ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 04:33 PM,
#71
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले दिन राजीव वॉक से आकर किचन में गया और चाय बनाया। चाय लेकर वह बाहर हॉल में आया। तभी नायटी में मालिनी भी वहाँ आयी और बोली: पापा आप क्यों चाय बनाए?

राजीव मुस्कुराके: बेटी, आज भी तुम ढीली रहोगी ना तो मैंने सोचा कि चाय ही बना दूँ।

मालिनी:पापा आप मेरा कितना ख़याल रखते हो!

राजीव: अरे मेरा इस दुनिया में और कौन अपना है तुम्हारे ,शिवा और महक के अलावा। इन सबमे भी तुम मेरा सबसे ज़्यादा ध्यान रखती हो। तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है ना बेटा।
मालिनी मुस्कुराकर बोली: थैंक यू मेरे प्यारे प्यारे पापा।

मालिनी ने देखा वह जॉगिंग सूट में बहुत फ़िट लग रहे थे। वो बोली: पापा आप इस सूट में मस्त दिखते हो।

राजीव उसको अपनी बाहों में भर कर बोला: और बेटी तुम इस गुलाबी नायटी में गुलाब का फूल लगती हो। अब वह उसके गाल चूमा और फिर अपने होंठ उसके होंठ से चिपका कर बोला: गुड मॉर्निंग बेटा।

मालिनी भी उसकी छाती से अपनी छातियाँ चिपका कर बोली: गुड मोर्निंग पापा। अब वो थोड़ी देर एक दूसरे के बदन का अहसास करते रहे, राजीव सोच रहा था कि ये सेक्स नहीं है शायद रोमैन्स है। वो सोचा कि आजकल मालिनी थोड़ा ज़्यादा ही उसकी ओर आकर्षित हो रही है।

मालिनी बोली: पापा चाय ठंडी हो रही है। दोनों अलग हुए और राजीव उसकी बग़ल में बैठा और चाय पीते हुए उसकी बाँह सहलाने लगा और बोला: तो आज हमको छोड़ कर अपनी मम्मी के पास जाओगी?

मालिनी: वहाँ तो तभी जाऊँगी ना जब ये उठेंगे।

राजीव: क्या मतलब ? क्या शिवा आज देर से उठने वाला है?

मालिनी: हाँ बोले हैं मैं जबतक ख़ुद ना उठूँ मुझे मत उठाना।

राजीव: मतलब तुम लोग १० बजे के पहले नहीं निकल सकते?

मालिनी: जी लगता तो ऐसा ही है।

राजीव: आज तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है वरना हम शिवा के देर से उठने का फ़ायदा उठा सकते थे।

मालिनी शरारत से आँखें मटका कर बोली: कैसे फ़ायदा उठाते?

राजीव: अरे ओरल सेक्स कर लेते और क्या? पर तुम तो रेड सिग्नल चालू करके रखी हो।

मालिनी आँख मारते हुए बोली: आपका भी रेड सिग्नल है क्या वहाँ? वह उसके लौड़े की ओर इशारा करके बोली।

राजीव अपने लौड़े को पैंट के ऊपर से उसको दबाया और बोला: बिचारा सबर कर रहा है। और क्या करे?

मालिनी: अगर बहुत बेचैन है तो मैं इलाज कर देती हूँ। वैसे भी शिवा ने भी रात को चूसवाया था । वो भी बहुत उत्तेजित हो रहा था। आप बोलो तो आपको भी आराम दे देती हूँ।

राजीव की आँखें वासना से लाल हो उठीं। वो सोचा कि बहु अब रँडी बनने की दिशा में क़दम रख चुकी है। वो भी अब लौड़ा चूसने में आनंद लेने लगी है। ये तो बहुत हो बढ़िया मोड़ है हमारे रिश्ते का। वो मुस्कुराया और बोला: बेटा, सच अगर तुमको कोई तकलीफ़ ना हो तो चूस दो ना। बहुत मन कर रहा है। वैसे भी अब तुम पता नहीं रात को वापस आओगी या कल ही आओगी?

मालिनी: पापा आप अपने कमरे में चलो। मैं एक बार शिवा को देख कर आती हूँ।

वह चाय के ख़ाली कप लेकर खड़ी हुई तो राजीव ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसके पेट में अपना मुँह घुसाया और उसके चूतरों को दबाने लगा।वहाँ पैंटी को छूकर उसने पैड का अहसास किया और बोला: बेटा पिरीयड्ज़ में ज़्यादा तकलीफ़ तो नहीं है ना?

मालिनी उसके गाल चूमकर बोली: नहीं पापा ठीक ही है।

फिर वह उसकी चूचियों को हल्के से दबाया और बोला: ठीक है बेटा मैं कपड़े उतार कर तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ। जल्दी आओ।

मालिनी मुस्कुराती हुई हाँ करके चली गयी।

थोड़ी देर बाद वो पूरा नंगा होकर बाथरूम में गया और फ़्रेश होकर आकर बिस्तर पर नंगा ही लेट गया। वह अपने खड़े लौड़े को सहला रहा था जब मालिनी अंदर आइ और बोली: वो तो घोड़े बेचकर सो रहे हैं। आप आराम से मज़ा ले लो।

राजीव: बेटा नायटी उतार दो ना। तब मज़ा दुगुना हो जाएगा।

मालिनी: पापा आप मुझे ज़्यादा उत्तेजित मत करो। पिरीयड्ज़ में बहुत अच्छा नहीं लगता ।

राजीव: ओके बेटा, तुम ही चूसो और मैं बस आराम से मज़े लेता हूँ।

अब मालिनी ने जैसे रात को शिवा को मज़ा दिया था वैसे ही राजीव को भी देना शुरू किया। जल्दी ही राजीव भी मस्त होकर अपने लौड़े को उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा। मालिनी आज भी अपने गालों को पिचकाकर अपनी जीभ हिलाकर उसको चुसाई का मस्त मज़ा दे रही थी। फिर वो जैसे शिवा के साथ की थी वैसे ही राजीव के साथ भी की और उसके बॉल्ज़ को सहलाकर अपने हाथ को नीचे ले गयी। अब उसने राजीव की जाँघों को पकड़कर उठाने का इशारा किया । राजीव ने अपनी दोनों टाँगें उठा ली जैसे औरत चुदवाने के लिए उठा लेती है । पता नहीं मालिनी को क्या सूझा कि वो उसकी गाँड़ को देखकर मस्त हो उठी और वहाँ जीभ से उसके गाँड़ के छेद के आसपास के एरिया को चाटने लगी। फिर वो छेद को भी चाटी और वहाँ ढेर सारा थूक लगा दी। ये करते हुए वह उसके लौड़े को मूठिया भी रही थी। फिर उसने २ उँगलियो को उसकी गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगी। साथ ही अब फिर से लौड़ा भी चूसने लगी। उफ़्क्फ़्फ़्फ़ राजीव चिल्लाया और आऽऽहहह करके उसने अपना वीर्य मालिनी के मुँह में छोड़ना शुरू किया।वो उसे पीती और गटकती चली गयी। मालिनी उठके बाथरूम में गयी और साफ़ करके बाहर आयी। राजीव उसको अपने पास बुलाया और उसको अपने ऊपर गिराकर चूमने लगा। मालिनी भी उसे चूमने लगी। अब राजीव उसकी पीठ सहलाते हुए बोला: बेटा, आज तो तुमने चूसने में अपनी मम्मी को भी मात दे दी। ये मेरी गाँड़ में ऊँगली डालने का विचार कैसे आया?

मालिनी हँसकर बोली: पापा कल मैंने शिवा के साथ भी यही ट्राई किया था और उनको बहुत मज़ा आया था। इसलिए आज आपके साथ भी कर लिया । वैसे सीखीं तो मैं आपसे ही हूँ। आप मेरी गाँड़ में ऊँगली डालते है तो मैंने सोचा कि मैं भी आपकी गाँड़ में डालूँ।

राजीव हँसकर: वाह हमारा हथियार हम पर ही आज़मा लिया। शाबाश बेटा। फिर उसकी पीठ पर हाथ फेरकर बोला: बेटा अब इतने आगे बढ़ गयी हो तो चुदवा भी लो ना? इसमे क्या जाएगा?

मालिनी: पापा आपको लगता है कि मैं अब आपसे चुदें बिना रह पाऊँगी? मैं बस अपने आप को तय्यार कर रही हूँ कि मैं शिवा से बेवफ़ाई कर सकूँ। वैसे पापा मुझे आपसे एक और बात करनी थी ।

राजीव : हाँ हाँ करो ना, पर अपनी नायटी उठा दो ताकि मैं तुम्हारे मस्त चूतरों को सहला सकूँ।

मालिनी हँसती हुई उठी और अपनी नायटी उठा दी और फिर से उसके नंगे बदन पर लेट गयी और बोली: पापा इस बार मुझे बहुत उम्मीद थी कि मेरा पिरीयड नहीं आएगा और मैं प्रेगनेंट हो जाऊँगी पर ऐसा नहीं हुआ। मैं थोड़ा सा दुखी हूँ। क्या मुझे अपना चेक अप करना चाहिए ?

राजीव के हाथ अब उसके नंगे चूतरों को सहला रहे थे और पैंटी उसके हाथ में छू रही थी। वो मस्त होकर बोला: बेटा, मुझे नहीं लगता कि तुम दोनों में कोई कमी है। मगर चाहो तो चेक अप करा लो। मैं एक डॉक्टर को जानता हूँ यहीं पास में ही रहती है। कल या परसों जब चाहो करवा लेना।

मालिनी: शिवा को बताऊँ या नहीं? पता नहीं वो क्या सोचेंगे?

राजीव अब उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया और उसके गाँड़ के छेद को सहला कर मज़े से बोला: उफफफ बेटी क्या मस्त गाँड़ है । अब इस कुँवारी गाँड़ का उद्घाटन करना ही पड़ेगा। वह उसमें एक ऊँगली डालते हुए बोला।

मालिनी: उफफफ पापा जलन हो रही है ना। निकालिए बाहर, सूखे ही डाल रहे हो आप तो।

राजीव हँसकर अपनी एक ऊँगली में थूक लगाया और फिर उसने उसकी गाँड़ में डाला और वो उफफफ कर उठी।

राजीव ऊँगली अंदर बाहर करते हुए बोला: अभी मत बताओ शिवा को। रिपोर्ट आ जाएगी तब देखेंगे।

मालिनी: आऽऽऽऽऽह पापा ठीक है अभी नहीं बताऊँगी। परसों का प्लान कर लो आप डॉक्टर का। आऽऽऽहव अब बस करो अब फिर से जलन हो रही है। निकाऽऽऽऽऽऽऽलो प्लीज़।

राजीव ने अपनी ऊँगली निकाली और फिर उसको दिखाकर सूँघने लगा और बोला: आऽऽह बेटा क्या मस्त गंध है।

मालिनी हँसती हुई उसकी छाती में एक मुक्का मारकर बोली: छी गंदे पापा। फिर वह उठकर अपनी नायटी नीचे की और बोली: चलिए अब नाश्ता बनाती हूँ। देखती हूँ कि शिवा का क्या प्रोग्राम है। फिर वह झुक कर उनसे होंठ चुमी और बाहर चली गयी।
वह जब अपने कमरे में जा रही थी तो उसकी गाँड़ में थोड़ी सी जलन हुई। वो सोची कि पापा की ऊँगली से जलन हो रही है तो जब उनका मोटा मूसल अंदर जाएगा तो मेरा क्या हाल होगा। फिर कमरे में पहुँची तो देखा कि शिवा बाथरूम में था और पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी। तभी शिवा पूरा नंगा बाहर आया और तौलिए से मुँह पोंछ रहा था। मालिनी को देखकर वह बोला: वाह जान कहाँ थी?

मालिनी थोड़ी सी हड़बड़ा कर बोली: वो वो किचन में थी। आपके लिए चाय लाती हूँ। तभी शिवा ने उसको जकड़ लिया और बोला: अरे चाय के पहले शहद तो पिला दो । वो अब उसके होंठ चूसने लगा। मालिनी भी उससे लिपट कर होंठ चूसने लगी । मालिनी ने महसूस किया कि उसका लौड़ा खड़ा होने लगा है। अब वह हाथ बढ़ा के उसके लौड़े को सहला दी। शिवा उसकी क़मर सहला कर बोला: उफफफ क्या माल हो जान। क्या रेड सिग्नल करके बैठी हो बहुत मन कर रहा है चोदने को।

मालिनी: बस करिए ना । अब चाय पीजिए फिर तय्यार होकर मम्मी के घर भी जाना है ना।

शिवा: हाँ वो तो जाना है पर थोड़ा इसको शांत कर दो ना।

मालिनी: रात को चूसा था ना। अब फिर रात को चुसवा लेना।
मालिनी सोची कि अभी तो पापा का चूसीं हूँ। अब इनका भी चूसूँ क्या। उसके हाथ में अभी भी उसका लौड़ा था जो कि तना हुआ था।

शिवा: जान एक बार और चूस दो ना, जैसे रात को चूसा था।

मालिनी: आप ज़िद करोगे तो चूस लूँगी। पर ज़्यादा मज़ा आएगा जब रात को आराम से चूसूँगी।

शिवा: ऐसा? चलो ठीक है रात को ही चूस लेना। जाओ अब चाय लाओ। तब तक मैं लूँगी पहनकर बाहर आता हूँ।

मालिनी झुकी और उसके लौड़े का एक चुम्बन ली। फिर वह बाहर चली गयी।

चाय और नाश्ता करके शिवा और मालिनी एक छोटा सा बैग लेकर बाहर जाने को तय्यार हुए।

शिवा: मैं पापा को बोल देता हूँ कि हम निकल रहे हैं। यह कहकर वो आवाज़ लगाया: पापा हम जा रहे हैं।

राजीव बाहर आया और बोला: अच्छा बेटा ध्यान से जाना। फिर मालिनी से बोला: वाह बेटा आज साड़ी में बहुत प्यारी लग रही हो। शिवा इसका ख़याल रखना ।

शिवा: ज़रूर पापा जी। अब चलो देर हो रही है।

दोनों बाहर आए और कार में बैग रखा और अचानक मालिनी बोली: मैं अभी आइ। मैं अपना धूप का चश्मा लेकर आती हूँ। आपको भी चाहिए क्या?

शिवा: हाँ मेरा भी लेते आना। तब तक मैं कार पोंछ लेता हूँ।

मालिनी अंदर आइ और अपने कमरे में जाकर अपना और शिवा का चश्मा ले लिया और जब बाहर आइ तो पापा खड़े थे और उसको बड़े प्यार से देख रहे थे। वो बोला: बेटा मुझसे प्यार करने और बाई करने आइ हो ना? चश्मा तो एक बहाना था ना?

मालिनी आइ और उससे लिपट गई और बोली: हाँ पापा सच में आपको बाई करने ही आयी हूँ। फिर दोनों के होंठ चिपक गए। राजीव के हाथ उसकी नंगी कमर पर चलने लगे थे। फिर वह उसके चूतरों को दबाकर मस्त होकर बोला: बेटी सच में तुमसे दिन भर अलग रहने की कल्पना से ही ख़राब लग रहा है।

मालिनी: पापा मैं भी आपसे अलग नहीं होना चाहती । कोशिश करूँगी कि शाम तक वापस आ जाऊँ।

राजीव: ठीक है बेटा , जाओ पर पहुँच कर फ़ोन करना फिर वह उसको छोड़ा और वो जब दरवाज़े तक पहुँची तो राजीव बोला: बेटी एक बार दिखा दो ना?

मालिनी दरवाज़े तक पहुँच चुकी थी। वो मुड़ी और बोली: पापा क्या दिखाऊँ?

राजीव: बेटा अपनी साड़ी उठा कर एक बार दिखा दो ना? प्लीज़। तुम्हारी छवि मेरी आँखों में बस जाएगी।

मालिनी हँसकर: पापा आपने कई बार तो देखी है। और वैसे भी आज पैंटी और उसमें पैड भी लगा है। क्या दिखेगा?

राजीव: अरे बेटा, तुमको पैंटी में भी देखकर बड़ा सुख मिलेगा।

मालिनी हँसी और बोली: ठीक है पापा जैसी आपकी मर्ज़ी। यह कहकर वो झुकी और अपनी साड़ी को पेटिकोट के साथ ऊपर उठा दी। राजीव की आँखें उसकी मस्त जाँघें और बीच में सुंदर सी गुलाबी पैंटी देख कर मस्त हो गया।

वह बोला: आऽऽऽऽऽह बेटा बहुत मादक है तुम्हारा बदन। अब घूम जाओ और पिछवाड़ा भी दिखा दो।

मालिनी पीछे को घूम गयी और अब उसके मस्त गोल गोल चूतर उसकी आँखों को मदमस्त कर रहे थे। पैंटी उसकी गाँड़ की दरार में फँसी हुई थी। फिर वो बोली: पापा बस अब जाऊँ?

राजीव: आऽऽह क्या माल हो बेटा तुम? कब चुदवाओगी ? ठीक है जाओ। बाई।

उसने साड़ी नीचे की और उसे ठीक किया और मुड़कर बोली: पापा बाई। और हँसते हुए भाग गयी। वो बाहर आकर कार में बैठी और दोनों शिवा की ससुराल के लिए निकल पड़े ।

उधर सरला को भी रात भर ठीक से नींद नहीं आइ। वो अच्छे और बुरे के संशय में परेशान थी। क्या वो शिवा के साथ ये सब करके अन्याय नहीं कर रही थी। वो सुबह के काम से निपट कर नहाने गयी। उसने अपने कपड़े उतारे और ख़ुद को पूरी नंगी शीशे में देखकर सोची कि अभी भी मुझसे दम है किसी भी मर्द को अपने बस में करने का। उसने नीचे देखा और वहाँ अपनी बुर के आसपास की झाटों को देखकर सोची कि पता नहीं शिवा को ये बाल पसंद आएँगे या नहीं। उसने वीट लगाया और अपनी बुर के आसपास के बालों को रुई से साफ़ किया। सफ़ाई करते हुए उसे याद आया कि कैसे उसके पति कभी उसको ये काम ख़ुद नहीं करने देते थे । वह ख़ुद ही उसे बिस्तर पर लिटाकर उसकी झाँटें साफ़ करते थे । सच वो बहुत मिस कर रही थी आज अपने पति को। तभी उसका फ़ोन बजा। वो बाहर आयी नंगी ही और फ़ोन सुनी: हेलो।

राजीव: हेलो जान। शिवा और मालिनी निकल गए हैं यहाँ से। देखो अच्छा मौक़ा है। कुछ काम को आगे बढ़ा लेना।

सरला: हाँ पूरी कोशिश करूँगी। मेरी कोशिश होगी कि मालिनी अपने भाई और श्याम के बच्चों में उलझी रहे और मैं शिवा के साथ कुछ कर पाऊँ।

राजीव: ऐसे कपड़े पहनना कि तुम्हारे दूध उसे दिखें। वो उस दिन भी तुम्हारे दूध ही देखे जा रहा था। क्या पहनोगी आज?

सरला: अभी तय नहीं किया है। साड़ी का ही सोच रही हूँ और साथ में स्लीवलेस ब्लाउस पहनूँगी। ठीक है ना?

राजीव: ठीक रहेगा जान। पैंटी नहीं पहनना। तुम्हारे मादक चूतरों को देखकर ही वो पागल हो जाएगा।

सरला: ठीक है। अब तैयार होती हूँ।

राजीव: अभी क्या नायटी में हो?

सरला हँसकर: अभी तो नंगी हूँ, नहाने जा रही थी कि फ़ोन बज गया और मैंने बाहर आके उठा लिया।

राजीव: वाह नंगी हो तो जान एक बार दिखा दो ना। मैं विडीओ कॉल करूँ?

सरला: कर लो ,वैसे भी मैंने आपके बेटे के लिए अभी अपने नीचे के बाल की सफ़ाई की है। हा हा।

अब राजीव ने फ़ोन काटा और विडीओ काल किया। अब राजीव ने सरला का चेहरा देखा और कहा: आह आज कितने दिनों के बाद तुमको देखा है। बहुत सेक्सी लग रही हो। अब कैम नीचे करो और अपनी मस्तानी चूचियाँ दिखाओ।

सरला ने फ़ोन नीचे किया और राजीव उसकी चूचियाँ देखकर बोला: आऽऽऽह ये तो और भी मदमस्त करने वाली हो गयीं हैं। क्या ४० से भी बड़ीं हो गयीं हैं मेरी जान।

सरला हँसकर: आप बहुत मज़ाक़िया हो। अभी भी ४० की है मेरी ब्रा। वह अपनी चूचियाँ दबाकर बोली।

राजीव: उफफफफ क्या कर रही हो जाऽऽऽऽऽऽंन। वह अपना लौड़ा मसलकर बोला: अब अपनी बुर दिखाओ ना।

सरला अपने फ़ोन को नीचे अपनी बुर के सामने लायी । राजीव उसे देखकर बोला: आऽऽऽऽह जाऽऽऽऽऽन क्या चिकनी दिख रही है? लगता है अभी झाँटें साफ़ की है?

सरला: अभी अभी साफ़ की है आपके बेटे के लिए। अगर मौक़ा मिला तो वो देखकर मस्त हो जाए। अब देखते हैं मौक़ा भी मिलता है या नहीं।

राजीव: अरे जान मौक़ा भी मिलेगा और मस्ती भी। आज ही शिवा से चुदवा लेना बस फिर सब ठीक हो जाएगा।

सरला: देखती हूँ क्या होता है? आप क्या अपना हिला रहे हो? आपका हाथ हिलते दिख रहा है।

राजीव ने फ़ोन लौड़े के सामने रखा और अपने लौड़े को सरला को दिखाया। सरला की बुर खुजा उठी उसके मस्त लौड़े को देख कर। वह बोली: अगर आप आसपास होते तो इसको तो मैं खा ही जाती । उफफफफ क्या मस्त दिख रहा है शैतान।

अचानक कोई आवाज़ दिया तो सरला बोली: अच्छा अब रखती हूँ। श्याम आवाज़ दे रहे हैं। बाई।

राजीव ने भी फ़ोन काटा और सोचा कि आज बस एक बार शिवा इसके हाथ चढ़ा तो बस उसे इस कामुक स्त्री से कोई नहीं बचा सकता वो मन ही मन मुस्कुरा उठा।

उधर सरला भी गरम हो गयी थी । वो शॉवर के नीचे खड़े हो कर पानी से अपना बदन ठंडा करने लगी। फिर वह तय्यार होने लगी।वो सोची कि शिवा और मालिनी शायद एक घंटे में आ जाएँगे।

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04-09-2017, 04:33 PM,
#72
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
शिवा को कार चलाते हुए क़रीब एक घंटे हो गए थे। वो दोनों रोमांटिक गाने सुन रहे थे और थोड़ी बहुत छेड़ छाड भी कर रहे थे।सुनसान जगह देख कर शिवा कभी उसके गाल सहला देता था तो कभी उसकी चूचि। उसकी जाँघ को तो वो सहलाए ही जा रहा था। मालिनी भी मज़े में आकर उसकी जाँघ को दबा देती थी और कभी उसके लौड़े को भी पैंट के ऊपर से सहला देती थी।

शिवा: तुमने इस बिचारे को चूसा नहीं सुबह? देखो कैसे मुँह उठाकर तुम्हारी तरफ़ लाचार सा होकर देख रहा है।

मालिनी हँसकर लौड़े को दबा कर: ये और बिचारा? ये तो मेरा प्यारा राजा है। जो मेरे ऊपर राज करता है।

दोनों हँसने लगे। तभी एक नया सा रिज़ॉर्ट की तरह का एक सुंदर सा ढाबा दिखा नाम था” लवर्ज़ ढाबा एंड रिज़ॉर्ट”।

मालिनी: बहुत ही सुंदर दिख रहा है। लगता नया नया बना है। कितनी हरियाली है, बहुत रोमांटिक जगह लगती है।

शिवा ने कार धीमी की और बोला: यार मैं थक गया हूँ। चलो ना थोड़ी देर रुकते हैं। कुछ खाते पीते हैं।

मालिनी: चलिए सच में अच्छी जगह लग रही है।

दोनों कार से उतर कर अंदर रेस्तराँ में गए। सिर्फ़ दो जोड़े बैठे थे। एक अधेड़ उम्र का जोड़ा था जो चाय पी रहे थे। दूसरी जोड़ी थोड़ी बेमेंल थी, आदमी थोड़ा मोटा सा ५०/५२ का था और लड़की थी क़रीब २०/२२ की। लड़की ज़्यादा सुन्दर नहीं थी पर जवानी तो छलक रही थी उसके टॉप और स्कर्ट से ।

शिवा: चलो यहाँ बैठते हैं। वो एक अलग सी टेबल की ओर इशारा किया। दोनों बैठ गए।

मालिनी ने देखा की वो लड़की उस बुजुर्ग से बहुत हंस हंस के बात कर रही थी।

शिवा: क्या देख रही हो? देखो बूढ़ा क्या मज़े ले रहा है छोकरी से।

मालिनी: छि ऐसा क्यों बोलते हो? हो सकता है दोनों रिश्तेदार हों?

शिवा: अरे ऐसी जगहों में लोग माल लाते हैं चोदने के लिए। ये लड़की या तो इसके ऑफ़िस में काम करती होगी जिसे वो यहाँ चोदने के लिए लाया है। और या फिर वो कोई रँडी होगी जो कि पैसों के लिए आयी होगी।

मालिनी: वाह आपको बड़ा अनुभव है? कहीं आप भी तो यहाँ किसी को नहीं लाते।

शिवा उसकी जाँघ दबाकर बोला: अरे जिसके पास ऐसा माल हो वो थूका हुआ क्यों चाटेगा?

मालिनी हँसने लगी और फिर बोली: अरे देखो उसके गले में मंगल सूत्र है। कहीं यह उसकी बीवी तो नहीं?

शिवा: वाह क्या क़िस्मत है साले की। हो सकता है जानू।

तभी उस लड़की का फ़ोन बजा और जैसे ही वो उसे उठाई वह बंद हो गया। वो बोली: ओह मेरा फ़ोन डिसचार्ज हो गया है। फिर वो अपना पर्स खोली और बोली: ओह मैं तो चार्जर लाना ही भूल गयी। अब क्या होगा?

उसका साथी बुज़ुर्ग बोला: ओह देखो रेस्तराँ वाले के पास है क्या?

वो उठी और जैसे ही शिवा के टेबल के पास से गुज़री वो रुकी और बोली: आपका और मेरा फ़ोन एक ही मेक का है। आपके पास चार्जर होगा क्या?

शिवा: है तो पर हम सिर्फ़ आधा घंटा ही रुकेंगे।

वो: ठीक है इतनी देर में मेरा थोड़ा बहुत तो चार्ज हो ही जाएगा।

शिवा: ठीक है ले जाइए ।

वो: मैं चार्जर ले जाती हूँ और थोड़ी देर में इसे वापस पहुँचा दूँगी। मैं यहीं पीछे कॉटिज नम्बर ३ में हूँ।

शिवा : ठीक है । वो चार्जर लेकर चली गयी। वो आदमी भी उसके साथ चला गया।

मालिनी उसको चिढ़ाई: वाह बस लड़की देखी और फिसल गए।

शिवा: अरे तो क्या मना कर देता। तभी वेटर उनका ऑर्डर ले आया। दोनों खाने लगे और फिर चाय पिए।

शिवा: मैं वाशरूम जा रहा हूँ। तुमको जाना है?

मालिनी: हाँ मुझे भी जाना है।

शिवा ने वेटर से पूछा : भाई वाश रूम किधर है।

वेटर: सर आपका वाश रूम वो है। मगर लेडीज़ टोयलेट को ठीक किया जा रहा है। इसलिए मैडम आप पीछे कोट्टेज नम्बर ४ में चली जाइए। वो खुला है आप उसका टोयलेट उपयोग कर लीजिए। ये कहकर उसने कोट्टेज का रास्ता भी दिखा गया।

शिवा तो चला गया male वाशरूम में। और मालिनी पीछे के रास्ते से कोट्टेज की ओर चली गयी। कोटेज नम्बर ४ में जाते हुए अचानक वो ठिठक गयी। उसे जिस कोट्टेज के पास से गुज़र रही थी, वहाँ से अजीब सी आवाज़ें सुनाई पड़ीं। वो ठिठकी और सामने खिड़की के पास खड़ी हुई और सुनने की कोशिश की । अंदर की आवाज़ से उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी। आवाज़ें साफ़ साफ़ चुदाई की थीं । वो मन ही मन मुस्कुराकर आगे बढ़ कर कोटेज नम्बर ४ पर पहुँची और बाथरूम में जाकर फ़्रेश हुई और फिर वापस जाने लगी। तभी उसकी निगाह उस साथ वाले कोटेज के नम्बर पर पड़ी ३ नम्बर था। वही जहाँ वो लड़की और बुज़ुर्ग ठहरे थे जिसने उसका चार्जर लिया था। इसका मतलब है कि वो लड़की उस बुज़ुर्ग से चुदवा रही थी। ओह तो शिवा सही था कि वो उसको चोदने ही लाया है ।अब वो वापस कोटेज नम्बर ४ में वापस गयी क्योंकि दोनों जुड़े हुए थे। फिर वो उसके एक कमरे में गयी जो नम्बर ३ से जुड़ा था। वहाँ एक खिड़की थी जो की बरामदे में खुलती थी। वो उसके पास आयी और खुली खिड़की से पर्दा हटाकर झाँकी और उसका मुँह खुला ही रह गया।

अंदर वो लड़की का स्कर्ट ऊपर चढ़ा हुआ था और उसका टॉप भी ऊपर था और वो पलंग के किनारे में अपनी गाँड़ हवा में लटका कर चौपाया बनी हुई थी। उसके बड़े दूध जो कि नीचे की ओर लटक रहे थे उसके दोनों पंजों में दबे थे। और वो बुज़ुर्ग जिसकी पैंट नीचे गिरी हुई थी उसे पीछे से चोद रहा था ।

उसका लौड़ा जो शिवा से थोड़ा सा ही बड़ा था उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था। वो लड़की उइइइइइइइ कहकर मज़े लेकर अपनी गाँड़ पीछे करके उसका लौड़ा पूरा अंदर तक ले रही थी। फ़च फ़च की आवाज़ें गूँज रही थीं। मालिनी वहाँ से हटने ही वाली थी कि उसके पैर रुक गए जब उसके कान में ये आवाज़ पड़ी: ओह्ह्ह्ह्ह्ह पाआऽऽऽऽऽऽपा और ज़ोर से चोओओओओओदो।

मालिनी पापा शब्द से चौंकी। वो वापस आकर झाँकने लगी। वो लड़की फिर चिल्लाई: आऽऽऽऽऽऽह पापा फ़ाआऽऽऽऽऽड़ दो नाआऽऽऽऽ। आऽऽऽह क्या मज़ाआऽऽऽ देते हो आऽऽऽऽऽऽऽप।हाऽऽऽऽय्य काऽऽऽऽऽश आऽऽऽऽऽपके बेटे का भी इतना आऽऽऽऽह मस्त होओओओओओओता तो क्याआऽऽऽऽऽऽ मज़ाआऽऽऽऽ आऽऽऽऽ जाता।

आदमी: आऽऽहहह अगर उसका भी मस्त लौड़ा होता तो मुझे कैसे मजाऽऽऽऽऽऽमिलताआऽऽऽऽ। मेरी बच्चीइइइइइइइ। । ह्म्म्म्म्म्म्म्म।

लड़की: आऽऽऽह पाऽऽऽऽऽपा फाऽऽऽऽड़ दो मेरी बुर। कितना मज़ाआऽऽऽऽऽ दे रहे हो हाऽऽययय।

आदमी: आऽऽऽऽऽहहह मेरीइइइइइ रँडी और चिल्ला साऽऽऽऽऽऽऽऽली कुतियाआऽऽऽऽऽऽ। तू मेरी रँडीइइइइइइइइ है। है ना?

लड़की: हाऽऽऽऽऽऽऽऽय हाँ मैं आऽऽऽऽऽऽऽऽऽपकी रँडीइइइइइइइ हूँ। फिर वो उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर झड़ने लगी और नीचे बिस्तर पर गिर गयी। वो आदमी अभी भी उसपर चढ़ कर चोदे जा रहा था और चिल्लाया: आऽऽऽह मेरी रँडी बेटी मैं भी गया। अब वो भी उसपर गिर सा गया।

लड़की पलट कर बोली: पापा अपनी रँडी बहु को पेमेंट नहीं करेंगे?

आदमी मुस्कुराया और पर्स से पैसे निकाला और उसे दिया और बोला: लो मेरी रँडी बहु अपनी पेमेंट।

लड़की उठी और अपने कपड़े ठीक किए और पैसे किसी रँडी के माफ़िक़ अपनी ब्रा में डाल लिया। वह आदमी उसको फिर से अपनी बाँहों में खींच कर बोला: आऽऽऽँहह मेरी रँडी बहु तुम तो अब पक्की रँडी बन गयी हो। क्या चुदवाइ हो आज । मज़ा आ गया।

अब वो उठा और बाथरूम में गया। वो लड़की भी बाथरूम में घुसी। पहले वो आदमी वापस आया और तौलिए से अपना बदन पोंछा। तभी वो लड़की भी बाहर आयी। अब उसका टॉप और स्कर्ट सही था। वो आदमी अभी भी नंगा था। तभी फ़ोन बजा। उस आदमी ने अपना फ़ोन उठाया और बोला: राज का फ़ोन है।

लड़की: आप बात करो।

आदमी: हेलो बेटा क्या हाल है?

उधर: -----

आदमी: हम ठीक हैं बेटा। हाँ अपने घर पर ही हैं। और कहाँ होंगे बेटा? वो आँख मारते हुए बोला।
उधर: ----

आदमी: हाँ हाँ यही है , बुलाता हूँ किचन में होगी।

तब तक वो लड़की उसके पास आकर खड़ी हो गयी थी और उसे चूम रही थी। और फिर वो अपना हाथ उसके बॉल्ज़ और लौड़े पर ले गयी और उसको सहला रही थी। अब आदमी ने दिखाने के लिए आवाज़ लगाई: शीला बहू , राज का फ़ोन है।

लड़की आँख मारकर उसके लौड़े को सहलाते हुए फ़ोन ली: हाय जी। कैसे हैं? कब वापस आएँगे?

उधर:-----

लड़की: जल्दी वापस आइएगा । आपकी बहुत याद आती है। ये कहकर वो इस आदमी के निपल चाटने लगी। वो भी उसकी चूचि दबाने लगा ।
उधर:------

लड़की: हाँ हाँ पापा जी का पूरा ख़याल रखती हूँ। वो बिलकुल मज़े में हैं। आप उनकी बिलकुल चिंता ना करें ।मैं हूँ ना उनके लिए यहाँ। वो मुस्कुरा कर उसका लौड़ा सहलाने लगी।

उधर/ -----

लड़की: ठीक है आप अपना ख़याल रखिए और अपना पूरा काम निपटा के ही आइए। यहाँ की चिंता मत करिए। अच्छा बाई।

लड़की हँसकर : पापा मुझे कहना था कि आप वहीं रहो क्योंकि मुझे तो मेरा प्यार मिल गया है । वो उसकी छाती को चूमी और और फिर नीचे बैठी और उसके सोए हुए लौंडे को चूम ली।

उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या गरम लड़की है, मालिनी सोची। अपने ससुर से क्या मज़े मार रही है।

तभी आदमी बोला: शीला तुमको चार्जर भी वापस करना है ना?

शीला: ओह सच में पापा । चलो मैं अभी देकर आती हूँ। आप तय्यार होकर आओ।

अब वहाँ से जल्दी से हटकर मालिनी कांपते हुए क़दमों से वापस आयी और उसका लाल चेहरा देखकर शिवा बोला: क्या हुआ ? बड़ी देर लगा दी?

मालिनी: बाद में कार में बैठकर बताऊँगी।

शिवा: ओह ठीक है। देखो वो लड़की भी आ गयी मेरा चार्जर ले कर। चलो अब चलते हैं। वो दोनों खड़े हुए और तभी वो लड़की आके उसको चार्जर दे कर बोली: थैंक्स।मेरा नाम शीला है। आपका?

शिवा: मैं शिवा हूँ और ये मालिनी है मेरी पत्नी। वो जो आपके साथ हैं वो कौन है?

शीला: वो मेरे ससुर जी हैं। हम पास के शहर में रहते हैं। मेरे पति विदेश में हैं और पापा मुझे यहाँ मेरा मन बदलने के लिए लाए हैं।

मालिनी सोची कि कमिनी कितना झूठ बोल रही है। अभी गाँड़ दबाकर अपने ससुर से चुदवा रही थी और अपने पति से फ़ोन पर बात करते हुए अपने ससुर का लौड़ा सहला रही थी।

मालिनी: बहुत अच्छी बात है कि आपके ससुर आपका इतना ख़याल रख रहे हैं।

शीला: हाँ जी इस मामले में मैं बहुत ख़ुश नसीब हूँ। मुझे सास और ससुर दोनों प्यार करते हैं।

मालिनी: ओह तो आपकी सास नहीं आयी?

शीला: वो एक शादी में बाहर गयीं हैं ।

मालिनी सोची कि सास नहीं है तो क्या मज़े से चुदवा रही है ससुर से । वह बोली: अच्छा लगा आपसे मिलकर।

शीला: आप चाहो तो हम फ़ोन नम्बर शेयर कर लेते हैं।

मालिनी: ठीक है मेरा नम्बर ------ है तुम मुझे अभी काल करो मैं सेव कर लेती हूँ।

शीला और मालिनी ने एक दूसरे का नमबर सेव कर लिया। तभी वहाँ शीला का ससुर भी आ गया। शीला ने उसको भी दोनों से मिलवाया। शिवा ने नोटिस किया कि वो मालिनी को चाहत भरी निगाह से देख रहा था। क्योंकि वो एक ही शहर के थे तो एक दूसरे को अपने घर आने का निमंत्रण दिए।

अब वो एक दूसरे से हाथ मिलाए और फिर शिवा और मालिनी अपनी कार में चल पड़े।

रास्ते में शिवा बोला: हाँ बताओ क्या हुआ था?

मालिनी: ये शीला अपने ससुर से चुदवा रही थी पीछे अपने कोटेज में!

शिवा हैरानी से : क्या? सच में?

मालिनी: हाँ मैंने अपनी आँखों से देखा है। और एक बात बताऊँ ? वो किसी रँडी की तरह ही चुदवा रही थी। और उसका ससुर उसे रँडी ही बोल रहा था। और जानते हो उसने उसे रँडी की तरह पाँच हज़ार रुपए भी दिए।

शिवा: हे भगवान। सुनकर भी अजीब लगता है। वो लड़की अपनी ससुर की रँडी है ? हमारा समाज कहाँ जा रहा है?

अब मालिनी को भी थोड़ा सा डर सा लगा। वो भी तो अपने ससुर के साथ फँसी हुई थी। कहीं शिवा को इसका पता लगा तो पता नहीं वो कैसे रीऐक्ट करेगा? वो बोली: हाँ बड़ा अजीब तो है। पर वो लड़की बोल रही थी कि उसका पति अक्सर बाहर रहता है और शायद उसका हथियार भी कमज़ोर है।

शिवा: ओह तब तो लड़की का बहुत ज़्यादा दोष नहीं है। बुर तो सबकी खुजाती है। और अगर पति उसकी प्यास नहीं बुझा पाए तो वो किसी से तो चुदेगी ही। और एक तरह से ठीक ही है कि वो अपने ससुर से ही चुदवा रही है। वरना बाहर किसी से चुदवाती तो बदनामी का भी डर रहता है।

मालिनी सोची कि अगर मजबूरी में चुदवा रही है तो शिवा को कोई ऐतराज़ नहीं है। ये एक बड़ी बात है पर उसके ख़ुद के साथ तो इस तरह की कोई मजबूरी नहीं है। शिवा उसे पूरे मज़े देता है और उसका हथियार भी तगड़ा है। ये बहाने तो उसके लिए नहीं चलेंगे अगर वो ससुर के साथ पकड़ी गयी। वो सोची कि उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो क्या करे? पापा को कैसे कंट्रोल करे। उनकी प्यास तो बढ़ती ही जा रही है। और सच तो ये है कि अब उसे ख़ुद को भी पापा के साथ मज़ा आता है। हे भगवान क्या करूँ। वो बोली: आपका मतलब है कि मजबूरी में अपने ससुर से चुदवाना ग़लत नहीं है।

शिवा: हाँ मेरे हिसाब से तो ठीक ही है। फिर हँसकर बोला: अरे मैं तो तुमको पूरा मज़ा और पूरी संतुष्टि देता हूँ ना? तुमको तो ज़रूरत नहीं है ना किसी से चुदावने की?

मालिनी ने झूठा ग़ुस्सा दिखाते हुए उसकी जाँघ पर एक मुक्का मारकर बोली: आप भी कुछ भी बोले जा रहे हो।
पर वो मन ही मन चिंता करने लगी कि क्या अपने ससुर के साथ वो जो भी मजबूरी में कर रही है वो सही है क्या? वो कैसे शिवा को समझाए कि पापा को दूसरी शादी से रोकना ही उसकी मजबूरी है। फिर वो सोची कि ये सच है कि ये मजबूरी तो है पर ये भी सच है कि आजकल उसको ख़ुद को भी पापा के साथ मस्ती करने में मज़ा आने लगा है। वो फ़ैसला करी कि अब वो उनसे दूर होने की कोशिश करेगी। पर पता नहीं वो उनकी दूसरी शादी को कैसे टालेगी उसे नहीं पता।

मालिनी को चिंता में डूबा देखकर शिवा बोला: क्या बात है किस चिंता में हो?

मालिनी: कुछ नहीं। तभी मालिनी का फ़ोन बजा। सरला की काल थी। वो बोली: हाय मम्मी बस आधे घंटे में पहुँचेंगे।

सरला: बहुत देर हो गयी है इसलिए फ़िक्र कर रही थी । चलो ठीक है आओ। वो फ़ोन काट दी।

जब वो घर पहुँचे तो दरवाज़ा सरला ने ही खोला।शिवा उसको देखता ही रह गया। वो बहुत सेक्सी लग रही थी । उसने मस्त गुलाबी साड़ी पहनी थी जो करीब पारदर्शी थी। और साथ ही सलीवलेस ब्लाउस से उसकी गोल गोल गोरी बाहं भी मस्त दिख रही थीं । उसने खुले गले का ब्लाउस पहना था। उसकी आधी चूचियाँ ब्लाउस और पारदर्शी साड़ी से बाहर झाँक रही थी। मालिनी उसके गले लगी और बोली: मम्मी बहुत सुंदर लग रही ही। फिर वो उससे अलग हुई और शिवा झुककर उसके पैर छुआ। सरला उसे बाँह पकड़कर उठाने लगी और शिवा के नाक में मस्त सेण्ट की ख़ुशबू आयी। अब वो उठा और उसकी निगाह चिकने पेट और गहरी नाभि पर पड़ी। सरला की बाहँ अब ऊपर हुई और उसकी मस्त गोरी चिकनी बग़ल देखकर वो मस्त होने लगा । सरला ने उसका सिर झुकाया और उसका माथा चुमी। अब शिवा की आँखें उसकी खुली अर्धनग्न छातियों पर थीं और वहाँ से आ रही मस्त और मादक करने वाली गंध उसके लौडे में हलचल मचा दी। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि वो अपनी माँ की उम्र की सास को ऐसी निगाहों से देख रहा है। वो सरला से अलग हुआ और बोला: मम्मी जी कैसी हैं ?

सरला: बेटा मैं बिलकुल ठीक हूँ। चलो अब अंदर आओ।

वो दोनों अंदर आए। अंदर ताई जी भी बैठी थीं और बीमार सी दिख रहीं थीं । उन्होंने उनके भी पैर छुए।

फिर सब बातें करने लगे । तभी ताऊ जी भी आए और उन्होंने उनके पैर भी छुए ।शिवा ने देखा कि ताऊजी की आँखें बार बार सरला पर जा रही थी। उनकी आँखों में वासना स्पष्ट नज़र आ रही थी।

तभी मालिनी का भाई कोलेज से आया और मालिनी से लिपट कर प्यार किया। तभी ताऊ की दोनों बेटियाँ भी आयीं। स्कर्ट ब्लाउस में दोनों बहुत प्यारी लग रहीं थीं। वो सब शिवा से भी हाथ मिलाए।

राकेश जो कि मालिनी का भाई था बोला: दीदी चलो ना हमारे कमरे में बातें करेंगे।

चारु जो बड़ी थी बोली: हाँ दीदी चलो ना।

मुन्नी जो छोटी थी , मालिनी का हाथ पकड़कर उसे खिंचने लगी। मालिनी हँसकर बोली: अच्छा बाबा चलती हूँ। फिर शिवा को बोली: आप भी आइए ना ।

शिवा हँसकर : तुम जाओ मैं आता हूँ। मेरे सामने ये शर्माएँगी।

जब बच्चे चले गए तो मालिनी बोली: क्या लोगे बेटा? ठंडा या गरम?

शिवा: मम्मी जी पानी दे दीजिए।

सरला उठी और अपनी मोटी गाँड़ मटकाते हुए किचन में गयी और पानी लाकर गिलास को देती हुई अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करने के बहाने अपनी क्लिवेज़ शिवा को अच्छे से दिखा दी। शिवा के नाक में उसके मस्त सेण्ट की गंध आइ और वो उत्तेजित होने लगा। फिर वो थोड़ी देर बातें किए और ताई जी लेटने चली गयीं। ताऊ जी भी एक फ़ोन आने से बाहर चले गए। अब सरला और शिवा ही आसपास बैठे थे। बातें करते करते वो उसकी जाँघ दबा देती थी। फिर वो बोली: बेटा, खाना लगा दूँ?

शिवा : जी मम्मी लगा दीजिए।

सरला उठी और मटकती हुई किचन में चली गयी। थोड़ी देर वह टी वी देखता रहा फिर उसे बाथरूम जाने की ज़रूरत महसूस हुई। वो ड्रॉइंग रूम से बाहर आकर इधर उधर देखा तो उसे बाथरूम दिखाई दिया। वो जब पेशाब करके बाहर आया तो वह एक कमरे के सामने से गुज़रा। उसमें से उसे कुछ अजीब सी आवाज़ें आ रही थीं । वो रुका और एक खुली खिड़की के परदे को हटा कर अंदर झाँका। अब वो चौका क्योंकि उसने देखा कि ताऊ जी मम्मी को अपने से चिपका कर खड़े थे और उनकी खुली चूचियों को चूमे जा रहे थे। मम्मी भी मज़े से उनका सिर दबा रही थी। ताऊजी मम्मी की मस्त मोटी गाँड़ भी मसल रहे थे। ताऊजी: मेरी जान आज क्या माल दिख रही हो? उफफफ बहुत ही सुंदर सजी हुई हो। क्या बात है? आख़िर क्यों इतना सेक्सी रूप धरी हो। क्या दामाद को पटाना है?

शिवा एकदम से चौंक गया। ये क्या बोल रहे हैं ताऊजी।

सरला: आप भी कुछ भी बोलते हो। क्या मैं अच्छे कपड़े नहीं पहन सकती?

श्याम उसको चूमते हुए बोला: अरे क्यों नहीं पहन सकती। क्या माल दिख रही हो?

सरला: आऽऽऽह अब छोड़ो । मुझे खाना लगाना है।

वह आख़िर बार उसकी चूचियाँ दबाया उसे छोड़ा और बोला: चलो अब खाना लगाओ।

शिवा जल्दी से वहाँ से हट गया।

सरला अब खाना लगाने लगी।

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04-09-2017, 04:34 PM,
#73
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
शिवा आकर सोफ़े पर बैठकर अपना खड़ा लौड़ा ऐडजस्ट किया और सोचने लगा कि ये क्या देखा मैंने? मम्मी ताऊजी से लगी हुईं हैं। क्या मालिनी को पता है? पर उसने कभी ज़िक्र नहीं किया। इसका मतलब है कि मालिनी भी मुझसे बातें छिपा लेती है? वह सोचा कि वो ख़ुद भी तो अपनी सास को ख़राब नज़र से देख रहा है। उसके लौड़े का बार बार खड़ा होना इसका सबूत था। वो अपने लौड़े पर हाथ फेरा मानो उसे तसल्ली दे रहा हो, और सोचने लगा कि उस दिन मम्मी की सहेली भी तो ऐसी ही औरत थी जो कि उसका लौड़ा ही चूस गयी थी। तो क्या सच में मम्मी चरित्रहीन है ?

तभी मालिनी और उसके कज़िन हँसते हुए कमरे में आए और चारु बोली: जीजा जी आज हम दीदी और आपके साथ मूवी देखेंगे।

शिवा: हाँ हाँ क्यों नहीं साली साहिबा। आप जो चाहेंगी वैसा ही होगा।

मालिनी: आह तेरे जीजा जी का मूड अच्छा है और कुछ भी माँग ले।

मुन्नी: जीजा जी मुझे मोबाइल दिलवाइए ना।

शिवा: बिलकुल दिलाएँगे अगर तुम एक मीठी सी पप्पी दोगी।

लाड़ प्यार में पली मुन्नी फट से आगे आयी और उसकी गोद में बैठ गयी और अपने गाल आगे करके बोली: लीजिए पप्पी।

शिवा की हालत ख़राब हो गयी। वो उसके पैंट में फँसे खड़े लौड़े पर बैठ गयी थी। अब उसे दुखने लगा था, वो जल्दी से उसकी पप्पी लिया और उसको अपनी गोद से उठाया और बोला: मालिनी इसे मोबाइल दिलवा देना। अब शिवा अपनी पैंट के ऊपर हाथ रखकर अपना इरेक्शन मालिनी से छुपाने की कोशिश किया। पर उसकी कोशिश नाकामयाब रही क्योंकि मालिनी को आभास हो गया था कि शिवा का लौड़ा शायद खड़ा है। पर क्यों? वो सोची।

मालिनी दिखाने के लिए ख़ुश होकर: जी दिलवा दूँगी। अब मुन्नी ख़ुश होकर मालिनी की गोद में बैठ कर उसको भी पप्पी दे दी।

तभी सरला आयी और बोली: चलो सब लोग खाना लग गया है।

मुन्नी: चाची, आपको पता है, जीजा जी मुझे मोबाइल दिलाएँगे। और आज हम सब मूवी भी देखने जाएँगे । हैं ना जीजा जी? वो शिवा की बाँह पकड़कर बोली।

शिवा मुस्कुराया: ज़रूर छोटी साली जी।

सब हँसने लगे। पर सरला सोच में डूब गयी। वो सोची कि ये अच्छा अवसर है अगर शिवा ना जाए तो बात आगे बढ़ सकती है। उसने एक योजना बनाई और बोली: देखो मैं तो नहीं जाऊँगी। तुम सब जाओ।

मालिनी: क्यों मम्मी आप भी चलो ना।

सरला: नहीं बेटी मैं नहीं जा सकती हूँ। तेरी ताई का भी ध्यान रखना पड़ता है। पिछले कुछ दिनों से उसकी तबियत ज़्यादा ही ख़राब है।

अब सब खाना खाने बैठे तब सरला धीरे से किचन में जाकर शिवा के फ़ोन में sms की। उसने लिखा: मुझे तुमसे बहुत ज़रूरी बातें करनी है,वो भी अकेले में। अगर तुम कुछ बहाना बना कर मूवी ना जाओ तो हम अकेले में बातें कर सकेंगे। बात इतनी सेन्सिटिव है कि अभी मैं मालिनी को भी नहीं बता सकती।

सब खाना खा रहे थे। सरला ने शिवा के फ़ोन में sms आने की आवाज़ सुनी। पर वह मस्ती में बातें कर रहा था। उसने sms की तरफ़ ध्यान नहीं दिया। सरला चाहती थी कि वो एक बार फ़ोन चेक करे। पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो ये काम कैसे करे? ख़ैर सबने खाना खाया और शिवा ने खाने की बहुत तारीफ़ भी की। फिर सब खाना खा कर बैठे और मस्ती करने लगे। मूवी जाने में अभी एक घण्टे थे। इसी समय में सरला चाहती थी कि किसी तरह से शिवा अपना sms पढ़ ले।

जब बहुत देर हो जाने के बाद भी वो फ़ोन चेक नहीं किया तो सरला बोली: शिवा तुम्हारा फ़ोन मैंने आज लगाया था जब तुम यहाँ आ रहे थे। पर वो लगा नहीं। तुमने अपना नम्बर बदला है क्या?

शिवा: नहीं तो, मेरा नम्बर वही है।

सरला: अच्छा मैं तुमको एक मिस्ड कॉल देती हूँ तुम देखो बजता है कि नहीं। अब वो उसे फ़ोन करी और शिवा की घंटी बजी । अब वो अपना फ़ोन उठाया और बोला: मम्मी देखो आपका नम्बर आ रहा है।

सरला: ओह फिर ठीक है। तभी वो देखी कि शिवा ने sms को नोटिस किया। उसे पढ़कर वो सवालिया नज़रों से उसे देखा। सरला ने हाँ में सिर हिलाया और बोली: बेटा थोड़ा आराम करना हो तो मेरे कमरे में आराम कर लो।

शिवा उसका इशारा समझ गया और बोला: मालिनी तुम बातें करो मैं थोड़ी देर लेट लेता हूँ।

सरला उसे लेकर अपने बेडरूम में आयी और बोली: बेटा तुमको कोई बहाना बनाना है क्योंकि मुझे तुमसे अकेले में बात करनी है। श्याम भी शाम के पहले नहीं आएँगे।

शिवा: वो तो मैंने sms में पढ़ा पर ऐसी क्या बात है जो आप मालिनी को भी नहीं बताना चाहती?

सरला: बेटा बात तुम्हारे पापा के बारे में है। प्लीज़ कोई बहाना बना लो।

शिवा हैरानी से : मेरे पापा के बारे में ? ओह, ठीक है मैं लेट जाता हूँ। बाद में मैं सिर दर्द का बहाना बना दूँगा।

सरला ख़ुश होकर: ठीक है बेटा आराम करो। वह झुक कर उसको चादर उढाई और झुकने के कारण उसके उभारों के दर्शन कर वह एक बार फिर से गरम हो गया। फिर वह बाहर चली गयी।

फिर वही हुआ जो सरला चाहती थी। ठीक समय पर शिवा ने सर दर्द का बहाना बनाया और मालिनी आख़िर में हराकर अपने कजिंस के साथ मूवी देखने चली गयी।

उनके जाने के बाद शिवा उठकर ड्रॉइंग रूम में आया और सरला से बोला: हाँ मम्मी जी अब बताइए क्या बात है वो भी पापा के बारे में?

सरला मुँह उतराके बोली: बेटा एक बहुत बड़ी समस्या आ गयी है।

शिवा: क्या समस्या आप बताइए तो सही।

सरला: बेटा तुम्हारे पापा दूसरी शादी का सोच रहे है।

शिवा: क्या ? आपसे किसने कहा?

सरला: ख़ुद तुम्हारे पापा ने।

शिवा: ओह ये तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी।

सरला: और भी सुनो, वो तो लड़की भी मालिनी से छोटी लाएँगे ऐसा बोले हैं !

शिवा: हे भगवान। ये पापा को क्या हो गया है?

सरला: बेटा, मुझे तो तुम दोनों की बहुत चिंता है। एक तो मालिनी की सास उससे छोटी उम्र की और दूसरी ओर उसके भी बच्चे हुए तो तुम्हारे लिए एक और सर दर्द हो जाएगा। जायदाद में वो भी बराबर का हिस्से दार हो जाएगा। घर की शांति भंग होगी वो अलग। मेरा तो सोच सोच कर सिर फटा जा रहा है। बेचारी मेरी बच्ची का क्या होगा? ये कहते हुए वो रोने लगी।

शिवा उसके रोने से हड़बड़ा गया और उठ कर उसके पास आकर बैठा और उसको दिलासा देते हुए बोला: मम्मी आप क्यों रो रही हो? हम कुछ करेंगे ना। पापा को समझाएँगे।

सरला ज़ोर से रोती हुई बोली: वो सब मैं कर चुकी हूँ वो नहीं मान रहे हैं। अब शिवा उसके हाथ को सहलाया और बोला: मम्मी रोने से कोई समस्या हल नहीं होगी। वह उसकी बाँह को सहलाया और उसकी उँगलियाँ उसके बड़े स्तन से छू गयीं। उसे जैसे बिजली का झटका लगा। उधर सरला ने रोते हुए अपना सिर उसके कंधे पर रख दिया था और उसकी साड़ी का पल्लू भी गिर गया था । अब शिवा को उसके आधे दूध जो कि ब्लाउस से बाहर थे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे और उसके लौड़े ने फिर से अपनी अकड़ दिखानी शुरू कर दी।

सरला भी अब रोते हुए बोली: क्या करूँ रोने केअलावा और क्या कर सकती हूँ?

शिवा अब सरला को अपनी ओर खींचकर बोला: मम्मी प्लीज़ चुप हो जाओ। मैं हूँ ना कुछ ना कुछ करूँगा । अब वो अपने हाथ से उसके गाल को सहला कर उसके आँसू पोंछने लगा। शिवा की नाक में उसके सेंट और उसके बदन की मादक गंध भी समा रही थी। मालिनी का बदन गठा हुआ था और सरला का मुलायम थोड़ा चरबी लिए हुए था ।वह उसको चुप कराते हुए उसके पेट पर से ले जाकर उसकी चिकनी कमर पर एक हाथ रखा और सरला को अपनी ओर खिंचा और गाल सहलाकर बोला: मम्मी पहले आप चुप हो जाओ। अब सरला की एक चूची उसकी बाँह से पूरी सट गयी थी। उसका सिर शिवा के कंधे पर था। सरला की आँखें बंद थीं। उसके होंठ खुले थे मानो कह रहे हों मुझे चूस लो।

शिवा का लौड़ा अब पूरी तरह से सख़्त हो चुका था, वह अब उसके ऊपर झुका और उसकी आँख को चूमा और बोला: मम्मी प्लीज़ रोना बंद करो। मैं कुछ ना कुछ करूँगा। फिर वह उसकी दूसरी आँख को भी चूमा । अब वो नीचे आकर उसके गाल चूमा और बोला: मेरे रहते आपको कभी आँसू नहीं बहाना पड़ेगा। फिर वह कसकर सरला को अपनी बाँह में भींच लिया और सरला भी उसकी छाती में अपना मुँह घुसा दी। अब शिवा उसकी नंगी पीठ को सहला रहा था जहाँ ब्लाउस के नाम पर एक छोटा सा पट्टा भर था। अब वो उसके कंधे को चूमने लगा। सरला भी मस्ती में आ गयी थी और उसने शिवा के पैंट में तने हुए तंबू को साफ़ साफ़ देख लिया था और अंदाज़ा कर लिया था कि इसका भी इसके बाप जैसा ही तगड़ा हथियार है। अपना हाथ सरला ने उसकी जाँघ पर रखा जो कि तंबू के काफ़ी पास ही था।

शिवा का अब अपने आप पर क़ाबू नहीं रहा और वो सरला के सिर पर हाथ रखकर उसके मुँह को ऊपर किया और अपने होंठ उसके होंठ से चिपका दिया। सरला आऽऽऽऽह नहीं नहीं बोली पर सिर्फ़ दिखावे के लिए ।शिवा अब उसके होंठ चूसने लगा। वह विरोध का नाटक करते हुए अपना मुँह घुमाई। सरला: आऽऽऽऽह बेटा ये ग़लत है । प्लीज़ छोड़ दो। आऽऽऽहहह।

शिवा उसे और ज़ोर से जकड़ के उसके होंठ और गाल चूमने लगा। सरला अब भी विरोध कर रही थी। तभी शिवा ने उसकी छातियों पर अपना मुँह घुसेडा और उनको ब्लाउस जे ऊपर से ही चूमने लगा। सरला: आऽऽऽऽऽह बेएएएएएटा ये ग़लत है। तुम मेरे दामाद हो।

शिवा उसकी दोनों चूचियों को अपने पंजों में दबाते हुए बोला: मम्मी ग़लत तो वो भो है जो अभी थोड़ी देर पहले आप ताऊ जी के साथ कर रहीं थीं । अगर वो ग़लत नहीं है तो ये भी नहीं है। वो और ज़ोर से उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ मसलने लगा।

सरला चौंकी और बोली: ओह तो तुमने देख लिया? देखो बेटा श्याम जी का मैं तुमको समझा सकती हूँ।

शिवा: मम्मी मुझे कुछ नहीं समझना है । मुझे बस आपकी चूचियाँ दबानी है।

सरला: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ धीरे दबाओ ना दुखता है।

अब शिवा जोश में आकर उसकी एक चूचि को ब्लाउस के अंदर हाथ डालकर निकाल लिया और उसे दोनों हाथों से दबाने लगा। वो बोला: आऽऽऽऽऽह क्या मस्त चूची है मम्मी आपकी। मेरी मम्मी की भी ऐसी बड़ी बड़ी थीं । मैं हमेशा चाहता था कि ऐसी बड़ी बड़ी चूची दबाऊँ और चूसूँ। अब वो उसकी चूची चूसने लगा। निपल में जीभ भी रगड़ने लगा। अब सरला चिल्लाई: आऽऽऽऽऽऽह मरीइइइइइइइ । उइइइइइइ ।

शिवा अब दूसरी चूची भी ब्लाउस से बाहर निकाला और उसे भी दबाया और चूसा। सरला उसकी जाँघ दबाए जा रही थी। शिवा ने मस्ती में आकर उसका हाथ अपने तंबू पर रख दिया। सरला ने भी बिना देर किए उसे मूठ्ठी में भर लिया और उसको दबाने लगी। अब कुछ बचा नहीं था छिपाने को।
सरला: आऽऽऽऽऽह सब कुछ यहाँ ही कर लोगे क्या? चलो बेडरूम में।

शिवा उठा और उसको अपनी गोद में उठाने लगा। सरला हँसकर बोली: मैं मालनी की तरह हल्की फुलकि नहीं हूँ । मैं अच्छी ख़ासी भारी हूँ। तुम मुझे उठा नहीं पाओगे। गिर जाऊँगी तो हड्डी टूट जाएगी।

शिवा: मम्मी देखो कैसे बच्ची की तरह आपको उठा लेता हूँ। ये कहते हुए उसने उसकी टांगों के नीचे और पीठ के नीचे भी हाथ डाला और उसे आराम से उठा लिया और बोला: देखो आपको इतने आराम से उठा लिया ना। अब वो झुककर उसकी चूचि चूसने लगा। और बेडरूम की ओर बढ़ा। वहाँ पहुँचकर उसने सरला को बिस्तर पर लिटा दिया। सरला बिस्तर पर पीठ के बल लेटीं थी और उसकी चूचियाँ ब्लाउस के बाहर थी और उनपर शिवा का गीला थूक लगा हुआ था ।

वह अब अपनी क़मीज़ उतारा और फिर बेल्ट खोला और पैंट भी उतार दिया । चड्डी में से उसके लौड़े का उभार देख कर सरला की बुर गीली होने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त हथियार है - वो सोची। चड्डी में सामने का हिस्सा थोड़ा सा गीला हुए जा रहा था उसके प्रीकम से।

अब वह उसके ऊपर आया और उसके होंठ चूसने लगा। सरला भी अब उसका साथ देने लगी। शिवा ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली और सरला उसको चूसने लगी। फिर शिवा ने अपना मुँह हटाया और खोल दिया अनुभवी सरला ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे शिवा चूसने लगा। शिवा के हाथ अब उसकी चूचियों पर आ गए थे । वह बोला: आऽऽऽऽऽह मम्मी कितने सॉफ़्ट और फ़र्म है आपके दूध। म्म्म्म्म्म चूसने में बहुत मज़ा आ रहा है। फिर वो उसकी चूचि चूसते हुए उनको दबाने लगा।

सरला: आऽऽऽऽऽह बेएएएएएएटा क्या माआऽर ही डालेगाआऽऽ। बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

शिवा अब नीचे आया और उसके चिकने पेट को चूमा और नाभि में जीभ डालकर चाटने लगा।

सरला: उइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ क्याआऽऽऽऽ कर रहे हो। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

अब शिवा और नीचे खिसका और उसने कमर से लिपटी साड़ी को निकाल दिया । पूरी साड़ी खुल गयी थी। उसने उसे निकाल दिया।सरला ने अपनी क़मर उठाकर उसको निकालने में उसकी मदद की। पेटिकोट में वह बहुत मस्त दिख रही थी। अब उसने उसकी नाभि को जीभ से चाटा और पेटिकोट का नाड़ा खोला और उसको नीचे करने लगा। सरला ने भी पूरी बेशर्मी से अपनी क़मर उठाकर उसे निकालने में पूरी मदद की। वो आज भी पैंटी नहीं पहनी थी। उसकी जाँघें चिपकी हुईं थीं ।उसकी बुर का थोड़ा सा ऊपरी हिस्सा ही दिखाई दे रहा था। वो उसकी जाँघों को सहलाने लगा और फिर उसकी पेड़ू को सहलाया। सरला हम्म कर उठी। अब उसने जाँघों को फैलाया और सरला ने इसमे भी सहयोग किया।अब मदमस्त जाँघों के बीच कचौरी की तरह फूली हुई बुर और उसकी फाँक की ग़हरी लकीर साफ़ दिखाई पड़ रही थी और उसके लौड़े ने और प्रीकम छोड़ दिया ।

शिवा अब उसकी जाँघों को चूमने लगा और फिर उसकी बुर को भी नाक डालकर सूँघा वो बोला: मम्मी आऽऽऽह क्या मस्त गंध है आपकी बुर की। वो उसे सहलाता रहा।फिर वह उसकी फाँकों को फैलाया और वहाँ के गुलाबी हिस्से को देखा और उसमें जीभ डाला और उसे जीभ से मानो चोदने लगा। सरला: आऽऽऽऽऽऽऽह कर उठी। अब वो बोला:मम्मी मालिनी की डिलिवरी नोर्मल हुई थी या सजेरीयन ?

सरला: आह्ह्ह्ह्ह मेरे दोनों बच्चे नोर्मल हुए थे।

शिवा: इसका मतलब है कि मालिनी इसी छेद से बाहर आयी थी? ह्न्म्म्म्म्म । अब वो उसे चाटने लगा। सरला की सिसकियाँ निकलने लगी। अब उसने उसकी जाँघों को और ऊपर उठाया और उसकी गाँड़ के छेद को देखकर मस्ती से ऊँगली से सहलाया और एक ऊँगली अंदर किया । उसने देखा कि ऊँगली आसानी से अंदर चली गयी। वो अब दो ऊँगली डाला और वो भी आराम से चली गयीं। वो बोला: मम्मी जी आपकी गाँड़ बहुत मस्त है और खुली हुई है, क्या ताऊजी गाँड़ भी मारते है?

सरला: आऽऽऽंह अच्छा लग रहा है बेटा। हाँ मारते हैं। पर अभी इधर कुछ दिनों से नहीं मारी।
शिवा: क्या मालिनी के पापा भी गाँड़ मारते थे?

सरला: हाँ बेटा, वो तो मेरी गाँड़ के पीछे पागल थे। उनको मेरे चूतर बहुत पसंद थे।

शिवा: मम्मी आपके चूतर तो मुझे भी बहुत पसंद हैं । वो उनको चूमकर बोला और फिर जीभ से गाँड़ भी कुरेदने लगा। सरला: आऽऽऽऽऽहाह ।

शिवा मुँह उठाकर बोला: मम्मी मैंने भी अभी तक किसी की गाँड़ नहीं मारी है। आज आपकी मारूँगा दूसरे राउंड में ठीक है ना?

सरला: आऽऽऽह मार लेना बेटा आऽऽऽऽह अब बुर तो मार पहले हाय्य्य्य्य्य्य्य। बहुत खुजा रही है।

शिवा अब उसने उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ा तो वो उछल पड़ी और उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके उसके मुँह को हटाई और बोली: वहाँ हमला किया तो एक मिनट में ठंडी पड़ जाऊँगी झड़कर।

शिवा मुस्कुराते हुए उठा और आकर उसके बग़ल में लेटा और उसकी चूचियाँ दबाकर चूसने लगा। अब सरला भी उठी और उसके ऊपर आ कर उसके निपल्ज़ को दाँत और जीभ से छेड़कर उसे मस्त कर दी फिर नीचे जाकर उसके पेट और नाभि को चूमते हुए उसकी चड्डी तक पहुँची। उसने वहाँ नाक रखी और प्रीकम को सूँघा और फिर उसकी जीभ से चाटकर मस्ती में आकर बोली: आऽऽऽंब तुम्हारी गंध भी बहुत मस्ती ले आने वाली है बेटा। अब वो उसकी चड्डी निकाली और उसका लौड़ा देखकर बोली: आऽऽऽऽहहहह क्या मस्त हथियार है उगफफ कौन ना पागल हो जाए इसको देखकर। म्म्म्म्म्म्म। कहकर वो उसको पूरी लम्बाई में चुमी और चाटी। फिर उसके एक एक बॉल को भी चूम और चाट कर मस्ती से बोली: उम्म्म्म्म्म्म बहुत मस्त है ये । पुच पुच करके उसको चुमी। अब वो अपनी जीभ लेज़ाकर उसके लौड़े के सुराख़ को चाटी और प्रीकम को खा गयी और फिर अब वो उसके सुपाडे को मुँह में लेकर चूसने लगी।

शिवा अब मस्ती में आकर बड़बड़ाया: आऽऽऽऽऽऽह मम्मी आऽऽऽऽऽहहह क्या चूसती हो आऽऽऽऽऽप। वाआऽऽऽऽऽऽऽहहह।
सरला अब उसको डीप थ्रोट दे रही थी। पहली दफ़ा शिवा ये अनुभव प्राप्त कर रहा था। वो अब कमर उछालकर अपना लौड़ा उसके मुँह को नीचे से चोदने लगा। सरला अब मज़े से उसको चूसे जा रही थी।

अब सरला उठी और आकर उसके ऊपर बैठी और उसके होंठ चूसने लगी। वो भी उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ दबाने लगा। अब वो अपनी कमर उठाई और उसके लौड़े को पकड़कर अपनी बुर के मुँह पर रखी और नीचे दबाकर अपनी बुर में उसको अंदर करते हुए उइइइइइइइ कहकर अपनी कमर को पूरा दबा दी और लौड़े को जड़ तक अपने अंदर कर लिया। अब वह अपनी कमर उछालकर उसे चोदने लगी। शिवा भी नीचे से धक्के मारकर ह्म्म्म्म्म्म कहते हुए मस्तीसे उसका साथ देने लगा।

अब मालिनी : आऽऽऽऽऽहहह बेएएएएएटा आऽऽऽऽऽऽऽह फाऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ मेरीइइइइइइइइ बुर।

शिवा: ह्म्म्म्म्म्म मम्मी क्या मज़ा आ रहा है। सरला की कमर हिले जा रही थी। फिर वो बोली: बेटा अब मैं थक गयी हूँ। तुम ऊपर आ जाओ।

शिवा उसको अपनी बाहों में भरकर उसे लिए हुए ही पलट गया और ख़ुद ऊपर आ गया। अब वो उसकी टाँगों को अपने कंधे पर रखकर बुरी तरह से चोदने लगा । अब तो कमरा सरला की आऽऽऽऽऽह उइइइइइइइ ऊम ऊम ऊम की आवाज़ों से भर गया। पलंग की चरमराहट अब अपनी चरम सीमा पर था जो बुरी तरह से हिल रहा था। मालिनी सोची कि जवान लड़के की चुदाई अलग ही होती है। उफफफफ क्या ताक़त है इस लड़के में। फिर वह चिल्ला कर उइइइइइइइइइ मॉआऽऽऽऽ कहकर झड़ने लगी। शिवा भी ह्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। अब वह आकर उसकी बग़ल में लेट गया। अब वो सरला के गाल चूमकर बोला: मम्मी आपको पता नहीं है कि आपने आज मुझे कितना मज़ा दिया है। मेरे सालों की इच्छा थी कि मैं एक आपकी उम्र की औरत को चोदूँ। आज मैं बहुत संतुष्ट हूँ।

सरला: अच्छा वो क्यों?

शिवा: मैंने अपनी मम्मी को कई बार कपड़े बदलते हुए नंगी देखा था। उनकी बड़ी बड़ी छातियाँ और उनकी बड़ी गाँड़ मुझसे बहुत आकर्षित करतीं थीं। आज आपको चोदते समय मुझे लगा मानो मैं अपनी मम्मी को ही चोद रहा हूँ। मेरी बहुत बड़ी फ़ैंटासी को मानो आपने रीऐलिटी में बदल दिया है।
अब वो उसकी चूचि चूसने लगा। अब शिवा ने उसके बड़े बड़े चूतरों को सहलाया और बोला: मम्मी आपके चूतर तो मख्ख्नन की तरह चिकने हैं । फिर वह अपनी ऊँगली गाँड़ में घुमाने लगा। वह बोला: मम्मी मालिनी की गाँड़ में तो एक ऊँगली भी मुश्किल से जाती है। बहुत टाइट है उसकी गाँड़। मेरी हिम्मत ही नहीं होती उसकी गाँड़ मारने की।
सरला: पहली बार गाँड़ मरवाने में सच में बहुत दर्द हुआ था पर अब सब ठीक है। अब तो कुछ दिन ना मरवाओ तो गाँड़ खुजाने लगती है बेटा। आऽऽऽऽहहह क्या कर रहा है? थूक लगा कर डाल ना ऊँगली। सूखे ही घुसेडे जा रहा है अंदर?

शिवा: सारी मम्मी । फिर वो ऊँगली में थूक लगाया और गाँड़ में दो उँगलियाँ डाल दिया। सरला आऽऽऽऽह कर उठी।

शिवा: मम्मी ये पापा की दूसरी शादी का क्या अपने मालिनी को बताया है?

सरला उसके लौड़े को सहलाकर: हाँ उसे पता है। वो काफ़ी परेशान है। पर तुमको इस लिए नहीं बताई कि वो तुमको परेशान नहीं देख सकती।

शिवा गाँड़ में उँगलियाँ घुमाते हुए: ओह, ऐसा? एक बात पूँछु मम्मी अगर ग़ुस्सा ना होगी तो?

सरला: अरे पूछ ना बेटा जो भी पूछना है। वो उसके बॉल्ज़ को सहलाते हुए बोली।

शिवा:पापा ने आपको क्यों बताया कि वो दूसरी शादी करने का सोच रहे है?

सरला हड़बड़ा कर: मुझे क्या पता? ऐसा क्यों पूछा?

शिवा: मम्मी मुझे शक है कि आपके और पापा के बीच भी कुछ हो चुका है। उस दिन पार्टी में पापा जिस तरह से आपको देख रहे थे और आप भी उनको जैसी निगाहों से देख रहीं थीं, मुझे तो गड़बड़ लगी थी।

सरला: देखो बेटा, अब तुमसे ये सब करने के बाद अब मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूँगी। वह उसके लौड़े को मुठियाते हुए बोली: हाँ मैं उनके साथ भी ये सब कर चुकी हूँ।

शिवा: ओह तो मेरा शक सही था। कितनी बार मिली हो आप पापा से ?

सरला: तीन चार बार। बस अब कुछ और ना पूछना। मुझे अजीब लग रहा है।

शिवा: ठीक है नहीं पूछूँगा । बस इतना बता दीजिए कि क्या आपने पापा से गाँड़ भी मरवायी थी? वह उसकी गाँड़ में उँगली करते हुए कहा।

सरला: हाँ मरवाई है। उनको बहुत अच्छा लगता है गाँड़ मारना। वो बताए थे।

शिवा: ओह तो ताऊजी भी मारते है क्या?

सरला: हाँ मारते हैं।

शिवा: मम्मी उस बार जब आप और ताऊजी हमारे घर आए थे और रात रुके थे पार्टी के बाद । उस दिन भी आप पापा से चुदवायी थी ना?

सरला: हाँ।

शिवा: पर ताऊ भी तो थे वहाँ । उनको तो पता होगा ना?

सरला: बेटा, तुम मुझे बहुत एम्बारस कर रहे हो।

शिवा : प्लीज़ मम्मी बताइए ना। वह अब उसकी चूचि चूसने लगा।

सरला: आऽऽँहह । हाँ श्याम को सब पता है बल्कि उस रात को हम तीनों ने साथ में ही किया था।

शिवा का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया था। वो बोला: मतलब आप तीनों ने एक साथ सेक्स किया था? Wow। तो कैसे किया था? किसने आपकी गाँड़ मारी थी और किसने बुर? वह चूचि चूसकर दबाते हुए बोला । उसकी उँगली अभी भी गाँड़ में घुसी हुई थी।

सरला अब गरम हो चुकी थी । वो बोली: आऽऽहहह हाँ एक गाँड़ मारता था और दूसरा बुर चोदताथा। ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाय । अब कुछ करो ना। प्लीज़ ।

शिवा भी गरम हो चुका था और उसने सरला को लुढ़का कर पेट के बल लिटाया और वो उसके मस्त चूतरों को सहलाया और दबाया । दिर वह उनको चूमने लगा। अब सरला ख़ुद ही चौपाया बन गयी और अपनी गाँड़ बाहर कर उसे चोदने का मानो आमंत्रण दी। सरला बोली: बेटा थोड़ा सा क्रीम लगा ले। और डाल दे। सच बहुत खुजा रही है।

शिवा मस्त होकर क्रीम लेकर उसकी गाँड़ में और अपने लौड़े पर लगाया और उसके चूतरों को फैलाया और अपने लौड़े को उसके छेद में लगाकर धक्का दिया। अब लौड़ा उसकी गाँड़ में धँसता चला गया। सरला आऽऽऽहहह मरीइइइइइइइ चिल्लाई।

शिवा अब मस्ती में आकर उसकी गाँड़ मारने लगा। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मज़ाआऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ है। वह अब पिस्टन की तरह आगे पीछे होकर उसकी गाँड़ मार रहा था सरला की चीख़ें निकल रही थी। शिवा हाथ नीचे कर के उसकी चूचियाँ दबाए जा रहा था । जल्दी ही सरला भी आऽऽऽंहहह करके अपनी बुर की क्लिट मसलने लगी। फिर उसने शिवा का हाथ पकड़ा और उसे अपनी क्लिट में रगड़ने लगी। शिवा अब ख़ुद उसकी क्लिट रगड़ने लगा और गाँड़ में धक्के भी मारता रहा। जल्दी ही दोनों चिल्ला कर झड़ने लगे।

सरला पेट के बल गिर गयी और वो उसके बग़ल में लेट गया। सरला हाँफते हुए बोली: जानते हो आज तो तुमने मेरे साथ ये चुदाई की है । ये मेरे जीवन की सबसे बढ़िया चुदाई है जिसे मैं जीवन भर नहीं भूलूँगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या ताक़त है तुममें। कितना दम में है तुम्हारी कमर में। सच में मालिनी बहुत क़िस्मत वाली है जो उसे ऐसा बढ़िया चुदक्कड पति मिला है। जितनी बढ़िया तुमने बुर चोदी उतनी ही बढ़िया गाँड़ भी मारी।

शिवा हँसकर: मम्मी अभी तो एक राउंड और होगा।

सरला: नहीं नहीं बस मैं थक गयी हूँ। और नहीं करवा सकती।

शिवा: मम्मी ये सब मूवी देखकर अब आते होंगे । चलो हम तय्यार होकर ड्रॉइंग रूम में चलते हैं। वो दोनों फिर बाथरूम में फ़्रेश होकर ड्रॉइंग रूम में पहुँचे और सरला चाय बनाकर लाई। वो इस बीच अपनी जेठानी को भी पानी और चाय उसके कमरे में दे आयी थी।

शिवा: मम्मी एक बात पूछूँ ? ग़ुस्सा मत करना।

सरला: सब कुछ तो बता दिया है । अब और क्या बताना है?

शिवा: मम्मी मालिनी और राकेश क्या श्याम ताऊ जी के बच्चें हैं।

सरला: नहीं वो मेरे पति से हैं । बल्कि यहाँ उलटा है।

शिवा चाय पीते हुए: उलटा मतलब ?

सरला:असल में चारु और मुन्नी मेरे पति की संतान हैं। ये बात मैंने कभी किसी को नहीं बतायी। यहाँ तक कि मालिनी को भी नहीं। हुआ ये था कि जब जेठानी के बच्चा नहीं हो रहा था तब उसका चेक अप करवाया था मैंने । और वो बिलकुल ठीक थी कमी ज़ेठ जी यानी श्याम जी में थी। उनके वीर्य में कुछ कमी थी। फिर मैंने अपने पति को मनाया और जेठानी को उनसे चुदाया और वो दो बच्चियों की मॉ बनी। इसलिए जेठानी के बच्चे मेरे बच्चों से छोटें है।

शिवा: ओह ये तो बड़ी अजीब बात है। ताई जी पापा जी से आपके सामने चुदतीं थीं क्या?

सरला: हाँ शुरू में वो झिझकती थीं ना। इसलिए मैं वहाँ सामने रहती थी। बाद में वो ख़ुद दोपहर को चुदवा लेती थीं।

शिवा: और आप ताऊ जी से कैसे शुरू हुई?

सरला: वो तो मेरे पति की मृत्यु के बाद श्याम मुझे पटा लिए। मैं भी प्यासी थी तो फँस गयी।

शिवा : ओह , । तभी बहुत शोर करते हुए सभी बच्चे मालिनी के साथ अंदर आए। और मूवी के बारे में उत्साह से बताने लगे।

मुन्नी भी बहुत ख़ुश होकर अपना नया मोबाइल शिवा को दिखाई और बोली: थैंक्स जीजा जी , दीदी ने आपके कहने से दिलवा दिया। और उसने शिवा के पास आके उसकी पप्पी ले ली। सब हँसने लगे। शिवा ने भी मुन्नी के गाल में एक पप्पी दे दी।

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04-09-2017, 04:34 PM,
#74
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
सरला ने सबके लिए चाय बनाई। सब खाते पिते बहुत बातें किए। शिवा : मालिनी कब वापस चलना है?

चारु: प्लीज़ कल चले जाइएगा ना। अभी दीदी से बहुत सी बातें करनी हैं।

सरला: और क्या बेटा। प्लीज़ एक रात के लिए रुक जाओ।

शिवा उसकी आँखों में देखा और वहाँ वासना साफ़ साफ़ दिखाई दी उसको।

वो मुस्कुराकर: ठीक है आप सब चाहते हो तो यही सही, पर हमको कल सुबह सुबह ही जाना होगा। ११ बजे तक दुकान खोलनी रहती है ना।

सब ख़ुश हो गए। मुन्नी उससे आकर लिपट गयी और बोली: थैंक्स जीजा जी। शिवा ने भी प्यार से उसके गाल सहला दिए।

मालिनी सोची कि पापा को शायद परेशानी होगी। सो वह बोली: पापा के खाने का क्या होगा?

सरला: अरे एक रात बाहर खा लेंगे। मैं उनको बोल देती हूँ।

शिवा मुस्कुराया और सोचा कि वो आपकी बात तो मान ही जाएँगे। फिर चारु और मुन्नी मालिनी को अपने कमरे में ले गए। शिवा बोला: राकेश मैं थोड़ा सैर करके आता हूँ। कोई पार्क है क्या पास में?

राकेश: जीजा जी आप चाहो तो मैं ले चलता हूँ आपको।

शिवा: हाँ हाँ चलो ना। साथ रहेगा तो अच्छा ही लगेगा।

राकेश: मैं अभी आया जूते बदलकर। वो अपने कमरे में चला गया।

सरला किचन में खाने की तय्यारी कर रही थी । शिवा उसके पास आया। वो उसको पीछे से पकड़कर उसके कंधों को चूमकर बोला: मम्मी अब रोक तो लिया है आपने , रात का प्रोग्राम बनेगा क्या।

सरला: क्यों रात को मालिनी की नहीं लोगे क्या?

शिवा: उसका पिरीयड्ज़ आया हुआ है। आज तीसरा दिन है।

सरला: तभी मेरी लेने का ख़याल आया है?

शिवा उसकी गाँड़ दबाकर और चूचि मसलकर बोला: उफफफ मम्मी क्या माल हो आप। कुछ करो ना रात की चुदाई का इंतज़ाम।

सरला: उइइइइइइ छोड़ ना बेटा। मार ही डालेगा क्या। चल कुछ सोचती हूँ। और कुछ नहीं कर पाई तो मालिनी के दूध में नींद की एक गोली डाल दूँगी। वो मज़े से सोती रहेगी और तुम आके मज़े कर लेना। ठीक है ना?

शिवा उसे चूमकर: वाह मम्मी आपका प्लान बढ़िया है। लगता है ताई जी पर भी यही प्लान आज़माती होगी।

सरला उसके लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाकर बोली: धत्त बदमाश कंही का। शिवा हंसकर उसकी बुर को साड़ी के ऊपर से दबाकर: ठीक है मम्मी मैं और राकेश थोड़ा पार्क तक घूम कर आते हैं । आप पापा से हमारे कल आने की बात कर लेना। फिर वह बाहर आया और तभी राकेश भी आया और दोनों पार्क की ओर चल पड़े।

उधर सरला ने अपने कपड़े ठीक किए जो शिवा ने ब्लाउस और साड़ी मसलकर ख़राब कर दिए थे और बुर को खुजाकर वो सोची कि उफफफ कितना गरम ख़ून है इस लड़के का?

फिर वो राजीव को फ़ोन लगाई: नमस्ते समधी जी। कैसे हैं ?

राजीव : बहुत उदास हूँ, बहु को तुमने हज़म जो कर लिया है।

सरला हँसकर : वो दोनों तो आज रुकने का सोचे हैं। कल सुबह वापस आएँगे।

राजीव: ये तो ग़लत बात है। शाम को वापस आने की बात हुई थी। मेरे डिनर का क्या होगा?

सरला: अरे एक रात बाज़ार से ऑर्डर करके मँगा लीजिएगा ना। रात के लिए कोई छम्मक छल्लो भी बुला लीजिए। आपकी रात रंगीन कर देगी।

राजीव: तुम जानती हो मुझे रँडी में कोई दिलचस्पी नहीं है। अच्छा ये तो बताओ तुम्हारा और शिवा का कुछ हुआ? बात आगे बढ़ी कि नाहीं ?

सरला हँसते हुए: वो तो आपका सगा बेटा ही निकला ।आज ही दोपहर को उसने मेरी आगे और पीछे दोनों की ले ली।

राजीव ख़ुशी से चिल्लाया: क्या बोलती हो? हो भी गया?

सरला: आप दुनिया के इकलौते बाप होगे जो अपने बेटे की ऐसी करतूत से ख़ुश हो रहे हैं। कोई दूसरा होता तो बेटे को दस जूते मारता ।

राजीव: अरे मेरा बेटा है। मुझे उस पर गर्व है। अच्छा बताओ कुछ सीखा है वो कि नहीं की बिस्तर पर औरत को कैसे मज़ा देना है?

सरला: अरे वो तो उस्ताद हो गया है। आख़िर मेरी बेटी भी तो साथ में ट्रेनिंग दी है ना उसको?

राजीव: अच्छा बताओ कि मेरे साथ ज़्यादा मज़ा आया कि शिवा के साथ?

सरला हँसती हुई: सच बोलूँ? शिवा का जवान बदन और उसका मस्त हथियार पागल कर देने वाला है। और जानते हो जवानी का स्टेमिना कितना ज़्यादा होता है। पूरे आधे घंटे बिना रुके उसने मुझे चोदा है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरी तो जैसे बरसों की प्यास बुझा दी उसने। आपको जलन तो नहीं हो रही है?

राजीव: अरे नहीं । बल्कि गर्व हो रहा है अपने बेटे की मर्दानगी पर। फिर आज रात का क्या प्लान है?

सरला: अभी आया था किचन में। सब कुछ दबाकर बोला है कि रात को आएगा मेरे कमरे में ।

राजीव: और मालिनी उठ गयी और देखी कि शिवा नहीं है तो?

सरला: उसको तो नींद की एक गोली दे दूँगी। सुबह तक मस्त सोएगी।

राजीव: चलो बढ़िया। अब इसके बाद तुम यहाँ आना और मैं मालिनी को तुम्हारी और शिवा की चुदाई दिखाऊँगा। बस उसके बाद सब कुछ बढ़िया हो जाएगा।

सरला थोड़ा परेशान होकर: शिवा को पता चला आपके और मालिनी के बारे में तो पता नहीं वो इसे कैसे लेगा?

राजीव : अरे तुम चिंता ना करो मैं उसका पहले ही ब्रेन वाश कर दूँगा। अब उसे थोड़ी इनसेस्ट का मतलब समझाना होगा।

सरला: वो तो मैंने यहाँ ही शुरू कर दिया है। वैसे आपको बता दूँ कि आज उसने मेरे सामने कई बार बोला कि वो अपनी सगी माँ को नंगी देख चुका था और उसकी फंतसि थी किवो अपनी माँ को चोदे।

राजीव हैरानी से बोला: ओह। ऐसा क्या? ये तो नयी बात पता चली।

सरला: वो मुझसे और अपनी माँ में तुलना भी कर रहा था। ख़ासकर हमारी छातियों की।

राजीव: ओह तब तो काम आसान हो जाएगा। चलो रात में मज़े लो और कल रिपोर्ट देना। हैपी फ़किंग मेरे बेटे के साथ। फिर वो फ़ोन काट दिया।

उधर मालिनी अपनी बहनों के साथ बातें कर रही थी। बातों बातों में बात सेक्स की ओर मुड़ गयी। स्कूल में होने वाली बातों के बारे में लड़कियाँ बताने लगीं।

चारु: पता दीदी, हमारे स्कूल में कई लड़कियाँ बड़े अजीब अजीब से कपड़े पहन कर आती हैं । हमारी चाची तो हमको ऐसे कपड़े कभी पहनने ही ना दे।

मालिनी: पर स्कूल में तो यूनीफ़ॉर्म होती है ना?

चारु: शनिवार को कुछ भी पहन सकते है। कुछ लड़कियाँ तो मिनी स्कर्ट पहनकर आती हैं और लड़के अपनी पेन्सल कागच ज़मीन पर गिरा कर उनको उठाने के बहाने उनकी स्कर्ट के अंदर झाँकते है। ही ही ही । वो शर्मा कर हँसी।

मालिनी भी मज़े से आँख मटका कर: अब तू १८ की हो गयी है। बता क्यों झाँकते हैं?

चारु मस्ती में: वही देखने को झाँकते हैं जो कि जीजा जी आपकी साड़ी में देखने के लिए झाँकते हैं ।

मालिनी झूठा ग़ुस्सा दिखाकर: ठहर साली बहुत बोलना आ गया है। ये कहते हुए मारने दौड़ी। चारु चिल्लायी: चाची बचाओ ।और भाग कर किचन में सरला के पास आ गयी।

सरला हँसकर: क्या हुआ मालिनी क्यों मार रही है इसको?

मालिनी हँसकर: मम्मी ये बड़ी बदमाश हो गयी है। पर उसने शर्म के मारे उसको सब बात नहीं बताई। फिर दोनों वापस कमरे में आयीं। मालिनी: बहुत सयानी हो गयी है तो कोई बीएफ़ बनाया या नहीं?

चारु: धत्त दीदी। मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ। पर सच में बहुत सी लड़कियों के हैं। वो सब बुरे बुरे काम भी कर चुकी हैं।

मालिनी हँसकर :ओह, कैसे बुरे काम?

चारु: दीदी आप भी ना । मैं कैसे बताऊँ। वो भी मुन्नी के सामने। देखो ना कैसे कान खोलकर सब सुन रही है।

मालिनी: अरे तो क्या हुआ। अब मुन्नी भी तो जवान हो गयी है। देखो ना इसके दूध कितने बड़े हो गए हैं। दो साल से तो ब्रा भी पहन रही है। अब कोई बच्ची थोड़ी है।

सब हँसने लगे। मुन्नी: दीदी आप भी मुझे चिढ़ा रही हैं । मैं जीजा जी से शिकायत करूँगी।

मालिनी: ज़्यादा जीजा जीजा मत कर। कहीं साली को आधी घरवाली समझ कर पकड़ लिया तो उइइइइइ कर उठेगी।

अब चारु मस्ती से बोली: तो लगता है कि जीजा जी आपको बहुत उइइइइ कराते हैं । है ना?

मालिकी: अरे शादी के बाद तो जब वो चाहें मुझसे उइइइइइ या आऽऽहहह करा सकते हैं। उनके पास तो लाइसेंस है। पर कहीं इस बेचारी मुन्नी को उन्होंने पकड़ लिया तो ये तो गयी। हा हा हा।

मुन्नी: हमारे जीजा जी बहुत अच्छें है। वो ऐसा नहीं करेंगे। हाँ चारु ज़्यादा उछल रही है। शायद इसके साथ वो ऐसा कर लेंगे ।

चारु: दीदी अगर वो मेरे साथ कुछ करेंगे तो मैं आपको बता दूँगी। आप उनको ठीक कर दीजिएगा ।

मालिनी हँसकर : अपने जीजा से ख़ुद ही निपटो तुम लोग। मुझे क्यों बीच में लाते हो। हा हा ।

इस तरह की चूहल हो रही थी। मालिनी को लगा कि दोनों कलियाँ फूल बनने को मरी जा रही हैं। अगर इनको शिवा ही फूल बनाए तो ज़्यादा अच्छा होगा बनिस्बत इसके कोई बाहर वाला इनकी मलाई खा जाए। वो उसकी बहनों को बड़े ही प्यार से जवान करेंगा। बाहर वाले का तो कोई भरोसा ही नहीं कि किस तरह से इन नादान लड़कियों को मसलेंगे।पता नहीं ये शादी के पहले हो प्रेगनेंट ही ना हो जाएँ। वो सोची कि इस बारे में शिवा बात करेगी।

उधर राकेश और शिवा में बातें हो रहीं थीं । राजेश का आख़िर साल था । अगले साल वो इंजीनियर बन जाएगा। वह अपनी पढ़ाई और नौकरी की बातें कर रहा था।

शिवा: देखो नौकरी बस ३/४ साल ही करना। फिर अपना काम शूरु करना। जो मज़ा अपने काम में है वो नौकरी में कहाँ। फिर इधर उधर की बात करके शिवा पूछा: कोई गर्ल फ़्रेंड बनायी या नहीं? देखो पार्क में क्या हो रहा है?

पार्क में रोमैन्स का माहोल था। जगह जगह लड़के लड़की चिपके हुए थे। और चूमा चाटी चल रही थी।

राकेश: नहीं जीजा जी नहीं बनाई। मुझे लड़कियों में कोई इंट्रेस्ट नहीं है।

शिवा: अरे वो क्यों? गे हो क्या?

राकेश: धत्त आप भी ना। पर मैं अभी पढ़ाई पर ध्यान दे रहा हूँ। तभी वहाँ से एक अधेड़ बहुत सुंदर थोड़ी मोटी सी औरत एक लड़के के साथ गुज़री। दोनों ने हाथ पकड़े हुए थे । शिवा ने देखा कि अब राकेश में एक अजीब सा परिवर्तन आ गया था। उसकी आँख लाल हो गयी थी और साँस भी तेज़ चलने लगी थी। वो कुछ सोचा और उस औरत और लड़के के पीछे हो लिया। राकेश भी उसके साथ चला जा रहा था। शिवा ने नोटिस किया कि राकेश की आँखें उस जोड़े से हट ही नहीं रही थी।

वो जोड़ा एक सूनी सी जगह में एक बेंच पर बैठ गए। शिवा और राकेश आगे बढ़ गए। पर थोड़ी दूर जाकर शिवा घूमकर पीछे से आया और उस जोड़े के पीछे एक पेड़ की ओट में छुप गया और राजेश को भी छुपा लिया। शिवा ने देखा कि राकेश बहुत उत्तेजित था और उसकी साँस बहुत तेज़ चल रही थी। शिवा हैरान हुआ कि इतनी देर से जवान जोड़ों को देखकर तो इसे कुछ नहीं हुआ पर इस बेमेल जोड़े को देखकर ये तो आपे से बाहर ही हुए जा रहा है।

तभी वो लड़का बोला: चाची आज आप बहुत सुंदर दिख रही हो। स्लीव्लेस ब्लाउस में आप बहुत सेक्सी दिखती हो?

औरत: चल हट बदमाश। मैं देख रही हूँ आजकल ज़्यादा ही बोलना सीख गया है। ये कहकर वो इधर उधर देखी और किसी को ना पा कर वो उसके होंठ चूम ली। अब वो लड़का भी अपनी बाँह उसके कंधे पर रखा और उसके कंधे और बाँह सहलाने लगा। शिवा ने कनख़ियों से देखा तो राकेश के पैंट में एक ज़बरदस्त तंबू बन गया था और वो उसको पकड़कर दबा रहा था ।राकेश उससे क़रीब ४/५ साल ही छोटा था।

उधर लड़के ने अपना हाथ औरत के ब्लाउस के अंदर कर दिया और उसकी चूचि दबाने लगा। वो औरत हाय्ययय करने लगी और उसका हाथ लड़के के पैंट के ऊपर उभार पर गया और वो उसको दबाने लगी। अब शाम हो चली थी थोड़ा अँधेरा भी हो रहा था। अब लड़के ने कहा: चाची अपनी साड़ी उठाओ ना। बुर सहलानी है।

वो बोली: बेटा कोई आ गया तो?

लड़का: अरे चाची कोई नहीं है यहाँ। प्लीज़ साड़ी उठाओ ना। आप ऐसा करो खड़ी हो जाओ साड़ी उठाकर। कोई आएगा तो नीचे कर लेना।

शिवा ने राकेश को देखा और वो दंग रह गया । उसकी आँखें वहीं पर जमी थीं। और उसका लौड़ा बाहर आ गया था और वो उसे मूठिया रहा था। अच्छा ख़ासा ७ इंच का मोटा और बहुत गोरा लौड़ा था। तभी वो औरत खड़ी हुई और अपनी साड़ी ऊपर करली। उसकी पीठ लड़के के सामने थी।

लड़के ने उसके बड़े बड़े गोरे मोटे चूतरों को दबाया और फिर बीच में मुँह डालकर उसको आगे झुका कर उसकी बुर चाटने लगा। वो सामने को झुक कर आऽऽऽऽह करके अपनी बुर चटवा रही थी। अब लड़के से नहीं रहा गया और वो अपने पैंट से अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसकी बुर में पीछे से ही पेल दिया अब वो उसको चोदने लगा। शिवा ने देखा कि राकेश की हालत बहुत ख़राब हो रही थी उत्तेजना से । तभी राकेश मुट्ठी मारकर झड़ने लगा। उसका गाढ़ा वीर्य पेड़ से टकरा कर नीचे गिरने लगा।

उधर अचानक दो लड़के से आ गए और उस लड़के को और औरत को धमकाने लगे। वो औरत थर थर काँप रही थी और लड़का भी अपनी पैंट की जीप बंद कर रहा था। वो दो लड़के बोले: तुमको पुलिस में देंगे। वरना जितना पैसा और ज़ेवर है हमको दे दो। साफ़ लगता है की ये बुढ़िया तुमको फंसा कर तुम्हारी जवानी को लूट रही है। अरे छोड़ो इसे हम तुमको बढ़िया जवान माल दिलाएँगे

लड़का: आप इनको सब दे दो। वरना कहीं इन्होंने शिकायत कर दी और घर में पता चल गया तो आफ़त आ जाएगी।

औरत: हाँ हाँ सब ले लो। बस हमें जाने दो।

शिवा समझ गया था कि ये गुंडे थे और इनका काम ही यही है की पैसे लूटो ब्लैकमेल करके। वो राकेश को बोला: चलो हम इनकी मदद करते हैं। वो दोनों बाहर आए और शिवा गरज कर बोला: क्या है बे? कमिनो चलो भागो यहाँ से । वरना पुलिस तुम नहीं मैं बुलाऊँगा।

शिवा की क़द काठी देखकर वो दोनों घबरा गए और देख लूँगा कहते हुए भाग गए।

वो औरत रोने लगी और बोली: थैंक्स बेटा आज आप लोगों ने हमको बचा लिया।

लड़का: आपका बहुत बहुत धन्यवाद। सच में आप दोनों देवदूत बन कर आए हो।

शिवा: देखो हमने आप दोनों को मज़ा लेते देखा था और हम जानते हैं कि आप चाची और भतीजा हो। मैं चाहता हूँ कि आप थोड़ी देर यहाँ बैठो और हमें अपने रिश्ते के बारे में बताओ। देखो हम एक दूसरे को नहीं जानते और ना ही जानना चाहेंगे। पर अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मुझे भी पुलिस को सब बताना होगा।

उन दोनों के चेहरे का रंग उड़ गया। वो सोचे कि ये क्या नई मुसीबत खड़ी हो गयी है। औरत रुआंसी होकर बोली: बेटा हमें जाने दो। हमें माफ़ कर दो।

शिवा: देखिए आप मुझे ग़लत समझ रहे हो। मैं आपको सिर्फ़ कुछ समय के लिए रोक रहा हूँ। असल में मैं एक लेखक हूँ। मैं ये समझना चाहता हूँ कि आख़िर वो क्या परिस्थिति है जिसने आप चाची और भतीजे को ये सब कुछ करने पर मजबूर कर दिया ?

राकेश हैरानी से जीजा को देख रहा था। तभी शिवा थोड़ी सख़्त आवाज़ में बोला: बैठिए आप दोनों। वो दोनों डर के बैठ गए।

शिवा: अब जल्दी से अपनी आप बीती सुना दो।

लड़का: भय्या हम एक संयुक्त परिवार में रहते है। बचपन से ही मैं अपने परिवार में सबका सेक्स देखा हूँ। पापा मम्मी का, ताया जी और ताई जी का और इन चाची और चाचा जी का भी। मैंने हमेशा ये नोटिस किया की चाची जी संतुष्ट नहीं होती थी चाचा जी से। इस लिए मैंने इनको ही निशाना बनाया। और ये भी प्यासी थीं तो आराम से मेरी बाहों में आ गयीं। बस इतनी सी ही बात है।

शिवा: नहीं तुमने अभी पूरी बात नहीं बताई है। सच सच बोलो कि तुम क्या सिर्फ़ इनको ही चोदना चाहते थे? या किसी और को भी?

लड़के ने सिर झुका कर कहा: हाँ मैं अपनी मम्मी को ही चोदना चाहता था। पर वो नहीं तो चाची ही सही।

औरत: ओह तभी ये कभी कभी मुझे करते हुए माँ माँ बोलता है।

शिवा ने राकेश को देखा जिसका चेहरा एक बार फिर से उत्तेजना से भर गया था । शिवा ने देखा कि उसके पैंट में फिर से टेंट बन गया था।

शिवा : देखो मेरा ये दोस्त कभी चुदाई नहीं देखा है। आप दोनों एक बार उसे चुदाई दिखा दो तो वो भी सीख जाएगा।

औरत इसका विरोध करते हुए बोली: ये कैसे हो सकता है?

शिवा: देखिए आपको पूरा नंगी होने की ज़रूरत नहीं है। आप जैसा कर रहे थे वैसा ही कर लो।

लड़का: चाची हमको देर हो रही है। एक बार कर लो फिर हम घर जा सकेंगे।

औरत: मुझे बड़ी शर्म आ रही है।

लड़का: प्लीज़ चाची जल्दी से कर लो। यह कहते हुए अपनी पैंट का जीप खोल कर अपना नरम लौड़ा बाहर निकाला और चाची को सामने बैठा कर उसके मुँह के पास अपना लौड़ा ले आया।चाची थोड़ा सा हिचकिचाई फिर उसे चूसने लगी। राकेश आँखें फाड़े हुए चाची को देख रहा था। अब लड़के का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया था।उसने ब्लाउस में हाथ डालकर वो उसकी चूचियाँ मसलने लगा। अब वो चाची को खड़ा किया और उसको पहले जैसे ही झुकाया और उसकी साड़ी उठाकर उसकी बुर में लौड़ा डाल दिया। चाची: आऽऽऽऽऽऽह बेटाआऽऽऽ धीरे से। हाऽऽऽऽऽय उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

लड़का ज़ोर ज़ोर से चोदे जा रहा था और बड़बड़ा रहा था: आऽऽऽहब माँ लो मेरा लंड आऽऽऽहब लो माँआऽऽऽ लोओओओओओ। मेंएएएएएरा लंड ।

राकेश की आँखें फटी जा रहीं थीं कि ये क्या हो रहा है। ये लड़का माँ माँ चिल्लाए जा रहा है। उफ़्फ़। अब वो फिर से अपना लौड़ा दबाने लगा।

उधर लड़का अब माँआऽऽऽऽऽ हम्म कहकर झड़ने लगा। चाची भी उइइइइइइ कहकर झड़ गयी। दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे। फिर वो अलग हुए और चाची ने अपनी साड़ी को नीचे किया। और अपनी साड़ी से बुर को दबाकर शायद उसने अपनी गीली बुर को साफ़ किया पेटिकोट से। लड़का भी रुमाल से अपना लौड़ा साफ़ करके उसको अंदर किया । अब वो बोला: अब हम जाएँ ?

शिवा: हाँ भाई अब जाओ। धन्यवाद ।

दोनों जल्दी से वहाँ से भाग गए। अब शिवा और राकेश भी वहाँ से वापस जाने लगे। राकेश को चलने में बहुत मुश्किल हो रही थी क्योंकि टाइट जींस में उसका खड़ा लौड़ा उसको बहुत तंग कर रहा था।

रास्ते में शिवा बोला: तो देखा दुनिया कितनी अजीब है? वो चाची को चोद रहा था और बोले जा रहा था मॉ मॉ। मानो मॉ को ही चोद रहा हो।

राकेश: हाँ सच में ऐसा ही था। पर एक बात बताओ आपने उनको सेक्स करने को क्यों कहा? मैंने तो आपको कुछ ऐसा कहा नहीं था कि मैं वो सब देखना चाहता हूँ।

शिवा: याद है मैंने पूछा था कि तुम्हारी गर्ल फ़्रेंड है क्या? तुमने कहा कि नहीं। पर उसकी समय तुम चाची और उसके भतीजे को देखकर कितना उत्तेजित हो गए थे। मैं समझ गया कि तुमको बड़ी उम्र की औरतें पसंद हैं। बोलो सही कहा ना?

राकेश: जी जीजा जी। सच है।

शिवा: बताओ तुम क्यों बड़ी उम्र की औरतों को पसंद करते हो?

राकेश: मैं आपको नहीं बता सकता।

दोनों बातें करते हुए घर को आ रहे थे।

शिवा को याद आया कि सरला बोली थी कि बच्चों को शायद पता है कि वो श्याम से चुदती है। वह बोला: तो तुमने अपनी मम्मी को किसी के साथ देखा है। यही ना ?

अब वो बुरी तरह से चौका और बोला: जीजा जी आपको कैसे पता?

शिवा: तुमने मम्मी को ताऊ जी के साथ देखा है ना।

राकेश अब सन्न रह गया। वो बोला: हे भगवान ! आपको कैसे पता?

शिवा का गेस सही बैठा था। वो बोला : तो तुमने अपनी मम्मी को ताऊजी के साथ कितनी बार देखा होगा अब तक?

राकेश: मैंने गिना नहीं। पर कई बार देखा है।

शिवा: एक बात पूछूँ ? ग़ुस्सा नहीं होना। क्या तुमको अपनी मम्मी का नंगा बदन पसंद है ?

राकेश धीरे से : हाँ बहुत।

शिवा: ओह, तो क्या तुम अपनी मम्मी को चोदना चाहते हो?

राकेश चलते चलते रुक गया। अब वो उसे उदासी से देखा और बोला: मेरे जवाब से क्या फ़ायदा? जो हो नहीं सकता वो आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं?

शिवा: घबराओ मत। मैं भी कभी अपनी मम्मी को चोदना चाहता था। पर वो बीमार होकर भगवान के पास चली गयी।

शिवा: मेरी बात का साफ़ साफ़ जवाब दो राकेश, क्या तुम अपनी मम्मी को चोदना चाहते हो या नहीं?

राकेश: हाँ हाँ चोदना चाहता हूँ। और मैं उनके पीछे पागल सा हूँ।

शिवा: ओह चलो कोई बात नहीं। कम से कम तुम्हारे दिल की बात का पता तो चला।चलो अब इसके लिए कुछ करेंगे।

राकेश : क्या करेंगे?

शिवा मुस्कुरा कर: देखो ये तो समय ही बताएगा चलो अब घर आ गया है। आज की बात का ज़िक्र किसी से नहीं करना।
वैसे रात को कितने बजे सोते हो?

राकेश: ऐसा कोई तय समय नहीं है। क्यों पूछ रहे हैं ?

शिवा: मैं तुमको एक मिस्ड काल करूँगा और तुम अपनी मम्मी के कमरे की खिड़की पर आ जाना। और चुप चाप देख लेना अपनी मम्मी की चुदाई।

राकेश सन्न रह गया और कांपते हुए बोला: क्या आप मम्मी को चोदेंगे?

शिवा: हाँ आज मैंने उनको दोपहर को जब तुम फ़िल्म देखने गए थे तब चोदा था और आज रात भर चोदूँगा

राकेश उत्तेजना से अपना लौड़ा दबाकर : आऽऽह क्या दीदी को इसका पता है?

शिवा मुस्कुराकर: नहीं अभी तक तो नहीं।

राकेश अपना लौड़ा दबाकर: उफफफफफ मैं ज़रूर आऊँगा।

शिवा और राकेश घर में घुसते है और सामने सरला आकर बोलती है: कहाँ थे दोनों? मुझे चिंता हो रही थी।

शिवा: अरे मम्मी यहीं पास में पार्क में टहल रहे थे

सरला: चलो अब डिनर लगा रहीं हूँ । सब लोग बैठो ।

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04-09-2017, 04:35 PM,
#75
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
डिनर करते हुए मालिनी और लड़कियाँ मस्ती करती रहीं। अब सब खाना खाके थोड़ी देर गप शप मारे फिर सोने चले गए। मालिनी को शिवा के साथ एक कमरा मिल गया था।
शिवा कपड़े बदलते हुए बोला: तो आज बहुत मस्ती हुई बहनों के साथ?

मालिनी: हाँ आज बहुत मज़ा आया। लड़कियाँ बड़ी हो गयीं हैं और शरारती भी।

शिवा: बड़ी तो हो गयीं हैं । मुन्नी में अभी भी बचपना है।

मालिनी: हाँ वो अभी छोटी भी तो है।

शिवा अब सिर्फ़ चड्डी में था और उसका मस्त भरा हुआ बदन देखकर मालिनी की बुर ऐसी हालत में भी गरम होने लगी।
शिवा बोला: वैसे मुन्नी शरीर से तो बड़ी हो गयी है। उसके दूध भी काफ़ी बड़े दिख रहे थे इस बार। कोई BF है क्या जो दबाकर बड़ा किए जा रहा है? अब उसका लौड़ा आधा तन गया मुन्नी के दूध का साइज़ सोच कर। मालिनी हँसकर बोली: देखो आपका तो खड़ा होने लगा, उसके दूध का सोचकर।

शिवा हँसते हुए लोअर पहना और बोला: अब क्या करे बिचारा , दो दिन से प्यासा है। तुमने तो लाल झंडी लगा रखी है।

मालिनी बड़े प्यार से बोली: ओह बिचारा। लाओ चूस देती हूँ।

शिवा आज चूसवाना नहीं चाहता था क्योंकि उसे सरला को चोदना था। इसके पहले कि वो कुछ कहता दरवाज़े में आवाज़ आयी और वो अपनी टी शर्ट भी पहन लिया। तभी सरला अंदर आइ और दो गिलास दूध का लाई। उसने एक गिलास शिवा को दिया और एक मालिनी को दिया। दोनों दूध पीते हुए बातें करने लगे और सरला बोली:मैंने राजीव जी को बता दिया था कि तुम लोग कल सुबह आओगे।

शिवा: थैंक्स मम्मी जी। मालिनी का ध्यान टी वी पर था और शिवा अपने लौड़े का शेप लोअर से सरला को दिखाया और इशारा किया कि ये कब तक सो जाएगी?

सरला: अच्छा बेटी अब तुम दोनों आराम करो मैं चलती हूँ। वो शिवा को आँख मारी।

शिवा बाथरूम में जाकर शॉवर लिया और बाहर आया तो मालिनी बोली: मुझे बहुत नींद आ रही है । आपको लौड़ा चूसवाना है तो जल्दी करो।

शिवा: अरे जान तुमको नींद आ रही है तो सो जाओ यार। इसको कल चूस देना।

मालिनी: सच आप बहुत अच्छे हो। चलो मैं सोती हूँ । गुड नाइट।

जल्दी ही वह गहरी नींद में समा गयी। अब शिवा उठा और बाहर आया और राकेश के कमरे में गया। वह अभी भी पढ़ाई कर रहा था। उसको देखकर वो बोला: आप जा रहे हो मम्मी के कमरे में?

शिवा: हाँ मैंने सोचा की क्या मिस्ड कॉल करूँ , इसलिए तुमको बताने ही आ गया। चलो अब शो चालू करता हूँ। अपनी मम्मी को मुझसे चुदता देख लो।

राकेश खड़ा हुआ और उसका लोअर पूरी तरह से सामने से उठा हुआ था। शिवा उसकी हालत देखकर मुस्कुराया और बाहर जाकर उसको एक खिड़की के पास खड़ा किया और बोला: मैं अंदर से खिड़की खोलता हूँ तुम पर्दा हटा कर देखना। राकेश ने हाँ में सर हिलाया। शिवा कमरे में दाख़िल हुआ और सरला को एक करवट सोते पाया। उसकी बड़ी सी गाँड़ उसकी तरफ़ थी। वो चुपचाप जा जाके खिड़की को धीरे से थोड़ा सा खोला और जाकर बिस्तर पर बैठ कर सरला को निहारने लगा। कमरे में नाइट लैम्प जल रहा था। उसने एक सेक्सी गाउन पहना था। उसे शायद इंतज़ार करते हुए नींद आ गयी थी। उसकी आधी चूचियाँ गाउन से बाहर झाँक रहीं थीं। वो मस्ती से उसे देखा और फिर खिड़की की तरफ़ देखा। वहाँ उसे परदे के पीछे एक हल्की सी परछाईं दिखाई दी । वो समझ गया कि राकेश अपनी जगह ले चुका है। वो मन ही मन मुस्कुराया। आज एक बेटा अपनी माँ को अपने दामाद से चुदते देखेगा। वो ये सोचकर गरम हो गया।

उसे लगा कि चोदने से ज़्यादा मज़ा तो ये सोच कर आएगा कि बेटा अपनी माँ को चुदते देख रहा है। अब उसने सरला के कमर से लेकर उसकी बग़ल से होकर उसके बाँह सहलाते हुए उसके गाल सहलाए। सरला हिली और उठकर बोली: बड़ी देर कर दी। मेरी शायद आँख लग गयी थी।

शिवा झुककर उसके गाल चूमा और बोला: मम्मी ,मालिनी के सोने का तो इंतज़ार करना ही था ना।

सरला: मैं ज़रा बाथरूम से फ़्रेश हो कर आती हूँ। तुम कपड़े उतारो। वह उसे चूमकर उठी और बाथरूम में चली गयी। शिवा ने लोअर और शर्ट उतारी और चड्डी में बिस्तर पर बैठ गया।
थोड़ी देर में सरला बाहर आयी और बोली: क्या बात है शर्म आ रही है चड्डी उतारने में ?

शिवा: नहीं मम्मी आप उतारोगी तो ज़्यादा मज़ा आएगा । वह पलंग के हेड बोर्ड के सहारे बैठा था। अब सरला उसके पास आयी और उसकी छाती में अपना सिर रख कर उसकी छाती के बालों से खेलने लगी। वह भी उसके मुँह को ऊपर किया और उसके होंठ चूमने लगा। दोनों क़रीब दस मिनट तक एक दूसरे के होंठ से चिपके रहे और जीभ चूसते रहे। शिवा के हाथ उसकी चूचियों और कमर और चूतरों पर घूम रहे थे। अब वो बोला: मम्मी इस सेक्सी नायटी में आप बहुत मस्त दिख रही हो। ज़रा गाँड़ मटका कर चल के दिखाओ ना।

सरला हँसती हुई खड़ी हुई और कमरे में एक कोने से दूसरे कोने तक अपनी गाँड़ हिला हिला कर चल कर दिखाई। उफफफफ क्या फाड़ू माल दिख रही थी। भरे बदन पर सेक्सी नायटी और उसके अंदर से उसके हिलते वक्ष और हिलते चूतर, किसी हिजड़े को भी मर्द बना सकते थे। शिवा और राकेश दोनों की हालत ख़राब हो रही थी। राकेश ने तो अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था। उधर शिवा का भी लौड़ा चड्डी से बाहर आकर झाँक रहा था।

शिवा: मम्मी प्लीज़ गाउन उतार दो ना सेक्सी तरीक़े से । नीचे क्या पहना है आपने?

सरला: ख़ुद ही देख लेना कि नीचे क्या पहना है। हा हा ।
अब वह गाउन की रस्सी खोली और धीरे धीरे गाउन को अपने कंधे से नीचे को खिसखाई। उफफफ जैसे जैसे उसका बदन नंगा होता जाता, उसका गोरा बदन ग़ज़ब ढा रहा था। जब गाउन उतरा तो नीचे उसने एक सेक्सी ब्रा और उससे भी ज़्यादा सेक्सी पैंटी पहनी थी।
राकेश के लौड़े ने अपनी माँ को इस रूप में देखकर झटका मारा और उसे लगा कि वो अभी झड़ जाएगा। उग्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त रँडी लग रही थी वो। अब शिवा बोला: मम्मी अब एक बार फिर से चलकर दिखाओ ना प्लीज़।

वो हँसकर अपनी गाँड़ मटका कर फिर से चल कर दिखाई। सामने से उसकी ब्रा में से निपल बाहर निकले थे एक जाली से । उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उस छोटी सी ब्रा में आधी भी नहीं छुप रहीं थीं। उसकी पैंटी के सामने हिस्से में एक जाली से उसकी बुर आधी नंगी दिख रही थी। पीछे का तो क्या कहना। सिर्फ़ एक रस्सी उसके चूतरों के दरार में फँसी हुई थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ उसके बड़े बड़े चूतर बुरी तरह से मटक रहे थे। वो तो जैसे पागल हो गया।राकेश अब अपने लौड़े को मुठियाने लगा। अब शिवा बोला: मम्मी एक बढ़िया गाना लगाता हूँ। आप डान्स करो प्लीज़। उसने मोबाइल में धीमी आवाज़ में - बिड़ी जला ले --बजाया। और फिर सरला ने एक ऐसी हरकत की जो दोनों मर्दों को पागल करने के लिए काफ़ी थी। वो अपनी छातियों को किसी रँडी की तरह हिलाकर और अपनी गाँड़ को भी मटका कर नाचने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था । शिवा के लौड़े ने प्रीकम छोड़ना शुरू किया। और बाहर राकेश का वीर्य ही झड़ गया। बिना आवाज़ के आऽऽऽहहह करे वो अपने रुमाल में पोंछा ।

शिवा अब मस्ती में आकर अपना लौड़ा बाहर निकाला और राकेश ने देखा कि उसका लौड़ा उसके हथियार से काफ़ी बड़ा है। वह अब देखा की शिवा भी अपना लौड़ा मूठिया रहा था।

अब शिवा बोला: मम्मी अब पूरी नंगी हो जाओ और एक बार फिर से नाचो।

सरला हँसकर बोली: आज पूरी रँडी बनाने का मूड है बेटा। चल ये भी कर देती हूँ। अब वो अपनी ब्रा धीरे से खोली और ब्रा के कप को एक हाथ से पकड़कर उसको और ललचाई । फिर उसने ब्रा फेंक दी। अब उसकी बड़ी बड़ी गोरी चूचियाँ उसके नज़रों के सामने थी। वह अब अपनी पैंटी नीचे को करी और धीरे से नीचे खिसका कर अपनी पैंटी शिवा के ऊपर फेंक दी। शिवा उसको नाक के पास लेज़ाकर सूँघने लगा। और बोला: हम्म मम्मी मस्त गंध है आपकी बुर की। फिर वह उसको अपने लौड़े पर रगड़ने लगा। अब शिवा ने फिर से गाना लगाया और वो अब अपनी चूचियाँ हिलाकर और गाँड़ मटका कर नाचने लगी।
राकेश ने कभी नहीं सोचा था कि मम्मी को इस हालत में भी देखेगा।

शिवा अब मस्ती में आकर उठा और नंगा ही उसके साथ उसको अपने से सटा कर नाचने लगा। दोनों हँसते हुए बिस्तर पर गिर गए। अब शिवा उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा। फिर वो उसकी चूचियाँ दबाकर मस्ती से उनको चूसने भी लगा। अब सरला उठी और उसको लिटा कर उसके जाँघों के बीच में आकर उसके लौड़े को क़रीब बीस मिनट तक चूसी और चाटी और डीप थ्रोट भी दी। वह पूरे समय उसके बॉल्ज़ को सहलाती भी रही। राकेश को मम्मी का मुँह साफ़ साफ़ ऊपर नीचे होते दिखाई दे रहा था उसके लौड़े के ऊपर। वो अब फिर से मूठ्ठ मारने लगा था।

अब शिवा बोला: मम्मी ६९ करोगी?

सरला मुस्कुराई और ख़ुद ही उलटा होकर शिवा के ऊपर आ गयी और फिर से उसका लौड़ा चूसने लगी। अब शिवा भी उसकी बुर के फाँकों को फैलाकर उसके गुलाबी छेद को चाटने लगा। उफफफफ राकेश सोचा कि जिस छेद से मैं बाहर आया हूँ वहीं जीजा जी मुँह घुसेडे हुए हैं। अचानक राकेश ने देखा कि शिवा अब उसकी भूरि सी मख़मली गाँड़ का छेद भी चाट रहा था। अब सरला आऽऽहहह उइइइइइइ माँआऽऽऽ कहकर और ज़ोर से लौड़ा चूस रही थी। राकेश का बुरा हाल था। वो इस सबके किए तय्यार नहीं था।

अब वह सरला को बोला: मम्मी अब रुका नहीं जा रहा है। चलो चुदाई करते हैं। उस दिन जैसे आप पहले चढ़ जाओ मुझ पर।

सरला अब उसके ऊपर चढ़ी और कमर उठाकर उसके लौड़े को अपनी बुर में डालकर चुदवाने लगी। शिवा अब उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ दबाकर नीचे से लौड़ा उछालकर उसको मज़े देने लगा। राकेश की आँखें मम्मी की बुर में अंदर बाहर हो रहे लौड़े पर थी। उफफफफ कैसे बुर का मुँह खुलता और लौड़ा अंदर चला जाता था और फिर वह जब बाहर आता था तो बुर का छेद साफ़ साफ़ दिखता था ।उफ़ गुलाबी बुर कैसे इतना बड़ा लौड़ा निगले जा रही थी। मम्मी की भूरि गाँड़ का छेद भी उत्तेजना से खुलता बंद होता दिख रहा था। तभी राकेश ने देखा कि शिवा ने अपनी ऊँगली मम्मी की गाँड़ में डाल दिया और उसको हिलाने लगा। अब मम्मी की चीख़ें और मस्ती से भर कर आती हुई सिसकारियाँ राकेश को मानो पागल किए जा रहा था।

वो चिल्लाई: आऽऽऽऽऽहहह और जोओओओओओर से चोओओओओओओओदो। फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दो बेएएएएएएटा।

राकेश उत्तेजित हो कर ज़ोर ज़ोर से हाथ चलाने लगा। तभी उसने देखा कि शिवा अब मम्मी की चूचियाँ चूस रहा था। अब मम्मी बोली: बेटा अब ऊपर आकर चोद दे ना।

शिवा अब उसको नीचे लिटाया और ऊपर आकर उसकी बुर चोदने लगा। जल्दी ही सरला बड़बड़ाने लगी : आऽऽऽऽहहह बहुत अच्छा लग रहा है। हाऽऽयययग ऊं ऊं ऊं करके हर धक्के में वह ऊं ऊं करके चिल्ला रही थी।

अब सरला आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह करके झड़ने लगी। शिवा ने अब अपना लौड़ा निकाला और राकेश को दिखाकर उसने अपना पूरा गीला लौड़ा मम्मी के मुँह में दे दिया । वो उसे चूसने लगी। अब जल्दी ही वो ह्न्म्म्म्म कहकर उसके मुँह में झड़ने लगा। राकेश ने आँखें फाड़कर देखा कि मम्मी का मुँह इसके सफ़ेद गाढ़े वीर्य से भर गया था और होंठों के कोनों से बाहर निकल रहा था। वो अब लौड़ा बाहर निकाला और उसके आँख, नाक और गाल में भी अपना वीर्य गिराया। सफ़ेद रस में सनी मम्मी किसी रँडी से कम नहीं लग रही थी।

राकेश अब दूसरी बार मूठ्ठ मारने लगा और झड़ गया। शिवा अब उसके बग़ल में लेट गया । फिर सरला अपना मुँह पोंछकर उठी और बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। अब दोनों साथ में बैठकर बातें करने लगे। शिवा ने देखा कि राकेश अब वहाँ से हट गया था। वो समझ गया कि वो जो देखना था देख चुका है। अब शिवा बोला: मम्मी अब नींद आ रही है। एक बार और चुदवाएँगी क्या?

सरला: नहीं बेटा अब बहुत थक गयी हूँ।

शिवा: तो मैं मालिनी के साथ जाकर सोता हूँ। सुबह जाना भी तो है।

सरला उसको चूमकर बोली: ठीक है बेटा। जाओ अब सो जाओ। वो उठकर बाहर आया और जाकर राकेश के कमरे में गया। तभी सरला को भी प्यास लगी तो वो किचन की ओर गयी और अचानक उसने राकेश के कमरे में बात करने की आवाज़ सुनी। वो सोची कि इस समय राकेश किससे बात कर रहा है? वो चुपचाप उसके कमरे की खिड़की के पास खड़ी होकर देखी कि कौन है राकेश के कमरे में।

वो अंदर झाँकी और हैरान रह गयी क्योंकि वह और कोई नहीं शिवा था। वो उनकी बात सुनने लगी। वो जो सुनी तो सन्न रह गयी।
शिवा: तो मज़ा आया मम्मी की चुदाई देखने में?

राकेश: जीजा जी आप क्या चुदाई किए उफफफफ मैं तो पागल ही हो गया।

शिवा: तुमने देखा कि वो कैसे रँडी की तरह नंगी होकर नाच रही थी।

सरला को लगा कि वो जैसे कोई सपना देख रही है। ये क्या हो रहा है? उसका दामाद उसकी चुदाई उसके अपने बेटे को दिखा रहा था । उसे शिवा पर बहुत ग़ुस्सा आया।

राकेश: आऽऽऽऽह वो दृश्य तो मैं सारी ज़िंदगी में कभी नहीं भूलूँगा। क्या चूचि और गाँड़ हिला हिला कर नाचे जा रहीं थी।
उफफफफ क्या सेक्सी है मम्मी।

सरला तो जैसे शॉक में ही आ गइ। ये उसका अपना बेटा क्या बोल रहा है।

शिवा: देखा क्या मस्ती से चुदवाती है? गाँड़ उछाल कर।

राकेश: हाँ जीजा जी, सच में बहुत चुदक्कड है मम्मी। उफ़फ़्फ़ क्या मज़ा ले रहीं थीं । गाँड़ उछाल कर चुदवाने का मज़ा ली है।

शिवा : वैसे उनकी बुर और गाँड़ का स्वाद बहुत मस्त है। चाटकर मस्ती आ जाती है।

राकेश: हाँ उनकी बुर और गाँड़ दोनों मस्त हैं। और एक बात बताऊँ उनकी चूचियाँ आपके हाथ में आती नहीं थी इतनी बड़ी हैं।

सरला सोची कि उसका बेटा और दामाद उसके बारे में कैसी कैसी बात कर रहे हैं। उसको बड़ी शर्म आयी।

राकेश बोले जा रहा था: जीजा जी वो आपका रस भी कितने प्यार से पी गयीं। उगफफ बहुत ही गरम माल है मम्मी जी।

सरला चौकी कि उसका बेटा उसे गरम माल कह रहा था।

तभी शिवा की बात से वो एकदम से सकते में आ गयी। शिवा बोल रहा था: देख राकेश अब तू देख लिया ना कि मम्मी जी कितनी गरम है और उनको कितना मज़ा आता है चुदवाने में? अब तुम्हारी बारी है उनको पटाने की। मैं तो कल चला जाऊँगा वापस। अब तुम कोशिश करके उनको पटाओ और उनको चोदने का अपना सपना साकार करो। और हाँ मैं कल सुबह तुम्हारी सिफ़ारिश कर दूँगा।

राकेश: सिफ़ारिश करेंगे कैसे?

शिवा: मैं उनको समझाऊँगा कि तुम उनको बहुत प्यार करते हो और उनको चोदना चाहते हो। वह समझ जाएँगी।

राकेश: आपको लगता है कि ये इतना आसान होगा?

शिवा: मैं उनसे तेरी सिफ़ारिश करूँगा। अच्छा एक काम करना तुम कल सुबह मम्मी को किचन में जाकर पीछे से पकड़ लेना और अगर वो तुमसे छूटने की कोशिश नहीं करें तो समझ लेना कि वो पट गयी है। ठीक है?

राकेश अपने लौड़े को दबाकर बोला: आऽऽऽह मेरा तो सोच कर ही खड़ा हो गया। फिर मम्मी के पास वापस जाना पड़ेगा।

राकेश: दीदी की ले लीजिए, वो भी तो है।

शिवा: अरे उसका पिरीयड्ज़ आया हुआ है। मम्मी की ही लेता हूँ और तुम्हारी सिफ़ारिश भी करता हूँ।

राकेश अपने लौड़े को दबाता हुआ बोला: आऽऽऽऽऽह मैं फिर से देखूँगा। आऽऽऽह मम्मी मान जाए तो मैं भी कल ही उनको चोद दूँगा।

सरला ने आँखें फाड़ कर अपने बेटे के लोअर के ऊपर से खड़ा लौड़ा देखी जो कि उसके लिए ही खड़ा था। सरला का मन दो जवान लड़कों के खड़े लौड़ों को देखकर गुदगुदी से भर उठा। उसका हाथ अपनी बुर पर चला गया।

शिवा: अच्छा चलता हूँ। कहकर बाहर आया और वापस सरला के कमरे की ओर चल पड़ा। सरला पहले ही वहाँ से हट कर अपने बिस्तर पर आकर सोने का नाटक कर रही थी। वह अंदर आकर पूरा नंगा हुआ और फिर अपना लौड़ा सहलाते हुए उसके बग़ल में लेट गया और उसके बदन को सहलाया। सरला उठाकर बोली: अरे तुम फिर आ गए?

शिवा : हाँ मम्मी नींद नहीं आ रही थी तो सोचा कि एक राउंड और करलेते हैं।

सरला अनजान बनकर: ओह पर मैं तो थक गयीं हूँ ।

शिवा: अरे मम्मी अभी आपकी मालिश कर देता हूँ थकान मिट जाएगी। वह उसका गाउन खोलते हुए बोला। सरला ने गाउन उतारने में उसकी मदद की। अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी।

शिवा: मम्मी आपने पैंटी उतार दी?

सरला: हाँ बेटा पैंटी पहनकर नींद नहीं आती। यह कहते हुए सरला ने खिड़की की ओर देखा और वहाँ उसे परदे के पीछे राकेश के होने का अहसास हुआ। वो और उत्तेजित हो उठी कि उसका अपना बेटा उसकी चुदाई देख रहा है।

शिवा उसके बदन को दबाता हुआ बोला: मम्मी बताओ कहाँ कहाँ दबाऊँ। वह उसकी बाँह और जाँघ दबाते हुए बोला।

सरला: आह बेटा सब जगह अच्छा लग रहा है।

अब वो ब्रा खोला और दूध दबाकर बोला: इनको दबवाने में मज़ा आता है?

सरला: आऽऽऽऽऽह बेटा इनको जब तुम दबाते हो को मैं स्वर्ग की सैर करने लगती हूँ। हाऽऽऽऽययय।

अब वो उसको करवट लिटाया और इसके बग़ल में लेता और उसकी जाँघ को अपनी जाँघ पर चढ़ा कर मज़े उसकी बुर में अपना लौड़ा दबाया और आराम से चोदने लगा।

शिवा: मम्मी इस आसन में मैं मालिनी को एक घंटा चोद लेता हूँ। आज आपको भी एक घंटा रगड़ूँगा।

सरला अपनी गाँड़ हिला कर बोली: आऽऽऽऽह बहुत मज़ा आ रहा है बेटा। चोद जब तक तेरा मन करे। हाऽऽय ।

राकेश को खिड़की से दोनों के सटे बदन साफ़ दिखाई दे रहे थे। वो अपना लौड़ा बाहर निकाल कर मसल रहा था।

अब दोनों अपनी कमर हिला कर चुदाई का मज़ा ले रहे थे। शिवा उसकी चूचियाँ होंठ और जीभ भी चूस रहा था। शिवा का एक हाथ उसके एक बड़े से चूतर पर था और वो उसे दबाए जा रहा था ताकि उसका लौड़ा पूरा अंदर उसकी बुर में जा सके।

सरला: उइइइइइइइइ माँआऽऽऽ । आऽऽऽहहहह । बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽ है बेएएएएएएएएरटा ।

थोड़ी देर बाद चोदते हुए वह बोला: मम्मी आज मैं और राकेश पार्क में गए थे। वहाँ राकेश के बारे में एक बात पता चली।

सरला: वो क्या?

शिवा: कि उसको बड़ी उम्र की औरतें अच्छी लगती है।

राकेश ध्यान से सुनने लगा।

सरला: ओह ऐसा क्यों?

शिवा: ऐसा इसलिए कि उसने आपको नंगी देखा है ताऊ से चुदवाते हुए। तभी से वो बड़ी उम्र की औरतें ही पसंद करता है। अब शिवा ने उसे पार्क का पूरा क़िस्सा सुनाया।

सरला: ओह तो वो औरत खुले आम पार्क में अपने भतीजे से चुदवा रही थी?

शिवा: हाँ और तभी शिवा ने बताया कि वो आपको चोदना चाहता है?

सरला अनजान बन कर: हे भगवान ! ये कैसे हो सकता है?

शिवा: मम्मी आजकल सब चलता है। आप भी अभी अपने दामाद से चुदवा रही हो कि नहीं? तो बेटे से भी चुदवा सकती हो? और फिर ये भी हो सकता है कि वो बड़ी उम्र की गंदी रँडियों के चक्कर में पड़ जाए तो उसको गंदी बीमारियाँ भी लग सकती हैं।

सरला: नहीं नहीं ये नहीं होने दूँगी मैं। इससे अच्छा तो यही होगा कि वो मुझे ही चोद ले।

यह सुनकर राकेश का लौड़ा उसके रुमाल पर अपना रस छोड़ने लगा। वो सोचा कि मम्मी तो चुदवाने के लिए मान ही गयी।

शिवा: मम्मी कल सुबह शिवा आपको आकर किचन में पीछे से पकड़ेगा। आप विरोध मत करना तो उसको हरी झंडी मिल जाएगी। अब वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।

सरला: उइइइइइइ आऽऽऽऽऽऽह । ठीक है आऽऽऽऽऽऽह मैं राकेश को मना नहींइइइइइइइ करूँगीइइइइइइइइइइइ । हाऽऽऽऽयययय क्या मज़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है बेएएएएएएएटा।

शिवा ने भी जोश में आकर उसकी गाँड़ में दो ऊँगली भी डाल दी।
अब दोनों उन्न्न्न्न ऊँननन करके झड़ने लगे।

फिर वो आपस में लिपटकर नंगे ही सो गए। राकेश अब अपने कमरे में आकर अगले दिन मम्मी के साथ मिलने वाले मज़े का सोचते हुए सो गया।

अगली सुबह सरला ने शिवा को उठाया तो वो कपड़े पहनकर अपने कमरे में चला गया। मालिनी अब भी सो रही थी। वो नहाया और बाहर आकर मालिनी को उठाया। वो बाहर आया और किचन में गया जहाँ सरला चाय बना रही थी। वो बोली: अरे नहा भी लिए।

शिवा चाय लेकर पीते हुए बोला: हाँ मम्मी जल्दी वापस जाना है ना। आप मालिनी के लिए भी चाय दे दो । मैं ले जाता हूँ।

सरला उसको चाय दी और वो पहले एक बार उसको बाहों में लेकर चूमा और बोला: थैंक्स मम्मी बहुत मज़ा आया। अरे हाँ राकेश आया था क्या?

सरला शर्मा कर: अभी तक तो नहीं आया। एक बात बताओ क्या माँ बेटे का ये सब करना ठीक होगा?

शिवा: अगर आप नहीं करोगी तो वो रंडियो के चक्कर में पड़ेगा। अब आप देख लो।

सरला: ओह ये मैं नहीं होने दूँगी। ठीक है बेटा देखा जाएगा।

शिवा मुस्कुराता हुआ उसके होंठ चूमकर मालिनी के लिए चाय लेकर वहाँ से निकल गया।

मालिनी चाय पीकर फ़्रेश हुई और नहाई फिर तय्यार होते हुए बोली: कल रात मुझे बहुत गहरी नींद आयी थी। पता नहीं मुझे क्या हो गया था।

शिवा उसको अपने से लिपटाकर उसके होंठ चूमकर बोला: अच्छा है ना माँ के घर में आराम मिल गया।

वो हँसकर बोली: हाँ वो तो है ही। और इस बार आपने भी पिरीयड्ज़ में बिलकुल तंग नहीं किया। थैंक्स।

शिवा: अब तक तो क्लीयर हो गया होगा ना, आज रात को तो चुदवाओगी ?

मालिनी हँसकर उसके लौड़े को पैंट के ऊपर से दबायी और बोली: हाँ जी आज रात को जी भर के चोद लेना। इसकी प्यास बुझा दूँगी।

शिवा सोचा कि इसको क्या पता है कि इसकी प्यास तो मम्मी जी ने कई बार बुझा दी है।

उधर राकेश की नींद खुली और वो फ़्रेश होकर किचन में गया। उसका बदन उत्तेजनावश काँप रहा था। उसका लौड़ा लोअर में पूरा खड़ा था। वह किचन में गया तो सरला सब्ज़ी काट रही थी। उसने पीछे से जाकर उसको पकड़ लिया और बोला: मम्मी आइ लव यू। और उसके गाल में चूम्मा ले लिया ।सरला को मानो करेंट का झटका लगा। वो सोची कि अगर अभी इसे नहीं रोका तो शायद बात हाथ से निकल जाएगी। तभी उसने अपना हाथ उसके पेट पर फेरा और चिकने और नरम पेट के अहसास पा कर वह उत्तेजित हुआ और अपना लौड़ा उसकी गाँड़ से सटा कर उसे दबाकर वह मस्ती से भर गया। सरला का रहा सहा विरोध उसके लौड़े की चुभन से धरा का धरा रह गया। उसकी इच्छा हुई कि वो गाँड़ हिलाकर उसके लौड़े का मज़ा ले ले। तभी मम्मी की सहमति मान कर वह अब अपना हाथ मम्मी के दोनो चूचियों पर रखा और उनको दबाने लगा। सरला की अब आऽऽऽऽऽह निकल गया। अब वह खुलकर अपना लौड़ा उसके गाँड़ की दरार में दबाने लगा।
सरला: अरे छोड़ मुझे। मैं तेरी माँ हूँ कोई गर्ल फ़्रेंड नहीं हूँ।

राकेश: मम्मी मुझे जीजा जी ने बताया कि आप मुझसे चुदवाओगी। प्लीज़ थोड़ा मज़ा ले ने दो अभी। मैंने रात को आपको उनसे चुदते देखा था।

अब सरला सहम गयी और बोली: चुप कर अब । अभी जा यहाँ से । कहीं कोई आ गया तो।

राकेश: मम्मी सब लोग तो ११ बजे तक चले जाएँगे फिर आप मुझसे चुदवा लेना। बहुत तमन्ना है आपको चोदने की।

सरला: अभी जा बाद की बाद में देखेंगे।

राकेश ख़ुश होकर मम्मी की चुम्मी लेकर अपने हाथ को साड़ी के ऊपर से उसकी बुर पर रखा और दबाकर हँसते हुए वहाँ से चला गया।

फिर सबने नाश्ता किया और मालिनी और शिवा सबसे विदा लेकर वहाँ से चले गए।

रास्ते में कार में शिवा बोला: पापा से बात हुई क्या?

मालिनी : नहीं मैं सोची कि आप बात कर लिए होगे।

शिवा: अभी फ़ोन लगा लो।

मालिनी : ठीक है। अब वो फ़ोन लगाई और बोली: पापा जी नमस्ते। मैं और शिवा अभी कार में है और हम एक घंटे में घर पहुँच जाएँगे।

राजीव: ठीक है बेटा , आ जाओ।
उसने कोई भी उलटी सीधी बात नहीं की क्योंकि मालिनी की बातों से वह समझ गया था कि शिवा उसके साथ है।
थोड़ी देर में कार उस ढाबे के पार हुई जहाँ कल आते हुए उन्होंने चाय पी थी। शिवा: देखो वही ढाभा जहाँ तुमको शिला मिली थी जो कि अपने ससुर से लगवा रही थी।

मालिनी: हाँ याद है। अच्छा आप ये तो बताओ की दो दिन से आप एक बार भी झड़े नहीं हो। मुझसे चुसवा भी नहीं रहे हो आख़िर आपका काम कैसे चल रहा है?

शिवा पैंट के ऊपर से अपने लौड़े को दबाकर बोला: बस आज रात को देखना क्या मस्त चुदाई करूँगा।

मालिनी हँसकर: आज रात तो मैं भी आपको नहीं छोड़ने वाली हूँ। मेरा तो मन कर रहा है कि अभी आपको चूम लूँ। इतने हैंडसम दिख रहे हो आप अभी।

शिवा ने हँसते हुए कार चलाते हुए अपने गाल उसकी तरफ़ कर दिए। वो उसको चूम ली। फिर इसी तरह चूहलबाज़ी करते हुए वो घर पहुँचे । राजीव अभी भी ट्रैक सूट में था और टी वी देख रहा था। दोनों ने उसके पैर छुए और वो शिवा से गले मिला और मालिनी के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। दोनों अपने कमरे में गए और शिवा जल्दी से तय्यार हुआ और दुकान चला गया । मालिनी ने भी घर के कपड़े सलवार कुर्ता पहना और बाहर आयी और किचन में जाकर बाई से काम करवाने लगी और खाने की तय्यारी भी करने लगी। जब वो किसी काम से ड्रॉइंग रूम से गुज़रती तो राजीव उसे देखकर मुस्कुरा देता और वो भी मुस्कुरा देती। क़रीब १२ बजे बाई काम करके चली गयी । उसके जाने के बाद मालिनी दरवाज़ा बंद करी और सीधी आकर राजीव के सामने आकर खड़ी हुई । राजीव भी उसे देखे जा रहा था । अब वो एकदम से उसके गोद में बैठी और उससे पूरी तरह लिपट गयी और उसके गाल चूमने लगी और फिर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दी। अब दोनों एक प्रगाढ़ चुम्बन में डूब गए । अब होंठ और जीभ भी एक दूसरे की चूसे जा रहे थे। फिर जब दोनों हाँफने लगे, तब मालिनी बोली: पापा मैंने आपको बहुत मिस किया। मैं अब आपको प्यार करने लगी हूँ। आपसे एक दिन भी अलग रहकर मुझे चैन नहीं मिला। और वो रोने लगी।

राजीव उसको चूमकर बोला: बेटी मेरा भी यही हाल था और मैं भी एक दिन तुमको देखे बिना नहीं रह सकता। पर रो क्यों रही हो।

मालिनी: पापा ये क्या अजीब सी बात हो गयी है की मैं शिवा को भी बहुत प्यार करती हूँ और अब आपसे भी प्यार करने लगी हूँ। ये क्या हो रहा है?

राजीव ने उसके होंठ चूमे और बोला: बेटी इसमें कोई ग़लत बात नहीं है। एक इंसान दो लोगों से क्यों नहीं प्यार कर सकता। क्या पता शिवा भी किसी और से प्यार करता हो? वो मन में सोचा कि अब जल्दी ही ये बात इसको बतानी होगी और फिर देखे क्या रायता फैलता है?

मालिनी: ओह पापा कई बार मैं बहुत उलझन में पड़ जाती हूँ।

राजीव अब उसके चूचियों पर हाथ फेरा और बोला: बेटा पिरीयड्ज़ का क्या हाल है?

मालिनी: पापा आज शाम तक क्लीयर होना चाहिए। आपको इच्छा हो रही है तो चूस दूँ क्या?

राजीव: अभी ऐसी ही गोद में बैठी रहो और बातें करो। बाद में चूस देना। अच्छा ये बताओ सरला कैसी है?

वो अपना मुँह उसकी छाती में घुसाई और बोली: मम्मी ठीक हैं । मेरी बहने और भाई भी ठीक है। पर इस बार मुझे मम्मी के साथ टाइम बिताने का मौक़ा ही नहीं मिला। मेरे भाई बहनों के साथ ही ऊधम करती रही।

राजीव सोचा कि तभी तो सरला को शिवा से चुदवाने का मौक़ा मिला, वरना कहाँ मिलता। दोनों बड़ी देर तक बातें करे। फिर राजीव ने उसका कुर्ता उतारा और ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाया और उनको चूमा। फिर वह उसकी बाँह उठाया और उसकी बग़ल सूँघा और मस्त होकर चाटने लगा। मालिनी भी अपने गाँड़ के नीचे उसके लौड़े को कड़ा होते महसूस करने लगी।

अब वह उसकी चूचि चूमते हुए बोला: बेटा चूसोगी क्या अभी?

मालिनी: जी पापा , लूँगी निकाल दीजिए। और वह उसकी गोद से उठ गयी।

राजीव अब लूँगी निकाला और मालिनी नीचे ज़मीन पर बैठी और उसके लौड़े को बड़े प्यार से सहलाई और फिर चूमने लगी। लौड़े को ऊपर से नीचे चाटकर वो अब उसको चूसने लगी। राजीव इसकी छातियों को ब्रा के ऊपर से दबाए जा रहा था। जल्दी ही वो ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी और हाथ से उसके बॉल्ज़ को भी सहलाने लगी। अब राजीव आऽऽह ह्म्म्म्म्म्म करके उसके मुँह में अपना रस छोड़ने लगा। वह उसको पी गयी और उसके सुपाडे को चाट कर साफ़ कर दी। आख़री बूँद जो कि उसके लौड़े के छेद में लगी थी उसे भी जीभ से चाट ली। अब वो मुँह पोंछकर खड़ी हुई तो राजीव उसकी सलवार के ऊपर से उसकी बुर दबाकर बोला: बेटा इसे चूस दूँ?

मालिनी: नहीं पापा अभी पूरा बंद नहीं हुआ है। कल चूस लेना। फिर वह अपनी कुर्ता पहनी और किचन में जाकर चाय बना कर लाई और दोनों चाय पीने लगे।

मालिनी: पापा आप बोले थे ना कि मैं गायनोकोलोजिस्ट से अपना चेक अप करवा लूँ। आप डॉक्टर से बात किए?

राजीव : हाँ बेटा अच्छा याद दिलाया । फिर वो मोबाइल से डॉक्टर को फ़ोन किया और बोला: हाँ डॉक्टर नमस्ते। मेरी बहु आपसे अपना चेक अप करवाना चाहती है। शादी को ६ महीने हो गए हैं और वो अभी तक प्रेगनेंट नहीं हुई है ।

डॉक्टर: -----

राजीव: हाँ हाँ आप सही कह रही हो अभी समय है पर एक बार चेक अप कर लो ना । इसमें कोई हर्ज है क्या ?

डॉक्टर: ------

राजीव: ठीक है मैं उसे कल १२ बजे लेकर आता हूँ। नमस्ते।
फिर उसने फ़ोन बंद किया और बोला: चलो कल १२ बजे तुमको दिखा ही देते हैं।

मालिनी उठकर उसके गोद में आकर बैठी और बोली: पापा मान लो मेरा सब ठीक हुआ तो? क्या शिवा का भी चेक अप करवाएँगे?

राजीव: तब की तब देखेंगे। अभी से क्यों सोच रही हो? वैसे डॉक्टर भी यही बोल रही थी कि आपको इतनी जल्दी क्या है? अभी एक साल भी नहीं हुआ है शादी को।

मालिनी: हाँ ये भी सच है। पर एक बार चेक अप करवा ही लेती हूँ। ठीक है ना पापा?

राजीव उसको चूमते हुए उसकी पीठ सहलाया और बोला: ज़रूर बेटा, चेक अप कराने में क्या हर्ज है।
फिर दोनों एक दूसरे से चिपके हुए प्यार से बातें करते रहे।

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04-09-2017, 04:36 PM,
#76
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
उधर सरला शिवा और मालिनी के जाने से थोड़ी उदास थी। सबने नाश्ता किया और अपने अपने स्कूल , कॉलेज और काम पर चले गए।अब वो ड्रॉइंग रूम में बैठी और पसीना पोंछने लगी। तभी पता नहीं कहाँ से राकेश आ गया।

सरला: तू कॉलेज से वापस भी आ गया ? अभी तो गया था?

राकेश: मम्मी मैं आज गया ही नहीं। थोड़ी देर बाहर घूम कर वापस आ गया।

सरला ग़ुस्सा दिखा कर: ये सही नहीं है बेटा, तुम्हारा आख़री साल है।

राकेश आकर उसके पास बैठा और बोला: मम्मी आप जानते हो की मैं पढ़ने में कितना तेज़ हूँ। एक दिन से कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ेगा और मैं आगे से कभी भी क्लास मिस नहीं करूँगा। पर आज तो वो दे दो आप जिसे पाने को मैं सालों से पागल हूँ।

सरला मुस्करायी: अच्छा ऐसा क्या चाहिए मुझसे?

राकेश उसको पकड़कर अपने से सटा कर बोला: आप चाहिए मम्मी जी।

सरला: तो मैं बैठी तो हूँ। ले ले मुझे।

राकेश अब उत्तेजित होकर: मम्मी क्यों तड़पा रही हो। सच मुझे आप चाहिए। वो उसकी बाँह सहलाकर बोला: मम्मी जीजा जी को तो बहुत प्यार किया थोड़ा सा मुझे भी कर दो ना।

सरला: तुझे शर्म नहीं आयी अपनी मॉ के बेडरूम में झाँकता है?

राकेश: मम्मी आपको जबसे देख रहा हूँ जब मैं छोटा था। आप ताऊजी के साथ क्या क्या करती हो मुझे सब पता है। प्लीज़ सबको मज़ा दे रही हो तो मुझे क्यों तड़पा रही हैं आप।

सरला: पर तू मेरा सगा बेटा है मैं तेरे साथ ये सब नहीं कर सकती।

राकेश अपना लंड अपने लोअर के ऊपर से दिखाया और बोला: मम्मी देखो कैसे पगला रहा है ये आपके लिए। वो यह कहकर उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड के ऊपर रख दिया। सरला उसके कड़े लंड के अहसास से सिहर उठी। फिर बोली: देख बेटा मैं तेरे साथ ये सब नहीं कर सकती। ज़्यादा से ज़्यादा मैं तेरी मूठ्ठ मार सकती हूँ। वो इसके लंड को अब दबाने लगी थी।

राकेश: क्या मम्मी उसमें पूरा मज़ा थोड़ी ना आएगा। मुझे तो आपको चोदना ही है।

सरला: ओह कैसी बात कर रहा है अपनी मम्मी के साथ। ये नहीं हो सकता। बस अब मैं नहाने जा रही हूँ। छोड़ मुझे।

राकेश अब अपने आप को उसकी गोद में गिरा दिया और बोला: मैं तो नहीं उठूँगा जब तक आप हाँ ना कर दो चुदाई के लिए।

अब सरला ने अपनी आवाज़ को कठोर किया और बोली: उठो अभी और जाओ कॉलेज । कह दिया ना कि माँ बेटे में ये नहीं हो सकता। उठो।

राकेश आवेशित मम्मी के इस रूप से डर गया और बोला: ठीक है मम्मी अगर आपका यही जवाब है तो आप भी सुन लो कि मैं आज से भूक़ हड़ताल कर रहा हूँ। जब तक आप चुदाई के लिए हाँ नहीं करोगी मैं खाना नहीं खाऊँगा।

सरला: वाह तू दुनिया का इकलौता बेटा हो जो कि माँ को चोदने के लिए भूक़ हड़ताल करेगा। जा मर मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।

अब राकेश चुपचाप उठा और अपना बैग लेकर बाहर चला गया और बोला: मम्मी मैं कॉलेज जा रहा हूँ।

सरला ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह नहाने को बाथरूम में घुस गयी और कपड़े उतारते हुए सोचने लगी। शाम तक उसकी अक़्ल ठिकाने आ ही जाएगी। फिर वह अपने बदन में पानी डालते हुए सोची कि उसके बेटे का लंड तो काफ़ी बड़ा लग रहा था। वह गरम हो गयी और अपनी बुर में साबुन से सनी ऊँगली डाल कर अपनी बुर रगड़ने लगी। अब वह अपनी छाती भी मसल रही थी और बुर भी और जल्दी ही वो उइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी।

उधर राजीव ने सरला को खाने के पहले फ़ोन किया और बोला: फिर शिवा से भरपूर चुदीं या नहीं?

सरला हँसकर: आपका बेटा आप पर ही गया है। मस्त मज़ा दिया है।

राजीव: अब कुछ दिनों में यहाँ आओ और मालिनी को अपनी और शिवा की चुदाई दिखा दो।

सरला: ये बड़ा मुश्किल होगा । मेरी बेटी का दिल टूट जाएग। प्लीज़ और कोई रास्ता ढूँढिए ना। ये बहुत दुखदाई होगा , हम तीनों के लिए।

राजीव : मुझे लगता है कि इससे मालिनी की सेक्स के प्रति भ्रांतियाँ मिट जाएँगी। वो इसे रिश्तों से ऊपर उठकर आदमी और औरत की ज़रूरत की निगाह से देखेगी।

सरला: फिर भी प्लीज़ कुछ वक़्त दीजिए ना।

राजीव : ठीक है ।चलो रखता हूँ। कोई आ रहा है?

सरला अब खाना खाकर लेट गयी।

उधर रात को शिवा आया और मालिनी से बोला: जान आज बिज़नेस बहुत अच्छा हुआ । देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ।

वो एक सुंदर सी लिंगरी लाया था । वो बोला : आज यही पहनना । बहुत सेक्सी लगोगी।

मालिनी: आह बहुत रोमांटिक मूड में लग रहे हो। लगता है रात भर परेशान करने वाले हैं आप।

शिवा: अब तुम्हारी लाल झंडी हरी हुई है तो गाड़ी तो दौड़ाएँगे ही जानू। फिर दोनों हंसने लगे। अब शिवा बाथरूम में जाकर नहाने लगा। मालिनी को पता नहीं क्या सूझा कि वो सीधे वो लिंगरी लेकर राजीव के कमरे में गयी और बोली: पापा देखो ये मेरे लिए क्या लाए हैं ?

राजीव कमरे में बैठकर टीवी देख रहा था। वो लिंगरी देखा और बोला: उफफफ क्या मस्त माल लगोगी इसमे ? कब पहनोगी इसको?

मालिनी: सोने से पहले।

राजीव: एक बार मुझे भी दिखाना कि कैसी लगती हो इसमें?

मालिनी: कोशिश करूँगी कि आपको दिखा सकूँ। वरना कल आपको दिन में दिखा दूँगी पहन कर।

राजीव उसको गोद में खींचकर उसके होंठ चूमते हुए बोला: बेटा कोशिश करो कि आज रात को ही दिखा दो।

मालिनी: पापा आज दिखाऊँगी तो आप उत्तेजित हो जाओगे। फिर शांत कैसे होगे?

राजीव: बेटा तुम दिखाओ तो मैं रास्ता निकालूँगा। प्लीज़ ।

मालिनी: ओके पापा मैं कोशिश करती हूँ। आप अभी खाना खाने आ जाओ। वो उसकी गोद से उठते हुए बोली। राजीव ने हाथ बढ़ाकर उसकी गाँड़ दबायी और बोला: ठीक है बेटा अभी आता हूँ।

अब मालिनी खाना लगाई और तब तक शिवा और राजीव दोनों आकर टेबल पर बैठ गए थे और बिज़नेस की बातें कर रहे थे। मालिनी खाना लाई तो दोनों उसको देखने लगे। वो मुस्कुराई और बोली: क्या हुआ आप दोनों मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?

राजीव: बेटा इस सलवार कुर्ता में तुम बहुत स्वीट लग रही हो। है ना शिवा?

शिवा हँसकर: पापा इस पर तो सभी कपड़े जँचते हैं।

राजीव: बिलकुल सच कहा बेटा। हमारी बहु है ही बहुत प्यारी।

मालिनी: चलिए अब मेरे पीछे मत पड़िए और खाना खाइए।
अब सब खाना खाए। फिर थोड़ी देर बाद अपने कमरे में चले गए।

अब शिवा कमरे में मालिनी से बोला: चलो ना अब लिंगरी पहनो ना।

मालिनी मुस्कुराकर बोली: अच्छा बाबा पहनती हूँ अभी।

अब वो लिंगरी लेकर बाथरूम में घुस गयी और अपने पूरे कपड़े उतारे और फिर पूरा बदन साफ़ किया और फिर बिना ब्रा के लिंगरी पहनी। पैंटी तो वो पहनती ही नहीं थी। फिर वो अपने आप पर ही मुग्ध हो गए। उसकी चूचियाँ मस्त लग रही थीं । नेट वाली लिंगरी से उसके निपप्पल साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसकी बुर भी साफ़ दिखाई दे रही थी। बुर के फूलें हुए लिप्स भी दिखाई दे रहे थे। बुर के बीच की लकीर जैसे ग़ज़ब ही ढा रही थी। अब वह बाहर आयी और शिवा की आँखें तो जैसे बाहर ही आ गयीं उत्तेजना से । वो अपना लण्ड सहला कर बोला: उफ़्फ़्फ़क क्या दिख रही हो जान। हम्म। वो अपने होंठ पर जीभ फेरकर बोला। वो सोचा कि मालिनी का ग़दराया बदन जैसे बिजली ही गिरा रहा है। और कल मम्मी का बदन भी लिंगरी में मस्त लग रहा था। दोनों माँ बेटी साली बहुत ज़बरदस्त फाड़ू माल हैं।

शिवा: आओ जान अब पास में आओ । बहुत मस्ती आ रही है तुमको देखकर।

मालिनी: आऽऽह ग़लती हो गयी । पापा को रात का दूध देना तो भूल ही गयी। अब क्या करूँ? इन कपड़ों में तो जा नहीं सकती।

शिवा: ओह तो कपड़े बदल लो और दे आओ। अब और क्या हो सकता है।

मालिनी: एक काम करती हूँ मैं ये शाल ले लेती हूँ बहुत बड़ी है । फिर वो पूरा ढाक ली और बोली: देखो अब कुछ दिख रहा है क्या?

शिवा: नहीं अब कुछ दिख नहीं रहा है। पापा पूछेंगे कि ये क्यों पहना है। तो क्या बोलोगी?

मालिनी मुस्करायी: मैं कह दूँगी कि थोड़ी ठंड लग रही है तो पहन लिया है।

शिवा: ठीक है जाओ दूध देकर जल्दी आओ। बहुत तंग कर रहा है ये? वह अपना लंड दबाकर बोला।

मालिनी बाहर आयी और किचन में जाकर दूध लायी और राजीव के कमरे में गयी और दूध साइड टेबल पर रख कर बोली: पापा दूध पी लेना।

राजीव आँख मारकर: वो तो पी ही लूँगा बेटा। ये शाल उतारकर दिखा कि इसके पीछे क्या छिपाया है?

मालिनी अपनी शाल उतार कर बोली: लो देखो । आपको दिखाने के लिए ही तो आयी हूँ।

राजीव के होश ही उड़ गए उसकी अर्धनग्न जवानी देखकर। वो बोला: उफफफफ क्या माल हो बेटा तुम। आऽऽऽऽह मेरा पूरा खड़ा हो गया। वो अपने लण्ड को मसलते हुए बोला।

वो उसकी चूचियाँ देख रहा था जिसके बड़े निपल्ज़ पूरे खड़े हुए थे। शायद वो भी उत्तेजित ही थी। नीचे उसकी बुर का शेप और उसकी फाँक देखकर वो मस्ती से भर गया। वो उठा और उसके निपल को एक ऊँगली और अंगूठे में लेकर मसला और मस्ती से भर गया। फिर नीचे जाकर उसकी बुर के दर्शन किया और वहाँ भी ऊँगली से सहलाया। अब मालिनी बोली: पापा चलती हूँ। वो चोदने के लिए पागल हो रहे हैं।

राजीव: अच्छा बेटा जाओ। पर आज तुमको चुदवाते हुए देखने की इच्छा हो रही है। देख लूँ क्या?

मालिनी हँसकर: पापा आप और ज़्यादा उत्तेजित ही होंगे ।क्या फ़ायदा होगा । देख लो आप क्या चाहते हो।

राजीव उसकी बुर को सहलाते हुए: मेरी इच्छा है तुमको नंगी चुदवाते देखने की। बोलो देख लूँ?

मालिनी हँसकर: ठीक है देख लीजिए। मैं खिड़की थोड़ी सी खोल दूँगी। आप परदे के पीछे से देख लेना। ओके ?

राजीव उसके होंठ चूसते हुए: ठीक है बेटा मैं देखूँगा। वो उसकी चूचियाँ दबाकर उसे जाने का इशारा किया।

मालिनी ने शाल लपेटी और अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद किया ।

शिवा: दे दिया पापा को दूध?

मालिनी: हाँ दे दिया। फिर हँसकर अपनी शाल उतारी और बोली: आपको क्या दूँ?

शिवा मुस्कुराया : आओ बताता हूँ क्या लेना है।

मालिनी: आप बाथरूम हो आओ । फिर मैं भी जाऊँगी।

शिवा मुस्कुराया: लंड बिलकुल साफ़ चाहिए चूसने के लिए । यही ना?

मालिनी: हाँ बिलकुल। मैं अपनी भी भी साफ़ रखती हूँ। ताकि आपको भी कोई इन्फ़ेक्शन ना हो।

शिवा बाथरूम में गया और मालिनी ने खिड़की थोड़ी सी खोल दी और पर्दा खींच दिया।

तभी शिवा बाथरूम से बाहर आया और अब वो बाथरूम चली गयी। जब वो बाहर आयी तो उसने देखा कि शिवा पूरा नंगा बिस्तर में पड़ा था और अपने आधे खड़े लंड को सहला रहा था।

मालिनी मुस्कुरा कर: वाह पूरे तय्यार हो चढ़ाई के लिए ।

मालिनी आकर उसके ऊपर चढ़ गयी और दोनों एक प्रगाढ़ चुम्बन में लीन हो गए। शिवा के हाथ उसकी गरदन , पीठ और चूतरों पर घूम रहे थे। अब मालिनी शिवा की जीभ चूस रही थी। उसके कनख़ियों से खिड़की की तरफ़ देखा तो उसे एक परछाईं सी नज़र आयी और वो समझ गयी कि पापा आ गए है । वो ये सोचकर उत्तेजित होने लगी कि पापा उनकी चुदाई देखेंगे।

अब शिवा उसके गाउन को नीचे से पकड़कर ऊपर उठाया और मालिनी की गाँड़ सहलाने लगा। उसके हाथ उसके भरे हुए जाँघों पर भी थे।

उधर राजीव को शिवा पर सवार मालिनी की गाँड़ साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी। उसके बड़े बड़े गोरे चूतरों पर शिवा के हाथ मस्ती कर रहे थे मानो आटा गूँद रहे हों। उसकी गाँड़ की दरार में उसकी उँगलियाँ घुसकर मालिनी को उत्तेजित कर रही थीं। राजीव ने अपना लंड बाहर निकाला और उसको सहलाने लगा।

अब मालिनी अपने आप को ऊपर उठायी ताकि शिवा उसकी चूचियाँ भी सहला सके । शिवा उसकी चूचियाँ दबाकर उसकी निपल को वैसे ही ऐठने लगा जैसे कुछ देर पहले पापा ने किया था । मालिनी आऽऽऽहहह कर उठी।

शिवा: जान लिंगरी उतारो ना। अब रहा नहीं जा रहा।

मालिकी उठी और बिस्तर से नीचे आकर खड़ी हो गयी।

शिवा को सरला का डान्स याद आया ! उसे याद करके वो बोला: जान, आज मेरी एक इच्छा पूरी करोगी?

मालिनी: क्या ?

शिवा मोबाइल से वही गाना बजाया - बिड़ी जला ले -- और बोला: जान ज़रा एक सेक्सी डान्स करो ना। और नाचते हुए ही नंगी हो जाना।

राजीव के लंड ने अपने बेटे की ये बात सुनकर झटका मारा। आऽऽऽहहह क्या गरम लौंडा है, बिलकुल मुझपे ही गया है- वो सोचा।

मालिनी मुस्करायी कि बाप बेटा दोनों ही शो देखेंगे। पर बाहर से दिखावे के लिए बोली: छि मुझे शर्म आती है ।

शिवा: अरे जान मुझसे कैसी शर्म? प्लीज़ करो ना।

मालिनी : अच्छा करती हूँ। गाना शुरू से बजाओ।

शिवा ने गाना बजाया। अब मालिनी मस्ती से नाचने लगी । शिवा की तो आँखें ही फैल गयीं थीं। उफफफ क्या नाचती है दोनों माँ बेटी। तभी मालिनी ने अपनी चूचियाँ और गाँड़ किसी रँडी की तरह हिलाने शुरू किए । अब तो शिवा के लण्ड ने प्रीकम छोड़ना शुरू किया।

मालिनी नाचते हुए खिड़की तक गयी और एकदम से उससे सटकर नाचने लगी और छातियाँ हिलाने लगीं। राजीव परदे के ऊपर से ही उसकी छातियाँदबा दिया। वो फिर मुड़ी और अपनी गाँड़ मटका कर नाचने लगी । राजीव तो जैसे पागल सा हो गया।

अब वो खिड़की से आगे आकर बिस्तर के पास आयी ताकि शिवा भी उसे दबा ले । उसने भी उसके बदन को सहलाया।

अब वो नाचते हुए किसी मस्त रँडी की तरह अपनी लिंगरी उतारने लगी! अब उसने लिंगरी की सामने की रस्सी खोली और उसको ऊपर की ओर उठायी और धीरे धीरे नंगी होने लगी। पूरी नंगी होकर अब वह अपनी छातियाँ हिलाकर और गाँड़ हिलाकर नाच रही थी। शिवा अब तुलना करने लगा माँ और बेटी में। जहाँ मालिनी की चूचियाँ एक दम ठोस थीं और बड़े अनार की तरह उसकी छाती से सटी हुई थी और पूरी तरह से अपने दम पर खड़ी थी। सासु माँ की चूचियाँ बड़े आम सी थीं और अपने वज़न से थोड़ी नीचे को झूँकि हुई थी। और वो थोड़ी नरम भी थीं। मालिनी का पेट एकदम चिपका सा था जबकि सासु माँ का थोड़ा बाहर को निकला हुआ था । और चूतर तो सच में सासु माँ के ही क़यामत थे पूरे उभार लिए हुए जबकि मालिनी के थोड़े छोटे थे पर गोल गोल गोरे चूतर किसी को भी पागल कर सकते थे। अब वो नाचती हुई खिड़की के पास गयी और पहली बार अपने ससुर को अपनी छातियाँ पूरी नंगी दिखा कर मस्ती से हिलाने लगी।

उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ राजीव का बहुत ही बुरा हाल था । आज पहली बार अपनी बहु की नंगी चूचियाँ उसके सामने नंगी थी और वी और वो उनको उछालकर नाच रही थी। वो परदे से सटी और राजीव ने हाथ निकाल कर उसकी नंगी चूचियाँ सहलायी। अब वो खिड़की के ओर अपनी गाँड़ करके अपनी गाँड़ हिलाने लगी। राजीव उसकी रंडीपने से मस्त हो गया।

अब वो आयी और बिस्तर पर लेटे शिवा के लण्ड को सहलायी और चूमने लगी। उसने अपनी गाँड़ को उठाकर खिड़की की तरफ़ किया और टाँगे फैलायीं ताकि पापा को उसकी पूरी छवि साफ़ साफ़ दिखाई दे। अब वो उसके लण्ड को पूरे ज़ोर से चूसने लगी। अब शिवा आऽऽऽहहहहह जान क्या चूस रही हो। अब वो उसको 69 के लिए बोला। मालिनी उसके ऊपर घूम गयी और अब वो उसकी बुर चूसने लगा और वो अब उसके बॉल्ज़ और लण्ड दोनों चूस रही थी।

राजीव अब अपने लौड़े को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा।

शिवा अब मस्त होकर मालिनी को बोला: चलो अब नीचे आओ। वह घूम कर नीचे आ गयी और अपनी टाँगें उठा दी। वह खिड़की की तरफ़ देखा और वहाँ अब भी राजीव का अहसास हुआ उसको । वो मुस्कुराई और अब अपनी टांगों को पूरा फैलायीं और अपने बुर में ऊँगली डालकर शिवा को दी और वो उसे चूसने लगा। अब राजीव के सामने उसकी खुली हुई बुर थी जो उसे पूरी गीली दिखाई दे रही थी ।
अब शिवा उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और अपना लण्ड धीरे से अंदर किया। अब मालिनी उइइइइइइइ माँआऽऽऽ कर उठी। फिर शिवा ने उसके दूध मसलते हुए उसकी चुदाई शुरू की। राजीव ने देखा कि सच में उसकी चुदाई में कोई बात थी। वो बहुत ही ज़ोरदार धक्के मार रहा था। सरला भी यही बोली थी की बहुत ज़बरदस्त चोदता है।

शिवा की कमर एक मशीन की तरह चुदाई में लगी हुई थी। अब मालिनी की आऽऽऽऽहहह। हाऽऽऽऽऽय्य जीiiii और चोओओओओओओओदो। आऽऽऽऽऽहहह फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽड़ दो ।

फिर वह नीचे से अपनी गाँड़ उछालकर बोली: उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ मैं तोओओओओओओओओ गयीइइइइइइइइइ।

अब शिवा भी अपनी कमर दबाकर आऽऽऽऽहहह ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा।

उधर राजीव भी अपने लंड का माल अपनी लूँगी में गिराने लगा।

तीनों अब शांत थे।

अब राजीव अपने कमरे में आ गया। उसकी बहु का नंगा जवान बदन उसे अब भी मस्ती से भर रहा था। उफफफफ क्या मस्त जवानी है और आज तो उसने नंगी होकर नाच कर भी दिखा दिया। सच में उसे अब चोदना ही होगा जल्द से जल्द।

उधर शिवा और मालिनी थोड़ी देर आराम करने के बाद फिर से एक दूसरे को चूमने लगे। जल्दी ही वो गरम हो गए और अगले राउंड की चुदाई में लग गए। आधा घंटा गुज़र गया उनकी चुदाई में। फिर दोनों थक कर सो गए।

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04-09-2017, 04:37 PM,
#77
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले दिन सुबह मालिनी चाय बनाकर राजीव को आवाज़ दी।राजीव बाहर आया । अब वो लूँगी बनियान में था। वो आकर टेबल पर रखी चाय पीने लगा। तभी मालिनी भी अपनी चाय लाकर साथ में बैठी और बोली: तो पापा आज पार्क में कितनी आँटियों को लाइन मारी?

राजीव: आज मैं और मेरे साथ कई आदमी एक औरत को ताड़ रहे थे वो एक तंग पजामी में थी । उसकी मोटी गाँड़ सबको बहुत आकर्षित कर रही थी। अगर तुम्हारी मम्मी को वो पजामी पहना दूँ तो उसकी गाँड़ भी ऐसी ही दिखेगी।

मालिनी हँसकर: आप भी ना मेरी मम्मी के पीछे ही पड़े रहते हो।

राजीव : वो चीज़ ही ऐसी है। वैसे बेटा कल के तुम्हारे शो ने मुझे पागल ही कर दिया। उफफफ तुम्हारी चूचियाँ कितनी सख़्त हैं अनार कि तरह।

मालिनी: आप कल उनको नंगी देख ही लिए।

राजीव: बेटा अब जब एक बार देख और दबा लिया हूँ तो आओ ना अभी अच्छे से दिखा दो और दबवा लो। वह अपना लंड लूँगी के ऊपर से दबाकर बोला।

मालिनी: अच्छा पापा आप एक बात बताओ । कल आपने देखा ना की शिवा मुझे कितना प्यार करते हैं और कितना मज़ा देते हैं । फिर आप ही बोलो किमैं कैसे और क्यों उनको धोका दूँ। आपको पता है परसों जब हम मेरे मायके जा रहे थे तो रास्ते में एक ढाबे में रुके थे। वहाँ एक लड़की शीला मिली थी जो अपने ससुर के साथ आयी थी। उसे मैंने अपने ससुर से चुदवाते हुए देखा।

राजीव की आँखें बड़ी बड़ी हो गयी। वो बोला: सच वाह क्या बात है।

मालिनी हँसकर : पर उसका केस अलग है। उसका पति उसे मज़ा नहीं दे पाता और बाहर भी रहता है। उसका हथियार भी कमज़ोर है। इसलिए वो अपनी ज़रूरत ससुर से पूरी करती है। पर मेरे साथ तो ये सब नहीं है ना। आपने कल देख ही लिया।

राजीव मुँह लटकानेवाली ऐक्टिंग करके: हाँ वो तो है। मेरा बेटा चुदाई में भी मुझपर ही गया है। तो फिर कोई स्कोप नहीं है मेरा।

मालिनी हँसकर उसके पास आकर खड़ी हुई और उसको चूमकर: पापा कोई ना कोई रास्ता निकलेगा। अब तो आप मुझे अच्छे लगने लगे हो।

राजीव ने भी उसके चूतरों को सहलाकर कहा: सच बेटा तुम भी मुझे बहुत अच्छी लगती हो। फिर उसकी चूचियों को दबाकर बोला: बेटा आज गैनकोलोजिस्ट के पास भी जाना है ना? १२ बजे का टाइम लिया है।

मालिनी अब भी खड़ी हुई अपनी चूचियों को दबवाती हुई बोली: आऽऽऽह पापा अब छोड़ो ना। शिवा को उठाती हूँ।

राजीव : बेटा एक बार बुर को चूम लेने दो ना प्लीज़।

मालिनी: पापा आप एक बार तो कभी चूमते ही नहीं हो। बीसियों बार चूम लेते हो। शिवा के जाने के बाद चूम लेना।

राजीव: अभी एक बार चूम लेने दो प्लीज़ । बाद में अच्छे से चूसूँगा।

मालिनी : आप कहाँ मानोगे। यह कहकर वह अपनी नायटी उठायी और राजीव के सामने उसकी बुर थी। राजीव सोफ़े पर बैठा था और वो उसके सामने खड़ी थी। गोल गोल जाँघों के बीच में उसकी फूली हुई बुर बहुत मस्त दिख रही थी। वो हाथ से जाँघों को सहलाया और फिर बुर के ऊपर भी हाथ फेरा। फिर मस्त होकर आगे को झुका और उसकी बुर को सूँघा। उफफफफ क्या मस्त गंध थी। साबुन और सेक्स की मिली जुली गंध थी। वो उसे कई बार चूमा और फिर जीभ से भी रगड़ा। उधर उसके हाथ उसके गोल गोल नंगे चूतरों को भी दबा रहे थे। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापा अब छोड़ो ना। आपने कई बार चूम ही लिया। आऽऽऽऽहहह । बस करो।

अब राजीव ने उसे घुमाया और उसके चूतरों को चूमने और काटने लगा। फिर उसने चूतरों को फैलाया और गाँड़ के छेद को भी चाटा और बोला: सुबह सुबह कितना साफ़ रखती हो?

मालिनी: जिस लड़की के घर में दो दो हॉर्नी आदमी हो वो अपने ससुर और पति के स्वास्थ्य का ध्यान तो रखेगी ही ना। मैं थोड़े चाहूँगी कि आप दोनों बीमार पड़ो। इसलिए मैं दोनों छेद साफ़ रखती हूँ। पता नहीं कौन क्या चूमने या चाटने लग जाए। हा हा ।

राजीव भी हँसकर उसकी नायटी नीचे करके बोला: जाओ शिवा को चाय दे दो।

मालिनी चाय लेकर शिवा को उठाई और फिर वह भी थोड़ी सी मस्ती किया और फिर तय्यार होकर दुकान चला गया।

मालिनी भी बाई से काम करवाने लगी। राजीव नहाने जाते हुए बोला: बेटा तय्यार हो जाना, डॉक्टर के पास जाना है।

मालिनी नहाकर तय्यार हुई और कमरे से बाहर आयी। उसने साड़ी और लो कट का स्लीव्लेस ब्लाउस पहना था। साड़ी भी नाभि दर्शना थी जो कि उसके चिकने सपाट पेट और गहरी नाभि का दर्शन करा रही थी। आज उसने पैंटी भी पहनी थी वरना चेक अप के दौरान डॉक्टर को पता चल जाता कि वो पैंटी पहनती ही नहीं है।

राजीव भी बाहर आया और उसे देखकर बोला: वाह क्या दिख रही हो बेटा। बहुत प्यारी लग रही हो। पर अभी तो चालीस मिनट है निकलने में।

मालिनी: पापा मुझे कुछ राशन लेना है। पहले समान ले लेंगे फिर डॉक्टर के पास चलेंगे। राजीव अब उसके साथ बाहर निकाला और कार निकालते हुए बोला: बेटा अब तुम्हारा पिछवाड़ा बहुत सेक्सी हो गया है। साड़ी में भी क़यामत नज़र आ रही हो।

मालिनी मुस्करायी और बोली: पापा आप बस मुझे छेड़ने के बहाने ढूँढते हो।

रास्ते भर वो उसकी जाँघ सहलाते हुए कार चला रहा था। दुकान पर आकर दोनों अंदर गए। राजीव : मैं यहीं खड़ा हूँ तुम ले आओ सामान ।

मालिनी जब ट्रॉली में सामान लेकर आयी तो उसने देखा कि राजीव एक आदमी से हँसकर बातें कर रहा था। राजीव ने उसका परिचय कराया : बेटा ये मुकेश जैन अंकल हैं । मेरे दोस्त हैं। और मुकेश ये मेरी बहु मालिनी है।

मुकेश उसको खा जाने वाली निगाहों से देखते हुए बोला: भाई आपकी बहू बहुत प्यारी है। मालिनी ने साफ़ साफ़ देखा कि वो उसकी छातियों को घूर रहा था और उसकी आँखों में वासना भरी हुई थी। तभी एक मालिनी की उम्र की एक लड़की वहाँ आइ और मुकेश से बोली: पापा ये सामान हो गया अब आप कार्ड दो पेमेंट करना है। वह सलवार कुर्ते में बहुत हसीन लग रही थी। और उसका सब कुछ बड़ा बड़ा सा था। राजीव ने देखा कि वो एक थोड़ी सी मोटी लड़की थी।

मुकेश: ये रुचि है मेरी बहु। और रुचि ये मेरे दोस्त राजीव और ये मालिनी उनकी बहु है।

मालिनी और रुचि ने हाथ मिलाया। फिर मुकेश बोला: चलो साथ में एक कोफ़्फ़ी शाप है कोफ़्फ़ी पीते है।

राजीव: यार फिर कभी । आज कुछ काम है। तबतक रुचि और मालिनी ने सेल नम्बर ले लिए थे एक दूसरे के।

फिर वो बाहर आकर कार में बैठे। मालिनी: पापा ये आपके दोस्त अच्छा आदमी नहीं है।

राजीव: अरे क्या हुआ बेटा?

मालिनी: पापा उनकी आँखें वासना से भरी हुई थीं।

राजीव: ओह ऐसा क्या। चलो छोड़ो । हो सकता है कि तुमको ग़लत फ़हमी हो गयी होगी।

मालिनी: पापा हम लड़कियों को सब समझ में आ जाता है कि आदमी कैसा है।

तभी हॉस्पिटल आ गया और दोनों अंदर पहुँचे। राजीव उसे लेकर डॉक्टर के चेंबर में ले गया। वह बाहर बैठे आदमी से बोला: डॉक्टर मैडम हैं ?

आदमी: वो तो आज नहीं आयीं हैं । उनकी तबियत रात को ख़राब हो गयी है।

राजीव: ओह तो कोई दूसरा डॉक्टर नहीं है?

आदमी : हाँ है ना वो सामने वाले चेम्बर में बैठे हैं।

राजीव अंदर गया और थोड़ी देर में बाहर आकर बोला: बहु दूसरा डॉक्टर तो है मगर वह बुज़ुर्ग आदमी है। उसे दिखाओगी क्या?

मालिनी: पापा आदमी को दिखाने में शर्म आएगी ना। प्लीज़ वापस चलो आज।

राजीव : बेटा डॉक्टर तो डॉक्टर होता है क्या आदमी और क्या औरत । मेरा ख़याल है इनको दिखा दो। उस मैडम से भी बड़े डॉक्टर है ।फिर मैं तो यही बाहर रहूँगा ही ना।

मालिनी: ठीक है पापा आप बोलते हो तो चली जाती हूँ।

वो अंदर गयी और अंदर डॉक्टर बैठा था जो कि क़रीब ६० साल का था। वो मालिनी को देखकर बोला: आओ बेटी। यहाँ बैठो। बताओ क्या नाम है? उम्र। वो उससे पूछ कर लिखता जा रहा था। फिर बोला: हाँ बोलो क्या तकलीफ़ है?

मालिनी: जी जी तकलीफ़ कोई नहीं है।

डॉक्टर: अरे तो फिर यहाँ क्यों आइ हो बेटी?

मालिनी: जी मेरा मतलब है कि मेरी शादी को ६ महीने हो गए हैं और मैं अभी तक प्रेगनेंट नहीं हुई हूँ।

डॉक्टर हंस कर: सिर्फ़ ६ महीने और प्रेगनेन्सी की बात। बेटी अभी तुमको मौज मस्ती करनी चाहिए। इतनी जल्दी क्या है माँ बनने की।

मालिनी: पर डॉक्टर हम दोनों रोज़ कई बार सेक्स करते है फिर भी मैं अभी तक क्यों प्रेगनेंट नहीं हुई? हम लोग कोई प्रटेक्शन भी नहीं उपयोग नहीं करते।

डॉक्टर: ओह तो क्या हुआ ।तुम लोग प्रयास करते रहो। सब कुछ ठीक हो जाएगा। वैसे अगर तुम चाहो तो मैं चेक अप कर लेता हूँ। चलो वहाँ लेट जाओ।फिर उसने फ़ोन पर एक नर्स बुलाया। क़रीब ४० साल की नर्स आकर मालिनी को बिस्तर पर लिटायी और तभी डॉक्टर आया। अब वो उसके पेट को चेक किया और फिर वहाँ दबाकर बोला: बेटी कहीं दर्द तो नहीं हो रहा है ?

मालिनी: जी नहीं ।

डॉक्टर: चलो नर्स साड़ी उठाओ। वह साड़ी और पेटिकोट उठायी। अब उसकी पैंटी साफ़ दिख रही थी। नर्स उसे कमर ऊपर करने को बोली। मालिनी ने शर्म से आँख बंद की और अपनी कमर उठाई। नर्स ने पैंटी उतारी और अब वो मालिनी की टांगों को घुटनों से मोड़ी और उनको फैला दी। अब डॉक्टर उसकी जाँघों के बीच आ गया और उसने अपने हाथ में ग्लव्ज़ लगाया। और टॉर्च से मालिनी की खुली बुर का निरीक्षण किया। फिर उसने अपनी दो उँगलियों का उपयोग करके उसकी बुर को खोला। अब वो उसके अंदर झाँका और जाँच किया। उसकी गुलाबी बुर की छबी देखकर डॉक्टर भी मस्त हो गया। अब उसने उसके अंदर दो उँगलियाँ डाल दी और अच्छी तरह से चेक अप किया। फिर वो मानो उसकी उँगलियों से चुदाई करने लगा। वो उँगलियाँ अंदर बाहर कर रहा था। नर्स उसे हैरानी से देखी तो वो शांत होकर उँगलियाँ बाहर निकाला। तभी नर्स की निगाह डॉक्टर के पैंट में बने तंबू पर पड़ी। वो हैरान हो गयी कि ये इस उम्र में भी इतना गरम इंसान है? वो नर्स अभी कुछ दिन पहले ही आयी थी इस नौकरी पर और डॉक्टर उसे पता चुका था। तभी मालिनी को नर्स ने उठने का इशारा किया। वो अपनी पैंटी पहनी और कपड़े ठीक की। तभी उसे भी डॉक्टर का उठा हुआ पैंट का हिस्सा दिखाई दिया। वो भी हैरान हो गयी।


डॉक्टर: बेटी तुम्हारी अंदर की जाँच से तो सब ठीक ही लगता है।वो जाकर अपनी कुर्सी में बैठ गया। नर्स उसके पास आकर फुसफुसाई: सर ये क्या हो गया आपको आज? ऐसा ये कभी भी खड़ा नहीं होता ? वो उसकी पैंट की ओर इशारा करके बोली। उधर पार्टिशन की दूसरी तरफ़ कपड़े ठीक करती हुई मालिनी को कुछ बातों की आवाज़ें आयी तो वो कान लगाकर ध्यान से सुनने लगी। उसने नर्स की बात सुन ली थी।

डॉक्टर: अरे ऐसी पुसी कई दिनों के बाद देखा है। उफफफ बहुत ही मस्त टाइट और गुलाबी सी है। बहुत प्यारी सी है। इसलिए मेरा खड़ा हो गया।

नर्स: अरे आपका कितना चूसती हूँ तभी खड़ा होता है। आज तो मस्त खड़ा है आपका।

डॉक्टर: बस ये जाए तो इसके बाद तुमको चोदूँगा। आऽऽह्ह्ह्ह्ह वह अपना लंड दबाने लगा।

तभी मालिनी चुप चाप बाहर आयी और बोली: तो डॉक्टर मैं जाऊँ?

डॉक्टर: हाँ हाँ जाओ। बस कोशिश करती रहो, तुममें कोई कमी नहीं है। वैसे मेरी सलाह है कि इतनी जल्दी क्या है माँ बनने की। जवान हो ख़ूबसूरत हो अभी ज़िन्दगी के मज़े लो। बच्चे पैदा करने के लिए टाइम ही टाइम है।

मालिनी उसकी बातों को अनसुना करके बोली; तो क्या मेरे पति में कोई कमी होगी?

डॉक्टर: बेटी बिना चेक अप के तो नहीं बता सकता। पर अगर वो स्वस्थ है तो जेनरली कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। मेरा सुझाव है कि अभी और कोशिशें करो, भगवान फल देगा।

मालिनी: ठीक है डॉक्टर ।कहकर बाहर आ गयी।

बाहर राजीव इंतज़ार कर रहा था । वो बोला: बेटा क्या रहा? सब ठीक है ना?

मालिनी: जी पापा सब ठीक है। आप पेमेंट करिए। मैं कार में बताऊँगी।

जब वो कार में जा रहे थे तो मालिनी ने डॉक्टर के साथ हुई बातें उसको बतायीं। राजीव ने उसकी जाँघों को सहलाया और बोला: बेटा मैं बोला था ना कि तुममें कोई कमी नहीं है।

मालिनी: अपना मतलब क्या है कि कमी शिवा में है?

राजीव: हाँ हो सकता है और हो नहीं भी सकता है। जब तक वो चेक अप नहीं कराएगा , कैसे कह सकते हैं।

मालिनी दृढ़ता से बोली: मैं उनका चेक अप नहीं करवाऊँगी। मुझे पता है कि उनमें कोई कमी नहीं है।

राजीव ने सोचा कि इस पर अब कोई फ़ायदा नहीं बहस करने से । फिर मालिनी ने राजीव को डॉक्टर और नर्स के बीच में हुई बातों को भी बताया। तो राजीव हँसकर बोला: देखो वो डॉक्टर रोज़ दस बीस बुर देखता होगा। और उसने तुम्हारी बुर की इतनी तारीफ़ की है तो कोई तो बात है ना इसमे। वह साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर को दबाकर बोला।

दोनों घर पहुँचे तो मालिनी का फ़ोन बजा। उधर शीला थी : हाय मालिनी, कैसी हो?

मालिनी: ठीक हूँ तुम कहाँ हो?

शिला: अरे मैं तुम्हारे घर के पास ही आयी हूँ। तभी तुम्हारी याद आइ। अगर तुमको कोई परेशानी ना हो तो चाय पीने आ जाऊँ?

मालिनी: हाँ हाँ आओ ना। मैं अपना पता sms करती हूँ। बाई।

राजीव : ये कौन है? मैं तो तुमसे मज़े लेना चाहता था।

मालिनी: पापा ये वोहि रिज़ॉर्ट वाली लड़की है जो अपने ससुर से मज़ा ले रही थी।

राजीव: ओह हाँ हाँ तुमने बताया था। चलो ठीक है हम भी मिल लेंगे। वो आँख मारते हुए बोला।

मालिनी हँसकर : पापा आप भी ना छैला हो। यह कहकर वो उसके लंड को दबा दी और बोली: चेक कर रही हूँ कि खड़ा हो गया है क्या शीला का नाम सुनकर। फिर वो हँसने लगी।

तभी घंटी बजी और मालिनी शीला को अंदर लायी। राजीव अभी अपने कमरे में ही था। सोफ़े पर बैठ दोनों बातें करने लगी। एक दूसरे के परिवार को जानने के बाद बातें शीला के पति पर आ गयीं।

शीला रुआंसी होकर: मेरी तो कई बार इच्छा होती है कि आत्म हत्या कर लूँ। मेरे पति को मुझसे कोई मतलब नहीं है। महीनो बाहर ही रहते हैं। घर आते हैं तो भी मुझसे कोई सम्बन्ध नहीं रखते। कई बार तो मुझे लगता है कि वो गे है। अगर सास ससुर का ख़याल नहीं होता तो सच में मर चुकी होती अब तक।

मालिनी: अरे ऐसा क्यों कहती हो? परेशानी तो जीवन में आती रहती है ।हमको उसका मुक़ाबला करना होता है। कम से कम तुमको सास ससुर तो अच्छे मिले हैं ।

शीला: हाँ वो दोनों बहुत अच्छे हैं । मालिनी सोची कि ससुर कितने अच्छें है वो तो मैं देख चुकी हूँ। मज़े से चोद रहे थे इसे। वो बोली: तुम बैठो मैं चाय लाती हूँ।
शीला : चलो मैं भी किचन में ही चलती हूँ।

मालिनी और शीला किचन में थीं तभी राजीव बाहर आया और उसको किचन से बात करने की आवाज़ें आने लगी। वह जाकर चुपचाप किचन के साइड में खड़ा हो गया और उनकी बातें सुनने लगा।

मालिनी: तुम बोली ना कि तुम्हारा पति से कोई ख़ास शॉरीरिक सबँध नहीं बन पता। तो अपनी प्यास कैसे बुझाती हो?

राजीव के कान मालिनी का प्रश्न सुनकर खड़े हो गए।

शीला: वो वो अब क्या बताऊँ। बोलने में भी शर्म आती है। छोड़ो इन बातों को।

मालिनी: अरे बताओ ना। मन की बात कहने से मन हल्का हो जाता है।

शीला: ये मैं नहीं बता सकती।

मालिनी: चलो मैं ही बता देती हूँ। मैंने तुमको उस दिन कोट्टेज में अपने ससुर से करवाते देखा था।

शीला का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। वो हकला कर बोली: आप आप मतलब याने कि ओह हे भगवान।

मालिनी: हाँ और तभी से मैं सोच रही हूँ कि ये सही है या ग़लत?

शीला रोने लगी। अब मालिनी ने उसको अपनी बाँहों में लेकर चुप कराया और बोली: अरे मैं तो बस वही बता रही हूँ जो मैंने देखा। अच्छा ये बताओ कि ससुर ज़बरदस्ती किए हैं क्या?

राजीव ने साँस रोकी कि देखो क्या जवाब देती है वो।

शीला आँसू पोंछकर : नहीं बिलकुल नहीं। जो भी हुआ मेरी रज़ामंदी से ही हुआ। ससुर जी बड़े भले आदमी हैं।

चाय बन चुकी थी सो मालिनी बोली: चलो बाहर बैठ कर पीते हैं। अब राजीव वहाँ से हटकर अपने कमरे में जाकर सुनने लगा।

मालिनी: तो ये सब कैसे शुरू हुआ?

शीला: असल में मैं बहुत उदास रहती थी।हमारी शादी को २ साल हो चुके थे। पति का ना ही साथ था और ना ही शारीरिक संतुष्टि। तब एक दिन पापा मेरी उदासी का कारण पूछे। मैं उनको बता दी कि उनका बेटा नकारा है। वो हतप्रभ रह गए। फिर धीरे धीरे वो मुझसे बातें करने लगे और मैं भी उनसे खुलने लगी। जल्दी ही हम अच्छे दोस्त बन गए। सास को भी मैंने इशारे में सब बता दिया क्योंकि वो मुझे बच्चे के लिए कहती रहती थी। एक दिन सास कीर्तन में गयी थी तब मेरे पति का फ़ोन आया। वो बोले कि मुझे तीन महीने और लगेंगे बाहर में। उनका फ़ोन रख कर मैं रोने लगी। तब पापा ने मुझे चुप कराया और तभी मैं उनके सीने में सर रखकर रोए जा रही थी।फिर सब कुछ अपने आप जैसे होता चला गया। और मैं उनके साथ बिस्तर पर थी और सब कुछ हो गया। बात ये थी किमैं तो प्यासी थी ही। ससुर भी प्यासे थे क्योंकि सासु माँ आजकल धर्म कर्म में बहुत विश्वास करती है। और कई कई दिन उनको छूने नहीं देती है। बस तब से हम छुप छुप कर मिलते रहते हैं।

मालिनी: ओह कभी सास को पता चल गया तो?

शीला: पापा बोलते हैं देखा जाएगा। वैसे पापा को शक है कि माँ को पता है या शक है हमारे रिश्ते का।

अचानक पता नहीं मालिनी को क्या सूझा कि उसके मुँह से निकल गया: एक बात बताओ कि अपने ससुर के अलावा भी किसी से मज़ा ली हो?

शीला: हाँ जब मायके जाती हूँ तो अपने रिश्ते के मामा से करवा लेती हूँ। क्या करूँ ऐसा निकम्मा पति मिला है।

मालिनी: ओह । मेरे घर में भी एक प्यासा मर्द है, उसको दोगी?

शीला चौक कर बोली: क्या? कौन है?

मालिनी: मेरे ससुर जी। वो भी बहुत प्यासे हैं। करवाओगी उनसे ? सासु माँ के जाने के बाद वो बहुत बेचैन रहते हैं।

राजीव चुपचाप उनकी बातें सुन रहा था। उसका लंड ठुमकने लगा। और उसे अपनी बहु पर बहुत प्यार आया।

शीला: मगर ये कैसे सम्भव है? मतलब तुम्हारे सामने?

मालिनी: मैं पापा को बोलती हूँ । अगर वो चाहेंगे तो सब हो जाएगा। तुम अपना बोलो की तुम करवाओगी क्या?

शीला हिचकते हुए : मैंने उनको आज तक देखा नहीं है। और आप बोलती हो कि मैं उनसे करवा लूँ। ये कैसे सम्भव है।

मालिनी: अरे तो मिल लो ना अभी। मैं उनको बुलाती हूँ।

वो राजीव के कमरे में जाकर आवाज़ दी: पापा बाहर आयिए ज़रा।

राजीव अपना लंड दबाकर बाहर आया और बोला: हाँ बहू बोलो क्या बात है?

मालिनी: पापा आओ ना इनसे मिलो ये शीला हैं । और शीला ये मेर ससुर जी हैं ।

शीला ने उसे नमस्ते की। राजीव उससे बातें करने लगा। एक दूसरे के परिवार के बारे में बातें किए।

अब मालिनी ने शीला को इशारे से पूछा कि पापा पसंद हैं ?

शीला शर्मा कर हाँ में इशारा की। राजीव ने सब देखा पर ना देखने का अभिनय किया।

अब मालिनी राजीव को बोली: पापा आपसे अकेले में बात करनी है। आओ ज़रा।

वो दोनो उसके कमरे में गए। वहाँ मालिनी बोली: आपको शीला कैसी लगी?

राजीव मन ही मन ख़ुश होकर: ठीक है, क्यों क्या हुआ?

मालिनी : पापा मैं उसे आपसे चुदवाने के लिए तय्यार की हूँ। बोलो क्या कहते हो?

राजीव ने ख़ुशी से उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूमकर बोला: बेटी दिल ख़ुश कर दिया तुमने । सच में तुम बहुत प्यारी और समझदार लड़की हो। चलो उसको बता दो किमैं उसे अभी चोदना चाहता हूँ।

मालिनी हँसकर बाहर आयी और शीला को बोली: पापा बुला रहे हैं।

शीला शर्मा कर : बड़ा अजीब लग रहा है । पहली बार मिली हूँ और इतनी जल्दी ये सब। मैं कभी सोच भी नहीं सकती कि कोई बहु अपने ससुर के लिए लड़की जुगाड़ेगी। तुम बहुत स्पेशल हो।

मालिनी हँसकर: जाओ और मज़े लो।

शीला राजीव के कमरे में गयी तो वह वहाँ टहल रहा था । शीला ने देख किउसकी पैंट में एक बड़ा सा उभार था। वो शीला को देखकर बोला: आओ शीला बैठो।

शीला बिस्तर पर बैठ गयी और बोली: मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा है।

राजीव उसके साथ सट कर बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला: मुझे मालिनी ने बताया कि तुम अपने ससुर से चुदवाती हो। तुम उनको क्या बुलाती हो?

शीला: उनको पापा बुलाती हूँ।

राजीव: और वो तुमको?

शीला: बेटी बुलाते है।

राजीव: चुदाई के दौरान भी ?

शीला: जी उस समय भी।

राजीव अब उसको अपनी गोद में खींच कर बिठाया और बोला: तो मैं भी तुमको बेटी ही बुलाऊँगा। ठीक है बेटी?

शीला उसके सीने में मुँह छिपाकर: जी पापा ।

अब राजीव के होंठ उसकी होंठ की ओर और उसके हाथ उसके ब्लाउस की ओर बढ़े।

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04-09-2017, 04:38 PM,
#78
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव का हाथ शीला के ब्लाउस की ओर बढ़ा और वो उसकी साड़ी के ऊपर से ही चूची पर हाथ फेरा। शीला बहुत सुंदर नहीं थी पर जवान तो थी। जवान लड़की के मस्त कसे दूध उस अधेड़ को भी जवान कर गए। अब राजीव उसकी चूचियाँ दबाते हुए बोला: बेटी क्या तुम्हारा पति बिलकुल ही नहीं चुदाई कर पाता?

शीला: आऽऽऽऽह पापा वो तो अपना पतला सा डालते ही सी सी करते हुए झड़ने लगते हैं । दो तीन धक्के ही मुश्किल से मार पाते है।

उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिराकर राजीव अब उसकी अर्धनग्न छातियों को दबाते हुए बोला: और तुम्हारे ससुर अच्छी तरह से चोद पाते हैं? अब उसने उसका हाथ अपने लण्ड पर रख दिया लूँगी के ऊपर से ।

शीला उसके लण्ड को सहलाने लगी और उसका पूरा साइज़ महसूस की और बोली: जी वो बहुत अच्छे से मज़ा देते हैं।उनका ये भी बड़ा और मोटा है , पर आपका तो उनसे भी ज़्यादा बड़ा है। आऽऽहहह । राजीव ने उसकी चूचियाँ मस्ती में ज़्यादा ज़ोर से दबा दीं।

राजीव उसको खड़े किया और उसकी साड़ी निकाला और फिर ब्लाउस और पेटिकोट में उसकी मस्त जवानी को देख कर ख़ुशी से बोला: बेटी मस्त माल हो , आज चुदाई में बहुत मज़ा मिलेगा।

शीला अपने ब्लाउस खोलते हुए बोली: पापा एक बात समझ में नहीं आयी कि मालिनी ने मुझसे ये सब करने को क्यों कहा। वो ख़ुद भी तो आपसे चु- मेरा मतलब है कि करवा सकती थी।

राजीव उसकी ब्रा के हुक खोलते हुए बोला: बेटी, मालिनी को मेरा बेटा मज़े से चोदता है। इसीलिए वो मुझसे चुदवाना नहीं चाहती। पर वो जानती है कि मैं चुदाई के लिए तड़प रहा हूँ । इसलिए वो तुमको राज़ी की है मुझसे चुदवाने के लिए। भगवान ऐसी बहु सबको दे जो अपने ससुर का इतना ख़याल रखे। वैसे तुम्हारी सास को पता है कि तुम ससुर से चुदवाती हो?

शीला: पता नहीं पक्का नहीं कह सकती। पर एक बार मैं पति को तलाक़ देने को कही थी तब से सास मुझसे दबती है। मुझे लगता है की उसको पता है पर ऐसा दिखाती है जैसे अनजान हो।

राजीव: ओह । फिर तो घर में ससुर से खुल कर चुदवा सकती हो?

शीला: पापा बोल रहे थे कि जल्दी ही वो सासु माँ को भी इसमें शमिल करेंगे ताकि हम तीनों एक साथ मज़ा ले सकें। यह बात सुनकर राजीव मस्ती से भर गया। अब उसने उसकी ब्रा बाहर निकाली और उसके मस्त उरोजों को देख कर मस्ती से उनको सहलाया और फिर दबाने लगा। बड़े बड़े निपल्ज़ को वो ऐंठने लगा। फिर उससे रुका नहीं गया और वह बारी बारी से उनको चूसने लगा। शीला: आऽऽऽऽऽऽऽऽह पापा । बहुत अच्छा लग रहाआऽऽऽऽऽऽऽ है।

अब उसने उसका पेटिकोट भी खोल दिया। पैंटी में कसी उसकी जवान बुर मस्त दिख रही थी। उसने पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को सहलाया और वहाँ के गीलेपन को भी महसूस किया । लौड़िया गरम हो चुकी थी। फिर उसने झुक कर उसकी पैंटी भी उतारी और उसकी गरम बुर को देखकर मस्ती में आकर उसको मूठ्ठी में भींच लिया । वो सोचा कि आख़री चुदाई उसने नूरी की ही की थी। आज उसकी बहु की कृपा से उसके लण्ड की प्यास बुझेगी। अब वो शीला को बिस्तर पर लेटने को कहा। और अपने कपड़े भी उतार दिया। शीला की आँखें उसके ऊपर नीचे होते विशाल लण्ड पर थी। अब वो शीला के ऊपर आया और उसके होंठ चूसने लगा। शीला भी बराबरी से साथ दे रही थी। जब वो उसके दूध चूस रहा था तब वो भी उसका सर अपने दूध पर दबाके मस्ती से आऽऽह कर रही थी। उसका हाथ उसकी नंगी मस्क्युलर पीठ पर घूम रहा था। अब राजीव नीचे आकर उसकी जाँघों को फैलाया और उसकी बुर में दो ऊँगली डाला। पूरी गीली हुई पड़ी थी मस्त टाइट बुर थी।फिर वो थोड़ी देर जीभ से बुर के छेद को चाटा। शीला की सिसकारियाँ निकली जा रही थी।

शीला: आऽऽऽऽह पापा बस करो वरना मैं झड़ जाऊँगी। आऽऽऽहहब मुझे भी आपका चूसना है। राजीव हँसकर मुँह हटा लिया और पलंग के सहारे बैठ गया। अब शीला झुककर उसके जाँघों के बीच आयी और उसके लण्ड को मज़े से चूसने लगी। वह उसकी बॉल्ज़ भी चूस रही थी। राजीव उसकी चूचियाँ दबाए जा रहा था।

अब राजीव बोला: आओ चलो अब लेटो और मैं डालता हूँ।

शीला लेट गयी और अपनी टाँगें फैला ली। राजीव उनके बीच में आकर अपना लण्ड उसकी बुर में डाल दिया। वह आऽऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽपा कर के नीचे से अपनी गाँड़ उछाली और पूरा लण्ड निगल गयी। अब राजीव उसे बुरी तरह से चोदने लगा। वो भी उसकी कमर पकड़ कर नीचे दबा रही थी ताकि पूरा लण्ड निगलती रहे। अचानक राजीव ने महसूस किया शीला उसके चूतरों को दबाकर नीचे को खींच रही थी । उसने चुदाई की गति तेज़ कर दी। धक्कों से पलंग भी चूँ चूँ करने लगा। हर धक्के पर वो ऊं ऊं करती थी।उसने सोचा कि बहुत गरम माल है। तभी वो महसूस किया कि शीला ने उसकी गाँड़ में ऊँगली डालनी शुरू की है। वह उत्तेजित होकर आऽऽऽऽऽह करके झड़ने लगा। शीला भी चिल्ला कर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर झड़ रही थी।

बाद में राजीव उसकी बग़ल में लेटके पूछा: बेटी ये गाँड़ में ऊँगली डालना कहाँ से सीखा है?

शीला: वो मेरे मामा ने सिखाया है। उन्होंने ही शादी के पहले मेरी सील तोड़ी थी। बाद में पति से सुख ना मिलने के कारण मैं फिर से मायके जाकर उनसे चुदवा लेती थी । अब तो ससुर भी मज़ा दे देते हैं।

राजीव: ओह चलो अब जब चुदाई की इच्छा हो मेरे पास आ सकती हो। ठीक है ना?

शीला: जी ठीक है। आपकी बहू को इतराज नहीं होना चाहिए।

राजीव: वही तो तुमको मुझसे मिलवाई है। उसे कोई इतराज नहीं होगा।

शीला उठके बाथरूम गयी और तय्यार होकर बाहर आइ। वहाँ ड्रॉइंग रूम में मालिनी शांति से टी वी देख रही थी।

मालिनी मुस्कुराते हुए: हो गया? मज़ा आया?

शीला भी मुस्कुराकर: हाँ हो गया। बहुत मज़ा आया है।

मालिनी: चलो चाय बनाऊँ?

शीला: नहीं अब निकलती हूँ। घर में सब इंतज़ार कर रहे होंगे।

फिर वह मिलते हैं कहकर जल्दी से चली गयी। मालिनी बैठी सोच रही थी कि ये आज उसने क्या कर दिया? अब पापा को तो हमेशा इस तरह की अपेख्शाएँ हो जाएँगी उससे । तभी राजीव लूँगी बाँधता हुआ आया और बोला: बेटा आज तो बहुत दिन बाद चुदाई का मज़ा दिला दिया तुमने सच में तरस गया था इसके लिए। वह उसके गाल चूमकर बैठ गया।

मालिनी हँसकर: पापा पसंद आयी शीला?

राजीव: अरे बिलकुल टाइट माल है जवान है चुदासी भी है। चेहरे से वो सुंदर नहीं है तो क्या। बाक़ी सब तो बढ़िया है। बुर मस्त टाइट है।चूचियाँ भी मस्त हैं।

मालिनी हँसने लगी।

उधर सरला बच्चों के लिए शाम का नाश्ता और चाय बनाई। रुचि और मुन्नी चाय पीने लगी। तभी सरला ने राकेश को आवाज़ दी तो वो बाहर आया अपने कमरे से। उसका चेहरा सूखा हुआ था। वो बोला: हाँ मम्मी बोलो।

सरला को उसके सूखे चेहरे को देखकर चिंता हुई और वो बोली: बेटा तबियत ठीक है ना?

वो : हाँ सब ठीक है।

सरला: तो फिर आ जा चाय पी ले।

राकेश: नहीं इच्छा नहीं है। वो ये कहकर अपने कमरे में वापस चला गया।

सरला को उसकी भूक़ हड़ताल की बात याद आइ और वो सोची कि इस नालायक को समझाती हूँ। वो उसके कमरे में गयी । वो बिस्तर पर पेट के बल लेता था। वो बोली: बेटा क्या हुआ । चलो चाय पी लो। मैंने तुम्हारे पसंद के पकोड़े भी बनाए हैं।

वो : मम्मी मुझे कुछ नहीं खाना है। आप मेरे बैग से लंच बॉक्स भी निकाल लो क्योंकि मैंने खाना नहीं खाया है।

सरला झुंझला कर: बेटा क्या तमाशा बना रखा है ये सब। चलो चुपचाप उठो और खाना खाओ।

राकेश सीधे होकर लेटा और बोला: मम्मी मैं नहीं खाऊँगा। जब तक आप मेरी बात नहीं मानोगी।

सरला: बेटा जो तुम चाहते हो वो नहीं हो सकता। मॉ बेटा ये सब नहीं कर सकते। मैंने कहा तो कि ज़्यादा से ज़्यादा मैं तुमको हाथ से कुछ सुख दे सकती हूँ। बस इसके आगे कुछ नहीं।

राकेश: मम्मी आप जाओ यहाँ से मुझे सोने दो।

अब सरला ग़ुस्से में : जा मर भूका । कहकर वहाँ से बाहर आ गयी।

फिर कोई पड़ोसन उसके पास आयी और वो बातें करने लगीं।

उधर शाम की चाय मालिनी और राजीव भी पी रहे थे।

राजीव: और बताओ क्या क्या किया मम्मी के यहाँ?

मालिनी: पापा बताया था ना बहनों के साथ शॉपिंग की और फ़िल्म देखी। शिवा नहीं जा पाए थे। उनका सर दर्द हो रहा था।

राजीव अनजान बन कर : तो उसे घर में अकेला छोड़ गए थे। सरला भी तो तुम्हारे साथ गयी होगी ना ?

मालिनी: नहीं, मम्मी नहीं गयी थीं ।

राजीव : ओह तो तुम शिवा को सरला के पास अकेले छोड़ गयी थी? ये क्या किया बेटा तुमने? तुम अपनी मम्मी को जानती हो ना कि वो कितनी चुदासी है? वो ज़रूर शिवा से चुदवा ली होगी।

मालिनी का मुँह हैरानी से खुला ही रह गया। वो बोली: छी पापा आप कितनी गंदी बात कहते हैं। शिवा ऐसे नहीं है और ना ही मम्मी कभी उनसे चुदवाएँगी। ये सब आपकी कोरी गंदी कल्पना है।

राजीव: अरे बेटा मैंने शिवा को उस दिन पार्टी में सरला की चूचियों को घूरते हुए देखा था। अगर मौक़ा मिला तो वो उसे चोदे बिना नहीं रहा होगा।

मालिनी: पापा आप भी कुछ भी बोले जा रहे हो। मैं नहीं मान सकती। वह ग़ुस्से से पैर पटक कर चली गयी।


राजीव मन ही मन मुस्कुराया और सोचा कि तीर निशाने पर लगा है। जल्दी ही बात आगे बढ़ाऊँगा।

रात को शिवा के साथ दोनों ने खाना खाया। शिवा और मालिनी अपने कमरे में आ गए।

जल्दी ही दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे और फिर चूमने सहलाने के बाद शिवा उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा। जब दोनों मस्ती से चुदाई कर रहे थे तभी मालिनी उसके कान को काट कर बोली: आऽऽहहह क्या मस्त चोओओओओओद रहे हो हाऽऽययय जाऽऽऽऽऽऽऽन । अच्छा ये तो बताओ कि क्या आप मम्मी के साथ भी ये सब किए थे जब हम फ़िल्म देख रहे थे।

शिवा तो जैसे आसमान से गिरा। वो हड़बड़ाकर बोला: क्या फ़ालतू बात कर रही हो।

तभी मालिनी ने महसूस किया कि उसका लण्ड नरम पड़ गया है। वो सोची कि इसकी क्या वजह हो सकती है। क्या सच में वह मम्मी को चोदा है। इस लिए घबरा गया है। या मैंने इतनी ग़लत बात कह दी है कि वो अपसेट होकर अपनी उत्तेजना गँवा बैठा है। पता नहीं क्या सच है और क्या झूठ?

शिवा अब उसके ऊपर से उतरकर बग़ल में लेटकर बोला: क्या पूरा चुदाई का मूड ख़राब कर दिया। आख़िर ये बात तुमको सूझी कैसे? वो मन ही मन डर भी रहा था कि इसको शक कैसे हो गया?

मालिनी: अरे मैं तो मस्ती कर रही थी और आप इतना सीरीयस हो गए? वो सोची कि इसे ये तो नहीं बता सकती कि ये सब पापा के दिमाग़ की ख़ुराफ़ात है।

मालिनी अब उठ कर सॉरी बोली और उसका लण्ड सहलायी और फिर चूसने लगी। जल्दी ही वो फिर से मूड में आ गया और उसका मस्त खड़ा हो गया। वो अब फिर से उसके ऊपर आकर मालिनी की ज़बरदस्त चुदाई में लग गया। फिर दोनों झड़कर सुस्ताने लगे।

शिवा: जान ये मम्मी वाली बात तुम्हारे दिमाग़ में आयी कैसे?

मालिनी बात बना कर बोली: उस दिन पार्टी में आप मम्मी की चूचियों को घूर रहे थे। तो मैंने सोचा कि कहीं मौक़ा मिलते ही आपने उनका मज़ा तो नहीं ले लिया ?

शिवा: मेरा छोड़ो तुमको अपनी मम्मी पर विश्वाश नहीं है क्या?

मालिनी थोड़ी सी गम्भीर होकर: देखो आज आपको एक बात बताऊँगी किसी को कहिएगा नहीं।

शिवा: क्या बात?

मालिनी: मम्मी पापा के जाने के बाद ताऊजी से सम्बंध बना चुकी थीं । घर में सबको पता है पर सब ऐसा दिखाते हैं जैसे किसी को भी पता नहीं है।

शिवा बनते हुए : ओह ऐसा क्या? वो सोचा कि ये तो उसको पता ही है।

मालिनी: हाँ मैंने दोनों को कई बार चुदाई करते देखा है। इसीलिए मैं सोची कि कहीं वो आपसे भी तो नहीं चुदवा ली?

शिवा हँसकर: अच्छा अगर वो सच में मुझसे भी चुदवा लेती तो तुम क्या करती?

मालिनी हँसकर : तो मैं आपसे बदला ले लेती।

शिवा: वो कैसे ?

मालिनी: आप मेरी मम्मी को चोदे तो मैं किससे चुदवाऊँगी बदला लेने के लिए? बताइये ।

शिवा सोचकर: ओह भगवान । तो क्या तुम वही सोच रही हो जो मैं सोच रहा हूँ।

मालिनी: मुझे क्या पता आप क्या सोच रहे हो?

शिवा: यही कि बदला तो तभी पूरा होगा जब तुम मतलब- याने कि - ओह मैं कैसे कहूँ?

मालिनी: मैं बोल देती हूँ जब मैं पापा से चूदूँ । यही ना।

शिवा सन्न रह गया और हैरानी से मालिनी को देखने लगा।

फिर वो बोला : हाँ बदला तो यही हो सकता है। पर- क्या - तुम--

मालिनी: आप बर्दाश्त कर पाओगे? मैं आपके पापा से चुदवाऊँ?

शिवा चुप होकर उसको ध्यान से देखने लगा। दोनों अभी भी चुदाई के बाद नंगे ही थे। अचानक उसने देखा कि मालिनी के निपल्ज़ अब पूरे तन गए थे। उधर मालिनी ने भी देखा कि शिवा का लण्ड अब फिर से फ़नफ़ना रहा था।

दोनों सोचने लगे कि मालिनी का पापा से चुदवाने का ख़याल भी दोनों को ही उत्तेजित कर रहा है। इसका मतलब?

शिवा मालिनी को लुढ़काया और वो पेट के बल हो गयी। वो उसके पीछे जाकर उसको कमर से पकड़कर घोड़ी बनाया। अब उसके उसकी बुर में ऊँगली डाली और वो स्तब्ध रह गया क्योंकि वहाँ तो जैसे रस की धार निकल रही थी। इसका क्या मतलब है वो सोचा। क्या पापा से चुदवाने के ख़याल से ही वो उत्तेजित हो उठी है। वो ख़ुद बहुत उत्तेजित होने लगा। उसका लण्ड बहुत कड़ा हो गया था और दर्द कर रहा था। उसने अपना लंड उसकी बुर में एक झटके में डाला। बुर गीली थी गपाक से उसको निगल ली। अब वो जैसे पागल हो गया हो वैसे उसकी ज़बरदस्त धक्कों के साथ चुदाई करने लगा। मालिनी की चीख़ें निकलने लगीं: आऽऽऽऽऽऽहहह और जोओओओओओओओर सेएएएएए चोओओओओओदो।

शिवा भी बिना रुके धक्के मारे जा रहा था। मालिनी को भी लगा कि शायद इतनी भयानक चुदाई शिवा ने आजतक नहीं की है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मज़ा आ रहा था। क्या मस्त चुदक्कड हो गया है शिवा। आज तो लगता है मेरी बुर सुज़ा कर ही मानेगा। जल्दी ही दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। फिर दोनों लस्त होकर पड़ गए। और नींद की आग़ोश में समा गए।

उधर सरला के घर में रात का खाना सबने खाया। मगर राकेश नहीं आया। श्याम ने भी पूछा: राकेश नहीं दिख रहा?

सरला: वो अभी आराम कर रहा है। मैं उसे खिला दूँगी बाद में। वो श्याम को क्या बताती कि उसका बेटा ज़िद में अड़ा है कि वो खाना तभी खाएगा जब वो अपने बेटे से चुदने के लिए राज़ी होगी। कोई सुनेगा तो क्या कहेगा।

सब खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए। श्याम ने सरला को इशारे से बताया कि आज चुदाई का मूड है। सरला मुस्कुरा कर हाँ कर दी।
अब सरला ने एक थाली में खाना सजाया और राकेश के कमरे में गयी। वो अभी भी लेटा हुआ था। उसका चेहरा बुरी तरह से कमज़ोर दिख रहा था। माँ का दिल कचोट गया। वो बिस्तर पर बैठ कर उसका सर सहला कर बोली: चल अब पागलपन छोड़ और खाना खा ले।

राकेश : नहीं मम्मी मैं नहीं खाऊँगा।

सरला: मैं तेरे ताऊ जी को बुलाऊँ? वो ही तुझे ठीक करेंगे।

राकेश: मम्मी आप उनको कहोगी क्या ये तो सोच लो।

सरला ग़ुस्सा दिखाकर: मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। चल उठ और खाना खा।

राकेश उठकर बैठा और बोला: मम्मी लो मैंने अपने गाल आपके पास किया । मारो थप्पड़ ज़ोर से ।

अब सरला रुआंसी होकर: बेटा क्यों तंग कर रहा है अपनी माँ को। प्लीज़ खाना खा ले । ऐसी ज़िद नहीं करते बेटा।

राकेश: मम्मी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ। मैं अपने बिना नहीं रह सकता । आप हाँ कर दो मैं अभी खाना खा लूँगा।

सरला: मेरे हाँ करते ही तू मेरे ऊपर टूट पड़ेगा । हैं ना ?

राकेश: नहीं मम्मी आप बस हाँ कर दो। फिर आप जब कहोगी और जैसा कहोगी वैसा हो होगा।

सरला:मतलब हाँ कहने पर भी तू मुझे थोड़ा वक़्त देगा ना?

राकेश: मम्मी बिलकुल । आप जब तक नहीं चाहोगी मैं आपको नहीं चोदूँगा। पर प्यार तो हम कर हो सकते हैं ना?

सरला : अच्छा चल मैंने हाँ की। पर तुझे मेरे को मानसिक रूप से तय्यार होने का समय देना होगा।

राकेश ख़ुशी से उछल कर मम्मी की गोद में लेट गया। वह उसके बालों में हाथ फेरी और बोली: बहुत ज़िद्दी हो गया है तू। अपनी बात आख़िर मनवा कर ही माना। चल अब खाना खा।

राकेश : मम्मी आप ही खिलाओ आज। अब वह अपनी मम्मी की साड़ी का पल्लू गिराया और उसकी ब्लाउस में से बाहर झाँकती छातियों को चूमकर मस्त हो गया।

सरला हँसकर: अच्छा अब तबियत ठीक हो गयी। चल बदमाश ठीक है मैं ही खिला देती हूँ। फिर वो अपने बेटे को प्यार से खिलाने लगी। वो भी सुबह से भूका था इसलिए जल्दी जल्दी खाने लगा। मालिनी ने उसे पकड़कर उठाया और बिठाकर खिलाने लगी। उधर वो उसकी साड़ी के ऊपर से जाँघें दबाने लगा, और बोला : मम्मी आपकी जाँघें कितनी गद्दीदार हैं।

वो हँसकर: अच्छा, और क्या गद्दीदार है मेरा ?

राकेश: ये मम्मी । कहते हुए वो उसकी छातियाँ दबाने लगा।

सरला ने उसका हाथ वहाँ से नहीं हटाया और कहा: अच्छा ये बता कि तू मेरी छातियाँ ऐसे दबाएगा तो मैं परेशान नहीं होऊँगी क्या? और क्या तू मुझे परेशान करना चाहता है?

राकेश उसी समय उसकी छातियों से हाथ हटाया और बोला: नहीं मम्मी मैं आपको बिलकुल परेशान नहीं करना चाहता। मैं तो बस आपको प्यार करना चाहता हूँ।

सरला: अगर तू मुझे सच्चा प्यार करता है तो चल जल्दी से खाना खा ले । और मुझे जाने दे ।

राकेश: मम्मी आज मेरे साथ सो जाइए ना प्लीज़। मैं आपको नहीं चोदूँगा। पक्का।

सरला: अरे तू तो नहीं चोदेगा मगर तेरे ताऊ तो अभी इशारा करके गये हैं कि वो आज आयेंगे चुदाई के लिए। अब तुझसे क्या छिपाना। तुम तो सब जानते हो।

राकेश: ओह मम्मी कोई बात नहीं। मैं तो बस आपसे चिपक कर सोना चाहता था। चलो कल सही। आप जाओ ताऊ जी के साथ आपका रिश्ता बहुत पुराना है। मैंने कई बार आप दोनों को चुदाई करते देखा है ।

सरला: सच तू अब बड़ा हो गया है। मुझे तुझपर गर्व है। अच्छा अब चलती हूँ। उसके खाने के ख़ाली बर्तन उठाए और झुक कर बेटे का गाल चूमने लगी। पर बेटा कहाँ कम था , उसने अपने गाल घुमाए और अपने होंठ अपनी मम्मी के होंठ पर रख दिए। एक लम्बे चुम्बन के बस सरला अलग हुई और हाँफते हुए बाहर चली गयी। जाते हुए राकेश का खड़ा लण्ड इसकी तेज़ निगाहों से नहीं बच सका।

उस रात सरला के कमरे में श्याम करीब रात को ११ बजे आया और उसने जमकर चुदाई की। राकेश चुदाई देखने के लोभ से अपने आप को वंचित नहीं रख सकता था । सो वह खिड़की से पूरी चुदाई देखा ।आज श्याम उसे घोड़ी बनाकर पीछे से चोद रहा था। मम्मी की बड़ी सी गाँड़ में श्याम की जाघें थप्प थप्प कर के आवाज़ निकाल रही थी। वह उसकी चूचियाँ भी दबाए जा रहा था। राकेश मज़े से भर गया और मूठ्ठ मारकर अपनी भूक़ शांत किया। वहाँ बिस्तर पर मम्मी पेट के बल लेटी थी और उसकी बड़ी गोरी गाँड़ बहुत मस्त लगी राकेश को। श्याम का लण्ड अब सिकुड़ चुका था। वो उठा और बोला: सरला मैं अब जाता हूँ जान।

राकेश चुपचाप वहाँ से हट गया और ताऊ को बाहर जाते देखा। फिर वो खिड़की से अंदर झाँका और वहाँ मम्मी नहीं थी। शायद बाथरूम गयी होंगी। वो चुपचाप अंदर कमरे में पहुँच कर बिस्तर पर बैठ कर मम्मी के वापस आने का इंतज़ार करने लगा। सरला बाहर आइ और वो सिर्फ़ नायटी में थी। उसकी हिलती बड़ी चूचियाँ इस बात की गवाही दे रही थी कि उसने ब्रा नहीं पहनी है। वो राकेश को देखकर बोली: बेटा, तू इस समय यहाँ क्या कर रहा है? वो उसके पास आकर बैठी।

राकेश: मम्मी आपकी चुदाई देख रहा था। मैं तो बचपन से ही आपकी चुदाई देख रहा हूँ। मुझे बहुत अच्छा लगता है।

सरला: पागल है तू। एक ही चीज़ को बार बार देखने में क्या मज़ा आता है तुझे?

राकेश उसकी गोद में लेट गया और बोला: मम्मी मैं तो आपके बदन का दीवाना हूँ। अब वो नायटी के ऊपर से उसकी चूचियों को सहलाने लगा और बोला: मम्मी दुद्दु पिलाओ ना।

सरला: चल हट बदमाश। इतना बड़ा हो गया है। अभी भी माँ का ही दूध पीना है। कोई गर्ल फ़्रेंड ढूँढ ले और उसका दूध पी।

राकेश ने देखा कि मम्मी उसका हाथ अपनी चूचियों से हटाया नहीं था। इसलिए वो अब उसके निपल्ज़ को दबाया। सरला: आऽऽऽऽऽह क्यों तंग कर रहा है बेटा। जा अब सो जा। मैं भी थक गयी हूँ।

राकेश: मम्मी चुदाई से थकावट हो जाती है क्या?

सरला: हाँ बेटा मुझे अब थकावट हो जाती है। मेरी उम्र भी तो हो रही है।

राकेश: मम्मी अभी तो आप मस्त जवान हो। उफफफ क्या मस्त चूचियाँ हैं आपकी। मम्मी एक बार चुदवा लो ना अभी? प्लीज़।

सरला ने देखा कि उसका लोअर पूरी तरह से तन गया था। वो उसके उभार को देखकर बोली: देख तू तो अपना खड़ा कर के बैठ गया।

राकेश: मम्मी तभी तो कह रहा हूँ कि चुदवा लो ना।

सरला: अच्छा चल बाहर निकाल । चूस देती हूँ। चुदाई के लिए मैं अभी भी तय्यार नहीं हूँ। माँ बेटे में चुदाई नहीं हो सकती।

राकेश अपना लोअर और चड्डी नीचे किया और सरला उसके लण्ड को प्यार से देखी और बोली: बाप रे कितना बड़ा हो गया है तेरा। ये कहकर उसने प्यार से मुट्ठी में भर लिया। और उसको सहलाने लगी। फिर उसके टोपी के ऊपर की चमड़ी पीछे की और मोटे सुपाडे को देखकर मस्त होकर उसे अंगूठे से सहलाई।

राकेश के सपने मानो साकार होने लगे थे। वो मस्ती में आकर मम्मी की गोदे में लेटे हुए नायटी के ऊपर से उसके दूध को मुँह में लेने लगा। अब सरला बोली: चल बिस्तर पर लेट तभी तो चूसूँगी। अच्छा ये तो बता कि किसी लड़की के साथ मज़ा लिया है या नहीं?

राकेश: मम्मी आप पहली औरत हो जिसने इसे पकड़ा है। मैं तो आपका ही दीवाना हूँ । मुझे कोई लड़की नहीं चाहिए।

अब वह बिस्तर पर लेट गया। सरला ने उसके लौड़े पर अपना मुँह झुकाया। और उसकी झाँटे सहलाते हुए उसके सुपाडे को चूमने लगी। राकेश आऽऽऽऽहह कर उठा। अब सरला ने उसके पूरे लम्बाई को चूमा और फिर उसके बालों से भरे बॉल्ज़ को भी चूमी। अब वो अपने होंठ और जीभ से उसके सुपाडे को चूसने लगी। अब राकेश की -आऽऽऽह मम्मी - निकल गयी। अचानक उसने लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। अब वो उसे डीप थ्रोट देने लगी। राकेश आऽऽऽऽहहह मम्मीइइइइइइइ मैं तो गयाआऽऽऽऽऽऽऽ। अब वो प्यासी औरत अपने बेटे का कामरस पीती चली गयी। राकेश आँखें फाड़े मम्मी को अपना वीर्य पीते देख रहा था और झटके मार मार कर झड़े जा रहा था। बाद में वो उसके लण्ड के एक एक हिस्से को प्यार से चाट कर साफ़ की। जब वो मुँह ऊपर उठाई तो उसके होंठों में कुछ बूँदें लगी हुईं थीं जिसे वो हाथ से साफ़ की और फिर हाथ को भी चाट ली। राकेश मज़े से लस्त होकर पड़ा रहा। सरला उसकी ओर देखी और मुस्कुराती हुए बोली: मज़ा आया?

राकेश: मम्मी इससे ज़्यादा मज़ा आज तक कभी किसी चीज़ में नहीं आया। थैंक्स ।

सरला हँसती हुई बाथरूम चली गयी। अब वो भी अपना लोअर ऊपर किया। मम्मी के आने पर वो उससे लिपट गया और दोनों ने एक दूसरे को बहुत प्यार किया। फिर सरला बोली: चल अब जा अपने कमरे में देर हो गयी है। कल कोलेज भी जाना है ना?

राकेश : ठीक है मम्मी । कहकर वहाँ से चला गया। सरला भी अब लेटकर सोने की कोशिश की।

उधर राजीव भी सोने की कोशिश कर रहा था। दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचने लगा। आज बहुत कुछ हुआ था। मालिनी ने उसको शीला की बुर दिलाई थी। साथ ही आज उसने मालिनी के मन में शिवा और सरला के बारे में शक की बुनियाद रख दी है। देखें तीर कितना निशाने पर लगता है? वो भी सो गया।

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04-09-2017, 04:38 PM,
#79
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
सुबह किचन में चाय बनाकर वह राजीव को आवाज़ दी। वह बाहर आकर चाय पीते हुए बोला: रात में शिवा ने चोदा?

मालिनी: उफफफ पापा आप भी ना। शायद ही दुनिया में कोई ससुर अपनी बहु से ऐसा अजीब सवाल पूछता होगा?

राजीव: ये मेरी बात का जवाब तो नहीं हुआ बेटा।

मालिनी : ओह्ह्ह्ह्ह अच्छा आपकी बात का जवाब है हाँ हाँ । बस अब ख़ुश? वैसे आपके कारण बड़ी अजीब स्तिथि बन गयी थी । जब मैंने उनको पूछा कि आप मम्मी के साथ कुछ किए थे क्या? तो उनका तो बस खड़ा हुआ उसी समय नरम पड़ गया था।

राजीव: ओह तो चुदाई आधी रह गयी क्या?

मालिनी: नहीं बाद में वो फिर और ज़्यादा उत्तेजित होकर बुरी तरह से चोदे।

राजीव: पर बाद में ऐसा क्या हो गया कि वो इतना उत्तेजित हो गया? मुझे कुछ समझ नहीं आया।

मालिनी: वो वो असल में अब कैसे बताऊँ? छोड़िए ना।

राजीव ने उसका हाथ पकड़ा और बोला: बेटा बताओ ना ऐसा क्या हुआ?

मालिनी: जब हम दोनों में थोड़ी बहस हुई तो मैंने कह दिया कि अगर आप मेरी मम्मी से करोगे तो मैं भी बदला लूँगी।

राजीव : कैसे लोगी बदला?

मालिनी: आपको बताऊँगी तो आप मस्त हो जाओगे।

राजीव: अरे जान अब बता भी दो ना। वैसे उसे अंदाज़ा हो गया था पर वह उसके मुँह से सुनना चाहता था।

मालिनी: मैंने कहा कि आप मेरी माँ से करोगे तो मैं आपके पापा से करूँगी। हा हा मज़ा आ गया ना आपको?

राजीव: आऽऽऽऽह बेटी सच मज़ा आ गया।
वह उठकर उसके पास आकर उसकी बग़ल की कुर्सी पर बैठा और उसकी जाँघ दबाकर बोला: फिर शिवा क्या बोला?

मालिनी: वो बहुत उत्तेजित हो गए थे और - और -

राजीव: उसकी जाँघ सहलाकर: हाँ हाँ बोलो बेटा।

मालिनी: मैं भी बहुत उत्तेजित हो गयी थी। फिर उन्होंने मुझे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदा। एक बात कहूँ मुझे लगता है इतना उत्तेजित वो कभी नहीं हुए थे पहले। उफफफफ क्या चुदाई किए। पागल ही हो गए थे वो।

राजीव हैरान होकर: वो ग़ुस्सा नहीं हुआ बल्कि उत्तेजित हुआ? Wow । अच्छा ?
वो सोचने लगा कि इसका क्या मतलब हो सकता है?

तब वो सोचा कि कहीं शिवा भी तो यही नहीं चाहता कि वो मालिनी को चोदे? पर ये कैसे हो सकता है ? वो तो इसको प्यार करता है? इसका मतलब क्या वो भी कुछ नया चाहता है? वो सामने से बोला: ओह वो उत्तेजित क्यों हुआ ये तो पता नहीं पर एक बात बताओ कि तुम क्यों उत्तेजित हुई?

मालिनी ने आँखें झुकाकर कहा: पता नहीं।

अब वो उसकी नायटी के ऊपर से जाँघ दबाकर बोला: इसका मतलब है कि तुम भी मुझसे चुदवाना चाहती हो?

मालिनी: पापा आपको इसमे शक है क्या? पर आप जानते हो कि मेरा ज़मीर इसकी इजाज़त नहीं देता। राजीव ने उसका हाथ अपने लण्ड पर रखा और वो उसे लूँगी के ऊपर से दबाकर बोली: आज सुबह सुबह ही शुरू हो गए आप?

राजीव: तुमने बात ही इतनी बढ़िया बताई है।
अब मालिनी भी उसके लण्ड को दबाकर महसूस की और उठती हुई बोली: पापा अब मैं शिवा को भी उठा देती हूँ।

जैसे ही वो उठी राजीव ने उसकी नायटी के ऊपर से उसकी मस्त गाँड़ को अपने पंजों में भर लिया और दबाकर बोला: आऽऽऽह बेटी कब चुदवाओगी मुझसे ? सच बहुत मन करता है तुम्हारी जवानी का मज़ा लूटने का।

वो: पापा बस थोड़ा सा और इंतज़ार करो। मुझे लगता है कि आप जल्दी ही अपनी इच्छा पूरी कर पाओगे।

वह उसको छोड़ा और बोला: आह पता नहीं बेटा कितना और इंतज़ार करवाओगी? चलो ठीक है देखते हैं क्या होता है?

वह चाय बनाई और शिवा को उठाई । शिवा बाथरूम से आकर उससे चिपक गया और बोला: आह रात की चुदाई बहुत मस्त थी। पता नहीं हम दोनों बहुत उत्तेजित हो गए थे। वो उसके कमर को सहला कर मस्त होकर बोला।

मालिनी: हाँ सच बहुत मज़ा आया था। अच्छा अब आप तय्यार हो जाओ।
शिवा उसके गाल को चूमकर उसकी चूचियाँ दबाया। और फिर बाथरूम में चला गया।

मालिनी सोची कि दोनों बाप बेटा हर समय मेरे बदन को दबाकर मुझे मस्त करते रहते हैं। वो मुस्कुराकर किचन में चली गयी।

शिवा दुकान जाकर सरला को फ़ोन किया। उस वक़्त सरला सबको नाश्ता कराके आराम कर रही थी। सरला: हेलो हाँ शिवा कैसे हो।

शिवा: नमस्ते मम्मी । ठीक हूँ। आज आपकी याद आ रही थी।

सरला: ओह सच । मैं तो सोची थी कि तुम मुझे भूल ही गए।

शिवा: मम्मी आपको कोई कैसे भूल सकता है। क्या मज़ा दिया था आपने। उफफफ अब भी याद आता है तो लण्ड खड़ा हो जाता है। मैंने अपने जीवन में सिर्फ़ आपको और मालिनी को ही तो चोदा है। तो कैसे भूल जाऊँगा आपको ?

सरला: चल बदमाश कहीं का। मेरी हड्डी हड्डी दुखा दी थी तेरी चुदाई ने। सच कहती हूँ तू तो घोड़ा है आदमी थोड़ी है।

शिवा हँसकर : मम्मी आप भी ना। अच्छा एक बात बताओ कल रात को मालिनी बोल रही थी चुदाई के समय कि क्या मैंने आपको चोदा है उस दिन जब वो फ़िल्म देखने गयी थी? उसे ऐसा शक कैसे हुआ होगा?

सरला: ओह तुमने मना कर दिया ना?

शिवा: अरे मना तो किया पर ये ये विचार उसे आया कैसे?

सरला: पता नहीं। हो सकता है कि तुम्हारे पापा ने उसे ये बोला हो?

शिवा: पापा ने ? क्या पापा उसके साथ ऐसी बात कर सकते हैं?

सरला: पता नहीं पर मुझे लगता है कि मालिनी को ये बात उन्होंने ही कही होगी।

शिवा: पर आप ऐसा कैसे कह सकते हो? पापा उसे अपनी बेटी मानते हैं और वो उससे मेरी और आपकी चुदाई की बात कैसे कहेंगे?

सरला: बेटा मैंने तुमको बताया था ना कि तुम्हारे पापा दूसरी शादी की बात करे हैं मालिनी से । वो तुमको कहाँ बताई। वो और क्या क्या बोलते होंगे मालिनी शायद तुमको नहीं बता पाती होगी।

शिवा: ओह हाँ ये हो सकता है कि वो किसी दबाव में होगी? मुझे पता करना ही होगा।

सरला: बेटा कोई आया है बाहर घंटी बज रही है मैंने बाद में बात करूँगी।

शिवा ने फ़ोन बन्द किया और सोचने लगा कि ये माजरा क्या है? सबसे पहले मालिनी का ये कहना कि वो मम्मी के साथ मज़ा लिया क्या। और अब सरला का ये कहना कि पापा मालिनी से इस तरह की बातें कर सकते है। और सबसे बड़ी बात वो सोचा कि जब मालिनी उससे बदले लेने की बात की तो वो ख़ुद इतना क्यों उत्तेजित हो गया था? इसका क्या मतलब है कि वो ख़ुद चाहता है कि उसकी बीवी पापा से चुदे? और एक बात ये मालिनी भी इतनी उत्तेजित क्यों हुई थी? उसकी बुर में मानो नदी बह रही थी। इसका क्या मतलब है कि मालिनी भी पापा से चुदवाना चाहती है? उफफफ वो ये क्या सोच रहा है? उसने देखा कि उसका लंड पूरा तन गया था। वो सोचने लगा कि वो ख़ुद क्या चाहता है। अपने लण्ड को सहलाकर लैपटॉप खोला और उसने एक सीडी लगाई जो वो अपने कैबिन में छिपा कर रखता था। उस सीडी में एक बाप और बेटा एक लड़की को चोद रहे हैं । वो लड़की उस लड़के की गर्ल फ़्रेंड है। जिसको बेटा बाप को ऑफ़र करता है।
इस सीडी को वो कई बार देख चुका था। ये उसकी पसंदीदा सीड़ी है। अब क्या सच में उसके जीवन में ऐसा ही कुछ होने वाला है?

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04-09-2017, 04:38 PM,
#80
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
शिवा सीडी देखकर अपना लंड दबा रहा था। बहुत ही कामुक दृश्य था जिसमें एक जवान लड़की पीठ के बल लेट कर सिसकियाँ भर रही थी और बाप बेटा उसके एक दूध चूस रहे थे। उफफफफ क्या मज़ा ले रहे थे दोनों। लड़की के एक एक हाथ में दोनों के बड़े बड़े लण्ड थे जिनको वह सहला रही थी। दोनों आदमियों के हाथ उसके बदन पर घूम रहे थे और उसकी बुर में भी तीन उँगलियाँ घुसी हुई थीं।
तभी फ़ोन बजा। शिवा ने फ़िल्म बंद की और फ़ोन उठाया। सरला का ही फ़ोन था। वो बोली: हाँ बेटा क्या बोल रहे थे।
शिवा: मम्मी रात को मालिनी बदला लेने की बात कर रही थी । वह बोली अगर आप मेरी मम्मी को चोदे हो तो मैं भी आपके पापा से चुदवाऊँगी।

सरला: ओह इसका मतलब कि तुम्हारे पापा अपने मक़सद में कामयाब होते दिखाई दे रहें हैं।

शिवा: क्या मतलब? क्या मक़सद है पापा का?

सरला: मालिनी को चोदना । वो अपनी बहु पर बहुत दिनों से निगाह रखे हैं। वो कहते हैं कि वो दूसरी शादी करेंगे। इसलिए मालिनी उनकी बात शायद मान गयी है। तभी ऐसा बोल रही है।

शिवा: मेरे पापा के बारे में आप इतना सब कैसे जानती हैं जो कि मैं भी नहीं जानता।

सरला: वो - वो - क्या है ना - मतलब - अब मैं क्या बोलूँ?

शिवा: मम्मी कहीं आप पापा से चुदीं तो नहीं हो?

सरला: ये कैसे बोल रहे हो? क्या ऐसी बात कोई पूछता है भला?

शिवा: मम्मी आप भूल रही हो कि मैं भी आपको चोद चुका हूँ। और आप सिर्फ़ मेरी सास नहीं हो बल्कि मेरी चुदाई पार्ट्नर भी हो। मैं तो चाहता हूँ की आप कुछ दिनों के लिए यहाँ आ जाओ ताकि मैं आपको मस्ती से चोद सकूँ।

सरला: धत्त ये कैसे हो सकता है, वहाँ मालिनी और तुम्हारे पापा भी होंगे। तुम्हें मज़ा लेने यहाँ मेरे घर आना होगा।

शिवा: मम्मी वो तो सिर्फ़ इतवार को ही हो सकता है। चलो प्लान करते हैं। अच्छा रखता हूँ।

शिवा फ़ोन काट कर सोचने लगा। कही कुछ गड़बड़ है। उसे पता करना होगा कि पापा और मालिनी के बीच क्या चल रहा है? पर कैसे पता करे वो? वो सोचता रहा । तभी उसे याद आया कि वो जब लिंगरी लेकर गया था मालिनी के लिए तो रात में उसे पहनकर वो पापा को दूध देने गयी थी। उसने उस दिन उसके ऊपर एक कपड़ा ढाँक लिया था। क्या वो सब उसे धोका देने के लिए था। अगर ऐसा है तो वह पापा को लिंगरी में अपना बदन दिखाने गयी थी। वो जितना इस बात के बारे में सोचता उतना ही उसका शक पक्का होता जाता। वो सोचा कि आज फिर एक सेक्सी ड्रेस लेकर जाता हूँ। देखता हूँ कि वो फिर से कोई बहाना बना कर पापा के कमरे में जाती है क्या? अगर गयी तो फिर साफ़ है कि वो पापा के साथ मज़ा कर रही है। उसका लण्ड इन बातों को सोचकर पूरा तना हुआ था। वो बाथरूम में गया और मालिनी के नाम की मूठ्ठ मारा। और फिर शांत होकर बाहर आया और एक सेक्सी ड्रेस खोजने लगा। आज उसने एक ऐसी ड्रेस पसंद की जिसका सोच कर वो फिर से उत्तेजित होने लगा। इस ड्रेस से उसकी चूचियाँ आधी से ज़्यादा नंगी दिखाई देंगी और पूरा पेट और आधी कमर भी नंगी रहेगी। और सिर्फ़ बुर का भी आधा हिस्सा ही ढकेगा।जाँघों के ऊपर एक कपड़े का हिस्सा अलग अलग लहरा रहा था। पीछे से गाँड़ के ऊपर एक रस्सी भर होगी। उसने ड्रेस पैक कर ली। आज ये फ़ैसला होना था कि क्या सच में मालिनी और पापा के बीच कुछ है?

उधर शिवा के जाने के बाद मालिनी नहाकर सलवार क़ुर्ती में बाहर आयी और किचन में बाई के साथ खाना बनाने लगी। तभी राजीव ने उसे आवाज़ दी: बेटा ज़रा आना तो।

मालिनी उसके कमरे में आयी और बोली: जी पापा।

राजीव उसके बदन की ओर देखता हुआ बोला: वाह नहा कर कितनी मस्त लग रही हो। बाल ऐसे ही खुला रखा करो।

मालिनी हँसकर: अच्छा समझ गयी। बोलिए किस लिए आवाज़ दी?

राजीव: तुमको ये दिखाने को। ये कहते हुए उसने एक सेक्सी ड्रेस निकाली और बोला: ये मैंने तुम्हारी सास के लिए ख़रीदी थी। पर वह कभी नहीं पहनी। तुम पहनकर दिखाओ। मस्त लगोगी।

मालिनी ने उस ड्रेस को चेक किया और हँसकर बोली: पापा सासु माँ ने नहीं पहना ठीक ही किया। आप इसको ड्रेस कहते हो? इससे तो अच्छा है कि कुछ पहना ही ना जाए। देखिए तो यहाँ से तो पूरा खुला हुआ है। पूरी नंगी ही दिखूँगी।

राजीव: बेटा एक बार पहन कर तो दिखा दो। इतने प्यार से ख़रीदी थी मैंने।

मालिनी उसको हाथ में पकड़कर बाहर जाकर दरवाज़े के पास खड़ी होकर बोली:अब आप सुनिए मैं इसको अपनी सेकंड सुहागरत में पहनूँगी जो आपके साथ मनाऊँगी। वो कहकर हँसी और वहाँ से भाग गयी। राजीव के लण्ड ने ये सुनकर झटका मारा और वो भी बाहर आया । पर तब तक मालिनी किचन में जा चुकी थी जहाँ काम वाली बाई काम कर रही थी। उसके पैर थम गए। वह मन ही मन मुस्कुराता हुआ सोचा कि अब दिल्ली दूर नहीं है। जल्दी ही उसकी बहु उसकी बाहों में होगी। उसका दिल बल्लियों उछलने लगा।

उधर सरला ने राजीव को फ़ोन लगाया: कैसे है आप?

राजीव : ठीक हूँ जान। आ जाओ ना कुछ मज़े करेंगे।

सरला: आपको बस एक ही बात सूझती है। अच्छा ये बताओ कि आपने मालिनी के दिल में ये शक क्यों डाला कि शिवा और मेरे बीच कुछ हुआ होगा। क्या फ़ायदा होगा आपको ऐसा कहकर।

राजीव: अरे फ़ायदा तो हो गया। मालिनी कल शिवा को बोली कि अगर ये सच है तो वो इसका बदला लेगी। और बदला होगा कि क्योंकि शिवा ने उसकी मम्मी को चोदा है इसलिए वो शिवा के पापा से चुदवाएगी। बताओ कितना मीठा सा बदला लेगी ना तुम्हारी बिटिया।

सरला: ओह हे भगवान। आपने क्या क्या भर दिया है उसके दिमाग़ में। प्लीज़ उसे छोड़ दीजिए शिवा के लिए। आपको जो करना है मेरे साथ कर लीजिएगा।

राजीव: अरे तुम्हारे साथ भी कर लेंगे और तुम्हारी प्यारी सी बिटिया के साथ भी कर लेंगे।

सरला: अरे आप क्यों उसकी शादीशुदा ज़िन्दगी में आग लगा रहे हो।

राजीव: आग तो तुम लगायी हो शिवा के बदन में ,मैं तो मालिनी की आग बुझाऊँगा जानू।

सरला कुछ कहती इसके पहले श्याम अंदर आने लगा, तो वह अच्छा अभी रखती हूँ कहकर फ़ोन काट दी।

रात को आठ बजे शिवा घर आया और अपने कमरे में जाकर फ़्रेश हुआ। मालिनी उसके पास आइ और बोली: कैसा रहा दिन आज का?

शिवा: बहुत अच्छा धन्धा हुआ है। इसीलिए देखो तुम्हारे लिए ये गिफ़्ट लाया हूँ।
मालिनी ने गिफ़्ट खोली और उसमें एक बहुत ही सेक्सी ड्रेस देखकर उसका मन हुआ कि अपना सर पीट ले। वहाँ बाप उसे एक सेक्सी ड्रेस दे रहा है और यहाँ बेटा भी एक सेक्सी ड्रेस लेकर आ गया है। वो मन ही मन सोची कि बाप बेटा एकदम एक जैसे ही हैं।

शिवा: आज रात को ये पहन कर दिखाना और फिर तुम्हारी चुदाई करूँगा जैसे ब्लू फ़िल्म में होता है। ठीक है ना? मेरी जान।

मालिनी: अब क्या कहूँ आपको । आप हमेशा ही अपने मन की तो करते हो। है कि नहीं?

शिवा: चलो अब भाषण मत दो जान। बस पहन लेना।

मालिनी हँसके : अच्छा जो चाहोगे सब हो जाएगा मेरी जान। चलो अब खाना लगाती हूँ।

सबने खाना खाया। आज पहली बार शिवा ध्यान से देख रहा था कि क्या पापा मालिनी को ताड़ते हैं? उसने पाया कि वो उसको अच्छी तरह से घूर रहे थे। कभी उसकी चूचियों को तो कभी उसके पेट को और उसकी गाँड़ को भी। वो सोचा कि उसने तो कभी सोचा ही नहीं कि पापा ऐसा भी कर सकते हैं ? फिर वो अचानक महसूस किया कि उसका लण्ड तन रहा है । वो अपने आप पर हैरान था कि उसे ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वो उत्तेजित हो रहा था। यह क्या हो रहा है उसे? क्या वो ख़ुद ही चाहता है कि पापा अपनी बहु के साथ ये सब करे? वो काफ़ी कन्फ़्यूज़्ड था।

खाना खाने के बाद शिवा अपने कमरे में आ गया और इंतज़ार करने लगा कि कब वो आए और वो उसे लिंगरी में देखे। फिर देखना ये है कि क्या बहाना बना कर मालिनी ससुर के कमरे में जाएगी?

उधर मालिनी किचन जाकर काम निपटाई और दूध का गिलास लेकर ससुर के कमरे में दे आइ।
फिर वो बोली: पापा आपको पता है कि जैसी लिंगरी आप लाए हो वैसी ही या उससे भी ज़्यादा सेक्सी लिंगरी आपका बेटा भी लाया है। और वो मुझे अभी पहनकर उनको दिखाना है।

राजीव: उसके बाद वो तुम्हारी ज़बरदस्त चुदाई भी करेगा। है ना?

मालिनी: वो तो करेंगे ही। चलती हूँ अब वो रास्ता देख रहे होंगे।

राजीव: जान एक बार मुझे भी दिखाना कैसी लगती हो लिंगरी में। प्लीज़ ।

मालिनी: क्या बहाना बनाऊँगी? पिछली बार तो दूध का बहाना बनाया था। आज तो दूध भी ले कर आ गयी हूँ।

राजीव: अरे कुछ भी बहाना बना लेना।बस एक बार जलवा दिखा देना।

मालिनी: अच्छा देखती हूँ। कोई बहाना बन पाया तो।

अब वो अपने कमरे में गयी और देखी की शिवा सिर्फ़ एक चड्डी में उसका इंतज़ार कर रहा था । उसका लण्ड आधा खड़ा था। वह टी वी देख रहा था।

शिवा: क्या जान बड़ी देर लगा दी?

मालिनी: वो किचन साफ़ की और फिर पापा को दूध देकर आयी हूँ।

शिवा: जान चलो अब वो लिंगरी पहन कर दिखा दो। देखो लण्ड कैसे झटके मार रहा है।

मालिनी हँसकर : अच्छा अभी आयी। ये कहकर वो बाथरूम में जाकर फ़्रेश हुई और फिर सब कपड़े निकल कर सिर्फ़ लिंगरी पहन ली। उसकी बड़ी छातियाँ आधी नंगी थीं और जाघें भी नंगी थीं । सिर्फ़ बुर के ऊपर एक छोटी सी पट्टी थी उसमें से भी आधी बुर बाहर दिख रही थी। उफफफ क्या क़यामत दिख रही थी। वो ख़ुद से ही शर्मा गयी । जब वो बाहर आइ तो शिवा मस्ती से भर गया और अपनी सेक्सी बीवी को देखकर लंड दबाने लगा। शिवा: आऽऽऽह क्या माल लग रही हो मेरी जान।

मालिनी शर्माकर: सच में बहुत ही छोटी सी लिंगरी है। पूरी तो नंगी ही दिख रही हूँ।

फिर से शिवा ने उसे चलकर दिखाने को कहा और वो भी गाँड़ मटकाकर चल के दिखाई। शिवा मस्ती से भर गया। तभी शिवा सोचा कि अब वो पापा के कमरे में जाने का अगर बहाना बनाई तो उन दोनों में कोई ना कोई चक्कर है ये पक्का हो जाएगा। वो इंतज़ार करने लगा। उसका दिल बुरी तरह से धड़क रहा था। क्या मालिनी कोई बहाना बनाएगी। पर मालिनी आकर शिवा के पास आकर बैठ गयी। शिवा को मानो निराशा ही हुई। वो सोच रहा था कि वो पापा के पास जाएगी। पर ऐसा हुआ नहीं।

शिवा सोचा कि उसे तो ख़ुश होना चाहिए। पर वो उदास क्यों है। आख़िर वो ख़ुद क्या चाहता है?

अब मालिनी उसकी गोद में आकर बैठी और वो उसे चूमने लगा।मालिनी अपनी गाँड़ हिलाकर बोली: आपका तो खड़ा है बहुत चुभ रहा है। उसके बाद वो भी चुम्बन में उसका साथ देने लगी।

पर शिवा का लण्ड बैठने लगा था । शायद वो उम्मीद किया था कि वो पापा के पास जाएगी। पर ऐसा कुछ हो नहीं रहा था। तभी उसके दिमाग़ में एक विचार आया और वो सोचा कि शायद उसे मालिनी को थोड़ा सा समय अकेले में देना चाहिए। वो ये सोचकर बोला: जान मैं ज़रा बाथरूम जाकर आता हूँ। नहाने की इच्छा हो रही है।

मालिनी: इस समय आप नहाओगे ?

शिवा: बस दस मिनट दो फिर नहा कर आता हूँ। फिर चुदाई करेंगे।

मालिनी : ठीक है। आप आओ। यह कहकर वो बिस्तर पर बैठी और टी वी लगा ली।

शिवा ने अंदर जाकर शॉवर चालू किया। थोड़ा सा भीगकर वह तौलिए से ख़ुद को पोंछ भी लिया। फिर धीरे से दरवाज़ा थोड़ा सा खोलकर उसके अंदर से झाँका। उसने देखा कि मालिनी फ़ोन पर मेसिज कर रही थी। फिर वो उठी और उसने एक शॉल सी लपेटी और बाहर निकल गयी। हुआ ये था कि मालिनी अकेली होते ही राजीव को sms की और पूछा :क्या आप जाग रहे हो?

राजीव : हाँ ।

मालिनी: मैंने लिंगरी पहनी है देखोगे?

राजीव: अरे आ जाओ ना मेरी जान। दिखा दो।

मालिनी: बस दो मिनट के लिए। कोई गड़बड़ नहीं । ठीक?

राजीव: प्रॉमिस ।

इसके बाद मालिनी उठकर गयी जिसे शिवा ने देख लिया और जल्दी से तौलिया लपेट कर उसके पीछे जाकर पापा के कमरे की खिड़की से अंदर झाँका। उसका मुँह खुला का खुला रह गया।

अंदर मालिनी शाल लपेटी पापा के सामने वैसे ही चल रही थी जैसे अभी वो उसके कमरे में चल कर दिखाई थी। राजीव बिस्तर पर बैठे लूँगी के ऊपर से अपने तने लंड को सहला रहा था। वो बोला: बेटी, शॉल उतारो ना। अपनी जवानी का जलवा दिखाओ ना।

वो मुस्कुराई और शॉल को धीरे से उतारी और लिंगरी में उसकी आधी नंगी जवानी देखकर राजीव गरम हो गया और लूँगी से अपना लण्ड बाहर निकाल कर सहलाने लगा।

शिवा ने भी अपना लण्ड सहलाना शुरू किया और आँखें फाड़े अपनी बीवी को अपने ससुर के सामने लिंगरी में गाँड़ मटका कर चलते देखने लगा।

राजीव उत्तेजना में भर कर लंड मूठियाते हुए बोला: आऽऽऽऽऽऽऽह क़याऽऽऽऽऽ गाँआऽऽऽऽऽऽऽड़ है बेएएएएएएएएटी तेरी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कब चुदाअअअअअअअअअअएगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

मालिनी उसके पास आइ और झुककर उसके लण्ड के सुपाडे को चुमी और बोली: बस थोड़ा सा और इंतज़ार मेरे राऽऽजा। पापा ने उसकी चूचियाँ दबाई और उसकी मस्त गाँड़ पर हाथ भी फेरा और बोला: आऽऽऽऽह बहु अभी तो मूठ्ठ मारे बगेर नींद आएगी ही नहीं।

वो हँसकर शाल लपेटी और बोली: चलती हूँ शिवा नहाकर आने वाले होंगे। बाई । और इसके पहले कि वो निकल आती शिवा जल्दी से अपने कमरे में आकर बाथरूम में घुस गया। फिर अपनी फूली हुई साँसों को क़ब्ज़े में करके वो बाहर आया। मालिनी बिस्तर पर बैठी कितनी भोली लग रही थी। कौन कह सकता था कि ये लड़की अभी अपनी जवानी का जलवा अपने ससुर को दिखा कर आइ थी और उसका लण्ड चूस कर आइ थी। शिवा का लण्ड तो उत्तेजना के मारे फटा जा रहा था । वह बाहर आके मालिनी को बिस्तर पर लिटाया और फिर उसके ऊपर आकर उसकी चूचियाँ दबाके होंठ चूसने लगा। फिर वो लिंगरी से चूचियाँ बाहर निकाला और उनको दबाके बारी बारी से चूसने लगा। फिर वो नीचे जाकर उसकी बुर के पास से लिंगरी का कपड़ा हटाकर वहाँ अपना लंड सेट किया और एक ही धक्के में अपना आठ इंचि अंदर पेल कर उसकी टांगों को अपने कंधों पर रख कर मज़े से चोदने लगा । मालिनी भी नीचे से कमर उठाकर चुदवाने लगी। मस्ती से उन्न्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न करके वो हर धक्के का मज़ा ले रही थी। शिवा भी उत्तेजना में भरकर उसकी बुर फाड़ने में जुटा हुआ था। पलंग तो मानो आज टूटने ही वाला था। उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आज क्या चुदाई कर रहा है शिवा। मालिनी सोची की आज इनके सिर पर क्या सवार हो गया है? लिंगरी अभी भी उसके बदन पर थी। जल्दी ही दोनों हाय्ययय कहकर झड़ने लगे। मालिनी अब शांत होकर पड़े शिवा को देखी। अब वो उठकर बाथरूम में गयी और वापस आकर सो गयी। शिवा भी सोने की कोशिश कर रहा था पर उसके आँखों के सामने बार बार मालिनी का चेहरा आ रहा था जो कि पापा के लौड़े के सुपाडे को चूस रही थी। अचानक उसने नोटिस किया कि उसका लण्ड फिर से तन गया था। वो मुड़कर पास ही सोयी मालिनी के सुंदर चेहरे को देखता रहा और सोचा कि उफफफ क्या बच्ची सी भोली दिखाई दे रही थी। और उसकी आँखों के सामने उसका बदन घूम गया जिसको वो गाँड़ हिलाकर लिंगरी में से पापा को दिखा रही थी। वह अपना लण्ड दबाया और सोने की कोशिश करने लगा।

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