bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:06 AM,
#41
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण को लगा था कि बात पलटने से वो बात को भूल जाएगी और उसे जवाब नही देना पड़ेगा. लेकिन आख़िर ये स्नेहा थी.

"तो सही मे बताना पड़ेगा?"

"यप"

"दी, मुझे आज सुबह से कुछ चीज़े दिख रही हैं."

"चीज़े?"

"अया पेर्वेर्टेड चीज़े..." अरुण थोड़ा ज़ोर देकर बोला जिस से स्नेहा समझे.

लेकिन स्नेहा के चेहरे पर कन्फ्यूषन अभी भी था.

"जैसे, सुप्रिया दी और सोनिया ने कपड़े नही पहने थे, फिर दोनो किस करने लगी. और आप और आरोही ने भी कपड़े नही पहने थे. और आप..." अरुण इतना बोलते बोलते रुक गया. उसे समझ मे नही आया की आगे की बात कैसे कहे..

"मैं क्या?"

"दी छोड़ो ना, अब सब ठीक है.." अरुण ने बचने की कोसिस करी.

"नही बताओ ना, मैं क्या?"

"ओह्ह,,,आप ने उपर कुछ नही पहना था..और"

"हां, आगे.." स्नेहा के चेहरे पर लाली छाने लगी.

"आप ने कुछ नही पहना था और आपके ब्रेस्ट्स पर बटर लगा था जो आरोही लिक्क कर रही थी.." अरुण जल्दी से बोल कर आगे देखने लगा. उसकी हिम्मत नही हुई स्नेहा से नज़रें मिलाने की.

कुछ देर गाड़ी मे शांति रही फिर स्नेहा की गहरी सास की आवाज़ आई.."ओह माइ गॉड, अरुण.."

"सॉरी, दी.."

"ना, सॉरी कहने की ज़रूरत नही है. मैं बस सर्प्राइज़्ड हूँ कि तुम्हारे मन मे मेरे बारे मे भी ऐसे ख़याल आते हैं?"

अरुण का पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया. अरुण उसकी ओर ऐसे देखने लगा जैसे उसने पूछ लिया हो कि क्या साँस लेना पसंद है? 

"बोल ना आते हैं, आइ वॉंट टू फक यू..यूम्मम्म" दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण से कहा

"नही मतलब, हमेशा न्ही.." अरुण अपनी बात को बचाते हुए बोला.

तब तक घर आ गया तो अरुण ने भगवान को थॅंक्स बोला और जल्दी से कार से उतर कर समान को उतारने लगा. फिर कार के नीचे जॅक लगा कर उसमे कुछ करने लगा.

"दी, आप थोड़ी हेल्प कर दोगि. लेकिन गंदा होने का डर है.." अरुण ने स्नेहा से कहा..

"नो प्राब्लम." स्नेहा उसके पास बैठती हुई बोली.

फिर जो जो वो माँगता रहा वो वो देती रही.

"तो तुम मुझे देख कर एग्ज़ाइट नही होते.." स्नेहा ने बड़ी मासूमियत से उससे पूछ लिया..
अरुण को इस बात पर हँसी आ गयी. 

"दी, आप क्यू ऐसा पूछ रही हो. आपको पता तो है और मैं पहले भी बता चुका हूँ. यस..."

"थॅंक्स फॉर टेल्लिंग मी. इससे काफ़ी हेल्प मिलेगी मुझे थियरी कंप्लीट करने मे.."

उसके बाद दोनो ऐसे ही बात करते हुए कार मे कुछ ठीक करते रहे फिर स्नेहा अंदर चली गयी.

"मैं कभी जिंदगी मे इतना बोर नही हुआ. अब जल्दी से ये काम निपटा और अंदर चल. अगर हम किसी को चोद नही सकते तो कम से कम चूत देख तो सकते हैं ना." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे मनाते हुए कहा

"आइ'म गोयिंग टू इग्नोर यू नाउ."

अरुण को घर से थोड़े टाइम के लिए बाहर निकलकर काफ़ी अच्छा महसूस हो रहा था. घर मे तो बस सेक्षुयल टेन्षन के अलावा कुछ चलता ही नही था. ये ख़याल अभी उसके मन मे आए ही थे कि आरोही गॅरेज की तरफ आती हुई दिखी. उसने शॉर्ट्स और बिकिनी टाइप का टॉप पहना हुआ था.

वो अरुण को कार के नीचे सिर कर के देखने लगी. अरुण को उसका पेट सॉफ सॉफ दिख रहा था..उसने एक नज़र आरोही को देखा फिर अपने काम मे बिज़ी हो गया.

जब उससे रहा नही गया तो उसने पूछ ही लिया.."कोई हेल्प चाहिए?"

"नही.ऐसे ही देख रही हूँ." 

"ऐसे ही?" अरुण ने आँखें चौड़ी कर के पूछा.

अरुण को यकीन तो नही हुआ लेकिन फिर भी उसने कुछ नही कहा और अपना काम करता रहा..

"तो आख़िर कब तक रेज़िस्ट करने वाले हो?" आरोही ने आख़िरकार बोल ही दिया.

"जब तक कर पाऊ." अरुण ने उसे 2 वीक वाली बात नही बताई. वैसे भी उसे ये इन्फर्मेशन देने पर पता नही क्या कर डालती वो.

"क्या मैं कुछ कर सकती हूँ जिससे तुम ये टाइम कम कर दो..जिस से तुम्हारी और हमारी सबकी तक़लीफ़ कम हो सके?" आरोही ने पूछा.

अरुण हंस पड़ा. "आरू इसका तुम लोगो से कुछ भी लेना देना नही है. ये सब मैं खुद को प्रूव करने के लिए कर रहा हूँ. कभी कभी मेरे मन मे कुछ चीज़े करने की इच्छाए आती हैं...जो मुझे नही करनी चाहिए."

"सिर्फ़ मेरे लिए या बाकी सबके लिए भी?" आरोही ने पूछा फिर बहुत ही सेक्सी आवाज़ मे बोली.."हनी, तुम जो चाहो वो कर सकते हो मेरे साथ." आरोही ने अपना हाथ कार के नीचे ले जाकर उसके घुटने से लेकर उसके लंड तक फिरा दिया. अरुण के लंड ने अपना सिर उठाना शुरू कर दिया.

"अब इसे भी मना करेगा क्या?" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने झुंझलाते हुए अरुण से पूछा

"आरू, ट्राइ टू अंडरस्टॅंड, मेरे मन मे अचानक से कुछ चीज़े आ जाती हैं.."अरुण अपनी बात को समझाने की कोसिस करने लगा.

"एनितिंग, कुछ भी.." आरोही ने उसकी बात को बीच मे काटते हुए कहा.."मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तय्यार हूँ. जितने भी सेक्सी आइडियास तुम्हारे दिमाग़ मे हो मैं वो सब कुछ करने को तय्यार हूँ."

अरुण ने अपने हाथों मे मुट्ठी बाँध ली. लेकिन तुरंत ही आरोही ने अपने हाथ उठा लिए और खड़ी हो गयी.

"वी नीड टू टॉक. यहाँ एक कुवारि चूत तेरे पास आई है. जो सिर्फ़ और सिर्फ़ तुझे मज़ा देना चाहती है. देख तो उसे,,,शी ईज़ फक्किंग एंजल. और तूने उसकी बात सुनी, उसने कहा कुछ भी..कुछ भी.." अरुण के दिमाग़ की उस आवाज़ ने अरुण को समझाते हुए कहा

"मैने तुम्हे इग्नोर मोड पर रखा हुआ है..तो शट अप्प्प." अरुण अपने दिमाग़ की आवाज़ पर झुंझलाया

अरुण कार के नीचे से निकला तो सामने आरोही दरवाजे के पास खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी. उसने अरुण को देखकर अपने टॉप को खोलकर अपने दूधों के दर्शन करवा दिए..

"आरू, कोई देख लेगा." अरुण आस पास नज़रे फिरा कर बोला.

"तब तो तुम्हे मुझे ये सब चीज़े करने से रोकना होगा. और वो भी जल्दी." उसने आँख मार कर कहा और अंदर चली गयी.

अरुण सिर हिला कर वही बैठ गया. फिर अपने खड़े लंड को अड्जस्ट करने लगा. अब तो सही मे बात हद से बढ़ती जा रही है. उसकी बहने तो दिन बा दिन और अग्रेससिव होती जा रही थी. और उपर से उनके पास प्लस पायंट्स भी थे. एक तो लड़की उपर से सुंदर और सेक्सी. उनके पैरो के बीच दुनिया की सबसे पवरफुल चीज़ जो थी. अरुण को ये सब सोचते सोचते और गर्मी महसूस होने लगी, तो जल्दी से उठकर काम को निपटाने लगा. उसने कार और स्कूटी को ढंग से ठीक किया फिर अंदर जाकर किचन मे जाने लगा. स्नेहा वही सोफे पर बैठकर लॅपटॉप पर कुछ कर रही थी. अरुण पानी पी ही रहा था कि सुप्रिया की गर्दन दिखाई दी..."स्वीतू, डिटरजेंट उतार दो..मैं पहुच नही पा रही.."

अरुण ने एक ठंडी सास ली फिर वॉशरूम मे जाके डिटरजेंट उतारने लगा. तभी उसे पीछे से सुप्रिया महसूस हुई. सुप्रिया ने आगे बढ़के उसके पॅंट मे हाथ डाल के लंड को पकड़ लिया फिर उसे धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी. अरुण का लंड भी मस्त होकर फुफ्कार भरने लगा.

अरुण के हाथ से साबुन छूट कर नीचे गिर पड़ा. उसने जल्दी से पीछे मुड़कर सुप्रिया के चेहरे को अपने हाथो मे थाम लिया और अपनी जीभ को सीधे उसके मूह मे डाल दिया. वो पूरे जोश के साथ उसे किस करने लगा और अपने हाथों से उसकी गान्ड को दबाते हुए अपने पास खिचने लगा. सुप्रिया लगातार उसके लंड पर अपना हाथ चलाए जा रही थी. लेकिन तुरंत ही उसने किस तोड़ा और उससे दूर हो कर मुस्कुराने लगी.

"थॅंक्स." उसने एक कुटिल मुस्कान देते हुए कहा.

अरुण ने गुस्से मे उसे देखा लेकिन बेचारा कर भी क्या सकता था फिर तुरंत ही वॉशरूम से निकलकर बाथरूम मे चला गया और सीधे जाकर ठंडे पानी के नीचे खड़ा हो गया. उसका बदन पूरे तरीके से गरम हो गया था. एग्ज़ाइट्मेंट के मारे उसका बुरा हाल हो गया था. नाहकर वो अपने बदन को तौलिए से पोछ रहा था की तब तक सोनिया बाथरूम मे आ गयी.

उसने बड़े प्यार से अरुण को देखा, फिर नीचे से लेकर उपर तक उसको निहारने लगी.."भाई लगता है, आपको आराम की ज़रूरत है.." फिर उसके नज़दीक आ गयी.."और अपनी आवाज़ कम रखना, नही तो दोनो दी मुझे मार डालेगी अगर उन्हे पता चला कि मैने आपकी हेल्प करी है." फिर उसने बाथरूम लॉक कर दिया और ज़मीन पर घुटनो के बल बैठ गयी.

"फाइनली," अरुण ने सोचा.."भाड़ मे जाए सब, आवाज़ जीते तो जीते, अब मुझसे कंट्रोल नही होगा."

"ड्यूड, इस पॉइंट पर मुझे भी कोई फ़र्क़ नही पड़ता. एक तरीके से हम दोनो को ही इस शर्त से तक़लीफ़ हुई है. तुमने पहले ही अमृत तो छोड़ दिया कम से कम इसी का मज़ा ले ले.." अरुण के दिमाग़ की उस आवाज़ ने एक तरह से हार मानते हुए कहा

सोनिया ने उसकी आँखों मे देखते देखते उसके लंड को अपने हाथों मे लिया और उसे आगे पीछे करने लगी. उसने जीभ निकालकर अपने होठ गीले किए फिर उसने जीभ को लंड के सुपाडे के पास ले जाने लगी. लंड और जीभ के बीच बस 1 पल की दूरी थी.

"त्र्रृिंगगगगगग, ट्र्र्ररीननगगगगगगगग.."

की पूरे घर मे बहुत जोरो से फोन बजने की आवाज़ आने लगी. सोनिया वही पर जाम हो गयी.

"सोनिया, तुम्हारा फोन.." आरोही की आवाज़ दोनो के कानो मे पड़ी..

"फकक्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क..."

सोनिया ने सॉरी वाली नज़रो से उसे देखा.."भाई, आइ'म सो सॉरी, आइ स्वेर मैने कुछ नही किया," और अरुण के मायूस चेहरे की तरफ देखने लगी.

फिर उसके गाल पर किस करके बाहर चली गयी.
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01-25-2019, 12:06 AM,
#42
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अरुण का पारा सारी हदे तोड़कर उपर चढ़ने लगा. उसने अपनी हर बहेन पर गुस्सा आने लगा. उसने गुस्से मे जल्दी से कपड़े चेंज किए और अपने रूम मे जाकर बेड पर लेट गया.

"मैं सो जाता हूँ, उठुंगा तो सब ठीक हो जाएगा...हूऊऊहह." और गहरी गहरी साँसे लेकर सोने की कोसिस करने लगा.

उसने जैसे ही आँखें बंद करी तो आरोही स्नेहा के दूधों पर से बटर चाट रही थी, सुप्रिया उसके लंड को चूस रही थी. उसके मन मे यही तस्वीरें घूम फिर कर आने लगी. 

वो तुरंत ही सीधा होकर बिस्तर पर बैठ गया.."फक्क्क...फक्क्क...." अरुण थोड़ा तेज़ी से बोलने लगा.

"मैने कहा था भाई मत करो ये सब लेकिन नही...अब भुगत भोसड़ी के..चैन से सो तक नही पा रहा.." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने चुटकी लेते हुए कहा

"एक्सर्साइज़," अरुण ने चुटकी बजाते हुए कहा."एक्शेरसीएस से सेक्षुयल टेन्षन कम होती है. एक्सर्साइज़ ही करता हूँ"

उसने जल्दी से लोवर और टीशर्ट पहनी और नीचे जाने लगा तो आरोही भी रन्निंग वाले कपड़े मे हॉल मे थे. उसे देख कर आरोही हँस पड़ी.."ट्विन आइंटूयीशन?" फिर उसके आगे हल्के हल्के भागने लगी.

अरुण की आँखें अपने आप ही उसकी गान्ड पर टिक गयी. और इस बार वो किसी भी तरीके से उन्हे वहाँ से हटा भी नही पा रहा था. अरुण लगातार आरोही के पीछे दौड़ता रहा और उसकी गान्ड को मटकते हुए देखता रहा.

आरोही सब जानकार मुस्कुराए जा रही थी. उसने अपनी गर्दन पीछे मोडी और कहा.."भाई एक ऑफर, अगर तुमने मुझे पकड़ लिया, तो 3 दिन तक बिल्कुल परेशान नही करूँगी." इतना कह कर वो तेज़ी से आगे भागने लगी.

"अब तो भागना ही पड़ेगा." अरुण अपने आप से बोला और वो भी उसके पीछे तेज़ी से भागने लगा. आरोही के पीछे पीछे अरुण को उसकी महक आने लगी, और वो उसकी खुसबू मे मदहोश होने लगा उसे वही खुसबू याद आने लगी जब वो दोनो बाथरूम मे थे. तो उसने कुछ पॅलो के लिए अपनी आँखें बंद कर ली. लेकिन फिर कुछ पल बाद आँखें खोली तो दोनो के बीच की दूरी और बढ़ गयी थी.

अब तो अरुण और मेहनत करके दौड़ने लगा. दौड़ते दौड़ते उसकी सास फूलने लगी लेकिन दोनो के बीच की दूरी भी कम हो रही थी. जितना पास वो आता जा रहा था आरोही की महक उतनी ही तेज होती जा रही थी. अरुण सोचने लगा जैसे ही पकड़ेगा आज चोद डालेगा. अब उससे नही रहा जाएगा.

"साले पहले क्यू नही बोला. भाग मिल्खा भाग. भाग मेरे शेर...हमें वो चूत चाहिए..." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण का जोश बढ़ाते हुए कहा 

अरुण अब तो और जोश मे आकर स्पीड तेज करने की कोसिस करने लगा. उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर आरोही का कंधा पकड़ने की कोसिस करी लेकिन सिर्फ़ उंगलिया ही छू पाई कंधे को.

"डॅम इट!"

आरोही ने उसकी उंगलियों को महसूस किया तो मुस्कुरा दी और अपनी स्पीड को हल्का सा तेज कर दिया. आगे आख़िरी मोड़ था तो उसने अरुण को और सताने को सोचा. उसने थोड़ी सी स्पीड कम की तो अरुण को लगा कि वो पकड़ लेगा. लेकिन तुरंत ही वो मूड गयी और घर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होकर हँसने लगी.

अरुण को अब एक एक कदम उठाना भारी पड़ रहा था. वो भारी कदमो से उसके पास से घर के अंदर आया और सोफे पर बैठ कर हाँफने लगा. आरोही पीछे हँसती हुई आई और उपर जाने लगी.

"रन्निंग के लिए थॅंक्स, भाई" वो उपर जाते जाते बोली.

अरुण ने गुस्से मे तकिये को मारना शुरू कर दिया. फिर कुछ देर बाद टीवी ओन करके देखने लगा. 

तब तक सुप्रिया वहाँ आई तो अरुण ने उसे देखा तो देखता ही रह गया. सुप्रिया ने वही एप्रन पहना था और शॉर्ट्स के साथ वाइट टीशर्ट.

"चूत...चूत..." अरुण के दिमाग़ मे वो आवाज़ शोर मचाने लगी

अरुण का पूरा चेहरा गुस्से और भागने से लाल था. उसकी सास नॉर्मल हो चुकी थी लेकिन बॉडी पूरी गर्म थी. उपर से जब सुप्रिया ने उसे देखकर एक स्माइल पास करी तो उसका गुस्सा और बढ़ने लगा. सुप्रिया अंजान बनते हुए उसके सामने ही कपड़े फोल्ड करने लगी और अरुण को अपने क्लीवेज के दर्शन करवा रही थी.

"देख तेरी दी कितनी बुरी है. उसे पता है तेरा खड़ा हो जाता है जब तू उन्हे ऐसे देखता है. और देख तुझे परेशान करने के लिए तेरे सामने झुकी है.." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने अरुण को उकसाते हुए कहा

बस इस बात ने अरुण के सारे बाँध खोल दिए. उसके अंदर की सारी सेक्षुयल टेन्षन उबाल लेने लगा. इतने दिनो से जितना कुछ उसने अपने अंदर समेट कर रखा था सब बाहर आने को उतावला होने लगा. वो तुरंत ही सोफे से उठा और भागकर सुप्रिया को पकड़कर कंधे पर उठा लिया.

"अरुण ये क्या हरकत..." सुप्रिया उसकी पीठ पर मारते हुए बोलने लगी.

अरुण चुपचाप उसे लेकर आगे बढ़ने लगा.

सुप्रिया को पहले तो लगा की अरुण दोबारा उसे पूल मे डालेगा लेकिन जब वो बेडरूम की तरफ मुड़ा तो उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गयी.

अरुण अब पूरी तरीके से अपनी हवस के बस मे था. उसका पूरा का पूरा ध्यान सिर्फ़ एक चीज़ पर ही था..सुप्रिया. उसने अपने पीछे दरवाजे को बंद किया और सुप्रिया को बिस्तर पर रख के उसके एप्रन को फाड़ दिया.

"अरुण एक मिनट..." सुप्रिया बोली, लेकिन तुरंत ही अरुण के होठों ने उसके होठों को बंद कर दिया. 

"अब टीशर्ट भी फाड़ दे." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

अरुण ने उसकी टीशर्ट को पकड़कर फाड़ दिया. वो अपने होठों को नीचे करके उसकी गर्दन को चूम कर जल्दी से दूधों पर पहुचा और उन्हे चूस्ते हुए उसके शॉर्ट्स को उतार दिया. फिर खुद हटकर अपने कपड़ो को जल्दी से उतार कर फेकने लगा. अंडरवेर उतरते ही उसका लंड पूरे उफान के साथ खड़ा हुआ था. उसके सुपाडे से प्री-कम की बूंदे सॉफ सॉफ चमक रही थी.

सुप्रिया अभी भी इसी बात मे खोई हुई थी एक दम से अरुण का सब्र कैसे टूट गया कि अरुण ने दोबारा अपना ध्यान उसके उपर कर दिया. जैसे ही अरुण ने पैंटी को फाडा सुप्रिया की आह निकल गयी.

"ओह गॉड, स्वीतू यस....आह", सुप्रिया बोली जब अरुण ने उसे बिस्तर पर धकेल दिया और उसके पैर घुटनो से पकड़कर खोल दिए. फिर उसके पैरो के बीच अपनी हवस भरी नज़रो से देखने लगा. उसने सुप्रिया के दोनो पैर अपने कंधो पर रखे, और उसकी कमर को अपनी ओर खींचकर लंड को चूत पर सेट कर दिया. पहले तो थोड़ी देर उसने लंड को बाहर बाहर से ही उसकी चूत पर रगड़ा जिससे उसके प्रेकुं से चूत भी गीली हो गयी.

"घुसेड दे अब."अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने कहा

अरुण को ये तो पता था कि वो अपनी दी को ज़्यादा चोट नही पहुचाएगा लेकिन थोड़ा दर्द तो बनता ही था.

सुप्रिया की तेज आह निकल गयी जैसे ही उसका लंड उसकी चूत की दीवारो को चीरते हुए अंदर तक गया. वो उसकी चूत के पूरे मज़े लेते हुए लंड को चूत के अंदर बाहर करने लगा. हर धक्के के साथ सुप्रिया की मस्ती भरी आह छूटने लगी. सुप्रिया अपनी चूत की प्यास को बुझाने के लिए अपनी कमर को और ज़्यादा हिलाने लगी. अरुण भी पूरी गहराई तक अपने लंड को पेलता, और उसकी गहरी, चिकनी चूत का मज़ा लेते हुए मस्त होने लगा. उसने सुप्रिया की कमर को पकड़कर हल्का सा उठा लिया और फिर और तेज़ी से धक्के मारने लगा. सुप्रिया ने आँखें खोलकर अपनी नज़रें उसकी नज़रों से जोड़ दी और एक टक उसे देखने लगी.

"ओह गॉड, येस्स्स्स्स.....लेकिन थोड़ा..आअर...अह्ह्ह्ह.." सुप्रिया धक्को और आहों के बीच मे कहने लगी लेकिन इस वक़्त अरुण तो किसी और ही दुनिया मे खोया हुआ था. अरुण की नज़रो के सामने इस वक़्त सिर्फ़ सुप्रिया के सीन ही घूम रहे थे जब उसने उसे उत्तेजित करके बीच मे छोड़ दिया था. तो उसने कमर को और उठाकर बिल्कुल सीधा कर दिया और बेड पर उपर नीचे होकर लंड को पेलने लगा. सुप्रिया का सिर तकिया मे घुसा जा रहा था और उसकी चीखें और आहें निकलती जा रही थी. फिर अरुण ने उसका एक पैर उठाकर अपने कंधे पर रखकर चोदने लगा. थोड़ी देर ऐसे ही धक्के मारने के बाद उसने लंड को चूत से बाहर निकाला और सुप्रिया को पलटकर पेट के बल कर दिया. फिर उसकी दोनो टाँगो को उठाकर अपने कंधे पर रखा और दोबारा अपने लंड को उसकी चूत के साथ मिला कर झटके पर झटके देने लगा. सुप्रिया भी मुस्कुराते हुए अपने होठ काटने लगी और हल्की हल्की सिसकी लेने लगी.

"ओह...अरून्न्ञन्...अह्ह्ह्ह...यस....आरुन...येस्स्स..." सुप्रिया ने अपने हाथों को नीचे रखकर अपनी उपर की बॉडी को हवा मे उठाते हुए कहा. अरुण पूरे जोश के साथ उसे चोद रहा था...पूरे कमरे मे चूतड़ और जांघों के मिलन से थप्प थप्प की आवाज़ गूँज़ रही थी.

फिर तुरंत ही उसने चोदना बंद कर दिया तो सुप्रिया के चेहरे पर असमंजस के भाव आने लगे. अरुण ने सुप्रिया को उठाया और दीवार के पास ले जाने लगा.

"यअहह....दीवार से सटाकर चोद साली को....ओह एआहह.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने मज़े लेते हुए कहा

अरुण ने भी देर ना करते हुए सुप्रिया को दीवार से सटा दिया और उसकी एक टाँग को अपने हाथ से पकड़कर लंड को एक ही झटके मे अंदर तक पेल दिया. सुप्रिया ने मस्ती मे भरकर अपने दाँतों से उसके कंधे पर निशान डाल दिए और अपने नाखूनों से उसकी पीठ को नोचने लगी.

"आहह..भाई...सो गूओड़...अरुंण....रुकना मत...आआहह...जो चाहो..आहह..उःम्म्म्मम...वो करो....चोद डालो मुझे.....चोद दो अपनी बहेन को..आअहह...ओह्ह्ह्ह...येस्स्स्स.." सुप्रिया उसकी गर्दन को काटते हुए कहने लगी.

अरुण का ऑर्गॅज़म बनने लगा तो उसकी स्पीड और तेज हो गयी. दोनो के शरीर पूरे तरीके से पसीने से लथपथ थे. सुप्रिया के दूध बुरी तरह से दोनो के बीच पिसे पड़े थे. उसने हाथ बढ़ाकर उसके बालों को अपनी मुट्ठी मे क़ैद किया और वही उसे उठाकर बेड पर लाकर पटक दिया. पूरे रास्ते उसका लंड चूत से बाहर नही आया. फिर बेड पर वो बालो को पकड़े पकड़े धक्के मारने लगा. कुछ ही पॅलो बाद अरुण को सुप्रिया की चूत मे कसावट महसूस होने लगी. सुप्रिया की बातें और उसके चेहरे के भाव देखकर तो उससे और रहा नही गया और उसके शरीर मे एक के बाद एक मस्ती की लहर दौड़ने लगी. सुप्रिया के पूरे शरीर मे हलचल होने लगी, यहाँ तक की मस्ती मे उसने अपने पैरो के अंगूठे और उंगलियों को भी मरोड़ना सुरू कर दिया.

"आहह..अरुण...आअहह,यस....चोदो..और चोदो..," सुप्रिया चीख कर बोली, उस समय अगर उसके सामने कोई भी आ जाता तब भी वो रुकने वाली नही थी. इधर अरुण ने अपने रस को उसकी चूत मे चोदना शुरू कर दिया, हर झटके के साथ उसकी भी आह छूटने लगी. जब कुछ मिनूट बाद उसका क्लाइमॅक्स ख़तम हुआ तो वो निढाल होकर सुप्रिया के उपर गिर गया और बहुत धीरे धीरे उसकी गर्दन को काटने और चूमने लगा. उधर सुप्रिया अरुण के रस को अपनी चूत से रिस्ते हुए महसूस करके खुद के ऑर्गॅज़म के मज़े लेने लगी. उसने भी अरुण की पीठ पर अपने हाथ घुमा लिए.

"वाउ," वो मस्ती मे हँसते हुए बोली, उसका पूरा चेहरा लाली से चमक रहा था. "मुझे लगता है, हुहह..हम लोगो को तुम्हे ऐसे ही परेशान करते रहना चाहिए...अगर एंड मे तुम ये करने वाले हो," वो उसे चूमते हुए बोली.

"दी...अगर आप लोगो ने ऐसा कुछ किया तो मुझे घर छोड़ कर सही मे जाना पड़ेगा.." अरुण कराहते हुए बोला, फिर उसके उपर से उतरकर साइड मे लेट कर उसे अपने साथ चिपका लिया.."आइ'म सॉरी, दी. मुझसे अब कंट्रोल नही होता.."

"सॉरी? उसकी कोई ज़रूरत नही. और यहाँ से निकलने की तो कभी सोचना भी मत. कभी नही मतलब कभी नही." सुप्रिया ने उसके होठों को अपने होठों मे रखकर चूस्ते हुए कहा...फिर उसके लंड को अपने हाथ मे लेकर कहने लगी."तुम्हे लगता है तुम इससे दोबारा खेलने के लिए कह सकते हो"

"उहह," अरुण कराह कर बोला.."आप कोसिस कर सकती हो, लेकिन लगता नही कि वो कुछ घंटो तक खेलना पसंद करेगा."

"उनन्ं" सुप्रिया बुरा से मूह बनाकर बोली फिर हँसकर उसे किस करने लगी. कुछ देर किस करने के बाद वो आराम से उसके सीने पर सिर रखकर लेट गयी. "यू नो अरुण, आइ'म रियली हॅपी कि अब तुम हम लोगो को रेज़िस्ट नही करने वाले. आइ लव यू, स्वीतू."

"आइ लव यू टू, दी."

"ओह यअहह....बयतेवेी...यअहह....ईप्पपप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्पीईईईईई...आइ विन्नननननननननननणणन्.....ईईईईईईईईईईईई.....ववववववीीईईईईईईईईईन्न्ननणणन्...मैं जीत गया भडुए....मैं जीत गया." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अपनी खुशी का इज़हार करते हुए कहा 

"ओह्ह्ह्ह..फक मी.." अरुण अंदर ही सोचते हुए बोला.

"कल तो बदले का दिन है..हाहहहहहहः...." दिमाग़ के आवाज़ ने अरुण को बताया

"कॅन'ट वेट..." अरुण मायूसी से बोल दिया.

इतनी तेज चुदाई के बाद अरुण सुप्रिया के आगोश मे ही चैन से सो गया. लगभग 1 घंटे बाद सुप्रिया की आँख खुली तो उसने घड़ी की तरफ नज़र की. डिन्नर का टाइम हो गया था. उसने धीरे से अरुण की तरफ मूह करके उसे किस कर दिया. और उसे हल्के से हिलाने लगी.

अरुण नींद मे ही कुछ बडबडाने लगा. "नही दी..बस इतना ही खाउन्गा." और खर्राटे लेने लगा.

सुप्रिया को ये सुनकर हँसी आ गयी. उसने उसे दोबारा किस किया और उठकर बाथरूम चली गयी और गुनगुने पानी से शवर लेने लगी. शवर लेते हुए वो अभी जो कुछ हुआ उसके बारे मे सोचने लगी. उसे ये तो पक्का पता था कि अरुण जल्दी ही कंट्रोल खोने वाला था लेकिन इस तरीके से बेकाबू होकर सेक्स करेगा ये उसने बिल्कुल नही सोचा था. लेकिन उसे मज़ा भी काफ़ी आया था.

इन सब चीज़ो से उसकी जिंदगी मे काफ़ी चेंजस आए थे. उसने आरोही और सोनिया को एक अलग ही नज़र से देखना शुरू कर दिया था. आरोही के साथ एक अलग ही रिश्ता बन गया था उस रात के बाद. एक तो आरोही भी जाने कितना बदल गयी थी. कहाँ वो सिंपल सी चुलबुली लड़की थी और अब सेक्स के पीछे बिल्कुल क्रेज़ी. सुप्रिया अपने बदन पर साबुन लगाने लगी. और आँखें बंद करके उस रात को याद करने लगी जब उन तीनो ने एक साथ प्यार का भरपूर आनंद लिया था. उसने कभी नही सोचा था की वो और आरोही ऐसा कुछ करेगी. लेकिन उस रात सब कुछ अपने आप ही होता चला गया जैसा की ऐसा होना ही ठीक था.

आरोही की जीभ का अहसास अपनी चूत पर याद आते ही एक ठंडी लहर सी दौड़ गयी सुप्रिया की बॉडी मे. उसके हाथ अपने आप ही साबुन लगाते लगाते चूत पर चले गये. उसे अरुण के उस मूसल लंड का अहसास भी काफ़ी अच्छा लगा था लेकिन आरोही की जीभ इतनी गरम और सॉफ्ट थी कि उसको शब्दो मे बयान नही किया जा सकता था. वो दोबारा उस अहसास को पाना चाहती थी लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि वो ये बात आरोही से कैसे कहे. उपर से आरोही की सुई तो आजकल सिर्फ़ अरुण पर ही टिकी हुई थी.

"बेचारी.." सुप्रिया के मूह से अनायास ही निकल गया जब उसे ध्यान आया कि आरोही अभी तक वर्जिन थी और जैसे ही उसका नंबर आने वाला था तभी अरुण ने ये शर्त वाला धमाका कर दिया. उसे आरोही के थोड़ा बुरा भी लगने लगा. लेकिन अब तो अरुण शर्त ख़तम कर चुका है तो अब आरोही को जो चाहिए वो मिल जाएगा. उसके बाद वो आरोही से इस बारे मे बात करेगी.

फिर वो शवर बंद करके बाहर निकली और रूम मे जाकर पैंटी पहनी. उसने पास मे पड़ी हुई अरुण की शर्ट को उठाया और नाक के पास ले जाकर उसकी मदहोश करने वाली महेक का आनंद लेने लगी. उसने उसी शर्ट को पहेन लिया और धीरे से बाहर निकलकर दरवाजा बंद कर दिया.

"मेरी बारी?" आरोही ने सोफे पर बैठे बैठे पूछा.

सुप्रिया ने उसकी ओर देखकर मुस्कुरा दिया और उसके पास जाकर बैठ गयी.

"अरुण अभी बहुत थक गया है और सो रहा है, आरू." उसने आरोही को गले लगाकर उसके गाल चूमते हुए कहा. फिर उसे अलग करके उसकी आँखो मे देखते हुए कहने लगी.."और टेन्षन मत लो, मुझे पूरा यकीन है कि कुछ टाइम बाद वो बिल्कुल रेडी हो जाएगा, शायद डिन्नर के बाद."

आरोही हंसते हुए बोली.."थकना तो था ही. आप दोनो ने तो पूरा घर ही हिला कर रख दिया. मैं तो नीचे पानी लेने आई थी, आपके कमरे से इतनी आवाज़ें सुन मैने कीहोल से देखा."

ये सब सुनकर सुप्रिया का चेहरा लाल होने लगा. वो और आरोही दोनो एक दूसरे से चिपके बैठे थे और दोनो की बाहें एक दूसरे के गले मे थी. दोनो की नज़रें आपस मे मिली तो सुप्रिया धीरे से आगे की ओर झुकने लगी. वो सोचने लगी कि प्लीज़ आरोही किस करने से मना ना कर दे. वो दोबारा अपनी बहेन के साथ होने का अहसास पाना चाहती थी. सुप्रिया ने अपने गीले होठ आरोही से सटा दिए और फिर एक चैन की साँस ली जब उसे महसूस हुआ कि आरोही भी उसे वापस किस कर रही है. दोनो कुछ देर एक दूसरे के होठों का मज़ा लेते रहे फिर आरोही हल्के से हँसते हुए अलग हो गयी और उसने सुप्रिया के गाल को चूम लिया.

उसने अपनी बड़ी बहेन की ओर देखते हुए मुस्कुरा दिया. "मुझे लगा था कि उस रात के बाद आप कभी मुझे ये मौका नही देने वाली हो," उसने अपनी मन की बात सुप्रिया को कही तो सुप्रिया के चेहरे पर एक स्माइल आ गयी.

"मुझे भी यही डर था. मुझे लगा कि तुम अब मेरे साथ कुछ पल शेयर नही करना चाहती."

आरोही ने तुरंत ही उसके सिर को पकड़कर अपने पास कर लिया और अपने होठ उसके होठों मे पेवस्त कर दिए. सुप्रिया के नरम होठ खुलते चले गये और आरोही अपनी जीभ उसके होठों के रास्ते उसके मूह मे डालती चली गयी. दोनो की जीभ एक दूसरे के मूह मे डॅन्स करने लगी. आरोही उसके होठों को चूसने के बाद उसके गालों को चूमते हुए गर्दन तक पहुचि और उसकी गर्दन पर हल्के हल्के चूसने और काटने लगी. काफ़ी देर बाद दोनो ने एक दूसरे को अपने आलिंगन से आज़ाद किया.

"वैसे तुमने ऐसा क्या किया कि उसने अपना सारा कंट्रोल खोकर मेरे उपर हमला कर दिया?" सुप्रिया ने आरोही के गालो को सहलाते हुए पूछा.
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#43
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आरोही ने आँख मारते हुए उसे बाहर घटी सारी घटना बता दी कि कैसे उसने अरुण को ऑफर दिया लेकिन कुछ हो नही पाया. "आइ गेस, अरुण भूल गया कि मैं उससे तेज रन्निंग करती हूँ. फिर भी अच्छा ही हुआ आटीस्ट इससे उसने ये कंट्रोल वाली बकवास तो बंद करी. अब हम लोग दोबारा उसके साथ मस्ती कर सकते हैं."

सुप्रिया हँसते हुए उसे किस करने लगी. फिर कुछ देर बाद उठकर किचन मे चली गयी. उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा तो मुस्कुराने लगी क्यूकी आरोही चुपके से उसके रूम मे जा रही थी.

******************

सुप्रिया के दरवाजे को अंदर से लॉक करके आरोही धीरे धीरे चलते हुए बेड के पास पहुचि. अरुण पीठ के बल लेटा हुआ खाने के बारे मे बड़बड़ा रहा था. आरोही ने बिना किसी आवाज़ के अपने शॉर्ट्स उतार दिया, फिर एक एक करके टीशर्ट और ब्रा पैंटी भी, फिर जल्दी से बिना कोई आवाज़ किए अरुण के उपर से चादर भी हटा दी.

आरोही उसके पास लेटने से पहले अपने भाई की स्मूद बॉडी को निहारने लगी. उसने अपने मूह को लंड की तरफ और दोनो टाँगो को उसकी सिर की तरफ करके धीरे से सोते हुए लंड के सुपाडे को मूह मे भर लिया. वो अपनी जीभ से लंड पर सुख चुके उसके और सुप्रिया के कमरस का स्वाद लेने लगी.

उधर लंड पर जीभ के पड़ते ही अरुण ने हिलाना शुरू किया और उसकी आँखें खुलने लगी. लेकिन उसका लंड उससे काफ़ी तेज था, उसके पूरे तरीके से जागने से पहले ही लंड अपने पूरे शबाब पर आ गया. कुछ ही देर बाद अरुण भी पूरा जाग गया और आरोही की मखमली जीभ को लंड पर महसूस करके मस्त हो गया. उसने आरोही की टाँगो को अपने पास खिचा और उसकी चूत को अपने मूह पर झुकने लगा. आरोही की सिसकारी गले मे घुट गयी जब अरुण ने अपनी गर्म और गीली जीभ को उसकी क्लाइटॉरिस पर रख कर रगड़ दिया. "ओह गॉड," आरोही के मूह से निकाला, फिर उसने जल्दी से लंड को वापस मूह मे रखा और पूरा का पूरा निगल गयी.

"उम्म्म, आइ लव यू, आरू." अरुण ने उसकी चूत को चाटते हुए बोला. आरोही ने अपने हाथ अरुण के चुतड़ों के नीचे किए और उसके चुतड़ों को उठाकर लंड को अपने गले के अंदर तक ले जाने लगी. इतनी गहराई तक लंड जाने पर अरुण मस्ती मे सिसकी लेने लगा और अपने आप ही उसकी कमर खुद अंदर की तरफ झटके मारने लगी.

लेकिन फिर उसने झटके धीरे कर दिया जब उसे लगा की वो आरोही को चोट ना पहुचा दे. 

"डॉन'ट वरी भाई. मुझे कुछ परेशानी होगी तो मैं बता दूँगी. आज की रात आप बस मेरे हो. अब जल्दी से मुझे ये दे दो." आरोही ने लंड को मूह से निकालकर कहा फिर दोबारा पूरे लंड को मूह के आगोश मे ले लिया.

आरोही की बात सुनके अरुण ने भी उसकी बात मानी और अपने झटके तेज करते हुए उसके मूह को चोदने लगा. हर बार लंड पहले से थोड़ा ज़्यादा अंदर होता जाता. कुछ झटको के बाद आरोही ने लंड को मूह से निकालने ही नही दिया और जड़ तक अपने मूह को पहुचकर मज़ा लेने लगी. अरुण ने मस्ती मे भरकर चूत को मूह मे भर लिया. कुछ देर बाद अरुण ने छूट चाटना बंद की और लंड को आरोही के मूह से निकालकर हटने लगा. आरोही उसे ध्यान से देखती रही. फिर अरुण उसके सामने लेट कर उसकी छूट की तरफ लंड लाने लगा तो आरोही ने ना मे सिर हिला दिया.

ऐसा देखकर अरुण थोड़ा मायूस होकर वही बैठ गया. उसे समझ ही नही आया कि क्या प्राब्लम हो गयी. वो तो कब्से ये चाहती थी. फिर मना क्यूँ किया? उसके चेहरे के भाव को समझकर आरोही मुस्कुरा दी. उसने आगे बढ़कर अरुण को बेड पर लिटाया और साइड से उस से चिपककर उसे किस करने लगी.

"भाई, आइ वॉंट और फर्स्ट टाइम टू बे स्पेशल. उपर से खाना लगभग तय्यार ही है, कुछ ही देर मे दी की आवाज़ आती ही होगी. और अब तो यह शर्त वाला मसला भी ख़त्म हो गया है तो चिंता की कोई बात ही न्ही है. आज रात मैं पूरे तरीके से आपकी हो जाउन्गी."

अरुण के चेहरे पर ये सुनते ही स्माइल आ गयी लेकिन तुरंत ही चली भी गयी.

"लेकिन स..."

वो बोल ही रहा था की आरोही ने उसके होठों पर उंगली रख दी.

"तुम सोनिया की टेन्षन मत लो, वो तो अपनी फ्रेंड के घर गयी है आज. वो रात वही गुज़रेगी. तो आज की रात तुम सिर्फ़ मेरे हो, सिर्फ़ मेरे और मैं तुम्हारी." फिर दोनो किस करने लगे.

तभी दरवाजे पर नॉक हुई. तो दोनो तुरंत ही रुक गये.

"अरुण खाना तय्यार है, आ जाओ." स्नेहा की आवाज़ थी. जब कुछ देर तक और कुछ नही हुआ तो दोनो ने चैन की सास ली. माना कि स्नेहा को सब कुछ पता था लेकिन देखना कुछ ज़्यादा ही हो जाता. फिर दोनो ने जल्दी से कपड़े पहने. आरोही तो जल्दी से आँख मार निकल गयी, अरुण कुछ देर बाद रूम से निकलकर बाथरूम गया. वहाँ से मूह हाथ धोकर सीधा डाइनिंग टेबल पर जाके बैठ गया. आरोही वहाँ पहले से ही बैठी हुई थी.

चारो चुपचाप खाना खाने लगे. अरुण को तो ये अजीब नही लगा क्यूकी वो तो खाने पर ऐसे टूटा जैसे जन्मो से भूखा हो. कुछ देर बाद अरुण ने ध्यान दिया की आज डिन्नर के टाइम कुछ ज़्यादा ही खामोशी थी. वैसे तो हमेशा कुछ ना कुछ टॉपिक ऑन ही रहता था. चलो स्नेहा तो नॉर्मली वैसे भी चुप ही रहा करती थी लेकिन सुप्रिया और आरोही. ये दोनो क्यू शांत है? 

उधर स्नेहा को भी कुछ अटपटा सा लग रहा था. वो बार बार सुप्रिया और आरोही की तरफ बारी बारी देख रही थी. अरुण तो किसी भूके की तरह खाने मे मगन था. लेकिन इन दोनो को क्या हुआ? आरोही के चेहरे पर अजीब से भाव थे और कुछ कुछ देर बाद उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती थी. हां सुप्रिया क्यू मुस्कुरा रही थी ये तो उसे पता था क्यूकी उसने दोनो के सेक्स की आवाज़ें सुनी थी. सुप्रिया और स्नेहा के रूम एक दूसरे से सटे हुए थे तो तेज आवाज़ें आर पर चली जाती थी. लेकिन आरोही क्यू? क्या इसने भी साथ मे किया? नही अभी नही. आवाज़ से तो सिर्फ़ दो ही लोग लग रहे थे. इन सब चीज़ो से उसकी क्यूरीयासिटी और बढ़ती जा रही थी. की आख़िर ऐसा क्या है उसके भाई मे जो बाकी तीनो इतना ज़्यादा उतावली थी उसके साथ सेक्स करने को? फिर उसे एक दम से एक ख़याल आया. की अगर उसे कोई सेक्षुयल एक्सपीरियेन्स मिल जाए तो वो ये बात आसानी से समझ सकती है.

एक तो इससे पहले उसके सामने इस चीज़ से रिलेटेड कोई प्राब्लम आई नही. स्कूल और कॉलेज, हर जगह उसका पूरा ध्यान सिर्फ़ पढ़ाई पर रहा. यहाँ तक की उसने बाय्फ्रेंड भी नही बनाया. ऐसा नही था कि लड़को ने उससे बात करने की कोसिस नही की. लेकिन उसने कभी उन पर इतना ध्यान ही न्ही दिया. और बाकी लड़कियाँ उसे ज़्यादा पसंद नही करती थी. क्यूकी स्नेहा से गॉसिपिंग तो हो नही पाती थी.

लेकिन जबसे अरुण ने उसे ये बताया की वो बाकी सब के साथ सेक्षुयली इंटिमेट है और जबसे उसने किस किया तबसे उसके अंदर एक अजीब से चीज़ जाग गयी थी. ये क्या था उसे खुद नही पता?

वो बड़े ध्यान से अपने भाई को अब्ज़र्व करने लगी थी तबसे. कैसे चलता है, किस तरीके से उसकी मसपेसिया हिलती थी. बिना शर्ट के वो उसे कुछ ज़्यादा ही अच्छा लगता था. उसके मन मे वो पिक्चर घूमने लगी जब उसने अरुण को बाथरूम मे नंगा देखा था. वो वही खड़ा हुआ था और उसका पेनिस बिल्कुल सीधा खड़ा हुआ था और उसकी ओर पॉइंट कर रहा था.

वो कुछ और देर उसके पेनिस को देखना चाहती थी लेकिन जब उसका ध्यान अरुण के चेहरे पर गया तो उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया. ये सब चीज़ें उसके मन से निकल ही नही पा रही थी. शायद इसीलिए बाकी सब भी उसके पीछे पड़ी रहती हैं

"शायद उसका पेनिस जादुई है," एक दम से उसने सोचा तो खुद अपनी हसी कंट्रोल नही कर पाई.

बाकी तीनो उसे ध्यान से देखने लगे. वो अपने ख़यालो मे इतना ज़्यादा खो गयी थी की उसे ध्यान ही नही रहा की वो टेबल पर सबके साथ बैठी थी. फिर उसे गोआ वाली बातें याद आने लगी, कैसे आरोही अपनी जीभ बाहर निकालकर उसके पेनिस को चूस रही थी. और जब अरुण के पेनिस से ईजॅक्युलेशन हुआ तब आरोही ने कितने मज़े से उसे निगल लिया था. एक पल की भी देरी नही की थी उसने.

वो सोचने लगी को उसका टेस्ट कैसा होता होगा. ऐसे ही उसके ख़याल अपने भाई और उसके लंड के इर्द गिर्द घूमते रहे. फिर जब अरुण ने उठकर अपनी प्लेट को सिंक मे रखा तब वो अपने ख़यालो से बाहर आई.

वो अरुण को उपर अपने कमरे मे जाते हुए देखने लगी. फिर उसने भी जल्दी से खाना ख़तम किया फिर सुप्रिया के साथ बर्तन धोने मे हेल्प करने लगी. कुछ देर बाद वो अपने रूम मे जाकर बिस्तर पर बैठ गयी. उसके मन से अरुण के लंड की तस्वीर निकल ही नही रही थी. वो अरुण के साथ की गयी सारी बातें याद करने लगी. जब उसने अरुण को बताया की उसने आज तक मास्टरबेट नही किया तो अरुण कितना चौंक गया था.

"क्या ये कामन चीज़ होती है?" उसने मन मे सोचा.

स्नेहा को ये समझ मे ही नही आ रहा था की ऑर्गॅज़म मे ऐसी क्या बड़ी बात होती है. और उपर से उसने आज तक ऑर्गॅज़म फील भी नही करा था तो उसे पता भी न्ही थी. सोचते सोचते वो जाके सीशे के सामने खड़ी हो गयी और अपने आप को निहारने लगी. उसके ब्रेस्ट्स बड़े थे, लेकिन सुप्रिया से कम. उसने क्यूरियस होकर अपनी टीशर्ट को उतार दिया और ब्रा के हुक को खोल दिया. और अपने नंगे दूधों को देखकर सोचने लगी कि क्या अरुण को ये ऐसे पसंद आएँगे. 

आने चाहिए, अरुण ने कहा भी था की उसके ब्रेस्ट्स पर्फेक्ट थे. उसे भी लगा की उसके ब्रेस्ट्स काफ़ी सही थे लेकिन उसने आज से पहले ये बात कभी सोची ही नही. शायद अरुण ने सही कहा था. उसने एक हाथ से अपने दूध को पकड़ा फिर निपल के चारो ओर उंगली फिरा कर निपल को दबा दिया.

"दट वाज़ नाइस," उसने सोचा, लेकिन फिर वो खुद को बेवकूफ़ समझने लगी क्यूकी वो अपने ही रूम मे सीशे के सामने आधी नंगी खड़ी होकर अपने ही दूधों के साथ खेल रही थी.

ये सोचकर उसने जल्दी से ब्रा पहनी और फिर टीशर्ट पहेन कर बिस्तर पर लेट गयी. आख़िर ये सेक्स इतना मज़ा क्यू देता है. वो किसी और बात पर ध्यान ही नही दे पा रही थी. उसने सोचा की कॉलेज शुरू होने से पहले उसे इन सवालो के जवाब पाने ही होंगे नही तो वो ढंग से पढ़ नही पाएगी. फिर उसे अरुण की बात ध्यान आई की वो कभी भी उससे कुछ भी पूछ सकती है.

वो जल्दी से उठकर अपने कमरे से बाहर चली गयी. अरुण के रूम के बाहर आकर पहले तो वो किसी और बहेन की आवाज़ सुनने की कोसिस करने लगी. फिर उसे कीबोर्ड की क्लिक क्लिक की आवाज़ सुनाई दी तो उसने धीरे से नॉक कर दिया.

"खुला है.." अरुण ने अंदर से कह दिया.

उसने गेट खोला और अंदर आकर बिना किसी आवाज़ के गेट को बंद कर दिया. अरुण ऐसे ही नेट सर्फ कर रहा था. स्नेहा को रूम मे देखकर अरुण प्यार से उसकी ओर स्माइल करने लगा. उसकी स्माइल देखकर स्नेहा के पेट मे गुदगुदी होने लगी.
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01-25-2019, 12:06 AM,
#44
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स्नेहा भी उसे देखकर मुस्कुरा दी फिर उसके सामने बिस्तर पर बैठते हुए बोली.."मुझे कुछ चीज़े समझ मे नही आ रही."

अरुण ने उसकी तरफ कुर्सी को घुमाया और उसके चेहरे को देखने लगा. "वेल, जैसा मैने कहा था आप मुझसे कुछ भी पूछ सकती हो..तो शूट."

अब स्नेहा अपने बाल खुजाने लगी. उसे समझ ही नही आया कि वो कैसे पूछे. 

"उम्म्म्मम, मैं बस ऐसे ही पूछने आई थी कि अगर तुम फ्री हो तो क्या हम लोग कुछ देर बात कर सकते हैं?"

ये सुनकर अरुण कुर्सी से उठकर उसके साथ बेड पर बैठ गया. "कभी भी दी, अब बताओ किस बारे मे बात करनी है?" अरुण ने उसके बालो को उसके कानो के पीछे करके उसके हाथ को अपने हाथ मे ले लिया.

स्नेहा ने नज़रें उठाकर देखा तो वो बहुत ही ज़्यादा क्यूट लगा, उसकी इच्छा किस करने की होने लगी.

उसने अपने हाथ को अरुण के सिर पर रख के उसके बालों मे फेरने लगी, फिर दोनो हाथों से उसके गालों को पकड़कर नीचे बिस्तर पर झुकते हुए खुद भी उसके उपर लेटती चली गयी. बिस्तर पर सिर लगते ही उसने अरुण के होठों को अपने होठों से जोड़ दिया. और अपनी जीभ से उसके होठों को खोलने की कोसिस करने लगी.

अरुण भी वापस उसे किस करने लगा. अरुण के किस करते ही स्नेहा को अपने सरीर मे उत्तेजना की लहर महसूस होने लगी. अरुण ने अपनी मजबूत बाहों से उसे अपनी ओर पास खींचा. ऐसे करने से स्नेहा के दूध उसके सीने पर धस्ते लगे.

अरुण का एक हाथ उसकी पीठ को सहलाने लगा और स्नेहा की बॉडी मे एक और लहर दौड़ गयी जब अरुण ने उसी हाथ से उसके चूतड़ को धीरे से दबा दिया. उसे ये फीलिंग बहुत अच्छी लगी तो उसने अरुण को चूतड़ दबाने दिए. अरुण का दूसरा हाथ पेट के रास्ते उपर बढ़ने लगा तो स्नेहा ने खुद को उपर उठाकर उसके हाथ के लिए रास्ता बना दिया.

"ये मैं क्या कर रही हूँ? ऐसे तो ये मेरे ब्रेस्ट्स को दबा सकता है?" वो खुद से मन मे पूछने लगी.

उसकी आह निकल गयी जैसे ही अरुण के हाथों ने असलियत मे उसके दूधों को टीशर्ट के उपर से दबाना शुरू कर दिया. उसके सिर पर मस्ती चढ़ने लगी. सब कुछ हल्का हल्का महसूस होने लगा. उसके कंट्रोल के बिना उसके पैर खुद ब खुद ही खुल गये और उसकी कमर खुद ही अरुण की कमर पर रगड़ने लगी.

"तू एग्ज़ाइट हो रही है, डफर," अरुण के लंड का एहसास अपनी चूत पर होते ही उसके मन मे आवाज़ आई.

ख़ुसी के कारण उसकी एक और आह निकल गयी. उधर अरुण एक हाथ से उसके चूतड़ और दूसरे से उसके दूध को मस्ती मे मसलता जा रहा था. स्नेहा ने अपनी जीभ को उसके मूह की गहराई तक डाला और उससे अपनी जीभ चुसवाने लगी. जितनी बार अरुण उसकी जीभ को अपने मूह मे भरकर तेज़ी से चूस्ता उतनी बार ही स्नेहा की कमर उसकी कमर पर धक्का देती. मस्ती मे भरकर वो तेज़ी से अपनी कमर को अरुण के लंड पर रगड़ने लगी.

लेकिन तभी अचानक अरुण ने एक दम से किस को तोड़ दिया.

"आइ'म सो स...सॉरी दी." अरुण सॉरी कहने लगा, उसे डर लगने लगा कि उसने कहीं कोई लाइन तो क्रॉस नही कर दी. कही वो स्नेहा की मासूमियत का ग़लत फ़ायदा तो नही उठा रहा था?

स्नेहा भी उससे थोड़ा अलग हुई लेकिन उसके हाथ को थामे रही.."नो, तुम्हे सॉरी कहने की ज..ज़रूरत नही है. इट वाज़ माइ फॉल्ट, मुझे ही..."

अरुण दोबारा माफी माँगने लगा, लेकिन वो बिना कुछ बोले उसके पास से हटकर खड़ी हुई और शांति से लेकिन तेज चाल के साथ रूम से बाहर चली गयी.

"नाइस गोयिंग, चूतिए. अच्छी ख़ासी चूत खुद थाली मे आई थी. लेकिन इन्हे तो सॉरी कहना था. क्यू तोड़ा किस? अच्छा ख़ासा वो भी मस्त होकर लंड पर कमर हिला रही थी. बस कुछ देर और फिर वो चूत हमारी होती, लेकिन नही..चूतिया." अरुण ने दिमाग़ में उस आवाज़ ने गुस्से से कहा

"शट्ट अप्प्प" अरुण बड़ी तेज़ी से मन मे चीखा और अपने सिर को तेज़ी से तकिये पर पटक दिया.

वो स्नेहा के बारे मे सोचने लगा कि कही उसने उसे कोई चोट तो नही पहुचाई. उसे कुछ समझ ही नही आया कि सब कैसे होता चला गया. जैसे ही स्नेहा के होठ और जीभ उसके होंठो से मिले उसके पूरे सरीर मे झुरजुरी दौड़ गयी. उसकी पूरी बॉडी अपने आप ही हरकते करने लगी थी. लेकिन कुछ देर बाद उसे ध्यान आया कि स्नेहा थी. वो मासूम सी स्नेहा. तब उसे ये सब करना ग़लत लगा. इसलिए उसने किस तोड़ा. और शायद उसने ये करके सही ही किया. लेकिन अब वो क्या करे. ये सब सोचते सोचते उसे हल्की हल्की नींद आने लगी.

**************************

"कुछ खट्टा मीठा सा स्वाद आ रहा है. उम्म्म्ममममम...क्या है यह?" अरुण मन मे सोच रहा है. उसके आस पास हल्की सी हलचल हो रही है. उसे अपने उपर काफ़ी वजन भी महसूस हुआ. उसने धीरे धीरे आँखें खोली तो देखता ही रह गया. उसके मूह के उपर आरोही बैठी है और खुद हल्का सा उठ कर उसके होंठों पर अपनी चूत को रगड़ रही थी. अरुण की जब आँख खुली तो उसने अपने हाथों से उसकी जांघों के दोनो ओर डाला और सहारा देकर उसकी चूत के कमरस को ग्रहण करने लगा. आरोही ने भी जब ये जाना कि अरुण जाग गया है तो उसके मूह के उपर और प्रेशर से चूत को हिलाते हुए सिसकियाँ भरने लगी. वो अपने एक हाथ से दूध को भी दबाए जा रही थी.

अरुण उसकी क्लाइटॉरिस को जितना छेड़ने लगा, आरोही उतनी ही तेज़ी से अपनी कमर को हिलाने लगे. अरुण के लिए एक ही जगह पर जीभ को रखना मुश्किल होता जा रहा था तो उसने थोड़ा और ज़ोर लगाकर उसे अपने उपर ठहराने की कोसिस करी. तो आरोही थोड़ा शांत हो गयी. अरुण जीभ को कौन्दार बनाकर चूत की फांको के अंदर डाल दिया तो आरोही ने मचलकर उसके सिर को पकड़लिया और आहह आअहह करने लगी. कुछ ही देर मे आरोही की कमर ने एक अलग ही स्पीड पकड़ ली. आरोही पूरे जोरो से अपनी चूत को अरुण के मूह पर रगड़ने लगी, और मस्ती मे आहें भरके सिर को पीछे कर दिया. अरुण भी बिना रुके उसे ऑर्गॅज़म का मज़ा देने लगा. कुछ देर बाद जब आरोही ने कमर हिलाना बंद किया तो अरुण ने उसकी पीठ को पकड़कर धीरे से उसे अपने पास लिटा दिया और किस करने लगा. कुछ मिनटों के बाद उसने किस करना बंद किया फिर उसके गालों को चूमते हुए उसके चेहरे पे पसीने के कारण चिपके बाल हटाने लगा. फिर दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखने लगे.

"भाई आज हमारी स्पेशल नाइट है ना?"

अरुण ने मुस्कुरा कर उसके माथे को चूम लिया और हां मे सिर हिला दिया. फिर दोनो दोबारा किस करने लगे. फिर हल्का सा नीचे बढ़कर वो दोनो दूधों और निपल्स को चूमते हुए नाभि तक आ पहुचा. नाभि मे उसने ढेर सारा थूक डाल कर उसे अपने होठों से खीचा तो आरोही की कमर उत्तेजना मे अपने आप उपर हो गयी. लेकिन तभी आरोही ने उसका सिर पकड़कर उसे पास मे लिटा दिया. 

"अब मुझे बस जो चाहिए वो चाहिए, कोई नौटंकी नही..हीही." आरोही ने हंस कर कहा और उसके सीने को चूमने लगी. फिर सीधे नीचे जाकर लंड को टॅट्टो समेत चाट कर गीला कर दिया. फिर वो लंड को चूस्ते हुए बहुत ही प्यासी नज़रो से अरुण की आँखों मे झाँकने लगी. उस वक़्त अरुण को लगा कि इस वक़्त इस पूरी दुनिया आरोही को सिर्फ़ उसकी और उसकी ही ज़रूरत है. उसने देर ने करते हुए उसके सिर को पकड़ा और अपने पास खिचते हुए किस करने लगा. किस करते करते उसने उसे साइड मे लिटा दिया और खुद उसके उपर होकर उसकी जीभ के साथ खेलने लगा. अरुण उसकी गर्दन से लेकर उसकी चिन तक जीभ बाहर निकालकर चाटने लगा. पसीने मे मिला हुआ उसका स्वाद उस समय उसे किसी अमृत से कम नही लग रहा था. उसका लंड आरोही की चूत पर हल्के हल्के रगड़ रहा था. लेकिन फिर भी वो खुद को कंट्रोल करके उसे पूरा मज़ा देना चाहता था. आरोही ने भी उसका साथ देते उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो मे पकड़कर अपने जीभ से चाट लिया. जितनी बार आरोही की जीभ अरुण से छूटी उतनी बार अरुण की सिसकी निकल जाती. दोनो के शरीर आपस मे पसीने से लथपथ होकर चिपके पड़े थे. दोनो शरीर की गर्मी मिलकर उन दोनो को एक अलग ही दुनिया मे पहुचा रही थी.


आरोही ने अपने दोनो हाथ साइड मे किए तो अरुण उसके कंधे से छूते हुए अपने पंजो को उसके पंजो से मिला दिया और दोनो बड़ी तेज़ी से एक दूसरे की जीभ को चूमने लगे. 

इस वक़्त दोनो एक दूसरे के लिए अपने प्यार को पूरे तरीके से महसूस कर रहे थे. 

"आरोही," अरुण ने उसके होठों से एक इंच की दूरी पर अपने होठों को लेजा कर कहा, "ये मेरी जिंदगी के सबसे खास दिनो मे से एक दिन है."

ये बात उसने इतने धीरे से कही थी कि शायद हवा को भी इसकी भनक नही पड़ी होगी लेकिन कहते हैं ना जब दिल के तार जुड़े हो तो बिन बोली बातें भी सुनी जा सकती हैं, ये तो फिर भी उसने बोली थी.

ये सुनकर आरोही की आँखो मे आसू आ गये और वो अपना सिर हिलाने लगी.

"आइ'हॅड डू एनितिंग फॉर यू," अरुण ने अपने दिल को खोलकर उसके सामने रख दिया.

"आइ नो, भाई" आरोही ने ये कहकर अपनी टाँगें उसकी कमर के इर्द गिर्द कर दी और उससे कस के चिपक गयी. अरुण का लंड उसकी चूत पर दस्तक दे रहा था. 

अरुण आरोही की सुलगती प्यासी आँखो मे देखने लगा और अपनी कमर को हल्के से आगे बढ़ने लगा. लेकिन दो तीन बार कोसिस करने पर भी उसकी लंड बार फिसल जाता तो आरोही ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके लंड को अपनी चूत के सामने कर दिया. अरुण ने वही पर अपनी कमर को हल्के से धक्का दिया तो आरोही की आँखें खुलती चली गयी. 

लंड का सुपाडा अंदर तक जा चुका था. अरुण को चूत की टाइटनेस से पता चल रहा था कि आरोही की चूत काफ़ी ज़्यादा टाइट है. 

अरुण ने थोड़ा सा और ज़ोर लगाया तो आरोही ने चीखते हुए उसके गले मे बाहें डालकर जाकड़ लिया.

"भाई, थोड़ा आह..धीरे"

अरुण ने हां मे सिर तो हिला दिया लेकिन इस से ज़्यादा धीरे कैसे जाए ये उसे समझ मे नही आया. फिर भी उसने थोड़ा और अंदर बढ़ने की कोसिस की तो आरोही चीखने लगी और उसका पूरा शरीर काँपने लगा. अरुण एक दम वही रुक गया. वो आरोही को तक़लीफ़ मे कभी नही देख सकता था. उसने सोचा आगे ना बढ़कर इतना ही आगे पीछे किया जाए. अरुण ने लंड को पीछे किया तो आरोही की आह उसके कानो मे पड़ी. उसने उतना लंड दोबारा अंदर डाला तो वो दोबारा चीखने लगी. तो अरुण उतना ही लंड डाले डाले उसके उपर लेटा रहा. दोनो एक दूसरे को पकड़े हुए वैसे ही कुछ देर लेटे रहे. 

कुछ देर बाद आरोही अपनी कमर को बहुत धीरे धीरे चलाने लगी. अरुण तब भी वैसे ही रहा. उसने सोचा अभी आरोही को ही कंट्रोल करने देता हूँ. आरोही हल्के हल्के कमर को उसके लंड पर हिलाए हुए किस करने लगी.

"ज़्यादा दर्द हो रहा है?" अरुण ने उससे पूछा.

"थोड़ा," आरोही ने उसे दोबारा किस करते हुए कहा,"बट, आइ'म रियली हॅपी."

ये सुनकर अरुण थोड़ा रिलॅक्स हुआ और उसने भी धीरे अपने कमर को हिलाते हुए आरोही का साथ देना स्टार्ट कर दिया.

कुछ देर ऐसे ही धीरे धीरे धक्के देते हुए लंड थोड़ा और अंदर हुआ. लेकिन तभी अरुण को लगा कि ऐसे तो वो जल्दी झड जाएगा, एक तो कुछ घंटे पहले जब आरोही ने उसका लंड चूसा था तो क्लाइमॅक्स नही हुआ था तो उसके दिमाग़ मे एक आइडिया आया. वो अपना एक हाथ नीच ले गया और अपने लंड के जस्ट उपर से आरोही की क्लिट को रगड़ने लगा. जैसे ही उसने क्लिट को रगड़ना शुरू किया आरोही की हल्की सिसकियाँ तेज लेकिन मस्ती भरी चीखों मे बदलने लगी. इस मस्ती की वजह से आरोही की चूत ने लंड को और कस के जकड लिया. 

क्लिट रगड़ते हुए दोनो कमर हिलाने लगे. आरोही पता नही क्या क्या कहे जा रही थी..उस मे से कुछ एक ही अरुण की समझ मे आई..."ओह्ह्ह भाई....उम्म्म्म....आइ लव ....आअहह..चोदो...आहह लव...". आरोही की इन बातों से अरुण के धक्को की स्पीड और तेज हो गयी लेकिन अब आरोही उतना ज़्यादा नही चीख रही थी. वो भी अपनी कमर को हिला हिलाकर उसका साथ देने लगी.

"ओह.."

"आरुउउउ..आहह"

"भीइ...आइ...ओहमम्म्मम.."

"आइ लव....."

"आहह.."

अरुण के टॅट्टो मे उबाल आना शुरू हो गया. आरोही मस्ती मे सिसकी लेते हुए उसकी पीठ को खरोचने लगी. उसके चेहरे पर पसीना और आसू दोनो चमक रहे थे. अरुण ने क्लिट पर अपना अंगूठा चलाना जारी रखा. दोनो की आँखें एक दूसरे की आँखो मे खोई हुई थी. आरोही की आँखो से मोती जैसे हल्के हल्के आसू निकल रहे थे. अरुण का मन किया कि वो उसके हर आसू को पी जाए. आरोही की कमर अब कुछ ज़्यादा ही तेज़ी से उपर नीचे होने लगी. अरुण भी उसका साथ देते हुए स्पीड बढ़ाने लगा लेकिन जब भी उसकी चीख की आवाज़ बढ़ जाती तो वो खुद को कंट्रोल करके स्पीड कम करते हुए उसे किस करने लगता.

कुछ पॅलो बाद दोनो की स्पीड कुछ ज़्यादा ही तेज हो गयी. आरोही के नाख़ून उसकी पीठ मे धस्ते ही चले गये. अरुण की आँखो के सामने बस आरोही का ही चेहरा घूमने लगा. 

"ओह....ओह.." आरोही की इस सिसकारी के साथ अरुण का शरीर ऐन्ठता ही चला गया. और एक के बाद एक पिचकारी वो चूत मे उडेलने लागा. उसके बाद भी उसने क्लिट को रगड़ना बंद नही किया. वो आरोही को भी उसके चरम तक पहुचा कर मज़ा देना चाहता था. दोनो के मूह से बस एक ही लाइन निकल रही थी.."आइ लव यू....आइ लव यू..." कुछ ही पॅलो मे आरोही का शरीर बड़ी तेज़ी के साथ हवा मे उछलते हुए उसके साथ चिपक गया. अरुण का हाथ क्लिट पर से हट गया और वो दोनो हाथों से उसे पकड़कर अपने साथ चिपकाने लगा. आरोही का मूह उसकी गर्दन पर था और वो हर झटके के साथ गर्दन को चूमते हुए काटने लगी. लगभग 5 मिनिट तक अरुण उसे ऐसे ही अपने से चिपकाए रहा फिर जब वो शांत हो गयी तो उसे धीरे से बेड पर लिटा दिया और अपने लंड को बाहर निकाल लिया. आरोही ने उसके एक हाथ को सीधा करके उसे तकिये का रूप दे दिया और उसे गले लग के लेट गयी. अरुण भी आराम से उसे अपने गले लगाए रहा. उसका दूसरा हाथ उसकी पीठ पर गोल गोल घूमता रहा.

"ज़्यादा दर्द तो नही हुआ?" 

अरुण को महसूस हुआ की आरोही मुस्कुरा रही थी.

"थोड़ा सा, लेकिन इस पल के लिए ऐसा दर्द 100 बार भी सहना पड़े तो कोई गम नही आंड इट ईज़ ऑल्सो दा बेस्ट डे ऑफ माइ लाइफ." फिर दोनो कुछ देर ऐसे ही लेटे लेटे एक दूसरे की सासो को सुनते रहे. फिर अरुण पीठ के बल सीधा लेट गया तो आरोही उसके सीने पर अपना सिर रख के चिपक के सोने लगी. अरुण ने ज्यदा हलचल किए बिना बिना चादर डाल ली और आरोही का सिर चूम कर मीठे सपनो मे सो गया.

********************************
सुबह अरुण की जब आँख खुली तो उसे अपनी पीठ पर किसी की साँसें महसूस हुई. उसने अपने हाथ पैरो को हिलाया तो उसके सीने पर भी गर्म गर्म सासें थी. उसने आँखें खोलकर देखा तो आरोही उसके सीने से चिपकी हुई थी. हर सास के साथ उसके दूध उठाते और फिर वापस अरुण के पेट से चिपक जाते.

अगर आरोही सामने लेटी है तो पीठ पर कौन है. फिर उसका ध्यान अपनी कमर पर पड़े हाथ पर गया. हाथ देखकर उसके चेहरे पर पहले तो थोड़ा दर लेकिन फिर एक ख़ुसी भी आ गयी. उसने धीरे से खुद को सीधा किया तो आरोही भी नींद मे हिलकर उससे और ज़्यादा चिपक गयी. आरोही का मूह अरुण की गर्दन पर आ गया और हाथ और पैर उसने अरुण के उपर डाल दिए. ये देखकर अरुण के चेहरे पर स्माइल और बड़ी हो गयी. उसने दूसरी तरफ नज़र घुमाई तो सोनिया का मासूम सा मुस्कुराता हुआ चेहरा दिखाई दिया. उसकी आँखें बंद थी लेकिन चेहरे पर एक बड़ी स्माइल थी. उसने भी आरोही की तरह अरुण के उपर हाथ और पैर चढ़ा दिए लेकिन वो गर्दन पर अपने दाँत और जीभ चलाने लगी. 
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01-25-2019, 12:07 AM,
#45
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण ने मुस्कुराते हुए धीरे से आरोही के नीचे से हाथ निकाला और सोनिया का चेहरा पकड़कर अपने पास खिच कर बंद आँखो से ही प्यार से होठ चूमने लगा. उसके होंठो के जुड़ते ही सोनिया की जीभ खुद ब खुद अरुण के होठों को चीरती हुई मूह मे दाखिल हो गयी. वो भी उतनी ही चाहत के साथ उसे किस करने लगी. कुछ देर किस करने के बाद अरुण ने उसका माथा चूम लिया और सोनिया ने भी उसकी गर्दन के पास अपना सिर रख दिया.

"आइ लव यू." अरुण एक हाथ से उसका सिर सहलाते हुए बोला.

"उहह आइ लव यू टू, भाई. आंड बाइ दा वे गुड मॉर्निंग." सोनिया उसकी गर्दन चूमती हुई बोली.
"तो अब आपको मेरे बिना नींद भी आने लगी?" सोनिया मायूस सी आवाज़ मे शिकायत करने लगी.

"ये किसने कहा तुमसे?" अरुण ने पूछा.

"कहने की क्या ज़रूरत है, क्या मुझे दिखाई नही देता? मैं जब आई तो आप इतनी गहरी नींद मे सो रहे थे जैसे बरसो से ऐसी नींद नही आई हो. क्या मैं आपको इतना परेशान करती हूँ कि आपको मेरे साथ ढंग की नींद भी नही आती?" सोनिया हल्की सी सूबक के साथ बोली.

अब अरुण परेशान कि क्या कहे. "आइ..मैं..ऐसा कुछ.." अरुण शब्दो को ढूढ़ने के चक्कर मे हकलाने लगा. तो एक दम से सोनिया खिलखिलाकर हँस पड़ी. तब जाके अरुण को समझ आया कि वो उसके साथ मस्ती कर रही थी. सोनिया ने खिलखिलाते हुए उसके चेहरे पर दो तीन किस कर दिए. अरुण भी हल्के से हँस दिया.

"भाई आप डरे हुए कितने क्यूट लगते हो ना..हिहहिही.." वो गर्दन पर किस करते हुए बोली,"रिलॅक्स, आइ'म जोकिंग. मैं जानती हूँ आप हम सबको बराबर प्यार करते हो आंड मैने पहले ही आपको बताया है मुझे दी से कभी जेलासी नही हो सकती. उपर से आपको एक सीक्रेट बताऊ?"

सीक्रेट की बात सुनके अरुण के कान खड़े हो गये.

"सीक्रेट? कैसा सीक्रेट?" अरुण ने उसकी ओर देखते हुए पूछा.

"आइ लव यू.उःम्म्म्म...अरूंन्ं.."उधर आरोही उसके सीने पर किस करते हुए उसे और कस के जकड़ने लगी. फिर उसके सासो की आवाज़ नॉर्मल हो गयी.

ये सुनकर सोनिया खिलखिला पड़ी.

"लगता है रात मे सारा प्यार आपने आरू दी को ही दे दिया. मेरे लिए कुछ नही छोड़ा?" सोनिया आँखें मटकाते हुए बोली.

तो अरुण ने उसके दूध को टीशर्ट के उपर से ही दबा दिया. 

"आउच.." सोनिया हल्की सी कूद पड़ी.

"तुम्हारे लिए तो मेरे पास प्यार का सेपरेट बॅंक अकाउंट है." अरुण आँख मारते हुए बोला. "अच्छा अब बात मत घूमाओ पहले सीक्रेट बताओ.."

"हां तो सीक्रेट ये है, कि आरोही दी ने ही मुझे फ्रेंड के घर जाने के लिए कहा था."

अरुण थोड़ा चुप हो गया. वो सोचने लगा कि आरोही ने तो उसे बताया था कि वो अपनी मर्ज़ी से गयी है. अच्छा तभी आरोही इतनी कॉन्फिडेंट थी कि रात मे उन्हे कोई डिस्टर्ब नही करेगा.

"इतना डंब एक्सप्रेशन मत दो. उपर से पूरे घर ने आपकी और सुप्रिया दी के प्यार की चीखे हिहीई..सुनी थी. तो कुछ देर बाद आरोही दी मेरे पास आई और उन्होने मुझे मस्का लगाना शुरू किया कि मैं कितनी अच्छी हूँ, कितने अच्छे से आजकल रहती हूँ...वग़ैरह वग़ैरह. मैं तो हूँ ही स्मार्ट. मैं समझ गयी दी को कुछ चाहिए. तो मेरे पूछने पर दी ने कहा कि क्या आज रात मैं अपने किसी फ्रेंड के घर जा सकती हूँ? पहले तो मैने पूछा क्यूँ? लेकिन फिर जब दी ने मुझे बताया कि शी नीड सम अलोन टाइम इन दा नाइट वित यू तब जाके मेरी आँखें खुली. तो मैने सोचा दी इतना तडपी हैं अब उनको तड़पाना ठीक नही. उन्हे भी तो आपके प्यार का मज़ा मिलना चाहिए तो मैने हां कर दी. बाइ दा वे मैं तो देखना चाहती थी "आप दोनो का मिलन" लेकिन फिर मैने सोचा दिस ईज़ आ स्पेशल मोमेंट फॉर बोथ ऑफ यू स्पेशली दी तो मैं मान गयी."

अरुण ने उसकी बातें सुनी तो उसे सोनिया पर प्यार और गर्व दोनो आने लगा. कहा वो एक नंबर की सेल्फिश थी और अब आरोही की खुशी के लिए वो रात भर के लिए अपनी फ्रेंड के घर चली गयी जबकि उसे सिर्फ़ उसके साथ ही ढंग की नींद आती है. उसने प्यार से सोनिया की आँखों मे देखते हुए किस कर लिया.

"अरे हो गया, इतने सेंटी मत बनो. आइ नो यू लव मी. वैसे ये बताओ मज़ा आया किया?" सोनिया ने आँखे उचककर पूछा और फिर हँसने लगी.

अरुण हँस दिया और हां मे सिर हिला दिया.

"अच्छा अब मुझे सोने दो थोड़ी देर. वाहा मुझे ढंग से नींद नही आई. पुचह..." उसके गाल पर किस करके सोनिया उसके हाथों का तकिया बनाकर लेट गयी. उधर आरोही ने भी नींद मे ही उसे दोबारा किस कर लिया.

अरुण ने भी आराम से अपनी दोनो बहनों के सिर को चूमा और दोनो के प्यार भरे आगोश मे लेट कर आँखें बंद कर ली.

**************************

जब अरुण की आँख खुली तो कमरे मे सूरज की किरणें पड़ रही थी. उसे अपने आसपास ख़ालीपन महसूस हुआ तो आँखें खोलकर देखा. बिस्तर पर वो अकेला लेटा हुआ था. आरोही और सोनिया दोनो चली गयी थी. उसने घड़ी मे नज़र डाली तो सुबह के 7:30 हुए थे. 

"गुड मॉर्निंग, फकर." दिमाग़ में उस आवाज़ ने अरुण को विश किया

"ओह शिट, गुड मॉर्निंग. बोलो क्या करना है." अरुण ने दिमाग़ की आवाज़ से पूछा

"उम्म्म्मममम..मैने बहुत सोचकर डिसाइड किया है कि तुझे एक दिन का रेस्ट देना चाहिए तो एंजाय दिस डे बेबी. कल तेरी जिंदगी का बेस्ट दिन होने वाला है. हाहहहहा.." अरुण के दिमाग़ की उस आवाज़ ने चुटकी ली

"क्यू कल क्यूँ...जो करना है आज ही करवाओ यार. सस्पेंस मे जान ना लो मेरी." अरुण ने अपने मन मे कहा

"ना, एक बार जो मैने कमिटमेंट कर दी तो फिर मैं अपने लंड की भी नही सुनता. हहा. आज तो तू फ्री है. कल से तेरी गुलामी शुरू." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने कहा

अरुण ने बहस करना ठीक नही समझा तो सीधे बाथरूम जाकर फ्रेश हो गया. फिर शवर लेकर अपने कमरे मे कपड़े चेंज कर लिया. जब वो नीचे पहुचा तो डाइनिंग टेबल पर सोनिया बैठी थी. किचन मे सुप्रिया कुछ बना रही थी.

"गुड मॉर्निंग, भाई."

"गुड मॉर्निंग डियर." अरुण अपनी चेयर पर बैठते हुए बोला.

तब तक सुप्रिया नाश्ता लेकर टेबल के पास गयी. पीछे से आरोही आई तो सुप्रिया और सोनिया दोनो ने बड़े प्यार से कहा..."गुड मॉर्निंग प्रिंसेसस्स्स्सस्स." प्रिन्सेस पर कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देकर दोनो हँसने लगी. 

"गुड मॉर्निंग." आरोही थोड़ा शरमाते हुए बोली और अरुण और सोनिया के बीच बैठ गयी. अरुण ने जब उसकी ओर देखा तो उसने ब्लॅक टीशर्ट और जीन्स पहनी थी. अभी नाहकर आई थी तो बाल हल्के से भीगे हुए थे. उपर से शरमाने के कारण उसके गोरे गालों पर गुलाबी छाइ हुई थी. आरोही ने एक नज़र अरुण की ओर देखा तो मुस्कुरा दी.

अरुण भी उसे देखकर मुस्कुरा दिया. दोनो के नैन मटक्के देख कर सुप्रिया और सोनिया खिलखिलाकर हँस पड़ी. फिर सुप्रिया खाना रखकर किचन मे चली गयी.

फिर सब ऐसे ही हल्के फुल्के मज़ाक मस्ती के साथ ब्रेकफास्ट करने लगे.

"स्नेहा दी नही दिख रही?" अरुण ने आस पास स्नेहा को ना पाकर पूछा.

"वो अपनी एक कॉलेज फ्रेंड के घर गयी है. कोई असाइनमेंट है उसमे हेल्प के लिए. शाम तक आ जाएगी." सुप्रिया ने खाते हुए बताया.

ये सुनकर अरुण को थोड़ी मायूसी हुई. वो स्नेहा से बात करने के लिए तड़प रहा था. उसने सोचा था कि सुबह उठते ही सबसे पहले उससे बात करेगा लेकिन अब शाम तक इंतजार करना पड़ेगा. खैर, फिर वो खाने पर ध्यान देने लगा.

खाना खकर उठा ही था कि उसके दोस्त रोहित की कॉल आ गयी. उसके साथ उसका मूवी देखने का प्लान बन गया तो वो कुछ देर मे तय्यार होकर घर से निकल गया. 

शाम को वापस आकर अरुण सीधा अपने रूम मे जाकर कुछ देर सो गया. फिर फ्रेश होकर नीचे आया उसने सोचा कि अब स्नेहा से बात की जाए. तो नीचे आकर देखा तो सोनिया और आरोही कोई बेकार से सीरियल देख रही थी और वॉशरूम मे सुप्रिया किसी से फोन पर बात करते हुए कपड़े मशीन मे डाल रही थी. उसे आसपास स्नेहा कही दिखाई नही दी.

"ओये सामने देख. कितनी मस्त गान्ड है दी की." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

आवाज़ ने अपना आइडिया दिया तो अरुण का ध्यान सुप्रिया की गान्ड पर चला जो मशीन पर झुके होने के कारण कुछ ज़्यादा ही लज़ीज़ लग रही थी.

सुप्रिया फोन पर बात कर रही थी.."नही सब ठीक है. हम लोग अभी कुछ दिन पहले ही गोआ से वापस आई. इट वाज़ आब्सोल्यूट फन." और बाकी की गॉसिप. शायद उसकी कोई फ्रेंड थी.

अरुण धीरे से उसके बिल्कुल पीछे गया और एक दम से हाथ बढ़ाकर उसके दोनो दूध पकड़कर दबा दिए.

सुप्रिया एक दम के हमले से हल्का सा कूद पड़ी. उसने पीछे मुड़कर देखा तो अरुण उसको देखता हुआ और कस्के दूधों को दबाने लगा. सुप्रिया आँखो से ही उसे हटने को कहने लगी और धीरे से फुसफुसाई "अभी नही प्लीज़..". फिर वो वापस मुड़कर मशीन के बटन दबाते हुए बात करती रही.

अरुण ने उसकी बात को इग्नोर करते हुए उसे फोन काटने को बोला. 

"नही, नही बोल तो रही हूँ." सुप्रिया उसे हटने का इशारा करते हुए बोली. "मैं बस कपड़े धो रही थी."

अरुण ने अपने हाथों को टीशर्ट के अंदर डाल दिया तो ब्रा को ना पाकर मुस्कुरा उठा. वो उसके छूते ही खड़े निपल्स को पकड़कर मसलने लगा.

"ओह्ह्ह.." सुप्रिया की हल्की सी सिसकी निकल गयी.."नही वो एक कपड़ा छूट गया. और बताओ....." अरुण हल्के से हँस दिया फिर अपने एक हाथ को उसके लोवर मे ले जाने लगा. सुप्रिया ने हिल डुलकर उसे हटाने की कोसिस करी, लेकिन अरुण अपनी जगह पर अड़ा रहा. उसने सीधे अपने हाथ को चूत पर ले जाकर रख दिया और एक उंगली वो उसकी गीली गर्म चूत के अंदर डाल दिया.

फिर उसने हाथ को बाहर निकालकर लोवर को पैंटी समेत घुटनो तक कर दिया और उसकी नंगी गान्ड को निहारने लगा.

"गान्ड तो देख. घुसेड दे अभी ना..देख कितनी गदराई हुई है." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने कहा

"पेशियेन्स माइ बॉय." अरुण ने अपने मन कहा

"हां ट्रिप काफ़ी मजेदार थी. अरुण ने ही हर चीज़ प्लान की थी." सुप्रिया बड़ी मुश्किल से फोन पर ध्यान दे रही थी. इधर अरुण ने अपने शॉर्ट्स को नीचे कर के अपने मूसल को बाहर निकाल लिया.

"फाड़ दे गान्ड." आवाज़ ने अरुण को फिर उकसाया

"अभी नही.." अरुण ने मन मे सोचा फिर अपने लंड को उसकी गान्ड से लेकर चूत तक रगड़ने लगा. सुप्रिया ने भी मस्ती मे भरकर खुद को मशीन पर झुकाकर पिछवाड़े को और उठा दिया. ऐसा करने से उसकी चूत ठीक अरुण के लंड के सामने आ गयी. और वो अपने होठ काटते हुए उसका इंतजार करने लगी.

अरुण ने भी एक ही झटके मे आधा लंड उसकी चूत मे डाल दिया. इस हमले से सुप्रिया की टाँगे अपने आप ही और चौड़ी हो गयी.

"हां..आह...मैं जानती हूँ वो प्रिया के साथ था. लेकिन मुझे..उम्म..ये नही पता था कि वो उसे धोखा दे रहा है..(जास्प)" सुप्रिया आह को रोकते हुए बोली. अरुण के हाथ उसके दोनो चुतड़ों पर थे और वो हर झटके के साथ पूरा लंड उसकी चूत मे डाल रहा था.

"म्‍म्मह..." सुप्रिया बोली, उसके मूह से शब्द नही निकल रहे थे. "नही सब ठीक है..ओह..कुछ नही कहा ना..ओह...कपड़े धो रही हूँ..यार. ओह य्स्स...यस आइ मीन सब ठीक है."
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01-25-2019, 12:07 AM,
#46
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
सुप्रिया को अपना क्लाइमॅक्स महसूस होने लगा तो उसकी कमर कमान की तरह मुड़ती चली गयी. अरुण के हर झटके का भरपूर मज़ा लेते हुए वो झड़ने लगी. उसके झाड़ते ही अरुण ने लंड को बाहर निकल लिए.

"ओह यअहह..हां मिलते हैं किसी दिन. बाइ..." "ओह.." सुप्रिया ने चैन की साँस लेकर उसे किस करते हुए कहा. 

"पेबॅक टाइम.." अरुण ने आँख मार उसके कान मे कह दिया. सुप्रिया गुस्से से देखने लगी फिर हँस कर अपने लोवर को दोबारा पहेन लिया. लोवर उठाते समय उसके हाथ कांप रहे थे.

"व्हाट दा फक? तू तो झडा ही नही? ये क्या चूतियापा है?" आवाज़ ने झल्लाते हुए कहा

अरुण ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया. उसने एक बार फिर सुप्रिया के गाल पर किस करके आइ लव यू कहा फिर बाहर जाकर सोनिया और आरोही के बीच सोफे पर बैठ गया.

उनका सीरियल जस्ट ख़तम ही हुआ था तो आरोही ने एक अच्छी सी मूवी लगा दी. तब तक सोनिया उठकर कुछ चादर ले आई. आज मौसम मे थोड़ी ठंडक थी. एक चादर उसने आरोही को एक अरुण को दे दी. अरुण के एक साइड सोनिया हल्का सा लेट गयी तो अरुण ने उसके कंधे पर अपना सिर टिका दिया. उधर दूसरी तरफ से आरोही भी उसके पास चिपक कर तिरछी बैठ गयी. अरुण और आरोही एक ही चादर मे थे. सोनिया अकेली दूसरी चादर के अंदर थी.

आरोही ने रिमोट को सामने टेबल पर रखा और अरुण के और पास चिपक कर बैठ गयी. वो अरुण की आँखो मे देखते हुए मुस्कुराइ फिर जल्दी से आगे बढ़कर उसके होंठो पर किस कर दिया. फिर दोनो मूवी देखने लगे.

अभी आधा घंटा ही हुआ था, कि आरोही का हाथ चादर के अंदर घूमने लगा. पहले तो उसका हाथ उसी की गोद मे था लेकिन वो धीरे धीरे बढ़ता हुआ अरुण के घुटने से होकर उसके लंड पर पहुच गया. उसने अपने नाख़ून से धीरे से उस पर खुरच दिया.

अरुण मुस्कुराते हुए उसे मना करने लगा लेकिन आरोही भी हँसती हुई उसकी बात को इग्नोर करती रही. उसने शॉर्ट्स की चैन को जल्दी से ढूंढकर खोल दिया फिर उसके जल्दी से खड़े हो रहे लंड को पकड़कर बाहर निकाल दिया. फिर बिना ज़्यादा हरकत के चादर के अंदर ही उसे सहलाने लगी.

तब तक सुप्रिया और स्नेहा भी आ गयी. वो दोनो साइड वाले सोफे पर एक चादर मे बैठ कर मूवी देखने लगी. अरुण को लगा कि अब तो आरोही उसके लंड को मसलना बंद करेगी, लेकिन जल्दी ही उसे पता चल गया कि अब तो वो और भी ज़्यादा उत्तेजित हो गयी है. जब सोनिया ने उसकी ओर देखा तो वो उसे देखकर मुस्कुरा दिया तो सोनिया वापस मूवी देखने लगी.

आरोही का हाथ लगातार उसके लंड को उपर नीचे कर रहा था. आरोही जल्दी से उसे अपने मूह मे लेकर उसका रस चाटना चाहती थी. एक पल के लिए उसके मन मे आया की वो अभी उसे लेकर सुप्रिया के रूम मे जाए लेकिन तभी उसके दिमाग़ मे उससे बेहतर आइडिया आया.

वो चादर को साइड मे करके खड़ी हुई और अरुण और सोनिया के बीच जाकर बैठ गयी. अरुण गुस्से से उसे देखने लगा लेकिन फिर उसे बीच मे जगह दे दी.

"मुझे वहाँ ठंड लग रही है, यहाँ तुम दोनो के बीच काफ़ी गर्मी है." उसने दोनो को आँख मारते हुए कहा फिर चादर के अंदर बैठ गयी. सोनिया ने उसकी ओर देखा तो दोनो हँसने लगी. आरोही ने अपना सिर सोनिया के कंधे पर रखा और एक हाथ से उसे पकड़कर अपने पास कर लिया.

अरुण भी बेचारा मरता क्या ना करता, वो भी चादर मे वापस बैठ गया लेकिन इस बार उसने अपना सिर आरोही के कंधे पर नही रखा. वो सीधे सीधे ही मूवी देखने लगा.

इधर आरोही ने ढंग से चादर अपने और उसके उपर ठीक की फिर हल्का सा हिलते हुए अपने शॉर्ट्स को पैंटी सहित वही चादर के अंदर उतार दिया. एक हाथ से वो अपने कपड़े उतार रही थी वही दूसरे हाथ से वो सोनिया को अपने करीब लाए जा रही थी. कुछ मिनिट की हलचल के बाद उसकी पॅंटीस उसके चुतड़ों से नीचे थी.

उसने पलटकर अरुण की तरफ देखा और तब तक देखती रही जब तक अरुण की नज़रें उसकी नज़रो से नही मिल गयी. उसने अरुण को आँख मारकर नीचे देखने का इशारा किया तो अरुण ने कन्फ्यूज़ होकर नीचे देखा तो उसे कुछ नही दिखा. वो वापस टीवी देखने लगा.

कुछ मिनिट बाद आरोही ने दोबारा वही इशारा किया तो अरुण ने चादर को हल्का सा उठाकर अंदर देखा लेकिन तुरंत ही वापस नीचे कर दिया. अंदर उसे आरोही की नंगी गान्ड दिख रही थी. वो थोड़ी गुस्से वाली नज़रो से उसे देखने लगा. तो आरोही मुस्कुराने लगी. उसने अपना एक हाथ पीछे किया और अरुण के लंड को पकड़कर आगे खिचने लगी. पकड़े जाने के डर की वजह से अरुण कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो रहा था, तो वो भी खुद को अड्जस्ट करते हुए अपने लंड को उसकी चूत से सटाने लगा.

आरोही ने किसी भूखे बच्चे की तरह उसके लंड को हाथ मे लिया और उसके सुपाडे को अपनी चूत पर टिका दिया. अभी कल ही सील खुलने की वजह से उसे हल्का दर्द तो होना ही था तो उसने मूड कर अरुण को देखा और बिना आवाज़ के कहने लगी.."धीरे.."

अरुण ने मुस्कुराते हुए उसे आँख मार दी, फिर धीरे धीरे उसके अंदर जाने लगा. अरुण की इच्छा तो हो रही थी कि अभी उसे पलटकर जंगली की तरह चोद दे लेकिन, कंट्रोल नाम की भी कोई चीज़ होती है. आरोही बहुत हल्के हल्के सोफे पर हिलने लगी, जिससे अरुण का लंड उसके अंदर बाहर होने लगा और उससे मस्ती मे डुबोने लगा.

सोनिया ने इतनी हलचल महसूस की तो दोनो की तरफ देखा और दोनो के चेहरे और हलचल देख कर उसे सब समझ मे आ गया. उसने धीरे से सुप्रिया और स्नेहा की ओर देखा तो दोनो मूवी मे पूरी तरह मगन थी.

आरोही ने सोनिया का सिर हिलते देखा तो उसकी ओर देखने लगी. दोनो की आँखें एक दूसरे पर आकर टिक गयी. सोनिया ने बड़े प्यार से उसे देखा और उसका गाल सहला दिया तो आरोही ने आँखें बंद कर ली और पूरे तरीके से अरुण के झटको का मज़ा लेने लगी. सोनिया प्यार से आरोही के गाल को सहलाते हुए उसे अपने पास खिचने लगी.

अरुण उन दोनो की हरकतों को छुपाते हुए आरोही को चोदे जा रहा था. उसने लंड को बाहर निकाल जब उसे वापस चूत के अंदर डाला तो आरोही को अपनी ओर खिचने लगा जिसके कारण कुछ ज़्यादा ही हलचल होने लगी. आरोही बंद आँखो से अपनी चूत मे उसके लंड को महसूस कर रही थी. जब आरोही को लगने लगा कि उसका क्लाइमॅक्स नज़दीक है तो उसने अपना चेहरा सोनिया के सीने मे छुपा लिया, इसकी वजह से अपने आप ही उसका मूह सोनिया के दूध पर दब गया.

सोनिया अपनी हँसी को कंट्रोल करने लगी जब आरोही का हाथ उसके पेट पर चला गया और उसे गुदगुदी होने लगी. आरोही मस्ती मे उसके पेट को कस कर दबाने लगी. झड़ते वक़्त आरोही का मूह अपने आप ही खुल गया और वो सोनिया की स्पोर्ट्स ब्रा के उपर से ही उसके निपल को मूह मे भरकर चूसने लगी.

सोनिया किसी भी तरीके से उसके हाथ को अपने पेट से हटा नही पा रही थी. उसे पता था कि अगर उसने ज़्यादा हरकत की तो स्नेहा उसे देख लेगी. आरोही ने जब उसके निपल को चूसना स्टार्ट किया तो वो अपने होठ काटते हुए बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोक पाई.

अरुण तब तक आरोही की चूत चोदता रहा जब तक चूत ने लंड को जकड़ना छोड़ा नही था. चूत की जकड़न जब धीमी होकर पूरे तरीके से बंद हो गयी तब उसने धीरे से लंड को बाहर निकाला और अपने हाथों से उसे शॉर्ट्स और पैंटी पहना दी.

"फिर से साला खुद नही झडा." आवाज़ ने झुंझलाते हुए कहा

इस पूरे वक़्त आरोही कस के सोनिया को पकड़े पकड़े उसके दूध को चुस्ती रही. इस वजह से सोनिया की स्पोर्ट्स ब्रा गीली हो गयी थी. उस मे से उसके निपल का उभार सॉफ सॉफ दिखाई दे रहा था. कुछ देर बाद आरोही थोड़ा उपर उठी और सोनिया के गाल पर एक छोटी से किस की और उसके कंधे पर पहले की तरह सिर रख के मूवी देखने लगी. सोनिया ने भी चादर को उठाकर अपने सीने के उपर तक खीच लिया. उधर अरुण भी थोड़ा सीधा हुआ फिर चादर के अंदर से ही लंड को शॉर्ट्स के अंदर डाल दिया.

"मैं कह रहा हूँ तू सुधर जा. ये दिन मे दूसरी बार है जब तू बीच चुदाई मे रुक गया. मुझे लगा था रेज़िस्टिंग बंद हो गयी थी?" अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने गुस्से से कहा

"हां तो मैने रेज़िस्ट करना बंद कर दिया है. तुम वैसे भी शर्त जीत चुके हो. मैं बस उन सबको पूरा मज़ा देना चाहता हूँ. और टेन्षन मत लो हमे भी भरपूर मजा मिलेगा." अरुण ने आवाज़ को समझाते हुए कहा

"भोसड़ी के सुबह से दो बार तूने मेरा चूतिया काटा है. इससे बढ़िया था मैं आज तुझे ये ब्रेक देता ही नही." आवाज़ ने अपना गुस्सा अरुण पर निकालते हुए कहा

"अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत.हाहः" अरुण ने आवाज़ को चिड़ाते हुए कहा

"फक यू.." आवाज़ ने गुस्से मे अरुण को कहा

इधर आरोही ने नोटीस कर लिया था कि मस्ती मे उसने सोनिया के दूध को चूस लिया था और सोनिया ने मना भी नही किया तो क्लाइमॅक्स के बाद. उसका हाथ धीरे धीरे घूमता हुआ उसके उसी दूध पर पहुचा और उसे सहलाने लगा. उसने उसके निपल को पकड़कर मरोड़ना स्टार्ट कर दिया.

सोनिया बड़ी मुश्किल से मूवी पर ध्यान देने की कोसिस कर रही थी. और अपनी आहों और हँसी को रोक भी रही थी. उसने तिरछी नज़रो से आरोही को देखा तो आरोही ने उसे आँख मार दी और हवा मे किस कर दिया लेकिन दूध को मसलना बंद नही किया.
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01-25-2019, 12:07 AM,
#47
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
कुछ देर बाद आख़िरकार मूवी ख़त्म हो गयी तो सुप्रिया और स्नेहा सीधे किचन मे चली गयी. और बाकी सबको डाइनिंग टेबल पर आने को कह गयी. अरुण सोफे पर से उठ कर खड़ा होके अंगड़ाई लेने लगा. तो आरोही ने छोटी बहेन की तरह उसकी ओर हाथ बढ़ा दिया.."भाई उठा दो.." तो अरुण ने हँस कर उसका हाथ पकड़ा और उठाकर उसे गले लगा लिया फिर उसके गाल पर किस करके उसके कान मे धीरे से कह दिया.."यू आर आ वेरी बॅड गर्ल." तो वो हँसने लगी फिर बाथरूम की ओर चली गयी. 

अरुण ने सोनिया की ओर देखा तो उसने भी अपना हाथ उसके सामने किया लेकिन अरुण ने हाथ नही पकड़ा बल्कि किचन की ओर एक बार देखा फिर सीधा उसके उपर चढ़ कर किस करने लगा. फिर दोनो उठे तो सोनिया सीधे अपने रूम मे चली गयी. कुछ देर बाद सब डाइनिंग टेबल पर आके खाना खाने लगे. डिन्नर के दौरान सब मूवी के बारे मे बात करते रहे और इधर उधर की गॉसिप. लेकिन अरुण जब भी स्नेहा की ओर देखता तो स्नेहा उसे ही देख रही होती लेकिन उसके देखते ही नज़रे नीचे कर लेती. अरुण को समझ नही आ रहा था कि बात कब करे. खैर खाना खाने के बाद सोनिया उससे चिपक गयी और उसका हाथ पकड़कर सबको गुड नाइट बोल दिया फिर उसे लेकर रूम मे चली गयी. 

रूम का दरवाजा बंद होते ही दोनो के कपड़े ही एक झटके मे उतरते चले गये. कपड़े उतरते ही सोनिया कूदकर अरुण के गले लग गयी और उसकी कमर मे टाँगे फँसा कर उसे किस करने लगी. अरुण उसे पकड़े पकड़े बेड तक गया और लिटा कर किस करने लगा.

"ओह गॉड, भाई,,आइ वॉंट यू सो बॅड," वो उसके कान को काटते हुए बोली.."मुझे नही पता आप हम सब को कैसे संभालोगे लेकिन आइ'म ग्लॅड कि आप सब कुछ सही कर रहे हो. अगर आज रात आप मुझे नही मिलते तो मुझे खुद ही कुछ करना पड़ता. नाउ फक मी. आइ नीड यू सो मच."

"क्या बोली ये??" दिमाग़ की उस आवाज़ ने चौंकते हुए कहा

सोनिया के मूह से मास्टरबेशन की बात सुनके अरुण और उत्तेजित हो गया, वो किस करते हुए सीधे अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. सोनिया की चूत आज कुछ ज़्यादा ही गीली थी. एक तो वो अरुण और आरोही की चुदाई को देखकर उत्तेजित हुई थी उपर से आरोही की हरकतों ने उसकी उत्तेजना को चरम तक पहुचने मे कोई कसर नही छोड़ी थी.

जैसे ही उसकी चूत और उसके लंड का मिलन हुआ आरोही की आनंद भरी चीख निकल गयी. अरुण ने बड़े प्यार से धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिया. उसे उसकी चूत किसी रेशम के कपड़े की तरह महसूस हो रही थी. सोनिया उससे चिपकी हुई उसके कंधो और गर्दन पर दाँत गढ़ाए जा रही थी.

"ओहोमम्म्मम"

"आइ'वे मिस्ड यू," अरुण ने एक तेज धक्का मारते हुए कहा तो उसकी एक और आह निकल गयी.

दो दिन की प्यास की वजह से सोनिया जल्दी ही झड़ने के करीब पहुच गयी. कुछ ही पॅलो मे उसका शरीर काँपते हुए मस्ती के लहरो मे खो गया.

"कीप गोयिंग, भाई. मैं आज आपके प्यार को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ. कम फॉर मी...ओह्ह्ह" सोनिया उसके किस करते हुए उसे बढ़ावा देने लगी. अरुण ने हां मे सिर हिला दिया फिर तेज़ी से धक्के देता रहा. अरुण हर धक्के के साथ अपने ऑर्गॅज़म के करीब पहुचने लगा. उसने अपने हाथ आगे करके उसके दोनो दूधों को मसलना स्टार्ट कर दिया. कुछ ही देर मे उसके लंड ने अपने स्पर्म को उसकी छोटी बहेन की चूत मे उडेलना स्टार्ट कर दिया. हर झटके के साथ दोनो की आह एक दूसरे के मूह मे घुट कर रह जाती.

जब दोनो थोड़े शांत हुए तो साइड मे लेट गये.

"हुहह...आइ लव यू." अरुण बोला तो वो हँसने लगी.

"आइ लव यू, टू. लेकिन अगली बार मैं जानना चाहूँगी कि आपके जूस का टेस्ट कैसा है." वो उसके निपल को काटते हुए बोली.

तो अरुण ने हंस कर उसे अपने करीब कर लिया. फिर उसने दोनो के उपर चादर डाल ली और स्पूनिंग पोज़िशन मे आकर सो गये.
अरुण उस रात बिल्कुल पिछली रात की तरह सोया. वो उठा तो सोनिया उसे किस करके बाथरूम चली गयी.

अरुण का ध्यान जब घड़ी की तरफ गया तो उसके मूह से "ओह शिट" निकल गया. घड़ी मे 9 बज रहा था.

"मैं तुझे कब से जगाने की कोसिस कर रहा हूँ, आज तू वही करेगा जो मैं कहूँगा तो अब जल्दी से तय्यार हो जा. और ज़्यादा टाइम ना वेस्ट कर मेरा." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

"सॉरी यार, कल के कारण थोड़ा ज़्यादा थक गया था." अरुण ने अपने मन मे जबाब दिया

"हां हां, 3 टाइम चालू किया 1 बार ख़तम. अब मुद्दे पर आ." दिमाग़ मे आवाज़ ने झुंझलाते हुए कहा

अरुण हँसते हुए कपड़े पहनने लगा.

"अब सबसे पहले अपने चेहरे पर एक कस के थप्पड़ मार." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

अरुण ने सिर झटक दिया. "सीरियस्ली? अब दिन भर यही करना पड़ेगा?" अरुण ने अपने मान मे पूछा

"माइ डे, माइ रूल्स, अब थप्पड़ मार जल्दी." दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण से फिर कहा

अरुण ने सिर हिला दिया, फिर कस्के अपने गाल पर एक थप्पड़ मारा. 

"ये था उस शर्त के चक्कर मे मुझे डालने के लिए." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

बहुत लंबा दिन होने वाला है ये- अरुण सोचते हुए बाथरूम की ओर जाने लगा. बाथरूम के बाहर पहुचा ही था कि उसे अंदर पानी चलने की आवाज़ आ रही थी.

"कीहोल से झाँक." दिमाग़ मे आवाज़ ने कहा अरुण से

अरुण ने चुपचाप कहा माना और अंदर झाँका.

"स्नेहा दी," अरुण ने धीरे से बोला और उपर जाने के लिए मुड़ने लगा.

"रुक, देखता रह." दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण से कहा

अरुण दोबारा बिना कुछ कहे एक आँख से अंदर का नज़ारा देखने लगा. स्नेहा की पीठ उसकी ओर थी. वो अभी अभी नहा कर आई थी. उसके बदन पर टवल लपेटी हुई थी और दूसरी टवल से वो अपने बाल सूखा रही थी. ज़्यादा हिलने के कारण टवल हिलने लगी और हिलते हिलते गिर पड़ी. टवल गिरने से उसके बड़े बड़े बूब्स अपनी क़ैद से आज़ाद होकर बाहर आ गये. ये नज़ारा अरुण का लंड खड़ा करने के लिए काफ़ी था. स्नेहा के दूध जैसा उसने सोचा था बिल्कुल वैसे ही थे, बिल्कुल पर्फेक्ट, गोल और सुडौल, पर्की बिल्कुल भी ढीलापन नही. उसके निपल डार्क गुलाबी थे और ठंडे पानी के कारण खड़े हुए थे. स्नेहा ने झुक कर ज़मीन से टवल उठाई और वापस लपेट ली. फिर ब्रश से अपने बाल सुलझाने लगी जिसके कारण उसके दूध मस्त होकर हिलने लगे.

"एक बार नॉक कर, फिर बिना जवाब का इंतजार करे अंदर घुस जा." अरुण के दिमागमे उस आवाज़ ने ऑर्डर दिया

"अंदर जाकर कोई चुदाई थोड़ी स्टार्ट करनी है." अरुण उसे तर्क करते हुए बोला.

"जस्ट ट्रस्ट मी, चूत." दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को विश्वास दिलाते हुए कहा

अरुण ने एक ठंडी सास ली फिर एक बार नॉक करके तुरंत ही दरवाजा खोलकर अंदर घुस गया. दरवाजे की आवाज़ सुनते ही स्नेहा ने ब्रश छोड़कर लपेटी हुई टवल को पकड़ लिया और पीछे मुड़कर देखने लगी.

"ये क्या हरकत है अरुण, नॉक भी नही कर सकते?" स्नेहा थोड़े गुस्से मे उसे देखकर बोली.

"सॉरी, दी," अरुण सॉरी बोलकर वापस जाने के लिए पीछे मुड़ने लगा.

"रुक भोसड़ी के." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने गुस्से से कहा

"हे भगवान कहाँ फसा दिया. बको.." अरुण ने झुंझलाते हुए अपने मन मे कहा

"वापस मूड, और बिना एक भी शब्द बोले, उसके पास जा के सीधा किस करने लग जा." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने फिर ऑर्डर दिया

अरुण ने 2 पलों के लिए अपना सिर नीचे कर लिया, फिर वापस सिर को उठा कर वही किया जो आवाज़ ने करने को कहा. वो एक दम से स्नेहा की तरफ बढ़ा और उसके सिर को पकड़कर अपने पास खिचा जिससे स्नेहा की हल्की सी चीख निकल गयी. लेकिन अरुण इस बात की परवाह करे बिना अपने होठों को उसके होठों के पास ले जाने लगा. अरुण के किस करते ही स्नेहा भी उसे वापस करने लगी यहाँ तक की जीभ अंदर डालने की शुरुआत भी उसी ने की.

अरुण उसे अपने करीब खिचते हुए पूरी शिद्दत के साथ किस करने लगा. उसका एक हाथ उसके बालो को सहला रहा था और दूसरा हाथ उसकी कमर को पकड़कर अपने पास खिचने लगा. स्नेहा उसकी बाहों मे कसमसाते हुए पिघलने लगी, उसकी जीभ अरुण के मूह मे अपना काम कर रही थी.

"अब आराम से अपने हाथ से उसकी टवल गिरा दे लेकिन ऐसा दिखाना जैसे अपने आप गिरी हो." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण को समझाया

"अब ये मैं कैसे करूँ?" अरुण ने सोचा.

लेकिन फिर उसने धीरे से पीठ पर टवल को हल्का सा झटका दिया. एक तो वैसे भी टवल बहुत हल्के से अटकी थी, अरुण के हल्का सा छेड़ते ही आसानी से ज़मीन पर गिरती चली गयी. स्नेहा को इस बात का आभास ही नही हुआ, वो तो पूरी मस्ती मे उसे किस करे जा रही थी. जब अरुण के हाथ उसकी नंगी पीठ से होते हुए नंगे चूतड़ को दबाने लगे तो वो अपने आप ही अपने नंगे दूधो को उसके सीने से रगड़ने लगी.

अरुण 2 पल के लिए रुका, तो सारा जादू वहीं पर टूट गया. स्नेहा जल्दी से नीचे झुक कर टवल को उठाने लगी. स्नेहा ने झुकते हुए जब उपर नज़र की तो उसे अरुण के खड़े मूसल के सॉफ सॉफ दर्शन होने लगे. उसके शॉर्ट्स मे अच्छा ख़ासा टेंट बना हुआ था.

स्नेहा चौड़ी आँखो से उसे देखते हुए खड़ी हो गयी.

"क्या ये मेरी वजह से ऐसा है?" स्नेहा ने उसके लंड की ओर इशारा करते हुए पूछा.

अरुण पहले तो थोड़ा शरमा गया लेकिन फिर सिचुयेशन समझ कर हां मे सिर हिला दिया.

"मैं पहले भी कहा था, और अब भी कहता हूँ, आप बहुत सुंदर हो. और आप को ऐसा क्यूँ लगता है कि आप मुझे उत्तेजित नही करती?"

स्नेहा ने अंजान बनते हुए कंधे उचका दिए और नर्वस होकर अपने होंठो को काटते हुए चुप्पी साधे रखी. ऐसे ही काफ़ी देर दोनो के बीच खामोशी छाइ रही.

"तो क्या,,..उम.." स्नेहा हक़लाने लगी.

अरुण उसे बड़े ध्यान से देखते हुए सोचने लगा कि क्या चाहिए हो सकता है इन्हे.

"क्या म्म..मैं इ.से देख सकती हूँ?" स्नेहा ने हिम्मत करके अपने दिल की बात कह दी लेकिन तुरंत ही उसका पूरा चेहरा शर्म से लाल पड़ गया.

अरुण के चेहरे पर एक स्माइल आ गयी लेकिन उसने तुरंत ही उसे छुपा लिया. "सच, दी? आप देखना चाहती हो?"

स्नेहा ने हां मे कुछ ज़्यादा जल्दी ही सिर हिला दिया, लेकिन अपनी हरकत पता चलते ही वापस सिर नीचा करके अपने होठों पर जीभ फेरने लगी.

अरुण ने उसकी ओर देखते हुए अपने शॉर्ट्स को नीचे कर दिया तो उसका खड़ा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा होकर उसे सलामी देने लगा. स्नेहा लगातार उसे देखकर उसकी सुंदरता को निहारने लगी. काफ़ी देर बाद, तब तक अरुण भी काफ़ी एंबॅरस फील करने लगा था, उसने वापस अरुण की आँखों मे देखा.

"क..क्या मैं......इसे छू सकती हूँ?" उसने पूछा.

अरुण ने मुस्कुराते हुए हाँ मे सिर हिला दिया.

"मैं पहले ही कहा था, जस्ट ट्रस्ट मी." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने खुश होते हुए कहा

उसके हाथ अपने लंड की तरफ बढ़ते देख लंड मे हल्का सा झटका लग गया. स्नेहा के ठंडे हाथ अपने गर्म लंड पर पड़ते ही अरुण की आँखें मस्ती मे बंद हो गयी. स्नेहा अपने हाथो से उसे उठाकर इधर उधर करने लगी जैसे कि कोई नया खिलोना हो.

वो अपने दूसरे हाथ को नीचे ले जाकर उसके टट्टो को सहलाने लगे. पहले बार छूने के कारण उसने कुछ ज़्यादा ही ताक़त से उसे पकड़ लिया तो अरुण की दर्द भरी आह निकल गयी.

"सॉरी," स्नेहा ने उसकी ओर देखते हुए कहा.

उसके टट्टो को छोड़कर स्नेहा लंड को इधर उधर करके देखने लगी. वो घुटनो के बल बैठकर आराम से उसका मुयाइना करने लगी.

"तो इसी के कारण इतना बवाल मचा पड़ा है?"

अरुण ने आइब्रो सिकोडकर उसे देखा तो वो हँसने लगी.

"सॉरी, बेबी," उसने कहा, और खड़े होकर उसके शॉर्ट्स को उपर कर दिया.

"अब इस से कहो कि ये अपनी चूत दिखाए?" दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण को फिर ऑर्डर किया

"तुम्हे क्या लगता है कि हम दोनो 5 साल के बच्चे हैं कि मैने तुम्हे दिखाया अब तुम मुझे दिखाओ खेले?" अरुण ने झुंझलाते हुए अपने मन मे उस आवाज़ को जबाब दिया

"मेरे गुलाम, जस्ट डू ऐज आइ से." उस आवाज़ ने कहा

"तो अब आपने इसे देख लिया तो.." अरुण स्नेहा से कहने लगा.

"हां, लेकिन जब ये इतना बड़ा है तो तुम सीधे कैसे चल पाते हो?" वो सवाल करने लगी और साथ मे अपनी टवल को ठीक करने लगी.

"हहा, सो फन्नी, मैं तो यह कह रहा था कि अब जब आपने मेरी चीज़ देखी है तो अब मुझे वो टवल के पीछे छुपि चीज़ देखनी है."

स्नेहा ने एक दम से हसना बंद किया और शरमाते हुए उसे देखने लगी. वो अपने हाथ आगे करके उसे रोकने लगी लेकिन अरुण हंस कर उसके हाथ को सामने से हटाने लगा.

"दी, आप चीटिंग नही कर सकती." वो किसी बच्चे की तरह बोला.
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01-25-2019, 12:08 AM,
#48
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
स्नेहा उसे मजाकिया नज़रो से देखती रही. उसके चेहरे पर लाल रंग के दर्जनो शेड्स आते जा रहे थे. थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन हिम्मत करके उसने दोनो हाथो से टॉवल खोल दिया और अपनी सुंदर बॉडी के दर्शन अपने छोटे भाई को करवाने लगी. लेकिन जल्दी ही उसने टॉवल को वापस बंद कर दिया तो अरुण ना मे अपना सिर हिलाने लगा.

"दी, ये चीटिंग है. मुझे ढंग से दिखाई भी नही दिया."

स्नेहा ने फिरसे हँस दिया फिर धीरे से टॉवल खोलकर शर्म के कारण हँसी रोकने लगी.

उसके निपल और चमकती चूत को देखकर अरुण का लंड दोबारा उसके शॉर्ट्स मे तंबू बनाने लगा.

अरुण ने एक बार नीचे देखा फिर उसकी आँखो मे देखने लगा. "अब देखो आपने क्या कर दिया," अरुण बोला.

स्नेहा अपनी आँखें गोल गोल घुमाने लगी और उसके पास से टवल लपेटकर बाथरूम के दरवाजे के पास जाने लगी. अरुण भी मुड़कर उसे जाते हुए देखने लगा लेकिन तुरंत ही उसे खुद पर कंट्रोल नही रहा.

अरुण ने जल्दी से आगे बढ़कर पीछे से पकड़ लिया और दरवाजे से सटा कर पूरी ताक़त से किस करने लगा. शॉर्ट्स की ज़िप बंद नही थी तो हिलने डुलने के कारण लंड शॉर्ट्स से बाहर आ गया और वो अपनी मंज़िल ढूढ़ने के लिए इधर उधर कूदने लगा.

उत्तेजना मे स्नेहा के दोनो हाथ अरुण के सिर को अपने सिर पर दबाने लगे तो उसकी टॉवल फिर से ज़मीन पर गिर पड़ी. स्नेहा ने अपने होंठो को उसकी गर्दन पर रख दिया और उसकी पूरी गर्दन को जीभ से चाटने लगी. अरुण का हाथ अपने आप ही उसके नंगे दूध पर पहुच गया और वो उसे मसल्ने लगा. उधर उसका लंड स्नेहा की जाँघ पर अपना प्रेकुं लगा रहा था.

जब अरुण ने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया तो स्नेहा की आह निकलने लगी. वो आह और तेज होती गयी जब अरुण के होठ उसके निपल से टकराए. स्नेहा ने अरुण का मूह दोबारा उपर खिचा और अपने होंठो से उसके होठ को खाने लगी. इस बार लंड स्नेहा की दोनो टाँगो के बीच आ गया था और चूत की दीवारो पर रगड़ लगाए जा रहा था.

लंड के सुपाडे का अहसास अपनी चूत पर पाते ही स्नेहा की सास तेज होने लगी, उसकी आँखें फटती चली गयी, उत्तेजना मे उसकी चूत ने रस छोड़ना शुरू कर दिया. उसके हाथ खूदबखुद उसकी कमर को पकड़कर अपने उपर खिचने लगे, वो बार बार उसकी कमर को पकड़कर आगे पीछे करने लगी और उसके लंड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी.

स्नेहा थोड़ा सा पंजो पर उठी और लंड को एक हाथ से अपनी चूत पर रगड़ने लगी. लंड का सुपाडा उसकी कुँवारी चूत पर दस्तक देने लगा तब जाके स्नेहा को पता चला कि आख़िर क्यूँ बाकी बहनें उसके लिए इतना तड़पति रहती हैं. अरुण का लंड उसकी क्लिट से होता हुआ उसके छेद मे जाने की कोशिश करने लगा.

सुपाडे के छेद से टकराते ही उसे जिंदगी मे पहली बार अपने अंदर कुछ बड़ा तूफान सा बनता महसूस हुआ, अगर इतना मज़ा बाकी सब को भी आता था तो ये सच मे दुनिया की सबसे खूबसूरत अहसास था.

अरुण धीरे धीरे मस्ती मे उपर धक्के लगाने लगा, जैसे ही लंड का सुपाडा उसकी चूत के थोड़ा सा अंदर गया तो स्नेहा की चीख निकल गयी.

"ओह....अरुण...बेबी...माइ गॉड, हिलना मत," वो विनती करने लगी, वो इस फीलिंग को अपने अंदर समेटना चाहती थी. उसके पैर अपने आप ही और खुलते चले गये.

अरुण भी रुक गया लेकिन स्नेहा हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाकर अपनी चूत पर उसके लंड के अहसास को महसूस करके रस छोड़ने लगी. ये उसकी जिंदगी का पहला सेक्षुयल एनकाउंटर था.

"ओह गॉड, अरून्न्ञणन्.." वो उसकी गर्दन को चूमती हुई बोलने की कोसिस करने लगी.."ये..आआहह."

"दी...," वो बोल ही रहा था कि स्नेहा काँपने लगी तो अरुण उसे गिरने से रोकने लगा.

जैसे ही स्नेहा का पहला ऑर्गॅज़म ख़त्म हुआ उस पल की सच्चाई दोनो के सामने आई तो दोनो के पैरो तले ज़मीन खिसक गयी. अरुण ने तुरंत ही पीछे हटकर अपना लंड वापस खीच लिया लेकिन स्नेहा को अपने सीने से चिपकाए रखा जिससे वो गिरे नही.

स्नेहा अपने होठ काटने लगी और उसकी आँखें तुरंत ही आसू से भरने लगी. "अरुण..मेरा ये .....करने का..तुम तो...हे भगवान...आइ..."

"आइ'म सॉरी दी," अरुण बोला. फिर उसे किस करके उसके आसू पोछने लगा, लेकिन उसके आँखो से आसू निकलते ही जा रहे थे. "दी, आइ रियली लव यू. और मैं आपसे सच मे प्यार करना चाहता हूँ. लेकिन मैं चाहता हूँ आपका फर्स्ट टाइम दर्द भरा बिल्कुल ना हो. मैं कसम खा कर कहता हूँ, यू अरे पर्फेक्ट आंड ब्यूटिफुल. आंड आइ रियली लव यू." फिर वो उसे किस करने लगा.

कुछ देर बाद दोनो ने किस तोड़ा और एक दूसरे की आँखों मे देखने लगे. उसकी आँखो मे देखने पर स्नेहा का दिल ख़ुसी से झूम उठा. उसने अपने आसू पोछे और उसे देख कर मुस्कुराने लगी. उसने अपने बदन पर टॉवल लपेटी और झुककर उसे किस करने लगी. फिर हल्का सा लड़खड़ाते हुए बाहर चली गयी.

"शाबाश, अब तो चिड़िया पूरे तरीके से हमारे कब्ज़े मे है. अब जल्दी से नहा कर तय्यार हो जा. दा फन ईज़ जस्ट बिगिनिंग बेब."

उस लाइन को सुनकर अरुण को रियलाइज़ हुआ कि वो खुद अब आगे का इंतजार कर रहा था.

****************************
अरुण ढंग से नहाया फिर अपने रूम से शर्ट और शॉर्ट्स पहेन कर किचन मे आ गया. सुप्रिया सींक मे कुछ धो रही थी.

"गूडमॉर्निंग, मेरे कुंभकारण," उसने हँसते हुए कहा. "मुझे लगा भी था कि कल की सारी हरकतों के बाद तुम्हे कुछ ज़्यादा देर सो लेने दिया जाए. थक गये होगे आख़िर."

अरुण भी इस बात पर हँस दिया. फिर उसके पीछे जाकर उसे गले से लगा लिया. सुप्रिया ने मुड़कर उसे किस कर लिया. "आराम के चक्कर मे हम लोगो को मत भूल जाना."

"दूध पकड़ फिर दूसरे हाथ को चूत दबाने पर लगा."

अरुण ने उसे वापस पीछे मुड़कर एक हाथ से दूध को पकड़ लिया और दूसरे हाथ को उसके लोवर मे ले जाकर चूत को सहलाने लगा. अपने मूह से वो उसकी गर्दन को चाटने और काटने लगा.

"सुबह सुबह?" सुप्रिया मस्त होकर बोली. उसके हाथ को चूत पर महसूस करके उसके पैर खुद ब खुद और खुल गये.

"अब उसे उठाकर ज़मीन पर पटक और फाड़ दे चूत को." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने उत्तेजित होते हुए कहा

"सीरियस्ली, ऐसे दी को चोट नही लगेगी क्या? पता चला आगे से कुछ करने भी ना दे." अरुण ने अपना पॉइंट रखा.

"उम्म,,गुड पॉइंट...लेकिन अभी मेरे पास कोई आइडिया नही है. अभी कुछ देर मे कुछ सोचकर बताता हूँ." आवाज़ ने अरुण को कहा

"डोंट वरी, मुझे तुम पर पूरा भरोशा है." अरुण ने कहा

अरुण उसकी चूत मे उंगली करते हुए दूध को पूरी ताक़त से मसल्ने लगा.

"यस..उसके लोवर को नीचे कर." आवाज़ ने कहा

"हां अब थोड़ा ठीक है." उसने सोचा.

"तुम सच मे पागल हो गये हो," सुप्रिया उसकी हरकत देखकर कहने लगी, "कोई देख लेगा!! अरुण.." सुप्रिया उसे चेतावनी देने लगी लेकिन फिर हँसने भी लगी.

अरुण ने उसकी बातों पर कोई बिल्कुल ध्यान ना देते हुए लोवर को घुटनो के नीचे कर दिया. फिर नीचे बैठ कर पैंटी को साइड मे किया और पीछे से ही उसकी गीली चूत को चूसने लगा. सुप्रिया मस्ती मे आहें भरकर और झुक गयी और पीछे गर्दन मोड़ कर उसकी तरफ स्माइल देने लगी.

लेकिन तुरंत ही अरुण एक दम से सीधा खड़ा हो गया, क्यूकी सीढ़ियों पर से कदमो की आवाज़ आ रही थी. उसने जल्दी से खड़े होते होते सुप्रिया का लोवर भी उपर कर दिया तो सुप्रिया के चेहरे पर मायूसी के भाव आ गये. सुप्रिया उसे फ्रिड्ज की तरफ जाते हुए देखने लगी तब तक टेबल पर सब लोग आ गये थे.

सब लोग मिलकर नाश्ता करने लगे. अरुण का ध्यान सिर्फ़ स्नेहा पर था, जो उसे देख कर बार बार मुस्कुरा रही थी. नॉर्मली स्नेहा नाश्ते के वक़्त काफ़ी चुप रहती थी लेकिन आज वो गॉसिप मे बढ़चढ़कर कर हिस्सा ले रही थी. उनके जोक्स पर हँस रही थी. अरुण उन लोगो की बातें सुनकर मुस्कुराते हुए खाना खाए जा रहा था कि उसके कानो मे कुछ बातें पड़ी.

"...गर्ल्स पार्टी स्कूल शुरू होने से पहले..वाउ..." आरोही और सोनिया की मिलीजुली बातें हो रही थी.

"गर्ल्स पार्टी? मुझे गर्ल्स पार्टी सुनाई दिया, क्या तूने भी यही सुना? बता मुझे कि तूने यही सुना. ओह मॅन, क्या किस्मत है अपनी...ओये अगर तूने इस मे कुछ टाँग अड़ाई तो सीरियस्ली, जान ले लूँगा तेरी, फिर दोबारा जिंदा करके मारूँगा. ओह माइ गॉड, घर मे पार्टी, हर तरफ चूत. पूछ कब है कब..ईप्पपप्पीईए." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने एग्ज़ाइट होते हुए कहा

"रिलॅक्स..ओके" अरुण मन मे हँसते हुए कहने लगा. "हो सकता है वो मुझे बाहर भेज दे. सिर्फ़ लड़कियों की पार्टी है."

"ओह शिट..यार खड़े लंड पर धोका मत कर." आवाज़ ने कहा

तब तक सुप्रिया की आवाज़ आई.."प्लान तो अच्छा है!"

"मज़ा आएगा है ना दी. अपनी सभी खास फ्रेंड्स को बुलाएँगे, और भाई ने पूल तो सॉफ कर ही दिया है. इतने दिनो से कोई सेलेब्रेशन हुआ भी नही है घर मे. वही रोज रोज के रुटीन से थोड़ा बोर हो गयी हूँ." सोनिया एग्ज़ाइट होकर बोले जा रही थी.

"क्या बोली ये?? हमारी चुदाई के रुटीन से बोर हो गयी है?? इसकी माँ की..." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने थोड़ा उदास होते हुए कहा

ये सुनकर अरुण का चेहरा थोड़ा उतर गया लेकिन बाकी सब हल्के से हँसने लगे.

"तो, तुम लोग यहाँ पार्टी करने वाले हो" अरुण अपने चेहरे के भाव को बदलते हुए बोला. उसने ऐसे कहा जैसे उसे कोई इंटेरेस्ट ही नही हो उनकी पार्टी मे.
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01-25-2019, 12:08 AM,
#49
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
आरोही सुप्रिया की ओर मुड़कर कहने लगी.."दी, आज रात कैसा रहेगा. हम लोग सभी को इन्वाइट करते हैं. जितने अभी यहीं हैं सब आ जाएँगे, कुछ बढ़िया सी मूवीस देखेंगे और गेम्स वग़ैरह भी खेलेंगे. मज़ा आएगा."

"हां, पार्टी ही ठीक है. अब बार बार ट्रिप पर तो जा नही सकते ना, हालाँकि मज़ा कितना भी आए ट्रिप पर." सुप्रिया ने अरुण को देखते हुए कहा.

"क्यू दी, ट्रिप पर दोबारा क्यूँ नही जा सकते?" सोनिया हँसते हुए पूछने लगी.

"क्यूकी हम लोगो को तुम्हारे जितना मज़ा थोड़ी ना आया था, स्वीटी" सुप्रिया ने कहा तो सोनिया का मूह खुला रह गया. उसने टेबल के नीचे से उसकी जाँघ पर हाथ मार दिया.

इतना सब काफ़ी था अरुण के लिए, तो वो जल्दी से उपर चला गया और रूम मे पहुच कर डोर को लॉक कर दिया.

"ये क्या चूतियापा है बे?" अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

"वहाँ बैठे बैठे अपनी और झंड करवानी थी क्या और उपर से अपन लोग यहाँ से भी उनकी बातें सुन सकते हैं. और फॉर युवर इन्फर्मेशन उन लोगों बिल्कुल हिंट नही दी कि वो पार्टी मे मुझे बुलाने वाली है. तो जितना शांत रहो उतना बेटर है."

"मैं सही बता रहा हूँ, अगर तेरा ये शांत रहने वाला आइडिया फैल हुआ तो तू देखना," आवाज़ ने अरुण को चेतावनी देते हुए कहा

नीचे, सभी ने अपने फ्रेंड्स की लिस्ट बना ली, फिर मूवीस और समान की भी. अरुण ने सोचा यहाँ रूम मे बैठने से बढ़िया उन लोगो के लिए बॅकयार्ड ही सही कर दिया जाए. 

शायद तब वो उसे घर से जाने के लिए ना कहे.

"आए भोसड़ी के? मेरे दिन का क्या? तू तो साले बॅकयार्ड मे गान्ड मराता रहेगा मेरी गुलामी का क्या?" आवाज़ ने अरुण पर चिल्लाते हुए कहा

"अरे यार कभी तो दिमाग़ का यूज़ कर लिया कर? अगर अभी उनकी हेल्प कर दी और अगर रात मे रुकने को मिल गया तो सोच कितना मज़ा आएगा. लड़कियाँ वैसे भी पार्टी मे ज़्यादा ही हॉट हो जाती हैं" अरुण ने अपने मन मे सोचा

"हूऊओन, कह तो तू सही रहा है. लेकिन तुझे अब मेरी बात और ज़्यादा सुनना पड़ेगी. तूने देखा ना सुबह स्नेहा के साथ मेरी बात मानने का क्या फ़ायदा हुआ." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने कहा

अरुण मुस्कुरा दिया और जवाब को टाल गया. उसने पुरानी टी शर्ट पहनी और बॅकयार्ड मे जाकर हॉट टब, पूल वग़ैरह सही करने मे जुट गया.

***********************

वहाँ लड़कियों ने अपने सभी फ्रेंड्स को कॉल, एसएमएस करना शुरू कर दिया. आरोही की तीन फ्रेंड्स थी जो आने वाली थी, विदुषी, रिया और सृष्टि. सोनिया ने पायल के साथ साथ नैना को भी बुला लिया. सुप्रिया ने सिर्फ़ श्रुति को बुलाया था और स्नेहा की फ्रेंड आकाँशा आ रही थी. सोनिया और सुप्रिया कार लेकर शॉपिंग के लिए चली गयीं. 

स्नेहा और आरोही घर की सफाई मे जुट गयी, हालाकी ज़्यादा ज़रूरत नही थी लेकिन फिर भी.

स्नेहा हर 10 12 मिनिट मे एक बार आरोही को देखती लेकिन फिर वापस काम पर जुट जाती. आरोही ने भी ये बात नोटीस की, वो समझ गयी कि स्नेहा के दिमाग़ मे कुछ चल रहा है लेकिन क्या?

"दी कोई प्राब्लम है क्या?" आख़िर आरोही ने पूछ ही लिया. 

"क्या?" स्नेहा ने अंजान बनाने की कोसिस करी.

"दीईईए, आप जानती हो ना मैं आपकी हर बात समझ लेती हूँ," आरोही बड़े प्यार से उसे सोफे पर बिठाते हुए बोली,"कुछ ना कुछ तो आपको परेशान कर रहा है. बोलो ना?"

सोफे पर बैठते हुए स्नेहा गहरी सास लेने लगी. वो सोचते सोचते अपने बालों को उंगली मे घूमाते हुए सोचने लगी. आरोही कुछ देर उसकी तरफ ध्यान से देखती रही फिर बोली.."दी अगर कोई हेल्प चाहिए तो आप मेरे से माँग सकती हो..आइ'एम ऑल्वेज़ हियर फॉर युवर हेल्प."

स्नेहा आरोही की तरफ देख कर सोचने लगी कि कितनी समानता है अरुण और आरोही मे. जुड़वा होने का एफेक्ट है शायद. दोनो कितनी केयर करते हैं उसकी और बोलने का ढंग भी सेम है दोनो का.

"मैने.....तुम्हे और अरुण को गोआ मे देख लिया था." स्नेहा जल्दी से ये बात कह गयी फिर ध्यान से आरोही की तरफ देखने लगी.

आरोही कुछ देर चुप्पी साधे रही फिर बोलने लगी.."आइ नो, दी..मैने आपको और सुप्रिया दी को खिड़की से देख लिया था."

दोनो के बीच अब कुछ मिनटों की खामोशी छा गयी. जब ये खामोशी आरोही से सहन नही हुई तो उसने पूछ ही लिया,"तो आप गुस्सा तो नही हुई ना?"

स्नेहा ने धीरे से अपने कंधे उचका दिए. फिर अपनी छोटी बहेन की आँखो मे देखने लगी. "वेल, गुस्सा नही. लेकिन उसके कई एफेक्ट ज़रूर पड़े मुझ पर अगर सच कहूँ तो."

आरोही उसकी तरफ क्यूर्षसिटी के साथ देखने लगी.

स्नेहा ने जब उसके चेहरे के भाव पढ़े तो उसे समझने लगी,"उस पल के बाद मेरे मन मे क्वेस्चन्स आने लगे कि आख़िर तुम तीनो अपने ही भाई के प्रति सेक्षुयली अट्रॅक्टेड क्यूँ हो जबकि तुम्हे बाहर अछा ख़ासा अटेन्षन मिलता होगा. ये बात मैं गोआ से आने के बाद काफ़ी दिन तक सोचती रही. और अब छुट्टियाँ भी ख़त्म होने वाली हैं लेकिन मेरे पास पूरा आन्सर नही है. मैने अरुण से इस बारे मे बात की तो कुछ जवाब मिले लेकिन जब तक मैं खुद उस सिचुयेशन मे नही पहुच जाती मैं पूरे तरीके से सल्यूशन नही ढूंड पाउन्गी. और आज सुबह तो शायद कुछ ज़्यादा ही हो गया. अरुण और मैं.....हम बाथरूम मे थे..और..हम दोनो...ऐसा कुछ करने का इरादा नही था..आइ स्वेर...लेकिन." स्नेहा ये कहते कहते चुप हो गयी. उसके मूह से शब्द तो जैसे गायब ही हो गये.

आरोही की आँखें लास्ट की बातें सुन के चौड़ी होती चली गयी, लेकिन उसने अभी कुछ कहना ठीक नही समझा. उसने सोचा जब तक स्नेहा अपनी बात पूरी नही कर लेती तब तक वो कुछ नही बोलेगी. वो ध्यान से उसकी ओर देखती रही.

"कुछ दिनो से मैं उसके बारे मे अलग..ढंग से सोचने लगी हूँ. और उसकी बातों से खुद के बारे मे भी मेरा नज़रिया बदला है. मतलब इससे पहले मैने कभी खुद को एक अट्रॅक्टिव पर्सन के तौर पर नही देखा, लेकिन जबसे अरुण के साथ मैने ये चीज़े शेयर करी और जो कुछ उसने मेरे बारे मे कहा..तो मुझे कुछ कुछ होने लगा है."

आरोही उसकी बात समझ कर मुस्कुराने लगी. "उसके साथ हम सबको ऐसा ही फील होता है दी." आरोही ने उसका हाथ पकड़कर कहा.

तो स्नेहा थोड़ा रिलॅक्स हुई और उसकी ओर देखकर मुस्कुराने लगी. "आज जब मैं शवर से बाहर निकली तो वो एक दम से बाथरूम मे आ गया. और मुझे लगता है कि ये उसने जानबूझकर किया. और फिर एक चीज़ से दूसरी चीज़ होती चली गयी और हम दोनो बाथरूम के गेट से सट कर किस करने लगे. आरोही, रियली आज मैने महसूस किया कि वो फीलिंग क्या होती है. और उसका..वो..वो...बिल्कुल मुझसे रगड़ कर निकल गया और मुझे....."

"क्या आप अब..." आरोही आँखें फाड़ के उससे पूछने लगी.

स्नेहा तुरंत ही तेज़ी से अपना सिर हिलाने लगी. "नही नही, मैं अभी भी वर्जिन हूँ. लेकिन मुझे उसके साथ ये करना..मुझे लग रहा है कि मैने उसका इस्तेमाल किया...मतलब आज जिंदगी मे पहली बार मैने ऑर्गॅज़म फील किया." स्नेहा एक तक आरोही की आँखों मे देखकर अपने दिल की बात कहने लगी.."जिंदगी मे पहली बार मुझे इतना अचःआ महसूस हुआ. आइ रियली कॅंट एक्सप्लेन दिस फीलिंग. उस वक़्त ऐसा लगा जैसे आइ'म आउट ऑफ दिस वर्ल्ड. आंड आइ डोंट वॉंट दिस फीलिंग टू गो अवे."

आरोही मुस्कुराते हुए अपना सिर हिलाने लगी. उसे उसकी हर बात समझ मे आने लगी.."तो फिर प्राब्लम क्या है? आप इतना परेशान क्यूँ हो?"

स्नेहा उसे सवालिया नज़रो से देखने लगी. "प्राब्लम? प्राब्लम ये है कि मैं अपने भाई के साथ अपनी वर्जिनिटी खोने ही वाली थी. उसका..तुम समझ रही हो ना..वो लगभग मेरे अंदर ही थी..उसकी सग़ी बहेन के अंदर. मुझे नही पता तुम लोगो को कैसा लगता है. और मैं ये भी नही कह रही कि ये ग़लत है या सही. मैं बस कन्फ्यूज़्ड हूँ. 

कभी कभी तो मेरा मन करता है कि उसके कपड़े फाड़ कर तुरंत ही उसके साथ प्यार करने लगूँ, और कभी लगता है क्या की आख़िर दिक्कत क्या है हम लोगो मे जो हम लोग ये हरकत रहे हैं." स्नेहा ने कहा

"दीईईए, आप कुछ ज़्यादा ही सोच रही हो" आरोही उसको समझाते हुए कहने लगी.."और इसमे सही ग़लत कुछ भी नही है. इट'स जस्ट अट्रॅक्षन. आप बस उसकी तरफ अट्रॅक्ट हो गयी हो. आप खुद बताओ क्या आपको अरुण इन सब चीज़ो से पहले अट्रॅक्टिव लगता था?" आरोही ने पूछा

स्नेहा कुछ पल इस बारे मे सोचती रही,"मैने इससे पहले कभी इस बारे मे सोचा ही नही."

"ओके कोई नही. मैं अपनी बात बताती हूँ, मुझे हमेशा से लगा कि अरुण काफ़ी हॅंडसम है. आइ मीन, हम दोनो जुड़वा हैं तो मेरे कुछ ट्रेट्स तो उसमे होने ही चाहिए ना." आरोही थोड़ा मज़ाक मे बोली.

स्नेहा उसकी बात सुन के हंस पड़ी. और बोली "एक तो आज सुबह से नही परसों रात से उसका ख्याल मेरे दिमाग़ से निकल ही नही रहा है. तुम समझ रही हो ना?"

"ट्रस्ट मी, दी. ई अंडरस्टॅंड. हम सबका यही हाल है." आरोही हँसते हुए उसे बताने लगी.

फिर दोनो उठ कर साथ मे दूसरे हिस्से की सफाई करने लगी. काफ़ी देर की चुप्पी के बाद स्नेहा बोल पड़ी.."तो तुम्हे उसमे सबसे अच्छा क्या लगता है?"

आरोही रुक कर उसे ऐसे देखने लगी जैसे उसने बेवकूफो वाला सवाल पूछ लिया हो. "वेल, वैसे तो बेस्ट पार्ट है उसका लंड,"

लंड सुन के स्नेहा का मूह खुलता ही चला गया लेकिन जब आरोही ने उसे घूर कर देखा तो उसने तुरंत ही बंद कर लिया.."मीन्स उसका पेनिस. उसके बाद आइ लाइक हिज़ चेस्ट आंड स्टमक..इट्स सो हॉट..यम्मी टमी." आरोही अपने होठों पर जीभ घूमाते हुए बोली.

स्नेहा शरमाते हुए हँसने लगी. 

"अरे गंदी लड़की, मैने ये नही पूछा था कि उसकी बॉडी मे क्या अच्छा लगता है. मैं पूछ रही हूँ कि उसके 'साथ' मे क्या अच्छा लगता है. मीन्स व्हेन यू आर 'वित हिम'?

"ओह..तो ऐसा बोलो ना, कि उसके साथ सेक्स करते हुए क्या अच्छा लगता है?" आरोही अपनी हसी कंट्रोल करते हुए बोली.."इट'स ओके. आप ऐसी बात मुझसे कर सकती हो."

स्नेहा भी हल्के से हंस दी.
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01-25-2019, 12:08 AM,
#50
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
"आए हेलो, हँसना नही है. पहले मुझे कह कर बताओ. कहो 'आइ वॉंट टू फक अरुण' नही तो जवाब भूल जाओ." आरोही एक शातिर मुस्कान के साथ बोली.

स्नेहा ये सुनकर गुस्से से उसे देखने लगी लेकिन आरोही उसे इग्नोर करके अपने काम मे जुट गयी. उसे पता था कि अगर कोई सवाल स्नेहा ने किया हो और उसका जवाब उसे ना मिले तो उसका खाना पीना तक छूट जाता है.

"ओके, लोमड़ी की माँ. कहती हूँ मैं." आख़िर स्नेहा ने अपनी हार मानकर बहुत ही धीमे स्वर मे कहा.."आइ...वॉंट टू...फ.फक...अरुण."

"आएँ?? किसी ने कुछ कहा क्या?? कुछ सुनाई नही दे रहा??" आरोही अपने कान पर हाथ लगाकर सुनने की आक्टिंग करने लगी.

अब तो स्नेहा उसे और गुस्से से देखने लगी लेकिन आरोही उसकी परवाह किए बिना अपनी आक्टिंग करती रही.

"ओके, आइ वॉंट टू फक माइ ब्रदर..अब खुश" स्नेहा उसके कान के पास चिल्ला कर बोली. आरोही वही पर पेट पकड़कर हँसते हुए बैठ गयी. कुछ ही पलों मे उसने स्नेहा को भी नीचे खीच लिया तो स्नेहा भी उसके साथ बैठकर हँसने लगी. आरोही ने उसके गले मे हाथ डाल कर उसका गाल चूम लिया.

"नाउ दट'स लाइक माइ 'हॉर्नी' सिस्टर.." आरोही ने हॉर्नी पर ज़्यादा ही ज़ोर दिया तो स्नेहा ने उसके सिर पर हाथ मार दिया.."ओके सॉरी बाबा. तो मुझे अपने भाई के साथ सेक्स मे सबसे ज़्यादा क्या पसंद है? काफ़ी टफ क्वेस्चन है. काफ़ी कुछ है पसंद करने को. मेरा मतलब, उसकी बॉडी इतनी अच्छी है और उसे हमेशा पता होता है कि आपको क्या पसंद है. आपके दर्द का पूरा ख़याल रखता है. हां, अभी वो शर्त वाले ड्रामे के बाद उसकी और सुप्रिया दी की आवाज़ें तो आपने भी सुनी होगी लेकिन दी बता रही थी दट वाज़ दा बेस्ट."

स्नेहा बड़े ध्यान से उसकी बातें सुन रही थी. "और जब उसने पहली बार मेरे साथ किया तो ही ट्रीटेड मी लाइक ऐन एंजल. उस वक़्त वो चाहता तो कुछ भी कर सकता था लेकिन उसने मेरे दर्द का पूरा ख़याल रखा. गॉड दी...ही वाज़ ग्रेट."

स्नेहा उसकी बात सुनके अपने हाथ रगड़ती रही और इन सब चीज़ो को इमॅजिन करके गर्म होने लगी. "वाउ!!" ये कहकर वो वहाँ से उठी और सोफे पर रखे कुशान्स को ठीक करने लगी. 

"तो तुम लोग क्लाइमॅक्स.. के बाद क्या करते हो?"

आरोही उसके सवाल को सुनकर आइब्रोज सिकोड़ने लगी..."मुड़कर उसकी बाहों मे सो जाती हूँ? और क्या?"

"अरे बावली, मेरा मतलब है उसके क्लाइमॅक्स के बाद क्या करती हो." स्नेहा ने पूछा

उसकी बात समझ मे आने पर आरोही के मूह से उसी की तरह ओह निकल गया.

"मैं उसे अपने अंदर एजॅक्यूलेट होने देती हूँ कि नही? हां अभी दो बार तो होने दिया. लेकिन आगे आइ गेस मैं उसके जूस को अपने उपर भी लूँगी..हां स्पेशली मूह मे." आरोही ने कहा

स्नेहा मुड़कर उसे देखने लगी. "वो उसका...वो..जूस..बेकार नही लगता है?"

आरोही उसके मासूम से सवाल पर हँस पड़ी. "आइ थिंक कुछ लोगो का करता होगा. लेकिन कमऑन दी, ये हमारा भाई है जिसे हम लोग प्यार करते हैं. हां, मानाकी चॉक्लेट की तरह टेस्ट नही होता, सो सॅड, लेकिन फिर भी इट्स यम्मी." आरोही आँखें बंद करके चटकारा लेते हुए बोली.

स्नेहा ने अपना थूक निगला फिर अगला सवाल किया. "क्या पहली बार मे काफ़ी दर्द होता है?"

"फर्स्ट टाइम सेक्स मे?"आरोही ने पूछा

स्नेहा ने हां मे सिर हिला दिया.

"हां थोड़ा हुआ था लेकिन कुछ ही देर के लिए. आइ थिंक अरुण ने मेरा पूरा ध्यान रखा कि मुझे ज़्यादा तक़लीफ़ ना हो. मेरी कुछ फ्रेंड्स ने तो कहा था कि जान ही निकल जाती है पहली बार मे. लेकिन जब सुप्रिया दी ने उसे समझाया था तो उसने मेरे साथ भी प्यार से ही किया. तो टेल यू दा ट्रूथ मेरे आसू निकले थे लेकिन मुझे ख़ुसी भी काफ़ी थी और उसके बाद इट वाज़ अमेज़िंग." आरोही सपना देखते हुए बोली.

स्नेहा उसके हर शब्द को अपने अंदर समेटते हुए सोचने लगी. फिर वो ऐसे ही सवाल पूछते पूछते इधर उधर उसके साथ घूमने लगी.

कुछ देर बाद अपने सभी सवालो के आन्सर्स मिल जाने पर वो शांत हो गयी. आरोही ने तब उसकी ओर देखा तो उसने उसके कपड़ो पर ध्यान दिया. स्नेहा ने कॅप्री और पतली सी टीशर्ट पहनी थी जो उसके दूधों से चिपकी पड़ी थी.

"तो दी, मैं एक बात पुछू. अरुण को परेशान करने के लिए जो कुछ मैने आपके साथ किया उससे आपको बुरा तो नही लगा ना?" आरोही ने उसकी ओर देखते हुए पूछा फिर उसके क्लीवेज की ओर देखने लगी.

स्नेहा ने उसकी ओर देखा और उसे अपने क्लीवेज की ओर देखते पाया तो उसके सामने उस दिन वाला सीन चालू हो गया. उस सीन को याद करते ही उसके शरीर मे एक झुरजुरी दौड़ गयी और उसने चन्द लम्हो के लिए अपनी आँखे बंद कर ली.

"एग्ज़ॅक्ट्ली नही..पर" उसने फाइनली आँखे खोलते हुए जवाब दिया.

स्नेहा फिर आँखे नीचे करके देखने लगी. वो इस बात से थोड़ा शर्मा गयी थी. आरोही उसके पास आकर सीधी पर बैठ गयी और उसके पैर पर हाथ रख दिया. "दी, ई'एम सॉरी इफ़ आइ एंबॅरास्ड यू, अरुण पागलो वाली हरकतें कर रहा, उसे याद दिलाने की ज़रूरत थी कि किसके पास ज़्यादा कंट्रोल है. मैं बिल्कुल नही चाहती थी कि मेरी स्वीट दी को एंबॅरसमेंट हो."

स्नेहा अपना सिर हिला रही थी.."नही, ऐसा कुछ नही है आरू. सच कहूँ तो, इट वाज़..एग्ज़ाइटिंग रियली."

आरोही चौंक के उसे देखने लगी. "आपको अच्छा लगा?" 

स्नेहा ने हां मे सिर हिला दिया फिर उसकी ओर देखने लगी.."हूँ, और तुम्हारी जीभ कुछ ज़्यादा ही स्वीट है." उसने हँस के कहा तो आरोही भी तेज़ी से हँस कर उसे गले लगाने लगी.."आइ लव यू दी, लव यू..." 


"आइ लव यू टू," स्नेहा ने भी उसे गले से लगाते हुए कहा,"आंड युवर स्वीट टंग."

तब तक बाहर से आवाज़ आई और सोनिया और सुप्रिया हाथों मे बॅग लिए अंदर आ गयी तो दोनो उठ कर उनकी हेल्प करने चली गयी.

******************

अरुण पूरा दिन बॅकयार्ड मे बिज़ी रहा. फिर सामने की तरफ से भी सब कुछ ठीक करने लगा. वो फूलो को पानी दे ही रहा था कि सोनिया बाहर आ गयी उस से बात करने.

"तो भाई, इतनी लड़कियाँ आने वाली हैं आपको कोई प्राब्लम तो नही है ना?"

अरुण ने उसकी तरफ बिना देखे जवाब दे दिया.."नही मैं भी रोज रोज के रुटीन से 'बोर' हो गया हूँ. आइ विल बी हॅपी."

उसने बोर पर कुछ ज़्यादा ही ज़ोर दिया था. तो सोनिया थोड़ी मायूस हो गयी.

"सॉरी भाई, आइ वाज़ जस्ट जोकिंग, मेरा मतलब वो नही था. प्लीज़ ना....पुच...पुच.." सोनिया उसकी पीठ पर चढ़के कान और गर्दन को काटने लगी. तो अरुण भी हँसने लगा और उसे नीचे उतार कर उसके गाल पर किस कर लिया.

"ओके ओके, इतना सेंटी होने की ज़रूरत नही है. आंड मुझे कोई प्राब्लम नही है बाकी लड़कियों के आने से."

"यअहह...चूत.." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

"हववव...तो आपके लिए हम तीन काफ़ी नही हैं जो और लड़कियों की ज़रूरत है."

"मेरे कहने का वो मतलब नही था.." अरुण ने हँसकर जवाब दिया.

"बिल्कुल यही था...आइ'म लंड मैन. दुनिया की सारी लड़कियाँ भी मेरे लिए काफ़ी नही है..हुआहहहा." आवाज़ ने इठलाते हुए कहा

"सच बोलूं तो, तीन तीन लोग मुझे प्यार करते हैं ये काफ़ी अच्छा है. लेकिन अगर मेरे पास सिर्फ़ तुम भी होती तब भी आइ विल बी सॅटिस्फाइड."

"चल चूतिए. ओह...मुझे उल्टी आ रही है..ओह्ह्ह्ह" अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

सोनिया के पूरे चेहरे पर बड़ी स्माइल आ गयी.."अवव थॅंक्स बेबी. लेकिन मैं कह रही थी जब रात को हम सभी लोग छोटे छोटे कपड़ो मे दिखेंगी तब आप क्या करोगे."

"चूत मारेंगे और क्या करेंगे?" अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने हँसते हुए कहा

"तुम टेन्षन मत लो. मुझे वैसे भी तुम लोग वेटर ही बनाने वाले हो. आइ कॅन हॅंडल ऑल दिस."

सोनिया उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी. "तो आज रात आपको अकेले सोने मे भी कोई दिक्कत नही होगी?"

"व्हाट? अब हमे रोज वाली खुराक भी नही मिलेगी? ये तो सच मे अखंड चूतियापा है? तूने तो साले मुझे कहा था कि..." आवाज़ ने गुस्से मे अरुण को कहा

"दो मिनिट रूको.." अरुण ने उसे शांत करवाते हुए सोचा.

लेकिन तब अरुण भी सोच मे पड़ गया. उसने भी इस बारे मे सोचा नही था. जब इतने लोग घर मे होंगे तो सोनिया कैसे उसके साथ उसके कमरे मे सो पाएगी. उपर से उसकी दोनो दोस्त और उसके साथ चिपकी रहेंगी. यार...

"हो गया ना खड़े लंड पर धोका?" अजाज ने मायूस होते हुए कहा

"लग रहा है भाई.." अरुण ने सोचा.

"मैने कहा था सुबह ही कुछ कर? अब ना कोई चूत मिलेगी जबकि पूरा घर चूत से भरा पड़ा होगा? हे भगवान मुझे किसके पल्ले बाँध दिया..." अरुण ने के दिमाग़ में उस आवाज़ ने दुखी होते हुए कहा

"और तुम? तुम रह लोगि मेरे बिना?" अरुण ने अपनी तरफ इशारा करते हुए कहा.

"हां ये हुई ना बात.." आवाज़ ने खुश होते हुए कहा

सोनिया हंस पड़ी.."भाई अभी दो दिन पहले भी मैने आपके बिना एक रात गुज़ारी है. तो आज की रात भी कट ही जाएगी. आप अपना सोचो.." वो आखें तरेर कर बोली.

"दिस ईज़ आ जोक, राइट? है ना...ये पक्का मज़ाक कर रही है. शायद हम लोगो के लिए सर्प्राइज़ प्लान किया होगा.." आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे कहा 

"तो क्या करने वाली हो तुम सब आज रात?" अरुण ने हँसते हुए पूछा.

"बस वही जो नॉर्मल गर्ल्स पार्टी मे होता, आइ गेस. हम लोग सेक्सी सेक्सी लाइनाये पहेन कर एक दूसरे को दिखाएँगे, फिर एक दूसरे के बूब्स के साथ खेलेंगे, फिर एक दूसरे की पुसीस को चूसेंगे, हम लोगो को लड़के कितने पसंद है इस बारे मे बात करेंगे. और आपको बार बार समान लेकर बुलाएँगे. बस ज़्यादा कुछ नही."

"मैं आत्महत्या करने वाला हूँ? ईज़ शी सीरीयस?" अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने दुखी होते हुए कहा 

"वाउ, जीनियस" अरुण हँसते हुए सिर हिलाने लगा. 

तो सोनिया भी तेज़ी से हँसने लगी.."भाई अपनी शक्ल देखो. रिलॅक्स, नॉर्मल मूवीस, गॉसिप, स्विम्मिंग, हॉट टब बस." वो उसके गले मे बाहें डालते हुए बोली.

फिर दोनो ने हल्का सा किस किया और सोनिया घर के अंदर चली गयी.

"मैने तेरी बात मान कर बहुत बड़ी ग़लती की है.." अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने गुस्से से कहा

*****************
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