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RE: Sex Story सातवें आसमान पर
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राजशर्मा एक और मस्त कहानी पेश करने जा रहा हू जो आपको बहुत पसंद आएगी दोस्तो ये कहानी है डॉली की. डॉली एक ३५ साल की शादी शुदा महिला है जिसका पति, राघव , पुलिस में कांस्टेबल है। डॉली एक सुन्दर औरत है जो दिखने में एक २०-२२ साल की लड़की की तरह दिखती है। ५' २" ऊंचा कद, छोटे स्तन, गठीला सुडौल शरीर, रसीले होंट, काले लम्बे बाल ओर मोहक मुस्कान।
राघव एक शराबी कबाबी किस्म का आदमी था जो की पत्नी को सिर्फ एक सेक्स का खिलौना समझता था। उसकी आवाज़ में कर्कशता और व्यवहार में रूखापन था। वोह रोज़ ऑफिस से आने के बाद अपने दोस्तों के साथ घूमने चला जाता था। पुलिस में होने के कारण उसका मोहल्ले में बहुत दबदबा था। उसको शराब और ब्लू फिल्म का शौक था जो उसे अपने पड़ोस में ही मुफ्त मिल जाते थे। रोज़ वोह शराब पी के घर आता और ब्लू फिल्म लगा कर देखता। फिर खाना खा कर अपनी पत्नी से सम्भोग करता। यह उसकी रोज़ की दिन चर्या थी।
बेचारी डॉली का काम सिर्फ सीधे या उल्टे लेट जाना होता था। राघव बिना किसी भूमिका के उसके साथ सम्भोग करता जो कई बार डॉली को बलात्कार जैसा लगता था। उसकी कोई इच्छा पूर्ति नहीं होती थी ना ही उस से कुछ पूछा जाता था। वह अपने पति से बहुत तंग आ चुकी थी पर एक भारतीय नारी की तरह अपना पत्नी धर्म निभा रही थी। पहले कम से कम उसके पास अपना बेटा था पर उसके जाने के बाद वह बिलकुल अकेली हो गई थी। उसका पति उसका बिलकुल ध्यान नहीं रखता था। सम्भोग भी क्रूरता के साथ करता था। न कोई प्यारी बातें ना ही कोई प्यार का इज़हार। बस सीधा अपना लिंग डॉली की योनि में घुसा देना। डॉली की योनि ज्यादातर सूखी ही होती थी और उसे इस तरह के सम्भोग से बहुत दर्द होता था। पर कुछ कह नहीं पाती थी क्योंकि पति घर में और भी बड़ा थानेदार होता था। इस पताड़ना से डॉली को महीने में पांच दिन की छुट्टी मिलती थी जब मासिक धर्म के कारण राघव कुछ नहीं कर पाता था। राघव की एक बात अच्छी थी की वो पुलिसवाला होने के बावजूद भी पराई औरत या वेश्या के पास नहीं जाता था।
डॉली एक कंपनी में सेक्रेटरी का काम करती थी। वह एक मेहनती और ईमानदार लड़की थी जिसके काम से उसका बॉस बहुत खुश था। उसका बॉस एक 40 साल का सेवा-निवृत्त फौजी अफसर था। वह भी शादीशुदा था और एक दयालु किस्म का आदमी था। कई दिनों से वह नोटिस कर रहा था कि डॉली गुमसुम सी रहती थी। फौज में उसने औरतों का सम्मान करना सीखा था। उसे यह तो मालूम था कि उसका बेटा नहीं रहा पर फिर भी उसका मासूम दुखी चेहरा उसको ठेस पहुंचाता था। वह उसके लिए कुछ करना चाहता था पर क्या और कैसे करे समझ नहीं पा रहा था। वह उसके स्वाभिमान को ठेस नहीं पहुँचाना चाहता था। उधर डॉली अपने बॉस का बहुत सम्मान करती थी क्योंकि उसे अपने बॉस का अपने स्टाफ के प्रति व्यवहार बहुत अच्छा लगता था। बॉस होने के बावजूद वह सबसे इज्ज़त के साथ बात करता था और उनकी छोटी बड़ी ज़रूरतों का ध्यान रखता था। सिर्फ डॉली ही नहीं, बाकी सारा स्टाफ भी बॉस को बहुत चाहता था। एक दिन, जब सबको महीने की तनख्वाह दी जा रही थी, बॉस ने सबको जल्दी छुट्टी दे दी। सब पैसे ले कर घर चले गये, बस डॉली हिसाब के कागजात पूरे करने के लिए रह गई थी। जब यह काम ख़त्म हो गया तो वह बॉस की केबिन में उसके हस्ताक्षर लेने गई। बॉस, जिसका नाम राज है, उसका इंतज़ार कर रहा था। उसने उसे बैठने को कहा और उसका वेतन उसे देते हुए उसके काम की सराहना की। डॉली ने झुकी आँखों से धन्यवाद किया और जाने के लिए उठने लगी। राज ने उसे बैठने के लिए कहा और उठ कर उसके पीछे आकर खड़ा हो गया। उसने प्यार से उस से पूछा कि वह इतनी गुमसुम क्यों रहती है? क्या ऑफिस में कोई उसे तंग करता है या कोई और समस्या है?
डॉली ने सिर हिला कर मना किया पर बोली कुछ नहीं। राज को लगा कि ज़रूर कोई ऑफिस की ही बात है और वह बताने से शरमा या घबरा रही है। उसने प्यार से उसके सिर पर हाथ फिराते हुए कहा कि उसे डरने की कोई ज़रुरत नहीं है और वह बेधड़क उसे सच सच बता सकती है। डॉली कुछ नहीं बोली और सिर झुकाए बैठी रही। राज उसके सामने आ गया और उसकी ठोडी पकड़ कर ऊपर उठाई तो देखा कि उसकी आँखों में आँसू थे।
राज ने उसके गालों से आँसू पौंछे और उसे प्यार से अपने सीने से लगा लिया। इस समय डॉली कुर्सी पर बैठी हुई थी और राज उसके सामने खड़ा था। इसलिए डॉली का सिर राज के पेट से लगा था और राज के हाथ उसकी पीठ और सिर को सहला रहे थे। डॉली अब एक बच्चे की तरह रोने लग गई थी और राज उसे रोने दे रहा था जिस से उसका मन हल्का हो जाये। थोड़ी देर बाद वह शांत हो गई और अपने आप को राज से अलग कर लिया। राज उसके सामने कुर्सी लेकर बैठ गया। पास के जग से एक ग्लास पानी डॉली को दिया। पानी पीने के बाद डॉली उठकर जाने लगी तो राज ने उसे बैठे रहने को कहा और बोला कि अपनी कहानी उसे सुनाये। क्या बात है ? क्यों रोई ? उसे क्या तकलीफ है ?
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RE: Sex Story सातवें आसमान पर
राज ने ऐसा मैथुनी भूकंप पहले नहीं देखा था। वह पूरी तरह निढाल और निहाल हो चुका था। उधर डॉली भी पूरी तरह तृप्त थी। उसने भी इस तरह का भूचाल पहली बार अनुभव किया था। दोनों एक दूसरे को कृतज्ञ निगाहों से देख रहे थे। राज ने डॉली को प्यार भरा लम्बा चुम्बन दिया। अब तक उसका लिंग शिथिल हो चुका था अतः उसने बाहर निकाला और उठ कर बैठ गया। डॉली भी पास में बैठ गई और उसने राज के लिंग को झुक कर प्रणाम किया और उसके हर हिस्से को प्यार से चूमा।
राज ने कहा- और मत चूमो नहीं तो तुम्हें ही मुश्किल होगी।
डॉली बोली कि ऐसी मुश्किलें तो वह रोज झेलना चाहती है। यह कह कर उसने लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसा मानो उसकी आखिरी बूँद निकाल रही हो। उसने लंड को चाट कर साफ़ कर दिया और फिर खड़ी हो गई।
घड़ी में शाम के छः बज रहे थे। उन्होंने करीब छः घंटे रति-रस का भोग किया था। दोनों थके भी थे और चुस्त भी थे। डॉली राज को बाथरूम में ले गई और उसको प्यार से नहलाया, पौंछा और तैयार किया। फिर खुद नहाई और तैयार हुई। राज के लिंग को पुच्ची करते हुए उसने राज को कहा कि अब यह मेरा है। इसका ध्यान रखना। इसे कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। मैं चाहती हूँ कि यह सालों तक मेरी इसी तरह आग बुझाये।
राज ने उसी अंदाज़ में डॉली की चूत और गांड पर हाथ रख कर कहा कि यह अब मेरी धरोहर हैं। इन्हें कोई और हाथ ना लगाये। डॉली ने विश्वास दिलाया कि ऐसा ही होगा पर पूछा की गांड से क्या लेना देना? राज ने पूछा कि क्या अब तक उसके पति ने उसकी गांड नहीं ली?
डॉली ने कहा- नहीं ! उनको तो यह भी नहीं पता कि यह कैसे करते हैं।
राज ने कहा कि अगर तुम्हे आपत्ति न हो तो मैं तुम्हें सिखाऊंगा। डॉली राजी राजी मान गई। राज ने अगले शुक्रवार के लिए तैयार हो कर आने को कहा और फिर दोनों अपने अपने घर चले गए।
राज अब अगले शुक्रवार की तैयारी में जुट गया। वह चाहता था कि अगली बार जब वह डॉली के साथ हो तो वह अपनी सबसे पुरानी और तीव्र इच्छा को पूरा कर पाए।
उसकी इच्छा थी गांड मारने की। वह बहुत सालों से इसकी कोशिश कर रहा था पर किसी कारण बात नहीं बन रही थी।
उसे ऐसा लगा कि शायद डॉली उसे खुश करने के लिए इस बात के लिए राज़ी हो जायेगी। उसे यह भी पता था कि उसकी यह मुराद इतने सालों से पूरी इसलिए नहीं हो पाई थी क्योंकि इस क्रिया मैं लड़की को बहुत दर्द हो सकता है इसीलिए ज्यादातर लड़कियाँ इसके खिलाफ होती हैं। उनके इस दर्द का कारण भी खुद आदमी ही होते हैं, जो अपने मज़े में अंधे हो जाते हैं और लड़की के बारे में नहीं सोचते। राज को वह दिन याद है जब वह सातवीं कक्षा में था और एक हॉस्टल में रहता था। तभी एक ग्यारहवीं कक्षा के बड़े लड़के, हर्ष ने उसके साथ एक बार बाथरूम में ज़बरदस्ती करने की कोशिश की थी तो राज को कितना दर्द हुआ था वह उसे आज तक याद है।
राज चाहता था कि जब वह अपनी मन की इतनी पुरानी मुराद पूरी कर रहा हो तब डॉली को भी मज़ा आना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो न केवल उसका मज़ा दुगना हो जायेगा, हो सकता है डॉली को भी इसमें इतना मज़ा आये की वह भविष्य में भी उससे गांड मरवाने की इच्छा जताए।
राज को पता था कि गांड में दर्द दो कारणों से होता है। एक तो चूत के मुकाबले उसका छेद बहुत छोटा होता है जिससे लंड को प्रवेश करने के लिए उसके घेरे को काफी खोलना पड़ता है जिसमें दर्द होता है। दूसरा, चूत के मुकाबले गांड में कोई प्राकृतिक रिसाव नहीं होता जिस से लंड के प्रवेश में आसानी हो सके। इस सूखेपन के कारण भी लंड के प्रवेश से दर्द होता है। यह दर्द आदमी को भी हो सकता है पर लड़की (या जो गांड मरवा रहा हो) को तो होता ही है।
भगवान ने यह छेद शायद मरवाने के लिए नहीं बनाया था !!!
राज यही सोच रहा था कि इस क्रिया को किस तरह डॉली के लिए बिना दर्द या कम से कम दर्द वाला बनाया जाए।
उसे एक विचार आया। उसने एक बड़े आकार की मोमबत्ती खरीदी और चाकू से शिल्पकारी करके उसे एक मर्द के लिंग का आकार दे दिया। उसने यह देख लिया कि इस मोम के लिंग में कहीं कोई खुरदुरापन या चुभने वाला हिस्सा नहीं हो।
उसने जानबूझ कर इस लिंग की लम्बाई ९-१० इंच रखी जो कि आम लंड की लम्बाई से ३-४ इंच ज्यादा है और उसका घेरा आम लंड के बराबर रखा। उसने मोम के लिंग का नाम भी सोच लिया। वह उसे "लिंगराज" बुलाएगा !
उसने बाज़ार से एक के-वाई जेली का ट्यूब खरीद लिया। वैसे तो डॉली के बारे में सोच कर राज को जवानी का अहसास होने लगा था फिर भी एहतियात के तौर पर उसने एक पत्ती तडालफ़िल की गोलियों की खरीद ली जिस से अगर ज़रुरत हो तो ले सकता है। वह नहीं चाहता था कि जिस मनोकामना की पूर्ति के लिए वह इतना उत्सुक है उसी की प्राप्ति के दौरान उसका लंड उसे धोखा दे जाये। एक गोली के सेवन से वह पूरे २४ घंटे तक "लिंगराज" की बराबरी कर पायेगा।
अब उसने अपने हाथ की सभी उँगलियों के नाखून काट लिए और उन्हें अच्छे से फाइल कर लिया। एक बैग में उसने "लिंगराज", के-वाई जेली का ट्यूब, एक छोटा तौलिया और एक नारियल तेल की शीशी रख ली। अब वह डॉली से मिलने और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए तैयार था। बेसब्री से वह अगले शुक्रवार का इंतज़ार करने लगा।
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RE: Sex Story सातवें आसमान पर
उधर डॉली भी राज के ख्यालों में गुम थी। उसे रह रह कर राज के साथ बिताये हुए पल याद आ रहे थे। वह जल्द से जल्द फिर से उसकी बाहों में झूलना चाहती थी। राज से मिले दस दिन हो गए थे। उस सुनहरे दिन के बाद से वे मिले नहीं थे। राज को किसी काम से कानपुर जाना पड़ गया था। पर वह कल दफ्तर आने वाला था।
डॉली सोच नहीं पा रही थी कि अब दफ्तर में वह राज से किस तरह बात करेगी या फिर राज उस से किस तरह पेश आएगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि आम आदमियों की तरह वह उसकी अवहेलना करने लगेगा। कई मर्द जब किसी लड़की की अस्मत पा लेते हैं तो उसमें से उनकी रुचि हट जाती है और कुछ तो उसे नीचा समझने लगते हैं ....। डॉली कुछ असमंजस में थी ....।
लालसा, वासना, डर, आशंका, ख़ुशी और उत्सुकता का एक अजीब मिश्रण उसके मन में हिंडोले ले रहा था।
डॉली ने सुबह जल्दी उठ कर विशेष रूप से उबटन लगा कर देर तक स्नान किया। भूरे रंग की सेक्सी पैंटी और ब्रा पहनी जिसे पहन कर ऐसा लगता था मानो वह नंगी है। उसके ऊपर हलके बैंगनी रंग की चोली के साथ पीले रंग की शिफोन की साड़ी पहन कर वह बहुत सुन्दर लग रही थी। बालों में चमेली का गजरा तथा आँखों में हल्का सा सुरमा। चूड़ियाँ, गले का हार, कानों में बालियाँ और अंगूठियाँ पहन कर ऐसा नहीं लग रहा था कि वह दफ्तर जाने के लिए तैयार हो रही हो। डॉली मानो दफ्तर भूल कर अपनी सुहाग रात की तैयारी कर रही थी। सज धज कर जब उसने अपने आप को शीशे में देखा तो खुद ही शरमा गई। उसके पति ने जब उसे देखा तो पूछ उठा- कहाँ कि तैयारी है ...?
डॉली ने बताया कि आज दफ्तर में ग्रुप फोटो का कार्यक्रम है इसलिए सब को तैयार हो कर आना है !! रोज़ की तरह उसका पति उसे मोटर साइकिल पर दफ्तर तक छोड़ कर अपने काम पर चला गया। डॉली ने चलते वक़्त उसे कह दिया हो सकता है आज उसे दफ्टर में देर हो जाये क्योंकि ग्रुप फोटो के बाद चाय-पानी का कार्यक्रम भी है।
दफ्तर १० बजे शुरू होता था पर डॉली ९.३० बजे पहुँच जाती थी क्योंकि उसे छोड़ने के बाद उसके पति को अपने दफ्तर भी जाना होता था। डॉली ने ख़ास तौर से राज का कमरा ठीक किया और पिछले १० दिनों की तमाम रिपोर्ट्स और फाइल करीने से लगा कर राज की मेज़ पर रख दी।
कुछ देर में दफ्तर के बाकी लोग आने शुरू हो गए। सबने डॉली की ड्रेस की तारीफ़ की और पूछने लगे कि आज कोई ख़ास बात है क्या?
डॉली ने कहा कि अभी उसे नहीं मालूम पर हो सकता है आज का दिन उसके लिए नए द्वार खोल सकता है !!!
लोगों को इस व्यंग्य का मतलब समझ नहीं आ सकता था !!
वह मन ही मन मुस्कराई ....
ठीक दस बजे राज दफ्तर में दाखिल हुआ। सबने उसका अभिनन्दन किया और राज ने सबके साथ हाथ मिलाया। जब डॉली राज के ऑफिस में उस से अकेले में मिली राज ने ऐसे बर्ताव किया जैसे उनके बीच कुछ हुआ ही न हो। वह नहीं चाहता था कि दफ्तर के किसी भी कर्मचारी को उन पर कोई शक हो। डॉली को उसने दफ्तर के बाद रुकने के लिए कह दिया जिस से उसके दिल की धड़कन बढ़ गई।
किसी तरह शाम के ५ बजे और सभी लोग राज के जाने का इंतजार करने लगे। राज बिना वक़्त गँवाए दफ्तर से घर की ओर निकल पड़ा। शीघ्र ही बाकी लोग भी निकल गए। डॉली यह कह कर रुक गई कि उसे एक ज़रूरी फैक्स का इंतजार है। उसके बाद वह दफ्तर को ताला भी लगा देगी और चली जायेगी।
उसने चौकीदार को भी छुट्टी दे दी। जब मैदान साफ़ हो गया तो डॉली ने राज को मोबाइल पर खबर दे दी।
करीब आधे घंटे बाद राज दोबारा ऑफिस आ गया और अन्दर से दरवाज़ा बंद करके दफ्टर की सभी लाइट, पंखे व एसी बंद कर दिए। सिर्फ अन्दर के गेस्ट रूम की एक लाइट तथा एसी चालू रखा।
अब उसने डॉली को अपनी ओर खींच कर जोर से अपने आलिंगन में ले लिया और वे बहुत देर तक एक दूसरे के साथ जकड़े रहे। सिर्फ उनके होंठ आपस में हरकत कर रहे थे और उनकी जीभ एक दूसरे के मुँह की गहराई नाप रही थी। थोड़ी देर में राज ने पकड़ ढीली की तो दोनों अलग हुए।
घड़ी में ५.३० बज रहे थे। समय कम बचा था इसलिए राज ने अपने कपड़े उतारने शुरू किये पर डॉली ने उसे रोक कर खुद उसके कपड़े उतारने लगी। राज को निर्वस्त्र कर उसने उसके लिंग को झुक कर पुच्ची की और खड़ी हो गई।
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