RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कविता जल्दी से उठी ऑर सोनिया के साथ कॅंटीन से बाहर चली गई,,,मैं हिम्मत करके उनकी तरफ देखा तो
कविता तो हंस कर मुझे देख रही थी लेकिन वो हिट्लर की तो आँखों का रंग ही शायद लाल हो गया था हमेशा
के लिए ,,गुस्सा जो इतना करती रहती थी,,,,,,मैं उसके गुस्से से डर गया था,,,कविता के साथ बातें करते हुए कॉफी
ठंडी हो गई लेकिन सानिया ने कुछ पल क लिए कॅंटीन का माहौल इतना गर्म कर दिया कि कॉफी मुझे गर्म
लगने लगी थी ,,,,,मैं कोफ़ी को फूँक मार मार कर पीने लगा था लेकिन तभी मुझे याद आया कि कविता
किसी सर्प्राइज़ की बात कर रही थी,,,,,मैं थोड़ा खुश हो गया कहीं डॅड ने मेरे लिए न्यू कार तो नही लाके
रखी घर पे,,,,क्यूकी डॅड ने बोला था कि मुझे न्यू कार लेके देंगे,,,,मैं खुशी खुशी कॉफी पीक
कॅंटीन से बाहर जाने लगा तभी देखा कि एक टीचर कॅंटीन मे आया ओर कॅंटीन वाले को गर्दन से पकड़
कर बाहर ले गया,,,,मैं भी जल्दी से उनके पीछे गया तो देखा कि छोटी बस खड़ी हुई थी कॉलेज मे ऑर
कुछ 10-12 लड़के भी उसी बस के पास खड़े हुए थे कॅंटीन वाले को भी उन्ही लोगो एक पास खड़ा कर दिया
ऑर फिर उन लोगो को बस मे बिठा दिया.,,,,,
तभी बस एक पास खड़े हुए प्रिन्सिपल ने मुझे आवाज़ लगाई,,,,,
सन्नी ज़रा इधर आओ,,,,,,
मैं उनके पास चला गया,,,,
अच्छा हुआ तुम भी मिल गये,,,,चलो मेरे साथ थोड़ा काम है,,,,
कहाँ जाना है सर,,,,
--------हॉस्पिटल जाना है,,,चलो मेरे साथ,,,,,
सिर आप चलो मैं अपने बाइक पर आता हूँ,,,,,
ठीक है लेकिन लेट मत होना ऑर अभी निकलो यहाँ से,,,,
ठीक है सर,,,,इतना बोलकर मैं अपनी बाइक के पास गया ऑर जब तक मैं अपना बाइक स्टार्ट करके कॉलेज से बाहर
नही निकला तब तक प्रिन्सिपल ने भी अपनी कार स्टार्ट नही की थी,,,,मैं कॉलेज से निकला ऑर मेरे पास से वो बस
ऑर प्रिन्सिपल की कार गुजर कर मेरे से आगे निकल गई ऑर तभी मैं अपने फोन से ख़ान सर को फोन किया
क्यूकी मुझे लग रहा था कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ है,,,,
मैं ख़ान सर को पूरी बात बताई तो ख़ान सिर ने बोला कि डरने की ज़रूरत नही है वो भी अभी उसी हॉस्पिटल
मे है ,,,ओर उन्होने मुझे बताया कि सुरेश अमित ऑर उसका बाप लोग सब यहाँ है,,तुम आ जाओ कोई फ़िक्र की बात
नही,,,,
ख़ान सर से बात करके मेरा डर कुछ कम हुआ ऑर मैं ------- हॉस्पिटल की तरफ चल पड़ा,,,,
अभी मैं जा ही रहा था कि मेरा फोन बजने लगा,,,,,ये कॉल थी कामिनी भाभी की,,मैं अभी डरा हुआ
था एक तो सोनिया के गुस्से की वजह से ऑर उपर से प्रीसिपल की वजह से लेकिन कामिनी भाभी की कॉल देख कर
दिल थोड़ा खुश हो गया था,,
हेलो सन्नी,,,
हेलो भाभी जी,,,
मैं अभी तोड़ा काम से बाहर आया हूँ भाभी जी,,,,बस कुछ देर मे फ्री हो जाउन्गा,,,,कोई काम था
क्या ,,,,,
काम था तभी तो फ़ोन किया है सन्नी,,,
क्या काम है भाभी जी,,,,
जैसे तेरे को तो कुछ पता ही नही,,,,मुझे तेरे से क्या काम पड़ता है बता ज़रा,,,,
मुझे क्या पता होगा ,,आपको काम है आपको पता होगा,,,,मैं हँसते हुए बोला,,,,
हँस ले ज़ालिम जितना दिल करता है हँसले,,,मैं यहाँ तड़प रही हूँ ऑर तू हँस रहा है,,,कोई बात नही गिन
गिन कर बदला लूँगी तेरे से एक बार हाथ आजा मेरे,,,,,
ठीक है भाभी जी जितना दिल करे बदला लेना लेकिन पहले बताओ तो सही काम क्या है,,,
अभी नही ,,कल सुबह बताउन्गी,,,,कल सुबह घर आना,,,,करीब 10 बजे या उसके थोड़ा बाद,,,,,,,
कल सुबह क्या है,,कोई खास बात है क्या,,,,,
तू कल आना तो सही सब पता चल जाएगा,,,,,
ठीक है भाभी जी मैं कल सुबह आ जाउन्गा ,,मैने इतना बोला था कि भाभी ने बाइ बोलके फोन कट कर
दिया ऑर मैने भी अपने फोन को पॉकेट मे डाला ऑर बाइक चलाने लगा,,,,,कुछ 15-20 मिनट मे मैं
--------- हॉस्पिटल पहुँच गया,,,,,,,,,,,,
मैं हॉस्पिटल पहुँचा तो प्रिन्सिपल की कार ऑर वो बस जो स्कूल से चली थी वो भी हॉस्पिटल पहुँच
गई थी,,बस मे से वो लड़के निकले जो हमारे कॉलेज के थे ऑर साथ मे था कॅंटीन वाला लड़का ,,,तभी
कुछ पोलीस वाले आए ऑर उन लोगो को अपने साथ ले जाने लगे ,,एक पोलीस वाला जो कोई बड़ा ऑफीसर लग रहा
था वो प्रिन्सिपल के पास खड़ा हुआ बातें करने लगा ,,प्रिन्सिपल की नज़र मेरे पर पड़ी तो उन्होने मुझे
भी अपने पास बुला लिया,,मेरे वहाँ जाते हो वो ऑफीसर चुप हो गया,,,
आ गये बेटा तुम,,प्रिन्सिपल बड़े प्यार से बोला,,,
जी सर अभी पहुँचा हूँ,,,,,,,,,,बात क्या है सर अपने मुझे यहाँ क्यू बुलाया ऑर ये अपने कॉलेज के
बाकी लोग यहाँ क्या कर रहे है,,,मैने देखा था कॉलेज से जो बस चली थी वो भी यहाँ पहुँच गई है,,
आख़िर बात क्या है,,,,,,,
तभी वो पोलीस वाला बोला,,,,,,इतनी भी क्या जल्दी है बर्खुरदार थोड़ी देर रूको सब पता चल जाना है,वो
अपने ही अलग पोलीस वाले अंदाज़ मे बोला था,,,,,
कुछ नही बेटा ,,,,बस थोड़ी पूछ ताछ करनी थी तुम लोगो से इसलिए बुलाया था तुमको,,,प्रिन्सिपल अभी
बोलना शुरू ही किया कि वो पोलीस वाला हम लोगो को चलने क लिए बोलने लगा,,,पॉलोसे वाले के पीछे मेरे
प्रिन्सिपल ऑर उनके पीछे पीछे मैं,,,,,हम लोग लिफ्ट मे घुस्स गये ऑर हॉस्पिटल के टॉप फ्लोर पर चले गये,,,
फिर हम लोग प्राइवेट रूम की तरफ गये जहाँ का नजारा देख कर मैं दन्ग रह गया,,,,
वहाँ कम से कम 10-12 पोलीस वाले,,,,10-12 लड़के हमारे कॉलेज के ,,साथ मे कॅंटीन वाला भी ऑर बाकी
सब लोग वाइट कुर्ते पयज़ामे मे थे जिनको देख कर ही पता चलता था कि ये लोग पोल्टिक्स के बड़े दलाल
है,,सारा कमरा भरा हुआ था उन लोगो से,,,,ये एक बहुत बड़ा हॉल रूम था,,सामने 5-6 बेड लगे हुए
थे जिन पर सुरेश ऑर उसके दोस्त लेटे हुए थे,,सबको प्लास्टर लगा हुआ था,,,कुछ की हालत तो बहुत खराब
थी,,,,,मैं तो दुआ कर रहा था कि वो लोग मर जाए ओर हमारे कॉलेज के भी ज़्यादातर लोग यही दुआ कर
रहे होंगे,,,,
फिर मेरी नज़र पड़ी इंस्पेक्टर ख़ान पर जिसको देख कर मुझे कुछ राहत महसूस हुई,,,,ऑर ख़ान सर
के बिल्कुल पास ही रितिका खड़ी हुई थी,,,उसको एक पल देख कर तो मैं खुश हो गया ,क्यूकी वही 2 लोग
थे जो शायद मेरे साथ थे इस रूम मे बाकी लोगो के लिए तो मैं पराया ही था,,,,
कुछ डॉक्टर भी थे जो अपना काम कर रहे थे,,,,फिर वो सब डॉक्टर मिलकर एक तरफ हो गये मैने
आगे बढ़ कर देखा तो सामने कुछ सोफे लगे हुए थे जिन पर अमित ऑर सुरेश का बाप बैठा हुआ था साथ
मे कुछ लोग ऑर भी थे जो उन लड़को के बाप थे शायद जो बेड पर लेटे हुए थे,,,,,डॉक्टर ने आगे
बढ़ कर कुछ रिपोर्ट दिखाई ओर बात चीत करके रूम से चले गये,,,,
डॉक्टर के बाहर जाते ही रूम बंद हो गया ,,,रूम का दरवाजा पोलितिशियन के साथ मे आए बॉडीगार्ड्स ने
बंद किया था,,,,दरवाजा बंद होते ही अमित सोफे से उठकर मेरे ऑर प्रिन्सिपल के पास आया,,,वो मुझे हल्के
गुस्से से देख रहा था,,,,ऑर साथ ही अमित ऑर सुरेश का बाप भी उठकर हम लोगो के पास आ गया,,,
बोलो प्रिन्सिपल ये सब कैसे हुआ ,,,किसने मारा मेरे बेटे को,,,,ये सुरेश का बाप था,,,,
सर मैने कुछ नही देखा ,,मैं तो जब शोर सुनके बाहर आया सब कुछ ख़तम हो चुका था,,,आपके बेटे
को ऑर उसके दोस्तो को किसने मारा मुझे नही पता,,मैने कुछ नही देखा,,,,,,
तूने नही देखा मगर कॉलेज मे किसी ने तो देखा होगा,,,
जी सर इन लोगो ने देखा था,,,,प्रिन्सिपल ने उन लड़को की तरफ इशारा किया जो लोग बस मे आए थे,,,,
इन लोगो ने देखा था क्या इनको,,,,,
इतना तो पता नही सर लेकिन जब मैं अपने ऑफीस से बाहर आया था तो कॉलेज की भीड़ मे ये लोग भी थे
अब सारा कॉलेज तो यहाँ नही लेके आ सकता था ,,,,जितने लोगो की पहचान हुई उन सबको लेके आया हूँ
मैं,,,,यही लोगो ने देखा होगा उन लड़कों को जिन्होने मारा था सुरेश ऑर बाकी के लड़को को,,,,इन लोगो को
जब मैने सुरेश ऑर बाकी लड़को को आंब्युलेन्स मे डालने को बोला था तो कोई नही आया था आगे हेल्प करने
अच्छा इतनी हिम्मत इन लोगो की,,,,सुरेश की हेल्प करने के लिए आगे नही आए,,,अमित गुस्से से बोला,,,,,फिर पलट
कर मेरी तरफ उंगली करके बोलने लगा,,,,,ये यहाँ क्या कर रहा है सर,,,,,
तभी सुरेश का बाप बोल पड़ा,,,,,,,अमित बेटा ये तो सुरेश का दोस्त है,,,इसी ने पूरे कॉलेज मे आगे
बढ़ कर सुरेश को आंब्युलेन्स तक पहुँचाया था,,,,,
इसने,,,,अमित हैरान होके बोला,,,,,,ये कब्से सुरेश का दोस्त बन गया,,,,,यही तो है जिस से 1-2 बार मेरा
ऑर सुरेश का पंगा हुआ था,,,,,हो न हो इसी ने मारा होगा सुरेश को इस बार भी,,,
नही बेटा तुझे गलतफहमी हो रही है,,,इसने तो सुरेश की हेल्प की थी,,,,,प्रिन्सिपल भी बोला
तभी अमित का बाप मेरे पास आया,,,,,,क्या तूने मारा सुरेश को,,,,क्या पहले भी तेरा कोई पंगा हुआ था
मेरे बेटे ऑर उसके दोस्तो के साथ,,,,
जी सर मेरा पंगा हुआ था,,,,क्यूकी ये लोग एक बेक़सूर लड़के को बुरी तरह पीट रहे थे,,मुझसे देखा
नही गया तो मैं बीच बचाव मे आ गया था,,,,लेकिन पहले शुरुआत मैने नही की मैं तो इनको रोक
रहा था,,जब ये नही रुके तो मैं भी शुरू हो गया,,आख़िर मैं भी जवान ओर गर्म खून हूँ
किसको पीट रहे थे तुम अमित बेटा,,,,
जी डॅड वो है एक हमारे कॉलेज का हरामी,,सुमित,,,,,,,साला मेरे टुकड़ो पे पलता था ऑर मुझी को आँखें
दिखाने लगा था,,,,
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