Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:45 PM,
#39
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
मैंने देखा कैसे बारिश की शबनमी बुँदे उसके गुलाब से होंठो को छू कर टपक रही थी उसकी नीली आँखे बस मुझे ही देख रही थी और फिर मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया अपने सीने से लगा लिया दूर कही बादल गरजे और वो मुझसे अलग हो गयी और घुमने लगी उस आँगन में जैसे कोई मोरनी नाच रही हो ऐसी लगी मुझे वो पता नहीं क्यों मुझे ऐसे लगा जैसे बस ये ही तो चाहता था मैं हमेशा से 



वो हसते मुस्कुराते मेरे आगे पीछे फिर रही थी कभी मुझे छू जाती लिपट जाती और कभी दूर हो जाती ये लम्हे बहुत खास थे लगा की जैसे जीना तो मैंने अब सीखा है अबतक तो बस सांसे ही ले रहा था , न वो कुछ बोल रही थी ना मैं कुछ पर फिर भी जैसे दिल ने वो सुना जिसे बरसो से वो सुनना चाहता था और फिर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया वो रुक गयी 



वो- क्या हुआ 



मैं- बैठ पास मेरे 



मैं वही धरती पर ही बैठ गया और वो मेरी गोद में सर रखकर लेट गयी सच ही तो था पनाह तो इसी धरती में मिलती है उसका हाथ मेरे हाथ में था 



मैं- शुक्रिया 



वो- किसलिए 



मैं- मुझे खुद से मिलाने के लिए 



वो- यही मैं कहू तो 



मैं- पूजा बहुत कुछ कहना चाहता हु पर जुबान साथ नहीं दे रही 



वो- कोई जरुरत नहीं 



मैं- जी करता है बस ऐसे ही बैठे रहे 




वो- तबियत ख़राब हो जाएगी तुम्हारी 



मैं- होने दो तुम साथ हो तो फिर चाहे मौत क्यों ना आ जाये 



वो- ऐसी बाते करोगे तो मैं नाराज हो जाउंगी फिर 



मैं- अच्छा बाबा 



बारिश में और तेजी आ गयी थी तो हम अन्दर आ गयी उसने मुझको तौलिया दिया और खुद अन्दर चली गयी

मैंने जल्दी से कपडे बदले और आंच के पास बैठ गया जल्दी ही वो भी आ गयी और रोटिया सेंकने लगी आंच की लपटों में पूजा बड़ी सुन्दर लग रही थी बिजली अभी तक नहीं आई थी और आसार भी नहीं थे मुझे लगा की घर बता देना चाहिए था चिंता कर रहे होंगे पर फिर सोचा की क्या बताता की पूजा के पास हु तो जाने दिया उसने जल्दी ही खाना बना लिया और हमने साथ ही खाया 



करीब घंटे भर बाद मैंने अपना बिस्तर लगाया और सोने की तैयारिया करने लगा थोड़ी देर बाद वो भी आ गयी मैंने देखा उसने खुद को एक चादर से ढका हुआ था 



मैं- तुझे क्या हुआ सोना नहीं है क्या 



वो- सोना है ना 



मैं- तो लगा ले बिस्तर 



वो- लगा तो है 



वो मेरे बिस्तर घुस गयी और बोली- लालटेन बुझा दे कुंदन 



मैंने दरवाजा बंद किया लालटेन बुझाई और बिस्तर में सरक गया और अन्दर जाते ही जो उसको छुआ मैंने मैं समझ गया उसके बदन पर बस दो ही वस्त्र थे , अंदरूनी वस्त्र जैसे ही मैंने उसे छुआ वो बस लिपट गयी मुझसे और मैं कुछ नहीं कह पाया कुछ देर वो ऐसे ही लिपटी रही और फिर बोली- मैंने कहा था ना तेरी मन चाही करुँगी 



मैं- पर पूजा 



वो मेरे होंठो पर ऊँगली रखते हुए- श्हह्ह्स्शह्ह्ह्ह ये मेरी मर्ज़ी है ..............


वो थोडा और करीब आ गयी मेरे उसने अपना पैर मेरे पैरो पर रखा मेरा हाथ उसकी अधनंगी पीठ पर रेंगने लगा हमारी सांसे चादर के अन्दर मचलने लगी और बिस्तर गरम होने लगा उसके बदन की तपिश से मैं पिघलने लगा था गर्मी बर्दाश्त से बाहर होने लगी जैसे कोई आग जल रही हो मेरे इर्द-गिर्द वो पल पल मेरे और पास आती जा रही थी इतनी पास की जैसे बेताब हो मुझमे समा जाने के लिए 



वो- तू मुझे नदी किनारे देखना चाहता था ना 



मैं- मैं बस तुझे महसूस करना चाहता था 



वो- मैं तेरे आगोश में हु महसूस कर बता मुझे 



मैंने उसके होंठो को अपनी गर्दन पर महसूस किया पुच हलके से चूमा उसने और मेरा बदन कांपने लगा ये बड़ा ही अलग सा अहसास था जिसे मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया जबकि मैं चाची के साथ ये सब कर चूका था साँस जैसे फूलने सी लगी थी 



हुम्म्मम्म्म्म hummmmmmmmmmmmmmmm 



पूजा बस धीरे धीरे मेरी गर्दन को चूम रही थी और उसका हाथ मेरे सीने पर रेंग रहा था जबकि मेरा हाथ उसकी ब्रा की लेस पर था मैं सोच रहा था की ब्रा के हुको को खोलू या नहीं वो अपना अनमोल खजाना मेरे लिए खोले हुए थी पर मेरा मन पता नहीं क्यों मान नहीं रहा था मैंने सोचा कही ये मेरी परीक्षा तो नहीं ले रही पर साथ ही उसके इरादे खतरनाक लग रहे थे 



उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और उसे अपने उन्नत वक्षो पर रख दिया मैंने धीरे से उसके उभारो को दबाया और वो तड़प उठी उसके होंठो से एक आह निकली जो मुझे दीवाना बना गयी “आह आह ” उसका पैर लगातार मेरे पैर से रगड़ खा रहा था और मेरी टांगो के बीच सुरसुराहट बढ़ने लगी थी उसने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने होंठो को मेरे लरजते होंठो से सटा दिया और उसकी सांसे मेरे मुह में घुलने लगी 



मैंने उसे थोडा सा उठाते हुए अपनी बाहों में भर लिया जिससे उसका उपरी हिस्सा मेरे ऊपर आ गया और हमारे होंठ एक दुसरे से उलझने लगे एक मीठा सा स्वाद हम दोनों के दरमियान घुलने लगा जैसे ही उसकी जीभ मेरे मुह में आई मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया और उसकी नंगी पीठ पर अपने हाथ फिराने लगा कमरे में ख़ामोशी छाने लगी थी पर चादर के अन्दर तूफान था 
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RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:45 PM

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