RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मुझे पता चल गया था कि वो दोनो अब झड्ने ही वाले हैं. मैं भी अपने दोनो टाँगों को चौड़ी कर, अपनी गीली चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से मसल कर झड्ने की तय्यारी करने लगी. धीरज ने संध्या की गान्ड को एक बार फिर से अपने लंड के उपर ज़ोर से नीचे की तरफ किया. और एक बार फिर से, ज़ोर से कराहते हुए, कुछ इंच और ज़्यादा लंड को संध्या की चूत में पेलते हुए, उसकी गान्ड को अपने लंड पर नीचे किया. और फिर आख़िर में संध्या की चूंचियों को हाथों से दबाते हुए, और निपल्स को मींजते हुए धीरज ने एक एक जोरदार झटका अपनी कमर को उछालते हुए लगाया, और लंड जितना ज़्यादा से ज़्यादा अंदर जा सकता था, उतना अपनी छोटी बेहन की चूत में पेल दिया. धीरज का शरीर झडते हुए, अकड़कर काँपने लगा, उसके चेहरे पर आ रहे एक्सप्रेशन्स बता रहे थे कि उसकी टट्टों की गोलियों में से वीर्य चढ़कर, लंड की लंबाई में उपर तक चढ़ने लगा है, और उसकी छोटी बेहन की गरमा गरम चूत में उसको वो उंड़ेल रहा है.
अपने भैया के लंड से निकल रही गरम वीर्य की धार ने संध्या को भी झडने पर मजबूर कर दिया. संध्या की बाहों में से मानो दम निकल गया हो, वो निढाल होकर,अपनी गान्ड को उठाए हुए ही उसने अपना सिर बेड पर टिका दिया, और वो अपनी चूत से निकल रहे रस, और अपने भैया के वीर्य के मिश्रण को अपने टाँगों पर टपकते हुए महसूस करने लगी. तभी मैं भी झड गयी, और मैं संध्या के आहह ऊओ के साथ चेहरे पर आ रहे संतुष्टि के एक्सप्रेशन्स को देखने लगी. मुझे उन दोनो को चुदाई देखते हुए अपनी चूत में उंगली करके झड्ने में बहुत मज़ा आया था, और मेरी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ा. इस चरम सुख के अपार आनंद में मेरी आँखें बंद हो गयी.
आँखें बंद किए हुए ही मेरे दिमाग़ ने चेतावनी की घंटी बजाई, और मैं तुरंत वहाँ से अपने रूम में आकर बेड पर आकर लेट गयी, और गहरी नींद में सोने का नाटक करने लगी. कुछ देर बाद धीरज भी बेड पर आकर लेट गया, और सो गया. उसके कुछ देर बाद, मैं शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत ज़्यादा थकने के कारण, जल्द ही सो गयी.
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