Antarvasna kahani माया की कामुकता
12-13-2018, 02:39 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
आधे घंटे में भारत और शालिनी अपने दिए हुए अड्रेस पे पहुँचे... जैसे ही घर के बाहर पहुँचे , उन दोनो की आँखों में एक तनाव सा घिरने लगा.. बिल्कुल देर ना करते हुए भारत ने दरवाज़े को नॉक किया, पर कोई जवाब नहीं.. दो तीन बार नॉक किया बट नो रिप्लाइ... भारत पागल सा होने लगा था जिसे देख शालिनी भी घबरा गयी थी.. भारत पागलों की तरह दरवाज़े को पीटने लगा..



"भारत.. यहाँ से आओ, जल्दी.." शालिनी ने घर के पीछे बने लॉन का रास्ता दिखाया.. भारत और शालिनी दोनो वहाँ गये लेकिन वहाँ कोई दरवाज़ा नहीं था... कुछ देर वहीं खड़े रहके भारत ने एक काँच की खिड़की देखी.. भारत उस खिड़की की तरफ बढ़ा और काँच तोड़ दिया.. काँच तोड़ के वो घर के अंदर गया और जाके पीछे का दरवाज़ा खोला जिससे शालिनी भी अंदर आई.. घर के अंदर आते ही दोनो इधर उधर देखने लगे... सब नॉर्मल था, सब कुछ ठीक पड़ा था, कुछ गड़बड़ नहीं थी... भारत को समझ नहीं आ रहा था वो कहाँ जाए.. उसने जल्दी से अपने मोबाइल को निकाला और उस नंबर पे कॉल किया.. एक दम शांत माहॉल में शालिनी और भारत के कान में पड़ी मोबाइल बजने की आवाज़...



"भारत. इट्स कमिंग फ्रॉम डाउन देअर...." शालिनी ने बेसमेंट की तरफ इशारा करके कहा.. घर के लिविंग रूम के कोने में थी एक सीडी जो बेसमेंट में जाती थी.. वो दोनो धीरे धीरे उस सीडी की तरफ बढ़ने लगे... जैसे जैसे वो दोनो उस सीढ़ी की तरफ जाते, दोनो के दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कते. शालिनी भारत से चिपक कर चल रही थी, और भारत भी ध्यान से धीरे धीरे बढ़ रहा था, शालिनी का एक हाथ भारत के लेफ्ट साइड में था जिससे उसने भारत की हार्ट बीट्स महसूस की... दोनो के दिल धड़कने की आवाज़ सॉफ सुनी जा सकती थी ऐसी डरावनी खामोशी में.. रूम में सीधी के नज़दीक बनी खिड़की से हल्की धूप आ रही थी जो हल्की रोशनी रूम में थी... शालिनी और भारत धीरे धीरे सीढ़ी के नीचे जाने लगे, जैसे जैसे वो आगे बढ़ते मोबाइल की रिंग की आवाज़ तेज़ होती जाती... बेसमेंट में पहुँच के पहले भारत ने लाइट का बटन खोजने की कोशिश की, और लाइट ऑन कर दी... बेसमेंट रूम में पड़े एक कोने की तरफ इशारा करते हुए शालिनी ने कहा



"भारत... इ... ट.... त... थिंक इट्स कमिंग फ्रॉम देअर..." शालिनी ने कोने में रखे एक क्ले बॅग की तरफ इशारा करते हुए कहा.



क्ले बॅग देख भारत के नीचे से ज़मीन खिसक गयी, उसकी ज़िंदगी बर्बाद सी लगने लगी.. 



"शालिनी... उपर जाओ, शायद तुम यह ना देख पाओ.." भारत ने शालिनी से कहा



"नहीं, आम स्केर्ड... दोनो देखते हैं प्लीज़" शालिनी ने भारत को कस के पकड़ लिया और दोनो आगे बढ़ने लगे.. क्ले बॅग के बाहर से ही भारत को अंदाज़ा आ गया कि अंदर क्या है



"बेबी, प्लीज़ टर्न अराउंड" भारत ने शालिनी से कहा और शालिनी ने अपना चेहरा मोड़ दिया.. शालिनी का चेहरे पलटते ही, भारत ने उस क्लॅबेग को काँपते हाथों से खोलने की कोशिश की.. धीरे धीरे भारत ने उस क्ले बॅग को खोला... क्लॅबेग के अंदर देख भारत का दिल रुक सा गया, उसकी रूह काँप गयी



"निधि ईज़ डेड शालिनी....." भारत ने शालिनी से कहा और दोनो फुट फुट के रोने लगा...

मलेशिया और यूएस से एक साथ कॉल्स आना मतलब कुछ सही नहीं है.. भारत के दिमाग़ में यह बात बैठ चुकी थी... निधि की बॉडी क्ले बॅग में पड़ी मिली थी, उसकी गर्दन पे किसी ने बेखौफ़ छुरा घुमाया था, और फिर घसीट घसीट के उसे बेसमेंट में लाके क्ले बॅग में डाल दिया.. बॅग में बॉडी को डालने के बाद कातिल ने घर के हालत को ठीक किया और अंदर से लॉक करके, उपर टेरेस वाले रास्ते से भाग गया... निधि की बॉडी देख के शालिनी से रहा नहीं गया और वो वहीं उसी वक़्त बेहोश हो गयी.. भारत ने जल्दी से जल्दी बाहर जाके कुछ पड़ोसियों की मदद ली और आंब्युलेन्स और पोलीस को इनफॉर्म किया.. आंब्युलेन्स के आने तक एक पड़ोसी ने शालिनी की देखबाल की.. 



"सो हाउ कम डिड यू नो अबाउट दिस थिंग.." सामने खड़े पोलीस वाले ने भारत से पूछा



"डे बिफोर येस्टरडे आइ मिस्ड टू कॉल्स फ्रॉम माइ फ्रेंड नंबर्स.. वन फ्रॉम यूएस आंड अनदर फ्रॉम हर.. आइ गॉट टू हियर अबाउट माइ फ्रेंड्स डेत इन यूएस दिस मॉर्निंग, सो आइ सस्पेक्टेड दट ईवन शी माइट बी इन ट्रबल.. हेन्स आइ केम अप ऑल दा वे हियर फ्रॉम इंडिया टू चेक ऑन हर.." भारत ने उदासी में जवाब दिया



"मिस्टर भारत.. यू माइट नीड टू स्टे बॅक हियर फॉर क्वाइट आ लोंग टाइम नाउ.. कम विद मी टू दा पोलीस स्टेशन" पोलीस वाले ने सीट से खड़े होके कहा



"इनस्पेक्टर... आइएम शुवर देअर ईज़ नो प्राब्लम इफ़ आइ मेक आ कॉल, जस्ट वन कॉल" भारत ने पोलीस वाले से कहा... पोलीस वाले ने उसे इजाज़त दे दी.. भारत ने उस वक़्त राकेश को तंग करना सही नहीं समझा, 

उसने तुरंत आदि को कॉल किया..



"डोंट वरी माइ बॉय.. तुम जब तक पोलीस स्टेशन में पहुँचोगे, मेरा फ्रेंड तुम्हारे साथ होगा.. ही ईज़ आ लॉयर. कहीं भी अटको, टेल मी... आंड वन्स इन मुंबई, मीट मी ओक.." आदि ने भारत को आश्वासन दिया



आदि से बात करके भारत ने एक बार शालिनी को देखा, वो अभी भी सो रही थी.. उसने उस पड़ोसी से कुछ बातें की और फिर पोलीस वाले के साथ चल पड़ा.... निधि के घर से निकलते ही, उसकी बुटीक का नाम पढ़ के भारत का दिल भर आया... वो काफ़ी कोशिशों के बाद संभला था, और अब यह.. आज तक उसे इतना दर्द नहीं हुआ था जितना उसे अभी मिल रहा था.... निधि की वो आखरी साँसें, 

कैसे तड़प तड़प के गुज़ारी होगी उसने, जब उसका कतल हुआ होगा, उस वक़्त कितना तडपी होगी वो.. वो तड़प अभी भारत महसूस कर रहा था... अपने दर्द को छुपाने के लिए भारत ने अपनी आँखों पे डार्क ग्लासस चढ़ा लिए और इनस्पेक्टर के साथ निकला... करीब 10 मिनट की ड्राइव के बाद, भारत और वो पोलीस वाला स्टेशन पहुँच गये.. पोलीस स्टेशन में भारत की हर चीज़ की वेरिफिकेशन कराई गयी, उसके आइडी कार्ड्स, जेपीएम के साथ उसकी एंप्लाय्मेंट.. हर वो चीज़ जो भारत ने उधार दी यह प्रूव करने के लिए कि उसे निधि के साथ हुई घटना का आभास पहले से था.. करीब आधे घंटे की पूछताछ के बाद इनस्पेक्टर ने फिर कहा



"मे बी यूआर नोट गेटिंग अस मिस्टर भारत"



"ही इस राइट इनस्पेक्टर.." एक आवाज़ पीछे से आई.. जैसे इनस्पेक्टर और भारत ने पीछे मूड के देखा, एक लंबा सा, करीब 6 फुट का आदमी, आँखों में ग्लासस, हाथ में ब्रीफकेस और मूह में सिगार... आदमी ने दो कदम आगे आके कहा



"हाई.. आइ आम लॉरेन्स.. आड्वोकेट ऑफ दा लोकल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट... मिस्टर भारत हॅज़ हाइयर्ड मी.." आदमी ने हाथ बढ़ा के कहा



"इनस्पेक्टर चांग... मिस्टर लॉरेन्स, थ्ट्स ओके, आइ डोंट थिंक मिस्टर भारत विल नीड यू एनीवेस... दिस वाज़ आ नॉर्मल रुटीन इंक्वाइरी, आंड वी हॅव ऑल्सो इनफॉर्म्ड दा इंडियन एंबसी हियर. दे आर कोपरेटिन्ग विद अस.. जस्ट वन थिंग, मिस्टर भारत, वी माइट कॉल यू एनिटाइम ऑफ दा डे, टॉक टू अस इफ़ पासिबल, ऑलराइट ?" चांग ने भारत से हाथ मिला के कहा



"नो वरीस मिस्टर चांग... आइ आम मोर क्यूरियस टू क्लोज़ दिस वन.. इनफॅक्ट इट मे ऑल्सो हॅपन दट यू माइट गेट आ कॉल फ्रॉम मी टू ट्रॅवेल टू इंडिया आंड शूट दिस केस फॉरेवर..." भारत ने अपने ग्लासस पहेन के कहा और लॉरेन्स के साथ बाहर आ गया



"थॅंक्स मिस्टर लॉरेन्स.. युवर फीस..." भारत ने पर्स निकाल के कहा



"नो प्राब्लम, मिस्टर आदित्य ईज़ आ फ्रेंड... एनी अदर हेल्प यू नीड फ्रॉम मी" लॉरेन्स ने भारत से पूछा



"यस.. आइ वुड बी वेरी प्लीज़्ड इफ़ आइ आम अलोड टू डू दा फाइनल क्रिमेशन ऑफ दा बॉडी इन इंडिया.. आफ्टर ऑल दा पोस्ट मॉर्टेम ईज़ डन" भारत ने अपनी नज़रें नीची करके कहा



"आइ विल ट्राइ टू अरेंज इट... इट माइट टेक फ्यू डेज़ बट" लॉरेन्स ने अपनी गाड़ी का दरवाज़ा खोला और भारत के साथ निकल गया



निधि के घर के पास जाके देखा, तो पोलीस ने उस एरिया को सील कर दिया था, पोलीस के स्निफर्स पूरे घर में घूम रहे थे... एक पोलीस वाले के पास निधि के घर का सारा समान पड़ा हुआ था 

एक बॉक्स में.. हल्की सी नज़र मारी भारत ने तो निधि की एक फोटो फ्रेम भी थी वहाँ.. भारत दिल की सुन के उस इनस्पेक्टर के पास गया.. काफ़ी गुज़ारिश करने के बाद उसे पोलीस वाले ने कहा



"ओके ओके.. वन्स वी आर थ्रू ऑल दा रुटीन इन्वेस्टिगेशन, यू कॅन टेक इट.."
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12-13-2018, 02:39 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
भारत ने एक नज़र उस फ्रेम पे मारी, और एक दम भारी कदमों के साथ वो पड़ोसी के घर गया जहाँ शालिनी उसका वेट कर रही थी...



"क्या हुआ.. कब जाना है घर.. आइ कांट वेट हियर अनीमोर..." शालिनी ने भारत से गले लग के कहा.. काफ़ी देर सोचने के बाद भारत ने उसके साथ हुई हर बात शालिनी को बताई, और उसने निधि की बॉडी का अंतिम संस्कार वाली बात भी उसे कही... 



"प्राउड ऑफ यू माइ हब्बी" कहके शालिनी ने भारत को हग किया और दोनो कुछ देर में वहाँ से होटेल में रहने के लिए निकल गये.... 



"शालिनी, यू शुड गो टू मोम नाउ.. मैं यहाँ से प्रॉबब्ली एक वीक में आ जाउन्गा.. " भारत ने शालिनी से टॅक्सी में कहा



"आइ कॅंट गो अलोन... आइएम स्केर्ड नाउ.." शालिनी ने जवाब में कहा



"ओके, तो आइ विल अस्क मोम डॅड टू कम हियर, आंड तुम तीनो साथ में जाना.. बट प्लीज़ तुम जाओ, आंड घर जाके अच्छे से रहो... ओके" भारत ने सवाल पूछा



"ओके... कम सून बट प्लीज़" कहके शालिनी और भारत ने एक दूसरे को हग किया और कुछ ही देर में होटेल पहुँच गये.. होटेल में जाके शालिनी फ्रेश होने गयी, तब तक भारत ने ऋतु से सब बातें की और उनकी टिकेट्स भी अरेंज करवा दी... ऋतु और उसका पति दूसरे दिन निकल के मलेशिया पहुँच गये.. भारत और शालिनी को देख उनकी जान में जान आई.. ऋतु ने सब बातें की उनके साथ, और उसे हैरानी हुई जब शालिनी ने उसे बताया कि उसको भारत और निधि के बारे में सब पता था..



"इतना सब होने के बाद हाउ कॅन यू अलो युवर हज़्बेंड, कि वो अपनी एक्स को इंडिया में लाए और उसके लिए यह सब करे." ऋतु ने हैरानी में कहा



"मोम शी ईज़ डेड नाउ.. ह्युमॅनिटी भी एक चीज़ होती है ओके.. आंड प्लीज़ डोंट क्रॉस माइ डिसिशन ओके" शालिनी के इस जवाब से ऋतु एक दम खामोश हो गयी..



"आइ अंडरस्टॅंड सन इन लॉ... आंड मैं तुम्हारे साथ हूँ.. डोंट वरी, शालिनी को लेके जाते हैं, यहाँ कुछ हेल्प हो तो कॉल मी, आइ विल मेक श्योर तुम्हे कोई तकलीफ़ ना हो ओके.." शालिनी के बाप ने भारत से कहा



"नही डॅड... आप बस शालिनी का ख़याल रखिएगा... मैं 7 दिन में आ जाउन्गा.." भारत ने कहा, और कुछ ही घंटो में शालिनी अपने मोम डॅड के साथ मलेशिया के लिए निकल गयी.. शालिनी के जाते ही भारत ने जेम्ज़ को इस बात की इत्तला की और जेम्ज़ ने उसे कहा



"नो वरीस माइ फ्रेंड.. आइएम ऑल्वेज़ विद यू इन टफ टाइम्स... टेक केर बडी..."



2 दिन बाद भी भारत अपने होटेल के कमरे से बाहर नहीं निकला था.. जबसे वो यहाँ आया है, तब से बस सिगर्रेट और कॉफी पे ही गुज़ारा कर रहा था..



"मलेशिया में निधि के साथ यह हुआ.. उसकी दुश्मनी सिर्फ़ मेहुल के साथ थी.. पर मेहुल अभी तो जैल में ही होगा.. उसकी सज़ा अभी ख़तम नहीं हुई है... फिर यह" भारत तीन दिन से यही सोच रहा था, पर उसे कुछ जवाब नहीं मिल पा रहा था... 



"हेलो मुन्ना...." भारत ने काफ़ी टाइम बाद मुन्ना को फोन किया



"क्या साहब.. कितने टाइम बाद, माल पानी का बंदोबस्त करो कुछ" मुन्ना ने भारत से कहा



"मुन्ना, अभी का अभी पुणे जा, यर्राडा जैल में एक क़ैदी है, उसकी इन्फर्मेशन निकाल.. आते ही पैसा दे दूँगा" भारत ने सिगर्रेट जला के कहा



"क्या साब, आपका पैसा कहाँ जाएगा.. ठीक है आप क़ैदी का नाम मसेज करो, मैं पुणे जाता हूँ" कहके मुन्ना ने फोन कट किया और निकल पड़ा पुणे की ओर.. भारत ने भी उसे मेहुल के डीटेल्स एसएमएस कर दिए



"मेहुल अगर हुआ तो भी ओके, पर शॅरन के साथ किसने किया.. मेरी तो शॅरन के साथ कुछ ऐसी दोस्ती नहीं थी, .. या कहीं ऐसा तो नहीं, कि वो मुझे कुछ बताना चाहती हो और किसी ने उसे भी..." 

भारत ने खुद से कहा और कहते कहते फिर एक गहरी सोच में चला गया.... शाम को भारत बाहर निकला और पोलीस स्टेशन जाके चांग से मिला



"सो मिस्टर चांग... एनी क्लू ऐज टू व्हाट हॅड रियली हॅपंड.." भारत ने उसके सामने बैठते हुए कहा



"नतिंग मच मिस्टर भारत.. ऑल वी हॅव ईज़ जस्ट दा वेपन वित विच शी वाज़ किल्ड.. वी हॅव ऑल्सो चेक्ड दा कॅमरास नियर बाइ..." चेंज ने बस इतना ही कहा, कि भारत ने उसे बीच में टोका



"कॅमरास मस्ट नोट बी वर्किंग इनस्पेक्टर... आइ गेस" भारत ने अपना माथा पीछे लिया और सीलिंग की तरफ देख कर कहा



"यूआर राइट.. हाउ डिड यू नो इट..." चांग ने हैरानी में पूछा



"सेम वाज़ इन यूएस मर्डर ऐज वेल माइ फ्रेंड... राइट वन थिंग, देअर'स ओन्ली वन पर्सन बिहाइंड दिस मर्डर आंड यूएस मर्डर..." भारत यह कहके वहाँ से निकला और निधि के घर के पास होते हुए अपने होटेल जाने लगा.. होटेल में जाके फिर भारत ने शालिनी से बात की और फिर से निधि के बारे में सोचने लगा...



"हेलो मिस्टर लॉरेन्स.. भारत हियर" भारत ने उस वकील को फोन करके कहा



"यस.. टेल मी, हाउ आर यू" लॉरेन्स ने जवाब में कहा



"मिस्टर लॉरेन्स, आइ होप यू रिमेंबर अबाउट टेकिंग बॉडी टू इंडिया.. होप यू आर ऑन इट" भारत ने धीरे से कहा



"यस .. डोंट वरी, डे आफ्टर टुमॉरो वी विल हॅव ऑल दा क्लिरेन्सस, आंड आइ हॅव ऑल्सो आस्क्ड मिस्टर चांग.. यू कॅन गो बॅक टू इंडिया इन कपल डेज़.. नो इश्यूस हियर"



"थॅंक यू मिस्टर लॉरेन्स... इंदेबटेड टू यू..." भारत ने एक राहत की साँस ली



"नो वरीड मिस्टर भारत.. माइ वर्क.. सी या.." कहके लॉरेन्स ने फोन कट किया
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12-13-2018, 02:39 AM,
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रात होने वाली थी, भारत फ्रेश होके आज 3 दिन में पहली बार होटेल के रॅस्ट्रो में खाना खाने गया... टेबल पे अकेला बैठ बैठ उसके दिमाग़ में तूफान से चलने लगे थे.. शॅरन और निधि का मर्डर एक साथ.. और एक ही तरीके से....



"यू नो आइ रीड सो मेनी डीटेक्टिव नॉवेल्स... आइ रीड इन एनी नॉवेल, ऑल मर्डरर्स लीव सम क्लू बिहाइंड... " भारत के पीछे बैठी 2 मलेशियान लड़कियाँ आपस में बात कर रही थी



यह बात सुन भारत ने थोड़ा अपने दिमाग़ पे ज़ोर डाला..



"मैं पीछे से गया, पीछे जाके खिड़की तोड़ी.. खिड़की से अंदर जाके मैने शालिनी के लिए दरवाज़ा खोला जो खिड़की के राइट में है.. दरवाज़ा खोलते ही हम ने नीचे के रूम्स देखे और 

वहाँ कुछ ना पाके शालिनी की नज़र बेसमेंट में गयी.. वहाँ से हम बेसमेंट में गये, और फिर बेसमेंट में ज़्यादा समान नहीं था... वहाँ से हम ने पोलीस को कॉल किया.. अगर कोई क्लू होगा तो वो बेसमेंट में और लिविंग रूम में नहीं है..." भारत ने खुद से कहा और रॅस्ट्रो से भाग के बाहर जाके टॅक्सी लेके निधि के घर की तरफ बढ़ा... शाम का वक़्त था लेकिन 

सूरज ढल चुका था, इसलिए निधि के घर के बाहर जो पोलीस वाले रहते थे, वो अब वहाँ नहीं खड़े थे.. भारत ने टॅक्सी वाले को आगे जाके एक कोने में खड़े रहने की हिदायत दी.. टॅक्सी के जाते ही भारत ने चुप के से पोलीस की लाइन क्रॉस की और पीछे के दरवाज़े से ही घर में घुसा.. टॉर्च ऑन करके उसने सबसे पहले उपर जाती हुई सीढ़ियों पे रोशनी मारी... हर एक स्टेप भारत धीरे धीरे चढ़ा और हर एक कोने में टॉर्च मारता गया, शायद कहीं कुछ दिख जाए.. उपर सीढ़ियों के ख़तम होते ही लेफ्ट साइड में एक दरवाज़ा था कमरे का.. भारत ने उस दरवाज़े को ओपन किया, पर वो लॉक्ड था.. शायद पोलीस लॉक करके गयी हो.. उस दरवाज़े के ठीक बगल से एक छोटी सी स्टेर केस लगी हुई थी जो उपर जाती थी... भारत ने वहाँ टॉर्च मारी और उस स्टेर केस को फॉलो करके उपर पहुँचा.. उपर पहुँचते ही उसने देखा, तो एक ट्राइंगल सा बना हुआ था.. एक आंगल में निधि के घर की नीचे वाली कॉरिडर दिखती, एक से उसकी बगल वाले घर की. तीसरे आंगल में टेरेस की दीवार काफ़ी बड़ी थी... शायद 10 फुट के करीब



"अगर कातिल यहाँ से भागा होगा तो यह दीवार फाँद के ही.. पर यहाँ कूदना आसान नहीं लग रहा..." भारत ने खुद से कहा... कुछ सोच के भारत टेरेस के उस कोने में गया जहाँ से वो स्टेर ख़तम ही थी... वहाँ से एक दम तेज़ी में भारत उस लंबी दीवार की तरफ कूदा और दीवार चढ़ने की कोशिश की.. पहली दो तीन कोशिश उसकी ना काम रही.. लेकिन तीसरी कोशिश में भारत ने दीवार के उपर एक मज़बूत पकड़ बना ली, और दीवार पे लटक सा गया... लटक के दीवार के बेस पे वो पेर के भरोसे उपर चढ़ने लगा.. धीरे धीरे कर, काफ़ी कोशिशों बाद, भारत उस दीवार के उपर आ गया.. दीवार के उपर आके वो दोनो पेर अपने दोनो साइड लटका दिए, बच्चो जैसा बैठ गया... उसने टॉर्च थोड़ी दूरी पर मारी थी कि उसे कुछ चमकता हुआ दिखा..



"सही है.. मर्डरर कुछ ना कुछ क्लू तो अपने पीछे छोड़ के ही जाता है.." भारत ने खुद से कहा और वो चीज़ उठा के चुपके से अपने होटेल के लिए निकला


"शालिनी.. यस, मैं आज निकल रहा हूँ... ऑल क्लियर हियर.." भारत ने अपने बॅग को पॅक करके कहा



"यू फाइन ना बेबी... " शालिनी ने जवाब में बस इतना कहा



"ऑफ कोर्स... अब इससे ज़्यादा बुरा कुछ हो ही नहीं सकता मेरे साथ.. बट यस आइ एम फाइन.. डोंट वरी.." भारत ने अपने आँसुओ को दबा के कहा



"अब तुम इतना अच्छा झूठ नही बोल सकते हो... कम सून.... मिस या.." कहके शालिनी ने भी हताश होके फोन कट कर दिया



उधर भारत भी अपने होटेल के रूम में अपना सर पकड़ के बैठ गया.. उसकी आँखें लाल थी, बाल बिखरे हुए, किसी को उसकी आँखें ना दिखे तभी उसने अपनी टी शर्ट में काला चश्मा लगा रखा था, बस एक आँसू नहीं थे उसकी आँखों में... दो दिन हो गये थे भारत बस कॉफी और सिगर्रेट पिए जी रहा था.. निधि के घर से उसे जो सबूत मिला था उसके बारे में भी उसने किसी से नहीं कहा था... उसने एक बार फिर अपनी राइट पॉकेट में हाथ डाला और उस सबूत को लेके उसे घूर्ने लगा... उसके हाथ में थी एक पतली सी प्लॅटिनम की चैन.. प्लॅटिनम की चैन में कुछ ख़ास नहीं था, एक दम पतली सी चैन , जिसे लड़कियाँ पहनती हैं.... पहले तो भारत के दिल में ख़याल आया के शायद निधि की होगी वो, लेकिन फिर उसे यह भी पता था के निधि को ऑर्नमेंट्स से आलर्जी थी, इसलिए वो कभी भी कोई ऑर्नमेंट नहीं पहनती थी... ध्यान से भारत ने एक बार फिर चैन को देखा लेकिन उसे कुछ ऐसा नहीं मिला... चैन को हाथ में लेके, उसने अपना बॅग उठाया और चेक आउट करने चला गया... फ्लाइट में अभी तीन घंटे थे, इसलिए उसने चेक आउट करने से पहले रॅस्ट्रो में जाना सही समझा.. 



"एक्सक्यूस मी.. कॅन यू प्लीज़ गेट मी सम प्योर् आइरिश कॉफी.. आंड सम कुकीस इफ़ यू कॅन" भारत ने वेटर को बुला के कहा



"शुवर सर... " कहके वेटर की आँख भारत की टेबल पे रखी उस चैन पे गयी...



"प्रेशियस.. दिस ईज़ वन ऑफ दा एक्सक्लूसिव चैन आइ हॅव एवर सीन इन माइ लाइफ.." वेटर ने भारत से कहा.. वेटर की यह बात सुन भारत ने उसे फिर कहा



"कॅन यू टेल मी व्हाट्स एक्सक्लूसिव अबाउट दिस पीस..." भारत ने उसके हाथ में चैन देते हुए कहा



"आइ गेस दिस चैन ईज़ वन ऑफ दा पीसस वोर्न बाइ वन ऑफ दा किंग्स ऑफ अरब.. लास्ट मंत इट वाज़ ऑक्षंड हियर.." वेटर ने भारत को चैन वापस देते हुए कहा



"आंड इट वाज़ पर्चेस्ड बाइ.." भारत ने सवाल पूछते हुए कहा



"आइ डोंट नो दा नेम सर, बट माइ फ्रेंड ईज़ अन आक्षनियर.. ही टोल्ड मी देअर वाज़ आन यंग इंडियन लेडी हू पर्चेस्ड दिस पीस.." वेटर ने भारत को फिर जवाब दिया



"कॅन आइ मीट युवर फ्रेंड प्लीज़.." भारत ने अपनी चेअर पे खड़े होके कहा



"आम अफ्रेड सर, ही ईज़ नो मोर... ही डाइड ऑफ लंग्ज़ कॅन्सर फ्यू वीक्स बॅक.. एनीवेस, आइ विल गेट युवर ऑर्डर... थॅंक यू वेरी मच.." कहके वेटर भी वहाँ से निकल गया



वेटर की इस बातचीत से एक बार फिर भारत के दिमाग़ के चक्के काम पे लग गये... लेकिन फिर इस आधी इन्फर्मेशन से कुछ पता नहीं चलेगा, यह सोच वो फिर हताश हुआ और बैठ के अपनी कॉफी का इंतेज़ार करने लगा... कुछ ही देर में कॉफी लेके उसने चेक आउट किया और एरपोर्ट की तरफ बढ़ गया... एरपोर्ट पे ही उसने चेक किया कि निधि की बॉडी के लिए मलेशियान सरकार ने एक अलग प्लेन अरेंज किया था...भारत उस प्लेन में आने की हिम्मत नहीं कर पाया.. करीब, 3 घंटे में भारत मुंबई पहुँचा जहाँ निधि की बॉडी के लिए एक आंब्युलेन्स खड़ी थी.. अंबूलांस के पास शालिनी और उसके मोम डॅड भी खड़े थे... निधि की बॉडी उस आंब्युलेन्स में रखी गयी..



"शालिनी...." भारत ने इतना ही कहा के शालिनी ने उसे जवाब दिया



"यस आइ नो... तुम नहीं देख पाओगे उसे, डोंट वरी, आइ विल कम इन आंब्युलेन्स विद हर.. यू टेक माइ कार... ड्राइव केर्फुली प्लीज़.." कहके शालिनी ने भारत को गाड़ी की चाबी दी और उसे गले लग कर फिर आंब्युलेन्स में ही बैठ गयी... आंब्युलेन्स के पीछे पीछे भारत चलने लगा , जैसे जैसे वो लोग स्मशान के करीब पहुँचते, वैसे वैसे भारत की आँखों का रंग बदलता जाता... थोड़ी देर में जब चारों लोग स्मशान पहुँचे, भारत ने काले चश्मे लगा कर अपनी आँखें छुपानी चाही...



"डोंट वरी... यू कॅन क्राइ बेबी... " कहके शालिनी ने भारत के ग्लास उतारे और उसे हग करने लगी...
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12-13-2018, 02:40 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
खुद के एमोशन्स पे काफ़ी कंट्रोल रख के, भारत ने निधि का अंतिम संस्कार सब रीति रिवाज़ो के हिसाब से करवाया... कुछ देर में शालिनी के माँ बाप भी पुणे के लिए निकल गया दोनो से बिदाई लेके.. भारत और शालिनी काफ़ी देर वहीं उस आग के पास बैठे रहे जिसमे निधि की बॉडी जल रही थी.. दोनो एक दूसरे से कुछ नहीं कह रहे थे, बस उस आग को देख रहे थे...



"लेट्स गो नाउ.. अंधेरा से तुम्हे दर्र भी लगता है, और यह जगह कुछ ज़्यादा डरावनी है.." शालिनी ने भारत से हल्के से मज़ाक में कहा... बिना कुछ कहे, भारत ने भी उसकी बात मानी और दोनो वहाँ से अपने घर चले गये...



"यू ड्राइव प्लीज़.." कहके भारत ने गाड़ी की चाबी शालिनी को दी और खुद उसके पास बैठ गया.... दोनो थोड़ा आगे ही निकले के भारत के मोबाइल पे फोन आया..



"हां मुन्ना.. क्या पता चला.." भारत ने अपनी रूखी सी आवाज़ में कहा



"साब वो जो क़ैदी है, उसको छूटे हुए कुछ 15 दिन हुए हैं.. और हन, मुझे यह भी पता चला है कि वो अभी मुंबई में है..." मुन्ना ने भारत से कहा



"ओके.. तुम कल मिलो, पैसे देता हूँ मैं तुम्हे.." कहके भारत ने फोन कट किया



"क्या बताया इसने.." शालिनी ने गाड़ी चलाते हुए ही पूछा



"मेहुल... ही ईज़ फ्री नाउ... मैं जानता हूँ निधि का खून उसने नहीं किया, पर ज़रूर उसी का हाथ होगा... " भारत ने पानी पीते हुए कहा



"भारत इतना शुवर कैसे है के निधि का मर्डर उसने नहीं किया... बट उसका हाथ है.." यही सोचते सोचते शालिनी बस गाड़ी चलाती रही और कुछ ही देर में दोनो घर पहुँच गये.. घर पहुँचते ही फिर भारत का फोन बजा,इस बार राज का फोन था..



"हां राज.. टेल मी." भारत ने घर के अंदर जाते हुए कहा



"बॉस... परसो मैं कोलकाता जा रहा हूँ... तो आइ वाज़ थिंकिंग के अगर आप और भाभी कल घर पे डिन्नर के लिए आ सकें तो वी विल बी वेरी हॅपी.."



"नहीं राज.. यह सब की ज़रूरत नहीं है, तुम डिज़र्व करते थे यह प्लेस तभी मैने तुम्हे भेजा है.. बस काम पे ध्यान दो, आंड डोंट लेट मी डाउन.." भारत ने जवाब में कहा



"आइ नो सर.. आइ इन्सिस्ट प्लीज़... एक बार हम आपके घर आए थे, इस बार प्लीज़ गिव अस आ चान्स टू बी होस्ट.. आइएम शुवर, आइ वोंट लेट यू डाउन हियर ऐज वेल..." राज ने ज़ोर देते हुए कहा



"राज यार..... ट्छ.. ठीक है चल, कल 8 बजे वी विल बी देअर... आंड कीप इट प्योर् वेज...आइ एम टाइयर्ड ऑफ एनवी नाउ... सी या" कहके भारत ने फोन रखा और शालिनी को भी सेम बात बताई... उस रात शालिनी और भारत दोनो जागते रहे, दोनो थे एक दूसरे की बाहों में, पर दिमाग़ से कहीं और... भारत के दिमाग़ में उस चैन को लेके सवाल थे, और शालिनी के दिमाग़ में भारत के उस वाक़्य को लेके जो उसने गाड़ी में कहा था... भारत शालिनी को चैन के बारे में बता देता तो शायद ज़्यादा स्ट्रेस ले लेगी इस हालत में, जो अच्छी बात नहीं है.. इसलिए वो खामोश रहा और रात का करीब 2 बजे दोनो की आँख लग गयी..



मुंबई से काफ़ी दूर, एक होटेल के रूम में राकेश काफ़ी परेशान सा लग रहा था... उसके एक हाथ में एक स्कॉच का ग्लास और दूसरे हाथ में वो अपने फोन से फिड्ल कर रहा था..



"क्यूँ परेशान हो रहे हो इतना... क्या सोच रहे हो.." पास बैठी सीमी ने राकेश से कहा



"सीमी, आइ थिंक अभी टाइम आ गया है.. भारत को सब चीज़े बताने का.. मेरे पास्ट के बारे में..." भारत ने ड्रिंक का एक घूँट भर के कहा



"नहीं... अभी नहीं, आज मेरी शालिनी से बात हुई, वो प्रेग्नेंट है.. इस बीच अगर कोई बात ऐसी हुई जिससे भारत को या शालिनी को परेशानी हुई, तो कुछ प्राब्लम ना हो जाए.. थोड़ा वक़्त जाने दो, उसके बाद बोलना.. आंड आइएम श्योर, भारत तुम्हारी बात को समझेगा..." सीमी ने राकेश से कहा और खुद भी उसके साथ ड्रिंक्स लेने लगी.



मुंबई में अगली सुबह, भारत ऑफीस जाने के लिए रेडी हुआ... शालिनी के साथ नाश्ता करते करते उसने कहा



"शालिनी...आइ एम सॉरी, मैं कुछ ज़्यादा ही रिएक्ट कर गया था.. यह भी भूल गया कि अब तुम्हारा ख़याल भी ज़रूरी है.. प्लीज़ फर्गिव मी"



"प्लीज़ डोंट वरी स्वीट हार्ट... आंड ऑफीस में जाके कुछ काम करो, फ्रेश हो.. आइएम शुवर यू विल बी फाइन ओके... आंड मेरा ख़याल तुम ही रखोगे ना, तोऔर कौन रखेगा.. आंड डोंट थिंक टू मच.. प्रॉमिस मी... " कहके शालिनी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और भारत ने भी उसका हाथ थाम के किस की... ऑफीस पहुँचते ही इट वाज़ आ रेग्युलर डे फॉर भारत.. टीम मीटिंग्स, प्रॉब्लम्स और सल्यूशन्स... हां, आज राज का फेरवेल भी था ऑफीस में.. इसलिए राज की फेरवेल स्पीच के बाद भारत ने उस टीम मेंबर का नाम भी अनाउन्स किया जो राज को रीप्लेस कर रहा था... ऑफीस में काफ़ी खुशी का माहॉल था आज, सब टीम मेंबर्ज़ काफ़ी खुश थे, क्यूँ कि उनको भारत का अप्रोच बहुत अच्छा लगा था.. भारत इंटर्नल टीम मेंबर्ज़ को ही प्रमोट कर रहा था, ना की कोई बाहर से न्यू बंदे ले रहा था... इसलिए सब मेंबर्ज़ काफ़ी मोटीवेटेड थे, क्यूँ कि वो जानते थे कि आज नहीं तो कल उनका काम देख के भारत भी उनका ख़याल रखेगा.. विक्रम कोहली के बंदे, अब भारत की टीम बनती जा रही थी.. शाम को ऑफीस में खुशी की ल़हेर सी दौड़ गयी.. उस से भारत के प्रमोशन का मैल आया था..



डियर ऑल,
दिस ईज़ टू इनफॉर्म यू तट भारत विल नाउ बी दा कंट्री हेड फॉर सेल्स इन इंडिया... भारत विल बी डाइरेक्ट्ली रिपोर्टिंग तो मे.. लास्ट फ्यू मंत्स वी हॅव विट्नेस्ड आ ट्रेमेंडस स्पाइक इन नंबर्स फॉर इंडिया आंड दिस ईज़ दा रिज़ल्ट ऑफ हार्ड वर्क ऑफ भारत आंड हिज़ एंटाइयर टीम.. वी होप टू सी दा सेम रिज़ल्ट्स इन दा कमिंग डेज़ ऐज वेल.. 


रीगार्ड्स,
मार्श तिम्मोती
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12-13-2018, 02:40 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
मैल पढ़ के सब लोग भारत से मिलने गये और बारी बारी उसे बधाई देने लगे... मैल पढ़ के भारत खुश तो था लेकिन आज उसके चेहरे पे जो एग्ज़ाइट्मेंट होनी चाहिए वो नहीं थी.. शॅरन और निधि की मौत ने बाकी सब चीज़ो को भारत के लिए फीका कर दिया था.. लेकिन फिर भी भारत ने पूरी देर अपने चेहरे पे हसी कायम रखी.. करीब 6 बजे जब भारत ने यह खबर शालिनी को दी..



"आइ न्यू इट बेबी.. यू विल डेफनेट्ली मेक इट हियर..." शालिनी ने भी खुश होके कहा



"हाउ डू यू से दट.." भारत ने हल्की सी स्माइल के साथ पूछा



"ऑफ कोर्स... आज तुम जस्ट 30 यियर्ज़ के हो..... यह माया ही तो है जो तुम्हे दौड़ा रही है, जो तुमसे काम करवा रही है.. पैसे और ताक़त की माया.. इसने किसी को नहीं छोड़ा यार, और तुम तो शुरू से ही इन चीज़ों को इंपॉर्टेन्स देते हो... तो आज नहीं तो कल तुम्हे यह कामयाबी मिलनी थी.." शालिनी ने जवाब में कहा



"हाहहा.. ताना मार रही हो या बधाई दे रही हो..." भारत ने शालिनी की बात को लाइट्ली लिया, क्यूँ कि जब भी भारत कोई उपलब्धि हासिल करता, तब शालिनी उसे धीरे जाने को कहती



"बधाई ही है डियर.. एनीवेस, कब आ रहे हो.. तुम्हारे एंप्लायी के घर जो जाना है खाने" शालिनी ने बात को हवा करते हुए कहा



"यू गेट रेडी.. आइ विल बी देअर इन 30 मिनट.." कहके भारत ने फोने रखा और घर के लिए निकल गया.. घर पहुँच के जैसे ही अंदर गया, सामने खड़ी शालिनी को देख उसको बहुत अच्छा लगा.. काफ़ी दिनो बाद उसने शालिनी को ऐसे देखा था, या यूँ कहा जाए कि काफ़ी दिनो तक उसने शालिनी को इग्नोर ही किया था...



"लुकिंग वेरी प्रेटी बेबी.." कहके भारत ने धीरे से उसे कमर से पकड़ा और उसके होंठ लेके चूसने लगा... शालिनी उस वक़्त कुछ ऐसी दिख रही थी








"उम्म्म... चलो नाउ गेट रेडी, वी आर ऑलरेडी लेट.." शालिनी ने घड़ी दिखा के कहा.. भारत भी जल्दी से फ्रेश हुआ और शालिनी के साथ राज के घर की तरफ निकल गया.. आधे घंटे में दोनो राज के दिए हुए अड्रेस पे पहुँचे..



"आर यू शुवर यह यहाँ रहता है.." शालिनी ने फ्लॅट्स के बाहर से पूछा



"अड्रेस तो यही है.. मार्वेल प्राइड अप्पर्टमेंट्स, विले पार्ले ईस्ट.." भारत ने गाड़ी पार्क करते हुए कहा



"भारत.. अप्पर्टमेंट्स हियर आर ऑलमोस्ट वर्त 4 करोड़......" शालिनी ने सोचा था शायद राज कहीं लो लाइयिंग एरिया में रहता होगा, पर फ्लॅट देख के उसे एहसास हुआ कि रीना तभी इतनी स्टाइलिश बनके घूमती है..



"एनीवेस.. लेट्स गो नाउ..." कहके भारत और शालिनी राज के अप्पर्टमेंट की तरफ बढ़े.. शालिनी और भारत को देख राज काफ़ी खुश हुआ, और रीना भी काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी भारत को देख...



"नाइस अप्पर्टमेंट राज... प्लीज़, दिस ईज़ फॉर यू गाइस.." शालिनी ने राज को गिफ्ट देके कहा



"दिस ईज़ नीडलेस मॅम... बट, थॅंक्स अगेन" राज ने गिफ्ट ली और टेबल पे रखने गया...



"वैसे राज... आइ नेवेर न्यू तुम इतनी लॅविश एरिया में रहते हो... ग्रेट" भारत ने उसके घर की तरफ इशारा करके कहा



'वी आर वेल ऑफ सर... हमारे, आइ मीन रीना और मेरे पेरेंट्स ने काफ़ी कुछ हमारे लिए छोड़ रखा है.. बट, टू किल्ल दा टाइम वे अरे वर्किंग.." राज ने सीधा और सरल सा जवाब दिया.. भारत घर को बड़े गौर से देखने लगा, हर चीज़ काफ़ी एक्सपेन्सिव लग रही थी.. यह सब देख भारत काफ़ी इंप्रेस हुआ... शालिनी के सामने वो रीना को इग्नोर ही कर रहा था.. 



"सर.. आइए, मैं आपको घर दिखा दूं.." राज ने भारत से कहा और उसे घर दिखाने लगा.. रीना भी किचन में अपना कुछ काम कर रही थी... पूरा घर देख के भारत उस लिविंग रूम में वापस आ गया जहाँ शालिनी बैठी थी... भारत शालिनी के पास जा ही रहा था, कि तभी उसकी नज़र शालिनी के पीछे पड़ी एक टेबल पे गयी और उस टेबल पे था एक फोटो.... भारत धीमे धीमे कदमों के साथ उस टेबल के पास गया और वहाँ पड़े फ्रेम को हाथ में उठा लिया



"ह्म्म... नाउ थ्ट्स माइ लक.... अब कैसे बचोगे...." भारत ने धीरे से खुद से कहा और फ्रेम रख के वापस शालिनी के पास गया

"हां.. मैं तुम्हे एक नंबर भेज रहा हूँ, मुझे उसकी कॉल डीटेल्स चाहिए पिछले 2 महीने की..." भारत ने फोन पे किसी से कहा



"सर.. यह बहुत कॉन्फिडेन्षियल चीज़ है,अगर किसी को पता चला तो मेरी जॉब भी जा सकती है" सामने से भारत को जवाब मिला



"कम ऑन.. यह काम तुमने मेरे लिए पहले भी किया हुआ है.. आंड जॉब की चिंता मत करो, मैं दिलवा दूँगा अगर कुछ हुआ तो... अब बताओ, कितनी देर लगेगी.." भारत ने अतॉरिटेटिव टोन में कहा



"सर, कल सुबह मैं आपसे मिलता हूँ.."



"ओके... सी यू.." कहके भारत ने फोन रखा तो सामने से शालिनी आई.. शालिनी उस वक़्त वन पीस सॅटिन नाइटी में थी जो उसके चुचों को सॉफ सॉफ दिखा रही थी...







"नाइस टू सी यू अगेन इन फ्लूयेन्सी माइ हब्बी" शालिनी कॉफी देके भारत की गोद में आके बैठ गयी



"ह्म्म्म .. यू स्मेल रियली एरॉटिक स्वीटहार्ट.." भारत ने भी शालिनी को बैठे बैठे हग किया और उसकी नेक पे किस करने लगा. शालिनी ने उस वक़्त बस एक वन पीस नाइटी पहनी थी



"उम्म.... आंड तुम किस खुशी में यह कर रहे हो.." शालिनी बैठे बैठे पलट गयी और अपनी टाँगें क्रॉस करके भारत के सामने आ गयी जिससे उसके चुचे भी भारत के मूह के सामने आ गये... भारत ने धीरे धीरे अपना एक हाथ शालिनी की कमर से लेके उसके चेहरे तक घुमाया और फिर उसके चेहरे से उसके चुचे के उपर रखा



"खुशी नहीं... एग्ज़ाइट्मेंट है तुम्हे ऐसे देख के.." भारत ने जवाब दिया और शालिनी के एक साइड का स्ट्रॅप नीचे कर दिया जिससे उसके गोल सफेद चुचे उसके सामने आ गये.. भारत ने धीरे से अपने अंगूठे से उसके निपल को प्रेस किया



"आहह सीईइ..... उम्म्म्ममम" शालिनी की सिसक निकली
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12-13-2018, 02:40 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
"यआःहहहहा उम्म्म्म..... अहहहहहाहा..." भारत ने धीरे धीरे कर निपल को मूह में लिया और बच्चे की तरह उसे सक करने लगा... सक करते करते भारत ने शालिनी के दूसरे स्ट्रॅप को भी नीचे कर दिया और दूसरे चुचे को हाथ में लेके मसल्ने लगा



"अहहाहा यस अहहहौमम्म... अहहः कम हियर बेबी अहहहहहाहा.." कहके शालिनी ने भारत के चेहरे को पकड़ा और उसके होंठों को चूसने लगी... होंठ चूस्ते चूस्ते भारत शालिनी के दोनो चुचों को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा..



"अहहहा उम्म्म यआः आहहः मवाहहः ओमम्म्म ... बेबी अहहाआहः आइ वॉंट टू अहहहाहा यस अहहहहा... फक मोम अहहहहा..." भारत ने किस करते हुए कहा



"उम्म तो चोदो ना मम्मा को बेटे अहहाहा... मुम्मा भी चुदना चाहती है बेटे से अहहहः उम्म्म्म..." शालिनी भारत के होंठों को काटने लगी.... भारत ने शालिनी को खुद से अलग किया और उसे खड़ा करके उसके कपड़े उसके शरीर से अलग करने लगा... शालिनी का बदन आज भी उतना ही चमक रहा था जितना उसके कॉलेज टाइम पे...



"उम्म अहहहहा नाइस बॉडी मम्मा अहाहहा.." कहके भारत घुटनो पे बैठा और शालिनी की नाभि को किस करने लगा



"अहहाहा उफ़फ्फ़ उम्म्म्म.... धीरे ना बेटा अहहाहा उम्म्म.." उतेज्ना से शालिनी आँखें बंद करके भारत से बोली.. नाभि से होते हुए, भारत शालिनी की लाल चूत के पास पहुँचा और उसके दाने पे हल्के से अपनी जीभ मार ली.. जीभ का एहसास पाते ही, शालिनी की उतेज्ना बढ़ गयी और उसने भारत के मूह को अपनी चूत के अंदर धकेल सा दिया



"आअहहरह उम्म्म्ममममम अहहा.. फक ना बेटा अहहहहः" कहके शालिनी ने भारत को सोफा पे धक्का दिया और खुद जाके उसके कड़क लंड पे अपनी चूत को सेट करने लगी



"अहहहाः अंदर आओ ना बेटा अहाहहा.. मम्मी के अंदर आओ उफ़फ्फ़ अहहहा... कितना बड़ा है अहहः तेरा अहहाहा लंड उम्म्म्मम... मम्मी की प्यास भुजा ना आआहहा" कहके शालिनी ने भारत के लंड को अपनी चूत के दरवाज़े पे सेट किया और धीरे धीरे कर उसके लंड पे अपना वज़न डालने लगी



"आहहहा उम्म्म्म ओह्ह्ह अहहाहा ओफफफ्फ़... यआःहहहहाहाहह अहहहहहाहा" शालिनी की चीख निकलती गयी जैसे जैसे भारत के लंड को अपनी चूत में समाने लगी







"अहहाहा मोम अहाहहा.. यॅ फक ना अहाहहाहः.. राइड युवर सन मोम अहहहा... एस अहहाहाः" कहके भारत भी अपने लंड को धीरे धीरे अंदर करने लगा



"हार्डर बेटा आहहहा.. यस फक मी हार्ड ना अहहहहः ड्रिल माइ पुसी अहहाहा... टियर माइ कंट बेबी अहहहा.." शालिनी ज़ोर ज़ोर से भारत के लंड पे कूदने लगी, और भारत भी जुगल बंदी से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा



"अहहहाहा यआः अहहहहः फक मी बेटा अहहाहा फक युवर मोम अजजा उफफफफ्फ़...... चोद ना मदर्चोद बेटे अहहहहा.. मम्मी को चोद ना बेटा अहहहहा कितना बड़ा लंड है आहाहहा उफफफ्फ़ तेरा अहाहमम्म्म.." शालिनी अब जंगली सी बनने लगी



"अहहहाहा मेरी माँ अहहहहा कितने टाइम से अहाहहाः चूत को छुपाया था मुझसे अहाहहा उफ़फ्फ़ ओह अहहहहा यॅ अहहहहः" भारत बोल बोल के शालिनी के चुचों पे थप्पड़ मारने लगा



"अहहाहा उम्म्म्म ओह्ह्ह्ह... ससीसिसीसीसी ठप्प्प ठप्प्प्प.. " लंड पे चूत और चूत पे लंड टकराने की आवाज़ों से रूम गूँज उठा.. भारत और शालिनी दोनो सिसकारी लेने लगे थे



"अहाहहाः फक अहहहाहा यस अहहाहा बेबी आइएम कमिंग अहहहहा मैं निकल रही हूँ अहहहहाहा ओह्ह एसस्सस्स अहाआ हियर आइ कम अहहहहहाः ओह" कहके शालिनी ने अपनी चूत का पानी भारत के लंड पे छोड़ दिया.. जैसे ही शालिनी का पानी निकला , वो भारत के लंड से उठी और घुटनो पे बैठ के उसके लंड को हिलाने लगी



"उम्म्म अहहाहा यस अहहहः कॉम ऑन युवर मम्मा बेटा अहहहा.. मम्मी को अपना माल पिलाओ ना अहहहा.. एस अहहहा... उम्म्म थक्क्क त्क्क अहहहाहा आहहाहा आओ ना बेटा अहहहा उम्म्म्ममम " शालिनी ने भारत के लंड को मूह में लिया और फिर उसे गीला करके हिलाने लगी



"आहहहहाः यस कम ना बेटा अहहहा कम ऑन युवर मम्मा अहहहहा.. मेरे चुचों पे अपना माल छोड़ो ना अहहहहहा..." कहके शालिनी भारत के लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी.... 



"अहहहाहा यस मम्मा अहाहा मैं आ रहा हूँ आहहा ओम कमिंग अहाहाहा ओह्ह्ह शिट अहहहहाहा हियर आइ कम आम्माहहा मम्मी अहहाहा उफफफ्फ़....." कहके भारत ने अपना पूरा माल शालिनी के चुचों पे छोड़ दिया









"अहहहहाहः... उम्म्म्म येआः अहहहहहा... तट अहहहाहा अमेज़िंग उफ़फ्फ़... आहहहा...." शालिनी ने भारत से कहा और उसके होंठ सक करने लगी... दोनो ऐसे नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सोए रहे रात भर..


...........................................
जहाँ भारत और शालिनी इस रात की खामोशी में कहीं खो से गये थे, वहीं बोरीवली के एक फ्लॅट में कुछ लोग जमा हुए थे... दो लड़कियाँ, और तीन मर्द...



"तो अब क्या प्लान है.. भारत तक जो भी यह इन्फो पहुँचा सकता था, उसे तो हमने रास्ते से सॉफ कर दिया.." मेहुल ने सामने बैठी लड़की से कहा... उस लड़की ने उस वक़्त डार्क ग्लासस के साथ ग्रीन टॉप और डार्क ब्लू जीन्स पहना हुआ था.. हाथ में ब्लॅक सिगर्रेट और दूसरे हाथ अपनी चेअर के हॅंड रेस्ट पे रखा था..



"इतना आसान नहीं है... वैसे, तुमने कोई चूक तो नहीं की ना काम में.. अगर ऐसा हुआ तो मैं तो बच जाउन्गी, पर तुम्हारी खैर नहीं.." उसने दूसरी लड़की से कहा



"बिल्कुल नहीं दीदी.... बड़ी बहेन ने जैसा कहा वैसा ही छोटी बहेन ने किया है, " उस दूसरी लड़की ने जवाब दिया



"ठीक है... अभी राकेश तो इधर है नहीं, फिलहाल उसके आने का इंतेज़ार करते हैं.. जिस दिन वो यहाँ वापस आएगा मुंबई मे तुम भारत से अपना बदला ले लेना और मैं राकेश से..." चेअर पे बैठी लड़की खड़े होके बोली



"बदला क्या, बस अब तो उसकी जान ही लेनी है, उसने मुझे बर्बाद कर दिया और मेरी भतीजी को भी मेरे खिलाफ कर दिया.. अब वो नहीं बचेगा" मेहुल ने अपने दाँत पीसते हुए कहा



"तुम्हारी भतीजी को तो हम ने सॉफ कर दिया.. मेरी प्यारी छोटी बहेन ने जो काम किया है, वो तुम कभी नहीं कर पाते समझे.. रही भारत की बात, तुम्हारे साथ यह भी तो है... जैसे चाहो वैसे उसे मार सकते हो.." उस लड़की ने विक्रम की ओर इशारा करके कहा



"और यह बच्चा... इसने क्या किया है, अब तक समझ नहीं आया..." विक्रम ने खड़े लड़के की तरफ इशारा किया



"तुम लोगों ने जब उस से मेरी छोटी बहेन को बुलाया, तभी शॅरन ने इसे देख लिया था, शॅरन इसे पहले से जानती थी, तभी तो यूएस में इससे कॅष्यूयली मिलती रहती थी.. एक दिन जब शॅरन इससे मिलने गयी तब इसकी सारी बातें शॅरन ने सुन ली... जब तक मेरी यह छोटी बहेन उसके पीछे जाती, तब तक शॅरन भाग गयी.. भाग के शॅरन ने पहले भारत को फोने करना ठीक समझा, पर उससे पहले शॅरन ने सोचा के क्यूँ ना भारत के दोस्तों से यह बात शेअर की जाए. इसलिए शॅरन ने सब से पहले यह बात सिड से शेअर की.." उस लड़की ने सामने खड़े सिड की तरफ इशारा करके कहा



"हां... जब शॅरन ने मुझे यह बात बताई, तब मुझे कुछ समझ नहीं आया.. इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता भारत से अपनी बेइज़्ज़ती का बदला लेने का, यह सोच के मैने शॅरन से सब डीटेल्स पूछी.. दूसरे ही दिन मैं इन दोनो को कॉंटॅक्ट्स में आया और पूरा मामला समझ गया.. इसलिए उसी वक़्त मैं शॅरन को मेसेज देने गया के वो फिलहाल भारत को कॉल ना करे.. लेकिन रात का वक़्त हुआ था तो मैने शॅरन को फोन करके कहा.
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12-13-2018, 02:40 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
"हे शॅरन.. सिड हियर.. यस, शॅरन आइ वाज़ सेयिंग प्लीज़ डोंट डिस्टर्ब भारत नाउ.. यू नो हाउ ही ईज़. सो व्हाट वी विल डू, आइ विल मीट यू टुमॉरो आंड विल कॉल हिम जायंट्ली..."



"ओके सिड... आइ विल सी यू टुमॉरो.. " 



"शॅरन से हुई इस बात के बाद, दूसरे दिन मैं ऑफीस गया ही नहीं और दिन ख़तम होने से पहले मैने रिज़ाइन रख दिया.. जब शॅरन को यह बात पता चली, तब उसी रात शॅरन ने भारत को दो तीन बार ट्राइ किया, बट हमारी किस्मत ने साथ दिया और भारत से उसकी बात नई हुई... तभी ही लोकल गुण्डों से बात करके मैने आस पास कॅमरास बंद करवाए और तीसरी सुबह शॅरन के घर के बाहर जाके देखा तो शॅरन के माँ बाप वॉक पे गये हुए थे.. मैं पीछे से उसके घर घुसा और शॅरन को भी सॉफ कर दिया.." सिड ने अपना स्पेक्स उतार के कहा



"यूएस में भी गुंडे होते हैं... वाह" मेहुल ने अपने पीले दाँत दिखाते हुए कहा



"हम जैसे लोग हर जगह हैं.. वैसे, इन सब का कुछ फाइनान्षियल बेनेफिट भी तो होना चाहिए" विक्रम ने बीच में कहा



"चिंता नहीं करो... राकेश की संपाति 500 करोड़ से उपर है. प्रॉपर्टीस, बॅंक बॅलेन्स, स्टॉक्स... और पुराना खिलाड़ी है हवाला के धंधे का.. हो सकता है शायद यह फिगर अब 4 डिजिट्स में चला गया हो... जो भी हो, मेरी बहेन और मेरा हिस्सा 75 % रहेगा.. तुम तीनो 25 % बाँट लो... और अगर हिस्सा कम लगे तो तुम इस प्लान से निकल जाओ.. जब तक बाहर जाके मूह खॉलोगे, तब तक तुम लोगों की लाश भी वॉरली सी लिंक पे मिल जाएगी.." उस लड़की ने कश खींच के कहा



"अगर 500 करोड़ भी हुआ तो मेरा हिस्सा 40 करोड़ होगा.. मुझे इससे ज़्यादा नहीं चाहिए, " मेहुल ने सिड और विक्रम को देख के कहा



"हां हां.. ठीक है... डन" सिड और मेहुल ने भी एक साथ कहा

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अगली सुबह भारत जल्दी से तैयार होके निकला और जाते जाते उसने राकेश को भी फोन किया



"हाई डॅड.. एंजायिंग ना.." भारत ने अपना ब्लेज़र पहेन के कहा



"यस सन... कमिंग सून, मे बी 5 डेज़" राकेश ने जवाब दिया



"ग्रेट.. आंड मोम... व्हेअर ईज़ शी.." भारत मे जूस पीते हुए कहा



"ओह शी .. शी ईज़ फॅंटॅस्टिक हाहहहा" राकेश ने कहा



"कम ऑन यू ओल्डीस... सी यू सून.. टेक केर" कहके भारत ने फोन कट किया और शालिनी से अलविदा लेके ऑफीस के लिए निकल गया.. कोलाबा से निकल के, भारत खार की तरफ बढ़ने लगा... खार स्टेशन के बाहर ही एक बंदे को गाड़ी में बिठाया और काफ़ी लंबी ड्राइव के बाद वो पहुँच क्रॉफर्ड मार्केट ईरानी होटेल



"दो कटिंग ईरानी चाइ, और दो मस्का बन... " बंदे ने सीट पे बैठ के ऑर्डर दिया



"सर, यह रही लिस्ट... और मेरे पैसे दीजिए" उस बंदे ने लिस्ट देके भारत से कहा



"यह लो तुम्हारे 20 हज़ार..." भारत ने पैसे देके कहा



"20... बात तो 10 की हुई थी ना" उस बंदे ने कहा



"10 इस काम के.. अगर लिस्ट देख के कुछ और काम हुआ तो 10 उस काम के भी" भारत ने लिस्ट देख के कहा



शुरुआत से देखना भारत ने चालू किया, लिस्ट में इनकमिंग और आउटगोयिंग कॉल्स.. इनकमिंग और आउटगोयिंग स्मस के नंबर भी थे... धीरे धीरे जब लिस्ट में आगे जाने लगा, तब एक जाना पहचाना नंबर उसे दिखा.. उसने अपना आइ फोन निकाला और उसपे नंबर टाइप करने लगा.. जैसे जैसे नंबर टाइप किया, वैसे वैसे उसके कॉंटॅक्ट्स से सजेशन्स आते गये.. पूरा नंबर टाइप किया और बस एक ही सजेशन आया



"ह्म्म्म,... आइ शुड हॅव गेस्ड दिस..." कहके उसने अपनी पॉकेट से एक पेपर निकाला और उसपे कुछ नाम लिखना चालू किया



फिर वापस लिस्ट देखना चालू रखा... जब लोकल नंबर्स ख़तम हुए, तो इंटरनॅशनल आउटगोयिंग की तरफ लिस्ट गयी... उस लिस्ट में बस एक ही इंटरनॅशनल नंबर था.. हर दिन कम से कम 30 मिनिट्स तक की बातें थी.. भारत ने ध्यान से उस नंबर को देखा, 



"इंटरनॅशनल नंबर इतने बड़े क्यूँ होते हैं यार.. अच्छा कोई जान पहचान है क्या वहाँ.. नंबर तो यूएस का है शायद" भारत ने एक बार फिर लिस्ट देख के कहा



"नहीं सर.. आज तक मुंबई के बाहर नही गया, इंटरनॅशनल कहाँ जाउन्गा..." उस बंदे ने अपनी चाइ लेके कहा



"हाहहहा.. बेटे, मेरे साथ रहोगे तो जहाँ बोलॉगे वहाँ भेजूँगा.. पहले रूको, मुझे यह नंबर नोट करने दो.." कहके भारत ने फिर अपना फोन निकाला और उस नंबर को टाइप करने लगा.. उस के डिजिट्स टाइप करते ही उसके सामने दो सजेस्टेड नंबर्स आए, एक तो शॅरन का था.. पर जल्दी जल्दी में उसने कुछ नहीं देखा और बस नंबर टाइप करने लगा. जैसे जैसे नंबर्स टाइप होते गये, वैसे वैसे सजेशन्स भी कम होते गये.. फाइनली उसके सामने था बस एक सजेशन.. वो नाम देख के उसकी आँखें और बड़ी हो गयी



"एह... यह इससे कैसे... " भारत ने बस इतना ही कहा, के उसके सामने बैठे बंदे ने उसे देखा



"सर, सब ठीक"



"उः.. हां..." कहके भारत ने तीसरा नाम लिखा पेपर पे... और फिर दोबारा लिस्ट देखने लगा.. जब पूरी लिस्ट ख़तम हुई, उसने फिर स्मस की तरफ देखा... स्मस' में एक और इंटरनॅशनल नंबर और एक दूसरा लोकल नंबर भी आया जिसपे एक दिन में काफ़ी स्मस गये थे और आए भी थे.. इस बार भी भारत ने सोचा के शायद यह नंबर्स उसके फोन में हो, पर टाइप करते करते उसे कोई सजेशन नहीं आया



"डॅम इट... अच्छा सुनो, यह एक लोकल नंबर है... मुझे इसकी डीटेल्स चाहिए, लाइक किसके नाम पे है और रेसिडेन्षियल अड्रेस.." भारत ने उसे नंबर दिखा के कहा



"ठीक है सर, अगर प्रीपेड हुआ तो इन्फ़ॉर्मेशन ग़लत भी हो सकती है, लेकिन पोस्टपैड हुआ तो इन्फो सही मिलेगी" उस बंदे ने नंबर नोट करके कहा



"अगर जो मैं सोच रहा हूँ वोही हुआ तो पोस्टपैड ही होगा..." कहके भारत ने लिस्ट अपनी जेब में डाली और उस बंदे के साथ बाहर निकला..



क्रॉफर्ड से लेके अपनी ऑफीस तक का सफ़र भारत के लिए काफ़ी तकलीफ़ वाला था, क्यूँ कि उसकी जान पहचान का एक नंबर मिला था उसे.. ऑफीस पहुँच के भारत ने रीना को बुलाया
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12-13-2018, 02:41 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
"रीना... नो डिस्टर्बेन्स टुडे ओके... आज कोई मीट नहीं, जेम्ज़ के साथ कॉल में हूँ.. आंड रिमेंबर.. नो डिस्टर्बेन्स अट ऑल ओके" भारत ने रीना को उंगली दिखा के कहा, जिससे रीना थोड़ा डर गयी और बिना कुछ कहे बाहर चली गयी.. रीना के बाहर जाते ही, भारत ने अपनी जेब से उस लिस्ट को निकाला.. उसकी नज़र एक बार फिर उस इंटरनॅशनल नंबर पे गयी जिसकी डीटेल्स उसको चाहिए थी.. 



"नंबर तो यूएस का है, शॅरन के अलावा मेरा कोई यूएस में है भी नहीं.. तो कैसे निकालु... मैं कॉल भी नहीं कर सकता अपने फोन से... फक ...." भारत अपनी कॅबिन की खिड़की पे खड़ा रहा और बाहर देखने लगा...



"डन..." भारत ने खुद से कहा और अपनी कॅबिन के लॅंडलाइन से फोन करने का सोचा... धीरे धीरे भारत ने नंबर डाइयल करना स्टार्ट किया, आखरी डिजिट प्रेस करते ही.. एक लंबा सा पॉज़ था.... दूसरे ही पल



"फक.. नंबर स्विच्ड ऑफ...." कहके भारत ने फोन रख दिया... 



"रीना, सेंड मी आ कप ऑफ स्ट्रॉंग कॉफी... "भारत ने इंटरकम पे कहा और फिर सोचने लगा...कुछ देर में उसकी कॉफी रख के रीना बाहर निकल गयी और फिर भारत अकेला हुआ.. बैठे बैठे, उसने धीरे धीरे अपनी कॉफी ख़तम की...



"उम्म्म... कॉफी ऑल्वेज़ वर्क्स.... यह पता चल गया है कि यह नंबर तो एटी&टी का है, अब बस कैसे भी करके कोई यूएस वाला मिल जाए तो शायद.." भारत ने खुद से यह कहा ही के उसके दिमाग़ में इन्स्टेंट एक नाम आया



"यस ... रूबी.... " कहके भारत ने अपना फोन निकाला और रूबी के कॉंटॅक्ट डीटेल्स देखने लगा.. रूबी की डीटेल्स उसके पास थी ही नहीं.. इनफॅक्ट, जब रूबी यूएस गयी, तब से भारत ने कभी उसके बारे में नहीं सोचा था... कोई कॉंटॅक्ट नहीं, कोई मसेज नहीं... भारत ने तुरंत फ़ेसबुक पे लॉगिन करके उसकी डीटेल्स देखने की कोशिश की, लेकिन वो उसकी फ्रेंड्स लिस्ट में भी नहीं थी और उसका प्रोफाइल भी ब्लॉक्ड था उन लोगों के लिए जो उसकी फ्रेंड्स लिस्ट में नहीं थे...



"लाइक हेल... " कहके भारत ने फ़ेसबुक से लोगौट किया और फिर सोचने लगा..



"देअर हॅज़ टू बी सम्तिंग ना यार रूबी... हाउ दा फक शुड आइ कॉंटॅक्ट यू.." कहके भारत ने अपना ब्लेज़र उतारा और टाइ नाट लूस करके अपने लिए सिगर्रेट जला दी.. सिगर्रेट के कश लेते लेते उसने अपने माथे को पीछे किया और सीलिंग की तरफ देखने लगा..



"यस... मैल का तो जवाब देगी ही ना..." भारत ने अपना माथा सीधा करके कहा और जीमेल पे लोगों करके उसे मैल करने का सोचा... जीमेल पे लोग ऑन करते ही अपना इनबॉक्स देखा तो 400 अनरेड मेसेज..



"नौकरी... स्पॅम, स्टार्स... ताज... ऑल फक्किंग डेलीट" कहके भारत ने सब मेल्स डेलीट करना चालू किया.. पिछले दो दिन के मेसेज डेलीट करते करते उसकी नज़र एक मैल पे गयी



"रूबी.. थॅंक गॉड," कहके उसने रूबी के मैल को ओपन किया तो उसे कुछ ख़ास नहीं दिखा.. मैल की बॉडी पे बस दो चीज़े लिखी थी



ऊज़रनाम :- रूबी******@जीमेल.कॉम प्व :- 18212251815311190






"रूबी... अपना यूज़रनेम पासवर्ड मुझे क्यूँ देगी...." कहके भारत ने अपना मेलबॉक्स लोगआउट करके रूबी की आइडी से लॉगिन करने की कोशिश की.. यूज़रनेम डाल के जब भारत ने पासवर्ड डाला, तब वो पासवर्ड आक्सेप्ट नहीं हुआ..



"यूज़र आइडी तो ग़लत नहीं दे सकती, और रूबी अपना पासवर्ड भूलने वालों में से नहीं है... तो फिर...." भारत फिर सोचने लगा.. सोचते सोचते उसने एक्स एक्स्सेल फाइल ओपन की और ए तो ज़् लेटर्स लिखे और उनके सामने डिजिट्स फ्रॉम 1 तो 26







रूबी के दिए हुए डिजिट्स के सामने जो आल्फबेट आए, उसने एक एक कर वो एक्स्सेल में देखा और टाइप करने लगा.. जैसे वन बना गया आ और 8 बन गया एच..टाइप करते करते फिर भारत आके आखरी डिजिट पे रुका...



"0....इससे क्या होगा... " कहके भारत ने फिर अपना टाइप किया सारा पासवर्ड डेलीट कर दिया... उसने फिर दिमाग़ पे ज़ोर लगाया पर उसे कुछ नहीं सूझा, तो उसने एक और कॉफी मंगवा दी और सिगर्रेट जला के पास में रखे पेपर पॅड से खेलने लगा



"डिजिट्स ईज़ नोट दा पासवर्ड.. अल्फॅबेट्स ही हैं, बट 0 तो कोई आल्फबेट नहीं होता... " कहके भारत ने फिर अपना इंबॉक्षि देखा और रूबी से कोई दूसरे मेल्स हैं कि नहीं वो चेक करने लगा... कोई दूसरा मैल नहीं था, और यह एक लौता मैल था जिसमे बस उसका यूज़रनेम और पासवर्ड था..



"ओके.. लेट्स डू दिस अगेन...." कहके भारत ने रूबी के दिए हुए डिजिट्स को कॉपी किया और फिर उसने पहले डिजिट को डबल किया.. जैसे पहले 18, तो उसने उसे 18 रीड किया और एबीसी में देखने लगा.. तो 18थ डिजिट है आर...



"अगर पासवर्ड आर से स्टार्ट होता है, तो शायद उसका नाम ही हो... रूबी.." यह सोच के भारत ने रूबी के आगे के डिजिट्स देखे, तो उसका कोड निकला 18,21,2,25... पहले 7 डिजिट और उसका ब्रेक निकला रूबी



"कॉफी ऑल्वेज़ वर्क्स... " कहके भारत ने रूबी टाइप किया और दूसरे डिजिट्स देखने लगा... 25 के बाद के डिजिट्स थे 1815311190



"अगेन 18.. सो 18 स्टॅंड्स फॉर आर अगेन..." तो उसने आर टाइप किया, और बाकी के डिजिट्स बचे 15311190



"अगर मैं 15, के बाद देखूं तो 31 अल्फॅबेट्स है ही नहीं.. सो 3 मस्ट बी सेपरेट.. तो 3 ईज़ सी..... अब तक का पासवर्ड है रूबयर*सी... इसके बाद बचे डिजिट्स 1511190.. नाउ 0 तो कोई आल्फबेट नहीं है.. सो 0 निकल के बचता है 151119" 



"या तो यह 3 अल्फॅबेट्स हैं, या तो 6.. लेट्स ट्राइ वन बाइ वन.... सो वन ईज़ आ.. सो इफ़ आइ प्लेस 1,5 विद आ आंड ए, पासवर्ड विल लुक लाइक रूबीरेस..." भारत ने खुद से कहा



"रूबीरेस,, कोई वर्ड तो नहीं जा रहा, दिस मीन्स, 15 ईज़ आ सिंगल डिजिट.. कहके उसने 15 की जगह प्लॉट किया तो



"पासवर्ड नाउ लुक्स लाइक रूबीरोक आंड डिजिट्स आर 1119.." भारत ने खुद से कहा..


"111 कन्नोट बी एएए श्योर... " भारत ने खुद से कहा और फिर अल्फॅबेट्स की लिस्ट देखी, तो 11 और 19 हुए के और एस



"एंटाइयर पासवर्ड इस रूबीरॉक्स"... कहके भारत ने लॉगिन स्क्रीन पे देखा तो लास्ट अटेंप्ट की वॉर्निंग थी



"स्माल या कॅपिटल..." भारत ने खुद से कहा और फिर वापस अपना सर पकड़ के बैठ गया..



"ओके.. जीमेल में देअर ईज़ नो नेसेसिटी के एक कॅपिटल कॅरक्टर आंड ऑल नॉनसेन्स... सब स्माल में टाइप कर लेता हूँ... अगर हुआ तो ओके.. नही तो बॅक टू स्क्वेर.." कहके भारत ने पूरा पासवर्ड स्माल कॅरेक्टर्स में टाइप किया.. कुछ सेकेंड्स के बाद उसका लॉगिन सक्सेस्फुल हुआ..



"फ्यू... जीनियस.. यू रियली राक डार्लिंग" कहके भारत ने उसका मेलबॉक्स देखना चालू किया... इंबॉक्षल, सेंट, स्पॅम डेलीटेड, ट्राश, सोशियल, प्रमोशन्स.. जीमेल का हर टॅब चेक कर लिया लेकिन उसे कुछ काम का न्हीं दिखा..



"यूस्लेस..." कहके भारत ने फिर सिगर्रेट सुलगाई और खिड़की के पास खड़ा होके सोचने लगा
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12-13-2018, 02:41 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
"अगर कोई मुझे अपना पासवर्ड देगा वो भी ऐसे कोड में, तो ज़रूर कुछ ना कुछ होना चाहिए.. आइ मीन, सम्तिंग इंपॉर्टेंट..." कहके भारत ने फिर अपना लॅपटॉप उठाया और उसका मैल देखने लगा.. हर टॅब, हर फोल्डर चेक करके भी उसे कुछ नहीं दिखा... उसने एक नज़र जब ड्रॅफ्ट्स के फोल्डर में मारी, वहाँ एक मैल अन्सेन्ट था.. ड्राफ्ट पे क्लिक किया भारत ने इस उम्मीद में कि काश वहाँ कुछ काम का हो. ड्राफ्ट पे क्लिक करते ही भारत की आँखें चमक गयी, क्यूँ कि वो ड्राफ्ट उसी की ईमेल अड्रेस पे भेजने के लिए टाइप किया गया था..



भारत ने धीरे धीरे वो ड्राफ्ट पढ़ना चालू किया...

रूबी का लिखा मैल पढ़ के भारत के हाथ पेर ठंडे हो गये थे.. उसकी कॅबिन में एसी 20 के टेंपरेचर पे थी, पर फिर भी उसके चेहरे पे बहता पसीना सॉफ बता रहा था कि रूबी के मैल में ज़रूर कुछ ख़तरनाक चीज़े लिखी थी.. 



"शालिनी.. यू हॅव रूबी'स नंबर" भारत ने शालिनी को पूछा



"रूबी.. क्यूँ अचानक, पहले बताओ.." शालिनी ने हंस के कहा



"शालिनी, मज़ाक नही कर रहा , है उसका नंबर.. घर आके सब बताता हूँ तुम्हे" भारत ने थोड़ी उँची आवाज़ में कहा



"चिल बाबा.. हां, आइ हॅव इट.. अभी भेजती हूँ ओके.." कहके शालिनी ने फोन कट किया और भारत को शालिनी का नंबर टेक्स्ट किया.. स्मस रिसीव करते ही, भारत ने अपने नंबर से रूबी को कॉल किया... पहले तो कॉल का कोई रेस्पॉन्स नहीं आया, पर दूसरी बार जब भारत ने कॉल किया, तो सामने से उसका कॉल कट हुआ..



"थॅंक गॉड.. शी ईज़ सेफ आइ गेस.. शायद किसी मीटिंग में हो..." कहके भारत ने चैन की साँस ली और फिर अपनी चेअर पे बैठ के उसके मैल के बारे में सोचने लगा.. भारत ने वो पेपर निकाला और 5 नाम लिख दिए पेपर पे



1). **********
2). *************
3). विक्रम कोहली
4). मेहुल
5). सिद्धार्थ



"विक्रम कोहली की लंका लगाई मैने यहाँ तक पहुँचने के लिए... अंडरस्टुड... मेहुल को अंदर करवाया था निधि की मदद से.. अंडरस्टुड... सिद्धार्ता की बहुत गांद मारी है मैने कॉलेज में, उसकी बहुत बेइज़्ज़ती भी की है.. अंडरस्टुड... लेकिन यह पहले दो नाम.. इन लोगों का आपस में क्या कनेक्षन है.. " भारत खुद से कहने लगा और फिर सीलिंग की ओर देखने लगा.. पूरा दिन एग्ज़ॉस्ट होके भारत घर जाने के लिए निकला, पर जाते जाते उसने अपने टेरिटरी मॅनेजर्स से उस दिन की सेल्स रिपोर्ट माँगी थी ताकि वो घर पे रिव्यू कर सके.. घर जाते जाते भी भारत का दिमाग़ काम नहीं कर रहा था.. अक्सर जल्दी गाड़ी चलाने वाला बंदा, आज 40 से उपर की स्पीड पे भी जा नहीं रहा था.. सोचते सोचते उसकी 30 मिनट की ड्राइव 60 मिनट में तब्दील हो गयी थी... 



"हाई बेबी..." शालिनी ने भारत से कहा जब भारत घर के अंदर आया



"हेलो स्वीटी..." भारत ने अपना ब्लेज़र सोफा पे रख के कहा



"सिगर्रेट कम करो प्लीज़.. कितनी बार स्मोक किया आज, और कितनी कॉफी पी" शालिनी ने पानी की बॉटल पकड़ा के कहा



"डनो.. शायद 6 या 7 सिगर्रेट और ईक्वल कॉफी..." भारत ने जवाब दिया और वहीं ज़मीन पे ऐसे बैठ गया जैसे काफ़ी जन्मों का थका हुआ हो



"ऑल ओके हनी.. आइ मीन, स्ट्रेस्ड आउट लग रहे हो.." शालिनी ने भारत के पास बैठ के कहा



"नतिंग.. जस्ट हंग्री.." भारत ने झूठ कहा, क्यूँ कि आज की सब बातें वो अगर शालिनी को बताता तो शायद वो भी टेन्स्षन में आ जाती



"ओके डियर.. चलो यू फ्रेशन अप, आज तुम्हारा फेव खाना है.. बटर नॅन विद तड़का दाल आंड टॉस्ड रशियन सलाद.." कहके शालिनी ने उसका ब्लेज़र और लॅपटॉप लेके रूम में जाने लगी... भारत भी 5 मिनट बाद फ्रेश होने जा ही रहा था के तभी शालिनी ने कहा



"अछा सुनो, तुमने आज कितने कॉल्स मिस किए ज़रा बताओ" शालिनी ने उसका फोन दिखाते हुए कहा



"ऊप्स.. सॉरी यार, फोन साइलेंट पे था.. " कहके भारत ने शालिनी से फोन लिया और कॉल्स देखने लगा



"डोंट वरी 15 कॉल्स हैं मोम डॅड के नंबर से.. फाइनली मैने बात की , दे आर कमिंग बॅक टुमॉरो" शालिनी ने भारत से स्माइल करके कहा



"व्हाट... वो तो 5 दिन बाद आने वाले थे, आज सुबह ही बात की मैने.." भारत ने परेशान होके कहा



"ओके ना बाबा, इतने परेशान क्यूँ हो रहे हो. मैने भी पूछा, तो मोम साइड की डॅड कुछ ज़रूरी बात करना चाहते हैं तुम से.. सो जल्दी आ रहे हैं, आंड ओके ना, बाकी दो दिन थे उनकी टूर में.. युरोप और सदर्न हेमिस्फियर ओवर यार.. एशिया की एक कंट्री बाकी रही बस, वो कभी साथ जाएँगे.. आंड सिंगपुर से निकलेंगे आज... इनफॅक्ट अभी 15 मिनट पहले उनकी फ्लाइट ने टेक ऑफ भी कर लिया होगा शायद.." कहके शालिनी फिर अपने काम में लग गयी. खड़े खड़े भारत भी अचानक इसके बारे में सोचने लगा , पर फिर सब छोड़ के फ्रेश होने गया.... फ्रेश होके शालिनी और भारत साथ ही खाने बैठे और आपस में बातें करने लगे...
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12-13-2018, 02:41 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
"सोना तो है नहीं... अभी 9 बजे हैं, शायद डॅड रात को 2 बजे लॅंड करें... सो तुम सो जाओ, यू नीड सम रेस्ट ओके.. मैं जाग ही रहा हूँ" भारत ने शालिनी को अपने हाथ से एक बाइट खिला के कहा



"उम्म्म.. ऐसे कैसे, आज वॉक पे चलते हैं... मरीन लाइन्स... फिर वहाँ से आके मैं सो जाउन्गी" शालिनी ने भारत से कहा..



"ओके चलो.. काफ़ी दिन से कुलफी भी नहीं खाई ना. लेट्स गो..." कहके भारत और शालिनी घर को लॉक करके गाड़ी में मरीन लाइन्स के पास गये और वहीं बने पत्थरो पे बैठे बैठे पानी में अपने पेर भिगोने लगे.. रात के 10 बजे की ठंडी हवा, काफ़ी कम भीड़ और समुंदर की लहरें पैरो के साथ खेलती हुई... शालिनी को यह सब एक सुकून सा लग रहा था.. शालिनी वहाँ अपना सर भारत के कंधे पे रख के बस हवा का मज़ा ले रही थी... 



"यू नो भारत... शराब, सिगर्रेट, पार्टीस.. इन सब से ज़्यादा सुकून है इस चीज़ में.. यहाँ से गुज़रते हर आदमी को देखो, हर आदमी के चेहरे पे एक सुकून दिखता है.. चाहे उसके पास पैसा बिल्कुल ना हो, पर उसके पास सुकून बहुत है.. जानते हो क्यूँ" शालिनी ने भारत से पूछा



"क्यूँ.." भारत ने रात में चमकती शालिनी की आँखों को देख के कहा



"क्यूँ कि वो लोग ज़िंदगी जीते हैं... वो लोग पैसों के पीछे नहीं भागते.. वो लोग जानते हैं कफ़न में जेब नहीं होती... कभी कभी ऐसा लगता है हम फ्यूचर के बारे में इतना सोचते हैं, कि प्रेज़ेंट को भूल ही जाते हैं... दुनिया का एक सच है, जो है वो आज में ही है... आज तुम जेपीएम इंडिया के सेल्स हेड, डॅड की प्रॉपर्टी इतना पैसा.. यह सब किसी काम का नहीं है, अगर तुम्हारे साथ जुड़े हुए लोग, और तुम खुद खुलके जी नहीं पा रहे.. कॉलेज से मैं तुम्हे देख रही हूँ. तुम रोज़ अपने दिमाग़ को किसी ना किसी चीज़ के लिए चला रहे हो.. उसका फ़ायदा क्या है, कभी अपने दिमाग़ को आराम दो, और दिल से सोचो... दिमाग़ काम करना बंद कर देता है तो भी इंसान जीता है, लेकिन अगर दिल काम करना बंद कर देगा.. तो यह पैसा, यह ताक़त.. किसी काम के नहीं रहेंगे.... " शालिनी ने नाम आँखों से भारत को देखते हुए कहा



"शालिनी..." भारत ने बस इतना ही कहा के शालिनी ने फिर उसे टोक दिया



"चलो कुलफी खाते हैं.. एमोशनल बनोगे तो तुम मुझे अच्छे नहीं लगोगे फिर..." कहके शालिनी ने भारत को अपने हाथ से उठाया और दोनो कुलफी लेके समंदर के पास वॉक करने लगे.... रात के करीब 11 बजे शालिनी और भारत घर लौटे. भारत को एरपोर्ट जाना था, इसलिए शालिनी अकेली ही जाके सो गयी रूम में.. भारत लिविंग रूम में बैठ के ही सब कुछ सोचने लगा... पहली बार भारत लिविंग रूम में अंधेरे में बैठा हुआ था. इतना प्रॅक्टिकल आदमी, जो सब कुछ प्लान करके करता था, जिसे किसी का डर नहीं था... उसे अंधेरे से बहुत डर लगता था, पर वो आज अकेला लिविंग रूम में एक दम अंधेरे में बैठा हुआ था.. बैठे बैठे भारत शालिनी की बातों के बारे में सोचने लगा.. आख़िर शालिनी सही बोल रही थी, शायद भारत इतनी भाग दौड़ करके भी ज़िंदगी में आगे तो निकल गया था, लेकिन था वो अकेला. शालिनी उसके साथ थी क्यूँ की वो उसकी बीवी थी.. उसका कोई दोस्त, कोई रिश्तेदार उससे बात तक नहीं करता था.. सब के बारे में भारत सोचने लगा और कैसे उसने सब के साथ प्रॅक्टिकल बिहेव करके उनको खुद से दूर कर दिया था.. सोचते सोचते भारत एक बार फिर रूबी के मैल के बारे में सोचने लगा... कॉर्नर लाइट ऑन करके उसने फिर वो लिस्ट निकाली जिसमे उसने 5 नाम लिखे थे.. पहले दो नाम उसके दिल को बहुत खटक रहे थे... उसने काफ़ी ज़ोर लगाया, लेकिन उनके बीच क्या रिश्ता हो सकता है. यह सोच सोच के भारत पागल हुए जा रहा था... देखते देखते करीब डेढ़ बज गया था रात का.. घड़ी देख के भारत ने एक बार शालिनी को चेक किया और फिर घर को लॉक कर के खुद एरपोर्ट की तरफ निकल गया.. करीब 15 मिनट में एरपोर्ट पहुँचा, और वहाँ आधा घंटा और वेट करके उसे दूर से राकेश और सीमी आते हुए दिखे.. 



"हेलो ओल्डीस..." भारत ने राकेश और सीमी के पास जाके कहा



" फाइन सन... तुम ठीक नहीं लग रहे.. शालिनी ने बताया, तुम कॅफीन पे ही गुज़ारा कर रहे हो..." सीमी ने भारत से गले लग के कहा



"ऑफ कोर्स नोट मोम.. आंड डॅड, हाउ आर यू.." भारत ने राकेश से कहा



" भारत.... सीमी को गाड़ी दो... वी नीड टू टॉक.. लेट्स गो सम्वेर.." राकेश ने भारत से कहा और खुद आगे बढ़ गया



"मोम.. व्हाट ईज़ इट.. एनितिंग सीरीयस.." भारत ने चाबी देते हुए कहा



"यस सन... आज नो मज़ाक... आज काफ़ी चीज़ों से परदा उठने वाला है... आंड लेट मी टेल यू.. तुम जितना दिखाते हो, उतने स्ट्रॉंग नहीं हो दिल से... डॅड की बातें सुन के प्लीज़ कंट्रोल युवर एमोशन्स.. प्रॉमिस मी.." सीमी ने हाथ आगे करके भारत से वादा माँगा

भारत एरपोर्ट से राकेश के साथ आगे बढ़ गया, और दोनो बाप बेटे पैदल चल पड़े... जितनी देर दोनो पैदल चले, उतनी देर दोनो की ज़ुबान तो खामोश थी, लेकिन मन काफ़ी तेज़ दौड़ रहा था.. भारत यह सोच रहा था कि ऐसी क्या बात है जिसकी वजह से राकेश अपनी टूर आधी छोड़ के आया है, क्या बात हो सकती है जो राकेश ने उससे आज तक नहीं की हो...क्या वो बात इतनी ज़रूरी है के सीमी या शालिनी के आगे नहीं हो सकती.... राकेश अंदर ही अंदर यह सोच सोच के परेशान हो रहा था के वो बात शुरू कहाँ से करे... आज राकेश ने ठान लिया था कि जो भी बात है उसके मन में है वो भारत से कर के ही रहेगा.... रात के करीब 3 बजे, सांताक्रूज़ - बांद्रा रोड की खामोशी में दोनो बाप बेटे बिना कुछ सोचे, बस आगे चलते ही जा रहे थे....



"दाद... इट्स ऑलमोस्ट 3 एएम.... " भारत ने एक शॉपिंग माल के पास पहुँच के कहा



"यस सन... आइ नो....." कहके राकेश वहीं माल की एंट्रेन्स पे बने बेंच पे बैठ गया और अपने स्पेक्स निकाल के अपने सर के पसीने को पोछने लगा... राकेश के चेहरे की शिकन देख के भारत समझ गया कि बात सिर्फ़ ज़रूरी नहीं, बल्कि गंभीर भी है... इसलिए वो भी वहीं राकेश के पास बैठ गया... बेंच पे बैठे बैठे राकेश और भारत बस अपने सामने की दिशा में देखने लगे.... दोनो अपने दिल को मज़बूत करने की कोशिश कर रहे थे, राकेश बात को बोलने के लिए और भारत उस बात को सुनने के लिए... हिम्मत जुटा के राकेश ने बोलना शुरू किया



"कर्मा...... माइ सन, कर्मा ईज़ दा बिग्गेस्ट बिच.... कहते हैं व्हाट गोज़ अराउंड, कम्ज़ अराउंड... ज़िंदगी में जैसे बीज बोएंगे, पेड़ फल भी वैसे ही देगा... जब मैं 15 साल का था, तो नासिक से यहाँ भाग के आया था... नासिक में मेरा जीवन एक कुएँ के मॅंडेक जैसा लगने लगा था.. एक दिन जब मौका मिला, तो नासिक से यहाँ एक ट्रांसपोर्ट के ट्रक में बैठ के आ गया.. मुंबई में मेरे कदम सबसे पहले वीटी स्टेशन पे पड़े.. वीटी स्टेशन देख के मैने खुद से वादा किया, अगर मैं यहाँ कामयाबी हासिल नहीं कर पाया तो और कहीं नहीं कर पाउन्गा.... मेरी पहली नौकरी डॉक्स पे थी.. डॉक्स पे मैं सुबह से शाम हमली करता, और शाम को डॉक्स के पास बने चाइ की कीटली पे सो जाता....... 3 साल मैने डॉक्स पे नौकरी की, रोज़ वही काम, रोज़ उतने पैसे... जब 18 साल का हुआ तो मुझे लगने लगा कि शायद मैं अभी भी वो नहीं कर रहा हूँ जिसके लिए मैं यहाँ आया हूँ... 20 डिसेंबर 1978... उस दिन की शाम मैं कभी नहीं भूल सकता.... रोज़ की तरह, उस दिन भी शाम को डॉक्स का सारा काम निपटा के मैं चाइ पीने बैठा ही था के तभी मेरे सामने राजू आया....



"क्या गुरु.. क्या कर रहे हो तुम..." राजू ने मुझसे पूछा



राजू का सवाल सुन पहले तो मैं डर गया, वो भी 18 का ही था, लेकिन मेरे सामने काफ़ी लंबा था , कान में बाली, घुंघराले बाल और मूह में बीड़ी.... मैने सोचा के मैं उसे अनदेखा कर दूं, लेकिन फिर हिम्मत करके मैने उसे जवाब दिया



"तुम से मतलब.. तुम अपना काम करो...."



"अबे सुरसुरी बॉम्ब.... तेवर किसको दिखा रहा है बे.. अपुन तो तेरे वास्ते एक काम लेला था समझा क्या.. ज़्यादा अकड़ के चलेगा तो ज़िंदगी भर हमाल का हमाल बनके ही रहेगा समझा.." कहके राजू वहाँ से जाने लगा.. जैसे ही मैने उसकी बात टटोल के समझी, मैं तुरंत उसके पीछे दौड़ के गया..



"आए आए. सुन... बता, क्या काम है..." मैने राजू से हान्फते हुए कहा



"अब आया ना लाइन पे श्याने... सुन, कल रात को 2 बजे इधर एक बोट आने वाली है, वो बोट में से 10 बॉक्सस निकाल के संभाल के रखने हैं.. फिर 3 बजे एक दूसरी बोट आएगी, वो बॉक्स उसमे रखने हैं.. कर पाएगा तू यह काम..." राजू ने मुझे उंगली दिखा के कहा



"इसमे क्या बड़ी बात है.. यह तो मैं रोज़ करता हूँ.." मैने बिना कुछ समझे जवाब दिया



"अबे पानी कम चाई.. कल जो बॉक्सस आने वाले हैं उसका समान रोज़ के जैसा नहीं है... गांजा और अफ़ीम के साथ गैर क़ानूनी रेडियो और ट्रॅनसिस्टर्स और दूसरा सामान भी रहेगा... अगर अपुन दोनो ने उस काम को निपटा दिया तो अपुन दोनो को दो दो हज़ार रुपये मिलेंगे समझा..." राजू ने पैसों की बात की.. दो हज़ार सुन के मेरे कानो में जैसे एक मधुर आवाज़ सी आने लगी... मेरे सामने था वो मौका जिसके लिए मैं नासिक से यहाँ आया था, लेकिन गैर क़ानूनी काम की वजह से मुझे डर लगने लगा.. कुछ देर मैं खामोश रहा, और फिर मन को मज़बूत करके मैने राजू से कहा



"दो हज़ार नहीं बादशाह... अपुन को तो तीन हज़ार चाहिए.... काम में जोखम भी इतना है.. " मैने राजू का सुर पकड़ के कहा
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