Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
01-04-2019, 01:46 AM,
#54
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
अब तक आपने पढ़ा:
मुझे कुछ ऐसा सोचना था की मैं संगीता को इस डर के जंगल में से निकाल लूँ| इसका हल जो मुझे नजर आया वो ये था......................................................................
7 जनवरी को मैं मुंबई निकल आया ये बहाना करा के की मुझे कॉन्ट्रैक्ट देने के लिए बुलाया गया है| संगीता ने आपको बताया होगा की मैं मुंबई गया हूँ ...तो ये तब की बात है! असल में मेरा एक दोस्त मुंबई में एक MNC में JOB करता था और वहाँ उसकी अच्छी जान पहचान थी| मैंने उससे कहा की वो मुझे India से बाहर जॉब दिलवा दे ताकि मैं संगीता और बच्चे बाहर चले जाएं| जानता हूँ अपने माता-पिता से दूर होने में दर्द बहुत होता पर कम से कम कुछ साल बाद जब आयुष कुछ बड़ा हो जाता तो मैं India वापस आ जाता| मेरे पास एक और रास्ता था की मैं पिताजी से कहूँ की वो अपना सारा business बंद कर दें और हम बाहर settle हो जाएं| पर माँ और पिताजी इसके लिए कभी राजी नहीं होते| उनके लिए नए देश में जाके adjust करना मुश्किल था| इसलिए मैंने ये Job वाला आईडिया choose किया| मेरे दोस्त ने मुझे यकीन दिलाया की वो मुझे Dubai में पोस्टिंग दिल देगा| पर कुछ कागजी करवाई के लिए उसे मेरा और संगीता का पासपोर्ट चाहिए और साथ ही साथ बच्चों का भी| मेरा पासपोर्ट तो तैयार था पर ना तो संगीता का पासपोर्ट था और न ही बच्चों का! तो मैंने उससे passport बनाने के लिए समय माँगा और उसने मुझे समय दे भी दिया| मैं दिल्ली वापस आ गया| अब समय था बात खोलने का...........................................
मैं अपना लैपटॉप ले के हॉल में बैठा था और online Passport aaplication का page खोल रखा था| मैंने माँ और पिताजी को और साथ-साथ संगीता को भी बिठाया| बच्चे स्कूल गए हुए थे और मैं उनके स्कूल जाके Principal, Class Teacher, Watchman सब से बात कह के आया था की मेरे या मेरी wife के आलावा वो किसी के साथ भी बच्चों को ना जाने दें| अगर मेरी जगह मेरे पिताजी या माँ आते हैं तो पहले मुझे call करें और अगर मैं हाँ कहूँ तब ही बच्चे को उनके साथ जाने दें| मैंने सारी बात घरवालों को बता दी....पंचायत से ले के दुबई जाने तक की सारी बात! सबने बात बड़े इत्मीनान से सुनी और मैं अबसे पहले पिताजी के मन की बात जानना चाहता था तो मेरी नजर उनपे थी;
पिताजी: बेटा...तू ने मुझे बताया क्यों नहीं की गाँव में पंचायत रखी गई है? मुझे जाना चाहिए था!
मैं: पिताजी मेरी वजह से आपको पहले ही बहुत तकलीफें उठानी पड़ रही हैं और वैसे भी कारन तो मैं था ना तो मुझे ही जाना चाहिए था|
पिताजी: तू सच में बड़ा हो गया है...अपनी जिम्मेदारियाँ उठाने लगा है| खेर बेटा बहु को खुश रखना जर्रुरी है, उसके दिल से डर खत्म करना बहुत जर्रुरी है और मैं या तेरी माँ तुझे नहीं रोकते बल्कि अच्छा है की तू settle हो जाये|
माँ: हाँ बेटा! तुझे इस परिवार को सम्भलना होगा! ख़ास कर बहु को और बच्चों को!
मैं: जी!
संगीता: मैं कुछ बोलूँ?
माँ: हाँ-हाँ बहु बोल!
संगीता: आपने (मैं) ये सब सोच भी कैसे लिया की मैं माँ-पिताजी से अलग रहने को तैयार हो जाऊँगी? और शहर नहीं जिला नहीं बल्कि अलग देश में जा के!
मैं: क्योंकि मैं आपको इस तरह डरा हुआ नहीं देख सकता| 24 घंटे आपको एक ही डर सता रहा है की आयुष चला जायेगा? इन कुछ दिनों में मैंने आपको जितना तड़पते हुए देखा है उसे मैं बयान नहीं कर सकता| इस डर ने आके मुँह से हंसी तक छीन ली, घर से सारी खुशियाँ छीन ली| अरे आपके मुँह से चंद प्यार के मीठे बोल सुनने को तरस गया था मैं! जिस संगीता से मैं प्यार करता था वो तो कहीं चली गई और जो बच गई वो मेरे लिए अपने प्यार को बाहर आने ही नहीं देती| ठण्ड में कंपकंपाते हुए देखते हो पर आगे बढ़ के मुझे गले नहीं लगा सकते और पिछले कुछ दिनों में मुझे बस प्यार की कुछ बूंदें ही नसीब हुई हैं! अब आप ही बताओ आपके डर को भागने के लिए ये उल-जुलूल हरकतें ना करूँ तो क्या करूँ!
संगीता रोने लगी और उन्हें रोता हुआ देख मेरा दिल भी पसीज गया और मेरी आँखें भी छल-छाला उठीं पर फिर उन्होंने खुद को संभाला और बोली;
संगीता: आप....आप सही कह रहे हो....मैं घबराई हुई हूँ पर ......मैं इतनी स्वार्थी नहीं की सिर्फ अपने डर की वजह से आपको और बच्चों को माँ-पिताजी से दूर कर दूँ| पिछले कुछ दिनों में मैंने आपको बहुत दुःख पहुँचाया है| आपको बहुत तड़पाया है........ पर I PROMISE मैं अब बिलकुल नहीं डरूँगी और ख़ास कर अब जब आपने पंचायत में सारी बात साफ़ कर दी है| Please मुझे और बच्चों को माँ-पिताजी से दूर मत करो!
वो अब भी रो रही थीं और माँ उन्हें अपने सीनेसे लगा के चुप करने लगीं|
माँ: बहु तुझे नहीं जाना तो मत जा कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा तेरे साथ! ये तो बस तुझे इस तरह नहीं देख सकता इसलिए ये इतना सब कुछ कर रहा है| तुझे एक काँटा भी चुभ जाता है तो ये तड़प उठता है तो तुझे इस तरह डरा हुआ कैसे देख सकता है| ये सब मानु सिर्फ तेरे और तेरे होने वाले बच्चे के लिए कर रहा है|
मैं: Okay ! हम कहीं नहीं जा रहे|
बस इतना कह के मैं अपने कमरे में लौट आया और टेबल पे लैपटॉप रखा और कुर्सी का सहारा ले के खड़ा हो गया| दो मिनट तक सोचता रहा और फिर संगीता कमरे में आ गई और बोली;
संगीता: मैं जानती हूँ आप मुझसे कितना प्यार करते हो पर आपने ये सोच भी कैसे लिया की मैं अपने परिवार से अलग रहके खुश रहूँगी? मैं ये कतई नहीं चाहती की मेरे करा आप माँ-पिताजी से दूर हों और बच्चे अपने दादा-दादी के प्यार से वंचित हों!
आज उनकी बातों में थोड़ी से बेरुखी नजर आई और मैं भी खुद को रोक न सका और उनपर ही बरस पड़ा;
मैं: जानना चाहती हो न की क्यों मैं तुम्हें सब से दूर ले जाना चाहता था? तो सुनो .... मैं बहुत खुदगर्ज़ इंसान हूँ! इतना खुदगर्ज़ की मुझे सिर्फ और सिर्फ तुम्हे ख़ुशी चाहिए और कुछ नहीं| इसके लिए मुझे जो करना पड़ेगा मैं करूँगा, अब मैं और तुम्हें इस क़दर घुटता हुआ नहीं देख सकता! तुम्हें समझा-समझा की थक गया की कम से कम हमारे आनेवाले बच्चे के लिए ही इस बात को भूलना शुरू करो पर नहीं..तुम कोशिश ही नहीं करना चाहती! तुम्हें हर पल डर रहता है की वो फिर से आएगा...! तो अगर हम इस देश में ही नहीं रहेंगे तो वो कैसे हमारे बच्चों को हम से छीन सकता है? मैंने ऐसे ही इतनी बड़ी बात नहीं सोच ली थी... माँ-पिताजी से इस बात पे चर्चा की और तब ये फैसला लिया| मैं तो चाहता था की वो भी हमारे साथ चलें..मैं यहाँ सब कुछ बेच दूँगा ..घर..गाडी..बिज़नेस..फ्लैट..सब कुछ और हम बाहर ही settle हो जाएंगी पर अब उनमें वो शक्ति नहीं की वो गैर मुल्क में जेक उसके तौर-तरीके अपना सकें| इसके लिए उन्होंने इतना बड़ा त्याग किया.... ताकि हमारे आने वाली संतान को अच्छा भविष्य मिले| संगीता: मुझे थोड़ा समय लगेगा....
मैं: और कितना समय? कम से कम मेरे लिए ना सही तो बच्चों के लिए ही मुस्कुराओ..झूठ-मुठ का ही सही! अगर आपके पास मुस्कुराने की वजह नहीं है तो मैं आपको ऐसी 4 वजह दे सकता हूँ;
1. पहली वजह पिताजी: जिन्होंने तुम्हारा कन्यादान किया! क्या वो नहीं चाहेंगे की उनकी बेटी सामान बहु खुश रहे?
2. दूसरी वजह माँ: तुम बहु हो उनकी और पेट से हो...तुम्हारा इस कदर लटका हुआ मुंह देख के क्या गुजरती होगी उन पर?
3. आयुष: उस बच्चे ने इस उम्र में वो सब देखा जो उसे नहीं देखना चाहिए था| पिछले कई दिनों से मैं उसका और नेहा का मन बहलाने में लगा हूँ पर अपनी माँ के चेहरे पे उदासी देख के कौन सा बच्चा खुश होता है?
4. नेहा: हमारे घर की जान..जिसने इस कठिन समय में आयुष को किस तरह संभाला है उसे कहने को मेरे पास लव्ज कम पड़ते हैं|
अब इससे ज्यादा और तुम्हें क्या चाहिए?
संगीता ने कुछ जवाब नहीं दिया और चुप-चाप वहाँ से चली गई|
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 01-04-2019, 01:46 AM

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