही कर रही थी लेकिन ये सब देखकर उसे हँसी काफ़ी आ रही थी...और उसे ये भी कन्फ्यूषन था कि ये हो क्या रहा है...उसने भी उसके कान को दाँतों मे फसा लिया फिर कहा.."भाई पिछली रात को आपकी बहुत याद आई..आज की रात आप सिर्फ़ मेरे हो.." 

शिट...अरुण ने सोनिया के बारे मे तो सोचा ही नही था. दिन भर तो किसी ना किसी तरीके से खुद को रोक लेगा..लेकिन रात मे जब सोनिया अपने कपड़े उतारकर नंगी उसके साथ लेटेगी तब क्या करेगा..

"चोदेन्गे और क्या करेंगे...अब हम हमारी प्यारी गुड़िया को मना कैसे कर सकते हैं..हाहाहा..यू आर गॉना बी माइ बिच.."दिमाग़ ने चुटकी ली

अरुण ने आवाज़ पर ध्यान नही दिया. देता भी कैसे, अभी तो खुद को कंट्रोल करने मे बिज़ी था नही तो कबका आरोही को पकड़कर उसके कपड़े फाड़ दिए होते. उसकी साँसे अटक गयी जब आरोही ने अपने सामने से छुपकर उसके लंड के उभार पर हाथ सहलाना स्टार्ट कर दिया..

"लंड निकाल पॅंट से.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

अरुण की हल्की सी सिसकारी छूट गयी तो उसने कस के अपने होठ काट लिए जिससे आवाज़ ना हो..और खुद को कहने लगा.."कंट्रोल..हुह्म..कंट्रोल..कंट्रोल" इधर आरोही धीरे धीरे उसके पॅंट्स की जिप को ढूँढ रही थी..अरुण को तभी अपने लंड पर ठंडी हवा का अहसास हुआ और उसकी आँखें शर्म और जोश से बंद हो गयी.. आरोही ने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाल लिया था..

"अब इसको पकड़कर उठा और चोद डाल.." आवाज़ ने फिर कहा

अरुण से भी रहा नही गया तो उसके हाथ अपने आप ही आरोही की कमर पर चले गये..

"एस्स" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

अरुण को लंड पर हल्का गीलापन महसूस हुआ तो उसे रियलाइज़ हुआ कि आरोही उसके लंड पर उसका प्रेकुं मसल रही थी....फिर उसने धीरे से अपने शॉर्ट्स को साइड मे किया और लंड को चूत पर रगड़ने लगी...

"खाना रेडी है.." स्नेहा ने जैसे ही ये कहा, तुरंत ही तीनो दूर हट गयी..

"ओह नो...फक..प्लीज़ मत जाओ इस वक़्त." दिमाग़ ने मचलते हुए कहा

तीनो बिना एक भी शब्द बोले उसके पास से हटी और आरोही तो ऐसे उतरी जैसे कुछ हुआ ही ना हो ..और बिना कुछ बोले सब किचन की ओर चले गये.

"आइ'म गॉना डाइ.." दिमाग़ ने मारी हुई आवाज़ ने कहा

"एप, आंड आइ फक्किंग हेट यू..यू नो.." 

"अब मेरी क्या ग़लती है??" अरुण ने कहा

"अगर पहले ही मेरी बात मानी होती तो ये नौबत नही आती अब यहाँ अकेले बैठ कर हिलाते रहो घंटा.." दिमाग़ ने कहा

"अटलिस्ट मैं जीत तो रहा हूँ.अभी तक.." अरुण ने एक हँसी के साथ कहा..

"आइ हेट यू..." दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

अरुण मुँह धोके किचन मे चला गया. आख़िर इतने गर्म सेशन के बाद मुँह धोना तो बनता था. और धीरे से जाकर अपनी जगह पर बैठ गया. बाकी सब लोग आराम से अपनी जगह पर बैठकर बातो मे लगे हुए थे.

आरोही, सुप्रिया और सोनिया तीनो के चेहरे पर स्माइल थी जैसे ओलिंपिक जीत कर आई हो..

अरुण को तुरंत ही सब कुछ फिरसे याद आने लगा..सुप्रिया की बातें, आरोही की गान्ड का अहसास और सोनिया का किस..हुह..उसने प्लेट पर ध्यान दिया.

अरुण ने डिसाइड किया कि इन थॉट्स से आज़ादी पाने के लिए हर वक़्त कुछ ना कुछ तो हर वक़्त करना ही पड़ेगा. उसने सोचा कि अभी खाने के कुछ घंटे बात जिम जाके थोड़ा वर्काउट करेगा फिर रोहित को कॉल करके कही घूमने चला जाएगा. या फिर स्नेहा के साथ किसी मूवी देखने चला जाउ. आइडियास एक के बाद एक उसके दिमाग़ मे घूमने लगे.

खाना खाते व्क़्त कुछ भी खास नही हुआ, सींक मे प्लेट रखकर वो सबको देखने लगा.

"किसी से पूछ क्या किसी को सेक्स करना है.." दिमाग़ से आवाज़ आई

तभी उसे याद आया कि पूल काफ़ी गंदा हो गया हो तो वो सबको बोलकर पूल सॉफ करने चला गया.

आधे घंटे तक वो पूल की सफाई करता रहा तो उसे महसूस हुआ कि उपर खिड़की से तन्का झाँकी करी जा रही है. उसे खुद पर गर्व भी महसूस हुआ कि उसकी बहनें उसकी तरफ इतनी ज़्यादा अट्रॅक्टेड हैं.

पूल सॉफ करने के बाद वो बाथरूम मे नहाने लगा. नहा के वो अंडरवेर ही पहेन रहा था कि तभी दरवाजा खुला और आरोही का चेहरा अंदर आया. आरोही को देखकर अरुण ने जल्दी से अंडरवेर को उपर चढ़ा लिया. 

ये देखकर आरोही के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी. वो बिना पूछे अंदर आई और अपना बाथरोब उतार दिया. अंदर कुछ नही पहना हुआ था..अरुण मुँह खोल के उसे देखता रहा..

"हाई भाई..पुकचह.." आरोही ने उसके पास आके उसके होठों पर किस किया और एक बार लंड को सहला दिया फिर बिना कुछ किए शवर ऑन करके उसके नीचे खड़ी हो गयी..

ठंडा ठंडा पानी जैसे ही उसके सिर से होता हुआ उसके निपल्स पर आया..निपल्स एक दम से खड़े हो गये...

अरुण की नज़रें वहाँ से हटने का नाम ही नही ले रही थी..उसकी इच्छा तो हो रही थी अभी जाके उसके गुलाबी निपल्स को मुँह मे भर ले.

"जा भाई...देख कितनी उतावली हो रही है..जो माँग रही है वो दे दे.." दिमाग़ की आवाज़ ने उसे उकसाया 

अरुण ने एक दम से अपनी आँखें बंद करी और बाथरूम से बाहर निकलने लगा. उसकी बॉडी तो उसे जाने से रोक रही थी लेकिन वो रुका नही और सीधा अपने रूम मे आ गया और बेड पर लेट गया. ये किस बवाल मे फसा लिया मैने खुद को?? अरुण सोचने लगा. अगर इन लोगो ने ये करना बंद नही करा तो पक्का मैं मर जाउन्गा..

"मुझे पहले ही पता था, कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है तेरे अंदर...भला कुँवारी चूत को ऐसे कोई छोड़कर आता है..इंपोटेंट तो नही है ना..?"

अरुण ने इस बात का जवाब देना ठीक नही समझा. पता नही आगे बात कहाँ तक बढ़ जाए. उसने अपनी आँखें बंद करी और धीरे धीरे सो गया.

कुछ घंटो की नींद के बाद अरुण नींद से जागने लगा. तो कुछ जानी पहचानी फीलिंग हो रही थी. कुछ हो रहा था उसके साथ..

उसने एक दम से आँखें खोलकर अपनी कोहनियों के बल सिर को उठाया. तो सुप्रिया उसके पैरों के बीच बैठकर खड़े लंड को चूस रही थी.

अरुण को उठता देख सुप्रिया उसकी आँखों मे देखने लगी..

"प्लीज़...दी..", अरुण ने सुप्रिया को हटाने के लिए उसके सिर को पीछे करने की कोसिस करते हुए कहा.

तो सुप्रिया ने अपने दाँत दिखा कर हल्के से लंड पर रख दिए..

"नही..मैं जानता हूँ आप ऐसा कुछ नही करोगी.." अरुण थोड़ा डर के बोला..

"ट्राइ कर लो.." सुप्रिया ने आँख मार कर कहा और फिर उसके लंड को मुँह मे भर लिया.

अब बेचारा कुछ कर भी नही सकता था तो इस चीज़ के मज़े ही लेने लगा..सुप्रिया हर धक्के के साथ लंड को और ज़्यादा मुँह मे घुसेडने लगी..जब पूरा लंड उसके मुँह मे चला गया तो अरुण की सिसकारी निकलने लगी..जितनी बार उसका सुपाडा गले के एंड से टकराता उतनी बार अरुण की आहा निकलती.

अरुण को अपने अंदर ऑर्गॅज़म फील होने लगा, वो सुप्रिया को बताने ही वाला था कि वो झड़ने वाला कि तभी सुप्रिया ने एक दम से लंड को बाहर निकाला और खड़ी होकर बिना कुछ कहे रूम से बाहर चली गयी.

अरुण अचंभे मे उसको जाते हुए देखता रहा..

"ओह्ह्ह, व्हाट दा फक!" अरुण के मुँह से निकला

"देखा, मैने क्या कहा था..अब कोई तुझे चूत नही देने वाला. अब को तुझसे चुदने की जगह तुझे चोदने वाली हैं..चूतिया कही का." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण पर व्यंग कसते हुए कहा

अरुण अपना सिर खुजाने लगा, एक मन तो सुप्रिया को थॅंक यू कह रहा था कि वो रुक गयी लेकिन बाकी पूरी बॉडी और दूसरा मन कह रहा था कि सुप्रिया को ऐसा नही करना चाहिए थे. अगले 10 12 मिनिट मे जब उसका लंड ढीला पड़ गया तो उसने ट्रॅक्सयूट पहना और नीचे आ गया.

नीचे स्नेहा किसी किताब मे डूबी हुई थी और सुप्रिया वॉशरूम मे गुनगुनाते हुए कपड़े धो रही थी. बिल्कुल मासूम सी लग रही थी.

"घंटा मासूम." अरुण के मुँह से निकल गया.

आरोही का कुछ अता पता नही था. सोनिया टीवी पर कोई सीरियल देख रही थी..

"मैं जिम जा रहा हूँ" अरुण जाते हुए बोला..

"वेट, भाई..मैं भी चलूं?? बहुत दिन हो गये तबसे नही गयी.. सोनिया ने कहा

अरुण सोचने लगा कि सोनिया को ले जाने मे कोई हर्ज़ नही है. उसे विस्वास था कि सोनिया उसे जानबूझ कर परेशान नही करेगी और करेगी भी तो वो अपनी कसरत पर ध्यान देगा.

अरुण के हाँ कहने पर सोनिया जल्दी से अपने रूम मे चेंज करने चली गयी और ग्रे ट्रॅक्सयूट पहेन कर आ गयी.

दोनो इधर उधर की बातें करते हुए जिम को चले गये. अरुण अपनी पसंद की मशीन्स की ओर चला गया. वहाँ बस 2 3 लड़के और थे और लड़कियाँ कोई नही था. वैसे भी शाम के 3 बजे कौन जिम मे होता है.

सोनिया भी उसकी मशीन के सामने आ गयी और उसकी तरफ मुस्कुरा कर अपना ट्रॅक्सयूट का उपर उतारने लगी. उसने पिंक कलर का टॉप और ग्रे कलर की पॅंट्स पहनी थी. वो अरुण के जस्ट सामने वाली मशीन पर चली गयी और झुक कर वर्काउट करने लगी.

अरुण ने भी इस बात पर ध्यान नही दिया फिर अपने सेट्स कंप्लीट करके दूसरी मशीन पर चला गया. तो फिर से सोनिया भी आ गयी और फिर उसके सामने वाली मशीन पर कसरत करने लगी. इस वाली मे आगे झुककर बार को खिचना पड़ता था.

जितनी बार वो खिचती उतनी बार उसकी गान्ड की मास पेशियाँ हिलती. अरुण का लंड ये देखकर खड़ा होने लगा..

"इसको साथ मे लाना इतना अच्छा आइडिया भी नही था.." अरुण खुद को कोसने लगा.

"बेस्ट आइडिया भाई.." दिमाग़ की आवाज़ ने चुटकी ली

सोनिया ने कुछ सेट्स करे फिर जैसे ही अरुण किसी और जगह गया वो भी वही चली गयी और उसके सामने ही कसरत करने लगी. लगबघ 20 मिनिट तक यही सब चलता रहा.

"तुम जानबूझकर ये सब कर रही हो, है ना.." अरुण ने उस पर इल्ज़ाम लगाया.

"एप.." सोनिया ने अपने होठों को गीला करते हुए कहा.

"तुम्हे भी दूर करना पड़ेगा क्या??" अरुण ने कहा.

"तू इसे दूर कर, मैं तेरी जान ले लूँगा." दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

ये सुनकर पहले तो सोनिया के चेहरे पर तकलीफ़ के भाव आए लेकिन फिर उसने बच्चों वाली आवाज़ मे पलके झपकते हुए कहा.."मुझे लगा आप मुझसे प्यार कलते थे भाई.."
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01-25-2019, 12:04 AM,
#33
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण ने अपना सिर हिला लिया तो सोनिया हँसने लगी.."यू नो, आइ लव यू.." तो सोनिया और ज़्यादा हँसने लगी.

"तब तो आपको पता ही होगा, कि ये जो कुछ आप करने की कोसिस कर रहे हो, ये नही होने वाला. आप हम मे से किसी एक तक को रेज़िस्ट नही कर सकते, फिर सबकी तो बात ही दूर की है."

अरुण ने हल्के से हंस कर जवाब दिया.."हां अब समझ मे आ रहा है.."

"तो क्यू भाई?? आप अभी तक जाने कितनी बार सेक्स कर चुके होते. मुझे तो कुछ समझ मे ही नही आ रहा. आपके पीछे तीन तीन लड़कियाँ पड़ी हैं जो आपको बेइन्तिहा प्यार करती हैं और कभी भी सेक्स के लिए रेडी और सबसे अच्छी बात तीनो को आपस मे सब कुछ पता है और शेयर करने को भी तय्यार हैं, फिर भी..कोई और होता तो अब तक तो ये पाने के लिए कत्ल-ए-आम कर चुका होता."

"सेकेंड जीनियस ऑफ दा हाउस." दिमाग़ की आवाज़ ने चुटकी लेते हुए कहा

"मैं बस खुद को प्रूव करना चाहता हूँ की मैं कुछ टाइम तक खुद को रोक सकता हूँ" अरुण ने कंधे उचकाते हुए कहा.

"कुछ टाइम तक.." सोनिया उसके नज़दीक आ गयी.

अरुण ने हल्के से हँस दिया तो वो और ज़्यादा पास आई और उसके गले मे बाहें डाल कर किस कर लिया, लेकिन फिर दोनो को रियलाइज़ हुआ कि बाकी लोग भी हैं माना कि वो लोग उनकी तरफ ध्यान नही दे रहे. तो वो जल्दी से दूर हट गयी.

फिर सोनिया बाथरूम की तरफ चली गयी. अंदर जाकर तुरंत ही वो बाहर आई और उसकी तरफ आँख मार कर अंदर आने का इशारा कर दिया.

अरुण के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गयी. उसे समझ मे आ गया कि वो क्या करना चाहती है. कुछ सेकेंड्स तक तो वो रुका लेकिन फिर बाथरूम की तरफ चल दिया.

"मैं जीतने वाला हूँ, है ना.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"नोप.." अरुण बोला.

अरुण जल्दी से लॅडीस बाथरूम मे घुसा तो सोनिया एक शवर के नीचे खड़ी होके अपने नंगे बदन पर साबुन लगा रही थी. अरुण को अपने क्यूबिकल मे देखकर उसके चेहरे पर एक सेक्सी स्माइल आ गयी.

उसे देखकर अरुण को रियलाइज़ हुआ, कि ये पहली बार है कि वो उसे ढंग की रोशनी मे देख रहा है. वैसे तो उसने सिर्फ़ उसे चाँद की रोशनी मे ही देखा है. उसकी नज़रें उसके तराशे हुए बदन को निहारने लगी. दूध आरोही से हल्के से बड़े थे. गुलाबी निपल्स को देखकर अरुण के लंड मे झटका लगने लगे.

सोनिया ने उसे देखकर अपनी आँखें बंद कर ली, उसे पता था कि अरुण उसकी बॉडी को ताड़ रहा है. वो धीरे धीरे साबुन के झाग को अपने दूधों पर रगड़ने लगी..अपने हाथ को दोनो दूधों फिर पेट से लेकर नीचे तक ले गयी. चूत के पास जाकर उसने एक उंगली को कुछ सेकेंड्स तक चूत के अंदर किया फिर दोबारा उपर की तरफ चलाने लगी. दूसरे हाथ से एक निपल को पकड़कर ऐंठ दिया फिर उसी उंगली को अपनी चूत मे डाल लिया.

अरुण को चक्कर आने लगा ये देखकर. उसकी बहेन उसके सामने ही मास्टरबेट कर रही है. उसका मन साथ देने को होने लगा.

"अगर अभी मैं ये बात कहता, तो पक्का तू मना कर देता." अरुण के दिमाग़ ने कहा

तुरंत ही, बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई और लड़कियों के हँसने की आवाज़ें आने लगी..अरुण ने तुरंत ही एक सेकेंड की भी देर ना करते हुए भागना सही समझा और सिर नीचा करके जल्दी से भाग गया.

अरुण को ऐसे डर कर भागता देख सोनिया की हसी छूट गयी. वो भी जल्दी से नहा कर बाहर निकली. तो अरुण कार मे बैठा सिर स्टियरिंग व्हील पर रखे हुए था. सोनिया जैसे ही उसके पास वाली सीट पर बैठी बहुत तेज़ी से हँसने लगी. अरुण पहले तो उसे गुस्से से देखता रहा लेकिन फिर उसके चेहरे पर भी स्माइल आ गयी.

"तुम दी और आरोही से कम थोड़ी ना हो.."

सोनिया पहले तो हँसी फिर उसके गाल पर किस करके बोली..

"आख़िर बहनें है हम लोग, कुछ तो कामन होगा ना.."

फिर दोनो ऐसे ही हँसते खेलते घर को पहुच गये. अरुण जैसे ही अंदर घुसा तो देखा कि सुप्रिया कुछ कपड़े लिए अपने रूम मे जा रही थी. अरुण को देखकर उसने स्माइल किया लेकिन तुरंत ही उसके हाथ से कपड़े फर्श पर गिर पड़े. तो उसने अरुण की तरफ सेक्सी स्माइल पास करी फिर झुक कर कपड़े उठाने लगी. उसने आज स्कर्ट पहनी थी..तो झुकने के कारण स्कर्ट थोड़ी उपर उठ गयी तो उसकी चिकनी सफेद जांघें अरुण को दिखने लगी. सोनिया भी तभी अंदर आई तो अपने हाथ को मुँह पर रखकर हँसी को रोकने लगी.

अरुण ने एक बार अपने सिर पर हाथ मारा फिर आँखें बंद करके हॉल मे सोफे पर दूसरी तरफ मुँह करके बैठ गया. कुछ ही सेकेंड के बाद सुप्रिया ने नोर्मली कपड़े उठाए और अपने रूम मे चली गयी.

"बेस्ट सिस्टर्स इन दा वर्ल्ड..आइ लव देम.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ बोली

उसके बाद सबने कुछ टाइम के लिए उसे परेशान करना बंद कर दिया. रात तक सब कुछ नॉर्मल ही रहा. डिन्नर करके अरुण ने सबके गालों पर किस करके गुड नाइट कहा तो सोनिया ने भी सबको गुड नाइट कह दिया और दोनो साथ साथ उपर जाने लगे.

"गुड नाइट.." सुप्रिया ने भी उनको कहा लेकिन जिंदगी मे पहली बार उसके चेहरे पर वो स्माइल नही थी जो हमेशा होती थी.

उपर पहूचकर सोनिया ने अरुण का हाथ दबाकर उसे रोक दिया. अरुण ने उसकी आँखों मे देखा तो दोनो मुस्कुराने लगे. सोनिया ने आगे बढ़कर उसके गाल पर किस किया तो अरुण भी किस करने के लिए आगे बढ़ा. सोनिया ने अपना हाथ उसके मुँह पर रख कर रोक दिया. अरुण कन्फ्यूज़ होकर उसे देखने लगा.

"भाई, मैं समझ सकती हूँ कि आप अभी कुछ दिन कुछ करना नही चाहते हो. आइ नो आपके लिए खुद को प्रूव करना कितना इंपॉर्टेंट है. आइ लव और कुछ दिन तो बिना सेक्स के मैं रह ही सकती हूँ ना."

अरुण को उसकी बात सुनकर उसपर और ज़्यादा प्यार आने लगा. उसने बिना कुछ बोले उसे बाहों मे भरकर उठाया और अंदर जाकर रूम लॉक कर दिया. फिर प्यार से उसे बेड पर लिटा दिया और उसे किस करने लगा.

"वाउ.."सोनिया बोली जब अरुण ने उसके माथे, आँखों गालो, हर जगह किस कर दिया.."लगता है आज इंतजार नही करना होगा.."

अरुण ने उसे किस करना चालू रखा, उसके कानो से लेकर उसके गर्दन तक फिर गर्दन से लेकर कंधे तक. सोनिया की हल्की सी खिलखिलाहट और आहें उसके कानो मे रस घोलती जा रही थी. उसने कमर मे हाथ डाल कर उसे हल्का सा उपर उठाया और उसकी टीशर्ट के साथ साथ ब्रा को भी निकाल कर साइड मे डाल दिया.

सोनिया की मस्ती भरी चीख निकल गयी जब अरुण ने जीभ बाहर निकालकर उसके निपल को मुँह मे भर लिया..सोनिया के हाथ अपने आप अरुण के सिर को दबाने लगे तो अरुण उसकी बात समझ गया और अपनी चूसने की स्पीड को बढ़ा दिया और दूसरे हाथ से दूध को दबाने भी लगा. और एक हाथ से उसकी पीठ के नीचे से उपर उठाने लगा..

"आहहा,,उम्म्म्म..आइ लव यू भाई....हाः..उम्म.." सोनिया आह भरकर बोली..

अरुण ने नीचे बढ़ना स्टार्ट किया लेकिन सोनिया ने रोक दिया.."भाई आज मेरी बारी है..." जिसे सुनकर अरुण की आँखें चमक गयी. सोनिया ने जल्दी से उसे लिटा दिया और खुद उसके उपर आ कर लेट गयी. उसने जल्दी से पॅंट और शर्ट को उतार दिया. बॉक्सर के उतारते ही लंड पूरे जोश मे खड़ा हो गया जिसे देखकर सोनिया के चेहरे पर विजयी मुस्कान आ गयी.

"मैं गोआ के बाद से ये करने को तड़प रही थी.."

उसने धीरे से लंड को पकड़ा और अपने मुँह को उसके उपर लेक जीभ को बाहर निकला और सुपाडे पर जीभ फिरा दी. अरुण ने मस्ती मे आँखें बंद कर ली. सोनिया ने भी देर ना करते हुए लंड के उपर अपना मुँह उपर नीचे करना स्टार्ट कर दिया.

माना कि सोनिया उतने अच्छे से नही चूस रही थी जितना अच्छे से बाकी दोनो चूस्ति थी लेकिन उसका चूसने का अंदाज़ अलग था बस यही अरुण के लिए काफ़ी था.

"क्या फ़र्क पड़ता है, कोई भी चूसे..." दिमाग़ के अंदर की आवाज़ ने चुटकी ली

सोनिया चूस्ति रही जब तक उसकी साँस तक नही गयी..फिर उसने मुँह को उपर उठाया और साँस भर के धीरे धीरे चाटने लगी. चुसते चूस्ते वो अरुण की आँखों मे देखने लगी..

कुछ देर बाद उसने अपने शॉर्ट्स और पैंटी को उतार दिया और आगे बढ़कर उसके कंधे पर अपने हाथ रख दिए और उसके लंड के उपर अपनी कमर को ले गयी. अरुण ने उसकी कमर को पकड़कर उसे सहारा दिया हुआ था.

जैसे जैसे उसके लंड और उसकी चूत का मिलन हो रहा था..सोनिया ने अरुण की आँखों मे देखते हुए कहा.."आइ वॉंट टू बी युवर्ज़, भाई, हमेशा के लिए..आइ लव यू.." और फिर अपनी कमर को पूरा लंड पर धसा दिया. दोनो की आहें निकल गयी इस मिलन से.."आइ लव यू टू, गुड़िया.." अरुण ने उसे किस करने से पहले कहा. सोनिया ने अपना चेहरा नीचे करके अरुण के निपल्स पे जीभ फिराने लगी और साथ मे अपनी कमर को भी उपर नीचे करती रही.

"मैं सिर्फ़ आपकी और आपकी ही रहना चाहती हूँ..हुहह.." सोनिया बोलती रही. अरुण ने अपने धक्के तेज कर दिए और उसके निपल्स को प्यार करने लगा..

"मैं सिर्फ़ आपके लंड को चूसना चाहती हूँ...सिर्फ़ आपके.." गहरी साँस लेते हुए सोनिया बोली..

सोनिया ने कमर को पूरा उपर किया फिर तुरंत ही नीचे किया तो अरुण की आह निकल गयी..

"ओह..माइ..गॉड..उम्म.." अरुण मस्ती मे बोला.

"मैं चाहती हूँ आप जब भी मुझे प्यार करो हमेशा मेरे अंदर अपना कामरस डालो...आइ वॉंट यू आंड ओन्ली यू..आहूहम्म्म्मम..." कमरे मे सिर्फ़ चप चॅप की आवाज़ आ रही थी. 

अरुण के लंड ने अंत मे स्पर्म छोड़ ही दिया और उसने सारा का सारा गर्म स्पर्म सोनिया की चूत के अंदर डाल दिया. उस गर्म गर्म स्पर्म के अहसास से सोनिया भी झड़ने लगी और दोनो एक दूसरे को सहलाते हुए एक ही बात बार बार बोलने लगे.."आइ लव यू. आइ लव यू.." क्लाइमॅक्स के बाद दोनो पस्त होकर बिस्तर पर गिर पड़े. अरुण वैसे ही सोनिया को अपनी छाती पर रख रखे सो गया.
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01-25-2019, 12:04 AM,
#34
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अगली सुबह जब अरुण की आँख खुली तो सोनिया अभी भी उसके आगोश मे थी..

"तो कब से गुलामी स्टार्ट करने वाले हो..??" अरुण के दिमाग़ मे उस अंजानी आवाज़ ने चुटकी ली

अरुण हल्के से मुस्कुरा दिया. वो सोच ही रहा था कि कब ये अपनी बात बोलेगा.

"फॉर युवर इन्फर्मेशन, आप अभी तक जीते नही हैं." अरुण ने कहा

"हाहहा, तुम्हे ध्यान है जब ये सेक्सी सी बालिका आपके उपर चढ़ कर आपको प्यार करते हुए अपना बनाने को बोल रही थी.. किस तरीके से मस्ती मे आपके कामरस की माँग कर रही थी जो अपने इसे दिया.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"हां, याद है. लेकिन इसका मतलब ये थोड़ी ना कि तुम जीत गये." अरुण ने फिर उसका विरोध किया

"अच्छा, वो कैसे..?" दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"शर्त ये थी कि मैं तुम्हारी कही हुई बातों को रेज़िस्ट करूँगा. जब तुम मुझे सेक्स करने को कहोगे तब नही करूँगा.." अरुण बोला

"हां, तो वही तो हुआ ना..सबूत सामने है.." दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"हां, लेकिन रात मे तुमने मुझे सोनिया से सेक्स करने के लिए बोला ही कब. तुमने सिर्फ़ एक ही बात बोली उन 4 5 घंटो मे कि कोई भी चूसे क्या फ़र्क पड़ता है. क्यूकी तुमने मुझसे सेक्स करने के लिए कहा ही नही तो बात ना मानने का सवाल ही पैदा नही होता. शर्त मे ये नही था कि मैं अपनी इच्छा से किसी के साथ प्यार नही कर सकता. तो आप अभी तक कुछ नही जीते हैं..ओके.." अरुण ने अपने दिमाग़ की आवाज़ को जवाब दिया

कुछ देर तक एक खामोसी सी छाइ रही. ऐसी खामोशी जो तूफान के आने से पहली होती है. लेकिन तभी जैसे सूनामी आती है वैसे..ही..

"भोसड़ी के, मादरजात, मादरचोद, माँ के लौडे. हरामी, हरामज़ादे, अहसान फरामोश.." और जाने क्या क्या अरुण को सुनाई देता रहा फिर.."ओके..अब तक जितने मज़े लेने थे ले लिए तूने. अब मैं तुझे कोई भी मौका नही देने वाला. तूने एक बार मुझे उल्लू बनाया है अब देख मैं तेरी क्या हालत करवाउन्गा..मादरचोद.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच चुका था

"ओके, देखा जाएगा आंड बाइ दा वे,,अपने लोगो ने आज तक किसी की भी माँ को नही चोदा है.." अरुण हँसते हुए बोला..
सोनिया ने करवट बदली और उसके हाथ को चूम लिया.."गुड मॉर्निंग, भाई."

"पकड़ और डाल दे अपना लंड मुँह के अंदर. फिर गान्ड को फाड़ दे. सारे कपड़े फाड़ के चोद डाल." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

"उसने कुछ भी नही पहना है.."अरुण ने जवाब दिया, फिर पूछा.."थोड़े गुस्से मे हैं क्या हम लोग.." और हल्के से हंस दिया..

"तेरी माँ का..." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने फिर से गुस्से मे कहा

इसके बाद अरुण और सोनिया दोनो थोड़ी देर किस करते रहे फिर साथ मे ही बाथरूम मे नहाने चले गये. अरुण काफ़ी खुश था कि चलो एक बार तो आवाज़ को मात दे दी . वो ये भी जानता था कि उसने कुछ नही किया था. आवाज़ कल इतनी ज़्यादा एग्ज़ाइटेड थी कल रात कि अरुण तो सेक्स करने जा रहा है तो उसने इंटर्फियर करना ज़रूरी ही नही समझा. लेकिन अब आगे ऐसा कुछ नही होने वाला. फिर इन थॉट्स को दिमाग़ से निकालकर वो सोनिया के साथ शवर का मज़ा लेने लगा. उसके बाद अपने रूम मे तय्यार होकर नीचे ब्रेकफास्ट करने चला गया.

ब्रेकफास्ट तो नॉर्मली निपट गया. तो अरुण अपने रूम मे चला गया. नीचे टेबल पर सोनिया और सुप्रिया अभी भी खा रही थी. सुप्रिया के चेहरे पर तनाव के भाव थे जो सोनिया ने देख लिए. उसने मुस्कुरा कर पूछा.."क्या बात है दी??"

सुप्रिया ने सामने से प्लेट को साइड मे किया फिर कुछ सेकेंड्स चुप रही..

"मैं एक रिक्वेस्ट करना चाहती हूँ?"

सोनिया ने उसे सवालिया नज़रों से देखा.."रिक्वेस्ट..?"

सुप्रिया ने हाँ मे सिर हिला दिया.."हां, और ये थोड़ा अजीब लगेगा सुनने मे लेकिन मैं..मैं और आरोही चाहते हैं कि तुम अरुण के साथ सेक्स नही करोगी..मेरा मतलब है सिर्फ़ कुछ टाइम के लिए.."

"अच्छा, और भला वो क्यू.?" सोनिया ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा.

"कम ऑन, सोनिया," सुप्रिया ने विनती वाली टोन मे कहा.."तुम जानती हो हम लोग क्या करने की कोशिश कर रहे हैं. वो बहुत ज़्यादा ही..."

"जिद्दी है?" सोनिया ने बात पूरी करी.

"यस, वैसे महाजिद्दी कहना ज़्यादा ठीक रहेगा." सुप्रिया बोली."हम लोग बस उसे इतना ज़्यादा एग्ज़ाइट करना चाहते हैं कि उससे कंट्रोल ही ना हो और जो भी ये रेज़िस्ट वाली बकवास है ना, वो भूल जाए."

"तो हम लोगो को भी अपने उपर कंट्रोल करना पड़ेगा..?" सोनिया ने थोड़ा धीरे से पूछा.

"नही, ज़रूरी नही है.." सुप्रिया ने जवाब दिया.."मैने पहले भी देखा है कि तुम लोग उसे एग्ज़ाइट करके कितने मज़े लिया करती थी. और अब तो बात ही अलग है, सोचो जब 
वो पूरी तरह से एग्ज़ाइटेड हो जाएगा तो कितना मज़ा आएगा."

सोनिया हँसने लगी.."दी, वैसे एक बात कहूँ. अब जब हम तीनो उसके साथ इंटिमेट हैं तो भाई को आराम करने का कुछ चान्स तो देना ही पड़ेगा. सूपरमॅन थोड़ी ना है."

"ये भी है, लेकिन अभी तक तो उसने काफ़ी कंट्रोल किया है जैसे.." सुप्रिया ने ताना मारते हुए कहा..

सोनिया फिर भी हँसती रही.."तो आप चाहती हो मैं भाई के साथ कुछ ना करूँ. तब भी नही जब वो अच्छे से मुझे अपने पास लिटाए हुए हैं, उनका वो..लंड मेरी कमर पर रगड़ रहा है. और आपको पता है जब सुबह उठो और उनका लंड पेट पर चुभ रहा हो तो कितना कंट्रोल करना पड़ता है?"

ये बातें सुन कर सुप्रिया तो किसी सपने मे खो गयी..

"वेल, ये काम थोड़ा मुस्किल होगा..मैं खुद कल उसे ब्लोवजोब दे रही थी और मुझे ही पता है कितनी मुश्किल से मैं उसे बीच मे छोड़कर आई थी. इट वाज़ वेरी वेरी डिफिकल्ट.." सुप्रिया की बात सुन सोनिया खिलखिला कर हँस पड़ी.

."प्लीज़ सोनिया, मेरी बात को समझो. वैसे भी कल रत को तुम्हे उसका प्यार तो मिल ही गया ना. हम लोगो को भी थोड़ा टाइम दो ना. हम दोनो भी उस से उतना ही प्यार करते हैं."

"ओके दी, आपके लिए ये भी सही. और हो सकता है हम लोग उसके कंट्रोल को और जल्दी तोड़ सके.."

"मतलब?" सुप्रिया ने क्यूरीयासिटी के साथ पूछा..

तो सोनिया ने बस बड़ी सी स्माइल दिखा दी.

*******************

"अरुण!" सुप्रिया नीचे से चिल्ला रही थी.

अरुण अपने रूम मे हल्की फुल्की कसरत कर रहा था जब उसने आवाज़ सुनी.."अब क्या चाहिए इन लोगो को. नया प्लान है क्या कोई?"

लेकिन जाना तो पड़ेगा ही. तो वो उठकर नीचे चला गया. सब लोग डाइनिंग टेबल पर थे तो वो भी वही जाके बैठ गया. सुप्रिया कोई लिस्ट बना रही थी. उनकी बातें सुन कर तो ग्रोसरी लिस्ट ही लग रही थी. और लिस्ट देखकर उसके मुँह से गाली निकल ही गयी "बहनचोद..." हालाँकि धीरे.

"ग्रोसरीस?" अरुण ने चेयर पर बैठते हुए पूछा. और उन लोगो को लिस्ट को पूरा करते हुए देखने लगा. तब तक स्नेहा भी आ गयी और उसने भी 10 12 आइटम बढ़ा दिए लिस्ट मे. इतनी लंबी लिस्ट देख कर अरुण ने एक दुख भरी आह भरी.

"इतनी ओवेरक्टिंग की ज़रूरत नही है, स्नेहा जाएगी तुम्हारी हेल्प के लिए.." सुप्रिया ने उसकी तरफ देख कर बोला.

"वाउ, एक पागल के साथ जाना पड़ेगा अब तो.."

"आए, बहेन है अपनी.."

"व्हाटेवेर.."

फिर अरुण ने स्नेहा की ओर देखा तो भी मुस्कुरा दी. अरुण ने सोचा चलो इन तीनो से कुछ देर की मुक्ति तो मिलेगी और स्नेहा से बात करके वैसे भी उसे अच्छा ही फील होता था.

फिर दोनो बाहर जाके कार मे बैठ गये. स्नेहा ने आज सूट पहना हुआ था, नारंगी रंग का जिससे उसकी गोरी काया और ज़्यादा चमक रही थी. उपर से वो क्यूट सा चश्मा. और सूट का टॉप भी था डीप नेक. जब वो कार मे चढ़ि तो थोड़ा झुकने के कारण उसका क्लीवेज सॉफ दिख रहा था. अरुण ने दरवाजा बंद करके अपना दिमाग़ को क्लियर किया और कार को माल की तरफ ले जाने लगा लेकिन स्नेहा चुपचाप अपने ख़यालो मे खोई रही.

"तो दी, थियरी कहाँ तक पहुचि.." अरुण ने बात को स्टार्ट करने के लिए पूछा.

"उम्म, मैं काम ही कर रही थी कि कल से..." वो ये बोलते समय लाल होती जा रही थी..

अरुण समझ गया कि कल जो कुछ आरोही ने किया था उसकी वजह से स्नेहा थोड़ी एंबॅरास्ड है..

"दी, आइ'म सॉरी उन सबके लिए..और ख़ासकर जो आरोही ने किया उसके लिए आइ'म रियली सॉरी.."

स्नेहा ने नर्वस होकर अपने बालो की लट को पीछे किया...

"वो..वो..थोड़ा आ..आ.जीब था.." स्नेहा थोड़ा हकलाकर बोली.

"हॉट था,...हॉट..पागल कहीं की." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने गुस्से से कहा

"हे, ज़बान संभाल के.." अरुण ने अपने दिमाग़ की आवाज़ को उसकी औकात दिखाई

"तो दी, कुछ नया मिला अभी तक.."

"हां..." स्नेहा बोलने को हुई लेकिन फिर अपने निचले होठ को काटने लगी. अरुण उसे देखकर समझ गया कि वो एंबॅरेस्ड है..

"दी, आप क्यो परेशान हो रही हो. मैं हूँ जो अपने ही घर मे अपनी तीन बहेनॉ के साथ इंटिमेट हूँ. आप कुछ भी बोलो, आपकी इमेज मेरे लिए कभी खराब नही होने वाली. उपर से मुझे तो खुशी है कि कम से कम एक बहेन तो ऐसी है जो मुझे सिड्यूस करने पर नही तुली हुई है.."

स्नेहा ने हल्के से हँस दिया..

"वेल, तो जो कुछ भी आरोही ने किया माना कि तुम्हे एग्ज़ाइट करने के लिए किया लेकिन..मुझे भी कुछ हुआ...जैसा कि तुम्हारे साथ हुआ था.." स्नेहा ने अपनी चूनर के छोर को मरोडते हुए कहा.."और जब वो वो सब कर रही थी, मेरा मन कह रहा था कि वो ना रुके.."

अरुण के जहेन मे दोबारा वही सीन प्ले होने लगा. सोनिया उंगली से क्लीवेज पर पड़ा पेस्ट उठाकर चाट रही है फिर स्नेहा को चटा रही है..

"देखा, इट'स हॉट बेबी. अब मूठ मार इसके मुँह पर.." अरुण के दिमाग़ मे फिर से आवाज़ ने कमेंट पास किया

अरुण को हल्की सी हँसी आ गयी तो स्नेहा उसकी तरफ देखने लगी.."दी, मैं समझ सकता हूँ आप क्या कहना चाहती हो..रियली." तो स्नेहा थोड़ा रिलॅक्स हो गयी.."अच्छा तो ये बताओ थियरी का क्या रिज़ल्ट निकला? अपने पता कर लिया कि क्यू तीनो एक दम से मेरे साथ इंटिमेट होने लगी हैं?"

स्नेहा उसकी बात ख़त्म होने से पहले ही अपना सिर ना मे हिला रही थी.."नहीं, मुझे और डेटा चाहिए."

"और डेटा?" अरुण ने सोचा, फिर उसे थोड़ी घबराहट होने लगी कि ये किस डाइरेक्षन मे जा रही हैं.

"तूने सही कहा था, इसके बातें सुन कर सही मे अच्छा लगता है..हाहहः." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने फिर से कहा

"कैसे दी.." 

"वो ऐसे, अगर मुझे समझना है कि हमारी बहने क्यू अपने ही भाई के साथ इंटिमेट होना चाहती हैं, ऐसा क्या है तुममे जो बाहर नही है उसे समझाने के लिए मुझे भी खुद को इसमे शामिल करना होगा. मेरे हिसाब से तो यही सबसे अच्छा सल्यूशन है?" स्नेहा किसी किताब की लाइन की तरह बोलती चली गयी.

अरुण के पैर ब्रेक पर कसते चले गये...

"व्हाट??"

"व्हाट नही, कब पूछ कब.."

"हां, जब तक मैं तुम्हारे साथ इंटिमेट नही होती तब तक मैं कोई रिज़ल्ट नही निकल पाउन्गी."

"भाई, कभी कभी तू भी सही काम कर देता है. और मैं अपने वर्ड्स वापस लेता हूँ, शी ईज़ जीनियस. आइ लव हर.उम्म्मा...पुचह. लेकिन ये इस तरीके से क्यू बोल रही है जैसे हम लोगो के साथ सोना कोई बहुत बुरी चीज़ है." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने कहा

इस बात पर अरुण भी अग्री हुआ..

"दी, व्हाट आर यू सेयिंग?" अरुण ने दोबारा पूछा.

"अरुण, जितनी बार मैने इस के सल्यूशन के बारे मे सोचा उतनी बार मुझे हमारा किस याद आ गया और मेरी इच्छा दोबारा तुम्हे किस करने की होने लगी. तो हो सकता है तुम्हारे साथ इंटिमेट होके मैं पता लगा सकूँ कि क्यू वो सब और मैं भी तुम्हारी तरफ इतने अट्रॅक्टेड हैं."

"गाड़ी साइड मे कर, और लंड ठूंस दे मुँह मे.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने बेसब्री से कहा

"कोई मौका नही छोड़ने वाले ना..?" अरुण ने उस आवाज़ को जवाब दिया

"यॅ बेबी.." दिमाग़ मे आवाज़ गूँजी

"दी, आप समझ रही हो ना आपने अभी क्या कहा. आंड बाइ दा वे मैं आपका भाई हूँ आंड आइ लव यू सो मच. आपको किस चाहिए था तो आप मुझसे कभी भी माँग सकती थी." 

अरुण ने मुस्कुरा कर कहा तो स्नेहा भी उसकी ओर देखकर मुस्कुराने लगी. तब तक दोनो माल पहुच चुके थे. माल मे जाके अरुण का काम हमेशा होती था ट्रॉल्ली को पीछे पीछे ले जाना तो आज भी कुछ अलग नही होने वाला था. अरुण स्नेहा के पीछे पीछे ट्रॉल्ली लेकर एक जगह से दूसरी जगह घूमने लगा. आगे चलती स्नेहा की गान्ड पर अपनेआप ही अरुण की निगाह पड़ गयी तो वो उसी के मज़े लेने लगा.
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01-25-2019, 12:04 AM,
#35
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण को लड़कियों की गान्ड देखकर काफ़ी मज़ा आता था वैसे. उपर से जब वो चल रही हो तो जिस तरीके से मटकती थी तब तो कहना ही क्या. स्नेहा ने एक बॉटल उठाकर ट्रॉली मे डाली तो उसकी नज़रो ने अरुण की नज़रो को देख लिया. उसे समझते देर नही लगी कि अरुण गान्ड को देख रहा है. अरुण ने तुरंत ही अपने नज़रें उपर करी तो उसके क्लीवेज पर टिक गयी. लेकिन स्नेहा ने स्माइल दी और बिना कुछ कहे आगे चलती रही. अरुण भी अब उसके पीछे चलता रहा.

"बाइ दा वे, अरुण, आइ नीड सम हेल्प."

"बूब मसाज.." दिमाग़ की आवाज़ ने फ़ौरन चुटकी ली

"हां दी, बोलो ना..आपके लिए तो कुछ भी"

स्नेहा ने हल्के से उसके हाथ पर मार दिया.."चल मस्केबाज़. मैं कह रही हूँ कि..."

"बोलो ना दी.."

"मैं आज तक कभी किसी डेट पर नही गयी. मैं जानना चाहती हूँ कि डटे पर कैसा लगता है. ऐसा नही है कि मेरे फ्रेंड्स ने मुझे पूछा नही डेट पर ले जाने के लिए. एक दो लड़को ने पूछा था लेकिन मैं डर जाती हूँ हर बार कि कहीं मैं कुछ गड़बड़ ना कर दूं.."

"बस इतनी सी प्राब्लम.." अरुण ने चैन की साँस लेते हुए कहा. उसने तो पता नही क्या सोच लिया था.

"मेरे लिए बड़ी प्राब्लम है.." स्नेहा दुखी मन से बोली.

"नो, नो, दी मेरा कहने का वो मतलब नही थी. मुझे तो बस चैन पड़ गया कि आप की हेल्प बाकियों की तरह नही है. अगर बाकी किसी को हेल्प चाहिए होती तो...हुहह" अरुण साँस छोड़ते हुए बोला तो स्नेहा ट्रॉली मे डालते हुए हँसने लगी.

"ऑफ कोर्स, मैं आपकी हेल्प करूँगा.."

"तो क्या हम लोग डिन्नर पर चले?"

"जब आप कहे मेडम.."

स्नेहा ने खुश होके उसके गाल चूम लिए. फिर दोनो काफ़ी देर तक शॉपिंग करते रहे. थोड़ी देर के बाद स्नेहा उसके सामने झुक कर ट्रॉली के अंदर समान को उलट पुलट करने लगी..

"दी, अब आप ये जानबूझकर कर रही हो,," अरुण क्लीवेज की सुंदरता को देखते हुए बोला.

"मेबी.." स्नेहा ने हासकर कहा.

ऐसे ही दोनो ने शॉपिंग ख़तम करी. फिर कार मे समान रख कर घर की तरफ चल दिए.

घर मे ग़ैराज मे पहुचने से पहले अरुण ने पूछा.."तो दी कब चलना है?"

"आज रात कैसा रहेगा?" स्नेहा ने बड़ी होप के साथ उस से पूछा..

अरुण ने स्नेहा की तरफ देखा तो तभी उसके दिमाग़ मे कुछ स्ट्राइक हुआ. स्नेहा किसे छोटे बच्चे की तरह उसकी तरफ देख रही थी और कुछ खिलोना माँगने की ज़िद कर रही हो ऐसा लग रहा था. उसका चेहरा थोडा आगे था, उस पर वो क्यूट सा चश्मा, 3 4 लटे आगे की तरफ आ रही थी. पीछे से सूरज की किरणें आकर उसके बालो को सुनहरापन दे रही थी. वो बिल्कुल सोनिया की तरह प्यारी लग रही थी और उपर से उसके चेहरे पर वो दिल लुभाने वाली मुस्कान. अरुण की नज़रें बस उसके चेहरे को ही देखे जा रही थी.

"बूब्स देख ना, चेहरे मे क्या है.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे सजेशन दिया

"टुनाइट ईज़ दा बेस्ट.." अरुण ने उसका सिर चूम के कहा..

"कभी तो बात मान लिया कर" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने फिर विनती की

उसके बाद दोनो समान निकालकर अंदर ले गये जहाँ सुप्रिया समान को छाँटने लगी. अरुण समान का लास्ट बॅग लेकर किचन के काउंटर के पास खड़ा हो गया और सुप्रिया को समान रखते देखने लगा. सुप्रिया ने बॅग से केच्युप की बॉटल निकाली और अरुण के जस्ट सामने आकर उसकी उपर वाली सेल्फ़ पर केच्युप रखा तो उसके बूब्स अरुण की छाती मे चुभ गये. केच्युप रखने के बाद सुप्रिया ने अरुण को और दबाया और हाथ नीचे ले जाकर लंड को सहलाने लगी..

"तो मेरे बच्चे को कोई गिफ्ट चाहिए इतनी मेहनत करने के लिए.." सुप्रिया ने कहा

"यस, यस बोल यस...." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"आह..आ..नो.नो.." अरुण ने बड़ी मुस्किल से कहा..

"ओके, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी." सुप्रिया एक दम से हटी और दूसरा समान निकालने लगी.

...................
तब तक आरोही नीचे आ गयी और सीधे स्नेहा के पास जाके खड़ी हो गयी..

"मेरी चीज़..." आरोही बिल्कुल बॉस के अंदाज़ मे बोली..

स्नेहा ने हँस के उसके हाथ मे चॉक्लेट का एक्सट्रा लार्ज बार दे दिया. तो आरोही ने खुशी मे कूद कर उसे गले लगा लिया तभी उसकी नज़र अरुण पर पड़ी तो एक नॉटी स्माइल दी फिर स्नेहा का चेहरा पकड़ लिया. और जल्दी से अपने होठ स्नेहा के होठों पर रख दिए साथ मे जीभ को भी अंदर तक डाल दिया.

स्नेहा का मुँह अपने आप ही खुलता चला गया और उसका हाथ अपनी इच्छा से आरोही के सिर पर चला गया और दोनो एक दूसरे के होठ चूसने लगी. अरुण ने अपने चेहरे पर हाथ मारा और उपर जाने लगा.
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उसे उपर जाते देख आरोही ने किस तोड़ दिया..और स्नेहा के गाल पर किस कर दिया..

"भाई तुम्हे भी तो कुछ मिलना चाहिए ना इतनी मेहनत के लिए.." ये बोलते बोलते वो तेज़ी से भागी और कूद कर अरुण के उपर चढ़ गयी. अरुण ने एक दम से उसे उछलते देखा तो उसे गिरने से बचाने के लिए हवा मे ही पकड़ लिया. लेकिन इस चक्कर मे आरोही का काम हो गया उसने गोद मे आते ही अपने होठ अरुण के होठों मे पेवस्त कर दिए और तेज़ी से उसकी जीभ के साथ खेलने लगी.

आरोही के एक हाथ मे चॉक्लेट अभी भी थी. तब तक सोनिया भी आ गयी. "ऊवू चॉक्लेट," इतना बोलकर उसने आरोही के हाथ से चॉक्लेट छीन ली और सोफे की तरफ भागने लगी. आरोही जल्दी से अरुण की गोद से उतरी और सोनिया के पीछे भागी.

"आए, वो मेरी चॉक्लेट है, इधर दे चोर कहीं की.." अरुण बेचारा वहाँ बेवकूफो की तरह खड़ा रहा. वो अभी तक किस के अहसास से ही बाहर नही आ पाया था.

पूरे घर मे सोनिया और आरोही की हँसी की आवाज़ें गूंज़ने लगीं. स्नेहा भी अरुण की तरह अभी भी जड़वत खड़ी थी. आरोही की हरकत ने उसे भी अचंभित कर दिया था.

उधर सोनिया जैसे ही सीढ़ियों की तरफ दौड़ी पीछे से आरोही उसके उपर कूद पड़ी तो दोनो फर्श पर गिर पड़ी.

सोनिया हँसते हँसते चॉक्लेट को आरोही से दूर रखने की कोशिस मे लगी हुई थी..तब तक आवाज़ सुनकर सुप्रिया भी बाहर आ गयी.."क्या हो रहा है..." उसने दोनो को ऐसे देखा तो वो भी हँसने लगी..

आरोही सोनिया को हिलने से रोक रही थी.."दी, हेल्प करो ना जल्दी.." आरोही ने सोनिया का एक हाथ पकड़ते हुए सुप्रिया से कहा. तो सुप्रिया भी जल्दी से आई और अपने हाथों से सोनिया के हाथ पकड़ने लगी. अब तो आरोही ने सोनिया के पेट पर अपनी उंगलियों से हमला बोल दिया, सोनिया बहुत ही तेज़ी से हँसने लगी. वो इधर उधर हिल डुल कर छूटने की कोसिस कर रही थी लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ.

"उंगलियों की जगह अपने लंड से गुदगुदा..ज़्यादा मज़ा आएगा" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे सजेशन दिया

अरुण ने अपना सिर हिलाया और बाकी सब को नज़रअंदाज़ करते हुए उपर जाने लगा.

उधर स्नेहा वही तले के पास रखी चेयर पर बैठकर हँसे जा रही थी.."दी, आप नही आओगे.." आरोही ने खड़े होकर एक स्माइल के साथ स्नेहा को देखा.[Image: _oaDVEDeW0-NtqA3JsgRLyf0EtRNcAyQ-QaM274x...=w293-h220]

स्नेहा के चेहरे पर घबराहट के भाव आ गये, लेकिन तब तक तीनो हँसते हुए उसके पास आ गये और एक दम से उसके उपर कूद पड़े. और तीनों ने स्नेहा के गुदगुदी करना शुरू कर दिया. स्नेहा छटपटाते हुए हँसने लगी, हँसने के चक्कर मे उसके दो तीन धाँसे भी लग गये. 

"आअ...अरुण, हेल्प.." स्नेहा बड़ी मुस्किल से हँसी के बीच मे बोली.

अरुण भी एक दम से पलटा और दौड़ कर पास मे आया. उसने एक हाथ आरोही की कमर मे डाला और उसे कंधे के उपर डाल दिया और दूसरे हाथ से सुप्रिया को पीछे खीचने लगा. आरोही उसकी पीठ पर हल्के हल्के घुसे मारने लगी.."नीचे उतारो, दिस ईज़ चीटिंग.." उधर सुप्रिया भी छूटने के लिए हाथ पैर चला रही थी. 

"दी, पीछे का दरवाजा खोलो..जल्दी.." अरुण ने स्नेहा से कहा जो तब तक सोनिया से आज़ाद हो गयी थी..वो जल्दी से भागी और पीछे का दरवाजा खोल दिया.

"नो, नो..अरुण ये नही, ये नही.हाहाहा..मार खाओगे..एयेए" सुप्रिया उसके इरादे समझ कर बोली. लेकिन अरुण ने दोनो की एक ना सुनी और दोनो को अपने साथ लेके सीधे पूल के अंदर डाल दिया. 

स्नेहा और अरुण दोनो साइड मे खड़े होकर अपना पेट पकड़कर हँसने लगे और दोनो को चिढ़ाने लगे. लेकिन तुरंत ही एक छपाक की आवाज़ आई और दोनो पानी के अंदर थे. उपर सोनिया खड़ी होकर उन चारो पर हँस रही थी. अरुण ने जल्दी से अपने आप को संभाला और सोनिया को भी पूल मे खींच लिया. फिर पाँचो हँसने लगे और साथ मे खेलने लगे. सब लोगो के पेट मे हँस हासकर दर्द होने लगा तो सब सुस्ताने लगे.
[Image: JZ6MNNvlGdoBj36dZvY1ZCOuvIgzOGPJ4EyRiM8x...=w293-h220]
अरुण ने सोचा इससे पहले कि ये लोग उसके उपर टूट पड़े भाग लेना सही होगा तो वो जल्दी से घर के अंदर भाग गया.

धीरे धीरे बाकी सब भी अंदर आ गये. सुप्रिया ने सबको अंदर जाने से पहले टवल दे दी. फिर सब अपने अपने रूम मे चले गये. आरोही लेकिन अरुण के रूम मे गयी तो वो अंदर क्रंचस मार रहा था. कानो मे हेडफोन थे और आँखें बंद थी. तो आरोही बिना आवाज़ किए उसके पास गयी और जैसे ही अरुण नीचे हुआ उसके सीने पर बैठ गयी.

अरुण ने अपने उपर वजन का अहसास पाकर आँखें खोली..तो सामने आरोही अपने भीगे टॉप को उतार रही थी..आरोही ने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए अपने टॉप को उतार दिया फिर ब्रा को भी...

"भाई अब तो चोद डाल.,प्लीज़.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण से रिकवेस्ट की

आरोही ने आगे झुककर अपने दूध को अरुण के होठों पर रख दिया तो अरुण के होठ अपने आप खुलते चले गये. जैसे ही अरुण के गर्म होठ निपल पर पड़े आरोही ने और कस के अपना भार उसके उपर डाल दिया. अरुण भी मस्ती मे उसके ठंडे हो चुके निपल्स और दूध को चाटने लगा.

थोड़ी देर के बाद वो उठी और अरुण के होंठो पर किस कर दिया..और अपनी चूत को लोवर के उपर से ही लंड पर रगड़ने लगी..

"चोद दे, इससे पहले कि ये चली जाए, चोद दे.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे फिर से चेताया[Image: LavrK7A7EygheLoYASZ2EuQVgYxhuoNaH11E3S5X...=w147-h220]

लेकिन अरुण जब तक कुछ कर पाता तब तक आरोही खड़ी हुई और अपने उपर टवल डाली और चुपचाप बाहर चली गयी.. अरुण वही पड़े पड़े खुद को कोस्ता रहा..

"आइ फक्किंग हेट यू, भोसड़ी वाले, मादरचोद..फिर खड़े लंड पर धोका" दिमाग़ की आवाज़ ने गुस्से से कहा

"यॅ, आइ हेट माइसेल्फ टू.." अरुण सिर को ज़मीन मे पटकते हुए बोला..
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01-25-2019, 12:05 AM,
#36
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
"आइ फक्किंग हेट यू, भोसड़ी वाले, मादरचोद..फिर खड़े लंड पर धोका" दिमाग़ की आवाज़ ने गुस्से से कहा

"यॅ, आइ हेट माइसेल्फ टू.." अरुण सिर को ज़मीन मे पटकते हुए बोला..

इसके बाद अरुण दोपहर भर कुछ ना कुछ काम करता रहा. थोड़ी देर नॉवेल पढ़ी, कुछ देर कंप्यूटर पर काम किया, कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा. लेकिन पूरे टाइम उसके दिमाग़ मे आवाज़ ने अपना राग अलापना बंद नही किया, वो बार बार उसे नीचे जाकर किसी को चोदने की बात करती ही रही.

इन बातों का असर भी हुआ, हालाँकि अरुण नीचे नही गया लेकिन उसे वो सब सीन याद आने लगे जब उसकी बहनो ने उसे एग्ज़ाइट करने की कोशिस करी थी. कैसे सुप्रिया उसे बीच ब्लॉजॉब मे छोड़ के चली गयी, फिर आरोही का यूँ दूधों को उसके मूह मे देना.

अरुण के दिमाग़ मे बार बार यही सीन्स साइकल के रूप मे चलने लगे लेकिन बाद मे सुप्रिया पर आकर रुक गये, जब वो उसकी आँखों मे देखकर लंड को पूरे जोश के साथ चूस रही थी.

उस टाइम उसकी इच्छा तो हो रही थी कि बस उसका सिर पकड़कर पूरा का पूरा लंड मूह के अंदर घुसेड दे.

"सुप्रिया दी कितना खुश होती. उन्हे तेरा रस कितना ज़्यादा पसंद है." उस आवाज़ ने जैसे अरुण को याद दिलाया

"ऐसी बातें करना कब बंद करोगे?"

"कभी नही ." उस आवाज़ ने कहा

अरुण ने घड़ी मे देखा तो अभी 5 बजे थे. उसने और स्नेहा ने 7 बजे एक रेस्टोरेंट मे मिलने का प्लान बनाया था. उन दोनो ने घर पर नही बताया था. स्नेहा ने बहाना बना दिया था कि वो अपनी फ्रेंड पलक के घर जा रही है कोई प्रॉजेक्ट है उसमे हेल्प करने.

तो अभी 3 घंटे थे तो अरुण 2 घंटे तक सोता रहा, फिर अच्छे से तय्यार होकर बाहर जाने लगा. गेट पर पहुच कर उसने आवाज़ देकर बता दिया कि वो बाहर जा रहा है. उसकी आवाज़ सुन कर सुप्रिया हॉल मे आ गयी.

"कहाँ जा रहे इतने बन ठन कर?"

"रंडी चोदने, बोल" अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने कहा

"मूवी.."

"अकेले?"
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"नही, रोहित है ना उसी के साथ. वो वही थियेटर मे मिल जाएगा."

"ओके" सुप्रिया ने थोड़ा दुखी होके कहा लेकिन फिर बहुत ही सेक्सी आवाज़ मे बोली "पक्का तुम्हे किसी और को ले जाने की ज़रूरत न्ही है. जैसे कि 'मैं'?" सुप्रिया ने मैं कहते वक़्त अपने हाथ से दूध को दबा दिया. और उसको दिखा कर आह भरने लगी.
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"विल यू प्लीज़ फक हर?" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

अरुण ने उसकी इस हरकत को देखकर थूक को निगल लिया.."गॉड, आइ रियली वॉंट टू फक हर."

"तो जा ना रोका किसने है?" आवाज़ ने फिर कहा

सुप्रिया को उसकी हालत देखकर हँसी आ गयी. फिर वो मुड़कर टेबल पर रखी टवल उठाने लगी. "हॅव फन, स्वीतू." उसने टवल फोल्ड करते हुए कहा. तो अरुण उसके पीछे आ गया और पीछे से उसकी टीशर्ट मे हाथ डाल कर उसके बूब्स को पकड़ लिया. दोनो एक दूसरे से इस कदर चिपके थे कि अरुण का लंड सुप्रिया की गान्ड पर अच्छे से चिपका हुआ था. लंड का अहसास गान्ड पर पड़ते ही सुप्रिया की आह निकल गयी, सुप्रिया उसे किस करने के लिए उसकी ओर मूडी तो अरुण उसकी आँखों मे ही झाँकने लगा.

"दी आप जानती हो ना मैं हमेशा आपको रेज़िस्ट नही कर पाउन्गा.." इतना कह कर अरुण ने उसके गाल काट लिए..

सुप्रिया ने भी अपना हाथ उसके गले मे डाल दिया.."मैं खुद कंट्रोल नही कर सकती.." और उसे किस करने लगी.."लेकिन जाने से पहले वादा करो, जल्दी ही तुम हम लोगो के पास आ जाओगे."

"आइ प्रॉमिस, दी" अरुण ने उसके गले पर अपने दाँतों के निशान डाल दिए.

उसके बाद दोनो थोड़ी देर एक दूसरे को चूमते रहे फिर अरुण जल्दी से बाहर चला गया.

वो कार से डिसाइड करे हुए रेस्टोरेंट में पहुचा. और जाके रिज़र्व्ड सीट पर बैठ गया. थोड़ी देर ही हुई थी कि स्नेहा रेस्टोरेंट के एंट्रेन्स पर आई.
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बाल पीछे की ओर किए हुए थे. वन पीस डार्क ब्लू सूट, डीप नेक जिसमे से तिल के सहित अच्छा ख़ासा क्लीवेज नज़र आ रहा. सही तरीके से तराशे हुए पैर. अरुण तो पलके झपकाना तक भूल गया और जब वो अरुण की तरफ स्टाइल से चलते हुए आई तो काफ़ी लोगो की नज़र सिर्फ़ उस पर थी.

अरुण उसके नज़दीक आते आते खड़ा हो गया और उसके गाल पर किस किया. "यू लुक अमेज़िंग" अरुण ने कहा "दी" फिर दी धीरे से कह दिया. ये सुन कर स्नेहा के चेहरे पर मिलियन डॉलर स्माइल आ गयी जिसने उसके चाँद से मुखड़े को और रोशन कर दिया.

"थॅंक यू," उसने सिंप्ली जवाब दे दिया.

फिर दोनो आराम से बैठ गये. कुछ ही सेकेंड्स मे वेटर आया और ड्रिंक्स का ऑर्डर लेके चला गया. अरुण ने नोटीस किया कि वेटर अपनी नज़रें स्नेहा के क्लीवेज से हटा ही नही पा रहा था लेकिन स्नेहा को तो इस बात का आभास भी नही था वो तो बस मेनू को बड़े गौर से पढ़े जा रही थी.

अरुण को स्नेहा की इस मासूमियत पर प्यार आ गया लेकिन वेटर पर थोड़ा सा गुस्सा. वेटर थोड़ी देर मे ही ड्रिंक्स लेकर आया और जितनी देर उसने टेबल पर चीज़े सेट करी पूरे टाइम बस स्नेहा के क्लीवेज को देखता रहा. जैसे ही वापस गया स्नेहा ने आगे होकर अरुण से पूछा..

"वो मेरे ब्रेस्ट्स देख रहा था, है ना?"

"युवर क्लीवेज..दी" अरुण ने थोड़ा सा हँसकर कहा.."हां, देख रहा था. लेकिन आप उस पर गुस्सा भी नही कर सकती. आप हो ही इतनी खूबसूरत."

स्नेहा के चेहरे पर लाली छा गयी, "थॅंक यू, अगेन." उसने दोबारा थॅंक यू कह दिया.

"तो आपके पास डेट से रिलेटेड कोई क्वेस्चन्स हैं?" अरुण ने अपनी ड्रिंक का सीप लेते हुए पूछा.

स्नेहा ने भी सीप लिया फिर कुछ सेकेंड्स सोचने के बाद कहा,"वेल, मैं इस से पहले कभी किसी डेट पर आई नही हूँ, तो मुझे पता नही कि क्या करना सही होता है, क्या ग़लत..या फिर आख़िर मे करना ही क्या होता है?"

अरुण मुस्कुरा दिया. "दी आप टेन्षन मत लो. अभी तक आपने सब ठीक किया है. आंड आइ ट्रूली बिलीव आप डेट के एंड तक भी सब अच्छा ही करोगी. आप बस ये मानो कि मैं वो हूँ जो आपको पसंद है."

"इसमे ज़्यादा मुश्किल नही होनी चाहिए." उसने हँस कर जवाब दिया.

अरुण के दिल मे ये बात सुन कर गिटार बजने लगे.
[Image: rfuxoQ3xB1nY8_b16Nog1ZBUGtLPWh341hncOgAV...=w152-h220]
"तो कोई भी लड़का, इन और केस यू, क्या एक्सपेक्ट करता है एक डेट मे?"

"शी'स जोकिंग वित मी, राइट? उसके कहने का मतलब.." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

"उन्हे पता भी नही है कि तुम जैसा भी है कोई इस दुनिया मे," अरुण ने आवाज़ को इंट्रप्ट करते हुए सोचा,"और नही मुझे नही पता वो किस बारे मे पूछ रही हैं?"

"ओके, आएँ,,क्याअ?" आवाज़ ने फिर पूछा

"जस्ट, शट अप." अरुण ने मन मे उस आवाज़ को झिड़का

"उम्म्म, दी, ये डिपेंड करता है आइ थिंक, मेन्ली फर्स्ट डेट मे लोग एक दूसरे को रियली जानने की कोसिस करते हैं. एक तरीके से ये थोड़ा फन्नी भी है क्यूकी कोई भी डेट पर ऐसे आक्ट नही करता जैसे कि वो रियली हैं. ज़्यादातर लोग यही दिखाते रहते हैं जो वो है ही नही, या फिर वो इंसान जो सामने वाला पसंद करता है. तो कभी कभी एंड मे प्रिटेंड करने के चक्कर मे सब गड़बड़ हो ही जाती है."

"तो मुझे जस्ट स्नेहा ही रहना है?" स्नेहा ने डाइरेक्ट्ली पूछ लिया.

"मोस्ट्ली, हां, ज़्यादातर फर्स्ट डेट्स काफ़ी ईज़ी होती हैं अगर आप सिंपल रहो तो. दी, रिलेशन्षिप्स टेक टाइम. और ये भी गॅरेंटी नही है कि डेट एंड मे सक्सेस्फुल हो ही जाए. और इसी बात पर मुझे ये स्मझ मे नही आ रहा कि आप मुझसे इन चीज़ो के बारे मे क्यू पूछ रही हो. मुझे खुद ज़्यादा एक्सपीरियेन्स नही है इस फील्ड मे."

"यार, मैं ऐसे किसी और लड़के को जानती ही नही हूँ जिससे इस बारे मे पूछ सकूँ. मेरी लाइफ मे सिर्फ़ तुम ही अकेले लड़के हो जिसके मैं इतने ज़्यादा करीब हूँ, आंड आइ आम अड्मिटिंग इट नाउ, आइ'म लिट्ल बीट अट्रॅक्टेड टू यू ऑल्सो." उसने आख़िरी लाइन बोलते समय अपनी आँखें टेबल पर झुका दी.

अरुण भी ये सुनकर खुश हो गया. और उसने अपने हाथ से उसका चेहरा उपर उठा दिया.

"तो, इस सबका आपकी थियरी से क्या रीलेशन?"

स्नेहा काफ़ी खुश हो अरुण के क्न्सर्न को देखकर. "ये तो मुझे भी पक्का नही है. "और एक बात बताऊ, आज जब आरोही मुझे किस कर रही थी..तो..आइ वांटेड....मोर."

अरुण उसकी बात समझ के मुस्कुरा दिया.

"आइ नो, दी. वो कुछ ज़्यादा ही पोवर्स्वेसिव है और जब एग्ज़ाइटेड हो तब अग्रेसिव."

स्नेहा हल्के से हँस दी.

अरुण ने तब उसी बात को आगे किया. "बाइ दा वे, जब मुझे किस किया तब अच्छा नही लगा था?" वो किसी बच्चे के तरह नाराज़ होकर बोला.

"यही तो प्राब्लम है. मैं तुम्हारे साथ भी वही फील करती हूँ. मैं आगे बढ़कर कुछ करना चाहती हूँ लेकिन क्या करूँ, बस यही नही पता. यूष्यूयली मेरे सामने कोई प्राब्लम आती है तो मैं उस पर रिसर्च करती हूँ, फिर जो बेस्ट तरीका होता है प्राब्लम सॉल्व करने का वो यूज़ करती हूँ. लेकिन इस केस मे मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा. और मैं एंबॅरस भी नही होना चाहती."

"आपको वो दिन याद है अभी 20 दिन पहले जब मैं पूल सॉफ कर रहा था?" अरुण ने पूछा " और आप, सोनिया और आरोही वही पास मे थे."

"यॅ" स्नेहा उसकी ओर उत्सुकता से देखकर बोली "तुम पूल के अंदर जा कर सफाई कर रहे थे. फिर गर्मी के कारण तुमने अपनी टीशर्ट उतार दी. और फिर पाइप से सिर पर पानी डालने लगे थे." स्नेहा का चेहरा लाल हो गया ये बोलते वक़्त.

"हां और उसके बाद जब मैं अंदर गया तो हमेशा की तरह सुप्रिया दी ने वही पर मेरे गीले कपड़े उतरवाए. लेकिन इस चक्कर मे मेरा एरेक्षन उनके मूह से टकरा गया जो कि आप तीनो की वजह से था. आंड आप सोच नही सकती की वो कितना ज़्यादा एंबॅरसिंग था मेरे लिए."
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01-25-2019, 12:05 AM,
#37
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
स्नेहा ड्रिंक पी रही थी. ये बात सुनते ही वो खिलखिलाकर हँस पड़ी. आस पास के लोग उनकी तरफ देखने लगे तो उसने अपने मुँह पर हाथ रख लिया.

"आइ'म सॉरी" वो अभी भी हल्की सी हँस रही थी.." फिर?"

"वही दिन था जब मैं और सुप्रिया दी पहली बार इंटिमेट हुए थे." अरुण ने अपनी ड्रिंक लेते हुए कहा. "मेरा पॉइंट है कि सेक्स या इंटिमेसी कभी कभी बहुत ज़्यादा एंबॅरसिंग भी हो जाती है. ज़रूरी नही है हर टाइम पर्फेक्ट हो. उपर से ये तो मेरा गुड लक है कि मुझे ऐसी बहनें मिली जिन्होने शुरुआत मे होने वाली ग़लतियों को नज़रअंदाज़ कर दिया."

स्नेहा ने बात को समझते हुए हां मे सिर हिला दिया. तब तक उनका खाना भी आ गया तो दोनो उसी को एंजाय करने लगे. खाते खाते अरुण ने पूछा.

"तो दी, डोंट टेक इट रॉंग, लेकिन क्या आपको सेक्स से रिलेटेड कोई एक्सपीरियेन्स नही है?"

"नोप. मैं आज तक किसी के साथ इंटिमेट नही हुई. जितना कुछ हुआ है बस तुम्हारे और आरोही के साथ हुआ है. बाकी कुछ नही. इनफॅक्ट तुम्हारे साथ वाला किस वाज़ माइ फर्स्ट किस. आंड बिलीव मी इट वाज़ पर्फेक्ट." स्नेहा बिना एक पल गवाए जवाब दे दिया.

"ओह माइ गॉड, येस्स्स्स, येस्स्स्स, तेरी सभी बहनें वर्जिन हैं. एसस्स्स्स्सस्स, अगर तू अंदर होता तो मैं तुझे किस कर लेता. आइ लव यू मॅन.." दिमाग़ में उस आवाज़ ने अपनी खुशी प्रकट की

"यक...और कोई बात कह देता" अरुण ने अपने मन में कहा

अरुण उसे देख कर बस मुस्कुरा दिया और खाना ख़ाता रहा.

"वेल, आप मुझसे जो चाहो पूछ सकती हो.."

फिर स्नेहा ने उसकी बात को पकड़ते हुए पूछ ही लिया, "तो हमारी सारी बहनों मे से तुम्हारी फॅवुरेट कौन है?"

अरुण को ये क्वेस्चन सुनकर ठन्सका लग गया. उसने तुरंत ही सामने रखा पानी पी लिया.

"सॉरी," स्नेहा हँसते हुए माफी माँगने लगी.

अरुण हाथ हिला दिया.."कुछ नही दी, बस वो ऐसे ही.."

फिर उसने कुछ पल सोचा. क्या सही मे उसकी कोई फॅवुरेट है भी? आज से पहले तो उसने कभी इस बारे मे सोचा भी नही था.

"बेसिकली, मेरी कोई फॅवुरेट नही है." उसने सच बताते हुए कहा. फिर अपनी आवाज़ को कम करके और आगे झुक गया जिससे आस पास के लोग उनकी बातें ना सुन सकें.."सबकी अपनी अपनी खूबी हैं. जैसे सुप्रिया दी बेस्ट ब्लोवजोब देती हैं. आरोही ईज़ सो वाइल्ड आंड अग्रेसिव," और फिर बहुत ही धीमे से बोला.."और सोनिया, सोनिया के साथ सेक्स नही सिर्फ़ प्यार होता है. ऐसा लगता है जब हम दोनो साथ मे होते हैं तो दो नही एक ही हों."

स्नेहा उसकी आखो मे देखे देखे बात सुन रही थी.

"तो जब तुमने सुप्रिया दी के साथ सेक्स किया, तो क्या...वो...उनका फर्स्ट टाइम था?" स्नेहा भी उतने ही धीरे से पूछती है.

अरुण हां मे सिर हिला देता है.

"दी को क्या तक़लीफ़ हुई थी?" स्नेहा ने एक गंभीर स्वर मे पूछा.

अरुण ने उसकी तरफ देखते हुए अपना सिर हिला दिया. "नही दी, एग्ज़ॅक्ट्ली ऐसा नही है. मेरे हिसाब से ये डिपेंड करता है कि आप किसके साथ हो. मैं जानता था कि अगर मैने जल्दबाज़ी करी तो उन्हे तक़लीफ़ होगी, तो मैने ध्यान रखा, और सब कुछ आराम से किया. माना कि मैं उतना एक्सपीरियेन्स्ड नही हूँ इन मामलो मे लेकिन आइ रियली केयर अबाउट यू ऑल, तो दी को तक़लीफ़ कैसे दे सकता था जहाँ तक मेरा बस चलता."

"यार ये बक्चोदि बंद करो तुम दोनो, जल्दी यहाँ से निकलो और कहीं जाके चुदाई शुरू करो. ये तो मुझे भी पता है कि तुम दोनो यहाँ सब के सामने तो करने वाले हो नही." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने झुंझलाते हुए कहा

"आइ बिलीव, इट हॅड बीन वंडरफुल." स्नेहा ने अपने खाने का एक बाइट लेते हुए कहा.

"हां, मेरे हिसाब से तो ठीक ही था. दी और आरोही काफ़ी एंजाय....." अरुण बोलते बोलते रुक गया, उसके आवाज़ ही गले मे अटक गयी जब उसे रियलाइज़ हुआ कि उसने क्या बोल दिया है. उसने सामने देखा तो स्नेहा की आँखें अचंभे मे प्लेट जितनी बड़ी हो गयी थी.

"बहेन के लौडे....ऐसे ही बता दिया. अब पक्का ये हमारे हाथ से गयी.." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने आवेश मे आते हुए कहा

"आरोही भी तुम्हारे साथ थी, जब तुमने दी के साथ सेक्स किया?" स्नेहा ने पूछा

अरुण अब मना तो कर सकता नही था.

तो उसने सच बताना ही ठीक समझा. "हां, दी, दोनो थी.."

"तो उन लोगो ने आपस मे...?" स्नेहा ने पानी पीते हुए कहना स्टार्ट किया.

अरुण ने कुछ कहा नही बस हां मे सिर हिला दिया.

"ओके, नाउ, अब ये एक वेरियबल है ईक्वेशन मे," स्नेहा किसी साइंटिस्ट की तरह बोलने लगी."वो लोग तुम्हारे साथ ही नही बल्कि एक दूसरे के साथ भी इंटिमेट हैं. वाउ!" फिर कुछ देर वो 'डेटा' को कलेक्ट करती रही फिर दोबारा बोली.."तो अकॉरडिंग टू दिस, इन्सेस्ट रिलेशन्षिप चाहे वो किसी के साथ भी हो इस ऑल्सो इंपॉर्टेंट. दट'स इंट्रेस्टिंग."

अरुण को ज़्यादा कुछ समझ मे नही आया लेकिन फिर भी उसने कंधे उचका कर उसकी बात का समर्थन किया. फिर खाते खाते चारो तरफ देखने लगा कि कहीं कोई आस पास सुन तो नही रहा.

"तो एक और क्वेस्चन, उन्हे तुम्हारे साथ ज़्यादा मज़ा आया या एक दूसरे के साथ?" स्नेहा ने फिर पूछा

"शिट, आख़िर यही क्वेस्चन पूछना था? बता दे तेरे साथ." दिमाग़ मे आवाज़ गूँजी

दोबारा, अरुण के पास कोई जवाब नही था. उसने खुद इस बारे मे कुछ नही सोचा था. और सच तो ये था, कि उसे खुद नही पता था. वो अपने ख़यालो मे खोया हुआ इधर उधर तकने लगा.

आख़िर मे उसने कंधे उचकाकर जवाब दिया.."आइ डॉन'ट नो. हां अगर इस बात को देखा जाए कि वो दोनो ही मुझे पसंद करती हैं, तो दोनो को दोनो कंडीशन मे एक जैसा ही मज़ा आया होगा. या फिर आप दोनो मे से किसी से पूछ सकती है. वैसे आपको बता दूं अभी मैने आरोही के साथ कुछ नही किया है. हम दोनो करते अगले दिन, लेकिन फिर मैने ये शर्त लगा ली."

"चूतिए पक्का तेरे साथ ज़्यादा मज़ा आया होगा. अगर तेरे साथ ज़्यादा मज़ा नही आता तो तुझे एग्ज़ाइट करने की जगह खुद आपस मे अभी तक लेज़्बीयन सीन नही चालू कर देती." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने कहा

इधर स्नेहा अपने ही ख़यालो मे खोई हुई थी. फिर कुछ मिनिट के बाद वो नॉर्मल हुई और अपना खाना ख़त्म करने लगे. वेटर बाद मे आया और बिल देकर आख़िरी बार स्नेहा के क्लीवेज के दर्शन करे और चला गया.

"अब ये बात मुझे क्लियर नही है. अब जब बिल आया है तो क्या मुझे अपने पार्ट्नर के साथ बिल स्प्लिट करना चाहिए या फिर उसे ही पूरा बिल पे करने देना चाहिए? और मान लो अगर मैने उसे पे करने दिया, तो क्या वो रिटर्न मे कुछ नही माँगेगा?"

"दी, नॉर्मली तो लड़का ही पे करता है. और इसका मतलब ये बिल्कुल नही है कि आपको कुछ रिटर्न मे देना पड़ेगा. हां आगे वाली डेट्स पे आप चाहो तो पे कर सकती हो, लेकिन अगर एक सही लड़का होगा तो वो कभी भी आपसे शेयर करने को नही कहेगा. उसने आपको डेट पर पूछा है. आप उसकी मेहमान हो."

फिर उसने बिल पे कर दिया और वेटर की टिप भी रख दी, फिर घूम कर स्नेहा की चेयर पीछे की ओर उसे लेकर दरवाजे की तरफ चल दिया. रेस्टोरेंट के हॉल से निकलते वक़्त उसने अपना हाथ स्नेहा की पीठ पर रख दिया और दरवाजे पर पहुच कर उसके लिए गेट खोला और उसे पहले निकलने दिया.

"दी, अभी तो काफ़ी टाइम है. और उपर से अगर मैं जल्दी चला गया, तो दी कभी बिलीव नही करेगी कि मैं 1 घंटे मे ही मूवी देखकर आ गया." अरुण साथ मे चलते हुए बोला.

स्नेहा काफ़ी खुश लग रही थी.."तो फिर क्या करना चाहिए?"

अरुण कुछ पॅलो तक सोचता रहा. कार तक जाते जाते उसने अपने हाथ स्नेहा की कमर पर ही रखे.."आइडिया."

स्नेहा हँसते हुए बोली.."मुझे तो लगा था कि मुझे कुछ नही देना पड़ेगा.."

"हहा, वेरी फन्नी" अरुण ने उसकी कमर पर चिकोटी काटते हुए कहा.."जस्ट ट्रस्ट मी, दी."

"ओह, आइ ट्रस्ट यू, बेबी." स्नेहा ने भी उसी अंदाज़ मे कहा..

अरुण ने स्नेहा के लिए अपनी कार का दरवाजा खोला फिर उसे बंद कर के ड्राइवर सीट पर बैठ गया.."आपकी कार के लिए हम लोग वापस आ जाएँगे."

स्नेहा ने सिर हिला दिया फिर मज़ाक मे बोली.."तो मुझे तुम्हारे इरादो से घबराना चाहिए कि नही?"

अरुण भी हँस दिया.."नही आज नही. आज मैं खुद को कंट्रोल कर लूँगा. लेकिन आगे से आप थोड़ा होशियार रहना." फिर दोनो हँसने लगे.

वो कुछ देर तक गाड़ी चलाता रहा फिर एक बड़े से पार्क के साइड मे कार रोक दी. उसने कार से एक चादर निकाल ली और स्नेहा का हाथ थाम कर उसे उतारा और पार्क के अंदर चले गये.

"मैने सोचा, आप तारों को देखना ज़्यादा पसंद करोगी."

"भाई सही जगह है, कोई है भी नही. आगे देख काफ़ी बड़े पेड़ हैं और घने भी हैं. और ये मस्ती मे भी है चोद डाल यही." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को सुझाव दिया

"ओये, शांत रह भाई." अरुण ने अपने दिमाग़ मे उस आवाज़ से कहा

स्नेहा बस उसे देख कर मुस्कुराए जा रही थी. वो दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़े आगे गये फिर एक खुला सा एरिया देखकर वही चादर बिछा दी और दोनो सट कर लेट गये. फिर स्नेहा अरुण को कॉनस्टिलेशन्स और तारों के बारे मे फॅक्ट्स बताने लगी और अरुण भी उसकी बतो को ध्यान से सुनता रहा.

धीरे धीरे काफ़ी टाइम बीत गया तो दोनो कार मे वापस आ गये और अरुण कार को वापस रेस्टोरेंट ले गया.

"थॅंक यू, माइ बेबी, फॉर दिस वंडरफुल ईव्निंग. यू वर रियली स्वीट आंड आइ लव यू." स्नेहा अपनी कार के नज़दीक पहुच कर बोली.

"नो दी, इट वाज़ माइ प्लेषर." अरुण बोला."मुझे आपके साथ बहुत अच्छा लगा. आंड आइ लव यू टू."

फिर दोनो एक दूसरे की ओर देखने लगे.

"अब इसी पार्ट के बारे मे मैं थोड़ी घबराती हूँ."

अरुण हँस पड़ा.."दी मैं आपको खा थोड़ी जाउन्गा.."

"क्यू नही, इतनी टेस्टी तो है." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने चुटकी ली

"मैं लास्ट बार कह रहा हूँ. शट अप." अरुण ने अपने दिमाग़ की आवाज़ को धमकी दी

स्नेहा ने उसके हाथ पर मार दिया.."ये मैं जानती हूँ, डफर. मुझे बस आइडिया नही है कि क्या करना है या फिर सामने वाला इंसान मुझसे क्या एक्सपेक्ट कर रहा होगा?"

"ओके, अगर डेट अच्छे तरीके से होती है और आपको रियली लड़का पसंद आता है तो एक किस काफ़ी है फर्स्ट डेट के लिए. हां अगर लड़का उतना पसंद नही है, लेकिन डेट सही गयी तो गाल पर भी किस चलेगा. और अगर कुछ भी पसंद नही आया तो झूट बोलने की बिल्कुल ज़रूरत नही है." अरुण उसके करीब होते हुए बोला.
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01-25-2019, 12:05 AM,
#38
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
जवाब मे स्नेहा ने अपने होठों को अपनी जीभ से लिक्क कर लिया जैसे ही अरुण ने उसे अपने आगोश मे लिया. स्नेहा के शरीर मे 'कुछ' सेन्सेशन सा दौड़ गया और उसका सिर अपने आप ही तिरछा हो गया जैसे ही अरुण के होठ उसके होठों से मिले. अरुण के हाथ स्नेहा की पीठ से होते हुए उसके बालों मे गये और उसने थोड़ा सा प्रेशर डाल के उसके मूह मे अपनी जीभ डाल दी. स्नेहा भी उतने ही जोश के साथ उसे किस करने लगी.

कुछ सेकेंड्स के बाद, दोनो ने धीरे धीरे होठ अलग किए. फिर स्नेहा उसकी ओर देखती हुई उस से अलग हुई.

"हाउ वाज़ इट?" स्नेहा ने साँस को रोकते हुए पूछा.

अरुण ने पहले तो एक गहरी सास ली फिर उसकी ओर मुस्कुरा आँख मार दी.."दी, यू आर आ वंडरफुल किस्सर. कहाँ से सीखा?" स्नेहा ने भी हँसते हुए कहा."तुम भी ठीक ही थे.." फिर दोनो हँसते लगे और दोबारा एक छोटा सा किस लिप्स पर किया. 

"थॅंक यू अगेन, माइ बेबी ब्रदर." स्नेहा उसके गले लगकर बोली.

"माइ प्लेषर, माइ स्वीट दी." फिर अरुण ने उसे उसकी कार मे बैठने मे हेल्प करी फिर वो चली गयी. अरुण उसे जाते हुए देखता रहा फिर अपनी घड़ी की तरफ देख कर जल्दी से कार तक पहुचा और अपनी कार मे बैठकर उसके पीछे पीछे चलने लगा.

"अगर एक बार मम्मे दबा दिए होते, तो क्या नुकसान हो जाता?" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

घर पहुच कर अरुण स्नेहा के पीछे पीछे ही घर मे एंटर हुआ. लेकिन गेट पर रुककर वो स्नेहा को अपने रूम मे जाते हुए देखने लगा. अपने रूम पर पहूचकर स्नेहा ने एक बार उसकी तरफ देखकर स्माइल दी और फिर बाइ बोलकर अंदर चली गयी.

उसके बाद अंदर चला गया. सीढ़ियों पर पहुचा ही था कि सुप्रिया की आवाज़ आ गयी..

"तो मूवी कैसी थी?" सुप्रिया की आवाज़ अरुण के कानो मे पड़ी.

"डंब" अरुण उसकी तरफ मुड़कर बोला.

तब तक सुप्रिया उसके पास आ चुकी थी. उसके इतने नज़दीक आने पर अरुण ने नोटीस किया कि वो क्या पहने हुई थी. ना, पहनी हुई कहना सही नही रहेगा. उसने एक वाइट शर्ट पहनी थी जिसके आगे के सारे बटन्स खुले हुए थे, और पर्पल कलर की पैंटी के अलावा कुछ नही.

उसने एक बार जी भर के देखा फिर बड़ी मुश्किल से सिर पीछे मोड़ कर उपर जाने लगा. तभी उपर से सोनिया नीचे आती दिखाई दी. उसे देखकर तो उसके कदम वही रुक गये. सोनिया ने उसी की ब्लू शर्ट पहनी थी, उसने भी शर्ट को सामने से पूरा खोल रखा था और पिंक कलर की पैंटी पहन रखी थी.

"ओह शिट," अरुण ने अपने आप से कहा. वो पीछे हटा तो पीछे किसी से टकरा गया. उसने तुरंत ही पीछे मुड़कर उस इंसान को पकड़ने की कोशिश करी तो उसका मूह और ज़्यादा खुलता चला गया.

पीछे आरोही थी और वो भी बाकी दोनो की तरह कपड़े पहने हुई थी. खुली हुई शर्ट और ब्लू पैंटी. वो आगे बढ़ी और उसकी कमर मे अपने हाथ डाल कर अपने दूधों को उसके सीने से रगड़ने लगी. तब पीछे से बाकी दोनो भी आ गयी.

"अगर तूने अब नही चोदा तो समझ लेना..." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को चेतावनी दी

"ओह, शट दा फक अप." अरुण ने सोचा.

"आ, म..मुझे जाके अपने...दद्दूध...ईमेल चेक करनी है." वो जल्दी से तीनो से दूर हटने की कोसिस करते हुए बोला.

तो आरोही खिलखिला कर हँसते हुए सामने सोफे पर जाके बैठ गयी और अपनी शर्ट को खोल दिया जिससे उसके छोटे लेकिन पर्फेक्ट दूध सामने आ गये और एक सेक्सी से पोज़ मे बैठ कर उसे देखने लगी. अरुण भी बीच रास्ते मे रुक गया. तो सोनिया और सुप्रिया भी आरोही की दोनो साइड बैठ कर उसे अपने दूधों के दर्शन करवाने लगे. और एक दूसरे के शरीरों को छूने लगे.

"भाई प्लीज़ कुछ तो कर ले, चलो आज रात बेट ऑन नही है. तू कुछ भी कर सकता है. अब तो कर ले.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को मनाते हुए कहा

"मैने कहा, चुप रहो.." अरुण ने अपनी आँखों को बंद करते हुए कहा.

"भाई, हम लोगो के साथ टीवी देखोगे?" सोनिया ने किसी बच्चे की तरह पूछा.

अरुण ने तुरंत ही आँखें खोली और सिर हिलाते हुए कहा.."उम्म मुझे स्षेव करना है.." उसने फिर बड़ी मुश्किल से खुद को पीछे की ओर मोड़ा और उपर जाने लगा. पीछे उसके कानो मे हसी की आवाज़ें आती रही.

अभी सिर्फ़ 11 बजे थे, लेकिन जितना कुछ आज हुआ था उस हिसाब से अब सो जाना सही थी. उसने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ़ बॉक्सर्स मे चादर के अंदर लेट गया.

वो सोचने लगा कि उसकी बहने आगे पता नही किस हद तक जाएँगी. सुबह पता नही क्या मायाजाल फेका जाएगा उसके उपर.

तभी उसके रूम का दरवाजा खुला.

"चूत...चूत....चूओत." दिमाग़ मे उस आवाज़ ने शोर मचाना शुरू कर दिया

बाहर लाइट ऑफ थी लेकिन अरुण समझ गया कि सोनिया है. वो धीरे से आई और उसके साथ चादर मे लेट गयी. जैसे ही अरुण को उसके गरम बदन का अहसास अपने पास हुआ उसकी बॉडी भी रिलॅक्स हो गयी. उसने अपने हाथ से उसके बाल हटा दिए और उसकी गर्दन पर गुड नाइट किस कर दिया.

दोनो को थोड़ी ही देर मे नींद आ गयी. आज की रात अरुण के सपने और ज़्यादा खराब थे. हालांकि उनमे आक्सिडेंट या कोई जोकर नही था, लेकिन उनसे भी ज़्यादा हिला देने वाले सपने थे.

उसने देखा कि सुप्रिया उसका लंड चूस रही है लेकिन झड़ने से जस्ट पहले वो उसके लंड को दाँतों से काट लेती है और काटती ही रहती है. आरोही अपने दूध उसके मुँह मे रखती है लेकिन वो जितनी भी कोशिश करे होठों को दूधों से नही जोड़ पा रहा. सोनिया उसके पास आके लेट जाती है और उससे चोदने के लिए कहती है लेकिन जब अरुण नीचे देखता है तो उसके पास लंड ही नही होता.

अरुण सोया तो ज़रूर लेकिन सुकून से नही.

सुबह अरुण की आँख खुली तो उसका हाथ सोनिया के पेट पर था. उसने आँखे खोल कर अपने पास सोई हो उस मासूम सी लड़की को देखा और उसका सिर चूम लिया. अरुण सोचने लगा कि आज का दिन भी आज सुबह की तरह ही अच्छा बीते तो कितना अच्छा हो.

"मैं अभी भी कह रहा हूँ कल तूने चीटिंग की थी. मैं आसानी से जीत सकता था." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण से शिकायत की

"ओह सर, आज आप बड़ी जल्दी उठ गये." अरुण ने चुटकी ली

"हहा, सो फन्नी. मैं अब तुझसे साँस लेने और खाने के लिए कहने वाला हूँ. तू वो सब करेगा और मैं शर्त जीत जाउन्गा." दिमाग़ की आवाज़ ने भी गुस्से से कहा

"फर्स्ट ऑफ ऑल हम दोनो जानते हैं शर्त मे मेरी बहनों के साथ सेक्स शामिल है. 
और मैं जानता हूँ तुम इतने गुस्से मे इसलिए हो क्यूकी कल मैने तुम्हे उल्लू बना दिया था. आंड सेकेंड दिस विल बी चीटिंग." अरुण ने अपने दिमाग़ मे उस आवाज़ को जबाब दिया

"लो अब चीटिंग के बारे मे मुझे कौन बता रहा है." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को छेड़ा

"ओये मैने कोई चीटिंग नही की. तुम्हारी बस जल रही है क्यूकी मैं जीत रहा हूँ." अरुण ने गुस्से मे अपने दिमाग़ की आवाज़ को जबाब दिया

"कमऑन, तेरी बहनें पहले से ज़्यादा हर्नि हैं. और ये जो तेरे पड़ोस मे मासूम सी लड़की लेटी हुई है ना ये बस एक कदम दूर है, तुम्हारी जिंदगी हराम करने से. और मैं पक्का कह सकता हूँ कि अगर तुम अभी इस से सेक्स के लिए कहोगे तो मना कर देगी. पक्का बाकी दोनो ने इसे सेक्स करने से मना किया होगा." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को उकसाते हुए कहा

"नही, नही मना करेगी." अरुण थोड़ा इरिटेट होकर बोला.

"शर्त लगा ले, अभी कुछ करके देख पक्का मना कर देगी." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे उकसाते हुए कहा

अरुण तुरंत ही चादर को सोनिया की गर्दन के नीचे करने लगा लेकिन फिर तुरंत ही अपना हाथ रोक लिया. एक स्माइल भी आ गयी उसके चेहरे पर.

"नाइस ट्राइ.." अरुण समझ गया कि बस एक पल और फिर वो शर्त हार जाता.

"आह, कमीने. अभी जीत गया कोई बात नही. लेकिन जल्दी ही तुझे हारना ही है. चोद दे ना, हमें भी कोई तक़लीफ़ नही उठानी पड़ेगी और ना ही हमारी सेक्सी बहनों को." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

"जब हारुन्गा तब देखा जाएगा." अरुण ने जबाब दिया
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01-25-2019, 12:05 AM,
#39
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण समझ तो चुका था कि वो आवाज़ हर पल के साथ स्ट्रॉंग होती जा रही है. लेकिन फिर भी 4 दिन हो गये कंट्रोल करते करते. इतनी जीत भी बहुत है. फिर वो धीरे से सोनिया को डिस्टर्ब करे बिना बिस्तर से उठा और बाथरूम की ओर जाने लगा. अभी वो अपने रूम से बाहर निकला ही था कि आरोही अपने रूम से बाहर निकली. वो जस्ट अभी जागी थी तो बाल बिखरे थे. अरुण को तब रीयलाइज़ हुआ कि उसकी जुड़वा बहेन सही मे कितनी सुंदर है. वो एक पुरानी टीशर्ट मे सामने खड़ी थी, बाल बिखरे हुए, चेहरे पर कोई मेकप नही, फिर भी इतनी सुंदर लग रही थी.

"गुड मॉर्निंग, ब्यूटिफुल." अरुण सीढ़ियों से नीचे जाते हुए बोला.

"मॉर्निंग," आरोही ने एक नॉर्मल स्माइल के साथ कह दिया. उस वक़्त वो बिल्कुल पहले वाली आरोही लग रही थी, ना की नयी वाली सेक्स क्रेज़ी आरोही, जो पिछले 3 दिन से उसे तड़पाने के लिए स्नेहा के साथ पता नही क्या क्या करे जा रही थी. वो भी अरुण के पीछे पीछे बाथरूम मे चली गयी और अपने दाँत ब्रश करने लगी.

अरुण अपने कपड़े निकालकर, शवर मे चला गया. आरोही ब्रश करने के बाद अपने बाल सही कर ही रही थी कि बीच मे ही उसका हाथ रुक गया और चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी. नयी वाली आरोही जाग गयी थी आख़िर.

अरुण आराम से हल्के गुनगुने शवर का मज़ा ले रहा था कि एक दम से दरवाजा खुला और सामने आरोही बिल्कुल नंगी खड़ी हुई थी. आरोही ने अपनी नज़रे उसके लंड पर डाली और वही नज़रे गढ़ाए रखी. वो आगे बढ़ी और दरवाजे को बंद कर दिया.

उसके बाद उसने बिना कोई हरकत किए बस अपने शरीर पर साबुन लगाना स्टार्ट कर दिया. दोनो के शरीर काफ़ी पास थे लेकिन कुछ भी आपस मे छू नही रहा था अगर हल्का सा कुछ छू भी रहा था तो वो तब जब वो अपने शरीर पर हाथ घुमा रही थी. आरोही के हाथ उसके शरीर के हर हिस्से पर झाग को फैला रहे थे फिर उसने शवर हेड लेकर अपने हर अंग पर से झाग को हटा दिया. अरुण का लंड ये देखकर खड़ा होने लगा.

"फक हर. चोद डाल. गान्ड मार. फक हर. चोद डाल. चोद...चोद...चोद...चोद." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने शोर मचाना शुरू कर दिया

इधर आरोही नहाती रही उधर अरुण का लंड झटके पर झटके ख़ाता रहा. आरोही ने उस पर ध्यान भी नही दिया, बस नहा कर बिना कुछ कहे दरवाजा खोलकर बाहर निकली.

"व्हाात! दोबारा? और तूने ऐसे जाने कैसे दिया? मैं कह रहा हूँ, अभी भी पकड़ ले जाके. वो चूत चाहिए है तो चाहिए..." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने गुस्से से कहा

आरोही ने अपना एक पैर टाय्लेट सीट पर रखा और अपने पैरो को टवल से सॉफ करने लगी. अरुण की आँखें उसकी नंगी गान्ड पर जाके टिक गयी जहाँ पर पानी की बूंदे उसके जिस्म का मज़ा ले रही थी. जब उसने पैरो को अच्छे से सूखा लिया तो वो दोनो पैरो पर उसके सामने खड़ी हो गयी और अरुण को अपने यौवन का दर्शन करवाने लगी. नीचे का हिस्सा तो सूखा था लेकिन उपर बालों से पानी की बूंदे उसके शरीर को चूमते हुए नीचे तक आ रही थी. उसने उपर के हिस्से को भी अच्छे से टवल से रगड़कर सुखा दिया फिर अपना ध्यान अरुण की ओर करके एक मीठी सी स्माइल पास कर दी.

"ओह हाई, गुड मॉर्निंग." आरोही ने उसके लंड की तरफ देखते हुए कहा फिर मुड़कर बाथरूम से बाहर जाने लगी.

"फकक्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क!" आवाज़ बहुत तेज़ी से चीखने लगी.

तभी उसे बाहर आरोही की धीमी सी आवाज़ सुनाई दी.."नही, खाली है."

तुरंत ही दरवाजा खुला और स्नेहा अंदर आने लगी. स्नेहा की नज़र सीधे शवर पर पड़ी, फिर अपने भाई पर, फिर नज़रे सीधे नीचे जा कर उसके पानी से भीगे खड़े लंड पर जम गयीं.

"ओह्ह्ह, सॉरी, सॉरी." उसके मूह से अनायास ही निकल गया और वो सॉरी कहते कहते बाथरूम से चली गयी.

अरुण ने एक आह भारी और फिर नहा कर शवर ऑफ कर दिया. शायद आज का दिन उतना अच्छा भी नही जाने वाला था.

कुछ देर बाद जब वो अपने रूम से नीचे आया तो सुप्रिया नाश्ता बना रही थी. उसने फिर से एक टीशर्ट के उपर एप्रन पहेन रखा था. उसने आकर पीछे से सुप्रिया को गले लगा लिया और उसके गाल चूम लिए.

"मॉर्निंग, स्वीतू." उसने पराठे बनाते बनाते विश कर दिया.

"गुड मॉर्निंग, दी." अरुण ने थोड़ा डर के जवाब दिया. वो नॉर्मल ऐक्ट कर रही थी, ना कि कल की तरह सेक्सी वाली सुप्रिया.

फिर अरुण जाके टेबल पर बैठ गया और सोचने लगा कि कम से कम नाश्ता तो सुकून से हो जाए. कुछ ही देर मे सुप्रिया उसके लिए पराठे ले आई. अरुण ने बिना उपर देखे पराठो का मज़ा लेना स्टार्ट कर दिया. फिर खाते खाते उपर देखा तो धस्का लग गया. सामने सुप्रिया सिर्फ़ एप्रन मे थी. सिर्फ़ एप्रन मे. टीशर्ट निकाल दी थी उसने.

उसने जल्दी से पानी पिया और अपनी आँखें नीचे खाने पर कर दी. फिर दोबारा नज़रे चुराकर उपर देखा तो उसके माथे पर शिकन आ गयी. सुप्रिया की टीशर्ट वापस आ गयी थी.

"ये क्या था?" अरुण ने सोचा.

तब तक सोनिया नीचे आ गयी. अरुण उसे किस करने के लिए पीछे मुड़ा तो उसे देख कर उसका मूह खुला का खुला ही रह गया. वो पूरी तरीके से नंगी थी. वो ऐसे ही नंगी अपने दूध हिलाते हुए वहाँ आई और सुप्रिया के मुँह पर किस करने लगी.

अरुण ने तुरंत ही अपनी आँखो को रगड़ा तो फिर उसे झटका लगा. उसने कपड़े पहने थे और वो सुप्रिया के गाल पर किस कर रही थी.

"मैं कहा था दोस्त. तेरी चबन्नी हट गयी है. मैने कहा था कि चूत नही मिली तो तेरा दिमाग़ तो गया. अब देखो मेरी बात ना मानने का क्या नतीज़ा होता है." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को धमकी देते हुए कहा

"हे भगवान, क्या हो रहा है मेरे साथ?" अरुण भी सोचने पर मजबूर हो गया.
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01-25-2019, 12:06 AM,
#40
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
वो अपनी कसम खा कर कह सकता था कि दोनो नंगी थी अभी कुछ देर पहले. तभी पीछे से 2 और कदमो की आवाज़ सुनाई दी उसे तो उसने सिर्फ़ और सिर्फ़ खाने पर ही ध्यान बनाए रखा.

"सॉरी, वो सुबह के लिए." स्नेहा की आवाज़ उसके कानो मे पड़ी, फिर स्नेहा ने उसे गाल पर किस कर दिया.

"आइ'म नोट." तभी दूसरे कान मे आरोही की आवाज़ पड़ी, उसने भी अरुण के गाल पर किस कर दिया.

अरुण ने फिर भी अपना सिर उपर नही किया. उसे डर लग रहा था कि अगर उसने उपर देखा तो पता चले सामने नंगे दूध और चूत के अलावा कुछ ना दिखे.

"दी, आज क्या डाला है पराठो मे?" अरुण ने पराठो को ध्यान से देखते हुए पूछा.

"मतलब?" सुप्रिया को भी ये बात समझ मे नही आई.

"मुझे..मुझे.अजीब चीज़े दिख रही हैं, ऐसा कुछ है जिस से मुझे आलर्जी होती हो?" वो बोला.

सुप्रिया वहाँ आई और उसके माथे पर हाथ रख के देखने लगी. "नही, कुछ नही डाला. बुखार तो नही है? लग तो नही रहा.."

अरुण ने भी सिर हिला दिया. "नही, सही हूँ दी, शायद नींद नही पूरी हुई, इसलिए."

सुप्रिया उसे बड़े ध्यान से देखती रही, फिर कुछ सेकेंड्स के बाद वापस किचन मे पराठे बनाने चली गयी.

बाकी लोग भी टेबल पर बैठ गये. अरुण ने नज़रे उपर करके स्नेहा की ओर देखा. तो स्नेहा ने भी कुछ नही पहना था और वो बटर को अपने दूधों पर मल रही थी. आरोही आगे झुकी और वहाँ से बटर को चाटने लगी.

"ओह माइ गॉड," अरुण तेज़ी से बोल पड़ा.

चारो लोगो की नज़रें उसके उपर आकर टिक गयी. दोबारा, सब लोगो के कपड़े पता नही कहाँ से वापस आ गये थे और सब सवालिया नज़रो से उसे देख रहे थे.

"क्या हुआ, भाई?" सोनिया ने पूछा.

"ना, ना, कुछ नही. वो पराठे बहुत अच्छे हैं..हाँ" अरुण जल्दी से अपना सिर हिलाकर नीचे देखने लगा.

सुप्रिया को उसकी बात पर विश्वास नही हुआ.

"मैं सही मे पागल हो रहा हूँ," अरुण सोचने लगा.

"उपर से एक बात बोलूं, तुम अपने ही सिर मे रहने वाली आवाज़ से बात करते हो. किसी और को ये बात बताई तो वो कहेगा कि तू तो पहले से ही पागल था. लेकिन, तेरी तसल्ली के लिए मैं बता दूँ कि मुझे पता है कि तुझे क्या हो रहा है?" दिमाग़ में उस आवाज़ ने कहा

अरुण हल्के से हँस दिया, तो दोबारा सब लोग उसे देखने लगे.

"सही रीज़न होना चाहिए," उसने सोचा.

"3 दिन से चूत नही मिली, इसलिए." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"ओह क्या नयी बात बताई है, थॅंक्स" अरुण बोला.

"अरे चूतिए, मेरा मतलब है तूने हद पार कर दी है. तेरा दिमाग़ अब सच्चाई और सपने मे फ़र्क नही कर पा रहा. क्यूकी नॉर्मल कंडीशन्स होती तो कंट्रोल करना सही भी होता है, लेकिन यहाँ तो तेरे लिए तीन तीन लड़कियाँ नंगी हो गयी थी, लेकिन तूने तो मना कर दिया." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे समझाया

"ओके, थोड़ा थोड़ा समझ मे आ रहा है.." 

अरुण ने जल्दी से खाना ख़त्म किया और प्लेट को सींक मे रख के रूम मे चला गया. उसे अपनी कार और आरोही की स्कूटी मे कुछ करना था तो पुरानी टीशर्ट और शॉर्ट्स पहेन कर नीचे चला गया.

"मैं मार्केट जा रहा हूँ, स्कूटी और कार मे कुछ चीज़ो की ज़रूरत है. किसी को कोई काम तो नही है, या फिर मार्केट से कुछ माँगना हो तो बता दो?"

सुप्रिया ने कुछ कहने को मूह खोला लेकिन फिर कुछ सोचकर मूह बंद कर लिया. लेकिन सुप्रिया की मुस्कान देखकर अरुण समझ गया कि उसके दिमाग़ मे अलग ही खिचड़ी पक रही होगी.

"मैं भी चलूं?" स्नेहा ने पूछा.

"ओके.." अरुण ने हां कह दिया. 

तो स्नेहा जल्दी से अपने रूम मे चेंज करने चली गयी. वो वापस आई तो कॅप्री और टीशर्ट मे थी.

चलो कम से कम सोनिया या आरोही तो नही थी साथ मे. स्नेहा का साथ काफ़ी सही था. "कम से कम दी मुझे टॉर्चर तो नही करने वाली, बाकियों का क्या भरोसा." उसने खुद को दिलासा देते हुए कहा.

"तो अभी नाश्ता करते हुए क्या हुआ था?" स्नेहा ने उससे पूछा. अरुण कार ड्राइव कर रहा था.

अरुण सोचने लगा कि किस तरीके से डिस्क्राइब करे. और स्नेहा भी पीछा छोड़ने वाली तो है नही. उसने एक बार कोई सवाल पूछ लिया तो फिर जवाब मिले बिना तो आगे तो बढ़ ही नही सकती.

"तो कैसे कहूँ, कैसे कहूँ, हां. आपको तो पता ही है कि तीनो मुझे शर्त हराने के लिए टॉर्चर कर रही हैं."

"या, वो तो मुझे पता ही चल गया." स्नेहा हँस के बोली.

"लेकिन कब तक?" स्नेहा ने पूछा.

"14 दिन.." अरुण ने उसे देखते हुए कहा तो स्नेहा हसी को दबाने की कोसिस कर रही थी. "दी, इट'स नोट फन्नी." उसने कहा तो स्नेहा तेज़ी से हँसने लगी.

"अरुण तुम जानते हो अगर तुम किसी लड़की से कह दो कि वो कोई काम नही कर सकती या कोई चीज़ नही पा सकती, तो तुम दुनिया के सबसे बड़े बेवकूफ़ हो. किसी भी तरीके से वो लड़की कुछ ना कुछ रास्ता निकाल ही लेगी. अब मुझे समझ आ रहा है कि आरोही मुझ पर इतना ध्यान क्यूँ दे रही थी. वो लोग इतने छोटे छोटे कपड़े पहेन रही हैं. वाउ.."

"यॅ..वाउ.." अरुण ने बुझी सी आवाज़ मे बोला.

तब तक वो लोग ऑटो पार्ट्स की शॉप पर आ गये तो अरुण ज़रूरत का समान लेने लगा. स्नेहा उसके साथ ही बनी रही. फिर सब समान लेकर उसने कार मे रख दिया.

"तो और क्या क्या करा उन लोगो ने?" स्नेहा ने पूछा.

"बहुत कुछ, आज सुबह की ले लो. मैं नहा रहा था तो आरोही भी आ गयी और फिर आपको भी अंदर भेज दिया."

"चलो इस बात से एक फ़ायदा तो हुआ." स्नेहा बोली.

"वो क्या?"

"तुम मेरे साथ ज़्यादा टाइम स्पेंड कर रहे हो." स्नेहा ने उसे आँख मार दी.

अरुण जवाब मे मुस्कुरा दिया, फिर कुछ देर चुप रहने के बाद उसने कहा.."दी आइ'म रियली हॅपी की आप मेरे साथ इतना ज़्यादा खुल के बात करती हो.."

स्नेहा भी उसकी ओर देख कर मुस्कुराते हुए बोली.."हां, चलो इस बहाने इतने सालो बाद तुम्हे अपनी स्नेहा दी की याद तो आई."

"आआआआ, भाई इतनी बोरिंग बातें, सुलाने का इरादा है क्या.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने चुटकी ली 

"अच्छा अब वापस मुद्दे पर, सुबह क्या हुआ था जो इतने अजीब हरकते कर रहे थे? तुम्हे लगा कि तुम बात बदल दोगे, तो मैं भूल जाउन्गी, हाँ?" वो हँस कर बोली.
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