bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
01-09-2019, 02:24 PM,
#91
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
रूम मे आकर सोनिया ने दरवाजा धीरे से बंद कर लिया और लाइट जला दी.

मैने झट्ट से आँखे मूंद ली...
लंड वाले हिस्से पर मैने पहले से ही एक मोटी सी चादर रख दी थी क्योंकि सोनिया और मोंम का इंतजार करते हुए ही मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो चुका था.

और फिर मुझे एक ठंडी सी सिसकारी सुनाई दी...
मैं ये सोचने की कोशिश करने लगा की ये किसकी हो सकती है..
सोनिया की या मोंम की...

पर सोनिया ने मेरी वो पहेली हल कर दी

वो बोली : "अर्रे मॉम , क्या हुआ...सोनू को देखकर ऐसी ठंडी आहें क्यों भर रही हो...''

उसके बोलने के लहजे से ही पता चल रहा था की वो चुटकी ले रही है..

मॉम शरमा गयी...



वो बोली : "तू भी ना...आजकल बहुत शैतान हो गयी है....अब ये लाइट तो बंद कर दे ...मुझे शरम आ रही है...''

सोनिया : "मुझसे ?''

मॉम : "नही रे...वो..वो है ना...तेरा भाई...जो सामने सो रहा है...वो जाग गया तो...''

सोनिया : "वो तो लाइट ऑफ होगी तब भी उसे पता चल ही जाएगा की क्या चल रहा है हमारे बीच...''

मॉम : "तू सुधरेगी नही ना...लाइट बंद कर दे ना..प्लीज़...''

सोनिया का दिल पसीज गया...
उसने लाइट तो बंद कर दी पर ज़ीरो वॉट का बल्ब ऑन कर दिया...
हल्की लाल रोशनी पूरे कमरे में फैल गयी...

लाइट बंद करते ही सोनिया ने बिना वक़्त गँवाए मॉम को एक बार फिर से पकड़ लिया और उन्हे स्मूच करने लगी..

मॉम के भी मुँह से लार बह-बहकर बाहर निकल रही थी...
उन्होने उसे सोनिया के मुँह में उड़ेलना शुरू कर दिया...

सोनिया ने एक उंगली मॉम की चूत में डाली और वो घी से भीगी उंगली अपने और मॉम के होंठो के बीच लाकर उसे चूसने लगी...



थोड़ी मिठास सोनिया के मुँह में गयी तो थोड़ी मॉम के...
अपनी ही चूत का रस पीकर वो एक बार फिर से बावली सी हो गयी...
ठीक वैसे ही जैसी मॉल के टाय्लेट में हो गयी थी...

उन्होने भी अपनी 2 उंगलिया एक साथ सोनिया की चूत में घुसेड कर उसका रस निकाल लिया...
और अकेले चूसने के लालच में उन्होने सोनिया को परे कर दिया और सारा रस खुद ही पी गयी...
यही नही उन्होने सोनिया को उसी के बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फैला कर उसकी चूत पर अपने होंठ लगा दिए... 

क्योंकि एक-2 बूँद से उनका कुछ होने वाला नही था...
अपनी बेटी की कुँवारी चूत का रस पीकर ही उनकी ये प्यास बुझने वाली थी...



ऐसे आराम से अपने बिस्तर पर नंगा लेटकर, अपनी मॉम से अपनी चूत चुस्वाकार सोनिया को भी बहुत मज़ा आ रहा था...
उसने आँखे खोल कर मेरी तरफ देखा और हल्के अंधेरे में हमारी आँखे एक दूसरे से टकराई...
मेरे और उसके चेहरे पर एक सैक्सी सी स्माइल आ गयी...

मॉम तो हमे ऐसा करते देख नही पा रही थी...
इसलिए मैने अपना सिर थोड़ा सा उठा रखा था ताकि उन्हे मज़े करते हुए आसानी से देख सकूं.



पर मेरा पूरा ध्यान मॉम की तरफ भी था की कही एकदम से वो मुझे देख ले तो मैं संभल सकूं..

सोनिया ने हाथ पीछे करके अपने हेंडबेग से अपना डिल्डो निकाल कर मॉम को दे दिया...
मॉम ने भी मुस्कुराते हुए उसे लिया और अपने मुँह में डालकर उसे गीला किया और फिर धीरे-2 उसे अपने बेटी की चूत में धकेलने लगी...
मेरी तो साँसे ही अटक गयी ये देखकर...
और मैं सोचने लगा की क्या मॉम एक दिन ऐसे ही मेरा लंड पकड़ कर सोनिया दी की चूत में धकेलेंगी..
और मेरे अंदर से आवाज़ आई...हाँ ..जल्द ही..

जैसे-2 वो डिल्डो सोनिया की चूत में जा रहा था, उसके शरीर का कसाव बढ़ता जा रहा था...
और वो आधा ही अंदर गया था की सोनिया चीख पड़ी : "बासस्स्सस्स माँ ....बसस्सस्स.....और अंदर मत डालो....वरना मेरी चूत फट जाएगी...''



मॉम को लगा की वो डिल्डो उसकी झिल्ली से जा टकराया है पर असल में सोनिया मॉम को ये दिखाना चाहती थी की वो अभी भी कुँवारी ही है...वरना ये डिल्डो वो आसानी से पूरा हड़प जाती..
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01-09-2019, 02:24 PM,
#92
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
मॉम ने उसे बाहर निकाल लिया और अपनी बेटी की चूत से निकला वो झूठा डिल्डो अपनी चूत में डाल दिया और उसकी चूत में एक बार फिर से अपनी जीभ डाल दी ...

''आआआआआआआआआआअहह मों.........य्ाआआआआआअ......... खा जाओ........अहह....ओह फुक्कककककककक...... आपकी जीभ में तो जादू है..... अहह.... चूसो मेरी चूत को.....मॉम...... य्ाआआआआआआस्स्स्सस्स्स्स ....''

वो पागल सोनिया ये नही जानती थी की उसके ये वर्ड्स मेरे उपर क्या प्रभाव डाल रहे है...
वैसे वो ये सब मेरे लिए ही कर रही थी...
मॉम से चूत चुस्वाकार वो खुद भी मज़े ले रही थी और अपनी लाईव हालत की कमेन्ट्री सुनाकर मुझे भी वो एहसास दे रही थी..



मैने अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया..

और अचानक सोनिया दी का पूरा शरीर कांप सा गया और उनकी चूत से एक गाड़ा, मीठे पानी का फव्वारा 1 इंच तक हवा में उछल गया...
जिसका सारा पानी मॉम के चेहरे को भिगो गया...
उन्होने भी अपनी लाडली बेटी का ये अमूल्या अमृत वेस्ट नही होने दिया...
चपर -2 करके वो सारा पी गयी..

पीना तो मैं भी चाहता था वो रसीला पानी...
सोनिया को भी पता था की ये मुझे कितना पसंद है...
पर बेचारी अपने ही ऑर्गॅज़म में डूबी हुई मेरे निराश से चेहरे को देख ही नही पाई..

कुछ ही देर में जब सोनिया दी शांत हुई तो वो अपने बेड से उठी और उसने मॉम के चेहरे को पकड़ कर उनके मुँह से वो मिठास चटनी शुरू कर दी...
ऐसा लग रहा था जैसे दो ख़ूँख़ार बिल्लिया लड़ाई कर रही है...
प्यार भरी लड़ाई...



सोनिया ने मॉम को धक्का देकर घोड़ी बना दिया....
और मॉम भी अपनी बेटी का कहना मानकर ज़मीन पर अपने पाँव फेला कर खड़ी हो गयी....
सोनिया ने एक बार फिर से उस डिल्डो का सहारा लिया और उसे बड़ी ही बेरेहमी से मॉम की चूत में घुसेड दिया...

घोड़ी बनी मॉम बुरी तरह से हिनहीना उठी..

''आआआआआआआआआआहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़..... मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे.......... अहह.....''

पर उन्होने सोनिया की तरह उसे अंदर लेने से ज़रा भी मना नही किया...
एक-2 इंच करके सोनिया ने वो पूरा 9 इंच का मोटा डिल्डो मॉम की चूत में घुसा दिया...
इस बात से ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था की उनकी गुफा में कितनी गहराई है....
मेरे लंड का अंदर जाने के बाद क्या हाल होगा, ये तो बाद मे ही पता चलेगा..
पर इस वक़्त तो मॉम को मज़ा मिल रहा था...

क्योंकि सोनिया ने उसे अंदर बाहर निकालकर मॉम की चूत मारनी शुरू कर दी थी..

''ओह बैबी....... मज़ा आ रहा है...ऐसे ही करो...शाबाश.....लीक इट....चाटो इसे अब......निकालो ये नकली प्लास्टिक...अपनी जीभ डालो अंदर..........खा जाओ इसे....मेरी...मेरी....चूत को.....खा जाओ....''

उफ़फ्फ़.....
कितना असहाय था मैं ....
मॉम की इन रसीली बातो को सुनकर मेरा मन तो कर रहा था की मैं उन्हे अपनी कला का जोहर दिखा दूँ ....
जीभ तो क्या अपना लंड भी घुसा दूँ उनकी चूत में और दिखा दूँ उन्हे की इस प्लास्टिक के लंड में कुछ नही धरा है...
असली चीज़ यही होती है...
लॅंड..
देसी लॅंड.

पर उन्हे शायद मेरे मन की बात सुनाई नही दी....

सोनिया ने अपनी मॉम की बात मान ली और उस नकली लंड को बाहर निकाल फेंका...
और फिर मॉम की चूत पर अपना मुँह लगाकर सोनिया ने उसे चाटना शुरू कर दिया...



मॉम शायद बेड पर वापिस जाना चाहती थी...
ऐसे घोड़ी बनकर अपनी चूत चटवाने में उन्हे मज़ा नही आ रहा था..

पर सोनिया के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था...
उसने उन्हे मेरे बेड की तरफ धकेलना शुरू कर दिया...
अपने मुँह और जीभ का ज़ोर लगाकर वो मॉम की गांड पर धक्का लगाती और कुछ ही देर में मॉम मेरे बेड तक पहुँच गयी...
और फिर जैसे ही वो घूमकर खड़ी हुई, सोनिया उनकी चूत पर एक बार फिर से टूट पड़ी...
बेचारी मॉम लड़खडाकर मेरे ही बेड पर गिर गयी...
मेरे पैरो से कुछ ही दूर ...



उफ़फ्फ़.....
ये सोनिया दी ने मुझे किस बंधन में बाँध दिया था...
मैं चाहकर भी कुछ नही कर पा रहा था...
मेरी खुद की माँ ..पूरी नंगी..मेरे ही बेड पर पड़ी थी...
और मैं दम साधकर सोने के अलावा कुछ नही कर पा रहा था..

मॉम ने कसमसाते हुए कहा : "आआआआआहह सोनी......रुक जा......रुक जा ना......अपने बेड पर चल....यहाँ नही......आआआआआआअहह....सोनू जाग जाएगा.....रुक ज़ाआाआआ अहह''

पर सोनिया ना रुकी....
वो अपनी कुशलता का पूरा इस्तेमाल करते हुए मॉम की चूत चूसती रही....

मॉम अब जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी थी...
शायद उनके अंदर एक नये ऑर्गॅज़म का निर्माण हो रहा था....
इसलिए वो भी उसी मज़े में डूब कर उस चूत चुसाई का मज़ा लेने लगी......
मचलने लगी....
तड़पने लगी.

और तड़पते -2 उनके हाथ मेरे घुटनो पर आ लगे...
एक पल के लिए तो वो भी रुक सी गयी...
पर सोनिया दी के हमलो ने उन्हे फिर से उस आनंदसागर में खींच लिया....
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01-09-2019, 02:24 PM,
#93
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
धीरे-2 उनके हाथो ने मेरे लंड पर पड़ी चादर को खींच कर अलग कर दिया....
मेरा लंड एफ्फ़िल टावर की तरह खड़ा था...
जिसके पीछे मुझे मॉम का चेहरा भी नही दिखाई दे रहा था....

अचानक सोनिया ने मॉम की क्लिट को अपने दांतो में दबोच लिया और मज़े के दर्द में बिलखती हुई मॉम का हाथ सीधा मेरे लंड पर आ लगा...



उनके मुँह से एक साथ 2 सिसकारियां निकल गयी....
एक अपनी क्लिट के नाम की और दूसरी मेरे लंड के नाम की...

एक पल के लिए फिर से मॉम का शरीर ठंडा पड़ गया...
कोई हलचल ही नही हुई...
जैसे कोई सदमे में हो...

उनका हाथ मेरे लंड पर था...
उन्होने उसे टटोल कर देखा ..
वो पूरा खड़ा था....
उपर से नीचे तक नापा उन्होने उसे...
उसकी लंबाई का अंदाज़ा लगाया...
अपना हाथ उसके चारो तरफ कसकर उसकी मोटाई नापी......
और फिर जैसे उन्हे कुछ हो गया....
वो एक झटके से उठ खड़ी हुई...
पास पड़ी चादर से उन्होने खुद को ढक लिया...

सोनिया भी ये देखकर हैरान रह गयी की ये मॉम को अचानक हुआ क्या है...

मों : "सोनी....ये..ये...सोनू ...ये..ये तो जाग रहा है....''

मेरी तो फट्ट कर हाथ में आ गयी....
हमारी चोरी पकड़ी जा चुकी थी....
अब हमारी खैर नहीं थी 

सोनिया की नज़र सीधा मेरे खड़े लंड पर गयी और वो सब समझ गयी...
वो समझ गयी की मॉम का हाथ मेरे लंड पर आ लगा था...
ये देखकर वो मुस्कुरा दी...
क्योंकि यही तो उसका प्लान था...
वो यही चाहती थी की मॉम को मेरे खड़े लंड का पता चले..

सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा : "अर्रे मॉम ...मैने कहा था ना...ये घोड़े बेचकर सोता है...ये नही उठने वाला...''

मॉम अभी भी अपने नंगे शरीर को उस चादर से छुपाने का प्रयत्न कर रही थी...

उन्होने मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा : "पर...वो...वो उसका.....उसका पेनिस...वो तो अकड़ कर खड़ा है....''

सोनिया : "अर्रे मॉम ..ये तो नॉर्मल बात है...ये उम्र ही ऐसी है....बेचारा कोई सपना देख रहा होगा...तभी उसका ये टावर खड़ा हो गया है....''

वो मॉम को चेहरे को देखकर ये सब बोल रही थी....
और उनके चेहरे को पढ़ने की कोशिश भी कर रही थी की उनके मन में इस वक़्त क्या चल रहा है...

मॉम का चेहरा मेरे लंड पर ही लगा हुआ था...
शायद कुछ देर पहले उसे अपने हाथ में लेकर वो उसके प्रति बुरी तरह से आकर्षित हो गयी थी.....

सोनिया उठी और मॉम के पीछे आकर खड़ी हो गयी.....
उनके कंधे पर अपना सिर रखकर, उनकी कमर को अपने हाथो से जकड़कर उसने अपना एक हाथ फिर से उनकी चूत की तरफ सरका दिया...

और बोली : "पर देखो ना मॉम ....भाई का लंड कितना लंबा है....उम्म्म्ममम....अगर ये मेरा भाई ना होता तो .....अभी इसे खा जाती......वाउ.....कितना मोटा है......और लंबा भी.....''

मॉम का शरीर सोनिया का एक-2 शब्द सुनकर काँप सा रहा था....
उनके हाथ से चादर छूट कर नीचे गिर गयी...
मैने हल्की आँखे खोल कर मॉम की तरफ देखा, जो एकटक मेरे लंड को घूर रही थी...
उन्होने सोनिया की बातो को सुनकर उसे डाँटा भी नही की वो अपने भाई के बारे में ऐसा क्यों बोल रही है....
शायद उनके हिसाब से उस वक़्त ये ग़लत नही था...

सोनिया तो जैसे गर्म लोहे पर प्रहार कर रही थी....
एक प्रहार वो अपने हाथ से मॉम की चूत पर कर रही थी
और
दूसरा प्रहार वो अपनी बातों से उनके दिमाग़ पर..


और उसका असर भी दिख रहा था....
मॉम तो जैसे सम्मोहित सी हो गयी थी मेरे खड़े लंड को देखकर...
सोनिया ने मॉम को पुश करके बेड पर बिठा दिया...
ठीक मेरी कमर के पास...
अब उनका नंगा बदन मेरे जिस्म से टच कर रहा था...
मेरा लंड और कड़क हो गया...

सोनिया का मम्मी को सम्मोहित करना चालू था

''देखो ना मॉम ....कितना बड़ा है.....आपके अंदर से निकले इस बेटे पर आपका पूरा हक है....आप इसे छू सकते हो मॉम ...टच करो...देखो उसे....बाहर निकालो इसको....''

और मॉम के काँपते हुए हाथ मेरी तरफ लहरा गये...
अभी कुछ देर पहले तक जो सैक्स उन दोनो के बीच हो रहा था , सोनिया दी ने बड़ी चालाकी से उसमें मुझे शामिल कर लिया था...
पर मुझे तो सोने का नाटक करना था...
और इस वक़्त मेरी सबसे कठिन परीक्षा चल रही थी..

मॉम के हाथ मेरी शॉर्ट्स के उपर आए और उन्होने एक बार फिर से मेरे लंड को दबोच लिया, उनकी पकड़ ही बता रही थी की अंदर कितनी प्यास भरी है उनके , फिर उन्होंने मेरी शॉर्ट्स को धीरे-2 नीचे सरकाना शुरू कर दिया...
मैने कुन्मूनाने का नाटक किया और अपनी गांड थोड़ी सी हवा में उठा दी...
उसी का फायदा उठा कर मॉम ने मेरी शॉर्ट पूरी नीचे खींच दी..

और फिर जो उनकी आँखो के सामने था, वो जैसे दुनिया का आठवा अजूबा था...

उनके बेटे का नंगा और जवान लंड.

एकदम कड़क...चमकता हुआ...मोटा लंड.



मॉम ने एक नज़र सोनिया दी को देखा, वो भी पलके झपकाए बिना मेरे लॅंड को देख रही थी..
हालाँकि आज से पहले वो कई बार इसे चूस चुकी थी...
अपनी चूत और गांड में ले चुकी थी
और आज एक बार फिर से उसे देखकर
और वो भी ऐसी सिचुएशन में, सोनिया दी की चूत में भी खुजली होने लगी..

सोनिया के मुँह से गुर्राती हुई सी आवाज़ निकली

''उम्म्म्मममम ओह माययययी गॉडsssssssss ....... इट्स टूऊssssssss सैक्सी ...... मॉम .......''

मॉम बेचारी ये भी नही बोल पाई की ऐसा मत कह तू
ये तेरे भाई का लंड है...
ये ग़लत है....
पर वो ग़लत काम तो वो खुद भी कर रही थी...
इसलिए वो भला कैसे कहती...

सोनिया के उकसाने पर मॉम के हाथ एक बार फिर से मेरे नंगे लंड पर आ लगे...
मेरी तो धड़कने ही बेकाबू हो गयी....

मॉम ने एक बार फिर से सोनिया की तरफ देखा और कन्फर्म किया : "पक्का ना...ये जागेगा नही....''

सोनिया : "नही मॉम ...नही जागेगा....कम ओंन ...करलो अपने दिल की..... बोलो...क्या करना चाहते हो....''

मॉम के होंठ लरज गये कुछ बोलने से पहले....

अब वो अपनी बेटी से कैसे बोलती की उसे वो लंड चूसना है..

पर शायद सोनिया ने वो बात ताड़ ली थी...
क्योंकि मॉम जिस अंदाज से उसे देख कर अपने सूखे होंठो पर जीभ फिरा रही थी
उससे सॉफ पता चल रहा था की उनके मन में क्या चल रहा है...
इसलिए सोनिया ने उनके कान में धीरे से कहा

''मॉम ... मैं अगर आपकी जगह होती ना...तो इसे चूम लेती.....चाट लेती और....और....''

बोलते-2 शायद सोनिया भी एक्साइटिड हो रही थी....
उसकी साँसे भी तेज हो गयी...
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01-09-2019, 02:25 PM,
#94
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
मॉम ने गहरी साँसे लेते हुए कहा : "और क्या सोनी...बोल ना....और क्या...''

सोनिया : "और चूस लेती इसे.....अपने मुँह में लेकर...अच्छी तरह से...और तब तक चूसती ...जब तक ये झड़ नही जाता मेरे मुँह में ....''



सोनिया का इतना कहना था की मॉम की आँखे फैलती चली गयी....
जैसे उन्हे विश्वास ही नही हो रहा था की उनकी खुद की बेटी, अपने भाई का लंड चूसने के लिए उसे उकसा रही है...
पर वो कुछ बोली नही..
क्योंकि
वो भी यही सुनना चाहती थी...
शायद

इसलिए एक बार फिर से उनके नर्म हाथ मेरे लंड से खेलने लगे....
और फिर वही हुआ जो सोनिया ने उन्हे करने को कहा था...
वो धीरे-2 मेरे लंड पर झुकने लगी...
जैसे कोई सम्मोहन उन्हें मेरे लंड की तरफ खींच रहा हो
वो पास आती चली गयी
और मुझे एहसास तब हुआ जब उनकी गर्म साँसे मेरे लंड पर पड़कर उसे झुलसाने लगी....
मैने आधी आँख खोल कर देखा तो मॉम बड़े प्यार से मेरे लंड को देख रही थी...
उनकी आँखो में हवस सॉफ देखी जा सकती थी....
और फिर उन्होने अपनी गर्म जीभ निकाल कर मेरे लंड पर लगा दी...
मैं चाहकर भी सिसकारी नही ले पाया...
मेरा बदन अकड़ गया...
बेड की चादर को मैंने अपने हाथों से भींच लिया



सोनिया ने बात संभाली : "देखा मॉम , भाई को लग रहा है की सपने में उनके साथ ये सब कोई कर रहा है...आप कंटिन्यू रखो ....शाबाश....चाट लो इसे...''

मेरा तो मन कर रहा था की चूम लू अपनी बहन को...
जिस अंदाज से वो मॉम को मेरी तरफ आकर्षित कर रही थी वो काबिले तारीफ़ था....
एक चुदाई तो इस बात की पक्की थी मेरी तरफ से उसके लिए..

फिर मॉम ने अपनी जीभ से मेरे लंड को पूरा चाट लिया....



चाट क्या लिया उसे पूरा नाप लिया अपनी जीभ से...
और फिर जब उनसे सब्र नही हुआ तो एक ही झटके में उन्होने मेरे लंड को अपने मुँह में भरकर चूस लिया..

ओह यसस्सस्स.......
क्या पल था वो दोस्तो....
मेरा लंड मेरी माँ के गर्म मुँह में था...
और इसकी गवाह मेरी नंगी बहन थी...
जिसके चेहरे की चमक सॉफ बता रही थी की अपनी योजना को सफल होते देखकर उसे कितनी खुशी हो रही है...

मॉम ने मेरे लंड को नीचे से पकड़ा और पूरा अंदर निगल गयी.....




ओह यारो

क्या फीलिंग होती है ये भी...
अपनी ही माँ से अपने लंड को चुसवाना...
हालाँकि अपनी बहन से लंड चुसवाना भी सुपर वाली फीलिंग भरा पल था..
पर ये तो सुपर से भी उपर हो गया..

मेरे चेहरे के भाव बता रहे थे की मेरे अंदर क्या चल रहा है....
सोनिया शायद उन एक्सप्रेशन्स को देखकर समझ गयी थी की ये देखकर मॉम भी समझ जाएगी की मैं जाग रहा हूँ ... इसलिए, वो मॉम के पीछे से घूमकर सामने की तरफ आ गयी...
और मेरी छाती की साइड में अपने नंगे कूल्हे सटाकर बैठ गयी...
अब उसका बदन मॉम के सामने था, फिर बड़ी चालाकी से वो थोड़ा सा झुकते हुए मेरे पेट पर अपनी छाती रखकर लेट सी गयी...और वो उसने इसलिए किया ताकि मॉम मेरा चेहरा ना देख पाए...

पर ऐसा करके सोनिया दी ने मेरे लंड की अकड़ में और इज़ाफा ही किया...
क्योंकि उनके नंगे बूब्स मेरे पेट पर बुरी तरह से चुभ रहे थे...
नीचे की तरफ मॉम के नंगे मोम्मे मेरी जाँघो पर चुभ रहे थे...

एक साथ 4 मोम्मे मेरे बदन की मालिश कर रहे थे...

मॉम के चेहरे के ठीक सामने सोनिया दी का चेहरा था...
वो उनकी तरफ भूखी नज़रों से देख रही थी...
और आँखो ही आँखो में कह रही थी की थोड़ा मुझे भी चूसने दो ना मॉम ..

पर मॉम थी की अपनी ही धुन में मेरे लंड को चूसती जा रही थी...



सोनिया दी के बीच मे आकर लेटने की वजह से मुझे आँखे बंद रखने की ज़रूरत नही थी...
मैं आँखे खोलकर सोनिया दी की नंगी और सैक्सी पीठ को देख रहा था...
वो पीछे से भी उतनी ही खूबसूरत थी जितनी की आगे से...
मन तो कर रहा था की उनकी नंगी पीठ को चूम लू..
मैं ऐसा नही सकता था...
पर उसे हाथ तो लगा ही सकता था...
वैसे भी ना तो मेरा चेहरा और ना ही मेरा हाथ मॉम को दिख रहा था...
इसका फायदा उठाकर मैने अपने हाथ से सोनिया दी की नंगी पीठ को छू लिया....
एक तरंग सी दौड़ गयी उनके बदन में ...
उनकी छातियाँ थोड़ी और बाहर निकल आई...
एक लंबी सी सिसकारी निकल गयी उनके मुँह से...

''आआआआआआआआआअहह ...... ओह यसस्स्स्स्स्स्सस्स....''
मॉम की तंद्रा भंग हुई...
उन्होने आँखे खोल कर सोनिया को देखा, जो ठीक उनके सामने, प्यासी नज़रों से, अपने होंठों पर जीभ फेरती हुई पड़ी थी...

मॉम को उसपर दया आ गयी...
और उन्होने अपना मुँह मेरे लंड से निकाल लिया.

और उन्होने बड़े प्यार से वो लंड सोनिया दी की तरफ लहरा दिया...

फिर तो उन दोनो के लिए वो मेरा लंड खिलौना सा बन कर रह गया...
पर उनके इस खेल ने मेरी हालत खराब कर दी...
मॉम के गर्म मुँह से निकल कर जब सोनिया दी के तड़पते मुँह में मेरा लंड गया तो मैने पीछे से उनके बालो को कस के पकड़ लिया...
पर उनपर कोई असर नही पड़ा...
वो मेरे लंड को एक ही बार में अंदर तक घुसाकर चूसती चली गयी...



उफफफ्फ़......
मेरा मन तो कर रहा था की चीखे मारु....
गालियां दू उन दोनो माँ बेटियो को....
ठूस कर अपना लंड उनके मुँह में बारी-2 से घुसाऊ...

पर सोनिया दी की कसम ने मेरे मुँह और आँखो पर ताला लगा रखा था...
मैं वो सब सिर्फ़ महसूस कर सकता था..
अपने मज़े को बयान नही कर सकता था...
ये कैसा टॉर्चर भरा काम दे दिया था सोनिया दी ने मुझे...

पर जो प्रोमिस मैंने किया था, उसे बचाने के लिए मैं चुपचाप लेटा रहा...
पर मेरे लंड पर मेरा कोई कंट्रोल नही था...
वो तो बेकाबू सा होकर, जंगली घोड़े की तरह, हिनहिनाता हुआ..कभी मॉम के मुँह में तो कभी सोनिया दी के मुँह में जाकर मज़े ले रहा था...
और उसकी ये खुशी उसके चेहरे से टपक भी रही थी...
बूँद-2 करके...

और ये बूंदे उस आने वाले तूफान का संकेत थी, जो मेरी बॉल्स के अंदर उबाले खा रहा था...

और जल्द ही, उनके इस खेल की वज से , वो पल भी आ ही गया, जब मेरे लंड का वो चिपचिपा बरसाती पानी, अपने अंदर की सारी सीमाओं को तोड़कर , माँ -बेटी के रिश्तो की परवाह किए बिना, उन्हे अपने तूफ़ान में लेकर बहता चला गया....



एक के बाद एक कई पिचकारियां मेरे लंड से निकल कर हवा में उछलने लगी...
और उन दोनों के बीच जैसे होड़ सी लगी हुई थी की कौन कितना माल पी कर जाएगा...
सोनिया दी को तो पहले से ही मेरा मिल्कशेक पसंद था...
अब उस जूस की चाह रखने वालो में एक और नाम भी जुड़ चुका था...
मेरी मॉम का...
क्योंकि आज मेरे लंड से निकले माल की ज़्यादा बूंदे , मॉम ने ही अपनी जीभ से समेत कर अपने अंदर पहुँचाई थी...

सोनिया दी ने अपना ज़ोर लगाकर मुझे बेड पर बाँधकर नही रखा होता तो मेरी कमर का तीर कमान बन गया होता...

और उन्ही की वजह से मैं , आँखे खोलकर, अपने चेहरे के पूरे एक्सप्रेशन्स के साथ उस ऑर्गॅज़म को महसूस कर पाया था...
मेरे हाथ आख़िर तक उनके बालों को खींचते रहे और इस वजह से मुझे भी झड़ने में काफ़ी आनंद आया..

मुझे तो अभी भी विश्वास नही हो पा रहा था की मेरी बहन और माँ ने मिलकर, नींद ही नींद में , मेरे लॅंड के साथ बलात्कार कर दिया था..

पर जो भी हुआ था बहुत अच्छा हुआ था...
क्योंकि ये वो पहली सीढ़ी थी, जो बहुत उपर तक आकर, आनंद के वो दरवाजे खोलने वाली थी, जिसके बाद हर दिन और हर रात मस्ती से भरी होने वाली थी...
पर सोनिया दी ने सब अपने हिसाब से सोचकर ही किया था...और आगे भी उन्होने ही करना था..



इसलिए मेरे लंड को अच्छे से चाटकर, सॉफ करके, उन्होने फिर से पैक कर दिया और मुझपर चादर डालकर मुझे सोने के लिए छोड़ दिया...

मॉम अपना चेहरा धोकर आई तो वो कुछ बोल ही नही पा रही थी..

सोनिया : "कुछ ना बोलो मॉम ...आज रहने दो...जो भी हुआ है, उसके बारे में कल बात करेंगे...अभी आप जाकर सो जाओ...गुड नाइट..''

इतना कहकर उसने मॉम के होंठो को चूमा, उन्हे गले से लगाया और उन्हे नीचे भेज कर दरवाजा बंद करके मेरे पास आई...

मैं एक झटके से उठकर बैठ गया...
जैसे बरसों से मुर्दा बनकर लेटा हुआ था, और आज ही किसी शक्ति ने मुझे जगाया था....

बहुत सी बाते करनी थी अभी तो सोनिया दी से...
बहुत सी बातों का जवाब लेना था...
कुछ अधूरा बचा हुआ मज़ा पूरा करना था अभी तो..
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01-09-2019, 02:25 PM,
#95
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
मैं एक झटके से उठकर बैठ गया...
जैसे बरसों से मुर्दा बनकर लेटा हुआ था, और आज ही किसी शक्ति ने मुझे जगाया था....

बहुत सी बाते करनी थी अभी तो सोनिया दी से...
बहुत सी बातों का जवाब लेना था...
कुछ अधूरा बचा हुआ मज़ा पूरा करना था अभी तो..

**************
अब आगे
**************

''ओह्ह माय गॉड .......दी....क्या था ये.....तुम्हे पता भी है की मेरा क्या हाल हो रहा था....ये तो सिर्फ़ आपने मुझे सोते रहने के लिए बोल रखा था..वरना ऐसी हालत में दुनिया का कोई भी मर्द कंट्रोल करके नही रह सकता था...''

सोनिया दी मेरी बात सुनकर हँसे जा रही थी...

वो बोली : "हाँ हाँ पता है.... दूसरे मर्दो से ज़्यादा स्टेमीना और कंट्रोल है तुम्हे अपने आप पर...तभी तो ये सब मैने मोंम के साथ किया...उन्हे भी मज़ा आया और तुम्हे भी...''

मैं : "उनका तो पता नही पर मेरी हालत खराब हो गयी थी....ये मज़ा नही सज़ा थी...''

सोनिया दी ने अपनी शराबी आँखो से मुझे देखा और खिसककर मेरे पास आई..
मेरी छाती पर हाथ रखकर मुझे बेड पर लिटा दिया ..
और अपने मोटे मुम्मे मेरे सीने पर रखकर वो भी मेरे उपर लेट गयी.

और बोली : "सज़ा में अगर मज़ा हो तो वो और भी अच्छी लगती है....बोलो, आज से पहले ऐसी सज़ा के बारे में सोचा था क्या तुमने...और एक ही बार में अगर मॉम की चूत मिल जाए तो क्या मज़ा रह जाएगा उसमें ...मेरे हिसाब से चलोगे तो सज़ा में छुपा ये मज़ा मिलता रहेगा...''

मैं अधीर सा हो गया और बोला : "पर कब तक....कब तक ये सज़ा मिलती रहेगी...''

सोनिया : "जब तक तुम अपने लक्ष्य तक नही पहुँच जाते....और वो है मॉम की चूत ....समझे...''

इतना कहकर उसने अपनी गीली चूत को मेरे मुरझाए हुए लंड से रगड़ दिया...

''आआआआआआआहह...... ये तो मेरे साथ ज़्यादती है.... ''

सोनिया ने मेरे होंठो को किसी कुतिया की तरह अपनी जीभ से चाटा और बोली : "तभी तो बोनस के रूप में मैं तुम्हारे साथ हूँ ....जब तक मॉम की नही मिलती, उनकी बेटी हाजिर है तुम्हारे लिए...जब चाहे...तब मार लो मेरी....चूत ...''

वो एक-2 शब्द अपने रसीले होंठों को दांतो से दबा कर ऐसे बोल रही थी की मैं ज़्यादा देर तक बहस कर ही नही पाया....

वो मेरी गर्दन पर होंठ लगा कर मेरी नसों को चूसने लगी...

मैं : "उम्म्म्मम.....वो तो सही है...पर .....मॉम ....अगर अपने आप पर....कंट्रोल नही कर पाई तो...और अगली ही बार में मेरा लंड अंदर ले लिया तो.......क्या करू''

सोनिया : "वो अपनी तरफ से कुछ ऐसा नही करेगी...मुझे उनका पता है...उनकी चूत में भले ही आग लगी हो, पर अपनी तरफ से पहल करके वो तुम्हे ये नही दिखाएगी की वो यही चाहती है....ये सब होगा....ज़रूर होगा...पर मेरी प्लानिंग के अनुसार ही होगा....तब तक तुम अपनी तरफ से कुछ नही करोगे....और ना ही मॉम को ये एहसास दिलाओगे की तुम भी वही चाहते हो जो उनके मन में चल रहा है...समझे...''

मैने सिर हिला कर समझने का इशारा किया....

और फिर मुस्कुराते हुए हम दोनों के होंठ एक दूसरे से आ मिले...

आज के दिन मैं कितनी बार झड़ चुका था, इसका तो मुझे भी अंदाज़ा नही था...
पर सोनिया दी के नंगे बदन की गर्माहट और कुछ देर पहले चल रही फिल्म को फिर से याद करके मेरा लंड फिर से कुन्मूनाने लगा...
उसके हिलने का एहसास सोनिया को भी हुआ और वो मेरी आँखो में देखती हुई...हमारी किस्स तोड़कर...धीरे-2 नीचे खिसकने लगी...मेरा लंड उनकी चूत को छूता हुआ...उनके नंगे पेट से टकराकर...उनके मुम्मो की पहाड़ियों के बीच रगड़ खाता हुआ...उनके होंठो से जा लगा...उसके चेहरे से टपक रहा सेक्स देखकर मेरा लंड तीर की तरह तन कर खड़ा हो गया...वो अपनी नशीली आँखो की शराब मुझपर ऊडेलने लगी..


अभी कुछ देर पहले ही सोनिया दी के होंठों ने मॉम के साथ मिलकर जो हाल किया था, वो शायद एक बार फिर से होने वाला था मेरे लंड का...

और वो हुआ भी....
सोनिया ने अपनी लपलपाती जीभ फेरते हुए , मेरे लंड पर अपने होंठो से कब्जा किया और उसे मुँह के अंदर निगल गयी....लंड के साथ - 2 उसने मेरी गोटियों को भी अच्छे से चूसा



अभी कुछ देर पहले ही झड़ा था बेचारा...
हल्का दर्द भी हो रहा था....
पर फिर भी मेरी बहन की आवाज़ सुनकर कैसे कुत्ते की तरह खड़ा हो गया था फिर से...
साला...
हरामखोर
कमीना लंड.

सोनिया ने मेरे लंड को मुँह में रखे-2 अपना शरीर घुमा कर मेरी तरफ कर लिया और अपनी चूत को मेरे मुँह के उपर लाकर पटक दिया...

छपाक की आवाज़ के साथ उसकी रसीली चूत पर मेरे होंठ आ लगे....
ऐसा ठंडक भरा एहसास हुआ जैसे बर्फ का टुकड़ा रगड़ कर आई हो चूत पर.



कुछ देर तक चूसने के बाद वो खुद ही पलटी और मेरे लंड को अपनी चूत के सिरे पर लगाकर उसपर बैठ गयी...

शायद काफ़ी देर से मेरे लंड को अंदर लेने की चाह हो रही थी...
इसलिए ज़्यादा सब्र नही कर पाई बेचारी..

''उम्म्म्ममममममममम......तुम कंट्रोल की बात करते हो....मुझसे पूछो....मैने कैसे कंट्रोल किया था अपने आप पर....मैं तो पहले भी ले चुकी हूँ इसे अंदर...इसलिए कुछ ज़्यादा ही खुजली हो रही थी...मॉम थी सामने...वरना वो सारी मलाई तो बाहर बहाई थी...मेरी चूत में ही निकलती....अहह.....पर कोई ना.......अब निकालूंगी.....सारी की सारी मलाई....अपने अंदर.....एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... चोदो मुझे भैय्या .....चोदो अपनी प्यासी बहन की चूत को......ज़ोर से चोदो .....बुझा दो ये प्यास.....जो पहले अधूरी रह गयी थी..........''

वो बोलती जा रही थी और मैं उसकी कमर को पकड़ कर अपना रॉकेट उसके अंतरिक्ष में भेजता जा रहा था...

उफ़फ्फ़......
क्या सीन होता है ये भी....
हिलते हुए मुम्मो को देखकर...
सैक्स से भरे चेहरे को देखकर....
चूत मारना...



मैने हाथ उपर करके उन मुम्मो को पकड़ लिया और उनके दानो को निचोड़ कर उनका रस बाहर निकाल लिया.....
वो बेचारी मेरे इस प्रहार से भरभराकर मेरे उपर गिरती चली गयी...

मेरे होंठ उसके बूब्स पर आ लगे और उस रस को पीने लगे जो मेरी उंगलियो ने निचोड़कर निकाला था....

दोनो हाथो से मैने उसकी चौड़ी गांड को पकड़ा और अपने पैरों को बेड पर लगाकर, अपनी गांड थोड़ा हवा में उठा ली ....
और फिर जो मैने उसकी रेल बनाई....
वो सिर्फ़ आ...आअह्ह्ह उहह ही कर पाई...



मेरे होंठो से होंठ लगाकर वो मेरे हर झटके का स्वाद ले रही थी...
मुझे तो शुरू से ही उसके कठोर नितंब पसंद थे
उन्हे मसलते हुए
गांड में उंगली करते हुए
चुदाई का जो मज़ा मिलता था
वो अलग ही था..
और उपर से फ़चा फच का साउंड, वो भी चुदाई में चार चाँद लगा रहा था.

वो बिलबिलाकर बोली : "ओह माय डार्लिंग........मेरी जान ......क्या चोदते हो तुम भाई....सच में .. एक लड़की को ऐसा चोदने वाला मिल जाए तो उसकी लाइफ तो पूरी सेट्ल है.... मैं तो तुमसे पूरी जिंदगी चुदवाती रहूंगी....तुम्हारी शादी के बाद भी...अपनी शादी के बाद भी....आती रहूंगी घर पर...और तुमसे चुदवाती रहूंगी....''



सोनिया दी ने कितने प्यार और मासूमियत से पूरी जिंदगी चुदवाने का कांट्रॅक्ट साइन कर दिया..

मैं कभी उनके होंठो को चूमता और कभी बूब्स को....
और ऐसे ही चूसम चुसाई करते-2 मेरा और उसका ऑर्गॅज़म निकट आ गया...

और जब वो आया तो एक बार फिर से पूरी जिंदगी रुक सी गयी....
शरीर ऐंठ गये...
और लंड से निकली पिचकारियों को उसकी चूत ने ऐसे सोख लिया जैसे अंदर कोई स्पंज लगा कर रखा हो....

और फिर अंत में, मेरे उपर वो, हाँफती हुई सी गिरी तो पसीने की खुश्बू और वीर्य की महक ने दोनो को मदहोश सा कर दिया...



वो काफ़ी देर तक मेरे उपर लेटी रही...
और अंत में जब उठी तो अपनी चूत में से दो चार बूंदे वो मेरे उपर टपकाकर बेड के साइड में खड़ी हो गयी...

हल्की रोशनी में उसका गदराया हुआ बदन काफ़ी सैक्सुअल रहा था...
मैने नोट किया था की जब से उसकी चुदाई होनी शुरू हुई है वो पहले से काफ़ी भर भी गयी है...
ख़ासकर उसके मुम्मे , जिनपर मैने काफ़ी मेहनत की थी, वो फूल कर बड़े हो गये है...
गांड वाला हिस्सा भी कुछ और बाहर निकल चुका है...
शायद उसे घोड़ी बनाकर चोदने की वजह से ऐसा हुआ था..




पर जो भी था
उसका नंगा बदन देखकर और अपनी मेहनत का नतीजा उसपर देखकर
मैं और मेरा लंड काफ़ी प्राउड फील कर रहे थे.

फिर वो वॉश करने चली गयी...
मैं भी लंड को सॉफ करके आया और नंगा ही आकर सोनिया के बिस्तर पर लेट गया...
वो कल रात की तरह एक बार फिर मुझसे नंगी लिपटकर सो गयी...

थके होने की वजह से जल्द ही मुझे नींद आ गयी....

सुबह मेरी नींद अलार्म से खुली...
सोनिया ने जल्दी से मुझे उठाया, मुझे किस्स किया और तैयार होकर स्कूल जाने को कहा..

सुबह -2 उसे अपने सामने देखकर और वो भी टॉपलेस, मेरा तो मन ही नही कर रहा था स्कूल जाने का..



पर जाना तो ज़रूरी था...
आज साक्षी से भी तो बात करनी थी...
वो जिस तरह से कल मेरे घर से वापिस गयी थी, आधी अधूरी प्यास लेकर, वो प्यास बुझानी ज़रूरी थी..

जब मैं स्कूल पहुँचा तो पहले तनवी मिल गयी मुझे...
वो तो मुझे देखकर आजकल ऐसे खुश होती थी जैसे उसका दूल्हा आ गया हो...
साली को लंड चाहिए था बस...
और कुछ नही...
इसलिए मिलने के साथ ही वो अगले प्रोग्राम के बारे में पूछने लगी...

अब उसे भी हेंडल करना ज़रूरी था...
क्योंकि कसी हुई चूत जब खुद चलकर आए तो उसे मना नही करना चाहिए...
इसलिए उसे मैने अगले दिन उसी के घर पर मिलने का वादा किया...
और अपने घर पर वो मुझसे कैसे चुदवायेगी , ये उसकी प्राब्लम थी..

और फिर मुझे दिखाई दी साक्षी.....
जिसकी आँखो में उस वक़्त इतनी कशिश थी की जब उसने एक इशारा करके मुझे बिल्डिग के पीछे आने को कहा तो मैं रिमोट कंट्रोल वाली कार की तरह उसके पीछे चल दिया...

बिल्डिंग के पीछे वाला हिस्सा हमेशा सुनसान ही रहता था...
बिल्डिंग के पीछे घने पेड़ थे और उसके पीछे एक बड़ी सी दीवार जो बौंड्री वाल का काम करती थी...
इसलिए वहां किसी के आने का सवाल ही नही था...

मुझे भी पता था की यहा ज़्यादा कुछ होना तो पॉसिबल ही नही है..
पर फिर भी सुबह -2 उसके होंठो का मीठा शहद पीने को मिलेगा , यही बहुत था मेरे लिए..
इसलिए वहां जाते ही सबसे पहले हम दोनो के होंठ आपस में मिले...
उसके बाद बदन.



नर्म मुलायम होंठो को चूस्कर जब मुस्कुराते हुए मैने उसके बूब्स को मसला तो वो कसमसाती हुई मेरे उपर चढ़ती चली गयी..

''उम्म्म्मम....बड़े खराब हो तुम.....कल जो कुछ भी हुआ था हमारे बीच....उसके बाद तो मुझसे एक पल का भी सब्र नही हो रहा है....पता भी है कल रात मैं पूरी न्यूड . सोई थी...सिर्फ़ तुम्हारे बारे में सोचती रही...फिंगरिंग करती रही....''

उसके इस कबूलनामे को सुनकर मेरा मन तो यही कर रहा था की उसे वही दबोच कर चोद दूँ ...
पर जो सोचकर मैने उससे वादा लिया था, वो पूरा करना भी ज़रूरी था..
आख़िरकार मेरी एक दबी हुई इच्छा थी ये, जो उसके मध्यम से ही पूरी हो सकती थी अब...

इसलिए मैने उसे और ज़्यादा सताना सही नही समझा और कहा : "अब तुम्हे ज़्यादा तरसने की ज़रूरत नही है...जो भी होगा, आज रात ही होगा...और इसके लिए तुम्हे ठीक वैसा ही करना पड़ेगा, जैसा मैं कहूँगा...''

वो एक बार फिर से उसी टोन में बोली, जैसा कल बोली थी

''तुम कुछ कहकर तो देखो...तुम्हारे लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ ...''

मैं : "ओके ...फिर आज रात को घर से बाहर रहने की पर्मिशन ले लो...''

रात भर के लिए घर से बाहर रहना, किसी भी जवान लड़की के लिए बड़ी मुश्किल का काम होता है...
पर जैसा की साक्षी ने पहले ही कहा था की वो कुछ भी करने को तैयार है
इसलिए वो एक ही बार में मान गयी...
और वो ये काम कैसे करेगी
ये मेरी प्राब्लम नही थी..

इसलिए, रात को करीब 8 बजे, उसके घर से थोड़ी दूर मिलने का वादा करके मैं अपनी क्लास में आ गया..

पूरा दिन कब निकल गया, पता ही नही चला..

शाम को घर पहुँचकर मैने भी एक बहाना लगाया की मुझे अपने दोस्त के साथ उसके घर जाना है...
एक लड़के के लिए रात भर बाहर रुकना ज़्यादा मुश्किल नही होता...
और वैसे भी मॉम मुझे नाराज़ नही कर सकती थी
इसलिए एक ही बार में पर्मिशन मिल गयी...

हालाँकि सोनिया दी मुझे शक्की नज़रों से देख रही थी
वो समझ चुकी थी की ज़रूर मेरा कुछ प्लान बन गया है...
और उनसे मैं कुछ छुपाना नही चाहता था, इसलिए उन्हे एक कोने में लेजाकर मैंने सारी बात बता दी...
पर मैं साक्षी के साथ क्या करने वाला था ये नही बताया...
पर ये वादा ज़रूर किया की वापिस आकर उन्हे सारी बाते विस्तार से बताऊंगा.

खैर, पापा की कार लेकर मैं ठीक साढ़े सात बजे घर से निकल गया...
रात के लिए मैने एक छोटे से बेग में अपने कपड़े भर लिए..
और ठीक 8 बजे साक्षी को भी पिक कर लिया..

उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की अपनी चुदाई की उसे कितनी एक्साइटमेंट है...
वैसे एक्साइटमेंट तो मुझे भी थी...

साक्षी को लेकर मैं अपने स्कूल की तरफ चल दिया..
हमारे स्कूल के पीछे एक हाउसिंग सोसायटी बन रही थी...
और वहां से निकलते हुए मैं अक्सर उसकी ऊँची इमारत और सोसायटी पार्क के बीचो बीच बने स्वीमिंग पूल को देखा करता था...
और शायद तभी मेरे मन में ये बात आई थी , जिसे पूरा करने के लिए आज मैं साक्षी को अपने साथ लाया था...

हालाँकि इसमे थोड़ा रिस्क भी था..
क्योंकि जिस प्रकार की चुदाई मुझे करनी थी उसमे किसी के द्वारा देखे जाने या पकड़े जाने का खतरा था..
पर यहाँ रिस्क थोड़ा कम ही था...
क्योंकि बिल्डिंग में अब सिर्फ़ फिनिशिंग का काम ही चल रहा था..
और सारे मजदूर सुबह से लेकर शाम तक ही वहां आया करते थे...
सिर्फ़ एक बूड़ा चोकीदार ही था
जो मैन गेट के पास बने एक छोटे से कमरे में सो रहा था...

अब आप भी सोच रहे होंगे की जो चुदाई मैं आसानी से अपने या उसके घर पर कर सकता था उसके लिए इतना रिस्क उठाकर यहाँ आने की क्या ज़रूरत थी...

ज़रूरत थी...
और वो इसलिए की ये मेरी एक ऐसी इच्छा थी जो एक सैक्सी कहानी पढ़ने के बाद मेरे जहन में आई थी...
अगर ये मेरी पहली चुदाई होती तो शायद मैं ऐसा रिस्क लेने यहाँ नही आता..
पर जैसा की आप सभी जानते है की मेरे चारों तरफ चुतों की कमी तो है नही
इसलिए साक्षी को अपनी दबी हुई इच्छा के अनुसार चोदने का मन कर गया था मेरा...
और उपर से जब उसने ये बोला था की वो कुछ भी करने को तैयार है तो मेरा निश्चय और भी पक्का हो गया था..

इसलिए उसे यहाँ लेकर आया था...

मैने कार एक दीवार की ओट में खड़ी कर दी...
और साक्षी को लेकर दबे पाँव मैं बिल्डिंग में दाखिल हो गया...
वो बेचारी तो अभी तक कुछ बोल ही नही पा रही थी...
शायद उसने जो वादा किया था उसकी वजह से ...
पर मेरे जैसा रोमांच अब उसकी आँखो में भी आ चुका था...
भले ही मैने उसे अपना प्लान नही बताया था...
पर उसकी आँखो की चमक बता रही थी की वो कुछ-2 समझ रही है की मेरे दिमाग़ में क्या चल रहा है...

और जो भी चल रहा था, वो अगर आज की रात पूरा हो गया तो उसे भी अपनी ये पहली चुदाई हमेशा के लिए याद रहने वाली थी.
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01-09-2019, 02:25 PM,
#96
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
बिल्डिंग के नीचे पहुँच कर एक ठंडक का एहसास हुआ...
नयी बनी बिल्डिंग की गीली दीवारों से ठंडे पानी की महक आ रही थी...
मैने साक्षी का हाथ थमा और उसे लेकर संभलकर सीडिया चढ़ने लगा.

साक्षी ने दबी आवाज़ में आख़िर बोल ही लिया

''कोई और जगह नही मिली थी तुम्हे अपने फर्स्ट टाइम के लिए....इससे अच्छा तो किसी होटल में ही चल सकते थे...''

मैने मुस्कुराते हुए उसे देखा और बोला : "होटल रूम की चार दीवारी से अच्छा तुम्हे यहाँ मज़ा मिलेगा...तुम देखना, आज के बाद तुम खुद ही इधर आने की जिद्द करोगी...''

जवाब में उसने मुझे आधे रास्ते में ही रोका और मुझसे लिपट कर अपने होंठ मुझपर लगा दिए और ज़ोर-2 से मुझे स्मूच करने लगी...

उसकी आँखो से बरस रही हवस सॉफ दिख रही थी मुझे...

वो बोली : "अब होटल रूम हो या ये बिल्डिंग....मुझसे तो रहा नही जा रहा....''

मैने उसका हाथ पकड़ा और उपर ले जाते हुए बोला : "तभी तो कह रहा हूँ ...उपर चलो...ज़्यादा मज़ा वहीं मिलेगा..''

और ऐसा करते-2 मैं उसे 7वी मंज़िल तक ले आया...
वहां पहुँचते-2 हम दोनो हाँफ रहे थे...
उस फ्लोर पर एक बड़ा सा पेंटहाउस था...
अभी हर जगह काम चल रहा था इसलिए दरवाजे भी खुले हुए थे....
अंदर दाखिल होकर हम उस पेंटहाउस की बाल्कनी में आ गये..

वहां से पूरा शहर दिखाई दे रहा था.

मैने अपने बेग से चादर निकाली और बाल्कनी में बिछा दी और फिर बेग से केंडल्स निकालकर हर कोने में जाकर जला दी...
फिर अपने साथ लाए गुलाब के फूलो की पंखुड़ियों को निकाल कर मैने उस चादर पर बिखेर दिया.

साक्षी ये सब एक कोने में खड़ी होकर देख रही थी...
और जैसा की हर लड़की के मन में हमेशा चलता रहता है की उसकी लाइफ की फर्स्ट चुदाई रोमांटिक होनी चाहिए, वो सब उसे वहां देखने को मिल रहा था..
वो मुस्कुराती हुई बोली : "वाव सोनू, तुम तो पूरी तैयारी के साथ आए हो...''

मैने उसे देखा और आँख मारता हुआ बोला : "अभी आगे-2 देखो, होता है क्या...''

फिर मैने अपने छोटे से बेग रूपी पिटारे में से 2 बियर केन निकाली...
बियर देखते ही उसकी आँखो में चमक सी आ गयी...
वो लपककर मेरे करीब आई और मुझे पीछे से पकड़ कर मुझसे लिपट गयी और अपनी गर्म साँसे मेरे कानों में छोड़ती हुई बोली : "एक मासूम सी लड़की को बियर पिलाकर उसे चोदना चाहते हो तुम....बड़े शैतान हो...''

मैने उसके बालो को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और वो मेरी गोद में आ गिरी
मैने उसके होंठो को चूसा और बोला : "चुदोगी तो तुम बिना बियर के भी मेरी जान, पर जब इसका सरूर चढेगा तो चुदाई में ज़्यादा मज़ा मिलेगा...''

इतना कहकर मैने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और एक बियर केन उसके हाथ में देकर खोल दिया...
चियर्स करके हम दोनो ने 1-2 लंबे घूँट भरे, पूरे शरीर में एकदम से तरावट सी आ गयी....
2-4 और घूँट मारे तो हल्का-2 सरूर भी होने लगा...

साक्षी तो मुझसे भी ज़्यादा प्यासी थी बियर पीने के लिए...
मेरी अभी आधी ही हुई थी और उसने अपनी बियर का आख़िरी घूँट भरा और अपने होंठ मेरे होंठो से लगा कर वो बियर मेरे मुँह में उडेल दी...
उसके होंठो से टकराकर वो बियर और भी ज़्यादा नशीली हो गयी थी...
उसके बाद उसने मेरे होंठो को जब चूसना शुरू किया तो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे अंदर की सारी बियर वापिस निकालने के चक्कर में है वो...
मेरी जीभ को, होंठो को, वो किसी प्यासी चुड़ैल की तरह चूस रही थी...
और साथ ही साथ अपने मोटे मुम्मे वो मेरे सीने से रगड़ कर ऐसे लहरा रही थी जैसे सच में उसके अंदर कोई चुड़ैल ने कब्जा कर लिया है...



मेरे हाथ उसकी ब्रेस्ट पर गये तो उसने कसमसाते हुए अपनी टी शर्ट को पकड़ कर उतार दिया...
नीचे की ब्रा भी बिना स्ट्रेप्स खोले निकाल दी...
अब वो टॉपलेस होकर मेरी गोद में बैठी थी...

मैंने पीछे से उसके दोनों मुम्मों को पकड़ा और उन्हें मसाज देनी शुरू कर दी




फिर मैने उसका एक मुम्मा पकड़ा और अपने मुँह से लगा कर उसे चूसने लगा...

ठंडी हवा चल रही थी...
खुली छत्त पर, केंडल्स की हल्की रोशनी में उसका सोने जैसा बदन चमक रहा था...
उसके मोटे मुम्मे शरबत उडेल रहे थे
उसके कठोरपन को महसूस करके मेरा लंड भी सख़्त हो गया था..



वो मेरी गोद से उतरी और घुटनो के बल बैठकर वो मेरे लॅंड पर झुक गयी...
जीन्स को मेरे शरीर से अलग किया और अपने मुँह में मेरे लंड को भरकर उसे बुरी तरह से चूसने लगी...

मैं तो किसी दूसरी ही दुनिया में पहुँच गया...
सच में दोस्तो, लड़की जब अपने गीले होंठो और जीभ से लंड को चुभलाती है तो उस आनंद का मुकाबला इस दुनिया के किसी भी मज़े से नही किया जा सकता...



मेरे हाथ नीचे आए और उसके झूल रहे मुम्मों को पकड़ कर उनका वजन तोलने लगे...
कसम से, हर मुम्मा 1 किलो से कम का नही लग रहा था...
लटके होने की वजह से उसकी पूरी शेप निकर कर बाहर आ गयी थी....
वो कुतिया भी अपने बूब्स पर मेरे हाथो का स्पर्श पाकर दुगने जोश से मेरे लंड को चूसने लगी..

लंड को अच्छी तरह से चूस्कर, उसे खड़ा करने के बाद वो खड़ी हुई और अपनी जीन्स भी उतार दी...
मैने भी अपने बचे खुचे कपड़े उतार कर एक कोने में फेंक दिए...
और अब हम दोनो जन्मजात नंगे थे...
उस नयी बनी बिल्डिंग के टेरेस पर हमारे नंगे बदन केंडल की हल्की रोशनी में दमक रहे थे....
मैने साक्षी को उपर से नीचे तक देखा, वो सैक्स गॉडेस लग रही थी ...
मन तो कर रहा था उसके पुर बदन पर जैम लगाकर चाट जाऊं..



पर अभी के लिए मुझे उसकी चूत को चूस्कर उसे रसीला बनाना था ताकि मेरा मोटा लंड एक ही बार में अंदर घुस जाए..

मैने उसकी टांगे फैला कर चादर पर लिटा दिया और खुद उनके बीच लेट गया...
और अपनी जीभ निकाल कर उसे चाटने लगा...
गीली तो वो पहले से ही थी पर मेरी जीभ लगने से वो और भी ज़्यादा पनिया गयी, और वही पनियाया हुआ पानी मुझे चाहिए था उसकी चुदाई के लिए, जो मेरे लंड को सरकाकर एक ही झटके में अंदर खिसका दे..



करीब ५ मिनट मैंने रसीली चूत चाटी
अब और सब्र नही हो पा रहा था...
वो खड़ी होकर मेरे करीब आई और मुझे लिटा कर खुद मेरे उपर बैठ गयी...
और मुझे एक बार फिर से स्मूच करने लगी..

उसकी नंगी चूत मेरे लंड पर टक्कर मारकर उसके मुँह में पानी ला रही थी...
मैने उसके फेले हुए कुल्हो को पकड़ लिया और अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया..

एक पल के लिए जैसे दुनिया ही ठहर गयी...
उसकी आँखो में डर के साथ-2 एक अजीब सी खुशी भी थी...
शायद अपने कुंवारेपन को खोने का दुख और एक नये सुख को महसूस करने की खुशी थी वो.

और फिर बाकी का काम उसी ने कर दिया...
मेरे दोनो हाथो को ज़मीन पर लगाकर मुझे दबोच सा लिया साक्षी ने...और फिर अपनी रसीली गांड पर दबाव डालकर एक करारा झटका मारकर मेरे लंड के टोपे को अपनी चूत में समेट लिया..

''आआआआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..........उम्म्म्मममममम''

उसके चेहरे से सॉफ पता चल रहा था की पहली बार लंड अंदर लेते हुए उसे कितनी तकलीफ़ हो रही थी.



मेरा लंड धीरे-2 उसकी चूत में उतरने लगा..
और जैसे ही वो उसकी झिल्ली से टकराया वो थोड़ा रुक गयी...
मैं समझ गया की उसे दर्द हो रहा होगा इसलिए अब मुझे ही इस खेल की कमान संभालनी थी...
मैने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसकी आँखो में देखते हुए एक करारा झटका मारा..

''आआआआआआआआआआआआआआहह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी.....................''

उसे सच में ऐसा लगा जैसे उसकी चूत दो हिस्सो में बंट गयी है....
मेरा मोटा लंड उसकी चूत को ककड़ी की तरह चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया....
एक गर्म खून की बौछार ने मेरे लंड का राजतिलक करके उसे एक नयी चूत की सील तोड़ने की बधाई दी.

''आआआआआआआअहह सोनू......बहुत दर्द हो रहा है......प्लीज़ रुक जाओ......''

और मैने वही किया...
मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया...
ऐसे मौके पर अपने पार्ट्नर की बात मानना ही सही बात होती है, उसे भी लगता है की वो उसकी कितनी केयर करता है...
कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद उसने खुद ही अपनी कमर मटकानी शुरू कर दी...
मेरा लंड तो उसकी अंदरूनी दीवार पर टक्कर मारकर उसकी गहराई का अनुमान ले चुका था
एक बार फिर से अंदर बाहर होने लगा..



उसने तो शायद सोचा भी नही होगा की उसकी लाइफ की पहली चुदाई इस तरह से किसी नयी बनी बिल्डिंग की छत्त पर होगी...
पर जो भी हुआ था, उसमे हम दोनो को मज़ा बहुत आ रहा था...
एक अलग ही तरहा का रोमांच था...
और सबसे बड़ी बात ये थी की हम दोनो इस मूमेंट को अच्छे से एंजाय भी कर रहे थे...
चीखे मारकर, ज़ोर-2 से चिल्लाकर..
क्योंकि इतनी उपर हमारी आवाज़ सुनने वाला कोई और था भी नही..

एक बार जब लय बन गयी तो वो सीधा हो गयी और मेरे हाथो को अपने बूब्स पर रखकर खुद ही मेरे उपर उछलने लगी..

''ओह मेरी ज़ाआाआअँ...... क्या मज़ा आ रहा है...आइ इम लविंग इट....''

मैने भी उसके रसीले होंठो को चूसते हुए कहा...

''हाँ मेरी जान...अब ऐसे मज़े रोज मिलेंगे...इनफॅक्ट मुझे भी तुम्हारी पुस्सी बहुत पसंद आई....''

अपनी और अपनी छूट की तारीफ सुनकर वो खुश हो गयी...और दुगनी तेज़ी से उछलने लगी मेरे लंड पर...



और जल्द ही हमारी मेहनत का नतीजा हम दोनो के ऑर्गॅज़म की शक्ल में सामने आ गया...
मेरे लंड से और उसकी चूत से एक साथ रस निकला...

''आआआआआआआअहह आई ऍम कमिंग ...........''

मैने भी अपने लंड की आख़िरी बूँद तक उसकी चूत में निकाल दी..

दोनो का शरीर काँप रहा था...
हर बार एक नया मुकाम हासिल कर रहा था मैं अपनी चुदाइयों से..

उसके बाद हम दोनो खड़े हुए और साक्षी ने अपनी चूत में उंगली डालकर मेरा सारा घी समेट कर खा लिया...
ऐसी ही लड़किया मुझे ज़्यादा पसंद आती है, जो बिना किसी शर्म और झिझक के अपने दिल की बात मानकर अपना काम कर लेती है..

मैने अपनी बची हुई बियर उठाई और उसे सिप करता हुआ बालकनी से नीचे देखने लगा..

अभी तो सिर्फ़ 2 ही बजे थे...
पूरी रात अपनी थी...

मेरी नज़र चोकीदार के केबिन की तरफ गयी, वो भी लाइट बंद करके सो चुका था..

बिल्डिंग्स के बीचो बीच स्वीमिंग पूल था, जो पानी से लबालब भरा हुआ था...
उसे देखकर मेरे मन में एक विचार आया और मैने तुरंत साक्षी से कहा

''चलो, नीचे चलते है...स्वीमिंग पूल में ..ऐसे ही नंगे...अगला राउंड वहीँ करेंगे, पानी में ''

मेरी बात सुनकर उसकी आँखे गोल हो गयी...
पर उसने मना नही किया
क्या करती बेचारी
वादा जो किया था उसने.

मैने सारा समान अपने बेग में भरा और उसका हाथ पकड़ कर नीचे आ गया...
हम दोनो के शरीर पर एक भी कपड़ा नही था...

मेरे हिसाब से तो इस प्लान में भी कोई गड़बड़ नही होने वाली थी क्योंकि चोकीदार सो चुका था और आस पास , दूर-2 तक और कोई भी नही था..

पर वो कहते है ना, प्लानिंग हमेशा हमारे हिसाब से नहीं चलती, मेरे साथ भी वही हुआ
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01-09-2019, 02:26 PM,
#97
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
बिल्डिंग्स के बीचो बीच स्वीमिंग पूल था, जो पानी से लबालब भरा हुआ था...
उसे देखकर मेरे मन में एक विचार आया और मैने तुरंत साक्षी से कहा

''चलो, नीचे चलते है...स्वीमिंग पूल में ..ऐसे ही नंगे...अगला राउंड वहीँ करेंगे, पानी में ''

मेरे हिसाब से तो इस प्लान में भी कोई गड़बड़ नही होने वाली थी क्योंकि चोकीदार सो चुका था और आस पास , दूर-2 तक और कोई भी नही था..पर वो कहते है ना, प्लानिंग हमेशा हमारे हिसाब से नहीं चलती, मेरे साथ भी वही हुआ

**************
अब आगे
**************

मैने जान बूझकर साक्षी को आगे चलने दिया...
मुझे हमेशा से ही गांड मटकाती लड़किया पसंद थी...
और ये तो नंगी थी इस वक़्त..
इसलिए उसकी नंगी और मटक रही गांड को देखकर मेरा मन बाग-2 हो गया..



मैने आगे बढ़कर उसकी गांड पर एक चपत लगा दी..

आउच की आवाज़ के साथ उसने शरारती नज़रों से पलटकर मुझे देखा और फिर से मटकती हुई आगे निकल गयी...

पूल के पास पहुँचकर उसने अपना पैर पानी में डाला तो काँप सी गयी...
पानी बहुत ही ठंडा था.
उसके निप्पल तन कर खड़े हो गये..

मैने आगे बड़ा और सीधा उनपर मुँह लगाकर उन कठोर अंगूर के दानों को चूसने लगा...

वो मस्ती भरी सिसकारी मारकर अपनी आँखे बंद करके मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी...
और जब मुझे लगा की वो ठंडे पानी के बारे में भूल गयी है तो मैं उसे लेकर पानी में कूद गया...

ठंडे पानी ने हम दोनो के जिस्मों को जकड़ सा लिया...
बेचारी चीखती रह गयी..
और मैं हंस-हंसकर दोहरा हो गया...

पर उस ठंडे पानी से बचने का उसने जल्द ही एक तरीका ढूँढ लिया...
अपने जिस्म को मुझसे चिपका कर वो दुगनी तेज़ी से मुझे स्मूच करने लगी...
उसका ये करना मेरे और उसके बदन में एक नयी उर्जा पैदा कर रहा था...



हम दोनो किस्स कर ही रहे थे की साक्षी ने एक जोरदार चीख मारी...
मैं तो एकदम से डर सा गया की कहीं पानी में उसे किसी कीड़े ने तो नही काट लिया...
मैने आँखे खोली तो वो डरी हुई नजरों से सामने की तरफ देख रही थी...
मैने जब पलटकर उधर देखा तो मेरी भी फट्ट कर हाथ में आ गयी..

वहां बिल्डिंग का चोकीदार खड़ा था..
हाथ में लट्ठ लिए..

एक पल के लिए तो मुझे समझ ही नही आया की कैसे मैं इस सिचुएशन का सामना करू...

और तब तक उस बूड़े चोकीदार की आवाज़ आई : "कौन हो साहब....और यहाँ क्या कर रहे हो...''

उसकी आवाज़ में जो नर्मी थी, उसने मुझे थोड़ी हिम्मत दी...
और वैसे भी उस चोकीदार की उम्र ही इतनी थी की मेरे एक झापड़ से वो नीचे गिर पड़ता...
इसलिए उसके धमकाने से भी मुझे डरने की कोई ज़रूरत नही थी.

मैं थोड़ी कड़क आवाज़ में बोला : "कुछ नही चाचा...बस ऐसे ही थोड़ी मस्ती हो रही है... मेरा फ्लॅट भी इसी बिल्डिंग में है...वो सातवे माले पर...वही दिखाने लाया था अपनी गर्लफ्रेंड को...और चलते-2 सोचा की थोड़ी मस्ती कर लू...बस ....इसलिए....ये सब...''

उस बूड़े की नज़रें अभी भी मेरे पीछे दुबक कर खड़ी साक्षी पर थी...
हालाँकि पहले उसने शायद साक्षी को टॉपलेस देख लिया था...
और शायद इसी वजा से उसकी आवाज़ में थोड़ी नर्मी थी...
वरना अभी तक अपने लट्ठ को पटककर हमे भगा चुका होता...

और मेरी बात सुनकर तो वो थोड़ा और भी नर्म सा हो गया...

वो बोला : "मालिक...वो तो ठीक है..पर इस तरह चोरी छुपे...रात के समय यहाँ आना...और यहां आकर ये सब करना....सही नही है...''

तब तक मेरे दिमाग़ ने पूरी तेज़ी से चलना शुरू कर दिया था...

मैने अपने पीछे से साक्षी को खींचकर बाहर निकाला और कहा : "अर्रे चाचा...ऐसे काम के लिए ऐसी ही जगह सही रहती है...तुम्हे हमारी मस्ती देखनी है तो आराम से देखो ''

एक बार फिर से साक्षी के मोटे मुममे देखकर उस बुड्ढे मी आँखे चमक उठी...

साक्षी ने गुस्से से मुझे देखा और चौकीदार की तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी और मेरे कान में फुसफुसाई : "ये क्या कर रहे हो सोनू.....मैने कुछ नही पहना हुआ है और तुम मुझे उसके सामने कर रहे हो...''

मैने भी उसके नंगे चुतड़ों को पानी में मसला और उसे अपनी छाती से चिपकाकर कहा : "मेरी जान...इस बूड़े से डरने की कोई ज़रूरत नही है...तुम्हारे लिए तो मैं इस बूढ़े चौकीदार से तो क्या, पूरी दुनिया से लड़ जाऊं ..पर इसे देखकर मेरे दिमाग़ में एक और आइडिया आया है...क्यो ना आज इस बूड़े को इसकी जिंदगी की सबसे हसीन रात दिखाई जाए...हम दोनो सब कुछ करेंगे...इसी के सामने...एंड इट विल बी रियली एक्साइटिंग ....बोलो क्या बोलती हो...''

मेरी बात सुनकर साक्षी की आँखे गोल हो गयी....
शुरू में तो वो मेरी बात सुनकर काफ़ी खुश हुई जब मैने पूरी दुनिया से लड़ने वाली बात कही...
पर बाद में जो मैने कहा, उसे सोचकर ही उसकी हालत खराब हो गयी...
ठंडी में भी पसीना सा निकालने लगा उसके चेहरे से....
शरीर काँप सा गया ये सोचकर की वो मुझसे चुदाई करवाएगी और वो बूड़ा सामने बैठकर सब देखेगा...

उसके दिल का तो पता नही पर उसकी चूत ने हाँ कर दी...
क्योंकि उससे बाते करते हुए मैने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी थी...
ये जानने के लिए की वहां पर उसे कैसा फील होगा ये सब सुनकर...
और वही हुआ
जैसा मैने सोचा था...
एक गर्म पिचकारी निकलकर मेरी उंगली को झुलसा सी गयी...
जो इस बात का संकेत था की वो उपर से मना कर रही है पर अंदर से उसे भी ये आइडिया एकदम रोमांचक लग रहा है...

वैसे भी, इतना रिस्क लेकर वो मेरे साथ आ ही गयी थी तो इस तरह की छोटी मोटी परेशानियो से डरना बेकार था..

मैने उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए उसके कान में कहा

''ये सब करके एक नयी एक्साइटमेंट मिलेगी हमें ... एक नयी किक्क मिलेगी, जो जिंदगी भर याद रहेगी...और इस चौकीदार की उम्र भी तो देखो...इस अंधेरे में इसे हमारे चेहरे भी सही से नही दिख रहे होंगे... और कल के बाद हमें कौन सा इसके सामने दोबारा आना है जो इससे डरने की ज़रूरत पड़े...जो भी होगा..सिर्फ़ आज की रात के लिए...और सिर्फ़ हमारे बीच में ही...इसने बीच में कोई बदतमीज़ी की तो मैं इसकी टांगे तोड़ दूँगा..और फिर हम यहाँ से निकल लेंगे...प्रोमिस...''

मेरी बात ख़त्म होने की देर थी की उसने उछलकर मुझे जोरदार तरीके से स्मूच कर दिया...
मैने भी उसके कूल्हे पकड़कर उसे हवा में उठा लिया और उसकी स्मूच का जवाब देने लगा...



और मुझे पता था की इस वक़्त वो बूड़ा चौकीदार साक्षी की नंगी गांड सॉफ देख पा रहा होगा...
मैने कनखियो से उस तरफ देखा तो मेरा अनुमान सही था...
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01-09-2019, 02:27 PM,
#98
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
वो फटी हुई आँखो से साक्षी की गोरी गांड को देखकर अपने लंड वाले हिस्से को मसल रहा था...
अब ये तो पता नही की इस उम्र में भी उसका खड़ा होता होगा या नही...
पर ऐसे सीन को देखकर उसे सहलाना तो बनता ही था ना...

वो इधर उधर होकर साक्षी के मोटे मुम्मे एक बार फिर से देखने की कोशिश कर रहा था...
मैने सोचा की उसका ये काम आसान कर देता हूँ ....
मैने साक्षी को पानी में उतारा और उसके चेहरे को चूमते हुए उसके बूब्स तक आया और फिर थोड़ा नीचे होकर उसकी नाभि में मैने अपनी जीभ घुसा दी...
मेरे इस हमले से वो चिल्ला उठी और अपना सिर पीछे की तरफ फेंकते हुए मेरे सिर को पकड़ कर अपने पेट पर रगड़ने लगी....



और यही वो मौका था जब उस चौकीदार ने एक बार फिर से उसके बूब्स को देखा...
और वो भी एकदम कड़क हालत में ....
उनकी उँचाई देखकर वो भी दंग सा रह गया...
पानी में उछलते हुए उन गुब्बारो को देखकर उसकी तो हालत ही खराब हो गयी....
और ये सब देखकर मुझे और साक्षी को बहुत मज़ा आ रहा था..

अब तो साक्षी भी मेरे रंग में रंग चुकी थी...
एक अच्छी एक्ससीबीशनिस्ट बनकर वो अपने नंगे जिस्म की अच्छे से नुमाइश कर रही थी उस बूड़े चौकीदार के सामने...

एक अनकहा सा अग्रीमेंट हो चुका था चोकीदार और हमारे बीच...
ना तो उसके बाद चोकीदार ने हमें वहां से जाने के लिए कहा और ना ही हमने चोकीदार को वहां से हटने के लिए...

और इसका कारण सॉफ था की दोनो को ही बराबर के मज़े मिल रहे थे..

मैने साक्षी की कमर को पकड़ा और उसे पानी में चारों तरफ घुमा सा दिया....
उसका नंगा जिस्म और मुम्मे हवा में लहराकर उसके सुंदर शरीर का अच्छे से प्रदर्शन करने लगे...



हवा में घुमाने के बाद जब मैने उसे वापिस अपनी बाहों में दबाया तो उसके चेहरे की खुशी देखने लायक थी...

वो बोली : "यू नॉटी बॉय.... कैसे-2 आइडियास आते है दिमाग़ में तुम्हारे....एंड यू आर राइट ..इट्स सो एक्साइटिंग .... सच में बड़ा मज़ा आ रहा है...''

मैने उसे चूमते हुए कहा : "इस एक्साइटमेंट को थोड़ा और बढ़ाते है...''

वो बोली : "कैसे....''

मैने उसका हाथ पकड़ा और उसे लेकर किनारे तक आ गया...
उस चौकीदार से थोड़े ही दूर ...
वो थोड़ा पीछे होकर खड़ा हो गया..

मैं उछलकर किनारे पर बैठ गया और मेरा खड़ा हुआ लंड हवा में लहराने लगा...
चौकीदार भी मेरे कड़क लंड को देखकर शायद अपनी जवानी के दिन याद करने लगा था...

मैने साक्षी को इशारा किया और वो आगे आई और एक ही झटके में मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी...
उसके ऊपर हाथ रखकर उसे दबाते हुए, उसका रस निकालने लगी...



ये शायद बूड़े चौकीदार के लिए किसी झटके से कम नही था....
क्योंकि मुझे नही लगता की उसकी उम्र में उसकी बीबी या किसी और ने उसके लंड को चूसा होगा....
ये चूसना चुसवाना तो आजकल की पीडी करने लगी थी...पहले कहां होता था ये सब.

पर जो भी था, मुझे करवाने में और उस बूड़े को देखने में काफ़ी मज़ा आ रहा था...
मैने तो अपनी आँखे बंद कर ली और उस कुतिया की लंड चुसाई का मज़ा लेने लगा..

अचानक साक्षी धीरे से फुसफुसाई..

"सोनू....ओ सोनू....देखो ज़रा उसे....वो क्या कर रहा है....''

मैने चौकीदार की तरफ देखा तो हैरान रह गया...
उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया था और उसे अपने हाथो से मसल रहा था...
उसका बूड़ा हो चुका लंड सही से आकार भी नही ले पा रहा था..
पर वो बूड़ा कोशिश पूरी कर रहा था आज कुछ करने की...

चलो हमारे बहाने ही सही...
आज शायद काफ़ी समय बाद वो झड़ेगा तो सही.

मेरा लंड तो काफ़ी अच्छे से खड़ा हो चुका था...
मैं वापिस पानी में उतरा और साक्षी की दोनों टाँग उठा कर अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और फिर उसकी आँखो में देखते हुए एक करारा झटका मारकर उसे अंदर पहुँचा दिया...

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आआआआआआआआआआआअ......उम्म्म्मममम सोनू... मेरी ज़ाआआआन्णन्न्.....''



मेरा तो पता नही पर साक्षी की सैक्सी आवाज़ सुनकर और उसकी चूत में लंड जाते हुए देखकर उस चौकीदार को ज़रूर हार्टअटेक आने वाला था...

हम दोनो एक दूसरे को बुरी तरह चूम भी रहे थे....
एक दूसरे को रगड़ भी रहे थे और चुदाई भी जबरदस्त कर रहे थे...



वो मेरे ऊपर पूरी चढ़ी हुई थी और पानी के अंदर मेरे लंड को अपनी चूत में अच्छे से घुसवा रही थी

मैने घुमा कर साक्षी को सामने की तरफ कर दिया और उसकी टाँग उठा कर पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया....
ये एक ऐसा एंगल था जिसमे वो साक्षी के पूरे शरीर को नंगा देख पा रहा था...
उसके हिलते हुए मुम्मों को
उसके सैक्सी चेहरे के एक्सप्रेशन को
और
उसकी चूत में जाते हुए लंड को भी...



और साक्षी भी अब चौकीदार की चिंता छोड़कर अच्छे से चुदाई करवा रही थी...

और अब तो पिछली बार की तरह उसकी चूत में दर्द भी नही था...
असली मज़ा तो उसे अब मिल रहा था...
और इस मज़े को एंजाय करते हुए...
झड़ते हुए वो ज़ोर-2 से चिल्लाने लगी..

''आआआआआआआआआआआअहह सोनू....... आई एम लविंग इट........ योउ आर सो गुड़ ...... युवर कॉक इस अमेजिंग..... बहुत मज़ा आ रहा है...... और ज़ोर से चोदो मुझे..... अपने लंबे लंड से.....आहह...सोनू......आई एम कमिंग........ज़ोर से चोदो .....और ज़ोर से......करो.....आहह......ओह.....हियर आई कम......''

और उसके चिल्लाने का असर मेरे लंड पर भी हुआ
उसने भी उसकी चूत की लय से लय मिलाकर झड़ना शुरू कर दिया.....

एक साथ झड़ते हुए हम दोनो के शरीर काँप से रहे थे...

और यही हाल उस बूड़े चौकीदार का भी हो रहा था...
उसकी मेहनत भी रंग ले आई थी और वो भी झड़ चुका था....
उसकी फूली साँसे और उसके सामने फेली हुई लकीरे उसकी हालत बयान कर रही थी...

इतना रोमांच...
इतनी एक्साइटमेंट ....
मुझे आज तक नही हुई थी....
और ये सब करके मुझे अंदर से एक अलग ही तरह की खुशी मिल रही थी...
अपनी दबी हुई इच्छा को इतनी अच्छी तरह से पूरा होते देखकर मुझमें सैक्स के बारे में और भी एक्सपेरिमेंट करने की हिम्मत सी आ गयी थी.

पर वो एक्सपेरिमेंट तो जब होंगे, तब होंगे...
अभी के लिए तो हमें यहाँ से निकलना था...
रात के करीब 4:30 बज रहे थे....
हम दोनो पूल से बाहर निकले और कपड़े पहनकर, आँखो ही आँखो में उस चौकीदार को थेंक्स बोलते हुए बाहर निकल गये...
थेंक्स तो वो चोकीदार भी बोल रहा था अपनी आँखो से...
इतने अच्छे लाइव शो के लिए...
ऐसे पागल रोज-2 नही मिलते होंगे उसे जो उसके सामने आकर चुदाई का खेल प्रस्तुत करे..

बाहर निकलकर हम दोनो काफ़ी देर तक हंसते रहे...
उस चोकीदार की हालत के बारे में बात करते हुए मैं गाड़ी को इधर-उधर घुमाता रहा...
और पता ही नही चला की कब सुबह हो गयी...

करीब 7 बजे मैने साक्षी को उसके घर पर ड्रॉप किया...
जाने से पहले उसने मुझे अच्छे से स्मूच किया और अगली बार जल्द मिलने का, चुदाई करने का वादा भी लिया...
मैं भी करीब 7:30 बजे तक अपने घर पहुँच गया...
दरवाजा पापा ने खोला जो उस वक़्त ऑफीस के लिए तैयार हो रहे थे...

मैं सीधा अपने रूम में जाकर सो गया..

इस बात से अंजान की आज मेरी किस्मत मुझपर कितनी मेहरबान है...
और मेरे साथ आज क्या होने वाला है.
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01-09-2019, 02:27 PM,
#99
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
करीब 7 बजे मैने साक्षी को उसके घर पर ड्रॉप किया...जाने से पहले उसने मुझे अच्छे से स्मूच किया और अगली बार जल्द मिलने का, चुदाई करने का वादा भी लिया...मैं भी करीब 7:30 बजे तक अपने घर पहुँच गया...
दरवाजा पापा ने खोला जो उस वक़्त ऑफीस के लिए तैयार हो रहे थे...

मैं सीधा अपने रूम में जाकर सो गया..इस बात से अंजान की आज मेरी किस्मत मुझपर कितनी मेहरबान है...
और मेरे साथ आज क्या होने वाला है.

*************
अब आगे
*************

पूरी रात जाग कर निकाली थी मैने...
इसलिए मेरी आँखे जल सी रही थी....
मैने सोनिया की तरफ देखा, वो तो घोड़े बेचकर सो रही थी..
अपनी छुट्टियों को अच्छे से एंजाय कर रही थी वो...
चुदाई करवाकर और जी भरकर सोकर...
इंसान को यही 2 चीज़े बेहिसाब मिल जाए, किसी और चीज़ की ज़रूरत ही महसूस नही होगी.

भले ही आँखे जल रही थी नींद के मारे, पर नींद आ ही नही रही थी...
जब भी सोने लगता तो साक्षी के साथ बिताए पल याद आ जाते..
कैसे मैने उसकी चूत में लंड डाला...
कैसे खुली छत पर उसकी चीखे गूँजी थी...
और स्वीमिंग पूल की वो रोमांचक चुदाई तो मेरी लाइफ में हमेशा एक यादगार बनकर रहने वाली थी....
बस यही सब सोचकर मैं अपने लंड को शाबाशी देता हुआ, सोने की कोशिश कर रहा था...

और तभी, कमरे का दरवाजा खुला और मॉम अंदर आ गयी...

मैंने झट्ट से आँखे बंद कर ली.

मॉम अंदर आई और इधर-उधर बिखरे कपड़े समेटने लगी..
पापा ऑफीस जा चुके थे.

मैने नोट किया की जब मैं घर आया था तो मॉम ने पूरी नाईटी पहन रखी थी, पर अब उन्होने अपनी नाईटी के उपर वाला गाउन उतार दिया था और सिर्फ़ अंदर का छोटा हिस्सा ही अब उनके गुदाज जिस्म को ढक रहा था..
और उस छोटी सी नाईटी में उनकी मोटी जांघे कमाल की लग रही थी..




मैं अपनी अधखुली आँखो से उन्हे देख रहा था....
खिड़की से आ रही रोशनी में उनकी नाईटी के अंदर का सब कुछ दिखाई दे रहा था...
और अंदर सब कुछ खुल्ला डुल्ला था...
यानी मॉम ने ना तो ब्रा पहनी हुई थी और ना ही पेंटी...
इधर-उधर हिलने से उनके मोटे मुम्मे और गद्देदार गांड की थिरकन सॉफ दिखाई दे रही थी मुझे..

कुछ पल पहले मैं साक्षी के बारे में सोचकर अपना लंड हिला रहा था और अब मॉम के आ जाने से मेरा लंड उनके हुस्न की तरफ आकर्षित होकर, उनके नाम पर अकड़ने लगा...
ये साला लंड बड़ा हरामी होता है...
इसे बस चूत दिखनी चाहिए...
वो किसकी है, इस बात का उसे कोई फ़र्क नही पड़ता...
बस देखा और खड़ा हो गया..

अचानक मॉम ने पलटकर मेरी तरफ देखा...
मैने फिर से आँखे मूंद ली...

वो मेरे सिरहाने आकर बैठी और मेरे माथे पर हाथ फेरने लगी...
उन नर्म हाथो में ममता भरी पड़ी थी...वो थोड़ी देर और सहलाती रहती तो मुझे पक्का नींद आ जाती..
पर जल्द ही उस ममता ने वासना का रूप ले लिया और उनके हाथ धीरे-2 खिसक कर नीचे आ गये...

मेरी तो साँसे अटक कर रह गयी....
और कोई मौका होता तो मेरा सीना उपर नीचे होने लगता...
नाक से तेज हवा अंदर बाहर होने लगती...
पर मॉम के हिसाब से तो मैं घोड़े बेचकर सोता हूँ इसलिए मुझे गहरी नींद की एक्टिंग करनी थी...
जैसे पिछली बार की थी...
यानी आज फिर से मुझे वैसा ही टॉर्चर सहना पड़ेगा...
या शायद उससे भी ज़्यादा.

मॉम ने मेरे बालों को सहलाया...
मेरे होंठो पर अपना अंगूठा फेरा और फिर अपने हाथ मेरे सीने से रगड़ती हुई मेरे लंड तक ले आई...

अब तो मेरा जिस्म एक बार फिर से अकड़ने लगा था...
और पिछली बार की तरह मुझे कवर करने के लिए मेरी बहन भी नही थी...
वो खुद इस वक़्त घोड़े बेचकर सो रही थी...
इस बात से अंजान की मॉम मेरे साथ क्या कर रही है.

मॉम ने जैसे ही मेरे कड़क लंड को हाथ में पकड़ा उनके मुँह से एक सर्द सी सिसकारी निकल गयी..

''उम्म्म्मममममममम........हर समय खड़ा रहता है इसका तो...जवानी का यही फायदा है....''

अब उन्हे कौन समझाए की मैं सो नही रहा बल्कि उनके इस रूप को देखकर और भी ज़्यादा उत्तेजित हो रहा हूँ...

मॉम ने मेरे पायजामे को नीचे खिसका दिया और एक ही झटके में मेरा छोटा सिपाही उछलकर मैदान में आ गया..
मेरी तो आँखे बंद थी पर मेरे लंड की अकड़न देखकर मेरी माँ की आँखे और भी ज़्यादा फ़ैल गयी..

''ओह माय गॉड ......सो स्ट्रॉंग....एन्ड हार्ड.......''

और फिर मुझे वो सुनहरा एहसास हुआ जो उस दिन हुआ था....
उन्होने झुककर मेरे लंड को चूम लिया....

मॉर्निंग में माँ के होंठो की किस्स अपने लंड पर मिल जाए, इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है...

उन्होने जीभ निकाली और मेरे लंड को चाट लिया....
और फिर अपने होंठो और जीभ को लंड के चारो तरफ लपेटकर उसे जकड़ लिया ....
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01-09-2019, 02:27 PM,
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
थोड़ी देर चूसने के बाद वो फिर से उपर आई और इस बार उन्होने अपनी नाईटी की चैन खोलकर अपना मुम्मा बाहर निकाल लिया...

मुझे तो इस बात का एहसास तब हुआ जब उन्होने वो नंगा मुम्मा मेरे चेहरे पर लगा कर अपना निप्पल मेरे होंठो पर रगड़ा..

उफफफ्फ़....
कितना मजबूर था मैं इस वक़्त....
बहुत कुछ करना चाहता था
पर कुछ कर नही सकता था..

मुझे सोनिया की वो बात अच्छे से याद थी की मैं अपनी तरफ से तब तक कुछ ना करू जब तक मॉम अपने पूरे होशो हवास में मुझे चुदाई के लिए खुद से ना कहे...
और इसके लिए मेरा जागे रहना भी ज़रूरी था...

वैसे जाग तो मैं इस वक़्त भी सकता था पर हो सकता है की मेरे जाग जाने से मॉम को झटका लगे और शर्मिंदगी की वजह से वो उठकर वहां से चली जाए...
और इतनी आगे आकर मैं ये तो हरगिज़ नही चाहता था..

मॉम एक हाथ से मेरे लंड को मसलती हुई अपने मुम्मे को मेरे मुँह पर फिराने लगी...

यार, कोई मेरी मॉम को समझा दो की ऐसा करना कितना ख़तरनाक होता है...
ये तो ऐसी हरकत कर रही थी जिसमें अच्छे से अच्छा इंसान भी गहरी नींद से जाग जाए...
और मैं तो इस वक़्त पहले से ही जाग रहा था...
पता नही घोड़े बेचकर सोने की कौन सी परिभाषा उनके दिमाग़ में उतर चुकी थी की मेरे साथ ऐसी हरकते कर रही थी जैसे मैं कोई प्लास्टिक का पुतला हूँ ...

उनकी गर्म साँसे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी...

वो उन गर्म सांसो को काबू करने की असफल कोशिश करते हुए फुसफुसाई

''आअह ......चूस ले इन्हे.....उम् .....चाट ना मेरे लाल......काट ले इन्हे...जैसे बचपन में काटा करता था...काट ना.....''

एक बार फिर से बोडम महिला वाली बाते कर रही थी वो....
अर्रे मुँह में डालोगी तभी तो काटूंगा ना...

वैसे मन तो मेरा कर रहा था की खुद ही अपने मुँह में लेकर उनके मोटे निप्पल्स को काट लूँ ...
पर मैं अपनी तरफ से कुछ करके उन्हे सकते में नही डालना चाहता था...

कुछ देर तक अपने नुकीले निप्पल से मेरे चेहरे पर गुदाई करने के बाद उन्होने खुद ही अपने निप्पल को मेरे होंठो के बीच फँसा दिया...
और फिर मेरे होंठो को ज़बरदस्ती खोकर उन्होने वो मोटा कंचा मेरे मुँह में धकेल दिया....

हाय....
ऐसा लगा जैसे छोटी रसभरी मेरे मुँह में धकेल दी हो उन्होने...
मेरी जीभ का संपर्क जब उनके निप्पल से हुआ तो उन्होने मेरे सिर के नीचे हाथ रखकर मुझे थोड़ा उपर उठा लिया और ज़ोर से अपनी छाती पर लगाकर भींच दिया...



और उपर मुँह करके एक आनंदमयी सिसकारी मारी

''आआआआआआआआआआआअहह मेरी ज़ाआाआन ......खा जा इन्हे....''

अब तो मेरे बस की बात नही रह गयी थी...
मैने उन्हे चुभलाना शुरू कर दिया...

और मेरी जीभ को अपने निप्पल पर महसूस करते ही मॉम एकदम से ठिठक कर रह गयी...
और मेरे चेहरे को देखने लगी...
मैने बड़े इत्मीनान से अपना संयम बनाए रखा और बहुत धीरे-2 उनके निप्पल को चूसता रहा....
बिना कोई एक्सप्रेशन अपने चेहरे पर लाए...
जैसे सब नींद में कर रहा हूँ मैं

कुछ पल तक देखते रहने के बाद मॉम को जब विश्वास हो गया की मैं नींद में ही उनके निप्पल को चूस रहा हूँ तो वो फिर से मेरे लंड को मसलने लगी...

एक बे बाद उन्होने दूसरा मुम्मा भी मेरे मुँह में धकेला और उसके निप्पल में हो रही खुजली भी मेरे दांतो से बुझवाई...



कसम से...
उन नर्म और मोटे मुम्मो को मैं अब पूरी जिंदगी नही भूलने वाला था....
चेहरे पर लगकर वो मेरे पूरे फेस को कवर कर रहे थे...
जैसे कोई गुदाज सा तकिया मेरे मुँह पर दबाकर मेरी साँसे रोकने की कोशिश कर रहा हो...
पिछले कुछ दिनों से छोटी-2 अंबिया चूसने के बाद ये खरबूजे जितने मोटे मुम्मे सच में एक नया आनंद और एहसास दे रहे थे..

और इस एहसास को महसूस करके मेरा लंड भी एक नया मुकाम हासिल कर चुका था....
आज वो पहले से कई ज़्यादा कड़क और लंबा हो चुका था...

मॉम ने अपना मुम्मा मेरे मुँह से निकाला और एक ही झटके में अपना वो इकलौता कपड़ा भी अपने शरीर से निकाल फेंका जिसने उनके खूबसूरत जिस्म को ढक कर रखा हुआ था...

और नंगी होकर जब उन्होने खुद ही अपने मुम्मे पकड़कर दबाए और एक गुदगूदाई हुई सी चीख मारी तो मैं अपने बिस्तर पर पड़ा-2 काँप सा गया..




उन्होने मेरी शॉर्ट्स को खींचकर पूरा उतार दिया....
मुझे तो इस वक़्त उनके इरादे ख़तरनाक से लग रहे थे...

पर ऐसा शायद उन्होने अपनी सहूलियत के लिए किया था....
ताकि मेरे लंड और उनके मुँह के बीच कोई रुकावट ना आए..

वो मेरी टाँगो के बीच लेट गयी और मेरे लंड को पकड़ कर ज़ोर-2 से चूसने लगी..



आज उनकी सकिंग पावर कुछ ज़्यादा ही थी...
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