Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 02:11 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैने एक आग लगा दी थी आंटी के दिल मे जो बहुत ज़्यादा भड़कने लगी थी,,,,अब मुझे रात होने का इंतजार
था बस,,देखना था कि अब रात को क्या होता है,,,,
लंच टाइम से लेके डिन्नर टाइम तक मैं सोता रहा,,क्यूकी एक आग लगा दी थी मैने अलका आंटी की चूत मे
मूठ मारते टाइम उनका नाम लेके,,,,उन्होने कभी ऐसा नही सोचा होगा कि मैं उनके नाम की मूठ मार
सकता हूँ,,,वो खुश तो बहुत होंगी लेकिन उस से कहीं ज़्यादा वो बेचैन होंगी,,,,,उनकी खुशी का या
उनकी बेचैनी का रात को ही पता लगना था इसलिए मैं डिन्नर टाइम तक सोता रहा,,,,एक वजह ऑर थी मैं
थोड़ा डर भी गया था आंटी पता नही मेरे बारे मे क्या सोच रही होगी,,मैं उनकी नज़रो का सामना
कर भी पाउन्गा या नही ,,इसी बात से डरते डरते मैं सो गया ऑर रात होने का वेट करने लगा,,वैसे भी पता
नही रात को नींद आनी भी थी या नही,,,,,,इसलिए दिन मे ही नींद पूरी करली थी मैने,,,,मैं आज मूठ मारते
हुए अलका आंटी का नाम नही लेना चाहता था क्यूकी मैं जल्दबाज़ी नही करना चाहता था लेकिन 2-3 दिन मे
बुआ वापिस आ रही थी तो करण का बुटीक पर रहना मुश्किल हो जाता इसलिए टाइम की कमी होने की वजह
से माँ ने भी थोड़ी जल्दी करने को बोल दिया था मुझे,,,लेकिन इतनी जल्दी भी नही ,,वैसे मैं भी इतनी जल्दी
नही करना चाहता था क्यूकी मैं एक कदम रखने के बाद ही दूसरा पैर उठाना चाहता था ,,एक साथ दो
कदम उठाने वाला इंसान अक्सर मूह के बल गिरता है,,,,,


डिन्नर टाइम तक मन उठकर फ्रेश होके रूम से बाहर निकल आया,,,,,ऑर बाहर निकल कर तो मैं दंग ही
रह गया,,,,,आंटी किचन मे नाइटी पहन कर खाना बना रही थी,,,,,मैं उनके पास नही गया ,,दिल तो
कर रहा था जाके उनके बूब्स देखने के लिए लेकिन थोड़ा डर भी लग रहा था,,,,पता नही क्या होगा अब

मैं बाहर सोफे पर बैठ गया ऑर टीवी देखने लगा ,,जैसे ही टीवी ऑन किया तो टीवी की आवाज़ सुनके आंटी किचन से
बाहर आ गई,,,,,

उठा गया सन्नी बेटा,,,,आंटी की आवाज़ सुनके मेरा ध्यान टीवी से हटकर किचन की तरफ गया जहाँ आंटी
किचन के दरवाजे के पास खड़ी हुई थी,,,मैने आंटी की तरफ देखा तो आज आंटी की आँखों मे कुछ
ज़्यादा ही मस्ती भरी हुई थी,,,,वो बड़ी नज़ाकत से शरमा कर मुझे देख रही थी,,,

जी आंटी जी,,,,बहुत थक गया था इसलिए इतनी देर तक सोता रहा,,,,

थकना तो था ही तूने बेटा,,इतनी मेहनत जो करता है,,,,आंटी एक शरारती अंदाज मे बोली थी,,,,

क्या करूँ आंटी जी उमर ही ऐसी है ,,,इस उमर मे मेहनत नही करूँगा तो कब करूँगा,,,,,

ये भी ठीक है लेकिन बेटा इतनी ज़्यादा मेहनत भी मत किया कर,,,देख ज़रा कितना थक गया था तू ऑर कितनी
देर अक सोता रहा,,,,थोड़ी कम मेहनत किया कर,,,,अभी बहुत उमर बाकी है तेरी,,जितनी मर्ज़ी मेहनत करते
रहना,,,,इतना बोलकर आंटी शरमाने लगी,,,, अच्छा अब टीवी ऑफ कर ऑर आजा डाइनिंग टेबल पर खाना लगा देती हूँ
जी आंटी जी,मैं सोफे से उठा टीवी ऑफ करके डाइनिंग टेबल पर चला गया,,,,कुछ देर बाद आंटी भी खाना
लेके डाइनिंग टेबल पर आ गई ऑर मेरे सामने बैठ कर खाना परोसने लगी,,,,

आज भी आंटी ने मेरी प्लेट मे थोड़ा सा ही खाना परोसा था,,मैं समझ गया कि बार बार मुझे खाना
परोसते टाइम आंटी मुझे अपने बूब्स दिखना चाहती थी,,,,ऑर वही हुआ जब मेरी प्लेट मे डाल ख़तम
हुई तो आंटी ने आगे बढ़ कर टेबल पर झुक कर मेरी प्लेट मे डाल परोसते टाइम मुझे अपने बूब्स के
दर्शन करवाने शुरू कर दिया,,,,,ऑर आज तो मैं सच मे दर्शन करता हुआ दंग रह गया क्यूकी आंटी
ने आज नाइटी बहुत पतले कपड़े की पहनी हुई थी ऑर आज तो आंटी ने ब्रा भी नही पहनी हुई थी,,जिस वजह
से झुकते टाइम उनके पूरे बूब्स नंगे हो रहे थे,,,नाइटी होने के बावजूद आंटी मुझे नंगी लग
रही थी उनका सारा बदन मुझे सॉफ सॉफ नज़र आ रहा था,,,आज आंटी के मुस्कुराने का अंदाज भी
पहले से कहीं ज़्यादा शरारती हो गया था,,,जितना टाइम डिन्नर चलता रहा उतना टाइम शरारती मुस्कान के
साथ आंटी मुझे अपने बूब्स दिखाती रही ओर मैं भी आज बिना किसी डर के आंटी के बूब्स देखता रहा


डिन्नर ख़तम होने के बाद आंटी अपने रूम किचन मे काम करने लगी जबकि मैं करण के रूम
मे जाके लॅपटॉप पर मस्ती करने लगा,,,करीब 30-40 मिनट बाद आंटी मेरे रूम मे आई,,,

क्या बात है बेटा आज सोना नही क्या,,,,,मैं आंटी की तरफ देखा तो आंटी दरवाजे से चलती हुई मेरे
बेड के पास आ गई ऑर आके मेरे पास बैठ गई,,

मैं बेड पर लेटा हुआ था ऑर लॅपटॉप मेरे पेट पर पड़ा हुआ था,,,

जी सोना है आंटी जी लेकिन अभी टाइम कहाँ हुआ सोने का अभी तो बहुत टाइम है,,,,

मैने सोचा तू बहुत थक गया था शायद ऑर नींद आई होगी तुझे,,,,काम जो इतनी मेहनत वाले करने
लगा है तू आजकल,,,,इतना बोलकर आंटी ने मेरे सर पर हाथ रख दिया ऑर प्यार से हाथ को मेरे बालों मे
सहलाने लगी,,,,,

जी आंटी जी थक तो बहुत गया था आज,,,,इतनी मेहनत अक्सर नही करता ना,,आज काफ़ी दिन बाद इतनी मेहनत की
है जो ज़्यादा थक गया,,,,,

चल फिर सो जाते है,,,,मैं भी बहुत थक गई आज,,,तू तो कुछ देर सो गया लेकिन मेरी तो नींद आँखों से
कोसों दूर थी,,,,लेकिन अब लगता है आराम से सो सकूँगी,,,,,चल आजा मुझे नींद बहुत आई है,,,

ठीक है आंटी जी आप चलिए मैं अभी आता हूँ 5 मिनट मे लॅपटॉप बंद करके ,,,,,,,,

जब देखो ये लॅपटॉप से चिपका रहता है,,,क्या है इसमे ,,करण भी सारा दिन इसी मे खोया रहता है
ना खाने का टाइम ऑर ना पीने का होश रहता है,,,,

इसमे बहुत कुछ है आंटी जी,,,,,अभी आपको नही पता,,जिस दिन पता चल गया अपने भी पूरा दिन इसी मे गुम
रहना है,,,,,

अच्छा ऐसा क्या है इसमे,,,मुझे भी तो पता चले,,,,,

बहुत कुछ है आंटी जी,,,,गेम्स है,,मूवीस है,,,,ऑर भी बहुत कुछ है इसमे,,,

मूवीस??? कॉन्सी मूवीस,,,,

सभी तरह की मूवीस है आंटी जी,,,,जैसी भी आप देखना चाहो,,,,,आपको कॉन्सी देखनी है,,,,,

जो तुम देखते हो ,,,,,वहीं मुझे भी दिखा दो,,,,,

मैं समझ गया कि आंटी क्या बोल रही है,,,लेकिन अभी उसके लिए टाइम नही आया है,,,,,

मैं तो ज़्यादा हिन्दी मूवीस देखता हूँ,,,,वो भी आमिर ख़ान की,,,,,आपको देखी है तो बोलो अभी लगा देता
हूँ,,,,,,,

नही बेटा मुझे आजकल की मूवीस अच्छी नही लगती,,,,मुझे तो पुरानी ऑर क्लॅसिक मूवीस अच्छी लगती है,,,

मुझे पता था आंटी जी,,माँ भी अक्सर पुरानी मूवीस ही देखती है,,कभी कभी तो मेरा डमएआग खा
जाती है ,,ये मोविए लगा दे तो कभी वो मोविए लगा दे,,,जो दिल करता है वो मोविए बता देती है ,,,,,,,,

अच्छा इसमे जो मोविए देखनी हो वो लग जाती है क्या,,,,,

जी आंटी जी,,,,,,, जो भी आपको देखनी हो वो सब मूवीस यहाँ आ जाती है,,,,,

तो बेटा देख ज़रा इसमे ------------------ वो वाली मूवी है,,,,,

जी आंटी जी अभी देखता हूँ,,,,,,,,,,,,मैने साइट ओपन की ओर मूवी प्ले करदी,,,,,

अरे वाह बेटा,,इतनी जल्दी लग भी गई,,आंटी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए लॅपटॉप पर मूवी देखने
लगी,,,,,लेकिन जल्दी ही बोली,,,,,,बंद करदो इसको बेटा,,,,मेरे से नही देखी जाती लॅपटॉप पर मूवी

यहाँ नही देखी जाती तो कोई बात नही आंटी जी मैं ये मूवी एलसीडी पर प्ले कर देता हूँ वो भी आपके रूम
मे,,

क्या ये मूवी मेरे रूम के टीवी पर चल जाएगी,,,,,,,,,

जी आंटी जी आज कल कुछ भी हो सकता है,,,आप बस हुकम कीजिए ऑर मैं आपके लिए कुछ भी कर सकता हूँ,

कुछ भी कर सकता है मेरे लिए,,,,,सच मे,,,,,इतना बोलते टाइम आंटी का हाथ हल्की शरारत करने लगा
था मेरे बालों मे,,,,,

जी आंटी जी कुछ भी कर सकता हूँ आप बस हुकम करो,,,,,,

तो जल्दी से चल ये मूवी प्ले कर मेरे रूम के टीवी पर ,पहले मूवी देखते है फिर सो जाएँगे,,,,

ठीक है आंटी जी,,,,,,,,,,,,,,,,
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12-21-2018, 02:11 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
फिर मैं ऑर आंटी जी उनके रूम मे चले गये,,मैने लॅपटॉप को एलसीडी से कनेक्ट किया ऑर आराम से आंटी
के साथ बैठ कर मूवी देखने लगा,,,,,,

आपको ये मूवी अच्छी लगती है आंटी जी,,,,,,

हाँ बेटा ये मेरी फ़ेवरेट मूवी है,,,,जब भी टीवी पर आती है मैं सब कुछ भूल कर इसी मूवी मे खो जाती
हूँ,,,,देखो अभी मुझे कितनी नींद आई थी लेकिन मूवी प्ले होते ही मेरी नींद उड़ गई,,,,

आंटी सच मे मूवी मे इतना खो गई थी कि मेरी तरफ भी ध्यान नही दे रही थी,इसलिए मैं भी आराम
से लेट कर मूवी देखने लगा,,,लेकिन मैं जल्दी ही बोर होने लगा,,,अभी मूवी 15 मिनट की ही गुज़री थी

मैं टीवी से नज़रे हटा ली ऑर आंटी की तरफ पीठ करके लेट गया,,,,

क्या हुआ बेटा तुमको मूवी अच्छी नही लग रही क्या,,,,

ऐसी बात नही है आंटी जी,,,मैं थोड़ा थका हुआ हूँ इसलिए नींद आ रही है लेकिन टीवी की वजह से
मुझसे सोया नही जाएगा ऑर अगर नही सोया तो सर मे दर्द होने लगेगा,,,,,

ठीक है बेटा तो मैं टीवी ऑफ कर देती हूँ मूवी कल देख लूँगी,,,,

अरे नही आंटी जी आप टीवी ऑफ मत कीजिए ,,ये आपकी फ़ेवरेट मूवी है ऑर अगर अपने मेरी वजह से टीवी ऑफ कर
दिया तो मुझे अच्छा नही लगेगा,,,,

लेकिन तुमको तो मूवी अच्छी नही लग रही बेटा,,,ऑर शायद नींद भी आ रही है तुमको,,,,

नही आंटी जी मूवी तो अच्छी है लेकिन आज कुछ ज़्यादा थक गया हूँ इसलिए नींद जल्दी आने लगी है,,,

थकेगा क्यू नही मेहनत जो इतनी करने लगा है,,,आंटी ने ये बात थोड़ा शरमाते हुए बोला,,
ऐसी बात है तो मेरे पास आ जाओ बेटा मैं तुम्हारे सर की हल्की हल्की मालिश कर देती हूँ तुमको आराम
मिलेगा ऑर नींद भी आ जाएगी,,,,

मैं आंटी के करीब होने लगा तभी आंटी बोल पड़ी,,,,अरे बेटा आज क्या टी-शर्ट पहन कर सोने वाले हो,,,,

नही आंटी जी लेकिन क्या करूँ मुझे अजीब लगता है आपके साथ ऐसे सोने मे,,,,,मैने हल्के से झिझकते ऑर
शरमाते हुए बोला,,ताकि आंटी को लगे मैं उनसे थोड़ा डरता हूँ

अरे इसमे शरमाने वाली क्या बात है,,,,तू मेरा बेटा है ऑर जैसे दिल करे वैसे सो सकता है,चल उतार दे
ये टी-शर्ट ऑर आराम से सो जा,,,,


मैने हल्के से शरमाने ऑर डरने का नाटक करते हुए टी-शर्ट निकाली ऑर आंटी के करीब होके लेट गया लेकिन
हल्का सा डरने का नाटक करते हुए मैं आंटी के ज़्यादा करीब नही गया ,,,

जब आंटी ने देखा कि मैं शर्मा रहा हूँ तो आंटी खुद मेरे करीब खिसक कर आ गई ऑर मेरे सर
अपने हाथ से हल्के से सहलाने लगी ऑर मैं आराम से लेट गया,,,


मेरा सर उपर छत की तरफ था जबकि आंटी मेरी तरफ करवट लेके लेटी हुई थी,,आंटी के सर के नीचे पिल्लो
था लेकिन फिर भी आंटी एक हाथ से अपने सर को सहारा देके मेरी तरफ मूह करके लेटी हुई टीवी देख रही थी
ऑर दूसरे हाथ से मेरे सर की हल्के से मालिश कर रही थी,मैं आराम से आँखें बंद करके लेट गया था,,

पहले 8-10 मिनट तो आंटी मेरे सर की मालिश करती रही ऑर मैं भी सोने का नाटक करता रहा फिर मैने
हल्के से खर्राटे मारने शुरू कर दिए ताकि आंटी को लगा कि मैं सो गया हूँ,,,,लेकिन जैसे ही खर्राटे
शुरू हुए आंटी मेरा नाम लेके मुझे चुप रहने को बोलने लगी,,

सन्नी ,,,सन्नी बेटा,,,,आंटी मेरा नाम लेते हुए मेरे गालों पे हल्के से हाथ मारने लगी ऑर मुझे उठाने
लगी या शायद चेक कर रही होगी कि मैं गहरी नींद मे सो गया या नही,,,,

सन्नी बेटा ,,,चुप करो इतना शोर मत करो मुझे मूवी की आवाज़ सुनाई नही दे रही,,,,सन्नी बेटा,,सन्नी
चुप करो ना बेटा,,,,,आंटी कुछ 1-2 मिनट मुझे उठाने की कोशिश करती रही लेकिन मैं कहाँ उठने
वाला था,,,मैं ऐसे ही लेटा हुआ सोने का नाटक करता रहा,,,,फिर आंटी ने कल रात की तरह थोड़ा ज़ोर से
थप्पड़ मारा मेरे मूह पर ये देखने के लिए कि मैं सच मे गहरी नींद मे सो गया हूँ या नही,,ऑर
जब फिर भी मैने कोई हरकत नही की तो आंटी को यकीन हो गया कि मैं सो गया हूँ तो आंटी का वो हाथ
जो अभी मेरे मूह पे हल्के से थप्पड़ लगा रहा था वो हाथ वापिस मेरे सर पे चल गया ऑर आंटी ने
मेरे सर की हल्के से मालिश करनी शुरू करदी लेकिन ज़्यादा देर तक नही ,,जल्दी ही आंटी का वो हाथ मेरी\
चेस्ट पर चला गया ऑर आंटी ने मेरी चेस्ट को उस हाथ से सहलाना शुरू कर दिया,,,मैं हल्के से एक आँख
खोल कर देख रहा था ,,आंटी मेरी चेस्ट को सहला तो रही थी लेकिन साथ ही उनका ध्यान टीवी की तरफ था,,

कुछ देर बाद आंटी ने खुद को अड्जस्ट किया ऑर अपने हाथ को अपने सर के नीचे से साइड करके अपने सर को
पिल्लो पर रख दिया ऑर अब उनका ध्यान टीवी से भी हट गया था ऑर वो मुझे देख रही थी,,,मैने जल्दी से
आँख बंद करली ताकि आंटी को पता नही चल जाए,,,ऑर तभी आंटी के हाथ ने अपनी मस्ती दिखानी शुरू
करदी ऑर मेरी चेस्ट को हल्की शरारत से सहलाना शुरू कर दिया ,,आंटी के हाथ मेरी चेस्ट पर हल्के से उपर
से नीचे पेट तक घुमाना शुरू हो गया ऑर बीच बीच मे वो मेरी छोटी निपल्स को भी हल्के से छू लेती
थी ,,मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था लेकिन मैं बिना हीले जुले आराम से लेटा रहा ऑर खर्राटे मारता रहा ताकि
मेरे सोने का एहसास रहे आंटी को ऑर आंटी मेरे साथ मस्ती करती रहे बिना किसी डर के,,,,जब तभी कुछ
ऐसा हुआ कि मेरी हालत खराब हो गई,,,आंटी ने आगे बढ़ कर मेरी चेस्ट पर हल्के से किस करदी बिल्कुल मेरी
निपल के पास ऑर मैं सहर उठा लेकिन ज़्यादा हिला जुला नही,,,,,आंटी एक हाथ से मेरी चेस्ट को सहलाने लगी
ऑर साथ-साथ हल्की हल्की किस करने लगी मेरी चेस्ट पर,,आंटी ने किस की हल्की बरसात करदी थी मेरी चेस्ट
पर मेरे से ये 2 तरफ़ा हमला बर्दाश्त नही हो रहा था ,,एक तो आंटी का हाथ बड़ी मस्ती से मेरी चेस्ट पर
घूम रहा था ऑर उपर से उनके सॉफ्ट लिप्स का टच मेरी चेस्ट पर मुझे पागल कर रहा था,,मुझे लगा
कि अब मैं कोई ग़लती कर दूँगा इसलिए मैने अपने जिस्म को हल्के से हिला दिया ऑर आंटी डर कर एक दम से पीछे
हो गई ,,,,अपना हाथ भी आंटी ने उठा लिया मेरी चेस्ट से,,,,,,,,
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12-21-2018, 02:11 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैने जब अपने जिस्म को हिलाया तो करवट लेके आंटी की तरफ मूह कर लिया जिस से मेरा फेस आंटी के बूब्स
के पास हो गया,,मेरा दिल तो किया आगे बढ़ कर आंटी के बूब को मूह मे भर लूँ लेकिन थोड़ा डर लग रहा
था मुझे,,,ऑर वही हाल आंटी का था,,मेरे एक दम हिलने से आंटी भी बहुत डर गई थी इसलिए उस रात ना तो
आंटी ने कोई हरकत की ऑर ना ही मैने आंटी के साथ कुछ किया,,,बस हुआ इतना कि आंटी ने अपने हाथ को मेरे
उपर रख लिया ऑर मुझे अपने से सटा लिया ऑर फिर हम दोनो ऐसे ही सोते रहे,,,,सुबह कब हुई पता ही नही
चला,,,,,,दिल तो कर रहा था कि सारे पर्दे उठा दूं शरम के ऑर बेशर्म बनके आंटी की चुदाई शुरू
कर दूं लेकिन मैं इतनी भी जल्दबाज़ी नही करना चाहता था,,जैसे मैं खुद तड़प रहा हूँ वैसे ही आंटी
को भी तड़पाना चाहता था,,,,,,कल मूठ मारते टाइम आंटी के नाम लेके मैने आंटी के दिल मे एक आग लगा दी
थी ऑर अब मैं उस आग को ऑर भी ज़्यादा भड़काना चाहता था,,,,मैं चाहता था कि आंटी इतना तड़प जाए
कि खुद ही सब कुछ करे मुझे कुछ करने की ज़रूरत नही पड़े,,क्यूकी अगर मैं कुछ करता तो मेरी ग़लती
निकाल कर आंटी मुझे झूठा ही सही लेकिन डाँट ज़रूर सकती थी,,,,,इसलिए मैं आंटी की तरफ से कदम
बढ़ाने की कोशिश मे लगा हुआ था ऑर आज रात आंटी ने एक कदम बढ़ा भी दिया था,,,,अब ये देखना था
आंटी दूसरा कदम बढ़ाती है या उसके लिए भी मुझे कुछ करना होगा,,,वैसे एक इंतज़ाम मैने कर लिया
था आंटी से दूसरा कदम आगे बढ़वाने के लिए,,देखते है वो इंतेज़ाम मेरी सोच पर खरा उतरता है या
नही,,,,,,,,,,,,,

सुबह उठके नाश्ता करके मैं कॉलेज चला गया ,,,मेरे कॉलेज जाने पर आंटी थोड़ी उदास हो गई थी,मैं
भी कॉलेज जाना तो नही चाहता था लेकिन आंटी को तड़पाने मे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था ,,वैसे मैं
खुद भी तो तड़प रहा था,,,,,,,

कॉलेज आज भी सुनसान था,,,बाहर पार्क मे तो कोई नही था ,,,शायद जितने भी स्टूडेंट थे वो सब क्लास मे
थे तभी तो पार्क खाली थी ऑर वही हाल था कॅंटीन का भी,,,वहाँ भी सब बोर लोग बैठे थे ,,3-4 लोग
ही थे बस,,,,,मैं भी जाके बोर होते हुए लास्ट वाले टेबल पर बैठ गया ऑर कॉफी ऑर्डर करके बोरियत से
टाइम पास करने लगा,,,

ये लो तुम्हारी कॉफी,,,ये आवाज़ सुनते ही बोरियत कहीं हवा मे गुम हो गई क्यूकी ये आवाज़ थी ही इतनी मीठी
की जिसको सुनके ज़िंदगी मे बोरियत नाम की चीज़ के लिए कोई जगह ही नही रहती थी,,,,मैने नज़रे उठा कर
उपर देखा तो सामने कविता थी जिसके हाथ मे कॉफी का कप था ऑर क्यूट से फेस पर स्वीट सी स्माइल थी,,उसकी
स्माइल इतनी स्वीट थी कि अगर कॉफी बिना शक्कर के होती तो भी टेन्षन नही थी,,,,उसकी स्माइल से ऑर उसके हाथों
के टच से कॉफी मीठी हो गई थी,,,,

अपने कॅंटीन मे कब्से काम करना शुरू कर दिया मालकिन जी,,

मेरी ये बात सुनके कविता खुश हो गई लेकिन अपने लिप्स पर उंगली रखते हुए मुझे चुप रहने को बोलने
लगी ऑर इशारा करने लगी की ऐसा मत बोलो ये कॉलेज है,,,,वो अभी भी कप को हाथ मे लेके खड़ी हुई थी


अरे मालकिन जी कप को टेबल पर रख दीजिए वर्ना आप थक जाओगी,,,ऑर अपने इतनी तकलीफ़ क्यू की कॉफी लेके
आने मे ,,,,हुकम किया होता मैं खुद वहाँ चला आता ,,,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा ऑर कविता कॉफी कप
को टेबल पर रख कर सामने वाली चेयर पर बैठ गई,,,

ओई ब्लॅकी मुझे बार बार मालकिन मालकिन मत बोल ये कॉलेज है,,,

तो क्या हुआ मैने कुछ ग़लत थोड़ी बोला ,,मालकिन ही बोला ना,,,,,नोकरानि तो नही,,,,,

ओये ब्लॅकी बोला ना चुप कर,,,,ऑर मैं नोकरानि नही हूँ मालकिन ही हूँ,,,,

तभी तो मालकिन बोल रहा हूँ कविता जी,,वर्ना नौकरानी नही बोलता मैं आपको जब आप कॉफी लेके आई,,,

चल चल अब चुप कर ऑर ये बता आज तू कॉलेज कैसे आ गया,,ऐसे दिनो मे तो तू अक्सर बंक पर रहता है


क्या करूँ मालकिन जी ,,,,बंक पर करण के साथ जाता था लेकिन करण खुद कहीं बाहर गया हुआ है,,ऑर कोई
है नही जिसके साथ मैं बंक पर जा सकूँ,,,,

क्यू तेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है क्या उसको ले जाता बंक पर,,,,,

गर्लफ्रेंड होती तो कॉन पागल कॉलेज आता मालकिन जी,,,

बोला ना मालकिन मालकिन मत बोल,,,,जस्ट सीधी तरह बात कर वर्ना मैं चली,,

ओके बाबा नही बोलता ,,तू गुस्सा मत कर,,,,वैसे तू बता कि तू कॅंटीन मे क्या कर रही है,,तू ऑर तेरी वो
हिट्लर दोस्त तो क्लासरूम से कभी बाहर ही नही निकलती ऑर आज कॅंटीन मे कैसे आ गई,,ऑर तेरी हिट्लर दोस्त
कहाँ है,,,,तबीयत कैसी है उसकी बुखार गया या अभी तक है,,,

तेरे पास उसका नंबर है ना खुद कॉल करके नही पूछ सकता ,,,आख़िर तेरी बेहन है वो,,,उसका हाल चाल
तो पूछ ही सकता है तू,,,

पूछ तो सकता हूँ लेकिन नही पूछना चाहता ,,तभी तो तेरे से पूछ रहा हूँ,,तुझे बताना है तो बता
वर्ना तेरी मर्ज़ी,,,,

वो ठीक है अब,,आज कॉलेज भी आई है,,उसी को तलाश करते हुए मैं कॅंटीन मे आई हूँ,,,,पता नही
कहाँ है वो,,,,,

आज कॉलेज आई है वो,,,,लगता है अब तबीयत बिल्कुल थी हो गई होगी तभी माँ ने भेजा होगा उसको कॉलेज
वर्ना कभी नही भेजती,,,,,

हाँ सन्नी सही बोला तूने,,,आज वो बिल्कुल ठीक है,,,,,लेकिन पता नही अभी कहाँ है वो,,,,,,,,,,,,,अच्छा उसको
छोड़ तू बता तू आज कल कहाँ रहता है,,,सुना है किसी दोस्त के घर पर रहता है तू,,,,लेकिन जहाँ तक
मुझे पता है करण के सिवा तेरा कोई दोस्त नही है,,,,,

है कोई दोस्त जिसके पास रहता हूँ तुम नही जानती उसको,वैसे तुझे किसने कहा मेरा करण के सिवा कोई दोस्त
नही ,,तू भी तो मेरी दोस्त है ना,,,,

हाँ मैं तो हूँ,,,,तेरी भी ऑर सोनिया की भी,,,लेकिन तू सिर्फ़ मेरा दोस्त है सोनिया का नही,,तभी तो बात बात
पर फाइट करता रहता है उसके साथ ,,कॉल करके बीमार का हाल चाल भी पता नही करता,,,,,क्या इतना गुस्सा
है तुझे सोनिया पर,,,,

गुस्सा नही है कविता,,,ऑर मैं कभी उसपे गुस्सा कर भी नही सकता,,,,बस मैं बहुत केयर करता हूँ उसकी
तभी तो उस से दूर रहता हूँ,,

ये कैसी केयर है जो तुम उस से दूर रहके करते हो,,,,मुझे तो लगता है उस से कहीं ज़्यादा गुस्सा तेरे मे
है फालतू मे तू उसको हिटलर बोलता है ,,हिट्लर नाम तो तेरा होना चाहिए,,,,

तू मुझे कुछ भी बुला सकती है पगली,,,लेकिन सच मे मैं उसकी बहुत केयर करता हूँ तभी तो दूर रहता
हूँ,,,,,डरता हूँ कहीं उसका हाल चाल पूछने गया तो मेरे पर गुस्सा करके वो फिर से बीमार नही हो
जाए,,तुझे तो पता है गुस्सा उसकी नाक पर रहता है,,,,,बस उसके गुस्से की वजह से मैं उस से दूर रहता
हूँ वैसे केयर बहुत करता हूँ मैं उसकी,,,,

जानती हूँ आंटी ने बताया था कैसे रात भर जाग कर तूने ठंडे पानी के टवल रखे थे उसके सर पर एक
पल के लिए भी नही सोया था तू,,,,,,,,,,,तेरी लाइफ मे दोस्त तो बहुत कम है जिनकी तू केयर करता है लेकिन अपनी
फॅमिली मे तो किसकी केयर करता है सबसे ज़्यादा,,,,

ये कैसा सवाल है,,,,मैं अपने सभी घर वालों की केयर करता हूँ ऑर दोस्तो की भी,,,,

जानती हूँ लेकिन तू अपनी फॅमिली मे सबसे ज़्यादा केयर किसकी करता है,,,माँ-बाप की ? भाई बेहन की ?

ये कैसा अजीब सवाल है कविता ,,,,एक माँ से पूछो कि वो अपने किस बच्चे को सबसे ज़्यादा प्यार करती है तो
इसका जवाब देना उसके लिए बहुत मुश्किल होता है ऑर मेरे लिए भी ये कहना मुश्किल है कि मैं अपनी फॅमिली
मे किसकी सबसे ज़्यादा केयर करता हूँ क्यूकी मेरे लिए सब के सब अज़ीज है सबकी केयर करता हूँ मैं,,,

अरे बुद्धू माँ भी अक्सर किसी एक बच्चे को ज़्यादा लाड़ प्यार करती है,,हर टाइम गोद मे उठा कर रखती है
वो सब बच्चों से एक जैसा प्यार करती है लेकिन किसी एक बच्चे की वो ज़्यादा केयर करती है,,वैसे ही पूछ रही हूँ
कि तू किसकी ज़्यादा केयर करता है,,,,

ओह ऐसी बात है,,,,ऐसे तो फिर तेरी पगली दोस्त ही है,,,क्यूकी बचपन से उसके साथ रहता आया हूँ,,,बचपन
मे साथ स्कूल जाते थे साथ खेलते थे,,फिर रूम भी एक ही मिला दोनो को तो ज़्यादा से ज़्यादा टाइम स्पेंड
करते थे दोनो वही है जो मुझे अच्छे से समझती है ऑर मैं भी उसको अच्छे से समझता हूँ ऑर उसके
गुस्से को भी,,,,,हर टाइम हँसती खेलती रहती है कभी उदास नही होती,,कभी रोते नही देखा उसको,,ऑर ना
कभी देख सकता हूँ,,,,एक तो वैसे भी वो रोते हुए अच्छी नही लगती,,अजीब शकल बना लेती है ऑर वैसे भी
मुझे उसकी आँखों मे आँसू अच्छे नही लगते,,हम दोनो भाई बेहन कम ओर अच्छे दोस्त ज़्यादा है,,,एक दूसरे
को समझने वाले ,,,,,

अच्छा इतनी केयर करता है तू उसकी तो फिर बात क्यूँ नही करता उसके साथ,,,,पता है वो कभी उदास नही होती लेकिन
अभी कुछ दीनो से मैं देखा है वो उदास रहने लगी है,,,मेरे जोक्स पर भी नही हँसती कभी,,,,पता नही
क्या हो गया है उसको,,,,,कहीं तूने उसको कुछ कहा तो नही,,,
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12-21-2018, 02:11 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं थोड़ा डर गया कहीं सोनिया ने इसको मेरे बारे मे कुछ बता तो नही दिया लेकिन फिर मैने बात को मज़ाक
मे बदल दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो क्या करे बेचारी तेरे जोक्स होते ही इतने घटिया है कि हँसता हुआ इंसान भी
उदास हो जाता है,,,,

मज़ाक मत कर सन्नी,,,वो सच मे उदास रहती है 2-3 दिन से,,पहले भी उदास रहती थी लेकिन इतना नही,,बहुत
जबसे बीमार हुई है तबसे तो कुछ ज़्यादा ही उदास रहने लगी है,,,,,शायद बीमारी की वजह से हो सकता है
,,लेकिन इतनी उदास तो कभी नही होती वो,,बीमारी मे भी मस्ती करती रहती थी पहले तो,,,,ऑर जब मैं पूछती
हूँ तो बोलती है कुछ नही हुआ मुझे,,,

हाँ हो सकता है कविता वो बीमार होने की वजह से उदास रहने लगी हो,,बाकी मुझे कुछ नही पता तेरी
दोस्त है वो तुझे बेहतर पता होगा,,,,,

मुझे कुछ नही पता सन्नी,ऑर मेरे से कहीं ज़्यादा बेहतर तू उसको समझता है,,,तेरी दोस्त है वो ज़्यादा
मेरे से भी कहीं ज़्यादा,,,,तुझे पता होगा उसके बारे मे कि क्या हुआ है उसको आज कल,,,ऑर अगर नही पता तो
प्ल्ज़्ज़ पता करो सन्नी क्यूकी जैसे तू उसकी आँखों मे आँसू नही देख सकता मैं भी उसके चेहरे पर उदासी
नही देख सकती ,,,,,

ठीक है मैं पता करूँगा कि उसकी उदासी का चक्कर क्या है,,,,वैसे हो सकता है उसका कोई बाय्फ्रेंड हो
जिसके साथ उसका झगड़ा हो गया हो ऑर उसी की वजह से वो उदास रहती हो,,

मेरी बात सुनके कविता ज़ोर से हँसने लगी,,,बॉय फ्रेंड ऑर सोनिया का,,किसी को उस से बात करके अपना सर फुड़वाना
है क्या,,,,,वैसे भी वो किसी लड़के से बात नही करती,,,,ऑर अगर करती तो मुझे ज़रूर पता होता..

हो सकता है उसने तुझे नही बताया हो ऑर तेरे लिए सर्प्राइज़ हो,,,बाद मे तुझे बताने का इरादा हो उसका,,,

ओह्ह्ह ष्हित्त ,,,सर्प्राइज़ से याद आया तेरे घर पे तेरे लिए एक सर्प्राइज़ आया है,,,मुझे पता है उसके बारे मे
तुझे अभी तक किसी ने नही बताया होगा,,,,पक्का,,,

सर्प्राइज़ ,कैसा सर्प्राइज़,,,,,

अरे बुद्धू सर्पाइस है तो बता कैसे सकती हूँ,,वो तो तुझे खुद देखना पड़ेगा घर जाके,,,मैने बता
दिया तो सर्प्राइज़ कैसा ,,,,

अभी वो बात कर ही रही थी कि एक कड़क सी गुस्से वाली आवाज़ से मैं सिहर उठा ऑर डर भी गया,,,क्यूकी ये
आवाज़ थी हिट्लर की जिस से मैं ज़िंदगी मे सबसे ज़्यादा ख़ौफ़ ख़ाता था,,,,,

तू यहाँ क्या कर रही है इस बब्लॅकी के साथ,,,,वो थोड़ा गुस्से मे बोली थी,,,पहले तो मैने सर झुका लिया
लेकिन जब मैने सर उठा कर हिम्मत करके उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे इतना ज़्यादा घूर कर देखा कि
मेरी नज़रे मानो ज़मीन मे धसती जा रही थी,,,,,

कुछ नही सोनिया मैं तो बस तुझे तलाश करने आई थी,,तो सन्नी मिल गया तो यहाँ बैठ गई,,,

अब तो मैं मिल गई ना तुझे ऑर तुझे पता है मैं बेकार लोगो की तरह कॅंटीन मे नही लाइब्रेरी मे होती
हूँ,,,,,,,चल अब उठ जल्दी ऑर चल यहाँ से,,,,
Reply
12-21-2018, 02:12 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कविता जल्दी से उठी ऑर सोनिया के साथ कॅंटीन से बाहर चली गई,,,मैं हिम्मत करके उनकी तरफ देखा तो
कविता तो हंस कर मुझे देख रही थी लेकिन वो हिट्लर की तो आँखों का रंग ही शायद लाल हो गया था हमेशा
के लिए ,,गुस्सा जो इतना करती रहती थी,,,,,,मैं उसके गुस्से से डर गया था,,,कविता के साथ बातें करते हुए कॉफी
ठंडी हो गई लेकिन सानिया ने कुछ पल क लिए कॅंटीन का माहौल इतना गर्म कर दिया कि कॉफी मुझे गर्म
लगने लगी थी ,,,,,मैं कोफ़ी को फूँक मार मार कर पीने लगा था लेकिन तभी मुझे याद आया कि कविता
किसी सर्प्राइज़ की बात कर रही थी,,,,,मैं थोड़ा खुश हो गया कहीं डॅड ने मेरे लिए न्यू कार तो नही लाके
रखी घर पे,,,,क्यूकी डॅड ने बोला था कि मुझे न्यू कार लेके देंगे,,,,मैं खुशी खुशी कॉफी पीक
कॅंटीन से बाहर जाने लगा तभी देखा कि एक टीचर कॅंटीन मे आया ओर कॅंटीन वाले को गर्दन से पकड़
कर बाहर ले गया,,,,मैं भी जल्दी से उनके पीछे गया तो देखा कि छोटी बस खड़ी हुई थी कॉलेज मे ऑर
कुछ 10-12 लड़के भी उसी बस के पास खड़े हुए थे कॅंटीन वाले को भी उन्ही लोगो एक पास खड़ा कर दिया
ऑर फिर उन लोगो को बस मे बिठा दिया.,,,,,

तभी बस एक पास खड़े हुए प्रिन्सिपल ने मुझे आवाज़ लगाई,,,,,

सन्नी ज़रा इधर आओ,,,,,,

मैं उनके पास चला गया,,,,

अच्छा हुआ तुम भी मिल गये,,,,चलो मेरे साथ थोड़ा काम है,,,,

कहाँ जाना है सर,,,,

--------हॉस्पिटल जाना है,,,चलो मेरे साथ,,,,,

सिर आप चलो मैं अपने बाइक पर आता हूँ,,,,,

ठीक है लेकिन लेट मत होना ऑर अभी निकलो यहाँ से,,,,

ठीक है सर,,,,इतना बोलकर मैं अपनी बाइक के पास गया ऑर जब तक मैं अपना बाइक स्टार्ट करके कॉलेज से बाहर
नही निकला तब तक प्रिन्सिपल ने भी अपनी कार स्टार्ट नही की थी,,,,मैं कॉलेज से निकला ऑर मेरे पास से वो बस
ऑर प्रिन्सिपल की कार गुजर कर मेरे से आगे निकल गई ऑर तभी मैं अपने फोन से ख़ान सर को फोन किया
क्यूकी मुझे लग रहा था कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ है,,,,


मैं ख़ान सर को पूरी बात बताई तो ख़ान सिर ने बोला कि डरने की ज़रूरत नही है वो भी अभी उसी हॉस्पिटल
मे है ,,,ओर उन्होने मुझे बताया कि सुरेश अमित ऑर उसका बाप लोग सब यहाँ है,,तुम आ जाओ कोई फ़िक्र की बात
नही,,,,

ख़ान सर से बात करके मेरा डर कुछ कम हुआ ऑर मैं ------- हॉस्पिटल की तरफ चल पड़ा,,,,


अभी मैं जा ही रहा था कि मेरा फोन बजने लगा,,,,,ये कॉल थी कामिनी भाभी की,,मैं अभी डरा हुआ
था एक तो सोनिया के गुस्से की वजह से ऑर उपर से प्रीसिपल की वजह से लेकिन कामिनी भाभी की कॉल देख कर
दिल थोड़ा खुश हो गया था,,

हेलो सन्नी,,,

हेलो भाभी जी,,,

मैं अभी तोड़ा काम से बाहर आया हूँ भाभी जी,,,,बस कुछ देर मे फ्री हो जाउन्गा,,,,कोई काम था
क्या ,,,,,


काम था तभी तो फ़ोन किया है सन्नी,,,

क्या काम है भाभी जी,,,,


जैसे तेरे को तो कुछ पता ही नही,,,,मुझे तेरे से क्या काम पड़ता है बता ज़रा,,,,



मुझे क्या पता होगा ,,आपको काम है आपको पता होगा,,,,मैं हँसते हुए बोला,,,,


हँस ले ज़ालिम जितना दिल करता है हँसले,,,मैं यहाँ तड़प रही हूँ ऑर तू हँस रहा है,,,कोई बात नही गिन
गिन कर बदला लूँगी तेरे से एक बार हाथ आजा मेरे,,,,,

ठीक है भाभी जी जितना दिल करे बदला लेना लेकिन पहले बताओ तो सही काम क्या है,,,

अभी नही ,,कल सुबह बताउन्गी,,,,कल सुबह घर आना,,,,करीब 10 बजे या उसके थोड़ा बाद,,,,,,,

कल सुबह क्या है,,कोई खास बात है क्या,,,,,

तू कल आना तो सही सब पता चल जाएगा,,,,,

ठीक है भाभी जी मैं कल सुबह आ जाउन्गा ,,मैने इतना बोला था कि भाभी ने बाइ बोलके फोन कट कर
दिया ऑर मैने भी अपने फोन को पॉकेट मे डाला ऑर बाइक चलाने लगा,,,,,कुछ 15-20 मिनट मे मैं
--------- हॉस्पिटल पहुँच गया,,,,,,,,,,,,

मैं हॉस्पिटल पहुँचा तो प्रिन्सिपल की कार ऑर वो बस जो स्कूल से चली थी वो भी हॉस्पिटल पहुँच
गई थी,,बस मे से वो लड़के निकले जो हमारे कॉलेज के थे ऑर साथ मे था कॅंटीन वाला लड़का ,,,तभी
कुछ पोलीस वाले आए ऑर उन लोगो को अपने साथ ले जाने लगे ,,एक पोलीस वाला जो कोई बड़ा ऑफीसर लग रहा
था वो प्रिन्सिपल के पास खड़ा हुआ बातें करने लगा ,,प्रिन्सिपल की नज़र मेरे पर पड़ी तो उन्होने मुझे
भी अपने पास बुला लिया,,मेरे वहाँ जाते हो वो ऑफीसर चुप हो गया,,,

आ गये बेटा तुम,,प्रिन्सिपल बड़े प्यार से बोला,,,

जी सर अभी पहुँचा हूँ,,,,,,,,,,बात क्या है सर अपने मुझे यहाँ क्यू बुलाया ऑर ये अपने कॉलेज के
बाकी लोग यहाँ क्या कर रहे है,,,मैने देखा था कॉलेज से जो बस चली थी वो भी यहाँ पहुँच गई है,,
आख़िर बात क्या है,,,,,,,

तभी वो पोलीस वाला बोला,,,,,,इतनी भी क्या जल्दी है बर्खुरदार थोड़ी देर रूको सब पता चल जाना है,वो
अपने ही अलग पोलीस वाले अंदाज़ मे बोला था,,,,,

कुछ नही बेटा ,,,,बस थोड़ी पूछ ताछ करनी थी तुम लोगो से इसलिए बुलाया था तुमको,,,प्रिन्सिपल अभी
बोलना शुरू ही किया कि वो पोलीस वाला हम लोगो को चलने क लिए बोलने लगा,,,पॉलोसे वाले के पीछे मेरे
प्रिन्सिपल ऑर उनके पीछे पीछे मैं,,,,,हम लोग लिफ्ट मे घुस्स गये ऑर हॉस्पिटल के टॉप फ्लोर पर चले गये,,,

फिर हम लोग प्राइवेट रूम की तरफ गये जहाँ का नजारा देख कर मैं दन्ग रह गया,,,,

वहाँ कम से कम 10-12 पोलीस वाले,,,,10-12 लड़के हमारे कॉलेज के ,,साथ मे कॅंटीन वाला भी ऑर बाकी
सब लोग वाइट कुर्ते पयज़ामे मे थे जिनको देख कर ही पता चलता था कि ये लोग पोल्टिक्स के बड़े दलाल
है,,सारा कमरा भरा हुआ था उन लोगो से,,,,ये एक बहुत बड़ा हॉल रूम था,,सामने 5-6 बेड लगे हुए
थे जिन पर सुरेश ऑर उसके दोस्त लेटे हुए थे,,सबको प्लास्टर लगा हुआ था,,,कुछ की हालत तो बहुत खराब
थी,,,,,मैं तो दुआ कर रहा था कि वो लोग मर जाए ओर हमारे कॉलेज के भी ज़्यादातर लोग यही दुआ कर
रहे होंगे,,,,

फिर मेरी नज़र पड़ी इंस्पेक्टर ख़ान पर जिसको देख कर मुझे कुछ राहत महसूस हुई,,,,ऑर ख़ान सर
के बिल्कुल पास ही रितिका खड़ी हुई थी,,,उसको एक पल देख कर तो मैं खुश हो गया ,क्यूकी वही 2 लोग
थे जो शायद मेरे साथ थे इस रूम मे बाकी लोगो के लिए तो मैं पराया ही था,,,,

कुछ डॉक्टर भी थे जो अपना काम कर रहे थे,,,,फिर वो सब डॉक्टर मिलकर एक तरफ हो गये मैने
आगे बढ़ कर देखा तो सामने कुछ सोफे लगे हुए थे जिन पर अमित ऑर सुरेश का बाप बैठा हुआ था साथ
मे कुछ लोग ऑर भी थे जो उन लड़को के बाप थे शायद जो बेड पर लेटे हुए थे,,,,,डॉक्टर ने आगे
बढ़ कर कुछ रिपोर्ट दिखाई ओर बात चीत करके रूम से चले गये,,,,

डॉक्टर के बाहर जाते ही रूम बंद हो गया ,,,रूम का दरवाजा पोलितिशियन के साथ मे आए बॉडीगार्ड्स ने
बंद किया था,,,,दरवाजा बंद होते ही अमित सोफे से उठकर मेरे ऑर प्रिन्सिपल के पास आया,,,वो मुझे हल्के
गुस्से से देख रहा था,,,,ऑर साथ ही अमित ऑर सुरेश का बाप भी उठकर हम लोगो के पास आ गया,,,



बोलो प्रिन्सिपल ये सब कैसे हुआ ,,,किसने मारा मेरे बेटे को,,,,ये सुरेश का बाप था,,,,

सर मैने कुछ नही देखा ,,मैं तो जब शोर सुनके बाहर आया सब कुछ ख़तम हो चुका था,,,आपके बेटे
को ऑर उसके दोस्तो को किसने मारा मुझे नही पता,,मैने कुछ नही देखा,,,,,,

तूने नही देखा मगर कॉलेज मे किसी ने तो देखा होगा,,,

जी सर इन लोगो ने देखा था,,,,प्रिन्सिपल ने उन लड़को की तरफ इशारा किया जो लोग बस मे आए थे,,,,

इन लोगो ने देखा था क्या इनको,,,,,

इतना तो पता नही सर लेकिन जब मैं अपने ऑफीस से बाहर आया था तो कॉलेज की भीड़ मे ये लोग भी थे
अब सारा कॉलेज तो यहाँ नही लेके आ सकता था ,,,,जितने लोगो की पहचान हुई उन सबको लेके आया हूँ
मैं,,,,यही लोगो ने देखा होगा उन लड़कों को जिन्होने मारा था सुरेश ऑर बाकी के लड़को को,,,,इन लोगो को
जब मैने सुरेश ऑर बाकी लड़को को आंब्युलेन्स मे डालने को बोला था तो कोई नही आया था आगे हेल्प करने


अच्छा इतनी हिम्मत इन लोगो की,,,,सुरेश की हेल्प करने के लिए आगे नही आए,,,अमित गुस्से से बोला,,,,,फिर पलट
कर मेरी तरफ उंगली करके बोलने लगा,,,,,ये यहाँ क्या कर रहा है सर,,,,,

तभी सुरेश का बाप बोल पड़ा,,,,,,,अमित बेटा ये तो सुरेश का दोस्त है,,,इसी ने पूरे कॉलेज मे आगे
बढ़ कर सुरेश को आंब्युलेन्स तक पहुँचाया था,,,,,

इसने,,,,अमित हैरान होके बोला,,,,,,ये कब्से सुरेश का दोस्त बन गया,,,,,यही तो है जिस से 1-2 बार मेरा
ऑर सुरेश का पंगा हुआ था,,,,,हो न हो इसी ने मारा होगा सुरेश को इस बार भी,,,

नही बेटा तुझे गलतफहमी हो रही है,,,इसने तो सुरेश की हेल्प की थी,,,,,प्रिन्सिपल भी बोला

तभी अमित का बाप मेरे पास आया,,,,,,क्या तूने मारा सुरेश को,,,,क्या पहले भी तेरा कोई पंगा हुआ था
मेरे बेटे ऑर उसके दोस्तो के साथ,,,,

जी सर मेरा पंगा हुआ था,,,,क्यूकी ये लोग एक बेक़सूर लड़के को बुरी तरह पीट रहे थे,,मुझसे देखा
नही गया तो मैं बीच बचाव मे आ गया था,,,,लेकिन पहले शुरुआत मैने नही की मैं तो इनको रोक
रहा था,,जब ये नही रुके तो मैं भी शुरू हो गया,,आख़िर मैं भी जवान ओर गर्म खून हूँ

किसको पीट रहे थे तुम अमित बेटा,,,,

जी डॅड वो है एक हमारे कॉलेज का हरामी,,सुमित,,,,,,,साला मेरे टुकड़ो पे पलता था ऑर मुझी को आँखें
दिखाने लगा था,,,,
Reply
12-21-2018, 02:12 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
तभी सुरेश पीछे से हल्की आवाज़ मे बोला,,,,अमित भाई इस बार भी वहीं सुमित था जिस से पंगा हुआ था,,,,

इतना सुनते ही अमित सुरेश के बेड के पास चला गया,,,,,क्या उस हरामी ने तुम लोगो का ये हाल किया,,,

नही अमित भाई ,,उसके साथ 8-10 लोग ऑर थे,,,,,,,,,,,,,,

अमित मे मेरी तरफ इशारा किया,,,क्या ये सन्नी भी था उन लोगो के साथ,,,,

नही अमित भाई सन्नी नही था,,,,ये तो आस पास भी नही था कहीं,,,वो लोग कोई ऑर ही थे,,,,मुझे तो
हमारे कॉलेज के भी नही लग रहे थे वो लोग,,,,

अमित गुस्से से,तू सच बोल रहा है ये सन्नी नही था उन लोगो के साथ,,,,

नही था अमित भाई सच बोल रहा हूँ,,,,वो लोग कोई ऑर थे दिखने मे तो कॉलेज स्टूडेंट लग रहे थे
लेकिन जिस तरह से हम लोगो को मारा था उस से तो लगता था वो पेशेवर गुंडे थे,,,,,,शायद सुमित
किराए के गुंडे लेके आया होगा बाहर कहीं से,,,,,

उस साले की इतनी हिम्मत,,,एक बार मिल जाए तो जान से मार दूँगा उस हरामी को,,,,,,


अमित की बात ख़तम होते ही अमित का बाप मेरे पास आया,,,,ये लड़का बेक़सूर है एसीपी साहिब,,लेकिन ये
बाकी के कमिने क़सूरवार है ,,,,

लेकिन सर सुरेश ने तो इनको भी देख लिया ,,इनमे से तो कोई नही था जिसस से झगड़ा हुआ था सुरेश का,,,

झगड़ा नही हुआ तो क्या हुआ लेकिन ये लोग कसूरवार तो है,,इन हरामी लोगो ने सुरेश को आंब्युलेन्स मे
डालने की कोशिश भी नही की,,एक भी बंदा आगे नही आया,,,,इन लोगो को कुछ तो सज़ा मिलनी चाहिए,,,

तो क्या करूँ मैं इन लोगो का सर,,,,,

कुछ ख़ास नही बस 1-2 दिन हवालात मे रखो इनको ऑर कुछ खातिरदारी करो ,,सरकारी मेहमान बना कर


सब लोगो के चेहरा का रंग उड़ गया,,कुछ लोग तो रोने की हालत मे हो गये ऑर कॅंटीन वाला तो अमित के
बाप के पैरो मे गिर गया ऑर माफी माँगने लगा लेकिन तभी एक हवलदार ने आगे बढ़ कर उसको उठाकर साइड
कर दिया,,,,,,


इनस्पेक्टर ख़ान इन लोगो को ले जाओ ऑर अच्छे से खातिरदारी करो 2-3 दिन तक,,फिर आज़ाद कर देना,,,,

ख़ान सर आगे आए ऑर कुछ हवलदारो को बोला कि इन लोगो को गाड़ी मे डालो ऑर पोलीस स्टेशन ले जाओ,,,वो
पोलीस वाले उन लड़को को पोलीस स्टेशन ले जाने के लिए नीचे लेके चले गये,,वो कॅंटीन वाला बहुत रो रहा
था उसकी कोई ग़लती नही थी ,,2 हवलदारो ने उसको पकड़ा हुआ था ऑर फिर भी हाथ जोड़ने की कोशिश करता
हुआ अमित ऑर सुरेश के बाप से माफी माँग रहा था,,लेकिन उसके आँसुओ का किसी पर कोई फ़र्क नही पड़
रहा था,,,

तभी ख़ान सर ने अपने सीनियर ओफिसेर से इजाज़त ली ऑर वहाँ से बाहर की तरफ चल पड़ा,,,,मैने भी अपने
प्रिन्सिपल को पूछा कि सर क्या मैं जा सकता हूँ तो प्रिन्सिपल ने अमित ओर उसके बाप की तरफ देखा तो
उन लोगो ने मुझे जाने की इजाज़त दे दी,,,,

मैं वहाँ से चला गया,,,ऑर सीधा ख़ान सर के पीछे हो लिया,,,,ख़ान सर एक लिफ्ट मे घुसे ऑर उनके पीछे
ही मैं भी उस लिफ्ट मे घुस गया ,,जैसे ही मैं ख़ान सर से बात करने की कोशिश कि तभी एक खूबसूरत
हाथ लिफ्ट के दोनो बंद होते डोर के बीच मे आ गया ऑर लिफ्ट के डोर वापिस खुल गये,,,,मैने देखा तो
सामने रितिका थी,,जो चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए मुझे देख रही थी,,,

मैं सोचा बाल बाल बच गया कहीं इसके सामने मैं ख़ान सर से बात कर लेता तो इसको पता चल जाता कि
मैं ख़ान सर को जानता हूँ ,,,लेकिन उसने लिफ्ट मे आते ही मुझे हैरत मे डाल दिया,,,लिफ्ट मे घुसते ही
वो जल्दी से ख़ान सर के सीने से लग गई,,,,मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई,,,,


ख़ान सर के सीने से लगते ही रितिका की आँखें नम हो गई,,,,,ख़ान भैया ,,,,रितिका के मूह से ख़ान भैया
सुनते ही मैं चौंक गया,,,ये क्या मसला है,,,,

अरे पगली इतने टाइम बाद मिली है तो क्या रो कर मिलेगी मुझे,,,,चल रोना बंद कर ,,,इतना बोलकर ख़ान
सर ने अपने हाथों से रितिका के आँसू पोंछ दिए ,,,,,

मैं आपको मिलकर तो बहुत खुश हुई हूँ ख़ान भैया ऑर ये आँसू खुशी के है ना कि किसी गम के,,,गम
तो तब होता है जब अक़्सा की याद आती है,,,,

अक़्सा नाम कहीं सुना हुआ लग रहा था,,,,,अरे हां अक़्सा तो वही लड़की थी जिसने अमित ऑर उसके दोस्तो की वजह
से अपनी जान दी थी,,,,,तो क्या ख़ान भाई की बेहन का नाम ही अक़्सा था,,क्यूकी उस दिन करण के घर पर जब \
मैने रितिका को अक़्सा की वीडियो दिखाई थी तो इसने बोला था कि वो उसकी फ्रेंड थी,,,,शायद इसी लिए वो ख़ान
सर को भैया बोल रही थी,,,,,

याद तो मुझे भी बहुत आती है अक़्सा की रितिका लेकिन मैं उदास या दुखी नही होता बल्कि गुस्से मे आ जाता
हूँ,,जिन लोगो की वजह से अक़्सा की जान गई मैं उन लोगो को फाँसी पर लटका कर ही दम लूँगा,,,

सही बोला ख़ान भाई अपने ,,जो लोग उसकी मौत के लिए ज़िम्मेदार है उनको सज़ा मिलनी चाहिए ,,चाहे वो कोई
भी हो,,,फाँसी तो होनी ही चाहिए उनको कमिनो को,,,,रितिका हल्के से गुस्से से बोली,,,,,

सॉरी ख़ान भाई अंदर रूम मे मैं डॅडी के डर से आपको मिल नही पाई,,इसलिए तो भाग कर लिफ्ट मे
आपके पीछे आ गई,,,,
Reply
12-21-2018, 02:12 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
इसमे सॉरी की क्या बात रितिका,,,मैं समझता हूँ,,,,

हेलो सन्नी,,,,,,हेलो रितिका,,,,,

तुम दोनो एक दूसरे को जानते हो,,,,,,,

जी ख़ान भाई,,,,,ये मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड है,,,,,मैं एक दम जल्दी जल्दी मे बोल दिया ,,,मेरे ऐसा बोलते ही
ख़ान सर रितिका की तरफ देखने लगे ओर रितिका थोड़ा डर गई ओर शर्मा भी गई,,,

अरे शरमा क्यू रही है पगली,,जानता हूँ अब तू बड़ी हो गई है,,,,तभी लिफ्ट खुली ऑर हम लोग लिफ्ट से
बाहर आ गये,,,,,


ख़ान सर आगे चलने लगे ऑर मैं उनके पीछे तभी पीछे से रितिका ने मेरा हाथ पकड़ लिया,,,,ऐसा बोलने
की क्या ज़रूरत थी,,सीधी तरह नही बोल सकता था मैं तेरी दोस्त हूँ,,,,,देखा ख़ान भाई मुझे कैसे
देख रहे थे,,शायद उनको गुस्सा आ गया था,,,,,

तो फिर क्या हो गया,,,उन्होने कुछ बोला तो नही,,,,,ऑर मुझे कुछ सूझा नही मैं एक दम से जो मूह मे
आया बोल दिया,,वैसे मैने कुछ ग़लत तो नही बोला ना,,,,वो अभी भी मेरा हाथ पकड़ कर खड़ी हुई थी,,
चल हाथ छोड़ मुझे ख़ान सर से कोई बात करनी है,,,,,

क्या बात करनी है,,मुझे बता मैं बोल देती हूँ,,,,,

है कोई बात तू रुक मैं आता हूँ,उसने मेरा हाथ छोड़ा ओर मैं ख़ान सर के पास चाल गया,,,,,,

ख़ान भाई,,,,वो ज़ीप मे बैठ चुके थे,,,,,,

बोलो सन्नी,,,,

भाई आप इन लोगो के साथ क्या करोगे,,,,मैं अपने उन दोस्तो की तरफ उंगली करके बोला जो पोलीस वॅन मे बंद
थे ऑर वॅन मेरे पास ही खड़ी हुई थी,,,,,

तुमको क्या लगता है मैं क्या करूँगा इन लोगो के साथ,,,,,

आपको इनको मारोगे क्या,,,,,

नही सन्नी मैं बेक़सूर लोगो पर हाथ नही उठाता लेकिन उपर से ऑर्डर है तो इनको 1-2 दिन अंदर तो
रखना पड़ेगा,,,,,

भाई अगर बेक़सूर लोगो पर हाथ नही उठाया जाता तो बेक़सूर लोगो को बिना ग़लती के अंदर भी नही
रखना चाहिए,,,,,,

ठीक कह रहो हो तुम सन्नी,,,ऑर मैं तुम्हारी बात समझ भी गया हूँ,,,तुम फ़िक्र नही करो मैं 1-2 अवर्स
के बाद इनको छोड़ दूँगा,,,,,वो लोग वॅन मे बैठे हुए मुझे थॅंक्स्क्स्क्स बोलते जा रहे थे,,,वो कॅंटीन
वाला तो बस रोता ही जा रहा था,,,,,,

तुम सब फ़िक्र नही करो तुम लोगो को कुछ नही होगा ,,ख़ान सर ने बोला है तुम लोगो को 1-2 अवर्स बाद
रिहा कर दिया जाएगा,,,,,उनकी मजबूरी है वर्ना तुमको अभी रिहा कर देते,,,,,


रिहा तो मैं कर दूँगा लेकिन इन लोगो से बोलना कि 2-3 दिन कॉलेज नही जाए,,,,,क्यूकी एएसपी तो आज ही आया है
पोलीस स्टेशन लेकिन प्रिन्सिपल तो रोज ही होगा कॉलेज मे ,,,उसने तुम लोगो को देख लिया तो मेरी शिकायत
कर देगा,,,फिर मुझे मुश्किल हो जानी है,,,,,,,

सुन लिए तुम लोगो ने,,,,,,पोलीस स्टेशन से सीधा अपने अपने घर जाना ऑर 2-3 दिन कॉलेज मत आना,,


ठीक है सन्नी भाई,,,बहुत बहुत मेहरबानी आपकी,,,,



ख़ान सर की ज़ीप आगे निकल गई ओर पीछे पीछे पोलीस की वॅन भी चली गई,,,,

मैं अपनी बाइक की तरफ बढ़ने लगा तभी पीछे से रितिका ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया,,,,

ओई किधर चला मूह उठाके ,,मुझे बोला कि वहाँ रूको मैं आया ओर अब खुद भाग रहा था,,,


सॉरी मैं तो भूल ही गया था,,,,,बोलो क्या काम है मेरे से,,,,,

कुछ नही बस कॉफी पीने को दिल कर रहा है ऑर मेरे पास पैसे नही,,,,,,

क्यू मज़ाक करती हो,,इतने बड़े बाप की बेटी हो,,चाहो तो कॉफी शॉप खरीद सकती हो ऑर बोलती हो पैसे
नही है,,,,,,

मेरा पर्स कार मे है ऑर कार की चाबी डॅड के पास ,,मैं उन्ही के साथ तो आई थी भाई को देखने,,,वो
थोड़ा नखरे से बोली,,,,अब तुझे कॉफी पिलानी है तो पिला वर्ना मैं चली,,

वो आगे चली गई ऑर मैं उसको आवाज़ देने लगा लेकिन वो नही रुकी,,,,मैं भी उसके पीछे पीछे चल पड़ा
ऑर वो सीधा कॉफी शॉप मे घुस गई ऑर कॉफी ऑर्डर करने लगी,,,,उसने कॉफी ऑर्डर की ऑर मैं पैसे
देके उसकी तरफ बढ़ने लगा तब तक वो एक टेबल पर जाके बैठ गई जो विंडो के पास था,,,,मैं भी उसके
पास जाके बैठ गया,,,,

तुम्हारा दोस्त कहाँ है आज कल नज़र नही आ रहा ,,,मोबाइल भी ऑफ है उसका,,,,,

वो अपने दोस्तो के साथ बाहर गया है कहीं,,,,,

दोस्तो एक साथ,,,,,,,,,लेकिन जहाँ तक मैं जानती हूँ उसका तो कोई दोस्त नही तुम्हारे सिवा,,,,

मुझे भी नही पता किस दोस्त के साथ गया है मुझे तो उसको मोम ने बताया था,,,,

अच्छा ये ख़ान भाई को कैसे जानते हो तुम,,,वो मुझसे बात करती हुई बार बार बाहर देख रही थी

ख़ान भाई सूरज भाई के दोस्त है,,,मैं उन्ही के ऑफीस मे मिला था उनको,,,,,

सूरज भाई कॉन है अब,,,,,,,

सूरज भाई कविता के भाई है,,उन्ही के ऑफीस मे मिला था मैं ख़ान भाई को,,,,वहीं मुलाक़ात हुई थी
मेरी ख़ान भाई से,,,,,

कविता कॉन कविता ?,,,,अच्छा वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड

मेरी गर्लफ्रेंड,,,,तुझे किसको बोला वो मेरी गर्लफ्रेंड है,,,वो तो बस मेरी दोस्त है,,,,,,ऑर मेरी नही मेरी सिस सोनिया की
दोस्त है वो,,,हम लोग --- क्लास से साथ स्टडी कर रहे है,,,,

वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड नही है,,,,,,?

नही ,,,सिर्फ़ अच्छी दोस्त है,,,,वैसे तेरी जानकारी के लिए बता दूं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है,,ऑर ना गर्लफ्रेंड की ज़रूरत
है मुझे,,,,

जानती हूँ तुम ऐसे लड़के नही हो,,,ऑर इतना एक्सपेरिन्स हो गया है मुझे,,,तुम्हारी शराफ़त का,,उस दिन करण
के घर पे तुम चाहते तो मेरे साथ कुछ भी कर

वो अभी बोल रही थी तभी मैने उसके मूह पर हाथ रख दिया,,,,,बुरी बातों को याद नही करते,,दिल
दुख़्ता है उनसे,,,,याद करना है तो उन अच्छे पलों को याद करो जो तुमने करण के साथ बिताए,,उन
पलों को याद करके दिल को सकून मिलेगा,,,,खुशी होगी,,,,,बुरी यादें ऑर बुरी बातें जब पुरानी हो
जाती है तो उनको दोबारा से याद नही करना चाहिए,,वर्ना वो उन ज़ख़्मो को कुरेदने लगती है जिनको
वक़्त भर चुका होता है ऑर साथ ही उनपे नमक भी लगा देगी है,,,,,

मेरी बातें सुनकर वो चुप हो गई,,,,सही बोला था करण ने तुम सच मे बहुत अच्छे हो सन्नी,,,अक्सर
वो तुम्हारे बारे मे बहुत बात करता है,,

सिर्फ़ अच्छी बातें करता है,,,,कोई बुरी बात नही करता क्या मेरे बारे मे,,,,,

बुरी बात होगी तो करेगा ना,,,लेकिन तुमको जितना मैने जाना है मुझे नही लगता तुम मे कुछ बुरी बात
भी होगी,,,,जब देखो तुम्हारे बारे मे अच्छी बात ही सुन-ने को मिलती है,,ऑर आज देखने को भी मिली,,,

देखने को मिली,,,,,,क्या बात कर रही हो तुम मैं समझा नही,,,,,

वही जो तुम ख़ान सर से कह रहे थे,,उन बेक़सूर लोगो को रिहा करने के लिए,,,,मैं सब सुना,,,,तुम सच
मे बहुत अच्छे हो सन्नी,,,,,

कभी इंसान के बारे मे इतनी जल्दी कोई राई नही बनानी चाहिए रितिका,,,,मेरे कुछ पहलू सही है लेकिन मैं
भी इसी दुनिया का इंसान हूँ जहाँ कमिने ऑर ख़ुदग़र्ज़ लोग बस्ते है,,,,फिर भला मैं अच्छा कैसे हो सकता
हूँ,,,,,,हाँ कुछ अच्छी बातें ज़रूर है मेरे मे लेकिन उन चन्द बातों की वजह से मैं अच्छा इंसान
हूँ ऐसा मत सोचो तुम,,,

मुझे नही लगता सन्नी तुम मे कोई बुरी बात हो सकती है क्यूकी मैने तो जब भी देखी अच्छी बात देखी है
तुम मे,,,,,

फिर इधर उधर की बातें करते हुए हम लोगो ने कॉफी ख़तम की ऑर कॉफी शॉप से बाहर आ गये,,,

मैं अपने बाइक की तरफ जा रहा था रितिका भी मेरे साथ थी,,,,,,

ओह्ह शिट,,,,रितिका एक दम से बोली,,,,,,,,,,,



क्या हुआ रितिका,,,,,,

देखो ना बातों मे मैं इतनी बिज़ी हो गई कि पता नही चला कि डॅड कब चले गये,,,,,अब मैं घर
कैसे जाउन्गी,,,,मेरा तो मोबाइल ऑर पर्स भी कार मे ही था,,,,

कोई बात नही मैं तुमको घर ड्रॉप कर देता हूँ,,,,,

थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी,,,,,,,,,

इसमे थन्क्ष्क्ष्क्ष की क्या बात,,,अगर मैं यहाँ होता तो क्या तुम अपनी कार मे मुझे घर ड्रॉप नही करती

हम बाइक के पास गये मैने बाइक स्टार्ट की ऑर रितिका मेरी पीछे बाइक पर बैठ गई,,,उसने सूट पहना हुआ
था ऑर वो दोनो टाँगें एक तरफ करके बैठी हुई थी,,,,,वो बहुत सिंपल लड़की थी ज़्यादा डुइत ही पहनती
थी लेकिन कभी कभी जियाब ओर टॉप भी पहन लेती थी ,,,इतने बड़े बाप की बेटी थी लेकिन नखरा बिल्कुल
नही था उसमे,,,वर्ना आजकल की लड़कियाँ 50000 की अक्तिवा ऑर 10000 का फोन लेके खुद को कहीं की
प्रिन्सेस समझने लगती है,,,,,,

खैर वो बाइक पर बैठ गई ऑर हम उसके घर की तरफ चल पड़े,,,रास्ते मे हमने को बात नही की बस
वो मुझे रास्ता बताती रही ऑर मैं बाइक चलाता रहा,,,,,,उसका घर एक बढ़िया एरिया मे था जहाँ बड़े
बड़े लोग ही रहते थे,,,,इतने बड़े बड़े घर थे वहाँ की देख कर दिल खुश हो गया,,फिर आया उसका
घर ,,जिसको देख मैं दंग रह गया,,,,साला मैं अपने घर को बड़ा घर कहता था लेकिन इसका घर देख
कर तो मुझे मेरा घर की माचिस की डिबिया जैसा लगने लगा था,,,,,,मैने बाइक को उसके घर के बाहर रोका
तभी दो लोग गन लेके बाहर आ गये,,,,,

जाओ अंदर,ये मेरा दोस्त है,,,रितिका ने इतना बोला तो वो लोग अंदर चले गये लेकिन गेट खुला हुआ था वो
लोग बाहर हम लोगो को ही देख रहे थे,,,,,

ओके अब मैं चलता हूँ,,,,

नही ऐसे कैसे जा सकते हो तुम पहली बार मेरे घर आए हो,,ऑर पहली बार जब किसी के घर जाते है तो
बाहर से ही वापिस नही जाते,,,,अब्स्गुन होता है ये,,,बुरी बात है,,,,

मैं कुछ कहता तभी रितिका का बाप बाहर आ गया,,,,,,हाँ सन्नी बेटा ये ठीक बोल रही है,,पहली बार
किसी के घर से ऐसे ही वापिस नही जाते,,,,चलो अंदर आओ,,,,

उनके कहने पर मैं अंदर जाने लगा तो रितिका के बाप ने एक आदमी को इशारा किया तो उसने आगे बढ़ कर
मेरे से मेरी बाइक को पकड़ लिया ऑर अंदर ले आया,,,मैं रितिका ओर उसके बाप के साथ चलके घर के अंदर
जाने लगा लेकिन वो लोग घर के अंदर नही बल्कि बाहर गार्डन मे एक बड़ी सी छतरी के नीचे बैठ
गये ,,,,,,,,

बोलो बेटा क्या लोगे,,चाइ या कॉफी,,,,,

जी नही शुक्रिया सर मैं अभी कॉफी लेके ही आया हूँ,,,,रितिका ने मेरी तरफ देखा ऑर इशारा किया तो
मैं समझ गया,,,,,उसने बाप को नही बताना कुछ भी,,,,

तो चलो फिर जूस पे लेते है,,,क्यू रितिका बेटा,,

जी पापा ,,,,मैं अभी लेके आती हूँ,,,,,

तुम क्यू,,,किसी को बोल दो,,,,तुम्हारा दोस्त आया है तुम उसके साथ बात करो यहाँ बैठ कर,,,,वैसे तुम
हॉस्पिटल मे कहाँ गुम हो गई थी,,,,सेल भी कार मे था तुम्हारा ऑर पार्स भी,,मैं तो परेशान हो
गया था,,,,,

कुछ नही डॅड हॉस्पिटल मे एक कॉलेज की फ्रेंड मिल गई थी उसी से बातें करने लगी थी ,,जब फ्री हुई तो
देखा आप चले गये थे,,,ये तो सन्नी मिल गया तो इसके साथ आ गई,,,,,

इसको कैसे जानती हो तुम,,,,,
Reply
12-21-2018, 02:12 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
रितिका चुप हो गई ऑर मैं भी,,,,

पापा ये मेरी एक दोस्त का भाई है,,,,शोबा का,,,

अच्छा ठीक है बेटी,,,,,अब तुम बताओ सन्नी बेटा तुमने हॉस्पिटल मे बोला था कि तुम्हारा झगड़ा नही
हुआ सुरेश से लेकिन एक बार जब सुरेश ऑर अमित उस कमिने सुमित को मार रहे थे तब तुमने सुरेश
ऑर अमित से पंगा क्यू किया था,,,,,

सर मैने पंगा नही किया था,,,मैं तो सुरेश ऑर अमित को रोक रहा था,,,,क्यूक वो लोग एक कमजोर
पर हाथ उठा रहे थे,,उसका तो हाथ भी टूटा हुआ था,,,


जानता हूँ वो हाथ भी अमित ऑर सुरेश ने तोड़ा था,,,,सुरेश का बाप एक अकड़ के साथ बोला,,,,,

मैं भी जानता हूँ सर,,,,तभी तो मैं उनको रोकने गया ताकि वो उसका दूसरा हाथ भी ना तोड़ दे,,,

तोड़ देते तो क्या होता,,,तुमको क्या ज़रूरत थी उन लोगो के बीच मे आने की,,सुमित तुम्हारा कोई सगे
वाला है क्या,,,,

सगा वागा कुछ नही है सर बस कॉलेज मे है तो दोस्त है,,उसकी जगह कोई ऑर होता ऑर आपके बेटे ऑर अमित की
जगह भी कोई ऑर होता तो भी मैं ऐसा ही करता,,,वैसे भी मैं पहले फाइट शुरू नही की मैं तो उनको
रोक रहा था लेकिन उन लोगो ने मुझे मारना शुरू कर दिया,,,,मैं पहले शुरू नही करता कभी लेकिन बाद
मे कभी पीछे भी नही हट-ता,,अब जवान हूँ मैं खून भी गरम है मेरा,,,,,,मैं भी थोड़ी
अकड़ से बोल रहा था,,,,,ऑर उसका बाप मुझे घूर रहा था,,,,


ऑर वैसे भी अगर सड़क पर कोई आवारा कुत्ते को भी पत्थर से मारता है तो मेरा दिल करता है कि मैं उसी
पत्थर से उस इंसान का सर फोड़ दूं क्यूकी ग़रीब ऑर लाचार पर अत्याचार मेरे से बर्दाश्त नही होता


चलो जूस पियो ऑर जवानी के जोश को ठंडा करो,,,,,,इतना बोलते ही उन्होने जूस का ग्लास लेके मेरी तरफ बढ़ा
दिया,,,,मैं जूस पीने लगा ऑर एक ही बार मे ग्लास खाली कर दिया,,क्यूकी मैं हल्के गुस्से मे आ गया था

ऑर उधर सुरेश के बाप ने भी एक ही बार मे ग्लास ख़तम किया ऑर चेयर से उठ गया,,,,जवानी मे जोश
ऑर खून का गर्म होना ज़रूरी है सन्नी ,,लेकिन एक बात समझ लो जब आग से खेलो तो थोड़ा दूर से खेलो
ज़्यादा करीब मत जाओ वर्ना हाथ जल जाता है,,इतना बोलकर वो वहाँ से चले गये मैं भी उठा ऑर वहाँ
से बाहर की तरफ आने लगा,,,रितिका ने मुझे नही रोका क्यूकी वो जान गई थी मैं गुस्से मे हूँ ऑर मेरा
गुस्सा वो करण के घर पे देख चुकी थी,,,बस उसने मुझे बाइ बोला ऑर मैं भी उसको बाइ बोला ऑर अपनी
बाइक लेके वहाँ से करण के घर की तरफ आ गया,,,,

करण के घर पहुचा तो आज काफ़ी टाइम हो गया था ,,,,गेट खुलते ही आंटी ने उदास चेहरे से बोला

आज लेट क्यू हो गया सन्नी,,,पता है कितनी देर से वेट कर रही थी मैं,,,,,

सॉरी आंटी थोड़ा काम था इसलिए लेट हो गया,,,,,

चल कोई बात नही,,,कुछ खाया पिया बाहर या अभी लंच बना दूं,,,,

नही आंटी जी मैं ठीक हूँ ,,,बस मुझे थोड़ा आराम करना है,,,,सर मे दर्द हो रहा है,,,,

ठीक है तू जाके फ्रेश हो जा बेटा मैं कॉफी बना देती हूँ सर दर्द ठीक हो जाएगा ,,ऑर अगर नही हुआ तो
मालिश कर दूँगी,,,,,

मैं करण के रूम मे गया ऑर फ्रेश होने लगा,,ऑर फ्रेश होके बाहर आने लगा तभी मैने अपने मोबाइल
पर देखा कि माँ की 3 मिस कॉल थी मैने वापिस कॉल किया तो माँ ने फोन नही उठाया,,,

मैं बाहर गया ऑर तबतक कॉफी बन गई थी,,,,सुरेश के बाप ने दिमाग़ का दही कर दिया था,,,,इतना
गुस्सा आ रहा था साले पर कि बता नही सकता ,लेकिन अलका आंटी को देख कर सारा गुस्सा उड़ गया ऑर फिर
से एक मस्ती भरी लहर उठने लगी पूरे बदन मे,,,,

मैने देखा कि आंटी ने पहले तो सूट पहना हुआ था लेकिन अभी आंटी पेटिकोट ऑर ब्लाउस मे थी,,,,साला
ये औरत तो कुछ ज़्यादा ही लग रही है सेक्स की आग मे ,,,इसका बस नही चलता वर्ना अभी नंगी हो जाए,,,,

मैं कॉफी पीने लगा ऑर सर दर्द से थोड़ा आराम भी मिलने लगा,,,,,कॉफी पीक मैं सोफे पर लेट गया

क्या हुआ बेटा सर मे अभी भी दर्द हो रहा है क्या,,बोलो तो दबा दूं क्या,,,,

पहले तो दिल किया कि रहने दो फिर जब नज़र पड़ी आंटी के बड़े बड़े बूब्स पर तो मन मचल गया,,,

जी आंटी जी ,,थोड़ा सर दबा ही दीजिए शायद दर्द कम हो जाए,,,,,

आंटी उठी ऑर मेरे सोफे पर आ गई ऑर मैने अपने सर को उठा दिया ,,फिर आंटी बैठ गई ऑर मैने अपना
सर आंटी की गोद मे रख दिया ऑर फेस उपर कर लिया,,,,,आंटी दोनो हाथों से मेरे सर को हल्के से दबाने
लगी ,,जब जब आंटी अपने हाथ का ज़ोर लगाती या हल्के से मेरे सर पर दबाब डालती तो नीचे झुकने की वजह से
उनके बूब्स मेरे फेस पर टच होने लगते ,,,,दिल तो किया कि अभी मूह मे भर लूँ लेकिन मैं सबर
कर रहा था,,,,ऑर तभी सारा खेल ख़तम हो गया,,,,अंदर रूम मे मेरा फोन बजने लगा ऑर मैं
आंटी की गोद से उठकर करण के रूम मे चला गया,,,,,

ये माँ की कॉल थी,,,,


हेलो बेटा,,क्या कर रहा था,,,,

कुछ नही बस आंटी को गोद मे लेटा हुआ था,,,,

अच्छा तो गोद तक पहुँच ही गया तू,,,,चल आज तुझे एक प्लान बताती हूँ जिस से गोद से आगे तक पहुँच
जाएगा तू,,,,

नही माँ रहने दो,,,,आज मेरे पास एक प्लान है,,,बस आप मेरा एक काम करो,,,शाम को 4-5 बजे आंटी
को बाहर शॉपिंग करने के लिए बोलना ऑर जब वो तैयार हो जाए तो उनको मना कर देना ,,बोल देना आपको
कोई काम पड़ गया,,,,

तेरे पास क्या प्लान है,,,,,

है एक प्लान माँ ,,,आप बस आंटी को फोन कर देना,,,,,,

ठीक है बेटा,,,,,,जब माँ बोल रही थी तो पीछे से किसी की आवाज़ सुनाई दी जो जानी पहचानी लग रही थी
लेकिन इस से पहले कुछ ऑर सुनता माँ ने फोन कट कर दिया,,,,,फिर मैं बाहर नही गया ऑर वहीं रूम
मे लेट कर लॅपटॉप ऑन कर लिया,,,आंटी भी मेरे रूम मे नही आई,,,


मेरी आँख लग गई ऑर जब उठा तो 4 बज रहे थे,,,,,मैं उठा ऑर बाहर हॉल मे आ गया,,आंटी अपने रूम
मे थी,,,,मैने माँ को मेसेज कर दिया कि आंटी को कॉल करे ऑर तभी 5-7 मिनट मे आंटी का फोन बजने
लगा,,माँ ने वैसा ही किया जैसा मैने बोला था,,,,


बात करने के बाद आंटी अपने बाथरूम मे चली गई ऑर मैं वहीं बैठ कर टीवी देखने लगा,,,

फिर कुछ देर बाद आंटी तैयार होके बाहर आ गई,,,,,साला जब भी ये तैयार होती थी मेरे दिल मे आग लग जाती
थी,,,,ऑर उपर से इसका टाइट फिटिंग वाला पंजाबी सूट ,,जिसमे से पूरी बॉडी का ठीक ठीक नाप मिल जाता था,,,बड़े
बूब्स खुल कर बाहर निकल आते थे,,,गान्ड भी एक दम फस जाती थी सलवार मे,,,,,

आंटी आप कहीं जा रही हो क्या,,,,,,

हाँ बेटा ,,एक सहेली के साथ शॉपिंग करने जा रही हूँ ,,

कब जाना है आंटी जी,,ओर वापिस कब आना है,,,,,

अभी चली जाउन्गी 10-15 मिनट मे ऑर वापसी आउन्गी कम से कम 2-3 अवर्स मे,,,,क्यू कोई काम था क्या,,,,

नही आंटी जी बस ऐसे ही पूछा था,,,,,,,

आंटी अपने रूम मे चली गई ऑर मैं भी करण के रूम मे चला गया,,फिर कुछ देर बाद मैं करण
के रूम से ऐसे निकला जैसे कोई चोर निकलता है,,,मैं जान बूझ कर ऐसे चल रहा था कि आंटी मुझे
देख नही सके,,लेकिन मैं चाहता था कि आंटी मुझे देख ले,,,,,मैं किचन मे गया ऑर आंटी के रूम के
पास से हल्के से गुजरा ,,,ऑर आंटी ने भी मुझे देख लिया ऐसे चलते हुए,,,,मैं किचन मे गया ऑर एक
कटोरी मे देसी घी डालके वापिस हल्के कदमो से करण के रूम की तरफ आने आगा,,,,,,,आंटी ने मुझे देखा
ऑर मेरे पे शक करती हुई हल्के से मेरे पीछे पीछे आ गई,,,मैं जान गया था वो मेरे पीछे है,,,
Reply
12-21-2018, 02:13 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं रूम मे जाते ही अपने फोन को कान पर लगाया ऑर बात करने का नाटक करने लगा,,,,,

हाँ बस कुछ देर मे आंटी जाने वाली है,,फिर मैं घर पे अकेला हूँ,,2-3 अवर्स तक मस्ती कर सकते
है,,,,,जैसे ही वो जाती है मैं तुझे मेसेज कर दूँगा,,,तू आ जाना,,,,इतना बोलकर मैने फोन को वापिस
रख दिया ऑर आप भी आराम से बेड पर लेट गया,,,

करीब 5 मिनट बाद आंटी वापिस मेरे रूम मे आई,,,,बेटा मैं जा रही हूँ तू गेट बंद करले,,,

आंटी जी आपके पास घर की चाबी है ना,,,,,

हाँ बेटा ,,क्यू चाहिए क्या,,,,,

नही आंटी जी,,,,,मेरे को नींद आ रही थी ,,मैं सोच रहा था कि आप गेट को खुद लॉक कर दो ,,पता
नही आपके वापिस आने पर मैं नींद से जाग पाउन्गा भी या नही,,,आपके पास चाबी होगी तो आप अंदर तो
आ जाओगी ,,,,,

ठीक है बेटा,,मैं खुद गेट लॉक करके जाती हूँ तुम आराम से सो जाना,,,,,फिर आंटी वहाँ से चली
गई ऑर जाते टाइम मुझे अजीब शक्की नज़रो से देख कर गई,,यही तो मेरा प्लान था,,,,ऑर प्लान के हिसाब से
जब आंटी घर से निकली तो 5 मिनट बाद ही माँ ने आंटी को फोन कर दिया ऑर मना कर दिया आज
शॉपिंग के लिए ऑर आंटी वापिस घर आ गई,,,,,ऑर उनके आने से पहले मैं बेड पर नंगा होके लेट गया
थे ,,मेरा लॅपटॉप मेरे सामने था ऑर उसपे मेसेन्जर ऑन था ऑर मेरे साथ वीडियो चॅट कर रही थी शिखा
दीदी,,,,वो भी बुटीक पर नंगी होके बेड पर लेटी हुई थी,,लेकिन ना तो वो अपना फेस दिखा रही थी ऑर
ना ही मैं,,,हम दोनो अपने सर से नीचे का बॉडी पार्ट दिखा रहे थे,,,मैं तो दीदी को ये भी बोल
दिया था कि मूह पर कपड़ा बाँध ले ताकि उनकी आवाज़ कुछ अलग हो जाए ऑर आंटी उनकी आवाज़ नही पहचान
सके ऑर दीदी ने ऐसा ही किया,,,,

ऑर जैसे ही गेट खुलने की आवाज़ आई मैं ऑर दीदी शुरू हो गये,,,,मैं जानता था गेट खुलने के बाद आंटी
सीधा मेरे रूम मे आएगी क्यूकी उन्होने मुझे फोन पर बात करते भी सुना था ऑर किचन मे चोरों
की तरह जाते भी देखा था,,,ऑर ऐसा ही हुआ आंटी सीधा मेरे रूम के दरवाजे के पास आ गई ऑर यहाँ
मैं बेड पर नंगा बैठा हुआ था ऑर मेरा लॅपटॉप मेरे बेड पर मेरी टाँगों के बीच मे पड़ा हुआ
था ऑर मेरे लॅपटॉप पर एक लड़की नंगी थी जिसकी वीडियो आंटी देख सकती थी,,,,वो लड़की शिखा थी ये आंटी
को नही पता चलने वाला था क्यूकी वो अपना फेस नही दिखा रही थी,,,बस जो हिस्सा देखना था मुझे वही
दिखा रही थी,,,,,

मैने शिखा से ऐसे बात करनी शुरू की जैसे वो मेरी कोई नेट की चॅट फ्रेंड है,,फिर हम दोनो की
वीडियो चॅट शुरू हो गई,,,,

शिखा को भी मैने बता दिया था कि उसकी माँ रूम के दरवाजे के पास खड़ी हुई है,,,,,,,,

शिखा,,,,,,,,इतना टाइम क्यूँ लगा दिया,,,,,


मैं,,,,,,,,,,यार आंटी के जाने का वेट कर रहा था वो अभी गई,,,,वो अगर होती तो मैने कहाँ ऑनलाइन
आना था,,,

शिखा,,,,,,अब कब तक वापिस आना है तुम्हारी आंटी जी ने,,,,

मैं,,,,बोल कर तो गई है 3 अवर्स तक ,,बाकी पता नही,,,,

शिखा,,,,ओह्ह वाउ मतलब हम 3 अवर्स तक मस्ती कर सकते है,,,,

मैं,,,,,हाँ कर तो सकते है ,,अगर आंटी नही आई तो,,,,,

शिखा,,,,आंटी आती है तो आने दो उसको भी अपने खेल मे शामिल कर लेना तुम,,,वैसे भी तुम तो यही
चाहते हो ना,,,,

मैं,,,,हां यार चाहता तो हूँ कि आंटी भी मेरे साथ इस मस्ती के खेल मे शामिल हो जाए लेकिन उनको
मैं शामिल करूँ तो कैसे करूँ,,,मुझे तो बहुत डर लगता है उनके पास जाने मे,,,,

शिखा,,,,इतना डरोगे तो चुदाई कैसे करोगे आंटी की,,,,या तो डरना छोड़ दो या आंटी को चोदने का
ख्याल अपने दिल से निकाल दो,,,,

मैं,,,अरे यार ऐसा मत बोल प्लज़्ज़्ज़्ज़ ,,,मैं ये ख्याल कभी दिल से नही निकाल सकता,,,तुझे तो पता है ना
कि मैं अलका आंटी को कितना लाइक करता हूँ,,,,,

शिखा,,,,,,अच्छा बता कितना लाइक करता है,,,मुझे भी तो पता चले आख़िर क्या है तेरी आंटी मे ऐसा जो
मेरे मे नही,,,,,शिखा सामने से अपनी चूत मे उंगली करती हुई एक हाथ से अपने बूब्स को बारी बारी से
मसल्ति हुई बोल रही थी,,,

मैं,,,,,,मत पूछ यार,,,,गोरा रंग है संगमरमर की तरह,,,भरा हुआ बदन है ,,मोटी नही है
लेकिन कुछ हेल्थि है,,,,बड़े बड़े बूब्स कम से कम 40 साइज़ के है,,,,बड़ी मस्त गान्ड है उनकी ,,,जब
भी उनको देखता हूँ तो दिल करता है अपना से 9" इंच का लंड उनकी चूत मे घुसा दूं ऑर उनके
बड़े-बड़े बूब्स को हाथों मे लेके मसलता हुआ उनकी चूत मे झटके मारने शुरू कर दूं ऑर साथ
ही उनके सॉफ्ट सॉफ्ट लिप्स को अपने मूह मे भरके चूस्ता रहूं,,फिर कुछ देर बाद उनको बेड पर झुका
कर पीछे से अपने मूसल को उनकी गान्ड मे घुसा दूं ऑर इतनी चुदाई करूँ कि उनकी गान्ड को अपने
लंड के पानी से भर दूं,,,,,,,,,,,,,मैं भी अपने लंड को हल्के हल्के से मसल रहा था देसी घी
लगा कर,,,,,

आंटी बाहर खड़ी सब सुन रही थी ऑर सब देख भी रही थी,,,,पक्का वो कुछ परेशान होंगी लेकिन वो
मेरी बातों से कुछ गरम भी हो गई होगी,,,,,चूत मे उंगली भी करने लगी होगी,,,,क्यूकी मुझे लॅपटॉप
मे उनकी परच्छाई तो नज़र आ रही थी लेकिन वो क्या कर रही थी ये नज़र नही आ रहा था,,,

शिखा,,,,,अच्छा ये बता तू कभी आंटी के साथ सोया है क्या,,,,,

मैं,,,,हाँ मैं 3 दिन से यहाँ हूँ ऑर 2 रात मैं आंटी एक साथ सोया भी था,,,

शिखा,,,,,,,,,,कुछ हुआ क्या फिर,,,तूने उनको कहीं टच किया कि नही सोते टाइम,,,,

मैं,,,,,,नही मुझे बहुत डर लगता है,,,कहीं वो जाग जाती तो,,,,,ऑर वैसे भी मैं बेड पर लेटते-ते ही सो
जाता हूँ,,कुछ करने का मोका ही नही मिलता मुझे,,,,

शिखा,,,तू सच मे बुद्धू है,,,नींद मे जब आंटी होती है तू हल्का सा हाथ तो लगा ही सकता है ,,बूब्स
पर या उनकी चूत पर,,,,

मैं,,,,नही यार मुझे बहुत डर लगता है,,,वो मेरे दोस्त की माँ है तो मेरी भी माँ हुई ना,,,ऑर उमर
मे इतनी बड़ी है मेरे से कि मेरी हिम्म्त ही नही होती कभी कुछ करने की,,,,,

शिखा,,,,फिर तुझे क्यू लगता है कि तू उनको चोद सकता है,,,,जब तेरे मे हिम्मत ही नही,,,,क्या वो तुझे
सामने से आके ऐसा बोलेगी कि आजा सन्नी मेरी चूत मारले,,,,,

मैं,,,नही यार ऐसी बात नही है,,,मुझे ही कुछ करना होगा वो नही कहने वाली कुछ,,लेकिन एक बात
है कि वो चुदाई क लिए मान ज़रूर जाएगी,,,,

शिखा,,,,अच्छा ,,तुझे ऐसा क्यू लगता है भला,,,,

मैं,,,,,अरे यार तूने उसको देखा नही कभी,,क्या मस्त माल है वो,,,,ऐसी औरत का पति हर रात को उसको
एक बार तो ज़रूर चोदता होगा,,,,तभी तो इतने बड़े बूब्स ऑर इतनी मस्त गान्ड है उनकी,,,,ऑर अब करण
के पापा को आउट ऑफ कंट्री गये काफ़ी महीने हो गये है,,,जहाँ तक मुझे लगता है आंटी इतने टाइम से
बहुत चुदासी हो गई होंगी,,,,,अगर मैं कोशिश करूँगा तो शायद मान जाएगी,,,,,क्यूकी पूरी भरी बैठी
हुई है वो,,,,आग लगी हुई होगी उनके जिस्म मे,,,,बस जलते हुए अंगारों पर हल्की राख पड़ी हुई है जिसको
हल्की मस्ती की फूँक मार कर उड़ाना होगा ओर फिर से शोले भड़कने शुरू हो जाने है,,,,

शिखा,,,,,,फिर तो तुझे कुछ करना ही होगा,,,रात को सोते टाइम,,,,,वैसे तू जवान लड़का है उनको तेरे
साथ सोने मे कोई दिक्केट तो नही होती,,,,,

मैं,,,,नही कोई दिक्कत नही होती,,,,वो तो मुझे अपना बेटा समझती है बिल्कुल करण की तरह,,,दिक्कत तो
मुझे होती है क्यूकी मैं अक्सर निक्कर पहन कर सोता हूँ ऑर मुझे उनके साथ ऐसे सोने मे शरम
आती है,,,,,,,,ऑर सॉरी भूल गया उनको भी दिक्कत होती है,,,मेरी स्नोरिंग की वजह से,,,जब भी मैं गहरी
नींद मे होता हूँ तो मेरे खर्राटे शुरू हो जाते है,,जिनसे आंटी को थोड़ी प्रोबलम होती है,,,,

शिखा,,,,,क्या तू गहरी नींद मे खर्राटे मारता है,,,,,

मैं,,,हाँ यार जब नींद गहरी होती है तो कहाँ पता चलता है सोने वाले को की वो क्या कर रहा है,,

शिखा,,,,,अच्छा ये बता तुझे कभी आंटी के साथ सोते हुए ऐसा लगा कि आंटी तेरे बहुद करीब है ,,,या
तेरी बॉडी को कहीं टच कर रही है,,,

मैं,,,,क्या मतलब,,,,,

शिखा,,,मतलब कि आंटी कभी तेरी चेस्ट को या कभी तेरे लंड को हाथ लगाती है जब तू सो जाता है,,,

मैं,,,,नही मुझे नही पता,,,,मैं तो गहरी नींद मे होता हूँ ना,,,,लेकिन कभी कभी मुझे लगता
है जैसे उनका हाथ मेरी चेस्ट पर रखा हुआ है या चेस्ट पर घूम रहा है,,लेकिन वो तो नींद मे
होती होंगी शायद इसलिए ऐसा कुछ हो जाता होगा,,,,,मैं भी तो नींद मे खर्राटे मारता हूँ,,,,

शिखा,,,,,अरे बुद्धू अगर वो भी तीर साथ चुदाई करने की तमन्ना दिल मे रखती होगी तो तेरे सोने के
बाद वो तुझे कहीं ना कहीं टच ज़रूर करती होंगी,,,,,,

मैं,,,,,पता नही मुझे,,,,,,

शिखा,,,,अच्छा एक बात बता,,तू गहरी नींद मे खर्राटे मारता है ये बात आंटी को पता है क्या,,,,

मैं,,,,हाँ पता है,,,ऐसा क्यो पूछा तूने,,,,,

शिखा,,,,देख आज रात जब तू आंटी के साथ सोएगा तो कोशिश करना कि तुझे नींद नही आए लेकिन तू
सोने की आक्टिंग करते हुए जान बूझ कर खर्राटे मारना शुरू कर देना,,,

मैं,,,,इस से क्या होगा,,,,

शिखा,,,,अगर आंटी के दिल मे भी कुछ ऐसा हुआ जैसा तेरे दिल मे है तो आंटी शायद सोते टाइम तेरे को
टच करती हो,,,शायद तेरे लंड को भी पकड़ती हो,,,,तू तो गहरी नींद मे होता है ना,,,,,,,,,,वैसे तुझे
ऐसा क्यू लगता है कि आंटी भी वैसा चाहती होगी जैसा तू चाहता है,,,,

मैं,,,,,मैने देखा है उनकी आँखों मे,,,,मैं उनको काफ़ी टाइम से लाइक करता आ रहा हूँ,,,,ऑर हर
बार जब मैं उनके घर आता हूँ तो उनके बूब्स ऑर मस्त गान्ड को दिल भरके देखता हूँ लेकिन आंटी
मेरी तरफ कभी नही देखती थी,,,अगर देखती थी तो बस नॉर्मल तरीके से लेकिन अभी कुछ महीनो मे मैने
देखा है कि जब भी मैं आंटी को देखता हूँ या उनके बड़े बड़े बूब्स की तरफ देखता हूँ तो वो हंस कर
हल्का सा शरमा जाती है,,,,उनको कोई परेशानी नही होती जब मैं उनके बूब्स देखता हूँ,,,ऑर अभी कुछ
दिन से तो वो ज़्यादा ही बूब्स दिखा रही है मुझे,,,,रात खाना खाते टाइम भी झुक झुक कर मुझे अपने
बूब्स दिखाती है,,,,मेरा ध्यान खाने की प्लेट की तरफ कम ऑर उनके बूब्स की तरफ ज़्यादा होता है,लेकिन
वो ऐसा अंजाने मे करती है है जान भूज कर मैं ये नही जानता,,,,,
Reply
12-21-2018, 02:13 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
शिखा,,,,तो जैसा मैं कहती हूँ वैसा कर,,,,,आज रात सोने की आक्टिंग कर ऑर नकली खर्राटे मारने शुरू
कर देना,,फिर देखना आंटी तुझे कहीं हाथ लगाती है या नही,,,,अगर उन्होने ऐसा वैसा कुछ किया तो
समझ जाना तेरी लाइन क्लियर है,,,,

मैं,,,,सच मे ऐसा हो गया तो मज़ा आ जाना है,,,,,मैं नही जानता आंटी भी वैसा चाहती है या नही
लेकिन मैं तो चाहता हूँ लेकिन मैं पहले कुछ करने से डरता हूँ क्यूकी वो मेरे दोस्त की माँ है
ऑर मेरी माँ जैसी है,,लेकिन अगर वो भी वहीं चाहती है तो बस एक बार मुझे अजीब तरीके से कहीं
टच कर्दे फिर मैं नही छोड़ने वाला आंटी को,,,,इतनी दमदार चुदाई करूँगा कि आंटी करण के
पापा को भी भूल जाएगी,,,,,

शिखा,,,,चल आंटी के साथ तो जो होगा वो होगा लेकिन बता क्या अभी तू आंटी के साथ मस्ती करना चाहता
है,,,,,

मैं,,,अभी ? अभी कैसे,,,,??

शिखा,,,मैं बनती हूँ ना तेरे लिए तेरी अलका आंटी ऑर तेरा जितना दिल करे उतनी देर चुदाई करले मेरी,,

मैं,,,हाँ ये ठीक है ,,,,हर बार की तरह हम लोग रोल प्ले करते है,,,,तुम अलका आंटी बन जाओ आज मेरे
लिए ऑर मैं पूरी मस्ती से तुम्हारी चुदाई करता हूँ,,,,

फिर मेरा ऑर शिखा का रोल प्ले शुरू हुआ जो करीब 1 अवर से ज़्यादा चला ओर इसके साथ ही मैं अपने
लंड की मालिश भी करता रहा ,,,जब मेरा ऑर शिखा दोनो का पानी निकल गया तो हम दोनो बेड पर लेट
गये फिर वो ऑफलाइन हो गई लेकिन जैसे ही वो ऑफलाइन होने लगी पीछे से उनके लॅपटॉप से आवाज़ आई,,,,,जल्दी
कर घर जाना है सभी वेट कर रहे होंगे,,,,,ये आवाज़ शोबा दीदी की थी,,,पता नही आंटी ने वो आवाज़
सुनी थी या नही लेकिन मैं तो सुन ली थी,,,,जैसे ही मैं अपने लॅपटॉप बंद करके पीछे की तरफ मुड़ा तो
देखा कि आंटी वहाँ से जा चुकी थी,,,,,शायद आंटी ने शोबा की आवाज़ नही सुनी थी,,,,,

मैं बहुत खुश था ,,,मेरा काम तो हो गया था,,,आंटी आज पूरी तरह क़ाबू मे आ गई थी,,अब तो बस
रात का इंतजार था,,लेकिन अभ तो शाम थी डिन्नर भी करना था,,,,,,,देखते है रात को क्या होता है ,,,,,,
मैं लॅपटॉप बंद करके निक्कर पहन कर रूम से बाहर निकला ,,,आंटी घर वापिस आ चुकी थी लेकिन मैं
रूम से ऐसे अंजान बनके निकला जैसे आंटी अभी घर मे है ही नही,,,,,

जब मैं आंटी के रूम के सामने से गुजर रहा था तो रूम के अंदर देखा तो आंटी अपने कपड़े चेंज
करके नाइटी पहन रही थी,,,,ये नाइटी भी काफ़ी पलते कपड़े की थी लेकिन काफ़ी लंबी थी जो घुटनो से काफ़ी
नीचे तक आ रही थी,,,,,,मैने एक बार आंटी की तरफ देखा ओर जैसे ही उन्होने पलट कर बाहर की तरफ देखा
तो मैं अंजान बनके वहाँ से आगे बढ़ गया किचन की तरफ,,मेरे हाथ मे देसी घी की खाली कटोरी थी,,
मैं अपनी मस्ती मे अंजान बनते हुए किचन की तरफ जाने लगा तभी आंटी अपने रूम से बाहर निकली,,


सन्नी बेटा तू इतनी जल्दी उठ भी गया,,या अभी तक सोया ही नही,,,,आंटी ने बड़े शरारती अंदाज़ मे बोला ,,,,


मैं डरने का नाटक करते हुए एक दम से पीछे मुड़ा,,,,,,आअप्प्प्प कब आयई अयूयूंटीयी ज्जिि,,,,मैं इतना
ज़्यादा नाटक कर रहा था की आंटी को लगा जैसे मैं बहुत ज़्यादा डर गया हूँ,,,,,

अरे तुम इतना डर क्यूँ रहे हो,,,,ऑर तुमको पसीना क्यू आ रहा है,,,तुम तो ऐसे डरने लगे हो जैसे मैने
तुम्हारी चोरी पकड़ ली है,,,,

चूरिई कैइईसीई चोरी मायिनी क्कोइ चोरि ंहिी क्कीिई,,,ऊरर पास्सीनना क्काहहानं आय्या हहाई
म्मूउुज्झहही ,,,मैं जानभूज कर अपने हाथ को अपने माथे पर रखते हुए बोला,,,,


तभी आंटी मेरे पास आ गई,,,,ऑर अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर मेरे माथे से नीचे कर दिया ऑर
हँसने लगी,,,,,,मैं तो मज़ाक कर रही थी बेटा,,,लेकिन तुम तो ऐसे डर रहे हो जैसे सच मे कोई ग़लत काम
कर के आरहे थे,,,,,

मैं क्या ग़लत काम कर रहा था,,,मैं तो सो रहा था आंटी जीई,,अभी उठा हूँ,,,,

अच्छा तो तेरे हाथ मे क्या है ये,,,,

ये तो देसी घी है आंटी जी,,,,मेरा दिल किया था देसी गीयी खाने को,,,,,इसमे कुछ ग़लत बात है क्या,,,,

नही बेटा ये तो बहुत अच्छी बता है,,,,तेरी उमर ही ऐसी है ,,,,,वैसे भी आज कल तू जितनी मेहनत करता है
उसके लिए अच्छी खुराक खानी ही चाहिए,,तभी तो ऑर ज़्यादा मेहनत करने की ताक़त आएगी,,,,लेकिन तू मेहनत
सही जगह किया कर,,,,फालतू मे थका मत कर,,,,,आंटी बड़ी नटखट अंदाज़ मे बोली थी ऑर मैं समझ गया
था उनका मतलब,,,,

ग़लत जगह ,,,,कॉन्सी ग़लत जगह मेहनत की है मैने आंटी जी,,,,

अरे मेरे कहने का मतलब है तू वीडियोगेम मे मेहनत बहुत करता है,,जब देखो लॅपटॉप पर लगा रहता
है पता नही क्या क्या गेम खेलता रहता है,,,,,मेहनत करनी है तो किसी ऑर तरफ मेहनत किया कर,,,,

कहाँ मेहनत करूँ आंटी जी,,,,मुझे तो गेम खेलने मे ही मज़ा आता है,,,,,आपको क्या पता गेम खेलके
कितना मज़ा आता है,,अपने एक बार खेली हो तो पता लगे,,,,,

जानती हूँ बेटा तू कितनी मस्ती करता है गेम खेलने मे,,,,आंटी हँसते हुए बोली,,,,,,


वैसे आप इतनी जल्दी कैसे आ गई आंटी जी,,,,मुझे तो आपके आने का पता भी नही चला,,,,,,

पता कैसे लगना था तुझे बेटा,,,,इतनी मेहनत करने मे जो बिज़ी था,,,,,,

क्या मतलब आंटी जी,,,,,,,

मेरा मतलब इतनी मेहनत करता है तू थक गया होगा,,,,ऑर वैसे भी तेरी नींद इतनी पक्की है कि तुझे सोते
टाइम कुछ पता नही चलता,,,,,,

हाँ ये बात तो ठीक कही अपने आंटी जी,,,,,सोते टाइम मुझे कुछ पता नही चलता,,,,,इसलिए तो अपने खर्राटे
भी नही सुन पाता मैं,,ये तो आपसे पता चलता है कि मैं खर्राटे मारता हूँ,,,,,वैसे आपने बताया नही
आप इतनी जल्दी कैसे आ गई,,,,,,

कुछ नही बेटा ,,जिस सहेली के साथ गई थी उसको कोई ऑर काम आन पड़ा ओर वो माल से वापिस घर चली गई,,तो
मैं अकेली क्या करती इसलिए मैं भी वापिस आ गई,,,,,,
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