RE: Chodan Kahani चंचल चूत
चंचल को डॅश बोर्ड से नीचे उतरा तो चंचल ने मेरे खड़े हुए लंड को अपने छोटे से हाथों मे पकड़ लिया और दबाने लगी और कहा के राजा कुछ और भी तो करो ना. मैं ने कहा चंचल कही कोई प्राब्लम ना हो जाए तो वो बोली कैसी प्राब्लम .. कोई प्राब्लम नही होगी तुम कुछ करो ना प्लीज़ अब मुझ से रहा नही जाता.. मैं ने बोला के देखो चंचल कल हम पूरी तय्यारी से आते हैं और किसी और जगह चलते है. यहा तो कोई जगह हमारे लेटने के लिए ठीक नही है. उसने मेरे आकड़े हुए लंड को शरारत से हस्ते हुए और ज़ोर सी दबाते हुए कहा के इस का क्या होगा अब. . अब मेरे लंड मे से प्री कम निकल के उसके हाथ पे लगना शुरू हो गया था. चंचल ने पूछा हे राजा यह क्या है ? क्या तुम्हारी क्रीम ऐसी होती है ? मैं ने कहा नही यह तो प्री कम है यह चुदाई से पहले चूत को चिकना और स्लिपरी बनाने के लिए निकल ता है ता के लंड चूत मे आसानी से अंदर चला जाए तो वो बोली के कैसे जाएगा राजा इतना बड़ा तो है तुम्हारा लंड और मेरी चूत तो अभी बोहोत ही छोटी है. मैं ने कहा के कोशिश करते हैं धीरे धीरे डालूँगा पर फर्स्ट टाइम तो थोड़ी सी तकलीफ़ होगी पर बाद मे मज़ा ही मज़ा आएग तो उसने कहा ठीक है.
मेरा सरकम्साइज़्ड, शार्प, मोटा लोहे जैसा सख़्त लंड रॉकेट की तरह खड़ा था और चंचल मेरे लंड को पकड़ के ऊपेर नीचे करने लगी जैसे उसे पता हो के मास्टरबेट कैसे करते हैं. मुझे मज़ा आ ने लगा था. वो कार के नीचे खड़ी थी और मैं सीट पे बैठा था. मेरे पैर डोर के बहेर निकले हुए था और चंचल मेरे दोनो पैरों के बीचे मे खड़ी मास्टरबेट कर रही थी. मेरे पैर चंचल की गंद को घेरे मे लिए हुए थे और मेरे हाथ उसकी गंद पे थे और मैं उसके छूतदों को दबा रहा था और एक उंगली उसकी गंद के छेद मे घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था चंचल मेरे मोटे लंड को अपने छोटे हाथों से दबा दबा के ऊपेर नीचे कर रही थी.
चंचल को पता नही क्या सूझा के उसने अपनी चूत को मेरे लंड के सूपदे से टच करना शुरू कर दिया और मूसल जैसे लंड को अपने चूत के दोनो लिप्स के बीचे मे से ऊपेर नीचे, नीचे ऊपेर कर के रगड़ने लगी कभी कभी लंड उसकी चूत के सूराख पे टिक्क जाता तो मुझे बोहोत मज़ा आता और वो भी सिसस्स्कारी भरती. मेरे लंड को हाथो से पकड़ के चूत मे ऐसे घिस्स रही थी जैसे कोई मसाला पीस रही हो.
लंड के प्री कम से उसकी चूत भी स्लिपरी हो गई थी और कभी कभी लंड का सूपड़ा उसके चूत मे थोड़ा सा घुस जाता तो वो चौंक के पीछे को हट जाती पर फिर से आगे आके लंड को चूत से रगड़ने लगती. मेरी क्रीम अब फिर से निकलने को रेडी थी मैं ने बोला चंचल और ज़ोर से और ज़ोर से आहह बोहोत मज़ा आ रहा है ऐसे ही आहह ऊओह उसके हाथ भी जोश मे और ज़ोर ज़ोर से चलने लगे. मेरी क्रीम बॅस अब लंड के सूराख तक आ गई तो मैं ने फिर से चंचल का सर पकड़ा और उसको झुका के उसके मूह मे अपने लंड का सूपड़ा घुसेड दिया तो उसने बिना हिचक के अपना मूह खोल के लंड के सूपदे को चूसना शुरू कर दिया और फिर 4 – 5 सेकेंड्स के अंदर ही मेरे लंड मे से क्रीम का फव्वारा ( फाउंटन ) निकलने लगा और चंचल के थ्रोट मे घुस्स गया. लंड मे से क्रीम निकलती रही और वो वो सारी क्रीम निगलती रही. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे सारे बदन मे ब्लड नही मेरे लंड की क्रीम है जो निकलती ही जा रही है और ख़तम ही नही हो रही है.
चंचल ने चूस चूस के मेरे लंड मे से निकली हुई क्रीम को खाया और लंड को सॉफ किया और अपने मूह उठा के मुझे देख के मुस्कुराने लगी. मैं कार से बहेर निकल आया और चंचल को अपनी बाँहो मे जाकड़ लिया. मेरी और उसकी हाइट मे बोहोत ज़ियादा डिफरेन्स नही था तो मेरा लंड उसके पेट के नीचे के हिस्से से टच हो रहा था चूत के करीब. उसके हाथ मेरी गंद पे थे दोनो एक दूसरे से एमब्रेस होते रहे. थोड़ी देर के बाद हम कार वापस ले के घर की तरफ चल दिए. रास्ते मे मेरे हाथ चंचल की चूत का मसाज कर रहे थे तो कभी उसकी वंडरफुल चुचिओ को मसल रहे थे और उसके हाथ मे मेरा लंड था. अभी ट्रॅफिक शुरू होने से पहले ही वो झुकी और मेरे लंड को फिर से अपने मूह मे ले के चूसने लगी और दबा के बोली के राजा मैं कल तक कैसे वेट करू आज ही रात कुछ करो ना. मैं ने कहा थोड़ा सबर करो नही तो बना बनाया खेल बिगड़ जाएगा तो वो खामोश हो गई और इसी तरह हम घर को पहुँच गये.
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