Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
07-03-2018, 12:20 PM,
#51
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
मैं और महक गुलनाज़ दीदी के पास गई तो वो मुझे गले लगाती हुई बोली.

गुलनाज़-मेरी स्वीतू ये मैं क्या सुन रही हूँ.

मे-क्या सुन रही हो दीदी आप.

गुलनाज़-यही कि आपकी शादी भी मेरे साथ ही हो रही है.

मे-आईला ये किसने कहा आपको ना बाबा ना मैं अभी शादी नही करवाने वाली.

मैने नाटक करते हुए कहा. 

भाभी भी हमारे पास आ चुकी थी और उन्होने मेरा कान पकड़ते हुए कहा.

करू-मेरी चालबाज़ हसीना क्यूँ नाटक कर रही है सॉफ-2 क्यूँ नही कहती कि शादी की बात सुनकर लड्डू फुट रहे हैं दिल में.

मे-हां भाभी लड्डू तो फुट रहे हैं मगर दिल में नही कही और फुट रहे हैं.

मैने अपनी योनि की तरफ उंगली करते हुए कहा.

करू-बेशरम तू कब सुधरेगी.
भाभी मेरे सर पर थप्पड़ मारकर कहते हुए निकल गई.

मैने भी गुलनाज़ दीदी को गले लगाते हुए कहा.
मे-अच्छा दीदी अब मुझे अपने बाकी दोस्तों को फोन करके ये खुशख़बरी देनी है मैं चलती हूँ.

गुलनाज़-ओके स्वीतू.

मैं जब वहाँ से जाने लगी तो गुलनाज़ दीदी का मोबाइल रिंग करने लगा.
मैने इशारे से दीदी को पूछा कि किसका है तो वो मुझे जाने के लिए इशारा करने लगी. मैं समझ गई कि ज़रूर जीजू का फोन है. मैं दीदी के पास गई और उनके हाथ से फोन लेते हुए कहा.
मे-मैं जीजू से बात करूँगी.

दीदी ने मुझे मोबाइल पकड़ा दिया और मैने कहा.
मे-हेलो जी कॉन बात कर रहा है.

जीजू-जी आप कॉन बात कर रही हैं.

मे-अरे मुझे नही पहचाना मैं आपकी साली हूँ.

जीजू-ओह तो आप है रीत.

मे-अरे आपको मेरा नाम कैसे मालूम.

जीजू-अरे यार तेरी दीदी ने पिछले 1 महीने से पका रखा है मुझे ये बता-2 कर कि रीत ऐसी है रीत वैसी है.

मे-अच्छा और क्या बताया दीदी ने आपको.

जीजू-यही कि रीत बहुत सुंदर है, नटखट है और पता नही क्या-2. अब तो दिल कर रहा है आपसे मिला जाए.

मे-सबर करो जी थोड़ा कल मिलने ही वाले है हम.

जीजू-वो तो है. आपको देखने के लिए मरा जा रहा हूँ मैं तो.

मे-ऐसा क्यूँ जी.

जीजू-आप साली हो हमारी वो भी एकलौती.

मे-ये तो है. अच्छा जीजू आप दीदी से बात करो मैं चलती हूँ.

जीजू-ओके स्वीतू.

मे-'स्वीतू' ये भी दीदी ने बताया क्या.

जीजू-यस आपका निक नेम स्वीतू, रीतू, नाउ और पता नही कितने ही.

मे-वैसे जीजू आपका निक नेम क्या है.

जीजू-अपनी दीदी से ही पूछ लेना.

मे-क्यूँ आपको शरम आती है बताने में.

जीजू-अरे शरमाये हमारे दुश्मन साली से क्या शरमाना.

मे-तो बताओ ना मिस्टर. समीर केपर उर्फ मेरे जीजू.

जीजू-मेरा निक नेम है सम.

मे-ओह सम. वाह बहुत अच्छा नाम है जीजू.

जीजू-थॅंक यू साली साहिबा.

मे-ओके जीजू बाइ.

जीजू-बाइ स्वीतू.

मैने फोन दीदी को दिया और महक को लेकर अपने रूम में आ गई. रूम में आकर मैने महक को कहा.
मे-मिक्कुि यार अपने फरन्डज़ को भी बताना है. ऐसा कर जल्दी से मुझे अपने दोस्तों को नाम बता मैं सब को फोन करती हूँ.

फिर मिक्कुक मुझे एक के बाद एक नाम बताती रही और मैं फोन कर-कर के सबको बताती रही और इन्विटेशन देती रही. हम दोनो को रात के 1 बज गये फोन करते-2. इन्विटेशन से फ्री होकर मैने करण को कॉल की और उधर से करण की आवाज़ आई.
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07-03-2018, 12:21 PM,
#52
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
करण-हाई जान अभी भी जाग रही हो.

मे-अब तो आपने नींद ही उड़ा दी है जानू.

करण-तो आ जाओ मैं प्यार से सुला देता हूँ तुम्हे.

मे-अच्छा-2 अब ये सब छोड़ो काम की बात करो.

करण-मैं तो काम ही करना चाहता हूँ.

मैने रूठने का नाटक करते हुए कहा.
मे-काजू....मैं फोन रख रही हूँ.

करण-नो नो डार्लिंग सॉरी अब बताओ ना क्या कह रही थी.

मे-अब आए ना लाइन पे.

करण-मैं तो कब का लाइन में हूँ आपका नंबर. ही बिज़ी आ रहा था.

मे-अरे यार मैं दोस्तो को इन्विटेशन दे रही थी कल के लिए.

करण-ओह तो मतलब फुल तैयारी.

मे-जी बिल्कुल अच्छा मम्मी पापा ने क्या कहा.

करण-तुम बे फिकर रहा जान बस कल लाल रंग का जोड़ा पहन कर रेडी रहना.

मे-जो हुकम जनाब.

करण-अच्छा अब रात बहुत हो गई है मैं रखता हूँ.

मे-ओके बाइ. लव यू....

करण-लव यू टू छम्मक छल्लो....
मैने मोबाइल साइड पे फेंका और देखा मिक्कु. बिस्तेर में मूह गढ़ाए सो रही थी. मैं भी उसके साथ ही लेट गई बस आज आख़िरी रात थी मेरी अपने इस जान से भी ज़्यादा प्यारे रूम में आज के बाद सारी रातें करण के साथ उसके रूम में उसके बिस्तेर में ही बीतने वाली थी. आज मैं बहुत खुश थी बस डर था तो सिर्फ़ एक बात का. वो बात थी रेहान. वैसे तो मैं करण को सब कुछ बता चुकी थी मगर मैने उसे ये नही बताया था कि वो बस वाला लड़का कोई और नही रेहान ही था.
लेकिन मुझे करण के उपर पूरा भरोसा था. अगर कोई ऐसी वैसी बात हुई भी तो भी वो मेरा साथ कभी नही छोड़ेगा. अब मेरी आँखें भी बंद होने लगी थी एक नये सवेरे के इंतेज़ार में. और वो नया सवेरा मेरी ज़िंदगी में कैसी रंगत लेकर आने वाला था ये सब वक़्त की मुट्ठी में क़ैद था.

सुबह 4 बजे पे भाभी ने आकर मुझे हिलाते हुए कहा.

करू-रीत उठ जल्दी बच्चे नहाकार रेडी भी होना है.

मैं आँखें मल्ति हुई उठी और भाभी के गले में बाहें डालकर उनकी गालों को चूमते हुए कहा.
मे-भाभी मैं आपको बहुत मिस करूँगी.

भाभी मेरे पास ही बैठ गई और मेरा माथा चूमते हुए बोली.
करू-एक दिन तो सबको ससुराल जाकर माइके वालो को भूलना ही पड़ता है बच्ची.

मे-मुझसे नही भुलाया जाएगा. कहते हुए मैं रोने लगी. 

भाभी ने मेरी आँसू पूछते हुए मुझे सीने से लगाकर कहा.
करू-ऐसे रोते नही बचे चल अब अच्छा बच्चा बनकर जल्दी से नहा ले फिर हम पार्लर चलते हैं रेडी होने के लिए ठीक है.

मैने जवाब में मुस्कुराते हुए गर्दन हां में हिला दी. भाभी ने बिस्तेर से उठकर टेबल की तरफ इशारा करते हुए कहा.
करू-ये चाइ और मिठाई पड़ी है पी लेना और इस मिक्कुद को भी उठाकर पिला देना.

मे-ओके भाभी थॅंक यू.
मैने मिक्कुे की तरफ देखा तो वो उल्टी लेटी हुई थी. मैने उठ कर मूह धोया और ब्रश किया और फिर मिक्कुि के पास आकर उसे उठाने लगी. वो मेडम पता नही मूह में क्या बुदबुदा कर रही थी. मैने ध्यान से सुना तो पता चला वो कह रही थी 'आकाश छोड़ो ना प्लीज़ मुझे जाने दो'

मैने मॅन में कहा लो मेडम सपने में आकाश के साथ मस्ती कर रही हैं. मैने ज़ोर से उसे हिलाया तो वो एकदम हड़बड़ा कर उठी और मुझे देखते हुए बोली.
महक-रीत तुम.

मे-हां मैं.

महक-तुम यहाँ क्या कर रही हो.

मे-ओये मेडम ये मेरा रूम है और आप मुझसे ही पूछ रही हैं कि मैं यहाँ क्या कर रही हूँ.

महक-मगर मैं तो आकाश के साथ थी.

मैने उसे हिलाते हुए कहा.
मे-ओये कुंभकारण की बेहन पहले जाकर मूह धो अच्छी तरह से तू आकाश के साथ नही मेरे साथ सोई थी रात.

महक उठ कर वॉशरूम में चली गई और फिर मूह धोकर बाहर आई तो मैने उसे चाइ और मिठाई दी.

चाइ पीने के बाद हम दोनो नहा कर बाहर निकली और फिर हॅरी भैया मुझे, गुलनाज़ दीदी, महक और करू भाभी को पार्लर में छोड़ आए. मुझे और गुलनाज़ दीदी को वहाँ लाल रंग का जोड़ा पहना कर अच्छी तरफ से रेडी किया गया और करू भाभी न्ड मिक्कुऔ भी वहीं रेडी हो गई. फिर हॅरी भैया हमें लेने आ गये और हम 10 एएम पे वहाँ पहुँच गये यहाँ हमारी शादी होनी थी. मैं और गुलनाज़ दीदी एक अलग रूम में बैठे थे. मम्मी और ताई जी हमारे पास आई और हमे देखकर बोली कि उनकी दोनो बेटियाँ बहुत खूबसूरत लग रही हैं. फिर पता चला कि बारात आ चुकी है मगर किसकी ये नही पता था. करू भाभी ने बताया कि गुलनाज़ दीदी के हज़्बेंड यानी कि मेरे जीजू की बारात आई है. मैं मन में सोचने लगी कि ये करण का बच्चा हमेशा लेट हो जाता है. मैं और दीदी वहीं बैठी थी बाहर सभी रस्में निपटाई जा रही थी. आख़िरकार करण भी पहुँच ही गये बारात लेकर लेकिन उनकी बारात में सिर्फ़ 6 लोग ही थे. करण खुद उनके मम्मी पापा, रेहान, एक उनके मामा थे और एक लड़की थी जो मुझे फिलहाल पता नही था कि कौन है.


करीब दोपहर 1:30 बजे मुझे और गुलनाज़ दीदी को फेरो की रसम के लिए बुलाया गया. करण और सम जीजू पहले से ही वहाँ बैठे थे और मैं जाकर करण के पास और दीदी जीजू के पास बैठ गई. पंडित जी ने पूरी रस्म के साथ मंतर पढ़ने शुरू किए. मैने चोर निगाहों से देखा रेहान मुझे ही घूर रहा था. आँखों पे ब्लॅक चश्मा नीचे ब्लॅक कोट न्ड उसके अंदर रेड शर्ट न्ड नीचे ब्लॅक पॅंट में बहुत स्मार्ट दिख रहा था वो. उसके घूर्ने से मुझे अंदाज़ा हो गया था कि वो मुझे पहचान चुका है. मैं पक्का दिल बनाकर बैठी थी कि बस जो होगा देखा जाएगा. फिर फेरो की रसम शुरू हुई और हमने एक-एक करके फेरे कंप्लीट किए. आख़िर सभी रस्मे पूरी हुई और पंडित जी ने बताया कि आज से आप लोग पति-पत्नी हो और हमेशा एक दूसरे का साथ बनाए रखना है. फिर हम लोग उठे और करण और सम जीजू ने एक दूसरे से अच्छी तरह से जान पहचान की.

दीदी ने जीजू को मेरे बारे में बताया कि ये है रीत.

जीजू ने मुझे मुबारकबाद दी और मैने उन्हे. फिर करण मुझे अपने परिवार वालों के साथ इंट्रोड्यूस करवाने लगे.

करण-रीत ये है मेरे मम्मी और पापा. न्ड मम्मी ये है आपकी बहू रीत.

मैने और करण ने एक साथ मम्मी पापा के पैर छुए फिर मम्मी ने मुझे गले लगाते हुए कहा.

मम्मी-मेरी बहू तो चाँद का टुकड़ा ही है.

मैं उनकी बात सुनकर शरमा गई.

फिर हमने मामा जी के पैर छुए और आख़िर में उस लड़की की तरफ इशारा करते हुए करण ने कहा.
करण-रीत ये है तुम्हारी ननद कोमल.

कोमल ने गले मिलते हुए कहा.
कोमल-नमस्ते भाभी.

रीत-नमस्ते ननद जी.

मैने करण से धीरे से पूछा कि आपकी तो कोई बेहन है ही नही तो करण ने मुझे बताया कि कोमल मेरे मामा की लड़की है और अब वो हमारे साथ ही रहती है. हम बात कर ही रहे थे कि मुझे सामने से एक आवाज़ सुनाई दी.
'अजी हमे कॉन मिलवाएगा भाभी से'

ये रेहान था.
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07-03-2018, 12:21 PM,
#53
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
करण-अरे आ रेहान. तू तो रह ही गया था. ये है तुम्हारी भाभी रीत.

रेहान-नमस्ते रीत भाभी. तो आपका नाम रीत है.

करण-तुझे बताया तो था मैने.

रेहान-ओह हां भैया मैं भूल गया शायद.

मुझे हैरत हो रही थी कि रेहान बिल्कुल नॉर्मल बिहेव कर रहा था या शायद ये भी हो सकता था कि उसने मुझे पहचाना ना हो....

मैं हैरान थी क्योंकि रेहान बिल्कुल नॉर्मल बिहेव कर रहा था या शायद उसने मुझे पहचाना ही नही था.

अब विदाई की तैयारी हो चुकी थी. मेरे परिवार वालों की आँखें नम हो गई थी क्योंकि उनकी 2 बेटियाँ एक साथ जो जा रही थी. पहले गुलनाज़ दीदी को विदाई दी गई. दीदी सब के गले लग कर मिली और उदास चेहरा लिए जीजू के साथ विदा हो गई. फिर मुझे विदा करने का टाइम आया और मैं सबसे मिली और ख़ास तौर पे करू भाभी और मिक्कुो से इनसे मिलते वक़्त तो मेरी आँखों ने सबर का बाँध तोड़ दिया और आँसू बरसने लगे. आख़िरकार नम आँखों के साथ मुझे भी विदा कर दिया गया.

30 मिनिट के सफ़र के बाद हम करण के घर पहुँच गये. उनका घर बहुत अच्छी तरह से सजाया गया था. काफ़ी देर तक मैं, मम्मी जी और कोमल बैठ कर बातें करते रहे. मम्मी जी और कोमल दोनो दिल की बहुत अच्छी थी उनकी बातों से ही उनका प्यार और खुशी झलक रही थी. मम्मी जी भी उठ कर अपने रूम में चली गई और अब मैं और कोमल दोनो बैठे थे. कोमल ने मुझे बाहों में समेट कर कहा.
कोमल-भाभी सच में आप तो बहुत खूबसूरत हो.

मे-मेरी ननद रानी जी अब मक्खन लगाना छोड़ो और अपने भैया को भेजो जल्दी.

कोमल-ओये होये मैं मर जावां इतनी जल्दी भी क्या है सारी रात पड़ी है.

मे-कोमल आप भी ना मेरा ये मतलब थोड़े था.

कोमल-तो और क्या मतलब था आपका.

मे-प्लीज़ कोमल जा भेज ना मुझे बात करनी है उनसे.

कोमल-बात करनी है या...?

मे-तू जाती है या नही.

कोमल ने झट से उठते हुए कहा.
कोमल-अब जाती हूँ भाभी. और वो रूम से बाहर निकल गई. उसके जाने के बाद मैने सोचा ये लड़की बहुत नटखट है. जैसे कुछ इंसान होते है जो पहली मुलाक़ात में ही दिल में घर कर जाते हैं ऐसा ही कुछ कोमल में भी था.

मैने रूम में चारो तरफ नज़र दौड़ाई तो रूम बहुत अच्छी तरह से सजाया गया था. हर तरफ फूल ही फूल और उनकी महक. शादी में मैने लहंगा पहना था मगर अब घर आकर रेड कलर का सलवार कमीज़ पहन लिया था. मैं बेड के उपर सिमट कर बैठी थी. तभी दरवाज़े के उपर आहट हुई. मैने थोड़ा सा नज़र उठा कर देखा तो वो करण थे. मैं नज़रें झुका कर बिस्तेर की तरफ देखने लगी और आगे होने वाली हरकतों को सोच कर मेरे शरीर में मस्ती से भरी लहरे दौड़ने लगी. करण अब मेरे पास आते जा रहे थे उन्होने डोर अंदर से लॉक कर दिया था. वो आकर मेरे सामने बिस्तेर के उपर बैठ गये और एक टक मुझे देखने लगे. मैने शरमाते हुए कहा.
मे-ऐसे क्यूँ देख रहे हो करण मुझे शरम आ रही है.

करण-मैं अपनी वाइफ को देख रहा हूँ किसी और को तो नही.

मे-ये तो है फिर भी ऐसे मत देखो मुझे.

करण ने बिस्तर पे चढ़ते हुए मुझे बाहों में थाम लिया और मेरी चुनरी गले में से उतार कर साइड पे रख दी. मेरे उरोज रेड कमीज़ में तन कर बिल्कुल सामने की ओर खड़े थे और करण की छाती में घुसने को जैसे तैयार थे. कमीज़ का गला काफ़ी बड़ा था जिसकी वजह से मेरे उरोजो के बीच की दरार भी काफ़ी दिखाई दे रही थी और उस दरार में मेरी गोलडेन चैन का लॉकेट जिसके उपर 'के' लिखा था घुस करा था. ये चैन आज ही मुझे इनके मम्मी पापा ने पहनाई थी. करण अब मेरे उपर झुकने लगे थे और अब मैं बिस्तेर के उपर पीठ के बल लेट गई थी और करण मेरे उपर थे और मेरे चेहरे को हाथों में पकड़ कर मेरी गालों को चूमते जा रहे थे. मैने उन्हे अपने उपर से थोड़ा उठाते हुए कहा.
मे-थोड़ा सबर तो कीजिए. टेबल पे दूध पड़ा है कोमल रख कर गई थी उसे पी लो पहले.

करण-अगर कोमल रख कर गई थी तब तो मैं बिल्कुल नही पीऊंगा.

मे-क्यूँ.

करण-अरे तुम नही जानती उस नटखट को दूध पीने के बाद पता चले उसमे नींद की गोलियाँ थी और मैं बिना कुछ किए ही सो जाउ.

मे-अच्छा जी ऐसी नही है वो.

करण-अरे डार्लिंग ऐसी ही है वो. थोड़े दिन में पता चल जाएगा तुम्हे.
कहते हुए करण मेरे उरोजो पे अपने होंठ फिराने लगे.

मे-अब मान भी जाओ चलो जल्दी से दूध पियो अगर कोमल ने कुछ ऐसा वैसे किया होगा तो मैं सुबह देखूँगी उसे.

करण ने गिलास उठाते हुए कहा.
कारण-तुम भी ना ज़िद्दी हो पूरी.
उन्होने आधा दूध पीकर फिर गिलास मेरे होंठों पे लगा दिया और मैं आधा गिलास पी गई. गिलास को साइड पे रखते ही करण फिर से मेरे उपर टूट पड़े और अब उनके होंठ मेरे चेहरे के उपर घूमने लगे. जैसे ही हम दोनो के होंठ मिले तो मैने अपने होंठ वापिस खींचते हुए कहा.

मे-ये क्या आपने ड्रिंक की है.

करण-डार्लिंग अब दोस्तो ने पिला दी यार बोले इतनी सुंदर बीवी मिली है एक पेग तो बनता है. बस फिर एक-एक करते-2 आधी बोटल खाली कर दी.

मैने उन्हे अपने उपर से एक साइड को बिस्तेर के उपर गिरा दिया और खुद दूसरी और करवट लेकर लेट ते हुए बोली.
मे-जाओ मुझे नही आपसे बात करनी जब-2 शराब पीकर आओगे तब-2 ऐसे ही होगा आपके साथ.

वो भी मेरे पीछे करवट लेकर लेट गयी और अपनी एक टाँग उठाकर मेरी दोनो टाँगों के आगे रख दी और अपने हाथ से मेरे उरोज दबाने लगे और बोले.
करण-प्लीज़ डार्लिंग आज मूड मत खराब करो आगे से नो शराब ओन्ली रीत नाम की शराब की बोतल पीऊंगा मैं.

मैने उनका हाथ झटकते हुए कहा.
मे-दूर हटो मुझसे.

करण-डार्लिंग अब मान भी जाओ. अच्छा तुम्हारे पैर कहाँ है उन्हे पकड़ कर माफी माँगता हूँ.
और वो उठ कर मेरे पैरों के पास जाकर बैठ गये.

वो उठे और मेरे पैरों के पास जाकर बैठ गये. उन्होने मेरे दोनो पैर पकड़े और उन्हे अपनी गोद में रख लिया अब मैं भी पीठ के बल बिस्तेर पे लेट गई. उन्होने मेरे दोनो पैरों को इकट्ठा करते हुए पकड़ लिया और फिर उपर उठाकर उन्हे चूमते हुए कहा.
करण-डार्लिंग प्लीज़ माफ़ कर दो ना.

वो लगातार मेरे पैर चूम रहे थे और माफी माँग रहे थे.
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07-03-2018, 12:22 PM,
#54
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
मैं उनकी हरकतें देख कर मन ही मन मुस्कुरा रही थी. आख़िरकार मैने उन्हे माफ़ करने का फ़ैसला कर ही लिया और आगे बढ़ कर उन्हे कंधों से पकड़ा और खीच कर अपने उपर चढ़ा लिया.

मे-अबकी बार तो माफ़ कर दिया नेक्स्ट टाइम बिस्तर पे सोने भी नही दूँगी नीचे फर्श पे सोना.

करण-तब की तब देखेंगे आज तो मुझे जी भर के अपनी हसीन बीवी को प्यार करने दो.

अब हमारे होंठ जुड़ चुके थे और हमारी जीभ भी एक दूसरे के होंठों के अंदर जाकर सैर करने लगी थी. फिर उन्हो ने करवट ली और मुझे उपर कर लिया. अब वो नीचे बिस्तेर के उपर पीठ के बल लेटे थे और मैं उनकी छाती पे. उनके हाथ अब सरकते हुए नीचे मेरे नितंबो के उपर भी घूमने लगे थे. मैं भी अब पूरी गरम हो चुकी थी और उनकी छाती के उपर अपने उरोज रगड़ रही थी. हमारे हिलने की वजह से मेरे हाथों में पहना चूड़ा और पैरों की पायल आवाज़ कर रही थी और उनका शोर माहौल को और भी रोमॅंटिक बना रहा था. करण के हाथ अब मेरे कमीज़ को उपर की ओर उठाने लगे थे और मैने भी उनका साथ देते हुए थोड़ा सा उपर उठकर कमीज़ को अपने शरीर से अलग कर दिया. अब मेरे उरोज केवल छोटी सी ब्रा में ढके हुए थे. करण ने करवट लेते हुए मुझे फिरसे नीचे कर दिया और मेरे उरोजो को ब्रा से बाहर निकाला और जीभ निकाल कर उन्हे चाटने लगे.
वो मेरे उरोज चूस रहे थे और बुदबुदा रहे थे.

करण-रीत बहुत मस्त हो तुम मैं बहुत खुश हूँ तुम्हे पाकर.

उन्होने मुझे थोड़ा उपर उठने को कहा और हाथ पीछे लेजा कर मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिया और ब्रा साइड पे फेंक दी. अब वो ज़ोर-2 से मेरे उरोज मसल रहे थे और उन्हे होंठों में भर कर चूस रहे थे. अब वो थोड़ा नीचे हुए और उनके होंठ पेट से होते हुए मेरी योनि तक पहुँच गये. फिर उन्होने मेरी सलवार का नाडा दाँतों में पकड़ कर बाहर निकाला और उसे मूह में पकड़े ही खींच कर खोल दिया और मेरे नितंबों को थोड़ा उठाते हुए सलवार को खीच कर मेरे घुटनो के पास कर दिया. अब मेरी गोरी-2 जांघे उनकी आँखों के सामने बे-परदा हो गई थी और अब उनकी नज़र मेरी पैंटी के उपर थी. उन्हो ने हाथ बढ़ाए और मेरी पैंटी की इलास्टिक में फन्साते हुए पैंटी को खीच कर उतार दिया और सलवार के पास मेरे घुटनो पे पहुँचा दी. अब उनकी नज़र मेरी योनि के उपर थी और वो अपने होंठों पे जीभ फिरा रहे थे. फिर उन्होने ने धीरे से अपने होंठ मेरी योनि के नज़दीक किए और योनि के होंठों को चूमने लगे. योनि पे होंठ लगते ही मैं कसमसा उठी और मैने कस कर अपनी जांघों को भींच लिया. करण अब थोड़ा और नीचे हुए और मेरी सलवार और पैंटी पकड़ कर मेरे शरीर से अलग कर दी. अब मैं बिल्कुल नंगी उनके नीचे लेटी हुई थी. करण ने अपने कपड़े भी उतार दिए और मैने देखा उनका लिंग पूरा अकड़ कर खड़ा था. करण ने मेरी टाँगें उठाई और अपने कंधे पे रख ली. मैने उन्हे रोकते हुए कहा.

मे-करण प्लीज़ आगे आओ ना.

करण-क्यूँ डार्लिंग.

मे-मुझे आपके उसको किस करनी है.

करण-उसको किसको. पहले नाम बोलो.

मे-उम्म्म आओ ना.

करण-पहले नाम.

मे-अच्छा बाबा आपके लंड पे किस करनी है.

करण-ये हुई ना बात.
और वो मेरी टाँगों को कंधे से उतार मेरे चेहरे के पास आ गये और मैने उनका लिंग अपने हाथ में पकड़ा और अपने होंठ खोलते हुए उसके सुपाडे के उपर एक किस की.
करण-एक और जानेमन.

मैने एक और किस कर दी.

करण-अच्छा अब मूह में लो ना.

मे-नो आज नही. ड्रिंक करने की यही सज़ा है आज.

करण ने अब और ज़िद नही की और फिरसे उसी पोज़िशन में चला गया और अपना लिंग मेरी योनि के छेद पे रखा और एक ही झटके में सारा लिंग अंदर पहुँचा दिया. उनका लिंग जड़ तक मेरी योनि में समा चुका था. अब वो तेज़-2 धक्के देने लगे थे वो पूरा लिंग बाहर निकालते और फिर एक ही झटके के साथ अंदर पहुँचा देते. कमरे में मेरी सिसकियाँ और आहें गूँज़ रही थी. उनके धक्के मारने की वजह से मैं बेड पे उपर नीचे हो रही थी और मेरा चूड़ा और पायल उनके धक्कों के साथ ताल में ताल मिलकर आवाज़ कर रहे थे. मुझे पूरा यकीन था कि ये आवाज़ें रूम से बाहर तक जा रही थी. पायल और चूड़ियों का शोर सुनकर बाहर से आसानी से अंदाज़ा लग सकता था कि अंदर क्या हो रहा है. करण के धक्के अब पूरी स्पीड पकड़ चुके थे और मेरी आहें भी बढ़ती ही जा रही थी. अब करण कहने लगे थे.
करण-आहह डार्लिंग मैं झड़ने वाला हूँ.

मे-आअहह धीरे कर जानू मेरा भी पानी निकल रहा है.

आख़िर कार कमरे में पिछले आधे घंटे से सुनाई दे रही सिसकियाँ और चूड़ीयाँ न्ड पायल के खनकने की आवाज़े थम ही गई और करण निढाल होकर मेरे उपर गिर गये. उनका लिंग मेरी योनि के अंदर अपना गरम-2 प्रेम रस छोड़ने लगा. काफ़ी देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे. अब करवट लेकर मैं उपर आ गई थी और करण नीचे. मैने करण से कहा.
मे-आइ लव यू जानू. मैं बहुत प्यार करती हूँ आपको.
करण-मैं भी जानू....
आइ लव यू 2 डार्लिंग.
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07-03-2018, 12:22 PM,
#55
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
फिर हम दोनो एक दूसरे को बाहों में भरकर सो गये अपनी ज़िंदगी की एक नयी सुबह के इंतेज़ार में. 
सुबह मेरी आँख दरवाज़ा खटकने की आवाज़ से खुली. बाहर से मम्मी आवाज़ दे रही थी कि 'रीत बेटा उठो सुबह हो गई है'
मैं झट से उठ कर बेड से खड़ी हो गई और मैने देखा मैं रात को बिल्कुल नंगी ही सो गयी थी. मैने करण की ओर देखा वो भी बिल्कुल नंगे पेट के बल लेटे हुए थे. मैने अपने कपड़े इकट्ठे किए और झट से वॉशरूम में घुस गई और नहाने लगी. नहा कर मैने एक ग्रीन कलर का चुरिदार पहन लिया और फिर अपने गीले बालों को सुखाते हुए जनाब के पास आई और उन्हे जागते हुए कहा.
मे-करण उठो अब देखो 7 बज रहे हैं.
लेकिन ये जनाब तो हीले तक नही उठना तो बहुत दूर की बात थी. मैने फिरसे उन्हे हिलाते हुए कहा.
मे-करण उठो ना देखो मम्मी जी बुला कर गयी हैं.

मेरे ज़ोर-2 से हिलने पे जनाब को थोड़ा होश आया लेकिन जैसे ही होश में आकर आँखें खोली और सामने मुझे टाइट चुरिदार पहने गीले बालों को सुखाते हुए खड़े देखा तो जनाब फिरसे होश गँवा बैठे और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया. मैं झटके के साथ उनके उपर जा गिरी और मेरे गीले बाल मेरे चेहरे के उपर आ गये. करण ने मेरे बालों को मेरे चेहरे से हटाते हुए कहा.
करण-देखो साले ये बाल भी तुम्हारा चाँद सा चेहरा मुझसे छुपाने में लगे हैं.

इतना कहते ही उन्होने मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया और प्यार से उनका रस चूसने लगे. मैने अपने होंठों को उनके होंठों की गिरफ़्त से आज़ाद किया और कहा.
मे-डार्लिंग अब छोड़ो ना प्लीज़ मम्मी जी कब की बुला कर गयी हैं.

करण-अरे यार मम्मी की तो आदत है रोज़ सुबह तंग करने की मुझे अब उन्हे कॉन समझाए कि अब उनके इस बेटे को रोज़ सुबह एक किस के साथ जगाने वाली इस घर की राजकुमारी और मेरी बेगम 'रीत' आ गई है.

उनकी बात सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं प्यार से उनके माथे पे किस करते हुए कहा.
मे-अच्छा अब मेरे राजा हरीश चंदर जी उठिए और नहाइए मैं बाहर मम्मी जी के पास जा रही हूँ.

मैं उठ कर बाहर की ओर चल पड़ी और करण वॉशरूम में घुस गये. मैने अपना दुपट्टा सिर पे किया और अपने रूम से बाहर आ गई. डाइनिंग टेबल अभी तक खाली था मतलब अभी ब्रेकफास्ट रेडी हो रहा था. मैं सीधा किचन में गयी तो देखा मम्मी वहाँ खाना तैयार कर रही थी. मैने उनके पास जाकर उनके पैर छुए और उनके हाथ पकड़ते हुए कहा.
मे-मम्मी जी आप रहने दीजिए मैं बनाती हूँ खाना.

मम्मी ने मेरे सर पे हाथ रखते हुए कहा.
मम्मी-नही बेटा अभी तुम आराम करो फिर तो तुम्हे ही करना है सब कुछ.

इतने में रेहान किचन में दाखिल हुया और मुझे देखते ही बोला.
रेहान-गुड मॉर्निंग भाभी.

मे-गुड मॉर्निंग रेहान.

फिर उसने मम्मी की तरह चेहरा करते हुए कहा.
रेहान-मम्मी जल्दी करो ना मैं लेट हो रहा हूँ कॉलेज के लिए.

मम्मी-अरे बस रेडी है सब कुछ तू जा कर डाइनिंग टेबल पे बैठ चल और हाँ कोमल को मेरे पास भेज देना.

रेहान-अरे वो मेम-साब तो अभी उठी ही नही होंगी.

मम्मी-तेरे जैसी नही है वो कब की उठ चुकी है जा जाकर भेज उसे रूम में होगी.

रेहान कोमल को बुलाने चला गया और मम्मी ने मुझे वहाँ खड़े देखा तो कहा.
मम्मी-बेटा जाओ तुम भी जाकर डाइनिंग टेबल पे बैठो.

मैं उनकी बात सुनकर बाहर आ गयी. मैं किचिन से बाहर निकली तो देखा कोमल किचिन की तरफ ही आ रही थी. मुझे देखते ही वो भाग कर मेरे गले मिलते हुए बोली.
कोमल-गुड मॉर्निंग माइ स्वीट भाभी.

मे-गुड मॉर्निंग ननद जी.

फिर वो धीरे से मेरे कान में बोली.
कोमल-कैसी रही रात.

मेने हल्के से उसे मारते हुए कहा.
मे-हट पागल.

रेहान जो कि हमे डाइनिंग टेबल पे बैठा देख रहा था बोला.
रेहान-भाभी मुझे तो इसकी तरह गले मिलकर गुड मॉर्निंग की नही आपने.

कोमल-ओये चपड-गंजू शकल देखी है अपनी आया बड़ा गले मिलने वाला.
और फिर कोमल ने धीरे से मेरे कान में कहा.
कोमल-भाभी बच कर रहना अपने इस कमीने देवर से.
और वो किचन के अंदर चली गयी.
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07-03-2018, 12:23 PM,
#56
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
कोमल के किचन में जाते ही रेहान बोला.

रेहान-भाभी आओ आप यहाँ बैठो ना आराम से ये छिपकलि लेकर आएगी खाना हमारे लिए.

मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए धीरे-2 डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ गयी.

रेहान ने अपनी साथ वाली चेयर की तरफ इशारा करते हुए कहा.
रेहान-यहाँ बैठो ना भाभी.

मैं उसके साथ वाली कुर्सी पे बैठ गई.
करण अभी रूम में ही थे शायद नहा कर रेडी हो रहे थे. पापा भी अभी तक रूम से निकले नही थे और मम्मी जी और कोमल किचन में थी. डाइनिंग टेबल पे सिर्फ़ मैं और रेहान ही बैठे थे मुझे थोड़ी घबराहट सी हो रही थी बट मैं अपने चेहरे को नॉर्मल किए उसके पास बैठी थी.
हम दोनो के बीच की खामोशी को तोड़ते हुए रेहान बोला.
रेहान-वैसे भाभी एक बात कहूँ.

मे-ह्म्‍म्म.

रेहान-आप हो बहुत खूबसूरत मेरे फटीचर भैया के साथ कैसे पट गई आप.

मे-तुम्हे किसने कहा तुम्हारे भैया फटीचर हैं.

रेहान-उनकी हरकतें चीख चीख कर तो बताती हैं.

मे-अच्छा मुझे तो कभी सुनाई नही दी.

रेहान-आप उनके प्यार में अंधी के साथ-2 बहरी जो हो गई थी.

मे-ओह अच्छा जी तो जनाब को बातें बहुत आती हैं. मैने भी उसके साथ थोड़ा फ्रॅंक होते हुए कहा.

रेहान-अरे भाभी ऐसी बात नही है सच बोलू तो आप जैसी सुंदर लड़कियाँ मेरे जैसे हॅंडसम लड़को के लिए बनी होती हैं.

मैं कुछ बोलती उस से पहले ही कोमल जो कि ब्रेकफास्ट का समान रखने हमारे पास आई थी बोली.
कोमल-हॅंडसम और तुम. शकल देखी है जैसे किसी ने आम चूस कर फेंका हो.

रेहान-ओये छिपकलि मेडम अपनी वेटर गिरी से काम रखो समझी इधर देवर और भाभी की सीक्रेट बातें हो रही है समझी.

कोमल-कोई ना बच्चू तुम्हे तब बताउन्गी जब दीदी-2 करता मेरे पीछे फिर रहा होता है 'दीदी प्लीज़ मेरी असाइनमेंट बना दो ना'

रेहान-जा-जा अब भाभी आ गई हैं मैं इनकी हेल्प ले लूँगा अगर ज़रूरत पड़ी तो.

उन दोनो की बहस को आख़िरकार मैने रोकते हुए कहा.
मे-कोमल चलो तुम किचन में जाओ और रेहान प्लीज़ चुप हो जाओ तुम भी.

रेहान-अरे भाभी टेंशिोन नोट. इसके साथ तो मेरा ऐसे ही चलता रहता है और ये भी है कि प्यार भी इसे सबसे ज़्यादा मैं ही करता हूँ.

करण जो कि रेडी होकर डाइनिंग टेबल की ओर ही आ रहे थे वो रेहान की बात का जवाब देते हुए बोले.
करण-क्यूँ बे मैं क्या कम प्यार करता हूँ कोमल से.

कोमल इनके गले मिलते हुए बोली.
कोमल-नही करण भैया आप तो सबसे बेस्ट हो इस घर में.

करण-अब बोल साले लफंदर.

रेहान-अब बोलने लायक बचा ही क्या है.

उसकी बात सुनकर हम सब हँसने लगे. तीनो का प्यार देखकर मुझे अपने भैया हॅरी और करू भाभी की याद आ गई. हम भी बिल्कुल इनकी तरह ही मस्ती किया करते थे. उन पलों को याद करते ही मेरी आँखें नम होने लगी. लेकिन मैने खुद को समझाया कि अब तो यही सब मेरी फॅमिली है मुझे इनके साथ ही रहना है. मेरे चेहरे की उदासी को देखकर कोमल मेरे पास आई और मेरी चेयर के पीछे आकर मेरे गले में बाहें डालते हुए बोली.
कोमल-भाभी आपका ये गुलाब सा चेहरा मुरझाया हुआ क्यूँ है.

मे-नही तो मैं ठीक हूँ.

करण-घर की याद आ रही होगी है ना.

मे-हां बट ये भी तो घर ही है.

रेहान-बिल्कुल और इस घर में आपका दिल लगाने के लिए ये रेहान हॅंडसम भी है.

कोमल-हुहम हॅंडसम.
कोमल रेहान को चिड़ाते हुए किचन में चली गई.

इतने में पापा भी वहाँ आ गये और मैने चेयर से उठते हुए उनके पैर छुए और फिर पापा भी हमारे साथ बैठ गये और मैं भी वापिस अपनी जगह पे बैठ गई.
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07-03-2018, 12:23 PM,
#57
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
मम्मी और कोमल भी खाने के साथ डाइनिंग टेबल पे आ गई और हम सब मिल कर खाना खाने लगे.
पापा रेहान की तरफ देखते हुए बोले.
पापा-हंजी तो रेहान कैसी चल रही है आपकी स्टडी.

रेहान-एकदम बढ़िया.

पापा-लगता तो नही है.

करण-पापा इसने फिरसे कुछ उल्टा सीधा किया क्या.

पापा-इसके कॉलेज के प्रिंसी का फोन आया था.

रेहान-क्या कहा उन्होने.

पापा-आपकी उपलब्धियाँ बता रहे थे कि कुछ दिन पहले आपने लड़को के साथ मिलकर एक लड़के को इतना पीटा कि वो हॉस्पिटल में अड्मिट है.

पापा की बात सुनकर रेहान धीरे से मूह में फुसफुसाया.
रेहान-साला बूढ़ा.
और किसी ने तो उसकी बात नही सुनी मगर पास मुझे उसकी बात सुनाई दे गई.

करण-रेहान कब सुधरेगा तू.

रेहान-अब भैया मेरी क्या ग़लती है उसने मुझे गाली दी तो बस मैने....

पापा-आपने अपनी बहादुरी दिखा दी उसके उपर और भी रास्ते है तुम उसकी शिकायत भी कर सकते थे प्रिन्सिपल के पास जाकर.

रेहान-ये शिकायत-विकायत मुझसे नही होती अगर कल को कोई अपनी कोमल का हाथ पकड़ ले बाज़ार में तो क्या मैं पहले शिकायत करने जाउन्गा उसकी.

पापा-तुम ज़ुबान लड़ा रहे हो मेरे साथ.

मम्मी-अब बस भी करो खाना तो खा लेने दो उसे वरना ऐसे ही उठ कर चला जाएगा वो.

रेहान-अरे मम्मी यहाँ कोई मूवी नही चल रही जो खाना छोड़ कर चला जाउन्गा मैं अब खाने से क्या दुश्मनी.

उसकी बात ने हमारे साथ-2 पापा को भी मुस्कुराने पे मज़बूर कर दिया.
पापा-ये नही सुधर सकता.

करण-पापा देखना इसकी भाभी सुधारेगी इसे अब.

कोमल-देखना कही भाभी को ही ना बिगाड़ दे ये बदमाश पता चले भाभी भी लोगो के सर फाडती फिरती है इसके साथ.

मैं कोमल की तरफ आँखें निकालते हुए मुस्कुराने लगी.

फिर सभी ने खाना ख़तम किया और सब अपने-2 रास्ते निकल पड़े. पापा ऑफीस, रेहान न्ड कोमल कॉलेज न्ड कारण जॉब ढूँडने......

सब के जाने के बाद मैं और मम्मी जी ही बाकी बचे थे घर में. कुछ देर तक बैठ कर हमने बातें की और फिर मैं अपने रूम में आ गई करने के लिए कुछ था नही सो सोचा थोड़ा आराम कर लिया जाए वैसे भी सारी रात तो बिना सोए ही बितानी थी. मेरी आँख लगी ही थी कि मेरा मोबाइल बज उठा मैने देखा तो स्क्रीन पे 'भाभी' लिखा आ रहा था. मैने जल्दी से फोन पिक किया.
मे-हेलो भाभी.

करू-मेरी स्वीतू कैसी है तू.

मे-मैं ठीक हूँ भाभी आप बताओ भैया और मम्मी पापा कैसे हैं.

करू-सभी ठीक है तू अपना दिल लगाकर रह बस वहाँ.

मे-हां भाभी.

करू-कैसे है करण के फॅमिली वाले.

मे-बहुत अच्छे हैं सभी. मम्मी पापा का सुभाव बहुत अच्छा है न्ड एक नटखट ननद है न्ड दूसरा बदमाश देवर.

करू-बच के रहना अपने इस बदमाश देवर से.

मे-ऐसा क्यूँ कह रही हैं आप.

करू-अरे तुम्हारा ये बदमाश देवर तेरी भाभी पे ही लाइन मार रहा था तेरी शादी में.

मे-क्या..?

करू-और नही तो क्या. ऐसे गंदे-2 इशारे कर रहा था कि दिल कर रहा था कि पकड़ कर कान के नीचे बज़ा दूं इसके.

मे-हहेहहे.

करू-हंस क्या रही है तू अब.

मे-वैसे भाभी क्या इशारे कर रहा था आपको.

करू-तुझे तो ना मैं कच्चा चबा जाउन्गा...बेवकूफ़ लड़की.

मे-भाभी मैं तो मज़ाक कर रही थी.

करू-अच्छा छोड़ ये सब ये बता रात कैसी रही.

मे-कोन्सि रात.

करू-बेवकूफ़ तेरी सुहागरात.

मे-एकदम मस्त बिल्कुल आपके नंदोई जी की तरह.

करू-ओये होये मैं मरजावां.

मे-किसके उपर मरेंगी अब आप.

करू-बकवास मत कर. अच्छा मैं रखती हूँ याद करती रहा कर.

मे-ओके भाभी.

करू भाभी से बात करने के बाद मैं सोने की कोशिश करने लगी और मेरी आँख लग गई.

मेरी आँख फिर तब खुली जब कोई मुझे ज़ोर-2 से हिलाता हुआ उठा रहा था.
मैने आँखें मलते हुए देखा तो सामने कोमल खड़ी थी.

कोमल-भाभी कितना सोती हो आप शाम के 5 बज रहे हैं.

मे-अब मम्मी कोई काम तो करने देती नही सोऊ नही तो और क्या करू.

कोमल-अच्छा अब जल्दी से फ्रेश होकर बाहर आओ.

मैं फ्रेश होकर बाहर गई तो कोमल हाथ में 2 चाय के कप पकड़ कर मेरा ही वेट कर रही थी. मैने उसके हाथ से एक कप पकड़ा और फिर वहीं चेयर पे बैठ कर चाय पीने लगी. कोमल ने मुझे उठाते हुए कहा.

कोमल-भाभी चलो ना उपर छत पे चलते है.

मैं और कोमल छत की ओर बढ़ गई. छत पर ठंडी-2 हवा चल रही थी जो कि इस आग बरसा रही गर्मी से थोड़ी बहुत राहत दे रही थी. कोमल ने छत पे बने हुए एक छोटे से रूम से 2 चेयर निकली और हम दोनो उनके उपर बैठ गई और चाय पीने लगी. हमारे बीच की खामोशी को कोमल ने तोड़ते हुए कहा.

कोमल-भाभी आपको कैसा लगा हमारे घर में आकर.

मे-बहुत अच्छा. यहाँ मुझे बिल्कुल ऑड नही लगा आकर रहना.

कोमल-ओके और आपको सबसे अच्छा कॉन लगा इस घर में.

मे-उम्म्म फिलहाल तो कुछ नही बता सकती बट सभी अच्छे हैं.

कोमल-अच्छा और हमारी कोई बात या हम में से कोई बुरा तो नही लगा आपको.

मे-नही मेरी ननद रानी आप सभी अच्छे हो अब मेरी इंटरव्यू लेना बंद कर और ये बता कि रेहान कैसा लड़का है.

कोमल-आप क्यूँ पूछ रही हो.

मे-अब आपके भैया ने मेरी ड्यूटी लगाई है उसे सुधारे तो उसके बारे में जान ना तो पड़ेगा ना.

कोमल-अरे भाभी आप भूल जाओ कि आप रेहान भैया को सुधार सकती हो.

मे-क्यूँ क्या इतना बुरा है वो.

कोमल-नही भाभी. बात बुरे या अच्छे की नही है. बल्कि मैं तो कहूँगी कि रेहान भैया बहुत अच्छे हैं. बस वो अपने बनाए रास्तो पे चलते हैं शायद यही बात उनके पापा को पसंद नही आती.

मे-ह्म्‍म्म तो ये बात है.

कोमल-भाभी आप रेहान भैया का मॅटर इतना सीरियस्ली मत लो उनकी और पापा की तो हमेशा बहस होती रहती है.

मे-ओके तो आप बताओ ननद रानी जी आपकी स्टडी कैसी चल रही है.

कोमल-बस बढ़िया चलती है भाभी. खूब एंजाय करती हूँ मैं तो.

मे-किसके साथ..?

कोमल-व.वो स्टडी के साथ भाभी और किसके साथ.

मे-अच्छा मुझे तो लगता है वो सामने छत पे जो लड़का खड़ा है उसके साथ एंजाय हो रहा है आपका.
मैने साथ वाले 2 घर छोड़ कर छत पे खड़े एक लड़के की तरफ इशारा करते हुए कहा. असल में मैं कब्से नोटीस कर रही थी कोमल बार-2 उसकी तरफ देख रही थी और वो जनाब तो थे कि आँख हमारी ओर से हटा ही नही रहे थे.

कोमल ने अपने सर पे हाथ मारते हुए कहा.
कोमल-धत तेरे की पकड़ी गयी. भाभी आप तो बहुत चालाक हो आपने एक मिनिट में पकड़ लिया हमे.

मे-अब मेरी आँखों के सामने सब कुछ होगा तो दिखेगा ही अब अंधी तो हूँ नही मैं. वैसे कॉन है वो.

कोमल-हमारे पड़ोस का ही लड़का है नाम है जॉन...

मे-अच्छा तो जॉन के संग इश्क़ लड़ाया जा रहा है.

कोमल-जी भाभी. प्लीज़ आप बताईएगा मत किसिको.

कोमल ने मेरा हाथ अपने हाथों में पकड़ते हुए कहा.

मे-अरे कोमू मैं क्यूँ बताउन्गी भला.

कोमल-थॅंकयू भाभी.
फिर कोमल ने जॉन को बाइ करते हुए फ्लाइयिंग किस की और जवाब में जॉन ने भी आँख दबाते हुए किस की और फिर हम दोनो नीचे आ गयी. नीचे करण अभी-2 आए थे और उनके हाथ में पकड़ी मिठाई देखते ही मैं समझ गई कि उन्हे जॉब मिल गई होगी. उन्हो ने मेरे पास आकर मुझे बाहों में भरते हुए कहा.
करण-मुझे जॉब मिल गयी रीत.

कोमल भी हम दोनो के साथ गले मिल गई और बोली.
कोमल- भैया.
करण आज बॅंक की जॉब इंटरव्यू के लिए गये थे और आख़िर उन्हे जॉब मिल गई थी.
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07-03-2018, 12:23 PM,
#58
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
आज घर में सभी खुश थे क्योंकि करण को जॉब जो मिल गयी थी. सब ने मिलकर रात को डिन्नर किया और फिर अपने-2 रूम में जाने लगे. करण भी रूम में चले गये और फिर मैने और कोमल ने थोड़ी देर बैठ कर बात की और फिर हम भी अपने-2 रूम में जाने लगे. मैने रूम में जैसे ही एंटर किया तो करण की हालत देख कर मेरे चेहरे पे मुस्कुराहट बिखर आई. वो बेड के उपर बिना कपड़ों के लेटे हुए थे और जनाब के कपड़े इधर-उधर बिखरे पड़े थे. मैने उनकी तरफ गुस्से से देखते हुए कहा.

मे-ये क्या हाल बना रखा है रूम का. कपड़ों को खोल कर सही तरह से नही रख सकते आप.
और मैं उनके कपड़े उठाने लगी. वो बिस्तर से उठे और आकर मुझे पीछे से बाहों में भरते हुए कहा.

करण-डार्लिंग छोड़ो कपड़ों को अभी तो इनके साथ तुम्हारे कपड़े भी यहीं पे आने है फिर उठा देना बाद में.
और उन्हो ने मुझे गोद में उठा लिया और बिस्तेर के उपर लिटा दिया. मैने उनकी बाहों में कसमसाते हुए कहा.

मे-छोड़िए ना कपड़े तो उठाने दो.

मगर जनाब ने बिना मेरी बात सुने मेरे शरीर को अपने शरीर के नीचे छुपा लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पे टिका दिए. हम दोनो के होंठ एक दफ़ा जुड़े तो काफ़ी देर तक अलग नही हो पाए. आख़िरकार मैने कसमसाते हुए उन्हे अपने उपर से उतारा और अपने होंठों को अलग करते हुए कहा.

मे-आप भी ना बस सबर नही कर सकते.

उन्होने अपनी एक टाँग मेरी कमर पे चढ़ाते हुए कहा.
करण-जिसकी तुम्हारे जैसी मस्त बीवी हो वो सबर भला कैसे कर सकता है.

मे-ये सब छोड़ो ये बताओ की जॉब कैसी है.

करण-जॉब की बातें करने के लिए सारी जिंदगी पड़ी है. तुम फालतू की बातों में टाइम वेस्ट मत करो. अच्छा ये बताओ कि हनिमून के लिए कहाँ जाना है मेरी जान को.

मे-मुझे नही कही भी जाना.

करण-अरे ये क्या बात हुई.

मे-बस नही जाना तो नही जाना ये घर और ये रूम है ना हमारे हनिमून के लिए.

करण-अरे ये तो ठीक है मगर फिर भी...

मे-अगर मगर कुछ नही मैने कह दिया नही जाना तो नही जाना.

करण-रीतू डार्लिंग तुम्हारा दिल तो लग गया है ना यहाँ.

मे-बिल्कुल लगा है ऐसा क्यूँ पूछ रहे हो.

करण-मुझे तो नही लगता.

मे-आप भी ना बस अरे बाबा दिल क्यूँ नही लगेगा इतनी अच्छी फॅमिली मिली है मुझे. मम्मी-पापा जैसे मम्मी और पापा एक क्यूट सी ननद और एक नटखट देवर और सबसे ख़ास एक बुधु पति.

करण-अच्छा तो मैं बुधु नज़र आता हूँ तुम्हे अब देखना ये बुधु आज तुम्हारी क्या हालत करता है.
कहते हुए करण ने मुझ खीच कर अपने उपर चढ़ा लिया.

उन्होने मेरा कमीज़ पकड़ा और उसे उपर की ओर चढ़ाने लगे. मैं भी अब उनके हर कदम के लिए रेडी थी सो मैने भी अपने हाथ सीधे करते हुए आसानी से अपना कमीज़ शरीर से अलग होने दिया. अब करण ने मुझे करवट लेते हुए अपने नीचे कर लिया और उपर उठते हुए मेरी सलवार का नाडा पकड़ कर झटके के साथ खोल दिया. मैने अपनी टाँगो को उपर छत की तरफ किया और करण ने सलवार को बाहर निकाल दिया. अब मेरे शरीर पे केवल पिंक ब्रा न्ड पैंटी थी. करण तो थे ही बिल्कुल नंगे उन्होने मेरी टाँगों को पकड़ा और मेरी पैंटी को एक हाथ से पकड़ कर नीचे उतारने लगे और आख़िरकार मेरी पैंटी ने भी मेरे जिस्म का साथ छोड़ दिया. अब मेरे दोनो पैर एक साथ उपर छत की ओर थे और मेरे नितंब और उनके बीच छिपि मेरी योनि इनके सामने आ गई थी. करण ये नज़ारा देखते ही अपने होश गँवा बैठे और मेरी टाँगो को मोड़ कर मेरे कंधो तक कर दिया. मेरे घुटने अब मेरे बूब्स को टच हो रहे थे. करण ने अपना चेहरा मेरी योनि के पास किया और अपनी जीभ निकाल कर मेरी योनि के बीच घुसने लगे. 
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07-03-2018, 12:23 PM,
#59
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
उनकी जीभ को वहाँ महसूस करते ही मेरे शरीर ने एक झटका खाया और एक मस्ती से भरी आह मेरे मूह से निकल गई. करण अब अपने होंठों से मेरी योनि के होंठों को चूसने लगे और मेरा पूरा शरीर एक अजीब सी मस्ती में डूबने लगा. मैने अपनी टाँगो को अब पकड़ रखा था और अपनी योनि को और करण के होंठों से सटा रही थी. अब मेरे लिए सहना मुश्क़िल हो रहा था और आख़िरकार करण के होंठों की गर्मी को ना सह पाते हुए मेरी योनि ने हाथ खड़े कर दिए और अपना सारा पानी करण के मूह पे उडेल दिया. कुछ योनि रस करण गतगत पी गये और कुछ मेरी नितंबों के बीच की दरार से बहता हुआ नीचे चद्दर पे गिरने लगा. करण अब उठे और अपना लिंग जो की अब पूरी तरह से लोडेड था मेरी योनि पे टिका दिया और एक ही झटके में सारा अंदर कर दिया. मैं उनके इस हमले के लिए रेडी नही थी. इस लिए मेरे मूह से एक चीख निकल गई. करण ने चीख की परवाह ना करते हुए ज़ोर-2 से धक्के देने शुरू कर दिए. मैं अभी भी उसी पोज़िशन में थी और करण अब मुझे एक दफ़ा मूह से धारा-शाही करने के बाद अब अपने हथियार से धरा-शाही करने में लगे हुए थे. उनका लिंग पूरी स्पीड से मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था और मैं उनके हर धक्के की ताल से ताल मिलाते हुए आहें भर रही थी. करण के धक्के अब और तेज़ हो गये थे और मेरी साँसें भी अब स्पीड पकड़ चुकी थी. किसी भी वक़्त अब करण का लिंग मेरी योनि को अपने प्रेम-रस से नहला सकता था. आख़िर वो घड़ी भी आ ही गई और करण ने 5-6 जोरदार धक्के लगाए और उनके लिंग से प्रेम रस निकल कर मेरी योनि में भरने लगा और वो हान्फते हुए मेरे उपर गिर गये. मैने उन्हे बाहों में भींच लिया और हम ऐसे ही सो गये.

सुबह मेरी आँख खुली तो मैने अपने शरीर को चद्दर से ढके हुए पाया. वो बिस्तेर पे नही थे और वॉशरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी शायद वो वॉशरूम में थे. मैं हैरान थी कि जनाब आज जल्दी कैसे उठ गये. करण नहाने के बाद टवल लगा कर बाहर निकले और मेरे पास आकर मेरे माथे पे किस करते हुए मुझे गुड मॉर्निंग विश किया. मैने उन्हे छेड़ते हुए कहा.

मे-क्या बात है जॉब पे जाने की इतनी खुशी कि जनाब मुझ से भी पहले उठ गये.

करण मेरे पास बैठते हुए बोले.
करण-रीत डार्लिंग मुझे ट्रैनिंग के लिए जाना है.

मे-कहाँ...?

करण-देल्ही.

मे-क्या...

करण-यस डार्लिंग.

मे-रात तो आपने बताया नही.

करण-सॉरी यार मैं तुम्हे बता कर परेशान नही करना चाहता था और वैसे भी तुम्हारे साथ सेक्स का मज़ा भी खराब हो जाता.

मे-कितने दिनो के लिए जा रहे हो.

करण-1 मंत.

मे-1 मंत कैसे रहूंगी आपके बिना.

करण-प्लीज़ डार्लिंग ऐसे एमोशनल मत करो मुझे अब कही ऐसा ना हो कि मैं जॉब ही छोड़ दूं.

मे-नही-2 पागल हो गये हो क्या.

करण-तो अब जल्दी से उठो और मेरा सूटकेस रेडी करो.

फिर उन्होने मेरे लिप्स पे किस की और उठ कर अलमारी से अपने कपड़े निकालने लगे.

मैं उठी वॉशरूम में गयी और फ्रेश होकर बाहर आ गई और इनका सूटकेस रेडी कर दिया.

फिर हम सब मिलकर खाना खाने लगे. खाना खाते हुए करण ने रेहान को कहा.

करण-रेहान मैं 1 मंत के लिए देल्ही जा रहा हूँ अब अपनी भाभी का ख़याल तुम्हे रखना है और हां रीत अगर अपने भैया-भाभी को मिलने का दिल करे तो भी इसे बोल देना ये छोड़ आएगा तुम्हे वहाँ.

रेहान-बिल्कुल भाभी आपको कोई भी प्रॉब्लम हो तो बस मुझे बोलना.

फिर सब ने खाना ख़तम किया और करण हम सब को बाइ बोलकर देल्ही के लिए निकल पड़े.

आज सनडे था इसलिए कोमल और रेहान घर पे ही थे.
रेहान तो सुबह ब्रेकफास्ट के बाद ही 'अपने दोस्तों के पास जा रहा हूँ' ये कहकर निकला हुआ था.
कोमल थी जो सुबह से मेरे कान खा रही थी भाभी ये है भाभी वो है. एक तो ये लड़की बोलती बहुत थी. पूरा दिन ऐसे ही गुज़र गया. शाम को करण का फोन आया और उन्हो ने बताया कि वो होटेल में पहुँच गये हैं.
रात को सब ने डिन्नर किया और अपने-2 कमरो में जाने लगे. मेरा मन अपने रूम में जाने का नही हो रहा था और मेरी ये परेशानी मम्मी जी और कोमल ने पढ़ ली थी.

मम्मी-क्या हुआ रीत बेटी दिल नही लग रहा ना.

मे-नही मम्मी जी ऐसी तो कोई बात नही.

कोमल-मैं सब जानती हूँ ज़्यादा नाटक मत करो आप अब भैया घर पे नही हैं तो आपका दिल कैसे लगेगा.

मैने आँखें निकलते हुए कोमल की ओर देखा.

मम्मी-भैया घर पे नही है तो तुम किस लिए हो तुम अपनी भाभी का दिल बहलाओ.

कोमल-मेरे होते हुए भाभी उदास रहे ऐसा कभी हो सकता है क्या.

मम्मी-अच्छा बहू मैं चलती हूँ अपने रूम में और हां कोमल तुम आज भाभी के रूम में ही सो जाना.

कोमल-मैं....?

मम्मी-क्यूँ तुझे कोई प्रॉब्लम है.

मैने भी सवालिया नज़रों से उसे देखा.
कोमल-उम्म्म चलो ठीक है.
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07-03-2018, 12:24 PM,
#60
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
फिर मम्मी भी अपने रूम में चली गई और मैने कोमल का कान पकड़ते हुए कहा.
मे-मेडम मेरे साथ सोने में कोई प्रॉब्लम है तुझे.

कोमल-भाभी प्रॉब्लम आपके साथ सोने में नही है आपके रूम में सोने से है.

मे-क्यूँ क्या प्रॉब्लम है.

कोमल-अब आपको क्या बताऊ.

मे-आहो भाई अब मुझे क्यूँ कुछ बताएगी तू.

कोमल-ओये माइ स्वीट भाभी नाराज़ मत होइए आप अगर आप से छुपाउंगी तो और किसे बताउन्गी.

मे-तो बता ना.

कोमल-अब बता दूँगी पहले रूम में तो चलो.

हम दोनो रूम में आकर बिस्तेर पे बैठ गई. मैं अपनी टाँगें सीधी करके बिस्तेर पे बैठी थी और कोमल मेरी जांघों पे सिर टिकाए लेटी हुई थी.

मैने उसके गोरे-2 गालों को मसालते हुए कहा.
मे-हां तो अब बताओ क्या बात है.

कोमल-भाभी अब तो कोई इतनी ख़ास भी नही है असल में मुझे रात को जॉन के साथ फोन पे बात करनी होती है.

मे-तो मेरे सामने बात करते हुए तुम्हे शरम आती है क्या.

कोमल-ओह नही भाभी अब आपको कैसे समझाऊ.

मे-बस बस रहने दे मुझे कुछ नही समझना अब चुप चाप सो जा सीधी होकर.

कोमल बिस्तेर से उठते हुए.
कोमल-भाभी मैं अपना रूम लॉक करके आती हूँ.

मे-ओके.
कोमल के जाने के बाद मैं बिस्तेर पे लेट गई और जैसे ही मैं लेटी तो बिस्तेर के उपर पड़ा कोमल का मोबाइल वाइब्रट होने लगा. कोमल कब से इसे छेड़ रही थी. मैने मोबाइल उठाया तो उसके उपर जॉन का मेसेज था. मैने मेसेज ओपन किया और उसे पढ़ कर हैरान हो गई. उसमे लिखा था.
'अभी क्या पहना है डार्लिंग'

मेरे दिमाग़ में शरारत सूझी तो मैने उसे रिप्लाइ कर दिया.
'पिंक ब्रा न्ड पिंक पैंटी में हूँ'

फिर उसकी तरफ से रिप्लाइ आया.
'तुम तो कह रही थी तुम भाभी के रूम में हो तो क्या भाभी के सामने ही'

मैने रिप्लाइ किया.
'पागल अंदर क्या पहना है ये बताया था'

उसका रिप्लाइ 'ओह अच्छा-2 तो अब उपर वाले कपड़े उतार भी दो'

मेरा रिप्लाइ 'पागल भाभी हैं साथ में'

उसका रिप्लाइ 'तो भाभी के भी उतरवा दो'

मैं उसका रिप्लाइ पढ़के चौंक उठी.
और मैने रिप्लाइ किया 'तुमने मेरी भाभी को ऐसी वैसी समझा है क्या'

फिर आचनक कोमल अंदर आ गई और मैने झट से उसका मोबाइल रख दिया. कोमल बिस्तेर पे आई तो मैने उसका मोबाइल उसके हाथ से लेकर कहा.

मे-चुप चाप सो जा अब. मोबाइल सुबह मिलेगा. नही तो सारी रात इसके साथ ही चिपकी रहेगी तू. वो भी ज़िद्द ना करते हुए चुप चाप सो गई.
कोमल-भाभी मैने जॉन को बता दिया कि रात मैने नही आपने उसके साथ चॅट की थी.

मैं चौंकते हुए
मे-क्या...?

कोमल-अरे इसमे चौंकने की क्या बात है.

मे-ओह गॉड....तुम एकदम पागल हो...

कोमल-अरे अब मैने क्या ग़लती की.

मे-उसे बताने की क्या ज़रूरत थी.

कोमल-उसे बताने का नुकसान भी क्या है.

मे-पागल वो क्या सोचेगा तेरी भाभी के बारे में.
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