ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 03:30 PM,
#41
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
दोस्तों, अपडेट में देरी के लिए सॉरी , बहुत ही व्यस्त था पिछले दिनों। कुछ दोस्तों को लगा कि मैं जानभूजकर ऐसा कर रहा हूँ, जो कि सच नहीं है। चलिए कहानी पर आगे चलते हैं-----


राजीव के लिए मालिनी की दिन भर की उपस्थिति का पहला दिन था। उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि शायद वह अब रानी के साथ जब चाहे तब पुराने तरह से मज़े नहीं कर पाएगा।

मालिनी भी दिन भर ससुर को घर में देखकर सहज नहीं हो पा रही थी। उसके साथ बात करने को एक रानी ही थी।

रानी जल्दी ही मालिनी से घुल मिल गयी और पूछी: भाभी जी हनीमून कैसा रहा? भय्या ने ज़्यादा तंग तो नहीं किया? ये कहकर वो खी खी करके हँसने लगी।

तभी राजीव पानी लेने आया और उनकी बात सुनकर ठिठक गया और छुपकर उनकी बातें सुनने लगा।

मालिनी शर्मा कर: नहीं, वो तो बहुत अच्छें हैं, मेरा पूरा ख़याल रखते हैं, वो मुझे क्यों तंग करेंगे?

रानी: मेरा मतलब बहुत ज़्यादा दर्द तो नहीं दिया आपको ?ये कहते हुए उसने आँख मार दी।

मालिनी शर्मा कर बोली: धत्त , कुछ भी बोलती हो। वो मुझे बहुत प्यार करते हैं , वो मुझे तकलीफ़ में नहीं देख सकते।

रानी: तो क्या आप अभी तक कुँवारी हो? उन्होंने आपको चो-- मतलब किया नहीं क्या?

मालिनी: धत्त , कुछ भी बोलती हो, सब हुआ हमारे बीच, पर उन्होंने बड़े आराम से किया और थोड़ा सा ही दर्द हुआ।

रानी: ओह फिर ठीक है। मैं जब पहली बार चु- मतलब करवाई थी ना तब बहुत दुखा था। उन्होंने बड़ी बेरहमी से किया था।

मालिनी: इसका मतलब आपके पति आपको प्यार नहीं करते तभी तो इतना दुःख दिया था आपको।

रानी: अरे भाभी, मेरा पति क्या दुखाएगा? उसका हथियार है ही पतला सा । मेरी सील तो जब मैं दसवीं में थी तभी स्कूल के एक टीचर ने मुझे फँसाकर तोड़ दी थी। मैं तो दो दिन तक चल भी नहीं पा रही थी।

मालिनी: ओह ये तो बहुत ख़राब बात है। आपने उसकी पुलिस में नहीं पकड़वा दिया?

रानी: अरे मैं तो अपनी मर्ज़ी से ही चु- मतलब करवाई थी तो पुलिस को क्यों बुलाती।

मालिनी: ओह अब मैं क्या बोलूँ इस बारे में। तो फिर आप उनसे एक बार ही करवाई थी या बाद में भी करवाई थी?

रानी: आठ दस बार तो करवाई ही होंगी। बाद में बहुत मज़ा आता था उनसे करवाने में।

मालिनी: ओह, ऐसा क्या?

रानी: उनके हथियार की याद आती है तो मेरी बुर खुजाने लगती है। ये कहते हुए उसने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी बुर खुजा दी।

मालिनी हैरानी से देखने लगी कि वो क्या कर रही है।

मालिनी के लिए ये सब नया और अजीब सा था।
फिर वह बोली: अच्छा चलो ,अब खाना बन गया ना, मैं अपने कमरे में जाती हूँ।

राजीव उनकी सेक्सी बातें सुनकर अपने खड़े लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठा। और इसके पहले कि मालिनी बाहर आती वह वहाँ से निकल गया।

मालिनी अपने कमरे में आकर सोचने लगी कि रानी के साथ उसने क्यों इतनी सेक्सी बातें कीं । वह इस तरह की बातें कभी भी वह किसी से नहीं करती थी। तभी शिवा का फ़ोन आया: कैसी हो मेरी जान? बहुत याद आ रही है तुम्हारी?

मालिनी: ठीक हूँ मुझे भी आपकी याद आ रही है। आ जाओ ना अभी घर। मालिनी का हाथ अपनी बुर पर चला गया और वह भी रानी की तरह अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से खुजाने लगी।

शिवा: जान, बहुत ग्राहक हैं आज , शायद ही समय मिले आने के लिए। जानती हो ऐसा मन कर रहा है कितुमको अपने से चिपका लूँ और सब कुछ कर लूँ। वह अपना मोटा लौड़ा दबाकर बोला।

मालिनी: मुझे भी आपसे चिपटने की इच्छा हो रही है। चलिए कोई बात नहीं आप अपना काम करिए । बाई ।

फिर वह टी वी देखने लगी।

उधर रानी घर जाने के पहले राजीव के कमरे में गयी तो वह उसे पकड़कर चूमा और बोला: क्या बातें कर रही थीं बहू के साथ?

रानी हँसकर बोली: बस मस्ती कर रही थी। पर सच में बहुत सीधी लड़की है आपकी बहू । आपको उसको छोड़ देना चाहिए।

राजीव: मैंने उसको कहाँ पकड़ा है जो छोड़ूँगा ?

रानी: मेरा मतलब है कि इस प्यारी सी लड़की पर आप बुरी नज़र मत डालो।

राजीव: अरे मैंने कहाँ बुरी नज़र डाली है। बहुत फ़ालतू बातें कर रही हो। ख़ुद उससे गंदी बातें कर रही थी और अपनी बुर खुजा रही थी, मैंने सब देखा है।

रानी हँसकर: मैं तो उसे टटोल रही थी कि कैसी लड़की है। सच में बहुत सीधी लड़की है।

राजीव: अच्छा चल अब मेरा लौड़ा चूस दे घर जाने के पहले। ये कहकर वह अपनी लूँगी उतार दिया और बिस्तर पर पलंग के सहारे बैठ गया। उसका लौड़ा अभी आधा ही खड़ा था। रानी मुस्कुराकर झुकी और लौड़े को ऊपर से नीचे तक चाटी और फिर उसको जैसे जैसे चूसने लगी वह पूरा खड़ा हो गया और वह मज़े से उसे चूसने लगी। क़रीब १५ मिनट के बाद राजीव ह्म्म्म्म्म कहकर उसके मुँह में झड़ गया और रानी उसका पूरा रस पी गयी। बाद में उसने लौड़े को जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया। फिर थोड़ा सा और चूमा चाटी के बाद वह अपने घर चली गयी।

दोपहर को क़रीब एक बजे मालिनी ने राजीव का दरवाज़ा खड़खड़ाया और बोली: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?

राजीव अंदर से ही बोला: हाँ बेटी लगा दो।

मालिनी ने खाना लगा दिया तभी राजीव लूँगी और बनियान में बाहर आया। मालिनी पूरी तरह से साड़ी से ढकी हुई थी। दोनों आमने सामने बैठे और खाना खाने लगे। राजीव उससे इधर उधर की बातें करने लगा और शीघ्र ही वह सहज हो गयी।

राजीव ने खाने की भी तारीफ़ की और फिर दोनों अपने अपने कमरे ने चले गए। इसी तरह शाम की भी चाय साथ ही में पीकर दोनों थोड़ी सी बातें किए। रानी शाम को आकर चाय और डिनर बना कर चली गयी। शिवा दुकान बंद करके आया और मालिनी की आँखें चमक उठीं। शिवा अपने पापा से थोड़ी सी बात किया और अपने कमरे में चला गया। मालिनी भी अंदर पहुँची तब वह बाथरूम में था। जब वह बाथरूम से बाहर आया तो वह पूरा नंगा था उसका लौड़ा पूरा खड़ा होकर उसके पेट को छूने की कोशिश कर रहा था। मालिनी की बुर उसे देखकर रस छोड़ने लगी । वह शर्माकर बोली: ये क्या हो रहा है? ये इतना तना हुआ और ग़ुस्से में क्यों है?

शिवा आकर उसको अपनी बाहों में भर लिया और होंठ चूसते हुए बोला: जान आज तो पागल हो गया हूँ , बस अभी इसे शांत कर दो प्लीज़।

मालिनी: हटिए अभी कोई टाइम है क्या? डिनर कर लीजिए फिर रात को कर लीजिएगा।

शिवा ने उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और मालिनी सिहर उठी और उसे मस्ती से सहलाने लगी। उसका रहा सहा विरोध भी समाप्त हो गया। शिवा ने उसके ब्लाउस के हुक खोले और उसके ब्रा में कसे आमों को दबाने लगा। मालिनी आऽऽऽऽह कर उठी। फिर उसने उसकी ब्रा का हुक भी खोला और उसके कप्स को ऊपर करके उसकी नंगी चूचियों पर टूट पड़ा। उनको दबाने के बाद वह उनको खड़े खड़े ही चूसने लगा। मालिनी उइइइइइइइ कर उठी।

अब उसने मालिनी को बिस्तर पर लिटाया और उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर करके उसकी पैंटी के ऊपर से बुर को दबाने लगा। मालिनी हाऽऽऽय्यय करके अपनी कमर ऊपर उठायी। फिर उसने उसकी पैंटी उतार दी और उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया । अब तो मालिनी की घुटी हुई सिसकियाँ निकलने लगीं। उसकी लम्बी जीभ उसकी बुर को मस्ती से भर रही थी। फिर उसने अपना लौड़ा उसकी बुर के छेद पर रखा और एक धक्के में आधा लौड़ा पेल दिया। वह चिल्ला उठी आऽऽऽऽऽह जीइइइइइइ । फिर वह उसके दूध दबाकर उसके होंठ चूसते हुए एक और धक्का मारा और पूरा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। अब वह अपनी कमर दबाकर उसकी चुदाई करने लगा। मालिनी भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। कमरे में जैसे तूफ़ान सा आ गया। दो प्यासे अपनी अपनी प्यास बुझाने में लगे थे। पलंग चूँ चूँ करने लगा। कमरा आऽऽऽऽहहह उइइइइइइ हम्म और उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ों से भरने लगा। क़रीब दस मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ने लगे और एक दूसरे से बुरी तरह चिपट गए।

थोड़ी देर चिपके रहने के बाद वो अलग हुए और मालिनी शिवा को चूमते हुए बोली: थैंक्स , सच मुझे इसकी बहुत ज़रूरत थी।

शिवा शरारत से : किसकी ज़रूरत थी?

मालिनी शर्मा कर उसके गीले लौड़े को दबाकर बोली: इसकी ।

शिवा: इसका कोई नाम है?

मालिनी पास आकर उसके कान में फुसफ़सायी: आपके लौड़े की। ओ के ?

शिवा हँसकर: हाँ अब ठीक है। फिर उसकी बुर को सहला कर बोला: मुझे भी तुम्हारी बुर की बड़ी याद आ रही थी। दोनों फिर से लिपट गए। मालिनी बोली: चलो अब डिनर करते हैं। पापा सोच रहे होंगे कि ये दोनों क्या कर रहे है अंदर कमरे में?

शिवा हँसक : पापा को पता है कि नई शादी का जोड़ा कमरे में क्या करता है। हा हा ।

फिर दोनों फ़्रेश होकर बाहर आए। डिनर सामान्य था। बाद में राजीव सोने चला गया और ये जोड़ा रात में दो बार और चुदाई करके सो गया । आज मालिनी ने भी जी भर के उसका लौड़ा चूसा और उन्होंने बहुत देर तक ६९ भी किया । पूरी तरह तृप्त होकर दोनों गहरी नींद सो गए।

दिन इसी तरह गुज़रते गए। राजीव दिन में एक बार रानी से मज़ा ले लेता था और शिवा और मालिनी की चुदाई रात में ही हो पाती थी। सिवाय इतवार के, जब वो दिन में भी मज़े कर लेते थे। अब मालिनी की भी शर्म कम होने लगी थी। अब वह घर में सुबह गाउन पहनकर भी रहती थी और राजीव पूरी कोशिश करता कि वह उसके मस्त उभारो को वासना की दृष्टि से ना देखे। वह जब फ्रिज से सामान निकालने के लिए झुकती तो उसकी मस्त गाँड़ राजीव के लौड़े को हिला देती। पर फिर भी वह पूरी कोशिश कर रहा था कि किसी तरह वह इस सबसे बच सके और अपने कमीनेपन को क़ाबू में रख सके। और अब तक वो इसमे कामयाब भी था।

एक दिन उसने मालिनी की माँ सरला को श्याम के साथ बुलाया और एक होटेल के कमरे में उसकी ज़बरदस्त चुदाई की। शाम को श्याम और सरला मालिनी से मिलने आए। मालिनी बहुत ख़ुश थी। राजीव ने ऐसा दिखाया जैसे वह भी अभी उनसे मिल रह रहा हो। जबकि वो सब होटेल में दिन भर साथ साथ थे।

फिर वो दोनों वापस चले गए। रात को शिवा , मालिनी और राजीव डिनर करते हुए सरला की बातें किए और शिवा को अच्छा लगा की मालिनी अपनी माँ से मिलकर बहुत ख़ुश थी।

दिन इसी तरह बीतते गए। सब ठीक चल रहा था कि मालिनी के शांत जीवन में एक तूफ़ान आ गया।

वो क्या था अगले अपडेट में-------

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04-09-2017, 03:30 PM,
#42
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
उस दिन रोज़ की तरह जब सुबह ७ बजे मालिनी उठी और किचन में गयी तो रानी चाय बना रही थी । मालिनी को देख कर रानी मुस्कुराती हुई बोली : भाभी नींद आयी या भय्या ने आज भी सोने नहीं दिया ?

मालिनी: आप भी बस रोज़ एक ही सवाल पूछतीं हो। सब ठीक है हम दोनों के बीच। हम मज़े भी करते हैं और आराम भी। कहते हुए वह हँसने लगी।

रानी भी मुस्कुराकर चाय का कप लेकर राजीव के कमरे में गयी। राजीव मोर्निंग वॉक से आकर अपने लोअर को उतार रहा था और फिर वह जैसे ही चड्डी निकाला वैसे ही रानी अंदर आयी और मुस्कुराकर बोली: वाह साहब , लटका हुआ भी कितना प्यारा लगता है आपका हथियार। वह चाय रखी और झुक कर उसके लौड़े को चूम लिया। राजीव ने उसको अपने से लिपटा लिया और उसके होंठ चूस लिए। फिर वह लूँगी पहनकर बैठ गया और चाय पीने लगा। उसकी लूँगी में एक छोटा सा तंबू तो बन ही गया था।

रानी: आजकल आप घर में चड्डी क्यों नहीं पहनते?

राजीव : अब घर में चड्डी पहनने की क्या ज़रूरत है। नीचे फंसा सा लगता है। ऐसे लूँगी में फ़्री सा लगता है।

रानी: अगर बहू का पिछवाड़ा देख कर आपका खड़ा हो गया तो बिना चड्डी के तो वो साफ़ ही दिख जाएगा।

राजीव: जान बस करो क्यों मेरी प्यारी सी बहू के बारे में गंदी बातें करती हो? तुम्हारे रहते मेरे लौड़े को किसी और की ज़रूरत है ही नहीं। ये कहते ही उसने उसकी चूतरों को मसल दिया । रानी आऽऽह करके वहाँ से भाग गयी।

मालिनी ने चाय पीकर शिवा को उठाया और वह भी नहाकर नाश्ता करके दुकान चला गया। उसके जाने के बाद मालिनी भी नहाने चली गयी। रानी भी राजीव के कमरे की सफ़ाई के बहाने उसके कमरे में गयी जहाँ दोनों मज़े में लग गए ।
मालिनी नहा कर आइ और तय्यार होकर वह किचन में गयी। वहाँ उसे सब्ज़ी काटने का चाक़ू नहीं मिला। उसने बहुत खोजा पर उसे जब नहीं मिला तो उसने सोचा कि ससुर के कमरे से रानी को बुलाकर पूछ लेती हूँ। वह ससुर के कमरे के पास जाकर आवाज़ लगाने ही वाली थी कि उसे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई पड़ी। वह रुक गयी और पास ही आधी खुली खिड़की के पास आकर सुनने की कोशिश की। अंदर से उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ गन्न्न्न्न्न्न्न ह्म्म्म्म्म की आवाज़ आ रही थी। वह धीरे से कांपते हुए हाथ से परदे को हटा कर अंदर को झाँकी। अंदर का दृश्य देखकर वह जैसे पथ्थर ही हो गयी। रानी बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी और उसकी साड़ी ऊपर तक उठी हुई थी। पीछे उसका ससुर कमर के नीचे पूरा नंगा था और उसकी चुदाई कर रहा था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ये क्या हो रहा है। क्या कोई अपनी नौकरानी से भी ऐसा करता है भला! इसके पहले कि वह वहाँ से हट पाती राजीव चिल्लाकर ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। जब उसने अपना लौड़ा बाहर निकाला तो उसका मोटा गीला लौड़ा देखकर उसका मुँह खुला रह गया। उसे अपनी बुर में हल्का सा गीलापन सा लगा। वह उसको खुजा कर वहाँ से चुपचाप हट गयी।

अपने कमरे में आकर वह लेट गयी और उसकी आँखों के सामने बार बार रानी की चुदाई का दृश्य और पापा का मोटा लौड़ा आ रहा था। वह सोची कि बाप बेटे के लौड़े एकदम एक जैसे हैं, मोटे और लम्बे। पर शिवा का लौड़ा थोड़ा ज़्यादा गोरा है पापा के लौड़े से। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि छि वो पापा के लौड़े के बारे में सोच ही क्यों रही है !!

फिर उसका ध्यान रानी पर गया और वह ग़ुस्से से भर गयी। ज़रूर उसने पापा के अकेलेपन का फ़ायदा उठाया होगा और उनको अपने जाल में फँसा लिया होगा। पापा कितने सीधे हैं, वो इस कमीनी के चक्कर में फँस गए बेचारे, वो सोचने लगी।

भला उसको क्या पता था कि हक़ीक़त इसके बिपरीत थी और असल में राजीव ने ही रानी को फ़ांसा थ।

वह सोची कि क्या शिवा को फ़ोन करके बता दूँ । फिर सोची कि नहीं वह अपने पापा को बहुत प्यार करते हैं और उनके बारे में ये जानकार वह दुःखी होगा। उसे अभी नहीं बताना चाहिए, हाँ समय आने पर वह उसे बता देगी। क़रीब आधे घंटे तक सोचने के बाद वह इस निश्चय पर पहुँची कि रानी को काम से निकालना ही इस समस्या का हल है। वो बाहर आइ तो देखा कि राजीव बाहर जाने के लिए तय्यार था। ना चाहते हुए भी उसकी आँख राजीव के पैंट के अगले भाग पर चली गयी। पैंट के ऊपर से भी वहाँ एक उभार सा था। जैसे पैंट उसके बड़े से हथियार को छुपा ना पा रही हो। वह अपने पे ग़ुस्सा हुई और बोली: पापा जी कहीं जा रहे हैं क्या?

राजीव: हाँ बहू , बैंक जा रहा हूँ। और भी कुछ काम है १ घंटा लग जाएगा। वो कहकर चला गया।

अब मालिनी ने गहरी साँस ली और रानी को आवाज़ दी। रानी आइ तो थोड़ी थकी हुई दिख रही थी।

मालिनी: देखो रानी आज तुमने मुझे बहुत दुःखी किया है।

रानी: जी, मैंने आपको दुःखी किया है? मैं समझी नहीं।

मालिनी: आज मैंने तुमको पापा के साथ देख लिया है। आजतक मैं सोचती थी कि तुम इतनी देर पापा के कमरे में क्या करती हो? आज मुझे इसका जवाब मिल गया है। छि तुम अपने पति को धोका कैसे दे सकती हो। पापा को फँसा कर तुमने उनका भी उपयोग किया है। अब तुम्हारे लिए इस घर में कोई ज़रूरत नहीं है। तुम्हारा मैंने हिसाब कर दिया है। लो अपने पैसे और दूसरा घर ढूँढ लो।

रानी रोने लगी और बोली: एक बार माफ़ कर दो भाभी।

मालिनी: देखो ये नहीं हो सकता। अब तुम जाओ और अब काम पर नहीं आना।

ये कहकर वो वहाँ से हट गयी। रानी रोती हुई बाहर चली गयी।

राजीव वापस आया तो थोड़ा सा परेशान था। वो बोला: बहू , रानी का फ़ोन आया था कि तुमने उसे निकाल दिया काम से?

मालिनी: जी पापा जी, वो काम अच्छा नहीं करती थी इसलिए निकाल दिया। मैंने अभी अपने पड़ोसन से बात कर ली है कल से दूसरी कामवाली बाई आ जाएगी।

राजीव को रानी ने सब बता दिया था कि वह क्यों निकाली गयी है, पर बहू उसके सम्मान की रक्षा कर रही थी। जहाँ उसे एक ओर खीझ सी हुई कि उसकी प्यास अब कैसे बुझेगी? वहीं उसको ये संतोष था कि उसकी बहू उसका अपमान नहीं कर रही थी। वह चुपचाप अपने कमरे में चला गया। पर उसकी खीझ अभी भी अपनी जगह थी।

उस दिन शाम की चाय और डिनर भी मालिनी ने ही बनाया था। राजीव मालिनी से आँखें नहीं मिला पा रहा था। डिनर के बाद सब अपने कमरों में चले गए। मालिनी ने शिवा को बताया कि रानी को काम से निकाल दिया है। शिवा ने कहा ठीक है दूसरी रख लो। उसने कोई इंट्रेस्ट नहीं दिखाया और उसकी चूची दबाकर उसे गरम करने लगा।मालिनी ने भी उसका लौड़ा पकड़ा और उसको दबाकर पापा के लौड़े से तुलना करने लगी। शायद दोनों बाप बेटे का एक सा ही था ।जल्दी ही शिवा चुदाई के मूड में आ गया और उसे चोदने लगा। मालिनी ने भी सोचा कि इनको क्यों बताऊँ फ़ालतू में दुःखी होंगे, अपने पापा की करतूत जानकार।

चुदाई के बाद दोनों लिपट कर सो गए। पर मालिनी की आँखों में अभी भी पापा का मस्त लौड़ा घूम रहा था और वह भी सो गयी।

उधर राजीव की आँखों से नींद ग़ायब थीं । वह सोचने लगा कि कहीं बहू ने सब बातें शिवा को बता दी होगी। फिर सोचा नहीं वह नहीं बताएगी। वह चाहेगी कि बाप बेटे में कोई दूरी ना हो। यह सब सोचते हुए वह सो गया।

अब जब राजीव की प्यास बुझाने वाली ही चली गयी तो आगे वो कौन सी कमीनी हरकत करेगा??? यही कहानी का नया मोड है।

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04-09-2017, 03:30 PM,
#43
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले दिन मालिनी सुबह उठकर चाय बनाई और राजीव के कमरे का दरवाज़ा खटखटाई और बोली: पापा जी चाय लाऊँ?

राजीव देर तक सोने के कारण आज वॉक पर भी नहीं गया था । वह उठा और उसकी लूँगी में मॉर्निंग इरेक्शन का तंबू बना हुआ था। वह बोला: मैं अभी बाहर आता हूँ वहीं पी लूँगा।

मालिनी ने चाय डाइनिंग टेबल पर रखी और ख़ुद चाय पीने लगी। थोड़ी देर बाद राजीव बाहर आया तो हमेशा की तरह मालिनी ने उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग किया। राजीव ने उसे आशीर्वाद दिया और चाय पीने लगा। उसने देखा कि आज भी वह गाउन पहनी थी पर वह अब उसे वह टाइट हो रही थी क्योंकि वह अच्छा खाने और शायद बढ़िया चुदाई के चलते थोड़ी भर रही थी। उसकी चूचियाँ गाउन को दबा रही थी और उसके चूतरों के उभार भी गाउन से मस्त दिखने लग रहे थे।हालाँकि उसने कपड़े सही पहने थे और उसमें से कोई अंग प्रदर्शन नहीं हो रहा था। पर गाउन से भी वह बहुत मादक लग रही थी। राजीव की लूँगी में हलचल शुरू हो गयी। इसलिए वह उठकर वहाँ से चला गया।

राजीव अपने कमरे में आकर मालिनी की जवानी का सोचकर गरम होने लगा । फिर वह सोचा कि उसे अपना ध्यान बटाना होगा ।ये सोचकर वह तय्यार होकर बाहर चला आया और नाश्ता करके घर से बाहर जाने लगा। मालिनी और शिवा अभी नाश्ता कर रहे थे।

मालिनी: पापा जी आज मैं आपके साथ सब्ज़ी वग़ैरह लेने जाना चाहती हूँ , आप ले जाएँगे क्या? वो क्या है ना, मुझे यहाँ का कुछ पता नहीं है ना, इसीलिए आपकी मदद चाहिए। पड़ोसन कह रही थी कि शिवाजी चौक का सब्ज़ी बाज़ार सबसे अच्छा है।

राजीव: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं , मैं थोड़ी देर में आता हूँ तब चलेंगे। पर शिवाजी चौक में तो बेटी बहुत भीड़ होती है।

यह कहकर राजीव अपने एक दोस्त से मिलने निकल गया। उसकी पास ही में एक दुकान थी चश्मों की जिसमें उसका एक पुराना दोस्त पटेल बैठा था। पटेल उसे देखकर बहुत ख़ुश हुआ और बोला: अरे यार आज रास्ता कैसे भूल गए? आओ बैठो।

राजीव उसके पास बैठा और दोनों पुराने दिनों की बातें करने लगे। तभी बातें राजीव की बीवी की मौत की ओर चली गयीं। पटेल बोला: यार , भाभी जी ने तुझे धोका दे दिया। एकदम से चली गयी।

राजीव : हाँ यार एकदम से अकेला हो गया हूँ।

पटेल: यार सच में बहुत मुश्किल है बिना बीवी के रहना। हालाँकि इस उम्र में रोज़ मज़े नहीं करना होता है पर हफ़्ते में एक दो दिन तो मज़े का मूड बन ही जाता है। उसपर बीवी का ना होना सच में मुश्किल होता होगा।

राजीव: क्या तू सच में अभी भी भाभीजी के भरोसे ही है क्या? यहाँ वहाँ मुँह भी तो मारता होगा?

पटेल: अरे अब तुमसे क्या पर्दा भला। तुम्हारी भाभी के साथ तो हफ़्ते में एक बार हो ही जाता है। और मैं सामान लेने हर महीने मुंबई जाता हूँ और कम से कम दो रात वहाँ होटेल में गुज़ारता हूँ। वहाँ मेरी सेटिंग है रात में २०/२२ साल की एक लौड़िया आ जाती है पूरी रात साली के साथ चिपका रहता हूँ। पूरे पैसे वसूल करता हूँ।

राजीव: वाह भाई , तुम तो छिपे रूसतम निकले। वैसे यहाँ भी तो होटलों में लौंडियाँ मिलती होंगी।

पटेल: यहाँ कोई भी जान पहचान का मिल सकता है, वहाँ कौन अपने को जानता है भला?

राजीव: हाँ ये तो रिस्क है यहाँ करने में ।

पटेल: यार तू दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेता।

राजीव: अरे अभी तो मेरे बेटे की शादी हुई है अब इस उम्र में मैं क्या शादी करूँगा यार।

पटेल: अरे अपने गाँव साइड में तो हमारी उम्र के बूढ़ों को भी मस्त जवान लौड़िया मिल जाती हैं शादी के लिए बस कुछ पैसा फेंकना पड़ता है और तूने पैसा तो बहुत कमाया है यार।

राजीव : चल छोड़ ये सब बातें। फिर वह वहाँ से वापस आ गया।

जब वह घर पहुँचा तो शिवा दुकान जा चुका था और मालिनी एक नई नौकरानी से काम करवा रही थी। वह कोई ४० के आसपास की काली सी औरत थी और राजीव ने अपनी क़िस्मत को कोसा कि इस बार बहु ने ऐसी औरत चुनी है जिसे देखकर खड़ा लौड़ा भी मुरझा जाए।पर वह बोला: अरे बहु तुम तय्यार नहीं हुई बाज़ार जाना था ना?

मालिनी: बस पापा अभी ५ मिनट में तय्यार होकर आती हूँ। ये नई बाई है कमला। इसे काम समझा रही थी। ये कहकर वह अपने कमरे में चली गयी और १० मिनट में तय्यार होकर आइ। राजीव उसका इंतज़ार सोफ़े में बैठा टी वी देखकर कर रहा था। मालिनी: पापा चलें ?

राजीव ने आँखें उठाईं और मालिनी को देखता ही रह गया। गुलाबी सलवार सूट में वो बहुत प्यारी लग रही थी। ये कपड़े भी अब उसे थोड़े टाइट हो चले थे। पर उसने चुन्नी इस तरह से ली थी जिसमें उसकी छातियाँ पूरी ढकीं हुई थी। सच में उसकी बहु नगीना याने हीरा थी ,वह सोचा।

फिर दोनों बाहर आए और कार में बैठकर सब्ज़ी बाज़ार की तरफ़ चल पड़े। रास्ते में राजीव उसे शहर के ख़ास बाज़ार और मुहल्लों के बारे में बताने लगा। वह बड़े ध्यान से सुन रही थी। तभी सब्ज़ी मार्केट आ गयी ।दोनों कार से उतरे और मालिनी हाथ में थैला पकड़कर चल पड़ी। राजीव उसके पिच्छे चलने लगा। उसने ऊँची एड़ी का सेंडल पहनी थी और उसके चूतर सलवार में मस्त मटक रहे थे। राजीव का लौड़ा अकडने लगा। तभी वह एक सब्ज़ी वाले के यहाँ रुकी और झुक कर टमाटर पसंद करने लगी। अब उसकी चुन्नी ढलक गयी थी और उसकी मस्त छातियाँ सामने तनी हुए दिखाई दे रहीं थे। उसके चूतर भी पीछे से मस्त कशिश पैदा कर रहे थे। उफ़्फ़्फ़्ग्ग क्या मस्ती है इस लौड़िया में। तभी एक आदमी वहीं से गुज़रा और उसने झुकी हुई मालिनी की गाँड़ पर हाथ फेरा और चला गया।

राजीव को ग़ुस्सा आया पर वह आदमी ग़ायब हो चुका था। मालिनी एकदम से पलट कर देखी तब तक वह आदमी जा चुका था। राजीव उसके पीछे आकर खड़ा हुआ और बोला: बेटी, अब मैं यहाँ खड़ा हूँ तुम आराम से सब्ज़ी पसंद करो।

मालिनी: ठीक है पापा जी। वह अब अपने काम में लग गयी।
राजीव अब अच्छी तरह से उसकी गाँड़ का जायज़ा ले रहा था और अपने लौड़े को adjust कर रहा था। तभी राजीव को एक साँड़ आता दिखा और वह राजीव के बिलकुल बग़ल में आ गया और उसे रास्ता देने के लिए उसे आगे को होना पड़ा तभी उसका पैंट के अंदर से उसका लौड़ा उसकी चूतरों पर टकराने लगा। मालिनी सकपका कर उठने की कोशिश की और तभी वह साँड़ राजीव से टकराने लगा और राजीव आगे को हुआ और फिर मालिनी उसकी ठोकर से आगे को गिरने लगी। तभी राजीव ने उसके कमर पर हाथ डाला और उसे अपने क़रीब खींच लिया और वह नीचे गिरने से बच गयी । राजीव का अगला हिस्सा अब मालिनी के पिछवाड़े से पूरी तरह चिपक गया था। मालिनी को भी उसके कड़े लौड़े का अहसास अपनी गाँड़ पर होने लगा था। राजीव का हाथ उसकी कमर पर चिपका हुआ था। मालिनी पीछे को मुड़ी और उसने साँड़ को वहाँ से जाते देखा । वह समझ गयी कि क्या हुआ है। वह बोली: पापा जी साँड़ चला गया, अब मुझे छोड़ दीजिए।

राजीव झेंप कर पीछे को हुआ और अपने पैंट को अजस्ट करने लगा। मालिनी की आँखें उसकी पैंट पर पड़ी और वह शर्म से दोहरी हो गयी। वो सोची - हे भगवान ! ये पापा को क्या हो गया? वो इतने उत्तेजित मुझे छू कर हो गए क्या? फिर उसने अपनी आँखें वहाँ से हटाई और पैसे देने लगी।

राजीव: बेटी, मैंने बोला था ना कि यहाँ बहुत भीड़ रहती है। चलो तुम्हारी सब्ज़ी हो गयी या अभी और लेना है।

मालिनी: पापा जी अभी और लेनी है, चलिए उधर भीड़ नहीं है वहाँ से लेते हैं।

दिर उन्होंने सब्ज़ी ख़रीदी और वापस घर आए। मालिनी थोड़ी सी हिल सी गयी थी कि पापा उसे छू कर इतने उत्तेजित क्यों हो गए। क्या वो उसे ग़लत निगाह से देखते है। उसे थोड़ा ध्यान से रहना होगा अगर पापा जी उसके बारे में कुछ ऐसा वैसा सोचते हैं तो । फिर उसने अपने आप को कोसा और सोची कि छि पापा के बारे में वो ऐसा कैसे सोच सकती है। अब वह आराम करने लगी।

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04-09-2017, 04:03 PM,
#44
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव अपने कमरे में आकर मालिनी के स्पर्श को याद करके बुरी तरह उत्तेजित हो उठा और अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाने लगा। उफफफफ क्या मस्त लगा था जब उसका लौड़ा उसके चूतरों में रगड़ खा रहा था। वह उसकी अपनी बहू थी ये उसे और भी मस्त कर रहा था।
तभी बाहर से मालिनी की आवाज़ आइ: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?

राजीव: हाँ लगाओ मैं आता हूँ। फिर दोनों खाना खाए। मालिनी ने नोटिस किया कि आज राजीव की आँखें बार बार उसकी छाती पर जा रही हैं। जब वह पानी डालने को उठी तब वह उसके पिछवाड़े को ताड़ रहा था , यह उसने कनख़ियों से साफ़ साफ़ देखा। वह मन ही मन थोड़ी परेशान होने लगी थी। फिर जब वह बर्तन उठाकर किचन में रख रही थी तब भी वह उसे ताड़ें जा रहा था। और मालिनी ने देखा कि वह अपनी लूँगी में अपना लौड़ा भी ऐडजस्ट किया। उसने सोचा की हे भगवान, ये पापा जी को आख़िर एकदम से क्या हो गया।

बाद में अपने कमरे ने आकर वह सोची कि क्या शिवा को सब बता देना चाहिए? मन ने कहा कि वह बेकार में परेशान होगा और वैसे भी उसके पास इस बात का कोई सबूत भी तो नहीं है।

उधर जैसे जैसे समय बीत रहा था राजीव की दीवानगी अपनी बहू के लिए बढ़ती ही जा रही थी। इसी तरह दिन बीत रहे थे। अब राजीव में एक परिवर्तन आ गया था कि वह अब खूल्लम ख़ूल्ला बहू को घूरता था और अपने लूँगी पर हाथ रख कर अपने लौड़े को मसल देता था। वह इस बात की भी परवाह नहीं करता था कि मालिनी देख रही है या नहीं। मालिनी की परेशानी का कोई अंत ही नहीं था। वह सब समझ रही थी , पर अनजान बनने का नाटक कर रही थी । शायद इसके अलावा उसके पास कोई उपाय भी नहीं था। वह शिवा से भी कुछ नहीं कह पा रही थी।

इधर शिवा की भूक़ भी सेक्स के लिए बढ़ती जा रही थी। वह घर आते ही मालिनी को अपने कमरे में ले जाता और फिर उसको बिस्तर पर पटक देता था और पागलों की तरह उसका बदन चूमने लगता था। फिर वह उसकी चूचियों को दबाकर और चूस चूस कर लाल कर देता था । उसके निपल्ज़ को रगड़कर मालिनी को मस्त करना उसने सीख लिया था। फिर वह उसकी बुर में मुँह डालकर कम से कम १० मिनट चूसता था और फिर उसे कभी नीचे लिटा कर या कभी घोड़ी बनाकर या कभी उसको बग़ल में लिटा कर साइड के करवट से चोदता था। आधे घंटे की चुदाई में मालिनी की चूत के साथ साथ आत्मा भी तृप्त हो जाती थी। बाद में डिनर के बाद तो वह जो उसके कपड़े उतारता था तो वह दोनों रात भर नंगे ही रहते थे। इस वक़्त मालिनी और वो ६९ करते थे। मालिनी ने भी लौड़ा चूसना सीख लिया था। उसे बड़ा अजीब लगता जब शिवा उसकी बुर चाटते हुए उसकी गाँड़ के छेद को भी चाट लेता। इस बार की चुदाई में मालिनी को ऊपर रहना अच्छा लगता था। इस तरह से वो अपने मज़े को चरम सीमा में पहुँचाने की कला भी सीख ली थी। शिवा के हाथ उसकी हिलती चूचियों और चूतरों पर रहते थे और बीच बीच में वह उसकी गाँड़ में ऊँगली भी करता था। चरमसीमा पर पहुँच कर अब मालिनी खुल कर चीख़ने भी लगी थी। शिवा उसको गंदी बातें बोलने के लिए उकसाता और वह भी मस्ती में गंदी बातें बोलने लगी थीं।

जैसे उस रात जब वो उसकी बुर चाट रहा था तो मालिनी चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽऽह उइइइइइ

शिवा: जान , मज़ा आ रहा है?

मालिनी: आऽऽऽऽँहह बहुत ।

शिवा: कहाँ मज़ा आ रहा है?

मालिनी: हाऽऽऽऽऽय्य मेरीइइइइइइ बुर मेंएएएएएएए।

शिवा: अब क्या करूँ ?

मालिनी: चोओओओओओओओओदो नाआऽऽऽऽऽ प्लीज़। उग्फ़्फ़्ग्ग्ग्ग ।
इस तरह अब मालिनी भी उसके रंग में रंग गयी थी।

उनकी रात की आख़री चुदाई रात के ११ बजे होती थी जो साइड के पोज़ में होती थी और शिवा के हाथ उसकी कमर, चूतरों और गाँड़ के छेद में होते थे। शिवा उसको मानसिक रूप से गाँड़ मरवाने के लिए भी तय्यार कर रहा था ।वो क़रीब आख़री चुदाई के बाद १२ बजे सोते थे। मालिनी अनुभव कर रही थी कि शिवा चुदाई में वेरायटि खोजता रहता है। वैसे दोनों अब अनुभवी चुदक्कड बन चुके थे। और अब वो गंदी और अश्लील बातें भी करने लगे थे।

जीवन इसी तरह बीत रहा था। मालिनी पूरी तरह से एक तृप्त नारी थी और उधर उसका ससुर पूरी तरह से अतृप्त पुरुष !!!

इसी तरह कई दिन बीत गए। उस दिन क़रीब दोपहर के १ बजे थे। राजीव अपने कमरे ने टीवी देख रहा था और वह सोफ़े पर बैठी अपनी माँ से फ़ोन पर बातें कर रहीं थी। कमला काम करके जा चुकी थी। तभी घंटी बजी और वह उठी और दरवाजे के पास आकर बोली: कौन है?

बाहर से आवाज़ आइ: कूरीयर है मैडम।

मालिनी ने दरवाज़ा खोला और बाहर दो आदमी खड़े थे । वो अंदर को झाँके और किसी को ना देखकर एक बोला: लगता है आप अकेली है अभी?

दूसरे ने पूछा: आपके पति तो काम पर गए हैं ना? कूरीयर में कौन साइन करेगा?

मालिनी: हाँ वह दुकान में हैं , लायिए मैं साइन कर देता हूँ।

उन दोनों को यक़ीन हो गया कि वह शायद अकेली है घर पर । तभी वो दोनों एक झटके से अंदर आए और एक ने उसके मुँह पर अपना हाथ दबा दिया और दूसरे ने एक छुरी निकाल ली और उसे धमकाते हुए बोला: ख़बरदार आवाज़ निकाली तो काट दूँगा। मालिनी घबरा गयी और बोलने की कोशिश की : आपको क्या चाहिए?

एक आदमी हँसते हुए उसकी चूचि दबा दिया और बोला: तू चाहिए और साथ में सोना रुपया जो भी मिल जाए। तभी दूसरे आदमी ने भी उसकी दूसरी चूचि दबा दी और बोला: साली मस्त माल है, चोदने में मज़ा आएगा। चल अंदर और तिजोरी खोल और माल निकाल। फिर तेरे से मज़ा करेंगे। ये कहते हुए उसकी चूचि ज़ोर से दबा दिया।

अब मालिनी डर से काँपने लगी और अचानक ना जाने कहाँ से उसमें इतनी ताक़त आ गयी कि वह अपने मुँह में रखे हाथ को पूरी ताक़त से दाँत से काट दी और जैसे उसके मुँह से उस आदमी का हाथ हटा, वह ज़ोर से चिल्लाई: पापा जीइइइइइइइइ बचाओओओओओओओओ।

राजीव की टी वी देखते हुए शायद आँख लग गई थी और टी वी अभी भी चल रहा था, शायद इसलिए वह पहले की बातें नहीं सुन पाया था। पर मालिनी की चीख़ उसने साफ़ साफ़ सुनी और वह बाहर की ओर आया। अब उसने मालिनी को एक साथ दो आदमी के पकड़ से निकलने की कोशिश करते देखा तो वह समझ गया कि उसे क्या करना है। वह पीछे से तेज़ी से लपका और एक आदमी के पीठ में एक ज़ोरदार मुक्का मारा। वह आदमी दूसरे आदमी से टकराया और दोनों नीचे गिर गए। अब उसने दोनों की ज़बरदस्त धुनाई शुरू कर दी। राजीव एक बलिष्ठ पुरुष था और जल्दी ही वो दोनों उठ कर भागने में सफल हो गए।
राजीव उनके पीछे दौड़ा पर वो भाग गए।

जब वो वापस आया तब मालिनी जो अब भी डर से काँप रही थी उससे पपाऽऽऽऽऽऽऽऽ कहकर लिपट गयी और रोने लगी। राजीव उसकी पीठ सहलाते हुए बोला: अरे बहू, वो चले गए। अब क्यों रो रही हो?

मालिनी के आँसू थम ही नहीं रहे थे और वह उससे और ज़ोर से चिपट गयी और वह रोए जा रही थी।
राजीव ने भी उसे अब अपनी बाहों में भींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरकर बोला: बस बेटी अब चुप हो जाओ। सब ठीक हो गया ना अब तो? अब वह उसकी बाँह भी सहलाने लगा और फिर उसके गाल से आँसू भी पोछा । अब जब वो थोड़ी सामान्य हुई तो वह उसे सहारा देकर सोफ़े पर बैठा दिया और पानी लेकर आया। उसके बग़ल में बैठकर वह उसे पानी पिलाने लगा। मालिनी की अभी भी हिचकियाँ बंधी हुई थीं। पाने पीने के बाद वो थोड़ा शांत हुई। अब राजीव ने उसके गाल से उसके आँसू पोंछे और बोला: बस बेटी, अब चुप हो जाओ। देखो सब ठीक है।

तभी फिर से घंटी बजी और मालिनी एकदम से डर गयी और राजीव की गोद में बैठ गयी और अपना सिर उसके सीने में छुपा ली और बोली: पापा वो फिर आ गए। अब राजीव ने उसकी बाँह सहलाई और ज़ोर से पूछा: कौन है?

कोई बोला: साहब डोमिनो से आया हूँ पिज़्ज़ा लाया हूँ।

राजीव चिल्ला कर बोला: हमने नहीं मँगाया है। ग़लत ऐड्रेस होगा । अभी जाओ ।

उधर मालिनी उसकी गोद में बैठी थर थर काँप रही थी। अब राजीव ने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और बड़े प्यार से उसके गालों को चूमा और बोला: बेटी, पिज़्ज़ा बोय था, बेकार में मत डरो।

मालिनी अभी भी उसकी गोद में बैठी थी और उसकी छाती राजीव की छाती से सटी हुई थी। राजीव को भी अब अपनी जवान बहू के कोमल स्पर्श का अहसास हुआ और उसका लौड़ा लूँगी में अपना सिर उठाने लगा। अब वह झुककर उसके गाल को चूमा और उसकी बाँह सहलाते हुए बोला: वैसे बेटी ग़लती तो तुम्हारी है ही। तुमको दरवाज़ा खोलने के पहले डोर लैच लगाना चाहिए था। तुमने जाकर एकदम से दरवाज़ा खोल दिया। सोचो मैं ना होता घर पर तो क्या होता?

मालिनी का बदन एक बार फिर डर से काँप उठा वह बोली: पापा जी वो तो मेरे साथ गंदे काम करने की बात कर रहे थे। सोना और पैसा भी माँग रहे थे।

राजीव ने अब उसके नंगे कंधे को सहलाया और बोला: बेटी उन्होंने तुम्हारे साथ कोई ग़लत हरकत तो नहीं किया?

मालिनी थोड़ी सी शर्माकर: पापा जी वी बड़े कमीने थे उन्होंने मेरी छाती दबाई थी।

राजीव उसके ब्लाउस को छाती की जगह पर देखकर बोला: तभी यहाँ का कपड़ा बहुत मुड़ा सा दिख रहा है। क्या ज़ोर से दबाया था बेटी उन कमीनों ने?

मालिनी: जी पापा जी बहुत दुखा था। वो रोने लगी।

अब राजीव ने उसके गाल चूमते हुए कहा : बेटी, अब चुप हो जाओ। तुम चाहो तो मैं वहाँ दवा लगा दूँ।

मालिनी: नहीं पापा जी अब वहाँ ठीक है। पापा जी आज आप नहीं होते तो पता नहीं मेरा क्या होता। वो कमीने मेरा क्या हाल करते पता नहीं।

राजीव अपनी गोद में बैठी बहु को चूमा और बोला: बेटी, मेरे रहते तुमको कुछ नहीं हो सकता। पर आगे से दरवाज़ा ऐसे कभी नहीं खोलना ठीक है?

मालिनी: जी पापा जी आगे से कभी ग़लती नहीं होगी।

तभी उसका मोबाइल बजा। मालिनी: हाय जी।

शिवा: जान कैसी हो?

मालिनी रोने लगी और बोली: आज तो पापा जी ने बचा लिया वरना मैं तो गयी थी काम से।

शिवा: क्या हुआ?

राजीव ने उसके हाथ से फ़ोन लिया और शिवा को पूरी बात बताई। वह उसको कहानी बताते हुए अपनी बहु के गाल और हाथ और गरदन सहला रहा था। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो चुका था। अचानक मालिनी को अपनी गाँड़ में उसके लौड़ा चुभते हुए महसूस किया। वह चौकी और एकदम से खड़ी हुई और उसके गोद से उठकर वह बोली: पापा मैं बाथरूम से मुँह धोकर आती हूँ।

शिवा: पापा मैं अभी आता हूँ ! ये कहकर वह फ़ोन काट दिया।

उसके जाने के बाद राजीव उन लमहों के बारे में सोचता रहा जब वह उसकी गोद में बैठी थी। फिर अपना लौड़ा दबाकर अपने कमरे में चला गया।
इधर मालिनी सोच रही थी कि आज पापा के कारण वह भारी मुसीबत से बच गयी। पापा कितने अच्छें है और कितने तगड़े हैं दो दो गुंडों से अकेले ही निपट लिए। जब वो रो रही थी तब भी कितने प्यार से उसे सहारा दिए। कैसे उसका हौंसला बढ़ाते रहे। वह पापा के लिए प्यार और आदर के भाव से भर उठी। पर तभी उसको याद आया कि उनका लौड़ा उसकी गाँड़ में कैसे चुभने लगा था? इसका मतलब तो ये हुआ कि वो उसको वासना की दृष्टि से भी देखते हैं।

फिर वह सोचने लगी कि शायद उसने जो रानी को काम से निकाल दिया था वो ग़लत हो गया । वो पापा की भूक़ शांत तो कर देती थी जो अब नहीं हो पा रही है। इसलिए शायद पापा उसके स्पर्श से गरम हो जाते होंगे। वो उलझने लगी कि इस समस्या का आख़िर हल क्या होगा? हे भगवान मुझे रास्ता दिखाइए ।

तभी फिर से घंटी बजी और वह फिर से डर गयी। वो बाहर आयी तो देखा कि पापा दरवाज़ा खोलने के पहले पूछे : कौन है?

शिवा की आवाज़ आइ: पापा मैं हूँ।

जैसे ही शिवा अंदर आया , मालिनी उससे दौड़ कर लिपट गयी। राजीव के सामने वह पहली बार ऐसा कर रही थी। शिवा उससे प्यार करने लगा। वह फिर से रो पड़ी।

शिवा: पापा आज तो हम लोग लुट जाते। आप तो सूपरमैन निकले।

अब सब हँसने लगे।

शिवा और मालिनी कमरे में चले गए। शिवा ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और प्यार करने लगा।

शिवा: उन लोगों ने तुमसे कोई बदमत्तिजी तो नहीं की?

मालिनी: बहुत कमीने थे उन्होंने मेरी छाती बहुत ज़ोर से दबाई अभी तक दुःख रही है।

शिवा: ओह दिखाओ , कुछ क्रीम लगा देता हूँ। ये कहकर उसने ब्लाउस खोला और फिर ब्रा का स्ट्रैप भी निकाला और अब मालिनी के बड़े दूध उसकी आँखों के सामने थे और उनके लाल लाल निशान थे उँगलियों के। वह निशान पर हाथ फेरकर बोला: ओह कमीनों ने बड़ी बेरहमी से मसला है। फिर वह पास से एक कोल्ड क्रीम की डिब्बी से क्रीम निकालकर उसकी छातियों में मलने लगा। उसकी मालिश से मालिनी के बदन में तरंगें उठने लगीं और वह मस्ती से भरने लगी। अब शिवा का लौड़ा भी उसके नरम चूचियों के स्पर्श से खड़ा होने लगा। और जल्द ही मालिनी की गाँड़ में चुभने लगा।

मालिनी सिहर उठी और सोची कि यही हाल पापा जी का भी था कुछ देर पहले। बाप बेटा दोनों ही बहुत हॉर्नी मर्द हैं। अब वह भी गरम हो चुकी थी सो बोली: आऽऽऽऽहहह जी चूसिए ना इनको।बहुत मन कर रहा है चूसवाने को। शिवा ख़ुश होकर उसकी चूचियाँ चूसने लगा और अब मालिनी की आऽऽऽह निकलने लगी।

उधर राजीव की हालत ख़राब थी , उसके विचारों से उसकी गोद में बैठी बहू के बदन का अहसास निकल ही नहीं रहा था और उसका लौड़ा अभी भी अकड़ा हुआ था। अब वह किचन में पानी पीने गया और उसे मालिनी की आहें सुनाई दी धीरे से। वह रुका और दरवाज़े के पास आकर सुनने की कोशिश किया कि क्या मालिनी अभी भी रो रही है?

पर जल्दी ही मालिनी की सिसकियों की आवाज़ से वह समझ गया कि ये तो मस्ती की सिसकियाँ है। वह अब थोड़ा उत्तेजित हो गया और धीरे से खिड़की के पास आकर आधी खुली खिड़की से पर्दा हटाया । कमरे में काफ़ी रोशनी थी क्योंकि अभी दोपहर के २ बजे थे।

कमरे का दृश्य उसे एकदम से पागल कर दिया। शिवा बिस्तर पर लेता था और उसकी प्यारी सीधी साधी बहू पूरी नंगी उस के लौड़े पर बैठी थी और ऊपर नीचे होकर चुदाई में मस्त थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था। उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ बुरी तरह से हिल रही थीं जिसे शिवा दबाकर चूस रहा था। उसकी मोटी गाँड़ भी मस्त लग रही थी जो बुरी तरह से ऊपर नीचे हो रही थी और मालिनी की आऽऽऽह और उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ हाऽऽऽऽयय्यय जीइइइइइइ बड़ा मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽऽ है। उन्न्न्न्न्न्न्न्न की आवाज़ें राजीव को अपनी लूँगी खोलने को मज़बूर कर दिया और वह अपना लौड़ा मूठियाने लगा।

शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर नीचे से धक्का मार रहा था। जल्दी ही दोनों ह्म्म्म्म्म्म्म उन्न्न्न्न्न्न करके झड़ने लगे और इधर राजीव ने भी अपना पानी अपनी लूँगी में छोड़ दिया। वो सोचने लगा कि साली बहू कितनी सीधी दिखती है पर चुदवाती किसी रँडी को तरह है। आऽऽऽऽऽह क्या मज़ा आएगा इसे चोदने में। वह वहाँ से अपने कमरे में आकर बहू के सपने में खो गया।

उधर मालिनी उठी और बाथरूम से आकर कपड़े पहनी और बोली: चलो तय्यार हो जाओ मैं खाना लगाती हूँ । आज देर हो गयी है। पापा जी क्या सोचेंगे।

वह खाना लगाकर राजीव को आवाज़ दी: पापा जी आ जायीये खाना लग गया है।

फिर तीनों ने खाना खाया और शिवा दुकान वापस चला गया। राजीव और मालिनी अपने अपने कमरे में आराम करने लगे।

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04-09-2017, 04:03 PM,
#45
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले कुछ दिन राजीव बहुत बेचैन सा रहा। उसकी आँखों के सामने बहु का मादक नग्न बदन जो कि शिवा के ऊपर उछल रहा था, बार बार आ जाता था और उसको अंदर तक पागल कर देता था। घर में भी उसकी निगाहें मालिनी की जवानी को घूरती रहती थी। कभी उसे उसकी मस्त चूचियों का उभार घायल कर जाता था तो कभी उसके गोरे पेट और गहरी नाभि का दर्शन और उसके पिछवाड़े का आकर्षण तो जैसे उसे दीवाना ही बना चुका था।

वह अपनी परेशानी मिटाने के लिए बाज़ार गया। उसके एक दोस्त की पास ही में गिफ़्ट शॉप थी। उसका दोस्त रमेश उसे बड़े तपाक से मिला: दोनों पुरानी बातें करने लगे। फिर बातें करते हुए राजीव के अकेलेपन पर बात आ गयी।

रमेश: यार तू दूसरी शादी कर ले। अभी तो तू हट्टा कट्टा है। किसी भी लौंडिया को मज़े से संतुष्ट कर सकता है।

राजीव: यार अभी तो शिवा की शादी की है। अब अपनी भी शादी करता हूँ तो क्या अच्छा लगेगा? नहीं यार ये नहीं हो सकता।

रमेश: सब हो सकता है। यह कहकर वह एक फ़ोन मिलाया और बोला: पंडित जी नमस्कार। कैसे हैं। अच्छा एक मेरा दोस्त है क़रीब ४५ साल का है उसकी बीवी का निधन हो गया है। दो शादीशुदा बच्चें भी हैं । उसके लिए कोई लड़की चाहिए। हो पाएगा? मैं आपको स्पीकर मोड में डाला हूँ ताकि मेरा दोस्त भी सुन सके।

राजीव धीरे से बोला: अबे मैं ५० का हूँ।

रमेश ने आँख मारी : अबे सब चलता है।

पंडित: हाँ हाँ क्यों नहीं हो पाएगा। यहाँ तो बहुत ग़रीब लड़कियाँ है हमारे गाँव में , कितनी उम्र की चाहिए?

रमेश: अरे बस यही कोई २२/२५ की और क्या? अब शादी करेगा और इतना ख़र्चा करेगा तो भाई को मज़ा भी तो मिलना चाहिए ना?

पंडित खी खी कर हँसा और बोला: आप ठीक कहते हो। मैं आज से ही इस काम में जुट जाता हूँ और आपको ३/४ दिन में बताऊँगा। बस मेरा ख़याल रखिएगा।

रमेश: मैं तुम्हारा नम्बर राजीव को दे रहा हूँ । अब आगे की बात आप दोनों आपस में ही करना। आपको भी राजीव का नम्बर भेज रहा हूँ। चलो रखता हूँ।

राजीव: अबे, मेरी शादी ज़बरदस्ती करा देगा क्या? यार मैं ये नहीं कर सकता इस उम्र में। अच्छा चल छोड़ ये सब, अब चलता हूँ।

उधर मालिनी भी बड़ी ऊहापोह में थी कि पापा जी का घूरना बढ़ता ही जा रहा था और लूँगी में अपना लौड़ा सहलाना भी बड़ी बेशर्मी से जारी था। वह अभी भी फ़ैसला नहीं कर पा रही थी कि इसका ज़िक्र वो माँ से करे या शिवा से करे? या फिर महक दीदी से बात करे?

तभी राजीव घर आया और सोफ़े पर बैठी मालिनी से पानी माँगा। उसकी आँखें अब उसके जवान और भरे हुए बदन पर थीं और वह फिर से उत्तेजित होने लगा आज उसने साड़ी पहनी थी। उफफफफ क्या माल थी उसकी बहू । वह अपने पैंट को दबाया। पानी पीकर वह अपने कमरे में गया और आज बहुत गम्भीरता से मालिनी को पाने के बारे में सोचने लगा। तभी उसके फ़ोन की घंटी बजी और वो चौंक गया क्योंकि महक का फ़ोन था। वह सोचा कि इस वक़्त तो वहाँ रात होगी। इस वक़्त कैसे फ़ोन आया होगा।

राजीव: हेलो बेटी कैसी हो?

महक: पापा मैं बहुत अच्छीं हूँ। आप लोग सब ठीक हो?

राजीव: हाँ बेटी यहाँ भी सब ठीक है। तुम्हारी प्रेग्नन्सी का क्या हुआ? तुमने तो बताया ही नहीं।

महक: बधाई हो पापा , आप बहुत जल्दी पापा और नाना दोनों बनने वाले हैं। अब मुझे पता नहीं कि बच्चा आपका है या कर्नल अंकल का। यह कहकर वह हँसने लगी।

राजीव ख़ुश होकर: बहुत बधाई बेटी तुमको। क्या फ़र्क़ पड़ता है पापा कोई भी हो, मा तो तुम ही होगी ना? इतने दिनो बाद क्यों बता रही हो?

महक: पापा मैं पक्का कर ली हूँ और अब तो मैं ३ महीने से परेगननट हूँ। तभी बताने का सोची। राज भी बहुत ख़ुश है ।

राजीव: ला उसे भी फ़ोन दे दे बधाई दे दूँ। आख़िर पापा तो वही कहलाएगा, भले वो पापा हो चाहे ना हो।

महक: पापा वो टूर पर गए हैं तभी तो फ़ोन कर रही हूँ।

राजीव: ओह तो अकेली है मेरी तरह। ज़रा वीडीयो काल में आना। मुझे तुम्हें देखे कितने महीने हो गए। मैं फ़ेस टाइम भेज रहा हूँ।

महक: ठीक है पापा भेजिए रिक्वेस्ट । जल्दी ही दोनों विडीओ कॉल में कनेक्ट हो गए।

राजीव: बेटी बहुत प्यारी लग रही हो। गाल और भर गए हैं।

महक हँसकर : पापा गाल ही नहीं सब कुछ भर गए हैं।

राजीव: अच्छा और क्या क्या भर गया है, ज़रा दिखाओ ना।

महक हँसकर: देखिए। अब वो अपना पेट दिखाई जहाँ थोड़ा सा साइज़ बढ़ा हुआ लगा। फिर वह अपनी छाती दिखाई और बोली: पापा ये भी अब ४० के हो गए हैं। वो एक नायटी पहनी थी।

राजीव के लौड़े ने लूँगी में झटका मारा। और वह उसे दबाने लगा और बोला: बेटी सच इतने बड़े हो गए? ज़रा दिखा दो ना मुझे भी।

महक हँसती हुई बोली: पापा आप मेरे साथ सेक्स चैट करोगे क्या? शायद ही कोई बाप बेटी ऐसा किए होंगे अब तक?

राजीव: प्लीज़ दिखाओ ना? देखो मेरे अब खड़ा हो गया है। यह कह कर उसने अपना लौड़ा लूँगी से बाहर निकाला और उसको केमरे से दिखाने लगा। महक पूरे फ़ोन पर उसके खड़े लौड़े का विडीओ देखकर गरम हो गयी और अब अपनी नायटी उतार दी। अब वह सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी।

राजीव: आऽऽऽऽऽह बेटी, क्या मस्त माल हो तुम। सच ब्रा में से भी तुम्हारी चूचियाँ कितनी बड़ी दिख रही हैं। आऽऽऽऽहहह वह मूठ्ठ मारते हुए बोला: अब ब्रा भी निकाल दो मेरी प्यारी बच्ची। आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह।

महक ने ही मुस्कुरा कर अपनी ब्रा निकाल दी और उसकी बड़ी चूचियाँ देखकर वह मस्ती से लौंडे को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा। अब महक अपनी चूचियाँ दबाने लगी और निपल को भी मसलने लगी। उसकी आँखें उसके लौड़े पर थी।

राजीव: आऽऽऽहहह बेटी, अब पैंटी भी निकला दो और अपनी मस्त चूत और गाँड़ दिखाओ ताकि मैं झड़ सकूँ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़।

महक ने पैंटी धीरे धीरे किसी रँडी की तरह निकाली और अपने पापा को एक स्ट्रिप शो दे दिया । अब वह रँडी की तरह गाँड़ मटका रही थी। और फिर उसने कैमरा अपनी बुर के सामने रखा और उसको फैलाकर अपनी बुर की गुलाबी हिस्सा दिखाई और फिर उसने तीन उँगलियाँ डालकर हस्त मैथुन करने लगी।

राजीव अब पूरी तरह उत्तेजित होकर आऽऽऽऽऽहहहह क्या चूउउइउउउउउउत है बेटीइइइइइइइइ मैं तोओओओओओओओओ गयाआऽऽऽऽऽऽ। कहकर झड़ने लगा। उसकी वीर्य की धार उसके पेट पर गिरे जा रही थी। उधर वह भी पाआऽऽऽऽऽऽपा कहकर झड़ने लगी।

जब दोनों शांत हो गए तो महक बोली: पापा रानी से चुदाई चल रही है ना? आप इतने प्यासे क्यों लग रहे हो?

राजीव: अरे बेटी, इस बहू ने सब काम ख़राब कर दिया । एक दिन उसने मुझे रानी को चोदते हुए देख लिया और उसको नौकरी से ही निकाल दिया। अब मेरी प्यास बुझाने वाली कोई है ही नहीं। बहु की माँ को एक बार होटेल में बुला कर चोदा हूँ। पर बार बार होटेल का रिस्क नहीं ले सकता।

महक: ओह ये तो बड़ी गड़बड़ हो गयी। रानी कम से कम आपको शांत तो कर देती थी। अब क्या करेंगे?

राजीव : पता नहीं बेटी, तुम्हारे और राज के मज़े तो ठीक चल रहे हैं ना?

महक: पापा आपसे चूदने के बाद अब तो इनके पतले हथियार से मज़ा ही नहीं आता। इसलिए यहाँ भी मैंने अपने लिए एक अमेरिकन पापा ढूँढ लिया है।

राजीव: मतलब? मैं समझा नहीं।

महक: पापा, मेरे ऑफ़िस में आपकी उम्र का ही एक आदमी है जॉन । वो तलाक़ शुदा है। वह मुझे घूरता रहता था। आपसे मिलकर जब वापस आइ तो बुर बहुत खुजाती थी मोटे लौड़े के लिए। आपकी आदत जो पड़ गयी थी। तब मैंने इसे लिफ़्ट दी और अब वह मुझे मज़े से चोदता है। मैं उसे पापा कहती हूँ अकेले में और चुदवाते समय भी। वह भी मुझे डॉटर की तरह ट्रीट करता है अकेले में। उसका लौड़ा भी आपकी तरह मस्त मोटा और बड़ा है। वो भी मस्ती से चोदता है बिलकुल आपकी तरह।

राजीव: वाह बेटी तुमने वहाँ भी एक पापा ढूँढ लिया है, पर मुझे तो यहाँ एक बेटी नहीं मिली।

महक हँसकर बोली: पापा घर में बहू तो है ,बेटी ना सही , उसी से काम चला लो। वैसे उसका व्यवहार कैसा है?

राजीव: व्यवहार तो बहुत अच्छा है उसका, पर साली बहुत सेक्सी है । मैंने उसकी और शिवा की चुदाई ग़लती से देखी है, आऽऽऽऽह क्या मस्त बदन है और क्या रँडी की तरह मज़ा देती है। आऽऽऽऽहहह देखो उसके नाम से मेरा फिर से खड़ा हो गया।

महक: पापा आपकी बातों से मैं भी गीली हो गयी। चलो एक राउंड और करते हैं । यह कहकर वो अपनी जाँघें फैलायी और वहाँ रखे एक डिल्डो ( नक़ली लौड़ा) से अपनी बुर को चोदने लगी।

राजीव भी अपना लौड़ा रगड़ने लगा और बोला: बेटी घोड़ी बन जाओ ना, तुम्हारी गाँड़, चूत और चूतर सभी दिखेंगे। ज़्यादा मज़ा आएगा।

महक उलटी हुई और गाँड़ उठा ली और अपने पापा को अच्छे से दर्शन कराया। फिर पीछे से हाथ लाकर वो डिल्डो अपनी बुर में डालकर मज़े लेने लगी। राजीव को उसकी गुलाबी बुर में वह मोटा सा नक़ली लौड़ा अंदर बाहर होते हुए दिख रहा था और वह भी बुरी तरह से मूठ्ठ मार रहा था। दस मिनट में दोनों झड़ गए।

क्योंकि दोनों थक गए थे इसलिए और ज़्यादा बात नहीं हुई और दोनों आराम करने लगे फ़ोन बंद हो चुका था।

उधर मालिनी भी अपने कमरे में बैठी थी। उसके पिछले दो दिन से पिरीयड्ज़ आए हुए थे। शिवा भी रात को चुदाई के लिए तड़प रहा था। उसने एक बार मुँह से संतुष्ट किया था। दूसरी बार वह उसके बूब्ज़ पर लौड़ा रगड़ कर शांत हुआ था। उसने गाँड़ में डालने की कोशिश की थी पर मालिनी के आँसू देखकर वह अंदर नहीं डाला। वह मुस्कुराई और सोची: कितना प्यार करते है, मुझे ज़रा सा भी कष्ट ने नहीं देख सकते। तभी शिवा का फ़ोन आया: जान खाना खा लिया ?

मालिनी: हाँ जी। आप खा लिए?

शिवा: हाँ खा लिया। अब तुमको खाने की इच्छा है।

मालिनी: एक दो दिन सबर करिए फिर मुझे भी खा लीजिएगा।

शिवा: अरे जान सबर ही तो नहीं होता । पता नहीं तुम्हारा रेड सिग्नल कब ग्रीन होगा। और तुम्हारी सड़क पर मेरी फटफटि फिर से दौड़ेगी ।

मालिनी हँसने लगी: आप भी मेरी उसको सड़क बना दिए।

शिवा: किसको, नाम लो ना जान। वो अपने चेम्बर में अकेला था सो उसने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाया।

मालिनी फुसफुसाकर: मेरी बुर को।

शिवा: आऽऽऽह रानी वीडीयो कॉल करूँ क्या? एक बार अपनी चूचियाँ दिखा दो तो मैं मूठ्ठ मार लेता हूँ।

मालिनी: आप भी ना। आप रात को आइए मैं मार दूँगी और चूस भी दूँगी।

शिवा: प्लीज़ प्लीज़ जान ,अभी बहुत मूड है।

मालिनी: दुकान में कोई आ गया तो?

शिवा: अभी लंच ब्रेक है, कोई मेरे कैबिन में नहीं आएगा। लो मैं अंदर से बंद कर लिया प्लीज़ कॉल करूँ विडीओ में?

मालिनी: हे भगवान, आप भी ना, अच्छा चलिए करिए।

जल्दी ही वो विडीओ कॉल से कनेक्ट हो गए। शिवा ने उसे कई बार चुम्मा दिया। फिर अपना लौड़ा दिखाकर बोला: देखो मेरी जान कैसे तड़प रहा है ये तुम्हारे लिए?

मालिनी आँखें चौड़ी करके बोली: हे राम, आप तो पूरा तय्यार हैं। अब उसके निपल्ज़ भी तन गए।

शिवा: जान, प्लीज़ चूचि दिखाओ ना।

मालिनी ने ब्लाउस खोला और फिर वहाँ कैमरा लगाकर उसको ब्रा में क़ैद चूचियाँ दिखाईं। उसने कहा: आऽऽऽऽह प्लीज़ ब्रा भी खोलो।

वह ब्रा निकाल कर नंगी चूचियाँ दिखाने लगी। अब शिवा के हाथ अपने लौंडे पर तेज़ तेज़ चलने लगे। वह बोला: आऽऽऽऽऽह जाऽऽऽऽऽऽन अब पिछवाड़ा भी दिखा दो प्लीज़ । आऽऽऽऽहहह तुम्हारे चूतर देखने है आऽऽऽहहह।

मालिनी ने साड़ी और पेटिकोट उठाया और कैमरा में अपने पैंटी में फँसे चूतरों को दिखाने लगी। फिर उसने पैंटी भी नीचे की और शिवा बोला: आऽऽऽहब्ब चूतरों को फैलाओ और गाँड़ का छेद दिखाओ। हाऽऽऽऽय्य्य्य्य उसका हाथ अब और ज़ोर से चल रहा था। मालिनी ने अपने चूतरों को फैलाया और मस्त भूरि चिकनी गाँड़ उसे दिखाई । फिर ना जाने उसे क्या हुआ कि जैसे शिवा उसकी गाँड़ में ऊँगली करता था, आज वैसे ही करने की इच्छा उसे भी हुई। और वह अपनी एक ऊँगली में थूक लगायी और अपनी गाँड़ में डालकर हिलाने लगी। शिवा के लिए दृश्य इतना सेक्सी था कि वह आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह उग्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्ग्ग कहकर वीर्य की धार छोड़ने लगा। मालिनी भी वासना से भरी हुई उसके वीर्य को देखते रही और अपने होंठों पर जीभ फेरती रही। उसकी बुर भी पानी छोड़ रही थी। हालाँकि उसके पिरीयड्ज़ आए हुए थे। फिर उसने अपनी गाँड़ से ऊँगली निकाली और बोली: हो गया? अब सफ़ाई कर लूँ? आप भी क्लीन हो जाओ।

यह कह कर वो बाथरूम में चली गयी। शिवा ने भी अपने कैबिन से सटे बाथरूम में सफ़ाई की।

बाहर आकर वह फिर फ़ोन किया और मालिनी से बोला: आऽऽह जान , आज तुमने अपनी गाँड़ में ऊँगली कैसे डाल ली? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मैं तो जैसे पागल ही हो गया अपनी संस्कारी बीवी को ये करते देख कर?

मालिनी हँसकर : बस इच्छा हुई और डाल ली। आप भी तो रोज़ ही डालते हैं मेरे वहाँ ऊँगली। आज मैंने ख़ुद डाल ली।

शिवा: जान मज़ा आया ना? आज के प्रोग्राम में।

मालिनी: हाँ आया तो पर अब ये रोज़ का काम नहीं बना लीजिएगा

शिवा: अरे नहीं रोज़ नहीं, पर कभी कभी तो कर सकते है ना?

मालिनी हंस दी और बोली: चलिए अब काम करिए और मैं आराम करती हूँ। बाई। और उसने फ़ोन काट दिया।

मालिनी सोचने लगी कि आज का उसका व्यवहार काफ़ी बोल्ड था। उसे अपने आप पर हैरानी हुई कि वो ऐसा कैसे कर सकी। फिर सोची कि शायद वह अब बड़ी हो रही है। वो मन ही मन मुस्कुरायी। वो जानती थी कि आज का शो शिवा को ज़िंदगी भर याद रहेगा। वह सोचते हुए सो गयी।

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04-09-2017, 04:04 PM,
#46
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
इसी तरह दिन बीत रहे थे । राजीव की प्यास बहू को पाने की अब अपनी चरम सीमा पर थी। पर बहू की तरफ़ से कोई भी पहल होने का प्रश्न ही नहीं था। वह भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता था जिससे उसे शिवा के सामने शर्मिंदा होना पड़े। वह अब यह चाहने लगा था कि दिन में मालिनी उसकी प्यास बुझाए और शिवा के आने के बाद वह उसके साथ रहे और मज़े करे। ये उसके हिसाब से बहुत सीधा और सरल उपाय था, पर बात आगे बढ़ ही नहीं पा रही थी। उसके हिसाब से यह बहुत ही सिम्पल सा ऐडजस्टमेंट था जो मालिनी को करना चाहिए और इस तरह वह भी दुगुना मज़ा पा सकती है, और शिवा और वो भी ख़ुश रहेंगे। ।वह बहुत सारी योजना बनाता था मालिनी को पटाने का ,पर कोई भी प्रैक्टिकल नहीं थी। सच ये है कि मालिनी को इस तरह के रिश्ते की कोई ज़रूरत ही नहीं थी क्योंकि वह अपने पति से पूरी तरह संतुष्ट थी। दिक़्क़त तो राजीव की ही थी। इसी तरह समय व्यतीत होते रहा।

फिर एक दिन राजीव नाश्ता करके अपने कमरे में बैठा था तभी पंडित का फ़ोन आया।
पंडित: जज़मान, मुझे रमेश जी ने आपका नम्बर दिया है। वो कह रहे थे कि आपके लिए लड़कियाँ पसंद करूँ।

राजीव: ओह फिर ?

पंडित: दो लड़कियाँ है शादी में लायक। एक की उम्र २२ साल है और दूसरी २५ की है। दोनों सुंदर हैं और उनका परिवार इसके लिए तय्यार है।

तभी राजीव के कमीने दिमाग़ में अचानक ही एक ख़तरनाक योजना ने जन्म लिया और वह सोचने लगा कि अगर उसकी यह योजना सफल हो गयी तो शायद मालिनी उसके पहलू में होगी।

वह एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ पंडित को अपनी योजना समझाया और बोला : जैसे मैंने कहा है वैसे करोगे तो तुमको मैं दस हज़ार रुपए दूँगा।

पंडित: ज़रूर जज़मान, जैसे आपने कहा है मैं वैसे ही बात करूँगा। आप जब भी फ़ोन करोगे। और आपके मिस्ड कॉल आने पर मैं आपको फ़ोन करूँगा। पर जज़मान, पैसे की बात याद रखना।

राजीव: अरे पंडित , तुम्हारा पैसा तुमको मिलेगा ही मिलेगा।

पंडित ने ख़ुशी दिखाकर फ़ोन बंद किया।

राजीव ने अपनी योजना पर और विचार किया और अब अपने आप पर ही मुस्कुरा पड़ा और सोचा कि सच में मेरा दिमाग़ भी मेरे जैसा ही कमीना है। क्या ज़बरदस्त आइडिया आया है।

उसने सोचा कि शुभ काम में देरी क्यों। वह लूँगी और बनियान में बाहर आया। मालिनी कमला से काम करवा रही थी। वह न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा ।

थोड़ी देर में कमला चली गई और मालिनी भी अपना पसीना पोंछते हुए बाहर आयी किचन से बोली: पापा जी चाय बनाऊँ?

राजीव मुस्कुराकर: हाँ बहू बनाओ।

थोड़ी देर में दोनों चाय पी रहे थे , तब मालिनी उससे शिवा की दुकान के बारे में बात करने लगी।

मालिनी: पापा जी। ये बोल रहे थे कि दुकान में एक सेक्शन और खोलने से आमदनी बढ़ जाएगी। पर क़रीब ३ लाख और लगाने पड़ेंगे।

राजीव: बेटी, मैं तो अभी पैसा नहीं लगाउँगा। शिवा के पास कुछ इकट्ठा हुआ है क्या? वो लगा ले।

मालिनी: पापा जी, वो तो सारा पैसा आपको ही दे देते हैं, उनके पास कुछ नहीं है।

राजीव: ओह, अभी तो एक और ख़र्चा आ सकता है।

मालिनी: कैसा ख़र्चा ,पापा जी?

राजीव: बेटी, मेरे कई दोस्त बोल रहे हैं कि मैं शादी कर लूँ। मैं कई दिन से इसके बारे में सोचा और आख़िर में मुझे लगा कि इस बात में दम है।

मालिनी हतप्रभ होकर: पापा जी , आपकी शादी? इस उम्र में? ओह !!!!

राजीव: बेटी, अजीब तो मुझे भी लग रहा है, पर किया क्या जाए? बहुत अकेला पड़ गया हूँ। सविता ने तो बीच राह में साथ छोड़ दिया।

मालिनी: ओह, पापा जी पर लोग क्या कहेंगे? और आपके दोनों बच्चे क्या सोचेंगे? मेरी रिक्वेस्ट है कि इस पर फिर से विचार कर लीजिए। यह बड़ी अजीब बात होगी।

राजीव: ठीक है बेटी। और सोच लेता हूँ, पर मेरे दोस्त पीछे पड़े हैं। एक दोस्त ने तो गाँव के पंडित को काम पर भी लगा दिया है।वह मेरे लिए गाँव में लड़की देख रहा है।

मालिनी अब शॉक में आकर बोली: लड़की देखनी भी शुरू कर दिए? आपको शिवा और महक दीदी से बात तो करनी चाहिए थी। पता नहीं वो दोनों पर क्या बीतेगी?

राजीव: अरे कुछ नहीं होगा , कुछ दिनों में सब समान्य हो जाएगा।

मालनी: तो सच में आप शादी करने को तय्यार हैं? लड़की की उम्र क्या होगी?

राजीव: समस्या यहीं है, जो लड़कियाँ मिल रहीं हैं , वो तुमसे भी उम्र में छोटी हैं। पता नहीं तुम अपनी से भी छोटी लड़की को कैसे मम्मी कहकर बुला पाओगी?

अब मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया, बोली: मेरे से भी छोटी ? ये क्या कह रहें हैं आप? हे भगवान! उसके माँ बाप शादी के लिए राज़ी हो गए?

राजीव: बेटी, पैसे का लालच बहुत बड़ा होता है। मुझे काफ़ी पैसे ख़र्च करने पड़ेंगे। इसी लिए तो बोला कि आगे आगे ख़र्चे और बढ़ेंगे, तो शिवा की दुकान ने कैसे पैसा लगा पाउँगा?

मालिनी: ओह , बड़ी मुश्किल हो जाएगी।

राजीव: बेटी, फिर शादी के बाद मेरा परिवार भी तो बढ़ेगा, शिवा का भाई या बहन होगी और ख़र्चा तो बढ़ेगा ही ना?

मालिनी का तो जैसे दिमाग़ ही घूम गया अपने ससुर की बातें सुनकर। वह चुपचाप उठी और अपने कमरे में चली गयी। वो सोचने लगी कि इस उम्र में इनको ये क्या सूझी है शादी और बच्चा पैदा करने की । कितनी जग हँसाई होगी? और हमारे बच्चे का क्या ? उसे सबकुछ गड़बड़ लगा, वह बहुत परेशान हो गयी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। पता नहीं शिवा इसे कैसे लेगा? पता भी उस पर क्या बीतेगी? वह तो अपने पापा से पैसे की आस लगाए बैठा है।

इसी तरह की सोच में वो खोई हुई थी ।

राजीव आज बहुत ख़ुश था, क्योंकि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा था। वह जानता था की अब आगे आगे वो मालिनी को मजबूर करेगा कि वह उसकी बात मान ले। वह अपना लंड दबाया और बोला: बस अब कुछ दिनों की ही बात है, तू जल्द ही बहू की बुर के मज़े लेगा। वह कमीनी मुस्कुराहट के साथ मोबाइल पर सेक्स विडीओ देखने लगा।

लंच के बाद सोफ़े पर बैठकर मालिनी ने फिर से वही टॉपिक उठाया और बोली: पापा जी। मैं आपसे फिर से कहती हूँ कि प्लीज़ इस पर विचार कीजिए, ये सही नहीं है। आपको इस उम्र में २० साल की लड़की से शादी शोभा नहीं देती।

राजीव कुटीलता से बोला: बहू , इस सबके लिए कुछ हद तक तो तुम ही ज़िम्मेदार हो?

मालिनी हैरानी से : में ? वो कैसे ?

राजीव: अच्छा भला मेरा काम चल रहा था, रानी के साथ। तुमने उसे भी निकाल दिया। अब बताओ मैं क्या करूँ? कैसे अपना काम चलाऊँ? यह कहकर वह बेशर्मी से अपने लूँगी के ऊपर से अपने लण्ड को दबाने लगा। राजीव घर में चड्डी भी नहीं पहनता था।
मालिनी के गाल लाल हो गए। वो पापाजी की इस हरकत से स्तब्ध रह गयी।

वह लूँगी के ऊपर से उनके आधे खड़े लौड़े को देखकर हकला कर बोली: पापाजी, ये आप कैसी बातें कर रहे हैं? रानी एक ग़लत लड़की थी और आपको उससे कभी भी कोई बीमारी भी लग सकती थी। वो आपके लायक नहीं थी।

राजीव: मैं नहीं मानता। वो सिर्फ़ अपने पति और मुझसे ही चु- मतलब रिश्ता रखती थी। वो एक अच्छी लड़की थी। तुमने उसको नाहक ही निकाल दिया।

मालिनी परेशान होकर उठ बैठी और बोली: पापा जी मैंने तो अपनी ओर से आपके स्वास्थ्य के हित के लिए किया था और आप मुझे ही दोष दे रहे हैं।

वह परेशानी की हालत में अपने कमरे में आ गयी।

राजीव उसकी परेशानी का मज़े से आनंद ले रहा था।

रात को जब शिवा आया तो मालिनी से बात बात में पूछा: पापा से पैसे की बात हो पाई क्या?

मालिनी: नहीं हो पाई।

शिवा: अच्छा आज डिनर पर मैं ही बात करता हूँ।

मालिनी: नहीं नहीं, आज मत करिए, फिर किसी दिन मौक़ा देख कर करेंगे।

शिवा: क्यों आज क्या हुआ?

मालिनी: आज उनका मूड ठीक नहीं है।

शिवा: जान, कल तुम बात ज़रूर करना , तुमको पता है कि मेरे लिए ये पैसे कितने ज़रूरी हैं । प्लीज़ जल्दी बात करना। तुम्हारी बात वो नहीं टालेंगे। अपनी बहू को बहुत प्यार करते हैं वो।

मालिनी: अच्छा करूँगी जल्दी ही बात।

वह मन ही मन में सोचने लगी कि अगर मैं शिवा को बता दूँ कि पापा जी के मन में क्या चल रहा है तो वह सकते में आ जाएँगे। और अभी तो पापा जी का पैसा देने का कोई मूड ही नहीं है।

रात को शिवा सोने के पहले उसकी ज़बरदस्त चुदाई किया और वो भी मज़े से चुदवाई। पर बार बार उसके कानों में पापा जी की बात गूँजती थी कि तुम ही हो इस सबकी ज़िम्मेदार , रानी को क्यों भगाया? वो सोची की पापा को तो बिलकुल ही अपने किए पर पश्चत्ताप नहीं है। उलटा मुझे दोष दे रहे हैं। तो क्या रानी को वापस बुला लूँ? नहीं नहीं ये नहीं कर सकती तो क्या करूँ। उफफफफ वो शिवा से भी कुछ शेयर नहीं कर पा रही थी। वो ये सोचती हुई सो गयी।

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04-09-2017, 04:04 PM,
#47
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
नये साल का पहला अपडेट आप सबके लिये-----

अगले दिन मालिनी शिवा के जाने के बाद कमला से काम करवाई और उसके भी जाने के बाद अपनी योजना के हिसाब से राजीव बाहर आया। मालिनी उसको देखके पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?

राजीव: नहीं रहने दो। पानी पिला दो।

जैसे ही वह पानी लेने गयी , उसने पंडित को मिस्ड कॉल दी। मालिनी के आते ही राजीव के फ़ोन की घंटी बजी। मालिनी के हाथ से पानी लेकर वह बोला: हेलो, अरे पंडित जी आप?

मालिनी पंडित के नाम से चौंकी और ध्यान से सुनने लगी।

राजीव ने पानी पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डाला।

पंडित: जज़मान, आपके लिए दो लड़कियाँ देख लीं हैं , एक २० साल की है और दूसरी २२ की। दोनों बहुत ही मासूम और सुंदर लड़कियाँ हैं।

मालिनी हैरान रह गयी, कि ये सब क्या हो रहा है। ये पापा जी तो बड़ी तेज़ी से शादी का चक्कर चला रहे हैं।

राजीव: अरे यार थोड़ी बड़ी उम्र की लड़की नहीं मिली क्या? ये तो मेरी बहु से भी छोटी हो जाएँगी ।

पंडित: अरे जज़मान, मज़े करो, ऐसी लड़कियाँ दिला रहा हूँ कि आप फिर से जवान हो जाओगे। तो बोलो क्या कहते हो?

राजीव: ख़र्चा कितना आएगा?

पंडित: ३/४ लाख तो लगेंगे ही। आख़िर शादी का सवाल है ।

मालिनी सोची ३/४ लाख, इतना ही तो शिवा को चाहिए। और पापा इसे शादी में बर्बाद कर रहे हैं।

राजीव: पंडित जी , थोड़ा सा मोल भाव करों भाई। देखो और कम हो सकता है क्या?

पंडित: चलिए मैं कोशिश करता हूँ, पर आप लड़कियाँ देखने कल आएँगे ना।

मालिनी का तो जैसे कलेजा मुँह में आ गया, कल ही? हे प्रभु, क्या करूँ? कैसे रोकूँ इनको?

राजीव: अरे पंडित जी, कल का मत रखो , मुझे पैसे का भी इंतज़ाम करना होगा। आप ३ दिन बाद का कर लो। ठीक है?

पंडित: ठीक है तो तीन दिन बाद ही सही। और कुछ?

राजीव: देखो, पंडित , कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए लड़कियों पर । वह अपनी मर्ज़ी से शादी करेंगी। ठीक है?

पंडित: बिलकुल ठीक है। ठीक है फिर रखता हूँ।

राजीव ने फ़ोन रखा और मालिनी को देखा जो बहुत परेशान दिख रही थी। राजीव मन ही मन ख़ुश हो रहा था कि तीर निशाने पर लगा है।

मालिनी: पापा जी, कोई तरीक़ा नहीं है इस शादी को टालने का?
आप चाहो तो मैं रानी को वापस बुला लेती हूँ। उसने अपने हथियार डालते हुए कहा।

राजीव: क्या फ़ायदा अब? उसके गर्भ को काफ़ी समय हो गया है। अब वो चु- मतलब करवाने के लायक होगी भी नहीं। अक्सर डॉक्टर ऐसे समय में चु- मतलब सेक्स करने को मना करते हैं।

मालिनी: ओह, फिर क्या करें? यह रानी वाला आप्शन भी गया।

राजीव: देखो, मेरी हालत तो तुमने बिगाड़ ही दी है। रानी को निकाल दिया और ऊपर से तुम्हारा ये क़ातिलाना सौंदर्य मैं तो पगला ही गया हूँ।

मालिनी बुरी तरह से चौकी: मेरा सौंदर्य? मतलब? मैंने क्या किया? आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?

राजीव: और क्या बोलूँ? कभी अपना रूप देखा है आइने में। इतनी सुंदर और सेक्सी हो तुम। दिन भर तुम्हारे इस रूप और इस सेक्सी बदन को देखकर मेरा क्या हाल होता है , जैसे तुमको मालूम ही नहीं? यह कहकर वह फिर से अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबाया।

मालिनी को तो जैसे काटों ख़ून नहीं!!! हे ईश्वर, ये मैं क्या सुन रही हूँ। पापा जी खूल्लम ख़ूल्ला बोल रहे हैं कि वह उसे वासना की नज़र से देखते है। अब तो वह कांप उठी। पता नहीं भविष्य में उसके लिए क्या लिखा है?

वह बोली: पापा जी। ये कैसी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ ,बेटी के जैसे हूँ। महक दीदी के जैसे हूँ। आप मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं?

राजीव: देखो, पिछले दिनो में मेरी भावनाएँ तुम्हारे लिए बहुत बदल गयी है। अब मैं तुमको एक जवान लड़की की तरह देख रहा हूँ और तुम्हारा भरा हुआ बदन मुझे पागल कर रहा है। पर मैंने कभी कोई ग़लत हरकत नहीं की है तुम्हारे साथ। मैं हमेशा लड़की को उसकी रज़ामंदी से पाना चाहता हूँ। आज मैंने तुमको बता दिया कि ये शादी अब सिर्फ़ तुम ही रोक सकती हो। वो भी मेरी बन कर।

मालिनी: पापा जी, पर मैं तो आपके बेटे की बीवी हूँ। आपकी कैसे बन सकती हूँ?

राजीव: देखो बहू , तुम दिन में मेरी बन कर रहो और शिवा के आने के बाद उसकी बन कर रहो। इस तरह हम दोनों तुमसे ख़ुश रहेंगे। इसमे क्या समस्या है?

मालिनी: पापा जी, आप क्या उलटा पुल्टा बोल रहे है? मैं शिवा से बहुत प्यार करती हूँ, उनको धोका नहीं दे सकती हूँ। आप अपनी सोच बदल लीजिए। आप नहीं जानते मुझे आपकी बात ने कितना दुखी किया है। और वह रोने लगी।

राजीव: देखो बहू, रोना इस समस्या का हल नहीं है। तुमको या तो मेरी बात माननी होगी या मेरी शादी होते देख लो। अब जो भी करना है, तुमको ही करना है।

मालिनी वहाँ से रोते हुए भाग कर अपने कमरे में आ गयी।

मालिनी के आँसू जब थमें वह बाथरूम में जाकर मुँह धोयी और बाहर कर बिस्तर पर बैठ गयी और पूरे घटनाक्रम के बारे में फिर से सोचने लगी। यह तो समझ आ गया था कि पापा की आँखों पर हवस का पर्दा पड़ा है और वो उसे पाने के लिए पागल हो रहे हैं। अगर वह उनको नहीं मिली तो वह शादी करके एक दूसरी लड़की की ज़िन्दगी बरबाद करेंगे। हे भगवान, मैं क्या करूँ।? पापा की शादी से और क्या क्या नुक़सान हो सकते है ? वो इसपर भी विचार करने लगी। एक बात तो पक्का है कि पैसे का तो काफ़ी नुक़सान होगा ही। और क्या पता कैसी लड़की आए घर में। हो सकता है वह इस घर की शांति ही भंग कर देगी। उफ़ वो क्या करे ? किसकी मदद ले? शिवा, महक या मम्मी की। उसने सोचा कि उसके पास ३ दिन है । देखें क्या रास्ता निकलता है इस उलझन का?

पापा के साथ लंच करने की इच्छा ही नहीं हुई। उसने उनको खाना खिलाया।

राजीव: तुम नहीं खा रही हो?

मालिनी: आपने मेरी भूक़ प्यास सब मार दी है। आपने तो मुझे पागल ही कर दिया है।

राजीव: बहू, मैंने नहीं , तुम्हारी जवानी ने मुझे पागल कर दिया है। बस तुम एक बार मेरी बात मान जाओ , सब ठीक हो जाएगा। दिन में तुम मेरी जान और रात में शिवा की जान। आख़िर इसमें इतना ग़लत क्या है? घर की बात घर में ही रहेगी। और समय आने पर शिवा को भी बता देंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि वह इसे सामान्य रूप से ही लेगा।

मालिनी: आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। छि, ये सब कितना ग़लत है। शिवा को धोका देना मेरे लिए असम्भव सा है। प्लीज़ मुझे बक्श दीजिए। प्लीज़ शादी मत करिए।

राजीव खाना खाकर वापस सोफ़े में बैठ चुका था। वो बोला: देखो बहु, अगर मैं तुम्हारी बात मान लूँ तो मेरे इसका क्या होगा? इस बार वो अपनी लूँगी के ऊपर से लौड़ा दबाकर बोला। उसकी इस कमीनी हरकत से एक बार मालिनी फिर से सकते में आ गयी।

राजीव अपने लौड़े को मसलते हुए बोला: देखो बहु, मैं कैसे मरे जा रहा हूँ तुम्हें पाने के लिए। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा था लूँगी में और वह चड्डी भी नहीं पहनता था। मालिनी ने अपना मुँह घुमा लिया,और सोची कि इनका पागलपन तो बढ़ता ही जा रहा है। उफ़्फ़ इस सब का क्या हल निकल सकता है?

वह फिर से उठकर अपने कमरे में चली गयी। रात को ८ बजे शिवा आया और मालिनी सोचती रही कि इनको बताऊँ क्या कि पापा मुझसे क्या चाहते हैं। फिर वह सोची कि घर में कितना बड़ा घमासान हो सकता है बाप बेटे के बीच में। वह अभी चुप ही रहना चाहती थी।

उसने सोचा कि कल महक या माँ से बात करूँगी, शायद वो कुछ मदद कर सकें।

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04-09-2017, 04:05 PM,
#48
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले दिन शिवा और कमला के जाने के बाद मालिनी सोफ़े पर बैठी सोच रही थी कि मम्मी से सलाह ले लेती हूँ। तभी राजीव अपने कमरे से बाहर आया और आकर मालिनी के सामने वाले सोफ़े पर बैठ गया।

मालिनी: पापा जी चाय लेंगे?

राजीव: ले आओ। ले लेंगे। वैसे लेना तो कुछ और भी है तुम्हारा,पर तुम तो सिर्फ़ चाय पिलाती हो। वह अब बेशर्मी पर उतर आया था। अब उसे अश्लील भाषा का भी लिहाज़ नहीं रहा था।

मालिनी उसकी इस तरह के लहजे से हैरान हो गयी और बोली: पापा जी आप किस तरह की बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ आख़िर। छी कोई अपनी बहू से भी ऐसी बातें करता है भला।

राजीव: देखो बहु, मैंने तो कल ही साफ़ साफ़ कह चुका हूँ कि मैं तुम्हारा दीवाना हो चुका हूँ। अब इसी बात को दुहरा ही तो रहा हूँ, कि मुझे तुम और तुम्हारी चाहिए।

मालिनी: पापा जी आपके कोई संस्कार हैं या नहीं? अच्छे परिवार के लोग ऐसी बातें थोड़े ही करते हैं।

राजीव: संस्कार? हा हा हममें से किसी में भी संस्कार नहीं है। ना हमारे परिवार में और ना तुम्हारे परिवार में। बड़ी आयी संस्कार की बातें करने वाली।

मालिनी: पापा जी आपके परिवार का तो पता नहीं पर मेरे परिवार में संस्कार का बहुत महत्व है।

राजीव कुटिल मुस्कुराहट के साथ बोला: अच्छा , और अगर मैं ये साबित कर दूँ कि तुम्हारा परिवार संस्कारी नहीं है तो तुम मुझे वो दे दोगी जो मुझे चाहिए?

मालिनी: छी फिर वही गंदी बातें कर रहे हैं। और जहाँ तक मेरे परिवार का प्रश्न है वह पूरी तरह से संस्कारी है।

राजीव हँसते हुए: तुम बोलो तो अभी तुम्हारे संस्कारी परिवार का भांडा फोड़ दूँ।

मालिनी: क्या मतलब है आपका?

राजीव: वही जो कहा? तुम्हें अपने संस्कारी परिवार पर बहुत घमंड है ना? उसकी सच्चाई दिखाऊँ?

मालिनी: मुझे समझ नहीं आ रहा है आप क्या बोले जा रहे हो? किस सच्चाई की बात कर रहे हैं आप?

राजीव :चलो अब तुम्हें दिखा ही देते हैं कि कितना संस्कारी है तुम्हारा परिवार?

राजीव ने मालिनी की माँ सरला को फ़ोन लगाया। स्पीकर मोड में फ़ोन रखकर वह मालिनी को चुप रहने का इशारा किया।

राजीव: हेलो , कैसी हो?

सरला: ठीक हूँ आप कैसे हैं? आज मेरी याद कैसे आ गयी।

राजीव: अरे मेरी जान तुमको तो मैं हमेशा याद करता हूँ। बस आजकल फ़ुर्सत ही नहीं मिलती।

मालिनी का मुँह खुल गया वह सोची कि पापा जी माँ को जान क्यों बोल रहे हैं।

सरला: जाइए झूठ मत बोलिए। आपको तो रानी के रहते किसी और की क्या ज़रूरत है।

राजीव: अरे रानी को तो तुम्हारी बेटी ने कब का निकाल दिया।

सरला: ओह क्यों निकाल दिया? वो तो आपका बहुत ख़याल रखती थी और पूरा मज़ा भी देती थी।

राजीव: अरे तुम्हारी बेटी ने मुझे उसे चोदते हुए देख लिया। बस उसके पीछे पड़ गयी और निकाल कर ही दम लिया। अब मैं अपना लौड़ा लेकर कहाँ जाऊँ? फिर तुम्हारी याद आयी और सोचा कि तुमसे बात कर लूँ तो अच्छा लगेगा।

मालिनी राजीव के मुँह से ऐसी गंदी बातें सुनकर वह हैरान थी।

सरला हँसकर: मैं आ जाती हूँ और आपके हथियार को शांत कर देती हूँ।
अब मालिनी को समझ में आ गया कि पापा और उसकी माँ का चक्कर पुराना है। वह सकते में आ गयी।
राजीव उसके चेहरे के बदलते भावों को बड़े ध्यान से देख रहा था और अपनी योजना की सफलता पर ख़ुश हो रहा था ।

वह बोला: अरे तुमने यहाँ एक मेरे ऊपर थानेदारनी बहु जो बिठा रखी है, वह संस्कार की दुहाई दे कर तुमको भी चुदवाने नहीं देगी।

मालिनी बिलकुल इस तरह की भाषा के लिए तय्यार नहीं थी।

सरला: अरे उसे कहाँ पता चलेगा। मैं आ जाती हूँ, दिन भर मालिनी के साथ रहूँगी और रात को आपके पास आ जाऊँगी।

अब तो मालिनी के चेहरे का रंग पूरी तरह उड़ गया।

राजीव: श्याम को भी लाओगी ना साथ में? हम दोनों तुम्हारी वैसे ही चुदाई करेंगे जैसे उस दिन होटेल में की थी। बहुत मज़ा आया था, है ना

सरला: हाँ जी, उस दिन का मज़ा सच में नहीं भूल पाऊँगी। मैंने श्याम से कहा है कि बुर चूसने में आपका कोई जवाब ही नहीं है। मैं आजकल श्याम को सिखा रही हूँ बुर चूसना। सच उस दिन आपको पता है मैं चार बार झड़ी थी।

राजीव: उस दिन की बात सुनकर देखो मेरा खड़ा हो गया। और ये कहकर मालिनी को दिखाकर लूँगी के ऊपर से उसने अपना लौड़ा मसल दिया।

अब मालिनी की आँखों में शर्म और दुःख के आँसू आ गए थे। उसे अपनी माँ से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वह जानती थी कि श्याम के साथ उनका रिश्ता है। पर वह उसे स्वीकार कर चुकी थी। पर ये बातें जो उसने अभी सुनी , उफफफ ये तो बहुत ही घटिया हरकत है पापा , श्याम ताऊ और माँ की। छी कोई ऐसा भी करता है क्या? वह रोते हुए अपने कमरे में आकर बिस्तर पर गिर गयी और तकिए में मुँह छिपाकर रोने लगी।

अब राजीव ने सरला से कुछ और बातें की , फिर फ़ोन काट दिया। अब वह उठकर मालिनी के कमरे में आया और वहाँ मालिनी को पेट के बल लेटके रोते देखा। उसकी बड़ी सी गाँड़ रोने से हिल रही थी, उसकी इच्छा हुई कि उन मोटे उभारों को मसल दे । पर उसने अपने आप पर क़ाबू किया और जाकर उसके पास बिस्तर पर बैठ गया। उसने मालिनी की पीठ पर हाथ फेरा और बोला:बहु रो क्यों रही हो? जब तुम्हारी माँ को मुझसे चुदवाने में मज़ा आ रहा है और वो ख़ुश है तो तुम क्यों दुखी हो रही हो?

मालिनी: पापा जी मुझे माँ से इस तरह की उम्मीद नहीं थी।

राजीव: अरे वाह पहले भी तो तुम्हारे ताऊ से चुदवा ही रही थी? तुमको पता तो होगा ही?

मालिनी रोते हुए बोली: वो दूसरी बात है और उसे मैंने स्वीकार कर लिया था क्योंकि ताई जी बीमार रहती हैं और मेरे पापा नहीं है। पर आपके साथ करने की क्या ज़रूरत थी?

राजीव: बहु तुम उसे एक माँ की नज़र से ही देखती हो। उसे एक औरत की नज़र से देखो। उसकी बुर मज़ा चाहती थी। जो मैंने उसे दिया। हर बुर को एक लौड़ा चाहिए। और हर लौड़े को एक बुर। यही दुनिया की रीत है। सभी संस्कार धरे रह जाते है, जब औरत की बुर में आग लगती है या आदमी के लौड़े में तनाव आता है। यह कहते उसने उसकी पीठ सहलाते हुए उसका नंगा कंधा भी सहलाया । उसकी चिकने बदन का स्पर्श उसे दीवाना कर रहा था। अब वह उसके आँसू पोछने के बहाने उसके चिकने गाल को भी सहलाने लगा।

मालिनी: पर पापा जी आपको तो उनको समझाना चाहिए था ना? आपने भी उनका साथ दिया।

राजीव उसकी पीठ सहलाते हुए अब उसकी चिकनी कमर जो ब्लाउस के नीचे का हिस्सा था सहलाने लगा और बोला:बहु,श्याम के साथ वह बहुत दिन से मज़ा कर रही थी और वो ख़ुश थी। पर जब वो मुझसे चुदी तो उसने जाना कि असली चुदाई का सुख क्या होता है। इसीलिए हमारा रिश्ता गहरा हो गया और बाद में श्याम भी इसमे शामिल हो गया। फिर हम तीनों मज़े लेने लगे।

मालिनी आँसू पोछते हुई उठी और और बैठ कर बोली: पापा जी मुझे अकेला छोड़ दीजिए । मैं बहुत परेशान हूँ। मेरी सोचने समझने की शक्ति चली गयी है।

राजीव उसके हाथ सहलाता हुआ बोला: बहु मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे संस्कारी परिवार के बारे में बता रहा था । समझ गयी ना कि कैसा परिवार है तुम्हारा? अब भी मेरी बात मान लो। एक बार हाँ कर दो, रानी बन कर रहोगी। दिन में मेरी और रात में शिवा की। दुनिया की हर ख़ुशी तुम्हारी झोली में डाल दूँगा। और डबल मज़ा मिलेगा वह अलग । ये कहते हुए वह खड़ा हुआ और उसकी लूँगी से उसका उभरा हुआ खड़ा लौड़ा अलग से मालिनी की आँखों के सामने था। उफफफफ पापा जी भी ना, वह सोची कि क्या हो गया है इनको?

उनके जाने के बाद वह स्तब्ध सी बैठी अब तक की घटनाक्रम के बारे में सोचने लगी। पापा तो हाथ धो कर पीछे पड़ गए हैं, वो बार बार उसे अपनी बनाने की बात करते हैं। आख़िर वो ऐसा कैसे कर सकती है ? वह शिवा को धोका कैसे दे सकती है? इसी ऊहापोह में वह सो गयी।

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04-09-2017, 04:05 PM,
#49
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
शिवा शाम को आया और आते ही मालिनी की चुदाई में लग गया। जब वह शांत हुआ तो मालिनी बोली: आपका दिन कैसा रहा?
वो: ठीक था, पर तुम पापा से पैसों की बात करी या नहीं?

मालिनी: नहीं कर पाई। अवसर ही नहीं मिला।

शिवा: चलो मैं ही बात कर लेता हूँ।

मालिनी; नहीं नहीं। आप अभी रहने दो, मैं ही कर लूँगी।
मालिनी को डर था कि कही पापा शिवा को पैसे के लिए मना करके अपनी शादी की बात ना बता दें। शिवा को बड़ा धक्का लगेगा।

शिवा: ठीक है, तुम ही बात कर लेना। अच्छा एक बात बताऊँ? आज असलम आया था। मेरे कॉलेज का दोस्त। शादी के बाद वह पहली बार मिला है। हमारी शादी भी अटेंड नहीं कर पाया क्योंकि वह विदेश में था। उसका इक्स्पॉर्ट का बिज़नेस है।

मालिनी: अच्छा क्या बोल रहा था?

शिवा: अरे वो जो बोल रहा था , सुनोगी तो चक्कर आ जाएगा।

मालिनी: ओह ऐसा क्या बोल दिया उसने।

शिवा: वो बोल रहा था कि वो जब भी बाहर जाता है अपनी बीवी को भी ले जाता है। और वह वहाँ जाकर वाइफ़ सवेप्पिंग यानी बीवियों की अदला बदली का खेल खेलता है।

मालिनी: हे राम, ये क्या कह रहे हैं आप? छि कोई ऐसा भी करता है क्या?

शिवा: अरे बड़ी सोसायटी में सब चलता है । वह कह रहा था कि अब अपने शहर में भी ये सब शुरू हो गया है। वह यहाँ भी अपने दो दोस्तों की बीवियों को चोद चुका है और बदले में उसकी बीवी भी उसके दोनों दोस्तों से चुद चुकी है।

मालिनी: ओह ये तो बड़ी गंदी बात है।

शिवा: मैं भी मज़ाक़ में बोला कि मुझसे भी चुदवा दे भाभी को। जानती हो वो क्या बोला?

मालिनी: क्या बोला?

शिवा: वह बोला कि अरे भाई चल अभी चोद ले उसको, पर अपनी वाली कब दिलवाएगा। ? मैं बोला साले मैं मज़ाक़ कर रहा था। मेरी बीवी इसके लिए कभी तय्यार नहीं होगी। वो बहुत संस्कारी परिवार से है।

मालिनी संस्कारी शब्द से चौकी। और सोची काहे का संस्कारी परिवार ? सत्यानाश हो रखा है संस्कारों का। अपनी माँ और ससुर के सम्बन्धों का जान कर तो वो शर्म से गड़ गयी है।
वह बोली: चलिए हमें क्या करना है इन फ़ालतू बातों से । आप फ़्रेश हो लीजिए मैं खाना लगाती हूँ।

सबने खाना खाया और शिवा ने रात को दो राउंड और चुदाई की।
अगले दिन सुबह मालिनी उठी और चाय बनाकर राजीव के कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी, आइए चाय बन गयी।

राजीव लूँगी और बनयान में बाहर आया और टेबल पर बैठकर चाय पीने लगा और बोला: बहु गुड मॉर्निंग।

मालिनी ने झुककर उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग पापा जी कहा। वह भी चाय पीने लगी।

राजीव: बहु , रात को शिवा ने मज़ा दिया?

मालिनी चौक कर और शर्म से लाल होकर: छी पापा जी , ये कैसा प्रश्न है?

राजीव: अच्छा प्रश्न है कि रात को मज़ा किया या नहीं? ये तो सामान्य सा प्रश्न है?

मालिनी: मुझे इसका जवाब नहीं देना है। वह चाय पीते हुए बोली।

राजीव: अगर तुमने मज़ा किया तो यह सामान्य बात है। और अब दिन में उसके जाने के बाद तुम मुझसे मज़ा लो तो भी वह समान्य बात हो सकती है। है ना?

मालिनी: बिलकुल नहीं। वो मेरे पति हैं आप नहीं। फिर वह उठी और चाय के ख़ाली प्यालियाँ उठा कर किचन में ले गयी। राजीव उसके पीछे किचन में गया और बोला: जानती हो जब तुम चलती हो तो तुम्हारा पिछवाड़ा बहुत सेक्सी दिखता है।

मालिनी पीछे को मुड़ी और बोली: पापा जी प्लीज़ ऐसी बातें मत करिए । मुझे बहुत दुःख होता है।

अब राजीव उसकी छातियों को घूरते हुए बोला: और तुम्हारी इन मस्त छातियों ने तो मेरी नींद ही उड़ा दी है।

मालिनी अब लाल होकर चुपचाप वहाँ से बाहर निकलने लगी। तभी राजीव ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:मान जाओ ना मेरी बात, क्यों मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं इस घर में एक और जवान लड़की लाऊँ और घर की शांति भंग करूँ।

मालिनी दुखी मन से अपना हाथ छुड़ाया और बोली: पापा जी ये बिलकुल ग़लत है । ये कैसे हो सकता है?

यह कहकर वह वहाँ से चली गयी। राजीव भी अपनी लूँगी के ऊपर से अपना लौड़ा मसलते हुए चला गया अपने कमरे में।

मालिनी ने शिवा को उठाया और उसे भी चाय पिलाई। शिवा फ़्रेश होकर मालिनी को बिस्तर पर पटक दिया और बोला: क्या बात है थोड़ी उदास दिख रही हो? वह उसके होंठ चूसते हुए बोला।

मालिनी क्या बोलती कि पापा ने अभी कितनी गंदी बात की है? वह सोची कि शिवा को बतायी तो उसे बहुत ग़ुस्सा आ जाएगा और परिवार बिखर जाएगा । वह उससे चिपट गयी और दोनों प्यार के संसार में खो गए। शिवा उत्तेजित होता चला गया और उसने मालिनी की जम कर चुदाई कर दी।

चुदाई के बाद थोड़ा आराम कर मालिनी बाहर आइ और नाश्ता बनाने लगी । नाश्ते के टेबल पर राजीव बिलकुल सामान्य लग रहा था और उससे बड़ी अच्छी तरह से बातें कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। उधर मालिनी को उसके लिए सामान्य होने में बड़ी दिक़्क़त हो रही थी । शिवा अपने पापा से बहुत सी बातें किया। मालिनी सोच रही थी कि पापा कितने बड़े गिरगिट हैं । अभी ऐसा लग ही नहीं रहा है जैसे उन्होंने उससे कुछ गंदी बात की ही ना हो। उफ़्फ़्फ़ वह कैसे इस सिचूएशन को हैंडल करे।

शिवा के जाने के बाद वह नहाने चली गयी।बाथरूम में शीशे में अपनी जवानी देखकर वह सोची कि शायद पापा की इसमें कोई ग़लती नहीं है। सच में शादी के बाद उसका बदन बहुत ही मस्त हो गया है। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ एकदम गोल गोल और पूरी तरह टाइट थे। बड़े बड़े काले निपल बहुत मस्त लग रहे थे। नीचे उसका सपाट पेट और गहरी नाभि और पतली कमर बहुत ही ग़ज़ब ढा रही थी। उसके नीचे मस्त भरी हुई जाँघें और उसके बीच में फूली हुई बुर का नज़ारा उसे ख़ुद ही मस्त कर दिया था। तभी उसके कान में पापा के शब्द सुनाई दिए कि क्या मस्त पिछवाड़ा है । वह अब मुड़ी और उसके सामने उसके सेक्सी चूतर थे। उफफफफ सच पापा जी का कोई दोष नहीं है। कितने आकर्षक हो गए हैं उसके चूतर । वह ख़ुद ही अपनी चूतरों पर मुग्ध हो गयी और उनपर हाथ फिराकर उनके चिकनेपन से वह मस्त हो गयी। फिर उसने अपना सिर झटका और सोची कि वो पापा की बातों के बारे में क्यों सोच रही है। अब वो नहाने लगी।

नहाकर तय्यार होकर साड़ी में वह बाहर आइ और बाई से काम करवाने लगी। फिर वह आकर सोफ़े पर बैठी और पेपर पढ़ने लगी। राजीव भी थोड़ी देर में नहाकर बाहर आया और पंडित को मिस्ड काल किया। जल्दी ही पंडित का फ़ोन आ गया।
राजीव: नमस्ते पंडित जी। कैसे याद किया? फिर उसने फ़ोन स्पीकर मोड में डाल दिया ताकि सामने बैठी मालिनी सब सुन ले।

पंडित: जज़मान, आज एक लड़की वाले के यहाँ गया था। वो बोल रहे थे कि अगर शादी हो गयी और उस लड़की के बच्चा हुआ तो आपके बड़े बेटे और इस नए बच्चे में सम्पत्ति बराबर से बाटनी होगी। मैंने कह दिया कि ये तो होगा ही। पर वो स्टैम्प पेपर में अग्रीमेंट चाहते हैं। वो बोल रहे हैं की आप तो उससे क़रीब ३० साल बड़े है। आपके बाद उस लड़की और उसके बच्चे का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा। आप बताओ क्या बोलना है?

राजीव: अरे साले मेरे मरने का अभी से इंतज़ार कर रहे हैं क्या? वैसे उनकी बात में दम है, अगर मैं १५/२० साल में मर गया तो वह लड़की तो उस समय सिर्फ़ ३५/४० की होगी। उसका और उसके बच्चे का भविष्य सच में ख़तरे में होगा मतलब मुझे अभी से जायदाद का बँटवारा करना होगा। ताकि बाद में उसके साथ अन्याय ना हो।

यह कहते हुए वह मालिनी की ओर देखा जिसके मुँह का रंग उड़ गया था। वह सोच रही थी कि शिवा के हिस्से में आधी प्रॉपर्टी ही आएगी। वह कितना दुखी होगा। पापा को इस शादी से रोकना ही होगा। उफफफफ वह क्या करे? शादी रोकने की शर्त तो बड़ी घटिया है। उसे पापा जी से चुदवाना होगा। वो सिहर उठी ये सोचकर।

राजीव मन ही मन मुस्कुराया मालिनी की परेशानी देखकर और बोला: ठीक है पंडित जी मैं परसों आ ही रहा हूँ। एक अग्रीमेंट बना कर ले आऊँगा। चलो अभी रखता हूँ।

मालिनी: पापा जी आप अपने बेटे शिवा के साथ इस तरह का अन्याय कैसे कर सकते हैं? वह बहुत दुखी होंगे और टूट जाएँगे।

राजीव: बहु इसके लिए तुम ही ज़िम्मेदार हो। अगर तुम मेरी बात मान लो तो कोई शादी का झमेला ही नहीं होगा। और हम तीनों एक परिवार की तरह आराम से रहेंगे। कोई बँटवारा नहीं होगा। पर तुम तो अपनी बात पर अड़ी हुई हो। मैं भी क्या करूँ?

मालिनी: पापा जी फिर वही बात?

राजीव: चलो तुम चाहती हो तो यही सही। अब तो शिवा की दुकान, ये घर और सोना रुपया भी बराबर से बँटेगा। मैं भी मजबूर हूँ।

मालिनी की आँखें मजबूरी से गीली हो गयीं और वह वहाँ से उठकर अपने कमरे में आके रोने लगी।

उस दिन और कुछ नहीं हुआ । मालिनी ने सोचा कि अब उसकी आख़री आस महक दीदी थी। अभी तो अमेरिका में वो सो रही होगी। वह शाम को उससे बात करेगी ताकि वह पापा जी को समझाए। वह थोड़ी संतुष्ट होकर लेट गयी।

तभी उसे शिवा की कही बात याद आइ जो वह अपने दोस्त असलम के बारे में बता रहा था कि वो बीवियों की अदला बदली में मज़ा लेता है। वह थोड़ी सी बेचैन हुई कि क्या यह सब आजकल समान्य सी बात हो गयी है। क्या पति से वफ़ादारी और रिश्तों की पवित्रता अब बाक़ी नहीं रह गयी है। और क्या शिवा सच में असलम से जो बोला कि वह उसकी बीवी को करना चाहता है यह मज़ाक़ ही था या कुछ और? क्या शिवा उसे भी अपने दोस्त से चुदवाना चाहता है? पता नहीं क्या क्या चल रहा है किसके मन में यहाँ? हे भगवान मैं क्या करूँ? फिर वह सोची कि शाम को महक दीदी से बात करूँगी तभी कुछ शायद मदद होगी। ये सोचते हुए उसकी आँख लग गयी ।

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04-09-2017, 04:06 PM,
#50
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
शाम को उसने देखा कि पापा टी वी देख रहे हैं। वह अपने कमरे में आयी और महक को लैंडलाइन से फ़ोन लगायी। महक ने फ़ोन उठाया और बोली: हाय पापा जी क्या हाल है?

मालिनी: दीदी नमस्ते , मैं मालिनी बोल रही हूँ।

महक: ओह, मैं सोची पापा होंगे। बोलो क्या हाल है भाभी जी?

मालिनी: कुछ ठीक नहीं है, इसीलिए आपको फ़ोन किया है, शायद आप कोई मदद कर सको।

महक: हाँ हाँ बोलो ना क्या समस्या है?

मालिनी: समस्या तो बड़ी गम्भीर है दीदी। और वो पापा के बारे में है।

महक: ओह, हेलो हेलो आवाज़ नहीं आ रही है। मैं लगाती हूँ फिर से फ़ोन। यह कहकर महक ने फ़ोन काट दिया।

फिर महक अपने मोबाइल से राजीव को फ़ोन लगायी और बोली: पापा मालिनी मुझसे आपके बारे में बात करना चाहती है। ज़रूर आपकी शिकायत करेगी। अगर सुनना चाहते हैं तो मैं लैंड लाइन पर लगाती हूँ आप पैरलेल फ़ोन उठा कर अपने बेडरूम से सुन लेना। पर बोलना कुछ नहीं।

राजीव: ठीक है बेटी लगाओ फ़ोन।

अब महक ने फ़ोन लगाया और मालिनी ने उठाया और साथ ही राजीव ने भी अपने कमरे में उठा लिया।

महक: अरे भाभी आपका फ़ोन कट गया था, इसलिए मैंने फिर से लगाया है।

मालिनी: ओह ठीक है दीदी, मैं आपसे पापा जी के बारे में बात करना चाहती हूँ, उनको शादी करने का भूत सवार है और वह भी मुझसे भी छोटी लड़की से।

महक: ओह क्या कह रही हो? ये तो बड़ी बेकार बात है।

मालिनी: वही तो, अब आप ही उनको समझाइए। वो तो कल गाँव जा रहे हैं लड़की पसंद करने। और ये भी बोल रहे हैं कि शिवा को प्रॉपर्टी का आधा हिस्सा ही मिलेगा। आधा हिस्सा वो उस लड़की को दे देंगे।

राजीव सुनकर कुटीलता से मुस्कुराया और सोचा कि ये बेवक़ूफ़ किससे मदद माँग रही है, हा हा ।

महक: ओह तो तुमने उनको समझाया नहीं?

मालिनी: क्या समझाऊँ? वो तो मेरे को ही दोष दे रहें हैं इस सबके लिए।

महक: तुमको ? वो क्यों?

मालिनी: अब कैसे कहूँ आपको ये सब? मैंने तो अभी तक ये सब शिवा को भी नहीं बताया है।

महक: अरे तुम बताओगी नहीं तो मैं तुम्हारी मदद कैसे करूँगी?

मालिनी: आप इसे अन्यथा ना लेना, असल में वो रानी थी ना हमारे घर की नौकरानी? पापा के उसके साथ सम्बंध थे। एक दिन मैंने दोनों को साथ देख लिया और उसे नौकरी से निकाल दिया। बस तब से मेरे पीछे पड़े हैं कि अब मेरी प्यास कैसे बुझेगी? और भी ना जाने क्या क्या।

महक: ओह, तुमने उसे निकाल क्यों दिया? अरे माँ के जाने बाद अगर वह अपनी प्यास उससे बुझा रहे थे तो तुमको क्या समस्या थी? घर की बात घर में ही थी। किसी रँडी को तो नहीं चो- मतलब लगा रहे थे ना?

मालिनी उसकी बात सुनकर हैरानी से बोली: दीदी वो नौकरानी थी और पापा जी को उससे कोई बीमारी भी हो सकती थी। मैंने तो पापा के स्वास्थ्य के लिए ही ऐसा किया। अब आप भी उनका ही पक्ष ले रही हो।

महक: अरे भाभी, पापा बच्चे थोड़े हैं। अपना भला बुरा समझते हैं। तुमको उनके व्यक्तिगत जीवन में दख़ल नहीं देना चाहिए था।

मालिनी: ओह दीदी अब तो जो हुआ सो हुआ। आगे जो बताऊँगी आपको सुनकर और भी अजीब लगेगा।

महक: अच्छा बताओ।

मालिनी: उसके बाद वो शादी की बातें करने लगे। जब मैंने मना किया तो वो बोले कि मैं बहुत सुंदर और मादक हो गयी हूँ। और मुझे दिन भर देख देख कर वह वासना से भर जाते हैं और मुझे दिन में उनकी प्यास बुझानी चाहिए। और रात को शिवा की बीवी बनकर रहना चाहिए। छी दीदी, मुझे तो बोलते हुए भी ख़राब लग रहा है। आप ही बोलो कोई ससुर अपनी बहु से ऐसा भी भला बोलता है?

राजीव यह सुनकर मुस्कुरा कर अपना खड़ा होता हुआ लौड़ा दबाने लगा।

महक: ओह, क्या सच में तुम इतनी मादक हो गयी हो? जब मैंने तुमको देखा था तो तुम सामान्य सी लड़की थी।

मालिनी: ओह दीदी आप भी ना? शादी के बाद लड़की के बदन में परिवर्तन तो आता ही है। मैं भी थोड़ी भर गयी हूँ।

महक हँसकर: क्या ब्रा का साइज़ भी बढ़ गया है? और पिछवाड़ा भी भारी हो गया है?

मालिनी: छी दीदी आप भी मज़ाक़ करती हो। वैसे ब्रा का साइज़ दो नम्बर बढ़ा है और हाँ पापा जी कह रहे थे की मेरी छातियाँ और पिछवाड़ा उनको बहुत मादक लगता है।

अब राजीव ने यह सुनकर लूँगी से अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसको मुठियाने लगा।

महक: तो ऐसे बोल ना कि तुम माल बन गयी हो, तभी तो पापा पागल हो रहे हैं। अब देख ना, एक तो वैसे ही रानी को तुमने भगा दिया और अब उनके सामने दिन भर अपनी चूचियाँ और गाँड़ मटकाओगी तो बेचारे उन पर क्या गुज़रेगी?
उनका बदन तो फड़फड़ायेगा ना तुमको पाने के लिए।

मालिनी उसकी भाषा और उसके विचारों से सकते में आ गयी और बोली: आप भी क्या क्या बोल रही हो? छी आप अपने पापा के बारे में ऐसा कैसे बोल सकती हो? फिर मैं उनकी बहु हूँ, कोई आम लड़की नहीं हूँ।

महक: अरे तुम अपने ही घर की हो तभी तो उन्होंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी और कोई बाहर वाले से ऐसा थोड़े ही बोल सकते थे।

मालिनी: मतलब? मैं समझी नहीं।

महक: देखो भाभी, उनको तुम अच्छी लगी तो उन्होंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी। वो तुमको शिवा को छोड़ने को तो नहीं कह रहे, बस उनकी भी बन जाने को कह रहे है। मुझे तो लगता है कि इसमे कोई बुराई नहीं है। घर की बात घर में ही रहेगी और प्रॉपर्टी का भी बँटवारा नहीं होगा। बाद में शिवा को भी बता देना कि उसका आधा हिस्सा बचाने के लिए तुम पापा से चुद-- मतलब करवाई थी।

राजीव अब ज़ोर ज़ोर से अपना लौड़ा हिलाने लगा। अपनी बेटी और बहु की कामुक बातें उसे पागल बना रही थी ।

मालिनी: उफफफ दीदी आपकी सोच से तो भगवान ही बचाए। आप साफ़ साफ़ कह रही हो कि पापा के सामने मुझे संपरण कर देना चाहिए? पता नहीं मैं क्या करूँगी?

महक: अपने घर को दो टुकड़ों में बटने से बचाने के लिए ये त्याग तुमको करना ही पड़ेगा। अगर पापा जी ने शादी कर ली, तो घर की शांति हमेशा के लिए खतम समझो।

मालिनी: यही चिंता तो मुझे खाए जा रही है। समझ में नहीं आ रहा है कि शिवा को कैसे धोका दूँ। वो मुझे बहुत प्यार करते है।

अब राजीव कॉर्ड्लेस फ़ोन को लेकर मालिनी के कमरे के सामने आया और खुली खिड़की से अंदर झाँका, वहाँ मालिनी फ़ोन से महक से बातें कर रही थी। उसकी छाती साँसों के तेज़ चलने की वजह से हिल रही थी।

महक: अरे ये सब तुम शिवा के हक़ के लिए ही तो कर रही हो और साथ ही इस घर को भी बहुत बड़ी मुसीबत से बचा रही हो। दिन में पापा का प्यार लेना और रात में शिवा का। काश मेरे ससुर होते तो मैं तो ऐसे ही मज़ा करती। बहुत ख़ुशक़िस्मत लड़की हो तुम जिसकी जवानी की प्यास दो दो मर्द बुझाएँगे। मुझे तो सोचकर ही नीचे खुजली होने लगी।

मालिनी: उफफफ दीदी कैसी बातें कर रही हो? ये कहते हुए उसने भी अपनी बुर खुजा दी। और सोची कि छी मुझे वहाँ क्यों खुजली हुई? क्या मैं भी अब ये चाहने लगी हूँ जो दीदी बोल रही है।

जैसे ही राजीव ने देखा कि मालिनी महक की बुर की खुजली की बात सुनकर अपनी भी बुर खुजा रही है, उसके लौड़े ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया जिसे वह लूँगी में सुखाने लगा।

मालिनी ने ठीक है दीदी रखती हूँ कहकर फ़ोन बंद कर दिया। अब वह सोचने लगी कि उसके सामने क्या रास्ता बचा है? क्या शिवा को सब बता दे और घर में क्लेश मचने दे या दीदी की बात मान ले।

वह अपना सिर पकड़कर रह गयी।

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