ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 04:07 PM,
#51
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव ने महक को फ़ोन किया और बोला: थैंक्स बेटी, तुमने बहुत साथ दिया। अब वो ज़रूर कुछ सोचेगी मेरी शादी को रोकने के लिए।

महक: अच्छा पापा मेरे को तो बताओ कि क्या आप सच में आप शादी करोगे ?

राजीव: अरे नहीं बेटी, इस उम्र में में कैसे शादी कर सकता हूँ। किसी लड़की की ज़िन्दगी नहीं खराब करूँगा।

महक: फिर ठीक है, ये आप मालिनी को पटाने के लिए कर रहे हो। है ना?

राजीव: बिलकुल बेटी यही सच है। अब तुम मेरे पास होती तो हम मज़े कर लेते। पर तुम तो जॉन से मज़े कर रही हूँ। यहाँ मैं अपना डंडा दबा दबा कर परेशान हो रहा हूँ। क्या बताऊँ तुम्हें कि ये मालिनी इतनी ग़दरा गयी है कि इसको देखकर ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है। साली की गाँड़ मस्त मोटी हो गयी है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या बताऊँ तुम्हें।

महक हँसती हुई बोली: बस बस पापा बस करिए। समझ में आ गया कि आपकी बहू मस्त माल हो गयी है। और अब बहुत जल्दी ही वो आपके आग़ोश में होगी। चलिए रखती हूँ। बाई ।

राजीव का लौड़ा महक से बात करते हुए खड़ा हो गया था। इसने उसको दबाया और लम्बी साँस ली और सोचा कि चलो कल देखते हैं क्या होता है।

शिवा घर आया तो उदास मालिनी को देखकर पूछा: क्या हुआ जान , उदास दिख रही हो ।

मालिनी: अरे कुछ नहीं, बस थोड़ी सुस्ती लग रही थी। चलो आप फ़्रेश हो मैं खाना लगती हूँ।

शिवा: अरे पहले तुम्हें तो खा लूँ फिर खाना खाऊँगा। यह कहते हुए उसने मालिनी को बिस्तर पर गिरा दिया और उसके ऊपर आकर उसके गाल और होंठ चूसने लगा।

मालिनी उसको धक्का दी और बोली: चलो अभी छोड़ो और खाना खाते हैं।
शिवा थोड़ा हैरानी से : क्या हुआ जान? सब ठीक है ना?

मालिनी: सब ठीक है, अभी मूड नहीं है।

शिवा उसे छोड़कर बिस्तर से उठा और बोला: अच्छा आज भी बात हुई पापा जी से पैसे के बारे में?

मालिनी झल्ला कर बोली: नहीं हुई और आप भी मत करना । कोई ज़रूरत नहीं है।

शिवा उसको पकड़कर बोला: बताओ ना क्या बात हुई है? तुम्हारा मूड इतना ख़राब मैंने कभी नहीं देखा।

मालिनी: कुछ नहीं हुआ है बस सर दर्द कर रहा है। इसलिए आराम करना चाहती हूँ।

फिर वह किचन में चली गयी। खाना लगाते हुए उसे अपने व्यवहार पर काफ़ी बुरा लगा और वह वापस अपने कमरे में आयी और शिवा से लिपट गयी और बोली: रात को कर लेना । मना नहीं करूँगी और ये कहते हुए उसने लोअर के ऊपर से उसका लौड़ा दबा दिया। शिवा भी मस्ती में आकर उसकी कमर सहलाने लगा। फिर उसका हाथ उसके चूतरों पर आ गया और उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी पैंटी पर हाथ फिराकर बोला: जान, घर में पैंटी मत पहना करो। बाहर जाओ तो पहन लिया करो। ऐसे हाथ फिरा रहा हूँ तो पैंटी के कारण तुम्हारे चूतरों का मज़ा भी नहीं मिल पा रहा है।

मालिनी: आपका बस चले तो मुझे नंगी ही रखोगे क्या पता?

शिवा उसके चूतरों के ऊपर से पैंटी को टटोलते हुए बोला: देखो ये पैंटी मेरे हाथ को तुम्हारी मस्तानी गाँड़ को महसूस ही करने नहीं दे रहा है।

मालिनी हँसकर बोली: अच्छा नहीं पहनूँगी पैंटी बस । चलो अब खाना खा लो।

वो दोनों बाहर आए और शिवा ने राजीव को आवाज़ दी और सब खाना खाए। राजीव ने कुछ भी ऐसा शो नहीं किया जैसे कि कोई बात है। मालिनी सोचने लगी कि कितना बड़ा नाटककार है ये पापा जी , ऐसे बर्ताव कर रहे है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। कल शादी करने के लिए लड़की देखने जा रहे हैं और बेटे को इसकी भनक भी नहीं लगने दे रहे हैं और मेरे पीछे भी पड़े हैं कि मैं अपनी जवानी इनको सौंप दूँ। उफफफफ क्या करूँ।

खाना खाते हुए बाप बेटा व्यापार की बातें करते रहे। फिर वो अपने अपने कमरे में चले गए।

रात को शिवा ने मालिनी की दो बार चुदाई की और फिर वो सो गए।

अगले दिन शिवा के जाने के बाद कमला किचन में आयी और मालिनी को बोली: बड़े साहब कहीं बाहर जा रहें हैं क्या?

मालिनी : क्यों क्या हुआ?

कमला: वो साहब सूटकेस पैक कर रहे हैं ना इसलिए पूछी।

मालिनी बहुत परेशान हो गयी । उफफफफ पापा जी को भी चैन नहीं है । लगता है आज जा रहें हैं लड़की देखने। वह सोची कि क्या करूँ कैसे रोकूँ उनको।

तभी राजीव ने चाय माँगी। मालिनी बोली: अभी लाती हूँ।

कमला अपना काम कर चली गयी। मालिनी चाय लेकर सोफ़े पर बैठे राजीव को दी।

राजीव चाय पीते हुए बोला: बहु आज मैं गाँव जा रहा हूँ। रात तक वापस आ जाऊँगा।

मालिनी: मैं शिवा को क्या बोलूँ?

राजीव: जो तुम्हें सही लगे बोल देना। वैसे भी उसे बताना तो होगा ही कि उसकी नयी माँ आने वाली है।

मालिनी रुआंसी होकर बोली: जानते हैं उनको कितना बुरा लगेगा। पता नहीं वो टूट ना जाए।

राजीव: मैं क्या कर सकता हूँ अगर तुम मेरी बात मान जाओ तो मुझे ये सब कुछ नहीं करना पड़ेगा।

मालिनी: पापा जी आप समझते क्यों नहीं कि मैं शिवा से आपके बेटे से बहुत प्यार करती हूँ और उनको धोका कैसे दे सकती हूँ।

राजीव: वही रट लगा रखी हो । कहा ना हम दोनों की बनकर रहो। पता नहीं क्यों तुम्हें समझ नहीं आ रहा है। तुम मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं शादी करूँ और इस घर का बँटवारा करूँ।

मालिनी रोने लगी और बोली: पापा जी क्यों मेरी ज़िंदगी तबाह करने पर तुले हैं। मैं बरबाद हो जाऊँगी।

राजीव: रोने से इस समस्या का हल नहीं होगा बहु। तुमको फ़ैसला करना ही होगा।

यह कहकर वह उठा और अपने कमरे में चला गया। वह दरवाज़ा खुला छोड़कर अपना सूट्केस पैक करने लगा। मालिनी सोफ़े पर बैठी हुई राजीव को पैकिंग करते हुए देख रही थी और उसका कलेजा मुँह को आ रहा था । उसे लगा कि ये पापाजी सूट्केस नहीं बल्कि इस घर की ख़ुशियाँ पैक करके बाहर ले जा रहे हैं। तभी उसने फ़ैसला लिया कि ये नहीं हो सकता और वह ये नहीं होने देगी चाहे इसके लिए उसे कितना बड़ा भी त्याग ना करना पड़े।

वह उठी और राजीव के कमरे में पहुँची और बोली: ठीक है पापाजी मुझे आपकी शर्त मंज़ूर है , आप गाँव नहीं जाएँगे।

राजीव बहुत ख़ुश हो कर बोला: सच में बहु! अगर तुम मान गयी हो तो मुझे क्या ज़रूरत है जाने की।

यह कहकर वह आगे बढ़ा और मालिनी को अपनी बाहों में जकड़ लिया। मालिनी ने छूटने का कोई प्रयास नहीं किया और ना ही कोई उत्साह दिखाया। राजीव उसके गाल चूमा पर मालिनी को जैसे कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ा। वह बुत की तरह खड़ी रही।

राजीव थोड़ा परेशान होकर बोला: क्या हुआ बहु ? क्या बात है?

मालिनी: पापा जी , आपको मैं अपना शरीर दे दी हूँ। आप जो चाहे कर लीजिए मेरे साथ। पर मेरा दिल आपको अभी भी अपना नहीं मान रहा है। शिवा ने मेरे तन और मन दोनों जीता है। पर आपको मेरा सिर्फ़ तन ही मिलेगा, मन नहीं। उसने राजीव को देखते हुए कहा।

राजीव उसे छोड़ कर बोला: बहु , मैंने आजतक किसी भी लड़की से कभी भी ज़बरदस्ती नहीं की। मैंने कई लड़कियों से मज़ा लिया है पर कभी भी उनकी मर्ज़ी के बिना नहीं किया। और सुन लो तुमसे भी कोई ज़बरदस्ती नहीं करूँगा।

मालिनी: मैंने तो आपको अपना बदन सौंप ही दिया है जो करना है कर लीजिए मेरे साथ। ज़बरदस्ती का सवाल ही नहीं है। यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया। उसकी ब्लाउस में भरी हुई बड़ी बड़ी छातियाँ राजीव के सामने थी। वो बोली: पापा जी, जो करना है कर लीजिए। आप साड़ी उतारेंगे या मैं ही उतार दूँ।

राजीव ने देखा कि उसका चेहरा बिलकुल ही भावहीन था। वह सकते में आ गया इस लड़की के व्यवहार से । वह चुपचाप खड़ा रहा , फिर वह पास आकर उसकी साड़ी का पल्लू उठाकर वापस उसके कंधे पर रखा। फिर बोला: बहु ,मुझे लाश से प्यार नहीं करना है। अब मैं भी पहले तुम्हारा मन जीतूँगा और फिर तन से मज़े लूँगा। बोलो मेरा चैलेंज स्वीकार है ?

मालिनी: मतलब आप मेरा पहले मन जीतेंगे और फिर मेरे साथ यह सब करेंगे?

राजीव: बिलकुल सही कहा तुमने।

मालिनी: फिर आप गाँव जाएँगे क्या?

राजीव: गाँव जा कर क्या करूँगा। अब तो तुमको जीतना है और तुम्हारा मन भी जीतना है। वो गाँव जाकर नहीं होगा बल्कि यहाँ रहकर ही होगा।

यह कहकर वो हँसने लगा। मालिनी को भी अजीब सी फ़ीलिंग हो रही थी। अब राजीव मालिनी के पास आकर उसको अपनी बाँह में लेकर उसके गाल को चूमा और बोला: बहुत जल्दी तुम्हारा मन भी जीतूँगा और ये भी । यह कहते हुए उसने साड़ी के ऊपर से उसकी बुर को दबा दिया और फिर उसको छोड़कर हँसते हुए कमरे से बाहर निकल गया। मालिनी उसकी इस हरकत से भौंचक्की रह गयी।

वह भी चुप चाप अपने कमरे में चली गयी । परिस्थितियाँ इतनी जल्दी से बदली थीं कि वह भी हैरान थी।

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04-09-2017, 04:07 PM,
#52
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव अपने कमरे में आकर सूट्केस का सामान निकाला और मन ही मन ख़ुश होकर सोचा कि आज एक जीत तो हो गयी है।मालिनी ने उसके सामने सरेंडर तो कर ही दिया है। उसको पता था कि उसका मर्दाना चार्म इस बला की मादक लड़की को जल्दी ही उसकी गोद में ले आएगा। उसने थोड़ी देर सोचा फिर एक sms किया सरला को याने मालिनी की मॉ को। उसने उसे आधे घंटे के बाद फ़ोन करने को कहा और उसे श्याम के साथ आने का और रात रुकने का न्योता भी दिया। उसने यह भी कहा कि इस sms का ज़िक्र वो श्याम से भी ना करे।

उधर मालिनी ससुर की हरकत से अभी भी सकते में थी। कितनी बेशर्मी से उसने उसकी साड़ी में ऊपर से उसकी बुर को दबा दिया था। वह बहुत शर्मिंदा थी कि जिस चीज़ पर सिर्फ़ उसके पति का हक़ है उसे कैसे वह इस तरह से दबा सकता है। उसकी आँखें शर्मिंदगी से गीली हो गयीं। वह बाथरूम गयी और मुँह धोकर बाहर आयी।

वह सोफ़े पर बैठ कर टी वी देख रही थी तभी राजीव अपनी योजना के अनुसार बाहर आया और उसके साथ उसी सोफ़े पर बैठा और मालिनी को एक लिफ़ाफ़ा दिया और बोला: लो बहु , इसको संभाल लो।

मालिनी: पापा जी ये क्या है?

राजीव: ये दो लाख रुपए का चेक है, जो तुमने माँगे थे ,शिवा के बिज़नेस के लिए। अब क्योंकि शादी कैन्सल हो गयी है तो पैसे बच गए ना फ़ालतू ख़र्चे से । इसलिए तुमको दे दिए।

मालिनी बहुत ही हल्का महसूस की क्योंकि इसको लेकर शिवा बहुत तनाव में था। अब ज़रूर वह ख़ुश होगा।वह बोली: थैंक्स पापा जी। इनको पा कर शिवा को बहुत ख़ुशी होगी।

राजीव हँसकर: तुम्हें सिर्फ़ शिवा की ख़ुशी की चिंता है, कुछ ख़ुशी मुझे भी तो दो।

मालिनी: आपको क्या ख़ुशी चाहिए।

राजीव ने उसका हाथ पकड़ा और उसको चूमते हुए बोला: मुझे तो बस एक चुम्बन ही दे दो। यह कहके वह साइड में झुका और उसका एक गाल चूम लिया।

मालिनी एक पल के लिए हड़बड़ा गयी। तभी राजीव के फ़ोन की घंटी बजी। फ़ोन श्याम ने किया था। वह मन ही मन मुस्कुराया क्योंकि ये फ़ोन उसकी योजना के अनुसार ही आया था। वह मोबाइल मालिनी को दिखाकर बोला: तुम्हारे ताऊजी का फ़ोन है।

मालिनी थोड़ी परेशान होकर बोली: ओह, भगवान करे वहाँ सब ठीक हो। ताऊजी ने आपको क्यों फ़ोन किया है?

राजीव फ़ोन को स्पीकर मोड में रखा और बोला: लो तुम भी सुन लो , जो भी बात होगी।

मालिनी ध्यान से सुनने लगी।

श्याम:नमस्कार भाई साब कैसे हैं ?

राजीव: सब बढ़िया है आप सुनाओ।

श्याम: अरे भाई साब , मैंने फ़ोन स्पीकर मोड में रखा है और साथ ही सरला भी है।

सरला: नमस्ते भाई साब , आप कैसे हैं?

राजीव ने मालिनी को आँख मारी और चुप रहने का इशारा किया और बोला: अरे जान, आज बहुत दिन बाद हमारी याद आइ। हम तो धन्य हो गए।

सरला: हमारी रानी बेटी कैसी है? ख़ुश तो है ना?

राजीव मालिनी को आँख मारते हुए: अरे बहुत ख़ुश है और बहुत मस्त हो गयी है। उसका बदन मस्त ग़दरा गया है। देखते ही बनती है।

सरला: छी अपनी बहू के बारे में कुछ भी बोलते हो। कहीं उस पर भी बुरी नज़र तो नहीं डाल रहे हो?

मालिनी अपनी माँ की इस बात से बुरी तरह से चौकी। पर राजीव को मानो कुछ फ़र्क़ ही नहीं पड़ा और वह बोला: अरे नहीं नहीं, वो तो मेरी प्यारी बेटी है। उसपर कैसे बुरी नज़र डालूँगा। ये कहते हुए उसने मालिनी की एक जाँघ दबा दी।

मालिनी ने उसका हाथ वहाँ से हटा दिया।

श्याम: अच्छा हम दोनों कल आपके घर आने का प्रोग्राम बना रहे हैं। सरला का बहुत मन है मालिनी से मिलने का।

राजीव: सिर्फ़ उसी से मिलने का? और मुझसे मिलने का मन नहीं है?

सरला: अरे आपसे भी मिलने का मन है। असल में मैं श्याम जी से बोली हूँ कि हम कल शाम को आएँगे और बेटी और दामाद से मिल लेंगे, फिर रात में रुक जाते हैं। आप कोई ना कोई जुगाड़ तो बना ही लोगे रात में मज़ा करने का। ठीक बोली ना मैं?

मालिनी का चेहरा सफ़ेद पड़ गया और वह वहाँ से जाने के लिए उठने लगी। पर राजीव ने उसके हाथ को पकड़कर उसे ज़बरदस्ती वहाँ बिठा दिया और उसके हाथ को पकड़े ही रखा।

राजीव: अरे क्यों नहीं मेरी जान, रात को तो चुदाई का मस्त जुगाड़ हो जाएगा। शिवा और बहु भी रात को १० बजे अपने कमरे में जाकर चुदाई में लग जाते हैं। हम तीनों भी मस्त चुदाई करेंगे रात भर।

सरला: छी अपने बेटे और बहु के बारे में ऐसी बात क्यों कर रहे हो। क्या उनको देखते रहते हो कि वो कमरे में क्या कर रहे हैं।

राजीव: अरे जवान जोड़ा अपने कमरे में और क्या करेगा। ये कहते हुए वह मालिनी को देखा और हंस दिया। अभी भी वो उसकी बाँह पकड़ा हुआ था और उसे सहला रहा था। मालिनी भी चुपचाप मजबूरी में अपनी माँ , ताऊजी और राजीव की बातें सुन रही थी। पर उसे एक अजीब सी उत्तेजना होने लगी थी और उसके निपल्ज़ कड़े हो गए थे ब्रा के अंदर।

श्याम: चलो फिर पक्का हुआ ना कल शाम को हम आ रहे हैं।

राजीव: पक्का हुआ और मेरी जान कल कुछ सेक्सी पहनना ।

सरला: अरे मैं बेटी और दामाद के घर सेक्सी कपड़े पहन कर आऊँगी क्या?

राजीव: अरे उनके सामने तो साड़ी ही पहन कर आना, पर रात को एक मस्त सेक्सी नायटी में अपना मस्त बदन दिखाना। और हाँ घर से पैंटी पहन कर मत आना।

श्याम: अरे भाई , अब इसने पैंटी पहनना बंद कर दिया है। मैंने आपकी इच्छा के मुताबिक़ इसकी पैंटी छुड़वा दी है। हा हा।

मालिनी सोचने लगी कि कितना खुलके ये सब गंदी बातें कर रहे है और अचानक ही उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हुई। उसे अपने आप पर खीज हुई कि वो इन बातों से गरम कैसे हो रही है!! छि ।

सरला: और अब ये जब चाहे साड़ी उठाकर सीधे टार्गट तक पहुँच जाते हैं। कहते हुए वह हँसने लगी और दोनों मर्द भी हंस पड़े।

श्याम: फिर भाई साब फ़ोन रखूँ?

राजीव: अरे यार इतनी जल्दी क्या है, इतने दिनों बाद तो फ़ोन किया है। आप दोनों लास्ट कब चुदाई किए?

सरला: अरे भाई साब , आजकल तो इनको रोज़ चाहिए। कल भी किए थे। आपने इनको बिगाड़ दिया है।

राजीव: हा हा अरे इसमें श्याम की कोई ग़लती नहीं है। तुम हो ही इतनी क़ातिल चीज़ जो देखकर ही लौड़ा हिलने लगता है। मेरा भी खड़ा हो गया है, तुमसे बात करके ही।

यह कहते हुए राजीव ने हद कर दी। उसने अपनी लूँगी एक साइड में की और चड्डी तो वो पहनता ही नहीं है घर में, इसलिए उसका लम्बा मोटा साँवला सा लौड़ा बाहर आ गया और वो उसे बेशर्मी से सहलाने लगा। मालिनी को बहुत ज़बरदस्त शॉक लगा और वह भौंचाक्की सी उसके लौड़े को देखती रह गयी। उसका साइज़ भी शिवा जैसा ही था और सुपाड़ा शिवा से भी ज़्यादा ही बहुत मोटा था। राजीव ने उसको अपने लौड़े को एकटक देखते हुए पाया और फ़ोन के स्पीकर पर हाथ रख के बोला: बहु पसंद आया हमारा? शिवा का भी ऐसा ही होगा। हमारा बेटा जो है। सही कहा ना?

मालिनी की तो जैसे साँस ही रुक गयी। पर उसकी बुर अब पानी छोड़ने लगी।

तभी सरला बोली: क्या हुआ भाई साब हिला रहे हैं क्या? जो अपनी आवाज़ आनी बंद हो गयी। और सरला और श्याम के हँसने की आवाज़ आने लगी।

मालिनी के कान में माँ की अश्लील बातें गूँज रही थी।और आँखों के सामने ससुर का नंगा लौड़ा था जिसे वो हिला रहे थे। उसकी तो जैसे बोलती ही बंद हो गयी थी।

राजीव अपना लौड़ा हिलाते हुए बोला: अरे हिलाते हुए भी तो बात कर सकता हूँ। मेरे मुँह में कौन से तुम्हारी चूचि घुसी हुई है जो बात नहीं कर पाउँगा। हा हा ।

सरला: कल आऊँगी तो कल वो भी आपके मुँह में घुसेड़ दूँगी।फिर देखती हूँ आपकी बोलती कैसे बन्द नहीं होती।

राजीव: सच जान, बहुत दिन हो गए तुम्हारी चूचि चूसे हुए। कल तो रात भर चूसूँगा।

सरला हँसते हुए: रात को मुँह में लेकर सो जाईएगा।

मालिनी की हालत अब ख़राब होने लगी थी।उसकी माँ ने इतनी अश्लील बातें करके उसे दुखी कर दिया था।

श्याम: कल रात तो मैं भी मुँह में लेकर सो गया था। हा हा ।

सरला: अरे तो क्या हुआ, मेरे पास दो दो हैं, एक एक आप दोनों मुँह में लेकर सो जाईएगा।

मालिनी अपनी माँ की इतनी अश्लील बातों से एकदम सन्न रह गयी थी और ऊपर से पापा जी अपना लौड़ा हिलाए जा रहे थे। राजीव ये सोचकर कि वो बहु की माँ से अश्लील बातें कर रहा है और बहु उसे सुन भी रही है और उसके लौड़े को भी देख रही है , वह बहुत उत्तेजित हो गया। फिर अचानक वह आऽऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगा। उसका पानी दूर तक ज़मीन में गिरे जा रहा था और वह ह्म्म्म्म्म्म आऽऽऽऽह कहकर मज़े से मालिनी को देख रहा था, जिसकी आँखें उसके लौड़े और उसमें से गिर रहे सफ़ेद गाढ़े वीर्य पर थीं।

राजीव ने फ़ोन पर हाँफते हुए कहा: आऽऽऽह मैं झड़ गया। अच्छा अब रखता हूँ।

सरला की भी हाऽऽय्यय की आवाज़ें आ रही थीं। वह बोली: ठीक है ये भी गरम हो गए हैं, मेरी साड़ी उठाकर अपना डालने जा रहे हैं। आऽऽऽऽऽह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ । रखती हूँ बाअअअअअअअइइइइ ।

मालिनी समझ गयी कि ताऊजी ने माँ को चोदना शुरू कर दिया है। अब तक राजीव भी अपनी पीठ टिकाकर सोफ़े पर झड़ा हुआ बैठा था। उसका लम्बा मोटा लौड़ा अभी भी आधा खड़ा हुआ था। अब उसने उसका हाथ छोड़ दिया था। मालिनी उठी और उसने महसूस किया कि उसके पैर काँप रहे हैं। वह ज़मीन पर गिरे हुए वीर्य से अपने पैरों को बचाते हुए अपने कमरे में पहुँची और बिस्तर पर गिर गयी। उसकी बुर पूरी गीली हो चुकी थी। उसने साड़ी और पेटिकोट उठाया और पैंटी में दो उँगलियाँ डालकर अपनी बुर को रगड़ने लगी। बुर के दाने को भी वो मसल देती थी ।बार बार उसकी आँखों के सामने पापा का लौड़ा आ जाता था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितने बड़े बॉल्ज़ थे पापा के। आऽऽह्ह्ह्ह्ह ।और क़रीब १० मिनट में वो बहुत ज़ोर से ऊँगली चलाते हुए झड़ने लगी।

थोड़ी देर बाद वह फ़्रेश होकर बाहर आइ और देखा कि राजीव वहाँ नहीं है। वह भी अपने कमरे में जा चुका था। उसकी नज़र ज़मीन पर पड़े हुए सूखे हुए वीर्य पर पड़ी। वह नहीं चाहती थी की नौकरानी उसे देखे , इसलिए वो एक पोछा लायी और ज़मीन पर बैठकर उसे साफ़ करने लगी। अचानक पता नहीं उसके मन में क्या आया कि उसने एक धब्बे को अपनी एक ऊँगली से पोंछा और उसे नाक के पास लाकर सूँघने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त मादक ख़ुशबू थी। उसकी बुर फिर से गीली होने लगी। तभी उसे ख़याल आया कि वह ये क्या कर रही है, वो अपने आप से शर्मिंदा होने लगी और सफ़ाई करके अच्छी तरह से हाथ धोकर वापस खाना लगाने लगी। फिर उसने राजीव को आवाज़ लगाई: पापा जी खाना लगा दिया है। आ जाइए।

राजीव के कमरे का दरवाज़ा खुला और वह बाहर आया।

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04-09-2017, 04:09 PM,
#53
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव और मालिनी चुपचाप खाना खा रहे थे। राजीव ने ख़ामोशी तोड़ी और बोला: तुमने देखा कि आदमी और औरत के बीच में सेक्स का रिश्ता ही सबसे बड़ा रिश्ता है। तुम्हारी मॉ मेरी समधन है पर उससे बड़ा रिश्ता है हमारे बीच सेक्स के रिश्ते का। वैसे ही तुम्हारे ताऊ जी सरला के जेठ हैं पर उनके बीच भी चुदाई का ही रिश्ता सबसे बड़ा है। इसी तरह हम दोनों में भी ससुर बहु का रिश्ता है पर मैं चाहता हूँ की हमारे बीच भी मर्द और औरत का यानी चुदाई का रिश्ता भी हो जाए। बस इतनी सी बात है बहु रानी।

मालिनी: पापा जी, मैं नहीं जानती कि सच क्या है और क्या ग़लत , पर सच में मम्मी ने मुझे बहुत ठेस पहुँचाई है। मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह का व्यवहार या बातें कर सकती हैं। और ताऊजी भी ऐसे कर सकते हैं।

राजीव: बहु , जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे सेक्स की इच्छा भी बढ़ती है। यही हाल हम तीनों का है। अब कल हम दोनों तुम्हारी मम्मी को बहुत मज़ा देंगे। और वह भी हमें बहुत मज़ा देगी। इसी का नाम जीवन है बहु रानी। अब वह सोफ़े पर आकर बैठ गया। मालिनी टेबल से बर्तन हटा रही थी। जैसे ही वह उसके सामने से गुज़री , राजीव ने उसके हाथ को पकड़ा और बोला: जानती हो तुम्हारा सबसे सेक्सी अंग क्या है?

मालिनी चुपचाप खड़ी रही और उसकी ओर देखती रही। वह उसके मस्त चूतरों पर हाथ फेरकर बोला: ये है तुम्हारे बदन का सबसे हॉट हिस्सा। पर बहु तुम भी अपनी मम्मी की तरह पैंटी पहनना बन्द कर दो। तभी इसको छूने से मस्त माँस का अहसास होगा। यह कहके उसने एक बार फिर से उसके चूतरों को दबाया और फिर उसे जाने दिया।

मालिनी सिहर कर किचन में चली गयी। उसने सोचा कि आज एक दिन में ही बाप और बेटे ने उसे पैंटी ना पहनने को कहा। सुबह शिवा भी तो यही बोला था। उफफफफ कितनी समानता है दोनों में और दोनों के हथियारों में भी। वह मुस्कुराती हुई सोची कि पता नहीं कब तक वो बच पाएगी इस शिकारी से । फिर वह आकर सोफ़े पर बैठी और टी वी देखने लगी।

राजीव: कल तुम अपनी मम्मी से लड़ाई तो नहीं करोगी कि वह क्यों मुझसे चुदवाती है।ऐसा करोगी तो बेकार में माहोल ख़राब होगा।

मालिनी: नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी। अगर मम्मी को यह सब अच्छा लगता है तो मैं क्यों उनको इससे दूर रखूँ।

राजीव: शाबाश ये हुई ना समझदारी वाली बात। इस बात पर मैं तुम्हें एक गिफ़्ट देना चाहता हूँ। अभी लाया। यह कहकर वह उठकर अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर में वह वापस आया और उसके हाथ में एक छोटी सी डिब्बी थी। वह आकर उसे खोला और मालिनी ने देखा कि उसने एक सोने की चेन थी। वह हैरानी से उसे देखी तो वो मुस्कुराया और उस चेन को लेकर उसके पास आया और वह चेन उसने मालिनी के गले में डाल दी और पीछे जाकर उसका हुक लगाया । फिर आगे आकर उसकी उभरी हुई छातियों पर रखी चेन को ठीक किया। और यह करते हुए उसने उसकी छातियों को छू भी लिया। उसकी ब्लाउस में कसी हुई छातियाँ और उस पर रखी वो चेन बहुत सुंदर लग रही थी। मालिनी ने अपना मुँह नीचे किया और अपनी छाती में रखी चेन को देखा। फिर बोली: ये क्या है पापा जी, मुझे क्यों दे रहे हैं?

राजीव: बहु, ये मैं इसलिए दे रहा हूँ क्योंकि तुमने अभी कहा कि तुम अपनी मम्मी को कल मुझसे चुदवाने से मना नहीं करोगी। मेरे लिए ये बहुत बड़ी बात है। और देखो तुम्हारी छाती पर ये चेन कितनी सुंदर दिख रही है। जैसी मस्त छातियाँ वैसी ही मस्त चेन । उसने उसकी छातियों को घूरते हुए कहा।

मालिनी उसकी बात सुनकर लाल हो गयी और उठते हुए बोली: पाप जी थैंक्स, पर शिवा को मैं क्या बोलूँगी?

राजीव: तुम उसे कुछ नहीं बोलना, जो बोलना होगा, मैं ही बोलूँगा। ठीक है?

मालिनी जाते हुए बोली: ठीक है आप जानो।

अपने कमरे में आकर वह शीशे के सामने खड़ी हुई और अपनी छातियों पर रखी इस सुंदर चेन को देखकर वह ख़ुश हो गयी। उसने चेक देखा और ख़ुश हो गयी कि शिवा इसको देख कर बहुत ख़ुश हो जाएगा। फिर उसे याद आया कि पापा जी कैसे उसकी छाती को घूर रहे थे। पता नहीं आज उसे कुछ ख़ास बुरा नहीं लगा। आज जब वह उसे चेन पहना रहे थे तब भी उनकी आँखों में उसे ढेर सारा प्यार दिखाई दिया था। फिर वह सोची कि पापा जी उतने भी बुरे नहीं है शायद जितना मैं समझ रही हूँ। शीशे में अपने आप को देखते हुए उसने अपनी गोलाइयों को सहलाया और सोची कि आख़िर ये हैं ही इतने सुंदर , अब बेचारे पापा जी भी क्या करें! आख़िर उनका भी दिल आ ही गया है इस सुंदरता पर। वह शीशे में अपने सुंदर रूप को देखकर मुस्करायी। फिर वह पीछे को मुड़ी और अपने पिछवाड़े को देखी और वहाँ हाथ फेरी और सोची कि सच में ये हिस्सा उसका अब बहुत ही मादक हो गया है। पतली कमर पर ये उभार सच में बहुत कामुक लगते होंगे पापा जी को। फिर उसका हाथ पैंटी के किनारों पर पड़ा और उसे याद आया कि आज तो दोनों बाप बेटे उससे अनुरोध कर चुके हैं कि पैंटी मत पहना करो। वह मुस्करायी और शरारत से अपनी साड़ी और पेटिकोट उठायी और पैंटी निकाल दी ।अब उसने अपने पिछवाड़े को देखा और वो समझ गयी कि इससे क्या फ़र्क़ पड़ा है। अब उसके चूतर खुल कर इधर उधर डोलने को स्वतंत्र थे। साथ ही अब उसे पैंटी के किनारे की लकीरें भी नहीं दिखाई दे रही थी। वह अब सोची कि देखें कौन पहले नोटिस करता है बाप या बेटा कि उसने पैंटी नहीं पहनी है। और मज़े की बात ये है कि वो दोनों सोचेंगे कि यह मैंने उनके कहने पर ही किया है। वह सोची कि यह उसे क्या हो रहा है? वो इस तरह के विचारों से ख़ुश क्यों हो रही है? इतना बड़ा परिवर्तन? ऐसा क्यों भला हो रहा है? वह फिर से उलझन में पड़ गयी। इसी उधेड़बन में वह सो गयी।

राजीव अपने कमरे में आकर अब तक की घटनाओं का सोचा और मन ही मन में मुस्कुराया। वो जानता था कि बहु का विरोध अब कम हो रहा है। और आज की सेक्स चैट जो उसने श्याम और सरला से की थी। उसका असर बहु पर ज़रूर पड़ेगा। ऊपर से उसने चेक और चेन देकर उसे काफ़ी ख़ुश कर दिया है। वह सोचने लगा कि कल जब रात को सरला से सेक्स होगा तो कोई तरीक़े से बहु को अपनी चुदाई दिखा दे। फिर वह सोचा कि ये तो बिलकुल सीधे बात करके भी किया जा सकता है। वह फिर से मुस्कुरा उठा। फिर वह भी सो गया।

शाम को जब मालिनी कमला से काम करवा रही थी तो उसने महसूस किया कि बिना पैंटी के उसे थोड़ा सा अजीब सा लग रहा था । पर वो सहज भाव से अपना काम की और फिर राजीव को चाय के लिए आवाज़ दी। राजीव बाहर आया और दोनों चाय पीने लगे। कमला किचन में काम कर रही थी ।

राजीव: नींद आइ या उलटा पुल्टा ही सोचती रही?

मालिनी: मैं सो गयी थी। कुछ नहीं सोची।

राजीव: बढ़िया । मैं सोचा कि कहीं मम्मी का सोचकर परेशान तो नहीं हो रही थी?

मालिनी: उन्होंने मुझे दुखी तो किया ही है, पर क्या किया जा सकता है? आख़िर वो अपनी ज़िंदगी अपनी इच्छा से जीने का हक़ तो रखतीं है।

राजीव ख़ुश होकर: वह बहु , तुम तो एकदम परिपक्व व्यक्ति के जैसे बात करने लगी। मुझे ये सुनकर बड़ी ख़ुशी हुई।

मालिनी उठी और चाय के कप लेकर जाने के लिए मुड़ी और तभी एक चम्मच नीचे गिर गया। जैसे ही वह उसे उठाने को झुकी , इसकी बड़ी गाँड़ साड़ी में लिपटी राजीव के सामने थी और उसने नोटिस कर ही लिया कि वह पैंटी नहीं पहनी है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या उसने उसके अनुरोध को इतनी जल्दी स्वीकार कर लिया? उसका लौड़ा खड़ा होने लगा। अब वह चम्मच उठाकर किचन में चली गयी और काम में लग गयी

राजीव वहाँ बैठा कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा। और जब वह चली गयी तो वह किचन में गया और जाकर सब्ज़ी बना रही मालिनी के पीछे आकर खड़ा हो गया। इसके पहले कि मालिनी पलट पाती उसने उसके चूतरों पर दोनों हाथ रख दिए और वहाँ सहलाते हुए बोला: थैंक्स जान , तुमने पैंटी उतार दी। सच में अभी तुम्हारी गाँड़ मस्त मटक रही है।

मालिनी थोड़ी सी परेशान होकर बोली: पापा जी , प्लीज़ छोड़ दीजिए ना। क्या कर रहे हैं?

राजीव: अरे क्या कर रहा हूँ, बस पैंटी के बिना तुम्हारे बदन का अहसास कर रहा हूँ। अब वह और ज़ोर से उसकी गाँड़ दबा कर बोला।

मालिनी: आऽऽंह पापा जी दुखता है ना? प्लीज़ हटिए यहाँ से।

राजीव हँसकर वहाँ से बाहर आते हुए बोला: बहु आज तुमने पैंटी उतार कर सच में मेरा मन ख़ुशियों से भर दिया।

उसके बाहर जाने के बाद मालिनी ने सोचा कि इनको तो पता चल ही गया कि वो पैंटी नहीं पहनी है। इसका मतलब है कि पापा का ध्यान हर समय उसके पिछवाड़े पर ही रहता है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या अजीब सी स्तिथि बनती जा रही है।

रात को शिवा आया और मालिनी ने दरवाज़ा खोला और वह उसके पीछे पीछे घर जे अंदर आया। उसने भी नोटिस किया कि मालिनी के चूतर आज ज़्यादा ही हिल रहे हैं। जैसे ही वह कमरे में पहुँचा , उसने दरवाज़ा बंद किया और मालिनी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूमते हुए उसकी कमर सहलाने लगा और फिर जब वह उसके चूतरों को सहलाने लगा तभी उसे भी पैंटी ना होने का अहसास हो गया। वह ख़ुश होकर पूरी तरह से उसके कोमल और गोल चूतरों को दबा कर मस्ती से भर कर बोला: आऽऽऽऽऽह जाऽऽऽन तुमने मेरी बात मान ली और पैंटी उतार दी, थैंक्स बेबी। सच में मस्त लग रहा है तुम्हारे चूतरों को दबाना।

मालिनी मन ही मन मुस्करायी कि जैसा बाप वैसा ही बेटा। दोनों का ध्यान उसके पिछवाड़े पर ही रहता है। आज मालिनी भी गरम थी तो जल्दी ही दोनों मस्त हो गए और शिवा ने उसकी साड़ी और पेटिकोट उठाकर उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया और उसको चूसने लगा। मालिनी उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ करके उसके सिर को अपनी जाँघों के बीच दबाने लगी । जल्दी ही शिवा ने उसकी बुर में अपना लौड़ा पेला और चोदने लगा। मालिनी भी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। क़रीब बीस मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद दोनों लस्त होकर पड़ गए। फिर मालिनी ने शिवा को वह चेक दिया और शिवा ख़ुशी से भर गया। उसने मालिनी को चूमा। फिर मालिनी उठकर वह चेन लाई और बोली: पापा जी ने ये चेन आज मुझे उपहार में दी है।

शिवा: ये सच में बहुत सुंदर है। किस ख़ुशी में उन्होंने तुमको उपहार दिया उन्होंने?

मालिनी: वो बोले तुम बहुत अच्छा खाना बनाती हो। इसलिए यह उपहार दिया है।

शिवा: वो तो सच में बनाती हो, काश मैं भी तुमको कोई महँगा उपहार दे पाता।

मालिनी उससे लिपट गयी और बोली: आपका प्यार ही मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार है। और फिर उसके लौड़े को दबाकर बोली: और ये भी तो है ना मेरा असली उपहार जो मुझे बहुत ख़ुशी देता है।

शिवा और मालिनी दोनों हँसने लगे। दिर वो बोली: चलो डिनर करते हैं। आप भी पापा जी को चेक देने के लिए थैंक्स कर दो।

डिनर करते हुए शिवा ने कहा: पापा जी थैंक्स, चेक के लिए । अब मुझे दुकान की शॉपिंग के लिए मुंबई जाना होगा। दो दिन तो लग ही जाएँगे। मैं लिस्ट बनाता हूँ और फिर कुछ दिनों में होकर आता हूँ।

राजीव : हाँ क्यों नहीं, इतना एडवाँस दोगे तो वो ५/६ लाख का तो सामान दे ही देंगे। ठीक है प्लान कर लेना। वैसे कल बहु की माँ और ताऊजी भी आ रहे हैं। कल शाम को ज़रा जल्दी आ जाना। उनके साथ बाहर खाना खा लेंगे। रात को वह लोग यहीं रुकेंगे।

शिवा: वाह ये तो बड़ी अच्छी बात है, मालिनी तो बहुत ख़ुश होगी। है ना मालिनी?

मालिनी: हाँ ख़ुश तो हूँ, पर मेरे से ज़्यादा तो पापा जी ख़ुश हैं । है ना पापा जी? उसने कटाक्ष किया ।

राजीव भी तो चिकना घड़ा था उसे कौन सा कोई फ़र्क़ पड़ता है। वह बोला: अरे मेरी ख़ुशी तो बहु की ख़ुशी में है। यह कहकर उसने शिवा की आँख बचाकर बहु को आँख मार दी। मालिनी ने चुपचाप सिर झुका लिया।

शिवा: पापाजी आपने बहुत सुंदर चेन दी है मालिनी को। सच में वह खाना बहुत अच्छा बनाती है।

राजीव समझ गया कि बहु ने ये कारण बताया है शिवा को चेन देने का। वह मुस्कुराकर बोला: हाँ सच में बहुत स्वाद है वो मतलब उसका बनाया खाना। उसने फिर से बहु को आँख मार दी।

खाने के बाद राजीव उठते हुए बोला: बहु , मुझे एक ग्लास गरम दूध देती जाना।

मालिनी: जी पापा जी अभी गरम करके देती हूँ।

शिवा अपने कमरे में चला गया और मालिनी दूध गरम करते हुए सोची कि पापा को दूध की क्या सूझी? ज़रूर कोई शरारत करेंगे अपने कमरे में एकांत में। वह ग्लास लेकर राजीव के कमरे में पहुँची और दरवाज़ा खटखटाया।

राजीव: आओ बहु अंदर आ जाओ। जैसे ही वह अंदर पहुँची वह बोला: मेरे कमरे में आने के लिए दरवाज़ा खटखटाने की ज़रूरत नहीं है। और वैसे भी मैंने तुमको अपना सब कुछ तो दिखा ही दिया है। वह अपने लौड़े को मसल कर आँख मारते हुए बोला।

मालिनी कुछ नहीं बोली और ग्लास को साइड टेबल पर रखने लगी। जब वह पलटी तो उसके सामने राजीव खड़ा था। वह इसके पहले कुछ समझ पाती उसने उसे अपनी बाहों में दबोच लिया और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए। वह उसे चूमे जा रहा था और मालिनी चुपचाप खड़ी उसको देख रही थी और अपनी तरफ़ से कोई सहयोग नहीं कर रही थी।

जैसे ही उसने उसका मुँह छोड़ा वह बोली: पापा जी प्लीज़ मुझे जाने दीजिए।

राजीव उसे अपने से चिपकाए हुए था। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसकी चौड़ी छाती में जैसे चिपक सी गयीं थीं। वह अपने हाथ अब उसके चूतरों पर फिराया और बोला: बहु पैंटी ना पहनकर तुमने मुझे बहुत ख़ुश किया है। अब एक ख़ुशी और दे दो।

मालिनी : क्या पापा जी?

राजीव: जब तुम सुबह नायटी में आती हो तो तुम एक पेटिकोट भी नीचे से पहनती हो। आख़िर क्यों? सविता भी नायटी पहनती थी पर उसने कभी नीचे पेटिकोट नहीं पहना। उसकी मस्तानी गाँड़ जब मटकती थी तो मैं तो जैसे दीवाना हो जाता था। और यहाँ तुम पेटिकोट पहनकर अपने पिछवाड़े का पूरा सौंदर्य ही समाप्त कर देती हो। शिवा कुछ नहीं कहता तुमको?

मालिनी: वह तो सोते रहते हैं , उनको क्या पता मैं पहनती हूँ या नहीं।

राजीव: अरे रात को तो तुम नायटी पहनती होगी उसके सामने।

मालिनी का चेहरा लाल हो गया और वह बोली: रात को तो वो मुझे कुछ नहीं मतलब बिलकुल बिना कपड़े मतलब - चलिए अब जाने दीजिए ना प्लीज़।

राजीव: अरे मतलब तुमको पूरी नंगी रखता है। वह ये तो मुझसे भी बड़ा बदमाश है। हा हा ।

मालिनी: प्लीज़ पापा जी , अब जाने दीजिए ना।

राजीव: अभी चली जाओ, बस कल नीचे पेटिकोट मत पहनना। ठीक है?

मालिनी: देखूँगी पर अभी जाने दीजिए। वह सोचेंगे कि मैं इतनी देर क्यों लगा रही हूँ।

राजीव ने उसको छोड़ दिया और वह जब जाने लगी तो वह पीछे से बोला: बहु पेटिकोट नहीं प्लीज़ । ओके ?

मालिनी बाहर जाते हुए पीछे मुड़कर बोली: पापा जी गुड नाइट ।

राजीव: गुड नाइट बेबी।

पता नहीं क्यों राजीव को ऐसा लगा कि बहु की आँखों में एक शरारत भरी मुस्कान थी, हालाँकि वह पक्की तरह से नहीं कह सकता।

मालिनी जब अपने कमरे में पहुँची तो शिवा बाथरूम से बाहर आया और वह नंगा ही बिस्तर पर लेट गया। उसका लौड़ा अभी आधा खड़ा था। मालिनी मुस्कुरा कर उसके पास आयी और एकदम से उसके लौड़े को अपने मुँह में लेकर पागलों की तरह चूसने लगी। शिवा हैरानी से उसे देख रहा था। उसे क्या पता था कि आज दिन भर जो घटनाएँ हुईं हैं उन्होंने उसको बहुत गरम कर दिया है । थोड़ी देर चूसने के बाद वह उठी और एक झटके में पूरी नंगी हो गयी और उसके लौड़े पर सवार होकर उसे अंदर अपनी बुर में डाल ली और फिर ज़ोरों से ऊपर नीचे करके अपनी गाँड़ उछालने लगी।

शिवा के लिए मालिनी का यह रूप नया रूप बढ़िया था। वह उसकी चूचियाँ दबाते हुए उनको चूस भी रहा था। वह भी नीचे से धक्के मारने लगा। चुदाई बहुत तूफ़ानी हो चली थी। पलंग बुरी तरह हिले जा रहा था। झड़ने के बाद शिवा बोला: जान क्या हो गया है आज बहुत गरम हो गयी थी?

मालिनी : पता नहीं मुझे क्या हो गया था। सॉरी अगर आपको तंग किया तो।

राजीव: अरे नहीं जान, आज तो चुदाई का बहुत मज़ा आया। काश तुम रोज़ ही इतनी गरम हो तो और भी मज़ा आएगा।

मालिनी हँसने लगी और बोली: चलो कुछ भी बोल रहे हैं आप।

थोड़ी देर बाद दोनों फिर से गरम हो गए और एक राउंड की और चुदाई शुरू की। आधे घंटे की चुदाई के बाद दोनों थक कर नंगे ही लिपट कर सो गए।

सोने के पहले मालिनी को याद आया कि कैसे बातों बातों में वो पापा को बता बैठी थी कि वो अक्सर नंगी ही सोती है रात को। वह मुस्कुराई और सो गयी।

अगले दिन वो फ़्रेश हुई और अपनी ब्रा पहनी और नायटी डाली और सोची कि आज ताऊजी और मम्मी आएँगे। । इसके बाद वह आदतन पेटिकोट पहनने लगी, तभी उसे पापा की बात याद आइ । वह मुस्कुराई और सोए हुए शिवा को देखी जो कि नंगा ही पड़ा था और उसका लम्बा हथियार उसकी जाँघ के साथ एक तरफ़ को साँप जैसे पड़ा था।और पता नहीं क्यों वह पेटिकोट पहनते हुए रुक गयी और उसने उसे नहीं पहना। पैंटी तो वो पहन ही नहीं रही थी। वह शीशे के सामने ख़ुद को नायटी में देखा और फिर मुड़कर अपने पिछवाड़ा को देखा और सच में वह ख़ुद पर ही मुग्ध हो गयी। उफफफ क्या मादक थे उसके चूतर । वह थोड़ा मटक कर चली, उफफफफ क्या कामुक तरीक़े से हिल रही थे उसके गोल गोल चूतर। बेचारे पापा का क्या हाल होगा आज? वह यही सोचते हुए मुस्करायी और बाहर आयी और किचन में चली गयी।

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04-09-2017, 04:17 PM,
#54
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव सुबह मॉर्निंग वॉक से वापस आया और अपना ट्रैक सूट खोलकर बनियान में आ गया। फिर उसने अपनी चड्डी भी उतारी और लूँगी पहनने लगा। तभी मालिनी की आवाज़ आइ: पापा जी चाय बन गयी है। आ जाइए।

राजीव अपनी लूँगी पहनते हुए बोला: आ रहा हूँ बहु।

राजीव बाहर आया तो मालिनी टेबल पर बैठ कर चाय रख कर बैठी थी। वो दोनों चाय पीने लगे।

राजीव: रात कैसे बीती? कल तो दिन भर की घटनाओं से तुम बहुत गरम हो गयी थी, शिवा से मज़े करी होगी ख़ूब सारा?

मालिनी: आपको अपनी बहू से ऐसी बातें करते शर्म नहीं आती? मुझे आपसे बात ही नहीं करनी ।

राजीव: अरे बहू ग़ुस्सा क्यों कर रही हो। मैं तो मज़ाक़ कर रहा था। चलो ग़ुस्सा थूक दो । अच्छा अपनी मम्मी और ताऊजी को क्या खिलाना है? डिनर तो हम बाहर ही करेंगे। शाम के लिए कुछ मँगाना हो तो मुझे बता देना।

मालिनी: ठीक है शाम को समोसा और जलेबी ला दीजिएगा।

राजीव: ज़रूर बहू। यह ठीक रहेगा।

चाय पीने के बाद मालिनी उठी और कप लेकर किचन में जाने के लिए मुड़ी और राजीव के लौड़े ने झटका मारा। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मटक रही है आज बहू की गाँड़ । एक गोलाई इधर जा रही है तो दूसरी उधर। आऽऽहहह उसने अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबा दिया । फिर वह खड़ा हुआ और किचन में जाकर मालिनी को देखने लगा। वह स्टोव में कुछ पका रही थी। राजीव दबे पाँव उसके पीछे आके उसकी नायटी को पास से देखा। नायटी का कपड़ा उसके चूतरों की गोलाइयों पर कुछ इस तरह से सटा था कि वह पक्की तरह से कह सकता था कि उसने पेटिकोट नहीं पहना हुआ था। उसका लौड़ा लूँगी के अंदर पूरा खड़ा था।

अब राजीव उसके पास आया और मालिनी को अहसास हुआ कि कोई पीछे खड़ा है, वो पलटने लगी, पर राजीव ने उसके कंधे पकड़ कर उसे घूमने नहीं दिया और अब वह उसकी कमर में हाथ रखकर उसने अपने दोनों हाथ उसने पेट पर रख दिए और उसे ज़ोर से जकड़ लिया। अब वह पीछे से उसके पिछवाड़े से सट गया ।उसका खड़ा लौड़ा अब उसकी गाँड़ से टकरा रहा था। मालिनी हल्की आवाज़ में चिल्लाई: पापा जी मुझे छोड़ दीजिए। प्लीज़ हटिए।

राजीव ने बेशर्मी से अपने लौड़े को उसके चूतरों पर रगड़कर मस्त होकर बोला: आऽऽऽह बहु , तुम्हें कैसे धन्यवाद दूँ कि तुमने मेरी बात मान ली और पेटिकोट नहीं पहना।

अब वह पीछे को हुआ और फिर मालिनी के चूतरों को दोनों हाथों से दबोच लिया और उनको दबाने लगा। वह बोला: उफफफफ क्या मक्खन जैसा माल है जान। सच में ऐसी गाँड़ आज तक नहीं सहलाई। ह्म्म्म्म्म्म।

मालिनी: उइइइइइ माँआऽऽऽ पापा जी छोड़िए ना। हाय्ययय दर्द हो रहा है ना।

राजीव ने उसे छोड़ दिया। मालिनी बोली: पापा जी आपको इस तरह की हरकत नहीं करनी चाहिए। आपने कहा था कि आप मेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करेंगे। फिर ये सब क्या है?

राजीव: बहु , असल में मैं ख़ुशी में अपना आपा खो बैठा था, क्योंकि मेरे कहने पर कल तुमने पैंटी नहीं पहनी और आज मेरे कहने पर पेटकोट भी नहीं पहनी ।मैंने सोचा कि शायद तुम मेरे रंग में रंगने को तय्यार हो। चलो कोई बात नहीं , हम और कोशिश करेंगे तुम्हें जीतने की।

मालिनी: आप बाहर जाइए और मुझे अपना काम करने दें।

राजीव मुस्कुराया और बोला: ठीक है बहु चला जाता हूँ , बस एक बार तुम्हारी मीठी सो पप्पी ले लेता हूँ। यह कह कर उसने मालिनी को बाहों में ले लिया और उसके होंठ चूमने लगा। और उसके हाथ उसके मस्त चूतरों पर घूमने लगे। मालिनी ने उसे धक्का दिया और बोली: आपको क्या हो गया है? आप समझते क्यों नहीं,कि यह सही नहीं है।

राजीव बेशर्मी से मुस्कुराया और बोला: ठीक है बहु , मैं और इंतज़ार करने को तय्यार हूँ।पर एक बात कहूँगा कि तुम्हारी गाँड़ मस्त मुलायम है जान।

इसके बाद राजीव अपने कमरे में चला गया। मालिनी ने आकर शिवा को उठाया और उसको चाय दी। चाय पीने के बाद शिवा फ़्रेश होकर बाहर आकर सोफ़े पर बैठकर पेपर पढ़ने लगा। मालिनी को किचन में जाते देखकर वह उसे बुलाया और बोला: अरे आज तुम्हारे चूतर बहुत मटक रहे हैं , क्या बात है? यह कहकर वह उसकी गाँड़ पर हाथ फेरा और मस्ती से बोला: आऽऽह पेटिकोट नहीं पहना है, इसलिए बिचारे उछल रहे हैं। ये सही किया तुमने जो की पेटिकोट और पैंटी नहीं पहनी हो। सच में मस्त इधर से उधर हो रहे हैं जैसे मचल रहे हों यह कहने के लिए कि आओ मुझे मसलो और दबाओ।

मालिनी: छोड़ो मुझे गंदे कहीं के। कुछ भी बोले जा रहे हैं आप।

शिवा: एक बात बोलूँ , सच में तुम बहुत ही सेक्सी स्त्री हो।मैं बहुत क़िस्मत वाला हूँ जो तुम मेरी बीवी हो।

मालिनी हँसकर बोली: अच्छा जी, मैंने आज पेटिकोट नहीं पहना तो मैं सेक्सी हो गयी। वाह जी । और आपके साथ तो मैं रात भर नंगी भी पड़ी रहती हूँ, उसका क्या?

शिवा: वो दृश्य भी मस्त मज़ा देता है और ये दृश्य भी मस्त मज़ा देरहा है । ये कहकर उसने एक बार फिर उसकी गाँड़ दबा दी और उठा और नहाने के लिए जाने लगा। और जाते जाते बोला: चलो ना आज साथ में नहाते हैं। कई दिन हो गए साथ में नहाए हुए। चलो ना जानू।

मालिनी मुस्कुरा कर बोली: अच्छा चलो आज आपको नहला देती हूँ। पर आप कोई शरारत नहीं करना। ठीक है?

शिवा: अरे बिलकुल नहीं करूँगा। वैसे भी मुझसे शरीफ़ आदमी दुनिया में कोई और है ही नहीं है।

मालिनी: हाँ जी पता है मुझे कि आप कितने शरीफ़ हो। अब चलो और नहा लो।

शिवा अपने कमरे में जाकर अपने कपड़े उतारा और नंगा ही बाथरूम में दाख़िल हुआ। मालिनी भी अपने कपड़े उतारी और बिलकुल नंगी होकर बाथरूम में घुस गयी। वहाँ शिवा उसको अपनी बाहों में भींच लिया और चूमने लगा।

मालिनी: आपको नहाना है या ये सब करना है।

शिवा: ये सब भी करना है और नहाना भी है। वह उसके होंठ चूसते हुए बोला।

मालिनी ने शॉवर चालू किया और दोनों एक दूसरे से चिपके हुए पानी में गीले होने लगे। फिर मालिनी ने साबुन लिया और शिवा की छाती में लगाना चालू किया। वह चुपचाप साबुन लगवा रहा था। मालिनी ने छाती के बाद उसके पेट में साबुन लगाया। फिर वह उसकी बाहों में साबुन लगायी। फिर वह उसकी गरदन और पीठ में भी साबुन लगायी। वो नीचे बैठ कर उसके पैरों और जाँघों में भी साबुन लगाई। अब वह उसके सख़्त चूतरों पर भी साबुन लगायी। फिर वह अपने हाथ को उसकी गाँड़ के छेद और चूतरों की दरार में डालकर वह साबुन लगायी। और शिवा का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। फिर शिवा को घुमाई और उसके बॉल्ज़ और लौड़े में भी साबुन लगायी। उसने उसके सुपाडे का चमड़ा पीछे किया और उसको भी अच्छी तरह से साफ़ किया। फिर वह उठी और शॉवर चालू किया। उसने शिवा के बदन से साबुन धोना शुरू किया। जल्दी ही वह पूरी तरह से नहा लिया था। उसने उसके लौड़े और बॉल्ज़ के साथ ही उसकी गाँड़ में भी हाथ डालकर सफ़ाई कर दी थी। शिवा का लौंडा उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था।

शिवा: चलो अब मैं तुमको नहा देता हूँ।

मालिनी: नहीं बाबा, मैं ख़ुद ही नहा लूँगी। चलो आप बाहर जाओ मैं अभी नहा कर आती हूँ।

शिवा हँसते हुए अपना लौड़ा सहला कर बोला: अरे इसका क्या होगा? इसका भी तो इलाज करो ना।

वह हँसकर बोली: यहाँ ही इलाज करूँ या बिस्तर पर चलें?

शिवा: अरे यहीं करो ना। यह कहते हुए उसने मालिनी को कंधे से पकड़कर नीचे बैठाया। वह नीचे बैठी और उसके लौड़े को मुँह के पास लाकर उसे जीभ से चाटी और फिर चूसने लगी। दस मिनट चूसकर वह उठी और शिवा ने उसे दीवार के सहारे आगे को झुकाया और पीछे से उसकी मस्तानी गाँड़ को दबाते हुए उसकी बुर में ऊँगली की और फिर वहाँ अपने लौंडे को सेट किया और धीरे से लौड़ा अंदर डाल दिया और मालिनी की उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ निकल गयी। फिर वह उसकी नीचे को झुकी चूचियों को दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। फ़च फ़च की आवाज़ों से बाथरूम गूँजने लगा। साथ ही ठप्प ठप्प की आवाज़ भी आने लगी जो कि शिवा की जाँघें और मालिनी के मोटे चूतरों से टकराने से निकल रही थी। उधर मालिनी भी मज़े से आऽऽऽऽहहहह जीइइइइइइइइ बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्यू मैं गयीइइइइइइइइइइइ । शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म मैं भी झड़ गयाआऽऽऽऽऽऽऽ । फिर मालिनी टोयलेट की सीट पर बैठी और पेशाब करने लगी। शिवा उसके उठने के बाद ख़ुद भी पेशाब करने लगा। फिर वह शॉवर लिया और बाहर आकर तय्यार होने लगा। तब तक मालिनी भी नहा करक%

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04-09-2017, 04:22 PM,
#55
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव सुबह मॉर्निंग वॉक से वापस आया और अपना ट्रैक सूट खोलकर बनियान में आ गया। फिर उसने अपनी चड्डी भी उतारी और लूँगी पहनने लगा। तभी मालिनी की आवाज़ आइ: पापा जी चाय बन गयी है। आ जाइए।

राजीव अपनी लूँगी पहनते हुए बोला: आ रहा हूँ बहु।

राजीव बाहर आया तो मालिनी टेबल पर बैठ कर चाय रख कर बैठी थी। वो दोनों चाय पीने लगे।

राजीव: रात कैसे बीती? कल तो दिन भर की घटनाओं से तुम बहुत गरम हो गयी थी, शिवा से मज़े करी होगी ख़ूब सारा?

मालिनी: आपको अपनी बहू से ऐसी बातें करते शर्म नहीं आती? मुझे आपसे बात ही नहीं करनी ।

राजीव: अरे बहू ग़ुस्सा क्यों कर रही हो। मैं तो मज़ाक़ कर रहा था। चलो ग़ुस्सा थूक दो । अच्छा अपनी मम्मी और ताऊजी को क्या खिलाना है? डिनर तो हम बाहर ही करेंगे। शाम के लिए कुछ मँगाना हो तो मुझे बता देना।

मालिनी: ठीक है शाम को समोसा और जलेबी ला दीजिएगा।

राजीव: ज़रूर बहू। यह ठीक रहेगा।

चाय पीने के बाद मालिनी उठी और कप लेकर किचन में जाने के लिए मुड़ी और राजीव के लौड़े ने झटका मारा। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मटक रही है आज बहू की गाँड़ । एक गोलाई इधर जा रही है तो दूसरी उधर। आऽऽहहह उसने अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबा दिया । फिर वह खड़ा हुआ और किचन में जाकर मालिनी को देखने लगा। वह स्टोव में कुछ पका रही थी। राजीव दबे पाँव उसके पीछे आके उसकी नायटी को पास से देखा। नायटी का कपड़ा उसके चूतरों की गोलाइयों पर कुछ इस तरह से सटा था कि वह पक्की तरह से कह सकता था कि उसने पेटिकोट नहीं पहना हुआ था। उसका लौड़ा लूँगी के अंदर पूरा खड़ा था।

अब राजीव उसके पास आया और मालिनी को अहसास हुआ कि कोई पीछे खड़ा है, वो पलटने लगी, पर राजीव ने उसके कंधे पकड़ कर उसे घूमने नहीं दिया और अब वह उसकी कमर में हाथ रखकर उसने अपने दोनों हाथ उसने पेट पर रख दिए और उसे ज़ोर से जकड़ लिया। अब वह पीछे से उसके पिछवाड़े से सट गया ।उसका खड़ा लौड़ा अब उसकी गाँड़ से टकरा रहा था। मालिनी हल्की आवाज़ में चिल्लाई: पापा जी मुझे छोड़ दीजिए। प्लीज़ हटिए।

राजीव ने बेशर्मी से अपने लौड़े को उसके चूतरों पर रगड़कर मस्त होकर बोला: आऽऽऽह बहु , तुम्हें कैसे धन्यवाद दूँ कि तुमने मेरी बात मान ली और पेटिकोट नहीं पहना।

अब वह पीछे को हुआ और फिर मालिनी के चूतरों को दोनों हाथों से दबोच लिया और उनको दबाने लगा। वह बोला: उफफफफ क्या मक्खन जैसा माल है जान। सच में ऐसी गाँड़ आज तक नहीं सहलाई। ह्म्म्म्म्म्म।

मालिनी: उइइइइइ माँआऽऽऽ पापा जी छोड़िए ना। हाय्ययय दर्द हो रहा है ना।

राजीव ने उसे छोड़ दिया। मालिनी बोली: पापा जी आपको इस तरह की हरकत नहीं करनी चाहिए। आपने कहा था कि आप मेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करेंगे। फिर ये सब क्या है?

राजीव: बहु , असल में मैं ख़ुशी में अपना आपा खो बैठा था, क्योंकि मेरे कहने पर कल तुमने पैंटी नहीं पहनी और आज मेरे कहने पर पेटकोट भी नहीं पहनी ।मैंने सोचा कि शायद तुम मेरे रंग में रंगने को तय्यार हो। चलो कोई बात नहीं , हम और कोशिश करेंगे तुम्हें जीतने की।

मालिनी: आप बाहर जाइए और मुझे अपना काम करने दें।

राजीव मुस्कुराया और बोला: ठीक है बहु चला जाता हूँ , बस एक बार तुम्हारी मीठी सो पप्पी ले लेता हूँ। यह कह कर उसने मालिनी को बाहों में ले लिया और उसके होंठ चूमने लगा। और उसके हाथ उसके मस्त चूतरों पर घूमने लगे। मालिनी ने उसे धक्का दिया और बोली: आपको क्या हो गया है? आप समझते क्यों नहीं,कि यह सही नहीं है।

राजीव बेशर्मी से मुस्कुराया और बोला: ठीक है बहु , मैं और इंतज़ार करने को तय्यार हूँ।पर एक बात कहूँगा कि तुम्हारी गाँड़ मस्त मुलायम है जान।

इसके बाद राजीव अपने कमरे में चला गया। मालिनी ने आकर शिवा को उठाया और उसको चाय दी। चाय पीने के बाद शिवा फ़्रेश होकर बाहर आकर सोफ़े पर बैठकर पेपर पढ़ने लगा। मालिनी को किचन में जाते देखकर वह उसे बुलाया और बोला: अरे आज तुम्हारे चूतर बहुत मटक रहे हैं , क्या बात है? यह कहकर वह उसकी गाँड़ पर हाथ फेरा और मस्ती से बोला: आऽऽह पेटिकोट नहीं पहना है, इसलिए बिचारे उछल रहे हैं। ये सही किया तुमने जो की पेटिकोट और पैंटी नहीं पहनी हो। सच में मस्त इधर से उधर हो रहे हैं जैसे मचल रहे हों यह कहने के लिए कि आओ मुझे मसलो और दबाओ।

मालिनी: छोड़ो मुझे गंदे कहीं के। कुछ भी बोले जा रहे हैं आप।

शिवा: एक बात बोलूँ , सच में तुम बहुत ही सेक्सी स्त्री हो।मैं बहुत क़िस्मत वाला हूँ जो तुम मेरी बीवी हो।

मालिनी हँसकर बोली: अच्छा जी, मैंने आज पेटिकोट नहीं पहना तो मैं सेक्सी हो गयी। वाह जी । और आपके साथ तो मैं रात भर नंगी भी पड़ी रहती हूँ, उसका क्या?

शिवा: वो दृश्य भी मस्त मज़ा देता है और ये दृश्य भी मस्त मज़ा देरहा है । ये कहकर उसने एक बार फिर उसकी गाँड़ दबा दी और उठा और नहाने के लिए जाने लगा। और जाते जाते बोला: चलो ना आज साथ में नहाते हैं। कई दिन हो गए साथ में नहाए हुए। चलो ना जानू।

मालिनी मुस्कुरा कर बोली: अच्छा चलो आज आपको नहला देती हूँ। पर आप कोई शरारत नहीं करना। ठीक है?

शिवा: अरे बिलकुल नहीं करूँगा। वैसे भी मुझसे शरीफ़ आदमी दुनिया में कोई और है ही नहीं है।

मालिनी: हाँ जी पता है मुझे कि आप कितने शरीफ़ हो। अब चलो और नहा लो।

शिवा अपने कमरे में जाकर अपने कपड़े उतारा और नंगा ही बाथरूम में दाख़िल हुआ। मालिनी भी अपने कपड़े उतारी और बिलकुल नंगी होकर बाथरूम में घुस गयी। वहाँ शिवा उसको अपनी बाहों में भींच लिया और चूमने लगा।

मालिनी: आपको नहाना है या ये सब करना है।

शिवा: ये सब भी करना है और नहाना भी है। वह उसके होंठ चूसते हुए बोला।

मालिनी ने शॉवर चालू किया और दोनों एक दूसरे से चिपके हुए पानी में गीले होने लगे। फिर मालिनी ने साबुन लिया और शिवा की छाती में लगाना चालू किया। वह चुपचाप साबुन लगवा रहा था। मालिनी ने छाती के बाद उसके पेट में साबुन लगाया। फिर वह उसकी बाहों में साबुन लगायी। फिर वह उसकी गरदन और पीठ में भी साबुन लगायी। वो नीचे बैठ कर उसके पैरों और जाँघों में भी साबुन लगाई। अब वह उसके सख़्त चूतरों पर भी साबुन लगायी। फिर वह अपने हाथ को उसकी गाँड़ के छेद और चूतरों की दरार में डालकर वह साबुन लगायी। और शिवा का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। फिर शिवा को घुमाई और उसके बॉल्ज़ और लौड़े में भी साबुन लगायी। उसने उसके सुपाडे का चमड़ा पीछे किया और उसको भी अच्छी तरह से साफ़ किया। फिर वह उठी और शॉवर चालू किया। उसने शिवा के बदन से साबुन धोना शुरू किया। जल्दी ही वह पूरी तरह से नहा लिया था। उसने उसके लौड़े और बॉल्ज़ के साथ ही उसकी गाँड़ में भी हाथ डालकर सफ़ाई कर दी थी। शिवा का लौंडा उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था।

शिवा: चलो अब मैं तुमको नहा देता हूँ।

मालिनी: नहीं बाबा, मैं ख़ुद ही नहा लूँगी। चलो आप बाहर जाओ मैं अभी नहा कर आती हूँ।

शिवा हँसते हुए अपना लौड़ा सहला कर बोला: अरे इसका क्या होगा? इसका भी तो इलाज करो ना।

वह हँसकर बोली: यहाँ ही इलाज करूँ या बिस्तर पर चलें?

शिवा: अरे यहीं करो ना। यह कहते हुए उसने मालिनी को कंधे से पकड़कर नीचे बैठाया। वह नीचे बैठी और उसके लौड़े को मुँह के पास लाकर उसे जीभ से चाटी और फिर चूसने लगी। दस मिनट चूसकर वह उठी और शिवा ने उसे दीवार के सहारे आगे को झुकाया और पीछे से उसकी मस्तानी गाँड़ को दबाते हुए उसकी बुर में ऊँगली की और फिर वहाँ अपने लौंडे को सेट किया और धीरे से लौड़ा अंदर डाल दिया और मालिनी की उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ निकल गयी। फिर वह उसकी नीचे को झुकी चूचियों को दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। फ़च फ़च की आवाज़ों से बाथरूम गूँजने लगा। साथ ही ठप्प ठप्प की आवाज़ भी आने लगी जो कि शिवा की जाँघें और मालिनी के मोटे चूतरों से टकराने से निकल रही थी। उधर मालिनी भी मज़े से आऽऽऽऽहहहह जीइइइइइइइइ बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्यू मैं गयीइइइइइइइइइइइ । शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म मैं भी झड़ गयाआऽऽऽऽऽऽऽ । फिर मालिनी टोयलेट की सीट पर बैठी और पेशाब करने लगी। शिवा उसके उठने के बाद ख़ुद भी पेशाब करने लगा। फिर वह शॉवर लिया और बाहर आकर तय्यार होने लगा। तब तक मालिनी भी नहा करके बाहर आयी और तय्यार होकर किचन में गयी।

थोड़ी देर बाद सब नाश्ता करने लगे।

राजीव: बेटा शाम को जल्दी आना , तेरी सास और उसके ज़ेठ आने वाले हैं। रात को हम डिनर भी बाहर करेंगे।

शिवा: ठीक है पापा जी। मैं आ जाऊँगा।
फिर वह दुकान चला गया।

राजीव उसके जाते ही बोला: बहु ,तुम आज बड़ी जल्दी नहा ली। मैं तो तुमने नायटी में देखकर ही मस्त हो रहा था और तुम साड़ी में आ गयी। लगता है दोनों साथ में ही नहाए हो? कभी हमारे साथ भी नहाओ।बड़ा मज़ा आएगा।

मालिनी कुछ नहीं बोली और उठकर जाने लगी।

राजीव: बहु मेरा तो आज जैसे समय ही नहीं कट रहा है । पता नहीं कब शाम होगी और तुम्हारी सेक्सी मम्मी आएगी और आऽऽऽऽह मेरी रात रंगीन करेगी। यह कहकर उसने बड़ी बेशर्मी से अपना लौड़ा दबा दिया। तभी मालिनी का फ़ोन बजा और उसने देखा कि उसकी मम्मी का फ़ोन था।

मालिनी: हाय मम्मी ।

सरला: हाय , कैसी हो बेटी?

मालिनी: मम्मी मैं ठीक हूँ। आप कब निकलोगी?

सरला: हम पाँच बजे तक आएँगे बेटी। तुम्हारे लिए क्या लाएँ?

मालिनी: मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस आप लोगों से मिलना हो जाएगा।

राजीव ने मालिनी से फ़ोन माँगा और बोला: अरे भाभी जी हमसे भी बात कर लीजिए। सिर्फ़ बेटी ही आपकी रिश्तेदार है क्या? हम तो भी आपके समधी हैं।

सरला सकपका कर: अरे मुझे क्या पता था कि आप भी उसके साथ बैठे हो। कैसे हैं आप?

राजीव: मस्त हैं और आपको याद कर रहे हैं। इंतज़ार है शाम का जब आप आएँगी और हम आपसे मिलकर मस्त हो जाएँगे।

सरला: कैसी बातें कर रहे है? मालिनी भी तो होगी वहाँ?

राजीव ने मालिनी को आँख मारी और कहा: अरे वो तो अपने कमरे में चली गयी है शायद बाथरूम आयी होगी।

मालिनी उसकी मंशा समझकर उठने लगी, पर राजीव ने उसे पकड़कर अपनी बग़ल में बिठा लिया और फ़ोन को स्पीकर मोड में डाल दिया। अब बहु के कंधे को सहलाता हुआ फिर बोला: जान, रात में तुमको बहुत याद किया और मूठ्ठ भी मारी। तुम तो मुझे याद ही नहीं करती होगी।

मालिनी हैरत से ससुर को देखी कि कितनी अश्लील बात कितने आराम से कह दिए।

सरला: अरे आपने मूठ्ठ क्यों मारी? मैं आ तो रही हूँ आज आपके पास। वैसे रात मुझे भी बड़ी मुश्किल से नींद आयी। एक बात बोलूँ?

हतप्रभ मालिनी के कंधे सहलाता हुआ राजीव बोला: हाँ हाँ बोलो ना?

सरला: आप जैसी मेरी नीचे वाली चूसते हो ना , आज तक किसी ने भी वैसी नहीं चूसी। उफफफफ मस्त कर देते हो आप।

राजीव अब उत्तेजित होकर अपना लंड दबाया और मालिनी को उसका आकार लूँगी से साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। उसने फ़ोन अपनी एक जाँघ पर रखा था। जोश में उसने मालिनी के कंधे को ज़ोर से दबा दिया। मालिनी की सिसकी निकल गयी। पर उसने अपने मुँह पर हाथ रख कर उसे दबा दिया।

राजीव: अरे क्या नीचे वाली लगा रखा है। उसका नाम बोलो मेरी जान।

सरला हँसकर: आप भी ना,मैं बुर की बात कर रही हूँ।

राजीव मालिनी को आँख मारा और बोला: और क्या मैं तुम्हारी चूचियाँ अच्छी तरह से नहीं चूसता?

मालिनी साँस रोक के सुन रही थी कि उसकी मम्मी कितनी अश्लील बात कर रही थी। वह फिर से उठकर जाने की कोशिश की पर राजीव की पकड़ मज़बूत थी, वह हिल भी नहीं पाई। सरला: अरे वो तो आप मस्त चूसते हैं। सच आपके साथ जो मज़ा आता है, किसी और के साथ आ ही नहीं सकता। इसीलिए तो बार बार आ जाती हूँ आपसे करवाने के लिए?

अब मालिनी को भी अपनी बुर में गीलापन सा लगा। और राजीव ने भी कल जैसे ही आज भी अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था और उसे मसल रहा था। मालिनी की उत्तेजना भी बढ़ रही थी, उसके निपल्ज़ एकदम कड़े हो गए थे।

राजीव उसके कंधे से हाथ नीचे लेजाकर उसके ब्लाउस तक पहुँचा और उसकी बाँह सहलाते हुए उसकी एक चूची को साइड से छूने लगा।

राजीव: क्या करवाने आती हो, जानू साफ़ साफ़ बोलो ना।

सरला: आऽऽऽह आप भी ना, चुदाई करवाने आती हूँ और क्या? आऽऽऽह अब मैं भी गरम हो गयी हूँ आपकी बातों से । अब बंद करूँगी फ़ोन, नहीं तो मुझे भी बुर में ऊँगली करनी पड़ेगी।

मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया। उफफफफ मम्मी को क्या हो गया है। कितनी गंदी बातें कर रही हैं। उसकी आँख राजीव के मोटे लौड़े पर गयी।

राजीव: आऽऽऽऽह मेरा भी खड़ा है। चलो फ़ोन बंद करता हूँ। ये कहते हुए उसने फ़ोन काटा। और फिर जो हरकत राजीव ने की, उसके लिए मालिनी बिलकुल तय्यार नहीं थी। राजीव ने मालिनी का एक हाथ पकड़कर अपने लौड़े पर रखा और उसे दबाने लगा। दूसरे हाथ से वह उसकी ब्लाउस के ऊपर से एक चूची दबाने लगा। और अपना मुँह उसके मुँह पर रख कर उसके होंठ चूमने लगा। मालिनी इस अचानक से हुए तीन तरफ़ा हमले से हक्की बक्की रह गई और उसके मुँह से गन्न्न्न्न्न्न की आवाज़ निकलने लगी।

राजीव अपने हाथ से उसके हाथ को दबाकर अपना लौड़ा दबवा रहा था। और चूची भी दबाए जा रहा था। मालिनी ने अपने बदन को ज़ोर से झटका दिया और अपने होंठों से उसके होंठों को हटाने की कोशिश की और कुछ बोलने को मुँह खोला। राजीव ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और अब मालिनी और ज़ोर से फड़फड़ाई और अपने को छुड़ाने के लिए ज़ोर लगाई। राजीव को आँखें मालिनी की आखों से टकराई। मालिनी की आँखों में आँसू आ गए थे। राजीव ने आँसू देखे और एकदम से पीछे हटकर बैठ गया। उसने दोनों हाथ भी हटा लिए।

राजीव का लौड़ा अभी भी उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था। मालिनी उठी और क़रीब भागती हुई अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गयी और इस सदमे से बाहर आने की कोशिश करने लगी। वह करवट लेती हुई लम्बी साँसें ले रही थी। उसके बदन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी। उसकी बुर गीली थी और एक चूची जो राजीव दबाया था ,वहाँ उसे कड़ेपन का अहसास हो रहा था। तभी इसे अहसास हुआ कि वो अकेली नहीं है। वो जैसे ही घूमी और पीठ के बल हुई, राजीव उसे बिस्तर पर बैठे नज़र आया। वो सहम गयी। पर राजीव मुस्कुराते हुए बोला: बहु, मैं अपना अधूरा काम पूरा करने आया हूँ।

मालिनी: कौन सा अधूरा काम?

राजीव ने उसकी दूसरी चूची पकड़ ली और दबाते हुए बोला: मैंने एक ही चूची दबाई थी, अब दूसरी भी दबा देता हूँ।

मालिनी उसके हाथ को पकड़ती हुई बोली: पापा जी आज आपको क्या हो गया है? क्या मेरा रेप करेंगे? हाथ हटाइए।

राजीव: नहीं बहु, मैं कभी रेप कर ही नहीं सकता वो अभी अपनी लाड़ली बहु का? ये कहते हुए उसने उसकी चूचि छोड़ दी। और बोला: लो बहु अब बराबर हो गया। दोनों चूचियाँ बराबर से दबा दीं।

मालिनी हैरानी से उसे देखती हुई बोली: पापा जी आप जाइए यहाँ से । आज तो आप सारी लिमिट पार कर गए हैं।

राजीव हँसकर: अरे बहु, अभी कहाँ लिमिट पार की है। आख़री लिमिट तो तुमने साड़ी में यहाँ छुपा कर रखी है जिसे पार भी करना है और प्यार भी करना है। ये कहते हुए उसने साड़ी के ऊपर से उसकी बुर को मूठ्ठी में लेकर दबा दिया।

मालिनी उछल पड़ी और बोली: आऽऽह पापा जी ये क्या कर रहे है? छोड़िए ना प्लीज़। उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ हाथ हटाइए।

राजीव हँसता हुआ उठा और बोला: बहू , अभी तो कई लिमिट पार करनी है। चलो अब आराम करो मेरी नन्ही सी जान। यह कहकर वो अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से मसलकर बाहर चला गया। मालिनी सन्न होकर लेटी रही। वह सोचने लगी कि आज पापा जी को क्या हो गया था जो वो इस हद तक उतर आए।

तभी शिवा का फ़ोन आया और वो अपनी बुर के ऊपर से साड़ी ठीक करके बोली: हाँ जी कैसे हैं?

शिवा: बस तुम्हारी याद आ रही थी, आज सुबह की चुदाई में तुम्हारी गाँड़ पीछे से बहुत मस्त लग रही थी। वही याद कर रहा था।

मालिनी सोची कि बाप बेटा दोनों एक से हैं। वह बोली: छी, फ़ोन पर भी आप यही बात करते हैं। काम कैसा चल रहा है?

शिवा: बहुत बढ़िया। अच्छा, आज असलम का फ़ोन आया था, कह रहा था कि खाने पर आओ।

मालिनी: कौन असलम? वही बीवी बदलने वाला?

शिवा हँसकर: हाँ वही असलम। अरे भाई उसे और भी काम है बीवी बदलने के अलावा।

मालिनी: मुझे नहीं जाना उसके घर खाना खाने को। क्या पता उसकी बीवी पर आपका दिल आ जाए और फिर आप मेरे पीछे पड़ जाओगे कि जानू चलो बीवियाँ बदल लेते हैं। मुझे नहीं जाना।

शिवा हँसकर: वाह क्या कल्पना की है? लगता है तुम भी यही चाहती हो।

मालिनी: आओ घर वापस, बताती हूँ कि मैं क्या चाहती हूँ।

शिवा हँसते हुए: अरे जान, ग़ुस्सा मत करो, मैं मना कर देता हूँ । कह दूँगा फिर देखेंगे कभी और दिन। अब तो ठीक है?

मालिनी: हाँ ठीक है। आपने खाना खा लिया?

शिवा: बस खाने जा रहा हूँ।

मालिनी: चलो अब मैं भी खाना लगाती हूँ। चलो बाई।

शिवा: हाँ पापा जी को भी भूक़ लगी होगी।बाई।

मालिनी सोची कि पापा जी को तो बस एक ही चीज़ की भूक़ है उसकी इस जगह की। उसने अपनी बुर को सहलाकर सोची।उसकी बुर का गीलापन बढ़ने लगा था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ यह कैसी फ़ीलिंग़स है कि एक तरफ़ तो उसे लगता है कि यह सब ग़लत है। पर दूसरी तरफ़ यह शरीर ग़लत सिग्नल भी दे देता है।जैसे अब भी उसकी चूचियों में मीठा सा दर्द हो रहा था मसले जाने का। और यह कमीनी बुर तो बस पनियाना ही जानती है। अब आज शाम को मम्मी और ताऊजी के आने के बाद भगवान ही जानता है कि क्या होने वाला है इस घर में? वह सोची और उठकर खाना लगाने किचन में चली गयी।

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04-09-2017, 04:23 PM,
#56
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
उस दिन शाम को सरला और श्याम को लेने राजीव बस अड्डा गया। सरला बस से उतरी तो वह उसे देखता ही रह गया । काली साड़ी में उसका गोरा बदन क़हर ढा रहा था। छोटा सा ब्लाउस आधी चूचियाँ दिखा रहा था और उसकी गहरी नाभि उस पारदर्शी साड़ी में बहुत आकर्षक लग रही थी। वह अपना सामान उठाने झुकी तो उसकी सामने की क्लिवेज़ देखते ही बनती थी। दोनों गोलायीयाँ जैसे अलग अलग से मचल रही थीं बाहर आने के लिए।

श्याम भी आकर राजीव से गले मिला और सरला भी उसके पास आकर नमस्ते की। राजीव ने उसका हाथ पकड़कर दबाया और बोला: आऽऽऽंह जानू क्या क़ातिल लग रही हो?

सरला: हा हा आपका चक्कर चालू हो गया। आप भी बहुत स्मार्ट लग रहे हो।

राजीव श्याम से बात करता हुआ सरला के पीछे चलने लगा। उफफफ क्या मस्त चूतर हैं। कैसे मटक रहे हैं। कार में बैठने लगे तो सरला को आगे बैठने को कहा। श्याम पीछे बैठा। कार चला कर वह सरला को बोला: आज तो काली साड़ी में तुम्हारा गोरा बदन बहुत चमक रहा है। उसने सरला की जाँघ दबाकर कहा।

सरला: आप ही तो बोले थे की सेक्सी साड़ी पहनना , तो मैं ये पहन ली। आपको अच्छी लगी चलिए ठीक है।

वह राजीव के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखी और दबाने लगी।

राजीव : और श्याम भाई क्या हाल है? हमारी जान का ख़याल रखते हैं ना?

श्याम: हाँ जी रखते हैं। पर ये तो आपको बहुत याद करती रहती है।

राजीव: सच मेरी जान? ये कहते हुए उसने सरला की बुर को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।

सरला मज़े से टाँगें फैला दी ताकि वह मज़े से उसको सहला सके। वह बोली: अरे घर जाकर ये सब कर लीजिएगा । अभी कार चलाने पर ध्यान दीजिए।

राजीव: क्या करें सबर ही नहीं हो रहा है। देखो कैसे खड़ा है तुम्हारे लिए? राजीव ने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाकर कहा। सरला भी आगे आकर उसके पैंट के ऊपर से लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठी। फिर बोली: आऽऽह सच में बहुत जोश में है ये तो। फिर वह उसे एक बार और दबाकर अपनी जगह पर आके बैठी और बोली: आज तो ये मेरी हालत बुरी करने वाला है। सब हँसने लगे।

घर पहुँच कर सरला मालिनी से लिपट गयी और प्यार करने लगी। मालिनी भी सब कुछ भूलकर उससे लिपट गयी। फिर मालिनी श्याम से मिली और श्याम ने भी उसे प्यार किया।

अब सब लोग सोफ़े पर बैठे और मालिनी चाय बनाने चली गयी। राजीव पहले ही समोसे और जलेबियाँ ले आया था। वह उसे सजाने लगी, तभी सरला किचन में आयी और मालिनी से बोली: बेटी ख़ुश हो ना यहाँ? शिवा के साथ अच्छा लगता है ना? तुमको ख़ुश तो रखता है?

मालिनी: उफ़्फ़ मम्मी आप भी कितने सवाल पूछ रही हो। मैं बहुत ख़ुश हूँ और शिवा मेरा पूरा ख़याल रखते हैं।

सरला: चलो ये बड़ी अच्छी बात है। भगवान तुम दोनों को हमेशा ख़ुश रखे।

मालिनी: चलो आप बैठो मैं नाश्ता लेकर आती हूँ।

सरला भी उसकी मदद करते हुए नाश्ता और चाय लगाई। सब नाश्ता करते हुए चाय पीने लगे।

सरला: शिवा कब तक आएँगे?

राजीव: उसको आज जल्दी आने को कहा है आता ही होगा।

मालिनी: मम्मी आपका सामान महक दीदी वाले कमरे में रख देती हूँ। ताऊ जी आपका सामान पापा जी के कमरे में रख दूँ क्या?

राजीव: अरे बहु तुम क्यों परेशान होती हो, मैं भाभी का समान रख देता हूँ , चलो भाभी आप कमरा देख लो। और हाँ बहु तुम शिवा को फ़ोन करो और पूछो कब तक आ रहा है।आओ श्याम जी आप भी देख लो कमरा।

तीनों महक वाले कमरे में सामान के साथ चले गए। मालिनी शिवा को फ़ोन करने का सोची। तभी उसे महसूस हुआ कि ये तीनों कमरा देखने के बहाने उस कमरे में क्यों चले गए। शायद मस्ती की शुरुआत करने वाले हैं। मुझे बहाने से अलग किया जा रहा है। ओह तो ये बात है , वह चुपचाप उस कमरे की खिड़की के पास आइ और हल्का सा परदा हटाई और उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं।

सामने मम्मी पापा जी की बाहों में जकड़ी हुई थी और दोनों के होंठ चिपके हुए थे ।पापा जी के हाथ उसकी बड़ी बड़ी गाँड़ पर घूम रहे थे। ताऊ जी भी उनको देखकर मुस्कुरा रहा था और पास ही खड़ा होकर मम्मी की नंगी कमर सहला रहा था। फिर राजीव सरला से अलग हुआ और उसकी साड़ी का पल्ला गिराकर उसकी ब्लाउस से फुली हुई चूचियों को दबाने लगा और उनके आधे नंगे हिस्से को ऊपर से चूमने लगा। उधर श्याम उसके पीछे आकर उसकी गाँड़ सहलाए जा रहा था

मालिनी की बुर गरम होने लगी और उसके मुँह से आह निकल गयी। तभी पापा जी ने कहा: अरे क्या मस्त माल हो जान। सच में देखो लौड़ा एकदम से तन गया है।

मम्मी: आज छोड़िए अब मुझे, रात को जी भर के सब कर लीजिएगा। फिर हाथ बढ़ाके वह एक एक हाथ से पापा और ताऊ के लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाते हुए बोली: देखो आपकी भी हालत ख़राब हो रही है, और मेरी भी बुर गीली हो रही है।

पापा नीचे बैठ गए घुटनो के बल और बोले: उफफफफ जान, एक बार साड़ी उठाके अपनी बुर के दर्शन तो करा दो। उफफफ मरा जा रहा हूँ उसे देखने के लिए।

मालिनी एकदम से हक्की बक्की रह गयी और सोची कि क्या उसकी बेशर्म मॉ उनकी ये इच्छा भी पूरी करेगी। और ये लो मम्मी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट उठा दिया। पापा की आँखों के सामने मम्मी की मस्त गदराई जाँघें थी जिसे वो सहलाने लगे थे। और उनके बीच में उभरी हुई बिना बालों की बुर मस्त फूली हुई कचौरी की तरह गीली सी दिख रही थी। पापा ने बिना समय गँवाये अपना मुँह बुर के ऊपर डाल दिया और उसकी पप्पियां लेने लगे। मम्मी की आँखें मज़े से बंद होने लगी। फिर उन्होंने पापा का सिर पकड़ा और ही वहाँ से हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बस करिए। मालिनी आती होगी।

पापा पीछे हटे और मालिनी की आँखों के सामने मम्मी की गीली बुर थी। तभी पापा ने उनको घुमाया और अब मम्मी के बड़े बड़े चूतर उसके सामने थे। मालिनी भी उनकी सुंदरता की मन ही मन तारीफ़ कर उठी। सच में कितने बड़े और गोल गोल है। पापा ने अब उसके चूतरों को चूमना और काटना शुरू कर दिया। मम्मी की आऽऽहहह निकल गई। फिर पापा ने जो किया उसकी मालिनी ने कभी कल्पना नहीं की थी। पापा ने उसकी चूतरों की दरार में अपना मुँह डाला और उसकी गाँड़ को चाटने लगे।उफफगग ये पापा क्या कर रहे हैं ।मम्मी भी हाऽऽऽय्यय कर रही थी। फिर वह आगे बढ़के उससे अपने आप को अलग की और अपनी साड़ी नीचे की और बोली: बस करिए आप नहीं तो मैं अभी के अभी झड़ जाऊँगी। उफफफफ आप भी पागल कर देते हो।

पापा उठे और अपने लौड़े को दबाते हुए बोले: ओह सच में बड़ी स्वाद है तुम्हारी बुर और गाँड़ । वाह मज़ा आ गया।
मम्मी: आप दोनों ऐसे तंबू तानकर कैसे बाहर जाओगे। मालिनी क्या सोचेगी। आप दोनों यहाँ रुको और थोड़ा शांत होकर बाहर आना । यह कहते हुए मम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से रगड़ी और बाहर आने लगी। मालिनी भी जल्दी से किचन में घुस गयी। उसकी सांसें फूल रही थी और छातियाँ ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर गीली हो गयी थी। तभी सरला अंदर आइ और मालिनी उसे देखकर सोची कि इनको ऐसे देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि ये औरत अभी दो दो मर्दों के सामने अपनी साड़ी उठाए नंगी खड़ी थी और अपनी बुर और गाँड़ चटवा रही थी।

सरला: बेटी शिवा से बात हुई क्या? कब आ रहा है वो? कितने दिन हो गए इसे देखे हुए?

मालिनी: हाँ मम्मी अभी आते होंगे। दुकान से निकल पड़े हैं।

तभी शिवा आ गया और उसने सरला के पाँव छुए। तभी राजीव और श्याम कमरे से बाहर आए और ना चाहते हुए भी मालिनी की आँख उनके पैंट के ऊपर चली गयी और वहाँ अब तंबू नहीं तना हुआ था। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि वह अपने ताऊजी और ससुर के लौड़े को चेक कर रही है कि वो खड़े हैं कि नहीं! छी उसे क्या हो गया है, वह सोची।

फिर सब बातें करने लगे और शिवा के लिए सरला चाय बना कर लाई। शिवा: मम्मी आप बहुत अच्छी चाय बनाती हो, मालिनी को भी सिखा दो ना।

मालिनी ग़ुस्सा दिखाकर बोली: अच्छा जी , अब आप ख़ुद ही चाय बनाइएगा अपने लिए।

सब हँसने लगे। राजीव: शिवा मुझे तो बहु के हाथ की चाय बहुत पसंद है। वैसे सिर्फ़ चाय ही नहीं मुझे उसका सब कुछ पसंद है। पता नहीं तुमको क्यों पसंद नहीं है।

सरला चौक कर राजीव को देखी और सोचने लगी कि राजीव ने मालिनी के बारे में ऐसा क्यों कहा?

शिवा: अरे पापा जी, मालिनी को मैं ऐसे ही चिढ़ा रहा था।

फिर सब बातें करने लगे और फिर राजीव ने कहा: चलो डिनर पर चलें?

शिवा: जी पापा जी चलिए चलते हैं, मैं थोड़ा सा फ़्रेश हो लेता हूँ।

सरला: हाँ मैं भी थोड़ा सा फ़्रेश हो आती हूँ।

राजीव: चलो श्याम, हम भी तय्यार हो जाते हैं।

इस तरह सब तय्यार होने के लिए चले गए।

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04-09-2017, 04:24 PM,
#57
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव और श्याम सबसे पहले तय्यार होकर सोफ़े पर बैठ कर इंतज़ार करने लगे। तभी सरला आयी ।उसके हाथ में एक पैकेट था। और एक बार फिर से दोनों मर्दों का बुरा हाल हो गया। वह अब टॉप और पजामा पहनी थी। उफफफ उसकी बड़ी चूचियाँ आधी टॉप से बाहर थीं। उसने एक चुनरी सी ओढ़ी हुई थी ताकि चूचियाँ जब चाहे छुपा भी सके। वह मुस्कुराकर अपनी चूचियाँ हिलायी और एक रँडी की तरह मटककर पीछे घूमकर अपनी गाँड़ का भी जलवा सबको दिखाया। सच में टाइट पजामे में कसे उसके चूतर मस्त दिख रहे थे अब वह हँसकर अपनी चुन्नी को अपनी छाती पर रख कर अपनी क्लिवेज को छुपा लिया।

राजीव: क्या माल हो जान।वैसे इस पैकेट में क्या है?

सरला: मेरी बेटी के लिए एक ड्रेस है। उसे देना है।

फिर वह मालिनी को आवाज़ दी: अरे बेटी आओ ना बाहर । अभी तक तुम और शिवा बाहर नहीं आए।

शिवा बाहर आया और बोला: मम्मी जी मैं आ गया। आपकी बेटी अभी भी तय्यार हो रही है।

सरला: मैं जाकर उसकी मदद करती हूँ । यह कहकर वह मालिनी के कमरे में चली गयी। वहाँ मालिनी अभी बाथरूम से बाहर आयी और मम्मी को देखकर बोली: आप तय्यार हो गयी ? इस पैकेट में क्या है?

सरला: तेरे लिए एक ड्रेस है। चाहे तो अभी पहन ले। सरला ने अब अपनी चुनरी निकाल दी थी।

मालिनी उसके दूध देख कर बोली: मम्मी आपकी ये ड्रेस कितनी बोल्ड है। आपको अजीब नहीं लगता ऐसा ड्रेस पहनने में ?

सरला: अरे क्या बुड्ढी जैसे बात करती हो ? थोड़ा मॉडर्न बनो बेटी। देखो ये ड्रेस देखो जो मैं लाई हूँ।

मालिनी ने ड्रेस देखी और बोली: उफफफ मम्मी ये ड्रेस मैं कैसे पहनूँगी? पापा और ताऊ जी के सामने? पूरी पीठ नंगी दिखेगी और छातियाँ भी आपकी जैसी आधी दिखेंगी। ओह ये स्कर्ट कितनी छोटी है। पूरी मेरी जाँघें दिखेंगी। मैं इसे नहीं पहनूँगी।

सरला: चल जैसी तेरी मर्ज़ी। तुझे जो पहनना है पहन ले, पर जल्दी कर सब इंतज़ार कर रहे हैं।

मालिनी ने अपने कपड़े निकाले। उसने अपना ब्लाउस निकाला और दूसरा ब्लाउस पहनना शुरू किया। सरला उसकी चूचियाँ ब्रा में देखकर बोली: बड़े हो गए हैं तेरे दूध। ३८ की ब्रा होगी ना? लगता दामाद जी ज़्यादा ही चूसते हैं। यह कहकर वह हँसने लगी ।

मालिनी : छी मम्मी क्या बोले जा रही हो। वैसे हाँ ३८ के हो गए हैं। फिर उसने अपनी साड़ी उतारी और एक पैंटी निकाली और पहनने लगी पेटिकोट के अंदर से।

सरला: अरे तूने पुरानी पैंटी तो निकाली नहीं? क्या घर में पैंटी नहीं पहनती?

मालिनी शर्म से लाल होकर: मम्मी आप भी पैंटी तक पहुँच गयी हो। कुछ तो बातें मेरी पर्सनल रहने दो।

सरला: अरे मैंने तो अब जाकर पैंटी पहनना बंद किया है, तूने अभी से बंद कर दिया? वाह बड़ा हॉट है हमारा दामाद जो तुमको पैंटी भी पहनने नहीं देता।

मालिनी: मामी आप बाहर जाओ वरना मुझे और देर जो जाएगी। सरला बाहर चली गयी। साड़ी पहनते हुए वो सोची कि उसने पैंटी पहनना पापाजी के कहने पर छोड़ा या शिवा के कहने पर? वह मुस्कुरा उठी शायद दोनो के कहने पर।

तय्यार होकर वो बाहर आयी। साड़ी ब्लाउस में बहुत शालीन सी लग रही थी। सरला ने भी अभी चुनरी लपेट रखी थी।

राजीव: तो चलें अब डिनर के लिए। सब उठ खड़े हुए और बाहर आए।

शिवा: पापा जी मैं कार चलाऊँ?

राजीव: ठीक है । श्याम आप आगे बैठोगे या मैं बैठूँ?

श्याम: मैं बैठ जाता हूँ आगे। आप पीछे बैठो ।

अब राजीव ने सरला को अंदर जाने को बोला। सरला अंदर जाकर बीच में बैठ गयी। मालिनी दूसरी तरफ़ से आकर बैठी और राजीव सरला के साथ बैठ गया। तीनों पीछे थोड़ा सा फँसकर ही बैठे थे। सरला का बदन पूरा राजीव के बदन से सटा हुआ था। राजीव गरमाने लगा। जगह की कमी के कारण उसने अपना हाथ सरला के कंधे के पीछे सीट की पीठ पर रखा और फिर हाथ को उसके कंधे पर ही रख दिया और उसकी बाँह सहलाने लगा। उसका हाथ साथ बैठी मालिनी की बाँह से भी छू रहा था। मालिनी ने देखा तो वह समझ गयी कि अभी ही खेल शुरू हो जाएगा। रात के ८ बजे थे ,कार में तो अँधेरा ही था। तभी राजीव ने सरला की बाँह सहलाते हुए उसकी चुन्नी में हाथ डाला और उसकी एक चूचि पकड़ ली और हल्के से दबाने लगा। मालिनी हैरान होकर उसकी ये हरकत देखी और उसने सरला को राजीव की जाँघ में चुटकी काटकर आँख से मना करने का इशारा करते भी देखी। पर वो कहाँ मानने वाला था। अब उसने मालिनी की बाँह में हल्की सी चुटकी काटी और फिर से उसे दिखाकर उसकी मम्मी की चूचि दबाने लगा और उसने मालिनी को आँख भी मार दी।

मालिनी परेशान होकर खिड़की से बाहर देखने लगी। अब राजीव ने थोड़ी देर बाद सरला का हाथ लेकर अपने लौड़े पर रखा और सरला उसे दबाने लगी। फिर वह अपना हाथ सरला की चूचि से हटा कर मालिनी की बाँह सहलाने लगा। मालिनी चौंक कर पलटी और उसकी आँख सरला के हाथ पर पड़ी जो कि राजीव के पैंट के ज़िपर पर थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी भी ना,कितनी गरमी है इनमे अभी भी। तभी राजीव का हाथ उसकी चूचि पर आ गया। वह धीरे से उसको घूरी और उसका हाथ हटाते हुए बोली: पापा जी जगह कम पड़ रही है तो मैं टैक्सी में आ जाती हूँ।

सरला ने झट से अपना हाथ हटा लिया।

शिवा: क्या हुआ? आप लोग आराम से नहीं हो क्या?

राजीव: अरे नहीं बेटा, सब ठीक है। मैं ज़रा हाथ फैलाकर बैठा तो बहु को लगा कि मैं आराम से नहीं बैठा हूँ। सब ठीक है तुम गाड़ी चलाओ। वो मालिनी को आँख मारते हुए बोला।

फिर थोड़ी देर बाद उसने सरला का हाथ अपने लौड़े पर रख दिया जिसे वो दबाने लगी। और वह सरला की दोनों चूचि बारी बारी से दबाने लगा। मालिनी ने देखा और फिर खिड़की से बाहर देखने लगी। उसने सोचा कि जब वो दोनों इसमें मज़ा ले रहे हैं तो वो भला इसमें क्या कर सकती है।

थोड़ी देर में वो एक शानदार रेस्तराँ में पहुँचे। शिवा और श्याम बाहर आए और मालिनी और सरला भी बाहर आ गए। राजीव अपनी पैंट को अजस्ट किया कि क्योंकि उसकी पैंट का तंबू ज़रा ज़्यादा ही उभरा हुआ दिख रहा था। वो भी वहाँ हाथ रखकर बाहर आया। ख़ैर डिनर टेबल तक पहुँचते हुए उसका लौड़ा थोड़ा शांत हो गया था।

टेबल गोल थी। राजीव के बग़ल में सरला बैठी और उसकी बग़ल में श्याम बैठा। उसकी बग़ल में शिवा और फिर मालिनी बैठी। मालिनी के बग़ल में एक कुर्सी ख़ाली थी।

राजीव: श्याम थोड़ा सा ड्रिंक चलेगा?

श्याम: यार परिवार के साथ अटपटा लगता है।

राजीव: अरे इसने अटपटा की क्या बात है? सब अपने ही तो हैं। बोलो सरला, अगर हम पिएँ तो तुमको कोई आपत्ती है क्या?

सरला: मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। शिवा से पूछ लीजिए।

शिवा: पापा जी लीजिए ना जो लेना है। और उसने वेटर को आवाज़ दी।

राजीव ने उसे दो पेग व्हिस्की लाने को कहा। फिर उसके जाने के बाद श्याम बोला: शिवा अभी तक लेनी शुरू नहीं की क्या?

शिवा: ताऊ जी कॉलेज में एक दो बार लिया था। पर आप लोगों के सामने हिचक होती है।

राजीव: अरे बेटा अब तुम जवान हो गए हो। इसमें हिचकना कैसा? चलो तुम्हारे लिए भी मँगाते हैं। पर बेटा, इसको कभी भी आदत नहीं बनाना। कभी कभी ऐसे अवसरों पर चलता है।

फिर वह सरला से बोला: भाभी आप भी वाइन ट्राई करो ना। आजकल बहुत आम बात है लेडीज़ का वाइन पीना।

श्याम: हाँ सरला ले लो ना वाइन। यह तो सभी औरतें आजकल लेती हैं। बोलो मँगाए क्या?

सरला हँसकर : मैंने तो आज तक कभी ली नहीं है। मेरे दामाद जी बोलेंगे तो लूँगी नहीं तो नहीं लूँगी।

शिवा हँसकर: मम्मी जी आप भी ट्राई करिए ना।फिर मालिनी से बोला: मालिनी तुम भी लो ना थोड़ी सी वाइन।

मालिनी: ना बाबा , मुझे नहीं लेना है। मम्मी को लेना है तो ले लें।

राजीव ने वाइन भी मँगा ली। मालिनी के लिए कोक मँगाया।

अब सबने चियर्स किया और पीने लगे। सरला: ये तो बहुत स्वाद है। मालिनी तू भी एक सिप ले के देख।

मालिनी ने थोड़ी देर विरोध किया पर जब शिवा भी बोला: अरे क्या हर्ज है एक सिप तो ले लो। तो वो मना नहीं कर पाई और मम्मी की वाइन के ग्लास से एक सिप ली।

सरला: कैसी लगी?

मालिनी: अच्छी है मम्मी। स्वाद तो ठीक है।

फिर क्या था उसी समय राजीव ने मालिनी के लिए भी एक वाइन का ग्लास मँगा लिया। अब सब पीने लगे। क्योंकि सरला और मालिनी पहली बार पी रहे थे जल्दी ही उनको नशा सा चढ़ने लगा। सभी जोक्स सुनाने लगे और ख़ूब मस्ती करने लगे। जल्दी ही पीने का दूसरा दौर भी चालू हुआ। मालिनी ने मना कर दिया कि और नहीं पियूँगी। पर राजीव ने उसके लिए भी मँगा लिया।

दूसरे दौर में तो शिवा को भी चढ़ गयी। अब वो भी बहकने लगा। मालिनी ने अपना दूसरा ग्लास नहीं छुआ। बाक़ी सब पीने लगे। अब अडल्ट्स जोक्स भी चालू हो गए और सब मज़े से थोड़ी अश्लील बातें भी करने लगे। मालिनी हैरान रह गयी जब शिवा ने भी एक अश्लील जोक सुनाया।

सरला भी अब बहकने लगी थी। राजीव उसे बार बार छू रहा था और वह भी उसको छू रही थी। शिवा भी मालिनी को छू रहा था। मालिनी को बड़ा अजीब लग रहा था। वह बार बार उसकी जाँघ दबा देता था।

तभी खाना लग गया। सब खाना खाने लगे। राजीव ने सरला को एक और वाइन पिला दी जो कि मालिनी ने भी पी थी। खाना खाते हुए अचानक राजीव अपने फ़ोन पर कुछ करने लगा और फिर मालिनी के फ़ोन में कोई sms आया । वह चेक की तो पापाजी का ही मेसिज था: बहु, चम्मच गिरा दो और उसे उठाने के बहाने टेबल के नीचे देखो ।

मालिनी ने राजीव को देखा तो उसने आँख मार कर नीचे झुकने का इशारा किया। मालिनी ने उत्सुकतावश नीचे चम्मच गिराया और उसको उठाने के बहाने से टेबल के नीचे देखी और एकदम से सन्न रह गयी। उसने देखा कि पापा जी की पैंट से उनका लौड़ा बाहर था और मम्मी की मुट्ठी में फ़ंसा हुआ था। श्याम ताऊजी का हाथ मम्मी की जाँघ पर था और वह काफ़ी ऊपर तक क़रीब बुर के पास तक अपने हाथ को ले जाकर मम्मी को मस्त कर रहे थे।

मम्मी अपने अंगूठे से मोटे सुपाडे के छेद में अँगूठा फेर रही थी और लौड़े को बड़े प्यार से मूठिया रही थी। छेद के ऊपर एक दो प्रीकम भी चमक रहा था। अचानक मम्मी ने प्रीकम को अंगूठे में लिया और वहाँ से हाथ हटाइ।
उफफफफ क्या हो गया है इन तीनों को? मालिनी सीधी हुई और राजीव ने फिर से आँख मारी। तभी मालिनी ने देखा कि सरला राजीव को दिखाकर अपना अँगूठा चूसी और प्रीकम चाट ली। मालिनी बहुत हैरान थी मम्मी के व्यवहार पर। फिर उसने सरला की चूचियों की ओर इशारा किया जो कि उसके टॉप से आधी नंगी दिख रही थी क्योंकि नशे के सुरूर में उसकी चुन्नी गले में थी। फिर उसने एक sms किया और मालिनी ने पढ़ा। लिखा था: शिवा को देखो , उसकी आँखें अपनी सासु मा की चूचियों पर बार बार जा रही हैं।

मालिनी चौंकी और कनख़ियों से शिवा को देखी और सच में वह बार बार मम्मी की आधी नंगी चूचियों को देखे जा रहा था। उसे बड़ा बुरा लगा। पर वह कुछ बोल नहीं पायी एकदम से। फिर धीरे से वह उसे बोली: क्या कर रहे हो? मम्मी को क्यों घूर रहे हो? छी शर्म नहीं आती।

शिवा झेंपकर: कुछ भी बोल रही हो? मैं कहाँ घूर रहा हूँ।

मालिनी ने टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसके लौड़े को चेक किया तो वो पूरा खड़ा था। वो फुसफुसाई : ये क्या है? आप मेरी मम्मी को गंदी नज़र से देख रहे हो और ये आपका खड़ा हथियार इस बात का सबूत है।

शिवा: अरे नहीं जान ये तो बस ऐसे ही खड़ा हो गया है। आज रात को मज़ा करने का सोच कर।

मालिनी: झूठ मत बोलो चलो घर आज तो आपसे मैं बात ही नहीं करूँगी ।

शिवा उसकी जाँघ दबाकर मुस्कुराया। फिर सबने खाना खाया। और राजीव ने बिल पे किया और सब उठ गए। सब हल्के नशे में थे। नशा शिवा और सरला को ही ज़्यादा हुआ था। शिवा ने बहुत दिन बाद पी थी और सरला ने पहली बार और वो भी तीन पेग वाइन पी ली थी। मालिनी की निगाह पापा जी के पैंट के सामने वाले भाग पर गई और वहाँ अभी भी तंबू बना था। फिर श्याम ताऊजी का भी थोड़ा फूला सा ही था वह हिस्सा और शिवा का भी खड़ा ही था। उफफफ आज इन मर्दों को क्या हो गया है। शिवा मुश्किल से चल पा रहा था। बाहर आकर श्याम बोला: गाड़ी मैं चलाउंगा। शिवा को तो चढ़ गयी है। शिवा उसके बग़ल में बैठकर सो गया। पीछे मालिनी के बैठने के बाद राजीव जल्दी से बीच में बैठ गया और सरला आख़िर में बैठी।

मालिनी समझ गयी की पापा जी अब अपने कमीनेपन पर आ जाएँगे। रात के दस बज चुके थे और अंधेरे का फ़ायदा तो उसने उठाना ही था । वह सरला की चूचि के नंगे हिस्से को चूमने लगा। और खुलकर उसे दबाने लगा। उसका दूसरा हाथ मालिनी की जाँघ को सहला रहा था । मालिनी ने उसे हटाने की कोशिश की तो वो उसकी भी चूचि दबा दिया। मालिनी आऽऽऽह कर उठी। सरला जो नशे में आँख बंद करके मज़ा ले रही थी , आँख खोलकर पूछी: क्या हुआ बेटी?

मालिनी: कुछ नहीं मम्मी। सिर टकरा गया था खिड़की से।

राजीव मुस्कुराकर फिर से उसकी चूचि दबाया। मालिनी फुसफुसाई: आप हाथ हटा लो नहीं तो मैं चिल्ला दूँगी।

राजीव अपने हाथ को हटाकर उसके गाल को चूमा और फुसफुसाया: बहु कब तक तड़पाओगी ? चलो छोड़ दिया। पर रात को अपनी मम्मी की चुदाई देखने आना। मैं एक खिड़की खुला छोड़ूँगा। देखना कितनी मस्त रँडी की तरह चुदवाएगी हम दोनों से । आओगी ना बहु रानी?

मालिनी मुँह घुमाकर बाहर की ओर देखने लगी। उसने कोई जवाब नहीं दिया। फिर अचानक उसने महसूस किया कि उसकी बुर अब काफ़ी गीली हो चुकी थी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो चुके थे। हमेशा की तरह उसे अपने आप पर ग़ुस्सा आया कि वह क्यों इतनी उत्तेजित हो जाती है?
तभी घर आ गया। और सब घर में पहुँचे। मालिनी ने देखा कि अब सिर्फ़ पापा जी का ही तंबू तना था बाक़ी शांत हो चुके थे। शिवा अपने कमरे में आया और अपने कपड़े उतारकर सो गया। जल्दी ही वह नशे के कारण सो गया। मालिनी ने भी अपने कपड़े बदले और नायटी पहनी और नीचे आदतन पैंटी और पेटिकोट भी नहीं पहनी। वह बाहर आके किचन में पानी लेने गयी। तभी सरला भी नायटी में आयी और मालिनी अपनी मम्मी को देखती ही रह गयी । उसके निपल्ज़ सिल्क नायटी से खड़े हुए साफ़ दिख रहे थे। वह नीचे भी कुछ नहीं पहनी थी।

मालिनी: मम्मी आपने ब्रा उतार दी है क्या?

सरला: हाँ बेटी मैं आजकल नायटी के नीचे कुछ नहीं पहनती। अब सोना ही तो है, पानी लेने आयी थी।

मालिनी सोची कि कितना सफ़ेद झूठ बोल रही है। अभी पापा जी और श्याम से चुदेंगी ये रात भर। और क्या सती सावित्री बन रहीं हैं।

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04-09-2017, 04:24 PM,
#58
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
मालिनी अपने कमरे में आकर शिवा को देखी तो वो नशे के मारे सो रहा था। वह सोचने लगी कि आज तो मम्मी की ज़ोर की बैंड बजने वाली है। पापा जी और ताऊ जी तो आज उनकी ज़बरदस्त चुदाई करेंगे। नशा तो उसने भी पहली बार किया था इसलिए वो भी थोड़ी सी भ्रम की स्तिथि में थी।उसे याद आया कि कैसे पापा जी का लंड मम्मी मूठिया रही थी और बाद में प्रीकम भी चाट लीं। उसकी बुर उन दृश्यों को याद करके पनियाने लगी।
वह फिर से शिवा को देखी और अचानक उसकी बुर की खुजली उसके दिमाग़ पर हावी हो गयी और वह उठ खड़ी हुई और उसने मम्मी की चुदाई को देखने का निश्चय किया। पापा जी ने उसे कहा ही था कि वो एक खिड़की खुली रखेंगे ताकि वह अपनी मम्मी की चुदाई देख सके। वह बाहर की ओर जाने को निकली फिर रुक गयी और अपनी खिड़की से चुपचाप सरला के कमरे के दरवाज़े को देखने लगी।

उधर सरला पानी पीकर एक बोतल और लेकर अपने कमरे में गयी। वह बाथरूम से फ़्रेश होकर बाहर आइ। उसने बाथरूम में अपनी बुर और गाँड़ का हिस्सा ज़रा ज़्यादा ही अच्छी तरह से साफ़ किया क्योंकि उसे पता था ये मर्द आज पागल होकर उसकी चुसाई और चुदाई करेंगे। नशे की हालत में वह और ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी। उसने अपनी गीली हुई जा रही बुर को तौलिए से फिर से साफ़ किया।
तभी फ़ोन पर राजीव का sms आया: जान आ जाओ, हम दोनों नंगे पड़े हुए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। वह मुस्कुराई और फिर वह चुपके से बाहर आयी और शिवा के कमरे की ओर झाँकी। कोई हलचल ना देख कर वह चुपचाप राजीव के कमरे में जाकर घुस गयी और अंदर से दरवाज़ा बंद कर ली।

मालिनी ने उसे चोरों की तरह पापा जी के कमरे में जाते देखा और ख़ुद भी उसके पीछे वह पापा के कमरे की खिड़की की तरफ़ गयी। पापा ने अपना वादा निभाया था, खिड़की का एक पट खुला था और उसपर पर्दा लगा था। उसने हल्के से पर्दा हटाया और अंदर झाँकी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ऐसे दृश्य की उसने कल्पना भी नहीं की थी। अंदर पापा और ताऊ पूरे नंगे लेटे हुए थे और अपने अपने लौड़े सहला रहे थे जो पूरे खड़े थे। मम्मी उनके सामने सिर्फ़ एक नायटी में अपना बदन मटक कर कमरे में चल कर दिखा रही थी। उसके दूध और गाँड़ बुरी तरह हिल रहे थे। तभी पापा ने मोबाइल में एक अश्लील भोजपुरी गाना लगा दिया और मम्मी को नाचने को कहा।

मम्मी अश्लील तरीक़े से अपनी छातियाँ और कुल्हे मटका कर नाचने लगी। तभी पापा बोले: अरे यार नायटी उतार कर नाचो ना। हम भी तो नंगे पड़े हैं। मम्मी मुस्करायी और अपनी नायटी उतार दी और पूरी नंगी होकर किसी रँडी की तरह अपनी छातियाँ उछालकर नाचने लगी। उफफफ क्या घटिया दृश्य था। मालिनी का मन वित्रिश्ना से भर गया। पापा बोले: जान गाँड़ मटका कर दिखाओ ना। वह उनके सामने आकर चूतर मटका कर नाचने लगी। फिर पापा बोले: ज़रा झुक कर अपनी बुर और गाँड़ दिखाओ ना जानू।

मम्मी आगे को झुकी और अपने चूतरों को ख़ुद ही फैला कर अपनी बुर और गाँड़ दोनों मर्दों को दिखाने लगी। मालिनी ने ध्यान से देखा कि मम्मी लड़खड़ा भी रही थीं। ओह इसका मतलब है कि ये शायद वाइन का ही असर है कि वो इस तरह की हरकत कर रही हैं। तभी पापा ने अपना लौड़ा हिलाते हुए कहा: आओ जान चूसो हम दोनों का लौड़ा। आओ।

मालिनी ने देखा कि मम्मी थोड़ा सा झूमते हुए बिस्तर पर बैठी और राजीव का लौड़ा पहले पकड़कर प्यार से सहलाई और फिर जीभ से सुपाडे को चाटी और फिर मुँह खोलकर चूसने लगी। फिर श्याम का लौड़ा भी चाटने लगी। अब बारी बारी से दोनों के लौड़े और बॉल्ज़ चाट और चूस कर दोनों मर्दों को मस्त करने लगी।
राजीव उठ कर बैठा और उसके हाथ उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबा रहे थे। फिर राजीव ने कहा: जानू, आओ ६९ की पोजिसन में आ जाओ।यह कहते हुए वह फिर से लेट गया। अब सरला अपनी जाँघों को फैलाकर अपनी बुर राजीव के मुँह पर रखी और राजीव
उसे चाटने लगा और जीभ से चोदने लगा। सरला भी उसके लौड़े को चूसने लगी। मालिनी ने देखा कि वह अब डीप थ्रोट दे रही थी।मालिनी सोची कि शिवा भी कई बार उसे डीप थ्रोट के लिए बोलता है पर वह तो कर ही नहीं पाती क्योंकि उसकी साँस ही रुक जाती है । और यहाँ मम्मी कितने आराम से और मज़े से पापा जी को डीप थ्रोट दे रही हैं। तभी मम्मी की उइइइइइइ माऽऽऽऽऽ निकलने लगी, लगता है पापा उनके clit को छेड़ रहे हैं जीभ से। शिवा भी ऐसे ही उसकी चीख़ निकाल देता है। उसका अपना हाथ अपनी बुर के ऊपर चला गया और वह वहीं कपड़े के ऊपर से अपनी बुर को सहलाने लगी ऊँगली डालके।

उधर ताऊजी भी अब मम्मी की छातियाँ मसल रहे थे ।मम्मी उनका लौड़ा भी सहलाने लगी। अब राजीव बोला: जानू चलो अब चढ़ो मेरे ऊपर और मेरा लौड़ा अंदर करो । फिर श्याम से बोला: क्या भाई तुम गाँड़ मारोगे या मुँह में दोगे इसको।

श्याम: गाँड़ ही मार लेता हूँ। यह कह कर वह तेल की शीशी लेकर अपने लौड़े पर लगाने लगा। तब तक सरला अपनी बुर राजीव के लौड़े पर रख कर उसको अंदर करने लगी थी। जल्दी ही वो अपने चूतर उछालकर चुदवाने लगी। तभी श्याम आया और उसके हिलते चूतरों को दबाने लगा। राजीव ने सरला को रुकने को कहा: रुको जानू, श्याम आप गाँड़ में तेल लगाओ और डालो अपना लौड़ा अंदर। श्याम ने दो ऊँगली में तेल लिया और उसकी गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगे। मालिनी ने देखा कि मम्मी आराम से गाँड़ में दो उँगलियाँ डलवा रहीं थीं। फिर अपने तेल लगे लौड़ेको श्याम ने उसके गाँड़ के छेड़ पर लगाया और दो धक्कों में पूरा अंदर कर दिया मम्मी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर मस्त हो कर अपने चूतर उछालने लगी। अब कमरा फ़च फ़च और ठप्प ठप्प और पलंग की चूँ चूँ की आवाज़ों से गूँजने लगा। मम्मी आऽऽऽह और हाय्य्य्य्य्य कहकर चुदवा रही थी और डबल चुदाई का मज़ा ले रही थी।मालिनी ने अब अपनी नायटी उठाकर अपनी बुर में दो ऊँगली डाल ली थी और उनको बुरी तरह से हिला रही थी। उधर मम्मी की चीख़ें बढ़ने लगीं और वह जल्दी ही आऽऽऽंह्ह्ह्ह्ह मैं गयीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी और श्याम भी अब अपनी गाँड़ ज़ोर ज़ोर से हिलाकर धक्का मारने लगा और हम्म कहकर झड़ने लगा। राजीव भी नीचे से धक्के मारने लगा और वह भी आऽऽआह कहकर झड़ गया। यह देखकर अब शायद मालिनी की बुर पानी छोड़ने को तय्यार थी। वह अब अपनी बुर के clit को सहलाने लगी और अपनी चीख़ दबाकर झड़ने लगी। तभी शायद उसके बदन के हिलने के कारण पर्दा हिला और राजीव की आँख खिड़की की तरफ़ गयी और उसकी आँख मालिनी की आँख से मिली और वह मुस्कुराया और झड़ कर पास में करवट में पड़ी सरला की मोटी गाँड़ दबा दिया।मालिनी शर्मा कर वहाँ से भाग कर वापस अपने कमरे में आयी।

शिवा अभी भी सो रहा था। उसने लम्बी साँस ली और चुपचाप लेट गयी और उसकी आँखों के सामने उसी चुदाई के दृश्य घूम रहे थे। उसने मम्मी की आँखों में एक अजीब सी संतुष्टि देखी थी। क्या इस तरह से चुदवाने में सच में इतना मज़ा आता है। वो तो हमेशा से यही मानती है कि हम जिसे प्यार करते हैं उसके साथ ही चुदाई में सुख मिलेगा। पर यहाँ तो उलटा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि परपुरुष के साथ ज़्यादा मज़ा है। वह लेटी हुई सोची कि अब तक तो मम्मी की दूसरे राउंड की चुदाई भी चालू हो चुकी होगी। पापा जी ने उसे चुदाई देखते हुए देख लिया है और इस बात का वो ज़रूर फ़ायदा उठाएँगे। तभी उसकी इच्छा हुई कि एक बार और देखे कि वो अब क्या कर रहे हैं? पर पापा जी तो खिड़की की तरफ़ देखेंगे ही ये जानने के लिए कि वो वहाँ खड़ी है या नहीं? उफफफ वो क्या करे? मन कह रहा है कि एक बार और देखना चाहिए। फिर वह उठी और धीरे से खिड़की के पास पहुँची और धीरे से पर्दा हटाकर झाँकी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था। पापा नीचे लेटे थे और मम्मी उनके ऊपर पीठ के बल अपने हाथों के सहारे आधी लेटी थीं और उनकी जाँघें फैली हुई थीं। उनके चूतर पापा के मुँह पर थे। पापा उनके चूतर फैलाकर गाँड़ चाट रहे थे। मम्मी की बुर पूरी खुली हुई साफ़ दिखाई दे रही थी जो कि नमी के कारण चमक रही थी।ताऊ जी अपना लौड़ा सहला कर उनकी चूचियाँ चूस रही थे। फिर वो भी आकर अपना मुँह उनकी बुर में घुसेड़कर उसे चूसने लगे। मम्मी इस दुगने हमले से उइइइइइइइ कर उठीं। अब वह ताऊ जी का सर अपनी बुर में दबाने लगीं।

मालिनी ने मम्मी का मुँह ध्यान से देखा । उनकी आँखें अत्याधिक मज़े से बंद थीं और वो आऽऽऽऽऽह बहुत अच्छाआऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽ है आऽऽहहहह हाय्य्य्य्य्य्य । और चूसोओओओओओओओ चिल्लाए जा रही थी।
फिर राजीव अपना मुँह गाँड़ से हटा कर बोला: चलो अब चुदाई करते हैं। मालिनी ने देखा कि पापा ने मम्मी को करवट लिटाया और ख़ुद उनके पीछे चला गया और अपने हाथों से उनके मोटे चूतरों को दबाने लगा और फिर अपने लौड़े पर तेल चुपड़कर उसकी गाँड़ में पेल दिया। ताऊ भी उसके सामने लेट गया और उसकी चूचियाँ चूसते हुए उसकी बुर में अपना लौड़ा डालकर चुदाई में लग गया। अब फिर से मम्मी की सिसकारियाँ गूँजने लगी। मम्मी ने एक टाँग हवा में उठायी हुई थी और आराम से कमर हिला कर दोनों छेदों में लौड़े घुसवा कर मज़े से भरी जा रहीं थीं।और फिर हाऽऽऽऽऽऽय्य्य्य्य मरीइइइइइइइ आऽऽऽऽऽऽऽहहह । वगेरह चिल्लायीं जा रहीं थीं। मम्मी के हाथ ताऊ के पीठ पर थे और वह उसे सहलाते हुए अब उसकी चूतरों तक ले आइ थीं और उसके चूतरों को ज़ोर से दबा रहीं थीं मानो कह रही हो और अंदर तक डालो। ताऊ और पापा के चूतर किसी पिस्टन के माफ़िक़ चल रहे थे और वो भी ह्म्म्म्म्म आऽऽह कर रहे थे। पूरा कमरा चुदाई की आवाज़ों से गूँजने लगा था । और मालिनी ने एक बार फिर से अपनी नायटी उठाई और अपना हाथ एक बार फिर से अपनी बुर में डाल दिया था। उसे याद आया कि चुदाई के दौरान कभी कभी शिवा भी उसकी गाँड़ में ऊँगली करता है। वो हमेशा उसकी ऊँगली वहाँ से हटाकर अपनी चूचियों पर रख देती थी।आज ना जाने उसे क्या हुआ कि वो अपनी गाँड़ में एक ऊँगली ख़ुद ही डाली और आगे पीछे करने लगी। उसने अँगूठा बुर में और एक ऊँगली गाँड़ में डाल दी और उनको हिलाने लगी।

चुदाई करते हुए राजीव ने अपना सिर उठाया और खिड़की की तरफ़ देखा और उसकी आँखें फिर से मालिनी की आँखों से टकरा गयीं। वह मुस्कुराया और हाथ भी हिलाया। मालिनी के तो शर्म के मारे पसीना निकल गया और वह फिर से भाग कर वापस अपने कमरे में आ गयी। अब मालिनी के शरीर में आग लगी हुई थी। उसने देखा कि शिवा अभी भी आराम से सो रहा है। उसने शिवा को हिलाया और उठाया। शिवा उठकर बोला: क्या हुआ रानी क्या बात है?

मालिनी ने कहा: मुझे नींद नहीं आ रही है। आप तो सोए ही जा रहे हो। यह कहते हुए उसने नायटी के ऊपर से अपनी बुर को खुजा दी। शिवा मुस्कुराया और बोला: ओह बुर खुजा रही है? आओ रानी अभी शांत कर देता हूँ ।

मालिनी: आपने ऐसी आदत डाल दी है कि बिना करवाए नींद नहीं आती है। चलो कपड़े उतारो। मैं भी उतारती हूँ। ये कहते हुए इसने नायटी उतार दी और फिर ब्रा खोलकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। जब वह बाहर आयी तो शिवा भी पूरा नंगा खड़ा था और वह भी बाथरूम में घुसकर फ़्रेश होकर वापस आया।

मालिनी ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगी । वह भी मज़े से उसकी चूचियाँ दबाकर मस्त होने लगा। फिर मालिनी उसकी छाती को चूमते हुए उसके पेट को चुमी और फिर वह उसके नाभि में जीभ डालकर उसके लौड़े को सहलाने लगी। फिर नीचे जाकर वह उसके लौंडे को चूसने लगी। उसका लौड़ा अब पूरी तरह से तन गया था। मालिनी अब उसके लौड़े पर वैसे ही अपनी बुर रख कर बैठी जैसे मम्मी पापाजी के लौड़े पर बैठी थी। अब वह अपनी कमर उछाल कर चुदवाने लगी। शिवा भी उसकी हिलती हुई चूचियाँ दबाने लगा।

अचानक मालिनी ने अपना हाथ शिवा के हाथ पर रखा जो कि उसकी छाती पर था। फिर वह बोली : शिवा, आज मेरे पीछे ऊँगली करो ना। जैसे पहले कभी कभी करते थे।

शिवा: पर तुम तो हमेशा मेरा हाथ वहाँ से हटा देती थी तो आज क्या हो गया?

मालिनी: हाँ पर आज मेरी इच्छा हो रही है। करो ना। लाओ मैं आपकी ऊँगली गीली कर देती हूँ। यह कहकर मालिनी ने शिवा की एक ऊँगली मुँह में लेकर चूसी और उसमें थूक लगा दी ।
शिवा अब उसकी गाँड़ ने उस उँगली को अंदर डाल दिया। मालिनी की चीख़ निकल गयी। वह बोली: उइइइइइ माँ जलन हो रही है।

शिवा ऊँगली निकाल कर बोला: वो तेल उठाना ज़रा। मालिनी ने उसे चुदाई करते हुए तेल पकड़ा दिया। अब शिवा अपने ऊँगली में तेल लगाया और फिर से उसकी गाँड़ में ऊँगली डाला। अबके मालिनी हाऽऽऽय्य कर उठी। इसमें सच में बहुत मज़ा आ रहा था। वह बोली: उफ़्फ़ बहुत मज़ा आ रहा है। आप ऐसे ही ऊँगली करते रहिए। अब वह और ज़ोर ज़ोर से अपनी गाँड़ हिलाकर चुदवाने लगी। जल्दी ही वह लम्बे धक्के मारने लगी। नीचे से शिवा भी अपनी कमर उछालकर उसकी बुर में लौड़ा जड़ तक पेल रहा था। फिर दोनों आऽऽऽहहह करके झड़ने लगे और एक दूसरे से चिपक गए।

शिवा ने उसकी गाँड़ से ऊँगली निकाली और उसे सूँघने लगा और बोला: उफ़्फ़ क्या मस्त गंध है तेरी गाँड़ की।

मालिनी ने उसको एक चपत मारी और कहा: छी कुछ भी करते है आप। जाओ हाथ धो के आओ।

शिवा हँसते हुए बाथरूम चला गया। मालिनी वहीं नंगी लेटी हुई पिछले कुछ घण्टों में आए ख़ुद के बदलाव के बारे में सोचने लगी। उसने अपनी टाँग उठाई और अपनी बुर और गाँड़ पर हाथ फेरकर सोची कि सच में मुझे कुछ होने लगा है। शिवा बाथरूम से बाहर आया तो वो भी फ़्रेश होकर वापस आइ और शिवा के साथ नंगी ही लिपट कर सोने लगी।

तभी पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो शिवा को बोली: वो आपका ख़ास दोस्त असलम आजकल आपसे बात करता है क्या?

शिवा चौंक कर बोला: अरे आज उसकी कैसे याद आ गयी? हाँ करता है बल्कि वह तो तुमको मिलने की भी बात करता है। वह तो हम दोनों को खाने पर भी बुला रहा है।

मालिनी: खाने पर जाएँगे तो वह बीवियों की अदला बदली की बात तो नहीं करेगा?

शिवा: करना तो नहीं चाहिए। पर अगर वह तुमको पसंद आ गया तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं होगा। वो हँसने लगा।

मालिनी: आपको भला क्यों ऐतराज़ होगा। आपको भी तो आयशा मिल जाएगी मज़े करने के लिए।

फिर दोनों हँसने लगे और एक दूसरे को चूम कर सोने की कोशिश करने लगे। शिवा सोच रहा था कि मालिनी में अचानक आए इस परिवर्तन की वजह क्या है? आज वो गाँड़ में ऊँगली डलवायी और अब असलम की बात , वो भी इस समय? कुछ तो बात है। वो सोचते हुए सो गया। मालिनी भी सोच रही थी कि उसे अचानक से आज असलम क्यों याद आ गया? वो तो कभी भी दूसरे मर्द से चुदवाने का कभी सोची ही नहीं। यह सब सोचते हुए वह भी सो गयी।

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04-09-2017, 04:25 PM,
#59
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
आज छुट्टी थी तो एक बड़ा सा अपडेट तो बनता है दोस्तों----

अगली सुबह मालिनी सुबह उठी और फ़्रेश होकर ब्रा और पेटिकोट और नायटी पहनी। आज उसने पेटिकोट इसलिए पहनी कि ताऊ जी भी थे। जब वह किचन में गयी तो मम्मी को वहाँ देखकर हैरान रह गयी। उन्होंने भी अभी ब्रा और पेटिकोट पहना था नायटी के नीचे। मम्मी की मुस्कान ने मालिनी के मन की सारी कड़वाहट को धो धिया और वह उनसे लिपट कर प्यार करने लगी। सरला ने उसके गाल को चूमा और बोली: चल आज मुझे चाय बना लेने दे ।

मालिनी: ठीक है आप बनाओ , मैं मदद करती हूँ । फिर माँ बेटी मिलकर नाश्ते की तय्यारी में लग गयीं।
मालिनी सरला दो देखते हुए सोच रही थी कि अभी इनको देखकर कौन कहेगा कि ये रात को दो मर्दों के साथ एक रँडी की तरह व्यवहार कर रहीं थी। अभी वो चाय बनाते हुए एक गृहिणी लग रहीं थीं। मालिनी सोची कि हम सबके कितने रूप हैं इस जीवन में। ख़ैर वो रोज़ की तरह राजीव के कमरे के सामने जाकर आवाज़ दी: पापा जी , ताऊ जी आइए। चाय बन गयी है।

ताऊ जी की आवाज़ आयी: आते हैं बेटी अभी ।

थोड़ी देर में दोनों बाहर आए लूँगी और बनियान में। सरला और मालिनी टेबल पर बैठकर चाय पी रही थीं। वो दोनों भी आकर उनके आमने बैठ गए।चाय पीते हुए ताऊ जी बोले: बेटी बड़ा अच्छा लगा तुम सबसे मिलकर। बस नाश्ता करके हम लोग निकलेंगे।

मालिनी: ठीक है ताऊजी, ये दुकान जाते हुए आपको बस अड्डे छोड़ देंगे।

राजीव: अरे यार कुछ दिन और रहते तो ज़्यादा मज़ा आता। ये कहते हुए उसने सामने बैठी मालिनी को सबकी नज़र बचा कर आँख मार दी। मालिनी ने अपना मुँह घुमा लिया ।

सरला मुस्कुरा कर बोली: भाई सांब आप जब बुलाएँगे फिर आ जाएँगे ।

ताऊजी: अगली बार आप सब भी आयिए हमारे घर।

राजीव: हाँ जी ज़रूर आएँगे। आप सबसे मिलना तो बड़ा अच्छा लगता है। इस बार भी वह मालिनी को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा था।

फिर सब नहाने चले गए और शिवा भी सोकर उठा और सबने साथ नाश्ता किया और फिर सरला और श्याम शिवा के साथ चले गए। अब घर में सिर्फ़ राजीव और मालिनी ही रह गए। कमला सफ़ाई कर के चली गयी थी। राजीव सोफ़े पर बैठा और बोला: बहु एक और चाय पिलाओ ना प्लीज़।

मालिनी: जी पापा जी अभी लायी। कहकर किचन में चली गयी। जब वह चाय लाई तो पापा सोफ़े पर बैठा हुआ मोबाइल में फ़ोटो देख रहे थे। चाय का प्याला सामने रख कर वह जाने लगी तो राजीव बोला: बहु बैठो और ये फ़ोटो देखो। मैं अपना चश्मा लेकर आता हूँ। मालिनी वहीं बैठ गयी और मोबाइल में फ़ोटो देखनी लगी। राजीव अपने कमरे में चला गया था चश्मा लाने।

मालिनी ने फ़ोटो देखना शुरू किया। मम्मी की फ़ोटो थी साड़ी में ,अगली फ़ोटो में वो टॉप में थी जिसमें रेस्तराँ गयीं थीं। अगली फ़ोटो में मम्मी नायटी में थी। यहाँ तक सब ठीक था। उसके बाद की फ़ोटो सब गड़बड़ थीं। अब नायटी में मम्मी के दूध दिख रहे थे। फिर अगली फ़ोटो में मम्मी पूरी नंगी खड़ी थी। सामने से और पीछे से भी फ़ोटो खींची हुई थी। अगली फ़ोटो ने मम्मी बिस्तर पर लेटकर अपनी दोनों टाँगे उठाकर और फैलाकर अपनी बुर और गाँड़ दिखा रही थी। उफफफफ मम्मी को ये क्या हो गया है। ऐसे भी कोई फ़ोटो खिंचवाता है क्या।

राजीव अचानक आकर उसके बग़ल में बैठ कर बोला: ये नंगी फ़ोटो मैंने तुम्हारे खिड़की से हटने के बाद खींची थी। क्या मस्त पोज दिया है ना तुम्हारी मम्मी ने। असल में ज़्यादा चढ़ गयी थी उसको दारू।

मालिनी को समझ नहीं आया कि वो कैसे इस बात का आवाज़ दे वह बोली: पापा जी ये फ़ोटो आप प्लीज़ डिलीट कर दीजिए।

राजीव: ज़रूर कर दूँगा जब तुम मुझे मिल जाओगी। अभी तो वो मेरे मूठ्ठ मारने के काम आएगी । वैसे तुम निश्चिन्त रहो ये मेरे पास सुरक्षित है। वैसे एक बात बताओ कल जो तुमने खिड़की से देखा , उसके बाद भी तुमको लगता है कि ज़िंदगी मज़े लेने के लिए नहीं तो और किसके लिए बनी है। देखा नहीं कि सरला ने कितना मज़ा लिया। वो एक एक पल का आनंद ले रही थी। हम दोनों भी बहुत मज़ा लिए तुमने देखा ही था।

मालिनी उठकर जाने लगी तो वह उसे पकड़कर बिठा लिया और बोला:बहु बात करोगी तभी तो बात बनेगी । ऐसे उठकर चली जाओगी तो फिर हम आगे कैसे बढ़ेंगे। अच्छा एक बात बताओ कि तुम और शिवा चुदाई करते हो तो उसमें ज़्यादा वेरायटी तो नहीं होती होगी ना? वही रोज़ रोज़ एक या दो आसनों में चुदाई करती होगी। जब तुम किसी और से चुदवाओगी तो तुमको एक अजीब सा मज़ा मिलेगा और वेरयटी भी मिलेगी। हर आदमी का चोदने का एक अपना तरीक़ा होता है और फिर लौड़े और बुर भी अलग अलग नाप और बनावट की होतीं हैं। इसलिए लोग पार्ट्नर बदल कर मज़े लेते है। कुछ समझ में आया मेरी प्यारी बहु रानी।

मालिनी पापा की बातें वो भी इतने खुले और अश्लील शब्दों में सुनकर हक्की बक्की रह गयी। वो बोली: पापा जी आप मुझसे इतनी गंदी भाषा में बात कैसे कर रहे हैं। मुझे बहुत अजीब लग रहा है।

राजीव: बहु , जब तुम खिड़की से अपनी मम्मी को चुदवाते देख सकती हो वो भी मुझसे और अपने ताऊ जी से तो ऐसी बातें तो मैं कर ही सकता हूँ। सच बताओ तुमने हमारी चुदाई देखकर अपनी बुर नहीं मसली क्या? या शिवा से उसी समय नहीं चुदवाई? दोनों में से एक काम तो किया ही होगा।

मालिंनि क्या बोलती, सच तो ये है कि उसने दोनों ही काम किया था, बुर भी मसली थी और चुदायी भी की थी । पर वह सामने से बोली: पापा जी आप ये कैसी बातें कर रहे हैं? मुझे जाने दीजिए। वह अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की।

राजीव: बहु क्यों तड़पा रही हो? मान जाओ और मज़े लो मुझसे और मुझे भी मज़ा दो। ये कहकर वो उसकी चूचि दबाने लगा। अब मालिनी की बुर गीली होने लगी पर वह विरोध करके उठी और राजीव के हाथ को अपनी चूचि से हटायी और बोली: पापा जी प्लीज़ अभी नहीं । मैं अभी तय्यार नहीं हूँ। यहकहकर वो अपने कमरे में चली गयी। वह महसूस की उसकी छातियाँ पापा के बातों से वह बहुत उत्तेजित हो चली थीऔर निप्पल्स कड़े हो गए थे। उसने अपनी बुर दबाई और बिस्तर पर लेट गयी।

उसने शिवा को फ़ोन लगाया: हेलो, आपने उनको बस चढ़ा दिया ना?

शिवा: हाँ जानू चढ़ा दिया। और क्या हाल है? उनकी याद आ रही है क्या?

मालिनी: हाँ एक दो दिन तो याद आएगी ना।

शिवा: तुम्हारे दोस्त का फ़ोन आया था।

मालिनी: मेरा दोस्त? मेरा कौन सा दोस्त पैदा हो गया?

शिवा हँसकर :वही असलम का यार। कह रहा था कब आएँगे खाना खाने। मैंने कह दिया कि तुमसे पूछ कर बताऊँगा।

मालिनी: हाँ हाँ आप तो मरे जा रहे हो ना आयशा को खाने के लिए। मेरा नाम क्यों लेते हो?

शिवा: अरे यार मैंने तो ऐसे ही कह दिया टालने के लिए। तुम ना जाना चाहो तो कोई ज़बरदस्ती थोड़े ना ले जाऊँगा

मालिनी: चलिए अब रखती हूँ।

राजीव अपने कमरे में बैठा सोच रहा था कि ये लड़की तो बहुत मुश्किल से पटेगी लगता है ।

उसके बाद कुछ दिन और कुछ नया नहीं हुआ। राजीव ने एक नया व्यवहार शुरू कर दिया था। वह अक्सर किचन में जाकर मालिनी को पकड़कर चूम लेता था और अक्सर उसकी चूचि आराम से दबा देता था। कभी कभी वह उसकी बुर और गाँड़ भी दबा देता था। मगर मालिनी हर बार उसका विरोध भी करती थी। इसी तरह चल रहा था। मालिनी अभी भी दुविधा में थी कि क्या करे और क्या ना करे।

उस दिन मालिनी और राजीव दोपहर का खाना खा रहे थे तभी राजीव का मोबाइल बजा। क्योंकि वह खाना खा रहा था उसने फ़ोन को स्पीकर मोड में डालकर कहा: हेलो। कौन बोल रहा है? मालिनी ने भी देखा कि कोई नाम नहीं आ रहा था सिर्फ़ नम्बर था।

उधर से एक लड़की जी आवाज़ आयी: अंकल मैं नूरी बोल रही हूँ।

एक मिनट के लिए राजीव उसे नहीं पहचान पाया और बोल पड़ा: कौन नूरी?

नूरी: ओह आप मुझे भूल भी गए। वाह कैसे पापा हैं आप मेरे बेटे के?

राजीव को अचानक याद आया कि ये तो वही नूरी है जिसे उसने प्रेगनेंट किया था और उसे एक बेटा भी हुआ था। वह बोला: अरे सॉरी नूरी भूल गया था। कैसी हो तुम? और हमारा मुन्ना कैसा है?

अब मालिनी ने चौंकने की बारी थी ।पापा का “हमारा मुन्ना” कहना उसे चौंका गया था। वो ध्यान से सुनने लगी।

नूरी: अंकल मैं भी बढ़िया हूँ और हमारा बेटा भी। बिलकुल आपके ऊपर गया है। आपके जैसा ही दिखता है। और स्वभाव भी आपके जैसा है।

राजीव: अरे दो साल का लड़का कैसे मेरे ऊपर गया है ?

नूरी: वो भी आपके जैसे मेरे दूध चूसता था। अब तो मैंने छुड़ा दिया है। हा हा ।

राजीव: हा हा बदमाश हो तुम। अच्छा बताओ कैसे याद आयी हमारी?

नूरी: मतलबी हूँ ना इसलिए मतलब से याद किया।

राजीव: तुम्हारी ये बात मुझे बहुत पसंद है कि साफ़ साफ़ बात करती हो। बोलो क्या काम है? तुम्हारा पति कैसा है?

नूरी: वो बहुत अच्छें हैं और उनका काम भी अच्छा चल रहा है । मैंने आपको इस लिए फ़ोन किया हाँ कि मेरे पति और ससुराल वालों को एक और बच्चा चाहिए। मैंने समझाने की बहुत कोशिश की पर सब अड़े हुए हैं। मैंने मजबूर होकर आपको फ़ोन किया।

राजीव: अरे तो क्या हुआ, बेबी। आख़िर तुम हमारी जान हो और अपनी हो। पर आजकल तुम हो कहाँ?

नूरी: मैं दिल्ली में रहती हूँ। पर आपसे मिलने मैं आपके शहर आ सकती हूँ , वहाँ एक मेरी आंटी रहती है। आपके दोस्त का फ़्लैट अब भी है क्या जहाँ हम मस्ती करते थे? वहीं अब भी मस्ती हो सकती है।

मालिनी स्तब्ध रह गयी की क्या कोई शादीशुदा लड़की अपने बाप की उम्र के आदमी से ऐसे बात कर सकती है।

राजीव: नहीं उसने वह फ़्लैट बेच दिया। अब तुमको मेरे घर पर ही आना पड़ेगा।

नूरी: आप अकेले रहते है क्या? आंटी कहाँ गयीं?

राजीव: तुम्हारी आंटी भगवान के घर चली गयीं। लेकिन अब मेरे साथ मेरा बेटा और बहु रहते हैं। बेटा तो दिन भर दुकान में रहता है और बहु घर पर ही रहती है।

नूरी: ओह तब तो गड़बड़ हो गया ना? मैं तो रोज़ आंटी के यहाँ से आपसे मिलने के लिए २ घंटे निकाल लूँगी पर आपके घर में तो बहु होगी ना। फिर कैसे होगा? आपको कोई जगह का इंतज़ाम करना पड़ेगा।

राजीव ने मालिनी को देखते हुए कहा: बेबी , मेरी बहु बहुत अच्छी है । जब मैं उसे ये बताऊँगा कि मैं तुमको माँ बनाने के लिए चोद रहा हूँ, तो वो बात को समझ जाएगी और हमारी मदद करेगी।

नूरी: आप बिलकुल नहीं बदले। आपको अभी भी चुदाई शब्द का बहुत शौक़ है। हा हा । पर आपकी बहू इसमेंआपकी मदद करेगी वो बात मेरे गले नहीं उतर रही। सच सच बताइये कि आप कहीं उसकी भी चुदाई तो नहीं कर रहें हैं?

राजीव मालिनी को आँख मारते हुए: नहीं नहीं सच में ऐसी कोई बात नहीं है। वो बहुत ही अच्छी लड़की है। वह सबकी मदद करती है, जब मैं उसे पूरी बात बताऊँगा कि तुम्हारा पति तुमको माँ नहीं बना सकता है और तुमको मेरी इसमें मेरी मदद चाहिए, तो वो तुम्हारी भी मदद करेगी।

मालिनी पापा की बात सुनकर हैरानी से भर गयी। उस लड़की को मेरे ही घर में चोदने के लिए वो मेरी मदद माँग रहे हैं। हे भगवान। इस आदमी का मैं क्या करूँ?

नूरी: तो आप अपनी बहु से बात करके मुझे बता दीजिए। असल में मेरे अन्सेफ़ पिरीयड कल से ही शुरू हो रहा है। अगर आप हाँ करोगे तो मैं कल ही फ़्लाइट से आकर दोपहर में आपसे मिलने हा हा नहीं चुदवाने आ सकती हूँ। हाँ मेरे साथ मेरा बेटा भी होगा। मैं दस बारह दिन का प्रोग्राम बनाऊँगी। इतने दिनों में तो आप मुझे प्रेगनेंट कर देंगे ना?

राजीव मालिनी को देखकर मुस्कुराकर बोला: अरे अभी कुछ महीने पहिले ही एक लड़की को एक महीने की चुदाई में माँ बना दिया है। फिर स्पीकर पर हाथ रख कर मालिनी से बोला: मैं रानी की बात कर रहा हूँ। मालिनी का चेहरा लाल हो रहा था। वह चुपचाप सुन रही थी। उसने अपना मुँह घुमा लिया।

नूरी: ओह तब तो मेरा काम भी हो जाएगा, अंकल , तो फिर कब फ़ोन करूँ आपको? आप अपनी बहु से बात करके बता दीजिए।

राजीव: अरे बेबी, मैं उससे बात करके थोड़ी देर में फ़ोन करता हूँ। अब सच बोलूँ , तुम्हारी टाइट बुर को याद करके मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है। उफफफ क्या मज़े से चुदवाती थी तुम।

नूरी: अंकल, मेरा भी बुरा हाल है आपसे बात करके। मेरी भी बुर गीली हो रही है। क्या मज़ा करते थे हम? दो दो घंटे चुदाई करते थे। चलो ठीक है , मैं आपके फ़ोन का इंतज़ार करती हूँ। बाई।

राजीव: बाई मेरी जान।

राजीव उठा और उसकी लूँगी का उभार मालिनी को जता दिया कि वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है नूरी से बात करके। वह वाशबेसिन में हाथ धोया खाना ख़त्म करके। मालिनी भी उठकर किचन में जाकर बर्तन रखी और हाथ धोते हुए सोचने लगी। क्या ये सब जो वो सुन रही है ये सम्भव है? एक लड़की माँ बनने के लिए अपने पति को धोका दे सकती है। वह फिर अपने पति से कैसे आँख मिला पाती होगी। पर ये सब सुनकर उसे उत्तेजना क्यों हो रही है। उसने अपनी बुर खुजायी और बाहर आयी। वो जानती थी की पापा अब उससे उसकी हामी के लिए पूछेंगे। पता नहीं क्या हो रहा है इस घर में।

वो किचन से बाहर आयी तो राजीव सोफ़े पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था। वह बोला: बहु आओ बैठो तुमसे नूरी के बारे में बात करनी है । मालिनी चुपचाप उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी। आज उसने सलवार कुर्ता पहना था। उसकी चुन्नी सलीक़े से उसकी बड़ी छातियों को ढकीं हुई थी।

राजीव बोला: बहु , आज मैं तुमको एक बात बताऊँगा जो कि सिर्फ़ कुछ लोगों को मालूम है, जैसे तुम्हारी मम्मी को। दरअसल में मैंने अब तक रानी को मिलाकर कुल चार लड़कियों को माँ बनाया है। नूरी को तो उसकी माँ लेकर आयी थी मेरे पास चुदवाने के लिए। इसके पहले भी एक और लड़की को उसकी सास लेकर आयी थी जिसे मैंने मॉ बनाया था।

मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया। वो बोली: मा और सास अपनी बेटी और बहु लेकर आयीं थीं आपके पास इस काम के लिए? क्या हो गया है दुनिया को?

राजीव: बहु, हमारे समाज में माँ नहीं बन पाने का दोष सिर्फ़ लड़की को दिया जाता है। यहाँ तक कि लड़के की दूसरी शादी की बात भी होने लगती है। फिर लड़की और उसकी माँ क्या करें? वो मेरे जैसे आदमी की मदद लेती हैं और कुछ लड़कियाँ अगर घर में ही कोई ज़ेठ या देवर या ससुर हो तो उनसे ही चुदवा कर माँ बन जाती हैं और कुछ पड़ोसी या मेरे जैसे किसी जान पहचान वाले से चुदवा लेती हैं माँ बनने के लिए। समझी तुम?

मालिनी: ओह, मैं तो ऐसा कुछ होता है सोच भी नहीं सकती थी।

राजीव: अब तुमने सुना ही है कि नूरी के ससुराल वालों को दूसरा बच्चा चाहिए। अब उसका पति हालाँकि उसे चोदकर संतुष्ट कर लेता है पर स्पर्म की कमज़ोरी के कारण उसे माँ नहीं बना सकता। अब बताओ वो क्या करे?

मालिनी: ओह , तो ये बात है।

राजीव: हाँ बहू यही बात है। अब तुम उसकी मदद कर दो और अगर उसे यहाँ दो घंटे के लिए आने दो और मुझसे चुदवाने दो तो उस बेचारी को माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा और मुझे भी फिर से एक जवान बदन को चोदने का सुख मिलेगा।

ये कहकर वो खड़ा हुआ और उसकी लूँगी में से खड़ा लौड़ा मालिनी की आँखों के सामने था। वह आकर मालिनी के पास बैठा और उसकी जाँघ सहला कर बोला: बहु, प्लीज़ हाँ कर दो। देखो मैं भी कैसे मरा जा रहा हूँ उसको चोदने के लिए। यह कहकर उसने अपनी लूँगी खोली और अपना लौड़ा हवा में झुलाकर उसको दिखाने लगा। मालिनी इतने पास बैठी थी कि उसे पापा के लौड़े की गंध भी आ रही थी। उसकी बुर भी बुरी तरह से गीली होने लगी।

वो बोली: ठीक है पापा जी आप आने दीजिए उसको। और उसकी और अपनी इच्छा पूरी कर लीजिए।

राजीव ख़ुशी से भर कर बोला: आह बहु , तुमने मुझे ख़ुश कर दिया । थैंक यू बहु । तुम बहुत अच्छी हो सच में। यह कहकर वो उसको अपनी बाँह में दबाकर चूम लिया। मालिनी इस अचानक हमले के किए तय्यार नहीं थी। फिर वह उसकी चुन्नी हटाकर उसकी एक चूची दबाने लगा। मालिनी कसमसाते हुए बोली: पापा जी छोड़िए ना प्लीज़।

मगर राजीव ने उसका हाथ अपने लौंडे पर रखा और उसके हाथ को दबाकर मूठ्ठ मारने लगा। उसके गरम लौड़े का स्पर्श उसे भी पागल करने लगा। वह अब दूसरी चूची दबाने लगा। मालिनी का हाथ अभी भी उसके लौड़े पर ही था और वह अभी भी अपने हाथ से उसे दबाकर मूठ्ठी मार रहा था।

मालिनी: आऽऽऽंहहह पापा जी छोड़िए ना।

राजीव ने करीब गिड़गिड़ाते हुए कहा: बहु, प्लीज़ एक बार मेरा पानी गिरा दो। आऽऽऽह बहुत अच्छा लग रहा है।

मालिनी समझ गयी कि बिना झड़े वो शांत नहीं होगा, तो उसने हार मान ली और अब उसके लौड़े को ख़ुद ही मुट्ठी में जकड़ कर हिलाने लगी। अब राजीव ने अपना हाथ वहाँ से हटाया और बहु की दोनों चूचियाँ दबाने लगा। मालिनी ने शर्म और उत्तेजना से अपनी आँखें बंद कर लीं और ज़ोर ज़ोर से अपने हाथ हिलाने लगी। तभी राजीव ने उसकी क़ुर्ती उठाई और सलवार के ऊपर से उसकी बुर को सहलाने लगा और उसने पाया कि वो इतनी गीली थी जैसे उसने पेशाब कर दिया हो। उसने दो उँगलियाँ सलवार के पतले कपड़े से ही उसकी बुर में डाल दीं।

मालिनी अब उइइइइइइ करके उसका लौड़ा हिलाती रही और अनजाने में अपनी कमर भी हिलाने लगी। फिर अचानक उसे लगा कि पापा आऽऽऽहहहह कर रहे हैं तो उसने आँख खोली और देखा कि उसी समय उनका लौड़ा झटका मारकर पानी छोड़ने लगा। वीर्य गाढ़ा सा काफ़ी दूर तक ज़मीन में फैल गया और उसका हाथ भी उससे गीला हो गया। तभी वो भी पापा की उँगलियों में झड़ने लगी। ऐसा पहली बार हुआ था कि वो अपने पति के अलावा किसी और से ये सब की थी।

वो चुपचाप से उठी और अपराध बोध से भरकर वह अपने कमरे में आ गयी और बाथरूम में जाकर अपने हाथ को धोने का सोची। तभी फिर उस दिन जैसे उसने पापा के वीर्य को सूँघा और फिर पता नहीं उसे क्या हुआ कि वह अपने हाथ को चाटने लगी। उफफ़ग़फ उसे क्या हो रहा है? वो इतनी कामुक कैसे होती जा रही है? ये सब सही है क्या? शिवा को ये सब पता चलेगा तो उसपर क्या बीतेगी? आऽऽऽह वह क्या करे। वह टोयलेट की सीट पर बैठकर मूतने लगी। फिर सफ़ाई करके बाहर आयी और बिस्तर पर लेट गयी। उसकी आँख लग गयी।

थोड़ी देर में राजीव अंदर आया और उसके पास आकर वह उसके माथे पर हाथ फेरा। वह हड़बड़ा कर उठने की कोशिश की। पर राजीव ने उसे कंधे दबाकर ज़बरदस्ती लेटे ही रहने को कहा। वो बोला: तो बहु, मैं नूरी को बोल दूँ ना कि वो कल से आ सकती है। देखो बाद में अपना इरादा बदल नहीं लेना।

मालिनी धीरे से बोली: ठीक है ।

राजीव: तो मैं उसे बोल देता हूँ। पर उसका बेटा भी तो आएगा, उसे तुम थोड़ी देर सम्भाल लोगी ना जब हम चुदाई करेंगे।

मालिनी: ठीक है पापा जी मैं उसे भी संभाल लूँगी।

राजीव ख़ुश होकर उसके गाल को चूम लिया। फिर वह नूरी को फ़ोन लगाया। फ़ोन को इसने स्पीकर मोड में रखा। राजीव: हेलो बेबी।

नूरी: जी अंकल क्या बोली आपकी बहू। वैसे उसका नाम क्या है।

राजीव मालिनी के माथे को सहलाते हुए बोला: उसका नाम मालिनी है और वह बहुत ही प्यारी बच्ची है। और हाँ वो मान गयी है और जिस समय हम चुदाई करेंगे वो हमारा बच्चा भी सम्भालेगी।

नूरी: सच में मालिनी बहुत अच्छी लड़की है, क्या आप मेरी उससे बात करवा देंगे?

राजीव : हाँ अभी करवाता हूँ। उसने मालिनी को फ़ोन दिया।

मालिनी ने हिचकते हुए कहा: हेलो।

नूरी: हेलो मालिनी, मैं तुमको थैंक्स कहना चाहती हूँ। तुम मेरी मदद करोगी और मुझे सम्मान से जीने का अवसर दोगी। सच में तुम बहुत अच्छी लड़की हो। भगवान तुम्हें सब ख़ुशियाँ दे।

मालिनी : अरे नहीं नहीं आप ज़्यादा सोचो मत । आप आओ और बाक़ी बच्चे को मैं संभाल लूँगी।

नूरी ख़ुश होकर: ठीक है तो फिर कल मिलते हैं। बाई ।

राजीव ने फ़ोन लेकर नूरी को कहा: अब तो कल मिलोगी ना बेबी।

नूरी: जी तीन बजे दोपहर में आती हूँ आपके पास । ठीक है?

राजीव मुस्कुरा कर अपना लौड़ा दबाया और बोला: बिलकुल बेबी मैं तो बस अब बेकरार हूँ तुमसे और हमारे बेटे से मिलने के लिए। अच्छा अब रखता हूँ। बाई ।

राजीव अब मालिनी को देखा और बोला: बहु आज मैं तुम्हारा ऋणी याने क़र्ज़दार हो गया। थैंक यू। वह झुका और उसके गाल चूम लिया और बाई कहकर उसे आराम करने को कहा और अपने कमरे में चला गया।

मालिनी आज दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचते हुए सो गयी।

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04-09-2017, 04:25 PM,
#60
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
Weekend ka update to banta hai doston ----

उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को शिवा ने मालिनी को दो राउंड चोदा। मालिनी चुदाई करवाते हुए सोच रही थी कि शिवा कितने प्यार से उसे चोद रहा है, आख़िर मैं उसे कैसे धोका दे सकती हूँ। आज शिवा भी तेल लगाकर उसकी गाँड़ में दो उँगलियाँ डालकर मालिनी को मज़े से भर रहा था। मालिनी भी अपनी कमर उछालकर मज़े ले रही थी। चुदाई के बाद दोनों संतुष्ट होकर लिपट कर सो गए। मालिनी शिवा को दिन भर की घटनाओं के बारे में कुछ भी बता नहीं पाई।

अगले दिन मालिनी सुबह फ़्रेश हुई और ब्रा पहनकर नायटी पहनी और किचन जाकर चाय बनाई। राजीव के कमरे में आवाज़ दी कि वो चाय पी ले।

राजीव बाहर आया और उसके हाथ में एक प्लास्टिक का थैला था। वो बोला: देखो बहु तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ?

मालिनी: क्या लायें हैं पापा जी?

राजीव: बहु आज मोर्निंग वॉक से आ रहा था तो हलवाई जलेबियाँ और कचौरी निकाल रहा था। वही ले आया। मुझे सरला ने बताया कि तुमको ये पसंद है। तुमने तो कभी बताया ही नहीं।

मालिनी हँसकर: पापा जी आपने कभी पूछा ही नहीं।

वह राजीव के हाथ से थैला लेकर किचन में जाकर प्लेट में डालकर लाई। राजीव ने लाड़ दिखाते हुए उसके मुँह के पास एक जलेबी रखी और बोला: लो बहु एक मेरे हाथ से खाओ।

मालिनी हँसती हुई मुँह खोली और बोली: नूरी के आने की ख़ुशी में। वह जलेबी खाते हुए बोली: आपने उसे मेरा नम्बर दिया है शायद। उसका sms आया है कि वो दिल्ली से जहाज़ में बैठकर निकल चुकी है। उसका जहाज़ अभी एक घंटे में आ जाएगा। वह हमारे घर ३ बजे तक आएगी।

राजीव: हाँ मुझे भी यही sms आया है। उसकी आंटी उसे लेने एयरपोर्ट पहुँचेगी। चलो शाम को मज़ा आएगा। उसने आँख मारते हुए कहा।

मालिनी चाय के कप रखने किचन में गयी तो वह भी उसके पीछे पीछे गया और वहाँ जाकर मालिनी को पीछे से पकड़कर अपने से चिपका लिया। उसके पेट के हिस्से को सहला कर बोला: सच में तुम बहुत ही प्यारी लड़की हो, पर पता नहीं मुझसे दूर दूर क्यों रहती हो।

मालिनी अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की और उसके चूतर उसके लौड़े से रगड़ गए। वह बोला: अच्छा बताओ कल रात शिवा ने चुदाई की थी?

मालिनी: आऽऽऽह छोड़िए ना प्लीज़।

राजीव: बताओ ना चोदा कि नहीं उसने?

मालिनी ने महसूस किया कि उसका लौड़ा अब उसे चुभने लगा है। वो बोली: उफफफफ आप भी ना। हाँ दो बार किया था। बस अब छोड़िए।

राजीव: दो बार क्या किया था?

मालिनी: आऽऽहहह चुदाई की थी और क्या करते हैं।

राजीव: और भी बहुत कुछ करते हैं। जैसे बुर चूसते हैं । वो चूस था तुम्हारी इस प्यारी सी मुनिया को? उसने नायटी के ऊपर से उसकी बुर को दबाकर पूछा?

मालिनी: उइइइइइ हाँ चूसे थे। हमेशा चूसते है। छोड़िए ना प्लीज़।

उसने मालिनी का हाथ पकड़कर अपने खड़े लौड़े पर रखा और बोला: और तुमने उसका ये यानी लौड़ा चूसा था?

मालिनी: आह्ह्ह्ह्ह्ह पापा जी छोड़िए ना। हाँ चूसा था और हमेशा चूसतीं हूँ।

राजीव: आऽऽऽऽऽऽह बहु मेरा कब चूसोगी?

वो बोली: कभी नहीं। मैं अपने पति को धोका नहीं दे सकती।

राजीव अभी भी उसका हाथ पकड़कर उससे अपना लौड़ा दबवा रहा था। वह उसकी बुर दबा कर बोला: अच्छा कोई बात नहीं मेरा मत चूसो पर मुझसे यह अपनी मुनिया तो चूसवा सकती हो बहु रानी।

मालिनी: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ छोड़िए। मैं कयों चूसवाऊँ? आप नूरी का चूसो ना। मम्मी का भी तो चूसते हो आप।

राजीव हँसकर: अरे भाई आज जलन की बू आ रही है। अरे तुम मेरी बन जाओ तो ये नूरी और मम्मी को मैं घर में घुसने ही नहीं दूँगा। अभी हाँ करो और अभी नूरी को मना करता हूँ।

मालिनी हँसकर: वाह बेचारी दिल्ली से सिर्फ़ आपसे चु- मतलब करवाने आ रही है और आप ऐसा बोल रहे हो? मालिनी की बुर आज सबेरे से ही खुजाने लगी थी, पापा जी की हरकतों के कारण।

राजीव उसके गाल चूमकर; क्या करवाने आ रही है?

मालिनी हँसकर उसके लौड़े को दबाकर बोली: इससे करवाने मतलब चुदवाने आ रही है। चलिए अब छोड़िए इनको भी उठाना है। बस बहुत हो गई आपकी ज़बरदस्ती और फ़ालतू की मस्ती।

राजीव उसको एक बार और अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठ चूमा और फिर उसे छोड़ते हुए बोला: भगवान सब देख रहा है कि तुम इस ग़रीब पर कितना ज़ुल्म ढा रही हो, पाप लगेगा इस बिचारे को सताने का। वह अपने लौड़े को मसल कर बोला।

मालिनी भी हँसकर: वाह , एक आप ग़रीब और दूसरा ये बेचारा? वाह । वह उसके लौड़े को इशारा करके बोली।

फिर दोनों हँसने लगे। राजीव ने नोटिस किया कि अब मालिनी इस तरह की बातों से विचलित नहीं हो रही है जैसे कि पहले हो जाती थी। उसका कमीना मन यह सोच कर ख़ुश था कि लौंडिया फँस रही है।

उधर मालिनी सोची कि वह पापा जी से ज़रा ज़्यादा ही खुलकर बात करने लगी है। ओह उसे क्या हुआ जा रहा है वह अब पापा जी से चुदाई जैसे शब्द बोलने में भी संकोच नहीं कर रही है। और उसकी बुर को क्या हुआ जा रहा है जो बात बात पर गरम हो जाती है। उफफफफ मैं किस चक्रव्यूह में फँसी जा रही हूँ। वह सोचते हुए शिवा की चाय बनाई और उसे उठाने के किए कमरे में गयी। वो पूरा नंगा सो रहा था। उसने उसे प्यार से देखा और उठाकर चाय पीने को कहा। वह उसे बाहों में अपने ऊपर खींचकर उसे चूमा और गुड मॉर्निंग बोला। वह भी उसे प्यार की और फिर वह फ़्रेश होने के लिए चला गया।

नाश्ता आराम से निपट गया और शिवा अपने काम पर चला गया। तभी नूरी का फ़ोन आया।

मालिनी: हेलो।

नूरी: हाय कैसी हो? मैं तो आंटी के घर में हूँ। आंटी यहाँ अकेली रहती हैं। वो स्कूल में टीचर हैं। वो स्कूल चली गयी हैं। यहाँ बस एक नौकरानी है। मैं बोर हो रही हूँ।

मालिनी: तो आ जाओ अभी । क्या दिक़्क़त है। खाना हमारे साथ खा लेना।

नूरी: सच में अभी आ जाऊँ? आंटी शाम को पाँच बजे आएँगी। इसलिए मैं चार बजे भी निकलूँगी तुम्हारे घर से तो भी हो जाएगा।

मालिनी: अभी आ जाओ। ठीक है?

नूरी: तुम बहुत अच्छी हो। तुमसे मिलने की बड़ी इच्छा है।

मालिनी हँसकर: मुझसे या पापा जी से ? हा हा ।

नूरी भी हँसकर: दोनों से ही। अच्छा आती हूँ एक घंटे में ।

मालिनी ने फ़ोन रखा और राजीव के कमरे में बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी।

मालिनी ने देखा कि पापा जी ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने दरवाज़े को धक्का दिया और देखा कि कमरा ख़ाली है। बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर वह बाथरूम के दरवाज़े को खटखटाई और ज़ोर से बोली: पापा जी, नूरी अभी एक घंटे में ही आ जाएगी। ठीक है ना?

उसी समय दरवाज़ा खुला और सामने राजीव पूरा नंगा खड़ा था। उसका मर्दाना बदन पानी से भीगा हुआ था। उसका लौड़ा लटकते हुए भी बहुत सेक्सी लग रहा था। उसके नीचे दो बड़े से बॉल्ज़ भी बहुत प्यारे लगे मालिनी को। वह शर्माकर पलट गयी और बाहर जाते हुए बोली: बस आपको बताना था कि नूरी अभी एक घंटे में आ जाएगी।

राजीव: इतनी जल्दी? वो तो दोपहर को आने वाली थी ना।

मालिनी उसकी बात का जवाब देने को पलटी और फिर से उसे नंगा देखकर झेंपकर बोली: हाँ वो अकेली है और ख़ाली है इस लिए अभी ही आना चाहती है और मैंने हाँ कर दी है। उसने एक नज़र उसके मस्त कसरती बदन को देखा और फिर बाहर जाते हुए बोली: मैं भी नहा लेती हूँ।

राजीव: अरे बहु सुनो तो एक मिनट।

मालिनी जाते हुए फिर रुकी और पलट कर बोली: जी बोलिए।

वह मुस्कुरा कर बोला: आओ ना साथ में ही नहाते हैं। मज़ा आ जाएगा। सच में बिलकुल तंग नहीं करूँगा। वह अपने लौड़े को हिलाकर बोला।

मालिनी: धत्त पापा जी आप भी कुछ भी बोलते रहते हैं। मैं जा रही हूँ। अब वह अपने कमरे में आइ और बाथरूम में जाकर कपड़े उतारते हुए उसे पापा जी का मस्त बदन और उनके मोटे मोटे बॉल्ज़ नज़र आ रहे थे। वह सोची की पापा जी के बॉल्ज़ में कितना रस भरा हुआ है जो कि वो सब लड़कियों को माँ बना देते हैं। उसने अपनी गीली हो रही बुर को सहलाया और सोची कि आज वो तो नूरी की प्यास बुझाएँगे। उसके मन में ये सोचकर थोड़ी सी जलन हुई जिसका कारण वह ख़ुद ही नहीं समझ पाई। वो नहाने लगी।

आज मालिनी ने पहली बार घर में मम्मी का लाया हुआ टॉप और स्कर्ट पहना। वह शीशे में अपने आप को देखी। वह बला की ख़ूबसूरत दिख रही थी। टॉप उसकी छातियों को ढके हुए था और वो दोनों उभारों को और भी उभार रहे थे। स्कर्ट भी शालीन ही था। उसके घुटनो से थोड़ा नीचे तक आ रहा था। आज उसने पैंटी पहन ली थी। वो नहीं चाहती थी कि नूरी उसे बिना पैंटी के देखे। फिर उसने अपनी छातियों को छुपाने के लिए एक जैकेट सा पहना। अब सब ठीक था। जैकेट में चेन लगी थी । वो बाहर आयी और कमला को खाना बनाने में मदद करने लगी।
थोड़ी देर बाद कमला चली गयी। वह किचन से बाहर आइ तभी राजीव बाहर आए। उन्होंने लूँगी बनियान ही पहनी थी। वो मालिनी को देखकर बोले: वाह आज तो बहुत सज रही हो बहु। ऐसे ही रहा करो। बहुत प्यारी लग रही हो। फिर वो मालिनी के पास आकर बोले: ये जैकेट क्यों पहनी हो? क्यूँ मस्त छातियों को छुपा रही हो। चलो निकालो इसे। यह कहते हुए उसने उसकी जैकेट की चेन नीचे को खिंची और जैकेट के दोनों पल्ले अलग हो गए। और मस्त उभरी हुई छातियाँ उसके सामने आ गयीं जो कि टॉप के ऊपर से बहुत ही मादक लग रहीं थीं।

मालिनी ने विरोध किया पर उसकी एक ना चली। फिर राजीव ने उसके दोनों चूचियों को दबाया और बोला: इनकी सुंदरता इनको दिखाने में है बहु । इस तरह जैकेट में छिपाने में नहीं है।
मालिनी उसके हाथ हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापा जी छोड़िए ना। नूरी आने वाली है । उसकी मसल दीजिएगा। मुझे बक्श दीजिए।

राजीव हँसने लगा और अपना हाथ उसकी चूचियों से हटा लिया पर उसने उसका जैकेट तो उतार ही दिया था । मालिनी जैकेट को अपने कमरे में रखने के लिए जाने के लिए जैसे ही पलटी राजीव की आँख उसकी गाँड़ के ऊपर चुस्त स्कर्ट से झलक रही पैंटी के किनारों पर पड़ी। वह फिर उसको कमर से पकड़ लिया और उसकी गाँड़ को दबाते हुए बोला: बहु आज पैंटी क्यों पहन ली? तुमने तो घर में पहनना छोड़ दिया था ना?

मालिनी झल्लाती हुई: पापा जी क्या स्कर्ट के नीचे भी पैंटी ना पहनूँ? साड़ी या सलवार के नीचे ना पहनूँ तो चल जाता है पर स्कर्ट के नीचे तो पहनना ही पड़ता है।

राजीव: अरे बहु क्यों पहनना पड़ता है? आख़िर मैं अकेला ही तो हूँ तो घर में और वैसे भी तुम्हारी बुर देखने के लिए मरा जा रहा हूँ। तुम ऐसे तो दिखाती नहीं हो, शायद ग़लती से ही दिख जाए तो मज़ा आ जाए।

मालिनी: आपको अपना सब कुछ दिखाने वाली आ रही है अभी। उसका सब देख लेना। चलिए अब छोड़िए मुझे।

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर बोला: बहु तुमसे एक रिक्वेस्ट है, मानोगी?

मालिनी: बोलिए। वो अब राजीव की हरकतों से गरम हो रही थी उसका हाथ अभी भी उसकी गाँड़ की गोलाइयों को दबा रहा था।

वह बोला: बहु आज भी मैंने एक पल्ला खिड़की का खोल दिया है। मैं चाहता हूँ कि तुम आज हमारी चुदाई देखो।

मालिनी सन्न रह गयी। उफफफफ कितना खुलकर ऐसी गंदी बातें करते हैं। वो कुछ नहीं बोली।

वो फिर से बोला: देखोगी ना हमारी चुदाई? मैं ऐसा करता हूँ कि जब तुमको बुलाना होगा तो मैं तुमको एक मिस्ड कॉल दूँगा। तुम समझ जाना कि तुम्हारे लिए मेरा शो चालु हो गया है। बोलो आओगी ना? अब वह उसकी गाँड़ मसलता हुआ उसके गाल भी चूमने लगा।

मालिनी ने अब छूटने का प्रयत्न किया और बोली: पता नहीं।

तभी कॉल बेल बजी। मालिनी बोली: नूरी आ गयी लगता है।

राजीव: आने दो उसे, जब तक तुम नहीं बोलोगी कि तुम आकर देखोगी खिड़की से मेरी मिस्ड कॉल के बाद, मैं नहीं छोड़ूँगा।

मालिनी: अच्छा ठीक है छोड़िए ना , आ जाऊँगी देखने । बस अब छोड़िए ना।

राजीव ने उसे चूमा और छोड़ दिया। उसने अपने बदन के कपड़े ठीक किए और दरवाज़ा खोली।सामने एक भरे बदन की बहुत गोरी अच्छे नाक नक़्श की एक लड़की अपनी गोद में एक बच्चा लेकर खड़ी थी। बच्चा सो रहा था ।

मालिनी: नूरी दीदी?

नूरी: हाँ और तुम मालिनी?

मालिनी: जी दीदी । आइए प्लीज़।

वह अपना एक बैग और पर्स लेकर आयी और बोली: इसे कहाँ सुला दूँ?

मालिनी: मेरे कमरे में सुला दीजिए।

नूरी ने बच्चे को बिस्तर पर लिटाया और फिर सीधी खड़ी हुई और मालिनी को गले लगा ली। मालिनी की गोल पुष्ट छातियाँ उसकी पहाड़ जैसी छातियों से टकरा रहीं थीं। नूरी ने एक टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी दिख रही थी और नीचे उसने जींस पहनी थी जो उसके विशाल चूतरों से चिपकी हुई थी। फिर नूरी बोली: यार तीन साल पहले मेरा फ़िगर भी तुम्हारे जैसा ही था जब मैं अंकल से मिली थी। बच्चा होने के बाद शरीर काफ़ी बदल जाता है।

मालिनी: दीदी, आप तो अभी भी बहुत सेक्सी दिख रही हो। पापा जी तो फ़िदा हो जाएँगे।

वो हँसकर: अरे उनका क्या है? उनको तो बस तो मस्त चूचियाँ और एक छेद मिल जाए तो उनका काम हो जाता है।

मालिनी: छी दीदी आप भी कैसी बातें कर रही हैं। चलिए आपको पापा जी से मिलवाती हूँ।

बाहर आकर मालिनी ने देखा कि पापा वहाँ भी नहीं हैं। वह उनके कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी नूरी से नहीं मिलना क्या?

राजीव बाहर आकर बोला: वो तो तुमसे मिलने आई है , देखो ना सीधे तुम्हारे कमरे में चली गई। मेरे पास तो आइ नहीं। फिर जैसे ही उसकी नज़र नूरी पर पड़ी वह सब ग़ुस्सा भूल गया। उसकी आँखों में एक चमक दौड़ गयी और उसने बाँहें फैलाकर कहा: wow क्या दिख रही हो जान। पहले से भी ज़्यादा मस्त भर गयी हो। आओ मेरी बाहों में आओ ।

नूरी भी बाँहें फैलाकर उसकी तरफ़ जाकर उससे लिपट गयी। राजीव को मज़बूत बाहों ने उसे जकड़ लिया और वह उसके गाल चूमता हुआ अब उसके होंठ चूसने लगा। उसके हाथ उसकी पीठ , नंगी कमर से होता हुआ उसके बड़े। बड़े चूतरों तक जा पहुँचा था। अब वह उसकी गाँड़ की गोलाइयों को नाप रहा था। ये सब देखकर मालिनी की हालत ख़राब होने लगी।
उसे मन ही मन जलन की भावना से भर गई। उसे ख़ुद पर हैरानी हुई कि वह इस तरह से क्यों सोच रही है।

मालिनी: अच्छा तो मैं चलती हूँ। दीदी आप चाय पीयोगि क्या?

रेणु अपने आप को छुड़ाकर बोली: हाँ ज़रूर पियूँगी। चलो बनाते हैं। फिर राजीव को बोली: आप बैठो हम चाय लाते हैं।

वो दोनों किचन में चली गयी। मालिनी: आपको तो पापा जी बहुत प्यार करते हैं ।

नूरी: तुम अपना बताओ कि तुम दोनों के बीच क्या चक्कर है? अंकल को जहाँ तक मैं जानती हूँ वो तुम्हारे जैसे हॉट और मस्त माल को छोड़ने वाले हैं नहीं। चुदवा चुकी हो क्या उनसे?


मालिनी उसकी बात सुनकर सन्न होकर बोली: ऐसा कुछ नहीं है। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ।

नूरी: तो क्या मैं नहीं करती अपने पति से प्यार। वो मुझे भी प्यारे हैं। पर उनको बच्चा भी चाहिए इसलिए मैं इनके पास आयीं हूँ। अब वो मुझे अभी तुम्हारे घर में चोदेंगे और तुम्हारी जानकारी में ही। इसका मतलब तो ये हुआ ना कि तुम दोनों का रिश्ता ससुर और बहु से कुछ आगे का भी है। क्या कहती हो?

मालिनी: ऐसा कुछ नहीं है। वो मेरे को बोले कि तुमको उनकी मदद चाहिए तो मैंने आप दोनों की मदद कर दी। बस इतना ही है। और कुछ नहीं।

मालिनी चाय लेकर बाहर आयी। नूरी राजीव के पास बैठी और मालिनी सामने बैठकर चाय पीने लगी। राजीव उसकी जाँघ दबाकर बोला: जान मस्त भर गयी हो। देखो जाँघे भी मांसल हो गयीं है। फिर वह उसकी एक चूची को हाथ में लेकर जैसे उसका वज़न तौलने लगा और बोला: ये भी मस्त भारी हो गई है। पिछली बार ये सख़्त थे और छोटे भी थे जैसे अभी मालिनी के हैं।

मालिनी को तो जैसे काटो ख़ून नहीं। वो बोली: पापा जी आप क्या बोले जा रहे हो?

राजीव हँसकर : अरे मैंने तो मज़ाक़ किया है। नूरी ये मैं अपने अनुभव से नहीं बल्कि अन्दाज़ से कह रहा हूँ कि शायद मालिनी के ऐसे होंगे। वैसे मैंने कभी उसके छुए नहीं हैं। वह झूठ बोलकर मुस्कुराया।

मालिनी की जान में जान आयी। वो अब थोड़ी सामान्य हो गयी। फिर राजीव ने नूरी को कहा: चलो जानू अब चुदाई शुरू करें।

नूरी: आपको अपनी बहू के सामने ये सब बोलते हुए अजीब नहीं लगता।

राजीव: अरे उससे सहमती लेकर तो तुम्हारी चुदाई की प्लानिंग की है। अब उसके सामने कैसा छिपाना। क्यों बहु ठीक है ना? यह कहते हुए उसने नूरी को अपनी गोदी में खिंच लिया और उसे चूमते हुए उसकी मस्त गाँड़ पर हाथ फेरने लग। फिर उसने उसे एक झटके से गोद में उठा लिया और नूरी ने भी अपने हाथ उसकी गरदन में डाल दिए। अपने पैरों को हवा में झुलाते हुए वह हँसती हुई बोली: अंकल मैं भारी हो गयी हूँ, गिरा मत देना।

राजीव हँसते हुए उसको बेडरूम की ओर ले जाते हुए बोला: कोई अपनी जान को गिराता है भला। और तुमको चोट लग गयी तो चुदाई कैसे होगी। फिर उसने मालिनी को आँख मारी और खिड़की की ओर इशारा करके चुदाई देखने का निमंत्रण सा दिया।

मालिनी ने अपनी नज़रें झुका लीं। वह अपने कमरे में गयी और सोते हुए बच्चे के पास लेट गयी।

उधर राजीव ने नूरी को कमरे में जाके खड़ा किया और बोला: यार मस्त माल हो गयी हो। चलो अपने कपड़े उतारो। यह कहते हुए उसने उसका टॉप उतार दिया और ब्रा में उसके बड़े बड़े मम्मे देखकर वह उनको ब्रा के ऊपर से सहलाया और चूमने भी लगा। नूरी भी मस्ती से उसके सिर को अपनी छाती में दबाने लगी। अब उसने उसकी ब्रा भी खोल दी और उसके बड़े बड़े दूध अपने ही वज़न से नीचे को हो गए। राजीव ने मस्ती में आकर उनको दबाया और फिर चूसने लगा और निप्पल को ऐंठने भी लगा। नूरी आऽऽऽह कर उठी। अब वो झुक कर बैठा और उसकी जींस खोला और पैंटी समेत उसे उतार कर नंगी करके उसकी जाँघों और बीच में छुपी बुर को घूरने लगा। वो अब उसकी जाँघों को सहलाया और उनको फैलाकर उसकी बुर को देखा और फिर वहाँ नाक ले जाकर सूँघा और फिर उसे चूम लिया। अब उसने उसके चूतरों को सहलाया और उसको घुमाकर उनको भी दबाने लगा और चूमने भी लगा। फिर उसने उसके चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ को भी सूँघा और उस छेद को ऊँगली से सहलाया। तभी नूरी बोली: हटिए अभी , मुझे बाथरूम जाना है।

वह मुस्कुराया और फिर वह खड़ा हुआ और बोला: जान मस्त माल बन गयी हो, एक बच्चे के बाद। सब कुछ गदरा गया है। गाँड़ का छेद भी गदराया हुआ है साला। ठीक है जाओ मूत के आओ मैं भी नंगा होता हूँ।

वह अपनी गाँड़ मटकाती हुई बाथरूम चली गयी और राजीव भी कपड़े निकालकर नंगा हो गया। फिर वह भी बाथरूम में घुसा और उसने देखा कि वो अपनी बुर और गाँड़ में साबुन लगा रही थी। फिर वह उसे धोने लगी।

राजीव मुस्कुराया: तो तय्यारी कर रही हो चटवाने की।

नूरी: हाँ मैं नहीं चाहती कि आप बीमार पड़ जाओ। मुझे पता है आप तो सब जगह को चाटोगे ही।

वह भी मूतने के बाद शॉवर से अपने लौड़े और आसपास के हिस्से को साफ़ किया और बोला: लो मैंने तुम्हारे लिए भी सफ़ाई कर दी है।

वह हँसती हुई आइ और तौलिए से उसके लौड़े और बॉल्ज़ के हिस्से को पोछते हुए एकदम से नीचे बैठी और उसके लौड़े को भूक़े की तरह चूसने लगी। उसके चूसने से वह पूरा खड़ा हो गया। अब राजीव ने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा। उसकी चूचियाँ उसके दोनों पंजों में दबी हुई फड़फड़ा रहीं थीं। वह निपल्ज़ भी ऐंठे जा रहा था।

नूरी भी अपने होंठ चूसवा कर मस्ती से उसकी पीठ को दबाए जा रही थी। अब वह उसकी चूचियाँ चूसने लगा। नूरी की आऽऽऽऽहहह निकलने लगी। अब राजीव ने नूरी की नज़र बचा कर अपने मोबाइल से मालिनी को मिस्ड कॉल दी। फिर वह नूरी के पेट और नाभि को चूमते हुए उसकी जाँघें चूमने लगा।

अब वह उठकर दो तकिए लाया और नूरी ने अपनी कमर उठाकर अपने चूतर उस पर रख दिए। अब वो उसकी बुर, जो पूरी तरह से उभर आइ थी ,को सहलाने लगा। अब उसने चुपके से खिड़की की तरफ़ देखा पर उसे वहाँ कोई नज़र नहीं आया।

उधर मालिनी बैठे हुए ये सोच रही थी कि पापा और नूरी मज़े ले रहे होंगे। पता नहीं पापा आज किस आसन में उसे चोदेंगे। उसकी बुर अब गीली होने लगी थी। तभी जब उसकी बेचैनी चरम सीमा पर पहुँची तभी पापा का मिस्ड काल आया। वो तो जैसे उसी का इंतज़ार कर रही थी। वह एकदम से उठी और खिड़की के पास आकर पर्दा हटायी और अंदर झाँकी। उफफफफ पापा भी क्या मज़ा दे रहे थे नूरी को, बस देखते ही बनता था।

राजीव उस समय उसकी दोनों टांगों को हवा में उठा कर पूरी फैलाया हुआ था। अब वह अपनी जीभ उसके गाँड़ के छेद से लेकर उसकी बुर के ऊपर तक ला कर नूरी को उइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कहने पर मज़बूर कर दिया था। ऐसा उसने कई बार किया और फिर उसने बुर को खोला और अपनी जीभ डालकर वह अपनी जीभ से चुदाई करने लगा। नूरी अपनी गाँड़ उछालकर मज़े से चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽह और चूसोओओओओओओ उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मज़ाआऽऽऽऽऽ देतें हैं आऽऽऽऽऽऽऽऽप । दुनिया में ऐसा कोई नहीं चूस सकता आऽऽऽहहहह।

राजीव अपना सिर उठा कर: क्यों तुम्हारा पति नहीं चूसता इसको? और वह फिर से चूसने लगा।

नूरी: हाँ चूसते हैं पर आऽऽऽऽऽऽह आऽऽऽऽऽऽप सबसे अच्छाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ चूसते होओओओओओओओओ उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़।

मालिनी आँखें फ़ाडे देख रही थी कि नूरी कैसी दीवानी हुई जा रही थी। अब नूरी बोली: हाऽऽऽय्यय रुकोओओओओओओ ,नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी। राजीव ने मुस्कुराते हुए अपना मुँह वहाँ से हटाया और अपने गीले मुँह को पोंछकर वह उठकर अपने लौड़े को उसके मुँह के पास लाया और उसने खिड़की की ओर देखा और वहाँ उसे पता चल गया की मालिनी खड़ी है तो वह उसे आँख मारा और नूरी के मुँह में अपना लौड़ा डाला और उसके मुँह को मानो चोदने लगा। नूरी ह्म्म्म्म्म करके चूस रही थी। और वह बॉल्ज़ भी सहला रही थी।

अब वह अपना लौड़ा उसके मुँह से निकाला और थूक से सने लौड़े को उसकी बुर में सेट करके उसने धीरे से धक्का मारकर लौड़ा अंदर करना शुरू किया मालिनी को साफ़ साफ़ पापा का मोटा लौड़ा नूरी की गहराई में धँसता हुआ दिख रहा था और मारे उत्तेजना के उसके पैर काम्पने लगे थे। अब उसकी बुर भी पनिया गई थी। उसके हाथ अपनी बुर और चूचि पर चले गए।

उधर राजीव ने अब नूरी को ज़बरदस्त तरीक़े से चोदना शुरू कर दिया था। वह भी अपनी गाँड़ उछालकर चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽऽऽह अंकल और जोओओओओओर से चोओओओओओदो । उइइइइइइइ फट गयीइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ मर गयीइइइइइइइइइ। आऽऽऽऽऽह कितना मज़ाआऽऽऽऽ आऽऽऽऽता है जीइइइइइइइइ। फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽड़ दो। अब मैं गईइइइइइइइइ।

उधर फ़च फ़च की आवाज़ के साथ राजीव के धक्के भी अब ज़ोरदार हो चलें थे। वह भी आऽऽहहहह करके झड़ने लगा।

नूरी अब आराम से लेटकर बोली: आपने आज बहुत मज़ा दिया। क्या मस्त चुदाई करते है आप। आपका लौड़ा मेरी बच्चेदानी को ठोकर मार रहा था। आऽऽऽऽऽह क्या बताऊँ कितना सुख मिला आज बहुत सालों के बाद । उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त चोदतें हैं जी आप।

मालिनी की ऊँगली अब उसके बुर में थी और वह नूरी की बात सुन कर वह सोची कि ये नूरी तो उनसे चुदकर मस्त हो गयी है। और आगे भी चुदवाएगी। और एक मैं बेवक़ूफ़ जिसको पापा और उनका ये मस्त लौड़ा हमेशा आराम से रोज़ मिल सकता है, मैं उसको ठुकरा रहीं हूँ। उधर पापा देखो ना किस तरह से नूरी के बग़ल चाट रहे हैं और उसकी बुर को कपड़े से साफ़ कर रहे हैं। आऽऽऽऽह फिर नूरी उनके नरम लौंडे और बॉल्ज़ से खेलने लगी।मालिनी सोची- आऽऽऽऽंह यहाँ तो मेरा हाथ होना चाहिए ।फिर नूरी लौड़े को सूंघी और बोली: आऽऽऽह अंकल क्या मस्त गंध है ह्म्म्म्म्म और वह उसे चाटने लगी।

मालिनी की बुर ने पानी छोड़ दिया। उफफफफ क्या हो गया है उसे। वह कांपते पैरों से वापस आयी अपने कमरे में और बाथरूम में जाकर वापस आइ। तभी बच्चा जग गया। वह उसे गोद में लेकर दूध का गिलास दी और फिर उसके साथ खेलने लगी।

मालिनी सोची कि उधर शायद पापा इस लड़के की माँ की दूसरी राउंड की चुदाई की तय्यारी कर रहें होंगे। उसे देखना ही होगा कि दूसरी राउंड में पापा उसे कैसे चोदतें हैं???

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