non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:05 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
उधर गुनगुन में अपने आवास पर मंत्री दिवाकर चौधरी अपने दो दोस्तों और एक रखैल दोस्त यानी सुनीता के साथ ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर बैठा था। इस वक्त ड्राइंग रूम में इन चारों के अलावा और कोई नहीं था। मंत्री के सुरक्षा गार्ड सब बाहर ही तैनात थे।

"वैसे आपको क्या लगता है चौधरी साहब।" सहसा अशोक मेहरा कह उठा___"वो ठाकुर हमारी इस मामले में क्या सहायता कर सकता है? जबकि उसकी खुद की बेटी ही उसके खिलाफ़ है।"

"इन्हीं सब चीज़ों के बारे में तो जानना है अशोक।" मंत्री ने सोचते हुए कहा___"मुझे लगता है कि इस मामले से जुड़ी हर चीज़ ठाकुर को क्राॅस करती है। हमने ये तो समझ लिया कि हमारे मामले जो हो रहा है वो कौन और क्यों कर रहा है मगर हम ये भी जानना चाहते हैं कि जो हमारा दुश्मन है उसने या उसकी माॅ बहन ने ऐसा क्या किया था जिसकी वजह से ठाकुर ने उन तीनों को हवेली से ही नहीं बल्कि सारी ज़मीन जायदाद से भी बेदखल कर दिया है? सबसे महत्वपूर्ण बात हमें ये भी जानना है कि ऐसा क्या हुआ है जिसके तहत ठाकुर की अपनी बेटी खुद अपने ही माॅ बाप के खिलाफ़ हो गई है?"

"बात तो आपकी एकदम सही है चौधरी साहब।" अशोक ने कहा___"किन्तु इससे निष्कर्श क्या निकलेगा? मेरा मतलब है कि इससे हमारा फायदा क्या होगा?"

"नफ़ा नुकसान तो अपनी जगह है ही अशोक।" चौधरी ने कहा___"किन्तु इस मामले में कुछ बातें ऐसी हैं जिनके बारे में पक्के तौर पर जानना बहुत ज़रूरी है। तुमने कहा था कि ठाकुर की बेटी जो थानेदारनी है और अपने पैरेन्ट्स के खिलाफ़ है वो हमारे दुश्मन और ठाकुर के भतीजे की मदद इस लिए नहीं कर सकती क्योंकि वो भी उससे अपने माॅ बाप की तरह नफ़रत करती है। ये बातें एक दूसरे से मैच नहीं खा रही हैं अथवा ये भी कह सकते हैं कि जॅच नहीं रही हैं।"

"जी मैं कुछ समझा नहीं चौधरी साहब।" अशोक मेहरा के माॅथे पर उलझनपूर्ण भाव आए___"कौन सी बातें नहीं जॅच रही आपको?"

"यही कि एक तरफ तो तुम ये भी कह रहे हो कि ठाकुर की थानेदारनी बेटी उस विराज नाम के अपने भाई से नफ़रत करती है।" मंत्री ने कहा___"इस लिए वो उसकी मदद नहीं कर सकती। जबकि दूसरी तरफ तुम ये भी कह रहे हो कि ठाकुर की वही थानेदारनी बेटी खुद अपने ही माॅ बाप के खिलाफ़ है। सोचने वाली बात हैं अशोक कि ऐसा कैसे हो सकता है? आम तौर पर बच्चे वही करते हैं जो उनके माॅ बाप उन्हें सीख देते हैं अथवा करने को कहते हैं। यहाॅ सोचने वाली बात ये है कि अगर वो थानेदारनी अपने माॅ बाप की सीख अथवा कहे के अनुसार अपने चचेरे भाई से नफ़रत करती है तो फिर अपने ही माॅ बाप के खिलाफ़ वो किस वजह से हो गई है?"

"आपकी इन सब बातों में ज़बरदस्त प्वाइंट है चौधरी साहब।" सहसा अवधेश श्रीवास्तव कह उठा___"सचमुच ये सोचने वाली बात है कि आख़िर ऐसा क्या हुआ है जिसके चलते ठाकुर की बेटी उसके खिलाफ़ है? संभव है कि उसे कोई ऐसी बात अपने माॅ या पिता की पता चल गई हो जिसके चलते उसने अपने माॅ बाप से किनारा कर लिया हो। या फिर ऐसा हो सकता है कि सोच या विचारों के चलते थानेदारनी अपने पैरेन्टस् से दूर हो।"

"ये सब तो महज संभावनाएॅ हैं अवधेश।" दिवाकर चौधरी ने कहा___"जो सही भी और ग़लत भी हो सकती हैं मगर हमें वो बात पता करना है जो सिर्फ और सिर्फ सच हो। ख़ैर फिक्र की कोई बात नहीं है, हमने ठाकुर को बुलाया है। वो आता ही होगा हमारे पास। उसी से पूछेंगे कि सच्चाई क्या है?"

"लेकिन चौधरी साहब।" अशोक मेहरा ने एक बार पुनः हस्ताक्षेप किया___"सवाल तो एक बार फिर खड़ा हो जाता है कि इस सबसे हमारा फायदा क्या होगा? हम ये तो जानते ही हैं कि हमारा दुश्मन ठाकुर का वो भतीजा है जिसका नाम विराज है और वो मुम्बई में रहता है। फिर अचानक आप ठाकुर और उसकी बेटी को बीच में कैसे ले आए? इस मामले में ये कहाॅ से आ गए? ठाकुर की बेटी अपने माॅ बाप के खिलाफ़ है ये उनका आपसी मैटर है। इस लिए हमें इससे क्या लेना देना भला? हमें तो अपने टार्गेट पर फोकस रखना है ना?"

"तुम बात को या तो अनसुना कर गए हो अशोक या फिर बात को समझने की कोशिश ही नहीं कर रहे हो।" मंत्री ने स्पष्ट भाव से कहा___"जबकि तुम्हें सबसे पहले ये सोचना चाहिए कि हम बेवजह फालतू की बकवास करने का शौक नहीं रखते हैं। ख़ैर, बात दरअसल ये कि अगर ठाकुर की बेटी सचमुच में अपने पैरेंट्स के खिलाफ़ है तो वो अपने उस भाई की मदद क्यों नहीं कर सकती जो अपने माॅ बाप की तरह ही उस लड़के से नफ़रत करती थी? संभव है कि उसे उस वजह का पता चल गया हो जिस वजह के चलते उसके बाप ने विराज और विराज की माॅ बहन को हर चीज़ से बेदखल किया था। उसे पता चल गया हो कि जिस वजह से विराज को बेदखल किया था उसके बाप ने वो वजह वास्तव में बेवजह ही थी। यानी विराज व विराज की माॅ बहन अपनी जगह सही रहे हों।
उस सूरत में संभव है कि रितू ने उस संबंध में अपने पैरेंट्स से बात की हो और उनसे कहा हो कि विराज और उसकी माॅ बहन को बेदखल करके उसने अच्छा नहीं किया। वो अगर बेक़सूर हैं तो उन्हें उनका हक़ मिलना ही चाहिए। इस संबंध में अपनी बेटी की ये बात शायद ठाकुर को पसंद न आई हो और उसने विराज का हक़ देने से साफ इंकार कर दिया हो। इस वजह से थानेदारनी अपने माॅ बाप से अलग हो गई और संभव है कि इसी के चलते वो अपने उस चचेरे भाई के प्रति अपनी नफ़रत को मिटा कर उसकी मदद भी करने लगी हो। हलाॅकि ये सब भी महज संभावनाएॅ ही हैं किन्तु हो सकता है कि यही सच हो।"

अशोक मेहरा ही नहीं बल्कि वहाॅ बैठे अवधेश व सुनीता भी चौधरी की इन संभावना भरी बातें सुन कर चकित रह गए थे। एक बेटी का अपने पैरेंट्स के खिलाफ़ होने की क्या खूब वजह सोच कर बयान किया था उसने।

"अगर आपकी संभावनाएॅ सच हैं।" फिर अवधेश ने कहा___"तो यकीनन वो थानेदारनी विराज की मदद कर सकती है। मैं सब समझ गया चौधरी साहब, आपने यही सब सोच कर ठाकुर को यहाॅ बुलाया है।"

"बिलकुल।" चौधरी मुस्कुराया___"किन्तु इस वजह के अलावा भी एक महत्वपूर्ण वजह है।"
"वो क्या चौधरी साहब?" तीनो एक बार फिर चौंके।
"अगर ठाकुर ने सचमुच ही विराज और उसकी माॅ बहन को बेवजह ही हर चीज़ से बेदखल किया है।" चौधरी ने कहा___"तो ये भी सच ही होगा कि विराज अपने ताऊ को दुश्मन समझता होगा और ये भी चाहता होगा कि उसका हक़ किसी भी सूरत में उसे मिले। ठाकुर ने अगर धन दौलत अथवा सारी प्रापर्टी को हथियाने की गरज से उसे बेदखल किया होगा तो फिर ये पक्की बात है कि ठाकुर किसी भी कीमत में वो प्रापर्टी अथवा उस प्रापर्टी में से विराज का हक़ नहीं देगा। कहने का मतलब ये कि विराज को अपना हक़ आसानी से नहीं मिलने वाला। इस लिए वो ऐसा कुछ ज़रूर करेगा जिसके तहत उसे अपने ताऊ से अपना हक़ वापस मिल सके।"

तीनो मुह फाड़े देखते रह गए चौधरी को। किसी के मुख से कोई बोल न फूट सका था। जबकि चौधरी उन सबके चेहरों पर मॅडराते भावों को देखते हुए पुनः कहना शुरू किया____"हलाॅकि ये भी महज संभावनाएॅ ही हैं दोस्तो जो ग़लत भी हो सकती हैं। मगर हमें कहीं न कहीं ऐसा आभास भी हो रहा है कि हमारी इन संभावनाओं पर कुछ न कुछ तो सच्चाई ज़रूर है। हमने ठाकुर, ठाकुर की बेटी, तथा विराज, इन तीनों पर ग़ौर किया है और इनके बीच पैदा हुए हालातों पर भी ग़ौर किया है। इसके बाद ही हमारे दिमाग़ में इन संभावनाओं का आगमन हुआ है।"

"मुझे तो ऐसा लगता है चौधरी साहब।" सहसा अवधेश कह उठा___"कि आपने उन तीनों का ऑपरेशन कर दिया है। आपकी संभावनाओं में कहीं पर भी ऐसा नहीं लग रहा है कि उनमें कहीं कोई लोचा है।"
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