RE: Sex Story सातवें आसमान पर
उधर डॉली भी राज के ख्यालों में गुम थी। उसे रह रह कर राज के साथ बिताये हुए पल याद आ रहे थे। वह जल्द से जल्द फिर से उसकी बाहों में झूलना चाहती थी। राज से मिले दस दिन हो गए थे। उस सुनहरे दिन के बाद से वे मिले नहीं थे। राज को किसी काम से कानपुर जाना पड़ गया था। पर वह कल दफ्तर आने वाला था।
डॉली सोच नहीं पा रही थी कि अब दफ्तर में वह राज से किस तरह बात करेगी या फिर राज उस से किस तरह पेश आएगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि आम आदमियों की तरह वह उसकी अवहेलना करने लगेगा। कई मर्द जब किसी लड़की की अस्मत पा लेते हैं तो उसमें से उनकी रुचि हट जाती है और कुछ तो उसे नीचा समझने लगते हैं ....। डॉली कुछ असमंजस में थी ....।
लालसा, वासना, डर, आशंका, ख़ुशी और उत्सुकता का एक अजीब मिश्रण उसके मन में हिंडोले ले रहा था।
डॉली ने सुबह जल्दी उठ कर विशेष रूप से उबटन लगा कर देर तक स्नान किया। भूरे रंग की सेक्सी पैंटी और ब्रा पहनी जिसे पहन कर ऐसा लगता था मानो वह नंगी है। उसके ऊपर हलके बैंगनी रंग की चोली के साथ पीले रंग की शिफोन की साड़ी पहन कर वह बहुत सुन्दर लग रही थी। बालों में चमेली का गजरा तथा आँखों में हल्का सा सुरमा। चूड़ियाँ, गले का हार, कानों में बालियाँ और अंगूठियाँ पहन कर ऐसा नहीं लग रहा था कि वह दफ्तर जाने के लिए तैयार हो रही हो। डॉली मानो दफ्तर भूल कर अपनी सुहाग रात की तैयारी कर रही थी। सज धज कर जब उसने अपने आप को शीशे में देखा तो खुद ही शरमा गई। उसके पति ने जब उसे देखा तो पूछ उठा- कहाँ कि तैयारी है ...?
डॉली ने बताया कि आज दफ्तर में ग्रुप फोटो का कार्यक्रम है इसलिए सब को तैयार हो कर आना है !! रोज़ की तरह उसका पति उसे मोटर साइकिल पर दफ्तर तक छोड़ कर अपने काम पर चला गया। डॉली ने चलते वक़्त उसे कह दिया हो सकता है आज उसे दफ्टर में देर हो जाये क्योंकि ग्रुप फोटो के बाद चाय-पानी का कार्यक्रम भी है।
दफ्तर १० बजे शुरू होता था पर डॉली ९.३० बजे पहुँच जाती थी क्योंकि उसे छोड़ने के बाद उसके पति को अपने दफ्तर भी जाना होता था। डॉली ने ख़ास तौर से राज का कमरा ठीक किया और पिछले १० दिनों की तमाम रिपोर्ट्स और फाइल करीने से लगा कर राज की मेज़ पर रख दी।
कुछ देर में दफ्तर के बाकी लोग आने शुरू हो गए। सबने डॉली की ड्रेस की तारीफ़ की और पूछने लगे कि आज कोई ख़ास बात है क्या?
डॉली ने कहा कि अभी उसे नहीं मालूम पर हो सकता है आज का दिन उसके लिए नए द्वार खोल सकता है !!!
लोगों को इस व्यंग्य का मतलब समझ नहीं आ सकता था !!
वह मन ही मन मुस्कराई ....
ठीक दस बजे राज दफ्तर में दाखिल हुआ। सबने उसका अभिनन्दन किया और राज ने सबके साथ हाथ मिलाया। जब डॉली राज के ऑफिस में उस से अकेले में मिली राज ने ऐसे बर्ताव किया जैसे उनके बीच कुछ हुआ ही न हो। वह नहीं चाहता था कि दफ्तर के किसी भी कर्मचारी को उन पर कोई शक हो। डॉली को उसने दफ्तर के बाद रुकने के लिए कह दिया जिस से उसके दिल की धड़कन बढ़ गई।
किसी तरह शाम के ५ बजे और सभी लोग राज के जाने का इंतजार करने लगे। राज बिना वक़्त गँवाए दफ्तर से घर की ओर निकल पड़ा। शीघ्र ही बाकी लोग भी निकल गए। डॉली यह कह कर रुक गई कि उसे एक ज़रूरी फैक्स का इंतजार है। उसके बाद वह दफ्तर को ताला भी लगा देगी और चली जायेगी।
उसने चौकीदार को भी छुट्टी दे दी। जब मैदान साफ़ हो गया तो डॉली ने राज को मोबाइल पर खबर दे दी।
करीब आधे घंटे बाद राज दोबारा ऑफिस आ गया और अन्दर से दरवाज़ा बंद करके दफ्टर की सभी लाइट, पंखे व एसी बंद कर दिए। सिर्फ अन्दर के गेस्ट रूम की एक लाइट तथा एसी चालू रखा।
अब उसने डॉली को अपनी ओर खींच कर जोर से अपने आलिंगन में ले लिया और वे बहुत देर तक एक दूसरे के साथ जकड़े रहे। सिर्फ उनके होंठ आपस में हरकत कर रहे थे और उनकी जीभ एक दूसरे के मुँह की गहराई नाप रही थी। थोड़ी देर में राज ने पकड़ ढीली की तो दोनों अलग हुए।
घड़ी में ५.३० बज रहे थे। समय कम बचा था इसलिए राज ने अपने कपड़े उतारने शुरू किये पर डॉली ने उसे रोक कर खुद उसके कपड़े उतारने लगी। राज को निर्वस्त्र कर उसने उसके लिंग को झुक कर पुच्ची की और खड़ी हो गई।
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